HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

HBSE 9th Class Hindi मेघ आए Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर-
कवि ने बादलों के आने पर प्रकृति में अनेक गतिशील क्रियाओं का चित्रण किया है। बादलों के आने से पूर्व ठंडी हवा बहने लगती है। लोग अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं। पेड़ भी हिलने लगते हैं। धूल भरी आँधी बहने लगती है। नदियों में भी ठहराव-सा प्रतीत होने लगता है। लताएँ भी खिल उठती हैं। बादलों में बिजली चमकती हुई दिखाई देने लगती है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ?
• धूल
• पेड़
• नदी
लता
• ताल
उत्तर-
• धूल-गाँव की युवती की।
• पेड़-गाँव के बड़े-बूढ़े लोगों के।
• नदी-गाँव में रहने वाली विवाहित युवती की।
• लता-प्रेमिका की।
• ताल-परिवार के सदस्यों का।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों ?
उत्तर-
लता ने बादल रूपी मेहमान को व्याकुलतापूर्ण दृष्टि से देखा। वह बादल के आने पर उसे उपालंभ देते हुए कह रही थी कि तुमने एक वर्ष बाद मेरी सुध ली है। बादल के एक वर्ष बाद आने के कारण ही उसने ऐसा व्यवहार किया है।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
उत्तर-
(क) कवि ने प्रस्तुत पंक्ति में बताया है कि बादल आकाश रूपी अटारी पर छा गए, बिजली चमक उठी। लोग कहने लगे कि बादलों के न आने और न बरसने का भ्रम मानों समाप्त हो गया, क्योंकि अब सचमुच में ही बादल बरसने लगे थे। इसी प्रकार जब दो लोगों के मन से भ्रम समाप्त हो जाता है तो उनकी आँखों से स्नेह के आँसू बह निकलते हैं।

(ख) जब बादल आकाश में छा गए तो नदी रूपी युवती थोड़ा रुककर और आश्चर्यपूर्वक अपने मुख से यूँघट उठाकर तिरछी दृष्टि से बादल रूपी मेहमानों को देखने लगती है। कहने का तात्पर्य है कि बादलों के एकाएक छा जाने से नदी के मन में आश्चर्य-सा छा गया कि ये एकाएक कहाँ से आ गए।

प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर-
मेघ रूपी मेहमान के आने पर बयार खुशी से झूम उठी। पेड़ मानों झुक-झुककर सलाम करने लगे। नदी की दृष्टि में बाँकापन आ गया। वह मानों बादलों को देखकर मुग्ध-सी हो गई। लताओं में प्रेम भाव का संचार हो गया तथा मेघ के वर्ष-भर बाद आने पर उन्हें उपालंभ भी देने लगी। तालाबों में जल भर गया। ऐसा लगता है मानों तालाब परात में जल भरकर मेघ के स्वागत के लिए ले आया हो।

प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन ठन के सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर-
कवि ने बादलों की तुलना नगर से आने वाले मेहमानों से की है। जिस प्रकार नगर से आने वाले मेहमान सुंदर वस्त्र धारण करके बन-सँवरकर गाँव में आते हैं; उसी प्रकार बादल भी नया रूप धारण करके बरसने हेतु आते हैं। इसलिए कवि ने बादलों के लिए ‘बन-ठन के सँवर के’ आने की बात कही है।

प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकारों के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
कविता में निम्नलिखित अंशों में मानवीकरण एवं रूपक अलंकारों का प्रयोग हुआ हैमानवीकरण-
(क) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(ख) आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली।
(ग) पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
(घ) धूल भागी घाघरा उठाए।
(ङ) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी।
(च) बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।
(छ) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।

रूपक-(क) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(ख) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
(ग) क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी।
(घ) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।

प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सर्वप्रथम कवि ने बताया है कि गाँव में मेहमान का आदर-सम्मान करने के लिए नाचने-गाने की प्रथा है। मेहमान के आने पर सब प्रसन्न होते हैं। बड़े-बूढ़े भी उसका झुककर सम्मान करते हैं। मेहमान के आने की सूचना भी बड़े उत्साह के साथ दी जाती है। गाँव की नारियाँ मेहमान को रुककर और स्नेहमयी दृष्टि से देखती हैं। गाँव में मेहमान के हाथ-पाँव धुलवाए जाने की परंपरा भी है। मेहमान के आने पर उससे इतने समय बाद आने का कारण भी पूछा जाता है और जब उसके उत्तर से संतुष्ट हो जाते हैं तो सब उससे गले मिलते हैं। दोनों के मन के गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने मेघों के आने की तुलना सजकर आए अतिथि (दामाद) से की है। कवि ने बताया है कि जब अतिथि गाँव में आता है तो उसके आने की सूचना बड़े उत्साह से दी जाती है। गाँव के नर-नारी अपने घरों की खिड़कियाँ खोलकर उसे अत्यंत उत्सुकता से देखते हैं। बड़े-बूढ़े भी उसका आदर-सत्कार करते हैं। नवयुवतियाँ उसे अपने यूंघट की ओट में तिरछी दृष्टि से निहारती हैं। उसकी पत्नी दरवाजे की ओट में खड़ी होकर उसे उपालंभ देती है कि वह इतने लंबे समय बाद आया है, किंतु बाद में मेहमान के उत्तर से प्रिया संतुष्ट हो जाती है और उससे मिलने पर स्नेह के आँसू बहने लगते हैं। इसी प्रकार बादल के छाने से पहले ठंडी हवा चलती है। लोग बादलों को निहारने हेतु घरों के दरवाजे खोल देते हैं। वर्षा आने पर पेड़ भी कुछ झुके हुए-से लगते हैं। धूल तो मानों घाघरा उठाकर भाग खड़ी होती है। नदी मानों उसे रुककर तिरछी दृष्टि से देखती है। लताएँ तो मानों उसे उपालंभ देने लगती हैं कि तूने इतने समय बाद हमारी सुध ली है। तालाब भी वर्षा के आने पर पूर्णतः भर जाता है। बिजली चमकने लगती है और तत्पश्चात रिम-झिम, रिम-झिम करके बूंदें पड़ने लगती हैं।

