HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. 1998 में भारत पर आर्थिक प्रतिबंध क्यों लगा दिए गए थे?
(A) भारत ने पाकिस्तान पर युद्ध थोप दिया था।
(B) भारत ने यू० एन० ओ० के विरुद्ध कुछ कार्य किए थे।
(C) भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे
(D) भारत अमेरिका के विरुद्ध था।
उत्तर:
भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे।

2. भारत में उदारीकरण तथा विश्वव्यापीकरण की प्रक्रिया कब शुरू हुई थी?
(A) 1980 के बाद
(B) 1991 के बाद
(C) 1981 के बाद
(D) 2004 के बाद।
उत्तर:
1991 के बाद।

3. भारत के किस वित्त मंत्री ने उदारीकरण तथा विश्वव्यापीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी?
(A) मनमोहन सिंह
(B) पी० चिदंबरम
(C) जसवंत सिंह
(D) यशवंत सिंहा।
उत्तर:
मनमोहन सिंह।

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4. किस प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह को भारत का वित्त मंत्री नियुक्ति किया था?
(A) चंद्रशेखर
(B) वाजपेयी
(C) नरसिम्हा राव
(D) वी० पी० सिंह।
उत्तर:
नरसिम्हा राव।

5. नियंत्रित अर्थव्यवस्था से अनावश्यक प्रतिबंधों को हटा लेने को …………………….. कहते हैं।
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) उदारीकरण
(D) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
उदारीकरण।

6. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें अलग-अलग देशों के बीच मुक्त व्यापार, सेवाओं, पूंजी निवेश तथा लोगों का आदान प्रदान होता है।
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) आधुनिकीकरण
(D) उदारीकरण।
उत्तर:
विश्वव्यापीकरण।

7. भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वव्यापीकरण का अच्छा प्रभाव क्या पड़ा?
(A) विश्व निर्यात में भारत के हिस्से में वृद्धि
(B) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि
(C) विदेशी मुद्रा में वृद्धि
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

8. सार्वजनिक उपक्रमों को व्यक्तिगत हाथों में देने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) आधुनिकीकरण
(D) उदारीकरण।
उत्तर:
निजीकरण।

9. उदारीकरण का मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
(A) रोज़गार के अधिक साधन विकसित करना
(B) विदेशी निवेश को आकर्षित करना
(C) निजी क्षेत्रों को अधिक स्वतंत्रता देना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

10. इनमें से कौन-सा उदारीकरण का लक्षण है?
(A) अधिकतर उद्योगों में लाइसेंस व्यवस्था खत्म करना
(B) सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करना
(C) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा बढ़ाना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

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11. विश्वव्यापीकरण का क्या सिद्धांत है?
(A) देश की अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश के लिए खोलना
(B) कस्टम कर को कम-से-कम रखना
(C) सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

12. इनमें से कौन-सा उदारीकरण का दुष्परिणाम है?
(A) बेरोज़गारी का बढ़ना
(B) विदेशी कर्ज के बोझ का बढ़ना
(C) निर्यात में कमी तथा आयात में वृद्धि
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व व्यापार संगठन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसे 1955 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा स्थापित किया गया है। यह संगठन अलग-अलग विधानों, नियमों तथा नीतियों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा सेवाओं का नियमन करता है। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।

प्रश्न 2.
संस्कृति के मिलन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आजकल का समय भूमंडलीकरण का समय है जिसमें संसार भर के लोगों की जीवन पद्धति एक समान हो गई है। इसके साथ-साथ उनके उपभोग तथा प्रयोग की वस्तुएं भी एक समान हैं। इसी को ही संस्कृति का मिलन कहते हैं।

प्रश्न 3.
भूमंडलीकरण ग्राम का क्या अर्थ है?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने व्यापार तथा संबंधों को बढ़ाने के लिए अलग-अलग देशों में अलग-अलग कंपनियां तथा उद्यमों की स्थापना कर रही हैं। इससे संपूर्ण विश्व एक वैश्विक ग्राम में परिवर्तित हो रहा है। इसे ही भूमंडलीय ग्राम का नाम दिया जाता है अर्थात् संपूर्ण विश्व एक ग्राम की भांति हो गया है।

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण के बारे में लोगों के क्या विचार हैं?
उत्तर:
भूमंडलीकरण के बारे में दो प्रकार के विचार व्याप्त हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भूमंडलीकरण से विश्व एक बेहतर विश्व के रूप में सामने आएगा। परंतु कुछ लोगों को डर है कि इससे अमीर लोगों को तो बहुत ही लाभ होगा तथा निर्धन लोगों की हालत बद से बदतर होती चली जाएगी।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण का सामाजिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण ने सामाजिक संबंधों तथा धार्मिक पहचान को काफी प्रभावित किया है। इसने लोगों के फैशन, खाने-पीने, उपभोग की प्रवृत्ति तथा जीवन-शैली पर काफ़ी प्रभाव डाला है। अब संसार के एक
भाग में दूसरे भाग की हरेक चीजें मौजूद हैं।

प्रश्न 6.
उपभोग की संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण की प्रक्रिया से संसार में उपभोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है। आज का आधुनिक समाज उपभोग का समाज है तथा लगभग सभी ही एक जैसी वस्तुओं का उपभोग करते हैं। इस उपभोगवादी समाज की संस्कृति को उपभोग की संस्कृति कहा जाता है।

प्रश्न 7.
उदारीकरण का क्या अर्थ है?
अथवा
मुक्तिकरण से क्या तात्पर्य है?
अथवा
उदारीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

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प्रश्न 8.
आर्थिक सुधारों का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अर्थ है भारतीय व्यापार को नियमित करने वाले नियमों और वित्तीय नियमनों को हटा देना। इसके लिए कुछ उपाय किए गए हैं जिन्हें आर्थिक सुधार भी कहा जाता है। यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों में आए हैं।

