HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से मन में एक भयंकर चित्र उभरता है। ऐसा लगता है कि छोटे-छोटे बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए मैले-कुचैले वस्त्रों में अपने जीर्ण-शीर्ण शरीर को ढके हुए, डरे-से, सहमे-से कारखानों की ओर चले जा रहे हैं। उनकी आँखों में मानों कोई स्वप्न ही नहीं रहा। कच्ची उम्र में काम के बोझ तले दबे हुए-से ये बच्चे।

प्रश्न 2.
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे ?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में इस भयानक बात को प्रश्न के रूप में इसलिए पूछा जाना चाहिए, क्योंकि यह बात कोई साधारण बात नहीं, अपितु समाज की एक ज्वलंत समस्या है, जिसे समाज व उसके ठेकेदारों से प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए। आखिर बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण क्यों किया जा रहा है। अतः कवि का यह कहना उचित है कि इस बात को विवरण की अपेक्षा एक प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से इसलिए वंचित हैं कि उन्हें खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों को वे सब सुविधाएँ उपलब्ध ही नहीं करवा सकते। वे उन्हें भोजन व वस्त्र तक तो प्रदान नहीं कर सकते हैं, ये सुविधाएँ तो उनके लिए दूर की बात है।

प्रश्न 4.
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
वस्तुतः आज के युग में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा है, किंतु उनकी ओर ध्यान इसलिए नहीं दे रहा है, क्योंकि हर कोई अपने-अपने स्वार्थों तक ही सीमित होकर रह गया है। इसके अतिरिक्त भौतिकतावाद की दौड़ में दौड़ते हुए लोगों के दिलों में संवेदनाओं और भावनाओं की धारा भी सूख गई है, इसलिए लोगों को बच्चों का काम पर जाना अटपटा नहीं लगता।

प्रश्न 5.
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर-
हम अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकानों व होटलों पर काम करते हुए देखते हैं। इतना ही नहीं, उनके नाम भी बदल दिए जाते हैं; जैसे-छोटू, काला, मुंडू आदि। इसके अतिरिक्त घरों में बरतन व सफाई का काम करती हुई छोटी-छोटी बच्चियाँ सब शहरों में देखी जा सकती हैं।

प्रश्न 6.
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर-
धरती पर किसी बड़े हादसे के घटित हो जाने से जीवन का विकास रुक जाता है। इसी प्रकार बच्चों के काम पर जाने से उनके जीवन के विकास की जो समुचित प्रक्रिया है, वह रुक जाती है। उनमें कुछ बनने की संभावनाएँ होती हैं, किंतु वे वैसे नहीं बन पाते। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।

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रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आपको रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर-
जब मैं प्रातःकाल काम पर जाता हूँ, उस समय मैं स्कूल में जाते हुए अन्य बच्चों को देखकर बड़ा निराश हो जाता हूँ। मेरा भी मन करता है कि मैं भी उनके साथ स्कूल जाऊँ और पढ़े। आधी छुट्टी के समय मैं भी स्कूल के खेल के मैदान में खेलूँ। कभी-कभी मुझे अपने भाग्य पर गुस्सा आता है तो कभी भगवान पर कि मुझे गरीब परिवार में क्यों जन्म दिया है। फिर यह सोचकर सब्र का चूंट भर लेता हूँ कि जो मेरे भाग्य में लिखा है, वही मुझे मिलेगा।

प्रश्न 8.
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिएँ?
उत्तर-
हमारे विचार में बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि यह समय उनके व्यक्तित्व के निर्माण का तथा खेलने का समय होता है। उन्हें पढ़ने-लिखने व खेलने, हँसने-गाने के मौके मिलने चाहिएँ, ताकि वे पढ़-लिखकर ज्ञानवान बन सकें और स्वस्थ इंसान बन सकें।

