Author name: Prasanna

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

HBSE 6th Class Hindi ऐसे-ऐसे Textbook Questions and Answers

एकांकी से

प्रश्न 1.
‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है- उस पर एक फोन रखा है। इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ।
उत्तर :
बैठक के फर्श पर कालीन बिछा है। इसके ऊपर सोफा-सैट रखा है। कोने में तिपाही पर फूलदान सजा है। दूसरे कोने में टेबल लैंप रखा है। कमरे के बीच में शीशे की मेज रखी है। मेज पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी हैं। दीवार पर दो सुंदर पेंटिंग टॅगी हुई हैं। छत पर झाड़-फानूस टॅगा है।

प्रश्न 2.
माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?
उत्तर :
माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर इसलिए घबरा रही थी क्योंकि वह अपनी बेचैनी दर्शा रहा था। माँ को लग रहा था कि उसका पेट-दर्द निरंतर बढ़ता चला जा रहा है। माँ अज्ञात आशंका से घबरा रही थी।

प्रश्न 3.
ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं ? कुछ बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर :
बच्चे प्राय: निम्नलिखित बहाने बनाते हैं-

  • पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा है।
  • सिर में बहुत दर्द है, फटा जा रहा है।
  • उलटी आ रही है।
  • चक्कर आ रहे हैं।

मास्टरजी इन बहानों को भली प्रकार जानते हैं।

भाषा की बात

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन, केला और संतरा खाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।

दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आवेशवाचक वाक्य कहते हैं। नीचे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो।
उत्तर:
बताना : रूथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
नहीं/मना करना : रूथ कपड़े अलमारी में मत रखो।
पूछना : रूथ, क्या कपड़े अलमारी में रख दिए?
आदेश देना : रूथ, कपड़े अलमारी में रखो।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

HBSE 6th Class Hindi ऐसे-ऐसे Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इस पाठ में बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर :
बच्चे स्कूल का काम न करने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। वे काम से बचना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया ?
उत्तर :
मोहन के पड़ोसी दीनानाथ वैद्यजी को बुलाकर लाए।

प्रश्न 3.
मोहन की माँ यह क्यों कहती है- “हँसी की हँसी, दुख का दुख’?
उत्तर :
मोहन की माँ बार-बार मोहन से उसके पेट-दर्द के बारे में पूछती है। वह हर बार यही कहता है-बड़ी जोर से ‘ऐसे-ऐसे’ होता है। माँ उसकी बात सुनकर परेशान भी होती है और हँस भी पड़ती है। वह बेटे के दुख से दुखी होती है। इसी मन:स्थिति में वह कहती है-हँसी की हँसी, दुख का दुख। यह उसे अजीब बीमारी लगती है।

प्रश्न 4.
मोहन के पेट-दर्द को जानने के लिए उसके पिता उससे क्या-क्या प्रश्न करते हैं?
उत्तर :
मोहन के पिता मोहन के पेट-दर्द का स्वरूप जानने के लिए उससे निम्नलिखित प्रश्न करते हैं-

  • अरे, गड़गड़ होती है?
  • चाकू-सा चुभता है?
  • गोला-सा फूटता है?

प्रश्न 5.
वैद्यजी पेट-दर्द का क्या कारण बताते हैं?
उत्तर :
वैद्यजी बताते हैं-वात का प्रकोप है, कब्ज है। पेट साफ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है।

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प्रश्न 6.
डॉक्टर मोहन के पेट-दर्द का क्या निदान करते हैं?
उत्तर :
डॉक्टर मोहन की जीभ देखता है और कब्ज तथा बदहजमी बताता है। उसके उनुसार पेट में हवा ने रुककर फंदा डाल लिया अतः ऐंठन है। एक खुराक दवा पीने से तबीयत ठीक हो जाएगी। गरम पानी की बोतल से सेंक करने को भी कहा।

प्रश्न 7.
मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ दर्द को सही रूप में किसने पहचाना और क्या उपाय बताया?
उत्तर :
मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ दर्द को सही रूप में उसके मास्टर जी ने पहचाना। उन्होंने मोहन से प्रश्न करके जान लिया कि मोहन ने गृहकार्य नहीं किया। वह महीने भर तक मौज-मस्ती करता रहा। अब वह डर के मारे पेट-दर्द का बहाना कर रहा है। इसका उपाय यह बताया कि मोहन को दो दिन की छुट्टी मिलेगी ताकि वह अपना काम पूरा कर सके। मोहन का ‘ऐसे-ऐसे’ पेट-दर्द नहीं, बल्कि स्कूल का काम न करने का डर है।

प्रश्न 8.
इस पाठ में बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर :
बच्चे स्कूल का काम न करने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। वे काम से बचना चाहते हैं।

प्रश्न 9.
वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया?
उत्तर :
मोहन के पड़ोसी दीनानाथ वैद्यजी को बुलाकर लाए।

प्रश्न 10.
मोहन ने क्या बहाना बनाया?
उत्तर :
मोहन ने स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाया कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे’ दर्द हो रहा है।

प्रश्न 11.
माँ ने वैद्यजी के आने से पहले-पहले मोहन को क्या-क्या चीजें दी?
उत्तर :
माँ ने मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट आदि चीजें दीं।

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प्रश्न 12.
पड़ोसिन दर्द के बारे में क्या कहती है?
उत्तर :
इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं। नए-नए बुखार निकल आए हैं। राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।

प्रश्न 13.
मास्टर जी ने मोहन से क्या पूछा?
उत्तर :
मोहन, एक बात तो बताओ। स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?

प्रश्न 14.
अंत में माँ ने मोहन पर क्या व्यंग्य किया?
उत्तर :
मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।

ऐसे-ऐसे Summary in Hindi

ऐसे-ऐसे एकांकी का सार

[सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है, दूसरा अंदर के कमरे में, तीसरा रसोईघर में। अलमारियों में पुस्तकें लगी हैं। एक ओर रेडियो का सेट है। दो और दो छोटे तख्त हैं, बीच में कुरसियाँ हैं। एक छोटी मेज भी है। उस पर फोन रखा है। परदा उठने पर-मोहन एक तख्त पर लेटा है। आठ-नौ वर्ष के लगभग उम्र होगी उसकी। तीसरी क्लास में पढ़ता है। इस समय बड़ा बेचैन जान पड़ता है। बार-बार पेट को पकड़ता है। उसके माता-पिता पास बैठे हैं।]

माँ बेटे को पेट पकड़ने से मना करती है तथा कहती है कि डॉक्टर को बुलाया है, तब तक सेंक कर ले। पिता बताता है कि बेटे ने केवल एक केला और संतरा ही खाया है। दफ्तर में तो ठीक था, बस चलते समय कहने लगा कि पेट में कुछ ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। पेट में चाकू-सा चुभता है। बच्चा बेहाल हुआ जाता है। तभी डॉक्टर के फोन की घंटी बजती है। पिताजी मोहन के बारे में जानकारी देते हैं। डॉक्टर चल पड़ते हैं। तभी पड़ोसी दीनानाथ आते हैं।

दीनानाथ आकर बताते हैं कि वे वैद्यजी से कह आए हैं, बस आते ही होंगे। वैद्यजी आ जाते हैं। पिता मोहन के दर्द के बारे में बताते हैं तो वैद्यजी कहते हैं कि बच्चा सही बात बता नहीं पा रहा है कि वात का प्रकोप है। इसका पेट भी साफ नहीं है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। अभी पुड़िया भेजता हूँ। आध-आध घंटे बाद गरम पानी से दे देना। दो-तीन दस्त होंगे और पेट का दर्द भाग जाएगा।

तभी डॉक्टर का प्रवेश होता है। डॉक्टर भी पेट दबाते हैं तथा जीभ देखते हैं। वे बताते हैं कि कब्ज लगती है, कुछ बदहजमी भी है। दवा भेजता हूँ, एक ही खुराक पीने से तबीयत ठीक हो जाएगी। कभी-कभी हवा रुक जाती है और फंदा डाल लेती है। उसी की ऐंठन है। गरम पानी की बोतल से सेंक दीजिए। तभी पड़ोसिन आती है। इसके बाद मास्टरजी आते हैं। वे कहते हैं- दादा, कल तो स्कूल जाना है। तुम्हारे बिना क्लास में रौनक नहीं रहेगी। वे बताते हैं कि मोहन की दवा वैद्य और डॉक्टर के पास नहीं है।

वे मोहन से कहते हैं कि बेशक कल स्कूल मत आना, पर स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है न? मोहन बताता है कि उसके कुछ सवाल रह गए हैं। मास्टरजी समझ गए कि दर्द का बहाना यही बात है। यह ‘ऐसे-ऐसे’ काम न करने का डर है। मोहन मुंह छिपा लेता है। मास्टरजी हँसकर बताते हैं कि मोहन ने महीना भर मौज-मस्ती की। स्कूल का काम पिछड़ गया। डर के मारे इसके पेट में ‘ऐसे-ऐसे होने लगा। इसे दो दिन की छुट्टी मिलेगी।

इसमें यह काम पूरा कर लेगा और इसका दर्द “ऐसे-ऐसे’ अपने आप भाग जाएगा। माँ कहती है- अरे मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है। हमारी तो जान निकल गई, ऊपर से 15-20 रुपये खर्च हो गए सो अलग। वह मोहन के पिता को बताती है कि इसे पेट-दर्द नहीं, स्कूल के काम न करने का डर है। सब हँस पड़ते हैं।

ऐसे-ऐसे शब्दार्थ

गलीचा = सूत या ऊन के धागे से बुना हुआ कालीन (Carpet)। अंट-शंट = फालतू चीजें (Useless things)। गड़-गड़ = गरजने की आवाज (Sound)। बला = कष्ट (Difficulty)। भला-चंगा = स्वस्थ, तंदरुस्त, अच्छा = खासा (Healthy)। गुलजार = चहल-पहल वाला (Hastle and Bustle)। धमा = चौकड़ी-उछल-कूद, कूद-फाँद, उधम (Up and down)। वात = शरीर में रहने वाली वायु के बढ़ने से होने वाला रोग (A disease)। प्रकोप = बीमारी का बढ़ना (Increase of disease)। तबीयत = शरीर या मन की स्थिति (Position of bocty and mind)। बदहजमी = अपच, अजीर्ण (Indisation)। रौनक = चहल-पहल (Glamour)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

HBSE 6th Class Hindi साथी हाथ बढ़ाना Textbook Questions and Answers

गीत के बारे में

प्रश्न 1.
यह गीत किसको संबोधित है?
उत्तर:
यह गीत सभी लोगों को संबोधित है, विशेषकर मजदूरों को।

प्रश्न 2.
इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
उत्तर:
इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं:
साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना। हम मेहनत वालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया। सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया। फौलादी हैं सीने अपने, फौलादी हैं बाँहें हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।

प्रश्न 3.
‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’ -साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
उत्तर:
साहिर ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि संगठित व्यक्तियों के सामने कोई भी मुसीबत टिक नहीं पाती। परिश्रमी लोगों ने सागर में रास्ता बनाया है तथा पर्वतों पर विजय प्राप्त की है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 4.
गीत में सीने और बाँह को फौलादी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
सीने को फौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इससे इरादों की मजबूती का पता चलता है। बाँह को फौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इससे असीम कार्यक्षमता का पता चलता है। यह ताकत को दर्शाता है।

गीत से आगे

1. अपने आसपास तुम किसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे मिलते-जुलते दस शब्द अपने शब्द-भंडार में जोड़ो।
उत्तर:
अपने आसपास हम अपने मित्रों को अपना साथी मानते हैं, क्योंकि वे हर घड़ी में हमारा साथ देते हैं।
मिलते-जुलते शब्द:
साथी- हाथी, पालथी। मित्र, दोस्त, सहयोगी, सहपाठी।

2, ‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक’ कक्षा, मोहल्ले और गाँव के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम इस वाक्य की सच्चाई को महसूस कर पाते हो और कैसे?
उत्तर:
हमारी कक्षा, मोहल्ले और गाँव के उन साथियों के बीच हम इस वाक्य की सच्चाई को महसूस कर पाते हैं जो एक-दूसरे का साथ देने को सदा तत्पर रहते हैं। वे स्वयं कष्ट झेलकर भी दूसरों का साथ देते हैं। उनकी कथनी-करनी में कोई अंतर नहीं होता।

3. इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो?
उत्तर:
इस गीत को हम बाल-सभा, कक्षा, मोहल्ले के माहौल में गुनगुना सकते हैं।

4. ‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’
(क) तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
(ख) पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
(ग) क्या वे एक-दूसरे का हाथ बंटाते हैं?
उत्तर:
(क) घर में हम माँ का हाथ काम में बँटाकर इस बात का ध्यान रख सकते हैं।
(ख) पापा की चीजों को व्यवस्थित करके तथा माँ की रसोई तथा सफाई के काम करके।
(ग) हाँ, वे एक-दूसरे का हाथ बंटाते हैं।

5. यदि तुमने ‘नया दौर’ फिल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फिल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? फिल्म देखो और बताओ।
उत्तर:
यह एक यादगार पुरानी फिल्म है। इसे कभी दूरदर्शन पर देखा जा सकता है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

भाषा की बात

1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ शब्दकोष में देखकर समझो और वाक्य के संदर्भ में उनका प्रयोग करो।
उत्तर:
(क) निम्नलिखित पंक्तियों में-

  • साथी हाथ बढ़ाना
    एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
  • एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया,
    एक से मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा,
    एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत,
    एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत।

(ख) अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता: अकेला व्यक्ति मुश्किल काम नहीं कर सकता।
वाक्य: अगर तुम मेरे साथ आ जाओ तो मैं व्यापार में सफलता पा सकता हूँ, क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।

एक-एक मिलकर ग्यारह होते हैं: एकता में बहुत ताकत होती है।
वाक्य: तुम्हारे साथ मिलकर मेरी ताकत बहुत बढ़ जाएगी, क्योंकि एक-एक मिलकर ग्यारह होते हैं।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

2. नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ:
(क) हाथ को हाथ न सूझना
(ख) हाथ साफ करना
(ग) हाथ-पैर फूलना
(घ) हाथों-हाथ लेना
(ङ) हाथ लगना।
उत्तर:
(क) हाथ को हाथ न सूझना: बहुत अंधेरा होना।
अमावस्या की रात को हाथ को हाथ नहीं सूझता।

(ख) हाथ साफ करना: गायब कर देना।
चोरों ने मेरे सारे माल पर हाथ साफ कर दिया।

(ग) हाथ-पैर फूलना: घबरा जाना।
घर पर पुलिस को आते देखकर मेरे हाथ-पैर फूल गए।

(घ) हाथों-हाथ लेना: स्वागत करना।
सरकार की घोषणा को लोगों ने हाथों-हाथ लिया।

(ङ) हाथ लगना: अचानक मिल जाना।
बताओ, तुम्हें इतना धन कहाँ से हाथ लगा?

