Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान : क्यों और कैसे? Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Political Science Important Questions Chapter 1 संविधान : क्यों और कैसे?
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संविधान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संविधान उन मौलिक नियमों, सिद्धांतों तथा परम्पराओं का संग्रह होता है, जिनके अनुसार राज्य की सरकार का गठन, सरकार के कार्य, नागरिकों के अधिकार तथा नागरिकों और सरकार के बीच संबंधों को निश्चित किया जाता है।
प्रश्न 2.
लिखित संविधान किसे कहा जाता है?
उत्तर:
लिखित संविधान वह संविधान होता है जो एक गठित संविधान सभा द्वारा बनाया जाए और एक निश्चित तिथि को लागू हो; जैसे अमेरिका, भारत, जापान, आयरलैण्ड आदि देशों के संविधान लिखित संविधान कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
अलिखित संविधान किसे कहा जाता है?
उत्तर:
अलिखित संविधान ऐसा संविधान होता है जो प्रायः रीति-रिवाजों, परम्पराओं तथा समय-समय पर दिए गए न्यायिक निर्णयों पर आधारित होता है जिनका धीरे-धीरे विकास होता है। ऐसे संविधान के लिए न संविधान सभा निर्मित होती है और ही उन्हें लागू करने की निश्चित शर्त को पूर्ण करना होता है। इंग्लैण्ड का संविधान अलिखित संविधान है।
प्रश्न 4.
संविधान हमारे लिए क्यों आवश्यक है? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
- संविधान ऐसे मौलिक नियमों को निश्चित करता है जो समाज में रहने वाले लोगों में समन्वय तथा आपसी विश्वास की स्थापना करते हैं।
- संविधान समाज में सरकार के वर्तमान एवं भविष्य में सरकार के संचालन के मूल सिद्धांतों एवं आदर्शों पर प्रकाश डालता है।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान सभा में प्रारम्भ में कुल सदस्यों की संख्या कितनी थी?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा में प्रारम्भ में कुल सदस्यों की संख्या 389 थी जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर प्रांतों के तथा 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
प्रश्न 6.
संविधान सभा के प्रथम स्थायी अध्यक्ष कौन थे? उन्हें कब स्थायी अध्यक्ष चुना गया?
उत्तर:
संविधान सभा के प्रथम स्थायी अध्यक्ष डॉ० राजेन्द्र प्रसाद थे, जिन्हें 11 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा द्वारा निर्विरोध चुना गया था।
प्रश्न 7.
भारत की स्वाधीनता एवं विभाजन के बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या कितनी रह गई?
उत्तर:
भारत की स्वाधीनता एवं विभाजन के बाद संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 324 रह गई जिसमें 235 प्रांतों के प्रतिनिधि तथा 89 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
प्रश्न 8.
भारतीय संविधान सभा के किन्हीं चार सदस्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद,
- जवाहरलाल नेहरू,
- सरदार पटेल,
- डॉ० बी०आर० अम्बेडकर।
प्रश्न 9.
भारतीय संविधान सभा में उद्देश्य संबंधी प्रस्ताव कब और किसके द्वारा प्रस्तुत किया गया?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा में 13 दिसम्बर, 1946 को पं० जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
प्रश्न 10.
भारतीय संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव संबंधी किन्हीं दो बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- संविधान सभा भारत को एक प्रभुसत्ता सम्पन्न प्रजातंत्रीय गणराज्य घोषित करने के दृढ़-निश्चय की घोषणा करती है।
- यह प्राचीन भूमि विश्व में अपना उचित तथा सम्मानित स्थान ग्रहण करती है और मानव-कल्याण व विश्व शांति के विस्तार में अपना पूर्ण तथा ऐच्छिक योगदान करती है।
प्रश्न 11.
भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित विभिन्न समितियों में से किन्हीं चार समितियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- संघीय संविधान समिति,
- संघीय शक्तियाँ समिति,
- प्रांतीय संविधान समिति,
- अल्पसंख्यकों तथा मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित समिति।
प्रश्न 12.
भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति में कुल कितने सदस्य थे?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष सहित कुल सात सदस्य थे, जिनमें दो सदस्य गोपाल स्वामी आयंगर एवं के०एम० मुन्शी थे।
प्रश्न 13.
भारतीय संविधान सभा द्वारा पारित संविधान पर कब और किसके अन्तिम हस्ताक्षर हुए थे?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा द्वारा पारित संविधान पर 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के अन्तिम हस्ताक्षर हुए थे।
प्रश्न 14.
भारतीय संविधान सभा के द्वारा संविधान के निर्माण हेतु कितने अधिवेशन हुए एवं कुल कितने दिन विचार-विमर्श हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा के द्वारा संविधान निर्माण हेतु कुल 11 अधिवेशन हुए और उन्होंने 165 दिनों तक विचार-विमर्श किया।
प्रश्न 15.
भारतीय संविधान सभा के किन सदस्यों को संविधान सभा का आन्तरिक वर्ग (Inner Circle) कहा जाता है?
उत्तर:
पं० जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ० अब्दुल कलाम आज़ाद, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सीता रमैया, गोविंद बल्लभ पन्त, डॉ० अम्बेडकर, एन०सी० आयंगर, के०एम० मुन्शी, आयर एवं सत्यनारायण सिन्हा सहित कुल 11 सदस्यों को संविधान सभा के आन्तरिक-वर्ग (Inner-circle) में शामिल किया जाता था।
प्रश्न 16.
संविधान सभा के प्रतिनिधित्व के स्वरूप की आलोचना किन आधारों पर की जाती है? कोई दो आधार लिखें।
उत्तर:
- संविधान के प्रतिनिधियों का चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर नहीं हुआ।
- संविधान सभा में एक विशेष जाति हिन्दुओं को प्रतिनिधित्व दिया गया था।
प्रश्न 17.
संविधान सभा में निर्णय लेने की प्रक्रिया का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संविधान सभा में निर्णय की प्रक्रिया सहमति एवं समायोजन के सिद्धांत पर आधारित थी जो कि पूर्णतः लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी।
प्रश्न 18.
भारतीय संविधान के किन्हीं दो स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 तथा,
- विदेशी संविधानों का प्रभाव।
प्रश्न 19.
भारतीय संविधान पर कनाडा के संविधान के पड़ने वाले किन्हीं दो प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- भारतीय संविधान में कनाडा की भाँति भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहा है।
- संघात्मक ढाँचे के साथ-साथ केन्द्र को शक्तिशाली बनाना भी कनाडा के संविधान की देन है।
प्रश्न 20.
भारतीय संविधान में राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धांतों संबंधी प्रावधान किस देश के संविधान से प्रभावित होकर किया गया है?
उत्तर:
आयरलैण्ड के संविधान से प्रभावित होकर किया।
प्रश्न 21.
भारतीय संविधान के संचालन में भूमिका निभाने वाली किन्हीं दो राजनीतिक प्रथाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- राष्ट्रपति के पद पर दो बार से अधिक एक ही व्यक्ति का न रहना भी प्रथा पर आधारित है क्योंकि संविधान कोई ऐसी पाबन्दी नहीं लगाता है।
- राज्यपाल के पद पर नियुक्त होने वाला व्यक्ति उस राज्य का निवासी नहीं होना चाहिए। यह भी प्रथा पर आधारित है।
प्रश्न 22.
