Class 12

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

HBSE 12th Class English Deep Water Textbook Questions and Answers

Question 1.
How does Douglas make clear to the reader the sense of panic that gripped him as he almost drowned? Describe the details that have made the description vivid. (डगलस ने पाठकों को किस प्रकार अपने भय की वह भावना स्पष्ट की जिसने उसे उस समय जकड़ लिया जब वह लगभग डूब गया था ? उस विस्तार का वर्णन करो जो इसे स्पष्ट बनाता है।)
Or
Narrate briefly the writer’s emotions and fears when he was thrown into the pool ? What plans did he make to come to the surface ? (लेखक की भावनाओं और उसके भयों का वर्णन करो जब उसे पानी में फेंक दिया गया ? उसने सतह पर आने के लिए क्या योजनाएँ बनाई ?)
Answer:
Douglas was alone at the pool. He sat at the edge of the pool. He could not imagine what was going to happen to him. Suddenly a big boy came and threw him into the pool. He landed at the bottom of the pool in its deepest part. Douglas was greatly frightened. But still he had not lost his presence of mind. He was planned to touch the bottom of the pool with his feet and jump upwards. He thought that he then swim on the surface of the water towards the edge of the pool. But it took a long time going down. The nine feet appeared to be more than ninety. His feet touched the bottom.

As planned, he hit the bottom with his feet and started coming up. But he was coming up very slowly. He opened his eyes and saw nothing but water. He grew panicky. It appeared to him as if a great force was pulling him down. His leg seemed to be paralyzed. He made another jump upwards. But that made no difference. He thought that he was going to die. He called for help, but nothing happened. When he came to his senses, he was lying beside the pool, vomiting. Someone had saved him from drowning.

(डगलस ताल के पास अकेला था। वह ताल के किनारे पर बैठा था। वह इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था कि उसके साथ क्या होने जा रहा था। अचानक ही एक बड़ा लड़का आया और उसे ताल में फेंक दिया। वह तालाब के सबसे गहरे सिरे में ताल के तल पर जा गिरा। डगलस बहुत अधिक डर गया था। लेकिन फिर भी उसने अपनी बुद्धि को नहीं खोया था। वह नीचे जा रहा था, उसने योजना बनाई कि जब वह अपने पैरों के साथ ताल के तल को स्पर्श करेगा तो वह ऊपर की ओर छलाँग लगाएगा। उसने सोचा कि वह पानी से बाहर आ जाएगा। तब वह पानी की सतह पर तैर कर ताल के सिरे तक आ जाएगा।

लेकिन नीचे जाने में काफी समय लगा। नौं फुट, नब्बे फुट से भी गहरे प्रतीत हो रहे थे। उसके पैरों ने तल को स्पर्श किया। योजना के अनुसार, उसने अपने पैरों के साथ तल पर प्रहार किया और ऊपर आना शुरू कर दिया। लेकिन वह बहुत धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। उसने अपनी आँखें खोली और उसे पानी के सिवाय और कुछ भी दिखाई नहीं दिया। वह भयभीत हो गया। उसे ऐसा लगा कि कोई बहुत बड़ी ताकत उसे नीचे की ओर खींच रही थी। उसकी टाँगें सुन्न हो गई थीं। उसने ऊपर की ओर एक और छलाँग लगाई। लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने सोचा कि अब वह मर जाएगा। वह मदद के लिए चिल्लाया लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। जब उसे होश आया, तो वह ताल के पास में पड़ा हुआ उल्टियाँ कर रहा था। किसी ने उसे डूबने से बचा लिया था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 2.
How did Douglas overcome his fear of water? [H.B.S.E. 2017 (Set-A)] (डगलस ने पानी के प्रति अपने भय पर किस प्रकार काबू पाया ?)
Answer:
After that incident, a haunting fear remained in his heart. He never went back to the pool. He feared water and tried to avoid it. The fear of water remained with him as years rolled by. He tried his best to overcome this fear but it remained with him. Finally, one October, he got an instructor. With him he practiced for five days a week. The instructor taught him step by step how to swim. He taught him how to put his face under water and exhale. And then how to raise his nose and inhale. He repeated the exercises hundreds of time.

Still, he wondered whether he would be terrified when he would be alone in a pool. In order to overcome his fear, the author went to Lake Wentworth in New Hampshire. He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

(उस दुर्घटना के पश्चात्, उसके मन में डर रहने लगा। वह फिर कभी ताल पर नहीं गया। वह पानी से डरता था और उससे दूर रहने का प्रयास करता था। जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए उसके अंदर पानी का डर उसी प्रकार से बना रहा। उसने अपने डर के ऊपर काबू पाने का पूरा प्रयास किया लेकिन यह डर उसके अंदर बना ही रहा। अंततः एक अक्तूबर मास में उसे एक प्रशिक्षक मिला। उसके साथ उसने सप्ताह में पाँच दिन अभ्यास किया। प्रशिक्षक ने उसे क्रमवार सिखाया कि कैसे तैरा जाता है। उसने उसे बताया कि पानी के अन्दर मुँह से कैसे साँस छोड़ना है। और फिर कैसे अपनी नाक ऊपर करके साँस लेना है।

उसने इन अभ्यासों को सैंकड़ों बार दोहराया। फिर भी वह हैरान था कि जब कभी वह ताल में अकेला होगा तो उसे फिर भी डर लगेगा। अपने डर पर विजय हासिल करने के उद्देश्य से, लेखक न्यू हैम्पशायर में वेंटवर्थ झील पर गया। उसने एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह झील में स्टैम्प एक्ट आइलैंड तक दो मील तक तैरता रहा। केवल एक बार उसे कुछ डर लगा। जब वह झील के मध्य में था। लेकिन शीघ्र ही उसने उस डर पर विजय हासिल कर ली। तब वह तैर कर वापस आया। वह खुशी से चिल्ला उठा। इस तरह अंततः वह पानी से भय और तैराकी पर विजय हासिल करने में सफल रहा।)

Question 3.
Why does Douglas as an adult recount a childhood experience of terror and his conquering of it? What larger meaning does he draw from this experience? (वयस्क होने पर डगलस अपने बचपन के भय के अनुभव और उस पर काबू पाने का वर्णन क्यों करता है ? वह इस अनुभव से क्या वृहत अर्थ निकालता है ?)
Answer:
In ‘Deep Water’, Douglas recounts a childhood experience of terror. He was almost drowned in a pool. Douglas also tells us about his determination to overcome his fear of water. When he was a boy, one day William Douglas went to a swimming pool. He sat at the edge of the pool. Suddenly a muscular boy came and threw him into the pool. Douglas was nearly drowned in the water. That incident created a fear of water in him.

That fear remained with him till he grew up. Then he decided to overcome that fear. He made determined efforts and learnt swimming. In the end, he was able to overcome his fear of water and swimming. This experience has a symbolic meaning. Douglas wants to convey the idea those persons can appreciate an experience who have gone through it. Secondly his experience tells us that with determination we can overcome our fears.

The fear of water was created in Douglas’ mind after a boyhood experience. One day a big boy threw him into a swimming pool. He was nearly drowned. That fear remained with him as he grew up. Finally he made up his mind to get rid of that fear. He got a swimming instructor. He taught Douglas how to swim. Still he was not fully free from fear. Then one day, he went to Lake Wentworth in New Hampshire.

He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

(‘डीप वॉटर’ अध्याय में डगलस बचपन की अति आतंकित करने वाली बचपन की एक घटना याद करता है। वह एक ताल में लगभग डूब ही गया था। डगलस हमें पानी से लगने वाले डर पर विजय पाने के अपने दृढ़ निश्चय के बारे में बताता है। जब वह एक लड़का था, एक दिन विलियम डगलस एक तरणताल पर गया। वह ताल के किनारे पर बैठा था। अचानक ही एक हृष्ट-पुष्ट लड़का आया और उसने डगलस को पानी में फेंक दिया। डगलस पानी में लगभग डूब ही चुका था। इस घटना ने उसके अंदर भय पैदा कर दिया। यह भय उसके अंदर बड़ा होने तक भी बना रहा। तब उसने इस डर पर विजय हासिल करने का निर्णय लिया। उसने दृढ़-निश्चय भरे प्रयास किए और तैरना सीख लिया। अंत में, वह पानी और तैराकी से लगने वाले डर पर काबू पाने में सफल रहा।

इस अनुभव का एक सांकेतिक अर्थ है। डगलस इस विचार को प्रसारित करना चाहता है कि जो लोग किसी अनुभव से गुजरते हैं वे लोग ही उस अनुभव की प्रशंसा कर सकते हैं। दूसरी बात यह अनुभव हमें बताता है कि दृढ़-निश्चय के साथ हम अपने डर पर काबू पा सकते हैं। पानी से डर लगने की बात डगलस के मन में बचपन के एक अनुभव के बाद पैदा हुई थी। एक दिन एक बड़े लड़के ने उसको एक तरणताल में फेंक दिया। वह लगभग डूब ही चुका था। यह डर उसके अन्दर तब भी बना रहा जब वह बड़ा हो गया। आखिरकार उसने इस डर से छुटकारा पाने का निर्णय कर लिया। वह एक तैराकी प्रशिक्षक से मिला। उसने डगलस को तैरना सिखाया, लेकिन अभी भी वह पूरी तरह डर से मुक्त नहीं हुआ था। तब एक दिन वह न्यू हैम्पशायर में वेंटवर्थ लेक पर गया। वहाँ उसने एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह स्टैम्प एक्ट आइलैंड तक दो मील तक झील में तैर कर गया। केवल एक बार उसे डर लगा जब वह झील के मध्य में था। लेकिन शीघ्र ही उसने उस डर पर काबू पा लिया। तब वह तैर कर वापस आया। वह खुशी से चिल्ला उठा। अंततः वह पानी और तैराकी से डर पर काबू पाने में सफल रहा।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Think As You Read

Question 1.
What is the “misadventure” that William Douglas speaks about? (विलियम डगलस किस “दुर्घटना” का वर्णन करता है ?) [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
Answer:
When he was a boy, William Douglas went to the YMCA swimming pool. He was alone there. Just then a big boy came there. He was physically stronger than the author. He picked up the author and threw him into the deep end of the pool. William Douglas went at once to the bottom of the pool. He feared that he would be drowned. However, some people saved him. This is the misadventure, he speaks about.

(जब विलियम डगलस एक बालक था, तो वह YMCA के तरणताल गया। वह वहाँ अकेला था। तभी वहाँ एक बहुत बड़ा लड़का आया। वह लेखक की तुलना में शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली था। उसने लेखक को ऊपर उठाया और ताल के गहरे वाले सिरे में फेंक दिया। विलियम डगलस एकदम से ताल के गहरे तल में चला गया। वह भयभीत था कि वह डूब जाएगा। हालाँकि कुछ लोगों ने उसे बचा लिया। यह वही दुर्घटना है, जिसके बारे में वह बात कर रहा है।)

Question 2.
What were the series of emotions and fears that Douglas experienced when he was thrown into the pool? What plans did he make to come to the surface?
(जब डगलस को ताल में फेंक दिया गया तो उसने किन भावनाओं एवं भय का अनुभव किया ? उसने सतह पर आने के लिए क्या योजनाएँ बनाईं ?)
Answer:
A big boy threw Douglas into the pool. He landed in a sitting position at the bottom. He was frightened. But he did not lose heart. He planned that as soon as his feet touched the bottom, he would make a big jump upwards. It would bring him to the surface. He would float on the surface and then would paddle to the edge of the pool.

(एक बड़े लड़के ने डगलस को ताल में फेंक दिया। वह तल पर बैठने की स्थिति में पहुँच गया। वह डरा हुआ था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने योजना बना ली थी कि जैसे ही उसके पाँव तल को छूएँगे, तो वह ऊपर की ओर एक बड़ी छलाँग लगाएगा। इससे वह सतह पर आ जाएगा। वह सतह के ऊपर तैर जाएगा और वहाँ से तैरते हुए वह ताल के किनारे तक पहुंच जाएगा।)

Question 3.
How did this experience affect him? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (इस अनुभव ने उसे किस प्रकार प्रभावित किया ?)
Or
Mention any two long term consequences of the drowing incident on Douglas. (डगलस पर डूबने की घटना के किसी भी दो दीर्घावधिक परिणामों का उल्लेख करें।) [H.B.S.E. 2019 (Set-D)]
Answer:
Douglas was nearly drowned in the swimming pool. This experience greatly affected him. He was afraid of water. He never went back to the pool. He tried to avoid it whenever he could. Whenever he tried to swim, the memory of that painful experience came back to him. His fear would return. Then he started trembling and his legs were paralyzed.

(डगलस तरणताल में लगभग डूब ही चुका था। उसके इस अनुभव ने उसको बुरी तरह प्रभावित किया। उसे पानी से डर लगने लगा। वह फिर कभी ताल पर नहीं गया। जब भी कभी मौका होता था तो वह वहाँ जाने से बचता था। जब कभी वह तैरने का प्रयास करता था तो उस भयानक अनुभव की यादें उसे ताजा हो जाती थीं। उसका डर लौट आता था। तब वह काँपने लग जाता था और जैसे उसकी टाँगें तो सुन्न हो जाती थीं।)

Question 4.
Why was Douglas determined to get over his fear of water? [H.B.S.E. 2017, 2018 (Set-B)] (डगलस पानी के प्रति अपने भय पर काबू पाने के लिए दृढ़ संकल्प क्यों था ?)
Answer:
In his boyhood, Douglas was nearly drowned in a pool. That incident created in him a fear of water. This fear stayed with him as the years rolled by. That fear ruined his joy of boating, fishing and swimming. So he was determined to get rid of this fear of water.

(बचपन में, डगलस एक ताल में लगभग डूब ही गया था। उस घटना ने उसके मन में पानी के प्रति एक भय पैदा कर दिया था। जैसे-जैसे साल बीतते गए उसका डर उसके साथ बना रहा। उस डर ने उसके नौका चालन करने, मछली पकड़ने और तैरने का मजा लेने को समाप्त कर दिया था। इसलिए उसने पानी के डर से मुक्ति पाने का पक्का निश्चय कर लिया था।)

Question 5.
How did the instructor “build a swimmer” out of Douglas? (प्रशिक्षक ने डगलस को किस प्रकार तैराक बना दिया ?) Or What special method did the instructor use to teach the writer (Douglas) to swim? (प्रशिक्षक ने लेखक (डगलस) को तैराकी सिखाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया?) [H.B.S.E. 2020 (Set-B)]
Answer:
Douglas got an instructor to teach him how to swim. The instructor put a belt around him. A rope was attached to this belt. It went through a pulley that ran on an overhead cable. Thus Douglas was able to go back and forth across the pool. He was taught to put his face under water and exhale and to raise his nose and exhale. Gradually Douglas shed his fear of water. In this way the instructor built a swimmer out of Douglas.

(डगलस को तैराकी सिखाने वाला एक प्रशिक्षक मिला। प्रशिक्षक ने उसके चारों ओर एक बेल्ट बाँध दी। उसकी बेल्ट से एक रस्सी बंधी हुई थी। यह एक पुली से होकर ऊपर बंधी केबल तक जाती थी। इस तरह से डगलस ताल में अंदर-बाहर जाता रहा और पुल को पार करने लायक हो गया। उसे पानी के अन्दर मुँह डालकर साँस छोड़ना और नाक ऊपर उठाकर साँस लेना सिखाया गया। धीरे-धीरे डगलस का पानी के प्रति भय समाप्त हो गया। इस तरह से प्रशिक्षण ने डगलस को एक तैराक के रूप में तैयार कर दिया।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 6.
How did Douglas make sure that he conquered his old terror? (डगलस ने यह किस प्रकार सुनिश्चित किया कि उसने अपने पुराने भय पर काबू पा लिया है?) Or Why did Douglas go to Lake Wentworth in New Hampshire?[H.B.S.E.2019 (Set-A), 2020 (Set-D)] (डगलस न्यू हैम्पशायर में लेक वेटवर्थ पर क्यों गया?)
Answer:
Douglas learnt how to swim. But whenever he was alone in the pool, the memories of the old terror were revived. He was still not fully confident. He wanted to make sure that he was free from fear. For this purpose, he went to Lake Wentworth. There he dived off a dock at Triggs Island. He swam for two miles. In this way he conquered his fear of water.

(डगलस ने तैरना सीख लिया। लेकिन जब कभी वह ताल में अकेला होता था, तो पुराने वाले भय की यादें ताजा हो जाती थीं। वह अभी भी पूरी तरह से विश्वास से भरा हुआ नहीं था। वह इस बात का यकीन करना चाहता था कि वह भय से मुक्त था। इस लक्ष्य को लेकर वह वेंटवर्थ झील पर गया। वहाँ उसने ट्रिग्स आइलैंड पर डॉक से छलाँग लगा दी। वह दो मील तक तैरता रहा। इस तरह से उसने अपने भय पर विजय हासिल कर ली।)

Talking About The Text

Question 1.
“All we have to fear is fear itself.” Have you ever had a fear that you have now overcome? Share your experience with your partner. (“हमें जिससे डरना है वह केवल डर है।” क्या आपको कभी कोई भय हुआ है, जिस पर आपने काबू पा लिया है ? अपने अनुभव को अपने मित्र के साथ बांटिए।)
Answer:
Roosevelt rightly said, “All we have to fear is fear itself.” These words have a deeper meaning. Often some fears remain with us for a long time. But if we take courage and face them, we find that most of our fears are baseless. As a child, I was afraid of darkness and ghosts. I had often heard the stories that there are ghosts in the darkness. As a result, I could not sleep in the darkness. My parents tried their best to remove that fear. As the years passed, I was able to sleep in the dark in the presence of others. But I could never sleep alone in a dark room.

One day, my parents had to go to Delhi because of the death of some relative. I could not go as my exams were to start the next day. They told me that they would come the next day and I would have to remain alone. As the night came, my fear of the dark returned. I slept in my room with the lights on. But at about midnight, the lights went off and I woke up. I started trembling with fear. I looked out of the window.

There was a tree in our courtyard. I saw something white on it. I thought that it was a ghost. I tried to cry, but could not. I kept trembling for the whole night. As the day dawned, I looked out of the window again. There was a white shirt on the tree. It had been flown into the tree by the wind. I laughed at my folly. After that I was determined to overcome that fear. I started sleeping with lights off. At first, I felt fear. But with the passage of time, I was able to overcome that fear.

(रूजवेल्ट ने ठीक कहा था, “हमें जिससे डरना है वह केवल डर है।” इन शब्दों का एक बहुत गहरा अर्थ है। प्रायः कुछ डर एक लंबे समय तक हमारे अंदर बने रहते हैं। लेकिन यदि हम हिम्मत दिखाते हैं और उनका सामना करते हैं, तो हम पाते हैं कि हमारे अधिकतर डर आधारहीन होते हैं। जब मैं बच्चा था, तो मुझे भी अंधेरे और भूतों से डर लगता था। मैने हमेशा ऐसी कहानियाँ सुनी थीं कि अंधेरे में भूत होते हैं। फलस्वरूप, मैं अंधेरे में नहीं सो सकता था।

मेरे माता-पिता ने इस डर को दूर करने का पूरा प्रयास किया। जैसे-जैसे साल बीतते गए, तो मैं दूसरे लोगों के साथ में अंधेरे में सोने लग गया था। लेकिन मैं कभी भी अकेला अंधेरे कमरे में नहीं सो सकता था। एक दिन किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो जाने की वजह से मेरे माता-पिता को दिल्ली जाना पड़ा।

लेकिन मैं नहीं जा सकता था क्योंकि अगले दिन मेरी परीक्षा शुरू होनी थी। उन्होंने मुझे बताया कि वे अगले दिन आएँगे और मुझे अकेले रहना होगा। जैसे ही रात हुई, तो अंधेरे से लगने वाला डर मुझ में लौट आया। मैं अपने कमरे में लाइट जगाकर सो गया। परन्तु लगभग आधी रात को लाइट चली गई और मैं उठ गया। मैं डर के मारे काँपने लगा। मैंने खिड़की में से बाहर देखा। हमारे आँगन में एक पेड़ था। मैंने उस पेड़ पर कोई सफेद-सी चीज देखी। मैंने सोचा कि वह भूत था।

मैंने चीखने का प्रयास किया, लेकिन चीख नहीं पाया। मैं सारी रात काँपता रहा। जब दिन निकला, मैंने फिर से खिड़की के बाहर देखा। पेड़ के ऊपर एक सफेद कमीज थी। वह हवा के साथ उड़कर पेड़ में आ अटकी थी। मैं अपनी मूर्खता पर हँसा। उसके बाद से मैंने उस डर पर काबू पाने का दृढ़-निश्चय कर लिया। मैंने लाइटें बंद करके सोना शुरू कर दिया। पहले तो मुझे डर लगता था। लेकिन समय के साथ-साथ, मैं उस डर पर काबू पाने में सफल रहा।)

Question 2.
Find and narrate other stories about conquest of fear and what people have said about courage. For example, you can recall Nelson Mandela’s struggle for freedom, his perseverance to achieve his mission, to liberate the oppressed and the oppressor as depicted in his autobiography. The story We’re Not Afraid To Die, which you have read in Class XI, is an apt example of how courage and optimism that helped a family survive under the direst stress.
(भय पर काबू पाने के बारे में और लोग साहस के बारे में क्या कहते हैं, के बारे में अन्य कहानियाँ ढूंढिए और वर्णन कीजिए। उदाहरण के तौर पर आप नेल्सन मंडेला के आजादी के बारे में संघर्ष, अपने लक्ष्य को पाने के बारे में उसके धैर्य, दलित लोगों को आजाद करवाना आदि जैसा कि उसकी आत्मकथा में लिखा है, का वर्णन कर सकते हैं। कहानी ‘हम मरने से नहीं डरते’ जो तुमने कक्षा 11 में पढ़ी है इस बात का सही उदाहरण है कि किस प्रकार साहस एवं आशा ने एक परिवार को खतरे का सामना करने की हिम्मत दी।)
Answer:
It is said that fortune favours the brave. History is full of stories of human courage and conquest of fear. Brave people as Mahatma Gandhi and Nelson Mandela are two examples of conquest of fear. They both fought against the British for freedom of their countries. Gandhi told the peasants and the common people of India not to fear the British. Fear is the main culprit, he told the people. Himself was fearless. Many a time, he was thrown into the jail. But he never lost courage. In the end, his efforts brought fruit and the British left India.

In the same way, Nelson Mandela fought for the freedom of his country. He was put into jail for demanding freedom for the black people of his country. But he did not lose courage. His courage affected others. The blacks of South Africa became united and rose against the white rulers. Mandela spent all his youth in prison. In the end, he was freed. It was because of his courage and fearlessness that the blacks of South Africa got their rights. In this way, the stories of great men remind us that we should not be afraid. We must shed our fear if we want to forge ahead in life.

(ऐसा कहा जाता है कि भाग्य बहादुरों का साथ देता है। इतिहास मानव के शौर्य और डर पर विजयों की कहानियों से भरा पड़ा है। महात्मा गाँधी और नेल्सन मंडेला डर पर विजय पाने वाले बहादुर लोगों के दो उदाहरण हैं। वे अपने देशों की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के साथ लड़े। गाँधी ने किसानों और भारत के जन साधारण से कहा कि वे अंग्रेजों से न डरें। उन्होंने लोगों को बताया कि मुख्य अपराधी डर है। वह स्वयं भी निडर था। उसको कई बार जेल में डाला गया। लेकिन उसने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। अंत में, उनके प्रयास सफल रहे और अंग्रेज भारत को छोड़कर चले गए।

इसी तरह से, नेल्सन मंडेला भी अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़े। अपने देश के काले लोगों की स्वतंत्रता की माँग करने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसके साहस ने दूसरों को प्रभावित किया। दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत लोग संगठित हो गए और श्वेत शासकों के खिलाफ उठ खड़े हुए। मंडेला ने अपनी सारी जवानी जेल में बिता दी। अंत में, उसे स्वतंत्र कर दिया गया। यह सिर्फ उसके साहस और निडरता की वजह से हुआ कि दक्षिण अफ्रीका के अश्वत लोगों को उनके अधिकार मिल सकें। इस तरह से महान् लोगों की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि हमें डरना नहीं चाहिए। हमें अपने डर को दूर भगा देना चाहिए यदि हम जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Thinking About Language

Question 1.
If someone else had narrated Douglas’s experience, how would it have different from this account? Write out a sample paragraph or paragraphs from this text from the point of view of a third person or observer, to find out which style of narration would you consider to be more effective? Why? (अगर डगलस के अनुभव का वर्णन कोई अन्य व्यक्ति करता तो वह उसके स्वयं के वर्णन से कैसे अलग होता ? तीसरे व्यक्ति या पर्यवेक्षक के दृष्टिकोण से एक या अधिक गद्यांश लिखो ताकि पता लगे कि आप किस वर्णन को अधिक प्रभावशाली 9 ? R ?)
Answer:
If someone else had narrated Douglas’s experience, it would have been in the third person narrative. The first-person narrative is the best form for expressing one’s experiences. Sample Paragraph Douglas was alone at the pool. He sat at the edge of the pool. He could not imagine what was going to happen to him. Suddenly a big boy came and threw him into the pool. He landed at the bottom of the pool in its deepest part. Douglas was greatly frightened.

But still, he had not lost his presence of mind. As he was going down, he planned to touch the bottom of the pool with his feet and jump upwards. But it took a long time going down. The nine feet appeared to be more than ninety. His feet touched the bottom. As planned, he hit the bottom with his feet and started coming up. But he was coming up very slowly. He opened his eyes and saw nothing but water. He grew panicky.

He called for help, but nothing happened. When he came to his senses, he was lying beside the pool, vomiting. Someone had saved him from drowning. That fear remained with him as he grew up. Finally, he made up his mind to get rid of that fear. He got a swimming instructor. He taught Douglas how to swim. Still, he was not fully free from fear. Then one day, he went to Lake Wentworth in New Hampshire.

He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

Writing
Question 1.
Doing well in any activity, for example, a sport, music, dance or painting, riding a motorcycle or a car, involves a great deal of struggle. Most of us are very nervous to begin with until gradually we overcome our fears and perform well. Write an essay of about five paragraphs recounting such an experience. Try to recollect minute details of what caused the fear, your feelings, the encouragement you got from others or the criticism. You could begin with the last sentence of the essay you have just read: “At last, I felt released-free to walk the trails and climb the peaks and to brush aside fear.”
(किसी भी काम में विलक्षणता दिखाना, उदाहरणतया, खेल, संगीत, नाच या चित्रकला, मोटरसाइकिल या कार चलाना, में बहुत संघर्ष की जरूरत पड़ती है। हममें से अधिकतर आरम्भ में बहुत घबराते हैं मगर धीरे-धीरे हम अपने भय पर काबू पा लेते हैं और सही काम करते हैं। लगभग पाँच गद्यांशों का निबन्ध लिखिए जिसमें ऐसे अनुभव का वर्णन करो। प्रयत्न करो कि उन बातों का गहन वर्णन हो जिनसे आपको भय हुआ, तुम्हारी भावनाएँ, तुम्हें अन्य लोगों से जो प्रोत्साहन या आलोचना मिली। आप इस पाठ के अन्तिम वाक्य से आरम्भ कर सकते हो जो आपने अभी-अभी पढ़ा है।)
Answer:
“At last I felt released-free to walk the trails and climb into peaks and to brush aside fear.” This statement of Douglas fits my experience. When I was in tenth class, I wanted to learn how to drive a scooter. I told my elder brother to teach me scooter driving. He agreed. One Sunday, he took me to the grounds outside the city. He gave me preliminary verbal lessons about the various functions of the scooter.

Then I sat on the seat and he sat behind me. I placed my hands on the handlebars. I drove scooter three or four days with my brother behind me. Then it was time for me to go solo. With a trembling heart, I kicked, started the scooter, and sat on it. My brother encouraged me. I started driving. My heart was trembling with fear, but I drove on. Soon I was at the end of the ground. Then instead of turning back, I went on as I could neither turn back nor apply brakes. I came on the road and suddenly a car came from left. I tried my best, but I was paralyzed. Luckily the car driver slowed down but it collided against my scooter and I was injured. I remained on bed for one week.

Now the fear of driving entered my mind. I gave up the idea of learning how to drive the scooter. But my friends laughed at me and called me a coward. At last I decided that I would have to come out of that fear. I knew the technique. I had only to fight my fear. I started the scooter and immediately came on the road. With great courage I kept driving and avoiding the other vehicles. After about one hour, my fear was gone. I could now drive with confidence.

Question 2.
Write a short letter to someone you know about your having learnt something new. (अपने किसी परिचित को संक्षिप्त पत्र लिखो जिसमें किसी नई चीज़ को सीखने पर अपनी भावनाएँ बताओ।)
Answer:
275 Gandhi Nagar
Pathankot
September 21, ….
My Dear Rishi.

You will be glad to know I have learnt something new. It is paper pulp modeling. For this purpose, I collected small bits of rough paper. I put them down in an earthen pot and covered it them with water. After a few days, the paper pieces became soft. I took them out and beat them into a pulp. Then I added some Multani clay and added more water. Now I kneaded it like dough. It became a fine pulp.

Then I took an earthen vase. I covered it all around with a fine layer of the pulp prepared by me. After it had dried, I cut it out with a knife. I joined the cut edges with fevicol. Then I made it smooth with sandpaper. hite paint on it. Then I painted a picture on it. It became a fine piece of art. Everyone praised my effort. Since then I have made three more such pieces. I will show you my creations when we meet next.

Yours sincerely,
Abhishek Shrivastava

Things To Do

Question 1.
Are there any water sports in India? Find out about the areas or places which are known for water sports. (क्या भारत में पानी के खेल हैं ? ऐसे स्थानों का पता लगाओ जहाँ पर ऐसे खेल होते हैं।)
Answer:
For self-attempt with the help of the teacher.

HBSE 12th Class English Deep Water Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 

Question 1.
What did the author’s mother tell him about the Yakima river? (लेखक की माता ने उसे याकीमा नदी के बारे में क्या बताया ?)
Answer:
When he was ten or eleven years old, the author decided to learn how to swim. He could learn swimming in the Yakima River. But his mother forbade him to do so. She told him that the Yakima River was treacherous. She reminded him about the details of each drowning in the river.
(जब लेखक दस या ग्यारह वर्ष का था तो उसने तैराकी सीखने का निर्णय लिया। वह याकीमा नदी में तैराकी सीख सकता था। लेकिन उसकी माँ ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया। उसने उसे बताया कि याकीमा नदी खतरनाक है। उसने उसको नदी में डूबने की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया।)

Question 2.
Why did Douglas think that the YMCA pool was safe? [H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (डगलस ने ऐसा क्यों सोचा कि YMCA पूल सुरक्षित है ?) Or
When did the writer join the YMCA pool and why? [H.B.S.E. 2020 (Set-A)] (लेखक YMCA ताल से कब और क्यों जुड़ा?)
Answer:
Douglas wanted to learn how to swim. He decided to learn swimming in the YMCA pool. He felt that it was a safe pool. This pool was only two or three feet deep at the shallow end. It was nine feet deep at the other end. But the drop was gradual.
(डगलस तैराकी सीखना चाहता था। उसने YMCA के ताल में तैराकी सीखने का निर्णय लिया। उसने महसूस किया कि वह एक सुरक्षित ताल था। यह ताल उथले सिरों की ओर केवल दो या तीन फुट गहरा था। दूसरे सिरे की ओर यह नौ फुट गहरा था। लेकिन ताल की गहराई धीरे-धीरे बढ़ती थी।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 3.
What misadventure took place when Douglas was ten or eleven years old? (जब डगलस दस या ग्यारह साल का था तो क्या दुर्घटना हुई ?)
Answer:
One day, Douglas went to the Y.M.C.A. swimming pool. He was alone at the pool. He sat at the edge of the pool. Suddenly, a big boy came. He picked up Douglas and threw him into the pool. Douglas landed at the deepest part of the pool. He was nearly drowned in the pool. That incident created a fear of water in him. It took him many years to get rid of that fear.

(एक दिन डगलस YMCA के तरणताल पर गया। वह ताल पर अकेला था। वह ताल के तट पर बैठा था। अचानक ही एक बड़ा लड़का आया। उसने डगलस को ऊपर उठाया और उसको ताल के अन्दर फेंक दिया। डगलस ताल के सबसे अधिक गहरे भाग में गिरा। वह ताल में लगभग डूब ही चुका था। इस घटना ने उसके मन में पानी से भय पैदा कर दिया। इस भय पर काबू पाने में उसे कई साल लग गए।)

Question 4.
When and why did Douglas develop an aversion for water when he was in it? (पानी में होने पर डगलस को कब और क्यों पानी से नफरत हो गई ?)
Answer:
When Douglas was three or four years old, his father took him to the beach in California. They stood together in the surf. Suddenly the waves came and swept over him. He was knocked down. He was frightened. Then Douglas developed aversion for water when he was in it.

(जब डगलस तीन या चार साल का था तो उसका पिता उसे कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ले गया। वे पानी की लहरों से उठने वाली झाग में इकट्ठे खड़े थे। अचानक ही लहरें आई और उसे बहा दिया। लहरों के प्रहार से वह नीचे गिर गया। वह डर गया। इस तरह से डगलस जब भी पानी के अंदर होता था तो उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई।)

Question 5.
What did Douglas do when once he went to the swimming pool when no one was there? (जब डगलस स्विमिंग पूल में गया तब वहाँ कोई नहीं था तो उसने क्या किया ?)
Answer:
One day, Douglas went to the Y.M.C.A swimming pool. He found that there was no one there. The water was still and the tiled floor of the swimming pool was clean. He was alone to go into the water alone. So he sat on the side of the pool and waited for others.

(एक दिन डगलस YMCA के तरणताल पर गया। उसने देखा कि वहाँ पर कोई भी नहीं था। पानी शांत था और ताल का पक्का फर्श बिल्कुल साफ था। वह पानी के अन्दर जाने के लिए बिल्कुल अकेला था। इसलिए वह ताल के किनारे बैठकर किसी अन्य के आने का इन्तजार करने लगा।)

Question 6.
What did Douglas plan to do when the big boy threw him into the pool? (जब बड़े लड़के ने उसे पूल में फेंक दिया तो डगलस ने क्या योजना बनाई ?)
Answer:
A big boy threw Douglas into the pool. He was frightened. But he did not lose his presence of mind. He planned that when his feet hit the bottom of the pool, he would make a big jump upwards and come to the surface. Then he would lie flat on the surface for some time. After that he would paddle to the edge of the pool.

(एक बड़े लड़के ने डगलस को ताल के अन्दर फेंक दिया। वह डर गया। लेकिन उसने अपनी बुद्धि को नहीं खोया। उसने योजना बनाई कि जैसे ही उसके पाँव ताल को स्पर्श करेंगे तो वह ऊपर की ओर छलाँग लगाएगा और पानी की सतह पर आ जाएगा। तब वह कुछ समय तक पानी की सतह पर चपटा पड़ा रहेगा। उसके बाद वह तैरते हुए ताल के तट तक आ जाएगा।)

Question 7.
How did Douglas feel when he went down in the water and there was water all around him? (जब डगलस पानी के नीचे गया और उसके चारों तरफ पानी था तो उसने क्या महसूस किया ?)
Answer:
When he was in the water, he opened his eyes. He saw water all around him. He was not coming up quickly. He was seized with terror. He felt that he would die. He started shrieking. But even his screams were frozen in his throat. He felt alive only because he could hear the beating of his heart and the pounding in his head.’
(जब वह पानी के अन्दर था तो उसने अपनी आँखें खोली। उसने अपने चारों ओर पानी देखा। वह तेजी से ऊपर की ओर नहीं आ रहा था। वह डर से भरा हुआ था। उसने महसूस किया कि वह मर जाएगा। उसने चीखना शुरू कर दिया। लेकिन उसकी चीखें भी उसके गले में जमकर रह गई थीं। उसे अपने जिंदा होने का मात्र एहसास हो रहा था क्योंकि वह अपने हृदय तथा सिर की धड़कन को सुन सकता था।)

Question 8.
Who threw Douglas into the swimming pool? [H.B.S.E. 2017 (Set-A)] (डगलस को स्विमिंग पूल में किसने फेंका ?)
Answer:
Douglas was sitting alone at the edge of the swimming pool. He did not want to go into the water alone. Suddenly an eighteen-year-old boy came there. He was strongly built. He had strong muscles on his arms and legs. He called Douglas skinny. Then he lifted Douglas and threw him into the deep end of the pool.

(डगलस तरणताल के तट पर अकेला बैठा था। वह पानी के अन्दर अकेला नहीं जाना चाहता था। अचानक ही एक अठारह वर्ष की आयु का लड़का वहाँ आया। वह मजबूत शरीर वाला था। उसकी बाँहों और टाँगों की माँसपेशियाँ बहुत मजबूत थीं। उसने डगलस को दुबला कहा। तब उसने डगलस को ऊपर उठाया और उसे ताल के गहरे वाले सिरे में फेंक दिया।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 9.
What was Douglas’s condition when he was under water in the pool? . (जब वह पूल में पानी के नीचे था तो डगलस की अवस्था कैसी थी ?)
Answer:
Douglas made a jump upwards. But he was coming very slowly. He opened his eyes. He found only water around him. Once his eyes and nose came out of the water. But then he went down again. He felt suffocating under the water. He tried to bring his legs up. But they seemed lifeless and paralyzed. His lungs ached and his head throbbed. He thought that he was going to die.

(डगलस ने ऊपर की ओर छलाँग लगाई। लेकिन वह बहुत धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। उसने अपनी आँखें खोलीं। उसने अपने चारों ओर केवल पानी ही पानी पाया। एक बार उसकी आँखें और नाक पानी से बाहर आए। लेकिन वह फिर से पानी के नीचे चला गया। पानी के अन्दर उसका दम घुट रहा था। उसने अपनी टाँगों को ऊपर लाने का प्रयास किया। लेकिन वे बेजान और सुन्न प्रतीत हो रही थीं। उसके फेफड़े पीड़ा कर रहे थे तथा सिर धक-धक कर रहा था। उसने सोचा कि वह मर जाएगा।)

Question 10.
What did Douglas do to save himself? Did he succeed? (डगलस ने स्वयं को बचाने के लिए क्या किया ? क्या वह सफल हुआ ?)
Answer:
Douglas was seized with fear. He felt paralyzed. Suddenly, an idea came to him. He planned to make a jump when his feet touched the bottom. He jumped with all his energy. But the jump made no difference. Now fear seized him. He cried and called for help. But nothing happened.

(डगलस अति भयभीत था। वह सुन्न हो चुका था। अचानक ही उसे एक विचार सूझा। उसने योजना बनाई कि जब उसके पाँव तल को स्पर्श करेंगे तो वह ऊपर की ओर एक छलाँग लगाएगा। उसने अपनी पूरी ताकत के साथ छलाँग लगाई। लेकिन इस छलाँग का कोई असर नहीं पड़ा। अब उसका डर और अधिक बढ़ गया। वह चिल्लाया और मदद के लिए पुकारा। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।)

Question 11.
What did Douglas find when he became conscious? . (जब उसे होश आया तो डगलस ने क्या देखा ?)
Answer:
When Douglas went down for the third time, he felt that he would die. All efforts seized. A blackness swept over him. Now there was no panic. All was quiet and peaceful. He crossed into oblivious. When he came to his senses, he found that he was lying on his stomach by the side of the pool and was vomiting.

(जब डगलस तीसरी बार नीचे गया, तो उसे लगा कि वह मर जाएगा। सारे प्रयास थम चुके थे। उसके ऊपर अंधेरा-छा चुका था। अब कोई भय शेष नहीं बवा था। सब कुछ एक दम से शांत हो चुका था। वह सब कुछ भूल जाने की स्थिति में आ चुका था। जब उसे होश आया तो उसने पाया कि वह ताल के पास में अपने पेट के बल लेटा हुआ पड़ा था और उल्टियां कर रहा था।)

Question 12.
Why did the boy who had thrown him into the pool say in the end? (अन्त में उस लड़के ने क्या कहा जिसने उसे पूल में फेंका था ?)
Answer:
A big boy threw Douglas into the pool. He was nearly drowned in the pool. When he came to his senses, he found the big boy standing by him. He defended himself by saying that he was only ‘fooling’. Someone told him, “The kid nearly died.’
(एक बड़े लड़के ने डगलस को ताल के अन्दर फेंक दिया। वह ताल में लगभग डूब ही चुका था। जब उसे होश आया, तो उसने उस बड़े लड़के को अपने पास खड़े पाया। उसने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि वह तो केवल मजाक कर रहा था। किसी ने उसे बताया, “बच्चा तो लगभग मर ही चुका था’।)

Question 13.
How did Douglas feel when he wanted to get into the waters of the Cascades? (जब डगलस जलप्रपातों के पानी में जाना चाहता था तो उसने क्या महसूस किया ?)
Answer:
Douglas’s boyhood misadventure created a fear of water in him. Whenever he wanted to get into the waters of the Cascades or other places, the old fear came back. It would take possession of him completely.
(डगलस की बचपन की दुर्घटना ने उसके अन्दर पानी के प्रति एक भय पैदा कर दिया। वह जब कभी भी झरने या किसी अन्य स्थान पर जल के अन्दर प्रवेश करने का प्रयास करता था, तो वहीं पुराना डर उसके अन्दर लौट आता था। वह डर उसके ऊपर पूरी तरह से काबू पा लेता था।)

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Question 14.
How did the fear of water ruin Douglas’s trips and other joys? (पानी के डर ने डगलस की यात्राओं एवं अन्य खुशियों को कैसे बर्बाद कर दिया ?)
Answer:
The fear of water stayed with Douglas as he grew up. Wherever he went, this fear accompanied him. In canoes on the Maine Lakes or fishing for trout and salmon, he always felt the old fear. It ruined his fishing trips. It deprived him of the joys of swimming and boating.
(जब डगलस बड़ा हो गया तो पानी से लगने वाला डर फिर भी उसके अन्दर बना रहा। जब कभी भी वह पानी के पास जाता तो उसका डर भी उसके साथ ही रहता। मेन की झीलों में नौका चालन करने या ट्राउट और सेलमन मछली पकड़ते समय, उसे हमेशा ही पुराने डर का एहसास होता था। उसने उसकी मछली पकड़ने की यात्राओं का मजा ही खो दिया था। इसने उसके तैराकी करने और नौका चालन करने के मजे को भी खो दिया था।)

Question 15.
What did Douglas do get rid of his fear of the water? Did he succeed? (डगलस ने स्वयं को पानी के भय से छुटकारा दिलाने के लिए क्या किया ? क्या वह सफल हुआ ?) Or Where did Douglas finally learn to Swim? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)] (आखिर डगलस ने तैरना कहाँ सीखा?)
Answer:
Douglas tried his best to overcome his fear of the water. But he did not get much success. Finally, one October, he got an instructor and decided to learn how to swim. He went to a pool and practiced five days a week, an hour each day. Douglas succeeded in overcoming his fear of water. He became a swimmer.
(डगलस ने पानी से लगने वाले डर पर काबू पाने के लिए अपना पूरा प्रयास किया। लेकिन उसे कोई अधिक सफलता नहीं मिली। अंततः ‘एक अक्तूबर मास में’ वह एक प्रशिक्षक से मिला और तैराकी सीखने का निर्णय ले लिया। वह एक ताल पर गया और वहाँ सप्ताह में पाँच दिन और हर दिन एक घंटा अभ्यास करने लगा। डगलस पानी से लगने वाले भय पर काबू पाने में सफल रहा। वह एक तैराक बन गया।)

Question 16.
How did Douglas finally overcome his fear of the water? (आखिर डगलस ने पानी के भय से छुटकारा कैसे पा लिया ?)
Answer:
The instructor made Douglas a perfect swimmer. Yet he was not satisfied. He was not sure whether the fear of water had completely left him. So he went to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In this way, he conquered his fear of the water.
(प्रशिक्षक ने डगलस को एक संपूर्ण तैराक बना दिया। लेकिन फिर भी वह संतुष्ट नहीं था। उसे इस बात का अभी भी पक्का यकीन नहीं था कि उसका पानी से लगने वाला डर पूरी तरह से समाप्त हो चुका था। इसलिए वह वेंटवर्थ लेक पर गया और एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह पूरे दो घंटे तक झील में तैरता रहा। उसे केवल एक बार ही पानी से डर लगा। लेकिन उसका यह डर शीघ्र ही भाग गया और वह तैरता गया। इस तरह से, उसने पानी से लगने वाले भय पर काबू पा लिया।)

Question 17.
What message does Douglas convey in this lesson ? (इस पाठ में डगलस क्या सन्देश देता है ?)
Answer:
Douglas conveys the message that all we have to fear is fear itself. All fears and terrors are only in the mind. A determined man does not feel any fear. Douglas felt fear of water only till he had not made up his mind to get rid of it. Finally, he was able to overcome his fear of the water.
(डगलस हमें संदेश देता है कि हमें जिस चीज से डरना है वह है स्वयं डर। सारे डर और दहशत सिर्फ मन के अन्दर होते हैं। एक दृढ़-निश्चय वाला आदमी किसी भी डर से नहीं डरता। डगलस को पानी से केवल तभी तक डर लगा जब तक कि उसने अपने मन को इस डर से मुक्त कराने का इरादा नहीं कर लिया। अंततः वह अपने इस भय पर काबू पाने में सफल रहा।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
How did Douglas develop an aversion and then fear of water? How did he overcome his fear of water? [HB.S.E. March, 2019 (Set-A)] (डगलस को पानी के प्रति घृणा और फिर डर कैसे पैदा हो गया ? उसने इस डर पर काबू कैसे पाया ?)
Answer:
Douglas developed an aversion for water when he was only three or four years old. One day his father took him to the California Beach. They stood in the surf. Suddenly a huge wave came and swept over him. He was knocked down. He developed an aversion for water. Then a boyhood ‘misadventure’ changed that aversion into fear. One day when he was ten or eleven years old, he went to the Y.M.C.A. swimming pool.

He sat at the edge of the pool. A big boy came and threw him into the pool. He was nearly drowned in the pool. Now the fear of water seized him. This fear remained with him as he grew up. Finally, he made up his mind to get rid of that fear. He engaged an instructor to teach him how to swim. He practiced swimming one hour daily for fives days a week. The instructor made him a perfect swimmer. Yet the writer was not completely sure that the fear had left him. So he went to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In this way, he conquered his fear of the water.

(जब डगलस केवल तीन या चार साल का था तो उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। एक दिन उसका पिता उसको कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ले गया। वे लहरों के बीच खड़े थे। अचानक ही एक बड़ी लहर आई और उसके ऊपर से बह गई। वह नीचे गिर गया। उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। बालपन की दुर्घटना की यह नफरत डर में बदल गई। एक दिन जब वह दस या ग्यारह वर्ष का था तो वह YMCA के तरणताल पर गया। वह ताल के एक सिरे पर बैठा था। एक बड़ा लड़का आया और उसने उसे ताल के अंदर फेंक दिया। वह ताल के अन्दर लगभग डूब ही चुका था। तब पानी से लगने वाले डर ने उसे जकड़ लिया। यह डर उसके अंदर तब भी बना रहा जब वह बड़ा हुआ। अंततः, उसने उस डर से छुटकारा पाने के लिए अपना मन पक्का कर लिया।

उसने एक प्रशिक्षक की व्यवस्था की जो उसे तैराकी सिखा सके। वह सप्ताह के पाँच दिन हर रोज एक घंटे तक तैराकी का अभ्यास करता था। प्रशिक्षक ने उसको एक संपूर्ण तैराक बना दिया। लेकिन लेखक को इस बात का अभी भी पूरा यकीन नहीं था कि उसका भय उसको छोड़ चुका था। इसलिए वह वेंटवर्थ लेक पर गया और वहाँ एक डॉक के ऊपर से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह दो घंटे तक झील में तैरता रहा। उसे केवल एक बार तो पानी से डर लगा। लेकिन वह डर जल्दी ही भाग गया और वह तैरता रहा। इस तरह से, उसने पानी से लगने वाले अपने डर पर विजय हासिल कर ली।)

Question 2.
Describe the ‘misadventure’ of Douglas and how he survived it. (डगलस की दुर्घटना का वर्णन करो और वह कैसे इससे बचा।) Or What was misadventure at the Y.M.C.A. pool that the writer William Douglas speaks about? (Y.M.C.A. ताल में लेखक विलियम डगलस के साथ क्या घटित हुआ जिसका वह वर्णन करता है?) [2020 (Set-C)]
Answer:
Douglas describes a ‘misadventure’ of his boyhood days. One day, when he was ten or eleven years old, Douglas went to the Y.M.C.A. swimming pool. He was alone there and sat at the edge of the pool. Suddenly a big boy came and threw him into the pool. He landed at the bottom of the pool in its deepest part. Douglas was greatly frightened. But still, he had not lost his presence of mind. He was going down, he planned to touch the bottom of the pool with his feet and jump upwards. He thought that he would come out of the water. He would then swim on the surface of the water towards the edge of the pool. But it took a long time going down.

The nine feet appeared to be more than ninety. His feet touched the bottom. As planned, he hit the bottom with his feet and started coming up. But he was coming up very slowly. He opened his eyes and saw nothing but water. He grew panicky. It appeared to him as if a great force was pulling him down. His leg seemed to be paralyzed. He made another jump upwards. But that made no difference. He thought that he was going to die. He called for help, but nothing happened. When he came to his senses, he was lying beside the pool, vomiting. The boy who had thrown him into the water was standing near. He said that he had only been ‘fooling’ with Douglas.

(डगलस अपने बचपन के दिनों की एक दुर्घटना का वर्णन करता है। एक दिन, जब वह दस या ग्यारह वर्ष की उम्र का था, डगलस YMCA के तरणताल पर गया। वह वहाँ अकेला था और ताल के एक किनारे पर बैठ गया। अचानक ही एक बडा लडका आया और उसने उसे ताल के अन्दर फेंक दिया। वह ताल के सबसे गहरे हिस्से में ताल के तल पर जा गिरा। डगलस बुरी तरह से डर गया था। लेकिन फिर भी उसने अपनी बुद्धि को नहीं खोया था। जब वह नीचे की ओर जा रहा था तो उसने ताल के तल को अपने पैरों से छकर ऊपर की ओर छलाँग लगाने की योजना बनाई। उसने सोचा कि वह पानी से बाहर आ जाएगा।

तब वह पानी की सतह पर तैरकर ताल के सिरे तक आ जाएगा। लेकिन नीचे जाने में उसे बहुत लंबा समय लगा। नौ फुट की दूरी नब्बे फुट से भी अधिक प्रतीत हो रही थी। उसके पाँवों ने तल के छूआ। योजना के अनुसार, उसने अपने पैरों से तल पर प्रहार किया और ऊपर आना शुरू कर दिया। लेकिन वह बहुत ही धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। उसने अपनी आँखें खोली और उसको पानी के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं दिया। वह आतंकित हो गया। उसे ऐसा लगा कि कोई बड़ी ताकत उसे नीचे की ओर खींच रही थी। उसकी टाँगों को मानो लकवा मार गया था। उसने ऊपर की ओर एक और छलाँग लगाई। लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने सोचा कि वह मर रहा था। उसने मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब उसे होश आया, वह ताल के पास में पड़ा हुआ उल्टियाँ कर रहा था। जिस लड़के ने उसे अंदर फेंका था, वह पास में ही खड़ा था। उसने कहा कि वह तो डगलस के साथ सिर्फ मजाक कर रहा था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 3.
How did the fear of water stay with Douglas as the years rolled by? (समय के बीतने के साथ भी पानी का भय डगलस के साथ किस प्रकार रहा ?)
Answer:
When he was a boy, a misadventure created in him a deep fear of water. Once he went to the Y.M.C.A swimming pool. There, a big boy threw him into the water. He was nearly drowned. But the incident created a fear of water in him. After a few years, he came to know the waters of the Cascades. He wanted to get into them. But whenever he tried to do so, the old fear of water returned. That fear would take possession of him completely. His legs would become paralyzed. The fear of water remained with him for many more years.

It ruined his joy of swimming, fishing or boating. In canoes on Maine Lakes, fishing for salmon, he felt the same old fear. The paralyzing fear came back when he went for bass fishing in New Hampshire or trout fishing on the Deschutes and Metolius in Oregon. The same fear troubled him while fishing for salmon on the Columbia or at Bumping lake in the Cascades. Whenever he went, the haunting fear of water followed him. It deprived him of the joy of canoeing, boating, and swimming.

(जब वह एक लड़का था तो एक दुर्घटना ने उसके अन्दर पानी के प्रति गहरा भय पैदा कर दिया। एक बार वह YMCA के तरणताल पर गया। वहाँ पर एक बड़े लड़के ने उसको पानी के अन्दर फेंक दिया। वह लगभग डूब ही चुका था। लेकिन उस घटना ने उसके अंदर पानी से भय पैदा कर दिया। कुछ वर्षों के पश्चात्, उसे झरनों के जल के बारे में जानकारी मिली। वह झरनों के जल का आनन्द लेना चाहता था। लेकिन जब भी वह ऐसा करने का प्रयास करता था तो उसका पुराना भय फिर से लौट आता था। यह डर पूरी तरह से उसे अपने काबू में कर लेता था। उसकी टाँगें सुन्न हो जाती थीं। पानी से लगने वाला डर उसके अन्दर कई सालों तक बना रहा। इस डर ने उसके तैराकी करने, मछली पकड़ने और नौका चालन से मिलने वाले आनन्द को खो दिया था।

जब वह मेन झीलों में नौका चलाता था या सेलमन मछली पकड़ता था तो उसे उसी पुराने डर का एहसास होता था। उसका वही पुराना डर उसको सुन्न कर देता था जब वह न्यू हैम्पशायर में बास मछली पकड़ने और आरेगन के मेटोलियस, डेस्यूट्स में ट्राउट मछली पकड़ने जाता था। वही पुराना डर उसे उस समय भी कष्ट पहुँचाता था जब वह कोलम्बिया या बम्पिंग लेक के झरनों में सेलमन मछली को पकड़ने जाता था। वह जहाँ भी जाता था, वह आतंकित कर देने वाला भय उसके साथ ही बना रहता था। इस डर ने उसके छोटी नाव चलाने, बड़ी नाव चलाने और तैराकी करने के आनन्द को नष्ट कर दिया था।)

Question 4.
“I still wondered if I would be terror-stricken when I was alone in the pool.” How did Douglas overcome that terror? (“मुझे अभी भी हैरानी थी कि जब मैं पूल में अकेला होऊँगा तो क्या मैं भयभीत होऊँगा।” डगलस ने उस डर पर काबू कैसे पाया ?)
Answer:
Douglas developed an aversion for water when he was only three or four years old. One day his father took him to the California Beach. They stood in the surf. Suddenly a huge wave came and swept over him. He was knocked down. He developed an aversion for water. Then a boyhood ‘misadventure’ changed that aversion into fear. One day when he was ten or eleven years old, he went to the Y.M.C.A. swimming pool.

He sat at the edge of the pool. A big boy came and threw him into the pool. He was nearly drowned in the pool. Now the fear of water seized him. This fear remained with him as he grew up. Finally, he made up his mind to get rid of that fear. He engaged an instructor to teach him how to swim. He practiced swimming one hour daily for fives days a week. The instructor made him a perfect swimmer. Yet the writer was not completely sure that the fear had left him. So he went to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In this way, he conquered his fear of the water.

(जब डगलस केवल तीन या चार साल का था तो उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। एक दिन उसका पिता उसको कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ले गया। वे लहरों के बीच खड़े थे। अचानक ही एक बड़ी लहर आई और उसके ऊपर से बह गई। वह नीचे गिर गया। उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। बालपन की दुर्घटना की यह नफरत डर में बदल गई। एक दिन जब वह दस या ग्यारह वर्ष का था तो वह YMCA के तरणताल पर गया। वह ताल के एक सिरे पर बैठा था। एक बड़ा लड़का आया और उसने उसे ताल के अंदर फेंक दिया। वह ताल के अन्दर लगभग डूब ही चुका था। तब पानी से लगने वाले डर ने उसे जकड़ लिया। यह डर उसके अंदर तब भी बना रहा जब वह बड़ा हुआ। अंततः, उसने उस डर से छुटकारा पाने के लिए अपना मन पक्का कर लिया।

उसने एक प्रशिक्षक की व्यवस्था की जो उसे तैराकी सिखा सके। वह सप्ताह के पाँच दिन हर रोज एक घंटे तक तैराकी का अभ्यास करता था। प्रशिक्षक ने उसको एक संपूर्ण तैराक बना दिया। लेकिन लेखक को इस बात का अभी भी पूरा यकीन नहीं था कि उसका भय उसको छोड़ चुका था। इसलिए वह वेंटवर्थ लेक पर गया और वहाँ एक डॉक के ऊपर से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह दो घंटे तक झील में तैरता रहा। उसे केवल एक बार तो पानी से डर लगा। लेकिन वह डर जल्दी ही भाग गया और वह तैरता रहा। इस तरह से, उसने पानी से लगने वाले अपने डर पर विजय हासिल कर ली।)

Question 5.
What message does Douglas want to convey? (डगलस क्या सन्देश देना चाहता है ?)
Or
What is the theme of the lesson ‘Deep Water’? (‘डीप वाटर’ पाठ का विषय क्या है ?)
Answer:
In ‘Deep Water’, Douglas recounts a childhood experience of terror. He was almost drowned in a pool. Douglas also tells us about his determination to overcome his fear of water. When he was a boy, one day William Douglas went to a swimming pool. He sat at the edge of the pool. Suddenly a muscular boy came and threw him into the pool. Douglas was nearly drowned in the water. That incident created a fear of water in him. That fear remained with him till he grew up. Then he decided to overcome that fear.

He made determined efforts and learnt swimming. He engaged an instructor to teach him swimming. Finally, he went alone to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In the end, he was able to overcome his fear of water and swimming. This experience has a symbolic meaning. Douglas wants to convey the idea those persons can appreciate an experience who have gone through it. Secondly, his experience tells us that with determination we can overcome our fears.
(‘डीप वॉटर’ अध्याय में, डगलस बचपन के एक आतंकित कर देने वाले अनुभव का वर्णन करता है। वह एक ताल में लगभग डूबने ही वाला था। डगलस हमें अपने पानी से लगने वाले डर पर विजय हासिल करने के निश्चय के बारे में भी बताता है। जब विलियम डगलस एक लड़का था तो एक दिन वह एक तरणताल पर गया। वह ताल के किनारे पर बैठा था। अचानक ही एक हृष्ट-पुष्ट लड़का आया और उसने उसे ताल के अन्दर फेंक दिया। डगलस पानी में डूबते-डूबते ही बचा। इस घटना ने उसके अन्दर पानी के प्रति भय पैदा कर दिया। यह भय उसके अन्दर बड़ा होने तक भी बना रहा।

तब उसने उस डर पर काबू पाने का निर्णय लिया। उसने दृढ़-निश्चय वाले प्रयास किए और तैरना सीख लिया। उसने स्वयं को तैराकी सिखाने के लिए एक प्रशिक्षक का प्रबन्ध किया। अंततः, वह अकेला वेंटवर्थ लेक पर गया और एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह झील में दो घंटे तक तैरता रहा। उसे केवल एक बार तो पानी से भय लगा। लेकिन उसका यह भय जल्दी ही भाग गया और वह तैरता रहा। अंत में, वह अपने को पानी से लगने वाले भय पर काबू पाने और तैराकी सीखने में सफल रहा। इस अनुभव का एक सांकेतिक अर्थ है। डगलस यह संदेश देना चाहता है कि वही लोग किसी अनुभव की प्रशंसा कर सकते हैं जिन लोगों ने उस अनुभव को भुगता हो। दूसरा उसका अनुभव हमें यह बताता है कि दृढ़-निश्चय के साथ हम अपने भय पर काबू पा सकते हैं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

The Deep Water MCQ Questions with Answers

1. Who is the writer of the story ‘Deep Water’?
(A) William Douglas
(B) William o Douglas
(C) Tagore
(D) R.K. Narayan
Answer:
(A) William Douglas

2. For what thing did the author have a version since his childhood?
(A) air
(B) earth
(C) water
(D) sky
Answer:
(C) water

3. When the author was three years old, where did his father take him?
(A) to a theatre
(B) to a college
(C) a farm
(D) the beach in California
Answer:
(D) the beach in California

4. When the author went to a beach with his father, why was he frightened?
(A) he saw a whale
(B) the waves knocked him down and swept over him
(C) he saw a ship
(D) he saw a crocodile
Answer:
(B) the waves knocked him down and swept over him

5. When the author was ten or eleven years old, what did he decide to learn?
(A) to swim
(B) to dance
(C) to play
(D) to play guitar
Answer:
(A) to swim

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

6. What did the big boy do to the author?
(A) he helped the author
(B) he offered him ice-cream
(C) he threw the author into the pool
(D) he gave money to the author
Answer:
(C) he threw the author into the pool

7. When the big boy threw the author into the pool, he did not lose his presence of mind?
(A) true
(B) false
(C) both (A) and (B)
(D) none of these
Answer:
(A) true

8. What did author do when his feet touched the bottom of the pool?
(A) he remained there
(B) he was drowned
(C) he started swimming underwater
(D) he made a spring upwards
Answer:
(D) he made a spring upwards

9. What happened when he opened his eyes and saw nothing but water?
(A) he became panicky
(B) he did not lose courage
(C) he started swimming
(D) he was drowned
Answer:
(A) he became panicky

10. What was the condition of his legs?
(A) they were active
(B) they seemed paralyzed
(C) they were soft
(D) his legs were kicking
Answer:
(B) they seemed paralyzed

11. Suddenly the author saw light. What did that mean?
(A) there was a bulb in the water
(B) some people came with a torch
(C) he was coming out of the water
(D) he saw the light of heaven
Answer:
(C) he was coming out of the water

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

12. What happened when his eyes and nose were out of the water?
(A) he took a sigh of relief
(B) he came out
(C) he started swimming
(D) he again found himself going down
Answer:
(D) he again found himself going down

13. What did the author do when his feet touched the bottom again?
(A) he remained there
(B) he made a leap
(C) he swam underwater
(D) he was drowned
Answer:
(B) he made a leap

14. Why did Douglas cease all efforts?
(A) he felt as if he was going to become unconscious
(B) he did not want to live
(C) he wanted to remain underwater
(D) he was already out of danger.
Answer:
(A) he felt as if he was going to become unconscious

15. Where did Douglas find himself when he regained consciousness?
(A) in a hospital
(B) in a room
(C) lying near the pool
(D) near the sea-shore
Answer:
(C) lying near the pool

16. Who was standing near him when he regained consciousness?
(A) a doctor
(B) a nurse
(C) his teacher
(D) the boy who had thrown him into the pool
Answer:
(D) the boy who had thrown him into the pool

17. What did the big boy said to the author?
(A) I did the right thing
(B) “But I was only fooling.”
(C) I’ll throw you again
(D) I like throwing boys into the pool
Answer:
(B) “But I was only fooling”

18. How did the author feel when he walked back to his home after becoming alright?
(A) his legs were trembling
(B) he was happy
(C) he was weeping
(D) he had temperature
Answer:
(A) his legs were trembling

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

19. After the incident in the pool what feeling remained in the author’s heart?
(A) love for water
(B) fear for water
(C) fear for a pool
(D) fear for sea
Answer:
(B) fear for water

20. Where did the author go in order to overcome his fear of water?
(A) in the same pool where he had accident
(B) to a sea beach
(C) into a well
(D) Lake Wentworth in New Hampshire
Answer:
(D) Lake Wentworth in New Hampshire.

The Deep Water Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1
Yet I had residual doubts. At my first opportunity 1 hurried west, went up the Tieton to Conrad Meadows, up the Conrad Creek Trail to Meade Glacier, and camped in the high meadow by the side of Warm Lake. The next morning I stripped, dived into the lake, and swam across to the other shore and back — just as Doug Corpron used to do. I shouted with joy, and Gilbert Peak returned the echo. I had conquered my fear of water.

Word-meanings :
Hurried = went in a hurry (जल्दी से गया)
stripped = took off clothes (कपड़े उतारे);
meadow = grassland (चरागाह)।

Questions :
(i) Name the chapter from which this passage has been taken.
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Where did the writer go at his first opportunity?
(A) Went to West
(B) Went to North
(C) Went to South
(D) None of these
Answer:
(A) Went to West

(iii) The next morning he stripped and ………………………. into the lake.
(A) hurried
(B) dived
(C) pride
(D) none of these
Answer:
(B) dived

(iv) He shouted with joy as he had conquered his …………………….. of water.
(A) fear
(B) love
(C) both (A) and (B)
(D) none of these
Answer:
(A) fear

(v) Find word from the passage having the meaning same as ‘grassland’:
(A) Shouted
(B) Stripped
(C) Meadow
(D) Opportunity
Answer:
(C) Meadow

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Passage 2
I went to the pool when no one else was there. The place was quiet. The water was still, and the tiled bottom was as white and clean as a bathtub. I was timid about going in alone, so I sat on the side of the pool to wait for others. · I had not been there long when in came a big bruiser of a boy, probably eighteen years old. He had thick hair on his chest. He was a beautiful physical specimen, with legs and arms that showed rippling muscles. He yelled, “Hi, Skinny! How’d you like to be ducked?”

Word-meanings :
Bruiser = muscular man (हट्टा-कट्टा व्यक्ति);
specimen = sample (नमूना);
rippling waving = (हिलते हुए)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) When did the author go to the pool?
(A) when there was a great rush
(B) when no one else was there
(C) in the evening
(D) at midnight
Answer:
(B) when no one else was there

(iv) Why did the author sit on the side of the pool?
(A) he was timid about going in alone
(B) he was feeling very tired
(C) Both (A) and (B)
(D) none of the above
Answer:
(A) he was timid about going in alone

(v) What was true about the other boy?
(A) he had thick hair on his chest
(B) he was eighteen years old
(C) he was muscular
(D) all the above
Answer:
(D) all the above

Passage 3
I struck at the water as I went down, expending my strength as one in a nightmare fights an irresistible force. I had lost all my breath. My lungs ached, my head throbbed. I was getting dizzy. But I remembered the strategy – I would spring from the bottom of the pool and come like a cork to the surface. I would lie flat on the water, strike out with my arms, and thrash with my legs. Then I would get to the edge of the pool and be safe. I went down, down, endlessly. I opened my eyes. Nothing but water with a yellow glow – dark water that one could not see through.

Word-meanings :
Expending = spending (फैलाना);
nightmare = terrifying dream (डरावना स्वप्न);
ached = pained (दर्द होने लगा);
throbbed = palpitated (धड़का)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) What did the writer do when he went down?
(A) he floated at the water
(B) he struck at the water
(C) he swam at the water
(D) all the above
Answer:
(D) all the above

(iv) What is true about his condition when he was going down?
(A) his lungs ached
(B) his head throbbed
(C) he was getting dizzy
(D) all the above
Answer:
(D) all the above

(v) Why couldn’t he see through the water?
(A) his eyes were closed
(B) the water was dark
(C) he had died
(D) his eyes were watery
Answer:
(B) the water was dark

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Passage 4
But the jump made no difference. The water was still around me. I looked for ropes, ladders, water wings. Nothing but water. A mass of yellow water held me. Stark terror took an even deeper hold on me, like a great charge of electricity. I shook and trembled with fright. My arms wouldn’t move. My legs wouldn’t move. I tried to call for help, to call for mother. Nothing happened.

Word-meanings :
Stark = complete (पूर्ण);
fright = fear(डर)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl Of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) What did the author find when he looked for something?
(A) ropes
(B) ladders
(C) water wings
(D) water
Answer:
(D) water

(iv) What was the colour of the water?
(A) Black
(B) Yellow
(C) Blue
(D) Green
Answer:
(B) Yellow

(v) How did the terror grip the author?
(A) like a great charge of electricity
(B) like a gust of wind
(C) like the striking of lightning
(D) all the above
Answer:
(A) like a great charge of electricity

Passage 5
Then all effort ceased. I relaxed. Even my legs felt limp, and a blackness swept over my brain. It wiped out fear; it wiped out terror. There was no more panic. It was quiet and peaceful. Nothing to be afraid of. This is nice …………. to be drowsy ……… to go to sleep ……………. no need to jump ……………. to tired to jump ……………. it’s nice to be carried gently………. to float along in space ……….. tender arms around me …….. tender arms like Mother’s …….. now I must go to sleep …………………. .

Word meanings :
ceased = stopped (बंद हो गए);
limp = lifeless (बेजान);
wiped of = removed (हटा दिया);
drowsy = slepy (निंद्राग्रस्त)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) What for efforts were being made that ceased?
(A) To escape drowning
(B) To climb a mountain
(C) To cross the river
(D) To win the first prize
Answer:
(A) To escape drowning

(iv) “It wiped out fear’ This means ……………………………. .
(A) it increased fear
(B) it lessened fear
(C) it eliminated fear
(D) it deepened fear
Answer:
(B) it lessened fear

(v) How did ‘l’ feel at last?
(A) very panicky
(B) very nervous
(C) quiet and peaceful
(D) alarmed
Answer:
(C) quiet and peaceful

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Type (ii)
Passage 6
It had happened when I was ten or eleven years old. I had decided to learn to swim. There was a pool at the Y.M.C.A. in Yakima that offered exactly the opportunity. The Yakima River was treacherous. Mother continually warned against it, and kept fresh in my mind the details of each drowning in the river. But the Y.M.C.A. pool was safe. It was only two or three feet deep at the shallow end; and while it was nine feet deep at the other, the drop was gradual. I got a pair of water wings and went to the pool. I hated to walk naked into it and show my skinny legs. But I subdued my pride and did it. [H.B.S.E. 2017 (Set-B)]

Word-meanings :
Opportunity = chance (अवसर);
treacherous = dangerous (खतरनाक);
skinny = very thin (बहुत पतला)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) What does Y.M.C.A. stand for?
(iii) Which river is mentioned in this passage?
(iv) Did the writer enter the Y.M.C.A. pool?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) chance, (b) dangerous.
Answers :
(i) Chapter: Deep Water.
Author: William Douglas.
(ii) Y.M.C.A. stands for Young Men’s Christian Association.
(iii) The Yakima river is mentioned in the passage.
(iv) Yes, the writer entered the Y.M.C.A. pool.
(v) (a) opportunity, (b) treacherous.

Passage 7
With that, he picked me up and tossed me into the deep end. I landed in a sitting position, swallowed water, and went at once to the bottom. I was frightened, but not yet frightened out of my wits. On the way down I planned: When my feet hit the bottom. I would make a big jump, come to the surface, lie flat on it, and paddle to the edge of the pool.

It seemed a long way down. Those nine feet were more like ninety, and before I touched bottom my lungs were ready to burst. But when my feet hit bottom I summoned all my strength and made what I thought was a great spring upwards. I imagined I would bob to the surface like a cork. Instead, I came up slowly. I opened my eyes and saw nothing but water – water that had a dirty yellow tinge to it.

Word-meanings :
Frightened = afraid (डर) ;
summoned = gathered (एकत्रित की);
tinge =colour (रंग)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) What did the big boy to do the author?
(iii) What is the author talking of when he says “long way down”?
(iv) What did the author see when he opened his eyes?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) afraid, (b) collect.
Answers :
(i) Chapter: Deep Water.
Author: William Douglas.
(ii) He picked him up and tossed him into the deep end of the pool.
(iii) When the author says “Long way down” he is talking of the depth of the Y.M.C.A. pool.
(iv) When the author opened his eyes he saw water all around.
(v) (a) frightened, (b) summoned.

Passage 8
My introduction to the Y.M.C.A. swimming pool revived unpleasant memories and stirred childhood fears. But in a little while, I gathered confidence. I paddled with my new water wings, watching the other boys and trying to learn by aping them. I did this two or three times on different days and was just beginning to feel at ease in the water when the misadventure happened. [H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]

Word-meanings :
Revived = reminded (याद दिलाया);
aping = imitating (नकल करना);
misadventure accident = (दुर्घटना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What stirred childish fears in the author?
(iv) What did the author do two or three times?
(v) When did the misadventure happen?
Answers:
(i) Deep Water.
(ii) William Douglas.
(iii) The author’s introduction to the Y.M.C.A. swimming pool stirred childish fears in him.
(iv) The author tried to learning two or three times.
(v) The misadventure happened when the author was just trying to learn swimming.

Deep Water Summary in English and Hindi

Deep Water Introduction to the Chapter
William Douglas was an American writer. He was born in Maine, Minnesota. This lesson has been taken from his book “Of Men and Mountains’. This deals with a childhood experience of the author. One day he went to a swimming pool. A boy threw him into the pool. He was nearly drowned in the swimming pool. That was a terrifying experience for him. This childhood incident created fear of water in his mind. It took several years of his life to overcome this fear. But he was able to conquer his fear with courage and determination.

(William Douglas एक अमेरिकी लेखक था। उसका जन्म मेन, मिनेसोटा में हुआ था। यह पाठ उनकी पुस्तक } “Of Men and Mountains’ से लिया गया है। यह लेखक के बचपन के एक अनुभव का वर्णन करता है। एक दिन वह एक तरणताल पर गया। एक लड़के ने उसे ताल में फेंक दिया। वह तरणताल में लगभग डूबने ही वाला था। यह उसके लिए एक डरावना अनुभव था। बचपन की इस घटना ने उसके मन में पानी से भय को भर दिया। इस भय पर काबू पाने के लिए उसके जीवन के कई साल लग गए। लेकिन वह साहस और दृढ़-निश्चय के साथ अपने भय पर विजय पाने में सफल रहा।)

Deep Water Summary

The author had an aversion for water since his childhood. When he was only three or four years old, his father took him to the beach in California. He and his father stood together in the waves. He hug on to his father. But the waves knocked him down and swept over him. He was frightened. His father laughed, but the waves created a fear in the author’s mind. When the author was ten or eleven years old, he decided to learn to swim.

There was a pool at the Y.M.C.A in Yakima. It offered him a good opportunity to learn swimming. The pool was only two or three feet deep at the shallow end, while it was nine feet deep at the other end. The drop was gradual. One day, he took a pair of water wings and went to the pool. He was alone at the pool. He felt afraid to go into the water alone. He sat on the side of the pool. Just then a big eighteen-year-old boy came there. He picked up the author and threw him into the pool.

The author was terrified. But he did not lose his presence of mind. He thought that when his feet touched the bottom of the pool, he would make a jump upwards and would come to the surface. Finally he would lie flat on it and paddle to the end of the pool.

But when he went down, the nine feet seemed like ninety to him. But when his feet touched the bottom, he gathered courage and made a spring upwards. He came up rather slowly. Whenever he opened his eyes, he saw nothing but water. He was suffocating. He became panicky. He tried to cry but no words came out. His legs seemed paralyzed and were rigid.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Instead of coming up, he went down and down. A great force seemed to pull him under water. He tried to scream but could not. Only his heart and pounding in his head showed that he was alive. He sucked for air, but got water. He looked for ropes, ladder, water wings, but there was nothing except water.

And then there was light. He was coming out of the water. He felt that his eyes and nose were out of the water. But his mouth was still under water. Then he again found himself going down. He again remembered to make a leap when his feet touched the bottom. But nothing happened. He thought that he was going to die. He ceased all efforts. He felt as if he was going to become unconscious.

After some time, Douglas regained consciousness. He found himself lying on his stomach near the pool. He was vomiting. The boy who had thrown him into the pool was standing near him. He was saying, “But I was only fooling.” Someone said that Douglas had nearly died. But he was alright now. After some hours, he walked back to his home. But he was weak and his legs were trembling.

After that incident, a haunting fear remained in his heart. He never went back to the pool. He feared water and tried to avoid it. The fear of water remained with him as years rolled by. He tried his best to overcome this fear but it remained with him. Finally, one October, he got an instructor. With him he practiced for five days a week. The instructor taught him step by step how to swim. He taught him how to put his face under water and exhale. And then how to raise his nose and inhale. He repeated the exercises hundreds of time. Still he wondered whether he would be terrified when he would be alone in a pool.

In order to overcome his fear, the author went to Lake Wentworth in New Hampshire. He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

(लेखक को अपने बचपन से ही पानी के प्रति नफरत थी। जब वह केवल तीन या चार साल का था, उसके पिता उसे कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर ले गए। लहरों के बीच में वह और उसका पिता एक साथ खड़े थे। उसने अपने पिता को पकड़ रखा था। लेकिन लहरों ने उसे नीचे गिरा दिया और उसके ऊपर से बह गईं। वह भयभीत था। उसका पिता हँस रहा था लेकिन लहरों ने लेखक के मन में भय उत्पन्न कर दिया।

जब लेखक दस या ग्यारह वर्ष का था, उसने तैराकी सीखने का निर्णय लिया। याकीमा के Y.M.C.A में एक तरणताल था। इसने उसे तैराकी के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान किया। छिछले सिरे पर तालाब केवल दो या तीन फुट गहरा था और दूसरे सिरे पर वह नौ फुट गहरा था। यह गहराई धीरे-धीरे बढ़ रही थी। एक दिन उसने अपने जलपरों की एक जोड़ी ली और तरणताल पर चला गया। ताल पर वह अकेला था। पानी के अंदर अकेले जाने से उसे डर लग रहा था। वह ताल के सिरे पर बैठ गया। तभी अट्ठारह वर्ष का एक बड़ा लड़का वहाँ आया। उसने लेखक को उठाया और उसे ताल के अंदर फेंक दिया।

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लेखक भयभीत था। लेकिन उसने अपनी दिमागी तत्परता को नहीं खोया। उसने सोचा कि जब उसके पाँव पानी के तल पर लगेंगे तो वह ऊपर की ओर कूदेगा और सतह पर आ जाएगा। अंततः वह पानी की सतह पर सीधा लेट जाएगा और तैर कर ताल के सिरे तक आ जाएगा। लेकिन जब वह नीचे गया तो उसे नौ फुट नब्बे फुट के समान प्रतीत हुए। लेकिन जब उसके पाँवों ने तली को स्पर्श किया, उसने साहस एकत्र किया और ऊपर की तरफ छलांग लगाई।

वह थोड़ा धीरे-से ऊपर आया। जब कभी भी उसने अपनी आँखें खोलीं, उसे पानी के सिवाय कुछ नज़र नहीं आया। उसका दम घुट रहा था। वह भयभीत हो गया। उसने चिल्लाने का प्रयास किया लेकिन शब्द ही बाहर नहीं निकले। उसकी टाँगें लकवाग्रस्त और अकड़ी हुई प्रतीत हो रही थीं।

ऊपर आने की बजाय, वह नीचे-ही-नीचे जाता रहा। जैसे कोई बड़ी ताकत उसे पानी के नीचे की ओर खींच रही थी। उसने चिल्लाने का प्रयास किया लेकिन चिल्ला नहीं सका। केवल उसकी दिल की धड़कन और दिमागी हलचल से उसे लगा कि वह जीवित है। उसने हवा को ग्रहण करना चाहा, लेकिन पानी मिला। उसने रस्सियाँ, सीढ़ी, जलपरों की खोज की लेकिन पानी के सिवाय कुछ भी नहीं था।

और तब प्रकाश नजर आया। वह पानी से बाहर आ रहा था। उसने महसूस किया कि उसकी आँखें और नाक पानी से बाहर आ रहे थे। लेकिन उसका मुँह अभी भी पानी के अंदर था। तब उसने पुनः स्वयं को नीचे की ओर जाते पाया। उसने पुनः छलाँग लगाने के बारे में याद किया कि जब उसके पाँव जमीन से स्पर्श करेंगे। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। उसने सोचा कि वह मरने जा रहा है। उसने सारे प्रयास बंद कर दिए। उसे ऐसा लगा जैसे कि वह बेहोश होने जा रहा था।

कुछ समय के पश्चात्, डगलस को होश आ गया। उसने स्वयं को पेट के बल ताल के पास लेटे पाया। वह उल्टियाँ कर रहा था। जिस लड़के ने उसे पानी के अंदर फेंका था वह उसके पास खड़ा था। वह कह रहा था, “मैं तो केवल मजाक कर रहा था” किसी ने कहा कि डगलस लगभग मर ही चुका था। लेकिन अब वह बिल्कुल ठीक था। कुछ घंटों के पश्चात्, वह अपने घर लौट आया। लेकिन वह कमजोर था और उसकी टाँगें काँप रही थीं।

उस घटना के पश्चात्, उसके हृदय में बार-बार आने वाला भय बैठ गया था। वह कभी भी ताल पर वापिस नहीं गया। उसे पानी से भय लगता था और वह उससे बचने का प्रयास करता था। वर्षों के बीतने के बाद भी यह भय उसके मन में बना रहा। उसने इस भय पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे प्रयास किए लेकिन वह उसके साथ बना रहा। अंततः अक्तूबर के एक दिन उसे एक अनुदेशक मिला। उसके साथ उसने सप्ताह में पाँच दिन अभ्यास किया। अनुदेशक ने उसे कदम-दर-कदम तैरना सिखाया। उसने उसे सिखाया कि पानी के नीचे अपना चेहरा कैसे रखा जाता है और साँस कैसे छोड़ा जाता है। और तब अपने नाक को ऊपर उठाकर कैसे साँस लिया जाता है। उसने सैकड़ों बार इसी अभ्यास को दोहराया। फिर भी वह जानने को उत्सुक था कि क्या अभी भी वह भयभीत होगा जब वह ताल में अकेला होगा।

अपने भय पर नियंत्रण पाने के लिए, लेखक न्यू हैम्पशायर में लेक वेटवर्थ पर गया। उसने ट्रिग्स द्वीप पर एक जहाज से कूद लगा दी। वह झील में दो मील तक स्टैंप एक्ट द्वीप तक तैर कर गया। केवल एक बार तो उसे कुछ भय लगा जब वह झील के मध्य में था। लेकिन शीघ्र ही उसने उस भय पर काबू पा लिया। तब वह तैर कर वापिस आया। वह खुशी से चिल्ला उठा। तब अंततः वह पानी और तैराकी के प्रति अपने भय पर विजय पाने में सफल रहा।)

Deep Water Word Meanings

[Page 23] :
Graduating (receiving a bachelor’s degree) = स्नातक की उपाधि मिलना;
pursue (to follow) = अनुसरण करना;
excerpt (part)= अंश, भाग;
pool (swimming pool) = तैरने का ताल (तालाब);
offered (provided)= पेश किया;
opportunity (chance) = अवसर;
treacherous (dangerous)=खतरनाक;
shallow (not deep)= उथला;
gradual (by degrees) = शनै: शनैः ।

[Page 25] :
Skinny (very thin) = बहुत पतला;
subdued (overcame) = काबू पाया;
aversion (dislike) = नफरत;
surf (wave) = लहर;
beach (seashore) = सागर तट;
buried (dug in ) = गाड़ा;
frightened (terrified)= भयभीत;
terror (fear) = डर;
revived (reminded) = याद दिलाया;
unpleasant (not enjoyable)=अप्रिय;
stirred (arose)=पैदा की;
paddled (moved on water)=पानी पर तैरा;
aping (imitating)=नकल करना;
misadventure (accident)=दुर्घटना;
timid (lacking courage)= कायर;
bruiser (muscular man) = हट्टा-कट्टा व्यक्ति;
specimen (example)=उदाहरण;
rippling (waving) = हिलते हुए;
yelled (shouted) = चिल्लाया;
duck (dive) = डुबकी लगाना;
toss (throw)=फेंकना;
swallow (gulp down) = निगलना;
summoned (gathered) = एकत्रित की;
bob (come up) = ऊपर आना।

[Page 26]:
Tinge (colour)=रंग;
panicky (afraid)=भयभीत;
grab (grip)=पकड़ना;
clutched (grabbed)= पकड़ा;
suffocating (choking)=दम घुटना;
choked (blocked)= रोकना;
paralyzed (unable to move)=सुन्न होना;
rigid (stiff) = सख्त;
struck (thumped) = थपथपाया;
expending (spending) = फैलाना;
nightmare (a bad dream)= बुरा स्वप्न;
throbbed (palpitated) = धड़का;
dizzy (feeling giddy)=सिर चकराना;
strategy (plan) = योजना;
thrash (strike) = प्रहार करना;
stark (complete) = पूर्ण;
sheer (only) =केवल;
endlessly (completely)=पूरी तरह;
shrieking (crying)= चिल्लाना;
seized (caught) = पकड़ा;
frozen (choked) = जम गया;
midst (in the middle of) = के बीच में;
mass (heap) = ढेर;
charge (current) = घाटा;
fright (fear) = डर ।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

[Page 27]:
Awful(fearful) =भयानक;
sucked (inhaled)= सांस अन्दर ली;
ceased (ended) =समाप्त हुआ;
relaxed (eased) = आराम मिला;
limp (lifeless) = निर्जीव;
drowsy (sleepy) = ऊँघना;
oblivion (forgetfulness) = भुलक्कड़पन;
haunting (coming again and again)= बार-बार आना;
slightest (least) = कम से कम;
exertion (tiredness)=थकान;
wobbly (unstable) = अस्थिर;
cascade (waterfall) = जलप्रपात;
wading (walking through water)=पानी में से चलना;
bumping (bouncing)= उछलना;
handicap (hindrance) = रुकावट;
canoes(small boats)=छोटी नौकाएँ;
salmon, basstrout (kind of fish) = मछली की जातियाँ ।

[Page 28]:
Ruined (destroyed) = नष्ट किया;
trips (journeys) = यात्राएँ;
forth (ahead) = आगे;
relaxed (let loose) = ढीला छोड़ा;
hold (grip) = पकड़ना;
tension (stress)=तनाव;
slack (lessen)= कम करना;
exhale (breathe out) = सांस बाहर निकालना;
inhale (breathe in) = सांस अन्दर लेना;
shed (gave up) = त्याग दिया;
command (order/direct)= आदेश;
integrated (complete)= पूर्ण;
tiny (little)= छोटा;
vestiges (signs)=चिह्न;
frown (scowl)=लोरी।

[Page 29] :
Dock (part of port) = बन्दरगाह;
sensation (strong feeling) = भावना;
residual (left over) = बचा हुआ;
hurried (went in a hurry) = जल्दी में गया;
meadow (grassland) = चरागाह;
stripped (took off clothes)= कपड़े उतारे;
appreciate (praise) = प्रशंसा करना;
intensity (power/strength) = शक्ति;
released (freed) =आजाद किया;
trails (paths) = रास्ते।

Deep Water Translation in Hindi

It had happened when I was ten or eleven years old. I had decided to learn to swim. There was a pool at Y.M.C.A. in Yakima that offered exactly the opportunity. The Yakima River was treacherous. Mother continually warned against it, and kept fresh in my mind the details of each drowning in the river. But the Y.M.C.A. pool was safe. It was only two or three feet deep at the shallow end; and while it was nine feet deep at the other, the drop was gradual. I got a pair of water wings and went to the pool. I hated to walk naked into it and show my skinny legs. But I subdued my pride and did it.

(यह बात तब हुई जब मैं दस या ग्यारह वर्ष का था। मैंने तैरना सीखने का फैसला किया था। याकीमा में वाई०एम०सी०ए० के अन्दर एक तालाब था जो ठीक ऐसा अवसर देता था। याकीमा नदी खतरनाक थी। माँ सदा इसके खिलाफ चेतावनी देती रहती थी और हर डूबने की दुर्घटना का विस्तृत वर्णन मेरे दिमाग में ताजा बनाए रखती थी। परन्तु वाई०एम०सी०ए० का ताल सुरक्षित था। उथले किनारे पर तो यह केवल दो या तीन फुट ही गहरा था और यद्यपि दूसरे किनारे पर यह नौ फुट गहरा था और गहराई धीरे-धीरे बढ़ती थी। मैंने जल-परों का एक जोड़ा लिया और ताल की ओर चल पड़ा। उसके अन्दर नंगे जाकर अपनी पतली-पतली टाँगें दिखाने से मुझे नफरत थी। पर मैंने अपने अभिमान को दबाया और ऐसा ही किया।)

From the beginning, however, I had an aversion to the water when I was in it. This started when I was three or four years old and father took me to the beach in California. He and I stood together in the surf. I hung on to him. Yet the waves knocked me down and swept over me. I was buried in water. My breath was gone. I was frightened. Father laughed, but there was terror in my heart at the overpowering force of the waves.

(पर प्रारम्भ से ही, पानी के अन्दर होने पर मुझे पानी से घृणा थी। यह तब से प्रारम्भ हुई थी जब मैं 3-4 साल का था और मेरे पिता मुझे कैलीफोर्निया के समुद्र तट पर ले गए थे। वह और मैं लहरों के बीच खड़े थे। मैं उन्हें पकड़े हुए था, फिर भी लहरों ने मुझे गिरा दिया और मेरे ऊपर से गुजर गईं। मैं पानी के अन्दर दब-सा गया था। मेरी साँस रुक गई थी। मैं डर गया था। पिता जी हँस रहे थे, परन्तु लहरों की पराजित करने वाली शक्ति का आतंक मेरे दिल में था।)

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My introduction to the Y.M.C.A. swimming pool revived unpleasant memories and stirred childish fears. But in a little while, I gathered confidence. I paddled with my new water wings, watching the other boys and trying to learn by aping them. I did this two or three times on different days and was just beginning to feel at ease in the water when the misadventure happened.

(मेरे वाई०एम०सी०ए० के तरण-ताल के परिचय ने दुःखद यादों को पुनर्जीवित कर दिया और बचपन के डर को जगा दिया। पर कुछ देर में ही मुझमें आत्मविश्वास आ गया। अपने नए जल-परों को पहनकर मैंने तैरना प्रारम्भ किया और दूसरे लड़कों की नकल करके सीखने का प्रयत्न किया। अलग-अलग दिनों में मैंने तीन-चार बार ऐसा किया और मैंने पानी में अच्छा महसूस करना आरम्भ ही किया था कि दुर्घटना घट गई।)

I went to the pool when no one else was there. The place was quiet. The water was still, and the tiled bottom was as white and clean as a bathtub. I was timid about going in alone, so I sat on the side of the pool · to wait for others.

(जब कोई और वहाँ नहीं था, मैं ताल पर पहुँचा। वहाँ पर सन्नाटा था। जल शान्त था और टाइल लगा हुआ तल स्नानघर के टब की तरह सफेद और साफ था। अकेले अन्दर प्रवेश करते मैं डर रहा था, अतः दूसरों की प्रतीक्षा करते हुए मैं तालाब के एक तरफ बैठ गया।)

I had not been there long when in came a big bruiser of a boy, probably eighteen years old. He had thick hair on his chest. He was a beautiful physical specimen, with legs and arms that showed rippling muscles. He yelled, “Hi, Skinny! How’d you like to be ducked ?”

(मुझे अभी वहाँ अधिक देर नहीं हुई थी कि एक हट्टा-कट्टा(शक्तिशाली) लड़का वहाँ आया जो लगभग अठारह साल का होगा। उसकी छाती पर घने काले बाल थे। वह सुन्दर स्वास्थ्य का एक उदाहरण था, उसकी टाँग और बाजू की मांसपेशियाँ लहरा रही थीं। वह चिल्लाकर बोला, “ओए पतलू, तू पानी में छलाँग लगाना चाहेगा, क्या ?”)

With that, he picked me up and tossed me into the deep end. I landed in a sitting position, swallowed water, and went at once to the bottom. I was frightened, but not yet frightened out of my wits. On the way down I planned : When my feet hit the bottom, I would make a big jump, come to the surface, lie flat on it, and paddle to the edge of the pool.

(इसी के साथ उसने मुझे उठाया और ताल के गहरे छोर की तरफ फेंक दिया। मैं बैठे होने की अवस्था में गिरा, पानी निगला और फौरन तल पर पहुँच गया। मैं डरा हुआ था, मगर मैंने होश नहीं खोए थे नीचे जाते हुए मैंने योजना बनाई; जब मेरे पैर तली को छुएँगे तो ऊपर की ओर छलाँग लगाऊँगा, सतह पर आऊँगा, इस पर लेट जाऊँगा और पुल के किनारे तक तैरता हुआ पहुँच जाऊँगा।)

It seemed a long way down. Those nine feet were more like ninety, and before I touched bottom my lungs were ready to burst. But when my feet hit bottom I summoned all my strength and made what I thought was a great spring upwards. I imagined I would bob to the surface like a cork. Instead, I came up slowly. I opened my eyes and saw nothing but water-water that had a dirty yellow tinge to it. I grew panicky. I reached up as if to grab a rope and my hands clutched only at water. I was suffocating. I tried to yell but no sound came out. Then my eyes and nose came out of the water-but not my mouth.

(नीचे जाते हुए काफी देर लगती हुई प्रतीत हुई। वे नौ फुट नब्बे जितने लगे और इससे पहले कि मैं तल को छूता मेरे फेफड़े फटने को हो रहे थे, परन्तु जैसे ही मेरे पैरों ने तली को छुआ तो मैंने अपनी सारी शक्ति बटोरी और मेरे विचार में मैंने एक बहुत बड़ी कूद ऊपर की तरफ लगाई। मैंने कल्पना की कि मैं एक कॉर्क की तरह सतह पर उछलकर आ जाऊँगा। इसके विपरीत मैं धीरे-धीरे आया। मैंने अपनी आँखें खोली और पानी के अलावा कुछ नहीं देखा-पानी जो एक मैला पीला रंग लिए हुए था। मैं बौखला गया। मैंने ऊपर हाथ किए मानो एक रस्सी पकड़ने के लिए और मेरे हाथों में केवल पानी आया। मेरा दम घुट रहा था। मैंने चीखने की कोशिश की पर कोई आवाज़ नहीं निकली। फिर मेरी आँख व नाक पानी से बाहर आए परन्तु मेरा मुँह बाहर नहीं आया।)

I flailed at the surface of the water, swallowed, and choked. I tried to bring my legs up, but they hung as dead weights, paralyzed and rigid. A great force was pulling me under. I screamed, but only the water heard me. I had started on the long journey back to the bottom of the pool.

(मैंने पानी की सतह पर हाथ-पाँव पटके, पानी को निगला और मेरा गला रुंध गया। मैंने अपनी टाँगों को ऊपर लाने की कोशिश की, मगर वे निर्जीव बोझ बनी लटकी रहीं, बिल्कुल लकवाग्रस्त एवं कठोर। एक बड़ी शक्ति मुझे नीचे खींच रही थी। मैं चीखा पर मेरी आवाज़ सिर्फ पानी ने सुनी। ताल के तल की ओर की लम्बी यात्रा मैंने पुनः प्रारम्भ कर दी थी।)

I struck at the water as I went down, expending my strength as one in a nightmare fights against an irresistible force. I had lost all my breath. My lungs ached, my head throbbed. I was getting dizzy. But I remembered the strategy: I would spring from the bottom of the pool and come like a cork to the surface. I would lie flat on the water, strike out with my arms, and thrash with my legs. Then I would get to the edge of the pool and be safe.

(नीचे जाते हुए मैंने पानी को धकेला, मैं अपनी शक्ति उस तरह लगा रहा था जैसे भयानक स्वप्न में कोई किसी अपराजय शक्ति से लड़ रहा हो। मेरी साँस फूल गई थी। मेरे फेफड़ों में दर्द हो रहा था, मेरा सिर धड़क रहा था, मुझे चक्कर आ रहे थे। पर मुझे योजना याद थी मैं ताल के तल से ऊपर को कूदूंगा और कार्क की तरह सतह पर आऊँगा। मैं पानी के ऊपर सीधा लेट जाऊँगा, अपने बाजू से पानी काटूंगा और टाँगें मारूँगा। इस प्रकार मैं ताल के ऊपर आ जाऊँगा और सुरक्षित हो जाऊँगा।

I went down, down endlessly. I opened my eyes. Nothing but water with a yellow glow-dark water that one could not see through. And then sheer, stark terror seized me, terror, that knows no understanding, terror that knows no control, terror that no one can understand who has not experienced it. I was shrieking underwater. I was paralyzed under water-stiff, rigid with fear. Even the screams in my throat were frozen. Only my heart, and the pounding in my head, said that I was still alive.

(मैं नीचे, नीचे लगातार चलता गया। मैंने अपनी आँखें खोलीं। पीले पानी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था-अन्धेरा-सा पानी जिसके पार कुछ नज़र न आता था। और तब घोर भय ने मुझे काबू कर लिया, वह भय जहाँ समझ काम नहीं करती, वह भय जो काबू के बाहर हो जाता है, वह भय जो वही जान सकता है जिसने उसे अनुभव किया हो। मैं पानी के नीचे चीख रहा था। मैं पानी के नीचे संज्ञाशून्य हो गया था-डर से कठोर और जड़वत। मेरे गले से निकलने वाली चीखें भी जम गई थीं। केवल मेरा दिल और मेरे सिर की धड़कन कह रही थी मैं अभी जीवित था।)

And then in the midst of the terror came a touch of reason. I must remember to jump when I hit the bottom. At last I felt the tiles under me. My toes reached out as if to grab them. I jumped with everything I had. But the jump made no difference. The water was still around me. I looked for ropes, ladders, water wings. Nothing but water. A mass of yellow water held me. Stark terror took an even deeper hold on me, like a great charge of electricity. I shook and trembled with fright. My arms wouldn’t move. My legs wouldn’t move. I tried to call for help, to call for mother. Nothing happened.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

(और तब डर के मध्य शक्ति लगाने का विचार आया। जब मैंने तल को छुआ तो मुझे कूदना याद आया। आखिरकार मैंने अपने नीचे टाइलें महसूस की। मेरे पैरों की उंगलियाँ ऐसे पहुँची जैसे उन्हें पकड़ना हो। मैं अपनी पूरी शक्ति से कूदा। लेकिन कूदने से भी कोई फर्क नहीं पड़ा। पानी अब भी मेरे चारों ओर था। मैंने रस्सियों, सीढ़ियों, पानी के पंखों को ढूँढ़ा। कुछ नहीं था सिवाय पानी के। पीले पानी का बोझ मुझे जकड़े हुए था। घोर भय ने मुझे और भी गहराई से जकड़ लिया था, बिजली के तेज चार्ज की तरह। मैं हिला और भय के साथ काँपा। मेरी बाँहें हिलती नहीं थीं। मेरी टाँगें हिलती नहीं थीं। मैंने सहायता के लिए पुकारने की कोशिश की, माँ को पुकारने की कोशिश की। कुछ नहीं हुआ।)

And then, strangely, there was light. I was coming out of the awful yellow water. At least my eyes were. My nose was almost out too. Then I started down a third time. I sucked for air and got water. The yellowish light was going out.

(और तब, अजीब तरह से, वहाँ रोशनी थी। मैं इस भयानक पानी से बाहर आ रहा था। कम-से-कम मेरी आँखें तो बाहर थी हीं। मेरी नाक भी लगभग बाहर थी। फिर मैं तीसरी बार नीचे जाना शुरु हुआ। मैंने हवा को अन्दर खींचने की कोशिश की और मुझे पानी मिला। पीली रोशनी जा रही थी।)

Then all effort ceased. I relaxed. Even my legs felt limp, and a blackness swept over my brain. It wiped out fear; it wiped out terror. There was no more panic. It was quiet and peaceful. Nothing to be afraid of. This is nice ………. to be drowsy …… to go to sleep …….. no need to jump ……… to tired to jump ………. it’s nice to be carried gently….to float along in space ……. tender arms around me ……… tender arms like Mother’s ……… now I must go to sleep …………………. I crossed to oblivion, and the curtain of life fell.

(तब सभी प्रयत्न समाप्त हो गए। मैंने आराम किया। मेरी टाँगें अपंग महसूस हुईं; और मेरे दिमाग पर एक कालापन छा गया। इसने डर को दूर कर दिया था; इसने मेरे भय को दूर कर दिया। अब और बौखलाहट नहीं थी। चुप्पी और शान्ति थी। डरने के लिए कुछ नहीं। यह अच्छा है ………. निद्राजनक होना नींद में चले जाना ………… कूदने की कोई ज़रूरत नहीं……इतना थका हुआ कि कूद नहीं सकता ……….. इतनी कोमलता से ले जाता हुआ कि अच्छा लगता था ……… खाली जगह में तैरना ………. मेरे चारों ओर कोमल बाँहें ………. माँ की बाँहों जैसी कोमल ………. अब मुझे सोना पड़ा ………. । मैं सब कुछ भूल गया था और जीवन का पर्दा गिर गया था।)

The next I remember I was lying on my stomach beside the pool, vomiting. The chap that threw me in was saying, “But I was only fooling.” Someone said, “The kid nearly died. Be all right now. Let’s carry him to the locker room.”
(अगली बात जो मुझे याद थी वह थी कि मैं उलटी करता हुआ अपने पेट के बल ताल के किनारे लेटा हुआ था। वह लड़का जिसने मुझे अन्दर फेंका था, कह रहा था, “परन्तु मैं केवल मजाक कर रहा था।” किसी ने कहा, “बच्चा मरते-मरते बचा है। अब सब ठीक हो जाए। चलो इसे लॉकर रूम में ले चलते हैं।”)

Several hours later, I walked home. I was weak and trembling. I shook and cried when I lay on my bed. I couldn’t eat that night. For days a haunting fear was in my heart. The slightest exertion upset me, making me wobbly in the knees and sick to my stomach. I never went back to the pool. I feared water. I avoided it whenever I could.

(कई घण्टे बाद, मैं घर गया। मैं कमजोर था, काँप रहा था। जब मैं बिस्तर में लेटा तो मैं काँपा और रोया, मैं उस रात को खा नहीं पाया। कई दिनों तक मेरे दिल में डर छाया रहा। थोड़ी-सी भी मेहनत मुझे परेशान कर देती थी, मेरे घुटने लड़खड़ाने लगते और पेट बीमार-सा लगता। उसके बाद मैं कभी भी ताल में नहीं गया। मुझे पानी से डर लगता था और जहाँ तक हो सकता था, मैं पानी से दूर रहने की कोशिश करता था।)

A few years later when I came to know the waters of the Cascades, I wanted to get into them. And whenever I did-whether I was wading the Tieton or Bumping River or bathing in Warm Lake of the Goat Rocks-The terror that had seized me in the pool would come back. It would take possession of me completely. My legs would become paralyzed. Icy horror would grab my heart.

(कुछ सालों बाद जब मैंने झरनों के पानी को देखा, तब मैं उनमें जाना चाहता था और जब भी मैंने ऐसा किया चाहे वह टीटन या बमपिंग नदी को लांघना हो या गोट रॉक्स की गर्म झील में नहाना हो वह आतंक जो ताल में मुझे वशीभूत कर चुका था, वापस मेरे पास आ जाता था। मैं पूरी तरह इसके वश में हो जाता था। मेरी टाँगें संज्ञाशून्य हो जाती थीं। एक बर्फीला डर मेरे दिल को जकड़ लेता था।)

This handicap stayed with me as the years rolled by. In canoes on Maine lakes fishing for landlocked salmon, bass fishing in New Hampshire, trout fishing on the Deschutes and Metolius in Oregon, fishing for salmon on the Columbia, at Bumping lake in the Cascades-wherever I went, the haunting fear of the water followed me. It ruined my fishing trips; deprived me of the joy of canoeing, boating, and swimming.

(साल पर साल बीतते गए और अपंगता मेरे साथ बनी रही। मेन की झीलों में नौकाओं में बैठ जमीन से घिरी सेलमन मछली को पकड़ना, न्यू हैम्पशायर में बास मछली का शिकार और आरेगन के मेट्रोलियस, डेस्यूट्स में ट्राउट मछली को पकड़ना, कोलम्बिया और बमपिंग लेक के झरनों में सेलमन को पकड़ना-मैं जहाँ भी जाता, पानी का आतंकित करने वाला डर मेरा पीछा करता रहता। यह मेरी मछली के ट्रिप को तबाह कर देता, मुझे छोटी नाव, बड़ी नाव चलाने और तैरने के आनन्द से वंचित कर देता।)

I used every way I knew to overcome this fear, but it held me firmly in its grip. Finally, one October, I decided to get an instructor and learn to swim. I went to a pool and practiced five days a week, an hour each day. The instructor put a belt around me. A rope attached to the belt went through a pulley that ran on an overhead cable. He held on the to end of the rope, and we went back and forth, back and forth across the pool, hour after hour, day after day, week after week. On each trip across the pool a bit of the panic seized me.

Each time the instructor relaxed his hold on the rope and I went under, some of the old terror returned and my legs froze. It was three months before the tension began to slack. Then he taught me to put my face under water and exhale, and to raise my nose and inhale. I repeated the exercise hundreds of times. Bit by bit I shed part of the panic that seized me when my head went underwater.

(मैंने अपने इस भय पर काबू पाने के लिए वह हर तरीका अपनाया जो मैं जानता था, मगर इसने मुझे जकड़े रखा। आखिर एक अक्टूबर में मैंने तैरना सीखने के लिए एक प्रशिक्षक लेने का निर्णय किया। मैं एक ताल पर जाकर एक सप्ताह में पाँच दिन, प्रतिदिन एक घण्टे तक अभ्यास करता। प्रशिक्षक मेरे चारों ओर एक पेटी बाँध देता। पेटी से एक रस्सी बंधी होती जो एक पुली से होकर जाती जो सिर के ऊपर एक तार की रस्सी चलती थी। वह रस्सी के किनारे को पकड़े रहता और हम आगे-पीछे जाते रहते। घण्टा के बाद घण्टा, दिन के बाद दिन, हफ्ते के बाद हफ्ता हम ताल में एक तरफ से दूसरी तरफ आगे-पीछे जाते रहे। ताल के आर-पार की हर यात्रा में कुछ भय मेरे मन में बना रहता। हर बार जब प्रशिक्षक रस्सी पर अपनी पकड़ ढीली करता और मैं पानी के अन्दर चला जाता, पुराने भय का कुछ अंश लौट आता और मेरी टाँगें जम जातीं। मेरा तनाव कम होने में तीन महीने लग गए। तब उसने मुझे पानी के अन्दर मुँह डालकर सांस छोड़ना सिखाया और नाक उठाकर सांस लेना। मैंने यह व्यायाम सैकड़ों बार किया। धीरे-धीरे करके, उस भय का एक भाग जाता रहा जो मुझे पानी के अन्दर सिर डालने पर होता था।)

Next, he held me at the side of the pool and had me kick with my legs. For weeks I did just that. At first my legs refused to work. But they gradually relaxed, and finally, I could command them.
(उसके बाद ताल के किनारे पर वह मुझे पकड़े रहता और मैं पानी में टाँगें मारता रहता। हफ्तों तक मैं यही करता रहा। पहले-पहले तो मेरी टाँगों ने जवाब ही दे दिया, पर धीरे-धीरे वे तनाव-हीन होने लगी और अन्ततः मैं उन्हें आज्ञा दे सकता था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Thus, piece by piece, he built a swimmer. And when he had perfected each piece, he put them together into an integrated whole. In April he said, “Now you can swim. Dive off and swim the length of the pool, crawl or stroke.”
I did. The instructor was finished.

(इस प्रकार धीरे-धीरे उसने मुझे तैराक बनाया। और जब उसने हर भाग को त्रुटिहीन कर लिया, उसने उन सबको जोड़कर एक पूर्ण वस्तु बना ली। अप्रैल में वह बोला, “अब तुम तैर सकते हो। गोता लगाओ और ताल की पूरी लम्बाई तैरकर पार कर लो, धीरे-धीरे जाओ चाहे तेजी से।” मैंने यह किया। प्रशिक्षक का कार्य पूरा हो चुका था।)

But I was not finished. I still wondered if I would be terror-stricken when I was alone in the pool. I tried it. I swam the length up and down. Tiny vestiges of the old terror would return. But now I could frown and say to that terror, “Trying to scare me, eh ? Well, here’s to you! Look!” And off I’s go for another length of the pool.

(परन्तु मेरा कार्य पूरा नहीं हुआ था। मैं अब भी डरता था कि कहीं ताल के अन्दर अकेला होने पर मैं भयभीत तो नहीं हो जाऊँगा। मैंने ऐसा करके देखा। मैं ताल के एक किनारे से दूसरे और फिर वापस उसी किनारे पर तैरकर गया। पुराने आतंक के छोटे चिह्न लौटा करते थे। पर अब मैं क्रोधित होकर उस भय से कह सकता था, “अच्छा, तू मुझे डराना चाहता है ? ठीक है, वह तुम्हारे नाम पर! देख! और मैं पुनः ताल की लंबाई को एक बार और पार कर देता।”)

This went on until July. But I was still not satisfied. I was not sure that all the terror had left. So I went to Lake Wentworth in New Hampshire, dived off a dock at Triggs Island, and swam to miles across the lake to Stamp Act Island. I swam the crawl, breaststroke, side stroke, and backstroke. Only once did the terror return. When I was in the middle of the lake, I put my face under and saw nothing but bottomless water. The old sensation returned in miniature. I laughed and said, “Well, Mr. Terror, what do you think you can do to me?” It fled and I swam on.

(जुलाई तक यही काम चलता रहा। मगर मैं सन्तुष्ट नहीं हुआ। मुझे विश्वास नहीं था कि मेरा सारा भय समाप्त हो गया है। अतः मैं न्यू हैंपशायर की लेक वैन्टबर्थ गया, ट्रग्स आयलैण्ड में डॉक से कूदा और दो मील झील में तैरकर स्टैंप ऐक्ट आयलैंड पहुँचा। मैंने क्राल, ब्रेस्ट स्ट्रोक, साइड स्ट्रोक और बैक स्ट्रोक को तैरने में प्रयोग किया। केवल एक बार भय लगा जब मैं झील के बीच में था तब मैंने जल में सिर डाला और मुझे अतल जल के अतिरिक्त कुछ नज़र नहीं आया। पुरानी भावना छोटे रूप में लौट आई। मैं हँसा और बोला, “अच्छा, आतंक साहब, आपके ख्याल में आप मेरा क्या बिगाड़ सकते हैं ?” वह भाग गया और मैं तैरता हुआ आगे चला गया।)

Yet I had residual doubts. At my first opportunity, I hurried west, went up the Tieton to Conrad Meadows, up the Conrad Creek Trial to Meade Glacier, and camped in the high meadow by the side of Warm Lake. The next morning I stripped, dived into the lake, and swam across to the other shore and back-just as Doug Corpron used to do. I shouted with joy, and Gilbert Peak returned the echo. I had conquered my fear of water.

(फिर भी मेरे मन में शंका का अंश बाकी था। पहला अवसर मिलते ही मैं पश्चिम की ओर गया, टीटन से ऊपर कोनार्ड मीडोज तक गया, कोनार्ड ग्रीक ट्रेल से मीडे ग्लेशियर तक और वार्म लेक के किनारे हाई मीडोज में पड़ाव डाला। अगले दिन प्रातः मैंने कपड़े उतारे, झील में गोता लगाया और तैरकर दूसरे किनारे तक पहुँचा और फिर तैरकर ही वापस आया-बिल्कुल वैसे जैसे डग कार्पन किया करता था। मैं खुशी से चीख पड़ा और गिलवर्ट पीक ने गूंजकर चीख दोहराई। मैं अपने पानी के भय पर विजय पा चुका था।)

The experience had a deep meaning for me, as only those who have known stark terror and conquered it can appreciate it. In death there is peace. There is terror only in the fear of death, as Roosevelt knew when he said, “All we have to fear is fear itself.” Because I had experienced both the sensation of dying and the terror that fear of it can produce, the will to live somehow grew in intensity. At last, I felt released-free to walk the trails and climb the peaks and to brush aside fear.

(इस अनुभव का मेरे लिए गहरा अर्थ था जिसे सिर्फ वही समझ सकते हैं जिन्होंने शुद्ध भय को जाना है और इस पर विजय पाई है। मृत्यु में एक शान्ति होती है। आतंक तो केवल मृत्यु के भय में होता है जैसा कि रूजवैल्ट जानता था तब उसने कहा, “हमें जिस वस्तु से डरना है वह डर ही है।” क्योंकि मैंने मरने का और मरने के भय के कारण पैदा होने वाले भय, दोनों का ही अनुभव किया था, जीवित रहने की इच्छा कुछ अधिक ही तेज हो गई थी। अन्ततः मुझे मुक्ति का अनुभव हुआ मैं आज़ाद था पगडण्डियों पर चलने के लिए और पहाड़ की चोटियों पर चढ़ने के लिए और भय को एक तरफ छोड़ देने के लिए।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

HBSE 12th Class English Lost Spring Textbook Questions and Answers

Question 1.
What could be some of the reasons for the migration of people from villages to cities? (गाँव से शहर की तरफ लोगों के आने के क्या कारण हो सकते हैं ?) [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)]
Answer:
More and more villagers keep migrating to cities. There are many reasons for the migration of people from villages to cities. They come to cities looking for work. With the increase in population, pressure on land is also increasing. The land for agriculture is limited. It cannot accommodate the growing families. So they come to cities for their livelihood. Sometimes, natural calamities also force people to leave villages and come to cities. Another reason is the mechanisation of farming.

Because of use of machines on the farms, less labour is required. So the surplus labour comes to cities in search of employment. Another reason is that due to modernisation, the social set up of the villages has been disturbed. The rural crafts are disappearing. The villages are no long self-sufficient. Lastly, cities have better facilities like good markets, hospitals, schools and colleges. That is why people form the villages are migrating to cities.

(अधिक-से-अधिक ग्रामीण शहरों की ओर विस्थापन करते आ रहे हैं। गाँवों से शहरों की ओर लोगों के विस्थापन करने के पीछे बहुत-से कारण हैं। वे शहरों में काम की तलाश में आते हैं। जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण, भूमि पर दबाव बढ़ता जा रहा है। कृषि के लिए भूमि सीमित है। वह बढ़ते हुए परिवारों को समायोजित नहीं कर सकती है। इसलिए लोग रोजी-रोटी की तलाश में शहरों में आते हैं। कई बार, प्राकृतिक आपदाएँ भी लोगों को गाँव छोड़कर शहर आने के लिए मजबूर कर देती हैं। दूसरा कारण है कृषि का मशीनीकरण हो जाना।

क्योंकि खेतों में मशीनों के प्रयोग के कारण, मजदूरों की कम जरूरत पड़ती है। इसलिए फालतू श्रमिक रोजगार की तलाश में शहरों में आ जाते हैं। एक और कारण है, आधुनिकीकरण के कारण, गाँवों का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया है। ग्रामीण हस्त-शिल्प लुप्त होती जा रही हैं। अब गाँव स्वयं में स्वावलम्बी नहीं रहे हैं। अंतिम बात यह है कि शहरों में अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं जैसे कि अच्छे बाज़ार, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज। यही कारण है कि लोग गाँवों से शहरों की ओर विस्थापन कर रहे हैं।)

Question 2.
Would you agree that promises made to poor children are rarely kept? Why do you think this happens in the incidents narrated in the text? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)] (क्या आप इस बात से सहमत हैं कि गरीब बच्चों से किए गए वायदे कभी पूरे नहीं किए जाते? आपके विचार में पाठ में वर्णित घटनाओं में ऐसा क्यों होता है ?)
Answer:
Yes, the promises made to the poor children are rarely kept. When we see a poor child, we are filled with pity and want to help him. We may give him a little help at that moment. But we often make promises to them our temporary sense of pity at their plight. However, most of these promises are impracticable. In this lesson, Saheb is a poor ragpicker. The author feels pity for him. She asks him to join a school. Saheb replies that there is no school in the neighbourhood.

The author tells him half jokingly that she would start a school and would give him admission in it. This is not the real or serious promise. However, like other poor children, Saheb takes this promise seriously. After a few days, he asks the author whether her school is ready. The author herself knows that such promises cannot be fulfilled. She says, “But promises like mine abound in every corner of this bleak world.” In this way, promises made to poor children for their welfare are generally not serious promises. These promises are not meant to be fulfilled.

(हाँ, गरीब बच्चों के साथ किए गए वायदों को कभी-कभार ही पूरा किया जाता है। जब हम किसी गरीब बच्चे को देखते हैं तो दया से भर जाते हैं और हम उसकी मदद करना चाहते हैं। उसी क्षण हम उसकी कुछ मदद कर सकते हैं। लेकिन उनकी दुर्दशा को देखकर जो अस्थायी दया हमारे मन में आती है उसकी वजह से उनके साथ हम कुछ वायदे कर देते हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर वायदे व्यावहारिक नहीं होते। इस अध्याय में, साहेब एक गरीब कबाड़ बीनने वाला है। लेखिका को उस पर दया आती है। वह उसको स्कूल में दाखिला लेने के लिए कहती है।

साहेब कहता है कि पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। लेखिका उसके साथ मज़ाक करती हुई कहती है कि वह उसके लिए स्कूल खोलेगी और उसको स्कूल में दाखिला देगी। यह कोई सच्चा और गम्भीर वायदा नहीं है। लेकिन अन्य गरीब बच्चों की तरह, साहेब इस वायदे को गम्भीरता से लेता है। कुछ दिनों के बाद, वह लेखिका से पूछता है कि क्या उसका स्कूल तैयार हो गया है। लेखिका स्वयं भी जानती है कि ऐसे वायदों को पूरा नहीं किया जा सकता है। वह कहती है, “लेकिन मेरे जैसे वायदे तो उसकी अंधेरी दुनिया में बहुत पड़े हैं। इस तरह से, गरीब बच्चों से उनके कल्याण के लिए किए गए वायदे प्रायः गंभीर वायदे नहीं होते। ये वायदे पूरे करने के लिए नहीं होते।”)

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Question 3.
What forces conspire to keep the workers in the bangle industry of Firozabad in poverty? (कौन-सी शक्तियाँ षड्यन्त्र करके फिरोज़ाबाद के चूड़ी उद्योग के मजदूरों को गरीब रखती हैं ?) Or [2020 (Set-C)]
The bangle makers of Firozabad make beautiful bangles and make everyone happy but they live and die in squalor. Elaborate. [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)] (फिरोज़ाबाद के चूड़ी बनाने वाले लोग खूबसूरत चूड़ियाँ बनाते हैं और प्रत्येक को खुश रखते हैं परन्तु वे गन्दगी में ही जीते और मरते हैं। विस्तार से बताओ।) Or Write a brief note about the town of firozabad. [H.B.S.E. March, 2020 (Set-B)] (फिरोज़ाबाद नगर पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।)
Answer:
Firozabad is a famous city of Uttar Pradesh. It is famous for its bangles and bangle industry. Many families in Firozabad have spent generations working around furnaces, grinding glass, welding it and making bangles. Apart from the elders, there are about 20,000 children working in these factories. They work in miserable conditions. The author feels pity for these workers. She comes across a child named Mukesh. She visits his house and finds that they live in great poverty and misery.

They work in very dim lights. Many of them lose their eyesight before they become adults. Mukesh’s grandfather had become blind with the dust from polishing the glass of bangles. They have fallen into the trap of middleman who exploit them. The author asks a group of young men why they don’t organize themselves into cooperative. When they try to get organized, they are hauled up by the police, beaten and dragged to jail. Thus, the middleman and police conspire to keep the workers of Firozabad in poverty.

(फिरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है। यह अपनी चूड़ियों और चूड़ी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद के बहुत-से परिवारों ने अपनी कई पीढ़ियाँ काँच गलाने की भट्टियों, काँच को घिसाने, उसे जोड़ने और उससे चूड़ियाँ बनाने के काम में गुजार दी हैं। बड़ों के साथ-साथ लगभग 20,000 बच्चे भी इन उद्योगों में काम कर रहे हैं। वे दयनीय हालातों में काम कर रहे हैं। लेखिका को इन कामगारों पर दया आती है। उसे मुकेश नाम का एक बच्चा मिलता है। वह उसके घर जाती है और देखती है कि वे अत्यधिक गरीबी और दयनीय स्थिति में रहते हैं। वे अति मद्धम प्रकाश में काम करते हैं।

उनमें से बहुत-से तो वयस्क होने से पहले ही अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। मुकेश का दादा भी चूड़ियों को पॉलिश करने से उठी धूल की वजह से अंधा हो गया था। वे उस बिचौलिए के चंगुल में फँस गए हैं जो कि उनका शोषण कर रहा है। लेखिका नवयुवकों के एक समूह से पूछती है कि वे अपने आप को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित क्यों नहीं करते हैं। जब वे संगठित होने का प्रयास करते हैं तो उनको पुलिस के द्वारा धमकाया जाता है, पीटा जाता है और जेल में घसीटा जाता है। इस तरह से, बिचौलिया और पुलिस फिरोजाबाद के कामगारों को गरीबी की स्थिति में बने रहने को मजबूर करते हैं।)
Think As You Read

Question 1.
What is Saheb looking for in the garbage dumps? Where is he and where has he come from? (कूड़े के ढेर में साहेब क्या ढूँढ रहा है ? वह कहाँ है और कहाँ से आया है ?)[H.B.S.E. 2017 (Set-D), 2018 (Set-B)]
Answer:
Saheb is a ragpicker. He scrounges the garbage dumps for bits of paper, rags, plastic items, etc. He makes a living by selling these things. He tells the author that sometimes he finds a rupee, even a ten-rupee note in the garbage. He is living in Seemapuri, which is at the outskirts of Delhi. He has come from Dhaka, in Bangladesh.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला है। वह कागज़ के टुकड़ों, फटे-पुराने कपड़ों, प्लास्टिक की चीजों इत्यादि को कूड़े के ढेरों में खोज रहा है। वह इन चीजों को बेचकर आजीविका कमाता है। वह लेखिका को बताता है कि कई बार तो उसे कूड़े के ढेर से एक रुपया मिल जाता है और कभी-कभी तो दस रुपए का नोट भी मिल जाता है। वह सीमापुरी में रह रहा है, जो कि दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। वह बांग्लादेश, ढाका से आया है।)

Question 2.
What explanations does the author offer for the children not wearing footwear? (बच्चों के जूते न पहनने का लेखिका क्या कारण बताती है ?)
Answer:
The author sees Saheb and other poor children without footwear. One explanation is that it has become a tradition for them to remain barefoot. But the author feels that it is only an excuse to explain away a continuous state of poverty. Because of their poverty, they cannot afford to buy shoes.

(लेखिका साहेब और अन्य गरीब बच्चों को बिना जूतों के देखती है। इस बात की एक व्याख्या तो यह है कि उन्हें नंगे पाँव रहने की आदत पड़ गई है। लेकिन लेखिका महसूस करती है कि गरीबी की निरन्तर बनी रहने वाली दशा में यह तो केवल एक बहाना है। अपनी गरीबी की वजह से, वे जूते नहीं खरीद सकते हैं।)

Question 3.
Is Saheb happy working at the tea-stall? Explain. (क्या चाय की दुकान में काम करके साहेब खुश है? व्याख्या करो।)
Answer:
One day the author finds that Saheb has left rag-picking and is now working at a tea-stall. He gets Rs 800 per month with meals. But his face doesn’t show the carefree look. He doesn’t seem to be happy working at the tea stall. He is no longer his own master.

(एक दिन लेखिका देखती है कि साहेब ने कूड़ा बीनने का काम छोड़ दिया है और वह चाय की एक दुकान पर काम कर रहा है। उसे भोजन के साथ 800 रुपए मासिक मिलते हैं। लेकिन उसके चेहरे पर पुराने दिनों की तरह बेफिक्री के संकेत नहीं थे। ऐसा लगता था कि वह चाय की दुकान पर काम करके खुश नहीं था। अब वह अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा था।)

Question 4.
What makes the city of Firozabad famous? [H.B.S.E. March, 2017, 2018 (Set-A)] (फिरोजाबाद शहर क्यों प्रसिद्ध है ?)
Answer:
The city of Firozabad is famous for its bangles. Many families in this town are engaged in this business. (फ़िरोज़ाबाद शहर अपनी चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर में बहुत-से परिवार इस व्यवसाय में लगे हुए हैं।)

Question 5.
Mention the hazards of working in the glass bangles industry. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)] (काँच की चूड़ियों के उद्योग में काम करने के खतरे बताइए।)
Answer:
The workers in the glass bangle industry work in dark cells without air and light. They cannot bear the daylight. They go blind before they are old. The dust from polishing the glass bangles makes the bangle makers blind. Thus working in the glass bangles industry is hazardous and unhealthy.

(काँच की चूड़ियाँ बनाने के कारखानों में काम करने वाले कारीगर बिना हवा और प्रकाश वाली अंधेरी कोठरियों में काम करते हैं। वे सूर्य के प्रकाश को सहन नहीं कर सकते। बुढ़ापा आने से पहले ही वे अंधे हो जाते हैं। काँच की चूड़ियों पर की जाने वाली पॉलिश की धूल इन चूड़ियाँ बनाने वालों को अंधा कर देती है। अतः काँच की चूड़ियाँ बनाने वाले कारखानों में काम करना खतरनाक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।)

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Question 6.
How is Mukesh’s attitude to his situation different from that of his family? (अपनी हालत के प्रति मुकेश का दृष्टिकोण अपने परिवार से भिन्न क्यों है ?) [H.B.S.E. March, 2019 (Set-A)]
Answer:
Mukesh belongs to a family of bangle makers. Their work is hazardous and their life is poor and miserable. But they have accepted their destiny. However, Mukesh’s attitude is different. He does not want to follow the occupation of his family. He wants to become a motor mechanic.
(मुकेश चूड़ियाँ बनाने वाले एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। उनका काम खतरनाक है और उनका जीवन गरीबी वाला और कष्टकारक है। लेकिन उन्होंने अपनी किस्मत के साथ समझौता कर लिया है। लेकिन, मुकेश का दृष्टिकोण भिन्न है। वह अपने परिवार के व्यवसाय को नहीं अपनाना चाहता। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है।)

Talking About The Text

Question 1.
How, in your opinion, can Mukesh realise his dream? (आपके विचार में मुकेश अपना सपना कैसे पूरा कर सकता है ?)
Answer:
Mukesh is a poor boy. He belongs to a family of bangle makers. Like other bangle makers of Firozabad, Mukesh’s family also leads a life of utter poverty and misery. Mukesh also works in a bangle factory. But he has his own dream. He does not want to spend all his life in bangle-making. He wants to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day.

Mukesh seems to be determined. He can realise his dream by his willpower and determination. He has to take courage and leave the work of bangle-making. He should contact a garage owner and convince him to take him as an apprentice. With his determination, he can prove his worth and win the confidence of the owner. Thus he can become a good mechanic. If he wants to be a taxi driver, he has to learn to drive. After clearing the driving test, he can have a driving license. In this way, Mukesh can realise his dreams.

(मुकेश एक गरीब लड़का है। वे चूड़ी बनाने वाले एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। फ़िरोज़ाबाद के अन्य चूड़ी बनाने वालों की भांति, मुकेश का परिवार भी गम्भीर गरीबी और कष्टों से भरा जीवन व्यतीत कर रहा है। मुकेश भी एक चूड़ी उद्योग में काम करता है। लेकिन उसका अपना एक सपना है। वह अपना सारा जीवन चूड़ी बनाने में नहीं गुजारना चाहता। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। मुकेश दृढ़-निश्चय वाला दिखाई पड़ता है। वह अपनी इच्छा शक्ति और दृढ़ निश्चय के सहारे अपने सपने को पूरा कर सकता है।

उसे हिम्मत करनी है और चूड़ी बनाने के काम को छोड़ना है। उसे किसी गैराज के मालिक से सम्पर्क करना चाहिए और उसे उसको एक प्रशिक्षु के रूप में रखने के लिए मनाना चाहिए। अपने दृढ़-निश्चय के साथ, वह अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर सकता है और मालिक का विश्वास जीत सकता है। इस तरह से वह एक अच्छा मैकेनिक बन सकता है। यदि वह एक टैक्सी चालक बनना चाहता है तो उसे वाहन चलाना सीखना होगा। चालक परीक्षा पास करने के उपरांत, वह चालक लाइसेंस हासिल कर सकता है। इस तरह से, मुकेश अपने सपने को पूरा कर सकता है।)

Question 2.
Mention the hazards of working in the glass bangles industry. (काँच की चूड़ियों के उद्योग में काम करने के खतरे बताओ।)
Answer:
Working in the glass bangles industry is hazardous to health. Adults, as well as children, work in the unhealthy conditions. They work in very dim light. As a result they lose their eyesight by the time they become adults. They have to work on the furnaces with high temperature, in dark cells without enough air and light. They have to grind glass and have to inhale the fine glass particles. The author comes across a child named Mukesh who works in a glass bangle industry. His grandfather became blind with the dust from polishing glass.

(काँच की चूड़ियों के कारखाने में काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बड़े और बच्चे सभी अस्वस्थ स्थितियों में काम करते हैं। वे अति मद्धम प्रकाश में काम करते हैं। जब तक वे बड़े होते हैं तो वे अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। उन्हें ऊँचे तापमान वाली भट्टियों पर (अंधेरे वाले कमरों में जहाँ पर्याप्त हवा और प्रकाश नहीं होता) काम करना पड़ता है। उन्हें काँच को घिसाना पड़ता है और काँच के महीन कण उनके शरीर के अन्दर चले जाते हैं। लेखिका एक बच्चे से मिलती है जिसका नाम मुकेश है जो काँच की चूड़ियाँ बनाने वाले एक कारखाने में काम करता है। उसका दादा काँच को पॉलिश करने से उठी धूल की वजह से अंधा हो गया था।)

Question 3.
Why should child labour be eliminated and how? (बाल श्रम को क्यों और कैसे समाप्त करना चाहिए ?)
Answer:
Child labour is one of the great evils of India. Millions of children are engaged in labour at an age at which they should be in schools.

The twin factors responsible for child labour are:

  • poverty and
  • the lack of a social security network.

Poverty has an obvious relationship with child labour. Poor families need money to survive, and children are a source of additional income. The problem of illiteracy is also one of the reasons of the problem of child labour. It has been observed that the overall condition of the education system can be a powerful influence on the supply of child labour.

The concept of compulsory education, where all school-aged children are required to attend school, combats the force of poverty that pulls children out of school. The law relating to compulsory education will not only force children to attend school but also contribute more funds to the primary education system, instead of higher education.

The problem of child labour has social, economical, and political aspects. It cannot be eliminated by focusing on one aspect only, for example only by compulsory education, or by blind enforcement of child labour laws. The government must ensure that the needs of the poor are fulfilled before eliminating child labour. If poverty is eradicated, the need for child labour will automatically diminish. No matter how hard the government tries, child labour always will exist unless we all work honestly in this direction.

(बाल श्रम भारत की बड़ी बुराइयों में से एक है। लाखों बच्चे उस उम्र में श्रम पर लगे होते हैं जिस उम्र में उन्हें स्कूल में होना चाहिए था। बाल श्रम के दो कारण हैं-(1) गरीबी और (2) सामाजिक सुरक्षा के ढाँचे की कमी। गरीबी का तो बाल श्रम से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। गरीब परिवारों को अपना गुजारा करने के लिए धन की जरूरत होती है और बच्चे अतिरिक्त आय का एक स्रोत हैं। अनपढ़ता की समस्या भी बाल श्रम की समस्या का एक बड़ा कारण है। ऐसा देखा गया है कि शिक्षा व्यवस्था की संपूर्ण स्थिति बालश्रम की पूर्ति पर एक बहुत बड़ा प्रभाव डालती है।

अनिवार्य शिक्षा का विचार, जहाँ पर स्कूल जाने की आयु के सभी बच्चे स्कूलों में होने चाहिए, गरीबी की स्थिति जो बच्चों को स्कूलों से बाहर रहने के लिए बाध्य करती है, से लड़ता है। अनिवार्य शिक्षा से सम्बन्धित कानून न केवल बच्चों को स्कूल में उपस्थित रहने के लिए बाध्य करेगा, बल्कि (उच्च शिक्षा की अपेक्षा) प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए अधिक धन की व्यवस्था में योगदान करेगा। बाल श्रम की समस्या के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पहलू हैं। केवल किसी एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करके इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता, उदाहरण के लिए केवल अनिवार्य शिक्षा के द्वारा या फिर बाल श्रम के कानूनों का कठोरता से पालन करके। सरकार को यह बात सुनिश्चित करनी चाहिए कि बाल श्रम को समाप्त करने से पहले गरीबों की सभी जरूरतों को पूरा किया जा सके। यदि गरीबी को दूर कर दिया जाता है, तो बाल श्रम की जरूरत अपने आप ही समाप्त हो जाएगी। चाहे सरकार कितनी अधिक कोशिश क्यों न कर ले, बाल श्रम की समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक कि इसके लिए हम सभी ईमानदारी से प्रयास नहीं करेंगे।)

Thinking About Language

Although this text speaks of factual events and situations of misery it transforms these situations with an almost poetical prose into a literary experience. How does it do so? Here are some. literary devices:
Hyperbole is a way of speaking or writing that makes something sound better or more exciting than
it really is. For example: Garbage to them is gold. A Metaphor as you may know, compares two things or ideas that are not very similar.