पाठेतर सक्रियता

किसी कामकाजी बच्चे से संवाद कीजिए और पता लगाइए कि-
(क) वह अपने काम करने की बात को किस भाव से लेता/ लेती है?
(ख) जब वह अपनी उम्र के बच्चों को खेलने/पढ़ने जाते देखता/देखती है तो कैसा महसूस करता/करती है?
‘वर्तमान युग में सभी बच्चों के लिए खेलकूद और शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हैं’-इस विषय पर वाद-विवाद आयोजित कीजिए।
‘बाल-श्रम की रोकथाम’ पर नाटक तैयार कर उसकी प्रस्तुति कीजिए।
चंद्रकांत देवताले की कविता ‘थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे’ (लकड़बग्घा हँस रहा है) पढ़िए। उस कविता के भाव तथा प्रस्तुत कविता के भावों में क्या साम्य है ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

ये भी जानें

संविधान के अनुच्छेद 24 में कारखानों आदि में बालक/बालिकाओं के नियोजन के प्रतिषेध का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार ‘चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।’

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कविता का प्रतिपाद्य उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। श्री राजेश जोशी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का प्रमुख लक्ष्य आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या को उठाना है। प्रस्तुत कविता में यह बताया गया है कि बच्चों के खेलने व पढ़ने के सभी साधन उपलब्ध हैं, किंतु इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने की अपेक्षा काम करने जाते हैं। कवि ने इस समस्या को समाज के सामने एक प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करके हर व्यक्ति को इसके विषय में सोचने व विचार करने के लिए विवश किया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के विकास के साधन यदि न होते तो बड़ी भयानक बात होती। किंतु कवि की दृष्टि में इससे भी भयानक बात यह है कि संसार में इन सभी साधनों के रहते हुए भी बच्चे इनका उपयोग न करके काम पर जाते हैं अर्थात बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। यही अभिव्यक्त करना कविता का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता एक ऐसी रचना है जिसमें समाज की ज्वलंत समस्या को उठाया गया है। कविता में ‘बाल श्रम’ की समस्या का उल्लेख किया गया है। हमें इस कविता से शिक्षा मिलती है कि हमें बाल श्रम की समस्या के प्रति समाज में जागृति उत्पन्न करनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने के अधिकार दिलाने चाहिएं। जहाँ कहीं भी हम बालकों को काम पर लगाया हुआ देखें तो उसके विरुद्ध हमें आवाज़ उठानी चाहिए। इसकी सूचना प्रशासन तक पहुँचानी चाहिए ताकि बाल श्रम करवाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सके।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) राजेश जोशी
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) चंद्रकांत देवताले
उत्तर-
(A) राजेश जोशी

प्रश्न 2.
कैसी सड़क से बच्चे काम पर जाते हैं?
(A) कच्ची सड़क
(B) चमकदार सड़क
(C) कोहरे से ढंकी
(D) पक्की सड़क
उत्तर-
(C) कोहरे से ढंकी

प्रश्न 3.
‘कोहरे से ढंकी सड़क’ का क्या अभिप्राय है?
(A) प्रातःकाल
(B) अत्यधिक ठंड
(C) बहुत शीघ्र
(D) अंधेरे में
उत्तर-
(A) प्रातःकाल

प्रश्न 4.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि ने इस पंक्ति के माध्यम से किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(A) शिक्षित बेरोजगारी
(B) बालश्रम
(C) बालविवाह
(D) महँगाई
उत्तर-
(B) बालश्रम

प्रश्न 5.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(A) यह एक गंभीर समस्या है
(B) भाषा ठीक नहीं है
(C) शब्द-चयन ठीक नहीं है
(D) वाक्य रचना सही नहीं है
उत्तर-
(A) यह एक गंभीर समस्या है

प्रश्न 6.
‘मदरसा’ किस भाषा का शब्द है?
(A) अंग्रेजी
(B) संस्कृत
(C) उर्दू-फारसी
(D) हिंदी
उत्तर-
(C) उर्दू-फारसी

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प्रश्न 7.
कवि की दृष्टि में क्या भयानक होता?
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते
(B) यदि बच्चों को गरीबी के कारण काम पर भेजा जाता
(C) यदि बच्चों के पालन-पोषण पर ध्यान न दिया जाता
(D) यदि बच्चों की आजादी छिन जाती
उत्तर-
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते

प्रश्न 8.
कवि की दृष्टि में सबसे भयानक क्या है?
(A) बच्चों से प्यार न करना ।
(B) बच्चों को बंदी बनाना
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना
(D) बच्चों को खर्चने के लिए पैसे न देना
उत्तर-
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना

प्रश्न 9.
हस्बमामूल का अर्थ है-
(A) नष्ट होना
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)
(C) विकास
(D) वंचित रखना
उत्तर-
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)

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बच्चे काम पर जा रहे हैं अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-कोहरा = धुंध । भयानक = डरा देने वाली। सवाल = प्रश्न।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बताया है कि सुबह-सुबह कोहरे से ढकी हुई सड़क पर छोटे-छोटे बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। कवि ने पुनः इस पंक्ति पर जोर देते हुए कहा है ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं, यह एक गंभीर बात है। कवि ने इस पंक्ति को इस युग की भयानक पंक्ति बताया है, क्योंकि यह पंक्ति बाल-श्रम की भयानक एवं गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। इस पंक्ति को पूरे विवरण के साथ लिखना चाहिए अथवा इसे एक प्रश्न के रूप में लिखा जाना चाहिए-‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कहने का भाव है कि हमें इस प्रश्न पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि यह समय बच्चों के खेलने एवं पढ़ने का है, काम करने का नहीं है।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में ‘बाल-श्रम’ की समस्या को गंभीरता से उठाया गया है।

(3) (क) प्रस्तुत पद्यांश में बाल-श्रम की समस्या का काव्यात्मक भाषा में सुंदर चित्रण किया गया है।
(ख) भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहमयी है।
(ग) ‘सुबह-सुबह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(घ) अनुप्रास एवं प्रश्न अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।

(4) कवि ने अत्यंत सशक्त शैली में आज के युग की अत्यंत प्रज्वलित समस्या बाल-श्रम को उठाया है। कवि को आश्चर्य होता है जब बच्चे स्कूल या खेलने के मैदान में जाने की अपेक्षा सुबह-सुबह ठंड में काम पर जाते हैं। ‘बाल-श्रम’ आज के युग की गंभीर समस्या है। इसको एक प्रश्न की भाँति हमें समाज के सामने रखना चाहिए, ताकि इस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा सके।

(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति इसलिए कहा है, क्योंकि यह एक गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। यदि इस समस्या की ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए इसलिए कहा है, क्योंकि जब तक हम इस समस्या पर प्रश्न-चिह्न नहीं लगाएँगे, तब तक समाज का या शासन का ध्यान इस ओर नहीं जाएगा। इसलिए इसे एक प्रश्न के रूप में समाज के सामने रखना चाहिए।

2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-अंतरिक्ष = ऊँचा आकाश । रंग बिरंगी किताबें = सुंदर पुस्तकें। ढहना = गिर जाना। मदरसों = स्कूलों, विद्यालयों। इमारतें = भवन।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(6) कवि के आक्रोश का क्या कारण है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बाल-श्रम की समस्या पर विचार करते हुए कहा है कि बच्चों को काम पर क्यों भेजा जा रहा है। क्या बच्चों के खेलने की सब गेंदें आकाश में चली गई हैं या फिर सभी रंग-बिरंगी अर्थात सुंदर-सुंदर पुस्तकों को दीमक ने नष्ट कर दिया है, जिससे बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उन्हें काम पर भेजा जा रहा है। इसी प्रकार कवि ने कहा है कि क्या उनके खेलने के सभी खिलौने नष्ट हो गए हैं और जिन विद्यालयों के भवनों में बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं क्या वे सब भूकंप में गिरकर नष्ट हो गए हैं, जो बच्चों को विद्यालयों में भेजने की अपेक्षा काम पर भेजा जा रहा है। क्या सारे मैदान, सभी बाग-बगीचे और घरों के आँगन, जहाँ बच्चे खेला करते थे, सब-के-सब अचानक नष्ट हो गए हैं।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कलात्मक ढंग से आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट किया गया है।
(ख) भाषा ओजस्वी एवं प्रभावशाली है।
(ग) प्रश्न-शैली के प्रयोग से विषय अत्यंत प्रभावशाली ढंग से अभिव्यंजित हुआ है।
(घ) कवि की कल्पना-शक्ति द्रष्टव्य है।
(ङ) मदरसा, इमारत, खत्म आदि उर्दू-फारसी शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने ओजस्वी वाणी में आधुनिक समाज की अत्यंत ज्वलंत समस्या ‘बाल-श्रम’ को उजागर किया है। कवि ने कहा है कि बच्चों के खेलने के सभी साधन व मैदान तथा पढ़ने-लिखने के साधन पुस्तकें व विद्यालय के भवन नष्ट हो गए हैं कि बच्चों को खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए कारखानों में भेजा जा रहा है। वस्तुतः यह एक सामाजिक ही नहीं, अपितु कानून की दृष्टि से भी अपराध है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बाल-श्रम की समस्या की ओर संकेत किया है।

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(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि समाज में बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लगभग सभी साधन विद्यमान हैं, किंतु फिर भी बच्चों के व्यक्तित्व के विकास की ओर ध्यान न देकर उनसे काम करवाया जाता है। समाज की यह आपराधिक वृत्ति ही कवि के आक्रोश का मुख्य कारण है।

3. तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं। [पृष्ठ 139]

शब्दार्थ-दुनिया = संसार। हस्बमामूल = यथावत, ज्यों-की-त्यों।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट करें।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द क्यों कहे हैं?
(6) कवि को सबसे भयानक क्या लगा?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने आधुनिक युग की समस्या बाल-श्रम का वर्णन करते हुए कहा है कि यदि बच्चों के विकास के साधन ही नष्ट हो गए तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है ? यदि सचमुच में ही ऐसा हो जाता अर्थात बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन समाप्त हो जाते तो बहुत भयानक बात होती। किंतु कवि का मत कुछ अलग है। वह कहते हैं कि इससे भी भयानक यह है कि वे सब वस्तुएँ अथवा साधन यथावत बने हुए हैं अर्थात बच्चों के विकास के साधन विद्यमान हैं और संसार की हजारों सड़कों पर बहुत छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन काम पर जाते हैं अर्थात उन्हें काम की अपेक्षा पढ़ने जाना चाहिए था।
भावार्थ प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या का व्यंग्यात्मक शैली में वर्णन किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में बाल-श्रम या बाल-शोषण की समस्या को यथार्थ रूप में उद्घाटित किया गया है।
(ख) भाषा ओजगुणयुक्त है।
(ग) कवि की वाणी में आक्रामकता दृष्टव्य है।
(घ) दुनिया, ज्यादा, हस्बमामूल, गुजरना आदि अरबी-फारसी के शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा गद्यात्मक होते हुए भी प्रवाहमय है।

(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि ने आज की प्रमुख समस्या बाल-श्रम को लेकर गहन एवं गम्भीर भावों को व्यक्त किया है। कवि ने प्रश्न-शैली और व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग करते हुए भावों को जहाँ तीव्र, आकर्षक बनाया है, वहीं उनकी आक्रामकता भी देखते ही बनती है। कवि का यह कहना कितना भयानक होता कि यदि संसार से बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन विलुप्त हो जाते। किंतु इससे भी अधिक भयानक यह है कि साधन होते हुए भी बच्चे प्रतिदिन हजारों सड़कों से होकर काम पर जाते हैं। कहने का अभिप्राय है कि बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण किया जाता है।

(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द उस संदर्भ में कहे हैं कि यदि वास्तव में ही बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन नष्ट हो जाते तो यह अत्यधिक भयानक बात होती। उस स्थिति में बच्चों के व्यक्तित्व का समुचित विकास न हो पाता।

(6) कवि को सबसे भयानक यह बात लगी कि संसार में बच्चों के व्यक्तित्व के सब साधन विद्यमान हैं, किंत फिर भी बच्चों को उनका प्रयोग नहीं करने दिया जाता। इतना ही नहीं, उनसे काम करवाकर नन्हे-मुन्नों का शोषण किया जाता है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं Summary in Hindi

बच्चे काम पर जा रहे हैं कवि-परिचय

प्रश्न-
राजेश जोशी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा राजेश जोशी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-राजेश जोशी जी का नाम आधुनिक कवियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। श्री जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। इनकी आरंभिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में हुई। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात पत्रकारिता आरंभ की, किंतु कुछ काम न जमता देख आप अध्यापन की ओर आए। कुछ वर्ष अध्यापन-कार्य करने के पश्चात पत्रकारिता की ललक ने इन्हें फिर वापस बुला लिया। इन्होंने जीवन का गहन अध्ययन किया और उसमें व्याप्त विषमताओं पर जमकर प्रहार किए। श्री जोशी ने कविता, कहानी, नाटक, निबंध, टिप्पणियाँ, नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा-लेखन भी किया। श्री जोशी को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

2. प्रमुख रचनाएँ-(i) काव्य-संग्रह ‘एक दिन बोलेंगे पेड़’, ‘मिट्टी का चेहरा’, ‘नेपथ्य में हँसी’ और ‘दो पंक्तियों के बीच’ । (ii) अनुवाद-भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना-‘भूमि का कल्पतरू यह भी’। (ii) मायकोवस्की की कविता का अनुवाद-पतलून पहिना बादल’। श्री जोशी जी की कविताओं के भी अंग्रेजी, रूसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री राजेश जोशी समाज से जुड़कर चलने वाले साहित्यकार हैं। इन्होंने गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली कविताओं की रचना की है। श्री जोशी की काव्य-रचनाएँ जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। इनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज और मौसम, सभी कुछ व्याप्त है। इनकी कविताओं में मानवता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी है। वे जहाँ एक ओर जीवन व जीवन-मूल्यों के विनाश व खतरे को स्पष्ट रूप में देखते हैं, वहीं वे उसी भाव व जोश से जीवन-संभावनाओं की खोज में भी लगे रहते हैं। पाठ्यपुस्तक में संकलित इनकी कविता में जहाँ वे बच्चों के काम पर जाने या उनके शोषण की बात कहते हैं, वहीं वे उनको पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाने, उनका बचपन लौटाने की संभावना की ओर भी संकेत करते हैं।

4. भाषा-शैली-श्री राजेश जोशी यदि एक ओर उच्चकोटि के कवि हैं तो दूसरी ओर महान गद्य लेखक तथा पत्रकार भी हैं। इनकी काव्य की भाषा गद्यमय होती हुई भी लयात्मक है। उसमें एक प्रवाह विद्यमान है। श्री जोशी ने अपने काव्य की भाषा में तत्सम शब्दों के साथ विदेशी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी अत्यंत सफलतापूर्वक किया है।

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बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बच्चों के बचपन छिन जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। कवि ने कहा है कि प्रातःकाल में ही बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। उस समय कोहरा पड़ रहा है, परंतु बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि को यह इस समय की अत्यंत भयानक पंक्ति लगी है। इसे एक पंक्ति की भाँति नहीं, अपितु एक प्रश्न की भाँति लिखा जाना चाहिए। कवि ने प्रश्न किया है कि बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं। क्या उनके खेलने, पढ़ने के साधन नष्ट हो गए हैं। यदि ऐसा ही है तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है। यदि ऐसा होता तो यह विश्व के लिए भयानक होता। इससे भी बुरी या भयानक बात यह है कि सभी वस्तुएँ यथावत हैं, लेकिन बच्चों को उनसे दूर रहने के लिए विवश किया जा रहा है। फिर दुनिया की एक नहीं, हजारों सड़कों से बहुत छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं।

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