HBSE 6th Class Hindi साथी हाथ बढ़ाना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इस कविता का प्रतिपाद्य क्या है?
उत्तर:
इस कविता का प्रतिपाद्य यह है कि हमें आपस में मिल-जुलकर काम करना चाहिए। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक भी सकता है। संगठन में बड़ी शक्ति है। इसके सामने बड़ी से बड़ी बाधा हार मान जाती है। हम सभी को सुख-दुख में भागीदार बनना चाहिए। सामूहिक परिश्रम से भाग्य को भी बदला जा सकता है।

प्रश्न 2.
जब मेहनत करने वाले मिल कर कदम बढ़ाते हैं तब क्या होता है?
उत्तर:
तब सागर रास्ता छोड़ देता है और पर्वत भी शीश झका देता है।

प्रश्न 3.
हमारी मंजिल सच और रास्ता केसा होना चाहिए?
उत्तर:
हमारी मंजिल सच और रास्ता नेक होना चाहिए।

प्रश्न 4.
‘साथी हाथ बढ़ाना’ का क्या आशय है?
उत्तर:
इसका आशय है, मिल-जुलकर आगे बढ़ना।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

साथी हाथ बढ़ाना काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा,
मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फौलादी हैं सीने अपने, फौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ: बोझ-भार (Burden)। कदम-पैर (Feet)। राह-रास्ता (Path)। सागर-समुद्र (Sea)। परबत-पर्वत (Mountain)। सीस-सिर (Head)। फौलादी-मजबूत (Strong)।

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ साहिर लुधियानवी के गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से अवतरित हैं। इनमें आपसी सहयोग की भावना पर बल दिया गया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हमें एक-दूसरे का साथ देने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक जाता है इसलिए मिलकर भार उठाना चाहिए। इससे काम आसान हो जाता है।

परिश्रम करने वाले लोगों ने जब-जब भी आपस में मिलकर कदम आगे बढ़ाया है, तब-तब उनके लिए समुद्र ने रास्ता छोड़ा है, पर्वतों ने अपना सिर झुका दिया है अर्थात् शक्ति और संगठन के सामने ताकतवर भी झुक जाते हैं। मिलकर काम करना सफलता की गारंटी देता है। तब व्यक्ति का सीना फौलाद की तरह मजबूत बन जाता है। संगठित व्यक्ति चट्टान को भेदकर भी रास्ता बना लेता है। अतः मिल-जुलकर काम करो।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. इस कविता के रचयिता का नाम लिखो।
2. मिलकर बोझ उठाने की बात क्यों कही गई है?
3. जब मेहनत करने वाले मिल-जुलकर कदम बढ़ाते हैं तब क्या होता है?
4. फौलादी इरादों वाले व्यक्ति क्या कुछ कर सकते हैं?
उत्तर:
1. कविता के रचयिता हैं-साहिर लुधियानवी।
2. मिलकर बोझ उठाने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि अकेला व्यक्ति थक जाता है।
3. जब मेहनतकश व्यक्ति मिल-जुलकर कदम बढ़ाते हैं तब समुद्र भी रास्ता छोड़ देता है और पर्वत भी सीस झुका देता है अर्थात् बड़ी-बड़ी विघ्न-बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं।
4. फौलादी इरादे वाले व्यक्ति चट्टानों को फोड़कर भी रास्ता बना लेते हैं अर्थात् असंभव को संभव बना देते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए:

1. इस कविता में क्या प्रेरणा दी गई है?
(क) मिल जुलकर कदम बढ़ाने की
(ख) बोझ उठाने की
(ग) रास्ता छोड़ने की
(घ) न थकने की
उत्तर:
(क) मिल जुलकर कदम बढ़ाने की

2. मेहनत करने वालों के लिए कौन रास्ता छोड़ देता है?
(क) सागर
(ख) पर्वत
(ग) साथी
(घ) नदी
उत्तर:
(क) सागर

3. हमारे सीने कैसे हैं?
(क) कमज़ोर
(ख) फौलादी
(ग) चौड़े
(घ) छोटे
उत्तर:
(ख) फौलादी

4. ‘सागर’ का कौन-सा शब्द पर्यायवाची नहीं है?
(क) सिंधु
(ख) समुद्र
(ग) रवि
(घ) वारधि
उत्तर:
(ग) रवि
उत्तर:
(ग) रवि

2. मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर. की, आज अपनी खातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल, अपना रस्ता नेक साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ: लेख-भाग्य का लिखा (Fortune)। गैरों-दूसरों (Others)। खातिर के लिए (For)। मंजिल-ध्येय (Aim)। रस्ता-रास्ता (Path)। नेक-भला (Good)।

प्रस्तुत: प्रस्तुत काव्यांश साहिर लुधियानवी के गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से लिया गया है। इसमें मेहनत करने पर बल दिया गया है।

व्याख्या:
कवि बताता है कि परिश्रम करना तो हमारे भाग्य में लिखा है। इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। कल तक तो हम दूसरों के लिए मेहनत करते रहे हैं, अब हमें अपने लिए मेहनत करनी है। हमारा सुख-दुख एक-दूसरे के साथ है। हमारा लक्ष्य तो सत्य की प्राप्ति है। हमारा उस लक्ष्य को पाने का रास्ता भी भला है। हमें इस ध्येय को पाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। मेहनत से ही हमारी किस्मत बदलेगी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मजदूर किस बात से नहीं डरता?
2. कल तक किसके लिए मेहनत करता था और अब किसके लिए करेगा?
3. सुख-दुख के बारे में क्या कहा गया है?
4. हमारा रास्ता केसा है?
उत्तर:
1. मजदूर मेहनत करने से नहीं डरता। यह तो उनके भाग्य में लिखा है।
2. मजदूर कल तक दूसरों के लिए मेहनत करता था और अब वह अपनी खातिर करेगा।
3. सभी साथियों के सुख-दुख अपने ही हैं। सब एक समान हैं।
4. हमारा अर्थात् मजदूर का रास्ता नेक है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. मेहनत को क्या बताया गया है?
(क) भाग्य की रेखा
(ख) सदाचार
(ग) दुर्भाग्य
(घ) दुख
उत्तर:
(क) भाग्य की रेखा

2. ‘गैर’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी (आगत)
उत्तर:
(घ) विदेशी (आगत)

3. मंजिल को कैसी बताया गया है?
(क) सच की
(ख) मेहनत की
(ग) झूठ की
(घ) परिश्रम की
उत्तर:
(क) सच की

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

3. एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
एक से एक मिल तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ: कतरा-बूंद (Drop)। दरिया-नदी (River)। जर्रा-रेत का कण (Small piece of sand)। सेहरा-रेगिस्तान (Desert)। राई-छोटा दाना (Small peace)। परबत-पहाड़ (Mountain)। इंसाँ-इंसान/आदमी (Man)। किस्मत-भाग्य (Luck)।

प्रसंग: प्रस्तुत काव्यांश प्रसिद्ध गीतकार साहिर लुधियानवी द्वारा रचित ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से अवतरित है। छोटी-छोटी वस्तुएँ मिलकर बड़ा रूप ले लेती हैं।

व्याख्या:
कवि एकता का महत्त्व बताते हुए कहता है कि पानी की एक-एक बूंद मिलकर नदी का रूप लेती है। रेत का एक-एक कण मिलकर रेगिस्तान बन जाता है। एक-एक राई मिलकर पहाड़ बन जाता है। इसी प्रकार यदि मनुष्य आपस में मिल जाएँ तो वे भाग्य को भी अपने वश में कर सकते हैं। इसके लिए एक-दूसरे का सहयोग करना होगा।

साथी हाथ बढ़ाना Summary in Hindi

साथी हाथ बढ़ाना कविता का सार

इस गीत में साहिर लुधियानवी ने आपस में मिल-जुलकर काम करने की प्रेरणा दी है। यह फिल्म में भी गाया गया था। कवि बताता है कि अकेला व्यक्ति तो काम करते हुए थक जाता है अतः हमें एक-दसरे का काम में हाथ बंटाना चाहिए। मिलकर बोझ उठाने से काम का बोझ घट जाता है। जब-जब मेहनत करने वालों ने काम करने के लिए अपना कदम आगे की ओर बढ़ाया है, तब-तब सारी मुसीबतों को पीछे हटना पड़ा है।

सामूहिक रूप से काम करने पर व्यक्ति में असीम ताकत का संचार हो जाता है। हमें मेहनत करने से नहीं डरना चाहिए। कल तक हम दूसरों के लिए काम करते थे, आज अपने लिए भी करना होगा। सभी साथियों का सुख-दुख साँझा है। हमें अपनी मंजिल पर निरंतर आगे बढ़ते चले जाना है। एक-एक बूंद पानी मिलने से नदी बन जाती है। थोड़ी-थोड़ी चीज जोड़ने से बड़ा संग्रह हो जाता है। हम अपने परिश्रम से अपने भाग्य को भी नियंत्रण में ला सकते हैं।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 6 पार नज़र के

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Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 6 पार नज़र के

HBSE 6th Class Hindi पार नज़र के Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
छोटू का परिवार कहाँ रहता था ?
उत्तर :
छोटू का परिवार जमीन के नीचे बसी कॉलोनी के एक मकान में रहता था।

प्रश्न 2.
छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत क्यों नहीं थी ? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर :
छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत इसलिए नहीं थी क्योंकि वह एक गुप्त रास्ता था। कुछ चुनिंदा लोग ही इस सुरंगनुमा रास्ते का प्रयोग कर सकते थे। छोटू के पापा भी उनमें से एक थे।

प्रश्न 3.
कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ क्या हरकत की?
उत्तर :
छोटू ने कंट्रोल रूम में एक कॉन्सोल देखा। उस पर कई बटन लगे थे। छोटू का सारा ध्यान कॉन्सोल पर था। उसका मन कॉन्सोल का लाल बटन दबाने को कर रहा था। उसने उस बटन को दबाने की हरकत कर ही दी। छोटू के पापा ने उसे एक झापड़ रसीद कर दिया।

प्रश्न 4.
इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। यह सब नष्ट कैसे हो गया ? इसे लिखो।
उत्तर :
एक समय था जब अपने मंगल ग्रह पर सभी लोग जमीन के ऊपर ही रहते थे। बगैर किसी तरह के यंत्रों की मदद के, बगैर किसी खास किस्म की पोशाक के, हमारे पुरखे जमीन के ऊपर रहा करते थे, लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। कई तरह के जीव जो धरती पर रहा करते थे. एक के बाद एक सब मरने लगे।

इस परिवर्तन की जड़ में था-सूरज में हुआ परिवर्तन। सूरज से हमें रोशनी मिलती है, ऊष्णता मिलती है। इन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता है। सूरज में परिवर्तन होते ही यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा अन्य जीव अक्षम साबित हुए और सब कुछ नष्ट हो गया।

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प्रश्न 5.
कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों ?
उत्तर :
कहानी में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से वैज्ञानिकों ने भेजा था। इसका नाम वाइकिंग था। इसे नासा से भेजा गया था। इसे मंगल ग्रह की मिट्टी लाने के लिए भेजा गया था ताकि उसका अध्ययन किया जा सके।

प्रश्न 6.
नंबर एक, नंबर दो तथा नंबर तीन अजनबियों से निपटने के कौन-से तरीके सुझाते हैं और क्यों ?
उत्तर :
नंबर एक सुझाता है कि हम अंतरिक्ष यानों को जला सकते हैं, पर इनमें केवल यंत्र हैं. कोई जीव सवार नहीं है, अतः कोई हानि नहीं है। नंबर दो एक वैज्ञानिक थे। वे बोले, “हालाँकि यंत्रों को बेकार कर देने में भी खतरा है। इनके बेकार हो जाते ही परग्रहस्थ जीव हमारे बारे में जान जाएंगे। इसलिए मेरी राय में सिर्फ हमें अवलोकन करते रहना चाहिए।”

नंबर तीन वैज्ञानिक की राय थी- “जहाँ तक हो सके, हमें अपने अस्तित्व को छुपाए ही रखना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि जिन लोगों ने ये अंतरिक्षयान भेजे हैं, वे कल को इनसे भी बड़े सक्षम अंतरिक्षयान भेजें। हमें यहाँ का प्रबंध कुछ इस तरह रखना चाहिए जिससे इन यंत्रों को यह गलतफहमी हो कि इस जमीन पर कोई भी चीज इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं है कि जिससे वे लाभ उठा सके। अध्यक्ष महोदय से मैं यह दरख्वास्त करता हूँ कि इस तरह का प्रबंध हमारे यहाँ किया जाए।” नंबर तीन सामाजिक व्यवस्था का काम देखते थे।

कहानी से आगे

1. (क) दिलीप एम, साल्वी
(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर
(ग) आइजक ऐसीमोव
(घ) आर्थर क्लार्क।
ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ इकट्ठा करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ। इन कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो। कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकालो, जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।
उत्तर :
पुस्तकालय से वैज्ञानिकों से संबंधित पुस्तकें लेकर पढ़ें।

2. इस पाठ में अंतरिक्ष यान अजनबी बनकर आता है। ‘अजनबी’ शब्द पर सोचो। इंसान भी कई बार अजनबी माने जाते हैं और कोई जगह या शहर भी। क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है ? नए स्कूल का पहला अनुभव कैसा था ? क्या उसे भी अजनबी कहोगे ? अगर हाँ, तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ ? इस पर सोचकर कुछ लिखो।
उत्तर :
हाँ, नए स्कूल का पहला अनुभव बड़ा रोचक था। पहले तो मैं अपने स्कूल में अजनबी बालकों को देखकर घबरा गया। सब अजनबी थे। तभी एक सुंदर-सी बालिका आई. जो मुझे मैडम के पास ले गई। मैडम ने मुझे प्यार किया और खाने को चॉकलेट दी। तब मेरा डर मिट गया। अजनबी बालक भी अच्छे लगने लगे।

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भाषा की बात

1. सिक्योरिटी-पास उठाते ही दरवाजा बंद हो गया। इस बात को हम निम्नलिखित तरीके से भी कह सकते हैं- जैसे ही कार्ड उठाया, दरवाजा बंद हो गया। ध्यान दो, दोनों वाक्यों में क्या अंतर है। ऐसे वाक्यों के तीन जोड़े तुम स्वयं सोचकर लिखो।
उत्तर :
1. मेरे आते ही राम चला गया।
जैसे ही मैं आया, राम चला गया।

2. डॉक्टर के आते ही मरीज मर गया।
जैसे ही डॉक्टर आया, मरीज मर गया।

3. सीटी बजाते ही रेलगाड़ी चल दी।
जैसे ही सीटी बजी, रेलगाड़ी चल दी।

2. छोटू ने चारों तरफ नजर दौड़ाई।
छोटू ने चारों तरफ देखा।
उपर्युक्त वाक्यों में समानता होते हुए भी अंतर है।
वाक्यों में मुहावरे विशिष्ट अर्थ देते हैं। नीचे दिए गए वाक्यांशों में ‘नजर’ के साथ अलग-अलग क्रियाओं का प्रयोग हुआ है। इनका वाक्यों या उचित संदर्भो में प्रयोग करो।
नजर पड़ना
नजर रखना
नजर आना
नजरें नीची होना
उत्तर :
उस सुंदर वस्तु पर मेरी नजर पड़ी।
तुम्हारी शरारत मेरी नजर में आ गई है।
पुलिस तुम पर नजर रखती है।
तुम्हारी काली करतूत से मेरी नजरें नीची हो गई हैं।

3. नीचे दो-दो शब्दों की कड़ी दी गई है। प्रत्येक कड़ी का एक शब्द संज्ञा है और दूसरा शब्द विशेषण है। वाक्य बनाकर समझो और बताओ कि इनमें से कौन से शब्द संज्ञा हैं और कौन से विशेषण।
आकर्षण आकर्षक
प्रभाव प्रभावशाली
प्रेरणा प्रेरक
उत्तर :
संज्ञा – विशेषण
आकर्षण – आकर्षक
प्रेरणा – प्रेरक
प्रभाव – प्रभावशाली

4. पाठ से फ और ज वाले (नुक्ते वाले) चार-चार शब्द छाँटकर लिखो। इस सूची में तीन-तीन शब्द अपनी ओर से भी जोड़ो।
उत्तर :
फ़ – तरफ, फरमा, सफर, सिर्फ
ज – जमीन, राज, नजर, दरवाजा अपनी ओर से-
ज – ज़रूरी, राज, ज़हीन, सजा
फ़ – फ़रमान, रफ्तार, फ़ानूस।

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HBSE 6th Class Hindi पार नज़र के Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
छोटू के पापा सुरंग में जाते समय किस प्रकार की वेशभूषा पहनकर जाते थे ?
उत्तर :
छोटू के पापा ने छोटू को बताया- “मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर जाता हूँ। इस स्पेस-सूट से मुझे ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मैं साँस ले सकता हूँ। इसी स्पेस सूट की वजह से बाहर की ठंड से मैं अपने आप को बचा सकता हूँ। खास किस्म के जूतों की वजह से जमीन के ऊपर मेरा चलना मुमकिन होता हैं जमीन के ऊपर चलने-फिरने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रश्न 2.
एक दिन छोटू के पापा ने कंट्रोल रूम में क्या देखा?
उत्तर :
एक दिन छोटू के पापा काम घर चले गए। देखा तो कंट्रोल रूम का वातावरण बदला-बदला-सा था। शिफ्ट खत्म कर घर जा रहे स्टाफ के प्रमुख ने टी. वी. स्क्रीन की तरफ इशारा किया। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। वह बताने लगा- “यह कोई आसमान का तारा नहीं है क्योंकि कंप्यूटर से पता चल रहा है कि यह अपनी जगह अडिग नहीं रहा है। पिछले कुछ घंटों के दौरान इसने अपनी जगह बदली है। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की तरफ बढ़ता चला आ रहा है।” उन्हें लगा कि कहीं यह अंतरिक्ष यान तो नहीं है।