A metaphor describes a thing in terms of a single quality or feature of some other thing, we can say that a metaphor “transfers” a quality of one thing to another. For example: The road was a ribbon of light. Contrast refers to a difference between people and things that can be seen clearly when they are compared or put close together.

For example: His dream looms like a mirage amidst the dust of streets that fill his town, Firozabad, famous for its bangles. Simile is a word or phrase that compares one thing with another using the words “like” or “as”. For example: As white as snow. Carefully read the following phrases and sentences taken from the text. Can you identify the literary device in each example?
1. Saheb-e-Alam which means the lord of the universe is directly in contrast to what Saheb is in reality.
2. Drowned in an air of desolation.
3. Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically.
4. For the children it is wrapped in wonder; for the elders it is a means of survival.
5. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make.
6. She still has bangles on her wrist, but not light in her eyes.
7. Few airplanes fly over Firozabad.
8. Web of poverty.
9. Scrounging for gold.
10. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of
a fine art.
11. The steel canister seems heavier than the plastic bag he would carry so lightly over his shoulders.
Answer:
1. contrast
2. metaphor
3. contrast
4. contrast
5. simile
6. contrast
7. metaphor
8. metaphor
9. hyperbole
10. simile
11. contrast

Things To Do

The beauty of the glass bangles of Firozabad contrasts with the misery of people who produce them. This paradox is also found in some other situations, for example, those who work in gold and diamond mines or carpet weaving factories and the products of their labour, the lives of construction workers and the buildings they build.

Look around and find examples of such paradoxes.
Write a paragraph of about 200 to 250 words on any one of them. You can start by making notes. Here is an example of how one such paragraph may begin :
You never see the poor in this town. By day they toil, working cranes and earthmovers, squirreling deep into the hot sand to lay the foundations of chrome. By night they are banished to bleak labour camps at the outskirts of the city.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

They Make Houses For Others

A house is one of the basic needs of man. We build houses for our comfort. Our house gives us protection from the scorching heat or the cold winter. It also provides safety to our possessions. The rich people make good and luxury houses. The masons and labourers who make these houses do not live in luxury. We often see the labourers carrying bricks on their heads in the intense heat of June or in the chilling cold of December. Often they do not have proper clothes to protect them from the weather.

They do not have any holiday to enjoy. They work for all the seven days of the week from morning till evening. Their clothes are torn. They have no security of job. They do not know whether they will get work the next day or not. Their job depends on the pleasure of the owner or the availability of work. They help in making fabulous and comfortable houses. But they themselves live in huts where there is no light, water and sanitation. This is a paradox that they enable us to enjoy the luxuries of a big house.

But often they do not have even a small room for them to live in. Because of their poverty, they cannot send their children to school. So, often their children have also to work in order to earn some extra money. The same is the case of workers who make bricks at the brick kilns. They also lead very miserable and poor lives. They too don’t have any security of jobs. Our government should come forward and do something for the welfare of such workers.

HBSE 12th Class English The Lost Spring Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 
Question 1.
Where has Saheb come from? [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (साहेब कहाँ से आया है ?) or Does Saheb remember his native?
[H.B.S.E. 2018 (Set-D)] (क्या साहेब अपने जन्म स्थान को याद करता है?)
Answer:
No, Saheb has no memory of his native land. Saheb’s family belonged to Dhaka, in Bangladesh. He, along with his family, left his home long ago. His house in Dhaka was set amidst the green fields. But there were many storms that swept away their homes and fields. That is why they had to leave. His family came to Seemapuri where Saheb started working as a ragpicker.

(नहीं, साहेब को अपने जन्म स्थान की याद नहीं आती। साहेब का परिवार बांग्लादेश में, ढाका से सम्बन्ध रखता था। उसने अपने परिवार के साथ बहुत पहले अपने घर को छोड़ दिया था। ढाका में उसका घर हरे खेतों के बीच में स्थित था। लेकिन वहाँ कई बार तूफान आते थे जो उनके घरों और खेतों को तहस-नहस कर देते थे। इसी वजह से उन्हें वहाँ से जाना पड़ा। उसका परिवार सीमापुरी में आ गया जहाँ साहेब ने एक कबाड़ बीनने वाले के रूप में काम करना शुरू कर दिया।)

Question 2.
Where does the author encounter Saheb every morning? (लेखिका साहेब को हर प्रातः कहाँ देखती है ?)
Answer:
Saheb is a ragpicker. The author encounters him every morning searching the garbage dumps for bits of papers and rags. He is one of the army of ragpickers who can be seen scrounging the garbage. Most of these boys are migrants from Bangladesh and have settled in Seemapuri in Delhi.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला है। लेखिका का हर रोज उससे सामना होता है जब वह कागज के टुकड़ों या चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदता रहता था। वह कबाड़ बीनने वालों के बड़े समूह का एक सदस्य था जो कूड़े को कुरेदते रहते थे। इनमें से अधिकतर लोग बांग्लादेश के विस्थापित हैं और वे दिल्ली की सीमापुरी में आकर बस गए हैं।)

Question 3.
Give an account of the background of Saheb and his fellow ragpickers. (साहेब एवं उसके साथी कूड़ा बीनने वालों की दशा का वर्णन करो।)
Answer:
Saheb belongs to a community of ragpickers who scrounge the dumps of garbage for paper and rags. He is one of more than 10,000 persons who are engaged in this profession. Most of them migrated to India from Bangladesh in 1971. They were compelled to leave their homes because of many storms which destroyed their homes and lands. They are living in Seemapuri on the outskirts of Delhi.

(साहेब कबाड़ बीनने वाले समुदाय से सम्बन्ध रखता है जो कि कागज के टुकड़ों और चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं। वह उन दस हजार से भी अधिक लोगों में से एक है जो इस व्यवसाय में लगे हुए हैं। उनमें से अधिकतर लोग 1971 में बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत आए थे। वे अपने घरों को छोड़ने के लिए बाध्य हो गए थे क्योंकि बहुत से तूफानों ने उनके घरों और खेतों को तबाह कर दिया था। वे दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित सीमापुरी में रह रहे हैं।)

Question 4.
What happens when the author asks Saheb to go to school? (जब लेखिका साहेब से स्कूल जाने को कहती है तो क्या होता है ?)
Answer:
Saheb spends his time scrounging the garbage dumps for bits of paper and rags. He tells the author that he has nothing else to do. She tells him to go to school. Saheb replies that there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him he would come if she started a school. Saheb says that he would be glad to come.

(साहेब कागज के टुकड़ों और फटे-पुराने कपड़ों की तलाश में कूड़े के ढेरों को कुरेदता रहता है। वह लेखिका को बताता है कि उनके पास करने के लिए इसके अलावा और कोई अन्य काम नहीं है। वह उसे स्कूल जाने के लिए कहती है। साहेब उत्तर देता है कि उसके पड़ोस में कोई स्कूल ही नहीं है। इस पर लेखिका उसे कहती है कि यदि उसने स्कूल खोल दिया तो क्या वह आएगा। साहेब कहता है कि वह स्कूल में आकर अति प्रसन्न होगा।)

Question 5.
What hollow promise does the author make to Saheb? (लेखिका साहेब से क्या खोखला वायदा करती है ?)
Answer:
Saheb tells the author that he cannot join a school as there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him whether he would come if she started a school. Saheb becomes happy. A few days later, he asks her if she has started a school. Now the author feels embarrassed at having made a hollow promise to a poor boy.

(साहेब लेखिका को बताता है कि वह स्कूल में दाखिला नहीं ले सकता है क्योंकि उसके पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। इस पर लेखिका उससे पूछती है कि यदि वह स्कूल खोल देती है तो क्या वह उस स्कूल में दाखिला लेगा। साहेब प्रसन्न हो जाता है। कुछ दिनों के बाद, वह उससे पूछता है कि क्या उसने स्कूल शुरू कर दिया है। अब लेखिका को उस बच्चे के साथ खोखला वायदा करने की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 6.
What is ironical about Saheb’s full name? (साहेब के पूरे नाम के बारे में विडम्बनात्मक क्या है ?)
Answer:
The author often comes across a poor ragpicker named Saheb. His full name is ‘Saheb-e-Alam’, which means “Lord of the Universe.’ This name is quite ironical. He is a poor boy who earns his living by scrounging the dumps of garbage for bits of paper and rags. His life is full of poverty and misery.

(लेखिका की मुलाकात प्रायः साहेब नाम के एक गरीब कूड़ा बीनने वाले बच्चे के साथ हो जाती थी। उसका पूरा नाम है ‘साहेब-ए-आलम’ जिसका अर्थ है-‘ब्रह्मांड का मालिक’ । यह नाम पूरी तरह से व्यंग्यात्मक है। वह एक गरीब बालक है जिसको कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और फटे-पुराने कपड़ों को तलाश कर अपनी रोजी-रोटी कमानी पड़ती है। उसका जीवन गरीबी और कष्टों से भरा हुआ था।)

Question 7.
What story did a man from Udipi once tell the author? (उडिपी के व्यक्ति ने लेखिका को एक बार क्या कहानी सुनाई ?)
Answer:
Once a man from Udipi told the author that as a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest at that temple. He would stop briefly at the temple and prayed to the goddess for a pair of shoes. Finally the goddess granted his prayer and he got a pair of shoes.

(एक बार उडिपी के एक व्यक्ति ने लेखिका को बताया कि जब वह एक लड़का था तो वह मंदिर के पास से गुजरकर स्कूल जाया करता था। उसके पिता जी उस मंदिर में पुजारी थे। वह थोड़ी देर के लिए मंदिर में रुक जाया करता था और देवी से जूतों की जोड़ी के लिए प्रार्थना करता था। अंततः देवी ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उसे एक जोड़ी जूते मिल गए।)

Question 8.
What did the author observe when she went to Udipi thirty years later? (जब लेखिका तीस साल बाद उडिपी गई तो उसने क्या देखा ?)
Answer:
The author again visited Udipi thirty years later. She went to the temple. She saw that there was a new priest in that temple. She saw a young boy. He was dressed in a grey uniform and was wearing socks and shoes. Now young boys like the priest’s son wore shoes.

(लेखिका तीस साल बाद फिर से उडिपी जाती है। वह मंदिर में जाती है। उसने देखा कि मंदिर में नया पुजारी आ गया था। उसने एक युवा लड़के को देखा। उसने स्लेटी रंग की एक कमीज पहनी हुई थी और उसने जुराबें और जूते पहने हुए थे। अब जवान लड़के पुजारी के लड़के की तरह जूते पहनते थे।)

Question 9.
The author says, “Seemapuri is on the periphery of Delhi, yet miles away from it, metaphorically.” What does she mean to say? (लेखिका कहती है, “सीमापुरी दिल्ली की सीमा पर है, मगर रूपक के तौर पर इससे मीलों दूर है।” वह ऐसा क्यों कहती है?)
Answer:
Seemapuri is a settlement of thousands of ragpickers. It is on the periphery of Delhi. It is a dirty colony, where people live in poverty and misery. The houses are made of mud, tins and tarpaulin. The streets are full of dirt and sewerage. There is a complete contrast between the modern Delhi and Seemapuri. That is why, metaphorically, it is far away from Delhi.

(सीमापुरी हजारों कबाड़ियों की एक बस्ती है। यह दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। यह एक मंदी बस्ती है, जिसमें लोग गरीबी और कष्टों भरा जीवन जीते हैं। मकान मिट्टी, टिन और तिरपाल से बने हुए हैं। गलियाँ, गंदगी और गंदे पानी से भरी हुई हैं। आधुनिक दिल्ली और सीमापुरी की स्थितियों में पूरा विरोधाभास है। अतः रूपक दृष्टि से, सीमापुरी अभी दिल्ली से बहुत दूर है।)

Question 10.
Describe the miserable condition of the ragpickers of Seemapuri. (सीमापुरी के कूड़ा बीनने वालों की दुःखद अवस्था का वर्णन करो।)
Answer:
The ragpickers of Seemapuri lead a life of misery and poverty. They live in dirty conditions. Their houses are made of mud with roofs of tin and tarpaulin. There is no sewerage system, or draining. They don’t have running water. Children are without shoes and are dressed in tattered clothes. Survival in Seemapuri means ragpicking.

(सीमापुरी के कबाड़ बीनने वाले एक कष्टों भरा और गरीबी वाला जीवन व्यतीत करते हैं। वे गंदी स्थितियों में रहते हैं। उनके घर मिट्टी से बने होते हैं और उनकी छतें टिन और तिरपाल की होती हैं। यहाँ पर मल-निकासी और पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। उनके पास जल का कोई स्रोत नहीं है। बच्चों के पास जूते नहीं हैं और वे फटे-पुराने कपड़े पहनते हैं। सीमापुरी में रहने का अर्थ है कबाड़ी के रूप में काम करना।)

Question 11.
Why does the author say that survival in Seemapuri means ragpicking? (लेखिका ऐसा क्यों कहती है कि सीमापुरी में जीवित रहने का अभिप्राय है, कूड़ा बीनना?)
Answer:
Seemapuri is a dirty colony on the outskirts of Delhi. It is a colony of ragpickers. More than ten thousand people are engaged in this job. Most of them have migrated from Bangladesh. They lead miserable and poor lives. They have no other means of earning their livelihood. So they have to scrounge the garbage dumps for bits of paper and rags. That is why the author says that survival in Seemapuri means ragpicking.

(सीमापुरी दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित एक गंदी बस्ती है। यह एक कबाड़ बीनने वालों की बस्ती है। यहाँ के दस हजार से ज्यादा लोग इस काम में लगे हुए हैं। उनमें से अधिकतर बांग्लादेश से आए हैं। वे बहुत ही दयनीय और गरीबी भरा जीवन जीते हैं। उनके पास अपनी आजीविका कमाने का और कोई साधन नहीं है। इसलिए वे कागज़ के टुकड़ों और चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं। यही वजह है कि लेखिका कहती है-सीमापुरी में जिंदा रहने का अर्थ है कबाड़ी के रूप में काम करना।)

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Question 12.
How did Saheb get a pair of shoes? (साहेब को एक जोड़ी जूते कैसे मिले ?)
Answer:
One morning the author saw that Saheb was standing by the fenced gate of the tennis club. Two young men were playing tennis. Saheb was also wearing tennis shoes. These were the discarded shoes of a rich boy. Perhaps he had discarded them as there was a hole in one of them. In this way, Saheb got a pair of shoes.

(एक दिन लेखिका ने देखा कि साहेब टेनिस क्लब के जंगले वाले गेट के पास खड़ा था। दो नौजवान टेनिस खेल रहे थे। साहेब ने भी टेनिस वाले जूते पहने हुए थे। ये एक अमीर लड़के द्वारा पहनकर त्यागे हुए जूते थे। शायद उसने उन जूतों को इस वजह से त्याग दिया था क्योंकि उनमें से एक जूते के तलवे में छिद्र हो गया था। इस तरह से साहेब को वे जूते मिले।)

Question 13.
“Saheb is no longer his own master.” Why does the author feel so? (“साहेब अपना मालिक आप नहीं रहा।” लेखिका को ऐसा महसूस क्यों हुआ ?)
Ans. Saheb gets a job in a tea stall. The author sees him on his way to the milk booth. He is carrying a steel canister on his head. Now he gets Rs 800 per month and all his meals. But he has lost his carefree look. The bag in which he picks the rags was his. But the canister belongs to the tea shop owner. So, the author feels that Saheb is no longer his own master.

(साहेब को एक चाय की दुकान में नौकरी मिल जाती है। लेखिका उसे दूध की दुकान की ओर जाते हुए देखती है। उसने अपने सिर पर स्टील का डिब्बा उठा रखा है। अब उसको 800 रुपए महीना वेतन और भोजन मिलता है। लेकिन अब उसने अपनी बेपरवाह जिंदगी को खो दिया है। जिस बोरी में वह कबाड़ इकट्ठा किया करता था वह बोरी उसकी अपनी थी। लेकिन वह कनस्तर चाय की दुकान के मालिक का था। इसलिए लेखिका को लगता है कि साहेब अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा था।)

Question 14.
Who is Mukesh? Describe his background. (मुकेश कौन है ? उसकी पृष्ठभूमि का वर्णन करो।)
Answer:
Mukesh is a poor boy of Firozabad. He belongs to a family of bangle makers. He is one of the 20,000 young people engaged in bangle-making. He and his family lead a poor and miserable life. They work by glass furnaces with high temperature. His family lives in half-built hut. The street is.choked with garbage.
(मुकेश फिरोज़ाबाद का एक गरीब लड़का है। वह चूड़ी बनाने वालों के एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। वह उन बीस हजार लोगों में से एक है जो चूड़ी बनाने के काम में लगे हुए हैं। वह और उसका परिवार एक गरीबीपूर्ण और कष्टों भरा जीवन जी रहे हैं। वे उच्च तापमान वाली काँच की भट्टियों के पास काम करते हैं। उसका परिवार एक अधूरी बनी झोंपड़ी में रहता है। उनकी गली कूड़े से भरी पड़ी है।)

Question 15.
Describe the conditions in which the bangle makers of Firozabad work. (उन परिस्थितियों का वर्णन करो जिनमें फिरोजाबाद के चूड़ी बनाने वाले काम करते हैं।)
Answer:
More than 20,000 persons are engaged in bangle making work in Firozabad. They work in miserable conditions. They work near glass furnaces with high temperature. They make bangles in small rooms without proper light or air. Because of dim light and because of the dust rising from polishing the glass, most of the children lose their eyesight before they become adults.
(फिरोजाबाद में बीस हजार से अधिक लोग चूड़ी बनाने के काम में लगे हुए हैं। वे कष्टकारी स्थितियों में काम करते हैं। वे उच्च तापमान वाली शीशे की भट्टियों के पास काम करते हैं। वे छोटे-छोटे कमरों में जहाँ उचित हवा और प्रकाश की कमी होती है वहाँ चूड़ियाँ बनाते हैं। मद्धम प्रकाश और काँच पर की जाने वाली पॉलिश की धूल की वजह से, अधिकतर बच्चे वयस्क (बड़े) होने से पहले ही अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं

Question 16.
What for is Firozabad known? (फिरोजाबाद किस लिए प्रसिद्ध है ?)
Answer:
Firozabad is known for its bangles industry. The glass-blowing industry of Firozabad employs more than twenty thousand workers, most of whom are children. In Firozabad, families have spent generations working around furnaces, welding glass, making bangles for women.
(फिरोज़ाबाद अपने चूड़ी उद्योग की वजह से प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद के काँच पिघलाने वाले उद्योगों में बीस हजार से भी अधिक श्रमिक काम करते हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चे हैं। फिरोजाबाद में परिवारों ने भट्टियों के पास काम करते हुए, काँच को जोड़ने में, महिलाओं के लिए काँच की चूड़ियाँ बनाने में कई पीढ़ियाँ गुज़ार दी हैं।)

Question 17.
What has Mukesh’s father achieved after years of hard labour? (कई सालों के कठिन परिश्रम के बाद मुकेश के पिता ने क्या पाया है ?) Or Why is Mukesh’s Father a failed man?[H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)] (मुकेश के पिता एक असफल व्यक्ति क्यों हैं?)
Answer:
Mukesh’s family is engaged in bangle-making. His father started his career as a tailor. But soon he became a bangle maker. But even many years of hard labour as a bangle maker, his life is still poor and miserable. He has failed to renovate his house. Nor has he been able to send his two sons to school. He has only been able to teach them the art of bangle-making.
(मुकेश का परिवार चूड़ी बनाने के काम में लगा हुआ है। उसके पिता ने एक दर्जी के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया था। लेकिन शीघ्र ही वह चूड़ी बनाने के काम में लग गया। लेकिन चूड़ी बनाने वाले के रूप में काम करते हुए सालों की कठोर मेहनत के बावजूद भी, उसका जीवन अभी भी गरीबी और कष्टों से भरा हुआ है। वह अपने घर की मुरम्मत भी नहीं कर सका है। वह अपने दो बेटों को स्कूल भी नहीं भेज सका है। वह तो उनको केवल चूड़ी बनाने की कला का ही ज्ञान दे सका है।)

Question 18.
Describe the kind of bangles made in Firozabad. (फिरोजाबाद में बनाई गई चूड़ियों का वर्णन करो।)।
Answer:
Firozabad is known for its bangles industry. The town produces all kinds of bangles for Indian women. In the factories of Firozabad, bangles of all sizes and colours are made. These bangles can be sunny gold and paddy green. One may have royal blue, pink or purple bangles.
(फिरोज़ाबाद अपने चूड़ी उद्योग की वजह से जाना जाता है। इस शहर में भारतीय महिलाओं के लिए सभी तरह की चूड़ियों का निर्माण किया जाता है। फिरोज़ाबाद के कारखानों में सभी आकारों और रंगों की चूड़ियों का निर्माण किया जाता है। ये चूड़ियाँ चमकीले सुनहरी रंग की और गहरे हरे रंग की होती थीं। कोई रॉयल ब्लू, गुलाबी या बैंगनी रंग की चूड़ियाँ ले सकता है।)

Question 19.
What does the author think when she sees Savita helping to make bangles? (जब लेखिका सविता को चूड़ियाँ बनाने में सहायता करती देखती है तो क्या सोचती है ?)
Answer:
The author sees Savita is sitting alongside an elderly woman. She is joining with solder pieces of glass and thus helping to make bangles. The author wonders whether Savita knows the sanctity of bangles she helps make. She finds that Savita does not know that bangles symbolize an Indian woman’s ‘suhaag’.
(लेखिका देखती है कि सविता एक वृद्ध महिला के पास बैठी है। वह काँच जोड़ने की मशीन के साथ काँच के टुकड़ों को जोड़ रही है और इस तरह से चूड़ियाँ बनाने में मदद कर रही है। लेखिका हैरान होती है कि क्या वह उन चूड़ियों की पवित्रता को जानती है जिनको बचाने में वह सहायता कर रही है। उसे पता लगता है कि सविता इस बात को नहीं जानती है कि चूड़ियाँ एक भारतीय महिला के सुहाग की निशानी होती हैं।)

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Question 20.
Why don’t the bangle makers of Firozabad organise themselves into a cooperative? (फिरोज़ाबाद के चूड़ी निर्माता स्वयं को सहकारी संस्था में संगठित क्यों नहीं करते ?)
Answer:
The author asks some bangle makers as to why they don’t organize themselves into a cooperative. They reply that they are caught in a vicious circle. The sahukars, the middlemen and the police all conspire to keep them poor. If they try to make a cooperate, the police hauls them up and beats them on false charges. These forces will never let them organise into a cooperative.

(लेखिका कुछ चूड़ी बनाने वालों से पूछती है कि वे स्वयं को एक सहकारी संस्था के अन्तर्गत संगठित क्यों नहीं कर लेते हैं। वे उत्तर देते हैं कि वे तो एक जाल में फंस चुके हैं। साहूकार, बिचौलिए और पुलिस सभी मिलकर उन्हें गरीब बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। यदि वे एक सहकारी संस्था बनाने का प्रयास करते हैं, तो पुलिस उनको धमकाती है और झूठे आरोप लगाकर उन्हें पीटती है। ये ताकतें कभी-भी उन्हें एक सहकारी संस्था के अन्तर्गत संगठित नहीं होने देती हैं।)

Question 21.
What is the ambition of Mukesh? (मुकेश की महत्त्वाकांक्षा क्या है ?) Or How can Mukesh realise his dreams? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)] (मुकेश को अपने सपनों का एहसास कैसे होता है?)
Answer:
Mukesh is a bangle maker of Firozabad. But he is different from others. He does not want to make bangles all his life. His ambition is to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day. He is determined and hopeful. The author feels that one day he will be able to realise his dream.

(मुकेश फिरोज़ाबाद का एक चूड़ी निर्माता है। लेकिन वह अन्य चूड़ी निर्माताओं से अलग है। वह अपना सारा जीवन चूड़ी बनाने में ही नहीं बिताना चाहता। उसका सपना एक मोटर मैकेनिक बनना है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। वह दृढ़ निश्चय वाला और आशावान है। लेखिका को भी लगता है कि एक दिन वह अपने सपने को पूरा करने में सफल रहेगा।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
What does the writer want Saheb to do? Why has she to feel embrassed about it later ? (लेखिका साहेब से क्या करने को कहती है ? बाद में उसे इसके बारे में क्यों शर्मिंदा होना पड़ा ?)
Answer:
Saheb is a ragpicker. The author encounters him every morning searching the garbage dumps for bits of papers and rags. He is one of the army of ragpickers who can be seen scrounging the garbage. Most of these boys are migrants from Bangladesh and have settled in Seemapuri in Delhi. Saheb spends his time scrounging the garbage dumps for bits of paper and rags. He tells the author that he has nothing else to do. She tells him to go to school. Saheb replies that there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him if he would come if she started a school. Saheb says that he would be glad to come. A few days later, Saheb sees the writer. He comes running to her and asks her if she has started a school. Now the author feels embarrased at having made a hollow promise to a poor boy.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला लड़का है। लेखिका की उससे प्रतिदिन मुलाकात होती थी जब वह कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और चीथड़ों की तलाश कर रहा होता था। वह कबाड़ बीनने वालों के समूह में से मात्र एक था जो कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते थे। इनमें से अधिकतर लड़के बांग्लादेश से आए शरणार्थी थे और वे दिल्ली के सीमापुरी में आकर बस गए थे। साहेब कागज के टुकड़ों और फटे पुराने कपड़ों की तलाश में कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहने में अपना समय बिताता है। वह लेखिका को बताता है कि उसके पास इसके अतिरिक्त करने के लिए कोई और काम नहीं है। वह उससे स्कूल जाने के लिए कहती है। साहेब उत्तर देता है कि उसके पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। इस पर लेखिका उससे पूछती है कि यदि उसने स्कूल खोल दिया तो क्या वह आएगा। साहेब कहता है कि वह स्कूल में आकर अति प्रसन्नता महसूस करेगा। कुछ दिनों के पश्चात्, साहेब लेखिका को देखता है। वह दौड़कर उसके पास आता है और पूछता है कि क्या उसने स्कूल शुरू कर दिया है। अब लेखिका को एक गरीब बच्चे के साथ झूठा वायदा करने पर शर्म आती है।)

Question 2.
Reproduce briefly the story related to the man from Udipi ? (उडिपी से आए हुए आदमी से संबंधित कहानी का संक्षेप में वर्णन करो।)
or
“It is his Karam, his destiny that made Mukesh’s grandfather go blind.” How did Mukesh disprove this belief by choosing a new vocation and making his own destiny? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (यह उसका कर्म, उसका भाग्य है जिसने मुकेश के दादा को अंधा बनाया?)
Answer:
The writer once goes on a visit to Udipi. There she met a man from Udipi. The man told the author that as a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest at that temple. He would stop briefly at the temple and prayed to the goddess for a pair of shoes. Finally the goddess granted his prayer and he got a pair of shoes. The author again visited Udipi thirty years later. She went to the temple. She saw that there was a new priest in that temple. She saw a young boy. He was dressed in a grey uniform and was wearing socks and shoes. Now young boys like the priest’s son wore shoes. But many others like the ragpickers in her neighbourhood were still without shoes.

(एक बार लेखिका उडिपी की यात्रा पर जाती है। वहाँ उसकी मुलाकात उडिपी के एक आदमी से होती है। उस आदमी ने लेखिका को बताया कि जब वह लड़का था तो वह एक मंदिर के पास से गुजर कर स्कूल जाता था। उसके पिताजी उस मंदिर के पुजारी थे। वह थोड़ी देर के लिए उस मंदिर में रुक कर देवी माँ से एक जोड़ी जूतों के लिए प्रार्थना करता था। अंततः देवी माँ ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे एक जोड़ी जूते मिल गए। लेखिका तीस साल बाद फिर से उडिपी गई। वह मंदिर में गई। उसने देखा कि उस मंदिर में अब एक नया पुजारी था। उसने एक युवा लड़के को देखा। उसने स्लेटी रंग की वर्दी पहन रखी थी और जूते तथा जुराबें पहन रखे थे। अब युवा लड़के भी पुजारी के बेटे जैसे जूते पहनने लगे थे। लेकिन उसके पड़ोस में रहने वाले बहुत-से कबाड़ बीनने वाले अभी भी बिना जूतों के हैं।)

Question 3.
What is ironical about Saheb’s name? Describe the life of Saheb and the life of the other ragpickers of Seemapuri.
(साहेब के नाम के बारे में विडम्बनात्मक क्या है ? साहेब एवं सीमापुरी के अन्य कूड़ा बीनने वालों के जीवन का वर्णन करो।)
Answer:
Sahebis a poor ragpicker. He is one of the numerous ragpickers of Seemapuri which is on the periphery of Delhi. Saheb’s full name is ‘Saheb-e-Alam’ which means ‘Lord of the Universe. This is highly ironical. He leads a very poor and miserable life. He moves barefoot as he has no money to buy shoes. He earns his living by scrounging garbage dumps for pits of paper and rags. He does not know what his name means.

Saheb and the other ragpickers of Seemapuri lead a miserable and poor life. They live in dingy huts made of mud with roofs of tin and tarpaulin. They live amidst dirty and unhygienic surroundings. There is no sewerage, no drainage and no running water in their colony. They move around without shoes in the scorching heat. There is no development and no progress. For these poor people survival means rag-picking. For these poor children, garbage is wrapped in wonder. It is their source of livelihood.

(साहेब एक गरीब कबाड़ बीनने वाला है। वह दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित सीमापुरी में रहने वाले असंख्य कबाड़ियों में से एक है। साहेब का पूरा नाम ‘साहेब-ए-आलम’ है जिसका अर्थ होता है इस ‘सृष्टि का मालिक’ । यह बात अत्यंत व्यंगात्मक है। वह एक अति गरीबी भरा और कष्टों वाला जीवन व्यतीत कर रहा है। वह नंगे पाँव घूमता है क्योंकि उसके पास जूते खरीदने के लिए धन नहीं है। वह कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और चीथड़ों को ढूँढकर अपनी आजीविका कमाता है। वह नहीं जानता है कि उसके नाम का क्या अर्थ है।

साहेब और सीमापुरी के अन्य कबाड़ बीनने वाले सभी गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। वे मिट्टी की बदबूदार झोंपड़ियों जिनकी छतें टिन और तिरपाल से बनी हुई थीं, में रहते हैं। वे गंदे और अस्वास्थ्यकर माहौल में रहते हैं। उनके यहाँ मल-निकासी और जल-निकासी का कोई साधन नहीं है और उनके यहाँ ताजा पानी भी नहीं आता है। वे झुलसाने वाली तपत में भी बिना जूतों के घूमते हैं। उनके क्षेत्र में कोई विकास और प्रगति नहीं है। इन गरीब लोगों के लिए जिंदा रहने का अर्थ है कबाड़ बीनना। इन गरीब बच्चों के लिए कूड़ा अजूबे में लिपटी हुई चीज है। यह उनकी आजीविका का एक साधन है।)

Question 4.
Describe the life of the ragpickers of Seemapuri. Why does the author say that Seemapuri is on the periphery of Delhi, yet miles away from it, metaphorically? (सीमापुरी के कूड़ा बीनने वालों के जीवन का वर्णन करो। लेखिका ऐसा क्यों कहती है कि सीमापुरी दिल्ली की सीमा पर है, फिर भी रूपक के तौर पर दिल्ली से मीलों दूर है?)
Or
How does the writer describe seemapuri, a place on the periphery of Delhi? (H.B.S.E. 2020 (Set-A)] (लेखक सीमापुरी, जो दिल्ली की सीमा पर स्थित है, का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
The ragpickers of Seemapuri lead a life of poverty and misery. There are more than ten thousand ragpickers in Seemapuri. Most of them came here from Bangladesh in 1971. They have been living here for more than thirty years. They don’t have identity and permits. But they do have ration cards which enable them to buy grain and cast their votes at the time of elections. For them food is more important than identity. As children grow up in Seemapuri, they become a part of the barefoot army of ragpickers.

Here survival means rag-picking. These young ragpickers appear in the morning with their bags on their shoulders. They scrounge the garbage dumps for bits of paper, rags, plastic items or other things which they can sell to the Kabariwallah. A garbage dump for them is wrapped in wonder. Sometimes, a ragpicker may find a rupee, a ten rupee note or even a silver coin.

Seemapuri is on the periphery of Delhi. Yet the author says that it is metaphorically miles away from Delhi. She means to say that the glitter and development of Delhi has not touched Seemapuri. The poor ragpickers live in huts made of mud, with roofs of tin and tarpaulin. There is no disposal system for sewage, no draining and no running water. It is unimaginable that Seemapuri is part of Delhi, the capital of India. Here we find no signs of development, only squalor and poverty.

(सीमापुरी के कबाड़ बीनने वाले एक गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। सीमापुरी में कबाड़ बीनने वाले लोगों की संख्या दस हजार से भी अधिक है। इनमें से अधिकतर यहाँ पर बांग्लादेश से 1971 में आए थे। वे यहाँ पर तीस वर्षों से भी अधिक लंबे समय से रह रहे हैं। उनके पास कोई परिचय पत्र या अनुमति पत्र नहीं है। लेकिन उनके पास राशन कार्ड है जिसकी मदद से वे अनाज खरीद सकते हैं और चुनाव के समय अपना वोट डाल सकते हैं।

उनके लिए पहचान से अधिक महत्वपूर्ण भोजन है। जैसे ही सीमापुरी के बच्चे बड़े होते हैं, वे नंगे पाँव वाले कबाड़ियों के दल का हिस्सा बन जाते हैं। यहाँ पर जिंदा रहने का अर्थ कबाड़ बीनना। ये कबाड़ बीनने वाले अपने कंधों पर थैले लादकर सुबह-सुबह बाहर निकल पड़ते हैं। वे कागज के टुकड़ों, फटे-पुराने कपड़ों, प्लास्टिक की चीजों या अन्य चीजों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं जिनको वे कबाड़ीवाले को बेच देते हैं। उनके लिए कूड़े का ढेर अजूबे में लिपटी चीज है। कई बार तो किसी कबाड़ बीनने वाले को वहाँ से एक रुपए का सिक्का, दस रुपए का नोट यहाँ तक कि चाँदी का सिक्का भी मिल जाता है।

सीमापुरी दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। लेकिन फिर भी लेखिका कहती है कि यह लाक्षणिक रूप में दिल्ली से मीलों दूर है। उसका यह कहने का अर्थ है कि यह दिल्ली की चमक-दमक और विकास से अछूता है। गरीब कबाड़ बीनने वाले मिट्टी की बनी झोंपड़ियों में रहते हैं, जिनक छतें टिन और तरपाल से बनी होती हैं। उनके यहाँ मल निकासी और गंदे जल की निकासी की या ताजे पानी के आने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह बात अकल्पनीय है कि सीमापुरी भारत की राजधानी दिल्ली का एक हिस्सा है। यहाँ पर हमें विकास का कोई चिह्न नज़र नहीं आता, सिवाय गंदगी और गरीबी के।)

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Question 5.
Do you think the poor ragpickers remain barefoot because of tradition or lack of money? (क्या आप सोचते हैं गरीब कूड़ा बीनने वाले परम्परा के कारण नंगे पाँव रहते हैं, या पैसे की कमी के कारण ?)
Answer:
The author comes across Saheb, a ragpicker of Seemapuri. He is part of many ragpickers settled in Seemapuri. They live in poor and dirty conditions. Saheb and other ragpickers are barefoot. The author calls them an “army of barefoot boys.” She asks one of them why he is not wearing shoes. He replies that his mother did not bring the shoes down from the shelf. Some boys tell them that it is a tradition with them to remain barefoot. But the author thinks that this is only an excuse to explain away the perpetual poverty which compels them to remain barefoot. She remembers a story, which a man from Udipi told her.

As a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest in that temple. He was poor and could not afford shoes. He would stop briefly in the temple and pray for shoes. Thirty years later, the author visited the same temple. She saw a young boy dressed in gray uniform, wearing socks and shoes. But the boys of Seemapuri are too poor to afford shoes. Some days later, she finds Saheb wearing discarded tennis shoes. This shows that the ragpickers are barefoot not because of any tradition but because of their poverty.

(लेखिका की मुलाकात सीमापुरी के एक कबाड़ बीनने वाले साहेब से होती है। वह सीमापुरी में रहने वाले कबाड़ बीनने वालों में से एक हैं। वे गरीबी वाली और गंदी स्थितियों में रहते हैं। साहेब और अन्य कबाड़ बीनने वाले नंगे पाँव रहते हैं। लेखिका उनको “नंगे पाँव लड़कों की सेना” कहकर सम्बोधित करती है। वह उनमें से एक से पूछती है कि उसने जूते क्यों नहीं पहन रखे हैं। वह उनमें से एक से पूछती है कि उसने जूते क्यों नहीं पहन रखे हैं। वह उत्तर देता है कि उसकी माँ ने शेल्फ़ से जूते नीचे नहीं उतारे हैं। कुछ लड़के उसको बताते हैं कि उनके यहाँ तो बिना जूतों के ही रहना एक परंपरा सी बन गई है। परन्तु लेखिका सोचती है कि यह उनका अपनी चिरस्थायी गरीबी को समझाने का एक बहाना है, जो उन्हें नंगे पाँव रहने पर मजबूर करती है।

उसे एक कहानी याद आती है जो उडिपी के एक आदमी ने उसे सुनाई थी। जब वह छोटा था तो वह एक मंदिर के पास से गुजर कर स्कूल जाता था। उसके पिता जी उस मंदिर में पुजारी थे। वे गरीब थे और उसे जूते नहीं दिला सकते थे। वह थोड़ी देर मंदिर में रुक जाया करता था और जूतों के लिए प्रार्थना करता था। तीस साल के बाद, लेखिका फिर से उस मंदिर में गई। उसने एक युवा लड़के को देखा जिसने स्लेटी रंग की वर्दी पहन रखी थी और जूते तथा जुराबें पहन रखे थे। लेकिन सीमापुरी के बालक तो इतने गरीब हैं कि वे जूते नहीं खरीद सकते हैं। कुछ दिनों के बाद, वह साहेब को टेनिस खेलने के पुराने जूते पहने हुए देखती है। इस बात से पता चलता है कि कूड़ा बीनने वाले अपनी गरीबी की वजह से नंगे पाँव रहते हैं, न कि किसी परंपरा की वजह से।)

Question 6.
Who is Mukesh? What is his ambition? Describe the author’s visit to the house of Mukesh? (मुकेश कौन है ? उसकी महत्त्वाकांक्षा क्या है ? लेखिका के मुकेश के घर आगमन का वर्णन करो।)
Or
“It is his Karam, his destiny that made Mukesh’s grandfather go blind.” How did Mukesh disprove this belief by choosing a new vocation and making his own destiny. [H.B.S.E. March 2018 (Set-A)] (यह उसका कर्म, उसका भाग्य है, जिसने मुकेश के दादा को अंधा बनाया। मुकेश ने एक नए पेशे को अपनाकर तथा अपना स्वयं का भाग्य बनाकर इस धारणा को कैसे गलत साबित किया?)
Or
What did the writer see when Mukesh took her to his home ?[H.B.S.E. March, 2019, 2020 (Set-D)] (जब मुकेश लेखक को अपने घर ले गया तो लेखक ने क्या देखा?)
Answer:
Mukesh is a young bangle maker of Firozabad. His family has been doing this job for generations. Like the other families of bangle makers, Mukesh’s family is also very poor. They think that their destiny is fixed and they will spend their lives making bangles only. But Mukesh seems to be different. He is determined that one day he will leave this job. He wants to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day. The author thinks that Mukesh can achieve his aim as he seems determined.

The author visits Mukesh’s home. He lives in a stinking lane, choked with garbage. The houses in the streets are just hoveled with crumbling walls and no windows. They are crowded with families of humans and animals. Then they enter Mukesh’s home. It is a half-built rough hut. In one part of it, the roof is covered with dry grass. There is firewood stove. A frail woman is cooking the evening meal for the family. She is the wife of Mukesh’s elder brother.

Mukesh’s father is a poor bangle maker. He has been making bangles for many long years. Yet he has not been able to renovate the house and to send his two sons to schools. He could just teach them the art of bangle-making. Mukesh’s grandfather had gone blind with the dust from polishing the glass of bangles.

(मुकेश फिरोजाबाद का चूड़ी बनाने वाला एक छोटा लड़का है। उसका परिवार कई पीढ़ियों से यह काम कर रहा है। चूड़ियाँ बनाने वाले अन्य परिवारों की तरह मुकेश का परिवार भी गरीब है। वे सोचते हैं कि उनका भाग्य तो तय कर दिया गया है और वे तो केवल मात्र चूड़ियाँ बनाकर ही अपना जीवन व्यतीत करेंगे। लेकिन मुकेश का विचार भिन्न है। उसे पक्का यकीन है कि एक दिन वह उस काम को छोड़ देगा। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। लेखिका सोचती है कि मुकेश अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है क्योंकि उसका इरादा पक्का है।

लेखिका मुकेश के घर जाती है। वह एक बदबूदार गली में रहता है जो कि कूड़े से भरी पड़ी है। गलियों में बने घर मात्र सिर्फ छप्पर ही हैं जिनकी टूटी-फूटी दीवारें हैं और उनमें कोई खिड़की भी नहीं है। उन घरों में इन्सानों और पशुओं की भीड़ भरी हुई है। तब वे मुकेश के घर में प्रवेश करते हैं। उसका घर एक आधी बनी झोंपड़ी के समान है। इसके एक भाग में, छत सूखे घास से बनी हुई है। इसमें लकड़ी का चूल्हा रखा हुआ है। एक कमजोर-सी महिला परिवार के लिए रात्रि भोजन तैयार कर रही है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। मुकेश का पिता एक गरीब चूड़ी बनाने वाला है। वह पिछले बहुत-से सालों से चूड़ियाँ बना रहा है। लेकिन फिर भी वह अपने घर की मुरम्मत नहीं करवा सका है और न ही अपने दो बेटों को स्कूल भेज सका है। वह तो उनको केवल मात्र चूड़ियाँ बनाने की कला ही सिखा पाया है। मुकेश का दादा काँच को पॉलिश करते समय उठी धूल की वजह से अंधा हो चुका था।)

The Lost Spring MCQ Questions with Answers

Multiple Choice Questions

1. Who is the writer of extract ‘Lost Spring’?
(A) Najees Jung
(B) Anees Jung
(C) Janees Aung
(D) Ganesh Gunj
Answer:
(B) Anees Jung

2. Who is Saheb?
(A) a shopkeeper
(B) a soldier
(C) a ragpicker
(D) a student
Answer:
(C) a ragpicker

3. From where did Saheb come?
(A) Dhaka
(B) Dhamaka
(C) Jorhat
(D) Chittagong
Answer:
(A) Dhaka

4. Why did Saheb and his family come to India leaving Bangladesh?
(A) they liked India
(B) they were expelled from there
(C) because of communal violence there
(D) because storms destroyed their homes and fields
Answer:
(D) because storms destroyed their homes and fields.

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5. What is Saheb’s full name?
(A) Saheb-e-Alam
(B) Alam-e-Saheb
(C) Laheb-e-Salam
(D) Maheb-e-Lalam
Answer:
(A) Saheb-e-Alam

6. What is the meaning of ‘Saheb-e-Alam’?
(A) great ragpicker
(B) chief of pick-pockets
(C) Lord of the Universe
(D) Lord of the pirates
Answer:
(C) Lord of the Universe.

7. Saheb’s name means “Lord of the Universe, but he leads a life of ………………………………..
(A) wealth and power
(B) opulence
(C) prosperity
(D) poverty and misery
Answer:
(D) poverty and misery

8. Why does Saheb remain barefoot?
(A) his feet are beautiful
(B) he hates shoes
(C) he is so poor that he cannot buy shoes and chappals
(D) his employer forbids him to wear shoes
Answer:
(C) he is so poor that he cannot buy shoes and chappals

9. Where does Saheb live?
(A) Seemapuri
(B) Peemasuri
(C) Maujpur
(D) Paujmur
Answer:
(A) Seemapuri

10. The houses in Seemapuri are made of ………………………………….
(A) bricks and concrete
(B) asbestos sheets
(C) mud, tin, and tarpaulin
(D) plywood
Answer:
(C) mud, tin and tarpaulin

11. For the people of Saheb’s colony what is more important than identity?
(A) gold
(B) Silver
(C) coats
(D) food
Answer:
(D) food

12. Where do Saheb and other such people pitch their tents?
(A) in a good colony
(B) wherever they find food
(C) by the bank of a river
(D) near a theatre
Answer:
(B) wherever they find food.

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13. What is Saheb watching from the fenced gate of a club?
(A) two young men playing tennis
(B) two women dancing
(C) two dogs quarreling dog
(D) a gardener planting flowers
Answer:
(A) two young men playing tennis

14. Later, Saheb is found wearing shoes. Who gave them the shoes?
(A) the writer
(B) a policeman
(C) a doctor
(D) a rich boy
Answer:
(D) a rich boy

15. Why did a rich boy give the tennis shoes to Saheb?
(A) he liked Saheb
(B) he hated his shoes
(C) there was a hole in one of them
(D) Saheb bought them from him.
Answer:
(C) there was a hole in one of them

16. Where does Saheb work after leaving the work of being a ragpicker?
(A) a factory
(B) in a tea stall
(C) on a farm
(D) in a school
Answer:
(B) in a tea stall

17. The writer describes the life of another poor boy. What is his name?
(A) Mukesh
(B) Sukesh
(C) Ramesh
(D) Sumesh
Answer:
(A) Mukesh

18. Where does Mukesh’s family work?
(A) in a school
(B) on a farm
(C) in a club
(D) in a bangle factory
Answer:
(D) in a bangle factory

19. Where does Mukesh live?
(A) in Ferozepur
(B) in Faridabad
(C) in Aurangabad
(D) in Firozabad
Answer:
(D) in Firozabad

20. What is Firozabad famous for?
(A) bangles
(B) sandals
(C) cloth
(D) electronics
Answer:
(A) bangles

21. What does Mukesh want to become?
(A) a doctor
(B) a motor mechanic
(C) teacher
(D) writer
Answer:
(B) a motor mechanic

22. What does the writer say about the street in which Mukesh’s house is situated?
(A) a fine street
(B) a wide street
(C) a street with civic amenities
(D) a stinking lane, choked with garbage
Answer:
(D) a stinking lane, choked with garbage.

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23. In what kind of house does Mukesh live?
(A) in a big house
(B) in a bungalow
(C) in a half-built rough hut
(D) in a flat
Answer:
(C) in a half-built rough hut

24. What’s Mukesh’s father?
(A) a doctor
(B) a poor bangle maker
(C) a teacher
(D) a leader
Answer:
(B) a poor bangle maker

25. What do the bangles symbolize in Indian culture?
(A) ‘Suhaag’
(B) corruption
(C) chastity
(D) farming
Answer:
(A) ‘Suhaag

The Lost Spring Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1.
“Why do you do this?” I ask Saheb whom I encounter every morning scrounging for gold in the garbage dumps of my neighbourhood. Saheb left his home long ago. Set amidst the green fields of Dhaka, his home is not even a distant memory. There were many storms that swept away their fields and homes, his mother tells him. That’s why they left, looking for gold in the big city where he now lives. “I have nothing else to do,” he mutters, looking away.

Word-meanings :
Encounter = come across (भेंट करना);
scrounging = searching for something (किसी चीज़ को खोजना);
dumps = heaps (ढेर)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.

(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) Who is Saheb?
(A) a school-going boy
(B) the son of a king
(C) a ragpicker boy
(D) the writer’s son
Answer:
(C) a ragpicker boy

(iv) Which city did Saheb’s family belong to?
(A) Dhaka
(B) Kolkata
(C) Patna
(D) Chennai
Answer:
(A) Dhaka

(v) What was Saheb scrounging for in the heaps of garbage?
(A) books
(B) food
(C) toys
(D) rags
Answer:
(D) rags

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Passage 2
After months of knowing him, I ask him his name. “Saheb-e-Alam,” he announces. He does not know what it means. If he knew its meaning – lord of the universe – he would have a hard time believing it. Unaware of what his name represents, he roams the streets with his friends, an army of barefoot boys who appear like the morning birds and disappear at noon. Over the months, I have come to recognize each of them.

Word-meanings :
Roam = wanders (घूमना);
barefooted = without shoes (बिना जूतों के);
disappear = go out of sight (नज़र न आना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) What is the meaning of ‘Saheb-e-Alam’?
(A) Lord of the state
(B) Lord of the universe
(C) Lord of the land
(D) none of the above
Answer:
(B) Lord of the universe

(iv) Who does Saheb roam with?
(A) his parents
(B) his brother
(C) his classmates
(D) his friends
Answer:
(D) his friends

(v) Did Saheb know the meaning of his name?
(A) Yes
(B) No
(C) Maybe
(D) May not be
Answer:
(B) No

Passage 3
I remember a story a man from Udipi once told me. As a young boy he would go to school past an old temple, where his father was a priest. He would stop briefly at the temple and pray for a pair of shoes. Thirty years later I visited his town and the temple, which was now drowned in an air of desolation. In the backyard, where lived the new priest, there were red and white plastic chairs. A young boy dressed in a grey uniform, wearing socks and shoes, arrived panting and threw his school bag on a folding bed.

Looking at the boy, I remembered the prayer another boy had made to the goddess when he had finally got a pair of shoes, “Let me never lose them.” The goddess had granted his prayer. Young boys like the son of the priest now wore shoes. But many others like the ragpickers in my neighbourhood remain shoeless. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]

Word-meanings :
Desolation = ruin (विनाश);
panting = breathing heavily (ज़ोर-से साँस लेना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) None of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) What was the young boys father?
(A) Priest
(B) Farmer
(C) Teacher
(D) Soldier
Answer:
(A) Priest

(iv) What did the boy pray for?
(A) A pair of shirts
(B) Books
(C) Money
(D) A pair of boots
Answer:
(D) A pair of boots

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(v) Who does “I’ refer to in the first line?
(A) Anees Jung
(B) Saheb
(C) Saheb’s father
(D) None of the above
Answer:
(A) Anees Jung

Passage 4
My acquaintance with the barefoot ragpickers leads me to Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically. Those who live here are squatters who came from Bangladesh back in 1971. Saheb’s family is among them. Seemapuri was then a wilderness. It still is, but it is no longer empty. In structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin, devoid of sewage, drainage or running water, live 10,000 ragpickers.

Word-meanings :
Acquaintance = introduction (परिचय);
squatters = illegal settlers (गैर-कानूनी स्थापित होना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) Where is Seemapuri situated?
(A) in the center of Delhi
(B) on the periphery of Delhi
(C) outside Delhi
(D) all of the above
Answer:
(B) on the periphery of Delhi

(iv) Who lived in Seemapuri?
(A) Farmers
(B) Politicians
(C) Traders
(D) Ragpickers
Answer:
(D) Ragpickers

(v) What change has come in Seemapuri over the years?
(A) It is no longer a wilderness
(B) Here structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin have appeared here
(C) About 10,000 ragpickers live here
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Passage 5
“I, sometimes, find a rupee, even a ten-rupee note,” Saheb says, his eyes lighting up. When you can find a silver coin in a heap of garbage, you don’t stop scrounging, for there is hope of finding more. It seems that for children garbage has a meaning different from what it means to their parents. For the children it is wrapped in wonder, for the elders, it is a means of survival.

Word-meanings :
Garbage = rubbish (कूड़ा);
scrounging = searching for something (किसी चीज को खोजना);
wrapped = covered (लिपटा) ।

Questions :
(i) This passage has been taken from :
(A) The Last Lesson
(B) Deepwater
(C) Lost Spring
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Lost Spring

(ii) Who, sometimes, finds a rupee, even a ten-rupee note?
(A) The writer
(B) The story-teller
(C) Saheb
(D) His parents
Answer:
(C) Saheb

(iii) What does a heap of garbage stand for the children’s parents?
(A) A source of water
(B) A means of survival
(C) Both (A) and (B)
(D) neither (A) and (B)
Answer:
(B) A means of survival

(iv) The word “garbage’ means :
(A) rubbish
(B) expensive material
(C) rare material
(D) useful material
Answer:
(A) rubbish

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(v) The writer of the passage is :
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) W. Douglas
(D) none of these
Answer:
(B) Anees Jung

Type (ii)
Passage 6
They have lived here for more than thirty years without an identity, without permits but with ration cards that get their names on voters’ lists and enable them to buy grain. Food is more important for survival than an identity. “If at the end of the day we can feed our families and go to bed without an aching stomach, we would rather live here than in the fields that gave us no grain,” say a group of women in tattered saris when I ask them why they left their beautiful land of green fields and rivers.

Wherever they find food, they pitch their tents that become transit homes. Children grow up in them, becoming partners in survival. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of a fine art. Garbage to them is gold. It is their daily bread, a roof over their heads, even if it is a leaking roof. But for a child, it is even more.

Word-meanings:
Identity = recognition (पहचान);
aching = paining (पीड़ा);
survival = living (जीवन)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Where have the rag-pickers lived for more than thirty years?
(iii) Why have the people left their green field’s behind?
(iv) What is gold to the ragpickers?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) painting,
(b) living.
Answers :
(i) Chapter: Lost Spring-Stories of Stolen Childhood.
Author: Anees Jung.
(ii) The ragpickers have lived for more than thirty years in Seemapuri.
(iii) The people have left their green fields behind because that gave no grain to them.
(iv) Garbage is gold to the ragpickers.
(v) (a) aching, (b) survival.

Passage 7
Saheb too is wearing tennis shoes that look strange over his discolored shirt and shorts. “Someone game them to me,” he says in the manner of an explanation. The fact that they are discarded shoes of some rich boy, who perhaps refused to wear them because of a hole in one of them, does not bother him. For one who had walked barefoot, even shoes with a hole is a dream come true. But the game he is watching so intently is out of his reach. [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]

Word-meanings :
Discard = given up/in disuse (छाड़ना);
intently = attentively (आभलाषा)।

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What looks strange?
(iv) Why did some rich boy discard the shoes?
(v) What is a dream come true for Saheb?
Answers:
(i) Lost Spring
(ii) Anees Jung
(iii) Tennis shoes that Saheb was wearing look strange.
(iv) Some rich boys discarded them because of a hole in one of them.
(v) Dream of wearing a shoe come true for Saheb.

Passage 8
Savita, a young girl in a drab pink dress, sits alongside an elderly woman, soldering pieces of glass. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make. It symbolises an Indian woman’s suhag, auspiciousness in marriage. It will dawn on her suddenly one day when her head is draped with a red veil, her hands dyed red with henna, and the red bangles rolled onto her wrists. She will then become a bride. [H.B.S.E. March 2018 (Set-D)]

Word-meanings :
Drab = dull (नीरस);
soldering = welding (धातु जाड़न का टाका);
dyed = coloured (रग किया)।

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Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What is Savita wearing?
(iv) What sanctity is attached to bangles?
(v) What job is Savita doing?
Answers:
(i) Lost Spring
(ii) Anees Jung
(iii) Savita is wearing a pink dress.
(iv) Bangles symboliseS an Indian woman’s suhag.
(v) Savita is soldering pieces of glass.

The Lost Spring Summary in English and Hindi

The Lost Spring Introduction to the Chapter
Anees Jung is one of the famous writers of India. She was born in Rourkela. But she spent her childhood in Hyderabad. She got her education in Hyderabad and in USA. Anees Jung began her literary career as writer and columnist for major newspapers of India. This lesson has been taken from her book ‘Lost Spring, Stories of Stolen Childhood. This lesson presents a depressing picture of modern India. She gives a realistic description of the grinding poverty and pathetic condition of poor and innocent children like Saheb of Seemapuri and Mukesh of Firozabad. Saheb is a ragpicker in Seemapuri, near Delhi. Mukesh works as a labourer in a bangle making factory of Firozabad in Uttar Pradesh. Like many others in India, the childhood of Saheb and Mukesh is full of abject poverty and misery.

(अनीस जंग भारत के प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। उनका जन्म राऊरकेला में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना बचपन हैदराबाद में बिताया। उन्होंने अपनी शिक्षा हैदराबाद और संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राप्त की। अनीस जंग ने अपना साहित्यिक सफर भारत के प्रसिद्ध समाचार-पत्रों के लिए एक लेखक और स्तंभकार के रूप में शुरू किया। यह पाठ उनकी पुस्तक ‘Lost Spring Stories of Stolen Childhood’ से लिया गया है।

यह पाठ आधुनिक भारत की विषाद भरी तस्वीर का प्रदर्शन करता है। वे कष्टकारक गरीबी और सीमापुरी के साहेब और फिरोज़ाबाद के मुकेश जैसे (निर्दोष) बच्चों की करुणाजनक स्थिति का वास्तविक चित्रण करती हैं। साहेब दिल्ली के निकट सीमापुरी में एक कबाड़ इकट्ठा करने वाला है। मुकेश उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद में चूड़ियों का निर्माण करने वाली एक फैक्टरी में श्रमिक है। भारत में अन्य बहुत-से लोगों की तरह साहेब और मुकेश का बचपन भी दयनीय गरीबी और कष्टों से भरा हुआ है।)

The Lost Spring Summary

“Sometimes I find a rupee in the garbage” : Saheb is a ragpicker. Anees Jung sees him daily scrounging the garbage dumps. He came from Dhaka, which is in Bangladesh. He has no memory of his home. His family came away from Bangladesh because storms destroyed their homes and fields. Anees Jung asks him his full name. His full name is ‘Saheb-e-Alam,’ which means “Lord of the Universe”. This name is ironical as he is not the lord of even his own life. He leads a life of utter poverty and misery. He roams the streets with other ragpickers. Like them, he is also barefoot. They live in a state of perpetual poverty and cannot afford shoes or chappals.

Like many other families of ragpickers, Saheb’s family lives in Seemapuri. This is a dirty colony on the periphery of Delhi. About 10,000 ragpickers live there in miserable conditions. The colony shows no signs of development. The houses are made of mud and have roofs of tin and tarpaulin. The colony is devoid of sewage drainage or running water. They have lived for more than thirty years. They have no identity or permits. But they have ration cards that enable them to buy grain or to cast votes. For them food is more important than identity. Wherever they find food, they pitch their tents and become a transit camp.

One morning, the writer sees Saheb standing by the fenced gate of a club. He is watching two young men playing tennis. He tells her that he likes the game. Saheb is also wearing tennis shoes. These were given to him by a rich boy because there is a hole in one of the shoes. Now Saheb works in a tea stall. He gets 800 rupees plus meals. The writer observes that Saheb’s face has lost its carefree look. He is no longer his own master.
“I want to drive a car.”

Now the writer describes the life of another poor boy. His name is Mukesh. His family works in a bangle factory. He lives in a dusty street of Firozabad. This town is famous for its bangles. It is the center of India’s glass-blowing factory. Like other poor families of the town, Mukesh’s family has been making bangles for generations. But Mukesh has dreams in his eyes. He wants to be a motor mechanic. He says that he wants to learn to drive a car.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

The author says that more than 20,000 children work in the bangle factories of Firozabad. They do not know that it is illegal for children to work in the glass furnaces with high temperatures. They work in dark cells without air and light. They live in miserable conditions. The author visits Mukesh’s home. He lives in a stinking lane, choked with garbage. The houses in the streets are just hovels with crumbling walls and no windows. They are crowded with families of humans and animals.

Then they enter: Mukesh’s home. It is a half-built rough hut. In one part of it, the roof is covered with dry grass. There is firewood stove. A frail woman is cooking the evening meal for the family. She is the wife of Mukesh’s elder brother. Mukesh’s father is a poor bangle maker. He has been making bangles for many long years. Yet he has not been able to renovate the house and to send his two sons to schools. He could just teach them the art of bangle-making. Mukesh’s grandfather had gone blind with the dust from polishing the glass of bangles.

There is great poverty in the families of these bangle makers. But they cannot give up their profession. They are born in the caste of bangle makers. They have nothing but bangles in their houses. In dark hutments, boys and girls sit with their fathers and mothers, welding pieces of coloured glass into circles of bangles. They work by flickering oil lamps.

The author meets a young girl in a dull pink dress, sitting alongside an elderly woman. The girl’s name is Savita. She is welding the pieces of glass. Her hands move mechanically while doing so. The author wonders whether she knows the sanctity of bangles. They symbolise an Indian woman’s ‘suhaag’. They stand for auspiciousness in marriage. Perhaps she will realise it one day when she herself becomes a bride.

These poor people have no money to do any other work except carry on the business of making bangles. Years of mind-numbing toil have killed all initiative and the ability to dream. The author asks some young men why they do not organise themselves into a cooperative. They say that even they make an attempt to do, they will be hauled up by the police, beaten and dragged to jail for doing something illegal.

The author realises that there are two distinct worlds. One is the world of the family, caught in a web of poverty. The other is the world of moneylenders, the middlemen and the policeman, the bureaucrats and the politicians. They all exploit the poor bangle makers. Mukesh’s eyes are full of hope. The author asks him if he dreams of flying an aeroplane. He says ‘no’ and is content to dreams of cars which he sees moving down the streets of his town. The child accepts his destiny as his father had accepted it.

(“कई बार मुझे कबाड़ में से एक रुपया मिल जाता है।” साहेब कबाड़ बीनने वाला है। अनीस जंग उसे हररोज कूड़े के ढेर के पास खोजबीन करते हुए देखती है। वह ढाका से आया था जो कि बंगलादेश में है। उसे अपने घर की कोई याददाश्त नहीं है। उसका परिवार बंगला देश से पलायन कर आया था क्योंकि तूफान में उनका घर और खेत नष्ट हो चुके थे। अनीस जंग उससे उसका पूरा नाम पूछती है। उसका पूरा नाम है ‘साहिब-ए-आलम’ जिसका अर्थ है ‘दुनिया का मालिक’। यह नाम व्यंग्यात्मक है क्योंकि वह तो खुद अपने जीवन का भी मालिक नहीं है। वह पूर्ण गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करता है। वह कबाड़ बीनने वाले दूसरे लड़कों के साथ गलियों में घूमता है। उनकी तरह वह भी नंगे पाँव है। वे कभी समाप्त न होने वाली गरीबी की स्थिति में रहते हैं और जूते या चप्पलें भी नहीं जुटा सकते हैं।

कबाड़ इकट्ठा करने वालों के अन्य बहुत-से परिवारों की तरह, साहेब का परिवार भी सीमापुरी में रहता है। यह दिल्ली की परिधि पर बसी एक गंदी बस्ती है। लगभग 10,000 कबाड़ इकट्ठा करने वाले वहाँ दयनीय स्थिति में रहते हैं। कॉलोनी में विकास का कोई संकेत नहीं है। मकान मिट्टी से बने हुए हैं और उनकी छतें टिन और तिरपाल से बनी हुई हैं। कॉलोनी मल निकासी और जलापूर्ति रहित है। वे तीस सालों से अधिक से यहाँ रह रहे हैं।

उनका कोई पहचान-पत्र या अनुमति पत्र नहीं है। लेकिन उनके पास राशन-कार्ड है। जिससे वे अनाज प्राप्त कर सकते हैं और वोट डाल सकते हैं। उनके लिए पहचान-पत्र की अपेक्षा राशन अधिक जरूरी है। जहाँ कहीं भी उन्हें भोजन मिल जाता है वे अपने तंबू गाड़ देते हैं और एक अस्थायी कैंप बना लेते हैं। एक सुबह लेखिका साहेब को एक क्लब में गेट के पास खड़े देखती है। वह दो नवयुवकों को टेनिस खेलते हुए देख रहा है। वह उसे बताता है कि वह उस खेल को पसंद करता है।

साहेब ने भी टेनिस के जूते पहन रखे हैं। उसको ये एक अमीर लड़के के द्वारा दिए गए थे क्योंकि एक जूते में सुराख हो गया था। अब साहेब एक चाय की दुकान पर काम करता है। उसे भोजन के साथ 800 रुपये मिलते हैं। लेखिका देखती है कि साहेब के चेहरे के चिंतामुक्त भाव खो गए हैं। अब वह अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा है।

“मैं कार चलाना चाहता हूँ।” अब लेखिका एक-दूसरे गरीब लड़के का वर्णन करती है। उसका नाम मुकेश है। उसका परिवार एक चूड़ियों के कारखाने में काम करता है। वह फिरोजाबाद की एक धूलभरी गली में रहता है। यह कस्बा अपनी चूड़ियों के कारण प्रसिद्ध है। यह भारत के काँच उद्योग का केंद्र है। कस्बे के अन्य गरीब परिवारों की भाँति, मुकेश का परिवार भी कई पीढ़ियों से चूड़ियाँ बनाने का काम कर रहा है। लेकिन मुकेश की आँखों में सपने हैं। वह एक मोटर मकैनिक बनना चाहता है। वह कहता है कि वह कार चलाना सीखना चाहता है।

लेखिका कहती है कि फिरोज़ाबाद के चूड़ियाँ बनाने वाले कारखानों में 20,000 से अधिक बच्चे काम कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते हैं कि इतने उच्च तापमान पर काँच पिघलाने वाले इन उद्योगों में बच्चों का भारी काम करना उनके लिए गैर-कानूनी है। वे बिना हवा और प्रकाश के अंधेरे कमरों में काम करते हैं। वे दयनीय परिस्थितियों में रहते हैं। लेखिका मुकेश के घर जाती है। वह एक बदबूदार गली में रहता है जो कि कबाड़ से भरी पड़ी है। उस गली के घर जीर्ण-शीर्ण दीवारों वाले छप्पर है और उनमें खिड़कियाँ नहीं हैं। उनमें मनुष्यों और पशुओं की भीड़ है। तब वे मुकेश के घर में प्रवेश करते हैं। यह एक आधी-अधूरी बनी भद्दी-सी झोपड़ी है। इसके एक भाग में, छत सूखी घास से ढकी हुई है। इसमें लकड़ी से चलने वाला चूल्हा रखा है।

एक दुबली-पतली महिला परिवार के लिए शाम का भोजन पका रही है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। मुकेश का पिता एक गरीब चूड़ी निर्माता है। वह बहुत सालों से चूड़ियाँ बना रहा है। लेकिन फिर भी वह अपने घर की मुरम्मत नहीं करवा सका और न ही अपने दो बेटों को स्कूल भेज सका। वह उन्हें केवल चूड़ियाँ बनाने की कला ही सिखा पाया। मुकेश के दादा जी चूड़ियों के काँच पर पॉलिश करते हुए धूल के कारण अंधे हो गए थे।

इन चूड़ी निर्माताओं के परिवारों में बहुत अधिक गरीबी है। लेकिन वे अपना पेशा नहीं छोड़ सकते हैं। उनका जन्म चूड़ी निर्माताओं की जाति में हुआ है। उनके घरों में चूड़ियों के सिवाय कुछ भी नहीं मिलता है। अंधेरी झोंपड़ियों में लड़के और लड़कियाँ अपने माता-पिता के साथ बैठकर रंगीन काँच के टुकड़ों को गोल चूड़ियों के रूप में जोड़ते हैं। वे तेल के दिए जलाकर काम करते हैं।

लेखिका एक छोटी लड़की से मिलती है जिसने फीके गुलाबी रंग की पोशाक पहन रखी थी और वह एक वृद्ध महिला के पास बैठी थी। लड़की का नाम सविता है। वह काँच के टुकड़ों को जोड़ रही है। ऐसा करते हुए उसके हाथ मशीन की तरह चल रहे हैं। लेखिका हैरान होती है कि क्या उस लड़की को चूड़ियों की पवित्रता का पता है। ये एक भारतीय महिला के ‘सुहाग’ का प्रतीक हैं। ये शादी में शुभ मानी जाती हैं। शायद उसे इसके बारे में एक दिन पता चल जाएगा जब वह दुल्हन बनेगी।

इन गरीब लोगों के पास चूड़ी बनाने के इस पेशे को जारी रखने के सिवाय और कोई काम करने के लिए धन नहीं है। मन को चेतना शून्य कर देने वाले वर्षों के परिश्रम ने उनकी सभी रुचियों और स्वप्नों को मार दिया है। लेखिका कुछ नवयुवकों से पूछती है कि वे स्वयं को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित क्यों नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि यदि वे ऐसा करने का प्रयास भी करते हैं तो पुलिस उन्हें खींच लेगी और उनकी पिटाई करके उन्हें गैर-कानूनी कार्य करने के जुर्म में जेल में डाल देगी। लेखिका महसूस करती है कि दो भिन्न-भिन्न प्रकार का संसार है। एक संसार तो गरीबी के जाल में फंसे हुए परिवारों का है। दूसरा संसार साहूकारों, मध्यमवर्ग के लोगों और पुलिस वालों, अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का है।

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वे सभी गरीब चूड़ी निर्माताओं का शोषण करते हैं। मुकेश की आँखें आशा से भरी हैं। लेखिका उससे पूछती है कि क्या वह हवाई जहाज उड़ाने का स्वप्न देखता है। वह कहता है “नहीं” और वह तो कार चलाने के सपने से ही संतुष्ट है जो कि उसे अपने कस्बे में गली से नीचे की ओर आती हुई जान पड़ती है। बच्चा अपने भाग्य को स्वीकार कर लेता है जैसे उसके पिता ने स्वीकार कर लिया था।)

The Lost Spring Word Meanings

[Page 13] :
Garbage (rubbish) = कूड़ा-कर्कट;
encounter (come across) = भेंट करना;
scrounging (searching for something)=किसी चीज़ को खोजना;
dumps (heaps)=ढेर;
amidst (in the middle of) =के बीच में;
distant (faroff) =से दूर;
swept away (washed away) = तहस-नहस करना;
else (any other thing) =अन्य वस्तु;
mutters (grumbles)= दुःख व्यक्त करना;
glibly (easily)= आसानी से;
hollow (empty) खाली;
sound (seem) = प्रतीत होना।

[Page 14] :
Broadly (widely)= चौड़ा ;
embarrassed (confused) = व्याकुल;
abound (in plenty)= प्रचुरता में;
bleak (dark, cheerless)= अंधेरा, उदास;
hard time (difficult time)= मुश्किल समय;
unaware (ignorant)= उपेक्षा करना;
represents (stands for)= पक्ष लेना;
roams (wanders) = घूमना;
barefoot (without shoes) = बिना जूतों के;
disappear (go out of sight)= नज़र न आना;
match (equal)= बराबर;
shuffles (keeps shifting)= बदलते रहना ;
lack (shortage)= कमी;
owned (possess) = अधिकार रखना;
tradition (custom)=रिवाज़;
wonder (surprise) = हैरान ।

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(Page 15) :
Excuse (pretext) = बहाना;
perpetual (never ending) = निरन्तर;
drowned (submerged)= डुबा देना;
Falt; briefly (for a short period)= संक्षेप में;
desolation (ruin) = विनाश;
panting (breathing heavily)= जोर से सांस लेना;
ragpickers (those who pickrags)= कूड़ा बीनने वाले;
acquaintance (introduction)= परिचय;
periphery (border) = सीमा रेखा;
metaphorically (symbolically) = लाक्षणिक रूप से;
squatters (illegal settlers)= गैर-काननी स्थापित होना;
wilderness (desolate area)= निर्जन स्थान;
tarpaulin (coarse waterproof cloth) = तिरपाला;
devoid (without)= रहित;
sewage (slush)= कीचड़;
identity (recognition)= पहचान;
grain (corn)= अनाज;
survival (living)= जीवन;
aching (paining)= पीड़;
tattered (torn to pieces) = फटा-पुराना;
transit (passing, temporary)= अस्थायी;
proportions(forms) = भाग, अंश |

[Page 16]:
Heap (mound)= मिट्टी का टीला;
wrapped (covered)= ढका हुआ;
fenced (having a fence around) = चारदीवारी;
content(satisfied)= सन्तुष्ट;
swing(to sway)= झूलना;
discarded (given up/in disuse) = छोड़ना;
intently (attentively)= अभिलाषा;
canister (tin) =

[Page 17]:
Insists (stresses)= मिट्टी का टीला;
announce (declare)= ढका हुआ;
mirage (false appearance)=झूठा दिखाना;
furnace (hearth)= भट्ठी;
illegal (against the law)= नियम के विरुद्ध;
dingy (dark and dirty) = काला और गन्दा;
slog (toil) = कठिन परिश्रम;
beam (brighten) = चमकीला;
volunteers (offers himself) = स्वयं सेवक;
stinking (foul smelling) = गन्दी दुर्गन्ध;
choked (blocked) = रोकना;
hovels (sheds) = छप्पर;
crumbling (falling) = गिरना;
wobbly (unstable)= अस्थिर;
primeval(very ancient) = आदियुगीन;
thatched (having a roofofstraw) = छप्पर;
vessel (utensil)= बर्तन;
spinach (a leafy vegetable) = पालक;
platters (large plates) = बड़ी थालियाँ;
frail (delicate)= कमज़ोर ।

[Page 18] :
Command (order) = आदेशः
bahu (daughter-in-law) = पुत्रवधू;
veil (face cover) = घूँघट;
impoverished (very poor)= बहुत गरीब;
despite (in spite of)= बावजूद;
renovate (repair) = मुरम्मत करना;
implies means) = अभिप्राय, अर्थ;
spirals (coils) = चक्कर;
mound heap = ढेर:
unkempt (messy/untidy) = कंघी न किया हुआ/अस्त-व्यस्त;
shanty (hut)=झोंपड़ी;
flickering (shining unsteadily)= अस्थिर चमकना;
drabdull =नीरस;
soldering (welding)= धातु जोड़ने का टांका;
suhaag (auspiciousness in marriage) = शादी का सौभाग्य;
dyed (coloured)= रग किया;
henna (mehandi) = मेंहदी।

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[Page 19]:
Entire (complete) = समूचा;
achieved (got) =प्राप्त करना;
echo (reflected sound)= अनुकरण ध्वनि गूँज;
organise (unite) = इकट्ठा करना;
vicious (wicked) = दुष्ट;
trapped (cheated)=छल-कपट;
hauled up (dragged ) = खींचना;
apathy (indifference) = विमुखता;
distinct (clear) = स्पष्ट।

[Page 20]:
Stigma (mark of disgrace) = धब्बा;
bureaucrats (officials) = नौकरशाही;
imposed (burdened forcibly) = प्रभावशाली दबाव;
flash (dazzle of light) = चमक;
murmur (grumble) = बड़बड़ाहट;
regret (repentance) = पश्चाताप;
hurtling (clattering) = बक-बक करना |

The Lost Spring Translation in Hindi

“Sometimes I find a Rupee in the garbage’ (कई बार मुझे कचरे में रुपया मिल जाता है।) “Why do you do this ?” I ask Saheb whom I encounter every morning scrounging for gold in the garbage dumps of my neighborhood. Saheb left his home long ago. Set amidst the green fields of Dhaka, his home is not even a distant memory. There were many storms that swept away their fields and homes, his mother tells him. That’s why they left, looking for gold in the big city where he now lives. “I have nothing else to do,” he mutters, looking away.

(“तुम यह काम क्यों करते हो ?” मैं साहेब से पूछती हूँ जब मैं प्रतिदिन कूड़े के ढेर में सोने की खोज करते हुए पड़ोस में उससे मिलती हूँ। साहब अपने घर से बहुत पहले ही आ गया था। ढाका के हरे खेतों के बीच में बने अपने घर की उसे जरा भी याद नहीं है। उसकी माँ उसे बताती है कि बहुत से तूफान आए जो उनके घरों और खेतों को बहाकर ले गए। यही कारण है कि वे सोने की तलाश में उस बड़े शहर में आ गए जहाँ वह अब रहता है। “मेरे पास और कोई काम नहीं है”, एक तरफ देखते हुए वह बड़बड़ाता है।)

“Go to school,” I say glibly, realising immediately how hollow the advice must sound. “There is no school in my neighbourhood. When they build one, I will go.” “If I start a school, will you come ?” I ask, half-joking. “Yes,” he says, smiling broadly. A few days later I see him running up to me. “Is your school ready ?” “It takes longer to build a school,” I say, embarrassed at having made a promise that was not meant. But promises like mine abound in every corner of his bleak world.

(“स्कूल जाओ”, मैं बिना विचारे कह देती हूँ परन्तु तुरन्त ही ध्यान आता है कि यह सलाह कितनी खोखली प्रतीत होती होगी। “मेरे आस-पास कोई स्कूल नहीं है। जब बन जाएगा तो मैं जाऊँगा।” “अगर मैं एक स्कूल शुरु करूँ तो क्या तुम आओगे ?” मैंने मजाकपूर्ण ढंग से पूछा। “हाँ,” एक चौड़ी मुस्कराहट से वह कहता है। कुछ दिन बाद मैं उसे भागकर अपने पास आता देखती हूँ। “क्या आपका स्कूल तैयार है ?” एक झूठे वायदे से असमंजस में पड़ी मैं कहती हूँ, “स्कूल बनाने में अधिक समय लगता है।” परन्तु मेरे जैसे वायदे तो उसकी अन्धेरी दुनिया में बहुत पड़े हैं।)’

After months of knowing him, I ask him his name. “Saheb-e-Alam,” he announces. He does not know what it means. If he knew its meaning-lord of the universe-he would have a hard time believing it. Unaware of what his name represents, he roams the streets with his friends, an army of barefoot boys who appear like the morning birds and disappear at noon. Over the months, I have come to recognise each of them. “Why aren’t you wearing chappals ?”I ask one. “My mother did not bring them down from the shelf,” he answers simply.

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(उसे जानने के कई महीने बाद मैं उससे उसका नाम पूछती हूँ। “साहब-ए-आलम,” वह कहता है। वह नहीं जानता कि इसका क्या अर्थ है ? अगर वह इसका अर्थ जानता होता-ब्रह्माण्ड का स्वामी तो उसे विश्वास करना मुश्किल हो जाता। अपने नाम के अर्थ से अनभिज्ञ, वह अपने मित्रों के साथ घूमता रहता है, यह नंगे-पैर वाले लड़कों की ऐसी सेना है जो सुबह पक्षियों की तरह नजर आते हैं और दोपहर होते-होते गायब हो जाते हैं। कई महीनों के बाद, अब मैं उनमें से प्रत्येक को पहचानने लगी हूँ। “तुमने चप्पल क्यों नहीं पहन रखी है ?” मैं उनमें से एक से पूछती हूँ। “मेरी माँ ने उन्हें सेल्फ से नीचे नहीं उतारा,” वह सादा-सा उत्तर देता है।)

“Even if she did he will throw them off,” adds another who is wearing shoes that do not match. When I comment on it, he shuffles his feet and says nothing. “I want shoes,” says a third boy who has never owned a pair all his life. Traveling across the country I have seen children walking barefoot, in cities, on village roads. It is not lack of money, but a tradition to stay barefoot is one explanation. I wonder if this is only an excuse to explain away a perpetual state of poverty.

(“यदि वह उतार भी देती तो ये उनको फेंक देता”, एक दूसरा कहता है जो ऐसे जूते पहने हुए है जो एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। जब मैंने इस पर टिप्पणी की, तो वह कुछ नहीं कहता, बस एक पैर से दूसरे पर खड़ा होता है। “मुझे जूते चाहिएँ”, एक तीसरा लड़का कहता है जिसने अपने जीवन में कभी जूते नहीं पहने थे। देश का भ्रमण करते हुए मैंने शहरों में गाँव की सड़कों पर नंगे पैर घूमते बच्चों को देखा है। एक स्पष्टीकरण यह है कि यह पैसे की कमी के कारण नहीं है बल्कि नंगे पैर रहना परम्परा के कारण है। मैं हैरान हुई कि क्या यह एक लगातार चलती गरीबी को उचित ठहराने का बहाना है।)

I remember a story a man from Udipi once told me. As a young boy he would go to school past an old temple, where his father was a priest. He would stop briefly at the temple and pray for a pair of shoes. Thirty years later I visited his town and the temple, which was now drowned in an air of desolation. In the backyard, where lived the new priest, there were red and white plastic chairs. A young boy dressed in a grey uniform, wearing socks and shoes, arrived panting and threw his school bag on a folding bed.

Looking at the boy, I remembered the prayer another boy had made to the goddess when he had finally got a pair of shoes, “Let me never lose them.” The goddess had granted his prayer. Young boys like the son of the priest now wore shoes. But many others like the ragpickers in my neighbourhood remain shoeless.

(मुझे एक कहानी याद आती है जो मुझे उडीपी के एक व्यक्ति ने सुनाई थी। जब वह छोटा लड़का था तब एक मन्दिर के पास से गुजरते हुए स्कूल जाता था, जहाँ उसका पिता एक पुजारी था। वह मन्दिर में एक जोड़ी जूते के लिए प्रार्थना करने के लिए थोड़ी देर रुकता था। तीस वर्ष बाद मैं उसके कस्बे में और उस मन्दिर में गई, जो अब वीरान था। पीछे के आँगन में, जहाँ नया पुजारी रहता था, लाल और सफेद प्लास्टिक की कुर्सियाँ थीं। एक छोटा लड़का

भूरे रंग की ड्रेस पहने हुए, जूते व जुराबें पहने हुए हाँफता हुआ आया और अपना बैग फोल्डिंग चारपाई पर फेंक दिया। बच्चे को देखते ही मुझे एक दूसरे लड़के द्वारा जूतों की जोड़ी के लिए देवी को की गई वह प्रार्थना याद आई जब उसे अन्त में एक जोड़ी जूते मिल गए थे–“मेरे यह जूते कभी गुम न हो।” देवी उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर चुकी थी। नौजवान लड़के अब पुजारी के बेटे की तरह जूते पहनते थे। परन्तु मेरे पड़ोस के कचरा बीनने वालों की तरह और भी हैं जो जूतों के बिना रहते हैं।)

My acquaintance with the barefoot ragpickers leads me to Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically. Those who live here are squatters who came from Bangladesh back in 1971. Saheb’s family is among them. Seemapuri was then a wilderness. It still is, but it is no longer empty. In structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin, devoid of sewage, drainage or running water, live 10,000 ragpickers. They have lived here for more than thirty years without an identity, without permits but with ration cards that get their names on voters’ lists and enable them to buy grain.

Food is more important for survival than an identity. “If at the end of the day we can feed our families and go to bed without an aching stomach, we would rather live here than in the fields that gave us no grain,” say a group of women in tattered saris when I ask them why they left their beautiful land of green fields and rivers. Wherever they find food, they pitch their tents that become transit homes. Children grow up in them, becoming partners in survival. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of a fine art. Garbage to them is gold. It is their daily bread, a roof over their heads, even if it is a leaking roof. But for a child it is even more.

(कूड़ा बीनने वालों से मेरी पहचान मुझे सीमापुरी ले आती है, जो ऐसा स्थान है जो दिल्ली के किनारे बसा है लेकिन रूपक के रूप में कहूँ तो दिल्ली से बड़ी दूर है। यहाँ रहने वाले वे अनाधिकृत निवासी हैं जो बहुत पहले 1971 में बांग्लादेश से आए थे। साहेब का परिवार भी उन्हीं में से एक है। सीमापुरी उन दिनों एक वीरान स्थान था। अभी भी है पर अब खाली नहीं है। यहाँ दस हजार कूड़ा बीनने वाले मिट्टी के ढाँचों में टिन और टारपालिन से बनी छतों के नीचे रहते हैं और यहाँ सीवेज, नालियाँ या पानी के कनेक्शन नहीं हैं। बिना किसी पहचान के वे यहाँ तीस से अधिक वर्षों से रह रहे हैं, उनके पास परमिट नहीं पर राशनकार्ड हैं जिनसे उनका नाम वोटर लिस्ट में आ जाता है और उससे वे अनाज खरीद सकते हैं।

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जिन्दा रहने के लिए पहचान से अधिक भोजन की जरूरत होती है। “अगर दिन ढलने पर हम अपने परिवार को खाना दे सकें और बिना खाली पेट के सो सकें तो उन खेतों की अपेक्षा पर जिनसे कोई अनाज नहीं मिलता था, हम यहाँ रहना अधिक पसन्द करेंगे,” फटी साड़ियाँ पहने औरतों का एक समूह यह बात तब मुझे बताता है जब मैं उनसे पूछती हूँ कि उन्होंने अपने हरे-भरे खेतों और नदियों को क्यों छोड़ दिया। जहाँ भी उन्हें भोजन मिलता है, वहाँ वे अपना टेंट गाड़ देते हैं जो उनका अस्थायी घर बन जाता है।

बच्चे वहाँ बड़े होते हैं और जीवित रहने की क्रिया के हिस्सेदार बन जाते हैं। और सीमापुरी में जीवित रहने का मतलब है कूड़ा बीनना। वर्षों के बीतने के साथ इसने एक ललित कला का रूप ले लिया है। कूड़ा उनके लिए सोना है। यह उनकी आजीविका है, उनके सिर के ऊपर की छत है फिर चाहे वह टपकती हुई क्यों न हो। परन्तु एक बच्चे के लिए यह और अधिक है।)

“I sometimes find a rupee, even a ten-rupee note,” Saheb says, his eyes lighting up. When you can find a silver coin in a heap of garbage, you don’t stop scrounging, for there is hope of finding more. It seems that for children garbage has a meaning different from what it means to their parents. For the children it is wrapped in wonder, for the elders it is a means of survival.

One winter morning I see Saheb standing by the fenced gate of the neighbourhood club, watching two young men dressed in white, playing tennis. “I like the game,” he hums, content to watch it standing behind the fence. “I go inside when no one is around,” he admits. “The gatekeeper lets me use the swing.”

(“कभी-कभी मुझे एक रुपया मिल जाता है, दस का नोट भी,” साहेब कहता है, उसकी आँखों में चमक है। अगर तुम्हें किसी कूड़े के ढेर में चाँदी का सिक्का मिल जाए तो तुम बीनना बन्द नहीं कर दोगे, क्योंकि और पाने की आशा बनी रहती है। ऐसा लगता है कि बच्चों के लिए कूड़े का अर्थ वह नहीं है जो उनके माँ-बाप के लिए है। बच्चों के लिए यह हैरानी से लिपटा है, बड़ों के लिए इसका अर्थ जीवित रहना है।

सर्दियों की एक सुबह पड़ोस के क्लब के बाड़ वाली गेट पर मैं साहेब को खड़ा देखती हूँ जो सफेद कपड़े पहने दो युवकों को टेनिस खेलता देख रहा है। “मुझे यह खेल पसन्द है,” बाड़े के पीछे खड़ा सन्तुष्टि से खेल को देखता हुआ वह कहता है। “जब कोई आस-पास नहीं होता तब मैं अन्दर चला जाता हूँ,” वह स्वीकार करता है। “चौकीदार मुझे झूला झूलने देता है।”)

Saheb too is wearing tennis shoes that look strange over his discoloured shirt and shorts. “Someone gave them to me,” he says in the manner of an explanation. The fact that they are discarded shoes of some rich boy, who perhaps refused to wear them because of a hole in one of them, does not bother him. For one who has walked barefoot, even shoes with a hole is a dream come true. But the game he is watching so intently is out of his reach.

(साहेब ने भी टेनिस के जूते पहने हुए हैं जो उसकी बदरंग कमीज और निक्कर के साथ अजीब लगते हैं। “किसी ने वे मुझे दिए थे,” वह सफाई देने के लहजे में कहता है। यह तथ्य कि वे किसी धनवान बच्चे के छोड़े हुए जूते थे जिसने उन्हें पहनने से मना कर दिया था, क्योंकि उनमें एक सुराख हो गया था, भी उसे परेशान नहीं करता। उस बच्चे के लिए जो नंगे पैर घूमता हो, सुराख वाले जूते भी उसका सपना पूरा होना जैसा है। परन्तु वह खेल जिसको वह इतने ध्यान से देख रहा था वह उसकी पहुँच से बाहर है।)

This morning, Saheb is on his way to the milk booth. In his hand is a steel canister. “I now work in a tea stall down the road,” he says, pointing in the distance. “I am paid 800 rupees and all my meals.” Does he like the job? I ask. His face, I see, has lost the carefree look. The steel canister seems heavier than the plastic bag he would carry so lightly over his shoulder. The bag was his. The canister belongs to the man who owns the tea shop. Saheb is no longer his own master!

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(आज सुबह साहेब मिल्क बूथ की तरफ जा रहा है। उसके हाथ में स्टील का एक डिब्बा है। “मैं अब सड़क के उस तरफ चाय की दुकान पर काम करता हूँ,” दूर इशारा करता हुआ वह कहता है। “मुझे 800 रुपए और पूरा भोजन मिलता है।” क्या उसे काम पसन्द है ? मैं पूछती हूँ। मैं देखती हूँ कि उसके चेहरे से बेफिक्री का भाव गायब हो गया है। स्टील का डिब्बा उस प्लास्टिक के बैग से भारी लगता है जिसे वह आराम से अपने कन्धे पर उठाया करता था। बैग उसका था। डिब्बा चाय की दुकान के मालिक का था। अब साहेब खुद का मालिक नहीं रह गया था!)

“I want to drive a car” . (“मैं एक कार चलाना चाहता हूँ”) Mukesh insists on being his own master. “I will be a motor mechanic,” he announces. “Do you know anything about cars ?” I ask. (मुकेश खुद का मालिक बनने की जिद्द करता है। “मैं एक मोटर मैकेनिक बनूँगा”, वह कहता है। “क्या तुम कारों के बारे में कुछ जानते हो ?” मैं पूछती हूँ।)

“I will learn to drive a car,” he answers, looking straight into my eyes. His dream looms like a mirage amidst the dust of streets that fill his town Firozabad, famous for its bangles. Every other family in Firozabad is engaged in making bangles. It is the center of India’s glass-blowing industry where families have spent generations working around furnaces, welding glass, making bangles for all the women in the land it seems.

(“मैं कार चलाना सीलूँगा,” सीधा मेरी आँखों में देखते हुए, वह उत्तर देता है। उसके सपने मृगतृष्णा की तरह गलियों की धूल से ऊपर उठे हुए हैं जो उसके शहर फिरोज़ाबाद को पूरी तरह भर देती है, फिरोज़ाबाद जो चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद में हर एक परिवार चूड़ियाँ बनाने के धन्धे में लगा हुआ है। यह भारत के ग्लास उद्योग का केन्द्र है जहाँ पर परिवारों ने, ऐसा प्रतीत होता है, भट्टियों के चारों ओर काम करते हुए ग्लास को वैल्ड करते हुए, यहाँ की सभी औरतों के लिए चूड़ियाँ बनाने में पीढ़ियाँ गुजार दी हैं।)

Mukesh’s family is among them. None of them know that it is illegal for children like him to work in the glass furnaces with high temperatures, in dingy cells without air and light; that the law, if enforced, could get him and all those 20,000 children out of the hot furnaces where they slog their daylight hours, often losing the brightness of their eyes. Mukesh’s eyes beam as he volunteers to take me home, which he proudly says is being rebuilt. We walk down stinking lanes choked with garbage, past homes that remain hovels with crumbling walls, wobbly doors, no windows, crowded with families of humans and animals coexisting in a primeval state.

He stops at the door of one such house, bangs a wobbly iron door with his foot, and pushes it open. We enter a half-built shack. In one part of it, thatched with dead grass, is a firewood stove over which sits a large vessel of sizzling spinach leaves. On the ground, in large aluminum platters, are more chopped vegetables. A frail young woman is cooking the evening meal for the whole family. Through eyes filled with smoke she smiles. She is the wife of Mukesh’s elder brother.

Not much older in years, she has begun to command respect as the bahu, the daughter-in-law of the house, already in charge of three men her husband, Mukesh and their father. When the older man enters, she gently withdraws behind the broken wall and brings her veil closer to her face. As custom demands, daughters-in-law must veil their faces before male elders. In this case, the elder is an impoverished bangle maker. Despite long years of hard labour, first as a tailor, then a bangle maker, he has failed to renovate a house, send his two sons to school. All he has managed to do is teach them what he knows the art of making bangles.

(मकेश का परिवार भी उन्हीं में से एक है। उनमें से कोई नहीं जानता कि हवा और प्रकाश से वंचित अन्धेरी कोठरियों में ऊँचे तापक्रम वाली शीशे की भट्टी पर काम करना उस जैसे बच्चों के लिए गैर-कानूनी है। अगर कानून लागू किया गया तो वह और उसके जैसे 20000 बच्चे उन गर्म भट्टियों से छुटकारा पा सकते हैं जहाँ वे अपना दिन का समय बिताते हैं और प्रायः अपनी आँखों की चमक खो देते हैं। मुझे अपने घर ले चलने का आग्रह करते हुए मुकेश की आँखों में चमक आ जाती है। गर्व के साथ वह कहता है कि उसके घर को फिर से बनाया जा रहा है। हम कूड़े से बन्द बदबूदार गलियों को पार करते हैं, गिरती हुई दीवारों वाली झोपड़ियाँ जिन्हें घर कहते हैं, इनके कमजोर दरवाजे हैं, खिड़कियाँ नहीं हैं, मानव और पशुओं के परिवार प्राचीन जमाने की हालत में साथ-साथ रहते हैं। ऐसे ही एक दरवाजे पर वह रुकता है, लोहे के एक कमजोर दरवाजे पर वह जोर से ठोकर मारता है और धक्का देकर खोलता है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

हम एक अधबने झोपड़ी में प्रवेश करते हैं। सूखे घास के छप्पर से ढके इसके एक हिस्से में लकड़ी से जलने वाला चूल्हा है जिस पर एक बड़े बर्तन में पालक की पत्तियाँ उबल रही हैं। और कटी हुई सब्जियाँ बड़े एल्यूमीनियम के थालों में जमीन पर रखी हैं। एक कमजोर युवती पूरे परिवार का शाम का खाना बना रही है। धुएँ भरी आँखों से वह मुस्कुराती है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। उम्र में कोई खास अधिक नहीं है लेकिन घर की बहू के रूप में आदर पाना प्रारम्भ कर दिया है, तीन पुरुषों का दायित्व उसे मिल ही चुका है-उसका पति, मुकेश और इनके पिता का। जब बुजुर्ग व्यक्ति अन्दर आता है, वह धीरे से टूटी दीवार के पीछे चली जाती है और अपना धूंघट अपने चेहरे पर डाल लेती है। रिवाज की माँग है कि बहू को घर के बड़े पुरुषों के सामने मुँह ढकना चाहिए। यहाँ बुजुर्ग एक गरीब चूड़ी बनाने वाला है। पहले दर्जी और फिर चूड़ी निर्माता के रूप में वर्षों तक कठिन परिश्रम करने के बाद भी वह न तो अपने घर की मरम्मत करवा सका है और न ही अपने दोनों लड़कों को स्कूल भेज सका है। वह केवल इतना ही कर सका है कि उन्हें वह सिखा दे जो वह जानता है-चूड़ियाँ बनाने की कला।)

“It is his karma, his destiny,” says Mukesh’s grandmother, who has watched her own husband to blind with the dust from polishing the glass of bangles. “Can a god-given lineage ever be broken ?” she implies. Born in the caste of bangle makers, they have seen nothing but bangles-in the house, in the yard, in every other house, every other yard, every street in Firozabad. Spirals of bangles-sunny gold, paddy green, royal blue, pink, purple, every colour born out of the seven colours of the rainbow-lie in mounds in unkempt yards, are piled on four-wheeled handcarts, pushed by young men along the narrow lanes of the shanty town.

And in dark hutments, next to lines of flames of flickering oil lamps, sit boys and girls with their fathers and mothers, welding pieces of coloured glass into circles of bangles. Their eyes are more adjusted to the dark than to the light outside. That is why they often end up losing their eyesight before they become adults.

(“यह उसका कर्म है, उसका भाग्य,” मुकेश की दादी कहती है जिसने अपने पति को शीशे की चूड़ियों पर पालिश करने वाली धूल से अन्धे होते हुए देखा है। उसका अभिप्राय है, “क्या भगवान के लिखे प्रारब्ध को मिटाया जा सकता है ?” चूड़ी वालों की जाति में जन्म लेकर उन्होंने चूड़ियों के अलावा कुछ नहीं देखा है-घर में, आँगन में और हर दूसरे घर में, फिरोज़ाबाद की हर गली में। चूड़ियों के गुच्छे-धूप सी सुनहरी, धान सी हरी, गहरी नीली, गुलाबी, बैंगनी, हर उस रंग की जो इन्द्रधनुष के सात रंगों में होता है-बेतरतीब आँगनों में उनके ढेर लगे होते हैं, और उन चार पहियों वाली रेड़ियों पर ढेर लगा है जिन्हें इन गन्दे मकानों के शहर की गलियों में नवयुवक हाथ में खींचते हुए ले जाते हैं और अन्धेरी झोपड़ियों में टिमटिमाते तेल के लैम्पों की लौ के पास लड़के और लड़कियाँ अपनी माताओं और पिताओं के पास बैठे शीशे के रंगीन टुकड़ों को जोड़कर गोल चूड़ियाँ बनाते हैं। उनकी आँखें बाहर के प्रकाश की अपेक्षा अन्धेरे के अधिक अनुकूल हैं। यही कारण है कि प्रायः वयस्क होने के पहले ही वे अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं।)

Savita, a young girl in a drab pink dress, sits alongside an elderly woman, soldering pieces of glass. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make. It symbolizes an Indian woman’s suhaag, auspiciousness in marriage. It will dawn on her suddenly one day when her head is draped with a red veil, her hands dyed red with henna, and red bangles rolled onto her wrists. She will then become a bride.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Like the old woman beside her who became one many years ago. She still has bangles on her wrist, but no light in her eyes. “Ek waqt ser bhar khana bhi nahin khaya,” she says, in a voice drained of joy. She has not enjoyed even one full meal in her entire lifetime that’s what she has reaped! Her husband, an old man with a flowing beard, says, “I know nothing except bangles. All I have done is make a house for the family to live in.”

(फीके गुलाबी रंग की ड्रेस पहने सविता नाम की लड़की, एक बुजुर्ग महिला के पास बैठी शीशे के टुकड़ों को जोड़ रही है। किसी मशीन के चिमटे की तरह उसके हाथ यन्त्रवत चलते रहते हैं, मैं सोचती हूँ कि क्या उसे उन चूड़ियों की पवित्रता के बारे में कुछ पता है जिन्हें बनाने में वह सहायता कर रही है। यह एक भारतीय महिला के सुहाग की निशानी है और विवाह में शुभ मानी जाती है। इसका पता उसे एक दिन अचानक ही लगेगा जब उसके सिर पर लाल दुपट्टा होगा, उसके हाथ लाल मेंहदी से रंगे होंगे और लाल चूड़ियाँ उसके हाथों की कलाई में चढ़ा दी जाएँगी। तब वह दुल्हन बन जाएगी।

अपने पास बैठी उस बुजुर्ग महिला की तरह जो बहुत पहले दुल्हन बनी थी। उसके हाथों में अब भी चूड़ियाँ हैं पर आँखों में रोशनी नहीं है। “एक वक्त सेर भर खाना भी नहीं खाया,” प्रसन्नता रहित आवाज में वह कहती है। उसने अपने पूरे जीवन में कभी भर-पेट खाना नहीं खाया यह है उसकी कमाई। लहराती हुई दाढ़ी वाला उसका बूढ़ा पति कहता है, “मुझे चूड़ियों के अलावा कुछ नहीं पता। मैंने सिर्फ इतना किया है कि परिवार के रहने के लिए मकान बनवा लिया है।”)

Hearing him, one wonders if he has achieved what many have failed in their lifetime. He has a roof over his head!
The cry of not having money to do anything except carry on the business of making bangles, not even enough to eat, rings in every home. The young men echo the lament of their elders. Little has moved with time, it seems, in Firozabad. Years of mind-numbing toil have killed all initiative and the ability to dream. “Why not organise yourselves into a cooperative ?” I ask a group of young men who have fallen into the vicious circle of middlemen who trapped their fathers and forefathers.

“Even if we get organized, we are the ones who will be hauled up by the police, beaten and dragged to jail for doing something illegal,” they say. There is no leader among them, no one who could help them see things differently. Their fathers are as tired as they are. They talk endlessly in a spiral that moves from poverty to apathy to greed and to injustice.

(उसकी बात सुनकर लगता है कि उसने कुछ ऐसा पा लिया है जो बहुत से लोग अपनी जीवन में नहीं कर पाते हैं। उसके सिर के ऊपर छत है। चड़ी के धन्धे को चलाने के अतिरिक्त किसी अन्य काम के लिए धन का न होना, पेट भर भोजन के भी न होने की चीख हर घर में सुनाई देती है। नवयुवक भी अपने बड़ों के अफसोस को दोहराते हैं। लगता है कि फिरोज़ाबाद में समय के साथ कुछ नहीं बदला है। दिमाग को सुन्न कर देने वाले वर्षों के परिश्रम ने सारी नेतृत्व क्षमता और स्वप्न देखने की सामर्थ्य को नष्ट कर दिया है।

“तुम लोग स्वयं को इकट्ठा करके एक सहकारी संस्था क्यों नहीं बनाते ?” मैं नौजवानों के एक समूह से पूछती हूँ जो बिचौलियों के कभी न निकलने वाले जाल में फँस गए हैं जिनके जाल में उनके पिता और पूर्वज फँसे थे। “यदि हम संगठित हो भी जाते हैं, तो पुलिस हमें ही घसीटती है, पीटती है और जेल में फेंक देती है, कुछ गलत करने के जुर्म में, वे कहते हैं। उनका कोई नेता नहीं है, कोई नहीं जो उनकी कुछ अलग तरह से देखने में सहायता करें। उनके पिता भी इतने थके हुए हैं जितने कि वे खुद हैं। वे न खत्म होते हुए एक चक्कर में बातें करते हैं जो उनकी गरीबी से उनकी दयनीयता, लालच और अन्याय तक चलता रहता है।”)

Listening to them, I see two distinct worlds-one of the family, caught in a web of poverty, burdened by the stigma of caste in which they are born; the other a vicious circle of the sahukars, the middlemen, the policemen, the keepers of law, the bureaucrats and the politicians. Together they have imposed the baggage on the child that he cannot put down. Before he is aware, he accepts it as naturally as his father. To do anything else would mean to dare. And daring is not part of his growing up.

When I sense a flash of it in Mukesh I am cheered. “I want to be a motor mechanic,” he repeats. He will go to a garage and learn. But the garage is a long way from his home. “I will walk,” he insists. “Do you also dream of flying a plane ?” He is suddenly silent. “No,” he says, staring at the ground. In his small murmur there is an embarrassment that has not yet turned into regret. He is content to dream of cars that he sees hurtling down the streets of his town. Few airplanes fly over Firozabad.

(उनकी बात सुनकर मुझे दो भिन्न संसार नजर आते हैं-एक परिवार का, जो गरीबी में फंसा और अपने जन्म की जाति के कलंक से दबा है, दूसरा साहूकारों, दलालों, सिपाहियों, कानून के रखवालों, सरकारी अफसरों और राजनीतिज्ञों का है। इन सबने मिलकर बच्चे के ऊपर वह बोझ डाल दिया है जिसे वह नहीं उतार सकता। कुछ चेतना आने से पहले ही वह इसे अपने पिता की तरह स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर लेता है। कुछ और करने का अर्थ होगा हिम्मत करना। और हिम्मत करना उसके पालन-पोषण का हिस्सा नहीं है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

जब मैं मुकेश के अन्दर इसकी एक चिंगारी देखती हूँ तो मैं खुश हो जाती हूँ। “मैं एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता हूँ,” वह दोहराता है। वह गैरेज में जाएगा और सीखेगा। पर गैरेज तो उसके घर से बहुत दूर है। “मैं पैदल चलूँगा,” वह जिद्द करता है। “क्या तुम जहाज उड़ाने का सपना भी रखते हो ?” वह अचानक चुप हो जाता है। “नहीं,” धरती की ओर देखता हुआ वह कहता है। उसकी इस छोटी-सी बुड़बुड़ाहट में एक असमंजस है जो अभी पश्चात्ताप में नहीं बदला है। वह उन कारों के सपनों से सन्तुष्ट है जिन्हें वह अपने शहर की गलियों में भागता देखता है। फिरोज़ाबाद के ऊपर जहाज बहुत कम उड़ते हैं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

HBSE 12th Class English The Last Lesson Textbook Questions and Answers

Question 1.
The people in this story suddenly realise how precious their language is to them. What shows you this? Why does this happen? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (इस कहानी के लोग अचानक महसूस करते हैं कि उनकी भाषा उनके लिए कितनी कीमती है। यह बात आपको किस प्रकार नज़र आती है ? ऐसा क्यों होता है ?)
Answer:
The people of Alsace were indifferent to their own language, that is, French. But in the war, Alsace and Lorraine pass into the hands of Prussia. An order comes from Berlin that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. Now the patriotic feelings of these people for their language are aroused. They suddenly realise that their language is very precious to them. Now the people of Alsace suddenly develop a new-found love for French. They visit the school of M. Hamel and sit on the back benches in his class.

M. Hamel tells them that French is the most beautiful language in the world. It is the clearest and the most logical language in the world. He tells them that they must guard their language. The villagers seem to agree with him. They feel that they should not have neglected their language. They must love their own language. The old men of the village show their respect for their language and country by attending the class of M. Hamel.

Franz also grows sentimental. He feels sad to think that this is the last lesson in French. His teacher is going away the next day. He feels sorry for neglecting his lessons in French. Now suddenly, he develops a liking for French and his teacher.

(अल्सेस के लोग अपनी मातृभाषा फ्रैंच के प्रति रुचि नहीं ले रहे थे। लेकिन युद्ध में, अल्सेस और लॉरेन के क्षेत्र पर पर्शिया का कब्जा हो गया। बर्लिन से एक आदेश आता है कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। इस बात से इन लोगों के मन में अपनी भाषा के प्रति देशभक्ति की भावनाओं का विकास हो गया। उन्हें अचानक इस बात की अनुभूति हुई कि उनकी भाषा उनके लिए बहुत कीमती है। अब अल्सेस के लोगों के मन में फ्रैंच भाषा के प्रति नव-सृजित प्रेम था। वे एम० हैमेल के स्कूल में आते हैं और कक्षा में पिछली कतारों में लगे बैंचों पर बैठ जाते हैं। एम० हैमेल उनको बताता है कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे सुन्दर भाषा है।

यह संसार की सबसे अधिक स्पष्ट और तर्कपूर्ण भाषा है। वह उन्हें बताता है कि उन्हें अपनी भाषा की रक्षा करनी चाहिए। गाँव के लोग उससे सहमत प्रतीत होते हैं। वे महसूस करते हैं कि उन्हें अपनी भाषा की अवहेलना नहीं करनी चाहिए थी। उन्हें अपनी भाषा से प्यार करना चाहिए। गाँव के वृद्ध लोग एम० हैमेल की कक्षा में उपस्थित होकर अपनी भाषा और अपने देश के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। फ्रेन्ज भी भावुक हो जाता है। वह इस बात को सोचकर निराश हो जाता है कि फ्रैंच भाषा में यह उसका अंतिम पाठ है। अगले दिन उसका अध्यापक जा रहा है। वह फ्रैंच भाषा के पाठों की अवहेलना करने के बारे में खेद प्रकट करता है। अब अचानक ही, फ्रैंच भाषा और अपने अध्यापक के प्रति उसके मन में स्नेह पैदा हो जाता है।)

Question 2.
Franz thinks, “Will they make them sing in German, even the pigeons?” What could this mean? (There could be more than one answer.) (फ्रेन्ज सोचता है, “क्या वे कबूतरों को भी जर्मन भाषा में गाना सिखाएँगे ?” इसका क्या अभिप्राय हो सकता है?) (इसका एक से अधिक उत्तर हो सकता है।)
Answer:
In the war against Prussia, France is defeated. Two districts of France, Alsace and Lorraine pass into the hands of Prussia. They impose their own language on this area. An order comes from Berlin that French will no longer be taught in the schools of Alsace and Lorraine. In its place, German will be taught. M.Hamel is the teacher in a school of Alsace. He has been there for the last forty years. He has been very strict. Franz has never liked him. But now he is going the next day. The new teacher is coming to teach German.

M. Hamel announces that this is last lesson in French. Everyone is shocked. Now they will have to learn a language, which is quite foreign to them. Their patriotic feelings are aroused. Franz never paid attention to his lessons. But now he is also sentimental. Now he realises that French is beautiful language. He dislikes German.

Suddenly he hears pigeons cooing on the roof. He remarks, “Will they make them sing in German. Even the pigeons.” Franz wants to say that a person’s native language comes to him naturally as cooing comes to pigeons. The Prussians can impose German language on the people of that area. But they cannot create a love for German in their hearts. When a person will express his inner feelings he will express it in his own language as a pigeon coos in its own language. No one can compel it to coo in any other way.

(पर्शिया के खिलाफ युद्ध में, फ्रांस पराजित हो गया। फ्रांस के दो जिले, अल्सेस और लॉरेन पर्शिया को सौंप दिए गए। इस क्षेत्र पर उन्होंने अपनी भाषा थोप दी। बर्लिन से एक आदेश आता है कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में फ्रैंच भाषा नहीं पढ़ाई जाएगी। इसके स्थान पर जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। एम० हैमेल अल्सेस के एक विद्यालय का शिक्षक है। वह पिछले 40 वर्षों से वहीं पर है। वह बहुत ही कठोर रहा है। पॅन्ज कभी-भी उसे पसंद नहीं करता है। लेकिन अब वह अगले दिन जा रहा है। जर्मन भाषा पढ़ाने के लिए नया शिक्षक आ रहा है। एम० हैमेल घोषणा करता है कि फ्रैंच भाषा का यह अंतिम पाठ है। हर कोई सदमे में है। अब उन्हें एक ऐसी भाषा सीखनी पड़ेगी जो उनके लिए पूर्णतया अपरिचित है। उनकी देशभक्ति की भावनाएँ उभर उठीं। फ़ैन्ज ने अपने पाठों पर पहले कभी-भी ध्यान नहीं दिया था। लेकिन अब वह भी भावुक हो गया। अब उसे अहसास हो गया कि फ्रैंच एक सुन्दर भाषा है। वह जर्मन भाषा को पसंद नहीं करता था।

अचानक ही उसे छत पर कबूतर गुटर-गूं करते सुनाई दिए। वह कहता है “क्या वे कबूतरों से भी जर्मन में गुटर-गू करने को कहेंगे।” फ्रेन्ज कहना चाहता है कि किसी व्यक्ति को उसकी मातृभाषा का ज्ञान उसी प्रकार से हो जाता है जैसे कि कबूतरों को गुटर-गूं करने का। पर्शिया के लोग उस क्षेत्र के लोगों पर जर्मन भाषा थोंप सकते हैं। लेकिन वे उनके दिलों में जर्मन भाषा के प्रति प्यार पैदा नहीं कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति अपनी अंदरूनी भावनाओं को प्रकट करेगा तो वह उन्हें अपनी भाषा में उसी प्रकार से प्रकट करेगा जैसे कबूतर अपनी भाषा में गुटर-गूं करता है। कबूतर को कोई भी किसी अन्य ढंग से गुटर-यूँ करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।)

Think As You Read
Question 1.
What was Franz expected to be prepared with for school that day? [H.B.S.E. 2017 (Set-A)] (उस दिन स्कूल के लिए फ्रन्ज को कौन-सा पाठ तैयार करना था ?)
Answer:
Franz was expected to be prepared with participles on that day. His teacher, M. Hamel, had said that he would ask the students questions on participles on that day. But Franz had not prepared the lesson. He expected that his teacher would scold him.

(उस दिन फ्रेन्ज को क्रिया-विशेषण का पाठ तैयार करके आना था। उसके अध्यापक एम० हैमेल ने कहा था कि वह उस दिन क्रिया-विशेषण से संबंधित प्रश्न पूछेगा। लेकिन फ्रेन्ज ने पाठ तैयार नहीं किया था। उसे लग रहा था कि अध्यापक उसे दण्ड देगा।)

Question 2.
What did Franz notice that was unusual about the school that day? [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (उस दिन स्कूल में फ्रन्ज ने क्या असाधारण बात देखी?)
Answer:
Franz noticed that there was something unusual about the school that day. Usually there was a great bustle when the school began. The noise could be heard in the street. But on that day everything was as still as a Sunday morning. So it was quite unusual and surprising to Franz.
(फ्रेन्ज ने देखा कि उस दिन स्कूल में कुछ अजीब-सा हो रहा था। आमतौर पर जब स्कूल लगता था तो वहाँ बहुत शोर-शराबा होता था। शोर गली में भी सुनाई पड़ जाता था। लेकिन उस दिन सब कुछ रविवार की सुबह की तरह शांत था। इसलिए यह फ्रेन्ज के लिए बिल्कुल अजीब और हैरान कर देने वाली बात थी।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 3.
What had been put up on the bulletin-board? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (समाचार-पट्ट (नोटिस बोर्ड) पर क्या लगाया गया था ?)
Answer:
On his way to school, he passed by the town hall. There was a crowd before the bulletin board. There was a notice on the bulletin board that French language would be taught no more in the schools. The order had come from Berlin that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

(स्कूल जाते समय वह टाऊन हॉल के पास से गुजरा। समाचार-पट्ट (नोटिस बोड) के सामने बहुत भीड़ थी। समाचार-पट्ट (नोटिस बोर्ड) पर एक सूचना लगी हुई थी कि अब से स्कूलों में फ्रांसीसी भाषा नहीं पढ़ाई जाएगी। बर्लिन से आदेश आया था कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी।)

Think as you read
Question 1.
What changes did the order from Berlin cause in the school that day? (उस दिन स्कूल में बर्लिन से आए आदेश ने क्या परिवर्तन करवाए थे ?)
Answer:
The order from Berlin said that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. That order caused a lot of dismay in the school that day. It upset the students as well as their teacher. M. Hamel told that the students that it was their last French lesson that day. The new teacher would come the next day. He would teach them, German.

(बर्लिन से आए आदेश में कहा गया था कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। इस आदेश से उस दिन स्कूल में बहुत अधिक निराशा फैल गई। इस आदेश से विद्यार्थी और शिक्षक सभी परेशान हो गए। एम० हैमेल ने विद्यार्थियों को बताया कि उस दिन उनका फ्रैंच भाषा का अंतिम पाठ था। अगले दिन नया अध्यापक आ जाएगा। वह उन्हें जर्मन भाषा पढ़ाएगा।)

Question 2.
How did Franz’s feelings about M. Hamel and school change? (एम० हैमेल और स्कूल के बारे में फ्रन्ज के विचार किस प्रकार बदल गए ?)
Answer:
M. Hamel said that it was their last French lesson. The new teacher was coming the next day. Now Franz became sentimental. He knew very little about French. But suddenly he developed a strange fascination for this language. Only a while ago, his books seemed a nuisance to him. But now these were his old friends. M. Hamel was going away. The idea that he would never see teacher again was painful to him. He even forget how cranky M. Hamel was.

(एम० हैमेल ने कहा कि फ्रैंच भाषा का वह उनका अंतिम पाठ था। अगले दिन नया अध्यापक आ रहा था। अब फ्रेन्ज भावुक हो गया। उसे फ्रैंच भाषा का कम ही ज्ञान था। लेकिन इस भाषा के प्रति उसमें एक अजीब-सा आकर्षण पैदा हो गया था। केवल कुछ ही समय पहले, उसकी पुस्तकें उसे एक सरदर्द प्रतीत होती थीं। लेकिन अब वे उसकी पुरानी मित्र बन गई थीं।
एम० हैमेल वहाँ से जा रहा था। यह विचार कि वह अपने शिक्षक को फिर कभी नहीं देखेगा उसके लिए पीड़ादायक था। वह इस बात को भी भूल चुका था कि एम० हैमेल कितना सनकी था।)

Talking about the text :
Question 1.
“When a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison.” Can you think of examples in history where a conquered people had their language taken away from them or had a language imposed on them? (“जब कोई समाज गुलाम हो जाता है, तो जब तक वे अपनी भाषा को पकड़े रहते हैं, तो ऐसा होता है कि मानो यह उनके जेल की चाबी है।” क्या आप इतिहास में से ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं जहाँ गुलाम लोगों की भाषा उनसे छीन ली गई हो या उन पर कोई और भाषा थोप दी गई हो ?)
Answer:
It is true that our language is the key to our freedom. By holding fast to their language, the conquered people can hope to attain freedom soon. There are many examples where the conquering nations imposed their language on the conquered nation. The British imposed English language on the Indians. In the same way, Spanish and Portuguese were imposed on the people of Latin American countries.

(यह बात सच है कि हमारी भाषा हमारी सफलता की कुंजी होती है। अपनी भाषा पर मजबूत पकड़ रखने वाले लोग, जिन पर विजय हासिल कर ली जाती है शीघ्र ही स्वतंत्रता की आशा कर सकते हैं। ऐसे बहुत-से उदाहरण हैं जहाँ जीतने वाले लोगों ने जीते हुए राष्ट्रों के ऊपर अपनी भाषा थोप दी थी। अंग्रेजों ने भारतीयों पर अंग्रेजी भाषा थोप दी थी। इसी तरह से लैटिन अमरीकी देशों पर स्पेन और पुर्तगाल की भाषाएँ थोप दी गई थीं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 2.
What happens to a linguistic minority in a state? How do you think they can keep their language alive? For example : Punjabis in Bangalore Tamilians in Mumbai Kannadigas in Delhi Gujaratis in Kolkata. (किसी राज्य में भाषाई अल्पसंख्यक के साथ क्या होता है ? आपके अनुसार वे अपनी भाषा को किस प्रकार जीवित रख सकते हैं ? उदाहरण के तौर पर बंगलौर में पंजाबी मुम्बई में तामिल दिल्ली में कन्नड़ लोग कोलकाता में गुजराती।)
Answer:
A linguistic minority faces difficulty in any state. People of this minority find it difficult to communicate with the others in the state. They have to learn the language which the majority of the people in the state speak and write. In government offices, the work is done in the state language. In schools and colleges, the medium of instruction is the language of the majority.

The Punjabis in Bangalore, the Tamilians in Mumbai, the Kannadigas in Delhi and the Gujaratis in Kolkata can keep their language alive by safeguarding it among themselves. They must communicate with the members of their community in their own language.

(भाषाई अल्पसंख्यक लोग किसी भी राज्य में कठिनाई महसूस करते हैं। इस अल्पसंख्यक समूह के लोग राज्य के दूसरे लोगों के साथ बातचीत करने में कठिनाई महसूस करते हैं। उनको उस भाषा को सीखना पड़ता है जो भाषा उस राज्य का बहुसंख्यक समुदाय बोलता और लिखता है। राजकीय कार्यालयों में, काम उस राज्य की भाषा में किया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा का माध्यम बहुसंख्यक समुदाय के लोगों की भाषा होता है। बंगलौर में पंजाबी, मुम्बई में तमिल, दिल्ली में कन्नड़ और कोलकाता में गुजराती अपनी भाषा को जीवित रख सकते हैं, इसे स्वयं के लोगों के बीच सुरक्षित रखकर । उन्हें अपने समुदाय के लोगों के बीच अपनी भाषा में ही संवाद करना चाहिए।)

Question 3.
Is it possible to carry pride in one’s language too far? Do you know what “linguistic chauvinism means?
(क्या भाषा के प्रति अपने गर्व को बहुत आगे तक ले जाना सम्भव है ? क्या आप जानते हैं ‘भाषा का दमन’ क्या होता है ?)
Answer:
Excessive pride in one’s language is not good. It is dangerous to carry our pride in our language too far. It is not bad to be proud of our culture, our traditions and language. But if we consider our language superior to other languages, it is not good. Language is after all, only a way of expressing our thoughts. As different people believe in different religions, so they speak different languages.

We must respect all languages. ‘Linguistic Chauvinism’ means opposition to all languages except our own. It means having an excessive pride in one’s own language. This is shown in the story. Prussia captured two districts of France. They ordered that only German language would be taught in those districts. They imposed their own language without caring for the sentiments of the people. This is ‘linguistic chauvinism’.

(किसी को अपनी भाषा पर अति गर्व होना भी अच्छी बात नहीं है। अपनी भाषा पर गर्व को बहुत आगे तक बढ़ाना खतरनाक बात है। अपनी संस्कृति, अपनी परम्पराओं और भाषा पर गर्व करना बुरी बात नहीं है। लेकिन यदि हम अपनी भाषा को अन्य भाषाओं से श्रेष्ठ मानते हैं, तो यह अच्छी बात नहीं है। आखिरकार भाषा केवल हमारे विचारों को प्रकट करने का एक माध्यम है। क्योंकि भिन्न-भिन्न लोग, भिन्न-भिन्न धर्मों में विश्वास रखते हैं, इसलिए वे भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलते हैं। हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।

‘भाषाई अंधराष्ट्रवाद’ का अर्थ है-अपनी भाषा को छोड़कर अन्य सभी भाषाओं का विरोध करना। इसका अर्थ है व्यक्ति का अपनी भाषा पर अति गर्व करना। यह बात इस कहानी में दशाई गई है। पर्शिया ने फ्रांस के दो जिलों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने आदेश दिया कि उन जिलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। उन्होंने लोगों की भावनाओं का ख्याल किए बिना उन पर अपनी भाषा को थोप दिया। इसे ही भाषा का दमन’ कहा जाता है।)

Working With Words

Question 1.
English is a language that contains words from many other languages. This inclusiveness is one of the reasons it is now a world language, For example :
petite – French
kindergarten – German
capital – Latin
democracy – Greek
bazaar – Hindi

Find out the origins of the following words.
tycoon barbecue zero
tulip veranda ski
logo robot trek
bandicoot
Answer:
Word – Origin
(i) tycoon – Japanese (taikun)
(ii) tulip – French (tulipe)
(iii) logo – Greek (logos)
(iv) bandicoot – Telugu (pandikokku)
(v) barbecue – Spanish (barbacoa)
(vi) veranda – Hindi (veranda)
(vii) robot – Czech (robota)
(viii) zero – American English
(ix) ski – Norwegian
(x) trek – Dutch (trekken)

2. Notice the underlined words in these sentences and tick the option that best explains their meaning. (a) “What a thunderclap these words were to me!”
The words were
(i) loud and clear.
(ii) startling and unexpected.
(iii) pleasant and welcome.
(b) “When a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison.” It is as if they have the key to the prison as long as they
(i) do not lose their language.
(ii) are attached to their language.
(iii) quickly learn the conqueror’s language.

(c) Don’t go so fast, you will get to your school in plenty of time.
You will get to your school
(i) very late.
(ii) too early.
(iii) early enough.

(d) I never saw him look so tall.
M. Hamel
(i) had grown physically taller.
(ii) seemed very confident.
(iii) stood on the chair.
Answer:
(a)
(ii) startling and unexpected.
(b)
(ii) are attached to their language.
(c)
(iii) early enough.
(d)
(ii) seemed very confident.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Noticing form
Read this sentence
M. Hamel had said that he would question us on participles. उक्त वाक्य के प्रथम भाग में verb का रूप “had said” पूर्वकालिक भूत (earlier past) को दर्शाने के लिए प्रयुक्त हुआ है । पूरी कहानी भूतकाल में वर्णित है । एम. हेमल का “कथन” इस कहानी की घटनाओं से पहले का है । Verb का यह रूप past perfect कहलाता है । Pick out five sentences from the story with this form of the verb and say why this form has been used. कहानी से कोई पाँच वाक्य चुनिए जिनमें क्रिया के इस रूप का प्रयोग हुआ हो और बताइये कि क्रिया के इस रूप का प्रयोग क्यों हुआ है।
Answer:
(i) I had counted on the commotion to get to my desk without being seen.
(ii) I had got a little over my fright ……..
(iii) That was what they had put up at the town hall.
(iv) He had put on his fine Sunday clothes.
(v) I had never listened so carefully. In all the above mentioned sentences, the past perfect form of verb has been used to point out something that had happened before a certain point of time in the past.
उपर्युक्त सभी वाक्यों में Past Perfect का प्रयोग भूतकाल के किसी निर्देश बिन्दु से पूर्व घटित हो रही किसी घटना को दर्शाने के लिए किया गया है ।

Writing:

Question 1.
Write a notice for your school bulletin-board. Your notice could be an announcement of a forthcoming event, or a requirement to be fulfilled or a rule to be followed.
अपने विद्यालय के सूचना-पट्ट के लिए एक सूचना लिखिए । आपकी सूचना किसी आने वाली घटना अथवा किसी अनिवार्यता के पालन करने अथवा किसी नियम के पालन से सम्बंधित हो सकती है ।
Answer:

Government Higher Secondary School, Dulchasar (Bikaner)

November 27, 20-

NOTICE
Essay Writing Competition

The Cultural Society of Dulchasar is going to organize an essay writing competition on 25-12-20xx, on the topic ‘How to Eradicate Corruption.’ The forms are available in the school office. Interested students may get them from the office in school hours. The society will give prizes as well as citations to the winning candidates.

Principal
Govt H. Sec. School, Dulchasar

Question 2.
Write a paragraph of about 100 words arguing for or against having to study three languages at school.
स्कूल में तीन भाषाएँ पढ़ने के पक्ष अथवा विपक्ष में 100 शब्दों का एक अनुच्छेद लिखिये ।
Answer:
For: After deep deliberations, India has accepted three language formulas. India is a vast country with so much diversity. Such a big nation as ours can be held together with the help of languages only. Every region of our country has a language of its own.

These are regional languages such as Marwari, Gujarati, Tamil, Telugu, Bangla etc. So a student must learn his/her regional language. Hindi is our national language so it is highly imperative to all Indians to learn Hindi. English is an international language. In this age of globalization, it is utterly undesirable not to learn English. So learning three languages at school level is very necessary.

पक्ष : गहन विचार-विमर्श के बाद, भारत ने त्रिभाषा सूत्र को स्वीकार कर लिया है। भारत बहुत अधिक विविधताओं वाला एक बहुत विशाल राष्ट्र है। हमारे जैसे एक विशाल राष्ट्र को केवल भाषा की मदद से संगठित रखा जा सकता है । हमारे देश के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी स्वयं की एक बोली है ।

ये क्षेत्रीय भाषाएँ हैं; जैसे मारवाड़ी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, बंगला इत्यादि । इसलिए एक विद्यार्थी को अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखनी ही चाहिये । हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है इसलिए सभी भारतीयों के लिए हिन्दी सीखना अति आवश्यक है । अंग्रेजी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है । वैश्वीकरण के इस युग में अंग्रेजी नहीं सीखना अत्यधिक अवांछनीय है । इसलिए विद्यालय स्तर पर तीन भाषाएँ सीखना अति आवश्यक है। .

Question 3.
Have you ever changed your opinion about someone or something that you had earlier likad or disliked ? Narrate what led you to change your mind.
क्या आपने कभी किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में अपने विचार बदले हैं जिसे आप पहले पसंद या नापसंद करते थे ? वर्णन कीजिये किस चीज ने आपके मन को बदल दिया ।।
Answer:
My father is a teacher and a kind man. We have a maternal uncle. He was a rich man. We respected him very much. He used to visit our house time and again. We felt very happy when he visited our house. He used to bring sweets and fruits for us. My father used to lend him money.

We didn’t know this but mother knew it. One day my father fell seriously ill and we needed money for his treatment. My mother sent me to him for the money. My maternal uncle behaved very rudely. He rebuked me badly and refused to return our money. I felt very sorry. Since then I have no respect for him. His being an opportunist changed my mind.

मेरे पिताजी एक अध्यापक व दयालु व्यक्ति हैं । हमारे एक मामा हैं । वह एक धनी व्यक्ति थे । हम उनका बहुत सम्मान करते थे । वे अक्सर हमारे घर पर आया करते थे । जब वे हमारे घर आते थे तो हम बहुत खुश होते थे । वे हमारे लिए मिठाइयाँ व फल लाया करते थे । मेरे पिताजी उन्हें रुपये उधार दिया करते थे ।

हम यह नहीं जानते थे लेकिन मेरी माताजी यह जानती थीं। एक बार मेरे पिताजी भयंकर बीमार पड़े तथा हमें उनके इलाज के लिए रुपयों की आवश्यकता हुई । मेरी माँ ने मुझे रुपयों के लिए उनके पास भेजा । मेरे मामा ने अत्यधिक अशिष्ट व्यवहार किया । उन्होंने मुझे बुरी तरह से फटकारा व हमारे रुपये लौटाने से इन्कार कर दिया । मुझे बहुत दु:ख हुआ । तब से उनके प्रति मेरे मन में कोई सम्मान नहीं है । उनकी अवसरवादिता ने मेरे मन को बदल दिया।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

HBSE 12th Class English The Last Lesson Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 

Question 1.
What is the background of the story ‘The Last Lesson’? .. (‘द लास्ट लैस्न’ कहानी की पृष्ठभूमि क्या है ?)
Answer:
This story is set in the days of the Franco-Prussian War (1870-1871). In this war, France was defeated by Prussia (Germany). Then an order came from Germany. According to this order, German language was imposed on the French districts of Alsace and Lorraine. A student named Franz is the narrator of the story. The writer describes the effect of this shocking news on the narrator, his teacher, M. Hamel and the villagers.

(यह कहानी 1870-71 में फ्रांसीसी-पर्शिया युद्ध के दिनों के दौरान की घटना के बारे में है। इस युद्ध में फ्रांस पर्शिया (जर्मनी) के हाथों पराजित हो गया। तब जर्मनी से एक आदेश आया। इस आदेश के तहत, फ्रांस के अल्सेस और लॉरेन जिलों पर जर्मन भाषा थोप दी गई। फ्रेन्ज नाम का एक विद्यार्थी इस कहानी का वर्णनकर्ता है। लेखक इस सदमे भरी खबर का वर्णनकर्ता, उसके अध्यापक एम० हैमेल और गाँव वालों पर पड़े प्रभाव का वर्णन करता है।)

Question 2.
Why was Franz afraid of? [H.B.S.E. 2017 (Set-C)] (फ्रेन्ज क्यों डरा हुआ था ?)
Or
What dread did little Franz have when he started for school in the morning? [2020 (Set-C)] (छोटे फ्रेन्ज को किस बात का भय था जब वह सुबह स्कूल के लिए निकला?)
Answer:
Franz was very late for school. He feared that he would be rebuked for coming late. But his real dread was his failure to learn the participles. On that day, the teacher, M. Hamel, had to question the students about participles. But Franz had not prepared his lesson. So he was afraid of being rebuked.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए बहुत अधिक देर हो गई थी। उसे डर था कि उसे देर से आने की वजह से डाँट पड़ेगी। लेकिन उसका असली भय क्रिया-विशेषण का पाठ याद न कर पाने की वजह से था। उस दिन, शिक्षक एम० हैमेल ने क्रिया-विशेषण के पाठ से सम्बन्धित प्रश्न पूछने थे। लेकिन फ्रेन्ज ने अपना पाठ याद नहीं किया था। इसलिए उसे डाँट पड़ने का डर था।)

Question 3.
What did Franz decide to do for a moment ? (एक क्षण के लिए फ्रेन्ज क्या करने का फैसला करता है ?)
Answer:
Franz was late for school. Secondly, on that day, his teacher had to ask questions on participles. But he had not learnt his lesson. He feared that the teacher would rebuke him. So for a moment, he thought of running away and spending the day in the countryside. But then he decided to attend the school and hurried on.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देर हो गई थी। दूसरे, उस दिन उसके शिक्षक ने क्रिया-विशेषण के पाठ से सम्बन्धित प्रश्न पूछने थे। लेकिन उसने अपना पाठ याद नहीं किया था। उसे डर था कि शिक्षक उसे डाँटेगा। इसलिए एक पल के लिए उसके दिमाग में भागकर कहीं देहात में दिन बिताने का विचार आया। लेकिन तब उसने स्कूल में उपस्थित होने का निर्णय लिया और तेजी से आगे बढ़ गया।)

Question 4.
What was the temptation and how did Franz resist it? (प्रलोभन क्या था और फ्रेन्ज ने इसका विरोध किस प्रकार किया ?)
Answer:
Franz had not prepared his lesson. He feared that his teacher would rebuke him. For a moment he decided to run away and spend the day in the countryside. There was a great temptation before him. The weather was very warm and the day was bright. Open fields and the chirping of birds were more attractive than the participles. He could also watch the Prussian soldiers drilling in the open. But he had the strength to resist this temptation. He decided to hurry off to the school.

