Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा
HBSE 9th Class Hindi यमराज की दिशा Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?
उत्तर-
कवि की माँ ने उसे बचपन में ही उपदेश दिया था कि दक्षिण दिशा में कभी पैर करके नहीं सोना चाहिए, इससे यमराज क्रुद्ध हो जाता है। कवि इसी भय के कारण सदा ही दक्षिण दिशा का ध्यान रखता था। यही कारण है कि कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
प्रश्न 2.
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था?
उत्तर-
वस्तुतः कवि ने बड़ा होने पर दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक यात्राएँ की थीं, किंतु दक्षिण दिशा बहुत दूर तक फैली हुई है। कोई दक्षिण दिशा में कहाँ तक जा सकता है। इसलिए कवि ने ऐसा कहा है। इसके अतिरिक्त आज हर दिशा दक्षिण दिशा है अर्थात सब ओर यमराज के समान भयभीत कर देने वाले लोग भरे पड़े हैं।
प्रश्न 3.
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर-
कवि की माँ ने बचपन में कवि को समझाया था कि दक्षिण दिशा यमराज की है। उधर पैर करके सोना यमराज को क्रुद्रध करना है। ऐसा करना कोई बुद्धिमत्ता का काम नहीं है। आज के युग में हर तरफ यमराज की भाँति ही मानवता को हानि पहुँचाने वाले शोषक लोग विद्यमान हैं। वे बड़ी निर्दयता से मानवता को नष्ट कर रहे हैं। इसीलिए कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा हो गई है, जहाँ एक नहीं अनेकानेक यमराज विद्यमान हैं।
प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं और वे सभी में एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
उत्तर कवि ने इन काव्य-पंक्तियों में स्पष्ट किया है कि हर स्थान पर हर दिशा में यमराज की भाँति शोषक, निर्दयी एवं मानवता-विरोधी लोगों के सुंदर भवन विद्यमान हैं। बड़े-बड़े शोषक लोग अत्यंत सुंदर भवनों में रहते हैं। वे सभी अपनी क्रोध से चमकती हुई आँखों सहित समाज में विराजमान हैं। कहने का भाव है कि आज के युग में शोषकों की कमी नहीं है। वे यमराज की भाँति ही सर्वत्र शोषण का डंका बजा रहे हैं। उन पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5.
कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी
(क) वह आपको क्या सीख देती हैं?
(ख) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?
उत्तर-
(क) हाँ, हमारी माँ भी हमें कवि की माँ की भाँति ही ईश्वर से प्रेरणा पाकर कुछ मार्ग-निर्देश देती है। वह हमें सीख देती है कि सदा लगन से अपनी पढ़ाई करो, उसी से ईश्वर प्रसन्न होकर हमें अच्छे अंक प्रदान करेगा। माँ की यह बात हमें बहुत अच्छी लगती है।
(ख) माँ की कुछ बातें हमें अच्छी नहीं लगतीं; जैसे-माँ हमें खेलने से मना करती है। बार-बार उपदेश देती रहती है। इसलिए हमें कभी-कभी माँ के उपदेश अच्छे नहीं लगते। हम स्वभावतः स्वतंत्रता चाहते हैं, जबकि माँ को अनुशासन अच्छा लगता है। हमें हर समय उसकी अनुशासन में रहने की बात अच्छी नहीं लगती।
प्रश्न 6.
