Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त
HBSE 6th Class Hindi नादान दोस्त Textbook Questions and Answers
कहानी से
प्रश्न 1.
केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?
उत्तर :
केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल इसलिए उठते थे क्योंकि उनके मन में अंडों को लेकर जिज्ञासा थी। उन्होंने अंडों को देखा न था और वे उनके बारे में तरह-तरह के अनुमान लगाते थे।
प्रश्न 2.
अंडों के बारे में दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर :
अंडों के बारे में दोनों (केशव और श्यामा) आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली इसलिए दे दिया करते थे क्योंकि उनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए घर में कोई न था। अम्माँ घर के कामधंधों में जुटी रहती थी और पिताजी को पढ़ने-लिखने से फुर्सत न थी।
प्रश्न 3.
अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि- ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर :
इस प्रश्न के उत्तर में श्यामा ने कहा- “इन्होंने (केशव ने) अंडों को छेड़ा था अम्माँ जी।” उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह केशव से चिढ़ी हुई थी। केशव ने उसे अंडे देखने नहीं दिए थे, अत: उसे केशव भैया पर तनिक भी तरस नहीं आया।
प्रश्न 4.
पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?
उत्तर :
अंडे इसलिए गंदै हुए क्योंकि उन्हें बच्चों ने छू लिया था। इसके बाद चिड़िया अंडों को नहीं सेती। वे अंडे नीचे गिर गए और टूटकर नष्ट हो गए।
प्रश्न 5.
सही उत्तर क्या है?
अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले, क्योंकि
(क) वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
(ख) माँ नहीं चाहती थी कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
(ग) माँ नहीं चाहती थी कि वे बाहर धूप में घूमें।।
उत्तर :
(ग) माँ नहीं चाहती थी कि वे बाहर धूप में घूमें।
प्रश्न 6.
केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?
उत्तर :
केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल में निम्नलिखित तीन बातों का ध्यान रखा
1. उनके खाने के लिए थोड़ा-सा दाना कार्निस पर रखा।
2. पानी की प्याली रखी गई।
3. धूप से बचाने के लिए टोकरी लगाकर छाया की गई।
प्रश्न 7.
कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आई और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।
उत्तर :
बच्चों ने चिड़िया और उसके अंडों के लिए अनेक कार्य किए जो उनकी दृष्टि से उचित थे। उन्हें उनकी भूख-प्यास और धूप की चिंता थी। पर उनके कार्य उल्टे पड़ गए क्योंकि वे बच्चे अनजान थे। उनकी नादानी ने अंडों को नष्ट कर दिया। इसका उन्हें भी दुःख हुआ।
प्रश्न 8.
पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों और किसलिए आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?
उत्तर :
माँ को बच्चों के भोलेपन पर हंसी आई। केशव ने जब रोनी सूरत बनाकर कहा- “मैंने तो सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था अम्मा जी” तो इसे सुनकर माँ को हँसी आ गई। हमारी समझ से माँ को बच्चों को सही बात समझानी चाहिए थी।
कहानी से आगे
प्रश्न 1.
पाठ में चिड़ियों की चर्चा है। तुम पेड़-पौधों और अन्य जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करो। तुम्हारे आसपास जो मौजूद हों, उनके साथ तुम्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसे लिखो।
उत्तर :
- पेड़-पौधों को रात के समय नहीं छेड़ना चाहिए। रात के समय वे भी विश्राम करते हैं। उनमें भी जान होती है।
- जीव-जंतुओं में कुछ सामान्य होते हैं तो कुछ खतरनाक किस्म के। हिंसक जंतुओं से बचकर रहना चाहिए।
प्रश्न 2.
केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?
उत्तर :
केशव और श्याम ने अंडों के बारे में ये अनुमान लगाए :
अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे? उन्होंने अनुमान लगाया कि अब तक अंडों से बच्चे निकल आए होंगे। बच्चों को भूख भी लगी होगी। उन बच्चों को धूप भी लगती होगी। यदि उस जगह हम होते तो हम भी ऐसे ही अनुमान लगाते क्योंकि सभी बच्चे एक ही प्रकार से सोचते हैं।
प्रश्न 3.
माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
उत्तर :
दोपहर में बाहर निकलने का सही कारण बताने पर दोनों बच्चों पर डाँट पड़ती। शायद पिटाई भी हो जाती।
HBSE 6th Class Hindi नादान दोस्त Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
चिड़िया के बच्चों की सुविधा के लिए केशव और श्यामा ने क्या फैसला किया?