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प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य लिखिएपाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के। मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
उत्तर-
(क) कवि ने प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में वर्षा ऋतु का मनोरम और काल्पनिक चित्र प्रस्तुत किया है।
(ख) प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
(ग) मानवीकरण अलंकार है।।
(घ) ‘पाहुन ज्यों ….. शहर के।’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ङ) ‘बड़े बन-ठन के’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा अत्यंत सरल, सजीव एवं भावानुकूल है।
(छ) लोकभाषा के शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

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रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
जून मास के अंतिम दिनों में बहुत अधिक गरमी पड़ रही थी। चारों ओर आग का समुद्र-सा लग रहा था। न जाने कहाँ से एक ठंडी पूर्वी हवा का झोंका आया और वातावरण में नमी-सी भर गया। देखते-ही-देखते एक काली घटा उठी और रिम-झिम, रिम-झिम करके बरसने लगी। वर्षा आने पर गरमी और धूल भरी आँधियाँ कूच कर गईं। चारों ओर हरियाली छा गई। तालाबों, नदियों व अन्य स्थानों पर जल भर गया। हर प्राणी प्रसन्न दिखाई देने लगा। वृक्षों में तो मानों बहार-सी आ गई। पक्षी चहचहाकर अपने हृदय की प्रसन्नता प्रकट करने लगे। किसानों की प्रसन्नता का तो कोई ठिकाना ही न रहा। किसान अपने खेतों में काम करने लगे। चारों ओर से मेंढकों के टर्राने की ध्वनि सुनाई देने लगी। कहने का तात्पर्य है कि वर्षा आने से जीवन में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया।

प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए।
उत्तर-
वस्तुतः पीपल का वृक्ष अन्य वृक्षों से बड़ा ऊँचा था। उसकी शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं। इसीलिए कवि ने उसका विशालकाय शरीर देखकर ही उसे बड़ा बुजुर्ग कहा होगा।

प्रश्न 13.
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
उत्तर-
भारतीय समाज में निश्चय ही दामाद विशेष महत्त्व व आदर का पात्र समझा जाता रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि जिसको हम अपनी प्यार से पली बेटी का हाथ देते हैं, उसे सुयोग्य पात्र समझा जाता है। उसका विशेष महत्त्व भी इसी कारण माना या समझा जाता है कि वह हमारी प्यारी बेटी का पति है। आज परिस्थितियाँ बदल रही हैं, जीवन-मूल्य भी बदल रहे हैं। कुछ समय से दहेज नामक सामाजिक बुराई फैल रही है। इस बुराई को बढ़ावा देने में दामाद का भी हाथ रहता है। इसके अतिरिक्त आज के भौतिक युग में जीवन की गति तेज होने के कारण मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह अधिक समय तक दामाद की सेवा करता रहे। इसके अतिरिक्त लड़कियाँ भी नौकरी करने लगी हैं और पति के बराबर आ खड़ी हुई हैं। एक अन्य कारण यह भी माना जाने लगा है कि बेटियों को पिता की सम्पत्ति में से भाइयों के बराबर हक दिया गया है। इससे बेटी और दामाद भाइयों के बराबर का हक माँगने लगे हैं। इससे भाइयों के मन में बहनोई के प्रति मेहमान की छवि नहीं, अपितु विरोधी की छवि उभरने लगी है फिर भला आदर का भाव कैसे रह सकता है। इन्हीं सब कारणों से आज अतिथि एवं दामाद का महत्त्व पहले से कम होता जा रहा है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर-
1. बन-ठन कर आना-मेहमान सदा बन-ठन कर ही आते हैं।
2. गरदन उचकाना-झुके हुए लोग (बूढ़े) मेहमानों के आने पर गरदन उचकाकर उन्हें देखते हैं।
3. चूँघट सरकना-स्त्रियों ने घूघट सरकाकर मेहमान को देखा।
4. जुहार करना-बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर बादल की जुहार की।
5. गाँठ खुल जाना-रमेश और उसकी पत्नी के मनों की गाँठे खुलने पर दोनों एक होकर रहने लगे।
6. बाँध टूटना-बहुत समय के बाद मित्र के मिलने पर उसके हृदय के भावों का तो मानों बाँध ही टूट गया।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में निम्नांकित आँचलिक शब्द प्रयुक्त हुए हैंसँवर, बयार, पाहुन, उचकाए, ठिठकी, सरके, जुहार करना, किवार, ताल आदि।

