HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. जनसंचार के साधनों को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
(A) तीन
(B) चार
(C) पाँच
(D) छः।
उत्तर:
तीन।

2. इनमें से कौन-सा जनसंचार का साधन है?
(A) मुद्रित संचार
(B) विद्युत् संचार
(C) श्रव्य-दृश्य संचार
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

3. इनमें से किसे मुद्रित संचार में शामिल कर सकते हैं?
(A) समाचार-पत्र
(B) मैगज़ीन
(C) जर्नल
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

4. इनमें से कौन-सा विद्युत् संचार का मुख्य साधन है?
(A) रेडियो
(B) टी० वी०
(C) a + b दोनों
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
a + b दोनों।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

5. इनमें से कौन-सा श्रव्य-दृश्य संचार का मुख्य साधन है?
(A) समाचार-पत्र
(B) सिनेमा
(C) रेडियो
(D) मैगज़ीन।
उत्तर:
सिनेमा।

6. भारत में कितने रेडियो स्टेशन हैं?
(A) 200
(B) 225
(C) 208
(D) 216
उत्तर:
208.

7. भारत में दूरदर्शन प्रसारण कब शुरू हुआ था?
(A) 1959
(B) 1957
(C) 1961
(D) 1963
उत्तर:
1959.

8. दूरदर्शन तथा आकाशवाणी कब अलग हुए थे?
(A) 1974
(B) 1976
(C) 1978
(D) 1980
उत्तर:
1976

9. टी० वी० का आविष्कार किसने किया था?
(A) गुटेनवर्ग
(B) ग्राहम बैल
(C) जान लोगी बर्ड
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
जान लोगी बर्ड।

10. भारत में पिन कोड सुविधा कब शुरू हुई थी?
(A) 1980
(B) 1972
(C) 1976
(D) 1974
उत्तर:
1972

11. किस प्रदेश में सबसे अधिक समाचार-पत्र प्रकाशित होते हैं?
(A) पंजाब
(B) राजस्थान
(C) उत्तर प्रदेश
(D) महाराष्ट्र।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश।

12. भारत में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ था?
(A) 1923
(B) 1925
(C) 1927
(D) 1930
उत्तर:
1923

13. संस्कृति में आने वाले परिवर्तन को क्या कहते हैं?
(A) सांस्कृतिक परिवर्तन
(B) सांस्कृतिक आधुनिकता
(C) आधुनिक संस्कृति
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
सांस्कृतिक परिवर्तन।

14. उस संस्कृति को क्या कहते हैं जो किसी विशेष क्षेत्र में फैली हो?
(A) प्रादेशिक संस्कृति
(B) सांस्कृतिक अपदर्श
(C) स्थानीय संस्कृति
(D) विश्वव्यापी संस्कृति।
उत्तर:
स्थानीय संस्कृति।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

15. इनमें से कौन-सा जनसंचार का कार्य है?
(A) संसार में घट रही घटनाओं की जानकारी देना
(B) प्रशासन की जानकारी देना
(C) सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों की जानकारी देना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार के माध्यमों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
अथवा
जनसंचार के कितने प्रकार हैं?
अथवा
वर्तमान समय में कितने प्रकार का जनसंचार पाया जाता है?
अथवा
संचार माध्यम में जनसंचार के साधन कौन-से हैं?
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

  • मुद्रित संचार
  • विद्युत् संचार
  • श्रव्य-दृश्य संचार।

प्रश्न 2.
मुद्रित संचार में क्या-क्या शामिल होता है?
अथवा
मुद्रित संचार क्या है?
उत्तर:
मुद्रित संचार में समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, जर्नल (Journals) इत्यादि शामिल होते हैं।

प्रश्न 3.
विद्युत् संचार के कौन-कौन से प्रमुख साधन हैं?
उत्तर:
विद्युत् संचार के प्रमुख साधन आकाशवाणी तथा दूरदर्शन हैं। इनसे संबंधित रेडियो तथा टी० वी० संचार भी इसमें शामिल होते हैं।

प्रश्न 4.
श्रव्य-दृश्य का कौन-सा प्रमुख साधन है?
उत्तर:
श्रव्य-दृश्य संचार का प्रमुख साधन फिल्में हैं चाहे वह फीचर फिल्म हो या दस्तावेजी फिल्म हो।

प्रश्न 5.
जनसंचार कौन-सा कार्य करता है?
उत्तर:
जनसंचार का प्रमुख कार्य सूचना के प्रसारण का होता है।

प्रश्न 6.
प्रसार भारती का गठन कब हआ था?
उत्तर:
1997 में प्रसार भारती अधिनियम पारित करके प्रसार भारती का गठन हुआ था।

प्रश्न 7.
भारत में कितने समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं?
उत्तर:
भारत में 52,000 के करीब समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं।

प्रश्न 8.
भारत में कितने रेडियो स्टेशन हैं?
उत्तर:
भारत में इस समय 208 रेडियो स्टेशन हैं।

प्रश्न 9.
आजकल कार्यक्रमों का प्रसारण किस माध्यम से होता है?
उत्तर:
आजकल कार्यक्रमों का प्रसारण कंप्यूटर तथा उपग्रहों के माध्यम से होता है।

प्रश्न 10.
भारत में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
भारत में रेडियो प्रसारण 1923 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 11.
भारत में चलती-फिरती फिल्में कब बननी शुरू हुई थीं?
उत्तर:
भारत में चलती-फिरती फिल्में 1912-13 में शुरू हुई थीं।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय फिल्म विकास लिमिटेड का गठन कब हुआ था?
उत्तर:
राष्ट्रीय फिल्म विकास लिमिटेड का गठन 1975 में हुआ था।

प्रश्न 13.
जनसंचार क्या होता है?
अथवा
जनसंचार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जनसंचार दो शब्दों जन तथा संचार को मिला कर बना है। जन का अर्थ है जनता तथा संचार का अर्थ है प्रसार या फैलाव। इस तरह जनसंचार वह प्रक्रिया है जिसमें जनता तक सूचना का प्रसारण आधुनिक माध्यमों से होता है जैसे कि उपग्रह, कंप्यूटर, टी० वी० रेडियो इत्यादि।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 14.
जनसंचार के प्रसारण के माध्यमो के नाम बताओ।
अथवा
जनसंचार के एक साधन का नाम लिखें।
उत्तर:
जनसंचार के प्रसारण के माध्यम रेडियो, टी० वी०, समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, फिल्में, इंटरनेट, टेलीफोन, त्यादि हैं।

प्रश्न 15.
जनसंचार के माध्यमों को कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों को तीन भागों में बाट सकते हैं-

  • मुद्रित संचार
  • विद्युत् संधार
  • श्रव्य-दृश्य संचार।

प्रश्न 16.
सबसे पहले भारत में कौन-सा अखबार प्रकाशित हुआ था?
उत्तर:
सबसे पहले 1882 में भारत में बांबे समाचार प्रकाशित हुआ था।

प्रश्न 17.
मनोरंजन क्रांति क्या होती है?
उत्तर:
सूचना तकनीक में क्रांति की वजह से मनोरंजन के क्षेत्र में जो क्रांति हुई है उसे मनोरंजन क्रांति कहते हैं। अब टी० वी० कंप्यूटर तथा दूरदर्शन एक साथ जुड़ गए हैं जिस वजह से आम लोगों के जीवन के विभिन्न पक्षों में परिवर्तन आ रहे हैं। इंटरनेट जोकि मनोरंजन का एक साधन है ने दुनिया को जोड़ कर या छोटा कर के रख दिया है।

प्रश्न 18.
सांस्कृतिक आधुनिकीकरण क्या होता है?
उत्तर:
संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों को हम सांस्कृतिक आधुनिकीकरण कहते हैं। आज रहन-सहन, खाने पीने, कपड़ों, मनोरंजन, परिवार, संस्थाओं हर जगह परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। यह सब सांस्कृतिक आधुनिकीकरण है क्योंकि यह सब हमारी संस्कृति का हिस्सा है।

प्रश्न 19.
जनसंवाद क्या होता है?
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसकी मदद से सूचनाएं बहुत से लोगों तक पहुँचाई जाती हैं वह जनसंवाद होता है।

प्रश्न 20.
जनसंवाद तथा जनसंचार में क्या भिन्नता है?
उत्तर:
जनसंवाद वह प्रक्रिया है जिसकी मदद से बहुत-से लोगों तक सूचनाएं पहुँचाई जाती हैं पर जनसंचार इन सूचनाओं को लोगों तक पहुँचाने का एक माध्यम है।

प्रश्न 21.
स्थानीय संस्कृति क्या होती है?
उत्तर:
वह संस्कृति किसी निश्चित सीमा के भीतर होती है या अगर किसी संस्कृति का फैलाव किसी भौगोलिक क्षेत्र की निश्चित सीमा के अंदर रहता है तो उसे स्थानीय संस्कति कहते हैं।

प्रश्न 22.
टेलीविज़न किस प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करता है?
उत्तर:
टेलीविज़न राष्ट्रीय स्तर के, प्रादेशिक स्तर के तथा स्थानीय स्तर के कार्यक्रम प्रसारित करता है।

प्रश्न 23.
भारत में दूरदर्शन का प्रसारण कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
भारत में दूरदर्शन का प्रसारण 1959 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 24.
न तथा आकाशवाणी कब अलग हुए थे?
उत्तर:
दूरदर्शन तथा आकाशवाणी 1976 में बने थे।