भारतीय संविधान 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया?
उत्तर:
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज्य दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया गया था। इस तिथि को विशेष महत्त्व देने एवं यादगार बनाने हेतु नया संविधान 26 जनवरी, 1950 को ही लागू किया गया।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संविधान की कोई दो परिभाषाएँ दीजिए। उत्तर-संविधान की दो परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
1. गिलक्राइस्ट (Gilchrist) के अनुसार, “संविधान लिखित अथवा अलिखित नियमों अथवा कानूनों का वह समूह होता है जिनके द्वारा सरकार का संगठन, सरकार की शक्तियों का विभिन्न अंगों में वितरण और इन शक्तियों के प्रयोग के सामान्य सिद्धांत निश्चित किए जाते हैं।”
2. लार्ड ब्राईस (Lord Bryce) के अनुसार, “संविधान ऐसे निश्चित नियमों का संग्रह होता है, जिसमें सरकार की कार्यविधि निहित होती है और जिनके द्वारा उसका संचालन होता है।”
प्रश्न 2.
लिखित एवं अलिखित संविधान में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लिखित संविधान-लिखित संविधान वह संविधान है जो पूर्ण रूप से या जिसका अधिकांश भाग लिखित होता है। इसके अंतर्गत सरकार के रूप और उसके संगठन के बारे में तथा सरकार के तीनों अंगों के पारस्परिक संबंधों को स्पष्ट रूप में लिख दिया जाता है। इसके अतिरिक्त नागरिकों के अधिकारों तथा उनके सरकार से संबंधों के बारे में लिख दिया जाता है।
लिखित संविधान में उस प्रणाली का भी वर्णन किया जा सकता है जिसके द्वारा संविधान में संशोधन किया जा सकता है। ऐसा संविधान प्रायः एक संविधान सभा द्वारा बनाया जाता है जो कुछ समय लगाकर उसे एक निश्चित लेख के रूप में तैयार करती है और ऊपर दिए गए सभी विषयों पर निर्णय लेकर उन्हें लिखित रूप देती है। कई बार कुछ उदार शासकों द्वारा स्वयं ही कुछ लोगों को यह प्रदान किया जाता है. या लोग स्वयं राजा की निरंकुश शक्तियों का बलपूर्वक विरोध करके उसे ऐसा करने पर विवश कर देते हैं।
अलिखित संविधान इसके विपरीत अलिखित संविधान वह संविधान है जिसका अधिकतर भाग अलिखित होता है। ऐसा संविधान प्रायः रीति-रिवाजों, परंपराओं तथा समय-समय पर दिए गए न्यायिक निर्णयों पर आधारित होता है। इसमें शासन का रूप, सरकार की शक्तियाँ तथा नागरिकों के अधिकार आदि मुख्यतः रीति-रिवाजों पर ही आधारित होते हैं जिनका धीरे-धीरे विकास हुआ है।
वहाँ पर संविधान में संशोधन के लिए भी कोई विशेष प्रणाली नहीं अपनाई जाती, बल्कि बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार उसमें आसानी से परिवर्तन कर लिया जाता है। ऐसा संविधान न तो किसी संविधान सभा द्वारा एक निश्चित समय पर बनाया जाता है और न ही किसी सम्राट् द्वारा प्रदान किया जाता है, बल्कि इसका आवश्यकता के अनुसार विकास होता है। इसका मुख्य उदाहरण इंग्लैण्ड का संविधान है जिसका कभी निर्माण नहीं किया गया और जो मुख्यतः रीति-रिवाज़ों पर आधारित है।
प्रश्न 3.
संविधान सभा में निर्णय लेने की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संविधान सभा में काँग्रेस दल के सदस्यों का एक बहुत बड़ा बहुमत था, लेकिन इस दल ने कभी किसी भी फैसले को बहुमत के आधार पर लादने का प्रयास नहीं किया। अगर किसी भी संवैधानिक प्रश्न पर नेहरू एवं पटेल दोनों ही सहमत होते थे, तो उस विषय में निर्णय बहुत सुगमता के साथ ले लिया जाता था। अगर उन दोनों में आपस में मतभेद होता था तो उनके समर्थक एक-दूसरे का समर्थन करते थे।
संविधान सभा में लंबी-लंबी बहसें होती थीं तथा जब तक नेहरू एवं पटेल अपने मतभेदों को समाप्त नहीं कर पाते थे, तब तक कोई निर्णय नहीं हो पाता था। लेकिन ये दोनों विभूतियाँ जल्दी ही विषय पर सहमति प्रकट कर देती थीं। इसके अलावा संविधान सभा में काँग्रेस दल के सदस्यों की महत्त्वपूर्ण विषयों पर बैठक होती थी, खुलकर वाद-विवाद होता था, मतदान भी हो जाता था एवं अंत में विषय पर निर्णय ले लिया जाता था।
प्रत्येक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में अल्पतंत्र वर्ग के नेताओं का विशेष महत्त्व होता था। इस प्रकार यह स्पष्ट विदित हो जाता है कि इन नेताओं ने प्रजातंत्रीय सिद्धांतों के आधार पर संविधान सभा में निर्णय सहमति के द्वारा ही लिए थे। यही कारण है कि हमारा संविधान इतना व्यावहारिक बन सका है।
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान पर पड़े किन्हीं चार अमेरिकी संविधान के प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के संविधान पर संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) के संविधान का भी काफी प्रभाव है जैसे
(1) हमारे संविधान के आरम्भ से पूर्व एक प्रस्तावना है। इसमें अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना की भान्ति यह लिखा गया है कि संविधान का निर्माण करने वाले ‘हम भारत के लोग’ (‘We the People of India’) हैं।
(2) हमारे मौलिक अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के बिल ऑफ राईट्स (Bill of Rights) से मिलते-जुलते हैं।
(3) भारत की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के कार्य और दर्जा अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट जैसे हैं।
(4) न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सिद्धांत।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान पर पड़े किन्हीं चार ब्रिटिश संविधान के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में सबसे अधिक प्रभाव ब्रिटिश संविधान का है। यह शायद इस कारण है कि अंग्रेजों ने स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व लगभग 200 वर्ष तक भारत पर शासन किया और इस बीच भारतीयों को उनकी राजनीतिक संस्थाओं का काफी अनुभव हुआ। ब्रिटिश संविधान से हमने निम्नलिखित बातें अपनाई हैं
- इंग्लैण्ड के सम्राट की भान्ति भारत का राष्ट्रपति नाममात्र का तथा संवैधानिक मुखिया है।
- संसदीय प्रणाली इंग्लैण्ड की नकल है।
- मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री का श्रेष्ठ स्थान है तथा मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है जैसे कि ब्रिटेन में है।
- संसद का द्विसदनीय विधानमंडल होना और लोकसभा इंग्लैण्ड के कॉमन सदन की भान्ति अधिक शक्तिशाली है।
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान के विकास में भूमिका निभाने वाले संसद द्वारा पारित किन्हीं पाँच अधिनियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संविधान के अनुसार अनेक शासकीय व्यवस्थाओं को पूरा करने के लिए संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। इसके अधीन संसद द्वारा बनाए गए निम्नलिखित कानून उल्लेखनीय हैं
- निरोधक नजरबन्दी अधिनियम, 1950,
- 1950, 1951 का जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम,
- 1951 का वित्त आयोग का अधिनियम,
- 1951 का राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम,
- भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 ।
प्रश्न 7.