प्रश्न 16.
‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सहज व सरल भाषा से तात्पर्य है, जिसे साधारण पाठक भी आसानी से समझ सके। प्रस्तुत कविता में ऐसी ही भाषा का प्रयोग सर्वत्र हुआ है। उदाहरणस्वरूप ये पंक्तियाँ देखिए
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की, ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की, हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पाठेतर सक्रियता

वसंत ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए। उत्तर-विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं लिखेंगे। • प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएधिन-धिन-धा धमक-धमक मेघ बजे दामिनि यह गई दमक मेघ बजे दादुर का कंठ खुला मेघ बजे धरती का हृदय धुला मेघ बजे पंक बना हरिचंदन मेघ बजे हल का है अभिनंदन मेघ बजे धिन-धिन-धा ……..

प्रश्न-
(1) ‘हल का है अभिनंदन’ में किसके अभिनंदन की बात हो रही है और क्यों?
(2) प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइए कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
(3) ‘पंक बना हरिचंदन’ से क्या आशय है?
(4) पहली पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
(5) ‘मेघ आए’ और ‘मेघ बजे’ किस इंद्रिय बोध की ओर संकेत हैं ?
उत्तर-
(1) प्रस्तुत कवितांश में मेघ के अभिनंदन की बात हो रही है।
(2) मेघों के आने पर बिजली चमकने लगती है। मेंढकों के टर्राने की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। धरती की प्यास बुझ जाती है। पंक में हरी-हरी घास व फसलें उग आती हैं। किसान खेतों में काम करने लगते हैं।
(3) पंक अर्थात कीचड़ भी हरिचंदन के समान लगता है, क्योंकि उसमें फसलें व हरी-हरी घास उगती हैं।
(4) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(5) ‘मेघ आए’ तथा ‘मेघ बजे’ आँखों और कानों की ओर संकेत करते हैं अर्थात देखने और सुनने के इंद्रिय बोध की ओर संकेत करते हैं।

अपने शिक्षक और पुस्तकालय की सहायता से केदारनाथ सिंह की ‘बादल ओ’, सुमित्रानंदन पंत की ‘बादल’ और निराला की ‘बादल-राग’ कविताओं को खोजकर पढ़िए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi मेघ आए Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘मेघ आए’ शीर्षक कविता के मूल भाव पर प्रकाश डालिए। अथवा ‘मेघ आए’ कविता के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘मेघ आए’ एक ऐसी रचना है जिसमें एक ओर प्रकृति के विभिन्न उपादानों की प्राकृतिक सुंदरता को उजागर किया गया है और दूसरी ओर प्रकृति के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, रीति-रिवाज और सद्भावना को एक-साथ व्यक्त किया गया है। लेखक का परम लक्ष्य प्रकृति की सुंदरता और उसके प्रभाव को सजीव रूप में प्रस्तुत करना है। कवि अपने इस लक्ष्य में पूर्णतः सफल रहा है। बहुत दिनों के पश्चात आकाश में घटा छा जाने पर जिस प्रकार सभी उसे प्रसन्नता के भाव से देखते हैं और उसके आने की सूचना एक-दूसरे को अनायास ही दे देते हैं; उसी प्रकार गाँव में शहरी मेहमान के आने की सूचना उसके गाँव में पहुंचने से पहले ही पहुँच जाती है। गाँव में मेहमान का आदर किस प्रकार किया जाता है। इसका वर्णन पीपल के माध्यम से किया गया है। इसी प्रकार वर्षा से पहले तेज हवा के साथ धूल का आना ऐसे लगता है मानों किशोरियाँ घाघरा उठाकर भाग रही हों। काम करती हुई
औरतें पाहुन को देखने के लिए कुछ क्षण के लिए काम रोक देती हैं तथा अपने घूघट को उठाकर तिरछी नजर से उसे देखने का प्रयास करती हैं। अतिथि की पत्नी किवाड़ की ओट में होकर उसे लंबे समय बाद आने का उलाहना देती है। इस प्रकार प्रकृति के विविध उपादानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की संस्कृति एवं सद्भावना का सजीव चित्रण करना कवि का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
शहरी पाहुन के आगमन पर गाँव में उमगे उल्लास के रूप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
शहरी पाहुन के आगमन पर कुछ लोग नाचते-गाते हुए आगे चलने लगे। लोगों में उत्सुकता उत्पन्न हुई कि देखें शहरी पाहुन कैसा है। इसलिए गली-गली में लोग अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर पाहुंन को देखने लगे। कुछ बूढ़े लोग पाहुन को देखकर गरदन झुका लेते हैं और कुछ गरदन उठाकर उसे देखने का प्रयास करते हैं। कुछ किशोरियाँ घाघरा उठाकर धूल-सी भागने लगती हैं। काम करती औरतें भी रुक कर शहरी पाहुन को देखने लगती हैं। वे औरतें अपने-अपने चूँघट को उठाकर तिरछी दृष्टि से पाहुन को देखने का प्रयास करती हैं। जब पाहुन गाँव के निकट आ जाता है तो गाँव के बड़े-बूढ़े लोग उसके स्वागत के लिए झुककर प्रणाम करते हैं। पाहुन की पत्नी शरमाकर दरवाजे की ओट में हो गई और वहीं से उपालंभ के स्वर में कहती है कि वर्ष-भर बाद हमारी सुध ली है। उधर एक प्रसन्न मन व्यक्ति पाहुन के पैर धोने के लिए परात में पानी भरकर ले आया। इस प्रकार शहरी पाहुन के गाँव में पहुँचने पर वहाँ का वातावरण प्रसन्नता और आनंद से भर उठता है।

प्रश्न 3.
‘बरस बाद सुध लीन्हीं’ में प्रिया के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है-
(क) प्रेमभाव की
(ख) उपालंभ की
(ग) उदारता की
(घ) कृतज्ञता की
उत्तर-
(ख) उपालंभ की।

प्रश्न 4.
मेघ के आगमन का बयार, पेड़, नदी, लता और ताल पर क्या असर हुआ ?
उत्तर-
मेघ के आगमन से बयार खुशी से झूम उठी। पेड़ झुक-झुककर मेघ रूपी मेहमान को झाँकते हुए उसका आदर-सत्कार करने लगे। नदी की दृष्टि में बाँकपन आ गया। वह मानों मेघ पर मुग्ध-सी हो गई हो। लताएँ प्रेमभाव से युक्त हो गईं और मेघ को वर्ष-भर के बाद आने का उपालंभ देने लगीं। ताल वर्षा के जल से भर गया। मानों ताल मेघ के स्वागत में पानी की परात भर लाया हो।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मेघ आए’ शीर्षक कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) भारत भूषण अग्रवाल
(D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
उत्तर-
(D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

प्रश्न 2.
‘आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ में कौन बन-ठनकर आया है?
(A) आँधी
(B) मेघ
(C) हवा
(D) सूर्य
उत्तर-
(B) मेघ

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प्रश्न 3.
मेघों के आगे-आगे नाचता हुआ कौन चल रहा था?
(A) बयार
(B) नर्तक
(C) नर्तकी
(D) पक्षी
उत्तर-
(A) बयार

प्रश्न 4.
मेघों के आने पर गली-गली में क्या होने लगा?
(A) लोग नाचने लगे
(B) बच्चे घर से बाहर निकल पड़े
(C) खिड़कियाँ-दरवाजे खुलने लगे
(D) लोग काम करने लगे
उत्तर-
(C) खिड़कियाँ-दरवाजे खुलने लगे

प्रश्न 5.
आँधी आने पर घाघरा उठाकर कौन भागने लगी थीं?
(A) ग्रामीण नारियाँ
(B) युवतियाँ
(C) नर्तकियाँ
(D) धूल
उत्तर-
(D) धूल

प्रश्न 6.
किसने बाँकी चितवन उठाकर मेघ को देखा था?
(A) वृक्षों ने
(B) शहरी
(C) नारियों ने
(D) प्रदेशी
उत्तर-
(B) नदियों ने

प्रश्न 7.
कवि ने मेघों को कहाँ के पाहुने.बताया है?
(A) ग्रामीण
(B) नदियों ने
(C) विदेशी
(D) चिड़ियों ने
उत्तर-
(B) शहरी

प्रश्न 8.
पाहुन का अर्थ है.
(A) अतिथि
(B) खिलाड़ी
(C) पहलवान
(D) चोर
उत्तर-
(A) अतिथि

प्रश्न 9.
मेघों की जुहार किसने की थी?
(A) वायु ने
(B) तालाब ने
(C) बूढ़े पीपल ने
(D) आम ने
उत्तर-
(C) बूढ़े पीपल ने

प्रश्न 10.
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’-ये शब्द किसने किसको कहे हैं?
(A) लता ने मेघ को
(B) पीपल ने लता को
(C) लता ने आकाश को
(D) पवन ने मेघ को
उत्तर-
(A) लता ने मेघ को

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प्रश्न 11.
लता किसकी ओट में होकर बोली थी?
(A) पहाड़
(B) किवाड़
(C) दीवार
(D) वृक्ष
उत्तर-
(B) किवाड़

प्रश्न 12.
ताल किसे देखकर हर्षित हुआ था?
(A) पवन को
(B) मेघ को
(C) किसान को
(D) चंद्रमा को
उत्तर-
(B) मेघ को

प्रश्न 13.
तालाब किस बर्तन में पानी लाया था?
(A) घड़े में
(B) परात में
(C) लोटे में
(D) अंजलि में
उत्तर-
(B) परात में

प्रश्न 14.
दामिनी कहाँ दमकती हुई दिखाई दी?
(A) क्षितिज पर
(B) छत पर
(C) सड़क पर
(D) वृक्ष पर
उत्तर-
(A) क्षितिज पर

प्रश्न 15.
‘गाँठ खुलना’ मुहावरे का अर्थ है-
(A) गाँठ का दूर होना
(B) भ्रम का दूर होना
(C) पैसे गिर जाना
(D) मार्ग साफ होना
उत्तर-
(B) भ्रम का दूर होना

प्रश्न 16.
‘धूल’ किसकी प्रतीक है?
(A) आँधी की
(B) वर्षा की
(C) ग्रामीण युवती की
(D) पवन की
उत्तर-
(C) ग्रामीण युवती की

प्रश्न 17.
लता किसकी प्रतीक है?
(A) प्रेमिका की
(B) सहेली की
(C) बहन की
(D) माता की
उत्तर-
(A) प्रेमिका की

प्रश्न 18.
‘धूल भागी घाघरा उठाए’ में कौन-से अलंकार का प्रयोग हुआ है?
(A) अनुप्रास
(B) मानवीकरण
(C) रूपक
(D) श्लेष
उत्तर-
(B) मानवीकरण

प्रश्न 19.
‘झर-झर’ में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताएँ।
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) पुनरुक्ति प्रकाश
(D) उपमा
उत्तर-
(C) पुनरुक्ति प्रकाश

प्रश्न 20.
‘मेघ आए’ कविता में किस संस्कृति का उल्लेख हुआ है?
(A) ग्रामीण
(B) शहरी
(C) पाश्चात्य
(D) सामन्ती
उत्तर-
(A) ग्रामीण

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प्रश्न 21.
कवि ने गाँव में किसके आने का वर्णन किया है?
(A) चाचा
(B) मेहमान (दामाद)
(C) मामा
(D) नाना
उत्तर-
(B) मेहमान (दामाद)

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मेघ आए अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-मेघ = बादल। बन-ठन के = बन-सँवरकर, सज-धजकर। बयार = ठंडी एवं सुगंधित वायु। पाहुन = मेहमान।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौंदर्य लिखें।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में मेघ के आगमन का चित्रण किस रूप में किया गया है ?
(6) गली-गली की खिड़कियाँ क्यों खुलने लगीं ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि ने बादलों के आने का वर्णन करते हुए लिखा है कि आज बादल बहुत ही बन-सँवरकर आए हैं अर्थात आकाश में छाए हुए हैं। बादलों के स्वागत में मानों बादलों के आगे-आगे नाचती-गाती हुई ठंडी एवं सुगंधित वायु चली आ रही है। जिस प्रकार शहरी मेहमान को देखने के लिए लोग खिड़कियाँ व दरवाजे खोल देते हैं, ठीक उसी प्रकार आकाश में बादल छा जाने से लोग बादलों को देखने के लिए घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं। कहने का तात्पर्य है कि बादल छा जाने से वातावरण प्रसन्नतामय बन जाता है।
भावार्थ-इन पंक्तियों में ग्रामीण संस्कृति एवं वहाँ की सद्भावना का सजीव अंकन किया गया है।

(3) (क) कवि ने ग्रामीण संस्कृति एवं सद्भावना का मनोरम चित्रण किया है।
(ख) मेघ व वायु का मानवीकरण किया गया है।
(ग) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(घ) चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) प्रकृति का आलंबन रूप में चित्रण हुआ है।
(च) ‘आगे-आगे’ एवं ‘गली-गली’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(छ) ‘पाहुन ………… शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ज) ‘नाचती-गाती’, ‘बन-ठन’ में अनुप्रास अलंकार है।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भावपूर्ण शैली में नए-नए बादलों के आकाश में छा जाने से वातावरण में उत्पन्न प्रसन्नता का उल्लेख किया है। कवि ने बादलों के सौंदर्य की तुलना नगर से सज-धजकर आए अतिथियों से की है। जिस प्रकार नगर एवं गाँव में अतिथि के पधारने पर वहाँ के लोग प्रसन्न हो जाते हैं और उत्सुकतापूर्वक अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं, उसी प्रकार बादलों के आकाश पर छा जाने पर गली-गली में लोग उन्हें देखने के लिए अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं।

जैसे गाँव के लोग अतिथियों का स्वागत करने के लिए उनके आगे-आगे चलते हैं, वैसे ही बादलों के आने से पूर्व ठंडी एवं सुगंधित वायु बहने लगती है। कवि ने बादलों के सौंदर्य के साथ-साथ ग्रामीण संस्कृति एवं सद्भावना का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में बादलों का चित्रण सज-धजकर आए शहरी मेहमानों के रूप में किया गया है। दोनों में सौंदर्य की समानता के साथ-साथ उनके स्वागत की विधि भी समान है।

(6) कवि ने बताया है कि मेघ व वर्षा के स्वागत तथा आनंद-प्राप्ति के लिए लोगों ने अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल दी थीं।

2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-गरदन उचकाए = गरदन उठाकर । झाँकना = देखना। बाँकी चितवन = तिरछी मनमोहक दृष्टि। ठिठकी = रुकी। यूंघट सरकाना = यूंघट हटाना।

प्रश्न
(1) इस पद्यांश का मुख्य विषय क्या है?
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) पेड़ किस लिए झुक गए?
(4) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) आँधी किसका प्रतीक है वह कैसे दौड़ी?
(6) मेघ किस प्रकार आए?
(7) घाघरा से क्या आशय है?
उत्तर-
(1) इस पद्यांश का मुख्य विषय प्रकृति का चित्रण करना है।

(2) व्याख्या-कवि का कथन है कि जब आकाश में बादल छा गए तो ऐसा लगने लगा कि गाँव के लोगों की भाँति पेड़ गरदन उठाकर तथा कुछ झुक-झुककर बादलों को देखने लगे हों। जिस प्रकार मेहमान के आने की सूचना देने के लिए कोई किशोरी घाघरा सँभालती हुई भागती है; उसी प्रकार धूल-भरी आँधी भी बादलों के आने की सूचना देने के लिए बहने लगी। नदी भी अपने प्रवाह को रोककर मेघों को देखने के लिए कुछ देर के लिए रुकी हुई-सी लगी। उसने अपने मुख से मानों बूंघट सरका दिया हो और वह सजे हुए बादलों को देखने लगी हो जैसे युवतियाँ मेहमान को ठिठककर देखने लगती हैं। मेघ बन-सँवरकर अर्थात नए रूप में आकाश में छा गए हैं।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में आकाश में घटाओं के छा जाने से प्रकृति में हुए परिवर्तन का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया गया है।

(3) पेड़ बादलों को देखने के लिए झुक गए थे।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने दर्शाया है कि जब कोई नगर का व्यक्ति बन-सँवरकर गाँव में मेहमान बनकर आता है तो वहाँ के वातावरण में प्रसन्नता छा जाती है। शहरी मेहमान के गाँव में आने से वहाँ के वातावरण में जैसा परिवर्तन आता है वैसा ही परिवर्तन बादल आ जाने से प्रकृति में भी छा जाता है। गाँव के बूढ़े लोग मेहमान को उचक-उचककर देखते हैं और झुक-झुककर उसका अभिवादन करते हैं। स्त्रियाँ अपना यूँघट सरकाकर उसे तिरछी दृष्टि से देखती हैं।

(5) आँधी किशोरी का प्रतीक है। वह अपना घाघरा सम्भालती हुई दौड़ी।

(6) मेघ बहुत सज-संवर व बन-ठन कर आए।

(7) घाघरा से सतर्क होने का भाव या आशय है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-जुहार = आदर के साथ झुककर नमस्कार करना। बरस = वर्ष । सुधि = याद । लीन्हीं = ली। अकुलाई = व्याकुल। ओट = आड़। किवार = किवाड़, दरवाजा। हरसाया = हर्ष से भरा, प्रसन्नता से युक्त। ताल = तालाब। मेघ = बादल ।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ में प्रिया के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है ?
(6) ‘हरसाया ताल लाया पानी परात भर के’-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि का कथन है कि मेहमान रूपी बादल सज-धज कर आ गए हैं। जिस प्रकार गाँव के बड़े-बूढ़े झुककर मेहमान का स्वागत करते हैं; उसी प्रकार पीपल के पेड़ ने बादलों का स्वागत किया। जिस प्रकार मेहमान की विरहिणी पत्नी किवाड़ की ओट में छिपकर पति को बहुत दिन बाद आने का उपालंभ देती है, उसी प्रकार प्यासी लता ने बादलों को उलाहना देते हुए कहा कि पूरे एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। मेहमान रूपी बादल के आने की प्रसन्नता में तालाब रूपी परिवार का सदस्य पानी की परात भरकर ले आया अर्थात तालाब पानी से लबालब भर गया।
भावार्थ-कवि ने बूढ़े पीपल के मानवीकरण के माध्यम से ग्रामीण अंचल में बड़े-बूढ़ों द्वारा अतिथियों को लगाए जाने वाली जुहार का उल्लेख किया है। लता के माध्यम से पति के वर्ष बाद आने पर पत्नी द्वारा दिए गए उपालंभ का वर्णन किया है।

(3) (क) प्रकृति के संपूर्ण दृश्य का चित्रात्मक शैली में वर्णन किया गया है।
(ख) मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ग) कवि की कल्पना अत्यंत सुंदर एवं सार्थक है।
(घ) ब्रज भाषा के संवाद से विषय आकर्षक बन पड़ा है।
(ङ) ‘बरस बाद’, ‘पानी परात’ प्रयोगों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(च) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने बादल छा जाने से व्याप्त प्रसन्नता का वर्णन किया है। बादल का स्वागत ऐसे किया गया है जैसे गाँव में मेहमान पहुंचने पर उसका स्वागत किया जाता है। पीपल ने सर्वप्रथम आगे बढ़कर झुककर बादल का अभिवादन किया है। पत्नी की भाँति लता ने बादल को उपालंभ देते हुए कहा कि एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। वर्षा होने पर तालाब पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि वह बहुत प्रसन्न है और परात में पानी भर कर लाया हो। कहने का अभिप्राय है कि बादल छा जाने पर सर्वत्र हर्ष का वातावरण बन गया है।

(5) ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ में प्रिया के उपालंभ भाव की अभिव्यक्ति हुई है।

(6) वर्षा होने पर तालाब पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि बादल के आने पर वह तालाब बहुत प्रसन्न हो उठा है और परात भर पानी ले आया है।

4. क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [ पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-क्षितिज = जहाँ आकाश और पृथ्वी मिलते हुए दिखाई देते हैं। अटारी = भवन या महल का ऊपरी भाग। गहराना = छा जाना। दामिनि = बिजली। दमकी = चमकी। गाँठ खुल जाना = भ्रम दूर हो जाना। भरम = संदेह । बाँध = सेतु, पुल । अश्रु = आँसू।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में वर्णित विषय के संदर्भ को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(6) ‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’ पंक्ति के आशय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि ने बताया है कि मेघ क्षितिज रूपी अटारी पर पहुँच गए अर्थात जैसे अतिथि को देखने के लिए लोग अटारी पर जमा हो जाते हैं, वैसे ही बादलों के गहराने से उनमें बिजली चमकने लगती है। प्रकृति के विविध उपादान मानों मेघ से कह रहे हों कि हमें क्षमा करना। हमारे मन में जो भ्रम था कि तुम वर्षा नहीं करोगे, अब वह दूर हो गया है अर्थात वर्षा हो गई है। झर-झर की आवाज करती हुई बूंदें गिरने लगीं। पति-पत्नी के संदर्भ में बहुत दिनों के बाद पति-पत्नी घर की छत पर मिले । गले मिले, शिकवा-शिकायतें की और आपसी भ्रम दूर हो जाने पर पत्नी पति से गले मिलकर रोने लगी। उसकी आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के प्रभाव का सजीव चित्रण किया है।

(3) मेघ आए’ शीर्षक कविता से उद्धृत इन पंक्तियों में कवि ने बादल के बरसने का वर्णन अत्यंत सुंदर कल्पनाओं के माध्यम से किया है। साथ ही कवि ने वर्षा के प्रभाव का उल्लेख भी किया है।

(4) (क) कवि ने वर्षा का वर्णन अत्यंत कलात्मकतापूर्ण किया है।
(ख) नवीन कल्पना-शक्ति का चमत्कार देखते ही बनता है।
(ग) स्वर-मैत्री अलंकार के कारण भाषा में प्रवाह एवं लय का समावेश हुआ है।
(घ) ‘झर-झर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ङ) ‘बन-ठन’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा-शैली चित्रात्मक है।
(छ) शब्द-चयन अत्यंत सार्थक एवं भावानुकूल है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने चित्रात्मक शैली के द्वारा वर्षा के सौंदर्य एवं प्रभाव का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है। कवि ने बताया है कि गाँव के लोगों में अतिथि का सत्कार करने की अत्यधिक लगन होती है। वे अतिथि को देखने के लिए छत पर जमा हो जाते हैं। उनके वस्त्रों व गहनों की चमक-धमक ऐसी लगती है जैसे बादलों में बिजली चमकती है। प्रकृति के विविध अंग मानों कह रहे हों कि हमें क्षमा करना। हमारे मन में जो भ्रम था कि तुम वर्षा नहीं करोगे, अब वह भ्रम समाप्त हो गया। कहने का भाव है कि वर्षा हो गई। वर्षा पड़ने का शोर मच रहा है। दूसरे अर्थ में कहा जा सकता है कि पति-पत्नी के बीच जो भ्रम था, वह समाप्त हो गया और मानों पत्नी पति के गले लगी हो और उसकी आँखों से झर-झर करके अश्रुधारा बह निकली हो। अतः स्पष्ट है कि कवि के वर्षा-वर्णन से संबंधित भाव अत्यंत सुंदर एवं सार्थक बन पड़े हैं।

(6) प्रस्तुत पंक्ति द्विअर्थक है। प्रथम अर्थ है प्रकृति के अन्य उपादान यह समझ रहे थे कि शायद बादल न बरसें, किंतु बादलों के बरस जाने पर उनके मन से भ्रम समाप्त हो गया और अब वे बहुत प्रसन्न हैं। इसी प्रकार पति के घर आने पर पत्नी के मन के सब भ्रम समाप्त हो गए और प्रसन्नचित्त हो पति के गले से लगकर आँसू बहा रही है कि मैंने पति के विषय में कैसी-कैसी धारणाएँ बना ली थीं।

मेघ आए Summary in Hindi

मेघ आए कवि-परिचय

प्रश्न-
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आधुनिक युग के प्रतिभाशाली कवि थे। उनकी कविताओं में सम-सामयिक जीवन की समस्याओं का यथार्थ चित्रण हुआ है। उनका जन्म 15 सितंबर, 1927 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा वहीं पर हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। आरंभ में उन्होंने स्कूल में अध्यापन कार्य किया। इसके पश्चात वे आकाशवाणी में नियुक्त हुए। उन्होंने कुछ समय के लिए ‘दिनमान’ के उप-संपादक का कार्यभार भी सँभाला। उन्होंने ‘पराग’ पत्रिका का संपादन भी बड़ी सफलतापूर्वक किया। 24 सितंबर, 1983 में उनका निधन हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-

  • काव्य-संग्रह ‘काठ की घंटियाँ’, ‘बाँस का पुल’, ‘एक सूनी नाव’, ‘गर्म हवाएँ’, ‘कुआनो नदी’ और ‘जंगल का दर्द’ आदि।
  • उपन्यास-‘उड़े हुए रंग’, ‘सोया हुआ जल’, ‘पागल कुत्तों का मसीहा’ आदि।
  • कहानी-संग्रह ‘अँधेरे पर अँधेरा’ ।
  • नाटक-‘बकरी’, ‘लाख की नाक’ आदि।

3. काव्यगत विशेषताएँ-उनके काव्य में शिल्प-विधान की अपेक्षा विषय वस्तु पर अधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने अपने काव्य में सम-सामयिक जीवन के परिवेश का यथार्थ चित्रण किया है। उनके काव्य में अनुभूतियों की गहराई देखते ही बनती है। यथा

‘कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को,
हर नन्हीं याद को, हर छोटी भूल को,
नये साल की शुभकामनाएँ।’

वे अपने जीवन में आने वाली पराजय और घुटन की अनुभूतियों से निराश होने की अपेक्षा निरंतर प्रेरणा प्राप्त करते रहे। उनके काव्य में नयी कविता का कोरा बुद्धिवाद नहीं है, अपितु हृदय को छूने वाली कोमल भावनाएँ भी हैं। उन्होंने रोमानी वातावरण की कविताओं की रचना भी की है।

4. भाषा-शैली-उनके काव्य की भाषा सर्वत्र सुलभ, स्पष्ट और बोलचाल की है। भाषा प्रसाद गुण संपन्न है। उनके काव्य में तीखे व्यंग्य भी प्रभावशाली बन पड़े हैं। उनकी भाषा में कहीं भी उलझाव प्रतीत नहीं होता। उनकी कल्पना-शक्ति बेजोड़ है। उनकी कविता के बारे में सुमित्रानंदन पंत ने लिखा था वे जन्मजात, अकृत्रिम कवि हैं। नयी कविता की पहचान कराने वाले कवियों में उनका विशेष स्थान है। प्राकृतिक परिवेश का मानवीकरण करने में वे सिद्धहस्त हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

मेघ आए कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘मेघ आए’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए। .
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने आकाश में मेघ के आने का वर्णन गाँव में आए शहरी अतिथि के रूप में किया है। संपूर्ण वर्णन में कवि ने रूपक बाँध दिया है। मेघ आने पर ठंडी वायु बहने लगती है। लोग दरवाजे-खिड़कियाँ खोल देते हैं। पेड़ भी हरे-भरे दिखाई देने लगते हैं। ऐसा लगता है कि मानों वे झुककर मेहमान का आदर कर रहे हों। वर्षा आने पर धूल भरी आँधियाँ समाप्त हो जाती हैं। नदियों व तालाबों में पानी भर जाता है। गरमी के कारण पीपल भी मुरझा गया था, किंतु मेघ आने पर वह भी हरा-भरा होकर आगे बढ़कर मेघ का स्वागत करते हुए उसे उपालंभ देता है कि एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। जिस प्रकार पति-पत्नी में वियोग के कारण भ्रम की गाँठ पड़ जाती है तथा मिलन पर वह गाँठ खुल जाती है और वे गले मिलकर आँसू बहाते हैं, वैसे ही मानों आकाश और पृथ्वी गले मिलते-से प्रतीत होते हैं और वर्षा की बूंदें टप-टप करके गिरने लगती हैं। कवि ने बताया है कि जिस प्रकार गाँव में पाहुन आने पर प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है, उसी प्रकार आकाश में मेघ छा जाने पर चारों ओर खुशी एवं सुख का वातावरण बन जाता है।

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