HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

HBSE 12th Class Sociology भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
हित समूह प्रकार्यशील लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
दबाव समूह या हित समूह संगठित अथवा असंगठित समूह होते हैं जो सरकार की नीतियां प्रभावित करते या हित समूह है तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। यह विभिन्न स्तरों पर अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करते हैं। यह प्रकार्यशील लोकतंत्र का निम्नलिखित ढंग से अभिन्न अंग होते हैं-
(i) यह हित समह किसी विशेष मददे पर आंदोलन चलाते हैं ताकि जनता का समर्थन हासिल किया जा सके। दोनों ही संचार माध्यमों की सहायता लेते हैं ताकि जनता का ध्यान अधिक से अधिक अपनी ओर खींचा जा सके।

(ii) यह साधारणतया हड़तालें करवाते हैं, रोषमार्च निकालते हैं तथा सरकारी कार्यों में बाधा पहुँचाने का प्रयास करते हैं। यह हड़ताल की घोषणा करते हैं तथा धरने पर बैठते हैं ताकि अपनी आवाज़ उठा सकें। अधिकतर फैडरेशन तथा यूनियनें सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए इन्हीं ढंगों का प्रयोग करते हैं।

(iii) साधारण तथा व्यापारी समूह लॉबी का निर्माण करते हैं जिसके कुछ आम हित होते हैं ताकि सरकार पर उसकी नीतियाँ बदलने के लिए दबाव बनाया जा सके।

(iv) यह समूह समाचार पत्रों को निकालते हैं तथा उन्हें अपने नियंत्रण में रखते हैं ताकि जनता में अपने हितों का प्रचार करके उन्हें अपने पक्ष में किया जा सके।

प्रश्न 2.
संविधान सभा की बहस के अंशों का अध्ययन कीजिए। हित समूहों को पहचानिए। समकालीन भारत में किस प्रकार के हित समूह हैं? वे कैसे कार्य करते हैं?
उत्तर:
संविधान सभा की बहस के अंश पाठ्य पुस्तक में दिए गए हैं। इसका अध्ययन करने के बाद हमें यह पता चलता है कि हमारे देश में कई प्रकार के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, व्यपारिक हित समूह पाए जाते हैं। यह सभी हित समूह अपने सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। यह अपने हितों की पूर्ति के लिए सरकार पर कई प्रकार से दबाव डालते हैं तथा अपनी मांगें मनवाते हैं। ट्रेड यूनियन, किसान संघ इसकी उदाहरणे हैं।

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प्रश्न 3.
विद्यालय में चुनाव लड़ने के समय अपने आदेशपत्र के साथ एक फड़ बनाइए। (यह पाँच लोगों के एक छोटे समूह में भी किया जा सकता है, जैसा पंचायत में होता है।)
उत्तर:
इस प्रश्न को विद्यार्थी स्वयं अपने अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
क्या आपने बाल मजदूर और मज़दूर किसान संगठन के बारे में सुना है? यदि नहीं तो पता कीजिए और उनके बारे में 200 शब्दों में एक लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) बाल मज़दूर-अगर किसी की आयु 14 वर्ष से कम है तथा वह मजदूरी करता है तो इसे बाल मजदूरी कहते हैं। हमारे देश में यह एक बहुत बड़ी समस्या है। चाहे हमारे देश में बाल मजदूरी कानूनन जुर्म है तथा इसके लिए सज़ा का भी प्रावधान है परंतु फिर भी यह समस्या कम होने की बजाए बढ़ रही है। इसका कारण है अत्यधिक निर्धनता तथा अधिक जनसंख्या।

निर्धन लोगों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा नहीं होता जिस कारण वह अपने बच्चों को छोटी आयु में ही कार्य करने को लगा देते हैं जिससे बाल अपराध बढ़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए निःशुल्क शिक्षा तथा मुफ्त किताबों का प्रबन्ध किया है, दोपहर के खाने का भी प्रबन्ध किया है ताकि बच्चे बाल मज़दूरी को छोड़ कर शिक्षा को अपनाएं तथा जीवन में प्रगति करें।

(ii) किसान संगठन-हमारा देश कषि प्रधान देश है जहाँ पर 70% के लगभग जनसंख्या कषि या उससे संबंधित कार्यों से जुड़ी हुई है। इस प्रकार के कृषि प्रधान देश में किसान संगठनों का होना लाज़मी है जो किसानों के हितों के लिए कार्य करते हैं। कृषि बहुल प्रदेशों जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश इत्यादि में तो इनकी स्थिति काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।

