HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

HBSE 12th Class Political Science पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का क्या कारण है ? निम्नलिखित में सबसे बेहतर विकल्प चुनें।
(क) विकसित देश प्रकति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
(ख) पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिए जरूरी है।
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्न लगायें। ये कथन पृथ्वी-सम्मेलन के बारे में हैं
(क) इसमें 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भाग लिया।
(ख) यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में हुआ।
(ग) वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों ने पहली बार राजनीतिक धरातल पर ठोस आकार ग्रहण किया।
(घ) यह महासम्मेलनी बैठक थी।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत।

प्रश्न 3.
‘विश्व की साझी विरासत’ के बारे में निम्नलिखित में कौन-से कथन सही हैं ?
(क) धरती का वायुमण्डल, अंटार्कटिक, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष को ‘विश्व की साझी विरासत’ माना जाता है।
(ख) ‘विश्व की साझी विरासत’ किसी राज्य के संप्रभु क्षेत्राधिकार में नहीं आते।
(ग) ‘विश्व की साझी विरासत’ के प्रबन्धन के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच विभेद है।
(घ) उत्तरी गोलार्द्ध के देश ‘विश्व की साझी विरासत’ को बचाने के लिए दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों से कहीं ज्यादा चिंतित हैं।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत।

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प्रश्न 4.
रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर:
रियो सम्मेलन पर्यावरण पर हुआ सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन माना जाता है। रियो सम्मेलन के कारण पर्यावरण के मुद्दे पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थान बनाने में सफल हुए। रियो सम्मेलन में जलवायु-परिवर्तन, जैव विविधता तथा वानिकी के सम्बन्ध में कुछ नियमों का निर्माण किया गया।

प्रश्न 5.
‘विश्व की साझी विरासत’ का क्या अर्थ है ? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है ?
अथवा
विश्व की साझी सम्पदा से क्या अभिप्राय है ? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है ?
उत्तर:
‘विश्व की साँझी विरासत’ का अर्थ है कि ऐसी सम्पदा जिस पर किसी एक व्यक्ति, समुदाय या देश का अधिकार न हो, बल्कि विश्व के सम्पूर्ण समुदाय का उस पर हक हो। विश्व की साझी विरासत के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार तथा संरक्षण का उत्तरदायित्व होता है। वर्तमान समय में कारण, निजीकरण एवं पर्यावरण बदलाव के कारण तथा विकसित देशों के निजी स्वार्थ के कारण बड़ी तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और प्रदूषण हो रहा है।

प्रश्न 6.
‘साझी जिम्मेवारी लेकिन अलग-अलग भूमिकाएँ’ से क्या अभिप्राय है ? हम इस विचार को कैसे लागू कर सकते हैं ?
उत्तर:
विश्व का पर्यावरण तेज़ी से खराब हो रहा है। अधिकांश देश अन्धाधुंध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। इससे मानव सभ्यता खतरे में पड़ गई है। इसीलिए कहा जाता है कि पर्यावरण को बचाने की सभी की साझी ज़िम्मेदारी है अर्थात् पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक देश की बराबर की ज़िम्मेदारी हो। परन्तु उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित विचारों में मतभेद हैं।

उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देशों का तर्क है, कि विश्व के सभी देश समान रूप से मिलकर पर्यावरण को बचायें। परन्तु दक्षिणी गोलार्द्ध के विकासशील देशों का तर्क है, कि क्योंकि विकसित देशों ने पर्यावरण को अधिक खराब किया है, अत: उसे ठीक करने की ज़िम्मेदारी भी उनकी अधिक होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित नियमाचार में भी कहा गया है कि प्रत्येक देश अपनी क्षमता, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के अनुपात में अपनी भागीदारी पर साझी परन्तु अलग-अलग भूमिकाएं निभायेंगे।

प्रश्न 7.
वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे सन् 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं ?
अथवा
विश्व राजनीति में पर्यावरण के लिए चिन्ता के कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विश्व राजनीति में पर्यावरण की चिन्ता के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
अग्रलिखित कारणों से वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे सन् 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार बन गए हैं