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
ऐसा हम इसलिए करते हैं कि हम सब ईश्वर में विश्वास रखते हैं। ईश्वर को सर्व-शक्तिमान और सब कुछ करने में सक्षम मानते हैं। यदि हम अच्छा काम करते हैं तो भी उसके लिए ईश्वर को ही कारण मानते हैं और जब कभी अनुचित निर्णय ले लेते हैं तो हम यह कहते हैं कि हमारी अच्छाई और बुराई सब कुछ ईश्वर देख रहा है। इसलिए उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है।
पाठेतर सक्रियता
कवि का मानना है कि आज शोषणकारी ताकतें अधिकं हावी हो रही हैं। ‘आज की शोषणकारी शक्तियाँ’ विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।
HBSE 9th Class Hindi यमराज की दिशा Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता श्री चंद्रकांत देवताले की सुप्रसिद्ध रचना है जिसमें आधुनिक सभ्यता के दोषपूर्ण विकास को उजागर किया गया है। कवि का मत है कि आज केवल दक्षिण दिशा वाले यमराज का समाज को भय नहीं है, अपितु समाज में चारों ओर जीवन-विरोधी शक्तियों का विकास हो रहा है। जीवन के जिस दुःख-दर्द के बीच जीती हुई माँ अपशकुन के रूप में जिस भय की चर्चा करती थी कि दक्षिण दिशा में पैर करके सोने पर यमराज क्रुद्ध हो उठेगा, अब वह केवल दक्षिण दिशा में ही नहीं अपितु सर्वव्यापक है। आज प्रत्येक दिशा दक्षिण दिशा प्रतीत होने लगी है। आज चारों ओर फैली हुई विध्वंसक शक्तियों, हिंसात्मक प्रवृत्तियों, शोषण की रक्षक ताकतों और मृत्यु के चिह्नों की ओर इंगित करके कवि ने उनका सामना करने तथा उनसे संघर्ष करने का मौन निमंत्रण दिया है। प्रस्तुत कविता में उन सब ताकतों एवं संगठनों का विरोध करने का आह्वान है जो मानवता विरोधी हैं या मानवता के विकास में बाधा बनी हुई हैं। यही भाव व्यक्त करना प्रस्तुत कविता का प्रमुख लक्ष्य है।
प्रश्न 2.
पठित कविता के आधार पर श्री चंद्रकांत देवताले के काव्य की भाषा का सार रूप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने अत्यंत सरल एवं सपाट भाषा का प्रयोग किया है। प्रस्तुत कविता की भाषा सरल होते हुए भाव-अभिव्यंजना की गजब की क्षमता रखती है। श्री देवताले ने अपने काव्य की भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी के शब्दों का भी भरपूर प्रयोग किया है, किन्तु उन्होंने उन्हीं शब्दों का प्रयोग किया जो लोक-प्रचलित हैं यथा मुश्किल, ज़रूरत, दुनिया आलीशान, इमारत आदि। कविवर देवताले अपनी बात को ढंग से कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके काव्य की भाषा में अत्यंत पारदर्शिता और अत्यंत कम संगीतात्मकता है। भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहयुक्त है। मुहावरों का सार्थक प्रयोग करके उन्होंने अपने काव्य की भाषा को सारगर्भित भी बनाया है। भाषा-शैली की दृष्टि से भी उनका काव्य सफल सिद्ध है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘यमराज की दिशा’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) राजेश जोशी
(B) केदारनाथ अग्रवाल
(C) चंद्रकांत देवताले
(D) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर-
(C) चंद्रकांत देवताले
प्रश्न 2.
कवि की माँ की किससे मुलाकात हुई थी?
(A) प्रधानमंत्री से
(B) ईश्वर से
(C) यमराज से
(D) विष्णु से
उत्तर-
(B) ईश्वर से
प्रश्न 3.
कवि की माँ कौन-से रास्ते खोज लेती थी?
(A) जीवन के विकास के
(B) धन प्राप्ति के
(C) दुख बरदाश्त करने के
(D) स्वर्ग जाने के
उत्तर-
(C) दुख बरदाश्त करने के
प्रश्न 4.
‘यमराज की दिशा’ कौन-सी मानी जाती है?
(A) उत्तर
(B) पूर्व
(C) पश्चिम
(D) दक्षिण
उत्तर-
(D) दक्षिण
प्रश्न 5.
कवि की माँ ने दक्षिण दिशा को कौन-सी दिशा बताया था?
(A) मौत की दिशा
(B) पवित्र दिशा
(C) अपवित्र दिशा
(D) भाग्यशाली दिशा
उत्तर-
(A) मौत की दिशा
प्रश्न 6.
कवि की माँ के अनुसार कौन-सी बात उचित नहीं है?
(A) यमराज का भेद जानना
(B) यमराज को क्रुद्ध करना
(C) यमराज के सामने जाना
(D) यमराज से आँखें चुराना
उत्तर-
(B) यमराज को क्रुद्ध करना
प्रश्न 7.
