HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

HBSE 6th Class Hindi संसार पुस्तक है Textbook Questions and Answers

पत्र से

प्रश्न 1.
लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है?
उत्तर:
लेखक ने प्रकृति की विविध चीजों को ही प्रकृति के अक्षर कहा है। पहाड़, पत्थर, नदी, मैदान, रोड़ा, पक्षी ये सभी प्रकृति के अक्षर हैं। इनको पढ़ने-समझने से बहुत बातें स्वयं पता चल जाती हैं।

प्रश्न 2.
लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती कैसी थी?
उत्तर:
लाखों-करोड़ों वर्ष पहले इस धरती पर कोई आदमी नहीं रहता था। तब जानवर भी नहीं थे। तब यह धरती बहुत गर्म थी।

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प्रश्न 3.
दुनिया का पुराना हाल किन चीजों से जाना जाता है? उनके कुछ नाम लिखो।
उत्तर:
दुनिया का पुराना हाल इन चीजों से जाना जाता है

  • पहाड़
  • समुद्र
  • सितारे
  • नदियाँ
  • जंगल
  • जानवरों की हड्डियाँ।

प्रश्न 4.
गोल चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है?
उत्तर:
गोल चमकीला रोड़ा अपनी कहानी बताता है कि बहुत समय पहले वह चट्टान का एक टुकड़ा था। उसके किनारे और कोने भी थे। वह पहाड़ के दामन में पड़ा रहा। जब पानी आया और उसे बहाकर छोटी घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे एक छोटे दरिया में पहुंचा दिया. फिर वह बड़े दरिया में पहुंचा और उसके पेंदे में लुढ़कता रहा। इससे उसके किनारे घिस गए और वह चिकना तथा चमकदार हो गया।

प्रश्न 5.
गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो क्या होता? विस्तार से उत्तर लिखो।
उत्तर:
गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो वह और छोटा होता चला जाता और अंत में बालू का एक कण बन जाता। इस प्रकार वह नदी या समुद्र की रेत बन जाता। तब वह बालू का किनारा होता, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे खेलते हैं और घरौंदे बनाते हैं।

प्रश्न 6.
नेहरूजी के इस बात का हलका-सा संकेत दिया है कि दुनिया कैसे शुरू हुई होगी? उन्होंने क्या बताया है? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर:
नेहरूजी ने बताया है कि यह पृथ्वी लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। पहले यहाँ न कोई आदमी था, न जानवर। एक समय ऐसा भी था कि जब इस पृथ्वी पर कोई जानदार चीज न थी। तब धरती बेहद गर्म थी। धीरे-धीरे यह धरती कम गर्म होती चली गई और जानवर अस्तित्व में आए। बाद में आदमी इस धरती पर आए।

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पत्र से आगे

1. लगभग हर जगह दुनिया की शुरुआत को समझाती हुई कहानियाँ प्रचलित हैं। तुम्हारे यहाँ कौन-कौन सी कहानी प्रचलित है?
उत्तर:
हमारे यहाँ एक कहानी प्रचलित है कि इस दुनिया की शुरुआत भगवान ने की। उसी ने इस सृष्टि के क्रम को आगे बढ़ाया।

2. तुम्हारी पसंदीदा किताब कौन-सी है/हैं और क्यों?
उत्तर:
हमारी पसंदीदा किताब तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ है। इसमें नीति, धर्म, व्यवहार, कर्तव्य-अकर्तव्य आदि सभी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है।

3. मसूरी और इलाहाबाद शहर भारत के कौन-से प्रदेश/प्रदेशों में हैं?
उत्तर:
मसूरी – उत्तरांचल प्रदेश में।
इलाहाबाद – उत्तर प्रदेश में।

4. तुम जानते हो, दो पत्थरों को रगड़कर आदि मानव ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या-क्या उपयोग होता था?
उत्तर:
उस युग में पत्थरों का निम्नलिखित रूपों में उपयोग होता था-

  • हथियार बनाने में।
  • मकान बनाने में।

5. यदि प्रकृति का एक अक्षर किसी पेड़ को मानें, तो क्या उसे पढ़ने के लिए सिर्फ आँखों का इस्तेमाल करना होगा?
उत्तर:
उसे आँखों के अतिरिक्त हाथों से छूकर तथा मस्तिष्क से सोचकर भी पढ़ना होगा।