प्रश्न 9.
पारराष्ट्रीय निगम कौन-से होते हैं?
उत्तर:
पारराष्ट्रीय निगम ऐसी कंपनियां होती हैं जो एक-से-अधिक देशों में अपने माल का उत्पादन करती हैं अथवा बाज़ार सेवाएं प्रदान करती हैं तथा एक-से-अधिक देशों में अपने उत्पाद बेचती हैं। यह अपेक्षाकृत छोटी फर्मे भी हो सकती हैं तथा विशाल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठान भी हो सकते हैं।

प्रश्न 10.
भूमंडलीकरण के दो सिद्धांत बताएं।
उत्तर:

  • विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोल देना क्योंकि इस व्यवस्था में आपको और देशों में भी मुक्त व्यापार की आज्ञा होती है।
  • इसमें सीमा शुल्क को काफी हद तक कम कर दिया जाता है ताकि विदेशी उत्पाद आपके देश में अधिक महंगा न हो।

प्रश्न 11.
कॉरपोरेट संस्कृति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कॉरपोरेट संस्कृति प्रबंधन के सिद्धांत का एक भाग है जो किसी कंपनी के तमाम सदस्यों को संगठनात्मक शक्ति की सहायता से किसी चीज़ की उत्पादकता तथा प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्साहित करती है।

प्रश्न 12.
उदारीकरण क्या होता है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उदयोगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

प्रश्न 13.
भूमंडलीकरण क्या होता है?
अथवा
भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण क्या है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है अर्थात् एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 14.
उदारीकरण के क्या कारण होते हैं?
उत्तर:

  • देश में रोज़गार के साधन विकसित करने के लिए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।
  • उद्योगों में ज्यादा-से-ज्यादा प्रतिस्पर्धा पैदा करना ताकि उपभोक्ता को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 15.
निजीकरण क्या होता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों जहां पर मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं जोकि सरकार के नियंत्रण में होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना ताकि यह और ज्यादा लाभ कमा सकें। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को निजीकरण कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत पर भूमंडलीकरण का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  • भारत की विश्व निर्यात के हिस्से में वृद्धि हुई।
  • भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हुई।
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा।

प्रश्न 17.
उदारीकरण की प्रक्रिया किस नीति से संबंधित है?
उत्तर:
उदारीकरण की प्रक्रिया विदेशी कंपनियों के लिए देश के दरवाज़े खोलने से संबंधित है।

प्रश्न 18.
भूमंडलीकरण का संबंध भारत की कौन-सी नीति से है?
उत्तर:
संसार की सभी देशों में कर मुक्त व्यापार हो तथा संसार के अलग-अलग हिस्सों में मिलने वाली वस्तुएं सभी के लिए उपलब्ध हों।

प्रश्न 19.
भारत के किसी एक महानगर का नाम बताएं।
उत्तर:
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई भारत के महानगर हैं।

प्रश्न 20.
उदारीकरण की नीति के अंतर्गत विश्व व्यापार संगठन में भागीदारी होती है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था भूमंडलीकरण का एक आयाम है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 22.
उपग्रह-प्रौद्योगिकी की सहायता से हम सुदूर बैठे मित्रों को अपने दस्तावेज भेज सकते हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 23.
भूमंडलीकरण का एक आयाम लिखें।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था भूमंडलीकरण का एक आयाम है।

प्रश्न 24.
किसी एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था का नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन, वर्ल्ड बैंक इत्यादि।

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प्रश्न 25.
पहली बार वित्त का भूमंडलीकरण किस कारण से हुआ?
उत्तर:
वस्तुओं की पूर्ति के लिए।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारीकरण से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
उदारीकरण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के गैर ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से गैर ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं।

उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विश्व के अलग-अलग देशों के बीच व्यापारिक तथा आर्थिक संबंधों को अधिक विस्तार की दृष्टि से भूमंडल के सदस्य देशों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि विश्व में मुक्त बाज़ार फैल सके तथा बेहतर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। इस नीति से अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता बढ़ती है तथा निजी उद्योगों में सार्वजनिक उद्योगों की अपेक्षा बेहतर परिणाम देने की क्षमता होती है।

प्रश्न 2.
भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का अर्थ समझाएं।
अथवा
भूमंडलीकरण के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है। अन्य शब्दों में एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहा जाता है।

इस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है। इस प्रकार विश्व अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहा जाता है। भूमंडलीकरण के द्वारा सारी दुनिया एक विश्व ग्राम बन गई है।

प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था आर्थिक भूमंडलीकरण को कैसे सहारा देता है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था एक ऐसा कारक है जिसने आर्थिक भूमंडलीकरण को सहारा दिया है। केवल कंप्यूटर के माउस को दबाने से ही बैंक, निगम, निधि प्रबंधक तथा निवेशकर्ता अपने पैसे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इधर से उधर भेज सकते हैं।

चाहे इस प्रकार एक ही क्षण में इलेकट्रॉनिक मुद्रा इधर से उधर भेजने का यह ढंग काफ़ी खतरनाक है। भारत में मुख्यतया इसकी चर्चा शेयर मार्किट में होने वाले उतार-चढ़ाव के लिए की जाती है। यह उतार-चढ़ाव विदेशी निवेशकों द्वारा लाभ के लिए बड़ी मात्रा में शेयर बेचने या खरीदने के कारण आता है। ऐसे सौदे संचार क्रांति के कारण ही मुमकिन हो पाए हैं।

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण तथा रोज़गार का क्या संबंध है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण तथा श्रम के बारे में एक और महत्त्वपूर्ण मुददा रोज़गार तथा भमंडलीकरण के बीच के संबंधों का है। बडे-बडे शहरों में मध्य वर्ग के यवाओं के लिए सचना प्रौदयोगिकी की क्रांति तथा भमंडलीकरण ने रोज़गार के नए-नए अवसर प्रदान कर दिए हैं। कॉलेज से नाम के लिए बी०ए०/बी० कॉम या बीएस०सी० की डिग्री लेने के स्थान पर वे कंप्यूटर केंद्रों से कंप्यूटर की भाषाएं सीख कर नौकरियां प्राप्त कर रहे हैं।

वे कॉल सेंटरों में या व्यापार प्रक्रिया बाहमोपयोजन (बी०पी०ओ०) कंपनियों में नौकरियां प्राप्त कर रहे हैं। वे विशाल शौपिंग माल्स में काम कर रहे हैं या हाल ही में खोले गए विभिन्न जलपान ग्रहों में नौकरी करते हैं। परंतु कई बार ऐसा भी हो रहा है कि निम्न वर्गों के लोगों के रोज़गार भूमंडलीकरण के कारण छिन भी रहे हैं।

प्रश्न 5.
पारराष्ट्रीय निगमों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भूमंडलीकरण को प्रेरित तथा संचालित करने वाले कारकों में पारराष्ट्रीय निगमों की भूमिका काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। पारराष्ट्रीय निगम ऐसी कंपनियां होती हैं जो अपने माल का उत्पादन एक से अधिक देशों में करती हैं या बाज़ार सेवाएं प्रदान करती हैं। यह छोटी कंपनियां भी हो सकती हैं, इनकी एक या दो फैक्ट्रियां उस देश से बाहर स्थित होती हैं जहां वह मूल रूप से स्थित हैं।

इसके साथ ही यह बड़े ही विशाल अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठान भी हो सकते हैं जिनका व्यापार संपूर्ण विश्व में फैला हुआ है जैसे कि कोका कोला, पैप्सी, जनरल मोटर्स, कोडैक, कोलगेट पामोलिव इत्यादि। भले ही इन निगमों का अपना एक स्पष्ट राष्ट्रीय आधार हो, फिर भी वे भूमंडलीय बाजारों तथा भूमंडलीय मुनाफा कमाना चाहती हैं। अब तो कुछ भारतीय निगम भी अंतर्राष्ट्रीय बन रहे है

प्रश्न 6.
भारत में सेलफोनों की संख्या में अत्याधिक वृद्धि क्यों हुई है?
उत्तर:
भारत में सेलफोन पहली बार 1995 में बजने शुरू हुए थे। उस समय मोबाइल सेवा काफ़ी महँगी थी तथा यह हरेक व्यक्ति नहीं ले सकता था। परंतु धीरे-धीरे इस सेवा ने सस्ता होना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे नई मोबाइल कंपनियां आगे आनी शुरू हो गई जिससे कंपनियों में प्रतिस्पर्धा होनी शुरू हो गई। टेलीकाम विभाग में ट्राई (नियामन आयोग) बनाया हुआ है जिसने मँहगी मोबाइल दरों पर लगाम कसनी शुरू कर दी।

पहले Incoming Calls पर पैसे लगने बंद हुए तथा फिर धीरे धीरे फोन करने के पैसे लगने कम होने शुरू हो गए। अब तो यह हाल है कि 1 पैसे प्रति 1 सैकेंड के हिसाब से पैसे लिए जाते है। मासिक शुल्क बहुत ही कम हो गए हैं। मोबाइल कंपनियां कई प्रकार की आर्कषक स्कीमें लेकर आ रही हैं ताकि ग्राहकों को लुभाया जा सके।

इसके साथ-साथ मोबाइल हैंडसैटों के मूल्य में काफ़ी कमी आई है। यही कारण है कि अब हरेक व्यक्ति मोबाईल ले रहा है। यहाँ तक कि रिक्शा चालकों, रेहड़ी खींचने वालों के पास भी मोबाईल है। यही कारण है कि भारत में सेलफोनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो गई है।

प्रश्न 7.
भूस्थानीकरण में कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भूस्थानीकरण एक ऐसी रणनीति है जो साधारणतया विदेशी कंपनियां अपना बाज़ार बढ़ाने के लिए स्थानीय परंपराओं के साथ व्यवहार में लाई जाती है। टी.वी. चैनल जैसे कि स्टार, एम.टी.वी., चैनल वी, कार्टून नेटवर्क इत्यादि सभी विदेशी चैनल हैं परंतु भारत में यह भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते हैं।

यहां तक कि मैक्डॉनल्डस भी भारत में अपने निरामिष और चिकन के उत्पाद ही बेचता है, गोमांस के उत्पाद नहीं जो विदेशों में बहुत लोकप्रिय हैं। नवरात्रि पर्व के समय तो मैक्डॉनल्डस भी चिकन बेचना छोड़कर विशुद्ध निरामिष हो जाता है। संगीत के क्षेत्र में भांगड़ा पॉप, इंडिपॉप, फ्युजन म्यूज़िक तथा रीमिक्स गीतों की लोकप्रियता बढ़ रही है। इसे भी भूस्थानीकरण का ही एक रूप तथा उदाहरण कहा जा सकता है।

प्रश्न 8.
भूमंडलीकरण से राजनीतिक परिदृश्य में किस प्रकार परिवर्तन आया है?
उत्तर:
1990 में यू०एस०एस०आर० में समाजवाद का विघटन हो गया जो कि कई प्रकार से एक बड़ा परिवर्तन था। इस घटना ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया। इस कारण ही भूमंडलीकरण को प्रोत्साहित करने वाली आर्थिक नीतियों के प्रति एक विशेष आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टिकोण पैदा हो गया। इन परिवर्तनों को आम तौर पर नव-उदारवादी आर्थिक उपाय भी कहा जाता है।

भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत बहुत से ठोस कदम उठाए गए। मौटे तौर पर, इन नीतियों में मुक्त व्यापार से संबंधित राजनीतिक दूरदर्शिता दिखाई देती है। इसलिए यह नीति राज्य की ओर से विनियमन तथा आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दोनों की ही आलोचक है।

इस प्रकार भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में राजनीतिक दूरदर्शिता उतनी ही आवश्यक है जिनती कि आर्थिक दूरदर्शिता। यह अलग बात है कि वर्तमान भूमंडलीकरण से अलग भूमंडलीकरण की भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार हम एक समावेशात्मक (Inclusive) भूमंडलीकरण की कल्पना भी कर सकते हैं जिसमें समाज के सभी भाग शामिल होते हैं।

भूमंडलीकरण के साथ एक और महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम भी घटित हो रहा है तथा वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय रचनातंत्र। इस संबंध में यूरोपीय संघ, दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (एशियान), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग सम्मेलन (सार्क) तथा दक्षिण एशियाई व्यापार संघों का परिसंघ (बोर्डस) क्षेत्रीय संघों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शा रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठनों तथा अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का सामने आना भी एक और राजनीतिक आयाम पेश करता है। अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन एक ऐसा संगठन होता है जिसे सहभागी सरकारें स्थापित करती हैं तथा जिसे एक विशेष पारराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र पर नियंत्रण रखने, नज़र रखने तथा उसे विनियमित करने का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है। जैसे कि W.T.O. को संसार भर में व्यापार प्रथाओं पर लागू नियमों का ध्यान रखना होता है।

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निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमंडलीकरण क्या होता है? इसके सिद्धांतों का वर्णन करो।
अथवा
भूमंडलीकरण के अर्थ की व्याख्या करें।
अथवा
भूमंडलीकरण क्या है? भूमंडलीकरण के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर:
भारत में 1991 में नयी आर्थिक नीतियां अपनाई गईं। भूमंडलीकरण, उदारीकरण तथा निजीकरण इन नीतियों के तीन प्रमुख पहलू हैं। भारत में 1980 के दशक के दौरान भूमंडलीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। नयी आर्थिक नीतियों या आर्थिक सुधारों के माध्यम से इसे गति प्रदान करने की कोशिश की गई। वैश्वीकरण आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाली एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के चलते भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में कई प्रकार के परिवर्तन सामने आए।

भमंडलीकरण का अर्थ (Meaning of Globalization)-भमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है। अन्य शब्दों में एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं।

इस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है। इस तरह विश्व अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहा जाता है। भूमंडलीकरण के द्वारा सारी दुनिया एक विश्व ग्राम बन गई है।

भूमंडलीकरण के सिद्धांत-(Principles of Globalization):
भूमंडलीकरण के अंतर्गत कई महत्त्वपूर्ण बातों पर बल दिया जाता है। निश्चित कार्यक्रमों को अपनाने तथा आर्थिक नीतियों को अपनाने पर भी जोर दिया जाता है। भूमंडलीकरण के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
(i) विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोल दिया जाता है क्योंकि इस व्यवस्था में आपको और देशों में भी मुक्त व्यापार की आज्ञा होती है तथा आप भी किसी और देश में निवेश कर सकते हैं। देश में विदेशी निवेश आता है तो एक तरफ देश आर्थिक तौर पर समृद्ध होता है तथा दूसरी तरफ देश में रोज़गार के नए साधन उत्पन्न होते है।

(ii) इसका दूसरा सिद्धांत यह है कि इसमें सीमा शुल्क को काफ़ी हद तक कम कर दिया जाता है ताकि अगर कोई बाहर से आकर आपके देश में अपनी चीज़ बेचना चाहता है तो वह उत्पाद बहुत महंगा न हो जाए। इसलिए सीमा शुल्क को कम कर दिया जाता है।

(iii) सार्वजनिक क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों का विनिवेश भी कर दिया जाता है। भूमंडलीकरण के साथ-साथ निजीकरण भी चलता है। निजीकरण होता है सरकार की कंपनियों का ताकि वह भी निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें तथा मुनाफा कमा सकें। इसलिए सरकारी कंपनियों का विनिवेश कर दिया जाता है।

(iv) निजी क्षेत्र के निवेश को बढावा दिया जाता है ताकि निजी क्षेत्र बड़े-बड़े उदयोग लगाएं। इसके कई फायदे हैं। एक तो सरकार को कर के रूप में आमदनी होगी तथा दूसरी तरफ रोज़गार के साधन बढ़ेंगे तथा बेरोज़गारी की समस्या भी हल होगी।

(v) इसमें सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक पैसा खर्च करती है। इसका कारण यह है कि अगर आप विदेशियों को अपने देश में निवेश के लिए आकर्षित करना चाहते हों तो उन्हें निवेश के लिए बढ़िया बुनियादी ढांचा भी देना पड़ेगा ताकि उनको कोई परेशानी न हो तथा ज्यादा-से-ज्यादा विदेशी निवेश देश में आ सके।

(vi) इसमें मुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है। मुक्त व्यापार का अर्थ है बिना सीमा शुल्क दिए किसी भी देश में जाकर व्यापार करना। ऐसा करने से बगैर कीमतों के इज़ाफे के सारी दुनिया की चीजें हमारे सामने होती हैं तथा हम किसी भी चीज़ को खरीद सकते हैं।

(vii) विश्व बैंक, विश्व व्यापार निधि तथा विश्व व्यापार संगठन के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है क्योंकि एक तो यह व्यापार तथा और सुविधाओं के लिए अलग-अलग देशों को कर देते हैं तथा विश्व व्यापार संगठन पूरे विश्व के व्यापार का संचालन करता है। इसलिए इनके दिशा-निर्देशों का पालन करना ही पड़ता है।

प्रश्न 2.
उदारीकरण क्या होता है? उदारीकरण से क्या समस्याएं पैदा होती हैं?
अथवा
भारतीय समाज पर उदारीकरण के क्या प्रभाव पड़ रहे हैं?
अथवा
भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण के माध्यम से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं? व्याख्या करें।
अथवा
उदारीकरण क्या है? भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की विवेचना करें।
उत्तर:
1991 में डॉ० मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री बनने के बाद नयी आर्थिक नीति लागू की गई। उदारीकरण, निजीकरण तथा भूमंडलीकरण इस नीति की प्रमुख विशेषताएं थीं। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का तेज़ गति से उदारीकरण किया जाने लगा तथा यह उदारीकरण की प्रक्रिया अब भी जारी है। यह एक आर्थिक प्रक्रिया तथा समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