प्रश्न 3.
अध्यक्ष ने भाषण में क्या कहा ?
उत्तर :
कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा में अध्यक्ष ने भाषण देते हुए कहा- “हाल ही में मिली जानकारी से पता चलता है कि दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरफ बढ़ते चले आ रहे हैं। इनमें से एक अंतरिक्ष यान हमारे गिर्द चक्कर काट रहा है। दूसरा अभी दूर है। मगर इसी तरफ बढ़ता चला आ रहा है। कंप्यूटर के अनुसार ये अंतरिक्ष यान नजदीक के ही किसी ग्रह से छोड़े गए हैं। ऐसी हालत में हमें क्या करना चाहिए-इसकी कोई सुनिश्चित योजना बनानी जरूरी है।”

प्रश्न 4.
कॉलोनी की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी किस पर थी? उन्होंने अंतरिक्ष यान के बारे में क्या विचार प्रकट किए ?
उत्तर :
कॉलोनी की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी नंबर एक पर थी, उन्होंने कुछ कागज समेटते हुए बोलना आरंभ किया, “इन दोनों अंतरिक्ष यानों को जलाकर खाक कर देने की क्षमता हम रखते हैं। मगर इससे हमें कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकेगी।

अंतरिक्ष यान बेकार कर, जमीन पर उतरने पर मजबूर कर देने वाले यंत्र हमारे पास नहीं हैं। हालाँकि, अगर ये अंतरिक्ष यान खुद-ब-खुद जमीन पर उतरते हैं, तो उन्हें बेकार कर देने की क्षमता हममें अवश्य है। मेरी जानकारी के अनुसार इन अंतरिक्ष यानों में सिर्फ यंत्र हैं। किसी तरह के जीव इनमें सवार नहीं हैं।”

प्रश्न 5.
छोटू के पापा के मन में अंतरिक्ष यान को लेकर क्या-क्या प्रश्न उठ रहे थे ?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान को लेकर छोटू के पापा के मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे। क्या सचमुच अंतरिक्ष यान होगा ? कहाँ से आ रहा होगा? सूर्यमाला में हमारी धरती के अलावा और कौन से ग्रह पर जीवों का अस्तित्व होगा ? कैसे हो सकता है और अगर होगा भी तो क्या इतनी प्रगति कर चुका होगा कि अंतरिक्ष यान छोड़ सके? वैसे तो हमारे पूर्वजों ने भी अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों का प्रयोग किया था।

मगर अब हमारे लिए यह असंभव है। उसके लिए आवश्यक मात्रा में ऊर्जा तो हो। काश! इस नए मेहमान को नजदीक से देखा जा सकता। हाँ, अगर वह इसी तरफ आ रहा होगा, तब तो यह संभव हो सकेगा।

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प्रश्न 6.
यांत्रिक हाथ क्या था ? वह क्या कर लेना चाहता था ?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान का एक हाथ (यांत्रिक हाथ) बाहर निकला हुआ था। वह बढ़ता ही चला जा रहा था। वह जमीन तक पहुँचकर वहाँ की मिट्टी उकेरकर ले जाना चाहता था। वह इसके लिए प्रयास कर रहा था। वह ऐसा करने में सफल भी हो गया।

प्रश्न 7.
एक दिन छोदू किस युक्ति से सुरंग में घुस गया?
उत्तर :
एक दिन छोटू के पापा घर पर आराम फरमा रहे थे। उनकी नजर बचाकर छोटू ने उनका सिक्योरिटी पास हथिया लिया और सुंरंग में घुस गया।

प्रश्न 8.
छोटू के सुरंग में प्रवेश करते ही क्या हुआ?
उत्तर :
उसके प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, दूसरे यंत्र ने उसकी तस्वीर खीच ली और खतरे की सूचना दे दी गई।

प्रश्न 9.
छोटू के पापा क्या पहनकर काम पर जाते थे?
उत्तर :
वे एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर काम पर जाते थे।

प्रश्न 10.
अंतरिक्ष यान से क्या बाहर निकला?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला।

प्रश्न 11.
नंबर एक वैज्ञानिक की जानकारी क्या थी?
उत्तर :
दोनों अंतरिक्ष यानों में सिर्फ यंत्र हैं। इनमें किसी तरह का कोई जीव सवार नहीं है।

प्रश्न 12.
फोन पर क्या सूचना आई थी?
उत्तर :
फोन पर सूचना आई थी कि अंतरिक्ष यान क्रमांक एक मंगल ग्रह की जमीन पर उतर चुका है।

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प्रश्न 13.
पापा ने छोटू को झापड़ क्यों रसीद किया
उत्तर :
छोटू ने कॉन्सोल का लाल बटन दबा दिया था जिससे सहसा खतरे की घंटी बज उठी थी।

प्रश्न 14,
पृथ्वी के वैज्ञानिक किसके लिए उत्सुक थे?
उत्तर :
पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी का अध्ययन करने के लिए बड़े उत्सुक थे।

पार नज़र के Summary in Hindi

पार नज़र के पाठ का सार

‘पार नजर के’ विज्ञान पर आधारित काल्पनिक कथा है। इसमें ऐसी स्थिति की परिकल्पना की गई है जब सूर्य अपना ताप और ऊर्जा देना बंद कर दे और लोगों को पृथ्वी के अंदर सुरंग बनाकर यंत्रों के सहारे जीवन बिताना पड़े। यंत्रों से संचालित और चारों ओर से सुरक्षित वहाँ का तंत्र-जाल अपने-आप में रोमांचकारी एवं विस्मय से पूर्ण है। इस कथा में वर्णित बातें काल्पनिक लग सकती हैं, लेकिन लगभग सौ साल पहले लिखी वैज्ञानिक-कथा में वर्णित कई बातें बाद में सच निकलीं।

छोटू के पापा एक सुरंगनुमा रास्ते में काम करते जाया करते थे। आम आदमी के लिए इस रास्ते से जाने की मनाही थी। कुछ चुने हुए लोग ही इस सुरंगनुमा रास्ते का इस्तेमाल कर सकते थे और छोटू के पापा इन्हीं चुनिंदा लोगों में से एक थे। वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। एक छुट्टी के दिन पापा घर में आराम फरमा रहे थे। चोरी-छिपे छोटू ने पापा का सिक्योरिटी पास हथिया लिया और चल दिया सुरंग की ओर।

भाषण में बताया कि जानकारी मिली है कि दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरफ बढ़े चले आ रहे हैं। एक हमारे गिर्द चक्कर काट रहा है, पर दूसरा अभी दूर है। अब हमें कोई सुनिश्चित योजना बनानी होगी। नंबर एक ने बताया कि हम इन दोनों अंतरिक्ष यानों को जलाकर खाक कर देने की क्षमता रखते हैं।

मगर इससे हमें कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकेगी। नंबर दो वैज्ञानिक ने भी इसकी बात का समर्थन किया। हमें अपने अस्तित्व को छिपाए रखना चाहिए। इन यंत्रों को यह गलतफहमी बनी रहे कि इस जमीन पर कोई भी चीज इतनी महत्वपूर्ण नहीं है जिससे वे लाभ उठा सकें।

अध्यक्ष कुछ बोलने ही जा रहे थे कि फोन की घंटी बजी। अध्यक्ष ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि अंतरिक्ष क्रमांक एक हमारी जमीन पर उतर चुका है। वह दिन छोटू के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। पापा उसे कंट्रोल रूम में ले गए थे। यहाँ से वह अंतरिक्ष यान साफ नजर आ रहा था। उसका निरीक्षण जारी है।

उन्होंने छोटू को एक कॉन्सोल दिखाया, जिस पर कई बटन थे। अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकल आया। उसकी लंबाई बढ़ती ही जा रही थी। वह जमीन तक पहुँचकर मिट्टी खोद लेना चाहता था। सभी कुछ स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था।

छोटू कॉन्सोल के एक बटन दबाने की इच्छा को रोक नहीं पाया। लाल बटन के दबते ही खतरे की घंटी बजी। उस अंतरिक्ष यान के यांत्रिक हाथ की हरकत अचानक रुक गई। यंत्र बेकार हो गया। नासा से सूचना प्रसारित हो गई कि अंतरिक्ष यान का एक हाथ बेकार हो गया है, उसे ठीक करने के प्रयास चल रहे हैं। हाथ को ठीक करने में सफलता मिल गई है। अब वह मंगल ग्रह की मिट्टी के विभिन्न नमूने इकट्ठे करने का काम कर रहा है। पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल की इस मिट्टी का अध्ययन करने को बड़े उत्सुक थे।

उन्हें लगता था कि इस मिट्टी के अध्ययन से पता लगाया जा सकेगा कि क्या मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की तरह जीव-सृष्टि का अस्तित्व है ? सूर्यमाला में स्थित सभी ग्रह अपनी अलग विशेषताएँ रखते हैं। पृथ्वी और मंगल ग्रह की स्थितियों में काफी समानताएँ हैं। इसलिए पृथ्वी के अलावा मंगल ग्रह पर ही जीव-सृष्टि की संभावना हो सकती है। मगर वाइकिंग मिशन ने इस जिज्ञासा का नकारात्मक उत्तर दिया। पृथ्वी स्थित वैज्ञानिकों को ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिसके आधार पर वे कह सकें कि मंगल ग्रह पर भी जीवन है।

सुरंगनुमा रास्ते के अंदर दीये जल रहे थे। दरवाजे में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला और तुरंत दरवाजा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी कार्ड आ पहुँचा था। छोटू ने कार्ड उठाया तो दरवाजा बंद हो गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी।

उसके प्रवेश करते ही निरीक्षक यंत्र में संदेह की स्थिति दर्ज हुई। इतने छोटे कद का आदमी सुरंग में कैसे आया ? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तस्वीर खींच ली। तस्वीर की जाँच कर खतरे की सूचना दे दी गई। तभी सिपाही दौड़े और छोटू को पकड़कर वापस घर छोड़ आए। वो तो छोटू के पापा ने उसे बचा लिया वरना उसका बचना मुश्किल था।

छोटू ने पापा से पूछा- “आप वहाँ कैसे जाते हैं?” उसके पापा ने बताया कि मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस सूट पहनकर जाता हूँ। इससे मुझे ऑक्सीजन मिलती है और मैं बाहर की ठंड से बच जाता हूँ। मैं वहाँ खास किस्म के जूते पहनता हूँ। उसके पापा ने और भी बहुत कुछ बताया- एक समय था जब सभी लोग जमीन के ऊपर ही रहते थे।

उन्हें किसी खास पोशाक पहनने की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा और जीव मरने लगे। सूरज में भी परिवर्तन हुआ। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। बदली प्रकृति के रूप का सामना करने में पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और अन्य जीव अक्षम साबित हुए। केवल हमारे पूर्वजों ने इस स्थिति का सामना किया।

हमने अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर जमीन के नीचे अपना घर बना लिया। जमीन के ऊपर लगे यंत्रों के सहारे हम सूरज की गरमी और रोशनी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। इन यंत्रों के सहारे ही हम जीवन के नीचे रह रहे हैं। मुझ जैसे चुनिंदा लोग ही इन यंत्रों का ध्यान रखते हैं। दूसरे दिन छोटू के पापा काम पर चले गए तो वहाँ का वातावरण बदला-बदला सा था। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की ओर बढ़ता चला आ रहा था।

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छोटू के पापा सोचने लगे कि कहीं यह अंतरिक्ष यान तो नहीं है ? यह कहाँ से आ रहा होगा ? छोटू के पापा ने उसे देखना जारी रखा। कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा बुलाई गई। अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा- “दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरह बढ़ते चले आ रहे हैं। इनमें से एक यान हमारे इर्द-गिर्द चक्कर काट रहा है, दूसरा अभी दूर है- हमें इससे बचाव की कोई सुनिश्चित योजना बनानी है।”

उपस्थित लोगों में से एक ने सुझाव दिया कि अभी हमें इनका सिर्फ अवलोकन ही करना चाहिए। तभी सूचना मिली कि एक नंबर अंतरिक्ष यान ग्रह जमीन पर उतर गया है। अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। हाथ की लंबाई बढ़ती चली गई। वह जमीन पर पहुंचकर मिट्टी उकेर लेना चाहता था। तभी छोटू ने कॉन्सोल का लाल बटन दबा दिया।

इससे यांत्रिक हाथ की गति रुक गई। यांत्रिक हाथ को दुरुस्त करने के प्रयास किए जाने लगे। मिट्टी के अध्ययन से पता लगाया जाना था कि क्या मंगल ग्रह पर जीव-सृष्टि है ? मगर वाइकिंग मिशन ने नकारात्मक उत्तर दिया। ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिसके आधार पर कहा जा सके कि मंगल ग्रह पर भी जीवन है।

पार नज़र के शब्दार्थ

चुनिंदा = चुना हुआ (Selected)। सिक्योरिटी = सुरक्षा (Security)। हथियाना = कब्जा करना (To capture)। निरीक्षक = जाँच करने वाले (Supervisor)। संदेहास्पद = शक वाला (Doubtfully। गतिविधियाँ = हरकतें (Movements)। माहौल = वातावरण (Environment)। खैरियत = कुशलता (Well) लाजिमी = जरूरी (Compulsory)। स्पेस सूट = अंतरिक्ष में पहने जाने वाला वस्त्र (Space Suit)। मुमकिन = संभव (Possible)। प्रशिक्षण = ट्रेनिंग (Training)। परिवर्तन = बदलाव (Change)। अक्षम = अयोग्य (Incapable) संतुलन= तालमेल (Balance)। सतर्कता = सावधानी (Alertness)। मंशा = इरादा (Wish)। जाहिर = प्रकट (To express)। स्क्रीन = परदा (Screen)। अडिग = न हिलना-डुलना (Stable)। अस्तित्व = होना (Existence)। अवलोकन = देखना (ii. see)। सुनिश्चित = पक्की (Confirmed)। दरखास्त = आवेदन (Application)। हरकत = हलचल (Movement)। दुरुस्त करना = ठीक करना (To repair)। उकेरना = खोदकर निकालना (To dig)। वक्तव्य = कुछ कहना (Statement)। निर्धारित = निश्चित किया गया (Prescribed. Determined)। जिज्ञासा = जानने की इच्छा (Curiosity)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

HBSE 6th Class Hindi अक्षरों का महत्व Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई?
उत्तर :
पाठ में ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि अक्षरों के साथ आदमी अपने विचार और हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। इसके साथ ही वह ‘सभ्य’ कहलाने लगा। इसी के साथ इतिहास लिखने का सिलसिला शुरू हुआ।

प्रश्न 2.
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर :
अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हजार साल पहले शुरू हुआ। अक्षर बनाने से पहले मनुष्य अपने भाव पशओं, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के माध्यम से प्रकट करता था। बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। इसके बाद अक्षरों की खोज हुई।

प्रश्न 3.
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था?
उत्तर :
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए निम्नलिखित माध्यमों का सहारा लेता था
1. पशुओं, पक्षियों और आदमियों के चित्र।
2. भाव-संकेत (जैसे सूर्य का चित्र)।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

प्रश्न 4.
‘भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में। बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।’ ऊपर की पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंधों के बारे में एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर :
भाषा का संबंध मूलतः ‘भाष’ या बोलने से है। अनपढ़ व्यक्ति भी भाषा के माध्यम से अपने विचार अभिव्यक्त कर सकता है। उसे अक्षर पहचानने न आते हों तब भी वह विचार प्रकट कर सकता है। भाषा के लिखित रूप का विकास बाद में हुआ। अक्षरों की आवश्यकता लिखित रूप में पड़ती है। यह रूप ‘लिपि’ कहलाता है। दोनों का घनिष्ठ संबंध है।

निबंध से आगे

1. अक्षरों के महत्त्व की तरह ध्वनि के महत्त्व के बारे में जितना जानते हो, उसे लिखो।
उत्तर :
ध्वनि का भी बहुत महत्त्व है। ध्वनि की सहायता से हम अक्षरों का उच्चारण करते हैं। भाषा के मौखिक रूप का प्रयोग ध्वनि से होता है। ध्वनि पहले थे, अक्षर बाद में बने। ध्वनि से अनपढ़ व्यक्ति भी अपनी बात कह सकता है। यह भावों की अभिव्यक्ति का मूल साधन है। अक्षर ध्वनि का ही अनुकरण करते हैं।

2. रेडियो की भाषा लिखित नहीं, मौखिक है। मौखिक भाषा का जीवन में क्या महत्त्व होता है? इसे शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर :
मौखिक भाषा का जीवन में बहुत महत्व है। मौखिक रूप भाषा का रूप मूल है, लिखित रूप तो बाद में विकसित हुआ। छोटा बच्चा, जो अक्षर नहीं जानता, अपनी बात मौखिक भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। मौखिक भाषा का प्रयोग शिक्षित-अशिक्षित सभी लोग करते हैं।

3. हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी-न-किसी वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है, लेकिन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है, क्यों? पता करो और शिक्षक को बताओ।
उत्तर :
अक्षरों के साथ किसी वैज्ञानिक या आविष्कारक का नाम नहीं जुड़ा है। अक्षरों का विकास अनेक वर्षों के प्रयास एवं अभ्यास के फलस्वरूप हुआ। इसे किसी एक व्यक्ति ने एक समय में नहीं किया, अत: इसके साथ किसी वैज्ञानिक का नाम नहीं जुड़ पाया।

4. एक भाषा को कई लिपियों में लिखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। आगे कुछ शब्द दिए गए हैं, जैसे-भारत, गांधी, भाषा। इन्हें एक से अधिक लिपियों में लिखो।
उत्तर :
भारत : को रोमन लिपि में Bharat तथा देवनागरी लिपि में ‘भारत’ लिखा जा सकता है।
गाँधी : रोमन लिपि में Gandhi तथा देवनागरी लिपि में गाँधी।
भाषा : रोमन लिपि में Bhasha तथा देवनागरी लिपि में भाषा।

भाषा की बात

अनादि काल में रेखांकित शब्द का अर्थ है जिसकी कोई शुरुआत या आदि न हो। नीचे दिए शब्द भी मूल शब्द के शुरू में कुछ जोड़ने से बने हैं। इसे उपसर्ग कहते हैं। इन उपसर्गों को अलग करके लिखो और मूल शब्दों को लिखकर उनका अर्थ समझो
असफल ……….
अदृश्य ……….
अनुचित ………..
अनावश्यक …………..
अपरिचित ……….
अनिच्छा ………
उत्तर :

उपसर्गमूल शब्दप्रत्यय
असफलअ, सफल
अदृश्यदृश्य
अनुचितअन्उचित
अनावश्यकअन्अवश्य + अक + इत
अपरिचितपरिचय
अनिच्छाअन्इच्छा + इत

(क) अब बताओ कि ये उपसर्ग जिन शब्दों के साथ जुड़ रहे हैं, क्या उनमें कोई अंतर है।
उत्तर :
इन उपसर्गों के जुड़ने से शब्दों के अर्थ उलटे हो गए हैं।

(ख) उपर्युक्त शब्दों से वाक्य बनाओ और समझो कि ये संज्ञा हैं या विशेषण। वैसे तो संख्याएँ संज्ञा होती हैं पर कभी-कभी ये विशेषण का काम भी करती हैं, जैसे नीचे लिखे वाक्य में-
उत्तर :

  • हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।
  • कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया।

इन वाक्यों में रेखांकित अंश ‘साल’ संज्ञा के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं, इसलिए संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण का इस्तेमाल उन्हीं चीजों के लिए होता है जिन्हें गिना जा सके। जैसे-चार संतरे, पाँच बच्चे, तीन शहर आदि। पर यदि किसी चीज को गिना नहीं जा सकता तो उसके साथ संख्या वाले शब्दों के अलावा माप-तौल आदि के शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है

  • तीन जग पानी
  • एक किलो जीरा

यहाँ रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं क्योंकि इनका संबंध माप-तौल से है। अब नीचे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बॉक्स में दिए गए माप-तौल के उचित शब्द छाँटकर लिखो।
प्याला, कटोरी, एकड़, मीटर, लीटर, किलो, चम्मच

तीन …….. खीर
दो …….. जमीन
छ ……… कपड़ा
एक ……… रेत
दो ….. कॉफी
पाँच …….. बाजरा
एक …….. दूध
तीन ……… तेल
उत्तर :
तीन कटोरी खीर
दो एकड़ जमीन
छह मीटर कपड़ा
एक ट्रक रेत
दो प्याला कॉफी
पाँच किलो बाजरा
एक लीटर दूध
तीन चम्मच तेल

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

HBSE 6th Class Hindi अक्षरों का महत्व Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पुराने जमाने में लोग अक्षरों के बारे में क्या सोचते थे? पर सच्चाई क्या है?
उत्तर :
पुराने जमाने के लोग सचमुच ही सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। पर आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं, बल्कि स्वयं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किन अक्षरों की खोज किस देश में किस समय हुई।

प्रश्न 2.
हमारी धरती कितनी पुरानी है?
उत्तर :
हमारी यह धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज्य रहा। आदमी ने इस धरती पर कोई पाच लाख साल पहले जन्म लिया। धीरे-धीरे उसका विकास हुआ।

प्रश्न 3.
प्रागैतिहासिक मानव ने कैसे अपने भाव व्यक्त किए, फिर इसमें क्या विकास हुआ?
उत्तर :
इतिहास से पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ कहते हैं। प्रागैतिहासिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के जरिए अपने भाव व्यक्त किए। जैसे-पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। इन चित्र-संकेतों से बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। जैसे-एक छोटे वृत्त के चहुँ ओर किरणों की द्योतक रेखाएँ खींचने पर वह ‘सुर्य’ का चित्र बन जाता था।

बाद में यही चित्र ‘ताप’ या ‘धूप’ का द्योतक बन गया। इस तरह अनेक भाव-संकेत अस्तित्व में आए। तब जाकर काफी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज के सिलसिले को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं।

प्रश्न 4.
मनुष्य की सबसे बड़ी खोज क्या है?
उत्तर :
अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। इस प्रकार, एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हजार सालों में मानव-जाति का तेजी से विकास हुआ।

प्रश्न 5.
‘भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में। बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।’ ऊपर की पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंधों के बारे में एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर :
भाषा का संबंध मूलतः
‘भाषा’ या बोलने से है। अनपढ़ व्यक्ति भी भाषा के माध्यम से अपने विचार अभिव्यक्त कर सकता है। उसे अक्षर पहचानने न आते हों तब भी वह विचार प्रकट कर सकता है। भाषा के लिखित रूप का विकास बाद में हुआ। अक्षरों की आवश्यकता लिखित रूप में पड़ती है। यह रूप ‘लिपि’ कहलाता है। दोनों का घनिष्ठ संबंध है।

प्रश्न 6.
हमरी धरती कितनी पुरानी है?
उत्तर :
हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

प्रश्न 7.
आदमी इस धरती पर कब आया?
उत्तर :
आदमी इस धरती पर पाँच लाख साल पहले आया।

प्रश्न 8.
आदमी ने धरती पर गाँवों को बसाना कब शुरू किया?
उत्तर :
आदमी ने धरती पर कोई दस हजार साल पहले गाँवों को बसाना शुरू किया।

प्रश्न 9.
अक्षरों की खोज को कितने साल हुए हैं?
उत्तर :
अक्षरों की खोज को मुश्किल से छह हजार साल

प्रश्न 10.
मानव को कब से ‘सभ्य’ कहा जाने लगा?
उत्तर :
मानव ने जब से लिखना शुरू किया, तब से उसे ‘सभ्य’ कहा जाने लगा।

प्रश्न 11.
‘लिपि’ किसे कहते हैं?
उत्तर :
अक्षरों के लिखने की विधि को लिपि कहते हैं।

प्रश्न 12.
इन भाषाओं की लिपि बताओ
हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, अंग्रेजी, उर्दू,
उत्तर :

हिंदीदेवनागरी लिपि
संस्कृतदेवनागरी लिपि
पंजाबीगुरूमुखी लिपि
अंग्रेजीरोमन लिपि
उर्दूफारसी लिपि

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

अक्षरों का महत्व Summary in Hindi

अक्षरों का महत्व पाठ का सार

इस पाठ में अक्षरों की कहानी कही गई है। पुस्तक तरह-तरह के अक्षरों से बनती है। दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं। तरह-तरह के अक्षरों में हजारों की संख्या में समाचार-पत्र छपते हैं। इन सबके मूल में अक्षर हैं। कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। अक्षरों का ज्ञान हमें ईश्वर से मिला है। यह सोच पुराने जमाने की है कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। अब हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज स्वयं आदमी ने की है।

हमारी धरती पाँच अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही राज्य रहा। आदमी ने इस धरती पर कोई पाँच लाख साल पहले जन्म लिया। फिर धीरे-धीरे उसका विकास हुआ।

कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों में बसना शुरू किया। वह खेती करने लगा। तब वह पत्थरों के औजारों का प्रयोग करता था। फिर उसने ताँबे और काँसे के औजार बनाए। मनुष्य ने सबसे पहले पशुओं, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के द्वारा अपने मन के भाव व्यक्त किए। फिर वृत्त के चारों ओर रेखाएँ खींचने पर वह सूर्य का चित्र बन जाता था।

बाद में यह ‘ताप’ या ‘धूप’ का प्रतीक बन गया। काफी बाद में जाकर आदमी ने अक्षरों की खोज की। इस खोज को मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। आदमी अपने विचार और हिसाब-किताव लिखकर रखने लगा। तब से मानव को सभ्य कहा जाने लगा। तभी से इतिहास आरंभ हुआ। इतिहास को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। उसके पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ कहते हैं।

यदि आदमी अक्षरों की खोज नहीं करता तो आज हम इतिहास को भी नहीं जान पाते। अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। इस खोज के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। अक्षरों की खोज के बाद पिछले छह हजार सालों में मानव-जाति का तेजी से विकास हुआ। यह महत्त्व है अक्षरों का और उनसे बनी लिपियों का।

अक्षरों का महत्व शब्दार्थ

तादाद – संख्या (Quantity)। अनादि काल – युग के प्रारंभ का समय (Ancient Period)। प्रागैतिहासिक मानव – इतिहास में वर्णित काल के पूर्व का मानव (Pre-History period)। द्योतक – सूचक (Symbol)। सिलसिला – क्रम (Serial)। पीढ़ी – किसी जाति, कुल या व्यक्ति की वंश-परंपरा की कोई कड़ी (Generation)। स्वयं – खुद (Self) वृत्त – गोल घेरा (Circle)। अस्तित्व – कायम होना (Existence)। लिपि – लिखने की विधि (Script)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

HBSE 6th Class Hindi चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
कविता में ‘आप पहने हुए हैं कुल आकाश’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है ?
उत्तर :
यह कहकर लड़की कहना चाहती है कि पूरा आकाश ही मानो चंद्रमा का वस्त्र है। वह इसी को पहने रहता है। चाँद पूरे आकाश के मध्य निकलता और चमकता है।

प्रश्न 2.
‘हमको बुद्धू ही निरा समझा है!’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है ?
उत्तर :
लड़की कहना चाहती है कि हम भी सब कुछ जानते हैं। तुम (चाँद) हमें बिल्कुल मूर्ख मत समझो। हम भी चतुर हैं।

प्रश्न 3.
आशय बताओ
‘यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में ……” आता
उत्तर :
चाँद कभी घटता है तो कभी बढ़ता है। उसका यह चक्र चलता ही रहता है। यह स्थिति कभी बदलने वाली नहीं है। यह प्रकृति का नियम है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

प्रश्न 4.
कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और इसके कारण भी बताओ।
उत्तर :

दिनकारण
पूर्णिमाइस दिन पूरा चाँद होता है-गोल मटोल।
अष्टमी से पूर्णिमा के बीचचाँद बढ़ता जाता है।
प्रथमा से अष्टमी के बीचचाँद घटता जाता है।

प्रश्न 5.
नई कविता में तुक या छंद की बजाय बिंब का प्रयोग अधिक होता है। बिंब वह तसवीर होती है जो शब्दों को पढ़ते समय हमारे मन में उभरती है। कई बार कुछ कवि शब्दों की ध्वनि की मदद से ऐसी तसवीर बनाते हैं और कुछ कवि अक्षरों या शब्दों को इस तरह छापने पर बल देते हैं कि उनसे कई चित्र हमारे मन में बनें। इस कविता के अंतिम हिस्से में चाँद को एकदम गोल बताने के लिए कवि ने बिल्कुल शब्द के अक्षरों को अलग-अलग करके लिखा है। तुम इस कविता के और किन शब्बों को चित्र की आकृति देना चाहोगे? ऐसे शब्दों को अपने ढंग से लिखकर दिखाओ।
उत्तर :
हम इन शब्दों को चित्र की आकृति देना चाहेंगे-

  • गो ल म टो ल
  • घ ट ते
  • ब ढ़ ते
  • ति र छे

भाषा की बात

1. चाँद संज्ञा है। चाँदनी रात में चाँदनी विशेषण है। नीचे दिए गए विशेषणों को ध्यान से देखो और बताओ कि कौन-सा प्रत्यय जुड़ने पर विशेषण बन रहे हैं। इन विशेषणों के लिए एक-एक उपयुक्त संज्ञा भी लिखो-
गुलाबी पगड़ी/ मखमली घास/ कीमती गहने
ठंडी रात / जंगली फूल / कश्मीरी भाषा।
उत्तर :

  • गुलाबी-विशेषण(‘ई’ प्रत्यय) पगड़ी-संज्ञा।
  • मखमली-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) पास-संज्ञा।
  • कीमती-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) गहने-संज्ञा।
  • ठंडी-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) फूल-संज्ञा।
  • जंगली-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) फूल-संज्ञा।
  • कश्मीरी-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) भाषा-संज्ञा।

अन्य संज्ञाओं के साथ गुलाबी फूल, मखमली कपड़ा, कीमती कपड़े ठंडी हवा, जंगली जानवर, कश्मीरी शाल

2.

  • गोल-मटोल
  • गोरा-चिट्टा।

कविता में आए शब्दों के इन जोड़ों में अंतर यह है कि चिट्टा का अर्थ सफेद है और गोरा से मिलता-जुलता है जबकि मटोल अपने-आप में कोई शब्द नहीं है। यह शब्द ‘मोटा’ से बना है। ऐसे चार-चार शब्द युग्म सोचकर लिखो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :

  • आम-वाम : मैं आम-वाम नहीं खाता।
  • खाना-वाना : मुझे खाना-वाना नहीं पकाना।
  • कपड़ा-वपड़ा : मैं कोई कपड़ा-वपड़ा नहीं खरीदूंगा।
  • मेला-बेला : तुम मेला-वेला नहीं देखते।

3. ‘बिलकुल गोल’-कविता में इसके दो अर्थ हैं
(क) गोल आकार का
(ख) गायब होना
ऐसे तीन शब्द सोचकर उनसे ऐसे वाक्य बनाओ कि शब्दों के दो-दो अर्थ निकलते हों।
उत्तर :

1. अंक : परीक्षा में मेरे 70 प्रतिशत अंक आए हैं। (नंबर)
बच्चा माँ की अंक में बैठा है। (गोद)

2. कनक : यह आभूषण कनक से बना है। (सोना)
कनक खाने से आदमी पागल हो जाता है। (धतूरा)

3. कल : मुझे बुखार के कारण कल नहीं पड़ रही। (चैन)
कारखाने की कल बेकार पड़ी है। (मशीन)

4. कर : तुम्हें सारे कर चुका देने चाहिएँ। (टैक्स)
मेरे कर बहुत लंबे हैं। (हाथ)

4. जोकि, चूँकि, हालाँकि-कविता की जिन पंक्तियों में ये शब्द आए हैं, उन्हें ध्यान से पढ़ो। ये शब्द दो वाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य बनाओ।
उत्तर :
1. जोकि : उस कमीज को लाओ जोकि गंदी है।
मेरी पुस्तक पढ़ो जोकि धार्मिक है।

2. चूँकि : चूंकि वह बीमार है अतः नहीं आ सकता।
चूँकि वर्षा हो रही है अत: मेरा जाना कठिन है।

3. हालाँकि : तुम्हें आज आना ही होगा हालाँकि आज सर्दी है।
मुझे जाना ही होगा हालाँकि काफी देर हो चुकी है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

5. गप्प, गप-शप, गप्पबाजी-क्या इन शब्दों के अर्थ में अंतर है? तुम्हें क्या लगता है? लिखो।
उत्तर :
गप्प : बेतुकी हाँकना।
गप-शप : बातचीत करने का एक ढंग है, इसमें कुछ सच तो कुछ झूठ होता है।
गप्पबाजी : व्यर्थ ही डींगें हाँकना।

HBSE 6th Class Hindi चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
चाँद से गप्पें कौन लड़ा रहा है?
उत्तर :
चाँद से गप्पें एक दस-ग्यारह साल की लड़की लड़ा रही है।

प्रश्न 2.
लड़की चाँद को क्या पहने हुए बताती है?
उत्तर :
लड़की चाँद को तारों जड़ा आकाश रूपी वस्त्र पहने बताती है।

प्रश्न 3.
क्या लड़की बुद्ध है?
उत्तर :
नहीं, वह बुद्ध नहीं है।

प्रश्न 4.
लड़की चाँद के घटने-बढ़ने को क्या बताती है?
उत्तर :
लड़की इसे चाँद की कोई बीमारी बताती है जो ठीक होने का नाम नहीं लेती।

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. गोल हैं खूब मगर आप तिरछे नजर आते हैं जरा। आप पहने हुए हैं कुल आकाश तारों-जड़ा; सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना गोरा चिट्टा गोल-मटोल, अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त। आप कुछ तिरछे नजर आते हैं जाने कैसे- खूब हैं गोकि!

