HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

HBSE 9th Class Hindi कैदी और कोकिला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर-
कोयल की कूक सुनकर कवि के मन पर गहन प्रतिक्रिया हुई थी तथा उसने कोयल से कहा कि संपूर्ण देश स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जूझ रहा है और सारा देश एक कारागार के रूप में परिणत हो गया है। ऐसे में मधुर गीत गाने की आवश्यकता नहीं, अपितु क्रांति और विद्रोह का गीत गाना चाहिए।

प्रश्न 2.
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई है ?
उत्तर-
कवि ने कोकिल के बोलने की संभावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा है कि क्या वह किन्हीं वेदनाओं के बोझ से दबी हुई है या उसे किसी ने लूट लिया है। क्या वह पगला गई है जो इस प्रकार आधी रात के समय बोलने लगी है। क्या उसने जंगल में लगी आग की भयंकर लपटें देखी हैं, जिनसे भयभीत होकर वह कक उठी है।

प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?
उत्तर-
कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की है, क्योंकि उस समय ब्रिटिश शासन द्वारा साधारण जनता पर अन्याय व अत्याचार किए जा रहे थे। चारों ओर शोषण का डंका बज रहा था। निरपराध लोगों को कारागार में बंद कर दिया जाता था। वहाँ न्याय नाम की कोई चीज नहीं थी। इसलिए कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना तम से की है।

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प्रश्न 4.
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में पराधीन भारत की जेलों में अंग्रेज शासक द्वारा दी जाने वाली यंत्रणाओं का यथार्थ चित्रण किया गया है। कवि ने बताया है कि जेलों में कैदियों को लोहे की जंजीरों में बाँधकर रखा जाता था। उनके पाँवों में बेड़ियाँ और हाथों में हथकड़ियाँ पहनाई जाती थीं। कैदियों को कोल्हू में पशुओं की भाँति जोता जाता था। कुएँ से पानी निकलवाने के लिए उनके पेट पर जूआ रखा जाता था जिसे वे खींचते थे। उन्हें काल-कोठरी में बंद करके रखा जाता था जहाँ रोशनी व ताजी हवा नहीं पहुँचती थी। उन पर कड़ा पहरा रखा जाता था। उनको गालियाँ दी जाती थीं। उन्हें पेट भर खाना भी नहीं दिया जाता था।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो! ।
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का फँआ।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने कोयल की वाणी की मधुरता को उद्घाटित किया है। उसे मधुरता के खजाने की रक्षक कहकर उसकी मधुर ध्वनि की प्रशंसा की है।
(ख) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने एक ओर ब्रिटिश शासन के भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति किए गए अमानवीय व्यवहार को उद्घाटित किया है तो दूसरी ओर कैदी के स्वाभिमान एवं संघर्षशील प्रवृत्ति को दर्शाया है। ब्रिटिश शासन द्वारा कैदियों से कुएँ से पानी निकलवाने के लिए उन्हें चरस (चमड़े से बनी चरस जिसमें कुएँ से पानी निकाला जाता है।) खींचने के लिए विवश किया जाता है। किंतु कैदी ब्रिटिश शासन के सामने हार नहीं मानता।

प्रश्न 6.
अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर-
कवि को अर्द्धरात्रि में कोयल के चीख उठने से अंदेशा था कि उसने किसी को लुटते हुए देखा होगा या उसे जंगल में लगी आग की भयंकर लपटें दिखाई दी होंगी जिससे वह घबराकर चीख उठी होगी।

प्रश्न 7.
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?
उत्तर-
वस्तुतः कवि महान स्वतंत्रता सेनानी है। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण ब्रिटिश शासन ने उसे कारागार में बंद कर दिया है। वह कैदी है। जब रात्रि के समय कोयल अपनी मधुर वाणी में बोलती है तो उसके मन में कोयल के प्रति ईर्ष्या भाव जाग उठता है। क्योंकि कोयल हरी-भरी टहनी पर स्वतंत्रतापूर्वक बैठी है और कवि के भाग्य में काल-कोठरी में बंद रहना लिखा हुआ है। वह खुले आकाश में उड़ सकती है और कवि केवल दस फुट की छोटी-सी कोठरी में बंद है। इसके अतिरिक्त जब कोयल बोलती है तो लोग उसकी मधुर वाणी को सुनकर वाह! वाह! कह उठते हैं और कवि के लिए गीत गाना तो क्या यदि वह रोता भी है तो उसे भी गुनाह समझा जाता है। इन्हीं कारणों से कवि के मन में कोयल के प्रति ईर्ष्या का भाव है।

प्रश्न 8.
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर-
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की अनेक मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल की मधुर वाणी सुनकर कवि रोमांचित हो उठता था। उसके मधुर गीत सुनकर ऐसा लगता था कि मानो वह उसके किसी प्रियजन का संदेश लेकर आई हो, किंतु इस समय कोयल की ध्वनि मधुर नहीं, अपितु एक चीख है और वह युद्ध के नगाड़े के समान लगती है ताकि कवि उन मधुर स्मृतियों को भूलकर स्वतंत्रता-प्राप्ति के संघर्ष में कूद पड़े।

प्रश्न 9.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
गहने पहनने का प्रमुख लक्ष्य सुंदर लगना है। पराधीनता के समय स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन करते थे। इस कारण अंग्रेज सरकार उन्हें हथकड़ियाँ लगाकर कारागार में बंद कर देती थी। स्वतंत्रता सेनानियों को देश को स्वतंत्र कराने के कार्य करने में गर्व की अनुभूति होती थी। इसीलिए वे अंग्रेज सरकार द्वारा पहनाई गई हथकड़ियों को गहना समझकर धारण करते थे। इससे उनका मान बढ़ता था।

प्रश्न 10.
‘काली तू…… ऐ आली।’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने काली शब्द की आवृत्ति से एक ओर कविता में लय एवं संगीत में वृद्धि करके उसके काव्य-सौंदर्य में वृद्धि की है। दूसरी ओर कवि ने ब्रिटिश सरकार के द्वारा किए गए अन्याय, अत्याचार और शोषण को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया है। कहने का भाव है कि ‘काली’ शब्द से जहाँ काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है, वहाँ भाव-सौंदर्य भी प्रभावशाली बन पड़ा है।

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प्रश्न 11.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
उत्तर-(क) (1) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जंगल की आग की ज्वालाओं के माध्यम से ब्रिटिश शासन के द्वारा भारतीयों के प्रति किए गए अन्याय एवं अत्याचारों की ओर संकेत किया है।
(2) प्रश्न अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(3) ओजपूर्ण भाषा है।
(4) मानसिक बिंब है। प्रत्यक्ष के माध्यम से अप्रत्यक्ष को उद्घाटित किया गया है।

(ख) (1) प्रस्तुत पंक्तियों में कोयल के प्रति कवि के मन के ईर्ष्या भाव को प्रस्तुत किया गया है।
(2) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा लययुक्त एवं संगीतमय बनी हुई है।
(3) ‘तेरी-मेरी’ में अनुप्रास अलंकार है।
(4) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग से कथन को ग्रहणीय एवं मार्मिकता प्रदान की गई है।
(5) ‘वाह…गुनाह’ तथा ‘मेरी…..रणभेरी’ में तुकान्त है।

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रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 12.
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?
उत्तर-
कवि ने अन्य पक्षियों के चहचहाने की ध्वनि की अपेक्षा कोयल की बात को इसलिए चुना है क्योंकि कोयल की ध्वनि अत्यन्त प्रभावशाली है। कोयल सदा से कवियों के आकर्षण का कारण रही है। इसके अतिरिक्त उसे चुनने का अन्य कारण उसका काला होना भी है। कवि अंग्रेज सरकार की काली करतूतों को उद्घाटित करना चाहता है। इसलिए काली करतूतों एवं कोयल के काले रंग में समानता भी है।

प्रश्न 13.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?
उत्तर-
अंग्रेज सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार इसलिए किया जाता था ताकि उन्हें यह अनुभव करवा दे कि उनकी दृष्टि में तुम सामान्य अपराधी हो। इसके अतिरिक्त उनके देश-प्रेम की भावना और मनोबल को ठेस पहुंचाने के लिए भी ऐसा किया जाता था।

पाठेतर सक्रियता

पराधीन भारत की कौन-कौन सी जेलें मशहूर थीं, उनमें स्वतंत्रता सेनानियों को किस-किस तरह की यातनाएँ दी जाती थीं? इस बारे में जानकारी प्राप्त कर जेलों की सूची एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नामों को राष्ट्रीय पर्व पर भित्ति पत्रिका के रूप में प्रदर्शित करें।
स्वतंत्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारकर हृदय परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। पता लगाइए कि इस दिशा में कौन-कौन से कार्यक्रम चल रहे हैं ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi कैदी और कोकिला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने पराधीन भारत की दुर्दशा का उल्लेख करके अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों की ओर संकेत किया है। कवि ने भारतीय जनता को क्रांति करने का आह्वान किया है ताकि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल सके। कवि अंधेरी रात में कारागार में बंद है। वह कोयल की मधुर कूक सुनकर बेचैन हो उठता है। प्रस्तुत कविता में कवि ने जेल में दी जाने वाली यातनाओं का यथार्थ चित्रण किया है। उसे कोयल की स्वतंत्रता से ईर्ष्या भी होती है कि कोयल स्वच्छंद रूप से उड़ती व गाती है, जबकि वह बंदी है। गाँधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए भारतीय युवकों को प्रेरित करना भी कवि का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
कोयल की कूक सुनकर कवि के मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-
कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा कि वह कुछ कहना चाहती है। कोयल की कूक कवि के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा सी प्रतीत हुई थी। उसे यह भी लगा कि कोयल कवि की यातनाओं से उत्पन्न पीड़ाओं को बाँटना चाहती है। वह उसे अपने प्रति सहानुभूति व्यक्त करती हुई भी प्रतीत होती है। अतः कवि कोयल के इशारों पर आत्म-बलिदान करने के लिए तैयार हो जाता है।

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प्रश्न 3.
कवि को रात के समय कोयल का कूकना अच्छा क्यों नहीं लगता ?
उत्तर-
कवि राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ तरह-तरह की यातनाएँ भोग रहा है। ऐसे संघर्ष के समय रात को कोयल कूक उठती है यद्यपि कोयल दिन के समय ही बोलती है। कवि कोयल की ध्वनि सुनकर अत्यंत बेचैन हो उठता है। उसकी चेतना में कोयल की स्वच्छंद स्थिति एवं अपनी कैदी होने की स्थिति कौंध जाती है। इसलिए कवि को कोयल की मधुर ध्वनि बार-बार उसके बंदी होने का बोध कराती है। यह स्वाभाविक है कि गुलाम होकर या बंदी बनकर किसी स्वतंत्र व्यक्ति या प्राणी की स्थिति के प्रति ईर्ष्या का भाव भी जाग उठता है। इसलिए कवि को कोयल का कूकना अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 4.
कोयल और कवि की मनःस्थिति के अंतर पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कोयल और कवि की मनःस्थिति में दिन-रात का अंतर है। कवि अंग्रेजी शासन के द्वारा बंदी बनाया गया है और जेल की यातनाएँ भोग रहा है। वह दस फुट की तंग कोठरी में पड़ा हुआ है। जबकि कोयल हरे-भरे वृक्ष की टहनी पर बैठी हुई है।

वह फुदक-फुदक कर एक टहनी से दूसरी टहनी पर जा बैठती है। वह प्रसन्नतापूर्वक मधुर ध्वनि में कूक-कूक कर अपने मन की प्रसन्नता व्यक्त कर रही है। दूसरी ओर, कवि तंग कोठरी में पड़ा हुआ दुःखी हो रहा है।

प्रश्न 5.
ब्रिटिश राज के द्वारा कवि को पहनाई गई हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहना कहाँ तक उचित है?
उत्तर-
कवि ने अपने हाथों में पड़ी हुई हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहा है। वह कोई चोर या अपराधी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति नहीं है। वह देशभक्त है और अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करवाना चाहता है। इसलिए उसने स्वयं हथकड़ियाँ पहनना स्वीकार किया है। उसे बंदी होने पर भी गर्व है। क्योंकि वह एक पवित्र काम के लिए बंदी बना है। वह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष कर रहा है इसलिए ब्रिटिश शासन ने उस पर राजद्रोह का आरोप लगाया है। भारतीय समाज में ऐसे क्रांतिकारी और देशभक्त लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। यही कारण है कि ब्रिटिश शासन द्वारा पहनाई गई हथकड़ियों को कवि द्वारा ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहना उचित है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कैदी और कोकिला के लेखक हैं-
(A) भारतेंदु हरिश्चंद्र
(B) मैथिलीशरण गुप्त
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) निराला जी
उत्तर-
(C) माखनलाल चतुर्वेदी

प्रश्न 2.
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1889 में
(B) सन् 1879 में
(C) सन् 1869 में
(D) सन् 1859 में
उत्तर-
(A) सन् 1889 में

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प्रश्न 3.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी किस प्रदेश के रहने वाले थे ?
(A) हरियाणा
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मध्य प्रदेश
(D) हिमाचल प्रदेश
उत्तर-
(C) मध्य प्रदेश

प्रश्न 4.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने सबसे पहले किस पत्रिका का संपादन आरंभ किया था ?
(A) सरस्वती का
(B) प्रभा का
(C) हंस का
(D) धर्मयुग का
उत्तर-
(B) प्रभा का

प्रश्न 5.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का उपनाम है-
(A) एक भारतीय आत्मा
(B) भारत सपूत
(C) भारतीय सैनिक
(D) महाकवि
उत्तर-
(A) एक भारतीय आत्मा

प्रश्न 6.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाओं में कौन-सा प्रमुख भाव व्यक्त हुआ है ?
(A) प्रेमभाव
(B) विरह भाव
(C) राष्ट्रीय-भाव
(D) सामाजिक भाव
उत्तर-
(C) राष्ट्रीय-भाव

प्रश्न 7.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी की काव्य रचनाएँ हैं-
(A) साहित्य देवता
(B) हिम तरंगिनी
(C) समर्पण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1958 में
(C) सन् 1968 में
(D) सन् 1978 में
उत्तर-
(C) सन् 1968 में

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प्रश्न 9.
‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता में कवि की कौन-सी विचारधारा की अभिव्यक्ति हुई है ?
(A) क्रांतिकारी
(B) सामाजिक
(C) राजनीतिक
(D) धार्मिक
उत्तर-
(A) क्रांतिकारी

प्रश्न 10.
कवि को कौन पेट भर खाना नहीं देता ?
(A) माता-पिता
(B) अंग्रेज सरकार
(C) कवि के मित्र
(D) कवि की पत्नी
उत्तर-
(B) अंग्रेज सरकार

प्रश्न 11.
कवि को रात में कौन निराश करके चला गया ?
(A) कवि का मित्र
(B) जेलर
(C) बादल
(D) हिमकर (चाँद)
उत्तर-
(D) हिमकर (चाँद)

प्रश्न 12.
कवि कारागृह में किन लोगों के बीच रखा गया था ?
(A) चोरों और डाकुओं के
(B) साधु-संतों के
(C) पागलों के
(D) बच्चों के
उत्तर-
(A) चोरों और डाकुओं के

प्रश्न 13.
कवि पर जेल में रात-दिन कड़ा पहरा क्यों लगाया गया था ?
(A) वह चोर था
(B) वह खूनी था
(C) वह पागल था
(D) वह राजनीतिक कैदी था
उत्तर-
(D) वह राजनीतिक कैदी था ।

प्रश्न 14.
कवि ने कालिमामयी किसे कहा है ?
(A) अंधेरी रात को
(B) घटा को
(C) कोयल को
(D) सरकार को
उत्तर-
(C) कोयल को

प्रश्न 15.
‘शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है’ पंक्ति में प्रमुख विषय है-
(A) अंग्रेजी शासन का अन्याय
(B) रात का गहन अंधकार
(C) कोयल की कालिमा
(D) अंधेरे से उत्पन्न भय
उत्तर-
(A) अंग्रेजी शासन का अन्याय

प्रश्न 16.
कवि ने कोयल की आवाज को ‘हूक’ क्यों कहा ?
(A) उसमें मधुरता है
(B) उसमें लय है
(C) उसमें निराशा एवं वेदना है ।
(D) उसमें उत्साह है
उत्तर-
(C) उसमें निराशा एवं वेदना है

प्रश्न 17.
‘वेदना बोझ वाली-सी’ पंक्ति में कौन-सा प्रमुख अलंकार है ?
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) यमक
(D) उपमा
उत्तर-
(D) उपमा

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प्रश्न 18.
कोयल किस समय चीखी थी ?
(A) दोपहर के समय
(B) आधी रात के समय
(C) प्रातःकाल के समय
(D) संध्या के समय
उत्तर-
(B) आधी रात के समय

