Haryana State Board HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 8th Class Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध
HBSE 8th Class Science फसल उत्पादन एवं प्रबंध InText Questions and Answers
पहेली बूझो
(पृष्ठ संख्या – 1)
प्रश्न 1.
मैं जानना चाहता हूँ कि हम इन औजारों का उपयोग कहाँ और कैसे करते हैं ? खरपी, दराँती, बेलचा, हल इत्यादि।
उत्तर:
हम निम्नलिखित औजारों का उपयोग कृषि पद्धतियों में विभिन्न उपयोगों के लिए करते हैं। खुरपी : इसका उपयोग करके हम क्यारी बनाते हैं तथा मिट्टी खोदने व खरपतवार हटाने का कार्य भी करते हैं। दराँती : इसके प्रयोग द्वारा हम फसल को काटते हैं। बेलचा: इसके प्रयोग द्वारा मिटटी एवं अनाज को भरा जाता है। हल:- इसका उपयोग जुताई, खाद/उर्वरक मिलाने, खरपतवार हटाने तथा मिट्टी को खुरचने के लिए किया जाता है।
(पृष्ठ संख्या – 1)
प्रश्न 2.
क्योंकि हम सभी को भोजन की आवश्यकता होती है। अतः हम अपने देश के इतने अधिक लोगों को भोजन किस प्रकार उपलब्ध करा सकते हैं ?
उत्तर:
भोजन को बड़े स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए अनाज के उत्पादन की मात्रा बढ़ाई जाए तथा इसका प्रबंधन एवं वितरण आवश्यकतानुसार किया जाए।
(पृष्ठ संख्या – 2)
प्रश्न 3.
धान को शीत ऋतु में क्यों नहीं उगाया जा सकता ?
उत्तर:
धान को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, अतः इसे केवल वर्षा ऋतु में ही उगाते हैं।
(पृष्ठ संख्या – 4)
प्रश्न 4.
एक दिन मैंने अपनी माँ को देखा कि माँ चने के कुछ बीज एक बर्तन में रखकर उसमें कुछ पानी डाल रही है। कुछ मिनट पश्चात् कुछ बीज पानी के ऊपर तैरने लगे। मुझे आश्चर्य हुआ कि कछ बीज पानी के ऊपर क्यों तैरने लगे?
उत्तर:
खराब बीज अन्दर से खोखले होने लगते हैं तथा हल्के हो जाते हैं। हल्के होने के कारण बीज पानी के ऊपर तैरने लगते हैं।
(पृष्ठ संख्या – 5)
प्रश्न 5.
मेरे विद्यालय के समीप एक पौधशाला (नर्सरी) है। मैंने देखा कि पौधे छोटे-छोटे थैलों में रखे हैं। वे इस प्रकार क्यों रखे गए हैं ?
उत्तर:
धान जैसे कुछ पौधों के बीजों को पहले पौधशाला में उगाया जाता है। पौधे तैयार हो जाने पर उन्हें हाथों द्वारा खेत में रोपित कर देते हैं। कुछ वनीय पौधे एवं पुष्पी पौधे भी पौधशाला में उगाए जाते हैं। .
(पृष्ठ संख्या – 5)
प्रश्न 6.
मैंने एक खेत में उगने वाली स्वस्थ फसल के पौधों को देखा। जबकि पास के खेत में पौधे कमजोर थे। कुछ पौधे अन्य पौधों की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से क्यों उगते हैं ?
उत्तर:
खेत में लगातार फसलों के उगाने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए खाद मिट्टी में मिलाई जाती है। कुछ पौधे खाद की कमी के कारण कमजोर रह जाते हैं।
(पृष्ठ संख्या – 10)
प्रश्न 7.
क्या ये अन्य पौधे विशेष उद्देश्य के लिए उगाये गये हैं?
उत्तर:
खेत में कई अन्य पौधे प्राकृतिक रूप से फसल के साथ उग जाते हैं। इन अवांछित पौधों को खरपतवार कहते हैं। ये खरपतवार जल, पोषक तत्त्व, जगह और प्रकाश की स्पर्धा कर फसल की वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं तथा कुछ खरपतवार कटाई में भी बाधा डालते हैं, ये मनुष्य एवं पशुओं के लिए कुछ विषेले भी हो सकते हैं। अत: इनकी निराई आवश्यक है।
(पृष्ठ संख्या -10)
प्रश्न 8.
