Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 झाँसी की रानी
HBSE 6th Class Hindi झाँसी की रानी Textbook Questions and Answers
कविता से
प्रश्न 1.
‘किंतु कालगति चुपके चुपके काली घटा घेर लाई’
(क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है?
(ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:
(क) इसमें लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव की आकस्मिक मृत्यु वाली घटना की ओर संकेत है। रानी विधवा हो गई।
(ख) काली घटा घिरने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि रानी के विधवा होने के परिणामस्वरूप उसके ऊपर मुसीबतें ही मुसीबतें आ गई।
प्रश्न 2.
कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारत को ‘बूढा’ इसलिए कहा क्योंकि तब भारत की दशा बहुत शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। ‘नई जवानी’ की बात इसलिए कही है कि स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति ने इस बूढ़े भारत में भी उत्साह की लहर दौड़ा दी थी। कवयित्री यही कहना चाहती है कि इस क्रांति ने देश को आलस्य से मुक्त कर उत्साही बना दिया था।
प्रश्न 3.
झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था?
उत्तर:
झाँसी की रानी के बचपन का नाम ‘छबीली’ था। वह नाना के साथ पढ़ती और खेलती थी। उसका बचपन शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग लेने में बीता। वह गुड्डे-गुड़ियों से नहीं खेलती थी। उसकी सखियाँ थीं-बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी आदि।
उसका बचपन हमारे बचपन से इसी मायने में अलग था कि हमारे समान सामान्य खेलकूदों में वह नहीं उलझती रहती थी। उन्होंने बचपन से वीरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेनी आरंभ कर दी थी। यह शिक्षा आगे चलकर काम भी आई।
प्रश्न 4.
वीर महिला की इस कहानी में कौन-कौन से पुरुषों के नाम आए हैं? इतिहास की कुछ अन्य वीर स्त्रियों की कहानियाँ खोजो।
उत्तर:
पुरुषों के नाम: नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अजीमुल्ला, अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह आदि।
वीर स्त्रियाँ: कित्तूर की रानी चेन्नम्मा, रानी गिडालू।
प्रश्न 5.
झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्रेरणा ले सकते हैं?
उत्तर:
झाँसी की रानी के जीवन से हम यह प्रेरणा ले सकते हैं कि देश की रक्षा के लिए हमें अपना सर्वस्व बलिदान करना चाहिए। देश सर्वोपरि है। बलिदान के लिए कोई आयु नहीं होती।
प्रश्न 6.
अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध रानी ने अपनी वीरता का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
रानी ने अंग्रेजों के कुचक्र के विरुद्ध डटकर लड़ाई की। उन्हें अपने जीते जी झाँसी पर कब्जा नहीं करने दिया। अंग्रेज कुचक्र रचकर के सारे भारत पर कब्जा करते चले जा रहे थे।
प्रश्न 7.
रानी के विधवा होने पर डलहौजी क्यों प्रसन्न हुआ? उसने क्या किया?
उत्तर:
रानी के विधवा होने पर डलहौजी इसलिए प्रसन्न हुआ क्योंकि अब उसे झॉसी को अपने राज्य में मिलाने का अवसर मिल जाएगा। गोद लिए बेटे को वे राज्य का उत्तराधिकारी नहीं मानते थे। बिना वारिस वाले राज्यों पर अंग्रेज कब्जा कर लेते थे।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
(ख) लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
उत्तर:
(क) भारतीयों ने अपनी आजादी गुमा दी थी। अब वे अंग्रेजों के गुलाम बन चुके थे। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया तो लोगों को आजादी की कीमत का पता चला। अब वे आजादी पाने के लिए संघर्ष करने में जुट गए।
(ख) राजा गंगाधर राव निस्संतान मरे थे। झाँसी लावारिस हो गई थी। ब्रिटिश राज्य ने स्वयं को झाँसी का वारिस घोषित कर दिया। ब्रिटिश शासक इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए झाँसी आ गए।
भाषा की बात
1. नीचे लिखे वाक्यांशों (वाक्य के हिस्सों) को पढ़ो-
- झाँसी की रानी
- जेसिका का भाई
- प्रेमचंद की कहानी
- मिट्टी के घड़े
- पाँच मील की दूरी
- नहाने का साबुन
- रशीद का दफ्तर
- रेशमा के बच्चे
- बनारस के आम
का के और की जो संज्ञाओं का संबंध बताते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में अलग-अलग जगह इनका प्रयोग हुआ है। ध्यान से पढ़ो और कक्ष में बताओ कि का, के और की का प्रयोग कहाँ और क्यों हो रहा है?
उत्तर:
यह संबंध कारक का चिह्न है। इसे परसर्ग भी कहते हैं। का के की चिह्नों से संबंध कारक का पता चलता है।
अन्य उदाहरण: राम का मित्र, बच्चों के पिता, शशि की बहन।
पढ़ने को
1. प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित ‘भारत की महान नारियाँ’ श्रृंखला की पुस्तकें।
2. चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित, कमला शर्मा द्वारा लिखित उपन्यास ‘अपराजिता’।
उत्तर:
विद्यार्थी इन पुस्तकों को पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।
HBSE 6th Class Hindi झाँसी की रानी Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी।’ इस पंक्ति में भारत को ‘बूढा’ कहा गया है, क्योंकि
(क) भारत गुलाम था।
(ख) भारत में एकता नहीं थी।
(ग) भारत का इतिहास प्राचीन है।
(घ) भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी।
उत्तर:
(घ) भारत की दशा शिथिल और जर्जर हो चुकी थी।
प्रश्न 2.
लक्ष्मीबाई का बचपन किस प्रकार के खेलों में बीता?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई के बचपन के खेल थे- बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी चलाना। वह नकली युद्ध करना, शिकार खेलना, दुर्ग तोड़ना आदि खेलों को बचपन में खेला करती थी।
प्रश्न 3.
‘हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में।’
उपरोक्त पंक्ति में ‘वीरता और वैभव’ का संकेत किस-किस की ओर है?
उत्तर:
इस पंक्ति में वीरता (लक्ष्मीबाई) और वैभव (झाँसी के राजा गंगाधर राव) की ओर संकेत है।
प्रश्न 4.
