Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Varn-Vichar : Uchchaaran Aur Vartani वर्ण-विचार : उच्चारण और वर्तनी Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Hindi Vyakaran वर्ण-विचार : उच्चारण और वर्तनी
इस अध्याय के अंतर्गत निम्नलिखित का अध्ययन किया जाएगा :
- स्वर एवं स्वरों के भेद
- व्यंजन एवं व्यंजनों के भेद
- अक्षर
- व्यंजन गुच्छ 00 बलाघात
- अनुतान
- संगम
- उच्चारण संबंधी अशुद्धियां और उनमें सुधार
वर्ण :
वर्ण क्या है ? : भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। इसके लिखित रूप को वर्ण कहते हैं। वर्ण शब्द का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि-चिह्न (लिपि-चिह्न) दोनों के लिए होता है। इस प्रकार वर्ण भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों के प्रतीक हैं। इसे हम अक्षर भी कह सकते हैं। अक्षर का अर्थ है-उसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते।
वर्ण या अक्षर वह छोटी-से-छोटी ध्वनि है, जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते।
वर्णमाला (Alphabet) :
वर्गों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
मानक देवनागरी वर्णमाला (Standard Hindi Alphabet) :
अनुस्वार : ं अं
विसर्ग : : अ:
हल् चिह्न ( ) : सभी व्यंजन वर्णों के लिपि चिह्नों में ‘अ’ स्वर रहता है, जैसे – क – क् + अ । जब स्वर रहित व्यंजन का प्रयोग करना हो तो उसके नीचे हल चिह्न लगाया जाता है। वर्णों के भेद (Kinds of Alphabet) : वर्णों को दो भागों में बाँटा जाता है :
1. स्वर (Vowels)
2. व्यंजन (Consonants)
स्वर (Vowels) :
जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास-वायु बिना किसी रुकावट के मुख से निकलती है, उन्हें स्वर कहते हैं। हिंदी में निम्नलिखित स्वर हैं :
यद्यपि ‘ऋ’ को लिखित रूप में स्वर माना जाता है, परंतु आजकल हिंदी में इसका उच्चारण ‘रि’ के समान होता है।
आजकल अंग्रेजी प्रभाव के कारण ‘ऑ’ ध्वनि हिंदी में अपनी जगह बना चुकी है। यह ‘आ’ और ‘ओ’ के बीच की ध्वनि है। इसका लिपि-चिह्न (ऑ) है।
जैसे – बॉल, डॉक्टर, हॉकी आदि।
स्वर के भेद (Kinds of Vowels) :
(क) उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों को दो भागों में बाँट सकते हैं :
- हस्व स्वर (Short vowels)।
- दीर्घ स्वर (Long vowels)
आइए, अब हम इनके बारे में जानें :
1. ह्रस्व स्वर : जिन स्वरों को सबसे कम समय (एक मात्रा) में उच्चरित किया जाता है, उन्हें हस्व स्वर कहते हैं। ये हैं – अ इ उ (ऋ)
हस्व ‘ऋ’ का प्रयोग केवल संस्कृत के तत्सम शब्दों में होता है, जैसे-
ऋषि, ऋतु, कृषि आदि।
ह्रस्व स्वरों को ‘मूल स्वर’ भी कहते हैं।
2. दीर्घ स्वर : जिन स्वरों के उच्चारण में हस्व स्वरों से अधिक (लगभग दुगुना) समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। ये स्वर हैं : आ ई ऊ ए ऐ ओ औ
ये स्वर हस्व स्वरों के दीर्घ रूप नहीं हैं, वरन् स्वतंत्र ध्वनियाँ हैं। इन स्वरों में ए तथा औ का उच्चारण संयुक्त स्वर रूप में भी है, जैसे-‘ऐ’ में ‘अ+इ’ दो स्वरों का संयुक्त रूप है। यह उच्चारण तब होता है जब बाद में क्रमशः ‘य’ और ‘व’ आएँ ; जैसे- भैया = भइया, कौआ – कउवा
शेष स्थिति में ‘ऐ’ और ‘औ’ का उच्चारण शुद्ध स्वर की भाँति होता है । जैसे- मैल, कैसा, औरत, कौन आदि।
व्यंजन (Consonants) :
जिन ध्वनियों के उच्चारण में वायु रूकावट के साथ मुँह से बाहर आती है, उन्हें व्यंजन कहते हैं।
हिंदी वर्णमाला में मूलतः 33 व्यंजन हैं। दो व्यंजन ‘ड’ और ‘ढ़’ क्रमशः ‘ड’ ‘ढ’ से विकसित हुए हैं।
हिंदी में अरबी, फारसी, तुर्की आदि के शब्द आ जाने के कारण आने वाली ध्वनियों के लिए जो व्यंजन बनाए गए हैं, वे हैं-क, ख, ग, फ, ज़ ।
प्रयत्न और स्थान की विविधता के अनुसार हिंदी-व्यंजनों की तालिका
उच्चारण संबंधी अशधियाँ और उनका निराकरण (Correction in Pronunciation):
शुद्ध भाषा लिखने-पढ़ने में शुद्ध उच्चारण का बहुत महत्त्व है। हिंदी में वर्तनी की जो अशुद्धियाँ पाई जाती हैं, उनका एक प्रधान कारण अशुद्ध उच्चारण है। आगे ऐसे शब्दों के उदाहरण दिए जा रहे हैं जिनके उच्चारण में प्रायः अशुद्धि होती है :
तालिका
1. ह्रस्व स्वर के स्थान पर दीर्घ तथा दीर्घ स्वर के स्थान पर हस्व
2. नासिक्य व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
3. अल्पप्राण-महाप्राण संबंधी अशुद्धियाँ
4. व-ब की अशुद्धियाँ
5. श, ष, स संबंधी अशुद्धियाँ
6. छ-क्ष संबंधी अशुद्धियाँ
7. ऋ-र संबंधी अशुद्धियाँ
8. चंद्रबिंदु और अनुस्वार की अशुद्धियाँ