उत्तर:
आखिर यही फैसला हुआ कि घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बना देनी चाहिए। पानी की प्याली और थोड़े-से चावल रख देने का प्रस्ताव भी स्वीकृत हो गया।
प्रश्न 2.
किस ऋतु के दिन थे और घर में क्या वातावरण था?
उत्तर:
उन दिनों गर्मी के दिन थे। बाबू जी दपतर गए हुए था अम्मा दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद सो गई थीं। लेकिन बच्चों की आँखों में आज नींद कहाँ? अम्माँ जी को बहलाने के लिए दोनों दम रोके आँखें बंद किए मौके का इंतजार कर रहे थे। ज्योंही मालूम हुआ कि अम्माँ जी अच्छी तरह से सो गई, दोनों चुपके से उठे और बहुत धीरे-से दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल आए।
प्रश्न 3.
श्यामा क्या पकड़े हुए थी? स्टूल हिलने पर केशव का क्या हाल होता था?
उत्तर:
श्यामा दोनों हाथों से स्टूल पकड़े हुए थी। स्टूल की चारों टाँगें बराबर न होने के कारण जिस तरफ ज्यादा दबाव पाता था, जरा-सा हिल जाता था। उस वक्त केशव को कितनी तकलीफ उठानी पड़ती थी, यह उसी का दिल जानता था। दोनों हाथों से कार्निस पकड़ लेता और श्यामा को दबी आवाज से डाँटता- अच्छी तरह पकड़, वरना उतरकर बहुत मारूंगा। मगर बेचारी श्यामा का दिल तो ऊपर कानिस पर था। बार-बार उसका ध्यान उधर चला जाता और हाथ ढीले पड़ जाते।
प्रश्न 4.
माँ के द्वारा पकड़े जाने पर केशव और श्यामा की क्या दशा हुई?
उत्तर:
किवाड़ केशव ने खोला था, लेकिन श्यामा ने माँ से यह बात नहीं कही। उसे डर लगा कि भइया पिट जाएँगे। केशव दिल में काँप रहा था कि कहीं श्यामा कह न दे। क्योंकि उसे अंडे न दिखाए थे. इससे अब उसको श्यामा पर विश्वास न था। श्यामा सिर्फ मुहब्बत के मारे चुप थी या इस कसूर में हिस्सेदार होने की वजह से, इसका फैसला नहीं किया जा सकता था। शायद दोनों ही बातें थीं।
प्रश्न 5.
माँ ने केशव को क्या बात समझाई?
उत्तर:
माँ ने केशव को समझाया-तू इतना बड़ा हुआ, तुझे अभी इतना भी नहीं मालूम कि छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती।
प्रश्न 6.
अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि-‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर :
इस प्रश्न के उत्तर में श्यामा ने कहा-“इन्होंने (केशव ने) अंडों को छेड़ा था, अम्माँ जी।”
उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह केशव से चिढ़ी हुई थी। केशव ने उसे अंडे देखने नहीं दिए थे, अत: उसे केशव भैया पर तनिक भी तरस नहीं आया।
प्रश्न 7.
चिड़िया के बच्चों की सुविधा के लिए केशव और श्यामा ने क्या फैसला किया?
उत्तर :
आखिर यही फैसला हुआ कि घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बना देनी चाहिए। पानी की प्याली और थोड़े-से चावल रख देने का प्रस्ताव भी स्वीकृत हो गया।
प्रश्न 8.
किस ऋतु के दिन थे और घर में क्या वातावरण था?
उत्तर :
उन दिनों गर्मी के दिन थे। बाबू जी दफ्तर गए हुए- थे। अम्माँ दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद सो गई थीं। लेकिन बच्चों की आँखों में आज नींद कहाँ? अम्माँ जी को बहलाने के लिए दोनों दम रोके, आँखें बंद किए मौके का इंतजार कर रहे थे। ज्योंही मालूम हुआ कि अम्माँ जी अच्छी तरह से सो गई. दोनों चुपके-से उठे और बहुत धीरे-से दरवाज की सिटकनी खोलकर बाहर निकल आए।
प्रश्न 9.
श्यामा क्या पकड़े हुए थी? स्टूल हिलने पर केशव का क्या हाल होता था?