शब्दार्थ : सिम्त – दिशा (Side)| कुल – सारा (Total)। पोशाक – वस्त्र (Dress)। गोकि – हालाँकि (As)।

प्रसंग : प्रस्तुत पौक्तयाँ शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें’ से ली गई हैं। इनमें एक10-11 साल की लड़की चाँद से गप्पे मारती है।

व्याख्या :
बालिका चाँद से कहती है-तुम गोल होते हुए भी तिरछे नजर आते हो। ऐसा क्यों हैं ? आप सारे आकाश को कपड़ों की तरह पहने हुए हो और पोशाक तारों से जड़ी हुई है। इस कपड़े में से केवल तुम्हारा गोरा-चिट्टा, गोल-मटोल मुँह दिखाई देता है। तुमने अपनी पोशाक को सभी दिशाओं में फैला रखा है। इसके बावजूद आप कुछ तिरछे नजर आते हो। तुम भी बस खूब हो अर्थात् अनोखे हो।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि और कविता का नाम लिखो।
2. गोल कौन है और वह केसे नजर आते हैं?
3. उसका रंग कैसा है?
4. उसने पोशाक कहाँ फैलाई हुई है?
उत्तर:
1. कवि का नाम-शमशेर बहादुर सिंह कविता का नाम-चाँद से थोड़ी-सी गप्पें।
2. गोल चाँद है और वह जरा तिरछे नज़र आते हैं।
3. चाँद का रंग गोरा-चिट्टा है।
4. चाँद ने अपनी पोशाक चारों दिशाओं में फैलाई हुई है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. चाँद कैसा नज़र आता है?
(क) सीधा
(ख) टेढ़ा
(ग) तिरछा
(घ) उल्टा
उत्तर:
(ग) तिरछा

2. आकाश कैसा है?
(क) तारों जड़ा
(ख) कुल
(ग) कपड़े जैसा
(घ) चमकता
उत्तर:
(क) तारों जड़ा

3. चाँद ने क्या खोला हुआ है?
(क) मुंह
(ख) कान
(ग) आँखें
(घ) नाक
उत्तर:
(क) मुंह

4. चाँद ने चारों ओर क्या फैला रखी है?
(क) चमक
(ख) रोशनी
(ग) पोशाक
(घ) आवाज
उत्तर:
(ग) पोशाक

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

2. बाह जी, वाह! हमको बुद्धू ही निरा समझा है! हम समझते ही नहीं जैसे कि आपको बीमारी है। आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं, और बढ़ते हैं तो बस यानी कि बढ़ते ही चले जाते हैंदम नहीं लेते हैं जब तक बिल्कुल ही गोल न हो जाएँ, बिल्कुल गोल। यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है।

शब्दार्थ : निरा-बिल्कुल (Total)। दम-साँस (Sigh)। मरज-बीमारी (Illness)।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें से लिया गया है। बच्ची चाँद से गप्पें मारते हुए कहती है

व्याख्या :
अरे वाह चाँद! तुमने हमें मूर्ख समझा है, पर हम सब कुछ जानते हैं। हमें आपकी बीमारी के बारे में पूरी तरह पता है। आपकी बीमारी घटने-बढ़ने की है। जब तुम घटने लगते हो तो घटते ही चले जाते हो और जब तुम बढ़ने पर आते हो तो बढ़ते ही चले जाते हो।

चाँद 15 दिन घटता है और 15 दिन बढ़ता है। तुम तब तक दम नहीं लेते जब तक तुम बिल्कुल गोल नहीं हो जाते। तुम बिल्कुल गोल होकर ही मानते हो और आपकी यह बीमारी कभी अच्छी नहीं होने वाली है। यह चक्र चलता ही रहता है। यह प्रकृति का नियम है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. लड़की किससे बात कर रही है?
2. चाँद को क्या बीमारी है?
3. ‘दम नहीं लेना’ का क्या अर्थ है?
4. चाँद का मरज केसा है?
उत्तर:
1. लड़की चाँद से बात कर रही है।
2. चाँद को घटने-बढ़ने की बीमारी है। वह घटता है तो घटता ही चला जाता है और बढ़ता है तो बढ़ता ही चला जाता है।
3. ‘दम नहीं लेना’ का अर्थ है थोड़ी देर के लिए भी नहीं रुकना, निरंतर चलते रहना।
4. चाँद का मरज (घटने-बढ़ने का) अच्छा नहीं होता। वह ऐसे ही चलता रहता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘हमको’ कौन है?
(क) कवि
(ख) लड़की
(ग) चाँद
(घ) आकाश
उत्तर:
(ख) लड़की

2. बीमारी किसे है?
(क) लड़की को
(ख) चाँद को
(ग) कवि को
(घ) सभी को
उत्तर:
(ख) चाँद को

3. चाँद कब तक दम नहीं लेता?
(क) जब तक वह गोल न हो जाए
(ख) जब तक वह तिरछा न हो जाए
(ग) जब तक वह गप्पें नहीं मार ले
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) जब तक वह गोल न हो जाए

4. क्या यह वास्तव में मरज है?
(क) हाँ
(ख) नहीं
(ग) थोड़ा-थोड़ा
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(ख) नहीं

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चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Summary in Hindi

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कवि का संक्षिप्त परिचय

कवि शमशेर बहादुर सिंह का जन्म 13 जनवरी, 1911 को देहरादून में हुआ। इन्होंने एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। इनमें प्रमुख हैं-‘कहानी’, ‘नया साहित्य’, ‘माया’, ‘मनोहर कहानियाँ’, ‘नया पथ’ आदि। ‘उर्दू हिंदी शब्दकोश’ में हिंदी संपादक के रूप में कार्य करते रहे।

रचनाएँ :
शमशेर जी मुख्यतः कवि हैं, पर उन्होंने कुछ कहानियाँ एवं निबंध भी लिखे हैं। उनके चार कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं-‘कुछ कविताएँ’, ‘कुछ और कविताएँ’, ‘चुका भी हूँ नहीं’ और ‘इतने पास अपने’। इनके द्वारा रचित ‘दोआब’ निबंध-संग्रह है और ‘प्लाट का मोर्चा’ कहानी संग्रह है। शमशेर जी ने अपनी कविताओं में प्रकृति के सुंदर और नायनाभिराम चित्र अंकित किए हैं। इन्हें 1977 ई. में ‘चुका भी नहीं हूँ’ पर ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ मिल चुका है।

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता का सार

एक 10-11 साल की लड़की चाँद से गप्प मारती हुई कहती है-आप भले ही गोल हों, पर नजर तिरछे आते हो। आपने सारे आकाश को कपड़े के रूप में पहन रखा है। यह कपड़ा तारों से जुड़ा हुआ है। हाँ, इस कपड़े में से आपने अपना गोरा चिट्ठा गोल-मटोल मुँह अवश्य खोल रखा है। आपने अपनी पोशाक को चारों दिशाओं में फैला रखा है। फिर भी न जाने आप तिरछे क्यों नजर आते हैं।

वह लड़की कहती है कि आपने हमें बेवकूफ समझ रखा है। हमें आपकी बीमारी का पता है। आप जब घटने लगते हो तब घटते ही चले जाते हो और जब बढ़ने लगते हो तो बढ़ते ही चले जाते हो। तुम तब तक दम नहीं लेते जब तक बिल्कुल गोल न हो जाओ। आपकी यह बीमारी अच्छी ही नहीं हो पाती।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त

HBSE 6th Class Hindi नादान दोस्त Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?
उत्तर :
केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल इसलिए उठते थे क्योंकि उनके मन में अंडों को लेकर जिज्ञासा थी। उन्होंने अंडों को देखा न था और वे उनके बारे में तरह-तरह के अनुमान लगाते थे।

प्रश्न 2.
अंडों के बारे में दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर :
अंडों के बारे में दोनों (केशव और श्यामा) आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली इसलिए दे दिया करते थे क्योंकि उनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए घर में कोई न था। अम्माँ घर के कामधंधों में जुटी रहती थी और पिताजी को पढ़ने-लिखने से फुर्सत न थी।

प्रश्न 3.
अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि- ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर :
इस प्रश्न के उत्तर में श्यामा ने कहा- “इन्होंने (केशव ने) अंडों को छेड़ा था अम्माँ जी।” उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह केशव से चिढ़ी हुई थी। केशव ने उसे अंडे देखने नहीं दिए थे, अत: उसे केशव भैया पर तनिक भी तरस नहीं आया।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त

प्रश्न 4.
पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?
उत्तर :
अंडे इसलिए गंदै हुए क्योंकि उन्हें बच्चों ने छू लिया था। इसके बाद चिड़िया अंडों को नहीं सेती। वे अंडे नीचे गिर गए और टूटकर नष्ट हो गए।

प्रश्न 5.
सही उत्तर क्या है?
अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले, क्योंकि
(क) वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
(ख) माँ नहीं चाहती थी कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
(ग) माँ नहीं चाहती थी कि वे बाहर धूप में घूमें।।
उत्तर :
(ग) माँ नहीं चाहती थी कि वे बाहर धूप में घूमें।

प्रश्न 6.
केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?
उत्तर :
केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल में निम्नलिखित तीन बातों का ध्यान रखा
1. उनके खाने के लिए थोड़ा-सा दाना कार्निस पर रखा।
2. पानी की प्याली रखी गई।
3. धूप से बचाने के लिए टोकरी लगाकर छाया की गई।

प्रश्न 7.
कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आई और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।
उत्तर :
बच्चों ने चिड़िया और उसके अंडों के लिए अनेक कार्य किए जो उनकी दृष्टि से उचित थे। उन्हें उनकी भूख-प्यास और धूप की चिंता थी। पर उनके कार्य उल्टे पड़ गए क्योंकि वे बच्चे अनजान थे। उनकी नादानी ने अंडों को नष्ट कर दिया। इसका उन्हें भी दुःख हुआ।

प्रश्न 8.
पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों और किसलिए आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?
उत्तर :
माँ को बच्चों के भोलेपन पर हंसी आई। केशव ने जब रोनी सूरत बनाकर कहा- “मैंने तो सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था अम्मा जी” तो इसे सुनकर माँ को हँसी आ गई। हमारी समझ से माँ को बच्चों को सही बात समझानी चाहिए थी।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
पाठ में चिड़ियों की चर्चा है। तुम पेड़-पौधों और अन्य जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करो। तुम्हारे आसपास जो मौजूद हों, उनके साथ तुम्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसे लिखो।
उत्तर :

  • पेड़-पौधों को रात के समय नहीं छेड़ना चाहिए। रात के समय वे भी विश्राम करते हैं। उनमें भी जान होती है।
  • जीव-जंतुओं में कुछ सामान्य होते हैं तो कुछ खतरनाक किस्म के। हिंसक जंतुओं से बचकर रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?
उत्तर :
केशव और श्याम ने अंडों के बारे में ये अनुमान लगाए :
अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे? उन्होंने अनुमान लगाया कि अब तक अंडों से बच्चे निकल आए होंगे। बच्चों को भूख भी लगी होगी। उन बच्चों को धूप भी लगती होगी। यदि उस जगह हम होते तो हम भी ऐसे ही अनुमान लगाते क्योंकि सभी बच्चे एक ही प्रकार से सोचते हैं।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त

प्रश्न 3.
माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
उत्तर :
दोपहर में बाहर निकलने का सही कारण बताने पर दोनों बच्चों पर डाँट पड़ती। शायद पिटाई भी हो जाती।

HBSE 6th Class Hindi नादान दोस्त Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
चिड़िया के बच्चों की सुविधा के लिए केशव और श्यामा ने क्या फैसला किया?
उत्तर:
आखिर यही फैसला हुआ कि घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बना देनी चाहिए। पानी की प्याली और थोड़े-से चावल रख देने का प्रस्ताव भी स्वीकृत हो गया।

प्रश्न 2.
किस ऋतु के दिन थे और घर में क्या वातावरण था?
उत्तर:
उन दिनों गर्मी के दिन थे। बाबू जी दपतर गए हुए था अम्मा दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद सो गई थीं। लेकिन बच्चों की आँखों में आज नींद कहाँ? अम्माँ जी को बहलाने के लिए दोनों दम रोके आँखें बंद किए मौके का इंतजार कर रहे थे। ज्योंही मालूम हुआ कि अम्माँ जी अच्छी तरह से सो गई, दोनों चुपके से उठे और बहुत धीरे-से दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल आए।

प्रश्न 3.
श्यामा क्या पकड़े हुए थी? स्टूल हिलने पर केशव का क्या हाल होता था?
उत्तर:
श्यामा दोनों हाथों से स्टूल पकड़े हुए थी। स्टूल की चारों टाँगें बराबर न होने के कारण जिस तरफ ज्यादा दबाव पाता था, जरा-सा हिल जाता था। उस वक्त केशव को कितनी तकलीफ उठानी पड़ती थी, यह उसी का दिल जानता था। दोनों हाथों से कार्निस पकड़ लेता और श्यामा को दबी आवाज से डाँटता- अच्छी तरह पकड़, वरना उतरकर बहुत मारूंगा। मगर बेचारी श्यामा का दिल तो ऊपर कानिस पर था। बार-बार उसका ध्यान उधर चला जाता और हाथ ढीले पड़ जाते।

प्रश्न 4.
माँ के द्वारा पकड़े जाने पर केशव और श्यामा की क्या दशा हुई?
उत्तर:
किवाड़ केशव ने खोला था, लेकिन श्यामा ने माँ से यह बात नहीं कही। उसे डर लगा कि भइया पिट जाएँगे। केशव दिल में काँप रहा था कि कहीं श्यामा कह न दे। क्योंकि उसे अंडे न दिखाए थे. इससे अब उसको श्यामा पर विश्वास न था। श्यामा सिर्फ मुहब्बत के मारे चुप थी या इस कसूर में हिस्सेदार होने की वजह से, इसका फैसला नहीं किया जा सकता था। शायद दोनों ही बातें थीं।

प्रश्न 5.
माँ ने केशव को क्या बात समझाई?
उत्तर:
माँ ने केशव को समझाया-तू इतना बड़ा हुआ, तुझे अभी इतना भी नहीं मालूम कि छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती।

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प्रश्न 6.
अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि-‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर :
इस प्रश्न के उत्तर में श्यामा ने कहा-“इन्होंने (केशव ने) अंडों को छेड़ा था, अम्माँ जी।”
उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह केशव से चिढ़ी हुई थी। केशव ने उसे अंडे देखने नहीं दिए थे, अत: उसे केशव भैया पर तनिक भी तरस नहीं आया।

प्रश्न 7.
चिड़िया के बच्चों की सुविधा के लिए केशव और श्यामा ने क्या फैसला किया?
उत्तर :
आखिर यही फैसला हुआ कि घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बना देनी चाहिए। पानी की प्याली और थोड़े-से चावल रख देने का प्रस्ताव भी स्वीकृत हो गया।

प्रश्न 8.
किस ऋतु के दिन थे और घर में क्या वातावरण था?
उत्तर :
उन दिनों गर्मी के दिन थे। बाबू जी दफ्तर गए हुए- थे। अम्माँ दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद सो गई थीं। लेकिन बच्चों की आँखों में आज नींद कहाँ? अम्माँ जी को बहलाने के लिए दोनों दम रोके, आँखें बंद किए मौके का इंतजार कर रहे थे। ज्योंही मालूम हुआ कि अम्माँ जी अच्छी तरह से सो गई. दोनों चुपके-से उठे और बहुत धीरे-से दरवाज की सिटकनी खोलकर बाहर निकल आए।

प्रश्न 9.
श्यामा क्या पकड़े हुए थी? स्टूल हिलने पर केशव का क्या हाल होता था?
उत्तर :
श्यामा दोनों हाथों से स्टूल पकड़े हुए थी। स्टूल की चारों टाँगें बराबर न होने के कारण जिस तरफ ज्यादा दबाव पाता था, जरा-सा हिल जाता था। उस वक्त केशव को कितनी तकलीफ उठानी पड़ती थी, यह उसी का दिल जानता था। दोनों हाथों से कार्निस पकड़ लेता और श्यामा को दबी आवाज़ से डाँटता-अच्छी तरह पकड़, वरना उतरकर बहुत मारूंगा। मगर बेचारी श्यामा का दिल तो ऊपर कार्निस पर था। बार-बार उसका ध्यान उधर चला जाता और हाथ ढीले पड़ जाते।

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प्रश्न 10.
‘नादान दोस्त’ कहानी में केशव और श्यामा के प्रयासों को आप किस दृष्टि से देखते हो? क्या आप भी जीवों पर दया करते हो?
उत्तर :
केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों को बचाने के लिए भरपूर प्रयास किए। अभी बच्चे अंडों में ही थे। उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि छूने से अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें सेती नहीं है। बच्चों की भावना बिल्कुल ठीक थी, पर उनके प्रयास नादानी के थे। हम उनकी भावना की कद्र करते हैं। हाँ, हम भी जीवों पर दया करते हैं। उन्हें बचाने का भरपूर प्रयास करते हैं।

नादान दोस्त गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. केशव के घर कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखा करते। सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा और चिड़िया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मजा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी, न रहती थी। दोनों के दिल में तरह-तरह के सवाल उठते। अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे?

