Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल
HBSE 11th Class Geography खनिज एवं शैल Textbook Questions and Answers
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. निम्न में से कौन ग्रेनाइट के दो प्रमुख घटक हैं?
(A) लौह एवं निकेल
(B) सिलिका एवं एलूमिनियम
(C) लौह एवं चाँदी
(D) लौह ऑक्साइड एवं पोटैशियम
उत्तर:
(B) सिलिका एवं एलूमिनियम
2. निम्न में से कौन-सा कायांतरित शैलों का प्रमुख लक्षण है?
(A) परिवर्तनीय
(B) क्रिस्टलीय
(C) शांत
(D) पत्रण
उत्तर:
(A) परिवर्तनीय
3. निम्न में से कौन-सा एकमात्र तत्त्व वाला खनिज नहीं है?
(A) स्वर्ण
(B) माइका
(C) चाँदी
(D) ग्रेफाइट
उत्तर:
(B) माइका
4. निम्न में से कौन-सा कठोरतम खनिज है?
(A) टोपाज
(B) क्वार्ट्ज़
(C) हीरा
(D) फेल्डस्पर
उत्तर:
(C) हीरा
5. निम्न में से कौन सा शैल अवसादी नहीं है?
(A) टायलाइट
(B) ब्रेशिया
(C) बोरैक्स
(D) संगमरमर
उत्तर:
(D) संगमरमर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
शैल से आप क्या समझते हैं? शैल के तीन प्रमुख वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर:
शैल-पृथ्वी की पर्पटी शैलों से बनी है। शैल का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। शैल कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों की हो सकती है। शैलों में खनिज घंटकों का कोई निश्चित संघटक नहीं है। शैल को चट्टान भी कहा जाता है। शैलों को निर्माण पद्धति के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है
- आग्नेय शैल
- अवसादी शैल
- कायांतरित शैल
प्रश्न 2.
आग्नेय शैल क्या है? आग्नेय शैल के निर्माण की पद्धति एवं उनके लक्षण बताएँ।
उत्तर:
आग्नेय शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के इग्निस (Ienis)शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य है कि अग्नि के समान गरम तप्त लावा के ठण्डे होने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी अपनी उत्पत्ति के समय गरम, तरल एवं गैसीय पुंज थी, जो धीरे-धीरे ठण्डी हुई। ठण्डी एवं ठोस अवस्था में आने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी पर सर्वप्रथम इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टानें भी कहते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के पिघले हुए पदार्थ (मैग्मा) के ठण्डा एवं ठोस हो जाने के कारण बनी हैं।
आग्नेय शैलों का वर्गीकरण इनकी बनावट के आधार पर किया गया है। इनकी बनावट इनके कणों के आकार एवं व्यवस्था अथवा पदार्थ की भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। यदि पिघले हुए पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठंडे होते हैं, तो खनिज के कण पर्याप्त बड़े-बड़े हो सकते हैं। सतह पर हुई आकस्मिक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं। शीतलता की मध्यम परिस्थितियाँ होने पर आग्नेय शैल को बनाने वाले कण मध्यम आकार के होते हैं।
प्रश्न 3.
अवसादी शैल का क्या अर्थ है? अवसादी शैल के निर्माण की पद्धति बताएँ।
उत्तर:
अपक्षय तथा अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा प्राप्त बड़ी मात्रा में अवसाद के जमने से बनी हुई चट्टानों को परतदार अथवा अवसादी शैल/चट्टानें कहते हैं। इनका निर्माण अवसाद के परतों में जमने के कारण होता है। भूतल पर लगभग.75% चट्टानें अवसादी शैल/चट्टानें हैं।
निर्माण की पद्धति के आधार पर अवसादी शैलों का वर्गीकरण-
- यांत्रिकी रूप से निर्मित-बालुकाशम, पिंडशिला, चूना प्रस्तर, विमृदा आदि।
- कार्बनिक रूप से निर्मित-गीज़राइट, चूना-पत्थर, कोयला आदि।
- रासायनिक रूप से निर्मित-शृंग, प्रस्तर, चूना-पत्थर, हेलाइट आदि।
प्रश्न 4.
शैली चक्र के अनुसार प्रमुख प्रकार की शैलों के मध्य क्या संबंध होता है?
