Author name: Prasanna

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

HBSE 9th Class Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर-
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों वृद्ध अथवा पुरानी पीढ़ी के पात्र हैं। दोनों को अपना युग ही अच्छा लगता है। इसलिए वे बार-बार उसे ही याद करके सराहते रहते हैं। उनके लिए ऐसा करना स्वाभाविक है। अपने युग की यादें अपने-आप ही मन में उभरती रहती हैं। स्वयं की या अपने युग की तारीफ करना बुरा नहीं। किंतु उन्हें दूसरों के सामने व्यक्त करना और इस युग को अपने से हीन दिखाना या तुच्छ बताना अनुचित है। यह तर्कसंगत भी नहीं है। ऐसा करके वे नई पीढ़ी के सामने अपने-आपको उनसे श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। वैसे प्रत्येक युग की अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं। प्रत्येक युग के जीवन में सब बातें अच्छी नहीं होती और सब बातें बुरी नहीं होतीं। हर युग में कुछ कमियाँ होती हैं। इसलिए हमें कमियों की अपेक्षा अच्छाई की ओर ध्यान देना चाहिए। अपने युग के अनुभव सुनाते रहना और दूसरों की एक न सुनना भी तर्कसंगत नहीं है। इससे नए युग के लोग उत्साहित नहीं होते। उनके दिलों में बड़ों के लिए सद्भावना व सम्मान नहीं रहता, अपितु दूरियाँ बढ़ने की संभावना रहती है।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर-
निश्चय ही रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को बी.ए. तक की शिक्षा दिलवाता है। वह लड़कियों को शिक्षा दिलवाना पिता का कर्त्तव्य मानता है। किंतु जब विवाह-शादी की बात होती है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा को छिपाता है। ऐसा वह इसलिए करता है कि उसमें लड़कियों की शिक्षा को बुरा बताने एवं पिछड़े हुए विचारों वाले लोगों का सामना करने की हिम्मत नहीं थी। लोग शिक्षित बहू को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते। उनके अनुसार पढ़ी-लिखी बहू नियंत्रण में नहीं रहती। वह बात-बात पर नखरे करती है। वे बहू का पढ़ा-लिखा होना उचित नहीं समझते। इसलिए वे कम पढ़ी-लिखी बहू ही चाहते हैं। रामस्वरूप के घर जो व्यक्ति अपने बेटे के साथ उसकी लड़की उमा को देखने आते हैं वे भी इसी विचारधारा के हैं। इसलिए रामस्वरूप विचित्र स्थिति में फँस जाता है। वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने के लिए विवश होता है।

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर-
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप अपनी बेटी उमा से इस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे कि वह सीधी-सादी, चुपचाप तथा कम पढ़ी-लिखी लगने वाली लड़की लगे। उनकी ऐसी अपेक्षा करना नितांत उचित नहीं था। लड़की कोई भेड़-बकरी या मेज-कुर्सी तो नहीं होती। उसका भी दिल होता है। उसका उच्च शिक्षा पाना कोई अपराध नहीं है। वह यदि पढ़ी-लिखी है तो व्यवहार भी ऐसा ही करेगी। इसके अतिरिक्त झूठी बातों पर आधारित रिश्ते अधिक देर तक नहीं टिकते। अतः रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना न केवल अनुचित अपितु तर्कसंगत भी नहीं है।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप, दोनों ही अपने-अपने विचारों के अपराधी हैं। गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन के महत्त्व को नहीं समझते। वे इसे व्यापार की भाँति ही समझते हैं, जिस प्रकार व्यापार करते समय लाभ-हानि को ध्यान में रखते हुए तरह-तरह की जाँच-पड़ताल की जाती है। उसी प्रकार विवाह के समय भी लाभ-हानि का पूरा ध्यान रखा जाता है।

रामस्वरूप अपनी पढ़ी-लिखी बेटी की योग्यता (पढ़ाई) को छिपाते हैं। गुणों को छिपाना अच्छी बात नहीं है। रामस्वरूप की भले ही यह मजबूरी थी। हमारी राय में उन्हें ऐसे संकीर्ण विचारों वाले युवक से अपनी गुणवती बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहिए, जिससे वह बेचारी आजीवन दुःखी रहे। जब किसी बात को छिपाया जाता है, तब वह गलत लगने लगती है। इसलिए रामस्वरूप को ऐसा नहीं करना चाहिए था।

प्रश्न 5.
“……आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं….” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत करना चाहती है-

(1) सर्वप्रथम वह बताना चाहती है कि शंकर शारीरिक दृष्टि से अत्यंत कमजोर है, जो सीधा भी नहीं बैठ सकता। उसकी कमर सदा झुकी रहती है। .
(2) वह चरित्रहीन युवक है। लड़कियों के पीछे जाने के कारण वह बुरी तरह से अपमानित हो चुका है। अपमानित व्यक्ति का समाज में कोई स्थान नहीं होता।
(3) शंकर रीढ़ की हड्डी के बिना है अर्थात् उसका कोई व्यक्तित्व व दृढ़ मत नहीं है। वह अपने पिता के इशारों पर चलने वाला निरीह प्राणी है। जैसा उसका पिता उसे कहता है, वह वैसा ही करता है। वह बिना सोचे-समझे पिता की उचित-अनुचित बातों में हाँ-में-हाँ मिलाता है। उसका अपना कोई ठोस विचार या मत नहीं है। अतः ऐसा व्यक्ति पति बनने के योग्य नहीं है।

प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
वस्तुतः ‘समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा के व्यक्तित्व में साहस और हिम्मत है। वह स्पष्टवक्ता है। वह समाज में व्याप्त दकियानूसी अर्थात् रूढ़िवादी विचारों का विरोध कर सकती है। वह गोपाल दास जैसे समाज के तथाकथित ठेकेदारों की वास्तविकता को उजागर करने की हिम्मत रखती है। यहाँ तक कि डरपोक किस्म के (रामस्वरूप जैसे) व्यक्तियों को भी वह आड़े हाथों लेती है। वह समझदार एवं शिक्षित युवती है। उसमें किसी प्रकार की हीन भावना नहीं है। .
शंकर एक चरित्रहीन, दब्बू एवं कमजोर व्यक्तित्व वाला युवक है। वह समाज का किसी प्रकार भला नहीं कर सकता। अतः स्पष्ट है कि समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-प्रस्तुत एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ सर्वथा उपयुक्त एवं सार्थक है। शरीर में रीढ़ की हड्डी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। रीढ़ की हड्डी ही शरीर को सीधा और मजबूत बनाए रखती है। यही दशा समाज की भी है। शंकर जैसे युवक रीढ़ की हड्डी से रहित हैं। उनका अपना व्यक्तित्व नहीं है। वे चरित्रहीन हैं। ऐसे लोगों से समाज कभी भी मजबूत व विकसित नहीं हो सकता। उसे उमा जैसे चरित्रवान, कर्मठ एवं दृढ़ निश्चय वाले लोगों.की जरूरत है। ऐसे लोग ही समाज की रीढ़ बनने के योग्य होते है। दूसरी
ओर जिन लोगों की अपनी कोई सत्ता या अस्तित्व नहीं होता उन्हें बैकबोन-विहीन कहा जाता है। प्रस्तुत शीर्षक एकांकी के लक्ष्य को अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सार्थक है। अतः यह पूरी तरह से उपयुक्त है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर-
प्रस्तुत एकांकी की कथावस्तु के आधार पर हम उमा को एकांकी का प्रमुख पात्र मानते हैं। इसके अनेक कारण हैं। संपूर्ण कथावस्तु उमा के चरित्र के इर्द-गिर्द घूमती है। एकांकीकार ने अपने लक्ष्य की अभिव्यक्ति भी उसके चरित्र के माध्यम से की है। उसके द्वारा व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं। लेखक को उमा से पूर्ण सहानुभूति भी है। वह अपने सशक्त चरित्र के द्वारा अन्य सभी पात्रों एवं पाठकों को प्रभावित कर लेती है। कथावस्तु की सभी घटनाएँ उसके चरित्र को उजागर करने के लिए ही आयोजित की गई हैं। वह एकांकी का केन्द्र-बिंदु मानी जाती है। संपूर्ण कथानक उसके आस-पास ही चक्कर काटता रहता है।

प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों ही एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। एकांकी में दोनों की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं
रामस्वरूप वह लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में है। इसलिए वह अपनी बेटी उमा को बी०ए० तक पढ़ाता है। वह अपनी पत्नी का विरोध सहन करके भी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाता है। वह चाहता है कि लड़कियों को भी लड़कों की भाँति आत्मनिर्भर होना चाहिए।
रामस्वरूप दब्बू स्वभाव वाला व्यक्ति है। वह स्थिति का सामना नहीं कर सकता। इसलिए वह लड़के वालों के सामने अपनी बेटी की उच्च शिक्षा वाली बात को छुपा जाता है। वह न चाहते हुए भी गोपाल प्रसाद की हाँ-में-हाँ मिलाता है।

गोपाल प्रसाद-गोपाल प्रसाद अत्यंत चतुर एवं लालची है। वह समाज की पुरानी परंपराओं व अंधविश्वासों को मानने वाला व्यक्ति है। उसकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। वह विवाह जैसे पवित्र संस्कार को भी बिजनेस मानता है और लड़कियों को हीन दृष्टि से देखता है। शिक्षित होते हुए भी वह लिंग भेदभाव का शिकार है। वह कहता है कि ऊँची तालीम केवल मर्दो के लिए होती है। वह अपने बेटे की कमियों पर पर्दा डालता है और अपनी गलत बात को भी तर्क के सहारे सही करना चाहता है।

प्रश्न 10.
इस. एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एक सोद्देश्य रचना है। इस रचना का प्रमुख लक्ष्य नारी की बदलती स्थिति को चित्रित करना है। वह मूक बनकर पशु की भाँति सब कुछ सहन नहीं कर सकती। वह संवेदनशील है। अब कोई निर्जीव वस्तुओं की भाँति उसके जीवन का सौदा नहीं कर सकता। उमा के चरित्र-चित्रण के माध्यम से एकांकीकार ने पुरानी एवं परंपरावादी विचारधारा पर कड़ा प्रहार किया है। शंकर व उसका पिता गोपाल प्रसाद उमा से व्यर्थ की जाँच-पड़ताल करते हैं। इससे उमा के स्वाभिमान को ठेस पहुँचती हैं। वह शिक्षित युवती है। उसकी भी जीवन के प्रति रुचि-अरुचि है। वह मूक बनकर लालची लोगों के द्वारा किए गए अपमान को सहन नहीं करती अपितु, वह ऐसे लोगों के वास्तविक रूप को प्रकट कर देती है। इस प्रकार लेखक यह बताना चाहता है कि आज नारी शिक्षित हो चुकी है तथा अपने अस्तित्व को पहचानने लगी है।

प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं ? उत्तर-समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-
(क) समाज में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के लिए संघर्ष कर सकते हैं।
(ख) घर-परिवार में महिलाओं को उचित सम्मान दिलवा सकते हैं।
(ग) महिलाओं को शिक्षा दिलवाकर उनको आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
(घ) दहेज की प्रथा को समाप्त करके लड़कियों का उनकी योग्यता के अनुसार योग्य वर से विवाह करवाकर उन्हें उचित गरिमा दिलवा सकते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

HBSE 9th Class Hindi रीढ़ की हड्डी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इसमें लेखक ने जहाँ समाज की रूढ़िवादिता पर व्यंग्य किया है, वहीं समाज में नारी को सम्माननीय स्थान दिलाने की प्रेरणा भी दी है। हमारा समाज नारी शिक्षा को महत्त्व नहीं देता। इससे समाज के पुराने एवं रूढ़िवादी मूल्य टूटते हैं। पुरुष का आसन हिलता है। पुरुष वर्ग नारी से अपने आपको श्रेष्ठ समझता है, भले ही वह कैसे भी बुरे काम क्यों न करता हो। पति चाहता है कि उसकी पत्नी उसके हाथ की कठपुतली हो। जैसा वह चाहे, वैसा ही वह नाचती रहे। लेखक ने नई रोशनी व ज्ञान के माध्यम से बताया है, कि नारी को मेज-कुर्सी की भाँति नहीं समझना चाहिए। वह भी समाज का ही अभिन्न अंग है। उसे प्रतिष्ठित स्थान मिलना चाहिए। नारी द्वारा शिक्षा प्राप्त करना पाप नहीं, अपितु गर्व की बात है।

प्रश्न 2.
उमा किसकी तुलना मेज-कुर्सी से करती है और क्यों?
उत्तर-
उमा को एकांकी में एक शिक्षित युवती के रूप में दिखाया गया है। वह अपनी और अपने जैसी अन्य लड़कियों की तुलना मेज-कुर्सी से करती है। वह सोचती है कि जैसे बाजार में मेज-कुर्सियों को बेचा जाता है, ठीक वैसे ही विवाह के समय भी लड़कियों से पूछताछ की जाती है। लड़की को देखने आए लोग उससे अपमानजनक प्रश्न पूछते हैं। लड़की के माँ-बाप भी लड़की के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं ताकि वह बिकने योग्य बन सके। वे उसके दोषों को छिपाते हैं। बेचारी लड़की की इच्छाओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता। उसे मेज-कुर्सी की भाँति बेजान समझा जाता है।

प्रश्न 3.
लड़कियों की खूबसूरती के विषय में गोपाल प्रसाद की विचारधारा कैसी है ?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद की दृष्टि में खूबसूरती का अत्यधिक महत्त्व है। वह खूबसूरती का पक्ष लेते हुए कहता है कि अगर सरकार को आमदनी बढ़ानी है तो उसे खूबसूरती पर टैक्स लगाना चाहिए। वह लड़कियों का खूबसूरत होना निहायत जरूरी मानता है। उसका कथन है, “लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है। कैसे भी हो, चाहे पाऊडर वगैरह लगाए चाहे वैसे ही। बात यह है कि हम आप मान भी जाएँ, मगर घर की औरतें तो राजी नहीं होतीं।”

प्रश्न 4.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आधार पर शंकर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-
शंकर प्रस्तुत एकांकी का प्रमुख पुरुष पात्र है। उसकी चरित्र रूपी हड्डी नहीं है। वह आवारा किस्म का युवक है। वह अपना ध्यान पढ़ाई की ओर कम और लड़कियों को देखने में अधिक लगाता है। लड़कियों के होस्टल में ताक-झांक करने के कारण उसकी पिटाई भी होती है।
शंकर की सबसे बड़ी कमज़ोरी है-उसका व्यक्तित्वहीन होना। उसके कोई ठोस विचार नहीं है। उसके मन में इतना दृढ़ निश्चय भी नहीं है कि वह अपनी सही बात पर भी अड़ा रह सके। उसकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है। उसका पिता उसे जो कहता है, उसे वह आँखें बंद करके मान लेता है। यहाँ तक कि वह फूहड़ बातों पर भी ही-हीं कर देता है। वह स्वयं पढ़-लिखकर भी कम पढ़ी-लिखी पत्नी चाहता है। उसमें आत्मविश्वास नाम की कोई भावना नहीं है। वह बिन पैंदे का लोटा है। अतः एकांकी में उसका चरित्र एक कमजोर पात्र का चरित्र है।

प्रश्न 5.
प्रेमा अपनी बेटी को इंट्रेंस तक ही क्यों पढ़ाना चाहती थी?
उत्तर-
प्रेमा पुराने विचारों वाली औरत थी। वह चाहती है कि उसकी बेटी केवल इंट्रेंस की परीक्षा ही पास करे। उसे लगता था कि कम पढ़ी-लिखी लड़कियाँ नखरे कम करती हैं। वह माता-पिता की आज्ञा का पालन करती हैं। अधिक पढ़-लिख जाने पर लड़कियाँ मन-मर्जी करती हैं। अतः माता-पिता को परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। इसलिए प्रेमा चाहती थी कि उसकी बेटी उमा केवल इंट्रेंस तक ही पढ़े।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी’ एक है
(A) कहानी
(B) निबंध
(C) एकांकी
(D) संस्मरण
उत्तर-
(C) एकांकी

प्रश्न 2.
‘रीढ़ की हड्डी’ कैसा एकांकी है ?
(A) व्यंग्यात्मक
(B) सामाजिक
(C) मनोवैज्ञानिक
(D) धार्मिक
उत्तर-
(A) व्यंग्यात्मक

प्रश्न 3.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक एकांकी के लेखक हैं
(A) प्रेमचंद
(B) रामकुमार वर्मा
(C) जगदीश चंद्र माथुर
(D) हजारीप्रसाद द्विवेदी
उत्तर-
(C) जगदीश चंद्र माथुर

प्रश्न 4.
श्री जगदीश चंद्र माथुर का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1917
(B) सन् 1920
(C) सन् 1927
(D) सन् 1930
उत्तर-
(A) सन् 1917

प्रश्न 5.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का प्रमुख लक्ष्य है
(A) बेरोजगारी को दर्शाना
(B) लड़कियों की उपेक्षा को व्यक्त करना
(C) दहेज प्रथा पर प्रकाश डालना
(D) अंधविश्वासों का खंडन करना
उत्तर-
(B) लड़कियों की उपेक्षा को व्यक्त करना

प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में नायिका कौन है ?
(A) उमा
(B) उमा की माता
(C) शंकर की माता
(D) नौकरानी
उत्तर-
(A) उमा

प्रश्न 7.
उमा के पिता का क्या नाम है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) शंकर
(C) रामस्वरूप
(D) रामदीन
उत्तर-
(C) रामस्वरूप

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प्रश्न 8.
उमा को देखने आए लड़के का क्या नाम है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) रामस्वरूप
(C) मातादीन
(D) शंकर
उत्तर-
(D) शंकर

प्रश्न 9.
शंकर किसका बेटा है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) रामस्वरूप
(C) सोहन लाल
(D) किशनलाल
उत्तर-
(A) गोपाल प्रसाद

प्रश्न 10.
रामस्वरूप के नौकर का नाम है-
(A) प्रभुदीन
(B) रामरतन
(C) रतन
(D) घासीराम
उत्तर-
(C) रतन

प्रश्न 11.
उमा की माँ का नाम है-
(A) रामेश्वरी
(B) प्रेमा
(C) राजेश्वरी
(D) शीला
उत्तर-
(B) प्रेमा

प्रश्न 12.
रामस्वरूप के अनुसार पाउडर का कारोबार किसके सहारे चलता है ?
(A) लड़कों के
(B) लड़कियों के
(C) विज्ञापनों के
(D) पुरुषों के
उत्तर-
(B) लड़कियों के

प्रश्न 13.
उमा ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की थी ?
(A) मिडिल
(B) मैट्रिक
(C) इंटर
(D) बी.ए.
उत्तर-
D) बी.ए.

प्रश्न 14.
गोपाल प्रसाद अपने लड़के के लिए कैसी पत्नी चाहता है ?
(A) अनपढ़
(B) विदुषी
(C) कम पढ़ी-लिखी
(D) एम.ए. पास
उत्तर-
(C) कम पढ़ी-लिखी

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प्रश्न 15.
‘अच्छा तो साहब ‘बिजनेस’ की बात हो जाए।’ इस वाक्य में गोपाल प्रसाद ने ‘बिजनेस’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?
(A) व्यापार
(B) विवाह
(C) बातचीत
(D) स्वार्थ
उत्तर-
(B) विवाह

प्रश्न 16.
गोपाल प्रसाद सरकार को किस वस्तु पर टैक्स लगाने पर परामर्श देता है ?
(A) चाय पर
(B) चीनी पर
(C) आम पर
(D) खूबसूरती पर
उत्तर-
D) खूबसूरती पर

प्रश्न 17.
‘लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है’-ये शब्द किसने कहे हैं ?
(A) प्रेमा ने
(B) शंकर ने
(C) गोपाल प्रसाद ने
(D) रामस्वरूप के
उत्तर-
(C) गोपाल प्रसाद ने

प्रश्न 18.
एकांकी में उमा किस कवि या कवयित्री द्वारा रचित भजन सुनाती है ?
(A) महादेवी
(B) मीराबाई
(C) रविदास
(D) सूरदास
उत्तर-
(B) मीराबाई

प्रश्न 19.
उमा को देखकर गोपाल प्रसाद एवं शंकर क्यों चौंक पड़ते हैं ?
(A) वह काले रंग की है
(B) वह बदसूरत है
(C) उसे चश्मा लगा हुआ है
(D) उसने बेढंगे कपड़े पहने हुए हैं
उत्तर-
(C) उसे चश्मा लगा हुआ है

प्रश्न 20.
उमा गाते-गाते एकाएक क्यों रुक जाती है ?
(A) उसे खाँसी आ गई
(B) उसे नींद आ गई
(C) वह गीत भूल गई
(D) उसने शंकर को पहचान लिया
उत्तर-
(D) उसने शंकर को पहचान लिया

प्रश्न 21.
“तुमने कुछ इनाम-विनाम भी जीते हैं ?” यह प्रश्न उमा से किसने पूछा है ?
(A) गोपाल प्रसाद ने
(B) शंकर ने
(C) रतन ने
(D) रामस्वरूप ने
उत्तर-
(A) गोपाल प्रसाद ने

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प्रश्न 22.
“क्या लड़कियाँ बेबस भेड़-बकरियाँ होती हैं ?” ये शब्द एकांकी के किस पात्र ने कहे हैं ?
(B) रतन ने
(C) रामस्वरूप ने
(D) उमा ने
उत्तर-
D) उमा ने

प्रश्न 23.
शंकर ने किसके पैरों में पड़कर जान बचाई थी ?
(A) प्रेमा के
(B) उमा के
(C) होस्टल की नौकरानी के
(D) अपनी माँ के
उत्तर-
(C) होस्टल की नौकरानी के

प्रश्न 24.
‘शंकर की बैकबोन नहीं है’-ये शब्द उसे कौन कहता है ?
(A) रामस्वरूप
(B) गोपाल प्रसाद
(C) शंकर के मित्र
(D) उमा
उत्तर-
(C) शंकर के मित्र

प्रश्न 25.
‘बाबू जी मक्खन……।’ ये शब्द एकांकी के किस पात्र ने कहे हैं ?
(A) उमा
(B) प्रेम
(C) उमा की सखी
(D) रतन
उत्तर-
(D) रतन

रीढ़ की हड्डी प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

 

रीढ़ की हड्डी Summary in Hindi

रीढ़ की हड्डी पाठ-सार/गध-परिचय

प्रश्न-
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक एकांकी का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ श्री जगदीश चंद्र माथुर का एक व्यंग्य एकांकी है। इसमें उन्होंने विवाह संबंधी समस्या को चित्रित किया है। रामस्वरूप लड़की का पिता है। लड़की का नाम उमा है। वह बी०ए० पास है। प्रेमा लड़की की माता है। रतन घर का नौकर है। आज उमा को देखने के लिए गोपाल प्रसाद और उसका बेटा शंकर आने वाले हैं।

रामस्वरूप एवं उसके परिवार के सभी सदस्य घर को सजाने में लगे हुए हैं। सारी तैयारियाँ हो रही हैं। घर में एक तख्त और उस पर एक सफेद चादर बिछा दी गई है। घर का नौकर रतन भी घर के काम में व्यस्त है। तख्त पर हारमोनियम, सितार आदि सजाए गए हैं। उमा की संगीत की परीक्षा वहीं होगी। प्रेमा ने नाश्ते की सब वस्तुएँ सजा दी हैं। नौकर मक्खन लेने जाता है।
रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा को कहता है कि वह उमा को कहे कि वह सज-सँवरकर आए, किंतु उमा मुँह फुलाए बैठी है। उसे बाहरी दिखावा अच्छा नहीं लगता। माँ बेटी के व्यवहार से तंग है। उमा बी०ए० पास है, किंतु वर-पक्ष को उसकी शिक्षा मैट्रिक तक बताई गई है। रामस्वरूप ने अपनी पत्नी को समझा दिया है कि जब वर-पक्ष वाले आएँ तो वह उमा को सजा-सँवारकर भेजे, किंतु उमा को पाउडर आदि वस्तुएँ प्रयोग करने का शौक नहीं है।

तभी शंकर और उसके पिता गोपाल बाबू आ जाते हैं। गोपाल बाबू की आँखों से लोक-चतुराई टपकती है। उसकी आवाज़ से पता चलता है कि वह अनुभवी और लालची है। शंकर कुछ खीसें निपोरने वाले नौजवानों में से है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट भरी तथा कमर कुछ झुकी हुई है।

बाबू रामस्वरूप उन दोनों को अत्यंत आदर-भाव से स्वागत करते हुए बिठाते हैं। बातचीत करते हुए रामस्वरूप ने शंकर की शिक्षा के विषय में जानकारी प्राप्त की। बाबू गोपाल प्रसाद ने बताया कि शंकर एक साल बीमार पड़ गया था। क्या बताऊँ कि इन लोगों को इसी उम्र में सारी बीमारियाँ सताती हैं। एक हमारा जमाना था कि स्कूल से आकर दर्जनों कचौड़ियाँ उड़ा जाते थे, मगर फिर जो खाने बैठते तो भूख वैसी-की-वैसी। पढ़ाई का यह हाल था कि एक बार कुर्सी पर बैठे तो बारह-बारह घंटे की ‘सिटिंग’ हो जाती थी।
बातचीत करते हुए गोपाल प्रसाद ने पूछा कि आपकी बेटी तो ठीक है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के विषय में जो सुना है, वह तो गलत है न। साफ बात यह है कि हमें अधिक पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। मेम साहब तो रखनी नहीं है।

नाश्ता समाप्त हो चुका है। तभी उमा हाथों में तश्तरी लिए वहाँ आती है। उसने सादगी के कपड़े पहने हैं। उसकी गर्दन झुकी हुई है। बाबू गोपाल प्रसाद आँखें गड़ाकर और शंकर आँखें झुकाकर देखता है। उमा पान की तश्तरी अपने पिता को दे देती है। उमा जब चेहरा ऊपर उठाती है तो उसके नाक पर रखा हुआ चश्मा दिख जाता है। बाप-बेटा दोनों एक साथ चौंककर कहते हैं’चश्मा! बाबू रामस्वरूप बात को संभालते हुए कहते हैं कि पिछले महीने इसकी आँखें दुखनी आ गई थीं। इसलिए कुछ दिनों के लिए चश्मा लगाना पड़ रहा है। बाबू गोपाल प्रसाद उमा को बैठने के लिए कहते हैं। वह उससे गाने-बजाने के विषय में पूछते हैं। रामस्वरूप उमा को एक-आध गीत सुनाने के लिए कहते हैं।

उमा उन्हें मीरा का भजन गाकर सुनाती है मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरा न कोई। गीत में तल्लीन होने पर उसका मस्तक ऊपर उठा। उसने शायद शंकर को पहचान लिया। वह गाते-गाते एकदम रुक गई। उमा उठने को हुई, तो उसे रोक लिया गया। फिर गोपाल प्रसाद उससे पेंटिंग और सिलाई की शिक्षा के विषय में पूछने लगे। तसल्ली होने पर इनाम आदि की जानकारी भी चाही इस पर वह चुप रही।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

जब उमा से संबंधित अधिकतर प्रश्नों के उत्तर उसके पिता ने दिए, तो गोपाल प्रसाद ने कहा कि जरा लड़की को भी मुँह खोलना चाहिए, तो रामस्वरूप ने उमा को जवाब देने के लिए कहा। उमा ने कहा, “क्या जवाब +, बाबू जी! जब कुर्सी-मेज़ बिकती है, तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से कुछ नहीं पूछता, सिर्फ खरीदार को दिखला देता है। पसंद आ गई तो अच्छा है, वरना……. ।”
रामस्वरूप के रोकने पर भी उमा कहती है-“ये जो महाशय मेरे खरीदार बनकर आए हैं, इनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता? क्या उनके चोट नहीं लगती ? क्या वे बेबस भेड़-बकरियाँ हैं, जिन्हें कसाई अच्छी तरह देख भालकर …….. ?” वह पुनः कहती है कि क्या “हमारी बेइज्जती नहीं होती जो आप इतनी देर से नाप-तोल कर रहे हैं और आप जरा अपने इन साहबजादे से पूछिए कि अभी पिछली फरवरी में ये लड़कियों के होस्टल के इर्द-गिर्द क्यों घूम रहे थे, और वहाँ से कैसे भगाए गए थे। इस पर गोपाल प्रसाद पूछते हैं क्या तुम कॉलेज में पढ़ी हो ? तब उमा कहती है-“जी हाँ, मैं कॉलेज में पढ़ी हूँ मैं बी.ए. पास हूँ। कोई पाप नहीं किया है, कोई चोरी नहीं की और न आपके पुत्र की भाँति ताक-झाँककर कायरता दिखाई है। मुझे अपनी इज्जत, अपने मान का ख्याल तो है। लेकिन इनसे पूछिए कि किस तरह नौकरानी के पैरों में पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागे थे।” गोपाल प्रसाद और शंकर अधिक अपमान न सहन कर सके और वे चलने लगे। तभी उमा कहती है-“जी हाँ, जाइए, जरूर चले जाइए। लेकिन घर जाकर यह पता लगाइएगा कि आपके लाडले बेटे के रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं, यानी बैकबोन, बैकबोन!”

उमा के इन शब्दों से गोपाल प्रसाद के चेहरे का रंग उड़ जाता है। वह निराश होकर बाहर निकल जाता है। शंकर का चेहरा रुआँसा हो जाता है। रामस्वरूप भी कुर्सी पर धम्म से बैठ जाता हैं। उमा सिसकियां भरने लगती है। तभी रतन मक्खन लेकर आता है। इस प्रकार एकांकी का अंत करुणाजनक स्थिति में होता है।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-27) : मामूली = अत्यंत साधारण। सिरा = किनारा। कसरत = व्यायाम। कलस = घड़ा।

(पृष्ठ-28) : मेज़पोश = मेज़ पर बिछाने का सजावटी कपड़ा। झाड़न = सफाई के काम आने वाला कपड़ा। सहसा = अनायास। गंदुमी = गेहुँआ रंग। भीगी बिल्ली = सहमा हुआ-सा। उल्लू = मूर्ख। मुँह फुलाए = नाराज़ होकर, गुस्से में।

(पृष्ठ-29) : मर्ज़ = रोग। पकड़ में आना = काबू में आना। सिर चढ़ाना = बढ़ावा देना। जंजाल = झंझट । ठठोली = मज़ाक। राह पर लाना = सीधे रास्ते पर लाना, समझा-बुझा कर मनाना। टीमटाम = दिखावा। नफरत = घृणा। बाज़ आना = हारना।

(पृष्ठ-30) : इंट्रेंस = कक्षा बारह। हाथ रहना = नियंत्रण में रहना। ज़बान पर काबू होना = बोलने पर नियंत्रण होना। जिक्र = चर्चा। उगलना = कह देना। खुद = स्वयं।

(पृष्ठ-31) : करीने से = सही ढंग से, सँवर कर। दकियानूसी ख्याल = पुराने विचार। सोसाइटी = लोगों का मिलन-स्थल। सवा सेर = अधिक तेज़। तालीम = शिक्षा। कोरी-कोरी सुनाना = साफ-साफ कहना। चौपट करना = बेकार कर डालना। कमबख्त = अभागा। दस्तक = खटखट की आवाज़।

(पृष्ठ-32) : लोक चतुराई = लोक-व्यवहार में सयानापन। टपकती = झलकती, दिखाई देनी। अनुभवी = जिसने दुनिया का व्यवहार देखा हो। फितरती = शरारती, स्वभावगत। खीस निपोरना = चापलूसी करना, बेकार में दाँत निकालना। खिसियाहट = शर्म, संकोच। तशरीफ लाना = बैठना। काँटों में घसीटना = परेशानी में डालना। मुखातिब = मुँह करके। वीक-एंड = सप्ताह के अंत में। मार्जिन = अंतर, फासला।

(पृष्ठ-33) : उड़ जाना = खा जाना। जनाब = महोदय। बालाई = खाने वाला पदार्थ । हज़म करना = पचाना। वगैरह = आदि। मजाल = हिम्मत, शक्ति। फरटि = तेज़ गति से, धारा-प्रवाह। मुकाबला = होड़। ज़ब्त करना = रोकना। रंगीन = आनंदपूर्ण।

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(पृष्ठ-34) : तकल्लुफ = शिष्टाचार। तकदीर = भाग्य। काबिल = योग्य। हैसियत = शक्ति। बँखारकर = खाँसी की आवाज़ करके। बैकबोन = रीढ़ की हड्डी। ज़ायका = स्वाद।।

(पृष्ठ-35) : आमदनी = आय। यूँ करना = विरोध में बोलना। स्टैंडर्ड = मापदंड, गुणवत्ता। माफिक = के अनुसार। बेढब होना = बिगड़ जाना। निहायत = बहुत, अधिक। राज़ी = मान जाना, स्वीकार करना।

(पृष्ठ-36) : रस्म = रिवाज़। जायचा = जन्मपत्री। ठाकुर = भगवान। चरणों = कदमों। भनक पड़ना = चोरी-छिपे बात का पता चलना। मेम साहब = पढ़ी-लिखी नखरेबाज़ औरत। ग्रेजुएट = बी०ए० बी० कॉम या बी०एस-सी० तक पढ़ी हुई। अक्ल के ठेकेदार = स्वयं को बुद्धिमान मानने वाला। काबिल = योग्य। पालिटिक्स = राजनीति। बहस = चर्चा।

(पृष्ठ-37) : तालीम = शिक्षा। तश्तरी = प्लेट। आँखें गड़ाना = ध्यान से देखना। ताकना = देखना। सकपकाकर = घबराकर।

(पृष्ठ-38) : वजह = कारण। अर्ज करना = प्रार्थना करना। संतुष्ट = तसल्ली, तृप्त। छवि = सुंदरता। तल्लीनता = मग्नता। झेंपती आँखें = शर्माती आँखें। तसवीर = चित्र, पेंटिंग।

(पृष्ठ-39) : अधीर होना = बेचैन होना। सकपकाना = घबराना। मुँह खोलना = बोलना। चोट लगना = बुरा लगना। कसाई = पशुओं की हत्या करने वाला। नाप-तोल करना = एक-एक चीज़ ठोक बजाकर लेना। साहबज़ादा = प्यारा पुत्र।

(पृष्ठ-40) : ताक-झाँक करना = इधर-उधर देखना। मान = इज्जत, सम्मान। ख्याल = ध्यान। मुँह छिपाकर भागना = शर्मिंदा होकर भागना। दगा करना = धोखा करना। गज़ब होना = बहुत बुरा होना। ठिकाना = सीमा। रुलासापन = रोने का भाव।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

HBSE 9th Class Hindi मेरे संग की औरतें Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ?
उत्तर-
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, किंतु उनके बारे में सुना अवश्य था। विशेषकर अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी। उस भेंट में भी उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी का विवाह किसी क्रांतिकारी से करना चाहती थी, अंग्रेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस इच्छा से उनकी देशभक्ति का बोध होता है। इसके अतिरिक्त वह साहसी स्त्री थी। उन्होंने पर्दे में रहने के बावजूद किसी पराए पुरुष से मिलने का साहस किया था। इन तथ्यों से पता चलता है कि वह एक वीर स्त्री थी। उनके मन में स्वतंत्रता की आग सुलग रही थी। लेखिका उनके इन्हीं गुणों के कारण प्रभावित थी।

प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ? [H.B.S.E. 2018, 2019]
उत्तर-
लेखिका की नानी की प्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी नहीं रही। उसकी परिस्थितियाँ ही ऐसी थीं कि वह खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं ले सकती थी। किंतु उसके मन में स्वतंत्रता-प्राप्ति की भावना सदा बनी रही। उसने कभी भी अंग्रेजों की प्रशंसा नहीं की। उसके पति इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करके आए थे और अंग्रेज़ों के भक्त थे। फिर भी उसने अंग्रेज़ों की जीवन-शैली में कभी भाग नहीं लिया। उसका सबसे बड़ा योगदान था कि उसने अपनी संतान को अंग्रेज़-भक्तों के चंगुल से मुक्त कर दिया था, ताकि उसकी संतान देश के लिए कुछ कर सके। इस प्रकार उनकी इस भावना से निश्चित रूप से क्रांतिकारियों को जो उत्साह मिला होगा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। अतः लेखिका की नानी की स्वतंत्रता आंदोलन में अप्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ी भागीदारी थी।

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प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। (ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर-
(क) लेखिका की माँ असाधारण व्यक्तित्व वाली महिला थी। उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम करती थीं। वे मौलिक विचारों वाली स्त्री थीं। लेखिका ने लिखा है कि वे स्वयं अपने ढंग से आजादी के जुनून को निभाती थी। इस विशेषता के कारण घर के सभी लोग उसका सम्मान करते थे। उनसे घर-गृहस्थी का कोई काम नहीं करवाया जाता था। उनका व्यक्तित्व ऐसा प्रभावशाली था कि ठोस कामों के लिए उनसे राय ली जाती थी और उस राय को पत्थर की लकीर मानकर निभाया जाता था। लेखिका की माँ को किताबें पढ़ने और संगीत सुनने का शौक भी था। उसके मान-सम्मान के दो बड़े कारण थे कि वह कभी झूठ नहीं बोलती थी और किसी की गोपनीय बात को दूसरों से नहीं कहती थी।

(ख) लेखिका की दादी एक विचित्र व्यक्तित्व वाली स्त्री थी। वह लीक से हटकर काम करने वाली महिला थी। उसके घर में हर व्यक्ति को अपना अधिकार बनाए रखने की स्वतंत्रता थी। लेखिका की दादी, ताई व पिता उसकी माँ के कर्त्तव्यों को पूरा करते थे। लेखिका की माँ बिस्तर पर लेटे-लेटे किताबें पढ़ती और संगीत सुनती। फिर भी उसे भरपूर सम्मान मिलता था। हर व्यक्ति अपने स्वतंत्र विचार रखता था, किंतु फिर भी आपसी सद्व्यवहार का वातावरण बना रहता था। वहाँ किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं था। अतः किसी को भी हीन भावना अनुभव नहीं करनी पड़ती थी।

प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर-
परदादी परंपरा की लीक पर चलने वाली स्त्री नहीं थी। उस युग में लड़की होने की मन्नत माँगना क्रांतिकारी विचार होने का संकेत करता है। उसकी दृष्टि में लड़की-लड़के में भेद नहीं था। उस युग में स्त्री-सुधार आंदोलन भी जोरों पर था। उसका अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव दादी पर अवश्य पड़ा होगा। उनकी मन्नत से यह पता चलता है कि उनकी दृष्टि में स्त्रियों का सम्मानजनक स्थान था। वह लड़कियों से प्रेम करती होगी इसलिए उसने लड़की होने की मन्नत माँगी होगी। परिवार में सब बहुओं को पहला लड़का ही हुआ था। इसलिए उसने पोते की बहू के लिए पहली लड़की होने की मन्नत माँगी होगी।

प्रश्न 5.
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए। .
उत्तर-
माँ जी जब एक रात रतजगे के शोर से बचने के लिए अलग कमरे में सो रही थीं, तब उनके कमरे में सेंध लगाकर कोई चोर घुस आया था। माँ जी आवाज़ सुनकर जाग गई और पूछा कौन है ? चोर द्वारा संक्षिप्त-सा उत्तर देने पर माँ जी ने उससे पानी लाने के लिए कहा। माँ जी ने कहा कि कपड़ा कसकर बाँधे रहना। चोर डर गया कि उसने कैसे जान लिया कि उसने कपड़ा बाँधा हुआ है। माँ जी ने चोर द्वारा बताने पर भी कि वह चोर है, पानी भरवाया। उसने लोटे से पानी पीकर शेष पानी चोर को पिला दिया और फिर कहा कि अब हम माँ-बेटा हुए। अब तू चोरी कर या खेती। चोर ने चोरी करना छोड़कर खेती का काम करना आरंभ कर दिया। इस घटना से सिद्ध होता है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से भी किसी व्यक्ति को सही मार्ग पर लाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
लेखिका मानती है कि शिक्षा प्राप्त करना बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। लेखिका जब कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट में थीं, तब वहाँ कोई अच्छा स्कूल नहीं था। उसने कैथोलिक बिशप से स्कूल खोलने की प्रार्थना की, किंतु वे वहाँ इसलिए स्कूल खोलने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम थी। किंतु लेखिका तो सब बच्चों के द्वारा शिक्षा पाने की पक्षपाती थी। उसके मन में किसी प्रकार का धर्म व जातिगत भेदभाव नहीं था। उसने अपने प्रयासों से ऐसा स्कूल आरंभ किया जिसमें बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़ तीनों भाषाएँ पढ़ाई जाती थी। इसे कर्नाटक की सरकार से मान्यता भी दिला दी थी।

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है ?
उत्तर–
प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि उन इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है, जिनमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

(1) जो सदा सच बोलते हैं।
(2) जो किसी की गोपनीय बातों को दूसरों के सामने प्रकट नहीं करते।
(3) जो अपने इरादों में दृढ़ रहते हों और उन्हें पूरा करने का प्रयास करते हों।
(4) जो दूसरों के साथ सहज व्यवहार करते हों।
(5) जिनमें हीन भावना न हो।
(6) जो देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण हों।

प्रश्न 8.
‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
लेखिका और उसकी बहन में अकेले अपने जीवन-पथ पर चलने का पूर्ण साहस था। लेखिका ने अपनी हिम्मत और साहस से बिहार में रहते हुए नारी जागरण का कार्य किया। उन्होंने शादीशुदा औरतों को नाटक में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। नारी-जागृति उत्पन्न करने के लिए उनमें एक अजीब धुन थी। इसी प्रकार उन्होंने कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में अपने बलबूते पर प्राइमरी स्कूल आरंभ किया था।

लेखिका की बहन रेणु भी जीवन में अकेले ही अनोखे काम कर दिखाने में आनंद अनुभव करने वाली युवती थी। उसे स्कूल से लौटते समय थोड़ी दूर के लिए गाड़ी में आना पसंद नहीं था। वह अकेली ही पैदल चलकर पसीने से तर-बतर होकर घर आती थीं। एक दिन अधिक बरसात के कारण स्कूल की गाड़ी न आने पर वह सबके मना करने पर पैदल ही स्कूल जा पहुंची थी। उसने ऐसा करके यह सिद्ध कर दिया था कि वह अकेले ही अपनी राह पर चल सकती है। वह कहती थी कि अकेलेपन का मजा ही कुछ ओर है। इस प्रकार दोनों के व्यक्तित्व में अकेले ही अपना मार्ग बना लेने की हिम्मत थी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

HBSE 9th Class Hindi मेरे संग की औरतें Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका की परदादी के जीवन में ऐसे कौन-से गुण थे जिनका अनुकरण किया जाए ?
उत्तर-
लेखिका की परदादी का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था। उनके जीवन की त्याग की भावना और नारी-सम्मान की भावना विशेष रूप से अनुकरणीय थी। लेखिका की परदादी ने घोषणा कर दी थी कि वह केवल दो ही धोतियों से गुजारा करेगी। यदि तीसरी धोती मिल जाती है तो वह उसे दान कर देगी। उसने अपने पोते के यहाँ कन्या उत्पन्न होने की मन्नत माँगी थी। उसने अपनी इस मन्नत को किसी से छिपाया नहीं था। उसने अपनी इस कामना के पीछे किसी प्रकार का कोई तर्क भी नहीं दिया था। वह चाहती थी कि इस समाज में केवल लड़कों का ही नहीं, अपितु लड़कियों का भी मान-सम्मान होना चाहिए। उसकी यह भावना आज के समाज के लिए अनुकरणीय है। उसके मन में ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था थी। वह प्रभु से सदा सच्ची भावना से ही मन्नत माँगती थी जो पूरी होती थी। अतः उनके जीवन का यह गुण भी अनुकरणीय है।

प्रश्न 2.
लेखिका की माँ के जीवन के कौन-कौन से गुण आपको अत्यधिक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
लेखिका की माँ एक पतली-दुबली व कमजोर-सी दिखाई देने वाली नारी थी। किंतु उनका दृढ़ निश्चय व संकल्प देखते ही बनता था। जिस काम का वह एक बार निश्चय कर लेती थी, उसे करके ही दम लेती थी। वह देशभक्त नारी थी। वह सदा ही खादी की धोती पहनती थी। लेखिका की माँ के जीवन के प्रमुख गुण थे ईमानदारी, निष्पक्षता, सत्य बोलना और स्वतंत्रता-प्राप्ति के आंदोलन में भाग लेना आदि। उनके जीवन के ये वे गुण थे, जिन्हें देखकर हर व्यक्ति उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। वे कभी झूठ नहीं बोलती थी और न ही कभी किसी के प्रति अन्याय होते सहन कर सकती थी। वह सदा ही देश-समाज-सेवा और त्याग को अपना धर्म मानती थी। वास्तव में लेखिका की माँ महान् विचारों वाली नारी थी।