प्रश्न 25.
PIN-CODE का पूरा अर्थ बताएं।
उत्तर:
PIN-CODE का पूरा अर्थ है Postal Index Number Code जो कि चिट्ठियों पर प्रयोग होता है।

प्रश्न 26.
टेलीविज़न की खोज किसने तथा कब की थी?
उत्तर:
जान लोगी बेयर्ड ने 1925 में टेलीविज़न का आविष्कार किया था।

प्रश्न 27.
पिन कोड की सेवा किस वर्ष में शुरू हुई थी?
उत्तर:
पिन कोड की सेवा 1972 में शुरू हुई थी।

प्रश्न 28.
किस राज्य में सबसे ज्यादा अखबार छपते हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अखबार छपते हैं।

प्रश्न 29.
देश में छपने वाले किन्हीं दस प्रमुख समाचार-पत्रों के नाम बताएं।
उत्तर:

  1. पंजाब केसरी
  2. दैनिक भास्कर
  3. नवभारत टाइम्स
  4. हिंदुस्तान टाइम्स
  5. अमर उजाला
  6. हिंदुस्तान
  7. दि ट्रिब्यून
  8. टाइम्स ऑफ़ इंडिया
  9. दैनिक जागरण
  10. इक्नामिक टाइम्स।

प्रश्न 30.
इंटरनेट का पत्रकारिता के संसार पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
इंटरनेट के कारण पत्रकारिता का संसार सिमट कर छोटा-सा रह गया है। इंटरनेट की सहायता से कुछ ही क्षणों में संसार के एक हिस्से की ख़बरें दूसरे हिस्से तक पहुँच जाती हैं। पत्रकार इंटरनेट की सहायता से किसी से भी सीधी बात कर सकते हैं तथा गोष्ठियाँ तक आयोजित करवा सकते हैं।

प्रश्न 31.
किसी प्रमुख समाचार-पत्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
द ट्रिब्यून, द हिन्दुस्तान टाइम्स भारत के प्रमुख समाचार-पत्र हैं।

प्रश्न 32.
किसी हिंदी समाचार-पत्र का नाम बताएँ।
अथवा
किन्हीं दो हिंदी समाचार-पत्रों के नाम बताएँ।
उत्तर:
पंजाब केसरी, अमर उजाला हिंदी के समाचार-पत्र हैं।

प्रश्न 33.
समाचार-पत्रों के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  1. समाचार-पत्र पढ़ने से हमें सुबह-सुबह ही घर बैठे हुए संसार भर में घटी घटनाओं के बारे में पता चल जाता है।
  2. समाचार-पत्र पढ़ने से हमारे सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 34.
रेडियो के दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  1. कम पैसे में व्यक्ति रेडियो की सहायता से अपना मनोरंजन कर सकता है।
  2. रेडियो की सहायता से किसानों, छात्रों इत्यादि के ज्ञान में वृद्धि होती है क्योंकि रेडियो पर इनके लिए कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।

प्रश्न 35.
दूरदर्शन के कोई दो लाभ बताएँ।
अथवा
टेलीविज़न या दूरदर्शन के कोई दो लाभ लिखिए।
उत्तर:

  1. दूरदर्शन पर किसानों से संबंधित कई कार्यक्रम प्रसारित होते है जिससे वह अपनी कृषि में सुधार कर सकते हैं।
  2. दूरदर्शन की सहायता से लोग घर बैठ कर ही अपना मनोरंजन कर सकते हैं।

प्रश्न 36.
समाचार-पत्र जनसंचार का साधन हैं या नहीं?
उत्तर:
जी हाँ, समाचार-पत्र जनसंचार का साधन हैं।

प्रश्न 37.
‘आज तक’ एक समाचार प्रसारण करने वाला दूरदर्शन चैनल है या नहीं?
उत्तर:
‘आज तक’ एक समाचार प्रसारण करने वाला दूरदर्शन चैनल है।

प्रश्न 38.
दूरदर्शन पर दिए जाने वाले विज्ञापनों के दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  1. इन विज्ञापनों की सहायता से कंपनियां नए उत्पादों को बाजार में उतारती है।
  2. उत्पादों की बिक्री बढ़ती है तथा कंपनियों की आय में बढ़ोत्तरी होती है।

प्रश्न 39.
दूरदर्शन के किसी एक न्यूज़ चैनल का नाम बताएँ।
उत्तर:
आज तक, स्टार न्यूज़, इंडिया टी. वी. इत्यादि न्यूज़ चैनलों के नाम हैं।

प्रश्न 40.
मोबाइल फोन के दो उपयोग बताएँ।
उत्तर:

  1. इससे हम दर-दर तक बात कर सकते हैं।
  2. इसे कहीं पर भी लेकर जाया जा सकता है।

प्रश्न 41.
समाचार-पत्र किस प्रकार के जनसंचार से संबंधित है?
उत्तर:
समाचार-पत्र मुद्रित जनसंचार से संबंधित है।

प्रश्न 42.
भारत की संपर्क भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
अंग्रेजी (English) भारत की संपर्क भाषा है।

प्रश्न 43.
रेडियो कौन-से प्रकार के जनसंचार से संबंधित है?
उत्तर:
रेडियो विद्युत् जनसंचार से संबंधित है।

प्रश्न 44.
दूरदर्शन (टलीविज़न) कौन-से प्रकार के जन-संचार से संबंधित है?
उत्तर:
दूरदर्शन (टेलीविज़न) जन-संचार के विद्युत् संचार से संबंधित है।

प्रश्न 45.
मुद्रित संचार क्या है?
उत्तर:
छपे हुए संचार माध्यमों को मुद्रित संचार कहा जाता है। उदाहरण के लिए समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं।

प्रश्न 46.
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में कितने रेडियो स्टेशन थे?
उत्तर:
उस समय भारत में 6 रेडियो स्टेशन थे।

प्रश्न 47.
दि सिविल एंड मिलिटी गज़ट कब प्रकाशित हुआ?
उत्तर:
1872 में।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंचार के कार्यों के बारे में बताओ।
उत्तर:
जनसंचार के कार्य निम्नलिखित हैं-

  • मीडिया दुनिया में हो रही सभी गतिविधियों की जानकारी तथा घट रही घटनाओं की सूचना लोगों तक पहुँचाता है।
  • मीडिया शासन संबंधी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाता है।
  • मीडिया सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों, संसद् तथा विधानमंडलों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सूचना लोगों तक पहुँचाता है।
  • दुनिया भर में हो रहे खेलों का आँखों देखा हाल मीडिया की वजह से ही लोगों तक पहुँचता है।
  • टी० वी० पर ही पश्चिमी शिक्षा, तौर-तरीकों, रहने-सहने के ढंगों का प्रसार होता है।
  • मीडिया यह सब करने के साथ-साथ लोगों को उनके अधिकारों तथा कर्तव्य के बारे में भी बताता है।

प्रश्न 2.
जनसंचार के माध्यमों के लोगों पर क्या ग़लत प्रभाव पड़ रहे हैं?
उत्तर:
जनसंचार के लोगों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ रहे हैं-

  • कंपनियां अपने उत्पादन बेचने के लिए महिलाओं की अश्लीलता का उपयोग जनसंचार के माध्यमों से करती हैं।
  • जनसंचार लोगों से असलियत छुपा कर गलत तसवीर भी लोगों के सामने पेश करता है।
  • जनसंचार के माध्यम लोगों को खासकर युवाओं को सपनों की दुनिया में ले जाते हैं तथा असलियत से दूर कर देते हैं।
  • जनसंचार के माध्यम समाज का ध्यान जीवन की रचनात्मक तथा गंभीर वस्तुओं से दूर कर देते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 3.
शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का क्या योगदान है?
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। दिल्ली दूरदर्शन पर हमेशा U.G.C. के कार्यक्रम चलते रहते हैं जहां से लगातार बच्चों तथा युवाओं को शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा बच्चों के लिए भी हमेशा शिक्षा कार्यक्रम चलते रहते हैं। U.G.C. हमेशा उच्च शिक्षा के कार्यक्रम आयोजित करती रहती है ताकि युवाओं को इनके बारे में जानकारी दी जा सके तथा इन सभी कार्यक्रमों का प्रसारण दूरदर्शन पर होता है।

दूरदर्शन के अलावा अब Discovery Channel, National Geographic Channel तथा History Channel भी चल रहे हैं जहां पर हमेशा लोगों को शिक्षित करने के लिए ज्ञानवर्धक कार्यक्रम चलते रहते हैं। History Channel पर तो हमेशा ही दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के इतिहास का विवरण दिया जाता है जो कि युवाओं, बच्चों तथा इतिहास पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है।

इस तरह अखबारें, पत्रिकाएं भी बच्चों तथा युवाओं का ज्ञान बढ़ाने में काफी मददगार साबित होती हैं। इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का काफ़ी महत्त्वपूर्ण योगदान है। यहां तक कि स्कूलों या कालेजों में रेडियो या टी०वी० पर आ रहे शिक्षावर्धक कार्यक्रमों को विदयार्थियों को सुनाया या दिखाया जाता है ताकि वह कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकें।