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘नादान दोस्त’ से लिया गया है। इसमें बच्चों द्वारा अनजाने में किए काम के दुष्परिणाम के बारे में बताया गया है।

व्याख्या :
केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने घोंसला बनाया और वहीं अंडे दिए। केशव और उसकी बहन श्याम चिड़िया को वहाँ आते-जाते बड़े ध्यान से देखते थे। वे सुबह उठकर आँखें मलते हुए चिडिया वाले स्थान के पास पहुँच जाते थे। उन्हें वहाँ चिड़ा और चिड़िया बैठे मिलते थे। उन्हें देखने में दोनों बच्चों को बड़ा आनंद आता था।

यहाँ तक कि उन्हें दूध और जलेबी खाने की याद तक नहीं रहती थी। उनको देखकर उनके मन में तरह-तरह के प्रश्न उठते थे। वे अंडों के आकार, रंग तथा संख्या के बारे में सोचते रहते। उन्हें उनके खाने की चिंता भी सताती थी। इस प्रकार वे दोनों बच्चे चिड़िया और उसके बच्चों के साथ गहरे रूप से जुड़ गए थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया ने अंडे कहाँ दिए थे?
2. केशव और श्यामा क्या देखते थे?
3. बच्चों को किसकी सुध नहीं रहती थी?
4. बच्चों के दिल में क्या सवारन उठते थे?
उत्तर:
1. चिड़िया ने अंडे केशव के घर कार्निस के ऊपर दिए थे।
2. केशव और उसकी बहन श्यामा चिड़िया को अपने यहाँ आते-जाते देखते थे। वे कार्निस पर चिड़ा और चिड़िया को बैठा पाते थे।
3. चिड़ा-चिड़िया को देखने में बच्चों को दूध और जलेबी तक की सुध नहीं रहती थी।
4. बच्चों के मन में चिड़िया के अंडों के बारे में ये सवाल उठते थे- अंडे कितने बड़े होंगे?

  • अंडे किस रंग के होंगे?
  • अंडे कितने होंगे?
  • वे क्या खाते होंगे?

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. केशव के घर पर क्या घटना घटी थी?
(क) कानिस पर चिड़िया ने अड दिए थे
(ख) चिड़िया बैठती थी
(ग) चिड़िया ने घोंसला बनाया था
(घ) चिड़िया को भगा दिया गया था
उत्तर:
(क) कानिस पर चिड़िया ने अड दिए थे

2. बच्चे सवेरे कहाँ पहुँच जाते थे?
(क) कार्निस के सामने
(ख) कार्निस के ऊपर
(ग) आँगन में
(घ) मैदान में
उत्तर:
(क) कार्निस के सामने

3. चिड़ा-चिड़िया को देखने में बच्चों को क्या मिलता था?
(क) मजा
(ख) दूध
(ग) जलेबी
(घ) दुख
उत्तर:
(क) मजा

4. केशव की बहन का नाम क्या था?
(क) रमा
(ख) श्यामा
(ग) राधा
(घ) मानो
उत्तर:
(ख) श्यामा

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2. इस तरह तीन-चार दिन गुजर गए। दोनों बच्चों की जिज्ञासा दिन-दिन बढ़ती जाती थी। अंडों को देखने के लिए वे अधीर हो उठते थे। उन्होंने अनुमान लगाया कि अब जरूर बच्चे निकल आए होंगे। बच्चों के चारे का सवाल अब उनके सामने आ खड़ा हुआ। चिड़िया बेचारी इतना दाना कहाँ पाएगी कि सारे बच्चों का पेट भरे। गरीब बच्चे भूख के मारे चूं-धूं करके मर जाएंगे।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचंद की कहानी ‘नादान दोस्त’ से ली गई हैं। केशव और श्याम चिड़िया के अंडों के विकास के बारे में जानना चाहते थे।

व्याख्या :
बच्चे तीन-चार दिन तक प्रतीक्षा करते रहे। उनके मन की जिज्ञासा निरंतर बढ़ती चली जा रही थी। वे अंडों को देखने के लिए बेचैन हो जाते थे। वे अंडों के बारे में तरह-तरह की कल्पनाएँ करते रहते थे। उनका विचार था कि अब तक अंडों से बच्चे जरूर बाहर निकल आए होंगे।

अब वे उन बच्चों के खाने के बारे में सोचने लगे। उन्हें लगा कि चिड़िया के लिए बच्चों का पेट भरने लायक दाना जुटाना अत्यंत कठिन होता होगा। यदि बच्चों का पेट नहीं भरा तो वे बच्चे चूँ-यूँ करके मर जाएंगे। इस चिंता ने बच्चों को परेशान कर दिया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. बच्चों की क्या चीज़ बढ़ती जा रही थी?
2. बच्चों ने क्या अनुमान लगाया?
3. बच्चों के सामने क्या सवाल आ खड़ा हुआ?
4. बच्चे क्या अनुमान लगा रहे थे?
उत्तर:
1. बच्चों की जिज्ञासा दिन-दिन बढ़ती जा रही थी।
2. बच्चों ने अनुमान लगाया कि अब तक अंडों से बच्चे जरूर निकल आए होंगे।
3. बच्चों के सामने चिड़िया के बच्चों के चारे का सवाल आ खड़ा हुआ।
4. बच्चे चिड़िया के बच्चों की स्थिति के बारे में अनुमान लगा रहे थे- चिड़िया के बच्चों को पेट भरने के लिए दाना नहीं मिल रहा होगा।

  • बच्चे भूख के मारे चूं-धूं करके मर जाएँगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. कितने दिन गुजर गए?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) तीन-चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(ग) तीन-चार

2. बच्चे किसलिए अधीर हो उठते थे?
(क) अंडों को देखने के लिए
(ख) दूध पीने के लिए
(ग) जलेबी खाने के लिए
(घ) दाना डालने के लिए
उत्तर:
(क) अंडों को देखने के लिए

3. चिड़िया को दाना किसलिए चाहिए था?
(क) अपने बच्चों का पेट भरने के लिए
(ख) अपना पेट भरने के लिए
(ग) केशव और श्यामा के लिए
(घ) फैलाने के लिए
उत्तर:
(क) अपने बच्चों का पेट भरने के लिए

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नादान दोस्त Summary in Hindi

नादान दोस्त पाठ का सार

1. यह प्रेमचंद द्वारा रचित एक मार्मिक कहानी है। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बच्चे थे। उनके घर के कानिंस पर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। वे दोनों बालक चिड़िया को वहाँ आते-जाते बड़े ध्यान से देखते थे। दोनों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। वे अंडों के बारे में सोचा करते थे। इस तरह तीन-चार दिन बीत गए। वे चिड़िया के बच्चों की भूख की कल्पना करके घबरा उठे।

उन्होंने कार्निस पर थोड़ा-सा दाना रखने का फैसला किया। उन्होंने घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बनाने तथा पानी की प्याली और थोड़े से चावल रखने की भी योजना बनाई। बच्चे अपनी माँ की आँख बचाकर अपने काम में लग गए। उन्होंने तेल से पत्थर की प्याली को साफ किया। छाया करने के लिए कूड़ा फेंकने वाली टोकरी लाई गई। सुराख को बंद करने के लिए उसमें कागज तूंस दिया गया। श्यामा अपने भैया की चालाकी पर खुश हो गई।

2. गर्मी के दिन थे। माँ दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद भी सो गई। बच्चे सोए ही नहीं थे, वे तो मौके की तलाश में थे। माँ को सोता देखकर वे दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल गए और अंडों की हिफाजत की तैयारी करने लगे। केशव कमरे से स्टूल उठा लाया। श्यामा स्टूल को पकड़े रही। केशव ने जैसे ही कार्निस पर हाथ रखा, चिड़िया उड़ गई। केशव ने देखा कि कार्निस पर तिनके बिछे हुए हैं और उन पर तीन अंडे पड़े हैं। श्यामा ने उन्हें देखना चाहा तो केशव बोला- “पहले चिथड़े ले आ. नीचे बिछा दूं।

बेचारे अंडे तिनकों पर पड़े हैं”। श्यामा दौड़कर पुरानी धोती फाड़कर एक टुकड़ा ले आई। केशव ने उसकी गद्दी बनाई और उसे बिछाकर तीनों अंडे उस पर रख दिए। फिर उसने टोकरी लगाकर उन पर छाया कर दी। इसके बाद उसने श्यामा से दाना-पानी की प्याली लाने को कहा। फिर केशव नीचे उतर आया।

अब श्यामा स्टूल पर चढ़कर अंडों को देखना चाहती थी, पर केशव ने गिर पड़ने का डर दिखाकर उसे रोक दिया। श्यामा ने रोते हुए कहा कि मैं सारी बात अम्मा से कह दूँगी। तभी कोठरी का दरवाजा खुला और माँ ने आते ही पूछा- “तुम दोनों बाहर कब निकल आए? किसने किवाड़ खोला?” दोनों चुप रहे। माँ ने उन्हें डाँट-डपटकर फिर कमरे में बंद कर दिया। अब दोनों बच्चों को नींद आ गई थी।

3. चार बजे श्यामा की नींद खुली। किवाड़ खुले हुए थे। वह कार्निस की ओर गई और ऊपर की ओर ताकने लगी। टोकरी का कहीं पता न था। अंडे नीचे पड़े हुए थे। केशव ने भी यह सब देखा। अंडे टूट गए थे और उनसे कोई चूने की सी चीज बाहर निकल रही थी। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। श्यामा के पूछने पर केशव ने बताया कि अंडे तो फूट गए, अब बच्चे नहीं बनेंगे। तभी माँ हाथ में सोटी लिए आई और पूछा-“तुम दोनों धूप में क्या कर रहे हो?” श्यामा ने अंडों के टूटने की बात बताई। माँ गुस्से में बोली- “तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।”

दोनों बच्चे एक-दूसरे को दोषी ठहराने लगे। केशव भीगी बिल्ली बना खड़ा रहा। माँ ने उसे खूब डाँटा- “तू इतना बड़ा हुआ। तुझे अभी इतना भी नहीं मालूम कि छूने से चिड़ियों के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती।” केशव के सिर जब पाप पड़ने की बात कही गई तब वह रोनी सूरत बनाकर बोला”मैंने तो सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था।” उसकी बात सुनकर माँ को हँसी आ गई। केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस होता रहा। दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर दिखाई न दीं।

नादान दोस्त शब्दार्थ

कार्निस = दीवार की कैंगनी (Carnis)! तसल्ली = सांत्वना, दिलासा, ढाढ़स (Consolation)। फुर = छोटी चिड़ियों के उड़ने में होने वाली परों की आवाज (Sound)। पेचीदा = उलझन वाला, कठिन, टेढ़ा (Difficult)। अधीर = उतावला, आकुल (Eager)। सुराख = छेद (Hole)। हिकमत = युक्ति, उपाय (Way)। हिफाजत = रक्षा (Defense, Safety)। चिथड़े = फटा-पुराना कपड़ा. गूदड़ (Torn clothes)। आहिस्ता = धीरे-धीरे, धीमी आवाज से (Slowly)। यकायक = एकाएक (Suddenly)। जिज्ञासा = जानने की इच्छा (Curiosity)। प्रस्ताव = सुझाव (Proposal)। गद्दी = नरम कपड़ा (Pad)। फैसला = निर्णय (Decision)। ताकना = देखना (To see)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 बचपन

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 बचपन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 बचपन

HBSE 6th Class Hindi बचपन Textbook Questions and Answers

संस्मरण से

प्रश्न 1.
लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थी?
उत्तर :
लेखिका बचपन में इतवार की सुबह निम्नलिखित काम करती थी

  • वह इतवार की सुबह अपने मोजे स्वयं धोती थी।
  • इसके बाद वह अपने जूतों को पॉलिश करके खूब चमकाती थी।

प्रश्न 2.
“तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।”-यह कह कर लेखिका क्या-क्या बताती है?
उत्तर :
यह कहकर लेखिका बताती है
1. पहले केवल कुछ घरों में ग्रामोफोन थे, जबकि अब रेडियो और टेलीविज़न आ गए हैं।
2. तब कुल्फी, कचौड़ी-समोसा खाए जाते थे जबकि अब उनका स्थान आइसक्रीम और पैटीज ने ले लिया है।
3. तब शहतूत, फालसे तथा खसखस का शरबत पिया जाता था, जबकि अब कोक-पेप्सी पिया जाता है। उन दिनों लैम्नेड, विमटो मिलती थी।
4. तब चने गरम तथा अनारदाने का चूर्ण खाने में बच्चों को बहुत मजा आता था। तब चने की पुड़िया बनाने में हाथ का कमाल दिखाई देता था।

प्रश्न 3.
पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका के चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्यों छेड़ते थे?
उत्तर :
लेखिका के चचेरे भाई उन्हें तंग करने एवं चिढ़ाने के लिए छेड़ते थे। वे कहते आँख पर चश्मा लगाया ताकि सूझे दूर की यह नहीं लड़की को मालूम सूरत बनी लंगूर की।

प्रश्न 4.
लेखिका बचपन में कौन-कौन-सी चीजें मजा ले-लेकर खाती थी? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो।
उत्तर :
लेखिका बचपन में निम्नलिखित चीजे मजा ले-लेकर खाती थीं

  • लेखिका के पास चॉकलेट और टॉफी का काफी स्टॉक रहता था। वह चॉकलेट रात के खाने के बाद बिस्तर में लेट कर मजे ले-लेकर खाती थी।
  • वह शिमला के काफल और चैस्टनट भी खूब खाती थी।
  • वह गरम चने तथा अनारदाने का चूर्ण भी मजे लेकर खाती थी।

प्रमुख फलों के नाम

  • काफल
  • रसभरी
  • कसमल
  • चैस्टनट

संस्मरण से आगे

प्रश्न 1.
लेखिका की तरह तुम्हारी उम्र बढ़ने से तुम्हारे पहनने-ओढ़ने में क्या-क्या बदलाव आए हैं ? उन्हें याद कर लिखो।
उत्तर :
पहले हम निकर पहनते थे और अब पैंट पहनने लगे हैं। तब एक स्वेटर पहनने से काम चल जाता था, अब कोट तथा पुलोअर पहनने लगे हैं। गर्मियों में तरह-तरह की टी-शर्ट पहनने लगे हैं।

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प्रश्न 2.
लेखिका के बचपन में ग्रामोफोन, घुड़सवारी, शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल और हवाई जहाज की आवाजें ही आश्चर्यजनक चीजें थीं। आज क्या-क्या आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें तुम्हें आकर्षित करती हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर :
अब हमें ये चीजें आकर्षित करती हैं :
1. कंप्यूटर
2. मोबाइल फोन
3. गानों की नई-नई धुनें
4. क्रिकेट।

प्रश्न 3.
अपने बचपन की किसी मनमोहक घटना को याद करके विस्तार से लिखो।
उत्तर :
मेरे बचपन में एक बार एक मनमोहक घटना घटी। हमें दिल्ली से मुंबई ट्रेन से जाना था। हम सभी परिवारजन राजधानी एक्सप्रेस में सवार होने के लिए नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंचे। तब मेरी आयु मात्र चार वर्ष की थी। मैं पैदल चलने की जिद कर रहा था। घर के सदस्य आगे निकल गए। मैं पीछे रह गया। अकेला समझकर मैं रोने लगा। थोड़ी देर के बाद एक लाल वर्दी वाला कुली आया। वह मुझे गोदी में उठाकर तेजी से आगे चला और पिताजी को सौंप दिया। सारी घटना जानकर सब सुख-दुःख की भावनाओं में तैरने लगे।