बुंदेलों के किन गुणों के कारण लक्ष्मीबाई की तुलना उनसे की गई है?
उत्तर:
बुंदेल ‘सुभट’ अर्थात् वीर योद्धा होते हैं। अतः उनकी तुलना रानी लक्ष्मीबाई से की गई है। लक्ष्मीबाई भी वीर थी।
प्रश्न 5.
‘किंतु काल गति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई।’
उपरोक्त पंक्ति में रानी के जीवन में आई किस विपत्ति की ओर संकेत है?
उत्तर:
‘रानी विधवा हो गई’- इसी विपत्ति की ओर यहाँ संकेत किया गया है।
प्रश्न 6.
इस कविता के आधार पर कालपी-युद्ध का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
लेफ्टिनेंट वॉकर को हराकर रानी कालपी पहुँची। उसे कई सौ मील चलना पड़ा था। अत: घोड़ा बुरी तरह थक गया था। वह गिरकर मर गया। फिर भी रानी वीरतापूर्वक लड़ती रही। उसने अंग्रेजों को यमुना तट पर करारी हार दी।
प्रश्न 7.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
(ख) मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी।
(ग) हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी।
(घ) तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई।
उत्तर:
(क) गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी- भारतीयों ने अपनी आजादी गुमा दी थी। वे गुलाम हो गए थे। इसलिए अंग्रेज उन पर खूब अत्याचार कर रहे थे। सन् 1857 में सारे भारत में आजादी पाने के लिए संघर्ष प्रारंभ हो गया। लगता था जैसे भारतीयों ने खोई हुईं स्वतंत्रता का मूल्य पहचान लिया था। इसलिए वे स्वतंत्रता पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
(ख) मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी- रानी की मृत्यु के बाद उसकी चिता को आग लगा दी गई। लगा कि रानी का तेज अग्नि के तेज से मिल गया। (रानी की क्रांति तथा तेज आग की क्रांति और तेज से मिल गए)। रानी लक्ष्मीबाई सचमुच तेज की अधिकारी थी। उसे तेज मिलना ही चाहिए था। यहाँ तेज का अर्थ तेज, आग और यश है।
(ग) हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थीहम भारतवासी परतंत्रता में मानो मरे हुए के समान थे। लक्ष्मीबाई स्वतंत्रता की रानी बनकर हम मरे हुओं को जीवित करने आई थी अर्थात् वह हमें यह बताने आई थी कि परंतत्रता मृत्यु और स्वतंत्रता ही जीवन है।
(घ) तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाईरानी वीरांगना थी। वह कुशल योद्धा थी और तीर चलाती थी। जो हाथ तीर चलाते हों उन हाथों में चूड़ियाँ ईश्वर को अच्छी नहीं लगीं। चूड़ियाँ कोमलता का प्रतीक हैं, वीरता की नहीं। इसलिए भाग्य ने उनके हाथ की चूड़ियाँ छीन ली और रानी को विधवा बना दिया। (विधवा नारी चूड़ियाँ नहीं पहनतीं)।
प्रश्न 8.
‘किंतु काल गति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई।’ उपरोक्त पंक्ति में रानी के जीवन में आई किस विपत्ति की ओर संकेत है?
उत्तर:
‘रानी विधवा हो गई’-इसी विपत्ति की ओर यहाँ संकेत किया गया है।
प्रश्न 9.
इस कविता में किस क्रांति का वर्णन है?
उत्तर:
इस कविता में सन् 1857 की क्रांति का वर्णन है।
प्रश्न 10.
रानी लक्ष्मीबाई का नाम अमर क्यों है?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना अमर बलिदान दिया।
झाँसी की रानी काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
1. सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: अकुटी-भौंह (Eye-brow)। गुमी-गायब (Lost)| फिरंगी-अंग्रेज (Englishman)|
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत भाग-1’ में संकलित कविता ‘झाँसी की रानी’ से ली गई हैं। इसकी रचयिता प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। इसमें उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का गुणगान किया है।
व्याख्या:
जब सन् 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हुआ तब सारे राज-सिंहासन हिल गए। सब देशी राजाओं में जोश आ गया था। क्रोध में राजघरानों की भौंहें तन गई थीं। वे अपनी खोई हुई आजादी की कीमत जान गए थे। सबने मन में यह निश्चय किया कि अंग्रेजों को दूर भगाना है।
सन् 1857 में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की तलवार पुरानी होते हुए भी खूब चमकी। उसकी शक्ति का लोहा सबने माना। झाँसी की रानी मर्दानी थी अर्थात् वह स्त्री भी पुरुषों की तरह युद्ध-भूमि में खूब लड़ी। बुंदेलों के मुँह से हमें यह कहानी प्राप्त हुई है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कविता की रचना किसने की है?
2. भारत को बूढ़ा क्यों कहा गया है?
3. लोगों ने क्या निश्चय किया था?
4. झांसी की रानी को मर्दानी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
1. इस कविता की रचना कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने की है।
2. भारत गुलामी के कारण शक्तिहीन होता जा रहा था। उसकी दशा एक बूढ़े व्यक्ति की तरह हो गई थी।
3. तब लोगों ने देश से अंग्रेजों को भगाने का निश्चय किया था।
4. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध एक मर्द (वीर पुरुष) के समान किया था। अत: उसे मर्दानी कहा गया है।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. यह कविता किस काल के बारे में है?
(क) 1850
(ख) 1857
(ग) 1942
(घ) 1947
उत्तर:
(ख) 1857
2. भारत’ के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया गया
(क) बूढ़े
(ख) जवान
(ग) चमकीला
(घ) पुराना
उत्तर:
(क) बूढ़े
3. ‘आजादी’ शब्द व्याकरण में क्या है?