उत्तर :
श्यामा दोनों हाथों से स्टूल पकड़े हुए थी। स्टूल की चारों टाँगें बराबर न होने के कारण जिस तरफ ज्यादा दबाव पाता था, जरा-सा हिल जाता था। उस वक्त केशव को कितनी तकलीफ उठानी पड़ती थी, यह उसी का दिल जानता था। दोनों हाथों से कार्निस पकड़ लेता और श्यामा को दबी आवाज़ से डाँटता-अच्छी तरह पकड़, वरना उतरकर बहुत मारूंगा। मगर बेचारी श्यामा का दिल तो ऊपर कार्निस पर था। बार-बार उसका ध्यान उधर चला जाता और हाथ ढीले पड़ जाते।
प्रश्न 10.
‘नादान दोस्त’ कहानी में केशव और श्यामा के प्रयासों को आप किस दृष्टि से देखते हो? क्या आप भी जीवों पर दया करते हो?
उत्तर :
केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों को बचाने के लिए भरपूर प्रयास किए। अभी बच्चे अंडों में ही थे। उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि छूने से अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें सेती नहीं है। बच्चों की भावना बिल्कुल ठीक थी, पर उनके प्रयास नादानी के थे। हम उनकी भावना की कद्र करते हैं। हाँ, हम भी जीवों पर दया करते हैं। उन्हें बचाने का भरपूर प्रयास करते हैं।
नादान दोस्त गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
1. केशव के घर कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखा करते। सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा और चिड़िया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मजा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी, न रहती थी। दोनों के दिल में तरह-तरह के सवाल उठते। अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे?
प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘नादान दोस्त’ से लिया गया है। इसमें बच्चों द्वारा अनजाने में किए काम के दुष्परिणाम के बारे में बताया गया है।
व्याख्या :
केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने घोंसला बनाया और वहीं अंडे दिए। केशव और उसकी बहन श्याम चिड़िया को वहाँ आते-जाते बड़े ध्यान से देखते थे। वे सुबह उठकर आँखें मलते हुए चिडिया वाले स्थान के पास पहुँच जाते थे। उन्हें वहाँ चिड़ा और चिड़िया बैठे मिलते थे। उन्हें देखने में दोनों बच्चों को बड़ा आनंद आता था।
यहाँ तक कि उन्हें दूध और जलेबी खाने की याद तक नहीं रहती थी। उनको देखकर उनके मन में तरह-तरह के प्रश्न उठते थे। वे अंडों के आकार, रंग तथा संख्या के बारे में सोचते रहते। उन्हें उनके खाने की चिंता भी सताती थी। इस प्रकार वे दोनों बच्चे चिड़िया और उसके बच्चों के साथ गहरे रूप से जुड़ गए थे।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया ने अंडे कहाँ दिए थे?
2. केशव और श्यामा क्या देखते थे?
3. बच्चों को किसकी सुध नहीं रहती थी?
4. बच्चों के दिल में क्या सवारन उठते थे?
उत्तर:
1. चिड़िया ने अंडे केशव के घर कार्निस के ऊपर दिए थे।
2. केशव और उसकी बहन श्यामा चिड़िया को अपने यहाँ आते-जाते देखते थे। वे कार्निस पर चिड़ा और चिड़िया को बैठा पाते थे।
3. चिड़ा-चिड़िया को देखने में बच्चों को दूध और जलेबी तक की सुध नहीं रहती थी।
4. बच्चों के मन में चिड़िया के अंडों के बारे में ये सवाल उठते थे- अंडे कितने बड़े होंगे?
- अंडे किस रंग के होंगे?
- अंडे कितने होंगे?
- वे क्या खाते होंगे?
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. केशव के घर पर क्या घटना घटी थी?
(क) कानिस पर चिड़िया ने अड दिए थे
(ख) चिड़िया बैठती थी
(ग) चिड़िया ने घोंसला बनाया था
(घ) चिड़िया को भगा दिया गया था
उत्तर:
(क) कानिस पर चिड़िया ने अड दिए थे
2. बच्चे सवेरे कहाँ पहुँच जाते थे?
(क) कार्निस के सामने
(ख) कार्निस के ऊपर
(ग) आँगन में
(घ) मैदान में
उत्तर:
(क) कार्निस के सामने
3. चिड़ा-चिड़िया को देखने में बच्चों को क्या मिलता था?