यह प्रदेशों की राजनीति को काफ़ी हद तक प्रभावित करते हैं। यह संगठन किसानों की समस्याओं को सरकार के सामने लाते हैं, सरकार पर दबाव बनाते हैं ताकि किसानों की समस्याओं को दूर किया जा सके। यह किसान संगठन एक प्रकार से दबाव समूह अथवा हित समूहों की तरह ही कार्य करते हैं।

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प्रश्न 5.
ग्रामीणों की आवाज़ को सामने लाने में 73वाँ संविधान संशोधन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1992 में 73वां संवैधानिक संशोधन हुआ जिससे प्रारंभिक स्तर पद लोकतंत्र तथा विकेंद्रीकृत शासन का पता चलता है। इस संशोधन से पंयाचती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्थिति प्राप्त हुई। अब स्थायी स्वशासन के सदस्यों का गाँवों तथा नगरों में हरेक 5 वर्षों बाद चुना जाना जरूरी हो गया। इसके साथ ही स्थानीय संसाधनों पर चुने हुए निकायों का नियंत्रण स्थापित हो गया। इसकी विशेषताएं हैं-
(i) ग्राम स्तर पर सबसे पहले ग्राम सभा स्थापित की गई जिसके सदस्य गाँव के सभी बालिग होते हैं। यही सभा स्थानीय सरकार का चुनाव करके उसे निश्चित उत्तरदायित्व सौंपती है। ग्राम सभा में गांव के विकास कार्यों की चर्चा होती है तथा यह गाँव के सदस्यों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदार बनती है।

(ii) इस संशोधन से 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले हरेक राज्य में तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।

(iii) अब हरेक पाँच वर्षों बाद इसके सदस्यों का चुनाव करना ज़रूरी हो गया।

(iv) इस संशोधन से इन संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% स्थान तथा अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुसार स्थान आरक्षित रखे गए।

(v) इसने पूरे जिले के विकास को प्रारूप निर्मित करने के लिए जिला योजना समिति गठित की।

73वें तथा 74वें संवैधानिक संशोधन से ग्रामीण तथा नगरीय स्वःशासन की संस्थाओं में 33% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गए जिनमें से 17% सीटें अनूसूचित जातियों तथा जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इससे महिलाओं को स्थानीय स्तर पर पहली बार निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया गया। यह प्रावधान 1992-93 से सम्पूर्ण देश में लागू है।

प्रश्न 6.
एक निबंध लिखकर उदाहरण देते हुए उन तरीकों को बताइए जिनसे भारतीय संविधान ने साधारण जनता में दैनिक महत्त्वपूर्ण समस्याओं का अनुभव किया है?
अथवा
संविधान द्वारा भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन लाए गए?
अथवा
संविधान से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं? सविस्तार प्रतिपादित करें।
अथवा
भारतीय संविधान लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ा है। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) भारतीय संविधान ने अपने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया है कि कानून के सामने सभी समान हैं। किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी आधार अर्थात् जन्म, जाति, प्रजाति, लिंग, रंग इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। इससे निम्न जातियों की स्थिति उच्च जातियों के समान हो गई है।

(ii) भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों को अच्छा जीवन जीने के लिए कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं। ये सभी को बिना किसी भेदभाव के दिए गए हैं। इस प्रकार निम्न जातियों के लोग पहले की अपेक्षा अच्छा जीवन जी सकते हैं, जो कि भारतीय संविधान द्वारा दिया गया है।

(iii) हमारे संविधान ने देश को एक लोकतांत्रिक देश बनाया है। इसका अर्थ यह है कि यहां पर किसी प्रकार की तानाशाही का कोई स्थान नहीं है तथा जनता अपना शासक स्वयं चुनती है तथा सर्वोच्च अधिकार रखती है। इस प्रकार सत्ता जनता के हाथों में होती है तथा इससे जनता का रोज़ाना जीवन काफी हद तक प्रभावित हुआ है।

(iv) भारत एक ऐसा देश है जहां पर कई धर्मों के लोग रहते हैं। इन सभी धर्मों में धार्मिक हिंसा को टालना अति आवश्यक था। इसलिए ही हमारे संविधान ने देश को एक धर्म निष्पक्ष राज्य बनाया है अर्थात् राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। इसका अर्थ यह है कि सभी धर्मों को समान स्थिति प्रदान की गई है। इसने भी जनता के रोज़ाना जीवन को प्रभावित किया है।

भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ HBSE 12th Class Sociology Notes

→ दिवंगत अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था कि लोकतंत्र जनता की, जनता के लिए तथा जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार होती है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में सभी नागरिक बिना किसी चयनित या मनोनीत अधिकारी की मध्यस्थता के, सार्वजनिक निर्णयों में स्वयं भाग लेते हैं।