प्रश्न 19.
दावानल की ज्वालाओं से अभिप्राय है-
(A) बहुत भारी दुःख
(B) बहुत बड़ी जंगल की आग
(C) सागर की आग
(D) विरह की आग
उत्तर-
(A) बहुत भारी दुःख

प्रश्न 20.
कवि ने बावली किसे कहा है ?
(A) रात्रि को
(B) कोयल को
(C) अपनी आत्मा को
(D) कविता को
उत्तर-
(B) कोयल को

प्रश्न 21.
कवि ने कौन-सा गहना पहना हुआ था ?
(A) कंगन
(B) घड़ी
(C) हथकड़ी
(D) सोने का कड़ा
उत्तर-
(C) हथकड़ी

प्रश्न 22.
कवि को कोयल की मधुरता एवं सहानुभूतिपूर्ण स्वर से कैसी प्रेरणा मिली थी ?
(A) परिवार के सदस्यों के प्रति स्नेह की प्रेरणा
(B) विदेशी सत्ता के प्रति विद्रोह की भावना
(C) विदेशियों से घृणा की भावना
(D) देश के प्रति स्नेह की प्रेरणा
उत्तर-
(B) विदेशी सत्ता के प्रति विद्रोह की भावना

प्रश्न 23.
‘शासन की करनी भी काली’ से क्या अभिप्राय है ?
(A) शासन की अन्याय भावना
(B) शासन की दयामय भावना
(C) शासन की दंड व्यवस्था
(D) शासन के कड़े नियम
उत्तर-
(A) शासन की अन्याय भावना

प्रश्न 24.
कवि ने कोयल के स्वर को ‘चमकीले गीत’ क्यों कहा है ?
(A) वह चमकदार है
(B) वह मधुर है
(C) वह ओज एवं संघर्ष के भाव से युक्त है
(D) वह लययुक्त है
उत्तर-
(C) वह ओज एवं संघर्ष के भाव से युक्त है

प्रश्न 25.
‘नभ-भर का संचार’ का आशय है-
(A) मुक्ति
(B) विशालता
(C) ईर्ष्या
(D) प्रसन्नता
उत्तर-
(A) मुक्ति

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प्रश्न 26.
‘मोहन’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?
(A) श्रीकृष्ण के लिए
(B) महात्मा गाँधी के लिए
(C) कवि ने अपने लिए
(D) जवाहर लाल नेहरू के लिए
उत्तर-
(B) महात्मा गाँधी के लिए

कैदी और कोकिला अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली? [पृष्ठ 107]

शब्दार्थ-घेरे में = बंधन में। बटमार = रास्ते में यात्रियों को लूटने वाला । तम = अंधकार । हिमकर = चंद्रमा। कालिमामयी = काले रंग वाली। आली = सखी।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य अपने शब्दों में लिखिए।
(5) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(6) अंग्रेज सरकार का स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कैसा व्यवहार था ?
उत्तर-
(1) कवि-माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) प्रस्तुत काव्यांश श्री माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख काव्य रचना ‘कैदी और कोकिला’ में से उद्धृत है। कवि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कारागार में बंद कर दिया गया था। वहाँ एकाकी और यातनामय वातावरण के कारण उसके मन में निराशा भर गई है। रात को कोयल की ध्वनि सुनकर वह जाग जाता है और अपने मन के दुःख और ब्रिटिश शासन के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करता हुआ कोयल से ये शब्द कहता है।

(3) व्याख्या-कवि कोयल की ध्वनि सुनकर उससे पूछता है कि इस समय तुम रह-रहकर क्या गाती हो ? अपनी इस ध्वनि के माध्यम से तुम किसके लिए और क्या संदेश लाती हो। मुझे इसके विषय में बताओ।।

कवि अपने विषय में उसे बताता है कि मैं यहाँ कारागार की ऊँची-ऊँची काली दीवारों के घेरे में डाकुओं, चोरों तथा रास्ते में दूसरों को लूटने वाले बटमारों के बीच बंद हूँ। दूसरी ओर, अंग्रेज सरकार जीने के लिए भर पेट खाना भी नहीं देती। यहाँ ऐसी दशा बना दी गई है कि न हम मर सकते हैं और न ही भली-भाँति जी सकते हैं, बस तड़पते रहते हैं। यहाँ हमारे जीवन पर दिन-रात कठोर पहरा लगाया गया है। अंग्रेजी शासन का प्रभाव गहरे अंधकार के प्रभाव के समान है। कहने का भाव है कि जिस प्रकार अंधकार में कुछ नहीं सूझता; उसी प्रकार अंग्रेजी शासन में किसी के साथ सही न्याय नहीं होता। अब रात काफी बीत चुकी है। चंद्रमा भी मानो निराश होकर चला गया है और उसके जाने के पश्चात रात पूर्णतः अंधकारमयी हो गई है। इस कालिमामयी अर्थात् गहरे काले रंग वाली कोयल तू इस अंधेरी रात में क्यों जाग गई। तुझे क्या गम या चिंता है।

भावार्थ-इन काव्य-पंक्तियों में जहाँ एक ओर कवि के मन की निराशा का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज शासन के अत्याचारों को उजागर किया गया है।

(4) प्रस्तुत पद में कवि ने जहाँ अपने मन के निराश भावों को अभिव्यक्त किया है वहीं अंग्रेज सरकार के द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ किए गए दुर्व्यवहारों एवं शोषण का यथार्थ चित्रण किया है। अंग्रेज सरकार द्वारा किए गए अन्याय एवं अत्याचारों को उजागर करना ही इस काव्यांश का मूल भाव है।

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(5) (क) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ख) लक्षणा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण विषय में रोचकता एवं चमत्कार का समावेश हुआ है।
(ग) चाँद का मानवीकरण किया गया है।
(घ) तत्सम शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग हुआ है।
(ङ) ‘रह-रह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।
(छ) कवितांश में लय, तुक एवं संगीत का सुंदर समन्वय है।

(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उन्हें कारागार में बंद कर देती थी। उन्हें भर पेट खाना भी नहीं देती थी। वे न तो जी सकते थे और न ही मर सकते थे। उन पर दिन-रात कठोर पहरा लगाया जाता था।

2. क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा?
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 107-108]

शब्दार्थ-हूक = बोलना। वेदना = पीड़ा। मृदुल = कोमल, मधुर। वैभव = धन-संपत्ति, सुख। बावली = पागल। दावानल = जंगल की आग। ज्वालाएँ = लपटें।

प्रश्न
(1) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पंक्तियाँ कौन किससे कह रहा है ?
(6) कवि ने अर्द्धरात्रि में कोयल के बोलने के कौन-कौन से कारणों की कल्पना की है ?
उत्तर-
(1) कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या कविवर माखनलाल चतुर्वेदी अर्द्धरात्रि के समय कोयल की पीड़ा भरी आवाज सुनकर उससे पूछते हैं, हे कोयल! तू इस प्रकार पीड़ा के बोझ से दबी हुई-सी आवाज में क्यों बोल उठी है ? बताओ तो सही तूने क्या किसी को लूटते हुए देखा है। तू सदा मधुर ध्वनि में बोलने के कारण मधुरता के ऐश्वर्य की रक्षक-सी लगती थी, किंतु आज ऐसी वेदनायुक्त आवाज में क्यों बोल रही हो ? हे कोयल ! क्या तुम पगला गई हो जो आधी रात के समय इस प्रकार कूकने लगी हो। क्या तुझे कहीं जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी हैं जिन्हें देखकर तुम इस प्रकार कूक रही हो।

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि रात्रि के समय कोयल की कूकने की ध्वनि को सुनकर आशंकित हो उठता है और उससे इस प्रकार रात को कूकने का कारण जानना चाहता है, क्योंकि कवि को कोयल की ध्वनि में मृदुलता की अपेक्षा पीड़ा अनुभव होती है।

(4) (क) प्रस्तुत पद प्रश्न शैली में रचित है। इससे जहाँ कवि के मन की जिज्ञासा का बोध होता है, वहीं काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है।
(ख) तत्सम और तद्भव शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ग) भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
(घ) ‘बोलो तो’ शब्दों की आवृत्ति से कवि की जिज्ञासा का बोध होता है। (ङ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है। (5) प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कोयल से कह रहा है।
(6) कवि ने कोयल के अर्द्धरात्रि के समय कूकने से किसी के लुटने, कोयल के पगला जाने, जंगल में आग लगने से लपटों को देखना आदि कारणों की कल्पना की है।

3. क्या?-देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?-जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली? [पृष्ठ 108]

शब्दार्थ-गहना = आभूषण। चर्रक चूँ = कोल्हू के चलने पर निकलने वाली ध्वनि। मोट खींचना = पुर, चरसा (चमड़े का डोल जिससे कुएँ आदि से पानी निकाला जाता है।)। जूआ = बैल के कंधों पर रखी जाने वाली लकड़ी। गज़ब ढाना = जुल्म करना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के आधार पर अंग्रेज सरकार द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों का उल्लेख कीजिए।
(6) दिन में करुणा……ढा रही आली ?-पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी।
कविता-कैदी और कोकिला।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

(2) व्याख्या कवि ने कोयल से पूछा है कि क्या वह देख नहीं सकती कि अंग्रेज सरकार ने उन्हें जंजीरों के गहने पहनाए हुए हैं। ये हथकड़ियाँ जो हमने पहनी हुई हैं यही तो ब्रिटिश राज्य के गहने हैं जो वह भारतीयों को पहनाता है। कहने का भाव है ब्रिटिश शासक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के पैरों में बेड़ियाँ और हाथों में हथकड़ियाँ डाल देते थे। कवि पुनः कहता है कि कैदियों से कोल्हू चलवाया जाता था उससे जो चर्रक चूँ की ध्वनि निकलती है, वह मानो हमारे जीवन की तान हो। यहाँ कारागार में रहते हुए स्वतंत्रता सेनानी भी मिट्टी पर अपनी अँगुलियों से ही देश-भक्ति के गीत लिखते हैं। मैं अपने पेट पर जूआ लगाकर मोट खींचता हूँ अर्थात् कुएँ से पानी निकालता हूँ। मुझे उस समय ऐसा लगता है कि मैं कुएँ से पानी नहीं, अपितु ब्रिटिश शासन की अकड़ (अहंकार) के कुएँ को खाली कर रहा हूँ। कवि पुनः कोयल को संबोधित करता हुआ कहता है कि दिन में रुलाने वाली करुणा क्यों जगे अर्थात् दिन में हम करुणा के भाव को चेहरे पर व्यक्त नहीं करते ताकि अंग्रेज शासक यह न समझ लें कि हम टूट चुके हैं। इसलिए तू भी रात को करुणा जगाने वाली ध्वनि करके गजब ढा रही है।
भावार्थ-इन काव्य-पंक्तियों में जहाँ एक ओर कवि के मन की निराशा का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज शासन के अत्याचारों को उजागर किया गया है।

(3) कवि के कहने का भाव है कि ब्रिटिश शासन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति क्रूरता एवं अमानवीय व्यवहार करता था। वह उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा देता था। साधारण अपराधियों और स्वतंत्रता सेनानियों में उसे कोई अंतर महसूस नहीं होता था। कवि ने अंग्रेज शासन के दुर्व्यवहार को दर्शाकर भारतवासियों में राष्ट्रीय चेतना जगाने का सफल प्रयास किया है।

(4) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में चित्रात्मक शैली में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग एवं बलिदान की भावना को उद्घाटित किया गया है।
(ख) ‘खाली करता……का आ’ में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ग) संपूर्ण काव्यांश में प्रश्न अलंकार है।
(घ) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ङ) ‘गज़ब ढाना’ मुहावरे का सफल प्रयोग किया गया है।
(च) भाषा ओजस्वी है। संपूर्ण भाव ओजस्वी वाणी में उद्घाटित किए गए हैं।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उन्हें कारागार में बंद कर देती थी। उनके पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियाँ पहना देती थी। इतना ही नहीं, उन्हें पशुवत कोल्हू और कुँओं में जोत दिया जाता था। अतः स्पष्ट है कि ब्रिटिश शासक उनके प्रति अमानवीय व्यवहार करते थे।

(6) प्रस्तुत पंक्ति में कवि का स्वाभिमान अभिव्यक्त हुआ है। स्वतंत्रता सेनानी दिन में अपने चेहरे पर करुणा के भाव नहीं आने देते थे ताकि अंग्रेज अधिकारी यह न समझ लें कि वे टूट चुके हैं। इसलिए कवि कोयल से भी यही कहता है कि तू भी दिन में न कूक कर अब रात को ही कूकती है।

4. इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो![पृष्ठ 108]

शब्दार्थ-विद्रोह-बीज = विद्रोह की भावना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत कवितांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) “मधुर विद्रोह-बीज, इस भाँति बो रही क्यों हो ?”- पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या कवि ने कोयल से पूछा है कि तुम रात के इस शांत समय में और गहन अंधकार को चीरती हुई क्यों रो रही हो ? इस विषय में कुछ तो बोलो। इस प्रकार अपनी मधुर भाषा के द्वारा तुम क्रांति के बीज बो रही हो। कहने का भाव है कि कोयल की ध्वनि में कवि को विद्रोह की भावना अनुभव हुई है। कवि भी अपनी मधुर भाषा में रचित कविता के द्वारा लोगों के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न करता है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि रात के शांत वातावरण में कोयल की ध्वनि मधुर होते हुए भी विद्रोह के भाव युक्त प्रतीत होती है।

(3) रात के गहन अंधकार एवं शांत वातावरण में जब संपूर्ण संसार सोया हुआ है तब कोयल अपनी ध्वनि द्वारा एक हलचल उत्पन्न करना चाहती है। इसी प्रकार कवि अंग्रेजों के शासन में व्याप्त अंधकार अर्थात् अन्याय के प्रति जनता को सचेत करने का संदेश देना चाहता है।

(4) (क) संपूर्ण काव्यांश सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा में रचित है।
(ख) मधुर विद्रोह-बीज में विरोधाभास अलंकार है।
(ग) शब्द-चयन भावानुकूल है।
(घ) कवितांश में तुक, लय एवं संगीत का समन्वय है।

(5) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने बताया है कि विद्रोह की भावना केवल ओजस्वी भाषा में ही नहीं, अपितु मधुर वाणी में भी उत्पन्न की जा सकती है।

5. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-शृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!
इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 109]

शब्दार्थ-रजनी = रात। करनी काली = बुरे कर्म। लौह-शृंखला = लोहे की जंजीर । हुंकृति = हुँकार। व्याली = सर्पिणी। आली = सखी। मदमाती = मस्ती।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पयांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पयांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) पहरेदारों की हुंकार कवि को कैसी प्रतीत होती है?
(6) कवि ने किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

(2) व्याख्या प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीयों पर किए गए अन्याय एवं अत्याचारों का उल्लेख किया है। कैदी रूपी कवि कोयल से कहता है कि तू काली है और रात भी काली है। इतना ही नहीं, ब्रिटिश शासन के कर्म भी काले हैं अर्थात् उसके द्वारा किए गए सभी कार्य बुरे हैं। उसकी कल्पना भी काली है अर्थात् वे बुरा ही सोचते हैं। जिस कोठरी में मुझे बंद किया गया है, वह भी काली है। मेरी टोपी काली है। मुझे जो कंबल दिया गया है, वह भी काला है। जिन जंजीरों से मुझे बाँधा गया है, उनका रंग भी काला है। हे कोयल! उनके द्वारा बिठाए गए पहरे की हुंकार सर्पिणी की भाँति काली है। हे सखी! इतना कुछ होने पर भी वे गाली देकर बोलते हैं, किंतु इस काले संकट रूपी सागर के लहराने पर अर्थात् जीवन पर संकट मंडराते रहने पर भी हमें मरने की अर्थात् बलिदान देने की मस्ती छाई रहती है। हे कोयल! तू बता कि अपने चमकीले गीतों को इस काले वातावरण पर किस प्रकार तैराती हो। मुझे इसका भेद बता दो।
भावार्थ-कवि ने रात, कोयल और अंग्रेज शासक के कारनामों के रंग में साम्यता दर्शाते हुए ब्रिटिश शासन की काली करतूतों को उजागर किया है।

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति किए गए दुर्व्यवहार एवं अन्याय को उद्घाटित किया है। वे (स्वतंत्रता सेनानी) संकटकाल की चिंता न करके अपने जीवन का बलिदान करने की मस्ती में झूमते रहते थे। कवि ने उनकी बलिदान की भावना के माध्यम से भारतीयों में देश-प्रेम व राष्ट्रीय चेतना जगाने का प्रयास किया है।

(4) (क) संपूर्ण कवितांश में सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) ‘काली’ शब्द की आवृत्ति के द्वारा अंग्रेजों के काले कारनामों एवं अत्याचारों को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया गया है।
(ग) “संकट-सागर’ में रूपक अलंकार है।
(घ) संबोधन शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) संपूर्ण पद में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

(5) पहरेदारों की हुंकार कवि को सर्पिणी जैसी प्रतीत होती है।

(6) कवि ने काली कोयल, रात्रि काली, ब्रिटिश शासन के कार्य काले, कल्पना काली, काल कोठरी काली, टोपी काली, कंबल काला और लोहे की काली जंजीरों की गणना की है।

6. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार ।
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 109-110]

शब्दार्थ-डाली = टहनी, शाखा। नसीब = भाग्य। संचार = घूमना-फिरना, उड़ना। दस फुट का संसार = दस फुट की लंबी कोठरी, जिसमें कवि बंद है। कहावें वाह = प्रशंसा प्राप्त करना। गुनाह = अपराध । विषमता = अंतर। रणभेरी = युद्ध का नगाड़ा। हुंकृति = हुँकार। कृति = रचना (काव्य)। मोहन = मोहनदास कर्मचंद गाँधी। आसव = अर्क (आनंद)।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत कवितांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कैदी और कोकिला के जीवन में क्या अंतर बताया गया है ?
(6) कवि ने मोहन के किस व्रत की ओर संकेत किया है ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने कैदी और कोकिला के जीवन की स्थितियों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कैदी के जीवन के प्रति सहानुभूति अभिव्यक्त की है। कैदी कोयल से कहता है कि तुझे बैठने के लिए हरी-भरी टहनी मिली है और मुझे काल-कोठरी मिली हुई है अर्थात वह कारागार में बंद है। तेरे उड़ने के लिए सारा आकाश है, जबकि मेरे लिए केवल दस फुट की काल-कोठरी है अर्थात् कैदी को दस फुट की छोटी-सी कोठरी में बंद किया हुआ है। इतना ही नहीं, लोग तेरे गीतों को सुनकर वाह-वाह कर उठते हैं अर्थात् तेरे गीतों की सराहना की जाती है किंतु मेरा तो रोना भी अपराध माना जाता है अर्थात् मैं तो रो भी नहीं सकता। हे कोयल! तेरे-मेरे जीवन में कितना बड़ा अंतर है। तू इस विषमता को देखते हुए भी युद्ध का नगाड़ा बजा रही है। कवि कोयल से पुनः प्रश्न पूछता है कि इस हुँकार पर मैं अपनी रचना में क्या कर सकता हूँ अर्थात् अपनी काव्य-रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारतीय जनता में विद्रोह की भावना ही भर सकता हूँ। हे कोयल! तू ही बता कि महात्मा गाँधी (मोहनदास कर्मचंद गाँधी) के स्वतंत्रता-प्राप्ति के व्रत पर प्राणों का आनंद किस में भर दूं।
भावार्थ-कवि के कहने का तात्पर्य है कि कुछ लोगों के लिए समूचा संसार रहने के लिए है और कुछ को कैद में बंद किया गया है। यहाँ तक कि संपूर्ण भारत ही कारागार जैसा लगता है। अंग्रेजी शासन के इस अन्याय को समाप्त करने के लिए गाँधी जी ने सत्य व्रत धारण किया हुआ है। हमें उसमें सम्मिलित होकर उनका साथ देना चाहिए।

(3) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने कैदी और कोयल के जीवन की परिस्थितियों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कैदी के जीवन के प्रति भारतीयों के मन में सहानुभूति उत्पन्न की है। साथ ही कवि ने महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता प्राप्ति के दृढ़ निश्चय को भी उजागर किया है।

(4) (क) तुलनात्मक शैली से विषय आकर्षक बन पड़ा है।
(ख) नसीब, गुनाह आदि उर्दू शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ग) संपूर्ण पद में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(घ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।

(5) कवि ने कैदी और कोकिला के जीवन का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया है कि कोयल हरी-भरी टहनी पर बैठी थी और कैदी के भाग्य में काल-कोठरी है। इसी प्रकार कोयल खुले आकाश में उड़ान भर सकती है, जबकि कैदी दस फुट लंबी कोठरी में बंद है। कोयल की ध्वनि को सुनकर लोग उसकी प्रशंसा करते हैं, जबकि कैदी अपने दुःख को भी व्यक्त नहीं कर सकता। इस प्रकार कैदी और कोयल के जीवन में अत्यधिक विषमता है।

(6) कवि ने मोहन (महात्मा गाँधी) के देश को स्वतंत्र कराने के व्रत की ओर संकेत किया है।

कैदी और कोकिला Summary in Hindi

कैदी और कोकिला कवि-परिचय

प्रश्न-
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक गाँव में सन् 1889 में हुआ। उनके पिता नंदलाल चतुर्वेदी गाँव की एक पाठशाला में अध्यापक थे। उनकी माता का नाम सुंदरबाई था। मिडिल तथा नार्मल की परीक्षाएँ पास करने के उपरांत 1904 ई० में उन्होंने खंडवा के एक स्कूल में अध्यापन-कार्य प्रारंभ किया। असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण वे कई बार जेल भी गए।

चतुर्वेदी साहित्यिक-क्षेत्र में पत्रकारिता के माध्यम से आए। उनके द्वारा संपादित पत्रों में उनकी रचनाएँ बराबर प्रकाशित होती रहीं। संपादक की हैसियत से उन्हें अपने राष्ट्रीय विचारों को प्रचारित करने तथा देश-सेवा करने का पर्याप्त अवसर मिला। उन्होंने ‘प्रभा’, ‘प्रताप’ तथा ‘कर्मवीर’ नामक तीन पत्रों का संपादन किया।

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उनकी साहित्यिक-सेवाओं के कारण हिंदी साहित्य जगत ने उनका स्वागत भी प्रभूत मात्रा में किया। सन् 1958 में सागर विश्वविद्यालय के खंडवा में विशेष दीक्षांत समारोह का आयोजन कर उन्हें डी० लिट् की मानद उपाधि प्रदान की गई। सन् 1963 में इन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ एवं ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे। सन् 1965 में मध्य प्रदेश शासन ने खंडवा में इनको विशेष रूप से सम्मानित किया।
चतुर्वेदी जी हिंदी भाषा के पितामह थे। उनका देहावसान 30 जनवरी, 1968 को हुआ। माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य संसार में ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।

2. प्रमुख रचनाएँ-चतुर्वेदी जी के काव्य संग्रह हैं-‘हिम किरीटनी’, ‘हिम तरंगिनी’, ‘माता’, ‘वेणु लो गूंजे धरा’, ‘युग चरण’, ‘समर्पण’, ‘भरण ज्वार’, ‘बीजुरी काजल आँज रही’ आदि।
इसके अतिरिक्त चतुर्वेदी जी ने नाटक, कहानी, निबंध एवं संस्मरण भी लिखे हैं। उनके भाषणों के ‘चिंतन की लाचारी’ तथा ‘आत्म दीक्षा’ नामक संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। उनके द्वारा रचित गद्य-काव्य ‘साहित्य-देवता’ भी एक अमर कृति है।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीयता की भावना सर्वाधिक रूप में मुखरित हुई है। उन्हें अपने देश एवं संस्कृति पर गर्व था। उन्हें अपने देश की स्वतंत्रता और उसके विकास के लिए बड़े-से-बड़ा बलिदान देने में भी सुख अनुभव होता था। इस दृष्टि से उनकी ‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक कविता विचारणीय है। माखनलाल चतुर्वेदी जी की आरंभिक कविताओं में भक्ति-भावना भी देखी जा सकती है। उनकी भक्ति-भावना वैष्णव प्रभाव और राष्ट्रीय भावना का मिश्रण है। कहीं-कहीं रहस्यवादी कवियों की भाँति परम सत्ता के प्रति जिज्ञासा और कौतूहल का भाव प्रकट करते हैं।

श्री माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य में प्रेमानुभूति की भावना का भी चित्रण हुआ है, किंतु वह बहुत कम है। उनके प्रेम काव्य में वैयक्तिक चेतना के साथ-साथ समर्पण की भावना भी है। प्रकृति उनके काव्य का प्रमुख विषय रही है। उन्होंने अपने काव्य में प्रकृति-सौंदर्य के अनेक चित्र अंकित किए हैं

“लाल फले हैं गुल बाँसों में मकई पर मोती के दाने
जो फट पड़े कपास जंवरिया सोना-चाँदी हम पहचाने।”

4. भाषा-शैली-चतुर्वेदी जी की काव्य-भाषा सरल, सहज एवं व्यावहारिक है। उन्होंने बोलचाल के शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी आदि के शब्दों का भी प्रयोग किया है। उनकी छंद-योजना में नवीनता है। चित्रात्मकता उनकी भाषा-शैली की प्रमुख विशेषता है। उनकी काव्य-भाषा में यदि हुँकार और ओज है तो कहीं करुणा की धारा भी प्रवाहित होती दिखाई देती है। अतः स्पष्ट है कि चतुर्वेदी जी के काव्य का कला-पक्ष अर्थात् भाषा-शैली अत्यंत समृद्ध है।

कैदी और कोकिला कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘कैदी और कोकिला’ श्री माखनलाल चतुर्वेदी की सुप्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेजी शासकों द्वारा भारतीयों पर किए गए जुल्मों का सजीव चित्रण किया है। प्रस्तुत कविता भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अंग्रेज अधिकारियों द्वारा जेल में किए गए दुर्व्यवहारों एवं यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से एक ओर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा किए गए संघर्षों का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज सरकार की शोषणपूर्ण नीतियों को उजागर किया गया है।

कवि स्वयं महान् स्वतंत्रता सेनानी है। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ के एकाकी एवं यातनामय जीवन से उदास एवं निराश है। कवि रात को कोयल की ध्वनि सुनकर जाग उठता है। वह कोयल को अपने मन का दुःख, असंतोष और आक्रोश सुनाता है। वह कोयल से पूछता है कि तुम रात्रि के समय किसका और क्या संदेश लाती हो। मैं यहाँ जेल की ऊँची और काली दीवारों में डाकुओं, चोरों और लुटेरों के बीच रहता हूँ। यहाँ कैदियों को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता । यहाँ अंग्रेजों का कड़ा पहरा है। अंग्रेज शासन भी गहन अंधकार की भाँति काला लगता है। तुम बताओ कि रात के समय पीडामय स्वर में क्यों बोल उठी हो ? क्या तुझे कही जंगल की भयंकर आग दिखाई दी जिसे देखकर तुम कूक उठी हो ? क्या तुम नहीं देख सकती कि यहाँ कैदियों को जंजीरों से बाँधा हुआ है। मैं दिन भर कुएँ से पानी खींचता रहता हूँ किंतु फिर भी दिन में करुणा के भाव चेहरे पर नहीं आने देता। रात को ही करुणा गजब ढाती है। तुम बताओ कि तुम रात के अंधकार को अपनी ध्वनि से बेंधकर मधुर विद्रोह के बीज क्यों बोती हो? इस समय यहाँ हर वस्तु काली है-तू काली, रात काली, अंग्रेज शासन की करनी काली, यह काली कोठरी, टोपी, कंबल, जंजीर आदि सब काली हैं। तू काले संकट-सागर पर अपने मस्ती भरे गीतों को क्यों तैराती हो। तुझे तो हरी-भरी डाली मिली है और मुझे काली कोठरी। तू आकाश में स्वतंत्रतापूर्वक घूमती है और मैं दस फुट की काल कोठरी में बंद हूँ। मेरी और तेरी विषम स्थिति में बहुत अंतर है। अतः कवि को लगता है कि कोयल भी पूरे देश को कारागार के रूप में देखने लगी है। इसीलिए वह आधी रात को कूक उठी है।

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