(क) मजा
(ख) दूध
(ग) जलेबी
(घ) दुख
उत्तर:
(क) मजा
4. केशव की बहन का नाम क्या था?
(क) रमा
(ख) श्यामा
(ग) राधा
(घ) मानो
उत्तर:
(ख) श्यामा
2. इस तरह तीन-चार दिन गुजर गए। दोनों बच्चों की जिज्ञासा दिन-दिन बढ़ती जाती थी। अंडों को देखने के लिए वे अधीर हो उठते थे। उन्होंने अनुमान लगाया कि अब जरूर बच्चे निकल आए होंगे। बच्चों के चारे का सवाल अब उनके सामने आ खड़ा हुआ। चिड़िया बेचारी इतना दाना कहाँ पाएगी कि सारे बच्चों का पेट भरे। गरीब बच्चे भूख के मारे चूं-धूं करके मर जाएंगे।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचंद की कहानी ‘नादान दोस्त’ से ली गई हैं। केशव और श्याम चिड़िया के अंडों के विकास के बारे में जानना चाहते थे।
व्याख्या :
बच्चे तीन-चार दिन तक प्रतीक्षा करते रहे। उनके मन की जिज्ञासा निरंतर बढ़ती चली जा रही थी। वे अंडों को देखने के लिए बेचैन हो जाते थे। वे अंडों के बारे में तरह-तरह की कल्पनाएँ करते रहते थे। उनका विचार था कि अब तक अंडों से बच्चे जरूर बाहर निकल आए होंगे।
अब वे उन बच्चों के खाने के बारे में सोचने लगे। उन्हें लगा कि चिड़िया के लिए बच्चों का पेट भरने लायक दाना जुटाना अत्यंत कठिन होता होगा। यदि बच्चों का पेट नहीं भरा तो वे बच्चे चूँ-यूँ करके मर जाएंगे। इस चिंता ने बच्चों को परेशान कर दिया।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. बच्चों की क्या चीज़ बढ़ती जा रही थी?
2. बच्चों ने क्या अनुमान लगाया?
3. बच्चों के सामने क्या सवाल आ खड़ा हुआ?
4. बच्चे क्या अनुमान लगा रहे थे?
उत्तर:
1. बच्चों की जिज्ञासा दिन-दिन बढ़ती जा रही थी।
2. बच्चों ने अनुमान लगाया कि अब तक अंडों से बच्चे जरूर निकल आए होंगे।
3. बच्चों के सामने चिड़िया के बच्चों के चारे का सवाल आ खड़ा हुआ।
4. बच्चे चिड़िया के बच्चों की स्थिति के बारे में अनुमान लगा रहे थे- चिड़िया के बच्चों को पेट भरने के लिए दाना नहीं मिल रहा होगा।
- बच्चे भूख के मारे चूं-धूं करके मर जाएँगे।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. कितने दिन गुजर गए?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) तीन-चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(ग) तीन-चार
2. बच्चे किसलिए अधीर हो उठते थे?
(क) अंडों को देखने के लिए
(ख) दूध पीने के लिए
(ग) जलेबी खाने के लिए
(घ) दाना डालने के लिए
उत्तर:
(क) अंडों को देखने के लिए
3. चिड़िया को दाना किसलिए चाहिए था?