→ हमारे देश में सहभागी लोकतंत्र तथा शक्तियों के विकेंद्रीकरण की व्यवस्था की गई है। सहभागी लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें समूह या समुदाय के सभी सदस्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में भाग लेते हैं। विकेंद्रीकृत व्यवस्था में शक्तियों का ऊपर से नीचे तक बँटवारा किया गया है।

→ भारतीय संविधान को 1946 में संविधान सभा ने बनाना शुरू किया तथा इसे बनते-बनते लगभग तीन वर्ष लग गए। 26 जनवरी, 1950 को यह लागू भी हो गया। इसमें देश के सभी नागरिकों को समानता, मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं तथा भेदभाव का इसमें कोई स्थान नहीं रखा गया है।

→ संविधान में कुछ मूल उद्देश्य शामिल किए गए हैं जिन्हें भारतीय राजनीति में न्यायोचित माना जाता है। निर्धन तथा पिछड़े हुए लोगों को सक्षम बनाना, निर्धनता उन्मूलन, जातिवाद समाप्त करने तथा सभी के प्रति समानता का व्यवहार करने के लिए यह कुछ सकारात्मक चरण हैं।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

→ हमारे देश में पंचायती राज की व्यवस्था की गई है। इसका शाब्दिक अर्थ है पाँच व्यक्तियों का शासन। यह विचार विदेश से नहीं बल्कि देश में ही शक्तियों को बाँटने की इच्छा के कारण आया। परंपरागत पंचायतों को चुनी हुई पंचायतों में परिवर्तित करने का उद्देश्य था शक्तियों में सभी को भागीदार बनाकर उनके क्षेत्रों का विकास करना।

→ 1992 के 73वें संवैधानिक संशोधन से पंचायती राज्य संस्थाओं को संवैधानिक परिस्थति प्रदान की तथा अब स्थानीय स्वः शासन के सदस्य गाँवों तथा नगरों में प्रत्येक 5 वर्ष बाद चुने जाते हैं। इसके साथ ही स्थानीय संसाधनों पर चुने हुए निकायों का नियंत्रण होता है।

→ पंचायतों को अपने क्षेत्रों का विकास करने के लिए बहुत सी शक्तियाँ दी गई हैं और जैसे कि योजनाएं बनाना, जुर्माना या शुल्क लगाकर एकत्र करना, गाँवों के विकास के लिए पैसा सरकार से प्राप्त करना इत्यादि। इनके लिए तो सरकार ने कई कार्यक्रम भी चला रखे थे जैसे कि C.D.P., I.R.D.P., J.R.Y. NREGA, MNREGA इत्यादि।

→ चाहे संविधान ने सभी को समानता का अधिकार दिया है परंतु फिर भी लोकतंत्र और असमानता का गहरा संबंध है। बहुत से मामलों में गाँव के कुछ विशेष समूहों को न तो शामिल किया जाता है तथा न ही उन्हें बताया जाता है। अमीर लोग ग्राम सभा को नियंत्रित करते हैं तथा बहुसंख्यक उन्हें केवल देखते ही रह जाते है।

→ राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जो सत्ता हथियाने तथा सत्ता का उपयोग कुछ विशिष्ट कार्यों को संपन्न करने के उद्देश्य से स्थापित करता है। लोकतंत्र में राजनीतिक दल तथा उनके निर्णयों को प्रभावित करने वाले दबाव समूह काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि लोकतंत्र इन्हीं के कारण ही तो चलता है।

→ प्रत्यक्ष लोकतंत्र-लोकतंत्र का वह रूप जिसमें सभी नागरिक बिना किसी मनोनीत मध्यस्थ के सार्वजनिक निर्णयों में भाग लेते हैं।

→ सहभागी लोकतंत्र-एक ऐसी व्यवस्था जिसमें महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए समूदाय के सभी सदस्य एक साथ भाग लेते हैं।

→ विकेंद्रीकरण-वह प्रक्रिया जिसमें राज्य की शक्तियों को ऊपर से लेकर नीचे तक विभाजित किया जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

→ संविधान-एक ऐसा दस्तावेज जिससे किसी राष्ट्र के सिद्धांतों का निर्माण होता है।

→ पंचायत-पाँच व्यक्तियों के शासन को पंचायत कहते हैं।

→ दबाव समूह-वह शक्तिशाली समूह जो सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए किसी न किसी प्रकार से दबाव डालते हैं।

→ राजनीतिक दल-ऐसा संगठन जिसकी स्थापना सत्ता हथियाने और सत्ता का उपयोग कुछ विशिष्ट कार्यों को संपन्न करने के उद्देश्य से होती है।

→ निजीकरण-सरकारी उद्यमों को निजी व्यक्तियों या समूहों को बेचने की प्रक्रिया।

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