भारतीय संविधान के निर्माण पर पड़े ‘भारत सरकार अधिनियम, 1935’ के किन्हीं पाँच प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के वर्तमान संविधान का अधिकांश भाग भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है। यह निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है
- वर्तमान संविधान में संघीय शासन की व्यवस्था सन् 1935 के अधिनियम पर आधारित है।
- केन्द्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन भी इसी अधिनियम पर आधारित है। उस एक्ट की भान्ति नए संविधान में शासन-शक्तियों का तीन सूचियों
(a) संघीय सूची,
(b) राज्य सूची तथा
(c) समवर्ती सूची में विभाजन किया गया है। - सन् 1935 के एक्ट की भान्ति नए संविधान में भी केन्द्रीय सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।
- सन् 1935 के एक्ट की भान्ति नए संविधान द्वारा भी केन्द्र में द्विसदनीय विधानमंडल की स्थापना की गई है।
- नए संविधान की धारा 356 के अंतर्गत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करने की व्यवस्था का आधार सन 1935 के एक्ट का सैक्शन 93 है।
प्रश्न 8.
भारतीय संविधान के विकास के स्रोत के रूप में भूमिका निभाने वाले किन्हीं पाँच सवैधानिक विशेषज्ञों की टिप्पणियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सवैधानिक विशेषज्ञों के विचार और टिप्पणियाँ भी हमारे संविधान का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन विशेषज्ञों ने संविधान के बारे में अपने-अपने विचार अपने संवैधानिक लेखों में व्यक्त किए हैं। चाहे इन विचारों को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं फिर भी इनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। इन विचारकों का प्रभाव हमारे कानून निर्माताओं तथा न्यायाधीशों पर अवश्य पड़ सकता है। इस श्रेणी के विशेषज्ञों व उनके संवैधानिक लेखों के नाम निम्नलिखित हैं
- D.D. Basu : Commentary on the Constitution of India.
- V.N. Rao : The Constitution of India.
- K.V. Rao : Parliamentary Democracy of India.
- N.A. Palkivala : Our Constitution : Defaced and Defiled.
- M.C. Setelvad : The Indian Constitution.
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘संविधान’ शब्द से क्या अभिप्राय है? हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
प्रत्येक राज्य का प्रायः एक संविधान होता है। साधारण शब्दों में, संविधान उन मौलिक नियमों, सिद्धांतों तथा परंपराओं का संग्रह होता है, जिनके अनुसार राज्य की सरकार का गठन, सरकार के कार्य, नागरिकों के अधिकार तथा नागरिकों और सरकार के बीच संबंध को निश्चित किया जाता है। शासन का स्वरूप लोकतांत्रिक हो या अधिनायकवादी, कुछ ऐसे नियमों के अस्तित्व से इन्कार नहीं किया जा सकता जो राज्य में विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं तथा शासकों की भूमिका को निश्चित करते हैं।
इन नियमों के संग्रह को ही संविधान कहा जाता है। संविधान में शासन के विभिन्न अंगों तथा उनके पारस्परिक संबंधों का विवरण होता है। इन संबंधों को निश्चित करने हेतु कुछ नियम बनाए जाते हैं, जिनके आधार पर शासन का संचालन सुचारू रूप से संभव हो जाता है तथा शासन के विभिन्न अंगों में टकराव की संभावनाएँ कम हो जाती हैं। संविधान के अभाव में शासन के सभी कार्य निरंकुश शासकों की इच्छानुसार ही चलाए जाएँगे जिससे नागरिकों पर अत्याचार होने की संभावना बनी रहेगी।
ऐसे शासक से छुटकारा पाने के लिए नागरिकों को अवश्य ही विद्रोह का सहारा लेना पड़ेगा जिससे राज्य में अशांति तथा अव्यवस्था फैल जाएगी। इस प्रकार एक देश के नागरिकों हेतु एक सभ्य समाज एवं कुशल तथा मर्यादित सरकार का अस्तित्व एक संविधान की व्यवस्थाओं पर ही निर्भर करता है।
संविधान की दो परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
1. गिलक्राइस्ट (Gilchrist) के अनुसार, “संविधान लिखित अथवा अलिखित नियमों अथवा कानूनों का वह समूह होता है जिनके द्वारा सरकार का संगठन, सरकार की शक्तियों का विभिन्न अंगों में वितरण और इन शक्तियों के प्रयोग के सामान्य सिद्धांत निश्चित किए जाते हैं।”
2. लार्ड ब्राईस (Lord Bryce) के अनुसार, “संविधान ऐसे निश्चित नियमों का संग्रह होता है, जिसमें सरकार की कार्यविधि निहित होती है और जिनके द्वारा उसका संचालन होता है।”
हमारे लिए संविधान क्यों आवश्यक है? (Why do we need a Constitution?)-किसी भी देश के लिए उसका संविधान बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। यह सरकार की शक्तियों को निश्चित करता है तथा उन पर अंकुश लगाता है। संविधान सरकार के । विभिन्न अंगों की शक्तियों को भी निश्चित करता है जिससे उनमें झगड़े की संभावना नहीं रहती। यह नागरिकों के अधिकारों तथा सरकार के साथ नागरिकों के संबंध भी निश्चित करता है।
संविधान के द्वारा लोग अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं तथा सरकार पर अंकुश लगा सकते हैं। संविधान के अभाव में शासन के सभी कार्य शासकों की इच्छानुसार ही चलाए जाएँगे, जिससे नागरिकों पर अत्याचार होने की संभावना बनी रहेगी। ऐसे शासक से छुटकारा पाने के लिए नागरिकों को विद्रोह का सहारा लेना पड़ेगा जिससे देश में अशांति व अव्यवस्था का वातावरण बना रहेगा। प्रो० जैलीनेक (Prof. Jellineck) ने लिखा है, “संविधान के बिना राज्य नहीं रहेगा, बल्कि अराजकता होगी।”
संविधान समाज के लिए निम्नलिखित कार्य करता है
(1) सर्वप्रथम, संविधान कुछ ऐसे मौलिक नियम निश्चित करता है जो समाज में रहने वाले लोगों में समन्वय तथा आपसी विश्वास की स्थापना करते हैं। संविधान के द्वारा ही किसी राज्य के स्वरूप को निश्चित किया जा सकता है।
(2) संविधान ही सरकार के विभिन्न अंगों पर नियंत्रण स्थापित करता है और उन्हें तानाशाह होने से बचाता है।
(3) संविधान ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की रक्षा करता है। यह नागरिक स्वतंत्रता (Civil Liberties) की धरोहर है। व्यवहार में इन अधिकारों पर कुछ पाबंदियाँ लगानी आवश्यक होती हैं। संविधान ही उन परिस्थितियों को निश्चित करता हैं, जिनमें सरकार द्वारा नागरिकों के अधिकारों को छीना जा सकता है। भारत में भी राष्ट्रीय संकट के समय सरकार को नागरिकों पर पाबंदी लगाने का अधिकार दिया गया है।
(4) संविधान एक ध्रुव तारे के समान है, जो शासक को हमेशा दिशा-निर्देश देता है और उसका मार्गदर्शन करता है।
(5) संविधान ही सरकार के विभिन्न अंगों के बीच संबंध बनाए रखता है और उनमें जो मनमुटाव पैदा होता है, उसे स्पष्ट करता है।
(6) संविधान एक ऐसा आईना (Mirror) है जिसमें उस देश के भूत, वर्तमान और भविष्य की झलक मिलती है।
(7) विश्व के अधिकतर पुराने संविधान ऐसे हैं जिनमें केवल सरकार के गठन तथा शक्तियों और उन पर लगे प्रतिबंधों की ही व्यवस्था की गई है, परंतु, 20वीं शताब्दी में बने अनेक ऐसे संविधान हैं, जिनमें इन बातों के अतिरिक्त सरकार से नागरिकों की भलाई के लिए कुछ सकारात्मक कार्य करने के लिए भी कहा गया है। भारतीय संविधान भी एक ऐसा ही संविधान है।
इसके द्वारा भारतीय समाज में मौजूदं सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए व्यवस्था की गई है। सरकार द्वारा कानून पास करके छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है। इस प्रकार संविधान द्वारा सरकार को बच्चों की शिक्षा तथा नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की जिम्मेवारी भी सौंपी गई है।
सरकार को नागरिकों के लिए रोज़गार की व्यवस्था करने तथा उनको इतने आर्थिक साधन जुटाने के लिए भी कहा गया है, जिससे नागरिक एक सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका का संविधान सरकार को यह निर्देश देता है कि वह देश में लंबे समय से चली आ रही जातीय भेदभाव की नीति को समाप्त करे तथा सभी के लिए मकान तथा स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराए। इंडोनेशिया का संविधान भी सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था (National Education System) की व्यवस्था करने का निर्देश देता है।
प्रश्न 2.