प्रश्न 4.
जनसंचार के माध्यमों का वर्णन करें।
अथवा
जनसंचार माध्यम क्या है?
अथवा
विभिन्न प्रकार के जनसंचार की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
लोगों को मनोरंजन प्रदान करने तथा देश की जनता को सूचना पहुंचाने में जनसंचार के माध्यमों का काफ़ी बड़ा हाथ होता है। जनसंचार के माध्यम देश में कोई लहर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जनसंचार के माध्यमों को हम तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं-मुद्रित संचार, विद्युत् संचार तथा श्रव्य-दृश्य संचार। मुद्रित संचार में अखबारें तथा पत्रिकाएं आती हैं। अखबारें तथा पत्रिकाएं लोगों को हर सुबह यह बता देती हैं कि कल सारी दुनिया में क्या तथा किस तरह हुआ।

इनको पढ़कर सुबह ही व्यक्ति सारी दुनिया को जान लेता है। विद्युत् संचार में टेलीविज़न तथा रेडियो आते हैं। इन दोनों पर हम कई प्रकार के कार्यक्रम देख तथा सुन सकते हैं जिनसे हमारा ज्ञान बढे। इन दोनों पर बहत से मनोरंजन के कार्यक्रम भी आते हैं जिससे हमारा खाली समय पास हो जाता है।

श्रव्य दृश्य संचार में फिल्में आती हैं जो लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनको कई प्रकार की शिक्षा भी प्रदान करती हैं। जनसंचार के इन माध्यमों से ऐसा लगता है कि जैसे सारी दुनिया हमारे हाथों में है हम कभी भी इनको छू सकते हैं। यह जनसमर्थन जुटाने का सबसे बढ़िया साधन है। अगर यह माध्यम चाहे तो देश की सरकार तक को उल्ट सकते हैं।

प्रश्न 5.
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं से सामाजिक परिवर्तन कैसे होता है?
उत्तर:
यह सच है कि समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। वास्तव में समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं लोगों की सोई हुई भावनाओं को जगाती है। समाचार-पत्रों में रोजाना की देश-विदेश की खबरें, कई प्रकार के लेख इत्यादि छपते रहते हैं। इन्हें पढ़ कर लोगों में जागृति पैदा होती है। स्वतंत्रता से पहले बहुत-से नेताओं ने समाचार पत्रों की सहायता से जनता की सोई हुई भावनाओं को जगाया तथा उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

स्वतंत्रता के बाद प्रेस को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा वह सरकार की गलत नीतियों को उजागर करने लगी। इससे भी जनता सरकारों को बदलने के लिए बाध्य हुई। इससे सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस प्रकार पत्रिकाएं भी समय-समय पर अलग-अलग मुद्दों पर जनता की भावनाओं को जगाकर सामाजिक परिवर्तन लाने का प्रयास करती रहती है।

प्रश्न 6.
दूरदर्शन से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन हो रहे हैं?
अथवा
भारतीय समाज पर जनसंचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दूरदर्शन से भारतीय समाज में जन संचार में एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित हुआ है। इसकी शुरुआत एक प्रयोग के रूप में 1959 में दिल्ली से की गई। टेलीविज़न के कार्यक्रमों में साक्षात्कार किसी समस्या या घटना के ऊपर विचार-विमर्श करना तथा वृत्त चित्रों का महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके अतिरिक्त नृत्यु, नाटक, संगीत, समाचार इत्यादि को भी दिखाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, दीवाली इत्यादि के कार्यक्रम भी इस पर दिखाए जाते हैं।

इसके साथ ही दूरदर्शन के प्रसारण के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रमों को भी बनाया जाता है जिसमें यातायात संबंधी नियमों की जानकारी देना, नगर नियोजन संबंधी नियमों से अवगत कराना, स्वास्थ्य समुदायों तथा खानपान में की जाने वाली मिलावट जैसी समस्याओं के बारे में बताया जाता है। खबरों की सहायता से जनता को अलग-अलग मुद्दों की जानकारी दी जाती है। इस प्रकार दूरदर्शन से जनता को जगाकर सामाजिक परिवर्तन लाया जा रहा है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में विद्युत् संचार के माध्यमों का वर्णन करें।
अथवा
इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम पर नोट लिखें।
अथवा
रेडियो के प्रसारण के संबंध में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
विद्युत् अर्थात् बिजली। विद्युत् संचार का अर्थ है बिजली से चलने वाले संचार के साधन। अब हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि विद्युत् संचार में कौन-कौन से माध्यम होंगे। विद्युत् संचार के दो प्रमुख माध्यम हैं रेडियो तथा टी० वी०। इन दोनों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-
(i) रेडियो (आकाशवाणी)-भारत में सबसे पहले रेडियो प्रसारण का कार्यक्रम सन् 1923 में शुरू हुआ था, जब रेडियो क्लब ऑफ बंबई’ द्वारा एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था।

इसके बाद 1927 में प्रयोग के तौर प्राइवेट ट्रांसमीटरों ने भी काम करना शुरू कर दिया था। सरकार ने इन प्राइवेट ट्रांसमीटरों को 1930 में अपने हाथ में ले लिया तथा इसे इंडियन ब्राडकॉस्टिंग सर्विस (Indian Broadcasting Service) के नाम से चलाना शुरू कर दिया था।

सन् 1936 तथा 1957 में इसे आकाशवाणी का नाम दे दिया गया। आज के समय में आकाशवाणी 24 भाषाओं में कार्यक्रम पेश करती है। आकाशवाणी का मुख्य उद्देश्य लोगों के हितों को ध्यान में रख कर कार्य करना है। इस समय भारत में 208 रेडियो स्टेशन कार्य कर रहे हैं। अब तो भारत में बहुत सारे एफ० एम० (F.M.) स्टेशन भी स्थापित हो चुके हैं।

इस समय देश के 90% क्षेत्र में तथा 98% जनसंख्या आकाशवाणी के कार्यक्रम सुन सकती है। 1966 के बाद से तो आकाशवाणी पर ग्रामीणों के लिए भी कार्यक्रम प्रसारित होने लग पड़े हैं। याद रहे 1966 के बाद ही हरित क्रांति आयी थी। अब महिलाओं खासकर ग्रामीण महिलाओं तथा बच्चों के लिए कई तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। इस की वजह से यह उम्मीद की जाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी परिवर्तन आएगा तथा वह आ भी रहा है।

(ii) दूरदर्शन (टलीविज़न)-भारत में टेलीविज़न सबसे पहले 1959 में दिल्ली के आकाशवाणी भवन में प्रयोग के तौर पर चलाया गया। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे दूरदर्शन की सेवा विश्व की संचार की सेवाओं में सबसे बड़ी सेवाओं में से एक है। सबसे पहले दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में तीन दिन होता था। फिर धीरे-धीरे रोज़ाना समाचार प्रणाली शुरू हुई। 1975-76 में भारत में उपग्रह से संबंधित पहला प्रयोग साईट के द्वारा किया गया।

लोगों को सामाजिक शिक्षा देने के लिए तकनीकी मदद से यह पहला प्रयास था। देश में दूसरा टेलीविज़न केंद्र 1972 में खोला गया। 1973 में तो कई स्थानों पर ऐसे केंद्र खोले गए। 1976 में दूरदर्शन को ऑल इंडिया रेडियो (Ali India Radio) से अलग करके अलग विभाग बना दिया गया। रंगीन टी० वी० की शुरुआत सबसे पहले 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई।

1984 में दिल्ली दूरदर्शन के साथ डी० डी० मैट्रो को जोड़ दिया गया। पहले तो मैट्रो सिर्फ दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई में ही दिखाया जाता था पर कुछ समय बाद यह पूरे भारत में दिखाया जाने लगा। 1999 में खेलों के लिए डी० डी० स्पोर्टस (D.D. Sports) नामक खेल चैनल भी शुरू किया गया ताकि दुनिया भर में चल रही खेलों को दिखाया जा सके।

आज भारत में 8 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के पास टेलीविज़न उपलब्ध हैं। इस समय दूरदर्शन देश की 87% आबादी तक तथा 70% भौगोलिक क्षेत्र तक अपने चैनलों को पहँचा चका है। देश के 49 शहरों में तो दरदर्शन के प्रोडक्शन स्टूडियो (Production Studio) हैं। दूरदर्शन से शिक्षा संबंधी कई कार्यक्रम प्रस्तुत होते हैं।

IGNOU के माध्यम से तथा U.G.C. के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए कई कार्यक्रम दूरदर्शन पर चलाए जा रहे हैं। 1995 में दूरदर्शन ने डी० डी० वर्ल्ड नामक एक चैनल चलाया था पर 2002 में इसे डी० डी० इंडिया (D.D. India) का नाम दिया गया।

इनके अतिरिक्त भारत में आज के समय में प्राइवेट चैनलों की भरमार आई हुई है। दूरदर्शन के अलावा सोनी, जी० टी०वी०, मैक्स, स्टार स्पोर्ट्स, स्टार प्लस, ई० एस० पी एन० एवं जी न्यूज, आज तक इत्यादि सैकड़ों ऐसे चैनल हैं जो दिन-रात चल रहे हैं तथा लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।

इस तरह हम कह सकते हैं विद्युत् संचार के साधनों ने देश में काफ़ी उन्नति की है। सरकारी चैनलों के साथ साथ प्राइवेट चैनलों की भी भरमार हो गई है जिसकी वजह से लोगों का विद्युत् संचार के माध्यम से काफ़ी मनोरंजन हो रहा है।

प्रश्न 2.
मुद्रित संचार के विभिन्न माध्यमों का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंचार के विभिन्न माध्यमों में से मुद्रित संचार भी एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। मुद्रित संचार को प्रेस भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं आती हैं। प्रेस रजिस्ट्रार की 2001 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में उस समय 51960 समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं प्रकाशित होती थीं।