HBSE 6th Class Hindi बचपन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका को बचपन की किन-किन चीजों और बातों की अभी तक याद है?
उत्तर :
लेखिका को निम्नलिखित चीजों व बातों की अभी तक याद है- दो ट्यूनिकों की-एक चॉकलेट रंग की, दूसरी ग्रे कलर की। मोजे और स्टॉकिंग की। इतवार को मोज़े धोने और बूट पॉलिश करने की। लम्बी सैर पर निकलने की। हर शनिवार को औलिव ऑयल या केस्टर ऑयल पीने की।

प्रश्न 2.
लेखिका को बचपन में पहनी गई किन-किन फ्रॉकों की अभी तक याद है?
उत्तर :
लेखिका को बचपन में पहनी गई निम्नलिखित फ्रांकों की अब तक याद है-
1. हल्की नीली और पीली धारीवाला फ्रॉक। गोल कॉलर और बाजू पर भी गोल कफ।
2. एक हल्के गुलाबी रंग का बारीक चुन्नटों वाला घेरदार फ्रॉक। नीचे गुलाबी रंग की फ्रिल।
3. उन दिनों फ्रॉक के ऊपर की जेब में रूमाल और बालों में इतराते रंग-बिरंगे का चलन था।
4. लैमन कलर का बड़े प्लेटोंवाला गर्म फ्रॉक, जिसके नीचे फर टॅकी थी।

प्रश्न 3.
बचपन के खाने की चीज़ों में क्या बदलाव हो गया है?
उत्तर :
बचपन की कुल्फी आइसक्रीम हो गई है। कचौड़ी-समोसा पैटीज में बदल गया है। शहतूत, फाल्से और खसखस के शरबत कोक-पेप्सी में। उन दिनों कोक नहीं, लैम्नेड, विमटो मिलती थी। शिमला और नई दिल्ली में बड़े हुए बच्चों को बैंगर्स और डेविको रेस्तरों की चॉकलेट और पेस्ट्री मजा देने वाली होती।

प्रश्न 4.
लेखिका ने बचपन के दिनों के चने जोर गरम की क्या विशेषता बताई है?
उत्तर :
लेखिका बताती है कि चने जोर गरम और अनारदाने का चूर्ण! हाँ, चने जोर गरम की पुड़िया जो तब थी, वह अब भी नजर आती है। पुराने कागजों से बनाई हुई इस पुड़िया में निरा हाथ का कमाल है। नीचे से तिरछी लपेटते हुए ऊपर से इतनी चौड़ी कि चने आसानी से हथेली पर पहुंच जाएँ। एक वक्त था, जब फिल्म का गाना-चना जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार, चना जोर गरम-यह गाना उन दिनों स्कूल के हर बच्चे को आता था।

कुछ बच्चे पुड़िया पर तेज़ मसाला बुरकवाते। पूरा गिरजा मैदान घूमने तक यह पुड़िया चलती। एक-एक चना-पापड़ी मुंह में डालने और कदम उठाने में एक खास ही लय-रफ्तार थी।

प्रश्न 5.
लेखिका जाखू के पहाड़ के सौन्दर्य का वर्णन किन शब्दों में करती है?
उत्तर :
लेखिका बताती है कि शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घटियाँ बजतीं तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं। सामने आकाश पर सूर्यास्त हो रहा है। गुलाबी सुनहरी धारियों नीले आसमान पर फैल रही हैं। दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। रिज पर की रौनक और मॉल की दुकानों की चमक के भी क्या कहने! स्केंडल प्वाइंट की भीड़ से उभरता कोलाहल।

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प्रश्न 6.
चश्मे के डॉक्टर ने लेखिका को क्या आश्वासन दिया था?
उत्तर :
डॉक्टर ने आश्वासन दिया था कि दूध पिया करो। कुछ दिनों चश्मा पहनोगी तो यह उतर जाएगा। वैसे डॉक्टर साहिब ने पूरा आश्वासन दिया था, लेकिन चश्मा तो अब तक नहीं उतरा। नम्बर बस कम ही होता रहा। मैं अपने-आप इसकी जिम्मेवार हूँ।

प्रश्न 7.
अब लेखिका क्या पहनना-ओढ़ना पसन्द करती है?
उत्तर :
लेखिका इन दिनों शिमला में सिर पर टोपी लगाना पसन्द करती है। उसने कई रंगों की टोपियों जमा कर ली हैं। कहाँ दुपट्टों का ओढ़ना और कहाँ सहज-सहल सुभीते वाली हिमाचली टोपियाँ!

प्रश्न 8.
इस पाठ में घोड़ों के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर :
शिमला रिज पर घोड़ों की सवारी मजेदार होती है।

  • बच्चे घोड़ों को कुछ कमतर समझते थे। उन पर हँसते थे।
  • ननिहाल के घोड़े खूब हष्ट-पुष्ट और खूबसूरत होते थे।

प्रश्न 9.
लेखिका का बचपन 1935-40 के बीच शिमला में अधिक गुजरा। उन दिनों के शिमला के विषय में अनुमान लगा कर बताइए।
उत्तर :
लेखिका ने 1935-40 के मध्य शिमला का जो खाका खींचा है, उसे पढ़ कर प्रतीत होता है कि उन दिनों शिमला बहुत खूबसूरत पर्वतीय शहर रहा होगा। छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा शहर, थोड़ी चढ़ाई चढ़ कर गिरजा मैदान पहुँचना, उतराई पर माल का होना, वहाँ की आकर्षक दुकानें बड़ी अच्छी लगती होंगी।

वहाँ शाम का दृश्य अत्यंत मनमोहक रहता था। सूर्यास्त के समय आसमान पर गुलाबी सुनहरी धारियाँ फैल जाती थी। पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगते थे और बत्तियाँ टिमटिमाने लगती थीं। रिज की रौनक और माल की दुकानों की चमक देखते बनती थी। स्केंडल प्वाइंट पर भीड़ का कोलाहल रहता था। उन दिनों शिमला कालका मिनी ट्रेन चलती थी। उसमें सवारी का अपना ही मज़ा रहता था।

प्रश्न 10.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका में क्या-क्या बदलाव हुए है? पाठ से मालूम करके लिखो।
उत्तर :
उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका में निम्नलिखित बदलाव हुए-

  • उसके पहनने-ओढने के कपड़ों में बदलाव आया है। पहले वह नीले, जामुनी, ग्रे, काले, चॉकलेटी रंग के कपड़े पहनती थी। अब सफेद और हल्के रंग के कपड़े पहनना पसन्द करती है।
  • पोशाक भी बदल गई हैं। पहले फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहैगे, गरारे पहनना पसन्द करती थी अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते पहनना अच्छा लगता है।

बचपन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/आशय स्पष्ट करना

1. हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढ़ने में भी काफी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हूँ। नीला-जामुनी-प्रे काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी है। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कट। लहँगे। गरारे और अब चूड़ीदार और घेरेदार कुत।

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश कृष्णा सोबती द्वारा लिखित पाठ ‘बचपन’ से अवतरित है। इसमें लेखिका अपने बचपन का स्मरण कर रही है।

व्याख्या :
लेखिका बताती है कि अब मैं खुद को बड़ी उम्र की महसूस करने लगी हूँ। शायद इसका कारण यह है कि पिछली शताब्दी में जन्मी थी। तब से अब तक मेरे कपड़ों के ढंग में काफी परिवर्तन आए हैं। बचपन में मुझे रंग-बिरंगे कपड़े पहनना पसंद था। तब मैं नीला-जामुनी, ग्रे, काला तथा चॉकलेटी रंग पसंद करती थी। अब बड़ी उम्र में सफेद रंग या हल्के रंग के कपड़े पहनने का मन रहता है। पिछले दशकों में मैंने तरह-तरह के कपड़े पहने हैं। पहले फ्रॉक पहनती थी. फिर निकर-वॉकर और फिर स्कर्ट पहनने लगी। मैंने लहँगे, गरारे भी खूब पहने। अब मैं चूड़ीदार पजामा तथा घरेदार कुर्ते पहनना पसंद करती हूँ।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? इसके लेखिका कौन हैं?
2. लेखिका स्वयं को कैसा महसूस करने लगी है और क्यों?
3. लेखिका के पहनने-ओढ़ने में क्या बदलाव आया है?
4. लेखिका ने क्या-क्या पोशाकें पहनी हैं?
उत्तर:
1. यह गद्यांश ‘बचपन’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका हैं-कृष्णा सोबती।
2. लेखिका स्वयं को कुछ बड़ा-बड़ा यानी सयाना महसूस करने लगी है। इसका कारण यह है कि वह पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी।
3. लेखिका तरह-तरह के कपड़े पहनती रही है। वह पहले नौले-जामुनी-प्रे काला-चॉकलेटी रंग के कपड़े पहनती थी। अब उसे सफेद रंग के कपड़े अच्छे लगते हैं। अब वह हल्के रंग के कपड़े पसन्द करने लगी है।
4. लेखिका पहले फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे पहनती थी और अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते पहनती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. इन दिनों लेखिका स्वयं को कैसा महसूस करने लगी
(क) सयाना
(ख) युवा
(ग) मूर्ख
(घ) चालाक
उत्तर:
(क) सयाना

2. किस बात में काफी बदलाव आए हैं?
(क) खाने-पीने में
(ख) रहन-सहन में
(ग) पहनने-ओढ़ने में
(घ) घूमने-फिरने में
उत्तर:
(ग) पहनने-ओढ़ने में

3. लेखिका पहले किस रंग के कपड़े पहनती रही है?
(क) नौले-जामुनी
(ख) ग्रे-काले
(ग) चॉकलेटी
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

4. अब लेखिका का मन कैसे कपड़े पहनने का करता है?
(क) गहरे रंग के
(ख) हल्के रंग के
(ग) चमकीले
(घ) रंग-बिरंगे
उत्तर:
(ख) हल्के रंग के

5. ‘दशक’ में कितने वर्ष होते हैं?
(क) आठ
(ख) दस
(ग) बीस
(घ) सौ।
उत्तर:
(ख) दस

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 बचपन

2. पिछली सदी में तेज रफ्तार वाली गाड़ी वही थी। कभी-कभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते! दिल्ली में जब भी उनकी आवाज आती, बच्चे उन्हें देखने बाहर दौड़ते। दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर। यह देखो और वह गायब। उसकी स्पीड ही इतनी तेज लगती। हाँ, गाड़ी के मॉडलवाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती। यह वह दुकान थी जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों के डॉक्टर अंग्रेज थे।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ कृष्णा सोबती के संस्मरण ‘बचपन’ से ली गई हैं। इनमें लेखिका अपने बचपन की घटनाओं को याद करती है।

व्याख्या :
लेखिका बताती है कि उसके बचपन के दिनों में सबसे तेज चलने वाली गाड़ी शिमला-कालका ट्रेन थी। (अब इसे सबसे धीमी ट्रेन माना जाता है) पिछली सदी में वही तेज रफ्तारवाली गाड़ी थी। हाँ, कभी-कभी आकाश में उड़ता हवाई जहाज भी दिखाई दे जाता था। दिल्ली में हवाई जहाज की आवाज सुनकर बच्चे निकलकर उसे देखने लगते।

ऐसा लगता था कि कोई भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है। देखते-देखते वह गायब हो जाता था। उसकी गति बहुत अधिक होती थी। जिस दुकान पर इस कालका-शिमला ट्रेन का मॉडल रखा हुआ था. उसके पास ही एक अन्य दुकान थी, जहाँ चश्मे बनाए जाते थे। यहीं मेरा (लेखिका का) पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों की जाँच करने के लिए एक अंग्रेज डॉक्टर होता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :

1. पाठ की नाम और लेखिका का नाम बताओ।
2. इस गद्यांश में किस गाड़ी की बात कही गई है?
3. हवाई जहास किनमें क्या उत्सुकता जगाते थे?
4. तब हवाई जहाज कैसा प्रतीत होता था?
5. लेखिका को कौन-सी दुकान अभी तक नहीं भूलती और क्यों?
उत्तर:
1. पाठ का नाम – बचपन
लेखिका का नाम – कृष्णा सोबती।

2. इस गद्यांश में शिमला-कालका ट्रेन की बात कही गई है। उसी का मॉडल एक दुकान में रखा हुआ था।
3. दिल्ली के बच्चे जब भी हवाई जहाज़ की आवाज़ सुनते, वे उसे देखने के लिए घर से बाहर निकल कर दौड़ पड़ते थे।
4. तब हवाई जहाज एक भारी-भरकम पक्षी के समान उडता प्रतीत होता था।
5. लेखिका को गाड़ी के मॉडल के पास वाली वह दुकान कभी नहीं भूलती, क्योंकि उस दुकान पर उसका पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों का डॉक्टर एक अंग्रेज था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. बच्चे किसकी आवाज सुनकर उसे देखने दौड़ पड़ते
(क) रेलगाड़ी की
(ख) हवाई जहाज़ की
(ग) घोड़ों की
(घ) बारिश की
उत्तर:
(ख) हवाई जहाज़ की

2. बच्चों को हवाई जहाज़ कैसा प्रतीत होता था?
(क) भारी-भरकम पक्षी
(ख) जानवर
(ग) काला धब्या
(घ) पहाड़
उत्तर:
(क) भारी-भरकम पक्षी

3. मॉडल वाली दुकान में किसका मॉडल था?
(क) शिमला-कालका ट्रेन का
(ख) दिल्ली-शिमला ट्रेन का
(ग) हवाई जहाज का
(घ) चश्मों का
उत्तर:
(क) शिमला-कालका ट्रेन का

4. मॉडल वाली दुकान के साथ किसकी दुकान थी?
(क) कन्फैक्शनरी की
(ख) चश्मे की
(ग) डॉक्टर की
(घ) किराने की
उत्तर:
(ख) चश्मे की

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 बचपन

बचपन Summary in Hindi

बचपन पाठ का सार

लेखिका बताती है कि वह इतनी बड़ी आयु की है कि वह बच्चों की दादी या नानी भी हो सकती है, पर परिवार में उसे लोग जीजी कहकर पुकारते हैं। अब वह स्वयं को सयाना महसूस करती है। पहले वह रंग-बिरंगे कपड़े पहना करती थी, पर अब उसका मन सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनने को करता है।

अब वह चूड़ीदार पजामे और घेरेदार कुरते पहनना पसंद करती है। सब कुछ बदल गया है। लेखिका को याद है कि बचपन में वह कैसे फ्रॉक पहना करती थी। एक फ्रॉक हल्की नीली धारीवाला था, गोल कॉलर और बाजू पर भी गोल कफ। दुसरा फ्रॉक गुलाबी रंग का चुन्नटों वाला था।

दूसरा फ्रॉक गुलाबी रंग का चुन्नटों वालाा था। उन दिनों फ्रॉक के ऊपर की जेब में रूमाल रखने और बालों में रिबन लगाने का फैशन था। लैमन कलर का गर्म फ्रॉक था, जिस पर फर टॅकी थी। लेखिका को तब की दो ट्यूनिकों की भी याद है-एक चॉकलेट रंग की थी और दूसरी ग्रे। बचपन में उसे अपने मोजे खुद धोने पड़ते थे।

इतवार इसी काम में लगता था। इसके बाद जूतों को पॉलिश से चमकाया जाता था। उसे अब भी बूट पॉलिश करना अच्छा लगता है। अब तो नए-नए ढंग के जूते आ गए हैं। नए-नए जूते पैरों को काटते थे, अत: रुई पास रखी जाती थी। हर शनिवार को ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता था।

उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफोन थे। तब रेडियो और टेलीविजन नहीं थे। तब हम कुलफी खाते थे जो अब आइसक्रीम हो गई है। तब की कचौड़ी-समोसा अब पैटीज में बदल गया है। तब शहतूत, फालसे और खसखस के शरबत पिए जाते थे और अब कोक-पेप्सी। तब शिमला और नई दिल्ली के बच्चों को बैंगर्स और डेविको रेस्तराँ की चॉकलेट और पेस्ट्री मजा देती थी।

तब लेखिका और उसके भाई-बहनों की ड्यूटी शिमला मॉल से ब्राउन ब्रेड लाने की लगती थी। उसका घर मॉल से ज्यादा दूर नहीं था। उन्हें हफ्ते में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। उसे वह रात के खाने के बाद मजे ले-लेकर खाती थी।