भारत की संविधान सभा के गठन का वर्णन कीजिए। भारतीय संविधान के उद्देश्य-प्रस्ताव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के वर्तमान संविधान का निर्माण एक संविधान सभा ने किया, जिसकी स्थापना 1946 में मंत्रिमंडल मिशन योजना के अंतर्गत की गई थी। इस संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई, जिसमें से 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर वाले प्रांतों के तथा 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि होने थे।
प्रांतों के 296 सदस्यों के चुनाव जुलाई, 1946 में करवाए गए। इनमें से 212 स्थान काँग्रेस को, 73 मुस्लिम लीग को एवं 11 स्थान अन्य दलों को प्राप्त हुए। काँग्रेस की इस शानदार सफलता को देखकर मुस्लिम लीग को बड़ी निराशा हुई और उसने संविधान सभा का बहिष्कार करने का निर्णय किया। 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा का विधिवत् उद्घाटन हुआ और भारत के भविष्य के संविधान का निर्माण करने के लिए प्रतिनिधि पहली बार इकट्ठे हुए, लेकिन मुस्लिम लीग के किसी भी सदस्य ने इसमें भाग नहीं लिया और उसने पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा की माँग शुरू कर दी।
संविधान सभा का अधिवेशन सच्चिदानन्द सिन्हा, जो संविधान सभा के सबसे वयोवृद्ध सदस्य थे, की अध्यक्षता में शुरू हुआ। 11 दिसम्बर, 1946 को डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का निर्विरोध रूप से स्थायी अध्यक्ष चुन लिया गया। संविधान सभा के अधिवेशन चलते रहे, लेकिन मुस्लिम लीग ने उनमें भाग नहीं लिया। राजनीतिक गतिविधियों के कारण माऊंट बैटन योजना 3 जून, 1947 के अनुसार भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 पारित किया गया।
इस कानून के अनुसार भारत दो डोमिनियन राज्यों भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया। इस विभाजन के कारण जहाँ संविधान सभा के गठन में भी परिवर्तन हुआ, वहाँ संविधान सभा के स्तर में भी परिवर्तन हो गया। स्वतंत्रता-प्राप्ति और विभाजन के बाद संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 324 रह गई, जिनमें से 235 प्रांतों के प्रतिनिधि और 89 रियासतों के प्रतिनिधि थे।
पंजाब और बंगाल के दो भाग, जो भारत में रह गए थे, उनके लिए फिर से चुनाव हुआ। इन सदस्यों ने 14 जुलाई, 1947 को संविधान सभा में स्थान ग्रहण किया। स्वाधीनता-प्राप्ति के बाद संविधान सभा पूरी तरह से प्रभुता-संपन्न हो गई थी, क्योंकि कैबिनेट मिशन योजना 1946 के द्वारा उस पर जो प्रतिबंध लगाए गए थे, वे समाप्त हो गए थे। इस संविधान सभा ने संविधान बनाने का कार्य 26 नवम्बर, 1949 को पूरा कर लिया था।
26 जनवरी की यादगार को हमेशा बनाए रखने के लिए संविधान निर्माताओं ने जान-बूझकर संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया। 26 जनवरी का दिन ‘भारत में गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस तरह से भारत का संविधान भारतीयों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा निर्मित किया गया है। इस संविधान सभा में देश के प्रसिद्ध नेता, वकील तथा राजनीतिज्ञ शामिल थे।
इनमें मुख्य-मुख्य के नाम इस प्रकार थे-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आज़ाद, सरदार पटेल, गोविंद बल्लभ पंत, अल्लादी कृष्ण स्वामी अय्यर, डॉ० बी०आर० अम्बेडकर, आचार्य कृपलानी, सच्चिदानन्द सिन्हा, गोपाल स्वामी आयंगर, सर फजरूल्ला खां, सर फिरोज शाहनून आदि।
उद्देश्य संबंधी प्रस्ताव (Objective Resolution):
13 दिसम्बर, 1946 को पं० जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में उद्देश्य संबंधी प्रस्ताव पेश किए, जो इस प्रकार थे
(1) “संविधान सभा भारत को एक प्रभुसत्ता सम्पन्न प्रजातंत्रीय गणराज्य (Sovereign Democratic Republic) घोषित करने और उसके भविष्य के शासन के लिए संविधान बनाने के अपने दृढ़ और पवित्र निश्चय की घोषणा करती है, तथा
(2) जो क्षेत्र इस समय ब्रिटिश भारत में या भारतीय रियासतों के अंतर्गत हैं एवं भारत के ऐसे अन्य भाग जो ब्रिटिश भारत तथा रियासतों के बाहर हैं, वे सभी अगर प्रभुसत्ता सम्पन्न भारत में मिलना चाहते हैं, तो सभी मिलकर एक संघ का निर्माण करेंगे, तथा
(3) जिसमें उपरोक्त क्षेत्रों का अपनी वर्तमान सीमाओं सहित या ऐसी सीमाओं सहित जो संविधान सभा द्वारा और उसके बाद संविधान की विधि द्वारा निश्चित की जाएगी, स्वायत्त इकाइयों का पद मिलेगा और वह सरकार शासन की सभी शक्तियों का प्रयोग करेगी, सिवाय उन अधिकारों के जो संघ को दिए गए हैं तथा
(4) जिसमें प्रभुसत्ता सम्पन्न स्वतंत्र भारत, इसके संगठित भागों और सरकार के अंगों की समस्त शक्ति तथा अधिकार जनता से प्राप्त किए गए हैं, तथा
(5) जिसमें भारत के सभी लोगों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद तथा अवसर व कानून के समक्ष समानता, विचार, विश्वास, धर्म, पूजा, व्यवसाय, समुदाय बनाने की, कानून तथा सार्वजनिक नैतिकता के अनुसार स्वतंत्रता मिली हुई हो और सुरक्षित हो, तथा
(6) जिसमें अल्पसंख्यक वर्गों, पिछड़े हुए कबीलों और जातियों को काफी सुरक्षा की व्यवस्था होगी, तथा
(7) जिसके द्वारा सभ्य राष्ट्रों के कानून तथा न्याय के अनुसार गणतंत्र के स्थायित्व जल, थल व वायु पर अधिकार होगा।
(8) यह प्राचीन भूमि विश्व में अपना उचित तथा सम्मानित स्थान ग्रहण करती है और मानव-कल्याण व विश्व-शांति के विस्तार में अपना पूर्ण तथा ऐच्छिक योगदान करती है।”
इस प्रस्ताव के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि इनमें उन आधारभूत उद्देश्यों की घोषणा की गई थी जिनके आधार पर भारत के नए संविधान का निर्माण किया जाना था। इसमें भारत को सम्पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतंत्रीय गणराज्य घोषित करना, जनता को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय, समानता तथा अन्य स्वतंत्रताएँ मिलें, पिछड़ी हुई तथा अनुसूचित जातियों के विकास के लिए कुछ संरक्षण हों तथा भारत में ऐसा संघ स्थापित हो जिसमें ब्रिटिश प्रांत, देशी रियासतें तथा अन्य भारतीय क्षेत्र शामिल हों, जो विश्व-शांति को बढ़ावा दें, आदि मुख्य बातें थीं।