क्या खरपतवारनाशी का प्रभाव इसको छिड़कने वाले व्यक्ति पर भी पड़ता है. ?
उत्तर:
खरपतवारनाशी हानिकारक रसायनों के बने होते हैं, इनके छिड़काव से किसान के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अत: इन रसायनों के प्रयोग के समय किसान को अपना मुँह एवं नाक कपड़े से ढंक लेने चाहिए।
(पृष्ठ संख्या – 11)
प्रश्न 9.
मैंने अपनी माँ को अनाज रखे लोहे के ड्रम में नीम की सूखी पत्तियाँ रखते देखा। मुझे आश्चर्य हुआ, क्यों?
उत्तर:
नीम की सूखी पत्तियाँ रखने से बीजों की कीट पीड़कों, जीवाणु एवं कवक से सुरक्षा हो जाती है।
HBSE 8th Class Science फसल उत्पादन एवं प्रबंध Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
उचित शब्द छाँटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
तैरने, जल, फसल, पोषक, तैयारी
(क) एक स्थान पर एक ही प्रकार के बड़ी मात्रा में उगाए गए पौधों को …………….. कहते हैं।
(ख) फसल उगाने से पहले प्रथम चरण मिट्टी की …………….. होती है।
(ग) क्षतिग्रस्त बीज जल की सतह पर ……………….. लगेंगे।
(घ) फसल उगाने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं मिट्टी से तथा …………….. आवश्यक हैं।
उत्तर:
(क) फसल
(ख) तैयारी
(ग) तैरने
(घ) जल, पोषक तत्त्व।
प्रश्न 2.
कॉलम ‘A’ में दिये गए शब्दों का मिलान कॉलम ‘B’ से कीजिए।
कॉलम ‘A’ | कॉलम ‘B’ |
(i) खरीफ फसल | (a) मवेशियों का चारा |
(ii) रबी फसल | (b) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट |
(iii) रासायनिक उर्वरक | (c) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष |
(iv) कार्बनिक खाद | (d) गेहूँ, चना, मटर |
(e) धान एवं मक्का |
उत्तर:
कॉलम ‘A’ | कॉलम ‘B’ |
(i) खरीफ फसल | (e) धान एवं मक्का |
(ii) रबी फसल | (d) गेहूँ, चना, मटर |
(iii) रासायनिक उर्वरक | (b) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट |
(iv) कार्बनिक खाद | (c) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष |
प्रश्न 3.
निम्न के दो-दो उदाहरण दीजिए –
(क) खरीफ फसल
(ख) रबी फसल
उत्तर:
(क) खरीफ फसल – (i) धान (ii) मक्का
(ख) रबी फसल – (i) गेहूँ (ii) चना
प्रश्न 4.
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए-
(क) मिट्टी तैयार करना
(ख) बुआई
(ग) निराई
(घ) श्रेशिंग
उत्तर:
(क) मिट्टी तैयार करना ( Preparation of soil):
यह प्रक्रिया फसल उगाने का प्रथम चरण है। इस प्रक्रिया में मिट्टी को पलटा जाता है व पोला किया जाता है। इस प्रकार पौधे की जड़ें मिट्टी में आसानी से साँस ले सकती हैं। पोली बनाई हुई मिट्टी में केंचुओं और सूक्ष्मजीवों को वृद्धि में सहायता मिलती है तथा ये मिट्टी को और अधिक पोला कर ह्यूमस बनाते हैं, इसके अतिरिक्त मिट्टी पलटने से पोषक पदार्थ ऊपर आ जाते हैं, इससे पौधों की वृद्धि भी होती है। इस क्रिया को ‘जुताई’ कहते हैं।
(ख) बुआई (Sowing):
बीजों को खेत में हाथों द्वारा या सीड-ड्रिल द्वारा बोया जाता है, खेत में बीज बोने की प्रक्रिया बुआई कहलाती है। यह फसल उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। बीज अच्छी किस्म के साफ एवं स्वच्छ होने से पैदावार भी अधिक होती है। उचित बीजों को चुनने के पश्चात इन बीजों को उचित गहराई तथा उचित दूरी पर बोना चाहिए ताकि प्रत्येक पौधे को पर्याप्त हवा, प्रकाश, खनिज एवं पानी मिल सके। खेतों में बुआई के दो तरीके हैं
(i) परम्परागत औजारों द्वारा : यह औजार कीप के आकार का होता है। बीज को कीप के अंदर डालकर दो या तीन नुकीले सिरे वाले पाइपों से गुजारा जाना है जोकि मिट्टी को भेदकर बीज को स्थापित कर देते हैं।