भाषा की बात

1. ‘इस बीच वह दरिया में लटकता रहा।’ नीचे लिखी क्रियाएँ पढ़ो। क्या इनमें और ‘लुढ़कना’ में तुम्हें कोई समानता नजर आती है?
ढकेलना, सरकना, खिसकना.
उत्तर:
इन चारों क्रियाओं का अंतर समझाने के लिए इनसे वाक्य बनाओ।
ढकेलना – दूसरों को ढकेलना ठीक नहीं है।
ढकेलता – वह लोगों को ढकेलता चला गया।
सरकना – हमें धीरे-धीरे सरकना होगा।
सरकता – वह सरकता चला गया।
खिसकना – हमें धीरे-धीरे खिसकना चाहिए।
खिसकता – वह आगे खिसकता चला गया।

2. चमकीला रोड़ा – यहाँ रेखांकित विशेषण ‘चमक’ संज्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोड़ने पर बना है। निम्नलिखित शब्दों में यही प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएँ लिखो-
पत्थर ………..
काँटा ………….
रस ………….
जहर ………….
उत्तर:
पत्थर + ईला = पथरीला
रस + ईला = रसीला
काँटा + ईला = कँटीला
जहर + ईला = जहरीला

3, ‘जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।’ यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम जब-तो (तब) कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं। योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं। नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक-एक वाक्य बनाओ।
उत्तर:
(क) कृष्णन् फिल्म देखना चाहता है …… मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा ……….. वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब ……….. दुर्गापुर जाएँगे ……….. जालंधर।
(घ) सब्जी कटवाकर रखना ……….. घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(ङ) ……….. मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा …….. मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं ……….. तारीफ ही की थी।
(छ) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है ……….. अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है ……….. फ्रेंच।
बल्कि / इसलिए / परंतु / कि / यदि / तो कि / या / ताकि
उत्तरः
(क) कृष्णन् फिल्म देखना चाहता है परंतु में मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब तो दुर्गापुर जाएँगे न कि जालंधर।
(घ) सब्बी कटवाकर रखना ताकि घर आते ही में खाना बना लूँ।
(ङ) यदि मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा तो मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं बल्कि तारीफ ही की
(छ) इस वर्ष फसल अच्छी नहीं हुई है इसलिए अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है न कि फ्रेंच।

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सुनना और सुनाना

1. एन.सी.ई.आर.टी. की श्रव्य श्रृंखला ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’।
2. एन.सी.ई.आर.टी. का श्रव्य कार्यक्रम ‘पत्थर और पानी की कहानी’।

HBSE 6th Class Hindi संसार पुस्तक है Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रोड़ा कैसे चमकीला और चिकना तथा गोल बना?
उत्तर:
एक समय जब रोड़ा एक चट्टान का टुकड़ा था, उसमें किनारे और कोने थे। वह किसी पहाड़ के दामन में पड़ा रहा। तब पानी आया और उसे बहाकर छोटी घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे एक छोटे-से दरिया में पहुंचा दिया। इस छोटे-से दरिया से वह बड़े दरिया में पहुंचा। इस बीच वह दरिया के पेदे में लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह चिकना तथा चमकदार हो गया।

प्रश्न 2.
नेहरू जी ने पुत्री को क्या सलाह दी?
उत्तर:
नेहरू जी ने पुत्री को कहा कि इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है। अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक है, तो तुम्हें सब देशों का और उन सब जातियों का, जो इसमें बसी हुई हैं, ध्यान रखना पड़ेगा, केवल उस एक छोटे-से देश का नहीं जिसमें तम पैदा हुई हो।

प्रश्न 3.
धरती के बारे में इस पाठ में क्या बताया गया है?
उत्तर:
धरती के बारे में इस पाठ में बताया गया है कि यह लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। सबसे पहले यहाँ न आदमी थे न जानवर। तब जानदार चीजें न थीं। बाद में जानवर और आदमी इस धरती पर आ गए।

प्रश्न 4.
किन चीजों से दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है?
उत्तर:
किताबों से, पहाड़ों से, समुद्रों से, नदियों से, सितारों से, जंगलों से, जानवरों की पुरानी हड्डियों से दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है।

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प्रश्न 5.
हमें कौन-सी पुस्तक पढ़नी चाहिए?
उत्तर:
हमें संसार रूपी पुस्तक पढ़नी चाहिए।