इसके महत्त्व की चर्चा करते हुए के०एम० मुन्शी ने कहा था, “नेहरू का उद्देश्य संबंधी यह प्रस्ताव ही हमारे स्वतंत्र गणराज्य की जन्म कुंडली है।” (“Objective resolution cast the horoscope of our Sovereign Democratic Republic.”) इस उद्देश्य-प्रस्ताव को संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान एक ऐसा संविधान है जिसमें संसार के अनेक संविधानों के अच्छे तत्त्वों को अपनाया गया है। हमारे संविधान के निर्माताओं का उद्देश्य किसी आदर्श अथवा मौलिक संविधान का निर्माण करना नहीं था, वे तो देश के लिए एक व्यावहारिक तथा कामचलाऊ संविधान का निर्माण करना चाहते थे। अतः भारतीय संविधान के निर्माण में अनेक स्रोतों की सहायता ली गई। भारतीय संविधान के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं
1. भारत सरकार अधिनियम, 1935 (Government of India Act, 1935):
भारत के वर्तमान संविधान का अधिकांश भाग भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है। यह निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है
- वर्तमान संविधान में संघीय शासन की व्यवस्था सन् 1935 के अधिनियम पर आधारित है।
- केन्द्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन भी इसी अधिनियम पर आधारित है। उस एक्ट की भान्ति नए संविधान में शासन-शक्तियों का तीन सूचियों
(a) संघीय सूची,
(b) राज्य सूची तथा
(c) समवर्ती सूची में विभाजन किया गया है। - सन 1935 के एक्ट की भान्ति नए संविधान में भी केन्द्रीय सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।
- सन 1935 के एक्ट की भान्ति नए संविधान द्वारा भी केन्द्र में द्विसदनीय विधानमंडल की स्थापना की गई है।
- नए संविधान की धारा 356 के अंतर्गत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करने की व्यवस्था का आधार सन 1935 के एक्ट का सैक्शन 93 है।
- नए संविधान की धारा 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को प्राप्त संकटकालीन शक्तियाँ सन 1935 के एक्ट के सैक्शन 10 की नकल है।
2. विदेशी संविधानों का प्रभाव (Influence of Foreign Constitutions) भारत के संविधान पर विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने संसार के अनेक देशों के संविधानों का अध्ययन किया और अपने देश का संविधान बनाते समय उन देशों में प्रचलित सवैधानिक प्रणालियों में से वे बातें अपनाईं जो हमारे देश की परिस्थितियों के अनुकूल थीं. मुख्य विदेशी संविधान जिनका प्रभाव विशेष रूप से पड़ा है, निम्नलिखित हैं
(क) ब्रिटिश संविधान (British Constitution)-भारतीय संविधान में सबसे अधिक प्रभाव ब्रिटिश संविधान का है। यह शायद इस कारण है कि अंग्रेजों ने स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व लगभग 200 वर्ष तक भारत पर शासन किया और इस बीच भारतीयों को उनकी राजनीतिक संस्थाओं का काफी अनुभव हुआ। ब्रिटिश संविधान से हमने निम्नलिखित बातें अपनाई हैं
- इंग्लैण्ड के सम्राट की भान्ति भारत का राष्ट्रपति नाममात्र का तथा संवैधानिक मुखिया है।
- संसदीय प्रणाली इंग्लैण्ड की नकल है।
- मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री का श्रेष्ठ स्थान है तथा मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है जैसे कि ब्रिटेन में है।
- मंत्रिमंडल सामूहिक तौर पर लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
- संसद का द्विसदनीय विधानमंडल होना और लोकसभा इंग्लैण्ड के कॉमन सदन की भान्ति अधिक शक्तिशाली है।।
- कानून के शासन का होना (Rule of Law)।
परंतु भारत और ब्रिटेन के संविधानों में इन सब बातों में एकरूपता होते हुए भी मूल अंतर इस बात का है कि इंग्लैण्ड में इन सबके बारे में कोई लिखित व्यवस्था नहीं की गई जबकि भारत में उन्हें लिखित संविधान द्वारा अपनाया गया है।
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान (Constitution of the U.S.A.):
भारत के संविधान पर संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) के संविधान का भी काफी प्रभाव है; जैसे
- हमारे संविधान के आरम्भ से पूर्व एक प्रस्तावना है। इसमें अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना की भान्ति यह लिखा गया है कि संविधान का निर्माण करने वाले ‘हम भारत के लोग’ ‘We the People of India’ हैं।
- हमारे मौलिक अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के बिल ऑफ राईट्स (Bill of Rights) से मिलते-जुलते हैं।
- भारत की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के कार्य और दर्जा अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट जैसे हैं।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सिद्धांत।
- उप-राष्ट्रपति के कार्य और दर्जा।
(ग) कनाडा का संविधान (Canadian. Constitution) कुछ बातें हमने कनाडा के संविधान से भी अपनाई हैं; जैसे
- कनाडा की भान्ति हमने भारत को राज्यों का संघ (Union of States) माना है।
- संघात्मक ढाँचा अपनाने के साथ-साथ केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाया है।
- शेष शक्तियाँ केन्द्र को दी गई हैं।
(घ) ऑस्ट्रेलिया का संविधान (Australian Constitution)-ऑस्ट्रेलिया की भान्ति हमारे संविधान में समवर्ती-सूची की व्यवस्था और केन्द्र तथा राज्यों में झगड़ों का निपटारा करने की विधि (अनुच्छेद 251) अपनाई गई है।
(ङ) आयरलैण्ड का संविधान (The Irish Constitution)-राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के एक विशेष निर्वाचन मंडल द्वारा चुनाव की व्यवस्था, राज्यसभा के सदस्यों में मनोनीत सदस्यों की व्यवस्था आदि आयरलैण्ड के संविधान पर आधारित है।
(च) अन्य संविधान (Other Constitutions)-उपरोक्त संविधानों के अतिरिक्त कई अन्य संविधानों ने भी हमारे संविधान को प्रभावित किया है; जैसे राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का स्रोत जर्मनी का संविधान है। इसी प्रकार संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया तथा राज्यसभा के सदस्यों की निर्वाचन विधि दक्षिणी अफ्रीका के संविधान की देन है।
3. संसद द्वारा पास किए गए अधिनियम (Statutes)-संविधान के अनुसार अनेक शासकीय व्यवस्थाओं को पूरा करने के लिए संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। इसके अधीन संसद द्वारा बनाए गए निम्नलिखित कानून उल्लेखनीय हैं–
- निरोधक नजरबन्दी अधिनियम, 1950,
- 1950, 1951 का जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम,
- 1951 का वित्त आयोग का अधिनियम,
- 1951 का राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम,
- भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955,
- सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीश संख्या) अधिनियम, 1956,