(ii) सीड-डिल द्वारा : ट्रैक्टर द्वारा संचालित सीड-ड्रिल आजकल बुआई के लिए उपयोग में लाया जाता है, इसके द्वारा बीज समान दूरी व समान गहराई पर बने रहते हैं बुआई के पश्चात् बीज मिट्टी द्वारा ढक जाते हैं। सीडडिल द्वारा बुआई करने से समय एवं श्रम दोनों की बचत हो जाती है तथा पक्षियों द्वारा बीजों को होने वाले नुकसान
से भी बचा जा सकता है।
(ग) निराई (Weeding):
खेत में प्राकृतिक रूप से फसल के साथ उगने वाले पौधे अवांछित होते हैं जो खरपतवार कहलाते हैं। इस खरपतवार को खेत से हटाने की क्रिया निराई कहलाती है। खरपतवार हटाने का सबसे सही समय फूल एवं बीज बनने से पहले होना चाहिए। यह अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि खरपतवार जल, पोषक तत्व, जगह और प्रकाश की स्पर्धा कर फसल की वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं। इनको विभिन्न तरीकों से हटाया व नियत्रित किया जा सकता है। समय-समय पर इन पौधों को हाथ से जड़ सहित उखाड़कर अथवा भूमि के निकट से हटा दिया जाता है, यह कार्य खुरपी या हैरो की मदद से भी किया जाता है। रसायनों के उपयोग से भी खरपतवार नियंत्रण किया जाता है, यह रसायन खरपतवारनाशी कहलाते हैं। जैसे – 2, 4-D आदि।
(घ) शिंग (Threshing):
फसल की कटाई के पश्चात् फसल के दानों या बीजों को भूसे से अलग करना. श्रेशिंग कहलाता है। बड़े स्तर पर यह कार्य कॉम्बाइन मशीन द्वारा किया जाता है। छोटे खेत वाले किसान अनाज के दानों को फटककर (विनोइंग) अलग करते हैं।
प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि उर्वरक खाद से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
उर्वरक | खाद |
1. यह एक अकार्बनिक लवण है। | 1. यह एक कार्बनिक पदार्थ है। |
2. इसका उत्पादन फैक्ट्री में होता है। | 2. खाद खेतों में बनाई जाती है। |
3. उर्वरक से मिट्टी को यूमस प्राप्त नहीं होता। | 3. खाद से मिट्टी को यूमस प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है। |
4. उर्वरक में पादप पोषक तत्त्व जैसे कि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस प्रचुरता में होते हैं । | 4. खाद में पादप पोषक तत्त्व तुलनात्मक रूप से कम होते हैं । |
5. यह पानी में घुलनशील होने के कारण इनका अवशोषण शीघ्र हो जाता है। | 5 यह पानी में अघुलनशील होने के कारण इनका अवशोषण धीरे-धीरे होता है। |
प्रश्न 6.
सिंचाई किसे कहते हैं ? जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिंचाई (Irrigation):
वृद्धि के लिए फसलों को को जल की आवश्यकता होती है, आवश्यकतानुसार ‘विभिन्न अंतराल पर खेत में जल देना सिंचाई कहलाता है।’ आधुनिक तरीकों से सिंचाई की विधि – जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियाँ निम्न हैं
(1) छिड़काव तंत्र (Sprinklersystem):
इस विधि का उपयोग असमतल भूमि के लिए किया जाता है। इस विधि में (चित्रानुसार) ऊर्ध्व पाइपों (नलों) के ऊपरी सिरों पर घूमने वाले नोजल लगे होते हैं। यह पाइप निश्चित दूरी पर मुख्य पाइप से जुड़े होते हैं। जब पम्प की सहायता से जल मुख्य पाइप म भजा जाता है तो वह घूमते हुए नोजल से बाहर निकलता है। इसका छिड़काव पौधों पर इस प्रकार होता है, जैसे वर्षा हो रही हो। यह छिड़काव बलुई मिट्टी के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
(ii) ड्रिप तंत्र ( Drip system):
इस विधि में जल बूंद-बूंद करके पौधों की जड़ों में गिरता है, इसलिए यह ड्रिप तंत्र कहलाता है।
इस विधि में एक मुख्य नली व उसकी सहायक नलियाँ होती हैं। इन सहायक नलियों के सिरे पर विशेष नोज़ल लगी होती है, इनके द्वारा जल बूंद-बूँद करके जड़ों में जाता है तथा पानी व्यर्थ नहीं जाता। यह विधि जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए वरदान सिद्ध हुई है।
प्रश्न 7.
