Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Important Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
किस प्रकार के जनन में अधिक सफल विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
लैंगिक जनन में अधिक सफल विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 2.
प्राणी की दूसरी पीढ़ी में क्या विशेषताएँ दिखाई देती हैं?
उत्तर-
अपने से पहली पीढ़ी से प्राप्त विभिन्नताएँ तथा उनसे कुछ नई विभिन्नताएँ, दूसरी पीढ़ी में दिखाई देती हैं।
प्रश्न 3.
जैव विकास प्रक्रम का आधार क्या बनता
उत्तर-
पर्यावरण द्वारा उत्तम परिवर्त (variants) ।
प्रश्न 4.
क्या सभी स्पीशीज में सभी विभिन्नताओं के अस्तित्व बने रहने की सम्भावना एक समान होती है?
उत्तर-
नहीं, प्रकृति के अनुसार विभिन्नताएँ अलगअलग होंगी।
प्रश्न 5.
मानव के लक्षणों की वंशानुगति का नियम किस बात पर आधारित है?
उत्तर-
माता और पिता दोनों समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ अपनी सन्तान को स्थान्तरित या संचरित करते हैं।
प्रश्न 6.
मेण्डल के एक प्रयोग में बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधों का संकरण सफेद पुष्यों वाले मटर के पौधों से कराया गया। F1 संतति में क्या परिणाम प्राप्त होंगे? (CBSE 2018)
उत्तर-मेण्डल के प्रयोगानुसार जब बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधों का संकरण सफेद पुष्पों वाले मटर के पौधों से करवाया जाएगा तो F, संतति में सभी बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधे प्राप्त होंगे।
प्रश्न 7.
मेण्डल ने लम्बे मटर के पौधे और बौने मटर के पौधे लिए और इनमें संकरण द्वारा F1 संतति उत्पन्न की। उन्होंने इस संतति F2 में क्या प्रेक्षण किया? (CBSE 2018)
उत्तर-
F1 संतति के सभी मटर के पौधे लम्बे होंगे।
प्रश्न 8.
प्रभाविता क्या है?
उत्तर-
प्रथम पीढ़ी में प्रदर्शित लक्षण, प्रभाविता कहलाता है।
प्रश्न 9.
अप्रभाविता क्या है?
उत्तर-
प्रथम पुत्रीय पीढ़ी में छिपा रहने वाला लक्षण अप्रभाविता है।
प्रश्न 10.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सा लक्षण प्रभावी है व कौन सा अप्रभावी है ?
उत्तर-
पुष्प का गुलाबी रंग प्रभावी लक्षण है एवं सफेद रंग अप्रभावी है।
प्रश्न 11.
प्रोटीन का जीन क्या है?
उत्तर-
डी.एन.ए. का वह भाग जिसमें किसी प्रोटीन के संश्लेषण के लिए सूचना होती है, उसे प्रोटीन का जीन कहते हैं।
प्रश्न 12.
प्रत्येक कोशिका में गुणसूत्र की कितनी प्रतिकृति होती हैं?
उत्तर-
दो प्रतिकृति। एक नर से तथा दूसरी मादा से प्राप्त होती है।
प्रश्न 13.
पुरुषों में कौन-से लैंगिक गुणसूत्र पाये जाते
उत्तर-
पुरुषों में लैंगिक गुणसूत्र X तथा Y होते हैं।
प्रश्न 14.
स्त्रियों में कौन-से लैंगिक गुणसूत्र होते
उत्तर-
स्त्रियों में लैंगिक गुणसूत्र XX होते हैं।
प्रश्न 15.
यदि पक्षी हरी पत्तियों की झाड़ियों में लाल एवं हरे ,गों में से हरे भृगों को न देख सकें तो परिणाम क्या होगा?
उत्तर-
हरे ,गों की संतति लगातार बढ़ती जाएगी और लाल ,गों की संख्या लगातार कम होती जाएगी।
प्रश्न 16.
जैव विकास की परिकल्पना का सार क्या है?
उत्तर-
किसी समष्टि में कुछ जीवों की आवृत्ति पीढ़ियों में बदल जाती है।
प्रश्न 17.
अभिलक्षण क्या है ?
उत्तर-
विशेष स्वरूप या विशेष प्रकार्य अभिलक्षण कहलाता है।
प्रश्न 18.
लैंगिक कोशिकाओं के डी. एन. ए. में कौन-से परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं?
उत्तर-
कायिक ऊतकों में होने वाले परिवर्तन।
प्रश्न 19.
किन दो वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर सिद्ध किया था कि जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण हुआ था जो जीवन के लिए आवश्यक थे ?
उत्तर-
स्टेनले मिलर तथा हेराल्ड यूरे ने।
प्रश्न 20.
अभिलक्षण के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
- पौधों में श्वसन होता है।
- हमारे दो हाथ तथा दो पैर होते हैं।
प्रश्न 21.
जीवाश्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-
चट्टानों में जीवधारियों के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।
प्रश्न 22.
समजात अंगों का एक उदाहरण लिखिए। (मा. शि. बो. 2012)
उत्तर-
पक्षी के पंख तथा मनुष्य का हाथ।
प्रश्न 23.
समवृत्ति अंगों का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पक्षियों के पंख तथा तितली के पंख।
प्रश्न 24.
आनुवंशिकता किसे कहते हैं?
उत्तर-
जीवों में जनकीय लक्षणों के पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होने को आनवंशिकता कहते हैं।
प्रश्न 25.
विभिन्नता किसे कहते हैं?
उत्तर-
समान माता-पिता और समान जाति होने पर भी सन्तानों में रंग-रूप, बुद्धिमत्ता, कद आदि में अन्तर पाया जाता है। इसे विभिन्नता कहते हैं।
प्रश्न 26.
किसी परिवार में लड़कियों का बार-बार उत्पन्न होना कई लोगों की दृष्टि में माँ के कारण होता है। क्या आप इस बात से सहमत हैं?
उत्तर-
नहीं, क्योंकि लिंग का निर्धारण पिता के गुणसूत्रों के कारण होता है।
प्रश्न 27.
बायोजेनेटिक नियम क्या है?
उत्तर-
जीव-जन्तु भ्रूण-विकास के समय अपने पूर्वजों के जातीय विकास की उत्तरोत्तर अवस्थाओं को दर्शाते हैं। इसे बायोजेनेटिक नियम कहते हैं।
प्रश्न 28.
सरीसृपों तथा स्तनधारियों के बीच संयोजक कड़ी का नाम लिखिए।
उत्तर-
बत्तख चौंच प्लेटीपस (Duckbilled Platepus)।
प्रश्न 29.
मानव शरीर में उपस्थित कुछ अवशेषी अंगों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
- निमेषक पटल की झिल्ली।
- अकल दाढ़।
- पुरुषों में चूचुक व छाती के बाल।
प्रश्न 30.