(फ्रेन्ज ने अपना पाठ याद नहीं किया था। उसे डर था कि उसका शिक्षक उसे डाँटेगा। एक क्षण के लिए तो उसके मन में विचार आया कि वह वहाँ से भाग कर अपना दिन कहीं देहात में बिताए। उसके सामने एक बड़ा प्रलोभन था। उस दिन मौसम बहुत गर्म था और दिन चमकीला था। खुले खेत और पक्षियों की चहकने की आवाज़ों का आकर्षण क्रिया-विशेषण के पाठ से कहीं अधिक था। वह पर्शिया के सैनिकों को खुले मैदानों में बोर करते हुए देख सकता था। लेकिन उसमें इस प्रलोभन को रोक पाने की ताकत थी। इसलिए उसने तेजी से स्कूल की ओर जाने का निर्णय किया।)

Question 5.
What caused the bustle when the school began? [H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (जब स्कूल आरम्भ होता था तो किस बात से शोर होता था ?)
Answer:
Usually, when the school began, there was a great bustle. The noise could be heard out in the street. This bustle was caused by the opening and closing of desks. The students repeated their lessons very loud in unison. This caused a lot of noise. The teacher rapped his ruler on the table. All these things caused a lot of bustle.

(प्रायः जब स्कूल शुरू होता था, तो वहाँ बहुत शोर होता था। वह शोर बाहर गली में भी सुनाई पड़ जाता था। यह शोर डेस्कों के खोलने और उन्हें बंद करने का होता था। विद्यार्थी एक लय में अपने पाठों को ऊँचे स्वर में दोहराते थे। इसकी वजह से बहुत अधिक शोर पैदा होता था। अध्यापक अपने डंडे को मेज पर टक-टक मारता रहता था। ये सभी चीजें बहुत अधिक शोर पैदा करती थीं।)

Question 6.
Why was there a big crowd in front of the bulletin board? What kind of news did people get from there?
(समाचार-पट्ट (नोटिस बोर्ड) के सामने भीड़ क्यों थी ? लोगों को वहाँ से किस प्रकार की खबरें मिलती थीं ?)
Answer:
On his way to school, Franz passed by the Town Hall. There he found that there was a big crowd in front of the bulletin board. It was a usual sight these days. For the last two years, all kinds of bad news had come from there. People got the news of the lost battles, the draft and the orders of the commanding officer. That day, there was another bad news. The order from Berlin said that German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

(स्कूल के रास्ते में, फॅन्ज टाऊन हाल के पास से गुजरा। वहाँ उसने पाया कि समाचार-पट्ट के सामने अत्यधिक भीड़ थी। ऐसा होना आजकल एक आम बात थी। पिछले दो वर्षों से वहाँ से सभी तरह के बुरे समाचार आ रहे थे। लोगों ने वहाँ से युद्ध में पराजय के समाचार और कमांडिंग अफसर के आदेश प्राप्त किए थे। उस दिन भी वहाँ एक बुरा समाचार था। बर्लिन से आए आदेश में कहा गया था कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी।)

Question 7.
Why had Franz hoped that he would be able to enter the school unnoticed? (फ्रेन्ज को यह आशा क्यों थी कि वह चुपचाप स्कूल में प्रवेश कर पाएगा?)
Answer:
Franz was late for school. He feared that if he was noticed, he would be punished. But he also hoped that he would be able to enter the school unnoticed. Generally, when the school began, there was a lot of bustle. This noise was so great that it could be heard in the street. He hoped that in that bustle no one would notice that he was late.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देरी हो गई थी। उसे डर था कि यदि उस पर नजर पड़ गई तो उसे सजा मिलेगी। लेकिन उसे ऐसी उम्मीद भी थी कि वह बिना किसी की नजर में आए स्कूल में प्रवेश कर सकता था। आमतौर, पर जब स्कूल शुरू होता था तो वहाँ बहुत अधिक शोर होता था। यह शोर इतना अधिक होता था कि इसे बाहर गली में भी सुना जा सकता थ। उसे उम्मीद थी कि इस शोर-शराबे में किसी का भी ध्यान उसके देर से आने पर नहीं जाएगा।)

Question 8.
What did he find unusual about the school? (उसने स्कूल के बारे में क्या असाधारण बात देखी?)
Answer:
When the narrator reached school, he found something unusual. Generally, there was a great hustle and bustle at the school in the morning. The noise was created by the opening and closing of desks and the repeating of lessons loudly. The sound made by the teacher by rapping his ruler on the table could also be heard from the street. But that day, everything was calm and quiet. It was quite unusual.

(जब वर्णनकर्ता स्कूल पहुंचा, तो उसे कुछ अजीब-सा लगा। आमतौर पर, सुबह के समय स्कूल में बहुत अधिक चहल-पहल और शोर-शराबा होता था। यह शोर डेस्कों को खोलने और बंद करने और पाठों की दोहराई करने के कारण पैदा होता था। अध्यापक के द्वारा अपने डंडे को टक-टक से मेज पर मारने की वजह से पैदा हुआ शोर भी बाहर गली में सुना जा सकता था। लेकिन उस दिन सब कुछ शांत था। यह एक बिल्कुल अजीब बात थी।)

Question 9.
How did Franz enter the school? How did the teacher react? (फ्रेन्ज ने स्कूल में प्रवेश किस प्रकार किया ? अध्यापक की क्या प्रतिक्रिया थी ?) Or Did M. Hamel get angry with Franz for being late?
[H.B.S.E. March, 2018 (Set-B)] (क्या एम० हैमेल फ्रेन्ज के देर से आने पर क्रोधित हुए?)
Answer:
Franz was late for school. He feared that he would be rebuked by his teacher. He wanted to get to his desk without being noticed. But that day, everything was calm and quiet. He had to open the door and go in before everybody. The teacher was already there. Franz blushed and was frightened. But nothing happened. His teacher spoke very kindly and asked him to take his seat.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देर हो गई थी। उसे डर था कि उसे शिक्षक से डाँट पड़ेगी। वह बिना किसी की नजर पड़े अपने डेस्क तक पहुँचना चाहता था। लेकिन उस दिन सब कुछ शांत था। उसे दरवाजा खोलकर सभी के सामने अंदर आना पड़ा। अध्यापक पहले से ही वहाँ था। फ्रेन्ज का चेहरा लाल पड़ गया और वह डर गया। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसके अध्यापक ने बड़ी दयालुता से बात की और उसे अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 10.
What surprised the narrator most when he took his seat in the class? (जब कक्षा में वह अपनी सीट पर बैठा तो वर्णनकर्ता को किस बात ने हैरान किया?) Or How was M. Hamel’s class different the day Franz went late to school? [H.B.S.E. 2019 (Set-A)] (एम० हैमेल की कक्षा अन्य दिनों से कैसे भिन्न थी, जिस दिन फ्रांज देर से स्कूल गया था?)
Answer:
Franz entered the class and took his seat. It was strange that he was not rebuked by his teacher. It was also strange that the whole school seemed calm and quiet. But what surprised him most was that the village people were sitting on the back benches. Everybody sat quiet and looked sad. He saw that the former mayor, the former postmaster and many others villagers were sitting there. They were sad to know that from the next day, German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

(फ्रन्ज ने कक्षा में प्रवेश किया और अपनी सीट पर बैठ गया। यह अजीब बात थी कि उसके शिक्षक ने उसे डाँटा नहीं था। यह भी अजीब बात थी कि सारा स्कूल एकदम से शांत था। लेकिन जिस बात ने उसे सबसे अधिक हैरान किया वह थी कि गाँव के लोग पीछे वाले बैंचों पर कक्षा में बैठे हुए थे। प्रत्येक व्यक्ति शांत बैठा था और उदास दिखाई दे रहा था। उसने देखा कि पूर्व महापौर, पूर्व डाकपाल और बहुत-से अन्य ग्रामीण वहाँ पर बैठे हुए थे। वे इस बात को जानकार हैरान थे कि अगले दिन से, अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी।)

Question 11.
What shocking news did M. Hamel give to the students and the villagers? What was its effect on them?
(एम० हैमेल ने छात्रों और गाँव वालों को सदमे वाली क्या खबर दी ? इसका उन पर क्या प्रभाव हुआ?)
Answer:
That day villagers attended the class of M. Hamel. They were sitting on the back benches. Everything was quiet and calm. M. Hamel took his chair. He spoke in a grave and gentle tone. He announced that it was his last French lesson. He said that an order had come from Berlin. German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. The new teacher was coming the next day. This news made everyone sad. They were shocked.

(उस दिन ग्रामीण एम० हैमेल की कक्षा में उपस्थित थे। वे पीछे वाले बैंचों पर बैठे थे। सब कुछ एकदम से शांत था। एम० हैमेल अपनी कुर्सी पर बैठा था। वह एक गंभीर और सौम्य स्वर में बोला। उसने घोषणा की कि यह उसका फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। उसने कहा कि बर्लिन से एक आदेश आया है कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था। इस समाचार ने हर किसी को उदास कर दिया। वे सदमे में थे।)

Question 12.
What was the effect of M.Hamel’s announcement on the narrator? (वर्णनकर्ता पर एम० हैमेल की घोषणा का क्या प्रभाव हुआ ?)
Answer:
M. Hamel announced that it was his last French lesson. He said that according to an order from Berlin, only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. This announcement made Franz very sad. He felt sorry for not learning his lessons in French. He had never liked his books. But now he no longer hated his books. He even started liking M. Hamel, in spite of his harshness.

(एम० हैमेल ने घोषणा की कि वह उसका फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। उसने कहा कि बर्लिन से आए एक आदेश के अनुसार अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। इस घोषणा ने फॅन्ज को बहुत अधिक उदास कर दिया। आज उसे अपने फ्रांसीसी भाषा के पाठों को याद न करने का अफसोस हो रहा था। वह अपनी किताबों को कभी पसंद नहीं करता था। लेकिन अब वह अपनी किताबों के प्रति घृणा को भूल चुका था। उसने एम० हैमेल को भी उसकी सख्तमिजाजी के बावजूद पसंद करना शुरू कर दिया था।)

Question 13.
Franz could not recite the rules for the participles. How did M. Hamel react? (फ्रेन्ज पार्टीसिप्ल के नियम नहीं सुना पाया। इस पर श्री हैमेल की क्या प्रतिक्रिया हुई ?) Or
Who did M. Hamel blame for the neglect of learning on the part of boys like Franz? . (फ्रेन्ज जैसे लड़के के पाठ याद करने की उपेक्षा के लिए एम० हैमेल ने किसे दोषी ठहराया?)[H.B.S.E. 2019 (Set-D)]
Answer:
Franz heard his name called. It was his turn to recite the rules of participles. In spite of his best efforts, he could not recite the rules. He stood there holding on the desk. His heart was beating. He did not dare to look up. But the teacher did not rebuke him. He told Franz kindly that he would not rebuke him. He said that Franz was not the only one who neglected learning French. Many others in Alsace and Lorraine were like him.

(फ्रेन्ज ने अपने नाम की पुकार सुनी। क्रिया-विशेषण के नियम सुनाने की अब उसकी बारी थी। अपने पूरे प्रयास करने के बावजूद भी वह नियम नहीं सुना सका। वह डेस्क को पकड़े हुए खड़ा रहा। उसका दिल धक-धक कर रहा था। उसमें ऊपर देखने तक का साहस नहीं था। लेकिन अध्यापक ने उसे डाँटा नहीं। उसने फॅन्ज को दयालुतापूर्वक बताया कि वह उसे डाँटेगा नहीं। उसने बताया कि फ्रन्ज केवल मात्र अकेला नहीं था जिसने फ्रांसीसी भाषा को सीखने में अवहेलना की थी। अल्सेस और लॉरेन में उस जैसे और बहुत थे।)

Question 14.
What kind of clothes was M.Hamel wearing? Why had he put on that fine dress? (एम० हैमेल किस प्रकार के कपड़े पहने हुए था? उसने वह सुन्दर पोशाक क्यों पहनी हुई थी ?)
Answer:
M. Hamel had put on his beautiful green coat, his frilled shirt and the little black silk cap. He never wore those clothes except on inspection and prize days. But that day he was wearing those clothes in honour of the last French lesson. An order from Berlin had come that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. The new teacher was coming the next day.

(एम० हैमेल ने अपना हरे रंग का सुन्दर कोट, झालरवाला कमीज और रेशम की छोटी टोपी पहनी हुई थी। वह निरीक्षण और पुरस्कार वितरण समारोह के अतिरिक्त उन कपड़ों को कभी नहीं पहनता था। लेकिन उस दिन उसने फ्रांसीसी भाषा के अंतिम पाठ के सम्मान में वे कपड़े पहन रखे थे। बर्लिन से एक आदेश आया था कि अब अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था।)।

Question 15.
What did M. Hamel say about the French language? What did he urge upon his students and villagers to do? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)] (एम० हैमेल ने फ्रांसीसी भाषा के बारे में क्या कहा ? उसने अपने छात्रों और गाँव वालों से क्या करने का आग्रह किया ?)
or
How does M. Hamel pay a tribute to the French language? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)] (एम० हैमेल फ्रांसीसी भाषा को श्रद्धांजली कैसे देता है?)
Answer:
It was M.Hamel’s last French lesson. He talked in length about the French language. He told the students and villagers that French was the most beautiful language in the world. He said that it was the clearest and most logical language. He urged upon the students and the villagers to protect it among themselves. He reminded them never to forget it.
(यह एम० हैमेल का फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। उसने फ्रांसीसी भाषा के बारे में विस्तार से बातचीत की। उसने विद्यार्थियों और गाँव वालों को बताया कि फ्रांसीसी भाषा दुनिया की सबसे सुन्दर भाषा है। उसने बताया कि यह सबसे अधिक स्पष्ट और तर्कपूर्ण भाषा है। उसने विद्यार्थियों और गाँव वालों को इस भाषा को अपने में संरक्षित रखने का आह्वान किया। उसने उन्हें याद दिलाया कि वे उस भाषा को कभी न भूलें।)

Question 16.
Why did M.Hamel ask his students and the villages to guard French among themselves? (एम० हैमेल ने छात्रों एवं गाँव वालों से फ्रांसीसी भाषा को अपने बीच में सुरक्षित रखने के लिए क्यों कहा ?)
Answer:
It was M. Hamel’s last French lesson to his students. From the next day, German would be taught in all the schools of Alsace and Lorraine. M. Hamel was sad but helpless. In his last lesson, he said that French was the most beautiful language in the world. It was the most logical language. He urged upon his students apd the villagers to guard this language. He said that their language is the key to their happiness and freedom. They must not forget it.

(यह एम० हैमेल का अपने विद्यार्थियों के लिए फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। अगले दिन से अल्सेस और लॉरेन के सभी स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। एम० हैमेल निराश परन्तु असहाय था। अपने अंतिम पाठ में, उसने कहा कि फ्रांसीसी भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। वह सबसे अधिक तर्कपूर्ण भाषा है। उसने अपने विद्यार्थियों और गाँव वालों से इस भाषा की रक्षा करने का आह्वान किया। उसने कहा कि उनकी भाषा उनकी खुशी और स्वतंत्रता की कुंजी है। उन्हें इस भाषा को भूलना नहीं चाहिए।)

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Question 17.
What was the effect of the last lesson on the narrator? (वर्णनकर्ता पर अन्तिम पाठ का क्या प्रभाव हुआ ?) or
“What a thunderclap these words were to me!” Which were the words that shocked and surprised little Franz? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)] (“कैसे चौकाने वाले शब्द थे ये मेरे लिए!” ये कौन-से शब्द थे, जिन्होंने छोटे फ्रैन्ज को चौंका दिया और आश्चर्यचकित कर दिया?)
Answer:
M. Hamel was giving his last French lesson. After praising the French language, he opened a grammar book and read them their lesson. Franz found that lesson seemed very easy. He understood it so well. He was very attentive. M. Hamel had never explained everything with so much patience. It appeared as if the teacher wanted to give his students all he knew before going away. He wanted to put it all into their heads with one stroke.

(एम० हैमेल अपना फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ पढ़ रहा था। फ्रांसीसी भाषा की प्रशंसा करने के उपरांत, उसने व्याकरण की एक किताब खोली और उसमें से एक पाठ पढ़ा। फ्रेन्ज को लगा कि वह पाठ बहुत आसान था। उसे वह पाठ अच्छी तरह से समझ में आ गया। उसने पूरा ध्यान लगा रखा था। एम० हैमेल ने कभी भी इतने धैर्य के साथ प्रत्येक चीज की इतनी व्याख्या नहीं की थी। ऐसा प्रतीत होता था कि अध्यापक अपने विद्यार्थियों को वह सब कुछ दे देना चाहता था जो कुछ वह जानता था। वह एक ही प्रयास में ये सब बातें विद्यार्थियों के दिमाग में डाल देना चाहता था।)

Question 18.
How did M.Hamel bid farewell to his students and the villagers? (एम० हैमेल ने छात्रों और गाँव वालों को अलविदा किस प्रकार कहा ?)
Answer:
The church clock struck twelve. The trumpets of the Prussian soldiers sounded under the window. It was time to close to school. M. Hamel stood up. He looked very pale. He tried to speak, but could not. His emotions choked his speech. Then he turned to the blackboard and took a piece of chalk. He wrote in big letters, “Vive La France!” (Long Live France). Then, without a word, he made a gesture to those in the classroom with hand, “School is dismissed -you may go.”

(गिरजाघर की घड़ी ने 12 बजे का घंटा बजाया। खिड़की के बाहर से पर्शिया के सैनिकों के बिगुल की आवाज़ सुनाई दी। स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था। एम० हैमेल खड़ा हो गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया था। उसने बोलने का प्रयास किया, लेकिन बोल नहीं सका। उसकी भावनाओं से उसका गला रुंध गया था। तब वह ब्लैक-बोर्ड की ओर मुड़ा और उसने चॉक का एक टुकड़ा लिया। उसने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा “फ्रांस अमर रहे” । तब उसने बिना कुछ बोले, कक्षा में उपस्थितजनों को हाथ के इशारे से संकेत करते हुए कहा, “स्कूल की छुट्टी हो गई है, आप जा सकते हो”।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
Reproduce in your own words what Franz did or thought on his way to school? (फ्रेन्ज ने स्कूल जाते समय क्या किया और क्या सोचा, इसका अपने शब्दों में वर्णन करो।) [H.B.S.E. 2020 (Set-D)]
Answer:
Franz was late for school. He feared that his teacher M. Hamel would rebuke him for coming late. Moreover, Franz had not prepared his lesson. He feared that his teacher would rebuke him. For a moment he decided to run away and spend the day in the countryside. There was a great temptation before him. The weather was very warm and the day was Open fields and the chirping of birds were more attracting of birds were more attractive than the participles. He could also watch the Prussian soldiers drilling in the open.

But he had the strength to resist this temptation. He decided to hurry off to the school. When he passed by the Town hall, he saw a big crowd in front of the bulletin board. It was a usual sight these days. For the last two years all kinds of bad news came from Berlin. But Franz did not stop there. He continued going fast. When he reached his school, he was all out of breath.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देर हो गई थी। उसे डर लग रहा था कि देर से आने की वजह से उसका अध्यापक उसे डाँटेगा। इससे भी बड़ी बात, फ्रन्ज ने अपना पाठ तैयार नहीं किया था। उसे डर था कि उसका अध्यापक उसे डाँटेगा। एक पल के लिए तो उसने वहाँ से भागकर अपना दिन कहीं देहात में बिताने के बारे में सोचा। उसके सामने एक बहुत बड़ा प्रलोभन था। मौसम बहुत गर्म था और दिन भी एकदम साफ। खुले खेत और पक्षियों के चहचहाने की आवाजें क्रिया-विशेषण के पाठ से कहीं अधिक आकर्षक थीं। वह पर्शिया के सिपाहियों को खुले मैदानों में बोर करते हुए देख सकता था। लेकिन उसमें इस प्रलोभन को रोकने की ताकत थी। उसने जल्दी से स्कूल की ओर जाने का निर्णय लिया। जब वह टाउन हॉल के पास से गुजरा तो उसने समाचार पट्ट के सामने अत्याधिक भीड़ देखी। आजकल ऐसा होना आम दृश्य था। पिछले दो वर्षों से बर्लिन से सभी तरह के बुरे समाचार आ रहे थे। लेकिन फॅन्ज वहाँ नहीं रुका। वह तेजी से चलता रहा। जब वह अपने स्कूल में पहुँचा तो उसका साँस फूला हुआ था।)

Question 2.
What was the order from Berlin? What was its effect on M. Hamel, Franz and the people of Alsace? (बर्लिन से आया हुआ आदेश क्या था ? इसका एम० हैमेल, फॅन्ज और अल्सेस के लोगों पर क्या प्रभाव था ?) Or The order from Berlin aroused a particular zeal in the school. Comment.[H.B.S.E. 2018 (Set-D)] (बर्लिन से आए आदेश ने स्कूल में एक विशेष उत्तेजना जागृत कर दी। टिप्पणी करें।)
Answer:
For the last two years all bad news had come from Berlin. That day also there was shocking news. An order had come from Berlin. According to that order, German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

The order from Berlin shocked the people of Alsace. M. Hamel was a teacher in a school in Alsace. He was also heartbroken. That day he gave his last lesson in French to his students. From the next day, German would be taught. Apart from his students, people from the village also attended his school that day. This was a mark of honour for the teacher. M.Hamel broke the news to his students and the villagers. He to his last lesson. The new teacher would join the school the next day. The narrator, Franz, was shocked. The villagers were also sad.

Then M.Hamel praised the French language. He said that French was the most beautiful language in the world. It was the most logical language. He urged his students and the villagers to protect this language. Everyone listened to him with attention and respect. In the end, he got up. He took a piece of chalk and wrote on the blackboard, “Vive La France!” (Long Live France). Then without a word, he made a gesture to convey that the school was over and they could go.

(पिछले दो वर्षों से बर्लिन से सभी बुरे समाचार आ चुके थे। उस दिन भी एक सदमे वाला समाचार था। बर्लिन से एक आदेश आया था। उस आदेश के अनुसार, अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढाई जाएगी। बर्लिन से आए आदेश ने अल्सेस के लोगों को सदमे में डाल दिया। एम० हैमेल अल्सेस के एक स्कूल में शिक्षक था। उसका भी दिल टूटा हुआ था। उस दिन उसने अपने विद्यार्थियों को फ्रैंच भाषा का अपना अंतिम पाठ पढ़ाया। अगले दिन से, जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। उस दिन विद्यार्थियों के साथ-साथ गाँव के अन्य लोग भी स्कूल में उपस्थित हुए। यह शिक्षक के लिए एक सम्मान का प्रतीक था।

एम० हैमेल ने विद्यार्थियों और गाँव वालों को समाचार के बारे में बताया। उसने बताया कि यह उसका अंतिम पाठ था। नया शिक्षक अगले दिन स्कूल में आ जाएगा। वर्णनकर्ता फ्रेन्ज, सदमे में था। गाँव वाले भी उदास थे। तब एम० हैमेल ने फ्रैंच भाषा की प्रशंसा की। उसने कहा कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। यह सबसे अधिक तर्कपूर्ण भाषा है। उसने विद्यार्थियों और गाँव वालों को इस भाषा को संरक्षित रखने का आह्वान किया। हर किसी ने उसकी बात को सम्मानपूर्वक और पूरे ध्यान के साथ सुना। अंत में वह खड़ा हो गया। उसने चॉक का एक टुकड़ा उठाया और ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया, “फ्रांस अमर रहे!” तब एक भी शब्द बोले बिना उसने इशारा कर दिया कि स्कूल की छुट्टी हो गई है और वे जा सकते थे।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 3.
Write a brief character-sketch of M. Hamel, the narrator’s teacher. Or (वर्णनकर्ता के अध्यापक एम० हैमेल का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।) How do you estimate M. Hamel as a man with aruler and as a man with agesture? [2019 (Set-A)] (आप कैसे अनुमान लगा सकते हैं कि एम० हैमेल एक कठोर और शान्ति से अपने मन के भाव प्रकट करने वाला व्यक्ति था?)
Answer:
M.Hamel is the central character in the story ‘The Last Lesson. He is a teacher of French in a school of Alsace. He is the narrator’s teacher. Like the other teachers of that time, he was also strict. The students of his school were afraid of him. The narrator, Franz, was in great dread of him. He feared that he would be rebuked by his teacher because he had not prepared his lesson. M. Hamel always maintained strict discipline in the class.

However, the writer presents the other side of his character also. When the order from Berlin comes, we find that M.Hamel is very patriotic. He was very sentimental. He did not rebuke the narrator when he came late. He did not lose his temper even when Franz did not recite his lesson properly. He urged upon the students and the villagers to protect the French language. He said that it was not proper for them to neglect their own language.

In the end, he got up. He wanted to say something but his sentiments choked his voice. He took a piece of chalk and wrote on the blackboard in big letters, “Vive La France!’ (Long Live France). Then without speaking, he made a gesture to indicate that the school was over and they could go. Thus we find that he was a man with a ruler and a man with a gesture.

(एम० हैमेल इस कहानी ‘अंतिम सबक’ का केंद्रीय पात्र है। वह अल्सेस के एक स्कूल में फ्रैंच भाषा का एक शिक्षक है। वह वर्णनकर्ता का शिक्षक है। उस समय के अन्य शिक्षकों की तरह, वह भी कठोर था। उसके स्कूल के विद्यार्थी उससे डरते थे। वर्णनकर्ता, फ्रन्ज भी उससे बहुत अधिक डरता था। उसे डर था कि उसे उसके अध्यापक से डॉट पड़ेगी क्योंकि उसने अपना पाठ याद नहीं किया था। एम० हैमेल कक्षा में हमेशा कठोर अनुशासन रखता था।

यद्यपि, लेखक उसके चरित्र का दूसरा पहलू भी प्रस्तुत करता है। जब बर्लिन से आदेश आता है तो हम देखते हैं कि एम० हैमेल बहुत ही देशभक्त है। वह बहुत भावुक हो गया था। वह वर्णनकर्ता को देर से आने की वजह से नहीं डाँटता है। उसे उस समय भी क्रोध नहीं आता है जब फ्रेन्ज अपना पाठ सही ढंग से नहीं सुनाता है। वह विद्यार्थियों और गाँव वालों से फ्रैंच भाषा को संरक्षित रखने का आह्वान करता है। उसने कहा कि अपनी भाषा की अवहेलना करना उनके लिए सही बात नहीं है।

अंत में, वह उठ खड़ा हुआ। वह कुछ कहना चाहता था लेकिन उसकी भावनाओं से उसका गला सँध गया। उसने चॉक का एक टुकड़ा उठाया और ब्लैक-बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दिया “फ्रांस अमर रहे।” तब बिना बोले उसने इशारा करके कहा कि स्कूल की छुट्टी हो गई है और वे जा सकते थे। अतः हम देखते हैं कि एम० हैमेल एक कठोर और शान्ति से अपने मन के भाव को प्रकट करने वाला व्यक्ति था।)

Question 4.
Write a brief character-sketch of Franz, the narrator of the story. [H.B.S.E. 2019 (Set-C)] (कहानी के वर्णनकर्ता, फ्रन्ज का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।) What impression do you form about Franz after reading this story? (कहानी पढ़ने के बाद फ्रेन्ज के बारे में आपका क्या विचार बनता है ?)
Answer:
Franz is the narrator of this story. He is a student in a school of Alsace. M. Hamel was his school teacher. He is an ordinary student and has such feelings about the school and his teacher as such students have. He is not brilliant at studies. So he dreads his teacher. When the story starts, he is going to school. He is in great dread of his teacher because he is late for school. Moreover, he has not prepared his lesson on participles.

He fears that his teacher, M.Hamel would rebuke him. For a moment he thinks of running away from the school. He thinks that there are many things which are more attractive than his teacher’s lecture. He likes the chirping of birds in the woods. He likes to watch the Prussian soldiers drilling. However, he resists the temptation and attends the school.

However, there is a change in Franz’s opinion about his teacher. That day M. Hamel says that it is his last French lesson. The new teacher is coming the next day. Now only German would be taught in the schools. Like others, Franz is also shocked to hear this news. When he hears the cooing of pigeons, he remarks, “Will they make them sing in German, even the pigeons?” Now Franz begins to respect his teacher. He thinks that M. Hamel is a dedicated teacher.

He has been in the school for the last forty years. He feels sorry for having neglected the study of French. He agrees with his teacher that French is the most beautiful language in the world. When M. Hamel reads out the lesson to the class, he finds that he understands it all. He listens to his teacher’s last lesson with rapt attention and respect.
(फ्रेन्ज इस कहानी का वर्णनकर्ता है। वह अल्सेस के एक स्कूल का विद्यार्थी है। एम० हैमेल उसके स्कूल का एक शिक्षक था। वह एक आम विद्यार्थी है और उसके भी अपने स्कूल और शिक्षक के बारे में वैसे ही विचार हैं जैसे कि उस जैसे अन्य बच्चों के होते हैं। वह पढ़ाई में होशियार नहीं है। इसलिए वह अपने शिक्षक से डरता है। जब कहानी शुरू होती है तो वह स्कूल जा रहा है। उसे अपने शिक्षक से बहुत अधिक डर रहा है क्योंकि उसे स्कूल के लिए देर हो गई है।

इससे भी बड़ी बात, उसने क्रिया-विशेषण वाला अपना पाठ तैयार नहीं किया था। वह डर रहा है कि उसका शिक्षक एम० हैमेल उसे डाँटेगा। एक पल के लिए तो वह स्कूल से भाग जाने के बारे में भी सोचता है। वह सोचता है कि उसके शिक्षक के भाषण से भी अधिक आकर्षित करने वाली बहुत-सी चीजें थीं। उसे जंगल में पक्षियों के चहकने की आवाज़ पसंद है। वह पर्शिया के सिपाहियों द्वारा की जा रही खुदाई को पसंद करता है। फिर भी वह इन प्रलोभनों को रोक कर स्कूल में उपस्थित होता है।

यद्यपि, फॅन्ज के अपने शिक्षक के प्रति विचार में एक परिवर्तन आ जाता है। उस दिन शिक्षक एम० हैमेल कहता है कि यह उसका फ्रैंच भाषा का अंतिम पाठ है। अगले दिन नया शिक्षक आ रहा है। अब स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। अन्य सभी की तरह फ्रेन्ज भी इस खबर को सुनकर सदमे में आ गया। जब वह कबूतरों की गुटर-गूं सुनता है तो वह कहता है “क्या वे कबूतरों को भी जर्मन भाषा में गुटर-गू करने को बाध्य कर देंगे?” अब फ्रेन्ज अपने शिक्षक का सम्मान करना शुरू कर देता है। वह सोचता है कि एम० हैमेल एक समर्पित शिक्षक है।

वह पिछले चालीस वर्षों से उस स्कूल में है। उसे फ्रैंच भाषा के अध्ययन की अवहेलना करने के बारे में अफसोस हो रहा है। वह अपने शिक्षक की इस बात से सहमत होता है कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। जब एम० हैमेल कक्षा के सामने पाठ पढ़ता है तो वह पाता है कि उसे सारा पाठ समझ आ गया है। वह अपने शिक्षक के अंतिम पाठ को पूरे ध्यान और सम्मान के साथ सुनता है।)

Question 5.
How did M.Hamel bid farewell to his students and the people of the village? (एम० हैमेल ने अपने छात्रों और गाँव के लोगों को अलविदा किस प्रकार कहा ?) Or Describe the feelings, emotions and behaviour of Mr. Hamel on the day of the last lesson. (अंतिम पाठ के दिन एम० हेमेल की भावनाओं और व्यवहार का वर्णन करें।)
Answer:
M.Hamel told his students and the villagers that it was his last French lesson. An order had come from Germany. According to the order, only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. The new teacher was coming the next day. In his last lesson, M.Hamel became very sentimental. He said that the French language was the most beautiful language in the world. It was the most logical language. He urged the students and the villagers to protect their beautiful language. He said that our language can be the key to our happiness and freedom.

Then he asked Franz to recite his lesson. He got up but could not recite it. However, M. Hamel did not rebuke him for neglecting the learning of French. He blamed the parents for not showing due attention and care to the learning of French. Most of the people of Alsace could neither speak nor write their own language. The parents were not anxious to have their children learn it. They preferred to put them to work to earn a little more money. M.Hamel blamed himself also.

He had often sent his students to water his flowers instead of learning their lessons. And he gave them a holiday because he wanted to go on fishing Just then the church clock struck twelve. The trumpets of the Prussian soldiers sounded under the to close to school.

M. Hamel stood up. He looked very pale. He tried to speak, but could not. His emotions choked his speech. Then he turned to the blackboard and took a piece of chalk. He wrote in big letters, “Vive La France!” (Long Live France). Then, without a word, he made a gesture to those in the classroom with hand, “School is dismissed – you may go.”

(एम० हैमेल ने अपने विद्यार्थियों और गाँव वालों को बताया कि यह उसका फ्रेंच भाषा का अंतिम पाठ था। जर्मनी से एक आदेश आया था। उस आदेश के अनुसार, अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। नया शिक्षक अगले दिन आ रहा था। अपने अंतिम सबक में, एम० हैमेल अति भावुक हो गया। उसने कहा कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। यह सबसे अधिक तर्कपूर्ण भाषा है। उसने विद्यार्थियों और ग्रामीणों से अपनी सुन्दर भाषा की रक्षा करने का आह्वान किया।

उसने कहा कि उनकी भाषा ही उनकी प्रसन्नता और आज़ादी की एक कुँजी हो सकती है। तब उसने फ्रेन्ज से अपना पाठ सुनाने को कहा। वह खड़ा तो हो गया लेकिन पाठ नहीं सुना सका। यद्यपि, एम० हैमेल ने उसे फ्रैंच भाषा की अवहेलना करने के लिए नहीं डाँटा। उसने फ्रैंच भाषा को सीखने के लिए पूरा ध्यान न देने और परवाह न करने के बारे में अभिभावकों को दोषी ठहराया। अल्सेस के अधिकतर लोग न तो अपनी भाषा बोल सकते थे और न ही पढ़ सकते थे।

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माता-पिता अपने बच्चों के फ्रैंच भाषा को सीखने के बारे में चिन्तित नहीं थे। वे तो अपने बच्चों से धन कमाने के लिए उन्हें काम पर लगाने को प्राथमिकता देते थे। एम० हैमेल ने स्वयं को भी दोष दिया। वह भी आमतौर पर अपने विद्यार्थियों को पाठ याद करने के स्थान पर अपने फूलों को पानी देने के लिए भेज दिया करता था और वह उन्हें छुट्टी दे दिया करता था क्योंकि वह मछली पकड़ने के लिए जाना चाहता था।

तभी गिरजाघर की घड़ी में बारह बजे का घंटा बजा। खिड़की के बाहर से जर्मन सैनिकों के आने का बिगुल सुनाई दिया। स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था। एम० हैमेल खड़ा हो गया। वह बिल्कुल पीला नज़र आ रहा था। उसने बोलने का प्रयास किया लेकिन बोल नहीं सका। उसकी भावनाओं से उसका भाषण रुक गया। तब वह ब्लैक-बोर्ड की ओर मुड़ा और उसने चॉक का एक टुकड़ा लिया। उसने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा “फ्रांस अमर रहे’। तब उसने कक्षा में उपस्थित सभी को हाथ से इशारा करके कहा “स्कूल की छुट्टी हो गई है-आप जा सकते हो ।”

The Last Lesson MCQ Questions with Answers

Multiple Choice Questions

1. Who is the writer of the story ‘The Last Lesson’?
(A) Gandhi
(B) Wordsworth
(C) R.K.Narayan
(D) Alphonse Daudet
Answer:
(D) Alphonse Daudet

2. Who is the narrator of the story ‘The Last Lesson’?
(A) the author
(B) a boy named Franz
(C) Anand Saraswati
(D) Robert Frost
Answer:
(B) a boy named Franz

3. Who was M. Hamel?
(A) a patriotic teacher
(B) a leader
(C) a student
(D) a doctor
Answer:
(A) a patriotic teacher

4. What did Franz fear as he hurried to his school?
(A) he would not see the teacher in the school
(B) his friends would laugh at him
(C) he would be rebuked for coming late
(D) the teacher would laugh at him
Answer:
(C) he would be rebuked for coming late

5. What thought came to Franz’s mind for a second?
(A) to run away
(B) to attend the school
(C) to eat sweets
(D) to meet his friends
Answer:
(A) to run away

6. What did Franz see in front of the bulletin board?
(A) hawkers
(B) a big crowd
(C) writers
(D) players
Answer:
(B) a big crowd

7. Why was Franz surprised when he reached the school?
(A) it was a holiday
(B) the school was closed
(C) there was a function in the school
(D) there was perfect calm in the school
Answer:
(D) there was perfect calm in the school

8. What happened when Franz reached his school late?
(A) the teacher rebuked him
(B) the teacher expelled him
(C) the teacher did not say anything
(D) the teacher laughed at him
Answer:
(C) the teacher did not say anything

9. Who were sitting at the back benches of the class?
(A) film heroines
(B) some people from the town
(C) beautiful girls
(D) cricket players
Answer:
(B) some people from the town

10. What did M. Hamel say about his lesson?
(A) it was his last lesson in French
(B) it was his first lesson
(C) he would deliver a long lesson
(D) he would not deliver any lesson that day
Answer:
(A) it was his last lesson in French

11. What order had come from Berlin?
(A) M. Hamel would be transferred
(B) the school would be closed
(C) only German would be taught in schools of Alsace and Lorraine
(D) only English would be taught
Answer:
(C) only German would be taught in schools of Alsace and Lorraine

12. When would the next teacher come, according to M. Hamel?
(A) after two months
(B) next month
(C) next week
(D) next day
Answer:
(D) next day

13. What did Franz feel sorry for?
(A) coming to the class
(B) listening to M. Hamel
(C) not learning his lessons in French
(D) eating too many sweets
Answer:
(C) not learning his lessons in French

14. How long had M. Hamel served the school?
(A) ten years
(B) twenty years
(C) thirty years
(D) forty years
Answer:
(D) forty years

15. What did M. Hamel do when Franz could not tell the rules of participles?
(A) he beat Franz
(B) he did not beat him
(C) he asked to stand on the desk
(D) he expelled Franz
Answer:
(B) he did not beat him

16. What did M. Hamel say about the French language?
(A) it was the most beautiful language
(B) it was very difficult in the world
(C) it was very bad
(D) it should not be learnt
Answer:
(A) it was the most beautiful language in the world

17. What did Hamel ask the people of the town to do?
(A) not to study their language
(B) to stick to their language and protect it
(C) criticize their own language
(D) study only the foreign languages
Answer:
(B) to stick to their language and protect it

18. According to M. Hamel, what happens if those who are enslaved stick to their language?
(A) they will suffer
(B) they will regret
(C) they will fall ill
(D) they are sure to win freedom in the long run
Answer:
(D) they are sure to win freedom in the long run

19. What happened when the church clock struck twelve?
(A) the school was closed
(B) the Prussian soldiers sounded their trumpets
(C) M. Hamel walked out
(D) the soldiers came in
Answer:
(B) the Prussian soldiers sounded their trumpets

20. What did M. Hamel write on the blackboard?
(A) long live France
(B) long live Prussia
(C) long live Germany
(D) long live India
Answer:
(A) long live France

The Last Lesson Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Passage 1.
I started for school very late that morning and was in great dread of a scolding, especially because M. Hamel had said that he would question us on participles, and I did not know the first word about them. For a moment I thought of running away and spending the day out of doors. It was so warm, so bright! The birds were chirping at the edge of the woods; and in the open field back of the sawmill, the Prussian soldiers were drilling. It was all much more tempting than the rule for participles, but I had the strength to resist and hurried off to school.

Word-meanings : Scolding = rebuking (डाँटना)  drilling = parading (परेड करना); tempting = attractive (आकर्षित करना) [H.B.S.E. March 2019 (Set-A)]

Questions :
(1) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘l’ refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

(iii) M. Hamel was going to ask the questions on :
(A) gerunds
(B) infinitives
(C) participles
(D) tenses
Answer:
(C) participles

(iv) What was the narrator full of?
(A) fear
(B) pain
(C) happiness
(D) all of the above
Answer:
(A) fear

(v) Who was M. Hamel?
(A) the narrator’s neighbour
(B) the narrator’s father
(C) the narrator’s teacher
(D) the narrator’s friend
Answer:
(C) the narrator’s teacher

Passage 2
When I passed the town hall there was a crowd in front of the bulletin board. For the last two years, all our bad news had come from there the lost battles, the draft, the orders of the commanding officer and I thought to myself, without stopping, “What can be the matter now?”

Then, as I hurried by as fast as I could go, the blacksmith, Wachter, who was there, with his apprentice, reading the bulletin, called after me, “Don’t go so fast, bub; you’ll get to your school in plenty of time!” I thought he was making fun of me and reached M. Hamel’s little garden all out of breath. [2020 Set-A]
Word-meanings :
Apprentice = assistant (सहायक)
blacksmith = Ironsmith (Lohar) (लोहार)

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘l’refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

(iii) Who was Wachter ?
(A) A blacksmith
(B) A carpenter
(C) A teacher
(D) An apprentice
Answer:
(A) A blacksmith

(iv) Which news does the narrator consider bad?
(A) the lost battles
(B) the draft
(C) the orders of the commanding officer
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

(v) What did the narrator think of the blacksmith?
(A) he was making fun of him
(B) he was making a fool of him.
(C) he was taking a revenge on him
(D) all of the above
Answer:
(A) he was making fun of him

Passage 3

My last French lesson! Why I hardly knew how to write! I should never learn anymore! I must stop there, then! Oh, how sorry I was for not learning my lessons, for seeking birds’ eggs, or going sliding on the Saar! My books, that had seemed such a nuisance a while ago, so heavy to carry, my grammar, and my history of the saints, were old friends now that I couldn’t give up. And M. Hamel, too; the idea that he was going away, that I should never see him again, made me forget all about his ruler and how cranky he was. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]

Word-meanings :
Nuisance = something annoying (परेशानीपूर्ण वस्तु)
cranky = whimsical (सनकी)

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘I refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

(iii) Which language did the narrator hardly know to write?
(A) English
(B) French
(C) Both (A) and (B)
(D) neither (A) or (B)
Answer:
(B) French

(iv) Which language is the narrator talking about?
(A) English
(B) Hindi
(C) French
(D) German
Answer:
(C) French

(v) What was the narrator sorry for?
(A) for not learning his lessons in French
(B) for disobeying M. Hamel
(C) for spending his fee money
(D) all of the above
Answer:
(A) for not learning his lessons in French.

Passage 4

I heard M. Hamel say to me, “I won’t scold you, little Franz; you must feel bad enough. See how it is! Every day we have said to ourselves, ‘Bah! I’ve plenty of time. I’ll learn it tomorrow.’And now you see where we’ve come out. Ah, that’s the great trouble with Alsace; she puts off learning till tomorrow. Now those fellows out there will have the right to say to you, ‘How is it; you pretend to be Frenchmen, and yet you can neither speak nor write your own language?’ But you are not the worst, poor little Franz. We’ve all a great deal to reproach ourselves with.”
(H.B.S.E. March. 2019 (Set-C)]
Word-meanings :
Pretend = show off (दिखावा करना)
reproach = scold (डाँटना)|

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘I’ refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

(iii) Who would not scold Franz?
(A) his father
(B) his mother
(C) M. Hamel
(D) none of the above
Answer:
(C) M. Hamel

(iv) What is the trouble with Alsace?
(A) she is putting off learning till tomorrow
(B) she is leaving the city till tomorrow
(C) she is coming back till tomorrow
(D) none of the above
Answer:
(A) she is putting off learning till tomorrow

(v) According to M. Hamel what language could they speak or write?
(A) English
(B) German
(C) French
(D) Hindi
Answer:
(C) French

Type (ii)
Passage 5

Usually, when school began, there was a great bustle, which could be heard out in the street, the opening and closing of desks, lessons repeated in unison, very loud, with our hands over our ears to understand better and the teacher’s great ruler rapping on the table. But now it was all so still! I had counted on the commotion to get to my desk without being seen; but, of course, that day everything had to be as quiet as Sunday morning.

Through the window, I saw my classmates, already in their places, and M. Hamel walking up and down with his terrible iron ruler under his arm. I had to open the door and go in before everybody. You can imagine how I blushed and how frightened I was. But nothing happened. M. Hamel saw me and said very kindly, “Go to your place quickly, little Franz. We were beginning without you.”

Word-meanings :
Bustle = noise (शोर);
in unison = together (साथ-साथ);
commotion = confusion (शोर-शराबा)|

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Who is “I” referred to in these lines?
(ii) What was the scene when the school began?
(iv) Who was walking up and down with his terrible iron ruler under his arm?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) noise (b) confusion
Answers :
(i) Chapter: The Last Lesson.
Author : Alphonse Daudet.

(ii) In these lines ‘l’ is referred to the narrator Franz.

(iii) Usually there was a great bustle when the school began.

(iv) The French teacher M. Hamel was walking up and down with his terrible iron ruler under his arm.

(v) (a) bustle (b) commotion.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Passage 6

Then, from one thing to another, M. Hamel went on to talk of the French language, saying that it was the most beautiful language in the world – the clearest, the most logical; that we must guard it among us and never forget it, because when a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison. Then he opened a grammar and read us our lesson.

I was amazed to see how well I understood it. All he said seemed so easy, so easy! I think, too, that I had never listened so carefully, and that he had never explained everything with so much patience. It seemed almost as if the poor man wanted to give us all he knew before going away, and to put it all into our heads at one stroke.

Word-meanings :
Enslaved = become slaves (गुलाम बनाना);
amazed = surprised (हैरान)|

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Who is ‘T’ in these lines?
(iii) What was the most beautiful language in the world?
(iv) When do the enslaved people have the key to their prison?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) become slaves,
(b) surprised.
Answers :
(i) Chapter: The Last Lesson.
Author : Alphonse Daudet.

(ii) In these lines is referred to the narrator Franz.

(iii) French was the most beautiful language in the world.

(iv) The enslaved people have the key to their prison when they hold fast to their language.

(v) (a) enslaved, (b) amazed.

Passage 7

While I was wondering about it all, M. Hamel mounted his chair, and in the same grave and gentle tone which he had used to me, said, “My children, this is the last lesson I shall give you. The order has come from Berlin to teach only German in the schools of Alsace and Lorraine. The new master comes tomorrow. This is your last French lesson. I want you to be very attentive.” [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]

Word-meanings :
Mounted = occupied (ग्रहण की);
attentive = full of concentration (ध्यानपूर्वक)|

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) How did the teacher speak to the students?
(iv) When was the new master coming?
(v) What did the teacher want the students to do?
Answers :
(i) The Last Lesson
(ii) Alphronse Daudet
(iii) The teacher spoke to the students in a grave and gentle tone.
(iv) The new master was coming the next day.
(v) The teacher wanted the students to be very attentive.

Passage 8

Poor man! It was in honour of this last lesson that he had put on his fine Sunday clothes, and now I understood why the old men of the village were sitting there in the back of the room. It was because they were sorry, too, that they had not gone to school more. It was their way of thanking our master for his forty years of faithful service and of showing their respect for the country that was theirs no more. [(H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]

Word-meanings :
Honour = respect (सम्मान);
faithful = sincere (वफादार)|

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What were the old men of the village sorry about?
(iv) Why was ‘their country theirs no more?
(v) Why was the man in fine Sunday clothes?
Answers :
(i) The Last Lesson
(ii) Alphonse Daudet
(iii) The old men of the village were sorry that they had not gone to school more.
(iv) It was so because the Germans were coming to rule them.
(v) The man was in fine Sunday clothes because it was his last lesson.

The Last Lesson Summary in English and Hindi

The Last Lesson Introduction to the Chapter

Alphonse Daudet was a French writer. His father, Vincent Daudet, was a silk manufacturer, who faced misfortune and failure in life. Daudet was a great writer. He published his first novel at the age of fourteen. He was a patriot. He was pained at France’s defeat in the war against Prussia. As a result of the defeat, two districts of France, Alsace, and Lorraine passed into Prussia’s hands.

Now German language was imposed on these two districts under their control. This story centers around M. Hamel, a dedicated and patriotic teacher. He had taught French for forty years. But now German language had been imposed on the people of that area. The new teacher was coming the next day. This was M. Hamel’s last lesson. In his lesson, he gave the message of patriotism to his students and countrymen. He urged them to protect their language. He said that their language was the key to their freedom from the foreign rule.

(Alphonse Daudet एक फ्रांसीसी लेखक थे। उनके पिता, Vincent Daudet एक रेशम निर्माता थे जिन्होंने जीवन में दुर्भाग्य और असफलता का सामना किया। Daudet एक महान लेखक थे। उन्होंने अपना पहला उपन्यास चौदह वर्ष की आयु में प्रकाशित किया। वे एक देशभक्त थे। प्रशिया के खिलाफ युद्ध में फ्रांस की पराजय से उन्हें पीड़ा पहुँची। पराजय के परिणामस्वरूप, फ्रांस के दो जिले अल्सेस और लॉरेन प्रशिया के कब्जे में आ गए।

अब उनके नियंत्रण में इन दो जिलों पर जर्मनी भाषा थोपी गई। यह कहानी एम० हैमेल नाम के एक समर्पित और देशभक्त अध्यापक के इर्द-गिर्द केंद्रित है। उन्होंने चालीस साल तक फ्रांसीसी भाषा पढ़ाई थी। लेकिन अब उस क्षेत्र के लोगों पर जर्मन भाषा थोपी जा रही थी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था। यह एम० हैमेल का अंतिम सबक था। अपने सबक में उसने अपने विद्यार्थियों और देशवासियों को देशभक्ति का संदेश दिया। उसने उन्हें अपनी भाषा की रक्षा करने को प्रेरित किया। उसने कहा कि उनकी भाषा विदेशी शासन से मुक्ति पाने की कुंजी है।)

उन्होंने चालीस साल तक फ्रांसीसी भाषा पढ़ाई थी। लेकिन अब उस क्षेत्र के लोगों पर जर्मन भाषा थोपी जा रही थी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था। यह एम० हैमेल का अंतिम सबक था। अपने सबक में उसने अपने विद्यार्थियों और देशवासियों को देशभक्ति का संदेश दिया। उसने उन्हें अपनी भाषा की रक्षा करने को प्रेरित किया। उसने कहा कि उनकी भाषा विदेशी शासन से मुक्ति पाने की कुंजी है।)

The Last Lesson Summary
A boy named Franz is the narrator of this story. He was a student of M. Hamel’s school. One day, he was late for school. So, he was hurrying to school. He feared that he would be rebuked for coming late. Secondly, M. Hamel had said that he would question the students on the participles. Franz had not learnt them. For a moment he thought of running away and spending the day in the countryside. But then he decided to attend the school and hurried on.

On his way to school, Franz passed the town hail. He saw a big crowd in front of the bulletin board. For the past two year, all the bad news had appeared on the bulletin board. The people of that area got the news of the lost battles and other important happenings only from there.

Franz was afraid of being rebuked. He wanted to enter the school unnoticed. He hoped that in the noise confusion of the school, he would be able to get to his desk without being seen. But when he reached the school, he was surprised to find that there was a perfect calm. The other students were sitting in their places. M. Hamel was there with his rod. He saw Franz but did not rebuke him. He asked him very kindly to take his seat. To Franz, the whole school seemed very strange and silent.

But he was most surprised to find that some people from the village were sitting at the back benches of the class. M. Hamel was wearing his best clothes. Everyone was quiet and solemn. Then, M. Hamel sat in his chair. He spoke in a grave and gentle tone. He announced that it was their last lesson in French. He said that an order had come from Berlin, only German would be taught in schools of Alsace and L.orraine. The new teacher would come the next day.

Franz became very attentive. He felt sorry for not learning his lessons in French. He had never liked his books. But now he no longer hated his books. He even started liking M. Hamel in spite of his harshness. Ile realized that M. Hamel was a dedicated teacher. He had served the school for forty years. The old people of the village had come to attend the last lecture as a mark of respect to the teacher. Now it was Franz’s turn to tell the rules of participles. He got up but he became confused and remained silent. However, M. Hamel did not rebuke him.

Then Hamel said that it was not Franz to blame. The people of Alsace generally put off learning their
own native language. He said that French language was the most beautiful language in the world. It was the
clearest and the most logical language. Hamel asked them to stick to their language and protect it too. If those
who are enslaved stick to their language, they are sure to win freedom in the long run.

Then Hamel taught grammar and the lesson of the day as usual. Franz felt that for the first time, he could
understand everything the teacher explained. After the grammar, Hamel gave the students new copies. Everyone set to writing.

Suddenly the church clock struck twelve. The Prussian soldiers sounded their trumpets. Harnel stood up very pale. He tried to speak, but something choked him. He couldn’t speak. He took a piece of chalk and wrote on the blackboard in very large letters, “Vive La France!” (Long Live France). Then with the gesture of his hand, he indicated that the school was over.

(फ्रेन्ज नाम का एक लड़का इस कहानी का वर्णनकर्ता है। वह एम० हैमेल के स्कूल का एक विद्यार्थी था। एक दिन उसे स्कूल के लिए देर हो गई। इसलिए वह जल्दी से स्कूल जा रहा था। उसे डर था कि देरी से आने के कारण उसे डॉट पड़ेगी। दूसरे, एम० हैमेल ने कह रखा था कि वे कृदंत (क्रिया-विशेषण के गुणों वाली Verb) पर प्रश्न पूड़ेंगे। फ्रेन्ज ने उन्हें याद नहीं किया था। एक पल के लिए तो उसने वहाँ से भाग जाने और सारा दिन देहात में कहीं पर बिताने के बारे में सोचा। लेकिन तब उसने स्कूल में उपस्थित होने का निर्णय लिया और वह तेजी से आगे बढ़ा।

स्कूल जाते समय वह टाउन हॉल के पास से गुजरा। उसने समाचार-पट्ट के सामने एक बड़ी भीड़ देखी। पिछले दो साल से सारी बुरी खबरें समाचार-पट्ट पर प्रदर्शित की गई थीं। उस क्षेत्र के लोगों को हारी हुई लड़ाइयों तथा अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में केवल वहीं से ही पता चलता था। फ्रेन्ज डॉट जाने से डरा हुआ था। वह चुपचाप तरीके से स्कूल में दाखिल होना चाहता था। उसे उम्मीद थी कि स्कूल के शोर-शराबे में, वह बिना नज़र पड़े अपने डेस्क पर पहुँच सकता था। लेकिन जब वह स्कूल पहुंचा, तो वह चारों ओर पूर्ण शांति पाकर हैरान हुआ। अन्य विद्यार्थी अपने-अपने स्थान पर बैठे थे। एम० हैमेल अपनी छड़ी के साथ वहाँ था। उसने फ्रेन्ज को देखा लेकिन उसे डाँटा नहीं। उसने उसे बड़ी दयालुतापूर्वक कहा कि वह अपनी सीट पर बैठ जाए।

फैन्ज को सारा स्कूल बड़ा विचित्र और शांत प्रतीत हो रहा था। लेकिन वह यह देखकर बहुत हैरान हुआ कि कक्षा के पिछले बेंचों पर गाँव से आए हुए कुछ लोग बैठे थे। एम० हैमेल ने अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहन रखे थे। हर कोई शांत और गंभीर था। तब एम० हेमेल अपनी कुर्सी पर बैठा। वह एक गंभीर और भद्र आवाज के साथ बोला। उसने घोषणा की कि फ्रांसीसी भाषा में यह उनका अंतिम सबक था। उसने कहा कि बलिन से एक आदेश आ गया है कि अल्सेस और लरिन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। अगले दिन नया अध्यापक आ जाएगा।

फ्रेन्ज अति गंभीर हो गया। उसे फ्रांसीसी भाषा में अपना सबक न सीख पाने के लिए खेद हुआ। उसने कभी भी अपनी पुस्तकों को पसंद नहीं किया था। लेकिन अब वह अपनी इन पुस्तकों से घृणा नहीं करता था। अब तो उसने एम० हैमेल की कठोरता के बावजूद उसे पसंद करना शुरू कर दिया था। उसने महसूस किया कि एम० हैमेल एक समर्पित अध्यापक था। उसने चालीस साल तक स्कूल की सेवा की थी। अध्यापक के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए गाँव के वृद्ध लोग उसका अंतिम भाषण सुनने आए थे। अब कृदंत के नियम बताने के लिए फ्रेन्ज की बारी थी।

वह उठ खड़ा हुआ लेकिन वह घबरा गया और चुप रहा। हालांकि, एम० हैमेल ने उसे डॉटा नहीं। तब हेमेल ने कहा कि इसमें फ्रेन्ज का कोई दोष नहीं है। अल्सेस के लोगों ने प्रायः अपनी मातृभाषा को सीखना बंद कर दिया है। उसने कहा कि फ्रांसीसी भाषा दुनिया की सबसे सुंदर भाषा है। यह सबसे अधिक स्पष्ट और तर्कपूर्ण भाषा है। हैमेल ने उन्हें अपनी भाषा के साथ जुड़े रहने और उसकी रक्षा करने के लिए भी कहा। यदि वे लोग, जो पराधीन हो चुके हैं, अपनी भाषा से चिपके रहें, तो दीर्घ अवधि में वे लोग निश्चित रूप से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त कर लेंगे।

तब हैमेल ने व्याकरण और हमेशा की तरह उस दिन का पाठ पढ़ाया। फ्रेन्ज को लगा कि पहली बार, जो कुछ भी अध्यापक ने समझाया वह सब कुछ उसकी समक्ष में आ गया था। व्याकरण के पश्चात् हैमेल ने विद्यार्थियों को नई कॉपियाँ दीं। प्रत्येक लिखने लग गया। अचानक ही गिरजाघर की घड़ी ने बारह बजा दिए। प्रशा के सिपाहियों ने अपने बिगुल बजा दिए। हैमेल पीला पड़ गया। उसने बोलने का प्रयास किया लेकिन किसी बात से उसका गला रुंध गया। वह बोल नहीं सका। उसने चाक का एक टुकड़ा उठाया और बड़े-बड़े अक्षरों में श्याम-पट्ट पर लिखा ‘फ्रांस अमर रहे’ । तब उसने अपने हाथ के इशारे से संकेत दिया कि स्कूल का समय पूरा हो गया था।)

The Last Lesson Word Meanings

[Page 2]:

Dread (fear)=भय, डर;
scolding (rebuking)=डाँटना;
participles (words combining the functions of adjectives and verbs)= वे शब्द जिनमें विशेषण एवं क्रिया के गुण हों;
out of doors (in the open) = खुले में;
chirping (twittering)=चहचहाना;
edge (boundary)=सीमा, किनारा;
woods (jungle)=जंगल;
sawmill (amill forsawing wood) =आरा मशीन;
Prussian (habitantofPrussia)-प्रशिया का वासी;
drilling (parading)=परेड करना;
tempting (enticing) = प्रलोभित करने वाला;
resist (control/oppose) = विरोध करना;
bulletin-board (notice board) = सूचना-पट्ट;
draft (conscription) = सेवा में भर्ती होने का फरमान।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

[Page 3] :

Blacksmith (ironsmith) = लोहार;
apprentice (learner/trainee)= सीखने वाला/सहायक;
bub (boy) = लड़का;
plenty (enough) = काफी;
making a fun (laughing at) = हँसना;
out of breath (gasping) = सांस फूलना;
bustle (noisy activity)=शोर-शराबा;
in unison (together)=साथ-साथ;
ruler (rod)=डण्डा;
rapping (thumping/beating) = धड़कना;
counted on (depended on) =निर्भर होना;
commotion (confusion)=शोर-शराबा;
classmates (classfellows) = सहपाठी;
terrible (dreadful) = भयानक;
frightened (scared)= भयभीत;
blushed (feel red in the face)= चेहरा लाल होना;
fright (fear) =भय;
happen (take place)=घटित होना;
kindly (politely)= विनम्रता से;
frilled (with ornamental edging) = झालर वाला।

[Page 4] :

Embroidered (ornamental with needle work)= कढ़ाई का काम;
except (apart from)=के अलावा;
strange (peculiar) = अजीब;
seemed (appeared)= प्रतीत हुआ;
solemn (serious) = गम्भीर;
thumbed (made dirty with thumbs) = अँगूठे से गन्दा होना;
former (previous) = पहले का;
primer (a small book for learners) = कायदा;
spectacles (glasses) = चश्मा;
mounted (occupied) = ग्रहण की;
grave (serious) = गम्भीर;
gentle (mild) = हल्का;
tone (manner of voice)= लहजा;
attentive (full of concentration) = ध्यानपूर्ण;
thunderclap (startling) हैरानी वाला;
wretches (unhappy persons)= दुःखी व्यक्ति;
seeking (trying to find out) = ढूँढना;
sliding (gliding)=खिसकना, तैरना;
nuisance (something annoying) = परेशानीपूर्ण वस्तु;
saints (sages)= संत;
a while ago (a little before) = कुछ समय पहले;
give up (sacrifice/leave) = त्याग देना;
cranky (whimsical) = सनकी।

[Page 5]:

Their way (theirstyle)= उनका स्टाइल;
faithful (sincere) =वफादार;
recite (toutter loudlyapiece of writing)= किसी लिखी चीज़ को जोर से बोलकर सुनाना;
mixed up (confused) विचलित हो गया;
beating (palpitating) = धड़कना;
daring (taking courage) = साहस करना;
scold (rebuke)= डाँटना;
put off (postpone) = स्थगित करना;
pretend (show off) = दिखावा करना;
reproach (scold) = डाँटना;
anxious (worried) = चिन्तित;
preferred (gave preference to)= प्राथमिकता देना;
blame (fault) = दोष।

[Page 7] :

Logical(according to reason)= तर्कसंगत;
guard (protect) = रक्षा करना;
enslaved (made slaves) = गुलाम बनाना;
hold fast to (stick firmly) = अपनाए रखना;
amazed (surprised) हैरान;
patience (being patient)= धैर्य;
atonestroke(allatonce)=एकदम;
floating (swimming) तैरना;
oughtto (should)=चाहिए;
scratching (sound produced byapen writing on paper)=कलम की कागज़ पर चलने की आवाज़;
beetles (flying insects)=भंवरा;
tracing (copying) = नकल करना;
fish-hooks (hooks for catching fish) = मछली पकड़ने का कांटा;
pigeon (a bird) = कबूतर;
cooed (sound made by pigeons) = कबूतर की आवाज़;
motionless (still) =शान्त;
gazing (looking intently) = ध्यान से देखना;
fix in his mind (imprinted)= अंकित करना;
fancy (imagine)= कल्पना करना।

[Page 8] :

Worn (rubbed) = घिसा हुआ;
walnuttree (hazel tree) = अखरोट;
hopvine (a kind of vine) = एक प्रकार की बेल;
twined (wound)=लिपटी हुई;
chanted (recited/sang)= उच्चारण करना, गाना;
trembled (shook)=हिलाया;
emotion (strong feelings)=भावनाएँ;
angelus (bell for prayer)=प्रार्थना की घण्टी;
funny(strange) अजीब;
trumpets (trumpets) = (बिगुल);
pale (wanting in colour) = (पीला पड़ा हुआ);
choked (blocked in the throat) = (गला रुँध जाना);
go on (continue) = जारी रखना;
vive La France (Long live France) = फ्रांस अमर रहे;
gesture (sign) = चिह्न:
dismissed (dispersed/closed)= विसर्जित करना।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

The Last Lesson Translation in Hindi

I started for school very late that morning and was in great dread of a scolding, especially because M. Hamel had said that he would question us on participles, and I did not know the first word about them. For a moment I thought of running away and spending the day out of doors. It was so warm, so bright! The birds were chirping at the edge of the woods, and in the open field back of the sawmill, the Prussian soldiers were drilling. It was all much more tempting than the rule for participles, but I had the strength to resist and hurried off to school.

When I passed the town hall there was a crowd in front of the bulletin board. For the last two years all our bad news had come from there – the lost battles, the draft, the orders of the commanding officer-and I thought to myself, without stopping, “What can be the matter now ?”

(उस सुबह मैं स्कूल के लिए बहुत देरी से चला था और मुझे डाँटे जाने का बड़ा डर लग रहा था, विशेष रूप से इसलिए कि एम० हैमेल ने कहा था कि वे हमसे पार्टीसिप्ल पर सवाल पूछेगे और मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता था। क्षण भर के लिए मैंने स्कूल से भागकर बाहर दिन बिताने के बारे में सोचा। कितना सुहावना और चमकीला दिन था! जंगल के बाहरी छोर पर पक्षी चहचहा रहे थे और आरा-मिल के पीछे खुले मैदान में पर्सियन सैनिक परेड कर रहे थे। यह सब पार्टीसिप्ल के नियमों की अपेक्षा कहीं अधिक लुभावना था। परन्तु मुझमें स्वयं को रोकने की क्षमता थी और मैं जल्दी-जल्दी स्कूल की ओर चल पड़ा।

जब मैं टाउन हाल के पास से गुजरा, तब नोटिस-बोर्ड के सामने भीड़ लगी थी। पिछले दो वर्षों से सारी बुरी खबरें वहीं से आ रही थीं-युद्ध में पराजय, सेना में भर्ती होने के आदेश, कमांडिंग ऑफिसर की आज्ञाएँ और बिना रुके मैंने सोचा, “अब क्या बात हो सकती है?”)
Then, as I hurried by as fast as I could go, the blacksmith, Watcher, who was there, with his apprentice, reading the bulletin, called after me, “Don’t go so fast, bub; you’ll get to your school in plenty of time!” I thought he was making fun of me and reached M. Hamel’s little garden all out of breath.

(फिर जब मैं तेज़ी से जाता हुआ उस लोहार के पास से गुज़रा जो अपने चेले के साथ समाचार पढ़ रहा था, वह मेरे पीछे से बोला-“लड़के, इतने तेज़ मत जाओ, तुम स्कूल काफी वक्त से पहुँच जाओगे!” मुझे लगा कि वह मेरा मजाक उड़ा रहा था और हाँफता हुआ एम० हैमेल के पीछे बगीचे में पहुँचा।)

Usually, when school began, there was a great bustle, which could be heard out in the street, the opening and closing of desks, lessons repeated in unison, very loud, with our hands over our ears to understand better, and the teacher’s great ruler rapping on the table. But now it was all so still! I had counted on the commotion to get to my desk without being seen; but, of course, that day everything had to be as quiet as Sunday morning.

Through the window I saw my classmates, already in their places, and M. Hamel walking up and down with his terrible iron ruler under his arm. I had to open the door and go in before everybody. You can imagine how I blushed and how frightened I was But nothing happened. M. Hamel saw me and said very kindly, “Go to your place quickly, little Franz. We were beginning without you.”

(आमतौर पर जब स्कूल आरम्भ होता था तो बहुत शोर-शराबा होता था जो बाहर गली में भी सुनाई देता था; जैसे डेस्कों का खुलना और बन्द होना, बहुत जोर से एक साथ मिलकर पाठ को दोहराना, कुछ ज्यादा समझने के लिए हमारे हाथ हमारे कानों के ऊपर और अध्यापक का डण्डा मेज पर बजता हुआ। परन्तु आज सब कुछ शान्त था। मैं हमेशा बिना दिखे हुए अपने डेस्क पर पहुँचने के लिए शोर पर निर्भर रहता था।

परन्तु उस दिन सब कुछ रविवार की सुबह की तरह शान्त था। खिड़की से मैंने अपने सहपाठियों को देखा जो पहले ही आ चुके थे, और एम० हैमेल को तो भयानक लोहे का डण्डा लिए हुए कमरे में इधर-उधर घूमते हुए देखा। मुझे दरवाजा खोलकर सभी के सामने से अन्दर जाना पड़ा। आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं शर्म से कितना लाल था और कितना भयभीत था। परन्तु कुछ नहीं हुआ। एम० हैमेल ने मुझे देखा और दयालुता से कहा, “जल्दी से अपनी जगह पर जाओ, छोटे फ्रैंज। हम तुम्हारे बिना ही शुरू करने जा रहे थे।”)

I jumped over the bench and sat down at my desk. Not till then, when I had got a little over my fright, did I see that our teacher had on his beautiful green coat, his frilled shirt, and the little black silk cap, all embroidered, that he never wore except on inspection and prize days.

Besides, the whole school seemed so strange and solemn. But the thing that surprised me most was to see, on the back benches that were always empty, the village people sitting quietly like ourselves; old Hauser, with his three-cornered hat, the former mayor, the former postmaster, and several others besides. Everybody looked sad, and Hauser had brought an old primer, thumbed at the edges, and he held it open on his knees with his great spectacles lying across the pages.

(बैंच के ऊपर से कूदकर मैं अपनी डैस्क पर बैठ गया। जब तक अपने डर पर मैं कुछ काबू न कर पाया, मैंने यह नहीं देखा कि हमारे अध्यापक ने अपना सुन्दर हरा कोट, अपनी झालरदार कमीज और पूरी तरह कढ़ाई की हुई छोटी रेशमी टोपी पहन रखी थी जिसे वह केवल निरीक्षण और पुरस्कार के दिन के अलावा कभी नहीं पहनता था। इसके अतिरिक्त सारा स्कूल बहुत विचित्र और गम्भीर लग रहा था।

परन्तु जिस बात ने मुझे सबसे अधिक हैरान किया वह यह कि सदा खाली पड़ी रहने वाली पिछली बैंचों पर गाँव के लोग हमारी तरह शान्त बैठे थे। अपना तिकोना टोप पहने बूढ़ा हॉसर, भूतपूर्व मेयर, भूतपूर्व पोस्टमास्टर और इनके अतिरिक्त कई अन्य। हर व्यक्ति उदास लगता था और बूढ़ा हॉसर एक पुरानी प्राईमर लेकर आया था, उसके किनारे मुड़े हुए थे जिसे उसने अपने घुटनों पर खोलकर रखा था। उसका बड़ा चश्मा पृष्ठों के बीच में पड़ा था।)

While I was wondering about it all, M. Hamel mounted his chair, and, in the same grave and gentle tone which he had used to me, said, “My children, this is the last lesson I shall give you. The order has come from Berlin to teach only German in the schools of Alsace and Lorraine. The new master comes tomorrow. This is your last French lesson. I want you to be very attentive.” What a thunderclap these words were to me! Oh, the wretches; that was what they had put up at the town hall!

(जब मैं इस सबके बारे में हैरान हो रहा था तो एम० हैमेल अपनी कुर्सी पर बैठ गया और उसी गम्भीर और शान्त स्वर में जो उसने मुझसे बात करते हुए अपनाया था, बोला “मेरे बच्चो, यह मेरे द्वारा तुम्हें पढ़ाया जाने वाला अन्तिम पाठ होगा। बर्लिन से आदेश आया है कि अलसेस और लोरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। नया अध्यापक कल आ रहा है। यह तुम्हारा फ्रांसीसी भाषा का अन्तिम पाठ है। मैं चाहता हूँ कि आप बहुत ध्यान दें।” कैसे चौंकाने वाले शब्द थे ये मेरे लिए! ओह, अभागे लोग, तो यही (वह आदेश) था जो उन्होंने टाउनहॉल (नोटिस बोर्ड पर) पर लगाया हुआ था!)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

My last French lesson! Why I hardly knew how to write! I should never learn anymore! I must stop there, then! Oh, how sorry I was for not learning my lessons, for seeking birds’ eggs, or going sliding on the Saar! My books, that had seemed such a nuisance a while ago, so heavy to carry, my grammar, and my history of the saints, were old friends now that I couldn’t give up. And M. Hamel, too; the idea that he was going away, that I should never see him again, made me forget all about his ruler and how cranky he was.

(मेरा अन्तिम फ्रेंच पाठ! क्यों, अभी तो मुझे पूरी तरह लिखना भी नहीं आया था! तो क्या मुझे और नहीं सीखना चाहिए! मुझे, तब वहीं रुक जाना चाहिए! ओह, मुझे मेरे पाठ न सीखने का कितना अफसोस था, पक्षियों के अण्डे ढूँढ़ने का, या सार पर फिसलते हुए जाने के लिए! मेरी किताबें, जो थोड़ी देर पहले मुझे एक समस्या लगती थीं, जो ले जाने में इतनी भारी थीं, मेरी व्याकरण और मेरा संतों का इतिहास, अब मेरे पुराने दोस्त बन गए थे जिनको मैं त्याग नहीं सकता था। और एम० हैमेल भी; इस विचार ने कि वह दूर जा रहा था, कि मैं उसे दुबारा नहीं देख पाऊँगा, मैं उसके डण्डे के बारे में भूल गया था और यह भूल गया था कि वह कितना सनकी था।)

Poor man! It was in honour of this last lesson that he had put on his fine Sunday clothes, and now I understood why the old men of the village were sitting there in the back of the room. It was because they were sorry, too, that they had not gone to school more. It was their way of thanking our master for his forty years of faithful service and of showing their respect for the country that was theirs no more.

(बेचारा! उसने इस अन्तिम पाठ के सम्मान में ये रविवार को पहनने वाले सुन्दर कपड़े पहन रखे थे, और अब मैं यह भी समझ गया कि गाँव के बूढ़े कमरे में पीछे क्यों बैठे थे। इसलिए क्योंकि उन्हें भी खेद था, कि वे स्कूल में और अधिक क्यों न गए थे। हमारे अध्यापक का उसकी चालीस वर्ष की ईमानदारी की सेवा का धन्यवाद करने और उस देश के प्रति, जो अब उनका न रहा था, सम्मान प्रकट करने का उनका यह तरीका था।)

While I was thinking of all this, I heard my name called. It was my turn to recite. What would I not have given to be able to say that dreadful rule for the participle all through, very loud and clear, and without one mistake? But I got mixed up on the first words and stood there, holding on to my desk, my heart beating, and not daring to look up.

(जब मैं इन सब बातों के बारे में सोच रहा था तो मैंने सुना कि मेरा नाम पुकारा गया। अब पाठ सुनाने की मेरी बारी थी। मैं पार्टीसिप्ल के उस भयानक नियम को सुनाने के योग्य होने के लिए और उस नियम को बिना गलती किए और ऊँचे एवं स्पष्ट शब्दों में सुनाने के काबिल होने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार था। मगर मैं तो पहले शब्द में ही अटक गया और अपने डेस्क को पकड़कर धड़कते दिल से खड़ा रहा और मुझमें सिर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं हुई।)

I heard M. Hamel say to me, “I won’t scold you, little Franz; you must feel bad enough. See how it is! Every day we have said to ourselves, ‘Bah! I’ve plenty of time. I’ll learn it tomorrow.’And now you see where we’ve come out. Ah, that’s the great trouble with Alsace; she puts off learning till tomorrow. Now those fellows out there will have the right to say to you, ‘How is it; you pretend to be Frenchmen, and yet you can neither speak nor write your own language ?’ But you are not the worst, poor little Franz. We’ve all a great deal to reproach ourselves with.”

(मैंने एम० हैमेल को मुझसे यह कहते हुए सुना, “मैं तुम्हें डाँटूगा नहीं, छोटे फ्रेंज; तुम काफी बुरा महसूस करते होगे। देखो यह कैसे होता है! प्रतिदिन हम कहते रहे अपने आपसे, ‘अरे! मेरे पास बहुत समय है। मैं इसे कल सीलूँगा।’ और अब देखो हम कहाँ तक पहुंचे हैं। आह, अलसेस के साथ यही तो समस्या है; यहाँ के लोग सीखने को कल पर टालते रहते हैं। अब उन लोगों के पास यह कहने का अधिकार होगा, ‘यह कैसे है, तुम फ्रांसीसी होने का दम भरते हो, और तुम अपनी ही भाषा को न तो बोल सकते हो न लिख सकते हो ?’ परन्तु तुम सबसे बुरे नहीं हो, छोटे फ्रैंज। हमारे पास स्वयं को दोष देने के लिए बहुत कुछ है।”)

“Your parents were not anxious enough to have you learn. They preferred to put you to work on a farm or at the mills, so as to have a little more money. And I ? I’ve been to blame also. Have I not often sent you to water my flowers instead of learning your lessons? And when I wanted to go fishing, did I not just give you a holiday ?”

(“तुम्हारे माता-पिता तुम्हें पढ़ाने को अधिक इच्छुक नहीं थे। वे तुम्हें किसी खेत या फैक्ट्री में काम पर लगाना चाहते थे ताकि थोड़ा धन और मिल जाए और मैं भी दोषी हूँ। क्या मैंने कई बार तुम्हें पाठ पढ़ाने की बजाए अपने फूलों को पानी देने के लिए नहीं भेजा था ? और जब मेरा मन मछलियाँ पकड़ने के लिए जाने को होता था, तब क्या मैं तुम्हें छुट्टी न दे देता था ?”)

Then, from one thing to another, M. Hamel went on to talk of the French language, saying that it was the most beautiful language in the world-the clearest, the most logical; that we must guard it among us and never forget it, because when a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison. Then he opened a grammar and read us our lesson.

I was amazed to see how well I understood it. All he said seemed so easy, so easy! I think, too, that I had never listened so carefully, and that he had never explained everything with so much patience. It seemed almost as if the poor man wanted to give us all he knew before going away, and to put it all into our heads at one stroke.

(फिर एक बात से दूसरी बात निकलती रही, एम० हैमेल फ्रेंच भाषा की बात करता रहा, उसने कहा कि यह संसार की सबसे सुन्दर भाषा है सबसे स्पष्ट और सबसे तर्कसंगत और हमें अपने मध्य इसकी रक्षा करनी चाहिए और हम कभी इसे न भूलें, क्योंकि जब किसी समाज को गुलाम बनाया जाता है, तो जब तक उस समाज के लोग अपनी भाषा को कसकर पकड़े रहें तब तक ऐसा है कि मानो उनके पास अपनी आज़ादी की चाबी है। फिर उसने व्याकरण खोली और हमें हमारा पाठ पढ़कर सुनाया। मैं यह देखकर हैरान था कि मैं उसको कितनी अच्छी तरह समझ रहा था। जो भी वह बोल रहा था कितना आसान लग रहा था, कितना आसान! मैं यह भी सोचता हूँ कि मैंने कभी इतने ध्यान से सुना नहीं था, और यह कि इतने धैर्य से उसने हर बात कभी समझाई नहीं थी। कुछ ऐसा लगता था कि वह बेचारा व्यक्ति विदाई से पहले अपना सारा ज्ञान हमें दे देना चाहता था, और एक झटके में सारा ज्ञान हमारे दिमाग में भर देना चाहता था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

After the grammar, we had a lesson in writing. That day M. Hamel had new copies for us, written in a beautiful round hand-France, Alsace, France, Alsace. They looked like little flags floating everywhere in the school room, hung from the rod at the top of out desks. You ought to have seen how everyone set to work, and how quiet it was! The only sound was the scratching of the pens over the paper. Once some beetles flew in; but nobody paid any attention to them, not even the littlest ones, who worked right on tracing their fishhooks, as if that was French, too. On the roof the pigeons cooed very low, and I thought to myself, “Will they make them sing in German, even the pigeons ?”.

(व्याकरण के बाद हमारा लिखने का पाठ था। उस दिन एम० हैमेल हमारे लिए नई कापियाँ लेकर आया था जिन पर सुन्दर गोल लिखावट से लिखा था-फ्रांस, अलसेस, फ्रांस, अलसेस। ये शब्द छोटे-छोटे झण्डों जैसे लग रहे थे, लग रहा था जैसे हमारी डेस्कों के ऊपर वे डण्डों से लटक रहे थे। काश कि आपने देखा होता कि कैसे हर एक काम में लग गया था, और कैसी शान्ति छा गई थी। कागज़ के ऊपर पैन के रगड़ की आवाज ही एकमात्र आवाज थी। एक बार कुछ भंवरे उड़कर अन्दर आ गए, पर किसी ने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। यहाँ तक कि सबसे छोटे बच्चों ने भी नहीं, जो मछली पकड़ने के हुक ट्रेस कर रहे मानो यह भी फ्रेंच ही हो। छत के ऊपर कबूतर बड़े धीमे स्वर में गुटर-गूं कर रहे थे और मैंने मन में सोचा-“क्या वे इन कबूतरों से भी जर्मन में गवाएँगे ?”)

Whenever I looked up from my writing I saw M. Hamel sitting motionless in his chair and gazing first at one thing, then at another, as if he wanted to fix in his mind just how everything looked in that little schoolroom. Fancy! For forty years he had been there in the same place, with his garden outside the window and his class in front of him, just like that. Only the desks and benches had been worn smooth; the walnut trees in the garden were taller, and the hop vine that he had planted himself twined about the windows to the roof. How it must have broken his heart to leave it all, poor man; to hear his sister moving about in the room above, packing their trunks! For they must leave the country next day.

(मैं जब भी अपनी लिखावट से सिर उठाकर देखता तो मुझे एम० हैमेल अपनी कुर्सी पर बैठा दिखाई देता था और एक के बाद दूसरी चीज़ को देखता हुआ मानो वह इस स्कूल के कमरे की हर चीज को अपने दिमाग में बैठा लेना चाहता हो। कल्पना करो! चालीस वर्ष से वह उसी जगह पर था, खिड़की के बाहर उसका बगीचा और उसकी कक्षा उसके सामने, ठीक उसी तरह । केवल डेस्क और बैंच घिसकर चिकने हो गए थे; अखरोट के पेड़ बगीचे में थोड़े लम्बे हो गए थे, और होपवाइन जो खुद उसने उगाई थी, खिड़की से होते हुए छत पर चढ़ गई थी। इन सबको छोड़ते हुए उसका दिल कितना टूट गया होगा, बेचारा; उसकी बहन को ऊपर घूमते हुए और उनके बक्सों में सामान पैक करते हुए सुनना! क्योंकि अगले दिन उनको देश छोड़ना होगा।)

But he had the courage to hear every lesson to the very last. After the writing, we had a lesson in history, and then the babies chanted their ba, be bi, bo, bu. Down there at the back of the room old Hauser had put on his spectacles and, holding his primer in both hands, spelled the letters with them. You could see that he, too, was crying; his voice trembled with emotion, and it was so funny to hear him that we all wanted to laugh and cry. Ah, how well I remember it, that last lesson!

(परन्तु उसमें इतनी हिम्मत थी कि उसने हर पाठ को अन्त तक सुना। लिखने के बाद हमारा इतिहास का पाठ था और बच्चे अपना बा, बि, बी, बो, बू बोल-बोलकर याद कर रहे थे। कमरे में बिल्कुल बूढ़े हॉसर ने अपना चश्मा पहन लिया था और दोनों हाथों में अपनी प्राईमर पकड़े, उनसे अक्षर पढ़ने का प्रयत्न कर रहा था। आप देख सकते थे कि वह भी रो रहा था, आवेग से भरी उसकी आवाज़ कांप रही थी और उसको ऐसा मनोरंजक अनुभव था कि हम सभी हँसना और रोना चाह रहे थे। आह, कितनी अच्छी तरह मुझे याद है, वह अन्तिम पाठ।)

All at once, the church clock struck twelve. Then the Angelus. At the same moment the trumpets of the Prussians, returning from drill, sounded under our windows. M. Hamel stood up, very pale, in his chair. I never saw him look so tall.

(उसी समय चर्च की घड़ी ने बारह बजाए। इसके बाद पूजा की घण्टी। ठीक उसी क्षण, ड्रिल से लौटते हुए पर्सियन लोगों के बिगुल हमारी खिड़कियों के नीचे बजने लगे। बहुत पीला हुआ एम० हैमेल अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ। मुझे वह कभी इतना लम्बा नहीं लगा था।)

“My friends,” said he, “I-I-” But something choked him. He could not go on. Then he turned to the blackboard, took a piece of chalk, and, bearing on with all his might, he wrote as large as he could “Vive La France!”

(“मेरे दोस्तो”, उसने कहा, “मैं-मैं-” परन्तु किसी चीज़ से उसका गला रूंध गया। वह जारी नहीं रह पाया। फिर वह ब्लैक बोर्ड की तरफ मुड़ा, एक चाक का टुकड़ा उठाया और फिर पूरी ताकत के साथ उसने जितना वह लिख सकता था उतने बड़े अक्षरों में लिखा  –
Then he stopped and leaned his head against the wall, and, without a word, he made a gesture to us with his hand: “School is dismissed- you may go” (तब वह रुका और अपने सिर को दीवार पर झुकाते हुए, बिना कोई शब्द बोले उसने हमें अपने हाथ से संकेत किया-“स्कूल समाप्त हुआ-तुम जा सकते हो।”)

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. समाज की कुरीतियां दूर करने के लिए कौन-सा आंदोलन शुरू होता है?
(A) समाज सुधार आंदोलन
(B) अभिव्यक्ति आंदोलन
(C) क्रांतिकारी आंदोलन
(D) क्रांतिकारी आंदोलन।
उत्तर:
समाज सुधार आंदोलन।

2. समाज सुधार आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
(A) समाज की व्यवस्था को बदलना
(B) समाज से कुरीतियों को दूर करना
(C) वर्तमान व्यवस्था को उखाड़ फेंकना
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
समाज से कुरीतियों को दूर करना।

3. राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चलाए गए आंदोलन को क्या कहते हैं?
(A) सांस्कृतिक आंदोलन
(B) अभिव्यक्ति आंदोलन
(C) राजनीतिक आंदोलन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
राजनीतिक आंदोलन।

4. इनमें से कौन-सी सामाजिक आंदोलन की विशेषता है?
(A) यह हमेशा समाज विरोधी होते हैं
(B) यह हमेशा नियोजित होते हैं
(C) इनका उद्देश्य समाज में सुधार लाना होता है
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

5. इनमें से कौन-सी सुधार आंदोलन की विशेषता है?
(A) प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार लाना
(B) इनकी गति काफी धीमी होती है
(C) इसमें शांतिपूर्ण ढंग प्रयोग होते हैं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

6. सामाजिक आंदोलनों से भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आए?
(A) सती प्रथा का खात्मा
(B) पर्दा प्रथा का खात्मा
(C) विधवा विवाह शुरू होना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

7. जब आंदोलन करने वाला व्यक्ति अपने भीतर में अंसतोष को किसी दूसरे माध्यम से प्रकट करे तो उसे क्या कहते हैं?
(A) अभिव्यक्ति आंदोलन
(B) राजनीतिक आंदोलन
(C) सुधार आंदोलन
(D) अवरोधक आंदोलन।
उत्तर:
अभिव्यक्ति आंदोलन।

8. अमेरिका में 1950 तथा 1960 के दशकों में कौन-सा सामाजिक आंदोलन चला?
(A) समाजवादी आंदोलन
(B) नागरिक अधिकार आंदोलन
(C) महिला अधिकार आंदोलन
(D) सामाजिक आंदोलन।
उत्तर:
नागरिक अधिकार आंदोलन।

9. चिपको आंदोलन में किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी?
(A) सुंदर लाल बहुगुणा
(B) लाल बहादुर शास्त्री
(C) मेधा पाटकर
(D) अरुंधति राय।
उत्तर:
सुंदर लाल बहुगुणा।

10. प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण के विरुद्ध कौन-से आंदोलन चले थे?
(A) कामगारों के आंदोलन
(B) दलितों के आंदोलन
(C) कृषक आंदोलन
(D) पारिस्थितिकीय आंदोलन।
उत्तर:
पारिस्थितिकीय आंदोलन।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
उत्तर:
जनजातीय आंदोलन अपनी संस्कृति को बचाने के लिए शुरू हुए थे ताकि वह औरों की संस्कृति में न मिल जाएं।

प्रश्न 2.
आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) कहा जाता है।

प्रश्न 3.
समाज सुधार क्या होता है?
उत्तर:
जब समाज में चल रही कुरीतियों के विरुद्ध समाज के समझदार व्यक्ति कोई आंदोलन करें तथा उन कुरीतियों को बदलने का प्रयास करें तो उसे समाज सुधार कहते हैं।

प्रश्न 4.
समाज सुधार में गतिशीलता क्यों होती है?
उत्तर:
समाज सुधार में गतिशीलता इसलिए होती है क्योंकि समाज सुधार सभी समाजों तथा सभी युगों में एक समान नहीं होता। इसलिए यह गतिशील है।

प्रश्न 5.
समाज कल्याण क्या होता है?
उत्तर:
समाज कल्याण में उन संगठित सामाजिक कोशिशों या प्रयासों को शामिल किया जाता है जिनकी मदद से समाज के सारे सदस्यों को अपने आप को ठीक तरीके से विकसित करने की सुविधाएं मिलती हैं। समाज कल्याण के कार्यों में निम्न था पिछड़े वर्गों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि समाज का हर तरफ से विकास तथा कल्याण हो सके।

प्रश्न 6.
समाज कल्याण के क्या उद्देश्य होते हैं?
उत्तर:

  1. पहला उद्देश्य यह है कि समाज के सदस्यों के हितों की पूर्ति उनकी ज़रूरतों के अनुसार होतो हैं।
  2. ऐसे सामाजिक संबंध स्थापित करना जिससे लोग अपनी शक्तियों का पूरी तरह विकास कर सके हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 7.
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें क्या मिला?
उत्तर:
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें आजादी मिली। इस आंदोलन में भारत की सारी जनता बगैर किसी भेदभाव के एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी जिस वजह से उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। निम्न जातियों में भी चेतना आई तथा वह उच्च जातियों के समाज के समान खड़े हो गए।

प्रश्न 8.
किन्हीं तीन समाज सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर:

  1. राजा राममोहन राय
  2. सर सैयद अहमद खान
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. स्वामी विवेकानंद।

प्रश्न 9.
बेसिक शिक्षा की धारणा किसने दी थी?
उत्तर:
बेसिक शिक्षा की धारणा महात्मा गांधी ने 1937 में दी थी।

प्रश्न 10.
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में कोई मुख्य फर्क बताओ।
उत्तर:
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में मुख्य फर्क यह है कि समाज कल्याण में समाज की निम्न जातियों, पिछड़े वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य किए जाते हैं जबकि समाज सुधार में समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर कर उनमें बदलाव लाने के प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
राजनीतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चलाए जाएं उन्हें राजनीतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे भारत की आजादी का आंदोलन।

प्रश्न 12.
सांस्कृतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए चलाया जाए उसे सांस्कृतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे जनजातीय आंदोलन।

प्रश्न 13.
आज़ादी से पहले जाति आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:

  1. आजादी से पहले जाति आंदोलन इसलिए चलाए गए थे ताकि ब्राह्मणों की और जातियों के ऊपर श्रेष्ठता का विरोध किया जा सके।
  2. जाति स्तरीकरण में अपनी जाति की स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।

प्रश्न 14.
भगत आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
भारत में निम्न जातियां उच्च जातियों के विचारों, तौर-तरीकों, व्यवहारों का अनुसरण करती हैं। इस प्रकार की रुचि तथा अनुसरण की प्रक्रिया को भगत आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 15.
सुधार आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन क्यों कहते हैं?
उत्तर:
असल में सुधार आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य समाज में पाई जाने वाली धार्मिक तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था इसलिए इन आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
अंग्रेजों के आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार हुआ। इस शिक्षा को ग्रहण करते-करते समाज के बहुत से सुलझे हुए लोगों को पता चला कि उनके समाज में जो रीतियां, जैसे सती प्रथा, बाल विवाह इत्यादि चल रही हैं। वह असल में रीतियां नहीं बल्कि कुरीतियां हैं। उन्हें पश्चिमी देशों में जाने तथा वहां के लोगों से बातें करने का मौका मिला जिससे उनकी आँखें खुल गईं तथा अपने समाज में फैली कुरीतियों, कुप्रथाओं, अंधविश्वासों को दूर करने के लिए सुधार आंदोलन चल पड़े।

प्रश्न 17.
गतिशीलकरण संसाधन (Resource Mobilisation) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गतिशीलकरण संसाधन एक विधि है जिसमें किसी सामाजिक आंदोलन को राजनीतिक प्रभाव, धन, मीडिया तक पहुंच तथा लोगों के सहयोग से शक्ति प्राप्त होती है।

प्रश्न 18.
प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरणकारी आंदोलन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरणकारी सामाजिक आंदोलन वह सामाजिक आंदोलन होते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य अपने व्यक्तिगत सदस्यों की व्यक्तिगत चेतना तथा गतिविधियों में परिविर्तन लाना होता है। उदाहरण के लिए केरल के इजहावा समुदाय के लोगों ने नारायण गुरु के नेतृत्व में अपनी सामाजिक प्रथाओं को परिवर्तित किया।

प्रश्न 19.
सुधारवादी आंदोलन कौन-से होते हैं?
अथवा
सुधार आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सुधारवादी सामाजिक आंदोलन क्या है?
उत्तर:
उन आंदोलनों को सुधारवादी आंदोलन कहा जाता है जो वर्तमान सामाजिक तथा राजनीतिक विन्यास को धीमे प्रगतिशील चरणों द्वारा बदलने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए. 1960 के दशक में भारत के राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित करने अथवा हाल के सूचना के अधिकार का अभियान।

प्रश्न 20.
क्रांतिकारी सामाजिक आंदोलन क्या हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी सामाजिक आंदोलन सामाजिक संबंधों के आमूल रूपांतरण का प्रयास करते हैं, आम तौर पर राजसत्ता पर अधिकार के द्वारा। उदाहरण के लिए 1789 की फ्रांसीसी क्रांति तथा 1919 की रूस की बोल्शेविक क्रांति।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 21.
सामाजिक आंदोलनों का सापेक्षिक वचन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
सामाजिक आंदोलनों के सापेक्षिक वचन के सिद्धांत के अनुसार सामाजिक संघर्ष उस समय उत्पन्न होता है जब एक सामाजिक समूह यह अनुभव करे कि वह अपने इर्द-गिर्द के अन्य व्यक्तियों से खराब स्थिति में है। ऐसा संघर्ष सफल सामूहिक विरोध के रूप में सामने आ सकता है।

प्रश्न 22.
पारिस्थितिकीय आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:
आधुनिक काल में विकास पर अधिक बल दिया गया जिस कारण प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित उपयोग हुआ तथा प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक शोषण हुआ है। यह एक चिंता का विषय बन गया तथा पारिस्थितिकीय आंदोलन इस कारण ही चलाए गए थे।

प्रश्न 23.
स्वतंत्रता से पहले किसान आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:
वैसे तो स्वतंत्रता से पहले चले हरेक किसान आंदोलन की प्रकृति अलग-अलग थी परंतु मुख्यता इनकी मुख्य मांग थी कि किसानों, कामगारों तथा अन्य सभी वर्गों को आर्थिक शोषण से मुक्ति मिल सके।

प्रश्न 24.
औपनिवेशिक काल में कामगारों के आंदोलन क्यों चले थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल की प्रारंभिक अवस्थाओं में मजदूरी काफ़ी सस्ती थी क्योंकि औपनिवेशिक सरकार ने उनके वेतन तथा कार्य दशाओं के लिए कोई नियम नहीं बनाए थे। इस प्रकार मजदूरों को मालिकों के शोषण से बचाने के लिए कामगारों में आंदोलन चलाए गए थे।

प्रश्न 25.
मज़दूर आंदोलन की क्या हानियां हैं?
उत्तर:

  1. मज़दूर आंदोलन से उत्पादन बंद हो जाता है जिससे महँगाई बढ़ जाती है।
  2. अगर देश में मजदूर आंदोलन बार-बार होने लग जाए तो उससे विदेशी निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 26.
महिला आंदोलन से महिलाओं की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
महिला आंदोलन महिलाओं में चेतना जगाने तथा उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए चलाया जाता है। इससे उन्हें कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं तथा समाज में उनकी स्थिति उच्च हो जाती है।

प्रश्न 27.
महिला आंदोलन से समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
महिला आंदोलन से समाज में परिर्वन आ जाता है। महिलाओं को आंदोलन के कारण अधिकार मिल जाते हैं जिससे उनकी स्थिति उच्च हो जाती है। इससे सामाजिक संस्थाओं विवाह, परिवार के स्वरूप में परिवर्तन आ जाता है तथा समाज में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ जाता है।

प्रश्न 28.
किसान आंदोलन क्या होते हैं?
उत्तर:
किसानों से संबंधित मुद्दे उठाने के लिए जो आंदोलन चलाए जाते हैं उन्हें किसान आंदोलन कहते हैं। उदाहरण के लिए गांधी जी द्वारा चलाया गया चंपारन सत्याग्रह।

प्रश्न 29.
स्वतंत्रता के पश्चात् हुए किसी महिला आंदोलन के बारे में बताएं।
उत्तर:
1970 के दशक के प्रारंभ में बिहार में छात्र अंसतोष उभरा जिसने जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के आह्वान का समर्थन किया जिनके अनेक मुद्दे महिलाओं से संबंधित थे जैसे परिवार, कार्य वितरण, पारिवारिक हिंसा, पुरुष तथा स्त्रियों द्वारा संसाधनों पर असमान पहुँच इत्यादि।

प्रश्न 30.
भारत में अपराध के कोई तीन कारण बताइये।
उत्तर:

  1. लोग निर्धनता के कारण अपराध करते हैं।
  2. जायदाद प्राप्ति के लिए भी अपराध किए जाते हैं।
  3. कई लोगों को अपराध करने में मज़ा आता है।

प्रश्न 31.
बाल न्याय अधिनियम के तहत बाल अपराधी की कितनी आयु निर्धारित की गई है?
उत्तर:
इस अधिनियम के तहत बाल अपराधी की आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई है।

प्रश्न 32.
किन्हीं दो मुस्लिम आंदोलनों के नाम लिखें।
उत्तर:
खिलाफ़त आंदोलन तथा सर सैय्यद अहमद खान द्वारा चलाया गया सुधार आंदोलन।

प्रश्न 33.
किन्हीं दो सिक्ख आंदोलनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
गुरुद्वारा आंदोलन तथा पंजाबी सूबे के लिए आंदोलन।

प्रश्न 34.
बाल अपराध क्या है?
उत्तर:
एक निश्चित आयु से नीचे अपराध करने वाले अपराध को बाल अपराध कहा जाता है।

प्रश्न 35.
सामाजिक विचलन क्या है?
उत्तर:
जब सामाजिक व्यवस्था में अव्यवस्था फैल जाए, आदर्शहीनता की स्थिति फैल जाए, आदर्श, नियम तथा प्रतिमान खत्म हो जाए तो इस स्थिति को सामाजिक विचलन कहा जाता है।

प्रश्न 36.
कोई दो प्रकार के सामाजिक आंदोलन बताइए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति आंदोलन, क्रांतिकारी आंदोलन, सुधारात्मक आंदोलन इत्यादि।

प्रश्न 37.
भू-दान आंदोलन किसने चलाया?
उत्तर:
भू-दान आंदोलन आचार्य विनोबा भावे ने चलाया था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाज सुधार आंदोलनों की मदद से हम क्या परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
भारत एक कल्याणकारी राज्य है जिसमें हर किसी को समान अवसर उपलब्ध होते हैं। पर कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य जनता के जीवन को सुखमय बनाना है। पर यह तभी संभव है अगर समाज में फैली हुई कुरीतियों तथा अंध-विश्वासों को दूर कर दिया जाए। इन को दूर सिर्फ समाज सुधारक आंदोलन ही कर सकते हैं। सिर्फ कानून बनाकर कुछ हासिल नहीं हो सकता। इसके लिए समाज में सुधार ज़रूरी हैं। कानून बना देने से सिर्फ कुछ नहीं होगा।

उदाहरण के तौर पर बाल विवाह, दहेज प्रथा, विधवा विवाह, बच्चों से काम न करवाना। इन सभी के लिए कानून हैं पर ये सब चीजें आम हैं। दहेज लिया दिया, यहां तक कि मांग कर लिया जाता है, बाल विवाह होते हैं, विधवा विवाह को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। हमारे समाज के विकास में ये चीजें सबसे बड़ी बाधाएं हैं। अगर हमें समाज का विकास करना है तो हमें समाज सुधार आंदोलनों की ज़रूरत है। इसलिए हम समाज सुधार आंदोलनों के महत्त्व को भूल नहीं सकते।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलन की कोई चार विशेषताएं बताओ।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के दो लक्षण बताएँ।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन हमेशा समाज विरोधी होते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन हमेशा नियोजित तथा जानबूझ कर किया गया प्रयत्न है।
  3. इसका उद्देश्य समाज में सुधार करना होता है।
  4. इसमें सामूहिक प्रयत्नों की ज़रूरत होती है क्योंकि एक व्यक्ति समाज में परिवर्तन नहीं ला सकता।

प्रश्न 3.
सामाजिक आंदोलन की किस प्रकार की प्रकृति होती है?
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन संस्थाएं नहीं होते हैं क्योंकि संस्थाएं स्थिर तथा रूढ़िवादी होती हैं तथा संस्कृति का ज़रूरी पक्ष मानी जाती हैं। यह आंदोलन अपना उद्देश्य पूरा होने के बाद खत्म हो जाते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन समितियां भी नहीं हैं क्योंकि समितियों का एक विधान होता है। यह आंदोलन तो अनौपचारिक, असंगठित तथा परंपरा के विरुद्ध होता है।
  3. सामाजिक आंदोलन दबाव या स्वार्थ समूह भी नहीं होते बल्कि यह आंदोलन सामाजिक प्रतिमानों में बदलाव की मांग करते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 4.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
अथवा
जनजातीय आंदोलनों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
अथवा
जनजातीय आंदोलन के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सैंकड़ों जनजातियों के लोग रहते हैं। इनकी अपनी विशिष्ट जीवन शैली होती है। उनकी ज़रूरतें भी कम होती हैं। वह अपनी संस्कृति व अलग जनजातीय पहचान बनाए रखने के प्रति बहुत सचेत होते हैं। यदि जनजाति के सदस्यों को लगे कि उनकी संस्कृति से छेड़छाड़ की जा रही है, इसमें परिवर्तन करने की कोशिश की जा रही है या उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है या उनकी अपनी अलग पहचान बनाए रखने में कोई खतरा है तो वे आंदोलन का रास्ता अपना लेते हैं। इसके अलावा अन्य समुदायों, धर्मों तथा वर्गों के लोगों के प्रभाव के कारण निश्चित तरह के परिवर्तन की इच्छा से भी जनजातियों के लोग आंदोलन करने लगते हैं।

उदाहरण पर बिहार से झारखंड राज्य अलग करने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ। बिरसा मुंडा ने मुंडा जनजाति में ईसाइयत के विरुद्ध आंदोलन चलाया। बिरसा को मुंडा जनजाति के लोग बिरसा भगवान् कहते थे। उसके कहने के फलस्वरूप इस जनजाति के उन लोगों, जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था, ने हिंदू धर्म को पुनः अपना लिया तथा मूर्ति पूजा, हिंदू कर्म-कांडों तथा रीति-रिवाजों का
पालन करने लगे।

प्रश्न 5.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हए?
उत्तर:
भारत में समाज सुधार आंदोलन निम्नलिखित कारणों से शुरू हुए-

  • भारतीय समाज में फैली कुरीतियों को धर्म के साथ जोड़ा हुआ था।
  • समाज का जातीय आधार पर विभाजन था तथा जाति धर्म के आधार पर बनी हुई थी। जाति के नियमों को तोड़ना पाप माना जाता था।
  • भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा काफ़ी निम्न थी जिस वजह से उनका कोई महत्त्व नहीं रह गया था।
  • भारतीय समाज में अशिक्षा का बोलबाला था।
  • जाति प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह की मनाही इत्यादि बहुत-सी कुरीतियां समाज में फैली हुई थीं।

इन सब कारणों की वजह से शिक्षित समाज सुधारकों ने समाज सुधार करने की ठानी तथा समाज सुधार अंट लन शुरू हो गए।

प्रश्न 6.
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की विशेषताएं क्या थी?
उत्तर:
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की निम्नलिखित विशेषताएं थीं-

  • आजादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की पहली विशेषता यह थी कि हिंदू धर्म को तार्किक रूप से स्थापित करना क्योंकि इसने मुस्लिम शासकों तथा अंग्रेजों के कई थपेड़ों को झेला था।
  • महिलाओं, हरिजनों तथा शोषित वर्गों को ऊपर उठाना ताकि यह वर्ग भी और वर्गों की तरह सर उठाकर जी सकें।
  • ये आंदोलन परंपरागत रूढ़िवादी विचारधाराओं को समाप्त करके उनकी जगह नयी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन जाति व्यवस्था की असमानता की बेड़ियों को तोड़कर समानता तथा भाईचारे की भावना को स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन भारतीय जनता में प्यार, भाईचारे, सहनशीलता, त्याग आदि भावनाओं का विकास करना चाहते थे।

प्रश्न 7.
क्रांतिकारी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • क्रांतिकारी आंदोलन प्रचलित पुरानी व्यवस्था को उखाड़ कर उसकी जगह नयी व्यवस्था को लागू करना चाहते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन में हिंसात्मक तथा दबाव वाले तरीके अपनाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा तभी चलाए जाते हैं जब सामाजिक बुराइयों को दूर करना हो।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा निरंकुश शासन में तथा उसे खत्म करने के लिए चलाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलनों में हमेशा उग्रता तथा तीव्रता पाई जाती है।

प्रश्न 8.
सुधारवादी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
सुधारवादी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • सुधारवादी आंदोलन प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार करना चाहता है।।
  • सुधारवादी आंदोलनों की गति हमेशा धीमी होती है।
  • सुधारवादी आंदोलनों में हमेशा शांतिपूर्ण तरीके अपनाए जाते हैं तथा यह समाज में शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए चलाए जाते हैं।
  • यह आम तौर पर प्रजातांत्रिक देशों में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
सामाजिक आंदोलन के लक्षण बताएँ।
उत्तर:

  • सामाजिक आंदोलन में एक लंबे समय तक लगातार सामूहिक गतिविधियों की ज़रूरत होती है। ऐसी गतिविधियां मुख्यतः राज्य के विरुद्ध होती हैं तथा राज्य की नीति तथा व्यवहार में परिवर्तन की मांग करती हैं।
  • सामाजिक आंदोलन आम तौर पर किसी जनहित के मामले में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से उत्पन्न होते हैं ताकि जनता को उनके अधिकार प्राप्त हो सकें।
  • जहां विरोध सामूहिक गतिविधि का सबसे अधिक मूर्त रूप है, वहीं सामाजिक आंदोलन समान रूप से अन्य महत्त्वपूर्ण ढंगों से भी कार्य करता है।
  • सामाजिक आंदोलनों से परिवर्तन अचानक नहीं आते बल्कि धीरे-धीरे लंबे समय के बाद आते हैं।

प्रश्न 10.
नए सामाजिक आंदोलनों तथा पुराने सामाजिक आंदोलनों में भिन्नता बताएं।
उत्तर:

  • पुराने सामाजिक आंदोलन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के दायरे में काम करते थे परंतु नए सामाजिक आंदोलन समाज में सत्ता के विवरण के बारे में न होकर जीवन की गुणवत्ता जैसे स्वच्छ पर्यावरण के बारे में थे।
  • पुराने सामाजिक आंदोलन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर हटाना चाहते थे तथा शोषण से छुटकारा प्राप्त करना चाहते थे परंतु नए सामाजिक आंदोलन अच्छे जीवन स्तर की चाह में चलाए गए हैं।
  • पुराने सामाजिक आंदोलनों में सामाजिक दलों की केंद्रीय भूमिका थी परंतु आज के आंदोलन औपचारिक राजनीतिक व्यवस्था से छूट गए हैं तथा राज्य पर वे बाहर से दबाव डालते हैं।

प्रश्न 11.
चिपको आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
चिपको आंदोलन क्या था?
उत्तर:
चिपको आंदोलन 1970 के दशक में उत्तराखंड (उस समय उत्तर प्रदेश) के पहाड़ी इलाकों में शुरू हुआ। यहाँ के जंगल वहाँ पर रहने वाले गाँववासियों की रोजी-रोटी का साधन थे। लोग जंगलों से चीजें इकट्ठी करके अपना जीवन यापन करते थे। सरकार ने इन जंगलों को राजस्व प्राप्त करने के लिए ठेके पर दे दिया। जब लोग जंगलों से चीजें, लकड़ी इकट्ठी करने गए तो ठेकेदारों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि ठेकेदार स्वयं जंगलों को काटकर पैसा कमाना चाहते थे।

कई गांवों के लोग इसके विरुद्ध हो गए तथा उन्होंने मिलकर संघर्ष करना शुरू कर दिया। जब ठेकेदार जंगलों के वृक्ष काटने आते तो लोग पेड़ों के इर्द-गिर्द लिपट जाते या चिपक जाते थे ताकि वह पेड़ों को न काट सकें। महिलाओं तथा बच्चों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। प्रमुख पर्यावरणवादी सुंदर लाल बहुगुणा भी इस आंदोलन से जुड़ गए। लोगों के पेड़ों से चिपकने के कारण ही इस आंदोलन को चिपको आंदोलन कहा गया। अंत में आंदोलन को सफलता प्राप्त हुई तथा सरकार ने हिमालयी क्षेत्र के पेड़ों की कटाई पर 15 वर्ष की रोक लगा दी।

प्रश्न 12.
क्या लोग किसी सामाजिक आंदोलन में हानि अथवा लाभ के विषय में सोचकर भाग लेते हैं अथवा व्यक्तिगत लाभ के विषय में तर्क संगत गणना करके भाग लेते हैं?
उत्तर:
जब लोग किसी सामाजिक आंदोलन में भाग लेते है तो वह किसी हानि या लाभ या व्यक्तिगत विषय के बारे में नहीं सोचते हैं। कोई सामाजिक आंदोलन किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि सामूहिक हितों के लिए चलाया जाता हैं तथा लोग बिना किसी लाभ हानि की भावना के उसमें भाग लेते है। उदाहरण के लिए हमारी स्वतंत्रता का आंदोलन।

अगर हमने, महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत हितों के बारे में सोचा होता तो हमारा स्वतंत्रता संग्राम सफल न हो पाता। परंतु उन्होंने तथा अन्य लोगों ने देश के हितों तथा संपूर्ण जनता के विषय के बारे में सोचा तथा आंदोलन शुरू किया। उन्हें बहुत कठिनाइयां आयीं तथा उन्हें जेल भी जाना पड़ा। परंतु फिर भी वह अपने मार्ग पर जुटे रहे तथा देश को स्वतंत्र करवा कर ही दम लिया। इस प्रकार यह किसी व्यक्तिगत हित के लिए आंदोलन नहीं था
बल्कि समूह अथवा संपूर्ण जनता के हितों के लिए आंदोलन था।

प्रश्न 13.
अपने क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण के कुछ उदाहरणों का पता लगाइए
उत्तर:
आजकल पर्यावरण प्रदूषण काफी हो रहा है तथा यह बहुत से कारकों के कारण होता है। जब कोई अनचाही वस्तु पर्यावरण में मिल जाए तो उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। बहुत से ऐसे कारक हैं जो प्रदूषण फैलाते हैं। आजकल इतने अधिक वाहन हो गए हैं तथा वह इतना अधिक धआँ छोडते हैं कि पर्यावरण प्रदषण फैल ही जाता है। बड़े-बड़े कारखानों, उद्योगों की चिमनियों से निकलता धुआँ प्रदूषण फैलाता है। उद्योगों से निकला कचरा, गर्म पानी इत्यादि पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।

इनके साथ ही घरेलू प्रयोग किया हुआ पानी, साफ़ पानी में गंदा पानी फेंकना, उद्योगों का कचरा नदियों में फेंकना, भूक्षरण, खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग, उवर्रक बनाने के कारखाने, चमड़ा बनाने के कारखाने, कीटनाशक दवाएं बनाने के कारखाने काफ़ी अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। दिल्ली जैसे शहर में 50 लाख से अधिक वाहन हैं तथा हम यह सोच सकते हैं कि वह कितना प्रदूषण फैलाते होंगे।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक आंदोलन क्या होता है? इसके प्रकारों का वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के अर्थ व प्रकारों की व्याख्या करें।
अथवा
सामाजिक आंदोलन किसे कहते हैं?
अथवा
सामाजिक आंदोलन क्या है?
अथवा
समाज सुधार आंदोलनों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
सामाजिक आंदोलन क्या है? प्रमुख प्रकार के सामाजिक आंदोलनों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
आंदोलन क्या है? सामाजिक आंदोलन कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:
सामाजिक आंदोलन का अर्थ (Meaning of Social Movements)-किसी भी समाज में सामाजिक आंदोलन तब जन्म लेता है जब वहाँ के व्यक्ति समाज में पाई जाने वाली सामाजिक परिस्थितियों से असंतुष्ट होते हैं तथा उसमें परिवर्तन लाना चाहते हैं। किसी भी तरह का सामाजिक आंदोलन बिना किसी विचारधारा (Ideology के विकसित नहीं होता है।

कभी-कभी सामाजिक आंदोलन किसी परिवर्तन के विरोध के लिए भी विकसित होता है। प्रारंभिक समाज-शास्त्री सामाजिक आंदोलन को परिवर्तन लाने का एक प्रयास मानते थे, परंतु आधुनिक समाज शास्त्री, आंदोलनों को समाज में परिवर्तन करने या फिर उसे परिवर्तन को रोकने के रूप में लेते हैं। विभिन्न विचारकों ने अपने-अपने दृष्टिकोणों से सामाजिक आंदोलन को निम्नलिखित रूप से समझाने का प्रयास किया है

मैरिल एवं एल्ड्रिज (Meril and Eldridge) के अनुसार “सामाजिक आंदोलन रूढ़ियों में परिवर्तन के लिए अधिक या कम मात्रा में चेतन रूप से किये गये प्रयास हैं।” हर्टन व हंट (Hurton and Hunt) के शब्दों में ‘‘सामाजिक आंदोलन समाज अर्थात् उसके सदस्यों में परिवर्तन लाने या उसका विरोध करने का सामूहिक प्रयास है।”

रॉज (Rose) के शब्दानुसार, “सामाजिक आंदोलन सामाजिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लोगों की एक बड़ी संख्या के एक औपचारिक संगठन को कहते हैं, जो अनेक व्यक्तियों के सामूहिक प्रयास से प्रभुत्ता संपन्न, संस्कृत स्कूलों संस्थाओं या एक समाज के विशिष्ट वर्गों को संशोधित अथवा स्थानांतरित करता है।

हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) के अनुसार, “सामाजिक आंदोलन जीवन की एक नयी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास कहा जा सकता है।” उपर्यक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सामाजिक आंदोलन समाज में व्यक्तियों दवारा किया जाने वाला सामूहिक व्यवहार है, जिसका उद्देश्य प्रचलित संस्कृति एवं सामाजिक संरचना में परिवर्तन करना होता है या फिर हो रहे परिवर्तन को रोकना होता है। अतः सामाजिक आंदोलन को सामूहिक प्रयास और सामाजिक क्रिया के प्रयास के रूप में समझा जा सकता है।

सामाजिक आंदोलनों के प्रकार (Types of Social Movements)-हर्टन एवं हंट (Hurton and Hunt) के अनुसार, सामाजिक आंदोलन का वर्गीकरण सरल नहीं है। क्योंकि कभी-कभी कोई आंदोलन दो आंदोलनों के बीच की स्थिति का होता है अथवा अपने विकास के विभिन्न स्तरों पर एक ही आंदोलन विभिन्न प्रकृति का होता है। विभिन्न विचारकों ने सामाजिक आंदोलनों का वर्गीकरण अपने-अपने दृष्टिकोण से निम्नलिखित प्रकार से किया है-
1. विशेष सामाजिक आंदोलन (Special Social Movements)-विशेष या विशिष्ट सामाजिक आंदोलनों के उद्देश्य पहले से ही निर्धारित तथा संगठित होते हैं। इन आंदोलनों के संचालन में अनुभवी नेताओं का हाथ होता है। विशेष सामाजिक आंदोलन के अंतर्गत क्रांतिकारी व सुधारवादी आंदोलन मुख्य रूप से आते हैं।

2. सामान्य सामाजिक आंदोलन (General Social Movements)-सामान्य सामाजिक आंदोलनों का संबंध समाज में प्रचलित सांस्कृतिक मूल्यों से होता है। इस प्रकार के आंदोलन सांस्कृतिक मूल्यों में होने वाले धीरे-धीरे परिवर्तनों के कारण विकसित होते हैं क्योंकि इन्हीं आंदोलनों के कारण परिवर्तित मूल्य, विचार व विश्वास आरंभ में अस्पष्ट होते हैं। महिला आंदोलन, दलित आंदोलन इस श्रेणी के आंदोलनों में आते हैं।

3. अभिव्यक्ति आंदोलन (Expresive Movements)-अभिव्यक्तात्मक सामाजिक आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य किसी भी विषय में सामूहिक असहमति को प्रतीक रूप में प्रकट करना होता है, हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumers) ने इस प्रकार के आंदोलनों को दो भागों में बांटा है-धार्मिक आंदोलन या भाषा आंदोलन।

4. अवरोधक आंदोलन (Resistence Movements)-अवरोधक आंदोलन क्रांतिकारी आंदोलन के सर्वथा विपरीत है। यह उसका भिन्न रूप है। अवरोधक आंदोलन का उद्देश्य परिवर्तन को रोकना या समाप्त करना होता है जबकि क्रांतिकारी आंदोलन में परिवर्तन एकमात्र उद्देश्य माना गया है। भारतवर्ष में इस प्रकार के कई अवरोधक आंदोलन पाए हैं। भारत समाज में जब हिंदू कोड बिल विभिन्न अधिनियमों के रूप में पारित किया गया तो इस तरह के कई आंदोलन शुरू हो गये।

5. काल्पनिक आंदोलन (Utopian Movements) काल्पनिक आंदोलनों के अंतर्गत वह आंदोलन आते हैं, जो महान विचारकों या दार्शनिकों द्वारा अपने काल्पनिक और आदर्श समाज की रचना के लिए आरंभ किये जाते हैं। कार्ल मार्क्स का साम्यवादी आंदोलन, विनोबा भावे का ग्राम दान व भू-दान आंदोलन काल्पनिक आंदोलन के अंतर्गत ही आते हैं।

6. देशांतर आंदोलन (Migratory Movements)-देशांतर आंदोलन युद्ध, बाढ़, अकाल व महामारी के कारण पैदा होते हैं। इस प्रकार के आंदोलन के अंतर्गत जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तांतरण होता है। एक क्षेत्र या देश के लोग व्यापक असंतोष के कारण सामूहिक रूप से दूसरे देश में जाकर रहने का फैसला करते हैं। भारत-विभाजन और बांग्लादेश का निर्माण देशांतर आंदोलन का ही रूप है।

7. क्रांतिकारी आंदोलन (Revolutionery Movements)-क्रांतिकारी आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य प्रचलित सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ कर उसके स्थान पर नयी व्यवस्था की स्थापना करना होता है। क्रांतिकारी आंदोलन हिंसात्मक एवं अहिंसात्मक दो तरह के होते हैं। ये आंदोलन समाज में पाये जाने वाले असंतोष के परिणामस्वरूप जन्म लेते हैं। Hurton & Hunt क्रांतिकारी आंदोलन को इस प्रकार परिभाषित करते हैं-क्रांतिकारी आंदोलन वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ कर, उसके स्थान पर विभिन्न व्यवस्था को प्रतिस्थापित करना चाहता है। क्रांतिकारी आंदोलन की मुख्य विशेषताएं तीव्रता, उग्रता, अहिंसा व कभी-कभी हिंसा भी है।

8. सुधारात्मक आंदोलन (Reformative Movements)-सुधारात्मक आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था में पाई जाने वाली बुराइयों को दूर कर उनमें सुधार लाना होता है। भारतीय समाज में ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन और प्रार्थना समाजों की स्थापना इत्यादि सुधारवादी आंदोलनों के अंतर्गत ही आते हैं। सुधार आंदोलन प्रजातांत्रिक प्रणाली में ही विकसित हो सकते हैं क्योंकि इस प्रणाली में ही सरकार स्वयं नये परिवर्तन एवं सुधारों में रुचि रखती है तथा वहां की जनता को सत्ताधारी या सरकार की आलोचना का पूरा अधिकार होता है। बहुमत की इच्छा से सरकार परिवर्तन करती जाती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलनों से भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आए? उनका वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक आंदोलनों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज में 19वीं सदी आते-आते बहुत-सी कुरीतियां फैली हुई थीं। इन कुरीतियों ने भारतीय समाज को बुरी तरह जकड़ा हुआ था। इसी समय भारत के ऊपर अंग्रेज़ कब्जा कर रहे थे। इसके साथ-साथ वह पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी कर रहे थे। बहुत से अमीर भारतीय पश्चिमी शिक्षा ले रहे थे।

शिक्षा लेने के बाद जब वह भारत पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भारतीय समाज बहुत-सी कुरीतियों में जकड़ा हुआ है। इसलिए उन्होंने सामाजिक आंदोलन चलाने का निर्णय लिया ताकि इन कुरीतियों को दूर किया जा सके। इन सामाजिक आंदोलनों की जगह जो परिवर्तन भारतीय समाज में आए उनका वर्णन निम्नलिखित है-

(i) सती–प्रथा का अंत (End of Sati System)-भारत में सती प्रथा सदियों से चली आ रही थी। अगर किसी औरत के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे जिंदा ही पति की चिता में जलना पड़ता था। इस अमानवीय प्रथा को ब्राह्मणों ने चलाया हुआ था। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार इस अमानवीय प्रथा के विरुद्ध हो गई तथा उसने 1829 में सती प्रथा विरोधी अधिनियम पास कर दिया तथा सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। इस तरह सदियों से चली आ रही यह प्रथा खत्म हो गई। यह सब सामाजिक आंदोलन के कारण ही हुआ।

(ii) बाल-विवाह का खात्मा (End of Child Marriage)-बहुत-से कारणों की वजह से भारतीय समाज में बाल विवाह हो रहे थे। पैदा होते ही या 4-5 साल की उम्र में ही बच्चों का विवाह कर दिया जाता था चाहे उन को विवाह का मतलब पता हो या न हो। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार ने विवाह की न्यूनतम आयु निश्चित कर दी। 1860 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बना कर विवाह की न्यूनतम आयु 10 वर्ष निश्चित कर दी।

(iii) विधवा-पुनर्विवाह (Widow Remarriage)-सदियों से हमारे समाज में विधवाओं को पुनर्विवाह की इजाजत नहीं थी। विधवाओं की स्थिति बहुत बदतर थी। उनको किसी पारिवारिक समारोह में भाग लेने की इजाजत नहीं थी। वह घुट-घुट कर मरती रहती थी। उनको अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार नहीं था।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कोशिशों की वजह से अंग्रेजों ने 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पास किया जिससे विधवाओं को दोबारा विवाह करने की इजाजत मिल गई। इस तरह विधवाओं को कानूनी रूप से विवाह करने तथा अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार मिल गया।

(iv) पर्दा-प्रथा की समाप्ति (End of Purdah System)-मुस्लिमों में बरसों से पर्दा प्रथा चली आ रही थी। औरतों को हमेशा पर्दे के पीछे रहना पड़ता था। वह कहीं आ जा भी नहीं सकती थीं। यह प्रथा धीरे-धीरे सारे भारत में फैल गई। बड़े-बड़े समाज सुधारकों ने पर्दा प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी। यहां तक कि सर सैय्यद अहमद खान ने भी इसके विरुद्ध आवाज़ उठायी। इस तरह धीरे-धीरे पर्दा प्रथा कम होने लग गई तथा समय आने के साथ यह भी खत्म हो गई।

(v) दहेज-प्रथा में परिवर्तन (Change in Dowry System)-दहेज वह होता है जो विवाह के समय लड़की का पिता अपनी खुशी से लड़के वालों को देता था। धीरे-धीरे इसमें भी बुराइयां आनी शुरू हो गईं। लड़के वाले दहेज मांगने लगे जिस वजह से लड़की वालों को बहुत तकलीफें उठानी पड़ती थीं। इसके विरुद्ध भी आंदोलन चले जिस वजह से ब्रिटिश सरकार ने तथा आजादी के बाद 1961 में सरकार ने दहेज लेने या देने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया।

(vi) भारतीय समाज में बहुत समय से अस्पृश्यता चली आ रही थी। इसमें छोटी जातियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता था। इन सामाजिक आंदोलनों में अस्पृश्यता के विरुद्ध आवाज़ उठी। जिस वजह से इसे गैर-कानूनी घोषित करने के लिए वातावरण तैयार हो गया तथा आज़ादी के बाद इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।

(vii) भारतीय समाज में अंतर्जातीय विवाह पर प्रतिबंध था। इन सामाजिक आंदोलनों की वजह से अंतर्जातीय विवाह को बल मिला जिस वजह से आजादी के बाद इसे भी कानूनी मंजूरी मिल गई।

(vii) इन आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज के आधार जाति व्यवस्था पर गहरी चोट लगी। सभी आंदोलनों ने जाति प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी जिस वजह से धीरे-धीरे जाति व्यवस्था खत्म होने लगी तथा आज भारत में जाति व्यवस्था अपनी आखिरी कगार पर खड़ी है।

(ix) सभी सामाजिक आंदोलन एक बात पर तो ज़रूर सहमत थे तथा वह थी स्त्री शिक्षा। हमारे समाज में स्त्रियों का स्तर काफ़ी निम्न था। उनको किसी भी चीज़ का अधिकार प्राप्त नहीं था। इन सभी आंदोलनों ने स्त्री शिक्षा के लिए कार्य किए जिस वजह से स्त्री शिक्षा को विशेष बल मिला। आज उसी वजह से स्त्री-पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है। इन सब चीज़ों को देखकर यह स्पष्ट है कि भारत में 19वीं सदी से शुरू हुए सामाजिक आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज में बहुत-से परिवर्तन आए।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 3.
भारत में समाज सुधारक आंदोलन चलाने के लिए क्या सहायक हालात थे?
उत्तर:
भारत में सदियों से बहुत-सी कुरीतियां चली आ रही थीं। भारतीयों को इन कुरीतियों में पिसते-पिसते सदियां हो चली थी पर भारतीय इनमें पिसते ही जा रहे थे तथा इनके खिलाफ कोई आवाज़ भी उठ नहीं रही थी। 18वीं सदी के आखिरी दशकों में अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की। इसके साथ-साथ उन्होंने भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू किया।

भारतीयों ने पश्चिमी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की तथा धीरे-धीरे उन्हें समझ आनी शुरू हो गई कि भारतीय समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं वह सब बेफिजूल की हैं जो कि ब्राह्मणों ने अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए चलाई थीं। जब अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की तो उस समय भारत में कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए जिनकी वजह से भारत में समाज सुधारक आंदोलनों की शुरुआत हुई। इन हालातों का वर्णन निम्नलिखित हैं-
(i) पश्चिमी शिक्षा (Western Education)-अंग्रेजों के भारत आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू हुआ। पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ उन्हें विज्ञान के बारे में यूरोप की प्रगति के बारे में भी पता चला। इस पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने का यह असर हुआ कि उनको पता चलने लग गया कि उनके समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं उनका कोई अर्थ नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने देश में सामाजिक आंदोलन चलाने शुरू किए और सामाजिक परिवर्तन आने शुरू हो गए।

(ii) यातायात के साधनों का विकास (Development of Means of Transport) अंग्रेज़ों ने भारत में चाहे अपने फायदे के लिए यातायात के साधनों का विकास किया पर उससे भारतीयों को भी बहुत फायदा हुआ। भारतीय इन यातायात के साधनों की वजह से एक-दूसरे के आगे आए तथा एक-दूसरे से मिलने लगे। पश्चिमी शिक्षा ग्रहण कर चुके भारतीय भी देश के कोने-कोने पहुँचे तथा उन्होंने लोगों को समझाया कि यह सब प्रथाएं उनके फायदे के लिए नहीं बल्कि नुकसान के लिए हैं जिससे लोगों को यह समझ आने लग गया। इस तरह यातायात के साधनों के विकास के साथ भी आंदोलनों के लिए हालात विकसित हुए।

(iii) भारतीय प्रेस की शुरुआत (Indian Press)-अंग्रेज़ों के आने के बाद भारत में प्रैस की शुरुआत हुई। दोलनों के संचालकों ने लोगों को समझाने के साथ छोटे-छोटे अखबार तथा पत्रिकाएं निकालनी भी शुरू की ताकि य इनको पढ़कर समझ सकें कि ये बुराइयां हमारे समाज में कितनी गहरी पैठ बना चुकी हैं तथा इनको यहां से निकालना बहुत ज़रूरी है। इस तरह प्रैस की शुरुआत ने भारतीयों को यह समझा दिया कि इन कुरीतियों को दूर करना कितना ज़रूरी है।

(iv) मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव (Increasing Effect of Missionaries)-जब से अंग्रेज़ भारत में आए उन्होंने ईसाई मिशनरियों को भी सहायता देनी शुरू की। अंग्रेजों ने इनको आर्थिक सहायता के साथ राजनीतिक सहायता भी देनी शुरू की। इन मिशनरियों का कार्य ईसाई धर्म का प्रचार करना था पर इनका प्रचार करने का तरीका अलग था।

वह पहले समाज कल्याण का कार्य करते थे। लोगों की तकलीफ दूर करते थे फिर इनमें ईसाई धर्म का प्रचार करते थे। धीरे-धीरे लोग ईसाई धर्म को अपनाने लग गए। इससे समाज सुधारकों को बड़ी निराशा हुई क्योंकि भारतीय लोग अपना धर्म छोड़ कर विदेशी धर्म अपनाने लग गए थे। इन समाज सुधारकों ने भारतीयों को मिशनरियों के प्रभाव से बचाने के लिए समाज सुधारक आंदोलन चलाने शुरू कर दिए। इस तरह ईसाई मिशनरियों के प्रभाव की वजह से भी यह आंदोलन शुरू हो गए।

(v) बहुत ज्यादा कुप्रथाएं (So many ills in Indian Society)-जिस समय भारत में सुधार आंदोलन शुरू हुए उस समय भारतीय समाज में बहुत-सी कुप्रथाएं फैली हुई थीं। सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर प्रतिबंध, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता इत्यादि कुप्रथाएं तथा इनके साथ जुड़े हुए बहुत से अंधविश्वास भी भारतीय समाज में फैले हुए थे। लोग भी इन सब से तंग आ चुके थे। जब यह आंदोलन शुरू हुए तो लोगों ने इन सुधारों को हाथों हाथ लिया जिस वजह से इन आंदोलनों को अच्छे हालात मिल गए तथा यह समाज सुधार के आंदोलन सफल हो गए।

