HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

Haryana State Board HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

अति लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
आई० सी० एम० आर० द्वारा निर्धारित किए गए पाँच आहार समूहों के नाम बताइए।
उत्तर :
आई० सी० एम० आर० (ICMR) ने निम्नलिखित पाँच आहार समूह निर्धारित किए हैं। यह हैं –

  1. अनाज
  2. दालें
  3. दूध, अण्डा व मांसाहार
  4. फल व सब्जियाँ
  5. वसा और शक्कर।

प्रश्न 2.
सन्तुलित भोजन से आप क्या समझते हो ? संतुलित भोजन क्यों जरूरी है ?
उत्तर :
सन्तुलित भोजन से भाव ऐसी मिली-जुली खुराक से है जिसमें भोजन के सभी आवश्यक तत्त्व जैसे, प्रोटीन, कार्बोज़, विटामिन, खनिज लवण आदि पूरी मात्रा में हों। भोजन न केवल माप-तोल में पूरा हो बल्कि गुणकारी भी हो ताकि मनुष्य की मानसिक वृद्धि भी हो सके तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बनी रहे। सन्तुलित भोजन सभी व्यक्तियों के लिए एक-सा नहीं हो सकता। शारीरिक मेहनत करने वाले व्यक्तियों के लिए जो भोजन सन्तुलित होगा वह एक दफ्तर में काम करने वाले से भिन्न होगा।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 3.
भोजन को किन-किन भोजन समूहों में बांटा जा सकता है और क्यों ?
उत्तर :
प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक तन्दुरुस्ती के लिए सन्तुलित भोजन का प्राप्त होना आवश्यक है जिसमें प्रोटीन, कार्बोज, विटामिन, खनिज लवण पूरी मात्रा में हो। परन्तु ये सभी वस्तुएँ एक तरह के भोजन से प्राप्त नहीं हो सकतीं। इसलिए भोजन को उनके खुराकी तत्त्वों के आधार पर निम्नलिखित समूहों में विभाजित किया जाता है –

  1. अनाज
  2. दालें
  3. सूखे मेवे
  4. सब्जियां
  5. फल
  6. दूध और दूध से बने पदार्थ तथा अन्य पशु जन्य साधनों के पदार्थ।
  7. मक्खन घी तेल
  8. शक्कर, गुड़
  9. मसाले, चटनी आदि।

प्रश्न 4.
क्या कैलोरियों की उचित मात्रा होने से भोजन सन्तुलित होता है ?
उत्तर :
खुराक व्यक्ति की आयु लिंग, काम करने की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है। कठिन काम करने वाले व्यक्ति को साधारण काम करने वाले व्यक्ति से अधिक कैलोरियों की आवश्यकता होती है। परन्तु खराक में केवल कैलोरियों की उचित मात्रा से ही भोजन सन्तुलित नहीं बन जाता बल्कि इसके साथ-साथ पौष्टिक तत्त्वों की भी उचित मात्रा लेनी चाहिए। किसी एक पौष्टिक तत्त्व की कमी भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए उचित कैलोरियों की मात्रा वाली खुराक को सन्तुलित नहीं कहा जा सकता।

प्रश्न 5.
दालों में कौन-से पौष्टिक तत्त्व होते हैं और अधिक मात्रा किसकी होती है ?
उत्तर :
दालें जैसे मूंग, मोठ, मांह, राजमांह, चने आदि में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इनमें 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘बी’ खनिज पदार्थ विशेष रूप में कैल्शियम की अच्छी मात्रा में होते हैं। सूखी दालों में विटामिन ‘सी’ नहीं होता परन्तु अंकुरित हुई दालें विटामिन ‘सी’ का अच्छा स्रोत हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 6.
कार्बोहाइड्रेट्स कौन-कौन से भोजन समूह में पाए जाते हैं ?
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का मिश्रण है। ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन 2 : 1 के अनुपात में प्राप्त होती हैं। शरीर में 75 से 80 प्रतिशत ऊर्जा कार्बोहाड्रेट्स से ही पूरी होती है। यह ऊर्जा का एक सस्ता तथा मुख्य स्रोत है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 1

चित्र-कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत

कार्बोहाइड्रेट्स के स्त्रोत – कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत निम्नलिखित हैं –

  1. अनाज।
  2. दालें।
  3. जड़ों वाली तथा भूमि के अन्दर पैदा होने वाली सब्जियां जैसे आलू, कचालू, अरबी, जिमीकन्द तथा शकरकन्दी आदि।
  4. शहद, चीनी तथा गुड़।
  5. जैम तथा जैली।
  6. सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट, खजूर, किशमिश तथा मूंगफली आदि।

प्रश्न 7.
सब्जियों में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं ?
उत्तर :
भोजन में सब्जियों का होना अति आवश्यक है क्योंकि इनसे विटामिन और खनिज पदार्थ मिलते हैं। भिन्न-भिन्न सब्जियों में भिन्न-भिन्न तत्त्व मिलते हैं। जड़ों वाली सब्जियां विटामिन ‘ए’ का अच्छा स्रोत है, हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ और लोहा काफ़ी मात्रा में होता है। फलीदार सब्जियां प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 8.
भोजन में मिर्च मसालों का प्रयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
भोजन का स्वाद और महक बढ़ाने के लिए इनमें कई तरह के मसाले जैसे जीरा, काली मिर्च, धनिया, लौंग, इलायची आदि प्रयोग किए जाते हैं। यह मसाले भोजन का स्वाद बढ़ाने के अतिरिक्त भोजन शीघ्र पचाने में भी सहायता करते हैं क्योंकि ये पाचक रसों को उत्तेजित करते हैं जिससे भोजन शीघ्र हज्म हो जाता है।

प्रश्न 9.
आहार नियोजन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
खाने का ढंग परिवार के अलग-अलग सदस्यों की आवश्यकता अनुसार बनाया जाता है जैसे बच्चे और रोगी के लिए थोड़ी-थोड़ी देर के पश्चात् भोजन तथा बुजुर्गों के लिए नर्म और हल्के भोजन का प्रबन्ध किया जाता है। परिवार के सदस्यों की ज़रूरत और निश्चित समय अनुसार अच्छे पोषण के लिए खाद्य पदार्थों का नियोजन करने को ही आहार नियोजन कहा जाता है।

प्रश्न 10.
आहार आयोजन के प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं ?
अथवा
आहार आयोजन करते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर :
आहार आयोजन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  1. परिवार की रुचि
  2. ऋतु का ध्यान
  3. पारिवारिक आय
  4. व्यवसाय
  5. उपलब्ध वस्तुएं
  6. साप्ताहिक तालिका
  7. नवीनता
  8. मितव्ययता
  9. समय और शक्ति
  10. विविधता
  11. सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश
  12. अतिथियों की रुचि
  13. सरलता।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 11.
परिवार के आहार का स्तर किन बातों पर निर्भर करता है ?
उत्तर :
परिवार के आहार का स्तर निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है –

  1. आहार के लिए उपलब्ध धन।
  2. गृहिणी के पास भोजन पकाने के लिए उपलब्ध समय एवं ऊर्जा।
  3. गृहिणी का खाद्य तथा पोषण सम्बन्धी ज्ञान।
  4. गृहिणी का आहार पकाने और परोसने में निपुण होना।

प्रश्न 12.
आहार की पौष्टिकता बढ़ाना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
सामान्य आहार में अनाज की मात्रा अधिक होती है। कार्बोज द्वारा व्यक्ति की कैलोरी आवश्यकताओं की पूर्ति तो हो जाती है, परन्तु शरीर निर्माण करने वाले पौष्टिक तत्त्व जैसे प्रोटीन और स्वास्थ्य रक्षा करने वाले तत्त्व जैसे विटामिन और खनिज लवणों का अभाव है। इसलिए आहार की पौष्टिकता बढ़ाना आवश्यक है।

प्रश्न 13.
खाद्य पदार्थों का पौष्टिक मान बढ़ाने का महत्त्व लिखें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 12 का उत्तर।

प्रश्न 14.
आहार की पौष्टिकता कैसे बढ़ाई जा सकती है ?
उत्तर :

  1. आहार में मिश्रित अनाजों का प्रयोग करना चाहिए, जैसे-चावल या गेहूँ के साथ रागी या बाजरा।
  2. दालों के प्रयोग को बढ़ाना।
  3. हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करना।
  4. सस्ते मौसमी खाद्य-पदार्थों का प्रयोग करना।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 15.
दैनिक आहार व्यवस्था का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
परिवार के सदस्यों की दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं ज्ञात करके, दैनिक आहार की व्यवस्था की जाती है। भारत में प्राय: दिन चार बार आहार करने का प्रचलन है। इसलिए दिनभर की प्रस्तावित खाद्य-पदार्थों की मात्रा को चार भागों में बाँटा जाता है।

  1. प्रात:काल का नाश्ता (Breakfast)
  2. दोपहर का भोजन (Lunch)
  3. शाम की चाय (Evening Tea)
  4. रात्रि का भोजन (Dinner)।

प्रश्न 16.
सन्तुलित भोजन की योजना बनाते समय कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर :
परिवार के सदस्य का स्वास्थ्य उनके खाने वाले भोजन पर निर्भर करता है। एक समझदार गृहिणी को अपने परिवार के सदस्यों को सन्तुलित भोजन प्रदान करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  1. परिवार के प्रत्येक सदस्य के रोज़ाना खुराकी तत्त्वों का ज्ञान होना चाहिए
  2. आवश्यक पौष्टिक तत्त्व देने वाले भोजन की जानकारी और चुनाव
  3. भोजन की योजनाबन्दी
  4. भोजन पकाने का सही ढंग, और
  5. भोजन परोसने के ढंग का ज्ञान होना चाहिए।

प्रश्न 17.
किन-किन कारणों से अनेक लोगों को सन्तुलित भोजन उपलब्ध नहीं होता ?
उत्तर :
दुनिया भर में 90% बीमारियों का कारण सन्तुलित भोजन का सेवन न करना है। विशेष रूप में तीसरी दुनिया के देशों में जनसंख्या के एक बड़े भाग को संतुलित भोजन नहीं मिलता। इसके कई कारण हैं जैसे –
1.ग़रीबी – ग़रीब लोग अपनी आय कम होने के कारण उपयुक्त मात्रा में आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों वाले भोजन नहीं खरीद सकते। सब्जियां, फल, दूध, आदि इन ग़रीब लोगों की खुराक का भाग नहीं बनते।

2. शिक्षा की कमी – यह आवश्यक नहीं कि केवल ग़रीब लोग ही सन्तुलित भोजन से वंचित रहते हैं। कई बार शिक्षा की कमी के कारण अच्छी आय वाले भी आवश्यक पौष्टिक भोजन नहीं लेते। आजकल कई अमीर लोग भी जंक फूड या फास्ट फूड का प्रयोग
अधिक करते हैं जो किसी तरह भी सन्तुलित भोजन नहीं होता।

3. बढ़िया भोजन न मिलना – कई बार लोगों को खाने पीने की वस्तुएं बढ़िया नहीं मिलतीं। आजकल सब्जियों में ज़हर की मात्रा काफ़ी अधिक होती है। शहर के लोगों को दूध भी बढ़िया किस्म का नहीं मिलता। इस तरह भी लोग सन्तुलित भोजन से वंचित रह जाते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 18.
खाने का नियोजन किन-किन बातों पर आधारित है ?
अथवा
खाने के नियोजन को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं ?
उत्तर :
ठीक खाने का नियोजन बनाना एक समझदार गृहिणी का काम है। यह नियोजन कई बातों पर आधारित होता है –
1. परिवार की आय-परिवार के भोजन का नियोजन परिवार की आय पर निर्भर करता है। उच्च आय वर्ग की गृहिणी महंगे भोजन पदार्थ बनाने के नियोजन तैयार कर सकती है परन्तु एक ग़रीब वर्ग की गृहिणी को परिवार की पौष्टिक आवश्यकताएं पूर्ण करने वाले परन्तु सस्ते भोजन का नियोजन बनाना पड़ता है।

2. परिवार का आकार और रचना-परिवार के सदस्यों की संख्या और उनकी आयु, स्वाद आदि भी भोजन के नियोजन को प्रभावित करते हैं जैसे जिस परिवार में बज़र्ग माता पिता हों, उस परिवार के भोजन का आयोजन एक ऐसा परिवार जिसमें जवान बच्चे और माता-पिता हों, से भिन्न होता है।

3. भोजन पकाने का समय और परोसने और पकाने का ढंग-ये भी खाने के नियोजन को प्रभावित करते हैं।