लेखिका को शिमला के काफल भी बहुत याद आते हैंखट्टे-मीठे। चेस्टनट एक और गजब की चीज थी। इसे आग पर भूनकर और छीलकर खाया जाता था। अनारदाने का चूर्ण भी उसे खूब याद आता है। लेखिका ने छुटपन में शिमला रिज पर बहुत मजे किए। वहीं घुड़सवारी भी की। शिमला का प्राकृतिक सौंदर्य भी लुभावना होता था। स्कैंडल प्वाइंट पर खूब भीड़ उमड़ती थी। उसके सामने एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था।

पिछली सदी में तेज रफ्तार वाली गाड़ी वही थी। कभी-कभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते थे। वहीं एक दुकान थी, जहाँ लेखिका का पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों के अंग्रेज डॉक्टर थे। शुरू-शुरू में यह अटपटा-सा लगता था। मुझे चचेरे भाई चिढ़ाते भी थे। उनके जाने के बाद मैं शीशे के सामने अपनी शक्ल देखती थी। अब तो यह चश्मा चेहरे के साथ घुल-मिल गया है। अब मैं टोपी लगाना भी पसंद करती हूँ। मैंने कई रंगों की टोपियाँ जमा कर ली हैं।

बचपन शब्दार्थ

फ्रिल-झालर (Frill)। ऑलिव ऑयल-जैतून का तेल (Olive oil)। कैस्टर ऑयल-अरंडी का तेल (Castor oil)। खुराक-निश्चित मात्रा (Dose)। स्टॉक-संग्रह, भंडार (Stock)। बुरकना-चूर्ण जैसी वस्तु को छिड़कना (To sprinkle)। छुटपन-बचपन (Childhood)। हृष्ट-पुष्ट-तगड़ा, हट्टा-कट्टा (Healthy)। कोलाहल-शोर, हंगामा, हल्ला (Noise)। अटपटा-टेढ़ा, कठिन, ऊटपटाँग (Strange)। आश्वासन-भरोसा (Belief)। खीजना-झुंझलाना, क्रुद्ध होना (Annoyed)। सहल-आसान (Simple)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो

HBSE 6th Class Hindi वह चिड़िया जो Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
कविता को पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है, उस चित्र को कागज पर बनाओ।
उत्तर :
बच्चे चिड़िया का ऐसा चित्र बना सकते हैं, जो कटोरी से दूध-जुंडी खा रही हो अथवा जल से मोती निकाल रही हो।

प्रश्न 2.
तुम्हें कविता को कोई और शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोचकर लिखो।
उत्तर :
‘प्यारी चिड़िया’।

प्रश्न 3.
इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीजों से प्यार है ?
उत्तर :
चिड़िया को निम्नलिखित चीजों से प्यार है :

  • अन्न से
  • नदी से
  • विजन (जंगल) से।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो

प्रश्न 4.
कवि ने चिड़िया को छोटी, संतोषी, मुँहबोली और गरबीली चिड़िया क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि ने चिड़िया को उसके छोटे आकार को देखकर छोटी चिड़िया कहा है।
चिड़िया को जो खाने को मिलता है, उसे वह रुचिपूर्वक खा लेती है, अत: उसे संतोषी कहा गया है।
चिड़िया मुँह से बोलने वाली है, वह मुंह पर चढ़ी है अत: मुँह बोली है।
चिड़िया को गरबीली इसलिए कहा गया है, क्योंकि वह जल से मोती निकाल ले जाने में सफल हो जाती है। उसे अपने ऊपर गर्व है।

प्रश्न 5.
आशय स्पष्ट कीजिए :
(क) रस उँडेल कर गा लेती है
उत्तर :
चिड़िया का गाना इतना मधुर है कि ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपने गाने में रस उँडेल रही हो। इस गाने को सुनकर कानों को बड़ा रस मिलता है, चित्त प्रसन्न हो जाता है।

(ख) चढ़ी नदी का दिल टटोलकर
जल का मोती ले जाती है
उत्तर :
चिडिया इतनी चतुर होती है कि वह नदी के जल के बीच से मोती ढूँढ ले आती है। वह उफनती नदी में चली जाती है। चिड़िया अपने काम में बहुत कुशल है।

HBSE 6th Class Hindi वह चिड़िया जो Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया जो’ कविता के रचयिता कौन
उत्तर :
इस कविता के रचयिता केदारनाथ अग्नवाल हैं।

प्रश्न 2.
‘वह चिड़िया जो’ कविता की क्या-क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर :
इस कविता की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • इसमें प्राकृतिक वातावरण का सजीव चित्रण है।
  • इसमें चिड़िया के स्वभाव पर प्रकाश डाला गया है।
  • इसमें चिड़िया की विशेषताएँ बताई गई हैं।
  • इसमें चिड़िया के गाने के बारे में बताया गया है।

प्रश्न 3.
चिड़िया की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :

  • चिड़िया संतोषी स्वभाव की है। उसे जो कुछ मिलता है, उसे रुचिपूर्वक खा लेती है।
  • चिड़िया मधुर स्वर में गाती है।
  • चिड़िया के पंख नीले हैं।
  • चिड़िया गर्वीली है।

प्रश्न 4.
कवि ने चिड़िया को छोटी, संतोषी, मुँहबोली और गरबीली चिड़िया क्यों कहा है?
उत्तर :
कवि ने चिड़िया को छोटी चिड़िया इसलिए कहा है क्योंकि वह आकार में छोटी है।

  • कवि ने चिड़िया को संतोषी इसलिए कहा है क्योंकि उसे खाने को जो कुछ मिल जाता है, वह उसे खाकर ही संतुष्ट हो जाती है।
  • कवि ने चिड़िया को ‘मुँहबोली’ इसलिए कहा है क्योंकि वह मुँह पर चढ़ी हुई है।
  • ‘गरबीली चिड़िया’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने प्रयास से जल का मोती निकाल ले जाने में सफल रहती है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो

वह चिड़िया जो काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।

शब्दार्थ :
रुचि = इच्छा, पसंद (Taste)। संतोषी = सब्रवाली (Satisfied), अन्न = अनाज (Food grains)। जुड़ी = जौ और बाजरे की बालियाँ (Barley)|

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित कविता ‘वह चिड़िया जो’ से ली गई हैं। इनमें चिडिया अपना परिचय देती है।
व्याख्या : चिड़िया अपने बारे में बताते हुए कहती है कि मैं एक चिड़िया हूँ। मुझे दूध-भरे झुंडी के जो दाने खाने के लिए दिए जाते हैं उन्हें चोंच मार कर बड़ी रुचिपूर्वक खा लेती हूँ। मुझे वे दाने बहुत अच्छे लगते हैं। मैं तो बहुत संतोषी स्वभाव वाली चिड़िया हूँ। मेरे पंख नीले हैं। मैं अनाज से बहुत प्यार करती हूँ।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया रुचिपूर्वक क्या खाती है?
2. चिड़िया स्वयं को किस स्वभाव का बता रही है?
3. चिड़िया के पंख कैसे हैं?
4. चिड़िया को किससे प्यार है?
उत्तर:
1. चिड़िया दूध भरे जुडी के दाने रुचिपूर्वक खाती है।
2. चिड़िया स्वयं को संतोषी स्वभाव का बता रही है।
3. चिड़िया के पंख नीले हैं।
4. चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. चिड़िया रुचिपूर्वक क्या खाती है?
(क) जुंडी के दाने
(ख) फल
(ग) दूध से बनी चीजें
(घ) अन्य
उत्तर:
(क) जुंडी के दाने

2. छोटी चिड़िया कैसी है?
(क) अच्छी
(ख) बुरी
(ग) संतोषी
(घ) उड़ाकू
उत्तर:
(ग) संतोषी

3. चिड़िया के पंख किस रंग के हैं?
(क) काले
(ख) नीले
(ग) लाल
(घ) पीले
उत्तर:
(ख) नीले

4. चिड़िया को किससे प्यार है?
(क) अन्न से
(ख) दूध से
(ग) फलों से
(घ) सभी से
उत्तर:
(क) अन्न से

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो

2. वह चिड़िया जो-
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा की खातिर
रस उँडैल कर गा लेती है
वह छोटे मुंह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।

शब्दार्थ : कंठ-गला (Throat), वन-जंगल (Forest), विजन-सुनसान जंगल (Lonely Forest)|

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित कविता ‘वह चिड़िया जो’ से अवतरित है। इसमें चिड़िया अपना परिचय देती है।
व्याख्या : चिड़िया अपने बारे में बताते हुए कहती है कि मैं एक ऐसी चिड़िया हूँ जो अपना गला खोलकर बूढ़े जंगल-बाबा के लिए अपनी वाणी में रस घोलकर गा लेती हूँ अर्थात् मेरी रसीली बोली से बन-बाबा प्रसन्न हो जाते हैं। मैं छोटे मुंह वाली चिड़िया हूँ। मेरे पंख नीले हैं। मुझे जंगल से बहुत प्यार है अर्थात् मैं जंगल को पसंद करती हूँ।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया रुचिपूर्वक क्या खाती है?
2. चिड़िया स्वयं को किस स्वभाव का बता रही है?
3. चिड़िया के पंख कैसे हैं?
4. चिड़िया को किससे प्यार है?
उत्तर:
1. चिड़िया दूध भरे जुंडी के दाने रुचिपूर्वक खाती है।
2. चिड़िया स्वयं को संतोषी स्वभाव का बता रही है।
3. चिड़िया के पंख नीले हैं।
4. चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. चिड़िया रुचिपूर्वक क्या खाती है?
(क) जुंडी के दाने
(ख) फल
(ग) दूध से बनी चीजें
(घ) अन्य
उत्तर:
(क) जुंडी के दाने

2. छोटी चिड़िया कैसी है?
(क) अच्छी
(ख) बुरी
(ग) संतोषी
(घ) उड़ाकू
उत्तर:
(ग) संतोषी

3. चिड़िया के पंख किस रंग के हैं?
(क) काले
(ख) नीले
(ग) लाल
(घ) पीले
उत्तर:
(ख) नीले

4. चिड़िया को किससे प्यार है?
(क) अन्न से
(ख) दूध से
(ग) फलों से
(घ) सभी से
उत्तर:
(क) अन्न से

3. वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।

शब्दार्थ : जल-पानी (Water), गरबीली-घमंडी (Proud)|

व्याख्या : चिड़िया अपना परिचय देते हुए कहती है कि मैं वह चिड़िया हूँ जो चोंच-मारकर नदी का दिल टटोलती रहती हूँ। यद्यपि उस समय नदी में पानी चढ़ाव पर होता है, फिर भी मैं नदी के जल से मोती निकाल ले आती हूँ। मैं एक गर्वीली छोटी चिड़िया हूँ। मेरे पंख नीले हैं। मुझे नदी से बहुत प्यार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया किसके लिए कंठं खोलकर गाती है?
2. चिड़िया वन को ‘बूढ़े बाबा’ क्यों कहती है?
3. चिड़िया का गायन कैसा है?
4. चिड़िया को किससे प्यार है?
उत्तर:
1. चिड़िया बूढ़े वन-बाबा के लिए कंठ खोल कर गाती है।
2. वन चूँकि बहुत पुराना है, इसलिए चिड़िया उसे बूढ़े बाबा कह कर संबोधित करती है।
3. चिड़िया का गायन बहुत मधुर है। वह गाने में रस उँडेल देती है।
4. चिड़िया को सुनसान जंगल से बहुत प्यार है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. चिड़िया बूढ़े वन-बाबा की खातिर कैसे गाती है?
(क) कंठ खोल कर
(ख) कंठ दबा कर
(ग) दबे स्वर में
(घ) तेजी से
उत्तर:
(क) कंठ खोल कर

2. ‘रस उँडेल कर गाना’ कैसा होता है?
(क) जिसे सुनकर आनंद आ जाए
(ख) जिस गाने से फलों का रस टपके
(ग) रस को उँडेल देना
(घ) रस लेना
उत्तर:
(क) जिसे सुनकर आनंद आ जाए

3. चिड़िया का मुँह कैसा है?
(क) बड़ा
(ख) छोटा
(ग) लंबा
(घ) ऊँचा
उत्तर:
(ख) छोटा

4. काव्यांश की भाषा कैसी है?
(क) सरल
(ख) कठिन
(ग) टेढ़ी
(घ) मिली-जुली
उत्तर:
(क) सरल

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 वह चिड़िया जो

वह चिड़िया जो Summary in Hindi

वह चिड़िया जो कवि का संक्षिप्त परिचय

केदारनाथ अग्रवाल का जन्म सन् 1911 ई. में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के कमासिन नामक गाँव में हुआ। गाँव से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करके उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद चले गए। वहाँ से बी. ए, पास करने के बाद आगरा से एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वकालत करने लगे तथा साहित्य-रचना भी करते रहे। ये प्रगतिवादी कविताएँ लिखने लगे। नींद के बादल’ इनका पहला कविता संग्रह है। इसमें प्रेम संबंधी कविताएँ हैं। ‘युग की गंगा’ दूसरा काव्य-संग्रह है। इसमें प्रकृति-प्रेम की कविताएँ हैं। ‘लोक तथा आलोक’ संग्रह की कविताओं में पूँजीपतियों के विरुद्ध आक्रोश झलकता है। सन् 2000 में इनका स्वर्गवास हो गया।

वह चिड़िया जो कविता का सार

केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित इस कविता में चिड़िया अपना परिचय स्वयं देती है। यह चिड़िया बहुत संतोषी स्वभाव वाली है। वह दूध-भरे जौ और बाजरे के दानों को बड़ी रुचिपूर्वक खा लेती है। उसे अन्न से बहुत प्यार है। वह नीले पंखों वाली है। यह चिड़िया बूढ़े जंगल-बाबा के लिए अपना कंठ खोलकर मीठे स्वर में गा भी लेती है। इस चिड़िया का मुँह छोटा है। इस नीले पंखों वाली चिड़िया को जंगल से बहुत प्यार है। यह चिनिया उफान पर आई हुई नदी का दिल टटोल कर जल का मोती निकाल ले जाती है। यह चिड़िया गर्वीली है और नीले पंखों वाली है। इसे नदी के साथ बहुत प्यार है।

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HBSE 10th Class English Solutions First Flight & Footprints without Feet Haryana Board

Haryana Board HBSE 10th Class English Solutions First Flight & Footprints without Feet

HBSE 10th Class English Solutions First Flight

HBSE Haryana Board 10th Class English First Flight Prose

HBSE Haryana Board 10th Class English First Flight Poem

HBSE 10th Class English Solutions Footprints without Feet

HBSE Haryana Board 10th Class English Supplementary Reader Footprints without Feet

HBSE Class 10 English Reading Comprehension

HBSE Class 10 English Grammar

HBSE Class 10 English Composition

HBSE 10th Class English Question Paper Design

Class: 10th
Subject: English
Paper: Annual or Supplementary
Marks: 80
Time: 3 Hours

1. Weightage to Objectives:

ObjectiveKCETotal
Percentage of Marks423424100
Marks34271980

2. Weightage to Form of Questions:

Forms of QuestionsESAVSAOTotal
No. of Questions53 (4 + 2 + 4)4 (5 + (5 + 5) + 5 + 3)1 (12)10
Marks Allotted5 × 5 = 2510 × 2 = 2023 × 1 = 23 (4 × 5 = 20 + 1 × 3 = 3)12 × 1 = 1280
Estimated Time76503618180

3. Weightage to Content:

Units/Sub-UnitsMarks
1. Section – A: Reading Skills: Unseen Passage internal choice5
2. Section – B: Writing Skills10
(a) Application or Letters (Official, Personal, Business)5
(b) Paragraph writing/Story writing/Report writing/advertisements/interviews, conversation5
3. Section – C: Grammar-Punctuation, Tenses, Verbs, Articles, Reported Speech, Modals, Clauses, Non-finites, Idioms and Figures of Speech12
4. Section – D: Main Reader-First Flight-Prose Section Chapters (1 to 11) ET 5, SA (4 × 2), VSA (5 × 2) (Comprehension Passages two)23
5. Poetry Section – Poems (1 to 11) ET (5), SA (2 × 2), VSA (5 × 1) (Stanza)14
6. Supplementary Reader – Footprints without Feet (Chapters 1 to 11), ET 5, SA (4 × 2), VSA (1 × 3)16
Total80

4. Scheme of Sections: A, B, C, D

5. Scheme of Options: Internal Choice in question i.e. Essay Type, Short Answer Type, Reports, Advertisements, etc.

6. Difficulty Level:

  • Difficult: 10% Marks
  • Average: 50% Marks
  • Easy: 40% Marks

Abbreviations: K (Knowledge of Elements of Language), C (Comprehension), E (Expression), E (Essay Type), SA (Short Answer Type), VSA (Very Short Answer Type), O (Objective Type)

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