उत्तर:
शैली चक्र एक सतत् प्रक्रिया होती है, जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं। आग्नेय व अन्य शैलें प्राथमिक शैलों से निर्मित होती हैं। आग्नेय एवं कायांतरित शैलों से प्राप्त अंशों से अवसादी शैलों का निर्माण होता है। निर्मित, भूपृष्ठीय शैलें (आग्नेय, कायांतरित एवं अवसादी) प्रत्यावर्तन के द्वारा पृथ्वी के आंतरिक भाग में नीचे की ओर जा सकती हैं। पृथ्वी के आंतरिक भाग में तापमान बढ़ने के कारण ये पिघलकर मैग्मा में परिवर्तित हो जाते हैं, जो आग्नेय शैलों के मूल स्रोत हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
खनिज शब्द को परिभाषित कीजिए और प्रमुख खनिज बताइए।
उत्तर:
खनिज की परिभाषा-‘खनिज’ वे प्राकृतिक पदार्थ होते हैं जिनकी अपनी भौतिक विशेषताएँ तथा एक निश्चित रासायनिक बनावट होती है। अधिकांश खनिज ठोस, जड़ व अकार्बनिक अथवा अजैव पदार्थ होते हैं। चट्टानों की रचना विभिन्न खनिजों के संयोग से होती है। वॉरसेस्टर के अनुसार, “लगभग सभी चट्टानों में दो या दो से अधिक खनिज होते हैं।” कई बार चट्टान केवल एक खनिज से भी बनती है। जैसे चूना, पहाड़ी नमक, बालू-पत्थर इत्यादि।
इसी आधार पर फिन्च व ट्रिवार्था ने कहा है, “एक या एक से अधिक खनिजों के मिश्रण से चट्टानों का निर्माण होता है।” प्रमुख खनिज-प्रमुख खनिज निम्नलिखित हैं-
1. फेल्सपार-सिलिका और ऑक्सीजन सभी फेल्सपारों में उपस्थित होते हैं जबकि सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम व एल्यूमीनियम इत्यादि फेल्सपार के विशिष्ट प्रकार में पाए जाते हैं। इसका उपयोग चीनी मिट्टी व काँच के बर्तन बनाने में होता है।
2. क्वार्टज़-इसका रचनाकारी तत्त्व सिलिका है। यह रेत व ग्रेनाइट का प्रमुख घटक है। यह कठोर होने के कारण पानी में नहीं घुलता। यह सफेद व रंगहीन होता है। इसका उपयोग रेडियो एवं राडार निर्माण में होता है।
3. पाइरॉक्सीन इसमें कैल्शियम, एल्यूमीनियम शामिल हैं। भू-पृष्ठ का लगभग 10% हिस्सा इससे बना है। इसका रंग हरा अथवा काला होता है। सामान्यतः यह उल्का पिंड में पाया जाता है।
4. एम्फीबोल-इसके प्रमुख तत्त्व एल्यूमीनियम, कैल्शियम, सिलिका, लोहा और मैग्नीशियम हैं। भू-पृष्ठ का लगभग 7% भाग इससे बना है। यह हरे और चमकीले काले रंग का होता है। इसका उपयोग एस्बेस्ट्स की तरह होता है। यह विद्युत यंत्र के निर्माण में काम आता है।
5. अभ्रक-इसके प्रमुख तत्त्व पोटैशियम, लौह, सिलिका आदि हैं। भू-पृष्ठ का लगभग 4% भाग इससे बना है। ये मुख्यतः आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में पाए जाते हैं। विद्युत उपकरणों में इसका उपयोग होता है।
6. ऑलिवीन इसमें मैग्नीशियम, लौह आदि शामिल होते हैं। इसका उपयोग आभूषण बनाने में होता है। ये हरे रंग के क्रिस्टल होते हैं।
प्रश्न 2.
भूपृष्ठीय शैलों में प्रमुख प्रकार की शैलों की प्रकृति एवं उनकी उत्पत्ति की पद्धति का वर्णन करें। आप उनमें अंतर स्थापित कैसे करेंगे?
उत्तर:
भूपृष्ठीय शैलों के प्रमुख तीन प्रकार होते हैं-
1. आग्नेय चट्टानें/शैल-आग्नेय शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के इग्निस (Ignis) शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य है कि अग्नि के समान गरम तप्त लावा के ठण्डे होने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी अपनी उत्पत्ति के समय गरम, तरल एवं गैसीय पुंज . थी, जो धीरे-धीरे ठण्डी हुई। ठण्डी एवं ठोस अवस्था में आने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी पर सर्वप्रथम इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टानें भी कहते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के पिघले हुए पदार्थ (मैग्मा) के ठण्डा एवं ठोस हो जाने के कारण बनी हैं।
2. अवसादी चट्टानें/शैल-अपक्षय तथा अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा प्राप्त बड़ी मात्रा में अवसाद के जमने से बनी हुई चट्टानों को परतदार अथवा अवसादी शैल/चट्टानें कहते हैं। इनका निर्माण अवसाद के परतों में जमने के कारण होता है। भूतल पर लगभग 75% चट्टानें अवसादी शैल/चट्टानें हैं।
3. कायांतरित चट्टानें/शैल-कायांतरित या रूपान्तरित का अर्थ है-स्वरूप में परिवर्तन। दाब, आयतन व तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। इसलिए ये कायान्तरित, रूपान्तरित या परिवर्तित शैलें या चट्टानें कहलाती हैं। रंग-रूप एवं संरचना में परिवर्तन आ जाता है तथा वे अपने मौलिक रूप में नहीं रह पाती हैं, जिससे रूपान्तरित चट्टानों का निर्माण हो जाता है।
अंतर:
आग्नेय शैल | अवसादी शैल | कायांतरित शैल |
यह मैरमा व लावा के जमने से बनती है। उदाहरण-ग्रेनाइट, बेसाल्ट, ग्रेबो, पेग्मैटाइट आदि। | यह परतदार होती है। इसमें वनस्पति व जीव-जंतुओं का जीवाश्म पाया जाता है। इसका निर्माण अवसाद की परतों में जमने के कारण होता है। | यह दाब, आयतन व तापमान में परिवर्तन के द्वारा निर्मित होती हैं। |
उदाहरण-चूना पत्थर, चूना प्रस्तर कोयला, विमृदा आदि। | उदाहरण-संगमरमर, स्लेट, ग्रेनाइट आदि। |
प्रश्न 3.
कायांतरित शैल क्या है? इनके प्रकार एवं निर्माण की पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर:
कायांतरित शैल-कायांतरित या रूपान्तरित शब्द अंग्रेज़ी के शब्द ‘Metamorphic’ से बना है। इसकी उत्पत्ति ग्रीक भाषा के Meta = Change तथा Morphe = Form अर्थात् जो मूल रूप में परिवर्तित हो चुकी है, अतः कायांतरित या रूपान्तरित का अर्थ है-स्वरूप में परिवर्तन। दाब, आयतन व तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। इसलिए ये कायान्तरित, रूपान्तरित या परिवर्तित शैलें या चट्टानें कहलाती हैं। रंग-रूप एवं संरचना में परिवर्तन आ जाता है तथा वे अपने मौलिक रूप में नहीं रह पाती हैं, जिससे रूपान्तरित चट्टानों का निर्माण हो जाता है।
पी०जी० वॉरसेस्टर के अनुसार, “रूपान्तरित चट्टानें वे चट्टानें हैं जो बिना विघटित हुए रूप तथा संरचना में परिवर्तित हो जाती हैं।”
रूपान्तरित या कायान्तरित शैलों/चट्टानों के प्रकार एवं निर्माण प्रक्रिया रूपान्तरित चट्टानों का कायान्तरण दो प्रकारों के अंतर्गत होता है
1. भौतिक कायान्तरण (Physical Metamorphism)-इसे यांत्रिक कायान्तरण भी कहते हैं। धरातल के नीचे अत्यधिक गहराई में दबाव के कारण चट्टानों की संरचना में परिवर्तन आ जाता है; जैसे शैल (Shale) का स्लेट में परिवर्तन। दूसरा रूपान्तरण तापमान के कारण होता है। अत्यधिक ताप के कारण भू-गर्भ की चट्टानें परिवर्तित हो जाती हैं; जैसे चूने के पत्थर का संगमरमर में बदलना।
2. रासायनिक कायान्तरण (Chemical Metamorphism)-जब एक से अधिक खनिजों के मिश्रण से बनी चट्टान मूल खनिजों के पुनर्मिश्रण के कारण दूसरी चट्टान में बदल जाती है या किसी विशेष चट्टान में दूसरी चट्टान का कोई तत्त्व मिश्रित हो जाता है और उसका रूप बदल जाता है उसे रासायनिक कायान्तरण कहते हैं। कार्बन-डाइऑक्साइड तथा ऑक्सीजन जैसी गैसें जल में मिल जाने पर घुलनशीलता में वृद्धि कर देती हैं और विभिन्न घुलनशील खनिज आपस में क्रिया करके एक नई चट्टानी संरचना को जन्म देते हैं।
प्रभाव क्षेत्र के आधार पर रूपान्तरण (Metamorphism on the basis of Effective Areas)-चट्टानों का रूपान्तरण उनके प्रभाव क्षेत्र के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से होता है-
1. प्रादेशिक रूपान्तरण (Regional Metamorphism)-जब भू-गर्भ में अधिक तापमान तथा दबाव के कारण एक बहुत बड़े क्षेत्र में चट्टानों का रूपान्तरण होता है तो उसे प्रादेशिक रूपान्तरण कहते हैं। जैसे-जैसे रूपान्तरण की तीव्रता बढ़ती है तो शैल (Shale) स्लेट में, स्लेट शिस्ट में और शिस्ट नाइस में परिवर्तित हो जाती है। यह गतिक रूपान्तरण भी कहलाता है।
2. स्पर्श रूपान्तरण (Contact Metamorphism)-ज्वालामुखी विस्फोट के समय जब मैग्मा का प्रवाह धरातल की ओर होता है तो मैग्मा के सम्पर्क में आने वाली चट्टानों में तापक्रम के कारण परिवर्तन आ जाता है, उसे स्पर्श रूपान्तरण कहते हैं।
खनिज एवं शैल HBSE 11th Class Geography Notes
→ जीवाश्म (Fossil)-परतदार शैलों के बीच जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों के अवशेष या उनके छापों का मिलना।
→ प्रवाल (Coral)-एक सूक्ष्म समुद्री जीव जो अपने शरीर से चूना (कैल्शियम कार्बोनेट) निकालकर उससे अपना कवच या खोल तैयार कर लेता है। ये उष्ण कटिबंध के स्वच्छ या सुऑक्सीजनित जल में उत्पन्न होते हैं जहाँ इन्हें सूक्ष्म जीव खाद्य पदार्थ के रूप में मिलते हैं।
→ लोएस (Loess)-पवन द्वारा उड़कर आई हुई सूक्ष्म कणों वाली धूलि का निक्षेप।
→ घड़िया (Crucible)-एक बर्तन जिसमें धातुओं को गलाया जाता है। ऐसा बर्तन ग्रेफाइट से बनता है, क्योंकि ग्रेफाइट का गलनांक 3500° सेल्सियस होता है।
→ गलनांक (Melting Point)-वह तापमान जिस पर कोई ठोस वस्तु तरल बनने लगती है।
→ गठन (Texture)-शैलों की रचना करने वाले कणों का आकार, आकृति और एक-दूसरे से जुड़ने की व्यवस्था अर्थात् कणों का ज्यामितीय स्वरूप।
→ क्वाटर्ज़ (Quartz)-यह प्राकृतिक रवेदार सिलिका (बालू) है। यह कभी-कभी शुद्ध, स्वच्छ और रंगहीन कणों में मिलता है। इसके ऊँचे गलनांक के कारण उद्योगों में इसका बहुत उपयोग होता है।
→ घात्विक खनिज (Metallic Minerals)-धात्विक खनिज वे होते हैं, जिन्हें परिष्कृत किया जा सकता है। ये धातुवर्य (Malleable) होते हैं अर्थात् इनसे धातुओं को पीटकर चादर, तार इत्यादि विभिन्न आकारों में ढाला जा सकता है।
→ आग्नेय शैलें (Igneous Rocks)-ऐसी शैलें जिनका निर्माण पृथ्वी के भीतर उपस्थित तरल एवं तप्त द्रव्य के ठण्डा होकर ठोस हो जाने से हुआ हो, आग्नेय शैलें कहलाती हैं।
→ प्राथमिक शैलें (Primary Rocks)-पृथ्वी पर सबसे पहले जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति से भी पहले आग्नेय शैलों का निर्माण हुआ। इसी आधार पर इन्हें प्राथमिक शैलें भी कहा जाता है।
→ रूपान्तरित शैलें (Metamorphic Rocks)-ऐसी शैलें जो अन्य शैलों के रूप परिवर्तन के द्वारा बनती हैं, रूपान्तरित शैलें कहलाती हैं।
→ तापीय रूपान्तरण (Thermal Metamorphism)-ऊँचे ताप के प्रभाव से शैलों के खनिजों का रासायनिक परिवर्तन और पुनः क्रिस्टलीकरण हो जाता है। इसे तापीय रूपान्तरण कहते हैं।