4. मौसम और घर की सुविधाएं भी गृहिणी के खाने नियोजन पर प्रभाव डालती हैं। उदाहरणस्वरूप यदि घर में फ्रिज हो तो एक बार बनाया भोजन दूसरे समय के लिए सम्भालकर रखा जा सकता है।

प्रश्न 19.
आहार आयोजन को परिवार का आकार व रचना किस प्रकार प्रभावित करते हैं, वर्णन करें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 18 का उत्तर।

प्रश्न 20.
भोजन में भिन्नता कैसे ला सकते हैं तथा क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
एक तरह का भोजन खाने से मन भर जाता है इसलिए खाने में रुचि बनाए रखने के लिए भिन्नता होनी आवश्यक है। यह भोजन में अनेक प्रकार से पैदा की जा सकती है –

  1. नाश्ते में प्रायः परांठे बनते हैं परन्तु रोज़ाना अलग किस्म का परांठा बनाकर भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है जैसे मूली का परांठा, मेथी वाला, गोभी वाला, मिस्सा परांठा आदि।
  2. सभी भोजन पदार्थ एक रंग के नहीं होने चाहिएं। प्रत्येक सब्जी, दाल या सलाद का रंग अलग-अलग होना चाहिए। इससे भोजन देखने को अच्छा लगता है और अधिक पौष्टिक भी होता है।
  3. भोजन पकाने की विधि से भी खाने में भिन्नता आ सकती है जैसे तवे की रोटी, तन्दूर की रोटी, पूरी आदि बनाकर भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 21.
भोजन देखने में भी सुन्दर होना चाहिए। क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं ? यदि हाँ तो क्यों ?
उत्तर :
जी हाँ; यह तथ्य बिल्कुल सही है कि भोजन देखने में अच्छा लगना चाहिए क्योंकि जो भोजन देखने में अच्छा न लगे उसको खाने को मन नहीं करता। यदि भोजन आँखों को न भाए तो मनुष्य उसका स्वाद भी नहीं देखना चाहता। भोजन को सुन्दर बनाने के लिए भोजन पकाने की विधि और उसको सजाने की जानकारी भी होनी चाहिए।

प्रश्न 22.
गर्भवती औरत के लिए एक दिन की आहार योजना बनाओ।
उत्तर :
एक गर्भवती औरत के लिए सन्तुलित भोजन की आवश्यकता होती है और यह भोजन दिन में पाँच बार खाना चाहिए। गर्भवती औरत के भोजन की एक दिन की योजना इस प्रकार होनी चाहिए –
सुबह-चाय, नींबू पानी, बिस्कुट या रस। नाश्ता-डबलरोटी, मक्खन, उबला हुआ अण्डा, परांठा, फलों का जूस। दिन के मध्य-दलिया, मौसमी फल। दोपहर का खाना-रोटी, चने, दही, सब्जी, सलाद। शाम के समय-केक या पौष्टिक लड़ड़ या कोई नमकीन और चाय। रात को-सब्जियों का सूप, रोटी, दाल, सब्जी, सलाद और खीर। सोने के समय-दूध।

प्रश्न 23.
गर्भवती औरत के लिए कैसा भोजन चाहिए और क्यों ?
अथवा
गर्भवती स्त्री को पौष्टिक तत्त्व अधिक मात्रा में क्यों लेना चाहिए ?
उत्तर :
माँ के पेट में ही बच्चे की सेहत और शारीरिक बनावट का फैसला हो जाता है। इसलिए गर्भवती माँ की खुराक सन्तुलित और अच्छी किस्म की होनी चाहिए। स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। गर्भवती माँ की खुराकी आवश्यकता अपने लिए और बच्चे के लिए होती है। इसीलिए गर्भवती स्त्री को पौष्टिक तत्त्व को अधिक मात्रा में लेना चाहिए। गर्भवती औरत के लिए थोड़े-थोड़े समय के पश्चात् कम मात्रा में भोजन खाना ठीक रहता है। इसलिए गर्भवती औरत को दिन में तीन बार के स्थान पर पाँच बार भोजन खाना चाहिए। गर्भवती औरत के भोजन में दूध, फल, सब्जियां, मक्खन और दालें अवश्य शामिल होनी चाहिएं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 24.
दूध पिलाने वाली माँ के लिए कैसा भोजन चाहिए ? एक दिन की आहार योजना बनाओ।
उत्तर :
दूध पिलाने वाली माँ के एक दिन के भोजन का नियोजन- दूध पिलाने वाली माँ का आहार सन्तुलित होना चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर अच्छा पड़ेगा। दूध पिलाने वाली माँ का एक दिन का भोजन निम्नलिखित अनुसार होना चाहिए

  • सुबह – दूध या चाय।
  • नाशता – गोभी, आलू या मिस्सा परांठा, मक्खन, दही या दूध।
  • मध्य में – फलों का रस चीनी मिलाकर, फल या अंकुरित दाल।
  • दोपहर का भोजन – रोटी, हरी सब्जी, दाल या चने, राइता, सलाद, मौसमी फल।
  • शाम को – पंजीरी, केक, बिस्कुट, चाय या दूध।
  • रात को – दूध का गिलास।

बच्चे का स्वास्थ्य माँ के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि माँ की खुराक में पौष्टिक तत्त्व होंगे, तभी बच्चा तन्दुरुस्त होगा। दूध पिलाने वाली माँ की खराकी आवश्यकता गर्भवती औरत से अधिक होती है। दूध पिलाने वाली माँ को अन्य औरतों की अपेक्षा कैलोरियां, प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थों की आवश्यकता अधिक होती है। अच्छी प्रोटीन दूध की पैदावार में सहायक होती है। इसलिए दूध पिलाने वाली माँ की खुराक में प्रोटीन युक्त पदार्थ जैसे दूध, पनीर और दालें आदि काफ़ी मात्रा में होनी चाहिएं।

प्रश्न 25.
बुखार के समय भोजन की जरूरत बढ़ती है या कम हो जाती है ? बताओ और क्यों ?
उत्तर :
बुखार में पौष्टिक भोजन की आवश्यकता बढ़ जाती है क्योंकि बुखार से शरीर में कई परिवर्तन आते हैं जैसे कि शरीर की मैटाबोलिक दर बढ़ने से शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह आवश्यकता साधारण से 50% बढ़ जाती है। बुखार में शरीर का तापमान बढ़ने से शरीर में तंतुओं की तोड़-फोड़ तेजी से होती है जिसके लिए अधिक प्रोटीन की ज़रूरत होती है। बुखार में शरीर के रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। इसलिए अधिक विटामिनों की आवश्यकता होती है। बुखार से खनिज पदार्थ का निकास बढ़ जाता है। उनकी पूर्ति के लिए अधिक खुराक की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 26.
बुखार से आप क्या समझते हैं ? इसका शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
शरीर एक मशीन की तरह काम करता है। मशीन की तरह ही शरीर में नुक्स पड़ सकता है जो प्रायः बुखार के रूप में प्रकट होता है। शरीर का तापमान तन्दुरुस्ती की स्थिति में 98.4 फार्नहीट होता है। यदि शरीर का तापमान इससे बढ़ जाए तो उसको बुखार कहा जाता है। बुखार से शरीर के तन्तुओं की तोड़-फोड़ बहुत तेजी से होती है, मैटाबोलिक दर बढ़ जाती है। शरीर में पौष्टिक तत्त्वों का शोषण कम होता है और सिर दर्द, कमर दर्द, बेचैनी प्रायः देखने में आते हैं।

प्रश्न 27.
बुखार में कैसा भोजन खाना चाहिए तथा क्यों ?
उत्तर :
बुखार में आहार आयोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बुखार से शरीर में कई परिवर्तन आते हैं और कई खुराकी तत्त्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है। बुखार के समय खुराक सम्बन्धी निम्नलिखित नुस्खे प्रयोग किए जाने चाहिएं

  1. ऊर्जा और प्रोटीन वाले भोजन पदार्थों का अधिक उपयोग।
  2. तरल और नर्म-गर्म भोजन का प्रयोग।
  3. दूध की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
  4. फलों का रस, सब्जियों की तरी, मीट की तरी, काले चने की तरी बीमार के लिए गुणकारी होती है।
  5. खिचड़ी, दलिया और अन्य हल्के भोजन देने चाहिएं।
  6. बीमार के खाने में मिर्च-मसाले कम होने चाहिएं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 28.
बुखार से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? बुखार की अवस्था में पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता बताएं।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्न नं० 26, 27 में।

प्रश्न 29.
बुखार में भोजन के तत्त्वों की आवश्यकता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
बुखार में खुराकी तत्त्वों की आवश्यकता शरीर में कई परिवर्तन आने के कारण बढ़ जाती है।

  1. ऊर्जा या शक्ति – बुखार में मैटाबोलिक दर बढ़ने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है जिसके कारण 5% अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है इसलिए अधिक कैलोरियों वाली खुराक देनी चाहिए।
  2. प्रोटीन – शरीर में तापमान बढ़ने से तन्तुओं की तोड़-फोड़ तेजी से होती है इसलिए प्रोटीन अधिक मात्रा में लेनी चाहिए।
  3. कार्बोहाइड्रेट्स – बुखार से शरीर के कार्बोहाइड्रेट्स के भण्डार कम हो जाते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स देने चाहिएं।
  4. विटामिन – बीमारी की हालत में शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। इस स्थिति में बीमार मनुष्य को अधिक विटामिनों की आवश्यकता होती है।
  5. खनिज पदार्थ – सोडियम और पोटाशियम पसीने द्वारा अधिक निकल जाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए दूध और जूस का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
  6. पानी – बीमार आदमी को पानी उचित मात्रा में पीना चाहिए क्योंकि रोगी के शरीर में से पानी पसीने और पेशाब के द्वारा निकलता रहता है।

प्रश्न 30.
बढ़ते बच्चों के लिए कैसा भोजन चाहिए ?
उत्तर :
बढ़ रहे बच्चों के शरीर में बने सैलों और तन्तुओं का निर्माण होता है और इसके लिए प्रोटीन तथा कार्बोज़ आदि अधिक मात्रा में चाहिएं ताकि तन्तुओं का निर्माण और तोड़-फोड़ की पूर्ति हो सके। इसके अतिरिक्त बच्चों की दौड़ने, भागने और खेलने में कैलोरियां अधिक खर्च होती हैं। इसलिए इनकी पूर्ति करने के लिए बच्चों के भोजन में आवश्यक मात्रा में मक्खन, घी, तेल, चीनी, शक्कर, दूध, पनीर और सब्जियों का शामिल होना आवश्यक है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 31.
गर्भवती औरत के लिए अधिक कैलोरियों की आवश्यकता होती है या दूध पिलाने वाली माँ के लिए, और क्यों ?
उत्तर :
गर्भवती औरत या दूध पिलाने वाली माँ, दोनों का भोजन सन्तुलित होना चाहिए। परन्तु दूध पिलाने वाली माँ की खुराकी आवश्यकताएं गर्भवती औरत से अधिक होती हैं। दूध पिलाने वाली माँ को गर्भवती और अन्य औरतों की अपेक्षा कैलोरियां और अन्य पौष्टिक तत्त्व अधिक मात्रा में चाहिएं। बच्चे की पूर्ण खुराक के लिए माँ का दूध काफ़ी मात्रा में आवश्यक है। यह दूध तभी प्राप्त होगा यदि माँ की खुराक में दूध, सब्जियाँ, दालें, पनीर काफ़ी मात्रा में होंगे। पहले छः महीने माँ का दूध बच्चे के लिए मुख्य खुराक होता है। इसलिए दूध पिलाती माँ को अधिक कैलोरियों वाला पौष्टिक भोजन चाहिए।

प्रश्न 32.
पाँच आहार समूहों से प्राप्त होने वाले पोषक तत्त्व बताइए। प्रत्येक समूह के कुछ उदाहरण भी दें।
अथवा
ICMR द्वारा प्रस्तावित खाद्य वर्ग योजना में खाद्य पदार्थों को कितने वर्गों में बांटा गया है ? प्रत्येक वर्ग में सम्मिलित होने वाले दो-दो खाद्य पदार्थों के नाम लिखें।
अथवा
ICMR द्वारा प्रस्तावित पांच खाद्य वर्गों के नाम लिखें व प्रत्येक वर्ग के अन्तर्गत दो-दो भोज्य पदार्थ लिखें।
अथवा
ICMR द्वारा प्रस्तावित पांच खाद्य वर्गों के नाम लिखें और उनके प्राप्त पोषक तत्त्व भी बताएं।
अथवा
ICMR द्वारा प्रस्तावित ‘पांच खाद्य वर्ग योजना’ का विवरण दीजिए ?
अथवा
खाद्य पदार्थों को किन-किन वर्गों में बांटा जा सकता है ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर :
HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 2