प्रश्न 4.
भारत में महिलाओं में चले सुधार आंदोलन का वर्णन करो।
अथवा
महिला आंदोलनों की व्याख्या करें।
अथवा
स्वतः स्फूर्त महिला आंदोलन का उदय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारतीय समाज में समय-समय पर अनेक ऐसे आंदोलन शुरू हुए हैं जिनका मुख्य उद्देश्य स्त्रियों की दशा में सुधार करना रहा है। भारतीय समाज एक पुरुष-प्रधान समाज है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं ने अपने शोषण, उत्पीड़न इत्यादि के लिए अपनी स्थिति में सुधार के लिए आवाज़ उठाई है।

पारंपरिक समय से ही महिलाएं बाल-विवाह, सती-प्रथा, विधवा विवाह पर रोक, पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का शिकार होती आई हैं। महिलाओं को इन सब शोषणात्मक कुप्रथाओं से छुटकारा दिलवाने के देश के समाज सुधारकों ने समय-समय पर आंदोलन चलाये हैं।

इन आंदोलनों में समाज सुधारक तथा उनके द्वारा किये गए प्रयास सराहनीय रहे हैं। इन आंदोलनों की शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही हो गई थी। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, केशवचंद्र सेन, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, ऐनी बेसेंट इत्यादि का नाम इन समाज सुधारकों में अग्रगण्य है।

सन् 1828 में राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना तथा 1829 में सती प्रथा अधिनियम का बनाया जाना उन्हीं का प्रयास रहा है। स्त्रियों के शोषण के रूप में पाये जाने वाले बाल-विवाह पर रोक तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रचलित कराने का जनमत भी उन्हीं का अथक प्रयास रहा है।

इसी तरह महात्मा गांधी, स्वामी दयानंद सरस्वती, ईश्वरचंद्र, विद्यासागर जी ने भी कई ऐसे ही प्रयास किये जिनका प्रभाव महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक महर्षि कर्वे स्त्री-शिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह के समर्थक रहे। इसी प्रकार केशवचंद्र सेन एवं ईश्वरचंद्र विद्यासागर के प्रयासों के अंतर्गत ही 1872 में ‘विशेष विवाह अधिनियम’ तथा 1856 में विधवा-पुनर्विवाह अधिनियम बना। इन अधिनियमों के आधार पर ही विधवा पुनर्विवाह एवं अंतर्जातीय विवाह को मान्यता दी गई। इनके साथ ही कई महिला संगठनों ने भी महिलाओं को शोषण से बचाने के लिए कई आंदोलन शुरू किये।

महिला आंदोलनकारियों में ऐनी बेसेंट, मैडम कामा, रामाबाई रानाडे, मारग्रेट नोबल आदि की भूमिका प्रमुख रही है। भारतीय समाज में महिलाओं को संगठित करने तथा उनमें अधिकारों के प्रति साहस दिखा सकने का कार्य अहिल्याबाई व लक्ष्मीबाई ने प्रारंभ से किया था। भारत में कर्नाटक में पंडिता रामाबाई ने 1878 में स्वतंत्रता से पूर्व पहला आंदोलन शुरू किया था तथा सरोज नलिनी की भी अहम् भूमिका रही है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व प्रचलित इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही अनेक ऐसे अधिनियम पास किये गए जिनका महिलाओं की स्थिति सुधार में योगदान रहा है। महत्त्वपूर्ण इसी प्रयास के आधार पर स्वतंत्रता पश्चात् अनेक अधिनियम जिनमें 1955 का हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 का हिंदू उत्तराधिकार का अधिनियम एवं 1961 का दहेज निरोधक अधिनियम प्रमुख रहे हैं।

इन्हीं अधिनियमों के तहत स्त्री-पुरुष को विवाह के संबंध में समान अधिकार दिये गए तथा स्त्रियों को पृथक्करण, विवाह-विच्छेद एवं विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति प्रदान की गई है। इसी प्रकार संपूर्ण भारतीय समाज में समय-समय पर और भी ऐसे कई आंदोलन चलाए गए हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य स्त्रियों को शोषण का शिकार होने से बचाना रहा है।

वर्तमान समय में स्त्री-पुरुष के समान स्थान व अधिकार पाने के लिए कई आंदोलनों के माध्यम से एक लंबा रास्ता तय करके ही पहुंच पाई है। समय-समय पर राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा महिला संगठनों के प्रयासों के आधार पर ही वर्तमान महिला जागृत हो पाई है।

इन सब प्रथाओं के परिणामस्वरूप ही 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया गया। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में महिला विकास निगम [Women Development Council (WDC)] का निर्माण किया गया है जिसका उद्देश्य महिलाओं को तकनीकी सलाह देना तथा बैंक या अन्य संस्थाओं से ऋण इत्यादि दिलवाना है।

वर्तमान समय में अनेक महिलाएं सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। आज स्त्री सभी वह कार्य कर रही है जो कि एक पुरुष करता है। महिलाओं के अध्ययन के आधार पर भी वह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान समय में महिला की परिस्थिति, परिवार में भूमिका, शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, राजनीतिक एवं कानूनी भागीदारी में काफ़ी परिवर्तन आया है।

आज महिला स्वतंत्र रूप से किसी भी आंदोलन, संस्था एवं संगठन से अपने आप को जोड़ सकती है। महिलाओं की विचारधारा में इस प्रकार के परिवर्तन अनेक महिला स्थिति सुधारक आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही संभव हो पाये हैं। आज महिला पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित की जाती हैं तथा इसके साथ ही महिला सभाओं एवं गोष्ठियों का भी संचालन किया जा रहा है जिसका प्रभाव महिला की स्थिति पर पूर्ण रूप से सकारात्मक पड़ रहा है।

विभिन्न महिला आंदोलनों ने न केवल महिलाओं की स्थिति सुधार में ही भूमिका निभाई है, बल्कि इन आंदोलनों के आधार पर समाज में अनेक परिवर्तन भी आये हैं, अतः महिला आंदोलन सामाजिक परिवर्तन का भी एक उपागम रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 5.
भारत में कृषक आंदोलन की भूमिका का वर्णन करो।
अथवा
कृषक आंदोलन पर एक नोट लिखिए।
अथवा
किसान आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
अथवा
किसान आंदोलन की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कृषक या किसान आंदोलनों का संबंध किसानों तथा कृषि कार्यों के बीच पाए जाने वाले संबंधों से है। जब कृषि कार्यों को करने वालों तथा भूमि के मालिकों के बीच तालमेल ठीक नहीं बैठता तो कृषि करने वाले आंदोलनों का रास्ता अपना लेते हैं तथा यहीं से किसान आंदोलन की शुरुआत होती है। असल में यह आंदोलन किसानों के शोषण के कारण होते हैं। इनका मूल आधार वर्ग संघर्ष है तथा यह श्रमिक आंदोलन से अलग हैं।

डॉ० तरुण मजूमदार ने इसकी परिभाषा देते हुए कहा है कि, “कृषि कार्यों से संबंधित हरेक वर्ग के उत्थान तथा शोषण मुक्ति के लिए किए गए साहसी प्रयत्नों को कृषक आंदोलन की श्रेणी में रखा गया है।” इन आंदोलनों का महत्त्वपूर्ण आधार कृषि व्यवस्था होती है। भूमि व्यवस्था की विविधता तथा कृषि संबंधों ने खेतीहार वर्गों के बीच एक विस्तृत संरचना का विकास किया है। यह संरचना अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रही है। भारत में खेतीहार वर्ग को तीन भागों में बांट सकते हैं-

  • मालिक (Owner)
  • किसान (Farmer)
  • मज़दूर (Labourer)

मालिक को भूमि का मालिक या भूपति भी कहते हैं। संपूर्ण भूमि का मालिक यही वर्ग होता है जिस पर खेती का ार्य होता है। किसान का स्थान भूपति के बाद आता है। किसान वर्ग में छोटे-छोटे भूमि के टुकड़ों के मालिक तथा ‘श्तकार होते हैं। यह अपनी भूमि पर स्वयं ही खेती करते हैं। तीसरा वर्ग मज़दूर का है जो खेतों में काम करके वेका कमाता है। इस वर्ग में भूमिहीन, कृषक, ग़रीब काश्तकार तथा बटईदार आते हैं। किसान आंदोलन अनेकों कारणों की वजह से अलग-अलग समय पर शुरू हुए।

औद्योगीकरण के कारण जब हार मज़दूरों की जीविका पर असर पड़ता है तो आंदोलनों की मदद से खेतीहार मज़दूर विरोध करते हैं। इसके थ ही खेती से संबंधित चीज़ों के दाम बढ़ने, मालिकों द्वारा ज्यादा लाभ प्राप्त करने के लिए विशेष प्रकार की खेती रवाना, अधिकारियों की नीतियां तथा शोषण की आदत का पाया जाना, खेतीहार मज़दूरों को बंधुआ मज़दूर रख र उनसे अपनी मर्जी का कार्य करवाना आदि ऐसे कारण रहे हैं जिनकी वजह से कृषक आंदोलन शुरू हुए।

किसान आंदोलनों की शुरुआत-19वीं शताब्दी से इन आंदोलनों की शुरुआत की गई थी जब अंग्रेज़ सरकार ने पने आपको कृषि व्यवस्था के साथ जोड़ा। 19वीं शताब्दी में ही अंग्रेजों के विरुद्ध संथाल विद्रोह हुआ। 1875 साहूकारों के दंगे, अवध विद्रोह तथा पंजाब में साहूकारों के विरोध में किसानों के संघर्ष ने किसान आंदोलन का प ले लिया। 1917-18 में गांधी जी ने किसानों तथा श्रमिकों के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया। 1923 किसान संगठनों तथा कृषक श्रम संघों का निर्माण हुआ।

उत्तर प्रदेश, बंगाल तथा पंजाब में किसान सभाओं का कास हुआ। गुजरात में 1928-29 में तथा 1930-31 में किसानों तथा श्रमिकों के बीच संघर्ष हुआ। पहला र्ष सरदार पटेल की मदद से किया गया जिस वजह से सरकार को उनकी मांगों को मानना पड़ा था। 1937 से लेकर 46 तक के समय में जागीरदार, ज़मींदार तथा बड़े भूपतियों के विरुद्ध अनेक आंदोलन शुरू किए गए। मैसूर तथा कसान आंदोलन, राजाओं, महाराजाओं तथा स्थानीय ठाकुरों के विरुद्ध हुए। उड़ीसा, उदयपुर, ग्वालियर जयपुर में हुए आंदोलन भारतीय कृषक आंदोलन के इतिहास में महत्त्वपूर्ण आंदोलन रहे हैं।

आजादी के बाद भी सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद भी कृषकों तथा कृषि श्रमिकों की समस्याएं कोई कम नहीं हो पाई हैं जिसके परिणामस्वरूप देश के अलग-अलग भागों में कृषक आंदोलनों की संख्या बढ़ी है। हैदराबाद तेलंगाना जिले में अखिल भारतवर्षीय किसान सभा ने आज़ादी की प्राप्ति के दौरान संघर्ष किया।

इसके साथ ही और अनेकों आंदोलन जैसे बिहार कृषक आंदोलन, उत्तर प्रदेश कृषक आंदोलन, दक्षिण भारत कृषक आंदोलन, बंगाल कृषक आंदोलन, महाराष्ट्र कृषक आंदोलन, राजस्थान कृषक आंदोलन मुख्य रहे हैं। इन सब आंदोलनों का उद्देश्य किसानों के हितों की रक्षा करना तथा शोषण का विरोध करना था। इन आंदोलनों का एकमात्र उद्देश्य किसानों को शोषण मुक्त करना तथा सामाजिक व आर्थिक न्याय दिलवाना रहा है।

प्रश्न 6.
कामगारों के आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
कामगारों का आंदोलन तथा कृषक आंदोलन वर्ग पर आधारित दो महत्त्वपूर्ण आंदोलन रहे हैं। भारतवर्ष में कारखानों के आधार पर उत्पादन सन् 1860 से प्रारंभ हुआ था। औपनिवेशिक शासन काल में यह व्यापार का एक सामान्य तरीका था जिसमें कच्चे माल का उत्पादन भारतवर्ष में किया जाता था।

कच्चे माल से वस्तुएं निर्मित की जाती थीं तथा उन्हें उपनिवेश में बेचा जाता था। प्रारंभिक काल में इन कारखानों को बंदरगाह वाले शहरों जैसे बंबई एवं कलकत्ता में स्थापित किया गया तथा उसके पश्चात धीरे-धीरे यह कारखाने मद्रास इत्यादि बड़े शहरों में भी स्थापित कर दिए गए।

औपनिवेशक काल के प्रारंभ में सरकार ने मजदूरों के कार्यों एवं वेतन को लेकर किसी भी प्रकार की कोई योजना नहीं बनाई थी जिसके फलस्वरूप उस काल में मज़दूरी बहुत सस्ती थी। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ कामगारों ने अपने शोषण को देखते हुए सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया था अर्थात् मज़दूर संघ भी विकसित हुए लेकिन विरोध पहले से ही प्रारंभ हो चुका था। देश में कुछ एक राष्ट्रवादी नेताओं ने उपनिवेश विरोधी आंदोलनों में मज़दूरों को भी शामिल करना प्रारंभ कर दिया था।

देश में युद्ध के समय उद्योगों का बड़े स्तर पर विकास तो हुआ लेकिन इसके साथ ही साथ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो गई जिससे लोगों को खाने की भी कमी हो गई। परिणामस्वरूप हड़तालें होने लगी तथा बड़े-बड़े उद्योग एवं मिलें बंद हो गईं जैसे बंबई की कपड़ा मिल, कलकत्ता में पटसन कामगारों ने भी अपना काम बंद कर दिया। इसी तरह अहमदाबाद की कपड़ा मिल के कामगारों ने भी 50% वेतन वृद्धि की माँग को लेकर अपना काम बंद कर दिया।

कामगारों के इस विरोध को देखते हुए अनेक मज़दूर संघ स्थापित हुए। देश में पहला मजदूर संघ सन् 191 में बी० पी० वाडिया के प्रयास से स्थापित हुआ। उसी वर्ष महात्मा गांधी ने भी टेक्साइल लेबर एसोसिएशन (र्ट एल० ए०) की भी स्थापना की। इसी तर्ज पर सन् 1920 में बंबई में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (All Inc Trade Union Congress), (ए० आई० ई० टी० सी०, एटक) की स्थापना भी की गई। एटक संगठन के सा विभिन्न विचारधाराओं वाले लोग संबंधित हुए जिसमें साम्यवादी विचारधारा मुख्य थी और इन विचारधाराओं वे समर्थक राष्ट्रवादी नेता जैसे लाला लाजपत राय तथा पं० जवाहर लाल नेहरू जैसे लोग भी शामिल थे।

एटक एक ऐसा संगठन उभर कर सामने आया जिसने औपनिवेशिक सरकार को मज़दूरों के प्रति व्यवहार को लेकर जागरूक कर दिया तथा फलस्वरूप कुछ रियासतों के आधार पर मज़दूरों में पनपे असंतोष को कम करने क प्रयास किया। इसके साथ ही सरकार ने सन् 1922 में चौथा कारखाना अधिनियम पारित किया जिसके अंतर्गत मज़दूरों की कार्य अवधि को घटाकर दस घंटे तक निर्धारित कर दिया। सन् 1926 में मजदूर संघ अधिनियम के तहत मजदूर संघों के पंजीकरण का भी प्रावधान किया गया। ब्रिटिश शासन काल के अंत तक कई संघों की स्थापन हो चुकी थी तथा साम्यवादियों ने एटक पर काफी नियंत्रण भी पा लिया था।

राष्ट्रीय स्तर पर कामगार वर्ग के आंदोलन के फलस्वरूप स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् क्षेत्रीय दलों ने भी अपने स्व के कई संघों का निर्माण करना प्रारंभ कर दिया। सन् 1966-67 जो कि अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर था उत्पादन एवं रोजगार दोनों में कमी आई जिसके परिणामस्वरूप सभी ओर (असंतोष ही असंतोष था)।

इसके उदाहरण सामने थे जैसे 1974 में रेल कर्मचारियों की बहुत बड़ी हड़ताल, 1975-77 में आपात्काल के दौ सरकार ने मज़दूर संघों की गतिविधियों पर रोक लगा दी। धीरे-धीरे भूमंडलीकरण के प्रभाव के परिणामस्व कामगारों की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन हो रहे हैं जोकि कामगारों की स्थिति में सुधारात्मक परिवर्तन हैं। इन सुधारात्मक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप ही देश की अर्थव्यवस्था को एक मज़बूत आधार मिल सकता है।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संबंधित आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन दें।
अथवा
पर्यावरण आंदोलनों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण आंदोलनों के अर्थ की व्याख्या करें।
अथवा
किसी पर्यावरणीय आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय आंदोलनों के बारे में जानने से पहले हमें पारिस्थितिकी का अर्थ जान लेना आवश्यक है। पारिस्थितिकी विज्ञान की वह शाखा है जो जीवन की किस्मों की एक-दूसरे के साथ और अपने आस-पास के साथ संबंधों के बारे में संबंधित है। पारिस्थितिकी पर्यावरण क्षेत्र में किसी भी एक संतुलित व्यवस्था की स्थिति को दिखलाती है। किसी भी पर्यावरण में जितनी भी वस्तुएं सजीव या निर्जीव होती हैं वे एक-दूसरे से संयोग करती हैं जिससे एक संतुलित व्यवस्था बनी रहती है।

आधुनिक समय में विकास पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है। विकास की बढ़ती माँग के कारण प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण एवं अनियंत्रित उपयोग के कारणों के फलस्वरूप विकास के ऐसे प्रतिमान पर चिंता प्रकट की जा रही है। वर्तमान समय में यह माना जाता रहा है कि विकास से सभी वर्गों के लोगों को लाभ पहुंचेगा परंतु वास्तव में बड़े-बड़े उद्योग धंधे कृषकों को उनकी आजीविका तथा घरों दोनों से दूर कर रहे हैं। उद्योगों के उत्तरोत्तर विकास के बढ़ने के कारण औद्योगिक प्रदूषण जैसी भयंकर समस्या सामने आ रही है।

औद्योगिक प्रदूषण प्रभाव को देखते हुए इससे बचाव कैसे किया जा सकता है। इसके लिए अनेक पारिस्थितिकीय आंदोलन शुरू हुए। न आंदोलनों में चिपको आंदोलन मुख्य आंदोलन रहा है। चिपको आंदोलन हिमालय की तलछटी में पारि दोलन का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। यह आंदोलन लोगों की विचारधाराओं एवं मिश्रित हितों का एक ज्वलंत हरण है। सन् 1970 में अनपेक्षित भारी वर्षा के कारण बाढ़ आ गई जिससे अलकनंदा घाटी की 100 वर्ग लोमीटर भूमि पानी में डूब गई। इस बाढ़ के कारण सैंकड़ों घर, व्यक्ति तथा पशु पानी में बह गए।

जान-माल की यधिक तबाही के कारण पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया। इसी दौरान गाँववासी जिन्होंने बाढ़ की मार को झेला था वनों ‘ अंधाधुंध कटाई, भूस्खलन एवं बाढ़ के बीच संबंध को धीरे-धीरे समझने लगे। गाँववासियों ने देखा कि जो गाँव न जंगलों के अधिक समीप थे जिन वनों की कटाई कर दी गई थी वो भूस्खलन से अधिक प्रभावित हुए, उन गाँवों। अपेक्षा जो कटाई रहित वनों के समीप थे।

इस प्रकार बाढ़ के प्रभाव को देखते हुए गाँववासियों ने वनों की कटाई को रोकने के लिए आवाज़ उठानी शुरू र दी। प्रारंभिक विरोधों के बावजूद भी सरकार ने जंगलों की वार्षिक नीलामी कर दी। इस आंदोलन में गांववासियों एकता का सबूत दिया। जब ठेकेदार के आदमी अपने उपकरणों सहित जंगल की कटाई के लिए जा रहे थे तो गांव ‘महिलाओं ने इसका विरोध किया तथा मजदूरों से कटाई कार्य न शुरू करने की प्रार्थना की। शुरू में तो उन्हें काफ़ी ‘स्कार भी सहना पड़ा लेकिन अंततः मज़दूर लोगों को खाली हाथ ही वापिस जाना पड़ा। चिपको आंदोलन की तरह ही कई पारिस्थितिकीय आंदोलन विकसित हुए जिनका एकमात्र उद्देश्य पर्यावरण कोण रहित बनाना रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. जनसंचार के साधनों को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
(A) तीन
(B) चार
(C) पाँच
(D) छः।
उत्तर:
तीन।

2. इनमें से कौन-सा जनसंचार का साधन है?
(A) मुद्रित संचार
(B) विद्युत् संचार
(C) श्रव्य-दृश्य संचार
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

3. इनमें से किसे मुद्रित संचार में शामिल कर सकते हैं?
(A) समाचार-पत्र
(B) मैगज़ीन
(C) जर्नल
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

4. इनमें से कौन-सा विद्युत् संचार का मुख्य साधन है?
(A) रेडियो
(B) टी० वी०
(C) a + b दोनों
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
a + b दोनों।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

5. इनमें से कौन-सा श्रव्य-दृश्य संचार का मुख्य साधन है?
(A) समाचार-पत्र
(B) सिनेमा
(C) रेडियो
(D) मैगज़ीन।
उत्तर:
सिनेमा।

6. भारत में कितने रेडियो स्टेशन हैं?
(A) 200
(B) 225
(C) 208
(D) 216
उत्तर:
208.

7. भारत में दूरदर्शन प्रसारण कब शुरू हुआ था?
(A) 1959
(B) 1957
(C) 1961
(D) 1963
उत्तर:
1959.

8. दूरदर्शन तथा आकाशवाणी कब अलग हुए थे?
(A) 1974
(B) 1976
(C) 1978
(D) 1980
उत्तर:
1976

9. टी० वी० का आविष्कार किसने किया था?
(A) गुटेनवर्ग
(B) ग्राहम बैल
(C) जान लोगी बर्ड
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
जान लोगी बर्ड।

10. भारत में पिन कोड सुविधा कब शुरू हुई थी?
(A) 1980
(B) 1972
(C) 1976
(D) 1974
उत्तर:
1972

11. किस प्रदेश में सबसे अधिक समाचार-पत्र प्रकाशित होते हैं?
(A) पंजाब
(B) राजस्थान
(C) उत्तर प्रदेश
(D) महाराष्ट्र।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश।

12. भारत में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ था?
(A) 1923
(B) 1925
(C) 1927
(D) 1930
उत्तर:
1923

13. संस्कृति में आने वाले परिवर्तन को क्या कहते हैं?
(A) सांस्कृतिक परिवर्तन
(B) सांस्कृतिक आधुनिकता
(C) आधुनिक संस्कृति
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
सांस्कृतिक परिवर्तन।

14. उस संस्कृति को क्या कहते हैं जो किसी विशेष क्षेत्र में फैली हो?
(A) प्रादेशिक संस्कृति
(B) सांस्कृतिक अपदर्श
(C) स्थानीय संस्कृति
(D) विश्वव्यापी संस्कृति।
उत्तर:
स्थानीय संस्कृति।

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15. इनमें से कौन-सा जनसंचार का कार्य है?
(A) संसार में घट रही घटनाओं की जानकारी देना
(B) प्रशासन की जानकारी देना
(C) सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की जानकारी देना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार के माध्यमों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
अथवा
जनसंचार के कितने प्रकार हैं?
अथवा
वर्तमान समय में कितने प्रकार का जनसंचार पाया जाता है?
अथवा
संचार माध्यम में जनसंचार के साधन कौन-से हैं?
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  • मुद्रित संचार
  • विद्युत् संचार
  • श्रव्य-दृश्य संचार।

प्रश्न 2.
मुद्रित संचार में क्या-क्या शामिल होता है?
अथवा
मुद्रित संचार क्या है?
उत्तर:
मुद्रित संचार में समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, जर्नल (Journals) इत्यादि शामिल होते हैं।

प्रश्न 3.
विद्युत् संचार के कौन-कौन से प्रमुख साधन हैं?
उत्तर:
विद्युत् संचार के प्रमुख साधन आकाशवाणी तथा दूरदर्शन हैं। इनसे संबंधित रेडियो तथा टी० वी० संचार भी इसमें शामिल होते हैं।

प्रश्न 4.
श्रव्य-दृश्य का कौन-सा प्रमुख साधन है?
उत्तर:
श्रव्य-दृश्य संचार का प्रमुख साधन फिल्में हैं चाहे वह फीचर फिल्म हो या दस्तावेजी फिल्म हो।

प्रश्न 5.
जनसंचार कौन-सा कार्य करता है?
उत्तर:
जनसंचार का प्रमुख कार्य सूचना के प्रसारण का होता है।

प्रश्न 6.
प्रसार भारती का गठन कब हआ था?
उत्तर:
1997 में प्रसार भारती अधिनियम पारित करके प्रसार भारती का गठन हुआ था।

प्रश्न 7.
भारत में कितने समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं?
उत्तर:
भारत में 52,000 के करीब समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं।

प्रश्न 8.
भारत में कितने रेडियो स्टेशन हैं?
उत्तर:
भारत में इस समय 208 रेडियो स्टेशन हैं।

प्रश्न 9.
आजकल कार्यक्रमों का प्रसारण किस माध्यम से होता है?
उत्तर:
आजकल कार्यक्रमों का प्रसारण कंप्यूटर तथा उपग्रहों के माध्यम से होता है।

प्रश्न 10.
भारत में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
भारत में रेडियो प्रसारण 1923 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 11.
भारत में चलती-फिरती फिल्में कब बननी शुरू हुई थीं?
उत्तर:
भारत में चलती-फिरती फिल्में 1912-13 में शुरू हुई थीं।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय फिल्म विकास लिमिटेड का गठन कब हुआ था?
उत्तर:
राष्ट्रीय फिल्म विकास लिमिटेड का गठन 1975 में हुआ था।

प्रश्न 13.
जनसंचार क्या होता है?
अथवा
जनसंचार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जनसंचार दो शब्दों जन तथा संचार को मिला कर बना है। जन का अर्थ है जनता तथा संचार का अर्थ है प्रसार या फैलाव। इस तरह जनसंचार वह प्रक्रिया है जिसमें जनता तक सूचना का प्रसारण आधुनिक माध्यमों से होता है जैसे कि उपग्रह, कंप्यूटर, टी० वी० रेडियो इत्यादि।

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प्रश्न 14.
जनसंचार के प्रसारण के माध्यमो के नाम बताओ।
अथवा
जनसंचार के एक साधन का नाम लिखें।
उत्तर:
जनसंचार के प्रसारण के माध्यम रेडियो, टी० वी०, समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, फिल्में, इंटरनेट, टेलीफोन, त्यादि हैं।

प्रश्न 15.
जनसंचार के माध्यमों को कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों को तीन भागों में बाट सकते हैं-

  • मुद्रित संचार
  • विद्युत् संधार
  • श्रव्य-दृश्य संचार।

प्रश्न 16.
सबसे पहले भारत में कौन-सा अखबार प्रकाशित हुआ था?
उत्तर:
सबसे पहले 1882 में भारत में बांबे समाचार प्रकाशित हुआ था।

प्रश्न 17.
मनोरंजन क्रांति क्या होती है?
उत्तर:
सूचना तकनीक में क्रांति की वजह से मनोरंजन के क्षेत्र में जो क्रांति हुई है उसे मनोरंजन क्रांति कहते हैं। अब टी० वी० कंप्यूटर तथा दूरदर्शन एक साथ जुड़ गए हैं जिस वजह से आम लोगों के जीवन के विभिन्न पक्षों में परिवर्तन आ रहे हैं। इंटरनेट जोकि मनोरंजन का एक साधन है ने दुनिया को जोड़ कर या छोटा कर के रख दिया है।

प्रश्न 18.
सांस्कृतिक आधुनिकीकरण क्या होता है?
उत्तर:
संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों को हम सांस्कृतिक आधुनिकीकरण कहते हैं। आज रहन-सहन, खाने पीने, कपड़ों, मनोरंजन, परिवार, संस्थाओं हर जगह परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। यह सब सांस्कृतिक आधुनिकीकरण है क्योंकि यह सब हमारी संस्कृति का हिस्सा है।

प्रश्न 19.
जनसंवाद क्या होता है?
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसकी मदद से सूचनाएं बहुत से लोगों तक पहुँचाई जाती हैं वह जनसंवाद होता है।

प्रश्न 20.
जनसंवाद तथा जनसंचार में क्या भिन्नता है?
उत्तर:
जनसंवाद वह प्रक्रिया है जिसकी मदद से बहुत-से लोगों तक सूचनाएं पहुँचाई जाती हैं पर जनसंचार इन सूचनाओं को लोगों तक पहुँचाने का एक माध्यम है।

प्रश्न 21.
स्थानीय संस्कृति क्या होती है?
उत्तर:
वह संस्कृति किसी निश्चित सीमा के भीतर होती है या अगर किसी संस्कृति का फैलाव किसी भौगोलिक क्षेत्र की निश्चित सीमा के अंदर रहता है तो उसे स्थानीय संस्कति कहते हैं।

प्रश्न 22.
टेलीविज़न किस प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करता है?
उत्तर:
टेलीविज़न राष्ट्रीय स्तर के, प्रादेशिक स्तर के तथा स्थानीय स्तर के कार्यक्रम प्रसारित करता है।

प्रश्न 23.
भारत में दूरदर्शन का प्रसारण कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
भारत में दूरदर्शन का प्रसारण 1959 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 24.
न तथा आकाशवाणी कब अलग हुए थे?
उत्तर:
दूरदर्शन तथा आकाशवाणी 1976 में बने थे।

प्रश्न 25.
PIN-CODE का पूरा अर्थ बताएं।
उत्तर:
PIN-CODE का पूरा अर्थ है Postal Index Number Code जो कि चिट्ठियों पर प्रयोग होता है।

प्रश्न 26.
टेलीविज़न की खोज किसने तथा कब की थी?
उत्तर:
जान लोगी बेयर्ड ने 1925 में टेलीविज़न का आविष्कार किया था।

प्रश्न 27.
पिन कोड की सेवा किस वर्ष में शुरू हुई थी?
उत्तर:
पिन कोड की सेवा 1972 में शुरू हुई थी।

प्रश्न 28.
किस राज्य में सबसे ज्यादा अखबार छपते हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अखबार छपते हैं।

प्रश्न 29.
देश में छपने वाले किन्हीं दस प्रमुख समाचार-पत्रों के नाम बताएं।
उत्तर:

  1. पंजाब केसरी
  2. दैनिक भास्कर
  3. नवभारत टाइम्स
  4. हिंदुस्तान टाइम्स
  5. अमर उजाला
  6. हिंदुस्तान
  7. दि ट्रिब्यून
  8. टाइम्स ऑफ़ इंडिया
  9. दैनिक जागरण
  10. इक्नामिक टाइम्स।

प्रश्न 30.
इंटरनेट का पत्रकारिता के संसार पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
इंटरनेट के कारण पत्रकारिता का संसार सिमट कर छोटा-सा रह गया है। इंटरनेट की सहायता से कुछ ही क्षणों में संसार के एक हिस्से की ख़बरें दूसरे हिस्से तक पहुँच जाती हैं। पत्रकार इंटरनेट की सहायता से किसी से भी सीधी बात कर सकते हैं तथा गोष्ठियाँ तक आयोजित करवा सकते हैं।

प्रश्न 31.
किसी प्रमुख समाचार-पत्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
द ट्रिब्यून, द हिन्दुस्तान टाइम्स भारत के प्रमुख समाचार-पत्र हैं।

प्रश्न 32.
किसी हिंदी समाचार-पत्र का नाम बताएँ।
अथवा
किन्हीं दो हिंदी समाचार-पत्रों के नाम बताएँ।
उत्तर:
पंजाब केसरी, अमर उजाला हिंदी के समाचार-पत्र हैं।

प्रश्न 33.
समाचार-पत्रों के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  1. समाचार-पत्र पढ़ने से हमें सुबह-सुबह ही घर बैठे हुए संसार भर में घटी घटनाओं के बारे में पता चल जाता है।
  2. समाचार-पत्र पढ़ने से हमारे सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 34.
रेडियो के दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  1. कम पैसे में व्यक्ति रेडियो की सहायता से अपना मनोरंजन कर सकता है।
  2. रेडियो की सहायता से किसानों, छात्रों इत्यादि के ज्ञान में वृद्धि होती है क्योंकि रेडियो पर इनके लिए कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।

प्रश्न 35.
दूरदर्शन के कोई दो लाभ बताएँ।
अथवा
टेलीविज़न या दूरदर्शन के कोई दो लाभ लिखिए।
उत्तर:

  1. दूरदर्शन पर किसानों से संबंधित कई कार्यक्रम प्रसारित होते है जिससे वह अपनी कृषि में सुधार कर सकते हैं।
  2. दूरदर्शन की सहायता से लोग घर बैठ कर ही अपना मनोरंजन कर सकते हैं।

प्रश्न 36.
समाचार-पत्र जनसंचार का साधन हैं या नहीं?
उत्तर:
जी हाँ, समाचार-पत्र जनसंचार का साधन हैं।

प्रश्न 37.
‘आज तक’ एक समाचार प्रसारण करने वाला दूरदर्शन चैनल है या नहीं?
उत्तर:
‘आज तक’ एक समाचार प्रसारण करने वाला दूरदर्शन चैनल है।

प्रश्न 38.
दूरदर्शन पर दिए जाने वाले विज्ञापनों के दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  1. इन विज्ञापनों की सहायता से कंपनियां नए उत्पादों को बाजार में उतारती है।
  2. उत्पादों की बिक्री बढ़ती है तथा कंपनियों की आय में बढ़ोत्तरी होती है।

प्रश्न 39.
दूरदर्शन के किसी एक न्यूज़ चैनल का नाम बताएँ।
उत्तर:
आज तक, स्टार न्यूज़, इंडिया टी. वी. इत्यादि न्यूज़ चैनलों के नाम हैं।

प्रश्न 40.
मोबाइल फोन के दो उपयोग बताएँ।
उत्तर:

  1. इससे हम दर-दर तक बात कर सकते हैं।
  2. इसे कहीं पर भी लेकर जाया जा सकता है।

प्रश्न 41.
समाचार-पत्र किस प्रकार के जनसंचार से संबंधित है?
उत्तर:
समाचार-पत्र मुद्रित जनसंचार से संबंधित है।

प्रश्न 42.
भारत की संपर्क भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
अंग्रेजी (English) भारत की संपर्क भाषा है।

प्रश्न 43.
रेडियो कौन-से प्रकार के जनसंचार से संबंधित है?
उत्तर:
रेडियो विद्युत् जनसंचार से संबंधित है।

प्रश्न 44.
दूरदर्शन (टलीविज़न) कौन-से प्रकार के जन-संचार से संबंधित है?
उत्तर:
दूरदर्शन (टेलीविज़न) जन-संचार के विद्युत् संचार से संबंधित है।

प्रश्न 45.
मुद्रित संचार क्या है?
उत्तर:
छपे हुए संचार माध्यमों को मुद्रित संचार कहा जाता है। उदाहरण के लिए समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं।

प्रश्न 46.
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में कितने रेडियो स्टेशन थे?
उत्तर:
उस समय भारत में 6 रेडियो स्टेशन थे।

प्रश्न 47.
दि सिविल एंड मिलिटी गज़ट कब प्रकाशित हुआ?
उत्तर:
1872 में।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार के कार्यों के बारे में बताओ।
उत्तर:
जनसंचार के कार्य निम्नलिखित हैं-

  • मीडिया दुनिया में हो रही सभी गतिविधियों की जानकारी तथा घट रही घटनाओं की सूचना लोगों तक पहुँचाता है।
  • मीडिया शासन संबंधी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाता है।
  • मीडिया सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों, संसद् तथा विधानमंडलों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सूचना लोगों तक पहुँचाता है।
  • दुनिया भर में हो रहे खेलों का आँखों देखा हाल मीडिया की वजह से ही लोगों तक पहुँचता है।
  • टी० वी० पर ही पश्चिमी शिक्षा, तौर-तरीकों, रहने-सहने के ढंगों का प्रसार होता है।
  • मीडिया यह सब करने के साथ-साथ लोगों को उनके अधिकारों तथा कर्तव्य के बारे में भी बताता है।

प्रश्न 2.
जनसंचार के माध्यमों के लोगों पर क्या ग़लत प्रभाव पड़ रहे हैं?
उत्तर:
जनसंचार के लोगों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ रहे हैं-

  • कंपनियां अपने उत्पादन बेचने के लिए महिलाओं की अश्लीलता का उपयोग जनसंचार के माध्यमों से करती हैं।
  • जनसंचार लोगों से असलियत छुपा कर गलत तसवीर भी लोगों के सामने पेश करता है।
  • जनसंचार के माध्यम लोगों को खासकर युवाओं को सपनों की दुनिया में ले जाते हैं तथा असलियत से दूर कर देते हैं।
  • जनसंचार के माध्यम समाज का ध्यान जीवन की रचनात्मक तथा गंभीर वस्तुओं से दूर कर देते हैं।

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प्रश्न 3.
शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का क्या योगदान है?
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। दिल्ली दूरदर्शन पर हमेशा U.G.C. के कार्यक्रम चलते रहते हैं जहां से लगातार बच्चों तथा युवाओं को शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा बच्चों के लिए भी हमेशा शिक्षा कार्यक्रम चलते रहते हैं। U.G.C. हमेशा उच्च शिक्षा के कार्यक्रम आयोजित करती रहती है ताकि युवाओं को इनके बारे में जानकारी दी जा सके तथा इन सभी कार्यक्रमों का प्रसारण दूरदर्शन पर होता है।

दूरदर्शन के अलावा अब Discovery Channel, National Geographic Channel तथा History Channel भी चल रहे हैं जहां पर हमेशा लोगों को शिक्षित करने के लिए ज्ञानवर्धक कार्यक्रम चलते रहते हैं। History Channel पर तो हमेशा ही दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के इतिहास का विवरण दिया जाता है जो कि युवाओं, बच्चों तथा इतिहास पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है।

इस तरह अखबारें, पत्रिकाएं भी बच्चों तथा युवाओं का ज्ञान बढ़ाने में काफी मददगार साबित होती हैं। इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का काफ़ी महत्त्वपूर्ण योगदान है। यहां तक कि स्कूलों या कालेजों में रेडियो या टी०वी० पर आ रहे शिक्षावर्धक कार्यक्रमों को विदयार्थियों को सुनाया या दिखाया जाता है ताकि वह कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकें।

प्रश्न 4.
जनसंचार के माध्यमों का वर्णन करें।
अथवा
जनसंचार माध्यम क्या है?
अथवा
विभिन्न प्रकार के जनसंचार की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
लोगों को मनोरंजन प्रदान करने तथा देश की जनता को सूचना पहुंचाने में जनसंचार के माध्यमों का काफ़ी बड़ा हाथ होता है। जनसंचार के माध्यम देश में कोई लहर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जनसंचार के माध्यमों को हम तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं-मुद्रित संचार, विद्युत् संचार तथा श्रव्य-दृश्य संचार। मुद्रित संचार में अखबारें तथा पत्रिकाएं आती हैं। अखबारें तथा पत्रिकाएं लोगों को हर सुबह यह बता देती हैं कि कल सारी दुनिया में क्या तथा किस तरह हुआ।

इनको पढ़कर सुबह ही व्यक्ति सारी दुनिया को जान लेता है। विद्युत् संचार में टेलीविज़न तथा रेडियो आते हैं। इन दोनों पर हम कई प्रकार के कार्यक्रम देख तथा सुन सकते हैं जिनसे हमारा ज्ञान बढे। इन दोनों पर बहत से मनोरंजन के कार्यक्रम भी आते हैं जिससे हमारा खाली समय पास हो जाता है।

श्रव्य दृश्य संचार में फिल्में आती हैं जो लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनको कई प्रकार की शिक्षा भी प्रदान करती हैं। जनसंचार के इन माध्यमों से ऐसा लगता है कि जैसे सारी दुनिया हमारे हाथों में है हम कभी भी इनको छू सकते हैं। यह जनसमर्थन जुटाने का सबसे बढ़िया साधन है। अगर यह माध्यम चाहे तो देश की सरकार तक को उल्ट सकते हैं।

प्रश्न 5.
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं से सामाजिक परिवर्तन कैसे होता है?
उत्तर:
यह सच है कि समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। वास्तव में समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं लोगों की सोई हुई भावनाओं को जगाती है। समाचार-पत्रों में रोजाना की देश-विदेश की खबरें, कई प्रकार के लेख इत्यादि छपते रहते हैं। इन्हें पढ़ कर लोगों में जागृति पैदा होती है। स्वतंत्रता से पहले बहुत-से नेताओं ने समाचार पत्रों की सहायता से जनता की सोई हुई भावनाओं को जगाया तथा उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

स्वतंत्रता के बाद प्रेस को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा वह सरकार की गलत नीतियों को उजागर करने लगी। इससे भी जनता सरकारों को बदलने के लिए बाध्य हुई। इससे सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस प्रकार पत्रिकाएं भी समय-समय पर अलग-अलग मुद्दों पर जनता की भावनाओं को जगाकर सामाजिक परिवर्तन लाने का प्रयास करती रहती है।

प्रश्न 6.
दूरदर्शन से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन हो रहे हैं?
अथवा
भारतीय समाज पर जनसंचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दूरदर्शन से भारतीय समाज में जन संचार में एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित हुआ है। इसकी शुरुआत एक प्रयोग के रूप में 1959 में दिल्ली से की गई। टेलीविज़न के कार्यक्रमों में साक्षात्कार किसी समस्या या घटना के ऊपर विचार-विमर्श करना तथा वृत्त चित्रों का महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके अतिरिक्त नृत्यु, नाटक, संगीत, समाचार इत्यादि को भी दिखाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, दीवाली इत्यादि के कार्यक्रम भी इस पर दिखाए जाते हैं।

इसके साथ ही दूरदर्शन के प्रसारण के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रमों को भी बनाया जाता है जिसमें यातायात संबंधी नियमों की जानकारी देना, नगर नियोजन संबंधी नियमों से अवगत कराना, स्वास्थ्य समुदायों तथा खानपान में की जाने वाली मिलावट जैसी समस्याओं के बारे में बताया जाता है। खबरों की सहायता से जनता को अलग-अलग मुद्दों की जानकारी दी जाती है। इस प्रकार दूरदर्शन से जनता को जगाकर सामाजिक परिवर्तन लाया जा रहा है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में विद्युत् संचार के माध्यमों का वर्णन करें।
अथवा
इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम पर नोट लिखें।
अथवा
रेडियो के प्रसारण के संबंध में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
विद्युत् अर्थात् बिजली। विद्युत् संचार का अर्थ है बिजली से चलने वाले संचार के साधन। अब हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि विद्युत् संचार में कौन-कौन से माध्यम होंगे। विद्युत् संचार के दो प्रमुख माध्यम हैं रेडियो तथा टी० वी०। इन दोनों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-
(i) रेडियो (आकाशवाणी)-भारत में सबसे पहले रेडियो प्रसारण का कार्यक्रम सन् 1923 में शुरू हुआ था, जब रेडियो क्लब ऑफ बंबई’ द्वारा एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था।

इसके बाद 1927 में प्रयोग के तौर प्राइवेट ट्रांसमीटरों ने भी काम करना शुरू कर दिया था। सरकार ने इन प्राइवेट ट्रांसमीटरों को 1930 में अपने हाथ में ले लिया तथा इसे इंडियन ब्राडकॉस्टिंग सर्विस (Indian Broadcasting Service) के नाम से चलाना शुरू कर दिया था।

सन् 1936 तथा 1957 में इसे आकाशवाणी का नाम दे दिया गया। आज के समय में आकाशवाणी 24 भाषाओं में कार्यक्रम पेश करती है। आकाशवाणी का मुख्य उद्देश्य लोगों के हितों को ध्यान में रख कर कार्य करना है। इस समय भारत में 208 रेडियो स्टेशन कार्य कर रहे हैं। अब तो भारत में बहुत सारे एफ० एम० (F.M.) स्टेशन भी स्थापित हो चुके हैं।

इस समय देश के 90% क्षेत्र में तथा 98% जनसंख्या आकाशवाणी के कार्यक्रम सुन सकती है। 1966 के बाद से तो आकाशवाणी पर ग्रामीणों के लिए भी कार्यक्रम प्रसारित होने लग पड़े हैं। याद रहे 1966 के बाद ही हरित क्रांति आयी थी। अब महिलाओं खासकर ग्रामीण महिलाओं तथा बच्चों के लिए कई तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। इस की वजह से यह उम्मीद की जाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी परिवर्तन आएगा तथा वह आ भी रहा है।

(ii) दूरदर्शन (टलीविज़न)-भारत में टेलीविज़न सबसे पहले 1959 में दिल्ली के आकाशवाणी भवन में प्रयोग के तौर पर चलाया गया। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे दूरदर्शन की सेवा विश्व की संचार की सेवाओं में सबसे बड़ी सेवाओं में से एक है। सबसे पहले दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में तीन दिन होता था। फिर धीरे-धीरे रोज़ाना समाचार प्रणाली शुरू हुई। 1975-76 में भारत में उपग्रह से संबंधित पहला प्रयोग साईट के द्वारा किया गया।

लोगों को सामाजिक शिक्षा देने के लिए तकनीकी मदद से यह पहला प्रयास था। देश में दूसरा टेलीविज़न केंद्र 1972 में खोला गया। 1973 में तो कई स्थानों पर ऐसे केंद्र खोले गए। 1976 में दूरदर्शन को ऑल इंडिया रेडियो (Ali India Radio) से अलग करके अलग विभाग बना दिया गया। रंगीन टी० वी० की शुरुआत सबसे पहले 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई।

1984 में दिल्ली दूरदर्शन के साथ डी० डी० मैट्रो को जोड़ दिया गया। पहले तो मैट्रो सिर्फ दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई में ही दिखाया जाता था पर कुछ समय बाद यह पूरे भारत में दिखाया जाने लगा। 1999 में खेलों के लिए डी० डी० स्पोर्टस (D.D. Sports) नामक खेल चैनल भी शुरू किया गया ताकि दुनिया भर में चल रही खेलों को दिखाया जा सके।

आज भारत में 8 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के पास टेलीविज़न उपलब्ध हैं। इस समय दूरदर्शन देश की 87% आबादी तक तथा 70% भौगोलिक क्षेत्र तक अपने चैनलों को पहँचा चका है। देश के 49 शहरों में तो दरदर्शन के प्रोडक्शन स्टूडियो (Production Studio) हैं। दूरदर्शन से शिक्षा संबंधी कई कार्यक्रम प्रस्तुत होते हैं।

IGNOU के माध्यम से तथा U.G.C. के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए कई कार्यक्रम दूरदर्शन पर चलाए जा रहे हैं। 1995 में दूरदर्शन ने डी० डी० वर्ल्ड नामक एक चैनल चलाया था पर 2002 में इसे डी० डी० इंडिया (D.D. India) का नाम दिया गया।

इनके अतिरिक्त भारत में आज के समय में प्राइवेट चैनलों की भरमार आई हुई है। दूरदर्शन के अलावा सोनी, जी० टी०वी०, मैक्स, स्टार स्पोर्ट्स, स्टार प्लस, ई० एस० पी एन० एवं जी न्यूज, आज तक इत्यादि सैकड़ों ऐसे चैनल हैं जो दिन-रात चल रहे हैं तथा लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।

इस तरह हम कह सकते हैं विद्युत् संचार के साधनों ने देश में काफ़ी उन्नति की है। सरकारी चैनलों के साथ साथ प्राइवेट चैनलों की भी भरमार हो गई है जिसकी वजह से लोगों का विद्युत् संचार के माध्यम से काफ़ी मनोरंजन हो रहा है।

प्रश्न 2.
मुद्रित संचार के विभिन्न माध्यमों का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंचार के विभिन्न माध्यमों में से मुद्रित संचार भी एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। मुद्रित संचार को प्रेस भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं आती हैं। प्रेस रजिस्ट्रार की 2001 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में उस समय 51960 समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं प्रकाशित होती थीं।

इस वर्ष में 5638 दैनिक, 348 सप्ताह में दो या तीन बार प्रकाशित होने वाले, 18582 साप्ताहिक, 6881 पाक्षिक (Fortnightly), 14634 मासिक, 3634 त्रैमासिक, 469 वार्षिक तथा 1774 अन्य पत्र-पत्रिकाएं छप रही थीं। सबसे ज्यादा अखबार या पत्रिकाएं हिंदी भाषा में प्रकाशित होते हैं, फिर अंग्रेज़ी तथा फिर मराठी का नंबर आया। काश्मीरी भाषा को छोड़कर बाकी सभी प्रमुख भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होती हैं।

सबसे ज्यादा अखबार उत्तर प्रदेश में प्रकाशित होते हैं जो कि 8400 के करीब हैं। उसके बाद दिल्ली, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश का नंबर आता है। दैनिक ले में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उसके बाद महाराष्ट्र तथा कर्नाटक का स्थान रहा है। सबसे पुराना अखबार 1882 से छप रहा गुजराती भाषा का बंबई समाचार है।

मुद्रित संचार को आगे बढ़ाने में समाचारों की कई एजेंसियों का प्रमुख हाथ रहा है जिनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (Press Trust of India PTI)-यह समाचार एजेंसी समाचार पत्रों को टेलीप्रिंटर की मदद से समाचार उपलब्ध करवाती है। यह भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी है।

इसका गठन 1947 में हुआ था पर इसने फरवरी, 1949 से कार्य करना शुरू किया था। यह हिंदी तथा अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में अपनी सेवाएं उपलब्ध करवा रही है। इसकी तो अब अपनी ही उपग्रह प्रणाली है जिसकी मदद से यह विभिन्न समाचार पत्रों को समाचार उपलब्ध करवाती है।

(ii) दि रजिस्ट्रार ऑफ़ न्यूजपेपर्स इन इंडिया (The Registrar of Newspapers in India R.N.I.)-समाचार पत्रों को अखबारी कागज़ का आबंटन होता है तथा यह आबंटन इस एजेंसी के द्वारा होता है। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी।

सरकारी कोटे से अखबारी कागज़ लेने के लिए यह ज़रूरी है पत्र, पत्रिकाएं R. N. I. के पास अपना पंजीकरण कराएं तभी उन्हें अखबारी कागज़ उपलब्ध करवाया जाएगा वरना नहीं। इस तरह यह एजेंसी काफी महत्त्वपूर्ण कार्य करती है।

(iii) यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया (United News of India U.N.I.)-यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1961 में हुई थी। विदेशों में तथा भारत में इस एजेंसी के तार फैले हुए हैं। इसके 76 समाचार ब्यूरो हैं जिस वजह से यह एशिया की सबसे बड़ी समाचार एजेंसियों में से एक है। इसने 1981 में पूरी तरह भारतीय भाषा समाचार एजेंसी हिंदी में यूनिवार्ता शुरू की। 1991 में इसने टेलीप्रिंटर की मदद से उर्दू समाचारों के लिए भी उर्दू सेवा शुरू की।

(iv) प्रैस सूचना ब्यूरो (Press Information Bureu P.I.B.)-ब्यूरो सरकार के कार्यक्रमों, नीतियों तथा प्राप्त की गई उपलब्धियों की सूचना देने वाली यह प्रमुख एजेंसी है। इसके मुख्यालय समेत 9 कार्यालय हैं। दिल्ली प्रमुख कार्यालय है। बाकी मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, लखनऊ, कोलकाता, गुवाहटी, भोपाल तथा हैदराबाद में स्थित हैं। इनके हरेक केंद्र में दूरसंचार केंद्र, संवाददाता केंद्र कक्ष तथा कैफेटेरिया इत्यादि हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।

(v) प्रैस काऊंसिल ऑफ़ इंडिया (Press Council of India P.C.I.)-प्रैस परिषद् की स्थापना समाचार पत्रों की आजादी की रक्षा के लिए तथा भारत में समाचार पत्रों तथा एजेंसियों के स्तर को बनाए रखने के लिए तथा उनमें सुधार करने के लिए की गई है। 2000-01 में इसकी 1250 शिकायतें मिली थीं जिनमें से 1175 का निपटारा कर दिया गया था।

प्रश्न 3.
जनसंचार के साधनों ने हमारी संस्कृति को कैसे प्रभावित किया है?
अथवा
जनसंचार तथा सांस्कृतिक परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
जनसंचार तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में क्या संबंध है? संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति प्राचीन परंपराओं, रीति-रिवाजों तथा पुरानी संस्कृति के सभी पक्षों पर आधारित है। यहाँ तक कि आज भी हमारी संस्कृति के ऊपर पुरानी संस्कृति की छाप देखने को मिल जाएगी। पर आज जो जनसंचार के माध्यम हमारे सामने आए हैं उन्होंने हमारी संस्कृति में एक परिवर्तन-सा ला दिया है। हम कह सकते हैं कि हमारी संस्कृति भी जनसंचार के माध्यमों से अछूती नहीं रही है।

हमारी संस्कृति के अलग-अलग हिस्सों के ऊपर जनसंचार का प्रभाव देखने को मिल जाता है। हमारी संस्कृति के आदर्शों, मूल्यों में बहुत तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। संस्कृति के दोनों पक्षों चाहे वह भौतिक हो या अभौतिक दोनों पक्षों में बदलाव आ रहे हैं। आज-कल जनसंचार के माध्यम से बहुत तेजी से सांस्कृतिक परिवर्तन आ रहे हैं।

जनसंचार से संसार में परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। प्रेस समाचार पत्रों द्वारा छोटी-छोटी घटनाओं को इकट्ठा करके लोगों तक पहुँचाती है। आज समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। सुबह उठते ही हम समाचार-पत्र मांगते हैं। समाचार-पत्र सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी लोकप्रिय हो चुके हैं।

चाहे चाय की दुकान हो या कोई और दुकान हर जगह समाचार-पत्र ज़रूर मिल जाएगा। लोकतंत्र का रखवाला हम समाचार-पत्र को कह सकते हैं। समाचार पत्र की मदद से ही लोग अपना विरोध, अपनी इच्छा प्रकट करते हैं। अगर समाचार-पत्र लोगों को किसी चीज़ के बारे में बताते हैं तो वह जनमत तैयार करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रेस तथा टी० वी० न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, जैसा कि आजकल हम देख रहे हैं, बल्कि समाज में सृजनात्मक कार्य भी करते हैं। प्रदूषण, परिवार नियोजन, बाढ़, भूखमरी, सूखा इत्यादि क्षेत्रों में यह लोगों को जगा कर कल्याणकारी कार्य करते हैं।

जनसंचार की मदद से ही स्त्री को पुरुष के बराबर का दर्जा प्राप्त हुआ पत्र तथा पत्रिकाएं लोगों के मनोरंजन का कार्य भी करती हैं। नई-नई कहानियां, किस्से, चुटकले, फिल्मी कहानियाँ इत्यादि इनमें छपता रहता है। इसी तरह टी० वी० पर भी व्यंग्य के धारावाहिक, फिल्में, समाचार खेलों इत्यादि का आनंद लिया जा सकता है।

जनसंचार के आधुनिक माध्यमों ने नई सांस्कृतिक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इनके माध्यम से सांस्कृतिक परिवर्तन भी हो रहे हैं। गाँवों तथा शहरों में एक नए मध्यम वर्ग का जन्म हो रहा है तथा इस मध्यम वर्ग ने हरेक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। पिछड़े वर्गों में एक नई चेतना का उदय हो रहा है।

निम्न जातियों ने भी अपनी रक्षा के लिए आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। शहरों में भी मध्यम वर्ग आगे आया है जो अपनी कुशलता दिखाने की इच्छा रखता है। जनसंचार के साधनों ने अलग-अलग समूहों में संस्कृति के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में मदद की है। आज सिर्फ जनसंचार के माध्यमों के कारण ही दुनिया में अलग-अलग देशों की संस्कृति को देखा तथा ग्रहण किया जा सकता है। इस तरह जनसंचार ने संस्कृति को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।

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प्रश्न 4.
टेलीविज़न के हमारे समाज पर क्या गलत प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
दूरदर्शन के समाज पर क्या-क्या प्रभाव पड़े हैं? वर्णन करें।
अथवा
भारतीय समाज पर दूरदर्शन के दुष्परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर:
आज के आधुनिक समय में जब जनसंचार के सभी माध्यम हमारे जीवन पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव डाल रहे हैं। टेलीविज़न संचार माध्यम से लोगों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करता बल्कि लोगों के जीने तथा सोचने, खाने-पीने, उठने-बैठने आदि हर प्रकार के क्षेत्र पर प्रभाव डाल रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में यह प्रभाव डालने की प्रक्रिया काफ़ी तेज़ है। इस भूमंडलीकरण के समय में टी० वी० का एक गलत रूप भी हमारे सामने आ रहा है।

टी० वी० हमारी संस्कृति को न सिर्फ बदल रहा है बल्कि इस पर हमला भी बोल रहा है। टी० वी० पर पश्चिमी संस्कृति का प्रसार हो रहा है जिससे न सिर्फ हमारी संस्कृति बल्कि हमारा देश भी पतन की तरफ जा रहा है। टी०वी० जोकि जनसंचार का प्रमुख साधन है उसका हमारे बच्चों पर काफी गलत प्रभाव पड़ रहा है।

जब टी० वी० नया-नया आया था उस समय टी० वी० सिर्फ समय बिताने के लिए देखा जाता था पर आज कल के बच्चे, जिन्हें अपना ज्यादातर समय पढ़ाई में लगाना चाहिए, टी० वी० देखने में अपना समय बिता देते हैं। टी० वी० पर नाच चल रहा होता है तो वह भी नाचने लग जाते हैं तथा अगर टी० वी० पर कोई हिंसक दृश्य आ रहा जनसंचार के माध्यम हमारे सामने आए हैं उन्होंने हमारी संस्कृति में एक परिवर्तन-सा ला दिया है। हम कह सकते हैं कि हमारी संस्कृति भी जनसंचार के माध्यमों से अछूती नहीं रही है।

हमारी संस्कृति के अलग-अलग हिस्सों के ऊपर जनसंचार का प्रभाव देखने को मिल जाता है। हमारी संस्कृति के आदर्शों, मूल्यों में बहुत तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। संस्कृति के दोनों पक्षों चाहे वह भौतिक हो या अभौतिक दोनों पक्षों में बदलाव आ रहे हैं। आज-कल जनसंचार के माध्यम से बहुत तेजी से सांस्कृतिक परिवर्तन आ रहे हैं।

जनसंचार से संसार में परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। प्रेस समाचार पत्रों द्वारा छोटी-छोटी घटनाओं को इकट्ठा करके लोगों तक पहुँचाती है। आज समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। सुबह उठते ही हम समाचार-पत्र मांगते हैं। समाचार-पत्र सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी लोकप्रिय हो चुके हैं।

चाहे चाय की दुकान हो या कोई और दुकान हर जगह समाचार-पत्र ज़रूर मिल जाएगा। लोकतंत्र का रखवाला हम समाचार-पत्र को कह सकते हैं। समाचार-पत्र की मदद से ही लोग अपना विरोध, अपनी इच्छा प्रकट करते हैं। अगर समाचार-पत्र लोगों को किसी चीज़ के बारे में बताते हैं तो वह जनमत तैयार करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रेस तथा टी० वी० न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, जैसा कि आजकल हम देख रहे हैं, बल्कि समाज में सृजनात्मक कार्य भी करते हैं। प्रदूषण, परिवार नियोजन, बाढ़, भूखमरी, सूखा इत्यादि क्षेत्रों में यह लोगों णकारी कार्य करते हैं। जनसंचार की मदद से ही स्त्री को पुरुष के बराबर का दर्जा प्राप्त हुआ है।

समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं लोगों के मनोरंजन का कार्य भी करती हैं। नई-नई कहानियां, किस्से, चुटकले, फिल्मी कहानियाँ इत्यादि इनमें छपता रहता है। इसी तरह टी० वी० पर भी व्यंग्य के धारावाहिक, फिल्में, समाचार खेलों इत्यादि का आनंद लिया जा सकता है।

जनसंचार के आधुनिक माध्यमों ने नई सांस्कृतिक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इनके माध्यम से सांस्कृतिक परिवर्तन भी हो रहे हैं। गाँवों तथा शहरों में एक नए मध्यम वर्ग का जन्म हो रहा है तथा इस मध्यम वर्ग ने हरेक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। पिछड़े वर्गों में एक नई चेतना का उदय हो रहा है। निम्न जातियों ने भी अपनी रक्षा के लिए आवाज़ उठानी शुरू कर दी है।

शहरों में भी मध्यम वर्ग आगे आया है जो अपनी कुशलता दिखाने की इच्छा रखता है। जनसंचार के साधनों ने अलग-अलग समूहों में संस्कृति के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में मदद की है। आज सिर्फ जनसंचार के माध्यमों के कारण ही दुनिया में अलग-अलग देशों की संस्कृति को देखा तथा ग्रहण किया जा सकता है। इस तरह जनसंचार ने संस्कृति को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।

प्रश्न 4.
टेलीविज़न के हमारे समाज पर क्या गलत प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
दूरदर्शन के समाज पर क्या-क्या प्रभाव पड़े हैं? वर्णन करें।
अथवा
भारतीय समाज पर दूरदर्शन के दुष्परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर:
आज के आधुनिक समय में जब जनसंचार के सभी माध्यम हमारे जीवन पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव डाल रहे हैं। टेलीविज़न संचार माध्यम से लोगों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करता बल्कि लोगों के जीने तथा सोचने, खाने-पीने, उठने-बैठने आदि हर प्रकार के क्षेत्र पर प्रभाव डाल रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में यह प्रभाव डालने की प्रक्रिया काफ़ी तेज़ है।

इस भूमंडलीकरण के समय में टी० वी० का एक गलत रूप भी हमारे सामने आ रहा है। टी० वी० हमारी संस्कृति को न सिर्फ बदल रहा है बल्कि इस पर हमला भी बोल रहा है। टी० वी० पर पश्चिमी संस्कृति का प्रसार हो रहा है जिससे न सिर्फ हमारी संस्कृति बल्कि हमारा देश भी पतन की तरफ जा रहा है। टी०वी० जोकि जनसंचार का प्रमुख साधन है उसका हमारे बच्चों पर काफी गलत प्रभाव पड़ रहा है।

जब टी० वी० नया-नया आया था उस समय टी० वी० सिर्फ समय बिताने के लिए देखा जाता था पर आज कल के बच्चे, जिन्हें अपना ज्यादातर समय पढ़ाई में लगाना चाहिए, टी० वी० देखने में अपना समय बिता देते हैं। टी० नाच चल रहा होता है तो वह भी नाचने लग जाते हैं तथा अगर टी० वी० पर कोई हिंसक दृश्य आ रहा होता है तो वह भी हिंसक हो जाते हैं।

जवान लोग किसी नामी-गिरामी हीरो का अनुसरण करते हैं उसी की तरह नाचते-गाते हैं। टी० वी० पर कामुक दृश्यों को देखकर उनमें कामुकता की भावना उभर आती है। संचार के इन साधनों से हम अतार्किक तथा गलत रास्ते पर जा रहे हैं।

किसी देश की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखने में संचार माध्यमों का काफ़ी बड़ा योगदान होता है। सांस्कृतिक निरंतरता से संस्कृति अपने आप ही जीवित रहती है। तेजी से हो रहे भूमंडलीकरण ने आर्थिक तथा राजनीतिक भूमंडलीकरण की जगह सांस्कृतिक भूमंडलीकरण को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। भूमंडलीकरण के इस युग ने दुनिया के अलग देशों की संस्कृति को मिला कर रख दिया है। सभी लोग राष्ट्रों की सीमाओं को तोड़ कर एक दूसरे की संस्कृति को अपनाने लग गए हैं।

भारत का शास्त्रीय संगीत दुनिया में काफ़ी मशहूर भी रहा है तथा टी० वी०,रेडियो पर इसको चला कर जीवित रखने की कोशिश भी की जा रही है पर अब रेडियो तथा टी० वी० परल गानों तथा पॉप गानों की धूम मची हुई है। हमारे परंपरागत लोक नृत्य समाप्त हो रहे हैं। नए-नए नाच के तरीके सामने आ रहे हैं।

कंपनियां अपने उत्पाद बेचने के लिए महिलाओं के अश्लील चलचित्रों का इस्तेमाल टी० वी० पर करती हैं। इस तरह टेलीविज़न के हमारे जीवन तथा हमारी संस्कृति पर काफ़ी गलत प्रभाव पड़ रहे हैं। अगर इस को न रोका गया तो आने वाले समय में हमारी अपनी संस्कृति हमें खुद ही ढूँढ़नी पड़ेगी।

प्रश्न 5.
जनसंचार ने किस प्रकार सांस्कृतिक परिवर्तन में मदद की है?
उत्तर:
आधुनिक युग परिवर्तन का युग है। किसी भी समाज एवं देश में परिवर्तन सामाजिक विकास तथा सूचना संचार के साधनों में परिवर्तन के फलस्वरूप ही संभव है। देश का विकास और परिवर्तन विचारों व दृष्टिकोणों में परिवर्तन के ऊपर निर्भर करता है। समाज में परिवर्तन के लिए सूचनाओं को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सर्वेक्षण के आधार पर विश्व की लगभग 70% जनता की पूर्ण सूचनाएं नहीं मिलती हैं, वे सूचना के अधिकार से वंचित रह जाते हैं।

किसी भी देश का विकास व परिवर्तन इस बात पर निर्भर करता है कि लोग क्या कर रहे हैं। वर्तमान समय में यह विचारधारा विकसित हो रही है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए ज्ञान, तकनीक, बुदधि व मनोभाव में परिवर्तन होना अनिवार्य है। आधुनिकीकरण व औद्योगिक विकास के तीन स्तरों-शिक्षा का विकास, जनसंचार व्यवस्था का विकास तथा नगरीकरण की प्रक्रिया के आधार पर समझा जा सकता है। इन व्यवस्थाओं का परस्पर संबंध है।

जो व्यक्ति शिक्षित है वही व्यक्ति जनसंचार की व्यवस्था के साथ भी जुड़ा हुआ है व उनमें गतिशीलता भी पाई जाती है। युनेस्को ने आय, शिक्षा एवं नगरीयकरण की प्रक्रिया को जनसंचार, समाचार-पत्र, रेडियो, दूरदर्शन तथा सिनेमा से संबंधित किया है। भारत में नगरों के समीप बसने वाले गांवों में सूचनाओं का स्तर उन गांवों की अपेक्षा अधिक है जो नगरों से दूर हैं।

जनसंचार के माध्यम से भारत में समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं ने सामाजिक व संस्कृति के क्षेत्र में कई प्रभाव डाले हैं। इन माध्यमों के आधार पर ही भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक चेतना व जागरूकता का विकास हो पाया है। वर्तमान समय में समाचार-पत्र न केवल सूचना पहुंचाने का एकमात्र साधन हैं बल्कि अनेक कठिनाइयों को संबंधित नेताओं व कर्मचारियों तक पहुंचाने का भी लोकप्रिय माध्यम है।

मुद्रित संचार के साथ ही विद्युत् संचार-रेडियो, टेलीविज़न ने भी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को काफी प्रभावित किया है। टेलीविज़न, रेडियो दोनों ही माध्यमों से सूचनाएं नगर व गांव तक पहुंचाई जाती हैं। गांव में किसान नई-नई कृषि तकनीकें, नए बीज व खाद संबंधित सूचनाओं की जनकारी प्राप्त करते हैं। मौसम संबंधी जानकारी ग्रामीण जन पुनःउत्थान संबंधी कार्यक्रमों की सूचनाएं सुनते हैं। टेलीविज़न पर अन्य प्रसारण को भी देखते हैं।

सिनेमा ने सबसे अधिक भारतीय संस्कृति को प्रभावित किया है। फिल्मों का निर्माण सामाजिक समस्याओं पर किया जा रहा है। जिनमें अधिकतर फिल्में महिलाओं के सामाजिक स्तर से संबंधित व छुआछूत, निम्नवर्गों का शोषण, बाल-विवाह के ऊपर आधारित हैं। राष्ट्रीयता की भावना का विकास करने में भी फिल्मों की अहम भूमिका रही है। भारत के सिनेमा में नगरीय व ग्रामीण दोनों ही संदर्भो को मध्य नज़र रखते हुए फिल्मों का निर्माण किया जा रहा है जिससे दोनों ही क्षेत्रों में सिनेमा ने अपना प्रभाव डाला है।

देश में जन संचार सूचनाओं को प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होने के बावजूद इसके प्रभाव से कुछ एक कारणों के परिणामस्वरूप जनता लाभांवित नहीं हो पा रही है। वर्तमान समय में समाचार-पत्र भी थोडे से शिक्षित लोगों की आवश्यकता को पूरा करते हैं। इन पक्षों में अधिकतर समाचार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के होते हैं जिनमें कम शिक्षित लोगों की रुचि कम होती है।

सिनेमा घरों में जो फिल्में दिखाई जाती हैं उन फिल्मों में अधिकतर फिल्में समाज की वास्तविकता से परे होती हैं। ये केवल काल्पनिक मूल्यों से ओत-प्रोत होती हैं जो युवा पीढ़ी को अधिक प्रभावित करती हैं। सिनेमा देखने वालों में निम्न आर्थिक श्रेणी के लोगों का प्रतिशत अधिक होता है। सिनेमा पर प्रसारित किये जाने वाले विज्ञापनों ने भी उच्च वर्ग को अधिक आकर्षित किया है। कुल मिलाकर यह कहने में आपत्ति नहीं है कि सिनेमा विभिन्न स्थानों में उपयुक्त सूचनाएं व ज्ञान के प्रसार के साधन के रूप में एक उपयोगी साधन नहीं बन पाया है।

सांस्कृतिक मूल्यों को जनसंचार ने कई आधारों पर प्रभावित किया है। जन संचार ने समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया को काफ़ी तीव्र किया है। इसके प्रभाव के कारण ही लोग नये-नये विषयों व स्थान से अवगत होने लगे हैं। उनकी संस्कृति में कई नये सांस्कृतिक, तत्त्वों का विकास हो रहा है। दैनिक जीवन के व्यवहार के तरीके दूसरों के व्यवहार के तरीकों में परिवर्तित हो रहे हैं व संचार माध्यमों से संस्कृतिक परिवर्तनों का आरंभ हो रहा है।

जनसंचार के माध्यम से लोग अपनी परंपरागत संस्कृति के अस्तित्व के साथ अपने आपको फिर से जोड़ने लगे हैं। कई नई सांस्कृतिक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इस माध्यम के आधार पर ही आधुनिक मूल्य व्यवस्था में एक संतुलन बन पाया है। आधुनिक सांस्कृतिक व्यवस्था को परंपरागत सांस्कृतिक व्यवस्था के साथ जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य जन संचार माध्यम के द्वारा ही संभव हो पाया है।

प्रश्न 6.
जनसंचार कौन-से हैं व कितने प्रकार के हैं? व्याख्या करो।
अथवा
जनसंचार के विभिन्न प्रकारों की सविस्तार व्याख्या करें।
अथवा
विभिन्न प्रकार के जन-संचार माध्यमों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जब भारत में जनसंचार के आधुनिक साधन टेलीविज़न, इंटरनैट आदि उपलब्ध नहीं थे तब तक लोग पारंपरिक संवाद के आधार पर परंपरागत तरीकों से ही सूचनाएं प्राप्त करते थे। भारतीय समाज में विभिन्न समुदायों, धर्मों, जातियों, जनजातियों के आधार पर भाषा, विश्वासों, विचारधाराओं, लोकरीतियों, प्रथाओं व आदर्शों एवं मूल्यों में भिन्नता पाई जाती है।

19वीं शताब्दी में विज्ञान व तकनीक के विकास ने जनसंचार के क्षेत्र में क्रांति का कार्य किया। वर्तमान समय में जन संचार व्यक्तियों के मनोरंजन के साथ-ही-साथ शिक्षा संबंधी कार्यों को भी पूरा कर रहा है। आधुनिक समय में भारतीय समाज में जनसंचार के मुख्य तीन प्रकार के साधन हैं-

  • मुद्रित संचार (Print Media)
  • विद्युत् संचार (Electronic Media)
  • श्रव्य-दृश्य (Audio-Visual)

1. मुद्रित संचार (Print Media)-मुद्रित संचार मुख्यतः समाचार पत्र तथा पत्रिकाओं के माध्यम से किया जाता है। मुद्रित संचार के अंतर्गत लिखित प्रारूपों को सम्मलित किया गया है।

समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं (News Paper and Magazines):
सन् 1780 में बंगाल राजपत्र के नाम से भारत में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ। इसके कुछ वर्षों के उपरांत ही अनेक पत्रिकाओं का प्रकाशन कोलकाता, चेन्नई तथा मुंबई में शुरू किया गया। लेकिन ये सभी पत्र व पत्रिकाएं अंग्रेज़ व्यक्तियों द्वारा प्रकाशित की जाती थीं। इनमें मुख्यतः इंग्लैंड की घटनाओं तथा सरकारी गतिविधियों व कार्यवाहियों का विवरण होता था। सामाजिक समाचार भी अंग्रेजों के व्यापार, प्रशासन व सेना के होते थे।

18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में मुंबई पहली बार एक बहुत बड़ा व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरा जिससे 1797 में पहली बार एक अंग्रेज़ी पत्रिका में गुजराती में एक विज्ञापन का प्रकाशन हुआ। गुजराती भाषा का सबसे पहली बार समाचार प्रकाशन में प्रयोग किया गया जबकि भारतीय पत्रकारिता का जन्म बंगाली में हुआ है। सन् 1816 में गंगाधर भट्टाचार्य ने बंगाल राजपत्र का प्रकाशन किया। सन् 1821 में राजा राममोहन राय ने बंगाल में ‘Sambad Kaumudi’ नामक साप्ताहिक इसमें इन्होंने हिंदू धर्म के सिद्धांतों का वर्णन किया तथा सती प्रथा का खंडन भी किया। इसके पश्चात्

सन् 1822 में फरदूनजी मराजॉन (Ferdunji Marazhan) ने गुजराती साप्ताहिक बांबे समाचार नामक पत्रिका का प्रकाशन किया। इस प्रकार भारतीय भाषाओं में सबसे पहले दो भाषाओं गुजराती एवं बंगाली को पत्रिकाओं के प्रकाशन में प्रयोग किया गया। भारत में पत्रकारिता का आरंभ करने में सामाजिक सुधार तथा व्यापारिक हितों का विकास करना महत्त्वपूर्ण प्रेरक तत्त्व रहे हैं।

20वीं शताब्दी के आरंभिक समय के दौरान भारतीय प्रेस के विकास में महात्मा गांधी की भूमिका अधिक प्रिय रही है। महात्मा गांधी स्वयं 1904 ई० से दक्षिण अफ्रीका में भारतीय राष्ट्र (Indian Nation) का संपादन कर रहे थे। महात्मा गांधी ने अंग्रेजी में ‘यंग इंडिया’, गुजराती में ‘नवजीवन’ तथा हिंदी में ‘हरिजन’ पत्रिकाएं प्रारंभ की। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय 51 दैनिक तथा 258 साप्ताहिक पत्रिकाएं अंग्रेजी भाषा में शुरू की गई थीं।

1978 में समाचार पत्रों की संख्या 15,814 तथा 1979 में 17,168 थी। भारत में समाचार-पत्रों के रजिस्ट्रार वर्ष 2000 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं की संख्या बढ़कर 49,145 थी जोकि वर्ष 1999 से 5.34 प्रतिशत अधिक थी। भारत में सबसे अधिक समाचार पत्र हिंदी में, दूसरे स्थान पर अंग्रेज़ी में तत्पश्चात् अन्य भाषाओं में छपते हैं।

वर्ष 2000 के दौरान 101 भाषाओं एवं बोलियों में समाचार पत्रों का प्रकाशन हुआ था। काश्मीरी भाषा को छोड़ कर बाकि सभी भाषाओं में दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन हुआ था। सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में प्रकाशन का कार्य हो रहा है। बंबई समाचार सबसे पुराना समाचार पत्र है जिसका प्रकाशन 1822 में हुआ था।

मद्रा संचार को मज़बत बनाने के उददेश्य से कई संगठनों का निर्माण किया गया है। सन 1956 को ‘द रजिस्टार ऑफ न्यूजपेपर इन इंडिया’ की स्थापना की गई जिसमें समाचार पत्रों अखबारी कागज़ के आबंटन के लिए पंजीकृत होना पड़ता है। समाचार पत्रों के लिए समाचार एकत्रित करना तथा उन्हें प्रेस तक पहुंचाने के लिए ‘प्रेस ट्रस्ट इंडिया’ तथा ‘यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया’ समाचार एजेंसियों को शुरू किया गया।

‘प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ का भी संगठन किया गया जिसका मुख्य कार्य प्रेस की स्वतंत्रता को बनाये रखना तथा समाचार पत्रों एवं एजेंसी के स्तर के सुधारना है। भारतीय सरकार ने अपनी नीतियों व कार्यक्रमों से संबंधित सूचनाओं के प्रसार हेतु अनेक संस्थाएं प्रेस सूचना ब्यूरो तथा प्रकाशन विभाग की भी स्थापना की है।

2. विद्युत् संचार (Electronic Media) भारत में विद्युत् संचार के मुख्य दो साधन रेडियो तथा दूरदर्शन हैं। (i) रेडियो (Radio) रेडियो को आकाशवाणी भी कहा जा सकता है। सन् 1927 में भारतीय व्यापारियों के एक समूह ने यूरोपियन के द्वारा प्रसारित एजेंसियों की सफलता को देखते हुए दो छोटे स्टेशन बनाये।

ये स्टेशन कोलकाता व मुंबई में विकसित किये गए तथा तभी से भारत में रेडियो का प्रसारण शुरू हुआ। भारत में 1927 में ही निजी ट्रांसमीटरों द्वारा प्रसारण शुरू हुआ। सन् 1930 में भारतीय सरकार ने ट्रांसमीटरों को अपने हाथ ले लिया और ‘इंडियन ब्राडकास्टिंग सर्विस’ के नाम से प्रसारण किया जाने लगा लेकिन ये प्रोग्राम अधिक रोच

सरकार ने दिल्ली में भी एक रेडियो स्टेशन शुरू कर दिया। सन् 1932 में इसका नाम बदल कर ‘आल इंडिया रेडियो’ (AIR) रखा गया। वर्ष 1935 में देश में केवल तीन स्टेशन तथा 1939 में चार स्टेशनों पर प्रसारण किया जाता था। इसके साथ ही वर्ष 1957 से लेकर वर्तमान समय तक इसको आकाशवाणी के नाम से ही जाना जा रहा है। आधुनिक समय में देश के लगभग 100 से भी अधिक F.M. एफ० एम० फरिक्वेंसी मौडुलेशन रेडियो स्टेशन स्थापित किए जा चके हैं।

‘आल इंडिया रेडियो’ (AIR) का मुख्य उददेश्य लोगों को शिक्षा एवं मनोरंजनात्मक सूचनाओं से अवगत कराना है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्तमान समय में रेडियो स्टेशनों को अनेक स्थानों पर विकसित किया जा रहा है ताकि देश में लोगों की आवश्यकताओं को उनकी अपनी भाषा एवं संस्कृति के आधार पर पूरा किया जा सके। आकाशवाणी के प्रसारणों के माध्यम से अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं श्रोताओं तक पहुंचाई जाती हैं। आकाशवाणी देश में कुल 208 रेडियो स्टेशन तथा 327 ट्रांसमीटर हैं जिनमें से 149 मिडियम वेव, 55 शार्ट वेव व 1 2 3 एफ० एम० ट्रांसमीटर हैं।

इनमें ‘विविध भारती’ (Vivid Bharti) नामक केंद्र चंडीगढ़ तथा कानपुर में विकसित किया गया व वर्तमान समय में रेडियो न्यूज़ को फोन सेवा से भी जोड़ दिया गया है। वर्ष 1995 में एफ० एम० चैनल को तथा 1998 से ‘आल इंडिया रेडियो’ न्यूज़ ऑफ़ फोन सेवा शुरू कर दी गई है। भारत वर्ष में रेडियो पर प्रसारण सेवा का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर 90.6 प्रतिशत हो चुका है। जनसंख्यात्मक आधार पर यह प्रसारण लगभग 98.8% पूरा हो गया है।

(ii) टेलीविज़न या दूरदर्शन (डी डी) [Television or Doordarshan (DD)]-दूरदर्शन भारतीय समाज में जन संचार के एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित हुआ है। टेलीविज़न की शुरुआत एक प्रयोग के तौर पर 15 अक्तूबर 1959 के दिल्ली से की गई। टेलीविज़न के कार्यक्रमों में साक्षात्कार, किसी समस्या या घटना के ऊपर विचार-विमर्श करना तथा वृत्त-चित्रों (Documentary films) का महत्त्वपूर्ण साधन है।

इसके अलावा नृत्य, नाटक, संगीत इत्यादि को भी दर्शाया जाता था। तत्पश्चात् अनेक उत्सवों जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, होली, दीवाली इत्यादि कार्यक्रमों को भी दूरदर्शन के जरिये लोगों तक पहुंचाया जाने लगा। इसके साथ ही दूरदर्शन के प्रसारण के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रमों को बनाया जाता है जिसमें यातायात संबंधी नियमों की जानकारी देना, नगर नियोजन संबंधी नियमों से अवगत कराना, स्वास्थ्य समुदायों तथा खान-पान में की जाने वाली मिलावट जैसी समस्याओं के बारे में जानकारी प्रदान करना कुछ एक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं हैं।

टेलीविज़न को जब दिल्ली में शुरू किया गया था तो केवल एक सप्ताह में 20 मिनटों का कार्यक्रम दो बार प्रसारित किया जाता था। लेकिन वर्तमान समय में इसके प्रसारण समय में काफ़ी वृद्धि हुई है। शुरू में ये प्रयोग शिक्षा प्रदान करने के माध्यम के रूप में ही होता था। हिंदी में समाचार बुलेटिन के साथ नियमित सेवा की शुरुआत 15 अगस्त, 1965 को हुई थी। दिल्ली के बाद देश को दूसरा टेलीविज़न केंद्र सन् 1972 में मुंबई में मिला। तत्पश्चात् 1973 में श्रीनगर एवं अमृतसर में और 1975 में कोलकाता, चेन्नई तथा लखनऊ में टेलीविज़न केंद्र स्थापित किये गए थे।

सन् 1976 में दूरदर्शन को ‘आल इंडिया रेडियो’ (AIR) से अलग करके एक स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित किया गया। सन् 1984 में दिल्ली में दृश्य अवलोकन के अतिरिक्त दूसरे विकल्प उपलब्ध कराने के लिए एक नये चैनल को भी जोड़ा गया। वर्तमान समय में देश में लगभग 1042 स्थानीय ट्रांसमीटर स्थापित किये जा चुके हैं तथा 49 शहरों में उसके स्टूडियो खोले गए हैं। विभिन्न दूरदर्शन केंद्रों के द्वारा विभिन्न भाषाओं में टेलीविज़न कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है।

26 जनवरी, 2000 को मानव संसाधन मंत्रालय तथा इंदिरा गांधी ओपन विश्वविद्यालय के प्रयासों के आधार पर नये शैक्षिक चैनल डी० डी० ज्ञानदर्शन को शुरू किया गया। संपूर्ण देश में तकरीबन सौ से भी अधिक निजी टेलीविजन चैनल तथा केबल नेटवर्क (Cable Network) हैं जिसके माध्यम से हिंदी-अंग्रेजी के अतिरिक्त स्थानीय व क्षेत्रीय भाषाओं व बोलियों में भी कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

3. श्रव्य-दृश्य संचार (Audio-Visual Media) लगभग 200 वर्ष पहले समाचार पत्र व पत्रिकाएं अपने अस्तित्व में आये। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही इसके अतिरिक्त तीन और साधन जन संचार के माध्यम के रूप में विकसित हुये। इन तीन साधनों में फिल्म, रेडियो व टेलीविज़न को लिया जाता है। जन संचार के इन माध्यमों का विकास 20वीं शताब्दी में होने वाले तीव्रता से तकनीकी विकास का कारण माना जा सकता है।

अमेरिका ने अपनी पहली फिल्म “The Great Train Robbery’ नामक 1903 में बनाई थी। भारत में 20वीं शताब्दी के प्रारंभ अर्थात् 1904 में बांबे में नियमित रूप से फिल्म दिखाना शुरू किया था। भारत में फिल्मों का प्रसारण अमेरिका व यूरोप के साथ-साथ ही हुआ है। भारत को जन संचार के माध्यम के रूप में फिल्मों की भूमिका आरंभ से ही लोकप्रिय रही। भारत में 1912 13 से फिल्में बनानी शुरू कर दी गईं।

आर० जी० टोरनी चिते के साथ मिलकर पुंडलिक नाम की फिल्म 1912 में बनाई। 1913 में धूनजीराज गोबिंद फालके ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ नामक फिल्म का निर्माण किया। 1917 में पहली बंगाली काल्पनिक फिल्म ‘नल दमयंति’ के नाम से निर्मित की। 1920 तक बनाई जाने वाली फिल्में काल्पनिक सार के आधार पर ही निर्मित की जाती रहीं।

तत्पश्चात् कुछ समय के लिए फिल्मों को राजपूत दंत कथाओं एवं लेखों (Legends) के ऊपर आधारित किया गया। इसके पश्चात् ही भारत में फिल्मों को सामाजिक फिल्म के रूप में विकसित किया गया। सन् 1931 में बोल पर (Talkies) में मूक फिल्मों का स्थान लिया जब अदेसीर इरानी की ‘आलम आरा’ फिल्म प्रस्तुत हुई।

भारत आजकल फीचर फिल्मों के निर्माण में पूरे विश्व में अग्रणी की भूमिका निहित कर रहा है। भारत में फिल्मों के प्रदर्शन के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेर्टीफिकेशन (Central Board of Film Certification) का प्रमाण-पत्र मिलना आवश्यक है। इस प्रणाम-पत्र को प्राप्त करने के बाद ही किसी भी फिल्म का प्रदर्शन किया जा सकता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 7.
जनसंचार का क्या अर्थ है? इसके समाज पर कौन-कौन से सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
समाचार-पत्र तथा पत्रिकाओं के भारतीय समाज पर अच्छे-बुरे प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
जनसंचार किसे कहते हैं?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के आरंभ काल से ही विज्ञापन व तकनीक से विकास हो रहा है। तभी से जनसंचार के साधनों में भी वृद्धि होती जा रही है। इसमें साथ ही भारतीय समाज की राजनीतिक व आर्थिक स्थिति में भी परिवर्तन हुआ है। पहले भाषा व क्षेत्र के आधार पर विभिन्नता अधिक पाई जाती थी, लेकिन वर्तमान समय में जन संपर्क और जन संचार के माध्यमों दवारा इन विभिन्नताओं में काफ़ी कमी आई है।

जनसंचार का अर्थ (Meaning of Mass Media)-जनसंचार में ‘जन’ शब्द का अर्थ किसी समुदाय, समूह, या देश के सामान्य लोगों के संदर्भ में व्यक्त किया है। यहां जन का अर्थ किसी विशेष वर्ग, समूह श्रेणी या समुदाय के लिये गया। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि जन संचार दसरे प्रकार के संचारों से अलग है क्योंकि इसका संबंध संपूर्ण जनता से है।

जन संचार का अर्थ अनेक माध्यमों से जनता को एक साथ अनेक सूचनाओं को पहुंचाना। साधारण बोलचाल जन संचार का अर्थ मुद्रित सामग्री समाचार पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, दूरदर्शन तथा फिल्म इत्यादि साधनों से है, जिनके माध्यम से जनता तक सूचनाओं को पहुंचाया जाता है।

भारतीय समाज में जनसंचार (Indian Society and Mass Media)-जनसंचार ने सूचनाओं के विवरण के एक माध्यम के रूप में भारतीय समाज में कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। संचार के इन कार्यों ने समाज के कई क्षेत्रों में अनेक परिवर्तन किये हैं। संचार के कार्यों को भी सकारात्मक और नकारात्मक दो वर्गों में विभाजित किया गया है।

सकारात्मक कार्य या प्रभाव (Positive Function or Impact)-संचार के कार्यों का सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रमुख रूप से देखा जा सकता है-
1. मनोरंजनात्मक प्रकार्य (Recreative Functions) मनोरंजन संचार का महत्त्वपूर्ण कार्य है जिसके द्वारा व्यक्ति न केवल मनोरंजनात्मक साधनों जैसे फिल्म इत्यादि से मनोरंजन ही करते हैं। बल्कि जन संचार द्वारा की गई सूचनाओं से ज्ञान भी अर्जित करते हैं। समाज के विकास के लिये बनाये गये स्थानीय आधार पर कार्यक्रमों, खेलकूद विषयों, स्वास्थ्य एवं अपराधों के बारे में सूचना अर्जित करने में भी संचार एक माध्यम के रूप में व्यक्तियों की सहायता करता है। टेलीविज़न के माध्यम भी जनता अपने स्थानीय चैनल के द्वारा पर्याप्त मनोरंजनात्मक कार्यक्रमों को देखती है।

2. समाजीकरण की प्रक्रिया में सहायक (Helpful in the Process of Socialisation)-समाजीकरण समाज में एक सीखने की प्रक्रिया है। आधुनिक समय में बच्चों के समाजीकरण में भी संचार की भूमिका अत्यधिक बढ़ती जा रही है। परिवार, पड़ोस, सम समूह, विद्यालय समाजीकरण की प्रक्रिया के विकास में महत्त्वपूर्ण एजेंसियों के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। लेकिन आधुनिक समय में बच्चों के व्यवहार के ऊपर जन संचार का प्रभाव सबसे अधिक पड़ रहा है।

3. सांस्कृतिक निरंतरता में सहायक (Helpful in Cultural Continuity)-जन संचार भारतीय संस्कृति का आधार है। यही एक ऐसा माध्यम है जिनके आधार पर हमारी संस्कृति जीवित रह पाई है। बदलती परिस्थितियों में तथा पश्चिमी संस्कृति के कारण हमारे पारंपरिक सांस्कृतिक तत्त्व भी लुप्त होते जा रहे हैं। इन तत्त्वों को विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल करके जनता तक पहुंचाया जाता है तथा प्राचीन संस्कृति के अस्तित्व से अवगत कराया जाता है। जैसे भारत में रेडियो व दूरदर्शन के माध्यम से शास्त्रीय संगीत तथा धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है।

व्याख्या को कार्यक्रमों के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। वर्तमान समय में रामायण, महाभारत विष्णु पुराण, धार्मिक ग्रंथों पर आधारित प्रसारित किये जाते हैं। इनके अतिरिक्त दूरदर्शन के आस्था, तथा संस्कार आदि चैनलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को, धार्मिक मूल्यों, विश्वासों, परंपराओं, योग की विधियों तथा ध्यान के तरीकों को देश के करोड़ों लोगों तक पहुंचा कर प्राचीन भारतीय संस्कृति को आधुनिकता के साथ जोड़ा जा रहा है। यह परंपरा तथा आधुनिकता में निरंतरता स्थापित करने का अनूठा प्रयास है। इसके द्वारा प्राचीन तथा आधुनिक भारतीय संस्कृति का संगठन होता है।

4. दैनिक घटनाओं की सूचना में सहायक (Helpful in providing information about day to day events) जनसंचार के माध्यम से व्यक्ति दैनिक घटनाओं से अवगत होता है। इसके माध्यम के आधार पर व्यक्ति को स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।

इसके साथ ही मौसम की जानकारी, राजनीतिक घटनाओं, प्राकृतिक विपदाओं, भ्रष्टाचार एवं हिंसक गतिविधियों का ज्ञान भी प्राप्त होता है। जन संचार के माध्यम से ही नगरों न महानगरों के व्यक्ति एक-दूसरे की घटनाओं से भी प्रभावित होते हैं तथा जानकारी प्राप्त करते हैं।

नकारात्मक कार्य या अकार्य (Negative Function or Dysfunction)-जनसंचार सूचनाओं को व्यक्तियों तक पहुंचाने का एक माध्यम है। अनेक विचारकों, विद्वानों तथा शिक्षा कार्यक्रमों ने संचार के प्रभाव को जन-जीवन के ऊपर नकारात्मक प्रभाव के रूप में व्यक्त किया है। उन्होंने अनेक आधारों पर जन संचार की एक माध्यम के रूप में आलोचना की।

  • जन संचार सूचना को व्यक्तियों तक पहुंचाने का एक माध्यम है। लेकिन इस माध्यम के द्वारा लोगों को गलत सूचनाएं भी पहुंचाई जाती हैं जो कि वास्तविकता से दूर होती हैं। अर्थात् वह वास्तविकता की गलत तस्वीर लोगों तक पहुंचाता है जिसका जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • जनसंचार में व्यक्ति अपनी पसंद नापसंद को भी भूला देता है। उसका ध्यान व्यक्तिगत रुचियों से हटकर सांस्कृतिक एकता की ओर अग्रसर होता है।।
  • जनसंचार समाज में पलायनवाद को भी बढ़ावा देता है।
  • व्यक्तियों में निष्कृष्टता पैदा करना भी जनसंचार का महत्त्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव माना जाता है।
  • जनसंचार के माध्यम से विज्ञापनों में अनेक प्रकार की वस्तुओं को बेचने के लिये महिलाओं को अभद्र तरीके से उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त नकारात्मक प्रकोप को देखते हुए हम जनसंचार को अपने जीवन से अछूता नहीं रख सकते। ज़रूरत है तो इस बात की कि जनसंख्या के माध्यम को सकारात्मक दृष्टिकोण से विकसित किया जाए और लोगों तक पहुँचाने के लिये भी सकारात्मक माध्यम का ही प्रयोग किया जाये। तभी समाज में होने वाले परिवर्तन को सकारात्मक परिवर्तन का रूप दिया जा सकता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. 1998 में भारत पर आर्थिक प्रतिबंध क्यों लगा दिए गए थे?
(A) भारत ने पाकिस्तान पर युद्ध थोप दिया था।
(B) भारत ने यू० एन० ओ० के विरुद्ध कुछ कार्य किए थे।
(C) भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे
(D) भारत अमेरिका के विरुद्ध था।
उत्तर:
भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे।

2. भारत में उदारीकरण तथा विश्वव्यापीकरण की प्रक्रिया कब शुरू हुई थी?
(A) 1980 के बाद
(B) 1991 के बाद
(C) 1981 के बाद
(D) 2004 के बाद।
उत्तर:
1991 के बाद।

3. भारत के किस वित्त मंत्री ने उदारीकरण तथा विश्वव्यापीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी?
(A) मनमोहन सिंह
(B) पी० चिदंबरम
(C) जसवंत सिंह
(D) यशवंत सिंहा।
उत्तर:
मनमोहन सिंह।

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4. किस प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह को भारत का वित्त मंत्री नियुक्ति किया था?
(A) चंद्रशेखर
(B) वाजपेयी
(C) नरसिम्हा राव
(D) वी० पी० सिंह।
उत्तर:
नरसिम्हा राव।

5. नियंत्रित अर्थव्यवस्था से अनावश्यक प्रतिबंधों को हटा लेने को …………………….. कहते हैं।
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) उदारीकरण
(D) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
उदारीकरण।

6. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें अलग-अलग देशों के बीच मुक्त व्यापार, सेवाओं, पूंजी निवेश तथा लोगों का आदान प्रदान होता है।
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) आधुनिकीकरण
(D) उदारीकरण।
उत्तर:
विश्वव्यापीकरण।

7. भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वव्यापीकरण का अच्छा प्रभाव क्या पड़ा?
(A) विश्व निर्यात में भारत के हिस्से में वृद्धि
(B) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि
(C) विदेशी मुद्रा में वृद्धि
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

8. सार्वजनिक उपक्रमों को व्यक्तिगत हाथों में देने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) आधुनिकीकरण
(D) उदारीकरण।
उत्तर:
निजीकरण।

9. उदारीकरण का मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
(A) रोज़गार के अधिक साधन विकसित करना
(B) विदेशी निवेश को आकर्षित करना
(C) निजी क्षेत्रों को अधिक स्वतंत्रता देना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

10. इनमें से कौन-सा उदारीकरण का लक्षण है?
(A) अधिकतर उद्योगों में लाइसेंस व्यवस्था खत्म करना
(B) सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करना
(C) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा बढ़ाना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

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11. विश्वव्यापीकरण का क्या सिद्धांत है?
(A) देश की अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश के लिए खोलना
(B) कस्टम कर को कम-से-कम रखना
(C) सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

12. इनमें से कौन-सा उदारीकरण का दुष्परिणाम है?
(A) बेरोज़गारी का बढ़ना
(B) विदेशी कर्ज के बोझ का बढ़ना
(C) निर्यात में कमी तथा आयात में वृद्धि
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व व्यापार संगठन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसे 1955 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा स्थापित किया गया है। यह संगठन अलग-अलग विधानों, नियमों तथा नीतियों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा सेवाओं का नियमन करता है। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।

प्रश्न 2.
संस्कृति के मिलन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आजकल का समय भूमंडलीकरण का समय है जिसमें संसार भर के लोगों की जीवन पद्धति एक समान हो गई है। इसके साथ-साथ उनके उपभोग तथा प्रयोग की वस्तुएं भी एक समान हैं। इसी को ही संस्कृति का मिलन कहते हैं।

प्रश्न 3.
भूमंडलीकरण ग्राम का क्या अर्थ है?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने व्यापार तथा संबंधों को बढ़ाने के लिए अलग-अलग देशों में अलग-अलग कंपनियां तथा उद्यमों की स्थापना कर रही हैं। इससे संपूर्ण विश्व एक वैश्विक ग्राम में परिवर्तित हो रहा है। इसे ही भूमंडलीय ग्राम का नाम दिया जाता है अर्थात् संपूर्ण विश्व एक ग्राम की भांति हो गया है।

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण के बारे में लोगों के क्या विचार हैं?
उत्तर:
भूमंडलीकरण के बारे में दो प्रकार के विचार व्याप्त हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भूमंडलीकरण से विश्व एक बेहतर विश्व के रूप में सामने आएगा। परंतु कुछ लोगों को डर है कि इससे अमीर लोगों को तो बहुत ही लाभ होगा तथा निर्धन लोगों की हालत बद से बदतर होती चली जाएगी।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण का सामाजिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण ने सामाजिक संबंधों तथा धार्मिक पहचान को काफी प्रभावित किया है। इसने लोगों के फैशन, खाने-पीने, उपभोग की प्रवृत्ति तथा जीवन-शैली पर काफ़ी प्रभाव डाला है। अब संसार के एक
भाग में दूसरे भाग की हरेक चीजें मौजूद हैं।

प्रश्न 6.
उपभोग की संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण की प्रक्रिया से संसार में उपभोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है। आज का आधुनिक समाज उपभोग का समाज है तथा लगभग सभी ही एक जैसी वस्तुओं का उपभोग करते हैं। इस उपभोगवादी समाज की संस्कृति को उपभोग की संस्कृति कहा जाता है।

प्रश्न 7.
उदारीकरण का क्या अर्थ है?
अथवा
मुक्तिकरण से क्या तात्पर्य है?
अथवा
उदारीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

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प्रश्न 8.
आर्थिक सुधारों का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अर्थ है भारतीय व्यापार को नियमित करने वाले नियमों और वित्तीय नियमनों को हटा देना। इसके लिए कुछ उपाय किए गए हैं जिन्हें आर्थिक सुधार भी कहा जाता है। यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों में आए हैं।

प्रश्न 9.
पारराष्ट्रीय निगम कौन-से होते हैं?
उत्तर:
पारराष्ट्रीय निगम ऐसी कंपनियां होती हैं जो एक-से-अधिक देशों में अपने माल का उत्पादन करती हैं अथवा बाज़ार सेवाएं प्रदान करती हैं तथा एक-से-अधिक देशों में अपने उत्पाद बेचती हैं। यह अपेक्षाकृत छोटी फर्मे भी हो सकती हैं तथा विशाल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठान भी हो सकते हैं।

प्रश्न 10.
भूमंडलीकरण के दो सिद्धांत बताएं।
उत्तर:

  • विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोल देना क्योंकि इस व्यवस्था में आपको और देशों में भी मुक्त व्यापार की आज्ञा होती है।
  • इसमें सीमा शुल्क को काफी हद तक कम कर दिया जाता है ताकि विदेशी उत्पाद आपके देश में अधिक महंगा न हो।

प्रश्न 11.
कॉरपोरेट संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कॉरपोरेट संस्कृति प्रबंधन के सिद्धांत का एक भाग है जो किसी कंपनी के तमाम सदस्यों को संगठनात्मक शक्ति की सहायता से किसी चीज़ की उत्पादकता तथा प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्साहित करती है।

प्रश्न 12.
उदारीकरण क्या होता है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उदयोगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

प्रश्न 13.
भूमंडलीकरण क्या होता है?
अथवा
भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण क्या है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है अर्थात् एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 14.
उदारीकरण के क्या कारण होते हैं?
उत्तर:

  • देश में रोज़गार के साधन विकसित करने के लिए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।
  • उद्योगों में ज्यादा-से-ज्यादा प्रतिस्पर्धा पैदा करना ताकि उपभोक्ता को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 15.
निजीकरण क्या होता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों जहां पर मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं जोकि सरकार के नियंत्रण में होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना ताकि यह और ज्यादा लाभ कमा सकें। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को निजीकरण कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत पर भूमंडलीकरण का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  • भारत की विश्व निर्यात के हिस्से में वृद्धि हुई।
  • भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हुई।
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा।

प्रश्न 17.
उदारीकरण की प्रक्रिया किस नीति से संबंधित है?
उत्तर:
उदारीकरण की प्रक्रिया विदेशी कंपनियों के लिए देश के दरवाज़े खोलने से संबंधित है।

प्रश्न 18.
भूमंडलीकरण का संबंध भारत की कौन-सी नीति से है?
उत्तर:
संसार की सभी देशों में कर मुक्त व्यापार हो तथा संसार के अलग-अलग हिस्सों में मिलने वाली वस्तुएं सभी के लिए उपलब्ध हों।

प्रश्न 19.
भारत के किसी एक महानगर का नाम बताएं।
उत्तर:
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई भारत के महानगर हैं।

प्रश्न 20.
उदारीकरण की नीति के अंतर्गत विश्व व्यापार संगठन में भागीदारी होती है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था भूमंडलीकरण का एक आयाम है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 22.
उपग्रह-प्रौद्योगिकी की सहायता से हम सुदूर बैठे मित्रों को अपने दस्तावेज भेज सकते हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 23.
भूमंडलीकरण का एक आयाम लिखें।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था भूमंडलीकरण का एक आयाम है।

प्रश्न 24.
किसी एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था का नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन, वर्ल्ड बैंक इत्यादि।

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प्रश्न 25.
पहली बार वित्त का भूमंडलीकरण किस कारण से हुआ?
उत्तर:
वस्तुओं की पूर्ति के लिए।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारीकरण से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
उदारीकरण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के गैर ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से गैर ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं।

उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विश्व के अलग-अलग देशों के बीच व्यापारिक तथा आर्थिक संबंधों को अधिक विस्तार की दृष्टि से भूमंडल के सदस्य देशों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि विश्व में मुक्त बाज़ार फैल सके तथा बेहतर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। इस नीति से अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता बढ़ती है तथा निजी उद्योगों में सार्वजनिक उद्योगों की अपेक्षा बेहतर परिणाम देने की क्षमता होती है।

प्रश्न 2.
भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का अर्थ समझाएं।
अथवा
भूमंडलीकरण के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है। अन्य शब्दों में एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहा जाता है।

इस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है। इस प्रकार विश्व अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहा जाता है। भूमंडलीकरण के द्वारा सारी दुनिया एक विश्व ग्राम बन गई है।

प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था आर्थिक भूमंडलीकरण को कैसे सहारा देता है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था एक ऐसा कारक है जिसने आर्थिक भूमंडलीकरण को सहारा दिया है। केवल कंप्यूटर के माउस को दबाने से ही बैंक, निगम, निधि प्रबंधक तथा निवेशकर्ता अपने पैसे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इधर से उधर भेज सकते हैं।

चाहे इस प्रकार एक ही क्षण में इलेकट्रॉनिक मुद्रा इधर से उधर भेजने का यह ढंग काफ़ी खतरनाक है। भारत में मुख्यतया इसकी चर्चा शेयर मार्किट में होने वाले उतार-चढ़ाव के लिए की जाती है। यह उतार-चढ़ाव विदेशी निवेशकों द्वारा लाभ के लिए बड़ी मात्रा में शेयर बेचने या खरीदने के कारण आता है। ऐसे सौदे संचार क्रांति के कारण ही मुमकिन हो पाए हैं।

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण तथा रोज़गार का क्या संबंध है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण तथा श्रम के बारे में एक और महत्त्वपूर्ण मुददा रोज़गार तथा भमंडलीकरण के बीच के संबंधों का है। बडे-बडे शहरों में मध्य वर्ग के यवाओं के लिए सचना प्रौदयोगिकी की क्रांति तथा भमंडलीकरण ने रोज़गार के नए-नए अवसर प्रदान कर दिए हैं। कॉलेज से नाम के लिए बी०ए०/बी० कॉम या बीएस०सी० की डिग्री लेने के स्थान पर वे कंप्यूटर केंद्रों से कंप्यूटर की भाषाएं सीख कर नौकरियां प्राप्त कर रहे हैं।

वे कॉल सेंटरों में या व्यापार प्रक्रिया बाहमोपयोजन (बी०पी०ओ०) कंपनियों में नौकरियां प्राप्त कर रहे हैं। वे विशाल शौपिंग माल्स में काम कर रहे हैं या हाल ही में खोले गए विभिन्न जलपान ग्रहों में नौकरी करते हैं। परंतु कई बार ऐसा भी हो रहा है कि निम्न वर्गों के लोगों के रोज़गार भूमंडलीकरण के कारण छिन भी रहे हैं।

प्रश्न 5.
पारराष्ट्रीय निगमों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भूमंडलीकरण को प्रेरित तथा संचालित करने वाले कारकों में पारराष्ट्रीय निगमों की भूमिका काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। पारराष्ट्रीय निगम ऐसी कंपनियां होती हैं जो अपने माल का उत्पादन एक से अधिक देशों में करती हैं या बाज़ार सेवाएं प्रदान करती हैं। यह छोटी कंपनियां भी हो सकती हैं, इनकी एक या दो फैक्ट्रियां उस देश से बाहर स्थित होती हैं जहां वह मूल रूप से स्थित हैं।

इसके साथ ही यह बड़े ही विशाल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठान भी हो सकते हैं जिनका व्यापार संपूर्ण विश्व में फैला हुआ है जैसे कि कोका कोला, पैप्सी, जनरल मोटर्स, कोडैक, कोलगेट पामोलिव इत्यादि। भले ही इन निगमों का अपना एक स्पष्ट राष्ट्रीय आधार हो, फिर भी वे भूमंडलीय बाजारों तथा भूमंडलीय मुनाफा कमाना चाहती हैं। अब तो कुछ भारतीय निगम भी अंतर्राष्ट्रीय बन रहे है

प्रश्न 6.
भारत में सेलफोनों की संख्या में अत्याधिक वृद्धि क्यों हुई है?
उत्तर:
भारत में सेलफोन पहली बार 1995 में बजने शुरू हुए थे। उस समय मोबाइल सेवा काफ़ी महँगी थी तथा यह हरेक व्यक्ति नहीं ले सकता था। परंतु धीरे-धीरे इस सेवा ने सस्ता होना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे नई मोबाइल कंपनियां आगे आनी शुरू हो गई जिससे कंपनियों में प्रतिस्पर्धा होनी शुरू हो गई। टेलीकाम विभाग में ट्राई (नियामन आयोग) बनाया हुआ है जिसने मँहगी मोबाइल दरों पर लगाम कसनी शुरू कर दी।

पहले Incoming Calls पर पैसे लगने बंद हुए तथा फिर धीरे धीरे फोन करने के पैसे लगने कम होने शुरू हो गए। अब तो यह हाल है कि 1 पैसे प्रति 1 सैकेंड के हिसाब से पैसे लिए जाते है। मासिक शुल्क बहुत ही कम हो गए हैं। मोबाइल कंपनियां कई प्रकार की आर्कषक स्कीमें लेकर आ रही हैं ताकि ग्राहकों को लुभाया जा सके।

इसके साथ-साथ मोबाइल हैंडसैटों के मूल्य में काफ़ी कमी आई है। यही कारण है कि अब हरेक व्यक्ति मोबाईल ले रहा है। यहाँ तक कि रिक्शा चालकों, रेहड़ी खींचने वालों के पास भी मोबाईल है। यही कारण है कि भारत में सेलफोनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो गई है।

प्रश्न 7.
भूस्थानीकरण में कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भूस्थानीकरण एक ऐसी रणनीति है जो साधारणतया विदेशी कंपनियां अपना बाज़ार बढ़ाने के लिए स्थानीय परंपराओं के साथ व्यवहार में लाई जाती है। टी.वी. चैनल जैसे कि स्टार, एम.टी.वी., चैनल वी, कार्टून नेटवर्क इत्यादि सभी विदेशी चैनल हैं परंतु भारत में यह भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते हैं।

यहां तक कि मैक्डॉनल्डस भी भारत में अपने निरामिष और चिकन के उत्पाद ही बेचता है, गोमांस के उत्पाद नहीं जो विदेशों में बहुत लोकप्रिय हैं। नवरात्रि पर्व के समय तो मैक्डॉनल्डस भी चिकन बेचना छोड़कर विशुद्ध निरामिष हो जाता है। संगीत के क्षेत्र में भांगड़ा पॉप, इंडिपॉप, फ्युजन म्यूज़िक तथा रीमिक्स गीतों की लोकप्रियता बढ़ रही है। इसे भी भूस्थानीकरण का ही एक रूप तथा उदाहरण कहा जा सकता है।

प्रश्न 8.
भूमंडलीकरण से राजनीतिक परिदृश्य में किस प्रकार परिवर्तन आया है?
उत्तर:
1990 में यू०एस०एस०आर० में समाजवाद का विघटन हो गया जो कि कई प्रकार से एक बड़ा परिवर्तन था। इस घटना ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया। इस कारण ही भूमंडलीकरण को प्रोत्साहित करने वाली आर्थिक नीतियों के प्रति एक विशेष आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टिकोण पैदा हो गया। इन परिवर्तनों को आम तौर पर नव-उदारवादी आर्थिक उपाय भी कहा जाता है।

भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत बहुत से ठोस कदम उठाए गए। मौटे तौर पर, इन नीतियों में मुक्त व्यापार से संबंधित राजनीतिक दूरदर्शिता दिखाई देती है। इसलिए यह नीति राज्य की ओर से विनियमन तथा आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दोनों की ही आलोचक है।

इस प्रकार भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में राजनीतिक दूरदर्शिता उतनी ही आवश्यक है जिनती कि आर्थिक दूरदर्शिता। यह अलग बात है कि वर्तमान भूमंडलीकरण से अलग भूमंडलीकरण की भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार हम एक समावेशात्मक (Inclusive) भूमंडलीकरण की कल्पना भी कर सकते हैं जिसमें समाज के सभी भाग शामिल होते हैं।

भूमंडलीकरण के साथ एक और महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम भी घटित हो रहा है तथा वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय रचनातंत्र। इस संबंध में यूरोपीय संघ, दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (एशियान), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग सम्मेलन (सार्क) तथा दक्षिण एशियाई व्यापार संघों का परिसंघ (बोर्डस) क्षेत्रीय संघों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शा रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठनों तथा अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का सामने आना भी एक और राजनीतिक आयाम पेश करता है। अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन एक ऐसा संगठन होता है जिसे सहभागी सरकारें स्थापित करती हैं तथा जिसे एक विशेष पारराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र पर नियंत्रण रखने, नज़र रखने तथा उसे विनियमित करने का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है। जैसे कि W.T.O. को संसार भर में व्यापार प्रथाओं पर लागू नियमों का ध्यान रखना होता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमंडलीकरण क्या होता है? इसके सिद्धांतों का वर्णन करो।
अथवा
भूमंडलीकरण के अर्थ की व्याख्या करें।
अथवा
भूमंडलीकरण क्या है? भूमंडलीकरण के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर:
भारत में 1991 में नयी आर्थिक नीतियां अपनाई गईं। भूमंडलीकरण, उदारीकरण तथा निजीकरण इन नीतियों के तीन प्रमुख पहलू हैं। भारत में 1980 के दशक के दौरान भूमंडलीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। नयी आर्थिक नीतियों या आर्थिक सुधारों के माध्यम से इसे गति प्रदान करने की कोशिश की गई। वैश्वीकरण आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाली एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के चलते भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में कई प्रकार के परिवर्तन सामने आए।

भमंडलीकरण का अर्थ (Meaning of Globalization)-भमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है। अन्य शब्दों में एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं।

इस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है। इस तरह विश्व अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहा जाता है। भूमंडलीकरण के द्वारा सारी दुनिया एक विश्व ग्राम बन गई है।

भूमंडलीकरण के सिद्धांत-(Principles of Globalization):
भूमंडलीकरण के अंतर्गत कई महत्त्वपूर्ण बातों पर बल दिया जाता है। निश्चित कार्यक्रमों को अपनाने तथा आर्थिक नीतियों को अपनाने पर भी जोर दिया जाता है। भूमंडलीकरण के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
(i) विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोल दिया जाता है क्योंकि इस व्यवस्था में आपको और देशों में भी मुक्त व्यापार की आज्ञा होती है तथा आप भी किसी और देश में निवेश कर सकते हैं। देश में विदेशी निवेश आता है तो एक तरफ देश आर्थिक तौर पर समृद्ध होता है तथा दूसरी तरफ देश में रोज़गार के नए साधन उत्पन्न होते है।

(ii) इसका दूसरा सिद्धांत यह है कि इसमें सीमा शुल्क को काफ़ी हद तक कम कर दिया जाता है ताकि अगर कोई बाहर से आकर आपके देश में अपनी चीज़ बेचना चाहता है तो वह उत्पाद बहुत महंगा न हो जाए। इसलिए सीमा शुल्क को कम कर दिया जाता है।

(iii) सार्वजनिक क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों का विनिवेश भी कर दिया जाता है। भूमंडलीकरण के साथ-साथ निजीकरण भी चलता है। निजीकरण होता है सरकार की कंपनियों का ताकि वह भी निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें तथा मुनाफा कमा सकें। इसलिए सरकारी कंपनियों का विनिवेश कर दिया जाता है।

(iv) निजी क्षेत्र के निवेश को बढावा दिया जाता है ताकि निजी क्षेत्र बड़े-बड़े उदयोग लगाएं। इसके कई फायदे हैं। एक तो सरकार को कर के रूप में आमदनी होगी तथा दूसरी तरफ रोज़गार के साधन बढ़ेंगे तथा बेरोज़गारी की समस्या भी हल होगी।

(v) इसमें सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक पैसा खर्च करती है। इसका कारण यह है कि अगर आप विदेशियों को अपने देश में निवेश के लिए आकर्षित करना चाहते हों तो उन्हें निवेश के लिए बढ़िया बुनियादी ढांचा भी देना पड़ेगा ताकि उनको कोई परेशानी न हो तथा ज्यादा-से-ज्यादा विदेशी निवेश देश में आ सके।

(vi) इसमें मुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है। मुक्त व्यापार का अर्थ है बिना सीमा शुल्क दिए किसी भी देश में जाकर व्यापार करना। ऐसा करने से बगैर कीमतों के इज़ाफे के सारी दुनिया की चीजें हमारे सामने होती हैं तथा हम किसी भी चीज़ को खरीद सकते हैं।

(vii) विश्व बैंक, विश्व व्यापार निधि तथा विश्व व्यापार संगठन के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है क्योंकि एक तो यह व्यापार तथा और सुविधाओं के लिए अलग-अलग देशों को कर देते हैं तथा विश्व व्यापार संगठन पूरे विश्व के व्यापार का संचालन करता है। इसलिए इनके दिशा-निर्देशों का पालन करना ही पड़ता है।

प्रश्न 2.
उदारीकरण क्या होता है? उदारीकरण से क्या समस्याएं पैदा होती हैं?
अथवा
भारतीय समाज पर उदारीकरण के क्या प्रभाव पड़ रहे हैं?
अथवा
भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण के माध्यम से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं? व्याख्या करें।
अथवा
उदारीकरण क्या है? भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की विवेचना करें।
उत्तर:
1991 में डॉ० मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री बनने के बाद नयी आर्थिक नीति लागू की गई। उदारीकरण, निजीकरण तथा भूमंडलीकरण इस नीति की प्रमुख विशेषताएं थीं। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का तेज़ गति से उदारीकरण किया जाने लगा तथा यह उदारीकरण की प्रक्रिया अब भी जारी है। यह एक आर्थिक प्रक्रिया तथा समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

उदारीकरण का अर्थ (Meaning of Liberalization)-नियंत्रित अर्थव्यवस्था के गैर-ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उदयोगों तथा व्यापार पर से गैर-ज़रूरी प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं।

उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विश्व के अलग अलग देशों के बीच व्यापारिक तथा आर्थिक संबंधों को ज्यादा विस्तार की नज़र से भूमंडल के सदस्य देशों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि विश्व में मुक्त व्यापार फैल सके तथा बेहतर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। इस नीति से अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता बढ़ती है तथा निजी उद्योगों में सार्वजनिक उद्योगों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर परिणाम देने की क्षमता होती है।

उदारीकरण की समस्याएं (Problems of Liberalization)-उदारीकरण से भारत जैसे देश में बहुत सी समस्याएं पैदा हुई हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment)-भारत में 1990 में बेरोजगारी की दर 6% थी जो 1999 में बढ़कर 7% हो गई। यह सिर्फ उदारीकरण का ही परिणाम है। देश में 36% लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे रहते हैं क्योंकि उनके पास मूल सुविधाओं की कमी है। घरेलू उद्योगों तथा रोजगार में सीधा संबंध होता है क्योंकि घरेलू रोज़गार बहुत से लोगों को रोजगार देता है।

अगर उद्योगों की संख्या बढ़ेगी जो ज्यादा लोगों को रोज़गार प्राप्त होगा पर अगर उद्योग कम होंगे तो बेरोज़गारी बढ़ेगी तथा ग़रीबी भी साथ ही साथ बढ़ेगी। हमारे देश में उदारीकरण की प्रक्रिया 17 साल से चल रही है। बड़े-बड़े उद्योग तो लग रहे हैं पर कुटीर तथा घरेलू उद्योग खत्म हो रहे हैं जिससे बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है। इस तरह उदारीकरण की प्रक्रिया से बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है।

(ii) उदारीकरण के गलत परिणाम-उदारीकरण की प्रक्रिया के साथ-साथ कर्मचारियों को निकालने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। जब उदारीकरण की नीति अपनायी गयी थी तो यह कहा गया था कि इस प्रक्रिया से देश की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। लेकिन 17 वर्षों के उदारीकरण की प्रक्रिया के बाद भी हमारी अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।

आज भी देश की 36% जनता ग़रीबी की रेखा से नीचे रहती है। इन वर्षों में चाहे भारत को तकनीकी रूप से लाभ ही हुआ है पर बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जैसे कि कुटीर उद्योगों का खत्म होना, जिनमें उदारीकरण की प्रक्रिया के गलत परिणाम निकले हैं।

(iii) विदेशी कर्ज का बढ़ता बोझ-आर्थिक सुधारों का पहला दौर 1991 से 2001 तक चला। 2001 में दूसरा दौर शुरू हुआ। इस दौर में यह सोचा गया कि देश के आर्थिक विकास की दर तेज़ होगी पर हुआ इसका उल्टा। देश के आर्थिक विकास तथा आर्थिक सुधार के रास्ते पर कदम धीरे हो गए हैं।

देश के लिए 8% की आर्थिक विकास की दर का लक्ष्य रखा गया है जोकि बहत दर की कौडी लगता है। वित्त मंत्री तरह-तरह के उपायों की घोषणा कर रहे हैं पर फिर भी यह मुमकिन नहीं लगता। इसके साथ-साथ देश के ऊपर विदेशी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। आज हमारे देश के ऊपर 110 अरब डालर के करीब विदेशी कर्ज है जिससे हर भारतीय विदेशों का कर्जदार बन गया है। यह भी उदारीकरण की प्रक्रिया की वजह से ही हुआ है।

(iv) निर्यात में कमी तथा आयात का बढ़ना (Decrease in Export and Increase in Import)-उदारीकरण की प्रक्रिया में निर्यात में भी कमी आती है तथा आयात में भी बढ़ोत्तरी होती है। 1991 के मुकाबले 1996 में निर्यात कम हुआ था तथा आयात बढ़ा था। यह इस वजह से होता है कि उदारीकरण से पश्चिम की या विदेशी चीजें हमारे देश में आईं जिस वजह से लोगों में विदेशी चीजें लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ी। जिस वजह से आयात ज्यादा हो गया पर निर्यात उसी अनुपात में न बढ़ पाया जिस वजह से व्यापार घाटे में बढ़ोत्तरी तथा व्यापार संतुलन में कमी आई।

आयात बढ़ने तथा उदारीकरण की प्रक्रिया से देसी उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ा। आराम से ठीक दामों पर तथा अच्छी विदेशी चीज़ के मिलने के कारण भी आयात में बढ़ोत्तरी हुई तथा देशी उदयोगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

(v) रुपये की कीमत का गिरना (Decline in Value of Rupee)-उदारीकरण की वजह से भारतीय रुपए की कीमत में भी काफ़ी गिरावट आई है। 1991 में जिस डालर की कीमत ₹ 18 थी वह 1996 में ₹ 36 तथा 2001 में यह ₹ 47 तक पहुंच गया था। आजकल यह ₹ 66 के करीब है।

यह सब उदारीकरण की वजह से है तथा यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होता। किसी देश की मुद्रा की कीमत कम होने से महंगाई बढ़ती है जोकि हमारे देश के गरीब लोगों के लिए ठीक नहीं है। विकसित देशों को तो इससे लाभ हो सकता है पर विकासशील देशों के लिए यह नुकसानदायक है। इस तरह उदारीकरण के कारण रुपए की विनिमय दर में निरंतर गिरावट आ रही है।

(vi) सरकार की आमदनी में कमी आना (Decline in the Income of Govt.)-उदारीकरण की एक विशेषता है कि इसमें सरकार को उत्पादों पर सीमा शुल्क कम करना पड़ता है ताकि विदेशी चीजें उस देश के मूल्य पर मिल सकें। सीमा शुल्क कम करने से सरकार के राजस्व या आमदनी कम होती है जिसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इसके अलावा विदेशी चीज़ों की गुणवत्ता भारतीय उत्पादों के मामले काफ़ी अच्छी होती है तथा कई मामलों में यह सस्ती भी होती है।

जिस वजह से विदेशी चीजें भारतीय चीज़ों के मुकाबले ज्यादा बिकती हैं। इसके अलावा विदेशी चीजें भारतीय चीज़ों से तकनीक के मामले में भी अच्छी होती हैं क्योंकि भारतीय तकनीक इतनी अच्छी है। उदाहरण के तौर पर चीनी उत्पादों ने भारतीय बाजार में हलचल ला दी है। इस तरह जितनी ज्यादा ये चीजें हमारे देश में आएंगी उतनी ही सरकार की आमदनी में कमी होगी। अगर भारतीय चीजें बिकेंगी ही नहीं तो यह सरकार को क्या कर देंगे। इस तरह भी आमदनी में कमी आती है।

(vii) सरकारों का बढ़ता घाटा (Increasing deficit of Governments)-उदारीकरण की वजह से केंद्र तथा राज्य सरकारों के घाटे भी बढ़ रहे हैं। आमदनी कम हो रही है। खर्च या तो बढ़ रहे हैं या फिर कम हो रहे हैं। ज़रूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, बेरोज़गारी बढ़ रही है, ग़रीबी बढ़ रही है। सरकार के पास अपने काम पूरे करने के लिए पैसा नहीं है। देश के बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में ही खर्च हो जाता है। सरकार के बढ़ते घाटे की वजह से विकास कार्य या तो नहीं हो रहे हैं या फिर अगर हो रहे हैं तो कम हो रहे हैं जिस वजह से देश पर काफ़ी प्रभाव पड़ रहा है।

इस तरह उदारीकरण के देश पर काफ़ी गलत प्रभाव भी पड़ रहे हैं। अगर हमें उदारीकरण से लाभ लेना है तो सबसे पहले हमें अपने वित्तीय अनुशासन को सुधारना होगा। हमें अपने मूलभूत ढांचे को सुधारना होगा, ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति करनी होगी, नयी तकनीकों का प्रयोग करना होगा तथा और भी बहत से सधार करने होंगे तभी उदारीकरण के लाभ उठा सकते हैं। इनके साथ-साथ कुछ कानूनों में भी सुधार करना होगा तभी उदारीकरण पूर्ण रूप से सफल हो पाएगा।

प्रश्न 3.
भारत पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की चर्चा करें।
अथवा
भूमंडलीकरण के प्रभावों की व्याख्या करें।
अथवा
भूमंडलीकरण से भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
अथवा
भूमंडलीकरण के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूमंडलीकरण के दो प्रभाव बताइये।
उत्तर:
(i) भारत में विदेशी निवेश (Foreign Investment in India) विदेशी निवेश वृद्धि भी भूमंडलीकरण का एक लाभ है क्योंकि विदेशी निवेश से अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ती है। भारत में निरंतर विदेशी निवेश बढ़ रहा है। 1995-96 से 2000-01 के दौरान इसमें 53% की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान वार्षिक औसत लगभग $ 500 करोड़ विदेशी निवेश हुआ।

(ii) विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves)-आयात के लिए विदेशी मुद्रा आवश्यक है। जून, 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ One Billion था जिससे सिर्फ दो सप्ताह की आयात आवश्यकताएं ही परी की जा सकती थीं। जुलाई, 1991 में भारत में नयी आर्थिक नीतियां अपनायी गईं। भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण को बढ़ावा दिया गया जिस वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में काफ़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में $ 390 Billion के करीब विदेशी मुद्रा है। इससे पहले कभी भी देश में इतना विदेशी मुद्रा का भंडार नहीं था।

(iii) सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (Growth of Gross Domestic Product)-भूमंडलीकरण से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है। देश में 1980 के दशक में वृद्धि दर 5.63% तथा 1990 के दशक के दौरान वृद्धि दर 5.80% रहा। इस तरह सकल घरेलू उत्पादन में थोड़ी सी वृद्धि हुई। आजकल यह 7% के करीब है।

(iv) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment)-भूमंडलीकरण से बेरोज़गारी बढ़ती है। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक में मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया तथा मलेशिया में भूमंडलीकरण के प्रभाव के कारण आर्थिक संकट आया। फलस्वरूप लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा तथा वे ग़रीबी रेखा से नीचे आ गए। 1990 के दशक के शुरू में देश में बेरोज़गारी दर 6% थी जो दशक के अंत में 7% हो गई। इस तरह भूमंडलीकरण से रोजगार विहीन विकास हो रहा है।

(v) कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture) देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों का हिस्सा लगभग 29% है जबकि यह अमेरिका में 2%, फ्रांस तथा जापान में 5.5% है। अगर श्रम शक्ति की नज़र से देखें तो भारत की 69% श्रम शक्ति को कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों में रोज़गार प्राप्त है जबकि अमेरिका तथा इंग्लैंड में ऐसे कार्यों में 2.6% श्रम शक्ति कार्यरत है। विश्व व्यापार के नियमों के अनुसार विश्व को इस संगठन के सभी सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र निवेश के लिए विश्व के अन्य राष्ट्रों के लिए खोलना है। इस तरह आने वाला समय भारत की कृषि तथा अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा रहने की उम्मीद है।

(vi) शिक्षा व तकनीकी सुधार (Educational and Technical reforms)-भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का शिक्षा पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा है तथा तकनीकी शिक्षा में तो चमत्कार हो गया है। आज संचार तथा परिवहन के साधनों की वजह से दूरियां काफ़ी कम हो गई हैं। आज अगर किसी देश में शिक्षा तथा तकनीक में सुधार आते हैं तो वह पलक झपकते ही सारी दुनिया में पहुंच जाते हैं। इंटरनेट तथा कंप्यूटर ने तो इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है।

(vii) वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन (Change in the form of Classes) भूमंडलीकरण ने वर्गों के स्वरूप में भी परिवर्तन ला दिया है। 20वीं सदी में सिर्फ तीन प्रमुख वर्ग-उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग थे पर आजकल वर्गों की संख्या काफ़ी ज्यादा हो गई है। प्रत्येक वर्ग में ही बहुत से उपवर्ग बन गए हैं जैसे मजदूर वर्ग, डॉक्टर वर्ग, शिक्षक वर्ग इत्यादि के उनकी आय के अनुसार वर्ग बन गए हैं।

(viii) निजीकरण (Privatization)-भूमंडलीकरण का एक अच्छा प्रभाव यह है कि निजीकरण देखने को मिल रहा है। विकसित तथा विकासशील देशों में बहुत से सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में चल रहे हैं तथा यह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी से प्रेरित होकर और ज्यादा सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो रहा है।

(x) उद्योग धंधों का विकास (Development of Industries)-आर्थिक विकास की ऊँची दर प्राप्त करने के लिए विदेशी पूंजी निवेश से काफ़ी सहायता मिलती है। इससे न सिर्फ उद्योगों को लाभ मिलता है बल्कि उपभोक्ता को अच्छी तकनीक, अच्छे उत्पाद मिलते हैं तथा साथ ही साथ भारतीय उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने की प्रेरणा मिलती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण के स्थानीय संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
स्थानीय संस्कृति पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर:
सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि स्थानीय संस्कृति होती क्या है। स्थानीय संस्कृति वह है जो कि किसी देश या समाज की भौगोलिक सीमा के बीच ही फैले या सीमित रहे। चाहे एक ही देश में कई सांस्कृतिक समूहों का वास होता है तथा यह अलग-अलग समूह इकट्ठे रहते हैं जैसे कि भारत में होता है।

ऐसा कहते हैं कि भारत में अनेक संस्कृतियों का संगम होता है। यहाँ पर विविधता तथा विभिन्नता देखने को मिल जाती है तथा इसके साथ इन विभिन्नताओं में एकता भी पाई जाती है। इससे यह साबित होता है कि देश या समाज की परंपरागत संस्कृति स्थानीय संस्कृति होती है। इन्हें हम उप-संस्कृति भी कह सकते हैं।

भूमंडलीकरण का प्रभाव उन सभी देशों या समाजों की परंपरागत संस्कृतियों पर पड़ता है जो व्यापारिक संबंधों की वजह से आधुनिक संस्कृति के संपर्क में आते हैं। क्योंकि आधुनिक या पाश्चात्य संस्कृति विकसित देशों में पैदा हुई है इसलिए इस संस्कृति की भाषा अंग्रेज़ी है। भूमंडलीकरण के स्थानीय संस्कृति पर जो प्रभाव पड़ते हैं वे निम्नलिखित हैं

बाहरी संस्कृति के कुछ हिस्सों को ग्रहण करना-यह भी देखा गया है कि जिस-जिस देश में भूमंडली संस्कृति पहुँची है उस देश की संस्कृति ने पाश्चात्य संस्कृति के कुछ लक्षणों को अपनी ज़रूरत के अनुसार ग्रहण कर लिया है। उदाहरण के तौर पर भारत के शहरों में अंग्रेज़ी आम तौर पर प्रयोग होती है। खाने-पीने में पश्चिमी तरीके प्रयोग होते हैं, क्लबों, होटलों, नए-नए फैशनों इत्यादि का प्रयोग बढ़ रहा है।

इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों पर भी भूमंडलीकरण का प्रभाव देखने को मिल रहा है। परन्तु यहाँ एक बात ध्यान रखने योग्य है कि चाहे लोग पश्चिमी संस्कृति को अपना रहे हैं पर फिर भी उन्होंने अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों, परंपराओं, विधियों इत्यादि को बना कर रखा हुआ है। इस तरह यह देखा गया है कि भूमंडलीकरण संस्कृति तथा स्थानीय संस्कृति साथ-साथ बने रह सकते हैं। इस के बारे में हम चार कारणों का आगे उल्लेख कर रहे हैं-
(i) स्थानीय संस्कृति के लोग अपने लोगों के साथ सामुदायिक तौर पर जुड़े होते हैं तथा उनमें अपने क्षेत्रीय समुदाय के लोगों के साथ भावनात्मक संबंध भी होता है। यही वजह है कि स्थानीय संस्कृति में लोग बाहर की संस्कृति के सभी विचारों, लक्षणों को नहीं अपना सकते।

(ii) स्थानीय संस्कृति की यह मुख्य विशेषता होती है कि यह लचीली तथा टिकाऊ होती है। स्थानीय लोग अपने मूल्यों, विश्वासों, भाषा, परंपराओं, धर्म-कर्म इत्यादि के साथ गहरे रूप से जुड़े हुए होते हैं। यही वजह है कि स्थानीय संस्कृति में लोग अपनी संस्कृति की जगह बाहरी संस्कृति को पूरी तरह ग्रहण नहीं कर पाते हैं।

(iii) मनुष्य लंबे समय से अलग-अलग उप-संस्कृतियों का प्रतिफल रहा है। यही वजह है कि वह भूमंडल वाली संस्कृति के साथ पूरी तरह घुल-मिल नहीं पाता है क्योंकि दुनिया के लोगों का यह मानना है कि कहीं हम सब इस भुंमडलीय संस्कृति के गुलाम न बन जाएं। यही वजह है कि भूमंडलीय संस्कृति के साथ पूरी तरह एकरूपता स्थापित नहीं की जा सकती।

(iv) बहुत-से व्यक्ति अपने लिए सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देते हैं। यह लोग नए-नए विचारों, तौर तरीकों, भाषा, नई चीज़ों, नए अनुभवों को पसंद करते हैं ताकि वह जीवन से बोर न हों तथा जीवन में हमेशा नवीनता बनी रहे। यही कारण है कि स्थानीय संस्कृति के लोग अपने पुराने रीति-रिवाजों, विचारों, परंपराओं इत्यादि को छोड़ नहीं पाते हैं क्योंकि उनके लिए इन सब चीज़ों का एक खास मूल्य होता है। उदाहरण के तौर पर चाहे हम जितना मर्जी भूमंडलीकरण के समय में रह रहे हैं पर फिर भी हम अपने पूर्वजों की पूजा करना नहीं भूले हैं, हम अपने परंपरागत संगीत को भी नहीं भूले हैं।

भारतीय समाज सहयोग तथा समन्वय पर टिका हुआ है। भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण की वजह से लोभ, द्वेष, हिंसा, भोगवादी इत्यादि भावनाएं लोगों में आ रही हैं। इस वजह से ही मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है। भूमंडलीकरण के नाम पर पश्चिमी देशों का प्रयोग किया हुआ सामान हमें परोसा जा रहा है।

पश्चिमी देशों द्वारा बनाई संचार सामग्री आज सारी दुनिया में धाक जमाए हुए हैं। हर कोई इसके आगे-पीछे भाग रहा है। आज सहयोग, हमदर्दी, प्यार, समन्वय इत्यादि मूल्यों में गि वट आ रही है जो कभी हमारे समाज के आधार हुआ करते थे। इस तरह भूमंडलीय संस्कृति या विश्व की संस्कृति की वजह से स्थानीय या उप-संस्कृति धीरे-धीरे खत्म हो रही है।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण से संचार व्यवस्था किस प्रकार प्रभावित हुई है?
अथवा
भूमंडलीकरण और मीडिया के संबंधों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
संसार में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तथा दूरसंचार के आधारभूत ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इस कारण भूमंडलीय संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। अब अगर हम अपने घर से अथवा दफ्तर से बाहरी संसार से संपर्क बनाना चाहते हैं तो उसके बहुत से साधन मौजूद हैं जैसे कि टैलीफोन (लैंडलाइन तथा मोबाइल), फैक्स मशीनें, इंटरनेट, ई-मेल, डिजिटल तथा केबल टी०वी० इत्यादि। वैसे अगर देखा जाए तो संसार में बहुत से ऐसे स्थान हैं जिनके बारे में हमें पता तक नहीं है परंतु संचार व्यवस्था की सहायता से हम इसका आसानी से पता कर सकते हैं।

इसे डिजिटल विभाजन का सूचक माना जाता है। इस डिज़िटल विभाजन के बावजूद प्रौद्योगिकी के यह अलग अलग रूप दूरी तथा समय को संकुचित या कम तो करते ही हैं। पृथ्वी पर दो दूर-दूर विपरीत दिशाओं के स्थान मुंबई तथा वाशिंगटन में बैठे व्यक्ति न केवल आपस में बातचीत कर सकते हैं बल्कि अगर चाहें तो दस्तावेज़, कागज़ तथा चित्र इत्यादि को एक-दूसरे को उपग्रह प्रौद्योगिकी की सहायता से भेज भी सकते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल फोनों में भी बहुत अधिक वृद्धि हुई है। अगर देखा जाए तो नगरों तथा गांवों दोनों में रहने वाले लोगों के लिए मोबाइल जीवन का एक अहम् हिस्सा बन गया है। इस तरह मोबाइलों के प्रयोग में भारी वृद्धि हुई है तथा इनके प्रयोग के ढंगों में भी काफ़ी परिवर्तन आ गया है।

प्रश्न 6.
भूमंडलीकरण से राजनीतिक परिदृश्य में किस प्रकार परिवर्तन आया है?
उत्तर:
1990 में यू०एस०एस० आर में समाजवाद का विघटन हो गया जो कि कई प्रकार से एक बड़ा परिवर्तन था। इस घटना ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया। इस कारण ही भूमंडलीकरण को प्रोत्साहित करने वाली आर्थिक नीतियों के प्रति एक विशेष आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टिकोण पैदा हो गया। इन परिवर्तनों को आम तौर पर नव-उदारवादी आर्थिक उपाय भी कहा जाता है। भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत बहुत से ठोस कदम उठाए गए।

मौटे तौर पर, इन नीतियों में मुक्त व्यापार से संबंधित राजनीतिक दूरदर्शिता दिखाई देती है। इसलिए यह नीति राज्य की ओर से विनियमन तथा आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दोनों की ही आलोचक है। इस प्रकार भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में राजनीतिक दूरदर्शिता उतनी ही आवश्यक है जिनती कि आर्थिक दूरदर्शिता। यह अलग बात है कि वर्तमान भूमंडलीकरण से अलग भूमंडलीकरण की भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार हम एक समावेशात्मक (Inclusive) भूमंडलीकरण की कल्पना भी कर सकते हैं जिसमें समाज के सभी भाग शामिल होते हैं।

भूमंडलीकरण के साथ एक और महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम भी घटित हो रहा है तथा वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय रचनातंत्र। इस संबंध में यूरोपीय संघ, दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (एशियान), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग सम्मेलन (सार्क) तथा दक्षिण एशियाई व्यापार संघों का परिसंघ (बोर्डस) क्षेत्रीय संघों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठनों तथा अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का सामने आना भी एक और राजनीतिक आयाम पेश करता है।

अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन एक ऐसा संगठन होता है जिसे सहभागी सरकारें स्थापित करती हैं तथा जिसे एक विशेष पारराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र पर नियंत्रण रखने, नज़र रखने तथा उसे विनियमित करने का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है। जैसे कि W.T.O. को संसार भर में व्यापार प्रथाओं पर लागू नियमों का ध्यान रखना होता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत में औद्योगीकरण की नींव किसने रखी थी?
(A) अंग्रेजों ने
(B) मुग़लों ने
(C) भारत सरकार ने
(D) पुर्तगालियों ने।
उत्तर:
अंग्रेजों ने।

2. इनमें से कौन-सा भारत का प्रथम आधुनिक उद्योग था?
(A) रूई, जूट
(B) कोयला खाने
(C) रेलवे
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

3. 1991 में कुल कार्यकारी जनसंख्या में से कितने लोग बड़े उद्योगों में नौकरी कर रहे थे?
(A) 35%
(B) 28%
(C) 40%
(D) 38%
उत्तर:
28%

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

4. 1991 में लोग छोटे पैमाने के एवं परंपरागत उद्योगों में कार्यरत् थे?
(A) 40%
(B) 62%
(C) 72%
(D) 80%
उत्तर:
72%

5. 1990 के बाद भारत सरकार ने ………………… की नीति को अपनाया है।
(A) पश्चिमीकरण
(B) उदारीकरण
(C) सरकारी नियंत्रण
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
उदारीकरण।

6. सार्वजनिक कंपनियों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(A) विनिवेश
(B) उदारीकरण
(C) विश्वव्यापीकरण
(D) औद्योगीकरण।
उत्तर:
विनिवेश।

7. निजीकरण की जाने वाली पहली सार्वजनिक कंपनी कौन-सी थी?
(A) नाल्को
(B) वी० एस० एन० एल०
(C) माडर्न फूड
(D) आई० पी० सी० एल०
उत्तर:
मार्डन फूड।

8. औद्योगीकरण का क्या नुकसान होता है?
(A) प्रदूषण का बढ़ना
(B) कुटीर उद्योगों का ख़ात्मा
(C) बेरोज़गारी का बढ़ना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

9. इनमें से कौन मशीनों के प्रति पागलपन का विरोधी था?
(A) महात्मा गाँधी
(B) जवाहर लाल नेहरू
(C) सुभाष चंद्र बोस
(D) इंदिरा गाँधी।
उत्तर:
महात्मा गाँधी।

10. टेलरिज्म का आविष्कारक कौन था?
(A) ऐल्फरिड टेलर
(B) फ्रेडरिक विनस्लो टेलर
(C) मार्लिन टेलर
(D) आर्कराइट।
उत्तर:
फ्रेडरिक विनस्लो टेलर।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
असंगठित अथवा अनौपचारिक क्षेत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर:
असंगठित अथवा अनौपचारिक क्षेत्र का अर्थ उन श्रमिकों या कामगारों से है जो रोजगार के अस्थायी स्वरूपों, निरक्षरता, अज्ञानता, बिखरे हुए तथा छोटे उद्योगों जैसे कुछेक कारणों के कारण अपने साझे हितों के लिए अपने आपको संगठित करने में असमर्थ होते हैं। हमारे देश में 90% के लगभग लोग असंगठित क्षेत्र में कार्य करते हैं।

प्रश्न 2.
लघु उद्योग से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सरकार ने लघु उद्योगों को उसमें निवेश किए जाने वाले पैसे या पूँजी की मात्रा के अनुसार परिभाषित किया है। आजकल के समय में जिस उद्योग में 1 करोड़ तक का निवेश किया गया है उसे लघु उद्योग कहा जाता है। 1950 में यह सीमा पाँच लाख रुपये थी।

प्रश्न 3.
सरकार लघु उद्योगों को कैसे प्रोत्साहित करती है?
उत्तर:

  • लघु उद्योगों को कम ब्याज पर ऋण प्रदान किया जाता है।
  • लघु उद्योगों के द्वारा उत्पादित कुछ वस्तुओं को कर मुक्त रखा गया है।
  • देश में औदयोगिक बस्तियों या Focal Points की अलग-अलग शहरों में स्थापना की गई है ताकि लघु उद्योगों को विकसित किया जा सके।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

प्रश्न 4.
औदयोगिक क्षेत्र में अलगाव की स्थिति से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आजकल औद्योगिक क्षेत्र में श्रम विभाजन का काफ़ी महत्त्व है। श्रम विभाजन के कारण व्यक्ति को एक ही कार्य बार-बार करना पड़ता है। इससे उस व्यक्ति की और चीज़ उत्पादित करने की क्षमता खत्म हो जाती है तथा वह किसी और कार्य को नहीं कर पाता है इसे ही अलगाव कहा जाता है।

प्रश्न 5.
औद्योगीकरण का आपसी संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
लोग गाँवों में परिवारों को छोड़कर उद्योगों में कार्य करने के लिए नगरों की तरफ भागते हैं। कार्य मिलने के पश्चात् वह अपनी पत्नी व बच्चों को भी शहर में बुला लेते हैं। इससे गांवों के संयुक्त परिवार टूट जाते हैं तथा रिश्तेदारों में दूरियां भी बढ़ जाती हैं।

प्रश्न 6.
संरक्षण की नीति किस मान्यता पर आधारित है?
उत्तर:
एक मान्यता यह है कि विकसित देशों के उत्पाद की तुलना में देशी उत्पाद उनका सामना नहीं कर पाएंगे। इसलिए घरेलू उद्योगों को अगर कुछ समय के लिए संरक्षण दे दिया जाए तो वह विकसित देशों के उत्पादों के सामने खड़े हो पाएंगे। इसलिए उन्हें सरकार की तरफ से संरक्षण दे दिया जाता है। संरक्षण की नीति इस मान्यता पर आधारित है।

प्रश्न 7.
विनिवेश क्या है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में कुछ सार्वजनिक उद्यम होते हैं जिन पर सरकार का नियंत्रण होता है। जब सरकार इन सार्वजनिक उद्योगों में अपना हिस्सा किसी निजी उद्योग या व्यक्ति को बेचकर उससे अलग हो जाती है तो इसे विनिवेश कहा जाता है। उदाहरण के लिए NALCO, IPCL, VSNL इत्यादि।

प्रश्न 8.
मज़दूर संघ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
किसी भी उद्योग, मिल या कारखाने में कार्य करने वाले मजदूरों के हितों की रक्षा करने के लिए सभी मजदूर इकट्ठे होकर एक संघ का निर्माण करते हैं जिसे मज़दूर संघ कहा जाता है। उद्योग के सभी मज़दूर इसके सदस्य होते हैं।

प्रश्न 9.
आउटसोर्सिंग सर्विस से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब आउटसोर्सिंग कंपनी किसी कार्य को सस्ती दर पर विकासशील देशों की छोटी कंपनियों से करवाती है तो इसे आउटसोर्सिंग सर्विस कहा जाता है। बहुत-सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां आजकल भारत में ऐसे ही कार्य करवा रही हैं।

प्रश्न 10.
बड़े उद्योग की कोई एक विशेषता दें।
उत्तर:

  1. बड़े उद्योग में उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है तथा उस उत्पादन का वितरण भी बड़े पैमाने पर होता है।
  2. बड़े उद्योग में अधिक उत्पादन के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है तथा श्रमिकों के स्थान पर मशीनों से कार्य लिया जाता है।

प्रश्न 11.
लघु उद्योग की एक उदाहरण दें।
उत्तर:
हथकरघा उद्योग, घरों में साबुन तैयार करना, चटाई इत्यादि तैयार करना लघु उद्योग की उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.
लघु उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह उद्योग जो घरों से शुरू हो सकते हैं, जिन्हें लगाने में अधिक पूँजी की आवश्यकता नहीं होती तथा जिनमें मशीनों के स्थान पर व्यक्तिगत श्रम का अधिक महत्त्व होता है उन्हें लघु उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 13.
बड़े उद्योग की एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कार बनाने की फैक्ट्री, स्कूटर-मोटरसाइकिल बनाने की फैक्ट्री, कपड़ा उद्योग, लोहा उद्योग इत्यादि बड़े उद्योग की उदाहरण हैं।

प्रश्न 14.
निजीकरण का संबंध कौन-सी नीति से है?
उत्तर:
निजीकरण का संबंध सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने से है।

प्रश्न 15.
‘वर्ग’ कैसी सामाजिक व्यवस्था है?
उत्तर:
वर्ग एक खुली हुई सामाजिक व्यवस्था है जिसे कभी भी परिवर्तित किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
सामाजिक वर्ग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सामाजिक वर्ग एक ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जिनमें किसी न किसी आधार पर कोई न कोई समानता अवश्य होती है।

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प्रश्न 17.
पूँजीवाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
पूँजीवाद अर्थव्यवस्था का एक प्रकार है जिसमें सभी कुछ व्यक्तिगत हाथों में निर्भर होता है तथा सरकार की भागीदारी न के बराबर होती है।

प्रश्न 18.
श्रम विभाजन क्या है?
उत्तर:
श्रम विभाजन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कार्यों का बँटवारा होता है या अलग-अलग लोग अलग-अलग कार्य करने में माहिर होते हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजशास्त्र ने औद्योगीकरण की शुरुआती दशा में कौन-से कार्य किए थे?
उत्तर:
जब औद्योगीकरण एक नयी धारणा थी तथा जब मशीनों ने एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था उस समय समाजशास्त्र ने कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए थे। कार्ल मार्क्स, मैक्स वैबर तथा एमील दुर्खाइम जैसे समाजशास्त्रियों ने तो उद्योगों से संबंधित कई संकल्पों के साथ अपने आपको जोड़ा। यह थी नगरीकरण जिन आमने-सामने के उन संबंधों को बदला जोकि ग्रामीण समाजों में मिलते थे। ग्रामीण समाज के लोग अपने या जान पहचान के भूमि मालिकों के खेतों में कार्य करते थे, उन संबंधों की जगह आधुनिक कारखाने तथा कार्यस्थलों के अज्ञात व्यावसायिक संबंध सामने आ गए।

औद्योगीकरण के कारण विस्तृत श्रम विभाजन सामने आता है। लोगों को संपूर्ण उत्पादन के एक छोटे से पुर्जे को बनाना होता है जिस कारण वह कार्य का अंतिम रूप नहीं देख पाते हैं। चाहे यह कार्य बार-बार होता है तथा थकावट वाला होता है परंतु यह बेरोज़गार होने से अच्छा होता है। मार्क्स के अनुसार यह स्थिति अलगाव की होती है। इसमें लोग अपने कार्य से खुश नहीं होते। उनकी जीविका भी इस बात पर निर्भर करती है कि मशीनें मानवीय श्रम के लिए कितना काम छोड़ती हैं।

प्रश्न 2.
औद्योगीकरण के समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:

  1. श्रम विभाजन-औदयोगीकरण के समाज में श्रम विभाजन उत्पन्न हआ जिसमें किसी चीज़ का उत्पादन कई चरणों में होता है। हरेक व्यक्ति अलग-अलग कार्य करता है।
  2. यातायात के साधनों का विकास-इसके कारण यातायात के साधन विकसित हो गए । कच्चे माल को लाने तथा उत्पादित माल को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए यह साधन विकसित हुए।
  3. उत्पादन का बढ़ना-इस कारण उत्पादन घरों से निकल कर फैक्टरियों में आ गया जहां उत्पादन मशीनों के साथ होता है। मशीनें उत्पादन तेजी से करती हैं जिससे उत्पादन बढ़ गया।
  4. जाति प्रथा का कम होना-उद्योगों में अलग-अलग जातियों के लोग इकट्ठे मिल कर कार्य करते हैं, इससे जाति प्रथा का प्रभाव कम हो गया।

प्रश्न 3.
भारत में स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों में औद्योगीकरण की दशा का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत के प्रथम आधुनिक उद्योग रूई, जूट, कोयला खाने तथा रेलवे थे। स्वतंत्रता के बाद सरकार ने की पर बल दिया। इसमें सुरक्षा, ऊर्जा खनन, परिवहन तथा संचार और कई अन्य परियोजनाओं को शामिल किया जिन्हें सरकार कर सकती थी। यह निजी क्षेत्र के उद्योगों की प्रगति के लिए भी ज़रूरी था। सरकारी मिश्रित आर्थिक नीति में सरकार लाइसेंसिग नीति से यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि यह उद्योग अलग-अलग भागों में फैले हों।

स्वतंत्रता के बाद यह बड़े शहरों से निकल कर बड़ौदा, कोयंबटूर, बैंगलोर, पूना, फरीदाबाद, राजकोट जैसे शहरों में फैल गए। सरकार कई और छोटे पैमाने के उद्योगों को सहायता देकर प्रोत्साहित कर रही है। कई वस्तुएं जैसे कि कागज़, लकड़ी का सामान, लेखन सामग्री, शीशा, चीनी मिट्टी जैसे छोटे पैमाने के क्षेत्रों के लिए आरक्षित थे। 1991 तक कुल कार्यकारी जनसंख्या में से सिर्फ 28% ही बड़े उद्योगों में कार्य करते थे। 72% लोग छोटे व परंपरागत उद्योगों में कार्य करते थे।

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प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण व उदारीकरण से भारतीय उद्योगों में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:

  1. भारतीय उद्योग विदेशी निवेश के लिए खोल दिए गए तथा विदेशी कंपनियों ने भारतीय उद्योगों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया।
  2. भारतीय दुकानों पर विदेशी माल आसानी से उपलब्ध होने लग गया जो पहले उपलब्ध नहीं होता था।
  3. सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों का विनिवेश करके उन्हें निजी उद्योगों को बेचना शुरू कर दिया। निजी उद्योगों ने सरकारी कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी।
  4. अधिकांश कंपनियों ने अपने स्थायी कर्मचारियों की छंटनी करके अपने कार्य बाहरी स्रोतों जैसे कि छोटी कंपनियों से करवाने शुरू कर दिए।

प्रश्न 5.
आजकल लोग किस तरह काम पाते हैं?
उत्तर:
आजकल फैक्ट्री में कामगारों को रोजगार देने का तरीका भिन्न होता है। आजकल काम दिलाने वालों का महत्त्व कम हो गया है। यूनियन तथा कार्यकारिणी दोनों ही अपने लोगों को काम दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ कामगार यह भी चाहते हैं कि उनके बच्चों को उनका कार्य दे दिया जाए।

बहुत-सी फैक्ट्रियों में बदली कामगार होते हैं, जोकि छुट्टी पर गए श्रमिकों की जगह कार्य करते हैं। बहुत से बदली श्रमिक एक ही उद्योग में काफी लंबे समय तक कार्य कर रहे होते हैं। परन्तु उन्हें सबके जैसी सुरक्षा तथा स्थायी पद नहीं दिया जाता। इसे संगठित क्षेत्र में अनुबंधित कार्य कहते हैं।

प्रश्न 6.
टेलरिज्म या औदयोगिक इंजीनियरिंग व्यवस्था का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इस व्यवस्था में कार्य को छोटे-से-छोटे पुनरावृत्ति तत्त्वों में तोड़कर श्रमिकों में बाँट दिया जाता था। कामगारों को निश्चित समय में कार्य को खत्म करना ही पड़ता था। इसके लिए स्टाप वाच की सहायता भी ली जाती थी। कार्य को जल्दी खत्म करने के लिए असैंबली लाइन सामने आयी।

हरेक श्रमिक को कन्वेयर बेल्ट के साथ बैठकर अंतिम उत्पाद के केवल एक पुर्जे को उसमें जोड़ना था। कार्य करने की गति को बेल्ट की गति के साथ व्यवस्थित किया गया। 1980 के दशक में प्रत्यक्ष नियंत्रण की जगह अप्रत्यक्ष नियंत्रण की व्यवस्था की गई थी जहां कामगारों को प्रेरित तथा प्रबोधित करने का प्रावधान था। परंतु हम कभी-कभी ही इस पुरानी टेलरिज्म प्रक्रिया को बचा हुआ पाते हैं।

प्रश्न 7.
औद्योगीकरण का श्रमिकों पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:

  1. अधिक मशीनों वाले उद्योगों में कम लोगों को काम दिया जाता है परंतु जो भी होते हैं उन्हें भी मशीनी गति से कार्य करना पड़ता है जिससे उनमें काम के प्रति लगाव नहीं रहता।
  2. कामगारों को कार्य करने के समय के दौरान विश्राम का काफ़ी कम समय मिलता है जिस कारण वह 40 वर्ष तक पहुँचते-पहुँचते बुरी तरह थक जाता है तथा स्वैच्छिक अवकाश ले लेता है।
  3. कंपनियां बाहरी स्रोतों से कार्य करवाती है। अगर सप्लाई समय पर नहीं आती तो कामगारों में तनाव आ जाता है तथा अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  4. सप्लाई न आने की स्थिति में उत्पादन का लक्ष्य देर से होता है और जब वह आ जाता है तो उसे रखने के लिए उन्हें भाग दौड़ करनी पड़ती है। ऐसा करने में वह पूरी तरह निढाल हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
भारत में उद्योगों की विभाजित श्रेणियों की व्याख्या करें।
उत्तर:
1956 में बनी भारतीय औद्योगिक नीति के अनुसार भारतीय उद्योगों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है तथा वह हैं-

  1. प्रथम श्रेणी-इस श्रेणी से सुरक्षा से संबंधित उद्योग, रेल यातायात, डाकघर, परमाणु शक्ति के उत्पादन तथा नियंत्रण जैसे उद्योग रखे गए थे। केंद्र सरकार ही इनके संचालन तथा विकास को संभालती है।
  2. द्वितीय श्रेणी-12 उद्योग जैसे कि मशीनें, औजार, दवाएं, रबड़, जल यातायात, उवर्रक, सड़क यातायात इत्यादि इस श्रेणी में रखे गए थे। इनके विकास में सरकार अधिक हिस्सा डालेगी।
  3. तृतीय श्रेणी-इस श्रेणी में वह सभी उद्योग शामिल किए गए जो निजी क्षेत्र के लिए रखे गए थे। चाहे निजी क्षेत्र इनका विकास करते हैं परंतु सरकार चाहे तो इनकी स्थापना भी कर सकती है।

प्रश्न 9.
खानों में किस प्रकार मजदूरों का शोषण होता है?
उत्तर:

  1. छोटी तथा खुली खानों में नियमों का पालन नहीं किया जाता। मजदूरों को ठेकेदारी व्यवस्था के अंतर्गत रखा जाता है तथा उन्हें बराबर वेतन नहीं दिया जाता।
  2. ठेकेदार मजदूरों का रजिस्टर भी ठीक नहीं रखते। दुर्घटना होने की स्थिति में ठेकेदार मज़दूरों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं देते हैं।
  3. खानों में भूमि के नीचे जाकर कार्य करना पड़ता है जिस कारण गैसों के उत्सर्जन तथा ऑक्सीजन के बंद होने से कामगारों को साँस से संबंधित बीमारियां भी हो जाती हैं।
  4. खान के फटने या किसी चीज़ के गिरने से उन्हें चोट का सामना करना पड़ता है परंतु कोई उनका इलाज नहीं करता।

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निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1992 में बंबई की एक मिल में हड़ताल हुई। इस हड़ताल के बारे में दिए गए परिच्छेद को पढ़ें तथा उसके बाद दिए गए प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें-
उत्तर:
जय प्रकाश भिलारे-मिल के भूतपूर्व कामगारः महाराष्ट्र गिरनी कामगार संघ के महासचिवः कपड़ा मिल के कामगार केवल अपना वेतन और महँगाई भत्ता लेते हैं इसके अलावा उन्हें कोई और भत्ता नहीं मिलता। हमें केवल पाँच दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता है। दूसरे उद्योगों के कामगारों को अन्य भत्ते जैसे यातायात, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ इत्यादि मिलने शुरू हो गए साथ ही 10-12 दिन का आकस्मिक अवकाश भी।

इससे कपड़ा मिल के कामगार भड़क गए…… 22 अक्तूबर, 1981 को स्टैंडर्ड मिल के कामकार डॉ० दत्ता सामंत के घर गए और उनसे अपनी अगुआई करने को कहा। पहले सामंत ने मना कर दिया, उन्होंने कहा कि कपड़ा मिलें बी०आई०आर०ए० के अंतर्गत आती हैं, और मुझे इसके बारे में अधिक जानकारी भी नहीं है। परंतु ये कामगार किसी भी हालत में ना नहीं सुनना चाहते थे। वे रात भर उनके घर के बाहर चौकसी करते रहे और अंत में सुबह सामंत मान गए।

लक्ष्मी भाटकर-हड़ताल की सहभागीः मैंने हड़ताल का समर्थन किया। हम रोज़ाना गेट के बाहर बैठ जाते थे और सलाह करते थे कि आगे क्या करना होगा। हम समय-समय पर संगठित होकर मोर्चे भी निकालते थे…….. मोर्चे बहुत बड़े हुआ करते थे……. हमने कभी किसी को लूटा या चोट नहीं पहुँचाई मुझे कभी-कभी बोलने के लिए कहा गया, लेकिन मैं भाषण नहीं दे सकती। मेरे पाँव बुरी तरह काँपने लगते हैं। इसके अलावा मैं अपने बच्चों से भी डरती हूँ-वो क्या कहेंगे?

वो सोचेंगे कि यहाँ हम भूखे मर रहे हैं और वो वहाँ अपना फोटो अखबार में छपवा रही है…….. एक बार हमने सेंचुरी मिल के शोरूम की तरफ़ भी मोर्चा निकाला। हमें गिरफ्तार करके बोरीवली ले जाया गया। मैं अपने बच्चों के बारे में सोच रही थी। मैं खाना नहीं खा पाईं मैं अपने बारे में सोचने लगी कि हम लोग कोई अपराधी नहीं, मिल के कामगार हैं। हम अपने खून पसीने की कमाई के लिए लड़ रहे हैं?

किसन सालुंके-स्पिन मिल्स का भूतपूर्व कामगारः सेंचुरी मिल में हड़ताल शुरू हुए मुश्किल से डेढ़ महीना ही हुआ होगा कि आर०एम०एम०एस० वालों ने मिल खुलवा दी। वे ऐसा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें राज्य और सरकार दोनों का समर्थन प्राप्त है। वे बाहर के लोगों को बिना उनके बारे में पूरी तरह जाने मिल के अंदर ले आए……. भोसले (तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री) ने 30 रुपए बढ़ाने की पेशकश की।

दत्ता सामंत ने इस विषय पर विचार करने के लिए मीटिंग बुलाई आगे के सारे क्रियाकलाप यहीं होते थे। हमने कहा, ‘हमें यह नहीं चाहिए’। अगर हड़ताल के नेताओं के पास कोई मर्यादा, कोई बातचीत नहीं है, हम बिना किसी उत्पीड़न के काम पर वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैं।

दत्ता इसवालकर-मिल चाल्स टेनैंट एसोसिएशन के अध्यक्ष : (प्रेसीडेंट) कांग्रेस ने बाबू रेशिम, रमा नायक और अरुण गावली जैसे सभी गुंडों को स्ट्राइक खत्म करवाने के लिए जेल से बाहर कर दिया।

हमारे पास स्ट्राइक तोड़ने वालों को मारने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। हमारे लिए यह जीवन मृत्यु का प्रश्न था। भाई भोंसले-1982 की हड़ताल में आर०एम०एम०एस० के महासचिव : हमने तीन महीने की हड़ताल के बाद लोगों को वापस काम पर बुलाना शुरू कर दिया…. हम सोचते थे, कि अगर लोग काम पर जाना चाहते हैं तो उन्हें जाने देना चाहिए, वास्तव में यह उनकी सहायता ही थी….

माफिया गैंग के बीच में आ जाने के बारे में, मैं उसके लिए उत्तरदायी था….. ये दत्ता सामंत जैसे लोग सुविधाजनक समय का इंतजार कर रहे हैं, और आराम से काम पर जाने वालों का इंतज़ार कर रहे हैं। हमने परेल एवं अन्य स्थानों पर प्रतिपक्षी समूहों को तैयार किया था। स्वाभाविक रूप से वहाँ कुछ झगड़ा कुछ खूनखराबा हो सकता था…. जब रमा नायक की मृत्यु हुई तो उस वक्त के मेयर भुजबल उसके सम्मान में अपनी ऑफ़िस की कार में आए। इन लोगों की ताकतों को एक समय या अन्य अनेक लोगों द्वारा राजनीति में इस्तेमाल किया गया।

किसन सालुंके-भूतपूर्व मिल कामगार : वह मुश्किल समय था हमने अपने सारे बर्तन बेच दिए थे। हमें अपने बर्तनों को सीधा उठाकर ले जाते हुए शर्म आती थी इसलिए हम उन्हें बोरियों में लपेटकर बेचने के लिए दुकानों पर ले जाते थे। वो ऐसे दिन थे जब हमारे पास खाने के लिए पानी के अलावा कुछ नहीं था, लकड़ी के बुरादे को ईंधन की जगह जलाते थे। मेरे तीन बेटे हैं। कई बार बच्चों के पीने के लिए दूध नहीं होता था, मुझसे उनकी यह भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। मैं अपनी छतरी लेकर घर से बाहर चला जाता था।

सिंदु मरहने-भूतपूर्व मिल कामगारः आर०एम०एम०एस० वाले और गुंडे मुझे भी जबरदस्ती काम पर वापस ले जाने के लिए आए। पर मैंने जाने से इन्कार कर दिया…. जो महिलाएँ मिल में रह कर काम कर रही थीं उनके साथ क्या हो रहा था इस बारे में तरह-तरह की अफवाहें चारों तरफ़ फैली थीं। वहाँ बलात्कार की घटनाएँ घटी थीं।

प्रश्न 2.
1. 1982 की कपड़ा मिल हड़ताल के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
2. कामगार हड़ताल पर क्यों गए?
3. दत्ता सामंत ने किस तरह हड़ताल की नेतागिरी स्वीकार की?
4. हड़ताल तोड़ने वालों की क्या भूमिका थी?
5. माफिया गिरोहों ने किस तरह इन स्थानों पर अपनी जगह बनाई?
6. इस हड़ताल के दौरान महिलाएँ कैसे परेशान, हुईं, और उनके मुख्य सरोकार क्या थे?
7. हड़ताल के दौरान कामगार और उनके परिवार कैसे अपने आप को बचाए रख पाए?
उत्तर:
1. 1982 की कपड़ा मिल हड़ताल के मजदूरों ने अपने वेतन, बोनस, छुट्टी इत्यादि के मुद्दों को लेकर हड़ताल की थी।

2. मिल के कामगारों ने वेतन, महँगाई भत्ते के अतिरिक्त मिलने वाली और सुविधाओं तथा भत्तों की माँग को लेकर हड़ताल की थी।

3. जब मजदूरों ने काफ़ी अधिक आग्रह किया तो ही दत्ता सामंत ने हड़ताल की नेतागिरी स्वीकार की थी।

4. हड़ताल तोड़ने वालों की इसमें काफ़ी बड़ी भूमिका थी। उन्हें सरकार तथा राज्य दोनों का ही समर्थन प्राप्त था तथा इसलिए ही उन्होंने मिल को जबरन ही खुलवा दिया था।

5. सरकार ने माफिया के गुंड़ों जैसे कि बाबू रेशिम, रमा नायक और अरुण गवली को जेल से छोड़ दिया। इन सभी ने दबाव डालकर इन स्थानों पर अपनी जगह बनाई।

6. महिलाओं को बेइज्जत किया गया, उन्हें मोर्चा निकालने के कारण जेल भेज दिया गया। महिलाओं का मुख्य सरोकार मेहनत मजदूरी करके इज्ज़त के साथ अपने बच्चों का पेट भरना था।

7. हड़ताल का समय काफ़ी मुश्किल समय था। इस समय के दौरान उन्होंने अपने घरों के बर्तन बेचे, वस्तुएं बेची ताकि वह अपने परिवारों को बचा कर रख सकें।

प्रश्न 3.
उदारीकरण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
1991 में भारत में आर्थिक नीति लागू की गई। उदारीकरण, निजीकरण तथा भूमंडलीकरण इस नीति की प्रमुख विशेषताएं हैं। उदारीकरण की प्रक्रिया 20वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुई। चाहे भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया लगभग तीन दशक से चली आ रही है पर सरकारों में बदलाव के साथ-साथ उदारीकरण की नीतियों तथा गति में भी परिवर्तन आता रहा है। उदारीकरण के महत्त्वपूर्ण पहलू तथा विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(i) उद्योगों को लाइसेंस मुक्त करना ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोग निजी तौर पर पूंजी लगाकर उद्योगों का विकास कर सकें।

(ii) उदयोगों को अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करना ताकि उदयोग लगाते समय कोई झिझके न तथा उदयोगों में तेजी से प्रगति हो।

(iii) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना ताकि देश में विदेशी मुद्रा बढ़े तथा उद्योग ज्यादा-से-ज्यादा लग सकें।

(iv) उद्योगों को बाज़ार की ज़रूरतों के अनुसार उत्पादन करने की छूट देना ताकि मार्किट में चीज़ों के उत्पादन पर किसी एक कंपनी का एकाधिकार न हो तथा मूल्यों में बढ़ोत्तरी न हो।

(v) उद्योगों की मांग तथा अपनी क्षमता के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन करने की अनुमति देना।

(vi) उद्योगों तथा व्यापार को नौकरशाही के चंगुल से मुक्त करना क्योंकि व्यापार तथा उद्योगों में सबसे ज्यादा अडंगे नौकरशाही ही डालती है। अगर नौकरशाही अड़गे न डाले तो उद्योग तेज़ गति से तरक्की करेंगे।

(vii) अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण को कम करना ताकि लोग निजी तौर पर उद्योग लगाने के लिए आगे आएं तथा देश का औद्योगिक विकास हो सके।

(viii) सीमा शुल्क कम करना ताकि आयात-निर्यात को बढ़ावा मिल सके। आयात बढ़ने से कीमतें नियंत्रण में रहेंगी तथा निर्यात बढ़ने से देश के आंतरिक व्यापार में वृद्धि होगी।

(ix) वस्तुओं तथा सेवाओं के आयात-निर्यात से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि व्यापार में बढ़ोत्तरी हो सके।

(x) सार्वजनिक उपागमों को समाप्त करना तथा उनको निजी उद्योगों में बदलना क्योंकि सार्वजनिक उपागमों में सरकारी नियंत्रण ज्यादा होता है तथा उनमें मुनाफा कमाने की क्षमता कम होती है पर निजी हाथों में उद्योगों के आ जाने से कार्यक्षमता बढ़ जाती है तथा निजी क्षेत्र हमेशा मुनाफा कमाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इस तरह सार्वजनिक उपागमों को निजी हाथों में देने से उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी तथा मुनाफा कमाने के मौके ज्यादा बढ़ेंगे।

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1991 में देश में आर्थिक सुधार शुरू होने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में तेजी आ गई। भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न चरणों में भूमंडलीकरण किया जा रहा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार भूमंडलीकरण में 50 राष्ट्रों में सिंगापुर प्रथम तथा भारत 49वें स्थान पर है।

इससे पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण की गति अभी धीमी है। भूमंडलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर क्या प्रभाव पड़ा उसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
(i) भारत की विश्व निर्यात हिस्से में वृद्धि (Increase of Indian Share in World Export)-भूमंडलीकरण की प्रक्रिया के चलते भारत का विश्व में निर्यात का हिस्सा बढ़ा है।

20वीं शताब्दी के आखिरी दशक के दौरान भारत की वस्तुओं तथा सेवाओं में 125% की वृद्धि हुई है। 1990 में भारत का विश्व की वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्यात में हिस्सा 0.55% था जोकि 1999 में बढ़कर 0.75% हो गया था।

(ii) भारत में विदेशी निवेश (Foreign Investment in India)-विदेशी निवेश वृद्धि भी भूमंडलीकरण का एक लाभ है क्योंकि विदेशी निवेश से अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ती है। भारत में निरंतर विदेशी निवेश बढ़ रहा है। 1995-96 से 2000-01 के दौरान इसमें 53% की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान वार्षिक औसत लगभग $ 500 करोड़ विदेशी निवेश हुआ।

(iii) विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) आयात के लिए विदेशी मुद्रा आवश्यक है। जून, 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ One Billion था जिससे सिर्फ दो सप्ताह की आयात आवश्यकताएं ही पूरी की जा सकती थीं। जुलाई, 1991 में भारत में नयी आर्थिक नीतियां अपनायी गईं।

भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण को बढ़ावा दिया गया जिस वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में काफ़ी तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में $ 300 Billion के करीब विदेशी मद्रा है। इससे पहले कभी भी देश में इतना विदेशी मद्रा का भंडार नहीं था।

(iv) सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (Growth of Gross Domestic Product)-भूमंडलीकरण से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है। देश में 1980 के दशक में वृद्धि दर 5.63% तथा 1990 के दशक के दौरान वृद्धि दर 5.80% रहा। इस तरह सकल घरेलू उत्पादन में थोड़ी सी वृद्धि हुई।

(v) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment)-भूमंडलीकरण से बेरोज़गारी बढ़ती है। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक में मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया तथा मलेशिया में भूमंडलीकरण के प्रभाव के कारण आर्थिक संकट आया। फलस्वरूप लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा तथा वे ग़रीबी रेखा से नीचे आ गए। 1990 के दशक के शुरू में देश में बेरोजगारी दर 6% थी जो दशक के अंत में 7% हो गई। इस तरह भूमंडलीकरण से रोजगार विहीन विकास हो रहा है।

(vi) कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture)-देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों का हिस्सा लगभग 29% है जबकि यह अमेरिका में 2%, फ्रांस तथा जापान में 5.5% है। अगर श्रम शक्ति की नजर से देखें तो भारत की 69% श्रम शक्ति को कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों में रोजगार प्राप्त है जबकि अमेरिका तथा इंग्लैंड में ऐसे कार्यों में 2.6% श्रम शक्ति कार्यरत है। विश्व व्यापार के नियमों के अनुसार विश्व को इस संगठन के सभी सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र निवेश के लिए विश्व के अन्य राष्ट्रों के लिए खोलना है। इस तरह आने वाला समय भारत की कृषि तथा अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा रहने की उम्मीद है।

(vii) शिक्षा व तकनीकी सुधार (Educational and technical reforms) भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का शिक्षा पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा है तथा तकनीकी शिक्षा में तो चमत्कार हो गया है। आज संचार तथा परिवहन के साधनों की वजह से दूरियां काफ़ी कम हो गई हैं। आज अगर किसी देश में शिक्षा तथा तकनीक में सुधार आते हैं तो वह पलक झपकते ही सारी दुनिया में पहुंच जाते हैं। इंटरनेट तथा कंप्यूटर ने तो इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है।

(viii) वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन (Change in the form of Classes) भूमंडलीकरण ने वर्गों के स्वरूप में भी परिवर्तन ला दिया है। 20वीं सदी में सिर्फ तीन प्रमुख वर्ग-उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग थे पर आजकल वर्गों की संख्या काफी ज्यादा हो गई है। प्रत्येक वर्ग में ही बहत से उपवर्ग बन गए हैं जैसे मज़दर वर्ग. डॉक्टर वर्ग. शिक्षक वर्ग इत्यादि के उनकी आय के अनुसार वर्ग बन गए हैं।

(ix) निजीकरण (Privatization)-भूमंडलीकरण का एक अच्छा प्रभाव यह है कि निजीकरण देखने को मिल रहा है। विकसित तथा विकासशील देशों में बहुत से सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में चल रहे हैं तथा यह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी से प्रेरित होकर और ज्यादा सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो रहा है।

(x) उद्योग-धंधों का विकास (Development of Industries) आर्थिक विकास की ऊँची दर प्राप्त करने के लिए विदेशी पूंजी निवेश से काफ़ी सहायता मिलती है। इससे न सिर्फ उद्योगों को लाभ मिलता है बल्कि उपभोक्ता को अच्छी तकनीक, अच्छे उत्पाद मिलते हैं तथा साथ ही साथ भारतीय उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने की प्रेरणा मिलती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

प्रश्न 5.
भारत में मज़दूर संघों की भूमिका पर प्रकाश डालें तथा किसी लंबी चली हड़ताल के बारे में बताएं।
उत्तर:
हमारे देश में बहुत से मजदूर संघ मजदूरों के हितों के लिए कार्य करते हैं परंतु बहुत से मज़दूर संघों में क्षेत्रीयवाद तथा जातिवाद जैसी कई समस्याएँ होती हैं। कई बार काम को बुरी दशाओं के कारण मज़दूर हड़ताल कर देते हैं। वे काम करने नहीं जाते. तालाबंदी होने की स्थिति में मालिक मिल का दरवाजा बंद करके मज़दरों को अंदर जाने नहीं देते हैं। हड़ताल करना काफी मुश्किल निर्णय होता है क्योंकि मालिक बाहर से मजदूर बुलाने की कोशिश करते हैं। श्रमिकों के लिए वेतन के बिना रहना मुश्किल होता है। इस समय पर मजदूर संघ उनके हितों के लिए लड़ते हैं तथा मालिकों पर दबाव बनाते हैं ताकि उनकी मांगों को माना जा सके।

यहां हम 1982 में बंबई कपड़ा मिल में हुई सामंत हड़ताल के बारे में बता सकते हैं जो व्यापार संघ के नेता डॉ० दत्ता सामंत के नेतृत्व में हुई थी। इस हड़ताल के कारण लगभग ढाई लाख मज़दूर तथा उनके परिवार प्रभावित हुए। मजदूरों की माँग थी कि उन्हें अधिक वेतन दिया जाए तथा अपना संघ बनाने की आज्ञा दी जाए। बंबई इंडस्ट्रियल रिलेशंस एक्ट के अनसार संघ बनाने केलिए अनुमति लेनी चाहिए तथा अनमति लेने के लिए हडताल नहीं होनी चाहिए।

कांग्रेस द्वारा समर्थित राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ ही एकमात्र मान्यता प्राप्त संघ था तथा उसने बाहर से मजदूर की मांगों को नहीं सुना। धीरे-धीरे दो साल बाद मजदूरों ने काम पर जाना शुरू कर दिया क्योंकि वह हड़ताल से परेशान हो चुके थे। लगभग एक लाख मज़दूर बेरोज़गार हो गए तथा वह अपने गाँवों को लौट गए या दिहाड़ी पर कार्य करने लग गए। बाकी आसपास के क्षेत्रों के बिजली करघा क्षेत्रों
में कार्य करने चले गए।

प्रश्न 6.
औद्योगीकरण की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
औद्योगीकरण की विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित हैं-
(i) मशीनों से उत्पादन-औद्योगीकरण की प्रक्रिया में उत्पादन मशीनों से होता है न कि हाथों से। इस प्रक्रिया में नयी-नयी मशीनों का ईजाद होता है तथा उन मशीनों की मदद से उत्पादन बढ़ाया जाता है। प्राचीन समाजों में उत्पादन हाथों से होता था इसलिए औद्योगीकरण इतनी उन्नत अवस्था में नहीं था। औद्योगीकरण में उत्पादन नयी मशीनों से तथा ज़्यादा मात्रा में होता है।

(ii) औद्योगीकरण का संबंध उत्पादन की प्रक्रिया से होता है-औद्योगीकरण का संबंध उत्पादन की प्रक्रिया से होता है क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान उत्पादन बढ़ जाता है। इसमें मशीनों की मदद से उत्पादन किया जाता है तथा उत्पादन भी ज़्यादा मात्रा में होता है।

(iii) औद्योगीकरण में परंपरागत शक्ति का प्रयोग नहीं होता-परंपरागत शक्ति वह शक्ति होती है जो मानव शक्ति या पशु शक्ति पर आधारित होती है। औद्योगीकरण में इस मानव या पशु शक्ति की बजाए पेट्रोल, डीज़ल, कोयला, विद्युत् या परमाणु शक्ति का प्रयोग होता है क्योंकि परंपरागत शक्ति की अपेक्षा यह शक्ति ज़्यादा तेज़ी से मशोनों को चलाती है तथा आजकल की मशीनें भी इसी शक्ति से चलती हैं।

(iv) औद्योगीकरण में उत्पादन तेज़ी से होता है-इस प्रक्रिया में उत्पादन बहुत तेज़ गति से होता है। प्राचीन समय में क्योंकि उत्पादन हाथों से होता था इसलिए उत्पादन बहुत कम हुआ करता था परंतु औद्योगीकरण में उत्पादन मशीनों से होता है इसलिए उत्पादन भी ज्यादा मात्रा में होता है। क्योंकि आजकल जनसंख्या भी काफ़ी बढ़ गई है इसलिए उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा मशीनों का प्रयोग होता है ताकि ज्यादा उत्पादन किया जा सके।

(v) औद्योगीकरण में आर्थिक विकास होता है-इस प्रक्रिया में आर्थिक विकास होना ज़रूरी है। उदयोग लग जाते हैं जो न सिर्फ अपने देश की ज़रूरतें परी करते हैं बल्कि दसरे देशों की भी जरूरतें परी करते हैं। इस वजह से ये ज्यादा मुनाफ़ा कमाते हैं तथा देश के लिए भी पैसा कमाते हैं। पैसा कमाने के साथ ये देश को काफ़ी कर भी देते हैं जिससे देश को काफ़ी आमदनी हो जाती है जो कि देश के विकास में खर्च होती है। लोगों को उद्योगों में काम मिलता है जिससे उनका जीवन स्तर ऊँचा होता है जिससे देश का आर्थिक विकास होता है।

(vi) औद्योगीकरण से प्राचीन मान्यतएं टूट जाती हैं-औद्योगीकरण से प्राचीन मान्यताएं टूट जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत में इस प्रक्रिया के फलस्वरूप संयुक्त परिवार की मान्यता तथा परंपरा में विघटन हो गया है। इस वजह से संयुक्त परिवार टूट कर केंद्रीय परिवारों में बदल रहे हैं। इस तरह और भी की परंपराओं जैसे जाति प्रथा, विवाह नाम की संस्था में भी बहुत से परिवर्तन आ रहे हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि औद्योगीकरण में प्राचीन परंपराएं टूट जाती हैं।

(vii) औद्योगीकरण में नए वर्गों का उदय होता है-औद्योगीकरण में नए-नए वर्ग सामने आते हैं। अमीर वर्ग, गरीब वर्ग, मध्यम वर्ग, मालिक वर्ग, मज़दूर वर्ग जैसे कई और वर्ग हमारे सामने आते हैं। इस वजह से कइयों को पैसा आ जाता है, कइयों के पास कम हो जाता है। कई ट्रेड यूनियन इत्यादि जैसे वर्ग सामने आ जाते हैं जोकि हमारे समाज में जरूरी हो जाते हैं।

(vii) औद्योगीकरण में प्राकृतिक साधनों का पूरी तरह प्रयोग होता है-इस प्रक्रिया में देश के प्राकृतिक साधनों का पूरी तरह प्रयोग होता है। मशीनों से उत्पादन की वजह से कोयला, डीज़ल, पेट्रोल, बिजली इत्यादि शक्ति का प्रयोग होता है जोकि प्राकृतिक साधनों का हिस्सा होते हैं। इसके अलावा कच्चे माल के लिए कृषि पर तथा भूमि पर ज़रूरत से ज्यादा बोझ पड़ता है जिससे प्राकृतिक साधनों का विनाश होना शुरू हो जाता है।

(ix) औदयोगीकरण में कई तकनीकों का प्रयोग होता है-औदयोगीकरण में हमेशा नई तकनीकों का प्रयोग होता रहता है क्योकि औद्योगीकरण में नयी-नयी मशीनों का प्रयोग होता है। इस वजह से नए-नए आविष्कार होते रहते हैं जिसके कारण हमारे सामने नयी-नयी मशीनें आती हैं जिनका प्रयोग उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस तरह हमने देखा कि औद्योगीकरण में बहुत-सी विशेषताएं होती हैं पर इस प्रक्रिया की वजह से कई समस्याएं भी आती हैं।

प्रश्न 7.
औद्योगीकरण के समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
औद्योगीकरण के समाज पर बहुत से अच्छे-बुरे प्रभाव पड़ते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) श्रम विभाजन-प्राचीन समय में किसी चीज़ का उत्पादन परिवार में ही हुआ करता था। सभी को उस चीज़ के उत्पादन से संबंधित कार्य आते थे तथा वे सभी मिल-जुल कर कार्य करके उसका उत्पादन कर लिया करते थे। पर औद्योगीकरण की वजह से काम मशीनों पर होना शुरू हो गया जिस वजह से श्रम विभाजन का संकल्प हमारे सामने आया।

किसी चीज़ का उत्पादन कई चरणों में होता है। हर चरण में अलग-अलग काम होते हैं। अब हर कोई अलग-अलग काम करता है, जैसे कपड़ा बनाने में कोई किसी मशीन को चलाता है, कोई किसी मशीन को। अगर कोई रंगाई करता है तो यह भी श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण का काम हो जाता है। इस तरह हर काम में श्रम विभाजन हो गया है। हर कोई एक खास काम करता है तथा उसका उसी काम में विशेषीकरण हो जाता है। यह औद्योगीकरण की वजह से हुआ है।

(ii) यातायात के साधनों का विकास-औद्योगीकरण की वजह से यातायात से साधनों का भी विकास हुआ है। फैक्टरियों में उत्पादन के लिए कच्चे माल की ज़रूरत होती है। कच्चे माल की फैक्टरियों तक दूर-दूर के इलाकों से पहुँचाने के लिए ट्रेन, ट्रकों इत्यादि जैसे यातायात के साधनों का विकास हुआ है। इसके अलावा बने हुए माल को फैक्टरी से बाज़ार तक पहुँचाने के लिए भी इन यातायात के साधनों की जरूरत होती है जिनका धीरे-धीरे विकास हो गया। इस तरह औद्योगीकरण की वजह से यातायात के साधनों का विकास तेजी से हुआ।

(iii) फैक्टरियों के उत्पादन में बढ़ौतरी-औदयोगीकरण की वजह से चीजों का उत्पादन घरों से निकल कर फैक्टरी में आ गया जहां पर उत्पादन हाथों की बजाए मशीनों से होता है। हाथों से उत्पादन धीरे-धीरे होता है पर मशीनों से उत्पादन तेजी से होता है। चाहे जनसंख्या के बढ़ने से खपत में भी बढ़ोत्तरी हुई पर इसके साथ-साथ नए-नए आविष्कार हुए जिनसे उत्पादन भी और बढ़ता गया। इस तरह चीज़ों के उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी औद्योगीकरण की वजह से हुई।

(iv) शहरों के आकार में बढ़ौतरी-औद्योगीकरण के बढ़ने से शहरों के आकार भी बढ़ने लगे। उद्योग शहरों में लगते थे जिस वजह से गांवों के लोग शहरों की तरफ जाने लगे। रोज़-रोज़ गांव में जाना मुमकिन नहीं था इसलिए लोग अपने परिवार भी शहर ले जाने लगे। जनसंख्या के बढ़ने से शहरों में जनसंख्या कम होने लगी जिस वजह से धीरे-धीरे शहरों के आकार बढ़ने लगे तथा धीरे-धीरे नगरीयकरण का संकल्प हमारे सामने आया।

(v) पूंजीवाद-औद्योगीकरण की वजह से पूंजीवाद का भी जन्म हुआ। जब घरों में उत्पादन हुआ करता था तो ज़्यादा पूंजी की ज़रूरत नहीं होती थी क्योंकि उत्पादन कम होता था तथा उत्पादन घर में ही हो जाता था पर औदयोगीकरण ने फैक्टरी प्रथा को जन्म दिया। फैक्टरी बनाने के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की ज़रूरत पड़ी। फैक्टरी बनाने के लिए, कच्चा माल खरीदने के लिए, बनी हुई चीज़ को बाज़ार में बेचने के लिए, मज़दूरों को तनख्वाह देने तथा कई और कामों के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की ज़रूरत पड़ी।

जिनके पास पैसा था उन्होंने बड़ी-बड़ी फैक्टरियां खड़ी कर ली तथा धीरे-धीरे पैसे की मदद से और पैसा कमाने लग गए। इसके साथ-साथ समाज में कई और वर्ग जैसे व्यापारी, मालिक, मज़दूर, दलाल इत्यादि हमारे सामने आए तथा व्यापार में भी बढ़ोत्तरी हुई। पैसे की मदद से उत्पादित चीजें और देशों को भेजी जाने लगी जिससे और पैसा आने लगा। इस पैसे की वजह से और देशों पर कब्जे होने लगे जिसे हम साम्राज्यवाद कहते हैं। इसने और देशों का शोषण करने को प्रेरित किया। इस तरह पूंजीवाद का जन्म हुआ जिसने कई और समस्याओं को जन्म दिया।

(vi) कुटीर उद्योगों का ख़त्म होना-इसकी वजह से गांवों में लगे कुटीर उद्योग ख़त्म हो जाते हैं। इसमें उत्पादन मशीनों से होता है जोकि सस्ता तथा अच्छा भी होता है। पर कुटीर उद्योग में क्योंकि उत्पादन हाथों से होता है जिस वजह से वह महंगा तथा मशीनों जैसा अच्छा भी नहीं होता है। इस तरह फैक्टरियों का माल बिकने लग जाता है तथा कुटीर उद्योगों का माल बिकना बंद हो जाता है जिस वजह से इन कुटीर उद्योगों में आर्थिक संकट आ जाता है तथा यह धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण कुटीर उद्योगों के विनाश का कारण बनता है।

(vii) रहने की जगह की समस्या-उद्योग नगरों में लगते हैं। गाँवों से हजारों लोग शहरों में इन उद्योगों में काम की तलाश में आते हैं जिस वजह से शहरों में रहने की जगह की या मकानों की समस्या हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए कई-कई लोग एक कमरे में रहते हैं जिस वजह से उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसी के साथ गंदी बस्तियां भी पनप जाती हैं जो शहरों में गंदगी फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

(viii) बेकारी-औद्योगीकरण की वजह से बेकारी की समस्या भी बढ़ जाती है। पुराने तरीकों से उत्पादन हाथों से होता है जिस वजह से सभी को काम मिल जाता है पर इस प्रक्रिया में नए-नए आविष्कार होते रहते हैं तथा मशीनें भी आती रहती हैं जिस वजह से मजदूरों को काम से हटा दिया जाता है। उनकी जगह मशीनें आ जाती हैं। एक एक मशीन दस-दस मज़दूरों का काम कर सकती है। वे मजदूर बेकार हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण बेकारी की समस्या को भी बढ़ावा देता है द्धनहीं जाती, उन्हें प्रदूषण में काम करना पड़ता है जिस वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफ़ी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

(ix) स्वास्थ्य की समस्या-औद्योगीकरण का एक और प्रभाव मजदूरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इन उद्योगों का वातावरण मजदूरों की सेहत के लिए काफ़ी हानिकारक होता है। वहां ताजी हवा नहीं जाती, उन्हें प्रदूषण में काम करना पड़ता है जिस वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफ़ी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का मुख्य पेशा क्या है?
(A) कृषि
(B) नौकरी
(C) व्यापार
(D) उद्योग।
उत्तर:
कृषि।

2. कितने प्रतिशत भारतीय जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है?
(A) 60%
(B) 70%
(C) 80%
(D) 50%
उत्तर:
70%.

3. भारत में अंदाजन कितने गांव हैं?
(A) 4 लाख
(B) 5 लाख
(C) 6 लाख
(D) 4.5 लाख।
उत्तर:
6 लाख।

4. कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी किस पर निर्भर करती है?
(A) नई तकनीक
(B) उन्नत बीज
(C) रासायनिक उर्वरक
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

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5. किस क्रांति ने कृषि उत्पादन के क्षेत्र में अत्यधिक बढ़ौत्तरी की है?
(A) हरित क्रांति
(B) श्वेत क्रांति
(C) नीली क्रांति
(D) पीली क्रांति।
उत्तर:
हरित क्रांति।

6. 1793 में ज़मींदार व्यवस्था किसने शुरू की थी?
(A) लॉर्ड विलियम बैंटिक
(B) लॉर्ड कार्नवालिस
(C) लॉर्ड माऊँटबेंटन
(D) लॉर्ड डलहौज़ी।
उत्तर:
लॉर्ड कार्नवालिस।

7. कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए सबसे पहले कौन-सा कार्यक्रम शुरू किया गया था?
(A) IRDP
(B) IADP
(C) CDP
(D) SJSY
उत्तर:
IADP

8. भारत में रैय्यतवाड़ी प्रथा किसने शुरू की थी?
(A) लॉर्ड डलहौज़ी
(B) लॉर्ड कार्नवालिस
(C) लॉर्ड बैंटिक
(D) लॉर्ड माऊँटबेटन।
उत्तर:
लॉर्ड बैंटिक।

9. हरित क्रांति के द्वारा किस चीज़ का उत्पादन बढ़ाया गया?
(A) गेहूँ
(B) चावल
(C) a + b दोनों
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
a + b दोनों।

10. कृषि उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है?
(A) मशीनों का प्रयोग करके
(B) उन्नत बीजों का प्रयोग करके
(C) कैमिकल उर्वरक प्रयोग करके
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

11. हरित क्रांति का अधिक लाभ उत्तर भारतीय प्रदेशों ने क्यों उठाया था?
(A) उपजाऊ भूमि के कारण
(B) सिंचाई के साधनों की उपलब्धता के कारण
(C) निवेश के लिए पैसा होने के कारण
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

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12. जब कुछ किसान इकट्ठे होकर कृषि करते हैं तो उसे क्या कहते हैं?
(A) सहकारी कृषि
(B) एकत्रता कृषि
(C) इकट्ठ कृषि
(D) ज़मींदारी व्यवस्था।
उत्तर:
सहकारी कृषि।

13. रैय्यत का क्या अर्थ है?
(A) ज़मींदार
(B) किसान
(C) मज़दूर
(D) सरकार।
उत्तर:
किसान।

14. इनमें से कौन-सी ज़मींदारी व्यवस्था की विशेषता है?
(A) ज़मींदार भूमि का स्वामी होता था।
(B) ज़मींदार अपनी भूमि ग़रीब किसानों को कृषि करने के लिए देता था।
(C) ज़मींदार किसानों से लगान इकट्ठा करके सरकार को देता था।
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

15. महलवाड़ी प्रथा में भूमि का स्वामी कौन होता था?
(A) किसान
(B) परिवार
(C) गाँव
(D) जमींदार।
उत्तर:
गाँव।

16. महलवाड़ी प्रथा में लोगों से लगान कौन इकट्ठा करता था?
(A) नंबरदार
(B) ज़मींदार
(C) परिवार
(D) सरकार।
उत्तर:
नंबरदार।

17. ज़मींदार उन्मूलन की क्या विशेषता थी?
(A) बंजर भूमि सरकार के हाथों में आ गई
(B) ज़मींदारों को उनकी भूमि का मुआवजा दिया गया
(C) मुआवजा नगद या किस्तों में दिया गया
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

18. भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् कौन-सा भूमि सुधार किया गया?
(A) ज़मींदार प्रथा का खात्मा
(B) भूमि के स्वामित्व की सीमा तय करना
(C) काश्तकारी व्यवस्था में सुधार
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

19. हरित क्रांति की हानि क्या थी?
(A) सीमित क्षेत्रों में आई थी
(B) सीमित फसलों को प्रोत्साहित किया था
(C) अमीरों को अधिक लाभ हुआ
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

20. हरित क्रांति का मुख्य आधार क्या था?
(A) फसलों का मूल्य निर्धारित करना
(B) कीटनाशकों का प्रयोग
(C) तकनीकों तथा उर्वरकों का प्रयोग
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

21. प्राचीन भारत में किस प्रकार की व्यवस्था थी?
(A) जाति प्रथा
(B) वर्ग व्यवस्था
(C) सामाजिक व्यवस्था
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
जाति प्रथा।

22. आधुनिक भारत में किस प्रकार की व्यवस्था मिल जाती है?
(A) जाति प्रथा
(B) वर्ग व्यवस्था
(C) सामाजिक व्यवस्था
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
वर्ग व्यवस्था।

23. इनमें से कौन-सा वर्ग नगरों में देखने को मिल जाता है?
(A) व्यापारी वर्ग
(B) अध्यापक वर्ग
(C) ट्रेड यूनियन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

24. इनमें से कौन-सा वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल जाता है?
(A) छोटे किसान
(B) पूंजीपति किसान
(C) सज्जन किसान
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

25. क्या यह मुमकिन है कि सभी व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति एक जैसी हो जाए?
(A) हाँ
(B) नहीं
(C) कह नहीं सकते
(D) पता नहीं।
उत्तर:
नहीं।

26. उस समूह को ……………… समूह कहते हैं जिसे समाज में कोई विशेष स्थान प्राप्त होता है।
(A) सज्जन
(B) अभिजात
(C) विशेष
(D) पूंजीपति।
उत्तर:
अभिजात।

27. उस व्यक्ति को …………….. किसान कहते हैं जिसने रिटायर होने के पश्चात् अपना पैसा कृषि में लगा दिया है।
(A) मध्यमवर्गीय
(B) पूंजीपति
(C) सीमांट
(D) सज्जन।
उत्तर:
सज्जन।

28. ……………… किसान उस समूह का सदस्य होता है जो कृषि कार्यों में इस तरह पूंजी निवेश करता ताकि अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
(A) मध्यमवर्गीय
(B) पूंजीपति
(C) सीमांत
(D) सज्जन।
उत्तर:
पूंजीपति।

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29. इनमें से कौन-सा संविदा खेती का समाजशास्त्रीय महत्त्व रखता है?
(A) सभी व्यक्तियों को उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ना
(B) बहुत से व्यक्तियों को उत्पादन प्रक्रिया से अलग कर देना
(C) देशीय कृषि-ज्ञान को निरर्थक बना देना।
(D) (B) व (C) दोनों।
उत्तर:
(B) व (C) दोनों।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन समय में भारत में किस प्रकार की व्यवस्था थी?
उत्तर:
प्राचीन समय में भारत में जाति व्यवस्था थी जोकि जातियों में स्तरीकरण पर निर्भर थी।

प्रश्न 2.
आजकल भारतीय समाज में किस प्रकार की व्यवस्था आगे आ रही है?
उत्तर:
आजकल भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की जगह वर्ग व्यवस्था आगे आ रही है।

प्रश्न 3.
शहरों में किस प्रकार के वर्ग देखने को मिल जाते हैं?
उत्तर:
शहरों में व्यवसायी, अध्यापक, मध्यम वर्ग तथा और कई प्रकार के वर्ग देखने को मिल जाते हैं।

प्रश्न 4.
गांवों में आजकल किस प्रकार के वर्ग देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
गांवों में आजकल छोटे किसान, मध्यमवर्गीय किसान, पूंजीपति किसान तथा मज़दूर या बगैर भूमि के किसान देखने को मिल जाते हैं।

प्रश्न 5.
गांव की पहचान किस तरह होती है?
उत्तर:
आम तौर पर गांव की पहचान जाति के आधार पर होती है।

प्रश्न 6.
क्या मनुष्यों के समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति या पद एक समान हो सकते हैं?
उत्तर:
जी नहीं, मनुष्यों के समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति या पद एक समान नहीं हो सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है।

प्रश्न 7.
भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध कब तथा क्यों लगे थे?
उत्तर:
कुछ देशों ने भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे क्योंकि सन् 1998 में भारत ने पोखरन (राजस्थान में) परमाणु परीक्षण किए थे।

प्रश्न 8.
भारत में उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण कब शुरू हुए थे?
उत्तर:
भारत में उदारीकरण तथा किरण 1991 के बाद शुरू हुए जब नरसिम्हा राव सरकार में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने थे।

प्रश्न 9.
भारत में कितने टेलीफोन एक्सचेंज हैं?
उत्तर:
भारत में 35000 के करीब टेलीफोन एक्सचेंज हैं।

प्रश्न 10.
भारत में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा कब हुई थी?
उत्तर:
भारत में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा 1991 में हुई थी।

प्रश्न 11.
जाति वर्ग में क्यों बदल रही है?
उत्तर:
जाति-प्रथा में बहुत से बंधन जैसे विवाह, खाने-पीने इत्यादि पर बंधन हुआ करते थे परंतु नगरीकरण, औद्योगीकरण, पश्चिमीकरण इत्यादि की वजह से जाति-प्रथा कमज़ोर पड़ रही है तथा उसकी जगह वर्ग व्यवस्था सामने आ रही है।

प्रश्न 12.
सन् 2000 में भारत में खाद्यान्न का कितना उत्पादन हुआ था?
उत्तर:
सन् 2000 में भारत में खाद्यान्न का उत्पादन 250 मिलियन टन के करीब हुआ था।

प्रश्न 13.
भारत में ज़मींदारी प्रथा कब शुरू हुई थी?
अथवा
ज़मींदारी व्यवस्था किसने शुरू की?
उत्तर:
भारत में ज़मींदारी प्रथा लार्ड कार्नवालिस द्वारा 1793 में शुरू हुई थी।

प्रश्न 14.
लगान क्या होता है?
उत्तर:
जो पैसा किसान हरेक वर्ष ज़मींदार को भूमि के कर के रूप में देता हैं उसे लगान कहते हैं।

प्रश्न 15.
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले कौन-सा कार्यक्रम चलाया गया था?
उत्तर:
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले IADP (Intensive Agricultural District Programme) 1960-61 में चलाया गया था।

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प्रश्न 16.
रैय्यतवाड़ी प्रथा कब शुरू हुई थी?
उत्तर:
रैय्यतवाड़ी प्रथा 1792 में मद्रास प्रांत में लार्ड विलियम बैंटिंक ने शुरू की थी।

प्रश्न 17.
यूरिया या खाद क्या होती है?
उत्तर:
ये वे रासायनिक पदार्थ होते हैं जिनसे भूमि की खाद्यान्न पैदा करने की क्षमता बढ़ती है। उदाहरण के तौर पर पोटाश, नाइट्रोजन, फॉस्फेट इत्यादि।

प्रश्न 18.
किस खाद्यान्न का उत्पादन भारत में ज्यादा है?
उत्तर:
चावल का उत्पादन भारत में सबसे ज्यादा है।

प्रश्न 19.
हरित क्रांति के फलस्वरूप कौन-सी फसलों का उत्पादन बढ़ा है?
उत्तर:
हरित क्रांति के फलस्वरूप चावल तथा गेहूँ का उत्पादन बढ़ा है।

प्रश्न 20.
सामाजिक स्तरीकरण की खुली व बंद व्यवस्था में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्ग सामाजिक स्तरीकरण में खुली व्यवस्था है जिसकी सदस्यता व्यक्ति की योग्यता पर आधारित होती है तथा इसे कभी भी बदला जा सकता है। परंतु सामाजिक स्तरीकरण की बंद व्यवस्था जाति होती है जिसकी सदस्यता जन्म पर आधारित होती है तथा योग्यता होते हुए भी व्यक्ति इसे बदल नहीं सकता।

प्रश्न 21.
भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं?
अथवा
भूमि सुधार का अर्थ बताएं।
उत्तर:
आज़ादी से पहले भूमि, कृषि, कृषक बीच की कड़ियों व सरकार के बीच संबंधों के कुछ दोष थे जिन्हें दूर करने के लिए कुछ सुधार किए गए जिन्हें भूमि सुधार कहा गया। ज़मींदारों का उन्मूलन बिचौलियों का उन्मूलन, गरीबों को भूमि देना इत्यादि इन सुधारों में शामिल था।

प्रश्न 22.
गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या होता है?
उत्तर:
गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही होता है। भूमि से उत्पादन उनके स्रोत का मुख्य साधन है। भारत की 70% के करीब जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है।

प्रश्न 23.
भारत में कितने गाँव हैं?
उत्तर:
भारत में 5,50,000 के करीब गाँव हैं।

प्रश्न 24.
कृषि के उत्पादन में विकास किस चीज़ पर निर्भर करता है?
उत्तर:
कृषि के उत्पादन में विकास भूमि के लिए किए गए सुधारों, नई-नई तकनीकों के प्रयोग, नए आविष्कारों को प्रयोग करने से होता है।

प्रश्न 25.
हरित क्रांति से पहले भारत में खाद्यान्न की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
हरित क्रांति से पहले भारत अपनी जरूरतों के अनुसार उत्पादन नहीं कर पाता था तथा उसे अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए बाहर के देशों से खाद्यान्न मंगवाना पड़ता था।

प्रश्न 26.
किस क्रांति से भारत में कृषि उत्पादन में बहुत विकास हुआ था?
उत्तर:
हरित क्रांति से भारत में कृषि उत्पादन में बहुत विकास हुआ था।

प्रश्न 27.
हरित क्रांति में उत्पादन में बढ़ोत्तरी किन वैज्ञानिकों की कोशिशों का नतीजा है?
उत्तर:
हरित क्रांति में उत्पादन में बढ़ोत्तरी का श्रेय डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन तथा डॉ० बोरमान बोरलाग को जाता है।

प्रश्न 28.
हरित क्रांति से धनी किसानों को कैसे ज्यादा लाभ हुआ?
उत्तर:
हरित क्रांति से नई तकनीकें, बीज तथा खादें हमारे सामने आईं तथा इन सब चीज़ों को खरीदना धनी किसानों के लिए ही मुमकिन था। इसलिए हरित क्रांति से धनी किसानों को ज्यादा लाभ हुआ।

प्रश्न 29.
भूमि सुधार के क्या कारण थे?
उत्तर:

  • भूमि सुधार का पहला कारण कृषि के क्षेत्र तथा उत्पादन में वृद्धि करना था।
  • दूसरा कारण दलालों या मध्यस्थों को खत्म करके किसानों का शोषण खत्म करना था ताकि किसानों को भूमि मिल सके।

प्रश्न 30.
चकबंदी क्या होती है?
उत्तर:
यह भूमि को इकटठा करने की व्यवस्था है। अगर किसी किसान की एक ही गाँव में अलग-अलग जगह जोतने लायक ज़मीन होती थी तो उस किसान को एक ही जगह इकट्ठी ज़मीन दे दी जाती था या उन्हें एक ही स्थान पर संगठित कर दिया जाता था। उसे चकबंदी कहा जाता था।

प्रश्न 31.
सहकारी खेती क्या होती है?
उत्तर:
सहकारी खेती का अर्थ है कि छोटे-छोटे भूमि के टुकड़ों के मालिक इकट्ठे होकर अपनी जमीन इकट्ठी करके सहकारिता के आधार पर खेती करना तथा उस भूमि से होने वाली आय को अपनी भूमि के अनुसार बांट लेना। इससे व्यक्ति अपनी भूमि का मालिक भी बना रहता है तथा कृषि संबंधी काम भी मिल-बांट कर हो जाते हैं। उससे जो लाभ होता है उसे बांट लिया जाता है।

प्रश्न 32.
काश्तकारी प्रथा क्या होती है?
उत्तर:
हमारे देश में 40% खेती इसी काश्तकारी प्रथा से होती है। इस प्रथा के अनुसार जब व्यक्ति अपनी भूमि पर खुद खेती नहीं करता बल्कि किसी ओर की जमीन जोतने के लिए दे देता है। इसके लिए जोतने वाला व्यक्ति ज़मीन के मालिक को किराया देता है। जोतने वाले को काश्तकार कहते हैं।

प्रश्न 33.
आर्थिक विकास क्या होता है?
उत्तर:
जब जीव जीने के लिए सभी ज़रूरी साधनों का विकास हो जाए या जीवन जीने के ज़रूरी साधन आराम से उपलब्ध हों तो हम कह सकते हैं कि आर्थिक विकास हो गया है।

प्रश्न 34.
हरित क्रांति से सबसे अधिक विकास उत्तर भारत के प्रदेशों को क्यों पहुँचा है?
उत्तर:
हरित क्रांति से सबसे अधिक विकास उत्तर भारत के प्रदेशों को इन क्षेत्रों में उपलब्ध अच्छी उपजाऊ जमीन तथा कृषि के लिए उपलब्ध सिंचाई की काफ़ी ज्यादा सुविधाओं की वजह से है।

प्रश्न 35.
उत्पादन में सुधार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:

  • अच्छे बीजों का प्रयोग करके उत्पादन सुधारा जा सकता है।
  • रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करके भी उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 36.
ज़मींदारी प्रथा भारत में कब खत्म हुई थी?
उत्तर:
आज़ादी से पहले भारत में काफ़ी ज्यादा ज़मींदारी प्रथा प्रचलित थी। आजादी के बाद ज़मींदारी प्रथा खत्म कर दी गई। 1950 के बाद सभी राज्यों ने ज़मींदारी प्रथा के विरुद्ध कानून बनाए जिस वजह से यह ज़मींदारी प्रथा हमारे देश में खत्म हो गई।

प्रश्न 37.
हरित क्रांति क्या है?
अथवा
हरित क्रांति किसे कहते हैं?
अथवा
हरित क्रांति क्या होती है?
अथवा
हरित क्रांति से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत में नई तकनीकों, नए बीजों तथा उर्वरकों के प्रयोग से कृषि के उत्पादन के क्षेत्र में जो वृद्धि हुई है उसे हरित क्रांति कहते हैं।

प्रश्न 38.
भारत का आर्थिक विकास किस तरह कृषि पर निर्भर करता है?
उत्तर:
भारत का आर्थिक विकास इस तरह कृषि पर निर्भर करता है कि भारत की 70% के करीब जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। ये लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आमदनी के लिए कृषि पर ही निर्भर करते हैं। अगर देश को विकास करना है तो इन लोगों का विकास ज़रूरी है। इसीलिए अगर यह 70% लोग तरक्की करेंगे तो ही देश आर्थिक तौर पर तरक्की कर पाएगा।

प्रश्न 39.
जाति वर्ग में क्यों बदल रही है?
उत्तर:
जाति-प्रथा में बहुत से बंधन जैसे विवाह, खाने-पीने इत्यादि पर बंधन हुआ करते थे परंतु नगरीकरण, औद्योगीकरण, पश्चिमीकरण इत्यादि की वजह से जाति-प्रथा कमज़ोर पड़ रही है तथा उसकी जगह वर्ग व्यवस्था सामने आ रही है।

प्रश्न 40.
अभिजात वर्ग या Elite Group क्या होता है?
उत्तर:
Elite का मतलब होता है विशिष्ट अर्थात् जिसे समाज में कोई विशेष (खास) या उच्च स्थिति प्राप्त हो उसे अभिजात या Elite कहते हैं। इस तरह अभिजात वर्ग वह वर्ग होता है जिसे समाज में कोई विशिष्ट स्थान प्राप्त हो।

प्रश्न 41.
सज्जन किसान कौन होते हैं?
उत्तर:
इस किसान वर्ग में काफ़ी ऐसे लोग होते हैं जो सरकारी, गैर-सरकारी, सैनिक तथा असैनिक सेवाओं में कार्यरत थे तथा रिटायर हो चुके हैं। अपनी नौकरी से प्राप्त धन को वह कृषि फार्मों में लगाते हैं तथा विकास करते हैं।

प्रश्न 42.
मध्यमजातीय किसान कौन होते हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के किसान मध्यम जातियों के समूह होते हैं। यह बीच की जातियों के होते हैं। यह न तो बहुत अमीर होते हैं तथा न ही ग़रीब होते हैं। इसलिए इन्हें मध्यमवर्गीय कहते हैं।

प्रश्न 43.
पूंजीपति किसान कौन होते हैं?
उत्तर:
पूंजीपति किसान वर्ग एक ऐसा वर्ग है जो कृषि कार्यों में इस तरह से पूंजी निवेश करता है ताकि अधिक से-अधिक लाभ प्राप्त हो सकें। यह खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऋण, अन्न प्रौद्योगिकी, मंडियों, यातायात तथा दरसंचार के साधनों तथा सस्ते श्रमिकों इत्यादि का प्रयोग करता है।

प्रश्न 44.
उदारीकरण क्या होता है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

प्रश्न 45.
भूमंडलीकरण क्या होता है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है अर्थात् एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 46.
उदारीकरण के क्या कारण होते हैं?
उत्तर:

  • देश में रोज़गार के साधन विकसित करने के लिए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।
  • उद्योगों में ज्यादा-से-ज्यादा प्रतिस्पर्धा पैदा करना ताकि उपभोक्ता को ज्यादा-से-ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 47.
निजीकरण क्या होता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों जहां पर मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं जोकि सरकार के नियंत्रण में होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना ताकि यह और ज्यादा लाभ कमा सकें। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को निजीकरण कहते हैं।

प्रश्न 48.
ज़मींदारी व्यवस्था क्या है?
उत्तर:
इस प्रथा को लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल में शुरू किया था। इसके अनुसार ज़मींदारों को भूमि का मालिक मान लिया गया तथा उनका लगान निश्चित कर दिया गया। ज़मींदार आगे भूमि किराए पर देकर छोटे किसानों से जितना मर्जी चाहे लगान वसूल कर सकते थे। इससे छोटे किसानों का शोषण होना शुरू हो गया।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

प्रश्न 49.
महलवारी प्रथा का क्या अर्थ है?
अथवा
महलवारी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
यह प्रथा अंग्रेजों के समय 19वीं सदी की शुरुआत में शुरू की थी जिसके अनुसार गांव के पूरे समुदाय को ही भूमि का मालिक मानकर उसका लगान निश्चित कर दिया जाता था। समुदाय का एक व्यक्ति गांव के सभी घरों से निश्चित लगान इकट्ठा करके सरकार तक पहुंचाता था परंतु इस प्रथा में लगान काफी अधिक होता था।

प्रश्न 50.
रैय्यतवाड़ी व्यवस्था क्या है?
अथवा
रैयतबाड़ी व्यवस्था में रैयत’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
रैय्यत का अर्थ है किसान अथवा कृषक। यह प्रथा लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने चलाई थी जिसमें सरकार का सीधा संपर्क कृषक या रैय्यत के साथ होता था। इसमें हरेक रैय्यत का लगान निश्चित कर दिया जाता था तथा वह सीधे सरकार को ही इसका भुगतान करते थे। परंतु इसमें लगान काफी अधिक निश्चित किया जाता था।

प्रश्न 51.
किसी शैक्षणिक वर्ग का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अध्यापकों का वर्ग शैक्षणिक वर्ग का उदाहरण है।

प्रश्न 52.
हरित क्रांति से किस वस्तु का उत्पादन बढ़ा।
उत्तर:
हरित क्रांति से गेहूँ तथा चावल का उत्पादन बढ़ा।

प्रश्न 53.
पूँजीपति वर्ग क्या होता है?
उत्तर:
वह वर्ग जिसके पास बहुत-सा पैसा होता है जिसकी सहायता से वह नए उद्योग लगाता है ताकि और पैसा कमाया जा सके तथा जो मजदूरों का शोषण करता है उसे पूँजीपति वर्ग कहते हैं।

प्रश्न 54.
भारत में हरित क्रांति किस क्षेत्र में आई?
उत्तर:
भारत में हरित क्रांति कृषि क्षेत्र में गेहूँ तथा चावल में उत्पादन के क्षेत्र में आई।

प्रश्न 55.
कृषक वर्ग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जो वर्ग कृषि करके तथा चीज़ों को उगा कर अपना गुजारा करता है उसे कृषक वर्ग कहते हैं।

प्रश्न 56.
ज़मींदार किसे कहते हैं?
उत्तर:
गांवों में मिलने वाला शक्तिशाली व्यक्ति जिसके पास बहुत-सा पैसा तथा भूमि होती है, जो भूमि को किसानों को किराए पर देता है तथा स्वयं कम कार्य करता है उसे ज़मींदार कहते हैं।

प्रश्न 57.
कृषि मज़दूर किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह मज़दूर जो कृषि के क्षेत्र में किसानों के पास कार्य करता है उसे कृषि मजदूर कहते हैं।

प्रश्न 58.
हरित क्रांति का संबंध कृषि तथा उद्योग में से किससे है?
उत्तर:
हरित क्रांति का संबंध कृषि से है।

प्रश्न 59.
निर्धनता (गरीबी) रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति आर्थिक आधार पर उच्च, मध्य तथा निम्न में से किस वर्ग में आते हैं?
उत्तर:
निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति आर्थिक आधार पर निम्न वर्ग में आते हैं।

प्रश्न 60.
भारत में हरित क्रांति (दूध, फल या कृषि) किस क्षेत्र में आई?
उत्तर:
भारत में हरित क्रांति कृषि क्षेत्र में आई।

प्रश्न 61.
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में कितने प्रकार की भू-काश्तकारी व्यवस्थाएं थीं?
अथवा
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में कितनी भू-व्यवस्थाएँ प्रचलित थीं?
उत्तर:
तीन प्रकार की-ज़मींदारी व्यवस्था, रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी व्यवस्था।

प्रश्न 62.
भारत में हरित क्रांति किस क्षेत्र से संबंधित है?
उत्तर:
भारत में हरित क्रांति खाद्यानों के उत्पादन बढ़ाने से संबंधित है।

प्रश्न 63.
ग्राम पंचायत की सभा का अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत की सभा का अध्यक्ष सरपंच या प्रधान होता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारीकरण के क्या मुख्य उद्देश्य हैं?
उत्तर:
उदारीकरण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • उदारीकरण का मुख्य उद्देश्य उद्योगों में रोज़गार के अवसर बढ़ाना था।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करना ताकि रोज़गार के अवसर बढ़े।
  • अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में खड़ा करना।
  • निजी क्षेत्र को ज्यादा-से-ज्यादा स्वतंत्रता प्रदान करना।
  • देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।

प्रश्न 2.
उदारीकरण नीति की विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  • उदारीकरण के तहत कुछ विशेष चीज़ों को छोड़कर लाइसैंस राज की नीति को खत्म कर दिया गया ताकि सारे उद्योग आराम से विकसित हो सकें।
  • उदारीकरण के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करना शुरू कर दिया गया है ताकि घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को लाभ में बदला जा सके।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अब बहुत कम उद्योग रह गए हैं ताकि सभी उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • देश में विदेशी निवेश की सीमा भी बढ़ा दी गई है। कई क्षेत्रों में तो यह 51% तथा कई क्षेत्रों में पूर्ण निवेश तथा कई क्षेत्रों में यह 74% तक रखी गई है।

प्रश्न 3.
भूमंडलीकरण की विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने भूमंडलीकरण की चार विशेषताओं का वर्णन किया है-

  • भूमंडलीकरण में लोगों के लिए नए-नए उपकरण आ गए हैं क्योंकि अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां हर देश में आ रही हैं।
  • अब कंपनियों के लिए नए-नए बाजार खुल गए हैं क्योंकि भूमंडलीकरण में कंपनियां किसी भी देश में मुक्त व्यापार कर सकती हैं।
  • भूमंडलीकरण में कार्यों के संपादन के लिए नए-नए कर्ता आगे आ गए हैं जैसे रैडक्रास, विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.)।
  • भूमंडलीकरण के कारण नए-नए नियम सामने आए हैं जैसे पहले नौकरी पक्की होती थी पर अब यह पक्की न होकर ठेके पर होती है।

प्रश्न 4.
भारत में उदारीकरण को कितने चरणों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया को चार चरणों में बांटा जा सकता है-

  • 1975 से 1980 का काल
  • 1980 से 1985 का काल
  • 1985 से 1991 का काल
  • 1991 से आगे का काल।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण के कोई चार सिद्धांत बताओ।
उत्तर:

  • विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोलना।
  • सीमा शुल्क कम-से-कम करना।
  • सरकारी क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों का विनिवेश करना।
  • निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना।

प्रश्न 6.
ज़मींदारी व्यवस्था क्या होती है?
उत्तर:
आज़ादी के समय कृषि योग्य कुल भूमि में से 1/4 भाग पर ज़मींदारी व्यवस्था प्रचलित थी। ज़मींदारी व्यवस्था ब्रिटिश शासन में लार्ड कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल में शुरू की थी। इस व्यवस्था के अंदर जमींदार भूमि का मालिक होता है पर यह जरूरी नहीं है कि वह अपनी भूमि पर आप ही कृषि करे।

कृषि करने के लिए वह अपनी भूमि किसानों को दे देता था। वह किसानों से लगान इकट्ठा करता था तथा सरकार को राजस्व या कर देता था। भूमि, किसान, जमींदार तथा सरकार के बीच इस तरह एक संबंध स्थापित हो जाता था। यह प्रथा बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार तथा मद्रास राज्यों में प्रचलित थी।

प्रश्न 7.
ज़मींदारी प्रथा की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  • भूमि का स्वामित्व ज़मींदार के पास होना।
  • ज़मींदारों द्वारा कृषि के लिए भूमि काश्तकारों को सौंपना।
  • काश्तकारों द्वारा ज़मींदार को लगान देना।
  • ज़मींदार द्वारा सरकार को राजस्व का भुगतान करना।

प्रश्न 8.
रैय्यतवाड़ी व्यवस्था क्या होती थी?
उत्तर:
आज़ादी के समय कृषि भूमि में से 36% भाग पर रैय्यतवाड़ी प्रथा प्रचलित थी। लार्ड विलियम बैंटिंक ने ज़मींदारी प्रथा के दोषों को दूर करने के लिए रैय्यतवाड़ी व्यवस्था शुरू की थी। यह एक हिंदू प्रथा थी। इस भूमि व्यवस्था के अंतर्गत भूमि का स्वामित्व जिस व्यक्ति या परिवार के पास होता था वही सरकार को राजस्व का भुगतान करता था। रैय्यत का अर्थ है जोतदार या कृषक या किसान। एक निश्चित अवधि तक सरकार को राजस्व देने के पश्चात् वह रैय्यत भूमि का मालिक बन जाता था। रैय्यत भूमि को किराए पर किसी ओर किसान को भी दे सकता था।

प्रश्न 9.
महलवारी व्यवस्था क्या होती थी?
उत्तर:
महलवारी भूमि व्यवस्था की एक और महत्त्वपूर्ण व्यवस्था थी। इस व्यवस्था में भूमि का स्वामित्व पूरे गांव के पास होता था। गांव के नियंत्रण अधीन भूमि को शामलाट भूमि के नाम से जाना जाता था। इस भूमि को गांवों के विभिन्न परिवारों में बांट दिया जाता था जो निश्चित लगान देते थे। विभिन्न सदस्यों तथा परिवारों से लंबरदार लगान इकट्ठा किया करता था जिसके बदले उसे पाँच प्रतिशत दलाली मिलती थी। इसके बाद गांव सरकार को निश्चित राजस्व का भुगतान करता था। इस व्यवस्था में भी कृषक का सरकार के साथ कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता था।

प्रश्न 10.
ज़मींदारी उन्मूलन की क्या विशेषताएं थीं?
उत्तर:

  • गांव की बंजर भूमि चरागाह इत्यादि सरकार के कब्जे में आ गई।
  • सभी राज्यों में ज़मींदारों से ज़मीन लेकर उन्हें मुआवजा दे दिया गया।
  • कुछ राज्यों में मुआवजा नकद तथा कुछ राज्यों में यह किस्तों में दिया गया।
  • जिस भूमि पर जमींदार खुद खेती करते थे वह उन्हीं के पास रहने दी गई।

प्रश्न 11.
हरित क्रांति क्या थी? इसका भारत में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
भारत में योजना बना कर कृषि के क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाया गया इससे उत्पादन के क्षेत्र में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई। कृषि के उत्पादन के क्षेत्र में इतनी ज्यादा वृद्धि को हरित क्रांति कहते हैं। इस तरह हरित क्रांति शब्द का प्रयोग उस तेज़ गति से हुए परिवर्तन से है जो भारत के खाद्यान्न उत्पादन में हुआ था।

भारत में हरित क्रांति का बहत महत्त्व है क्योंकि हरित क्रांति जो कि 1966-67 के बाद शरू हई थी, की वजह से भारत खादयान्न के क्षेत्र में आत्म-निर्भर हो गया था। आजादी के बाद से 1965 तक भारत के पास खाद्यान्न की कमी थी। उसे बाहर से अपनी ज़रूरतों के लिए खाद्यान्न मंगवाना पड़ता था पर हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बना दिया था।

प्रश्न 12.
आज़ादी के बाद भारत में कौन-कौन से भूमि सुधार किए गए हैं?
अथवा
स्वतंत्रता के बाद कृषीय सुधारों के लिये क्या सुझाव दिये गये हैं?
उत्तर:
आज़ादी के बाद भारत में निम्नलिखित भूमि सुधार किए गए हैं-

  • सबसे पहले ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन किया गया।
  • किसी व्यक्ति के लिए भूमि रखने की अधिकतम सीमा रखी गई।
  • चकबंदी को लागू किया गया।
  • काश्तकारी प्रथा में बहुत से सुधार किए गए।
  • सहकारी खेती तथा भूमि संबंधी नए तरीकों से रिकार्ड रखे गए।

प्रश्न 13.
जोतों की सीमाओं का क्या अर्थ है? इसमें सुधार कैसे किए गए?
अथवा
भू-सीमा निर्धारण से क्या तात्पर्य है?
अथवा
हदबंदी अधिनियम क्या है?
उत्तर:
जोतों की सीमाओं का अर्थ है किसी व्यक्ति के पास कृषि योग्य भूमि एक सीमा तक होनी चाहिए उससे अधिक नहीं। इस सीमा से पहले किसी के पास तो हज़ारों एकड़ भूमि थी तथा कइयों के पास कुछ भी नहीं। इसलिए सभी को भूमि देने के लिए व्यक्ति के पास कृषि योग्य भूमि रखने की सीमा निर्धारित की गई जिसे जोतों की सीमाएं कहा गया। इसके लिए कई प्रकार के अधिनियम बनाए गए। 1973 के बाद हरियाणा तथा पंजाब में यह सीमा क्रमश 18 एकड़ तथा 27 एकड़ निश्चित कर दी गई। जिसके पास इन सीमा से अधिक भूमि थी उनसे भूमि ले ली गई तथा भूमिहीन किसानों में बांट दी गई।

प्रश्न 14.
देश में भूमि सुधार क्यों किए गए थे?
अथवा
भूमि सुधार के चार उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
(i) देश में कई किसानों के पास सैंकड़ों एकड़ भूमि थी तथा कइयों के पास बिल्कुल भी नहीं थी। भूमिहीन किसानों को भूमि देने के लिए भूमि सुधार लागू किए गए।

(ii) स्वतंत्रता के बाद देश के नेताओं को लगा कि अगर देश में से असमानता को निकाल कर सामाजिक तथा आर्थिक समानता स्थापित करनी है तो भूमि सुधार लागू करने ही होंगे। इसलिए भूमि सुधार लागू किए गए।

(iii) देश में किसानों की निम्न स्थिति का सबसे बड़ा कारण सरकार तथा छोटे किसानों के बीच मध्यस्थों की मौजूदगी थी। इसलिए सरकार को लगा कि किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए मध्यस्थों का उन्मूलन ज़रूरी है तथा यह भूमि सुधारों का मुख्य उद्देश्य था।

(iv) स्वतंत्रता के समय देश को अपनी खाद्यान ज़रूरतों को पूर्ण करने के लिए खाद्यान को आयात करना पड़ता था। इसलिए सरकार ने भूमि सुधारों को लागू किया ताकि खाद्यान आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सके।

प्रश्न 15.
कृषिक या ग्रामीण वर्ग संरचना और जाति के मध्य पाए जाने वाले विभिन्न संबंधों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण वर्ग संरचना तथा जाति के बीच काफ़ी गहरा संबंध पाया जाता है। आम तौर पर यह सोचा जाता है कि दोनों के बीच गहरे संबंध ही होंगे। साधारणतयाः हम यह सोचते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों की उच्च जातियों के पास अधिक भूमि तथा अधिक धन होता है तथा यह कल्पना ठीक ही साबित होती है। ग्रामीण समाज में उच्च जातियों का दबदबा पाया जाता है। बहुत-से क्षेत्रों में ग्रामीण समाज में उच्च जातियों में ब्राह्मण कम ही होते हैं तथा यह जाट अथवा वैशा जातियों से संबंधित होती है।

बहुत ही कम बार ऐसा होता है कि ब्राह्मण कृषि कार्यों में लगे होते हैं तथा निम्न जातियों के लोगों के पास अधिक भूमि होती है। प्रसिद्ध समाजशास्त्री एम० एन० श्रीनिवास ने प्रबल जाति का संकल्प दिया है जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में जाट प्रबल जाति के रूप में पाए जाते हैं। जाट लोगों के पास अधिक भूमि होती है तथा इनके पास अच्छा जीवन जीने के भरपूर साधन होते हैं।

प्रश्न 16.
भूदान आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भूदान आंदोलन को विनोबा भावे ने स्वतंत्रता के बाद चलाया था। उस समय बहुत से ऐसे ज़मींदार थे जिनके पास सैंकड़ों एकड़ भूमि थी। वह स्वयं इस पर कृषि नहीं करते थे बल्कि ग़रीब किसानों को किराए पर देते थे। वह स्वयं न तो भूमि पर कृषि करते थे तथा न ही करने को इच्छुक थे। दूसरी तरफ हज़ारों लाखों ऐसे निर्धन किसान थे जिनके पास एक इंच भी भूमि नहीं थी। स्वतंत्रता के पश्चात् आंध्र प्रदेश तथा बंगाल में ज़मींदारों के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गया तथा ऐसा लगता था कि सब कुछ लाल हो जाएगा।

परंतु इससे पहले ही विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन शुरू कर दिया। विनोबा भावे ने ज़मींदारों को कुल 40 लाख एकड़ भूमि ग़रीबों को दान करने को कहा। इसके लिए उन्होंने अहिंसात्मक संघर्ष भी किया। 3 साल के भीतर ही 27,40,000 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में एकत्रित कर ली गई है।

राज्यों ने भूदान आंदोलन के समय कई प्रकार के कानून बनाए। इस आंदोलन के अंतर्गत 50 लाख एकड़ भूमि निर्धन किसानों को दान कर दी गई परंतु यह अपने 150 लाख एकड़ भूमि के लक्ष्य से पिछड़ गया। इस आंदोलन ने ग्रामीण समाज की restructuring की तथा सदियों से चली आ रही निर्धनता और दुःखों को ख़त्म करने में सहायता की।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

प्रश्न 17.
समाचार-पत्रों को पढ़ें, दूरदर्शन अथवा रेडियो के समाचार सुनें तथा बताएं कि कब-कब ग्रामीण क्षेत्रों को इनमें शामिल किया जाता है? किस तरह के मुद्दे आमतौर पर बताएं जाते हैं?
उत्तर:
अगर हम रोज़ाना के समाचार-पत्र पढ़ें अथवा दूरदर्शन या रेडियो के समाचार सुनें तो हमें पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बहुत से मुद्दों को इनमें लगातार शामिल किया जाता है। कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आने वाली मुश्किलें, उनमें प्रयोग होने वाले बीज, उर्वरक, कीटनाशक, उन्हें मिलने वाली बिजली, सिंचाई का पानी, उनके उत्पाद का सही मूल्य इत्यादि ऐसे मुद्दे हैं जो इनमें बार-बार शामिल होते हैं। रेडियो के आकाशवाणी जालंधर पर रोज़ाना कृषि करने के अलग-अलग ढंगों के बारे में बताया जाता है।

किसानों को उत्पादन बढ़ाने के नए-नए ढंग, नए उन्नत बीज तथा उर्वरक, समय-समय पर मिलने वाली सब्सिडी इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया जाता है। परंतु आजकल कुछेक नए मुद्दे ऐसे हैं जो आजकल सामने आ रहे हैं तथा वह हैं किसानों की ऋणग्रस्तता तथा किसानों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति।

कृषि की आधुनिक मशीनों को खरीदने के लिए किसान कर्जा लेते हैं। परंतु जब वह कर्जा वापिस नहीं कर पाते हैं तो वह आत्महत्या कर लेते हैं। इसके साथ बढ़ती लागत, कृषि का विस्तार, राज्य द्वारा कृषि के विकास के लिए किए जाने वाले कार्य ऐसे मुद्दे हैं जो आजकल के समाचारों की सुर्खियां बन रहे हैं।

प्रश्न 18.
भूमि चकबंदी पर निबंध लिखें।
उत्तर:
भूमि सुधार की तीसरी मुख्य श्रेणी में भूमि की चकबंदी या हदबंदी के कानून थे। इन कानूनों के अनुसार एक विशेष परिवार के लिए कृषि योग्य भूमि रखने की उच्चतम सीमा निर्धारित की गई। प्रत्येक क्षेत्र में हदबंदी भूमि के प्रकार, उपज तथा कई अन्य प्रकार के कारकों पर निर्भर थी। जो ज़मीन अधिक उपजाऊ थी, उसकी हदबंदी कम थी परंतु कम उपजाऊ भूमि की तथा बिना पानी वाली भूमि की हदबंदी अधिक सीमा तक थी।

यह राज्यों का कार्य था कि वह निश्चत करे कि अतिरिक्त भूमि (हदबंदी सीमा से अधिक भूमि) को वह अधिगृहित कर लें और इसे भूमिहीन परिवारों को तय की गई श्रेणी के अनुसार दोबारा वितरित कर दें जैसे कि अनुसूचित जातियों व जनजातियों। परंतु अधिकतर राज्यों में यह कानून दंतविहीन ही साबित हुए हैं।

इसमें बहुत से ऐसे बचाव के रास्ते थे जिससे परिवारों व घरानों ने अपनी भूमि को राज्यों को देने से बचा लिया। लोगों ने अपनी बच्चों के नाम पर भूमि कर दी तथा अधिकतर मामलों में उन्होंने अपने रिश्तेदारों, नौकरों तथा कई स्थानों पर तो बेनामी स्थानों पर भूमि की मल्कियत बदल दी।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ज़मींदारी प्रथा के बारे में आप क्या जानते हैं? ज़मींदारी व्यवस्था की विशेषताओं तथा दोषों का वर्णन करो।
अथवा
जमींदारी व्यवस्था में भारतीय समाज पर दुष्परिणामों की व्याख्या करें।
उत्तर:
हमारे देश में आजादी से पहले कृषि के क्षेत्र में ज़मींदारी प्रथा प्रचलित थी। आज़ादी के समय कृषि योग्य कुल भूमि में से 25% अर्थात एक चौथाई भाग पर ज़मींदारी व्यवस्था प्रचलित थी। ज़मींदारी व्यवस्था ब्रिटिश शासन काल में लार्ड कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल में शुरू की। इस व्यवस्था के अंर्तगत ज़मींदार भूमि का स्वामी होता है पर यह जरूरी नहीं कि वह अपनी भूमि पर स्वयं ही कृषि करे। कृषि करने के लिए वह अपनी भूमि किसानों को दे देता था।

वह किसानों से लगान इकट्ठा करता था तथा सरकार को राजस्व या कर देता था। ब्रिटिश सरकार ने ज़मींदारों को बड़े-बड़े भू-भाग का स्वामित्व प्रदान किया ताकि उन्हें ज़मींदारों से राजस्व के रूप में निश्चित पैसा नियमित रूप से मिलता रहे। ज़मींदारों की संख्या कम होने के कारण उनसे संपर्क रख पाना भी आसान था। ज्यादातर मामलों में ज़मींदारों ने स्वयं कृषि करने की जगह भूमि काश्तकारों को पट्टे पर दे दी।

काश्तकारों में से भी ज्यादातर ने आगे कई व्यक्तियों को भूमि सौंप दी। इस तरह ज़मींदार की भूमि बहुत सारे काश्तकारों तथा उप-काश्तकारों में बंटती चली गई। हरेक उप-काश्तकार उत्पादन में से निश्चित मात्रा में अनाज या धनराशि के रूप में काश्तकार को लगान देता था तथा इस तरह प्रथम काश्तकार ज़मींदार को निश्चित लगान देता था जिसमें से ज़मींदार सरकार को राजस्व का भुगतान करता था। ज़मींदार प्रथा बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार तथा मद्रास राज्यों में प्रचलित थी।

ज़मींदारी प्रथा की विशेषताएं (Characteristics of Zamindari System)-ज़मींदारी प्रथा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • ज़मींदारी प्रथा की सबसे पहली विशेषता यह है कि भूमि की मलकीयत ज़मींदार के पास ही रहती थी चाहे वह आगे काश्तकारों या उप-काश्तकारों को पट्टे पर दी हुई थी।
  • इस प्रथा में भूमि पर कृषि ज़मींदार खुद नहीं किया करते थे बल्कि यह उन्होंने आगे काश्तकारों को पट्टे पर दी होती थी।
  • काश्तकार भी कई बार खुद कृषि नहीं किया करते थे बल्कि वह भी आगे भूमि उप-काश्तकारों को कृषि करने के लिए दिया करते थे।
  • यहां पर काश्तकार ज़मींदार को या तो अपनी तरफ से या उप-काश्तकारों से लगान इकट्ठा करके दिया करते थे।
  • ज़मींदार काश्तकारों से लगान इकट्ठा करके सरकार को राजस्व या कर का भुगतान किया करता था।
  • इस में भूमि के असली काश्तकार तथा सरकार के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं होता था।
  • क्योंकि असली काश्तकार तथा सरकार के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता था इसलिए ज़मींदार इन दोनों के बीच मध्यस्थ या बिचौलिए की भूमिका निभाता था।
  • ज़मींदार जो लगान इकट्ठा करता था तथा सरकार को जो राजस्व का भुगतान करता था उसमें भारी अंतर होता था क्योंकि उसे
  • एक बंधी हुई धनराशि सरकार को देनी होती थी पर वह अपनी मनमर्जी से काश्तकारों से लगान वसूल करता था।
  • इस व्यवस्था में ज़मींदारों द्वारा काश्तकारों तथा उप-काश्तकारों का बहुत ज्यादा शोषण होता था क्योंकि ज़मींदार काश्तकारों से अपनी मनमर्जी का लगान वसूल करते थे।
  • काश्तकारों का बाढ़, अकाल, सूखे आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ज़मींदार या सरकार की तरफ से सुरक्षा का अभाव होता था क्योंकि जमींदार या सरकार को सिर्फ लगान से मतलब होतालथा।
  • काश्तकार भूमि के रख-रखाव तथा भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के प्रति उदासीन होते थे क्योंकि उन को पता होता था कि यह भूमि जिस पर वह कृषि कर रहे हैं यह उनकी अपनी नहीं है तथा यह कभी भी उनके हाथ से जा सकती है।
  • इस प्रथा में ज़मींदारों में कई बुराइयां आ गई थीं क्योंकि उनके पास पैसा आने लग गया था जिस वजह से उन्होंने विलासिता में अपना जीवन शुरू कर दिया था।

ज़मींदारी प्रथा के दोष (Demerits of Zamindari System)-

  • जमींदारी प्रथा का सबसे बड़ा दोष यह था कि भूमि का छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजन हो जाता था क्योंकि भूमि काश्तकारों से आगे उप-काश्तकारों में बंट जाती थी।
  • काश्तकारों में पट्टे की भूमि पर सुरक्षा का अभाव होता था क्योंकि उन्हें पता होता था कि यह ज़मीन उनकी अपनी नहीं है, पता नहीं है कि कब यह ज़मीन उनके हाथ से निकल जाए।
  • लगान के प्रतिशत में निश्चितता तथा किसी प्रकार के नियमों का अभाव होता था क्योंकि ज़मींदार तो सरकार को एक निश्चित रकम लगान के रूप में दिया करते थे पर वह काश्तकारों से अपनी मर्जी के अनुसार लगान वसूल किया करते थे। कई बार तो यह उत्पादन का आधा भाग होता था।
  • इस प्रथा में असली कृषकों का शोषण हुआ करता था क्योंकि उनके द्वारा उत्पादित चीज़ों का ज्यादातर भाग जमींदार लगान के रूप में ले जाया करता था।
  • असली कृषकों के पास भूमि का स्वामित्व नहीं होता था क्योंकि भूमि तो उनको पट्टे पर मिली होती थी जो कभी भी छिन सकती थी।
  • सरकार का असली कृषकों के साथ कोई प्रत्यक्ष संपर्क नहीं होता था क्योंकि सरकार का संबंध तो सिर्फ ज़मींदार से हुआ करता था।
  • जमींदार किसानों से लगान की उच्च दर वसूलते थे। कभी-कभी तो यह कुल उपज का दो तिहाई भाग भी होता था।

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के आने से क्या-क्या समस्याएं उत्पन्न हुईं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी समस्या थी देश की बढ़ रही जनसंख्या के लिए खाद्यान्न उत्पन्न करने की। 1950 से लेकर 1960 तक के सालों में भारत को अपनी जनता की खाद्यान्न की ज़रूरत पूरा करने के लिए बाहर के देशों या विदेशों से खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। परंतु उस समय सरकार के सामने यह प्रश्न था कि देश की खाद्यान्न की ज़रूरत को कैसे पूरा किया जाए। इसलिए कई कमेटियां बनाई गईं तथा उन सब कमेटियों को ध्यान में रखते हुए जो कुछ भी सरकार ने किया उसका परिणाम हमारे सामने आया हरित क्रांति के रूप में।

हरित क्रांति के पहले ही साल भारत का खाद्यान्न का उत्पादन 25% तक बढ़ गया। इस तरह हरित क्रांति ने न सिर्फ देश की खाद्यान्न की ज़रूरत को पूरा किया बल्कि देश में इतना खाद्यान्न होने लग गया कि भारत इसे बाहर के देशों को भी भेजने या निर्यात करने लग गया। हरित क्रांति के हमारे देश को बहुत से फायदे हुए पर इन फायदों के साथ-साथ कुछ समस्याएं भी पैदा हो गईं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) सीमित प्रदेश (Limited States) सबसे पहली समस्या हरित क्रांति के साथ यह हुई कि यह सिर्फ कुछ एक प्रदेशों में आई न कि पूरे भारत में। जिन राज्यों में सिंचाई के साधन काफ़ी अच्छे थे जैसे पंजाब, हरियाणा वहां पर हरित क्रांति ने जबरदस्त बदलाव ला कर रख दिया परंतु बहुत से प्रदेश इस हरित क्रांति से अछूते ही रहे।

जिन राज्यों में हरित क्रांति आई वह आर्थिक रूप से काफ़ी समृद्ध हो गए पर जिन राज्यों में यह नहीं आई वह आर्थिक रूप से पिछड़े ही रहे। इस तरह आर्थिक स्तर पर क्षेत्रीय असमानता फैल गई। उदाहरण के तौर पर पंजाब जैसा छोटा-सा प्रदेश देश का सबसे अमीर प्रदेश बन गया था। इस तरह सिर्फ उन राज्यों में ही कृषि का विकास हुआ जो पहले ही कृषि के क्षेत्र में उन्नत थे। जो राज्य पहले भी कृषि में पिछड़े हुए थे वे अब भी पिछड़े हुए हैं।

(ii) सीमित फसलें (Limited Number)- इस हरित क्रांति का एक और दोष यह रहा कि यह सिर्फ कछ एक फसलों तक ही सीमित रही। इसके क्षेत्र में सभी फसलें नहीं आईं। इस वजह से सिर्फ गेहूँ, चावल, ज्वार, मक्का, बाजरा इत्यादि फसलों का उत्पादन बढ़ा। व्यापारिक महत्त्व की फसलें जैसे कपास, चाय, जूट इत्यादि के उत्पादन में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई। इन फसलों में स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। इस तरह कुछ एक फसलों को छोड़ कर यह और क्षेत्रों में क्रांति नहीं ला पायी।

(iii) अमीर किसानों को ज्यादा लाभ-हरित क्रांति से एक और समस्या उभर कर सामने आई कि इसने सिर्फ अमीर किसानों को ही ज्यादा लाभ पहुंचाया। ग़रीब किसानों की हालत में इससे कोई सुधार नहीं हुआ। इसका कारण यह है कि हरित क्रांति लाने के लिए यह जरूरी है कि आप ट्रैक्टर, नए उन्नत बीजों. नए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें। अगर आप इनका प्रयोग नहीं करेंगे तो आपके लिए हरित क्रांति का कोई फायदा नहीं होगा।

इस तरह इन सब के लिए पैसे की ज़रूरत थी और पैसा सिर्फ अमीर किसान ही खर्च कर सकते थे। अमीर किसानों ने पैसा खर्च किया और वे ज्यादा अमीर हो गए। जिन किसानों के पास 10-15 एकड़ तक से ऊपर तक की जमीन थी वहे तो हरित क्रांति से काफ़ी ज्यादा लाभ ले गए पर जिनके पास 5 एकड़ से कम भूमि थी उनकी स्थिति और भी खराब हो गई। इस तरह बड़े किसानों के लिए तो यह हरित क्रांति सिद्ध हुई पर छोटे किसानों को फायदे की बजाए नुकसान ही हुआ।

(iv) आर्थिक असमानता का बढ़ना-हरित क्रांति ने आर्थिक असमानता को भी बढ़ाया। बड़े-बड़े किसान जो पैसा खर्च कर सकते थे उन्होंने पैसा खर्च किया तथा उससे और ज्यादा पैसा कमाया पर जिन किसानों के पास ज़मीन कम थी या जो छोटे किसान थे उनको इससे कोई फायदा नहीं हुआ और उनकी स्थिति जैसी की तैसी बनी रही। इस तरह एक तरफ बढ़ती अमीरी तथा दूसरी तरफ बढ़ती ग़रीबी या जस की तस की स्थिति से आर्थिक असमानता में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई।

इस तरह हम हरित क्रांति का सही लाभ तभी उठा सकते हैं जब इसका सही लाभ सभी वर्गों को प्राप्त हो न कि कुछ वर्गों को। अगर इसका लाभ सिर्फ कुछेक वर्गों को हुआ तो इस प्रकार की क्रांति का कोई फायदा नहीं है।

प्रश्न 3.
आज़ादी के बाद भारत में कौन-से भूमि सुधार किए गए? इन सुधारों के क्या परिणाम निकले?
अथवा
भूमि सुधार के चार लाभ बताएँ।
अथवा
भारत में भूमि सुधारों की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में भूमि सुधार (Land Reforms in India)-आज़ादी से पहले भूमि, कृषि, कृषक बीच की कड़ियों व सरकार के बीच संबंधों के दोषों को देखते हुए इनमें तुरंत परिवर्तन करना अनिवार्य था। भारत स्वतंत्रता के समय अविकसित राष्ट्र था। उद्योगों का बहुत कम विकास हो पाया था। तकनीक व विज्ञान क्षेत्र भी पिछड़ा हुआ था। देश तथा लोगों की आय का मुख्य साधन कृषि करना ही था। उस समय 80 प्रतिशत से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे।

जो अधिकतर कृषि कार्य करते थे। गांव में उच्च निम्न-संपन्न वर्ग को छोड़कर अन्य लोगों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति दयनीय थी। इससे निपटने के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तर पर प्रयास अति आवश्यक थे ताकि कृषि संबंधों में सुधार लाया जा सके। सरकार ने भूमि व्यवस्था व कृषि संबंधों को सुधारने संबंधी कानूनों का निर्माण किया।

इन्हें लागू किया, विनोबा भावे तथा अन्य कई सामाजिक कर्ताओं ने जन-आंदोलनों के माध्यम से कृषि संबंधों को सुधारने में सराहनीय योगदान दिया। देश में भूमि सुधार के उद्देश्य से किए गए प्रयासों व कार्यों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-

1. भूमि की चकबंदी (Consolidation of Land)-देश में लाखों किसानों की भूमि इधर-उधर बिखरी पड़ी थी। खेत दूर-दूर थे। इस प्रकार उन्हें एक स्थान पर उनकी भूमि के बराबर भूमि मुहैया करवाई गई ताकि कृषि करने में उन्हें कठिनाई न हो।

2. सहकारी कृषि को प्रोत्साहन (To Encourage Co-operative Farming)-विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में सहकारी कृषि को प्रोत्साहित किया गया है। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में दस हज़ार सहकारी समितियों के अंतर्गत लाखों सदस्य लाखों हेक्टेयर भूमि पर सहकारी कृषि कर रहे हैं।

3. बिचौलियों का उन्मूलन (Abolition of Intermediaries)-सरकार ने स्वतंत्रता के पश्चात् कृषक एवं राज्य के बीच बिचौलियों/मध्यस्थों के उन्मूलन के लिए कानूनों का निर्माण किया। 1948 में सर्वप्रथम चेन्नई राज्य ने ऐसा कानून बनाया। पश्चिमी बंगाल में ज़मींदारों तथा अनुपस्थित भू-स्वामियों के रूप में कृषि क्षेत्र में बिचौलिया प्रथा विकट रूप में थी, सबसे पहले ज़मींदारी व्यवस्था इसी राज्य में प्रारंभ की गई।

ज़मींदारी उन्मूलन कानून का निर्माण इस प्रदेश में 1954-55 में किया गया। साम्यवादी राज्यों-रूस व चीन के विपरीत भारत में ज़मींदारों से भूमि लेने के बदले उन्हें मुआवजा दिया जाने लगा। केरल में मुआवजे की राशि “मार्किट मूल्य” के समान थी, इस तरह अरबों रुपये की धन राशि बिचौलियों को देनी पड़ी।

4. भूमि-स्वामित्व के अभिलेख (Records of Land-ownership)-भूमि-स्वामित्व संबंधी रिकार्ड का सही रख-रखाव किया जाने लगा। अधिकतर राज्यों ने भू-स्वामित्व अभिलेख ठीक कर लिए हैं। हिमाचल प्रदेश ने तो सन् 2000-2001 में किसान पुस्तकें तैयार की हैं। जिनमें उनकी भूमि-संबंधी पूरी सूचना दी गई है ताकि किसानों को अपनी भूमि संबंधी जानकारी रहे।

5. जोतों की सीमाओं का निर्धारण (Ceiling of Holdings)-अधिकतम सीमा जोतों में निर्धारित की गई। ऐसी सीमा निर्धारण संबंधी विभिन्न राज्यों में अधिनियम दो चरणों में बनाए गए। प्रथम सन् 1972 से पूर्व तथा द्वितीय 1973 व उसके पश्चात् निर्मित कानून। हरियाणा एवं पंजाब में 1973 से पूर्व सिंचाई एवं गैर-सिंचाई वाली भूमि क्रमशः 27 एवं 100 एकड़ तक रखने की अनुमति थी, जबकि 1973 के पश्चात् यह सीमा क्रमशः 18 एकड़ तथा 27 एकड़ कर दी गई। जबकि हिमाचल प्रदेश में 1973 के पश्चात् जोत सीमा क्रमशः 10 एकड़ तथा 15 एकड़ तय की गई।

6. काश्तकारी व्यवस्था में सुधार (Reform in Tenancy System)-पट्टेदारों को स्वतंत्रता से पूर्व सामान्य उत्पादन का आधा तथा कई मामलों में तीन-चौथाई भाग लगान के रूप में देना होता था। मगर प्रथम पंचवर्षीय योजना में यह सिफारिश की गई कि पट्टेदार से लगान के रूप में 20-25 प्रतिशत से अधिक न लिया जाए।

तत्पश्चात् विभिन्न राज्यों द्वारा अधिनियम पारित किए गए व अधिकांश राज्यों में लगान प्रतिशत 25 प्रतिशत या इससे कम है। कुछ एक राज्यों (जैसे तमिलनाडु में सिंचित एवं शुष्क भूमि के लिए लगान दर 45% तथा 25% है।) में इससे अधिक लगान भी लिया जाता है। पट्टेदारों को पट्टे का स्वामित्व प्रदान किया गया है उन्हें पट्टे की सुरक्षा भी प्रदान की गई।

7. भू-स्वामित्व के अभिलेख (Records of Land-ownership)-भू-स्वामित्व संबंधी रिकार्ड का सही रख रखाव किया जाने लगा। ज्यादातर राज्यों ने भू-स्वामित्व अभिलेख ठीक कर दिये। हिमाचल प्रदेश ने तो सन् 2000-01 में किसान पुस्तकें तैयार की हैं जिसमें उनकी भूमि संबंधी पूरी सूचना दी गई है ताकि किसानों को अपनी भूमि संबंधी जानकारी रहे।

सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों का परिणाम (Consequences of Governmental and Non-Governmental Efforts)-भारतीय समाज में भूमि सुधारों के उद्देश्य से किये गये सरकारी, गैर-सरकारी प्रयासों के अच्छे परिणाम निकले, जिनका संक्षिप्त ब्यौरा निम्नलिखित है-

  • कृषकों के शोषण का अंत हुआ।
  • भूमिहीन किसानों को भू-स्वामित्व प्राप्त हुआ।
  • सामंतवाद का अंत हो गया।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।
  • लाखों कृषक सरकार के प्रत्यक्ष संपर्क में आये।
  • भूमि के असमान वितरण में भारी कमी आई।
  • सरकार की आय में वृद्धि हुई।
  • कृषकों की आर्थिक दशा में सुधार हुआ।
  • भूमि के अभिलेखों का ठीक रख-रखाव होने लगा।
  • देश की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ हुई।
  • कृषि में किसानों द्वारा पूंजी निवेश में रुचि बढ़ी, भूमि का विकास किया जाने लगा।
  • भूमिहीन किसानों की भूमि वितरण से व्यर्थ तथा बंजर भूमि का सदुपयोग होने लगा।
  • लगान का नियमन किया गया।

प्रश्न 4.
हरित क्रांति क्या है? इसके कौन-से प्रमुख आधार हैं?
अथवा
हरित क्रांति के प्रमुख आधार कौन-कौन से हैं? सविस्तार वर्णन करें।
उत्तर:
हरित क्रांति कृषि उत्पादन को बढ़ाने का एक नियोजित एवं वैज्ञानिक तरीका है। पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन करने के पश्चात् यह स्पष्ट हो गया कि यदि हमें खाद्यान्न में आत्म-निर्भरता प्राप्त करनी है तो उत्पादन संबंधी नवीन तरीकों व तकनीकों का प्रयोग करना होगा। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारतवर्ष में सन् 1966-67 में कृषि में तकनीकी परिवर्तन आरंभ हुए। इसके अंतर्गत अधिक उपज वाली नयी किस्मों (विशेषतः गेहूँ व चावल की खेती आती है।) सिंचाई के विकसित साधनों तथा कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाने लगा।

कृषि में उन्नत साधनों के प्रयोग को ही ‘हरित क्रांति’ का नाम दिया गया। यहां पर हरित शब्द ग्रामीण क्षेत्रों के हरे भरे खेतों के लिये प्रयुक्त हुआ है और क्रांति व्यापक रूप से परिवर्तन को दर्शाती है। हरित क्रांति के पहले चरण में गहन कृषि जिला कार्यक्रम शुरू किये गये जिसके अंतर्गत पहले तीन ज़िलों और बाद में सौलह-ज़िलों को शामिल किया गया। चुने गये जिलों में कृषि की उन्नत विधियां, खाद्य बीज एवं सिंचाई का एक साथ प्रयोग करने के कारण इस कार्यक्रम को पैकेज प्रोग्राम भी कहा गया।

सन् 1967-68 में इस कार्यक्रम को देश के अन्य भागों में भी शुरू कर दिया गया। लेकिन उसमें विस्तार कार्य के लिए स्टाक छोटे पैमाने पर रखा गया है। इसी कारण इसे गहन कृषि क्षेत्रीय कार्यक्रम भी कहा गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को कृषि संबंधी नई तकनीक, ज्ञान, साख, एवं उत्पादन के नवीन साधनों का वितरण किया गया ताकि कृषि उत्पादन में अधिक-से-अधिक वृद्धि की जा सके।

हरित क्रांति के प्रमुख आधार (Main bases of Green Revolution)
1. उत्पाद का सही मूल्य (Determination of Price of Produce)-सरकार ने किसानों को उनके उत्पादन का सही मूल्य दिलाने, शोषण से छुटकारा पाने तथा मूल्यों में आने वाली गिरावट से सुरक्षा प्रदान कराने के लिये उचित मूल्य की गारंटी दी है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कृषि मूल्य आयोग की स्थापना की गई। यह आयोग समय-समय पर उपज की वसूली और खरीद मूल्य के बारे में सुझाव देता रहता है।

2. पशु-पालन विकास (Development of Animal Husbandry) देश में पशुओं की नस्ल सुधार उनके रोगों की रोकथाम, दुधारू एवं उन्नत नस्ल पशुओं का विकास, भेड़ पालन, सुअर पालन, मुर्गी पालन एवं डेयरी विकास को विशेष महत्त्व दिया गया है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशु-पालन व कृषि का गहरा संबंध है। कृषि उत्पादकता में तभी वृद्धि की जा सकती है यदि हमारा पशु पालन सही व उन्नत तरीकों पर आधारित हो।

अन्यथा नहीं। भारत में डेयरी विकास तथा ग्रामीण रोजगार व आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से सन् 1988 में डेयरी विकास के टेकनोलोजी मिशन की स्थापना की गई। 1966-1976 में दग्ध उत्पादन 6.8 करोड से बढ़ 1997-98 में 7.2 करोड़ टन हो गया। यह पश-पालन को बढ़ावा देने के कारण संभव हो

3. निगमों की स्थापना (Establishment of Corporation षि के विकास के लिये विभिन्न प्रकार के कृषि उपकरण तथा मशीनों एवं गोदामों की व्यवस्था के लिये सरकार ने कृषि उद्योग निगम (Agricultural Industry Corporation) की स्थापना की। इसी के साथ कृषि में उत्पादित माल की ब्रिकी प्रोसेसिंग एवं संग्रह के लिये 1953 में राष्ट्रीय सरकारी विकास निगम की स्थापना की गई। उन्नत बीजों की बिक्री के लिये राष्ट्रीय बीज निगम तथा भारतीय राजकीय कार्य निगम स्थापित किये गये हैं। अनेक राज्यों ने भी अपने बीज निगम खोले हैं। राष्ट्रीय बीज निगम के अनाज, तिलहन, दाल इत्यादि के प्रमाणित बीज तैयार किये हैं।

4. कीटनाशक औषधियों का प्रयोग (Use of Insecticides)-ऐसा अनुमान है कि फसलों का एक चौथाई भाग कीटनाशकों, पतंगों, चूहों इत्यादि द्वारा नष्ट किया जाता है। फ़सलों को कीड़े-मकोड़ों से होने वाली हानि से बचाने के लिये ये आवश्यक है कि कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाये ताकि उत्पादन को बढ़ाया जा सके। हरित क्रांति में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये यह एक उत्तम उपाय है। पौधों की सुरक्षा के लिये दवाओं का प्रयोग किया जाए ताकि पेड़-पौधे समय से पहले नष्ट न हों। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पौध संरक्षण केंद्रों की स्थापना की गई।

5. बहु फ़सल कार्यक्रम (Multi Crop Programme) बहु फ़सल कार्यक्रम के अंतर्गत थोड़े समय में पक कर तैयार हो जाने वाली फ़सलें बोई जाती हैं। जैसे-सब्जियां, मक्का, ज्वार, बाजरा इत्यादि। हरित क्रांति में अधिक उपज देने वाली किस्मों के साथ-साथ अल्पाविधि वाली फ़सलें भी विकसित की गईं। फ़सलों के नये तरीके भी अपनाये गये, जिससे पैदावार में काफ़ी वृद्धि हुई। वर्तमान समय में लगभग 930 हैक्टेयर भूमि पर बहु फ़सल कार्यक्रम को लागू किया गया है तथा इसके सकारात्मक परिणाम भी आये हैं।

6. सिंचाई को बढ़ावा (Promotion of Irrigation) किसान की कृषि कार्य के लिये वर्षा पर निर्भरता कम करने के लिये बड़ी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएं प्रारंभ की गईं। डैम बनाये गये नहरें खुदवाई गईं, लघु सिंचाई परियोजनाएं प्रारंभ की गईं। इन परियोजनाओं में भू-गर्भ जल योजना पंपसैट, निजी ट्यूब्वेलों, फिल्टर प्वाईंट आदि का विकास किया गया।

इन योजनाओं के कारण भूमि की सिंचाई में काफ़ी विकास हुआ तथा पैदावार में भी वृद्धि हुई। लघु सिंचाई कार्यक्रम के दौरान 1970-71 में जहां 207 हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की गई। वहीं 1997 98 में 14.4 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत की गई। वर्तमान समय में किसानों की निजी पंपसैटों एवं ट्यूब्वेलों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है।

7. भूमि सुधार (Land Reforms) भूमि सुधारों की देश में हरित क्रांति लाने में विशेष भूमिका रही है। कानूनों द्वारा अधिकतम भूमि रखने की सीमा तय की गई। भूमि की चकबंदी की गई। भूमि संबंधी अभिलेख (Records) तैयार किये गये। जमींदारों से फालतू भूमि लेकर भूमिहीन किसानों में बांटी गई।

8. यांत्रिक खेती (Mechanical Farming) यांत्रिक खेती को प्रोत्साहन देने तथा किसानों को आधुनिक कृषि संबंधी मशीनें, ट्रैक्टर, इत्यादि खरीदने के लिये सरकार अन्य सहायता प्रदान करती है। सस्ती दर पर ऋण देती है तथा इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में खेती की उत्पादकता को बढ़ावा तथा किसानों में सामाजिक व आर्थिक असमानता को दूर करना है।

सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप ही किसान कृषि मशीनरी का प्रयोग कर पाया जिससे पैदावार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 1997-98 की अवधि में ट्रैक्टरों में, 2,51,200 तथा 13,100 पावर टिलरों का निर्माण हुआ जोकि पहले की तुलना में अधिक है। 9वीं पंचवर्षीय योजना में भी इन उपकरणों को अधिक लोकप्रिय बनाने तथा इनके उपयोग पर बल दिया गया।

9. उर्वरकों का अधिक प्रयोग (More use of Fertilizers) उत्पादन को बढ़ाने के लिये रासायनिक उर्वरकों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाने लगा है। देश भर में रासायनिक खाद के उत्पादन के लिये पूर्व स्थापित कारखानों की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया गया। कई नयी इकाइयों की स्थापना की गई। उर्वरकों का आयात किया जाने लगा। नाइट्रोजन, यूरिया, अपनी मांग का, तथा पोटाश के खादों के उपयोग के नये स्तर प्राप्त किये गये।

देश में 1986-87 में खादों का प्रयोग 86.4 लाख टन था जो बढ़कर 1997-98 में 163 लाख टन हो गया है। भारत केवल मात्र अपनी मांग का 60 प्रतिशत ही पूरा कर पाता है जबकि 40 प्रतिशत खादों के लिये विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है।

10. उन्नत बीजों का प्रयोग (Use of high yield variety seeds)-अधिक उपज देने वाला कार्यक्रम 1982-83 में 4 करोड़ 77 लाख हेक्टेयर पर भूमि में लागू किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गेहूँ, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि की फ़सलों को चुना गया। परंतु सबसे अधिक सफलता गेहूँ को प्राप्त हुई। इसके साथ ही सन् 1990-91 में चावल, गेहूँ, मक्का तथा दालों का. उत्पादन 17.63 करोड़ टन था जो 1997-98 में बढ़कर 19.11 करोड़ टन हो गया।

वर्तमान समय में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 20 करोड टन से अधिक ‘होने लगा है। इस कार्यक्रम के तहत नयीं विकसित तकनीकों के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं तथा अन्य साधनों का प्रयोग भी किया जाता है जिससे फ़सलों के उत्पादन में और भी वृद्धि होती जाती है। पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में अधिक उपज देने वाली अनाज की किस्मों में वृद्धि होती जा रही है।

उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर यह स्पष्ट है कि हरित क्रांति के अंतर्गत अधिक उपज देने वाली फ़सलों का विकास, रासायनिक खादों का अधिक प्रयोग, कीटनाशक दवाओं का प्रयोग, यांत्रिक खेती, लघु सिंचाई सुविधाओं का विकास, भूमि सुधार, पशु पालन का विकास तथा कृषि उत्पादन का उचित मूल्य निर्धारण इत्यादि अनेक कार्यक्रमों को शामिल किया गया है। इन सब कार्यक्रमों का संयुक्त उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि करना ही है।

प्रश्न 5.
हरित क्रांति के सामाजिक, आर्थिक प्रभावों का वर्णन करो।
अथवा
भारतीय समाज पर हरित क्रांति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
जहाँ हरित क्रांति लागू हुई, उन क्षेत्रों में (विशेषकर ग्रामीण) सामाजिक संबंधों में क्या परिवर्तन देखे गए?
उत्तर:
हरित क्रांति ने देश की उत्पादकता में काफ़ी वृद्धि की है। इसके परिणामस्वरूप देश की खाद्यान्नों के उत्पादन में बहुत बढ़ोत्तरी हुई। साथ ही गैर-पारंपरिक (Traditional) फ़सलों जैसे-सोयाबीन, सूरजमुखी, ग्रीष्मकालीन मूंग, मूंगफली आदि को बढ़ावा दिया गया। हरित क्रांति के कारण ही खाद्यान्नों का उत्पादन जो 1967-68 में 9.5 करोड़ टन था, वह 1997-98 में बढ़कर 19.11 तथा 2002-03 में 21 करोड़ टन हो गया। इन लाभों के बावजूद हरित क्रांति के साथ कुछ एक नयी समस्याएं भी उत्पन्न हुईं जो निम्नलिखित हैं-

1. वर्ग संघर्ष (Class Struggle) हरित क्रांति के प्रभाव के कारण गांवों में पाई जाने वाली वर्ग व्यवस्था में भी परिवर्तन आया है। क्रांति के लाभों के कारण जो किसान मज़दूर वर्ग की श्रेणी में आये थे, अब आर्थिक रूप से संपन्न और उच्च वर्ग की श्रेणी में आने लगे हैं। इसमें ग्रामों की परंपरागत वर्ग व्यवस्था परिवर्तित हो रही है। इसके साथ ही आर्थिक संपन्नता के आधार पर ये खेतीहर मजदूर वर्ग अब राजनीतिक शक्ति भी प्राप्त करना चाह रहे हैं जो पहले भू-स्वामियों और उच्च जातियों में निहित थी। अतः ग्रामों में वर्ग संघर्ष एवं जातीय संघर्ष हरित क्रांति का परिणाम माना जा रहा है।

2. खाद्यान्नों की कीमत में वृद्धि (Increase in the Price of food-grains) हरित क्रांति के परिणामस्वरूप कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। परंतु रासायनिक खादों, बीजों, कीटनाशक औषधियों एवं नये कृषि यंत्रों के महंगा होने के कारण कृषि उपज की लागत में वृद्धि हुई है। फलस्वरूप छोटे व सीमांत किसान इन विधियों का प्रयोग नहीं कर पाते जिससे इनका लाभ केवल बड़े किसानों को ही अधिक हो जाता है। महंगी कृषि प्रौद्योगिकी के कारण खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ी हैं।

3. खेतीहर मज़दूर और ग़रीब हुए (Agricultural Labourers become Poor)-अनेक विचारकों का मत है कि हरित क्रांति के प्रभावों के परिणामस्वरूप गांवों में बेकारी और बेरोज़गारी की समस्या बड़ी है। खेतीहर मज़दूरी की वास्तविक मज़दरी भी कम हई है। प्रणव वर्धन के “पंजाब और हरियाणा” के 15 जिलों के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि हरित क्रांति के कारण खेतीहर श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी कम हुई है। इसी प्रकार अन्य विचारक जैसे-उमा श्री वास्तव, आर० डी० क्राऊन तथा ए० ओ० हैडी के अध्ययनों से इस बात का पता चलता है कि भारत जैसे देश में कृषि में यंत्रीकरण की यह नीति उचित नहीं है। इससे कृषक की स्थिति निम्न ही रही है।

4. राजनीतिक प्रभाव (Political Impact) हरित क्रांति के परिणामस्वरूप धनी किसान राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अधिक शक्तिशाली बन गये हैं। धनी किसान समय-समय पर भूमि संबंधी सुधार अधिनियमों को लागू करने में रुकावट पैदा करते हैं, जिसके कारण भू-सुधार कानूनों को लागू करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बिहार राज्य में छोटे एवं मध्यम दर्जे के किसानों ने नयी तकनीक का प्रयोग करके अपनी कृषि आय में वृद्धि कर ली है, जिससे वह राजनीतिक शक्ति को भी मजबूत करने में लगे हुए हैं।

5. उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी छोटे किसानों की पहुंच से बाहर होती गई (Advance Technology become beyond the reach of Small Farmers)-हरित क्रांति में लघु और ग़रीब किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों की सामाजिक आर्थिक स्थिति और कमजोर हुई है। नयी तकनीक, उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक दवाएं, सिंचाई आदि जैसे निवेश लघु एवं सीमांत किसानों की पहुंच से बाहर है। इसमें लघु किसानों और धनी किसानों के बीच की दूरी बढ़ गई है।

6. आर्थिक असमानता में वृद्धि (Increase in Economic Inequality)-हरित क्रांति के परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों की आय में असमानता विकसित हुई है। इसका कारण यह है कि अधिक उपज देने वाली किस्मों के बीजों का प्रयोग देश के कुछ ही क्षेत्रों में ही हुआ। जबकि अधिकतर क्षेत्रों में कृषि कार्य परंपरागत तरीकों से ही किये जाते रहे हैं। इन क्षेत्रों में नयी तकनीक व पुरानी तकनीक के प्रयोग के परिणामस्वरूप उत्पादन क्षमता में असमानता विकसित हो गई है और इसी असमानता से विभिन्न क्षेत्रों की आय भी असमान हो गई है। अतः हरित क्रांति ने देश में आर्थिक असमानता को बढ़ावा दिया है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

प्रश्न 6.
ग्रामीण क्षेत्रों में किस प्रकार के वर्ग पाए जाते हैं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
आज़ादी के बाद भारत में तेज़ गति से आर्थिक विकास हुआ है। आर्थिक विकास के लिए नियोजित प्रयास किए जा रहे हैं जिसके फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में नए समूह तथा वर्ग विकसित हो रहे हैं जिनमें से प्रमुख वर्गों का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) भूस्वामी किसान (Land Owner Farmer)-आज़ादी प्राप्त करने के बाद भारत में आज़ादी से पहले से चली आ रही भूमि व्यवस्थाओं को बदलने के प्रयास किए। ज़मींदारों से कानूनी तरीके से तथा भू-दान आंदोलन द्वारा फालतू ज़मीन लेकर लाखों भूमिहीन किसानों में बांटी गई। प्रत्येक भूमिहीन किसान को एक-एक एकड़ जमीन मुफ्त दी गई। इसके फलस्वरूप लाखों भूमिहीन किसान भू-स्वामी किसान बन गए।

पहले वे ज़मींदारों के लिए जमींदारों की ज़मीन पर कृषि किया करते थे। अब वह अपनी ज़मीन पर खेती करने लगे। 1992 तक 50 लाख लोगों में 50 लाख एकड़ ज़मीन बांटी गई। ज़मीन का मालिक बनने पर किसानों में कृषि कार्यों में रुचि बढ़ी। देश में हरित क्रांति के बाद थोड़ी ज़मीन पर भी अधिक उत्पादन होने लगा जिससे किसानों की आर्थिक दशा सुधरने लगी। उन्नत बीजों, उर्वरकों, कृषि औजारों तथा सिंचाई आदि पर उन्होंने धन निवेश करना प्रारंभ किया। आजकल छोटे से छोटे किसान के पास भी ट्रैक्टर हैं।

(ii) सज्जन किसान (Gentleman Farmer)-सज्जन किसान भी भू-स्वामी किसानों का एक वर्ग है। इन किसानों के पास ज़मींदारों की तरह बड़े-बड़े ज़मीन के टुकड़े नहीं हैं। इनमें ऐसे किसान शामिल होते है, जिन्हें ज़मीन या तो अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई या फिर उन्होंने खुद ज़मीन खरीदी है। इस किसान वर्ग में काफी ऐसे लोग भी शामिल होते हैं जो सरकारी या गैर-सरकारी नौकरियां करते हैं. सैनिक तथा असैनिक सेवाओं में लगे थे, रिटायर हो चुके हैं, अपना छोटा-छोटा कारोबार करते हैं।

सज्जन किसान गेहूं, मक्की तथा धान इत्यादि की पारंपरिक खेती तो करते हैं इसके अलावा वह फल, फूल, साब्जियां इत्यादि भी उगाते हैं। उन्नत बीजों, उर्वरकों, यांत्रिक हल, सिंचाई सुविधाओं तथा धैशर इत्यादि का प्रयोग करते हैं जिससे उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ती है। इस तरह इनकी खेती में पारंपरिक आधुनिक कृषि प्रणाली के तत्त्व देखे जा सकते हैं।

(iii) मध्यम जातीय एवं मध्यम वर्गीय किसान (Middle Caste and Middle Class Farmer)-स्वतंत्रता के बाद भारतीय समाज के ग्रामीण क्षेत्रों में शक्तिशाली मध्यम जातीय तथा मध्यम वर्गीय किसानों के समूह का विकास हुआ है। इसे मध्यम जातीय इसलिए कहते हैं क्योंकि जातीय संस्तरण में इनकी स्थिति उच्च जातियों से निम्न तथा निम्न जातियों से उच्च है। इस वर्ग को मध्यम वर्गीय किसान भी कहते हैं क्योंकि यह न तो ज़मींदार हैं तथा न ही ये भूमिहीन किसान हैं।

इनकी स्थिति बड़े किसानों तथा भूमिहीन किसानों के बीच की है। औद्योगीकरण तथा नगरीकरण का लाभ उठाने के लिए काफ़ी बड़े-बड़े किसान, उच्च जातियों से संबंधित बड़े किसान नगरों में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने उद्योगों की स्थापना करनी प्रारंभ कर दी। ऐसे हालातों में ग्रामीण क्षेत्रों से मध्यम जातीय तथा मध्यम वर्गीय किसान वर्ग विकसित हुआ।

(iv) पूंजीपति किसान (Capitalist Farmer)-अंत में पूंजीपति किसान वर्ग एक ऐसा वर्ग है जो कृषि कार्यों में इस तरह से पूंजी निवेश करता है ताकि अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। यह वर्ग आजादी से पहले के ज़मींदार वर्ग से अलग है क्योंकि ज़मींदार वर्ग सरकार तथा किसान के बीच विचौलिया हुआ करता था। उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए वह विशेष प्रयास नहीं करता था।

जबकि पूंजीपति किसान खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए ऋण अन्न प्रौद्योगिकी, मंडियों, यातायात तथा दूर संचार के साधनों तथा सस्ते श्रमिकों इत्यादि का प्रयोग करता है। चाहे पूंजीपति किसान वर्ग देश की कुल आबादी का छोटा सा भाग है पर देश की घरेलू खपत तथा निर्यात के लिए खाद्यान्न उत्पादन करने में इस वर्ग की अहम भूमिका है। भू-स्वामी किसान, सज्जन किसान, मध्यम जातीय तथा मध्यम वर्गीय किसान तथा पूंजीपति किसानों के वर्गों का विकास आजादी के बाद हुआ। इस तरह सभी प्रकार के वर्गों का संबंध कृषि से है तथा यह वर्ग मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
भारत की आज़ादी के बाद ग्रामीण समाज में कौन-से परिवर्तन आए? उनकी व्याख्या करें।
उत्तर:
देश की स्वतंत्रता के बाद जिन-जिन प्रदेशों मे हरित क्रांति आई उन प्रदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संबंधों और प्रकृति में बहुत से बदलाव आए जैसे कि

  • अधिक कृषि के कारण कृषि मजदूरों का बढ़ना।
  • अनाज के स्थान पर नगद भुगतान।
  • प्रारंपरिक बंधनों का कमज़ोर होना अथवा किसान व मजदूर के पुश्तैनी संबंधों में कमी आना।
  • मुफ़्त दिहाड़ी मजदूरों के वर्ग का सामने आना।

प्रसिद्ध समाज शास्त्री जान ब्रेमन ने किसानों तथा मजदूरों के संबंधों की प्रकृति में परिवर्तन के बारे में बताया है। यह परिवर्तन उन सभी क्षेत्रों में आए जहां कृषि का व्यापारीकरण हुआ अर्थात जहां फसलों को बाज़ार में वेचने के लिए उगाया गया। कुछ विद्वानों के अनुसार मज़दूर संबंधों में यह बदलाव पूंजीवादी कृषि के काम आया। पूंजीवादी व्यवस्था में उत्पादन, उत्पादन के साधनों, मजदूरों के पृथक्करण तथा मुफ़्त दिहाड़ी मजदूरों के प्रयोग पर आधारित होता है।

आजकल विकसित क्षेत्रों में किसान बाजार के लिए उत्पादन कर रहे हैं। कृषि में व्यापारीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्र विस्तृत अर्थ व्यवस्था से जुड़ रहे हैं। इस कारण गांवों की तरफ पूंजी का निवेश बढ़ा है तथा व्यापार के अवसर व रोजगार बढ़ गए। परंतु हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में यह परिर्वतन अंग्रेजों के समय ही शुरू हो गए थे। 19वीं सदी में महाराष्ट्र में जमीन के बड़े टुकड़ों पर कपास का उत्पादन करके किसानों को सीधे विश्व बाजार से जोड़ दिया गया।

चाहे इसकी गति स्वतंत्रता के बाद तेज़ हुई क्योंकि सरकार ने खाद्यान उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों में मुहईया करवाई। सरकार ने सड़कें, सिंचाई की सुविधाएं तथा सहकारी समितियां उपलब्ध करवाई। ग्रामीण विकास के सरकारी प्रयासों से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा कृषि में परिर्वतन आए बल्कि कृषक संरचना तथा ग्रामीण समाज में भी परिवर्तन आए। 1960 तथा 1970 के दशक में हरित क्रांति आई तथा बड़े किसानों ने कृषि के क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया जिससे वह समृद्ध हो गए।

आंध्र प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा मध्य गुजरात में प्रबल जातियों के संपन्न किसानों ने कृषि से होने वाले लाभ को और प्रकार के व्यापारों में पैसा लगाना शुरू किया। इससे नए उद्यमी समूह सामने आए जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बों की तरफ पलायन किया। इससे नए क्षेत्रीय अभिजात वर्ग सामने आए जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हो गए। वर्ग संरचना में इस परिर्वतन से ग्रामीण क्षेत्रों तथा कस्बों में उच्च शिक्षा के संस्थान शुरू हो गए जिससे ग्रामीण लोग अपने बच्चों को पढ़ाने लग गए। इनमें से बहुत ने व्यावसायिक अर्थव्यवसथा अथवा व्यापार करना शुरु किया तथा नगरों के मध्य वर्ग के विस्तार में योगदान दिया।

प्रश्न 8.
भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का ग्रामीण समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
भूमंडलीकरण से भारतीय कृषि व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
वैश्वीकरण का भारतीय कृषि व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1980 के दशक के उत्तरार्ध से ही भारत में उदारीकरण की नीति अपनायी जा रही है जिसका देश के ग्रामीण समाज तथा कृषि पर काफ़ी प्रभाव पड़ा है जिसका वर्णन इस प्रकार है-
(i) भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में विश्व व्यापार संगठन में भागीदारी होती है जिसका मुख्य उद्देश्य मुक्त अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार स्थापित करना है। इसके लिए भारतीय बाजारों को आयात के लिए खोलने की ज़रूरत है। दशकों तक भारतीय बाजार बंद बाज़ार था परन्तु भूमंडलीकरण के कारण अब यह अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से प्रतियोगिता करने को तैयार है।

बहुत सी ऐसी वस्तुएं हैं, जैसे कि कई प्रकार के फल तथा खाद्यान्न सामग्री जो आयात पर प्रतिबंध होने के कारण कुझ समय पहले तक उपलब्ध नहीं थी। कुछ समय पहले तक भारत गेहूं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर था परंतु पिछले वर्ष इसे आयात करना पड़ा। इस तरह भूमंडलीकरण के कारण ग्रामीण समाज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

(ii) कृषि के भूमंडलीकरण के कारण कृषि विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में शामिल हो गई है जिसका किसानों तथा ग्रामीण समाज पर सीधा प्रभाव पड़ा है। जैसे पंजाब तथा कर्नाटक में किसानों ने बहु राष्ट्रीय कंपनियों (कोक, पेप्सी) से कुछ निश्चित फसलें उगाने (टमाटर, आलू) का ठेका लिया है। यह कंपनियां उन फसलों को निर्यात या प्रसंस्करण के लिए खरीद लेती हैं। इस प्रकार की संविदा खेती या ठेका करने वाली कृषि में कंपनियां निश्चित फसलें उगाने को कहती हैं, बीज तथा और वस्तुएं निवेश के रूप में उपलब्ध करवाती हैं।

इसके साथ ही वह जानकारी तथा कार्यकारी पूंजी भी देती हैं। इसके बदले में किसान पूर्व निर्धारित मूल्य पर फसल बेचने का आश्वासन देते हैं। फूल, अंगूर, अंजीर, अनार, कपास, तिलहन संविदा खेती की प्रमुख फसलें हैं। संविदा खेती बहुत से लोगों को उत्पादन प्रक्रिया से अलग कर देती हैं तथा उनके अपने प्राचीन ज्ञान को निरर्थक कर देती है। इसके अलावा इन फसलों को उगाने में उवर्रकों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग होता है जिस कारण यह पर्यावरण की दृष्टि से ठीक नहीं है।

(iii) कृषि के भूमंडलीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीज, कीटनाशकों तथा उर्वरकों के विक्रेता के रूप में सामने आएं हैं। पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में सरकारी कार्यक्रमों की कमी के कारण इन कंपनियां के एजेंटों ने अपने पाँव जमा लिए हैं। यह एजेंट किसानों को बीजों तथा कृषि की जानकारी के एकमात्र स्रोत होते हैं तथा यह एजेंट अपने उत्पाद बेचने को इच्छुक होते हैं। इसलिए किसान महंगी खादों, कीटनाशकों का प्रयोग करने को बाध्य हुए हैं। इससे किसान ऋणी हो गए हैं तथा पर्यावरण का संकट भी उत्पन्न हो गया है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत किस प्रकार का देश है?
(A) कल्याणकारी
(B) तानाशाही
(C) राजतंत्र
(D) कुलीनतंत्र।
उत्तर:
कल्याणकारी।

2. …………………. एक कानूनी किताब या दस्तावेज़ है जिसमें देश को चलाने के सभी नियम दिए गए हैं?
(A) महाकाव्य
(B) आचार संहिता
(C) संविधान
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
संविधान।

3. भारतीय संविधान कब लागू हुआ था?
(A) 26 जनवरी, 1947
(B) 26 जनवरी, 1950
(C) 26 जनवरी, 1952
(D) 26 जनवरी 1949
उत्तर:
26 जनवरी, 1950.