यदि गेहूँ को खरीफ ऋतु में उगाया जाए तो क्या होगा ? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
गेहूँ की फसल शीत ऋतु में होती है, यह एक रबी फसल है, इसे कम तापमान और कम पानी की आवश्यकता होती है। यदि गेहूँ को खरीफ़ अर्थात् वर्षा ऋतु में उगाया जाए तो इसको अधिक पानी मिलेगा, जिसको यह फसल सहन नहीं कर सकेगी। गेहूँ के पौधे को अधिक मात्रा में पानी मिलने की वजह से सड़कर खराब हो जायेंगे और फसल बर्वाद हो जाएगी।
प्रश्न 8.
खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
किसी भी खेत में फसल के भरपूर उत्पादन के लिए खेतों में खाद व उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम आदि सभी पोषक तत्व खाद व उर्वरकों में अत्यधिक मात्रा में होते हैं, यह मिट्टी की प्रकृति को क्षारीय अथवा अम्लीय बना देते हैं। अधिक उपयोग से जब मिट्टी की प्रकृति ही बदल जाएगी तो पैदावार भी ठीक नहीं होगी।
प्रश्न 9.
खरपतवार क्या हैं? हम उनका नियंत्रण कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
खरपतवार :
फसल के साथ उगे हुए अवांछित पौधे खरपतवार कहलाते हैं। खरपतवार हटाने की प्रक्रिया ‘निराई’ कहलाती है। इनकी वृद्धि पर नियंत्रण हम निम्न विधियों द्वारा कर सकते हैं-
(i) जुताई : जुताई हल से की जाती है। फसलें उगाने से पहले मिट्टी को पलटना, पोला बनाना और समतल करना जुताई कहलाती है। इस क्रिया में खरपतवार उखड़ कर मिट्टी में मिल जाते हैं।
(ii) हाथ से उखाड़कर : खरपतवार को हाथों द्वारा उखाड़कर अथवा खुरपी द्वारा मिट्टी से अलग किया जा सकता है।
(iii) रासायनिक विधियों द्वारा : इस विधि में रासायनिक पदार्थों को उपज पर छिड़का जाता है। खेतों में इनका छिड़काव करने पर खरपतवार पौधे मर जाते हैं जबकि फसल को कोई हानि नहीं होती है। खरपतवारनाशी को जल में आवश्यकतानुसार मिलाकर स्प्रेयर (फुहारने का यंत्र) की सहायता से खेत में छिड़काव किया जाता है। यह पदार्थ खरपतवारनाशी कहलाते हैं, जैसे-2.4. D आदि।
प्रश्न 10.
निम्न बॉक्स को सही क्रम में इस प्रकार लगाइए कि गन्ने की फसल उगाने का रेखाचित्र तैयार हो जाए।
उत्तर:
5 → 6 → 4 → 7 → 2 → 3 → 1 →
प्रश्न 11.