प्रश्न 33.
पोषक तत्त्वों के आधार पर आहार समूह बनाने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
पोषक तत्त्वों के आधार पर आहार समूह बनाने के निम्नलिखित लाभ हैं
(i) किसी विशेष पोषक तत्त्व की आवश्यकता होने पर ज्ञात होता है कि किस आहार समूह की भोजन सामग्री लेनी है।
(ii) एक आहार समूह की भोज्य सामग्री एक-से पोषक तत्त्व लगभग एक-सी ही मात्रा में उपलब्ध कराती है। हम सफलता से एक भोज्य सामग्री के स्थान पर दूसरी भोज्य सामग्री उसी आहार समूह में से परिवर्तित कर सकते हैं। इसे आहार परिवर्तन कहते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 34.
सन्तुलित आहार की परिभाषा दीजिए तथा इसकी विशेषताएँ बताएं।
उत्तर :
सन्तुलित आहार वह है जिसमें पोषक तत्त्व उतनी मात्रा तथा अनुपात में हो अर्थात् उचित मात्रा में रहते हैं जिनसे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्त्व मिल सकें और साथ ही कुछ पोषक तत्त्वों का शरीर में भण्डारण भी हो सके जिससे कभी-कभी अल्पाहार के समय उनका उपयोग शरीर में हो सके। सन्तुलित आहार की विशिष्टताएँ – सन्तुलित आहार में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही खाद्य पदार्थों का समावेश रहता है। अत: निम्नलिखित ज़रूरतें सन्तुलित आहार द्वारा पूर्ण हो पाती हैं।

  1. किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत पोषण आवश्यकता की पूर्ति।
  2. सभी आहार समूहों में से खाद्य पदार्थों का समावेश।
  3. भोजन के विभिन्न प्रकारों का समावेश।
  4. मौसमी भोज्य पदार्थों का समावेश।
  5. कम खर्चीला।
  6. व्यक्तिगत रुचि और स्वाद के अनुकूल होना।

प्रश्न 35.
भोजन सम्बन्धी योजना क्या है ?
उत्तर :
इसका अर्थ है भोजन के लिए इस प्रकार से योजना बनाना कि परिवार का प्रत्येक सदस्य उपयुक्त पोषण स्तर प्राप्त कर सके। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें यह निर्धारित किया जाता है कि प्रतिदिन प्रत्येक भोजन में परिवार के सदस्य क्या खाएँगे।

प्रश्न 36.
भोजन सम्बन्धी योजना का क्या महत्त्व है ?
अथवा
आहार आयोजन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
भोजन सम्बन्धी योजना निम्नलिखित बातों में सहायता प्रदान करती है –

  1. परिवार के सदस्यों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति।
  2. भोजन में मितव्ययिता का ध्यान रखना।
  3. विभिन्न सदस्यों की भोजन सम्बन्धी प्राथमिकताओं का ध्यान रखना।
  4. भोजन आकर्षक तरीके से परोसना।
  5. ऊर्जा, समय और ईंधन की बचत करना।
  6. बचे हुए भोजन का सही उपयोग।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 37.
भोजन पकाते समय गृहिणी की व्यक्तिगत स्वच्छता सम्बन्धी किसी एक नियम का उल्लेख करें।
उत्तर :
भोजन पकाना शुरू करने से पूर्व गृहिणी को अपने हाथ अच्छी प्रकार से धोने चाहिए। बालों को हमेशा बांधकर रखना चाहिए।

प्रश्न 38.
खाना परोसते समय स्वच्छता सम्बन्धी किसी एक नियम का उल्लेख करें।
उत्तर :
खाना साफ-सुथरे बर्तनों में परोसना चाहिए तथा खाना खाने के लिए स्थान हवादार होना चाहिए।

प्रश्न 39.
दूध व दही का भण्डारण कैसे करेंगे ?
उत्तर :
दूध व दही का भण्डारण कम तापमान पर रेफ्रिजीरेटर में किया जाता है।

प्रश्न 40.
गेहूँ का भण्डारण कैसे करेंगे ?
उत्तर :
गेहूँ का भण्डारण बोरियों में, टीन के बने ड्रमों में किया जाता है। गेहूँ में नीम के पत्ते मिलाकर इसका भण्डारण किया जाता है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 41.
रसोई घर की स्वच्छता सम्बन्धी किसी एक नियम का उल्लेख करें।
उत्तर :
रसोईघर में खाने वाला सामान इधर-उधर बिखरा नहीं होना चाहिए, इससे चूहे, तिलचिट्टे, मक्खियां, छिपकलियां आदि रसोई में नहीं आ पाएंगे।

प्रश्न 42.
ताजे फलों व सब्जियों का भण्डारण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर :
ताजे फलों व सब्जियों को ठण्डे स्थान जैसे फ्रिज में रखकर भण्डारण किया जाता है।

प्रश्न 43.
किस दशा में दिए जाने वाले आहार को उपचारार्थ कहा जाता है ?
उत्तर :
किसी रोगी को रोग की दशा में दिए जाने वाले भोजन को उपचारार्थ कहा जाता है।

प्रश्न 44.
आहार नियोजन कला है या विज्ञान ?
उत्तर :
आहार-नियोजन कला भी है तथा विज्ञान भी। विज्ञान इसलिए कि आहार नियोजन में पौष्टिक मूल्यों के अनुसार भोज्य पदार्थ तालिका में शामिल किए जाते हैं तथा पकाने में तथा परोसने में कला का प्रयोग होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
आहार आयोजन का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
आहार आयोजन का अर्थ है उपलब्ध भोज्य सामग्री के द्वारा परिवार के सदस्यों के लिए रुचिकर, स्वास्थ्यप्रद तथा पारिवारिक बजट के अनुकूल दैनिक आहार की अग्रिम रूप-रेखा तैयार करना। आहार आयोजन परिवार के हर सदस्य की आयु, लिंग, कार्य और उसकी पोषण सम्बन्धी आवश्यकता को ध्यान में रखकर ही वैज्ञानिक ढंग से किया जा सकता है। आहार आयोजन के दो प्रमुख पहलू हैं – (i) आर्थिक तथा (ii) मनोवैज्ञानिक। एक धनी परिवार का आहार आयोजन गरीब परिवार के आहार आयोजन से सदैव भिन्न होगा। आहार आयोजन परिवार के सदस्यों को भोजन सम्बन्धी रुचियों एवं प्रवृत्तियों से भी बहुत अधिक प्रभावित होता है। आहार आयोजन का प्रमुख उद्देश्य परिवार के लिए पौष्टिक भोजन प्रदान करना है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 2.
आहार आयोजन से क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
आहार आयोजन से निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. परिवार के प्रत्येक सदस्य को शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल पौष्टिक भोजन की प्राप्ति होती है।
  2. गृहिणी के समय की बचत होती है क्योंकि ठीक मौके पर यह नहीं सोचना पड़ता कि अमुक समय में क्या बनेगा। साथ ही उसके लिए सामान पहले से ही खरीद लिया जाता है।
  3. गृहिणी की शक्ति की बचत होती है। आहार आयोजन से कम समय में ही अधिक कार्य किया जा सकता है।
  4. परिवार के सदस्यों की रुचि को ध्यान में रखकर आहार आयोजन करने से प्रत्येक सदस्य को उसकी रुचि के अनुसार भोजन मिलता है।
  5. आहार आयोजन कर लेने से इकट्ठा सामान थोक के भाव से खरीदने से धन की बचत होती है।
  6. आहार आयोजन में सभी समय का आहार सन्तुलित, सुपाच्य होने के साथ-साथ स्वास्थ्यकर भी होता है।

प्रश्न 3.
प्रातःकाल के नाश्ते की कुछ व्यवस्थायें या मीन बताइये।
उत्तर :
नाश्ते की कुछ व्यवस्थायें निम्नलिखित हैं –

  1. गेहूँ, मक्का – बाजरा या गेहूँ-मक्का का दलिया, दूध या लस्सी के साथ; दो टोस्ट, मक्खन या मलाई के साथ, आलू का कटलेट या बेसन का पूड़ा, मौसमी फल – केला, अमरूद, पपीता, आम, सन्तरा या बेर आदि, चाय, कॉफी, लस्सी।
  2. गेहूँ, चने की या मिश्रित अनाज की रोटी, दही या रायते या आचार के साथ, मौसमी फल, लस्सी, शिकन्जवी, चाय या कॉफी।
  3. आलू, प्याज, मूली, गोभी, मेथी या बथुआ का परांठा दही के साथ; एक टोस्ट मक्खन, जैम या पनीर के टुकड़े के साथ; मौसमी फल, लस्सी, शिकन्जी, चाय या कॉफी।
  4. दो टोस्ट मक्खन या जैम के साथ, दो अण्डे उबले या तले हुए या बेसनी आमलेट, कार्न फ्लेक-दूध, मौसमी फल, चाय या कॉफी।
  5. डोसा-सांभर या इडली – सांभर, पोहे या ढोकले दाल व दही के साथ, बेसनी आमलेट या अण्डे का आमलेट, मौसमी फल, लस्सी, शिकन्जवी, चाय या कॉफी।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 4.
दोपहर के भोजन की कुछ व्यवस्थायें बताइये।
उत्तर :
दोपहर के भोजन की कुछ व्यवस्थायें या मीनू निम्नलिखित हैं –

  1. मक्की की रोटी सरसों के साग के साथ या बाजरे की रोटी पत्ते सहित मूली की भुरजी व मूंग, मोठ की मिश्रित दाल के साथ या रोटी, पूड़ी या परांठों के साथ दाल, सब्जी, दही, चटनी व सलाद।
  2. चावल – दाल की खिचड़ी या बाजरा-दाल की खिचड़ी, बाजरा-लस्सी की राबड़ी हरी-सब्जी, दही, चटनी, अचार व सलाद।
  3. चावल, हरी-सब्जी, चटनी, टोस्ट-मक्खन, सलाद।
  4. चावल, दाल, कोई हरी-सब्जी, दही या रायता, चटनी व सलाद।
  5. रोटी, कोई हरी सब्जी, रायता, चटनी व सलाद।

नोट – दाल के स्थान पर कोफ्ते, सांभर, कढ़ी, आलू, बड़ियां, सोयाबीन बड़ियां, राजमांह, छोले, लोबिया आदि का प्रयोग करके भोजन में विविधता लाई जाती है।

प्रश्न 5.
संध्या का जलपान या शाम की चाय कब और कैसी होनी चाहिए ? शाम की चाय के कुछ मीनू भी बताइये।।
उत्तर :
कुछ लोग तो शाम को केवल चाय ही पीना पसन्द करते हैं, जबकि कुछ उसके साथ कुछ खाने को भी लेते हैं। चाय के साथ परोसे जाने वाले व्यंजन अवसर के अनुसार देने चाहिए। रोज़ तो घर में शाम को चाय के साथ अक्सर कुछ नमकीन और मीठा खा लिया जाता है, परन्तु ध्यान रखना चाहिए कि साथ में दिए जाने वाले व्यंजन हल्के, स्फूर्तिदायक और आसानी से परोसे जाने वाले हों। ऐसा करना इसलिए आवश्यक है कि रोज़ चाय पीने के लिए परिवार के सदस्य मेज आदि पर बैठना पसन्द नहीं करते अपितु जहाँ बैठे हों वहीं लेना पसन्द करते हैं। कुछ लोग जो दिनभर के काम के पश्चात् घर आते हैं, तो चाय के साथ कुछ भारी चीज़ जैसे लड्डू आदि खाना पसन्द करते हैं। परन्तु कुछ ऐसे भी लोग हैं जो रात्रि का भोजन जल्दी लेना चाहते हैं। अतः वे शाम को खाली चाय ही पीते हैं।

साधारण समय के लिए :

  1. पकौड़े, चाय।
  2. टमाटर के सैंडविच, चाय।
  3. मठरी, बेसन के लड्डू, चाय।
  4. मीठे बिस्कुट, साबूदाने के बड़े, चाय।
  5. जलेबी, आलू के चिप्स, चाय।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 6.
रात्रि का भोजन कैसा होना चाहिए ?
उत्तर :
रात्रि के भोजन तथा दोपहर के भोजन में कोई विशेष अन्तर नहीं होता। अत: रात के भोजन में भी वे सभी खाद्य-पदार्थ सम्मिलित किये जाते हैं जो दोपहर के भोजन में सम्मिलित किये जाते हैं लेकिन इतना होने पर भी रात के भोजन की व्यवस्था करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ये बातें निम्नलिखित हैं –

  1. इस भोजन की व्यवस्था सोने से कम-से-कम दो-तीन घंटे पूर्व होनी चाहिए।
  2. दिनभर काम करने के कारण टूटने-फूटने वाले कोषाणुओं की पूर्ति करने के लिए प्रोटीनयुक्त खाद्य-पदार्थों की संख्या अधिक होनी चाहिए।
  3. यह दोपहर के भोजन की तुलना में हल्का होना चाहिए अन्यथा पाचन क्रिया ठीक प्रकार से नहीं हो पाती है।

रात्रि के भोजन में निम्नलिखित खाद्य-पदार्थों को लिया जाना चाहिए –

  1. कोई भी दाल।
  2. हरी-सब्जी (यदि दोपहर के भोजन में न ली गई हो तो अवश्य ही प्रयोग करें)।
  3. दूध, दही।
  4. कोई मीठा व्यंजन, जैसे-कस्टर्ड, फ्रूट क्रीम, पुडिंग चावल या साबूदाने की खीर, आटा-सूजी या मूंग की दाल का अथवा बाजरे का हलवा, आइसक्रीम, कुल्फी आदि।
  5. भोजन से पूर्व सब्जियों या मांस का सूप।

प्रश्न 7.
रात्रि के भोजन के लिए कुछ मीनू बताइये।
उत्तर :

  1. पालक-पनीर कोफ्ता, गोभी की सब्जी, बूंदी का रायता, सलाद, पूरी, मूंगफली का पुलाव, गाजर का हलवा।
  2. कीमा-कोफ्ता, पालक-मूंगफली साग, आलू-गाजर-मटर की सब्जी, सलाद, पुलाव / तन्दूरी रोटी, फ्रूट-क्रीम (Fruit Cream)।
  3. टमाटर का सूप, धन-साग (Dhan-Sag), बेक्ड सब्जियां (Baked Vegetables), सलाद, पुलाव / नॉन, ट्राइफल पुडिंग (Trifle Pudding)।
  4. पालक सूप, आलू-मटर पनीर; गोभी मुसल्लम; गाजर का रायता; पुलाव / तन्दूरी रोटी; लैमन सूफले (Lemon Souffle)।
  5. केले और अमरूद का पेय; मीट करी / पनीर कोफ्ते; राजमांह; भरवां लौकी, सलाद; सादा पुलाव / पूरी, रबड़ी।

प्रश्न 8.
स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए सुबह का नाश्ता तैयार करते समय कौन कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर :
स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए सुबह का नाश्ता तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1. सन्तुलित नाश्ता तैयार करना – स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए सदैव सन्तुलित नाश्ते की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे उसकी पौष्टिक आवश्यकताएं पूरी हो सकें। इसके लिए चपाती या परांठा, उबली हुई सूखी दाल, सब्जी, दही एवं दूध की व्यवस्था करनी चाहिए। नाश्ते के मीनू में हमेशा बच्चों की रुचि के अनुकूल खाद्य-पदार्थों का समावेश करना चाहिए।

2. नाश्ते का आकर्षक होना – नाश्ते का रूप-रंग और उसकी रचना इतनी आकर्षक होनी चाहिए कि उसे देखते ही बच्चे का मन खाने के लिए लालायित हो उठे।

3. समय से नाश्ता तैयार करना – स्कूल जाने वाले बच्चे का नाश्ता तैयार करते समय माँ को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नाश्ता बच्चे के स्कूल जाने से इतनी देर पहले अवश्य तैयार हो जाए कि बच्चा आराम से नाश्ता कर सके।

4. नाश्ते का महत्त्व समझाना – प्रायः ऐसा होता है कि बच्चे स्कूल जाने से पहले नाश्ता लेना पसंद नहीं करते ऐसी स्थिति में बच्चे को डांटने-फटकारने के स्थान पर प्रेम से यह समझाना चाहिए कि उनके लिए नाश्ता लेना ज़रूरी है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 9.
स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए टिफिन तैयार करते समय कौन-कौन-सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर :

  1. कैलोरी की मात्रा – टिफिन में पोषक तत्त्वों की दृष्टि में दैनिक आवश्यकता के 1/6 से 1/5 भाग की पूर्ति होनी चाहिए।
  2. सन्तुलित आहार – टिफिन तैयार करते समय सन्तुलित आहार सम्बन्धी सिद्धान्तों का ध्यान रखना चाहिए।
  3. हर रोज़ मीन बदलना – इससे भोजन के प्रति अरुचि पैदा नहीं होती।
  4. भोजन की मात्रा – बच्चे के टिफिन में भोजन की मात्रा न तो बहुत अधिक रखनी चाहिए और न बहुत कम।
  5. भोजन इस प्रकार का होना चाहिए कि टिफिन के उलटने से कोई पदार्थ, तरी आदि गिरकर कपड़े या किताबें खराब न हों।
  6. बच्चे को टिफिन के साथ एक नेपकिन देना चाहिए।
  7. बच्चे को पानी की बोतल भी ज़रूर देनी चाहिए।

प्रश्न 10.
जल्दी-जल्दी नाश्ता करने से क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर :
जल्दी-जल्दी नाश्ता करने से निम्नलिखित हानियाँ होती हैं –
1. भोजन ठीक से चबाया नहीं जाता जिससे मुँह में स्टॉर्च शर्करा में रूपान्तरण नहीं हो पाता।

2. जल्दी-जल्दी में पूरा नाश्ता नहीं किया जाता जिससे भूख लगने के कारण बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता और वह थका-थका सा रहता है। इससे वह पढ़ाई में भी कमज़ोर होता है।

3. सन्तुलित और पूरा नाश्ता न करने और नाश्ते के लिए पैसा ले जाने के कारण बच्चे स्कूल के बाहर बैठे खोमचे वालों से दूषित भोज्य-पदार्थ खाते हैं जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि स्कूल जाने वाले बच्चे को प्रातःकालीन नाश्ता आयोजित करते समय कुछ अधिक सावधानी रखनी चाहिए।

प्रश्न 11.
किशोरावस्था में पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएं क्यों बढ़ जाती हैं ?
उत्तर :
इस अवस्था में पर्याप्त शारीरिक परिवर्तन होते हैं –

  1. हड्डियां बढ़ती हैं,
  2. मांस-पेशियों की वृद्धि होती है
  3. कोमल तन्तुओं में वसा संग्रहीत होती है
  4. अस्थि पिजर दृढ़ हो जाता है
  5. शरीर में रोग-निरोधक क्षमता का विकास होता है
  6. नाड़ी मंडल में स्थिरता आती है
  7. लड़कों के कन्धे चौड़े होते हैं
  8. लड़कियों के नितम्ब बढ़ते हैं और मासिक धर्म प्रारम्भ हो जाता है।

इस प्रकार शारीरिक वृद्धि की गति बढ़ जाने के कारण इस अवस्था में भूख अधिक लगती है और पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 12.
किशोरावस्था के लड़के-लड़कियां कुपोषण के शिकार क्यों होते हैं ?
उत्तर :
एक तरफ़ जब किशोरावस्था में पोषण आवश्यकताएं बढ़ती हैं दूसरी और वे प्रायः कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इसके अग्रलिखित कारण होते हैं –

  • पोषण विज्ञान सम्बन्धी अज्ञानता।
  • परम्परागत भोजन सम्बन्धी आदतें।
  • निर्धनता के कारण अपर्याप्त और असंतुलित भोजन।
  • मानसिक अस्थिरता और चिड़चिड़ापन।
  • कोई तीव्र संक्रमण एवं शारीरिक रोग जिसके कारण भूख कम लगती हो।
  • लड़कियों में स्थूलता का भय जिसके कारण वे बहुत-से खाद्य-पदार्थों जैसे दूध, आलू आदि से परहेज करती हैं।
  • दिनचर्या का नियमित न होना और भोजन करने का निश्चित समय न होना।
  • स्वतन्त्रता की भावना होने से अपने लिए भोजन स्वयं चुनना तथा अपनी शारीरिक आवश्यकताओं का ध्यान न रखना।

प्रश्न 13.
किशोरावस्था के लिए आहार आयोजन करते समय क्या सुझाव लाभकारी हो सकते हैं ?
अथवा
किशोरावस्था के लिए आहार आयोजन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर :
किशोरावस्था के लिए आहार आयोजन करते समय निम्नलिखित सुझाव लाभकारी हो सकते हैं

  • भोजन की पौष्टिकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • भोजन में सभी वर्गों के खाद्य पदार्थ बदल-बदल कर सम्मिलित किए होने चाहिएँ।
  • दूध और दूध से बने पदार्थ भोजन में अवश्य सम्मिलित किए जाने चाहिएँ।
  • दूध का अभाव होने पर प्रोटीन की पूर्ति सोयाबीन एवं मूंगफली द्वारा करनी चाहिए।
  • हरी पत्तेदार सब्जियों तथा गहरी पीली सब्जियों को आहार में विशेष स्थान देना चाहिए।
  • भोजन में सलाद का होना आवश्यक है क्योंकि कच्ची सब्जियों द्वारा विटामिन सुलभ प्राप्त हो जाते हैं।
  • मौसम के फल जैसे अमरूद, केला, आम, पपीता को आहार में अवश्य सम्मिलित करना चाहिए।
  • भोजन तैयार करते समय तलने-भूनने की क्रियाओं का प्रयोग कम होना चाहिए।
  • मसालों का प्रयोग कम करना चाहिए।
  • भोजन का समय नियमित होना आवश्यक है।
  • शरीर का भार बढ़ रहा हो तो कैलोरी की मात्रा कम रखनी चाहिए।
  • कोष्ठबद्धता से बचने के लिए आहार में रेशेदार पदार्थों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 14.
एक 15 वर्षीय किशोर लड़के की ICMR द्वारा प्रस्तावित दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं लिखें।
उत्तर :
एक 15 वर्षीय किशोर लड़के की ICMR द्वारा प्रस्तावित दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं इस प्रकार हैं –

  • किशोर का भार – लगभग 48 कि०ग्रा०
  • कैलोरी की मात्रा – 2450 कि० कैलोरी
  • प्रोटीन – 70 ग्राम
  • कैल्शियम – 600 मि.ग्रा०
  • लोहा – 41 मिग्रा०
  • विटामिन ए – 2400 मिग्रा०
  • थायामिन – 1.2 मि०ग्रा०
  • राइबोफ्लेबिन – 1.5 मिग्रा०

प्रश्न 15.
भोजन का पौष्टिक मान बढ़ाने का अभिप्राय लिखें।
उत्तर :
सामान्य आहार में अनाज की मात्रा अधिक होती है। कार्बोज़ द्वारा व्यक्ति की कैलोरी आवश्यकताओं की पूर्ति तो हो जाती है, परन्तु शरीर निर्माण करने वाले पौष्टिक तत्त्व जैसे प्रोटीन तथा स्वास्थ्य रक्षा करने वाले तत्त्व जैसे विटामिन व खनिज लवणों का अभाव होता है। जो भी खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं उनका पौष्टिक मान बढ़ाने से शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्त्व उपलब्ध हो जाते हैं। अंकुरण द्वारा, मिश्रण द्वारा पौष्टिक मान बढ़ाया जाता है।

प्रश्न 16.
आटे का चोकर फेंकने से क्या नुकसान होते हैं ?
उत्तर :
आटे का चोकर फेंकने से प्रोटीन, थायमिन, निकोटिनिक एसिड, विटामिन B आदि का नुकसान होता है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 17.
एक गर्भवती स्त्री की ICMR द्वारा प्रस्तावित दैनिक पौशिक आवश्यकतायें लिखें।
उत्तर :
गर्भवती स्त्री के लिए प्रस्तावित दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं इस प्रकार हैं –

  • ऊर्जा – 2525 कि० कै (मध्यम कार्य)
  • प्रोटीन – 65 ग्राम
  • कैल्शियम – 1000 मिग्रा०
  • लोह – 38 मि०ग्रा०
  • रेटीनाल – 600 माइक्रो ग्रा०
  • थायमिन – 1.3 माइक्रो ग्रा०
  • विटामिन ‘सी’ – 40 मिग्रा०
  • विटामिन B12 – 1 माइक्रो ग्रा०
  • नायसिन – 16 मि.ग्रा०

प्रश्न 18.
दोपहर के भोजन का आयोजन करते समय गृहिणी को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर :

  1. दोपहर का भोजन भारी होना चाहिए ताकि सन्तुष्टि मिले।
  2. इसमें सभी भोजन समूह से खाद्य पदार्थ होने चाहिए।
  3. कच्ची तथा पक्की सब्जियां होनी चाहिए।
  4. पूरे दिन की ज़रूरत का तीसरा भाग दोपहर के खाने से मिलना चाहिए।

प्रश्न 19.
एक वयस्क पुरुष की ICMR द्वारा प्रस्तावित दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं लिखें।
उत्तर :
वयस्क पुरुष जिसका शारीरिक भार 60 किलोग्राम है तथा मध्यम दर्जे का कार्य करता है, उसके लिए प्रस्तावित दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएं हैं –

  • प्रोटीन – 60 ग्राम
  • कैल्शियम – 400 मिग्रा०
  • लोहा – 28 मि०ग्रा०
  • विटामिन ए – 2400 माइक्रो ग्राम
  • थायमिन – 1.4 मि०ग्रा०
  • राइबोफलेविन – 1.6 मि०ग्रा०
  • कैलोरी – 2875 किलो कैलोरी

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 20.
रात्रि के भोजन की व्यवस्था करते समय गृहिणी को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? (कोई दो)
उत्तर :
1. भोजन की व्यवस्था सोने से कम-से-कम दो तीन घण्टे पूर्व होनी चाहिए।
2. यह दोपहर के भोजन की तुलना में हल्का होना चाहिए।

प्रश्न 21.
भोजन सम्बन्धी अन्ध विश्वास एवं मान्यताओं का आहार आयोजन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
हमारे देश में भोजन सम्बन्धी अन्ध विश्वास तथा भ्रम सदियों से चले आ रहे हैं। इनका आहार आयोजन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इनके कारण से जो भी कुछ भोजन हमें मिल पाता है उसका भी पूर्ण रूप से लाभ हम नहीं उठा पाते।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
(क) भोजन को समूहों में क्यों बांटा गया है ? सन्तुलित भोजन बनाने के समय इसके क्या लाभ हैं ?
(ख) संतुलित आहार आयोजन में आहार वर्ग किस प्रकार सहायक होते हैं ? उदाहरण सहित समझाएं।
उत्तर :
(क) अलग-अलग भोजनों में अलग-अलग पौष्टिक तत्त्व मौजूद होते हैं। इसलिए भोजन को उनके पौष्टिक तत्त्वों के अनुसार अलग-अलग भोजन समूहों में बांटा गया है। अण्डे और दूध को पूर्ण खुराक माना गया है। लेकिन प्रतिदिन एक भोजन नहीं खाया जा सकता। इससे मन ऊब जाता है। इसलिए भोजन समूहों में से ज़रूरत अनुसार कुछ-न-कुछ लेकर सन्तुलित भोजन प्राप्त किया जाता है। अलग-अलग भोजनों की पौष्टिक तत्त्वों के अनुसार बारम्बारता इस तरह है –

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 3

सन्तुलित भोजन बनाते समय सारे भोजन समूहों में से आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों वाले भोजन लिए जाएंगे ताकि भोजन स्वादिष्ट और खुशबूदार बनाया जा सके।
परिवार के लिए सन्तुलित भोजन बनाना (Planning Balanced Diet for the Family) सन्तुलित भोजन बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  1. मनुष्य की प्रतिदिन की पौष्टिक तत्वों की ज़रूरत का ज्ञान (Knowledge of Daily Nutritional Requirements)
  2. ज़रूरी पौष्टिक तत्त्व देने वाले भोजनों की जानकारी तथा चुनाव (Knowledge of Food Stuffs that can Provide Essential Nutrients)
  3. भोजन की योजनाबन्दी (Planning of Meals)
  4. भोजन पकाने का ढंग (Method of Cooking)
  5. भोजन परोसने का ढंग (Method of Serving Food)

1. मनुष्य की प्रतिदिन की पौष्टिक तत्त्वों की जरूरत का ज्ञान (Knowledge of Daily Nutritional Requirements) मनुष्य की भोजन की आवश्यकता उसकी आयु, लिंग, व्यवसाय तथा जलवायु के साथ-साथ शारीरिक हालत पर निर्भर करती है। जैसे भारा तथा शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति को हल्का तथा दिमागी कार्य करने वाले मनुष्य की अपेक्षा ज्यादा कैलोरी तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा लोहे की ज्यादा ज़रूरत है। इसलिए सन्तुलित भोजन बनाने से पहले पारिवारिक व्यक्तियों की पौष्टिक तत्त्वों की ज़रूरत का ज्ञान होना जरूरी है।

2. ज़रूरी पौष्टिक तत्त्व देने वाले भोजन की जानकारी (Knowledge of Food Stuffs that can Provide Essential Nutrients) – प्राकृतिक रूप में मिलने वाले भोजन को उनके पौष्टिक तत्त्वों के आधार पर पाँच भोजन समूहों में बांटा गया है, जोकि पीछे टेबल नं० 1 में दिए गए हैं। प्रत्येक समूह में से भोजन पदार्थ शामिल करने से सन्तुलित भोजन तैयार किया जा सकता है। भिन्न-भिन्न प्रकार की आयु, लिंग तथा शारीरिक अवस्था के अनुसार पौष्टिक तत्त्वों की ज़रूरत भी भिन्न-भिन्न होती है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

3. भोजन की योजनाबन्दी (Planning of Meals) भोजन की ज़रूरत तथा चुनाव के बाद उसकी योजना बना ली जाए। कितने समय के अन्तराल के बाद भोजन खाया जाए जिसके पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा पूरी हो सके। भोजन की योजनाबन्दी को निम्नलिखित बातें प्रभावित करती हैं –

  1. परिवार के सदस्यों की संख्या।
  2. परिवार के सदस्यों की आयु, व्यवसाय तथा शारीरिक अवस्था।
  3. परिवार के सदस्यों की भोजन के प्रति रुचि तथा जरूरत।
  4. परिवार के रीति-रिवाज।
  5. भोजन पर किया जाने वाला व्यय तथा भोजन पदार्थों की खुराक।

ऊपरलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए पौष्टिक तत्त्वों की पूर्ति तथा भोजन की ज़रूरत के अनुसार सारे दिन में खाए जाने वाले भोजन को चार मुख्य भागों में बांटा गया है –

  1. सुबह का नाश्ता (Breakfast)
  2. दोपहर का भोजन (Lunch)
  3. शाम का चाय-पानी (Evening Tea)
  4. रात का भोजन (Dinner)

(i) सुबह का नाश्ता (Breakfast) – पूरे दिन की ज़रूरत का चौथा भाग सुबह के नाश्ते द्वारा प्राप्त होना चाहिए। अच्छा नाश्ता शारीरिक तथा मानसिक योग्यता को प्रभावित करता है। नाश्ते की योजना बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –
(क) शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए नाश्ता ठोस तथा कार्बोज़ युक्त होना चाहिए जबकि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए हल्का तथा प्रोटीन युक्त नाश्ता अच्छा रहता है।

(ख) यदि नाश्ते तथा दोपहर के खाने में ज्यादा लम्बा समय हो तो नाश्ता भारी लेना चाहिए तथा यदि अन्तर कम या समय कम हो तो नाश्ता हल्का तथा जल्दी पचने वाला होना चाहिए।

(ग) नाश्ते में सभी भोजन तत्त्व शामिल होने चाहिएं जैसे भारी नाश्ते के लिए भरा हुआ परांठा, दूध, दही या लस्सी तथा कोई फल लिया जा सकता है। हल्के नाश्ते के लिए अंकुरित दाल, टोस्ट, दूध तथा फल आदि लिए जा सकते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

(ii) दोपहर का भोजन (Lunch) – पूरे दिन की ज़रूरत का तीसरा भाग दोपहर के भोजन द्वारा प्राप्त होना चाहिए। इसमें अनाज दालें, पनीर, मौसमी फल तथा हरी पत्तेदार सब्जियां होनी चाहिएं। भोजन में कुछ कच्ची तथा कुछ पक्की चीजें होनी चाहिएं। अधिकतर कार्य करने वाले लोग दोपहर का खाना साथ लेकर जाते हैं। इसलिए वह भोजन भी पौष्टिक होना चाहिए। उदाहरण के लिए दोपहर के भोजन में रोटी, राजमांह, कोई सब्जी, रायता तथा सलाद लिया जा सकता है तथा साथ ले जाने वाले भोजन में पुदीने की चटनी आदि तथा सैंडविच, गचक तथा कुछ फल सम्मिलित किया जा सकता है।

(iii) शाम की चाय (Evening Tea) – इस समय चाय के साथ कोई नमकीन या मीठी चीज़ जैसे बिस्कुट, केक, बर्फी, पकौड़े, समौसे आदि लिए जा सकते हैं।

(iv) रात का भोजन (Dinner) – इस भोजन में से भी पूरे दिन की ज़रूरत का तीसरा भाग प्राप्त होना चाहिए। रात तथा दोपहर के भोजन में कोई फर्क नहीं होता परन्तु फिर भी इसको बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे –

(क) दोपहर के भोजन की अपेक्षा रात का भोजन हल्का होना चाहिए ताकि जल्दी पच सके।
(ख) सारा दिन काम – काज करते हुए शरीर के तन्तुओं की टूट-फूट होती रहती है। इसलिए इनकी मरम्मत के लिए प्रोटीन वाले भोजन पदार्थ होने चाहिएं।
(ग) रात का भोजन विशेष ध्यान देकर बनाना चाहिए क्योंकि इस समय परिवार के सारे सदस्य इकट्ठे होकर भोजन करते हैं।

4. भोजन पकाने का ढंग (Method of Cooking) – भोजन की योजनाबन्दी का तभी फ़ायदा है जब भोजन को ऐसे ढंग के साथ पकाया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा खुराकी तत्त्वों की सम्भाल हो सके। भोजन खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. सूखे भोजन पदार्थ जैसे अनाज, दालें अधिक मात्रा में खरीदनी चाहिएं परन्तु यह भी उतनी ही मात्रा में जिसकी आसानी से सम्भाल हो सके।
  2. फल तथा सब्जियां ताज़ी खरीदनी चाहिएं क्योंकि बासी फल तथा सब्जियों में विटामिन तथा खनिज लवण नष्ट हो जाते हैं।
  3. हमेशा साफ़ – सुथरी दुकानों से ही भोजन खरीदना चाहिए।

भोजन को पकाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  1. भोजन को अधिक समय तक भिगोकर नहीं रखना चाहिए क्योंकि बहुत सारे घुलनशील तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  2. सब्जियों तथा फलों के ज्यादा छिलके नहीं उतारने चाहिएं क्योंकि छिलकों के नीचे विटामिन तथा खनिज लवण ज्यादा मात्रा में होते हैं।
  3. सब्जियों को बनाने से थोड़ी देर पहले ही काटना चाहिए नहीं तो हवा के सम्पर्क के साथ भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
  4. सब्जियां तथा फल हमेशा बड़े-बड़े टुकड़ों में काटने चाहिएं क्योंकि इस तरह से फल तथा सब्जियों की कम सतह पानी तथा हवा के सम्पर्क में आती है।
  5. सब्जियों को उबालते समय पानी में डालकर कम-से-कम समय के लिए पकाया जाए ताकि उनकी शक्ल, स्वाद तथा पौष्टिक तत्त्व बने रहें।
  6. भोजन को पकाने के लिए मीठे सोडे का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे विटामिन ‘बी’ तथा ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं।
  7. प्रोटीन युक्त पदार्थों को धीमी आग पर पकाना चाहिए नहीं तो प्रोटीन नष्ट हो जाएंगे।
  8. भोजन हिलाते तथा छानते समय अधिक समय नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे भोजन के अन्दर हवा इकट्ठी होने के कारण विटामिन ‘सी’ नष्ट हो जाता है।
  9. खाना बनाने वाले बर्तन तथा रसोई साफ़-सुथरी होनी चाहिए।
  10. भोजन में अधिक मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  11. एक ही प्रकार के भोजन पदार्थों का प्रयोग बार-बार नहीं करना चाहिए।
  12. जो लोग शाकाहारी हों उनके भोजन में दूध, पनीर, दालें तथा सोयाबीन का प्रयोग अधिक होना चाहिए।
  13. जहां तक हो सके भोजन को प्रैशर कुक्कर में पकाना चाहिए क्योंकि इससे समय तथा शक्ति के साथ-साथ पौष्टिक तत्त्व भी बचाए जा सकते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

5. भोजन परोसने का ढंग (Method of Serving Food) –

  • खाना खाने वाला स्थान, साफ़-सुथरा तथा हवादार होना चाहिए।
  • खाना हमेशा ठीक तरह के बर्तनों में ही परोसना चाहिए जैसे तरी वाली सब्जियों के लिए गहरी प्लेट तथा सूखी सब्जियों के लिए चपटी प्लेट प्रयोग में लाई जा सकती है।
  • एक बार ही बहुत ज्यादा भोजन नहीं परोसना चाहिए बल्कि पहले थोड़ा तथा आवश्यकता पड़ने पर ओर लिया जा सकता है।
  • सलाद तथा फल भी भोजन के साथ अवश्य परोसने चाहिएं।
  • भोजन में रंग तथा भिन्नता होनी चाहिए। इसलिए धनिये के हरे पत्ते, नींबू तथा टमाटर आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

यदि ऊपरलिखित बातों को ध्यान में रखकर भोजन तैयार किया जाए तो व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार, प्रसन्न मन के साथ भोजन खाकर सन्तुलित भोजन का उद्देश्य पूरा कर सकता है। (ख) देखें (क) का उत्तर।

प्रश्न 2.
भोजन की पौष्टिकता बनाने के लिए भोजन पकाते समय कौन-सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।

प्रश्न 3.
आहार नियोजन से आप क्या समझते हैं ? इसको प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं ?
उत्तर :
एक समझदार गृहिणी में यह गुण होना चाहिए कि आहार भोजन इस तरह बनाए कि परिवार के सभी सदस्यों को उनकी आवश्यकता अनुसार सन्तुलित और स्वादिष्ट खाना मिल सके। सारा दिन आवश्यकता अनुसार क्या-क्या खाना चाहिए यह आहार नियोजन से पता चलता है। इसलिए परिवार के सदस्यों की आवश्यकता और निश्चित समय अनुसार अच्छे पोषण के लिए खाद्य पदार्थों की योजनाबन्दी को आहार नियोजन कहा जाता है।

आहार नियोजन को प्रभावित करने वाले कारक –
1. आय – आहार नियोजन के समय आय को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा आहार अर्थात् सन्तुलित भोजन होना आवश्यक है। सन्तुलित भोजन के बारे में आप पहले ही पढ़ चुके हैं। यदि हम गैर-मौसमी वस्तु खरीदेंगे तो महंगी ही मिलेंगी। इस के विपरीत मौसमी सब्जी या फल पर खर्च कम होगा। यदि हम महंगे भोजन नहीं खरीद सकते तो हमारी कुछ आवश्यकताएं (पौष्टिक तत्त्वों सम्बन्धी) सस्ते भोजन से भी पूरी हो सकती हैं। जिस तरह सप्रेटा दूध अधिक प्रयोग किया जाए तो इसमें कोई नुकसान नहीं। जहां तक हो सके स्थानिक पैदा हुई सब्जियां और फल उपयोग करने में सस्ते से ही भोजन ताज़ा और विटामिन भरपूर होगा।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

2. मौसम – सर्दियों में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जबकि गर्मियों में ठण्डे और तरल पदार्थों की आवश्यकता अधिक होती है। इसके अनुसार ही खाने की योजना बनानी चाहिए। सर्दियों में जो ऊर्जा भरपूर पिन्नियां, मिठाइयां, समौसे और पकौड़े साथ देते हैं। प्रत्येक मौसम के अनुसार सूची बनाकर परिवार की पौष्टिक आवश्यकताओं को मुख्य रखना चाहिए। मौसमी फलों और सब्जियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। बेमौसमी सब्जियां और फल महंगे भी मिलते हैं और ताज़े भी नहीं होते।

3. भोजन प्राप्ति – प्रत्येक स्थान पर प्रत्येक भोजन पदार्थ उपलब्ध नहीं होता। वह ही भोजन सूची में रखने चाहिएं जो आसानी से मिल सकें और निकट मिल सकें। दूर जाने से पैसा और समय नष्ट होगा। यदि घर में फ्रिज है तो बची हुई सब्जी प्रयोग की जा सकती है या यदि सूची में डबलरोटी है तो क्या वह उपलब्ध है आदि।

4. गृहिणी की रुचि और निपुणता – गृहिणी की खाना पकाने में रुचि और निपुणता होनी बहुत आवश्यक है इस तरह वह भिन्न-भिन्न प्रकार के खाने बनाकर भिन्नता लाकर अपने परिवार को खुश कर सकती है और अच्छे आयोजन से परिवार के सदस्यों की पौष्टिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है।

5. परिवार का आकार और रचना – आहार नियोजन के समय परिवार के आकार और रचना को ध्यान में रखना पड़ेगा। परिवार के सदस्यों की आयु, कार्य, संख्या और शारीरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सूची बनानी पड़ेगी। जैसे पुरुषों को औरतों से अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, बढ़ रहे बच्चे को अधिक प्रोटीन चाहिए। जैसे कि आप पीछे दिए अध्यायों में पढ़ चुके हैं कि गर्भवती बच्चे को दूध पिलाने वाली माँ की शारीरिक आवश्यकता अधिक होती है। कृषि करने वाले या सख्त मेहनत करने वाले आदमी को दफ्तर जाने वाले आदमी से अधिक खुराक की आवश्यकता होती है।

आहार नियोजन के समय भी इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त सूची बनाते समय भोजन सम्बन्धी आदतें, रीति-रिवाज और धार्मिक तथ्य भी ध्यान में रखने चाहिएं। जैसे परिवार का कोई सदस्य यदि शाकाहारी है तो खाने का आयोजन बनाते समय उसका ध्यान रखना चाहिए। यदि जीवन के रूप में ढंगों को ध्यान में रखकर खाने की योजना को बनाया जाएगा तभी भोजन का आनन्द लिया जा सकता है। ये सभी बातों को ध्यान में रखकर यदि सूची बनाई जाए तो शुरू में थोड़ी मुश्किल और अधिक समय लगेगा धीरे-धीरे आदत बन जाती है और कोई मुश्किल नहीं आती।

आहार नियोजन के लाभ –

  1. परिवार के लिए भोजन को सन्तुलित बनाया जा सकता है।
  2. सभी परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।
  3. समय, पैसा और शक्ति की बचत की जा सकती है।
  4. भोजन को स्वादिष्ट और आकर्षित बनाया जा सकता है।
  5. बचा हुआ भोजन सही ढंग से प्रयोग में लाया जा सकता है।
  6. खाना पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों को बचाया जा सकता है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 4.
कोई तीन कारक बताएँ जो संतुलित भोजन की योजना बनाते समय ध्यान में रखने चाहिएँ।
उत्तर :
देखें प्रश्न 3 का उत्तर।

प्रश्न 5.
भारतीय मेडिकल खोज संस्था की ओर से भारतीयों के लिए की गई खराकी तत्त्वों की सिफ़ारिश के बारे में लिखें।
उत्तर :
भारतीय मेडिकल खोज संस्था (2000) की ओर से भारतीयों के लिए खुराकी तत्त्वों की रोजाना सिफ़ारिश

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 6

प्रश्न 6.
वयस्क पुरुष और स्त्री के सन्तुलित भोजन का एक चार्ट बनाएं।
उत्तर :
वयस्क पुरुष और स्त्री का सन्तुलित भोजन

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 7

प्रश्न 7.
आहार समूह के आधार पर परिवार के लिए सन्तुलित आहार की रचना करें।
उत्तर :
आहार समूह के आधार पर निम्नलिखित भोजनावली की रचना की जा सकती है, जो सन्तुलित है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

पाँच समूह – भोजन

  1. अनाज – चपाती
  2. दालें – मूंग की दाल
  3. दूध तथा अन्य पशु जन्य पदार्थ – दही
  4. फल व सब्जियाँ – पालक गोभी व संतरा
  5. तेल, घी और चीनी – पकाने के लिए तेल का इस्तेमाल होगा।

एक और भोजनावली की भी रचना की जा सकती है –

आहार समूह – भोजन

  1. अनाज – चावल
  2. दालें – अरहर दाल
  3. दूध तथा अन्य पशु जन्य पदार्थ – रायता
  4. फूल व सब्जियां – मेथी, आड़, गाजर व अमरूद
  5. तेल, घी तथा चीनी – इन्हें पकाने में तेल का इस्तेमाल होगा।

प्रश्न 8.
परिवार के आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित घटकों का उल्लेख कीजिए।
1. लिंग
2. आयु
3. कार्य
4. आर्थिक स्थिति
5. सामाजिक घटक-कर्म, संस्कृति, जाति
6. भोजन संबंधी आदतें
7. भोजन का प्राप्त होना
8. भोजन सम्बन्धी अंधविश्वास एवं मान्यतायें।
उत्तर :
1. लिंग – परिवार के आहार आयोजन पर सदस्यों के लिंग का बहुत प्रभाव पड़ता है। समान आयु एवं व्यवसाय के पुरुषों और स्त्रियों की आहारीय आवश्यकतायें भिन्न-भिन्न होती हैं। एक शारीरिक श्रम करने वाली 30 वर्षीय स्त्री को प्रतिदिन 3000 कैलोरी की आवश्यकता होती है, जबकि उसी आयु के शारीरिक श्रम करने वाले पुरुष को प्रतिदिन 3900 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार समान आयु के किशोर और किशोरियों की पौष्टिक आवश्यकताओं में भी काफी भिन्नता होती है। इस प्रकार लिंग की दृष्टि से भी आहार में भिन्नता होती है।

2. आयु – आहारीय आवश्यकतायें परिवार के विभिन्न सदस्यों की आयु पर निर्भर करती हैं। किसी भी परिवार में बच्चों की आहार आवश्यकतायें बड़े की आहार आवश्यकताओं से सदैव भिन्न होती हैं। बच्चों को बढ़ोतरी के लिए अधिक प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण युक्त आहार की आवश्यकता होती है, तो शारीरिक श्रम करने वाले वयस्क पुरुष या स्त्री को ऊर्जा प्राप्ति के लिए अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। अतः ऐसे दो परिवार जिनमें सदस्यों की संख्या तो बराबर हो परन्तु उसकी आयु भिन्न-भिन्न हो तो अलग-अलग प्रकार के खाद्य-पदार्थों की आवश्यकता होगी।

3. कार्य – किसी व्यक्ति की आहारीय आवश्यकताएं उसके कार्य या व्यवसाय पर निर्भर करती हैं। अतः परिवार का आहार आयोजन उसके सदस्यों के व्यवसाय पर निर्भर करेगा। जिस परिवार में शारीरिक श्रम करने वाले सदस्य अधिक होंगे उस परिवार के आहार आयोजन में अधिक कैलोरी प्रदान करने वाले अथवा कार्बोज़ एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों का अधिक समावेश होगा। इसके विपरीत जिस परिवार में मानसिक कार्य करने वाले सदस्य अधिक होंगे उसके आहार आयोजन में प्रोटीन एवं खनिज लवण युक्त पदार्थों का समावेश अधिक होगा।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

4. आर्थिक स्थिति – आहार आयोजन पर घर की आर्थिक स्थिति का बहुत प्रभाव पड़ता है। गृहिणी को आहार आयोजन अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार करना होता है। इसीलिए गृहिणी आहार के लिए उपलब्ध धन के आधार पर ही खाद्य-पदार्थों का चयन करती है। यदि आहार के लिए धन की कोई कमी नहीं होती तो वह आहार आयोजन के लिए महंगे खाद्य-पदार्थों का चयन कर सकती है। इसके विपरीत यदि धन कम हो तो सस्ते खाद्य-पदार्थों का चयन करना पड़ता है।

5. सामाजिक घटक – धर्म, संस्कृति, जाति – भोजन सम्बन्धी आदतें, धर्म, जाति, सामाजिक स्थिति एवं संस्कृति से प्रभावित होती हैं। पंजाबी भोजन में तन्दूरी रोटी, दक्षिण भारतीय भोजन में इमली, मारवाड़ी भोजन में पापड़ अवश्य होना चाहिए। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोग दिन के खाने में चपातियों के साथ थोडा चावल खाते हैं जबकि दक्षिण भारतीय, बिहारी एवं बंगाली दिन में केवल भात खाते हैं और वह भी पेट भर के।

6. भोजन सम्बन्धी आदतें – आदत मनुष्य की द्वितीय प्रकृति है। कई ऐसे काम हैं जो हम आदतवश करते हैं। भोजन सम्बन्धी आदत भी इनमें से एक है। हम किसी व्यक्ति के पास सुस्वादु एवं अति पौष्टिक भोजन ले जा सकते हैं, परन्तु उसे खाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। उस भोजन को खाना उस व्यक्ति की आदत पर निर्भर करता है। कुछ व्यक्तियों को कुछ विशेष वस्तु के प्रति रुचि एवं कुछ विशेष के प्रति अरुचि रहती है। संसार में विभिन्न जाति एवं धर्म के लोग हैं। उनकी भोजन-सम्बन्धी आदतें भी भिन्न-भिन्न हैं।

हमारे देश में ही विभिन्न प्रान्त के लोग विभिन्न प्रकार के भोजन पसन्द करते हैं। दक्षिण भारत के लोग इमली, मिर्च, चावल अधिक पसन्द करते हैं तो मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के लोग रोटी, परांठे, पूरियां आदि अधिक खाते हैं। भोजन के समय में भी विभिन्नता आदत के कारण होती है। कुछ लोग दिन में दो बार भोजन करते हैं तो कुछ लोग चार बार भोजन करते हैं। कुछ लोग दिनभर कुछ-न-कुछ खाते ही रहते हैं। कुछ लोग रात्रि में ही भरपेट भोजन करते हैं । यह सब आदत के ही कारण होता है। भोजन-सम्बन्धी आदत व्यक्तिगत होती है। भोजन-सम्बन्धी गलत आदतों से कुपोषण की समस्या उठ खड़ी होती है। इस प्रकार भोजन सम्बन्धी आदतों का आहार आयोजन पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

7. भोजन का प्राप्त होना – आहार नियोजन करने में घर में उपलब्ध या आसानी से उपलब्ध वस्तुओं का बहुत प्रभाव पड़ता है। खाद्य-पदार्थों की उपलब्धि पर, मौसम व जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है और विभिन्न मौसम में भिन्न-भिन्न खाद्य-पदार्थ पाये जाते हैं। अत: आहार आयोजन के समय ध्यान रखना चाहिए कि मौसम के अनुसार ही खाद्य-पदार्थों को अपने भोजन में सम्मिलित करें। ऐसे खाद्य-पदार्थ आसानी से मिल जाते हैं और सस्ते भी होते हैं।

यातायात के अच्छे साधन भी खाद्य-पदार्थों की उपलब्धि पर प्रभाव डालते हैं। अच्छे यातायात के साधन व खाद्य-पदार्थों को सुरक्षित रखने के अच्छे तरीकों से एक जगह पर पाये जाने वाले खाद्य-पदार्थों को आसानी से दूसरी जगह पर पहुँचाया जा सकता है। कुछ खाद्य-पदार्थों के उचित संग्रह व संरक्षण से उन्हें अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।

8. भोजन सम्बन्धी अन्ध – विश्वास एवं मान्यतायें-हमारे देश में भोजन सम्बन्धी अन्ध-विश्वास और भ्रम सदियों से चले आ रहे हैं। इनका आहार आयोजन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इनकी वजह से जो भी कुछ भोजन हमें मिल पाता है उसका भी हम पूरा फायदा नहीं उठा पाते। यदि वैज्ञानिक तौर पर देखा जाये तो हम यह कह सकते हैं कि ये बिल्कुल निराधार हैं क्योंकि हम देखते हैं कि इनके आधार पर एक वर्ग के लोग किसी भोज्य-पदार्थ को ग्रहण नहीं करते परन्तु दूसरे वर्ग के लोग उसी भोज्य-पदार्थ को बहुत लाभदायक समझते हैं। अतः आहार आयोजन के समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम इन भोजन भ्रमों को किस प्रकार से दूर करके पौष्टिक आहार दे सकें।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 9.
आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों के बारे में बताएं।
उत्तर :
देखें प्रश्न 3 का उत्तर।

प्रश्न 10.
आहार आयोजन करते समय गृहिणी को किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिये ?
उत्तर :
आहार आयोजन करते समय गृहिणी को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिये –
→ प्रतिदिन की आहार – तालिका बनाते समय परे दिन को एक इकाई के रूप में लेना चाहिए-यानी सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता एवं रात्रि के भोजन की आहार तालिका एक बार बनानी चाहिए। तालिका ऐसी हो जिससे दिनभर के भोजन से शरीर को अनिवार्य पोषक तत्त्व मिल सकें।

→ आर हा– तालिका बनाते समय मितव्ययिता को ध्यान में रखना चाहिए, परन्तु भोजन की पौष्टिकता को नहीं भूलना चाहिये। गृहिणी को यह ज्ञान होना चाहिये कि भोजन तत्त्वों की प्राप्ति के सस्ते साधन कौन-कौन से हैं ?

→ तालिका में पाँचों प्रमुख तत्त्वों (प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज लवण) का समावेश शारीरिक आवश्यकता के अनुसार होना चाहिये।
→ आहार – तालिका में सातों आधारभूत भोज्य पदार्थों का रहना अनिवार्य है।
→ आहार – तालिका में मुलायम खाद्य वस्तुओं के साथ कुछ प्राकृतिक रूप से कच्चे पदार्थों (अमरूद, खीरा, ककड़ी, टमाटर, गाजर, प्याज, मूली) आदि का रहना अनिवार्य है।
→ भोजन में क्षुधावर्द्धक पदार्थ (मट्ठा, जलजीरा, पोदीने का पानी, सूप, चाय, कॉफी) भी रहना अनिवार्य है।
→ एक समय के भोजन में ऐसे व्यंजन नहीं रखने चाहिये जिसमें एक ही भोजन तत्त्व की मात्रा अधिक हो, जैसे-दूध तथा दूध से बने पदार्थ।
→ प्रत्येक समय के भोजन में कुछ स्वाभाविक सुगन्ध और आकर्षण वाले पदार्थों का रहना ज़रूरी है।
→ पूरे दिन की आहार – तालिका में एक ही खाद्य वस्तु को एक ही रूप में एक बार से अधिक नहीं रखना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि एक ही भोज्य पदार्थ विभिन्न रूप से भोजन में सम्मिलित नहीं किया जाये, यथा–आलूभरी पूरी, आलू की भुजिया, आलू का चाप, आलू की सब्जी आदि।
→ बच्चों के स्कूल या दफ्तर के लिए दिया जाने वाला भोजन देखने में आकर्षक होना चाहिए, साथ ही लेकर जाने में सुविधाजनक होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरपूर होना भी आवश्यक है।
→ एक ही तरह के भोज्य-पदार्थों को प्रतिदिन की आहार-तालिका में नहीं रखना चाहिए। रात और दिन के भोजन में एक ही प्रकार का भोजन नहीं रहना चाहिए।
→ आहार – तालिका बनाते समय परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को कैलोरी सम्बन्धी आवश्यकताओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है। कैलोरी की आवश्यकता एक ही भोज्य पदार्थ से पूरी न होकर विभिन्न भोज्य पदार्थों से होनी चाहिये।
→ आहार – तालिका जलवायु और मौसम के अनुकूल होनी चाहिये। गर्मी में ठण्डे पेय पदार्थ तथा मौसमी फल, सुपाच्य एवं हल्के भोज्य पदार्थों का आहार में समावेश होना चाहिये। जाड़े के मौसम में गरिष्ठ तले हुए भोज्य-पदार्थ, गर्म पेय आदि का उपयोग करना चाहिये।
→ आहार – तालिका बनाते समय परिवार के सदस्यों तथा अतिथियों की रुचि एवं आदतों को भी ध्यान में रखना अनिवार्य है।
→ आहार – तालिका में मौसमी चीज़ों का ही समावेश होना चाहिए।
→ एक बार के भोजन में अधिक किस्म के भोज्य पदार्थों को नहीं रखना चाहिए।
→ आहार – तालिका बनाते समय यह अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि तालिका में सम्मिलित किये गये खाद्य-पदार्थों को खाने योग्य बनाने में कितना समय लगेगा।
→ आहार – तालिका बनाते समय अपनी आर्थिक स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए।
→ भोजन सम्बन्धी आदतें, धर्म, जाति, सामाजिक स्थिति एवं सांस्कृतिक परिवेश से प्रभावित होती हैं। आहार आयोजन करते समय इन सभी का ध्यान रखना चाहिए।
→ कामकाजी स्त्रियों को सरल आहार तालिका बनानी चाहिए।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 11.
सुबह के नाश्ते का आयोजन करते समय गृहिणी को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिये ?
उत्तर :
दिन का पहला आहार नाश्ता या कलेवा कहलाता है। इसका आयोजन करते समय गृहिणी को निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना चाहिए –
1. व्यवसाय – प्रातःकाल के नाश्ते का बहुत कुछ सम्बन्ध व्यवसाय से है। जिन लोगों को शारीरिक कार्य बहुत अधिक करना पड़ता है उनका नाश्ता पौष्टिक, ठोस तथा पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए जबकि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए तरल, हल्के तथा थोड़े नाश्ते की आवश्यकता होती है।

2. नाश्ते तथा दोपहर के भोजन के समय में अन्तर – नाश्ता तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि नाश्ते तथा दोपहर के भोजन के समय में कितना अंतर होगा। यदि अंतर केवल दो अथवा तीन घण्टे का हो तो दूध, लस्सी, चाय तथा टोस्ट से ही काम चल सकता है, लेकिन यदि अन्तर चार पाँच घण्टों का हो तो फिर नाश्ता भारी होना चाहिए।

3. आदत – नाश्ते की मात्रा तथा उसके प्रकार का सम्बन्ध खाने वालों की आदत पर भी निर्भर करता है। इसका कारण यह है कि कुछ व्यक्ति बहुत हल्का नाश्ता लेना पसंद करते हैं तो कुछ लोगों की तृप्ति भारी नाश्ते के बिना होती ही नहीं है। इसी प्रकार से कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो नाश्ता लेना पसन्द ही नहीं करते। यही बात नाश्ते में ली जाने वाली वस्तुओं के सम्बन्ध में भी कही जा सकती है। विभिन्न प्रदेशों के निवासी विभिन्न प्रकार का नाश्ता लेना पसन्द करते हैं। उदाहरण के लिये पंजाब के लोग नाश्ते में लस्सी, दूध, परांठा लेना पसन्द करते हैं, उत्तर प्रदेश के लोग सत्तू, जलेबी, दूध, पूड़ी-कचौड़ी तो दक्षिण के लोग इडली, डोसा, कॉफी आदि।

4. सभी प्रकार के भोजन तत्त्वों का समावेश – नाश्ता तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक है कि उसमें सभी भोजन तत्त्वों यथा कार्बोज, प्रोटीन, वसा, लवण, रेशेदार पदार्थ, विटामिन युक्त पदार्थ तथा पेय पदार्थ तथा पेय पदार्थों का समावेश हो। दूध, चाय, कॉफी, कोको, लस्सी, शरबत, रस आदि पेय पदार्थ उत्तेजक होते हैं तथा रात की सुस्ती दूर करने में सहायता पहुँचाते हैं। फल या सब्जी रेशेदार होने के कारण पेट साफ करने तथा भूख बढ़ाने में योगदान देती हैं। मक्खन, पनीर, क्रीम आदि के द्वारा शरीर की वसा सम्बन्धी आवश्यकताएं पूरी होती हैं। परांठा, दलिया, रोटी, टोस्ट आदि के द्वारा शरीर को कार्बोज़ प्राप्त होता है तो दूध तथा दूध से बने पदार्थों के द्वारा प्रोटीन।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 12.
दोपहर के आहार की योजना किस प्रकार करनी चाहिए ?
उत्तर :
दोपहर के आहार की योजना बहुत सावधानी से करनी चाहिए। इसका कारण यह कि आहार दिनभर कार्य करने की शक्ति व गर्मी प्रदान करता है । इस समय की आहार तालिका करते समय भी व्यवसाय, आयु, स्वास्थ्य, आदत आदि का ध्यान रखना चाहिए, किन्तु निम्नलिखित वर्गों में से कम-से-कम एक-एक खाद्य-पदार्थ अवश्य होना चाहिए –

  1. अनाज – गेहूँ, चावल, चना, जौ, बाजरा आदि।
  2. दाल – उड़द, अरहर, मूंग आदि।
  3. दही, पनीर।
  4. मौसमी फल – केला, सेब, संतरा, आम आदि।
  5. मौसमी सब्जी – मटर, गोभी, सीताफल, लौकी, भिण्डी, टिंडे, तोरई आदि।
  6. हरी पत्तेदार सब्जियां अथवा सलाद।
  7. वसायुक्त पदार्थ।

यह ध्यान देने वाली बात है कि दोपहर के आहार में अनाज पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए, जिससे दिनभर कार्य करने के लिए ऊर्जा व शक्ति भरपूर मात्रा में प्राप्त हो सके। दूसरी बात यह कि प्रतिदिन भोजन एक ही रीति से पकाने के स्थान पर भिन्न-भिन्न पद्धतियों से पकाना चाहिए। उदाहरण के लिए चावल कभी मीठे, कभी नमकीन तथा कभी सादा बनाये जा सकते हैं तो कभी आटे से रोटी, पूड़ी, कचौड़ी अथवा परांठे।

बड़े नगरों में कार्य करने का स्थान घर से इतनी दूर होता है कि प्रायः लोगों को दोपहर का भोजन अपने साथ ले जाना पड़ता है। ऐसी अवस्था में उसे ले जाने की सुविधा का अधिक ध्यान रखा जाता है तथा इस बात की ओर ध्यान नहीं दिया जाता कि वह शरीर को पर्याप्त ऊर्जा एवं शक्ति देने वाला है अथवा नहीं। अतः प्रत्येक गृहिणी का यह कर्त्तव्य है कि वह इस बात का ध्यान रखे कि जो व्यक्ति दोपहर का भोजन साथ ले जाते हों, उनके आहार में शाक-भाजी, मूली, प्याज, हरी मिर्च आदि कुछ अधिक हों।

कच्चे फल, मूली आदि के द्वारा शरीर को सेलुलोज, लवण तथा विटामिन मिलने में सहायता पहुंचेगी। जो व्यक्ति भोजन साथ लेकर जाते हैं प्रायः उन्हें ठंडा भोजन ही करना पड़ता है। ठंडा भोजन खाने से पाचक रस ग्रन्थियां देर से उत्तेजित होती हैं। अतः ऐसे व्यक्तियों को भोजन के बाद चाय या कॉफी आदि गर्म पेय पदार्थ पीने चाहिए जिससे भोजन पचने में सहायता पहुँचे।

प्रश्न 13.
आहार नियोजन से आप क्या समझते हैं ? आहार नियोजन की उपयोगिता बताएं।
उत्तर :
देखें प्रश्न 3 का उत्तर।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 14.
भोजन सम्बन्धी योजना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 3 का उत्तर में आहार नियोजन के लाभ ।

प्रश्न 15.
आहार-समहों के निर्धारण का उद्देश्य क्या है ? अमेरिका की नेशनल रिसर्च कौंसिल तथा ICMR द्वारा निर्धारित आहार-समूहों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
शरीर को भिन्न-भिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्त्वों जैसे प्रोटीन, कार्बोज, वसा, विटामिन, खनिज लवण आदि की आवश्यकता होती है। इन्हें विभिन्न भोज्य पदार्थों से प्राप्त किया जाता है, क्योंकि भोजन के सभी आवश्यक तत्त्व एक प्रकार के भोज्य पदार्थ में नहीं पाए जाते। गृहिणी के लिए यह विकट समस्या पैदा हो जाती है कि प्रत्येक बार कौन-से भोज्य पदार्थों का चुनाव करे ताकि सन्तुलित भोजन पकाया जा सके तथा सभी सदस्यों को उनकी रुचि तथा शारीरिक स्थिति के अनुसार पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाया जा सके। इस समस्याओं से निपटने के लिए आहार समूहों का निर्धारण किया गया है।

आहार-समूह-अमेरिका की राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद् ने सात आहार समूहों का निर्धारण किया है। इनका आधार यह माना गया है कि हमारे शरीर को मुख्यतः दस पोषक तत्त्वों की आवश्यकता है। यह पोषक तत्त्व हैं- प्रोटीन, कार्बोज, वसा, कैल्शियम, लोहा, विटामिन ए, थायमिन, राइबोफ्लेबिन, विटामिन सी तथा विटामिन डी।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 4

ICMR द्वारा किए गए आहार समूहों के वगीकरण
ICMR द्वारा आहार समूहों का एक व्यावहारिक वर्गीकरण किया गया है जिसमें पांच आहार समूह पाए गए हैं। ये समूह निम्नलिखित अनुसार हैं –

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह 5

एक शब्द/एक वाक्य वाले प्रश्न –

(क) निम्न का उत्तर एक शब्द में दो –

प्रश्न 1.
आहार की पौष्टिकता बढ़ाने का एक ढंग बताओ।
उत्तर :
खाद्य पदार्थों का मिश्रण।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 2.
आटे के चोकर में क्या होता है ?
उत्तर :
प्रोटीन।

प्रश्न 3.
दालों में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व अधिक होता है ?
उत्तर :
प्रोटीन।

प्रश्न 4.
आहार नियोजन से गृहिणी का क्या बचता है ?
उत्तर :
समय।

(ख) रिक्त स्थान भरो –

1. स्वस्थ व्यक्ति का शरीर का तापमान ……….. होता है।
2. दूध पिलाने वाली माँ के भोजन में ……….. की मात्रा अधिक हो।
3. दालों आदि में ……….. % प्रोटीन होती है।
4. कार्बोज़ द्वारा ……….. मिलती है।
5. रात्रि का भोजन दोपहर के भोजन की तुलना में ……….. होना चाहिए।
उत्तर :
1. 98.4F
2. प्रोटीन
3. 20-25
4. ऊर्जा
5. हल्का।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

(ग) ठीक/गलत बताएं –

1. भोजन सोने से कम-से-कम दो घण्टे पहले लें।
2. दालों में प्रोटीन होता है।
3. बच्चों को सन्तुलित आहार नहीं चाहिए।
4. बच्चों को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है।
5. आहार आयोजन से समय की बचत होती है।
उत्तर :
1. (✓) 2. (✓) 3. (✗) 4. (✓) 5. (✓)।

बहु-विकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
परिवार के आहार का स्तर निम्न बातों पर निर्भर है –
(A) आहार के लिए उपलब्ध धन ।
(B) गृहिणी के पास भोजन पकाने के लिए उपलब्ध समय एवं ऊर्जा
(C) गृहिणी का खाद्य तथा पोषण सम्बन्धी ज्ञान
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।

प्रश्न 2.
सब्जियों में ……… कम होता है।
(A) लोहा
(B) प्रोटीन
(C) विटामिन बी
(D) विटामिन सी।
उत्तर :
प्रोटीन।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 3.
आहार आयोजन निम्न पर निर्भर है –
(A) परिवार की रुचि
(B) व्यवसाय
(C) समय तथा शक्ति
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।

प्रश्न 4.
सन्तुलित भोजन की योजना बनाते समय कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखोगे ?
(A) भोजन की योजनाबन्दी
(B) भोजन पकाने का सही ढंग
(C) परिवार के सदस्यों के रोज़ाना खुराकी तत्त्वों का ज्ञान
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।

प्रश्न 5.
निम्न में ठीक है –
(A) भोजन पकाने का समय तथा परोसने का ढंग खाने के नियोजन को प्रभावित करता है।
(B) गरीबी के कारण लोग सन्तुलित भोजन नहीं ले पाते।
(C) अशिक्षा के कारण भी लोग सन्तुलित भोजन नहीं करते।
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 6.
निम्न में गलत है –
(A) सभी अमीर लोग सन्तुलित भोजन ही लेते हैं।
(B) अशिक्षा के कारण लोग सन्तुलित भोजन नहीं लेते।
(C) परिवार का आकार भोजन नियोजन को प्रभावित करता है।
(D) सभी गलत।
उत्तर :
सभी अमीर लोग सन्तुलित भोजन ही लेते हैं।

प्रश्न 7.
बुखार में निम्न प्रकार का भोजन नहीं लेना चाहिए –
(A) तरल तथा नर्म गर्म भोजन का प्रयोग
(B) तला हुआ भारी भोजन
(C) खिचड़ी, दलिया आदि
(D) अधिक मात्रा में दूध।
उत्तर :
तला हुआ भारी भोजन।

प्रश्न 8.
रात्रि के भोजन में लेने चाहिए –
(A) दाल कोई भी
(B) हरी सब्जी
(C) सूप
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 9.
निम्न में सन्तुलित आहार की विशिष्टता नहीं है –
(A) व्यक्तिगत रुचि और स्वाद के अनुकूल
(B) अधिक महंगा
(C) सभी आहार समूहों में से खाद्य पदार्थों का समावेश
(D) व्यक्तिगत पोषण आवश्यकता।
उत्तर :
सभी ठीक।

प्रश्न 10.
निम्न में गलत है –
(A) वसा शरीर का तापमान बनाए रखने में सहायक है
(B) भोजन की योजना बनाने से समय नष्ट होता है
(C) कैलोरी की उचित मात्रा से ही सन्तुलित भोजन नहीं बनता
(D) अंकुरण से पौष्टिकता बढ़ती है।
उत्तर :
भोजन की योजना बनाने से समय नष्ट होता है।

प्रश्न 11.
निम्न में से आहार आयोजन के प्रमुख सिद्धान्त का हिस्सा है –
(A) परिवार की रुचि
(B) पारिवारिक आय
(C) साप्ताहिक तालिका
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

प्रश्न 12.
किसी व्यक्ति के लिए पोषक तत्त्व कितनी मात्रा में चाहिए निम्न पर निर्भर है ?
(A) आयु
(B) वज़न
(C) लिंग
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।

प्रश्न 13.
निम्न में ठीक नहीं है –
(A) सन्तुलित भोजन से ही शरीर तन्दरुस्त रह सकता है
(B) सब्जियों में प्रोटीन होता है
(C) गर्भवती औरत को पौष्टिक भोजन ही खाना चाहिए
(D) बुखार की हालत में हल्का भोजन लेना चाहिए।
उत्तर :
सब्जियों में प्रोटीन होता है।

प्रश्न 14.
आई०सी० एम० आर० ने कितने आहार समूह निर्धारित किए हैं ?
(A) 3
(B) 2
(C) 4
(D) 5.
उत्तर :
5.

भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह HBSE 10th Class Home Science Notes

ध्यानार्थ तथ्य :

→ भोजन सम्बन्धी योजना का अर्थ है भोजन के लिए इस प्रकार से योजना बनाना कि परिवार का प्रत्येक सदस्य उपयुक्त पोषण स्तर प्राप्त कर सके।

→ भोजन सम्बन्धी योजना वह प्रक्रिया है जिसमें वह निर्धारित किया जाता है कि प्रतिदिन प्रत्येक भोजन में क्या खाना चाहिए।

→ परिवारजनों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करना उनके स्वास्थ्य और उनकी कुशलता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

→ भोजन सम्बन्धी योजना को हम ‘दैनिक भोजन निर्देशिका’ भी कह सकते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

→ भोजन योजना पर प्रभाव डालने वाले बहुत-से कारक हैं। भोजन का प्रकार और मात्रा को निर्धारित करते समय इनका ध्यान रखा जाता है।

→ यह कारक हजार यह कारक हैं-आयु, लिंग, गतिविधियाँ, आर्थिक स्थिति, मौसम, व्यवसाय, समय, ऊर्जा व कुशलता सम्बन्धी पहलू, परम्पराएं और प्रथाएं, व्यक्ति की पसंद व नापसंद, संतोष का स्तर आदि।

→ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) ने आहारों को वर्गीकृत करने का अधिक व्यावहारिक तरीका सुझाया है।

→ यह निम्नलिखित प्रकार से है –

  • अनाज
  • दालें
  • दूध तथा अन्य पशु जन्य पदार्थ
  • फल और सब्जियाँ
  • वसा और चीनी।

→ सन्तुलित भोजन से ही शरीर तन्दुरुस्त रह सकता है।

→ सन्तुलित भोजन में आवश्यक मात्रा में प्रोटीन, कार्बोज, विटामिन, चिकनाई, लवण और पानी होते हैं।

→ भोजन में केवल कैलोरियाँ होने से ही भोजन सन्तुलित नहीं बनता।

→ दालों, दूध तथा पशु जन्य पदार्थों आदि में प्रोटीन होती है।

→ अनाज दालें, गुड़, सूखे मेवे, मूंगफली, आलू, फल आदि कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत हैं।

→ सब्जियों में विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं।

→ खाना बनाने के लिए योजना बनाना एक अच्छी गृहिणी की निशानी है।

→ परिवार की आय और आकार आहार के नियोजन को प्रभावित करते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 भोजन सम्बन्धी योजना एवं आहार समूह

→ गर्भवती औरत को पौष्टिक भोजन ही खाना चाहिए।

→ बुखार की हालत में पौष्टिक और हल्का भोजन खाना चाहिए।

→ अच्छे स्वास्थ्य के लिए सभी पोषक तत्त्वों की शरीर को आवश्यकता होती है।

→ किसी व्यक्ति के लिए पोषक तत्त्व कितनी मात्रा में चाहिए, यह अनेक तथ्यों पर निर्भर करता है जैसे आयु, लम्बाई, वज़न, लिंग, जलवायु, स्वास्थ्य, व्यवसाय एवं शारीरिक दशा।।

→ संतुलित आहार – यह एक ऐसा आहार है जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान कर हमें स्वस्थ रहने में सहायक होता है। मनुष्य के जीवन का आधार भोजन है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन का पौष्टिक होना आवश्यक है। जब मनुष्य अच्छा भोजन नहीं लेता तो वे बीमारियों का शिकार हो जाता है। मनुष्य अपने भोजन की आवश्यकता अनाज, सब्जियां, फल, दूध, दही तथा अन्य पशु जन्य पदार्थों आदि से पूरा करता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *