Class 6

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ

HBSE 6th Class Hindi मैं सबसे छोटी होऊँ Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
कवि सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों करता है?
उत्तर :
कवि सबसे छोटे होने की कल्पना इसलिए करता है ताकि वह अधिक दिनों तक माँ का सानिध्य एवं स्नेह पा सके।

प्रश्न 2.
कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है?
उत्तर :
कविता में ऐसा इसलिए कहा गया है ताकि वह अधिक समय तक माँ के साथ रह सके। बड़ी होने पर माँ छोटे बच्चे के साथ लग जाती है. बडी पिछड जाती है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ

प्रश्न 3.
कवि किसके आँचल की छाया में छिपा रहना चाहता है और क्यों ?
उत्तर :
कवि माँ के आँचल की छाया में छिपा रहना चाहता है ताकि वह इच्छा रहित और निडर बन सके।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिएहाथ पकड़ फिर सदा हमारे साथ नहीं फिरती दिन-रात!
उत्तर :
इस काव्यांश का आशय यह है कि माँ बड़े बच्चे की उपेक्षा कर देती है। वह सबसे छोटे बच्चे का हाथ पकड़कर फिरती रहती है। बड़ा बच्चा छूट जाता है।

कविता से आगे

1. कविता से पता करके लिखो कि माँ बच्चों के लिए क्या-क्या काम करती है ? तुम स्वयं सोचकर भी लिखो कि बच्चों को माँ के लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
माँ बच्चों को गोदी में सुलाती है, अपने हाथ से खाना खिलाती है, उन्हें नहलाती-धुलाती तथा शरीर को सुंदर बनाती है। हम भी ये सभी बातें सोचते हैं। इसके साथ-साथ उसे हमें पढाना भी चाहिए तथा अच्छी बातें भी सिखानी चाहिएँ।

2. बच्चों को प्रायः सभी क्षेत्रों में बड़ा होने के लिए कहा जाता है। इस कविता में कवि सबसे छोटा बना रहना क्यों चाहता है ?
उत्तर :
कवि सबसे छोटा बनकर माँ का स्नेह अधिक दिनों तक पाना चाहता है।

भाषा की बात

1. ‘पकड़-पकड़कर’ की तरह नीचे लिखे शब्दों को पूरा करो और उनसे वाक्य भी बनाओ-
छोड़ – …………….
बना – …………….
फिर – …………….
खिला – …………….
पोंछ – …………….
थमा – …………….
सुना – …………….
कह – …………….
छिपा – …………….
उत्तर :
छोड़ – छोड़कर
बना – बनाकर
फिर – फिरकर
खिला – खिलाकर
पोंछ – पोंछकर
थमा – थमाकर
सुना – सुनाकर
कह – कहकर
दिखा – दिखाकर
छिपा – छिपाकर

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2. इन शब्दों के समान अर्थ वाले दो-दो शब्दों को लिखो
हाथ – …………….
सदा – …………….
मुख – …………….
माता – …………….
स्नेह – …………….
उत्तर :
हाथ – हस्त, कर
सदा – हमेशा, सर्वदा
मुख – मुँह, आनन
माता – माँ, जननी
स्नेह – प्रेम, प्यार

3. कविता में “दिन-रात’ शब्द आया है। तुम ऐसे ही पाँच शब्दों को सोचकर लिखो, जिसमें किसी शब्द का विलोम शब्द भी शामिल हो और उससे वाक्य बनाओ।
उत्तर :
आगे-पीछे : तुम मेरे आगे-पीछे मत चलो।
पाप-पुण्य : धर्म पाप-पुण्य के बारे में बताते हैं।
अच्छा-बुरा : क्या अच्छा है क्या बुरा है, मत सोचो।
ऊपर-नीचे : सूचकांक कभी ऊपर जाता है तो कभी नीचे।
हल्का-भारी : तौलकर ही हल्का-भारी का पता चलता है।

4. ‘निर्भय’ शब्द में ‘नि’ उपसर्ग लगाकर शब्द बनाया गया है। तुम भी ‘नि’ उपसर्ग से पाँच शब्दों को बनाओ।
उत्तर :
नि – निसंतान
निडर
निर्गुण
निरोग
निकम्मा

5. कविता की किन्हीं चार पंक्तियों को गद्य के रूप में लिखो।
प्रारंभ की चार पंक्तियाँ गद्य रूप में-
उत्तर :
मैं सबसे छोटी होना चाहती हूँ और तेरी गोद में सोना चाहती हूँ। माँ, तेरा आँचल पकड़कर सदा तेरे साथ फिरना चाहती हूँ।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ

HBSE 6th Class Hindi मैं सबसे छोटी होऊँ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
क्या आप भी माँ के साथ ही रहना चाहते हैं?
उत्तर :
हाँ, पर हर समय नहीं। उसे काम करने की छूट तो होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या माँ रात को परियों की कहानी सुनाती है?
उत्तर :
हाँ, पर कभी-कभी, रोजाना नहीं।

मैं सबसे छोटी होऊँ काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मैं सबसे छोटी होऊँ,
तेरी गोदी में सोऊँ,
तेरा अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,
कभी न छोडूं तेरा हाथ!
बड़ा बनाकर पहले हमको,
तू पीछे छलती है मात!
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!

शब्दार्थ : अंचल-साड़ी का छोर (A part of saree)। छलती-धोखा देती (To break belief)

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ से ली गई हैं। बालिका सबसे छोटी बनकर रहना चाहती है।

व्याख्या :
बालिका कहती है कि वह सबसे छोटी बनना चाहती है ताकि वह माँ की गोद में सो सके। वह यह भी चाहती है कि वह माँ की साड़ी का पल्लू पकड़कर उसके साथ-साथ फिरे। वह माँ का साथ नहीं छोड़ना चाहती। माँ हमें पहले तो बड़ा बनाती है और फिर हमें छलती है। जब हम बड़े हो जाते हैं तब माँ हमारा हाथ नहीं पकड़ती और न हमारे साथ फिरती है। इसलिए मैं तो सबसे छोटी बनना चाहती हूँ ताकि माँ से मेरा साथ न छूट पाए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसकी क्या इच्छा है?
2. वह अंचल पकड़ कर क्यों फिरना चाहती है?
3. माता किस प्रकार छलती है?
उत्तर:
1. छोटी बालिका की यह इच्छा है कि वह सबसे छोटी हो जाए और सदा माँ की गोद में सोए।
2. बालिका अपनी माँ का अंचल पकड़ कर सदा उसके साथ-साथ फिरना चाहती है ताकि उसे माँ का सान्निध्य प्राप्त होता रहे।
3. माता बच्ची को बड़ा बना कर उसका हाथ छोड़ देती है और उसके साथ-साथ नहीं फिरती।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. बालिका क्या होना चाहती है?
(क) सबसे बड़ी
(ख) सबसे छोटी
(ग) प्रिय बालिका
(घ) सामान्य
उत्तर :
(ख) सबसे छोटी

2. बालिका क्या नहीं छोड़ना चाहती?
(क) माँ का अंचल
(ख) माँ का हाथ
(ग) माँ का साथ
(घ) सभी कुछ
उत्तर :
(क) माँ का अंचल

3. क्या माँ सदा बालिका का हाथ पकड़ कर फिर सकती
(क) हाँ
(ख) नहीं।
(ग) कभी-कभी
(घ) पता नहीं
उत्तर :
(ख) नहीं।

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2. अपने कर से खिला, धुला मुख,
धूल पोंछ, सज्जित कर गात,
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात!
ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्नेह न खोऊँ मैं,
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय,
कहूँ-दिखा दे चंद्रोदय!

शब्दार्थ : कर-हाथ (Hand)। मुख-मुँह (Mouth)| गात-शरीर (Body)| सुखद-सुख देने वाली (Amusing)। निस्पृह-इच्छा रहित (Without wish)। निर्भर-निडर (Fearless)।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश पंत जी द्वारा रचित कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ से अवतरित है।

व्याख्या :
बालिका चाहती है कि वह सबसे छोटी संतान हो ताकि लंबे समय तक माँ का साथ पा सके। ऐसी स्थिति में माँ अपने हाथ से मुझे खाना खिलाएगी, मुँह धोएगी तथा मेरी धूल पोंछकर सजाएगी, सँवारेगी। अब वह हमारे हाथों में खिलौने थमा देती है तथा परियों की सुख देने वाली कहानियाँ नहीं सुनाती। बालिका इतनी बड़ी नहीं होना चाहती कि वह माँ का प्रेम खो बैठे। वह तो माँ के आँचल की छाया में छिपी रहना चाहती है। वह इच्छा रहित और निडर होना चाहती है तथा चंद्रमा का उदय देखने के लिए कहना चाहेगी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. माँ बच्ची के क्या-क्या काम करती है।
2. बच्चे क्या सुनना चाहते हैं?
3. बालिका क्या चाहती है?
उत्तर:
1. माँ बच्ची को अपने हाथ से खाना खिलाती है, मुँह धोती है, धूल पोंछती है तथा उसके शरीर को वस्त्रों से सजाती है।
2. बच्चे परियों की कहानी सुनना चाहते हैं।
3. बालिका बड़ी बन कर माँ की स्नेह नहीं खोना चाहती। वह माँ के अंचल की छाया में निडर होकर छिपी रहना चाहती है। वह चंद्रोदय देखना चाहती

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘सज्जित’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है?
(क) स
(ख) जित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर :
(ग) इत

2. ‘सुखद’ का विलोमार्थी है
(क) दुखद
(ख) अखद
(ग) निखद
(घ) विखद
उत्तर :
(क) दुखद

3. चंद्रोदय का सही संधि-विच्छेद है
(क) चंद्र + उदय
(ख) चंद्रा + उदय
(ग) चंद्रो + दय
(घ) चंद्र + दय
उत्तर :
(क) चंद्र + उदय

4. “निस्पृह’ शब्द का अर्थ है
(क) इच्छा
(ख) इच्छा रहित
(ग) स्पर्श
(घ) प्रथा
उत्तर :
(ख) इच्छा रहित

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मैं सबसे छोटी होऊँ Summary in Hindi

मैं सबसे छोटी होऊँ कवि का संक्षिप्त परिचय

जीवन-परिचय : श्री सुमित्रानंदन पंत का जन्म 1900 ई. में अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक स्थान पर हुआ था। सात वर्ष की आयु में उनकी शिक्षा गाँव की पाठशाला में प्रारंभ हुई। वहाँ 4-5 वर्ष पढ़ने के पश्चात् अल्मोड़ा के गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ने चले गए। 1919 ई. में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1922 ई. में जब इंटर में पढ़ रहे थे तभी गाँधी जी के ‘असहयोग आंदोलन’ से प्रभावित होकर पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए।

पंत जी बचपन से ही प्रकृति-प्रेमी रहे। उन्होंने बँगला साहित्य का भी अध्ययन किया। वे अंग्रेजी के भी अच्छे ज्ञाता थे। उनका व्यक्तित्व बहुत कोमल एवं मृदुल था। 1950 में पंत जी आकाशवाणी (रेडियो) से संबद्ध हुए। पंत जी ने पहले छायावादी और फिर प्रगतिवादी कविताओं की रचना की। उनकी कविताओं में प्रकृति का मनोहारी चित्रण है। देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कविताएँ भी उन्होंने रची हैं। उन्हें ‘चिदंबरा’ काव्य-रचना पर ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ मिला। 28 दिसंबर, 1977 को उनका देहांत हुआ।

प्रमुख रचनाएँ : पंत जी की प्रमुख रचनाएँ हैं
काव्य : पल्लव, वीणा, ग्रंथि, ग्राम्या, युगवाणी, चिदंबरा।
नाटक : ज्योत्सना, परी, क्रीड़ा और रानी।

मैं सबसे छोटी होऊँ कविता का सार

प्रस्तुत कविता एक बालगीत है। इसमें एक बालिका अपनी माँ की सबसे छोटी संतान बनने की कामना प्रकट करती है ताकि वह लंबे समय तक माँ का स्नेह पा सके। वह माँ का हाथ नहीं छोड़ना चाहती। बड़ी बनने में उसे घाटा ही घाटा है, तब माँ उसे खिलौने थमाकर दूसरे छोटे बच्चे के स्नेह में लग जाती है। तब वह उसके साथ-साथ नहीं फिर पाती, जबकि बालिका ऐसा चाहती है। वह माँ से परियों की कहानी सुनना चाहती है। वह इच्छा रहित और निडर बनना चाहती है।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

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Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

HBSE 6th Class Hindi संसार पुस्तक है Textbook Questions and Answers

पत्र से

प्रश्न 1.
लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है?
उत्तर:
लेखक ने प्रकृति की विविध चीजों को ही प्रकृति के अक्षर कहा है। पहाड़, पत्थर, नदी, मैदान, रोड़ा, पक्षी ये सभी प्रकृति के अक्षर हैं। इनको पढ़ने-समझने से बहुत बातें स्वयं पता चल जाती हैं।

प्रश्न 2.
लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती कैसी थी?
उत्तर:
लाखों-करोड़ों वर्ष पहले इस धरती पर कोई आदमी नहीं रहता था। तब जानवर भी नहीं थे। तब यह धरती बहुत गर्म थी।

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प्रश्न 3.
दुनिया का पुराना हाल किन चीजों से जाना जाता है? उनके कुछ नाम लिखो।
उत्तर:
दुनिया का पुराना हाल इन चीजों से जाना जाता है

  • पहाड़
  • समुद्र
  • सितारे
  • नदियाँ
  • जंगल
  • जानवरों की हड्डियाँ।

प्रश्न 4.
गोल चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है?
उत्तर:
गोल चमकीला रोड़ा अपनी कहानी बताता है कि बहुत समय पहले वह चट्टान का एक टुकड़ा था। उसके किनारे और कोने भी थे। वह पहाड़ के दामन में पड़ा रहा। जब पानी आया और उसे बहाकर छोटी घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे एक छोटे दरिया में पहुंचा दिया. फिर वह बड़े दरिया में पहुंचा और उसके पेंदे में लुढ़कता रहा। इससे उसके किनारे घिस गए और वह चिकना तथा चमकदार हो गया।

प्रश्न 5.
गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो क्या होता? विस्तार से उत्तर लिखो।
उत्तर:
गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो वह और छोटा होता चला जाता और अंत में बालू का एक कण बन जाता। इस प्रकार वह नदी या समुद्र की रेत बन जाता। तब वह बालू का किनारा होता, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे खेलते हैं और घरौंदे बनाते हैं।

प्रश्न 6.
नेहरूजी के इस बात का हलका-सा संकेत दिया है कि दुनिया कैसे शुरू हुई होगी? उन्होंने क्या बताया है? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर:
नेहरूजी ने बताया है कि यह पृथ्वी लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। पहले यहाँ न कोई आदमी था, न जानवर। एक समय ऐसा भी था कि जब इस पृथ्वी पर कोई जानदार चीज न थी। तब धरती बेहद गर्म थी। धीरे-धीरे यह धरती कम गर्म होती चली गई और जानवर अस्तित्व में आए। बाद में आदमी इस धरती पर आए।

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पत्र से आगे

1. लगभग हर जगह दुनिया की शुरुआत को समझाती हुई कहानियाँ प्रचलित हैं। तुम्हारे यहाँ कौन-कौन सी कहानी प्रचलित है?
उत्तर:
हमारे यहाँ एक कहानी प्रचलित है कि इस दुनिया की शुरुआत भगवान ने की। उसी ने इस सृष्टि के क्रम को आगे बढ़ाया।

2. तुम्हारी पसंदीदा किताब कौन-सी है/हैं और क्यों?
उत्तर:
हमारी पसंदीदा किताब तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ है। इसमें नीति, धर्म, व्यवहार, कर्तव्य-अकर्तव्य आदि सभी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है।

3. मसूरी और इलाहाबाद शहर भारत के कौन-से प्रदेश/प्रदेशों में हैं?
उत्तर:
मसूरी – उत्तरांचल प्रदेश में।
इलाहाबाद – उत्तर प्रदेश में।

4. तुम जानते हो, दो पत्थरों को रगड़कर आदि मानव ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या-क्या उपयोग होता था?
उत्तर:
उस युग में पत्थरों का निम्नलिखित रूपों में उपयोग होता था-

  • हथियार बनाने में।
  • मकान बनाने में।

5. यदि प्रकृति का एक अक्षर किसी पेड़ को मानें, तो क्या उसे पढ़ने के लिए सिर्फ आँखों का इस्तेमाल करना होगा?
उत्तर:
उसे आँखों के अतिरिक्त हाथों से छूकर तथा मस्तिष्क से सोचकर भी पढ़ना होगा।

भाषा की बात

1. ‘इस बीच वह दरिया में लटकता रहा।’ नीचे लिखी क्रियाएँ पढ़ो। क्या इनमें और ‘लुढ़कना’ में तुम्हें कोई समानता नजर आती है?
ढकेलना, सरकना, खिसकना.
उत्तर:
इन चारों क्रियाओं का अंतर समझाने के लिए इनसे वाक्य बनाओ।
ढकेलना – दूसरों को ढकेलना ठीक नहीं है।
ढकेलता – वह लोगों को ढकेलता चला गया।
सरकना – हमें धीरे-धीरे सरकना होगा।
सरकता – वह सरकता चला गया।
खिसकना – हमें धीरे-धीरे खिसकना चाहिए।
खिसकता – वह आगे खिसकता चला गया।

2. चमकीला रोड़ा – यहाँ रेखांकित विशेषण ‘चमक’ संज्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोड़ने पर बना है। निम्नलिखित शब्दों में यही प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएँ लिखो-
पत्थर ………..
काँटा ………….
रस ………….
जहर ………….
उत्तर:
पत्थर + ईला = पथरीला
रस + ईला = रसीला
काँटा + ईला = कँटीला
जहर + ईला = जहरीला

3, ‘जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।’ यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम जब-तो (तब) कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं। योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं। नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक-एक वाक्य बनाओ।
उत्तर:
(क) कृष्णन् फिल्म देखना चाहता है …… मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा ……….. वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब ……….. दुर्गापुर जाएँगे ……….. जालंधर।
(घ) सब्जी कटवाकर रखना ……….. घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) ……….. मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा …….. मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं ……….. तारीफ ही की थी।
(छ) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है ……….. अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है ……….. फ्रेंच।
बल्कि / इसलिए / परंतु / कि / यदि / तो कि / या / ताकि
उत्तरः
(क) कृष्णन् फिल्म देखना चाहता है परंतु में मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब तो दुर्गापुर जाएँगे न कि जालंधर।
(घ) सब्बी कटवाकर रखना ताकि घर आते ही में खाना बना लूँ।
(ङ) यदि मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा तो मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं बल्कि तारीफ ही की
(छ) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है इसलिए अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है न कि फ्रेंच।

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सुनना और सुनाना

1. एन.सी.ई.आर.टी. की श्रव्य श्रृंखला ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’।
2. एन.सी.ई.आर.टी. का श्रव्य कार्यक्रम ‘पत्थर और पानी की कहानी’।

HBSE 6th Class Hindi संसार पुस्तक है Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रोड़ा कैसे चमकीला और चिकना तथा गोल बना?
उत्तर:
एक समय जब रोड़ा एक चट्टान का टुकड़ा था, उसमें किनारे और कोने थे। वह किसी पहाड़ के दामन में पड़ा रहा। तब पानी आया और उसे बहाकर छोटी घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे एक छोटे-से दरिया में पहुंचा दिया। इस छोटे-से दरिया से वह बड़े दरिया में पहुंचा। इस बीच वह दरिया के पेदे में लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह चिकना तथा चमकदार हो गया।

प्रश्न 2.
नेहरू जी ने पुत्री को क्या सलाह दी?
उत्तर:
नेहरू जी ने पुत्री को कहा कि इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है। अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक है, तो तुम्हें सब देशों का और उन सब जातियों का, जो इसमें बसी हुई हैं, ध्यान रखना पड़ेगा, केवल उस एक छोटे-से देश का नहीं जिसमें तम पैदा हुई हो।

प्रश्न 3.
धरती के बारे में इस पाठ में क्या बताया गया है?
उत्तर:
धरती के बारे में इस पाठ में बताया गया है कि यह लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। सबसे पहले यहाँ न आदमी थे न जानवर। तब जानदार चीजें न थीं। बाद में जानवर और आदमी इस धरती पर आ गए।

प्रश्न 4.
किन चीजों से दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है?
उत्तर:
किताबों से, पहाड़ों से, समुद्रों से, नदियों से, सितारों से, जंगलों से, जानवरों की पुरानी हड्डियों से दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

प्रश्न 5.
हमें कौन-सी पुस्तक पढ़नी चाहिए?
उत्तर:
हमें संसार रूपी पुस्तक पढ़नी चाहिए।

प्रश्न 6.
एक रोड़ा दरिया में लुढ़कता-लुढ़कता किस रूप में बदल जाता है?
उत्तर:
रोड़ा दरिया में लुढ़कते-लुढ़कते छोटा होता जाता है और अंत में बालू रेत का कण बन जाता है।

संसार पुस्तक है गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मुझे मालूम है कि इन छोटे-छोटे खतों में बहुत थोड़ी-सी बातें ही बतला सकता हूँ। लेकिन मुझे आशा है कि इन थोड़ी-सी बातों को भी तुम शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि दुनिया एक है और दूसरे लोग जो इसमें आबाद हैं हमारे भाई-बहन हैं। जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम दुनिया और उसके आदमियों का हाल मोटी-मोटी किताबों में पढ़ोगी। उसमें तुम्हें जितना आनंद मिलेगा, उतना किसी कहानी या उपन्यास में भी न मिला होगा।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखित पत्र से अवतरित है। यह पत्र उन्होंने अपनी पुत्री को लिखा है।

व्याख्या:
नेहरूजी उस समय इलाहाबाद में थे और पुत्री मसूरी में थी, अत: पत्रों के माध्यम से ही वे अपनी बात कहते थे। वे यह बात भली प्रकार जानते थे कि पत्रों की एक सीमा है और पत्रों द्वारा थोड़ी सी बातें ही बताई जा सकती हैं। नेहरूजी को विश्वास है कि उनकी पुत्री उनके द्वारा बताई गई बातों को ध्यानपूर्वक और रुचि के साथ पढ़कर समझेगी।

उसे यह समझना होगा कि यह सारी दुनिया एक है और दुनिया भर के लोग हमारे भाई-बहन हैं। पुत्री जब बड़ी हो जाएगी तब उसे लोगों द्वारा लिखी गई मोटी-मोटी किताबें पढ़ने को मिलेंगी। उन पुस्तकों को पढ़ने में बड़ा आनंद आएगा। ऐसा आनंद कहानी या उपन्यास में भी नहीं आता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसे, क्या मालूम है?
2. लेखक अपनी पुत्री से क्या उम्मीद करता है?
3. बड़ी होने पर पुत्री क्या करेगी?
4. किताबों का आनंद किससे ज्यादा होगा?
उत्तर:
1. लेखक को यह मालूम है कि छोटे-छोटे पत्रों में थोड़ी-सी बातें ही बताई जा सकती हैं।
2. लेखक अपनी पुत्री इंदिरा से यह उम्मीद करता है कि वह पत्रों में बताई थोड़ी-सी बातों को भी शौक से पढ़ेगी और यह बात समझेगी कि यह दुनिया सारी एक है।
3. बड़ी होने पर पुत्री दुनिया के आदमियों का हाल मोटी-मोटी किताबों में पढ़ेगी।
4. उन मोटी किताबों में जो आनंद मिलेगा वह कहानी या उपन्यास से ज्यादा होगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. खतों में कितनी बातें बताई जा सकती हैं?
(क) काफी
(ख) थोड़ी
(ग) बहुत
(घ) कुछ नहीं
उत्तर:
(ख) थोड़ी

2. कौन लोग हमारे भाई-बहन हैं?
(क) दुनिया के देशों में बसे लोग
(ख) अपने देश के लोग
(ग) बाहर के लोग
(घ) घर के लोग
उत्तर:
(क) दुनिया के देशों में बसे लोग

3. इस पाठ के लेखक हैं
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ख) प्रेमचंद
(ग) इंदिरा गाँधी
(घ) मोतीलाल
उत्तर:
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू

2. कोई जबान, उर्दू, हिंदी या अंग्रेजी सीखने के लिए तुम्हें उसके अक्षर सीखने होते हैं। इसी तरह पहले तुम्हें प्रकृति के अक्षर पढ़ने पड़ेंगे, तभी तुम उसकी कहानी उसकी पत्थरों और चट्टानों की किताब से पड़ सकोगी। शायद अब भी तुम उसे थोड़ा-थोड़ा पढ़ना जानती हो। जब तुम कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती हो, तो क्या वह तुम्हें कुछ नहीं बतलाता है? यह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया और उसके खुरदरे किनारे या कोने क्या हुए?

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ पॉडत जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी पुत्री को लिखे एक पत्र का अंश हैं।

व्याख्या:
नेहरू जी का कहना है कि प्रकृति को समझने के लिए उसकी भाषा को पढ़ना और समझना होगा। किसी भी भाषा को पढ़ने और समझने के लिए उसके अक्षरों को सीखना पड़ता है। प्रकृति को पढ़ने के लिए पत्थरों और चट्टानों को जानना होगा। इसे हम पहले से भी थोड़ा-बहुत तो जानते ही हैं।

लेखक पुत्री से कहता है कि जब वह कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती होगी तो वह तुम्हें बहुत कुछ बतलाता होगा। वह यह बताता है कि वह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया और उसके खुरदरे किनारे या कोने किस प्रकार मिट गए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसी भी भाषा को सीखने के लिए क्या सीखना पड़ता है?
2. पत्थर और चट्टानों के बारे में क्या पढ़ सकते हैं?
3. एक छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा क्या बतलाता है?
उत्तर:
1. किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा के अक्षरों को सीखना पड़ता है।
2. पत्थर और चट्टानों की किताब को पढ़ने के लिए प्रकृति के अक्षरों से पढ़ सकते हैं।
3. एक छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा यह बतलाता है कि वह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया। उसके खुरदरे किनारे कहाँ चले गए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. इस गद्यांश में किस भाषा का उल्लेख है?
(क) उर्दू
(ख) हिंदी
(ग) अंग्रेजी
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

2. ‘गोल चमकीला रोड़ा’- रेखांकित शब्द व्याकरण में क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ग) विशेषण

3. ‘खुरदरे’ का विलोमार्थी है
(क) चिकना
(ख) चमकीला
(ग) गोल
(घ) टेड़ा
उत्तर:
(क) चिकना

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

3. यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है और बहुत दिनों तक इसमें कोई आदमी न था। आदमियों के पहले सिर्फ जानवर थे और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था जब इस धरती पर कोई जानदार चीज न थी। आज जब यह दुनिया हर तरह के जानवरों और आदमियों से भरी हुई है, उस जमाने का खयाल करना भी मुश्किल है, जब यहाँ कुछ था।

लेकिन विज्ञान जानने वालों और विद्वानों ने, जिन्होंने इस विषय को खूब सोचा और पढ़ा है, लिखा है कि एक समय ऐसा था जब वह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी और अगर हम उनकी किताबें पढ़ें और पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों को गौर से देखें तो हमें खुद मालूम होगा कि ऐसा समय जरूर रहा होगा।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश पडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी पुत्री को लिखे पत्र का एक अंश है।

व्याख्या:
लेखक बताता है कि यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। उस समय इस पर कोई आदमी नहीं रहता था। आदमियों से पहले इस धरती पर केवल जानवर थे। जानवरों से पहले इस धरती पर जानदार, प्राणी भी नहीं रहते थे। आज दुनिया जानवरों और आदमियों से भरी पड़ी है। अब तो उस जमाने का खयाल करना भी कठिन है। वैज्ञानिकों और विद्वानों ने इस बारे में बहुत सोचा, पढ़ा और लिखा है। एक समय यह भी था कि यह धरती बेहद गरम थी।

तब इस धरती पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी। उस जमाने के बारे में उस समय की किताबों, पहाड़ों तथा जानवरों की पुरानी हड्डियों को ध्यानपूर्वक देखने से भली प्रकार पता चल सकता है। हम जान जाएंगे कि कभी ऐसा समय जरूर रहा होगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. यह धरती कितनी पुरानी है?
2. आदमियों से पहले धरती पर कौन थे?
3. वैज्ञानिकों और विद्वानों का धरती के बारे में क्या कहना था?
4. हमें खुद क्या मालूम हो जाएगा?
उत्तर:
1. यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है।
2. आदमियों से पहले इस धरती पर केवल जानवर थे। जानवरों से पहले धरती पर कोई जानदार चीज न थी।
3. वैज्ञानिकों और विद्वानों ने लिखा है कि एक समय ऐसा था जब यह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी।
4. किताबों को पढ़ने तथा पहाड़ों और जानवरों की हड्डियों देखने पर हमें यह मालूम हो जाएगा कि ऐसा समय जरूर रहा होगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. आज यह धरती किनसे भरी पड़ी है?
(क) आदमियों से
(ख) जानवरों से
(ग) दोनों से
(घ) किसी से नहीं
उत्तर:
(ग) दोनों से

2. एक समय यह धरती कैसी थी?
(क) बेहद गर्म
(ख) बेहद ठंडी
(ग) सामान्य
(घ) मिली-जुली
उत्तर:
(क) बेहद गर्म

3. धरती के बारे में जानने के लिए किस काम की सलाह दी गई है?
(क) किताबें पढ़ने की
(ख) पहाड़ों को देखने की
(ग) जानवरों की पुरानी हड्डियों को देखने की
(घ) उपर्युक्त सभी काम
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी काम

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

संसार पुस्तक है Summary in Hindi

संसार पुस्तक है पाठ का सार

यह पाठ मूल रूप से एक पत्र है, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुत्री इंदिरा को लिखा है। लेखक के पत्रों का संकलन ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से प्रकाशित हुआ। लेखक अपनी पुत्री को संबोधित करते हुए कहता है कि जब वह उसके साथ रहती थी, तब वह अनेक प्रकार के प्रश्न पूछा करती थी और वह उनके जवाब देने की कोशिश किया करते थे।

अब पुत्री मसूरी में है और लेखक इलाहाबाद में है, अतः आमने-सामने तो कोई बातचीत नहीं हो सकती। अब तो पत्रों के द्वारा ही दुनिया की बातें बताई जा सकती हैं। पुत्री ने भारत और इंग्लैंड का इतिहास पढ़ा है। इंग्लैंड एक छोटा-सा टापू है जबकि हिंदुस्तान एक बहुत बड़ा देश है। अभी तो वह छोटी है पर बड़ी होने पर उसे दुनिया के बारे में मोटी-मोटी किताबों में बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा।

लेखक पुत्री को बताता है यह धरती करोड़ों वर्ष पुरानी है। यहाँ आदमियों से पहले सिर्फ जानवर थे। उनसे भी पहले यहाँ कोई जानदार चीज न थी। आज की दुनिया हर तरह के जानवरों और आदमियों से भरी पड़ी है। एक समय ऐसा भी था जब यह धरती बहुत गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी। उस समय के बारे में हमें पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों से पता चल जाता है।

अब प्रश्न उठता है कि जब उस पुराने जमाने में आदमी ही न था तब भला किताबें कौन लिखता था? पर उस जमाने की कुछ चीजें ऐसी हैं जिनसे हमें दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है। हमें संसार रूपी पुस्तक को स्वयं पढ़ना होगा। एक छोटा-सा रोड़ा, जिसे हम सड़क पर या पहाड़ के नीचे पड़ा हुआ देखते हैं, वह भी संसार की पुस्तक का एक छोटा-सा पृष्ठ है और उससे कोई नई बात मालूम हो सकती है। पर हमें उसे पढ़ना आना चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसके अक्षर सीखने होते हैं।

अत: हमें पहले प्रकृति के अक्षर पढ़ने होंगे। जब तुम कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती हो तब वह तुम्हें बहुत कुछ बतलाता है कि वह कैसे चमकीला और चिकना बन गया। तुम उसकी कहानी सुन सकती हो। चट्टान के टुकड़े को पानी बहाकर घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे छोटे-से दरिया में पहुंचा दिया।

वह दरिया के पेंदे में लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह चिकना और चमकदार हो गया। अगर वह दरिया उसे और आगे ले जाता तो वह छोटा होते-होते अंत में बालू का एक कण बन जाता। इसी बालू रेत से छोटे-छोटे बच्चे खेलते और घरौंदे बनाते हैं। एक छोटा-सा रोड़ा हमें इतनी बातें बता सकता है तो पहाड़ और दूसरी चीजें तो हमें न जाने कितनी बातें बता सकती हैं।

संसार पुस्तक है शब्दार्थ

अक्सर = प्रायः (Generally)। दामन = पहाड़ों के नीचे की जमीन (Land under mountain)। खत = पत्र, चिट्टी (Letter)। आबाद = बसा हुआ (Populated)। गढ़ना = निर्माण करना (To construct)। शत = प्रतिज्ञा, वह बात जिस पर बात का होना, किया जाना, कायम रहना निर्भर हो (Condition)। खुरदरा = जिसकी सतह चिकनी न हो (Nor even)। बरिया = नदी (River)। मुश्किल = कठिन (Difficulty। बेहद = बहुत अधिक (Too much)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

HBSE 6th Class Hindi जो देखकर भी नहीं देखते Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
‘जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’-हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर:
हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि लोगों की संवेदनाएँ मर चुकी हैं। वे प्रकृति के वैभव में कुछ भी नवीनता नहीं देख पाते। वे तो उसके पीछे भागते हैं, जो उनके पास नहीं है।

प्रश्न 2.
‘प्रकात का जादू’ कस कहा गया ह?
उत्तर:
प्रकृति का जादू वह है जो प्रकृति के रूप में नित्य कुछ न कुछ परिवर्तन करता रहता है। प्रकृति अपने रूप के आकर्षण से हमें अपनी ओर जादू की तरह आकर्षित करती है। प्रकृति में विविधता है, सुंदरता है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

प्रश्न 3.
‘कुछ खास तो नहीं’ – हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?
उत्तर:
हेलेन की मित्र ने यह जवाब उस मौके पर दिया जब वह जंगल की सैर करके लौटी। हेलेन ने उससे पूछा- ‘आपने क्या-क्या देखा?’ तब उस मित्र ने उत्तर दिया- ‘कुछ खास तो नहीं।’ हेलेन को यह उत्तर सुनकर आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वह इस प्रकार के उत्तरों की आदी हो चुकी थी।

प्रश्न 4.
हेलेन केलर प्रकृति की किन चीजों को छूकर और सुनकर पहचान लेती हैं? पाठ पढ़कर इसका उत्तर लिखो।
उत्तर:
हेलेन अंधी है अत: प्रकृति की चीजों को देख तो नहीं पाती, वरन् छूकर और सुनकर पहचान लेती है। वह भोजपत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चौड़ की खुरदरी छाल को छूकर पहचान लेती है। वह फूलों की पंखुड़ियों की कोमलता को छूकर पहचान जाती है। चिड़िया का मधुर स्वर सुनकर उसे जान जाती है। अँगुलियों के बीच पानी के झरने को बहते महसूस कर लेती है।

प्रश्न 5.
‘जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से भरा जा सकता है।’-तुम्हारी नजर में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
उत्तर:
हमारी नजर में इसका यह अर्थ हो सकता है कि देखने की नियामत जिंदगी की बहुत बड़ी देन है। इससे जिंदगी को रंगीन और खुशहाल बनाया जा सकता है। हमें अपनी इस नियामत का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए।

निबंध से आगे

1. आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? हेलेन केलर को पत्र लिखकर ये बातें बताओ।
उत्तर:
56/2 क ख ग नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक ……………
प्रिय हेलेन केलर,
इस पत्र में मैं आज देखी चीजों का वर्णन कर रहा हूँ। आज जब मैं अपने घर से स्कूल के लिए चला तो मुझे कई चीजें देखने को मिलीं। घर के द्वार से बाहर निकलते ही मेरी दृष्टि घर के बाहर रखे गमले पर गई। इसके पौधे में दो सुंदर लाल गुलाब के फूल खिले हुए थे। उन पर पड़ी ओस की बूंदें झिलमिला रही थीं। इन्हें देखकर मेरा चित्त प्रसन्न हो गया। एक भौंरा भी उन फूलों पर मैंडरा रहा था।
रास्ते में मुझे कुत्ते एक-दूसरे से लड़ते हुए दिखाई दिए। एक अपंग व्यक्ति सड़क पार करने में कठिनाई अनुभव कर रहा था। मैंने उसे सड़क पार करा दी। फिर मैं स्कूल जा पहुंचा। मुख्य द्वार पर चौकीदार खड़ा था। उसे प्रणाम करके मैं कक्षा में चला गया।
आपका
रमेश चंद्र

2. कान बंद कर लेने से आसपास की दुनिया कैसी लगती है? इस पर टिप्पणी लिखो और साथियों के साथ विचार करो।
उत्तर:
कान बंद कर लेने से आसपास की दुनिया शांत लगती है। हमारी आँखें तो सभी चीजों को देख रही होती हैं, पर हम उनकी आवाज नहीं सुन पाते हैं। तब कोलाहल मिट जाता है और हमारा चित्त स्थिर हो जाता है।

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3. कई चीजों को छूकर ही पता चलता है जैसे कपड़े की चिकनाहट या खुरदरापन, पत्तियों की नसों का उभार आदि। ऐसी और चीजों को छूकर महसूस करो और बताओ कि उनके स्पर्श की खासियत के बारे में तुम्हें कैसे पता चला?
उत्तर:
जब हम चीजों को हाथों से छूते हैं तब हमें उनकी विशेषता के बारे में पता चल जाता है। कई चीजें चिकनी होती हैं तो कई खुरदरी। पत्तियों के बारे में पता चल जाता है। किसी चीज को छूने पर स्वयं ही उसकी खासियत के बारे में पता चल गया।

4. हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो-
उत्तर:

सुननाचखनासूंघनाछूना
संगीतसब्जीफूलफूल
पक्षियों की चहचहाटमिठाईइनकपड़ा
लोगों को आवाजफल चाटखाद्य पदार्थछाल कागज

5. तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे प्रकृति के उसके अनुभवों के बारे में क्या-क्या पूछना चाहोगे और क्यों?
उत्तर:
हम उससे प्रकृति के अनुभवों के बारे में यह बातें पूछना चाहेंगे ताकि हम उसके अनुभवों को जान सकें:

  • तुम्हें पेड़ों की उपस्थिति का पता कैसे चलता है? वे फलदार हैं या नहीं; इसका पता कैसे लगाते हो?
  • तुम्हें रास्ते में आने वाले नालों, तालाबों का पता कैसे चलता है?
  • क्या आप पक्षी की आवाज को सुनकर उसका नाम बता सकते हैं? यह कैसे संभव हो पाता है?
  • आपको आंधी-तूफान, प्रात:-संध्या का ज्ञान कैसे हो जाता है?

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

भाषा की बात

1. पाठ में स्पर्श से संबंधित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श ऐसा होता है:
चिकना …………….
चिपचिपा …………….
मुलायम …………….
खुरदरा …………….
लिजलिजा ……………
ऊबड़-खाबड़ ……………
सख्त …………….
भुरभुरा …………….
उत्तर:
चिकना – कपड़े का, फूलों की पंखुड़ियों का
मुलायम – कपड़े का
लिजलिजा – कई पक्षियों का
सख्त – पत्थर का
चिपचिपा – गोंद का
खुरदरा – कपड़े का, कागज का
ऊबड़-खाबड़ – रास्ते का
भुरभुरा – रेत का।

2. अगर मुझे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और कार्य से भी होता है।

भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। नीचे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो।
मिठास, भूख, शांति, भोलापन, बुढ़ापा, घबराहट, बहाव, फुर्ती, ताजगी, क्रोध, मजदूरी.
उत्तर:
संज्ञा से – क्रिया से
बुढ़ापा (बूढ़ा से) – घबराहट (घबराना से)
मजदूरी (मजदूर से) – बहाव (बहना)

3.

  • मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हूँ।
  • उस बगीचे में अमलतास, सेमल, कजरी आदि तरह-तरह के पेड़ थे।

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे और समरूपी शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट कीजिए
अवधि – अवधी
ओर – और
में – मैं
दिन – दीन
मेल – मैल
सिल – सील
उत्तर:
अवधि – इस कार्य को करने की अवधि दो वर्ष है।
अवधी – ‘रामचरितमानस’ अवधी भाषा में लिखा हुआ है।

में – टोकरी में फल रखे हैं।
मैं – मैं अपना काम कर लूँगा।

मेल – आपस में मेल से रहो।
मैल – कपड़ों का मैल साबुन लगाने से जाता है।

ओर – इस ओर मुँह करो।
और – राम और श्याम खड़े हो जाओ।

दिन – आज अच्छा दिन है!
दीन – उस दीन व्यक्ति की मदद करो।

सिल – सिल पर मसाला पीसो।
सील – लिफाफे की सील मत तोड़ो।

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सुनना और देखना

1. एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा निर्मित श्रव्य कार्यक्रम ‘हेलेन केलर’।
2. सई परांजपे द्वारा निर्देशित फीचर फिल्म ‘स्पर्श’।
उत्तर:
विद्यार्थी इन कार्यक्रमों को देखने/सुनने का प्रयास करें।

HBSE 6th Class Hindi जो देखकर भी नहीं देखते Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इस पाठ के माध्यम से लेखिका क्या कहना चाहती है?
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से लेखिका यह कहना चाहती है कि हमें प्रकृति के सौंदर्य को खुली आँखों से देखना चाहिए। हमें परमात्मा ने आँखें देकर बहुत बड़ी नियामत प्रदान की है। हमें संवदेनशील बनना चाहिए।

प्रश्न 2.
लेखिका को किस काम में खुशी मिलती है?
उत्तर:
लेखिका हेलेन केलर को चीजों को छूने में खुशी मिलती है। वह चीजों को छूकर उनके बारे में जान लेती है। यह स्पर्श उसे आर्नोदत कर देता है।

प्रश्न 3.
लेखिका के कानों में किसके मधुर स्वर गूंजने लगते थे?
उत्तर:
लेखिका के कानों में चिड़ियों के मधुर स्वर गूंजने लाते थे।

प्रश्न 4.
इस दुनिया के लोग कैसे हैं?
उत्तर:
इस दुनिया के अधिकांश लोग संवेदनहीन हैं। वे अपनी क्षमताओं की कद्र करना नहीं जानते।

प्रश्न 5.
हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा क्यों लेती है?
उत्तर:
हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा यह परखने के लिए लेती है कि वे क्या देखते हैं।

प्रश्न 6.
क्या यह संभव है कि कोई जंगल में घंटा भर घूमे और कोई विशेष चीज़ न मिले?
उत्तर:
नहीं, उसे विशेष चीज मिलती तो है, पर भले वह न देखे।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

प्रश्न 7.
नेत्रहीन तथा अन्य विकलांगों के प्रति आपका क्या दृष्टिकोण रहता है?
उत्तर:
हम सभी प्रकार के विकलांगों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण एवं सम्मानजक दृष्टिकोण रखते हैं। हमें उन्हें भी समाज की आवश्यक अंग मानते हैं। प्रकृति की ओर से उन्हें जिस अंग से वंचित रखा गया है, हम उसे उसकी याद नहीं दिलाते, अपितु उसे उसकी कमी का अनुभव नहीं होने देते। हम हर प्रकार से उनकी सहायता करते हैं तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भरपूर सहयोग करते हैं।

जो देखकर भी नहीं देखते गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटा-भर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज न देखे? मुझे-जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता, को भी सैकड़ों रोचक चीजें मिल जाती हैं, जिन्हें मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोजपत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ।

वसंत के दौरान मैं टहनियों में नयी कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है। इस दौरान मुझे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। कभी, जब मैं खुशनसीब होती हूँ, तो टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूंजने लगते हैं। अपनी अंगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर मैं आनंदित हो उठती हूँ।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश हेलेन केलर द्वारा रचित पाठ ‘जो देखकर भी नहीं देखते’ से अवतरित है।

व्याख्या:
लेखिका बताती है कि यह बात संभव ही नहीं है कि कोई एक घंटा जंगल में घूमे और फिर कहे कि उसने कोई विशेष चीज नहीं देखी। मझ अंधी स्त्री को सभी सैकड़ों रोचक चीजें देखने को मिल जाती हैं। मैं इन चीजों को छूकर ही पहचान लेती हूँ। लेखिका भोजपत्र की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल के अंतर को छूकर ही पहचान लेती है। अंधी होते हुए भी वह वसंत ऋतु में टहनियों में आई नई कलियों को खोज ही लेती है।

उसे फूलों की मखमली पंखुड़ियों को छूने तथा उनकी घुमावदार बनावट को छूने में अपार आनंद मिलता है। इस दौरान उसे प्रकृति के जादु का अहसास होने लगता है। जब वह खुशकिस्मत होती है तब उसके टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया की मधुर आवाज कानों में गूंजने लगती है। वह अपनी अँगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस करके आनंदमग्न हो उठती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. जिसे कुछ दिखाई नहीं देता, वह चीजों की कैसे पहचान लेता है?
2. लेखिका किसे स्पर्श से पहचान लेती है?
3. लेखिका को किस काम में आनंद मिलता है?
4. उसे किसकी गाथाएँ जबानी याद थीं?
उत्तर:
1. जिसे कुछ दिखाई नहीं देता वह चीजों को छू कर पहचान लेता है।
2. लेखिका भोजपत्र के चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती है।
3. लेखिका को फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह को छूने तथा उनकी घुमावदार बनावट को महसूस करने में अपार आनंद मिलता है।
4. जब लेखिका टहनी पर हाथ रखती है तब चिड़िया के मधुर स्वर उसके कानों में गूंजने लगते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. अंधे व्यक्ति चीजों की पहचान कैसे करते हैं?
(क) छू कर
(ख) देख कर
(ग) सुन कर
(घ) अन्य प्रकार से
उत्तर:
(क) छू कर

2. लेखिका किस मौसम में नई कलियाँ खोजती है?
(क) वर्षा में
(ख) गर्मी में
(ग) वसंत में
(घ) सर्दी में
उत्तर:
(ग) वसंत में

3. ‘आनंदित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) आ
(ख) नंद
(ग) दित
(घ) इत
उत्तर:
(घ) इत

4. ‘आनंद’ व्याकरण में क्या है?
(क) जातिवाचक संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) भाववाचक संज्ञा
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ख) विशेषण

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

2. कभी-कभी मेरा दिल सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। अगर मुझे इन चीजों को सिर्फ छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। परंतु, जिन लोगों की आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इस दुनिया के अलग-अलग सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छूते। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता। वह हमेशा उस चीज की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश हेलेन केलर द्वारा लिखित पाठ ‘जो देखकर भी नहीं देखते’ से लिया गया है।

व्याख्या:
लाखका अधा है अतः चीजों को देखना उसके लिए संभव नहीं है। वह दुनिया की तरह-तरह की चीजों को देखने के लिए बेचैन हो उठती है। उसे लगता है कि जब उसे इन चीजों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है राब उन चीजों की सुंदरता को देखकर उनका मन अवश्य मोहित हो जाएगा। उसे दुःख इस बात का है कि जिन लोगों को भगवान ने देखने के लिए आँखें दी हैं, वे चीजों की ओर बहुत कम ध्यान देते हैं।

इस संसार में विविध प्रकार के रंग हैं, पर ये रंग उनकी संवेदनाओं (भावनाओं) को छू नहीं पाते। पता नहीं, ऐसा क्यों है? मनुष्य के अंदर बहुत क्षमताएँ हैं, पर वह उनकी कदर नहीं करता। वह तो उन चीजों के पीछे भागता है जो उसके पास नहीं हैं। इस तरह एक असंतोष उसके मन में बना ही रहता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसका दिल किसके लिए मचल उठता है?
2. कौन लोग कम देखते हैं और क्यों?
3. प्रायः लोग किसकी आस लगाए रहते हैं? वे किसकी कद्र नहीं करते?
उत्तर:
1. लेखिका हेलेन केलर का दिल प्रकृति की विभिन्न चीजों को देखने के लिए मचल उठता है।
2. जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं। इसका कारण यह है कि वे कम संवेदनशील होते हैं। सुंदर रंग उनकी संवेदना को नहीं छू पाते।
3. प्रायः लोग उस चीज़ की आस लगाए रहते हैं जो उनके पास नहीं होती। वे अपनी क्षमता की कद्र नहीं करते।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. लेखिका को किस काम में खुशी मिलती है?
(क) प्राकृतिक चीज़ों को छूने में
(ख) चीजों को देख कर
(ग) लोगों से बातें करके
(घ) अन्य कामों में
उत्तर:
(क) प्राकृतिक चीज़ों को छूने में

2. इस पाठ की लेखिका का नाम है
(क) हेलेन टेलर
(ख) हेलेन केलर
(ग) हनी केलर
(घ) हेलेन मार्टिन
उत्तर:
(ख) हेलेन केलर

3. ‘सुंदर रंग’ में ‘सुंदर’ क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) गुणवाचक विशेषण
(ग) सर्वनाम
(घ) परिमाणवाचक विशेषण
उत्तर:
(ख) गुणवाचक विशेषण

4. मनुष्य अपनी किस चीज़ की कद्र नहीं करता?
(क) अपनी क्षमता की
(ख) अपनी बुद्धि की
(ग) अपनी पहचान की
(घ) अपनी वाणी की
उत्तर:
(क) अपनी क्षमता की

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते

जो देखकर भी नहीं देखते Summary in Hindi

जो देखकर भी नहीं देखते पाठ का सार

लेखिका का कहना है कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे बहुत कम देखते हैं। जब वह अपने मित्रों से इस प्रकार के प्रश्न पूछती थी तो वे प्रायः ऐसे ही उत्तर देते थे- ‘कुछ खास तो नहीं।’ क्या यह संभव है कि कोई घंटा-भर जंगल में घूमे और फिर भी कहे कि कोई विशेष चीज नहीं देखी। मुझे (लेखिका को) कुछ भी दिखाई नहीं देता (क्योंकि वह अंधी है। फिर भी उसे कई रोचक चीजें मिल जाती हैं।

वह उन चीजों को छूकर पहचान लेती है। वह वसंत ऋतु में टहनियों में नई कलियाँ खोज लेती है। उसे फूलों की पंखुड़ियों को छूने में विशेष आनंद आता है। उसके टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर उसके कानों में गूंजने लगते हैं। वह अपनी अंगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस करके आनंदित हो उठती है। उसे चीड़ की फैली पत्तियाँ या घास का मैदान किसी भी महंगे कालीन से अधिक प्रिय लगते है। बदलता मौसम उसके जीवन में खुशियाँ भर देता है।

कभी-कभी उसका मन इन सब चीजों को देखने के लिए मचल उठता है। जब इन चीजों के छूने से ही खुशी मिल जाती है तब उनकी सुंदरता को देखकर तो मन मुग्ध हो ही जाएगा। हाँ, जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे बहुत कम देखते हैं। मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कद्र नहीं करता। वह हमेशा उन चीजों के पीछे भागता है जो उसके पास नहीं होती। यह बहुत दुख की बात है कि लोग दृष्टि (नजर) के आशीर्वाद को एक साधारण-सी बात समझते हैं, जबकि ईश्वर की इस देन से जिंदगी को खुशियों से भरा जा सकता है।

जो देखकर भी नहीं देखते शब्दार्थ

परखना = जाँच करना (Totest)। सैर = अमण (Walk)। अचरज = आश्चर्य (Surprise)। आदी = अभ्यस्त (Habitual)। रोचक = रुचि बढ़ाने वाला (Interesting)। खुशनसीब = भाग्यवान (Lucky)। समाँ = वातावरण, माहौल (Environment)। मुग्ध = मोहित (Attracted)। कदर = गुणों की पहचान (To know qualities)। नियामत = ईश्वरीय देन (God’s gift) प्रिय = प्यारी (Dear)। विश्वास = भरोसा (Belief) स्वर = आवाज (Sound)। प्रकृति = कुदरत (Nature)। आनंदित = आनंद में (Enjoyed)। क्षमता = योग्यता (Capability)। दृष्टि = नजर (Sight)। संवेदना = अनुभव करने की शक्ति (Sensitive)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

HBSE 6th Class Hindi झाँसी की रानी Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
‘किंतु कालगति चुपके चुपके काली घटा घेर लाई’
(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:
(क) इसमें लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु वाली घटना की ओर संकेत है। रानी विधवा हो गई।
(ख) काली घटा घिरने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि रानी के विधवा होने के परिणामस्वरूप उसके ऊपर मुसीबतें ही मुसीबतें आ गई।

प्रश्न 2.
कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारत को ‘बूढा’ इसलिए कहा क्योंकि तब भारत की दशा बहुत शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। ‘नई जवानी’ की बात इसलिए कही है कि स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति ने इस बूढ़े भारत में भी उत्साह की लहर दौड़ा दी थी। कवयित्री यही कहना चाहती है कि इस क्रांति ने देश को आलस्य से मुक्त कर उत्साही बना दिया था।

प्रश्न 3.
झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था?
उत्तर:
झाँसी की रानी के बचपन का नाम ‘छबीली’ था। वह नाना के साथ पढ़ती और खेलती थी। उसका बचपन शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग लेने में बीता। वह गुड्डे-गुड़ियों से नहीं खेलती थी। उसकी सखियाँ थीं-बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी आदि।

उसका बचपन हमारे बचपन से इसी मायने में अलग था कि हमारे समान सामान्य खेलकूदों में वह नहीं उलझती रहती थी। उन्होंने बचपन से वीरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेनी आरंभ कर दी थी। यह शिक्षा आगे चलकर काम भी आई।

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प्रश्न 4.
वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो।
उत्तर:
पुरुषों के नाम: नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अजीमुल्ला, अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह आदि।
वीर स्त्रियाँ: कित्तूर की रानी चेन्नम्मा, रानी गिडालू।

प्रश्न 5.
झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्रेरणा ले सकते हैं?
उत्तर:
झाँसी की रानी के जीवन से हम यह प्रेरणा ले सकते हैं कि देश की रक्षा के लिए हमें अपना सर्वस्व बलिदान करना चाहिए। देश सर्वोपरि है। बलिदान के लिए कोई आयु नहीं होती।

प्रश्न 6.
अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
रानी ने अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध डटकर लड़ाई की। उन्हें अपने जीते जी झाँसी पर कब्जा नहीं करने दिया। अंग्रेज कुचक्र रचकर के सारे भारत पर कब्जा करते चले जा रहे थे।

प्रश्न 7.
रानी के विधवा होने पर डलहौजी क्यों प्रसन्न हुआ? उसने क्या किया?
उत्तर:
रानी के विधवा होने पर डलहौजी इसलिए प्रसन्न हुआ क्योंकि अब उसे झॉसी को अपने राज्य में मिलाने का अवसर मिल जाएगा। गोद लिए बेटे को वे राज्य का उत्तराधिकारी नहीं मानते थे। बिना वारिस वाले राज्यों पर अंग्रेज कब्जा कर लेते थे।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
(ख) लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
उत्तर:
(क) भारतीयों ने अपनी आजादी गुमा दी थी। अब वे अंग्रेजों के गुलाम बन चुके थे। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया तो लोगों को आजादी की कीमत का पता चला। अब वे आजादी पाने के लिए संघर्ष करने में जुट गए।

(ख) राजा गंगाधर राव निस्संतान मरे थे। झाँसी लावारिस हो गई थी। ब्रिटिश राज्य ने स्वयं को झाँसी का वारिस घोषित कर दिया। ब्रिटिश शासक इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए झाँसी आ गए।

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भाषा की बात

1. नीचे लिखे वाक्यांशों (वाक्य के हिस्सों) को पढ़ो-

  • झाँसी की रानी
  • जेसिका का भाई
  • प्रेमचंद की कहानी
  • मिट्टी के घड़े
  • पाँच मील की दूरी
  • नहाने का साबुन
  • रशीद का दफ्तर
  • रेशमा के बच्चे
  • बनारस के आम

का के और की जो संज्ञाओं का संबंध बताते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में अलग-अलग जगह इनका प्रयोग हुआ है। ध्यान से पढ़ो और कक्ष में बताओ कि का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा है?
उत्तर:
यह संबंध कारक का चिह्न है। इसे परसर्ग भी कहते हैं। का के की चिह्नों से संबंध कारक का पता चलता है।
अन्य उदाहरण: राम का मित्र, बच्चों के पिता, शशि की बहन।

पढ़ने को

1. प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित ‘भारत की महान नारियाँ’ श्रृंखला की पुस्तकें।
2. चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित, कमला शर्मा द्वारा लिखित उपन्यास ‘अपराजिता’।
उत्तर:
विद्यार्थी इन पुस्तकों को पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।

HBSE 6th Class Hindi झाँसी की रानी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी।’ इस पंक्ति में भारत को ‘बूढा’ कहा गया है, क्योंकि
(क) भारत गुलाम था।
(ख) भारत में एकता नहीं थी।
(ग) भारत का इतिहास प्राचीन है।
(घ) भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी।
उत्तर:
(घ) भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी।

प्रश्न 2.
लक्ष्मीबाई का बचपन किस प्रकार के खेलों में बीता?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई के बचपन के खेल थे- बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी चलाना। वह नकली युद्ध करना, शिकार खेलना, दुर्ग तोड़ना आदि खेलों को बचपन में खेला करती थी।

प्रश्न 3.
‘हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में।’
उपरोक्त पंक्ति में ‘वीरता और वैभव’ का संकेत किस-किस की ओर है?
उत्तर:
इस पंक्ति में वीरता (लक्ष्मीबाई) और वैभव (झाँसी के राजा गंगाधर राव) की ओर संकेत है।

प्रश्न 4.
बुंदेलों के किन गुणों के कारण लक्ष्मीबाई की तुलना उनसे की गई है?
उत्तर:
बुंदेल ‘सुभट’ अर्थात् वीर योद्धा होते हैं। अतः उनकी तुलना रानी लक्ष्मीबाई से की गई है। लक्ष्मीबाई भी वीर थी।

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प्रश्न 5.
‘किंतु काल गति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई।’
उपरोक्त पंक्ति में रानी के जीवन में आई किस विपत्ति की ओर संकेत है?
उत्तर:
‘रानी विधवा हो गई’- इसी विपत्ति की ओर यहाँ संकेत किया गया है।

प्रश्न 6.
इस कविता के आधार पर कालपी-युद्ध का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
लेफ्टिनेंट वॉकर को हराकर रानी कालपी पहुँची। उसे कई सौ मील चलना पड़ा था। अत: घोड़ा बुरी तरह थक गया था। वह गिरकर मर गया। फिर भी रानी वीरतापूर्वक लड़ती रही। उसने अंग्रेजों को यमुना तट पर करारी हार दी।

प्रश्न 7.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
(ख) मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी।
(ग) हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी।
(घ) तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई।
उत्तर:
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी- भारतीयों ने अपनी आजादी गुमा दी थी। वे गुलाम हो गए थे। इसलिए अंग्रेज उन पर खूब अत्याचार कर रहे थे। सन् 1857 में सारे भारत में आजादी पाने के लिए संघर्ष प्रारंभ हो गया। लगता था जैसे भारतीयों ने खोई हुईं स्वतंत्रता का मूल्य पहचान लिया था। इसलिए वे स्वतंत्रता पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

(ख) मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी- रानी की मृत्यु के बाद उसकी चिता को आग लगा दी गई। लगा कि रानी का तेज अग्नि के तेज से मिल गया। (रानी की क्रांति तथा तेज आग की क्रांति और तेज से मिल गए)। रानी लक्ष्मीबाई सचमुच तेज की अधिकारी थी। उसे तेज मिलना ही चाहिए था। यहाँ तेज का अर्थ तेज, आग और यश है।

(ग) हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थीहम भारतवासी परतंत्रता में मानो मरे हुए के समान थे। लक्ष्मीबाई स्वतंत्रता की रानी बनकर हम मरे हुओं को जीवित करने आई थी अर्थात् वह हमें यह बताने आई थी कि परंतत्रता मृत्यु और स्वतंत्रता ही जीवन है।

(घ) तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाईरानी वीरांगना थी। वह कुशल योद्धा थी और तीर चलाती थी। जो हाथ तीर चलाते हों उन हाथों में चूड़ियाँ ईश्वर को अच्छी नहीं लगीं। चूड़ियाँ कोमलता का प्रतीक हैं, वीरता की नहीं। इसलिए भाग्य ने उनके हाथ की चूड़ियाँ छीन ली और रानी को विधवा बना दिया। (विधवा नारी चूड़ियाँ नहीं पहनतीं)।

प्रश्न 8.
‘किंतु काल गति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई।’ उपरोक्त पंक्ति में रानी के जीवन में आई किस विपत्ति की ओर संकेत है?
उत्तर:
‘रानी विधवा हो गई’-इसी विपत्ति की ओर यहाँ संकेत किया गया है।

प्रश्न 9.
इस कविता में किस क्रांति का वर्णन है?
उत्तर:
इस कविता में सन् 1857 की क्रांति का वर्णन है।

प्रश्न 10.
रानी लक्ष्मीबाई का नाम अमर क्यों है?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना अमर बलिदान दिया।

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झाँसी की रानी काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: अकुटी-भौंह (Eye-brow)। गुमी-गायब (Lost)| फिरंगी-अंग्रेज (Englishman)|

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत भाग-1’ में संकलित कविता ‘झाँसी की रानी’ से ली गई हैं। इसकी रचयिता प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। इसमें उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का गुणगान किया है।

व्याख्या:
जब सन् 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हुआ तब सारे राज-सिंहासन हिल गए। सब देशी राजाओं में जोश आ गया था। क्रोध में राजघरानों की भौंहें तन गई थीं। वे अपनी खोई हुई आजादी की कीमत जान गए थे। सबने मन में यह निश्चय किया कि अंग्रेजों को दूर भगाना है।

सन् 1857 में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की तलवार पुरानी होते हुए भी खूब चमकी। उसकी शक्ति का लोहा सबने माना। झाँसी की रानी मर्दानी थी अर्थात् वह स्त्री भी पुरुषों की तरह युद्ध-भूमि में खूब लड़ी। बुंदेलों के मुँह से हमें यह कहानी प्राप्त हुई है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कविता की रचना किसने की है?
2. भारत को बूढ़ा क्यों कहा गया है?
3. लोगों ने क्या निश्चय किया था?
4. झांसी की रानी को मर्दानी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
1. इस कविता की रचना कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने की है।
2. भारत गुलामी के कारण शक्तिहीन होता जा रहा था। उसकी दशा एक बूढ़े व्यक्ति की तरह हो गई थी।
3. तब लोगों ने देश से अंग्रेजों को भगाने का निश्चय किया था।
4. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध एक मर्द (वीर पुरुष) के समान किया था। अत: उसे मर्दानी कहा गया है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. यह कविता किस काल के बारे में है?
(क) 1850
(ख) 1857
(ग) 1942
(घ) 1947
उत्तर:
(ख) 1857

2. भारत’ के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया गया
(क) बूढ़े
(ख) जवान
(ग) चमकीला
(घ) पुराना
उत्तर:
(क) बूढ़े

3. ‘आजादी’ शब्द व्याकरण में क्या है?
(क) विशेषण
(ख) जातिवाचक संज्ञा
(ग) सर्वनाम
(घ) भाववाचक संज्ञा
उत्तर:
(घ) भाववाचक संज्ञा

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

2. कानपूर के नाना की मुंहबोली बहन ‘छबीली’ थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ
उसको याद जबानी थीं।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥

प्रसंग: पूर्ववत।

व्याख्या:
रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में ‘छबीली’ के नाम से पुकारा जाता था। कानपुर के नाना साहब उसे अपनी बहन ‘छबीली’ कहकर पुकारते थे। लक्ष्मीबाई अपने पिता की एकमात्र संतान थी। बचपन में वह नाना के साथ ही पढ़ती एवं खेलती थी। लक्ष्मीबाई को बचपन से ही बरछी, ढाल, तलवार, कटार आदि से प्यार था। यही उसकी सखियाँ थीं। वह वीरों की कहानियों में रुचि लेती थी। उसे शिवाजी की कहानी जुबानी याद थी। वह निश्चय ही एक महान योद्धा थी, जो युद्ध में मर्दानी बनकर खूब लड़ी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. झाँसी की रानी को ‘छबीली कहकर कौन पुकारते थे?
2. वह अपने पिता की कैसी संतान थी?
3. लक्ष्मीबाई की सहेलियाँ कौन थीं?
4. उसे किसकी गाथाएँ ज़बानी याद थीं?
उत्तर:
1, झाँसी की रानी को नाना साहब ‘छबीली’ कहकर पुकारते थे।
2. वह अपने पिता की अकेली (एकमात्र) संतान थी।
3. लक्ष्मीबाई की सहेलियाँ थीं-बरछी, ढाल, कृपाण (तलवार) और कटारी।
4. लक्ष्मीबाई को वीर शिवाजी की गाथाएँ जबानी याद थीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. नाना कहाँ के थे?
(क) कानपुर के
(ख) झाँसी के
(ग) आगरा के
(घ) ग्वालियर के।
उत्तर:
(क) कानपुर के

2. लक्ष्मीबाई किसके साथ पढ़ती व खेलती थी?
(क) सहेलियों के साथ
(ख) नाना के साथ
(ग) कटारी के साथ
(घ) बुंदेलों के साथ।
उत्तर:
(ख) नाना के साथ

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3. लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवाड़,
महाराष्ट्र-कुल देवी उसकी
भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: पुलकित-प्रसन्न (Happy)| व्यूह रचना-युद्ध का एक ढंग (Strategy)| आराध्य-जिसकी पूजा की जाए। भवानी-दुर्गा (Goddess Durga)| दुर्ग-किला (Fort)|

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवयित्री लक्ष्मीबाई का गुणगान करते हुए कहती है कि पता नहीं वह लक्ष्मी का अवतार थी या दुर्गा का अथवा खुद वीरता की अवतार थी। इतना सत्य है कि उसे देखकर मराठे खुश होते थे। वह उसकी तलवार के हमलों से प्रसन्न होते थे। नकली युद्ध करना, व्यूह बनाना, शिकार करना, सेना को घेरना, किलों को तोड़ने जैसे वीरता के काम उसके प्रिय खेल थे। वह महाराष्ट्र की कुल देवी की उपासिका थी। वह उसे दुर्गा मानती थी। इस प्रकार झाँसी की रानी बचपन से ही वीरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेती थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. लक्ष्मीबाई को क्या बताया गया है?
2. मराठे क्यों पुलकित होते थे?
3. लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल क्या थे?
उत्तर:
1. लक्ष्मीबाई को लक्ष्मी, दुर्गा और वीरता का अवतार बनाया गया है।
2. जब मराठे लक्ष्मीबाई की तलवारों के वार देखते थे तब वे पुलकित होते थे।
3. लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल थे- नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना करना और शिकार खेलना।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. लक्ष्मीबाई के कौन-कौन से रूप थे?
(क) लक्ष्मी
(ख) दुर्गा
(ग) वीरता का अवतार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

2. ‘पुलकित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) पु
(ख) पुलक
(ग) इत
(घ) त
उत्तर:
(ग) इत

3. लक्ष्मीबाई की आराध्या कौन थी?
(क) महाराष्ट्र की कुल देवी
(ख) भवानी
(ग) दुर्गा
(घ) सभी
उत्तर:
(क) महाराष्ट्र की कुल देवी

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4. हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
व्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया,
शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: सुभट-बहुत बड़ा वीर योद्धा। विरुदावलि-(विरुद + अवलि), बड़ाई, यश का गान।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई। ऐसा लगा कि मानो वीरता (लक्ष्मीबाई) की सगाई-धन-दौलत (राजा गंगाधर राव) के साथ हो गई हो। लक्ष्मीबाई का विवाह हो गया और वह झाँसी में आ गई। सारी झाँसी में खुशियाँ मनाई जाने लगीं। राजमहल में बधाइयाँ बजने लगीं। वीर योद्धा बुंदेलों के यश का गान गाया जाने लगा। लक्ष्मीबाई उस यश-गाथा की कड़ी बनकर ही झाँसी में आई थी। यह सब कुछ ऐसे हुआ जैसे चित्रा को अर्जुन पति रूप में मिले अथवा दुर्गा शिवजी से मिली हो। यह अनोखा मिलन था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. ‘वीरता की वैभव के साथ सगाई’ का क्या तात्पर्य है?
2. कौन ब्याह होकर कहाँ आ गई?
3. विरुदावली क्या होता है?
4. चित्रा किसे और अर्जुन किसे कहा गया है?
उत्तर:
1, लक्ष्मीबाई की वीरता का मेल राजा गंगाधर राव के वैभव के साथ हुआ था। लक्ष्मीबाई वीरांगना थी और गंगाधर राव धनी थे।
2. लक्ष्मीबाई ब्याह करके झाँसी में रानी बनकर आ गई।
3. विरुदावली ‘यश का गान’ होता है। रानी के झाँसी के आगमन पर वीर योद्धाओं ने गुणगान किया।
4. चित्रा लक्ष्मीबाई को और अर्जुन गंगाधर राव को कहा गया है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘वीरता’ व्याकरण में क्या है?
(क) भाववाचक संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) क्रिया विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर:
(क) भाववाचक संज्ञा

2. ‘राजमहल’ में कौन-सा समास है?
(क) अव्ययीभाव
(ख) तत्पुरुष
(ग) अस्पष्ट!
(घ) द्विगु
उत्तर:
(ख) तत्पुरुष

3. झाँसी की रानी कौन बनी?
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) चित्रा
(ग) भवानी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) लक्ष्मीबाई

5. उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
निःसंतान मरे राजा जी
रानी शोक समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: उदित-उगना (Rise)। मुदित-प्रसन्नचित (Overjoyed)| कालगति-मृत्यु की चाल। विधि-भाग्य। निःसंतान-बिना औलाद के।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
रानी लक्ष्मीबाई के जीवन में सौभाग्य का उदय हुआ। महलों में प्रसन्नता छा गई। उसके आगमन से महलों में रोशनी आ गई। पर भाग्य को यह सब मंजूर न था। लक्ष्मीबाई के जीवन में समय का चक्र दुःख की काली घटाएँ ले आया। रानी के पति की अकाल मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गई। रानी के हाथ तो शस्त्र धारण करने वाले थे, उनमें सुहाग की चूड़ियाँ ज्यादा देर तक नहीं टिक सकीं। उसे विधवा बनाते हुए देव को जरा भी दया नहीं आई। राजा बिना किसी संतान के मर गए थे। रानी शोक में डूबी हुई थी। यह सब कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी गई थी। झाँसी की रानी वास्तव में अत्यंत वीरांगना थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कब, कौन सा सौभाग्य उदित हुआ?
2. कालगति कौन सी काली घटा घेर लाई?
3. विधि कौन होता है, उसे किस पर दया नहीं आई?
4. राजा कैसे मरे?
उत्तर:
1. जब लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी बन कर आई तब वहाँ के राजमहलों में सौभाग्य उदित हुआ।
2. कालगति लक्ष्मीबाई के पति गंगाध राव की आकस्मिक मृत्यु ले आई।
3. विधि भाग्य होता है। उसे रानी लक्ष्मीबाई पर तनिक भी दया नहीं आई।
4. राजा बिना संतान के मरे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘सौभाग्य’ का विलोमार्थी शब्द है
(क) अभाग्य
(ख) दुर्भाग्य
(ग) भाग्यवान
(घ) भागवाला
उत्तर:
(ख) दुर्भाग्य

2. लक्ष्मीबाई के हाथ कैसे थे?
(क) तीर चलाने वाले
(ख) चूड़ियाँ पहनने वाले
(ग) दया करने वाले
(घ) शोक मनाने वाले
उत्तर:
(क) तीर चलाने वाले

3. रानी को क्या हो गया?
(क) विधवा हो गई
(ख) शोक में डूब गई
(ग) चूड़ियाँ टूट गईं
(घ) ये सभी हुए
उत्तर:
(क) विधवा हो गई

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

6. बुझा दीप झाँसी का तब डलहौजी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया;
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा
झाँसी हुई बिरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: दीप-दीपक (Lamp)। हरषाया-खुश हुआ (Pleased)| अवसर-मौका (Chance)| अश्रुपूर्ण-आँसुओं से भरी हुई (Full with tears)| वारिस- उत्तराधिकारी। बिरानी-बर्बाद।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
झाँसी के राजा की मृत्यु से झाँसी राज्य का दीपक बुझ गया। इस समाचार से लॉर्ड डलहौजी मन ही मन प्रसन्न हुआ। उसे झाँसी का राज्य हड़पने का अच्छा मौका मिल गया था। उसने तुरंत अपनी सेना भेजकर झाँसी के किले पर अपना झंडा फहरवा दिया। झाँसी चूँकि इस समय बिना उत्तराधिकारी के थी अत: अंग्रेज ही उसके उत्तराधिकारी बन बैठे। रानी लक्ष्मीबाई ने आँखों में आँसू भरकर देखा कि उसकी प्यारी झाँसी बर्बाद हो रही है। वह उसके लिए बड़ी वीरतापूर्वक लड़ी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. डलहौजी मन में क्यों हरषाया?
2. उसने शीघ्र क्या काम किया?
3. झाँसी का वारिस कौन बनकर आ गया?
4. झाँसी की क्या दशा हो गई थी?
उत्तर:
1, डलहौजी को झाँसी पर अपना कब्जा करने का अवसर हाथ आ गया था। अत: वह मन में हरषाया।
2. डलहौजी ने फौरन अपनी फौजें झाँसी में भिजवा दी और वहाँ ब्रिटिश साम्राज्य का झंडा फहरा दिया।
3. ब्रिटिश राज लावारिस झाँसी का वारिस बनकर आ गया।
4. झाँसी वीरान हो गई थी।

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1. कौन-सा दीप बुझ गया?
(क) झाँसी का राजा मर गया
(ख) डलहौजी वहाँ आ गया
(ग) शासन समाप्त हो गया
(घ) रानी रोने लगी
उत्तर:
(क) झाँसी का राजा मर गया

2. डलहौजी को कौन-सा अच्छा अवसर मिल गया?
(क) झाँसी पर कब्जा जमाने का
(ख) गंगाधर राव को हटाने का
(ग) फौजें भेजने का
(घ) झंडा फहराने का
उत्तर:
(क) झाँसी पर कब्जा जमाने का

7. अनुनय विनय नहीं सुनता है, विकट फिरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह
दासी अब महारानी थी।
बुंदेले हरबालों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: अनुनन विनय-प्रार्थना (Request)। विकटअनोखा (Strange)। फिरंगी-अंग्रेज (Englishman)| कायाशरीर (Body)

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
अंग्रेजों पर किसी की प्रार्थना का कोई असर नहीं होता था। अंग्रेज बड़े विचित्र किस्म के थे। यही अंग्रेज कभी दया की याचना करते हुए व्यापारी बनकर भारत में आए थे। उनके प्रतिनिधि डलहौजी ने भारत में अपने पैर पसारे और भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करता चला गया। उसने देशी राजाओं और नवाबों को ठोकर मार दी। रानी दासी बन गई थी और दासी महारानी बनती चली जा रही थी। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुंह से सुनी थी। झाँसी की रानी मर्दानी बनकर युद्ध क्षेत्र में डटकर लड़ी थी। उसकी कहानी अब तक प्रसिद्ध है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. फिरंगी कौन हैं और उसकी माया क्या है?
2. अंग्रेज भारत में क्या बनकर आए थे?
3. डलहौजी ने राजाओं-नवाबों के साथ क्या व्यवहार किया?
4. रानी दासी कैसे बन गई?
उत्तर;
1. फिरंगी अंग्रेज़ थे। उसकी माया यह थी वह किसी की प्रार्थना नहीं सुनते थे।
2. अंग्रेज भारत में व्यापारी बनकर आए थे।
3. डलहौजी ने भारत के राजाओं और नवाबों को पैरों से टुकराया अर्थात् अपमानित किया।
4. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई अब दासी के रूप में हो गई थी।

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1. व्यापारी के रूप से अंग्रेज भारत से क्या चाहता था?
(क) दया
(ख) माया
(ग) राज्य
(घ) शासन
उत्तर:
(क) दया

2. पैर किसने पसारे?
(क) राजाओं ने
(ख) नवाबों ने
(ग) डलहौजी ने
(घ) सभी ने
उत्तर:
(ग) डलहौजी ने

3. अब महारानी कौन बन गई?
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) अंग्रेजी सत्ता
(ग) डलहौजी
(घ) सेना
उत्तर:
(क) लक्ष्मीबाई

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

8. छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात,
जब कि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज-निपात,
बंगाले, मदास आदि की
भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: घात-हमला (Attack)। वज्र निपात-पत्थर गिरना, भारी मुसीबत।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
अंग्रेजों ने राजधानी दिल्ली को छीनकर उस पर कब्जा कर लिया। उन्होंने लखनऊ को भी बातों-बातों में ले लिया। बिठूर में पेशवा को कैद कर लिया। नागपुर पर भी हमला हुआ। उदयपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक की तो बात ही नहीं पूछिए। उन्हें भी कब्जे में ले लिया गया। सिंध, पंजाब और ब्रह्मपुत्र पर भी भारी आक्रमण हुआ। बंगाल, मद्रास आदि राज्यों की भी यही दशा थीं। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने समस्त भारत पर कब्जा जमा लिया। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुंह से सुनी थी। रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से डटकर लड़ी थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किन-किन स्थानों पर अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया?
2. पेशवा को कहाँ कैद कर लिया गया?
3. किस-किस राज्य पर वज्रपात हुआ?
उत्तर:
1, राजधानी दिल्ली तथा लखनऊ पर अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया।
2. पेशवा को बिठूर में कैद कर लिया गया।
3. सिंध, पंजाब, ब्रह्मपुत्र पर वज्रपात हुआ।

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1. बातों-बातों में किस शहर को अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया?
(क) नागपुर
(ख) कानपुर
(ग) लखनऊ
(घ) दिल्ली
उत्तर:
(ग) लखनऊ

2. बिठूर में किसे कैद किया गया?
(क) पेशवा को
(ख) शिवाजी को
(ग) लक्ष्मीबाई को
(घ) अन्य को
उत्तर:
(क) पेशवा को

3. इस कविता में किस काल की घटना का वर्णन है?
(क) 1857 की
(ख) 1860 की
(ग) 1867 की
(घ) 1942 की
उत्तर:
(क) 1857 की

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

9. रानी रोई रनिवासों में, बेगम गम से थीं बेजार,
उनके गहने-कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाजार,
सरे-आम नीलाम छापते थे अंग्रेजों के अखबार,
‘नागपुर के जेवर ले लो’ ‘लखनऊ के लो नौलख हार’,
यों परदे की इज्जत पर-
देशी के हाथ बिकानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥

शब्दार्थ: रनिवास-रानी का महल (Palace)। बेजार-बेहाल (Restless)।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
अंग्रेजों के देशी राजाओं और नवाबों पर लगातार आक्रमण के फलस्वरूप उनकी निरंतर हार होती चली जा रही थी। रानियाँ अपने महलों में रोती थीं और नवाबों के बेगमें दुख से बेहाल थीं। अंग्रेज उनके गहने-कपड़ों को कलकत्ते के बाजार में खुलेआम नीलाम करते थे। अंग्रेजों के अखबारों में नीलामी के समाचार खुले-आम छपते रहते थे। इस प्रकार परदे में रहने वाली इज्जत खुलेआम नीलाम हो रही थी। अर्थात् भारतीय स्त्रियों को खूब बेइज्जत किया जा रहा था। उनके जेवर भी खूब बिक रहे थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. रानी और बेगमों की क्या दशा थी?
2. अंग्रेजों के अखबार किसकी नीलामी की खबर छापते थे?
3. परदे की इज्जत किस प्रकार बिक रही थी?
उत्तर:
1, रानियाँ राजमहलों में रो रही थी और बेगमें अपने दुख से व्याकुल थीं।
2. अंग्रेजों के अखबारों में राजा-रानियों की चीजों की नीलामी की खबरें छपती थीं।
3. परदे में रहने वाली रानियों की इज्जत अंग्रेजों के हाथों तार-तार हो रही थी।

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1. कलकत्ते के बाजार में क्या बिक रहा था?
(क) रानी-बेगमों के गहने-कपड़े
(ख) देश की दौलत
(ग) राजाओं की चीजें
(घ) कुछ नहीं
उत्तर:
(क) रानी-बेगमों के गहने-कपड़े

2. ‘नौलखा हार’ कहाँ का बताया गया है?
(क) नागपुर का
(ख) लखनऊ का
(ग) कानपुर का
(घ) कलकत्ते का
उत्तर:
(ख) लखनऊ का

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

10. कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चंडी का कर दिया प्रकट आह्वान,
हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो
सोई ज्योति जगानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: विषम-जो सम न हो (Uneven)| वेदनातकलीफ (Pain)| आहत-घायल (Wounded)| अपमान-बेइजती (Insually| आह्वान-बुलावा (Cally। प्रारंभ-शुरू (Start)।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
अंग्रेजों के आक्रमण के परिणामस्वरूप सभी लोगों के मन में आक्रोश था। कुटिया में रहने वाले गरीब लोग कष्ट झेल रहे थे और महलों में रहने वाले बड़े लोग भी बेइज्जती का अनुभव कर रहे थे। वीर सैनिकों के मन में अपने पूर्वजों के प्रति अभिमान का भाव था। अंग्रेजों से टक्कर लेने के लिए नाना धुंधूपंत और पेशवा सभी प्रकार के सामान जुटाने में लगे थे।

इसी समय में बहन छबीली अर्थात् लक्ष्मीबाई ने रणचंडी का रूप धारण कर लिया और लोगों का आह्वान किया कि वे इस युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लें। उन्होंने लोगों के हृदय में सोई ज्योति को जगा दिया। वे जाग गए। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी थी। रानी लक्ष्मीबाई मर्दानी बनकर डटकर लड़ी थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कुटियों और महलों में क्या दिखाई दे रहा था?
2. वीर सैनिकों के मन में क्या था?
3. नाना धुंधूपंत क्या कर रहे थे?
4. छबीली कौन थी? उसने क्या किया?
उत्तर:
1. गरीबों की कुटियों में वेदना-पीड़ा थी तो राजमहलों में अपमान की वेदना थी।
2. वीर सैनिकों के मन में अपने पूर्वजों के प्रति अभिमान का भाव था।
3. नाना धुंधूपंत युद्ध का सामान जुटा रहे थे।
4. छबीली लक्ष्मीबाई ही थी। वह रण-चंडी का रूप धारण कर रही थी।

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1. ‘विषम वेदना’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर:
(क) अनुप्रास

2. कौन-सा यज्ञ प्रारंभ हुआ?
(क) युद्ध करने का
(ख) हवन करने का
(ग) जगाने का
(घ) सोने का
उत्तर:
(क) युद्ध करने का

11. महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने चाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थीं।
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में भी
कुछ हलचल उकसानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: अंतरतम-हृदय (Heart)। ज्वाला-आग की लपट (Flame of fire)

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
रानी लक्ष्मीबाई के आह्वान पर क्रांति की ज्वाला जल उठी। यह आग महलों की तरफ से जली थी। इसे झोपड़ी में रहने वाले सामान्य लोगों ने भी भड़काया था। यह स्वतंत्रता की चिनगारी लोगों के हृदयों से आई थी। झाँसी के चेतने के बाद दिल्ली, लखनऊ, मेरठ, कानपुर और पटना में भी इसका असर दिखाई दिया। जबलपुर और कोल्हापुर में भी हलचल हुई। अर्थात् स्वतंत्रता की क्रांति सारे भारत में फैल गई। चारों ओर जन-जागृति आ गई थी। यह कहानी हमने बुंदेलों के मुंह से सुनी थी। इस क्रांति में झांसी की रानी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. स्वतंत्रता की आग जलाने में कौन-कौन सहायक थे?
2. स्वतंत्रता की चिनगारी कहाँ से आई थी?
3. कहाँ-कहाँ चेतना आई थी?
उत्तर:
1. स्वतंत्रता की आग जलाने में महलों में रहने वाले लोग तथा झोंपड़ी में रहने वाले गरीब सभी सहायक थे।
2. स्वतंत्रता की चिनगारी लोगों के हृदय से आई थी।
3. झाँसी, दिल्ली, लखनऊ, मेरठ, कानपुर, पटना, इन सभी जगहों से चेतना आई थी।

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1. “विषम वेदना” में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर;
(क) अनुप्रास

2. कौन-सा यज्ञ प्रारंभ हुआ?
(क) युद्ध करने का
(ख) हवन करने का
(ग) जगाने का
(घ) सोने का
उत्तर;
(क) युद्ध करने का

12. इस स्वतंत्रता-महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अजीमुल्ला सरनाम,
अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास-गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम,
लेकिन आज जुर्म कहलाती,
उनकी जो कुरबानी थी।
बुदेले हरबाला के मुह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: वीरवर-बहादुर (Brave)। काम आए-मारे गए (Dead)

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
इस स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने अपना अमर बलिदान दिया। इनमें प्रमुख थे-नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अजीमुल्लाखाँ, अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुंवरसिंह आदि। इनके नाम भारत के इतिहास के आकाश में सदा अमर रहेंगे। उन्होंने जो कुर्बानी दी थी, वह शायद आज जुर्म कहलाए। उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया था। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी थी। रानी लक्ष्मीबाई ने मर्दाने रूप में अंग्रेजों से डटकर टक्कर ली थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. स्वतंत्रता संग्राम में कौन-कौन से वीर काम आए?
2. भारत के इतिहास में किनके नाम अमर रहेंगे?
3. कौन मर्दानी की तरह खूब लड़ी थी?
उत्तर:
1. स्वतंत्रता-संग्राम में अनेक वीर नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अजीमुल्ला खाँ, ठाकुर कुँवर सिंह, अहमदशाह मौलवी आदि काम आए।
2. भारत के इतिहास में बलिदानी वीरों के नाम सदा अमर रहेंगे।
3. रानी लक्ष्मीबाई मर्दानी की तरह युद्ध में खूब लड़ी थी।

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1. ‘स्वतंत्रता’ व्याकरण में क्या है?
(क) विशेषण
(ख) भाववाचक संज्ञा
(ग) सर्वनाम
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ख) भाववाचक संज्ञा

2. कौन-सा शब्द ‘गगन’ का पर्यायवाची नहीं है?
(क) नभ
(ख) आसमान
(ग) व्योम
(घ) नीर
उत्तर:
(घ) नीर

3. ‘झाँसी’ कौन-सी संज्ञा है?
(क) व्यक्तिवाचक
(ख) जातिवाचक
(ग) भाववाचक
(घ) अन्य
उत्तर:
(क) व्यक्तिवाचक

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

13. इनकी गाथा छोड़ चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेन्ट वॉकर आ पहुंचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्व असमानों में,
जख्मी होकर वॉकर भागा,
उसे अजब हैरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
अंग्रेजों ने अनेक रियासतों पर कब्जा कर लिया। अब हम झाँसी चलें। वहाँ की रानी लक्ष्मीबाई मर्द का वेश धारण करके मदों के मध्य लड़ रही है। उसी समय अंग्रेज लेफ्टिनेंट वॉकर आ गया और वह जवानों के बीच में आगे बढ़ने लगा। रानी ने भी तलवार निकाल ली। दोनों में घमासान युद्ध होने लगा। वॉकर युद्ध में घायल हो गया। वह इस स्थिति में खुद को पाकर बड़ा हैरान हुआ। उसे ऐसी उम्मीद न थी। झाँसी की रानी अत्यंत वीरतापूर्वक लड़ रही थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. लक्ष्मीबाई किस रूप में खड़ी थी?
2. किस-किसमें युद्ध हुआ?
3. कौन जख्मी होकर भागा?
उत्तर:
1. लक्ष्मीबाई मदों में मर्द बनकर खड़ी थी अर्थात् वीरों में वीरांगना बनी हुई थी।
2. रानी लक्ष्मीबाई और लेफ्टिनेंट वॉकर के मध्य युद्ध हुआ।
3. लेफ्टिनेंट जख्मी होकर भाग गया।

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1. तलवार किसने खींच ली?
(क) रानी ने
(ख) वॉकर ने
(ग) सिपाही ने
(घ) अन्य ने
उत्तर:
(क) रानी ने

2. अजब हैरानी किसे थी?
(क) वॉकर को
(ख) लक्ष्मीबाई को
(ग) बुंदेलों को
(घ) सभी को
उत्तर:
(क) वॉकर को

14. रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना-तट पर अंग्रेजों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया
ने छोड़ी रजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥

शब्दार्थ: तत्काल-फौरन (Immediately)| निरंतरलगातार (Continuous)। स्वर्ग सिधारना-मरना (Dead)।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
रानी आगे बढ़कर कालपी पहुँची। वह कई सौ मील चलकर आई थी। उसका घोड़ा थककर जमीन पर गिर गया और तभी मर गया। यमुना नदी के किनारे पर अंग्रेजों ने रानी से फिर हार खाई। जीतकर रानी आगे बढ़ चली और उसने ग्वालियर पर अपना कब्जा जमा लिया। वहाँ के सिंधिया अंग्रेजों के साथी थे। उन्हें अपनी राजधानी छोड़नी पड़ी। इस प्रकार. लक्ष्मीबाई जीतती हुई आगे बढ़ती जा रही थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. रानी बढ़कर कहाँ आई?
2. घोड़े की क्या दशा हो गई थी?
3. रानी ने किस पर अधिकार कर लिया?
उत्तर:
1. रानी सौ मील चलकर कालपी आ गई।
2. रानी का घोड़ा थककर भूमि पर गिर पड़ा और शीघ्र ही मर गया।
3. रानी ने ग्वालियर पर अधिकार जमा लिया।

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1. अंग्रेजों ने रानी से कहाँ हार खाई?
(क) कालपी में
(ख) ग्वालियर में
(ग) यमुना-तट पर
(घ) कानपुर में
उत्तर:
(ग) यमुना-तट पर

2. अंग्रेजों के मित्र कौन थे?
(क) सिंधिया
(ख) मराठे
(ग) बुंदेले
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) सिंधिया

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

15. विजय मिली, पर अंग्रेजों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था, उसने मुंह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी,
पर पीछे छू रोज आ गया,
हाय! घिरी अब रानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
रानी को जीत तो मिल रही थी, पर अंग्रेजों की सेना ने उसे फिर घेर लिया। अब की बार जनरल स्मिथ सामने आ गया था। उसने भी मुँह की खाई, अर्थात् हारना पड़ा। आज रानी की सखियाँ भी उसके साथ थीं। उन्होंने भी युद्ध-क्षेत्र में काफी शत्रुओं को मारा था। पीछे से ा रोज आ गया। अब रानी बुरी तरह घिर गई। अंग्रेजी सेना ने रानी को घेर लिया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. अबकी बार अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई करने कौन आया था?
2. रानी लक्ष्मीबाई के साथ कौन थीं?
3. बाद में रानी को किसने घेर लिया था?
उत्तर:
1. अबकी बार जनरल स्मिथ अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई करने आया था।
2. रानी लक्ष्मीबाई के साथ उसकी सखियाँ काना और मंदरा थीं। उन्होंने युद्ध में खूब मार-काट मचाई थी।
3. बाद में रानी को घुरोज़ ने घेर लिया था।

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1. किसने मुँह की खाई?
(क) जनरल स्मिथ ने
(ख) यूरोज ने
(ग) रानी ने
(घ) काना-मंदरा ने
उत्तर:
(क) जनरल स्मिथ ने

2. युद्ध क्षेत्र में किसने भारी मार मचाई?
(क) रानी ने
(ख) काना ने
(ग) मंदरा ने
(घ) काना-मंदरा ने
उत्तर:
(घ) काना-मंदरा ने

16. तो भी रानी मार-काटकर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया था, यह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गए सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार,
घायल होकर गिरी सिंहनी।
उसे वीर-गति पानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: विषम-टेढ़ा। अपार-जिसे पार न किया जा सके।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
अंग्रेजी सेना से घिरी होने पर भी रानी ने बड़ी भारी मारकाट मचाई। वह शत्रु-सेना को पार कर आगे बढ़ भी गई, पर मार्ग में एक नाला आ गया। चूंकि अबकी नया घोड़ा था; अत: वह अड़ गया। इतनी देर में शत्रु की सेना आ पहुंची और रानी पर चारों ओर से वार होने लगे। रानी घायल होकर शेरनी के समान गिर पड़ी। उसे युद्ध-भूमि में मरकर वीरगति प्राप्त करनी थी और अब ऐसा ही प्रतीत हो रहा था। वह अपनी शक्ति-भर खूब लड़ी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. रानी के सम्मुख क्या समस्या आ गई?
2. घोड़ा क्यों अड़ गया?
3. रानी की क्या दशा हुई?
उत्तर:
1. रानी के सामने एक नाला आ गया था। उसे पार करना एक समस्या थी।
2. घोड़ा नया था अत: वह अड़ गया।
3. सिंहनी के रूप में रानी घायल होकर भूमि पर गिर पड़ी और वीरगति पा गई।

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1. घोड़ा कैसा था?
(क) नया
(ख) पुराना
(ग) बेकार
(घ) घायल
उत्तर:
(क) नया

2. ‘सिंहनी’ किसे कहा गया है?
(क) रानी को
(ख) काना को
(ग) मंदरा को
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(क) रानी को

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

17. रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई
हमको जो सीख सिखानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: दिव्य-अलौकिक (Unworldly)।

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
रानी स्वर्ग सिधार गई, अब वह चिता पर सवार थी, अर्थात् उसका अलौकिक व्यक्तित्व चिता की भेंट हो गया। उसका तेज अग्नि के तेज में मिल गया। उसकी आयु अभी केवल 23 वर्ष थी, वह एक साधारण स्त्री न होकर महान् स्त्री थी। वह हम सबको जगाने आई थी। इसने हमें रास्ता दिखा दिया और वह जो कुछ सिखाने आई थी, उसे सिखाकर चली गई। वह तो मदों की तरह से युद्ध-भूमि में वीरतापूर्वक लड़ी थी, वह झाँसी वाली रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1, रानी की क्या दशा हुई?
2. उसकी अभी उम्र कुल कितनी थी?
3. वह क्या काम कर गई?
उत्तर:
1. रानी अपना अमर बलिदान देकर स्वर्ग सिधार गई थी।
2. अभी उसकी उम्र केवल 23 वर्ष की थी।
3. रानी अपना बलिदान देकर भारतीयों को जीवित कर गई। वह हमें बलिदान का रास्ता दिखा गई।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. रानी कहाँ चली गई?
(क) स्वर्ग
(ख) झाँसी
(ग) कानपुर
(घ) कहीं नहीं
उत्तर:
(क) स्वर्ग

2. लक्ष्मीबाई क्या थी?
(क) मनुज
(ख) अवतारी
(ग) तेज
(घ) सवारी
उत्तर:
(ख) अवतारी

3. ‘जीवित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) जीव
(ख) वित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर:
(ग) इत

18. जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
वह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी,
तू खुद अमिट निशनी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।

शब्दार्थ: कृतज्ञ-अहसान मानने वाला (One who feels obligation)। स्मारक-यादगाद (Memorial)|

प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवयित्री रानी लक्ष्मीबाई के प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कहती है-हे रानी! तुम भले ही चली गई हो, पर हम भारतवासी कृतज्ञ हैं और तुम्हें सदा याद रखेंगे। तेरे द्वारा किया गया अमर बलिदान हमारे अंदर त्याग की भावना जगाता रहेगा। हमारी स्वतंत्रता कभी नष्ट नहीं होने वाली। भले ही इतिहास चुप हो जाए, सच्चाई को फाँसी लग जाए।

हमें विजय अवश्य प्राप्त होगी, भले हमारा कुछ भी चला जाए। तेरा अलग से कोई स्मारक बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि तू अपना स्मारक स्वयं है। तेरी निशानी को कोई नहीं मिटा सकता। हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. भारतवासी क्या करेंगे?
2. रानी का बलिदान कैसा रहेगा?
3. अंग्रेजों की विजय को कैसा बताया गया है?
उत्तर:
1. भारतवासी कृतज्ञ हैं अतः लक्ष्मीबाई के अमर बलिदान को सदा याद रखेंगे।
2. रानी का बलिदान कभी बेकार न जाएगा। यह सदा याद रखा जाएगा।
3. अंग्रेजों की विजय को मदमाती बताया गया है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘कृतज्ञ’ का विलोमार्थी शब्द है
(क) कृतघ्न
(ख) कृतार्थ
(ग) यज्ञ
(घ) परोपकार
उत्तर:
(क) कृतघ्न

2. रानी का स्मारक क्या होगा?
(क) वह स्वयं
(ख) बलिदान
(ग) विजय
(घ) स्वतंत्रता
उत्तर:
(क) वह स्वयं

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी

झाँसी की रानी Summary in Hindi

झाँसी की रानी कवयित्री का संक्षिप्त परिचय

श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 ई. में प्रयाग (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। उनका अधिकांश समय जबलपुर में बीता। 1919 ई. में उनका विवाह खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ। पति-पत्नी दोनों ने मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। वे कई बार जेल भी गई। 1948 में एक दुर्घटना में उनका देहांत हो गया।

सुभद्रा कुमारी ने देशभक्ति और वात्सल्य भावना की कविताएँ लिखीं। ‘झाँसी की रानी’ उनकी प्रसिद्ध रचना है। इनकी अन्य रचनाएँ हैं- ‘त्रिधारा’, ‘मुकुल’ (काव्य), “बिखरे मोती’ (कहानी संग्रह)। इनकी भाषा अत्यंत सरल है।

झाँसी की रानी कविता का सार

‘झाँसी की रानी’ शीर्षक कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है। इसमें कवयित्री ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका को रेखांकित किया है। वह कानपुर के नाना साहब की मुंहबोलो बहन ‘छबीली’ थी। वह अपने पिता की अकेली संतान थी। बरछी, ढाल, तलवार ही उसकी सहेलियाँ थीं। वीर शिवाजी की गाथाएँ उसे भली प्रकार याद थीं। वह लक्ष्मी-दुर्गा का अवतार प्रतीत होती थी। वह वीरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेती थी। वह भवानी की पूजा करती थी।

वह विवाह होने के उपरांत झाँसी में रानी बनकर आ गई। सर्वत्र प्रसन्नता छा गई। पर किस्मत ने उसे धोखा दे दिया। रानी शीघ्र ही विधवा हो गई। राजा नि:संतान मरे थे, अत: उत्तराधिकार की समस्या उठ खड़ी हुई। अंग्रेज सेनापति इस स्थिति से खुश हुआ। वह फौज लेकर झाँसी पर कब्जा करने आ गया। वे जीत हासिल करते चले गए। अनेक योद्धा उनसे लड़े तो सही पर जीत न सके। अब लक्ष्मीबाई ने रण-चंडी का रूप धारण कर लिया। मर्दाने वेश में जनरल वॉकर के सामने जा खड़ी हुई।

वॉकर जख्मी होकर भाग गया। कालपी पहुँचकर रानी का घोड़ा मर गया। रानी दूसरा घोड़ा लेकर आगे बढ़ी। उसने ग्वालियर में अधिकार कर लिया। अब उसके सामने जनरल स्मिथ आ खड़ा हुआ। रानी का घोड़ा नया था। अतः अड़ गया और रानी घायल होकर गिर पड़ी। वह स्वर्ग सिधार गई, तेज तेज में समा गया। रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सदा के लिए अमर हो गई। वह तो स्वतंत्रता की प्रतीक थी। उन्हें भारत सदा याद रखेगा।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

HBSE 6th Class Hindi टिकट अलबम Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
अलबम पर किसने और क्यों लिखा? इसका असर क्लास के दूसरे लड़के-लड़कियों पर क्या हुआ?
उत्तर:
अलबम पर नागराजन के मामा ने यह लिखा- ए. एम. नागराजन। ‘इस अलबम को चुराने वाला बेशर्म है। ऊपर लिखे नाम को कभी देखा है? यह अलबम मेरा है। जब तक घास हरी है और कमल लाल, सूरज जब तक पूर्व से उगे और पश्चिम में छिपे, उस अनंत काल तक के लिए यह अलबम मेरा है और मेरा रहेगा।’

यह उसने इसलिए लिखा ताकि कोई इसे चुराए नहीं। इस लिखे का क्लास के दूसरे लड़के-लड़कियों पर यह असर हुआ कि लड़कों ने इसे अपने अलबम में उतार लिया और लड़कियों ने कॉपियों तथा किताबों में टीप लिया।

प्रश्न 2.
नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्या के मन की क्या दशा हुई?
उत्तर:
पहले राजप्पा के अलबम की धूम रहती थी, पर बाद में नागराजन का अलबम हिट हो गया। सभी उसकी ओर आकर्षित होने लगे। इससे राजप्पा के मन को बहुत ठेस पहुंचीं। वह मन-ही-मन कुढ़ने लगा। वह नागराजन को नीचा दिखाने के उपाय सोचता रहता।

प्रश्न 3.
अलबम चुराते समय राजप्पा किस मानसिक स्थिति से गुजर रहा था?
उत्तर:
अलबम चुराते समय राजप्पा घबरा रहा था। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। तब उसका पूरा शरीर जल रहा था। वह जानता था कि उसने गलत काम किया है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

प्रश्न 4.
राजप्पा ने नागराजन का टिकट-अलबम अंगीठी में क्यों डाल दिया?
उत्तर:
राजप्पा ने नागराजन का टिकट-अलबम अंगीठी में इसलिए डाल दिया ताकि वह जलकर नष्ट हो जाए। वह पुलिस की पकड़ में नहीं आना चाहता था। वह चोर नहीं कहलवाना चाहता था।

प्रश्न 5.
लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से क्यों की?
उत्तर:
जिस प्रकार मधुमक्खी धीरे-धीरे शहद एकत्रित करके छत्ते में जमा करती है, उसी प्रकार राजप्पा जगह-जगह से टिकटें लाकर इकट्ठा करता था और उन्हें अपने अलबम में लगाता था। दोनों के काम में काफी समानता थी।

कहानी से आगे

1. टिकटों की तरह ही बच्चे और बड़े दूसरी चीजें भी जमा करते हैं। सिक्के उनमें से एक हैं। क्या तुम कुछ अन्य चीजों के बारे में सोच सकते हो जिन्हें जमा किया जा सकता है? उनके नाम लिखो।
उत्तर:
पंखों, पत्तों, फूलों, बीजों, चित्रों आदि को जमा किया जा सकता है।

2. टिकट-अलबम का शौक रखने के राजप्या और नागराजन के तरीके में क्या फर्क है? तुम अपने शौक के लिए कौन-सा तरीका अपनाओगे?
उत्तर:
राजप्या ने घर-घर घूम-घूमकर टिकट एकत्रित किए थे। उसने एक देश के टिकट देकर दूसरे देश के टिकट लिए थे तथा अलबम में लगाए थे। इस काम में उसने बहुत परिश्रम किया था।
नागराजन का टिकट-अलबम मामा ने भिजवाया था, अत: उसे कोई परिश्रम नहीं करना पड़ा था।

3. इकट्ठा किए हुए टिकटों का अलग-अलग तरह से वर्गीकरण किया जा सकता है। जैसे, देश के आधार पर। ऐसे और आधार सोचकर लिखो।
उत्तर:
अन्य आधार हो सकते हैं-

  1. काल के आधार पर
  2. रंगों के आधार पर
  3. कीमत के आधार पर
  4. आकार के आधार पर।

4. कई लोग चीजें इकट्ठा कर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। इसके पीछे उनकी क्या प्रेरणा होती होगी? सोचो और अपने दोस्तों से इस पर बातचीत करो।
उत्तर:
इसके पीछे यही प्रेरणा होती होगी कि उनका नाम सारा संसार जान जाए। उन्हें प्रसिद्धि पाने की इच्छा रहती होगी।

भाषा की बात

1. निम्नलिखित शब्दों को कहानी में ढूँढकर उनका अर्थ समझो। अब स्वयं सोचकर इनसे वाक्या बनाओ।
खोसना, जमघट, टटोलना, कुड़ना, अगुआ, पुचकारना, खलना, हेकड़ी
उत्तर:
खोंसना: उसने साड़ी का पल्लू खोंस लिया।
जमघट: यहाँ पर लड़कों का जमघट लगा हुआ है।
टटोलना: सभी को अपनी जेब टटोलनी चाहिए।
कढ़ना: दूसरों की तरक्की पर कुढ़ना नहीं चाहिए।
अगुआ: वह लड़कों का अगुआ बनकर चला।
पुचकारना: रोते बच्चे को पुचकारना चाहिए।
खलना: मुझे तुम्हारी बातें खल रही हैं।
हेकड़ी: मुझे ज्यादा हेकड़ी मत दिखाओ, वरना पीट दूंगा।

2. कहानी में व्यक्तियों या वस्तुओं के लिए प्रयुक्त हुए ‘नहीं’ अर्थ देने वाले शब्दों (नकारात्मक विशेषण) को छाँटकर लिखो। उनका उल्टा अर्थ देने वाले शब्द भी लिखो।
उत्तर:
नीची आँखों
बगैर टिकट
शर्म-बेशर्म
नीचे-ऊपर
गीला-सूखा
अच्छे-बुरे
तेज-धीमी

सुनना-सुनाना

राजप्पा और नागराजन की तरह क्या तम भी कोई गंभीर शौक रखते हो? उससे जुड़े किस्से सुनाओ। कुछ कहानियाँ सुखांत होती हैं और कुछ कहानियाँ दुःखांत होती हैं। इस कहानी के अंत में तुम क्या मानोगे? बताओ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

HBSE 6th Class Hindi टिकट अलबम Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
क्या राजप्पा नागराजन का अलबम देखना चाहता था?
उत्तर:
राजप्पा ने नागराजन के अलबम को देखने की इच्छा कभी नहीं प्रकट की। लेकिन जब दूसरे लड़के देख रहे होते तो वह नीची आँखों से देख लेता। सचमुच नागराजन का अलबम बेहद प्यारा था।

प्रश्न 2.
राजप्पा के अलबम को किसने, कितने में खरीदना चाहा था? राजप्या ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
स्कूल-भर में राजप्पा का अलबम सबसे बड़ा था। सरपंच के लड़के ने उसके अलबम को पच्चीस रुपए में खरीदना चाहा था, पर राजप्या नहीं माना। “घमंडी कहीं का”, राजप्पा बड़बड़ाया था। फिर उसने तीखा जवाब दिया था, “तुम्हारे घर में जो प्यारी बच्ची है न, उसे दे दो न तीस रुपए में।” सारे लड़के उहाका मारकर हंस पड़े थे।

प्रश्न 3.
राजप्पा के व्यवहार में क्या परिवर्तन आ गया था?
उत्तर:
राजप्या मन-ही-मन कुढ़ता रहता था। स्कूल जाना अब उसे खलने लगा था और लड़कों के सामने आने में शर्म आने लगी। आमतौर पर शनिवार और रविवार को टिकट की खोज में लगा रहता, परंतु अब घर-घुसा हो गया था। दिन में कई बार अलबम को पलटता रहता। रात को लेट जाता। सहसा जाने क्या सोचकर उठता, उठकर अलमारी खोलकर अलबम निकालता और एक बार पूरा देख जाता। उसे अलबम से चिढ़ होने लगी थी। उसे लगा, अलबम वाकई कूड़ा हो गया है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

प्रश्न 4.
राजप्या नागराजन के घर जाकर क्या करने लगा?
उत्तर:
नागराजन की बहन मीनाक्षी के नीचे चले जाने पर राजप्पा मेज पर बिखरी किताबों को टटोलने लगा। अचानक उसका हाथ दराज के ताले से टकरा गया। उसने ताले को खींचकर देखा। बंद था, क्यों न उसे खोलकर देख लिया जाए। मेज पर से उसने चाबी ढूंढ़ निकाली।

सीढ़ियों के पास जाकर उसने एक बार झाँककर देखा। फिर जल्दी में दराज खोली। अलबम ऊपर ही रखा हुआ था। पहला पृष्ठ खोला। उन वाक्यों को उसने दोबारा पढ़ा। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। अलबम को झट कमीज के नीचे खोंस लिया और दराज बंद कर दिया। सीढ़ियाँ उतरकर घर की ओर भागा।

प्रश्न 5.
पुलिस के भय से राजप्पा ने अलबम का क्या किया?
उत्तर:
राजप्पा के घर के दरवाजा खटकने की आवाज तेज हो गई। राजप्मा ने तकिए के नीचे से अलबम उठाया और ऊपर भागा। अलमारी के पीछे छिपा दे। नहीं। पुलिस ने अगर तलाशी ली तो पकड़ा जाएगा। अलबम को कमीज के नीचे छिपाकर वह नीचे आ गया। बाहर का दरवाजा अब भी बज रहा था। राजप्पा बाथरूम में घुस गया। वहाँ की जलती अंगीठी में उसने नागराजन का अलबम डाल दिया।

प्रश्न 6.
राजप्पा की पूछ क्यों घट गई?
उत्तर:
जब से नागराजन के पास नया अलबम आया है तब से राजप्पा की पूछ घट गई। अब उसका अलबम पुराना पड़ गया था।

प्रश्न 7.
नागराजन अपना अलबम लड़कों को कैसे दिखाता था?
उत्तर:
नागराजन अपना अलबम लड़कों को शांतिपूर्वक दिखाता था। वह इसे किसी को हाथ नहीं लगाने देता था।

प्रश्न 8.
राजप्या टिकटें कैसे एकत्रित करता था?
उत्तर:
राजप्या टिकटें जमा करने के लिए सुबह आठ बजे से ही लड़कों के घरों के चक्कर लगाता था। वह आस्ट्रेलिया के दो टिकटों के बदले फिनलैंड का एक टिकट ले लेता था। इसी प्रकार पाकिस्तान के दो टिकटों के बदले रूप का एक टिकट ले लेता था।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

प्रश्न 9.
किसने नागराजन को एक ही दिन में मशहूर कर दिया?
उत्तर:
सिंगापुर से आए एक अलबम के पार्सल ने नागराजन को एक ही दिन में मशहूर कर दिया।

प्रश्न 10.
एक दिन राजप्पा ने क्या तय कर लिया?
उत्तर:
एक दिन राजप्पा ने तय कर लिया अब वह और अपमान नहीं सहन करेगा और नागराजन के अलबम को हथिया कर रहेगा।

प्रश्न 11.
अपू ने आकर राजप्पा को क्या बताया?
उत्तर:
अपू ने राजप्पा को बताया कि नागराजन का अलबम कहीं खो गया है।

प्रश्न 12.
राजप्पा की आँखों में आँसू क्यों आ गए?
उत्तर:
जब राजप्पा ने अलबम अँगीठी में डाल दिया और वह जलने लगा तब उसे देखकर राजप्पा की आँखों में आँसू आ गए।

टिकट अलबम गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. अब राजप्पा के अलबम को कोई पूछने वाला नहीं था। वाकई उसकी शान अब घट गई थी। राजप्पा के अलबम की लड़कों ने काफी तारीफ की थी। मधुमक्खी की तरह उसने एक-एक करके टिकट जमा किए थे। उसे तो बस एक यही धुन सवार थी। सुबह आठ बजे वह घर से निकल पड़ता। टिकट जमा करने वाले सारे लड़कों के चक्कर लगाता।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘टिकट-अलबम’ से लिया गया है। यह पाठ मूलतः तमिल में लिखा गया है, जिसका हिंदी अनुवाद सुमति अय्यर ने किया है।

व्याख्या:
पहले राजप्पा के अलबम की धूम थी। पर जब स नागराजन के पास उसके मामा द्वारा भेजा गया अलबम आया है तब से राजप्पा के अलबम को कोई नहीं पूछता। अब उसके अलबम की शान घट गई है। पहले राजप्पा के अलबम की काफी प्रशंसा हुई थी। राजप्पा ने इस अलबम के टिकट बड़े परिश्रमपूर्वक जमा किए थे।

उसे हर समय तरह-तरह के टिकट जमा करने की धुन सवार रहती थी। इस काम के लिए वह सुबह आठ बजे घर से निकल जाता था। वह उन लड़कों के घर चक्कर लगाया करता था जो टिकट जमा करने का शौक रखते थे। इस प्रकार उसने अपना टिकट अलबम तैयार किया था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. अब किसके अलबम की पूछ नहीं रह गई थी?
2. पहले क्या स्थिति थी?
3. राजप्पा को क्या धुन सवार थी?
4. राजप्पा ने टिकटें कैसे जमा की थीं?
उत्तर:
1. अब राजप्या के अलबम की पूछ लड़कों में नही रह गई थी।
2. पहले लड़के राजप्पा के अलबम की काफी तारीफ़ करते थे।
3. राजप्पा को तरह-तरह की टिकटें जमा करने की धुन सवार थी।
4. राजप्पा प्रात: आठ बजे से ही अपने घर से निकल जाता था और लड़कों के चक्कर लगाकर टिकटें जमा करता रहता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. अब किसे, कोई पूछने वाला नहीं था?
(क) राजप्पा को
(ख) राजप्पा के अलबम को
(ग) नागराजन को
(घ) नागराजन के अलबम को
उत्तर:
(ख) राजप्पा के अलबम को

2. राजप्पा ने मधुमक्खी की तरह क्या काम किया था?
(क) शहद इकट्ठा किया
(ख) टिकटें इकट्ठी की
(ग) अलबम तैयार की
(घ) घूमा-फिरा
उत्तर:
(ख) टिकटें इकट्ठी की

3. राजप्पा को क्या धुन सवार थी?
(क) टिकटें जमा करने की
(ख) लड़कों के घर जाने की
(ग) प्रात:काल उठने की
(घ) घूमने-फिरने की
उत्तर:
(क) टिकटें जमा करने की

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 टिकट अलबम

2. उस दिन शाम उसने जैसे तय कर लिया था, वह नागराजन के घर गया। अब कोई कितना अपमान सहे! नागराजन के हाथ अचानक एक अलबम लगा है, बस यही ना। वह क्या जाने टिकट कैसे जमा किए जाते हैं! एक-एक टिकट की क्या कीमत होती है वह भला क्या समझे! सोचता होगा, टिकट जितना बड़ा होगा, वह उतना ही कीमती होगा। या फिर सोचता होगा, बड़े देश का टिकट कीमती होगा। वह भला क्या समझे!

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘टिकट-अलबम’ पाठ से ली गई हैं। नागराजन के अलबम की प्रशंसा राजप्पा पचा नहीं पा रहा था। उसने नागराजन के अलबम को चुराने की ठान ली।

व्याख्या:
एक दिन शाम को राजप्पा ने तय कर ही लिया कि वह नागराजन का अलबम हथिया कर ही रहेगा। उसने अपने मन में इसकी योजना भी बना ली। अब वह और अपमान नहीं सह सकता था, अत: वह नागराजन के घर जा पहुँचा। वह सोचता था कि नागराजन को तो बना-बनाया अलबम मिल गया। उसे यह भी पता नहीं कि टिकट कैसे जमा किए जाते हैं।

उसने (राजप्पा ने) स्वयं घूम-घूमकर टिकटें जमा की हैं। अत: वह उनकी कीमत जानता है। वह तो शायद यही जानता होगा कि जो टिकट जितना बड़ा है, वह उतना ही कीमती होगा अथवा वह बड़े देशों के टिकटों को कीमती समझता होगा। उसे तो टिकटों के महत्व के बारे में कुछ भी पता नहीं है। भला, इस मूर्ख व्यक्ति के पास इस प्रकार के अलबम की आवश्यकता ही क्या है? इस प्रकार के विचार उसे अलबम हथिया लेने को उकसा रहे थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसने, क्या तय कर लिया था?
2. राजप्पा के अनुसार नागराजन क्या नहीं जानता?
3. नागराजन क्या सोचता होगा?
उत्तर:
1. राजप्पा ने यह तय कर लिया था कि वह नागराजन का अलबम हथिया कर रहेगा।
2. राजप्पा के अनुसार नागराजन यह नहीं जानता कि टिकट कैसे जमा किए जाते हैं। एक-एक टिकट की क्या कीमत होती है।
3. नागराजन यह सोचता होगा कि बड़े देश का टिकट अधिक कीमती होगा। वह बड़े टिकट को भी कीमती समझता होगा।

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1. राजप्पा कहाँ गया?
(क) नागराजन के घर
(ख) अपने घर
(ग) स्कूल
(घ) घर के बाहर
उत्तर:
(क) नागराजन के घर

2. राजप्पा क्या नहीं सहना चाहता था?
(क) क्रोध
(ख) अपमान
(ग) ईर्ष्या
(घ) उपेक्षा
उत्तर:
(ख) अपमान

3. नागराजन के हाथ अचानक क्या लगा है?
(क) अलबम
(ख) टिकट
(ग) राजप्पा
(घ) घर
उत्तर:
(क) अलबम

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टिकट अलबम Summary in Hindi

टिकट अलबम पाठ का सार

नागराजन को उसके मामाजी ने सिंगापुर से एक अलबम भिजवाया था। वह उसे लड़कों को दिखाया करता था। सभी लड़के नागराजन को घेरकर अलबम देखा करते थे। लड़कियाँ भी उस अलबम को देखने के लिए उत्सुक रहती थीं। पार्वती उन लड़कियों की अगुआ बनकर वह अलबम ले गई। लड़कियों को अलबम दिखाने के बाद वह वापस कर गई। राजप्पा के अलबम को पूछने वाला कोई न था। अब उसकी शान घट गई थी। उसने बड़े परिश्रमपूर्वक टिकट जमा किए थे।

वह एक देश की टिकट देकर दूसरे देश की टिकट लेकर जमा करता रहता था। स्कूल-भर में उसका अलबम सबसे बड़ा था। सरपंच के लड़के ने उसके अलबम को पच्चीस रुपए में खरीदना चाहा था, पर राजप्पा नहीं माना। पर अब उसक अलबम की कोई बात नहीं करता था। प्रत्यक्ष रूप से तो राजप्पा नागराजन के अलबम में रुचि नहीं दिखाता था, पर जब दूसरे लड़के उसे देख रहे होते तो वह नीची आँखों से देख लेता था।

सचमुच नागराजन का अलबम बेहद प्यारा था। उस पर मामा ने मोती जैसे अक्षरों में लिख भेजा था-ए. एम. नागराजना ‘इस अलबम को चुराने वाला बेशर्म है। ऊपर लिखे नाम को कभी देखा है? यह अलबम मेरा है। जब तक घास हरी है और कमल लाल, सूरज जब तक पूर्व से उगे और पश्चिम में छिपे, उस अनंत काल तक के लिए यह अलबम मेरा है, रहेगा।’

लड़कों ने इसे अपने अलबम में उतार लिया। लड़कियों ने झट कॉपियों और किताबों में टीप लिया। राजप्पा मन ही मन कुढ़ता रहता। उसे स्कूल जाना खलने लगा तथा अन्य लड़कों के सामने जाने में उसे शर्म आने लगी। उसे अब अपने अलबम से चिढ़ होने लगी थी। एक दिन वह नागराजन के घर जा पहुंचा। वह नागराजन की मेज के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। कुछ देर बाद नागराजन की बहन कामाक्षी ऊपर आई। उसने अपने भाई के अलबम की तारीफ की तो राजप्पा चिढ़ गया।

कामाक्षी नीचे चली गई। राजप्या मेज पर पड़ी किताबें टटोलने लगा। उसने चाबी से मेज की दराज खोली। अलबम ऊपर ही रखा था। पहला पृष्ठ खोलकर पढ़ा। अलबम को झट कमीज के नीचे खोंस लिया। सीढ़ियों से उतरकर घर की ओर भागा। घर आकर उसने अलयम छिपा दिया। उस समय उसका पूरा शरीर जैसे जलने लगा। गला सूख रहा था। रात आठ बजे अपू आया। उसने बताया- “सुना तुमने, नागराजन का अलबम खो गया। हम दोनों शहर गए हुए थे, लौटकर देखा तो अलबम गायब।”

राजप्पा चुप रहा। उसने अप्पू को किसी तरह टाला। उसके जाने के बाद अलबम को निकालकर देखा और फिर छिपा दिया। रात को उसे नींद नहीं आई। सुबह अप्पू दोबारा आया और राजप्पा से पूछा- “कल तुम उसके घर गए थे? उसके पापा शायद पुलिस को खबर कर दें। उसके पापा डी.एस.पी. के दफ्तर में ही काम करते हैं।”

यह कहकर अपू अपने भाई के साथ चला गया। राजप्या के पापा दफ्तर चले गए थे। राजप्पा के घर के दरवाजे की साँकल खटकी तो उसे पुलिस आने का भय सताने लगा। राजप्पा अलबम को लेकर पिछवाड़े की ओर भागा। बाथरूम में घुसकर दरवाजा बंद कर लिया। वहाँ अँगीठी पर पानी गरम हो रहा था।

राजप्पा ने अलबम को अंगीठी में डाल दिया। अलबम जलने लगा। राजप्पा की आँखों में आँसू आ गए। माँ के आवाज देने पर गीला तालिया लपेटकर वह बाहर आया और कपडे बदलकर ऊपर गया। वहाँ कुसी पर नागराजन बैठा हुआ था। उसने रोनी सूरत बनाकर कहा- “मेरा अलबम खो गया है यार।” राजप्पा ने उसे दिलासा देते हुए कहा- “रो मत यार।” राजप्पा अपना अलबम उठा लाया। उसने उसे नागराजन को देते हुए कहा- “लो यह रहा मेरा अलयमा अब इसे तुम रख लो।”

नागराजन को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ! उसने फिर पूछा- “ठीक है, मैं इसे रख लेता हूँ। पर तुम क्या करोगे?” राजप्पा बोला- “मुझे नहीं चाहिए।” बहुत जिद करने पर नागराजन उस अलबम को लेकर नीचे उतर गया। राजप्पा ने उसे पुकारकर कहा- “मैं आज रात इसे जी भरकर देखना चाहता हूँ। कल सुबह तुम्हें दे आऊँगा।” नागराजन ने अलबम लौटा दी। राजप्पा अलबम को छाती से लगाकर फूट-फूटकर रोने लगा।

टिकट अलबम शब्दार्थ

जमघट = आदमियों की भीड़, जमाव (Crowd)। टोली = मंडली, झुंड (Group)। उत्सुक = इच्छुक (Eager)। चबेना = चबाकर खाने वाली खाद्य सामग्री (Corn)। पगडंडी = खेत या मैदान में पैदल चलने वालों के लिए बना पतला रस्ता (Footpath)। फिसड्डी = काम में पीछे रह जाने वाला (Slow)। टीपना = हू-ब-हू उतारना, नकल करके लिखना (To copy)। बघारना = पांडित्य दिखाने के लिए किसी विषय की चर्चा करना (To show)। कोरस = एक साथ मिलकर गाना (Corus)। मशहूर = प्रसिद्ध, जाना = माना (Famous)। खलना = अखरना (Displeasing)। टरकाना = खिसका देना, टाल देना (To postpone)। हेकड़ी = जबरदस्ती, बलात कुछ करने की प्रवृत्ति (Rudeness)। भड़ लेना = भड़ा दना, सटा देना, बंद करना (To close)। सांकल = दरवाजा बंद करने के लिए लगाई जाने वाली लोहे की कड़ी (Iron chain)। फालतु = बेकार (Useless अक्सर-प्रायः (Generally)। गायब = खो जाना (Last) गला भर आना = कुछ न कह पाना (Choaked throat)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

HBSE 6th Class Hindi ऐसे-ऐसे Textbook Questions and Answers

एकांकी से

प्रश्न 1.
‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है- उस पर एक फोन रखा है। इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ।
उत्तर :
बैठक के फर्श पर कालीन बिछा है। इसके ऊपर सोफा-सैट रखा है। कोने में तिपाही पर फूलदान सजा है। दूसरे कोने में टेबल लैंप रखा है। कमरे के बीच में शीशे की मेज रखी है। मेज पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी हैं। दीवार पर दो सुंदर पेंटिंग टॅगी हुई हैं। छत पर झाड़-फानूस टॅगा है।

प्रश्न 2.
माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?
उत्तर :
माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर इसलिए घबरा रही थी क्योंकि वह अपनी बेचैनी दर्शा रहा था। माँ को लग रहा था कि उसका पेट-दर्द निरंतर बढ़ता चला जा रहा है। माँ अज्ञात आशंका से घबरा रही थी।

प्रश्न 3.
ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं ? कुछ बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर :
बच्चे प्राय: निम्नलिखित बहाने बनाते हैं-

  • पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा है।
  • सिर में बहुत दर्द है, फटा जा रहा है।
  • उलटी आ रही है।
  • चक्कर आ रहे हैं।

मास्टरजी इन बहानों को भली प्रकार जानते हैं।

भाषा की बात

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया ?
(घ) मोहन, केला और संतरा खाओ।
उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।

दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आवेशवाचक वाक्य कहते हैं। नीचे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो।
उत्तर:
बताना : रूथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
नहीं/मना करना : रूथ कपड़े अलमारी में मत रखो।
पूछना : रूथ, क्या कपड़े अलमारी में रख दिए?
आदेश देना : रूथ, कपड़े अलमारी में रखो।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 ऐसे-ऐसे

HBSE 6th Class Hindi ऐसे-ऐसे Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इस पाठ में बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर :
बच्चे स्कूल का काम न करने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। वे काम से बचना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया ?
उत्तर :
मोहन के पड़ोसी दीनानाथ वैद्यजी को बुलाकर लाए।

प्रश्न 3.
मोहन की माँ यह क्यों कहती है- “हँसी की हँसी, दुख का दुख’?
उत्तर :
मोहन की माँ बार-बार मोहन से उसके पेट-दर्द के बारे में पूछती है। वह हर बार यही कहता है-बड़ी जोर से ‘ऐसे-ऐसे’ होता है। माँ उसकी बात सुनकर परेशान भी होती है और हँस भी पड़ती है। वह बेटे के दुख से दुखी होती है। इसी मन:स्थिति में वह कहती है-हँसी की हँसी, दुख का दुख। यह उसे अजीब बीमारी लगती है।

प्रश्न 4.
मोहन के पेट-दर्द को जानने के लिए उसके पिता उससे क्या-क्या प्रश्न करते हैं?
उत्तर :
मोहन के पिता मोहन के पेट-दर्द का स्वरूप जानने के लिए उससे निम्नलिखित प्रश्न करते हैं-

  • अरे, गड़गड़ होती है?
  • चाकू-सा चुभता है?
  • गोला-सा फूटता है?

प्रश्न 5.
वैद्यजी पेट-दर्द का क्या कारण बताते हैं?
उत्तर :
वैद्यजी बताते हैं-वात का प्रकोप है, कब्ज है। पेट साफ नहीं हुआ है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है।

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प्रश्न 6.
डॉक्टर मोहन के पेट-दर्द का क्या निदान करते हैं?
उत्तर :
डॉक्टर मोहन की जीभ देखता है और कब्ज तथा बदहजमी बताता है। उसके उनुसार पेट में हवा ने रुककर फंदा डाल लिया अतः ऐंठन है। एक खुराक दवा पीने से तबीयत ठीक हो जाएगी। गरम पानी की बोतल से सेंक करने को भी कहा।

प्रश्न 7.
मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ दर्द को सही रूप में किसने पहचाना और क्या उपाय बताया?
उत्तर :
मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ दर्द को सही रूप में उसके मास्टर जी ने पहचाना। उन्होंने मोहन से प्रश्न करके जान लिया कि मोहन ने गृहकार्य नहीं किया। वह महीने भर तक मौज-मस्ती करता रहा। अब वह डर के मारे पेट-दर्द का बहाना कर रहा है। इसका उपाय यह बताया कि मोहन को दो दिन की छुट्टी मिलेगी ताकि वह अपना काम पूरा कर सके। मोहन का ‘ऐसे-ऐसे’ पेट-दर्द नहीं, बल्कि स्कूल का काम न करने का डर है।

प्रश्न 8.
इस पाठ में बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर :
बच्चे स्कूल का काम न करने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। वे काम से बचना चाहते हैं।

प्रश्न 9.
वैद्यजी को बुलाकर कौन लाया?
उत्तर :
मोहन के पड़ोसी दीनानाथ वैद्यजी को बुलाकर लाए।

प्रश्न 10.
मोहन ने क्या बहाना बनाया?
उत्तर :
मोहन ने स्कूल न जाने के लिए बहाना बनाया कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे’ दर्द हो रहा है।

प्रश्न 11.
माँ ने वैद्यजी के आने से पहले-पहले मोहन को क्या-क्या चीजें दी?
उत्तर :
माँ ने मोहन को हींग, चूरन, पिपरमेंट आदि चीजें दीं।

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प्रश्न 12.
पड़ोसिन दर्द के बारे में क्या कहती है?
उत्तर :
इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं। नए-नए बुखार निकल आए हैं। राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।

प्रश्न 13.
मास्टर जी ने मोहन से क्या पूछा?
उत्तर :
मोहन, एक बात तो बताओ। स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?

प्रश्न 14.
अंत में माँ ने मोहन पर क्या व्यंग्य किया?
उत्तर :
मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।

ऐसे-ऐसे Summary in Hindi

ऐसे-ऐसे एकांकी का सार

[सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है, दूसरा अंदर के कमरे में, तीसरा रसोईघर में। अलमारियों में पुस्तकें लगी हैं। एक ओर रेडियो का सेट है। दो और दो छोटे तख्त हैं, बीच में कुरसियाँ हैं। एक छोटी मेज भी है। उस पर फोन रखा है। परदा उठने पर-मोहन एक तख्त पर लेटा है। आठ-नौ वर्ष के लगभग उम्र होगी उसकी। तीसरी क्लास में पढ़ता है। इस समय बड़ा बेचैन जान पड़ता है। बार-बार पेट को पकड़ता है। उसके माता-पिता पास बैठे हैं।]

माँ बेटे को पेट पकड़ने से मना करती है तथा कहती है कि डॉक्टर को बुलाया है, तब तक सेंक कर ले। पिता बताता है कि बेटे ने केवल एक केला और संतरा ही खाया है। दफ्तर में तो ठीक था, बस चलते समय कहने लगा कि पेट में कुछ ऐसे-ऐसे’ हो रहा है। पेट में चाकू-सा चुभता है। बच्चा बेहाल हुआ जाता है। तभी डॉक्टर के फोन की घंटी बजती है। पिताजी मोहन के बारे में जानकारी देते हैं। डॉक्टर चल पड़ते हैं। तभी पड़ोसी दीनानाथ आते हैं।

दीनानाथ आकर बताते हैं कि वे वैद्यजी से कह आए हैं, बस आते ही होंगे। वैद्यजी आ जाते हैं। पिता मोहन के दर्द के बारे में बताते हैं तो वैद्यजी कहते हैं कि बच्चा सही बात बता नहीं पा रहा है कि वात का प्रकोप है। इसका पेट भी साफ नहीं है। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है। अभी पुड़िया भेजता हूँ। आध-आध घंटे बाद गरम पानी से दे देना। दो-तीन दस्त होंगे और पेट का दर्द भाग जाएगा।

तभी डॉक्टर का प्रवेश होता है। डॉक्टर भी पेट दबाते हैं तथा जीभ देखते हैं। वे बताते हैं कि कब्ज लगती है, कुछ बदहजमी भी है। दवा भेजता हूँ, एक ही खुराक पीने से तबीयत ठीक हो जाएगी। कभी-कभी हवा रुक जाती है और फंदा डाल लेती है। उसी की ऐंठन है। गरम पानी की बोतल से सेंक दीजिए। तभी पड़ोसिन आती है। इसके बाद मास्टरजी आते हैं। वे कहते हैं- दादा, कल तो स्कूल जाना है। तुम्हारे बिना क्लास में रौनक नहीं रहेगी। वे बताते हैं कि मोहन की दवा वैद्य और डॉक्टर के पास नहीं है।

वे मोहन से कहते हैं कि बेशक कल स्कूल मत आना, पर स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है न? मोहन बताता है कि उसके कुछ सवाल रह गए हैं। मास्टरजी समझ गए कि दर्द का बहाना यही बात है। यह ‘ऐसे-ऐसे’ काम न करने का डर है। मोहन मुंह छिपा लेता है। मास्टरजी हँसकर बताते हैं कि मोहन ने महीना भर मौज-मस्ती की। स्कूल का काम पिछड़ गया। डर के मारे इसके पेट में ‘ऐसे-ऐसे होने लगा। इसे दो दिन की छुट्टी मिलेगी।

इसमें यह काम पूरा कर लेगा और इसका दर्द “ऐसे-ऐसे’ अपने आप भाग जाएगा। माँ कहती है- अरे मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है। हमारी तो जान निकल गई, ऊपर से 15-20 रुपये खर्च हो गए सो अलग। वह मोहन के पिता को बताती है कि इसे पेट-दर्द नहीं, स्कूल के काम न करने का डर है। सब हँस पड़ते हैं।

ऐसे-ऐसे शब्दार्थ

गलीचा = सूत या ऊन के धागे से बुना हुआ कालीन (Carpet)। अंट-शंट = फालतू चीजें (Useless things)। गड़-गड़ = गरजने की आवाज (Sound)। बला = कष्ट (Difficulty)। भला-चंगा = स्वस्थ, तंदरुस्त, अच्छा = खासा (Healthy)। गुलजार = चहल-पहल वाला (Hastle and Bustle)। धमा = चौकड़ी-उछल-कूद, कूद-फाँद, उधम (Up and down)। वात = शरीर में रहने वाली वायु के बढ़ने से होने वाला रोग (A disease)। प्रकोप = बीमारी का बढ़ना (Increase of disease)। तबीयत = शरीर या मन की स्थिति (Position of bocty and mind)। बदहजमी = अपच, अजीर्ण (Indisation)। रौनक = चहल-पहल (Glamour)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

HBSE 6th Class Hindi साथी हाथ बढ़ाना Textbook Questions and Answers

गीत के बारे में

प्रश्न 1.
यह गीत किसको संबोधित है?
उत्तर:
यह गीत सभी लोगों को संबोधित है, विशेषकर मजदूरों को।

प्रश्न 2.
इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
उत्तर:
इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं:
साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना। हम मेहनत वालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया। सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया। फौलादी हैं सीने अपने, फौलादी हैं बाँहें हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।

प्रश्न 3.
‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’ -साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
उत्तर:
साहिर ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि संगठित व्यक्तियों के सामने कोई भी मुसीबत टिक नहीं पाती। परिश्रमी लोगों ने सागर में रास्ता बनाया है तथा पर्वतों पर विजय प्राप्त की है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

प्रश्न 4.
गीत में सीने और बाँह को फौलादी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
सीने को फौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इससे इरादों की मजबूती का पता चलता है। बाँह को फौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इससे असीम कार्यक्षमता का पता चलता है। यह ताकत को दर्शाता है।

गीत से आगे

1. अपने आसपास तुम किसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे मिलते-जुलते दस शब्द अपने शब्द-भंडार में जोड़ो।
उत्तर:
अपने आसपास हम अपने मित्रों को अपना साथी मानते हैं, क्योंकि वे हर घड़ी में हमारा साथ देते हैं।
मिलते-जुलते शब्द:
साथी- हाथी, पालथी। मित्र, दोस्त, सहयोगी, सहपाठी।

2, ‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक’ कक्षा, मोहल्ले और गाँव के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम इस वाक्य की सच्चाई को महसूस कर पाते हो और कैसे?
उत्तर:
हमारी कक्षा, मोहल्ले और गाँव के उन साथियों के बीच हम इस वाक्य की सच्चाई को महसूस कर पाते हैं जो एक-दूसरे का साथ देने को सदा तत्पर रहते हैं। वे स्वयं कष्ट झेलकर भी दूसरों का साथ देते हैं। उनकी कथनी-करनी में कोई अंतर नहीं होता।

3. इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो?
उत्तर:
इस गीत को हम बाल-सभा, कक्षा, मोहल्ले के माहौल में गुनगुना सकते हैं।

4. ‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’
(क) तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
(ख) पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
(ग) क्या वे एक-दूसरे का हाथ बंटाते हैं?
उत्तर:
(क) घर में हम माँ का हाथ काम में बँटाकर इस बात का ध्यान रख सकते हैं।
(ख) पापा की चीजों को व्यवस्थित करके तथा माँ की रसोई तथा सफाई के काम करके।
(ग) हाँ, वे एक-दूसरे का हाथ बंटाते हैं।

5. यदि तुमने ‘नया दौर’ फिल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फिल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? फिल्म देखो और बताओ।
उत्तर:
यह एक यादगार पुरानी फिल्म है। इसे कभी दूरदर्शन पर देखा जा सकता है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

भाषा की बात

1. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ शब्दकोष में देखकर समझो और वाक्य के संदर्भ में उनका प्रयोग करो।
उत्तर:
(क) निम्नलिखित पंक्तियों में-

  • साथी हाथ बढ़ाना
    एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
  • एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया,
    एक से मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा,
    एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत,
    एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत।

(ख) अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता: अकेला व्यक्ति मुश्किल काम नहीं कर सकता।
वाक्य: अगर तुम मेरे साथ आ जाओ तो मैं व्यापार में सफलता पा सकता हूँ, क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।

एक-एक मिलकर ग्यारह होते हैं: एकता में बहुत ताकत होती है।
वाक्य: तुम्हारे साथ मिलकर मेरी ताकत बहुत बढ़ जाएगी, क्योंकि एक-एक मिलकर ग्यारह होते हैं।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

2. नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ:
(क) हाथ को हाथ न सूझना
(ख) हाथ साफ करना
(ग) हाथ-पैर फूलना
(घ) हाथों-हाथ लेना
(ङ) हाथ लगना।
उत्तर:
(क) हाथ को हाथ न सूझना: बहुत अंधेरा होना।
अमावस्या की रात को हाथ को हाथ नहीं सूझता।

(ख) हाथ साफ करना: गायब कर देना।
चोरों ने मेरे सारे माल पर हाथ साफ कर दिया।

(ग) हाथ-पैर फूलना: घबरा जाना।
घर पर पुलिस को आते देखकर मेरे हाथ-पैर फूल गए।

(घ) हाथों-हाथ लेना: स्वागत करना।
सरकार की घोषणा को लोगों ने हाथों-हाथ लिया।

(ङ) हाथ लगना: अचानक मिल जाना।
बताओ, तुम्हें इतना धन कहाँ से हाथ लगा?

HBSE 6th Class Hindi साथी हाथ बढ़ाना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इस कविता का प्रतिपाद्य क्या है?
उत्तर:
इस कविता का प्रतिपाद्य यह है कि हमें आपस में मिल-जुलकर काम करना चाहिए। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक भी सकता है। संगठन में बड़ी शक्ति है। इसके सामने बड़ी से बड़ी बाधा हार मान जाती है। हम सभी को सुख-दुख में भागीदार बनना चाहिए। सामूहिक परिश्रम से भाग्य को भी बदला जा सकता है।

प्रश्न 2.
जब मेहनत करने वाले मिल कर कदम बढ़ाते हैं तब क्या होता है?
उत्तर:
तब सागर रास्ता छोड़ देता है और पर्वत भी शीश झका देता है।

प्रश्न 3.
हमारी मंजिल सच और रास्ता केसा होना चाहिए?
उत्तर:
हमारी मंजिल सच और रास्ता नेक होना चाहिए।

प्रश्न 4.
‘साथी हाथ बढ़ाना’ का क्या आशय है?
उत्तर:
इसका आशय है, मिल-जुलकर आगे बढ़ना।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

साथी हाथ बढ़ाना काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा,
मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फौलादी हैं सीने अपने, फौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ: बोझ-भार (Burden)। कदम-पैर (Feet)। राह-रास्ता (Path)। सागर-समुद्र (Sea)। परबत-पर्वत (Mountain)। सीस-सिर (Head)। फौलादी-मजबूत (Strong)।

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ साहिर लुधियानवी के गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से अवतरित हैं। इनमें आपसी सहयोग की भावना पर बल दिया गया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हमें एक-दूसरे का साथ देने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक जाता है इसलिए मिलकर भार उठाना चाहिए। इससे काम आसान हो जाता है।

परिश्रम करने वाले लोगों ने जब-जब भी आपस में मिलकर कदम आगे बढ़ाया है, तब-तब उनके लिए समुद्र ने रास्ता छोड़ा है, पर्वतों ने अपना सिर झुका दिया है अर्थात् शक्ति और संगठन के सामने ताकतवर भी झुक जाते हैं। मिलकर काम करना सफलता की गारंटी देता है। तब व्यक्ति का सीना फौलाद की तरह मजबूत बन जाता है। संगठित व्यक्ति चट्टान को भेदकर भी रास्ता बना लेता है। अतः मिल-जुलकर काम करो।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. इस कविता के रचयिता का नाम लिखो।
2. मिलकर बोझ उठाने की बात क्यों कही गई है?
3. जब मेहनत करने वाले मिल-जुलकर कदम बढ़ाते हैं तब क्या होता है?
4. फौलादी इरादों वाले व्यक्ति क्या कुछ कर सकते हैं?
उत्तर:
1. कविता के रचयिता हैं-साहिर लुधियानवी।
2. मिलकर बोझ उठाने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि अकेला व्यक्ति थक जाता है।
3. जब मेहनतकश व्यक्ति मिल-जुलकर कदम बढ़ाते हैं तब समुद्र भी रास्ता छोड़ देता है और पर्वत भी सीस झुका देता है अर्थात् बड़ी-बड़ी विघ्न-बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं।
4. फौलादी इरादे वाले व्यक्ति चट्टानों को फोड़कर भी रास्ता बना लेते हैं अर्थात् असंभव को संभव बना देते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए:

1. इस कविता में क्या प्रेरणा दी गई है?
(क) मिल जुलकर कदम बढ़ाने की
(ख) बोझ उठाने की
(ग) रास्ता छोड़ने की
(घ) न थकने की
उत्तर:
(क) मिल जुलकर कदम बढ़ाने की

2. मेहनत करने वालों के लिए कौन रास्ता छोड़ देता है?
(क) सागर
(ख) पर्वत
(ग) साथी
(घ) नदी
उत्तर:
(क) सागर

3. हमारे सीने कैसे हैं?
(क) कमज़ोर
(ख) फौलादी
(ग) चौड़े
(घ) छोटे
उत्तर:
(ख) फौलादी

4. ‘सागर’ का कौन-सा शब्द पर्यायवाची नहीं है?
(क) सिंधु
(ख) समुद्र
(ग) रवि
(घ) वारधि
उत्तर:
(ग) रवि
उत्तर:
(ग) रवि

2. मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर. की, आज अपनी खातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल, अपना रस्ता नेक साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ: लेख-भाग्य का लिखा (Fortune)। गैरों-दूसरों (Others)। खातिर के लिए (For)। मंजिल-ध्येय (Aim)। रस्ता-रास्ता (Path)। नेक-भला (Good)।

प्रस्तुत: प्रस्तुत काव्यांश साहिर लुधियानवी के गीत ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से लिया गया है। इसमें मेहनत करने पर बल दिया गया है।

व्याख्या:
कवि बताता है कि परिश्रम करना तो हमारे भाग्य में लिखा है। इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। कल तक तो हम दूसरों के लिए मेहनत करते रहे हैं, अब हमें अपने लिए मेहनत करनी है। हमारा सुख-दुख एक-दूसरे के साथ है। हमारा लक्ष्य तो सत्य की प्राप्ति है। हमारा उस लक्ष्य को पाने का रास्ता भी भला है। हमें इस ध्येय को पाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। मेहनत से ही हमारी किस्मत बदलेगी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मजदूर किस बात से नहीं डरता?
2. कल तक किसके लिए मेहनत करता था और अब किसके लिए करेगा?
3. सुख-दुख के बारे में क्या कहा गया है?
4. हमारा रास्ता केसा है?
उत्तर:
1. मजदूर मेहनत करने से नहीं डरता। यह तो उनके भाग्य में लिखा है।
2. मजदूर कल तक दूसरों के लिए मेहनत करता था और अब वह अपनी खातिर करेगा।
3. सभी साथियों के सुख-दुख अपने ही हैं। सब एक समान हैं।
4. हमारा अर्थात् मजदूर का रास्ता नेक है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. मेहनत को क्या बताया गया है?
(क) भाग्य की रेखा
(ख) सदाचार
(ग) दुर्भाग्य
(घ) दुख
उत्तर:
(क) भाग्य की रेखा

2. ‘गैर’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी (आगत)
उत्तर:
(घ) विदेशी (आगत)

3. मंजिल को कैसी बताया गया है?
(क) सच की
(ख) मेहनत की
(ग) झूठ की
(घ) परिश्रम की
उत्तर:
(क) सच की

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना

3. एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो जर्रा, बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
एक से एक मिल तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत साथी हाथ बढ़ाना।

शब्दार्थ: कतरा-बूंद (Drop)। दरिया-नदी (River)। जर्रा-रेत का कण (Small piece of sand)। सेहरा-रेगिस्तान (Desert)। राई-छोटा दाना (Small peace)। परबत-पहाड़ (Mountain)। इंसाँ-इंसान/आदमी (Man)। किस्मत-भाग्य (Luck)।

प्रसंग: प्रस्तुत काव्यांश प्रसिद्ध गीतकार साहिर लुधियानवी द्वारा रचित ‘साथी हाथ बढ़ाना’ से अवतरित है। छोटी-छोटी वस्तुएँ मिलकर बड़ा रूप ले लेती हैं।

व्याख्या:
कवि एकता का महत्त्व बताते हुए कहता है कि पानी की एक-एक बूंद मिलकर नदी का रूप लेती है। रेत का एक-एक कण मिलकर रेगिस्तान बन जाता है। एक-एक राई मिलकर पहाड़ बन जाता है। इसी प्रकार यदि मनुष्य आपस में मिल जाएँ तो वे भाग्य को भी अपने वश में कर सकते हैं। इसके लिए एक-दूसरे का सहयोग करना होगा।

साथी हाथ बढ़ाना Summary in Hindi

साथी हाथ बढ़ाना कविता का सार

इस गीत में साहिर लुधियानवी ने आपस में मिल-जुलकर काम करने की प्रेरणा दी है। यह फिल्म में भी गाया गया था। कवि बताता है कि अकेला व्यक्ति तो काम करते हुए थक जाता है अतः हमें एक-दसरे का काम में हाथ बंटाना चाहिए। मिलकर बोझ उठाने से काम का बोझ घट जाता है। जब-जब मेहनत करने वालों ने काम करने के लिए अपना कदम आगे की ओर बढ़ाया है, तब-तब सारी मुसीबतों को पीछे हटना पड़ा है।

सामूहिक रूप से काम करने पर व्यक्ति में असीम ताकत का संचार हो जाता है। हमें मेहनत करने से नहीं डरना चाहिए। कल तक हम दूसरों के लिए काम करते थे, आज अपने लिए भी करना होगा। सभी साथियों का सुख-दुख साँझा है। हमें अपनी मंजिल पर निरंतर आगे बढ़ते चले जाना है। एक-एक बूंद पानी मिलने से नदी बन जाती है। थोड़ी-थोड़ी चीज जोड़ने से बड़ा संग्रह हो जाता है। हम अपने परिश्रम से अपने भाग्य को भी नियंत्रण में ला सकते हैं।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 6 पार नज़र के

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 6 पार नज़र के Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 6th Class Hindi पार नज़र के Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
छोटू का परिवार कहाँ रहता था ?
उत्तर :
छोटू का परिवार जमीन के नीचे बसी कॉलोनी के एक मकान में रहता था।

प्रश्न 2.
छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत क्यों नहीं थी ? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर :
छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत इसलिए नहीं थी क्योंकि वह एक गुप्त रास्ता था। कुछ चुनिंदा लोग ही इस सुरंगनुमा रास्ते का प्रयोग कर सकते थे। छोटू के पापा भी उनमें से एक थे।

प्रश्न 3.
कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ क्या हरकत की?
उत्तर :
छोटू ने कंट्रोल रूम में एक कॉन्सोल देखा। उस पर कई बटन लगे थे। छोटू का सारा ध्यान कॉन्सोल पर था। उसका मन कॉन्सोल का लाल बटन दबाने को कर रहा था। उसने उस बटन को दबाने की हरकत कर ही दी। छोटू के पापा ने उसे एक झापड़ रसीद कर दिया।

प्रश्न 4.
इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। यह सब नष्ट कैसे हो गया ? इसे लिखो।
उत्तर :
एक समय था जब अपने मंगल ग्रह पर सभी लोग जमीन के ऊपर ही रहते थे। बगैर किसी तरह के यंत्रों की मदद के, बगैर किसी खास किस्म की पोशाक के, हमारे पुरखे जमीन के ऊपर रहा करते थे, लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। कई तरह के जीव जो धरती पर रहा करते थे. एक के बाद एक सब मरने लगे।

इस परिवर्तन की जड़ में था-सूरज में हुआ परिवर्तन। सूरज से हमें रोशनी मिलती है, ऊष्णता मिलती है। इन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता है। सूरज में परिवर्तन होते ही यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा अन्य जीव अक्षम साबित हुए और सब कुछ नष्ट हो गया।

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प्रश्न 5.
कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों ?
उत्तर :
कहानी में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से वैज्ञानिकों ने भेजा था। इसका नाम वाइकिंग था। इसे नासा से भेजा गया था। इसे मंगल ग्रह की मिट्टी लाने के लिए भेजा गया था ताकि उसका अध्ययन किया जा सके।

प्रश्न 6.
नंबर एक, नंबर दो तथा नंबर तीन अजनबियों से निपटने के कौन-से तरीके सुझाते हैं और क्यों ?
उत्तर :
नंबर एक सुझाता है कि हम अंतरिक्ष यानों को जला सकते हैं, पर इनमें केवल यंत्र हैं. कोई जीव सवार नहीं है, अतः कोई हानि नहीं है। नंबर दो एक वैज्ञानिक थे। वे बोले, “हालाँकि यंत्रों को बेकार कर देने में भी खतरा है। इनके बेकार हो जाते ही परग्रहस्थ जीव हमारे बारे में जान जाएंगे। इसलिए मेरी राय में सिर्फ हमें अवलोकन करते रहना चाहिए।”

नंबर तीन वैज्ञानिक की राय थी- “जहाँ तक हो सके, हमें अपने अस्तित्व को छुपाए ही रखना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि जिन लोगों ने ये अंतरिक्षयान भेजे हैं, वे कल को इनसे भी बड़े सक्षम अंतरिक्षयान भेजें। हमें यहाँ का प्रबंध कुछ इस तरह रखना चाहिए जिससे इन यंत्रों को यह गलतफहमी हो कि इस जमीन पर कोई भी चीज इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं है कि जिससे वे लाभ उठा सके। अध्यक्ष महोदय से मैं यह दरख्वास्त करता हूँ कि इस तरह का प्रबंध हमारे यहाँ किया जाए।” नंबर तीन सामाजिक व्यवस्था का काम देखते थे।

कहानी से आगे

1. (क) दिलीप एम, साल्वी
(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर
(ग) आइजक ऐसीमोव
(घ) आर्थर क्लार्क।
ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ इकट्ठा करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ। इन कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो। कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकालो, जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।
उत्तर :
पुस्तकालय से वैज्ञानिकों से संबंधित पुस्तकें लेकर पढ़ें।

2. इस पाठ में अंतरिक्ष यान अजनबी बनकर आता है। ‘अजनबी’ शब्द पर सोचो। इंसान भी कई बार अजनबी माने जाते हैं और कोई जगह या शहर भी। क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है ? नए स्कूल का पहला अनुभव कैसा था ? क्या उसे भी अजनबी कहोगे ? अगर हाँ, तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ ? इस पर सोचकर कुछ लिखो।
उत्तर :
हाँ, नए स्कूल का पहला अनुभव बड़ा रोचक था। पहले तो मैं अपने स्कूल में अजनबी बालकों को देखकर घबरा गया। सब अजनबी थे। तभी एक सुंदर-सी बालिका आई. जो मुझे मैडम के पास ले गई। मैडम ने मुझे प्यार किया और खाने को चॉकलेट दी। तब मेरा डर मिट गया। अजनबी बालक भी अच्छे लगने लगे।

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भाषा की बात

1. सिक्योरिटी-पास उठाते ही दरवाजा बंद हो गया। इस बात को हम निम्नलिखित तरीके से भी कह सकते हैं- जैसे ही कार्ड उठाया, दरवाजा बंद हो गया। ध्यान दो, दोनों वाक्यों में क्या अंतर है। ऐसे वाक्यों के तीन जोड़े तुम स्वयं सोचकर लिखो।
उत्तर :
1. मेरे आते ही राम चला गया।
जैसे ही मैं आया, राम चला गया।

2. डॉक्टर के आते ही मरीज मर गया।
जैसे ही डॉक्टर आया, मरीज मर गया।

3. सीटी बजाते ही रेलगाड़ी चल दी।
जैसे ही सीटी बजी, रेलगाड़ी चल दी।

2. छोटू ने चारों तरफ नजर दौड़ाई।
छोटू ने चारों तरफ देखा।
उपर्युक्त वाक्यों में समानता होते हुए भी अंतर है।
वाक्यों में मुहावरे विशिष्ट अर्थ देते हैं। नीचे दिए गए वाक्यांशों में ‘नजर’ के साथ अलग-अलग क्रियाओं का प्रयोग हुआ है। इनका वाक्यों या उचित संदर्भो में प्रयोग करो।
नजर पड़ना
नजर रखना
नजर आना
नजरें नीची होना
उत्तर :
उस सुंदर वस्तु पर मेरी नजर पड़ी।
तुम्हारी शरारत मेरी नजर में आ गई है।
पुलिस तुम पर नजर रखती है।
तुम्हारी काली करतूत से मेरी नजरें नीची हो गई हैं।

3. नीचे दो-दो शब्दों की कड़ी दी गई है। प्रत्येक कड़ी का एक शब्द संज्ञा है और दूसरा शब्द विशेषण है। वाक्य बनाकर समझो और बताओ कि इनमें से कौन से शब्द संज्ञा हैं और कौन से विशेषण।
आकर्षण आकर्षक
प्रभाव प्रभावशाली
प्रेरणा प्रेरक
उत्तर :
संज्ञा – विशेषण
आकर्षण – आकर्षक
प्रेरणा – प्रेरक
प्रभाव – प्रभावशाली

4. पाठ से फ और ज वाले (नुक्ते वाले) चार-चार शब्द छाँटकर लिखो। इस सूची में तीन-तीन शब्द अपनी ओर से भी जोड़ो।
उत्तर :
फ़ – तरफ, फरमा, सफर, सिर्फ
ज – जमीन, राज, नजर, दरवाजा अपनी ओर से-
ज – ज़रूरी, राज, ज़हीन, सजा
फ़ – फ़रमान, रफ्तार, फ़ानूस।

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HBSE 6th Class Hindi पार नज़र के Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
छोटू के पापा सुरंग में जाते समय किस प्रकार की वेशभूषा पहनकर जाते थे ?
उत्तर :
छोटू के पापा ने छोटू को बताया- “मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर जाता हूँ। इस स्पेस-सूट से मुझे ऑक्सीजन मिलती है, जिससे मैं साँस ले सकता हूँ। इसी स्पेस सूट की वजह से बाहर की ठंड से मैं अपने आप को बचा सकता हूँ। खास किस्म के जूतों की वजह से जमीन के ऊपर मेरा चलना मुमकिन होता हैं जमीन के ऊपर चलने-फिरने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रश्न 2.
एक दिन छोटू के पापा ने कंट्रोल रूम में क्या देखा?
उत्तर :
एक दिन छोटू के पापा काम घर चले गए। देखा तो कंट्रोल रूम का वातावरण बदला-बदला-सा था। शिफ्ट खत्म कर घर जा रहे स्टाफ के प्रमुख ने टी. वी. स्क्रीन की तरफ इशारा किया। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। वह बताने लगा- “यह कोई आसमान का तारा नहीं है क्योंकि कंप्यूटर से पता चल रहा है कि यह अपनी जगह अडिग नहीं रहा है। पिछले कुछ घंटों के दौरान इसने अपनी जगह बदली है। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की तरफ बढ़ता चला आ रहा है।” उन्हें लगा कि कहीं यह अंतरिक्ष यान तो नहीं है।

प्रश्न 3.
अध्यक्ष ने भाषण में क्या कहा ?
उत्तर :
कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा में अध्यक्ष ने भाषण देते हुए कहा- “हाल ही में मिली जानकारी से पता चलता है कि दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरफ बढ़ते चले आ रहे हैं। इनमें से एक अंतरिक्ष यान हमारे गिर्द चक्कर काट रहा है। दूसरा अभी दूर है। मगर इसी तरफ बढ़ता चला आ रहा है। कंप्यूटर के अनुसार ये अंतरिक्ष यान नजदीक के ही किसी ग्रह से छोड़े गए हैं। ऐसी हालत में हमें क्या करना चाहिए-इसकी कोई सुनिश्चित योजना बनानी जरूरी है।”

प्रश्न 4.
कॉलोनी की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी किस पर थी? उन्होंने अंतरिक्ष यान के बारे में क्या विचार प्रकट किए ?
उत्तर :
कॉलोनी की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी नंबर एक पर थी, उन्होंने कुछ कागज समेटते हुए बोलना आरंभ किया, “इन दोनों अंतरिक्ष यानों को जलाकर खाक कर देने की क्षमता हम रखते हैं। मगर इससे हमें कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकेगी।

अंतरिक्ष यान बेकार कर, जमीन पर उतरने पर मजबूर कर देने वाले यंत्र हमारे पास नहीं हैं। हालाँकि, अगर ये अंतरिक्ष यान खुद-ब-खुद जमीन पर उतरते हैं, तो उन्हें बेकार कर देने की क्षमता हममें अवश्य है। मेरी जानकारी के अनुसार इन अंतरिक्ष यानों में सिर्फ यंत्र हैं। किसी तरह के जीव इनमें सवार नहीं हैं।”

प्रश्न 5.
छोटू के पापा के मन में अंतरिक्ष यान को लेकर क्या-क्या प्रश्न उठ रहे थे ?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान को लेकर छोटू के पापा के मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे। क्या सचमुच अंतरिक्ष यान होगा ? कहाँ से आ रहा होगा? सूर्यमाला में हमारी धरती के अलावा और कौन से ग्रह पर जीवों का अस्तित्व होगा ? कैसे हो सकता है और अगर होगा भी तो क्या इतनी प्रगति कर चुका होगा कि अंतरिक्ष यान छोड़ सके? वैसे तो हमारे पूर्वजों ने भी अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों का प्रयोग किया था।

मगर अब हमारे लिए यह असंभव है। उसके लिए आवश्यक मात्रा में ऊर्जा तो हो। काश! इस नए मेहमान को नजदीक से देखा जा सकता। हाँ, अगर वह इसी तरफ आ रहा होगा, तब तो यह संभव हो सकेगा।

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प्रश्न 6.
यांत्रिक हाथ क्या था ? वह क्या कर लेना चाहता था ?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान का एक हाथ (यांत्रिक हाथ) बाहर निकला हुआ था। वह बढ़ता ही चला जा रहा था। वह जमीन तक पहुँचकर वहाँ की मिट्टी उकेरकर ले जाना चाहता था। वह इसके लिए प्रयास कर रहा था। वह ऐसा करने में सफल भी हो गया।

प्रश्न 7.
एक दिन छोदू किस युक्ति से सुरंग में घुस गया?
उत्तर :
एक दिन छोटू के पापा घर पर आराम फरमा रहे थे। उनकी नजर बचाकर छोटू ने उनका सिक्योरिटी पास हथिया लिया और सुंरंग में घुस गया।

प्रश्न 8.
छोटू के सुरंग में प्रवेश करते ही क्या हुआ?
उत्तर :
उसके प्रवेश करते ही पहले निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्शाने वाली हरकत हुई, दूसरे यंत्र ने उसकी तस्वीर खीच ली और खतरे की सूचना दे दी गई।

प्रश्न 9.
छोटू के पापा क्या पहनकर काम पर जाते थे?
उत्तर :
वे एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर काम पर जाते थे।

प्रश्न 10.
अंतरिक्ष यान से क्या बाहर निकला?
उत्तर :
अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला।

प्रश्न 11.
नंबर एक वैज्ञानिक की जानकारी क्या थी?
उत्तर :
दोनों अंतरिक्ष यानों में सिर्फ यंत्र हैं। इनमें किसी तरह का कोई जीव सवार नहीं है।

प्रश्न 12.
फोन पर क्या सूचना आई थी?
उत्तर :
फोन पर सूचना आई थी कि अंतरिक्ष यान क्रमांक एक मंगल ग्रह की जमीन पर उतर चुका है।

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प्रश्न 13.
पापा ने छोटू को झापड़ क्यों रसीद किया
उत्तर :
छोटू ने कॉन्सोल का लाल बटन दबा दिया था जिससे सहसा खतरे की घंटी बज उठी थी।

प्रश्न 14,
पृथ्वी के वैज्ञानिक किसके लिए उत्सुक थे?
उत्तर :
पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी का अध्ययन करने के लिए बड़े उत्सुक थे।

पार नज़र के Summary in Hindi

पार नज़र के पाठ का सार

‘पार नजर के’ विज्ञान पर आधारित काल्पनिक कथा है। इसमें ऐसी स्थिति की परिकल्पना की गई है जब सूर्य अपना ताप और ऊर्जा देना बंद कर दे और लोगों को पृथ्वी के अंदर सुरंग बनाकर यंत्रों के सहारे जीवन बिताना पड़े। यंत्रों से संचालित और चारों ओर से सुरक्षित वहाँ का तंत्र-जाल अपने-आप में रोमांचकारी एवं विस्मय से पूर्ण है। इस कथा में वर्णित बातें काल्पनिक लग सकती हैं, लेकिन लगभग सौ साल पहले लिखी वैज्ञानिक-कथा में वर्णित कई बातें बाद में सच निकलीं।

छोटू के पापा एक सुरंगनुमा रास्ते में काम करते जाया करते थे। आम आदमी के लिए इस रास्ते से जाने की मनाही थी। कुछ चुने हुए लोग ही इस सुरंगनुमा रास्ते का इस्तेमाल कर सकते थे और छोटू के पापा इन्हीं चुनिंदा लोगों में से एक थे। वैसे तो उनकी पूरी कॉलोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। एक छुट्टी के दिन पापा घर में आराम फरमा रहे थे। चोरी-छिपे छोटू ने पापा का सिक्योरिटी पास हथिया लिया और चल दिया सुरंग की ओर।

भाषण में बताया कि जानकारी मिली है कि दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरफ बढ़े चले आ रहे हैं। एक हमारे गिर्द चक्कर काट रहा है, पर दूसरा अभी दूर है। अब हमें कोई सुनिश्चित योजना बनानी होगी। नंबर एक ने बताया कि हम इन दोनों अंतरिक्ष यानों को जलाकर खाक कर देने की क्षमता रखते हैं।

मगर इससे हमें कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकेगी। नंबर दो वैज्ञानिक ने भी इसकी बात का समर्थन किया। हमें अपने अस्तित्व को छिपाए रखना चाहिए। इन यंत्रों को यह गलतफहमी बनी रहे कि इस जमीन पर कोई भी चीज इतनी महत्वपूर्ण नहीं है जिससे वे लाभ उठा सकें।

अध्यक्ष कुछ बोलने ही जा रहे थे कि फोन की घंटी बजी। अध्यक्ष ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि अंतरिक्ष क्रमांक एक हमारी जमीन पर उतर चुका है। वह दिन छोटू के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। पापा उसे कंट्रोल रूम में ले गए थे। यहाँ से वह अंतरिक्ष यान साफ नजर आ रहा था। उसका निरीक्षण जारी है।

उन्होंने छोटू को एक कॉन्सोल दिखाया, जिस पर कई बटन थे। अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकल आया। उसकी लंबाई बढ़ती ही जा रही थी। वह जमीन तक पहुँचकर मिट्टी खोद लेना चाहता था। सभी कुछ स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था।

छोटू कॉन्सोल के एक बटन दबाने की इच्छा को रोक नहीं पाया। लाल बटन के दबते ही खतरे की घंटी बजी। उस अंतरिक्ष यान के यांत्रिक हाथ की हरकत अचानक रुक गई। यंत्र बेकार हो गया। नासा से सूचना प्रसारित हो गई कि अंतरिक्ष यान का एक हाथ बेकार हो गया है, उसे ठीक करने के प्रयास चल रहे हैं। हाथ को ठीक करने में सफलता मिल गई है। अब वह मंगल ग्रह की मिट्टी के विभिन्न नमूने इकट्ठे करने का काम कर रहा है। पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल की इस मिट्टी का अध्ययन करने को बड़े उत्सुक थे।

उन्हें लगता था कि इस मिट्टी के अध्ययन से पता लगाया जा सकेगा कि क्या मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की तरह जीव-सृष्टि का अस्तित्व है ? सूर्यमाला में स्थित सभी ग्रह अपनी अलग विशेषताएँ रखते हैं। पृथ्वी और मंगल ग्रह की स्थितियों में काफी समानताएँ हैं। इसलिए पृथ्वी के अलावा मंगल ग्रह पर ही जीव-सृष्टि की संभावना हो सकती है। मगर वाइकिंग मिशन ने इस जिज्ञासा का नकारात्मक उत्तर दिया। पृथ्वी स्थित वैज्ञानिकों को ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिसके आधार पर वे कह सकें कि मंगल ग्रह पर भी जीवन है।

सुरंगनुमा रास्ते के अंदर दीये जल रहे थे। दरवाजे में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला और तुरंत दरवाजा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। अंदर वाले खाँचे में सिक्योरिटी कार्ड आ पहुँचा था। छोटू ने कार्ड उठाया तो दरवाजा बंद हो गया। सुरंग में जगह-जगह लगाए गए निरीक्षक यंत्रों की जानकारी छोटू को नहीं थी।

उसके प्रवेश करते ही निरीक्षक यंत्र में संदेह की स्थिति दर्ज हुई। इतने छोटे कद का आदमी सुरंग में कैसे आया ? दूसरे निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तस्वीर खींच ली। तस्वीर की जाँच कर खतरे की सूचना दे दी गई। तभी सिपाही दौड़े और छोटू को पकड़कर वापस घर छोड़ आए। वो तो छोटू के पापा ने उसे बचा लिया वरना उसका बचना मुश्किल था।

छोटू ने पापा से पूछा- “आप वहाँ कैसे जाते हैं?” उसके पापा ने बताया कि मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस सूट पहनकर जाता हूँ। इससे मुझे ऑक्सीजन मिलती है और मैं बाहर की ठंड से बच जाता हूँ। मैं वहाँ खास किस्म के जूते पहनता हूँ। उसके पापा ने और भी बहुत कुछ बताया- एक समय था जब सभी लोग जमीन के ऊपर ही रहते थे।

उन्हें किसी खास पोशाक पहनने की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा और जीव मरने लगे। सूरज में भी परिवर्तन हुआ। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। बदली प्रकृति के रूप का सामना करने में पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और अन्य जीव अक्षम साबित हुए। केवल हमारे पूर्वजों ने इस स्थिति का सामना किया।

हमने अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर जमीन के नीचे अपना घर बना लिया। जमीन के ऊपर लगे यंत्रों के सहारे हम सूरज की गरमी और रोशनी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। इन यंत्रों के सहारे ही हम जीवन के नीचे रह रहे हैं। मुझ जैसे चुनिंदा लोग ही इन यंत्रों का ध्यान रखते हैं। दूसरे दिन छोटू के पापा काम पर चले गए तो वहाँ का वातावरण बदला-बदला सा था। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। कंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की ओर बढ़ता चला आ रहा था।

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छोटू के पापा सोचने लगे कि कहीं यह अंतरिक्ष यान तो नहीं है ? यह कहाँ से आ रहा होगा ? छोटू के पापा ने उसे देखना जारी रखा। कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा बुलाई गई। अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा- “दो अंतरिक्ष यान हमारे ग्रह की तरह बढ़ते चले आ रहे हैं। इनमें से एक यान हमारे इर्द-गिर्द चक्कर काट रहा है, दूसरा अभी दूर है- हमें इससे बचाव की कोई सुनिश्चित योजना बनानी है।”

उपस्थित लोगों में से एक ने सुझाव दिया कि अभी हमें इनका सिर्फ अवलोकन ही करना चाहिए। तभी सूचना मिली कि एक नंबर अंतरिक्ष यान ग्रह जमीन पर उतर गया है। अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। हाथ की लंबाई बढ़ती चली गई। वह जमीन पर पहुंचकर मिट्टी उकेर लेना चाहता था। तभी छोटू ने कॉन्सोल का लाल बटन दबा दिया।

इससे यांत्रिक हाथ की गति रुक गई। यांत्रिक हाथ को दुरुस्त करने के प्रयास किए जाने लगे। मिट्टी के अध्ययन से पता लगाया जाना था कि क्या मंगल ग्रह पर जीव-सृष्टि है ? मगर वाइकिंग मिशन ने नकारात्मक उत्तर दिया। ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिसके आधार पर कहा जा सके कि मंगल ग्रह पर भी जीवन है।

पार नज़र के शब्दार्थ

चुनिंदा = चुना हुआ (Selected)। सिक्योरिटी = सुरक्षा (Security)। हथियाना = कब्जा करना (To capture)। निरीक्षक = जाँच करने वाले (Supervisor)। संदेहास्पद = शक वाला (Doubtfully। गतिविधियाँ = हरकतें (Movements)। माहौल = वातावरण (Environment)। खैरियत = कुशलता (Well) लाजिमी = जरूरी (Compulsory)। स्पेस सूट = अंतरिक्ष में पहने जाने वाला वस्त्र (Space Suit)। मुमकिन = संभव (Possible)। प्रशिक्षण = ट्रेनिंग (Training)। परिवर्तन = बदलाव (Change)। अक्षम = अयोग्य (Incapable) संतुलन= तालमेल (Balance)। सतर्कता = सावधानी (Alertness)। मंशा = इरादा (Wish)। जाहिर = प्रकट (To express)। स्क्रीन = परदा (Screen)। अडिग = न हिलना-डुलना (Stable)। अस्तित्व = होना (Existence)। अवलोकन = देखना (ii. see)। सुनिश्चित = पक्की (Confirmed)। दरखास्त = आवेदन (Application)। हरकत = हलचल (Movement)। दुरुस्त करना = ठीक करना (To repair)। उकेरना = खोदकर निकालना (To dig)। वक्तव्य = कुछ कहना (Statement)। निर्धारित = निश्चित किया गया (Prescribed. Determined)। जिज्ञासा = जानने की इच्छा (Curiosity)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 6th Class Hindi अक्षरों का महत्व Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई?
उत्तर :
पाठ में ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि अक्षरों के साथ आदमी अपने विचार और हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। इसके साथ ही वह ‘सभ्य’ कहलाने लगा। इसी के साथ इतिहास लिखने का सिलसिला शुरू हुआ।

प्रश्न 2.
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर :
अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हजार साल पहले शुरू हुआ। अक्षर बनाने से पहले मनुष्य अपने भाव पशओं, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के माध्यम से प्रकट करता था। बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। इसके बाद अक्षरों की खोज हुई।

प्रश्न 3.
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था?
उत्तर :
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए निम्नलिखित माध्यमों का सहारा लेता था
1. पशुओं, पक्षियों और आदमियों के चित्र।
2. भाव-संकेत (जैसे सूर्य का चित्र)।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

प्रश्न 4.
‘भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में। बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।’ ऊपर की पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंधों के बारे में एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर :
भाषा का संबंध मूलतः ‘भाष’ या बोलने से है। अनपढ़ व्यक्ति भी भाषा के माध्यम से अपने विचार अभिव्यक्त कर सकता है। उसे अक्षर पहचानने न आते हों तब भी वह विचार प्रकट कर सकता है। भाषा के लिखित रूप का विकास बाद में हुआ। अक्षरों की आवश्यकता लिखित रूप में पड़ती है। यह रूप ‘लिपि’ कहलाता है। दोनों का घनिष्ठ संबंध है।

निबंध से आगे

1. अक्षरों के महत्त्व की तरह ध्वनि के महत्त्व के बारे में जितना जानते हो, उसे लिखो।
उत्तर :
ध्वनि का भी बहुत महत्त्व है। ध्वनि की सहायता से हम अक्षरों का उच्चारण करते हैं। भाषा के मौखिक रूप का प्रयोग ध्वनि से होता है। ध्वनि पहले थे, अक्षर बाद में बने। ध्वनि से अनपढ़ व्यक्ति भी अपनी बात कह सकता है। यह भावों की अभिव्यक्ति का मूल साधन है। अक्षर ध्वनि का ही अनुकरण करते हैं।

2. रेडियो की भाषा लिखित नहीं, मौखिक है। मौखिक भाषा का जीवन में क्या महत्त्व होता है? इसे शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर :
मौखिक भाषा का जीवन में बहुत महत्व है। मौखिक रूप भाषा का रूप मूल है, लिखित रूप तो बाद में विकसित हुआ। छोटा बच्चा, जो अक्षर नहीं जानता, अपनी बात मौखिक भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। मौखिक भाषा का प्रयोग शिक्षित-अशिक्षित सभी लोग करते हैं।

3. हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी-न-किसी वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है, लेकिन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है, क्यों? पता करो और शिक्षक को बताओ।
उत्तर :
अक्षरों के साथ किसी वैज्ञानिक या आविष्कारक का नाम नहीं जुड़ा है। अक्षरों का विकास अनेक वर्षों के प्रयास एवं अभ्यास के फलस्वरूप हुआ। इसे किसी एक व्यक्ति ने एक समय में नहीं किया, अत: इसके साथ किसी वैज्ञानिक का नाम नहीं जुड़ पाया।

4. एक भाषा को कई लिपियों में लिखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। आगे कुछ शब्द दिए गए हैं, जैसे-भारत, गांधी, भाषा। इन्हें एक से अधिक लिपियों में लिखो।
उत्तर :
भारत : को रोमन लिपि में Bharat तथा देवनागरी लिपि में ‘भारत’ लिखा जा सकता है।
गाँधी : रोमन लिपि में Gandhi तथा देवनागरी लिपि में गाँधी।
भाषा : रोमन लिपि में Bhasha तथा देवनागरी लिपि में भाषा।

भाषा की बात

अनादि काल में रेखांकित शब्द का अर्थ है जिसकी कोई शुरुआत या आदि न हो। नीचे दिए शब्द भी मूल शब्द के शुरू में कुछ जोड़ने से बने हैं। इसे उपसर्ग कहते हैं। इन उपसर्गों को अलग करके लिखो और मूल शब्दों को लिखकर उनका अर्थ समझो
असफल ……….
अदृश्य ……….
अनुचित ………..
अनावश्यक …………..
अपरिचित ……….
अनिच्छा ………
उत्तर :

उपसर्गमूल शब्दप्रत्यय
असफलअ, सफल
अदृश्यदृश्य
अनुचितअन्उचित
अनावश्यकअन्अवश्य + अक + इत
अपरिचितपरिचय
अनिच्छाअन्इच्छा + इत

(क) अब बताओ कि ये उपसर्ग जिन शब्दों के साथ जुड़ रहे हैं, क्या उनमें कोई अंतर है।
उत्तर :
इन उपसर्गों के जुड़ने से शब्दों के अर्थ उलटे हो गए हैं।

(ख) उपर्युक्त शब्दों से वाक्य बनाओ और समझो कि ये संज्ञा हैं या विशेषण। वैसे तो संख्याएँ संज्ञा होती हैं पर कभी-कभी ये विशेषण का काम भी करती हैं, जैसे नीचे लिखे वाक्य में-
उत्तर :

  • हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।
  • कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया।

इन वाक्यों में रेखांकित अंश ‘साल’ संज्ञा के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं, इसलिए संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण का इस्तेमाल उन्हीं चीजों के लिए होता है जिन्हें गिना जा सके। जैसे-चार संतरे, पाँच बच्चे, तीन शहर आदि। पर यदि किसी चीज को गिना नहीं जा सकता तो उसके साथ संख्या वाले शब्दों के अलावा माप-तौल आदि के शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है

  • तीन जग पानी
  • एक किलो जीरा

यहाँ रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं क्योंकि इनका संबंध माप-तौल से है। अब नीचे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बॉक्स में दिए गए माप-तौल के उचित शब्द छाँटकर लिखो।
प्याला, कटोरी, एकड़, मीटर, लीटर, किलो, चम्मच

तीन …….. खीर
दो …….. जमीन
छ ……… कपड़ा
एक ……… रेत
दो ….. कॉफी
पाँच …….. बाजरा
एक …….. दूध
तीन ……… तेल
उत्तर :
तीन कटोरी खीर
दो एकड़ जमीन
छह मीटर कपड़ा
एक ट्रक रेत
दो प्याला कॉफी
पाँच किलो बाजरा
एक लीटर दूध
तीन चम्मच तेल

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

HBSE 6th Class Hindi अक्षरों का महत्व Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पुराने जमाने में लोग अक्षरों के बारे में क्या सोचते थे? पर सच्चाई क्या है?
उत्तर :
पुराने जमाने के लोग सचमुच ही सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। पर आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं, बल्कि स्वयं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किन अक्षरों की खोज किस देश में किस समय हुई।

प्रश्न 2.
हमारी धरती कितनी पुरानी है?
उत्तर :
हमारी यह धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज्य रहा। आदमी ने इस धरती पर कोई पाच लाख साल पहले जन्म लिया। धीरे-धीरे उसका विकास हुआ।

प्रश्न 3.
प्रागैतिहासिक मानव ने कैसे अपने भाव व्यक्त किए, फिर इसमें क्या विकास हुआ?
उत्तर :
इतिहास से पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ कहते हैं। प्रागैतिहासिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के जरिए अपने भाव व्यक्त किए। जैसे-पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। इन चित्र-संकेतों से बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। जैसे-एक छोटे वृत्त के चहुँ ओर किरणों की द्योतक रेखाएँ खींचने पर वह ‘सुर्य’ का चित्र बन जाता था।

बाद में यही चित्र ‘ताप’ या ‘धूप’ का द्योतक बन गया। इस तरह अनेक भाव-संकेत अस्तित्व में आए। तब जाकर काफी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज के सिलसिले को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं।

प्रश्न 4.
मनुष्य की सबसे बड़ी खोज क्या है?
उत्तर :
अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। इस प्रकार, एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हजार सालों में मानव-जाति का तेजी से विकास हुआ।

प्रश्न 5.
‘भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में। बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।’ ऊपर की पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंधों के बारे में एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर :
भाषा का संबंध मूलतः
‘भाषा’ या बोलने से है। अनपढ़ व्यक्ति भी भाषा के माध्यम से अपने विचार अभिव्यक्त कर सकता है। उसे अक्षर पहचानने न आते हों तब भी वह विचार प्रकट कर सकता है। भाषा के लिखित रूप का विकास बाद में हुआ। अक्षरों की आवश्यकता लिखित रूप में पड़ती है। यह रूप ‘लिपि’ कहलाता है। दोनों का घनिष्ठ संबंध है।

प्रश्न 6.
हमरी धरती कितनी पुरानी है?
उत्तर :
हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।

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प्रश्न 7.
आदमी इस धरती पर कब आया?
उत्तर :
आदमी इस धरती पर पाँच लाख साल पहले आया।

प्रश्न 8.
आदमी ने धरती पर गाँवों को बसाना कब शुरू किया?
उत्तर :
आदमी ने धरती पर कोई दस हजार साल पहले गाँवों को बसाना शुरू किया।

प्रश्न 9.
अक्षरों की खोज को कितने साल हुए हैं?
उत्तर :
अक्षरों की खोज को मुश्किल से छह हजार साल

प्रश्न 10.
मानव को कब से ‘सभ्य’ कहा जाने लगा?
उत्तर :
मानव ने जब से लिखना शुरू किया, तब से उसे ‘सभ्य’ कहा जाने लगा।

प्रश्न 11.
‘लिपि’ किसे कहते हैं?
उत्तर :
अक्षरों के लिखने की विधि को लिपि कहते हैं।

प्रश्न 12.
इन भाषाओं की लिपि बताओ
हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, अंग्रेजी, उर्दू,
उत्तर :

हिंदीदेवनागरी लिपि
संस्कृतदेवनागरी लिपि
पंजाबीगुरूमुखी लिपि
अंग्रेजीरोमन लिपि
उर्दूफारसी लिपि

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

अक्षरों का महत्व Summary in Hindi

अक्षरों का महत्व पाठ का सार

इस पाठ में अक्षरों की कहानी कही गई है। पुस्तक तरह-तरह के अक्षरों से बनती है। दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं। तरह-तरह के अक्षरों में हजारों की संख्या में समाचार-पत्र छपते हैं। इन सबके मूल में अक्षर हैं। कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। अक्षरों का ज्ञान हमें ईश्वर से मिला है। यह सोच पुराने जमाने की है कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। अब हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज स्वयं आदमी ने की है।

हमारी धरती पाँच अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही राज्य रहा। आदमी ने इस धरती पर कोई पाँच लाख साल पहले जन्म लिया। फिर धीरे-धीरे उसका विकास हुआ।

कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों में बसना शुरू किया। वह खेती करने लगा। तब वह पत्थरों के औजारों का प्रयोग करता था। फिर उसने ताँबे और काँसे के औजार बनाए। मनुष्य ने सबसे पहले पशुओं, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के द्वारा अपने मन के भाव व्यक्त किए। फिर वृत्त के चारों ओर रेखाएँ खींचने पर वह सूर्य का चित्र बन जाता था।

बाद में यह ‘ताप’ या ‘धूप’ का प्रतीक बन गया। काफी बाद में जाकर आदमी ने अक्षरों की खोज की। इस खोज को मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। आदमी अपने विचार और हिसाब-किताव लिखकर रखने लगा। तब से मानव को सभ्य कहा जाने लगा। तभी से इतिहास आरंभ हुआ। इतिहास को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। उसके पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ कहते हैं।

यदि आदमी अक्षरों की खोज नहीं करता तो आज हम इतिहास को भी नहीं जान पाते। अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। इस खोज के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। अक्षरों की खोज के बाद पिछले छह हजार सालों में मानव-जाति का तेजी से विकास हुआ। यह महत्त्व है अक्षरों का और उनसे बनी लिपियों का।

अक्षरों का महत्व शब्दार्थ

तादाद – संख्या (Quantity)। अनादि काल – युग के प्रारंभ का समय (Ancient Period)। प्रागैतिहासिक मानव – इतिहास में वर्णित काल के पूर्व का मानव (Pre-History period)। द्योतक – सूचक (Symbol)। सिलसिला – क्रम (Serial)। पीढ़ी – किसी जाति, कुल या व्यक्ति की वंश-परंपरा की कोई कड़ी (Generation)। स्वयं – खुद (Self) वृत्त – गोल घेरा (Circle)। अस्तित्व – कायम होना (Existence)। लिपि – लिखने की विधि (Script)।

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HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

HBSE 6th Class Hindi चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
कविता में ‘आप पहने हुए हैं कुल आकाश’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है ?
उत्तर :
यह कहकर लड़की कहना चाहती है कि पूरा आकाश ही मानो चंद्रमा का वस्त्र है। वह इसी को पहने रहता है। चाँद पूरे आकाश के मध्य निकलता और चमकता है।

प्रश्न 2.
‘हमको बुद्धू ही निरा समझा है!’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है ?
उत्तर :
लड़की कहना चाहती है कि हम भी सब कुछ जानते हैं। तुम (चाँद) हमें बिल्कुल मूर्ख मत समझो। हम भी चतुर हैं।

प्रश्न 3.
आशय बताओ
‘यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में ……” आता
उत्तर :
चाँद कभी घटता है तो कभी बढ़ता है। उसका यह चक्र चलता ही रहता है। यह स्थिति कभी बदलने वाली नहीं है। यह प्रकृति का नियम है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

प्रश्न 4.
कवि ने चाँद से गप्पें किस दिन लगाई होंगी? इस कविता में आई बातों की मदद से अनुमान लगाओ और इसके कारण भी बताओ।
उत्तर :

दिनकारण
पूर्णिमाइस दिन पूरा चाँद होता है-गोल मटोल।
अष्टमी से पूर्णिमा के बीचचाँद बढ़ता जाता है।
प्रथमा से अष्टमी के बीचचाँद घटता जाता है।

प्रश्न 5.
नई कविता में तुक या छंद की बजाय बिंब का प्रयोग अधिक होता है। बिंब वह तसवीर होती है जो शब्दों को पढ़ते समय हमारे मन में उभरती है। कई बार कुछ कवि शब्दों की ध्वनि की मदद से ऐसी तसवीर बनाते हैं और कुछ कवि अक्षरों या शब्दों को इस तरह छापने पर बल देते हैं कि उनसे कई चित्र हमारे मन में बनें। इस कविता के अंतिम हिस्से में चाँद को एकदम गोल बताने के लिए कवि ने बिल्कुल शब्द के अक्षरों को अलग-अलग करके लिखा है। तुम इस कविता के और किन शब्बों को चित्र की आकृति देना चाहोगे? ऐसे शब्दों को अपने ढंग से लिखकर दिखाओ।
उत्तर :
हम इन शब्दों को चित्र की आकृति देना चाहेंगे-

  • गो ल म टो ल
  • घ ट ते
  • ब ढ़ ते
  • ति र छे

भाषा की बात

1. चाँद संज्ञा है। चाँदनी रात में चाँदनी विशेषण है। नीचे दिए गए विशेषणों को ध्यान से देखो और बताओ कि कौन-सा प्रत्यय जुड़ने पर विशेषण बन रहे हैं। इन विशेषणों के लिए एक-एक उपयुक्त संज्ञा भी लिखो-
गुलाबी पगड़ी/ मखमली घास/ कीमती गहने
ठंडी रात / जंगली फूल / कश्मीरी भाषा।
उत्तर :

  • गुलाबी-विशेषण(‘ई’ प्रत्यय) पगड़ी-संज्ञा।
  • मखमली-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) पास-संज्ञा।
  • कीमती-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) गहने-संज्ञा।
  • ठंडी-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) फूल-संज्ञा।
  • जंगली-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) फूल-संज्ञा।
  • कश्मीरी-विशेषण (‘ई’ प्रत्यय) भाषा-संज्ञा।

अन्य संज्ञाओं के साथ गुलाबी फूल, मखमली कपड़ा, कीमती कपड़े ठंडी हवा, जंगली जानवर, कश्मीरी शाल

2.

  • गोल-मटोल
  • गोरा-चिट्टा।

कविता में आए शब्दों के इन जोड़ों में अंतर यह है कि चिट्टा का अर्थ सफेद है और गोरा से मिलता-जुलता है जबकि मटोल अपने-आप में कोई शब्द नहीं है। यह शब्द ‘मोटा’ से बना है। ऐसे चार-चार शब्द युग्म सोचकर लिखो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :

  • आम-वाम : मैं आम-वाम नहीं खाता।
  • खाना-वाना : मुझे खाना-वाना नहीं पकाना।
  • कपड़ा-वपड़ा : मैं कोई कपड़ा-वपड़ा नहीं खरीदूंगा।
  • मेला-बेला : तुम मेला-वेला नहीं देखते।

3. ‘बिलकुल गोल’-कविता में इसके दो अर्थ हैं
(क) गोल आकार का
(ख) गायब होना
ऐसे तीन शब्द सोचकर उनसे ऐसे वाक्य बनाओ कि शब्दों के दो-दो अर्थ निकलते हों।
उत्तर :

1. अंक : परीक्षा में मेरे 70 प्रतिशत अंक आए हैं। (नंबर)
बच्चा माँ की अंक में बैठा है। (गोद)

2. कनक : यह आभूषण कनक से बना है। (सोना)
कनक खाने से आदमी पागल हो जाता है। (धतूरा)

3. कल : मुझे बुखार के कारण कल नहीं पड़ रही। (चैन)
कारखाने की कल बेकार पड़ी है। (मशीन)

4. कर : तुम्हें सारे कर चुका देने चाहिएँ। (टैक्स)
मेरे कर बहुत लंबे हैं। (हाथ)

4. जोकि, चूँकि, हालाँकि-कविता की जिन पंक्तियों में ये शब्द आए हैं, उन्हें ध्यान से पढ़ो। ये शब्द दो वाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं। इन शब्दों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य बनाओ।
उत्तर :
1. जोकि : उस कमीज को लाओ जोकि गंदी है।
मेरी पुस्तक पढ़ो जोकि धार्मिक है।

2. चूँकि : चूंकि वह बीमार है अतः नहीं आ सकता।
चूँकि वर्षा हो रही है अत: मेरा जाना कठिन है।

3. हालाँकि : तुम्हें आज आना ही होगा हालाँकि आज सर्दी है।
मुझे जाना ही होगा हालाँकि काफी देर हो चुकी है।

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

5. गप्प, गप-शप, गप्पबाजी-क्या इन शब्दों के अर्थ में अंतर है? तुम्हें क्या लगता है? लिखो।
उत्तर :
गप्प : बेतुकी हाँकना।
गप-शप : बातचीत करने का एक ढंग है, इसमें कुछ सच तो कुछ झूठ होता है।
गप्पबाजी : व्यर्थ ही डींगें हाँकना।

HBSE 6th Class Hindi चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
चाँद से गप्पें कौन लड़ा रहा है?
उत्तर :
चाँद से गप्पें एक दस-ग्यारह साल की लड़की लड़ा रही है।

प्रश्न 2.
लड़की चाँद को क्या पहने हुए बताती है?
उत्तर :
लड़की चाँद को तारों जड़ा आकाश रूपी वस्त्र पहने बताती है।

प्रश्न 3.
क्या लड़की बुद्ध है?
उत्तर :
नहीं, वह बुद्ध नहीं है।

प्रश्न 4.
लड़की चाँद के घटने-बढ़ने को क्या बताती है?
उत्तर :
लड़की इसे चाँद की कोई बीमारी बताती है जो ठीक होने का नाम नहीं लेती।

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. गोल हैं खूब मगर आप तिरछे नजर आते हैं जरा। आप पहने हुए हैं कुल आकाश तारों-जड़ा; सिर्फ मुँह खोले हुए हैं अपना गोरा चिट्टा गोल-मटोल, अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त। आप कुछ तिरछे नजर आते हैं जाने कैसे- खूब हैं गोकि!

शब्दार्थ : सिम्त – दिशा (Side)| कुल – सारा (Total)। पोशाक – वस्त्र (Dress)। गोकि – हालाँकि (As)।

प्रसंग : प्रस्तुत पौक्तयाँ शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें’ से ली गई हैं। इनमें एक10-11 साल की लड़की चाँद से गप्पे मारती है।

व्याख्या :
बालिका चाँद से कहती है-तुम गोल होते हुए भी तिरछे नजर आते हो। ऐसा क्यों हैं ? आप सारे आकाश को कपड़ों की तरह पहने हुए हो और पोशाक तारों से जड़ी हुई है। इस कपड़े में से केवल तुम्हारा गोरा-चिट्टा, गोल-मटोल मुँह दिखाई देता है। तुमने अपनी पोशाक को सभी दिशाओं में फैला रखा है। इसके बावजूद आप कुछ तिरछे नजर आते हो। तुम भी बस खूब हो अर्थात् अनोखे हो।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि और कविता का नाम लिखो।
2. गोल कौन है और वह केसे नजर आते हैं?
3. उसका रंग कैसा है?
4. उसने पोशाक कहाँ फैलाई हुई है?
उत्तर:
1. कवि का नाम-शमशेर बहादुर सिंह कविता का नाम-चाँद से थोड़ी-सी गप्पें।
2. गोल चाँद है और वह जरा तिरछे नज़र आते हैं।
3. चाँद का रंग गोरा-चिट्टा है।
4. चाँद ने अपनी पोशाक चारों दिशाओं में फैलाई हुई है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. चाँद कैसा नज़र आता है?
(क) सीधा
(ख) टेढ़ा
(ग) तिरछा
(घ) उल्टा
उत्तर:
(ग) तिरछा

2. आकाश कैसा है?
(क) तारों जड़ा
(ख) कुल
(ग) कपड़े जैसा
(घ) चमकता
उत्तर:
(क) तारों जड़ा

3. चाँद ने क्या खोला हुआ है?
(क) मुंह
(ख) कान
(ग) आँखें
(घ) नाक
उत्तर:
(क) मुंह

4. चाँद ने चारों ओर क्या फैला रखी है?
(क) चमक
(ख) रोशनी
(ग) पोशाक
(घ) आवाज
उत्तर:
(ग) पोशाक

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

2. बाह जी, वाह! हमको बुद्धू ही निरा समझा है! हम समझते ही नहीं जैसे कि आपको बीमारी है। आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं, और बढ़ते हैं तो बस यानी कि बढ़ते ही चले जाते हैंदम नहीं लेते हैं जब तक बिल्कुल ही गोल न हो जाएँ, बिल्कुल गोल। यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है।

शब्दार्थ : निरा-बिल्कुल (Total)। दम-साँस (Sigh)। मरज-बीमारी (Illness)।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें से लिया गया है। बच्ची चाँद से गप्पें मारते हुए कहती है

व्याख्या :
अरे वाह चाँद! तुमने हमें मूर्ख समझा है, पर हम सब कुछ जानते हैं। हमें आपकी बीमारी के बारे में पूरी तरह पता है। आपकी बीमारी घटने-बढ़ने की है। जब तुम घटने लगते हो तो घटते ही चले जाते हो और जब तुम बढ़ने पर आते हो तो बढ़ते ही चले जाते हो।

चाँद 15 दिन घटता है और 15 दिन बढ़ता है। तुम तब तक दम नहीं लेते जब तक तुम बिल्कुल गोल नहीं हो जाते। तुम बिल्कुल गोल होकर ही मानते हो और आपकी यह बीमारी कभी अच्छी नहीं होने वाली है। यह चक्र चलता ही रहता है। यह प्रकृति का नियम है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. लड़की किससे बात कर रही है?
2. चाँद को क्या बीमारी है?
3. ‘दम नहीं लेना’ का क्या अर्थ है?
4. चाँद का मरज केसा है?
उत्तर:
1. लड़की चाँद से बात कर रही है।
2. चाँद को घटने-बढ़ने की बीमारी है। वह घटता है तो घटता ही चला जाता है और बढ़ता है तो बढ़ता ही चला जाता है।
3. ‘दम नहीं लेना’ का अर्थ है थोड़ी देर के लिए भी नहीं रुकना, निरंतर चलते रहना।
4. चाँद का मरज (घटने-बढ़ने का) अच्छा नहीं होता। वह ऐसे ही चलता रहता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘हमको’ कौन है?
(क) कवि
(ख) लड़की
(ग) चाँद
(घ) आकाश
उत्तर:
(ख) लड़की

2. बीमारी किसे है?
(क) लड़की को
(ख) चाँद को
(ग) कवि को
(घ) सभी को
उत्तर:
(ख) चाँद को

3. चाँद कब तक दम नहीं लेता?
(क) जब तक वह गोल न हो जाए
(ख) जब तक वह तिरछा न हो जाए
(ग) जब तक वह गप्पें नहीं मार ले
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) जब तक वह गोल न हो जाए

4. क्या यह वास्तव में मरज है?
(क) हाँ
(ख) नहीं
(ग) थोड़ा-थोड़ा
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(ख) नहीं

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चाँद से थोड़ी-सी गप्पें Summary in Hindi

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कवि का संक्षिप्त परिचय

कवि शमशेर बहादुर सिंह का जन्म 13 जनवरी, 1911 को देहरादून में हुआ। इन्होंने एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। इनमें प्रमुख हैं-‘कहानी’, ‘नया साहित्य’, ‘माया’, ‘मनोहर कहानियाँ’, ‘नया पथ’ आदि। ‘उर्दू हिंदी शब्दकोश’ में हिंदी संपादक के रूप में कार्य करते रहे।

रचनाएँ :
शमशेर जी मुख्यतः कवि हैं, पर उन्होंने कुछ कहानियाँ एवं निबंध भी लिखे हैं। उनके चार कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं-‘कुछ कविताएँ’, ‘कुछ और कविताएँ’, ‘चुका भी हूँ नहीं’ और ‘इतने पास अपने’। इनके द्वारा रचित ‘दोआब’ निबंध-संग्रह है और ‘प्लाट का मोर्चा’ कहानी संग्रह है। शमशेर जी ने अपनी कविताओं में प्रकृति के सुंदर और नायनाभिराम चित्र अंकित किए हैं। इन्हें 1977 ई. में ‘चुका भी नहीं हूँ’ पर ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ मिल चुका है।

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें कविता का सार

एक 10-11 साल की लड़की चाँद से गप्प मारती हुई कहती है-आप भले ही गोल हों, पर नजर तिरछे आते हो। आपने सारे आकाश को कपड़े के रूप में पहन रखा है। यह कपड़ा तारों से जुड़ा हुआ है। हाँ, इस कपड़े में से आपने अपना गोरा चिट्ठा गोल-मटोल मुँह अवश्य खोल रखा है। आपने अपनी पोशाक को चारों दिशाओं में फैला रखा है। फिर भी न जाने आप तिरछे क्यों नजर आते हैं।

वह लड़की कहती है कि आपने हमें बेवकूफ समझ रखा है। हमें आपकी बीमारी का पता है। आप जब घटने लगते हो तब घटते ही चले जाते हो और जब बढ़ने लगते हो तो बढ़ते ही चले जाते हो। तुम तब तक दम नहीं लेते जब तक बिल्कुल गोल न हो जाओ। आपकी यह बीमारी अच्छी ही नहीं हो पाती।

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