नीचे दिए गए संकेतों की सहायता से पहेली को पूरा कीजिए-
ऊपर से नीचे की ओर
1. सिंचाई का पारंपरिक तरीका,
2 बड़े पैमाने पर पालतू पशुओं की उचित देखभाल करना,
3. फसल जिन्हें वर्षा ऋतु में बोया जाता है,
6. फसल पक जाने के बाद काटना
बाई से दाईं ओर
1. शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलें,
4. एक ही किस्म के पौधे जो बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं,
5. रासायनिक पदार्थ जो पौधे को पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं,
7. खरपतवार हटाने की प्रक्रिया
उत्तर:
HBSE 8th Class Science फसल उत्पादन एवं प्रबंध Important Questions and Answers
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. खरपतवार हटाने को कहते हैं
(अ) कटाई
(ब) निराई
(स) बुआई
(द) थ्रेशिंग
उत्तर:
(ब) निराई
2. हार्वेस्टर का उपयोग होता है
(अ) खरपतवार हटाने में
(ब) सिंचाई करने में
(स) फसल को काटने में
(द) बीज की बुआई करने में।
उत्तर:
(स) फसल को काटने में
3. उचित समय एवं अंतराल पर फसल को जल देना कहलाता है
(अ) सिंचाई
(ब) थ्रेसिंग
(स) निराई
(द) बुआई
उत्तर:
(अ) सिंचाई
4. कल्टीवेटर का कार्य है
(अ) बुआई में
(ब) जुताई में
(स) निराई में
(द) सिंचाई में।
उत्तर:
(ब) जुताई में
5. फलीदार पौधों की फसल द्वारा भूमि में जिस तत्व की मात्रा बढ़ती है, वह है
(अ) फास्फोरस
(ब) पोटेशियम
(स) नाइट्रोजन
(द) ऑक्सीजन।
उत्तर:
(स) नाइट्रोजन
रिक्त स्थान पूर्ति
(i) उर्वरक एक ……………… लवण है।
(ii) ……………… कटाई के काम आती है।
(iii) छोटे खेत वाले किसान अनाज के दानों को ……………… कर अलग करते हैं।
(iv) ……………… रसायन खरपतवार को नष्ट करते हैं।
उत्तर:
(i) अकार्बनिक
(ii) दराँती
(iii) फटक(विनोइंग)
(iv) खरपतवारनाशी।
सुमेलन
कॉलम ‘A’ | कॉलम ‘B’ |
(i) रहट | (a) कॉड लीवर तेल |
(ii) ड्रिप तंत्र | (b) सिंचाई का पारंपरिक तरीका |
(iii) 2, 4-D | (c) सिंचाई का आधुनिक तरीका |
(iv) विटामिन-D | (d) खरपतवरनाशी |
उत्तर:
कॉलम ‘A’ | कॉलम ‘B’ |
(i) रहट | (b) सिंचाई का पारंपरिक तरीका |
(ii) ड्रिप तंत्र | (c) सिंचाई का आधुनिक तरीका |
(iii) 2, 4-D | (d) खरपतवरनाशी |
(iv) विटामिन-D | (a) कॉड लीवर तेल |
सत्य/असत्य कथन
(क) खाद से मिट्टी को घूमस प्रचुर मात्रा में प्राप्त होती है।
(ख) खरपतवार हटाने को जताई कहते हैं।
(ग) दानों को भूसे से अलग करना थ्रेसिंग कहलाता है।
(घ) बीजों को पीड़कों एवं सूक्ष्म जीवों से संरक्षित करने के लिए उचित भण्डारण आवश्यक है।
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) सत्य
(घ) सत्य।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘कृषि’ की परिभाषा बताएँ।
उत्तर:
कृषि (Agriculture): फसलों को खेतों में उगाने की प्रक्रिया कृषि कहलाती है।
प्रश्न 2.
“फसल’ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक ही किस्म के पौधों को एक ही स्थान पर उगाया जाना फसल कहलाता है।
प्रश्न 3.
पौधों की उचित वृद्धि के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं ?
उत्तर:
पौधों की वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारक
(i) वायु
(ii) सूर्य का प्रकाश
(iii) जल व. पोषक तत्व।
प्रश्न 4.
ऋतुओं के अनुसार उपज का वर्गीकरण कैसे किया गया है ?
उत्तर:
फसलें दो प्रकार की होती हैं –
- रबी फसल
- खरीफ फसल
प्रश्न 5.
खरीफ फसल कौन-से महीनों में होती है?
उत्तर:
भारत में सामान्यतः वर्षा ऋतु के अनुसार जून से सितम्बर तक होती है।
प्रश्न 6.
कौन-सी फसल शीत ऋतु में होती है ?
उत्तर:
रबी की फसल।
प्रश्न 7.
दो फलीदार पौधों के नाम बताओ।
उत्तर:
- चना
- मटर।
प्रश्न 8.
जुताई से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मिट्टी को उलटने-पलटने व पोला करने की प्रक्रिया जुताई कहलाती है।
प्रश्न 9.
‘कुदाली’ क्या है?
उत्तर:
यह एक सरल औजार है जिसका उपयोग खरपतवार निकालने एवं मिट्टी को पोला करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 10.