- सरकारी भाषा अधिनियम, 1963,
- पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966,
- 1971 का आन्तरिक सुरक्षा स्थापित रखने संबंधी एक्ट,
- 1977 का प्रधानमंत्री तथा स्पीकर के चुनाव-विवादों के संबंध में अधिनियम,
- 1977 का राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के चुनाव के विवाद के संबंध में अधिनियम,
- 1981 का राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी कानून,
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार कानून, 1992,
- पोटा, 2002
4. मसौदा संविधान, 1948 (Draft Constitution of 1948)-भारतीय संविधान का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत सन 1948 का मसौदा संविधान है, जिसे डॉ० अम्बेडकर की अध्यक्षता में स्थापित की गई मसौदा समिति ने तैयार किया। इसमें 315 अनुच्छेद तथा 8 सूचियाँ थीं। इस पर संविधान सभा में खूब वाद-विवाद हुआ। सदस्यों द्वारा इसमें 7635 संशोधन पेश किए गए जिनमें से 2473 पर विचार किया गया। नए संविधान के अधिकांश अनुच्छेद इसी मसौदा संविधान में से ही लिए गए हैं।
5. संविधान सभा के विवाद (Debates of Constituent Assembly) भारत के वर्तमान संविधान की रूप-रेखा निर्धारित करने में संविधान सभा में हुए वाद-विवाद भी विशेष महत्त्व रखते हैं। इन विवादों में उच्चकोटि के विद्वानों, कानून शास्त्रियों तथा राजनीतिज्ञों ने भाग लिया जो संविधान सभा के सदस्य थे। गोपालन बनाम मद्रास राज्य (Gopalan V/s State of Madras) के मुकद्दमें में उच्चतम न्यायालय में संविधान सभा की रिपोर्ट का उदाहरण दिया गया था।
6. न्यायिक निर्णय (Judicial Decisions) भारतीय संविधान के विकास में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के निर्णय भी विशेष महत्त्व रखते हैं और ये भी हमारे संविधान का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन न्यायालयों ने संविधान के रक्षक और व्याख्याता होने के नाते कई प्रसिद्ध फैसले दिए हैं जो अब संविधान का भाग बन गए हैं; जैसे (Gopalan V/s State of Madras के मुकद्दमे में सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्वतंत्रता के क्षेत्र की व्याख्या की।
इसी प्रकार Madras V/s Champkan के मुकद्दमे में न्यायालय ने यह फैसला दिया कि राज्य-नीति के निदेशक सिद्धांत मौलिक अधिकारों से ऊपर नहीं। I.C.,Golaknath V/s State of Punjab के मुकद्दमे में यह कहा गया कि संसद मौलिक अधिकारों को नहीं बदल सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने सन् 1973 के प्रसिद्ध Fundamental Rights Case में अपने सन 1967 के फैसले को बदल दिया और संसद के संविधान के किसी भी भाग में संशोधन । करने के अधिकार को मान्यता दी।
7. सवैधानिक विशेषज्ञों के विचार (Views of Constitutional Experts)-संवैधानिक विशेषज्ञों के विचार और टिप्पणियाँ भी हमारे संविधान का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इन विशेषज्ञों ने संविधान के बारे में अपने-अपने विचार अपने संवैधानिक लेखों में व्यक्त किए हैं। चाहे इन विचारों को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं फिर भी इनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। इन विचारकों का प्रभाव हमारे कानून निर्माताओं तथा न्यायाधीशों पर अवश्य पड़ सकता है।
8. संवैधानिक संशोधन (Constitutional Amendments)-संविधान के लागू होने के समय से लेकर अब तक इसमें लगभग 104 संशोधन (दिसम्बर, 2019 तक) हो चुके हैं, जो अब संविधान के अभिन्न अंग हैं तथा एक मुख्य स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन संशोधनों द्वारा मूल संविधान में बहुत परिवर्तन आए हैं।
इनसे बहुत-सी बातों को संविधान से निकाल दिया गया है। प्रथम संशोधन द्वारा नागरिकों के स्वतन्त्रता के अधिकार पर प्रतिबन्ध लगाने की व्यवस्था की गई है। 15वें संशोधन द्वारा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की पदावधि 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई। 22वें संशोधन द्वारा सिन्धी भाषा को भी भारतीय भाषाओं की सूची में जोड़ दिया गया है। 24वें संशोधन द्वारा संसद को यह अधिकार दिया गया कि वह संविधान के किसी भी भाग में, जिसमें मौलिक अधिकारों वाला भाग भी शामिल है, संशोधन कर सकती है।
26वें संशोधन के अनुसार राजा-महाराजाओं के प्रिवी पर्सी (Privy Purses) को समाप्त कर दिया गया। 27वें संशोधन द्वारा मणिपुर तथा मेघालय को पूर्ण राज्य का स्तर दे दिया गया। 42वें संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना (Preamble) में संशोधन करके भारत को प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य (Sovereign, Socialist, Secular, Democratic Republic) घोषित किया गया और संविधान में नागरिकों के मौलिक कर्तव्य से जोड़ दिया गया।
44वें संशोधन के अनुसार, ‘सम्पत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की सूची से निकाल दिया गया। केन्द्र एवं राज्यों में प्रधानमन्त्री/मुख्यमन्त्री सहित मन्त्रियों की कुल संख्या निचले सदन में सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। 95वें संशोधन द्वारा अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए लोकसभा तथा विधानसभाओं आदि में आरक्षण की अवधि बढ़ाकर 25 जनवरी, 2020 तक कर दी गई।
संविधान में किए गए 96 व 97वें संशोधन सहकारी समितियों (Co-operative Societies) के संबंध में हैं। इनके द्वारा सहकारी समितियों की आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना है जिससे वे ग्रामीण भारत के विकास में सहायता कर सकें। 98वें (2013) संशोधन द्वारा कर्नाटक के राज्यपाल को यह शक्ति दी गई है कि हैदराबाद-कर्नाटक खण्ड (Hyderabad- Karnataka Region) के विकास के लिए कदम उठा सकें।
सन् 2015 में हुए 99वें संशोधन द्वारा भारत तथा बांग्लादेश के बीच हुई सन्धि के अन्तर्गत दोनों देशों के बीच भू-भाग परिवर्तन के परिणामस्वरूप उन क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को नागरिकता देने के अधिकार से संबंधित है। . ‘वस्तु एवं सेवा कर’ सम्बन्धी 101वां संशोधन अधिनियम राज्यसभा एवं लोकसभा में क्रमशः 3 अगस्त एवं 8 अगस्त, 2016 – को पारित करने के उपरान्त 8 सितम्बर, 2016 को राष्ट्रपति ने अपनी स्वीकृति प्रदान की।