(क) विशेषण
(ख) जातिवाचक संज्ञा
(ग) सर्वनाम
(घ) भाववाचक संज्ञा
उत्तर:
(घ) भाववाचक संज्ञा
2. कानपूर के नाना की मुंहबोली बहन ‘छबीली’ थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ
उसको याद जबानी थीं।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
प्रसंग: पूर्ववत।
व्याख्या:
रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में ‘छबीली’ के नाम से पुकारा जाता था। कानपुर के नाना साहब उसे अपनी बहन ‘छबीली’ कहकर पुकारते थे। लक्ष्मीबाई अपने पिता की एकमात्र संतान थी। बचपन में वह नाना के साथ ही पढ़ती एवं खेलती थी। लक्ष्मीबाई को बचपन से ही बरछी, ढाल, तलवार, कटार आदि से प्यार था। यही उसकी सखियाँ थीं। वह वीरों की कहानियों में रुचि लेती थी। उसे शिवाजी की कहानी जुबानी याद थी। वह निश्चय ही एक महान योद्धा थी, जो युद्ध में मर्दानी बनकर खूब लड़ी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. झाँसी की रानी को ‘छबीली कहकर कौन पुकारते थे?
2. वह अपने पिता की कैसी संतान थी?
3. लक्ष्मीबाई की सहेलियाँ कौन थीं?
4. उसे किसकी गाथाएँ ज़बानी याद थीं?
उत्तर:
1, झाँसी की रानी को नाना साहब ‘छबीली’ कहकर पुकारते थे।
2. वह अपने पिता की अकेली (एकमात्र) संतान थी।
3. लक्ष्मीबाई की सहेलियाँ थीं-बरछी, ढाल, कृपाण (तलवार) और कटारी।
4. लक्ष्मीबाई को वीर शिवाजी की गाथाएँ जबानी याद थीं।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. नाना कहाँ के थे?
(क) कानपुर के
(ख) झाँसी के
(ग) आगरा के
(घ) ग्वालियर के।
उत्तर:
(क) कानपुर के
2. लक्ष्मीबाई किसके साथ पढ़ती व खेलती थी?
(क) सहेलियों के साथ
(ख) नाना के साथ
(ग) कटारी के साथ
(घ) बुंदेलों के साथ।
उत्तर:
(ख) नाना के साथ
3. लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवाड़,
महाराष्ट्र-कुल देवी उसकी
भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: पुलकित-प्रसन्न (Happy)| व्यूह रचना-युद्ध का एक ढंग (Strategy)| आराध्य-जिसकी पूजा की जाए। भवानी-दुर्गा (Goddess Durga)| दुर्ग-किला (Fort)|
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
कवयित्री लक्ष्मीबाई का गुणगान करते हुए कहती है कि पता नहीं वह लक्ष्मी का अवतार थी या दुर्गा का अथवा खुद वीरता की अवतार थी। इतना सत्य है कि उसे देखकर मराठे खुश होते थे। वह उसकी तलवार के हमलों से प्रसन्न होते थे। नकली युद्ध करना, व्यूह बनाना, शिकार करना, सेना को घेरना, किलों को तोड़ने जैसे वीरता के काम उसके प्रिय खेल थे। वह महाराष्ट्र की कुल देवी की उपासिका थी। वह उसे दुर्गा मानती थी। इस प्रकार झाँसी की रानी बचपन से ही वीरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेती थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. लक्ष्मीबाई को क्या बताया गया है?
2. मराठे क्यों पुलकित होते थे?
3. लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल क्या थे?
उत्तर:
1. लक्ष्मीबाई को लक्ष्मी, दुर्गा और वीरता का अवतार बनाया गया है।
2. जब मराठे लक्ष्मीबाई की तलवारों के वार देखते थे तब वे पुलकित होते थे।
3. लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल थे- नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना करना और शिकार खेलना।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. लक्ष्मीबाई के कौन-कौन से रूप थे?
(क) लक्ष्मी
(ख) दुर्गा
(ग) वीरता का अवतार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
2. ‘पुलकित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) पु
(ख) पुलक
(ग) इत
(घ) त
उत्तर:
(ग) इत
3. लक्ष्मीबाई की आराध्या कौन थी?
(क) महाराष्ट्र की कुल देवी
(ख) भवानी
(ग) दुर्गा
(घ) सभी
उत्तर:
(क) महाराष्ट्र की कुल देवी
4. हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
व्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुभट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया,
शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: सुभट-बहुत बड़ा वीर योद्धा। विरुदावलि-(विरुद + अवलि), बड़ाई, यश का गान।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
लक्ष्मीबाई की सगाई झाँसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई। ऐसा लगा कि मानो वीरता (लक्ष्मीबाई) की सगाई-धन-दौलत (राजा गंगाधर राव) के साथ हो गई हो। लक्ष्मीबाई का विवाह हो गया और वह झाँसी में आ गई। सारी झाँसी में खुशियाँ मनाई जाने लगीं। राजमहल में बधाइयाँ बजने लगीं। वीर योद्धा बुंदेलों के यश का गान गाया जाने लगा। लक्ष्मीबाई उस यश-गाथा की कड़ी बनकर ही झाँसी में आई थी। यह सब कुछ ऐसे हुआ जैसे चित्रा को अर्जुन पति रूप में मिले अथवा दुर्गा शिवजी से मिली हो। यह अनोखा मिलन था।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. ‘वीरता की वैभव के साथ सगाई’ का क्या तात्पर्य है?
2. कौन ब्याह होकर कहाँ आ गई?
3. विरुदावली क्या होता है?
4. चित्रा किसे और अर्जुन किसे कहा गया है?
उत्तर:
1, लक्ष्मीबाई की वीरता का मेल राजा गंगाधर राव के वैभव के साथ हुआ था। लक्ष्मीबाई वीरांगना थी और गंगाधर राव धनी थे।
2. लक्ष्मीबाई ब्याह करके झाँसी में रानी बनकर आ गई।
3. विरुदावली ‘यश का गान’ होता है। रानी के झाँसी के आगमन पर वीर योद्धाओं ने गुणगान किया।
4. चित्रा लक्ष्मीबाई को और अर्जुन गंगाधर राव को कहा गया है।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. ‘वीरता’ व्याकरण में क्या है?
(क) भाववाचक संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) क्रिया विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर:
(क) भाववाचक संज्ञा
2. ‘राजमहल’ में कौन-सा समास है?
(क) अव्ययीभाव
(ख) तत्पुरुष
(ग) अस्पष्ट!
(घ) द्विगु
उत्तर:
(ख) तत्पुरुष
3. झाँसी की रानी कौन बनी?
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) चित्रा
(ग) भवानी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) लक्ष्मीबाई
5. उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
निःसंतान मरे राजा जी
रानी शोक समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: उदित-उगना (Rise)। मुदित-प्रसन्नचित (Overjoyed)| कालगति-मृत्यु की चाल। विधि-भाग्य। निःसंतान-बिना औलाद के।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
रानी लक्ष्मीबाई के जीवन में सौभाग्य का उदय हुआ। महलों में प्रसन्नता छा गई। उसके आगमन से महलों में रोशनी आ गई। पर भाग्य को यह सब मंजूर न था। लक्ष्मीबाई के जीवन में समय का चक्र दुःख की काली घटाएँ ले आया। रानी के पति की अकाल मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गई। रानी के हाथ तो शस्त्र धारण करने वाले थे, उनमें सुहाग की चूड़ियाँ ज्यादा देर तक नहीं टिक सकीं। उसे विधवा बनाते हुए देव को जरा भी दया नहीं आई। राजा बिना किसी संतान के मर गए थे। रानी शोक में डूबी हुई थी। यह सब कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी गई थी। झाँसी की रानी वास्तव में अत्यंत वीरांगना थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कब, कौन सा सौभाग्य उदित हुआ?
2. कालगति कौन सी काली घटा घेर लाई?
3. विधि कौन होता है, उसे किस पर दया नहीं आई?
4. राजा कैसे मरे?
उत्तर:
1. जब लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी बन कर आई तब वहाँ के राजमहलों में सौभाग्य उदित हुआ।
2. कालगति लक्ष्मीबाई के पति गंगाध राव की आकस्मिक मृत्यु ले आई।
3. विधि भाग्य होता है। उसे रानी लक्ष्मीबाई पर तनिक भी दया नहीं आई।
4. राजा बिना संतान के मरे।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. ‘सौभाग्य’ का विलोमार्थी शब्द है
(क) अभाग्य
(ख) दुर्भाग्य
(ग) भाग्यवान
(घ) भागवाला
उत्तर:
(ख) दुर्भाग्य
2. लक्ष्मीबाई के हाथ कैसे थे?
(क) तीर चलाने वाले
(ख) चूड़ियाँ पहनने वाले
(ग) दया करने वाले
(घ) शोक मनाने वाले
उत्तर:
(क) तीर चलाने वाले
3. रानी को क्या हो गया?
(क) विधवा हो गई
(ख) शोक में डूब गई
(ग) चूड़ियाँ टूट गईं
(घ) ये सभी हुए
उत्तर:
(क) विधवा हो गई
6. बुझा दीप झाँसी का तब डलहौजी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया;
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा
झाँसी हुई बिरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: दीप-दीपक (Lamp)। हरषाया-खुश हुआ (Pleased)| अवसर-मौका (Chance)| अश्रुपूर्ण-आँसुओं से भरी हुई (Full with tears)| वारिस- उत्तराधिकारी। बिरानी-बर्बाद।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
झाँसी के राजा की मृत्यु से झाँसी राज्य का दीपक बुझ गया। इस समाचार से लॉर्ड डलहौजी मन ही मन प्रसन्न हुआ। उसे झाँसी का राज्य हड़पने का अच्छा मौका मिल गया था। उसने तुरंत अपनी सेना भेजकर झाँसी के किले पर अपना झंडा फहरवा दिया। झाँसी चूँकि इस समय बिना उत्तराधिकारी के थी अत: अंग्रेज ही उसके उत्तराधिकारी बन बैठे। रानी लक्ष्मीबाई ने आँखों में आँसू भरकर देखा कि उसकी प्यारी झाँसी बर्बाद हो रही है। वह उसके लिए बड़ी वीरतापूर्वक लड़ी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. डलहौजी मन में क्यों हरषाया?
2. उसने शीघ्र क्या काम किया?
3. झाँसी का वारिस कौन बनकर आ गया?
4. झाँसी की क्या दशा हो गई थी?
उत्तर:
1, डलहौजी को झाँसी पर अपना कब्जा करने का अवसर हाथ आ गया था। अत: वह मन में हरषाया।
2. डलहौजी ने फौरन अपनी फौजें झाँसी में भिजवा दी और वहाँ ब्रिटिश साम्राज्य का झंडा फहरा दिया।
3. ब्रिटिश राज लावारिस झाँसी का वारिस बनकर आ गया।
4. झाँसी वीरान हो गई थी।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. कौन-सा दीप बुझ गया?
(क) झाँसी का राजा मर गया
(ख) डलहौजी वहाँ आ गया
(ग) शासन समाप्त हो गया
(घ) रानी रोने लगी
उत्तर:
(क) झाँसी का राजा मर गया
2. डलहौजी को कौन-सा अच्छा अवसर मिल गया?
(क) झाँसी पर कब्जा जमाने का
(ख) गंगाधर राव को हटाने का
(ग) फौजें भेजने का
(घ) झंडा फहराने का
उत्तर:
(क) झाँसी पर कब्जा जमाने का
7. अनुनय विनय नहीं सुनता है, विकट फिरंगी की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया,
रानी दासी बनी, बनी यह
दासी अब महारानी थी।
बुंदेले हरबालों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: अनुनन विनय-प्रार्थना (Request)। विकटअनोखा (Strange)। फिरंगी-अंग्रेज (Englishman)| कायाशरीर (Body)
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
अंग्रेजों पर किसी की प्रार्थना का कोई असर नहीं होता था। अंग्रेज बड़े विचित्र किस्म के थे। यही अंग्रेज कभी दया की याचना करते हुए व्यापारी बनकर भारत में आए थे। उनके प्रतिनिधि डलहौजी ने भारत में अपने पैर पसारे और भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करता चला गया। उसने देशी राजाओं और नवाबों को ठोकर मार दी। रानी दासी बन गई थी और दासी महारानी बनती चली जा रही थी। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुंह से सुनी थी। झाँसी की रानी मर्दानी बनकर युद्ध क्षेत्र में डटकर लड़ी थी। उसकी कहानी अब तक प्रसिद्ध है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. फिरंगी कौन हैं और उसकी माया क्या है?
2. अंग्रेज भारत में क्या बनकर आए थे?
3. डलहौजी ने राजाओं-नवाबों के साथ क्या व्यवहार किया?
4. रानी दासी कैसे बन गई?
उत्तर;
1. फिरंगी अंग्रेज़ थे। उसकी माया यह थी वह किसी की प्रार्थना नहीं सुनते थे।
2. अंग्रेज भारत में व्यापारी बनकर आए थे।
3. डलहौजी ने भारत के राजाओं और नवाबों को पैरों से टुकराया अर्थात् अपमानित किया।
4. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई अब दासी के रूप में हो गई थी।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. व्यापारी के रूप से अंग्रेज भारत से क्या चाहता था?
(क) दया
(ख) माया
(ग) राज्य
(घ) शासन
उत्तर:
(क) दया
2. पैर किसने पसारे?
(क) राजाओं ने
(ख) नवाबों ने
(ग) डलहौजी ने
(घ) सभी ने
उत्तर:
(ग) डलहौजी ने
3. अब महारानी कौन बन गई?
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) अंग्रेजी सत्ता
(ग) डलहौजी
(घ) सेना
उत्तर:
(क) लक्ष्मीबाई
8. छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात,
जब कि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज-निपात,
बंगाले, मदास आदि की
भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: घात-हमला (Attack)। वज्र निपात-पत्थर गिरना, भारी मुसीबत।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
अंग्रेजों ने राजधानी दिल्ली को छीनकर उस पर कब्जा कर लिया। उन्होंने लखनऊ को भी बातों-बातों में ले लिया। बिठूर में पेशवा को कैद कर लिया। नागपुर पर भी हमला हुआ। उदयपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक की तो बात ही नहीं पूछिए। उन्हें भी कब्जे में ले लिया गया। सिंध, पंजाब और ब्रह्मपुत्र पर भी भारी आक्रमण हुआ। बंगाल, मद्रास आदि राज्यों की भी यही दशा थीं। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने समस्त भारत पर कब्जा जमा लिया। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुंह से सुनी थी। रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से डटकर लड़ी थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किन-किन स्थानों पर अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया?
2. पेशवा को कहाँ कैद कर लिया गया?
3. किस-किस राज्य पर वज्रपात हुआ?
उत्तर:
1, राजधानी दिल्ली तथा लखनऊ पर अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया।
2. पेशवा को बिठूर में कैद कर लिया गया।
3. सिंध, पंजाब, ब्रह्मपुत्र पर वज्रपात हुआ।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. बातों-बातों में किस शहर को अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया?
(क) नागपुर
(ख) कानपुर
(ग) लखनऊ
(घ) दिल्ली
उत्तर:
(ग) लखनऊ
2. बिठूर में किसे कैद किया गया?
(क) पेशवा को
(ख) शिवाजी को
(ग) लक्ष्मीबाई को
(घ) अन्य को
उत्तर:
(क) पेशवा को
3. इस कविता में किस काल की घटना का वर्णन है?
(क) 1857 की
(ख) 1860 की
(ग) 1867 की
(घ) 1942 की
उत्तर:
(क) 1857 की
9. रानी रोई रनिवासों में, बेगम गम से थीं बेजार,
उनके गहने-कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाजार,
सरे-आम नीलाम छापते थे अंग्रेजों के अखबार,
‘नागपुर के जेवर ले लो’ ‘लखनऊ के लो नौलख हार’,
यों परदे की इज्जत पर-
देशी के हाथ बिकानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
शब्दार्थ: रनिवास-रानी का महल (Palace)। बेजार-बेहाल (Restless)।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
अंग्रेजों के देशी राजाओं और नवाबों पर लगातार आक्रमण के फलस्वरूप उनकी निरंतर हार होती चली जा रही थी। रानियाँ अपने महलों में रोती थीं और नवाबों के बेगमें दुख से बेहाल थीं। अंग्रेज उनके गहने-कपड़ों को कलकत्ते के बाजार में खुलेआम नीलाम करते थे। अंग्रेजों के अखबारों में नीलामी के समाचार खुले-आम छपते रहते थे। इस प्रकार परदे में रहने वाली इज्जत खुलेआम नीलाम हो रही थी। अर्थात् भारतीय स्त्रियों को खूब बेइज्जत किया जा रहा था। उनके जेवर भी खूब बिक रहे थे।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. रानी और बेगमों की क्या दशा थी?
2. अंग्रेजों के अखबार किसकी नीलामी की खबर छापते थे?
3. परदे की इज्जत किस प्रकार बिक रही थी?
उत्तर:
1, रानियाँ राजमहलों में रो रही थी और बेगमें अपने दुख से व्याकुल थीं।
2. अंग्रेजों के अखबारों में राजा-रानियों की चीजों की नीलामी की खबरें छपती थीं।
3. परदे में रहने वाली रानियों की इज्जत अंग्रेजों के हाथों तार-तार हो रही थी।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. कलकत्ते के बाजार में क्या बिक रहा था?
(क) रानी-बेगमों के गहने-कपड़े
(ख) देश की दौलत
(ग) राजाओं की चीजें
(घ) कुछ नहीं
उत्तर:
(क) रानी-बेगमों के गहने-कपड़े
2. ‘नौलखा हार’ कहाँ का बताया गया है?
(क) नागपुर का
(ख) लखनऊ का
(ग) कानपुर का
(घ) कलकत्ते का
उत्तर:
(ख) लखनऊ का
10. कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था, अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चंडी का कर दिया प्रकट आह्वान,
हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो
सोई ज्योति जगानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: विषम-जो सम न हो (Uneven)| वेदनातकलीफ (Pain)| आहत-घायल (Wounded)| अपमान-बेइजती (Insually| आह्वान-बुलावा (Cally। प्रारंभ-शुरू (Start)।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
अंग्रेजों के आक्रमण के परिणामस्वरूप सभी लोगों के मन में आक्रोश था। कुटिया में रहने वाले गरीब लोग कष्ट झेल रहे थे और महलों में रहने वाले बड़े लोग भी बेइज्जती का अनुभव कर रहे थे। वीर सैनिकों के मन में अपने पूर्वजों के प्रति अभिमान का भाव था। अंग्रेजों से टक्कर लेने के लिए नाना धुंधूपंत और पेशवा सभी प्रकार के सामान जुटाने में लगे थे।
इसी समय में बहन छबीली अर्थात् लक्ष्मीबाई ने रणचंडी का रूप धारण कर लिया और लोगों का आह्वान किया कि वे इस युद्ध में बढ़-चढ़कर भाग लें। उन्होंने लोगों के हृदय में सोई ज्योति को जगा दिया। वे जाग गए। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी थी। रानी लक्ष्मीबाई मर्दानी बनकर डटकर लड़ी थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कुटियों और महलों में क्या दिखाई दे रहा था?
2. वीर सैनिकों के मन में क्या था?
3. नाना धुंधूपंत क्या कर रहे थे?
4. छबीली कौन थी? उसने क्या किया?
उत्तर:
1. गरीबों की कुटियों में वेदना-पीड़ा थी तो राजमहलों में अपमान की वेदना थी।
2. वीर सैनिकों के मन में अपने पूर्वजों के प्रति अभिमान का भाव था।
3. नाना धुंधूपंत युद्ध का सामान जुटा रहे थे।
4. छबीली लक्ष्मीबाई ही थी। वह रण-चंडी का रूप धारण कर रही थी।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. ‘विषम वेदना’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर:
(क) अनुप्रास
2. कौन-सा यज्ञ प्रारंभ हुआ?
(क) युद्ध करने का
(ख) हवन करने का
(ग) जगाने का
(घ) सोने का
उत्तर:
(क) युद्ध करने का
11. महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने चाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थीं।
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में भी
कुछ हलचल उकसानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: अंतरतम-हृदय (Heart)। ज्वाला-आग की लपट (Flame of fire)
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
रानी लक्ष्मीबाई के आह्वान पर क्रांति की ज्वाला जल उठी। यह आग महलों की तरफ से जली थी। इसे झोपड़ी में रहने वाले सामान्य लोगों ने भी भड़काया था। यह स्वतंत्रता की चिनगारी लोगों के हृदयों से आई थी। झाँसी के चेतने के बाद दिल्ली, लखनऊ, मेरठ, कानपुर और पटना में भी इसका असर दिखाई दिया। जबलपुर और कोल्हापुर में भी हलचल हुई। अर्थात् स्वतंत्रता की क्रांति सारे भारत में फैल गई। चारों ओर जन-जागृति आ गई थी। यह कहानी हमने बुंदेलों के मुंह से सुनी थी। इस क्रांति में झांसी की रानी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. स्वतंत्रता की आग जलाने में कौन-कौन सहायक थे?
2. स्वतंत्रता की चिनगारी कहाँ से आई थी?
3. कहाँ-कहाँ चेतना आई थी?
उत्तर:
1. स्वतंत्रता की आग जलाने में महलों में रहने वाले लोग तथा झोंपड़ी में रहने वाले गरीब सभी सहायक थे।
2. स्वतंत्रता की चिनगारी लोगों के हृदय से आई थी।
3. झाँसी, दिल्ली, लखनऊ, मेरठ, कानपुर, पटना, इन सभी जगहों से चेतना आई थी।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. “विषम वेदना” में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर;
(क) अनुप्रास
2. कौन-सा यज्ञ प्रारंभ हुआ?
(क) युद्ध करने का
(ख) हवन करने का
(ग) जगाने का
(घ) सोने का
उत्तर;
(क) युद्ध करने का
12. इस स्वतंत्रता-महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अजीमुल्ला सरनाम,
अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास-गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम,
लेकिन आज जुर्म कहलाती,
उनकी जो कुरबानी थी।
बुदेले हरबाला के मुह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: वीरवर-बहादुर (Brave)। काम आए-मारे गए (Dead)
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
इस स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने अपना अमर बलिदान दिया। इनमें प्रमुख थे-नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अजीमुल्लाखाँ, अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुंवरसिंह आदि। इनके नाम भारत के इतिहास के आकाश में सदा अमर रहेंगे। उन्होंने जो कुर्बानी दी थी, वह शायद आज जुर्म कहलाए। उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया था। हमने यह कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी थी। रानी लक्ष्मीबाई ने मर्दाने रूप में अंग्रेजों से डटकर टक्कर ली थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. स्वतंत्रता संग्राम में कौन-कौन से वीर काम आए?
2. भारत के इतिहास में किनके नाम अमर रहेंगे?
3. कौन मर्दानी की तरह खूब लड़ी थी?
उत्तर:
1. स्वतंत्रता-संग्राम में अनेक वीर नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अजीमुल्ला खाँ, ठाकुर कुँवर सिंह, अहमदशाह मौलवी आदि काम आए।
2. भारत के इतिहास में बलिदानी वीरों के नाम सदा अमर रहेंगे।
3. रानी लक्ष्मीबाई मर्दानी की तरह युद्ध में खूब लड़ी थी।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. ‘स्वतंत्रता’ व्याकरण में क्या है?
(क) विशेषण
(ख) भाववाचक संज्ञा
(ग) सर्वनाम
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ख) भाववाचक संज्ञा
2. कौन-सा शब्द ‘गगन’ का पर्यायवाची नहीं है?
(क) नभ
(ख) आसमान
(ग) व्योम
(घ) नीर
उत्तर:
(घ) नीर
3. ‘झाँसी’ कौन-सी संज्ञा है?
(क) व्यक्तिवाचक
(ख) जातिवाचक
(ग) भाववाचक
(घ) अन्य
उत्तर:
(क) व्यक्तिवाचक
13. इनकी गाथा छोड़ चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेन्ट वॉकर आ पहुंचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्व असमानों में,
जख्मी होकर वॉकर भागा,
उसे अजब हैरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
अंग्रेजों ने अनेक रियासतों पर कब्जा कर लिया। अब हम झाँसी चलें। वहाँ की रानी लक्ष्मीबाई मर्द का वेश धारण करके मदों के मध्य लड़ रही है। उसी समय अंग्रेज लेफ्टिनेंट वॉकर आ गया और वह जवानों के बीच में आगे बढ़ने लगा। रानी ने भी तलवार निकाल ली। दोनों में घमासान युद्ध होने लगा। वॉकर युद्ध में घायल हो गया। वह इस स्थिति में खुद को पाकर बड़ा हैरान हुआ। उसे ऐसी उम्मीद न थी। झाँसी की रानी अत्यंत वीरतापूर्वक लड़ रही थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. लक्ष्मीबाई किस रूप में खड़ी थी?
2. किस-किसमें युद्ध हुआ?
3. कौन जख्मी होकर भागा?
उत्तर:
1. लक्ष्मीबाई मदों में मर्द बनकर खड़ी थी अर्थात् वीरों में वीरांगना बनी हुई थी।
2. रानी लक्ष्मीबाई और लेफ्टिनेंट वॉकर के मध्य युद्ध हुआ।
3. लेफ्टिनेंट जख्मी होकर भाग गया।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. तलवार किसने खींच ली?
(क) रानी ने
(ख) वॉकर ने
(ग) सिपाही ने
(घ) अन्य ने
उत्तर:
(क) रानी ने
2. अजब हैरानी किसे थी?
(क) वॉकर को
(ख) लक्ष्मीबाई को
(ग) बुंदेलों को
(घ) सभी को
उत्तर:
(क) वॉकर को
14. रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना-तट पर अंग्रेजों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया
ने छोड़ी रजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
शब्दार्थ: तत्काल-फौरन (Immediately)| निरंतरलगातार (Continuous)। स्वर्ग सिधारना-मरना (Dead)।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
रानी आगे बढ़कर कालपी पहुँची। वह कई सौ मील चलकर आई थी। उसका घोड़ा थककर जमीन पर गिर गया और तभी मर गया। यमुना नदी के किनारे पर अंग्रेजों ने रानी से फिर हार खाई। जीतकर रानी आगे बढ़ चली और उसने ग्वालियर पर अपना कब्जा जमा लिया। वहाँ के सिंधिया अंग्रेजों के साथी थे। उन्हें अपनी राजधानी छोड़नी पड़ी। इस प्रकार. लक्ष्मीबाई जीतती हुई आगे बढ़ती जा रही थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. रानी बढ़कर कहाँ आई?
2. घोड़े की क्या दशा हो गई थी?
3. रानी ने किस पर अधिकार कर लिया?
उत्तर:
1. रानी सौ मील चलकर कालपी आ गई।
2. रानी का घोड़ा थककर भूमि पर गिर पड़ा और शीघ्र ही मर गया।
3. रानी ने ग्वालियर पर अधिकार जमा लिया।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. अंग्रेजों ने रानी से कहाँ हार खाई?
(क) कालपी में
(ख) ग्वालियर में
(ग) यमुना-तट पर
(घ) कानपुर में
उत्तर:
(ग) यमुना-तट पर
2. अंग्रेजों के मित्र कौन थे?
(क) सिंधिया
(ख) मराठे
(ग) बुंदेले
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) सिंधिया
15. विजय मिली, पर अंग्रेजों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था, उसने मुंह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी,
पर पीछे छू रोज आ गया,
हाय! घिरी अब रानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झांसी वाली रानी थी।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
रानी को जीत तो मिल रही थी, पर अंग्रेजों की सेना ने उसे फिर घेर लिया। अब की बार जनरल स्मिथ सामने आ गया था। उसने भी मुँह की खाई, अर्थात् हारना पड़ा। आज रानी की सखियाँ भी उसके साथ थीं। उन्होंने भी युद्ध-क्षेत्र में काफी शत्रुओं को मारा था। पीछे से ा रोज आ गया। अब रानी बुरी तरह घिर गई। अंग्रेजी सेना ने रानी को घेर लिया।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. अबकी बार अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई करने कौन आया था?
2. रानी लक्ष्मीबाई के साथ कौन थीं?
3. बाद में रानी को किसने घेर लिया था?
उत्तर:
1. अबकी बार जनरल स्मिथ अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई करने आया था।
2. रानी लक्ष्मीबाई के साथ उसकी सखियाँ काना और मंदरा थीं। उन्होंने युद्ध में खूब मार-काट मचाई थी।
3. बाद में रानी को घुरोज़ ने घेर लिया था।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. किसने मुँह की खाई?
(क) जनरल स्मिथ ने
(ख) यूरोज ने
(ग) रानी ने
(घ) काना-मंदरा ने
उत्तर:
(क) जनरल स्मिथ ने
2. युद्ध क्षेत्र में किसने भारी मार मचाई?
(क) रानी ने
(ख) काना ने
(ग) मंदरा ने
(घ) काना-मंदरा ने
उत्तर:
(घ) काना-मंदरा ने
16. तो भी रानी मार-काटकर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया था, यह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गए सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार,
घायल होकर गिरी सिंहनी।
उसे वीर-गति पानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: विषम-टेढ़ा। अपार-जिसे पार न किया जा सके।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
अंग्रेजी सेना से घिरी होने पर भी रानी ने बड़ी भारी मारकाट मचाई। वह शत्रु-सेना को पार कर आगे बढ़ भी गई, पर मार्ग में एक नाला आ गया। चूंकि अबकी नया घोड़ा था; अत: वह अड़ गया। इतनी देर में शत्रु की सेना आ पहुंची और रानी पर चारों ओर से वार होने लगे। रानी घायल होकर शेरनी के समान गिर पड़ी। उसे युद्ध-भूमि में मरकर वीरगति प्राप्त करनी थी और अब ऐसा ही प्रतीत हो रहा था। वह अपनी शक्ति-भर खूब लड़ी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. रानी के सम्मुख क्या समस्या आ गई?
2. घोड़ा क्यों अड़ गया?
3. रानी की क्या दशा हुई?
उत्तर:
1. रानी के सामने एक नाला आ गया था। उसे पार करना एक समस्या थी।
2. घोड़ा नया था अत: वह अड़ गया।
3. सिंहनी के रूप में रानी घायल होकर भूमि पर गिर पड़ी और वीरगति पा गई।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. घोड़ा कैसा था?
(क) नया
(ख) पुराना
(ग) बेकार
(घ) घायल
उत्तर:
(क) नया
2. ‘सिंहनी’ किसे कहा गया है?
(क) रानी को
(ख) काना को
(ग) मंदरा को
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(क) रानी को
17. रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई
हमको जो सीख सिखानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: दिव्य-अलौकिक (Unworldly)।
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
रानी स्वर्ग सिधार गई, अब वह चिता पर सवार थी, अर्थात् उसका अलौकिक व्यक्तित्व चिता की भेंट हो गया। उसका तेज अग्नि के तेज में मिल गया। उसकी आयु अभी केवल 23 वर्ष थी, वह एक साधारण स्त्री न होकर महान् स्त्री थी। वह हम सबको जगाने आई थी। इसने हमें रास्ता दिखा दिया और वह जो कुछ सिखाने आई थी, उसे सिखाकर चली गई। वह तो मदों की तरह से युद्ध-भूमि में वीरतापूर्वक लड़ी थी, वह झाँसी वाली रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1, रानी की क्या दशा हुई?
2. उसकी अभी उम्र कुल कितनी थी?
3. वह क्या काम कर गई?
उत्तर:
1. रानी अपना अमर बलिदान देकर स्वर्ग सिधार गई थी।
2. अभी उसकी उम्र केवल 23 वर्ष की थी।
3. रानी अपना बलिदान देकर भारतीयों को जीवित कर गई। वह हमें बलिदान का रास्ता दिखा गई।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. रानी कहाँ चली गई?
(क) स्वर्ग
(ख) झाँसी
(ग) कानपुर
(घ) कहीं नहीं
उत्तर:
(क) स्वर्ग
2. लक्ष्मीबाई क्या थी?
(क) मनुज
(ख) अवतारी
(ग) तेज
(घ) सवारी
उत्तर:
(ख) अवतारी
3. ‘जीवित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) जीव
(ख) वित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर:
(ग) इत
18. जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
वह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी,
तू खुद अमिट निशनी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
शब्दार्थ: कृतज्ञ-अहसान मानने वाला (One who feels obligation)। स्मारक-यादगाद (Memorial)|
प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
कवयित्री रानी लक्ष्मीबाई के प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कहती है-हे रानी! तुम भले ही चली गई हो, पर हम भारतवासी कृतज्ञ हैं और तुम्हें सदा याद रखेंगे। तेरे द्वारा किया गया अमर बलिदान हमारे अंदर त्याग की भावना जगाता रहेगा। हमारी स्वतंत्रता कभी नष्ट नहीं होने वाली। भले ही इतिहास चुप हो जाए, सच्चाई को फाँसी लग जाए।
हमें विजय अवश्य प्राप्त होगी, भले हमारा कुछ भी चला जाए। तेरा अलग से कोई स्मारक बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि तू अपना स्मारक स्वयं है। तेरी निशानी को कोई नहीं मिटा सकता। हमने लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी बुंदेलों के मुँह से सुनी थी।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. भारतवासी क्या करेंगे?
2. रानी का बलिदान कैसा रहेगा?
3. अंग्रेजों की विजय को कैसा बताया गया है?
उत्तर:
1. भारतवासी कृतज्ञ हैं अतः लक्ष्मीबाई के अमर बलिदान को सदा याद रखेंगे।
2. रानी का बलिदान कभी बेकार न जाएगा। यह सदा याद रखा जाएगा।
3. अंग्रेजों की विजय को मदमाती बताया गया है।
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए
1. ‘कृतज्ञ’ का विलोमार्थी शब्द है
(क) कृतघ्न
(ख) कृतार्थ
(ग) यज्ञ
(घ) परोपकार
उत्तर:
(क) कृतघ्न
2. रानी का स्मारक क्या होगा?
(क) वह स्वयं
(ख) बलिदान
(ग) विजय
(घ) स्वतंत्रता
उत्तर:
(क) वह स्वयं
झाँसी की रानी Summary in Hindi
झाँसी की रानी कवयित्री का संक्षिप्त परिचय
श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 ई. में प्रयाग (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। उनका अधिकांश समय जबलपुर में बीता। 1919 ई. में उनका विवाह खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ। पति-पत्नी दोनों ने मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। वे कई बार जेल भी गई। 1948 में एक दुर्घटना में उनका देहांत हो गया।
सुभद्रा कुमारी ने देशभक्ति और वात्सल्य भावना की कविताएँ लिखीं। ‘झाँसी की रानी’ उनकी प्रसिद्ध रचना है। इनकी अन्य रचनाएँ हैं- ‘त्रिधारा’, ‘मुकुल’ (काव्य), “बिखरे मोती’ (कहानी संग्रह)। इनकी भाषा अत्यंत सरल है।
झाँसी की रानी कविता का सार
‘झाँसी की रानी’ शीर्षक कविता सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित है। इसमें कवयित्री ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका को रेखांकित किया है। वह कानपुर के नाना साहब की मुंहबोलो बहन ‘छबीली’ थी। वह अपने पिता की अकेली संतान थी। बरछी, ढाल, तलवार ही उसकी सहेलियाँ थीं। वीर शिवाजी की गाथाएँ उसे भली प्रकार याद थीं। वह लक्ष्मी-दुर्गा का अवतार प्रतीत होती थी। वह वीरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेती थी। वह भवानी की पूजा करती थी।
वह विवाह होने के उपरांत झाँसी में रानी बनकर आ गई। सर्वत्र प्रसन्नता छा गई। पर किस्मत ने उसे धोखा दे दिया। रानी शीघ्र ही विधवा हो गई। राजा नि:संतान मरे थे, अत: उत्तराधिकार की समस्या उठ खड़ी हुई। अंग्रेज सेनापति इस स्थिति से खुश हुआ। वह फौज लेकर झाँसी पर कब्जा करने आ गया। वे जीत हासिल करते चले गए। अनेक योद्धा उनसे लड़े तो सही पर जीत न सके। अब लक्ष्मीबाई ने रण-चंडी का रूप धारण कर लिया। मर्दाने वेश में जनरल वॉकर के सामने जा खड़ी हुई।
वॉकर जख्मी होकर भाग गया। कालपी पहुँचकर रानी का घोड़ा मर गया। रानी दूसरा घोड़ा लेकर आगे बढ़ी। उसने ग्वालियर में अधिकार कर लिया। अब उसके सामने जनरल स्मिथ आ खड़ा हुआ। रानी का घोड़ा नया था। अतः अड़ गया और रानी घायल होकर गिर पड़ी। वह स्वर्ग सिधार गई, तेज तेज में समा गया। रानी लक्ष्मीबाई की कहानी सदा के लिए अमर हो गई। वह तो स्वतंत्रता की प्रतीक थी। उन्हें भारत सदा याद रखेगा।