‘खाद एवं उर्वरक’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जो पदार्थ मिट्टी में पोषक स्तर बनाए रखने के लिए मिलाए जाते हैं, खाद एवं उर्वरक कहलाते हैं।
प्रश्न 11.
सिंचाई के स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर:
कुएँ, जलकूप, तालाब/झील, नदियाँ, बाँध, नहर इत्यादि जल के स्रोत हैं।
प्रश्न 12.
सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाली दो मुख्य आधुनिक विधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
- छिड़काव तंत्र द्वारा
- ड्रिप तंत्र द्वारा।
प्रश्न 13.
सीड-ड्रिल का उपयोग कहाँ होता है?
उत्तर:
उचित गहराई में बीज बोने के लिए सीड-ड्रिल का उपयोग होता है।
प्रश्न 14.
खरपतवारनाशी क्या होते हैं?
उत्तर:
ऐसे रसायन जो खरपतवार को नष्ट कर देते हैं, खरपतवारनाशी कहलाते हैं।
प्रश्न 15.
कॉम्बाइन (Combine) से आप क्या समझते
उत्तर:
यह कटाई और श्रेसिंग दोनों प्रक्रियाओं को साथ में आसानी से करने वाला यंत्र है।
प्रश्न 16.
मछली से प्राप्त कॉड लीवर तेल में कौन-सा विटामिन प्रचुर मात्रा में मिलता है?
उत्तर:
विटामिन DI
प्रश्न 17.
पौधों की सर्वाधिक वृद्धि के लिए कौन से पदार्थ आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं?
उत्तर:
पौधों की सर्वाधिक वृद्धि के लिए यूरिया एवं जैविक खाद आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सजीव भोजन ग्रहण क्यों करते हैं?
उत्तर:
सजीव विभिन्न जैविक प्रक्रमों जैसे-पाचन, श्वसन एवं उत्सर्जन के संपादन हेतु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन पौधों अथवा जंतुओं या दोनों से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 2.
‘कल्टीवेटर’ का उपयोग क्या है ?
उत्तर:
कल्टीवेटर : आजकल जताई ट्रैक्टर द्वारा संचालित कल्टीवेटर से की जाती है, इसके प्रयोग से श्रम व समय दोनों की बचत होती है।
कल्टीवेटर को ट्रैक्टर द्वारा चलाते हुए
प्रश्न 3.
खाद क्या है? यह कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
खाद एक कार्बनिक (जैविक) पदार्थ है जो कि पौधों या जंतु अपशिष्ट से प्राप्त होती है। किसान पादप एवं जंतु अपशिष्टों को एक गड्ढे में डालते जाते हैं तथा इसका अपघटन होने के लिए खुले में छोड़ देते हैं। अपघटन कुछ सूक्ष्म जीवों द्वारा होता है। अपघटित पदार्थ खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 4.
उर्वरक क्या हैं ? उदाहरण दीजिए?
उत्तर:
उर्वरक रासायनिक पदार्थ हैं जो विशेष पोषकों से समृद्ध होते हैं। इनका उत्पादन फैक्ट्रियों में किया जाता है।
उदाहरण – यूरिया, अमोनिया, सल्फेट, N.PK. (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम)
प्रश्न 5.
फसल चक्रण क्या है?
उत्तर:
फसल चक्रण:
फसल चक्रण का अर्थ है फसल का बदलना। प्रतिवर्ष नई फसल की पैदावार करना फसल चक्रण कहलाता है। इस प्रक्रिया से भूमि में विशेष पोषक तत्वों की कमी नहीं होती तथा कीट पीड़क भी अधिक नहीं पनप पाते। यदि एक ही फसल को एक ही भूमि पर बार-बार उगाया जाए तो उस भूमि पर कुछ विशेष पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
प्रश्न 6.
मिट्टी में खाद के उपयोग से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
खाद के उपयोग से मिट्टी के गठन एवं जल अवशोषण क्षमता में वृद्धि होती है। मिट्टी में सभी पोषक तत्वों की कमी भी पूरी होती है तथा खाद से निम्नलिखित लाभ होते हैं-
(1) मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
(2) इससे मित्र जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है।
(3) इसके द्वारा मिट्टी संरन्ध्र हो जाती है जिससे गैस विनिमय सुगमता से होता है।
(4) इससे मिट्टी का गठन सुधर जाता है।
प्रश्न 7.