प्रश्न 6.
एक रोड़ा दरिया में लुढ़कता-लुढ़कता किस रूप में बदल जाता है?
उत्तर:
रोड़ा दरिया में लुढ़कते-लुढ़कते छोटा होता जाता है और अंत में बालू रेत का कण बन जाता है।

संसार पुस्तक है गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मुझे मालूम है कि इन छोटे-छोटे खतों में बहुत थोड़ी-सी बातें ही बतला सकता हूँ। लेकिन मुझे आशा है कि इन थोड़ी-सी बातों को भी तुम शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि दुनिया एक है और दूसरे लोग जो इसमें आबाद हैं हमारे भाई-बहन हैं। जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम दुनिया और उसके आदमियों का हाल मोटी-मोटी किताबों में पढ़ोगी। उसमें तुम्हें जितना आनंद मिलेगा, उतना किसी कहानी या उपन्यास में भी न मिला होगा।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखित पत्र से अवतरित है। यह पत्र उन्होंने अपनी पुत्री को लिखा है।

व्याख्या:
नेहरूजी उस समय इलाहाबाद में थे और पुत्री मसूरी में थी, अत: पत्रों के माध्यम से ही वे अपनी बात कहते थे। वे यह बात भली प्रकार जानते थे कि पत्रों की एक सीमा है और पत्रों द्वारा थोड़ी सी बातें ही बताई जा सकती हैं। नेहरूजी को विश्वास है कि उनकी पुत्री उनके द्वारा बताई गई बातों को ध्यानपूर्वक और रुचि के साथ पढ़कर समझेगी।

उसे यह समझना होगा कि यह सारी दुनिया एक है और दुनिया भर के लोग हमारे भाई-बहन हैं। पुत्री जब बड़ी हो जाएगी तब उसे लोगों द्वारा लिखी गई मोटी-मोटी किताबें पढ़ने को मिलेंगी। उन पुस्तकों को पढ़ने में बड़ा आनंद आएगा। ऐसा आनंद कहानी या उपन्यास में भी नहीं आता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसे, क्या मालूम है?
2. लेखक अपनी पुत्री से क्या उम्मीद करता है?
3. बड़ी होने पर पुत्री क्या करेगी?
4. किताबों का आनंद किससे ज्यादा होगा?
उत्तर:
1. लेखक को यह मालूम है कि छोटे-छोटे पत्रों में थोड़ी-सी बातें ही बताई जा सकती हैं।
2. लेखक अपनी पुत्री इंदिरा से यह उम्मीद करता है कि वह पत्रों में बताई थोड़ी-सी बातों को भी शौक से पढ़ेगी और यह बात समझेगी कि यह दुनिया सारी एक है।
3. बड़ी होने पर पुत्री दुनिया के आदमियों का हाल मोटी-मोटी किताबों में पढ़ेगी।
4. उन मोटी किताबों में जो आनंद मिलेगा वह कहानी या उपन्यास से ज्यादा होगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. खतों में कितनी बातें बताई जा सकती हैं?
(क) काफी
(ख) थोड़ी
(ग) बहुत
(घ) कुछ नहीं
उत्तर:
(ख) थोड़ी

2. कौन लोग हमारे भाई-बहन हैं?
(क) दुनिया के देशों में बसे लोग
(ख) अपने देश के लोग
(ग) बाहर के लोग
(घ) घर के लोग
उत्तर:
(क) दुनिया के देशों में बसे लोग

3. इस पाठ के लेखक हैं
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ख) प्रेमचंद
(ग) इंदिरा गाँधी
(घ) मोतीलाल
उत्तर:
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू

2. कोई जबान, उर्दू, हिंदी या अंग्रेजी सीखने के लिए तुम्हें उसके अक्षर सीखने होते हैं। इसी तरह पहले तुम्हें प्रकृति के अक्षर पढ़ने पड़ेंगे, तभी तुम उसकी कहानी उसकी पत्थरों और चट्टानों की किताब से पड़ सकोगी। शायद अब भी तुम उसे थोड़ा-थोड़ा पढ़ना जानती हो। जब तुम कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती हो, तो क्या वह तुम्हें कुछ नहीं बतलाता है? यह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया और उसके खुरदरे किनारे या कोने क्या हुए?

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ पॉडत जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी पुत्री को लिखे एक पत्र का अंश हैं।

व्याख्या:
नेहरू जी का कहना है कि प्रकृति को समझने के लिए उसकी भाषा को पढ़ना और समझना होगा। किसी भी भाषा को पढ़ने और समझने के लिए उसके अक्षरों को सीखना पड़ता है। प्रकृति को पढ़ने के लिए पत्थरों और चट्टानों को जानना होगा। इसे हम पहले से भी थोड़ा-बहुत तो जानते ही हैं।

लेखक पुत्री से कहता है कि जब वह कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती होगी तो वह तुम्हें बहुत कुछ बतलाता होगा। वह यह बताता है कि वह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया और उसके खुरदरे किनारे या कोने किस प्रकार मिट गए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसी भी भाषा को सीखने के लिए क्या सीखना पड़ता है?
2. पत्थर और चट्टानों के बारे में क्या पढ़ सकते हैं?
3. एक छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा क्या बतलाता है?
उत्तर:
1. किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा के अक्षरों को सीखना पड़ता है।
2. पत्थर और चट्टानों की किताब को पढ़ने के लिए प्रकृति के अक्षरों से पढ़ सकते हैं।
3. एक छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा यह बतलाता है कि वह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया। उसके खुरदरे किनारे कहाँ चले गए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. इस गद्यांश में किस भाषा का उल्लेख है?
(क) उर्दू
(ख) हिंदी
(ग) अंग्रेजी
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

2. ‘गोल चमकीला रोड़ा’- रेखांकित शब्द व्याकरण में क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ग) विशेषण

3. ‘खुरदरे’ का विलोमार्थी है
(क) चिकना
(ख) चमकीला
(ग) गोल
(घ) टेड़ा
उत्तर:
(क) चिकना

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3. यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है और बहुत दिनों तक इसमें कोई आदमी न था। आदमियों के पहले सिर्फ जानवर थे और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था जब इस धरती पर कोई जानदार चीज न थी। आज जब यह दुनिया हर तरह के जानवरों और आदमियों से भरी हुई है, उस जमाने का खयाल करना भी मुश्किल है, जब यहाँ कुछ था।

लेकिन विज्ञान जानने वालों और विद्वानों ने, जिन्होंने इस विषय को खूब सोचा और पढ़ा है, लिखा है कि एक समय ऐसा था जब वह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी और अगर हम उनकी किताबें पढ़ें और पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों को गौर से देखें तो हमें खुद मालूम होगा कि ऐसा समय जरूर रहा होगा।

प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश पडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी पुत्री को लिखे पत्र का एक अंश है।

व्याख्या:
लेखक बताता है कि यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। उस समय इस पर कोई आदमी नहीं रहता था। आदमियों से पहले इस धरती पर केवल जानवर थे। जानवरों से पहले इस धरती पर जानदार, प्राणी भी नहीं रहते थे। आज दुनिया जानवरों और आदमियों से भरी पड़ी है। अब तो उस जमाने का खयाल करना भी कठिन है। वैज्ञानिकों और विद्वानों ने इस बारे में बहुत सोचा, पढ़ा और लिखा है। एक समय यह भी था कि यह धरती बेहद गरम थी।

तब इस धरती पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी। उस जमाने के बारे में उस समय की किताबों, पहाड़ों तथा जानवरों की पुरानी हड्डियों को ध्यानपूर्वक देखने से भली प्रकार पता चल सकता है। हम जान जाएंगे कि कभी ऐसा समय जरूर रहा होगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. यह धरती कितनी पुरानी है?
2. आदमियों से पहले धरती पर कौन थे?
3. वैज्ञानिकों और विद्वानों का धरती के बारे में क्या कहना था?
4. हमें खुद क्या मालूम हो जाएगा?
उत्तर:
1. यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है।
2. आदमियों से पहले इस धरती पर केवल जानवर थे। जानवरों से पहले धरती पर कोई जानदार चीज न थी।
3. वैज्ञानिकों और विद्वानों ने लिखा है कि एक समय ऐसा था जब यह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी।
4. किताबों को पढ़ने तथा पहाड़ों और जानवरों की हड्डियों देखने पर हमें यह मालूम हो जाएगा कि ऐसा समय जरूर रहा होगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. आज यह धरती किनसे भरी पड़ी है?
(क) आदमियों से
(ख) जानवरों से
(ग) दोनों से
(घ) किसी से नहीं
उत्तर:
(ग) दोनों से

2. एक समय यह धरती कैसी थी?
(क) बेहद गर्म
(ख) बेहद ठंडी
(ग) सामान्य
(घ) मिली-जुली
उत्तर:
(क) बेहद गर्म

3. धरती के बारे में जानने के लिए किस काम की सलाह दी गई है?
(क) किताबें पढ़ने की
(ख) पहाड़ों को देखने की
(ग) जानवरों की पुरानी हड्डियों को देखने की
(घ) उपर्युक्त सभी काम
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी काम

HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 संसार पुस्तक है

संसार पुस्तक है Summary in Hindi

संसार पुस्तक है पाठ का सार

यह पाठ मूल रूप से एक पत्र है, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुत्री इंदिरा को लिखा है। लेखक के पत्रों का संकलन ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से प्रकाशित हुआ। लेखक अपनी पुत्री को संबोधित करते हुए कहता है कि जब वह उसके साथ रहती थी, तब वह अनेक प्रकार के प्रश्न पूछा करती थी और वह उनके जवाब देने की कोशिश किया करते थे।

अब पुत्री मसूरी में है और लेखक इलाहाबाद में है, अतः आमने-सामने तो कोई बातचीत नहीं हो सकती। अब तो पत्रों के द्वारा ही दुनिया की बातें बताई जा सकती हैं। पुत्री ने भारत और इंग्लैंड का इतिहास पढ़ा है। इंग्लैंड एक छोटा-सा टापू है जबकि हिंदुस्तान एक बहुत बड़ा देश है। अभी तो वह छोटी है पर बड़ी होने पर उसे दुनिया के बारे में मोटी-मोटी किताबों में बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा।

लेखक पुत्री को बताता है यह धरती करोड़ों वर्ष पुरानी है। यहाँ आदमियों से पहले सिर्फ जानवर थे। उनसे भी पहले यहाँ कोई जानदार चीज न थी। आज की दुनिया हर तरह के जानवरों और आदमियों से भरी पड़ी है। एक समय ऐसा भी था जब यह धरती बहुत गर्म थी और इस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी। उस समय के बारे में हमें पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों से पता चल जाता है।

अब प्रश्न उठता है कि जब उस पुराने जमाने में आदमी ही न था तब भला किताबें कौन लिखता था? पर उस जमाने की कुछ चीजें ऐसी हैं जिनसे हमें दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है। हमें संसार रूपी पुस्तक को स्वयं पढ़ना होगा। एक छोटा-सा रोड़ा, जिसे हम सड़क पर या पहाड़ के नीचे पड़ा हुआ देखते हैं, वह भी संसार की पुस्तक का एक छोटा-सा पृष्ठ है और उससे कोई नई बात मालूम हो सकती है। पर हमें उसे पढ़ना आना चाहिए। किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसके अक्षर सीखने होते हैं।

अत: हमें पहले प्रकृति के अक्षर पढ़ने होंगे। जब तुम कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती हो तब वह तुम्हें बहुत कुछ बतलाता है कि वह कैसे चमकीला और चिकना बन गया। तुम उसकी कहानी सुन सकती हो। चट्टान के टुकड़े को पानी बहाकर घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे छोटे-से दरिया में पहुंचा दिया।

वह दरिया के पेंदे में लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह चिकना और चमकदार हो गया। अगर वह दरिया उसे और आगे ले जाता तो वह छोटा होते-होते अंत में बालू का एक कण बन जाता। इसी बालू रेत से छोटे-छोटे बच्चे खेलते और घरौंदे बनाते हैं। एक छोटा-सा रोड़ा हमें इतनी बातें बता सकता है तो पहाड़ और दूसरी चीजें तो हमें न जाने कितनी बातें बता सकती हैं।

संसार पुस्तक है शब्दार्थ

अक्सर = प्रायः (Generally)। दामन = पहाड़ों के नीचे की जमीन (Land under mountain)। खत = पत्र, चिट्टी (Letter)। आबाद = बसा हुआ (Populated)। गढ़ना = निर्माण करना (To construct)। शत = प्रतिज्ञा, वह बात जिस पर बात का होना, किया जाना, कायम रहना निर्भर हो (Condition)। खुरदरा = जिसकी सतह चिकनी न हो (Nor even)। बरिया = नदी (River)। मुश्किल = कठिन (Difficulty। बेहद = बहुत अधिक (Too much)।

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