यद्यपि उक्त संशोधन अधिनियम संख्या की दृष्टि से 122वां था, परन्तु पूर्व में संसद द्वारा 100 संशोधन विधेयक पारित किए जा चुके थे अतः संशोधन की दृष्टि से 101वां संशोधन विधेयक था। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा देने सम्बन्धी 123वाँ संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के पश्चात् राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर 11 अगस्त, 2018 को लागू हुआ जो संशोधन की संख्या दृष्टि से 102वां संशोधन विधेयक था।
इसी क्रम में 124वां संविधान संशोधन विधेयक के रूप में 9 जनवरी, 2019 को संसद द्वारा पारित करने के पश्चात् 12 जनवरी, 2019 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने सम्बन्धी संशोधन विधेयक लागू किया गया जो संवैधानिक संशोधन की संख्या दृष्टि से 103वाँ संशोधन विधेयक है। इसी क्रम में 104वें सवैधानिक संशोधन (संशोधन प्रस्ताव संख्या 126) द्वारा दिसम्बर, 2019 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ सरकारी सेवाओं में भी आरक्षण की अवधि को दस वर्ष बढ़ाकर 25 जनवरी, 2030 तक कर दिया गया है।
इस प्रकार संविधान के लागू होने के समय से लेकर अब तक (दिसम्बर, 2019) इसमें कुल 104 संशोधन हो चुके हैं। इस प्रकार इन संशोधनों द्वारा बहुत परिवर्तन हुए हैं और इनका अध्ययन किए बिना संविधान की पूरी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती।
9. प्रथाएँ (Conventions) यद्यपि भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है, फिर भी इस देश में महत्त्वपूर्ण प्रथाएँ विकसित हुई हैं, जो संविधान के संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें से कुछ प्रथाएँ इस प्रकार हैं
(1) राज्यपाल की नियुक्ति करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है, परंतु प्रथा के आधार पर संघीय सरकार किसी राज्यपाल की नियुक्ति करते समय सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री की सलाह लेती है।
(2) अब यह भी प्रथा बन गई है कि राज्यपाल के पद पर नियुक्त होने वाला व्यक्ति उस राज्य का निवासी नहीं होना चाहिए।
(3) लोकसभा तथा विधानमंडलों के अध्यक्ष (स्पीकर) निष्पक्षता के साथ अपना कार्य करते हैं चाहे वे किसी भी दल से सम्बन्धित क्यों न हों।
(4) प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है, परंतु प्रथा के आधार पर राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुसंख्यक दल का नेता होता है। राष्ट्रपति उसकी नियुक्ति करते समय स्वेच्छा से काम नहीं करता।
(5) राष्ट्रपति का दो बार से अधिक एक ही व्यक्ति का न रहना भी प्रथा पर आधारित है। संविधान के द्वारा ऐसी कोई पाबन्दी नहीं लगाई गई है। निष्कर्ष (Conclusion) ऊपर दिए गए विवरण से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि भारतीय संविधान के अनेक स्रोत हैं। हमारे संविधान के निर्माताओं ने विदेशी संविधानों से बहुत-सी बातें ली हैं जिसके परिणामस्वरूप कई बार इसे ‘उधार ली का थैला’ (Bag of Borrowings) अथवा विविध संविधानों की खिचड़ी (Hotch-Potch) कहकर पुकारा जाता है, परंतु यह आलोचना न्यायसंगत नहीं है।
वास्तव में, संविधान निर्माताओं द्वारा विदेशी संविधानों की केवल उन धाराओं तथा व्यवस्थाओं को अपने संविधान में अपना लिया गया जो उन देशों में सफलतापूर्वक कार्य कर चुकी थीं और भारत की परिस्थितियों के अनुकूल थीं।
वस्तु निष्ठ प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प छाँटकर लिखें
1. निम्नलिखित देश का संविधान अलिखित है
(A) चीन
(B) फ्रांस
(C) स्विटज़रलैंड
(D) इंग्लैंड
उत्तर:
(D) इंग्लैंड
2. भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा की स्थापना हुई
(A) 1947 ई०
(B) 1946 ई०
(C) 1949 ई०
(D) 1950 ई०
उत्तर:
(B) 1946 ई०
3. मूल रूप में संविधान सभा के सदस्यों की संख्या निश्चित की गई थी
(A) 389
(B) 360
(C) 272
(D) 420
उत्तर:
(A) 389
4. भारतीय संविधान का निर्माण किया गया
(A) संविधान सभा द्वारा
(B) ब्रिटिश संसद द्वारा
(C) भारतीय संसद द्वारा
(D) ब्रिटिश सम्राट द्वारा
उत्तर:
(A) संविधान सभा द्वारा
5. भारतीय संविधान
(A) लचीला है
(B) कठोर है
(C) अंशतः लचीला तथा अंशतः कठोर है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अंशतः लचीला तथा अंशतः कठोर है
6. संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई
(A) 7 दिसंबर, 1947
(B) 9 दिसंबर, 1946
(C) 3 जून, 1947
(D) 14 जुलाई, 1947
उत्तर:
(B) 9 दिसंबर, 1946
7. निम्नलिखित देश का संविधान लिखित है
(A) भारत
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका
(C) चीन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
8. निम्नलिखित देश का संविधान लचीला है
(A) भारत
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका
(C) इंग्लैंड
(D) स्विटजरलैंड
उत्तर:
(C) इंग्लैंड
9. भारतीय संविधान
(A) सरकार के विभिन्न अंगों के गठन तथा
(B) सरकार के विभिन्न अंगों पर नियंत्रण स्थापित करता है शक्तियों को निश्चित करता है। और उन्हें तानाशाह बनने से रोकता है।
(C) नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है
(D) उपर्युक्त तीनों कार्य करता है।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों कार्य करता है।
10. निम्नलिखित देश का संविधान कठोर है
(A) चीन
(B) इंग्लैंड
(C) संयुक्त राज्य अमेरिका
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) संयुक्त राज्य अमेरिका
11. निम्नलिखित राजनीतिक दल के सदस्यों द्वारा संविधान सभा का बहिष्कार किया गया था
(A) कांग्रेस
(B) अकाली दल
(C) मुस्लिम लीग
(D) भारतीय जनता पार्टी
उत्तर:
(C) मुस्लिम लीग
12. संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव किया गया था
(A) वयस्क मताधिकार के आधार पर
(B) जातीय आधार पर
(C) सांप्रदायिक आधार पर
(D) ब्रिटिश सम्राट द्वारा
उत्तर:
(C) सांप्रदायिक आधार पर
13. भारतीय संविधान में अनुसूचियाँ हैं
(A) 7
(B) 8
(C) 10
(D) 12
उत्तर:
(D) 12
14. संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव (Objective Resolution) निम्न सदस्य द्वारा पेश किया गया था
(A) जवाहरलाल नेहरू
(B) सरदार पटेल
(C) आचार्य कृपलानी
(D) मौलाना आज़ाद
उत्तर:
(A) जवाहरलाल नेहरू
15. निम्नलिखित भारतीय संविधान का स्रोत नहीं है
(A) भारत सरकार अधिनियम, 1935
(B) इंग्लैंड का संविधान
(C) चीन का संविधान
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान
उत्तर:
(C) चीन का संविधान
16. भारतीय संविधान बनकर तैयार हो गया था
(A) 26 जनवरी, 1950
(B) 14 नवंबर, 1949
(C) 26 नवंबर, 1949
(D) 30 नवंबर, 1950
उत्तर:
(C) 26 नवंबर, 1949
17. भारत का संविधान लागू हुआ
(A) 26 नवंबर, 1949
(B) 26 जनवरी, 1950
(C) 26 जनवरी, 1949
(D) 15 अगस्त, 1947
उत्तर:
(B) 26 जनवरी, 1950
18. स्वतंत्रता प्राप्ति तथा देश के विभाजन के पश्चात् संविधान सभा के सदस्यों की संख्या रह गई थी
(A) 280
(B) 324
(C) 213
(D) 235
उत्तर:
(B) 324
19. भारतीय संविधान सभा में निम्नलिखित राजनीतिक दल को भारी बहुमत प्राप्त था
(A) कांग्रेस
(B) मुस्लिम लीग
(C) अकाली दल
(D) हिंदू महासभा
उत्तर:
(A) कांग्रेस
20. निम्नलिखित संविधान सभा की मसौदा समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष थे
(A) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
(B) डॉ० अंबेडकर
(C) जवाहरलाल नेहरू
(D) के०एम० मुंशी
उत्तर:
(B) डॉ० अंबेडकर
21. भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे
(A) जवाहरलाल नेहरू
(B) डॉ० अंबेडकर
(C) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
(D) सरदार पटेल
उत्तर:
(C) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
22. भारतीय संविधान सभा के निर्माण में लगे
(A) 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन
(B) पूरे 3 वर्ष
(C) 2 वर्ष तथा 4 महीने
(D) 2 वर्ष 6 महीने तथा 15 दिन
उत्तर:
(A) 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन
23. भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेद में किया गया है
(A) अनुच्छेद 324
(B) अनुच्छेद 368
(C) अनुच्छेद 370
(D) अनुच्छेद 326
उत्तर:
(B) अनुच्छेद 368
24. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को जोड़ने की प्रेरणा निम्नलिखित संविधान से मिली
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से
(B) इंग्लैंड के संविधान से
(C) जर्मनी के संविधान से
(D) कनाडा के संविधान से
उत्तर:
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से
25. भारतीय संविधान में दिए गए राज्यनीति के निदेशक सिद्धांतों पर निम्नलिखित देश के संविधान की छाप है
(A) इंग्लैंड के संविधान की
(B) आयरलैंड के संविधान की
(C) जर्मनी के संविधान की
(D) कनाडा के संविधान की
उत्तर:
(B) आयरलैंड के संविधान की
26. निम्नलिखित भारतीय संविधान का स्रोत है
(A) इंग्लैंड का संविधान
(B) संवैधानिक संशोधन
(C) संसद द्वारा पारित अधिनियम
(D) उपर्युक्त तीनों संविधान
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों संविधान
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक शब्द में –
1. भारतीय संविधान सभा का गठन कब किया गया?
उत्तर:
सन् 1946 में।
2. भारतीय संविधान सभा की प्रथम बैठक कब हुई?
उत्तर:
9 दिसम्बर, 1946 को।
3. संविधान सभा के प्रथम अस्थायी अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ० सच्चिदानन्द
4. प्रारम्भ से ही किस राजनीतिक दल ने संविधान सभा की बैठकों का बहिष्कार किया?
उत्तर:
मुस्लिम लीग ने।
5. भारतीय संविधान सभा ने संविधान बनाने का कार्य कब पूर्ण किया?
उत्तर:
26 नवम्बर, 1949 को।
6. भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
उत्तर:
26 जनवरी, 1950 को।
7. भारतीय संविधान सभा के किसी एक प्रमुख संवैधानिक परामर्शदाता का नाम लिखिए।
उत्तर:
बी०एन० राव।
8. भारतीय संविधान सभा के मसौदा समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ० बी०आर० अम्बेडकर।
9. भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति में कुल कितने सदस्य थे?
उत्तर:
अध्यक्ष सहित कुल सात सदस्य थे।
10. भारतीय संविधान का निर्माण करने में कितना समय लगा?
उत्तर:
2 वर्ष, 11 महीने एवं 18 दिन।
11. ‘The Indian Constitution-Corner stone of a Nation’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
जी० ऑस्टिन।
12. वर्तमान संविधान में कितने अनुच्छेद एवं कितनी अनुसूचियाँ हैं?
उत्तर:
वर्तमान संविधान में 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।
13. भारतीय संविधान में राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का प्रावधान किस देश के संविधान से प्रभावित होकर किया है?
उत्तर:
जर्मनी के संविधान से।
14. भारतीय संविधान में राज्य-नीति के निदेशक सिद्धांतों संबंधी प्रावधान किस देश के संविधान से प्रभावित होकर किया गया है?
उत्तर:
आयरलैण्ड के संविधान से।
15. उद्देश्य प्रस्ताव को संविधान सभा द्वारा कब स्वीकृति प्रदान की गई थी?
उत्तर:
22 जनवरी, 1947 को।
16. डॉ० अम्बडेकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति का गठन कब किया गया?
उत्तर:
29 अगस्त, 1947 को।
17. संविधान सभा की अन्तिम बैठक कब हुई?
उत्तर:
24 जनवरी, 1950 को।
18. मूल भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद, अनुसूचियाँ एवं भाग थे?
उत्तर:
395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियाँ एवं 22 भाग थे।
19. संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान पर अन्तिम रूप में हस्ताक्षर कब किए?
उत्तर:
24 जनवरी, 1950 को।
20. संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
रिक्त स्थान भरें
1. भारतीय संविधान में कुल ………….. अनुच्छेद हैं।
उत्तर:
395
2. भारतीय संविधान सभा के कुल ………….. अधिवेशन हुए हैं।
उत्तर:
12
3. भारतीय संविधान सभा का गठन ……………. में हुआ।
उत्तर:
1946
4. ……………. भारतीय संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष थे।
उत्तर:
डॉ० सच्चिदानन्द
5. संविधान सभा की प्रथम बैठक ……………. को हुई।
उत्तर:
9 दिसम्बर, 1946
6. ………….. मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
उत्तर:
डॉ० अम्बेडकर
7. मूल संविधान में कुल ………….. अनुसूचियाँ थी।
उत्तर:
8
8. भारतीय संविधान …………… को लागू हुआ।
उत्तर:
26 जनवरी, 1950
9. ………….. संविधान सभा के प्रथम स्थायी अध्यक्ष थे।
उत्तर:
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
10. संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या ………….. निर्धारित की गई थी।
उत्तर:
389
11. संविधान में …………. सदस्य अनुसूचित जाति के थे।
उत्तर:
26
12. संविधान में ……………. सवैधानिक सलाहकार थे।
उत्तर:
बी.एन. राव
13. संविधान सभा की प्रान्तीय संविधान समिति के अध्यक्ष ………….. थे।
उत्तर:
सरदार पटेल
14. भारतीय संविधान को ………….. द्वारा अपनाया गया।
उत्तर:
संविधान सभा
15. संविधान सभा की अन्तिम एवं 12वीं बैठक ……………. को हुई थी।
उत्तर:
24 जनवरी, 1950