उत्परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर-
जीवधारियों में अकस्मात होने वाले परिवर्तनों को उत्परिवर्तन कहते हैं।
प्रश्न 31.
फॉसिल डेटिंग क्या है? (RBSE 2016)
उत्तर-
वह विधि जिसके द्वारा जीवाश्मों की आयु का निर्धारण किया जाता है, फॉसिल डेटिंग कहलाती है।
प्रश्न 32.
जंगली गोभी से किन-किन सब्जियों का विकास हुआ?
उत्तर-
पत्तागोभी, फूलगोभी, केल।
प्रश्न 33.
मनुष्य का जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर-
होमो सेपियन्स (Homo sapiens)।
प्रश्न 34.
जीन्स कहाँ स्थित होते हैं? उत्तर-गुणसूत्रों पर। प्रश्न 35. अर्धगुणसूत्र किसे कहते हैं?
उत्तर-
कोशिका विभाजन की मध्यावस्था के समय गुणसूत्रों के लम्बाई में विभाजित होने पर बने गुणसूत्रों को अर्धगुणसूत्र कहते हैं।
प्रश्न 36.
ट्रांसजीनी जीव किसे कहते हैं?
उत्तर-
ऐसे जीवधारी जो एक बाह्य डी.एन.ए. से जीन धारण करते हैं उन्हें ट्रांसजीनी जीव या आनुवंशिक रूपांतरित जीव कहते हैं।
प्रश्न 37.
एक संकर प्रसंकरण से आप क्या समझते
उत्तर-
जिस प्रसंकरण में केवल एक ही जोड़ी लक्षणों का चयन किया जाता है, एक संकर प्रसंकरण कहलाता है।
प्रश्न 38.
ए.आई.ओपेरिन ने कौन-सा मत प्रस्तुत किया था?
उत्तर-
ए. आई. ओपेरिन के अनुसार जीवन का उद्भव समुद्र के अन्दर रासायनिक पदार्थों के संयोजन से हुआ।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
जैव विविधता क्या है? इसके विभिन्न स्तर कौन से हैं ?
उत्तर-
जैव विविधता (Biodiversity)-पृथ्वी पर जन्तुओं एवं पेड़-पौधों की लाखों प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इन सभी में संरचनात्मक एवं क्रियात्मक अन्तर पाए जाते हैं, इन अन्तरों को ही जैव विविधता कहते हैं।
जैव विविधता के विभिन्न स्तर निम्नलिखित हैं-
- आनुवंशिक विविधता
- प्रजाति विविधता
- पारितान्त्रिक विविधता।।
प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नताएँ किस प्रकार उत्पन्न होती
उत्तर-
जीवों में विभिन्नताएँ निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती हैं
- अन्तर्निहित प्रवृत्ति-लैंगिक जनन के दौरान पैतृक गुणसूत्र एवं मातृक गुणसूत्रों के बीच जीन विनिमय होता है इस दौरान युग्मक बनते समय कुछ परिवर्तन उत्पन्न हो जाते हैं इसलिए लैंगिक जनन में विविधता अन्तर्निहित हो जाती है।
- DNA की प्रतिकृति बनाने में उत्परिवर्तन-DNA की प्रतिकृति बनते समय इसमें कुछ त्रुटि रह जाती है। इसके फलस्वरूप संतति जीव में अत्यधिक विविधता उत्पन्न होती
प्रश्न 3.
आनुवंशिकता की परिभाषा लिखिए। आनुवंशिकता के सम्बन्ध में मेण्डल का क्या योगदान है?
उत्तर-
जीव-विज्ञान की वह शाखा जिसमें एक जीव के लक्षणों का उसकी संतति में वंशागत होने तथा उसमें उत्पन्न विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। ग्रेगर जॉन मेण्डल ने मटर के पौधों पर अपने प्रयोग किये तथा वंशागति के नियम प्रतिपादित किए। उन्होंने अपने कार्यों को सन् 1866 में “ब्रुन सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री” में प्रकाशित कराया। मेण्डल के कार्यों के आधार पर उन्हें आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है।
प्रश्न 4.
मेण्डल के कार्य का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर-
आस्ट्रिया के निवासी ग्रेगर जॉन मेण्डल (18221884) ने गिरजाघर के उद्यान में मटर के पौधों पर अनेकों प्रयोग किये। उन्होंने मटर के सात जोड़ी विपर्यासी लक्षणों को चुना, जैसे-पौधे की ऊँचाई, पुष्प का रंग, बीज की आकृति, पुष्पों की स्थिति, बीजों का रंग, फली का आकार, तथा फली का रंग। मेण्डल ने विभिन्न गुणों के पौधों के बीच संकरण के प्रयोग किये तथा तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पौधों में पाये जाने वाले लक्षणों का नियन्त्रण विशेष इकाइयों (कारक) द्वारा होता है। ये कारक ही बाद में ‘जीन’ कहलाए। मेण्डल के योगदान के आधार पर इन्हें आनुवंशिकी का पिता या जनक कहते हैं।
प्रश्न 5.
मेण्डल के आनुवंशिकता के प्रभाविता (प्रबलता) के नियम को समझाइए। (CBSE 2020)
उत्तर-
प्रभाविता का नियम-जब एक जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो प्रथम पीढ़ी में इनमें से केवल एक लक्षण परिलक्षित अथवा प्रकट होता है तथा दूसरा छिप जाता है। प्रकट होने वाला लक्षण प्रभावी तथा छिपा हुआ लक्षण अप्रभावी होता है। समयुग्मजी समयुग्मजी पैतृक (शुद्ध लंबे पौधे) ।
प्रश्न 6.
उस पादप का नाम लिखिए जिसका उपयोग मेण्डल ने अपने प्रयोगों में किया था। जब उन्होंने लम्बे और बौने पादपों का संकरण कराया तो उन्हें F1, और F2, पीढ़ियों में संततियों के कौन से प्रकार प्राप्त हुए? F2 पीढ़ी में उन्हें प्राप्त पौधों में अनुपात लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में मटर (pisum sativum) के पादप का उपयोग किया। F1 पीढ़ी में सभी पादप लम्बे तथा F2 पीढ़ी में लम्बे तथा बौने दोनों प्रकार के पादप प्राप्त हुए। चूँकि F2 पीढ़ी में 3 पादप लम्बे तथा 1 पादप छोटा प्राप्त हुआ इसलिए F2 पीढ़ी में प्राप्त पादपों का अनुपात 3 : 1 है। .
अथवा
प्रत्येक का एक-एक उदाहरण देते हुए उपार्जित और आनुवंशिक लक्षणों के बीच दो अन्तरों की सूची बनाइए।
उत्तर-
उपार्जित लक्षण | आनुवंशिक लक्षण |
(i) ये लक्षण जीव द्वारा अपने जीवनकाल में अपने शरीर में विकसित किये जाते हैं। | ये लक्षण जीव को अपने माता-पिता से आनुवांशिक रूप में प्राप्त होते हैं। |
(ii) ये लक्षण जनन कोशि- काओं के जीनों में परिवर्तन नहीं लाते हैं। | ये लक्षण जनन कोशि काओं के जीनों में परिवर्तन लाते हैं। |
(iii) उदाहरण : लम्बे समय तक भूखे रहने के कारण शरीर के भार में कमी होना। | उदाहरण : बालों का रंग, आँख की पुतली का रंग। |
प्रश्न 7.
किसी एकल जीव द्वारा अपने जीवनकाल में उपार्जित लक्षण अगली पीढ़ी में वंशानुगत क्यों नहीं होते? व्याख्या कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
एक जीव के ऐसे लक्षण (अथवा विशेषता) जो वंशानुगत नहीं होते परंतु वातावरण की प्रतिक्रियास्वरूप उसके द्वारा अपने जीवनकाल में उपार्जित किए जाते हैं, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं। जीव के उपार्जित लक्षण उसकी भावी पीढ़ियों में वंशानुगत नहीं होते क्योंकि ये लक्षण उस व्यक्ति या जीव की जनन कोशिकाओं के डी.एन.ए. में परिवर्तन नहीं ला पाते।
उदाहरण : एक खिलाड़ी द्वारा अपने खेल को खेलने के लिए अपनी मांसपेशियों को विशेष प्रकार से तैयार करना। ऐसे लक्षणों को उपार्जित लक्षण कहते हैं।
प्रश्न 8.
किसी दिए गए हरे तने वाले गुलाब के पौधे को GG से दर्शाया गया है तथा भूरे तने वाले गुलाब के पौधे को gg से दर्शाया गया है। इन दोनों पौधों के बीच संकरण कराया गया है।
(a) नीचे दिए गए अनुसार अपने प्रेक्षणों की सूची बनाइए :
(i) इनकी F1 संतति में तने का रंग,
(ii) यदि F1 संतति के पौधों का स्व:परागण कराया जाए तो F2 संतति में भूरे तने वाले पौधों की प्रतिशतता,
(iii) F2 संतति में GG और Gg का अनुपात।
(b) इस संकरण की जांच के आधार पर निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
उत्तर-
(a)
(i) F1 संतति में तने का रंग हरा होगा।
(ii) F2 संतति में भूरे तने वाले पौधे की प्रतिशतता 25% होगी।
(iii) F2 संतति में GG और Gg का अनुपात 1 : 2 होगा।
(b) इस संकरण के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि गुलाब के पौधे में तने का हरे रंग का लक्षण प्रभावी लक्षण है जबकि तने के भूरे रंग का लक्षण अप्रभावी लक्षण है। ये दोनों लक्षण एक-दूसरे में समाते नहीं हैं परन्तु अगली संतति में एक-दूसरे से अलग-अलग हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
एक जीनी वंशागति तथा बहुजीनी वंशागति में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
एक जीनी वंशागति तथा बहुजीनी वंशागति में अन्तर-
एक जीनी वंशागति | बहुजीनी वंशागति |
1. एक जोड़ी जीन के माध्यम से एक जीनी वंशागति बनती है। | 1. अनेक जोड़ी जीनों के माध्यम से बहुजीनी वंशागति बनती है। |
2. जनक स्पष्टतः दो लक्षण प्ररूपी वर्गों के अन्तर्गत आते हैं। | 2 शद्ध नस्ल वाले नक दो लक्षण प्ररूपी वर्गों के अन्तर्गत आते हैं। |
3. प्रथम पीढ़ी की सभी संततियों में केवल प्रभावी लक्षण दिखाई देते हैं क्योंकि एक जीन पूर्ण रूप से दूसरे जीन पर प्रभावी होते हैं। | 3. प्रथम पीढ़ी की संततियाँ किसी भी जनक के साथ मिलती-जुलती नहीं होती वरन् उनमें मध्यवर्ती लक्षण दिखाई देते हैं। |
प्रश्न 10.
पौधों में मात्रात्मक वंशागति सम्बन्धी एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
इसके लिए नर एवं मादा पौधों या पुष्पों का चयन किया जा सकता है। कृत्रिम परागण द्वारा उनके निषेचन का नियन्त्रण भी किया जा सकता है। प्रत्येक संकरण से असंख्य संततियाँ उत्पन्न होती हैं। अतः परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण करना आसान हो जाता है। गेहूँ के दानों का रंग गहरे लाल रंग से सफेद रंग के बीच मध्यवर्ती रंग, तीन जोड़ी जीनों के कारण उत्पन्न होता है।
प्रश्न 11.
नयी जाति (स्पीशीज़) के उद्भव में कौन-से कारक सहायक हैं? समझाइए। [राज. 2015]
उत्तर-
नयी जाति के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक हैं-
- लैंगिक प्रजनन के फलस्वरूप उत्पन्न परिवर्तन
- आनुवंशिक अपवहन
- प्राकृतिक चयन
- दो उपसमष्टियों का एक-दूसरे से भौगोलिक प्रथक्करण। इसके कारण समष्टियों के सदस्य परस्पर प्रजनन नहीं कर पाते।
प्रश्न 12.
बहुभुक्षण (Starvation) के कारण यदि किसी प्राणी के भार में अत्यधिक कमी आ जाती है तो क्या इस कारण से उसकी अगली पीढ़ी पर इसका कोई विपरीत प्रभाव पड़ेगा? क्यों?
उत्तर-
यदि बहुभुक्षण (भोजन की कमी) के कारण किसी प्राणी के भार में अत्यधिक कमी आ जाती है तो उसकी अगली पीढ़ी पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इसका प्रभाव केवल कायिक ऊतकों पर ही होगा और कायिक ऊतकों पर होने वाले परिवर्तन लैंगिक कोशिकाओं के DNA में वंशागत नहीं होते हैं। अत: बहुभुक्षण का अगली पीढ़ी पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 13.
उत्परिवर्तन किसे कहते हैं? ये जैव विकास में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर-
जीवों में अकस्मात् लक्षणों में होने वाले परिवर्तनों को उत्परिवर्तन कहते हैं। उत्परिवर्तन वंशागत होते हैं तथा इनके द्वारा नई-नई जातियों की उत्पत्ति होती है। ह्यूगो डी वीज के उत्परिवर्तन सिद्धान्त के अनुसार नई जातियों की उत्पत्ति छोटी-छोटी क्रमिक भिन्नताओं के कारण नहीं होती बल्कि उत्परिवर्तन के फलस्वरूप नई जातियों की उत्पत्ति होती है। जैव विकास का मूल आधार विभिन्नताएँ होती हैं। विभिन्नताएँ पर्यावरण के प्रभाव से या जीन ढाँचों में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं। ह्यूगो डी वीज ने. वंशागत विभिन्नताओं की उत्पत्ति का मूल कारण उत्परिवर्तन को बताया। अत: उत्परिवर्तन जैव विकास में सहायक होते |
प्रश्न 14.
डार्विन कौन थे? उन्होंने जैव विकास के अध्ययन के सम्बन्ध में क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
चार्ल्स डार्विन (1809-1882) ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध प्रकृतिवादी वैज्ञानिक थे। उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में बीगल नामक जहाज पर विभिन्न देशों के विभिन्न जीवजन्तुओं का अध्ययन किया। उन्होंने विकास के सम्बन्ध में प्राकृतिक वरण (Natural selection) का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उन्होंने 1859 में जैव विकास के सम्बन्ध में एक लेख अपनी पुस्तक प्राकृतिक वरण द्वारा जातियों की उत्पत्ति में प्रकाशित किया।
प्रश्न 15.
“अध्ययन के दो क्षेत्र-‘विकास’ और ‘वर्गीकरण’ परस्पर जुड़े हैं।” इस कथन की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
जीवों का वर्गीकरण उनकी कुछ मिलती-जुलती समानताओं तथा अंतरों पर आधारित है। जीवों की समानता उनके समूह निर्माण में सहायक है। समूहों से उनका वर्गीकरण सरलता से किया जा सकता है। कुछ जीवों में कुछ आधारभूत विशेषताएँ समान हो सकती हैं। दो संततियों में जितनी विशेषताएँ समान होंगी, वे संततियाँ उतनी ही निकटता से एक-दूसरे से संबंधित होंगी। जितना निकट संबंध उन दोनों संततियों में होगा उससे उनके एक ही पूर्वज के होने का प्रमाण मिलेगा। अतः हम यह कह सकते हैं कि संततियों का वर्गीकरण उनके जैव-विकासीय संबंधों को दर्शाता है।
प्रश्न 16.
समजात संरचनाएँ क्या होती हैं? कोई उदाहरण दीजिए। क्या यह आवश्यक है कि समजात संरचनाओं के पूर्वज सदैव ही समान हों? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
समजात संरचनाएँ-वे अंग जो मूल रूप से अलग-अलग जीवों में एक जैसी संरचना वाले होते हैं, परन्तु उनमें उनके कार्य अलग-अलग होते हैं, समजात संरचनाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण-मनुष्य की बाज, मेंढक की अगली टांगें, घोड़े की अगली टांगें आदि।हाँ, यह आवश्यक है कि समजात संरचनाओं वाले विभिन्न प्रकार के जीवों के पूर्वज सदैव समान होते हैं क्योंकि ऐसे जीव जैव विकास होने के कारण एक -दूसरे से अलग प्रकार के जीव बन गए, परन्तु अपने समान पूर्वजों के समजात अंगों को उसी रूप में अपनी अगली पीढ़ियों में ले जाते चले गए हैं।
प्रश्न 17.
(a) निम्नलिखित का समजात अंग और समरूप अंग में वर्गीकरण कीजिए :
(i) ब्रोकोली और पत्तागोभी
(ii) अदरक और मूली
(iii) पक्षी की अग्रबाहु और छिपकली की अग्रबाहु
(ii) चमगादड़ के पंख और पक्षी के पंख।
(b) उस प्रमुख लक्षण का उल्लेख कीजिए जो दिए गए अंगों के युगल का वर्गीकरण समजात अथवा समरूप अंगों में करता है।
(CBSE 2020)
उत्तर-
(a)
- ब्रोकोली और पत्तागोभी समजात अंग हैं।
- अदरक और मूली समरूप अंग हैं।
- पक्षी की अग्रबाहु और छिपकली की अग्रबाहु समजात अंग हैं।
- चमगादड़ के पंख और पक्षी के पंख समरूप अंग हैं।
(b) यदि दो अलग-अलग जीवों में किसी अंग की मूल संरचना एक जैसी होती है, परन्तु वह कार्य अलग करते हैं तो वे समजात अंग होंगे। यदि दो अलग-अलग जीवों में किसी अंग की मूल संरचना अलग-अलग है, परन्तु वह अंग उन जीवों में कार्य एक जैसा करते हैं तो वे समरूप अंग होंगे।
प्रश्न 18.
“व्यक्ति-वृत्त में जाति-वृत्त की पुनरावृत्ति होती है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
जीवधारी के भ्रूणीय परिवर्तन के समय उसके विकास क्रम की पुनरावृत्ति होती है अतः इसे पुनरावृत्ति का सिद्धान्त (Recapitulation theory) कहते हैं। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन अर्नेस्ट हेकल ने किया। इसके अनुसार, जीवधारी व्यक्ति वृत्त (भ्रूणीय विकास) में पूर्वजों के विकासीय इतिहास को दोहराता है। उदाहरण के लिए, किसी स्तनधारी भ्रूण के परिवर्तन के समय भ्रूणावस्था पहले मछली से, फिर उभयचर से तथा उसके बाद सरीसृप से मिलती है। हेकल के अनुसार, प्रत्येक जीव भ्रूण परिवर्तन या व्यक्ति वृत्त मे जाते-वृत्त की पुनरावृत्ति करता है। इस सिद्धान्त को हैकल का प्रजाति-आवर्तन नियम भी कहते हैं।
प्रश्न 19.
समजात तथा समवृत्ति अंगों में उदाहरण सहित अन्तर लिखिए। (नमूना प्र. प. 2012, CBSE 2015)
उत्तर-
समजात तथा समवृत्ति अंगों में अन्तर-
समजात | समवृत्ति अंग |
(i) ये अंग उत्पत्ति तथा मूल रचना में एक समान होते है। | ये अंग उत्पत्ति तथा मूल रचना में भिन्न होते हैं। |
(ii) इन अंगों की कार्यिकी आकारिकी में अन्तर होता हैं। | इन अंगों की कार्यिकी समान होने के कारण ये समान दिखाई देते हैं। |
(ii) इनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। | इनके कार्य समान हो सकते हैं। |
उदाहरण-मेंढ़क के अग्र पाद, पक्षी के पंख तथा मनुष्य के हाथ। | उदाहरण-पक्षी तथा कीट के पंख। |
प्रश्न 20.
समजात तथा समवृत्ति अंगों के चित्र द्वारा उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्रश्न 21.
आर्कियोप्टेरिक्स को सरीसृप तथा पक्षी वर्ग के बीच की कड़ी क्यों माना जाता है?
उत्तर-
आर्कियोप्टेरिक्स में सरीसृप तथा पक्षियों दोनों के लक्षण समान पाये जाते थे। इसलिए इसे संयोजक कड़ी माना जाता है।
यह लक्षण निम्न प्रकार से हैं सरीसृपों के लक्षण-
- इनकी पूँछ लम्बी होती थी।
- जबड़े में दाँत उपस्थित थे।
- लम्बे नुकीले नखरयुक्त तीन उँगलियाँ थीं।
- शरीर छिपकली के समान था।
पक्षियों के गुण –
- शरीर पर पंख उपस्थित थे
- चोंच उपस्थित थी।
- अग्र पाद पक्षियों की भाँति थे।
प्रश्न 22.
गोभी का रूपान्तरण विभिन्न सब्जियों में कैसे हुआ? समझाइए।
उत्तर-
लगभग 2000 वर्ष पूर्व से ही मनुष्य जंगली गोभी को एक खाद्य पौधे के रूप में उगाता रहा है। जंगली गोभी से ही मनुष्य ने चयन द्वारा विभिन्न सब्जियों को विकसित किया है। यह वास्तव में प्राकृतिक वरण न होकर कृत्रिम चयन था। कुछ किसान चाहते थे कि इसकी पत्तियाँ पास-पास हों, फलस्वरूप पत्ता गोभी का कृत्रिम चयन किया गया। कुछ किसान पुष्पों की ऊँचाई को रोकना चाहते थे अतः फूल गोभी विकसित हुई। कुछ ने फूले हुए तने के भाग का चयन किया जिससे गाँठ गोभी विकसित हुई। इसके अलावा कुछ लोगों ने चौड़ी पत्तियों का चयन किया जिससे ‘केल’ नामक सब्जी की उत्पत्ति हुई। .विकास को प्रगति के समान नहीं मानना चाहिए।
प्रश्न 23.
क्या ऐसा मानना उचित होगा कि मानव का विकास चिम्पैंजी से हुआ?
उत्तर-
नहीं, यह मानना उचित नहीं है। बहुत समय पूर्व मानव और चिम्पैंजी के पूर्वज एक समान थे या एक ही थे। वे पूर्वज न तो मानव जैसे थे और न ही चिम्पैंजी जैसे। एक ही पूर्वज से आदि मानव और आदि चिम्पैंजी का विकास हुआ था। समय एवं परिस्थितियों के अनुसार आदि मानव से आधुनिक मानव और आदि चिम्पैंजी से आधुनिक चिम्पैंजी का विकास हुआ।
प्रश्न 24.
जैव विकास हुआ है इसे निम्नलिखित द्वारा कैसे प्रमाणित किया जा सकता है? प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए : (CBSE 2018, RBSE 2016)
(a) समजात अंग;
(b) समरूप अंग;
(c) जीवाश्म
उत्तर-
(a) समजात अंग-वे अंग जिनकी मूल संरचना अलग-अलग जीवों में एक जैसी होती है परन्तु इनका इन जीवों में कार्य भिन्न-भिन्न होता है।
उदाहरण-मनुष्य की बांहे, घोड़े व शेर आदि की अगली टांगें एक-दूसरे के समजात अंग हैं। इनके बुनियादी ढाँचे से पता चलता है कि ये एक ही पूर्वजों से विकसित हुए हैं।
(b) समरूप अंग-वे अंग, जो अलग-अलग जीवों में कार्य तो एक जैसा करते हैं परन्तु उनकी मूल संरचना एक-दूसरे से भिन्न होती है, समरूप अंग कहलाते हैं।
उदाहरण-पक्षियों, चमगादड़ों तथा कीटों के पंख समरूप अंग हैं। इन अंगों के अध्ययन से पता चलता है कि इनमें तो समानता है परन्तु इनके डिज़ाइन और संरचना बहुत अलग है।
(c) जीवाश्म-लुप्त हुए जीवों के अंगों के कुछ अवशेष अथवा चट्टानों पर पाये जाने वाले उनके अंगों के छाप जीवाश्म कहलाते हैं। जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास होने के प्रमाण मिलते हैं तथा यह पता चलता है कि सरल जीवों से ही जटिल जीवों का विकास हुआ है। उदाहरण-आर्कियोप्टेरिक्स जीवाश्म के अध्ययन से यह ज्ञात हुआ कि उसमें कुछ गुण सरीसृप वर्ग के तथा कुछ गुण पक्षी वर्ग के विकसित हुए थे। इससे पता चलता है कि पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
जाति उद्भवन से क्या तात्पर्य है? जाति उद्भवन के लिए उत्तरदायी चार कारकों की सूची बनाइए। इनमें से कौन स्वपरागित स्पीशीज़ के पादपों के जाति उद्भवन का प्रमुख कारक नहीं हो सकता? अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
एक जाति के जीवों में जैव विकास में हुए परिवर्तनों के कारण, एक नई जाति के जीवों के बनने को जाति उद्भव कहते हैं।
जाति उद्भव के चार कारक :
- एक ही जाति के जीवों में परिवर्तनशील वातावरण में रहने के लिए अपने शरीर के लक्षणों में कुछ परिवर्तन लाना।
- एक ही जाति की समष्टियों का भौगोलिक रूप से विलग होना।
- एक ही जाति की समष्टियों में आनुवंशिक विचलन।
- एक ही जाति के जीवों में आए शारीरिक परिवर्तनों का अगली संतति में जाने के लिए प्राकृतिक चयन।
एक ही जाति की समष्टियों में आनुवांशिक विचलन, स्वपरागित स्पीशीज़ के जाति उद्भवन का प्रमुख कारक नहीं हो सकता क्योंकि ऐसे पादपों में कभी भी आनुवांशिक विचलन संभव नहीं है।
प्रश्न 2.
मटर के उन दो स्थूल रूप से दिखाई देने वाले लक्षणों की सूची बनाइए जिनका अध्ययन मेण्डल ने अपने प्रयोगों में किया था। मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर-
मेण्डल द्वारा अध्ययन किए गए मटर के पौधे के स्थूल रूप से दिखाई देने वाले दो लक्षण है
(i) लम्बे तथा बौने पौधे।
(ii) गोल तथा झुर्शीदार बीज।
मेण्डल ने जब मटर के एक लम्बे पौधे का मटर के एक बौने पौधे के साथ संकरण करवाया तो उसने देखा की F1 संतति के सभी पौधे लम्बे होते हैं। जब F1 संतति के पौधों के बीच स्वनिषेचन करवाया गया तो F2 संतति में लम्बे तथा बौने पौधों का अनुपात 3 : 1 था। इससे पता चलता है कि लम्बे पौधे का लक्षण, बौने पौधे के लक्षण पर प्रभावी है अर्थात् प्रभावी लक्षण के सामने, F1 संतति में बौना लक्षण स्वयं को दर्शाने में सक्षम नहीं था।
उपरोक्त स्थिति को प्रवाह आरेख की सहायता से दर्शाया जा सकता है:
प्रश्न 3.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
उत्तर-
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-इसके अनुसार दो जोड़ी विपर्यासी (Contrasting) लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण (Cross) कराया जाता है तो इन लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप से होता है। एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती है।
उदाहरण के लिए; जब मेण्डल ने गोल एवं पीले बीज वाले पौधे का संकरण झरींदार एवं हरे बीज वाले पौधे के साथ कराया तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे गोल एवं पीले बीज वाले उत्पन्न हुए। जब F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण होने दिया तो F2 पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे उत्पन्न हुए जिन्हें आगे चैकरबोर्ड में दर्शाया गया है।
इस चैकरबोर्ड से F2 पीढ़ी में निम्न परिणाम प्राप्त हुए-
- 9 पौधे गोल एवं पीले बीज वाले,
- 3 पौधे गोल एवं हरे बीज वाले,
- 3 पौधे झुरींदार एवं पीले बीज वाले,
- 1 पौधा झुरींदार एवं हरे बीज वाला।
अतः उपर्युक्त प्रयोग से लक्षणों का स्वतन्त्र अपव्यूहन प्रकट हो जाता है।
प्रश्न 4.
DNA की संरचना तथा महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA)-
डी.एन.ए. की खोज सर्वप्रथम फ्रेड्रिक मीशर ने की थी। सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में यह केन्द्रक के अन्दर पाया जाता है। इसकी अल्प मात्रा माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी होती है। डी.एन.ए. न्यूक्लिओटाइड एकलकों की बनी लम्बी शृंखलाओं का बना होता है। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में एक पेन्टोज शर्करा (डिऑक्सीराइबोज) का अणु, एक फॉस्फोरिक अम्ल अणु तथा एक नाइट्रोजनी क्षारक (एडेनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थाइमीन में से कोई एक) होता है। DNA की आण्विक संरचना-वाटसन तथा क्रिक ने DNA की संरचना का द्वि-रज्जुकी मॉडल प्रस्तुत किया।
इस मॉडल के अनुसार-
- DNA, द्विचक्राकार रचना (double helical structure) है, जिसमें पॉलीन्यूक्लिओटाइड की दोनों श्रृंखलाएँ एक अक्ष रेखा पर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कुंडलित अथवा रस्सी की भाँति ऐंठी हुई होती हैं।
- दोनों श्रृंखलाओं का निर्माण फॉस्फेट एवं शर्करा के अनेक अणुओं के मिलने से होता है। नाइट्रोजनी क्षारक श्रृंखला के पार्श्व में होते हैं।
- डी.एन.ए. के प्रत्येक अणु में पॉलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखलाएँ प्रतिसमान्तर होती हैं।
- फॉस्फेट तथा शर्करा अणु एक सीढ़ी की भाँति रीढ़ बनाते हैं, जबकि क्षारक सीढ़ी में पग दण्डों का कार्य करते
- दोनों शर्करा-फॉस्फेट श्रृंखलाओं के बीच दुर्बल हाइड्रोजन बन्ध होते हैं।
- एडीनीन तथा थाइमीन के बीच द्वि-हाइड्रोजन बन्ध (≡) तथा ग्वानीन एवं साइटोसीन के बीच त्रि-हाइड्रोजन (=) बन्ध होते हैं।
- डी.एन.ए. की दोनों श्रृंखलाएँ सर्पिलाकार रूप से ऐंठी हुयी होती हैं जिनका व्यास 20Ā होता है।
- दो नाइट्रोजनी क्षारकों के बीच 3.4 A की दूरी होती
- DNA के प्रत्येक मोड़ में 10 न्यूक्लिओटाइड जोड़ियाँ होती हैं।
DNA का अणुमॉडल। DNA का महत्त्व –
- डी.एन.ए. का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य, आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाना है।
- डी.एन.ए. कोशिका की सभी जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
- DNA प्रतिकृतिकरण द्वारा कोशिका विभाजन की क्रिया सम्पन्न होती है।
- DNA से mRNA का संश्लेषण होता है जो प्रोटीन का संश्लेषण करने में सूचनाओं का वहन करता है।
प्रश्न 5.
(a) यदि हम शुद्ध लम्बे (प्रभावी) मटर के पौधों का संकरण शुद्ध बौने (अप्रभावी) मटर के पौधों से कराएँ तो हमें F1,पीढ़ी के मटर के पौधे प्राप्त होते हैं। अब यदि हम F1, पीढ़ी के इन मटर के पौधों का स्वपरागण कराएँ, तो हमें F2, पीढ़ी के मटर के पौधे प्राप्त होते हैं।
(i) F1 पीढ़ी के पौधे कैसे दिखाई देते हैं?
(ii) F2 पीढ़ी में लम्बे पौधों और बौने पौधों का अनुपात क्या है?
(iii) उन पौधों के प्रकार का कारण सहित उल्लेख कीजिए जो F1 पीढ़ी में नहीं पाए गए, परन्तु F2 पीढ़ी में दृष्टिगोचर हो गए।
(b) समजात अंग क्या हैं? एक उदाहरण दीजिए। क्या यह आवश्यक है कि समजात अंगों के पूर्वज हमेशा समान हों? (CBSE 2019) (RBSE 2017)
उत्तर-
(a)
(i) F1 पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे होंगे।
(ii) F2 पीढ़ी में लम्बे व बोने पौधों का अनुपात 3 : 1 होगा।
(iii) F1 पीढ़ी में बौने पौधे नहीं पाये गये थे, यह मेण्डल के प्रभावी नियमानुसार है। जिसमें प्रभावी लक्षण के सामने, अप्रभावी लक्षण दिखाई नहीं पड़ता है। लम्बे पौधे का लक्षण प्रभाव है, जबकि बौने पौधे का लक्षण अप्रभावी है।
(b) समजात अंग-वे अंग जिनकी मूल संरचना एक जैसी होती है, परन्तु अलग-अलग जीवों में उनके कार्य अलग-अलग होते हैं, उन्हें समजात अंग कहते हैं। उदाहरण-पक्षियों के पंख व मनुष्य की बाजू। हाँ, यह आवश्यक है कि समजात अंगों वाले जीवों के पूर्वज एक समान थे, तथा एक ही प्रकार के जीवों से उनके इन समजात अंगों में कुछ परिवर्तनों से नये प्रकार के जीवों का विकास हुआ है। यह आवश्यक है कि विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देने के लिये सजातीय संरचनाओं में हमेशा समान पूर्वज हों अन्यथा बुनियादी योजना, आंतरिक संरचना विकास या उत्पत्ति में कोई समानता नहीं होगी।
प्रश्न 6.
मनुष्य में लिंग निर्धारण किस प्रकार होता है? आरेख बनाकर समझाइए। [RBSE 2017] (मा. शि. बोर्ड नमूना प्र. प. 2012)
उत्तर-
मनुष्य में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Man)-मनुष्य में लिंग निर्धारण लिंग गुणसूत्रों द्वारा होता है। मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से 22 जोड़ी गुणसूत्र आटोसोम्स कहलाते हैं जबकि 23वाँ जोड़ा लिंग गुणसूत्र कहलाता है। पुरुषों में 23वें जोड़े के गुणसूत्रों में एक गुणसूत्र X तथा दूसरा गुणसूत्र Y होता है। स्त्रियों में 23 वें जोड़े के दोनों गुणसूत्र X (अर्थात् XX) होते हैं। X गुणसूत्र मादा सन्तान के लक्षण धारण करते हैं जबकि Y गुणसूत्र नर सन्तान के लक्षण धारण करते हैं; अन्य सभी ऑटोसोम्स दैहिक लक्षणों को धारण करते हैं।
युग्मक बनते समय पुरुष के आधे शुक्राणुओं में X गुणसूत्र तथा आधे शुक्राणुओं में Y गुणसूत्र होते हैं। मादा में केवल एक ही युग्मक (अण्डाणु) का निर्माण होता है, जिसमें ‘X’ गुणसूत्र स्थित होता है। जब पुरुष का ‘X’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु से निषेचन करता है तो पैदा होने वाली सन्तान लड़की (XX) होती है। यदि पुरुष का ‘Y’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु, अण्डाणु से निषेचन करता है तो उत्पन्न होने वाली सन्तान लड़का (XY) होती है। लिंग निध परिण प्रक्रिया को आरेख में दर्शाया गया है।
प्रश्न 7.
“आनुवंशिकता का गुणसूत्र मत” की व्याख्या कीजिए। [CBSE 2015]
उत्तर-
आनुवंशिकता का गुणसूत्र मत (Chromosomal Theory of Inheritance)-FCET 77891 arat (Sutton and Boveri) ने सन् 1902 में गुणसूत्रों द्वारा आनुवंशिकता के सम्बन्धों का अध्ययन किया तथा निम्नलिखित नियम प्रतिपादित किए-
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण व कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्र तथा मेण्डल के कारकों के बीच समानता होती है।
- युग्मक निर्माण के समय दोनों जनकों से गुणसूत्र अलग होते हैं।
- जीन्स गुणसूत्रों पर रैखिक क्रम में व्यवस्थित होते हैं।
अतः सट्न तथा बावेरी के अनुसार, जीन गुणसूत्र का एक भाग होता है। मनुष्य में 46 गुणसूत्र होते हैं तथा उन पर 30000-40000 जीन्स होते हैं। गुणसूत्रों पर जीन्स एक निश्चित बिन्दु पर होते हैं जिसे लोकस कहते हैं। आण्विक आधार पर जीन DNA का वह छोटे से छोटा खण्ड होता है जो एक प्रोटीन अणु का निर्माण करता है।
प्रश्न 8.
डार्विन के विकासवाद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin, 1819. 1882)-एक प्रकृति विज्ञानी थे। उन्होंने विभिन्न जीव-जन्तुओं का अध्ययन किया तथा अपनी पुस्तक “प्राकृतिक चयन द्वारा जातियों का विकास’ में लेख प्रस्तुत किए। उनके
विकास सिद्धान्त को प्राकृतिक वरण कहते हैं। यह निम्न तथ्यों पर आधारित है-
- जीवों में सन्तान उत्पत्ति की प्रचुर क्षमता।
- जीवन संघर्ष (अन्त:जातीय तथा अन्तराजातीय संघर्ष)।
- प्राकृतिक वरण।
- योग्यतम की उत्तरजीविता।
- वातावरण के प्रति अनुकूलन।
- नयी जातियों की उत्पत्ति ।
डार्विन ने बताया कि सभी जीवों में सन्तान उत्पन्न करने की अपार क्षमता होती है लेकिन उसकी सभी संततियाँ जीवित नहीं रहती। इसका कारण है जीवन संघर्ष। जीवों में आवास, भोजन एवं प्रजनन के लिए अन्तराजातीय तथा अन्तः जातीय संघर्ष होता है। जो जीव जीवन संघर्ष एवं पर्यावरण के लिए सफल होते हैं, वे जीवित रहते हैं। जीवों में अपने पर्यावरण के प्रति विभिन्नताएँ वंशानुगत होती हैं। यदि ये विभिन्नताएँ पर्यावरण के अनुकूल होती हैं तो जीव का प्राकृतिक चयन होता है व इस प्रकार नई जातियों की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 9.
लैमार्कवाद के मुख्य बिन्दुओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। लैमार्कवाद की क्या आलोचना थी?
उत्तर-
जीन बैप्टिस्ट डी लैमार्क (1744-1829) फ्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। उन्होंने जैव विकास सम्बन्धी अपने विचारों को फिलोसोफिक जुलोजिक नामक पुस्तक में 1809 में प्रस्तुत किया।
लैमार्कवाद के प्रमुख आधार बिन्दु संक्षेप में निम्न प्रकार-
1. वातावरण का सीधा प्रभाव-लैमार्क के अनुसार जीवों पर उनके वातावरण का सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी रचना तथा स्वभाव बदल जाता है।
2. अंगों का उपयोग तथा अनुपयोग-लैमार्क ने बताया कि जीवों में कुछ परिवर्तन उनकी आवश्यकता के अनुसार होते हैं। ऐसे अंगों का विकास अधिक होता है जिनका प्रयोग अधिक होता है। प्रयोग न किये जाने वाले अंग कमजोर होते जाते हैं और अन्ततः विलुप्त हो जाते हैं, इन्हें उपार्जित लक्षण कहते हैं।
3. उपार्जित लक्षणों की वंशागति-उपार्जित लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होते हैं तथा अन्त में नई जाति निर्मित होती है। उदाहरण के लिए; ऊँचे पेड़ों की पत्तियों को खाने के लिए जिराफ की लम्बी गर्दन का होना।
आलोचना-बीजमान (1892) ने लैमार्क की कड़ी आलोचना की। उन्होंने लगातार कई पीढ़ियों तक चूहों की पूँछ काटी और देखा कि सभी पीढ़ियों में चूहों की पूँछ में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और सिद्ध किया कि उपार्जित लक्षण वंशागत नहीं होते हैं।
प्रश्न 10.
भ्रूणीय अध्ययन कैसे विकास को प्रमाणित करते हैं ?
उत्तर-
नर तथा मादा युग्मकों के संयुग्मन के पश्चात् युग्मनज का निर्माण होता है। युग्मनज से भ्रूण तथा भ्रूण से नई संतति का विकास होता है। जन्म से पहले कशेरुकी प्राणियों के भ्रूणों में आश्चर्यजनक समानताएँ पायी जाती हैं. जैसे-
1. मेढ़क का भेक शिशु (Tadpole) लार्वा छोटी-सी मछली के समान पानी में उतरता दिखाई देता है। उसमें गलफड़ों की दरारों के अतिरिक्त पूँछ भी होती है। लेकि: वयस्क मेंढक एवं मछली के रूप, आकार एवं गुणों में अनेक विषमताएँ होती हैं।
2. कबूतर के अण्डे में जन्म से पहले उसके बच्चे की पक्षी की तरह चोंच नहीं होती, बल्कि सरीसृपों की तरह दाँत जैसी रचना होती है पर जन्म के समय उसमें चोंच होती है।
3. मेंढ़क, सरीसृप, पक्षी तथा मानव तक के अनेक कशेरुकियों के भ्रूणों में मछलियों की भाँति गलफड़ों की दरारें दिखाई देती हैं परन्तु बाद में ये फेफड़ों में बदल जाते हैं।
अर्नेस्ट हेकल ने ऐसे पर्यवेक्षणों के आधार पर जातिवृत्त पुनरावृत्ति का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उनके अनुसार उच्च कशेरुकियों का विकास मछली जैसे समान पूर्वजों से जैव विकास की लम्बी प्रक्रिया से हुआ होगा। उनके अनुसार मत्स्य वर्ग से स्तनधारियों का प्रवर्तन हुआ होगा पर इसके बीच अन्य अवस्थाएँ आई होंगी, जैसे मत्स्य → उभयचर → सरीसृप → पक्षी → स्तनधारी।
बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)
1. जब मटर के लम्बे पौधे का संकरण बौने पौधे के साथ कराया जाता है तो प्रथम पुत्रीय पीढ़ी में उत्पन्न पौधे होंगे –
(a) सभी लम्बे पौधे
(b) सभी बौने पौधे
(c) आधे लम्बे तथा आधे बौने पौधे
(d) तीन पौधे लम्बे तथा एक पौधा बौना।
उत्तर-
(a) सभी लम्बे पौधे।
2. निम्न में से परीक्षण संकरण (Test cross) है –
(a) Tt xTt
(b) TT xTt
(c)TT x TT
(d) Tt x TT.
उत्तर-
(d) Tt x TT.
3. जैव विकास के सिद्धान्त का मुख्य सम्बन्ध है
(a) स्वतः उत्पादन से
(b) वातावरण की स्थिति से
(c) विशिष्ट सृष्टि से
(d) धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तन से।
उत्तर-
(d) धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तन से।
4. निम्नलिखित में से कौन-से समजात अंग हैं
(a) पक्षी एवं चमगादड़ के पंख
(b) चमगादड़ के पंख व मनुष्य के हाथ
(c) कीट एवं पक्षी के पंख
(d) तितली, पक्षी तथा चमगादड़ के पंख।
उत्तर-
(b) चमगादड़ के पंख व मनुष्य के हाथ।
5. निम्नलिखित में से कौन से समरूप अंग हैं
(a) चिड़िया के पंख एवं कीट के पंख
(b) मनुष्य के हाथ एवं चिड़िया के पंख
(c) घोड़े के अग्रपाद एवं ह्वेल के चप्पू
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(a) चिड़िया के पंख एवं कीट के पंख।
6. जीवाश्म कैसे बनते हैं –
(a) जन्तु के पूर्ण रूप से नष्ट हो जाने से
(b) जीव-जन्तुओं के चट्टानों में दब जाने से
(c) जीव-जन्तुओं के सड़ने से
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) जीव-जन्तुओं के चट्टानों में दब जाने से।
7. जैव विकास में उत्परिवर्तन का महत्त्व होता है-
(a) आनुवंशिक अपवहन
(b) जननिक पृथक्करण
(c) जननिक भिन्नताएँ
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) जननिक भिन्नताएँ।
8. जीवाश्मों की आयु का निर्धारण किस विधि से किया जाता है –
(a) एक्सरे विधि
(b) फॉसिल डेटिंग
(c) फॉसिल फोटोग्राफी
(d) एम. आर. आई. ।
उत्तर-
(b) फॉसिल डेटिंग।
9. योग्यतम की उत्तरजीविता सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया –
(a) लैमार्क ने
(b) डार्विन ने
(c) मेण्डल ने
(d) डी ब्रीज ने।
उत्तर-
(b) डार्विन ने।
10. जैव विकास का प्रमाण हो सकता है/सकते हैं
(a) जीवाश्म
(b) अवशेषी अंग
(c) समवृत्ति अंग
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।
11. मेण्डल के द्विसंकर क्रॉस का F2 पीढ़ी में अनुपात था
(a) 1 : 1 : 1 : 1
(b) 12 : 2 : 1:1
(c) 9:3 : 3 : 1
(d) 4: 4: 4: 4.
उत्तर-
(c) 9:3 : 3 : 1.
12. पर्यावरणीय विभिन्नताएँ समावेशित होती हैं-
(a) डी. एन. ए. में
(b) आर. एन. ए. में
(c) प्रोटीन्स में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(b) आर. एन. ए. में।
13. निम्न में से किससे फूलगोभी का विकास हुआ
(a) कृष्य फूलगोभी से
(b) कृष्य बन्दगोभी से
(c) जंगली बन्दगोभी से
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) जंगली बन्दगोभी से।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)
1. मेण्डल के अनुसार आनुवंशिक कारकों को ………………………………………. कहा जाता है।
उत्तर-
जीन,
2. जीवधारियों में पायी जाने वाली विशेष संरचनाएँ जो ………………………………………. का वहन करती हैं।
उत्तर-
जीन्स,
3. अनेक जीवधारियों में भ्रूण अपने ………………………………………. के लक्षण दर्शाते हैं।
उत्तर-
पूर्वजों,
4. डी.एन.ए. की खोज सर्वप्रथम ………………………………………. ने की।
उत्तर-
फ्रेड्रिक मीशर,
5. मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से 22 जोड़ी गुणसूत्र ………………………………………. कहलाते हैं जबकि 23 वाँ जोड़ा ………………………………………. गुणसूत्र कहलाता है।
उत्तर-
ओटोसोम्स, लिंग।
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)
(i)
सूची A | सूची B |
1. उत्परिवर्तन | (i) विकासवाद |
2. डार्विन | (ii) TT, tt |
3. मेण्डल | (iii) डी वीज |
4. अवशेषी अंग | (iv) लैमार्क |
5. समयुग्मजी | (v) कर्ण पल्लव की पेशियाँ |
6. उपार्जित लक्षण | (vi)मटर |
उत्तर-
सूची A | सूची B |
1. उत्परिवर्तन | (iii) डी वीज |
2. डार्विन | (i) विकासवाद |
3. मेण्डल | (vi) मटर |
4. अवशेषी अंग | (v) कर्ण पल्लव की पेशियाँ |
5. समयुग्मजी | (ii) TT, tt |
6. उपार्जित लक्षण | (iv) लैमार्क |
(ii)
सूची A को सूची B से मिलाइए।
सूची A | सूची B |
1. डी.एन.ए. | (i) जीव अवशेष |
2. होमो सेपियंस | (ii) घोड़े व मनुष्य के हाथ |
3. जीवाश्म | (iii) आनुवंशिकी के नियम |
4. समजात अंग | (iv) जीवन की उत्पत्ति सिद्धान्त |
5. मेण्डल | (v) आनुवंशिक पदार्थ |
6. हल्डेन | (vi) मानव |
उत्तर-
सूची A | सूची B |
1. डी.एन.ए. | (v) आनुवंशिक पदार्थ |
2. होमो सेपियंस | (vi) मानव |
3. जीवाश्म | (i) जीव अवशेष |
4. समजात अंग | (ii) घोड़े व मनुष्य के हाथ |
5. मेण्डल | (iii) आनुवंशिकी के नियम |
6. हल्डेन | (iv) जीवन की उत्पत्ति सिद्धान्त |