(क) अपने बच्चों का पेट भरने के लिए
(ख) अपना पेट भरने के लिए
(ग) केशव और श्यामा के लिए
(घ) फैलाने के लिए
उत्तर:
(क) अपने बच्चों का पेट भरने के लिए
नादान दोस्त Summary in Hindi
नादान दोस्त पाठ का सार
1. यह प्रेमचंद द्वारा रचित एक मार्मिक कहानी है। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बच्चे थे। उनके घर के कानिंस पर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। वे दोनों बालक चिड़िया को वहाँ आते-जाते बड़े ध्यान से देखते थे। दोनों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। वे अंडों के बारे में सोचा करते थे। इस तरह तीन-चार दिन बीत गए। वे चिड़िया के बच्चों की भूख की कल्पना करके घबरा उठे।
उन्होंने कार्निस पर थोड़ा-सा दाना रखने का फैसला किया। उन्होंने घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बनाने तथा पानी की प्याली और थोड़े से चावल रखने की भी योजना बनाई। बच्चे अपनी माँ की आँख बचाकर अपने काम में लग गए। उन्होंने तेल से पत्थर की प्याली को साफ किया। छाया करने के लिए कूड़ा फेंकने वाली टोकरी लाई गई। सुराख को बंद करने के लिए उसमें कागज तूंस दिया गया। श्यामा अपने भैया की चालाकी पर खुश हो गई।
2. गर्मी के दिन थे। माँ दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद भी सो गई। बच्चे सोए ही नहीं थे, वे तो मौके की तलाश में थे। माँ को सोता देखकर वे दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल गए और अंडों की हिफाजत की तैयारी करने लगे। केशव कमरे से स्टूल उठा लाया। श्यामा स्टूल को पकड़े रही। केशव ने जैसे ही कार्निस पर हाथ रखा, चिड़िया उड़ गई। केशव ने देखा कि कार्निस पर तिनके बिछे हुए हैं और उन पर तीन अंडे पड़े हैं। श्यामा ने उन्हें देखना चाहा तो केशव बोला- “पहले चिथड़े ले आ. नीचे बिछा दूं।
बेचारे अंडे तिनकों पर पड़े हैं”। श्यामा दौड़कर पुरानी धोती फाड़कर एक टुकड़ा ले आई। केशव ने उसकी गद्दी बनाई और उसे बिछाकर तीनों अंडे उस पर रख दिए। फिर उसने टोकरी लगाकर उन पर छाया कर दी। इसके बाद उसने श्यामा से दाना-पानी की प्याली लाने को कहा। फिर केशव नीचे उतर आया।
अब श्यामा स्टूल पर चढ़कर अंडों को देखना चाहती थी, पर केशव ने गिर पड़ने का डर दिखाकर उसे रोक दिया। श्यामा ने रोते हुए कहा कि मैं सारी बात अम्मा से कह दूँगी। तभी कोठरी का दरवाजा खुला और माँ ने आते ही पूछा- “तुम दोनों बाहर कब निकल आए? किसने किवाड़ खोला?” दोनों चुप रहे। माँ ने उन्हें डाँट-डपटकर फिर कमरे में बंद कर दिया। अब दोनों बच्चों को नींद आ गई थी।
3. चार बजे श्यामा की नींद खुली। किवाड़ खुले हुए थे। वह कार्निस की ओर गई और ऊपर की ओर ताकने लगी। टोकरी का कहीं पता न था। अंडे नीचे पड़े हुए थे। केशव ने भी यह सब देखा। अंडे टूट गए थे और उनसे कोई चूने की सी चीज बाहर निकल रही थी। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। श्यामा के पूछने पर केशव ने बताया कि अंडे तो फूट गए, अब बच्चे नहीं बनेंगे। तभी माँ हाथ में सोटी लिए आई और पूछा-“तुम दोनों धूप में क्या कर रहे हो?” श्यामा ने अंडों के टूटने की बात बताई। माँ गुस्से में बोली- “तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।”
दोनों बच्चे एक-दूसरे को दोषी ठहराने लगे। केशव भीगी बिल्ली बना खड़ा रहा। माँ ने उसे खूब डाँटा- “तू इतना बड़ा हुआ। तुझे अभी इतना भी नहीं मालूम कि छूने से चिड़ियों के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती।” केशव के सिर जब पाप पड़ने की बात कही गई तब वह रोनी सूरत बनाकर बोला”मैंने तो सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था।” उसकी बात सुनकर माँ को हँसी आ गई। केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस होता रहा। दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर दिखाई न दीं।
नादान दोस्त शब्दार्थ
कार्निस = दीवार की कैंगनी (Carnis)! तसल्ली = सांत्वना, दिलासा, ढाढ़स (Consolation)। फुर = छोटी चिड़ियों के उड़ने में होने वाली परों की आवाज (Sound)। पेचीदा = उलझन वाला, कठिन, टेढ़ा (Difficult)। अधीर = उतावला, आकुल (Eager)। सुराख = छेद (Hole)। हिकमत = युक्ति, उपाय (Way)। हिफाजत = रक्षा (Defense, Safety)। चिथड़े = फटा-पुराना कपड़ा. गूदड़ (Torn clothes)। आहिस्ता = धीरे-धीरे, धीमी आवाज से (Slowly)। यकायक = एकाएक (Suddenly)। जिज्ञासा = जानने की इच्छा (Curiosity)। प्रस्ताव = सुझाव (Proposal)। गद्दी = नरम कपड़ा (Pad)। फैसला = निर्णय (Decision)। ताकना = देखना (To see)।