  • पर्यावरण खराब होने से कृषि योग्य भूमि कम हो रही है।
  • जलाशयों में बड़ी तेज़ी से जल स्तर घटा है।
  • मत्स्य उत्पादन कम हुआ है।
  • विकासशील देशों की लगभग 1 अरब बीस करोड़ जनता को पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
  • साफ़-सफ़ाई के अभाव में लगभग 30 लाख बच्चे प्रति वर्ष मारे जाते हैं।
  • वनों की कटाई से जैव विविधता की हानि हो रही है।
  • ओजोन परत के नुकसान से पारिस्थितिकी तन्त्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
  • परमाणु परीक्षणों के कारण वैश्विक पर्यावरण लगातार ख़राब हो रहा है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी को बचाने के लिए जरूरी है कि विभिन्न देश सुलह और सहकार की नीति अपनाएँ। पर्यावरण के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच जारी वार्ताओं की रोशनी में इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों में विश्व का पर्यावरण बड़ी तेजी से खराब हुआ, जिसके कारण पृथ्वी के अस्तित्व को कई गम्भीर खतरे पैदा हो गए हैं। इसलिए विश्व के अधिकांश देशों ने पृथ्वी को बचाने के लिए परस्पर सुलह और सहकार की नीति अपनाई। इसी सन्दर्भ में उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों ने पृथ्वी के संरक्षण के लिए आपस में कई बार बातचीत की। यद्यपि पृथ्वी को बचाने के लिए दोनों गोलार्द्ध के देश वचनबद्ध दिखाई पड़ते हैं, परन्तु पृथ्वी बचाने के तरीकों पर दोनों गोलार्डों के देशों में सहमति नहीं बन पा रही है।

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प्रश्न 9.
विभिन्न देशों के सामने सबसे गम्भीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को आगे कोई नुकसान पहुंचाए बगैर आर्थिक विकास करने की है। यह कैसे हो सकता है ? कुछ उदाहरणों के साथ समझाएं।
उत्तर:
वर्तमान परिस्थितियों में सभी देशों के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या यह है कि कैसे पर्यावरण को बचाकर अपना आर्थिक विकास किया जाए। परन्तु यदि हम कुछ उपायों पर गौर करें तो पर्यावरण को खराब किये बिना ही देश का आर्थिक विकास किया जा सकता है। जैसे प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए। जितनी पेड़ों की हम कटाई करते हैं, उतने ही पेड़ लगाने चाहिएं। सौर ऊर्जा का अधिक-से-अधिक प्रयोग करना चाहिए। वर्षा के पानी को संरक्षित करना चाहिए।

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन HBSE 12th Class Political Science Notes

→ पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा वर्तमान समय में विश्व राजनीति का प्रमुख मुद्दा बन गया है।
→ पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित जागरूकता में वृद्धि हुई।
→ विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के उपाय ढूंढने शुरू कर दिये हैं।
→ पर्यावरण संरक्षण का सबसे पहला एवं महत्त्वपूर्ण सम्मेलन 1972 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ।
→ पर्यावरण का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन 1992 में रियो-डी-जनेरियो (ब्राज़ील) में हुआ।
→ रियो-डी-जनेरियो सम्मेलन को पृथ्वी सम्मेलन भी कहा गया है।
→ 1997 में क्यूटो प्रोटोकाल अस्तित्व में आया।
→ विश्व तापन के खतरे से निपटने के लिए दिसम्बर, 2007 में इण्डोनेशिया (बाली) में पर्यावरण सम्मेलन हुआ।
→ पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन दिसम्बर, 2009 में डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में हुआ।
→ नवम्बर-दिसम्बर-2015, में पेरिस में महत्त्वपूर्ण संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ।
→ पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित तरीकों को लेकर उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में मतभेद है।
→ उत्तरी गोलार्द्ध (विकसित देश) के देशों का मानना है, कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी देश समान रूप से प्रयास करें।
→ दक्षिणी गोलार्द्ध (विकासशील देश) के देशों का मानना है, कि क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक हानि विकसित देशों ने पहुंचाई है, अत: पर्यावरण संरक्षण की अधिक ज़िम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए।
→ भारत ने पर्यावरण सम्मेलनों में विकासशील देशों का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया है।

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