इस वर्ष में 5638 दैनिक, 348 सप्ताह में दो या तीन बार प्रकाशित होने वाले, 18582 साप्ताहिक, 6881 पाक्षिक (Fortnightly), 14634 मासिक, 3634 त्रैमासिक, 469 वार्षिक तथा 1774 अन्य पत्र-पत्रिकाएं छप रही थीं। सबसे ज्यादा अखबार या पत्रिकाएं हिंदी भाषा में प्रकाशित होते हैं, फिर अंग्रेज़ी तथा फिर मराठी का नंबर आया। काश्मीरी भाषा को छोड़कर बाकी सभी प्रमुख भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होती हैं।

सबसे ज्यादा अखबार उत्तर प्रदेश में प्रकाशित होते हैं जो कि 8400 के करीब हैं। उसके बाद दिल्ली, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश का नंबर आता है। दैनिक ले में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उसके बाद महाराष्ट्र तथा कर्नाटक का स्थान रहा है। सबसे पुराना अखबार 1882 से छप रहा गुजराती भाषा का बंबई समाचार है।

मुद्रित संचार को आगे बढ़ाने में समाचारों की कई एजेंसियों का प्रमुख हाथ रहा है जिनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (Press Trust of India PTI)-यह समाचार एजेंसी समाचार पत्रों को टेलीप्रिंटर की मदद से समाचार उपलब्ध करवाती है। यह भारत की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी है।

इसका गठन 1947 में हुआ था पर इसने फरवरी, 1949 से कार्य करना शुरू किया था। यह हिंदी तथा अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में अपनी सेवाएं उपलब्ध करवा रही है। इसकी तो अब अपनी ही उपग्रह प्रणाली है जिसकी मदद से यह विभिन्न समाचार पत्रों को समाचार उपलब्ध करवाती है।

(ii) दि रजिस्ट्रार ऑफ़ न्यूजपेपर्स इन इंडिया (The Registrar of Newspapers in India R.N.I.)-समाचार पत्रों को अखबारी कागज़ का आबंटन होता है तथा यह आबंटन इस एजेंसी के द्वारा होता है। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी।

सरकारी कोटे से अखबारी कागज़ लेने के लिए यह ज़रूरी है पत्र, पत्रिकाएं R. N. I. के पास अपना पंजीकरण कराएं तभी उन्हें अखबारी कागज़ उपलब्ध करवाया जाएगा वरना नहीं। इस तरह यह एजेंसी काफी महत्त्वपूर्ण कार्य करती है।

(iii) यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया (United News of India U.N.I.)-यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1961 में हुई थी। विदेशों में तथा भारत में इस एजेंसी के तार फैले हुए हैं। इसके 76 समाचार ब्यूरो हैं जिस वजह से यह एशिया की सबसे बड़ी समाचार एजेंसियों में से एक है। इसने 1981 में पूरी तरह भारतीय भाषा समाचार एजेंसी हिंदी में यूनिवार्ता शुरू की। 1991 में इसने टेलीप्रिंटर की मदद से उर्दू समाचारों के लिए भी उर्दू सेवा शुरू की।

(iv) प्रैस सूचना ब्यूरो (Press Information Bureu P.I.B.)-ब्यूरो सरकार के कार्यक्रमों, नीतियों तथा प्राप्त की गई उपलब्धियों की सूचना देने वाली यह प्रमुख एजेंसी है। इसके मुख्यालय समेत 9 कार्यालय हैं। दिल्ली प्रमुख कार्यालय है। बाकी मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, लखनऊ, कोलकाता, गुवाहटी, भोपाल तथा हैदराबाद में स्थित हैं। इनके हरेक केंद्र में दूरसंचार केंद्र, संवाददाता केंद्र कक्ष तथा कैफेटेरिया इत्यादि हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।

(v) प्रैस काऊंसिल ऑफ़ इंडिया (Press Council of India P.C.I.)-प्रैस परिषद् की स्थापना समाचार पत्रों की आजादी की रक्षा के लिए तथा भारत में समाचार पत्रों तथा एजेंसियों के स्तर को बनाए रखने के लिए तथा उनमें सुधार करने के लिए की गई है। 2000-01 में इसकी 1250 शिकायतें मिली थीं जिनमें से 1175 का निपटारा कर दिया गया था।

प्रश्न 3.
जनसंचार के साधनों ने हमारी संस्कृति को कैसे प्रभावित किया है?
अथवा
जनसंचार तथा सांस्कृतिक परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
जनसंचार तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में क्या संबंध है? संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति प्राचीन परंपराओं, रीति-रिवाजों तथा पुरानी संस्कृति के सभी पक्षों पर आधारित है। यहाँ तक कि आज भी हमारी संस्कृति के ऊपर पुरानी संस्कृति की छाप देखने को मिल जाएगी। पर आज जो जनसंचार के माध्यम हमारे सामने आए हैं उन्होंने हमारी संस्कृति में एक परिवर्तन-सा ला दिया है। हम कह सकते हैं कि हमारी संस्कृति भी जनसंचार के माध्यमों से अछूती नहीं रही है।

हमारी संस्कृति के अलग-अलग हिस्सों के ऊपर जनसंचार का प्रभाव देखने को मिल जाता है। हमारी संस्कृति के आदर्शों, मूल्यों में बहुत तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। संस्कृति के दोनों पक्षों चाहे वह भौतिक हो या अभौतिक दोनों पक्षों में बदलाव आ रहे हैं। आज-कल जनसंचार के माध्यम से बहुत तेजी से सांस्कृतिक परिवर्तन आ रहे हैं।

जनसंचार से संसार में परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। प्रेस समाचार पत्रों द्वारा छोटी-छोटी घटनाओं को इकट्ठा करके लोगों तक पहुँचाती है। आज समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। सुबह उठते ही हम समाचार-पत्र मांगते हैं। समाचार-पत्र सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी लोकप्रिय हो चुके हैं।

चाहे चाय की दुकान हो या कोई और दुकान हर जगह समाचार-पत्र ज़रूर मिल जाएगा। लोकतंत्र का रखवाला हम समाचार-पत्र को कह सकते हैं। समाचार पत्र की मदद से ही लोग अपना विरोध, अपनी इच्छा प्रकट करते हैं। अगर समाचार-पत्र लोगों को किसी चीज़ के बारे में बताते हैं तो वह जनमत तैयार करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रेस तथा टी० वी० न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, जैसा कि आजकल हम देख रहे हैं, बल्कि समाज में सृजनात्मक कार्य भी करते हैं। प्रदूषण, परिवार नियोजन, बाढ़, भूखमरी, सूखा इत्यादि क्षेत्रों में यह लोगों को जगा कर कल्याणकारी कार्य करते हैं।

जनसंचार की मदद से ही स्त्री को पुरुष के बराबर का दर्जा प्राप्त हुआ पत्र तथा पत्रिकाएं लोगों के मनोरंजन का कार्य भी करती हैं। नई-नई कहानियां, किस्से, चुटकले, फिल्मी कहानियाँ इत्यादि इनमें छपता रहता है। इसी तरह टी० वी० पर भी व्यंग्य के धारावाहिक, फिल्में, समाचार खेलों इत्यादि का आनंद लिया जा सकता है।

जनसंचार के आधुनिक माध्यमों ने नई सांस्कृतिक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इनके माध्यम से सांस्कृतिक परिवर्तन भी हो रहे हैं। गाँवों तथा शहरों में एक नए मध्यम वर्ग का जन्म हो रहा है तथा इस मध्यम वर्ग ने हरेक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। पिछड़े वर्गों में एक नई चेतना का उदय हो रहा है।

निम्न जातियों ने भी अपनी रक्षा के लिए आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। शहरों में भी मध्यम वर्ग आगे आया है जो अपनी कुशलता दिखाने की इच्छा रखता है। जनसंचार के साधनों ने अलग-अलग समूहों में संस्कृति के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में मदद की है। आज सिर्फ जनसंचार के माध्यमों के कारण ही दुनिया में अलग-अलग देशों की संस्कृति को देखा तथा ग्रहण किया जा सकता है। इस तरह जनसंचार ने संस्कृति को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 4.
टेलीविज़न के हमारे समाज पर क्या गलत प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
दूरदर्शन के समाज पर क्या-क्या प्रभाव पड़े हैं? वर्णन करें।
अथवा
भारतीय समाज पर दूरदर्शन के दुष्परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर:
आज के आधुनिक समय में जब जनसंचार के सभी माध्यम हमारे जीवन पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव डाल रहे हैं। टेलीविज़न संचार माध्यम से लोगों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करता बल्कि लोगों के जीने तथा सोचने, खाने-पीने, उठने-बैठने आदि हर प्रकार के क्षेत्र पर प्रभाव डाल रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में यह प्रभाव डालने की प्रक्रिया काफ़ी तेज़ है। इस भूमंडलीकरण के समय में टी० वी० का एक गलत रूप भी हमारे सामने आ रहा है।

टी० वी० हमारी संस्कृति को न सिर्फ बदल रहा है बल्कि इस पर हमला भी बोल रहा है। टी० वी० पर पश्चिमी संस्कृति का प्रसार हो रहा है जिससे न सिर्फ हमारी संस्कृति बल्कि हमारा देश भी पतन की तरफ जा रहा है। टी०वी० जोकि जनसंचार का प्रमुख साधन है उसका हमारे बच्चों पर काफी गलत प्रभाव पड़ रहा है।