प्रश्न 3.
लेखिका की नानी क्रांतिकारी विचारों वाली नारी थी। सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
लेखिका की नानी ऊपरी तौर पर देखने में बहुत ही शांत एवं सहज लगती थी, किंतु वह सदा से नारी की स्वतंत्रता के पक्ष में थी। उसे आज़ादी अच्छी लगती थी। भले ही वह आजादी देश की हो या व्यक्ति की। उस समय की स्थिति ऐसी थी कि पति से भी खुलकर बोल पाना संभव नहीं था। किंतु उसके मन में क्रांतिकारी विचार मन-ही-मन सुलगते रहते थे। जब वह मरणासन्न थी तो उसने अपने क्रांतिकारी विचारों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया। उसने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारे लाल शर्मा को बुलाकर कहा कि वे उसकी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से कराएँ, किसी अंग्रेज भक्त से नहीं। यह उसके मन का अंग्रेज भक्तों के प्रति खुला विद्रोह था। इससे स्पष्ट है कि लेखिका की नानी क्रांतिकारी विचारों वाली नारी थी।

प्रश्न 4.
“हम हाथी पे हल ना जुतवाया करते, हम पे बैल हैं” इस कथन के पीछे छुपी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यह कथन लेखिका की दादी का है। लेखिका की माँ घर के काम-काज में हाथ नहीं बँटवाती थी। वह सदा ही स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित कामों में लगी रहती थी। वह बच्चों के पालन-पोषण व भरण-पोषण के काम भी नहीं करती थी। लोग जब इसका कारण पूछते कि उसे घर के काम-काज से छूट क्यों दी गई है तब लेखिका की दादी उन लोगों को उत्तर देती हुई ये शब्द कहती थी। इन शब्दों का तात्पर्य है कि लेखिका की माँ बहुत उच्च-विचारों वाली तथा देशभक्त नारी है। ये घर-गृहस्थी के काम उसके करने के योग्य नहीं हैं। इन कामों को करने के लिए हमारे पास अन्य सदस्य हैं।

प्रश्न 5.
चोर लेखिका की माँ की किस बात से प्रभावित हुआ ?
उत्तर-
चोर लेखिका की माँ के कमरे में चोरी करने के लिए घुसा था। किंतु लेखिका की माँ उससे डरी नहीं, अपितु उसे पानी लाने के लिए कहा। उसने यह भी बता दिया कि वह चोर है। फिर माँ ने कहा कि चोर हो या भगवान, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। चोर उसे पानी देता है तथा पकड़ा जाता है। चोर लेखिका की माँ की उदारता से बहुत ही प्रभावित होता है और वह चोरी का काम छोड़कर खेती करने का काम आरंभ कर देता है।

प्रश्न 6.
स्वतंत्रता की दीवानी लेखिका 15 अगस्त, 1947 का स्वतंत्रता का समारोह देखने के लिए क्यों नहीं जा सकी थी ?
उत्तर-
लेखिका बचपन से ही स्वतंत्रता की दीवानी थी। स्वतंत्रता आंदोलन में भी वह चाव से भाग लेती थी। किंतु जिस दिन स्वतंत्रता समारोह का आयोजन किया गया, उस दिन वह बीमार थी। उसे टाइफाइड बुखार हो गया था। उन दिनों उसे जानलेवा बुखार माना जाता था। डॉक्टर ने उसे कठोरतापूर्वक समारोह में न जाने के लिए कहा था। इसी कारण स्वतंत्रता की दीवानी लेखिका . स्वतंत्रता समारोह में न जा सकी।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ एक है-
(A) आत्मकथात्मक निबंध
(B) कहानी
(C) संस्मरण
(D) रिपोर्ताज
उत्तर-
(A) आत्मकथात्मक निबंध

प्रश्न 2.
‘मेरे संग की औरतें’ नामक पाठ की लेखिका का नाम है-
(A) महादेवी वर्मा
(B) मृदुला गर्ग
(C) सुभद्राकुमारी चौहान
(D) शिवरानी
उत्तर-
(B) मृदुला गर्ग

प्रश्न 3.
मृदुला गर्ग का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1938 में
(B) सन् 1942 में
(C) सन् 1945 में
(D) सन् 1947 में
उत्तर-
(A) सन् 1938 में

प्रश्न 4.
मूदुला गर्ग को साहित्य की किस विधा के लिए प्रसिद्धि मिली है ?
(A) कविता
(B) कथा-साहित्य
(C) निबंध
(D) नाटक
उत्तर-
(B) कथा-साहित्य

प्रश्न 5.
‘मेरे संग की औरतें’ शीर्षक पाठ किनकी समस्याओं पर आधारित है ?
(A) पुरुषों की
(B) बच्चों की
(C) बूढ़ों की
(D) औरतों की
उत्तर-
(D) औरतों की

प्रश्न 6.
लेखिका की नानी थी-
(A) परदानशी
(B) शिक्षित
(C) परंपरावादी
(D) धर्मभीरु
उत्तर-
(A) परदानशी

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प्रश्न 7.
लेखिका की नानी मुँहजोर क्यों हो उठी थी ?
(A) क्रांतिकारी बनने के कारण
(B) अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी के विवाह की चिंता में
(C) परिवार की चिंता में ।
(D) पति की बेरुखी के कारण
उत्तर-
(B) अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी के विवाह की चिंता में

प्रश्न 8.
लेखिका की नानी परदे की चिंता छोड़कर किससे मिलना चाहती थी ?
(A) अपने पति से
(B) पति की माँ से
(C) पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से
(D) अपने ससुर से
उत्तर-
(C) पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से

प्रश्न 9.
लेखिका की नानी अपनी बेटी की शादी कैसे व्यक्ति से करना चाहती थी ?
(A) जो साहबों का फरमाबरदार न हो
(B) जो कायर न हो
(C) जो सेना का सिपाही हो
(D) जो परंपरा का पालन करने वाला हो
उत्तर-
(A) जो साहबों का फरमाबरदार न हो

प्रश्न 10.
असली आजादी कब अनुभव होती है ?
(A) अपने ढंग से जीने में।
(B) संयमशीलता में
(C) आज्ञानुपालना में
(D) दूसरों को देखकर जीने में
उत्तर-
(A) अपने ढंग से जीने में

प्रश्न 11.
लेखिका की माँ का विवाह कैसे युवक से हुआ था ?
(A) जो अंग्रेजों की नौकरी करता था
(B) जो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले चुका था
(C) जो कंजूस था
(D) जो माता-पिता का आज्ञाकारी पुत्र था
उत्तर-
(B) जो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले चुका था

प्रश्न 12.
लेखिका की माँ ने सादा जीवन क्यों व्यतीत किया था ?
(A) गांधी जी के आदर्शों के कारण
(B) गरीबी के कारण
(C) आदर्श स्थापित करने के लिए .
(D) उसे अमीरों से घृणा थी
उत्तर-
(A) गांधी जी के आदर्शों के कारण

प्रश्न 13.
“हमारी बहू तो ऐसी है कि घोई, पोंछी और छींके पर टांग दी”-ये शब्द किसने, किसके लिए कहे थे ?
(A) लेखिक ने अपनी माँ के लिए
(B) लेखिका की दादी ने उसकी माँ के लिए
(C) लेखिका की परदादी ने उसकी दादी के लिए
(D) लेखिका की सास ने उसके लिए
उत्तर-
(B) लेखिका की दादी ने उसकी माँ के लिए

प्रश्न 14.
कौन अंग्रेजों के सबसे बड़े प्रशंसक थे ?
(A) गांधी-नेहरू
(B) लेखिका के पिता
(C) लेखिका की नानी
(D) भारतीय जनता
उत्तर-
(A) गांधी-नेहरू

प्रश्न 15.
लेखिका की माँ की राय का कैसे पालन किया जाता था ?
(A) पत्थर की लकीर की भाँति
(B) पानी की लकीर की भाँति
(C) सख्त आदेश की भाँति
(D) राजा के फरमान की भाँति
उत्तर-
(A) पत्थर की लकीर की भाँति

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प्रश्न 16.
“हम हाथी पे हल न जुतवाया करते, हम पे बैल हैं।”-इस कथन पर बैल किसे कहा गया है ?
(A) अंग्रेजों को
(B) लेखिका की माँ को
(C) परिवार के काम करने वाले सदस्यों को
(D) स्वयं लेखिका को
उत्तर-
(C) परिवार के काम करने वाले सदस्यों को

प्रश्न 17.
‘मुस्तैद’ का अर्थ है-
(A) मस्त
(B) आलसी
(C) चालाक
(D) तत्पर
उत्तर-
(D) तत्पर

प्रश्न 18.
लेखिका की माँ अपने बच्चों की परवरिश में रुचि क्यों नहीं लेती थी ?
(A) वह बीमार रहती थी
(B) वह अधिक कमजोर थी
(C) वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण व्यस्त रहती थी
(D) उसे बच्चों से प्यार नहीं था

उत्तर-
(C) वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण व्यस्त रहती थी

प्रश्न 19.
लेखिका की माँ अपना अधिकांश समय कैसे बिताती थी ?
(A) गप्पे हाँक कर
(B) सैर-सपाटे में
(C) सोने में
(D) पुस्तकें पढ़ने में
उत्तर-
D) पुस्तकें पढ़ने में

प्रश्न 20.
आपकी दृष्टि में लेखिका की माँ का सबसे अच्छा गुण कौन-सा है ?
(A) वह परदे में विश्वास नहीं रखती थी
(B) वह कभी झूठ नहीं बोलती थी
(C) वह दूसरों की सहायता करती थी
(D) वह दूसरों पर विश्वास करती थी
उत्तर-
(B) वह कभी झूठ नहीं बोलती थी

प्रश्न 21.
लेखिका की माँ की भूमिका बखूबी किसने निभाई थी ?
(A) लेखिका के पिता ने
(B) लेखिका की दादी ने
(C) लेखिका की बुआ ने
(D) लेखिका के दादा ने
उत्तर-
(A) लेखिका के पिता ने

प्रश्न 22.
लेखिका की परदादी की किस मन्नत के लिए लोग हैरान थे ?
(A). उसने धन के लिए मन्नत माँगी थी
(B) परिवार में लड़की के जन्म की मन्नत माँगी थी
(C) परिवार में प्रसन्नता की मन्नत माँगी थी
(D) स्वतंत्र भारत की मन्नत
उत्तर-
(B) परिवार में लड़की के जन्म की मन्नत माँगी थी

प्रश्न 23.
लेखिका की परदादी के किस व्यवहार से चोर प्रभावित हुआ था ?
(A) उदारता
(B) प्रभावशाली व्यक्तित्व
(C) उपदेश
(D) माँ-बेटे के संबंध की स्थापना से
उत्तर-
(A) उदारता

प्रश्न 24.
लेखिका के पिता ने उसे कौन-सी पुस्तक लाकर दी थी ?
(A) मेरा परिवार
(B) ब्रदर्स कारामजोव
(C) गोदान
(D) महात्मा गांधी की आत्मकथा
उत्तर-
(B) ब्रदर्स कारामजोव

प्रश्न 25.
लेखिका का भाई किस भाषा में लिखता था ?
(A) उर्दू-फारसी
(B) अंग्रेजी
(C) हिंदी
(D) अवधी
उत्तर-
(C) हिंदी

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

मेरे संग की औरतें Summary in Hindi

मेरे संग की औरतें पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘मेरे संग की औरतें’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘मेरे संग की औरतें’ एक आत्मकथात्मक निबंध है। इसमें लेखिका ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया है। निबंध का सार इस प्रकार है

लेखिका की नानी उसके जन्म से पहले ही इस संसार से चल बसी थी। इसलिए लेखिका को उससे कहानी सुनने का अवसर न मिल सका। शायद इसीलिए लेखिका अपने जैसे लोगों के लिए कहानी लिखती है। लेखिका की नानी की कहानी भी बड़ी मजेदार है। उसकी नानी अनपढ़ और पर्दा-प्रथा में विश्वास करने वाली थी। उसकी शादी के तुरंत पश्चात् उसका पति उसे भारत में छोड़कर विलायत में बैरिस्ट्री की परीक्षा पास करने के लिए चला गया। जब वह पढ़ाई पूरी करके लौटा तो विलायती ढंग से भारत में रहने लगा। किंतु नानी अपने ढंग से जीवन जीती रही। उसने अपने पति की जीवन-शैली में कभी रोड़ा नही अटकाया। जब वह मरने वाली थी तो उसने अपने पति के द्वारा प्रसिद्ध क्रांतिकारी व देशभक्त प्यारेलाल शर्मा को बुलवाया और कहा कि उनकी बेटी का विवाह किसी देशभक्त व क्रांतिकारी से करना। वह अंग्रेज़ साहबों के हुक्म का गुलाम न हो। उसकी इच्छा और स्वतंत्र विचारों को सुनकर सब दाँतों तले अंगुली देते रह गए। उसके लिए स्वतंत्रता से जीना ही बेहतर जीना था।

लेखिका की नानी की मृत्यु के पश्चात् उसकी माँ का विवाह एक ऐसे शिक्षित युवक से हुआ जिसे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण आई.सी.एस. की परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था। उसके पास कोई खानदानी धन भी नहीं था। इसलिए उसकी माँ को विवश होकर अपनी माता और गांधी जी के विचारों को अपनाना पड़ा। वह शरीर से इतनी पतली-दुबली थी कि उसके लिए खादी की साड़ी सँभालना भी कठिन था। उसकी सास उसकी दुर्बलता का सदा मजाक किया करती थी। लेखिका की माँ का अपने ससुराल के परिवार पर बहुत दबदबा था। उसके भी दो कारण थे

(1) ससुराल वाले भी अन्य भारतीयों की भाँति अंग्रेजों से प्रभावित थे। भले ही उनका लड़का क्रांतिकारी रहा हो। किंतु घर में दबदबा अंग्रेज़ भक्त ससुर का चलता था। ऐसी स्थिति में घर में एक सिरफिरे क्रांतिकारी की पत्नी होना परिकथा-सा रोमांच पैदा करता था।

(2) दूसरा कारण था उसका प्रभावशाली व्यक्तित्व । वह सुंदर, नाजुक, ईमानदार, निष्पक्ष और गैर-दुनियादार थी। इसीलिए उसे घर के सामान्य कार्य करने के लिए भी नहीं कहा जाता था। उनकी तो केवल सलाह भर ली जाती थी, जिसका पूर्ण पालन किया जाता था। उसकी ससुराल के अन्य सदस्य ही उसकी गृहस्थी का काम सँभाले रहते थे।

लेखिका ने कभी भी अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा नहीं पाया था। उसने न कभी अपने बच्चों को लाड़-प्यार किया और न कभी उनके लिए खाना ही बनाया तथा न ही उन्हें कभी अच्छी बहू या पत्नी होने की शिक्षा ही दी। वह घर के कामों में भी रुचि नहीं रखती थी। वह अपना अधिक समय पुस्तकें पढ़ने में बिताती थी। वह संगीत सुनने की भी शौकीन थी। किंतु घर के सदस्य उन्हें कभी कोई ताना नहीं देते थे। उसमें दो गुण थे-प्रथम वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं। दूसरा वह एक की गोपनीय बात को सुनकर कभी दूसरों के आगे नहीं कहती थी। इसलिए बाहर के लोग भी उनके मित्र बने हुए थे। वे उस पर पूरा भरोसा रखते थे। माँ की भूमिका हमारे पिता जी ने ही निभाई थी।

लेखिका की एक परदादी भी थी। उनकी कहानी भी अजीबोगरीब है। उन्हें सदा परंपरा को तोड़ने में ही मज़ा आता था। उन्होंने मंदिर में जाकर यह मन्नत माँगी थी कि उनकी बहू का पहला बच्चा लड़की हो। उनकी यह घोषणा सुनकर लोग हैरान रह गए थे कि यह उसने क्या कह दिया। वे अपनी मन्नत दोहराती रही। पूरे गाँव के लोगों का विश्वास था कि उसके तार तो सीधे भगवान जी से जुड़े हुए हैं। भगवान जी ने भी उनकी ऐसी सुनी कि एक नहीं पाँच लड़कियों का जन्म हुआ।

लेखिका की परदादी के विषय में एक और घटना भी उल्लेखनीय है। एक बार घर के सभी मर्द बारात में गए हुए थे। घर की स्त्रियाँ रतजगा मना रही थीं। परदादी शोर से बचने के लिए किसी दूसरे कमरे में जाकर सो गई। तभी एक चोर सेंध लगाकर उनके कमरे में आ गया। कमरे में हलचल होने से परदादी की आँख खुल गई। उसने कहा, तुम कौन हो ? चोर ने कहा जी मैं हूँ। परदादी ने कहा तुम कोई भी हो, मेरे लिए कुएँ से एक लोटा पानी का लेकर आओ। चोर ने हड़बड़ाहट में कह दिया कि मैं तो चोर हूँ। बुढ़िया ने कहा कि मुझे इससे कुछ नहीं लेना-देना। बुढ़िया ने आधा लोटा पानी पीकर चोर से कहा ले आधा तू पी ले।

चोर द्वारा पानी पी लेने पर उसने कहा अब हम माँ-बेटे हुए। अब तू चोरी कर या खेती कर। चोर बाहर निकलता हुआ हवेली के पहरेदारों द्वारा पकड़ा गया और माफी माँगकर बचा। उसके पश्चात् उसने चोरी करना छोड़कर खेती करना आरंभ कर दिया।

15 अगस्त, 1947 को देश को आजादी मिली। सब जगह आजादी का जश्न मनाया जा रहा था। लेखिका को बुखार था, इसलिए डॉक्टर ने उसे जश्न में शामिल होने को मना किया था। वह मन मसोसकर रह गई। लेखिका और उसकी अन्य चारों बहनें कभी किसी हीन-भावना की शिकार नहीं हुई थीं। लेखिका के परिवार में सभी बच्चों के दो-दो नाम थे-एक घर का और दूसरा बाहर का। लेखिका का घर का नाम उमा और बाहर का मृदुला गर्ग था उसकी छोटी बहन का घर का नाम गौरी और बाहर का नाम चित्रा था। इसी प्रकार बड़ी बहन का घर का नाम रानी और बाहर का नाम मंजुल भगत था। उसकी दो छोटी बहनों का नाम रेणु और अचला था और भाई का नाम राजीव। अचला अंग्रेजी में लिखती थी और भाई राजीव हिंदी में। रेणु का स्वभाव तो अत्यंत विचित्र था। वह गाड़ी में बैठने से इंकार कर देती और कहती थी थोड़े-से रास्ते के लिए गाड़ी में बैठना सामतंशाही का प्रतीक है। इसलिए वह पैदल ही घर पहुँचती, भले ही वह पसीने से तर-बतर हो जाती। एक बार उसने जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उसका चित्र मँगवाया था। इससे पूरे मुहल्ले में उसकी चर्चा हुई थी। वह तो बी०ए० की परीक्षा देना भी उचित नहीं समझती थी। जब कोई उसे इत्र भेंट करता तो तपाक से कहती, “नहीं चाहिए, मैं तो नहाती हूँ”।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

तीसरे नंबर की चित्रा भी अजीब है। वह स्वयं न पढ़कर दूसरों को पढ़ाने में व्यस्त रहती। उसके अपने अंक कम आते और उसके शिष्यों के अधिक। जब शादी करने का समय आया तो उसने एक ही नज़र में लड़के को देखकर ऐलान कर दिया कि वह विवाह करेगी तो इसी से और अंत में उसी लड़के से उसका विवाह भी हो गया था।

अचला सबसे छोटी बहन है। उसने पहले एम०ए० अर्थशास्त्र किया, फिर पत्रकारिता में दाखिला लिया और पिता की पसंद के लड़के से विवाह किया। उसे भी तीस वर्ष की आयु के पश्चात लिखने का रोग लग गया। सभी बहनों ने वैवाहिक जीवन का निर्वाह भली-भाँति किया। विवाह के पश्चात् लेखिका बिहार के एक छोटे से कस्बे डालमिया नगर में रही। वहाँ की औरतों के साथ उसने कई नाटक किए। फिर वह कर्नाटक के छोटे कस्बे बागलकोट में रही। वहाँ उसने कैथोलिक बिशप से प्राइमरी स्कूल खोलने की सिफारिश की, किंतु अस्वीकृत हो गई। फिर लेखिका ने वहाँ अपने प्रयास से प्राइमरी स्कूल खोल दिया। रेणु लेखिका की अपेक्षा कहीं अधिक जिद्दी और बहादुर थी। वह जिस काम को करने के लिए ठान लेती, उसे करके ही दिखाती थी। एक दिन वर्षा के कारण उसके स्कूल की बस नहीं आई। वह दो कि०मी० पैदल ही स्कूल में जा पहुँची। स्कूल बंद था, उसे उसका कोई मलाल नहीं था। उसका मानना था कि अकेलेपन का मजा कुछ और ही होता है।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-13) : जाहिर = स्पष्ट। मर्म = भेद। पारंपरिक = परंपरा से चली आ रही। परदानशी = पर्दा-प्रथा में विश्वास रखने वाली। विलायत = इंग्लैंड। बसर करना = व्यतीत करना। आकांक्षा = इच्छा।

(पृष्ठ-14) : करीब = नजदीक। इकलौती = अकेली। मुँह जोर = अधिक बोलना। लिहाज = शर्म। मर्द = पुरुष। मुँह खोलकर = बिना पर्दे के। हुजूर = दरबार। हैरतअंगेज़ = हैरान करने वाला। तय = निश्चित। फरमाबदार = आज्ञाकारी। बेखबर = अनजान होना । जुनून = पागलपन, धुन। दरअसल = वास्तव में। आजाद ख्याल = स्वतंत्र विचार। दखल देना = बाधा पहुँचाना। उबाऊ = ऊबा देने वाली, बोर। मजबूर = विवश।

(पृष्ठ-15) : अपराध = कसूर, दोष । पुश्तैनी = माँ-बाप से प्राप्त। धेला = छोटा पैसा। चनका खा जाना = मरोड़ आ जाना, नस पर नस चढ़ जाना। शर्मिंदगी = लज्जा। नाजुक = कोमल। पेशकश = कार्य के लिए आगे आना। वजह = कारण। अभिभूत = प्रभावित। शोहरत = प्रसिद्धि। दबदबा = प्रभाव। परिकथा = परियों की कहानी। सनक = जिद्द । ख्वाहिश = इच्छा। रजामंदी = मान जाना, समझौता। तिलिस्म = जादू। शख्सियत = व्यक्तित्व। नजाकत = कोमलता, अदा। परीजात = परियों की जाति। पत्थर की लकीर = अटल काम।

(पृष्ठ-16) : जुमला = कुल। ममतालू = ममता भाव से युक्त। परवरिश = देखभाल । मुस्तैद = तैयार। अरुचि = रुचि न होना। नाम धरना = चिढ़ाने के लिए गलत नाम पुकारना। रोब = प्रभाव। गोपनीय = छिपाने योग्य। बखूबी = भली-भाँति।

(पृष्ठ-17) : उबरना = मुक्त होना। निजत्व बनाना = अपना व्यक्तिगत मत या आचरण बनाना। हवाले होना = लीन होना। लीक = बँधी-बँधाई रीति। खिसके = हटे। कतार = पंक्ति। व्रत = इरादा, संकल्प। फज़ल = दया, कृपा। अपरिग्रह = एकत्रित न करना। हरकत = गलत काम। मन्नत माँगना = ईश्वर से किसी काम की कामना करना। पतोहू = पुत्रवधू। गैर-रवायती = परंपरा के खिलाफ, अप्रचलित। पोशीदा = पर्दे से ढका हुआ, छिपा हुआ। ऐलान = घोषणा। फितूर = पागलपन, सनक। वाजिब = उचित। पुश्तों = पीढ़ियों। अभाव = कमी। बदस्तूर = लगातार। मर्तबा = बार। आरजू = इच्छा। रंग लाना = प्रभाव दिखाना। गुमान = अनुमान।

(पृष्ठ-18) : गैर-वाजिब = अनुचित। जुस्तजू = चाह। अफरा-तफरी = अस्त-व्यस्त होना। नामी = प्रसिद्ध, मशहूर। दीदार = दर्शन। खुशनसीबी = अच्छा भाग्य। हाथ आना = मौका आना। रतजगा मनाना = रात को जागकर उत्सव मनाना। सेंध लगाना = चोरी से घुसना। जुगराफिया = नक्शा। पुरखिन = वृद्धा, बुढ़िया। इतमीनान = तसल्ली। टटोलकर = खोजकर। यकीन = विश्वास। धर्मसंकट = धर्म की बात सामने पाकर परेशानी में पड़ना।

(पृष्ठ-19) : अकबकाया = घबराया। एहतियात = सावधानी। धर-दबोचा = पकड़ लिया। लायक = योग्य। रोमांचक धंधा = चोरी का काम। भला मानुस = अच्छा, मनुष्य। विरासत = माँ-बाप से मिली संपत्ति। प्रकोप = गुस्सा, क्रोध। हीन भावना = कमी होने का अपराध या भाव। नाहक = व्यर्थ। रोमानी = भावना से ओत-प्रोत, संवेदनशील।

(पृष्ठ-20) : जश्न = त्योहार, समारोह। दुर्योग = बुरा अवसर। शिरकत करना = शामिल होना। इज़ाज़त = आज्ञा। सत्ताधारी = शासन करने वाले अंग्रेज़। कलपती = दुःखी होना। मिराक = मानसिक रोग। पलायन करना = चले जाना। मोहलत देना = अवकाश। गडूड-मड्ड होना = आपस में घुलमिल जाना। पल्ले पड़ना = समझ में आना। अनाचार = पापपूर्ण व्यवहार। कंठस्थ होना = याद होना।

(पृष्ठ-21) : बरकरार रखना = कायम रखना। आड़े आना = रास्ते में रुकावट बनना। पैदाइशी = जन्म से ही। नारीवाद = नारी को महत्त्व देने संबंधी आंदोलन। पोंगापंथी = पाखंडी मूर्खतापूर्ण काम करने वाला। घरघुस्सू = घर में ही घुसा रहने वाला।

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(पृष्ठ-22) : तथ्य = सत्य, कथन। आलोचना-बुद्धि = अच्छे-बुरे की बातें करने वाली बुद्धि। दो-चार होना = सामना होना। नतीजतन = परिणामस्वरूप। सवा सेर होना = अधिक प्रभावी होना। आलम = हालत। सामंतशाही = बड़े-बड़े सामंतों की रईसी आदत। लाचारी = मज़बूरी। उदासीन = विमुख। कुढ़ते-भुनते = मन-ही-मन परेशान होकर बोलना। खरामा-खरामा = धीरे-धीरे। रुतबा = सम्मान, दर्जा। यकीन = विश्वास।

(पृष्ठ-23) : विश्वसनीय = विश्वास करने योग्य। कुतर्क = गलत तर्क। वाकिफ = जानकार । पेश आना = सामने आना। मुलाकात = भेंट। हथियार डालना = हार मानना।

(पृष्ठ-24) : कायम रखना = बनाए रखना। तलाक = शादी का संबंध तोड़ना। कगार = किनारा। प्रयोजन = उद्देश्य । दड़बा = समूह। अभिनय = एक्टिंग। चलन = व्यवहार। अकाल = सूखे या अधिक वर्षा के कारण अन्न न उपजना। बिशप = पादरी। इसरार = आग्रह। बशर्ते = शर्त के साथ।

(पृष्ठ-25) : सिर झुकाना = स्वीकार करना। खिसके लोग = परंपरा से हटे हुए विद्रोही लोग। व्रत = संकल्प। नमूना = उदाहरण। पेश करना = प्रस्तुत करना, देना। मुकाबिल = बराबर का। कयामती = विनाशकारी। तल्ला = मंजिल। मलाल = दुःख।

(पृष्ठ-26) : लब-लब करना = भरा-पूरा होना। निचाट = सूनापन। धुन = लगन।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

HBSE 9th Class Hindi इस जल प्रलय में Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे ?
उत्तर-
ज्योंहि बाढ़ आने की खबर सुनी तो वे घरों में आवश्यक सामग्री एकत्रित करने लगे। लोग ईंधन, आलू, मोमबत्ती दियासलाई, पीने का पानी व दवाइयाँ आदि जमा करने लगे तथा बाढ़ आने की प्रतीक्षा करने लगे। लोग घरों से निकल-निकलकर बाढ़ के पानी को देखने के लिए आ-जा रहे थे।

प्रश्न 2.
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था ?
उत्तर-
लेखक पहले भी कई बार बाढ़ को देख चुका था। उसने कई बार बाढ़-पीड़ितों की सहायता भी की थी। यह नगर जोकि उसका अपना नगर था, में पानी किस प्रकार घुसा और उस पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह जानना बिल्कुल नया अनुभव होगा। इसलिए लेखक को नगर में घुसते हुए पानी को देखने की उत्सुकता थी। उसने रिक्शावाले को भी यही कहा था, “चलो, पानी कैसे घुस आया है, वही देखना है।”

प्रश्न 3.
सबकी ज़बान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है ?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं ?
उत्तर–
पानी कहाँ तक आ गया है’ नगर का प्रत्येक व्यक्ति यही जानने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहा था। उसके इस कथन से नागरिकों की उत्सुकता, सुरक्षा और कौतूहल की भावना व्यक्त होती है। नगर के सब लोग इस नए अनुभव को अपनी आँखों से देखना चाहते थे। वे जीवन-मृत्यु के इस खेल के मोह को छोड़ नहीं पाए थे। उनका इस खेल में गहन आकर्षण था।

प्रश्न 4.
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने बाढ़ के निरंतर बढ़ते हुए जल को मृत्यु का तरल दूत’ कहकर पुकारा है, क्योंकि बाढ़ के पानी ने न जाने कितने लोगों को मौत की गोद में सुला दिया है और न जाने कितने घरों को तबाह कर दिया है। यही कारण है कि लेखक ने बाढ़ के जल को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा है।

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प्रश्न 5.
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ से कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर-
आपदाओं से निपटने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
(क) सरकार को संभावित खतरों या आपदाओं से निपटने के लिए साधन तैयार रखने चाहिएँ। उन सभी साधनों को सदा तैयार रखना चाहिए जो बाढ़ में या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय काम में लाए जाते हैं।
(ख) सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं में बराबर तालमेल बनाए रखना चाहिए, ताकि आपदा के समय इकट्ठे काम कर सकें।
(ग) स्वयंसेवी संगठनों को बिना किसी मतभेद के आपदा के समय मन लगाकर काम करना चाहिए।
(घ) सरकार द्वारा समय-समय पर स्वयंसेवी संगठनों को पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए…..अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है ?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से लेखक ने जन-साधारण के मन में बैठी ईर्ष्या, द्वेष की भावना को अभिव्यक्त किया है। गाँव और शहर में भेद सदा ही बना रहा है। अतः नगर और गाँव के लोगों के मन में आपसी कटुता भी घर कर जाती है। यह कटुता ही उस गाँव के व्यक्ति के इस कथन से अभिव्यक्त हुई है। ग्रामीण चाहता है कि इन पटनावासियों का भी ग्रामीणों की भाँति ही नुकसान हो, तब इन्हें पता चलेगा कि बाढ़ से क्या-क्या कष्ट भोगने पड़ते हैं।

प्रश्न 7.
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
उत्तर-
बाढ़ के आने का खतरा बढ़ता जा रहा था इसलिए अन्य सामानों की दुकानें बंद होती जा रही थीं। परंतु पान की बिक्री बढ़ गई थी, क्योंकि बाढ़ को देखने के लिए बहुत-से लोग वहाँ एकत्रित हो गए थे। वे बाढ़ से भयभीत नहीं थे, अपितु हँसी-खुशी और कौतूहल से युक्त थे। इसलिए वे समय गुजारने के लिए वहाँ खड़े थे। ऐसे में पान खाने की इच्छा उत्पन्न होना स्वाभाविक था।
इसलिए यह बात सही है कि दूसरे सामान की दुकानें बंद होने लगी थीं, किंतु पान की दुकान पर भीड़ बढ़ रही थी और पान की बिक्री भी अचानक बढ़ गई थी।

प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए ?
उत्तर-
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने एक सप्ताह का भोजन रखने का प्रबंध किया। उसने किताबों के अलावा गैस की स्थिति के बारे में पत्नी से जानकारी ली। उसने ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और नींद की गोलियों का प्रबंध भी किया।

प्रश्न 9.
बाढ़-पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है ?
उत्तर-
बाढ़-पीड़ित क्षेत्र में अकसर पकाही घाव हो जाते हैं। गंदे पानी से लोगों के पाँवों की उंगलियाँ गल जाती हैं और तलवों में भी घाव हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त हैजा, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों के फैलने की भी आशंका हो जाती है।

प्रश्न 10.
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया ?
उत्तर-
एक के लिए दूसरे का पानी में कूद पड़ने से कुत्ते और नवयुवक के आत्मीय संबंध का बोध होता है। वे दोनों एक-दूसरे के सच्चे साथी थे। उनमें मानवीय होने या पशु होने का भेदभाव भी नहीं था। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। कुत्ते को यदि नाव में स्थान नहीं दिया जाता तो नवयुवक भी नाव में नहीं बैठता और युवक के बिना कुत्ता नहीं रह सकता, वह बिना किसी डर के पानी में कूद पड़ता है।

प्रश्न 11.
‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं मेरे पास।’-मूवी कैमरा, टेप-रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा ?
उत्तर-
लेखक बाढ़ के दृश्य को पूरी तरह अनुभव कर लेना चाहता था। उधर उसका लेखक मन चाहता है कि वह बाढ़ के दृश्यों को पूर्ण रूप से संजो ले। यदि उसके पास मूवी कैमरा होता या टेप-रिकॉर्डर या कलम होती तो वह बाढ़ का निरीक्षण करने की बजाए उसका चित्रण करने में लग जाता। तब जीवन को साक्षात भोगने का अवसर उसके हाथ से निकल जाता।

प्रश्न 12.
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
मीडिया जहाँ समस्याओं की ओर हमारा ध्यान खींचकर उनका हल प्रस्तुत करता है वहीं कभी-कभी वे समस्याओं के हल की अपेक्षा उनको बढ़ावा देते हैं। कुछ दिन पूर्व रेल में लगाई आग को इस रूप में प्रस्तुत किया गया जिससे रेल में लगी आग में मरे लोगों की पहचान करने व अन्य सहायता के काम करने की अपेक्षा लोगों में सांप्रदायिकता की भावना को भड़का दिया। इससे अनेक स्थानों पर हिंदू-मुस्लिम दंगे हो गए। इस प्रकार मीडिया कभी-कभी समस्याओं के हल की अपेक्षा समस्याएँ उत्पन्न कर देता है।

प्रश्न 13.
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सन् 1978 में टांगरी नदी का बाँध टूट जाने के कारण अंबाला छावनी व उसके आस-पास के क्षेत्र में बाढ़ आ गई थी। वहाँ के पूरे सदर बाजार में चार-पाँच फुट पानी जमा हो गया था। सभी दुकानों के अंदर पानी घुस जाने के कारण लाखों करोड़ों रुपयों की हानि हुई थी। कुछ निचले क्षेत्रों में तो 8-9 फुट की ऊँचाई तक पानी चढ़ आया था। लोगों ने घरों की छत पर चढ़कर जान बचाई थी। प्रातः होते-होते आस-पास के क्षेत्रों में पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। अनेक दूध बेचने वाले ग्वालों के पशु पानी में बह कर मर गए थे। दूसरे दिन जब पानी उतरा तो पता चला कि कुछ लोगों की पानी में डूबने के कारण मृत्यु हो गई थी, उनमें बच्चे व बूढ़े ही अधिक थे। उस बाढ़ के दृश्य को देखने वाले लोगों के दिल आज भी उसे याद करके काँप उठते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

HBSE 9th Class Hindi इस जल प्रलय में Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘इस जल प्रलय में’ नामक पाठ का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘इस जल प्रलय में’ नामक पाठ में लेखक ने बाढ़ के दृश्य का सजीव चित्रण किया है। लेखक ने विभिन्न लोगों की बाढ़ आने पर होने वाली भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाओं का वर्णन सूक्ष्मतापूर्वक किया है। इसी प्रकार बाढ़ के आने पर या बाढ़ के आने की संभावना से उत्पन्न मानसिक वातावरण का वर्णन करना भी इस पाठ का उद्देश्य है। लेखक ने बताया है कि बाढ़ के आने की खबर सुनते ही लोगों के मन में भय-सा समा गया। लोगों ने अपना सामान समेटना आरंभ कर दिया और बाढ़ के आने पर जिन-जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उन वस्तुओं को भी एकत्रित करना आरंभ कर दिया। जिन लोगों ने बाढ़ के दृश्य को पहले कभी नहीं देखा था, उनके मन की दशा का भी सुंदर एवं सजीव चित्रण किया गया है। बाढ़ के समय सरकार के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था आदि का उल्लेख करके लेखक ने बाढ़ के दृश्य को संपूर्णता के साथ प्रस्तुत किया है। यही इस पाठ का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
गाँव के लोगों के पशु प्रेम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
गाँव के लोग पशुओं को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वे उनके सुख-दुःख से प्रभावित होते हैं। कुत्ता एक स्वामिभक्त प्राणी है। वह मनुष्य का सबसे अच्छा साथी है। सन् 1949 में जब महानंदा में बाढ़ आई थी, तो बीमारों को बाढ़ से बाहर ले जाने के लिए एक नाव मँगवाई गई। जब एक बीमार युवक अपने कुत्ते को लेकर नाव पर चढ़ने लगा तो डॉक्टर ने उस कुत्ते को ले जाने से मना कर दिया। उस नवयुवक ने उत्तर दिया कि यदि कुत्ते को नाव में नहीं ले जाने दिया गया तो मैं भी नाव पर नहीं जाऊँगा। यही काम कुत्ते ने भी किया, वह भी नाव से झट से नीचे कूद गया। इससे पता चलता है कि गाँव के लोगों के मन में पशुओं व जानवरों के प्रति बहुत प्रेम होता है।

प्रश्न 3.
‘मुसहरी’ कौन थे? वे अपनी किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध रहे हैं ?
उत्तर-
‘मुसहरी’ आदिवासियों की एक जाति है। उनका प्रमुख व्यवसाय दोने-पत्तल बनाना है। इस जाति के लोगों की प्रमुख विशेषता उनकी जिंदादिली होती है। बाढ़ की मुसीबत भी उनकी इस विशेषता को नहीं छीन सकती। जब लेखक को पता चला कि ‘मुसहरी’ समाज के लोग बाढ़ में घिरे हुए हैं और मांस-मछली खाकर गुजारा कर रहे हैं। तो वह सेवादल के साथ उनके गाँव में पहुंचा वहाँ उसने देखा गाँव में ऊँचे स्थान पर एक मंच बनाया हुआ है और एक काला-कलूटा नट अपनी रूठी हुई दुल्हन का अभिनय कर रहा है और पुरुष बना नट उसे मनाने का अभिनय कर रहा है। ढोलक और मंजीरे पर आनंदोत्सव चल रहा है। वहाँ के लोग मुसीबत के समय में भी आनंदोत्सव मना रहे थे। इससे पता चलता है कि ‘मुसहरी’ जाति के लोग जिंदादिल होते हैं।

प्रश्न 4.
पठित पाठ के आधार पर राजेन्द्र नगर में आई बाढ़ के दृश्य का चित्रण कीजिए। .
उत्तर-
पटना नगर का राजेन्द्र नगर एक प्रमुख स्थान है। इस क्षेत्र में बाढ़ का पानी पश्चिम दिशा से प्रवेश हुआ था। पानी डोली के आकार में आगे बढ़ रहा था। उसके मुख पर मानो फेन (झाग) था। इसे देखने पर ऐसा लगा कि मानो उसके आगे-आगे किलोल करते हुए बच्चों की एक टोली आ रही है। पानी के समीप आने पर पता चला कि मोड़ पर रुकावट आने पर पानी उछल रहा था। धीरे-धीरे आस-पास शोर मच गया था। कोलाहल, चीख-पुकार और तेज बहने वाले पानी की कलकल ध्वनि। पानी धीरे-धीरे फुटपाथ को पार करके आगे बढ़ने लगा। थोड़ी ही देर में गोलंबर के गोल पार्क में भी पानी भर गया। पानी इतनी तेजी से बढ़ रहा था कि थोड़ी ही देर में दीवार की ईंटें एक-एक करके डूबने लगी थीं। पानी में बिजली के खंभे और पेड़ों के तने भी डूबते जा रहे थे।

प्रश्न 5.
बाढ़ जैसी भयानक आपदाओं से बचने के लिए आप कुछ उपाय सुझाइए। [H.B.S.E. March, 2018]
उत्तर-
बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए हमें सर्वप्रथम अपने जरूरी सामान को सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। हमें : बाढ़ के पानी को देखकर घबराना नहीं चाहिए अपितु दूसरों का भी साहस बंधाना चाहिए। बाढ़ के आने पर बिजली के उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। घर में करंट आने का खतरा बढ़ जाता है। यदि फोन की सुविधा है तो पुलिस व अन्य सरकारी कार्यालयों को सूचना दे देनी चाहिए ताकि लोगों को बाढ़ जैसी आपदा से बचाने में सहायता मिल सके।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 6.
लेखक ने किसे गंवार और मुस्टंडा कहा था और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने दानापुर के एक अधेड़ ग्रामीण को गँवार एवं मुस्टंडा कहा था, क्योंकि उसका शरीर पूर्णतः स्वस्थ और मजबूत था। उसकी वाणी और व्यवहार असभ्य था। उस व्यक्ति ने पटनावासियों पर अपना सारा गुस्सा निकालते हुए कहा था “ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनिया बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए….. अब बूझो!” निश्चित रूप से ये शब्द कठोर और द्वेषपूर्ण थे। इसी कारण लेखक ने उसके लिए गंवार तथा मुस्टंडा शब्द प्रयोग किए थे।

प्रश्न 7.
बाढ़ के आने पर शहर के कुछ मनचले लोगों की कैसी प्रतिक्रिया हुई थी ?
उत्तर-
बाढ़ के आने पर नगर के कुछ मनचले लोगों को हँसी-मजाक की बातें सूझ रही थीं। वे बाढ़ की समस्या के प्रति जरा भी गंभीर नहीं थे। वे कह रहे थे कि अच्छा है, पूरा पटना नगर डूब जाए जिससे सबके पाप मिट जाएँगे। कुछ कह रहे थे कि गोलघर की मुंडेर पर बैठकर ताश खेली जाए। कुछ कह रहे थे कि इनकम टैक्स वालों को अपनी आसामियों पर इसी समय छापा मारना चाहिए। वे कहीं नहीं भाग सकेंगे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘इस जल प्रलय में शीर्षक पाठ हिंदी साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आता है ?
(A) संस्मरण
(B) निबंध
(C) रिपोर्ताज
(D) कहानी
उत्तर-
(C) रिपोर्ताज

प्रश्न 2.
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं ?
(A) मृदुला गर्ग
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) जगदीश चंद्र माथुर
(D) शमशेर सिंह बहादुर
उत्तर-
(B) फणीश्वरनाथ रेणु

प्रश्न 3.
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ में किस सन् की प्रलयंकारी बाढ़ की घटना का वर्णन है ?
(A) सन् 1978 की
(B) सन् 1977 की
(C) सन् 1976 की
(D) सन् 1975 की
उत्तर-
(D) सन् 1975 की

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ में किस नगर में आई बाढ़ का उल्लेख किया गया है ?
(A) पटना
(B) पूर्णिया
(C) बस्ती
(D) बराऊनी
उत्तर-
(A) पटना

प्रश्न 5.
फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1901 में
(B) सन् 1911 में
(C) सन् 1921 में
(D) सन् 1922 में
उत्तर-
(C) सन् 1921 में

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 6.
श्री रेणु का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1977 में
(B) सन् 1987 में
(C) सन् 1990 में
(D) सन् 1996 में
उत्तर-
(A) सन् 1977 में

प्रश्न 7.
लेखक ने ‘डायन कोसी’ नामक रिपोर्ताज किस सन् में लिखा ?
(A) सन् 1938 में
(B) सन् 1948 में
(C) सन् 1958 में
(D) सन् 1965 में
उत्तर-
(B) सन् 1948 में

प्रश्न 8.
‘जय गंगा’ नामक रिपोर्ताज की रचना किस वर्ष में की गई थी ? ‘
(A) सन् 1927 में
(B) सन् 1937 में
(C) सन् 1947 में
(D) सन् 1957 में
उत्तर-
(C) सन् 1947 में

प्रश्न 9.
लेखक को बाढ़ की पीड़ा को भोगने का अनुभव कब हुआ था ?
(A) सन् 1967 को
(B) सन् 1970 को
(C) सन् 1975 को
(D) सन् 1977 को
उत्तर-
(A) सन् 1967 को

प्रश्न 10.
कितने घंटे तक निरंतर वर्षा होने पर पटना में बाढ़ आई थी ?
(A) बारह
(B) अठारह
(C) बीस
(D) चौबीस
उत्तर-
(B) अठारह

प्रश्न 11.
सन् 1967 में किस नदी का पानी पटना नगर में घुस गया था ?
(A) पुनपुन
(B) कोसी
(C) गंगा
(D) कावेरी
उत्तर-
(A) पुनपुन

प्रश्न 12.
लेखक जब रिक्शा में बैठकर बाढ़ का पानी देखने निकला तो उनके साथ कौन था ?
(A) उनका एक रिश्तेदार
(B) आचार्य कवि-मित्र
(C) पत्रकार मित्र
(D) कैमरा मैन
उत्तर-
(B) आचार्य कवि-मित्र

प्रश्न 13.
‘स्वगतोक्ति’ का आशय है-
(A) अपने आप में कुछ बोलना
(B) अपनी प्रशंसा आप करना
(C) स्वयं से बातें करना
(D) दूसरों को अपनी बात कहना
उत्तर-
(A) अपने आप में कुछ बोलना

प्रश्न 14.
कवि ने ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा है ?
(A) अपने मित्र को
(B) बाढ़ के पानी को
(C) लोगों के समूह को
(D) काली घटा को
उत्तर-
(B) बाढ़ के पानी को

प्रश्न 15.
“चलो, पानी कैसे घुस गया है, वही देखना है।” ये शब्द किसने किसे कहे हैं ?
(A) लेखक ने मित्र से ।
(B) लेखक ने रिक्शावाले से
(C) लेखक के मित्र ने रिक्शावाले से
(D) एक राहगीर ने लेखक से
उत्तर-
(B) लेखक ने रिक्शावाले से

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 16.
“ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए ….. अब बूझो!” इस कथन से ग्रामीण की कौन-सी भावना अभिव्यक्त हुई है ?
(A) आपसी सद्भाव
(B) परस्पर मैत्रीभाव
(C) ईर्ष्या-द्वेष
(D) घृणा भाव
उत्तर-
(C) ईर्ष्या-द्वेष

प्रश्न 17.
लेखक के अनुसार साहित्यिक गोष्ठियों में कैसे आदमी की तलाश रहती है ?
(A) शहरी आदमी की
(B) मध्यवर्ग के आदमी की
(C) अमीर आदमी की
(D) आम आदमी की
उत्तर-
(D) आम आदमी की

प्रश्न 18.
कौन-सा समाचार दिल दहलाने वाला था ?
(A) पानी स्टूडियो की सीढ़ियों तक आ गया है
(B) पानी से स्टूडियो डूब गया है
(C) अगले चौबीस घंटों में जोरदार वर्षा होगी
(D) बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ता आ रहा है
उत्तर-
(A) पानी स्टूडियो की सीढ़ियों तक आ गया है

प्रश्न 19.
अन्य दुकानों की अपेक्षा पान वालों की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
(A) लोगों को भूख लगी हुई थी
(B) पान सस्ते हो गए थे
(C) ‘पान खाना’ समय गुजारने का अच्छा साधन था
(D) पान खाने से पानी का आतंक कम हो रहा था
उत्तर-
(C) ‘पान खाना’ समय गुजारने का अच्छा साधन था

प्रश्न 20.
गांधी मैदान में लेखक ने क्या देखा था ?
(A) भीड़
(B) बच्चों को खेलते हुए
(C) हरी घास को पानी में डूबते हुए
(D) नेता को भाषण देते हुए
उत्तर-
(C) हरी घास को पानी में डूबते हुए

प्रश्न 21.
जन संपर्क विभाग ने लोगों के लिए क्या संदेश दिया था ?
(A) वे रात को भी सावधान रहें
(B) वे पानी की चिंता छोड़ दें
(C) अपना सारा सामान लेकर छत पर बैठ जाएँ
(D) वे बाढ़ के समय जागते रहें
उत्तर-
(A) वे रात को भी सावधान रहें

प्रश्न 22.
बाढ़ आने पर मनचले लोग कैसी बातें कर रहे थे ?
(A) बाढ़ का नजारा अत्यंत सुंदर होता है
(B) बाढ़ आने से लूट का मजा आता है
(C) इनकम टैक्स वालों के लिए छापा मारने का सही मौका है
(D) यह मौज मस्ती का अवसर है
उत्तर-
(C) इनकम टैक्स वालों के लिए छापा मारने का सही मौका है

प्रश्न 23.
लेखक के अनुसार बाढ़ पीड़ितों को सबसे अधिक आवश्यकता किन चीजों की होती है ?
(A) भोजन की
(B) पानी की
(C) लकड़ी की
(D) दवाइयों की
उत्तर-
(D) दवाइयों की

प्रश्न 24.
लेखक चाहकर भी अपने मित्रों व स्वजनों से बात क्यों नहीं कर सका था ?
(A) वह थक गया था
(B) वे उससे नाराज थे
(C) टेलीफोन बंद हो चुके थे
(D) लेखक घबराया हुआ था
उत्तर-
(C) टेलीफोन बंद हो चुके थे

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 25.
आपकी दृष्टि में बाढ़ में सबसे मार्मिक दृश्य क्या था ?
(A) छाती भर पानी में खड़ी गर्भवती महिला
(B) लोगों का चिल्लाना
(C) पशुओं का डूबना
(D) लोगों द्वारा सामान इकट्ठा करना
उत्तर-
(A) छाती भर पानी में खड़ी गर्भवती महिला

प्रश्न 26.
कौन-सी जाति के लोग बाढ़ से घिरे होने पर हँसी दिल्लगी नहीं छोड़ते ?
(A) ब्राह्मण
(B) यादव
(C) मुसहरी
(D) राजपूत
उत्तर-
(C) मुसहरी

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

इस जल प्रलय में Summary in Hindi

इस जल प्रलय में पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ में लेखक ने बाढ़ का वर्णन किया है। लेखक बिहार की राजधानी पटना में रहता है। उसका गाँव ऐसे क्षेत्र में है जहाँ हर वर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित लोग शरण लेते हैं। परती (बंजर भूमि) पर गाय, बैल, भैंस तथा बकरों के झुंड को देखकर लोग सहज ही बाढ़ की भयंकरता का अनुमान लगा लेते हैं। लेखक को तैरना नहीं आता। वह बाढ़ पर कई लेख लिख चुका है। लेखक ने विभिन्न वर्षों में आई बाढ़ों का वर्णन करते हुए बताया है कि सन् 1967 में भयंकर बाढ़ आई। तब उसका पानी राजेंद्रनगर, कंकड़बाग तथा अन्य निचले हिस्सों में भर गया था। तब लोगों ने आवश्यक सामग्री एकत्रित कर ली थी तथा बाढ़ की प्रतीक्षा करने लगे थे। इसी बीच कभी राजभवन तो कभी मुख्यमंत्री निवास के बाढ़ में डूबने के समाचार आते रहे। कॉफी हाउस भी पानी में डूब चुका था। लेखक अपने एक अंतरंग मित्र के साथ रिक्शा में बैठकर बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों को देखने के लिए निकलता है। उस समय दूसरे लोग भी बाढ़ का पानी देखकर लौट रहे थे। सभी लोगों की यह जानने की जिज्ञासा थी कि पानी कहाँ तक आ गया है और कहाँ तक आने की संभावना है। लेखक भी पहले तो लौटने का विचार कर रहा था, किंतु तभी उसने कुछ और आगे जाने का मन बना लिया। वह रिक्शा में बैठकर गांधी मैदान की ओर चल दिया। गांधी मैदान की रेलिंग के सहारे खड़े हजारों लोग बाढ़ के पानी को देख रहे थे।

संध्या हो चुकी थी। बहुत-से लोग पान की दुकान के सामने खड़े समाचार सुन रहे थे। पानी स्टूडियो तक आ चुका था। समाचार दिल दहलाने वाला था। किंतु लोग कुछ ज्यादा परेशान नहीं थे। वे अन्य दिनों की भाँति ही हँस-खेल रहे थे। उस पान वाले की बिक्री अवश्य बढ़ गई थी। कोई भी व्यक्ति बाढ़ से भयभीत नहीं दिखाई दे रहा था। हमारे ही चेहरे दुःखी लग रहे थे। कुछ लोग कह रहे थे कि एक बार पटना भी पूरी तरह से डूब जाए तो सारे पाप धुल जाएँगे। वे ताश खेलने के लिए बैठना चाहते थे कि तभी उनके मन में विचार आया कि इनकम टैक्स वालों को इसी समय छापा मारना चाहिए। उन्हें बहुत-सा माल एक ही स्थान पर मिल जाएगा।

लेखक अपने मकान पर पहुँचा ही था कि उसी समय लाउडस्पीकर से घोषणा करने वाली गाड़ी उनके मुहल्ले में पहुंची। वह घोषणा कर रही थी कि ‘भाइयो! ऐसी संभावना है कि बाढ़ का पानी रात के बारह बजे तक लोहानीपुर, कंकड़बाग और राजेंद्रनगर में घुस सकता है। अतः आप लोग सावधान रहें। लेखक घर में गैस की स्थिति का पता लगाता है। वह फिर सोने की कोशिश करता है पर नींद कहाँ आती है। वह उठ जाता है और कुछ लिखना चाहता है तो उसके मन में अनेक पुरानी यादें आने लगती हैं।

लेखक याद करता हुआ लिखता है कि 1947 में मनिहारी में बाढ़ आई थी। लेखक गुरु जी के साथ बाढ़ से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए उस क्षेत्र में गया था। उनकी हिदायत थी कि हर नाव पर दवा, माचिस तथा किरासन तेल अवश्य रहना चाहिए।

इसी प्रकार सन् 1949 में लेखक महानंदा की बाढ़ से घिरे बापसी थाना के एक गाँव में लोगों की सहायता के लिए पहुंचा। वे नाव पर चढ़ाकर बीमारों को कैंप तक ले जाना चाहते थे कि एक बीमार के साथ उसका कुत्ता भी चढ़ गया। किंतु दूसरे लोगों द्वारा एतराज करने पर वह व्यक्ति अपने कुत्ते समेत नाव से नीचे कूद गया था। लेखक सहायता के लिए कुछ और आगे गया तो पता चला कि वहाँ लोग कई दिनों से मछली व चूहों को झुलसाकर खा रहे हैं। जब ये लोग एक टोले के पास पहुंचे तो पता चला कि ऊँची-सी जगह पर मंच बनाकर ‘बलवाही’ लोक नाटक कर रहे हैं। लाल साड़ी पहने काला-कलूटा ‘नटुआ’ दुलहिन के हाव-भाव दिखला रहा था। वहाँ बैठे लोगों के चेहरों पर जरा भी बाढ़ का भय नहीं था।

इसी प्रकार सन् 1967 की बाढ़ में जब पुनपुन का पानी राजेंद्रनगर में घुस आया था, तो एक नाव पर कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों की टोली किसी फिल्म में देखे हुए कश्मीर का आनंद घर बैठे लेने के लिए निकली थी। नाव पर चाय बन रही थी। एक युवती अनोखी अदा से नैस्कैफे के पाउडर को मथकर ‘एस्प्रेसो’ बना रही थी। दूसरी लड़की रंगीन पत्रिका पढ़ रही थी। एक युवक उस युवती के सामने घुटनों पर कोहनी टेककर डायलॉग बोल रहा था। ट्रांजिस्टर पर कोई फिल्मी गाना बज रहा था। लेखक रात के ढाई बजे तक जागता रहा, किंतु तब तक बाढ़ का पानी नहीं आया था। सभी लोग जागते रहे। उस समय लेखक के मन में अपने मित्रों के प्रति चिंता हुई कि न जाने किस हाल में होंगे। लेखक को नींद नहीं आ रही थी। वह फिर लिखने बैठ गया पर इस समय वह क्या लिखे। पाँच बजे लेखक फिर आवाज़ सुनता है कि पानी आ रहा है। वह दौड़कर छत पर गया। उसने देखा कि चारों ओर से लोगों की चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। पानी की लहरों का नृत्य भी दिखाई दे रहा था। पानी तेज गति से सब कुछ अपने साथ समेटता हुआ आगे बढ़ रहा था। लेखक बाढ़ को तो बचपन से देखता हुआ आ रहा था, किंतु पानी इस तरह आता उसने कभी न देखा था।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-1) : पीड़ित = दुःखी। पनाह = शरण। ट्रेन = रेलगाड़ी। विशाल = बहुत बड़ी। सपाट = सरल, सीधी। परती = वह जमीन जो जोती-बोई न जाती हो। विभीषिका = भयंकरता। रिलीफवर्कर = राहत पहुंचाने वाला कार्यकर्ता। प्रस्तुत किया = लिखा। छुटपुट = छोटे-छोटे। .

(पृष्ठ-2) : विनाश लीला = नाश करने वाली क्रिया। अविराम = निरंतर। वृष्टि = वर्षा । हैसियत = शक्ति। प्रतीक्षा = इंतजार। प्लावित = जिस पर बाढ़ का पानी चढ़ आया हो, जो जल में डूब गया हो। अबले = अधिक। अनवरत = निरंतर। अनर्गल = बेतुकी, व्यर्थ। अनगढ़ = बेडौल, टेढ़ा-मेढ़ा। स्वगतोक्ति = अपने आप से कुछ बोलना।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

(पृष्ठ-3) : जुबान = जीभ। जिज्ञासा = जानने की इच्छा। एरिया = क्षेत्र। आतंक = भय। बाबस = अचानक। समय = भय सहित। अस्फुट = अस्पष्ट । अनुनय = प्रार्थना। गैरिक = गेरुए रंग का। आवरण = पर्दा।

(पृष्ठ–4) : आच्छादित = ढका हुआ। शनैः शनैः = धीरे-धीरे। अधेड़ = चालीस वर्ष की आयु वाला। मुस्टंड = बदमाश। गंवार = ग्रामीण। उत्कर्ण = सुनने को उत्सुक। दिल दहलाने वाले = डरा देने वाले। चेष्टा = प्रयास। परेशान = दुःखी। आसन्न = पास आया हुआ। आदमकद = आदमी के कद के बराबर। मुहर्रमी = निराश, आतंकित।

(पृष्ठ-5) : हुलिया = वेशभूषा। धनुष्कोटि = एक स्थान का नाम। माकूल = सही। मौका = अवसर। बा-माल = माल सहित। पूर्ववत् = पहले की भांति । सुधि लेना = ध्यान रखना। अलमस्त = मौजमस्ती मनाने वाला, बेपरवाह। ऐलान करना = घोषणा करना।

(पृष्ठ-6) : गृहस्वामिनी = घर की मालकिन। अंदाज = अनुमान। आकुल = व्याकुल। बेतरतीब = बेढंगे। बालूचर = रेतीला क्षेत्र।

(पृष्ठ-7) : हिदायत = निर्देश। मुसहरी = एक जाति विशेष का नाम। बलवाही = एक लोक-नृत्य का नाम। दुलहिन = नई नवेली।

(पृष्ठ-8) : रिलीफ़ = राहत का सामान । भेला = नाव। झिंझिर = जल-विहार । अनोखी = अद्भुत। डायलॉग = संवाद । वॉल्यूम = ध्वनि। फूहड़ = बेसुरे।

(पृष्ठ-9) : एक्ज़बिशनिम = प्रदर्शनवाद। छूमंतर होना = समाप्त होना। आसन्नप्रसवा = जिसे आजकल में बच्चा होने वाला हो। बेहतर = बढ़िया।

(पृष्ठ-10-11) : उजले = सफेद। आ रहलौ = आ गया है। किलोल करना = क्रीड़ाएँ करना। अतिथिशाला = विश्राम गृह। अवरोध = रुकावट। कलरव = पक्षियों की ध्वनि। नर्तन = नाच। सशक्त = शक्तिपूर्वक। लोप होना = डूब जाना।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से मन में एक भयंकर चित्र उभरता है। ऐसा लगता है कि छोटे-छोटे बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए मैले-कुचैले वस्त्रों में अपने जीर्ण-शीर्ण शरीर को ढके हुए, डरे-से, सहमे-से कारखानों की ओर चले जा रहे हैं। उनकी आँखों में मानों कोई स्वप्न ही नहीं रहा। कच्ची उम्र में काम के बोझ तले दबे हुए-से ये बच्चे।

प्रश्न 2.
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे ?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में इस भयानक बात को प्रश्न के रूप में इसलिए पूछा जाना चाहिए, क्योंकि यह बात कोई साधारण बात नहीं, अपितु समाज की एक ज्वलंत समस्या है, जिसे समाज व उसके ठेकेदारों से प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए। आखिर बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण क्यों किया जा रहा है। अतः कवि का यह कहना उचित है कि इस बात को विवरण की अपेक्षा एक प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से इसलिए वंचित हैं कि उन्हें खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों को वे सब सुविधाएँ उपलब्ध ही नहीं करवा सकते। वे उन्हें भोजन व वस्त्र तक तो प्रदान नहीं कर सकते हैं, ये सुविधाएँ तो उनके लिए दूर की बात है।

प्रश्न 4.
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
वस्तुतः आज के युग में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा है, किंतु उनकी ओर ध्यान इसलिए नहीं दे रहा है, क्योंकि हर कोई अपने-अपने स्वार्थों तक ही सीमित होकर रह गया है। इसके अतिरिक्त भौतिकतावाद की दौड़ में दौड़ते हुए लोगों के दिलों में संवेदनाओं और भावनाओं की धारा भी सूख गई है, इसलिए लोगों को बच्चों का काम पर जाना अटपटा नहीं लगता।

प्रश्न 5.
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर-
हम अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकानों व होटलों पर काम करते हुए देखते हैं। इतना ही नहीं, उनके नाम भी बदल दिए जाते हैं; जैसे-छोटू, काला, मुंडू आदि। इसके अतिरिक्त घरों में बरतन व सफाई का काम करती हुई छोटी-छोटी बच्चियाँ सब शहरों में देखी जा सकती हैं।

प्रश्न 6.
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर-
धरती पर किसी बड़े हादसे के घटित हो जाने से जीवन का विकास रुक जाता है। इसी प्रकार बच्चों के काम पर जाने से उनके जीवन के विकास की जो समुचित प्रक्रिया है, वह रुक जाती है। उनमें कुछ बनने की संभावनाएँ होती हैं, किंतु वे वैसे नहीं बन पाते। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आपको रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर-
जब मैं प्रातःकाल काम पर जाता हूँ, उस समय मैं स्कूल में जाते हुए अन्य बच्चों को देखकर बड़ा निराश हो जाता हूँ। मेरा भी मन करता है कि मैं भी उनके साथ स्कूल जाऊँ और पढ़े। आधी छुट्टी के समय मैं भी स्कूल के खेल के मैदान में खेलूँ। कभी-कभी मुझे अपने भाग्य पर गुस्सा आता है तो कभी भगवान पर कि मुझे गरीब परिवार में क्यों जन्म दिया है। फिर यह सोचकर सब्र का चूंट भर लेता हूँ कि जो मेरे भाग्य में लिखा है, वही मुझे मिलेगा।

प्रश्न 8.
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिएँ?
उत्तर-
हमारे विचार में बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि यह समय उनके व्यक्तित्व के निर्माण का तथा खेलने का समय होता है। उन्हें पढ़ने-लिखने व खेलने, हँसने-गाने के मौके मिलने चाहिएँ, ताकि वे पढ़-लिखकर ज्ञानवान बन सकें और स्वस्थ इंसान बन सकें।

पाठेतर सक्रियता

किसी कामकाजी बच्चे से संवाद कीजिए और पता लगाइए कि-
(क) वह अपने काम करने की बात को किस भाव से लेता/ लेती है?
(ख) जब वह अपनी उम्र के बच्चों को खेलने/पढ़ने जाते देखता/देखती है तो कैसा महसूस करता/करती है?
‘वर्तमान युग में सभी बच्चों के लिए खेलकूद और शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हैं’-इस विषय पर वाद-विवाद आयोजित कीजिए।
‘बाल-श्रम की रोकथाम’ पर नाटक तैयार कर उसकी प्रस्तुति कीजिए।
चंद्रकांत देवताले की कविता ‘थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे’ (लकड़बग्घा हँस रहा है) पढ़िए। उस कविता के भाव तथा प्रस्तुत कविता के भावों में क्या साम्य है ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

ये भी जानें

संविधान के अनुच्छेद 24 में कारखानों आदि में बालक/बालिकाओं के नियोजन के प्रतिषेध का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार ‘चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।’

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कविता का प्रतिपाद्य उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। श्री राजेश जोशी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का प्रमुख लक्ष्य आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या को उठाना है। प्रस्तुत कविता में यह बताया गया है कि बच्चों के खेलने व पढ़ने के सभी साधन उपलब्ध हैं, किंतु इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने की अपेक्षा काम करने जाते हैं। कवि ने इस समस्या को समाज के सामने एक प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करके हर व्यक्ति को इसके विषय में सोचने व विचार करने के लिए विवश किया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के विकास के साधन यदि न होते तो बड़ी भयानक बात होती। किंतु कवि की दृष्टि में इससे भी भयानक बात यह है कि संसार में इन सभी साधनों के रहते हुए भी बच्चे इनका उपयोग न करके काम पर जाते हैं अर्थात बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। यही अभिव्यक्त करना कविता का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता एक ऐसी रचना है जिसमें समाज की ज्वलंत समस्या को उठाया गया है। कविता में ‘बाल श्रम’ की समस्या का उल्लेख किया गया है। हमें इस कविता से शिक्षा मिलती है कि हमें बाल श्रम की समस्या के प्रति समाज में जागृति उत्पन्न करनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने के अधिकार दिलाने चाहिएं। जहाँ कहीं भी हम बालकों को काम पर लगाया हुआ देखें तो उसके विरुद्ध हमें आवाज़ उठानी चाहिए। इसकी सूचना प्रशासन तक पहुँचानी चाहिए ताकि बाल श्रम करवाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सके।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) राजेश जोशी
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) चंद्रकांत देवताले
उत्तर-
(A) राजेश जोशी

प्रश्न 2.
कैसी सड़क से बच्चे काम पर जाते हैं?
(A) कच्ची सड़क
(B) चमकदार सड़क
(C) कोहरे से ढंकी
(D) पक्की सड़क
उत्तर-
(C) कोहरे से ढंकी

प्रश्न 3.
‘कोहरे से ढंकी सड़क’ का क्या अभिप्राय है?
(A) प्रातःकाल
(B) अत्यधिक ठंड
(C) बहुत शीघ्र
(D) अंधेरे में
उत्तर-
(A) प्रातःकाल

प्रश्न 4.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि ने इस पंक्ति के माध्यम से किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(A) शिक्षित बेरोजगारी
(B) बालश्रम
(C) बालविवाह
(D) महँगाई
उत्तर-
(B) बालश्रम

प्रश्न 5.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(A) यह एक गंभीर समस्या है
(B) भाषा ठीक नहीं है
(C) शब्द-चयन ठीक नहीं है
(D) वाक्य रचना सही नहीं है
उत्तर-
(A) यह एक गंभीर समस्या है

प्रश्न 6.
‘मदरसा’ किस भाषा का शब्द है?
(A) अंग्रेजी
(B) संस्कृत
(C) उर्दू-फारसी
(D) हिंदी
उत्तर-
(C) उर्दू-फारसी

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

प्रश्न 7.
कवि की दृष्टि में क्या भयानक होता?
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते
(B) यदि बच्चों को गरीबी के कारण काम पर भेजा जाता
(C) यदि बच्चों के पालन-पोषण पर ध्यान न दिया जाता
(D) यदि बच्चों की आजादी छिन जाती
उत्तर-
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते

प्रश्न 8.
कवि की दृष्टि में सबसे भयानक क्या है?
(A) बच्चों से प्यार न करना ।
(B) बच्चों को बंदी बनाना
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना
(D) बच्चों को खर्चने के लिए पैसे न देना
उत्तर-
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना

प्रश्न 9.
हस्बमामूल का अर्थ है-
(A) नष्ट होना
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)
(C) विकास
(D) वंचित रखना
उत्तर-
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)

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बच्चे काम पर जा रहे हैं अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-कोहरा = धुंध । भयानक = डरा देने वाली। सवाल = प्रश्न।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बताया है कि सुबह-सुबह कोहरे से ढकी हुई सड़क पर छोटे-छोटे बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। कवि ने पुनः इस पंक्ति पर जोर देते हुए कहा है ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं, यह एक गंभीर बात है। कवि ने इस पंक्ति को इस युग की भयानक पंक्ति बताया है, क्योंकि यह पंक्ति बाल-श्रम की भयानक एवं गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। इस पंक्ति को पूरे विवरण के साथ लिखना चाहिए अथवा इसे एक प्रश्न के रूप में लिखा जाना चाहिए-‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कहने का भाव है कि हमें इस प्रश्न पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि यह समय बच्चों के खेलने एवं पढ़ने का है, काम करने का नहीं है।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में ‘बाल-श्रम’ की समस्या को गंभीरता से उठाया गया है।

(3) (क) प्रस्तुत पद्यांश में बाल-श्रम की समस्या का काव्यात्मक भाषा में सुंदर चित्रण किया गया है।
(ख) भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहमयी है।
(ग) ‘सुबह-सुबह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(घ) अनुप्रास एवं प्रश्न अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।

(4) कवि ने अत्यंत सशक्त शैली में आज के युग की अत्यंत प्रज्वलित समस्या बाल-श्रम को उठाया है। कवि को आश्चर्य होता है जब बच्चे स्कूल या खेलने के मैदान में जाने की अपेक्षा सुबह-सुबह ठंड में काम पर जाते हैं। ‘बाल-श्रम’ आज के युग की गंभीर समस्या है। इसको एक प्रश्न की भाँति हमें समाज के सामने रखना चाहिए, ताकि इस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा सके।

(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति इसलिए कहा है, क्योंकि यह एक गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। यदि इस समस्या की ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए इसलिए कहा है, क्योंकि जब तक हम इस समस्या पर प्रश्न-चिह्न नहीं लगाएँगे, तब तक समाज का या शासन का ध्यान इस ओर नहीं जाएगा। इसलिए इसे एक प्रश्न के रूप में समाज के सामने रखना चाहिए।

2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-अंतरिक्ष = ऊँचा आकाश । रंग बिरंगी किताबें = सुंदर पुस्तकें। ढहना = गिर जाना। मदरसों = स्कूलों, विद्यालयों। इमारतें = भवन।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(6) कवि के आक्रोश का क्या कारण है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बाल-श्रम की समस्या पर विचार करते हुए कहा है कि बच्चों को काम पर क्यों भेजा जा रहा है। क्या बच्चों के खेलने की सब गेंदें आकाश में चली गई हैं या फिर सभी रंग-बिरंगी अर्थात सुंदर-सुंदर पुस्तकों को दीमक ने नष्ट कर दिया है, जिससे बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उन्हें काम पर भेजा जा रहा है। इसी प्रकार कवि ने कहा है कि क्या उनके खेलने के सभी खिलौने नष्ट हो गए हैं और जिन विद्यालयों के भवनों में बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं क्या वे सब भूकंप में गिरकर नष्ट हो गए हैं, जो बच्चों को विद्यालयों में भेजने की अपेक्षा काम पर भेजा जा रहा है। क्या सारे मैदान, सभी बाग-बगीचे और घरों के आँगन, जहाँ बच्चे खेला करते थे, सब-के-सब अचानक नष्ट हो गए हैं।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कलात्मक ढंग से आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट किया गया है।
(ख) भाषा ओजस्वी एवं प्रभावशाली है।
(ग) प्रश्न-शैली के प्रयोग से विषय अत्यंत प्रभावशाली ढंग से अभिव्यंजित हुआ है।
(घ) कवि की कल्पना-शक्ति द्रष्टव्य है।
(ङ) मदरसा, इमारत, खत्म आदि उर्दू-फारसी शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने ओजस्वी वाणी में आधुनिक समाज की अत्यंत ज्वलंत समस्या ‘बाल-श्रम’ को उजागर किया है। कवि ने कहा है कि बच्चों के खेलने के सभी साधन व मैदान तथा पढ़ने-लिखने के साधन पुस्तकें व विद्यालय के भवन नष्ट हो गए हैं कि बच्चों को खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए कारखानों में भेजा जा रहा है। वस्तुतः यह एक सामाजिक ही नहीं, अपितु कानून की दृष्टि से भी अपराध है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बाल-श्रम की समस्या की ओर संकेत किया है।

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(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि समाज में बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लगभग सभी साधन विद्यमान हैं, किंतु फिर भी बच्चों के व्यक्तित्व के विकास की ओर ध्यान न देकर उनसे काम करवाया जाता है। समाज की यह आपराधिक वृत्ति ही कवि के आक्रोश का मुख्य कारण है।

3. तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं। [पृष्ठ 139]

शब्दार्थ-दुनिया = संसार। हस्बमामूल = यथावत, ज्यों-की-त्यों।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट करें।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द क्यों कहे हैं?
(6) कवि को सबसे भयानक क्या लगा?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने आधुनिक युग की समस्या बाल-श्रम का वर्णन करते हुए कहा है कि यदि बच्चों के विकास के साधन ही नष्ट हो गए तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है ? यदि सचमुच में ही ऐसा हो जाता अर्थात बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन समाप्त हो जाते तो बहुत भयानक बात होती। किंतु कवि का मत कुछ अलग है। वह कहते हैं कि इससे भी भयानक यह है कि वे सब वस्तुएँ अथवा साधन यथावत बने हुए हैं अर्थात बच्चों के विकास के साधन विद्यमान हैं और संसार की हजारों सड़कों पर बहुत छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन काम पर जाते हैं अर्थात उन्हें काम की अपेक्षा पढ़ने जाना चाहिए था।
भावार्थ प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या का व्यंग्यात्मक शैली में वर्णन किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में बाल-श्रम या बाल-शोषण की समस्या को यथार्थ रूप में उद्घाटित किया गया है।
(ख) भाषा ओजगुणयुक्त है।
(ग) कवि की वाणी में आक्रामकता दृष्टव्य है।
(घ) दुनिया, ज्यादा, हस्बमामूल, गुजरना आदि अरबी-फारसी के शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा गद्यात्मक होते हुए भी प्रवाहमय है।

(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि ने आज की प्रमुख समस्या बाल-श्रम को लेकर गहन एवं गम्भीर भावों को व्यक्त किया है। कवि ने प्रश्न-शैली और व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग करते हुए भावों को जहाँ तीव्र, आकर्षक बनाया है, वहीं उनकी आक्रामकता भी देखते ही बनती है। कवि का यह कहना कितना भयानक होता कि यदि संसार से बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन विलुप्त हो जाते। किंतु इससे भी अधिक भयानक यह है कि साधन होते हुए भी बच्चे प्रतिदिन हजारों सड़कों से होकर काम पर जाते हैं। कहने का अभिप्राय है कि बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण किया जाता है।

(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द उस संदर्भ में कहे हैं कि यदि वास्तव में ही बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन नष्ट हो जाते तो यह अत्यधिक भयानक बात होती। उस स्थिति में बच्चों के व्यक्तित्व का समुचित विकास न हो पाता।

(6) कवि को सबसे भयानक यह बात लगी कि संसार में बच्चों के व्यक्तित्व के सब साधन विद्यमान हैं, किंत फिर भी बच्चों को उनका प्रयोग नहीं करने दिया जाता। इतना ही नहीं, उनसे काम करवाकर नन्हे-मुन्नों का शोषण किया जाता है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं Summary in Hindi

बच्चे काम पर जा रहे हैं कवि-परिचय

प्रश्न-
राजेश जोशी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा राजेश जोशी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-राजेश जोशी जी का नाम आधुनिक कवियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। श्री जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। इनकी आरंभिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में हुई। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात पत्रकारिता आरंभ की, किंतु कुछ काम न जमता देख आप अध्यापन की ओर आए। कुछ वर्ष अध्यापन-कार्य करने के पश्चात पत्रकारिता की ललक ने इन्हें फिर वापस बुला लिया। इन्होंने जीवन का गहन अध्ययन किया और उसमें व्याप्त विषमताओं पर जमकर प्रहार किए। श्री जोशी ने कविता, कहानी, नाटक, निबंध, टिप्पणियाँ, नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा-लेखन भी किया। श्री जोशी को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

2. प्रमुख रचनाएँ-(i) काव्य-संग्रह ‘एक दिन बोलेंगे पेड़’, ‘मिट्टी का चेहरा’, ‘नेपथ्य में हँसी’ और ‘दो पंक्तियों के बीच’ । (ii) अनुवाद-भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना-‘भूमि का कल्पतरू यह भी’। (ii) मायकोवस्की की कविता का अनुवाद-पतलून पहिना बादल’। श्री जोशी जी की कविताओं के भी अंग्रेजी, रूसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री राजेश जोशी समाज से जुड़कर चलने वाले साहित्यकार हैं। इन्होंने गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली कविताओं की रचना की है। श्री जोशी की काव्य-रचनाएँ जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। इनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज और मौसम, सभी कुछ व्याप्त है। इनकी कविताओं में मानवता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी है। वे जहाँ एक ओर जीवन व जीवन-मूल्यों के विनाश व खतरे को स्पष्ट रूप में देखते हैं, वहीं वे उसी भाव व जोश से जीवन-संभावनाओं की खोज में भी लगे रहते हैं। पाठ्यपुस्तक में संकलित इनकी कविता में जहाँ वे बच्चों के काम पर जाने या उनके शोषण की बात कहते हैं, वहीं वे उनको पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाने, उनका बचपन लौटाने की संभावना की ओर भी संकेत करते हैं।

4. भाषा-शैली-श्री राजेश जोशी यदि एक ओर उच्चकोटि के कवि हैं तो दूसरी ओर महान गद्य लेखक तथा पत्रकार भी हैं। इनकी काव्य की भाषा गद्यमय होती हुई भी लयात्मक है। उसमें एक प्रवाह विद्यमान है। श्री जोशी ने अपने काव्य की भाषा में तत्सम शब्दों के साथ विदेशी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी अत्यंत सफलतापूर्वक किया है।

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बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बच्चों के बचपन छिन जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। कवि ने कहा है कि प्रातःकाल में ही बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। उस समय कोहरा पड़ रहा है, परंतु बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि को यह इस समय की अत्यंत भयानक पंक्ति लगी है। इसे एक पंक्ति की भाँति नहीं, अपितु एक प्रश्न की भाँति लिखा जाना चाहिए। कवि ने प्रश्न किया है कि बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं। क्या उनके खेलने, पढ़ने के साधन नष्ट हो गए हैं। यदि ऐसा ही है तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है। यदि ऐसा होता तो यह विश्व के लिए भयानक होता। इससे भी बुरी या भयानक बात यह है कि सभी वस्तुएँ यथावत हैं, लेकिन बच्चों को उनसे दूर रहने के लिए विवश किया जा रहा है। फिर दुनिया की एक नहीं, हजारों सड़कों से बहुत छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

HBSE 9th Class Hindi यमराज की दिशा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?
उत्तर-
कवि की माँ ने उसे बचपन में ही उपदेश दिया था कि दक्षिण दिशा में कभी पैर करके नहीं सोना चाहिए, इससे यमराज क्रुद्ध हो जाता है। कवि इसी भय के कारण सदा ही दक्षिण दिशा का ध्यान रखता था। यही कारण है कि कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।

प्रश्न 2.
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था?
उत्तर-
वस्तुतः कवि ने बड़ा होने पर दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक यात्राएँ की थीं, किंतु दक्षिण दिशा बहुत दूर तक फैली हुई है। कोई दक्षिण दिशा में कहाँ तक जा सकता है। इसलिए कवि ने ऐसा कहा है। इसके अतिरिक्त आज हर दिशा दक्षिण दिशा है अर्थात सब ओर यमराज के समान भयभीत कर देने वाले लोग भरे पड़े हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर-
कवि की माँ ने बचपन में कवि को समझाया था कि दक्षिण दिशा यमराज की है। उधर पैर करके सोना यमराज को क्रुद्रध करना है। ऐसा करना कोई बुद्धिमत्ता का काम नहीं है। आज के युग में हर तरफ यमराज की भाँति ही मानवता को हानि पहुँचाने वाले शोषक लोग विद्यमान हैं। वे बड़ी निर्दयता से मानवता को नष्ट कर रहे हैं। इसीलिए कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा हो गई है, जहाँ एक नहीं अनेकानेक यमराज विद्यमान हैं।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं और वे सभी में एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
उत्तर कवि ने इन काव्य-पंक्तियों में स्पष्ट किया है कि हर स्थान पर हर दिशा में यमराज की भाँति शोषक, निर्दयी एवं मानवता-विरोधी लोगों के सुंदर भवन विद्यमान हैं। बड़े-बड़े शोषक लोग अत्यंत सुंदर भवनों में रहते हैं। वे सभी अपनी क्रोध से चमकती हुई आँखों सहित समाज में विराजमान हैं। कहने का भाव है कि आज के युग में शोषकों की कमी नहीं है। वे यमराज की भाँति ही सर्वत्र शोषण का डंका बजा रहे हैं। उन पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी
(क) वह आपको क्या सीख देती हैं?
(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?
उत्तर-
(क) हाँ, हमारी माँ भी हमें कवि की माँ की भाँति ही ईश्वर से प्रेरणा पाकर कुछ मार्ग-निर्देश देती है। वह हमें सीख देती है कि सदा लगन से अपनी पढ़ाई करो, उसी से ईश्वर प्रसन्न होकर हमें अच्छे अंक प्रदान करेगा। माँ की यह बात हमें बहुत अच्छी लगती है।
(ख) माँ की कुछ बातें हमें अच्छी नहीं लगतीं; जैसे-माँ हमें खेलने से मना करती है। बार-बार उपदेश देती रहती है। इसलिए हमें कभी-कभी माँ के उपदेश अच्छे नहीं लगते। हम स्वभावतः स्वतंत्रता चाहते हैं, जबकि माँ को अनुशासन अच्छा लगता है। हमें हर समय उसकी अनुशासन में रहने की बात अच्छी नहीं लगती।

प्रश्न 6.
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
ऐसा हम इसलिए करते हैं कि हम सब ईश्वर में विश्वास रखते हैं। ईश्वर को सर्व-शक्तिमान और सब कुछ करने में सक्षम मानते हैं। यदि हम अच्छा काम करते हैं तो भी उसके लिए ईश्वर को ही कारण मानते हैं और जब कभी अनुचित निर्णय ले लेते हैं तो हम यह कहते हैं कि हमारी अच्छाई और बुराई सब कुछ ईश्वर देख रहा है। इसलिए उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

पाठेतर सक्रियता

कवि का मानना है कि आज शोषणकारी ताकतें अधिकं हावी हो रही हैं। ‘आज की शोषणकारी शक्तियाँ’ विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi यमराज की दिशा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता श्री चंद्रकांत देवताले की सुप्रसिद्ध रचना है जिसमें आधुनिक सभ्यता के दोषपूर्ण विकास को उजागर किया गया है। कवि का मत है कि आज केवल दक्षिण दिशा वाले यमराज का समाज को भय नहीं है, अपितु समाज में चारों ओर जीवन-विरोधी शक्तियों का विकास हो रहा है। जीवन के जिस दुःख-दर्द के बीच जीती हुई माँ अपशकुन के रूप में जिस भय की चर्चा करती थी कि दक्षिण दिशा में पैर करके सोने पर यमराज क्रुद्ध हो उठेगा, अब वह केवल दक्षिण दिशा में ही नहीं अपितु सर्वव्यापक है। आज प्रत्येक दिशा दक्षिण दिशा प्रतीत होने लगी है। आज चारों ओर फैली हुई विध्वंसक शक्तियों, हिंसात्मक प्रवृत्तियों, शोषण की रक्षक ताकतों और मृत्यु के चिह्नों की ओर इंगित करके कवि ने उनका सामना करने तथा उनसे संघर्ष करने का मौन निमंत्रण दिया है। प्रस्तुत कविता में उन सब ताकतों एवं संगठनों का विरोध करने का आह्वान है जो मानवता विरोधी हैं या मानवता के विकास में बाधा बनी हुई हैं। यही भाव व्यक्त करना प्रस्तुत कविता का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
पठित कविता के आधार पर श्री चंद्रकांत देवताले के काव्य की भाषा का सार रूप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने अत्यंत सरल एवं सपाट भाषा का प्रयोग किया है। प्रस्तुत कविता की भाषा सरल होते हुए भाव-अभिव्यंजना की गजब की क्षमता रखती है। श्री देवताले ने अपने काव्य की भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी के शब्दों का भी भरपूर प्रयोग किया है, किन्तु उन्होंने उन्हीं शब्दों का प्रयोग किया जो लोक-प्रचलित हैं यथा मुश्किल, ज़रूरत, दुनिया आलीशान, इमारत आदि। कविवर देवताले अपनी बात को ढंग से कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके काव्य की भाषा में अत्यंत पारदर्शिता और अत्यंत कम संगीतात्मकता है। भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहयुक्त है। मुहावरों का सार्थक प्रयोग करके उन्होंने अपने काव्य की भाषा को सारगर्भित भी बनाया है। भाषा-शैली की दृष्टि से भी उनका काव्य सफल सिद्ध है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘यमराज की दिशा’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) राजेश जोशी
(B) केदारनाथ अग्रवाल
(C) चंद्रकांत देवताले
(D) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर-
(C) चंद्रकांत देवताले

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

प्रश्न 2.
कवि की माँ की किससे मुलाकात हुई थी?
(A) प्रधानमंत्री से
(B) ईश्वर से
(C) यमराज से
(D) विष्णु से
उत्तर-
(B) ईश्वर से

प्रश्न 3.
कवि की माँ कौन-से रास्ते खोज लेती थी?
(A) जीवन के विकास के
(B) धन प्राप्ति के
(C) दुख बरदाश्त करने के
(D) स्वर्ग जाने के
उत्तर-
(C) दुख बरदाश्त करने के

प्रश्न 4.
‘यमराज की दिशा’ कौन-सी मानी जाती है?
(A) उत्तर
(B) पूर्व
(C) पश्चिम
(D) दक्षिण
उत्तर-
(D) दक्षिण

प्रश्न 5.
कवि की माँ ने दक्षिण दिशा को कौन-सी दिशा बताया था?
(A) मौत की दिशा
(B) पवित्र दिशा
(C) अपवित्र दिशा
(D) भाग्यशाली दिशा
उत्तर-
(A) मौत की दिशा

प्रश्न 6.
कवि की माँ के अनुसार कौन-सी बात उचित नहीं है?
(A) यमराज का भेद जानना
(B) यमराज को क्रुद्ध करना
(C) यमराज के सामने जाना
(D) यमराज से आँखें चुराना
उत्तर-
(B) यमराज को क्रुद्ध करना

प्रश्न 7.
कवि ने बचपन में माँ से किसके घर का पता पूछा था?
(A) कुबेर के
(B) रावण के
(C) यमराज के
(D) इंद्र देवता के
उत्तर-
(C) यमराज के

प्रश्न 8.
कवि को दक्षिण दिशा में पैर न करके सोने से क्या लाभ हुआ?
(A) दक्षिण पहचान गया
(B) सपने नहीं आते थे
(C) गहरी नींद आती थी
(D) जल्दी उठ जाता था
उत्तर-
(A) दक्षिण पहचान गया

प्रश्न 9.
कवि के लिए क्या संभव नहीं था?
(A) दक्षिण दिशा को पहचानना
(B) दक्षिण दिशा को लांघना
(C) दक्षिण दिशा में सोना
(D) दक्षिण दिशा को त्याग देना
उत्तर-
(B) दक्षिण दिशा को लांघना

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

प्रश्न 10.
आज सभी दिशाओं में किसके आलीशान महल हैं?
(A) देवताओं के
(B) भक्तों के
(C) ईश्वर के
(D) यमराज के
उत्तर-
(D) यमराज के

प्रश्न 11.
यमराज हर तरफ किस दशा में विराजते हैं?
(A) प्रसन्न मुद्रा में
(B) दहकती आँखों सहित
(C) त्यागमय स्थिति में
(D) दानशील स्वभाव में
उत्तर-
(B) दहकती आँखों सहित

प्रश्न 12.
कवि ने बदली हई परिस्थितियों में किसे यमराज बताया है?
(A) उद्योगपतियों को
(B) अधिकारी वर्ग को
(C) शोषकों को
(D) डॉक्टरों को
उत्तर-
(C) शोषकों को

प्रश्न 13.
‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता में किसे दूर करने का प्रयास किया है?
(A) समाज में फैले अंधविश्वास
(B) भक्तों के
(C) अन्याय
(D) आलस्य
उत्तर-
(A) समाज में फैले अंधविश्वास

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

यमराज की दिशा अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर ।

1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुख बरदाशत करने के
रास्ते खोज लेती है [पृष्ठ 133]

शब्दार्थ-मुलाकात = मिलना, बातचीत । मुश्किल = कठिन। जताती = प्रकट करती। बरदाशत = सहन।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट करें।
(4) इस पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि की माँ की किससे मुलाकात होती थी?
(6) कवि की माँ ईश्वर की सलाहों के अनुसार क्या खोज लेती थी?
उत्तर-
(1) कवि-श्री चंद्रकांत देवताले। कविता-यमराज की दिशा।

(2) व्याख्या प्रस्तुत कवितांश में कवि ने बताया है कि बचपन से वह माँ से यही सुनता आया था कि उसकी माँ की ईश्वर से मुलाकात होती थी। कवि का मानना है कि उसकी माँ की ईश्वर से मुलाकात होती थी या नहीं यह कहना बड़ा मुश्किल है, किंतु वह सदा यही दिखावा करती थी कि उसकी मुलाकात ईश्वर से होती रहती है। ईश्वर से प्राप्त सलाहों से ही वह जीवन में आने वाले दुःखों और जीवन जीने के मार्ग खोज लेती है।

भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि का जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश अत्यंत सरल एवं व्यावहारिक भाषा में रचित है।
(ख) कवि ने माँ के माध्यम से जीवन के प्रति आस्थावादी भाव को अभिव्यंजित किया है।
(ग) मुलाकात, मुश्किल, जताना, सलाह, जिंदगी, बरदाशत आदि उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
(घ) भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहयुक्त एवं लयमयी है।
(ङ) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने बचपन में माँ से सुनी हुई बातों के माध्यम से जीवन-संबंधी दृष्टिकोण को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यंजित किया है। कवि की माँ की ईश्वर से मुलाकात होने की बात पर कवि को संदेह है, किंतु एक बात निश्चित रूप से सत्य है कि वह ईश्वर की सलाह मानकर या उसमें भरोसा करके जीवन में आने वाले दुःखों को सहन करने और जीवन जीने के सही मार्ग को अवश्य ही तलाश लेती थी। पुराने समय में जीवन सरल, सहज एवं स्वाभाविक था, किंतु आज नहीं।

(5) कविं की माँ की ईश्वर से मुलाकात होती थी।

(6) ईश्वर की सलाहों के अनुसार कवि की माँ जीवन में आने वाले दुःखों को सहन करने और जीवन जीने के मार्ग को खोज लेती थी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

2. माँ ने एक बार मुझसे कहा था
दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में [पृष्ठ 133]

शब्दार्थ-तरफ = ओर। क्रुद्ध = क्रोधित, गुस्सा। हमेशा = सदैव।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) माँ ने कवि को दक्षिण में पैर पसार कर सोने से मना क्यों किया था?
(6) कवि की माँ ने उसे यमराज के घर का क्या पता बताया था?
उत्तर-
(1) कवि-श्री चंद्रकांत देवताले। कविता-यमराज की दिशा।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने यमराज के संबंध में फैले अंधविश्वास पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि उसकी माँ ने उसे दक्षिण की ओर पैर न करके सोने का उपदेश दिया था। उनका विश्वास था कि वह मृत्यु की दिशा है। इसलिए उधर पैर करके सोकर मृत्यु के देवता यमराज को नाराज करने में कोई बुद्धिमत्ता नहीं है। कहने का तात्पर्य है कि दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। उससे यमराज को गुस्सा आ जाता है। उस समय कवि बहुत छोटा था, जब उसने अपनी माँ से यमराज के घर का पता पूछा था। उसकी माँ ने केवल इतना ही बताया था कि हम जहाँ भी हों, वहाँ से दक्षिण दिशा में ही यमराज का घर होता है।
भावार्थ-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समाज में फैले अंधविश्वासों पर करारी चोट की है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश सरल एवं सहज भाषा में रचित है।
(ख) कवि ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों पर करारी चोट की है।
(ग) भाषा गद्यमय होते हुए भी लयात्मक एवं प्रवाहमयी है।
(घ) संवाद शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) संकेतात्मकता भाषा-शैली की अन्य प्रमुख विशेषता है।
(च) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने मृत्यु के देवता यमराज से संबंधित लोकमानस में व्याप्त अंधविश्वास का उल्लेख किया है। कवि ने अत्यंत गंभीर भावों को अत्यंत सरल एवं सहज रूप में कह दिया है। दक्षिण की ओर पैर करके सोना मृत्यु के देवता को नाराज करने के समान है। यमराज का घर दक्षिण में बताकर कवि ने दक्षिण दिशा को और भी भयानक एवं निकृष्ट सिद्ध कर दिया है। अतः स्पष्ट है कि प्रस्तुत कवितांश में जीवन की समस्या से संबंधित गंभीर भावों को सहज रूप में अभिव्यंजित किया गया है।

(5) कवि की माँ ने उसे दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से मना किया था, क्योंकि वह दिशा मृत्यु के देवता यमराज की दिशा है।

(6) कवि के पूछने पर उसकी माँ ने यमराज के घर का पता पूरी दक्षिण दिशा बताया था। दक्षिण दिशा ही यमराज के घर का पता है।

3. माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता [पृष्ठ 134]

शब्दार्थ-समझाइश = समझने। फायदा = लाभ। छोर = किनारा।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत कवितांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि को माँ के समझाने का क्या लाभ हुआ?
(6) कवि यमराज का घर क्यों नहीं देख सका?
उत्तर-
(1) कवि-श्री चंद्रकांत देवताले।। कविता-यमराज की दिशा।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत कवितांश में कविवर देवताले ने माँ के उपदेश के प्रभाव का वर्णन करते हुए बताया कि माँ के समझाने के पश्चात वह कभी भी दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोया। इससे वह यमराज के कोप से बचा या नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता, किंतु एक लाभ अवश्य उसे हुआ कि दक्षिण दिशा पहचानने में उसे कहीं भी, कभी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा अर्थात वह सहज ही दक्षिण दिशा को पहचान लेता है।
कवि ने पुनः अपने जीवन के विषय में बताया है कि उसने अपने जीवन में दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक यात्राएँ की हैं। वहाँ उसे सदा अपनी माँ की याद आती रही। कवि के लिए दक्षिण दिशा को पार करके जाना संभव नहीं था, क्योंकि उसका कोई किनारा ही नहीं था। यदि दक्षिण दिशा को लाँघ पाना संभव होता तो कवि अवश्य ही यमराज का घर भी देख लेता, किंतु कवि ऐसा कभी नहीं कर पाया।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने इस अंधविश्वास का खंडन किया है कि यमराज का घर दक्षिण दिशा में होता है। .

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने लोकमानस में व्याप्त अंधविश्वास पर करारी चोट की है कि यमराज का घर दक्षिण दिशा में होता है। यह कोरा भ्रम है।
(ख) भाषा व्यंग्य के तेवर लेकर चलने वाली है।
(ग) भाषा गद्यमय होती हुई भी लययुक्त है।
(घ) फायदा, ज़रूर, मुश्किल आदि उर्दू-फारसी के लोक-प्रचलित शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ङ) ‘दक्षिण दिशा’, ‘लाँघ लेना’ आदि में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(च) संपूर्ण वर्णन अत्यंत पारदर्शितायुक्त भाषा में किया गया है।
(छ) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।

(4) कवि ने अत्यंत सरल भाषा में गंभीर विचारों एवं भावों को अभिव्यंजित किया है। लोकमानस में यह अंधविश्वास व्याप्त रहा है कि यमराज दक्षिण दिशा में रहता है। इसलिए उसके प्रकोप से बचने के लिए उस दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। कवि ने ऐसा ही किया और सदा इस बात के लिए सतर्क भी रहा। इससे कवि को दक्षिण दिशा का ज्ञान अवश्य हआ। कवि ने अनेक बार दक्षिण दिशा में यात्राएँ की, किंतु कहीं भी उस दिशा का अंत दिखाई नहीं दिया। इसलिए कवि को यमराज का घर भी नहीं मिल सका। अतः कवि ने इस धारणा को जड़ से उखाड़ फेंका है कि यमराज का घर केवल दक्षिण दिशा में ही है। अतः गंभीर भाव को सहज रूप में कह देना कवि की कला का कमाल है।

(5) कवि को माँ के समझाने का यह लाभ हुआ कि उसको दक्षिण दिशा का अच्छा ज्ञान हो गया। उसे दक्षिण दिशा पहचानने में कभी कोई कठिनाई नहीं हुई।

(6) कवि’को माँ ने बताया कि यमराज का घर दक्षिण दिशा में है। दक्षिण दिशा का कोई ओर-छोर नहीं है। इसलिए कवि को यमराज के घर का पता नहीं चल सका और वह उसे देखने में असमर्थ रहा। वास्तव में, यह एक भ्रम था, जिसे कवि ने उदाहरण देकर दूर करने का प्रयास किया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही
जो माँ जानती थी। [पृष्ठ 134]

शब्दार्थ-आलीशान = खूबसूरत, सुंदर। दहकती = गुस्से से चमकती हुई। विराजना = विद्यमान होना, पधारना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) “आज जिधर भी पैर करके सोओ वही दक्षिण दिशा हो जाती है”-कवि ने ऐसा क्यों कहा?
(6) कवि ने किन्हें यमराज कहा है और क्यों?
उत्तर-
(1) कवि श्री चंद्रकांत देवताले। कविता-यमराज की दिशा।

(2) व्याख्या कवि ने बताया है कि उसकी माँ का कहना था कि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा है। इसलिए उधर पैर करके नहीं सोना चाहिए। किंतु कवि का तर्क है कि आज के युग में जिस भी दिशा की ओर पैर करके सोएँ, वही दक्षिण दिशा हो जाती है। कहने का तात्पर्य है कि हमारे चारों ओर यमराज ही यमराज हैं। सभी दिशाओं में यमराज के सुंदर भवन हैं अर्थात चारों ओर यमराज की भाँति ही लोगों को मारने वाले शोषक लोग विद्यमान हैं, जो सुंदर महलों में रहते हैं। वे सबके सब अपनी दहकती (क्रोध से जलती हुई) हुई आँखों सहित विराजमान हैं।
कवि ने पुनः कहा है कि आज वह माँ नहीं रही, जो यमराज के विषय में, उसकी दिशा के विषय में बताती थी। यमराज की दिशा भी वह नहीं रही, जो माँ जानती थी अर्थात यमराज केवल दक्षिण में ही नहीं रहता, वह सर्वत्र रहता है।

भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में आज की सभ्यता की दोषपूर्ण स्थिति का उल्लेख किया गया है।

(3) (क) संपूर्ण पद में आज की सभ्यता के विकास की दोषपूर्ण स्थिति को यथार्थ रूप में उजागर किया गया है।
(ख) भाषा व्यंग्यपूर्ण है।
(ग) भाषा भावाभिव्यक्ति में पूर्णतः सक्षम है।
(घ) ‘यमराज’ में श्लेष अलंकार है।
(ङ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सरल एवं व्यावहारिक भाषा का प्रयोग करते हुए गंभीर भावों की सहज एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति की है। ‘आज सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं’ पंक्ति में आज के समाज व सभ्यता की वस्तुस्थिति को उजागर किया गया है। आज के युग में एक नहीं, अनेक यमराज हैं जो अपनी शोषणपूर्ण नीतियों द्वारा गरीब या साधारण व्यक्ति के जीवन का तत्त्व चूस रहे हैं। यमराज तो शायद व्यक्ति के गुण-अवगुणों को देखकर ही सजा सुनाता होगा। यहाँ तो बिना किसी भेदभाव के शोषण किया जाता है। दया-धर्म का कोई खाना नहीं है। अतः कवि ने ठीक ही कहा है कि आज चारों दिशाएँ दक्षिण दिशा ही प्रतीत होती हैं। इस प्रकार प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आज के युग की ज्वलंत समस्या से संबंधित गंभीर विचार व्यक्त किए हैं।

(5) कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि पहले दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने में यमराज का खतरा मंडराने लगता था, किंतु आज तो व्यक्ति को हर दिशा से खतरा उत्पन्न हो सकता है। उसे हर दिशा यमराज की दक्षिण दिशा के समान भयंकर एवं भयभीत करने वाली अनुभव होती है।

(6) कवि ने समाज के शोषकों को यमराज कहा है, क्योंकि शोषक लोग गरीबों व जनसाधारण का निर्दयतापूर्वक शोषण करते हैं। उनके शोषण के कारण लोग तिल-तिलकर मरने के लिए विवश हैं।

यमराज की दिशा Summary in Hindi

यमराज की दिशा कवि-परिचय

प्रश्न-
चंद्रकांत देवताले का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा चंद्रकांत देवताले का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय श्री चंद्रकांत देवताले हिंदी के प्रमुख कवि हैं। इन्हें साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। इनका जन्म मध्य प्रदेश के जिला बैतूल के गाँव जौलखेड़ा में सन 1936 को हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में हुई। श्री देवताले प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे हैं। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा इंदौर से प्राप्त की तथा पी०एच०डी० की उपाधि सागर विश्वविद्यालय, सागर से प्राप्त की। शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात इन्होंने अध्यापन का कार्य आरंभ किया। श्री देवताले अध्यापन के साथ-साथ साहित्य-लेखन की साधना में निरंतर लीन रहते हैं। इन्होंने साहित्य की विविध विधाओं पर अपनी लेखनी सफलतापूर्वक चलाई है, किंतु प्रसिद्धि इन्हें कवि के रूप में ही प्राप्त हुई है।

2. प्रमुख रचनाएँ-‘हड्डियों में छिपा ज्वर’, ‘दीवारों पर खून से’, ‘लकड़बग्घा हँस रहा है’, ‘भूखंड तप रहा है’, ‘पत्थर की बैंच’, ‘इतनी पत्थर रोशनी’, ‘उजाड़ में संग्रहालय’ आदि श्री देवताले की प्रमुख काव्य-कृतियाँ हैं। इनकी कविताओं के अनुवाद भारतीय भाषाओं और प्रायः कई विदेशी भाषाओं में भी हो चुके हैं। श्री देवताले को इनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है। इन्हें माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा मध्य प्रदेश का शिखर पुरस्कार प्राप्त है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

3. काव्यगत विशेषताएँ-कविवर चंद्रकांत देवताले जन-साधारण के जीवन की जमीन से जुड़े हुए कवि हैं। इनकी कविताओं के विषय गाँवों व कस्बों में रहने वाले निम्न मध्यवर्ग के जीवन से संबंधित हैं। इन्होंने इस वर्ग के लोगों के जीवन को अत्यंत निकट से देखा है और इसकी अच्छाइयों और कमियों के साथ-साथ उसके अभावों को भी अपनी कविताओं के माध्यम से उजागर किया है।
श्री चंद्रकांत देवताले के काव्य में जहाँ समाज की व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ रोष है, वहीं मानवीय प्रेम-भाव भी है। वे समाज में व्याप्त बुराइयों को उखाड़ फेंकने के लिए दृढ़संकल्प हैं और समाज का समुचित विकास चाहते हैं। मानव-मानव में प्रेम के संबंधों को बढ़ावा देना इनके काव्य का प्रमुख लक्ष्य रहा है।

4. भाषा-शैली-श्री चंद्रकांत देवताले के काव्य की भाषा-शैली सरल, सीधी और सपाट है। इनके कथन में कहीं कोई दिखावा व बनावट नहीं है। कविता की भाषा में पारदर्शिता एक अन्य प्रमुख विशेषता है। गद्यात्मक होते हुए विशेष लय में बँधकर चलने वाली भाषा है। इनकी भाषा में एक विरल संगीतात्मकता भी दिखलाई पड़ती है। इन्होंने लोकप्रचलित मुहावरों का भी सार्थक प्रयोग किया है। लोकभाषा के शब्दों के साथ-साथ विदेशज शब्दों का भी विषयानुरूप प्रयोग करके भाषा को व्यावहारिकता प्रदान करने की कला में श्री देवताले बेजोड़ कवि हैं।

यमराज की दिशा कविता का सार/काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘यमराज की दिशा’ श्री चंद्रकांत देवताले की प्रमुख रचना है। कवि ने प्रस्तुत कविता में सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर संकेत करते हुए बताया है कि जीवन-विरोधी ताकतें चारों ओर फैलती जा रही हैं। कवि ने बताया है कि बचपन में उसकी माँ ने उसे दक्षिण की ओर पैर करके सोने को अपशकुन बताया था। वह बताती रहती थी कि ईश्वर से उसकी मुलाकात होती रहती है। उसकी सलाह से ही वह जीवन जीने और दुःख सहन करने के मार्ग खोज लेती है। इसीलिए उसने यह बताया था कि दक्षिण दिशा मृत्यु की दिशा है। इसलिए उधर पैर करके सोना यमराज को क्रुद्ध करना है। माँ ने पूछने पर यमराज के घर का पता भी बताया था कि तुम जहाँ भी हो वहाँ से दक्षिण की ओर यमराज का घर है। बचपन में माँ के उपदेश का कवि पर प्रभाव अवश्य पड़ा। वह कभी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया तथा दक्षिण दिशा में खूब घूमा, किंतु उसका कोई छोर नहीं था, अन्यथा वह यमराज जी का घर भी देख लेता। किंतु आज के जीवन में जिधर भी पैर करके सोओ वह दक्षिण दिशा ही हो जाती है, क्योंकि सभी दिशाओं में यमराज के बड़े-बड़े महल हैं। वहाँ वे एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विद्यमान हैं। कवि की माँ अब नहीं रही और न ही यमराज के निवास की निश्चित दिशा ही रही। अब हर दिशा यमराज की दिशा हो गई है। आज हमें उनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

HBSE 9th Class Hindi मेघ आए Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर-
कवि ने बादलों के आने पर प्रकृति में अनेक गतिशील क्रियाओं का चित्रण किया है। बादलों के आने से पूर्व ठंडी हवा बहने लगती है। लोग अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं। पेड़ भी हिलने लगते हैं। धूल भरी आँधी बहने लगती है। नदियों में भी ठहराव-सा प्रतीत होने लगता है। लताएँ भी खिल उठती हैं। बादलों में बिजली चमकती हुई दिखाई देने लगती है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ?
• धूल
• पेड़
• नदी
लता
• ताल
उत्तर-
• धूल-गाँव की युवती की।
• पेड़-गाँव के बड़े-बूढ़े लोगों के।
• नदी-गाँव में रहने वाली विवाहित युवती की।
• लता-प्रेमिका की।
• ताल-परिवार के सदस्यों का।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों ?
उत्तर-
लता ने बादल रूपी मेहमान को व्याकुलतापूर्ण दृष्टि से देखा। वह बादल के आने पर उसे उपालंभ देते हुए कह रही थी कि तुमने एक वर्ष बाद मेरी सुध ली है। बादल के एक वर्ष बाद आने के कारण ही उसने ऐसा व्यवहार किया है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
उत्तर-
(क) कवि ने प्रस्तुत पंक्ति में बताया है कि बादल आकाश रूपी अटारी पर छा गए, बिजली चमक उठी। लोग कहने लगे कि बादलों के न आने और न बरसने का भ्रम मानों समाप्त हो गया, क्योंकि अब सचमुच में ही बादल बरसने लगे थे। इसी प्रकार जब दो लोगों के मन से भ्रम समाप्त हो जाता है तो उनकी आँखों से स्नेह के आँसू बह निकलते हैं।

(ख) जब बादल आकाश में छा गए तो नदी रूपी युवती थोड़ा रुककर और आश्चर्यपूर्वक अपने मुख से यूँघट उठाकर तिरछी दृष्टि से बादल रूपी मेहमानों को देखने लगती है। कहने का तात्पर्य है कि बादलों के एकाएक छा जाने से नदी के मन में आश्चर्य-सा छा गया कि ये एकाएक कहाँ से आ गए।

प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर-
मेघ रूपी मेहमान के आने पर बयार खुशी से झूम उठी। पेड़ मानों झुक-झुककर सलाम करने लगे। नदी की दृष्टि में बाँकापन आ गया। वह मानों बादलों को देखकर मुग्ध-सी हो गई। लताओं में प्रेम भाव का संचार हो गया तथा मेघ के वर्ष-भर बाद आने पर उन्हें उपालंभ भी देने लगी। तालाबों में जल भर गया। ऐसा लगता है मानों तालाब परात में जल भरकर मेघ के स्वागत के लिए ले आया हो।

प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन ठन के सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर-
कवि ने बादलों की तुलना नगर से आने वाले मेहमानों से की है। जिस प्रकार नगर से आने वाले मेहमान सुंदर वस्त्र धारण करके बन-सँवरकर गाँव में आते हैं; उसी प्रकार बादल भी नया रूप धारण करके बरसने हेतु आते हैं। इसलिए कवि ने बादलों के लिए ‘बन-ठन के सँवर के’ आने की बात कही है।

प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकारों के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
कविता में निम्नलिखित अंशों में मानवीकरण एवं रूपक अलंकारों का प्रयोग हुआ हैमानवीकरण-
(क) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(ख) आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली।
(ग) पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
(घ) धूल भागी घाघरा उठाए।
(ङ) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी।
(च) बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।
(छ) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।

रूपक-(क) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(ख) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
(ग) क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी।
(घ) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।

प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सर्वप्रथम कवि ने बताया है कि गाँव में मेहमान का आदर-सम्मान करने के लिए नाचने-गाने की प्रथा है। मेहमान के आने पर सब प्रसन्न होते हैं। बड़े-बूढ़े भी उसका झुककर सम्मान करते हैं। मेहमान के आने की सूचना भी बड़े उत्साह के साथ दी जाती है। गाँव की नारियाँ मेहमान को रुककर और स्नेहमयी दृष्टि से देखती हैं। गाँव में मेहमान के हाथ-पाँव धुलवाए जाने की परंपरा भी है। मेहमान के आने पर उससे इतने समय बाद आने का कारण भी पूछा जाता है और जब उसके उत्तर से संतुष्ट हो जाते हैं तो सब उससे गले मिलते हैं। दोनों के मन के गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने मेघों के आने की तुलना सजकर आए अतिथि (दामाद) से की है। कवि ने बताया है कि जब अतिथि गाँव में आता है तो उसके आने की सूचना बड़े उत्साह से दी जाती है। गाँव के नर-नारी अपने घरों की खिड़कियाँ खोलकर उसे अत्यंत उत्सुकता से देखते हैं। बड़े-बूढ़े भी उसका आदर-सत्कार करते हैं। नवयुवतियाँ उसे अपने यूंघट की ओट में तिरछी दृष्टि से निहारती हैं। उसकी पत्नी दरवाजे की ओट में खड़ी होकर उसे उपालंभ देती है कि वह इतने लंबे समय बाद आया है, किंतु बाद में मेहमान के उत्तर से प्रिया संतुष्ट हो जाती है और उससे मिलने पर स्नेह के आँसू बहने लगते हैं। इसी प्रकार बादल के छाने से पहले ठंडी हवा चलती है। लोग बादलों को निहारने हेतु घरों के दरवाजे खोल देते हैं। वर्षा आने पर पेड़ भी कुछ झुके हुए-से लगते हैं। धूल तो मानों घाघरा उठाकर भाग खड़ी होती है। नदी मानों उसे रुककर तिरछी दृष्टि से देखती है। लताएँ तो मानों उसे उपालंभ देने लगती हैं कि तूने इतने समय बाद हमारी सुध ली है। तालाब भी वर्षा के आने पर पूर्णतः भर जाता है। बिजली चमकने लगती है और तत्पश्चात रिम-झिम, रिम-झिम करके बूंदें पड़ने लगती हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य लिखिएपाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के। मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
उत्तर-
(क) कवि ने प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में वर्षा ऋतु का मनोरम और काल्पनिक चित्र प्रस्तुत किया है।
(ख) प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
(ग) मानवीकरण अलंकार है।।
(घ) ‘पाहुन ज्यों ….. शहर के।’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ङ) ‘बड़े बन-ठन के’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा अत्यंत सरल, सजीव एवं भावानुकूल है।
(छ) लोकभाषा के शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
जून मास के अंतिम दिनों में बहुत अधिक गरमी पड़ रही थी। चारों ओर आग का समुद्र-सा लग रहा था। न जाने कहाँ से एक ठंडी पूर्वी हवा का झोंका आया और वातावरण में नमी-सी भर गया। देखते-ही-देखते एक काली घटा उठी और रिम-झिम, रिम-झिम करके बरसने लगी। वर्षा आने पर गरमी और धूल भरी आँधियाँ कूच कर गईं। चारों ओर हरियाली छा गई। तालाबों, नदियों व अन्य स्थानों पर जल भर गया। हर प्राणी प्रसन्न दिखाई देने लगा। वृक्षों में तो मानों बहार-सी आ गई। पक्षी चहचहाकर अपने हृदय की प्रसन्नता प्रकट करने लगे। किसानों की प्रसन्नता का तो कोई ठिकाना ही न रहा। किसान अपने खेतों में काम करने लगे। चारों ओर से मेंढकों के टर्राने की ध्वनि सुनाई देने लगी। कहने का तात्पर्य है कि वर्षा आने से जीवन में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया।

प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए।
उत्तर-
वस्तुतः पीपल का वृक्ष अन्य वृक्षों से बड़ा ऊँचा था। उसकी शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं। इसीलिए कवि ने उसका विशालकाय शरीर देखकर ही उसे बड़ा बुजुर्ग कहा होगा।

प्रश्न 13.
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
उत्तर-
भारतीय समाज में निश्चय ही दामाद विशेष महत्त्व व आदर का पात्र समझा जाता रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि जिसको हम अपनी प्यार से पली बेटी का हाथ देते हैं, उसे सुयोग्य पात्र समझा जाता है। उसका विशेष महत्त्व भी इसी कारण माना या समझा जाता है कि वह हमारी प्यारी बेटी का पति है। आज परिस्थितियाँ बदल रही हैं, जीवन-मूल्य भी बदल रहे हैं। कुछ समय से दहेज नामक सामाजिक बुराई फैल रही है। इस बुराई को बढ़ावा देने में दामाद का भी हाथ रहता है। इसके अतिरिक्त आज के भौतिक युग में जीवन की गति तेज होने के कारण मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह अधिक समय तक दामाद की सेवा करता रहे। इसके अतिरिक्त लड़कियाँ भी नौकरी करने लगी हैं और पति के बराबर आ खड़ी हुई हैं। एक अन्य कारण यह भी माना जाने लगा है कि बेटियों को पिता की सम्पत्ति में से भाइयों के बराबर हक दिया गया है। इससे बेटी और दामाद भाइयों के बराबर का हक माँगने लगे हैं। इससे भाइयों के मन में बहनोई के प्रति मेहमान की छवि नहीं, अपितु विरोधी की छवि उभरने लगी है फिर भला आदर का भाव कैसे रह सकता है। इन्हीं सब कारणों से आज अतिथि एवं दामाद का महत्त्व पहले से कम होता जा रहा है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर-
1. बन-ठन कर आना-मेहमान सदा बन-ठन कर ही आते हैं।
2. गरदन उचकाना-झुके हुए लोग (बूढ़े) मेहमानों के आने पर गरदन उचकाकर उन्हें देखते हैं।
3. चूँघट सरकना-स्त्रियों ने घूघट सरकाकर मेहमान को देखा।
4. जुहार करना-बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर बादल की जुहार की।
5. गाँठ खुल जाना-रमेश और उसकी पत्नी के मनों की गाँठे खुलने पर दोनों एक होकर रहने लगे।
6. बाँध टूटना-बहुत समय के बाद मित्र के मिलने पर उसके हृदय के भावों का तो मानों बाँध ही टूट गया।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में निम्नांकित आँचलिक शब्द प्रयुक्त हुए हैंसँवर, बयार, पाहुन, उचकाए, ठिठकी, सरके, जुहार करना, किवार, ताल आदि।

प्रश्न 16.
‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सहज व सरल भाषा से तात्पर्य है, जिसे साधारण पाठक भी आसानी से समझ सके। प्रस्तुत कविता में ऐसी ही भाषा का प्रयोग सर्वत्र हुआ है। उदाहरणस्वरूप ये पंक्तियाँ देखिए
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की, ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की, हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पाठेतर सक्रियता

वसंत ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए। उत्तर-विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं लिखेंगे। • प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएधिन-धिन-धा धमक-धमक मेघ बजे दामिनि यह गई दमक मेघ बजे दादुर का कंठ खुला मेघ बजे धरती का हृदय धुला मेघ बजे पंक बना हरिचंदन मेघ बजे हल का है अभिनंदन मेघ बजे धिन-धिन-धा ……..

प्रश्न-
(1) ‘हल का है अभिनंदन’ में किसके अभिनंदन की बात हो रही है और क्यों?
(2) प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइए कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
(3) ‘पंक बना हरिचंदन’ से क्या आशय है?
(4) पहली पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
(5) ‘मेघ आए’ और ‘मेघ बजे’ किस इंद्रिय बोध की ओर संकेत हैं ?
उत्तर-
(1) प्रस्तुत कवितांश में मेघ के अभिनंदन की बात हो रही है।
(2) मेघों के आने पर बिजली चमकने लगती है। मेंढकों के टर्राने की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। धरती की प्यास बुझ जाती है। पंक में हरी-हरी घास व फसलें उग आती हैं। किसान खेतों में काम करने लगते हैं।
(3) पंक अर्थात कीचड़ भी हरिचंदन के समान लगता है, क्योंकि उसमें फसलें व हरी-हरी घास उगती हैं।
(4) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(5) ‘मेघ आए’ तथा ‘मेघ बजे’ आँखों और कानों की ओर संकेत करते हैं अर्थात देखने और सुनने के इंद्रिय बोध की ओर संकेत करते हैं।

अपने शिक्षक और पुस्तकालय की सहायता से केदारनाथ सिंह की ‘बादल ओ’, सुमित्रानंदन पंत की ‘बादल’ और निराला की ‘बादल-राग’ कविताओं को खोजकर पढ़िए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi मेघ आए Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘मेघ आए’ शीर्षक कविता के मूल भाव पर प्रकाश डालिए। अथवा ‘मेघ आए’ कविता के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘मेघ आए’ एक ऐसी रचना है जिसमें एक ओर प्रकृति के विभिन्न उपादानों की प्राकृतिक सुंदरता को उजागर किया गया है और दूसरी ओर प्रकृति के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, रीति-रिवाज और सद्भावना को एक-साथ व्यक्त किया गया है। लेखक का परम लक्ष्य प्रकृति की सुंदरता और उसके प्रभाव को सजीव रूप में प्रस्तुत करना है। कवि अपने इस लक्ष्य में पूर्णतः सफल रहा है। बहुत दिनों के पश्चात आकाश में घटा छा जाने पर जिस प्रकार सभी उसे प्रसन्नता के भाव से देखते हैं और उसके आने की सूचना एक-दूसरे को अनायास ही दे देते हैं; उसी प्रकार गाँव में शहरी मेहमान के आने की सूचना उसके गाँव में पहुंचने से पहले ही पहुँच जाती है। गाँव में मेहमान का आदर किस प्रकार किया जाता है। इसका वर्णन पीपल के माध्यम से किया गया है। इसी प्रकार वर्षा से पहले तेज हवा के साथ धूल का आना ऐसे लगता है मानों किशोरियाँ घाघरा उठाकर भाग रही हों। काम करती हुई
औरतें पाहुन को देखने के लिए कुछ क्षण के लिए काम रोक देती हैं तथा अपने घूघट को उठाकर तिरछी नजर से उसे देखने का प्रयास करती हैं। अतिथि की पत्नी किवाड़ की ओट में होकर उसे लंबे समय बाद आने का उलाहना देती है। इस प्रकार प्रकृति के विविध उपादानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की संस्कृति एवं सद्भावना का सजीव चित्रण करना कवि का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
शहरी पाहुन के आगमन पर गाँव में उमगे उल्लास के रूप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
शहरी पाहुन के आगमन पर कुछ लोग नाचते-गाते हुए आगे चलने लगे। लोगों में उत्सुकता उत्पन्न हुई कि देखें शहरी पाहुन कैसा है। इसलिए गली-गली में लोग अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर पाहुंन को देखने लगे। कुछ बूढ़े लोग पाहुन को देखकर गरदन झुका लेते हैं और कुछ गरदन उठाकर उसे देखने का प्रयास करते हैं। कुछ किशोरियाँ घाघरा उठाकर धूल-सी भागने लगती हैं। काम करती औरतें भी रुक कर शहरी पाहुन को देखने लगती हैं। वे औरतें अपने-अपने चूँघट को उठाकर तिरछी दृष्टि से पाहुन को देखने का प्रयास करती हैं। जब पाहुन गाँव के निकट आ जाता है तो गाँव के बड़े-बूढ़े लोग उसके स्वागत के लिए झुककर प्रणाम करते हैं। पाहुन की पत्नी शरमाकर दरवाजे की ओट में हो गई और वहीं से उपालंभ के स्वर में कहती है कि वर्ष-भर बाद हमारी सुध ली है। उधर एक प्रसन्न मन व्यक्ति पाहुन के पैर धोने के लिए परात में पानी भरकर ले आया। इस प्रकार शहरी पाहुन के गाँव में पहुँचने पर वहाँ का वातावरण प्रसन्नता और आनंद से भर उठता है।

प्रश्न 3.
‘बरस बाद सुध लीन्हीं’ में प्रिया के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है-
(क) प्रेमभाव की
(ख) उपालंभ की
(ग) उदारता की
(घ) कृतज्ञता की
उत्तर-
(ख) उपालंभ की।

प्रश्न 4.
मेघ के आगमन का बयार, पेड़, नदी, लता और ताल पर क्या असर हुआ ?
उत्तर-
मेघ के आगमन से बयार खुशी से झूम उठी। पेड़ झुक-झुककर मेघ रूपी मेहमान को झाँकते हुए उसका आदर-सत्कार करने लगे। नदी की दृष्टि में बाँकपन आ गया। वह मानों मेघ पर मुग्ध-सी हो गई हो। लताएँ प्रेमभाव से युक्त हो गईं और मेघ को वर्ष-भर के बाद आने का उपालंभ देने लगीं। ताल वर्षा के जल से भर गया। मानों ताल मेघ के स्वागत में पानी की परात भर लाया हो।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मेघ आए’ शीर्षक कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) भारत भूषण अग्रवाल
(D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
उत्तर-
(D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

प्रश्न 2.
‘आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ में कौन बन-ठनकर आया है?
(A) आँधी
(B) मेघ
(C) हवा
(D) सूर्य
उत्तर-
(B) मेघ

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 3.
मेघों के आगे-आगे नाचता हुआ कौन चल रहा था?
(A) बयार
(B) नर्तक
(C) नर्तकी
(D) पक्षी
उत्तर-
(A) बयार

प्रश्न 4.
मेघों के आने पर गली-गली में क्या होने लगा?
(A) लोग नाचने लगे
(B) बच्चे घर से बाहर निकल पड़े
(C) खिड़कियाँ-दरवाजे खुलने लगे
(D) लोग काम करने लगे
उत्तर-
(C) खिड़कियाँ-दरवाजे खुलने लगे

प्रश्न 5.
आँधी आने पर घाघरा उठाकर कौन भागने लगी थीं?
(A) ग्रामीण नारियाँ
(B) युवतियाँ
(C) नर्तकियाँ
(D) धूल
उत्तर-
(D) धूल

प्रश्न 6.
किसने बाँकी चितवन उठाकर मेघ को देखा था?
(A) वृक्षों ने
(B) शहरी
(C) नारियों ने
(D) प्रदेशी
उत्तर-
(B) नदियों ने

प्रश्न 7.
कवि ने मेघों को कहाँ के पाहुने.बताया है?
(A) ग्रामीण
(B) नदियों ने
(C) विदेशी
(D) चिड़ियों ने
उत्तर-
(B) शहरी

प्रश्न 8.
पाहुन का अर्थ है.
(A) अतिथि
(B) खिलाड़ी
(C) पहलवान
(D) चोर
उत्तर-
(A) अतिथि

प्रश्न 9.
मेघों की जुहार किसने की थी?
(A) वायु ने
(B) तालाब ने
(C) बूढ़े पीपल ने
(D) आम ने
उत्तर-
(C) बूढ़े पीपल ने

प्रश्न 10.
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’-ये शब्द किसने किसको कहे हैं?
(A) लता ने मेघ को
(B) पीपल ने लता को
(C) लता ने आकाश को
(D) पवन ने मेघ को
उत्तर-
(A) लता ने मेघ को

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 11.
लता किसकी ओट में होकर बोली थी?
(A) पहाड़
(B) किवाड़
(C) दीवार
(D) वृक्ष
उत्तर-
(B) किवाड़

प्रश्न 12.
ताल किसे देखकर हर्षित हुआ था?
(A) पवन को
(B) मेघ को
(C) किसान को
(D) चंद्रमा को
उत्तर-
(B) मेघ को

प्रश्न 13.
तालाब किस बर्तन में पानी लाया था?
(A) घड़े में
(B) परात में
(C) लोटे में
(D) अंजलि में
उत्तर-
(B) परात में

प्रश्न 14.
दामिनी कहाँ दमकती हुई दिखाई दी?
(A) क्षितिज पर
(B) छत पर
(C) सड़क पर
(D) वृक्ष पर
उत्तर-
(A) क्षितिज पर

प्रश्न 15.
‘गाँठ खुलना’ मुहावरे का अर्थ है-
(A) गाँठ का दूर होना
(B) भ्रम का दूर होना
(C) पैसे गिर जाना
(D) मार्ग साफ होना
उत्तर-
(B) भ्रम का दूर होना

प्रश्न 16.
‘धूल’ किसकी प्रतीक है?
(A) आँधी की
(B) वर्षा की
(C) ग्रामीण युवती की
(D) पवन की
उत्तर-
(C) ग्रामीण युवती की

प्रश्न 17.
लता किसकी प्रतीक है?
(A) प्रेमिका की
(B) सहेली की
(C) बहन की
(D) माता की
उत्तर-
(A) प्रेमिका की

प्रश्न 18.
‘धूल भागी घाघरा उठाए’ में कौन-से अलंकार का प्रयोग हुआ है?
(A) अनुप्रास
(B) मानवीकरण
(C) रूपक
(D) श्लेष
उत्तर-
(B) मानवीकरण

प्रश्न 19.
‘झर-झर’ में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताएँ।
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) पुनरुक्ति प्रकाश
(D) उपमा
उत्तर-
(C) पुनरुक्ति प्रकाश

प्रश्न 20.
‘मेघ आए’ कविता में किस संस्कृति का उल्लेख हुआ है?
(A) ग्रामीण
(B) शहरी
(C) पाश्चात्य
(D) सामन्ती
उत्तर-
(A) ग्रामीण

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प्रश्न 21.
कवि ने गाँव में किसके आने का वर्णन किया है?
(A) चाचा
(B) मेहमान (दामाद)
(C) मामा
(D) नाना
उत्तर-
(B) मेहमान (दामाद)

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मेघ आए अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-मेघ = बादल। बन-ठन के = बन-सँवरकर, सज-धजकर। बयार = ठंडी एवं सुगंधित वायु। पाहुन = मेहमान।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौंदर्य लिखें।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में मेघ के आगमन का चित्रण किस रूप में किया गया है ?
(6) गली-गली की खिड़कियाँ क्यों खुलने लगीं ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि ने बादलों के आने का वर्णन करते हुए लिखा है कि आज बादल बहुत ही बन-सँवरकर आए हैं अर्थात आकाश में छाए हुए हैं। बादलों के स्वागत में मानों बादलों के आगे-आगे नाचती-गाती हुई ठंडी एवं सुगंधित वायु चली आ रही है। जिस प्रकार शहरी मेहमान को देखने के लिए लोग खिड़कियाँ व दरवाजे खोल देते हैं, ठीक उसी प्रकार आकाश में बादल छा जाने से लोग बादलों को देखने के लिए घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं। कहने का तात्पर्य है कि बादल छा जाने से वातावरण प्रसन्नतामय बन जाता है।
भावार्थ-इन पंक्तियों में ग्रामीण संस्कृति एवं वहाँ की सद्भावना का सजीव अंकन किया गया है।

(3) (क) कवि ने ग्रामीण संस्कृति एवं सद्भावना का मनोरम चित्रण किया है।
(ख) मेघ व वायु का मानवीकरण किया गया है।
(ग) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(घ) चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) प्रकृति का आलंबन रूप में चित्रण हुआ है।
(च) ‘आगे-आगे’ एवं ‘गली-गली’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(छ) ‘पाहुन ………… शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ज) ‘नाचती-गाती’, ‘बन-ठन’ में अनुप्रास अलंकार है।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भावपूर्ण शैली में नए-नए बादलों के आकाश में छा जाने से वातावरण में उत्पन्न प्रसन्नता का उल्लेख किया है। कवि ने बादलों के सौंदर्य की तुलना नगर से सज-धजकर आए अतिथियों से की है। जिस प्रकार नगर एवं गाँव में अतिथि के पधारने पर वहाँ के लोग प्रसन्न हो जाते हैं और उत्सुकतापूर्वक अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं, उसी प्रकार बादलों के आकाश पर छा जाने पर गली-गली में लोग उन्हें देखने के लिए अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं।

जैसे गाँव के लोग अतिथियों का स्वागत करने के लिए उनके आगे-आगे चलते हैं, वैसे ही बादलों के आने से पूर्व ठंडी एवं सुगंधित वायु बहने लगती है। कवि ने बादलों के सौंदर्य के साथ-साथ ग्रामीण संस्कृति एवं सद्भावना का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में बादलों का चित्रण सज-धजकर आए शहरी मेहमानों के रूप में किया गया है। दोनों में सौंदर्य की समानता के साथ-साथ उनके स्वागत की विधि भी समान है।

(6) कवि ने बताया है कि मेघ व वर्षा के स्वागत तथा आनंद-प्राप्ति के लिए लोगों ने अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल दी थीं।

2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-गरदन उचकाए = गरदन उठाकर । झाँकना = देखना। बाँकी चितवन = तिरछी मनमोहक दृष्टि। ठिठकी = रुकी। यूंघट सरकाना = यूंघट हटाना।

प्रश्न
(1) इस पद्यांश का मुख्य विषय क्या है?
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) पेड़ किस लिए झुक गए?
(4) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) आँधी किसका प्रतीक है वह कैसे दौड़ी?
(6) मेघ किस प्रकार आए?
(7) घाघरा से क्या आशय है?
उत्तर-
(1) इस पद्यांश का मुख्य विषय प्रकृति का चित्रण करना है।

(2) व्याख्या-कवि का कथन है कि जब आकाश में बादल छा गए तो ऐसा लगने लगा कि गाँव के लोगों की भाँति पेड़ गरदन उठाकर तथा कुछ झुक-झुककर बादलों को देखने लगे हों। जिस प्रकार मेहमान के आने की सूचना देने के लिए कोई किशोरी घाघरा सँभालती हुई भागती है; उसी प्रकार धूल-भरी आँधी भी बादलों के आने की सूचना देने के लिए बहने लगी। नदी भी अपने प्रवाह को रोककर मेघों को देखने के लिए कुछ देर के लिए रुकी हुई-सी लगी। उसने अपने मुख से मानों बूंघट सरका दिया हो और वह सजे हुए बादलों को देखने लगी हो जैसे युवतियाँ मेहमान को ठिठककर देखने लगती हैं। मेघ बन-सँवरकर अर्थात नए रूप में आकाश में छा गए हैं।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में आकाश में घटाओं के छा जाने से प्रकृति में हुए परिवर्तन का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया गया है।

(3) पेड़ बादलों को देखने के लिए झुक गए थे।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने दर्शाया है कि जब कोई नगर का व्यक्ति बन-सँवरकर गाँव में मेहमान बनकर आता है तो वहाँ के वातावरण में प्रसन्नता छा जाती है। शहरी मेहमान के गाँव में आने से वहाँ के वातावरण में जैसा परिवर्तन आता है वैसा ही परिवर्तन बादल आ जाने से प्रकृति में भी छा जाता है। गाँव के बूढ़े लोग मेहमान को उचक-उचककर देखते हैं और झुक-झुककर उसका अभिवादन करते हैं। स्त्रियाँ अपना यूँघट सरकाकर उसे तिरछी दृष्टि से देखती हैं।

(5) आँधी किशोरी का प्रतीक है। वह अपना घाघरा सम्भालती हुई दौड़ी।

(6) मेघ बहुत सज-संवर व बन-ठन कर आए।

(7) घाघरा से सतर्क होने का भाव या आशय है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-जुहार = आदर के साथ झुककर नमस्कार करना। बरस = वर्ष । सुधि = याद । लीन्हीं = ली। अकुलाई = व्याकुल। ओट = आड़। किवार = किवाड़, दरवाजा। हरसाया = हर्ष से भरा, प्रसन्नता से युक्त। ताल = तालाब। मेघ = बादल ।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ में प्रिया के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है ?
(6) ‘हरसाया ताल लाया पानी परात भर के’-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि का कथन है कि मेहमान रूपी बादल सज-धज कर आ गए हैं। जिस प्रकार गाँव के बड़े-बूढ़े झुककर मेहमान का स्वागत करते हैं; उसी प्रकार पीपल के पेड़ ने बादलों का स्वागत किया। जिस प्रकार मेहमान की विरहिणी पत्नी किवाड़ की ओट में छिपकर पति को बहुत दिन बाद आने का उपालंभ देती है, उसी प्रकार प्यासी लता ने बादलों को उलाहना देते हुए कहा कि पूरे एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। मेहमान रूपी बादल के आने की प्रसन्नता में तालाब रूपी परिवार का सदस्य पानी की परात भरकर ले आया अर्थात तालाब पानी से लबालब भर गया।
भावार्थ-कवि ने बूढ़े पीपल के मानवीकरण के माध्यम से ग्रामीण अंचल में बड़े-बूढ़ों द्वारा अतिथियों को लगाए जाने वाली जुहार का उल्लेख किया है। लता के माध्यम से पति के वर्ष बाद आने पर पत्नी द्वारा दिए गए उपालंभ का वर्णन किया है।

(3) (क) प्रकृति के संपूर्ण दृश्य का चित्रात्मक शैली में वर्णन किया गया है।
(ख) मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ग) कवि की कल्पना अत्यंत सुंदर एवं सार्थक है।
(घ) ब्रज भाषा के संवाद से विषय आकर्षक बन पड़ा है।
(ङ) ‘बरस बाद’, ‘पानी परात’ प्रयोगों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(च) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने बादल छा जाने से व्याप्त प्रसन्नता का वर्णन किया है। बादल का स्वागत ऐसे किया गया है जैसे गाँव में मेहमान पहुंचने पर उसका स्वागत किया जाता है। पीपल ने सर्वप्रथम आगे बढ़कर झुककर बादल का अभिवादन किया है। पत्नी की भाँति लता ने बादल को उपालंभ देते हुए कहा कि एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। वर्षा होने पर तालाब पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि वह बहुत प्रसन्न है और परात में पानी भर कर लाया हो। कहने का अभिप्राय है कि बादल छा जाने पर सर्वत्र हर्ष का वातावरण बन गया है।

(5) ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ में प्रिया के उपालंभ भाव की अभिव्यक्ति हुई है।

(6) वर्षा होने पर तालाब पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि बादल के आने पर वह तालाब बहुत प्रसन्न हो उठा है और परात भर पानी ले आया है।

4. क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [ पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-क्षितिज = जहाँ आकाश और पृथ्वी मिलते हुए दिखाई देते हैं। अटारी = भवन या महल का ऊपरी भाग। गहराना = छा जाना। दामिनि = बिजली। दमकी = चमकी। गाँठ खुल जाना = भ्रम दूर हो जाना। भरम = संदेह । बाँध = सेतु, पुल । अश्रु = आँसू।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में वर्णित विषय के संदर्भ को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(6) ‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’ पंक्ति के आशय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि ने बताया है कि मेघ क्षितिज रूपी अटारी पर पहुँच गए अर्थात जैसे अतिथि को देखने के लिए लोग अटारी पर जमा हो जाते हैं, वैसे ही बादलों के गहराने से उनमें बिजली चमकने लगती है। प्रकृति के विविध उपादान मानों मेघ से कह रहे हों कि हमें क्षमा करना। हमारे मन में जो भ्रम था कि तुम वर्षा नहीं करोगे, अब वह दूर हो गया है अर्थात वर्षा हो गई है। झर-झर की आवाज करती हुई बूंदें गिरने लगीं। पति-पत्नी के संदर्भ में बहुत दिनों के बाद पति-पत्नी घर की छत पर मिले । गले मिले, शिकवा-शिकायतें की और आपसी भ्रम दूर हो जाने पर पत्नी पति से गले मिलकर रोने लगी। उसकी आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के प्रभाव का सजीव चित्रण किया है।

(3) मेघ आए’ शीर्षक कविता से उद्धृत इन पंक्तियों में कवि ने बादल के बरसने का वर्णन अत्यंत सुंदर कल्पनाओं के माध्यम से किया है। साथ ही कवि ने वर्षा के प्रभाव का उल्लेख भी किया है।

(4) (क) कवि ने वर्षा का वर्णन अत्यंत कलात्मकतापूर्ण किया है।
(ख) नवीन कल्पना-शक्ति का चमत्कार देखते ही बनता है।
(ग) स्वर-मैत्री अलंकार के कारण भाषा में प्रवाह एवं लय का समावेश हुआ है।
(घ) ‘झर-झर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ङ) ‘बन-ठन’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा-शैली चित्रात्मक है।
(छ) शब्द-चयन अत्यंत सार्थक एवं भावानुकूल है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने चित्रात्मक शैली के द्वारा वर्षा के सौंदर्य एवं प्रभाव का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है। कवि ने बताया है कि गाँव के लोगों में अतिथि का सत्कार करने की अत्यधिक लगन होती है। वे अतिथि को देखने के लिए छत पर जमा हो जाते हैं। उनके वस्त्रों व गहनों की चमक-धमक ऐसी लगती है जैसे बादलों में बिजली चमकती है। प्रकृति के विविध अंग मानों कह रहे हों कि हमें क्षमा करना। हमारे मन में जो भ्रम था कि तुम वर्षा नहीं करोगे, अब वह भ्रम समाप्त हो गया। कहने का भाव है कि वर्षा हो गई। वर्षा पड़ने का शोर मच रहा है। दूसरे अर्थ में कहा जा सकता है कि पति-पत्नी के बीच जो भ्रम था, वह समाप्त हो गया और मानों पत्नी पति के गले लगी हो और उसकी आँखों से झर-झर करके अश्रुधारा बह निकली हो। अतः स्पष्ट है कि कवि के वर्षा-वर्णन से संबंधित भाव अत्यंत सुंदर एवं सार्थक बन पड़े हैं।

(6) प्रस्तुत पंक्ति द्विअर्थक है। प्रथम अर्थ है प्रकृति के अन्य उपादान यह समझ रहे थे कि शायद बादल न बरसें, किंतु बादलों के बरस जाने पर उनके मन से भ्रम समाप्त हो गया और अब वे बहुत प्रसन्न हैं। इसी प्रकार पति के घर आने पर पत्नी के मन के सब भ्रम समाप्त हो गए और प्रसन्नचित्त हो पति के गले से लगकर आँसू बहा रही है कि मैंने पति के विषय में कैसी-कैसी धारणाएँ बना ली थीं।

मेघ आए Summary in Hindi

मेघ आए कवि-परिचय

प्रश्न-
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आधुनिक युग के प्रतिभाशाली कवि थे। उनकी कविताओं में सम-सामयिक जीवन की समस्याओं का यथार्थ चित्रण हुआ है। उनका जन्म 15 सितंबर, 1927 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा वहीं पर हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। आरंभ में उन्होंने स्कूल में अध्यापन कार्य किया। इसके पश्चात वे आकाशवाणी में नियुक्त हुए। उन्होंने कुछ समय के लिए ‘दिनमान’ के उप-संपादक का कार्यभार भी सँभाला। उन्होंने ‘पराग’ पत्रिका का संपादन भी बड़ी सफलतापूर्वक किया। 24 सितंबर, 1983 में उनका निधन हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-

  • काव्य-संग्रह ‘काठ की घंटियाँ’, ‘बाँस का पुल’, ‘एक सूनी नाव’, ‘गर्म हवाएँ’, ‘कुआनो नदी’ और ‘जंगल का दर्द’ आदि।
  • उपन्यास-‘उड़े हुए रंग’, ‘सोया हुआ जल’, ‘पागल कुत्तों का मसीहा’ आदि।
  • कहानी-संग्रह ‘अँधेरे पर अँधेरा’ ।
  • नाटक-‘बकरी’, ‘लाख की नाक’ आदि।

3. काव्यगत विशेषताएँ-उनके काव्य में शिल्प-विधान की अपेक्षा विषय वस्तु पर अधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने अपने काव्य में सम-सामयिक जीवन के परिवेश का यथार्थ चित्रण किया है। उनके काव्य में अनुभूतियों की गहराई देखते ही बनती है। यथा

‘कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को,
हर नन्हीं याद को, हर छोटी भूल को,
नये साल की शुभकामनाएँ।’

वे अपने जीवन में आने वाली पराजय और घुटन की अनुभूतियों से निराश होने की अपेक्षा निरंतर प्रेरणा प्राप्त करते रहे। उनके काव्य में नयी कविता का कोरा बुद्धिवाद नहीं है, अपितु हृदय को छूने वाली कोमल भावनाएँ भी हैं। उन्होंने रोमानी वातावरण की कविताओं की रचना भी की है।

4. भाषा-शैली-उनके काव्य की भाषा सर्वत्र सुलभ, स्पष्ट और बोलचाल की है। भाषा प्रसाद गुण संपन्न है। उनके काव्य में तीखे व्यंग्य भी प्रभावशाली बन पड़े हैं। उनकी भाषा में कहीं भी उलझाव प्रतीत नहीं होता। उनकी कल्पना-शक्ति बेजोड़ है। उनकी कविता के बारे में सुमित्रानंदन पंत ने लिखा था वे जन्मजात, अकृत्रिम कवि हैं। नयी कविता की पहचान कराने वाले कवियों में उनका विशेष स्थान है। प्राकृतिक परिवेश का मानवीकरण करने में वे सिद्धहस्त हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

मेघ आए कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘मेघ आए’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए। .
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने आकाश में मेघ के आने का वर्णन गाँव में आए शहरी अतिथि के रूप में किया है। संपूर्ण वर्णन में कवि ने रूपक बाँध दिया है। मेघ आने पर ठंडी वायु बहने लगती है। लोग दरवाजे-खिड़कियाँ खोल देते हैं। पेड़ भी हरे-भरे दिखाई देने लगते हैं। ऐसा लगता है कि मानों वे झुककर मेहमान का आदर कर रहे हों। वर्षा आने पर धूल भरी आँधियाँ समाप्त हो जाती हैं। नदियों व तालाबों में पानी भर जाता है। गरमी के कारण पीपल भी मुरझा गया था, किंतु मेघ आने पर वह भी हरा-भरा होकर आगे बढ़कर मेघ का स्वागत करते हुए उसे उपालंभ देता है कि एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। जिस प्रकार पति-पत्नी में वियोग के कारण भ्रम की गाँठ पड़ जाती है तथा मिलन पर वह गाँठ खुल जाती है और वे गले मिलकर आँसू बहाते हैं, वैसे ही मानों आकाश और पृथ्वी गले मिलते-से प्रतीत होते हैं और वर्षा की बूंदें टप-टप करके गिरने लगती हैं। कवि ने बताया है कि जिस प्रकार गाँव में पाहुन आने पर प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है, उसी प्रकार आकाश में मेघ छा जाने पर चारों ओर खुशी एवं सुख का वातावरण बन जाता है।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

HBSE 9th Class Hindi चंद्र गहना से लौटती बेर Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘इस विजन में ……….. अधिक है’-पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
उत्तर-
इन पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का आक्रोश व्यक्त हुआ है क्योंकि वहाँ के अत्यधिक व्यस्त एवं प्रतियोगितापूर्ण और भौतिकवादिता से युक्त जीवन में प्रेम जैसी कोमल और प्राकृतिक भावनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। दूसरी ओर, ग्रामीण अंचल के एकांत जीवन में प्रेम का संचार पूर्ण रूप से दिखाई देता है। इसलिए कवि का आक्रोश नगरीय संस्कृति व जीवन के प्रति व्यक्त हुआ है।

प्रश्न 2.
सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?
उत्तर-
सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि यह कहना चाहता होगा कि सरसों अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक ऊँची हो गई है। ‘सयानी’ शब्द से एक अर्थ यह भी निकलता है कि वह विवाह के योग्य हो गई है।

प्रश्न 3.
अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अलसी चने के पौधे के पास उगी हुई है और उनसे दूर नहीं होती। इसलिए उसके हठीली होने के भाव को व्यक्त किया गया है। दूसरी ओर, उसने अपने आपको नीले फूलों से सजाया हुआ है और कहती है कि जो उसको स्पर्श करेगा, उसे ही वह अपना हृदय दान में दे देगी अर्थात उससे प्रेम करेगी।

प्रश्न 4.
अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर-
वस्तुतः अलसी चने के पौधों के बिल्कुल पास उगी हुई है। उसके आस-पास चारों ओर चने के पौधे हैं, फिर भी वह अपने स्थान को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए कवि ने उसके लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग किया है।

प्रश्न 5.
‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है?
उत्तर-
कवि ने तालाब के पानी में चमकते हुए सूर्य के प्रतिबिंब को देखकर पानी में ‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ की सूक्ष्म । एवं सजीव कल्पना की है।

प्रश्न 6.
कविता के आधार पर ‘हरे चने’ का सौंदर्य अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर-
कविता में बताया गया है कि चने का पौधा केवल बालिश्त भर ऊँचा है अर्थात उसका कद छोटा है। उसने हरे पत्तों रूपी वस्त्र धारण किए हुए हैं और अपने सिर पर गुलाबी फूलों रूपी मुकुट धारण किया हुआ है। वह एक दुल्हे की भाँति सज-धज कर खड़ा हुआ है।

प्रश्न 7.
कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने कई स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है। सर्वप्रथम कवि ने चने के पौधों का मानवीकरण किया है। तत्पश्चात अलसी को ‘हठीली’ और ‘हृदय का दान करने वाली’ बताकर उसका मानवीकरण किया है। सरसों का ‘सयानी’ व पीले हाथ करना’ आदि के माध्यम से मानवीकरण किया है। तालाब के किनारे रखे पत्थरों को पानी पीते हुए से दिखाकर उनका भी मानवीकरण किया है।

प्रश्न 8.
कविता में से उन पंक्तियों को ढूंढ़िए जिनमें निम्नलिखित भाव व्यंजित हो रहा है
और चारों तरफ सूखी और उजाड़ ज़मीन है लेकिन वहाँ भी तोते का मधुर स्वर मन को स्पंदित कर रहा है।
उत्तर-
बाँझ भूमि पर
इधर-उधर रीवा के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं।
सुन पड़ता है
मीठा-मीठा रस टपकाता
सुग्गे का स्वर
टें टें टें टें;
सुन पड़ता है
वनस्थली का हृदय चीरता,

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 9.
‘और सरसों की न पूछो’-इस उक्ति में बात को कहने का एक खास अंदाज़ है। हम इस प्रकार की शैली का प्रयोग कब और क्यों करते हैं?
उत्तर-
और सरसों की न पूछो’ जैसी शैली का प्रयोग हम वहाँ करते हैं, जहाँ कोई व्यक्ति आशा से अधिक कार्य करता हो, जैसे रमेश की तो बात मत कीजिए, वह तो आजकल बहुत बड़ा अफसर बना हुआ है। बुरे अर्थ में भी इस शैली का प्रयोग किया जाता है। मोहन की क्या बात बताऊँ, उसने कुल की नाक कटवा दी।

प्रश्न 10.
काले माथे और सफेद पंखों वाली चिड़िया आपकी दृष्टि में किस प्रकार के व्यक्तित्व का प्रतीक हो सकती है?
उत्तर-
काले माथे और सफेद पंखों वाली चिड़िया एक चालाक एवं चतुर व्यक्तित्व की प्रतीक हो सकती है, जो अवसर मिलते ही अपना वार कर देते हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11.
बीते के बराबर, ठिगना, मुरैठा आदि सामान्य बोलचाल के शब्द हैं, लेकिन कविता में इन्हीं से सौंदर्य उभरा है और कविता सहज बन पड़ी है। कविता में आए ऐसे ही अन्य शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर-
देह, सिर पर चढ़ाना, सयानी, पोखर, चटुल आदि।

प्रश्न 12.
कविता को पढ़ते समय कुछ मुहावरे मानस पटल पर उभर आते हैं, उन्हें लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है।

पाठेतर सक्रियता

प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

देहात का दृश्य

अरहर कल्लों से भरी हुई फलियों से झुकती जाती है,
उस शोभासागर में कमला ही कमला बस लहराती है।
सरसों दानों की लड़ियों से दोहरी-सी होती जाती है,
भूषण का भार सँभाल नहीं सकती है कटि बलखाती है।
है चोटी उस की हिरनखुरी के फूलों से गुंथ कर सुंदर,
अन-आमंत्रित आ पोलंगा है इंगित करता हिल-हिल कर।
हैं मसें भीगती गेहूँ की तरुणाई फूटी आती है,
यौवन में माती मटरबेलि अलियों से आँख लड़ाती है।
लोने-लोने वे घने चने क्या बने-बने इठलाते हैं,
हौले-हौले होली गा-गा धुंघरू पर ताल बजाते हैं।
हैं जलाशयों के ढालू भीटों पर शोभित तृण शालाएँ,
जिन में तप करती कनक वरण हो जाग बेलि-अहिबालाएँ।
हैं कंद धरा में दाब कोष ऊपर तक्षक बन झूम रहे,
अलसी के नील गगन में मधुकर दृग-तारों से घूम रहे।
मेथी में थी जो विचर रही तितली सो सोए में सोई,
उसकी सुगंध-मादकता में सुध-बुध खो देते सब कोई।

प्रश्न
(1) इस कविता के मुख्य भाव को अपने शब्दों में लिखिए।
(2) इन पंक्तियों में कवि ने किस-किसका मानवीकरण किया है ?
(3) इस कविता को पढ़कर आपको किस मौसम का स्मरण हो आता है ?
(4) मधुकर और तितली अपनी सुध-बुध कहाँ और क्यों खो बैठे ?
उत्तर-
(1) प्रस्तुत कविता का मुख्य भाव बसंतकालीन खेत-खलिहानों की प्रकृति का चित्रण करना है। कवि ने अरहर और सरसों की फलियों का सुंदर चित्रण किया है। गेहूँ में फूटती हुई बालियों की तुलना फूटती तरुणाई से की है। मटर की बेलों और हरे-हरे चने का मानवीकरण करके उनके सौंदर्य का मनोहारी वर्णन किया है। तालाब के ऊँचे-ऊँचे किनारों पर उगी हुई घास और सोने के समान चमकने वाली लताओं का वर्णन भी मनमोहक बन पड़ा है। कवि ने अलसी और मेथी के फूल का वर्णन भी किया है, जिनकी सुगंध के कारण तितली और भौंरें मदमस्त हो जाते हैं।

(2) इन पंक्तियों में कवि ने अरहर, सरसों, पोलंगा, गेहूँ, मटर बेली, चने आदि का मानवीकरण किया है।

(3) इस कविता को पढ़कर हमें बसंत के मौसम का स्मरण हो आता है।

(4) मधुकर और तितली अपनी सुध-बुध अलसी और मेथी के फूल की सुगंध में खो बैठते हैं।

HBSE 9th Class Hindi चंद्र गहना से लौटती बेर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट करें।
अथवा
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ शीर्षक कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
चंद्र गहना से लौटती बेर’ शीर्षक कविता एक सोद्देश्य रचना है। इस कविता में ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक छटा का उल्लेख करना ही प्रमुख लक्ष्य है। कविता संपूर्ण रूप से ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक सुषमा पर केंद्रित है। कवि चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा था। लौटते समय कवि का मन गाँव के खेत में खड़ी फसल में रम जाता है। कवि की पैनी दृष्टि वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता को पहचानने में देर नहीं लगाती। कवि बताता है कि उसने चने के खेत देखे। उसमें बलिश्त भर का चने का पौधा गुलाबी फूलों से लदा हुआ था। उसके बीच-बीच में अलसी के पौधे उगे हुए थे। उस पर नीले रंग के फूल खिले हुए थे। गुलाबी, नीले और हरे रंग के एक साथ होने से दृश्य अत्यन्त मनोरम बना हुआ था। इन अनुपम दृश्य को उजागर करना ही कवि का लक्ष्य रहा है। गेहूँ के खेत में सरसों उगी हुई थी और उस पर पीले फूल लगे हुए थे। उसे देखकर कवि के जहन में विवाह मंडप की कल्पना उभर आती है।

उसे लगा कि सरसों मानो अपने हाथ पीले करके मंडप में आ गई हो। इसी प्रकार कवि ने फागुन के महीने में प्रकृति पर यौवन के आने की ओर संकेत किया है। गाँव के तालाब के आस-पास के एकांत एवं शांत वातावरण को शब्दों में सजीवतापूर्वक अंकित करना भी कविता का लक्ष्य है। विभिन्न पक्षियों की ध्वनियों को ध्वन्यात्मक शब्दों में ढालकर एक मधुर वातावरण का निर्माण किया गया है। गाँव से थोड़ी दूरी पर रेत के बड़े-बड़े टीले थे, वहाँ का वातावरण पूर्णतः शून्यता से परिपूर्ण था। उन टीलों के बीच से रेल की पटरी गुजर रही थी। जब रेल वहाँ से गुजरती होगी तो वातावरण की एकांतता को तोड़कर एक अनोखी हलचल मचा देती होगी। अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रस्तुत कविता का मूल भाव प्रकृति की छटा का वर्णन करना है। कवि अपने इस लक्ष्य में पूर्णतः सफल रहा है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

प्रश्न 2.
निम्नांकित काव्य-पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
और सरसों की न पूछो
हो गई सबसे सयानी,
हाथ पीले कर लिए हैं
व्याह-मंडप में पधारी ।
फाग गाता मास फागुन
आ गया है आज जैसे।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि ने सरसों के विकास और उस पर फूल लग जाने के कारण उसमें उत्पन्न प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण किया है। कवि उसका मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि वह ‘सयानी’ अर्थात युवती बन गई है और वह अपना शृंगार करके मानों विवाह के मंडप पर आ गई है। कवि ने फागुन मास को फाग गीत गाने वाला बताकर फागुन मास के आने की सूचना भी दी है। कहने का भाव है कि प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में फागुन मास के आने पर सरसों के फूलने का सुंदर वर्णन किया है।

प्रश्न 3.
पठित कविता के आधार पर केदारनाथ अग्रवाल की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
केदारनाथ अग्रवाल की काव्य-भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है। उनकी छोटी-छोटी कविताएँ बिंबों की ताजगी के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी काव्य-भाषा शुद्ध, साहित्यिक एवं व्याकरण-सम्मत है। अनेक कविताओं में उनकी भाषा गद्यमय बन गई है, किंतु उसमें लय एवं प्रवाह सर्वत्र बना हुआ है। उन्होंने तत्सम शब्दों के साथ-साथ पोखर, मुरैठा, ठिगना, चटुल आदि लोकभाषा के शब्दों का भी प्रयोग किया है। लोक-प्रचलित मुहावरों का प्रयोग करके भाषा को सारगर्भित भी बनाया है। उनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है कि वह जीवन से उपजी हुई भाषा है और जीवन की रागात्मकता से जुड़ी रहती है। अनेक स्थलों में श्री केदारनाथ अग्रवाल ने अंग्रेज़ी व उर्दू-फारसी के शब्दों का भी प्रयोग किया है। अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि केदारनाथ अग्रवाल की काव्य-भाषा सरल, सहज एवं शुद्ध साहित्यिक भाषा है, जिसमें भावों को अभिव्यक्त करने की सहज क्षमता है। गंभीर-से-गंभीर भाव को सरल भाषा में व्यक्त करने की कला में अग्रवाल जी निपुण हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ शीर्षक कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) सुमित्रानंदन पंत
(B) केदारनाथ अग्रवाल
(C) राजेश जोशी
(D) चंद्रकांत देवताले
उत्तर-
(B) केदारनाथ अग्रवाल

प्रश्न 2.
कवि कहाँ से लौट रहा था?
(A) दिल्ली से
(B) नैनीताल से
(C) चंद्र गहना से
(D) बनारस से
उत्तर-
(C) चंद्र गहना से

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

प्रश्न 3.
कवि कहाँ अकेला बैठकर प्राकृतिक दृश्य देख रहा था?
(A) रेल की पटरी पर .
(B) सड़क पर
(C) सागर तट पर
(D) खेत की मेड़ पर
उत्तर-
(D) खेत की मेड़ पर

प्रश्न 4.
कवि ने ‘ठिगना’ किसे कहा है?
(A) चने के पौधे को ।
(B) गेहूँ के पौधे को
(C) आम के पेड़ को
(D) सरसों के पौधे को
उत्तर-
(A) चने के पौधे को

प्रश्न 5.
चने के पौधे ने किस रंग का मुरैठा सिर पर बाँधा हुआ था?
(A) लाल
(B) गुलाबी
(C) काला
(D) पीला
उत्तर-
(B) गुलाबी

प्रश्न 6.
खेत में चने के साथ मिलकर कौन-सा पौधा उगा हुआ था?
(A) गेहूँ का
(B) अलसी का
(C) मेथी का
(D) जौ का
उत्तर-
(B), अलसी का

प्रश्न 7.
अलसी के पौधे पर किस रंग के फूल खिले हुए थे?
(A) लाल
(B) पीले
(C) सफेद
(D) नीले
उत्तर-
(D) नीले

प्रश्न 8.
कवि ने सरसों की किस विशेषता को देखकर उसे सयानी कहा है?
(A) रंग को देखकर
(B) हिलने-डुलने को देखकर
(C) लंबाई को देखकर
(D) उसकी मजबूती को देखकर
उत्तर-
(C) लंबाई को देखकर

प्रश्न 9.
‘पोखर’ का अर्थ है-
(A) नदी
(B) सागर
(C) बादल
(D) तालाब
उत्तर-
(D) तालाब

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

प्रश्न 10.
कवि ने चाँदी के समान चमकता हुआ गोल खंभा किसे कहा है?
(A) तालाब में खड़े खंभे को
(B) तालाब में उगी घास को
(C) तालाब में सूर्य के प्रतिबिंब को
(D) चाँद के प्रतिबिंब को
उत्तर-
(C) तालाब में सूर्य के प्रतिबिंब को

प्रश्न 11.
तालाब में चुपचाप कौन-सा पक्षी खड़ा हुआ है?
(A) कौआ
(B) चिड़िया
(C) कबूतर
(D) बगुला
उत्तर-
(D) बगुला

प्रश्न 12.
बगुला पानी में से क्या पकड़कर खाता है?
(A) मेंढक
(B) मछली
(C) जोंक
(D) साँप
उत्तर-
(B) मछली

प्रश्न 13.
कौन-सी चिड़िया पानी में डुबकी लगाकर मछली पकड़कर खाती है?
(A) काले माथे वाली
(B) लाल पंखों वाली
(C) लंबी पूँछ वाली
(D) छोटे शरीर वाली
उत्तर-
(A) काले माथे वाली

प्रश्न 14.
कवि ने चित्रकूट की पहाड़ियों के आकार के विषय में क्या कहा है?
(A) चौड़ी और कम ऊँची
(B) बहुत ऊँची
(C) बर्फीली
(D) हरी-भरी
उत्तर-
(A) चौड़ी और कम ऊँची

प्रश्न 15.
चित्रकूट की पहाड़ियों पर कौन-सा वृक्ष उगा हुआ था?
(A) शीशम
(B) नीम
(C) रीबा
(D) आम
उत्तर-
(C) रीबा

प्रश्न 16.
कवि को किस पक्षी का मीठा स्वर सुनाई पड़ रहा था?
(A) सुग्गे का
(B) कोयल का
(C) मोर का
(D) कबूतर का
उत्तर-
(A) सुग्गें का

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

प्रश्न 17.
किस पक्षी का स्वर वनस्थली का हृदय चीरता हुआ प्रतीत होता था?
(A) जंगली मुर्गे का
(B) मोर का
(C) सारस का
(D) कोयल का
उत्तर-
(C) सारस का

प्रश्न 18.
कवि का मन क्या करना चाहता है?
(A) सारस के संग उड़ना
(B) गीत गाना
(C) तालाब में नहाना
(D) जंगल में घूमना
उत्तर-
(A) सारस के संग उड़ना

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

चंद्र गहना से लौटती बेर अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. देख आया चंद्र गहना।
देखता हूँ दृश्य अब मैं
मेड़ पर इस खेत की बैठा अकेला।
एक बीते के बराबर
यह हरा ठिगना चना,
बाँधे मरैठा शीश पर
छोटे गुलाबी फूल का,
सज कर खड़ा है।
पास ही मिल कर उगी है
बीच में अलसी हठीली
देह की पतली, कमर की है लचीली,
नील फूले फूल को सिर पर चढ़ा कर
कह रही है, जो छुए यह
दूँ हृदय का दान उसको। [पृष्ठ 119-120]

शब्दार्थ-दृश्य = नजारा। मेड़ = किनारा। बीते के बराबर = एक बालिश्त के बराबर। ठिगना = छोटे कद वाला। मुरैठा = साफा, पगड़ी। हठीली = जिद्दी। देह = शरीर।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत कवितांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में किन-किन फसलों का वर्णन किया गया है?
(6) चने के पौधे के रूप-सौंदर्य को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री केदारनाथ अग्रवाल। कविता-चंद्र गहना से लौटती बेर।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि ने किसान के खेतों में खड़ी फसल की साधारण सुंदरता में असाधारण सौंदर्य की सृजनात्मक कल्पना की है। कवि कहता है कि वह चंद्र गहना को देख आया है। अब वह खेत की मेड़ (किनारे) पर अकेला बैठा हुआ है और खेत को अत्यंत तन्मयता से देख रहा है। उसने खेत में एक बालिश्त के बराबर खड़े चने के एक छोटे-से हरे पौधे को देखा जिस पर छोटे-छोटे गुलाबी फूल खिले हुए हैं। ऐसा लगता है कि वह छोटा-सा चने का पौधा अपने सिर पर गुलाबी रंग के फूलों का साफा बाँधे हुए है और पूर्णतः सज-धजकर खड़ा है। वहाँ चने के खेत में पास ही अलसी के पौधे भी उगे हुए हैं। उन्हें देखकर कवि ने कहा है कि चने के बीच में जिद्दी अलसी भी खड़ी हुई थी। उसका शरीर पतला और कमर लचकदार है। उस पर अनेक नीले रंग के फूल खिले हुए हैं। वह नीले फूलों को अपने सिर पर चढ़ाकर कहती है कि जो मुझे स्पर्श करेगा, मैं उसे अपने हृदय का दान दूंगी।

भावार्थ-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक छटा का अनुपम चित्रण किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में प्रकृति के सुंदर दृश्यों को सजीवता के साथ प्रस्तुत किया गया है।
(ख) चने और अलसी के पौधों का मानवीकरण करके कवि ने अत्यंत सजीव एवं सार्थक कल्पना की है।
(ग) भाषा अत्यंत सरल एवं स्वाभाविक है।
(घ) ‘अलसी’ को हठीली कहकर ऐसे लोगों की प्रवृत्ति को उजागर किया गया है।
(ङ) मानवीकरण अलंकार है।
(च) ‘बीते के बराबर’, ‘फूले फूल’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(छ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

(4) प्रस्तुत कविता में कवि ने खेतों में खड़ी फसल के सौंदर्य का भावपूर्ण चित्रण किया है। कवि के मन में इस औद्योगिक एवं प्रगति के युग में भी प्रकृति के नैसर्गिक रूप-सौंदर्य के प्रति लगाव शेष है। उसी कारण वह मार्ग में रुककर चने के पौधे और अलसी के फूलों एवं उनके परिवेश के सौंदर्य का आत्मीयतापूर्ण चित्रण करता है। उसने चने के पौधे का एक सजे हुए व्यक्ति के रूप में चित्रण किया है। उसी प्रकार अलसी को हठीली कहकर उसके स्वभाव को अंकित किया है। उसको पतली एवं उसकी कमर को लचीली कहकर उसके बाह्य सौंदर्य की अभिव्यक्ति की है। अतः स्पष्ट है कि प्रकृति का यह संपूर्ण चित्रण अत्यंत सजीव एवं आकर्षक है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने चने एवं अलसी की फसलों का वर्णन किया है।

(6) कवि ने चने के पौधे का रूप चित्रण करने हेतु एक सजे हुए राजकुमार या युवक की कल्पना की है। चने ने हरे पत्तों रूपी वस्त्र धारण किए हुए हैं और गुलाबी फूलों रूपी साफा बाँधा हुआ है। उसके वस्त्र एवं साफे के रंगों की सुंदरता देखने वालों के मन को आकृष्ट कर लेती है।

2. और सरसों की न पूछो
हो गई सबसे सयानी,
हाथ पीले कर लिए हैं
ब्याह-मंडप में पधारी
फाग गाता मास फागुन
आ गया है आज जैसे।
देखता हूँ मैं : स्वयंवर हो रहा है,
प्रकृति का अनुराग-अंचल हिल रहा है
इस विजन में,
दूर व्यापारिक नगर से
प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है। [पृष्ठ 120]

शब्दार्थ-पधारी = पहुँची। अनुराग-अंचल = प्रेममय वस्त्र। विजन = एकांत।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि के अनुसार सरसों ने हाथ पीले क्यों किए हैं?
(6) कवि ने प्रेम की प्रिय भूमि किसे कहा है और क्यों ?

उत्तर-
(1) कवि श्री केदारनाथ अग्रवाल। कविता-चंद्र गहना से लौटती बेर।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करते हए लिखा है कि खेतों में उगी सरसों की बात मत पूछिए। वह सबसे सयानी हो गई है अर्थात अन्य फसलों की अपेक्षा उसकी ऊँचाई सबसे अधिक है। वह देखने में दूसरों से बड़ी लगती है। इतना ही नहीं, उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं अर्थात उस पर पीले रंग के फूल खिल गए हैं। ऐसा लगता है कि मानों वह ब्याह के मंडप पर पधार गई है तथा फागुन मास भी वहाँ फाग के गीत गाता हुआ पधार गया है। कहने का भाव है कि फागुन मास में सरसों के पीले फूल खिल जाते हैं और लोग फाग के गीत गाने लगते हैं। कवि पुनः कहता है कि मुझे यह प्राकृतिक दृश्य देखकर लगता है कि मानों यहाँ किसी स्वयंवर की रचना की गई हो। यहाँ एकांत वातावरण है और प्रकृति का प्रेममय आँचल हिल रहा है अर्थात चारों ओर प्राकृतिक प्रेम का वातावरण छाया हुआ है। व्यापारिक केंद्रों अर्थात बड़े-बड़े नगरों से दूर ग्रामीण अंचल की प्रेम की प्रिय भूमि अधिक उपजाऊ है अर्थात नगरों की अपेक्षा गाँवों के लोगों के हृदयों में प्रेम की भावना अधिक है।

भावार्थ – इन पंक्तियों मे कवि ने ग्रामीण अंचल की प्रकृति का मनोरम वर्णन किया है। सरसों के मानवीकरण के कारण वर्ण्य-विषय अत्यन्त रोचक बन पड़ा है।

(3) (क) संपूर्ण काव्यांश में प्रकृति की अनुपम छटा का भावपूर्ण चित्रण किया गया है।
(ख) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ग) सरसों पर मानवीय गतिविधियों के आरोप के कारण मानवीकरण अलंकार है।
(घ) ‘प्रकृति ……….. रहा है’ में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।
(च) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण वर्ण्य-विषय सरल एवं सहज रूप में वर्णित है।
(छ) ‘अनुराग-अंचल’, ‘प्रेम की प्रिय’ में अनुप्रास अलंकार है।

(4) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल में फैली प्राकृतिक छटा का वर्णन किया है। कवि ने सरसों का मानवीकरण करते हुए उसके अनुपम सौंदर्य का सजीव वर्णन किया है। कवि द्वारा सरसों के पौधे की ऊँचाई देखकर उसको सयानी कहना उचित है। उस पर लदे हुए पीले फूलों को देखकर हाथ पीले करना कहना भी सार्थक है। सरसों के पौधों के आसपास अन्य फसलों के पौधे भी उगे हुए हैं। इसलिए कवि ने उस दृश्य की ब्याह के मंडप से तुलना की है। फागुन मास में गाए जाने वाले गीतों की ध्वनि को सुनकर कवि को फाग गाता हुआ-सा प्रतीत हुआ है। कवि ने प्रकृति के इस दृश्य को स्वयंवर कहा है, जो उचित है। कवि को वहाँ की प्रकृति का पूर्ण अंचल अनुरागमय लगता है। कवि का मत है कि व्यापारिक केंद्रों अर्थात बड़े-बड़े नगरों से दूर एकांत में अर्थात ग्रामीण अंचल की प्रेम की प्रिय यह भूमि अधिक उपजाऊ है। कहने का भाव है कि नगरों की अपेक्षा गाँवों के लोगों के मन में प्रेम की भावना अधिक होती है।

(5) कवि के अनुसार हाथ पीले कर लिए से तात्पर्य है कि सरसों की फसल काफी ऊँची हो गई है और उस पर पीले फूल लद गए हैं। इसलिए वह ऐसी लगती है कि मानो उसने अपने हाथ पीले कर लिए हों।

(6) कवि ने ग्रामीण अंचल की भूमि को प्रेम की प्रिय इसलिए कहा है, क्योंकि वहाँ के लोगों के मन में आपसी प्रेम की भावना अधिक होती है। नगरों के लोगों की भाँति उनमें होड़ व प्रतियोगिता से उत्पन्न घृणा व द्वेष भाव नहीं हैं।

3. और पैरों के तले है एक पोखर,
उठ रहीं इसमें लहरियाँ,
नील तल में जो उगी है घास भूरी
ले रही वह भी लहरियाँ।
एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा
आँख को है चकमकाता।
हैं कई पत्थर किनारे
पी रहे चुपचाप पानी,
प्यास जाने कब बुझेगी।
चुप खड़ा बगुला डुबाए टाँग जल में,
देखते ही मीन चंचल
ध्यान-निद्रा त्यागता है,
चट दबा कर चोंच में
नीचे गले के डालता है!
एक काले माथ वाली चतुर चिड़िया
श्वेत पंखों के झपाटे मार फौरन
टूट पड़ती है भरे जल के हृदय पर,
एक उजली चटुल मछली
चोंच पीली में दबा कर
दूर उड़ती है गगन में! [पृष्ठ 120-121]

शब्दार्थ-पोखर = छोटा तालाब। नील तल = नीली सतह। आँख को चकमकाता = आँख में चमक लगना। मीन = मछली। ध्यान-निद्रा = ध्यान-मग्न। श्वेत = सफेद। टूट पड़ना = आक्रमण करना। चटुल = चंचल।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में वर्णित विषय के संदर्भ को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पंद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(6) प्रस्तुत पद्यांश में वर्णित तालाब की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-
(1) कवि-श्री केदारनाथ अग्रवाल। कविता-चंद्र गहना से लौटती बेर।।

(2) व्याख्या-कवि ने गाँव के छोटे तालाब का वर्णन करते हुए कहा है कि गाँव के अत्यंत समीप ही एक छोटा-सा तालाब है। उसमें छोटी-छोटी लहरें उठ रही हैं। पानी की सतह पर भूरे रंग की घास उगी हुई है। वह भी पानी की लहरों के साथ-साथ हिल रही है। पानी में सूर्य का पड़ता हुआ प्रतिबिंब चाँदी के बड़े-से गोल खंभे के समान लग रहा था। उसे देखकर आँखें धुंधिया रही हैं। उस तालाब के किनारे पर कई पत्थर रखे हुए हैं। ऐसा लगता है कि मानों वे चुपचाप पानी पी रहे हों। न जाने उनकी प्यास कब बुझेगी? उस तालाब में एक बगुला पानी में अपनी टाँग डुबोए हुए चुपचाप खड़ा हुआ है। किंतु किसी चंचल मछली को पानी में तैरते देखकर वह अपनी ध्यान निद्रा का एकाएक त्याग कर देता है और तुरंत मछली को पकड़कर खा जाता है।

वहाँ पर एक काले माथे वाली चतुर एवं चालाक चिड़िया भी उड़ रही है। वह अपने सफेद पंखों की सहायता से झपटा मारकर तुरंत जल की गहराई में डुबकी लगाकर एक सफेद रंग की चंचल व तेज तैरने वाली मछली को अपनी पीली चोंच में दबाकर दूर आकाश में उड़ जाती है।

भावार्थ-इस पद्यांश में कवि ने गाँव के तालाब और उसके आस-पास की प्राकृतिक छटा एवं एकांत वातावरण का सजीव चित्रण किया है।

(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल की सुप्रसिद्ध कविता ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ से उद्धत हैं। कवि चंद्र गहना से लौट रहा था। मार्ग में उसने ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक छटा को देखा। उसके प्रति कवि का मन सहज ही आकृष्ट हो उठा। उसी आकर्षण के भाव में उसने वहाँ के प्राकृतिक जीवन, खेत-खलिहान व आस-पास की अन्य वस्तुओं का वर्णन किया। इन पंक्तियों में गाँव के छोटे-से तालाब के दृश्य का अत्यंत मनोरम चित्र अंकित किया गया है।

(4) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने ग्रामीण क्षेत्र की प्रकृति व वहाँ के वातावरण का सजीव चित्रण किया है।
(ख) सरल, सहज एवं स्वाभाविक भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ग) कवि ने पोखर, बगुला और चतुर चिड़िया ये तीन अलग-अलग दृश्य-चित्रों के माध्यम से वहाँ के प्राकृतिक वातावरण का सजीव चित्रण किया है।
(घ) पत्थरों का मानवीकरण किया गया है।
(ङ) ‘नील तल’, ‘चतुर चिड़िया’ आदि में अनुप्रास अलंकार है।
(च) ‘एक चाँदी ……….. खंभा’ में रूपक अलंकार है।
(छ) ‘झपाटे मारना’, ‘टूट पड़ना’ आदि मुहावरों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ज) तत्सम शब्दों के साथ उर्दू भाषा के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है।

(5) प्रस्तुत कविता में कवि ने ग्रामीण अंचल के प्राकृतिक सौंदर्य को अत्यंत भावपूर्ण शैली में चित्रित किया है। कवि ने तालाब में उठती छोटी-छोटी लहरों तथा उसमें उगे घास का सुंदर चित्रण किया है। पानी पर पड़ती सूर्य की किरणों की चमक के दृश्य को भी कवि ने अत्यंत मनोरम रूप में अभिव्यक्त किया है। कवि ने तालाब के किनारे पड़े पत्थरों का मानवीकरण करके वहाँ के दृश्य को और भी सजीव बना दिया है। तालाब के पानी में खड़े बगुले द्वारा पानी में तैरती हुई मछली को देखकर अपनी दिखावटी ध्यान-मग्नता को त्याग कर मछली पकड़कर निगल जाने का दृश्य भी अत्यंत मनोरम बन पड़ा है। इसी प्रकार चतुर चिड़िया के द्वारा पानी में डुबकी लगाकर चंचल मछली को मुख में दबाकर आकाश में उड़ने का वर्णन भी अत्यंत मनोरम बन पड़ा है। अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रस्तुत काव्यांश में प्राकृतिक सौंदर्य के विभिन्न रूपों को अत्यंत सजीवता से चित्रित किया गया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

(6) प्रस्तुत कवितांश में चित्रित तालाब एक छोटा-सा तालाब है। उसका तल कच्चा है। उसमें घास उगी हुई है। उसके जल में छोटी-छोटी लहरें उठ रही हैं। सूर्य की किरणों के पड़ने के कारण उसका जल चाँदी की भाँति चमक रहा है। वहाँ तरह-तरह के पक्षी अपनी स्वाभाविक क्रियाएँ कर रहे हैं।

4. औ’ यहीं से
भूमि ऊँची है जहाँ से-
रेल की पटरी गई है।
ट्रेन का टाइम नहीं है।
मैं यहाँ स्वच्छंद हूँ,
जाना नहीं है।
चित्रकूट की अनगढ़ चौड़ी
कम ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ
दूर दिशाओं तक फैली हैं।
बाँझ भूमि पर
इधर-उधर रीवा के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं। [पृष्ठ 121]

शब्दार्थ-ट्रेन = गाड़ी। टाइम = समय। स्वच्छंद = स्वतंत्र। अनगढ़ = टेढ़ी-मेढ़ी। रीवा = एक पेड़ का नाम । कुरूप = बुरे या भद्दे रूप वाले।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य अपने शब्दों में लिखिए।
(4) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) ‘मैं यहाँ स्वच्छंद हूँ’ वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
(6) चित्रकूट के आस-पास फैली हुई भूमि के विषय में कवि ने क्या बताया है?
उत्तर-

(1) कवि-श्री केदारनाथ अग्रवाल। कविता-चंद्र गहना से लौटती बेर।

(2) व्याख्या कवि का कथन है कि जहाँ वह खड़ा है, वहाँ की भूमि ऊँची है और वहीं पर रेल की पटरी बिछी हुई है। इस समय किसी भी रेलगाड़ी के आने का समय नहीं है। कवि को कहीं नहीं जाना है। इसलिए कवि अपने-आपको स्वतंत्र अनुभव करता है। कवि जहाँ खड़ा है, वहाँ से उसे चित्रकूट की टेढ़ी-मेढ़ी, चौड़ी-चौड़ी और कम ऊँचाई तक फैली हुई पहाड़ियाँ दिखाई दे रही हैं। इन पहाड़ियों के आस-पास की भूमि बंजर है। उस भूमि पर इधर-उधर कुछ रीवा के काँटेदार और कुरूप पेड़ खड़े हैं।

भावार्थ-इन पंक्तियों में ग्रामीण क्षेत्र के शांत एवं एकांत वातावरण का सजीव चित्रण किया गया है।

(3) (क) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ख) भाषा गद्यमय होती हुई भी लययुक्त है।
(ग) ट्रेन एवं टाइम अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया गया है।
(घ) ‘काँटेदार कुरूप’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ङ) ‘ऊँची-ऊँची’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने चित्रकूट के आस-पास की पहाड़ियों व ऊबड़-खाबड़ और बंजर भूमि का वर्णन किया है। कवि ने वहाँ से जाने वाली रेल की पटरी का वर्णन किया है। पर रेल के जाने का अभी समय नहीं हुआ है। इसलिए कवि कुछ समय के लिए अपने-आपको हर प्रकार की चिंताओं से मुक्त पाता है। कवि ने चित्रकूट की समीपवर्ती पहाड़ियों और उनके आस-पास की बंजर भूमि का भी उल्लेख किया है। कवि ने इस दृश्य के वर्णन के माध्यम से जहाँ एक ओर वहाँ की प्रकृति का वर्णन किया है तो वहीं दूसरी ओर वहाँ के लोगों के जीवन की भी अप्रत्यक्ष रूप से झलक प्रस्तुत की है।।

(5) ‘मैं यहाँ स्वच्छंद हूँ’ प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि ने बताया है कि गाड़ी के आने का समय नहीं है अर्थात वहाँ बड़े-बड़े नगरों की भाँति गाड़ियों का अत्यधिक आना-जाना नहीं है। इसलिए कवि को कहीं नहीं जाना है और वह अपने-आपको स्वच्छंद अनुभव करता है।

(6) चित्रकूट के आस-पास फैली हुई भूमि पर छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं, जिन पर वृक्ष या अन्य पौधे नहीं हैं। वहाँ केवल रीवा . के काँटेदार और कुरूप वृक्ष ही इधर-उधर खड़े हैं।

5. सुन पड़ता है
मीठा-मीठा रस टपकाता
सुग्गे का स्वर
टें टें टें टें
सुन पड़ता है
वनस्थली का हृदय चीरता,
उठता-गिरता,
सारस का स्वर
टिरटों टिरटों;
मन होता है
उड़ जाऊँ मैं
पर फैलाए सारस के संग
जहाँ जुगुल जोड़ी रहती है
हरे खेत में,
सच्ची प्रेम कहानी सुन लूँ
चुप्पे-चुप्पे। [पृष्ठ 121-122]

शब्दार्थ-रस टपकाता = आनंद प्रदान करता। सुग्गा = तोता। वनस्थली = जंगल। जुगल = दो जोड़ी।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
(5) इस पद्यांश में कवि ने किन दो प्रकार के पक्षियों का वर्णन किया है ?
(6) कवि का मन कहाँ और क्यों उड़ जाना चाहता है ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री केदारनाथ अग्रवाल। कविता-चंद्र गहना से लौटती बेर।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने चंद्र गहना से लौटते समय मार्ग में आने वाले प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया है। इन पंक्तियों में कवि ने जंगल में बोलते हुए सुग्गे की मधुर ध्वनि का वर्णन किया है। कवि को सुग्गे की ध्वनि में मीठा-मीठा रस अनुभव होता है। साथ ही उसे सुग्गे की ध्वनि जंगल के हृदय को चीरती हुई-सी प्रतीत हुई अर्थात जंगल में व्याप्त एकांत सुग्गे की ध्वनि से भंग हो रहा था। कवि सारस की ‘टिरटों टिरटों’ ध्वनि को सुनकर भी अत्यधिक प्रभावित हो उठता है। इसलिए कवि कहता है कि मेरा मन होता है कि मैं भी पंख फैलाकर उड़ते हुए सारस युगल के साथ ही वहाँ चला जाऊँ जहाँ हरे खेत में सारस की जोड़ी रहती है। वहाँ उनके सच्चे प्रेम की कहानी को चुपके-चुपके सुन लूँ।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने पक्षियों की ध्वनियों का वर्णन करते हुए ध्वन्यात्मकता का सुंदर उल्लेख किया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर

(3) (क) संपूर्ण पद में सरल, सहज एवं गद्यात्मक भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
(ग) 2 2 2 टें तथा टिरटों, टिरटों प्रयोगों में ध्वन्यात्मकता द्रष्टव्य है।
(घ) ‘मीठा-मीठा’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ङ) ‘सारस का स्वर’, ‘सारस के संग’ ‘जहाँ जुगुल जोड़ी’ आदि में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा गद्यात्मक होते हुए भी लययुक्त है।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अत्यंत भावात्मक शैली में जंगल के एकांतमय वातावरण एवं सुग्गे व सारस आदि पक्षियों की मधुर ध्वनियों का उल्लेख किया है। सुग्गे की टें 2 की ध्वनि को सुनकर जहाँ सुख व आनंद की अनुभूति होती है, वहीं वे ध्वनियाँ जंगल के एकांत वातावरण को भंग करती हुई लगती हैं। कवि ने सारस के मधुर स्वर के साथ-साथ सारस की जोड़ी की प्रेम कहानी का वर्णन लोक-प्रचलित विश्वास के अनुकूल किया है अर्थात लोक-जीवन में सारस के प्रेम को सच्चा-प्रेम स्वीकार किया गया है।

(5) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में सुग्गा व सारस दो प्रकार के पक्षियों का वर्णन किया गया है।

(6) कवि का मन सारस के साथ उड़कर वहाँ जाने को करता है, जहाँ सारस रहते हैं ताकि वह चुपके-चुपके उनकी प्रेम-कहानी को सुन सके। ।

चंद्र गहना से लौटती बेर Summary in Hindi

चंद्र गहना से लौटती बेर कवि-परिचय

प्रश्न-
कविवर केदारनाथ अग्रवाल का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा कविवर केदारनाथ अग्रवाल का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-श्री केदारनाथ अग्रवाल का प्रगतिवादी कवियों में प्रमुख स्थान है। उनका जन्म सन 1911 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के कमासिन गाँव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई। उच्च शिक्षा के लिए ये इलाहाबाद चले गए और वहाँ से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात आगरा विश्वविद्यालय में एल०एल०बी० की उपाधि प्राप्त कर ये बाँदा में वकालत करने लगे। वकालत करने के साथ-साथ श्री केदारनाथ अग्रवाल राजनीतिक और सामाजिक जीवन से भी जुड़े रहे। इसके साथ ही ये हिंदी के प्रगतिशील आंदोलन से भी घनिष्ठ रूप से जुड़े रहे। प्रगतिवादी कवियों में उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। श्री अग्रवाल जी आजीवन साहित्य रचना करते रहे। उन्होंने अनेक ग्रंथ लिखकर माँ भारती के आँचल को समृद्ध किया है। उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अग्रवाल जी का निधन सन 2000 में हुआ।

2. प्रमुख रचनाएँ-‘नींद के बादल’, ‘युग की गंगा’, ‘लोक तथा आलोक’, ‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’, ‘पंख और पतवार’, ‘हे मेरी तुम’, ‘मार प्यार की थापें’, ‘कहे केदार खरी-खरी’ आदि उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-अग्रवाल जी को अपने शिक्षकों से लिखने की प्रेरणा मिली। आरंभ में उन्होंने खड़ी बोली में कवित्त और सवैये लिखने शुरू किए। ‘नींद के बादल’ उनका प्रारंभिक काव्य-संग्रह था। उनके काव्य में जहाँ एक ओर ग्रामीण प्रकृति तथा प्रेम की सुंदर भावनाओं की अभिव्यक्ति हुई है, वहीं दूसरी ओर प्रगतिवादी दृष्टिकोण को भी स्वर मिला है। ये प्रकृति के सुंदर, कोमल और स्वाभाविक चित्र अंकित करने में सिद्धहस्त हैं। ‘लोक तथा आलोक’ पूर्णतया प्रगतिवादी रचना है। समाज के पूँजीपतियों, ज़मींदारों तथा शोषकों के अत्याचारों के परिप्रेक्ष्य में कवि ने शोषितों एवं उपेक्षितों की व्यथा का वर्णन किया है। कुछ स्थलों पर उनकी वाणी आक्रोश का रूप धारण कर लेती है और वे शोषक वर्ग को भला-बुरा भी कहना शुरू कर देते हैं। उन्होंने समाज के गरीबों की गरीबी पर खुलकर आँसू बहाए हैं। उनका समूचा काव्य यथार्थ की भूमि पर खड़ा है, लेकिन यथार्थवाद अन्य प्रगतिवादी कवियों की तरह शुष्क नहीं है। उसमें कुछ स्थलों पर राग भी हैं, जो पाठक के मन को छू लेते हैं।

4. भाषा-शैली-केदारनाथ अग्रवाल के काव्य का कला-पक्ष भाव-पक्ष की तरह सशक्त एवं प्रभावशाली है। उनकी छोटी-छोटी कविताएँ बिंबों की ताज़गी के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी काव्य-भाषा में खड़ी बोली का परिमार्जित रूप देखा जा सकता है। शब्द-चयन और अभिव्यक्ति अग्रवाल जी की अपनी कला है। उनके काव्य की विशेषता जीवन और उससे उपजी हुई रागात्मकता से साक्षात्कार करना है। उन्होंने अनेक स्थलों पर जनभाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने आवश्यकतानुसार आंचलिक शब्दों का भी प्रयोग किया है।

चंद्र गहना से लौटती बेर कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ शीर्षक कविता में कविवर केदारनाथ अग्रवाल ने ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक सुंदरता का अत्यंत मनोरम चित्रण किया है। प्रस्तुत कविता में कवि का प्रकृति के प्रति प्रेम स्वाभाविक एवं नैसर्गिक रूप में अभिव्यक्त हुआ है। वस्तुतः कवि चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा है। लौटते समय कवि के मन को खेत-खलिहान और उनका प्राकृतिक परिवेश अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। कवि ने मार्ग में जो कुछ देखा है, उसका वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि मैं चंद्र गहना देख आया हूँ, किंतु अब खेत के किनारे पर बैठा हुआ देख रहा हूँ कि एक बालिश्त के बराबर हरा ठिगना-सा चने का पौधा है जिस पर छोटे गुलाबी फूल खिले हुए हैं। साथ ही अलसी का पौधा भी खड़ा है, जिस पर नीले रंग के फूल खिले हुए हैं। इसी प्रकार चने के खेत के बीच-बीच में सरसों खड़ी थी। उस पर पीले रंग के फूल खिले हुए थे। उसे देखकर ऐसा लगता है कि मानों उसने अपने हाथ पीले कर लिए हैं और वह विवाह के मण्डप में पधार रही है। फागुन का महीना है। चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण छाया हुआ है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने स्वयंवर रचा हो। यहाँ नगरों से दूर ग्रामीण अंचल में प्रिय की भूमि उपजाऊ अधिक है। वहाँ साथ ही एक छोटा-सा तालाब है। उसके किनारे पर कई पत्थर पड़े हुए हैं।

एक बगुला भी एक टाँग उठाए जल में खड़ा है, जो मछली के सामने आते ही अपनी चोंच में पकड़कर उसे खा जाता है। इसी प्रकार वहाँ काले माथे वाली और सफेद पंखों वाली चतुर चिड़िया भी उड़ रही है। वह जल में मछली देखकर उस पर झपट पड़ती है और उसे मुख में पकड़कर दूर आकाश में उड़ जाती है। वहाँ से कुछ दूरी पर रेल की पटरी बिछी हुई है। ट्रेन आने का अभी कोई समय नहीं है। वहाँ चित्रकूट की कम ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ भी दिखाई देती हैं। साथ ही बंजर भूमि पर दूर तक फैले हुए काँटेदार रीवा के पेड़ भी दिखाई दे रहे हैं। उस सुनसान वातावरण में सुग्गे का स्वर मीठा-मीठा रस टपकाता हुआ लगता है। वह उस एकांत का हृदय चीरता हुआ-सा प्रतीत होता है। सारस के जोड़े की टिरटों-टिरटों की ध्वनि भी अच्छी लगती है। कवि का हृदय भी उस सारस जोड़ी के साथ खेतों में उड़ने को लालायित हो उठता है ताकि वह चुपके से उनकी प्रेम-कहानी को सुन सके।

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Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

HBSE 9th Class Hindi ग्राम श्री Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है ?
उत्तर-
कवि ने गाँव को हरता जन मन अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के मन को आकृष्ट करने वाला कहा है, क्योंकि गाँव की प्राकृतिक छटा अत्यधिक मनमोहक है। वह मरकत के खुले डिब्बे के समान सुंदर है। उस पर नीले आकाश के आच्छादित होने से उसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। वहाँ का वातावरण अत्यंत शांत एवं स्निग्ध है।

प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बसंत के मौसम का वर्णन है। आम के वृक्षों पर बौर आना, कोयल का कूकना और चारों ओर फूलों का खिलना सिद्ध करता है कि यह शरद् ऋतु का अंत और बसंत का आगमन है।

प्रश्न 3.
गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
वस्तुतः ‘मरकत’ एक प्रकार का चमकदार रत्न है। अतः स्पष्ट है कि इस रत्न से निर्मित डिब्बा भी अत्यंत सुंदर होता है। कवि की दृष्टि में बसंत की धूप में गाँव भी वैसा ही सुंदर दिखाई दे रहा था। इसीलिए कवि ने उसे ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ कहा है।

प्रश्न 4.
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं ? उत्तर-अरहर और सनई के खेत कवि को सोने की किंकिणियों के समान सुंदर दिखाई देते हैं।
(क) बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गंगा के तट पर फैली प्राकृतिक सुषमा का अत्यंत मनोरम चित्रण किया है। गंगा के तट पर फैली हुई रेत में चमकते कणों के कारण ही कवि ने उसे सतरंगी रेत कहा है। इसी प्रकार रेत पर हवा या पानी के बहाव के कारण बनी लहरों को साँप से अंकित कहा है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने ग्रामीण अंचल में फैली हुई हरियाली की सुंदरता का उल्लेख किया है। कवि को वहाँ की – हरियाली हँसती हुई सी लगती है और सर्दी की धूप में सुख का अनुभव करती हुई वह अलसाई हुई भी प्रतीत होती है। कहने का भाव है कि कवि ने हरियाली का मानवीकरण करके उसके सौंदर्य को अत्यंत आकर्षक रूप से प्रस्तुत किया है।

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प्रश्न 6.
निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ? तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक।
उत्तर-
(i) ‘हरे-हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है,
(ii) ‘हिल हरित’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है,
(iii) ‘हरित रुधिर’ में विशेषण विपर्यय अलंकार है।

प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है, वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है, वह भारत के उत्तरी भू-भाग में स्थित है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी ? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने ग्रामीण क्षेत्र की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन अत्यंत सजीव एवं आत्मीयतापूर्ण भावों में किया है। कवि के द्वारा व्यक्त भाव उनके हृदय की सच्ची अनुभूति हैं। उन्होंने इन भावों को सरल, सहज एवं प्रवाहमयी शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा में व्यक्त किया है। कवि ने इस कविता में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग करके उसे अलंकृत भी बनाया है। भाषा भावों को अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सक्षम है।

प्रश्न 9.
आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
उत्तर-
नोट-यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। इसलिए विद्यार्थी इसे अपनी कक्षा की अध्यापिका/अध्यापक की सहायता से स्वयं लिखेंगे।

पाठेतर सक्रियता

सुमित्रानंदन पंत ने यह कविता चौथे दशक में लिखी थी। उस समय के गाँव में और आज के गाँव में आपको क्या परिवर्तन नज़र आते हैं ? इस पर कक्षा में सामूहिक चर्चा कीजिए।
अपने अध्यापक के साथ गाँव की यात्रा करें और जिन फ़सलों और पेड़-पौधों का चित्रण प्रस्तुत कविता में हुआ है, उनके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर-
नोट-पाठेतर सक्रियता के अंतर्गत सुझाई गई गतिविधियाँ विद्यार्थी स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi ग्राम श्री Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘ग्राम श्री’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ शीर्षक कविता का उद्देश्य गाँव के प्राकृतिक वातावरण का सजीव चित्रण करना है। कवि ने गाँवों के दूर-दूर तक फैले हुए हरे-भरे खेतों, फल-फूलों से लदे हुए वृक्षों तथा गंगा के किनारे फैले रेत के चमकीले कणों की ओर पाठक का ध्यान विशेष रूप से आकृष्ट किया है। खेतों में खिली सरसों की पीतिमा तथा खेतों में खड़ी अन्य फसलों को देखकर कवि का मन प्रसन्नता से खिल उठता है। विभिन्न पक्षियों की मधुर-मधुर ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। गंगा के तट पर बैठे हुए विभिन्न पक्षियों के सौंदर्य की ओर संकेत करना भी कवि नहीं भूलता। कहने का भाव है कि प्रस्तुत कविता में कवि का प्रमुख लक्ष्य ग्राम्य प्राकृतिक वातावरण का पूर्ण चित्र अंकित करना है जिसमें कवि पूर्णतः सफल रहा है।

प्रश्न 2.
कवि को पृथ्वी रोमांचित क्यों लगी है ?
उत्तर-
कवि को पृथ्वी रोमांचित इसलिए लगी है क्योंकि जब कोई रोमांचित होता है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी प्रकार जब गेहूँ और जौ की बालियाँ आईं तो वे रोंगटों की भाँति खड़ी हुई-सी लगीं। अतः कवि द्वारा उन्हें देखकर पृथ्वी का रोमांचित-सा लगना उचित प्रतीत होता है।

प्रश्न 3.
‘ग्राम श्री’ नामक कविता में किस मौसम का और कैसा उल्लेख किया गया है?
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ कविता गाँव के वातावरण को उद्घाटित करने वाली कविता है। इसमें कवि ने शिशिर ऋतु के मौसम का सजीव चित्रण किया है। इसी मौसम में ढाक और पीपल के पत्ते गिरते हैं। आम के वृक्ष पर मंजरियाँ फूटतीं और चारों ओर फूल खिल उठते हैं। फूलों पर तितलियाँ और भौरे मंडराने लगते हैं। हर प्रकार की सब्जियाँ उपलब्ध होती हैं। गेहूँ तथा जौ के पौधों में बालियाँ फूट पड़ती हैं। सरसों के फूल खिल जाते हैं। चारों ओर प्रसन्नता एवं उत्साह का वातावरण छा जाता है।

प्रश्न 4.
शिशिर ऋतु में सूर्य की किरणों का प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
शिशिर ऋतु में आसमान बिल्कुल साफ होता है और सूर्य पूर्ण रूप से चमकने लगता है। इस ऋतु में सूर्य की किरणों से हरियाली में चमक आ जाती है। हरियाली अधिक कोमल और मखमली प्रतीत होने लगती है। ऐसा लगता है मानो हरियाली पर चाँदी बिछ गई हो। तिनके ऐसे सजीव हो उठते हैं कि मानो नसों में हरा खून प्रवाहित होने लगता है।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘ग्राम श्री’ कविता के रचयिता हैं
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) महादेवी वर्मा
उत्तर-
(C) सुमित्रानंदन पंत

प्रश्न 2.
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1885 में
(B) सन् 1900 में
(C) सन् 1905 में
(D) सन् 1910 में
उत्तर-
(B) सन् 1900 में

प्रश्न 3.
सुमित्रानंदन पंत जी के गाँव का क्या नाम है ?
(A) कौसानी
(B) शामली
(C) गढ़ी
(D) हरिद्वार
उत्तर-
(A) कौसानी

प्रश्न 4.
किसके आह्वान पर पंत जी ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी ?
(A) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(B) महात्मा गाँधी
(C) सरदार पटेल
(D) रवींद्रनाथ टैगोर
उत्तर-
(B) महात्मा गाँधी

प्रश्न 5.
पंत जी किस काव्यधारा के कवि के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं ?
(A) नई कविता
(B) प्रयोगवादी
(C) छायावादी
(D) प्रगतिवादी
उत्तर-
(C) छायावादी

प्रश्न 6.
सुमित्रानंदन पंत का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1947 में
(B) सन् 1957 में
(C) सन् 1967 में
(D) सन् 1977 में
उत्तर-
(D) सन् 1977 में

प्रश्न 7.
सुमित्रानंदन पंत को प्रसिद्धि प्राप्त हुई है-
(A) उपन्यासकार के रूप में
(B) कवि के रूप में
(C) नाटककार के रूप में
(D) निबंधकार के रूप में
उत्तर-
(B) कवि के रूप में

प्रश्न 8.
‘ग्राम श्री’ कविता का प्रमुख विषय है-
(A) ग्रामीणों की गरीबी
(B) गाँव का सादा जीवन
(C) ग्रामीणों की अनपढ़ता
(D) गाँव की प्राकृतिक सुंदरता
उत्तर-
(D) गाँव की प्राकृतिक सुंदरता

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प्रश्न 9.
खेतों में दूर-दूर तक फैली हुई हरियाली कैसी लग रही है ?
(A) बादल जैसी
(B) पानी जैसी
(C) मखमल जैसी
(D) आकाश जैसी
उत्तर-
(C) मखमल जैसी

प्रश्न 10.
सूर्य की किरणों की तुलना कवि ने किससे की है ?
(A) चाँदी की जाली से
(B) सोने की तारों से
(C) पानी की चमक से
(D) रेत की चमक से
उत्तर-
(A) चाँदी की जाली से

प्रश्न 11.
कवि को हरे-हरे तिनकों पर क्या झलकता प्रतीत हुआ है ?
(A) ओस की बूंदें
(B) हरे रंग का रक्त
(C) पानी
(D) सूर्य की किरणें
उत्तर-
(B) हरे रंग का रक्त

प्रश्न 12.
सूर्य की किरणें किस पर सुशोभित हो रही हैं ?
(A) पानी पर
(B) वृक्षों पर
(C) मखमली हरियाली पर
(D) आकाश पर
उत्तर-
(C) मखमली हरियाली पर

प्रश्न 13.
कवि ने क्या देखकर धरती को रोमांचित-सी कहा है ?
(A) फूल देखकर
(B) बादल देखकर
(C) जौ और गेहूँ की बाली देखकर
(D) वर्षा का जल देखकर
उत्तर-
(C) जौ और गेहूँ की बाली देखकर

प्रश्न 14.
कवि ने किसे सोने की किंकिणियां कहा है ?
(A) गेहूँ की बालियों को
(B) सनई और अरहर की फलियों को
(C) गेंदे के फूलों को
(D) हरी-हरी घास पर पड़ी ओस को
उत्तर-
(B) सनई और अरहर की फलियों को

प्रश्न 15.
कवि के अनुसार तैलाक्त गंध किस पौधे से आ रही थी ?
(A) तीसी
(B) सरसों
(C) अरहर
(D) गेहूँ
उत्तर-
(B) सरसों

प्रश्न 16.
‘वसुधा’ शब्द का अर्थ है-
(A) धन धारण करना
(B) सोना धारण करना
(C) सुगंध धारण करना
(D) सौंदर्य धारण करना
उत्तर-
(A) धन धारण करना

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प्रश्न 17.
‘पीली-पीली’ में कौन-सा प्रमुख अलंकार है ?
(A) अनुप्रास
(B) उपमा
(C) पुनरुक्ति प्रकाश
(D) रूपक
उत्तर-
(C) पुनरुक्ति प्रकाश

प्रश्न 18.
‘आम’ वृक्ष की शाखाएँ किससे लद गई थीं ?
(A) पक्षियों से
(B) भौरों से
(C) मंजरियों से
(D) कलियों से
उत्तर-
(C) मंजरियों से

प्रश्न 19.
बसंत ऋतु आने पर कौन मतवाली हो उठी थी ?
(A) चिड़िया
(B) कोयल
(C) मोरनी
(D) कबूतरी
उत्तर-
(B) कोयल

प्रश्न 20.
पेड़ की डालियाँ किस फल से लद गई थीं ?
(A) अमरूद
(B) आम
(C) केलों
(D) आँवला
उत्तर-
(D) आँवला

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ग्राम श्री प्रमुख अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. फैली खेतों में दूर तलक
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपीं जिससे रवि की किरणें
चाँदी की सी उजली जाली!
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ
नभं का चिर निर्मल नील फलक! [पृष्ठ 113]

शब्दार्थ-रवि = सूर्य। उजली = उज्ज्वल। हरित = हरे रंग वाला। रुधिर = रक्त, खून। श्यामल भू = हरी-भरी पृथ्वी। नभ = आकाश।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश का काव्य-सौंदर्य/ शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) खेतों में फैली हरियाली की तुलना किससे की गई है ?
(6) चाँदी की सी उजली जाली किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-कवि प्रकृति का पुजारी है। वह ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर भावुक हो उठता है और कहता है कि गाँवों के खेतों में दूर-दूर तक हरियाली छायी हुई है। वह मखमल की भाँति कोमल एवं सुंदर है। उस हरियाली पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो वह चाँदी की जाली की भाँति उज्ज्वल एवं चमकदार लगने लगती है। खेतों में खड़ी फसलों के तिनकों का हरापन ऐसा प्रतीत होता है कि मानों हरा रक्त झलक रहा हो। हरी-भरी पृथ्वी के तल पर आकाश का नीले रंग का स्वच्छ एवं पावन पर्दा झुका हुआ है।
भावार्थ भाव यह है कि ग्रामीण अंचल में खेतों में फैली हरियाली और उस पर पड़ती हुई सूर्य की किरणों का अत्यंत मनोरम दृश्य उभरता है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में प्रकृति के मनोहारी दृश्यों का स्वाभाविक चित्र अंकित किया गया है।
(ख) ‘मखमल….. हरियाली’, ‘हिल…….”झलक’ में रूपक अलंकार है।
(ग) ‘चाँदी की सी उजली जाली’ में उपमा अलंकार है।
(घ) संपूर्ण काव्यांश में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(ङ) ‘हरे हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) प्रस्तुत पद्य में चित्रात्मक शैली है।
(छ) सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ज) तत्सम शब्दावली का विषयानुकूल प्रयोग किया गया है।
(झ) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा में लय का समावेश हुआ है।

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(4) कविवर सुमित्रानंदन पंत ने ग्रामीण क्षेत्र की स्वाभाविक एवं अनुपम प्राकृतिक सुंदरता को उद्घाटित किया है। कवि ने पाठक का ध्यान गाँवों के खेतों में फैली हरियाली की ओर आकृष्ट किया है। कवि ने हरियाली पर सूर्य की उज्ज्वल किरणों के पड़ने से उसके सौंदर्य में हुई वृद्धि का भी सूक्ष्मतापूर्वक उल्लेख किया है। तिनकों के हरेपन को हरित रुधिर कहकर उसके सौंदर्य को सजीवता प्रदान की गई है। हरी-भरी पृथ्वी पर नीले नभ को झुका हुआ बताकर प्राकृतिक सौंदर्य को और भी संवेदनशील बना दिया है।

(5) खेतों में फैली हरियाली की तुलना कोमल मखमल से की गई है।

(6) ‘चाँदी की सी उजली जाली’ कवि ने उस हरियाली को कहा, जो दूर-दूर तक गाँवों के खेतों में फैली हुई थी, क्योंकि जब उस पर सूर्य की उज्ज्वल किरणें पड़ती हैं तब उसकी चमक और भी बढ़ जाती है। इसलिए कवि ने उसे चाँदी की उज्ज्वल जाली के समान कहा है।

2. रोमांचित सी लगती वसुधा
आई जो गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिणियाँ हैं शोभाशाली!
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कलि, तीसी नीली! [पृष्ठ 113]

शब्दार्थ-रोमांचित = प्रसन्नता व्यक्त करती हुई। वसुधा = पृथ्वी। किंकिणियाँ = करधनी। शोभाशाली = सुंदर। तैलाक्त = तेल से सनी हुई। गंध = खुशबू। धरा = पृथ्वी। तीसी नीली = अलसी के नीले फूल।

प्रश्न
(1) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत कवितांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत कवितांश का काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्ति के भाव-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।
(5) कवि को पृथ्वी रोमांचित-सी क्यों लगी ?
(6) कौन हरित धरा से झाँकते हुए-से लगते हैं ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत कवितांश में कवि ने बताया है कि गेहूँ और जौ के पौधों की निकली बालियों को देखने से ऐसा लगता है जैसे उनके माध्यम से धरती रोमांचित हो उठी है अर्थात अपने हृदय की प्रसन्नता को व्यक्त कर रही है। खेतों में उगी अरहर की फलियाँ और फूल ऐसे लगते हैं कि मानों सोने से निर्मित सुंदर करधनी धारण कर रखी हो। इसी प्रकार दूर-दूर तक खेतों में पीली-पीली सरसों फूली हुई है। उसके फूलों की सुगंध चारों ओर उड़ रही है। इस हरी-भरी धरती पर नीलम की सुंदर कलियाँ और नीले रंग के फूलों से लदी अलसी भी झाँकती हुई-सी लगती है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि धरती पर उगी हुई गेहूँ और जौ की फसलें, अरहर और सरसों के फूल वहाँ के सौंदर्य को बढ़ा देते हैं। हरे-भरे खेतों में नीलम और अलसी के फूल भी सुंदर लगते हैं।

(3) (क) संपूर्ण पद्यांश में सरल एवं शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) प्राकृतिक छटा का वर्णन अलंकृत भाषा में किया गया है।
(ग) ‘अरहर …. शोभाशाली’ में रूपक अलंकार है।
(घ) वसुधा, नीलम की कलियों, तीसी नीली आदि का मानवीकरण किया गया है।
(ङ) पीली पीली’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) संपूर्ण पद्य में चित्रात्मकता है।
(छ) तत्सम शब्दों का विषयानुकूल प्रयोग किया गया है।

(4) कवि ने खेतों में उगी फसलों का अत्यंत भावपूर्ण एवं मनोरम चित्रण किया है। वसुधा को रोमांचित बताकर आस-पास के प्रसन्नतामय वातावरण को उद्घाटित किया है। अरहर के फूलों व फलियों को सोने से निर्मित सुंदर करधनी की उपमा देकर उसकी सुंदरता को उजागर किया है। इसी प्रकार नीलम की कली और अलसी के नीले फूलों को हरे-भरे खेतों के बीच दिखाकर उनकी सुंदरता को चार चाँद लगा दिए हैं। इसके साथ ही उन्हें झाँकता हुआ कहकर उनका मानवीकरण भी कर दिया है।

(5) कवि को पृथ्वी रोमांचित इसलिए लगी, क्योंकि जब कोई रोमांचित होता है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी प्रकार जब गेहूँ और जौ की बालियाँ निकल आईं तो वे रोंगटों की भाँति खड़ी हुई-सी लगीं। इसलिए कवि द्वारा उन्हें देखकर पृथ्वी का रोमांचित-सा लगना उचित प्रतीत होता है।

(6) नीलम की कलियाँ और अलसी के नीले फूल हरित धरा-से झाँकते हुए-से लगते हैं।

3. रंग रंग के फूलों में रिलमिल
हँस रही सखियाँ मटर खड़ी,
मखमली पेटियों सी लटकीं
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी!
फिरती है रंग रंग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते हों फूल स्वयं
उड़ उड़ व्रतों से वृंतों पर! [पृष्ठ 114]

शब्दार्थ-रिलमिल = मिल-जुलकर। छीमियाँ = मटर की फलियाँ।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखें।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के मूल विषय को स्पष्ट कीजिए।
(6) कवि ने मखमली पेटियाँ किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। . कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत काव्यांश में कविवर सुमित्रानंदन पंत ने गाँवों के खेतों में उगी फसलों और वहाँ की प्राकृतिक छटा का वर्णन किया है। कवि का कथन है कि मटर की फसल के पौधों पर तरह-तरह के फूल खिले हुए हैं। उनके मध्य मटर की फलियाँ लटकी हुई हैं, जो मखमली पेटियों के समान लगती हैं। उन पेटियों (मटर की फलियों) में मटर के दानों की लड़ियाँ छिपी हुई हैं अर्थात मटरों की फलियों में मटरों की दोनों पंक्तियाँ विद्यमान हैं। कवि ने पुनः बताया है कि वहाँ विभिन्न रंगों के सुंदर फूलों पर विभिन्न रंगों वाली तितलियाँ उड़ रही हैं। वहाँ इतने अधिक फूल हैं कि ऐसा लगता है कि फूल स्वयं फूले नहीं समा रहे। फूल स्वयं फूलों के समूह पर गिर रहे हैं।
भावार्थ-कवि.के कहने का भाव यह है कि गाँवों के खेतों में खड़ी मटर की फसलें अत्यंत शोभायमान हैं और रंग-रंग के फूलों की अत्यधिक संख्या होने के कारण वहाँ का वातावरण सुंदर एवं सुगंधित बना हुआ है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा में रचित है।
(ख) ‘रंग-रंग’, ‘उड़-उड़’ आदि शब्दों की आवृत्ति के द्वारा फूलों के विभिन्न व अत्यधिक रंगों और तितलियों की प्रसन्नता को उजागर किया गया है।
(ग) मटर के पौधों का मानवीकरण किया गया है।
(घ) ‘मखमली पेटियों सी’ में उपमा अलंकार है।
(ङ) ‘रंग रंग’ तथा ‘उड़ उड़’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) ‘रिलमिल’, ‘मखमली’, ‘छीमियाँ’, ‘छिपाए’ आदि में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(छ) भाषा प्रसादगुण-संपन्न है।
(ज) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण वर्ण्य-विषय सरल एवं स्वाभाविक रूप में व्यक्त हुआ है।

(4) कवि ने अत्यंत प्रवाहमयी भाषा में प्रकृति के दृश्यों का सजीव चित्रण किया है। विभिन्न रंगों के फूलों के बीच हरी-हरी मटर की फलियों को मखमली पेटिका की उपमा देकर कवि ने उनके सौंदर्य एवं उनमें दानों की अधिकता की ओर संकेत किया है। इसी प्रकार रंग-रंग के फूलों पर रंग-रंग की तितलियों का उड़ना दिखाकर प्राकृतिक दृश्य को हृदयग्राही बना दिया है। फूलों के फूल फूलकर फूलों के समूह पर गिरने का भाव भी अत्यंत मौलिक एवं सुंदर है।

(5) प्रस्तुत काव्यांश का मूल विषय प्राकृतिक छटा को मनोरम रूप में उजागर करना है, ताकि लोगों का ध्यान उस ओर आकृष्ट हो सके।

(6) कवि ने मटर की हरी-हरी फलियों को मखमली पेटियाँ कहा है। इन्हें पेटियाँ इसलिए कहा गया है, क्योंकि इनमें मटर के बीज भरे हुए थे।

4. अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम्र तरु की डाली,
झर रहे ढाक, पीपल के दल,
हो उठी कोकिला मतवाली!
महके कटहल, मुकुलित जामुन,
जंगल में झरबेरी झूली,
फूले आडू, नींबू, दाडिम,
आलू, गोभी, बैंगन, मूली! [पृष्ठ 114]

शब्दार्थ-रजत = चाँदी। स्वर्ण = सुनहरा। मंजरियों = बौर। तरु = टहनी।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखें।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कोकिला मतवाली क्यों हो उठी थी ?
(6) प्रस्तुत पंक्तियों को पढ़कर कवि के किस ज्ञान का परिचय मिलता है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत कवितांश में कवि ने ग्रामीण क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करते हुए कहा है कि अब वहाँ आम के वृक्ष की टहनियाँ चाँदी और सुनहरे रंग के बौर से लद गई हैं अर्थात आम की टहनियों पर बौर उग आया है जिससे उन पर फल लगने की आशा हो गई है। इस समय ढाक और पीपल के वृक्षों के पत्ते झड़ रहे हैं। ऐसे सुहावने एवं सुंदर वातावरण में कोयल भी मस्ती में भरकर कूक उठती है। इसके अतिरिक्त कटहल के पेड़ भी महक उठे हैं। जामुन पर भी बौर लग गया है। जंगल में छोटे-छोटे बेरों वाली झाड़ियाँ या बेरियाँ भी झूल उठी हैं। आड़, नींबू, अनार, आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि फल और सब्जियाँ खूब उगे हुए हैं।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि बसंत ऋतु में विभिन्न प्रकार के फलों के वृक्षों पर फल-फूल लग जाते हैं। वातावरण अत्यंत प्रसन्नतामय बन जाता है। ऐसे में कोयल भी अपनी मधुर ध्वनि से उसमें रस घोल देती है।

(3) (क) संपूर्ण कवितांश में शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) तत्सम शब्दों का सफल एवं सुंदर प्रयोग किया गया है।
(ग) चित्रात्मक भाषा-शैली का प्रयोग किया गया है।
(घ) संपूर्ण काव्यांश में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(ङ) शब्द-योजना विषयानुकूल है।

(4) कवि ने इन पंक्तियों में ग्रामीण अंचल की प्रकृति के विभिन्न दृश्यों का वर्णन अत्यंत सजीवता से किया है। बसंत ऋतु के आने पर जहाँ आम के वृक्षों की शाखाएँ बौर से लद जाती हैं, वहीं पीपल और ढाक के वृक्ष पत्र-विहीन हो जाते हैं। बसंत के आते ही कोयल भी मस्ती में भरकर मधुर ध्वनि में बोलने लगती है। विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों की फसलें भी महक उठती हैं। कवि ने अपने इन सब भावों को सुगठित एवं प्रवाहमयी भाषा में प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है।

(5) कवि ने बताया है कि बसंत ऋतु में प्रसन्नतायुक्त वातावरण में कोयल भी मस्ती में भरकर कूक उठी है।

(6) इन काव्य-पंक्तियों को पढ़कर कवि के प्रकृति संबंधी ज्ञान का बोध होता है। कवि को प्रकृति का ज्ञान ही नहीं, अपितु उसके प्रति गहन लगाव भी है।

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5. पीले मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,
पक गए सुनहले मधुर बेर,
अँवली से तरु की डाल जड़ी!
लहलह पालक, महमह धनिया,
लौकी औ’ सेम फली, फैली
मखमली टमाटर हुए लाल
मिरचों की बड़ी हरी थैली! [पृष्ठ 114]

शब्दार्थ-चित्तियाँ = चित्रियाँ । मधुर = मीठे। अँवली = छोटे आँवले । तरु = वृक्ष । लहलह = लहकना। महमह = महकना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखें।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि ने किन सब्जियों एवं फलों का वर्णन किया है ?
(6) प्रस्तुत पद के प्रमुख विषय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-कवि ने खेतों में लगी सब्जियों एवं वृक्षों पर लगे फलों का वर्णन करते हुए कहा है कि अमरूद के पेड़ों पर लगे अमरूदों पर अब लाल-लाल चिह्न पड़ गए हैं। इनसे पता चलता है कि अमरूद अब पक गए हैं। इसी प्रकार बेरियों पर सुनहरे रंग के मीठे-मीठे बेर लगे हुए हैं। आँवले के वृक्ष की टहनियों पर आँवले भी लदे हुए हैं अर्थात अत्यधिक मात्रा में लगे हुए हैं। खेत में खड़ी पालक लहक रही है और धनिया भी सुंदर लग रहा है। लौकी और सेम की बेलें फैली हुई हैं जिन पर लौकियाँ और सेम की फलियाँ लगी हुई हैं। अब मखमली टमाटर भी पककर लाल रंग के हो गए हैं। मिरचों के पौधों पर भी अत्यधिक बड़ी-बड़ी हरी मिरचें लगी हुई हैं।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि ग्रामीण अंचल में तरह-तरह के फलदार वृक्ष हैं जो वहाँ के लोगों को स्वादिष्ट फल देते हैं। खेतों में भी तरह-तरह की सब्जियाँ उगाई जाती हैं।

(3) (क) कवि ने सरल, सहज एवं प्रवाहमयी हिंदी भाषा का प्रयोग किया है।
(ख) यह पद कवि के फलों व सब्जियों की फसलों के ज्ञान का परिचय करवाता है।
(ग) तत्सम शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(घ) ‘लाल-लाल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ङ) ‘लहलह’, ‘महमह’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा में लय एवं संगीतात्मकता का समावेश हुआ है।
(छ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।
(ज) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने अत्यंत भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल के जीवन का वर्णन किया है। गाँव के खेतों, वहाँ उगी हुई फसलों तथा वहाँ के फलदार पेड़ों के प्रति आत्मीयता का भाव अभिव्यक्त हुआ है। कवि का ग्रामीण क्षेत्र में उगाई जाने वाली सब्जियों का गहन ज्ञान द्रष्टव्य है। कवि ने अमरूद, बेर व आँवले के फलों के साथ-साथ पालक, धनिया, टमाटर और हरी मिरचों का अत्यंत सुंदर एवं सजीव चित्रांकन किया है। इस पद की प्रत्येक पंक्ति में विभिन्न फलों व सब्जियों का मनोहारी वर्णन है।

(5) कवि ने अमरूद, बेर, आँवला आदि फलों तथा पालक, धनिया, टमाटर व हरी मिरच आदि सब्जियों का उल्लेख किया है।

(6) प्रस्तुत पद का प्रमुख विषय गाँव के जीवन का विशेषकर वहाँ के खेतों में उगाए जाने वाले फलों व सब्जियों का उल्लेख करना है।

6. बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
तट पर तरबूजों की खेती;
अँगुली की कंघी से बगले
कलँगी सँवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरखाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती सोई! [पृष्ठ 115]

शब्दार्थ-बालू = रेत। अंकित = चित्रित, बने हुए। सतरंगी = सात रंगों वाली। सरपत = घास-पात, तिनके। कलँगी = सिर

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए। (5) कवि ने गंगा के किनारे किन-किन पक्षियों को देखा है ? (6) कवि ने गंगा के किनारे की रेत को साँपों की तरह अंकित क्यों कहा है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने गंगा तट के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि गंगा के किनारे बिछी हुई सतरंगी रेत व हवा के कारण बनी हुई लहरें साँपों के समान लगती हैं। गंगा के तट पर उगी हुई घास अत्यंत सुंदर लगती है। वहाँ पर किसानों द्वारा तरबूजों की फसल उगाई गई है। अपने पाँव के पंजे से अपने सिर की कलंगी संवारते हुए बगुले अत्यंत सुंदर लगते हैं। चक्रवाक पक्षी गंगा के पानी में तैर रहे हैं और गंगा किनारे बैठी मगरौठी सोई रहती है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि गंगा के किनारे पर फैली रेत, तरबूजों की फसल और हरी-भरी घास के साथ-साथ वहाँ पर तरह-तरह के पक्षी क्रीड़ाएँ करते हुए अत्यंत सुंदर लगते हैं।

(3) (क) प्रस्तुत कवितांश सरल, सहज एवं शुद्ध साहित्यिक भाषा में रचित है।
(ख) इसमें कवि ने गंगा के किनारे की प्राकृतिक छटा का भावपूर्ण चित्रांकन किया है।
(ग) ‘बालू के साँपों से’ अंकित …..रेती’ में उपमा अलंकार है।
(घ) “अँगुली की कंघी’ ……कोई’ में रूपक अलंकार है।
(ङ) ‘तट पर तरबूजों’, ‘पुलिन पर’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(च) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।।
(छ) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण वर्ण्य-विषय सरल एवं सहज बना हुआ है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने अत्यंत भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल के प्राकृतिक सौंदर्य एवं गंगा के किनारे की अनुपम छटा को चित्रित किया है। कवि ने बताया है कि गंगा के किनारे बिछी रेत पर अंकित लहरें सौ के आकार की लगती हैं। रेत के कणों की चमक सात रंगों वाली लगती है। इतना ही नहीं, वहाँ उगी हुई हरी-हरी घास और तरबूज की फसल का दृश्य भी मनोहारी है। गंगा के किनारे पर बगुले, सुरखाब, मगरौठी आदि बैठे हुए पक्षी मन को आकृष्ट करते हैं। अतः स्पष्ट है कि कवि ने संपूर्ण पद में गंगा के तट की छटा का सुंदर एवं सजीव रूप प्रस्तुत किया है।

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(5) कवि ने गंगा के किनारे बैठे बगुल्लों, चक्रवात और मगरौठी को देखा है।

(6) कवि ने गंगा के किनारे फैली रेत को साँपों की तरह अंकित इसलिए कहा है क्योंकि रेत में तेज हवा व पानी के बहाव के कारण टेढ़ी-मेढ़ी लहरें-सी बनी हुई थीं।

7. “हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए,
भीगी अँधियाली में निशि की
तारक स्वप्नों में से खोए
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम
जिस पर नीलम नभ आच्छादन
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत
निज शोभा से हरता जन मन! [पृष्ठ 115]