कवि ने बचपन में माँ से किसके घर का पता पूछा था?
(A) कुबेर के
(B) रावण के
(C) यमराज के
(D) इंद्र देवता के
उत्तर-
(C) यमराज के
प्रश्न 8.
कवि को दक्षिण दिशा में पैर न करके सोने से क्या लाभ हुआ?
(A) दक्षिण पहचान गया
(B) सपने नहीं आते थे
(C) गहरी नींद आती थी
(D) जल्दी उठ जाता था
उत्तर-
(A) दक्षिण पहचान गया
प्रश्न 9.
कवि के लिए क्या संभव नहीं था?
(A) दक्षिण दिशा को पहचानना
(B) दक्षिण दिशा को लांघना
(C) दक्षिण दिशा में सोना
(D) दक्षिण दिशा को त्याग देना
उत्तर-
(B) दक्षिण दिशा को लांघना
प्रश्न 10.
आज सभी दिशाओं में किसके आलीशान महल हैं?
(A) देवताओं के
(B) भक्तों के
(C) ईश्वर के
(D) यमराज के
उत्तर-
(D) यमराज के
प्रश्न 11.
यमराज हर तरफ किस दशा में विराजते हैं?
(A) प्रसन्न मुद्रा में
(B) दहकती आँखों सहित
(C) त्यागमय स्थिति में
(D) दानशील स्वभाव में
उत्तर-
(B) दहकती आँखों सहित
प्रश्न 12.
कवि ने बदली हई परिस्थितियों में किसे यमराज बताया है?
(A) उद्योगपतियों को
(B) अधिकारी वर्ग को
(C) शोषकों को
(D) डॉक्टरों को
उत्तर-
(C) शोषकों को
प्रश्न 13.
‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता में किसे दूर करने का प्रयास किया है?
(A) समाज में फैले अंधविश्वास
(B) भक्तों के
(C) अन्याय
(D) आलस्य
उत्तर-
(A) समाज में फैले अंधविश्वास
यमराज की दिशा अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर ।
1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुख बरदाशत करने के
रास्ते खोज लेती है [पृष्ठ 133]
शब्दार्थ-मुलाकात = मिलना, बातचीत । मुश्किल = कठिन। जताती = प्रकट करती। बरदाशत = सहन।
प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट करें।
(4) इस पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि की माँ की किससे मुलाकात होती थी?
(6) कवि की माँ ईश्वर की सलाहों के अनुसार क्या खोज लेती थी?
उत्तर-
(1) कवि-श्री चंद्रकांत देवताले। कविता-यमराज की दिशा।
(2) व्याख्या प्रस्तुत कवितांश में कवि ने बताया है कि बचपन से वह माँ से यही सुनता आया था कि उसकी माँ की ईश्वर से मुलाकात होती थी। कवि का मानना है कि उसकी माँ की ईश्वर से मुलाकात होती थी या नहीं यह कहना बड़ा मुश्किल है, किंतु वह सदा यही दिखावा करती थी कि उसकी मुलाकात ईश्वर से होती रहती है। ईश्वर से प्राप्त सलाहों से ही वह जीवन में आने वाले दुःखों और जीवन जीने के मार्ग खोज लेती है।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि का जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है।
(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश अत्यंत सरल एवं व्यावहारिक भाषा में रचित है।
(ख) कवि ने माँ के माध्यम से जीवन के प्रति आस्थावादी भाव को अभिव्यंजित किया है।
(ग) मुलाकात, मुश्किल, जताना, सलाह, जिंदगी, बरदाशत आदि उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
(घ) भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहयुक्त एवं लयमयी है।
(ङ) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
(4) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने बचपन में माँ से सुनी हुई बातों के माध्यम से जीवन-संबंधी दृष्टिकोण को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यंजित किया है। कवि की माँ की ईश्वर से मुलाकात होने की बात पर कवि को संदेह है, किंतु एक बात निश्चित रूप से सत्य है कि वह ईश्वर की सलाह मानकर या उसमें भरोसा करके जीवन में आने वाले दुःखों को सहन करने और जीवन जीने के सही मार्ग को अवश्य ही तलाश लेती थी। पुराने समय में जीवन सरल, सहज एवं स्वाभाविक था, किंतु आज नहीं।
(5) कविं की माँ की ईश्वर से मुलाकात होती थी।
(6) ईश्वर की सलाहों के अनुसार कवि की माँ जीवन में आने वाले दुःखों को सहन करने और जीवन जीने के मार्ग को खोज लेती थी।
2. माँ ने एक बार मुझसे कहा था
दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में [पृष्ठ 133]
शब्दार्थ-तरफ = ओर। क्रुद्ध = क्रोधित, गुस्सा। हमेशा = सदैव।
प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) माँ ने कवि को दक्षिण में पैर पसार कर सोने से मना क्यों किया था?