फल, सब्जियों अथवा अनाजों को उपयोग में लाने से पहले धोया जाता है, क्यों ?
उत्तर:
इनके ऊपर पीड़कनाशकों की तह हो सकती है। इसलिए खेत से प्राप्त अनाज, फल, सब्जियों को धोकर प्रयोग में लाना चाहिए।
प्रश्न 8.
‘साइलो’ शब्द से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
बीजों का बड़े पैमाने पर भण्डारण करने के लिए उपयुक्त होने वाले पात्र, साइलों कहलाते हैं।
प्रश्न 9.
लगातार वर्षा का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
कुछ फसलों को पानी की कम आवश्यकता होती है, यदि वर्षा अधिक व लगातार होती रहेगी तो फसलें मर जाएँगी तथा अस्वस्थ-पैदावार होगी।
प्रश्न 10.
कृषि पद्धतियाँ (Agricultural Methods) क्या हैं ? विस्तार से समझाओ।
उत्तर:
कृषि पद्धतियाँ – फसल उगाने के लिए किसान द्वारा सामयिक अवधि में अपनाए गए कई क्रिया कलापों को कृषि पद्धतियाँ कहते हैं। यह क्रिया-कलाप निम्न हैं
- मिट्टी तैयार करना
- बुआई
- खाद एवं उर्वरक देना
- सिंचाई
- खरपतवार से सुरक्षा
- कटाई
- भण्डारण।
प्रश्न 11.
एक बीकर में कुछ मात्रा में पानी लेकर उसमें एक मुट्ठी गेहूँ डालने पर कुछ समय बाद क्या प्रतीत होता है?
उत्तर:
गेहूँ के कुछ दाने पानी में बँट जाते है जबकि कुछ दाने पानी में तैरते है क्यों यह अन्दर से खोखले होते है। इस विधि से, अच्छे व स्वस्थ बीजों की क्षतिग्रस्त बीजों – से आसानी से अलग किया जा सकता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित खाद पदार्थों के स्रोत बताइए
दूध, माँस, शहद, कॉड लिवर तेल
उत्तर:
खाद पदार्थ | स्रोत |
दूध | गाय, भैंस, बकरी |
माँस | बकरी, भेड, मुर्गी |
शहद | मधुमक्खी |
कॉड लिवर तेल | मछली |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
फसल से क्या तात्पर्य है ? मोटे तौर पर फसलों को कितने प्रकार में बाँटा गया है उन्हें समझाइए।
उत्तर:
जब एक ही प्रकार के पौधे किसी स्थान पर अत्यधिक बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं तो इसे फसल कहते हैं। फसलें विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे कि अन्न सब्जियाँ एवं फल। जिस मौसम में ये पौधे उगाए जाते हैं उसके आधार पर फसलों का वर्गीकरण किया जाता है। हमारे देश में विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इसके बावजूद मोटे तौर पर फसलों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(i) खरीफ फसल : वह फसलें जिन्हें वर्षा ऋतु में बोया जाता है, खरीफ फसल कहलाती है; जैसे- धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास आदि। भारत में वर्षा ऋतु सामान्यत: जून से सितम्बर के बीच होती है, अतः ये सभी खरीफ की फसलें इन माहों में बोयी जाती हैं।
(ii) रबी फसल : शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलें रबी फसलें कहलाती हैं; जैसे- गेहूँ, चना, मटर, सरसों आदि रबी की फसलों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 2.
पौधों की सिंचाई (जल देना) क्यों आवश्यक है, सिंचाई के स्रोत लिखिए।
उत्तर:
प्रत्येक जीव को जल की आवश्यकता होती है। पौधों की जड़ों द्वारा जल का अवशोषण किया जाता है जिसके साथ-साथ खनिजों एवं उर्वरकों का भी अवशोषण होता है। पौधों में लगभग 90% जल होता है। जल की आवश्यकता के कारण निम्नवत् हैं0
(1) बीजों के अंकुरण के लिए जल आवश्यक है।
(2) जल में घुले पोषक तत्वों का स्थानान्तरण पौधे के प्रत्येक भाग में होता है।
(3) यह फसल की पाले एवं गर्म हवा से रक्षा करता है।
(4) मिट्टी की नमी को बनाए रखता है जिससे कि स्वस्थ फसल की प्राप्ति होती है।
इसके लिए विभिन्न समय अन्तराल पर खेत में जल देना चाहिए, इसे सिंचाई कहते हैं। सिंचाई का समय एवं बारम्बारता फसलों, मिट्टी एवं ऋतु में भिन्न-भिन्न होती है। सिंचाई के स्रोत :- कुएँ, तालाब/झील, नदियाँ, जलकूप, बाँध एवं नहर इत्यादि सिंचाई के स्रोत हैं।
प्रश्न 3.
कृषि उत्पादों के भण्डारण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
फसल को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए उसे नमी, कीट, चूहों तथा सूक्ष्म जीवों से बचाना तथा उसका भण्डारण आवश्यक है। भण्डारण से पहले दानों (बीजों) को धूप में सुखाना आवश्यक है क्योंकि यदि ताजी काटी गई फसल के दानों को सुखाए बिना भण्डारित किया गया हो तो उनके खराब होने की सम्भावना बहुत अधिक हो जाती है।
धूप में सुखाए जाने से बीजों की नमी में कमी आ जाती है तथा उनकी कोट, पीड़कों, जीवाणु, कवक आदि से सुरक्षा हो जाती है। आजकल किसान अपनी फसल उत्पादों को जूट के बोरों, धातु के बड़े पात्रों (Bins) में रखते हैं जिससे वे सुरक्षित बने रहते हैं। उच्च पैमाने पर भण्डारण हेत साइलो और भण्डारगृहों का प्रयोग दानों को सुरक्षित रखने के – लिए किया जाता है। इससे ये चूहे एवं कीटों से सुरक्षित रहते हैं। नीम की सूखी पत्तियाँ घरों में अनाज के भण्डारण में उपयोग में लायी जाती हैं। बड़े भण्डार गृहों में अनाज को पीडकों एवं सूक्ष्म जीवों से सुरक्षित रखने के लिए उन पर रासायनिक उपचार भी किया जाता है।
फसल उत्पादन एवं प्रबंध Class 8 HBSE Notes in Hindi
→ फसल (Crops) : किसी एक स्थान पर एक ही किस्म के पौधों को बड़ी मात्रा में उगाने को फसल कहते हैं।
→ कृषि पद्धतियाँ (Agricultural Methods) : फसल उगाने के लिए किसान द्वारा सामयिक अवधि में अपनाए गए क्रिया-कलापों को कृषि पद्धतियाँ कहते हैं।
→ जुताई (Ploughing) : वह क्रिया, जिसमें फसल उगाने से पहले मिट्टी को पलटना, पोला बनाना और समतल करना पड़ता है, जुताई कहलाती है ।
→ बुआई (Sowing) : मिट्टी में बीज बोने की विधि बुआई कहलाती है ।
→ उर्वरक (Fertilizers) : वे पदार्थ जिन्हें मिट्टी में पोषक स्तर बनाए रखने के लिए मिलाते हैं, उर्वरक कहलाते|
→ सिंचाई (Irrigation) : पौधों के वृद्धि एवं परिवर्द्धन के लिए आवश्यकतानुसार पानी देने की क्रिया सिंचाई| कहलाती है।
→ खरपतवार (Weeds) : फसल के साथ उगे हुए अवांछित पौधों को खरपतवार कहते हैं।
→ खरपतवारनाशी (Weedicide) : वे रसायन जिनसे खरपतवार को नियंत्रित करते हैं, खरपतवारनाशी कहलाते|
→ कटाई (Harvesting) : फसल के पकने पर काटे जाने की प्रक्रिया कटाई कहलाती है।
→ निराई (Weeding) : खरपतवार को खेत से निकालने की प्रक्रिया को निराई कहते हैं ।
→ भंडारण (Storage) : फसल के दानों को बड़े-बड़े भंडारगृहों में एकत्रित किया जाना, भंडारण कहलाता है।
→ भंडारगृह (Granaries) : बड़े-बड़े खुले हॉल जहाँ अनाज के दानों को बड़े पैमाने पर एकत्र किया जा सके ।
→ पशुपालन (Animal husbandry) : पशुओं के उचित भोजन, आवास और देखभाल को पशु-पालन कहते हैं।
→ श्रेशिंग (Threshing) : भूसे से अनाज के दानों को पृथक् करने की विधि थ्रेशिंग कहलाती है।