जब टी० वी० नया-नया आया था उस समय टी० वी० सिर्फ समय बिताने के लिए देखा जाता था पर आज कल के बच्चे, जिन्हें अपना ज्यादातर समय पढ़ाई में लगाना चाहिए, टी० वी० देखने में अपना समय बिता देते हैं। टी० वी० पर नाच चल रहा होता है तो वह भी नाचने लग जाते हैं तथा अगर टी० वी० पर कोई हिंसक दृश्य आ रहा जनसंचार के माध्यम हमारे सामने आए हैं उन्होंने हमारी संस्कृति में एक परिवर्तन-सा ला दिया है। हम कह सकते हैं कि हमारी संस्कृति भी जनसंचार के माध्यमों से अछूती नहीं रही है।

हमारी संस्कृति के अलग-अलग हिस्सों के ऊपर जनसंचार का प्रभाव देखने को मिल जाता है। हमारी संस्कृति के आदर्शों, मूल्यों में बहुत तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। संस्कृति के दोनों पक्षों चाहे वह भौतिक हो या अभौतिक दोनों पक्षों में बदलाव आ रहे हैं। आज-कल जनसंचार के माध्यम से बहुत तेजी से सांस्कृतिक परिवर्तन आ रहे हैं।

जनसंचार से संसार में परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। प्रेस समाचार पत्रों द्वारा छोटी-छोटी घटनाओं को इकट्ठा करके लोगों तक पहुँचाती है। आज समाचार-पत्र हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। सुबह उठते ही हम समाचार-पत्र मांगते हैं। समाचार-पत्र सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी लोकप्रिय हो चुके हैं।

चाहे चाय की दुकान हो या कोई और दुकान हर जगह समाचार-पत्र ज़रूर मिल जाएगा। लोकतंत्र का रखवाला हम समाचार-पत्र को कह सकते हैं। समाचार-पत्र की मदद से ही लोग अपना विरोध, अपनी इच्छा प्रकट करते हैं। अगर समाचार-पत्र लोगों को किसी चीज़ के बारे में बताते हैं तो वह जनमत तैयार करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रेस तथा टी० वी० न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, जैसा कि आजकल हम देख रहे हैं, बल्कि समाज में सृजनात्मक कार्य भी करते हैं। प्रदूषण, परिवार नियोजन, बाढ़, भूखमरी, सूखा इत्यादि क्षेत्रों में यह लोगों णकारी कार्य करते हैं। जनसंचार की मदद से ही स्त्री को पुरुष के बराबर का दर्जा प्राप्त हुआ है।

समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं लोगों के मनोरंजन का कार्य भी करती हैं। नई-नई कहानियां, किस्से, चुटकले, फिल्मी कहानियाँ इत्यादि इनमें छपता रहता है। इसी तरह टी० वी० पर भी व्यंग्य के धारावाहिक, फिल्में, समाचार खेलों इत्यादि का आनंद लिया जा सकता है।

जनसंचार के आधुनिक माध्यमों ने नई सांस्कृतिक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इनके माध्यम से सांस्कृतिक परिवर्तन भी हो रहे हैं। गाँवों तथा शहरों में एक नए मध्यम वर्ग का जन्म हो रहा है तथा इस मध्यम वर्ग ने हरेक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। पिछड़े वर्गों में एक नई चेतना का उदय हो रहा है। निम्न जातियों ने भी अपनी रक्षा के लिए आवाज़ उठानी शुरू कर दी है।

शहरों में भी मध्यम वर्ग आगे आया है जो अपनी कुशलता दिखाने की इच्छा रखता है। जनसंचार के साधनों ने अलग-अलग समूहों में संस्कृति के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में मदद की है। आज सिर्फ जनसंचार के माध्यमों के कारण ही दुनिया में अलग-अलग देशों की संस्कृति को देखा तथा ग्रहण किया जा सकता है। इस तरह जनसंचार ने संस्कृति को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।

प्रश्न 4.
टेलीविज़न के हमारे समाज पर क्या गलत प्रभाव पड़े हैं?
अथवा
दूरदर्शन के समाज पर क्या-क्या प्रभाव पड़े हैं? वर्णन करें।
अथवा
भारतीय समाज पर दूरदर्शन के दुष्परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर:
आज के आधुनिक समय में जब जनसंचार के सभी माध्यम हमारे जीवन पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव डाल रहे हैं। टेलीविज़न संचार माध्यम से लोगों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करता बल्कि लोगों के जीने तथा सोचने, खाने-पीने, उठने-बैठने आदि हर प्रकार के क्षेत्र पर प्रभाव डाल रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में यह प्रभाव डालने की प्रक्रिया काफ़ी तेज़ है।

इस भूमंडलीकरण के समय में टी० वी० का एक गलत रूप भी हमारे सामने आ रहा है। टी० वी० हमारी संस्कृति को न सिर्फ बदल रहा है बल्कि इस पर हमला भी बोल रहा है। टी० वी० पर पश्चिमी संस्कृति का प्रसार हो रहा है जिससे न सिर्फ हमारी संस्कृति बल्कि हमारा देश भी पतन की तरफ जा रहा है। टी०वी० जोकि जनसंचार का प्रमुख साधन है उसका हमारे बच्चों पर काफी गलत प्रभाव पड़ रहा है।

जब टी० वी० नया-नया आया था उस समय टी० वी० सिर्फ समय बिताने के लिए देखा जाता था पर आज कल के बच्चे, जिन्हें अपना ज्यादातर समय पढ़ाई में लगाना चाहिए, टी० वी० देखने में अपना समय बिता देते हैं। टी० नाच चल रहा होता है तो वह भी नाचने लग जाते हैं तथा अगर टी० वी० पर कोई हिंसक दृश्य आ रहा होता है तो वह भी हिंसक हो जाते हैं।

जवान लोग किसी नामी-गिरामी हीरो का अनुसरण करते हैं उसी की तरह नाचते-गाते हैं। टी० वी० पर कामुक दृश्यों को देखकर उनमें कामुकता की भावना उभर आती है। संचार के इन साधनों से हम अतार्किक तथा गलत रास्ते पर जा रहे हैं।

किसी देश की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखने में संचार माध्यमों का काफ़ी बड़ा योगदान होता है। सांस्कृतिक निरंतरता से संस्कृति अपने आप ही जीवित रहती है। तेजी से हो रहे भूमंडलीकरण ने आर्थिक तथा राजनीतिक भूमंडलीकरण की जगह सांस्कृतिक भूमंडलीकरण को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। भूमंडलीकरण के इस युग ने दुनिया के अलग देशों की संस्कृति को मिला कर रख दिया है। सभी लोग राष्ट्रों की सीमाओं को तोड़ कर एक दूसरे की संस्कृति को अपनाने लग गए हैं।

भारत का शास्त्रीय संगीत दुनिया में काफ़ी मशहूर भी रहा है तथा टी० वी०,रेडियो पर इसको चला कर जीवित रखने की कोशिश भी की जा रही है पर अब रेडियो तथा टी० वी० परल गानों तथा पॉप गानों की धूम मची हुई है। हमारे परंपरागत लोक नृत्य समाप्त हो रहे हैं। नए-नए नाच के तरीके सामने आ रहे हैं।

कंपनियां अपने उत्पाद बेचने के लिए महिलाओं के अश्लील चलचित्रों का इस्तेमाल टी० वी० पर करती हैं। इस तरह टेलीविज़न के हमारे जीवन तथा हमारी संस्कृति पर काफ़ी गलत प्रभाव पड़ रहे हैं। अगर इस को न रोका गया तो आने वाले समय में हमारी अपनी संस्कृति हमें खुद ही ढूँढ़नी पड़ेगी।

प्रश्न 5.
जनसंचार ने किस प्रकार सांस्कृतिक परिवर्तन में मदद की है?
उत्तर:
आधुनिक युग परिवर्तन का युग है। किसी भी समाज एवं देश में परिवर्तन सामाजिक विकास तथा सूचना संचार के साधनों में परिवर्तन के फलस्वरूप ही संभव है। देश का विकास और परिवर्तन विचारों व दृष्टिकोणों में परिवर्तन के ऊपर निर्भर करता है। समाज में परिवर्तन के लिए सूचनाओं को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सर्वेक्षण के आधार पर विश्व की लगभग 70% जनता की पूर्ण सूचनाएं नहीं मिलती हैं, वे सूचना के अधिकार से वंचित रह जाते हैं।

किसी भी देश का विकास व परिवर्तन इस बात पर निर्भर करता है कि लोग क्या कर रहे हैं। वर्तमान समय में यह विचारधारा विकसित हो रही है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए ज्ञान, तकनीक, बुदधि व मनोभाव में परिवर्तन होना अनिवार्य है। आधुनिकीकरण व औद्योगिक विकास के तीन स्तरों-शिक्षा का विकास, जनसंचार व्यवस्था का विकास तथा नगरीकरण की प्रक्रिया के आधार पर समझा जा सकता है। इन व्यवस्थाओं का परस्पर संबंध है।

जो व्यक्ति शिक्षित है वही व्यक्ति जनसंचार की व्यवस्था के साथ भी जुड़ा हुआ है व उनमें गतिशीलता भी पाई जाती है। युनेस्को ने आय, शिक्षा एवं नगरीयकरण की प्रक्रिया को जनसंचार, समाचार-पत्र, रेडियो, दूरदर्शन तथा सिनेमा से संबंधित किया है। भारत में नगरों के समीप बसने वाले गांवों में सूचनाओं का स्तर उन गांवों की अपेक्षा अधिक है जो नगरों से दूर हैं।