उदारीकरण का अर्थ (Meaning of Liberalization)-नियंत्रित अर्थव्यवस्था के गैर-ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उदयोगों तथा व्यापार पर से गैर-ज़रूरी प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं।

उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विश्व के अलग अलग देशों के बीच व्यापारिक तथा आर्थिक संबंधों को ज्यादा विस्तार की नज़र से भूमंडल के सदस्य देशों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि विश्व में मुक्त व्यापार फैल सके तथा बेहतर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। इस नीति से अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता बढ़ती है तथा निजी उद्योगों में सार्वजनिक उद्योगों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर परिणाम देने की क्षमता होती है।

उदारीकरण की समस्याएं (Problems of Liberalization)-उदारीकरण से भारत जैसे देश में बहुत सी समस्याएं पैदा हुई हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment)-भारत में 1990 में बेरोजगारी की दर 6% थी जो 1999 में बढ़कर 7% हो गई। यह सिर्फ उदारीकरण का ही परिणाम है। देश में 36% लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे रहते हैं क्योंकि उनके पास मूल सुविधाओं की कमी है। घरेलू उद्योगों तथा रोजगार में सीधा संबंध होता है क्योंकि घरेलू रोज़गार बहुत से लोगों को रोजगार देता है।

अगर उद्योगों की संख्या बढ़ेगी जो ज्यादा लोगों को रोज़गार प्राप्त होगा पर अगर उद्योग कम होंगे तो बेरोज़गारी बढ़ेगी तथा ग़रीबी भी साथ ही साथ बढ़ेगी। हमारे देश में उदारीकरण की प्रक्रिया 17 साल से चल रही है। बड़े-बड़े उद्योग तो लग रहे हैं पर कुटीर तथा घरेलू उद्योग खत्म हो रहे हैं जिससे बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है। इस तरह उदारीकरण की प्रक्रिया से बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है।

(ii) उदारीकरण के गलत परिणाम-उदारीकरण की प्रक्रिया के साथ-साथ कर्मचारियों को निकालने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। जब उदारीकरण की नीति अपनायी गयी थी तो यह कहा गया था कि इस प्रक्रिया से देश की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। लेकिन 17 वर्षों के उदारीकरण की प्रक्रिया के बाद भी हमारी अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।

आज भी देश की 36% जनता ग़रीबी की रेखा से नीचे रहती है। इन वर्षों में चाहे भारत को तकनीकी रूप से लाभ ही हुआ है पर बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जैसे कि कुटीर उद्योगों का खत्म होना, जिनमें उदारीकरण की प्रक्रिया के गलत परिणाम निकले हैं।

(iii) विदेशी कर्ज का बढ़ता बोझ-आर्थिक सुधारों का पहला दौर 1991 से 2001 तक चला। 2001 में दूसरा दौर शुरू हुआ। इस दौर में यह सोचा गया कि देश के आर्थिक विकास की दर तेज़ होगी पर हुआ इसका उल्टा। देश के आर्थिक विकास तथा आर्थिक सुधार के रास्ते पर कदम धीरे हो गए हैं।

देश के लिए 8% की आर्थिक विकास की दर का लक्ष्य रखा गया है जोकि बहत दर की कौडी लगता है। वित्त मंत्री तरह-तरह के उपायों की घोषणा कर रहे हैं पर फिर भी यह मुमकिन नहीं लगता। इसके साथ-साथ देश के ऊपर विदेशी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। आज हमारे देश के ऊपर 110 अरब डालर के करीब विदेशी कर्ज है जिससे हर भारतीय विदेशों का कर्जदार बन गया है। यह भी उदारीकरण की प्रक्रिया की वजह से ही हुआ है।

(iv) निर्यात में कमी तथा आयात का बढ़ना (Decrease in Export and Increase in Import)-उदारीकरण की प्रक्रिया में निर्यात में भी कमी आती है तथा आयात में भी बढ़ोत्तरी होती है। 1991 के मुकाबले 1996 में निर्यात कम हुआ था तथा आयात बढ़ा था। यह इस वजह से होता है कि उदारीकरण से पश्चिम की या विदेशी चीजें हमारे देश में आईं जिस वजह से लोगों में विदेशी चीजें लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ी। जिस वजह से आयात ज्यादा हो गया पर निर्यात उसी अनुपात में न बढ़ पाया जिस वजह से व्यापार घाटे में बढ़ोत्तरी तथा व्यापार संतुलन में कमी आई।

आयात बढ़ने तथा उदारीकरण की प्रक्रिया से देसी उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ा। आराम से ठीक दामों पर तथा अच्छी विदेशी चीज़ के मिलने के कारण भी आयात में बढ़ोत्तरी हुई तथा देशी उदयोगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

(v) रुपये की कीमत का गिरना (Decline in Value of Rupee)-उदारीकरण की वजह से भारतीय रुपए की कीमत में भी काफ़ी गिरावट आई है। 1991 में जिस डालर की कीमत ₹ 18 थी वह 1996 में ₹ 36 तथा 2001 में यह ₹ 47 तक पहुंच गया था। आजकल यह ₹ 66 के करीब है।

यह सब उदारीकरण की वजह से है तथा यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होता। किसी देश की मुद्रा की कीमत कम होने से महंगाई बढ़ती है जोकि हमारे देश के गरीब लोगों के लिए ठीक नहीं है। विकसित देशों को तो इससे लाभ हो सकता है पर विकासशील देशों के लिए यह नुकसानदायक है। इस तरह उदारीकरण के कारण रुपए की विनिमय दर में निरंतर गिरावट आ रही है।

(vi) सरकार की आमदनी में कमी आना (Decline in the Income of Govt.)-उदारीकरण की एक विशेषता है कि इसमें सरकार को उत्पादों पर सीमा शुल्क कम करना पड़ता है ताकि विदेशी चीजें उस देश के मूल्य पर मिल सकें। सीमा शुल्क कम करने से सरकार के राजस्व या आमदनी कम होती है जिसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इसके अलावा विदेशी चीज़ों की गुणवत्ता भारतीय उत्पादों के मामले काफ़ी अच्छी होती है तथा कई मामलों में यह सस्ती भी होती है।

जिस वजह से विदेशी चीजें भारतीय चीज़ों के मुकाबले ज्यादा बिकती हैं। इसके अलावा विदेशी चीजें भारतीय चीज़ों से तकनीक के मामले में भी अच्छी होती हैं क्योंकि भारतीय तकनीक इतनी अच्छी है। उदाहरण के तौर पर चीनी उत्पादों ने भारतीय बाजार में हलचल ला दी है। इस तरह जितनी ज्यादा ये चीजें हमारे देश में आएंगी उतनी ही सरकार की आमदनी में कमी होगी। अगर भारतीय चीजें बिकेंगी ही नहीं तो यह सरकार को क्या कर देंगे। इस तरह भी आमदनी में कमी आती है।

(vii) सरकारों का बढ़ता घाटा (Increasing deficit of Governments)-उदारीकरण की वजह से केंद्र तथा राज्य सरकारों के घाटे भी बढ़ रहे हैं। आमदनी कम हो रही है। खर्च या तो बढ़ रहे हैं या फिर कम हो रहे हैं। ज़रूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, बेरोज़गारी बढ़ रही है, ग़रीबी बढ़ रही है। सरकार के पास अपने काम पूरे करने के लिए पैसा नहीं है। देश के बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में ही खर्च हो जाता है। सरकार के बढ़ते घाटे की वजह से विकास कार्य या तो नहीं हो रहे हैं या फिर अगर हो रहे हैं तो कम हो रहे हैं जिस वजह से देश पर काफ़ी प्रभाव पड़ रहा है।

इस तरह उदारीकरण के देश पर काफ़ी गलत प्रभाव भी पड़ रहे हैं। अगर हमें उदारीकरण से लाभ लेना है तो सबसे पहले हमें अपने वित्तीय अनुशासन को सुधारना होगा। हमें अपने मूलभूत ढांचे को सुधारना होगा, ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति करनी होगी, नयी तकनीकों का प्रयोग करना होगा तथा और भी बहत से सधार करने होंगे तभी उदारीकरण के लाभ उठा सकते हैं। इनके साथ-साथ कुछ कानूनों में भी सुधार करना होगा तभी उदारीकरण पूर्ण रूप से सफल हो पाएगा।

प्रश्न 3.
भारत पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की चर्चा करें।
अथवा
भूमंडलीकरण के प्रभावों की व्याख्या करें।
अथवा
भूमंडलीकरण से भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
अथवा
भूमंडलीकरण के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूमंडलीकरण के दो प्रभाव बताइये।
उत्तर:
(i) भारत में विदेशी निवेश (Foreign Investment in India) विदेशी निवेश वृद्धि भी भूमंडलीकरण का एक लाभ है क्योंकि विदेशी निवेश से अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ती है। भारत में निरंतर विदेशी निवेश बढ़ रहा है। 1995-96 से 2000-01 के दौरान इसमें 53% की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान वार्षिक औसत लगभग $ 500 करोड़ विदेशी निवेश हुआ।

(ii) विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves)-आयात के लिए विदेशी मुद्रा आवश्यक है। जून, 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ One Billion था जिससे सिर्फ दो सप्ताह की आयात आवश्यकताएं ही परी की जा सकती थीं। जुलाई, 1991 में भारत में नयी आर्थिक नीतियां अपनायी गईं। भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण को बढ़ावा दिया गया जिस वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में काफ़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में $ 390 Billion के करीब विदेशी मुद्रा है। इससे पहले कभी भी देश में इतना विदेशी मुद्रा का भंडार नहीं था।

(iii) सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (Growth of Gross Domestic Product)-भूमंडलीकरण से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है। देश में 1980 के दशक में वृद्धि दर 5.63% तथा 1990 के दशक के दौरान वृद्धि दर 5.80% रहा। इस तरह सकल घरेलू उत्पादन में थोड़ी सी वृद्धि हुई। आजकल यह 7% के करीब है।

(iv) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment)-भूमंडलीकरण से बेरोज़गारी बढ़ती है। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक में मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया तथा मलेशिया में भूमंडलीकरण के प्रभाव के कारण आर्थिक संकट आया। फलस्वरूप लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा तथा वे ग़रीबी रेखा से नीचे आ गए। 1990 के दशक के शुरू में देश में बेरोज़गारी दर 6% थी जो दशक के अंत में 7% हो गई। इस तरह भूमंडलीकरण से रोजगार विहीन विकास हो रहा है।

(v) कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture) देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों का हिस्सा लगभग 29% है जबकि यह अमेरिका में 2%, फ्रांस तथा जापान में 5.5% है। अगर श्रम शक्ति की नज़र से देखें तो भारत की 69% श्रम शक्ति को कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों में रोज़गार प्राप्त है जबकि अमेरिका तथा इंग्लैंड में ऐसे कार्यों में 2.6% श्रम शक्ति कार्यरत है। विश्व व्यापार के नियमों के अनुसार विश्व को इस संगठन के सभी सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र निवेश के लिए विश्व के अन्य राष्ट्रों के लिए खोलना है। इस तरह आने वाला समय भारत की कृषि तथा अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा रहने की उम्मीद है।

(vi) शिक्षा व तकनीकी सुधार (Educational and Technical reforms)-भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का शिक्षा पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा है तथा तकनीकी शिक्षा में तो चमत्कार हो गया है। आज संचार तथा परिवहन के साधनों की वजह से दूरियां काफ़ी कम हो गई हैं। आज अगर किसी देश में शिक्षा तथा तकनीक में सुधार आते हैं तो वह पलक झपकते ही सारी दुनिया में पहुंच जाते हैं। इंटरनेट तथा कंप्यूटर ने तो इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है।

(vii) वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन (Change in the form of Classes) भूमंडलीकरण ने वर्गों के स्वरूप में भी परिवर्तन ला दिया है। 20वीं सदी में सिर्फ तीन प्रमुख वर्ग-उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग थे पर आजकल वर्गों की संख्या काफ़ी ज्यादा हो गई है। प्रत्येक वर्ग में ही बहुत से उपवर्ग बन गए हैं जैसे मजदूर वर्ग, डॉक्टर वर्ग, शिक्षक वर्ग इत्यादि के उनकी आय के अनुसार वर्ग बन गए हैं।

(viii) निजीकरण (Privatization)-भूमंडलीकरण का एक अच्छा प्रभाव यह है कि निजीकरण देखने को मिल रहा है। विकसित तथा विकासशील देशों में बहुत से सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में चल रहे हैं तथा यह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी से प्रेरित होकर और ज्यादा सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो रहा है।

(x) उद्योग धंधों का विकास (Development of Industries)-आर्थिक विकास की ऊँची दर प्राप्त करने के लिए विदेशी पूंजी निवेश से काफ़ी सहायता मिलती है। इससे न सिर्फ उद्योगों को लाभ मिलता है बल्कि उपभोक्ता को अच्छी तकनीक, अच्छे उत्पाद मिलते हैं तथा साथ ही साथ भारतीय उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने की प्रेरणा मिलती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण के स्थानीय संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
स्थानीय संस्कृति पर भूमंडलीकरण के प्रभावों की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर:
सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि स्थानीय संस्कृति होती क्या है। स्थानीय संस्कृति वह है जो कि किसी देश या समाज की भौगोलिक सीमा के बीच ही फैले या सीमित रहे। चाहे एक ही देश में कई सांस्कृतिक समूहों का वास होता है तथा यह अलग-अलग समूह इकट्ठे रहते हैं जैसे कि भारत में होता है।

ऐसा कहते हैं कि भारत में अनेक संस्कृतियों का संगम होता है। यहाँ पर विविधता तथा विभिन्नता देखने को मिल जाती है तथा इसके साथ इन विभिन्नताओं में एकता भी पाई जाती है। इससे यह साबित होता है कि देश या समाज की परंपरागत संस्कृति स्थानीय संस्कृति होती है। इन्हें हम उप-संस्कृति भी कह सकते हैं।

भूमंडलीकरण का प्रभाव उन सभी देशों या समाजों की परंपरागत संस्कृतियों पर पड़ता है जो व्यापारिक संबंधों की वजह से आधुनिक संस्कृति के संपर्क में आते हैं। क्योंकि आधुनिक या पाश्चात्य संस्कृति विकसित देशों में पैदा हुई है इसलिए इस संस्कृति की भाषा अंग्रेज़ी है। भूमंडलीकरण के स्थानीय संस्कृति पर जो प्रभाव पड़ते हैं वे निम्नलिखित हैं

बाहरी संस्कृति के कुछ हिस्सों को ग्रहण करना-यह भी देखा गया है कि जिस-जिस देश में भूमंडली संस्कृति पहुँची है उस देश की संस्कृति ने पाश्चात्य संस्कृति के कुछ लक्षणों को अपनी ज़रूरत के अनुसार ग्रहण कर लिया है। उदाहरण के तौर पर भारत के शहरों में अंग्रेज़ी आम तौर पर प्रयोग होती है। खाने-पीने में पश्चिमी तरीके प्रयोग होते हैं, क्लबों, होटलों, नए-नए फैशनों इत्यादि का प्रयोग बढ़ रहा है।

इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों पर भी भूमंडलीकरण का प्रभाव देखने को मिल रहा है। परन्तु यहाँ एक बात ध्यान रखने योग्य है कि चाहे लोग पश्चिमी संस्कृति को अपना रहे हैं पर फिर भी उन्होंने अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों, परंपराओं, विधियों इत्यादि को बना कर रखा हुआ है। इस तरह यह देखा गया है कि भूमंडलीकरण संस्कृति तथा स्थानीय संस्कृति साथ-साथ बने रह सकते हैं। इस के बारे में हम चार कारणों का आगे उल्लेख कर रहे हैं-
(i) स्थानीय संस्कृति के लोग अपने लोगों के साथ सामुदायिक तौर पर जुड़े होते हैं तथा उनमें अपने क्षेत्रीय समुदाय के लोगों के साथ भावनात्मक संबंध भी होता है। यही वजह है कि स्थानीय संस्कृति में लोग बाहर की संस्कृति के सभी विचारों, लक्षणों को नहीं अपना सकते।

(ii) स्थानीय संस्कृति की यह मुख्य विशेषता होती है कि यह लचीली तथा टिकाऊ होती है। स्थानीय लोग अपने मूल्यों, विश्वासों, भाषा, परंपराओं, धर्म-कर्म इत्यादि के साथ गहरे रूप से जुड़े हुए होते हैं। यही वजह है कि स्थानीय संस्कृति में लोग अपनी संस्कृति की जगह बाहरी संस्कृति को पूरी तरह ग्रहण नहीं कर पाते हैं।

(iii) मनुष्य लंबे समय से अलग-अलग उप-संस्कृतियों का प्रतिफल रहा है। यही वजह है कि वह भूमंडल वाली संस्कृति के साथ पूरी तरह घुल-मिल नहीं पाता है क्योंकि दुनिया के लोगों का यह मानना है कि कहीं हम सब इस भुंमडलीय संस्कृति के गुलाम न बन जाएं। यही वजह है कि भूमंडलीय संस्कृति के साथ पूरी तरह एकरूपता स्थापित नहीं की जा सकती।

(iv) बहुत-से व्यक्ति अपने लिए सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देते हैं। यह लोग नए-नए विचारों, तौर तरीकों, भाषा, नई चीज़ों, नए अनुभवों को पसंद करते हैं ताकि वह जीवन से बोर न हों तथा जीवन में हमेशा नवीनता बनी रहे। यही कारण है कि स्थानीय संस्कृति के लोग अपने पुराने रीति-रिवाजों, विचारों, परंपराओं इत्यादि को छोड़ नहीं पाते हैं क्योंकि उनके लिए इन सब चीज़ों का एक खास मूल्य होता है। उदाहरण के तौर पर चाहे हम जितना मर्जी भूमंडलीकरण के समय में रह रहे हैं पर फिर भी हम अपने पूर्वजों की पूजा करना नहीं भूले हैं, हम अपने परंपरागत संगीत को भी नहीं भूले हैं।

भारतीय समाज सहयोग तथा समन्वय पर टिका हुआ है। भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण की वजह से लोभ, द्वेष, हिंसा, भोगवादी इत्यादि भावनाएं लोगों में आ रही हैं। इस वजह से ही मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है। भूमंडलीकरण के नाम पर पश्चिमी देशों का प्रयोग किया हुआ सामान हमें परोसा जा रहा है।

पश्चिमी देशों द्वारा बनाई संचार सामग्री आज सारी दुनिया में धाक जमाए हुए हैं। हर कोई इसके आगे-पीछे भाग रहा है। आज सहयोग, हमदर्दी, प्यार, समन्वय इत्यादि मूल्यों में गि वट आ रही है जो कभी हमारे समाज के आधार हुआ करते थे। इस तरह भूमंडलीय संस्कृति या विश्व की संस्कृति की वजह से स्थानीय या उप-संस्कृति धीरे-धीरे खत्म हो रही है।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण से संचार व्यवस्था किस प्रकार प्रभावित हुई है?
अथवा
भूमंडलीकरण और मीडिया के संबंधों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
संसार में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तथा दूरसंचार के आधारभूत ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इस कारण भूमंडलीय संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। अब अगर हम अपने घर से अथवा दफ्तर से बाहरी संसार से संपर्क बनाना चाहते हैं तो उसके बहुत से साधन मौजूद हैं जैसे कि टैलीफोन (लैंडलाइन तथा मोबाइल), फैक्स मशीनें, इंटरनेट, ई-मेल, डिजिटल तथा केबल टी०वी० इत्यादि। वैसे अगर देखा जाए तो संसार में बहुत से ऐसे स्थान हैं जिनके बारे में हमें पता तक नहीं है परंतु संचार व्यवस्था की सहायता से हम इसका आसानी से पता कर सकते हैं।

इसे डिजिटल विभाजन का सूचक माना जाता है। इस डिज़िटल विभाजन के बावजूद प्रौद्योगिकी के यह अलग अलग रूप दूरी तथा समय को संकुचित या कम तो करते ही हैं। पृथ्वी पर दो दूर-दूर विपरीत दिशाओं के स्थान मुंबई तथा वाशिंगटन में बैठे व्यक्ति न केवल आपस में बातचीत कर सकते हैं बल्कि अगर चाहें तो दस्तावेज़, कागज़ तथा चित्र इत्यादि को एक-दूसरे को उपग्रह प्रौद्योगिकी की सहायता से भेज भी सकते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल फोनों में भी बहुत अधिक वृद्धि हुई है। अगर देखा जाए तो नगरों तथा गांवों दोनों में रहने वाले लोगों के लिए मोबाइल जीवन का एक अहम् हिस्सा बन गया है। इस तरह मोबाइलों के प्रयोग में भारी वृद्धि हुई है तथा इनके प्रयोग के ढंगों में भी काफ़ी परिवर्तन आ गया है।

प्रश्न 6.
भूमंडलीकरण से राजनीतिक परिदृश्य में किस प्रकार परिवर्तन आया है?
उत्तर:
1990 में यू०एस०एस० आर में समाजवाद का विघटन हो गया जो कि कई प्रकार से एक बड़ा परिवर्तन था। इस घटना ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया। इस कारण ही भूमंडलीकरण को प्रोत्साहित करने वाली आर्थिक नीतियों के प्रति एक विशेष आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टिकोण पैदा हो गया। इन परिवर्तनों को आम तौर पर नव-उदारवादी आर्थिक उपाय भी कहा जाता है। भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत बहुत से ठोस कदम उठाए गए।

मौटे तौर पर, इन नीतियों में मुक्त व्यापार से संबंधित राजनीतिक दूरदर्शिता दिखाई देती है। इसलिए यह नीति राज्य की ओर से विनियमन तथा आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दोनों की ही आलोचक है। इस प्रकार भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में राजनीतिक दूरदर्शिता उतनी ही आवश्यक है जिनती कि आर्थिक दूरदर्शिता। यह अलग बात है कि वर्तमान भूमंडलीकरण से अलग भूमंडलीकरण की भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार हम एक समावेशात्मक (Inclusive) भूमंडलीकरण की कल्पना भी कर सकते हैं जिसमें समाज के सभी भाग शामिल होते हैं।

भूमंडलीकरण के साथ एक और महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम भी घटित हो रहा है तथा वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय रचनातंत्र। इस संबंध में यूरोपीय संघ, दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (एशियान), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग सम्मेलन (सार्क) तथा दक्षिण एशियाई व्यापार संघों का परिसंघ (बोर्डस) क्षेत्रीय संघों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठनों तथा अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का सामने आना भी एक और राजनीतिक आयाम पेश करता है।

अंतर्राष्ट्रीय सरकारी संगठन एक ऐसा संगठन होता है जिसे सहभागी सरकारें स्थापित करती हैं तथा जिसे एक विशेष पारराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र पर नियंत्रण रखने, नज़र रखने तथा उसे विनियमित करने का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है। जैसे कि W.T.O. को संसार भर में व्यापार प्रथाओं पर लागू नियमों का ध्यान रखना होता है।

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