(6) कवि की माँ ने उसे यमराज के घर का क्या पता बताया था?
उत्तर-
(1) कवि-श्री चंद्रकांत देवताले। कविता-यमराज की दिशा।
(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने यमराज के संबंध में फैले अंधविश्वास पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि उसकी माँ ने उसे दक्षिण की ओर पैर न करके सोने का उपदेश दिया था। उनका विश्वास था कि वह मृत्यु की दिशा है। इसलिए उधर पैर करके सोकर मृत्यु के देवता यमराज को नाराज करने में कोई बुद्धिमत्ता नहीं है। कहने का तात्पर्य है कि दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। उससे यमराज को गुस्सा आ जाता है। उस समय कवि बहुत छोटा था, जब उसने अपनी माँ से यमराज के घर का पता पूछा था। उसकी माँ ने केवल इतना ही बताया था कि हम जहाँ भी हों, वहाँ से दक्षिण दिशा में ही यमराज का घर होता है।
भावार्थ-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समाज में फैले अंधविश्वासों पर करारी चोट की है।
(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश सरल एवं सहज भाषा में रचित है।
(ख) कवि ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों पर करारी चोट की है।
(ग) भाषा गद्यमय होते हुए भी लयात्मक एवं प्रवाहमयी है।
(घ) संवाद शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) संकेतात्मकता भाषा-शैली की अन्य प्रमुख विशेषता है।
(च) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
(4) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने मृत्यु के देवता यमराज से संबंधित लोकमानस में व्याप्त अंधविश्वास का उल्लेख किया है। कवि ने अत्यंत गंभीर भावों को अत्यंत सरल एवं सहज रूप में कह दिया है। दक्षिण की ओर पैर करके सोना मृत्यु के देवता को नाराज करने के समान है। यमराज का घर दक्षिण में बताकर कवि ने दक्षिण दिशा को और भी भयानक एवं निकृष्ट सिद्ध कर दिया है। अतः स्पष्ट है कि प्रस्तुत कवितांश में जीवन की समस्या से संबंधित गंभीर भावों को सहज रूप में अभिव्यंजित किया गया है।
(5) कवि की माँ ने उसे दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से मना किया था, क्योंकि वह दिशा मृत्यु के देवता यमराज की दिशा है।
(6) कवि के पूछने पर उसकी माँ ने यमराज के घर का पता पूरी दक्षिण दिशा बताया था। दक्षिण दिशा ही यमराज के घर का पता है।
3. माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता [पृष्ठ 134]
शब्दार्थ-समझाइश = समझने। फायदा = लाभ। छोर = किनारा।
प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत कवितांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि को माँ के समझाने का क्या लाभ हुआ?
(6) कवि यमराज का घर क्यों नहीं देख सका?
उत्तर-
(1) कवि-श्री चंद्रकांत देवताले।। कविता-यमराज की दिशा।
(2) व्याख्या-प्रस्तुत कवितांश में कविवर देवताले ने माँ के उपदेश के प्रभाव का वर्णन करते हुए बताया कि माँ के समझाने के पश्चात वह कभी भी दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोया। इससे वह यमराज के कोप से बचा या नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता, किंतु एक लाभ अवश्य उसे हुआ कि दक्षिण दिशा पहचानने में उसे कहीं भी, कभी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा अर्थात वह सहज ही दक्षिण दिशा को पहचान लेता है।
कवि ने पुनः अपने जीवन के विषय में बताया है कि उसने अपने जीवन में दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक यात्राएँ की हैं। वहाँ उसे सदा अपनी माँ की याद आती रही। कवि के लिए दक्षिण दिशा को पार करके जाना संभव नहीं था, क्योंकि उसका कोई किनारा ही नहीं था। यदि दक्षिण दिशा को लाँघ पाना संभव होता तो कवि अवश्य ही यमराज का घर भी देख लेता, किंतु कवि ऐसा कभी नहीं कर पाया।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने इस अंधविश्वास का खंडन किया है कि यमराज का घर दक्षिण दिशा में होता है। .
(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने लोकमानस में व्याप्त अंधविश्वास पर करारी चोट की है कि यमराज का घर दक्षिण दिशा में होता है। यह कोरा भ्रम है।
(ख) भाषा व्यंग्य के तेवर लेकर चलने वाली है।
(ग) भाषा गद्यमय होती हुई भी लययुक्त है।
(घ) फायदा, ज़रूर, मुश्किल आदि उर्दू-फारसी के लोक-प्रचलित शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ङ) ‘दक्षिण दिशा’, ‘लाँघ लेना’ आदि में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(च) संपूर्ण वर्णन अत्यंत पारदर्शितायुक्त भाषा में किया गया है।
(छ) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
(4) कवि ने अत्यंत सरल भाषा में गंभीर विचारों एवं भावों को अभिव्यंजित किया है। लोकमानस में यह अंधविश्वास व्याप्त रहा है कि यमराज दक्षिण दिशा में रहता है। इसलिए उसके प्रकोप से बचने के लिए उस दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। कवि ने ऐसा ही किया और सदा इस बात के लिए सतर्क भी रहा। इससे कवि को दक्षिण दिशा का ज्ञान अवश्य हआ। कवि ने अनेक बार दक्षिण दिशा में यात्राएँ की, किंतु कहीं भी उस दिशा का अंत दिखाई नहीं दिया। इसलिए कवि को यमराज का घर भी नहीं मिल सका। अतः कवि ने इस धारणा को जड़ से उखाड़ फेंका है कि यमराज का घर केवल दक्षिण दिशा में ही है। अतः गंभीर भाव को सहज रूप में कह देना कवि की कला का कमाल है।
(5) कवि को माँ के समझाने का यह लाभ हुआ कि उसको दक्षिण दिशा का अच्छा ज्ञान हो गया। उसे दक्षिण दिशा पहचानने में कभी कोई कठिनाई नहीं हुई।
(6) कवि’को माँ ने बताया कि यमराज का घर दक्षिण दिशा में है। दक्षिण दिशा का कोई ओर-छोर नहीं है। इसलिए कवि को यमराज के घर का पता नहीं चल सका और वह उसे देखने में असमर्थ रहा। वास्तव में, यह एक भ्रम था, जिसे कवि ने उदाहरण देकर दूर करने का प्रयास किया है।
4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही
जो माँ जानती थी। [पृष्ठ 134]
शब्दार्थ-आलीशान = खूबसूरत, सुंदर। दहकती = गुस्से से चमकती हुई। विराजना = विद्यमान होना, पधारना।
प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) “आज जिधर भी पैर करके सोओ वही दक्षिण दिशा हो जाती है”-कवि ने ऐसा क्यों कहा?
(6) कवि ने किन्हें यमराज कहा है और क्यों?
उत्तर-
(1) कवि श्री चंद्रकांत देवताले। कविता-यमराज की दिशा।
(2) व्याख्या कवि ने बताया है कि उसकी माँ का कहना था कि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा है। इसलिए उधर पैर करके नहीं सोना चाहिए। किंतु कवि का तर्क है कि आज के युग में जिस भी दिशा की ओर पैर करके सोएँ, वही दक्षिण दिशा हो जाती है। कहने का तात्पर्य है कि हमारे चारों ओर यमराज ही यमराज हैं। सभी दिशाओं में यमराज के सुंदर भवन हैं अर्थात चारों ओर यमराज की भाँति ही लोगों को मारने वाले शोषक लोग विद्यमान हैं, जो सुंदर महलों में रहते हैं। वे सबके सब अपनी दहकती (क्रोध से जलती हुई) हुई आँखों सहित विराजमान हैं।
कवि ने पुनः कहा है कि आज वह माँ नहीं रही, जो यमराज के विषय में, उसकी दिशा के विषय में बताती थी। यमराज की दिशा भी वह नहीं रही, जो माँ जानती थी अर्थात यमराज केवल दक्षिण में ही नहीं रहता, वह सर्वत्र रहता है।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में आज की सभ्यता की दोषपूर्ण स्थिति का उल्लेख किया गया है।
(3) (क) संपूर्ण पद में आज की सभ्यता के विकास की दोषपूर्ण स्थिति को यथार्थ रूप में उजागर किया गया है।
(ख) भाषा व्यंग्यपूर्ण है।
(ग) भाषा भावाभिव्यक्ति में पूर्णतः सक्षम है।
(घ) ‘यमराज’ में श्लेष अलंकार है।
(ङ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।
(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सरल एवं व्यावहारिक भाषा का प्रयोग करते हुए गंभीर भावों की सहज एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति की है। ‘आज सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं’ पंक्ति में आज के समाज व सभ्यता की वस्तुस्थिति को उजागर किया गया है। आज के युग में एक नहीं, अनेक यमराज हैं जो अपनी शोषणपूर्ण नीतियों द्वारा गरीब या साधारण व्यक्ति के जीवन का तत्त्व चूस रहे हैं। यमराज तो शायद व्यक्ति के गुण-अवगुणों को देखकर ही सजा सुनाता होगा। यहाँ तो बिना किसी भेदभाव के शोषण किया जाता है। दया-धर्म का कोई खाना नहीं है। अतः कवि ने ठीक ही कहा है कि आज चारों दिशाएँ दक्षिण दिशा ही प्रतीत होती हैं। इस प्रकार प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आज के युग की ज्वलंत समस्या से संबंधित गंभीर विचार व्यक्त किए हैं।
(5) कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि पहले दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने में यमराज का खतरा मंडराने लगता था, किंतु आज तो व्यक्ति को हर दिशा से खतरा उत्पन्न हो सकता है। उसे हर दिशा यमराज की दक्षिण दिशा के समान भयंकर एवं भयभीत करने वाली अनुभव होती है।
(6) कवि ने समाज के शोषकों को यमराज कहा है, क्योंकि शोषक लोग गरीबों व जनसाधारण का निर्दयतापूर्वक शोषण करते हैं। उनके शोषण के कारण लोग तिल-तिलकर मरने के लिए विवश हैं।
यमराज की दिशा Summary in Hindi
यमराज की दिशा कवि-परिचय
प्रश्न-
चंद्रकांत देवताले का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा चंद्रकांत देवताले का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय श्री चंद्रकांत देवताले हिंदी के प्रमुख कवि हैं। इन्हें साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। इनका जन्म मध्य प्रदेश के जिला बैतूल के गाँव जौलखेड़ा में सन 1936 को हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में हुई। श्री देवताले प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे हैं। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा इंदौर से प्राप्त की तथा पी०एच०डी० की उपाधि सागर विश्वविद्यालय, सागर से प्राप्त की। शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात इन्होंने अध्यापन का कार्य आरंभ किया। श्री देवताले अध्यापन के साथ-साथ साहित्य-लेखन की साधना में निरंतर लीन रहते हैं। इन्होंने साहित्य की विविध विधाओं पर अपनी लेखनी सफलतापूर्वक चलाई है, किंतु प्रसिद्धि इन्हें कवि के रूप में ही प्राप्त हुई है।
2. प्रमुख रचनाएँ-‘हड्डियों में छिपा ज्वर’, ‘दीवारों पर खून से’, ‘लकड़बग्घा हँस रहा है’, ‘भूखंड तप रहा है’, ‘पत्थर की बैंच’, ‘इतनी पत्थर रोशनी’, ‘उजाड़ में संग्रहालय’ आदि श्री देवताले की प्रमुख काव्य-कृतियाँ हैं। इनकी कविताओं के अनुवाद भारतीय भाषाओं और प्रायः कई विदेशी भाषाओं में भी हो चुके हैं। श्री देवताले को इनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है। इन्हें माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा मध्य प्रदेश का शिखर पुरस्कार प्राप्त है।
3. काव्यगत विशेषताएँ-कविवर चंद्रकांत देवताले जन-साधारण के जीवन की जमीन से जुड़े हुए कवि हैं। इनकी कविताओं के विषय गाँवों व कस्बों में रहने वाले निम्न मध्यवर्ग के जीवन से संबंधित हैं। इन्होंने इस वर्ग के लोगों के जीवन को अत्यंत निकट से देखा है और इसकी अच्छाइयों और कमियों के साथ-साथ उसके अभावों को भी अपनी कविताओं के माध्यम से उजागर किया है।
श्री चंद्रकांत देवताले के काव्य में जहाँ समाज की व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ रोष है, वहीं मानवीय प्रेम-भाव भी है। वे समाज में व्याप्त बुराइयों को उखाड़ फेंकने के लिए दृढ़संकल्प हैं और समाज का समुचित विकास चाहते हैं। मानव-मानव में प्रेम के संबंधों को बढ़ावा देना इनके काव्य का प्रमुख लक्ष्य रहा है।
4. भाषा-शैली-श्री चंद्रकांत देवताले के काव्य की भाषा-शैली सरल, सीधी और सपाट है। इनके कथन में कहीं कोई दिखावा व बनावट नहीं है। कविता की भाषा में पारदर्शिता एक अन्य प्रमुख विशेषता है। गद्यात्मक होते हुए विशेष लय में बँधकर चलने वाली भाषा है। इनकी भाषा में एक विरल संगीतात्मकता भी दिखलाई पड़ती है। इन्होंने लोकप्रचलित मुहावरों का भी सार्थक प्रयोग किया है। लोकभाषा के शब्दों के साथ-साथ विदेशज शब्दों का भी विषयानुरूप प्रयोग करके भाषा को व्यावहारिकता प्रदान करने की कला में श्री देवताले बेजोड़ कवि हैं।
यमराज की दिशा कविता का सार/काव्य-परिचय
प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘यमराज की दिशा’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘यमराज की दिशा’ श्री चंद्रकांत देवताले की प्रमुख रचना है। कवि ने प्रस्तुत कविता में सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर संकेत करते हुए बताया है कि जीवन-विरोधी ताकतें चारों ओर फैलती जा रही हैं। कवि ने बताया है कि बचपन में उसकी माँ ने उसे दक्षिण की ओर पैर करके सोने को अपशकुन बताया था। वह बताती रहती थी कि ईश्वर से उसकी मुलाकात होती रहती है। उसकी सलाह से ही वह जीवन जीने और दुःख सहन करने के मार्ग खोज लेती है। इसीलिए उसने यह बताया था कि दक्षिण दिशा मृत्यु की दिशा है। इसलिए उधर पैर करके सोना यमराज को क्रुद्ध करना है। माँ ने पूछने पर यमराज के घर का पता भी बताया था कि तुम जहाँ भी हो वहाँ से दक्षिण की ओर यमराज का घर है। बचपन में माँ के उपदेश का कवि पर प्रभाव अवश्य पड़ा। वह कभी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया तथा दक्षिण दिशा में खूब घूमा, किंतु उसका कोई छोर नहीं था, अन्यथा वह यमराज जी का घर भी देख लेता। किंतु आज के जीवन में जिधर भी पैर करके सोओ वह दक्षिण दिशा ही हो जाती है, क्योंकि सभी दिशाओं में यमराज के बड़े-बड़े महल हैं। वहाँ वे एक साथ अपनी दहकती आँखों सहित विद्यमान हैं। कवि की माँ अब नहीं रही और न ही यमराज के निवास की निश्चित दिशा ही रही। अब हर दिशा यमराज की दिशा हो गई है। आज हमें उनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।