जनसंचार के माध्यम से भारत में समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं ने सामाजिक व संस्कृति के क्षेत्र में कई प्रभाव डाले हैं। इन माध्यमों के आधार पर ही भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक चेतना व जागरूकता का विकास हो पाया है। वर्तमान समय में समाचार-पत्र न केवल सूचना पहुंचाने का एकमात्र साधन हैं बल्कि अनेक कठिनाइयों को संबंधित नेताओं व कर्मचारियों तक पहुंचाने का भी लोकप्रिय माध्यम है।

मुद्रित संचार के साथ ही विद्युत् संचार-रेडियो, टेलीविज़न ने भी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को काफी प्रभावित किया है। टेलीविज़न, रेडियो दोनों ही माध्यमों से सूचनाएं नगर व गांव तक पहुंचाई जाती हैं। गांव में किसान नई-नई कृषि तकनीकें, नए बीज व खाद संबंधित सूचनाओं की जनकारी प्राप्त करते हैं। मौसम संबंधी जानकारी ग्रामीण जन पुनःउत्थान संबंधी कार्यक्रमों की सूचनाएं सुनते हैं। टेलीविज़न पर अन्य प्रसारण को भी देखते हैं।

सिनेमा ने सबसे अधिक भारतीय संस्कृति को प्रभावित किया है। फिल्मों का निर्माण सामाजिक समस्याओं पर किया जा रहा है। जिनमें अधिकतर फिल्में महिलाओं के सामाजिक स्तर से संबंधित व छुआछूत, निम्नवर्गों का शोषण, बाल-विवाह के ऊपर आधारित हैं। राष्ट्रीयता की भावना का विकास करने में भी फिल्मों की अहम भूमिका रही है। भारत के सिनेमा में नगरीय व ग्रामीण दोनों ही संदर्भो को मध्य नज़र रखते हुए फिल्मों का निर्माण किया जा रहा है जिससे दोनों ही क्षेत्रों में सिनेमा ने अपना प्रभाव डाला है।

देश में जन संचार सूचनाओं को प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होने के बावजूद इसके प्रभाव से कुछ एक कारणों के परिणामस्वरूप जनता लाभांवित नहीं हो पा रही है। वर्तमान समय में समाचार-पत्र भी थोडे से शिक्षित लोगों की आवश्यकता को पूरा करते हैं। इन पक्षों में अधिकतर समाचार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के होते हैं जिनमें कम शिक्षित लोगों की रुचि कम होती है।

सिनेमा घरों में जो फिल्में दिखाई जाती हैं उन फिल्मों में अधिकतर फिल्में समाज की वास्तविकता से परे होती हैं। ये केवल काल्पनिक मूल्यों से ओत-प्रोत होती हैं जो युवा पीढ़ी को अधिक प्रभावित करती हैं। सिनेमा देखने वालों में निम्न आर्थिक श्रेणी के लोगों का प्रतिशत अधिक होता है। सिनेमा पर प्रसारित किये जाने वाले विज्ञापनों ने भी उच्च वर्ग को अधिक आकर्षित किया है। कुल मिलाकर यह कहने में आपत्ति नहीं है कि सिनेमा विभिन्न स्थानों में उपयुक्त सूचनाएं व ज्ञान के प्रसार के साधन के रूप में एक उपयोगी साधन नहीं बन पाया है।

सांस्कृतिक मूल्यों को जनसंचार ने कई आधारों पर प्रभावित किया है। जन संचार ने समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया को काफ़ी तीव्र किया है। इसके प्रभाव के कारण ही लोग नये-नये विषयों व स्थान से अवगत होने लगे हैं। उनकी संस्कृति में कई नये सांस्कृतिक, तत्त्वों का विकास हो रहा है। दैनिक जीवन के व्यवहार के तरीके दूसरों के व्यवहार के तरीकों में परिवर्तित हो रहे हैं व संचार माध्यमों से संस्कृतिक परिवर्तनों का आरंभ हो रहा है।

जनसंचार के माध्यम से लोग अपनी परंपरागत संस्कृति के अस्तित्व के साथ अपने आपको फिर से जोड़ने लगे हैं। कई नई सांस्कृतिक चुनौतियों को भी जन्म दिया है। इस माध्यम के आधार पर ही आधुनिक मूल्य व्यवस्था में एक संतुलन बन पाया है। आधुनिक सांस्कृतिक व्यवस्था को परंपरागत सांस्कृतिक व्यवस्था के साथ जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य जन संचार माध्यम के द्वारा ही संभव हो पाया है।

प्रश्न 6.
जनसंचार कौन-से हैं व कितने प्रकार के हैं? व्याख्या करो।
अथवा
जनसंचार के विभिन्न प्रकारों की सविस्तार व्याख्या करें।
अथवा
विभिन्न प्रकार के जन-संचार माध्यमों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जब भारत में जनसंचार के आधुनिक साधन टेलीविज़न, इंटरनैट आदि उपलब्ध नहीं थे तब तक लोग पारंपरिक संवाद के आधार पर परंपरागत तरीकों से ही सूचनाएं प्राप्त करते थे। भारतीय समाज में विभिन्न समुदायों, धर्मों, जातियों, जनजातियों के आधार पर भाषा, विश्वासों, विचारधाराओं, लोकरीतियों, प्रथाओं व आदर्शों एवं मूल्यों में भिन्नता पाई जाती है।

19वीं शताब्दी में विज्ञान व तकनीक के विकास ने जनसंचार के क्षेत्र में क्रांति का कार्य किया। वर्तमान समय में जन संचार व्यक्तियों के मनोरंजन के साथ-ही-साथ शिक्षा संबंधी कार्यों को भी पूरा कर रहा है। आधुनिक समय में भारतीय समाज में जनसंचार के मुख्य तीन प्रकार के साधन हैं-

  • मुद्रित संचार (Print Media)
  • विद्युत् संचार (Electronic Media)
  • श्रव्य-दृश्य (Audio-Visual)

1. मुद्रित संचार (Print Media)-मुद्रित संचार मुख्यतः समाचार पत्र तथा पत्रिकाओं के माध्यम से किया जाता है। मुद्रित संचार के अंतर्गत लिखित प्रारूपों को सम्मलित किया गया है।

समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएं (News Paper and Magazines):
सन् 1780 में बंगाल राजपत्र के नाम से भारत में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ। इसके कुछ वर्षों के उपरांत ही अनेक पत्रिकाओं का प्रकाशन कोलकाता, चेन्नई तथा मुंबई में शुरू किया गया। लेकिन ये सभी पत्र व पत्रिकाएं अंग्रेज़ व्यक्तियों द्वारा प्रकाशित की जाती थीं। इनमें मुख्यतः इंग्लैंड की घटनाओं तथा सरकारी गतिविधियों व कार्यवाहियों का विवरण होता था। सामाजिक समाचार भी अंग्रेजों के व्यापार, प्रशासन व सेना के होते थे।

18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में मुंबई पहली बार एक बहुत बड़ा व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरा जिससे 1797 में पहली बार एक अंग्रेज़ी पत्रिका में गुजराती में एक विज्ञापन का प्रकाशन हुआ। गुजराती भाषा का सबसे पहली बार समाचार प्रकाशन में प्रयोग किया गया जबकि भारतीय पत्रकारिता का जन्म बंगाली में हुआ है। सन् 1816 में गंगाधर भट्टाचार्य ने बंगाल राजपत्र का प्रकाशन किया। सन् 1821 में राजा राममोहन राय ने बंगाल में ‘Sambad Kaumudi’ नामक साप्ताहिक इसमें इन्होंने हिंदू धर्म के सिद्धांतों का वर्णन किया तथा सती प्रथा का खंडन भी किया। इसके पश्चात्

सन् 1822 में फरदूनजी मराजॉन (Ferdunji Marazhan) ने गुजराती साप्ताहिक बांबे समाचार नामक पत्रिका का प्रकाशन किया। इस प्रकार भारतीय भाषाओं में सबसे पहले दो भाषाओं गुजराती एवं बंगाली को पत्रिकाओं के प्रकाशन में प्रयोग किया गया। भारत में पत्रकारिता का आरंभ करने में सामाजिक सुधार तथा व्यापारिक हितों का विकास करना महत्त्वपूर्ण प्रेरक तत्त्व रहे हैं।

20वीं शताब्दी के आरंभिक समय के दौरान भारतीय प्रेस के विकास में महात्मा गांधी की भूमिका अधिक प्रिय रही है। महात्मा गांधी स्वयं 1904 ई० से दक्षिण अफ्रीका में भारतीय राष्ट्र (Indian Nation) का संपादन कर रहे थे। महात्मा गांधी ने अंग्रेजी में ‘यंग इंडिया’, गुजराती में ‘नवजीवन’ तथा हिंदी में ‘हरिजन’ पत्रिकाएं प्रारंभ की। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय 51 दैनिक तथा 258 साप्ताहिक पत्रिकाएं अंग्रेजी भाषा में शुरू की गई थीं।

1978 में समाचार पत्रों की संख्या 15,814 तथा 1979 में 17,168 थी। भारत में समाचार-पत्रों के रजिस्ट्रार वर्ष 2000 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं की संख्या बढ़कर 49,145 थी जोकि वर्ष 1999 से 5.34 प्रतिशत अधिक थी। भारत में सबसे अधिक समाचार पत्र हिंदी में, दूसरे स्थान पर अंग्रेज़ी में तत्पश्चात् अन्य भाषाओं में छपते हैं।

वर्ष 2000 के दौरान 101 भाषाओं एवं बोलियों में समाचार पत्रों का प्रकाशन हुआ था। काश्मीरी भाषा को छोड़ कर बाकि सभी भाषाओं में दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन हुआ था। सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में प्रकाशन का कार्य हो रहा है। बंबई समाचार सबसे पुराना समाचार पत्र है जिसका प्रकाशन 1822 में हुआ था।

मद्रा संचार को मज़बत बनाने के उददेश्य से कई संगठनों का निर्माण किया गया है। सन 1956 को ‘द रजिस्टार ऑफ न्यूजपेपर इन इंडिया’ की स्थापना की गई जिसमें समाचार पत्रों अखबारी कागज़ के आबंटन के लिए पंजीकृत होना पड़ता है। समाचार पत्रों के लिए समाचार एकत्रित करना तथा उन्हें प्रेस तक पहुंचाने के लिए ‘प्रेस ट्रस्ट इंडिया’ तथा ‘यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया’ समाचार एजेंसियों को शुरू किया गया।

‘प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ का भी संगठन किया गया जिसका मुख्य कार्य प्रेस की स्वतंत्रता को बनाये रखना तथा समाचार पत्रों एवं एजेंसी के स्तर के सुधारना है। भारतीय सरकार ने अपनी नीतियों व कार्यक्रमों से संबंधित सूचनाओं के प्रसार हेतु अनेक संस्थाएं प्रेस सूचना ब्यूरो तथा प्रकाशन विभाग की भी स्थापना की है।

2. विद्युत् संचार (Electronic Media) भारत में विद्युत् संचार के मुख्य दो साधन रेडियो तथा दूरदर्शन हैं। (i) रेडियो (Radio) रेडियो को आकाशवाणी भी कहा जा सकता है। सन् 1927 में भारतीय व्यापारियों के एक समूह ने यूरोपियन के द्वारा प्रसारित एजेंसियों की सफलता को देखते हुए दो छोटे स्टेशन बनाये।

ये स्टेशन कोलकाता व मुंबई में विकसित किये गए तथा तभी से भारत में रेडियो का प्रसारण शुरू हुआ। भारत में 1927 में ही निजी ट्रांसमीटरों द्वारा प्रसारण शुरू हुआ। सन् 1930 में भारतीय सरकार ने ट्रांसमीटरों को अपने हाथ ले लिया और ‘इंडियन ब्राडकास्टिंग सर्विस’ के नाम से प्रसारण किया जाने लगा लेकिन ये प्रोग्राम अधिक रोच

सरकार ने दिल्ली में भी एक रेडियो स्टेशन शुरू कर दिया। सन् 1932 में इसका नाम बदल कर ‘आल इंडिया रेडियो’ (AIR) रखा गया। वर्ष 1935 में देश में केवल तीन स्टेशन तथा 1939 में चार स्टेशनों पर प्रसारण किया जाता था। इसके साथ ही वर्ष 1957 से लेकर वर्तमान समय तक इसको आकाशवाणी के नाम से ही जाना जा रहा है। आधुनिक समय में देश के लगभग 100 से भी अधिक F.M. एफ० एम० फरिक्वेंसी मौडुलेशन रेडियो स्टेशन स्थापित किए जा चके हैं।

‘आल इंडिया रेडियो’ (AIR) का मुख्य उददेश्य लोगों को शिक्षा एवं मनोरंजनात्मक सूचनाओं से अवगत कराना है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्तमान समय में रेडियो स्टेशनों को अनेक स्थानों पर विकसित किया जा रहा है ताकि देश में लोगों की आवश्यकताओं को उनकी अपनी भाषा एवं संस्कृति के आधार पर पूरा किया जा सके। आकाशवाणी के प्रसारणों के माध्यम से अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं श्रोताओं तक पहुंचाई जाती हैं। आकाशवाणी देश में कुल 208 रेडियो स्टेशन तथा 327 ट्रांसमीटर हैं जिनमें से 149 मिडियम वेव, 55 शार्ट वेव व 1 2 3 एफ० एम० ट्रांसमीटर हैं।

इनमें ‘विविध भारती’ (Vivid Bharti) नामक केंद्र चंडीगढ़ तथा कानपुर में विकसित किया गया व वर्तमान समय में रेडियो न्यूज़ को फोन सेवा से भी जोड़ दिया गया है। वर्ष 1995 में एफ० एम० चैनल को तथा 1998 से ‘आल इंडिया रेडियो’ न्यूज़ ऑफ़ फोन सेवा शुरू कर दी गई है। भारत वर्ष में रेडियो पर प्रसारण सेवा का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर 90.6 प्रतिशत हो चुका है। जनसंख्यात्मक आधार पर यह प्रसारण लगभग 98.8% पूरा हो गया है।

(ii) टेलीविज़न या दूरदर्शन (डी डी) [Television or Doordarshan (DD)]-दूरदर्शन भारतीय समाज में जन संचार के एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित हुआ है। टेलीविज़न की शुरुआत एक प्रयोग के तौर पर 15 अक्तूबर 1959 के दिल्ली से की गई। टेलीविज़न के कार्यक्रमों में साक्षात्कार, किसी समस्या या घटना के ऊपर विचार-विमर्श करना तथा वृत्त-चित्रों (Documentary films) का महत्त्वपूर्ण साधन है।

इसके अलावा नृत्य, नाटक, संगीत इत्यादि को भी दर्शाया जाता था। तत्पश्चात् अनेक उत्सवों जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, होली, दीवाली इत्यादि कार्यक्रमों को भी दूरदर्शन के जरिये लोगों तक पहुंचाया जाने लगा। इसके साथ ही दूरदर्शन के प्रसारण के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रमों को बनाया जाता है जिसमें यातायात संबंधी नियमों की जानकारी देना, नगर नियोजन संबंधी नियमों से अवगत कराना, स्वास्थ्य समुदायों तथा खान-पान में की जाने वाली मिलावट जैसी समस्याओं के बारे में जानकारी प्रदान करना कुछ एक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं हैं।

टेलीविज़न को जब दिल्ली में शुरू किया गया था तो केवल एक सप्ताह में 20 मिनटों का कार्यक्रम दो बार प्रसारित किया जाता था। लेकिन वर्तमान समय में इसके प्रसारण समय में काफ़ी वृद्धि हुई है। शुरू में ये प्रयोग शिक्षा प्रदान करने के माध्यम के रूप में ही होता था। हिंदी में समाचार बुलेटिन के साथ नियमित सेवा की शुरुआत 15 अगस्त, 1965 को हुई थी। दिल्ली के बाद देश को दूसरा टेलीविज़न केंद्र सन् 1972 में मुंबई में मिला। तत्पश्चात् 1973 में श्रीनगर एवं अमृतसर में और 1975 में कोलकाता, चेन्नई तथा लखनऊ में टेलीविज़न केंद्र स्थापित किये गए थे।

सन् 1976 में दूरदर्शन को ‘आल इंडिया रेडियो’ (AIR) से अलग करके एक स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित किया गया। सन् 1984 में दिल्ली में दृश्य अवलोकन के अतिरिक्त दूसरे विकल्प उपलब्ध कराने के लिए एक नये चैनल को भी जोड़ा गया। वर्तमान समय में देश में लगभग 1042 स्थानीय ट्रांसमीटर स्थापित किये जा चुके हैं तथा 49 शहरों में उसके स्टूडियो खोले गए हैं। विभिन्न दूरदर्शन केंद्रों के द्वारा विभिन्न भाषाओं में टेलीविज़न कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है।

26 जनवरी, 2000 को मानव संसाधन मंत्रालय तथा इंदिरा गांधी ओपन विश्वविद्यालय के प्रयासों के आधार पर नये शैक्षिक चैनल डी० डी० ज्ञानदर्शन को शुरू किया गया। संपूर्ण देश में तकरीबन सौ से भी अधिक निजी टेलीविजन चैनल तथा केबल नेटवर्क (Cable Network) हैं जिसके माध्यम से हिंदी-अंग्रेजी के अतिरिक्त स्थानीय व क्षेत्रीय भाषाओं व बोलियों में भी कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है।

3. श्रव्य-दृश्य संचार (Audio-Visual Media) लगभग 200 वर्ष पहले समाचार पत्र व पत्रिकाएं अपने अस्तित्व में आये। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही इसके अतिरिक्त तीन और साधन जन संचार के माध्यम के रूप में विकसित हुये। इन तीन साधनों में फिल्म, रेडियो व टेलीविज़न को लिया जाता है। जन संचार के इन माध्यमों का विकास 20वीं शताब्दी में होने वाले तीव्रता से तकनीकी विकास का कारण माना जा सकता है।

अमेरिका ने अपनी पहली फिल्म “The Great Train Robbery’ नामक 1903 में बनाई थी। भारत में 20वीं शताब्दी के प्रारंभ अर्थात् 1904 में बांबे में नियमित रूप से फिल्म दिखाना शुरू किया था। भारत में फिल्मों का प्रसारण अमेरिका व यूरोप के साथ-साथ ही हुआ है। भारत को जन संचार के माध्यम के रूप में फिल्मों की भूमिका आरंभ से ही लोकप्रिय रही। भारत में 1912 13 से फिल्में बनानी शुरू कर दी गईं।