शब्दार्थ-हिम-आतप = सर्दी की धूप। अँधियाली = अंधेरे वाली। निशि = रात्रि। मरकत = पन्ना नामक रत्न। निरुपम = उपमा-रहित। हिमांत = सर्दी के अंत में। स्निग्ध = कोमल । निज = अपनी। शोभा = सुंदरता। हरना = आकृष्ट करना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के प्रमुख विषय का उल्लेख कीजिए।
(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने ग्राम को किसकी उपमा दी है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-कवि ने ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक छटा का उल्लेख करते हुए कहा है कि वहाँ की हँसमुख हरियाली सर्दी की धूप में ऐसी लग रही है मानों वह धूप सेंकने से अलसाई हुई-सी अथवा खोई हुई-सी है। रात के अंधेरे. में वही हरियाली भीगी हुई-सी लगती है और नीले नभ पर रात्रि को चमकते हुए तारे स्वप्नों में खोए हुए-से लगते हैं। सर्दी की ऋतु में चमकती हुई धूप में गाँव पन्ना नामक रत्न का खुला हुआ डिब्बा-सा प्रतीत होता है। उस पर नीले रंग का आकाश छाया हुआ होने के कारण और भी आकर्षक बन पड़ा है। हिमांत में अत्यंत सुंदर, शांत और अनुपम गाँव अपनी शोभा से सबके मन को आकृष्ट करने वाला है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि गाँव के आस-पास छाई हुई हरियाली सर्दी की धूप में अत्यंत सुंदर लगने लगती है। रात को नीले आकाश में चमकते तारे भी मनमोहक लगते हैं। धूप में चमकता हुआ गाँव तो और भी आकर्षक लगता है।

(3) (क) कवि ने अत्यंत भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक शोभा का सजीव चित्रण किया है।
(ख) तत्सम शब्दों का अत्यंत सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ग) संपूर्ण पद में हरियाली, तारों, ग्राम आदि का मानवीकरण किया गया है।
(घ) ‘हँसमुख हरियाली’, ‘नीलम-नभ’, ‘जन-मन’ आदि में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ङ) ‘मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम’ में उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(च) नई-नई उपमाओं के प्रयोग के कारण प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत आकर्षक बन पड़ा है।
(छ) भाषा में लाक्षणिकता के प्रयोग से विषय में चमत्कार उत्पन्न हो गया है।

(4) प्रस्तुत पद में कवि ने ग्रामीण अंचल के प्राकृतिक दृश्यों की सुंदरता का अत्यंत सजीव चित्र आत्मीयतापूर्ण भावों में व्यक्त किया है। कवि ने सर्दकालीन हरियाली को हंसमुख और सर्दी की धूप में उसे अलसाई हुई बताकर उसके विविध गुणों व विशेषताओं को उद्घाटित किया है। रात में वही दिन वाली हंसमुख हरियाली भीगी हुई प्रतीत होने लगती है। रात्रि के गहन अंधकार में आकाश में चमकते तारे भी स्वप्नों में खोए हुए लगते हैं और धूप में चमकते गाँव के तो कहने क्या, वह तो पन्ने रूपी रत्न से बने हुए खुले डिब्बे के समान लगता है। उसके ऊपर छाए हुए नीले आकाश से तो उसकी शोभा और भी बढ़ जाती है। शांत, एकांत और अपनी अनुपम शोभा से गाँव सबके मन को आकृष्ट करता है। अतः स्पष्ट है कि प्रस्तुत पद्यांश में अभिव्यक्त भावों में वेग के साथ-साथ आत्मीयता भी है।

(5) प्रस्तुत काव्यांश का प्रमुख विषय गाँव की प्राकृतिक छटा का भावपूर्ण वर्णन करना है। इसमें कवि ने वहाँ के दिन और रात के विविध दृश्यों को कलात्मकतापूर्ण अंकित किया है।

(6) प्रस्तुत पद में कवि ने ग्राम को मरकत के खुले डिब्बे की उपमा दी है जो अपनी अनुपम सुंदरता के लिए सबके हृदय को आकृष्ट करता है।

ग्राम श्री Summary in Hindi

ग्राम श्री कवि-परिचय

प्रश्न-
सुमित्रानंदन पंत का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 को उत्तरांचल प्रदेश के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में हुआ। जन्म के तत्काल बाद उनकी माँ सरस्वती का देहांत हो गया। अतः उनका पालन-पोषण दादी, बुआ और पिता की छत्रछाया में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई। वे गांधी जी से प्रभावित हुए और उनके साथ आज़ादी के आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्होंने अनेक स्थानों पर कार्य किया। वे आकाशवाणी से भी जुड़े रहे। उन्होंने जीवन-भर साहित्य-सेवा की। सन् 1977 में उनका देहांत हो गया था। उनके साहित्य के महत्त्व को देखते हुए उन्हें ‘साहित्य अकादमी’, ‘सोवियत रूस’ तथा ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2. प्रमुख रचनाएँ-‘वीणा’, ‘ग्रंथि’, ‘गुंजन’, ‘युगांत’, ‘युगवाणी’, ‘ग्राम्या’, ‘स्वर्ण-किरण’, ‘स्वर्ण-धूलि’, ‘उत्तरा’, ‘अतिमा’, ‘कला और बूढ़ा चाँद’ तथा ‘लोकायतन’ ।

3. काव्यगत विशेषताएँ-पंत जी प्रकृति के चितेरे कवि थे। उनके साहित्य में प्रकृति का मनोरम चित्रण हुआ है। उनका काव्य रोमांटिक एवं व्यक्ति-प्रधान है। उन्होंने अपनी कविताओं में मानव-सौंदर्य का भी चित्रण किया है। छायावादी कवियों में पंत का मुख्य स्थान है।

पंत जी के काव्य में प्रगतिवादी स्वर भी उभरकर आया है। उनकी कविताओं में मानवतावादी दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति हुई है। रहस्यवादी भावना भी उनके काव्य का विषय रही है।

4. भाषा-शैली-पंत जी शब्दों के कुशल शिल्पी माने जाते हैं। वे शब्दों की आत्मा तक पहुँचने में सिद्धहस्त थे। उनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रमुखता रही है। वे कोमल, मधुर और सूक्ष्म भावों को प्रकट करने वाले शब्दों का सार्थक प्रयोग करते थे।
पंत जी की काव्य-भाषा में उपमा, अनुप्रास, रूपक, मानवीकरण आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है। उनकी काव्य भाषा भावानुकूल एवं लयात्मक है। वे सचमुच हिंदी के गौरवशाली कवि थे।

ग्राम श्री कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘ग्राम श्री’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत ने गाँवों की प्राकृतिक छटा का अत्यंत मनोरम चित्रण किया है। खेतों में दूर-दूर तक लहलहाती फसलों, फूल-फलों से लदे हुए वृक्षों और गंगा के किनारे फैले रेत के चमकते कणों के प्रति कवि का मन आकृष्ट हो उठता है। खेतों में दूर-दूर तक मखमल के समान सुंदर हरियाली फैली हुई है। जब इस हरियाली पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो यह चाँदी की भाँति चमक उठती है। हरी-भरी पृथ्वी पर झुका हुआ नीला आकाश और भी सुंदर लगता है। जौ और गेहूँ की बालियों को देखकर लगता है कि धरती रोमांचित हो उठी है। खेतों में खड़ी अरहर और सनई सोने की करधनी-सी लगती हैं। सरसों की पीतिमा चारों ओर फैली हुई है। इस हरी-भरी धरती पर नीलम की कली भी सुंदर लग रही है। मटर की फलियाँ मखमली पेटियों-सी लटक रही हैं, जो अपने में मटर के बीज की लड़ियाँ छिपाए हुए हैं। चारों ओर खिले हुए रंग-बिरंगे फूलों पर तितलियाँ घूम रही हैं। आम के वृक्ष भी मंजरियों से लद गए हैं। पीपल और ढाक के पुराने पत्ते झड़ गए हैं। ऐसे सुहावने वातावरण में कोयल भी कूक उठती है। कटहल, मुकुलित, जामुन, आडू, नींबू, अनार, बैंगन, गोभी, आलू, मूली आदि सब महक रहे हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

कवि ने ग्रामों की प्राकृतिक छटा और वहाँ फूल-फलों से लदे वृक्षों के सौंदर्य को अंकित करते हुए पुनः कहा है कि वहाँ पीले रंग के चित्तिरीदार मीठे अमरूद, सुनहरे रंग के बेर आदि फल वृक्षों पर लगे हुए हैं। पालक, धनिया, लौकी, सेम की फलियाँ, लाल-लाल टमाटर, हरी मिरचें आदि सब्जियाँ भी खूब उगी हुई हैं। गंगा के किनारे पर फैली हुई सतरंगी रेत भी सुंदर लगती है। गंगा के किनारे पर तरबूजों की खेती है। गंगा के तट पर बगुले और मगरौठी बैठे हुए हैं तथा सुरखाब पानी में तैर रहे हैं। सर्दियों की धूप में ग्रामीण क्षेत्र की हँसमुख हरियाली अलसायी हुई-सी प्रतीत होती है। रात के अंधेरे में तारे भी सपनों में खोए-से लगते हैं। गाँव मरकत के खुले डिब्बे-सा दिखाई देता है; जिस पर नीला आकाश छाया हुआ है। अपने शांत वातावरण एवं अनुपम सौंदर्य से गाँव सबका मन आकृष्ट करता है।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

HBSE 9th Class Hindi कैदी और कोकिला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर-
कोयल की कूक सुनकर कवि के मन पर गहन प्रतिक्रिया हुई थी तथा उसने कोयल से कहा कि संपूर्ण देश स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जूझ रहा है और सारा देश एक कारागार के रूप में परिणत हो गया है। ऐसे में मधुर गीत गाने की आवश्यकता नहीं, अपितु क्रांति और विद्रोह का गीत गाना चाहिए।

प्रश्न 2.
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई है ?
उत्तर-
कवि ने कोकिल के बोलने की संभावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा है कि क्या वह किन्हीं वेदनाओं के बोझ से दबी हुई है या उसे किसी ने लूट लिया है। क्या वह पगला गई है जो इस प्रकार आधी रात के समय बोलने लगी है। क्या उसने जंगल में लगी आग की भयंकर लपटें देखी हैं, जिनसे भयभीत होकर वह कक उठी है।

प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?
उत्तर-
कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की है, क्योंकि उस समय ब्रिटिश शासन द्वारा साधारण जनता पर अन्याय व अत्याचार किए जा रहे थे। चारों ओर शोषण का डंका बज रहा था। निरपराध लोगों को कारागार में बंद कर दिया जाता था। वहाँ न्याय नाम की कोई चीज नहीं थी। इसलिए कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना तम से की है।

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प्रश्न 4.
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में पराधीन भारत की जेलों में अंग्रेज शासक द्वारा दी जाने वाली यंत्रणाओं का यथार्थ चित्रण किया गया है। कवि ने बताया है कि जेलों में कैदियों को लोहे की जंजीरों में बाँधकर रखा जाता था। उनके पाँवों में बेड़ियाँ और हाथों में हथकड़ियाँ पहनाई जाती थीं। कैदियों को कोल्हू में पशुओं की भाँति जोता जाता था। कुएँ से पानी निकलवाने के लिए उनके पेट पर जूआ रखा जाता था जिसे वे खींचते थे। उन्हें काल-कोठरी में बंद करके रखा जाता था जहाँ रोशनी व ताजी हवा नहीं पहुँचती थी। उन पर कड़ा पहरा रखा जाता था। उनको गालियाँ दी जाती थीं। उन्हें पेट भर खाना भी नहीं दिया जाता था।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो! ।
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का फँआ।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने कोयल की वाणी की मधुरता को उद्घाटित किया है। उसे मधुरता के खजाने की रक्षक कहकर उसकी मधुर ध्वनि की प्रशंसा की है।
(ख) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने एक ओर ब्रिटिश शासन के भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति किए गए अमानवीय व्यवहार को उद्घाटित किया है तो दूसरी ओर कैदी के स्वाभिमान एवं संघर्षशील प्रवृत्ति को दर्शाया है। ब्रिटिश शासन द्वारा कैदियों से कुएँ से पानी निकलवाने के लिए उन्हें चरस (चमड़े से बनी चरस जिसमें कुएँ से पानी निकाला जाता है।) खींचने के लिए विवश किया जाता है। किंतु कैदी ब्रिटिश शासन के सामने हार नहीं मानता।

प्रश्न 6.
अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर-
कवि को अर्द्धरात्रि में कोयल के चीख उठने से अंदेशा था कि उसने किसी को लुटते हुए देखा होगा या उसे जंगल में लगी आग की भयंकर लपटें दिखाई दी होंगी जिससे वह घबराकर चीख उठी होगी।

प्रश्न 7.
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?
उत्तर-
वस्तुतः कवि महान स्वतंत्रता सेनानी है। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण ब्रिटिश शासन ने उसे कारागार में बंद कर दिया है। वह कैदी है। जब रात्रि के समय कोयल अपनी मधुर वाणी में बोलती है तो उसके मन में कोयल के प्रति ईर्ष्या भाव जाग उठता है। क्योंकि कोयल हरी-भरी टहनी पर स्वतंत्रतापूर्वक बैठी है और कवि के भाग्य में काल-कोठरी में बंद रहना लिखा हुआ है। वह खुले आकाश में उड़ सकती है और कवि केवल दस फुट की छोटी-सी कोठरी में बंद है। इसके अतिरिक्त जब कोयल बोलती है तो लोग उसकी मधुर वाणी को सुनकर वाह! वाह! कह उठते हैं और कवि के लिए गीत गाना तो क्या यदि वह रोता भी है तो उसे भी गुनाह समझा जाता है। इन्हीं कारणों से कवि के मन में कोयल के प्रति ईर्ष्या का भाव है।

प्रश्न 8.
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर-
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की अनेक मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल की मधुर वाणी सुनकर कवि रोमांचित हो उठता था। उसके मधुर गीत सुनकर ऐसा लगता था कि मानो वह उसके किसी प्रियजन का संदेश लेकर आई हो, किंतु इस समय कोयल की ध्वनि मधुर नहीं, अपितु एक चीख है और वह युद्ध के नगाड़े के समान लगती है ताकि कवि उन मधुर स्मृतियों को भूलकर स्वतंत्रता-प्राप्ति के संघर्ष में कूद पड़े।

प्रश्न 9.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
गहने पहनने का प्रमुख लक्ष्य सुंदर लगना है। पराधीनता के समय स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन करते थे। इस कारण अंग्रेज सरकार उन्हें हथकड़ियाँ लगाकर कारागार में बंद कर देती थी। स्वतंत्रता सेनानियों को देश को स्वतंत्र कराने के कार्य करने में गर्व की अनुभूति होती थी। इसीलिए वे अंग्रेज सरकार द्वारा पहनाई गई हथकड़ियों को गहना समझकर धारण करते थे। इससे उनका मान बढ़ता था।

प्रश्न 10.
‘काली तू…… ऐ आली।’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने काली शब्द की आवृत्ति से एक ओर कविता में लय एवं संगीत में वृद्धि करके उसके काव्य-सौंदर्य में वृद्धि की है। दूसरी ओर कवि ने ब्रिटिश सरकार के द्वारा किए गए अन्याय, अत्याचार और शोषण को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया है। कहने का भाव है कि ‘काली’ शब्द से जहाँ काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है, वहाँ भाव-सौंदर्य भी प्रभावशाली बन पड़ा है।

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प्रश्न 11.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
उत्तर-(क) (1) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जंगल की आग की ज्वालाओं के माध्यम से ब्रिटिश शासन के द्वारा भारतीयों के प्रति किए गए अन्याय एवं अत्याचारों की ओर संकेत किया है।
(2) प्रश्न अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(3) ओजपूर्ण भाषा है।
(4) मानसिक बिंब है। प्रत्यक्ष के माध्यम से अप्रत्यक्ष को उद्घाटित किया गया है।

(ख) (1) प्रस्तुत पंक्तियों में कोयल के प्रति कवि के मन के ईर्ष्या भाव को प्रस्तुत किया गया है।
(2) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा लययुक्त एवं संगीतमय बनी हुई है।
(3) ‘तेरी-मेरी’ में अनुप्रास अलंकार है।
(4) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग से कथन को ग्रहणीय एवं मार्मिकता प्रदान की गई है।
(5) ‘वाह…गुनाह’ तथा ‘मेरी…..रणभेरी’ में तुकान्त है।

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रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 12.
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?
उत्तर-
कवि ने अन्य पक्षियों के चहचहाने की ध्वनि की अपेक्षा कोयल की बात को इसलिए चुना है क्योंकि कोयल की ध्वनि अत्यन्त प्रभावशाली है। कोयल सदा से कवियों के आकर्षण का कारण रही है। इसके अतिरिक्त उसे चुनने का अन्य कारण उसका काला होना भी है। कवि अंग्रेज सरकार की काली करतूतों को उद्घाटित करना चाहता है। इसलिए काली करतूतों एवं कोयल के काले रंग में समानता भी है।

प्रश्न 13.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?
उत्तर-
अंग्रेज सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार इसलिए किया जाता था ताकि उन्हें यह अनुभव करवा दे कि उनकी दृष्टि में तुम सामान्य अपराधी हो। इसके अतिरिक्त उनके देश-प्रेम की भावना और मनोबल को ठेस पहुंचाने के लिए भी ऐसा किया जाता था।

पाठेतर सक्रियता

पराधीन भारत की कौन-कौन सी जेलें मशहूर थीं, उनमें स्वतंत्रता सेनानियों को किस-किस तरह की यातनाएँ दी जाती थीं? इस बारे में जानकारी प्राप्त कर जेलों की सूची एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नामों को राष्ट्रीय पर्व पर भित्ति पत्रिका के रूप में प्रदर्शित करें।
स्वतंत्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारकर हृदय परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। पता लगाइए कि इस दिशा में कौन-कौन से कार्यक्रम चल रहे हैं ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi कैदी और कोकिला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने पराधीन भारत की दुर्दशा का उल्लेख करके अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों की ओर संकेत किया है। कवि ने भारतीय जनता को क्रांति करने का आह्वान किया है ताकि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल सके। कवि अंधेरी रात में कारागार में बंद है। वह कोयल की मधुर कूक सुनकर बेचैन हो उठता है। प्रस्तुत कविता में कवि ने जेल में दी जाने वाली यातनाओं का यथार्थ चित्रण किया है। उसे कोयल की स्वतंत्रता से ईर्ष्या भी होती है कि कोयल स्वच्छंद रूप से उड़ती व गाती है, जबकि वह बंदी है। गाँधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए भारतीय युवकों को प्रेरित करना भी कवि का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
कोयल की कूक सुनकर कवि के मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-
कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा कि वह कुछ कहना चाहती है। कोयल की कूक कवि के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा सी प्रतीत हुई थी। उसे यह भी लगा कि कोयल कवि की यातनाओं से उत्पन्न पीड़ाओं को बाँटना चाहती है। वह उसे अपने प्रति सहानुभूति व्यक्त करती हुई भी प्रतीत होती है। अतः कवि कोयल के इशारों पर आत्म-बलिदान करने के लिए तैयार हो जाता है।

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प्रश्न 3.
कवि को रात के समय कोयल का कूकना अच्छा क्यों नहीं लगता ?
उत्तर-
कवि राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ तरह-तरह की यातनाएँ भोग रहा है। ऐसे संघर्ष के समय रात को कोयल कूक उठती है यद्यपि कोयल दिन के समय ही बोलती है। कवि कोयल की ध्वनि सुनकर अत्यंत बेचैन हो उठता है। उसकी चेतना में कोयल की स्वच्छंद स्थिति एवं अपनी कैदी होने की स्थिति कौंध जाती है। इसलिए कवि को कोयल की मधुर ध्वनि बार-बार उसके बंदी होने का बोध कराती है। यह स्वाभाविक है कि गुलाम होकर या बंदी बनकर किसी स्वतंत्र व्यक्ति या प्राणी की स्थिति के प्रति ईर्ष्या का भाव भी जाग उठता है। इसलिए कवि को कोयल का कूकना अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 4.
कोयल और कवि की मनःस्थिति के अंतर पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कोयल और कवि की मनःस्थिति में दिन-रात का अंतर है। कवि अंग्रेजी शासन के द्वारा बंदी बनाया गया है और जेल की यातनाएँ भोग रहा है। वह दस फुट की तंग कोठरी में पड़ा हुआ है। जबकि कोयल हरे-भरे वृक्ष की टहनी पर बैठी हुई है।

वह फुदक-फुदक कर एक टहनी से दूसरी टहनी पर जा बैठती है। वह प्रसन्नतापूर्वक मधुर ध्वनि में कूक-कूक कर अपने मन की प्रसन्नता व्यक्त कर रही है। दूसरी ओर, कवि तंग कोठरी में पड़ा हुआ दुःखी हो रहा है।

प्रश्न 5.
ब्रिटिश राज के द्वारा कवि को पहनाई गई हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहना कहाँ तक उचित है?
उत्तर-
कवि ने अपने हाथों में पड़ी हुई हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहा है। वह कोई चोर या अपराधी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति नहीं है। वह देशभक्त है और अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करवाना चाहता है। इसलिए उसने स्वयं हथकड़ियाँ पहनना स्वीकार किया है। उसे बंदी होने पर भी गर्व है। क्योंकि वह एक पवित्र काम के लिए बंदी बना है। वह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष कर रहा है इसलिए ब्रिटिश शासन ने उस पर राजद्रोह का आरोप लगाया है। भारतीय समाज में ऐसे क्रांतिकारी और देशभक्त लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। यही कारण है कि ब्रिटिश शासन द्वारा पहनाई गई हथकड़ियों को कवि द्वारा ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहना उचित है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कैदी और कोकिला के लेखक हैं-
(A) भारतेंदु हरिश्चंद्र
(B) मैथिलीशरण गुप्त
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) निराला जी
उत्तर-
(C) माखनलाल चतुर्वेदी

प्रश्न 2.
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1889 में
(B) सन् 1879 में
(C) सन् 1869 में
(D) सन् 1859 में
उत्तर-
(A) सन् 1889 में

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प्रश्न 3.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी किस प्रदेश के रहने वाले थे ?
(A) हरियाणा
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मध्य प्रदेश
(D) हिमाचल प्रदेश
उत्तर-
(C) मध्य प्रदेश

प्रश्न 4.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने सबसे पहले किस पत्रिका का संपादन आरंभ किया था ?
(A) सरस्वती का
(B) प्रभा का
(C) हंस का
(D) धर्मयुग का
उत्तर-
(B) प्रभा का

प्रश्न 5.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का उपनाम है-
(A) एक भारतीय आत्मा
(B) भारत सपूत
(C) भारतीय सैनिक
(D) महाकवि
उत्तर-
(A) एक भारतीय आत्मा

प्रश्न 6.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाओं में कौन-सा प्रमुख भाव व्यक्त हुआ है ?
(A) प्रेमभाव
(B) विरह भाव
(C) राष्ट्रीय-भाव
(D) सामाजिक भाव
उत्तर-
(C) राष्ट्रीय-भाव

प्रश्न 7.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी की काव्य रचनाएँ हैं-
(A) साहित्य देवता
(B) हिम तरंगिनी
(C) समर्पण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1958 में
(C) सन् 1968 में
(D) सन् 1978 में
उत्तर-
(C) सन् 1968 में

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प्रश्न 9.
‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता में कवि की कौन-सी विचारधारा की अभिव्यक्ति हुई है ?
(A) क्रांतिकारी
(B) सामाजिक
(C) राजनीतिक
(D) धार्मिक
उत्तर-
(A) क्रांतिकारी

प्रश्न 10.
कवि को कौन पेट भर खाना नहीं देता ?
(A) माता-पिता
(B) अंग्रेज सरकार
(C) कवि के मित्र
(D) कवि की पत्नी
उत्तर-
(B) अंग्रेज सरकार

प्रश्न 11.
कवि को रात में कौन निराश करके चला गया ?
(A) कवि का मित्र
(B) जेलर
(C) बादल
(D) हिमकर (चाँद)
उत्तर-
(D) हिमकर (चाँद)

प्रश्न 12.
कवि कारागृह में किन लोगों के बीच रखा गया था ?
(A) चोरों और डाकुओं के
(B) साधु-संतों के
(C) पागलों के
(D) बच्चों के
उत्तर-
(A) चोरों और डाकुओं के

प्रश्न 13.
कवि पर जेल में रात-दिन कड़ा पहरा क्यों लगाया गया था ?
(A) वह चोर था
(B) वह खूनी था
(C) वह पागल था
(D) वह राजनीतिक कैदी था
उत्तर-
(D) वह राजनीतिक कैदी था ।

प्रश्न 14.
कवि ने कालिमामयी किसे कहा है ?
(A) अंधेरी रात को
(B) घटा को
(C) कोयल को
(D) सरकार को
उत्तर-
(C) कोयल को

प्रश्न 15.
‘शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है’ पंक्ति में प्रमुख विषय है-
(A) अंग्रेजी शासन का अन्याय
(B) रात का गहन अंधकार
(C) कोयल की कालिमा
(D) अंधेरे से उत्पन्न भय
उत्तर-
(A) अंग्रेजी शासन का अन्याय

प्रश्न 16.
कवि ने कोयल की आवाज को ‘हूक’ क्यों कहा ?
(A) उसमें मधुरता है
(B) उसमें लय है
(C) उसमें निराशा एवं वेदना है ।
(D) उसमें उत्साह है
उत्तर-
(C) उसमें निराशा एवं वेदना है

प्रश्न 17.
‘वेदना बोझ वाली-सी’ पंक्ति में कौन-सा प्रमुख अलंकार है ?
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) यमक
(D) उपमा
उत्तर-
(D) उपमा

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प्रश्न 18.
कोयल किस समय चीखी थी ?
(A) दोपहर के समय
(B) आधी रात के समय
(C) प्रातःकाल के समय
(D) संध्या के समय
उत्तर-
(B) आधी रात के समय

प्रश्न 19.
दावानल की ज्वालाओं से अभिप्राय है-
(A) बहुत भारी दुःख
(B) बहुत बड़ी जंगल की आग
(C) सागर की आग
(D) विरह की आग
उत्तर-
(A) बहुत भारी दुःख

प्रश्न 20.
कवि ने बावली किसे कहा है ?
(A) रात्रि को
(B) कोयल को
(C) अपनी आत्मा को
(D) कविता को
उत्तर-
(B) कोयल को

प्रश्न 21.
कवि ने कौन-सा गहना पहना हुआ था ?
(A) कंगन
(B) घड़ी
(C) हथकड़ी
(D) सोने का कड़ा
उत्तर-
(C) हथकड़ी

प्रश्न 22.
कवि को कोयल की मधुरता एवं सहानुभूतिपूर्ण स्वर से कैसी प्रेरणा मिली थी ?
(A) परिवार के सदस्यों के प्रति स्नेह की प्रेरणा
(B) विदेशी सत्ता के प्रति विद्रोह की भावना
(C) विदेशियों से घृणा की भावना
(D) देश के प्रति स्नेह की प्रेरणा
उत्तर-
(B) विदेशी सत्ता के प्रति विद्रोह की भावना

प्रश्न 23.
‘शासन की करनी भी काली’ से क्या अभिप्राय है ?
(A) शासन की अन्याय भावना
(B) शासन की दयामय भावना
(C) शासन की दंड व्यवस्था
(D) शासन के कड़े नियम
उत्तर-
(A) शासन की अन्याय भावना

प्रश्न 24.
कवि ने कोयल के स्वर को ‘चमकीले गीत’ क्यों कहा है ?
(A) वह चमकदार है
(B) वह मधुर है
(C) वह ओज एवं संघर्ष के भाव से युक्त है
(D) वह लययुक्त है
उत्तर-
(C) वह ओज एवं संघर्ष के भाव से युक्त है

प्रश्न 25.
‘नभ-भर का संचार’ का आशय है-
(A) मुक्ति
(B) विशालता
(C) ईर्ष्या
(D) प्रसन्नता
उत्तर-
(A) मुक्ति

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प्रश्न 26.
‘मोहन’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?
(A) श्रीकृष्ण के लिए
(B) महात्मा गाँधी के लिए
(C) कवि ने अपने लिए
(D) जवाहर लाल नेहरू के लिए
उत्तर-
(B) महात्मा गाँधी के लिए

कैदी और कोकिला अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली? [पृष्ठ 107]

शब्दार्थ-घेरे में = बंधन में। बटमार = रास्ते में यात्रियों को लूटने वाला । तम = अंधकार । हिमकर = चंद्रमा। कालिमामयी = काले रंग वाली। आली = सखी।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य अपने शब्दों में लिखिए।
(5) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(6) अंग्रेज सरकार का स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कैसा व्यवहार था ?
उत्तर-
(1) कवि-माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) प्रस्तुत काव्यांश श्री माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख काव्य रचना ‘कैदी और कोकिला’ में से उद्धृत है। कवि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कारागार में बंद कर दिया गया था। वहाँ एकाकी और यातनामय वातावरण के कारण उसके मन में निराशा भर गई है। रात को कोयल की ध्वनि सुनकर वह जाग जाता है और अपने मन के दुःख और ब्रिटिश शासन के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करता हुआ कोयल से ये शब्द कहता है।

(3) व्याख्या-कवि कोयल की ध्वनि सुनकर उससे पूछता है कि इस समय तुम रह-रहकर क्या गाती हो ? अपनी इस ध्वनि के माध्यम से तुम किसके लिए और क्या संदेश लाती हो। मुझे इसके विषय में बताओ।।

कवि अपने विषय में उसे बताता है कि मैं यहाँ कारागार की ऊँची-ऊँची काली दीवारों के घेरे में डाकुओं, चोरों तथा रास्ते में दूसरों को लूटने वाले बटमारों के बीच बंद हूँ। दूसरी ओर, अंग्रेज सरकार जीने के लिए भर पेट खाना भी नहीं देती। यहाँ ऐसी दशा बना दी गई है कि न हम मर सकते हैं और न ही भली-भाँति जी सकते हैं, बस तड़पते रहते हैं। यहाँ हमारे जीवन पर दिन-रात कठोर पहरा लगाया गया है। अंग्रेजी शासन का प्रभाव गहरे अंधकार के प्रभाव के समान है। कहने का भाव है कि जिस प्रकार अंधकार में कुछ नहीं सूझता; उसी प्रकार अंग्रेजी शासन में किसी के साथ सही न्याय नहीं होता। अब रात काफी बीत चुकी है। चंद्रमा भी मानो निराश होकर चला गया है और उसके जाने के पश्चात रात पूर्णतः अंधकारमयी हो गई है। इस कालिमामयी अर्थात् गहरे काले रंग वाली कोयल तू इस अंधेरी रात में क्यों जाग गई। तुझे क्या गम या चिंता है।

भावार्थ-इन काव्य-पंक्तियों में जहाँ एक ओर कवि के मन की निराशा का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज शासन के अत्याचारों को उजागर किया गया है।

(4) प्रस्तुत पद में कवि ने जहाँ अपने मन के निराश भावों को अभिव्यक्त किया है वहीं अंग्रेज सरकार के द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ किए गए दुर्व्यवहारों एवं शोषण का यथार्थ चित्रण किया है। अंग्रेज सरकार द्वारा किए गए अन्याय एवं अत्याचारों को उजागर करना ही इस काव्यांश का मूल भाव है।

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(5) (क) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ख) लक्षणा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण विषय में रोचकता एवं चमत्कार का समावेश हुआ है।
(ग) चाँद का मानवीकरण किया गया है।
(घ) तत्सम शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग हुआ है।
(ङ) ‘रह-रह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।
(छ) कवितांश में लय, तुक एवं संगीत का सुंदर समन्वय है।

(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उन्हें कारागार में बंद कर देती थी। उन्हें भर पेट खाना भी नहीं देती थी। वे न तो जी सकते थे और न ही मर सकते थे। उन पर दिन-रात कठोर पहरा लगाया जाता था।

2. क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा?
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 107-108]

शब्दार्थ-हूक = बोलना। वेदना = पीड़ा। मृदुल = कोमल, मधुर। वैभव = धन-संपत्ति, सुख। बावली = पागल। दावानल = जंगल की आग। ज्वालाएँ = लपटें।

प्रश्न
(1) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पंक्तियाँ कौन किससे कह रहा है ?
(6) कवि ने अर्द्धरात्रि में कोयल के बोलने के कौन-कौन से कारणों की कल्पना की है ?
उत्तर-
(1) कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या कविवर माखनलाल चतुर्वेदी अर्द्धरात्रि के समय कोयल की पीड़ा भरी आवाज सुनकर उससे पूछते हैं, हे कोयल! तू इस प्रकार पीड़ा के बोझ से दबी हुई-सी आवाज में क्यों बोल उठी है ? बताओ तो सही तूने क्या किसी को लूटते हुए देखा है। तू सदा मधुर ध्वनि में बोलने के कारण मधुरता के ऐश्वर्य की रक्षक-सी लगती थी, किंतु आज ऐसी वेदनायुक्त आवाज में क्यों बोल रही हो ? हे कोयल ! क्या तुम पगला गई हो जो आधी रात के समय इस प्रकार कूकने लगी हो। क्या तुझे कहीं जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी हैं जिन्हें देखकर तुम इस प्रकार कूक रही हो।

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि रात्रि के समय कोयल की कूकने की ध्वनि को सुनकर आशंकित हो उठता है और उससे इस प्रकार रात को कूकने का कारण जानना चाहता है, क्योंकि कवि को कोयल की ध्वनि में मृदुलता की अपेक्षा पीड़ा अनुभव होती है।

(4) (क) प्रस्तुत पद प्रश्न शैली में रचित है। इससे जहाँ कवि के मन की जिज्ञासा का बोध होता है, वहीं काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है।
(ख) तत्सम और तद्भव शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ग) भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
(घ) ‘बोलो तो’ शब्दों की आवृत्ति से कवि की जिज्ञासा का बोध होता है। (ङ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है। (5) प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कोयल से कह रहा है।
(6) कवि ने कोयल के अर्द्धरात्रि के समय कूकने से किसी के लुटने, कोयल के पगला जाने, जंगल में आग लगने से लपटों को देखना आदि कारणों की कल्पना की है।

3. क्या?-देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?-जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली? [पृष्ठ 108]

शब्दार्थ-गहना = आभूषण। चर्रक चूँ = कोल्हू के चलने पर निकलने वाली ध्वनि। मोट खींचना = पुर, चरसा (चमड़े का डोल जिससे कुएँ आदि से पानी निकाला जाता है।)। जूआ = बैल के कंधों पर रखी जाने वाली लकड़ी। गज़ब ढाना = जुल्म करना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के आधार पर अंग्रेज सरकार द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों का उल्लेख कीजिए।
(6) दिन में करुणा……ढा रही आली ?-पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी।
कविता-कैदी और कोकिला।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

(2) व्याख्या कवि ने कोयल से पूछा है कि क्या वह देख नहीं सकती कि अंग्रेज सरकार ने उन्हें जंजीरों के गहने पहनाए हुए हैं। ये हथकड़ियाँ जो हमने पहनी हुई हैं यही तो ब्रिटिश राज्य के गहने हैं जो वह भारतीयों को पहनाता है। कहने का भाव है ब्रिटिश शासक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के पैरों में बेड़ियाँ और हाथों में हथकड़ियाँ डाल देते थे। कवि पुनः कहता है कि कैदियों से कोल्हू चलवाया जाता था उससे जो चर्रक चूँ की ध्वनि निकलती है, वह मानो हमारे जीवन की तान हो। यहाँ कारागार में रहते हुए स्वतंत्रता सेनानी भी मिट्टी पर अपनी अँगुलियों से ही देश-भक्ति के गीत लिखते हैं। मैं अपने पेट पर जूआ लगाकर मोट खींचता हूँ अर्थात् कुएँ से पानी निकालता हूँ। मुझे उस समय ऐसा लगता है कि मैं कुएँ से पानी नहीं, अपितु ब्रिटिश शासन की अकड़ (अहंकार) के कुएँ को खाली कर रहा हूँ। कवि पुनः कोयल को संबोधित करता हुआ कहता है कि दिन में रुलाने वाली करुणा क्यों जगे अर्थात् दिन में हम करुणा के भाव को चेहरे पर व्यक्त नहीं करते ताकि अंग्रेज शासक यह न समझ लें कि हम टूट चुके हैं। इसलिए तू भी रात को करुणा जगाने वाली ध्वनि करके गजब ढा रही है।
भावार्थ-इन काव्य-पंक्तियों में जहाँ एक ओर कवि के मन की निराशा का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज शासन के अत्याचारों को उजागर किया गया है।

(3) कवि के कहने का भाव है कि ब्रिटिश शासन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति क्रूरता एवं अमानवीय व्यवहार करता था। वह उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा देता था। साधारण अपराधियों और स्वतंत्रता सेनानियों में उसे कोई अंतर महसूस नहीं होता था। कवि ने अंग्रेज शासन के दुर्व्यवहार को दर्शाकर भारतवासियों में राष्ट्रीय चेतना जगाने का सफल प्रयास किया है।

(4) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में चित्रात्मक शैली में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग एवं बलिदान की भावना को उद्घाटित किया गया है।
(ख) ‘खाली करता……का आ’ में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ग) संपूर्ण काव्यांश में प्रश्न अलंकार है।
(घ) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ङ) ‘गज़ब ढाना’ मुहावरे का सफल प्रयोग किया गया है।
(च) भाषा ओजस्वी है। संपूर्ण भाव ओजस्वी वाणी में उद्घाटित किए गए हैं।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उन्हें कारागार में बंद कर देती थी। उनके पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियाँ पहना देती थी। इतना ही नहीं, उन्हें पशुवत कोल्हू और कुँओं में जोत दिया जाता था। अतः स्पष्ट है कि ब्रिटिश शासक उनके प्रति अमानवीय व्यवहार करते थे।

(6) प्रस्तुत पंक्ति में कवि का स्वाभिमान अभिव्यक्त हुआ है। स्वतंत्रता सेनानी दिन में अपने चेहरे पर करुणा के भाव नहीं आने देते थे ताकि अंग्रेज अधिकारी यह न समझ लें कि वे टूट चुके हैं। इसलिए कवि कोयल से भी यही कहता है कि तू भी दिन में न कूक कर अब रात को ही कूकती है।

4. इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो![पृष्ठ 108]

शब्दार्थ-विद्रोह-बीज = विद्रोह की भावना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत कवितांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) “मधुर विद्रोह-बीज, इस भाँति बो रही क्यों हो ?”- पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या कवि ने कोयल से पूछा है कि तुम रात के इस शांत समय में और गहन अंधकार को चीरती हुई क्यों रो रही हो ? इस विषय में कुछ तो बोलो। इस प्रकार अपनी मधुर भाषा के द्वारा तुम क्रांति के बीज बो रही हो। कहने का भाव है कि कोयल की ध्वनि में कवि को विद्रोह की भावना अनुभव हुई है। कवि भी अपनी मधुर भाषा में रचित कविता के द्वारा लोगों के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न करता है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि रात के शांत वातावरण में कोयल की ध्वनि मधुर होते हुए भी विद्रोह के भाव युक्त प्रतीत होती है।

(3) रात के गहन अंधकार एवं शांत वातावरण में जब संपूर्ण संसार सोया हुआ है तब कोयल अपनी ध्वनि द्वारा एक हलचल उत्पन्न करना चाहती है। इसी प्रकार कवि अंग्रेजों के शासन में व्याप्त अंधकार अर्थात् अन्याय के प्रति जनता को सचेत करने का संदेश देना चाहता है।

(4) (क) संपूर्ण काव्यांश सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा में रचित है।
(ख) मधुर विद्रोह-बीज में विरोधाभास अलंकार है।
(ग) शब्द-चयन भावानुकूल है।
(घ) कवितांश में तुक, लय एवं संगीत का समन्वय है।

(5) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने बताया है कि विद्रोह की भावना केवल ओजस्वी भाषा में ही नहीं, अपितु मधुर वाणी में भी उत्पन्न की जा सकती है।

5. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-शृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!
इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 109]

शब्दार्थ-रजनी = रात। करनी काली = बुरे कर्म। लौह-शृंखला = लोहे की जंजीर । हुंकृति = हुँकार। व्याली = सर्पिणी। आली = सखी। मदमाती = मस्ती।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पयांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पयांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) पहरेदारों की हुंकार कवि को कैसी प्रतीत होती है?
(6) कवि ने किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

(2) व्याख्या प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीयों पर किए गए अन्याय एवं अत्याचारों का उल्लेख किया है। कैदी रूपी कवि कोयल से कहता है कि तू काली है और रात भी काली है। इतना ही नहीं, ब्रिटिश शासन के कर्म भी काले हैं अर्थात् उसके द्वारा किए गए सभी कार्य बुरे हैं। उसकी कल्पना भी काली है अर्थात् वे बुरा ही सोचते हैं। जिस कोठरी में मुझे बंद किया गया है, वह भी काली है। मेरी टोपी काली है। मुझे जो कंबल दिया गया है, वह भी काला है। जिन जंजीरों से मुझे बाँधा गया है, उनका रंग भी काला है। हे कोयल! उनके द्वारा बिठाए गए पहरे की हुंकार सर्पिणी की भाँति काली है। हे सखी! इतना कुछ होने पर भी वे गाली देकर बोलते हैं, किंतु इस काले संकट रूपी सागर के लहराने पर अर्थात् जीवन पर संकट मंडराते रहने पर भी हमें मरने की अर्थात् बलिदान देने की मस्ती छाई रहती है। हे कोयल! तू बता कि अपने चमकीले गीतों को इस काले वातावरण पर किस प्रकार तैराती हो। मुझे इसका भेद बता दो।
भावार्थ-कवि ने रात, कोयल और अंग्रेज शासक के कारनामों के रंग में साम्यता दर्शाते हुए ब्रिटिश शासन की काली करतूतों को उजागर किया है।

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति किए गए दुर्व्यवहार एवं अन्याय को उद्घाटित किया है। वे (स्वतंत्रता सेनानी) संकटकाल की चिंता न करके अपने जीवन का बलिदान करने की मस्ती में झूमते रहते थे। कवि ने उनकी बलिदान की भावना के माध्यम से भारतीयों में देश-प्रेम व राष्ट्रीय चेतना जगाने का प्रयास किया है।

(4) (क) संपूर्ण कवितांश में सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) ‘काली’ शब्द की आवृत्ति के द्वारा अंग्रेजों के काले कारनामों एवं अत्याचारों को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया गया है।
(ग) “संकट-सागर’ में रूपक अलंकार है।
(घ) संबोधन शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) संपूर्ण पद में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

(5) पहरेदारों की हुंकार कवि को सर्पिणी जैसी प्रतीत होती है।

(6) कवि ने काली कोयल, रात्रि काली, ब्रिटिश शासन के कार्य काले, कल्पना काली, काल कोठरी काली, टोपी काली, कंबल काला और लोहे की काली जंजीरों की गणना की है।

6. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार ।
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 109-110]

शब्दार्थ-डाली = टहनी, शाखा। नसीब = भाग्य। संचार = घूमना-फिरना, उड़ना। दस फुट का संसार = दस फुट की लंबी कोठरी, जिसमें कवि बंद है। कहावें वाह = प्रशंसा प्राप्त करना। गुनाह = अपराध । विषमता = अंतर। रणभेरी = युद्ध का नगाड़ा। हुंकृति = हुँकार। कृति = रचना (काव्य)। मोहन = मोहनदास कर्मचंद गाँधी। आसव = अर्क (आनंद)।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत कवितांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कैदी और कोकिला के जीवन में क्या अंतर बताया गया है ?
(6) कवि ने मोहन के किस व्रत की ओर संकेत किया है ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने कैदी और कोकिला के जीवन की स्थितियों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कैदी के जीवन के प्रति सहानुभूति अभिव्यक्त की है। कैदी कोयल से कहता है कि तुझे बैठने के लिए हरी-भरी टहनी मिली है और मुझे काल-कोठरी मिली हुई है अर्थात वह कारागार में बंद है। तेरे उड़ने के लिए सारा आकाश है, जबकि मेरे लिए केवल दस फुट की काल-कोठरी है अर्थात् कैदी को दस फुट की छोटी-सी कोठरी में बंद किया हुआ है। इतना ही नहीं, लोग तेरे गीतों को सुनकर वाह-वाह कर उठते हैं अर्थात् तेरे गीतों की सराहना की जाती है किंतु मेरा तो रोना भी अपराध माना जाता है अर्थात् मैं तो रो भी नहीं सकता। हे कोयल! तेरे-मेरे जीवन में कितना बड़ा अंतर है। तू इस विषमता को देखते हुए भी युद्ध का नगाड़ा बजा रही है। कवि कोयल से पुनः प्रश्न पूछता है कि इस हुँकार पर मैं अपनी रचना में क्या कर सकता हूँ अर्थात् अपनी काव्य-रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारतीय जनता में विद्रोह की भावना ही भर सकता हूँ। हे कोयल! तू ही बता कि महात्मा गाँधी (मोहनदास कर्मचंद गाँधी) के स्वतंत्रता-प्राप्ति के व्रत पर प्राणों का आनंद किस में भर दूं।
भावार्थ-कवि के कहने का तात्पर्य है कि कुछ लोगों के लिए समूचा संसार रहने के लिए है और कुछ को कैद में बंद किया गया है। यहाँ तक कि संपूर्ण भारत ही कारागार जैसा लगता है। अंग्रेजी शासन के इस अन्याय को समाप्त करने के लिए गाँधी जी ने सत्य व्रत धारण किया हुआ है। हमें उसमें सम्मिलित होकर उनका साथ देना चाहिए।

(3) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने कैदी और कोयल के जीवन की परिस्थितियों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कैदी के जीवन के प्रति भारतीयों के मन में सहानुभूति उत्पन्न की है। साथ ही कवि ने महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता प्राप्ति के दृढ़ निश्चय को भी उजागर किया है।

(4) (क) तुलनात्मक शैली से विषय आकर्षक बन पड़ा है।
(ख) नसीब, गुनाह आदि उर्दू शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ग) संपूर्ण पद में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(घ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।

(5) कवि ने कैदी और कोकिला के जीवन का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया है कि कोयल हरी-भरी टहनी पर बैठी थी और कैदी के भाग्य में काल-कोठरी है। इसी प्रकार कोयल खुले आकाश में उड़ान भर सकती है, जबकि कैदी दस फुट लंबी कोठरी में बंद है। कोयल की ध्वनि को सुनकर लोग उसकी प्रशंसा करते हैं, जबकि कैदी अपने दुःख को भी व्यक्त नहीं कर सकता। इस प्रकार कैदी और कोयल के जीवन में अत्यधिक विषमता है।

(6) कवि ने मोहन (महात्मा गाँधी) के देश को स्वतंत्र कराने के व्रत की ओर संकेत किया है।

कैदी और कोकिला Summary in Hindi

कैदी और कोकिला कवि-परिचय

प्रश्न-
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक गाँव में सन् 1889 में हुआ। उनके पिता नंदलाल चतुर्वेदी गाँव की एक पाठशाला में अध्यापक थे। उनकी माता का नाम सुंदरबाई था। मिडिल तथा नार्मल की परीक्षाएँ पास करने के उपरांत 1904 ई० में उन्होंने खंडवा के एक स्कूल में अध्यापन-कार्य प्रारंभ किया। असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण वे कई बार जेल भी गए।

चतुर्वेदी साहित्यिक-क्षेत्र में पत्रकारिता के माध्यम से आए। उनके द्वारा संपादित पत्रों में उनकी रचनाएँ बराबर प्रकाशित होती रहीं। संपादक की हैसियत से उन्हें अपने राष्ट्रीय विचारों को प्रचारित करने तथा देश-सेवा करने का पर्याप्त अवसर मिला। उन्होंने ‘प्रभा’, ‘प्रताप’ तथा ‘कर्मवीर’ नामक तीन पत्रों का संपादन किया।

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उनकी साहित्यिक-सेवाओं के कारण हिंदी साहित्य जगत ने उनका स्वागत भी प्रभूत मात्रा में किया। सन् 1958 में सागर विश्वविद्यालय के खंडवा में विशेष दीक्षांत समारोह का आयोजन कर उन्हें डी० लिट् की मानद उपाधि प्रदान की गई। सन् 1963 में इन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ एवं ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे। सन् 1965 में मध्य प्रदेश शासन ने खंडवा में इनको विशेष रूप से सम्मानित किया।
चतुर्वेदी जी हिंदी भाषा के पितामह थे। उनका देहावसान 30 जनवरी, 1968 को हुआ। माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य संसार में ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।

2. प्रमुख रचनाएँ-चतुर्वेदी जी के काव्य संग्रह हैं-‘हिम किरीटनी’, ‘हिम तरंगिनी’, ‘माता’, ‘वेणु लो गूंजे धरा’, ‘युग चरण’, ‘समर्पण’, ‘भरण ज्वार’, ‘बीजुरी काजल आँज रही’ आदि।
इसके अतिरिक्त चतुर्वेदी जी ने नाटक, कहानी, निबंध एवं संस्मरण भी लिखे हैं। उनके भाषणों के ‘चिंतन की लाचारी’ तथा ‘आत्म दीक्षा’ नामक संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। उनके द्वारा रचित गद्य-काव्य ‘साहित्य-देवता’ भी एक अमर कृति है।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीयता की भावना सर्वाधिक रूप में मुखरित हुई है। उन्हें अपने देश एवं संस्कृति पर गर्व था। उन्हें अपने देश की स्वतंत्रता और उसके विकास के लिए बड़े-से-बड़ा बलिदान देने में भी सुख अनुभव होता था। इस दृष्टि से उनकी ‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक कविता विचारणीय है। माखनलाल चतुर्वेदी जी की आरंभिक कविताओं में भक्ति-भावना भी देखी जा सकती है। उनकी भक्ति-भावना वैष्णव प्रभाव और राष्ट्रीय भावना का मिश्रण है। कहीं-कहीं रहस्यवादी कवियों की भाँति परम सत्ता के प्रति जिज्ञासा और कौतूहल का भाव प्रकट करते हैं।

श्री माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य में प्रेमानुभूति की भावना का भी चित्रण हुआ है, किंतु वह बहुत कम है। उनके प्रेम काव्य में वैयक्तिक चेतना के साथ-साथ समर्पण की भावना भी है। प्रकृति उनके काव्य का प्रमुख विषय रही है। उन्होंने अपने काव्य में प्रकृति-सौंदर्य के अनेक चित्र अंकित किए हैं

“लाल फले हैं गुल बाँसों में मकई पर मोती के दाने
जो फट पड़े कपास जंवरिया सोना-चाँदी हम पहचाने।”

4. भाषा-शैली-चतुर्वेदी जी की काव्य-भाषा सरल, सहज एवं व्यावहारिक है। उन्होंने बोलचाल के शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी आदि के शब्दों का भी प्रयोग किया है। उनकी छंद-योजना में नवीनता है। चित्रात्मकता उनकी भाषा-शैली की प्रमुख विशेषता है। उनकी काव्य-भाषा में यदि हुँकार और ओज है तो कहीं करुणा की धारा भी प्रवाहित होती दिखाई देती है। अतः स्पष्ट है कि चतुर्वेदी जी के काव्य का कला-पक्ष अर्थात् भाषा-शैली अत्यंत समृद्ध है।

कैदी और कोकिला कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘कैदी और कोकिला’ श्री माखनलाल चतुर्वेदी की सुप्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेजी शासकों द्वारा भारतीयों पर किए गए जुल्मों का सजीव चित्रण किया है। प्रस्तुत कविता भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अंग्रेज अधिकारियों द्वारा जेल में किए गए दुर्व्यवहारों एवं यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से एक ओर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा किए गए संघर्षों का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज सरकार की शोषणपूर्ण नीतियों को उजागर किया गया है।

कवि स्वयं महान् स्वतंत्रता सेनानी है। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ के एकाकी एवं यातनामय जीवन से उदास एवं निराश है। कवि रात को कोयल की ध्वनि सुनकर जाग उठता है। वह कोयल को अपने मन का दुःख, असंतोष और आक्रोश सुनाता है। वह कोयल से पूछता है कि तुम रात्रि के समय किसका और क्या संदेश लाती हो। मैं यहाँ जेल की ऊँची और काली दीवारों में डाकुओं, चोरों और लुटेरों के बीच रहता हूँ। यहाँ कैदियों को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता । यहाँ अंग्रेजों का कड़ा पहरा है। अंग्रेज शासन भी गहन अंधकार की भाँति काला लगता है। तुम बताओ कि रात के समय पीडामय स्वर में क्यों बोल उठी हो ? क्या तुझे कही जंगल की भयंकर आग दिखाई दी जिसे देखकर तुम कूक उठी हो ? क्या तुम नहीं देख सकती कि यहाँ कैदियों को जंजीरों से बाँधा हुआ है। मैं दिन भर कुएँ से पानी खींचता रहता हूँ किंतु फिर भी दिन में करुणा के भाव चेहरे पर नहीं आने देता। रात को ही करुणा गजब ढाती है। तुम बताओ कि तुम रात के अंधकार को अपनी ध्वनि से बेंधकर मधुर विद्रोह के बीज क्यों बोती हो? इस समय यहाँ हर वस्तु काली है-तू काली, रात काली, अंग्रेज शासन की करनी काली, यह काली कोठरी, टोपी, कंबल, जंजीर आदि सब काली हैं। तू काले संकट-सागर पर अपने मस्ती भरे गीतों को क्यों तैराती हो। तुझे तो हरी-भरी डाली मिली है और मुझे काली कोठरी। तू आकाश में स्वतंत्रतापूर्वक घूमती है और मैं दस फुट की काल कोठरी में बंद हूँ। मेरी और तेरी विषम स्थिति में बहुत अंतर है। अतः कवि को लगता है कि कोयल भी पूरे देश को कारागार के रूप में देखने लगी है। इसीलिए वह आधी रात को कूक उठी है।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

HBSE 9th Class Hindi सवैये Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है ? [H.B.S.E. March, 2019]
उत्तर-
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम विभिन्न रूपों में अभिव्यक्त हुआ है। कवि गोकुल गाँव के ग्वालों के प्रति प्रेम भाव रखता है। इसलिए वह अगले जन्म में वहाँ जन्म लेना चाहता है। वह पशु बनकर वहाँ गायों के बीच रहना चाहता है। वहाँ के पर्वतों के प्रति भी कवि का प्रेम व्यक्त हुआ है। कवि के मन में ब्रज में बहने वाली यमुना नदी और वहाँ पर खड़े कदंब के पेड़ों के प्रति भी अनन्य प्रेम है।

प्रश्न 2.
कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं ?
उत्तर-
वस्तुतः कवि श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम रखता है, इसलिए उसके मन में उन सभी वस्तुओं के प्रति प्रेम है जिनका संबंध श्रीकृष्ण से था। ब्रज के बागों, जंगलों तथा तालाबों पर श्रीकृष्ण अपनी लीलाएँ रचते थे। इसलिए कवि वन, बाग और तालाब को निहारना चाहता है।

प्रश्न 3.
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है ?
उत्तर-
वस्तुतः लकुटी और कामरिया वे वस्तुएँ हैं जिनका प्रयोग श्रीकृष्ण गायों को चराते समय करते थे। कवि को श्रीकृष्ण की प्रत्येक वस्तु प्रिय है। इसलिए कवि अपने आराध्य देव की प्रिय वस्तुओं के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार है।

प्रश्न 4.
सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था ? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सखी ने गोपी को श्रीकृष्ण की भाँति मोर पंखों से बने मुकुट को सिर पर धारण करने का आग्रह किया था। शरीर पर पीले वस्त्र पहनने और गले में गुंजन की माला धारण करने का भी आग्रह किया था। लाठी और कंबली लेकर ग्वालों का रूप धारण करके गाय चराने के लिए ग्वालों के साथ रहने का भी आग्रह किया था। सखी को मुरलीधर की मुरली को होंठों पर लगाने का आग्रह भी किया था, किंत गोपी ने उसे स्वीकार नहीं किया था।

प्रश्न 5.
आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में श्रीकृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?
उत्तर-
कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में श्रीकृष्ण का सान्निध्य इसलिए प्राप्त करना चाहता है क्योंकि इन सबसे श्रीकृष्ण को भी प्रगाढ़ प्रेम था। इसलिए कवि भी उनसे संबंधित सभी वस्तुओं को प्राप्त करके श्रीकृष्ण का सान्निध्य प्राप्त करना चाहता हैं।

प्रश्न 6.
चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने-आपको क्यों विवश पाती हैं ?
उत्तर-
चौथे सवैये में कवि ने बताया है कि गोपियाँ श्रीकृष्ण की मुरली की धुन से प्रभावित हैं, किंतु जब श्रीकृष्ण मुरली बजाएँगे तो वे अपने कानों पर अंगुली रख लेंगी जिससे उस मधुर ध्वनि को सुन नहीं सकेंगी, किंतु जब श्रीकृष्ण मंद-मंद रूप से मुस्कुराते हैं तो गोपियाँ उनकी मुस्कान से अत्यधिक प्रभावित हो उठती हैं और अपने-आपको सँभाल नहीं पातीं और श्रीकृष्ण के प्रेम की धारा में प्रवाहित होने लगती हैं। इसलिए गोपियाँ श्रीकृष्ण की मुस्कान के सामने अपने-आपको विवश पाती हैं।

प्रश्न 7.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति में कवि की श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है। वह श्रीकृष्ण की प्रत्येक वस्तु को प्राप्त करने के लिए बड़े-से-बड़ा त्याग करने के लिए तत्पर रहते थे। इसलिए वह करील के वृक्षों के उस समूह, जहाँ श्रीकृष्ण गौओं को चराते थे, के लिए सोने से निर्मित करोड़ों भवनों को त्यागने के लिए तत्पर थे। कहने का भाव है कि श्रीकृष्ण की प्रत्येक वस्तु कवि को अत्यधिक प्रिय है।

(ख) प्रस्तुत काव्य-पंक्ति में गोपिका के श्रीकृष्ण के प्रति गहन प्रेम को अभिव्यक्त किया गया है। गोपिका कहती है कि मैं श्रीकृष्ण की मधुर मुस्कान को देखकर अपने-आपको संभाल नहीं सकती अर्थात श्रीकृष्ण के प्रेम की धारा में प्रवाहित होने लगेंगी। इस पंक्ति में गोपिका की विवशता को उद्घाटित किया गया है।

प्रश्न 8.
‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर-
अनुप्रास।

प्रश्न 9.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए“या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।”
उत्तर-
(1) प्रस्तुत पंक्ति ब्रज भाषा में रचित है।
(2) इसमें गोपिका के हृदय की सौतिया भावना का सजीव चित्रण हुआ है।
(3) संपूर्ण पंक्ति में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(4) ‘मुरली मुरलीधर’ में यमक अलंकार है।
(5) भाषा में संगीतात्मकता है।
(6) शब्द-योजना भावानुकूल की गई है।

रचना और अभिव्यक्ति

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

प्रश्न 10.
प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
प्रश्न 11.
रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर-
नोट-ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। इसलिए विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

पाठेतर सक्रियता

सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पदों को पढ़िए।
उत्तर-
रसखान और सूरदास दोनों ही श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त कवि हैं। दोनों श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध हैं और दोनों कवियों ने बालक कृष्ण की छवि के अनेक सुंदर एवं सजीव चित्र अंकित किए हैं। सूरदास द्वारा रचित यह पद देखिए-
(1) घुटुरुनि चलत स्याम मनि-आँगन, मातु-पिता दोउ देखत री।
कबहुँक किलकि तात-मुख हेरत, कबहुँ मातु-मुख पेखत री।
लटकन लटकत ललित भाल पर, काजर-बिंदु ध्रुव ऊपर री।
यह सोभा नैननि भरि देखत, नहि उपमा तिहुँ पर भूरी।
कबहुँक दौरि घुटुरुवनि लपकत, गिरत, उठत पुनि धावै री।
इतरौं नंद बुलाइ लेत हैं, उतरौं जननि बुलावै री।
दंपति होड़ करत आपस मैं, स्याम खिलौना कीन्हौ री।
सूरदास प्रभु ब्रह्म सनातन, सुत हित करि दोउ लीन्हौ री ॥

2. कान्ह चलत पग द्वै द्वै धरनी।
जो मन मैं अभिलाष करति हो, सो देखति नँद घरनी।
रुनुक-झुनुक नूपुर पग बाजत, थुनि अतिहीं मन-हरनी।
बैठि जात पुनि उठत तुरतहीं, सौ छवि जाइ न बरनी।
ब्रज जुबती सब देखि थकित भइँ, सुंदरता की सरनी।
चिरजीवहु जसुदा को नंदन, सूरदास कौं तरनी ॥

HBSE 9th Class Hindi 11 सवैये Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रसखान अगले जन्म में क्या बनना चाहते हैं और क्यों ?
उत्तर-
रसखान अगले जन्म में ग्वाला बनना चाहते हैं तथा ब्रज भूमि पर श्रीकृष्ण का बाल सखा बनकर रहना चाहते हैं। रसखान ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि उनके मन में श्रीकृष्ण के प्रति अथाह श्रद्धा एवं भक्ति-भावना है। वे अपने आराध्य श्रीकृष्ण के सान्निध्य में रहना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
पठित सवैयों के आधार पर रसखान की भक्ति-भावना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। पठित सवैये के अध्ययन से पता चलता है कि वे अपना पूरा जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति में लगा देना चाहते हैं। ब्रज भूमि से भी उनका गहरा संबंध है। वे श्रीकृष्ण की भूमि, उनकी वस्तुओं आदि सबके लिए अपना जीवन न्योछावर करने के लिए तत्पर रहते हैं। वे श्रीकृष्ण का सामीप्य प्राप्त करने के लिए स्वाँग भी रचने के लिए तत्पर हैं। वे श्रीकृष्ण की मुरली की मधुर तान पर भी मुग्ध हैं। इससे पता चलता है कि रसखान के मन में श्रीकृष्ण के प्रति प्रगाढ़ भक्ति-भावना है।

प्रश्न 3.
गोपिका श्रीकृष्ण की मुरली को अपने अधरों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?
उत्तर-
गोपिका श्रीकृष्ण की मुरली से ईर्ष्या भाव रखती है क्योंकि जब श्रीकृष्ण अपनी मुरली बजाने में तल्लीन हो जाते हैं तब वे सभी गोपियों को भूल जाते हैं। वे गोपियों की ओर ध्यान नहीं देते। इसलिए गोपिका अपने मन में श्रीकृष्ण की मुरली के प्रति सौत व ईर्ष्या भाव रखती है। इसलिए वह उसे अपने अधरों पर नहीं रखना चाहती।

प्रश्न 4.
सखी के कहने पर गोपिका क्या-क्या स्वाँग रचने को तैयार है और क्यों ?
उत्तर-
सखी के कहने पर गोपिका श्रीकृष्ण का स्वाँग रचने को तैयार है। वह श्रीकृष्ण के पीले वस्त्र पहनने को तत्पर है। वह श्रीकृष्ण के समान सिर पर मोर के पंखों से बना मुकुट भी धारण कर लेना चाहती है। गले में गुंजन की माला भी पहनने के लिए तैयार है। वह श्रीकृष्ण की भाँति हाथ में लाठी लेकर गाय चराने के लिए ग्वालों के साथ वन-वन घूमने को तैयार है। गोपिका यह सब इसलिए करना चाहती है क्योंकि उसके मन में श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम व भक्ति-भावना है।

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प्रश्न 5.
पठित सवैयों के आधार पर रसखान की प्रेम भावना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
रसखान का सारा काव्य प्रेम की भावना पर आधरित है। वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त हैं। वे अपने प्रिय की हर वस्तु को, उसके पहनावे, रहन-सहन, उसके हर कार्य को पसंद करते हैं। उनके सामीप्य को प्राप्त करने के लिए वे अपना जीवन तक न्योछावर करने के लिए तत्पर रहते हैं। वे किसी भी बहाने से प्रिय का संग चाहते हैं। उनके लिए अपना सब कुछ त्यागने के लिए तैयार हैं। वे प्रिय के साथ अकेला ही जीना चाहते हैं। यहाँ तक कि उन्हें प्रिय की बांसुरी भी सहन नहीं है। अतः स्पष्ट है कि रसखान की प्रेम भावना पवित्र, आवेगमयी एवं अनन्यतामयी है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रसखान किस संप्रदाय से संबंध रखते थे ?
(A) हिंदू
(B) जैन
(C) मुस्लिम
(D) सिक्ख
उत्तर-
(C) मुस्लिम

प्रश्न 2.
रसखान का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1542 में
(B) सन् 1548 में
(C) सन् 1549 में
(D) सन् 1550 में
उत्तर-
(B) सन् 1548 में

प्रश्न 3.
रसखान का जन्म किस परिवार में हुआ था ?
(A) गरीब परिवार में
(B) राज परिवार में
(C) संपन्न पठान परिवार में
(D) किसान परिवार में
उत्तर-
(C) संपन्न पठान परिवार में

प्रश्न 4.
रसखान क्या देखकर दिल्ली से ब्रज चले गए थे ?
(A) भीषण अकाल
(B) राजा का अन्याय
(C) सेना के जुल्म
(D) भीषण गरीबी
उत्तर-
(B) राजा का अन्याय

प्रश्न 5.
ब्रज में रहते हुए रसखान ने किस ग्रंथ का पाठ सुना
(A) महाभारत का
(B) श्रीमद्भगवद्गीता का
(C) रामचरितमानस का
(D) सूरसागर का
उत्तर-
(C) रामचरितमानस का

प्रश्न 6.
रसखान के आराध्य देव कौन हैं ?
(A) शिव
(B) विष्णु
(C) श्रीकृष्ण
(D) श्रीराम
उत्तर-
(C) श्रीकृष्ण

प्रश्न 7.
रसखान की प्रमुख रचना कौन-सी है ?
(A) सतसई
(B) प्रेमवाटिका
(C) सूरसागर
(D) कृष्णवाटिका
उत्तर-
(B) प्रेमवाटिका

प्रश्न 8.
रसखान के काव्य का मूल भाव क्या है ?
(A) शृंगार
(B) विरह
(C) भक्ति -भाव
(D) विद्रोह
उत्तर-
(C) भक्ति -भाव

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प्रश्न 9.
रसखान का निधन कब हुआ था ?
(A) सन् 1608 में
(B) सन् 1618 में
(C) सन् 1628 में
(D) सन् 1638 में
उत्तर-
(C) सन् 1628 में

प्रश्न 10.
कविवर रसखान मनुष्य होने पर कहाँ बसना चाहते थे ?
(A) मथुरा में
(B) काशी में
(C) गोकुल गाँव में
(D) प्रयागराज में
उत्तर-
(C) गोकुल गाँव में

प्रश्न 11.
रसखान पशु की योनि में होने पर कहाँ चरना चाहते थे ?
(A) किसान के खेत में
(B) चरागाह में
(C) घास के मैदान में
(D) नंद की गायों के बीच
उत्तर-
(D) नंद की गायों के बीच

प्रश्न 12.
कवि रसखान किस पहाड़ का पत्थर बनना पसंद करते थे ?
(A) हिमालय पर्वत का
(B) गोवर्धन पर्वत का
(C) सुमेरू पर्वत का
(D) साधारण पहाड़ी का
उत्तर-
(B) गोवर्धन पर्वत का

प्रश्न 13.
रसखान कवि पक्षी बनकर कहाँ बसेरा करना चाहते थे ?
(A) करील के पेड़ पर
(B) आम के पेड़ पर ।
(C) कदंब के पेड़ पर
(D) वट वृक्ष पर
उत्तर-
(C) कदंब के पेड़ पर

प्रश्न 14.
जिस कंद पर श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे, वह किस नदी के तट पर था ?
(A) यमुना
(B) गंगा
(C) सरस्वती
(D) घाघर
उत्तर-
(A) यमुना

प्रश्न 15.
श्रीकृष्ण ने किसे हराने के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था ?
(A) अग्नि देवता को
(B) इंद्र देवता को
(C) विष्णु को
(D) शिव को
उत्तर-
(B) इंद्र देवता को

प्रश्न 16.
गोपिका श्रीकृष्ण की लकुटी और कंबली पर कौन-सा राज्य न्योछावर करने के लिए तत्पर है ?
(A) भारतवर्ष का राज्य
(B) संसार का राज्य
(C) पाताल का राज्य
(D) तीनों लोकों का राज्य
उत्तर-
(D) तीनों लोकों का राज्य

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

प्रश्न 17.
कविवर अपनी आँखों से क्या देखने की कामना करते हैं ?
(A) ब्रज के बाग और तालाब को
(B) गोपिकाओं को
(C) कदंब के पेड़ कों
(D) यमुना नदी को
उत्तर-
(A) ब्रज के बाग और तालाब को

प्रश्न 18.
कवि सोने के करोड़ों महलों को किस पर वार देना चाहता है ?
(A) ब्रज की गलियों पर
(B) ब्रज में खड़े वृक्षों के समूह पर
(C) ग्वालों के बच्चों पर
(D) ब्रज के पक्षियों पर
उत्तर-
(B) ब्रज में खड़े वृक्षों के समूह पर

प्रश्न 19.
गोपिका सिर पर क्या धारण करना चाहती थी ?
(A) टोपी
(B) मोर के पंखों का मुकुट
(C) पगड़ी
(D) ताज
उत्तर-
(B) मोर के पंखों का मुकुट

प्रश्न 20.
गोपिका कौन-सी माला गले में धारण करने के लिए तत्पर है ?
(A) सोने की
(B) मोतियों की
(C) गुंजन की
(D) हीरों की
उत्तर-
(C) गुंजन की.

प्रश्न 21.
गोपिका किस रंग के वस्त्र धारण करना चाहती है ?
(A) नीले
(B) लाल
(C) हरे
(D) पीले
उत्तर-
(D) पीले

प्रश्न 22.
गोपिका श्रीकृष्ण की कौन-सी वस्तु धारण नहीं करना चाहती ?
(A) मुकुट
(B) वस्त्र
(C) मुरली
(D) लाठी
उत्तर-
(C) मुरली

प्रश्न 23.
गोपी श्रीकृष्ण की मुरली को अपने अधरों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?
(A) मुरली पुरानी है
(B) मुरली जूठी है
(C) ईर्ष्या भाव के कारण
(D) मुरली सुंदर नहीं है
उत्तर-
(C) ईर्ष्या भाव के कारण

प्रश्न 24.
गोपिका कानों में अँगुली क्यों देना चाहती है ?
(A) उसको मुरली की धुन अच्छी नहीं लगती
(B) उसे कृष्ण के वश में होने का खतरा है
(C) मुरली की ध्वनि अत्यंत कर्कश है
(D) मुरली की धुन बेसुरी है
उत्तर-
(B) उसे कृष्ण के वश में होने का खतरा है

प्रश्न 25.
गोधन से क्या तात्पर्य है ?
(A) एक लोकगीत
(B) गौओं का धन
(C) लोक धुन
(D) ग्वालों द्वारा गाया जाने वाला गीत
उत्तर-
(A) एक लोकगीत

प्रश्न 26.
‘या लकुटी और कामरिया पर’ सवैये में कवि ने किस प्रदेश की प्रशंसा की है?
(A) मगध
(B) ब्रज
(C) मालवा
(D) अवध
उत्तर-
(B) ब्रज

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सवैये अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मानुष हों तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकल गाँव के ग्वारन।
जौ पस हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कुल कदंब की डारन॥ [पृष्ठ 101]

शब्दार्थ-मानुष हौं = मनुष्य हुआ तो। ग्वारन = ग्वाले। धेनु = गायों। मँझारन = मध्य में। पाहन = पत्थर। हरिछत्र = श्रीकृष्ण ने जिसे धारण किया था। पुरंदर = इंद्र। खग = पक्षी। कालिंदी कूल = यमुना नदी का तट। कदंब की डारन = कदंब वृक्ष की शाखाओं पर।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत सवैये का संदर्भ/प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत सवैये की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत सवैये का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(5) प्रस्तुत सवैये में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(6) प्रस्तुत सवैये में कवि की कौन-सी भावना व्यक्त हुई है ?
उत्तर-
(1) कवि-रसखान। कविता-सवैये।

(2) रसखान कवि द्वारा रचित इस सवैये में श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति-भावना का उल्लेख हुआ है। इस पद में उन्होंने अगले जन्म में श्रीकृष्ण की ब्रज भूमि में जन्म लेने की अपनी इच्छा प्रकट की है।

(3) व्याख्या-महाकवि रसखान का कथन है कि हे प्रभु! यदि मैं अगले जन्म में मनुष्य बनूँ तो मेरा निवास ब्रज या गोकुल के ग्वालों के साथ हो और यदि मैं पशु बनूँ तो मेरा बस इतना ही कहना है कि मैं नित्य नंद की गायों में चरता रहूँ। हे ईश्वर! यदि मैं पत्थर भी बनें तो उस गोवर्धन पर्वत का बनूँ जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर धारण करके इंद्र के क्रोध से गोकुल की रक्षा की थी। हे प्रभु! यदि मैं पक्षी बनूँ तो मेरा बसेरा यमुना तट के कदंब के पेड़ की शाखाओं पर हो।
भावार्थ-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि की ईश्वरीय भक्ति एवं प्रेम व्यक्त हुआ है।

(4) रसखान प्रत्येक स्थिति में श्रीकृष्ण के समीप रहना चाहते हैं, जिससे उनके मन में व्याप्त श्रीकृष्ण के प्रति गहन प्रेम का परिचय मिलता है। कवि हर स्थिति में ईश्वर का सामीप्य चाहता है।

(5) (क) कवि की श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति-भावना का वर्णन हुआ है।
(ख) ‘गोकुल गाँव के ग्वारन’, ‘मेरो चरौं’ एवं ‘कालिंदी, कूल, कदंब’ आदि में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(ग) ब्रजभाषा का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।
(घ) सवैया छंद है।

(6) प्रस्तुत सवैये में कवि की श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति-भावना व्यक्त हुई है। कवि श्रीकृष्ण को हर समय अपने समक्ष देखना चाहता है।

2. या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं ॥
रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं ।
कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं ॥ [पृष्ठ 101]

शब्दार्थ-लकुटी = लाठी। अरु = और। कामरिया = कंबल। तिहूँ पुर = तीनों लोकों (आकाश, पाताल और पृथ्वी) में। तजि = त्यागना। आठहुँ सिद्धि = आठ सिद्धियाँ, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व । नवौ निधि = नौ निधियाँ-पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील और खर्व । ये सभी कुबेर की नौ निधियाँ कहलाती हैं। तड़ाग = तालाब। निहारौं = देलूँगा। कोटिक = करोड़ों। कलधौत = महल । करील = काँटेदार झाड़ी। वारौं = न्योछावर करना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत सवैये में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि किसके लिए सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है ?
(6) कवि श्रीकृष्ण की लकुटी (लाठी) और कंबल के लिए क्या त्यागने के लिए तत्पर है ?
उत्तर-
(1) कवि-रसखान। कविता-सवैये।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद में कवि ने श्रीकृष्ण और ब्रजभूमि के प्रति अपने गहन प्रेम को व्यक्त करते हुए कहा है कि श्रीकृष्ण की लकुटी (लाठी) और कंबली पर मैं तीनों लोकों के राज्य के सुख को न्योछावर कर दूँगा। नंद की गायों को चराने के लिए मैं आठों सिद्धियों और नौ निधियों के सुख को भुला दूंगा अर्थात त्याग दूंगा। रसखान कवि कहते हैं कि मैं अपनी आँखों से ब्रज के बाग-बगीचे और तालाबों को देखने के लिए अत्यंत व्याकुल हूँ। मैं ब्रज के वृक्षों के समूहों पर, जहाँ कभी श्रीकृष्ण खेलते व गायों को चराते थे, सोने से निर्मित करोड़ों भवन न्योछावर करता हूँ।
भावार्थ-कहने का भाव है कि उन्हें अपने आराध्यदेव श्रीकृष्ण की प्रत्येक वस्तु एवं स्थान अत्यंत प्रिय हैं। इससे उनके श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम व भक्ति का पता चलता है।

(3) श्रीकृष्ण और उनसे संबंधित हर वस्तु व स्थान कवि को अत्यंत प्रिय है। उन्हें प्राप्त करने के लिए वे बड़े-से-बड़ा त्याग करने के लिए तत्पर हैं। इससे श्रीकृष्ण के प्रति उनके अनन्य प्रेम का बोध होता है।

(4) (क) प्रस्तुत पद सरल, सहज एवं प्रवाहमयी ब्रज भाषा में रचित है।
(ख) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा में लय बनी हुई है।
(ग) ‘नवौ निधि’, ‘ब्रज बन’, ‘करील के कुंजन’ आदि में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(घ) सवैया छंद का प्रयोग किया गया है।
(ङ) शब्द-चयन भावानुकूल है।

(5) कवि श्रीकृष्ण की ब्रज-भूमि के लिए सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार है।

(6) कवि श्रीकृष्ण की लकुटी (लाठी) और कंबल के लिए तीनों लोकों का राज्य त्यागने के लिए तत्पर है।

3. मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी ।
ओढि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारिन संग फिरौंगी॥
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी ॥ [पृष्ठ 101]

शब्दार्थ-मोरपखा = मोर के पंख। गुंज = घुघची। गरें = गले। पितंबर = पीले वस्त्र। लकुटी = लाठी। गोधन = गायों रूपी धन। ग्वारिन = ग्वालों। स्वाँग = रूप धारण करना। मुरलीधर = श्रीकृष्ण। अधरान = होंठों पर।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत सवैये की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(6) सखी के कहने पर गोपिका क्या-क्या स्वाँग भरने को तैयार है ?
उत्तर-
(1) कवि-रसखान। कविता-सवैये।

(2) कविवर रसखान ने श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के निःस्वार्थ प्रेम का मनोरम चित्रण किया है। ये शब्द एक गोपिका अपनी अंतरंग सखी से कहती है।

(3) व्याख्या-एक गोपिका अपनी सखी से कहती है कि वह श्रीकृष्ण के लिए कोई भी रूप धारण करने के लिए तत्पर है। गोपिका कहती है कि वह श्रीकृष्ण की भाँति ही मोर के पंखों से बना हुआ मुकुट सिर पर धारण कर लेगी। वह श्रीकृष्ण के गले में सुशोभित होने वाली घुघचों से बनी माला को भी धारण कर लेगी। श्रीकृष्ण की भाँति ही हाथ में लाठी लेकर ग्वालों व ग्वालिनों के साथ जंगल में गायों के पीछे भी घूम लेगी। रसखान ने बताया है कि गोपिका अपनी सखी से पुनः कहती है कि तुम्हारी कसम, मुझे श्रीकृष्ण बहुत ही अच्छे लगते हैं। तेरे कहने पर मैं हर प्रकार से श्रीकृष्ण का रूप धारण कर लूँगी। किंतु श्रीकृष्ण के होंठों पर लगी रहने वाली इस मुरली को अपने होंठों पर नहीं रखूगी। यहाँ गोपिका की सौतिया भावना का चित्रण हुआ है। वह मुरली को अपनी दुश्मन और प्रतिद्वंद्वी समझती है।
भावार्थ कवि के कहने का तात्पर्य है कि एक ओर गोपिका श्रीकृष्ण से प्रेम करती है और दूसरी ओर उनकी बांसुरी से सौत का भाव रखती है।

(4) (क) प्रस्तुत पद में कवि ने सरल एवं सहज ब्रज भाषा का प्रयोग किया है। (ख) ‘या मुरली…न धरौंगी’ में गोपी के सौतिया डाह की अभिव्यक्ति हुई है। (ग). मुरली मुरलीधर’, ‘अधरान धरी अधरा’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है। (घ) ‘रसखानि’ का अर्थ रस की खान तथा रसखान कवि होने के कारण यमक अलंकार है।

(5) प्रस्तुत पद. में कवि ने श्रीकृष्ण के प्रति गोपिका के अनन्य प्रेम का वर्णन किया है, किंतु गोपिका को श्रीकृष्ण की मुरली अच्छी नहीं लगती, क्योंकि जब भी श्रीकृष्ण मुरली को अपने होंठों पर रखकर बजाते हैं तो गोपियों को भूल जाते हैं। इसलिए गोपिका . मुरली के प्रति ईर्ष्या भाव रखती है, जिसे व्यक्त करना कवि का प्रमुख उद्देश्य है।

(6) सखी के कहने पर गोपी श्रीकृष्ण के पीले वस्त्र, घुघची की माला तथा मोर पंखों से बना मुकुट आदि सब कुछ धारण करने के लिए तैयार है। वह हाथ में लाठी लेकर गायों और ग्वालों के साथ वन-वन घूमने के लिए भी तत्पर है।

4. काननि दै अँगुरी रहिबो जवहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तो गैहै ॥
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुहै।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै ॥
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शब्दार्थ-काननि = कानों में। अँगुरी = अँगुली। धुनि = धुन। मंद = धीरे। मोहनी = मधुर। अटा = अट्टालिका। गोधन = ब्रज प्रदेश में गाया जाने वाला एक लोक-गीत। टेरि कहौं = पुकारकर कहती हूँ। काल्हि = कल को। वा = उस। मुसकानि = मुस्कान।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत सवैये में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) गोपिका अपने कानों में अँगुली क्यों डालना चाहती है ?
(6) गोपिका ब्रज के सभी लोगों को पुकारकर क्या कहना चाहती है ?
उत्तर-
(1) कवि-रसखान।। कविता-सवैये।

(2) व्याख्या-एक गोपिका का कथन है, हे सखी! जब श्रीकृष्ण अपनी मुरली मंद-मंद ध्वनि में बजाएंगे, तब मैं अपने कानों में अँगुली डाले रहूँगी ताकि मुरली की ध्वनि मुझे सुनाई ही न दे। फिर भले ही वह रस के सागर (श्रीकृष्ण) अट्टालिका पर चढ़कर मधुर तानों में गोधन राग में गीत गाते हैं तो गाते रहें। मैं तो ब्रज के सभी लोगों को पुकार-पुकारकर कहती हूँ कि कल को कोई कितना ही समझाए, किंतु मैं श्रीकृष्ण के मुख की मधुर मुस्कुराहट को नहीं सँभाल पाऊँगी।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि गोपिका श्रीकृष्ण की मधुर मुस्कान पर अत्यंत मोहित है।

(3) प्रस्तुत सवैये में कवि ने ब्रज की गोपियों पर श्रीकृष्ण की मधुर मुस्कान के प्रभाव का सुंदर उल्लेख किया है। श्रीकृष्ण की मधुर मुस्कान को देखकर गोपिका अपने-आपको रोक नहीं पाती। वह उससे प्रभावित होकर श्रीकृष्ण के प्रेम में बह जाती है।

(4) (क) श्रीकृष्ण की मुरली की मधुर तान व मंद-मंद मुस्कान का सजीव चित्रांकन किया गया है।
(ख) अनुप्रास अलंकार का सफल प्रयोग किया गया है।
(ग) ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।
(घ) शब्द-चयन अत्यंत सार्थक एवं विषयानुकूल है।
(ङ) सवैया छंद का प्रयोग है।

(5) गोपिका श्रीकृष्ण की मुरली की मधुर ध्वनि से अत्यंत प्रभावित है। वह जब भी उसे सुनती है तो अपने-आपको रोक नहीं पाती। इसलिए वह लोक-लाज के कारण अपने कानों में अँगुली रख लेती है। ऐसा करने से उसे न तो मुरली की ध्वनि सुनाई देगी और न ही वह श्रीकृष्ण के पास जाएगी।

(6) गोपिका ब्रज के सभी लोगों को पुकार-पुकारकर कहती है कि कल कोई भी मुझे कितना ही क्यों न समझाए, परंतु मैं श्रीकृष्ण की मधुर मुस्कान को सँभाल नहीं पाऊँगी अर्थात वह उसकी मुस्कान पर मोहित हुए बिना नहीं रह सकेगी।

सवैये Summary in Hindi

सवैये कवि-परिचय

प्रश्न-
कविवर रसखान का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा कविवर रसखान का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-रसखान कृष्णभक्त कवि थे। उनका जन्म सन् 1548 के लगभग दिल्ली के एक संपन्न पठान परिवार में हुआ था। वे मुसलमान होते हुए भी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे। उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था। वे अत्यंत प्रेमी स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें वैष्णव भक्तों ने श्रीकृष्ण के रूप-माधुर्य से परिचित करवाया। तभी से वे श्रीकृष्ण के भक्त बन गए थे। वे श्रीकृष्ण की भक्ति में इतने भाव-विभोर हो उठे कि श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए श्रीनाथ के मंदिर में भी गए थे। यह भी कहा जाता है कि उन्हें श्रीकृष्ण ने दर्शन दिए थे। गोकुल पहुँचकर उन्होंने श्री विठ्ठलनाथ से दीक्षा ली। तब से वे ब्रज-भूमि में रहने लगे थे। उनकी रसमयी भक्ति के कारण उनका नाम रसखान पड़ गया। सन् 1628 के लगभग उनका देहांत हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-रसखान की निम्नलिखित दो रचनाएँ प्राप्त हैं(क) सुजान रसखान-इसमें सवैये हैं, (ख) प्रेमवाटिका-इसमें दोहे हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-कविवर रसखान ने श्रीकृष्ण की लीलाओं का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है। श्रीकृष्ण और गोपियों के प्रेम का अत्यंत सुंदर वर्णन इनके काव्य का प्रमुख विषय है। इनके काव्य में श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का भी बड़ा मनोरम वर्णन किया गया है। निम्नलिखित पंक्तियों में बालक कृष्ण की रूप-छवि देखते ही बनती है

“धूरि भरे अति शोभित स्यामजू तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरै अँगना पग पैंजनी बाजति पीरी कछोटी ॥”

श्रीकृष्ण के प्रति भक्त-हृदय की निष्ठा का पता रसखान के निम्नलिखित सवैये से भली प्रकार चलता है

“या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं ॥”

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

रसखान के काव्य में रस धारा निरंतर प्रवाहित है। उन्होंने अपने काव्य में विभिन्न रसों का वर्णन किया है, किंतु शृंगार रस में राधा-कृष्ण के संयोग श्रृंगार का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है। उनके काव्य में कृष्ण की रूप-माधुरी, राधा कृष्ण की प्रेम-लीलाओं और ब्रज-महिमा का वर्णन मिलता है। रस-योजना में रसखान को पूरी सफलता मिली है। इनके द्वारा रचित श्रीकृष्ण की लीलाओं का गान करते हुए वास्तव में ही भक्तजन रस-विभोर हो उठते हैं।

4. भाषा-शैली-रसखान के काव्य की भाषा ब्रज है। उनके काव्य में शुद्ध साहित्यिक ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है। उनकी भाषा व्याकरणिक दृष्टि से भी शुद्ध है। उनके दोहे एवं सवैये भी निर्दोष हैं। भाषा और छंदों के सफल प्रयोग से इनके काव्य की सुंदरता में वृद्धि हुई है। भाषा का जैसा शुद्ध एवं निखरा हुआ रूप रसखान के काव्य में मिलता है, ऐसा बहुत कम कवियों के काव्य में दिखाई देता है। इनका काव्य सरल, सरस एवं भावपूर्ण है। इसमें अलंकारों की आवश्यकता नहीं थी, फिर भी यथास्थान अनुप्रास अलंकार की छटा देखते ही बनती है। यह काव्य भारतीय जनता का प्रिय है। लोगों की जुबान से रसखान के दोहे आज भी सुने जाते हैं।

सवैयों का सार/काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित रसखान रचित ‘सवैये’ का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
रसखान कृत प्रथम एवं द्वितीय सवैये में कृष्ण और कृष्ण-भूमि के प्रति उनका प्रेम भाव व्यक्त हुआ है। प्रथम सवैये में रसखान ने अपना प्रेम भाव व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि अगले जन्म में मैं मनुष्य बनूँ तो मेरा निवास ब्रज-भूमि में हो, यदि मैं पशु बनूँ तो मैं नित्य नंद की गायों के बीच चरता रहूँ। यदि पत्थर बनूँ तो गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनूँ जिसे श्रीकृष्ण ने धारण किया था। यदि पक्षी बनूँ तो मेरा बसेरा यमुना के तट पर हो। इतना ही नहीं, वे श्रीकृष्ण के द्वारा धारण की हुई लाठी व काली कंबली पर तीनों लोकों के राज को न्योछावर कर देना चाहते हैं। वे उनके साथ गाय चराने के लिए हर प्रकार की संपत्ति व सुख त्यागने के लिए तत्पर हैं। वे ब्रज के वनों और तालाबों पर करोड़ों सोने के बने महलों को न्योछावर कर देना चाहते हैं। तीसरे सवैये में कवि ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य के प्रति गोपियों की उस मुग्धता का चित्रण किया है जिसमें वे स्वयं कृष्ण का रूप धारण कर लेना चाहती हैं। वे श्रीकृष्ण का मोर पंखों से युक्त मुकुट, उनकी माला, पीले वस्त्र, लाठी आदि सब धारण कर लेना चाहती हैं, किंतु उनकी मुरली को धारण करना उन्हें स्वीकार नहीं है। चौथे सवैये में श्रीकृष्ण की मुरली की धुन और उनकी मुस्कान के अचूक प्रभाव के सामने गोपियों की विवशता का मार्मिक वर्णन है।

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