4. संविधान बनाने वाली Drafting Committee के अध्यक्ष कौन थे?
(A) लाल बहादुर शास्त्री
(B) महात्मा गांधी
(C) जवाहर लाल नेहरू
(D) डॉ० अंबेदकर।
उत्तर:
डॉ० अंबेदकर।।

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5. सभी भारतीयों को कितने मौलिक अधिकार दिए गए हैं?
(A) छः
(B) चार
(C) पाँच
(D) सात।
उत्तर:
छः।

6. …………….. एक समूह है जिसकी वैधानिक संस्थाएं उसके नाम से जानी जाती हैं, जिसका अपना एक भौगोलिक क्षेत्र होता है तथा जिसे शक्ति के शारीरिक पक्ष को प्रयोग करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है?
(A) देश
(B) सरकार
(C) राज्य
(D) राजनीतिक दल।
उत्तर:
राज्य।

7. सामाजिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(A) देश का सर्वपक्षीय विकास
(B) देश के एक पक्ष का विकास
(C) अपने देश के साथ और देशों का विकास
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
देश का सर्वपक्षीय विकास।

8. आज तक कितनी पंचवर्षीय योजनाएं बन चुकी हैं?
(A) नौ
(B) दस
(C) आठ
(D) बारह।
उत्तर:
बारह।

9. देश में योजना आयोग कब बना था?
(A) 1952
(B) 1951
(C) 1954
(D) 1950
उत्तर:
1950

10. योजना आयोग का अध्यक्ष कौन होता है?
(A) प्रधानमंत्री
(B) वित्त मंत्री
(C) राष्ट्रपति
(D) वित्त सचिव।
उत्तर:
प्रधानमंत्री।

11. पहली पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल क्या था?
(A) 1950-1955
(B) 1952-1957
(C) 1951-1956
(D) 1953-1958
उत्तर:
1951-1956

12. पंचवर्षीय योजनाओं का माडल किस देश से लिया गया था?
(A) यू० एस० एस० आर०
(B) ब्रिटेन
(C) अमेरिका
(D) जर्मनी।
उत्तर:
यू० एस० एस० आर० (U.S.S.R.)।

13. स्थानीय स्वः संस्थाओं में स्त्रियों को कितना आरक्षण दिया गया है?
(A) एक तिहाई
(B) पाँचवां हिस्सा
(C) एक चौथाई
(D) दसवां हिस्सा।
उत्तर:
एक तिहाई।

14. सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजातियों को कितना आरक्षण दिया गया है?
(A) 10%
(B) 15%
(C) 7.5%
(D) 27%
उत्तर:
7.5%

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15. संसद् में अनुसूचित जनजातियों के लिए कितने स्थान आरक्षित हैं?
(A) 39
(B) 41
(C) 49
(D) 46
उत्तर:
41

16. पहली पंचवर्षीय योजना का क्या उद्देश्य था?
(A) कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ करनाड्ड
(B) औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना
(C) सामाजिक कल्याण के अधिक-से-अधिक कार्यक्रम बनाना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

17. सभी भारतीयों को कितने मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं?
(A) छः
(B) दस
(C) आठ
(D) नौ।
उत्तर:
दस।

18. पंचवर्षीय योजनाओं से देश में क्या परिवर्तन आया?
(A) शिक्षा का फैलाव
(B) स्त्रियों की स्थिति में सुधार
(C) पिछड़े वर्गों का उत्थान
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

19. नियोजित विकास का क्या लाभ है?
(A) समय की बचत
(B) सभी क्षेत्रों का विकास
(C) पैसे की बचत
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

20. इनमें से कौन-सा पंचायती राज का एक स्तर है?
(A) पंचायत
(B) ब्लॉक समिति
(C) जिला परिषद्
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

21. ………………. एक नियमों की व्यवस्था है जिसे सरकार द्वारा लोगों पर लागू किया जाता है?
(A) कानून
(B) संविधान
(C) राज्य
(D) सरकार।
उत्तर:
कानून।

22. देश के लिए कानून कौन बनाता है?
(A) संसद्
(B) लोक सभा
(C) राज्य सभा
(D) प्रदेश की वैधानिक संस्था।
उत्तर:
संसद्।

23. राज्य के लिए कानून कौन बनाता है?
(A) संसद्
(B) राज्य विधान सभा
(C) राज्य सभा में
(D) लोकसभा।
उत्तर:
राज्य विधान सभा।

24. भारत में पंचायती राज्य व्यवस्था कब लागू हुई थी?
(A) 1952
(B) 1959
(C) 1955
(D) 1962
उत्तर:
1959

25. ग्राम सभा की अधिक-से-अधिक समयावधि कितनी होती है?
(A) 4 साल
(B) 5 साल
(C) 6 साल
(D) असीमित।
उत्तर:
5 साल।

26. पंचों और सरपंचों की नियुक्ति कैसे होती है?
(A) प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा
(B) जिले के डी० सी० द्वारा नियुक्ति
(C) जिले के संसद् सदस्य द्वारा नियुक्ति
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा।

27. पंचायती राज्य की तीन स्तरीय संरचना में सबसे निम्न स्तर कौन-सा है?
(A) ब्लॉक समिति
(B) पंचायत
(C) जिला परिषद्
(D) नगर कौंसिल।
उत्तर:
पंचायत।

28. पंचायती राज्य की तीन स्तरीय संरचना में बीच का स्तर कौन-सा है?
(A) ब्लॉक समिति
(B) पंचायत
(C) नगर कौंसिल
(D) जिला परिषद्।
उत्तर:
ब्लॉक समिति।

29. पंचायती राज्य की तीन स्तरीय संरचना में सबसे उच्च स्तर कौन-सा है?
(A) नगर निगम
(B) ब्लॉक समिति
(C) पंचायत
(D) जिला परिषद्।
उत्तर:
जिला परिषद्।

30. पंचायत समिति द्वारा बनाई गई योजनाओं को कौन लागू करता है? .
(A) B.D.O.
(B) S.S.P.
(C) D.C.
(D) S.D.M.
उत्तर:
B.D.O.

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31. किस कानून से बहु-विवाह की प्रथा समाप्त कर दी गई थी?
(A) हिंदू तलाक कानून, 1955
(B) हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
(C) हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956
(D) दहेज निषेध कानून, 1961.
उत्तर:
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955

32. अस्पृश्यता अपराध अधिनियम कब पास हुआ था?
(A) 1949
(B) 1954
(C) 1955
(D) 1961
उत्तर:
1955

33. नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम कब पास हुआ था?
(A) 1975
(B) 1974
(C) 1977
(D) 1976
उत्तर:
1976.

34. प्राचीन पंचायती राज्य व्यवस्था में क्या कमी थी?
(A) लगातार चुनाव की कमी
(B) वित्तीय साधनों की कमी
(C) लोगों द्वारा दिलचस्पी न लेना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

35. इनमें से कौन-सा पंचायत का कार्य है?
(A) पीने के पानी का प्रबंध
(B) सड़कें बनाना
(C) स्कूल का प्रबंध
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

36. ग्राम सभा में गाँव के सभी ………………… सदस्य होते हैं।
(A) बालिग
(B) बच्चे
(C) जवान
(D) स्त्रियाँ।
उत्तर:
बालिग।

37. इनमें से कौन-सा पंचायत समिति की आय का स्रोत है?
(A) अनुदान
(B) मेलों से आय
(C) मार्कीट से आय
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

38. विकेंद्रीकरण का अर्थ है ……………….. का ऊपर से नीचे तक विभाजन।
(A) कार्यों
(B) शक्तियों
(C) व्यवस्था
(D) देश।
उत्तर:
शक्तियों।

39. पंचायत का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
(A) वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
(B) वह दिवालिया घोषित न किया गया हो
(C) उसकी आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

40. भारतीय संविधान की प्रस्तावना इनमें से किसे सुनिश्चित करने का प्रयास करती है?
(A) धार्मिक न्याय
(B) सामाजिक न्याय
(C) राजनीतिक न्याय
(D) उपर्युक्त सभी को।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी को।

41. इनमें से कौन-सा 1931 के कराची कांग्रेस संकल्प घोषणा पत्र में शामिल था?
(A) धार्मिक स्वतंत्रता
(B) धर्म निरपेक्ष राज्य
(C) वयस्क मताधिकार।
(D) उपर्युक्त सभी को।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक नियोजन का मुख्य उदेश्य क्या होता है?
उत्तर:
सामाजिक नियोजन का मुख्य उदेश्य देश का हर तरफ से विकास करना होता है।

प्रश्न 2.
हमारे देश में अब तक कितनी पंचवर्षीय योजनाएं बन चुकी हैं?
उत्तर:
हमारे देश में अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं बन चुकी हैं।

प्रश्न 3.
हमारे देश में अब तक कितनी एकवर्षीय योजनाएं लागू हो चुकी हैं?
उत्तर:
हमारे देश में अब तक तीन एकवर्षीय योजनाएं 1966-69 तक लागू हो चुकी हैं।

प्रश्न 4.
हमारे देश के योजना आयोग को कब बनाया गया था?
उत्तर:
हमारे देश के योजना आयोग को 1950 में बनाया गया था।

प्रश्न 5.
योजना आयोग का अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर:
योजना आयोग का अध्यक्ष हमेशा प्रधानमंत्री होता है क्योंकि हमारे संविधान के अनुसार योजना आयोग का अध्यक्ष हमेशा प्रधानमंत्री ही होगा।

प्रश्न 6.
महिला अधिकारिता दिवस कब मनाया गया था?
उत्तर:
महिला अधिकारिता दिवस सन् 2001 में मनाया गया था।

प्रश्न 7.
पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
अथवा
प्रथम पंचवर्षीय योजना कब लागू की गई?
उत्तर:
पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि 1951-1956 तक थी।

प्रश्न 8.
पहली पंचवर्षीय योजना में कितने रुपये खर्च करने का प्रावधान था?
उत्तर:
पहली पंचवर्षीय योजना में ₹ 1960 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था।

प्रश्न 9.
दूसरी तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल बताएं।
उत्तर:
दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-1961 तक थी तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961-1966 तक थी।

प्रश्न 10.
दूसरी तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना में कितने रुपये खर्च करने का प्रावधान था?
उत्तर:
दूसरी योजना में ₹ 4672 करोड़ तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना में ₹ 8577 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था।

प्रश्न 11.
तीन एकवर्षीय योजनाओं में कितने रुपये खर्च किए गए?
उत्तर:
तीन एकवर्षीय योजनाओं में ₹ 6625 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 12.
चौथी, पाँचवीं तथा छठी पंचवर्षीय योजनाओं का कार्यकाल बताएं।
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1969-74, पाँचवीं का 1974-79 तथा छठी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1979-85 तक था।

प्रश्न 13.
इन तीन योजनाओं में कितने पैसे खर्च किए गए?
उत्तर:
चौथी योजना में ₹ 15779 करोड़, पाँचवीं योजना में ₹ 39,426 करोड़ तथा छठी पंचवर्षीय योजना में ₹ 1,10,467 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 14.
सातवीं तथा आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि बताएं।
उत्तर:
सातवीं तथा आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि क्रमशः 1985-90 तथा 1992-97 थी।

प्रश्न 15.
सातवीं तथा आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं में कितने पैसे खर्च किए गए?
उत्तर:
सातवीं योजना में ₹ 2,21,436 करोड़ तथा आठवीं पंचवर्षीय योजना में ₹ 4,74,121 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 16.
नौवीं तथा दसवीं पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि बताएं।
उत्तर:
नौवीं योजना की अवधि 1997-2002 तथा दसवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि 2002-2007 तक है।

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प्रश्न 17.
नौवीं योजना में कितने रुपये खर्च किए गए?
उत्तर:
नौवीं योजना में ₹ 8,59,200 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 18.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में कितने रुपये खर्च किए जाएंगे?
उत्तर:
दसवीं पंचवर्षीय योजना में ₹ 15.92,300 करोड़ खर्च किए जाएंग।

प्रश्न 19.
पंचवर्षीय योजनाओं का मॉडल भारत ने किस देश से लिया था?
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं का मॉडल भारत ने सोवियत संघ (U.S.S.R.) से लिया था।

प्रश्न 20.
आर्थिक विकास मख्यतः किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आर्थिक विकास मुख्यतः उद्योगों के होने तथा अधिक उत्पादन होने, कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी, विदेशी निवेश के बढ़ने, देश में सामान की खपत, आयात-निर्यात इत्यादि पर निर्भर करता है।

प्रश्न 21.
भारतीय संविधान की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान इतना लचकीला तथा आसान है कि इसमें परिवर्तन किया जा सकता है तथा साथ ही साथ इतना कठोर है कि इसे परिवर्तित करने के लिए संसद् तथा राज्य विधानसभाओं के दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है।

प्रश्न 22.
बहु विवाह की प्रथा किस कानून द्वारा खत्म की गई थी?
उत्तर:
बहु विवाह प्रथा को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के द्वारा खत्म किया गया था।

प्रश्न 23.
पुत्र गोद लेने का कानून कब पास हआ था?
उत्तर:
पुत्र गोद लेने या हिंदू दत्तक पुत्र गोद लेने का कानून 1950 में पास हुआ था।

प्रश्न 24.
दहेज निरोधक कानून कब पास हुआ?
उत्तर:
दहेज निरोधक कानून पहली बार 1961 में तथा दूसरी बार 1986 में पास हुआ था।

प्रश्न 25.
अस्पृश्यता अपराध कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
अस्पृश्यता अपराध कानून 1955 में पास हुआ था पर यह कारगर सिद्ध नहीं हुआ था। इसलिए इसमें संशोधन करके नागरिक संरक्षण अधिकार कानून 1976 में पास हुआ था।

प्रश्न 26.
विधवा पुनर्विवाह कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
विधवा पुनर्विवाह कानून 1856 में पास हुआ था।

प्रश्न 27.
सती प्रथा विरोधी कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
सती प्रथा विरोधी कानून 1829 में पास हुआ था।

प्रश्न 28.
प्रभुत्व जाति होने के लिए कौन-सी विशेषताएँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
प्राचीन समय में उच्च जाति, धन का होना प्रभुत्व जाति होने के लिए आवश्यक था। परंतु आधुनिक समय में जाति का प्रभाव कम हो गया है। इसलिए अधिक जनसंख्या का होना ही प्रभुत्व जाति के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 29.
भारत किस प्रकार का राज्य है?
उत्तर:
भारत एक कल्याणकारी राज्य है जिसका मुख्य उद्देश्य जनता के कल्याण में कार्य करना है।

प्रश्न 30.
संविधान क्या होता है?
उत्तर:
संविधान एक कानूनी किताब या दस्तावेज़ है जिसमें देश पर शासन करने के तरीके तथा प्रणालियाँ लिखी हुई हैं।

प्रश्न 31.
भारत देश का संविधान कब लागू हुआ था?
उत्तर:
भारत देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था, तभी हमारा देश गणतंत्र बना था।

प्रश्न 32.
संविधान बनाने वाली Drafting Committee के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
संविधान बनाने वाली Drafting Committee के अध्यक्ष डॉ० अंबेदकर थे।

प्रश्न 33.
भारत के नागरिकों को कितने मौलिक अधिकार दिए गए हैं?
उत्तर:
भारत के नागरिकों को छः (6) मौलिक अधिकार दिए गए हैं।

प्रश्न 34.
राज्य क्या होता है?
अथवा
राज्य की परिभाषा दें।
अथवा
राज्य क्या है?
अथवा
राज्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
राज्य वह समूह है जिसमें समाज में चल रही विभिन्न वैधानिक संस्थाएं उसके नाम से जानी जाती हैं तथा उसका निश्चित भू-भाग होता है जिसमें उसे शक्ति के शारीरिक पक्ष का प्रयोग करने का पूरा अधिकार होता है।

प्रश्न 35.
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश का हर तरफ से विकास करना है तथा राज्यों को उनके हक के मुताबिक विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए पैसा देना है। इससे देश का सामाजिक तथा आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 36.
कल्याणकारी राज्य क्या होता है?
उत्तर:
कल्याणकारी राज्य में राज्य अपने नागरिकों तथा जनता के कल्याण करने की ज़िम्मेवारी उठाता है तथा उनके कल्याण के प्रयास करता है।

प्रश्न 37.
कल्याणकारी राज्य किस प्रकार की भूमिका निभाता है?
उत्तर:
कल्याणकारी राज्य देश में नागरिकों के कल्याण में सबसे अहम भूमिका अदा करता है। देश के कमजोर तथा पिछड़े वर्गों के आर्थिक विकास के लिए वह कार्य करता है। महिलाओं तथा बच्चों के लिए विधान रखता है ताकि कोई उनका शोषण न कर सके। इस तरह कल्याणकारी राज्य बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रश्न 38.
नियोजन क्या होता है?
उत्तर:
नियोजन एक व्यवस्था होती है जिसके आधार पर समाज या व्यक्तिगत तौर पर लक्ष्यों की पूर्ति के लिए प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 39.
सामाजिक नियोजन क्या होता है?
उत्तर:
यह वह व्यवस्था या विधि है जिसकी मदद से समाज की विभिन्न प्रकार की सामाजिक तथा सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान के प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 40.
आर्थिक नियोजन क्या होता है?
उत्तर:
यह वह योजना या कार्यक्रम है जिसमें हम आर्थिक तौर के सभी पक्षों जैसे कृषि, व्यापार, संपत्ति, संचार, परिवहन के साधनों के विकास के कार्य या प्रयास करते हैं।

प्रश्न 41.
हमारे देश में सामाजिक नियोजन की क्या ज़रूरत है?
उत्तर:
हमारे देश में विभिन्न धर्मों, जातियों के लोग रहते हैं। इन सबको एक-दूसरे के निकट लाने के लिए तथा इस निकटता में से निकली समस्याओं के समाधान के लिए सामाजिक नियोजन की बहुत ज़रूरत है।

प्रश्न 42.
राज्य तथा सरकार में क्या अंतर है?
उत्तर:
राज्य स्थायी होती है उसे कोई हिला नहीं सकता पर सरकार अस्थायी होती है जोकि पाँच साल या उससे पहले भी बदल सकती है। राज्य के कुछ लक्ष्य होते हैं, सरकार उन लक्ष्यों को प्राप्त करने का साधन है।

प्रश्न 43.
पंचायत किसे कहते हैं?
उत्तर:
पंचायत का अर्थ है-पाँच व्यक्तियों की सभा यां पंचों का समूह। पंचायती राज का अर्थ पंचों या पाँच व्यक्तियों द्वारा शासन करने के आधार पर समझा जा सकता है। इसे स्थानीय स्वशासन भी कह सकते हैं।

प्रश्न 44.
पंचायती राज के तीन स्तर कौन-कौन से हैं?
अथवा
नई पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर कौन से हैं?
अथवा
पंचायती राज संस्थाओं के स्तरों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
पंचायती राज के तीन स्तर हैं-

  • पंचायत-गांव के स्तर पर
  • पंचायत समिति-ब्लॉक स्तर पर
  • जिला परिषद्-ज़िला के स्तर पर।

प्रश्न 45.
कानून क्या हैं?
अथवा
सामाजिक अधिनियम किसे कहते हैं?
उत्तर:
नियमों व सिद्धांतों की वह व्यवस्था जिसे जनता पर सरकार द्वारा लागू किया जाता है उसे कानून कहते है।

प्रश्न 46.
देश के लिए कानून कौन बनाता है?
उत्तर:
देश के लिए कानून देश की संसद् बनाती है तथा राज्य के लिए कानून राज्य के विधानमंडल बनाते हैं।

प्रश्न 47.
भारत में पंचायती राज व्यवस्था कब लागू हुई थी?
उत्तर:
भारत में पंचायती राज व्यवस्था 1959 में लागू हुई थी।

प्रश्न 48.
ग्राम पंचायत का गठन कितने समय के लिए होता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत का गठन 73वें संशोधन के अनुसार 5 साल के लिए होता है पर इसे पहले भी भंग किया जा सकता है।

प्रश्न 49.
ग्राम पंचायत में कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर:
हमारे देश में ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं है। हरेक राज्य में यह भिन्न-भिन्न है। हरियाणा में यह संख्या 6 से 20 तक है।

प्रश्न 50.
ग्राम पंचायत के सदस्यों तथा प्रधान का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर:
भारत में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली चलती है ताकि लोगों के प्रतिनिधियों को चुना जा सके। इस तरह ग्राम पंचायत के पंचों तथा सरपंच का चुनाव भी प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से होता है।

प्रश्न 51.
पंचायत समिति तथा जिला परिषद् किस स्तर पर गठित होते हैं?
उत्तर:
पंचायत समिति ब्लॉक स्तर पर तथा जिला परिषद् जिला स्तर पर गठित होते हैं।

प्रश्न 52.
पंचायत समिति द्वारा बनाई योजनाओं को कौन लागू करता है?
उत्तर:
पंचायत समिति द्वारा बनाई गई योजनाओं को ब्लॉक विकास अधिकारी (Block Development Officer) लागू करता है।

प्रश्न 53.
पुरानी पंचायत राज व्यवस्था में क्या त्रुटियां थीं?
उत्तर:

  1. नियमित चुनावों का अभाव था।
  2. पंचायतों के पास वित्तीय साधन नहीं थे।
  3. लोगों की इन संस्थाओं में कम रुचि थी।
  4. सरकारी अधिकारियों का इनके ऊपर अत्यधिक नियंत्रण था।

प्रश्न 54.
कानून कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
कानून दो प्रकार के होते हैं-

  1. दीवानी कानून
  2. फ़ौजदारी कानून।

प्रश्न 55.
गाँवों के विकास के लिए पंचायती राज में कौन-सी संस्थाएं कार्य करती हैं?
उत्तर:
गाँवों के विकास के लिए पंचायती राज में तीन संस्थाएं कार्य करती हैं।

  1. गाँव में पंचायत
  2. ब्लॉक में पंचायत समिति
  3. जिले में जिला परिषद्।

प्रश्न 56.
ग्राम सभा क्या है?
उत्तर:
यह सभा गाँव में बनती है। गाँव के सभी बालिग मर्द तथा औरतें इसके सदस्य होते हैं तथा यही लोग पंचायत का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 57.
पंचायत की आय के कोई दो साधन बताओ।
उत्तर:

  1. सरकार से मिलने वाली ग्रांट
  2. मकानों पर लगे टैक्स से आमदनी
  3. शामलाट ज़मीन से आमदनी।

प्रश्न 58.
पंचायत के कोई चार कार्य बताओ।
उत्तर:

  1. गाँव में पीने के पानी का प्रबंध करना।
  2. गाँवों में सड़कों का निर्माण करना।
  3. गाँवों की सफाई रखने की व्यवस्था करनी।
  4. गाँवों में बिजली का प्रबंध करना।

प्रश्न 59.
पंचायत समिति की आय के कोई तीन साधन बताओ।
उत्तर:

  1. सरकार से ग्रांट मिलना
  2. मेलों से आमदनी
  3. मंडियां लगने से आय की प्राप्ति।

प्रश्न 60.
पंचायत समिति के कोई दो कार्य बताओ।
उत्तर:

  1. अपने क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं बनाना तथा उन्हें लागू करना।
  2. अपने क्षेत्र के अंतर्गत आती पंचायतों के काम-काज की निगरानी करना।

प्रश्न 61.
जिला परिषद् की आय के कोई दो साधन बताओ।
उत्तर:

  1. सरकार द्वारा प्राप्त ग्रांट
  2. अपनी संपत्ति से मिलती आमदनी
  3. उस क्षेत्र में से इकट्ठे हुए करों का कुछ भाग।

प्रश्न 62.
जिला परिषद् के प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:

  1. अपने क्षेत्र में आती पंचायत समितियों के काम का निरीक्षण करना।
  2. अपने क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का निरीक्षण करना।

प्रश्न 63.
ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए?
उत्तर:
ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए 21 वर्ष की आयु होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने तथा पंचायतों का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य न ठहराया गया हो।

प्रश्न 64.
उदारीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया हैं।

प्रश्न 65.
निजीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों में मिश्रित प्रकार की व्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना, ताकि यह अधिक लाभ कमा सकें, निजीकरण कहलाता है।

प्रश्न 66.
मौलिक अधिकारों से आप क्या समझते हैं?
अथवा
मौलिक अधिकार क्या हैं?
अथवा
मौलिक अधिकारों की परिभाषा दें।
उत्तर:
हमारे देश के संविधान ने देश के सभी नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार प्रदान किए हुए हैं जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। यह अधिकार व्यक्ति के लिए अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं जिस कारण इन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है।

प्रश्न 67.
भारतीय नागरिकों को संविधान में दिए गए प्रमुख मौलिक अधिकारों का वर्णन करें।
अथवा
मौलिक अधिकारों का एक उदाहरण दें।
अथवा
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन करें।
अथवा
कोई दो मौलिक अधिकार लिखिए।
उत्तर:

  1. समानता का अधिकार
  2. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  3. स्वतंत्रता का अधिकार
  4. सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार
  5. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 68.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह अधिकार देश के सभी नागरिकों को दिया गया है। इसके अनुसार अगर कोई और व्यक्ति, राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन या उनमें हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है तो वह व्यक्ति न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अपने अधिकार वापिस पा सकता है।

प्रश्न 69.
लोकतंत्र क्या है?
अथवा
लोकतंत्रीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लोकतंत्र सरकार का ही एक प्रकार है जिसमें जनता का शासन चलता है। इसमें जनता के प्रतिनिधि साधारण जनता में से बालिगों को वोट देने के अधिकार से चुने जाते हैं तथा यह प्रतिनिधि ही जनता का प्रतिनिधित्व करते है और उनकी तरफ से बोलते हैं। यह कई संकल्पों जैसे कि समानता, स्वतंत्रता तथा भाईचारे में विश्वास रखता है तथा यह ही इसके कार्यवाहक आधार है।

प्रश्न 70.
दबाव समूह क्या होता है?
अथवा
दबाव समूह से आप क्या समझते हैं?
अथवा
दबाव समूह क्या है?
उत्तर:
दबाव समूह वह संगठित अथवा असंगठित समूह होते हैं जो सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। उनके कुछ उद्देश्य होते हैं तथा वे सरकार पर दबाव डालकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयास करते हैं। यह प्रत्यक्ष रूप से कभी भी चनाव नहीं लड़ते बल्कि अपने प्रभाव से स रखते हैं। ट्रेड यूनियन, किसान संघ इसकी उदाहरणें हैं।

प्रश्न 71.
स्थानीय स्वः शासन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब स्थानीय स्तर पर जनता का शासन स्थापित हो जाए तो उसे स्थानीय स्वः शासन कहते हैं। इसमें जनता स्थानीय स्तर पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है तथा वह प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर ही जनता की समस्याओं का समाधान करते हैं।

प्रश्न 72.
राज्य क्या होता है?
उत्तर:
राज्य वह समूह है जिसमें समाज में चल रही विभिन्न वैधानिक संस्थाएं उसके नाम से जानी जाती हैं तथा उसका निश्चित भू-भाग होता है जिसमें उसे शक्ति के शारीरिक पक्ष का प्रयोग करने का पूरा अधिकार होता है।

प्रश्न 73.
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश का हर तरफ से विकास करना है तथा राज्यों को उनके हक के मुताबिक विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए पैसा देना है। इससे देश का सामाजिक तथा आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 74.
संगठित अपराध किसे कहते हैं?
उत्तर:
आजकल के समय में लोग एक निश्चित योजना बनाकर, हथियारों के साथ अपराध करते हैं। उन्हें ही संगठित अपराध कहा जाता है।

प्रश्न 75.
सफेद कॉलर अपराध का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
नेताओं, अफसरों इत्यादि द्वारा किया जाने वाला घोटाला सफेद कॉलर अपराध का उदाहरण है।

प्रश्न 76.
चार नीति निर्देशक सिद्धांतों के नाम दें।
उत्तर:
राज्य बाल मजदूरी को रोकेगा, राज्य समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करेगा, सभी नागरिकों के लिए आजीविका के उपयुक्त स्रोत विकसित करेगा तथा देश की प्राचीन धरोहरों की रक्षा करेगा।

प्रश्न 77.
समानता के अधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समानता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जिसके अनुसार देश के सभी नागरिक कानून की दृष्टि में समान हैं तथा किसी के साथ भी जाति, वर्ण, रंग, भाषा, आयु, प्रजाति इत्यादि में आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।

प्रश्न 78.
शैक्षणिक अधिभार से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
शैक्षणिक अधिकार का अर्थ यह है कि सरकार 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगी।

प्रश्न 79.
भारत के किसी एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल का नाम बताएं।
उत्तर:
इंडियन नैशनल लोकदल हरियाणा राज्य में मौजूद क्षेत्रीय राजनीतिक दल है।

प्रश्न 80.
ग्राम पंचायत का उप-प्रधान कैसे निर्वाचित किया जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य अर्थात पंच अपने में से ही एक उप प्रधान का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 81.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत एक समाजवादी ……………… है।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि भारत एक समाजवादी पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।

प्रश्न 82.
स्वतंत्रता के अधिकार क्या है?
उत्तर:
स्वतंत्रता के अधिकार के अनुसार भारत में सभी नागरिक स्वतंत्र हैं तथा किसी भी देशी, विदेशी प्रभाव से मुक्त है।

प्रश्न 83.
भारत के किसी एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का नाम बताएँ।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत का एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं।

प्रश्न 84.
ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव कैसे किया जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा होता है।

प्रश्न 85.
भारतीय संविधान में लिखा है कि भारत एक प्रजातंत्रीय …………………….. है।
उत्तर:
भारतीय संविधान में लिखा है कि भारत एक प्रजातन्त्रीय गणराज्य है।

प्रश्न 86.
अस्पृश्यता में उन्मूलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अस्पृश्यता में उन्मूलन का अर्थ है कि देश में से विधानों के द्वारा अस्पृश्यता का खात्मा कर दियागया है तथा जो भी अस्पृश्यता का पालन करेगा उसे विधानों के अनुसार कठोर दंड दिया जाएगा।

प्रश्न 87.
कोई एक मौलिक कर्तव्य बताएं।
उत्तर:
संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय गान का सम्मान करना

प्रश्न 88.
ग्राम पंचायत की मीटिंग की अध्यक्षता प्रधान या पंच में से कौन करता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत की मीटिंग की अध्यक्षता प्रधान करता है।

प्रश्न 89.
किन्हीं दो राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नाम बताएँ।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं।

प्रश्न 90.
भारत का संविधान 15 अगस्त, 1947 या 26 जनवरी, 1950 में से किस दिन लागू किया गया?
उत्तर:
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।

प्रश्न 91.
‘संविधान दवारा 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।’ यह कथन सत्य है या असत्य?
उत्तर:
यह कथन सत्य है कि संविधान द्वारा 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।

प्रश्न 92.
ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अंतर है?
उत्तर:
एक ग्राम सभा में ग्राम के सभी बालिग सदस्य होते हैं तथा ग्राम पंचायत ग्राम सभा द्वारा चुनी हुई संस्था होती है जिसमें एक प्रधान तथा कई पंच होते हैं।

प्रश्न 93.
आपके राज्य में ग्राम पंचायत के सदस्यों के चुनाव में वोट डालने की न्यूनतम आयु क्या है?
उत्तर:
हमारे राज्य में ग्राम पंचायत के सदस्यों के चुनाव में वोट डालने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।

प्रश्न 94.
‘शिक्षा का अधिकार’ कितनी आयु तक के बच्चों को दिया गया है?
उत्तर:
शिक्षा का अधिकार 6-14 वर्ष तक की आयु तक के बच्चों को दिया गया है।

प्रश्न 95.
पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों का कितने वर्ष के लिए चुनाव किया जाता है?
उत्तर:
पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों का चुनाव 5 वर्ष के लिए होता है।

प्रश्न 96.
अपने राज्य में सक्रिय किन्हीं दो राजनीतिक दलों के नाम बताएं।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, इंडियन नैशनल लोकदल, बी० जे० पी० हमारे राज्य के सक्रिय राजनीतिक दल हैं।

प्रश्न 97.
26 जनवरी, 1950 को किस देश का संविधान लागू किया गया?
उत्तर:
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया।

प्रश्न 98.
अभिव्यक्ति का अधिकार क्या है?
उत्तर:
वह अधिकार जिसके अंतर्गत सभी को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता हो, अभिव्यक्ति का अधिकार है।

प्रश्न 99.
अनुसूचित जनजाति किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह जनजाति जिसका नाम संविधान में दर्ज है, उसे अनुसूचित जनजाति कहते हैं।

प्रश्न 100.
भारत में दल प्रणाली का स्वरूप किस प्रकार का है?
उत्तर:
भारत में बहुदलीय व्यवस्था है अर्थात् यहाँ बहुत से राजनीतिक दल होते हैं।

प्रश्न 101.
अनुसूचित जाति क्या है?
उत्तर:
जिस जाति का नाम संविधान में कुछ विशेष व्यवस्थाओं को पाने के लिए दर्ज हो, उसे अनुसूचित जाति कहते हैं।

प्रश्न 102.
मौलिक अधिकार के हनन पर भारत के किस न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है?
उत्तर:
मौलिक अधिकार के हनन पर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

प्रश्न 103.
भारत की राजकीय भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
हिंदी भारत की राजकीय भाषा है।

प्रश्न 104.
प्रभुजाति का स्थानीय सोपान में कौन-सा स्थान होता है?
उत्तर:
प्रभुजाति का स्थानीय सोपान में सबसे उच्च स्थान होता है।

प्रश्न 105.
किंही दो दबाव समूहों का नाम बताएं।
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आंदोलन, चिपको आंदोलन दो दबाव समूह हैं।

प्रश्न 106.
संविधान में किस अनुच्छेद द्वारा अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है?
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है।

प्रश्न 107.
जाति कैसी सामाजिक व्यवस्था है?
उत्तर:
जाति एक बंद सामाजिक व्यवस्था है जिसमे शामिल होना या निकलना मुमकिन नहीं है।

प्रश्न 108.
भारतीय संविधान में कौन-सी भाषा मान्यता प्राप्त नहीं हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में अंग्रेजी को मान्यता प्राप्त नहीं हैं क्योंकि इसे संपर्क भाषा कहा गया है।

प्रश्न 109.
सरकार के तीन अंग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
विधानपालिका (Legislative), कार्यपालिका (Executive) तथा न्यायपालिका (Judiciary), सरकार के तीन अंग हैं।

प्रश्न 110.
भारत में नयी पंचायती राज व्यवस्था कब शरू हई?
उत्तर:
भारत में नयी पंचायती राज व्यवस्था 1993 में शुरू हुई थी।

प्रश्न 111.
भारत की राजकीय भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
हिंदी भारत की राजकीय भाषा है।

प्रश्न 112.
राज्य के अनिवार्य तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भौगोलिक क्षेत्र, जनसंख्या, प्रभुसत्ता तथा सरकार राज्य के चार अनिवार्य तत्त्व हैं।

प्रश्न 113.
सरकार का अर्थ एवं परिभाषा लिखें।
उत्तर:
सरकार राज्य का वह अनिवार्य तत्त्व है. जिसे उसका प्रशासन चलाने के लिए निर्मित किया जाता है।

प्रश्न 114.
एक पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल क्या होता है?
उत्तर:
एक पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।

प्रश्न 115.
हिंदू विवाह अधिनियम कब पास हुआ?
उत्तर:
हिंदू विवाह अधिनियम सन् 1955 में पास हुआ था।

प्रश्न 116.
संवैधानिक प्रावधान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी विशेष कार्य को करने के लिए जो उपबंध अथवा प्रावधान संविधान में रखे गए हों उन्हें संवैधानिक प्रावधान कहा जाता है।

प्रश्न 117.
पंचवर्षीय योजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हमारे देश का विकास करने के लिए पाँच वर्षों के लिए जो योजना तैयार की जाती है उसे पंचवर्षीय योजना कहा जाता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पंचायती राज संस्थाओं के कोई चार कार्य बताओ।
अथवा
ग्राम पंचायत के कोई दो प्रमुख कार्य बताएँ।
अथवा
पंचायती राज्य संस्थाओं के कोई पाँच कार्य लिखिए।
उत्तर:

  1. पीने के पानी का प्रबंध, बिजली का प्रबंध करना।
  2. कृषि विस्तार के प्रयास करने।
  3. पशुपालन, दुग्ध उद्योग और कुक्कुट पालन का विकास करना।
  4. सड़कें, पुलियाँ, पुल, फेरी, जलमार्ग तथा संचार के अन्य साधनों का प्रबंध करना।
  5. शिक्षा का प्रबंध करना।
  6. बाज़ार तथा मेले लगवाने।

प्रश्न 2.
पंचायती राज प्रणाली की विशेषताएं बताओ।
अथवा
नई पंचायती राज प्रणाली की कोई चार विशेषताएं लिखें।
उत्तर:

  1. पंचायती राज प्रणाली में तीन स्तरीय संरचना होती है।
  2. इनमें ग्राम सभा की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण होती है।
  3. इनमें चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर होता है।
  4. इस प्रणाली में महिलाओं, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण होता है।
  5. पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय अधिकार तथा कार्यों का वितरण होता है।

प्रश्न 3.
पंचायत समिति के कौन-कौन सदस्य होते हैं?
उत्तर:

  1. पंचायत समिति के लिए प्रत्यक्ष रूप से चुने हुए सदस्य।
  2. लोकसभा तथा राज्य विधानसभा के सदस्य जो उस क्षेत्र से संबंधित हों।
  3. पंचायत समिति क्षेत्र से ग्राम पंचायतों के कुल प्रधानों में से 1/5 भाग।
  4. राज्य सभा के सदस्य।

प्रश्न 4.
मैकाइवर के अनुसार कानून कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय कानून (National Law)
  2. अंतर्राष्ट्रीय कानून (International Law)
  3. संवैधानिक कानून (Constitutional Law)
  4. साधारण कानून (Ordinary Law)
  5. सार्वजनिक कानून (Public Law)
  6. व्यक्तिगत कानून (Private Law)
  7. सामान्य कानून (General Law)
  8. प्रशासनिक कानून (Administrative Law)।

प्रश्न 5.
भारत में विकेंद्रीकरण का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
विकेंद्रीकरण का अर्थ है शक्तियों का बंटवारा। इसका अर्थ है शक्तियों का ऊपर से लेकर नीचे तक शक्तियों का बंटवारा। भारत में विकेंद्रीकरण का बहुत महत्त्व है क्योंकि भारत एक लोकतंत्र है। लोकतंत्र की सबसे पहली शर्त है कि राजनीति में जनता की भागीदारी। जनता की भागीदारी तभी संभव है जब हर स्तर पर चुनाव हो। हर स्तर पर चुनाव होने से लोए चुने जाएंगे। अगर वह चुने गए हैं तो उनको शक्तियों की जरूरत पड़ेगी।

उनको शक्तियां मिलेंगी ऊपर से तथा यह शक्तियां तभी मिल सकती हैं अगर शक्तियों का केंद्रीकरण न होकर विकेंद्रीकरण हो। वैसे भी भारत में बहुत-सी समस्याएं पायी जाती हैं। इन समस्याओं को केंद्र में बैठकर हल नहीं किया जा सकता। इनको उसी स्तर पर हल किया जा सकता है जहाँ पर यह हैं तथा उसके लिए शक्तियों का विकेंद्रीकरण चाहिए।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 6.
विकेंद्रीकरण व्यवस्था की कोई चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
विकेंद्रीकरण व्यवस्था में शक्तियों का विकेंद्रीकरण हो जाता है। आजादी के बाद हमारे देश में विकेंद्रीकरण की व्यवस्था अपनायी गई ताकि हमारा देश सही मायनों में लोकतंत्र बन सके। विकेंद्रीकरण व्यवस्था की चार विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(i) विकेंद्रीकरण व्यवस्था में शासन व्यवस्था लोकप्रिय रहती है क्योंकि इस व्यवस्था में हर किसी को सत्ता हथियाने का मौका मिलता है। लोकतंत्र जितना व्यापक होगा जनता उतनी ही सक्रिय होगी। इसलिए इससे शासन व्यवस्था लोकप्रिय रहती है।

(ii) विकेंद्रीकरण में निर्णय जल्दी ले लिए जाते हैं। अगर यह व्यवस्था न हो तो निर्णय लेने में समय लग जाएगा क्योंकि वह राजधानी से आएगा पर इस व्यवस्था में मौके पर ही निर्णय हो जाते हैं। इसमें बड़े-बड़े अधिकारियों से आज्ञा की ज़रूरत नहीं पड़ती।

(iii) इस व्यवस्था में प्रशासन में लचीलापन आ जाता है। कर्मचारियों को उनके अधिकार क्षेत्र में निर्णय लेने की स्वतंत्रता रहती है। जिन लोगों के लिए वे काम करते हैं वह उनके निकट होते हैं इसलिए वह मौके के अनुसार निर्णय ले लेते हैं।

(iv) इस व्यवस्था में एक अधिकारी के पास काम का बोझ नहीं रहता। अगर यह व्यवस्था न हो तो छोटे अधिकारियों के पास कोई काम न होगा तथा बड़े अधिकारी काम के बोझ तले दब जाएंगे। इस तरह यह व्यवस्था काम को अलग-अलग स्तरों पर बांट देती है।

प्रश्न 7.
विकेंद्रीकरण व्यवस्था के चार अवगुण बताओ।
उत्तर:
इस व्यवस्था के अवगुण निम्नलिखित हैं-
(i) इस व्यवस्था से शासन में एकरूपता का अभाव होता है। ऊपर बैठे अधिकारी काम करने के नीति निर्देश तो दे देते हैं पर छोटे अधिकारी उस नीति में मौके तथा समय के अनुसार संशोधन कर देते हैं जिस वजह से ऊपर तथा नीचे वालों की नीति में भिन्नता आ जाती है।

(ii) इस व्यवस्था का एक और अवगुण यह है कि इससे खर्च बढ़ जाता है। कर्मचारियों की तनख्वाह, कार्यालय, उसके खर्च यह सब सरकार को सहन करने पड़ते हैं जोकि बहुत ज्यादा होते हैं।

(iii) इस समस्या से राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचता है। अधिकारी स्थानीय समस्याओं को निपटाने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वह सिर्फ स्थानीय क्षेत्र के बारे में सोचते रहते हैं देश के बारे में नहीं सोचते।।

(iv) इस व्यवस्था में केंद्र के नियंत्रण का अभाव होता है। कर्मचारी अपनी मर्जी से काम करते हैं। कई बार तो केंद्र सरकार द्वारा बनाई नीतियों की भी अवहेलना हो जाती है। उनमें स्वेच्छाचारी की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 8.
भारत के संविधान में महिलाओं के लिए प्रावधान है?
अथवा
महिलाओं के कल्याण के लिए क्या संवैधानिक प्रावधान हैं?
उत्तर:
भारत की कुल जनसंख्या में से आधी आबादी महिलाओं की है। सदियों से उनकी स्थिति निम्न रही है तथा उनको पैरों की जूती समझा जाता था। इसलिए संविधान में उनके कल्याण के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। अनुच्छेद 15 के अनुसार सरकार महिलाओं के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध तथा उनको विशेष सुविधाएँ प्रदान कर सकती हैं। अनुच्छेद 39 में यह प्रावधान है कि महिलाओं व पुरुषों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाएगा।

अनुच्छेद 42 के अनुसार राज्य महिलाओं को प्रसूति सहायता का प्रबंध करेगा। अनुच्छेद 51 में लिखा है कि प्रत्येक भारतीय का यह कर्तव्य है कि वह महिलाओं के गौरव को अपमान पहुँचाने वाली परंपराओं को त्याग दें। 73वें तथा 74वें संवैधानिक संशोधनों से महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं तथा नगरपालिकाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं।

प्रश्न 9.
हमारे संविधान में बच्चों के लिए क्या प्रावधान है?
अथवा
बच्चों के कल्याण के लिए क्या संवैधानिक प्रावधान है?
उत्तर:
भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में बच्चों का भी उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 15 के अनुसार सरकार बच्चों के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबन्ध कर सकती है। उन्हें विशेष सुविधाएं मुहैया करवा सकती है। अनुच्छेद 39 के अनुसार बच्चों को आर्थिक संकट से विवश होकर ऐसे कार्य न करने पड़ें जोकि उनकी आयु व स्वास्थ्य के अनुकूल न हो।

इसलिए सरकार ऐसी नीति का निर्माण करे जिससे बच्चों व युवकों के शोषण तथा नैतिक एवं भौतिक पतन से रक्षा हो सके। अनुच्छेद 45 में लिखा है कि सरकार 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क तथा आवश्यक शिक्षा का प्रबंध करे।

प्रश्न 10.
संविधान ने अनुसूचित जातियों के लिए क्या प्रावधान रखे हैं?
उत्तर:

  1. संविधान के अनुच्छेद 275 के अनुसार केंद्र सरकार राज्यों को जनजातीय कल्याण के लिए विशेष धनराशि देगी।
  2. अनुच्छेद 325 के अनुसार सभी को (जनजातियों को भी) वयस्क मताधिकार प्राप्त है।
  3. अनुच्छेद 330 व 332 के अनुसार वर्तमान समय में अनुसूचित जातियों के लिए लोकसभा में 41 तथा राज्यों की विधानसभाओं में 527 स्थान आरक्षित हैं।
  4. अनुच्छेद 335 के अनुसार जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों में 7.5% स्थान आरक्षित हैं।
  5. अनुच्छेद 338 के अनुसार राष्ट्रपति अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति करेगा जो प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति को रिपोर्ट करेगा।

प्रश्न 11.
पहली पंचवर्षीय योजना के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
1951 में जब पहली पंचवर्षीय योजना शुरू हुई तो उस समय देश विभाजन तथा द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से आर्थिक संकट से गुजर रहा था। इसलिए पहली पंचवर्षीय योजना के निम्नलिखित मुख्य उदेश्य रखे गए

  • देश में कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा।
  • देश में कृषि का विकास किया जाएगा ताकि देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्म-निर्भर हो सके।
  • ज्यादा से ज्यादा समाज कल्याण के कार्यक्रम बनाना।
  • औद्योगिक विकास को बढ़ाना।
  • रोज़गार बढ़ाने वाले क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देना।
  • विस्थापितों के पुनर्वास के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करना।

इस योजना के बजट 1960 करोड़ में से 45% राशि कृषि पर खर्च की गई। प्रथम योजना में विकास दर का लक्ष्य 2.2% रखा गया पर 3.7% तक विकास दर पहुँच गई थी।

प्रश्न 12.
दूसरी पंचवर्षीय योजना के क्या लक्ष्य थे?
उत्तर:
द्वितीय पंचवर्षीय योजना के लिए प्रमुख लक्ष्य था तेज़ गति से देश का औद्योगीकरण करना। इसके लिए 1956 में औद्योगिक नीति की घोषणा भी की गई। इसके लक्ष्य निम्नलिखित थे-

  • तेज़ गति से देश का औद्योगीकरण करना।
  • मूल तथा बड़े उद्योगों की स्थापना पर बल दिया जाए ताकि भारतीय समाज में समाजवादी अर्थव्यवस्था का विकास किया जा सके।
  • उद्योगों का विकास ताकि रोज़गार के साधनों का ज्यादा विकास हो सके।
  • राष्ट्रीय आय तथा देश के लोगों के रहन-सहन में वृद्धि करना।
  • आर्थिक साधनों का देश की जनता में समान रूप में वितरण करना।

इसके लिए दूसरी पंचवर्षीय योजना में 4672 करोड़ रुपये खर्च किए गए। विकास दर का लक्ष्य 46% रखा गया पर उपलब्धि 4.2% ही रही। छोटे बड़े उद्योगों में 14,000 विस्थापितों को नौकरियां दी गईं तथा 22,000 लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिए गए।

प्रश्न 13.
तीसरी पंचवर्षीय योजना के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
तीसरी पंचवर्षीय योजना में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखा गया तथा कृषि तथा औद्योगिक विकास की दर को बढ़ाने का प्रयास किया गया।

  • देश को कृषि के उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना।
  • कृषि तथा औद्योगिक विकास की दर को बढाना।
  • राष्ट्रीय आय में वृद्धि ताकि देश में चल रही योजनाओं को पूरा किया जा सके।
  • रोजगार के साधन बढ़ाने में प्रयास करना।
  • देश की उन्नति के लिए अवसर उपलब्ध करवाना।
  • उद्योगों के लिए बिजली, ईंधन इत्यादि उपलब्ध करवाना ताकि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जा सके।

इस पूरी योजना के दौरान ₹ 8577 करोड़ खर्च किए गए। विकास दर का लक्ष्य तो 5% का था पर उपलब्धि 2.8% ही रही। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण इत्यादि के लिए काफ़ी पैसा रखा गया ताकि देश के औद्योगिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास भी हो सके।

प्रश्न 14.
चौथी पंचवर्षीय योजना के क्या लक्ष्य थे?
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1969-1974 तक का था। इसके अंतर्गत निम्नलिखित लक्ष्य रखे गए-

  • कृषि उत्पादन में और साधनों को लगाना ताकि खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हो सके।
  • परिवहन उद्योगों तथा शक्ति, बिजली इत्यादि के साधनों को विकसित करना।
  • ग्रामीण जनता की आय बढ़ाने के लिए कृषि उत्पादन पर ज्यादा ज़ोर देना।
  • निर्यात बढ़ाने तथा आयात कम करने के लिए प्रयास करना।
  • ग्रामीणों को अधिक सुविधाएं प्रदान करना।

इस कार्यकाल में ₹ 15,779 करोड़ खर्च किए गए तथा देश में विकास की दर का लक्ष्य 5.5% रखा गया था पर उपलब्धि 3.4% थी।

प्रश्न 15.
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना के क्या लक्ष्य थे?
उत्तर:
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1974-79 था तथा इसमें निम्नलिखित उद्देश्य थे-

  • पाँचवीं पंचवर्षीय योजना का प्रमुख लक्ष्य गरीबी हटाओ था।
  • एक और लक्ष्य देश को आत्मनिर्भर बनाना था।
  • देश में वृद्धि का लक्ष्य 5.5% रखा गया।
  • जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने की कोशिश करना।
  • गरीब लोगों को सस्ते दामों पर अनाज उपलब्ध करवाना।
  • निर्यात बढ़ाने तथा आयात कम करने पर बल देना।
  • समाज में बढ़ रही आर्थिक असमानताओं को कम करना।

इस योजना के अंतर्गत ₹ 39426 करोड़ खर्च किए गए। विकास दर के लिए लक्ष्य 5.5% रखा गया पर उपलब्धि 5% ही थी। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों व ग्रामीण उदयोगों के विकास पर काफ़ी ध्यान दिया गया।

प्रश्न 16.
छठी पंचवर्षीय योजना में कौन-से प्रमुख लक्ष्य रखे गए थे?
उत्तर:
छठी पंचवर्षीय योजना दो बार बनी थी। पाँचवीं योजना केंद्र में सरकार बदलने के कारण 1979 की बजाए 1978 में ही खत्म कर दी गई। जनता पार्टी ने छठी योजना (1978-83) को लागू किया पर 1980 में फिर सरकार पुनः परिवर्तित हो गई जिस वजह से 1980-85 के लिए छठी पंचवर्षीय योजना बनाई गई जिसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग़रीबी उन्मूलन (Poverty Eradication) था।
  • बढ़ रही जनसंख्या पर नियंत्रण लगाना।
  • शक्ति के देसी साधनों का विकास करना।
  • आर्थिक तथा क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना।
  • दो प्रमुख समस्याओं ग़रीबी तथा बेरोज़गारी को कम करना।
  • विकास दर को ठीक तरीके से बढ़ाना जो कि 5.2% रखी गई थी।
  • विकास कार्यों में सभी क्षेत्रों की भागीदारी तथा सभी लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना।

छठी पंचवर्षीय योजना की पूरी अवधि के दौरान ₹ 1,10,467 करोड़ खर्च किए गए। विकास दर का लक्ष्य 5.2% पर रखा गया था पर यह दर असल में 5.5% पर रही थी।

प्रश्न 17.
सातवीं पंचवर्षीय योजना के प्रमुख लक्ष्यों के बारे में बताओ।
उत्तर:
सातवीं विकास योजना 1985 में शुरू होकर 1990 तक चली। इस योजना ने विकास, आधुनिकीकरण जैसे सिद्धांतों को मुख्य रूप से सामने रखा तथा अग्रलिखित लक्ष्य रखे गए-

  • मुख्य लक्ष्य ग़रीबी उन्मूलन रखा गया।
  • बेरोज़गारी में कमी लाने के प्रयास किए जाएंगे।
  • विकास दर को तेज़ किया जाएगा।
  • उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।
  • ग़रीबी को कम करने के प्रयास किए जाएंगे।

इस अवधि के दौरान 2,21,436 करोड़ रुपये खर्च किए गए तथा 5% की विकास दर का लक्ष्य रखा गया था पर प्राप्ति 5.8% थी। इस दौरान गरीबी हटाने के काफी प्रयास किए गए। समाज सुधार पर काफ़ी पैसे खर्च किए गए तथा ग़रीबी हटाने के भी काफी प्रयास किए गए।

प्रश्न 18.
आठवीं पंचवर्षीय योजना के क्या उद्देदश्य थे?
उत्तर:
आठवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि 1992-97 थी। चाहे सातवीं योजना 1990 में ही खत्म हो गई थी पर 1990-92 के दौरान केंद्र में सरकार में परिवर्तनों तथा अन्य कारणों की वजह से यह योजना 1990 में लागू न हो सकी तथा 1992 में लागू हुई। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • भारतीय समाज में परिवर्तन के लिए इस योजना में प्रावधान किए गए।
  • महिलाओं के सशक्तिकरण, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों में उत्थान के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
  • ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • लोगों में साक्षरता दर बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। 15-25 वर्ष की आयु के अनपढ़ लोगों को साक्षर बनाया जाएगा।
  • सभी गांवों में साफ पीने के पानी का प्रबंध तथा प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
  • खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ना ताकि निर्यात बढ़ाया जा सके।
  • परिवहन, संचार के साधनों का विकास करना।
  • विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।

आठवीं योजना के अंतर्गत 4,74,121 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस योजना में विकास दर का लक्ष्य 5.6% रखा गया था पर उपलब्ध हुई थी 6.6%। इसका मतलब इस योजना में विकास दर काफ़ी तेजी से बढ़ी थी।

प्रश्न 19.
नौवीं पंचवर्षीय योजना में क्या लक्ष्य रखे गए थे?
उत्तर:
नौवीं पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1997 से 2002 तक का था। इस योजना में अग्रलिखित लक्ष्य रखे गए थे-

  • इसमें कृषि व ग्रामीण विकास मुख्य उद्देश्य रखे गए।
  • सभी वर्गों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  • जनसंख्या वृद्धि को रोकने के प्रयास किए जाएंगे।
  • पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण किया जाएगा।
  • लोगों की पंचायती राज संस्थाओं में भागीदारी बढ़ायी जाएगी।
  • केंद्र तथा राज्य सरकारों के राजस्व घाटे को कम किया जाएगा।
  • सरकार की वित्तीय हालत को सुधारने के प्रयास किए जाएंगे।
  • निर्यात बढ़ाने के लिए नीति निर्माण किया जाएगा।

इसी योजना के दौरान राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 तथा स्वास्थ्य नीति 2001 का निर्माण किया गया था। इस योजना के दौरान 8,59,200 करोड़ रुपये खर्च किए गए। विकास दर का लक्ष्य 6.5% रखा गया था क्योंकि पिछली योजना में 6.6% की दर को प्राप्त किया गया था पर इस बार प्राप्ति की दर 5.5% रही जोकि लक्ष्य में काफ़ी पीछे थी।

प्रश्न 20.
दसवीं पंचवर्षीय योजना के क्या उद्देश्य रखे गए थे?
उत्तर:
दसवीं पंचवर्षीय योजना 2002 में शुरू हुई थी। इसमें कुल 15,92,300 करोड़ रुपये 2007 तक खर्च करने का प्रावधान है। इस अवधि में विकास दर का लक्ष्य 8% निर्धारित किया गया है। इस पंचवर्षीय योजना में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में निश्चित परिवर्तन लाने के लिए निम्नलिखित लक्ष्य तय किये गए-

  • साक्षरता दर 75% प्राप्त करना ताकि लोगों का सार्वभौमिक विकास हो सके।
  • शिशु, मृत्युदर 45% प्राप्त करना।
  • मातृ मृत्युदर 2% पहुँचाना।
  • सभी प्रमुख नदियों तथा दूषित नदियों की सफ़ाई करना।
  • पंचायती राज को मज़बूत करने के प्रयास करने।
  • वाणिज्य तथा उद्योगों को बढ़ावा देना ताकि देश का औद्योगिक विकास हो सके।
  • 2007 तक ग़रीबी अनुपात कम करने के प्रयास करने तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों को ग़रीबी की रेखा से ऊपर उठाना।
  • विद्युत् क्षमता को बढ़ावा देना ताकि देश विद्युत् (Electricity) के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके।

प्रश्न 21.
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों की विवेचना करें।
उत्तर:

  1. सरकार ने देश का सर्वपक्षीय विकास करने के लिए पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की। इसलिए ही देश का विकास हो पाया है।
  2. पंचवर्षीय योजनाएं शुरू होने से ही देश का औद्योगिक विकास हुआ है तथा देश के कोने-कोने में उद्योग स्थापित हो गए हैं।
  3. पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए पैसा तथा प्रावधान रखे गए जिस कारण देश का कृषि उत्पादन काफ़ी बढ़ गया है।
  4. स्वतंत्रता के समय देश के आर्थिक विकास की दर कुछ भी नहीं थी। परंतु पंचवर्षीय योजनाओं के कारण अब यह 9% तक पहुंच गई है।
  5. पंचवर्षीय योजनाओं में महिलाओं, अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के प्रावधान रखे गए जिस कारण इनकी सामाजिक स्थिति में काफ़ी परिवर्तन आया है।

प्रश्न 22.
स्वतंत्र भारत के किन्हीं चार सामाजिक विधानों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में बने मुख्य सामाजिक विधानों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  1. अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955-इस विधान के अनुसार देश में अस्पृश्यता के प्रयोग को गैर कानूनी घोषित किया गया तथा प्रयोग करने वाले के विरुद्ध दंड का प्रावधान रखा गया।
  2. हिंदू विवाह कानून 1955-इस विधान के अनुसार देश में एक से अधिक विवाह करवाना गैर कानूनी घोषित किया गया तथा एक विवाह को मान्यता दी गई।
  3. दहेज निरोधक कानून 1961-इस विधान के अनुसार किसी के लिए भी दहेज लेना तथा देना गैर-कानूनी घोषित किया गया।
  4. हिंदू दत्तक पुत्र गोद लेने का कानून 1950-इस विधान के अनुसार हिंदुओं को पुत्र गोद लेने की आज्ञा दी गई।

प्रश्न 23.
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में विकेंद्रीकरण की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विकेंद्रीकरण का अर्थ है देश में शक्तियों का विभाजन अर्थात् शक्तियों को उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक इस प्रकार विभाजित कर दिया जाए कि कार्य करते समय कोई समस्या ही न रहे। इस कारण ही देश की अर्थव्यवस्था में विकेंद्रीकरण की काफ़ी बड़ी भूमिका है। अगर अर्थव्यवस्था में कोई प्रतिबंध नहीं होंगे तथा इसमें लचकीलापन होगा तो देश का आर्थिक विकास निश्चित होगा।

देश के आर्थिक विकास के लिए अलग-अलग स्तरों पर आर्थिक शक्तियों का विभाजन भी आवश्यक है ताकि आर्थिक कार्य करते समय कोई बाधा न आए तथा यह तो अर्थव्यवस्था में विकेंद्रीयकरण के कारण ही मुमकिन है। मुक्त अर्थव्यवस्था से भी आर्थिक विकास मुमकिन हो पाएगा।

प्रश्न 24.
पंचायती राज की तीन स्तरीय व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
अथवा
किस प्रकार स्थानीय स्वैः सरकार गाँव के स्तर पर कार्य करती है?
अथवा
पंचायती राज का क्या अर्थ है?
अथवा
त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की व्याख्या कीजिए।
अथवा
नई पंचायती राज व्यवस्था क्या है?
उत्तर:
73वें संवैधानिक संशोधन के अनुसार पंचायती राज्य में तीन स्तरीय ढाँचे की व्यवस्था की गई है। गाँव के स्तर पर लोकतंत्र की सबसे पहली संस्था अर्थात् ग्राम सभा है जोकि गाँव के सभी बालिगों की सभा है तथा वह यह ग्राम सभा ही पंचायत तथा सरपंच का चुनाव करती है। पंचायत गाँव के हितों तथा आवश्यकताओं का ध्यान रखती है। दूसरा स्तर है पंचायत समिति का ब्लॉक स्तर पर तथा ब्लॉक की सभी पंचायतें इसकी सदस्य होती हैं।

यह अपने क्षेत्र में आने वाली पंचायतों का कार्य देखती है। इसका एक चेयरमैन तथा कई चुने हुए तथा मनोनीत सदस्य होते हैं। तीसरा स्तर होता है ज़िला परिषद् का जोकि जिले के स्तर पर होता है। एक जिले की सभी पंचायत समितियाँ इसकी सदस्य होती हैं। एम० पी०. एम० एल० ए०. कमिश्नर इत्यादि अपने पद के कारण इसके सद कुछ चुने हुए सदस्य भी होते हैं। जिला परिषद् अपने क्षेत्र में आने वाली ब्लॉक समितियों तथा पंचायतों द्वारा किए गए कार्यों की देख-रेख करती है।

प्रश्न 25.
ग्राम सभा क्या होती है? इसके कौन-से कार्य होते हैं?
अथवा
ग्राम सभा क्या होती है?
उत्तर:
ग्राम सभा गाँव के सभी बालिग व्यक्तियों की एक सभा है जो सरपंच तथा पंचायत का चुनाव अपने वोट डालने के अधिकार के द्वारा करती है। ग्राम सभा कई प्रकार के कार्य करती है जैसे कि-

  • ग्राम सभा सरपंच, पंचायत तथा इसके सदस्यों का चुनाव करती है।
  • सरपंच ग्राम सभा में पंचायत का बजट पेश करता है तथा ग्राम सभा उसके ऊपर चर्चा करती है।
  • यह गाँव में किए जाने वाले विकास कार्यों के बारे में निर्णल लेती है।
  • यह पंचायत से गाँव से संबंधित किसी भी विषय पर प्रश्न पूछ सकती है।

प्रश्न 26.
स्थानीय स्वैः सरकार का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहाँ पर बहुत से भाषायी, जातीय तथा धार्मिक समूह होते हैं, स्थानीय स्वैः सरकार का निम्नलिखित कारणों के कारण बहुत महत्त्व है-

  • स्थानीय हितों से संबंधित मुद्दे स्थानीय लोगों द्वारा ही समझे जा सकते हैं जैसे कि पानी का प्रबंध, सड़कों की सफ़ाई तथा रोशनी इत्यादि। इसलिए स्थानीय स्वैः सरकार का बहुत महत्त्व है।
  • स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक कार्य करने से लोगों को स्थानीय सरकार के बारे में काफ़ी जानकारी प्राप्त होती
  • स्थानीय कार्य स्थानीय सरकार द्वारा कम लागत पर अच्छे ढंग से हो सकते हैं।

प्रश्न 27.
ग्राम पंचायत के प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
अथवा
पंचायत की दो महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. ग्राम पंचायत का सबसे पहला कार्य गांव के लोगों के सामाजिक तथा आर्थिक जीवन के स्तर को ऊँचा उठाना होता है।
  2. गांव की पंचायत गांव में स्कूल खुलवाने तथा लोगों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती
  3. ग्राम पंचायत ग्रामीण समाज में मनोरंजन के साधन जैसे कि फ़िल्में, मेले लगवाने तथा लाइब्रेरी खुलवाने का भी प्रबंध करती है।
  4. पंचायत लोगों को कृषि की नई तकनीकों के बारे में बताती है, नए बीजों, उन्नत उर्वरकों का भी प्रबंध करती
  5. यह गांव में कुएं, ट्यूबवैल इत्यादि लगवाने का प्रबंध करती है तथा नदियों के पानी की भी व्यवस्था करती
  6. यह गांवों का औद्योगिक विकास करने के लिए गांव में उद्योग लगवाने का भी प्रबंध करती है।

प्रश्न 28.
न्याय पंचायत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गांवों के लोगों में झगड़े होते रहते हैं जिस कारण उनके झगड़ों का निपटारा करना आवश्यक होता है। इसलिए 5-10 ग्राम सभाओं के लिए एक न्याय पंचायत का निर्माण किया जाता है। न्याय पंचायत लोगों के बीच होने वाले झगडों को खत्म करने में सहायता करती है। इसके सदस्य चने जाते हैं तथा सरपंच पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाता है। इन सदस्यों को पंचायत से प्रश्न पूछने का भी अधिकार होता है।

प्रश्न 29.
पंचायत समिति अथवा ब्लॉक समिति के बारे में बताएं।
अथवा
पंचायत समिति किसे कहते हैं?
अथवा
पंचायत समिति क्या है?
उत्तर:
पंचायती राज्य संस्थाओं के तीन स्तर होते हैं। सबसे निचले गांव के स्तर पर पंचायत होती है। दूसरा स्तर ब्लॉक का होता है। जहां पर ब्लॉक समिति अथवा पंचायत समिति का निर्माण किया जाता है। एक ब्लॉक में आने वाली पंचायतें, पंचायत समिति के सदस्य होते हैं तथा इन पंचायतों के प्रधान अथवा सरपंच इसके सदस्य होते हैं।

पंचायत समिति के इन सदस्यों के अतिरिक्त और सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर किया जाता है। पंचायत समिति अपने क्षेत्र में आने वाली पंचायतों के कार्यों का ध्यान रखती है। यह गांवों के विकास के कार्यक्रमों को चैक करती है तथा पंचायतों को गांव के कल्याण करने के लिए निर्देश देती है। यह पंचायती राज्य के दूसरे स्तर पर है।

प्रश्न 30.
जिला परिषद् का क्या अर्थ है?
उत्तर:
पंचायती राज्य के सबसे ऊंचे स्तर पर है जिला परिषद् जो कि जिले के बीच आने वाली पंचायतों के कार्यों का ध्यान रखती है। यह भी एक प्रकार की कार्यकारी संस्था होती है। पंचायत समितियों के चेयरमैन चुने हुए सदस्य, उस क्षेत्र के लोक सभा, राज्य सभा तथा विधान सभा के सदस्य सभी जिला परिषद् के सदस्य होते हैं। यह सभी जिले में आने वाले गांवों के विकास का ध्यान रखते हैं। जिला परिषद् कृषि में सुधार, ग्रामीण बिजलीकरण, भूमि सुधार, सिंचाई, बीजों तथा उर्वरकों को उपलब्ध करवाना, शिक्षा, उद्योग लगवाने जैसे कार्य करती है।

प्रश्न 31.
पंचायती राज्य की समस्याएं बताएं।
उत्तर:

  1. लोगों के अनपढ़ तथा अंधविश्वासों में फंसे हुए होने के कारण वह परिवर्तन को जल्दी स्वीकार नहीं करते जो पंचायती राज्य संस्थाओं के रास्ते में सबसे बड़ी समस्या है।
  2. गांवों में अच्छे तथा ईमानदार नेताओं की कमी होती है तथा वह केवल अपने विकास पर ही ध्यान देते हैं गांवों के विकास पर नहीं।
  3. अच्छे पढ़े-लिखे लोग धीरे-धीरे शहरों में बस रहे हैं जिससे गांव में पढ़े-लिखे नेताओं की कमी है।
  4. सरकारी अफ़सर, पंचों तथा सरपंचों से मिलकर गांव को मिलने वाले ज्यादातर पैसे को स्वयं ही खा जाते हैं तथा गांव का विकास रुक जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 32.
सरपंच के बारे में कुछ बताएं।
उत्तर:
ग्रामे पंचायत के मुखिया को सरपंच अथवा चेयरपर्सन कहा जाता है। अलग-अलग राज्यों में इसे अलग अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे कि अध्यक्ष, प्रैजीडेंट, सरपंच, मुखिया, प्रधान, सभापति इत्यादि। अधिकतर राज्यों में सरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष तथा सीधे तौर पर किया जाता है अर्थात् ग्राम सभा के जिन सदस्यों को वोट देने का अधिकार प्राप्त है तथा जो ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव करते हैं, वह वोटर ही ग्राम पंचायत के सरपंच का चुनाव भी करते हैं। सरपंच पंचायत की बैठकों की अध्यक्षता करता है। वह सरकार द्वारा मिले पैसे को गांव के विकास कार्यों में लगाता है तथा गांव के सर्वपक्षीय विकास का प्रयास करता है।

प्रश्न 33.
ग्राम पंचायत की आय के साधन के बारे में बताएं।
उत्तर:

  1. पंचायत को राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त टैक्स लगाने का अधिकार प्राप्त है जैसे कि संपत्ति कर, पश कर, पेशा कर, मार्ग कर, चंगी कर इत्यादि इनसे उसे आय होती है।
  2. ग्राम पंचायत कई प्रकार के जुर्माने भी लगा सकती है तथा फ़ीस भी इकट्ठी कर सकती है जिससे उसे आय प्राप्त होती है।
  3. पंचायतों को प्रत्येक वर्ष सरकार से ग्रांटें प्राप्त होती हैं जिससे उसकी आय बढ़ती है।
  4. पंचायत को कड़ा-कर्कट, गोबर बेचने से आय, मेलों से आय, पंचायत की संपत्ति से भी आय प्राप्त हो जाती है।
  5. इनके अतिरिक्त यह राज्य सरकार की मंजूरी से कर्जा भी ले सकती है।

प्रश्न 34.
73वें संवैधानिक संशोधन की कुछ विशेषताएं बताएं।
उत्तर:
1992 में 73वां संवैधानिक संशोधन किया गया तथा इसमें स्थानीय सरकार से संबंधित कुछ प्रावधान किए गए। इस संशोधन की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • अब पंचायती राज्य में तीन स्तरीय ढाँचा स्थापित किया गया है तथा यह है गाँव के लिए पंचायत, ब्लॉक के लिए ब्लॉक समिति तथा जिले के लिए जिला परिषद्।
  • अब स्थानीय सरकारों के लिए हरेक 5 वर्ष बाद चुनाव करवाना ज़रूरी कर दिया गया।
  • स्थानीय सरकारों की कुल सीटों में से 1/3 स्थान स्त्रियों के लिए आरक्षित कर दिए गए।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए उस क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुसार स्थान आरक्षित रखे गए।
  • एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था राज्य चुनाव आयोग का गठन किया गया ताकि स्वतंत्र चुनाव करवाए जा सकें।

प्रश्न 35.
दबाव समूह और आंदोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
दबाव समूह संगठित अथवा असंगठित समूह होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करते हैं तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। आंदोलन भी राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं परंतु दोनों ही प्रत्यक्ष रूप से चुनाव में भाग नहीं लेते। दोनों ही एक अथवा दूसरे ढंग से राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। दोनों ही निम्नलिखित ढंगों से राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं
(i) यह दबाव समूह तथा आंदोलन किसी विशेष मुद्दे पर आंदोलन चलाते हैं ताकि जनता का समर्थन हासिल किया जा सके। यह दोनों ही संचार माध्यमों की सहायता लेते हैं ताकि जनता का ध्यान अधिक-से-अधिक खींचा जा सके।

(ii) यह साधारणतया हड़ताल करवाते हैं, रोषमार्च निकालते हैं तथा सरकारी कार्यों में बाधा पहुँचाने का प्रयास करते हैं। यह हड़ताल की घोषणा करते हैं तथा धरने पर बैठते हैं ताकि अपनी आवाज़ उठा सकें। अधिकतर फैडरेशन तथा यूनियनें सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए यही ढंग प्रयोग करते हैं।

(iii) साधारणतया व्यापारी समूह लॉबी का निर्माण करते हैं जिसके कुछ आम हित होते हैं ताकि सरकार पर उसकी नीतियाँ बदलने के लिए दबाव बनाया जा सके।

प्रश्न 36.
दबाब समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है, वर्णन करें।
उत्तर:
साधारणतया दबाव समूह कुछ लोगों के समूह होते हैं जो सरकारी नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। उनके कुछ उद्देश्य होते हैं तथा वह सरकार पर दबाव डालकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयास करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य सरकारी नीतियों को प्रभावित करना होता है।

साधारणतया इन समूहों के सदस्य वह लोग होते हैं जिनके कुछ सामान्य हित, उद्देश्य होते हैं। यह कभी भी चुनाव लड़ने का प्रयास नहीं करते परंतु इनके अपने ही कुछ विचार होते हैं। राजनीतिक दलों तथा दबाव समूहों के आपसी संबंधों का स्वरूप अग्रलिखित प्रकार का होता है-
(i) कई केसों में यह दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए तथा निर्देशित किए जाते हैं। तब यह दबाव समूह उन राजनीतिक दलों की बाजुओं के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के तौर पर अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा बनाई गई लेबर यूनियनें।

(ii) कई बार आंदोलन ही राजनीतिक दलों को जन्म दे देते हैं। अगर आंदोलन के उद्देश्य अधिक खिंच जाए तो कई बार यह राजनीतिक दल का भी रूप ले लेते हैं। उदाहरण के तौर पर DMK तथा AIADMK की जड़ें भी आंदोलनों से ही निकली हैं।

(iii) कई बार राजनीतिक दल तथा हित समूह एक-दूसरे के विरुद्ध आमने-सामने खड़े हो जाते हैं। तब उनमें प्रत्यक्ष रिश्ते नहीं होते बल्कि उनमें बातचीत होती है। उनके विचार एक-दूसरे के विपरीत होते हैं।

प्रश्न 37.
दबाव समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती है?
अथवा
क्या दबाव समूह तथा आंदोलनों का प्रभाव लोकतंत्र के लिए अच्छा है? टिप्पणी करें।
उत्तर:
दबाव समूह कुछ लोगों का समूह है जो अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं। समान हितों, पेशों से संबंधित लोग इस प्रकार के समूह का निर्माण करते हैं। शुरुआत में तो यह ही लगता है कि दबाब समूह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है क्योंकि ये किसी विशेष समूह के हितों को प्राप्त करने के लिए सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं। लोकतंत्र में सरकार को समाज के सभी समूहों में हितों का ध्यान रखना पड़ता है।

इनके विरुद्ध एक और कारक यह जाता है कि यह समूह सत्ता को हथियाने का प्रयास तो करते हैं परंतु बिना किसी उत्तरदायित्व के लिए। राजनीतिक दलों की तरह यह समूह चुनाव में जनता के सामने आने को बाध्य नहीं होते तथा ये किसी के प्रति ज़िम्मेदार भी नहीं होते। ये जनता में किसी प्रकार का समर्थन तथा धन भी नहीं लेते हैं। कई बार तो ये अपने संकीर्ण दृष्टिकोण के लिए, अपनी संपदा के बल पर जनता के का प्रयास करते हैं।

परंतु दूसरी तरफ दबाव समूह तथा आंदोलन लोकतंत्र के लिए आवश्यक भी होते हैं। अगर देश में सभी को समान अवसर प्राप्त नहीं हो रहे हैं तो यह समाज के लिए ठीक नहीं है। साधारणतया सरकार अमीर तथा प्रभावशाली लोगों के दबाव में आ जाती है। आंदोलन तथा जल-कल्याण समूह इस समय इस नियंत्रण को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं तथा यह समय-समय पर सरकार को आम जनता की आवश्यकताओं के बारे में बता सकते हैं।

यहाँ तक कि अलग-अलग हित समूह भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अगर एक हित समूह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सरकार पर दबाव डालता है तो दूसरा समूह इसके विरुद्ध जा सकता है तथा पहले समूह के रास्ते में रोड़े अटका सकता है। यहाँ से ही सरकार को जनता की आवश्यकताओं का पता चल जाता है तथा वह अलग-अलग हितों वाले समूहों के हितों का ध्यान रखती है।

प्रश्न 38.
दबाव समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है?
अथवा
राजनीतिक दल तथा दवाब समूह में क्या अंतर है?
उत्तर:
एक दबाव समूह संगठित अथवा असंगठित समूह हैं जो सरकारी नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। इनके कुछ उद्देश्य होते हैं तथा यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं। साधारणतया इन समूहों के सदस्यों के कुछ सामान्य हित होते हैं।

यह अपने प्रभाव के कारण सत्ता को अपने नियंत्रण में रखते हैं। परंतु राजनीतिक दल एक संगठित संस्था है जो प्रत्यक्ष रूप से चुनाव लड़कर तथा विचारधारा को जीतकर देश की राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। एक राजनीतिक दल के सदस्यों की विचारधारा तथा उद्देश्य एक जैसे ही होते हैं।

दबाव समूह तथा राजनीतिक दल में महत्त्वपूर्ण अंतर यह है कि दबाव समूह कभी भी प्रत्यक्ष रूप से चुनाव नहीं लड़ता बल्कि यह पिछले दरवाज़े से सत्ता को नियंत्रण में रखते हैं। परंतु, दूसरी तरफ राजनीतिक दल प्रत्यक्ष रूप से चुनाव लड़कर सत्ता को अपने हाथों में लेने का प्रयास करते हैं। दबाव समूह संगठित भी हो सकते हैं तथा असंगठित भी परंतु राजनीतिक दल हमेशा ही संगठित समूह होते हैं।

प्रश्न 39.
लोकतंत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर:
लोकतंत्र सरकार का ही एक प्रकार है जिसमें जनता शासन चलता है। इसमें जनता के प्रतिनिधि साधारण जनता में बालिगों के वोट देने के अधिकार से चुने जाते हैं तथा यह प्रतिनिधि ही जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा उनकी तरफ से बोलते हैं। यह कई संकल्पों जैसे कि समानता, स्वतंत्रा तथा भाईचारे में विश्वास रखता है तथा यह ही इसमें कार्यवाहक आधार हैं। इसके पीछे मूल विचार यह है कि समाज में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक समानता होनी चाहिए।

इसमें हरेक व्यक्ति को संविधान के अनुसार बोलने तथा संगठन बनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। समाज तथा व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए इसमें कार्यवाहक आधार हैं। इसके पीछे मूल विचार यह है कि समाज में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक समानता होनी चाहिए। इसमें हरेक व्यक्ति को संविधान के अनुसार बोलने तथा संगठन बनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। समाज तथा व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए इसमें पूर्ण क्षमता होनी चाहिए।

प्रश्न 40.
राजनीतिक दल की कोई चार विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  1. प्रत्येक राजनीतिक दल की भिन्न-भिन्न नीतियां होती हैं।
  2. प्रत्येक दल के सदस्य अच्छी तरह संगठित होते हैं और वह दल भी अच्छी तरह से संगठित व सुदृढ़ होता
  3. इसके सभी सदस्य एक ही नीति पर विश्वास करते हैं।
  4. इनके सदस्यों का एक साझा कार्यक्रम होता है।
  5. प्रत्येक अच्छा राजनीतिक दल देश के हितों का ध्यान रखता है।

प्रश्न 41.
राजनीतिक दलों के कोई चार कार्य बताओ।
उत्तर:

  1. यह लोकमत बनाते हैं।
  2. यह राजनीतिक शिक्षा देते हैं।
  3. यह उम्मीदवार चुनने में सहायता करते हैं।
  4. यह लोगों की कठिनाइयों को सब तक पहुंचाते हैं।
  5. यह राष्ट्रीय हितों को महत्त्व देते हैं।

प्रश्न 42.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का संक्षिप्त वर्णन है-
हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता; प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई० (मिति मार्गशीर्ष शुल्क सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
73वें संवैधानिक संशोधन में पंचायती राज्य संबंधी विशेषताओं का वर्णन करो।
(Explain the characteristics of Panchayati Raj according to 73rd constitutional amendment.)
अथवा
नई पंचायती राज प्रणाली की विशेषताओं की व्याख्या करें।
अथवा
पंचायती राज के आदर्शों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दिसंबर, 1992 में 73वां संवैधानिक संशोधन संसद् में पास हुआ तथा अप्रैल, 1993 में राष्ट्रपति ने इस संशोधन को मान्यता दे दी। इस संवैधानिक संशोधन द्वारा जो पंचायती राज्य प्रणाली स्थापित की गयी, उसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(1) 73वीं संवैधानिक संशोधन से पहले स्थानीय स्तर पर स्वः शासन के संबंध में संविधान में कोई व्यवस्था नहीं थी। इस संशोधन से संविधान में नयी अनुसूची तथा नया भाग जोड़ा गया। इस अनुसूची तथा भाग में संपूर्ण व्यवस्थाएं पंचायती राज्य प्रणाली से संबंधित हैं कि नयी व्यवस्था में किस तरह की व्यवस्थाएं हैं।

(2) इस संशोधन से संविधान में ग्राम सभा की परिभाषा दी गई है जिसके अनुसार पंचायत के क्षेत्र में आने वाले गांव या गांव के जिन लोगों का नाम वोटर सूची में दर्ज है, वह सभी लोग ग्राम सभा के सदस्य होंगे। राज्य विधानमंडल कानून द्वारा ग्राम सभा की व्यवस्था कर सकता है तथा उसको कुछ कार्य सौंप सकता है। इस तरह ग्राम सभा की स्थापना राज्य विधानमंडल की तरफ से पास किए गए कानून के द्वारा होगी तथा वह ही उसके कार्य भी निश्चित करेगा।

(3) ग्राम सभा की परिभाषा के साथ ही पंचायत की परिभाषा दी गयी है तथा कहा गया कि पंचायत स्वैः-शासन पर आधारित ऐसी संस्था है जिसकी स्थापना ग्रामीण क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा की जाती है।

(4) इस संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में यह व्यवस्था की गई है कि अब ग्रामीण क्षेत्र में स्वै-शासन की तीन स्तरीय पंचायती राज्य प्रणाली की स्थापना की जाएगी। सबसे निम्न स्तर गांव पर पंचायत, बीच के स्तर ब्लॉक पर ब्लॉक समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद् होगी परंतु राज्य सरकार इनको कोई और नाम भी दे सकती है।

(5) इस संवैधानिक संशोधन में यह कहा गया है कि नयी प्रणाली के अंतर्गत संपूर्ण जिले को पंचायती स्तर पर चुनाव क्षेत्रों में बाँटा जाएगा तथा पंचायतों, ब्लॉक समिति तथा जिला परिषद् के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होगा अर्थात् वह प्रत्यक्ष तौर पर लोगों द्वारा बालिग वोट अधिकार के आधार पर चुने जाएंगे।

(6) इस संशोधन के अनुसार पंचायत के अलग-अलग स्तरों पर चुनाव के लिए, वोटरों की संख्या तथा सूची तैयार करवाने की जिम्मेवारी राज्य चुनाव आयोग की होगी। इस आयोग में राज्य चुनाव कमिश्नर को राज्य का राज्यपाल नियुक्त करेगा। उसका कार्यकाल, सेवा की शर्ते इत्यादि भी राज्यपाल की तरफ से बनाए गए नियमों के अनुसार निश्चित किए जाएंगे। राज्य चुनाव कमिश्नर को उस तरीके से हटाया जा सकता है जैसे उच्च न्यायालय के जज को हटाया जा सकता है।

(7) गाँव की पंचायत के प्रधान के बारे में 73वीं शोध में यह व्यवस्था की गई है कि गाँव की पंचायत के प्रधान का चुनाव सीधे तौर पर लोगों द्वारा किया जाएगा।

(8) गाँव की पंचायत के प्रधान का चुनाव करने के साथ-साथ यह भी व्यवस्था की गई है कि पंचायत के प्रधान को उसके कार्यकाल खत्म होने से पहले भी हटाया जा सकता है और उसको हटाने का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है। ग्राम सभा सरपंच को तब ही उसके पद से हटा सकती है यदि उस क्षेत्र की पंचायत इस बात की सिफारिश करे। इस प्रकार की सिफ़ारिश के लिए यह ज़रूरी है कि उस सिफ़ारिश के पीछे पंचायत के सभी सदस्यों का बहुमत और मौजूदगी अनिवार्य है।

इसके लिए एक विशेष बैठक बुलाई जाएगी और इस बैठक में ग्राम सभा के 50% सदस्य होने ज़रूरी हैं। यदि इस बैठक में ग्राम सभा उस सिफ़ारिश को मौजूद सदस्यों के बहुमत के साथ पास कर दे तो सरपंच या प्रधान को हटाया जा सकता है।

(9) इसी तरह पंचायती समिति या ब्लॉक समिति और जिला परिषद् के सदस्य भी लोगों द्वारा चुने जाएंगे और इनके प्रधान इनके सदस्यों द्वारा और उनके बीच में से ही चुने जाएंगे। पंचायत की तरह इनके प्रधानों को भी हटाया जा सकता है। प्रधान को दो-तिहाई बहुमत से हटाया जा सकता है।

(10) इन तीनों स्तरों पर स्थान भी आरक्षित रखे गए हैं।

  • निम्न जातियों एवं कबीलों में प्रत्येक पंचायत में स्थान आरक्षित रखे गए हैं। आरक्षित करने की गिनती उनके उस क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में होगी।
  • इन आरक्षित स्थानों में एक-तिहाई सीटें औरतों के लिए आरक्षित रखी जाएंगी।
  • पंचायतों, ब्लॉक समितियों और जिला परिषदों में भी स्त्रियों के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित रखे जाएंगे। इसके साथ-साथ इन संस्थाओं के प्रधानों के लिए भी स्थान औरतों के लिए आर रखे जाएंगे।

(11) इस संशोधन के अनुसार इन सभी संस्थाओं का कार्यकाल 5 सालों के लिए निश्चित कर दिया गया। किसी भी संस्था का कार्यकाल 5 साल से ज्यादा नहीं हो सकता। यदि राज्य सरकार को किसी पंचायत के अव्यवस्थित प्रबंधन के बारे में पता चले तो वह उसको 5 साल से पहले ही भंग कर सकती है परंतु 6 महीने के अंदर उसका दोबारा चुनाव किया जाना जरूरी है। यदि कोई पंचायत 5 साल से पहले भंग हो तो नई चुनी गई पंचायत बाकी रहता कार्यकाल पूरा करेगी।

(12) यदि कोई व्यक्ति राज्य के कानून अधीन राज्य विधान सभा का चुनाव नहीं लड़ सकता तो वह पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ सकता। परंतु यहाँ आयु में फ़र्क है। राज्य विधान सभा का चुनाव लड़ने हेतु 25 साल की उम्र होना आवश्यक है परंतु पंचायत के चुनाव के लिए 21 वर्ष की आयु निश्चित की गई है।

(13) राज्य विधानमंडल के कानून के अधीन पंचायत को कुछ अधिकार एवं ज़िम्मेदारियाँ दी जाएंगी। पंचायत को आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय हेतु योजनाएं तैयार करने और लागू करने के अधिकार दिए गए हैं।

(14) इसके साथ-साथ राज्य विधानमंडल कानून पास करके पंचायत को कुछ छोटे-छोटे टैक्स लगाने की शक्ति भी दे सकता है ताकि वह अपनी आमदनी में भी वृद्धि कर सकें। इसके साथ राज्य सरकार अपने द्वारा लगाए टैक्सों अथवा शल्कों में से कुछ हिस्सा पंचायतों को भी देगी और साथ ही उनको गांवों के विकास के लिए सहायता के रूप में ग्रांट देने की व्यवस्था भी करेगी।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि 73वीं संवैधानिक शोध द्वारा पंचायती राज के लिए कई महत्त्वपूर्ण व्यवस्थाएं की गई हैं जिसके साथ पंचायती राज्य की महत्ता काफ़ी बढ़ गई है। नई व्यवस्था को प्रभावशाली बनाने हेतु कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और अब पंचायती राज्य प्रणाली काफ़ी प्रभावशाली बन गई है।

प्रश्न 2.
73वीं संवैधानिक संशोधन के अनुसार नई पंचायती राज प्रणाली की विशेषताएं लिखो।
अथवा
पंचायती राज व्यवस्था के अर्थ और संरचना की व्याख्या करें।
अथवा
पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध लिखें।
अथवा
पंचायती राज संस्थाओं के गठन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में पंचायती राज संस्थाओं के विकास तथा गठन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
जनजातीय क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में नई पंचायती राज व्यवस्था लाग की गई। परे देश में पंचायती राज संस्थाओं में एकरूपता लाने के लिए संसद् में संवैधानिक संशोधन पेश किया गया। इसे 22 दिसंबर, 1992 को लोकसभा तथा 23 दिसंबर, 1992 को राज्यसभा ने पास कर दिया। 23 अप्रैल, 1993 को राष्ट्रपति ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान की। इस नई पंचायती राज प्रणाली की विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है-

(i) तीन स्तरीय संरचना (Three tier Structure)-73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा पूरे देश के लिए पंचायतों की तीन स्तरीय संरचना का प्रावधान किया गया। यह तीन स्तर निम्नलिखित हैं-

  • ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर)
  • पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर पर)
  • जिला परिषद् (जिला स्तर पर)।

(ii) बनावट (Composition)–तीनों स्तर की पंचायती राज संस्थाओं की सदस्य संख्या राज्य के विधानमंडल द्वारा तय की जाएगी। ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत में एक प्रधान, एक उप-प्रधान होता है। पंचों की संख्या राज्य सरकार पर निर्भर करती है। हर राज्य में यह संख्या अलग-अलग है।

(iii) ग्राम सभा (Gram Sabha)-पंचायत के अंतर्गत जितने भी गांव आते हैं उन गांवों के लोगों के नाम मतदाता सूची में होते हैं। वे सब सामूहिक रूप से ग्राम सभा का निर्माण करते हैं। ग्राम सभा की स्थापना के लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग जनसंख्या निर्धारित की है।

(iv) सदस्यों की योग्यताएं (Qualifications of Members)-पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष आवश्यक है। इसके अलावा चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग विधानसभा का चुनाव लड़ने के योग्य हों।

(v) प्रत्यक्ष चुनाव (Direct Election) ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद् के सदस्यों का चुनाव अपने-अपने क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। मतदाता बनने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।

(vi) अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों का चुनाव (Election of Chairpersons and Vice Chairpersons)-714 पंचायत के प्रधान तथा उप प्रधान का चुनाव लोगों के द्वारा पंचों के साथ ही प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है। पंचायत समिति तथा जिला परिषद् के अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है अर्थात् पंचायत समिति तथा जिला परिषद् के सदस्य अपने-अपने अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों का चुनाव करते हैं।

(vii) कार्यकाल (Tenure) प्रत्येक स्तर की पंचायती राज संस्था का कार्यकाल 5 वर्ष है। यह कार्यकाल पंचायतों की प्रथम बैठक की तिथि से प्रारम्भ होता है।

(viii) कार्य तथा शक्तियां (Functions and Powers)-राज्य विधानमंडल पंचायतों को निम्नलिखित विषयों से संबंधित कार्य सौंप सकता है

(a) 1 1वीं अनुसूची में अंकित विषयों से संबंधित कार्य
(b) सामाजिक न्याय तथा आर्थिक विकास से संबंधित योजनाओं का निर्माण तथा कार्यान्वयन।

(ix) आरक्षण (Reservation) तीनों स्तर की पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान है। प्रत्येक स्तर की पंचायत में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थान आरक्षित किए जाते हैं।

कुल स्थानों में से 1/3 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित हैं अर्थात् हरेक श्रेणी अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा सामान्य श्रेणी में से 1/3 स्थानों पर महिलाएं ही चुनाव लड़ सकती हैं। आरक्षित स्थानों के चुनाव क्षेत्रों में राज्य द्वारा समय-समय पर परिवर्तन किया जाता है। आरक्षण संबंधी नियम अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष पद के लिए भी लागू होते हैं।

प्रश्न 3.
ग्राम सभा के बारे में आप क्या जानते हैं? वर्णन करो।
उत्तर:
नयी पंचायत प्रणाली में सबसे पहले ग्राम सभा आती है। ग्राम सभा की सदस्यता प्राप्त करने के लिए कम से-कम आयु. 18 वर्ष है। ग्राम पंचायत के क्षेत्राधिकार में 18 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले सभी सदस्यों का नाम मतदाता सूची में अंकित कर दिया जाता है। परंतु उन व्यक्तियों का नाम मतदाता सूची में अंकित नहीं किया जाता जिन्हें पागल या दिवालिया घोषित किया हो। विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने कानून बना कर ग्राम सभा की सदस्य संख्या निर्धारित की है। कुछ राज्यों में ग्राम सभा की सदस्य संख्या अग्रलिखित है-

  • हिमाचल प्रदेश-1500-4500
  • हरियाणा-500-4500
  • पंजाब-200-4500.

अधिवेशन (Session)-ग्राम सभा का अधिवेशन एक वर्ष में कम-से-कम दो बार बुलाया जाना जरूरी है। अधिवेशन कब बुलाए जाएं इस संबंध में अपनी-अपनी व्यवस्था है। जैसे हिमाचल तथा राजस्थान में ग्राम सभा के अधिवेशन गर्मियों तथा सर्दियों में बुलाए जाते हैं। इनके अलावा ग्राम सभा के 1/5 सदस्यों की मांग पर विशेष अधिवेशन भी बुलाया जा सकता है। अधिवेशन में गणपूर्ति सदस्य की संख्या का 1/10 भाग है। इसलिए अधिवेशन में ग्राम सभा के 1/10 सदस्यों का होना ज़रूरी है। अधिवेशन की अध्यक्षता ग्राम पंचायत के प्रधान द्वारा की जाती है। इसका अध्यक्ष सरपंच होता है।

ग्राम सभा के कार्य-इसके कार्य तथा शक्तियां निम्नलिखित हैं-

  • ग्रामसभा अपनी आमदनी के अनुसार अपना साल का बजट पास करती है।
  • पंचायत द्वारा किए गए खर्चों की एक कापी ग्राम सभा को भी दी जाती है ताकि इसके अधिवेशन में इस रिर्पोट पर चर्चा हो सके।
  • ग्राम पंचायत कई प्रकार के कर लगाती है। पर उनकी मंजूरी ग्राम सभा द्वारा दी जाती है।
  • ग्राम सभा गांव के प्रधान, ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव करती है।
  • ग्राम सभा ग्राम प्रधान को हटा भी सकती है।

इनके अलावा अपने क्षेत्र के विकास की योजनाएं बनाना, लोक कल्याण कार्यों के लिए स्वैच्छिक धन इकट्ठा करना इत्यादि ग्राम सभा के और प्रमुख कार्य हैं।

प्रश्न 4.
ग्राम पंचायत के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत पंचायतों को किन-किन शक्तियों से पुष्ट किया गया है?
अथवा
पंचायत क्या है? पंचायतों को कौन-कौन सी शक्तियां प्रदान की गई हैं?
उत्तर:
ग्राम पंचायत पंचायती राज संस्थाओं के तीन स्तरों में से सबसे निम्न स्तर पर है-
(i) गठन (Composition)-ग्राम पंचायत में एक प्रधान, एक उपप्रधान तथा 5-13 सदस्य होते हैं जिन्हें पंच कहा जाता है। अंतः प्रधान व उपप्रधान के साथ ग्राम पंचायत की कुल संख्या 7-15 तक होती है। सदस्यों की संख्या क्षेत्र की जनसंख्या के अनुसार तय की जाती है।

जनसंख्या सदस्य संख्या
150 तक 5
1500-2500 तक 7
2500-3500 तक 9
3500-4500 तक 11
4500-से अधिक 13

(ii) प्रत्यक्ष चुनाव (Direct Election)-प्रधान, उपप्रधान तथा अन्य सदस्यों का चुनाव ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। पंचायत के सभी सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा 5 वर्ष के लिए चुने जाते हैं।

(iii) आरक्षण (Reservation) ग्राम पंचायत में अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या में. अनुपात के अनुसार स्थान आरक्षित होते हैं। इसके अलावा 1/3 स्थान महिलाओं के लिए भी आरक्षित होते हैं।

(iv) कार्यकाल (Tenure)-ग्राम पंचायत का कार्यकाल 73वें संशोधन के अनुसार 5 वर्ष निश्चित कर दिया यदि सरकार को लगता है कि कोई ग्राम पंचायत ठीक तरीके से काम नहीं कर रही है तो सरकार उसे 5 वर्ष से पहले भी भंग कर सकती है पर 6 महीने के अंदर चुनाव करवाए जाने ज़रूरी हैं।

(v) योग्यताएं (Qualifications)-ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताओं का होना ज़रूरी है-

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • वह 21 वर्ष से ज्यादा की आयु का होना चाहिए।
  • वह पागल या दिवालिया घोषित नहीं होना चाहिए।
  • वह किसी सरकारी पद पर नौकरी न करता हो।

हरेक ग्राम पंचायत का एक सरपंच होता है। जिसका चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा होता है। सरपंच ग्राम पंचायतों की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा गांव के विकास कार्यों को देखता है। उसकी अनुपस्थिति में ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता उप सरपंच करता है जिसका चुनाव ग्राम पंचायत के सदस्य अपने बीच में से करते हैं।

(vi) बैठकें-ग्राम पंचायत की एक महीने में कम-से-कम दो बैठकें होनी ज़रूरी हैं। किसी आवश्यक काम के लिए पंचायत के सदस्य बहुमत के साथ बैठक जल्दी भी बुला सकते हैं।

(vii) ग्राम पंचायत के कार्य (Functions of Gram Panchayat)-ग्राम पंचायत के निम्नलिखित कार्य हैं-

  • यह क्षेत्र में विकास का बजट बनाती है तथा उसे ग्राम सभा के आगे पेश करती है।
  • डेयरी उद्योग तथा मुर्गीपालन उद्योग को प्रोत्साहन देना।
  • सड़क के दोनों ओर वृक्ष लगवाने का काम करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देना।
  • पीने के पानी के लिए कँओं या सरकारी पानी का प्रबन्ध करना।
  • पुलों तथा पुलियों का निर्माण तथा मुरम्मत के कार्य करना।
  • श्मशान भूमि तथा कब्रिस्तान की देखभाल करना।
  • कुएँ, तालाब इत्यादि बनवाना तथा उनकी रक्षा करना।
  • मेलों तथा मंडियों का आयोजन करना।
  • गांव में सड़कों, नालियों को बनवाने का प्रबंध करना।
  • महामारियों के विरुद्ध उपचारात्मक प्रबंध करने।
  • गांव में अस्पताल, डिस्पैंसरी इत्यादि का प्रबंध करना।
  • पुस्तकालयों तथा वाचनालयों की स्थापना करना तथा उनकी देखभाल करना।
  • प्राथमिक शिक्षा के केंद्रों, स्कूलों इत्यादि का प्रबंध करना।
  • किसी सरकारी कर्मचारी, जो ठीक काम न करता हो, उसकी शिकायत जिलाधीश को पहुँचाना।
  • अनुसूचित जातियों के कल्याण के कार्य करने।

प्रश्न 5.
पंचायत समिति के बारे में आप क्या जानते हैं? वर्णन करें।
अथवा
पंचायत समिति के गठन, कार्य तथा चुनाव की विवेचना करें।
उत्तर:
पंचायती राज व्यवस्था में दूसरे स्तर या बीच के स्तर की इकाई है। पंचायत समिति एक ब्लॉक में जितनी पंचायतें आती हैं उन सब के सरपंच इस के मैंबर होते हैं।
(i) गठन (Composition)-नयी पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत खंड स्तर पर पंचायत समिति की स्थापना की गई है। पंचायत समिति में निम्नलिखित सदस्य होते हैं-

  • पंचायत समिति के प्रत्यक्ष रूप से चुने हुए सदस्य।
  • लोकसभा तथा राज्य विधानसभा के सदस्य जो उस क्षेत्र से संबंधित हों।
  • पंचायत समिति क्षेत्र से ग्राम पंचायतों के कुल प्रधानों में से 1/5 भाग।
  • राज्य सभा का सदस्य।

(ii) कार्यकाल (Tenure) ग्राम पंचायत की तरह पंचायत समिति का कार्यकाल भी 5 वर्ष होता है पर अगर सरकार चाहे तो उसे पहले भी भंग कर सकती है।

(iii) आरक्षण (Reservation)-पंचायत समिति में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के लिए पंचायत समिति में स्थान आरक्षित होते हैं। यह आरक्षण उस क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात के मुताबिक होता है। इसके अलावा इसमें महिलाओं के लिए आरक्षण है। यह आरक्षण अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों को मिला कर 1/3 होता है।

(iv) अध्यक्ष व उपाध्यक्ष (Election of Chairperson and Vice Chairperson)-शपथ ग्रहण के पश्चात् पंचायत समिति के सदस्य को अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष चुनते हैं। इस प्रकार अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का अप्रत्यक्ष का चुनाव होता है।

(v) समिति का सदस्य बनने के लिए योग्यता (Qualifications)-पंचायत समिति का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिएं

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • वह दिवालिया या पागल घोषित न हुआ हो।
  • उसकी उम्र 21 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  • वह किसी सरकारी पद या नौकरी पर न हो।

(vi) पंचायत समिति के कार्य (Functions of Panchayat Samiti)-पंचायत समिति के क्षेत्र में विकास के जों कार्य पंचायत समिति द्वारा किए जाते हैं उनका वर्णन निम्नलिखित है

  • अपने क्षेत्र में कुटीर उद्योगों, कारीगरी के विकास इत्यादि कार्यों को प्रोत्साहन देना ताकि औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकास हो सके।
  • अपने क्षेत्र की विकास योजनाओं को लागू करना तथा रोजगार के अवसर पैदा करने की कोशिश करनी।
  • अपने क्षेत्र में आती पंचायतों के कार्यों का निरीक्षण करना तथा उनके बजट तथा खर्च पर निगरानी रखना।
  • स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, प्रसूति केंद्रों की स्थापना के प्रबंध करने।
  • पीने के पानी तथा सड़कों को बनवाने के प्रयास करने।
  • मेले तथा मंडियों को लगवाने का कार्य करना।

(vii) बैठकें (Meetings)-पंचायत समिति की साल में कम-से-कम दो बैठकें होनी चाहिएं। दो बैठकों के बीच 6 महीने से ज्यादा समय नहीं होना चाहिए। पर ज़रूरत पड़ने पर सदस्य बहुमत के साथ पहले भी बैठक बुला सकते हैं।

प्रश्न 6.
जिला परिषद् के बारे में आप क्या जानते हैं? वर्णन करो।
उत्तर:
जिला स्तर की पंचायती राज संस्था को जिला परिषद् कहते हैं। प्रत्येक जिले में एक जिला परिषद संस्था होती है। इसमें नगरपालिका क्षेत्रों को छोड़ कर जिले के सभी क्षेत्र सम्मिलित होते हैं।
(i) ज़िला परिषद् का गठन (Composition of Zila Parishad)-प्रत्येक जिला परिषद् के निम्नलिखित सदस्य होते हैं

  • प्रत्यक्ष रूप में वयस्क आधार पर जिला परिषद् के लिए निर्वाचित सदस्य।
  • जिले से संबंधित विधायक तथा लोकसभा के सदस्य।
  • राज्य सभा के ऐसे सदस्य जिनका नाम जिले में मतदाता के रूप में पंजीकत हो।
  • जिले की सभी पंचायत समितियों के अध्यक्ष।

यदि जिला परिषद् के सदस्यों में विधायकों, सांसदों तथा समिति अध्यक्षों की संख्या चुने हुए सदस्यों से अधिक हो जाए तो समिति अध्यक्षों में से केवल 1/5 को बारी-बारी निर्धारित अवधि के लिए चुना जाएगा।

(ii) आरक्षण (Reservation) ग्राम पंचायत तथा पंचायत समिति की तरह जिला परिषद् में भी अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित होते हैं। यह स्थान उस क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुसार होता है। महिलाओं के लिए भी 1/3 स्थान आरक्षित होते हैं।

(iii) बैठकें (Meetings)-पंचायत समिति की तरह जिला परिषद् की एक वर्ष में कम-से-कम चार बैठकें जरूरी हैं। बैठकों के मध्य तीन महीनों से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। अध्यक्ष बैठकों की अध्यक्षत है तथा उसकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष बैठकों की अध्यक्षता करता है। जिला परिषद् के 1/3 सदस्यों की मांग पर विशेष बैठक भी बुलाई जा सकती है।

(iv) कार्यकाल (Tenure)-जिला परिषद् का कार्यकाल 73वें संशोधन के अनुसार 5 साल का होता है पर अगर सरकार चाहे तो उसे अयोग्यता या भ्रष्टाचार के आधार पर समय से पहले भी भंग किया जा सकता है।

इसके अलावा जिला परिषद् अपने क्षेत्र में कार्य करने के लिए विशेष समितियां गठित करती है। उदाहरण के तौर पर वित्त के लिए समिति, कार्य समिति, शिक्षा समिति, कल्याण समिति इत्यादि। जिला परिषद् के निर्णयों को लागू करने के लिए तथा रोज़ाना के कार्य करने के लिए एक सचिव. की नियुक्ति होती है तथा उसे सरकार द्वारा वेतन भी मिलता है।

(v) जिला परिषद् के कार्य-जिला परिषद् अपने क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करता है-

  • इसका मुख्य काम अपने क्षेत्र में आती पंचायत समितियों के कार्यों का निरीक्षण करना है। इसके साथ-साथ यह सभी पंचायत समितियों के कार्यों में समन्वय पैदा करने की कोशिश करती है।
  • यह पंचायत समितियों के लिए विकास योजनाएं बनाती है तथा उनको कार्यान्वित करने के प्रयास करती है।
  • यह पंचायत समितियों के बजट का निरीक्षण तथा उनको स्वीकृति प्रदान करती है।
  • यह विकास संबंधी योजनाओं के लिए सरकार को सुझाव देती है।
  • सरकार अपनी नीतियों के अमल के लिए जिला परिषद् को कार्य सौंपती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 7.
पंचायती राज का क्या महत्त्व है?
अथवा
पंचायती राज तथा सामाजिक रूपांतरण का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में पंचायती राज की शुरुआत 1959 में हुई थी। पर 73वें संवैधानिक संशोधन के साथ भारत के सभी राज्यों में एक प्रकार की प्रणाली स्थापित की गई। इसके बाद से पंचायती राज ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। इन कार्यों की वजह से ही ग्रामीण क्षेत्रों में काफ़ी सुधार हुए तथा पंचायती राज के महत्त्व को काफ़ी ज्यादा बढ़ा दिया। इस तरह पंचायती राज का महत्त्व निम्नलिखित है-
(i) जनता का शासन (Administration of People)-पंचायती राज व्यवस्था को हम जनता का शासन कह सकते हैं क्योंकि पंचायती राज के हरेक स्तर पर जनता का हाथ होता है। चुनावों के समय सब कुछ जनता के हाथ में होता है कि किसको चनना है तथा किसको नहीं चनना है।

चनावों के बाद जीते हए व्यक्तियों को जनता की समस्याओं को निपटाने के कार्य करने पड़ते हैं। पानी का प्रबंध, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा ऐसी बुनियादी सुविधाएं हैं जो पंचायती राज के हर स्तर को मुहैया करवानी ही पड़ती हैं। उस चुने हुए व्यक्ति को पता होता है कि अगर वह लोगों के लिए काम नहीं करेगा तो दोबारा जनता उसे नहीं चुनेगी। इस तरह उसे जनता से डर कर कार्य करने पड़ते हैं तथा हमेशा जनता का शासन चलता रहता है।

(ii) लोकतंत्र (Democracy)-पंचायती राज से लोकतंत्र को बल मिलता है। लोकतंत्र का मतलब है लोगों का राज तथा पंचायती राज बनाया भी इसीलिए गया था कि लोग अपने ऊपर स्वयं राज करें। इसमें जनता स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। वह जब भी चाहे इन प्रतिनिधियों से मिल कर अपनी समस्याओं के बारे में बता सकते हैं। ग्राम स्तर पर ग्राम सभा होती है जिसमें ग्राम के सभी वयस्क सदस्य होते हैं।

इनकी वर्ष में दो बार बैठक ज़रूर होती है जिसमें पंचायत द्वारा किए कार्यों, उनकी योजनाओं, उनके बजट तथा खर्च इत्यादि की चर्चा होती है। इस तरह लोगों को यह पता चलता रहता है कि उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि क्या कर रहे हैं जो कि लोकतंत्र की पहली निशानी है।

(iii) लोगों को आत्म-निर्भर बनाना (To make the people Self-reliance)-पंचायती राज का एक और महत्त्व यह है कि इसका उद्देश्य गांवों को आत्म-निर्भर बनाना है। इसका कानून बनाते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि पंचायती राज के हर स्तर को उनकी ज़रूरतों के मुताबिक अधिकार तथा कर लगाने की शक्तियां मिलें।

हर पंचायत को अपने गांव की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तथा समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त अधिकार होते हैं जिनकी मदद से वह अपनी समस्याओं का हल करते हैं। ग्राम पंचायत गांव के विकास के लिए कई प्रकार की योजनाएं बना कर उन्हें ग्राम सभा से पास करवाती है।

इन योजनाओं को पूरा करने के लिए अगर सरकार की तरफ से पैसा मिल जाए तो ठीक है नहीं तो उसे कई प्रकार के कर लगाने का अधिकार भी है ताकि उसे अपने विकास कार्य पूरे करने के लिए सरकार की तरफ न देखना पड़े। इस तरह ग्राम आत्म-निर्भर हो जाते हैं।

(iv) अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान (Knowledge of Rights and Duties)-पंचायती राज व्यवस्था से लोगों को अपने गांव के प्रति कर्तव्यों तथा उनके अधिकारों के बारे में पता चलता है। मतदाता के रूप में तथा ग्रामसभा के सदस्य के रूप में एक व्यक्ति के क्या अधिकार होते हैं यह चुनाव के समय तथा ग्राम सभी की मीटिंग के समय उसे पता चल जाते हैं। इसके अलावा इन से उसे कर्तव्यों के बारे में भी पता चलता है।

अगर ग्रामसभा में ग्राम पंचायत गांव के विकास के लिए कोई कर लगाती है तो आजकल सभी आराम से वह कर दे देते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि यह पैसा इकट्ठा हो कर गांव के विकास के ऊपर ही लगेगा।

(v) कृषि का विकास (Development of Agriculture)-पंचायती राज का एक और महत्त्व है कि इसने कृषि के विकास में काफ़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद् का एक महत्त्वपूर्ण कार्य यह है कि यह अपने क्षेत्र में कृषि के विकास तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए कार्य करते हैं। इनके पास बहुत से सरकारी कर्मचारी होते हैं जिनका काम लोगों को नई तकनीक, नए बीजों तथा नई खाद के बारे में जानकारी देना है ताकि लोग इनको अपना कर उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर सकें।

इसके अतिरिक्त यह पंचायती राज संस्थाएं अपने क्षेत्र में बीजों का, खादों का भी प्रबंध करती है ताकि इनकी कमी न हो। इसका फायदा यह ही है कि एक तो उत्पादन बढ़ने से देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाता है तथा इसके साथ-साथ लोगों की आर्थिक उन्नति भी होती है। इस तरह पंचायती राज संस्थाएं लोगों की आर्थिक उन्नति के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं।

(vi) महिलाओं तथा निम्न जातियों को आगे आने की प्रेरणा (Motivation for Women and Lower ca to come forward) सदियों से हमारे देश में महिलाओं तथा निम्न जातियों को दबाया जाता रहा, जिस वजह से इनकी स्थिति हमेशा निम्न रही है। पंचायती राज से संबंधित कानून बनाते समय यह ध्यान रखा गया कि इनको भी आगे आने का मौका मिल सके। इनके लिए सभी संस्थाओं में आरक्षण रखे गए हैं।

अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए उस क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात के अनुसार आरक्षण रखा गया है। इसके अलावा महिलाओं की शासन में भागीदारी बढ़ाने के लिए उनके लिए हर जगह 1/3 स्थान आरक्षित रखे गए हैं। इस वजह से अब महिलाओं तथा निम्न जातियों की शासन में भागीदारी काफ़ी बढ़ गई तथा उनको आगे आने का मौका प्राप्त हो गया है।

प्रश्न 8.
विभिन्न कानूनों से समाज में क्या परिवर्तन आए हैं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
कानून भारतीय समाज में परिवर्तन के महत्त्वपूर्ण कारक रहे हैं। आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को खत्म करने, विधवा पुनर्विवाह को आज्ञा प्रदान करने, बाल-विवाह पर रोक लगाने, हिंदू स्त्रियों में संपत्ति अधिकार के बारे में तथा विवाह संबंधी कई अधिनियम पास किए। आजादी के बाद विशेष तौर पर 1954 से 1956 के दौरान देश में बहुत से महत्त्वपूर्ण विधान बनाए गए।

इन सभी विधानों का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। विभिन्न विधानों से भारतीय समाज में होने वाले प्रमुख परिवर्तनों तथा विधानों ने भारतीय समाज पर जो महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े उनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
(i) महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन (Change in the Status of Women) विभिन्न कानूनों को बनाएं जाने से महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 से विधवा को अपने पति की संपत्ति का सीमित अधिकार दिया गया। इस अधिनियम द्वारा स्त्री पुरुष को संपत्ति का समान अधिकार प्रदान किया गया।

हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम द्वारा विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति दे दी गई। महिलाओं को पुत्र गोद लेने का अधिकार प्रदान किया गया। स्त्रियों व कन्याओं का अनैतिक व्यापार गैर-कानूनी घोषित किया गया। दहेज निरोधक कानून बनाए गए। महिलाओं के लिए पंचायती राज स्तर पर आरक्षण रखे गए। इन विधानों से भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन आया।

(ii) विवाह के स्वरूप में परिवर्तन (Change in form of Marriage) सदियों से भारतीय समाज में एक विवाह, बहुविवाह, बहुपत्नी तथा बहुपति विवाह प्रथाएं प्रचलित थीं। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत बहुविवाह को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। एक विवाह को कानूनी मान्यता तथा कोर्ट मैरिज को भी कानूनी मान्यता मिल गई।

(iii) निरर्थक रीतियों में कमी (Decline in Obsolete Conventions)-भारतीय समाज में सती प्रथा, दहेज प्रथा, बाल-विवाह तथा अस्पृश्यता आदि कई कुरीतियां प्रचलित रही हैं। सती प्रथा निषेध अधिनियम द्वारा सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। वर्तमान समय में सती प्रथा भारतीय समाज में खत्म हो चुकी है। दहेज निरोधक कानून 1961 तथा 1986 के अनुसार दहेज लेना तथा देना भी कानूनन जुर्म घोषित कर दिया गया है।

बाल विवाह भी खत्म कर दिया गया है तथा विवाह के लिए आय लड़कियों के लिए 18 वर्ष तथा लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित कर दी गई है। बाल विवाह को भी गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है। अस्पृश्यता की समाप्ति के लिए अस्पृश्यता कानून 1955 तथा नागरिक संरक्षण अधिकार कानून 1976 बना दिए गए हैं।

(iv) अंतर्जातीय संबंधों में परिवर्तन (Decline in Inter Caste Relations)-सामाजिक विधानों द्वारा अंतर्जातीय संबंधों में परिवर्तन आए हैं। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 द्वारा अंतर्जातीय विवाह को कानूनी अनुमति मिल गई है। अंतर्जातीय विवाहों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अस्पृश्यता को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है। फलस्वरूप उच्च व निम्न जातियों में अंतःक्रिया बढ़ी है। अब इन दोनों में काफ़ी ज्यादा अंतः क्रिया हो रही है तथा यह मिल जुल कर कर रहे हैं।

(v) विवाह नियमों में परिवर्तन (Change in Rules of Marriage)-पारंपरिक रूप से हिंदू विवाह एक धार्मिक संस्कार रहा है। परंतु विभिन्न विधानों के निर्माण के बाद विवाह एक धार्मिक संस्कार न रह कर एक समझौता मात्र रह गया है। विवाह जन्म जन्मांतर का पवित्र बंधन माना जाता है।

मगर कानून द्वारा तलाक को स्वीकृति मिल गई है अर्थात् निश्चित कानूनी प्रक्रिया के द्वारा विवाह विच्छेद को अनुमति दे दी गई है। विवाह संबंधी अन्य नियमों में। परिवर्तन आए हैं। अंतर्जातीय विवाह को कानूनी अनुमति मिल गई है। विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित कर दी गई है। विवाह की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।

(vi) बंधुआ मज़दूरी प्रथा अधिनियम 1976 के तहत किसी व्यक्ति को बंधुआ मजदूरी नहीं करवायी जा सकती। किसी को बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर करने वाले या इसके लिए कर्ज देने वाले को 3 साल की कैद तथा ₹ 2000 जुर्माना हो सकता है।

(vii) बाल मजदूरी रोकने के लिए भी अधिनियम बना है। 14 साल से कम उम्र के बच्चे से फैक्टरी या दुकान में काम करवाना अपराध माना गया है।

प्रश्न 9.
पंचायती राज में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर:
भारत में पंचायती राज प्रणाली 1959 में लागू हुई थी। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य शक्तियों का विकेंद्रीकरण था। पर समय के साथ पंचायती राज प्रणाली कमज़ोर पड़ती गई तथा इसमें काफ़ी त्रुटियां आनी शुरू हो गईं। इन त्रुटियों को सरकार ने समझा तथा 1993 में संविधान में संशोधन करके 73वां संवैधानिक संशोधन पास किया गया।

इसमें पंचायती राज के हर पहलु को ध्यान में रखा गया था पर फिर भी आज के समय में इस व्यवस्था में काफ़ी त्रुटियां पायी जाती हैं। जो सपना प्रजातंत्र या लोकतंत्र के विकेंद्रीकरण का देखा गया था वह पूरा नहीं हो पाया है। इसमें बहुत से सुधारों की आवश्यकता है तथा इनमें निम्नलिखित तरीकों से सुधार किया जा सकता है-
(i) इन में सुधार लाने के लिए सबसे पहले यह ज़रूरी है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपने अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों की जानकारी भी होनी चाहिए। अगर ग्रामीण लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता होगी तो वह ग्राम सभा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले सकेंगे तथा इसके साथ ही उनको अपने कर्तव्यों के बारे में भी पता चल जाएगा।

(ii) अगला ज़रूरी कदम यह है कि इन पंचायती राज के सभी स्तरों की संस्थाओं को पूर्ण स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता देनी चाहिए ताकि यह पूण आजादी से अपने क्षेत्र के विकास के कार्य कर सकें। सरकार को इनके कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए ताकि वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए बगैर किसी डर के कार्य कर सकें।

(iii) सरकार द्वारा इन संस्थाओं के कार्यों पर तथा इन संस्थाओं पर गैर-ज़रूरी नियंत्रण नहीं रखना चाहिए। ज्यादा नियंत्रण की सूरत में काम में कमी आ जाती है तथा काम भी ठीक तरीके से नहीं हो पाता है।

(iv) पंचायती संस्थाओं के सरकारी कर्मचारियों तथा इन संस्थाओं के सदस्यों को गैर-सरकारी या सरकारी संस्थाओं से प्रशिक्षण दिलाना चाहिए ताकि यह गांवों के विकास के लिए कार्य कर सकें तथा इस प्रशिक्षण का फायदा सीधे से गांव के लोगों को मिल सके तथा वह इसको अपनी भूमि पर प्रयोग कर सकें।

(v) पंचायतों में ब्लॉक समिति में तथा जिला परिषद् में कार्य करने वाले कर्मचारियों को अच्छी तनख्वाह मिलनी चाहिए ताकि वह पूरा दिल लगा कर अपने क्षेत्र में विकास के कार्य कर सकें।

(vi) पंचायती राज के तीनों स्तरों पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद् के कार्यों में आपसी तालमेल होना चाहिए ताकि यह एक दूसरे से मिल जुल कर अपने क्षेत्र का विकास कर सकें।

(vii) ग्राम सभा को और अधिकार देकर अधिक शक्तिशाली बनाना चाहिए ताकि पंचायतों के कार्यों पर निगरानी रखी जा सके तथा इन में आम जनता की भागीदारी बढ़ायी जा सके।

(viii) इन संस्थाओं के लिए कर्मचारियों की भर्ती के समय सही उम्मीदवारों को ही भर्ती करना चाहिए ताकि वह गांवों की समस्याओं को समझ कर उनको हल करने की कोशिश कर सकें।

(ix) पंचायतों की जमीनों पर नाजायज कब्जों को छुड़वाने के लिए सरकार को विशेष प्रयास करने चाहिए ताकि इन ज़मीनों से होने वाली आमदनी को पंचायतें गांवों के विकास कार्यों पर लगा सकें।

(x) राज्य तथा केंद्र सरकार को इन संस्थाओं को ज्यादा से ज्यादा ग्रांट देनी चाहिए ताकि ये संस्थाएं अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को तेज़ी से चला सकें।

प्रश्न 10.
संविधान ने राज्य के निर्देशक सिद्धांत जो सरकार को दिए हैं, उनका वर्णन करो।
अथवा
राज्य में नीति निर्देशक सिद्धांतों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
राजनीति के निर्देशक सिद्धांत संविधान के चौथे भाग अनुच्छेद 36 से 51 में अंकित हैं। आयरलैंड के संविधान से प्रेरणा पाकर तथा संविधान सभा के संवैधानिक परामर्शदाता सर बी० एन राव (Sir B.N. Rao) के सुझाव के बाद निर्देशक सिद्धांतों को संविधान में शामिल किया गया है। डॉ० बी० आर० अंबेदकर के अनुसार, “निर्देशक सिद्धांत देश में विशेष रूप से सामाजिक तथा आर्थिक प्रजातंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।’ निर्देशक सिद्धांतों को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता हैं-

  • सामान्य सिद्धांत (General Principles)
  • समाजवादी सिद्धांत (Socialist Principles)
  • उदारवादी सिद्धांत (Liberal Principles)
  • गांधीवादी सिद्धांत (Gandhian Principles)

इन सब श्रेणियों का वर्णन निम्नलिखित हैं-
(i) सामान्य सिद्धांत (General Principles)-सामान्य सिद्धांतों के अंदर कई ऐसे सिद्धांत हैं जिनमें राज्य का अर्थ तथा उसके कार्यों का जिक्र किया गया है। प्रमुख सिद्धांत हैं-“राज्य समस्त भारत में एक समान आचार संहिता लागू करेगा”-अनुच्छेद 44 “राज्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिए कार्यवाही करेगा।” देश में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व तथा कलात्मक रुचि के स्थानों या वस्तुओं को नष्ट होने या हटाए जाने को बचाना राज्य का कर्तव्य है।”

पर्यावरण की रक्षा तथा सुधार के लिए तथा देश में वनों तथा वन्य-जीवन की रक्षा के लिए राज्य प्रयास करेगा।” अनुच्छेद में लिखा है, राज्य के अंतर्गत भारत सरकार तथा संसद्, समस्त राज्य सरकारें तथा विधानमंडल तथा भारत सरकार की सारी शक्तियाँ आती हैं।”

(ii) समाजवादी सिद्धांत (Socialist Principles)-राज्य कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे स्त्री पुरुष को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले-अनुच्छेद 39 (d) “व्यक्तियों तथा क्षेत्रों में आय की असमानताएं कम हों।” इसके अतिरिक्त राज्य गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसूति सहायता का प्रबंध करेगा। श्रमिकों, स्त्रियों, पुरुषों के स्वास्थ्य तथा कम उम्र के बच्चों का दुरुपयोग होने से रोकेगा।

(iii) उदारवादी सिद्धांत (Libral Exploitation) निर्देशक सिद्धांत में कुछ उदारवादी सिद्धांत हैं जैसे, “राज्य संविधान लागू होने के 10 वर्षों के अंदर 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का प्रबंध करने की कोशिश करेगा।’-अनुच्छेद 45-अनुच्छेद 47 के अनुसार राज्य लोगों के भोजन तथा जीवन स्तर को ऊँचा उठाने तथा उनके स्वास्थ्य को सुधारने का प्रयत्न करेगा।”

(iv) गाँधीवादी सिद्धांत (Gandhian Principles)-कई ऐसे सिद्धांत हैं जोकि गांधीवादी विचारधारा पर आधारित हैं। उदाहरण के तौर पर अनुच्छेद 40 के अनुसार राज्य गांव में पंचायतें स्थापित करके तथा उन्हें ऐसी शक्तियां प्रदान करेगा, जिससे वे स्थानीय स्वशासन की इकाइयों के रूप में काम कर सके। राज्य समाज के कमज़ोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक तथा आर्थिक हितों को बढ़ावा देने का प्रयल करेगा तथा उन्हें शोषण से बचाएगा।

(v) अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत (International Principles) अंतर्राष्ट्रीय निर्देशक सिद्धांतों में ऐसे सिद्धांत सम्मिलित हैं जिनका संबंध विश्व के अन्य देशों से है जैसे राज्य अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देने का प्रयत्न करेगा।

राज्य अंतर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता द्वारा निपटाए जाने के यत्न को प्रोत्साहित करेगा। – राजनीति के यह निर्देशक सिद्धांत भावी सरकारों के निर्देश है कि उन्हें किस प्रकार की व्यवस्था का विकास करेंगे पर यह मौलिक अधिकारों की तरह न्यायसंगत नहीं हैं। इन्हें न्यायालय द्वारा लागू नहीं करवाया जा सकता है। चाहे ने को बाध्य नहीं है पर फिर भी सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपनी किसी भी प्रकार की नीति बनाते समय इन निर्देशों को ध्यान में रखे।

प्रश्न 11.
भारतीय नागरिकों को मिले हुए मौलिक अधिकारों तथा मौलिक कर्तव्यों का वर्णन करो।
अथवा
मौलिक कर्तव्यों की व्याख्या करें।
अथवा
भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य क्या हैं?
अथवा
मौलिक अधिकारों की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
मौलिक अधिकार-(Fundamental Rights):
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हो गया था तथा इसी दिन हमारा देश गणतंत्र बन गया था। संविधान के तीसरे अध्याय में मौलिक अधिकारों का जिक्र है। संविधान में कुल 7 मौलिक अधिकार दिए गए थे पर 1979 में 44वें संवैधानिक संशोधन द्वारा “संपत्ति का अधिकार” मौलिक अधिकारों की सूची में से निकाल दिया गया था। आजकल भारत के सभी नागरिकों को निम्नलिखित 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं :

  • समानता का अधिकार (Right to Equality)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against Exploitation)
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Religious Freedom)
  • सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार (Cultural and Educational Rights)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)

अब इन मौलिक अधिकारों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
(i) समानता का अधिकार (Right to Equality) सभी भारतीय नागरिक कानून के सामने समान हैं। भारत में किसी भी व्यक्ति के साथ रंग, नस्ल, जाति, धर्म या जन्म स्थान के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं किया जा सकता है। सबको समान अवसर उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता की समाप्ति कर दी गई है अर्थात् अस्पृश्यता पर कानून द्वारा रोक लगा दी गई है।

(ii) स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)-अनुच्छेद 19 के तहत सभी भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित स्वतंत्रताएं प्रदान की गई हैं –

  • भाषण देने तथा विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and expression)
  • बिना शस्त्र शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होने की स्वतंत्रता (Freedom to assemble peacefully without arms)
  • समितियां तथा संघ स्थापित करने की स्वतंत्रता (Freedom to form Associations and unions)
  • समस्त भारत में घूमने फिरने की स्वतंत्रता (Freedom to move freely throughout the territory of India)
  • भारत के किसी भी भाग में रहने तथा निवास स्थान बनाने की स्वतंत्रता (Freedom to reside and settle in any part of terroitory of India)
  • किसी भी पेशे को अपनाने या व्यवसाय, व्यापार कारोबार की स्वतंत्रता (Freedom to Practise any profession or to carry on any occupation, trade and business)

इनके अलावा हरेक भारतीय नागरिक को जीवन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के अधिकार भी प्राप्त हैं।

(iii) शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against Exploitation)-किसी भी भारतीय का कोई शोषण नहीं करेगा क्योंकि संविधान में शोषण के विरुद्ध निम्नलिखित प्रावधान हैं-

  • मानवीय व्यापार तथा बलपूर्वक मज़दूरी की मनाही (Prohibition of traffic in human beings and forced Labour)
  • बालश्रम की मनाही (Prohibition of child labour)

14 साल की उम्र तक के बच्चों को फैक्ट्रियों, दुकानों पर काम पर नहीं लगाया जा सकता। यह कानूनन जुर्म है तथा इसके लिए सजा का प्रावधान हैं। इसके अलावा बंधुआ मजदूरी करवाना भी कानूनन जुर्म है।

(iv) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Religious Freedom)-संविधान को बनाने वाले भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाना चाहते थे। वह जानते थे कि भारत में कई धर्मों के अनुयायी निवास करते हैं। इसलिए संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का प्रावधान रखा गया है कि किसी भी धर्म को मानने तथा प्रचार करने की स्वतंत्रता, धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता, किसी विशेष धर्म के विकास के लिए कर न देने की स्वतंत्रता इत्यादि। इसके अलावा सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा की मनाही की गई है।

(v) सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार (Cultural and Educational Rights) हरेक भारतीय को अपनी लिपि, भाषा तथा संस्कृति की सुरक्षा करने का अधिकार प्राप्त है। धार्मिक तथा भाषायी अल्पसंख्यक समूह अपने लिए शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं। सभी भारतीयों को सरकार द्वारा सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश पाने की स्वतंत्रता है।

(vi) संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)-प्रत्येक भारतीय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने मौलिक अधिकारों को लागू करवाने या उनकी सुरक्षा के लिए सीधे उच्चतम न्यायालय जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि सरकार या कोई और उसके मौलिक अधिकारों को उससे छीन रहा है या वापस ले रहा है तो वह उनको वापस पाने के लिए न्यायालय में भी जा सकता है। इसको संवैधानिक उपचारों का अधिकार कहते हैं।

मौलिक कर्तव्य-(Fundamental Duties):
संविधान में भारतीय नागरिकों को अगर मौलिक अधिकार दिए गए हैं तो उनके साथ-साथ कुछ मौलिक कर्तव्य भी दिए गए हैं। चाहे मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों का जिक्र नहीं था पर 1976 में आपात्काल के समय के दौरान 42वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा संविधान के चौथे भाग में अनुच्छेद 51-A में अग्रलिखित दस मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं-
(a) संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय गान का सम्मान करना। (To abide by the constitution and respect its ideas, institutions, National flag and National Anthem.)

(b) स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले राष्ट्रीय आदर्शों का सम्मान तथा अनुसरण करना। (To cherish and follow the noble ideals which inspired our National Struggle for freedom.)

(c) भारत की प्रभुसत्ता को बनाए रखना तथा उसकी रक्षा करना (To uphold and protect the Sovereignty, Unity and Integrity of India)

(d) देश की रक्षा करना तथा ज़रूरत पड़ने पर राष्ट्र के लिए अपनी सेवा प्रदान करना। (To defend the Country and render National Service when called upon to do so.)

(e) धार्मिक, भाषायी, क्षेत्रीय तथा वर्गीय विभिन्नताओं से ऊपर उठकर भारत के सभी नागरिकों के बीच सदभाव तथा आपसी भाईचारे का विकास करना तथा महिलाओं के गौरव को अपमान पहुंचाने वाले कार्यों का त्याग करना। (To promote harmony and the Spirit of common brotherhood amogest all the people of India transcending religious, linguistic, regional and sectional diversities and to renounnce practices derogatory to the dignity of women.)

(f) अपनी समृद्ध विरासत तथा संयुक्त संस्कृति का सम्मान करना तथा उसको सुरक्षित रखना। (To Value and preserve the rich heritage of our composite culture.)

(g) वैज्ञानिक सोच व मानवतावाद विकसित करना। (To develop Scientific temper and humanism.)

(h) जंगलों, झीलों, नदियों तथा वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण को सुरक्षित रखना तथा सुधारना। (To protect and improve natural environment including forests, lakes, rivers and wild life.)

(i) सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना तथा हिंसा का त्याग करना। (To safeguard public property and adjure violence.)

(j) व्यक्तिगत तथा सामूहिक गतिविधियों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना। (To Strive towards excellence in spheres of individual and collective activities.)

चाहे मौलिक कर्तव्यों के पीछे कानूनी शक्ति नहीं है तथा न ही इन्हें कानूनी मान्यता प्राप्त है पर यह ऐसे आदर्श हैं जिनको मानने से राष्ट्र के विकास में योगदान दिया जा सकता है। इसलिए सभी भारतीयों को इनका पालन करना चाहिए।

प्रश्न 12.
पंचवर्षीय योजनाओं के माध्मय से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं? उनका वर्णन करो।
अथवा
पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा भारतीय समाज पर लाए गए प्रमुख परिवर्तनों की व्याख्या करें।
अथवा
देश के स्वतंत्र होने पर ‘नियोजित विकास के कार्यक्रमों में किन-किन बातों की ओर ध्यान केंद्रित किया गया?
उत्तर:
1952 से लेकर 2013 तक भारत में बारह पंचवर्षीय योजनाएं तथा तीन एक वर्षीय योजनाएं लाग हो चुकी थीं। 2002 से 2007 तक के समय के लिए दसवीं पंचवर्षीय योजना का निर्माण किया गया। पिछले 53 सालों में भारतीय समाज में बहुत ज्यादा परिवर्तन आए हैं। हम अगर कोई भी क्षेत्र उठा कर देख ले हमें यह परिवर्तन तो देखने को मिल ही जाएंगे। इन परिवर्तनों का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) शिक्षा का प्रसार (Spread of Education)-1951 में पहली पंचवर्षीय योजना लागू होने के समय भारत में साक्षरता दर 18% थी जो कि सन् 2011 में बढ़कर 75 % हो गई है। अगर साक्षरता दर बढ़ी है तो वह इस वजह से कि सभी पंचवर्षीय योजनाओं में शिक्षा पर अच्छा पैसा खर्च किया गया है ताकि लोग पढ़ लिखकर अपनी तथा देश की तरक्की में अपना योगदान दे सके।

उच्चशिक्षा का भी बहुत ज्यादा प्रसार हुआ। इस समय देश में हजारों मैडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालय तथा कई और प्रकार के कॉलेज हैं जो कि देश के लाखों नौजवानों में उच्चशिक्षा का प्रसार कर रहे हैं जोकि देश के विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

(ii) वंचित या निम्न बों का उत्थान (Upliftment of Deprived Sections)-अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां तथा अन्य पिछड़े वर्ग (SC’s, ST’s and OBC’S) भारतीय समाज के प्रमुख वंचित वर्ग हैं जिन्हें सदियों से भारतीय समाज में उनके मानवीय अधिकारों से वंचित रखा गया था। इन लोगों के स्तर को ऊपर उठाने के लिए संविधान तथा पंचवर्षीय योजनाओं में विशेष प्रावधान किए गए हैं।

इन सभी वर्गों के सदस्यों के लिए नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में उनकी जनसंख्या के मुताबिक स्थान आरक्षित किए गए हैं। उन उपेक्षित वर्गों के लिए कई कल्याण कार्यक्रम कार्यन्वित किए गए हैं। प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में इनके कल्याण हेतु काफ़ी पैसा रखा जाता रहा है ताकि इनकी स्थिति तथा स्तर को ऊपर उठाया जा सके। फलस्वरूप इन वर्गों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

(iii) महिलाओं की स्थिति में सुधार (Improvement in the Status of Women) स्वतंत्रता से पहले भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति काफ़ी निम्न थी। सदियों से इनको पैरों की जूती समझा जाता रहा है। भारतीय समाज में संयुक्त परिवार व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें महिलाओं का काम सिर्फ परिवार की सेवा करना होता था।

उनको किसी तरह के अधिकार प्राप्त नहीं थे। यहां तक कि उन्हें शिक्षा भी नहीं लेने दी जाती थी। पर आजादी के बाद संविधान में भी तथा पंचवर्षीय योजनाओं में भी महिलाओं के उत्थान के लिए काफ़ी प्रावधान रखे गए ताकि इनका स्तर ऊपर उठाया जा सके। विभिन्न योजनाओं के तहत महिला कल्याण के अनेक कार्यक्रम चलाए गए।

उनके सशक्तिकरण के लिए स्थानीय स्वशासन निकायों यानि कि पंचायतों तथा नगरपालिकाओं में उनके लिए एक तिहाई पद आरक्षित किए गए। उनके उत्थान के लिए हरेक पंचवर्षीय योजना में काफ़ी पैसा रखा गया। उनकी साक्षरता की तरफ विशेष ध्यान दिया गया जिस वजह से 1951 में जो महिला साक्षरता दर 9% से भी कम थी वह 2011 में बढ़कर 65.5% से अधिक हो गई है।

(iv) ग्रामीण पुनर्निर्माण (Rural Reconstruction)-आजादी से पहले ग्रामीण इलाकों की हालत काफ़ी खराब थी। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए सभी पंचवर्षीय योजनाओं में खास प्रावधान किए गए। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के तहत ग्रामीण पुनर्निर्माण के लिए कार्यक्रम चलाए गए।

एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP), इंदिरा आवास योजना, गांधी कुटीर योजना, सामुदायिक विकास कार्यक्रम (CDP) तथा पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना इत्यादि के द्वारा गांवों का पुनर्निर्माण हुआ है। हरित क्रांति तथा भूमि सुधारों से ग्रामीण समुदाय की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं में अच्छा पैसा रखा गया था क्योंकि असली भारत तो गांवों में बसता है।

(v) अंतर्जातीय संबंधों में परिवर्तन (Change in Inter Caste Relations)-संविधान के अनुच्छेद 17 के द्वारा भारत में अस्पृश्यता को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। अंतर्जातीय विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान कर दी गई। जाति के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी भारतीयों को समान मौलिक अधिकार प्रदान किए गए। फलस्वरूप जातीय भेदभाव में कमी आई है। निम्न जातियों के सदस्यों में गतिशीलता बढ़ी है। उच्च तथा निम्न जातियों के सदस्यों में समीपता बढ़ी है।

(vi) कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तन (Changes in Agricultural and Industrial Sectors) लगभग सभी पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्रों के विकास को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया। आजादी के 10-15 साल के समय में भारत को खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। पर इन पंचवर्षीय योजनाओं के प्रावधानों के फलस्वरूप हरित क्रांति आई तथा उसके 10 साल के अंदर ही भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया।

इसी तरह औद्योगिक क्षेत्र या उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भी सभी पंचवर्षीय योजनाओं में विशेष प्रावधान रखे गए। 1951 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 5 करोड़ टन था वह आजकल 20-21 करोड़ टन हो गया है। लघु, कुटीर तथा बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना की गई जिस वजह से किसानों, उद्योगपतियों तथा औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वालों की आय में काफ़ी वृद्धि हुई है।

(vii) जनसंख्यात्मक परिवर्तन (Demographic Changes)-बढ़ती जनसंख्या भारत की प्रमुख समस्या रही है। स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण के माध्यम से सन् 2000 तक देश में 25 करोड़ बच्चे पैदा होने से रोके गए। 1951-2001 के दौरान जन्म दर कम होकर 40 से 27 तथा मृत्यु दर 27 से कम होकर 9 तक पहुंच गई है। इसी अवधि में जीवन प्रत्याशा 32 वर्ष से बढ़कर 63 वर्ष तथा शिशु मृत्यु दर 146 से कम होकर 70 हो गई है। यह सब ही सभी पंचवर्षीय योजनाओं में रखे गए प्रावधानों का परिणाम है।

इस तरह हम कह सकते हैं कि भारत ने पिछले 53 सालों में इन पंचवर्षीय योजनाओं के फलस्वरूप काफ़ी ज्यादा प्रगति की है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 13.
योजनाबद्ध विकास के क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
योजना वह व्यवस्था होती है जिसके आधार पर लक्ष्यों की पूर्ति के प्रयास किए जाते हैं। अगर किसी काम को करने के लिए योजना बनाई जाएगी तो वह काम सही समय पर भी हो जाएगा तथा साधन भी व्यर्थ नहीं जाएंगे। अगर किसी कार्य को करने के लिए योजना नहीं बनाई जाएगी तो हो सकता है कि प्रयास भी व्यर्थ ही चला जाए। इसलिए किसी कार्य को करने के लिए योजना बनाना ज़रूरी है। इसी के साथ योजनाबद्ध विकास के भी बहुत से लाभ हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) समय की बचत योजना बनाकर विकास करने से समय की बचत होती है। हो सकता है कि अगर हम योजना न बनाएं तो हम व्यर्थ ही अपना समय तथा साधन खर्च करते जाएं तथा उससे हमारा लक्ष्य न मिल पाए। योजना बनाने से हमें पता होता है कि किस दिशा में हमें काम करना है। इससे समय की बचत तो होती ही हैं पर साथ ही साथ हमारे साधन व्यर्थ होने से बच जाते हैं।

(ii) कम समय में लक्ष्य की प्राप्ति-हरेक योजना बनाते समय उस योजना के कुछ लक्ष्य निर्धारित कर लिए जाते हैं तथा उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय भी निर्धारित कर लिया जाता है। अगर ऐसा न हो तो हम बगैर दिशा के कार्य करते जाएंगे तथा लक्ष्य भी प्राप्त नहीं होगा। इस तरह योजनाबद्ध विकास से कम समय में लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

(iii) सभी क्षेत्रों का विकास-अगर योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा तो सभी क्षेत्रों का ठीक तरीके से विकास होगा। अगर योजनाबद्ध तरीके से काम न किया जाए तो हो सकता है कि किसी एक क्षेत्र का तो बहुत ज्यादा विकास हो जाए तथा किसी क्षेत्र का विकास कम हो या हो ही न।

इस तरह वह क्षेत्र पूरी तरह अविकसित रह जाएगा। इसलिए सभी क्षेत्रों का ठीक तरीके से विकास करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना ज़रूरी है। इसके लिए सारे क्षेत्र को इकाई मानकर काम किया जाता है तथा उसके सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा जाता है।

(iv) औद्योगिक विकास–अगर देश का औद्योगिक विकास करना है तो वह योजनाबद्ध तरीके से ही होगा। अगर उद्योग लगाना है तो उसके लिए योजना बनानी ही पड़ेगी। उद्योग के लिए पैसा कहां से आएगा, माल बनाने के लिए कच्चामाल, माल बनाने के लिए मज़दूर, माल बेचने के लिए मंडी का प्रबंध, इन सबके लिए एक योजना की ज़रूरत होती है।

अगर योजना न बनाई जाए तो वह उद्योग नहीं चल पाएगा। अगर उद्योग लगाने में पैसा कम पड़ गया तो, माल बनाने के लिए कच्चा माल न मिला तो, माल न बिका तो क्या होगा? यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके लिए योजना बनाने की ज़रूरत है। इसलिए औद्योगिक विकास के लिए योजनाबद्ध विकास की जरूरत होती है।

(v) कृषि के विकास के लिए- कृषि के विकास के लिए भी योजनाबद्ध तरीके की ज़रूरत होती है। कृषि के लिए अच्छे बीज, अच्छी खाद, तकनीक उपलब्ध करवाना, उत्पादन को बढ़ाने तथा बेचने के लिए योजना की ज़रूरत होती है। अगर किसी एक चरण में भी योजना न बनायी गई तो सारा कार्य खराब हो जाएगा तथा जिस क्षेत्र में हम विकास के बारे में सोच रहे हैं वह क्षेत्र विकसित नहीं हो पाएगा। इसलिए कृषि के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके की ज़रूरत है।

(vi) निम्न जातियों में विकास के लिए हमारे देश में सदियों से निम्न जातियों का शोषण होता आया है। इसलिए इनको ऊपर उठाने के लिए एक योजनाबद्ध प्रयास की जरूरत थी। यही किया गया तथा संविधान में इनके लिए आरक्षण रखे गए। पंचवर्षीय योजनाओं में इनके उत्थान के लिए काफ़ी कुछ किया गया। आज निम्न जातियां ऊँची जातियों के साथ खड़ी हैं तथा उनकी निम्न स्थिति काफ़ी अच्छी हो गई है। यह सब विकास योजनाबद्ध तरीके से ही हुआ है।

इस तरह और सभी क्षेत्रों चाहे घर में हो या देश में विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके की ही ज़रूरत होती है।

प्रश्न 14.
लोकतांत्रिक समाज में हित समूह व दबाव समूह कौन-कौन से कार्य करते हैं?
उत्तर:
दबाव व हित समूह वह संगठित या असंगठित समूह हैं जो सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। उनके कुछ उद्देश्य होते हैं तथा वे सरकार पर अलग-अलग प्रकार से दबाव डालकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, लोकतांत्रिक समाज में यह कई प्रकार के कार्य करते हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है:
(i) आंदोलन चलाना-यह दबाव समूह किसी विशेष मुद्दे पर तथा विशेष उद्देश्य के लिए आंदोलन चलाते हैं ताकि जनता का समर्थन हासिल किया जा सके। इसके लिए यह संचार माध्यमों जैसे कि टी०वी०, समाचार-पत्र इत्यादि का सहारा लेते हैं तथा जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

(ii) हड़तालें करवाना तथा रोष मार्च निकालना-दबाव समूह साधारणतया हड़तालें करवाते हैं, रोष मार्च निकालते हैं तथा सरकारी कार्यों में बाधा पहुँचाने का प्रयास करते हैं ताकि सरकार तक अपनी बात पहुँचा सकें। यह हड़ताल की घोषणा करते हैं तथा धरनों पर बैठकर अपनी आवाज़ उठाते हैं। अधिकतर फैडरेशन तथा यूनियनें सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए इसी ढंग का प्रयोग करते हैं।

(iii) लॉबी का निर्माण करना-साधारणतया दबाव समूह लॉबी का निर्माण करते हैं। इस लॉबी के कुछ आम हित होते हैं तथा यह हितों को प्राप्त करने के लिए कार्य करते हैं।

(iv) राजनीतिक दलों का समर्थन-हरेक दबाव व हित समूह किसी-न-किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ होता है। यह समूह चुनाव के समय अपने-अपने राजनीतिक दल का तन-मन-धन से समर्थन करते हैं ताकि वह चुनाव जीत कर उनकी मांगे पूरी करें।

(v) कानून बनाने वाली समितियों को प्रभावित करना-जब भी कोई विधेयक संसद् में कानून बनाने के लिए पेश किया जाता है तो यह विधेयक संसद् की विधायी समितियों को सौंप दिया जाता है ताकि वह इसके गुणों तथा दोषों पर समीक्षा कर सकें। यह दबाव समूह विधायी समूहों के सदस्यों को प्रभावित करते हैं ताकि विधेयक के मुख्य लक्षण अपने हितों के अनुसार करवा सकें।

इस प्रकार लोकतांत्रिक समाज में हित व दबाव समूह कई प्रकार के कार्य करते हैं।

प्रश्न 15.
भारतीय लोकतंत्र में दबाव समूहों एवं राजनीतिक दलों की भूमिका की चर्चा करें।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों की भूमिका बताएं।
अथवा
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका रहती है? विवेचना करें।
अथवा
दबाव समूहों की भारतीय लोकतंत्र में भूमिका की चर्चा करें।
अथवा
सरकार के लोकतांत्रिक प्रारूप में राजनीतिक दलों और दबाव समूहों की क्या भूमिका है?
अथवा
राजनीतिक दल की भूमिका बताइए।
उत्तर:
भारत में लोकतंत्र को प्रभावी बनाने में देश में उपस्थित दबाव समूहों तथा राजनीतिक दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसका संक्षिप्त वर्णन अधोलिखित है-
दबाव समूहों की भूमिका-(Role of Pressure Groups):
1. सार्वजनिक नीतियों में के निर्माण को प्रभावित करना (To influence the making of Public Policies and Laws)-प्रत्येक दबाव समूह के लिए यह आवश्यक होता है कि वे सरकार के दवारा बनाई जाने वाली नीतियों को अपने सदस्यों के हितों की सुरक्षा के लिए प्रभावित करें। दबाव समूह सार्वजनिक सभाओं, प्रदर्शनियों एवं बातचीत के माध्यम से सरकार की नीतियों तथा कानूनों के निर्माण को अपने हित के लिए प्रयोग करने का प्रयास करते हैं।

2. राजनीतिक दलों को अपने प्रभावाधीन रखना (To keep the Political Parties under their influence) दबाव समूह सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक दलों को अपने प्रभाव से प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। इसके लिए वे राजनीतिक दलों को गप्त रूप से चंदा इत्यादि भी देते हैं। इस प्रकार अपने हितों की सुरक्षा हेतु दबाव समूह सरकार से सहायता लेते रहते हैं।

3. प्रचार करना (To make Propaganda)-धर्म, जाति, इत्यादि के नाम पर जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए तथा अपने उद्देश्यों का प्रचार करने की आवश्यकता को देखते हुए दबाव समूह कई प्रकार के आंदोलन भी चलाते हैं ताकि जनता को प्रभावित किया जा सके।

4. सरकारी अधिकारियों से संपर्क स्थापित करना (To Establish contacts with Governmental Authorities)-दबाव समूहों को अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक होता है कि वे सरकारी अधिकारियों से संपर्क स्थापित करें। वर्गीय दबाव समूह (Sectional Pressure Groups) विशेष रूप से सरकारी गोधा संबंध रखते हैं क्योंकि सरकार अधिकारियों के माध्यम से ही उनको सरकार की नीतियों की जानकारी मिलती है।

राजनीतिक दलों की भूमिका-(Role of Political Parties):
1. गठबंधन की राजनीति का विकास (Side of Coalitional Politics)-भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के अस्तित्व में आने से गठबंधन की राजनीति का विकास हुआ है। पिछले छः चुनावों में लटकती संसद् (Hung Parliament) के अस्तितत्व में आने से यह बात स्पष्ट हो गई है कि कोई भी राजनीतिक दल गठबंधन किए बिना राजनीतिक शक्ति को ग्रहण नहीं कर सकता।

15वीं लोकसभा के चुनाव भी मुख्यतः तीन गठबंधनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों का गठबंधन तथा वामपंथी दलों के गठबंधन के बीच लड़े गए। राजनीति में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का महत्त्व इतना अधिक बढ़ गया है कि भविष्य में भी कोई दल गठबंधन किए बिना चुनाव में सफलता ग्रहण नहीं कर सकता है।

2. क्षेत्रवाद का बढ़ता प्रभाव (Increasing Influence of Regionalism)-राजनीति में बढ़ता क्षेत्रवाद लोगों में राष्ट्रवादी भावना को कम करने में अहम् भूमिका निभाता है। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने क्षेत्रवाद को काफ़ी अधिक प्रेरित किया है। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का प्रभाव कुछ क्षेत्र विशेष तक ही सीमित होता है। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की सरकारों का निर्माण जहां पर होता है। उन राज्यों में ही अब वह दल अधिक सक्रिय भी रहते हैं।

3. केंद्र में साझा सरकारों का आगमन (Advent of Coalitional Governments at the Centre)-देश में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में बढ़ोत्तरी के परिणामस्वरूप ही केंद्र में साझा सरकारों का गठन होना आरंभ हुआ है। अनेकों क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधि जब चुन कर लोकसभा के सदस्य बनते हैं तो उससे साझा सरकारों का निर्माण होता है। 1989 से लेकर वर्तमान समय तक लोकसभा के चुनावों के पश्चात् साझा सरकारें अस्तित्व में आईं।

4. संघवाद का नवीन रूप (New form of Federalism)-जब देश में कांग्रेस की राजनीतिक प्रमखता थी तब भारत में सहयोगी संघवाद का अस्तित्व था। केंद्र और राज्यों में एक ही दल की सरकार होने के कारण केंद्र और राज्यों के बीच तनाव कम था। लेकिन वर्तमान समय में क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव के कारण केंद्रवाद की (Centralism) की प्रवृत्ति का विकास होना रुक गया है। क्षेत्रीय दल केंद्रीयकरण के विरुद्ध हैं और राज्यों को अधिक-से-अधिक शक्तियां देने के हक में हैं। क्षेत्रीय दलों के ऐसे दृष्टिकोण के कारण केंद्र सरकार के लिए संघवाद-विरोधी कोई भी कार्यवाही करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि कई क्षेत्रीय दल स्वयं सरकार में शामिल हैं।

प्रश्न 16.
लोकतंत्र का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं, गुणों तथा अवगुणों का वर्णन करें।
उत्तर:
लोकतंत्र सरकार का ही एक प्रकार है जिसमें जनता का शासन होता है। इसमें जनता के प्रतिनिधि वोटरों के द्वारा, बालिगों द्वारा वोट देने की प्रक्रिया के द्वारा चुने जाते हैं। यह स्वतंत्रता, समानता तथा भाईचारे के संकल्पों में विश्वास रखती है तथा यह ही इसके कार्यात्मक आधार हैं। इसमें समाज तथा व्यक्तिगत लोगों के विकास का पूर्ण स्कोप होता है। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(i) जनता का शासन-लोकतंत्र में प्रशासन प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चलाया जाता है तथा लोकतंत्र में हरेक निर्णय बहुमत से लिया जाता है।

(ii) जनता के हित-लोकतंत्र में प्रशासन को जनता के हितों के अनुसार चलाया जाता है तथा कमज़ोर तबके का सरकार द्वारा अच्छे ढंग से ध्यान रखा जाता है।

(iii) समानता का सिद्धांत-लोकतंत्र का मुख्य सिद्धांत समानता का सिद्धांत है। लोकतंत्र में हरेक व्यक्ति को समान समझा जाता है। किसी के साथ जन्म, शिक्षा, संपदा, जाति इत्यादि किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं। हरेक व्यक्ति को Universal Adult Franchise के अनुसार वोट देने का अधिकार प्राप्त है।

(iv) बहुमत का शासन-लोकतंत्र बहुमत का शासन है। लोकतंत्र में सभी निर्णय बहुमत द्वारा लिए जाते हैं। जिस दल को चुनाव में बहुमत प्राप्त होता है वह ही सरकार बनाता है। यहां तक कि सभी निर्णय बहुमत द्वारा ही लिए जाते हैं।

लोकतंत्र के गुण अथवा लाभ-
आधुनिक समय में लोकतंत्र को सबसे अच्छा शासन माना जाता है। इसलिए ही अधिकतर देशों ने लोकतंत्र के सिदधांत को अपनाया है। इसके कुछ लाभ हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) यह जनमत पर आधारित है-लोकतंत्र शासन की एक व्यवस्था है जोकि जनमत पर आधारित है तथा जिसमें शासन को जनता की इच्छा के अनुसार चलाया जाता है। तानाशाही तथा राजतंत्र में जनता की इच्छा को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता तथा इसमें कानूनों को भी जनमत के अनुसार ही बनाया जाता है।

(ii) यह समानता के सिद्धांत पर आधारित है-लोकतंत्र में सभी व्यक्तियों को समान समझा जाता है। किसी को म. लिंग. संपदा के आधार पर कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होता है। साधारण जनता को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी का अधिकार दिया गया है तथा सभी को समान समझा जाता है।

(iii) उत्तरदायी सरकार–तानाशाही तथा राजतंत्र में सरकार किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होती परंतु लोकतंत्र में सरकार जनता तथा संसद् के प्रति जवाबदेह होती है। सरकार को जनमत के अनुसार ही कार्य करना पड़ता है। यह जनमत के विरुद्ध कार्य नहीं करती है अन्यथा इसे अगले चुनावों में जनता द्वारा सत्ता से उखाड़ कर फेंक दिया जाता है।

(iv) शक्तिशाली तथा सक्षम सरकार-लोकतंत्र में सरकार शक्तिशाली तथा सक्षम होती है। शासन को जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाता है तथा उन्हें जनता का समर्थन प्राप्त होता है। शासक जनता के समर्थन से प्रेरित होते हैं। इसलिए ही वह अपने निर्णय संपूर्ण शक्ति के साथ लेते हैं। शासन जनमत से नियंत्रित होते हैं तथा यह अपने निर्णयों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस प्रकार यह सक्षम रूप से कार्य करते हैं।

लोकतंत्र के अवगुण- लोकतंत्र के लाभों को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि यह शासन सबसे अच्छा है परंतु यह ठीक नहीं है। इस व्यवस्था के कुछ अवगुण भी हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) समानता का सिद्धांत अप्राकृतिक है-लोकतंत्र का मुख्य आधार समानता का सिद्धांत है परंतु आलोचक यह कहते हैं कि समानता का सिद्धांत ही अप्राकृतिक है। यहां तक कि प्रकृति ने मनुष्यों में समानता नहीं रखी है। कुछ लोग बेवकूफ हैं, कुछ शक्तिशाली, कुछ चालाक तथा कुछ कमज़ोर। अगर प्रकृति ने भी इस प्रकार का भेदभाव रखा है तो किस प्रकार सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक समानता को रखा जा सकता है। समानता का सिद्धांत इसका सबसे बड़ा अवगुण है कि सभी को समान अधिकार दिए गए हैं।

(ii) गुणों की बजाए संख्या को महत्त्व देना-लोकतंत्र में गुणों की बजाए संख्या को अधिक महत्त्व दिया जाता है। दूसरे शब्दों में लोकतंत्र में सभी निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं। अगर 100 बेवकूफ यह कहें कि कोई चीज़ ठीक है तथा 99 बदधिमान यह कहें कि यह गलत है तो 100 बेवकफों का निर्णय ही माना जाएगा। जनता के प्रतिनिधि भी बहुमत से चुने जाते हैं। हरेक बेवकूफ तथा बुद्धिमान को वोट देने का अधिकार है तथा ग़लत व्यक्ति भी जनता का प्रतिनिधि बन सकता है।

(iii) यह जवाबदेह सरकार का गठन नहीं करता-चाहे लोकतंत्र में सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होती है परंतु ऐसा असल में होता नहीं है। चुनाव के बाद नेता कभी भी जनता का ध्यान नहीं रखते हैं तथा जनता के पास दोबारा अगले चुनावों के समय ही आते हैं। बहुमत वाला दल कभी भी विरोधी अथवा अल्पसंख्यक दलों की परवाह नहीं करता है।

(iv) अस्थिर तथा कमज़ोर सरकार-लोकतंत्र में सरकार अस्थिर तथा कमज़ोर होती है। बहदलीय व्यवस्था में सरकार तेज़ी से बदलती है। बहुमत के अभाव में कई दल इकट्ठे मिलकर सरकार का गठन करते हैं। इस प्रकार की मिश्रित सरकार को कभी भी तोड़ा जा सकता है। समस्या के समय, लोकतांत्रिक सरकार कमज़ोर सरकार सिद्ध होती है। निर्णय काफ़ी तेजी से नहीं लिए जाते हैं।

प्रश्न 17.
राजनीतिक दल का क्या अर्थ है? परिभाषाओं सहित वर्णन करें।
अथवा
राजनीतिक दल क्या है?
उत्तर:
राजनीतिक दल प्रत्येक प्रकार की सरकारों में मिल जाते हैं। अन्य प्रकार की सरकारों की तुलना में लोकतंत्र में राजनीतिक दल की बहुत महत्ता है। बहुत सारे विद्वानों ने इसको परिभाषित करने की कोशिश की है। परंतु प्रत्येक अच्छे राजनीतिक दल की अपनी विशेषताएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक राजनीतिक दल से यह आशा की जाती है कि वह कछ आरंभिक कार्य करे जिनके बिना उसका अस्तित्व नहीं रह सकता।

राजनीतिक दल की महत्ता इसलिए अधिक होती है क्योंकि यह लोगों एवं सरकार के बीच एक कड़ी का कार्य करते हैं। कुछ राजनीतिक दल इतने शक्तिशाली होते हैं कि उनका अपने सदस्यों पर इतना कड़ा नियंत्रण होता है कि वह इस दल को छोड़ नहीं सकते। इस प्रकार कुछ राजनीतिक दल इतने कमज़ोर होते हैं कि उनका अपने सदस्यों पर नियंत्रण नहीं होता और यह सदस्य कभी भी अपने दल को छोड़कर चले जाते हैं।

कुछ समाजों में एक दलीय (दल की) व्यवस्था होती है। वहां पर एक ही दल सत्तासीन रहता है और अन्य दलों को बनने भी नहीं दिया जाता है। कुछ समाजों में बहुदलीय व्यवस्था होती है। वहां पर दलों का काफ़ी भंडार होता है। किसी भी राजनीतिक दल की कठोरता व कमजोरी उसके सदस्यों की शक्ति पर निर्भर करती है। इसकी वैधता भी उसकी सत्ता में आने पर निर्भर करती है। लोकतंत्र में इसकी लोकप्रियता और जनता में विश्वास इस बात पर निर्भर करता है कि पिछले चुनावों में उसे कितनी वोटें प्राप्त हुईं।

परिभाषाएं प्रत्येक राजनीतिक दल लोगों के द्वारा बनाया होता है। जिनका किसी राजनीतिक विषय पर साझा कार्यक्रम होता है और यह उस विषय को लागू करने हेतु Common line of action पर सहमति प्रकट करते हैं। प्रत्येक राजनीतिक दल केवल अकेला या फिर दूसरे दलों के साथ मिलकर सत्ता में आने की कोशिश करता है।
(1) बर्क (Burke) के अनुसार, “ये कुछ व्यक्तियों की संस्था है, जो कि राष्ट्रीय हितों को बढ़ाने के लिए इकट्ठे होते हैं, और वो कुछ साझे राजनीतिक सिद्धांतों को मानते हैं।”

(2) गिलक्रिस्ट (Gilchrist) के अनुसार, “ये लोगों का एक व्यवस्थित समूह है, जो कुछ राजनीतिक विचार साझे रखते हैं और जो एक राजनीतिक इकाई में बंध कर सरकार के ऊपर नियंत्रण रखने की कोशिश करते हैं।”

(3) फ़ाइनर (Finer) के अनुसार, “एक राजनीतिक दल एक संगठित इकाई है, जो कि इच्छुक सदस्यों पर आधारित है, और वो अपनी शक्ति को राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करने में खर्च करता है।”

(4) जी० सी० फील्ड (G.C. Field) के अनुसार, “एक राजनीतिक दल कुछ नहीं, बल्कि लोगों की इच्छुक सभा है, जिसका महत्त्व राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना होता है।”

इस प्रकार, इन उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दल एक संगठित समूह है, जो कुछ नियमों के साथ बंधा हुआ होता है, इसकी सदस्यता इच्छा पर निर्भर करती है, जो कभी भी ग्रहण की जा सकती है, और छोड़ी भी जा सकती है। यह लोगों की सभा है जिसका एकमात्र उद्देश्य सत्ता प्राप्ति करना होता है। इसके लिए सभी मिलकर कोशिश करते हैं। इनके सदस्यों के विचार साझे होते हैं क्योंकि यह एक दल के साथ संबंध रखते हैं।

प्रश्न 18.
राजनीतिक दल की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
(1) प्रत्येक राजनीतिक दल को यह विश्वास होता है कि उसके कुछ विरोधी अवश्य होते हैं। यदि वह आज नहीं हैं तो आने वाले दिनों में बन जायेंगे। प्रत्येक राजनीतिक दल का एक संगठन होता है। इसलिए यह अपने आप में ही एक संस्था होती है।

(2) क्योंकि राजनीतिक विचार एवं इच्छाएं सभी लोगों की भिन्न-भिन्न होती हैं। इस प्रकार राजनीतिक दल की नीतियां भी अलग-अलग होती हैं। प्रत्येक राजनीतिक दल कुछ विशेष नीतियों के कारण स्वयं को दूसरे राजनीतिक दलों से अलग सिद्ध करता है। प्रत्येक राजनीतिक दल का उद्देश्य होता है सत्ता प्राप्त करना और जिसके पास यह शक्ति है, वह इसे कायम रखना चाहता है।

(3) एक अच्छे राजनीतिक दल की यह विशेषता होती है कि ये पूर्ण तौर पर संगठित होता है और इसके सदस्य भी अनुशासित होते हैं। दल का इन पर पूर्ण नियंत्रण होता है। वह अपनी पार्टी या दल के सिद्धांतों को खुशी के साथ स्वीकार करते हैं और वह इनको मानते हुए अपनी कठिनाइयों को भी भूल जाते हैं। वह दल के नियंत्रण को अन्य वस्तुओं से ऊपर रखते हैं।

(4) राजनीतिक दल की एक विशेषता यह होती है कि इसके सदस्यों का कुछ Common नीतियों पर विश्वास होना चाहिए और इन्हें उनको कुछ विशेष अवसरों पर दिखाना चाहिए।

(5) इसकी नीतियों एवं कार्यों में निरंतरता होनी चाहिए। इसको स्वयं को कुछ विशेष नीतियों पर संगठित रखना चाहिये। क्योंकि किसी भी नेता का चमत्कार अधिक समय तक टिका नहीं रह सकता। जैसे कि 1984 से 1989 तक राजीव गांधी के साथ हुआ था। जब उस नेता का चमत्कार समाप्त हो जायेगा तो वह भी स्वतः समाप्त हो जायेगा।

(6) एक अच्छे राजनीतिक दल के सदस्यों का एक साझे कार्यक्रम एवं कार्य करने में विश्वास होना चाहिए। जो कि इसकी भावी नीतियों के अनुसार होते हैं। यदि ऐसा नहीं होगा तो झगड़े बढ़ेंगे और दलों में फूट पड़ेगी।

(7) इसकी ज़िम्मेदारियों को लेने के लिए तैयार रहना पड़ेगा और केवल उस दल के ही दोष नहीं गिनवाने चाहिए, जो दल सत्ता के बीच हो और वह स्वयं विरोधी दल में है। जब आवश्यकता पड़ने पर उसे सरकार बनाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

(8) एक राजनीतिक दल को जन समर्थन प्राप्त होना चाहिए या उसकी लोकप्रियता लोगों के बीच में होनी चाहिए। यदि यह नहीं होगी तो लोग उसे कभी सत्ता नहीं सौंपेगे और यह अपनी राजनीतिक नीतियों को पूरा नहीं कर पायेगा।

(9) एक राजनीतिक दल को देश के हितों के ऊपर राज्य के या क्षेत्रीय हितों को महत्त्व नहीं देना चाहिए और इसको विदेशियों के स्थान पर देश के लोगों का समर्थन लेना चाहिए। इस प्रकार प्रत्येक राजनीतिक दल को देश के हित को ध्यान में रखकर अपनी नीतियों को बनाना चाहिए।

(10) प्रत्येक राजनीतिक दल को संवैधानिक साधनों में पूर्ण विश्वास होना चाहिए। जो राजनीतिक दल
साधनों के अतिरिक्त अन्य किसी साधनों में विश्वास करता है, उसको किसी भी प्रकार की सरकार में कार्य नहीं करने देना चाहिए। उसकी दूसरी गतिविधियों के ऊपर भी तुरंत रोक लगा देनी चाहिए।

(11) प्रत्येक अच्छे राजनीतिक दल का एक राष्ट्रीय चरित्र होना चाहिए और उसे किसी विशेष समूह, जाति या क्षेत्र की अगुवाई नहीं करनी चाहिए। इस प्रकार प्रत्येक अच्छे राजनीतिक दल में बहुत-सी अच्छी विशेषताएं होनी चाहिएं और ऐसे कार्य करने चाहिए जो कि देश के निर्माण में सहायक सिद्ध हों।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 19.
राजनीतिक दल के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्येक प्रकार की सरकारों में राजनीतिक दलों के लिए कुछ कार्य करने आवश्यक होते हैं। यद्यपि ये सरकारें या राजनीतिक दल संगठनों के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इनके कार्य किये बिना लोकतंत्र को चलाना काफ़ी कठिन है। राजनीतिक दलों के कार्यों का वर्णन निम्नलिखित है-
1. यह लोकमत बनाते हैं लोगों की कभी भी एकमत राय नहीं होती है। यद्यपि लोगों के अनेक भिन्न-भिन्न मत होते हैं, परंतु उनका देश हेतु कोई विशेष महत्त्व नहीं होता है। यह राजनीतिक दलों का कार्य होता है कि वह भिन्न-भिन्न मतों को इकट्ठा करके एक लोकराज्य का निर्माण करें और उसे एक संगठित रूप प्रदान करें। यदि राजनीतिक दल ऐसा नहीं करेंगे तो भिन्न-भिन्न राय बेकार चली जायेगी, यह केवल इन दलों के कारण ही इसे आकार मिलता है, और यह किसी विशेष दिशा में बन जाते हैं।

2. यह राजनीतिक शिक्षा देते हैं-साधारणतयः लोग अपने-अपने कार्यों में व्यस्त होते हैं और उनके पास राजनीतिक शिक्षा लेने का कोई भी साधन नहीं होता। अपनी बढ़ती हुई आवश्यकताओं के कारण वह केवल आर्थिक कार्यों की तरफ ही ध्यान देते हैं। केवल चुनावों के समय ही राजनीतिक दल, बड़ी-बड़ी मीटिंगें, जुलूस आदि करते हैं और लोगों को राजनीतिक तौर पर शिक्षित करते हैं। यहां पर ही लोगों को देश की कठिनाइयों का पता चलता है। इस प्रकार राजनीतिक दल लोगों को राजनीतिक शिक्षा देते हैं।

3. यह चुने गये और चुने जाने वालों में कड़ी होती है-राजनीतिक दल चुने गये और चुनने वालों में कड़ी का कार्य करते हैं। इन दलों के अतिरिक्त लोगों के विचारों को पता करने का कोई साधन नहीं होता है। इसी प्रकार लोगों के पास अपनी कठिनाइयों को सरकार के पास पहुंचाने का अन्य कोई साधन नहीं होता है।

राजनीतिक दलों के सदस्य हमेशा लोगों के नज़दीक रहते हैं ताकि वह लोगों के विचारों को जानकर अपने दल को बता सकें। इस तरह यह चुने गये और चुनने वालों के बीच कड़ी का कार्य करते हैं।

4. उम्मीदवार चुनने में सहायता करते हैं राजनीतिक दल चुनावों के समय उम्मीदवार चुनने में सहायता करते हैं। वोटर आमतौर पर उम्मीदवारों को उसके विचारों को नहीं जानते। दलों के बिना लोगों के लिए सही प्रत्याशी का चयन करना मुमकिन नहीं होता। उम्मीदवार सदैव अपने राजनीतिक दल के नाम से जाना जाता है। उसको उसकी पार्टी की वजह से ही वोट मिलते हैं। इस प्रकार राजनीतिक दल लोगों को अपना सही प्रत्याशी चुनने में सहायता करते हैं।

5. लोगों की कठिनाइयां सरकार तक पहुंचाते हैं राजनीतिक दल सदैव लोगों की कठिनाइयां सरकार तक पहुंचाने में सहायता करते हैं। जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में नहीं होता तो वह लोगों की शरण में जाता है। वह उनकी कठिनाइयों को सुनकर, उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर सरकार तक पहुंचाते हैं। चाहे वह इनको बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं परंतु इसके साथ कम-से-कम सरकार को उनकी कठिनाइयों के बारे में पता चलता है और वह उनको दूर करने की कोशिश करती है।

6. राष्ट्रीय हितों को महत्ता-प्रत्येक राजनीतिक दल क्षेत्रीय हितों पर किसी विशेष समूह के हितों के विपरीत राष्ट्रीय हितों को महत्त्व देता है। यह साधारण सी बात है यदि कोई दल किसी जाति समूह तक सीमित रहकर कार्य करेगा तो वह संपूर्ण लोगों में प्रसिद्ध नहीं हो सकेगा। इसलिए प्रत्येव राजनीतिक दल अपने आपको राष्ट्रीय दल के रूप में पेश करता है। इस प्रकार देश के हितों को क्षेत्रीय हितों पर महत्त्व प्राप्त हो जाता है। प्रत्येक राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणा-पत्र को राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर बनाता है ताकि अधिकाधिक लोग उसकी तरफ आकर्षित हों।

7. यह सदभावना एवं सहयोग लाते हैं-राजनीतिक दल सरकार के भिन्न-भिन्न अंगों में तालमेल बिठाकर उनमें सहयोग लाने की कोशिश करते हैं। जो दल सरकार में होता है वह इस बात का विशेष ध्यान रखता है कि सरकार के भिन्न-भिन्न अंग संपर्क रूप से कार्य करें। अन्य दल कार्य को सही तरीके के साथ चलाने में सहायता करते हैं।

8. राजनीतिक स्थिरता लाने में सहायता करते हैं-राजनीतिक दल राजनीतिक स्थिरता लाने में सहायता करते हैं। यह अस्थिरता की स्थिति में से बाहर निकलने की पूरी कोशिश करते हैं ताकि देश संपन्न रूप से चल सके। किसी भी प्रकार हो यह जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने में सहायता करता है।

9. नये राजनीतिक नेताओं की भर्ती करते हैं-प्रत्येक राजनीतिक दल ऐसे नेताओं को अपने दल में भर्ती करना चाहता है जो लोगों को अपनी तरफ खींच सकें। यदि सही नेता राजनीतिक दल के पास हो तो यह काफ़ी देर तक सत्ता में रह सकता है। इस प्रकार प्रत्येक राजनीतिक दल सदैव ऐसे नेता की तलाश में रहता है जो लोगों की नब्ज पर हाथ रख सके।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत को धर्म निष्पक्षता किसने प्रदान की है?
(A) राज्य
(B) सरकार
(C) जनता
(D) संविधान।
उत्तर:
संविधान।

2. उस देश को क्या कहते हैं जो किसी विशेष धर्म का नहीं बल्कि सभी धर्मों का सम्मान करता है?
(A) कल्याणकारी राज्य
(B) धर्म निष्पक्ष
(C) लोकतांत्रिक
(D) तानाशाही।
उत्तर:
धर्म निष्पक्ष।

3. इनमें से कौन-सा धर्म निष्पक्षता का आवश्यक तत्त्व है?
(A) धार्मिक कट्टरवाद का बढ़ना
(B) धार्मिक गतिविधियों का बढ़ना
(C) धार्मिक कट्टरवाद का खात्मा
(D) धार्मिक गतिविधियां का खात्मा।
उत्तर:
धार्मिक कट्टरवाद का खात्मा।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

4. इनमें से कौन-सा धर्म निष्पक्षता का मुख्य आधार है?
(A) धर्म
(B) तार्किकता तथा विज्ञान
(C) धार्मिक कट्टरवाद
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
तार्किकता तथा विज्ञान।

5. हमारा देश ………………… संस्कृति से काफी प्रभावित हुआ है।
(A) उत्तरी
(B) दक्षिणी
(C) पूर्वी
(D) पश्चिमी।
उत्तर:
पश्चिमी।

6. किसने कहा था कि धर्म निष्पक्षता का अर्थ है सभी धर्मों का सम्मान तथा समानता?
(A) गाँधी
(B) नेहरू
(C) मौलाना अबुल कलाम
(D) सरदार पटेल।
उत्तर:
गाँधी।

7. भारत में पर्दा प्रथा किसने शुरू की थी?
(A) हिंदुओं ने
(B) मुसलमानों ने
(C) सिक्खों ने
(D) पारसियों ने।
उत्तर:
मुसलमानों ने।

8. 2011 के सर्वेक्षण के अनुसार भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या मुसलमान है?
(A) 10%
(B) 13%
(C) 14%
(D) 16%
उत्तर:
13%

9. इनमें से कौन-सी किताब एम० एन० श्रीनिवास ने लिखी है?
(A) Cultural change in India
(B) Social change in Modern India
(C) Geographical change in Modern India
(D) Regional change in Modern India.
उत्तर:
Social change in Modern India

10. प्राचीन भारत में कौन-सी धार्मिक भाषा प्रयुक्त होती थी?
(A) पाली
(B) हिंदी
(C) संस्कृत
(D) पंजाबी।
उत्तर:
संस्कृत।

11. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें निम्न जातियों के लोग उच्च जातियों की नकल करना शुरू कर देते हैं?
(A) पश्चिमीकरण
(B) संस्कृतिकरण
(C) धर्म निष्पक्षता
(D) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
संस्कृतिकरण।

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12. जब किसी देश का समाज अथवा संस्कृति परिवर्तित होना शुरू हो जाए तो उसे क्या कहते हैं?
(A) सामाजिक परिवर्तन
(B) धार्मिक परिवर्तिन
(C) सांस्कृतिक परिवर्तन
(D) उद्विकासीय परिवर्तन।
उत्तर:
सांस्कृतिक परिवर्तन।

13. प्राचीन समय से आज तक मनुष्य ने जो भी प्राप्त किया है उसे क्या कहते हैं?
(A) सभ्यता
(B) संस्कृति
(C) समाज
(D) चीजों का एकत्र।
उत्तर:
संस्कृति।

14. संस्कृति किस प्रकार का व्यवहार है?
(A) पैतृक
(B) सामाजिक
(C) समाज
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
सामाजिक।

15. इस्लाम ने हमारे समाज को किस प्रकार प्रभावित किया है?
(A) हमारे समाज में पर्दा प्रथा आई
(B) जाति व्यवस्था की पाबंदियां अधिक कठोर हो गई
(C) विवाह से संबंधित पाबंदियां और कठोर हो गईं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

16. धर्म निष्पक्षता को अपनाने का क्या कारण है?
(A) कम होते धार्मिक संस्थान
(B) आधुनिक शिक्षा
(C) पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

17. धर्म निष्पक्षता ने किस प्रकार हमारे देश के सामाजिक जीवन को प्रभावित किया है?
(A) पवित्रता तथा अपवित्रता के संकल्पों में परिवर्तन
(B) परिवार की संस्था में परिवर्तन।
(C) ग्रामीण समुदाय में बहुत से परिवर्तन आए हैं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

18. परिवार की संस्था में धर्म निष्पक्षता के कारण किस प्रकार के परिवर्तन आये हैं?
(A) संयुक्त परिवारों का टूटना
(B) एकांकी परिवारों का बढ़ना
(C) परिवार में बड़ों का कम होता नियंत्रण
(D) a + b + c.
उत्तर:
a + b + c

19. धर्म निष्पक्षता के कारण ग्रामीण समुदाय में किस प्रकार का परिवर्तन आया है?
(A) चुनी हुई पंचायतों का सामने आना
(B) समृद्धि पर आधारित सम्मान
(C) अंतर्जातीय विवाहों का बढ़ना
(D) a + b + c
उत्तर:
a + b + c

20. भारत में इस्लाम का प्रभाव पड़ना कब शुरू हुआ?
(A) 13वीं शताब्दी
(B) 14वीं शताब्दी
(C) 15वीं शताब्दी
(D) 16वीं शताब्दी।
उत्तर:
13वीं शताब्दी।

21. The Caste Disability Prohibition Act कब पास हुआ था?
(A) 1842
(B) 1846
(C) 1850
(D) 1854
उत्तर:
1850

22. इनमें से कौन-सा धर्म निष्पक्षता का कारण है?
(A) नगरीकरण
(B) यातायात तथा संचार के साधन
(C) आधुनिकी शिक्षा
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

23. इनमें से कौन-सा अधिकार नागरिकों को भारतीय संविधान ने दिया है?
(A) संपत्ति का अधिकार
(B) साधारण अधिकार
(C) मौलिक अधिकार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
मौलिक अधिकार।

24. पश्चिमीकरण का सिद्धांत किसने दिया था?
(A) श्रीनिवास
(B) मजूमदार
(C) घुर्ये
(D) मुखर्जी।
उत्तर:
श्रीनिवास।

25. पश्चिमीकरण का हमारे देश पर क्या प्रभाव पड़ा?
(A) जाति प्रथा कमजोर हो गई
(B) तलाक बढ़ गए
(C) केंद्रीय परिवार सामने आए
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

26. इनमें से कौन-सा पश्चिमीकरण का परिणाम है?
(A) संस्थाओं में परिवर्तन
(B) शिक्षा का फैलना
(C) मूल्यों में परिवर्तन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

27. इनमें से कौन-सी संस्कृतिकरण की विशेषता है?
(A) स्थिति परिवर्तन
(B) उच्च जातियों की नकल
(C) कई माडल
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

28. संस्कृतिकरण का निम्न जातियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
(A) निम्न जातियों में गतिशीलता
(B) निम्न जातियों की स्थिति में सुधार
(C) निम्न जातियों के पेशे में परिवर्तन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

29. इनमें से कौन-सा देश भारत में पश्चिमीकरण का माडल है?
(A) ब्रिटेन
(B) अमेरिका
(C) जर्मनी
(D) फ्रांस।
उत्तर:
ब्रिटेन।

30. इनमें से कौन-सा पश्चिमीकरण का लक्षण है?
(A) आधुनिकीकरण से अलग
(B) भारतीय समाज पर ब्रिटिश संस्कृति का प्रभाव
(C) केवल शहरियों तक ही सीमित नहीं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

31. आधुनिकीकरण का मुख्य आधार क्या है?
(A) अच्छाई
(B) बुराई
(C) अच्छाई तथा बुराई
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
अच्छाई तथा बुराई।

32. कोई चीज़ जो पहले से नईं तथा अच्छी हो उसे क्या कहते हैं?
(A) आधुनिक
(B) औद्योगिक
(C) प्राचीन
(D) नगरीय।
उत्तर:
आधुनिक।

33. धर्म-निष्पक्षता, शिक्षा, नगरीकरण, नए अधिकार, मशीनें इत्यादि ……………. के लिए आवश्यक है।
(A) औद्योगिकरण
(B) आधुनिकीकरण
(C) संस्कृतिकरण
(D) नगरीकरण।
उत्तर:
आधुनिकीकरण।

34. भारत में कौन-सा उद्योग आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से प्रभावित हुआ है?
(A) कपड़ा उद्योग
(B) लोहा उद्योग
(C) चीनी उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

35. भारत में आधुनिकीकरण लाने के लिए कौन उत्तरदायी है?
(A) मुगल शासक
(B) भारत सरकार
(C) ब्रिटिश सरकार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार।

36. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जो परिवर्तन पर आधारित है तथा जो किसी चीज़ की अच्छाई तथा बुराई के बारे में बताती है?
(A) संस्कृतिकरण
(B) औद्योगीकरण
(C) नगरीकरण
(D) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
आधुनिकीकरण।

37. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें निम्न जातियाँ उच्च जातियों में मिल जाती हैं?
(A संस्कृतिकरण
(B) नगरीकरण
(C) औद्योगीकरण
(D) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
संस्कृतिकरण।

38. आधुनिकीकरण के लिए क्या आवश्यक है?
(A) शिक्षा का उच्च स्तर
(B) यातायात तथा संचार के साधनों में विकास
(C) उद्योगों को प्राथमिकता देना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

39. 19वीं सदी के सुधार आंदोलनों में किन कुरीतियों को रोकने के लिए विशेष बल दिया गया?
(A) सती प्रथा
(B) बाल विवाह
(C) विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

40. इनमें से कौन-सी संकल्पना श्री एम. एन. श्रीनिवास की देन है?
(A) संस्कृतिकरण
(B) पश्चिमीकरण
(C) प्रबल जाति
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संस्कृतिकरण की अवधारणा किस ने दी है?
उत्तर:
संस्कृतिकरण की अवधारणा एम० एन० श्रीनिवास ने दी है।

प्रश्न 2.
पश्चिमीकरण की अवधारणा किस ने दी है?
उत्तर:
पश्चिमीकरण की अवधारणा एम० एन० श्रीनिवास ने दी है।

प्रश्न 3.
भारत किस प्रकार का राज्य है?
उत्तर:
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है तथा धर्म-निरपेक्षता उसे संविधान ने दी है।

प्रश्न 4.
धर्म-निरपेक्ष देश किसे कहते हैं?
उत्तर:
धर्म-निरपेक्ष देश वह होता है जहां किसी एक खास धर्म का आदर न होकर बल्कि सभी धर्मों का आदर हो तथा देश का अपना कोई धर्म न हो। सारे धर्म उसके लिए बराबर हों।

प्रश्न 5.
धर्म-निरपेक्षता का ज़रूरी तत्त्व क्या है?
उत्तर:
धार्मिक कट्टरता (संकीर्णता) का खात्मा धर्म-निरपेक्षता का ज़रूरी तत्त्व होता है।

प्रश्न 6.
धर्म-निरपेक्षता से किस जाति का प्रभाव कम हुआ है?
उत्तर:
धर्म-निरपेक्षता से ब्राह्मण जाति का प्रभाव कम हुआ है क्योंकि अब सभी धर्म तथा जातियां बराबर हैं।

प्रश्न 7.
धर्म-निरपेक्षता का मुख्य आधार क्या होता है?
उत्तर:
विज्ञान तथा तार्किकता धर्म-निरपेक्षता का मुख्य आधार होता है।

प्रश्न 8.
कहां की संस्कृति ने हमारे देश को प्रभावित किया है?
उत्तर:
पश्चिम की संस्कृति ने हमारे देश को प्रभावित किया है।

प्रश्न 9.
गांधी जी के अनुसार धर्म-निरपेक्ष क्या होता है?
उत्तर:
गांधी जी के अनुसार सभी धर्मों का आदर तथा बराबरी धर्म-निरपेक्ष का अर्थ होता है।

प्रश्न 10.
भारत में पर्दा प्रथा किसने शुरू की थी?
उत्तर:
भारत में पर्दा प्रथा मुसलमानों ने शुरू की थी।

प्रश्न 11.
भारत में कितने मुस्लिम रहते हैं?
उत्तर:
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार 13% मुसलमान रहते हैं।

प्रश्न 12.
संस्कृतिकरण के दो सहायक कारक बताओ।
उत्तर:
औद्योगीकरण तथा नगरवाद संस्कृतिकरण के दो सहायक कारक हैं।

प्रश्न 13.
श्रीनिवास ने किस किताब में संस्कृतिकरण की व्याख्या की है?
अथवा
आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन नामक पुस्तक किस विचारक से संबंधित है?
उत्तर:
श्रीनिवास ने किताब लिखी थी Social Change in Modern India जिस में उन्होंने संस्कृतिकरण की व्याख्या की है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

प्रश्न 14.
आधुनिकीकरण के मुख्य आधार क्या होते हैं?
उत्तर:
आधुनिकीकरण के मुख्य आधार अच्छाई और बुराई होते हैं।

प्रश्न 15.
कौन-सी चीज़ आधुनिक होती है?
उत्तर:
जो चीज़ पुरानी चीज़ की जगह नयी तथा अच्छी हो उस चीज़ को आधुनिक कहते हैं।

प्रश्न 16.
आधुनिकीकरण के लिए क्या ज़रूरी है?
उत्तर:
धर्म निरपेक्षता, शिक्षा, नगरीयकरण, नयी मशीनें, नए आविष्कार आधुनिकीकरण के लिए जरूरी हैं।

प्रश्न 17.
भारत में आधुनिकीकरण कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
भारत में आधुनिकीकरण अंग्रेज़ों के आने के बाद शुरू हुआ जब उन्होंने यहां पर पश्चिमी शिक्षा का प्रसार तथा नयी फैक्टरियां लगानी शुरू की।

प्रश्न 18.
भारत में आधुनिकीकरण से प्रभावित तीन उद्योगों के नाम बताएं।
उत्तर:

  1. कपड़ा उद्योग
  2. लोहा उद्योग
  3. चीनी उद्योग।

प्रश्न 19.
संस्कृतिकरण से किस में परिवर्तन होता है?
उत्तर:
संस्कृतिकरण से जाति व्यवस्था की संरचना में परिवर्तन होता है जब छोटी जाति के लोग बड़ी जाति में मिलने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न 20.
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1897 में की थी।

प्रश्न 21.
ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की?
अथवा
ब्रह्म समाज की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राम मोहन राय ने 1820 में की।

प्रश्न 22.
सत्य शोधक समाज किसने चलाया था?
उत्तर:
सत्य शोधक समाज ज्योतिबा फूले ने ब्राह्मणों के खिलाफ चलाया था।

प्रश्न 23.
ज्योतिबा फूले ने पहला स्कूल कहाँ खोला था?
उत्तर:
ज्योतिबा फूले ने पहला स्कूल पूना में खोला था।

प्रश्न 24.
किसने लड़कियों के लिए सबसे पहला स्कूल खोला था?
उत्तर:
1851 में ज्योतिबा फूले ने सबसे पहले लड़कियों के लिए स्कूल खोला था।

प्रश्न 25.
D.A.V. का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
D.A.V. का पूरा नाम दयानंद ऐंग्लो वैदिक है।

प्रश्न 26.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
उत्तर:
जनजातीय आंदोलन अपनी संस्कृति को बचाने के लिए शुरू हुए थे ताकि वह औरों की संस्कृति में न मिल जाएं।

प्रश्न 27.
आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) कहा जाता है।

प्रश्न 28.
समाज सुधार क्या होता है?
उत्तर:
जब समाज में चल रही कुरीतियों के विरुद्ध समाज के समझदार व्यक्ति कोई आंदोलन करें तथा उन कुरीतियों को बदलने का प्रयास करें तो उसे समाज सुधार कहते हैं।

प्रश्न 29.
समाज सुधार में गतिशीलता क्यों होती है?
उत्तर:
समाज सुधार में गतिशीलता इसलिए होती है क्योंकि समाज सुधार सभी समाजों तथा सभी युगों में एक समान नहीं होता। इसलिए यह गतिशील है।

प्रश्न 30.
समाज कल्याण क्या होता है?
उत्तर:
समाज कल्याण में उन संगठित सामाजिक कोशिशों या प्रयासों को शामिल किया जाता है जिनकी मदद से समाज के सारे सदस्यों को अपने आप को ठीक तरीके से विकसित करने की सुविधाएं मिलती हैं। समाज कल्याण के कार्यों में निम्न तथा पिछड़े वर्गों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि समाज का हर तरफ से विकास तथा कल्याण हो सके।

प्रश्न 31.
समाज कल्याण के क्या उद्देश्य होते हैं?
उत्तर:

  1. पहला उद्देश्य यह है कि समाज के सदस्यों के हितों की पूर्ति उनकी ज़रूरतों के अनुसार होती रहे।
  2. ऐसे सामाजिक संबंध स्थापित करना जिससे लोग अपनी शक्तियों का पूरी तरह विकास कर सकें।

प्रश्न 32.
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें क्या मिला?
उत्तर:
भारत के आजादी के आंदोलन से हमें आजादी मिली। इस आंदोलन में भारत की सारी जनता बगैर किसी भेदभाव के एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी जिस वजह से उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। निम्न जातियों में भी चेतना आई तथा वह उच्च जातियों के समान खड़े हो गए।

प्रश्न 33.
किन्हीं तीन समाज सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर:

  1. राजा राममोहन राय
  2. सर सैयद अहमद खान
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. स्वामी विवेकानंद।

प्रश्न 34.
बेसिक शिक्षा की धारणा किसने दी थी?
उत्तर:
बेसिक शिक्षा की धारणा महात्मा गांधी ने 1937 में दी थी।

प्रश्न 35.
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में कोई मुख्य फर्क बताओ।
उत्तर:
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में मुख्य फर्क यह है कि समाज कल्याण में समाज की निम्न जातियों, पिछड़े वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य किए जाते हैं जबकि समाज सुधार में समाज में फैली हुई कुरीतियों को दर कर उनमें बदलाव लाने के प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 36.
स्वदेशी आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:

  1. भारत की विरासत को महत्त्व देना तथा उसे स्पष्ट करना।
  2. देश के रचनात्मक निर्माण के प्रयास करने।

प्रश्न 37.
रामकृष्ण मिशन का प्रमुख उद्देश्य।
उत्तर:

  1. आत्मत्याग करने वाले साधु-संतों को बाहर भेजना ताकि वे वेदों का प्रचार कर सकें।
  2. मानवीयता के लिए बगैर किसी जात-पात, धर्म, रंग, स्थान के भेदभाव के कार्य करना।

प्रश्न 38.
थियोसोफिकल सोसाइटी के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:

  1. हिंदू धर्म में पुनः चेतना जगाना ताकि सोए हुए हिंदू जाग सकें।
  2. विश्व भ्रातरी भाव का तथा विश्व के सभी धर्मों की एकता का प्रचार करना।

प्रश्न 39.
सत्यशोधक समाज के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:

  1. उस समय समाज में चली आ रही ब्राह्मणों की उच्चता या श्रेष्ठता को चुनौती देना।
  2. शिक्षा, समानता, स्त्रियों की आजादी के प्रयास करने।

प्रश्न 40.
आर्य समाज का प्रमुख उद्देश्य।
उत्तर:

  1. आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य गुरुकुल प्रथा पर आधारित हिंदुओं की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को दोबारा – जीवित करना।
    वेदों के प्रचार पर ज़ोर देना।
  2. उच्च स्तर पर अंग्रेज़ी शिक्षा को महत्त्व देना।

प्रश्न 41.
राजनीतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चलाए जाएं उन्हें राजनीतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे भारत की आज़ादी का आंदोलन।

प्रश्न 42.
सांस्कृतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए चलाया जाए उसे सांस्कृतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे जनजातीय आंदोलन।

प्रश्न 43.
आज़ादी से पहले जाति आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:

  1. आज़ादी से पहले जाति आंदोलन इसलिए चलाए गए थे ताकि ब्राह्मणों की और जातियों के ऊपर श्रेष्ठता का विरोध किया जा सके।
  2. जाति स्तरीकरण में अपनी जाति की स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।

प्रश्न 44.
स्वामी विवेकानंद के जीवन का क्या मकसद था?
उत्तर:
स्वामी विवेकानंद के जीवन का मकसद आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना तथा दैनिक जीवन के बीच की खाई को खत्म करना था।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

प्रश्न 45.
आर्य समाज की कोई दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. आर्य समाज ने विधवा विवाह का प्रचार तथा बाल विवाह का विरोध किया।
  2. आर्य समाज ने अस्पृश्यता को समाप्त करने तथा सभी को वेदों को पढ़ने की स्वतंत्रता पर जोर दिया।

प्रश्न 46.
पारसियों के सुधार आंदोलन के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:

  1. पारसी स्त्री शिक्षा पर जोर दे रहे थे।
  2. पारसियों के सुधार आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य विवाह संबंधी रूढ़िवादिता को खत्म करना था।

प्रश्न 47.
मद्रास में भारतीय संघ की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
डॉ० ऐनी बेसेंट तथा श्रीमती काडसिस ने मद्रास में भारतीय संघ की स्थापना की थी।

प्रश्न 48.
भगत आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
भारत में निम्न जातियां उच्च जातियों के विचारों, तौर-तरीकों, व्यवहारों का अनुसरण करती हैं। इस प्रकार की रुचि तथा अनुसरण की प्रक्रिया को भगत आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 49.
सुधार आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन क्यों कहते हैं?
उत्तर:
असल में सुधार आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य समाज में पाई जाने वाली धार्मिक तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था इसलिए इन आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 50.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
अंग्रेजों के आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार हुआ। इस शिक्षा को ग्रहण करते-करते समाज के बहुत से सुलझे हुए लोगों को पता चला कि उनके समाज में जो रीतियां, जैसे सती प्रथा, बाल विवाह इत्यादि चल रही हैं वह असल में रीतियां नहीं बल्कि कुरीतियां हैं। उन्हें पश्चिमी देशों में जाने तथा वहां के लोगों से बातें करने का मौका मिला जिससे उनकी आँखें खुल गईं तथा अपने समाज में फैली कुरीतियों, कुप्रथाओं, अंधविश्वासों को दूर करने के लिए सुधार आंदोलन चल पड़े।

प्रश्न 51.
सर्वोदय शब्द किसने दिया था?
उत्तर:
सर्वोदय शब्द महात्मा गांधी ने दिया था। उनके अनुसार सिद्धांतों वाला व्यक्ति और लोगों को जीवित रखने के लिए खुद मर जाता है।

प्रश्न 52.
हमारे समाज में सती प्रथा क्यों प्रचलित थी?
उत्तर:

  1. हमारे समाज में सती प्रथा इसलिए प्रचलित थी क्योंकि विवाह को जन्मों का संबंध माना जाता था। इसलिए पति की मृत्यु के पश्चात् पत्नी को भी मरना पड़ता था।
  2. इसके साथ एक और भी भावना थी कि ऐसा करने से भगवान् खुश हो जाएंगे तथा सती को मोक्ष प्राप्त हो जाएगा।

प्रश्न 53.
विवेकानंद के प्रचार के मुख्य अंश क्या थे?
उत्तर:

  1. जीवन ही धर्म है। इसलिए जीवन को धर्म मानकर जीना चाहिए।
  2. जीव की सेवा करना शिव की सेवा करने के समान है।
  3. ईश्वर मनुष्य के अंदर ही वास करता है।
  4. मनुष्यों की सेवा करने के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग ज़रूरी है।

प्रश्न 54.
पुराने समय में किस धार्मिक भाषा का प्रयोग होता था?
उत्तर:
पुराने समय में संस्कृत का धार्मिक भाषा के रूप में प्रयोग होता था।

प्रश्न 55.
संस्कृतिकरण क्या है?
उत्तर:
जब निम्न हिंदू जातियों के लोग उच्च हिंदू जातियों की नकल करने लग जाएं तथा अपने आप को उच्च जाति में मिलाने की कोशिश करें तो उस प्रक्रिया को संस्कृतिकरण कहते हैं।

प्रश्न 56.
सांस्कृतिक परिवर्तन क्या होता है?
उत्तर:
जब किसी समाज या देश की संस्कृति में परिवर्तन होने लग जाएं तो उसे सांस्कृतिक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 57.
धर्म-निरपेक्षता का अर्थ दीजिए।
अथवा
धर्म-निरपेक्षीकरण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
पंथ निरपेक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
धर्म-निरपेक्षता को लौकिकीकरण भी कहते हैं। इसका मतलब यह है कि जो पहले धार्मिक था वह अब धार्मिक नहीं रहा। अब सभी धर्म बराबर हो गए हैं तथा कोई धर्म छोटा-बड़ा नहीं है। धर्म-निरपेक्षता में विचारों परंपराओं, धर्म इत्यादि में विज्ञान या तार्किकता लाने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्न 58.
पश्चिमीकरण से आप क्या समझते है?
अथवा
पश्चिमीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब हमारे देश में पश्चिम के देशों के विचारों, तौर-तरीकों इत्यादि को अपनाया जाता है तो उसे पश्चिमीकरण कहते हैं।

प्रश्न 59.
असंस्कृतिकरण क्या होता है?
उत्तर:
यह संस्कृतिकरण का बिल्कुल उल्टा है। जब उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगों के कार्य अपना लें तो उसे असंस्कृतिकरण कहते हैं। उदाहरण के तौर पर, किसी ब्राह्मण का जूतों की दुकान खोलना। यह आजकल ही मुमकिन है।

प्रश्न 60.
संस्कृति क्या होती है?
उत्तर:
जो कुछ भी मनुष्य ने प्राचीन समय से लेकर आज तक अपनी बुद्धिमता से हासिल किया है वह उसकी संस्कृति होती है। यह ऐसे विचारों, भावों, तरीकों का जोड़ है जो एक पीढ़ी द्वारा दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता है। संस्कृति एक सीखा हुआ व्यवहार है।

प्रश्न 61.
पुनः संस्कृतिकरण क्या होता है?
उत्तर:
जब एक निम्न जाति के लोग उच्च जाति के लोगों के हाव-भाव, रहने-सहने के तरीके या संस्कृति अपनाते हैं तो वह संस्कृतिकरण होता है। पर जब निम्न जाति के लोग उच्च जाति की संस्कृति को छोड़ कर दोबारा अपनी संस्कृति या तौर-तरीकों को अपना लेते हैं तो उसे पुनः संस्कृतिकरण कहते हैं।

प्रश्न 62.
इस्लाम धर्म ने हमारे समाज पर क्या प्रभाव डाले हैं?
उत्तर:

  1. इस्लाम धर्म से ही परदा प्रथा हमारे समाज में आई।
  2. इस्लाम धर्म ने ही हमारी जाति प्रथा पर प्रभाव डाला उसके प्रतिबंध और सख्त हो गए।
  3. इस्लाम धर्म की वजह से हमारे विवाह संबंधी बंधन और सख्त हो गए।

प्रश्न 63.
संस्कृतिकरण की कोई दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. संस्कृतिकरण में निम्न जाति द्वारा उच्च जाति का अनुसरण किया जाता है।
  2. यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
  3. इसमें निम्न वर्गों का सामाजिक परिवर्तन हो जाता है।

प्रश्न 64.
पश्चिमीकरण ने हमारे समाज पर क्या प्रभाव डाले?
अथवा
भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के कोई दो प्रभाव बताइये।
उत्तर:

  1. पश्चिमीकरण की वजह से जाति प्रथा कमजोर हुई।
  2. इस की वजह से विवाह संबंध-विच्छेद तथा तलाक बढ़ने लगे।
  3. इस की वजह से औरतों ने घर से बाहर निकलना शुरू कर दिया।

प्रश्न 65.
प्रभु जाति क्या होती है?
उत्तर:
वह जाति जिसके पास कृषि योग्य भूमि ज्यादा होती है तथा जिसका निम्न जातियां अनुसरण करती हैं वह प्रभु जाति होती है।

प्रश्न 66.
आधुनिकीकरण किसे कहते हैं?
अथवा
आधुनिकीकरण का क्या अर्थ है?
अथवा
आधुनिकीकरण क्या है?
अथवा
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह प्रक्रिया जो परिवर्तन की प्रक्रिया पर आधारित होती है तथा जिसमें अच्छे बुरे, नई पुरानी इत्यादि भावनाओं का आभास होता है, वह आधुनिकीकरण की प्रक्रिया होती है। धर्म निरपेक्षता, शिक्षा, नगरीकरण, नई मशीनें, नए अधिकार इत्यादि आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 67.
आधुनिकीकरण के तीन नकारात्मक प्रभाव बताएं।
उत्तर:

  1. आधुनिकीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के संयुक्त परिवार टूट रहे हैं तथा केंद्रीय परिवार सामने आ रहे हैं।
  2. भोग विलास की चीजें बढ़ रही हैं जिसका नई पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
  3. इस कारण लोगों में अनैतिकता बढ़ रही है तथा समाज में अनैतिक कार्य बढ़ रहे हैं।

प्रश्न 68.
आधुनिकीकरण को संभव बनाने के लिए कौन-सी प्रमुख परिस्थितियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
आधुनिकीकरण को संभव बनाने के लिए सरकार की दृढ़ शक्ति, जनता की राय, उच्च शिक्षा का होना, धन की बहुतायत, उद्योगों का होना इत्यादि अति आवश्यक है।

प्रश्न 69.
आधुनिकता की परिभाषा एस० सी० दूबे के अनुसार बताएं।
उत्तर:
दूबे के अनुसार, “आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया है जो परंपरागत या अर्ध परंपरागत व्यवस्था से किन्हीं इच्छित प्रारूपों तथा उनसे जुड़ी हुई सामाजिक संरचना के स्वरूपों, मूल्यों, प्रेरणाओं तथा सामाजिक आदर्श नियमों की ओर होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करती है।

प्रश्न 70.
आधुनिकीकरण के लिए क्या ज़रूरी है?
अथवा
आधुनिकीकरण को संभव बनाने के लिए कौन-सी प्रमुख परिस्थितियां आवश्यक हैं?
उत्तर:

  1. इसके लिए शिक्षा का स्तर अच्छा होना चाहिए।
  2. यातायात तथा संचार के साधनों का विकास होना चाहिए।
  3. संचार के माध्यमों का भी विकास होना चाहिए।
  4. कृषि की जगह उद्योग ज्यादा होने चाहिएं।

प्रश्न 71.
भारत एक ………………. देश है।
उत्तर:
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

प्रश्न 72.
संस्कृति के मूर्त भाग को ……………….. कहते हैं।
उत्तर:
संस्कृति के मूर्त भाग को भौतिक संस्कृति कहते हैं।

प्रश्न 73.
शिक्षा की परिभाषा दें।
उत्तर:
ब्राउन तथा रासेक के अनुसार, “शिक्षा अनुभव की वह संपूर्णता है जो किशोर और वयस्क दोनों की अभिवृत्तियों को प्रभावित करती है तथा उनके व्यवहारों का निर्धारण करती है।”

प्रश्न 74.
शिक्षा के दो कार्य लिखें।
उत्तर:

  1. शिक्षा व्यक्ति को घटनाओं का सही विश्लेषण करने का ज्ञान देकर उसे समाज का अंग बना देती है।
  2. शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य समाज में से अनैतिकता, हिंसा, संघर्ष, स्वार्थ इत्यादि बुराइयों को दूर करना तथा इसके स्थान पर नैतिकता, प्यार इत्यादि का विकास करना है।

प्रश्न 75.
औपचारिक शिक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
औपचारिक शिक्षा वह शिक्षा होती है जो हम औपचारिक तौर पर स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय इत्यादि में जाकर प्राप्त करते हैं। इस तरह की शिक्षा में स्पष्ट पाठ्यक्रम निश्चित किया जाता है तथा उसके अनुसार ही शिक्षा दी जाती है।

प्रश्न 76.
अनौपचारिक शिक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
अनौपचारिक शिक्षा वह होती है जो व्यक्ति स्कूल, कॉलेज में नहीं बल्कि अपने रोजाना के अनुभव, अन्य व्यक्तियों के विचारों, परिवार, पड़ोस इत्यादि से प्राप्त करता है। व्यक्ति जो कुछ भी अपने रोज़ाना जीवन से सीखता है उसे अनौपचारिक शिक्षा कहते हैं।

प्रश्न 77.
संस्कृति किसे कहते हैं?
उत्तर:
आदिकाल से लेकर आज तक जो कुछ मनुष्य ने प्राप्त किया है वह उसकी संस्कृति है। विचार, फिलासफी, भावनाएं, मशीनें, कारें, बसें, शिक्षा इत्यादि सब कुछ संस्कृति का हिस्सा है।

प्रश्न 78.
सभ्यता किसे कहते हैं?
उत्तर:
संस्कृति के विकसित रूप को सभ्यता कहते हैं अर्थात् जब संस्कृति विकसित हो जाती है तो सभ्यता की स्थिति सामने आती है।

प्रश्न 79.
ब्रह्म समाज का प्रमुख उद्देश्य।
उत्तर:
ब्रह्म समाज का प्रमुख उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, जाति प्रथा, विधवा विवाह की मनाही इत्यादि को दूर करता था।

प्रश्न 80.
वेद ………………….. का धार्मिक ग्रंथ है।
अथवा
वेद किस धर्म के धार्मिक ग्रंथ हैं?
उत्तर:
वेद हिंदुओं का धार्मिक ग्रंथ है।

प्रश्न 81.
कुरान ………………….. का धार्मिक ग्रंथ है।
उत्तर:
करान मसलमानों का धार्मिक ग्रंथ है।

प्रश्न 82.
आर्य समाज के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
आर्य समाज में संस्थापक दयानंद सरस्वती थे।

प्रश्न 83.
संस्कृतिकरण का प्रभुजाति मॉडल क्या है?
उत्तर:
ब्राह्मण संस्कृतिकरण का प्रभुजाति मॉडल है।

प्रश्न 84.
बाइबल …………………. का धार्मिक ग्रंथ है।
उत्तर:
बाइबल इसाइयों का धार्मिक ग्रंथ है।

प्रश्न 85.
संस्कृतिकरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
उत्तर:
संस्कृतिकरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम एम० एन० श्रीनिवास ने किया था।

प्रश्न 86.
संस्कृतिकरण का वर्ण मॉडल क्या है?
उत्तर:
संस्कृतिकरण का वर्ण मॉडल ब्राह्मण वर्ण है।

प्रश्न 87.
‘गुरुग्रंथ साहिब’ किस धर्म के अनुयायियों की धार्मिक पुस्तक है?
उत्तर:
‘गुरुग्रंथ साहिब’ सिक्ख धर्म के अनुयायियों की धार्मिक पुस्तक है।

प्रश्न 88.
संस्कृतिकरण की अवधारणा प्रो० एम० एन० श्रीनिवासन ने दी है। यह कथन सही है या गलत।
उत्तर:
यह कथन सही है कि संस्कृतिकरण की अवधारणा प्रो० एम० एन० श्रीनिवासन ने दी है।

प्रश्न 89.
भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है या नहीं?
उत्तर:
भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है।

प्रश्न 90.
स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की या ‘ब्रह्म समाज’ की?
उत्तर:
स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की।

प्रश्न 91.
भारत पर पश्चिमीकरण के अंतर्गत किस देश का प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
भारत पर पश्चिमीकरण के अंतर्गत इंग्लैंड का प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 92.
भारत के किसी प्रमुख धार्मिक अल्पसंख्यक का नाम बताएँ।
उत्तर:
मुस्लिम समुदाय भारत का प्रमुख धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है।

प्रश्न 93.
भारत में उपनिवेशवाद का अंत कब हुआ?
उत्तर:
भारत में उपनिवेशवाद का अंत 15 अगस्त, 1947 को हुआ जब भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

प्रश्न 94.
गीता किस धर्म से संबंधित धार्मिक पुस्तक है?
उत्तर:
गीता हिंदू धर्म से संबंधित धार्मिक पुस्तक है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

प्रश्न 95.
संस्कृतिकरण का संबंध किसमें परिवर्तन होने से है?
उत्तर:
संस्कृतिकरण का संबंध जाति में परिवर्तन होने से है।

प्रश्न 96.
भारत सरकार किस धर्म को मान्यता प्रदान करती है?
उत्तर:
भारत सरकार किसी एक धर्म को नहीं बल्कि सभी धर्मों को समान रूप से मान्यता प्रदान करती है।

प्रश्न 97.
पश्चिमीकरण का संबंध किससे है?
उत्तर:
पश्चिमीकरण का संबंध पश्चिमी देशों की संस्कृति अपनाने से है।

प्रश्न 98.
राजा राममोहन राय को किस व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को भारतीय परिवर्तन के जनक या पितामह के रूप में जाना जाता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाज सुधार आंदोलनों की मदद से हम क्या परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
भारत एक कल्याणकारी राज्य है जिसमें हर किसी को समान अवसर उपलब्ध होते हैं। पर कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य जनता के जीवन को सुखमय बनाना है। पर यह तभी संभव है अगर समाज में फैली हुई कुरीतियों तथा अंध-विश्वासों को दूर कर दिया जाए। इन को दूर सिर्फ समाज सुधारक आंदोलन ही कर सकते हैं। सिर्फ कानून बनाकर कुछ हासिल नहीं हो सकता। इसके लिए समाज में सुधार ज़रूरी हैं। कानून बना देने से सिर्फ कुछ नहीं होगा।

उदाहरण के तौर पर बाल विवाह, दहेज प्रथा, विधवा विवाह, बच्चों से काम न करवाना। इन सभी के लिए कानून हैं पर ये सब चीजें आम हैं। दहेज लिया दिया, यहां तक कि मांग कर लिया जाता है, बाल विवाह होते हैं, विधवा विवाह को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। हमारे समाज के विकास में यह चीजें सबसे बड़ी बाधाएं हैं। अगर हमें समाज का विकास करना है तो हमें समाज सुधार आंदोलनों की आवश्यकता है। इसलिए हम समाज सुधार आंदोलनों के महत्त्व को भूल नहीं सकते।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलन की कोई चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन हमेशा समाज विरोधी होते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन हमेशा नियोजित तथा जानबूझ कर किया गया प्रयत्न है।
  3. इसका उद्देश्य समाज में सुधार करना होता है।
  4. इसमें सामूहिक प्रयत्नों की ज़रूरत होती है क्योंकि एक व्यक्ति समाज में परिवर्तन नहीं ला सकता।

प्रश्न 3.
सामाजिक आंदोलन की किस प्रकार की प्रकृति होती है?
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन संस्थाएं नहीं होते हैं क्योंकि संस्थाएं स्थिर तथा रूढ़िवादी होती हैं तथा संस्कृति का ज़रूरी पक्ष मानी जाती हैं। यह आंदोलन अपना उद्देश्य पूरा होने के बाद खत्म हो जाते हैं। सामाजिक आंदोलन समितियां भी नहीं हैं क्योंकि समितियों का
  2. एक विधान होता है। यह आंदोलन तो अनौपचारिक, असंगठित तथा परंपरा के विरुद्ध होता है।
  3. सामाजिक आंदोलन दबाव या स्वार्थ समूह भी नहीं होते बल्कि यह आंदोलन सामाजिक प्रतिमानों में बदलाव की मांग करते हैं।

प्रश्न 4.
ब्रह्म समाज के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
राजा राममोहन राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की थी जिसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. इनका मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, जाति प्रथा, विधवा विवाह की मनाही इत्यादि को दूर करना था।
  2. यह समाज स्त्रियों को शिक्षा देकर समाज में ऊँचा दर्जा दिलाने के पक्ष में था।
  3. ब्रह्म समाज अंतर्जातीय विवाहों को भी करवाने के पक्ष में था।
  4. ब्रह्म समाज के प्रयत्नों से ही सती प्रथा निरोधक कानून 1829 तथा विधवा पुनर्विवाह कानून 1856 . बना था।

प्रश्न 5.
19वीं तथा 20वीं शताब्दी के कुछ संगठनों के नाम बताओ जिन्होंने समाज सुधार के कार्य किए थे।
उत्तर:

  1. आर्य समाज
  2. ब्रह्म समाज
  3. प्रार्थना समाज
  4. संगत सभा
  5. रामकृष्ण मिशन
  6. हरिजन सेवक संघ
  7. विधवा विवाह संघ
  8. आर्य महिला समाज।

प्रश्न 6.
मुसलमानों में जो सुधार कार्य किए गए उनका वर्णन करो।
उत्तर:
मुसलमानों में सुधार आंदोलन चलाने का श्रेय सर सैय्यद अहमद खान को जाता है। 1857 के पश्चात उन्होंने देखा कि मुसलमान अंग्रेजों के विरोधी हैं तथा अंग्रेज़ उन पर अत्याचार कर रहे हैं तथा इन्हें दबा रहे हैं। इसलिए मुस्लिमों को ऊपर उठाने के लिए उन्होंने सुधार कार्य शुरू किए। उन्होंने मुस्लिमों में फैली बुराइयों को दूर करने के प्रयास किए। उन्होंने एक पत्रिका निकाली जिसमें मुसलमानों को नई तकनीकें अपनाने के लिए उत्साहित किया।

उन्हीं की कोशिशों से 1875 में अलीगढ़ में एक स्कूल खोला गया जो 1918 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में तबदील हो गया। उन्होंने बहु-पत्नी विवाह, पर्दा प्रथा, बाल विवाह के विरुद्ध प्रचार किया। वह स्त्री शिक्षा के समर्थक थे। इसी तरह कई और मुस्लिम समाज सुधारकों ने मुस्लिमों में जागृति लाने के प्रयास किए। 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई जिनके प्रयासों के फलस्वरूप पाकिस्तान की स्थापना हुई।

प्रश्न 7.
स्वदेशी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
स्वदेशी आंदोलन का अर्थ है लोगों के दवारा देश में ही बनी चीज़ों का उपयोग करना, अपने देश की संस्कृति का प्रचार व प्रसार करना, राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहन देना, देसी उद्योगों की स्थापना करना। इस के साथ साथ विदेशी चीजों, शैक्षणिक संस्थानों, बैंकों, दुकानों आदि का बहिष्कार करना। यह शुरू हुआ था 1905 के बाद जब अंग्रेजों ने भारतीयों में फूट डालने की नीयत से बंगाल को दो भागों में बांट दिया।

इसके विरोध में लोगों ने बंगाल में स्वदेशी आंदोलन शुरू कर दिया जो कि शीघ्र ही पूरे देश में फैल गया। इसमें स्वदेशी चीज़ों को बढ़ावा दिया गया तथा विदेशी चीज़ों का बहिष्कार किया गया। आम जनता ने भी इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इसके परिणामस्वरूप स्वदेशी चीज़ों की खपत बढ़ गई, भारतीय उद्योगों का विकास हुआ, राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहन मिला तथा सरकार के विरुदध व्यापक जनाधार बन गया।

प्रश्न 8.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
उत्तर:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सैंकड़ों जनजातियों के लोग रहते हैं। इनकी अपनी विशिष्ट जीवन शैली होती है। उनकी ज़रूरतें भी कम होती हैं। वह अपनी संस्कृति व अलग जनजातीय पहचान बनाए रखने के प्रति बहुत सचेत होते हैं। यदि जनजाति के सदस्यों को लगे कि उनकी संस्कृति से छेड़छाड़ की जा रही है, इसमें परिवर्तन करने की कोशिश की जा रही है या उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है या उनकी अपनी अलग पहचान बनाए रखने में कोई खतरा है तो वे आंदोलन का रास्ता अपना लेते हैं।

इसके अलावा अन्य समदायों, धर्मों तथा वर्गों के लोगों के प्रभाव के कारण निश्चित तरह के परिवर्तन की इच्छा से भी जनजातियों के लोग आंदोलन करने लगते हैं। उदाहरण के तौर पर बिहार से झारखंड राज्य अलग करने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ। बिरसा मुंडा ने मुंडा जनजाति में ईसाइयत के विरुद्ध आंदोलन चलाया। बिरसा को मुंडा जनजाति के लोग बिरसा भगवान् कहते थे। उसके कहने के फलस्वरूप इस जनजाति के उन लोगों, जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था, ने हिंदू धर्म को पुनः अपना लिया तथा मूर्ति पूजा, हिंदू कर्म-कांडों तथा रीति-रिवाजों का पालन करने लगे।

प्रश्न 9.
पारसियों में सुधार आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
19वीं शताब्दी में भारतीय समाज के अलग-अलग समुदायों तथा वर्गों के लोगों ने सामाजिक तथा धार्मिक आंदोलन चलाए। पारसी भी समाज सुधार आंदोलनों में पीछे नहीं रहे। सन् 1851 में पारसी नेताओं दादा भाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji), नौरोजी फुरदोंजी (Naoroji Furdonji) तथा जे० बी० बाचा (J.B. Bacha) इत्यादि ने मिलकर ‘रेहनुमाइ मजदयासन सभा’ या धार्मिक सुधार सभा का गठन किया।

पारसी धर्म में सुधार लाना तथा इस धर्म के सदस्यों को आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के साथ जोड़ना इस सभा का प्रमुख उद्देश्य था। 1900 में पारसियों ने धार्मिक सम्मेलन का आयोजन किया। इन सब गतिविधियों के अलावा पत्रिकाओं व समाचार-पत्रों में लेखों, भाषणों तथा बैठकों के माध्यम से पारसी नेताओं ने पारसी धर्म के अनुयायियों को धार्मिक रूढ़ियों व अंध-विश्वासों को छोड़ने के लिए प्रेरित किया। स्त्रियों की दशा सुधारने तथा उनकी शिक्षा के लिए उन्होंने विशेष प्रयत्न किए। इन सब प्रयासों के कारण पारसी आज भारतीय समाज के सबसे पश्चिमीकृत वर्ग बन गए हैं।

प्रश्न 10.
राजा राममोहन राय ने भारत के समाज सुधारों में क्या योगदान दिया था?
अथवा
समाज, धर्म और स्त्रियों की परिस्थिति में सुधार करने के लिए राजा राममोहन राय ने क्या प्रयास किया?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का पिता भी कहते हैं। उन्होंने भारतीय समाज सुधार आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान दिया जिसका वर्णन निम्नलिखित है-

  • राजा राममोहन राय की कोशिशों के फलस्वरूप भारतीय समाज में चली आ रही बहुत बड़ी कुरीति सती प्रथा को 1829 में कानून बनाकर ब्रिटिश सरकार ने गैर-कानूनी घोषित कर दिया था।
  • राजा राममोहन राय ने 1828 में ब्रहमो समाज की स्थापना की जो काफी समय तक भारतीय समाज की कुरीतियों को दूर करने में लगा रहा।
  • राजा राममोहन राय ने पश्चिमी शिक्षा का समर्थन किया क्योंकि उन्होंने खुद भी पश्चिमी शिक्षा ग्रहण की थी तथा उन्होंने युवाओं को भी पश्चिमी शिक्षा लेने के लिए प्रेरित किया।
  • उन्होंने जाति प्रथा, जो कि भारतीय समाज को काफ़ी हद तक खोखला कर चुकी थी, के विरुद्ध भी जमकर आवाज़ उठाई।
  • उन्होंने स्त्रियों को ऊपर उठाने के काफी प्रयास किए। वह सती प्रथा, बाल विवाह के विरोधी तथा विधवा विवाह और स्त्रियों की शिक्षा के बहुत बड़े समर्थक थे।

प्रश्न 11.
रामकृष्ण मिशन के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
रामकृष्ण मिशन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  • सभी जातियों व संप्रदायों के लोगों को दयायुक्त, दानयुक्त तथा मानवीय कार्य करवाना।
  • सामाजिक कुरीतियों तथा अंधविश्वासों को खत्म करना।
  • स्त्रियों का स्थान उच्च करने के लिए कार्य करना।
  • सब जीवमात्र की सेवा का प्रचार करना।
  • मनुष्य की शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास करना।
  • आत्मत्यागी तथा व्यावहारिक अध्यात्मवादी साधुओं को रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों के प्रचार तथा प्रसार के लिए तैयार करना।

प्रश्न 12.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
भारत में समाज सुधार आंदोलन निम्नलिखित कारणों से शुरू हुए-

  • भारतीय समाज में फैली कुरीतियों को धर्म के साथ जोड़ा हुआ था।
  • समाज का जातीय आधार पर विभाजन था तथा जाति धर्म के आधार पर बनी हुई थी। जाति के नियमों को तोड़ना पाप माना जाता था।
  • भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा काफ़ी निम्न थी जिस वजह से उनका कोई महत्त्व नहीं रह गया था।
  • भारतीय समाज में अशिक्षा का बोलबाला था।
  • जाति प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह की मनाही इत्यादि बहुत-सी कुरीतियां समाज में फैली हुई थीं।

इन सब कारणों की वजह से शिक्षित समाज सुधारकों ने समाज सुधार करने की ठानी तथा समाज सुधार आंदोलन शुरू हो गए।

प्रश्न 13.
समाज में फैली कुरीतियों के बारे में गांधी जी के क्या विचार थे?
उत्तर:
समाज में फैली बहुत-सी बुराइयों या कुरीतियों पर गांधी जी के निम्नलिखित विचार थे-

  • गांधी जी के अनुसार निम्न जातियों को उच्च जातियों के बराबर होना चाहिए। इसलिए उन्होंने निम्न जातियों के लोगों को हरिजन का नाम दिया तथा उनके उत्थान के कई कार्य किए।
  • स्त्रियां भी उनके अनुसार पुरुषों के समान हैं। इसलिए गांधी जी ने स्त्रियों को भी राष्ट्रीय आंदोलन में आमंत्रित किया जिस वजह से लाखों स्त्रियां इस आंदोलन में कूद पड़ी।
  • गांधी जी नशाखोरी के भी विरुद्ध थे। इसलिए उन्होंने 1926 में इसके विरुद्ध आंदोलन चलाया था।
  • उनके अनुसार जब तक भारतीय समाज से अस्पृश्यता खत्म नहीं हो जाती तब तक आजादी का कोई फायदा नहीं है।
  • गांधी जी दहेज प्रथा के भी विरुद्ध थे। उनके अनुसार दहेज लेने वाले देश के गद्दार हैं।

प्रश्न 14.
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की विशेषताएं क्या थी?
उत्तर:
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की निम्नलिखित विशेषताएं थीं-

  • आजादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की पहली विशेषता यह थी कि हिंदू धर्म को तार्किक रूप से स्थापित करना क्योंकि इसने मुस्लिम शासकों तथा अंग्रेजों के कई थपेड़ों को झेला था।
  • महिलाओं, हरिजनों तथा शोषित वर्गों को ऊपर उठाना ताकि यह वर्ग भी और वर्गों की तरह सर उठाकर जी सकें।
  • ये आंदोलन परंपरागत रूढ़िवादी विचारधाराओं को समाप्त करके उनकी जगह नयी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन जाति व्यवस्था की असमानता की बेड़ियों को तोड़कर समानता तथा भाईचारे की भावना को स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन भारतीय जनता में प्यार, भाईचारे, सहनशीलता, त्याग आदि भावनाओं का विकास करना चाहते थे।

प्रश्न 15.
क्रांतिकारी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • क्रांतिकारी आंदोलन प्रचलित पुरानी व्यवस्था को उखाड़ कर उसकी जगह नयी व्यवस्था को लागू करना चाहते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन में हिंसात्मक तथा दबाव वाले तरीके अपनाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा तभी चलाए जाते हैं जब सामाजिक बुराइयों को दूर करना हो।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा निरंकुश शासन में तथा उसे खत्म करने के लिए चलाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलनों में हमेशा उग्रता तथा तीव्रता पाई जाती है।

प्रश्न 16.
सुधारवादी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
सुधारवादी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • सुधारवादी आंदोलन प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार करना चाहता है।
  • सुधारवादी आंदोलनों की गति हमेशा धीमी होती है।
  • सुधारवादी आंदोलनों में हमेशा शांतिपूर्ण तरीके अपनाए जाते हैं तथा यह समाज में शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए चलाए जाते हैं।
  • यह आम तौर पर प्रजातांत्रिक देशों में पाया जाता है।

प्रश्न 17.
सिंह सभा आंदोलन के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
सिंह सभा आंदोलन के निम्नलिखित उद्देश्य थे-

  • सिक्ख धर्म में पवित्रता पुनः स्थापित करना।
  • सिक्ख धर्म तथा संस्कृति संबंधी साहित्य का विकास करना।
  • धर्म परिवर्तित सिक्खों को वापिस सिक्ख धर्म में वापस लाना।
  • सिक्खों में प्रचलित अंधविश्वासों तथा कुरीतियों को दूर करना।
  • शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार करना।
  • स्त्री-पुरुषों को समान अधिकार दिलवाना
  • सिक्ख धर्म के प्रचार तैयार कर इसके प्रचार के लिए कार्य करना।

प्रश्न 18.
ब्रहम समाज तथा आर्य समाज में अंतर बताओ।
उत्तर:
ब्रह्म समाज तथा आर्य समाज में अंतर निम्नलिखित हैं-

  • आर्य समाज का एक पवित्र ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ है जबकि ब्रह्म समाज का कोई ग्रंथ नहीं है।
  • आर्य समाज में वेदों को ही हर चीज़ का मूल माना गया है जबकि ब्रह्म समाज में ऐसा कुछ नहीं है।
  • आर्य समाजी स्वदेशी भाषा को पढ़ने पर जोर देते थे पर ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई पर जोर देते थे।
  • आर्य समाज ने स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया पर राजा राममोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करने पर जोर दिया।
  • आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती वैदिक संस्कृति अपनाने पर जोर देते थे पर राजा राममोहन राय को पश्चिमी संस्कृति अपनाने में कोई परेशानी नहीं थी।

प्रश्न 19.
पश्चिमीकरण के क्या परिणाम हो सकते हैं?
अथवा
भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
पश्चिमीकरण के परिणाम निम्नलिखित हैं-
(i) संस्थाओं में परिवर्तन-पश्चिमीकरण की वजह से हमारे समाज में चल रही कई प्रकार की संस्थाओं में बहुत से परिवर्तन आ गए हैं। विवाह, परिवार, जाति प्रथा, धर्म इत्यादि संस्थाओं में जो रूढ़िवादिता पहले देखने को मिलती थी वह अब देखने को नहीं मिलती।

(ii) मूल्यों में परिवर्तन-इस वजह से मूल्यों में परिवर्तन हो रहा है। शिक्षा प्राप्त करके सभी को समानता के अधिकार के बारे में पता चल रहा है। अब हर कोई अपने बारे में पहले सोचता है परिवार के बारे में वह बाद में सोचता है। अब व्यक्तिवादिता तथा रस्मी संबंध बढ़ रहे हैं।

(iii) अब धर्म का उतना महत्त्व नहीं रह गया है जितना पहले था। पहले हर व्यक्ति धर्म से डरता था, सारे धार्मिक काम किया करता था पर अब व्यक्ति धर्म का प्रयोग सिर्फ उतना ही करता है जितनी ज़रूरत होती है। यह सब पश्चिमीकरण का ही परिणाम है।

(iv) पश्चिमीकरण की वजह में हमारे समाज में शिक्षा का प्रसार हो रहा है। आज हमारे देश की साक्षरता दर 65% से ऊपर है तथा यह आगे भी बढ़ेगी। इसके साथ ही स्त्रियों को भी शिक्षा प्राप्त होने लग गई है तथा उनकी आजादी बढ़ गई है।

प्रश्न 20.
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया के बारे में बताएं।
अथवा
संस्कृतिकरण की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रो० एम० एन० श्रीनिवास के अनुसार, “संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिंदू जाति या जनजाति या अन्य समूह अपनी प्रथाओं, कर्म-कांड, विचारधारा तथा जीवन शैली को उच्च समूह की दिशा में बदल लेता है। साधारणतया ऐसे परिवर्तनों के बाद वह जाति स्थानीय समुदाय द्वारा जातीय सोपान में उच्च स्थान का दावा करने लगती है। आम तौर पर ऐसा दावा करने के एक-दो पीढ़ियों के बाद उसे स्वीकृति मिल जाती है।

कभी-कभी कोई जाति ऐसे स्थान का दावा करती है जिसे मानने के लिए पड़ोसी जाति सहमत नहीं होती है।” इस तरह संस्कृतिकरण निम्न जाति या समूह की परंपराओं, कर्म-कांडों, विचारधारा तथा जीवन शैली में उच्च जाति की दिशा में परिवर्तनों की प्रक्रिया है। ऐसे परिवर्तनों के कुछ समय के बाद उक्त समूह जातीय संस्तरण में प्राप्त पारंपरिक स्थान से उच्च स्थान प्राप्ति का दावा करते हैं।

प्रश्न 21.
पश्चिमीकरण की प्रक्रिया का अर्थ समझाएं।
अथवा
पश्चिमीकरण क्या है?
अथवा
पश्चिमीकरण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
साधारणतया पश्चिमीकरण का अर्थ पश्चिमी देशों के भारत पर प्रभाव से लिया जाता है। पश्चिमी देशों में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी तथा अमेरिका ऐसे राष्ट्र हैं जिनका भारतीय समाज पर काफ़ी प्रभाव रहा है। एम० एन० श्रीनिवास ने इसी पश्चिमीकरण की व्याख्या की है। उनके अनुसार, “पश्चिमीकरण शब्द को मैंने ब्रिटिश के 150 से अधिक वर्ष के शासन के परिणामस्वरूप भारतीय समाज व संस्कृति में उत्पन्न हुए परिवर्तनों के लिए प्रयोग किया है और यह शब्द विभिन्न स्वरों-प्रौद्योगिकी, संस्थाओं, विचारधाराओं तथा मूल्यों आदि में परिवर्तनों से संबंधित है।”

प्रश्न 22.
धर्म-निरपेक्षता का क्या अर्थ है?
अथवा
धर्म-निरपेक्षतावाद पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज 20वीं शताब्दी से ही पवित्र समाज से एक धर्म निरपेक्ष समाज में परिवर्तित हो रहा है। इस शताब्दी के अनेक विद्वानों ने यह महसूस किया कि धर्म निरपेक्षता के आधार पर ही विभिन्न धर्मों का देश भारत संगठित रह पाया है। धर्म-निरपेक्षता के आधार पर राज्य के सभी धार्मिक समूहों एवं धार्मिक विश्वासों को एक समान माना जाता है।

निरपेक्षता का अर्थ समानता या तटस्थता से है। राज्य सभी धर्मों को समानता की नज़र से देखता है तथा किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। धर्म निरपेक्षता ऐसी नीति या सिद्धांत है जिसके अंतर्गत लोगों को किसी विशेष धर्म को मानने या पालन के लिए बाध्य नहीं किया जाता है।

प्रश्न 23.
संस्कृतिकरण तथा पश्चिमीकरण में भेद बताएं।
उत्तर:

संस्कृतिकरण पशिचमीकरण
(i) संस्कृतिकरण में कई प्रकार की चीज़ें खाने-पीने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। (i) पश्चिमीकरण में किसी चीज़ के खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है।
(ii) यह एक रूढ़िवादी प्रक्रिया है। (ii) यह एक तार्किक प्रक्रिया है।
(iii) संस्कृतिकरण की प्रक्रिया स्वदेशी तथा आंतरिक है। (iii) पश्चिमीकरण की प्रक्रिया विदेशी तथा बाहरी है।
(iv) संस्कृतिकरण की प्रक्रिया बहुत पुराने समय से चली आ रही है। (iv) पशिचमीकरण की प्रक्रिया अंग्रेज़ों के भारत आने के काफ़ी देर बाद शुरू हुई है।
(v) संस्कृतिकरण करने वाली जाति गतिशीलता करके उच्च स्थिति पर पहुंच जाती है। (v) पश्चिमीकरण में जाति की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता।
(vi) संस्कृतिकरण की प्रक्रिया समाज की कुछ निम्न जातियों तक ही सीमित होती है। (vi) पश्चिमीकरण की प्रक्रिया में सभी जातियां समान रूप से हिस्सा लेती हैं।

प्रश्न 24.
आप पश्चिमी, आधुनिक, पंथनिरपेक्ष तथा सांस्कृतिक प्रकार के व्यवहार को किस रूप में परिभाषित करेंगे क्या आप इन शब्दों के सामान्य अर्थ एवं समाजशास्त्रीय अर्थ में कोई अंतर पाते हैं?
उत्तर:
जब कोई पश्चिम के देशों के विचारों, तौर-तरीकों इत्यादि को अपनाता है तो उसे पश्चिमी कहा जाता है। इस तरह पश्चिमी देशों के प्रभाव को पश्चिमी कहते हैं। आधुनिक वह होता है जिसमें परिवर्तन आ रहा होता है तथा जिसमें अच्छे बुरे, नये पुराने का आभास होता है जो व्यक्ति पश्चिमी देशों की संस्कृति के प्रभाव में आकर कार्य करता है तथा जो प्राचीन परंपराओं को छोड़कर नई परंपराओं को अपनाता है उसे आधुनिक कहते हैं।

पंथ निरपेक्ष को धर्म निरपेक्षता भी कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि जो पहले धार्मिक था वह अब धार्मिक नहीं रहा। अब सभी धर्म बराबर हो गए हैं तथा कोई धर्म छोटा बड़ा नहीं है। धर्म-निरपेक्षता में विचारों, परंपराओं, धर्म इत्यादि में विज्ञान या तार्किकता लाने का प्रयास किया जाता है। पंथनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया में धर्म का प्रभाव कम हो जाता है तथा । धर्म का प्रभाव बढ़ जाता है। इस तरह ही सांस्कृतिक शब्द का अर्थ जीवन के स्वीकृत ढंगों में होने वाले परिवर्तन से है चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो।

अगर हम ध्यान से देखें तो इन शब्दों के समाजशास्त्रीय अर्थ तथा सामान्य अर्थ में कोई विशेष अंतर नहीं है। इसका कारण यह है कि यह संकल्प समाजशास्त्रियों द्वारा दिए गए हैं तथा उन्होंने इनकी व्याख्या जीवन की साधारण दशाओं के अनुसार ही की है।

प्रश्न 25.
आधुनिकता तथा परंपरा के मिश्रण के कुछ उदाहरणों के बारे में बताएं जो आप दिन-प्रतिदिन की जिंदगी में और व्यापक स्तर पर पाते हैं।
उत्तर:
संस्कृति के दो प्रकार होते हैं-भौतिक तथा अभौतिक। आधुनिकता के साधन भौतिकता के भाग हैं तथा परंपरा अभौतिक संस्कृति का हिस्सा है। हमारे जीवन में आधुनिकता तथा परंपरा के मिश्रण की बहुत-से उदाहरण मिल जाएंगे। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति ने टी० वी०, फ्रिज बेचने का शोरूम बनाया है, यह आधुनिकता है, परंतु वह अपनी दुकान को बुरी नजर से बचाने के लिए या तो नींबू मिर्चे या फिर हंडिया (नज़रबट्ट) लटका देता है।

यह आधुनिकता तथा परंपरा का मिश्रण है। हम नई कार लेकर आते हैं परंतु घर जाने की बजाए पहले मंदिर जाते हैं ताकि कार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। आमतौर पर ट्रकों, बसों, ट्रैक्टरों इत्यादि के पीछे लिखा होता है ‘बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला’। यह भी आधुनिकता तथा परंपरा के मिश्रण के उदाहरण हैं। हम लोगों ने पश्चिमी समाज के रहन सहन, कपड़े पहनने घर बनाने के ढंग तो अपना लिए हैं, परंतु हमारे विचार अभी भी वहीं पर अटके हुए हैं जहां पर यह 100 साल पहले थे। यह भी आधुनिकता तथा परंपरा के मिश्रण की उदाहरणें हैं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अंग्रेजों के आने के पश्चात् हमने आधुनिकता या फिर कहें कि पश्चिमी समाज के तौर तरीकों, जीवन जीने के ढंगों को अपनाना तो शुरू कर दिया है। परंतु हम अभी भी अपने जाति संबंधी विचारों या धार्मिक विचारों को छोड़ नहीं पाये हैं। हमारे विचार अभी भी प्राचीन समाज में ही अटके पड़े हैं तथा यही कारण है कि आने वाली पीढ़ी तथा जाने वाली पीढ़ी के विचारों में हमेशा ही अंतर रहता है।

प्रश्न 26.
क्या आपको संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में लैंगिक आधार पर सामाजिक भेदभाव के सबूत दिखते हैं?
उत्तर:
अगर हम संस्कृतिकरण की प्रक्रिया तथा भारतीय समाज की संरचना की तरफ देखें तो हमें लैंगिक आधार पर सामाजिक भेदभाव में बहुत से सबूत मिल जाएँगे। हम उदाहरण ले सकते हैं प्राचीन समाज की जब स्त्रियों को शिक्षा नहीं प्रदान की जाती थी। उन्हें किसी प्रकार में अधिकार प्राप्त नहीं थे। स्त्रियों के साथ-साथ निम्न जातियों के लोगों को भी शोषण से भरपूर जीवन व्यतीत करना पड़ता था। इन लोगों का जीवन नर्क के समान था।

सदियों से इनके साथ ऐसा व्यवहार होता चला आ रहा था। स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय संविधान बना तथा इन सभी शोषित वर्गों तथा अन्य वर्गों को समान अधिकार दिए गए। 1955 के अस्पृश्यता अपराध कानून से निम्न वर्गों की निर्योग्यताएं समाप्त कर दी गई। स्त्रियों की समाज में स्थिति को ऊपर उठाने के लिए कई प्रकार के विधानों का निर्माण किया गया। इनके कल्याण के कई कार्यक्रम चलाए गए।

इन सब प्रयासों के फलस्वरूप स्त्रियों तथा निम्न जातियों को कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हुए तथा उन्हें अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने का अवसर प्राप्त हुआ। निम्न जातियों में लोगों ने सामाजिक संस्तरण में अपनी स्थिति को ऊँचा किया। स्त्रियों ने उच्च शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की तथा उसके बाद वह आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर होना शुरू हो गई।

अगर हम आज के समाज पर दृष्टि डालें तो हमें पता चलता है कि कई क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रही हैं। चाहे समाज में लैंगिक आधार पर सामाजिक भेदभाव के सबूत आज भी मिल जाते हैं, परंतु अब यह लैंगिक भेदभाव धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है तथा स्त्रियाँ अपने आपको ऊँचा उठाने के भरसक प्रयास कर रही हैं ताकि यह लैंगिक भेदभाव खत्म हो जाए।

प्रश्न 27.
उन सभी छोटे-बड़े तरीकों का अवलोकन करें जहां पश्चिमीकरण से हमारा जीवन प्रभावित होता है।
अथवा
भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अगर हम अपने रोजाना के जीवन का अवलोकन करें तो हम देख सकते हैं कि हमारे जीवन का हरेक पक्ष पश्चिमीकरण से प्रभावित हुआ है। हम हरेक पक्ष के बारे में अलग-अलग देख सकते हैं। पहले हम धोती-कुर्ता, कुर्ता पायजामा इत्यादि पहना करते थे, परंतु अब पैंट, शर्ट, कोट, पैंट, जीन्स, टी शर्ट, टाई, ट्रैक सूट इत्यादि पहनते हैं जो कि पश्चिमी देन है। पहले हम नीचे बैठ कर साधारण खाना जैसे कि सब्जी, रोटी, दाल इत्यादि खाते थे परंतु अब हम डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाते हैं।

खाने के प्रकार भी बदल गए हैं। रोटी का स्थान सैंडविच, बर्गर, पिज्जा, हॉट डाग इत्यादि ने ले लिया है। पहले चाय तथा मदिरा का सेवन होता था, परंतु अब चाय, कॉफी, व्हिसकी, जिन, कोल्ड ड्रिंक, शेक इत्यादि का सेवन होता है। पहले मनोरंजन के साधनों में बड़े बजुर्गों की कहानियाँ होती थीं परंतु अब उनके स्थान पर रेडियो, टेलीविज़न, कम्प्यूटर, इंटरनेट इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। गर्मी में फ्रिज का ठंडा पानी तथा ए० सी० प्रयोग होता है और सर्दी में गीज़र का गर्म पानी तथा गर्म हवा वाला ब्लोअर प्रयोग होता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हमारे जीवन का प्रत्येक पक्ष पश्चिमीकरण से प्रभावित हुआ है।

प्रश्न 28.
उन दो संस्कृतियों की तुलना करें जिनसे आप परिचित हों। क्या नृजातीय नहीं बनना कठिन नहीं है?
उत्तर:
हम भारतीय सस्कृति तथा पाश्चात्य संस्कृति के वाकिफ हैं। भारतीय संस्कति धर्म से प्रेरित है तथा पाश्चात्य संस्कृति विज्ञान तथा तर्क से प्रेरित है। भारतीय संस्कृति तथा पाश्चात्य संस्कृति एक दूसरे से विपरीत हैं जहां के संस्कार रूढ़ियां, व्यवहार के ढंग, रहन-सहन, खाने-पीने कपड़े पहनने के ढंग एक-दूसरे से बिल्कुल ही अलग हैं।

हम कह सकते हैं कि नृजातीय बनना कठिन है क्योंकि हम दूसरी संस्कृति के भौतिक हिस्से को तो तेजी से अपना लेते हैं परन्तु अभौतिक संस्कृति को अपनाना बहुत मुश्किल होता है जिस कारण हम दूसरी संस्कृति को पूर्णतया अपना नहीं सकते हैं तथा नृजातीय नहीं बन सकते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

प्रश्न 29.
सांस्कृतिक परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए दो विभिन्न उपागमों की चर्चा करें।
उत्तर:
सांस्कृतिक परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए प्राकृतिक परिवर्तन का अध्ययन आवश्यक है क्योंकि प्राकृतिक परिवर्तन किसी भी स्थान की सांस्कृति को पूर्णतया परिवर्तित कर सकते हैं। बाढ़, सूखा, भूकम्प, गर्मी, सर्दी इत्यादि किसी भी स्थान की संस्कृति पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इसके साथ ही क्रान्तिकारी परिवर्तनों का अध्ययन भी बहुत आवश्यक है।

जब किसी संस्कृति में तेज़ी से परिवर्तन आथा है तो उस संस्कृति के मूल्यों तथा अर्थव्यवस्था में तेजी से परिवर्तन आते हैं। क्रान्तिकारी परिवर्तन राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण ही आते हैं जिससे उस समाज की संस्कृति में परिवर्तन आ जाता है। इस प्रकार सांस्कृतिक परिवर्तनों के अध्ययन के लिए प्राकृतिक परिवर्तनों तथा क्रान्तिकारी परिवर्तनों का अध्ययन आवश्यक है।

प्रश्न 30.
आधुनिकीकरण की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर:
1. सामाजिक भिन्नता-आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के कारण समाज के विभिन्न क्षेत्र काफ़ी Complex हो गए तथा व्यक्तिगत प्रगति भी पाई गई। इस वजह से विभेदीकरण की प्रक्रिया भी तेज हो गई।

2. सामाजिक गतिशीलता-आधुनिकीकरण के द्वारा प्राचीन सामाजिक, आर्थिक तत्त्वों का रूपांतरण हो जाता है, मनुष्यों के आदर्शों की नई कीमतें स्थापित हो जाती हैं तथा गतिशीलता बढ़ जाती है।

प्रश्न 31.
आधुनिकीकरण द्वारा लाए गए दो परिवर्तन बताएं।
उत्तर:
1. धर्म-निरपेक्षता-भारतीय समाज में धर्म-निरपेक्षता का आदर्श स्थापित हुआ। किसी भी धार्मिक समूह का सदस्य देश के ऊंचे से ऊंचे पद को प्राप्त कर सकता है। प्यार, हमदर्दी, सहनशीलता इत्यादि जैसे गुणों का विकास समाज में समानता पैदा करता है। यह सब आधुनिकीकरण के कारण है।

2. औद्योगीकरण-औद्योगीकरण की तेजी के द्वारा भारत की बढ़ती जनसंख्या की ज़रूरतें पूरी करनी काफ़ी आसान हो गईं। एक तरफ बड़े पैमाने के उद्योग शुरू हुए तथा दूसरी तरफ घरेलू उद्योग तथा संयुक्त परिवारों का खात्मा हुआ।

प्रश्न 32.
आधुनिकीकरण तथा सामाजिक गतिशीलता का क्या संबंध है?
उत्तर:
सामाजिक गतिशीलता आधुनिक समाजों की मुख्य विशेषता है। शहरी समाज में कार्य की बांट, विशेषीकरण, कार्यों की भिन्नता, उद्योग, व्यापार, यातायात के साधन तथा संचार के साधनों इत्यादि ने सामाजिक गतिशीलता को काफ़ी तेज़ कर दिया। प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता, बुद्धि के साथ गरीब से अमीर बन जाता है।

जिस कार्य से उसे लाभ प्राप्त होता है वह उस कार्य को करना शुरू कर देता है। कार्य के लिए वह स्थान भी परिवर्तित कर लेता है। इस तरह सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया के द्वारा परंपरावादी कीमतों की जगह नई कीमतों का विकास हुआ। इस तरह निश्चित रूप में कहा जा सकता है कि आधुनिकीकरण से सामाजिक गतिशीलता बढ़ती है।

प्रश्न 33.
आधुनिकीकरण से नए वर्गों की स्थापना होती है। कैसे?
उत्तर:
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया व्यक्ति को प्रगति करने के कई मौके प्रदान करती है। इस वजह से कई नए वर्गों की स्थापना होती है। समाज में यदि सिर्फ एक ही वर्ग होगा तो वह वर्गहीन समाज कहलाएगा। इसलिए आधुनिक समाज में कई नये वर्ग अस्तित्व में आए हैं।

आधुनिक समाज में सबसे ज्यादा महत्त्व पैसे का होता है। इसलिए लोग जाति के आधार पर नहीं बल्कि राजनीति तथा आर्थिक आधारों पर बंटे हुए होते हैं। वर्गों के आगे आने का कारण यह है कि अलग-अलग व्यक्तियों की योग्यताएं समान नहीं होतीं। मजदूर संघ अपने हितों की प्राप्ति के लिए संघर्ष का रास्ता भी अपना लेते हैं। अलग-अलग कार्यों के लोगों ने तो अलग-अलग अपने संघ बना लिए हैं।

प्रश्न 34.
धर्म-निरपेक्षता में ज़रूरी तत्त्व क्या है?
उत्तर:

  1. धार्मिक विघटन-धार्मिक विश्वासों में परिवर्तन पाया गया, व्यावहारिक लाभों को महत्ता प्राप्त हुई। अर्थात् किसी भी धार्मिक क्रिया के बिना आजकल लोगों को प्रभावित किया जा सकता है।
  2. तार्किकता-प्रत्येक कार्य तथा समस्या के ऊपर तर्क के आधार पर विचार किया जाता है जिससे प्राचीन अन्ध-विश्वासों में कमी हो जाती है।
  3. विभेदीकरण-समाज के अलग-अलग हिस्से जैसे आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक इत्यादि एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं तथा धर्म का प्रभाव इन सभी क्षेत्रों में कम हो गया है।

प्रश्न 35.
धर्म-निरपेक्षता के दो कारण बताएं।
उत्तर:

  1. आधुनिक शिक्षा-आधुनिक शिक्षा के द्वारा उच्च तथा निम्न की भावना खत्म हुई तथा व्यक्ति को स्थिति भी उसकी योग्यता के आधार पर प्राप्त हुई। लोगों की भावना में भी बढ़ोत्तरी हुई।
  2. यातायात तथा संचार के साधनों का विकास-यातायात तथा संचार के साधनों के विकास के साथ लोग एक दूसरे के नजदीक आए, अस्पृश्यता, उच्च निम्न के भेदभाव में कमी आई तथा बराबरी वाले संबंध स्थापित हुए।

प्रश्न 36.
धर्म-निरपेक्षता द्वारा लाए गए दो परिवर्तन बताएं।
उत्तर:

  1. पवित्र तथा अपवित्र के संकल्प में परिवर्तन-प्राचीन समय से चले आ रहे पवित्रता तथा अपवित्रता के विचारों में कमी आयी। हर तरह का तथा प्रत्येक जाति का खाना पवित्र माना गया। सभी धर्मों में बराबरी के संबंध स्थापित हुए।
  2. संस्कारों में परिवर्तन-हिन्दू धर्म से संबंधित संस्कार जैसे बच्चे के जन्म से सम्बन्धित, विधवा से संबंधित इत्यादि संस्कार खत्म हो गए। व्यक्तिगत योग्यता महत्त्वपूर्ण हो गई।

प्रश्न 37.
धर्म-निरपेक्षता का परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
भारत में शुरू से ही संयुक्त परिवार प्रणाली प्रमुख रही है क्योंकि ज्यादातर लोग कृषि के ऊपर निर्भर करते थे जिसमें ज्यादा व्यक्तियों की ज़रूरत होती थी। विकास के पक्ष से भी भारत काफ़ी पीछे था। परंतु धर्म-निरपेक्षता के प्रभाव में प्राचीन परंपराओं के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदला। परिवार के कई तरह के कार्य दूसरी संस्थाओं के पास चले गए। संयुक्त परिवार प्रथा बिल्कुल ही कमज़ोर पड़ गई है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक आंदोलनों ने भारतीय समाज में क्या परिवर्तन लाए? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय समाज में 19वीं सदी आते-आते बहुत-सी कुरीतियां फैली हुई थीं। इन कुरीतियों ने भारतीय समाज को बुरी तरह जकड़ा हुआ था। इसी समय भारत के ऊपर अंग्रेज़ कब्जा कर रहे थे। इसके साथ-साथ वह पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी कर रहे थे। बहुत से अमीर भारतीय पश्चिमी शिक्षा ले रहे थे।

शिक्षा लेने के बाद जब वह भारत पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भारतीय समाज बहुत-सी कुरीतियों में जकड़ा हुआ है। इसलिए उन्होंने सामाजिक आंदोलन चलाने का निर्णय लिया ताकि इन कुरीतियों को दूर किया जा सके। इन सामाजिक आंदोलनों की जगह जो परिवर्तन भारतीय समाज में आए उनका वर्णन निम्नलिखित है-

(i) सती-प्रथा का अंत (End of Sati System)-भारत में सती प्रथा सदियों से चली आ रही थी। अगर किसी औरत के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे जिंदा ही पति की चिता में जलना पड़ता था। इस अमानवीय प्रथा को ब्राह्मणों ने चलाया हुआ था। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार इस अमानवीय प्रथा के विरुद्ध हो गई तथा उसने 1829 में सती प्रथा विरोधी अधिनियम पास कर दिया तथा सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। इस तरह सदियों से चली आ रही यह प्रथा खत्म हो गई। यह सब सामाजिक आंदोलन के कारण ही हुआ।

(ii) बाल-विवाह का खात्मा (End of Child Marriage)-बहुत-से कारणों की वजह से भारतीय समाज में बाल विवाह हो रहे थे। पैदा होते ही या 4-5 साल की उम्र में ही बच्चों का विवाह कर दिया जाता था चाहे उन को विवाह का अर्थ पता हो या न हो। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार ने विवाह की न्यूनतम आयु निश्चित कर दी। 1860 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बना कर विवाह की न्यूनतम आयु 10 वर्ष निश्चित कर दी।

(iii) विधवा-पुनर्विवाह (Widow Remarriage)-सदियों से हमारे समाज में विधवाओं को पुनर्विवाह की इजाजत नहीं थी। विधवाओं की स्थिति बहुत बद्तर थी। उनको किसी पारिवारिक समारोह में भाग लेने की इजाजत नहीं थी। वह घुट-घुट कर मरती रहती थीं। उनको अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार नहीं था।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कोशिशों की वजह से अंग्रेजों ने 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पास किया जिससे विधवाओं को दोबारा विवाह करने की इजाजत मिल गई। इस तरह विधवाओं को कानूनी रूप से विवाह करने तथा अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार मिल गया।

(iv) पर्दा-प्रथा की समाप्ति (End of Purdah System)-मुस्लिमों में बरसों से पर्दा प्रथा चली आ रही थी। औरतों को हमेशा पर्दे के पीछे रहना पड़ता था। वही कहीं आ जा भी नहीं सकती थीं। यह प्रथा धीरे-धीरे सारे भारत में फैल गई। बड़े-बड़े समाज सुधारकों ने पर्दा प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी। यहां तक कि सर सैय्यद अहमद खान ने भी इसके विरुद्ध आवाज़ उठायी। इस तरह धीरे-धीरे पर्दा प्रथा कम होने लग गई तथा समय आने के साथ यह भी खत्म हो गई।

(v) दहेज-प्रथा में परिवर्तन (Change in Dowry System)-दहेज वह होता है जो विवाह के समय लड़की का पिता अपनी खुशी से लड़के वालों को देता था। धीरे-धीरे इसमें भी बुराइयां आनी शुरू हो गईं। लड़के वाले दहेज मांगने लगे जिस वजह से लड़की वालों को बहुत तकलीफें उठानी पड़ती थीं। इसके विरुद्ध भी आंदोलन चले जिस वजह से ब्रिटिश सरकार ने तथा आज़ादी के बाद 1961 में सरकार ने दहेज लेने या देने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया।

(vi) भारतीय समाज में बहुत समय से अस्पृश्यता चली आ रही थी। इसमें छोटी जातियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता था। इन सामाजिक आंदोलनों में अस्पृश्यता के विरुद्ध आवाज़ उठी। जिस वजह से इसे गैर-कानूनी घोषित करने के लिए वातावरण तैयार हो गया तथा आजादी के बाद इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।

(vii) भारतीय समाज में अंतर्जातीय विवाह पर प्रतिबंध था। इन सामाजिक आंदोलनों की वजह से अंतर्जातीय विवाह को बल मिला जिस वजह से आजादी के बाद इसे भी कानूनी मंजूरी मिल गई।

(viii) इन आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज के आधार जाति व्यवस्था पर गहरी चोट लगी। सभी आंदोलनों ने जाति प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी जिस वजह से धीरे-धीरे जाति व्यवस्था खत्म होने लगी तथा आज भारत में जाति व्यवस्था अपनी आखिरी कगार पर खड़ी है।

(ix) सभी सामाजिक आंदोलन एक बात पर तो ज़रूर सहमत थे तथा वह थी स्त्री शिक्षा। हमारे समाज में स्त्रियों का स्तर काफ़ी निम्न था। उनको किसी भी चीज़ का अधिकार प्राप्त नहीं था। इन सभी आंदोलनों ने स्त्री शिक्षा के लिए कार्य किए जिस वजह से स्त्री शिक्षा को विशेष बल मिला। आज उसी वजह से स्त्री-पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है।

इन सब चीजों को देखकर यह स्पष्ट है कि भारत में 19वीं सदी से शुरू हुए सामाजिक आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज में बहुत-से परिवर्तन आए।

प्रश्न 2.
भारत में समाज सुधारक आंदोलन चलाने के लिए क्या सहायक हालात थे?
उत्तर:
भारत में सदियों से बहुत-सी कुरीतियां चली आ रही थीं। भारतीयों को इन कुरीतियों में पिसते-पिसते सदियां हो चली थी पर भारतीय इनमें पिसते ही जा रहे थे तथा इनके खिलाफ कोई आवाज़ भी उठ नहीं रही थी। 18वीं सदी के आखिरी दशकों में अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की। इसके साथ-साथ उन्होंने भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू किया।

भारतीयों ने पश्चिमी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की तथा धीरे-धीरे उन्हें समझ आनी शुरू हो गई कि भारतीय समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं वह सब बेफिजूल की हैं जो कि ब्राहमणों ने अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए चलाई थीं। जब अंग्रेज़ों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की तो उस समय भारत में कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए जिनकी वजह से भारत में समाज सुधारक आंदोलनों की शुरुआत हुई। इन हालातों का वर्णन निम्नलिखित है-

(i) पश्चिमी शिक्षा (Western Education)-अंग्रेजों के भारत आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू हुआ। पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ उन्हें विज्ञान के बारे में यूरोप की प्रगति के बारे में भी पता चला। इस पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने का यह असर हुआ कि उनको पता चलने लग गया कि उनके समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं उनका कोई अर्थ नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने देश में सामाजिक आंदोलन चलाने शुरू किए और सामाजिक परिवर्तन आने शुरू हो गए।

(ii) यातायात के साधनों का विकास (Development of Means of Transport)-अंग्रेजों ने भारत में चाहे अपने फायदे के लिए यातायात के साधनों का विकास किया पर उससे भारतीयों को भी बहुत फायदा हुआ। भारतीय इन यातायात के साधनों की वजह से एक-दूसरे के आगे आए तथा एक-दूसरे से मिलने लगे।

पश्चिमी शिक्षा ग्रहण चुके भारतीय भी देश के कोने-कोने पहुंचे तथा उन्होंने लोगों को समझाया कि यह सब प्रथाएं उनके फायदे के लिए नहीं बल्कि नुकसान के लिए हैं जिससे लोगों को यह समझ आने लग गया। इस तरह यातायात के साधनों के विकास के साथ भी आंदोलनों के लिए हालात विकसित हुए।

(iii) भारतीय प्रेस की शुरुआत (Indian Press)-अंग्रेजों के आने के बाद भारत में प्रेस की शुरुआत हुई। आंदोलनों के संचालकों ने लोगों को समझाने के साथ छोटे-छोटे अखबार तथा पत्रिकाएं निकालनी भी शुरू की ताकि भारतीय इनको पढ़ कर समझ सकें कि ये बुराइयां हमारे समाज में कितनी गहरी पैठ बना चुकी हैं तथा इनको यहां से निकालना बहुत ज़रूरी है। इस तरह प्रेस की शुरुआत ने भारतीयों को यह समझा दिया कि इन कुरीतियों को दूर करना कितना ज़रूरी है।

(iv) मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव (Increasing Effect of Missionaries)-जब से अंग्रेज़ भारत में आए रियों को भी सहायता देनी शरू की। अंग्रेज़ों ने इनको आर्थिक सहायता के साथ राजनीतिक सहायता भी देनी शुरू की। इन मिशनरियों का कार्य ईसाई धर्म का प्रचार करना था पर इनका प्रचार करने का तरीका अलग था। वह पहले समाज कल्याण का कार्य करते थे। लोगों की तकलीफ दूर करते थे फिर इनमें ईसाई धर्म का प्रचार करते थे।

धीरे-धीरे लोग ईसाई धर्म को अपनाने लग गए। इससे समाज सुधारकों को बड़ी निराशा हुई क्योंकि भारतीय लोग अपना धर्म छोड़ कर विदेशी धर्म अपनाने लग गए थे। इन समाज सुधारकों ने भारतीयों को मिशनरियों के प्रभाव से बचाने के लिए समाज सुधारक आंदोलन चलाने शुरू कर दिए। इस तरह ईसाई मिशनरियों के प्रभाव की वजह से भी यह आंदोलन शुरू हो गए।

कुप्रथाएं (So many ills in Indian Society)-जिस समय भारत में सुधार आंदोलन शुरू हुए उस समय भारतीय समाज में बहुत-सी कुप्रथाएं फैली हुई थीं। सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर प्रतिबंध, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता इत्यादि कुप्रथाएं तथा इनके साथ जुड़े हुए बहुत से अंधविश्वास भी भारतीय समाज में फैले हुए थे। लोग भी इन सब से तंग आ चुके थे। जब यह आंदोलन शुरू हुए तो लोगों ने इन सुधारों को हाथों हाथ लिया जिस वजह से इन आंदोलनों को अच्छे हालात मिल गए तथा यह समाज सुधार के आंदोलन सफल हो गए।

प्रश्न 3.
भारतीय समाज सुधार आंदोलनों के नेताओं के बारे में आप क्या जानते हैं? उनका वर्णन करें।
उत्तर:
वैसे तो भारत में समाज सुधार के बहुत से आंदोलन चले। इन आंदोलनों में बहुत से महान् व्यक्तियों ने भाग लिया। इन महान व्यक्तियों में से कुछ प्रमुख सुधारकों का वर्णन निम्नलिखित है-

(i) राजा राममोहन राय (Raja Ram Mohan Roy)-राजा राममोहन राय का नाम समाज सुधारकों में सबसे अग्रणी है। वह आधुनिक भारत में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने समाज सुधार के कार्य प्रारम्भ किए। इसलिए आधुनिक भारत का पिता भी कहते हैं। उन्होंने 1814 में आत्मीय सभा का गठन किया था। इसमें उन्होंने दनिया के अलग-अलग धर्मों को छोड़कर दुनिया के एक धर्म की स्थापना का विचार पेश किया। उस समय भारत में अमानवीय सती प्रथा प्रचलित थी।

उन्होंने अंग्रेजों को इस प्रथा के बारे में अवगत करवाया तथा उन्हीं के यत्नों से 1829 में सती प्रथा विरोधी कानून पास किया। इसमें सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। इस तरह यह दर्दनाक प्रथा खत्म हो गई। उन्होंने मूर्ति पूजा तथा धार्मिक अंध-विश्वासों के कारण इनके खिलाफ आवाज़ उठाई।

उन्होंने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की जिसने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ जम कर आवाज़ उठाई। अपने अंतिम वर्षों में वह इंग्लैंड चले गए जहाँ 1833 में उनकी मृत्यु हो गई। भारतीय समाज के लिए उनका दिया योगदान अविस्मरणीय है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता।

(ii) देवेंद्रनाथ ठाकुर (Devendera Nath Thakur)-राजा राममोहन राय की मृत्यु के बाद ऐसा लगा कि ब्रह्म समाज खत्म हो जाएगा पर 1845 में ब्रह्म समाज का भार देवेंद्रनाथ ठाकुर ने अपने हाथों में ले लिया तथा वह इसके लिए प्रेरणा स्रोत बन गए। 1839 में उन्होंने तत्त्वबोधिनी सभा की स्थापना की तथा इस सभा का लक्ष्य उन्होंने सत्य की शिक्षा देना रखा।

वह तत्त्वबोधिनी पत्रिका के संपादक भी रहे। 1847 में इस सभा ने ऋग्वेद का अनुवाद भी किया। 1847 में ही वह बनारस गए तथा उन्होंने वेदों का ज्ञान प्राप्त करके ब्रह्म धर्म नामक पुस्तक प्रकाशित करवाई। उन्होंने राजा राममोहन राय की तरह विधवा विवाह तथा स्त्री शिक्षा पर काफ़ी ज़ोर दिर इनकी मृत्यु हो गई थी।

(iii) केशवचंद्र सेन (Keshav Chandra Sen) केशवचंद्र सेन ने 1861 में ब्रह्म समाज के कार्यों में ध्यान देना शुरू किया तथा संगीत सभा की स्थापना की। आपने 1861 में Indian Mirror नामक पत्रिका प्रकाशित की। इस पत्रिका की मदद से ही उन्होंने अपने समाज सुधार के आंदोलन को आगे बढ़ाया।

आपने 1863 में ‘वामा बोधिनी’ नामक पत्रिका प्रकाशित की जिसमें उन्होंने स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए तथा अंतर्जातीय विवाह का प्रचार किया। 1868 में आपने ब्रह्म समाज के संदेश घर-घर तक पहुंचाने के लिए ‘भारतवर्ष ब्रहम समाज’ की स्थापना की। 1884 में आपका देहांत हो गया।

(iv) स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati)-आपका जन्म सन् 1824 में हुआ था। आपका पहला या असली नाम मूलशंकर था। आपने 24 वर्ष की उम्र में ही संन्यास ले लिया तथा अलग-अलग शहरों में घूमकर अपने उपदेशों का प्रचार किया।

1871 से 1873 आप गंगा किनारे घूमते रहे तथा स्कूलों का प्रब करते रहे। 1874 में आपने मूर्ति पूजा का सख्त विरोध किया तथा 1875 में उन्होंने बंबई में आर्य समाज की स्थापना की। 1877 में आपने पंजाब में जगह-जगह आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने जाति प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर रोक, धर्म परिवर्तन को रोकने के विरुद्ध आवाज़ उठाई।

आपके द्वारा दयानंद वैदिक संस्थाओं की स्थापना की गई तथा इसमें सिर्फ भारतीय ही पढ़ा सकते थे। इन संस्थाओं में नैतिक शिक्षा के महत्त्व पर जोर दिया गया। आपने जाति प्रथा का विरोध किया। आपके यत्नों से ही हिंदू धर्म छोड़ चुके लोग वापस हिंदू धर्म को अपनाने लग गए। आपके यत्नों से ही अंतर्जातीय विवाह शुरू हो गए। 1883 में आपका निधन हो गया।

(v) स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda)-आप स्वामी रामकृष्ण के परम शिष्य थे। आपने 1883 में शिकागो में हई Parliament of Religion में भाग लिया। वहां पर आपने जो अपने विचार प्रस्तुत किए उनसे उनकी काफ़ी प्रसिद्धि हो गई। आपने उस सभा में वेदों की शिक्षा संबंधी बात की तथा आपकी बातें सुनने के पश्चात् लोगों को लगने लग गया कि उस सभा में आप ही श्रेष्ठ व्यक्ति हैं।

आप कहते थे कि ईश्वर एक है तथा सर्वव्यापक है। प्रत्येक जीव में ईश्वर बसता है। जब मनुष्य अपने आप पर काबू पा लेता है तो वह पूर्ण हो जाता है तथा भगवान् को प्राप्त कर लेता है। सारा संसार धर्म के ऊपर तथा धर्म के अनुसार ही चलता है। आपने राजा राममोहन राय की तरह विश्व धर्म की बात की जिसने भारतीयों के साथ-साथ विदेशियों को भी प्रभावित किया। आपके विचारों से प्रभावित होकर आपके शिष्यों की गिनती बढ़ती चली गई।

आपने अस्पृश्यता तथा जाति प्रथा के विरुद्ध जम कर प्रचार किया तथा आप चाहते थे कि अलग-अलग धर्मों तथा जातियों में एकता बनी रहे। आपने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की ताकि धार्मिक भेदभाव को समाप्त किया जा सके। इस मिशन की मदद से आपने शिक्षा का प्रसार, बाढ़ पीड़ितों की सहायता, पशु पालन, अनाथालय, स्कूलों कॉलेजों की स्थापना की तथा देशवासियों को पुनर्जीवित करने तथा जाति-पाति के भेदभाव मिटाने के प्रयास किए। आपकी मृत्यु 1902 में हो गई थी।

प्रश्न 4.
भारत में महिलाओं में चले सुधार आंदोलन का वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय समाज में समय-समय पर अनेक ऐसे आंदोलन शुरू हुए हैं जिनका मुख्य उद्देश्य स्त्रियों की दशा में सुधार करना रहा है। भारतीय समाज एक पुरुष-प्रधान समाज है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं ने अपने शोषण, उत्पीड़न इत्यादि के लिए अपनी स्थिति में सुधार के लिए आवाज़ उठाई है। पारंपरिक समय से ही महिलाएं बाल-विवाह, सती–प्रथा, विधवा विवाह पर रोक, पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का शिकार होती आई हैं।

महिलाओं को इन सब शोषणात्मक कुप्रथाओं से छुटकारा दिलवाने के देश के समाज सुधारकों ने समय-समय पर आंदोलन चलाये हैं। इन आंदोलनों में समाज सुधारक तथा उनके द्वारा किये गए प्रयास सराहनीय रहे हैं। इन आंदोलनों की शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही हो गई थी। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, केशवचंद्र सेन, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, ऐनी बेसेंट इत्यादि का नाम इन समाज सुधारकों में अग्रगण्य है।

सन् 1828 में राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना तथा 1829 में सती प्रथा अधिनियम का बनाया जाना उन्हीं का प्रयास रहा है। स्त्रियों के शोषण के रूप में पाये जाने वाले बाल-विवाह पर रोक तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रचलित कराने का जनमत भी उन्हीं का अथक प्रयास रहा है। इसी तरह महात्मा गांधी, स्वामी दयानंद सरस्वती, ईश्वरचंद्र, विदयासागर जी ने भी कई ऐसे ही प्रयास किये जिनका प्रभाव महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक रूप से पड़ा है।

महर्षि कर्वे स्त्री-शिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह के समर्थक रहे । इसी प्रकार केशवचंद्र सेन एवं ईश्वरचंद्र विद्यासागर के प्रयासों के अंतर्गत ही 1872 में ‘विशेष विवाह अधिनियम’ तथा 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम बना। इन अधिनियमों के आधार पर ही विधवा पुनर्विवाह एवं अंतर्जातीय विवाह को मान्यता दी गई। इनके साथ ही कई महिला संगठनों ने भी महिलाओं को शोषण से बचाने के लिए कई आंदोलन शुरू किये।

महिला आंदोलनकारियों में ऐनी बेसेंट, मैडम कामा, रामाबाई रानाडे, मारग्रेट नोबल आदि की भूमिका प्रमुख रही है। भारतीय समाज में महिलाओं को संगठित करने तथा उनमें अधिकारों के प्रति साहस दिखा सकने का कार्य अहिल्याबाई व लक्ष्मीबाई ने प्रारंभ से किया था। भारत में कर्नाटक में पंडिता रामाबाई ने 1878 में स्वतंत्रता से पूर्व पहला आंदोलन शुरू किया था तथा सरोज नलिनी की भी अहम् भूमिका रही है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व प्रचलित इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही अनेक ऐसे अधिनियम पास किये गए जिनका महिलाओं की स्थिा स्थति सधार में योगदान रहा है। इसी प्रयास के आधार पर स्वतंत्रता पश्चात अनेक अधिनियम जिनमें 1955 का हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 का हिंदू उत्तराधिकार का अधिनियम एवं 1961 का दहेज निरोधक अधिनियम प्रमुख रहे हैं।

इन्हीं अधिनियमों के तहत स्त्री-पुरुष को विवाह के संबंध में समान अधिकार दिये गए तथा स्त्रियों को पृथक्करण, विवाह-विच्छेद एवं विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति प्रदान की गई है। इसी प्रकार संपूर्ण भारतीय समाज में समय-समय पर और भी ऐसे कई आंदोलन चलाए गए हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य स्त्रियों को शोषण का शिकार होने से बचाना रहा है।

वर्तमान समय में स्त्री-पुरुष के समान स्थान व अधिकार पाने के लिए कई आंदोलनों के माध्यम से एक लंबा रास्ता तय करके ही पहुंच पाई है। समय-समय पर राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा महिला संगठनों के प्रयासों के आधार पर ही वर्तमान महिला जागृत हो पाई है। इन सब प्रथाओं के परिणामस्वरूप ही 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया गया।

इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में महिला विकास निगम [Women Development Council (WDC)] का निर्माण किया गया है जिसका उद्देश्य महिलाओं को तकनीकी सलाह देना तथा बैंक या अन्य संस्थाओं से ऋण इत्यादि दिलवाना है। वर्तमान समय में अनेक महिलाएं सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। आज स्त्री सभी वह कार्य कर रही है जो कि एक पुरुष करता है।

महिलाओं के अध्ययन के आधार पर भी वह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान समय में महिला की परिस्थिति, परिवार में भूमिका, शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, राजनीतिक एवं कानूनी भागीदारी में काफ़ी परिवर्तन आया है। आज महिला स्वतंत्र रूप से किसी भी आंदोलन, संस्था एवं संगठन से अपने आप को जोड़ सकती है। महिलाओं की विचारधारा में इस प्रकार के परिवर्तन अनेक महिला स्थिति सुधारक आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही संभव हो पाये हैं।

आज महिला पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित की जाती हैं तथा इसके साथ ही महिला सभाओं एवं गोष्ठियों का भी संचालन किया जा रहा है जिसका प्रभाव महिला की स्थिति पर पूर्ण रूप से सकारात्मक पड़ रहा है। विभिन्न महिला आंदोलनों ने न केवल महिलाओं की स्थिति सुधार में ही भूमिका निभाई है, बल्कि इन आंदोलनों के आधार पर समाज में अनेक परिवर्तन भी आये हैं, अतः महिला आंदोलन सामाजिक परिवर्तन का भी एक उपागम रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

प्रश्न 5.
ब्रह्म समाज के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके उद्देश्यों एवं उपलब्धियों का वर्णन करो।
अथवा
ब्रह्म समाज के प्रमुख उद्देश्यों एवं उपलब्धियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ब्रह्म समाज (Brahmo Smaj)-ब्रह्म समाज की स्थापना आधुनिक भारतीय पुनर्जागरण के जनक राजा राममोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 ई० में की। ब्रह्म समाज का शाब्दिक अर्थ है “एक ईश्वर समाज” यह समाज मूल रूप से ब्राह्मणों का समाज था जिसमें अन्य जातियों के लोग नहीं जा सकते थे। लेकिन इसके कार्यकाल में निरंतर वृधि होती गई जिसके कारण ब्रह्म समाज के कार्यक्रमों में अन्य जातियों के लोगों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लेना आरंभ कर दिया।

राजा राममोहन राय के पश्चात् देवेंद्र नाथ टैगोर तथा केशवचंद्र सेन आदि समाज सुधारकों ने ब्रह्म समाज को सशक्त नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने देश के विभिन्न भागों में लघु पुस्तिकाओं, पत्रिकाओं, सभाओं एवं गोष्ठियों के माध्यम से इसका प्रचार एवं प्रसार किया। परिणामस्वरूप पहले 1866 तक केवल 54 ब्रह्म समाज स्थापित हुए थे जिनकी संख्या 1911 में बढ़कर 184 हो गई।

उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में भारतीय समाज में अनेक बुराइयां, कुरीतियां, अंध-विश्वास एवं कुसंस्कार प्रचलित थे। बाल-विवाह की संख्या अधिक थी। विधवा विवाह पर रोक थी। सती प्रथा प्रचलित थी, जिसके कारण स्त्रियों की सामाजिक स्थिति काफ़ी निम्न व कमज़ोर थी। जाति प्रथा, छुआछूत, जाति के आधार पर उच्च जातियों को विशेषाधिकार तथा निम्न जाति व वर्गों के लोगों को कम ही सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने दिया जाता था।

यह उस समय भारतीय समाज की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा थी। विभिन्न वर्गों के सदस्यों को इन कुरीतियों से छुटकारा दिलवाना आवश्यक था। ब्रह्म समाज की स्थापना तथा इसके सिद्धांतों को कार्यांवित कर निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति इसी दिशा में एक बड़ा कदम था।

ब्रह्म समाज के उद्देश्य (Objectives of Brahmo Smaj)-ब्रह्म समाज के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • नारी वर्ग का उत्थान करना।
  • बाल विवाह एवं बहु-विवाह को समाप्त करना।
  • सती प्रथा का अंत करना।
  • पर्दा प्रथा का अंत करना।
  • नारी शिक्षा तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित करना।
  • अस्पृश्यता तथा जाति प्रथा के अन्य दोषों को समाप्त करना।
  • ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन करना।
  • मानवतावाद को बढ़ावा देना।
  • सेना तथा न्यायपालिका का भारतीयकरण करने के लिए कार्य करना।

ब्रहम समाज के कार्य एवं उपलब्धियां (Works and Achievements of Brahmo Smaj) विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ब्रह्म समाजी मुख्यतः तीन स्तरों पर अपनी गतिविधियां संचालित करते थे। प्रथम, देश के विभिन्न भागों में ब्रह्म समाजों की स्थापना कर, उनमें संगठन के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों के ऊपर विचार करना, द्वितीय, अपने सिद्धांतों का लोगों में प्रचार एवं प्रसार करते थे।

तृतीय, विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ब्रिटिश सरकार से सहयोग पाते थे। ब्रह्म समाजी के लोग विभिन्न स्थानों पर बैठकें करते थे। सम्मेलनों व संगोष्ठियों का आयोजन करते थे। अपने सिद्धांतों को जन-जन में पहुँचाने के लिए लघु पुस्तिकाएं छपवा कर उनमें बांटते थे। अपने सुधारवादी कार्यों के बारे में अधिक-से-अधिक जागरूकता का विकास करते थे। सन् 1829 में अपने अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार से ‘सती प्रथा’ के विरुद्ध कानून पास करवाया।

इसी तरह 1872 ई० में बहु विवाह प्रथा पर भी प्रतिबंध लगवाने हेतु कानून पारित करवाया। इसी तरह बाल-विवाह व पर्दा प्रथा को कम करने के लिए सफल प्रयास करवाया। लोगों में जातीय आधार पर भेदभाव कम करने के प्रति जनसमर्थन को बढ़ावा दिया। नारी शिक्षा हेतु ब्रह्म समाज ने सराहनीय कार्य किये। इसी तरह लोगों को भाईचारे का संदेश दिया। लोगों को आध्यात्मिक विकास हेतु प्रेरणा दी। इसी तरह भारतीय समाज में पाई जाने वाली कई सामाजिक बुराइयों को कम करने में ब्रह्म समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

प्रश्न 6.
आर्य समाज के बारे में आप क्या जानते हैं? इसकी उपलब्धियों का वर्णन करो।
अथवा
आर्य समाज के प्रमुख उद्देश्यों एवं उपलब्धियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आर्य समाज (Arya Smaj)-सन् 1875 ई० में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना मुंबई में की। इस समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य समाज में प्रचलित रूढ़िवादिता, आडंबरों, पाखंडों तथा अज्ञानता को दूर करना था। 19वीं शताब्दी में भारतीय समाज विशेषतः हिंदू समाज में कई प्रकार की बुराइयां विकसित हो गई। उस समय धार्मिक क्षेत्रों में अनेक देवताओं की पूजा की जाती थी।

इस तरह अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा करने वाले लोग आपस में नफरत व द्वेष रखते थे। ईसाई मिशनरी हिंदुओं में धर्म परिवर्तन करवाकर उन्हें ईसाई बनाने में लगी थी। जाति व्यवस्था भी काफ़ी जटिल हो गई थी। समाज सहस्रों जातियों एवं उपजातियों में विभाजित था। जातीय आधार पर विभिन्न वर्गों में भेदभाव बढ़ गया था। स्त्रियों से संबंधित अनेक कुरीतियां जैसे सती प्रथा, पर्दा प्रथा, विधवा विवाह पर प्रतिबंध, नवजात लड़कियों की हत्या तथा दहेज के कारण महिलाओं की काफ़ी निम्न अवस्था आदि प्रचलित थीं। इन समस्याओं का निराकरण आवश्यक था।

आर्य समाज के कार्य व उपलब्धियां (Works and Achievements of Arya Smaj)-आर्य समाज ने अपनी स्थापना के 125 वर्षों के भीतर भारतीय समाज में विभिन्न क्षेत्रों में कई सुधारवादी कार्य किये। समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं अंधविश्वासों को कम करने के लिए कार्य किये। इसके लिए ‘कन्या विद्यालयों’ एवं ‘कन्या महाविद्यालयों’ की स्थापना करवाई, ताकि उनमें ज्ञानरूपी प्रकाश जलाकर अज्ञानता रूपी अंधेरे को दूर किया जा सके।

विधवाओं की स्थिति सुधारने हेतु कई ‘विधवा ग्रह’ (Widow Home) खोले गये, ताकि वहाँ पर विधवाएं जिंदगी व्यतीत कर सके। वेदों के अनुसार हवन, यज्ञ करने और करवाने, वेदों को सुनने एवं सुनाने पर बल दिया गया। जाति के आधार पर असमानता का विरोध किया गया। धार्मिक क्षेत्रों में वेदों की वापसी (Back to Vedas) का नारा देकर लोगों को वेदों की महत्ता के बारे में बताया गया।

अनाथों के लिये ‘अनाथालय’ खोले: ऐग्लो वैदिक (Dayanand Anglo Vedic-D.A.V.) पाठशालाएं एवं महाविद्यालय (Universities) की स्थापना की गई। उपरोक्त शिक्षा क्षेत्र में आर्य समाज ने सराहनीय कार्य किये। इससे न केवल देश की साक्षरता दर में बढ़ोत्तरी च शिक्षा प्राप्त करके हज़ारों नवयुवक देश की सेवा के लिये तैयार हो गये। स्वामी दयानंद सरस्वती देश की स्वतंत्रता के पक्षधर थे, इसलिए उन्होंने नारा दिया “भारत, भारतवासियों के लिए है।”

प्रश्न 7.
प्रार्थना समाज के उद्देश्यों तथा उपलब्धियों का वर्णन करो।
उत्तर:
प्रार्थना समाज (Prathna Smaj)-सन् 1867 ई० में मुंबई में प्रार्थना समाज की स्थापना की गई, यह मूलतः ब्रह्म समाज की एक शाखा ही थी जिसकी स्थापना केशवचंद्र की सहायता से (प्रेरणा से) गोविंद रानाडे के नेतृत्व में की गई। महाराष्ट्र में ब्रह्म समाज के अनेक नेताओं ने प्रार्थना समाज की नींव डालने व इसे निश्चित स्वरूप करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। प्रार्थना समाज के अनुयायी इसे हिंदू धर्म में ही एक आंदोलन मानते थे जिस पर अनेक संतों जैसे ‘तुकाराम’, ‘नामदेव’ व ‘रामदास’ का गहरा प्रभाव था।

प्रार्थना समाज के उद्देश्य (Objectives of Prarthna Smaj):

  • प्रार्थना समाज की शिक्षाओं का प्रचार व प्रसार करना।
  • स्त्रियों की स्थिति में सुधार करना।
  • जातीय भेदों को दूर करना।
  • अनाथों की स्थिति में सुधार करना।
  • शिक्षा को प्रोत्साहन करना।

प्रार्थना समाज के कार्य व उपलब्धियां-(Works and Achievements of Prarthna Smaj):
प्रार्थना समाज के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने भारतीय समाज के पिछड़े वर्गों को सुधारने तथा कुरीतियों एवं अंधविश्वासों को दूर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत की गई है। इसके विभिन्न क्षेत्रों में किये कार्यों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-

  • महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए ‘आर्य महिला समाज’ की स्थापना की। विधवा आश्रम खोले, कन्या पाठशालाओं की स्थापना की।
  • विधवा पुनर्विवाह व अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए कार्य किये।
  • निम्न जाति के लोगों की सामाजिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से दलित वर्ग मिशन की स्थापना की।
  • अनाथों एवं बेसहारा बच्चों की देखभाल के लिए पंठरपुर में अनाथालय खोले गये। बाल विवाह को कम करने के लिये निरंतर प्रयास किये गये हैं।
  • मुंबई में रात्रि-विद्यालय (Night School) खोला गया ताकि मजदूर वर्ग शिक्षा ग्रहण कर सके। इस तरह प्रार्थना समाज ने अंतर्जातीय भेदभाव दूर करने के लिये अंतर्जातीय खान-पान को बढ़ावा दिया गया।

प्रश्न 8.
राम कृष्ण मिशन के उद्देश्यों तथा कार्यों का वर्णन करो।
अथवा
रामकृष्ण मिशन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
राम कृष्ण मिशन (Ram Krishna Mission)-सन् 1897 ई० में स्वामी विवेकानंद ने कोलकाता के निकट वैलूर में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। रामकृष्ण परमहंस के परम भक्त एवं प्रिय शिष्य थे। विवेकानंद ने अपने गुरु के आध्यात्मिक ज्ञान को लोगों तक पहुँचाने के लिए इस मिशन की स्थापना की। कुशाग्र बुद्धि, मन-मोहक व्यक्तित्व, मधुर वाणी तथा धारा प्रवाह वक्ता दयानंद ने देश व विदेश में इस मिशन की शाखाओं की स्थापना की।

कुशल प्रचारक व संगठक (Organisor) होने के कारण उन्होंने सन् 1902 में अपनी मृत्यु से पहले ही इस मिशन की नींव काफ़ी मज़बूत कर दी थी। उनके पश्चात् भी मिशन के कार्यकर्ताओं ने इसके प्रचार व प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही कारण है कि सन् 1961 में इस मिशन की भारत में 102 शाखाएं तथा अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, सिंगापुर, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यनमार (बर्मा), फिजी तथा मोरिशस आदि विश्व के विभिन्न देशों में 36 शाखाएँ थीं।

राम कृष्ण मिशन के उद्देश्य (Objectives of Ram Krishna Mission)-इस मिशन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • आत्मत्यागी तथा व्यावहारिक अध्यात्मवादी साधुओं को रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों के प्रचार व प्रसार के लिये तैयार करना।
  • सभी जाति व संप्रदायों के लोगों से दयायुक्त, दानयुक्त तथा मानवीय कार्य करवाना।
  • सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वासों को समाप्त करना।
  • स्त्रियों का स्थान उच्च करने के लिए कार्य करना।
  • सेवा के सिद्धांत (सब जीवन मात्र की सेवा) का प्रचार करना।
  • मनुष्य की शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास करना।

राम कृष्ण मिशन के कार्य, उपलब्धियां एवं योगदान (Works, Achievements and Contribution of Ram Krishna Mission)-राम कृष्ण मिशन के कार्यों एवं समाज सुधार में इसके योगदान का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-

  • शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह पाठशालाएं एवं महाविद्यालय खोले गये। सन् 1961 में मिशन द्वारा खोले गये शैक्षणिक संस्थाओं में लगभग 65 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।
  • स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए अनेक अस्पताल खोले। सन् 1961 ई० में मिशन द्वारा संचालित बारह शैयायुक्त अस्पताल तथा 68 बाह्य रोगी (Outdoor Patient) अस्पताल थे।
  • मिशन के सिद्धांतों के प्रचार के लिये अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में लगभग एक दर्जन पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं।
  • मिशन द्वारा सभाओं, संगोष्ठियों, लेखों तथा पत्रिकाओं के माध्यम से बाल-विवाह, बाल हत्या, पर्दा प्रथा, जातीय आधार पर भेदभाव तथा स्त्री-पुरुष में असमानता का कड़ा विरोध किया जाता है। फलतः लोगों में समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, आत्मत्याग, आत्मसम्मान, परोपकार आदि भावनाओं का संचार हुआ।
  • लोगों में अंधविश्वासों, कुरीतियों, पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण के विरुद्ध जागृति आई। देशवासियों में देश प्रेम व राष्ट्रवाद की भावना भी विकसित हुई।
  • मिशन ने समय-समय पर बाढ़ पीड़ितों, भूकंप प्रभावित तथा सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में लाखों लोगों की सहायता की।

राम कृष्ण मिशन के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के बारे में डॉ० के० के० दत्ता कहते हैं, “राम कृष्ण मिश आध्यात्मिक उत्थान, आत्मा की जागृति और आधुनिक भारत के सांस्कृतिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, इस संसार को मानव समाज में धर्म के सही महत्त्व का ज्ञान प्राप्त हुआ तथा विभिन्न देशों को प्यार, स्वतंत्रता तथा एक सूर का संदेश मिला।”

प्रश्न 9.
पश्चिमीकरण के भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
पश्चिमीकरण के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आ रहे हैं? उनका वर्णन करो।
अथवा
भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभावों की व्याख्या करें।
अथवा
पश्चिमीकरण के प्रभाव बताइए।
उत्तर:
पश्चिमीकरण ने भारतवर्ष को काफ़ी ज्यादा प्रभावित किया है। भारत का शायद ही ऐसा कोई कोना होगा जो पश्चिमीकरण से प्रभावित न हुआ होगा। इस तरह भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभावों का वर्णन निम्नलिखित है-
1. परिवार पर प्रभाव-पारंपरिक रूप से भारत में संयुक्त परिवार पाए जाते रहे हैं जिनमें तीन-चार पीढ़ियां इकट्ठी रहती थीं। पश्चिमीकरण से भारत में व्यक्तिवाद, भौतिकवाद तथा तर्कवाद को बढ़ावा मिला। इससे परिवार में समूहवाद में कमी आई। परिवार के सदस्यों में बलिदान तथा त्याग की भावना कम हुई। शिक्षित युवाओं में अपने अधिकारों के प्रति चेतना बढ़ी।

उन्होंने कर्ता के आदेशों को मानना कम किया। महिलाओं में भी अपने लिए पहचान बनाए रखने के लिए चेतना बढ़ी है। महिलाओं तथा युवाओं में आई चेतना की वजह से संयुक्त परिवार तेज़ गति से टूटने लगे। इनकी जगह केंद्रीय परिवार लने लगे। इस तरह पश्चिमीकरण से परिवार व्यवस्था पर संरचनात्मक तथा प्रकार्यात्मक प्रभाव पड़े। परिवार के सदस्यों के संबंधों के स्वरूप, अधिकारों तथा दायित्व में परिवर्तन हुआ।

2. विवाह पर प्रभाव-इंग्लैंड के निवासियों के विचारों, मूल्यों और आदर्शों ने भारतीय विवाह प्रणाली को काफ़ी प्रभावित किया। इनके भारत आने से पहले अंतर्विवाही प्रथा, विधवा विवाह की मनाही, बाल विवाह, कुलीन विवाह तथा कन्यादान का प्रथा थी। विवाह को एक धार्मिक संस्कार माना जाता था। विवाह में सपिंड, सगोत्र व सप्रवर के नियमों का पालन होता था तथा तलाक नाम की कोई चीज़ नहीं थी।

परंतु पश्चिम के विचारों, मूल्यों तथा आदर्शों की वजह से विवाह के कई नियमों में परिवर्तन हुए। बाल विवाह पर रोक लगाना तथा देरी से विवाह करना, विधवाओं को दोबारा विवाह की छूट, प्रेम विवाह का प्रचलन बढ़ा तथा कोर्ट मैरिज होने लगी, तलाकों की गिनती में बढ़ोत्तरी हुई तथा कुलीन तथा बहुविवाह की संख्या में कमी आई। एक विवाह को ही ठीक माना जाने लगा। पश्चिमीकरण के कारण विवाह अब एक समझौता मात्र बन कर रह गया है। प्रेम विवाह तथा कोर्ट मैरिज के बढ़ने के साथ-साथ तलाकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

3. नातेदारी पर प्रभाव (Impact on Kinship)-भारतीय समाज में नातेदारी की मनुष्य के जीवन में अहम भूमिका रहती है। मगर पश्चिमीकरण के कारण व्यक्तिवाद, भौतिकवाद, गतिशीलता तथा समय धन है, आदि अवधारणाओं का भारतीय संस्कृति में तीव्र विकास हआ। इससे ‘विवाह मलक’ तथा ‘रक्त मूलक’ (Affinal & Consaguineoun) दोनों प्रकार की नातेदारियों पर प्रभाव पड़ा।

द्वितीयक एवं तृतीयक (Secondary & Tertiary) संबंध शिथिल पड़ने लगे।प्रेम विवाहों तथा कोर्ट विवाहों में विवाहमूलक नेतादारी कमज़ोर पड़ने लगी। विवाह, जन्म दिवस तथा उत्सवों पर नातेदारी का स्थान मित्र मंडली एवं सहकर्मी लेने लगे। पश्चिमी समाजों में नातेदारी को विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता।

इसलिए अनेक समानांतर संबंधियों को एक ही शब्द से संबोधित किया जाता है। इन शब्दों का भारतीय समाज में बढ़ता प्रचलन नातेदारी के महत्त्व में परिवर्तनों का द्योतक है, जैसे चाचा, ताया, फूफा, मौसा तथा मामा पांच अलग-अलग संबंधी हैं, जिनके लिये अंकल (Uncle) शब्द का प्रयोग किया जाने लगा है। इस तरह चचेरे, ममेरे, फुफेरे भाई-बहिनों को (Cousin) कहा जाने लगा है।

4. जाति प्रथा पर प्रभाव (Impact on Caste System) सहस्त्रों वर्षों से भारतीय समाज की प्रमुख संस्था, जाति में पश्चिमीकरण के कारण अनेक परिवर्तन हुए। अंग्रेजों ने भारत में आने के बाद बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किये और यातायात तथा संचार के साधनों जैसे-बस, रेल, रिक्शा, ट्राम इत्यादि का विकास व प्रसार किया। इसके साथ-साथ भारतीयों को डाक, तार, टेलीविज़न, अखबारों, प्रेस, सड़कों व वायुयान आदि सुविधाओं को परिचित कराया।

बड़े साथ उद्योगों की स्थापना की गई। इनके कारण विभिन्न जातियों के लोग एक स्थान पर उद्योग में कार्य करने लग गए। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए आधुनिक यातायात के साधनों का प्रयोग होने लगा। इससे उच्चता व निम्नता की भावना में भी कमी आने लगी। एक जाति के सदस्य दूसरी जाति के व्यवसाय को अपनाने लग गए। सेवाओं के बदले अनाज के स्थान पर पैसे दिये जाने लगे और पैसे के आधार पर दूसरी जाति के सदस्यों की सेवाएं ली जाने लगीं।

एक साथ काम करने के कारण खान-पान संबंधी जातीय प्रतिबंध भी कमज़ोर पड़ने लगे। भारतीय समाज में जातीय आधार पर पंचायतों के गठन के स्वरूप में भी कमी आई। पश्चिम के समानता के मूल्यों एवं वैज्ञानिक ज्ञान ने भारतीय समाज में जातीय भेदभाव को कम किया तथा समानता के विचारों का प्रसार किया।

5. अस्पृश्यता (Untouchability)-अस्पृश्यता भारतीय जाति व्यवस्था का अभिन्न अंग रही थी। मगर समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व पर आधारित पश्चिमी मूल्यों ने जातीय भेदभाव को कम किया। जाति तथा धर्म पर भेदभाव किये बिना सभी के लिये शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश की अनुमति, सभी के लिये एक जैसी शिक्षा व्यवस्था, समान योग्यता प्राप्त व्यक्तियों के लिये समान नौकरियों पर नियुक्ति आदि कारकों से अस्पृश्यता में कमी आई। अंग्रेज़ों ने औद्योगीकरण व नगरीयकरण को बढ़ावा दिया। विभिन्न जातियों के लोग रेस्टोरेंट, क्लबों में एक साथ खाने-पीने एवं बैठने लग गए। अतः पश्चिमीकरण के कारण भारत में अस्पृश्यता में कमी आई।

6. धार्मिक जीवन पर प्रभाव (Impact on Religious life)-भारत में अंग्रेज़ी शासन से पूर्व अनेक धार्मिक अंधविश्वासों, कर्मकांडों, पाखंडों आदि का प्रचलन था। पाश्चात्य शिक्षा के प्रभाव एवं इसाई धर्म प्रचारकों के धर्म प्रचार के कारण धार्मिक एवं सुधारवादी अंदोलन आरंभ किये गए। इन सबके कारण बहुत से धार्मिक अंधविश्वास एवं धार्मिक बुराइयां समाप्त हो गईं।

कई लोगों ने धर्म परिवर्तन कर अपने आपको ईसाई बना लिया। हिंदू धर्म में भी समानतावाद व मानवतावाद आदि तत्त्वों को बढ़ावा मिला। अतः पश्चिमी प्रभाव के कारण कई बुराइयों का अंत हुआ। इसके साथ ही लोगों में धार्मिक विश्वासों एवं प्रभाव में कमी आई। हिंदू धर्म में धर्मांधता में कमी आई तथा धर्म में तर्कवाद तथा ईसाई धर्म का भारतीयकरण हुआ।

7. स्त्रियों की प्रस्थिति में परिवर्तन (Change in Status of Women)-अंग्रेजों के भारत में आगमन के समय भारत में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न थी। सती प्रथा पर्दा प्रथा तथा बाल-विवाह का प्रचलन था तथा विधवा पनर्विवाह पर रोक होने के कारण महिलाओं की स्थिति काफ़ी दयनीय थी। अंग्रेजों ने सती प्रथा को अवैध घोषित किया तथा विधवा विवाह को पुनः अनुमति दी। पश्चिमी शिक्षा के प्रसार व प्रचार के माध्यम से चूंघट प्रथा में कमी आई।

पश्चिमीकृत महिलाओं ने पैंट-कमीज़ पहननी आरंभ की। लाखों महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति चेतना आई और उन्होंने केवल घर को संभालने की पारंपरिक भूमिका को त्यागकर पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर दफ्तरों में विभिन्न पदों पर नौकरी करनी आरंभ कर दी। इस तरह स्त्रियां अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने में सफ़ल हुई।

8. शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव (Impact in the field of Education)-भारत की परंपरागत शिक्षा प्रणाली पर भी पश्चिम का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। अंग्रेजों के भारतवर्ष में आने से पूर्व यहां शिक्षा में गुरुकुल प्रणाली प्रचलित थी तथा शिक्षा सभी लोगों के लिये उपलब्ध नहीं थी। शैक्षणिक संस्थाओं में संस्थाओं में साधारणतया उच्च जाति के लोग ही प्रवेश कर सकते थे, निम्न जाति के लोगों को पाठशालाओं में शिक्षा की अनुमति नहीं थी, अगर पिछड़ी जाति के लोग शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिला ले भी लेते थे तो उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता था।

लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद अंग्रेजी संस्थाएं स्थापित की गई तथा साथ ही सार्वभौमिक शिक्षा प्रणाली आरंभ की गई जिसमें सभी जातियों एवं वर्गों के लोग शिक्षा ग्रहण करने लगे। लार्ड मैकाले ने 1835 में भारत में अंग्रेजी शिक्षा की नींव रखी। अंग्रेज़ी शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को राजकीय एवं प्रशासनिक सेवा में प्राथमिकता दी जाने लगी।

इस शिक्षा ग्रहण उपरांत भारतीयों के विचारों, मूल्यों, आदर्शों व जीवन शैली में अभूतपूर्व परिवर्तन आये। अंग्रेजी शिक्षा ने ही भारतीयों में राष्ट्रीयता एकता व समानता की भावना विकसित की। वर्तमान समय में कृषि, विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कानून आदि की दी जाने वाली शिक्षा व परीक्षण अंग्रेज़ी शिक्षा की ही देन है।

9. सामाजिक आदर्श व मूल्यों पर प्रभाव (Impact on Social Norms and Values) लोक रीतियों, रूढ़ियों, परंपराओं, प्रथाओं, नियमों, कानूनों एवं व्यवहारों के तरीकों, विश्वासों, शिष्टाचारों, अनुष्ठानों, मूल्यों, कलाओं तथा साहित्य के रूप में भारतीय समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है। अंग्रेज़ों के भारत में शासन स्थापित करने तथा ब्रिटेन वासियों के भारतवासियों के साथ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष संपर्क बढ़ने से इन सांस्कृतिक तत्त्वों में काफ़ी परिवर्तन आये।

इनका पश्चिमीकरण हुआ। अभिवादन करने में चरण-स्पर्श व प्रणाम का स्थान हाथ मिलाना, गुड मार्निंग करना ले रहे हैं। प्रथाओं को कानून का चोला पहनाया जा रहा है। जैसे-सती प्रथा को कानूनी अवैध करार दिया गया। विधवा पुनर्विवाह की अनुमति दी गई। विवाह, जन्म दिन तथा अन्य उत्सवों पर नातेदारियों, सगे संबंधियों, मित्रों तथा अन्य लोगों को उनके घर स्वतः जाकर आमंत्रित करने को अपेक्षा निमंत्रण कार्ड (Invitation-Card) देकर निमंत्रण दिया जाने लगा।

10. जीवन शैली पर प्रभाव (Impact on Way of life)-भारत की जीवन पद्धति पर पश्चिम का काफ़ी प्रभाव पड़ा है। बड़े-बड़े नगरों व शहरों में रिक्शाचालकों तक अंग्रेजी बोलते हुए देखे गये हैं। पहले यहां पर धोती-कुर्ता या पजामा पहना जाता था, वहीं आजकल कोट, पैंट, बुशर्ट, टाई, मौजा ही पहनने लगे। अंग्रेज़ी फ़ैशन ने भारतीय फैशन पर अपना काफ़ी रंग चढ़ाया। महिलाओं में ऊंची ऐड़ी के सैंडिल, साड़ी, ब्लाऊज, जीन तथा मैकसी, इत्यादि का प्रयोग होता है।

समाज में शिक्षित लोग मकानों की सजावट व बनावट-रहन सहन के ढंग तथा उत्सवों या पार्टियों आदि में पश्चिमी मान्यताओं का अनुकरण करते हुए देखे जाते हैं। सौंदर्य प्रसाधनों का भी अधिकाधिक प्रयोग प्रतिष्ठा का सूचक माना जाता है। अब लोग विलासता को वस्तुएं, टेलीविज़न, फ्रिज, टेप रिकार्ड, कपड़े धोने की मशीन, कार आदि को भी अपने जीवन का अंग बना रहे हैं। अंग्रेजी संगीत में बढ़ती हुई रुचि, क्लब संस्कृति का प्रसार, पश्चिमी तरीकों से पार्टियों का आयोजन, छुरी और कांटों से मेज पर बैठकर भोजन करना, पश्चिमी जीवन शैली के बढ़ते हुए प्रभाव को दर्शाता

11. भाषाओं पर प्रभाव (Impact on Languages)-सन् 1835 में लार्ड मैकाले ने अंग्रेज़ी भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में लागू किया। तत्पश्चात् ब्रिटिश शासन के दौरान तथा स्वतंत्रोपरांत भारत में निरंतर अंग्रेजी भाषा का प्रचार-प्रसार बढ़ता गया। यद्यपि अंग्रेज़ी-संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 18 भाषाओं में से नहीं है। इसे संपर्क भाषा (link language) के रूप में अपनाया गया है।

मगर वर्तमान समय में देश की अच्छी शैक्षणिक संस्थाओं तथा विशेषतः विश्वविद्यालयों तथा महाविश्वविद्यालयों में या तो अंग्रेजी विषय पढ़ाया जाता है या फिर विज्ञान, इंजीनियरिंग मैडीकल तथा व्यावसायिक कोरों में अंग्रेजी शिक्षा का माध्यम है। आधुनिक प्रजातंत्र, संसदीय प्रणाली तथा वर्तमान नौकरशाही तथा नागरिकों को दिये गये मौलिक अधिकार अंग्रेजों की ही देन हैं।

12. विश्वास एवं शिष्टाचार (Beliefs and Etiquettes)-प्राचीन काल से भारतीय समाज के अपने विशिष्ट विश्वास एवं शिष्टाचार रहे है। पश्चिमी सभ्यता के सम्पर्क में आने से इनमें अंतर आया है। पौराणिक काल से भारतीय समाज में चंद्रमा एवं सूर्य का मानवीकरण करके इन्हें शक्तियों के रूप में माना जाता रहा है। ये विश्वास किया जाता रहा कि राहू और केतू के दोनों तरफ से घेर लेने के कारण सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लगता है तथा ग्रहण के समय सूर्य घोर संकट में होता है।

मगर पश्चिमी ज्ञान-विज्ञान के भारत में प्रसार से शिक्षित वर्ग में यह वैज्ञानिक मान्यता के रूप में विकसित हुई है कि सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना मात्र है जिसमें चंद्रमा के सूर्य एवं पृथ्वी की रेखा में आने से सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर आने से रुक जाती है। शिष्टाचारों का भी पश्चिमीकरण हुआ है। चरण-स्पर्श, तथा दंडवत् करने के स्थान पर हाथ मिलाना, अतिथि को दूध-लस्सी के बजाए ठंडा पेय या काफ़ी देना आदि सभ्याचार भारत में पश्चिमीकरण के कारण ही है।

13. नव-प्रौद्योगिकी लागू करना (Introducting of New Technology)-अंग्रेजों ने भारत में नव शिल्पास्त्र लागू किया। उन्नत तकनीक के भारत में लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वरूप एवं लोगों की जीवन-शैली में कई परिवर्तन आये। उन्होंने रेलों का विकास किया (सन् 1853 में प्रथम रेलगाड़ी मुंबई से थाने के बीच प्रारंभ की। सड़कों का निर्माण किया, प्रेस विकसित की। घरेलू उपयोग के लिये स्टील के बर्तन बनाये।

बसों, रेलों, तथा जहाजों का निर्माण तथा डाक-तार एवं छापखाने (Printing press) के विकास से यातायात एवं दूरसंचार में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। लोगों ने पारंपरिक रूप से भूमि पर बैठकर पत्ती में खाना खाने की जगह कुर्सी-मेज पर बैठकर स्टील की थाली प्लेट में चम्मच-छुरी-कांटे के साथ खाना आरंभ किया।

औदयोगीकरण (Industrialisation) अंग्रेजों ने भारत में अपने शासनकाल के आरंभ में ही यहां की अमूल्य वस्तुओं तथा कच्चे माल को इंग्लैंड ले जाना प्रारंभ किया। अपने देश में इस कच्चे माल से नई-नई वस्तुओं का निर्माण करके उन्हें भारत में बेचना आरंभ कर दिया। उन्नत तकनीक से मशीनों द्वारा निर्मित वस्तुएं सस्ती एवं अधिक गुणवत्ता वाली होती थीं। जबकि भारतीयों द्वारा भारत में लघु एवं कुटीर उद्योग में निर्मित वस्तुएं अपेक्षाकृत महंगी तथा कम गुणवत्ता वाली होती थी।

फलस्वरूप भारतीय उद्योग को काफ़ी धक्का लगा। ज़मींदारी व्यवस्था लागू करने एवं उद्योगों पर ब्रिटिश उद्योग व्यापार के विपरीत प्रभाव पड़ने से देश की अर्थव्यवस्था काफ़ी कमज़ोर हो गई। तत्पश्चात् अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर बड़े उद्योग (Heavy Industries) स्थापित किये। इनमें वस्तुओं का निर्माण मशीनों से किया जाने लगा। स्थानीय बाजार की खपत से अधिक वस्तुएं तैयार की गईं जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ा। मगर अंग्रेजों ने भारतीय संसाधनों का दोहन कर जो धन एकत्रित किया उसका निरंतर इंग्लैंड को प्रवाह होता गया।

प्रश्न 10.
धर्म निरपेक्षता क्या होती है? धर्म निरपेक्षता के क्या कारण हैं?
अथवा
धर्मनिरपेक्षीकरण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
धर्मनिरपेक्षीकरण के दो कारक लिखें।
अथवा
पंथनिरपेक्षीकरण पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
उत्तर:
धर्म निरपेक्षता का अर्थ (Meaning of Secularism)-भारतीय समाज 20वीं शताब्दी से ही पवित्र समाज (Sacred Society) से एक धर्म निरपेक्ष समाज (Secular Society) में परिवर्तित हो रहा है। इस शताब्दी के अनेक विद्वानों, विचारकों एवं राजनीतिज्ञों ने यह महसूस किया कि धर्म निरपेक्षता के आधार पर ही विभिन्न धर्मों का देश भारत संगठित रह पाया है। धर्म निरपेक्षता के आधार पर राज्य के सभी धार्मिक समूहों व धार्मिक विश्वासों को एक समान माना जाता है।

निरपेक्षता का अर्थ समानता या तटस्थता से है। राज्य सभी धर्मों को समानता की दृष्टि से देखता है तथा किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। धर्म निरपेक्षता ऐसी नीति या सिद्धांत है, जिसके अंतर्गत लोगों को किसी विशेष धर्म को मानने या पालन करने के लिये बाध्य नही किया जाता है।

धर्म निरपेक्षीकरण का अर्थ (Meaning of Secularization) धर्म निरपेक्षीकरण को उस सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रक्रिया के रूप में समझा जा सकता है जिनके द्वारा धार्मिक एवं परंपरागत व्यवहारों में धीरे-धीरे तार्किकता या वैज्ञानिकता का समावेश होता जाता है। अनेक विद्वानों ने धर्म निरपेक्षीकरण को अग्रलिखित परिभाषाओं से परिभाषित किया है।

डॉ० एम० एन० श्रीनिवास (Dr. M.N. Srinivas) के शब्दों में “धर्म निरपेक्षीकरण अथवा लौकिकीकरण शब्द का यह अर्थ है कि जो कुछ पहले धार्मिक माना जाता था, वह अब वैसा नहीं माना जा रहा है, इसका अर्थ विभेदीकरण की प्रक्रिया से भी है जो कि समाज के विभिन्न पहलुओं, आर्थिक, राजनीतिक, कानूनी और नैतिक के एक दूसरे से अधिक पृथक होने से दृष्टिगोचर होती है।”

डॉ० राधा कृष्णन (Dr. Radha Krishnan) के अनुसार, “लौकिकीकरण या धर्म निरपेक्षीकरण, धार्मिक निरपेक्षता व धार्मिक सहअस्तित्ववाद है।” उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर धर्म-निरपेक्षीकरण एक सांस्कृतिक एवं सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमें मानव के व्यवहार की व्याख्या धर्म के आधार पर नहीं, अपितु तार्किक आधार पर की गई है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत धर्म का प्रभाव कम हो जाता है तथा घटनाओं को कार्य-कारण संबंधों के आधार पर समझा जाता है।

आत्मगतता व भावुकता (Subjectivity and Emotionality) का स्थान वस्तु निष्ठता (Objectivity) एवं वैज्ञानिकता ने ले ली है। अतः धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया में, धार्मिकता का ह्रास, बुद्धिवाद के महत्त्व, विभेदीकरण, वैज्ञानिकता, वस्तुनिष्ठता, तथा व्यक्ति को किसी भी धर्म या धार्मिक सोपान की सदस्यता प्राप्त करने की स्वतंत्रता व अधिकार होता है।।

धर्म निरपेक्षीकरण के कारण (Factor of Secularization) धर्म निरपेक्षीकरण से भारतीय समाज में सामाजिक एवं सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोणों में काफ़ी परिवर्तन किये गये हैं। इन क्षेत्रों में प्रभाव को देखने से पहले उन कारणों को जानना ज़रूरी है जिन्होंने धर्म निरपेक्षीकरण को संभव बनाया है। धर्म-निरपेक्षीकरण के विकास के निम्नोक्त कारक हैं-
1. धार्मिक संगठनों में कमी (Lack of Religious Organisations)-धार्मिक निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का विकास धार्मिक संगठनों का अभाव कारण रहा है। भारतीय समाज में अनेक धर्मों के संप्रदाय पाए जाते हैं। इन संप्रदायों में हिंदू धर्म ही एक ऐसा संप्रदाय है जिनके अनेक मत पाये जाते हैं। बाकी धर्मों जैसे सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम, इन सभी में एक ही मत व संप्रदाय होता है। इसी कारण ये लोग अपने संप्रदाय के प्रति काफ़ी कठोर विचारधारा के होते हैं।

इसके विपरीत हिंदू धर्म में अनेक मतों के कारण कोई अच्छा संगठन नहीं है। एक हिंदू दूसरे हिंदू की धार्मिक आधार पर निंदा या आलोचना करता है। इस सबका प्रभाव हिंदू धर्म पर पड़ा। एक ओर तो लोग उच्च जातियों के अत्याचारों एवं शोषण से दुखी होकर हिंदू धर्म को अपनाया दूसरी ओर पढ़े-लिखे हिंदू इस धार्मिक कट्टरता से दूर होते चले गये। यह लोग हिंदू धर्म में पाये जाने वाले विश्वासों, अंधविश्वासों, कर्मकांडों, आदर्शों व मूल्य का विरोध कर रहे थे। भारतीय समाज में यह सभी कारण धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया में सहयोग देते आ रहे हैं।

2. भारतीय संस्कृति (Indian Culture) भारतीय संस्कृति का अपने आप ही निरपेक्षीकरण हो रहा है क्योंकि भारतवर्ष एक धर्म निरपेक्ष (Secular Republic) गणराज्य है। एक धर्म निरपेक्ष राज्य होने के कारण अनेक धर्मों व जातियों के संप्रदाय एक-दूसरे के नज़दीक आते रहते हैं तथा एक दूसरे संप्रदाय की अच्छाइयां व बुराइयों का भी ज्ञान अर्जित करते रहते हैं तथा उनका मूल्यांकन करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त पाश्चात्य संस्कृति ने भी धर्म निरपेक्षीकरण के आधार पर परिवर्तनों में अहम भूमिका निभाई है।

3. यातायात एवं संचार (Transportation and Communications) यातायात व संचार की सुविधाओं में माज में गतिशीलता को बढ़ावा मिला है। इन्हीं साधनों की वजह से नये-नये नगरों, व्यवसायों व उद्योगों का भी विकास हुआ। इन विभिन्न साधनों के द्वारा विभिन्न प्रकार के धर्म, जाति, प्रदेश व देश के लोग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। संपर्क में आने से ही आपसी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इससे विभिन्न धर्मों की तार्किक आलोचना की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा मिला। इससे पवित्र-अपवित्र एवं अस्पृश्यता के विचारों में कमी आई। ये सभी तत्त्व धर्म-निरपेक्षीकरण के विकास को प्रोत्साहित करते हैं।

4. पाश्चात्य संस्कृति (Western Culture)-भारतीय संस्कृति के ऊपर भी पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय जीवन के सभी पहलुओं पर प्रभाव डाला है। यहां के धर्म, कला, साहित्य, सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक जीवन में कई परिवर्तनों को पाश्चात्य संस्कृति के संदर्भ में समझा जा सकता है। वास्तव में धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के विकास में पाश्चात्य संस्कृति का ही मूल रूप से सहयोग रहा है।

5. आधुनिक शिक्षा (Modern Education)–वर्तमान समय की शिक्षा पद्धति ने भी धर्म-निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के विकास में सर्वोपरि भूमिका निभाई है। भारतवर्ष में आधुनिक शिक्षा पद्धति पाश्चात्य शिक्षा का ही रूप है। शिक्षा पद्धति में पाश्चात्य मूल्यों के विकास के साथ भारतीय मूल्यों में भी परिवर्तन हुआ। इसका प्रभाव सबसे अधिक धार्मिक विश्वासों व मूल्यों पर पड़ा आधुनिक शिक्षित व्यक्ति केवल मात्र धर्म के आधार पर अंध-विश्वासों, नियमों या बंधनों को नहीं अपनाता।

मूल्यांकन के पश्चात् ही अपने आपको उन बंधनों से बांधता है। वर्तमान शिक्षा पद्धति ने व्यक्ति की सोच को व्यावहारिकता व वैज्ञानिकता के आधार पर विकसित किया है। इसके साथ ही स्त्री शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। शिक्षा पद्धति में आये हुए परिवर्तनों के कारण ही भारतीय समाज में लिप्त कई बुराइयों जैसे-छुआछूत, अस्पृश्यता की भावना, जातीय आधार, उच्च शिक्षा आदि में कमी आई है। सहशिक्षा (Co-education) को भी अवसर दिया जाता है।

6. नगरीयकरण (Urbanization)-नगरीयकरण ने धर्म निरपेक्षीकरण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। शहरों व नगरों में ही धर्म निरपेक्षवाद सबसे अधिक विकसित हुआ। नगरों में ऐसे वह सब साधन मौजूद होते हैं, जैसे विकसित यातायात व संचार की सुविधाएं, उच्च शिक्षा, भौतिकवाद, तार्किकतावाद या विवेकवाद, व्यक्तिवादिता, फैशन, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव इत्यादि जो मिलकर धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का विकास करते हैं।

प्रश्न 11.
धर्म निरपेक्षता के भारतीय सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़े?
अथवा
धर्मनिरपेक्षीकरण के भारतीय समाज पर प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक, जीवन पर धर्म निरपेक्षता के प्रभाव (Impact of Secularization on Indian Social and Cultural Life)-डॉ० एम० एन० श्रीनिवास ने अपनी सुप्रसिद्ध कृति Social change in Modern India में धर्म-निरपेक्षीकरण के भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन पर पड़े अनेक प्रभावों एवं परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों का सविस्तार उल्लेख किया जिसका वर्णन अग्रलिखित है-
1. पवित्रता एवं अपवित्रता की धारणा में परिवर्तन (Change in the Concept of Purity and Pollution)-धर्म रण के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में पवित्रता एवं अपवित्रता की धारणा काफ़ी परिवर्तित हई है। इसके प्रभाव के कारण, जाति, व्यवसाय, खान-पान, विवाह, पूजा-अर्चना, संबंधी अनेक धारणाओं में धर्म का प्रभाव कम हुआ है तथा अपवित्रता संबंधी कट्टर विचारों में भी कमी आई है।

विभिन्न जातियों के व्यक्ति आपस में इकट्ठे होकर रेल, बस आदि में यात्रा करते हैं। मिलकर रैस्टोरैंट या रेस्तरां आदि में खाते-पीते हैं। एक जाति दूसरी जाति के व्यवसाय को अपना रही है। निम्न जाति के व्यक्ति उच्च जाति के व्यवसायों को अपना रहे हैं जिससे उनकी सामाजिक स्थिति भी पहले से बेहतर हुई है।

संस्कृतिकरण की प्रक्रिया के आधार पर भी निम्न जातियों ने उच्च जाति की उच्च जीवन-शैली को अपनाया है। वर्तमान समय में परंपरागत पवित्रता एवं अपवित्रता संबंधी विचारधारा में परिवर्तन हुआ है। अब लोग किसी भी चीज़ को तार्किकता व स्वास्थ्य नियमों के आधार पर स्वीकार या अस्वीकार करने लगे हैं। इन सब तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि धर्म निरपेक्षीकरण ने भारतीयों की विचारधारा में अनेक आधारों पर परिवर्तन किये।

2. जीवन चक्र एवं संस्कार में परिवर्तन (Change in Life Cycle and Rituals)-संस्कार हिंदू धर्म का मूल आधार माने जाते हैं। भारतीय समाज में मुख्यतः हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य का आरंभ संस्कारों के आधार पर ही होता है। हिंदू धर्म के अंतर्गत जब एक बच्चा अपनी मां के गर्भ में आता है, तभी ही गर्भदान संस्कार पूरा कर दिया जाता है तथा इसके पश्चात् समय-समय पर दूसरे संस्कार जैसे-चौल, नामकरण, उपनयन (जनेऊ संस्कार), समावर्तन, विवाह आदि किए जाते हैं। जब व्यक्ति अपना शरीर त्याग देता है तो भी अंतिम संस्कार (अंत्येष्टि) किया जाता है अर्थात् हिंदू समाज
की नींव संस्कारों के बीच ही गडी हई है।

वर्तमान समय में बढ़ते धर्म-निरपेक्षीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण इन संस्कारों का संक्षिप्तिकरण हो रहा है। कुछ एक संस्कारों को ही पूरा किया जाता है तथा अन्य संस्कार जैसे-नामकरण, चौथ एवं उपाकर्म इत्यादि को पूरा नहीं किया जाता। ब्राह्मणों एवं उच्च जातियों में विधवा का मुंडन संस्कार किया जाता था जो अब लगभग न के बराबर है। इसके साथ ही कुछ एक संस्कारों को एक साथ ही मिला दिया गया है; जैसे-उपनयन संस्कार विवाह के आरंभ में ही संपन्न करवा दिया जाता है। वर्तमान समय में दैनिक जीवन के कर्मकांड जैसे-स्नान, पूजा, अर्चना, वेद, पाठ, भजन-कीर्तन इत्यादि के लिये भी व्यक्ति नाम मात्र समय देता है। ये सब परिवर्तन बढ़ते धार्मिक निरपेक्षीकरण के कारण ही हैं।

3. परिवार में परिवर्तन (Change in Family) भारतीय समाज में संयुक्त परिवार (Joint family) पारिवारिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण रूप है। सामाजिक जीवन में परिवार एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था माना जाता है। कृषि मुख्य व्यवसाय होने के कारण भारतीय समाज में संयुक्त परिवार व्यवस्था को ही उचित व्यवस्था माना जाता था।

परिवार में सभी सदस्य मिलकर साझे रूप से ज़मीन पर खेती करते तथा साझे रूप से ही अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिये अपनी आय का खर्च करते थे। संयुक्त परिवार में संपूर्ण पारिवारिक सदस्य सामान्य हित के लिये कार्य करते थे। संयुक्त परिवार में एक साथ तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य इकट्ठे एक ही घर में ही रहते थे।

वर्तमान में बदलती परिस्थितियों के अनुसार संयुक्त परिवार में भी परिवर्तन हुआ। आज संयुक्त परिवारों का विघटन हो रहा है। इनकी जगह एकाकी परिवार विकसित हो रहे हैं। संयुक्त परिवारों में जो कार्य पारिवारिक सदस्य मिल-जुल कर एक-दूसरे के सहयोग से पूरा करते थे, आज वही कार्य अनेक दूसरी समितियों व संस्थाओं को हस्तांतरित हो रहे हैं।

वर्तमान समय में परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के विचारों को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। इसके साथ अब बड़े बूढ़े भी अपनी विचारधारा को नयी पीढ़ी के साथ परिवर्तित कर रहे हैं। परिवारों में जिन त्यौहारों को धार्मिकता के आधार पर परंपरागत रूप से मनाया जाता था। उन त्यौहारों को धार्मिक तथा सामाजिक अवसर अधिक माना जाता है। इन सब आधारों पर स्पष्ट हो जाता है कि पारिवारिक संस्था को धर्म निरपेक्षीकरण ने पूर्णतः प्रभावित किया है।

4. ग्रामीण समुदाय में परिवर्तन (Change in Rural Community)-धर्म निरपेक्षीकरण का प्रभाव नगरों के साथ-साथ ग्रामीण समुदाय में भी देखने को मिलता है। ग्रामीण समुदायों में जातीय पंचायतों के स्थान पर निर्वाचित पंचायतों का विकास हो रहा है। जहां पर भी ये जातीय पंचायतें अगर हैं भी तो वहां पर ये धार्मिक लक्ष्यों के आधार पर नहीं बल्कि राजनैतिक उद्देश्यों को लेकर संगठित की गई हैं।

ग्रामीण समाज में प्रतिष्ठा व सम्मान जातीय या धार्मिकता के आधार पर होता था, वहां अब धन व संपत्ति के आधार पर होने लगा है। वर्तमान समय में निम्न जातियों के व्यक्तियों को भी धन के आधार पर उच्च जाति के व्यक्तियों से अधिक सम्मान दिया जाने लगा है। ग्रामीण समाजों पर परिवार व विवाह संबंधों में भी धर्म निरपेक्षीकरण के परिणामस्वरूप अंतर्विवाह (Intercaste-marriage) का प्रचलन बढ़ा है।

ग्रामों में धार्मिक उत्सव को धार्मिकता के आधार पर कम तथा सामाजिक उत्सवों के रूप में अधिक मनाया जाने लगा है। उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय समाज के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को मूल रूप से प्रभावित किया है। इस प्रक्रिया ने एक और नये सांस्कृतिक मूल्यों के विकास में योगदान दिया है तो दूसरी ओर भारतीय प्रथागत अथवा परंपरागत मूल्यों, आदर्शों को भी विघटित करने में अपनी भूमिका निभाई है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 सांस्कृतिक परिवर्तन

प्रश्न 12.
संस्कृतिकरण क्या होता है? इसकी विशेषताओं का वर्णन करो।
अथवा
संस्कृतिकरण पर निबंध लिखें।
अथवा
संस्कृतिकरण के अर्थ और विशेषताओं की व्याख्या करें।
अथवा
संस्कृतिकरण की परिभाषा दें तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
संस्कृतिकरण की परिभाषा दीजिए। संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या करें।
अथवा
संस्कृतिकरण पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
उत्तर:
संस्कृतिकरण का अर्थ (Meaning of Sanskritization)-प्रो० श्रीनिवास ने भारतीय समाज में विभिन्न व्यक्तियों से संबंधित निश्चित पहलुओं में परिवर्तनों की प्रक्रिया को संस्कृतिकरण का नाम दिया। उन्होंने, अपनी पुस्तक ‘Social Change in Modern India’ में लिखा है कि भारतीय इतिहास में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रही है और अब भी यह जारी है।

प्रो० एम० एन० श्रीनिवास ने ‘आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन’ नामक कृति में संस्कृतिकरण के अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है, “संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिंदू जाति या जनजाति या अन्य समूह अपनी प्रथाओं, कर्मकांड, विचारधारा तथा जीवन शैली के उच्च व बहुधा ‘द्विज’ की दिशा में बदल लेता है”

श्रीनिवास उसके आगे लिखते हैं, “साधारण तथा ऐसे परिवर्तनों के पश्चात् वह जाति स्थानीय समुदाय द्वारा जातीय सोपान में प्रदत्त स्थान से उच्च स्थान का दावा करने लगती है। सामान्यतः ऐसा दावा कुछ समय के पश्चात् बल्कि एक-दो पीढ़ियों के पश्चात् किया जाता है जिसकी उसे स्वीकृति मिल जाती है। कभी-कभी कोई जाति ऐसे स्थान का दावा करती है जिसे मानने के लिए पड़ोसी जाति सहमत नहीं होती है।”

उपरोक्त सत्र दवारा स्पष्ट है कि संस्कतिकरण निम्न जाति, जनजाति एवं अन्य समह की परंपराओं. कर्मकांडों. विचारधारा तथा जीवन शैली में उच्च व्यक्ति व द्विज की दिशा में परिवर्तनों की प्रक्रिया है। ऐसे परिवर्तनों के कुछ समय के पश्चात उक्त समूह जातीय संस्कृति में प्राप्त पारंपरिक स्थान से उच्च स्थान प्राप्ति का दावा करते हैं।

संस्कृतिकरण की विशेषताएं
(Characteristics of Sanskritization)
1. पदमूलक परिवर्तन (Positional Changes)-संस्कृतिकरण द्वारा निम्न जातियों, जनजातियों में केवल पदमूलक परिवर्तन होते हैं। इस संबंध में श्रीनिवास लिखते हैं, “संस्कृतिकरण से व्यवस्था में पदमूलक परिवर्तन होते हैं। इसके कारण संरचनात्मक परिवर्तन नहीं होते। इससे अभिप्राय यह है कि एक जाति अपनी पड़ोसी जाति से ऊपर जाती है व दूसरी नीचे आ जाती है परंतु ऐसा केवल स्थिर सोपानात्मक व्यवस्था के अंतर्गत ही होता है। इससे व्यवस्था में परिवर्तन नहीं होता है।”

2. संस्कृतिकरण केवल ब्राह्मणीकरण नहीं है। (Sanskritization is not Merely Brahmani-zation) श्रीनिवास ने अपने अध्ययनों में यह पाया कि ‘कुर्ग’ ब्राह्मणों की जीवन पद्धति का अनुकरण कर रहे हैं। मगर श्रीनिवास के अतिरिक्त योगेंद्र सिंह ने भी इस बात के माना है कि संस्कृतिकरण केवल ब्राह्मणीकरण नहीं है। यह ब्राह्मणीकरण से वृहद् अवधारणा है जिसमें क्षत्रियकरण तथा वैश्यकरण भी सम्मिलित है। क्योंकि निम्न जातियां क्षत्रियों व वैश्य की परंपराओं व विचारधाराओं का भी अनुसरण करती हैं।

3. संस्कृतिकरण के कई प्रारूप हैं (Sanskritization has many Models)-संस्कृतिकरण का वर्ण ही केवल एक प्रारूप नहीं है, कई प्रारूप हैं। मिल्टन सिंगर (Milton Singer) ने कहा है, “संस्कृतिकरण के एक या दो नहीं बल्कि कम से कम तीन या चार आदर्श मौजूद हैं।”

4. उच्च जातियों का अनुकरण (Imitation of High Castes) निम्न जातियां, जनजातियां तथा अन्य समूह हिंदू जातियों की परंपराओं, लोक रीतियों, विचारधाराओं एवं व्यवहार के तरीकों को अपनाती हैं। वे द्विजों द्वारा किए जाने वाले कर्मकांडों को करती हैं। यद्यपि जाति व्यवस्था के अंतर्गत निम्न जातियों को ऐसा करने की मनाही है। संस्कृति निम्न वर्गों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली के अनुकरण की प्रक्रिया है।

संतिकरण का संबंध समह से है (Sanskritization is Related to Group)-संस्कतिकरण के दवारा समूह की स्थिति में परिवर्तन आता है। यह अकेले व्यक्ति व परिवार से संबंधित नहीं है क्योंकि यदि व्यक्ति संस्कृतिकरण द्वारा उच्च जातीय स्थिति का दावा करने लगे तो संभव है कि उसे अपनी जाति के अन्य सदस्यों के विरोध, हास्य व व्यंग्य, निंदा व चर्चा कर सामना करना पड़े।

6. निरंतर प्रक्रिया (Continuous Process)-संस्कृतिकरण एक निरंतर प्रक्रिया है जो अविरुद्ध जारी रहती है। श्रीनिवास का मानना है कि केवल दक्षिण भारत के वर्गों में ही संस्कृतिकरण नहीं पाया जाता बल्कि देश को विभिन्न भागों, ग्रामीण, जनजातीय तथा नगरीय समुदाय में भी यह प्रक्रिया पाई जाती है।

7. गैर-हिंदुओं का भी संस्कृतिकरण होता है (There is also Sanskritization of Non-Hindu) केवल हिंदू जातियों का ही नहीं बल्कि गैर-हिंदू जातियों का भी संस्कृतिकरण होता है। भारत की जनजातियों; जैसे भील, गोंड, औगज आदि का संस्कृतिकरण हुआ। उसके बाद वह हिंदू कहलाईं।

8. संस्कृतिकरण विरोध रहित नहीं है (Sanskritization is not without Opposition)-संस्कृतिकरण विरोध रहित नहीं है, जब निम्न जाति पूर्व प्राप्त सामाजिक स्थिति से उच्च स्थिति का दावा करती है तब उच्च जातियों द्वारा उसका विरोध होता है। क्योंकि निम्न जातियों के ऐसा करने से उनका स्थान पड़ोसी जाति से ऊपर (उच्च) हो जाता है। फलस्वरूप पड़ोसी उच्च जाति की कथित जाति से सामाजिक दूरी तो घटती ही है बल्कि उसका अपना स्थान पहले से निम्न हो जाता है। श्रीनिवास का मानना है कि उत्तरी बिहार में जब राजपूतों और ब्राह्मणों ने अहीरों को विजों के प्रतीक चिन्हों को अपनाने से रोका तो उनके बीच संघर्ष आरंभ हो गया।

निम्न वर्गों में सामाजिक परिवर्तन (Social Changes Among Lower Classes)-संस्कृतिकरण निम्न वर्गों, निम्न जातियों, जनजातियों तथा ऐसे अन्य समूहों में सामाजिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत निम्न जातियों की लोक रीतियों, रूढ़ियों, परंपराओं, प्रथाओं, मूल्यों, शिष्टाचारों, विश्वासों, कर्मकांडों तथा मान्यताओं में परिवर्तन आता है।

10. उच्चतर स्थिति का दावा (Claim of Higher Status)-संस्कृतिकरण के द्वारा निम्न जातियां तथा जनजातियां, जातीय सोपान में उन्हें जो स्थान प्राप्त होता है, उससे उच्च स्थान होने का दावा करती हैं। श्रीनिवास लिखते हैं. “हमें भारत की 1921 की जनगणना रिपोर्ट से पता चलता है कि उत्तर भारत के अहीरों ने उपनयन डालकर क्षत्रिय कहलाना आरंभ कर दिया।”

प्रश्न 13.
संस्कृतिकरण के निम्न जातियों पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
भारतीय समाज में संस्कृतिकरण से जाति व्यवस्था पर कई प्रभाव पड़े। इस प्रक्रिया के चलते जाति एवं वर्ग नहीं रह पाया विशेषतः निम्न जातियों में अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए प्रयास जारी हैं। इससे उनके पारंपरिक जातीय प्रतिबंध शिथिल होते हैं। संस्कृतिकरण से निम्न जातियों पर पड़ने वाले प्रभावों व इससे निम्न जातियों में होने वाले परिवर्तनों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है
(1) संस्कृतिकरण से निम्न जातियों में गतिशीलता बढ़ी।

(2) संस्कृतिकरण से निम्न जातियों की प्रस्थिति में सुधार हुआ है। उच्च जातियों की परंपराओं, कर्मकांडों, विचारधारा व जीवन शैली को अपनाने के कुछ समय के पश्चात् निम्न जातीय समूह अपने से तुरंत ऊपर जाति से उच्च स्थान होने का दावा करने लगी हैं। जब वे स्थानीय जातीय सोपान (Local Caste Hierarchy) में वांच्छित स्थान ग्रहण कर लेती हैं तो उससे उनमें पदमूलक सुधार (Positional) होता है।

(3) संस्कृतिकरण से निम्न जातियों की व्यावसायिक स्थिति में परिवर्तन आए हैं। उन्होंने अशुद्ध एवं अपवित्र समझे जाने वाले अपने पारंपरिक व्यवसाय छोड़ने प्रारंभ किए तथा शुद्ध व्यवसायों को अपनाया। यद्यपि पवित्र व्यवसायों को अपनाने की उनको मनाही है मगर पवित्रता के प्रति उनकी बढ़ती चेतना के कारण उन्होंने उच्च कहे जाने वाले व्यवसायों को अपनाना प्रारंभ किया है।

(4) संस्कृतिकरण से उनकी संस्कृति-लोक रीतियां, परंपराएं, प्रथाएं, विश्वास, मूल्य, व्यवहार व शिष्टाचार के तरीकों में परिवर्तन हुआ। उन्होंने उच्च जातियों की जीवन शैली का अनुकरण करना प्रारंभ किया जिससे उनकी जीवन पद्धति प्रभावित हुई।

(5) संस्कृतिकरण से निम्न जातियों के धार्मिक जीवन पर भी प्रभाव पड़ा। उन्होंने उच्च जातियों द्वारा किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों को अपनाना प्रारंभ किया है। यज्ञ-हवन, पूजा-पाठ करना प्रारंभ किया हैं। अशुद्धता का परित्याग तथा शुद्ध कार्यों को अपनाया है। हिंदू त्योहारों को मानने लगे हैं।

(6) उनकी आर्थिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। उद्योगों में व सरकारी नौकरियों में उनके प्रवेश से उनकी आय में वृद्धि हुई। वह शैक्षणिक, तकनीकी व व्यावसायिक योग्यता प्राप्त कर उच्च पदों पर कार्यरत होने लगे। आधुनिक व्यवसायों से उनकी आय बढ़ी जिससे उनकी आर्थिक स्थित में सुधार हुआ।

(7) निम्न जातियों के सामाजिक जीवन में भी काफ़ी परिवर्तन आए हैं। जातीय प्रतिष्ठा में सुधार करने के लिए इनके सदस्यों ने शिक्षा प्राप्त करनी प्रारंभ की है। उद्योगों, कार्यालयों व प्रशासन में नौकरियां प्राप्त की हैं। इससे उनकी समाज के उच्च वर्गों से अंतःक्रिया होने लगी। फलस्वरूप जातीय सामाजिक दूरी में कमी आई।

(8) आर्थिक स्थिति में सुधार, शिक्षा ग्रहण करने, नगरों के लिए स्थानांतरण व आवागमन और संचार साधनों के उपयोग से निम्न जातियों के रहन-सहन में परिवर्तन आया। उन्होंने पक्के भवन बनाने आरंभ किए। घर में फर्नीचर, मेज-कुर्सियां, दीवान, टी०वी०, फ्रिज, पंखे, रसोई-गैस आदि सुख-सुविधा की प्रत्येक वस्तु रखना प्रारंभ की।

(9) संस्कृतिकरण से निम्न जातियों के अपने मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़े हैं। उनमें गतिशीलता के बढ़ने, पवित्र व्यवसायों को अपनाने, उच्च शिक्षा ग्रहण करने, धार्मिक स्थलों पर भ्रमण करने से हीनता की भावना (Inferiority Complex) में कमी आई।

प्रश्न 14.
पश्चिमीकरण क्या होता है? इसकी विशेषताओं का वर्णन करो।
अथवा
पाश्चात्यकरण की चार विशेषताएँ बताएँ।
अथवा
पश्चिमीकरण का अर्थ बताएँ तथा इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा
पश्चिमीकरण क्या है? पश्चिमीकरण के प्रमुख तत्वों एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
पश्चिमीकरण की कोई तीन विशेषताएँ लिखें।
अथवा
पश्चिमीकरण को परिभाषित करें।
उत्तर:
पश्चिमीकरण का अर्थ (Meaning of Westernization) आम तौर पर पश्चिमीकरण का अर्थ पश्चिमी देशों के भारत पर प्रभाव से लिया जाता है। पश्चिमी देशों में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी व अमेरिका ऐसे राष्ट्र हैं जिनका भारतीय समाज पर काफ़ी प्रभाव रहा है। भारत में विशेषतयः शिक्षित वर्ग इन देशों के लोगों की जीवन शैली का अनुकरण करते रहे हैं। प्रो० एम० एन० श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण की बहुपक्षीय विवेचना की है।

अन्य समाजशात्रियों ने भी अत्र-कुत्र पश्चिमीकरण के अर्थ की व्याख्या की है हालांकि अधिकांश विद्वानों ने अपना ध्यान भारतीय समाज पर पश्चिमीकरण के प्रभावों की व्याख्या करने पर केंद्रित किया है। एम० एन० श्रीनिवास ने अपनी कृति ‘आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन’ में लिखा है, “पश्चिमीकरण शब्द के मैंने ब्रिटिश के डेढ़ सौ से अधिक वर्ष के शासन के परिणामस्वरूप भारतीय समाज व संस्कृति में उत्पन्न हुए परिवर्तनों के लिए प्रयोग किया है और यह शब्द विभिन्न स्तरों संस्थाओं, प्रौद्योगिकी, विचारधाराओं व मूल्यों आदि में होने वाले परिवर्तनों से संबंधित है।”

श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण के अंतर्गत केवल ब्रिटिश शासन या इंग्लैंड के भारत पर प्रभावों को ही सम्मिलित किया है।

पश्चिमीकरण की विशेषताएं
(Characteristics of Westernization)
1. स्वतंत्रता उपरांत जारी (Continue After Independence)-पश्चिमीकरण की प्रक्रिया अंग्रेजों के भारत से चले जाने के साथ समाप्त नहीं हुई। मगर यह देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी निरंतर जारी है। भार के लगातार बढ़ते प्रचार-प्रसार, ब्रिटिश की तरह खाने-पीने की आदतों, शिष्टाचारों (चरण-स्पर्श के स्थान पर गुड मार्निंग, गुड-इवनिंग, स्वीट ड्रीमज़ आदि अभिव्यक्तियों का प्रयोग करना) विचारधाराओं (भारतीय राष्ट्रपति का ब्रिटिश रानी की तरह संवैधानिक मुखिया होना तथा मंत्रिमंडल के पास वास्तविक शक्तियों का होना) से पता चलता है कि भारत का वर्तमान समय में भी पश्चिमीकरण हो रहा है।

2. पश्चिमीकरण आधुनिकीकरण से भिन्न है (Westernization is Different from Modernization) यद्यपि पश्चिमीकरण से आधुनिकीकरण की बढ़ावा मिलता है परंतु यह दोनों एक-दूसरे से भिन्न धारणाएं है। पश्चिमीकरण का संबंध ब्रिटिश संपर्क में आने के पश्चात् भारत समाज पर पड़ने वाले अच्छे-बुरे सभी प्रकार के प्रभावों से है जबकि आधुनिकीकरण के अंतर्गत पश्चिमी देशों इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, रूस व अमेरिकी गैर-पश्चिमी राष्ट्रों जापान एवं चीन आदि के भारत पर सकारात्मक प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है। इसके अतिरिक्त बदलते अंतर्राष्ट्रीय परिवेश के प्रभाव तथा भारत में ज्ञान-विज्ञान तथा भारत में ज्ञान-विज्ञान तथा तकनीक के विकास के कारण हुए परिवर्तन का भी आधुनिकीकरण कहा जाता है।

3. ब्रिटिश संस्कृति का भारतीय समाज पर प्रभाव (Impact of British Culture on Indian Society) पश्चिमीकरण भारतीय समाज पर ब्रिटिश संस्कृति का प्रभाव है। यद्यपि भारत पर अनेक अन्य पश्चिमी समाजों का काफ़ी प्रभाव रहा है मगर पश्चिमीकरण के अंतर्गत अन्य पश्चिमी देशों की संस्कृतियों का प्रभाव सम्मिलित नहीं है। इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए श्रीनिवास ने कहा है, “पश्चिमीकरण शब्द की मैंने ब्रिटिश के डेढ़ सौ से अधिक वर्ष के शासन के परिणामस्वरूप भारतीय समाज एवं संस्कृति में उत्पन्न हुए परिवर्तनों के लिए प्रयोग किया है।”

4. पश्चिमीकरण शहरी लोगों तक ही सीमित नहीं है। (Westernization is not Confined to Urbanites) ब्रिटिश काल के दौरान पश्चिमीकरण के प्रभाव उन शहरी लोगों या बड़े नगरों तक सीमित नहीं थे जिनके संपर्क में अंग्रेज़ आये बल्कि हज़ारों ग्रामीण श्रमिक, छोटे कर्मचारी सैनिकों के रूप में अंग्रेजों के संपर्क में आये तथा जिससे सुदूर स्थित गांवों का पश्चिमीकरण हुआ।

5. जटिल प्रक्रिया (Complex Process)-पश्चिमीकरण काफ़ी जटिल प्रक्रिया है। भारतीय समाज में विभिन्न क्षेत्रों, जातियों, समुदायों, वर्गों तथा समूहों पर पश्चिमीकरण के एक जैसे प्रभाव नहीं पड़े। सुशिक्षित ब्रिटिश प्रशासन, सेनाओं में कार्यरत तथा शहरी लोग अशिक्षित तथा ग्रामीणों से अधिक पश्चिमीकृत हो गये। जैन धर्म के अनुयायी अधिक तथा मुसलमान कम पश्चिमीकृत हुए।

श्रीनिवास ने अपनी कृति ‘आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन’ में लिखा है “पश्चिमीकरण का स्वरूप व गति एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में तथा जनसंख्या एक भाग से दूसरे भाग में भिन्न रही है। कुछ लोगों की वेषभूषा, भोजन के तरीके, भाषा, खेलकूद तथा उपयोग की जाने वाली वस्तुएं पश्चिमीकृत हो गईं जबकि अन्य समूहों ने पश्चिमी ज्ञान, विज्ञान, कलाओं तथा साहित्य को अपना लिया।”

6. चेतन एवं अचेतन प्रक्रिया (Conscious and Unconscious Process)-पश्चिमीकरण चेतन एवं अचेतन प्रक्रिया है। संस्कृति के कुछ पहलुओं जैसे-भाषा व तकनीक इत्यादि को सोच-समझा कर भारतवर्ष में लागू किया गया। भारतीयों द्वारा चेतन रूप में इन्हें अपनाया गया। मगर पश्चिमीकरण के तरीकों, मूल्यों, शिष्टाचारों, खान-पान की आदतों तथा विश्वासों को अचेतन रूप में भारतीयों ने ग्रहण किया। चरण स्पर्श के स्थान पर हाथ मिलाकर तथा गुड मार्निंग करके अभिवादन करना, भूमि पर आसन बिछा कर हाथ से भोजन ग्रहण करने के स्थान पर कुर्सी-मेज पर चम्मच से खाना-खाना इसके उदाहरण हैं।

7. नैतिक रूप से तटस्थ (Ethically Neutral)—पश्चिमीकरण द्वारा भारतीय समाज में कई प्रकार के अच्छे व बुरे, नकारात्मक एवं सकारात्मक तथा संगठनात्मक एवं विघटनात्मक परिवर्तन आये। पश्चिमीकरण का संबंध परिवर्तनों के सकारात्मक व नकारात्मक पहलओं से नहीं है। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के परिवर्तन आते हैं। अर्थात पश्चिमीकरण नैतिक रूप से तटस्थ है।

8. इसमें प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव सम्मिलित (It Includes Direct and Indirects Impacts) ब्रिटिश के भारत पर शासन के दौरान अंग्रेज़ों का सहस्त्रों भारतीयों से प्रत्यक्ष संपर्क हुआ। लेकिन करोड़ों ऐसे भारतीय भी हैं जिनके साथ कभी भी प्रत्यक्ष संपर्क नहीं हुआ। फिर भी उन पर काफ़ी ब्रिटिश प्रभाव पड़ा।

कई लोग ब्रिटिश काल में विभिन्न पदों पर कार्यरत थे। अंग्रेजों के संपर्क में उन पर कई प्रभाव पड़े। इन लोगों ने ब्रिटिश संस्कृति का अपने पारिवारिक सदस्यों में बीजारोपण किया। ऐसे परिवारों से ब्रिटिश संस्कृति उनके संपर्क में आई तथा अन्य लोगों में फैलती गई। अतः पश्चिमीकरण के अंतर्गत ब्रिटिश के भारतीय समाज पर सभी प्रकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव सम्मिलित हैं।

प्रश्न 15.
भारत में आधुनिकीकरण के कौन-से लक्षण देखे जा सकते हैं? उनका विस्तार से वर्णन करो।
उत्तर:
चाहे अंग्रेजों ने भारत में आधुनिकीकरण की नींव रखी थी तथा उसके लिए कुछ प्रयास भी किए थे पर वे इतने काफ़ी नहीं थे कि उन से देश आधुनिक हो जाए। आजादी के पश्चात् सरकार ने देश को विकसित करने की ठानी तथा बहुत से प्रयास किए गए ताकि भारत को भी पश्चिमी देशों की तरह आधुनिक बनाया जा सके।

आज हमारे सामने कुछ ऐसे लक्ष्ण हैं जिनको देखकर हम कह सकते हैं कि भारत आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है चाहे वह पूरी तरह आधुनिक नहीं हुआ है। आधुनिकीकरण के इन लक्षणों का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) औद्योगीकरण-आज़ादी से पहले हमारे देश में गिनती के ही कुछ उद्योग थे पर आज़ादी के बाद तेज़ी से उद्योग बढ़े हैं क्योंकि उद्योग लगाने के लिए जो हालात चाहिए वे मिल गए थे। चाहे औद्योगीकरण आधुनिकीकरण का लक्षण नहीं है फिर भी यह आधुनिकीकरण के लिए जरूरी है क्योंकि देश में उद्योग लगने से पैसा आएगा, देश का आर्थिक विकास होगा. जनता को रोजगार मिलेगा।

आज भारत में उदयोग तेजी से बढ़ रहे हैं। दनिया में उदयोगों के मामले में हम काफी पीछे हैं। इस तरह आधुनिकीकरण के लिए पहली शर्त ज्यादा उद्योग की होती है, वह हमारे देश में तेज़ी से अब बढ़ रही है।

(ii) धर्म निरपेक्षता-जब भारत पर राजाओं-महाराजाओं का राज था तो वह किसी एक धर्म को प्रोत्साहित किया करते थे तथा बाकी धर्मों को नफ़रत की दृष्टि से देखा जाता था। अंग्रेजों के आने के बाद स्थिति बदल गई। उन्होंने किसी भी धर्म को विशेष महत्त्व नहीं दिया क्योंकि वो तो यहां पर पैसा कमाने आए थे।

अंग्रेजों के पश्चात् आज़ादी के बाद भारत सरकार तथा संविधान में भी धर्म निरपेक्षता की नीति अपनायी गई ताकि किसी विशेष धर्म को महत्त्व न मिले तथा सभी धर्मों को बराबर मौका मिले। आजकल के समय में आधुनिकीकरण की यह शर्त है कि देश धर्म होना चाहिए तथा यही नीति भारत में अपनायी गई। इस तरह हम कह सकते हैं कि आधुनिकीकरण की अगली शर्त यानि कि धर्म-निरपेक्षता, हमारा देश पूरी कर रहा है।

(iii) नगरीयकरण-आधुनिकीकरण का अगला लक्षण नगरीयकरण या नगरों का बढ़ना है। हमारे देश पर यह बात लागू होती है। आज से तकरीबन 100 साल पहले हमारी तकरीबन 90% जनसंख्या गांवों में रहती थी पर आज़ादी के पश्चात् इसमें तेजी से कमी आयी। 1991 की जनगणना के अनुसार 25% जनता तथा 2001 की जनगणना के अनुसार 29% जनता शहरों में रहती है।

इसका यह अर्थ हुआ कि जनसंख्या तेजी से गांवों को छोड़कर शहरों की तरफ जा रही है तथा शहरों का तेजी से विकास हो रहा है। अगर हम शहरों के आकार की तरफ देखें तो पिछले दो-तीन दशकों में शहरों के आकार दगने हो गए हैं। इसका अर्थ है कि नगरीयकरण में बढ़ोत्तरी हो रही है। इस तरह हमारा देश आधुनिकीकरण का यह लक्षण भी पूरा करता है।

(iv) शिक्षा-यह कहा जाता है कि जितना ज्यादा कोई देश साक्षर होगा उतना ज्यादा वह आधुनिक होगा क्योंकि शिक्षा का सीधा संबंध आधुनिकता से होता है। अगर हम पश्चिमी देशों की तरफ देखें तो वह आज के समय में आधुनिक माने जाते हैं पर इसके साथ हमें वहां की साक्षरता दर भी देखनी चाहिए। जापान की साक्षरता दर 100%, इंग्लैंड की 99%, रूस की 99.2%, अमरीका की 98% है। इनके अलावा यूरोपीय देशों की साक्षरता-दर काफ़ी ऊँची है क्योंकि ये लोग शिक्षा पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च करते हैं।

ये लोग कुल बजट का 19-20% पैसा शिक्षा पर खर्च करते हैं जबकि हमारा देश सिर्फ 3-3.5% ही खर्च करता है पर अब इसमें धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है। हमारे देश की साक्षरता दर में भी काफ़ी तेज़ी से बढ़ोत्तरी हो रही है। 1991 की जनगणना के अनुसार हमारी साक्षरता दर 52% थी जो 2001 में बढ़कर 65% तक पहुँच गई है। इस तरह हम आधुनिकता की यह शर्त भी पूरी करते हैं।

(v) पश्चिमीकरण-अगर हम ध्यान से देखें तो पश्चिमीकरण को ही आधुनिकीकरण मान लिया जाता है। हमारे देश के ऊपर अंग्रेजों ने 150 सालों से ज्यादा राज किया था तथा यहां पर पश्चिमीकरण की नींव भी उन्होंने रखी थी। उन्होंने ही यहां पर पश्चिमी शिक्षा की शुरुआत की, पश्चिम की तर्ज पर यहां पर उद्योग लगवाने शुरू किए, यातायात जैसे ट्रेन तथा संचार जैसे तार-डाक इत्यादि की शुरुआत की।

इसके अलावा उन्होंने यहां की शासन पद्धति में भी बदलाव किया तथा इसे भी पश्चिम की तर्ज पर चलाया। आधुनिकीकरण की वजह से जो क्रांति यातायात तथा संचार के साधनों, शिक्षा तथा और कई क्षेत्रों में आयी है, आज़ादी के पश्चात् वह हमारे देश में भी आयी है। हमारे देश में भी पश्चिम की तर्ज पर यातायात, संचार, शिक्षा के साधन विकसित हो गए हैं जिनको देख कर हम कह सकते हैं कि भारत आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है।

(vi) सामाजिक परिवर्तन-आधुनिकीकरण का एक और ज़रूरी लक्षण सामाजिक परिवर्तन है। सामाजिक परिवर्तन से मतलब न सिर्फ देखने वाली चीजों में बदलाव बल्कि हमारे सोचने के तरीकों, विचारों में भी परिवर्तन होना चाहिए। यह सब भारत में हो रहा है। भारत के सामाजिक ढाँचे, उसकी संरचना में काफ़ी हद तक परिवर्तन आ गए हैं तथा आ रहे हैं।

यह सब भारत सरकार की कोशिशों का नतीजा है। जाति प्रथा जो हमारे समाज का मुख्य आधार हुआ करती थी अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इसकी जगह तरह-तरह के वर्ग ले रहे हैं। इसके अलावा हमारे समाज में कई प्रकार की समस्याएं थीं जो खत्म हो गयी है या हो रही हैं। लोगों के सोचने, रहन-सहन के तरीकों में परिवर्तन आ रहे हैं जो कि आधुनिकता की निशानी है।

(vii) गतिशीलता तथा नए वर्गों का विकास-आधुनिकता की एक और निशानी गतिशीलता भी होती है। गतिशीलता का मतलब होता है एक जगह को छोड़ कर दूसरी जगह जाना तथा यह सब भारत में हो रहा है। लोग गांवों को छोड़कर शहरों की तरफ जा रहे हैं, अपनी पुरानी नौकरियां छोड़कर नई नौकरियां तलाश कर रहे हैं। यह सब गतिशीलता है।

इस गतिशीलता की वजह से जाति प्रथा में बंधन टूट रहे हैं तथा समाज में नए नए वर्गों का उदय हो रहा है। अब कुछ लोग अगर किसी बात में समानता रखते हैं तो वह एक वर्ग का निर्माण करते हैं चाहे वे किसी भी जाति से हों। इस तरह सामाजिक गतिशीलता तथा नए वर्गों का विकास सामाजिक समृद्धि को बढ़ाता है जोकि आधुनिकीकरण का एक लक्षण है।

प्रश्न 16.
आधुनिकीकरण क्या होता है? इसकी विशेषताओं का वर्णन करो।
अथवा
आधुनिकीकरण की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना करें।
अथवा
आधुनिकीकरण से आप क्या समझते हैं? आधुनिकीकरण की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
आधुनिकता क्या है?
उत्तर:
आधुनिकीकरण का अर्थ (Meaning of Modernization)-आधुनिकीकरण एक वृहद् अवधारणा है। यह सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है। आधुनिकीकरण अंग्रेजी के शब्द मॉडर्नाइजेशन (Modernization) का हिंदी रूपांतर है जिसका प्रादुर्भाव लैटिन भाषा के मोडो (Modo) शब्द से हुआ। मोडो का अर्थ है प्रचलन अर्थात् जो वस्तु धारणा तकनीक तथा व्यवस्था प्रचलित है, अपेक्षाकृत नवीन एवं श्रेष्ठ है। वह आधुनिक है तथा आधुनिक होने की प्रक्रिया को आधुनिकीकरण कहते हैं।

अर्थात् पारंपरिक में आधुनिकता की और परिवर्तनों की प्रक्रिया आधुनिकीकरण है।” अनेक विद्वानों ने आधुनिकीकरण का अर्थ स्पष्ट करने के लिये निम्नलिखित परिभाषाएं परिभाषित की हैं, आइजनस्टेड (Eisenstadt) ने अपनी कृति आधुनिकीकरण प्रक्रिया एवं परिवर्तन में लिखा है, “आधुनिकीकरण उन सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक स्वरूपों की दिशा में परिवर्तन है, जो सतारहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप व उत्तरी अमेरिका में तत्पश्चात् अन्य यूरोपीय देशों में तथा उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी में दक्षिण अमरीकी, एशियाई तथा अफ्रीकन देशों में हुए।”

यह परिभाषा आधुनिकीकरण की ऐतिहासिक दृष्टिकोण से व्याख्या करती है। इसमें 17वीं से 20वीं शताब्दी के दौरान विश्व के विभिन्न देशों में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक क्षेत्रों में हुए परिवर्तनों को आधुनिकीकरण का नाम दिया है।

दूबे के शब्दों में, “आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया है जो परंपरागत या अर्ध परंपरागत व्यवस्था से किन्हीं इच्छित प्रारूपों तथा उनसे जुड़ी हुई सामाजिक संरचना के स्वरूपों, मूल्यों, प्रेरणाओं तथा सामाजिक आदर्श नियमों की ओर होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करती है।” दूबे ने प्रौद्योगीकरण तथा सामाजिक संरचना के विभिन्न पहलुओं में होने वाले परिवर्तनों को आधुनिकीकरण कहा है।

आधुनिकीकरण की विशेषताएं / तत्त्व
(Characteristics/Elements of Modernization)
1. नगरीयकरण (Urbanization)-नगरीयकरण आधुनिकीकरण की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। मानव समुदाय जनजातीय से ग्रामीण तथा जनजातीय एवं ग्रामीण से नगरीय जीवन की ओर परिवर्तित होता है। समाज में जितना अधिक नगरीयकरण होगा वह उतना ही अधिक आधुनिक कहलाएगा। स्विट्ज़रलैण्ड, अमेरिका, इंग्लैण्ड तथा फ्रांस आदि आधुनिक समाजों में विकासशील समाजों की अपेक्षा कहीं अधिक आधुनिक समाज नगरीकरण हुआ है।

2. औद्योगीकरण (Industrialization)-औद्योगीकरण का अर्थ है-उद्योगों का विकास। औद्योगीकरण से . समाज में गुणात्मक परिवर्तन आता है। औद्योगीकरण समाज में प्रगति का परिणाम है। इसमें प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से उद्योगों की स्थापना में सहायता मिलती है तथा उद्योगों में बड़े पैमानों पर उत्तम गुणवत्ता वाली अपेक्षाकृत सस्ती वस्तुओं के निर्माण से प्रबल प्रगति को बढ़ावा मिलता है। अतः औद्योगीकरण आधुनिकीकरण का आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।

3. धर्म निरपेक्ष शिक्षा (Secular Education) शिक्षा जाति, धर्म व समुदाय, लिंग, रंग तथा जन्म के स्थान के पार पर निर्मित समूहों तक सीमित न होकर सबके लिये उपलब्ध हो। अर्थात् समाज के सभी वर्गों को शिक्षा ग्रहण करने का समान अवसर प्राप्त हो उसी को आधुनिकीकरण कहा जा सकता है।

4. शिक्षा का प्रसार (Expansion of Education) शिक्षा के प्रसार से आधुनिकीकरण के द्वार खुलते हैं। किसी भी समाज शिक्षा का जितनी गति से प्रसार व प्रचार होगा उस समाज में उतनी गति से आधनिकीकरण होगा। अमरीका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी एवं इटली तथा स्विट्ज़रलैंड आदि सब देशों में साक्षरता दर लगभग शतप्रतिशत है। उच्च शिक्षा का भी काफ़ी प्रसार हुआ। फलस्वरूप यह समाज आधुनिकीकृत हो पाए हैं।

5. वैज्ञानिक प्रकृति (Scientific Temper)-वैज्ञानिक प्रकृति से अभिप्राय है मनुष्य में कार्य-कारण के आधार पर घटनाओं को समझने की प्रवृत्ति का विकास। वैज्ञानिक प्रवृत्ति का विकास आधुनिकीकरण का लक्षण है। इस विकास से व्यक्ति तथ्यों का विश्लेषण तर्क, विवेकशीलता एवं वृद्धि के आधार पर करता है। वह किसी भी चीज़ का अंधानुकरण नहीं करता है। किसी भी समाज में आधुनिकीकरण की गति इस बात से प्रभावित होती है कि वहां पर कितने लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पाया जाता है।

6. संचार एवं यातायात साधनों का विकास (Development of Means of Communication and Transportation) संचार एवं यातायात के साधनों में विकास के कारण लोगों में आपसी संबंध बढ़ते हैं। इससे विभिन्न कार्य अपेक्षाकृत कम समय में पूर्ण किये जाते हैं। औद्योगीकरण को गति मिलती है। संचार एवं यातायात के साधनों के उन्नत का अर्थ है कि संबंधित समाज उन्नत है। वर्तमान समय में मोबाइल, टेलीफोन, ई-मेल (E Mail), फैक्स (Fax) से संचार व्यवस्था में क्रांति आई है तथा बस, रेल व हवाई संपर्क से मानव जीवन में सकारात्मक गुणात्मक (Positive qualitative) परिवर्तन आए हैं।

7. एकाकी परिवारों का विकास (Development of Nuclear Family)-अनेक समाजशास्त्रियों का यह मानना है कि संयुक्त परिवार परंपरा का तथा एकाकी परिवार आधुनिकता का प्रतीक है। आधुनिकीकरण से एकाकी परिवारों का विकास हो रहा है तथा एकाकी परिवार आधुनिकीकरण को दर्शाते हैं जिसमें पति-पत्नि व अनेक अविवाहित बच्चे एक साथ रहते हैं। ऐसे परिवारों के सदस्यों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है।

8. विशिष्ट भूमिकाएं (Specialization Roles)-किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त करके विशिष्ट भूमिका अभिनीत करना आधुनिकीकरण का एक तत्त्व है। व्यक्ति द्वारा विशेष शिक्षा ग्रहण करके डॉक्टर वैज्ञानिक, मैनेजर, वकील या अन्य व्यावसायिक (Professional) की भूमिका निभाना व्यक्ति की विशिष्ट भूमिकाएं हैं।

9. शक्ति के निर्जीव स्रोतों का दोहन (Exploitation of Inanimate Sources of Power) लेवी (Levi) ने अपनी कृति ‘Modernization of Structure and Society’ में इस बात पर बल दिया है। शक्ति तथा अधिकाधिक दोहन (Exploitation) आधुनिकीकरण का संकेत चिन्ह है। निर्जीव स्रोतों का दोहन करके उसको समाज की प्रगति के लिये उपयोग आधुनिकीकरण है।

10. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि (Increase in per Capita Income)-प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि आधुनिकीकरण का सूचक है। समाज में कितना आधुनिकीकरण हुआ है। वहां की प्रति व्यक्ति आय से इस बात का अनुमान लगाया जाता है। पश्चिमी समाजों का पूर्वी समाजों से अधिक आधुनिकीकरण हुआ है। पूर्व में भी भारत की अपेक्षा जापान का कहीं अधिक आधुनिकीकरण हआ है।

11. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Co-operation)-भूमंडलीकरण के चलते विश्व का कोई भी समाज अन्य समाजों से अलग नहीं रह सकता। प्रगति, विकास तथा विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अन्य देशों का सहयोग आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र [United Nation(U.N.)], विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization), विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation), यूनेस्को (Unesco), सार्क (Saarc), नाटो (Nato), आई० एम० एफ० (I.M.F) तथा विश्व बैंक (World Bank) आदि का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से आधुनिकीकरण को गति मिलती है।

12. लोकतंत्रीकरण (Democratization)-लोकतंत्रीकरण का अर्थ है लोगों की, लोगों के लिये तथा लोगों के द्वारा सरकार की स्थापना करना। सभी नागरिकों को मौलिकाधिकार प्रदान करना। सरकार की लोगों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना, मौलिक अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने, स्वतंत्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना करना, लोगों की राजनीति में भागीदारी बढ़ाना, जीवन में आगे बढ़ने के लिये समान अवसर प्रदान करना इत्यादि। वर्तमान समय में विश्व के अधिकतर राष्ट्रों में लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था अपनाई गई है। जो आधुनिकीकरण के विभिन्न चरणों से गुजर रही है। अब भारतीय लोकतंत्र में परिपक्वता आ रही है।

13. राष्ट्रीयता की भावना का विकास (Development of feeling of Nationality)-जाति, धर्म क्षेत्र, रंग तथा लिंग आदि संकीर्ण विचारों से ऊपर उठकर राष्ट्रीयता की भावना का विकास आधुनिकीकरण है। ऐसे समाज में स्थानीय निष्ठाओं की अपेक्षा राष्ट्रीयता की भावना को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

14. तार्किक नौकरशाही (Rational Bureaucracy)-नौकरशाही किसी भी समाज के प्रशासनिक ढांचे की रीड़ की हड्डी होती है। नौकरशाही के तार्किक होने से प्रशासनिक कुशलता बढ़ती है। यह आधुनिकीकरण का प्रतीक है।

15. लोगों की राजनैतिक भागीदारी में वृद्धि (Increasing Political Participation of the People) लोगों का राजनीतिक व्यवस्था के बारे में ज्ञान तथा उनका राजनीतिक गतिविधियों में सहभागिता अंतः संबंधित है। राजनीतिक गतिविधियों में वोट डालना, विभिन्न राजनीतिक दलों की विचारधाराओं का ज्ञान रखना, देश के सम्मुख प्रमुख समस्याओं के बारे में विचार-विमर्श करना, सरकार के कार्यों का विशलेषण करना इत्यादि लोगों में क्रियाशीलता से देश के शासन में परिपक्वता, कुशलता तथा जवाबदेही विकसित होती है। इसलिये राजनीतिक जनसहभागिता आधुनिकीकरण का कारक है।

16. पश्चिमीकरण (Westernization)-पश्चिमीकरण भी आधुनिकीकरण का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जिसमें मानवतावाद, व्यक्तिवाद, भौतिकवाद, तर्कवाद, लौकिकीकरण (Secularisation) तथा कर्मवाद पर विशेष बल दिया जाता है। जो समाज पश्चिमीकृत है वह काफ़ी सीमा तक आधुनिक भी है। क्योंकि पश्चिमी देशों में आधुनिकीकरण हुआ है। हालाकि जापान जैसे ही कुछ देशों में पश्चिमीकरण के बिना ही आधुनिकीकरण हुआ है।

प्रश्न 17.
भारत पर आधुनिकीकरण के प्रभावों का वर्णन करो।
अथवा
आधुनिकीकरण के कारण भारत में आए परिवर्तनों का वर्णन करें।
अथवा
आधुनिकीकरण तथा पश्चिमीकरण से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन हुए? उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता के पश्चात् आधुनिकीकरण और आधुनिकीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव निम्नलिखित है-
1. शहरीकरण (Urbanization) भारतीय समाज में निरंतर शहरीकरण हो रहा है। सन् 1901 में कुल ख्या के 11% लोग शहरों में रहा करते थे। सन् 2011 की जनसंख्या की गणना के अनुसार शहरों में 32% लोग रहते थे। इसी प्रकार स्वतंत्रोपरांत 1951 में हुई देश में प्रथम जनगणना के अनुसार कल शहर 2844 थे जो कि 1991 में बढ़कर 3696 हो गये।

इसी प्रकार 1951 की गणना के अनुसार देश में 74 ऐसे शहर थे जिनकी जनसंख्या एक लाख या उससे अधिक थी जबकि 1991 में यह संख्या 300 के ऊपर तक चली गई। 10 लाख या उससे अधिक जनसंख्या वाले शहरों की तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। 1901 में केवल एक शहर इस श्रेणी में था, 1951 में यह पांच हो गये। 1991 में 23 नगरों की जनसंख्या 10 लाख या उससे अत्यधिक हो गई। 33% जनसंख्या इन्हीं 23 शहरों में निवास करती है। 25.7 लाख आबादी के साथ मुंबई सबसे बड़ा शहर है।

2. औद्योगीकरण (Industrialization)-स्वतंत्रता के उपरांत भारत में अभूतपूर्व गति से औद्योगीकरण हुआ। उद्योगों का विकास दूसरी पंचवर्षीय योजना का प्रमुख लक्ष्य था। इस अवधि में देश में औद्योगिक क्रांति आ गई। बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना की गई। जिसमें उत्पादन घरेलू खपत के लिए ही नहीं बल्कि विदेशी व्यापार के लिये किया जाने लगा। जुलाई, 1991 से निजीकरण, उदारीकरण, भूमंडलीकरण (Privatization, libralization, Globalization) को विशेष बढ़ावा दिया गया। उद्योगों में पूंजीनिवेश के लिये नियमों का सरलीकरण किया गया। निवेशों को अधिक सुरक्षा प्रदान की गई।

3. पश्चिमीकरण (Westernization)-ब्रिटिश काल के दौरान भारतीय समाज में हुए परिवर्तनों को पश्चिमीकरण कहते हैं। अंग्रेजों के प्रभावाधीन भारत में सामंतवाद, लौकिकीकरण तथा तर्कवाद का विकास हुआ। देश में नववर्ग का उदय हुआ। यातायात एवं संचार साधनों तथा उद्योगों का विकास हुआ। लोकतंत्रीकरण का विकास हुआ। प्रशासनिक, वैधानिक, न्यायिक ढांचे तथा बैंकिंग, बीमा आदि वित्तीय संस्थाओं का विकास हुआ। भारतीय समाज में पश्चिमीकरण से आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिला।

4. प्रौद्योगिक विकास (Technological Development)-भारत में तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी का विकास बड़ी तीव्र गति से हो रहा है। देश में हवाई जहाज़, समुद्री जहाज़, रेल, टैंक, सुपर कंप्यूटर , प्रक्षेपास्त्र, (Missile), उपग्रहों का विकास भारत में बढती प्रौदयोगिकी का स्वयं ही सिदध प्रमाण है। अंतरिक्ष प्रौदयोगिकी (Space Technology) में तो भारत सुपर पावर (Super Power) बन गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने तो देश को एक परिवार के रूप में परिवर्तित कर दिया है।

मोबाइल पर अगम्य क्षेत्रों, पहाड़ों, जंगलों से व्यक्ति मोबाइल पर भारत में ही नहीं विश्व के किसी भी क्षेत्र में लोगों से बात कर सकता है। इंटरनैट (Internet) से सूचना क्रांति आ गई है। बायो-प्रौद्योगिकी (Bio-Technology) के क्षेत्र में काफ़ी वृद्धि हुई है।

5. लोकतंत्रीकरण (Democratization)-“भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है” धर्म, प्रजाति, जाति व जन्म, स्थान के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी भारतीयों को समान रूप से मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। किसी भी व्यवसाय को अपनाने, देश के किसी भी भाग में घूमने-फिरने, वयस्क मताधिकार, चुने जाने का सभी नागरिकों को अधिकार है। प्रदेश की सरकारें जनता द्वारा 5 वर्ष के लिये चुनी जाती है।

जो सरकार जनता के हितों की अनदेखी करती है। जनता उसे आगामी चुनावों में वोट न डालकर बदल देती है। स्वतंत्र न्यायपालिका, स्वतंत्र प्रैस, संवैधानिक शक्तियां प्राप्त नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) तथा चुनाव आयोग देश के लोकतंत्र को सशक्त आधार प्रदान करते हैं। लेकिन देश के लगभग एक तिहाई लोग निरक्षर तथा ग़रीबी रेखा के नीचे होने के कारण विशेषतः ऐसे लोग अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पाते।

नित नये क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के गठन के कारण, पुराने दलों में विभाजन के कारण तथा राजनीतिज्ञों की वाक्-पटुता के कारण सांसद् और विधान सभाओं में कई अपराधी जीत कर चुने जाते हैं। राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण तथा. अपराध के बढ़ते राजनीतिकरण के कारण भारत की लोकतंत्र की गरिमा को आघात पहुंचता है।

6. शिक्षा का प्रसार (Expansion of Education)-स्वतंत्रोपरांत साक्षरता दर बढ़ाने के उद्देश्य से देश में विभिन्न स्तरों के लाखों शैक्षिक संस्थान खोले गये। 20वीं शताब्दी विशेषतः स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। सन् 1901 में देश की साक्षरता दर मात्र 5 प्रतिशत थी, जिसमें स्त्रियों एवं पुरुषों में साक्षरता दर क्रमशः 0.60 प्रतिशत तथा 9.83 प्रतिशत थी अर्थात् 500 महिलाओं में से केवल 1 महिला शिक्षित थी।

1951 में देश में साक्षरता दर 18 प्रतिशत थी लेकिन सन 2011 में जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 75 प्रतिशत है। पुरुष और महिला में साक्षरता दर लगभग 82% तथा 65% है। केरल, मिज़ोरम, गोआ, महाराष्ट्र तथा हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक साक्षर राज्य हैं। बिहार तथा झारखण्ड सबसे कम साक्षरता दर वाले राज्य हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में लक्ष्यद्वीप तथा दिल्ली में सबसे अधिक साक्षर है।

7. आवागमन एवं संचार साधनों का विकास (Development of Transportation and Communication) भारत में स्वतंत्रोपरांत यातायात एवं दूरसंचार के साधनों में काफ़ी विकास हुआ है। देश के कोने-कोने को राष्ट्रीय उच्चमार्गों (National Highways) तथा रेलमार्गों (Railways Lines) से जोड़ा गया है। बसों, रेलों, कारों, टैक्सियों, हवाई जहाजों, नावों तथा समुद्री जहाजों से यातायात के साधनों में क्रांतिकारी परिवर्तन आये हैं। डाक एवं तार, दूरभाष, (Telephone) मोबाइल फोन, पेज़र, फैक्स, ई-मेल तथ इंटरनैट इत्यादि संचार माध्यमों से संचार क्षेत्र में क्रांतिकारी विकास हुआ है। अतः यातायात एवं संचार साधनों से भारतीय समाज के आधुनिकीकरण की गति बढी

8. जनभागीदारी में वृद्धि (Increase in People Participation)-स्वतंत्रोपरांत देश में कई लोकसभा तथा अनेक बार राज्यों की विधान-सभाओं, पंचायती राज संस्थाओं तथा नगरपालिकाओं के चुनाव हो चुके हैं जिसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। देश की जनता की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ती भागीदारी भारतीय समाज के आधुनिकीकरण का सूचक है।

9. मानवतावाद (Humanitarianism)-आज़ादी के पश्चात् भारत में मानवतावाद को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया। जाति, धर्म, रंग, लिंग तथा जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी भारतीयों को मौलिक अधिकार प्रदान किये गये। पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों (SCs, STs and OBCs) के उत्थानार्थ अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए गये हैं।

10. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विकास (Development of International Cooperation)-भारत के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में निरंतर वदधि हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सरक्षा स्थापित करने के उददेश्य से 24 अक्तबर, 1945 को गठित विश्व के सबसे बड़े संगठन संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का भारत मूल सदस्यों में से है। भारत विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन तथा दक्षेस (SAARC) आदि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है जिसमें वह सक्रिय रूप से भाग लेता है। विश्व के विभिन्न देशों में संघर्षों के समाधान हेतु भी भारत शांति सेनाएं भेजकर महत्पूर्ण योगदान देता है।

11. विशिष्ट भूमिकाएं (Specialized Roles)-विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट भूमिकाएं अभिनीत करने के लिये बल दिया जाता है। डॉक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक, वैज्ञानिक, या व्यावसायिक पेशेवर (Professionals) अपनी अलग अलग भूमिका निभाते हैं। विभिन्न विषयों समाज शास्त्र, राजनीति शास्त्र, अंग्रेजी, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, इत्यादि के अलग-अलग प्राध्यापक होते हैं। अपने-अपने क्षेत्र में विशेषीकरण (Specialization) प्राप्त व्यक्तियों द्वारा भूमिका अभिनीत करना आधुनिकीकरण को दर्शाता है।

12. मशीनी सैन्यीकरण (Mechanical Militarization) स्वतंत्रता के समय भारतीय सेना मुख्यतः पैदल सेना (Marching army) थी। वर्तमान समय में तीनों सेनाओं, थल सेना, वायसेना, जलसेना, (Army, Airforce and Navy) के पास आधुनिकतम हथियार एवं संयंत्र हैं। स्वचालित हथियार टैंक, लड़ाकू जहाज़, मिग 21, 27 व 29 मिराज तथा जगुआर) युद्धपोत, पनडुब्बियां प्रेक्षपास्त्र (अग्नि, पृथवी, त्रिशूल तथा नाग इत्यादि) परमाणु हथियारों तथा अन्य उपकरणों से युक्त भारतीय सेनाएं विश्व की आधुनिक सेनाओं में से एक है। जिनमें लगभग 14 लाख सैनिक देश की सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

13. कृषि विकास (Agricultural Development)-भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् कृषि का विकास हुआ है। आजादी के बाद कुछ वर्षों तक खाद्यान्न आपूर्ति के लिये विदेशों से अनाज आयात करता था। मगर उन्नत बीजों (High Yield Variety Seeds) उर्वरकों (Fertilizers) तथा कीटनाशकों (Insecticides) के विकास, वैज्ञानिक कृषि उपकरणों में उपयोग तथा सिंचाई व्यवस्था के विकास के कारण 1960 के दशक के मध्य 1965-66 में देश में हरित क्रांति आई।

खाद्यान्न उत्पादन तथा उत्पादकता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने, हल के स्थान पर ट्रैक्टरों का प्रयोग आदि से जहां 1950 में देश में लगभग 5 करोड़ टन का उत्पादन होता था। वर्तमान समय में 20 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न उत्पन्न होने लगा। अब भारत खाद्यान्नों का निर्यात करने लगा है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। कृषि विकास से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है तथा विभिन्न उद्योगों के लिये पर्याप्त सस्ता कच्चा माल मिलने लगा है।