आर० जी० टोरनी चिते के साथ मिलकर पुंडलिक नाम की फिल्म 1912 में बनाई। 1913 में धूनजीराज गोबिंद फालके ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ नामक फिल्म का निर्माण किया। 1917 में पहली बंगाली काल्पनिक फिल्म ‘नल दमयंति’ के नाम से निर्मित की। 1920 तक बनाई जाने वाली फिल्में काल्पनिक सार के आधार पर ही निर्मित की जाती रहीं।

तत्पश्चात् कुछ समय के लिए फिल्मों को राजपूत दंत कथाओं एवं लेखों (Legends) के ऊपर आधारित किया गया। इसके पश्चात् ही भारत में फिल्मों को सामाजिक फिल्म के रूप में विकसित किया गया। सन् 1931 में बोल पर (Talkies) में मूक फिल्मों का स्थान लिया जब अदेसीर इरानी की ‘आलम आरा’ फिल्म प्रस्तुत हुई।

भारत आजकल फीचर फिल्मों के निर्माण में पूरे विश्व में अग्रणी की भूमिका निहित कर रहा है। भारत में फिल्मों के प्रदर्शन के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेर्टीफिकेशन (Central Board of Film Certification) का प्रमाण-पत्र मिलना आवश्यक है। इस प्रणाम-पत्र को प्राप्त करने के बाद ही किसी भी फिल्म का प्रदर्शन किया जा सकता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार

प्रश्न 7.
जनसंचार का क्या अर्थ है? इसके समाज पर कौन-कौन से सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
समाचार-पत्र तथा पत्रिकाओं के भारतीय समाज पर अच्छे-बुरे प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
जनसंचार किसे कहते हैं?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के आरंभ काल से ही विज्ञापन व तकनीक से विकास हो रहा है। तभी से जनसंचार के साधनों में भी वृद्धि होती जा रही है। इसमें साथ ही भारतीय समाज की राजनीतिक व आर्थिक स्थिति में भी परिवर्तन हुआ है। पहले भाषा व क्षेत्र के आधार पर विभिन्नता अधिक पाई जाती थी, लेकिन वर्तमान समय में जन संपर्क और जन संचार के माध्यमों दवारा इन विभिन्नताओं में काफ़ी कमी आई है।

जनसंचार का अर्थ (Meaning of Mass Media)-जनसंचार में ‘जन’ शब्द का अर्थ किसी समुदाय, समूह, या देश के सामान्य लोगों के संदर्भ में व्यक्त किया है। यहां जन का अर्थ किसी विशेष वर्ग, समूह श्रेणी या समुदाय के लिये गया। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि जन संचार दसरे प्रकार के संचारों से अलग है क्योंकि इसका संबंध संपूर्ण जनता से है।

जन संचार का अर्थ अनेक माध्यमों से जनता को एक साथ अनेक सूचनाओं को पहुंचाना। साधारण बोलचाल जन संचार का अर्थ मुद्रित सामग्री समाचार पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, दूरदर्शन तथा फिल्म इत्यादि साधनों से है, जिनके माध्यम से जनता तक सूचनाओं को पहुंचाया जाता है।

भारतीय समाज में जनसंचार (Indian Society and Mass Media)-जनसंचार ने सूचनाओं के विवरण के एक माध्यम के रूप में भारतीय समाज में कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। संचार के इन कार्यों ने समाज के कई क्षेत्रों में अनेक परिवर्तन किये हैं। संचार के कार्यों को भी सकारात्मक और नकारात्मक दो वर्गों में विभाजित किया गया है।

सकारात्मक कार्य या प्रभाव (Positive Function or Impact)-संचार के कार्यों का सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रमुख रूप से देखा जा सकता है-
1. मनोरंजनात्मक प्रकार्य (Recreative Functions) मनोरंजन संचार का महत्त्वपूर्ण कार्य है जिसके द्वारा व्यक्ति न केवल मनोरंजनात्मक साधनों जैसे फिल्म इत्यादि से मनोरंजन ही करते हैं। बल्कि जन संचार द्वारा की गई सूचनाओं से ज्ञान भी अर्जित करते हैं। समाज के विकास के लिये बनाये गये स्थानीय आधार पर कार्यक्रमों, खेलकूद विषयों, स्वास्थ्य एवं अपराधों के बारे में सूचना अर्जित करने में भी संचार एक माध्यम के रूप में व्यक्तियों की सहायता करता है। टेलीविज़न के माध्यम भी जनता अपने स्थानीय चैनल के द्वारा पर्याप्त मनोरंजनात्मक कार्यक्रमों को देखती है।

2. समाजीकरण की प्रक्रिया में सहायक (Helpful in the Process of Socialisation)-समाजीकरण समाज में एक सीखने की प्रक्रिया है। आधुनिक समय में बच्चों के समाजीकरण में भी संचार की भूमिका अत्यधिक बढ़ती जा रही है। परिवार, पड़ोस, सम समूह, विद्यालय समाजीकरण की प्रक्रिया के विकास में महत्त्वपूर्ण एजेंसियों के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। लेकिन आधुनिक समय में बच्चों के व्यवहार के ऊपर जन संचार का प्रभाव सबसे अधिक पड़ रहा है।

3. सांस्कृतिक निरंतरता में सहायक (Helpful in Cultural Continuity)-जन संचार भारतीय संस्कृति का आधार है। यही एक ऐसा माध्यम है जिनके आधार पर हमारी संस्कृति जीवित रह पाई है। बदलती परिस्थितियों में तथा पश्चिमी संस्कृति के कारण हमारे पारंपरिक सांस्कृतिक तत्त्व भी लुप्त होते जा रहे हैं। इन तत्त्वों को विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल करके जनता तक पहुंचाया जाता है तथा प्राचीन संस्कृति के अस्तित्व से अवगत कराया जाता है। जैसे भारत में रेडियो व दूरदर्शन के माध्यम से शास्त्रीय संगीत तथा धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है।

व्याख्या को कार्यक्रमों के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। वर्तमान समय में रामायण, महाभारत विष्णु पुराण, धार्मिक ग्रंथों पर आधारित प्रसारित किये जाते हैं। इनके अतिरिक्त दूरदर्शन के आस्था, तथा संस्कार आदि चैनलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को, धार्मिक मूल्यों, विश्वासों, परंपराओं, योग की विधियों तथा ध्यान के तरीकों को देश के करोड़ों लोगों तक पहुंचा कर प्राचीन भारतीय संस्कृति को आधुनिकता के साथ जोड़ा जा रहा है। यह परंपरा तथा आधुनिकता में निरंतरता स्थापित करने का अनूठा प्रयास है। इसके द्वारा प्राचीन तथा आधुनिक भारतीय संस्कृति का संगठन होता है।

4. दैनिक घटनाओं की सूचना में सहायक (Helpful in providing information about day to day events) जनसंचार के माध्यम से व्यक्ति दैनिक घटनाओं से अवगत होता है। इसके माध्यम के आधार पर व्यक्ति को स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।

इसके साथ ही मौसम की जानकारी, राजनीतिक घटनाओं, प्राकृतिक विपदाओं, भ्रष्टाचार एवं हिंसक गतिविधियों का ज्ञान भी प्राप्त होता है। जन संचार के माध्यम से ही नगरों न महानगरों के व्यक्ति एक-दूसरे की घटनाओं से भी प्रभावित होते हैं तथा जानकारी प्राप्त करते हैं।

नकारात्मक कार्य या अकार्य (Negative Function or Dysfunction)-जनसंचार सूचनाओं को व्यक्तियों तक पहुंचाने का एक माध्यम है। अनेक विचारकों, विद्वानों तथा शिक्षा कार्यक्रमों ने संचार के प्रभाव को जन-जीवन के ऊपर नकारात्मक प्रभाव के रूप में व्यक्त किया है। उन्होंने अनेक आधारों पर जन संचार की एक माध्यम के रूप में आलोचना की।

  • जन संचार सूचना को व्यक्तियों तक पहुंचाने का एक माध्यम है। लेकिन इस माध्यम के द्वारा लोगों को गलत सूचनाएं भी पहुंचाई जाती हैं जो कि वास्तविकता से दूर होती हैं। अर्थात् वह वास्तविकता की गलत तस्वीर लोगों तक पहुंचाता है जिसका जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • जनसंचार में व्यक्ति अपनी पसंद नापसंद को भी भूला देता है। उसका ध्यान व्यक्तिगत रुचियों से हटकर सांस्कृतिक एकता की ओर अग्रसर होता है।।
  • जनसंचार समाज में पलायनवाद को भी बढ़ावा देता है।
  • व्यक्तियों में निष्कृष्टता पैदा करना भी जनसंचार का महत्त्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव माना जाता है।
  • जनसंचार के माध्यम से विज्ञापनों में अनेक प्रकार की वस्तुओं को बेचने के लिये महिलाओं को अभद्र तरीके से उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त नकारात्मक प्रकोप को देखते हुए हम जनसंचार को अपने जीवन से अछूता नहीं रख सकते। ज़रूरत है तो इस बात की कि जनसंख्या के माध्यम को सकारात्मक दृष्टिकोण से विकसित किया जाए और लोगों तक पहुँचाने के लिये भी सकारात्मक माध्यम का ही प्रयोग किया जाये। तभी समाज में होने वाले परिवर्तन को सकारात्मक परिवर्तन का रूप दिया जा सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *