Author name: Prasanna

HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 ध्वनि

Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 ध्वनि

HBSE 8th Class Hindi ध्वनि Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर:
कवि को ऐसा विश्वांस इसलिए है कि अभी उसके जीवन में काफी उत्साह और ऊर्जा है। वह युवा पीढ़ी को आलस्य की दशा से उबारना चाहता है। अभी उसे का काम करना है। वह स्वयं को काम के सर्वथा उपयुक्त माना है।

प्रश्न 2.
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
उत्तर:
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि उन्हें कलियों की स्थिति से निकालकर खिले फूल बनाना चाहता है। वह कलियों पर वासंती स्पर्श का हाथ फेरकर खिला देगा। वह युवकों को काव्य-प्रेरणा से अनंत का द्वारं दिखा देमा।

HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 ध्वनि

प्रश्न 3.
कवि पुष्पों की तन्द्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर:
कवि पुष्पों की तन्द्रा (नींद) और आलस्य को दूर | हटाने के लिए उन पर हाथ फेरेगा और उनको खिला देगा। जो काम वसंत करता है, वही काम कवि भी करेगा। कलियाँ आलस्य में पड़े युवकों की प्रतीक हैं। वह उनके आलस्य को दूर भगा देगा।

कविता से आगे

प्रश्न 1.
वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
वसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि यह सभी ऋतुओं का राजा है। वसंत को सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना जाता है। इस ऋतु में प्रकृति पूरे यौवन पर होती है। इस ऋतु में उसकी छटा देखते ही बनती है। यह ऋतु मुर्दो में भी जान डाल देती है। यह ऋतु सभी को अच्छी लगती है।

प्रश्न 2.
वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
वसंत ऋतु में आने वाले त्योहार – वसंत पंचमी : वसंत पंचमी पर सर्दी घटने लगती है। लोग पीले वस्त्र पहनते हैं तथा पीली वस्तुएँ खाते हैं। बागों में बहार चरम सीमा पर होती है।

महाशिवरात्रि : भगवान शंकर की पूजा-अर्जना की जाती है। यज्ञ तथा मेलों आदि का आयोजन होता है।

होली : यह फागुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह मस्ती भरा त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। भारत विभिन्न ऋतुओं का देश है। वसंत को ऋतुराज की संज्ञा दी जाती है। रंगों का त्योहार होली ऋतुराज वसंत के आने का सूचक है। शीत ऋतु के उपरांत वसंत में प्रकृति अनगिनत रंगों के फूलों से सज जाती है। सर्वत्र प्रकृति के रंग-बिरंगे का ही साम्राज्य होता है। रंग-बिरंगे पुष्प एवं सरसों के पीले पुष्पों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है

और मस्ती में झूम उठता है। इस रंग-बिरंगे वसंत में ही होली का शुभागमन होता है। होली का त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार दो दिन तक प्रमुख रूप से मनाया जाता है। पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन होता है। लोग रात को अपने घरों में ही होली जलाते हैं तथा रबी की फसल की जौ और गेहूँ आदि की बालियाँ भूनते हैं। परस्पर भूने अन्न के दानों का आदान-प्रदान करते हुए अभिवादन करते हैं। अगले दिन प्रातः से ही सभी आबाल वृद्ध एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं। एक दूसरे के गले मिलते हैं। सभी भेद-भाव भुलाकर रंग डालते हैं। लोगों के चेहरे और कपड़े रंग-बिरंगे हो जाते हैं। लोग मस्ती में गाते, बजाते, नाचते हैं। इस प्रकार होली पारस्परिक प्रेम और सौहार्द का परिचायक है।

रंगों के पर्व होली का पौराणिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्त्व हैं। एक पौराणिक आख्यान के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक दैत्यराज था। वह अत्यंत अत्याचारी एवं क्रूर था। उसने भक्त स्वभाव के अपने पुत्र प्रह्लाद पर अनेक अत्याचार किए। हिरण्यकश्यप चाहता था कि प्रह्लाद अपने पिता को ही भगवान् माने। इसलिए वह ईश्वर भक्त प्रहलाद से सदैव कुद्ध रहता था। अनेक अत्याचारों के असफल होने पर उसने एक अंतिम उपाय किया। हिरण्यकश्यप की एक होलिका नाम की बहन थी जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। उसने होलिका के सहयोग से प्रहलाद को जलाने की बात सोची। वह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रह्लाद की गोद में लेकर आग में बैठ गई। भगवान् की कृपा से होलिका तो जल गई परंतु प्रहलाद सकुशल बच गया। कहते हैं कि तभी से इस दिन होलिका का दहन किया जाता है। एक ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म किया था। अतः यह पर्व मदन-दहन पर्व बन गया।

रंगों का त्योहार होली हमें पारस्परिक प्रेम एवं सौहार्द का संदेश देता है। इस दिन शत्रु भी अपनी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाते हैं, परंतु कुछ लोग अपनी विकृत मानसिकता का प्रयोग होली में करते हैं। वे शराब पीकर ऊद्यम मचाते हैं, कई बार प्रदूषित रंगों से आँखों एवं चमड़ी के रोग हो जाते हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें शालीनता के साथ गुलाल लगाकर प्रेमपूर्वक होली खेलनी चाहिए ताकि समाज में स्नेह एवं प्रेम का सौहार्द बढ़े।

प्रश्न 3.
“ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है”-इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:
लोगों के जीवन पर ऋतु-परिवर्तन का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। शीत ऋतु में हम काँपते रहते हैं तो वसंत ऋतु का आगमन हमें मस्ती एवं उल्लास से भर देता है। फिर ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। धरती तपने लगती है। पसीना छूटता है। लोग वर्षा की कामना करते हैं। वर्षा ऋतु जीवन में उल्लास लेकर आती है। अन्न उपजाने के लिए वर्षा ऋतु की बड़ी आवश्यकता होती है। इस प्रकार सभी ऋतुओं से लोगों का जीवन प्रभावित होता है।

अनुमान और कल्पना

1. कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।

कविता की इन पंक्तियों में वसंत ऋत का वर्णन है। वसंत में ही होली का त्योहार आता है। आमों के बौर भी इसी ऋतु में फूटते हैं।

2. स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
हम फूल-पौधों के लिए ये काम करना चाहेंगे:

  • उन्हें पानी से सीचेंगे।
  • उनमें समय-समय पर खाद डालना चाहेंगे।
  • फूलों को पूरी तरह खिलने देंगे। उनको तोड़ेंगे नहीं।

3. कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का और किन-किन संदों से संबंध जुड़ सकता है? जैसे नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो…
माँ अपने नन्हें-नन्हें बालक को जगाती है। उस पर प्यार भरा हाथ फेरती है।
→ माली भी पौधों पर अपना प्यार भरा हाथ फेरता है, उन्हें सींचता है, उनका विकास करता है।

HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 ध्वनि

भाषा की बात

1. ‘हरे-भरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ पात शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है, जब कर्ता या विशेष्य एकवचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे-वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में प्रयोग होता है-तीन बेर खाती है तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थ में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है।

कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है। जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं, जैसे-मन का मनका।

ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।।

काली घटा का घमंड घटा (घटा बादल की घटा, कम हुआ)

  • माँ का लाल गुस्से में लाल हो गया।
  • रात में घड़ी प्रातःकालीन घड़ी की ओर जा रही थी।
  • कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय।

2. ‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’:
विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमशः कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्द बता रहे हैं।

हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैं – गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।

  • गुणवाचक विशेषण – सुंदर बालक, लंबी मेज
  • परिमाणवाचक विशेषण – दो किलो चीनी, थोड़ा चावल
  • संख्यावाचक विशेषण – चार केले, पाँचवाँ बालक
  • सार्वनामिक विशेषण – वह घर, यह बोतल

कविता से आगे

1. वसंत पर अनेक सुंदर कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए।

2. शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ देखिए। शब्दकोश में शब्दों के अर्थों के अतिरिक्त बहुत-सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं। उन्हें अपनी कॉपी में लिखिए।

वसंत पर कविताएँ:
ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि पद्ममाकर ने अपने शब्दों में वसंत की शोभा का वर्णन करते हुए कहा है –
कूलन में केलिन में कछारन में
कंजन में क्यारिन में कलित कलीन किलकत है।
कहै पद्ममाकर पराग हूँ मैं, पोन हूँ मैं
पानन में, पीकन में, पलाशन पगंत है।
कछार में, दिशा में, दूनी में, देश-देशन में
बनन में, बागन में बगरयो वसंत है।
श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने तो वसंत की समृद्धता और ऐश्वर्यता की तुलना मठ के प्रधान महंत से की है :
आए महंत वसंत
मखमल के झले पड़े हाथी-सा टीला
बैठे किंशुक छत्र लगा बाँध पाग पीला
चँवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत
आए महंत वसंत।

शब्दकोश में वसंत के अर्थ:

  • छह ऋतुओं में से एक ऋतु जो चैत्र-वैशाख में आती है
  • कामदेव का सहचर
  • अतिसार
  • एक वृत्त
  • एक राग।

ध्वनि Summary in Hindi

ध्वनि कवि-परिचय

प्रश्न: सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ का जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय : निराला जी का जन्म सन् 1897 ई. में बंगाल के महिषादल राज्य में मेदिनीपुर नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता श्री रामसहाय त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के निवासी थे और आजीविका के लिए महिषादल (बंगाल) चले गये थे। निराला की आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्होंने संस्कृत, बंगला और अंग्रेजी का अध्ययन घर पर ही किया। उनकी साहित्य के अतिरिक्त-दर्शनशास्त्र व संगीत के प्रति रुचि थी। इनकी विचारधारा पर स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद का गहरा प्रभाव पड़ा। अपने निराले व्यक्तित्व के कारण ये हिंदी साहित्य जगत में ‘निराला’ उपनाम से प्रसिद्ध हुए।

रचनाएँ : ‘परिमल’, ‘अनामिका’, ‘गीतिका’, ‘अपरा’, ‘नये पत्ते’, ‘राम की शक्ति-पूजा’, ‘तुलसीदास’ (काव्य) अलका’, ‘निरुपमा’, ‘चोटी की पकड़’ (उपन्यास) ‘लिली’, ‘सखी’, ‘चतुरी चमार’ (कहानी संग्रह) प्रबंध की प्रतिमा’, ‘प्रबंध पद्म’ (निबंध : संग्रह) ‘रवींद्र-कविता-कानन’, ‘पतन और पल्लव’ (आलोचना) ‘समन्वय’, ‘मतवाला’, ‘सुधा’ (पत्रिका) आदि।

साहित्यगत विशेषताएँ : यद्यपि निराला हिंदी-साहित्य में कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं तथापि वे गद्य पर समान अधिकार रखते हैं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा के दर्शन उनकी काव्य रचनाओं एवं उपन्यास, कहानी, निबंध, रेखाचित्र और आलोचना के क्षेत्र में दिखाई देते हैं। पत्र-संपादक के क्षेत्र में भी लौह-लेखनी ने प्रसिद्धि पाई। उनकी आरंभिक कविताओं में छायावाद के दर्शन होते हैं। इसके अतिरिक्त उनकी गणना उच्च कोटि के रहस्यवादी और प्रगतिवादी कवियों में की जाती है। उन्होंने शृंगार, प्रेम, प्रकृति सौंदर्य, राष्ट्र-प्रेम आदि विषयों पर काव्य रचना की। उनके साहित्य में जहाँ दलित समाज के प्रति सहानुभूति का भाव है, वहाँ शोक शोषक वर्ग पर कटु व्यंग्य है।

भाषा-शैली : निराला ने काव्य की पुरानी परंपराओं को त्याग कर काव्य-शैली को नई दिशा प्रदान की। हिंदी काव्य में ‘स्वच्छंद-छंद’ निराला जी की देन है। निराला की कविताओं में संगीतात्मकता है। यद्यपि उनके साहित्य की भाषा तत्सम प्रधान है, तथापि उनकी प्रगतिवादी रचनाएँ बोलचाल की भाषा में हैं।

ध्वनि कविता का सार

इस कविता में कवि निराला कहते हैं कि अभी उनका अंत नहीं होने वाला है। जो आलोचक यह कह रहे थे कि अब निराला के कवि-जीवन का अंत होने वाला है कवि उनको इस कविता के माध्यम से करारा उत्तर देता है। कवि कहता है कि अभी तो उसके कवि-जीवन का उत्कर्ष हुआ है। उसके जीवन में वसंत की बहार आई हुई है। वह अपनी कविताओं के माध्यम से निद्रामग्न युवा पीढ़ी को आशा का संदेश देकर जागृत करेगा। वह एक-एक फूल अर्थात् एक-एक युवक से आलस्य को दूर भगा देगा और उनके जीवन में अमृत सींच देगा। वह उनको स्वर्ग जैसे सुखों का द्वार दिखा देगा। अभी उसे बहुत कुछ करना है। अभी उसका अंत नहीं आया है।

HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 ध्वनि

ध्वनि काव्याशों की सप्रसंग व्याख्या

1. अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत
अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

शब्दार्थ : मृदुल – कोमल सुखद (Tender), वन = जंगल, बगीचा, जीवन (Garden), अंत = समाप्ति (End), पात – पत्ते (Leaves), गात – शरीर (Body), निद्रित = नींद में (Drowsy), प्रत्यूष = प्रातःकालीन समय (time of early morning), मनोहर = सुंदर (Beautiful), कर * हाथ (Hands)।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘ध्वनि’ से अवतरित है। इसमें कवि अपने कवि जीवन के उत्कर्ष काल का वर्णन करता है।

व्याख्या : कवि आलोचकों को उत्तर देते हुए कहता है कि अभी मेरे कवि-जीवन का अंत नहीं होने वाला है। अभी-अभी तो मेरे जीवन में वसंत की बहार आई है अर्थात् मेरे कवि-जीवन का उत्कर्ष हुआ है। कवि के वन में अर्थात् जीवन में कोमल वसंत का आगमन अभी ही हुआ है। अतः अभी उसका अंत नहीं होने वाला। – अभी उसका शरीरं यौवन की मस्ती से भरपूर है। कवि अपने कोमल हाथों को इन कलियों पर फेरकर उनमें एक प्रात:कालीन सवेरे को जागृत कर देगा। कवि के कहने का भाव यह है कि जो युवक नींद में पड़े हुए हैं, वह उनको प्रेरित करके उनमें नए उत्कर्ष के स्वप्न जगा देगा। वह उनका आलस्य दूर या गलथा उनमें उत्साह का संचार कर देगा।

विशेष :
1. ‘अभी-अभी’, ‘हरे-हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
2. ‘कलियाँ कोमल’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत।

शब्दार्थ : पुष्प – फूल (Flower), तंद्रालस = आलस्य (Laziness sleepness), नव = नया (New), सहर्ष = खुशी के साथ (withjoy), द्वार = दरवाजा (Door), अनंत = जिसका अंत न हो (Endless)।

प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘ध्वनि’ से अवतरित है। इसमें कवि अपने कवि-कर्म का परिचय देते हुए कहता है :

व्याख्या : कवि कहता है कि मैं एक-एक फूल से आलस्य . को खींच लूँगा अर्थात् आलस्य में पड़े प्रत्येक युवक के मन से आलस्य की भावना को दूर कर दूंगा और उनके मन में नए जीवन का अमृत प्रसन्नतापूर्वक भर दूंगा। (वसंत भी यही काम करता है। वह लोगों में नव जीवन का संचार करता है।)

कवि युवा वर्ग के मन से आलस्य, निराशा की भावना को दूर करके उनको अमरता का द्वार दिखा देगा। कवि के जीवन में अभी वसंत आया ही है। अतः उसका अभी अंत नहीं होने वाला है।

विशेष:
1. ‘पुष्प-पुष्प’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
2. ‘सहर्ष सींच’ में अनुप्रास अलंकार है।
3. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

HBSE 7th Class Hindi विप्लव गायन Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर कालकूट फणि की चिंतामणि’
(क) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान किसके लिए/किस भाव के लिए प्रयुक्त हुआ है ?
(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का ‘रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरी अंतरतर से’- पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है।
उत्तर :
(क) वही स्वर, वह ध्यानि एवं वही तान क्रांति के भाव के लिए प्रयुक्त है।
(ख) हाँ, इनका आपस में संबंध बनता है। उसकी यह तान उसके हृदय की गहराइयों से निकली है।

प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
‘सावधान! मेरी वीणा में दोनों मेरी ऐंठी हैं।’
उत्तर :
कवि सरस्वती के उपासकों का आह्वान करते हुए उनसे एक ऐसा गीत सुनाने का आग्रह करता है जिससे सब जगह उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति आ जाए। उन्होंने अब तक मधुर गीत तो बहुत गा लिए, अब ऐसे गीत की आवश्यकता है जिससे क्रांति की ज्वाला निकले। कवि देश के सभी भागों से विचारों और भावों की लहरें उठने की कामना करता है।

कवि शोषकों और दमन-चक्र चलाने वालों को सावधान करते हुए कहता है कि अब मेरी वीणा (कंठ रूपी वीणा) में स्वतंत्रता की चिनगारियाँ आ बैठी हैं अर्थात् क्रांति के स्वर उभर रहे हैं। अब उससे प्रेम और श्रृंगार के मधुर स्वर नहीं निकलेंगे। अब तो केवल क्रांति के स्वर गूंजेंगे। यदि वीणावादक की उँगलियाँ अकड़ जाएँ अर्थात् ऐंठ जाएँ तो मिजराबें टूट जाती है और तब अपेक्षित स्वर नहीं निकल पाते। कवि की भी यही स्थिति हो गई है। कवि के मन में भी क्रांति के स्वर उभर रहे हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

कविता से आगे

1. स्वाधीनता संग्राम के दिनों में अनेक कवियों ने स्वाधीनता को मुखर करनेवाली ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ की ऐसी कविताओं की चार-धार पंक्तियाँ इकट्ठा कीजिए जिनमें स्वाधीनता के भाव ओज से मुखर हुए हैं।
उत्तर :
माखनलाल चतुर्वेदी
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ में देना तम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक।
जिनके मस्तक पर मातृभूमि का रस बरसे
जिनकी रग-रग में दूध भरा हो माता का।
सागर की बाँह मिलनोत्सुका प्रचंड बढ़ी
सूरज पूरब काटी का बना विधाता का।
उनकी सत्याग्रह-भरी विजय का बल जानो।
उनकी अजेय अनुराग-शक्ति को पहचानो।

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
बाधाएँ आएँ तन पर,
देखू तुझे नयन मन भर,
मुझे देख तू सजल दुगों से
अपलक, उर के शतदल पर;
क्लेद-युक्त, अपना तन दूंगा,
मुक्त करूंगा तुझे अटल,
तेरे चरणों पर देकर बलि,
सकल श्रेय-श्रम सचित फल।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

HBSE 7th Class Hindi विप्लव गायन Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि क्या चाहता है?
उत्तर :
कवि क्रांति लाना चाहता है।

प्रश्न 2.
कवि कैसी तान सुनना चाहता है?
उत्तर :
जिस तान को सुनकर उथल-पुथल मच जाए।

प्रश्न 3.
कवि के हृदय से कैसी तान निकली है?
उत्तर :
कवि के हृदय से कुद्ध तान निकली है।

प्रश्न 4.
कैसा गीत समाज में क्रांति ला सकता है?
उत्तर :
महानाश का मारक गीत समाज में क्रांति ला सकता है

प्रश्न 5.
विप्लव-गायन कैसी कविता है?
उत्तर :
‘विप्लव-गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है।

प्रश्न 6.
कवि संघर्ष करके क्या करना चाहता है?
उत्तर :
कवि संघर्ष करके नया सृजन (निर्माण) करना चाहता है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि ने यह विप्लव गीत क्यों लिखा होगा?
उत्तर :
कवि अपने गीत के माध्यम से समाज में क्रांति के लिए चेतना जगाना चाहता था। अत: उसने विप्लव गीत लिखा।

प्रश्न 2.
‘विप्लव-गायन’ का प्रतिपाद्य लिखो।
उत्तर :
‘विप्लव-गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है। विकास और गतिशीलता को अवरुद्ध करनेवाली प्रवृत्ति से संघर्ष करके कवि नया सृजन करना चाहता है। इसलिए कवि विप्लव के माध्यम से परिवर्तन की हिलोर लाना चाहता है।

विप्लव गायन काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. कवि, कुछ ……………… ऐंठी हैं।

शब्दार्थ: तान = लय, स्वर (Rhythem)। उथल-पुथल = ऊपर-नीचे होना, परिवर्तन (Change)। हिलोर = लहर (Wave)। मिजराबें = वीणा के तारों को छोड़ने के लिए उँगली में पहने जाने वाला छल्ला (Ring in finger)।

सप्रसंग व्याख्या :
प्रसंग :
यह काव्यांश प्रसिद्ध देशभक्त कवि बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ द्वारा रचित कविता ‘विप्लव-गायन’ से लिया गया है। इसे हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित किया गया है। यह एक क्रांतिगीत है। इसे नवीन जी ने स्वयं बीसियों बार गाया था। कवि एक नए समाज के निर्माण का आह्वान करता है।

व्याख्या :
कवि सरस्वती के उपासकों का आह्वान करते हुए उनसे एक ऐसा गीत सुनाने का आग्रह करता है जिससे सब जगह उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति आ जाए। उन्होंने अब तक मधुर गीत तो बहुत गा लिए, अब ऐसे गीत की आवश्यकता है जिससे क्रांति की ज्वाला निकले। कवि देश के सभी भागों से विचारों और भावों की लहर उठने की कामना करता है।

कवि शोषकों और दमन-चक्र चलाने वालों को सावधान करते हुए कहता है कि अब मेरी वीणा (कंठ रूपी वीणा) में स्वतंत्रता की चिनगारियाँ आ बैठी हैं अर्थात् क्रांति के स्वर उभर रहे हैं। अब उससे प्रेम और श्रृंगार के मधुर स्वर नहीं निकलेंगे। अब तो केवल क्रांति के स्वर गूंजेंगे। यदि वीणावादक की उँगलियाँ अकड़ जाएँ अर्थात् ऐंठ जाएँ तो मिजरा टूट जाती हैं और तब अपेक्षित स्वर नहीं निकल पाते। कवि की भी यही स्थिति हो गई है। कवि के मन में भी क्रांति के स्वर उभर रहे हैं।

विशेष :
1. कवि ने क्रांति का आह्वान किया है।
2. भाषा ओजपूर्ण है।
3. ‘कवि कुछ’ में अनुप्रास अलंकार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि और कविता का नाम लिखो।
2. कवि से कैसी तान सुनाने के लिए कहा जा रहा है?
3. कवि की वीणा में से कैसे स्वर निकल रहे हैं?
4. कवि किनका पक्षधर हे?
उत्तर:
1. कवि का नाम – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
कविता का नाम – विप्लव-गायन
2. कवि से ऐसी तान सुनाने के लिए कहा जा रहा है जिससे चारों ओर उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति का आगमन हो जाए।
3. कवि की वीणा से चिनगारी जैसे क्रांतिकारी स्वर निकल रहे हैं।
4. कवि शोषितों (किसान-मजदूरों) का पक्षधर है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह कविता किस वाद से प्रभावित है?
(क) छायावाद
(ख) प्रगतिवाद
(ग) साम्यवाद
(घ) प्रयोगवाद
उत्तर :
(ख) प्रगतिवाद

2. ‘उथल-पुथल मचने’ से कवि का क्या आशय है?
(क) क्रांति का आगमन हो जाए
(ख) समाज में परिवर्तन हो जाए
(ग) विद्रोह हो जाए
(घ) पानी बह जाए
उत्तर :
(क) क्रांति का आगमन हो जाए

3. “मिज़राबें” का अर्थ है
(क) वीणा बजान का छल्ला
(ख) वीणा के तार
(ग) वीणा के स्वर
(घ) अँगुली
उत्तर :
(क) वीणा बजान का छल्ला

4. इस कविता के रचयिता हैं
(क) मैथिलीशरण गुप्त
(ख) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) मनोहर लाल
उत्तर :
(ख) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

2. कंठ रुका ………………… अंतरतर से।

शब्दार्थ : कंठ = गला (Threatty) महानाश = पूरी बर्बादी (Toteil deestruction)। मारक = मारने वाला (Killery)। रुद्ध = रुका हुआ (Stopped)। हृत्तल = हृदय (Hearior) क्षुब्ध = कुपित (Angry)। दग्ध = जना हुआ (Burmy। कुद्ध = क्रोध में (Angry)। अंतर = हृदय (Heartyl

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ द्वारा रचित क्राति गीत ‘विप्लव-गायन’ से अवतरित हैं। क्रांति आने पर पहले नाश होता है और फिर नव-निर्माण होता है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि पहले मेरा कंठ रुका हुआ था। मैं चाहकर भी मारक गीत नहीं लिख पाता था। अब यह स्थिति समाप्त हो गई है। अब मेरे हृदय के अंदर वर्तमान शासन के प्रति क्रोध, आक्रोश और घृणा के भाव जाग गए हैं और मैंने क्रांति – गीत लिखने का निश्चय कर लिया है। इन गीतों से लोगों के हृदयों में आग लग कर रहेगी। अब एक प्रकार का युद्ध छिड़ गया है।

मेरे क्रांति गीत से जो आग निकलेगी उससे झाड़-झंखाड़ अर्थात् गलत रूढ़ियाँ परंपराएँ जलकर नष्ट हो जाएंगी। मेरे मन में अब तक जो गीत रुका हुआ था. अब उसकी क्षुब्ध (दुखी) तान विद्रोह की ज्वाला भड़काकर रहेगी क्योंकि यह तान मेरे हृदय की गहराई से निकली है। मेरा यह गीत मधुर एवं कोमल न होकर विद्रोह की ज्याला भड़काने वाला होगा। इसका प्रभाव व्यापक होगा।

विशेष :
1. तत्सम शब्दों का प्रयोग है।
2. ओज गुण का समावेश है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि की स्थिति क्या हो गई है?
2. अब वह कैसे गीत लिखना चाह रहा है?
3. क्रांति गीत से क्या होगा?
उत्तर:
1. कवि का कंठ रुक गया है और वह चाहकर भी मारक गीत नहीं लिख पा रहा है। अब उसके हृदय में शासन के प्रति क्रोध, आक्रोश और घृणा के भाव जाग गए हैं।
2. अब कवि क्रांति गीत लिखना चाह रहा है।
3. इस क्रांति गीत से विद्रोह की ज्वाला भड़केगी। इसका प्रभाव व्यापक होगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. आग कहाँ लगेगी?
(क) लोगों में
(ख) हृदय में
(ग) शासन में
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(ख) हृदय में

2. ‘दग्य’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. कवि कैसा गीत नहीं लिख पा रहा है?
(क) मारक गीत
(ख) रुद्ध गीत
(ग) क्रांति गीत
(घ) सामान्य गीत
उत्तर :
(क) मारक गीत

4. यह काव्यांश किस कविता से लिया गया है?
(क) विप्लव से
(ख) विप्लव-गायन से
(ग) क्रांति गीत से
(घ) मारक गीत से
उत्तर :
(ख) विप्लव-गायन से

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3. कण – कण …………… आया हूँ।

शब्दार्थ : व्याप्त = समाया हुआ (Spread over)। ध्वनि = आवाज़ (Sound)। कालकूट = जहर (Poison)। फणि = साँप (Snake)। भू-विलास = भौहें टेढ़ी होना, क्रोध (Anger)। पोषक = पालने वाले (Nourishing)। परख = जाँच (Test)

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘विप्लव-गायन’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ हैं।

व्याख्या :
कवि अपने कंठ से निकले गीत की व्यापकता को बताते हुए कहता है कि यह गीत सारे संसार के कण-कण में समाया हुआ है। आज प्रत्येक व्यक्ति का रोम-रोम इसी गीत को गा रहा है। केवल इस जगत के प्राणी ही नहीं, भयंकर विष को धारण करने वाले शेषनाग के सिर पर विद्यमान चिंतामणि भी इसी प्रलय-गीत का गायन कर रही है। वह भी क्रांति का आह्वान कर रहा है। शेषनाग भी मेरा क्रांति-गीत सुनकर मस्ती में अपना फन हिलाकर झूम रहा है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कण-कण में कौन-सा स्वर व्याप्त है?
2. कवि को जीवन का क्या राज समझ आ गया है?
3. कवि को महानाश के पोषक सूत्र कहाँ दिखाई दिए?
उत्तर:
1. कण-कण में क्रांति के स्वर व्याप्त हैं।
2. कवि को जीवन का यह रारा समझ में आ गया है कि क्रांति के बिना नव-निर्माण या परिवर्तन संभव नहीं है।
3. कवि को महानाश के पोषक सूत्र भौंहों के एक इशारे में दिखाई दिए अर्थात् जब लोग अपनी भृकुटि टेढ़ी करते हैं तब महानाश होता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘सेम-रोम’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) पुनरुक्ति
(ग) यमक
(घ) उपमा
उत्तर :
(ख) पुनरुक्ति

2. ‘भ्रू’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. ‘कालकूट’ शब्द का अर्थ है
(क) ज़हर
(ख) अमृत
(ग) दूध
(घ) पानी
उत्तर :
(क) ज़हर

4. इस कविता का मूल स्वर कैसा है?
(क) क्रांति का
(ख) विद्रोह का
(ग) परिवर्तन का
(घ) इन सभी का
उत्तर :
(घ) इन सभी का

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन

विप्लव गायन Summary in Hindi

विप्लव गायन कवि-परिचय

प्रश्न : बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जीवन परिचय देते हुए उनका साहित्यिक परिचय भी दीजिए।
उत्तर :
जीवन-परिचय :
बालकृष्ण शर्मा नवीन स्वतंत्रता संग्राम के एक निर्भीक पत्रकार, कवि, गद्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 8 दिसंबर, 1897 ई. को ‘ग्वालियर’ राज्य के शाजापुर नामक परगने के भयाना नामक गाँव में हुआ था। पिता बहुत निर्धन थे। वैष्णव माता-पिता के साथ उदयपुर राज्य में स्थित ‘नाथद्वारा’ मंदिर में बचपन की धमाचौकड़ी मचाने के बाद पढ़ाई के लिए पुनः शाजापुर आ गए। शाजापुर से मिडिल पास करने के बाद वे उज्जैन चले गए जहाँ उन्हरने माधव कॉलेज में प्रवेश लिया। युवा नवीन को राजनीति ने तीव्रता से आकृष्ट किया।

1916 ई. में लोकमान्य तिलक के आह्वान पर अखिल भारतीय कांग्रेस का अधिवेशन देखने लखनऊ जा पहुँचे। इसी अधिवेशन में उनकी भेंट माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और गणेशशंकर विद्यार्थी से हुई। 1917 ई. में हाई स्कूल पास करने के बाद वे गणेश शंकर विद्यार्थी के बुलावे पर कानपुर पहुँच गए, जहाँ विद्यार्थी ‘प्रताप’ नामक अखबार का प्रकाशन कर रहे थे। उन्होंने नवीन को ‘प्रताप’ में रख लिया और पढ़ाई के लिए ‘क्राइस्ट चर्च कॉलेज’ में भर्ती करा दिया।

1920 ई. में गाँधी जी के आह्वान पर सत्याग्रही बन गए और कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। 1931 ई. में गणेशशंकर विद्यार्थी की मृत्यु के बाद नवीन ही ‘प्रताप’ के मुख्य संपादक बने। 1960 ई. तक वे देश की राजनीति में बराबर सक्रिय रहे। 1952 ई. में प्रथम लोक सभा के सदस्य बने और मृत्युपर्यंत (1960 तक) भारतीय संसद के वरिष्ठ सदस्य भी रहे। वे फक्कड़ मनमौजी और अलमस्त किस्म के व्यक्ति थे। वे पक्के वैष्णव थे।

साहित्यिक परिचय :
1917 से वे गणेशशंकर विद्यार्थी के पत्र ‘प्रताप’ से जुड़े और इससे उनका संपर्क अंत तक बना रहा। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी की ‘खंडवा’ (म.प्र.) से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘प्रभा’ का संपादन कार्य भी 1921-23 तक किया था। इन पत्रों में उनकी लिखी संपादकीय टिप्पणियाँ अपने ओज, खरेपन और अभिव्यंजना शैली की विशिष्टता के कारण आज भी पठनीय हैं। वे एक निर्भीक पत्रकार थे। रचनाएँ : कुमकुम, रश्मिरेखा, अपलक, हम विषायी जनम के।

विप्लव गायन कविता का सार

‘विप्लव-गायन’ शीर्षक कविता एक क्रांति-गीत है। इसमें जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की बात कही गई है। विकास के मार्ग को रोकने वाली प्रवृत्ति से संघर्ष करने की भावना का आह्वान किया गया है। इस गीत में कवि ने कवियों से ऐसे गीत के सृजन की कामना की है जो क्रांति का मार्ग प्रशस्त करे।

कवि चाहता है कि अन्याय और शोषण से भरी व्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट हो जाए। कवि नए समाज का निर्माण करना चाहता है। कवि अपने गीत के माध्यम से समाज में उथल-पुथल लाना चाहता है। वह अपने मन के भावों को कंठ से निकले गीत में प्रकट करना चाहता है। इससे क्रांति की ज्वाला निकलेगी और सब बुरा-बुरा जल कर नष्ट हो जाएगा। कवि को यह बात समझ आ गई है कि नव-निर्माण से पहले नाश अवश्य होता है।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

HBSE 7th Class Hindi आश्रम का अनुमानित व्यय Textbook Questions and Answers

लेखा – जोखा

प्रश्न 1.
हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, वसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर :
यह सही है कि हमारे यहाँ लोग काम खुद न करके किसी पेशेवर कारीगर से काम करवाना पसंद करते हैं और उनके पास अपने औजार होते हैं। गाँधी जी आश्रम के लिए छेनी, हथौड़े. बसूले इसलिए खरीदना चाहते थे ताकि आश्रम के लोग अपने हाथों से काम कर सकें। वे आश्रम में रहने वाले लोगों को काम करने के लिए प्रेरित करना चाहते थे। वे आश्रम को स्वावलंबी बनाना चाहते थे।

प्रश्न 2.
गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे गाँधी जी की हिसाब-किताब में चुस्ती का पता चलता है ?
उत्तर :
गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस, कई संस्थाओं (खादी ग्रामोद्योग आदि) तथा आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया। वे हिसाब-किताब रखने में प्रारंभ से ही चुस्त थे। इंग्लैंड में भी पढ़ाई के दौरान वे पाई-पाई का हिसाब रखते थे और प्रतिदिन अपनी रोकड़ मिला लेते थे। इसका उनकी आत्मकथा में भी उल्लेख है। वे इसी आदत के कारण सभी आंदोलनों को सफलतापूर्वक चला पाए, उन्हें कभी पैसे की कमी नहीं हुई।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहोगे। किन नए मदों को जोड़ना-हटाना चाहोगे?
उत्तर :
यदि हमें बाल-आश्रम खोलना है तो हमें निम्नलिखित मदों पर खर्च करना पड़ेगा
(100 बालकों का आश्रम)

  • जमीन एवं मकानों की व्यवस्था पर : दो लाख रुपए
  • बालकों के वस्त्रों पर खर्च : 20 हजार रुपए
  • बच्चों के बिस्तरों पर खर्च : 10 हजार रुपए
  • बच्चों की पुस्तकों पर खर्च : 10 हजार रुपए
  • बच्चों के खाने पर खर्च : 20 हजार रुपए मासिक
  • नौकरों के वेतन पर खर्च : 15 हजार रुपया मासिक (2 आया, 2 रसोइए. 1 चपरासी, 1 चौकीदार, 1 सफाई कर्मचारी)।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

प्रश्न 4.
आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई. दूध दुहना, खाट बुनने का काम) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाए। कौन-से कारण रहे होंगे ? उन कामों की सूची भी बनाइए जिन्हें आप सीखकर ही दम लेंगे।
उत्तर :
वे काम जिन्हें हम चाहकर भी नहीं सीख पाए कारण

  • खाना बनाने का काम : सिखाने वाला नहीं मिला।
  • सिलाई करने का काम : सिखाने वाला नहीं मिला।
  • पढ़न का काम : स्वयं ज्यादा न पढ़ सके।

पर मैं इन कामों के सीखने में पूरी तरह लगा हुआ हूँ। मैं इन कामों को सीखकर ही दम लूँगा।

प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर :
इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने पर आश्रम के उद्देश्यों एवं कार्यप्रणाली के बारे में निम्नलिखित अनुमान लगाए जा सकते हैं
उद्देश्य :

  • स्वावलंबन की भावना उत्पन्न करना।
  • श्रम के प्रति सम्मान का भाव जगाना।
  • सादा जीवन : उच्च विचार।
  • कृषि कार्य में दक्षता लाना।

कार्यप्रणाली :
आश्रम की कार्यप्रणाली के बारे में कहा जा सकता है कि यह आपसी सहयोग- पर चलेगी। यहाँ रहकर सभी हाथ से काम करेंगे। यहाँ का जीवन सरल एवं प्राकृतिक होगा।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

HBSE 7th Class Hindi आश्रम का अनुमानित व्यय Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी अहमदाबाद में कौन-सा आश्रम स्थापित कर रहे थे?
उत्तर :
वे अहमदाबाद में साबरमती आश्रम स्थापित कर रहे थे।

प्रश्न 2.
आश्रम में कितने रसोईघर बनाने की सोची गई?
उत्तर :
तीन रसोईघर।

प्रश्न 3.
पुस्तकालय में कितनी पुस्तकें रखी जाती थीं?
उत्तर :
तीन हजार पुस्तकें।

प्रश्न 4.
स्टेशन से मेहमानों को कैसे लाया जाएगा?
उत्तर :
बैलगाड़ी द्वारा।

प्रश्न 5.
शिक्षण के सामान में कितने हथकरघों की आवश्यकता होगी?
उत्तर :
पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आश्रम कहाँ स्थापित होने वाला था? इस आश्रम का नाम बताओ।
उत्तर :
यह आश्रम गुजरात के अहमदाबाद में स्थापित होने वाला था। यह साबरमती आश्रम था।

प्रश्न 2.
इस आश्रम में आरंभ में कितने व्यक्तियों के रहने की संभावना थी और बाद में कितने?
उत्तर :
इस आश्रम में आरंभ में चालीस व्यक्तियों के रहने की संभावना थी। बाद में इनकी संख्या 50 होने वाली थी।

प्रश्न 3.
आश्रम में गाँधी जी इतने सारे औजारों को एकत्रित करना क्यों चाह रहे थे ?
उत्तर :
गाँधी जी आश्रम की पांच एकड़ जमीन पर खेती कराना चाहते थे। इसके साथ-साथ वे अनेक प्रकार की दस्तकारियाँ वहाँ चलाना चाहते थे। इन सभी कामों के लिए काफी संख्या में औजारों की आवश्यकता पड़ने वाली थी।

आश्रम का अनुमानित व्यय गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. आरंभ में ……………….. एक साथ।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. आरंभ में आश्रम में कितने लोगों की व्यवस्था की गई?
2 हर महीने कितने अतिथियों के आने की संभावना जवाई गई?
3. किस प्रकार की व्यवस्था होने की बात सोची गई?
उत्तर:
1. आरंभ में आश्रम में 40 लोगों की व्यवस्था की गई।
2. हर महीने औसतन 10 अतिथियों के आने की संभावना जताई गई।
3. अतिथियों में 3 या 5 सपरिवार अलग रखने की तथा शेष के एक साथ रहने की संभावना जताई गई।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कुछ समय बाद कितनी संख्या होने की संभावना थी?
(क) 30
(ख) 40
(ग) 50
(घ) 60
उत्तर :
(ग) 50

2. सपरिवार रहने वाले कितने अतिथि होंगे?
(क) 2
(ख) 3
(ग) 5
(घ) 3 से 5
उत्तर :
(घ) 3 से 5

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

2. मुझे मालूम ………………… सकती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किसे क्या बात मालूम हुई?
2 किसकी, क्या मांग थी?
3. विचार बदलने पर क्या लगता है?
4. इस विवरण में क्या संभव है?
उत्तर:
1. मोहनदास कर्मचंद गाँधी को यह बात मालूम हुई कि प्रमुख लोगों की यह इच्छा है कि अहमदाबाद में आश्रम स्थापित कर चलाने का प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए।
2. गाँधी जी की मांग तो यह भी थी कि यदि अहमदाबाद की पूरी ज़मीन और मकान आदि दे दे तो वे बाकी खर्च कहीं और से जुटा लेंगे।
3. विचार बदलने पर ऐसा लगता है कि वर्ष या इससे कुछ कम दिनों का खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए।
4. खर्च के इस विवरण में यह संभव है कि कुछ मदें उनसे छूट गई हों। उन्हें खाने के खर्च के अलावा स्थानीय स्थितियों की भी जानकारी नहीं है। अत: अनुमान में भूल संभव है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. प्रमुख लोगों की क्या इच्छा थी?
(क) अहमदाबाद में यह प्रयोग नहीं किया जाए
(ख) अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए
(ग) अहमदाबाद ज़मीन और मकान दे दे।
(घ) पूरा खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए।
उत्तर :
(ख) अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए

2. यदि अहमदाबाद एक वर्ष का खर्च उठाने को तैयार न हो तब क्या होगा?
(क) गाँधी जी खाने का इंतजाम कर सकते हैं
(ख) रहने का इंतजाम लोगों को स्वयं करना होगा
(ग) स्थानीय स्थितियों की जानकारी ली जाएगी
(घ) पूरा खर्च गाँधी जी उठाएँगे।
उत्तर :
(क) गाँधी जी खाने का इंतजाम कर सकते हैं

आश्रम का अनुमानित व्यय Summary in Hindi

आश्रम का अनुमानित व्यय पाठ का सार

महात्मा गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटकर अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की। गाँधी जी ने इस आश्रम के प्रारंभिक सदस्यों एवं खर्चे का विवरण तैयार किया। इस संस्था में आरंभ में 40 लोग होंगे। हर महीने दस अतिथियों के आने की संभावना प्रकट की गई। इनमें तीन या पाँच सपरिवार रहेंगे। उनके लिए अलग से स्थान की जरूरत होगी। आश्रम में तीन रसोईघर तथा रहने के लिए मकान के लिए 50 000 वर्ग फुट क्षेत्रफल की आवश्यकता समझी गई। इसके अलावा 3000 पुस्तकों के रखने के लिए पुस्तकालय और अलमारियों की भी आवश्यकता थी।

कम-से-कम पाँच एकड़ जमीन खेती के लिए भी चाहिए। तीस आदमियों को काम करने के लिए खेती के औजार, कुदालियाँ, फावड़ों और खुरपों की भी जरूरत होगी।

इन चीजों में 5 हथौड़े, 3 बसूले. 5 छोटी हथौड़ियाँ, 2 एरन, 3 बम, 10 छेनियाँ, 4 रंदे, 1 सालनी, 4 केतियाँ, 4 बेधनियाँ, 4 आरियाँ, 65 संडासियों, 1 मोंगरा की जरूरत आँकी गई। इन पर कुल व्यय 500 रु. आँका गया। रसोई के लिए आवश्यक सामान पर 150 रु. खर्च होने थे। खाने का खर्च 10 रुपए मासिक प्रति व्यक्ति लगाया गया। वर्ष भर में औसतन 50 लोगों का खर्च 6,000 रुपए होगा। गाँधी जी को पता चला कि प्रमुख लोगों को यह इच्छा है कि अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए।

अहमदाबाद को ऊपर बताया सब खर्च उठाना चाहिए। यदि अहमदाबाद एक वर्ष के खर्च का बोझ उठाने को तैयार न हो तो गाँधी जी खाने के इंतजाम का खर्च उठाने की व्यवस्था कर सकते थे। गाँधी जी यह मानते हैं कि यह संभव है कि उनसे खर्च की कुछ मदें छूट गई हों।

यदि अहमदाबाद सब खर्च उठाए तो विभिन्न मदों पर खर्च इस प्रकार होगा

  • किराया : बंगला और खेत की जमीन
  • किताबों की अलमारियों का खर्च
  • बढ़ई के औजार
  • मांची के औजार
  • चौके का सामान
  • एक बैलगाड़ी या घोड़ा गाड़ी
  • एक वर्ष के लिए खाने का खर्च : 6,000 रु.।

गाँधी जी का ख्याल था कि उन्हें लुहार और राज के औजारों की भी जरूरत होगी किंतु उनका खर्च और शिक्षण-संबंधी सामान का खर्च इसमें शामिल नहीं किया गया है। शिक्षण के सामान में 5-6 देशो हाथ-करघों की जरूरत होगी।

उनके घरेलू सामान की सूची:
4 पतीले-चालीस आदमियों का खाना बनाने के योग्य; 2 छोटी पतौलियाँ दस आदमियों के योग्य; 3 पानी भरने के पतीले या ताँबे के कलशे; 4 मिट्टी के घड़े; 4 तिपाइयाँ; 1 कढ़ाई दस रतल खाना पकाने योग्य; 3 कलछियाँ; 2 आटा गूंधने की परातें;। पानी गर्म करने का बड़ा पतीला; 3 केतलियाँ: 5 बाल्टियाँ या नहाने का पानी रखने के बर्तन; 5 पतोरने के ढक्कन; 5 अनाज रखने के लिए बर्तन: 3 तइयाँ; 10 थालियाँ 10 कटोरिया; 10 गिलास; 10 प्याले; 4 कपड़े धोने के टय; 2 छलनियाँ;। पीतल की छलनी; 3 चक्कियाँ; 10 चम्मच;। का; हमामदस्तामसूली; 3 झाडू; 6 कुर्सियाँ; 3 मेज; 6 किताबें रखने की अलमारियाँ; 30 दवातें; 6 काले तख्ते; 6 रैक; 3 भारत के नक्शे; 3 दुनिया के नक्शे; 2 बंबई अहाते क नक्शे;। गुजरात का नक्शा; 5 हाथ-करघेः बढ़ई के औजार मोची के औजार, खेती के औजार; 4 चारपाइयाँ;। गाड़ी; 5 लालटेन: 3 कमोड; 10 गद्दे; 3 चैंबर पॉट; 4 सड़क की बत्तियाँ। (वैशाख बदी 13, मंगलवार, 11 मई 1915)

अहमदाबाद में स्थापित आश्रम का संविधान स्वयं गाँधीजी ने तैयार किया था। इस संविधान के मसविदे से पता चलता है कि वह भारतीय जीवन का निर्माण किस प्रकार करना चाहते थे।

आश्रम का अनुमानित व्यय शब्दार्थ

आनुमानिक = अंदाजे से (Estimated) व्यय = खर्च (Expenditure)। आरंभ = शुरू (Starting)।अतिथि = मेहमान (Guest)।व्यवस्था = इंतजाम (Arrangement) आवश्यक = जरूरी (Necessary)। प्रमुख = खास (Inspartav)। स्थानीय = स्थान विशेष की (Local)। विभिन्न = अलग अलग (Different)। मद = शीर्ष (Head)।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज

HBSE 7th Class Hindi संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज Textbook Questions and Answers

भेंटवार्ता से

प्रश्न 1.
साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार पढ़कर हमारे मन में धनराज पिल्ले की जो छवि उभरती है, वह इस प्रकार है धनराज पिल्लै गरीबी में पला-बढ़ा एक स्वाभिमानी व्यक्ति है। उसने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। यह स्वयं को बहुत असुरक्षित अनुभव करता रहा है अतः उसके स्वभाव में तुनुकमिजाजी आ गई है। वह अपनी माँ तथा भाभी का बहुत सम्मान करता है। वह देश के लिए खेलने में गर्व का अनुभव करता है। पहले वह अपने रंग-रूप को लेकर हीन भावना का शिकार था, पर अब वह इससे उबर चुका है।

प्रश्न 2.
धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक का सफर तय किया है। लगभग सौ शब्दों में इस सफर का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
धनराज पिल्ले ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक का सफर धैर्यपूर्वक संपन्न किया है। उनका जन्म पुणे की तंग गलियों में हुआ। उनका परिवार बहुत गरीब था अत: उनका बचपन मुश्किलों में बीता उन्हें हॉकी खेलने का शौक ता था, पर हांका की स्टिक खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

वे दोस्तों से स्टिक मांगकर खेलते थे। उन्हें अपनी पहली स्टिक अपने भाई से मिली। वे पढ़ने में भी फिसड्डी थे, पर हॉकी के शौक ने उन्हें जमीन से उठाकर आसमान की सितारा बना दिया। इस सफर में उन्हें जूनियर-सीनियर टीमों में खेलना पड़ा। उन्हें पहली कार महिंद्रा ग्रुप ने दी थी जो सेकंड हैंड थी।

अब तक हॉकी का -यह सितारा मुंबई की लोकल ट्रेनों तथा बसों में ही सफर करता था। बाद में उसने अपनी कमाई और लोन से फोर्ड आइकॉन कार खरीदी। हॉकी ने उन्हें काफी कुछ दिया। धन मिला, महाराष्ट्र सरकार ने पवई में एक फ्लैट दिया। वे लोगों में अत्याधिक लोकप्रिय हो गए। राष्ट्रपति से भी उन्हें मिलने का अवसर मिला। अनेक अभिनेताओं तथा अभिनेत्रियों ने उनके खेल की प्रशंसा की। इस प्रकार व आसमान का सितारा बन गए।

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प्रश्न 3.
“मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है”- धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर:
धनराज पिल्लै की इस बात का यह अर्थ है कि उनकी माँ ने उन्हें विनम्र बने रहने के संस्कार दिए हैं। प्राय: लोग प्रसिद्धि में पगला जाते हैं और इसे सहज भाव से स्वीकार नहीं कर पाते। धनराज पिल्लै के व्यक्तित्व के निर्माण में उनकी माँ का बहुत बड़ा योगदान है और माँ ने उन्हें विनम्रता का संस्कार दिया है। वे अपनी माँ के प्रति बहुत सम्मान का भाव रखते हैं।

साक्षात्कार से आगे

प्रश्न 1.
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर:
ध्यानचंद हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे। उनकी स्टिक से हॉकी की बाल करिश्मा कर दिखाती थी। उनके समय में भारत ने हॉकी का स्वर्णपदक कई बार जीता। सारा संसार उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ मानता था।

प्रश्न 2.
किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?
उत्तर:
हॉकी का खेल सारे भारत में खेला जाता है। यह सभी जगह अत्यंत लोकप्रिय है। भारत इस खेल में कई बार स्वर्ण पदक भी जीत चुका है। अत: इसे राष्ट्रीय खेल माना जाता है।

प्रश्न 3.
आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छपे हुए साक्षात्कार पढ़ें और अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुने, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।
उत्तर:
यह काम विद्यार्थी स्वयं करें।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज

HBSE 7th Class Hindi संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धनराज पिल्लै किस खेल के प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं?
उत्तर:
धनराज पिल्लै हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं।

प्रश्न 2.
साक्षात्कार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
साक्षात्कार में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आमने-सामने बैठकर प्रश्नों द्वारा बातचीत करता है।

प्रश्न 3.
धनराज पढ़ाई में कैसे थे?
उत्तर:
धनराज पढ़ने में एकदम फिसइडी थे।

प्रश्न 4.
धनराज ने कृत्रिम घास पर सबसे पहले हॉकी कब खेली?
उत्तर:
1988 में जब वे राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने नई दिल्ली आए।

प्रश्न 5.
धनराज की पहली कार कौन-सी थी?
उत्तर:
धनराज की पहली कार एक सेंकेंड हैंड महेन्द्रा अरमाड़ा थी।

प्रश्न 6.
धनराज को सबसे अधिक प्रेरणा किससे मिली?
उत्तर:
उन्हें सबसे अधिक प्रेरणा अपनी माँ से मिली।

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लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धनराज का बचपन कैसा बीता?
उत्तर:
धनराज का बचपन बहुत गरीबी में बीता। उनका बचपन मुश्किलों से भरा था। उन्हें तथा उनके भाइयों के पालन-पोषण में उनकी माँ को भारी संघर्ष करना पड़ा था। धनराज हॉकी खेलने के लिए एक स्टिक तक नहीं खरीद पाते थे। वे पढ़ाई में भी फिसड्डी थे।

प्रश्न 2.
धनराज के व्यक्तित्व की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
धनराज का व्यक्तित्व कुछ इस प्रकार का है कि वह कभी हमें हंसाता है तो कभी रुलाता है। वह कभी विस्मय से भर देता है तो कभी खीझ उत्पन्न करता है। उनके व्यक्तित्व में कई रंग और कई भाव हैं।

प्रश्न 3.
धनराज ने विधिवत् रूप से हॉकी खेलना कब शुरू किया?
उत्तर:
जब धनराज केवल 16 वर्ष के थे तभी उन्होंने 1985 में मणिपुर में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेली। 1986 में उसे सीनियर टीम में डाल दिया गया। इसके एक साल बाद उन्हें ऑलविन एशिया कप के कैंप के लिए चुन लिया गया। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

प्रश्न 4.
धनराज ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
धनराज ने कहा कि उन्हें सबसे अधिक प्रेरणा अपनी माँ से ही मिली। उन्होंने हम सब भाई-बहनों में अच्छे संस्कार डालने की कोशिश की। मैं उनके सबसे अधिक निकट हूँ। मैं कहीं भी हूँ, रात सोने से पहले माँ से बात अवश्य कर लेता हूँ।

प्रश्न 5.
अभिनेत्री रेखा ने धनराज को क्या बात कही?
उत्तर:
प्रसिद्ध अभिनेत्री रेखा ने धनराज को कहा- “यह कभी मत सोचना कि हॉकी खिलाड़ियों को कोई नहीं पहचानता। हम लोग बड़े चाव से तुम लोगों का खेल देखते हैं।”

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प्रश्न 6.
व्यावसायिक खेल एक जुनून जैसा होता है। धनराज पिल्लै में ये जुनून कैसे पैदा हुआ होगा?
उत्तर:
जब कोई खिलाड़ी किसी खेल को व्यावसायिक मानकर खेलता है तब यह एक जुनून का रूप ले लेता है। वह हर समय उस खेल को खेलता रहना चाहता है। धनराज स्वयं को काला और बदसूरत मानते थे। उसे लड़कियाँ विशेष पसंद नहीं करती थीं। जब उसके बाकी साथी महिला मित्रों के साथ घूमने-फिरने जाते थे, तब उसे बहुत बुरा लगता था। वह हीन भावना का शिकार हो जाता था। इससे उबरने के लिए उसने 1986 से 1996 तक स्वयं को हॉकी के जुनून में डुबो दिया होगा।

संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. मैंने अपनी ……………. नहीं देखा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. धनराज ने अपनी जूनियर राष्ट्रीय हॉकी कब खेली? उस समय उनका शरीर कैसा था?
2. धनराज का व्यक्तित्व कैसा था?
3. 1986 में धनराज और उसके भाई ने क्या किया?
4. धनराज को किस बात से मायूसी हुई? यह कैसे खत्म हुई?
उत्तर:
1. धनराज ने अपनी जूनियर राष्ट्रीय हॉकी 1985 में मणिपुर में खेली। उस समय उनका शरीर बहुत दुबला-पतला था और चेहरा छोटे बच्चे जैसा था।
2. धनराज का व्यक्तित्व लड़ाकू का था। वे मैदान पर भी और मैदान से बाहर भी लड़ते थे। उनका दबदबा बना रहता था।
3. 1986 में धनराज और उनके बड़े भाई रमेश ने मुंबई लीग में श्रेष्ठ खेल खेला और खूब धूम मचाई।
4. धनराज को विश्वास था कि उन्हें 1988 के ओलंपिक कैप का बुलावा जरूर आएगा, पर 57 खिलाड़ियों की सूची में उनका नाम नहीं था। इससे उन्हें मायूसी हुई। यह मायूसी अगले साल ऑलविन एशिया कप के कैंप के चुनाव पर दूर हुई।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. जब धनराज ने अपनी पहली जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेली तब उनकी आयु कितनी थी?
(क) 14 वर्ष
(ख) 15 वर्ष
(ग) 16 वर्ष
(घ) 18 वर्ष
उत्तर:
(ग) 16 वर्ष

2. ‘लड़ाकू’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) लड्
(ख) डाकू
(ग) आकू
(घ) कू
उत्तर:
(ग) आकू

3. धनराज को किस बात से मायूसी हुई?
(क) 1988 के ओलंपिक के नेशनल कैंप से बुलावा न आने पर
(ख) एशियन कप के कैंप से बुलावा न आने पर
(ग) बेहतरीन न खेल पाने पर
(घ) 57 खिलाड़ियों की लिस्ट में नाम होने पर
उत्तर:
(क) 1988 के ओलंपिक के नेशनल कैंप से बुलावा न आने पर

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2. मैं हमेशा ………………. नहीं होती।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किस बात का सम्बन्ध किससे है?
2. धनराज ने अपने स्वभाव के बारे में क्या सफाई दी?
3. वे अपनी तुनकमिजाजी का क्या कारण बताते हैं?
4. उनके व्यक्तित्व की क्या विशेषता है?
उत्तर:
1. विनीता पांडे ने पूछा था कि वे इतने तुनकमिजाज क्यों हैं तथा वे कभी-कभी हिंसक भी क्यों हो जाते हैं। इस बात का सम्बन्ध धनराज पिल्ले से है।
2. धनराज ने अपने स्वभाव के बारे में यह सफाई दी कि वे बचपन से हो स्वयं को असुरक्षित महसूस करते रहे हैं। उन्होंने अपनी माँ को बहुत संघर्ष करते देखा है।
3. उन्होंने अपनी तुनकमिजाजी का कारण यह बताया कि वे अपनी बात बिना लाग–लपेट के कहने वाले इंसान हैं। उनकी बुद्धि में जो आती है, उसे तुरंत कह डालते हैं। वे कई बार इसके लिए पछताते भी हैं।
4. उनके व्यक्तित्व की यह विशेषता है कि वे भावुक हैं और दूसरों की तकलीफ को नहीं देख सकते। वे अपने दोस्तों और परिवारजनों की बहुत इज्जत करते हैं। वे गलती होने पर माफी भी माँग लेते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. धनराज हमेशा से अपने आपको कैसा इंसान महसूस करते आए हैं?
(क) सुरक्षित
(ख) असुरक्षित
(ग) क्रोधी
(घ) अच्छा
उत्तर:
(ख) असुरक्षित

2. ‘जेहन’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर:
(ख) तद्भव

3. धनराज के स्वभाव में इनमें से क्या है?
(क) तुनकमिजाजी
(ख) भावुकता
(ग) चिड़चिड़ापन
(घ) ये सभी बातें
उत्तर:
(ग) चिड़चिड़ापन

4. धनराज किसकी कद्र करता है?
(क) परिवार की
(ख) दोस्तों की
(ग) माँ की
(घ) इन सभी की
उत्तर:
(घ) इन सभी की

3. कुछ रुपये ………………. हो पाती।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. पहले खिलाड़ी को कितना इनाम मिलता था?
2 धनराज किसे अपनी पहली जिम्मेदारी मानते थे?
3. 1994 में खरीदा फ्लैट कैसा है?
4. बाद में उसे कहाँ और कैसा फ्लैट मिला?
उत्तर:
1. पहले खिलाड़ी को इनाम में बहुत थोड़े रुपये मिलते थे जबकि आज काफी मिलते हैं।
2 धनराज अपनी पहली जिम्मेदारी अपने परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करना मानते थे। वे परिवार को बेहतर ज़िदगी देना चाहते थे।
3. खेलों की कमाई से धनराज ने 1994 में पुणे के भाऊ पाटिल रोड पर दो बेडरूम का एक छोटा-सा फ्लैट खरीदा। यह छोटा ज़रूर था, पर उनके परिवार के लिए काफी था।
4. बाद में महाराष्ट्र सरकार ने उसे पवई में एक अच्छा पलेट दिया। यह फ्लैट उनकी हैसियत से बढ़ कर है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. धनराज की पहली ज़िम्मेदारी क्या थी?
(क) परिवार की आर्थिक तंगी दूर करना
(ख) घर वालों को एक बेहतर जिंदगी देना
(ग) क ख दोनों
(घ) कुछ नहीं
उत्तर:
(क) परिवार की आर्थिक तंगी दूर करना

2. धनराज ने अपना पहला फ्लैट कहाँ खरीदा?
(क) मुंबई में
(ख) पवई में
(ग) पुणे में
(घ) दिल्ली में
उत्तर:
(ग) पुणे में

3. बाद में किस सरकार ने धनराज को एक फ्लैट दिया?
(क) महाराष्ट्र सरकार ने
(ख) केन्द्र सरकार ने
(ग) गुजरात सरकार ने
(घ) केरल सरकार ने
उत्तर:
(क) महाराष्ट्र सरकार ने

4. धनराज किस खेल का प्रसिद्ध खिलाड़ी है?
(क) क्रिकेट
(ख) हॉकी
(ग) फुटबॉल
(घ) कबड्डी
उत्तर:
(ख) हॉकी

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संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज Summary in Hindi

संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज पाठ का सार

यह पाठ साक्षात्कार विधा में रचित है। धनराज पिल्लै हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं। जब उनकी आयु 35 वर्ष हो गई तब उनका साक्षात्कार (Interview) विनीता पाण्डेय ने लिया था।

साक्षात्कार का संक्षिप्त रूप इस प्रकार है –
विनीता ने धनराज पिल्ले से पुणे की तंग गलियों से लेकर मुंबई तक के उनके सफर के बारे में पूछा तो धनराज ने बताया कि उनका बचपन मुश्किलों से भरा था। वे बहुत गरीब थे। उनके बड़े भाई हॉकी खेलते थे। उसी से उन्हें भी खेलने का शौक पैदा हुआ, पर तब उनके पास हॉकी की स्टिक खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे अतः वे अपने साथियों से स्टिक माँगकर काम चलाते थे। उन्हें पहली स्टिक उनके भाई ने तब दी जब भाई-भाई को भारतीय कैंप के लिए चुन लिया गया।

वह स्टिक उनके लिए इस दृष्टि से बेशकीमती थी क्योंकि वह उनकी अपनी थी, उन्होंने 1985 में मणिपुर में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेली थी तब वे 16 साल के दुबले-पतले थे। 1986 में उन्हें सीनियर टीम में डाल दिया गया और वे बोरिया-बिस्तर बाँधकर मुंबई चले आए। उस साल उन्होंने बड़े भाई के साथ मिलकर मुंबई लीग में खूब धूम मचाई। एक साल बाद ही ऑलविन एशिया कप के कैंप के लिए उनका चुनाव हो गया तब से अब तक पीछे मुड़कर नहीं देखा।

फिर विनीता ने उनके विद्यार्थी जीवन के बारे में पूछा। धनराज ने बताया कि वे पढ़ने में एकदम फिसड्डी थे। मुश्किल से दसवीं तक पहुँचा। हॉकी की बदौलत ही उन्हें सब कुछ मिला। जब विनीता ने उनकी तुनकमिजाजी के बारे में पूछा तो धनराज ने उत्तर दिया कि वे बचपन से ही अपने आपको असुरक्षित महसूस करने वाले इंसान रहे हैं। उनकी माँ ने उनके पालने में बहुत संघर्ष किया। वे बिना लाग लपेट के ही अपनी बात कहते हैं। कई बार उन्हें बाद में पछताना पड़ता है पर वे अपना गुस्सा नहीं रोक पाते। वे बहुत भावुक इंसान हैं। वे अपने दोस्तों और परिवार की बहुत कद्र करते हैं।

उनसे पूछा कि उनके लिए उनके परिवार की क्या अहमियत है तो वे बोले- मुझे सबसे अधिक प्रेरणा अपनी माँ से मिली। वे कहीं भी रहें, रोज रात को सोने से पहले माँ से अवश्य बात करते हैं। उनकी सबसे बड़ी भाभी कविता भी उनके लिए माँ के समान है। फिर विनीता ने उनसे पूछा कि उनके पास पहली कार कब आई?

– धनराज ने बताया कि उनकी पहली कार एक सेकेंड हैंड महिंद्रा अरमाड़ा थी जिसे उनके पहले मालिक महिंद्रा ग्रुप ने दिया था। वे तब मुंबई की लोकल ट्रेनों और बसों में सफर करते थे। जब एक अखबार ने उनकी तस्वीर छाप दी तब उन्होंने लोकल ट्रेनों में सफर करने से बचने की बात सोची। धीरे-धीरे पैसे जमा किए। बहन की शादी थी।

अब उनके पास एक फोर्ड आइकॉन है जिसे उन्होंने 2000 में खरीदा था। उसके लिए पाँच लाख रुपये लोन लिया, जिसकी किश्तें वे आज भी चुका रहे हैं। 1964 में उन्होंने पुणे के भाऊ पाटिल रोड पर दो बेडरूम का एक छोटा-सा फ्लैट खरीदा। 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें पवई में एक फ्लैट दिया।

धनराज स्वयं मानते हैं कि वे काले और बदसूरत हैं, पर अब लोग उन्हें खेलते हुए देखना पंसद करते हैं। वे अपने देश के लिए खेलना पसंद करते हैं। लोग उन्हें घमंडी समझते हैं जबकि ऐसा नहीं है। सेलेब्रिटीज के साथ एक मंच पर बैठना अच्छा लगता है। राष्ट्रपति से मिलते समय अपने खास होने का अनुभव हुआ। अनेक अभिनेताओं-जैकी श्रॉफ, नाना पाटेकर, प्रेम चोपड़ा, अभिनेत्री रेखा भी उनके प्रशंसकों में हैं। जैकी श्रॉफ ने उनका परिचय जूही चावला से कराया और उसकी तारीफ की।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज

संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज शब्दार्थ

साक्षात्कार = आमने-सामने बातचीत (Interview)। विस्मय = हैरानी (Surprise)। कष्टसाध्य मुश्किलों भरा (Difficult) धीरज = धैर्य (Patience)। दबदबा = रौब (Control)। हिंसक = हिंसा करने वाला (Violence)। संघर्ष = टक्कर लेना (Struggle)। भावुक = भावनाओं में बहने वाला (Emotional)। विनम्रता = नरमी के साथ (With humbly)। कृत्रिम = बनावटी (Artificial)। शोहरत = प्रसिद्धि (Fame)। आर्थिक = धन संबंधी (Financial)। उत्साहित = उत्साह में भर जाना (Excited)। फैन = प्रशंसक (Fan)

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

HBSE 7th Class Hindi वीर कुवर सिंह Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया ?
उत्तर :
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है

  • वीर कुंवर सिंह वीर थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध वीरतापूर्वक युद्ध किए।
  • वे युद्धकला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी।
  • वे वीर के अलावा चतुर एवं बुद्धिमान भी थे।
  • उनमें बलिदान एवं त्याग की भावना थी।
  • कुँवर सिंह उदार एवं संवेदनशील व्यक्ति थे।
  • वे समाजसेवी एवं परोपकारी भी थे।

प्रश्न 2.
कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था ? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तर :
कुंवर सिंह को बचपन में घुड़सवारी करने, तलवारबाजी करने तथा कुश्ती लड़ने में मजा आता था। हाँ, उन्हें इन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में मदद मिली। वे घुड़सवारी करके युद्ध करते थे। युद्ध में तलवार चलाना उनके खूब काम आया। इनसे वे निर्भीक एवं कुशल योद्धा बन गए।

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प्रश्न 3.
सांप्रदायिक सद्भाव में कुंवर सिंह की गहरी आस्था थी-पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। उनकी सेना में मुसलमान भी उच्च पदों पर थे। इब्राहीम खाँ तथा किफायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। इसके अलावा उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहर एक साथ मिल-जुलकर मनाए जाते थे।

प्रश्न 4.
पाठ के किन प्रसंगों से तुम्हें पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर :
पाठ के निम्नलिखित प्रसंगों से हमें पता चलता है कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे
1. साहसी :
कुँवर सिंह ने कई स्थानों पर विजय प्राप्त की, पर वे भी जगदीशपुर के पतन को नहीं रोक पाए परन्तु उन्होंने हारकर भी साहस नहीं खोया। वे भावी संग्राम की योजना में जुट गए। वे बूढ़े हो चले थे, पर साहसी बने हुए थे। 23 अप्रैल, 1858 को विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर पहुंच गए।

2. उदार :
कुँवर सिंह बहुत उदार थे। अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद वे निर्धन व्यक्तियों की सहायता करते रहते थे। उन्होंने परोपकार के अनेक काम किए अर्थात् सड़कें बनवाईं, कुएँ खुदवाए तथा तालाब बनवाए।

3. स्वाभिमानी :
कुँवरसिंह स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने अंग्रेजों से कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना बाँया हाथ काटकर गंगा मैया को अर्पित कर दिया।

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प्रश्न 5.
आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर :
प्रायः मेले का उपयोग मनोरंजन, खरीद-फरोख्त तथा मेल-जोल के लिए किया जाता है, पर कुंवर सिंह ने सोनपुर के मेले का उपयोग स्वाधीनता संग्राम की योजना बनाने के लिए किया। यहाँ लोग गुप्त रूप से एकत्रित होकर क्रांति के बारे में योजनाएँ बनाते थे।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेने वाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर :
1857 में भाग लेने वाले चार स्वतंत्रता सेनानी :
रानी लक्ष्मीबाई : झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के साथ डटकर युद्ध किया। उन्होंने अंग्रेजी सेना को कई स्थानों पर हराया और अंत में अपना अमर बलिदान दे दिया।

तात्या टोपे :
इनका मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था। ये झाँसी की रानी की सेना में सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी पर लटका दिया गया था।

बहादुर शाह जफर :
मई, 1857 में विद्रोहियों ने दिल्ली पर कब्जा करके बहादुरशाह द्वितीय को पुनः भारत का सम्राट घोषित कर दिया। 82 वर्षीय बहादुरशाह ने बख्त खाँ के सहयोग से विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्हें अपना शेष जीवन रंगून की जेल में बिताना पड़ा।

नाना साहब धुंधू पंत :
ये पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। इन्होंने 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। नाना साहब ने प्रतिज्ञा की थी- “जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, मेरे और अंग्रेजों के बीच जंग जारी है, चाहे मुझे मार दिया जाए, बंदी बना दिया जाए, फाँसी पर लटका दिया जाए. मैं हर बात का जवाब तलवार से दूँगा।”

प्रश्न 2.
सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी इन गीतों को संकलित करें।

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HBSE 7th Class Hindi वीर कुवर सिंह Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के सशस्त्र विद्रोह ने क्या किया?
उत्तर :
इसने ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिला दिया।

प्रश्न 2.
11 मई को किसे भारत का शासक घोषित किया गया?
उत्तर :
अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफ़र को भारत का शासक घोषित किया गया।

प्रश्न 3.
दिल्ली के अतिरिक्त भीषण युद्ध के केंद्र कहाँ-कहाँ थे?
उत्तर :
ये केंद्र थे-कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड, आरा।

प्रश्न 4.
कुंवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
कुंवर सिंह का जन्म 1782 ई. में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ।

प्रश्न 5.
कुंवर सिंह ने कब रियासत की ज़िम्मेदारी सँभाली?
उत्तर :
1827 ई. में पिता की मृत्यु के बाद कुंवर सिंह ने रियासत की जिम्मेदारी संभाली।

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प्रश्न 6.
कुंवर सिंह की मृत्यु कब हुई?
उत्तर :
26 अप्रैल, 1858 को।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
सन् 1857 में भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह किया था। मार्च, 1857 में बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध मंगलपांडे ने बगावत की। उन्हें 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दी गई। 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। ।। मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया गया। अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को भारत का शासक घोषित कर दिया गया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों को कई जगह हराया।

प्रश्न 2.
जुलाई, 1857 में क्या हुआ?
उत्तर :
25 जुलाई, 1857 को दानापुर की टुकड़ी ने भी विद्रोह कर दिया। सैनिक सोन नदी को पार करके आरा की ओर बढ़ गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने जेल की सलाखें तोड़ दी और कैदियों को आजाद कर दिया।

27 जुलाई, 1857 को कुंवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त कर ली। सिपाहियों ने उन्हें फौजी सलामी दी। कुंवर सिंह बूढ़े हो चले थे, पर वे पूरी हिम्मत से युद्ध में जुटे रहे थे।

प्रश्न 3.
कुंवर सिंह और डगलस की टक्कर का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कुंवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेजी सेना डगलस के नेतृत्व में उनका पीछा कर रही थी। कुंवर सिंह ने यह अफवाह फैला दी कि वह अपनी सेना के साथ हाथियों पर चढ़कर बलिया के पास गंगा पार करेगा। सेनापति डगलस वहीं पहुँच गया, पर कुंवर सिंह ने बलिया की जगह शिवराजपुर नामक स्थान से नावों पर बैठकर गंगा पार कर ली। अंतिम नाव में कुंवर सिंह थे। डगलस की गोली उनकी बाई कलाई को भेदती निकल गई। कुंवर सिंह ने अपना बायाँ हाथ काटकर गंगा मैया को भेंट चढ़ा दिया।

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प्रश्न 4.
आजमगढ़ की ओर जाने का कँवर सिंह का क्या उद्देश्य था?
उत्तर :
कुँवर सिंह का आजमगढ़ आने का उद्देश्य था-इलाहाबाद एवं बनारस पर आक्रमण कर शत्रुओं को परास्त करना और अंततः जगदीशपुर पर अधिकार जमाना। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा भी कर लिया। उन्होंने अंग्रेजों को दो बार हराया। वे 23 अप्रैल, 1858 को स्वाधीनता की विजय-पताका फहराते हुए जगदीशपुर तक पहुंच गए।

प्रश्न 5.
बिहार के प्रसिद्ध कवि मनोरंजन प्रसाद सिंह ने कुँवरसिंह का प्रशस्ति गायन किन शब्दों में किया है?
उत्तर :
उन्होंने प्रशस्ति गायन करते हुए लिखा हैचला गया यो कुँअर अमरपुर, साहस से सब अरिंदल जीत। उसका चित्र देखकर अब भी, दुश्मन होते हैं भयभीत। वीर-प्रसविनी-भूमि धन्य वह, धन्यवीर वह धन्य अतीत। गाते थे और गाँवेंगे हम, हरदम उसकी जय का गीत। स्वतंत्रता का सैनिक था, आजादी का दीवाना था, सब कहते हैं कुँअर सिंह भी, बडा वीर मरदाना था।

वीर कुवर सिंह गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. वीर कुँवर …………… भी पड़ा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कुंवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
2 उनके माता-पिता के नाम बताइए।
3. कुंवर सिंह की देखभाल ठीक से क्यों नहीं हो पाई?
4. कुंवर सिंह के पिता कैसे व्यक्ति थे?
उत्तर :
1. कुंवर सिंह का जन्म 1782 ई. में बिहार के शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ था।
2. कुंवर सिंह के पिता का नाम साहबजादा सिंह तथा माता का नाम पंचरतन कुँवर था।
3. कुंवर सिंह की देखभाल ठीक से इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि कुँवर सिंह के पिता जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। उन्हें अपनी जमींदारी हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था।
4. कुंवर सिंह के पिता वीर होने के साथ-साथ स्वाभिमानी एवं उदार स्वभाव के व्यक्ति थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कुंवर सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था?
(क) बिहार
(ख) शाहाबाद
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) राजस्थान
उत्तर :
(क) बिहार

2. कुंवर सिंह के पिता क्या थे?
(क) राजा
(ख) जमींदार
(ग) जागीरदार
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) राजा

3. कुंवर सिंह के पिता कैसे थे?
(क) वीर
(ख) स्वाभिमानी
(ग) उदार
(घ) ये सभी बातें
उत्तर :
(घ) ये सभी बातें

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

2. जगदीशपुर के ………….. बनाते थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. इस गद्यांश में किस संत का नामोल्लेख हुआ है और क्यों?
2 उन्होंने कहाँ-कहाँ किस प्रकार की योजनाएं बनाई?
3. सोनपुर का मेला क्यों प्रसिद्ध है?
4. इस मेले का क्रांतिकारी क्या उपयोग करते थे?
उत्तर:
1. इस गद्यांश में ‘बसुरिया बाबा’ नामक सिद्ध संत का उल्लेख हुआ है। उन्होंने ही कुंवर सिंह के मन में देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी।
2. वे बनारस, मथुरा, कानपुर, लखनऊ आदि स्थानों पर रहकर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह करने की सक्रिय योजनाएँ बनाते थे। 3. सोनपुर का मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। यह मेला हाथियों की खरीद-बिक्री के लिए भी प्रसिद्ध है।
4. एक ऐतिहासिक मेले का उपयोग क्रांतिकारी क्रांति की योजना बनाने के लिए एकत्रित होने के लिए करते थे। यहीं वे स्वाधीनता की योजनाएँ बनाते थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. बसुरिया बाबा क्या थे?
(क) सिद्ध संत
(ख) सैनिक
(ग) वीर
(घ) अध्यापक
उत्तर :
(क) सिद्ध संत

2. किस स्थान को गुप्त बैठकों के लिए चुना गया?
(क) बिहार को
(ख) सोनपुर के मेले को
(ग) नालंदा को
(घ) पुष्कर मेले को
उत्तर :
(ख) सोनपुर के मेले को

3. मेला किसके क्रय-विक्रय के लिए विख्यात है?
(क) घोड़ों
(ख) ऊँटों
(ग) हाथियों
(घ) सामान
उत्तर :
(ग) हाथियों

3. दानापुर और ……………….. उड़ गए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. जगदीशपुर का पतन क्यों हुआ?
2. कुंवर सिंह की सेना के हारने पर कँवर सिंह पर क्या प्रभाव पड़ा?
3. कुंवर सिंह कहाँ से कहाँ जा पहुँचे?
4. कुंवर सिंह की वीरता और यात्रा का अंग्रेजों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1. जगदीशपुर के पतन के कई कारण थे –

  • देशी सैनिकों में अनुशासन की कमी
  • स्थानीय जमींदारों का अंग्रेजों का साथ देना
  • आधुनिक शस्त्रों की कमी।

2 कुंवर सिंह की सेना 13 अगस्त को अंग्रेजों से हार गई पर इस हार का कुंवर सिंह पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। उनका आत्मबल नहीं टूटा। वे अगली योजना बनाने में जुट गए।
3. कुंवर सिंह सासाराम से मिर्जापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर, लखनऊ तक गए। लखनऊ की अशांति को देख कर वे आजमगढ़ की ओर चले गए।
4. कुंवर सिंह की वीरता और उनकी विजय-यात्रा ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. जगदीशपुर का पतन का कारण था
(क) सैनिकों में अनुशासन की कमी
(ख) जमींदारों का अग्रेजों के साथ सहयोग करना
(ग) नए शस्त्रों की कमी
(घ) ये सभी कारण
उत्तर :
(घ) ये सभी कारण

2. अंग्रेजों से परास्त होने पर कुंवर सिंह का आत्मबल
(क) टूट गया
(ख) बढ़ गया
(ग) जाँचा गया
(घ) ठीक रहा
उत्तर :
(ख) बढ़ गया

3. लखनऊ से कुंवर सिंह ने कहाँ प्रस्थान किया?
(क) आजमगढ़
(ख) कानपुर
(ग) मिर्जापुर
(प) कही नहीं
उत्तर :
(क) आजमगढ़

4. ‘वीरता’ में ‘ता’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूलशब्द
(घ) अन्य
उत्तर :
(ख) प्रत्यय

4. स्वाधीनता सेनानी …………………….. प्रचलित हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कुंवर सिंह किस विद्या में कुशल थे?
2. उनके रण-कौशल को समझने में कौन असमर्थ थे?
3. उन्होंने अंग्रेजों के साथ क्या किया?
4. क्या बात इतिहास के पृष्ठों पर ऑकत है?
उत्तर:
1. कुंवर सिंह युद्ध कला में अत्यंत कुशल थे। वे छापामार युद्ध में तो बहुत कुशल थे।
2. कुंवर सिंह के रण-कौशल को पूरी तरह समझने में अंग्रेजी सेनापति भी पूरी तरह असमर्थ थे।
3. उन्होंने अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। अंग्रेजों को या तो युद्धस्थल से भाग जाना पड़ता था या वे मारे जाते
4. वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजी सेना को जिस तलवार की धर से मौत के घाट उतारा उसकी चमक आज भी भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कुंवर सिंह युद्धकला में कैसे थे?
(क) कुशल
(ख) अकुशल
(ग) ठीक-ठीक
(घ) पता नहीं
उत्तर :
(क) कुशल

2. अंग्रेजी सेनानायक क्या समझने में असमर्थ थे?
(क) कुंवर सिंह की चालों को
(ख) युद्ध कला को
(ग) कुंवर सिंह के रण कौशल को
(घ) कुंवर सिंह को
उत्तर :
(ग) कुंवर सिंह के रण कौशल को

3. ‘अंकित’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है?
(क) अंक
(ख) कित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर :
(ग) इत

4. ‘मौत के घाट उतारा’ का सही अर्थ है
(क) मार दिया
(ख) नदी घाट पर छोड़ दिया
(ग) घाट के पार भेजा
(घ) मौत के निकट ला दिया।
उत्तर :
(क) मार दिया

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

5. वीर कुंवर ……………………… जाती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. वीर कुंवर सिंह ने क्या-क्या काम किए?
2 कुंवर सिंह के व्यक्तित्व में अन्य क्या-क्या गुण थे?
3. उनकी धर्मनिरपेक्षता किन कामों से पता चलती है?
4. कुंवर सिंह की लोकप्रियता का पता किससे चलता है?
उत्तर:
1. वीर कुंवर सिंह ने निम्नलिखित काम किए-

  • ब्रिटिश हुकूमत से टक्कर ली।
  • आरा स्कूल के लिए जमीन दान दी।
  • गरीबों की आर्थिक मदद की।
  • सड़कें बनवाई।
  • कुएँ खुदवाए।
  • तालाब बनवाए।

2 कुंवर सिंह के व्यक्तित्व में वीरता के अलावा उदारता एवं संवेदनशीलता के गुण विद्यमान थे।
3. कुंवर सिंह की धमनिरपेक्षता इन कामों से पता चलती है-

  • उनकी सेना में हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी उच्च पदों पर आसीन थे।
  • उन्होंने पाठशालाओं के साथ मकतब (मदरसे) भी बनवाए।
  • उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे।

4. वीर कुंवर सिंह की लोकप्रियता का पता उन गीतों से मिलता है जो बिहार की लोकभाषाओं में उनकी प्रशस्ति के रूप में गाए जाते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘सामाजिक’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) समाज
(ख) जिक
(ग) इक
(घ) क
उत्तर :
(ग) इक

2. कुंवर सिंह की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
(क) अच्छी
(ख) बहुत अच्छी
(ग) बहुत अच्छी नहीं
(घ) सामान्य
उत्तर :
(ग) बहुत अच्छी नहीं

3. कुंवर सिंह किस प्रकार के व्यक्ति थे?
(क) उदार
(ख) संवेदनशील
(ग) परोपकारी
(घ) ये सभी प्रकार
उत्तर :
(घ) ये सभी प्रकार

4. कुंवर सिंह की प्रशस्ति का गायन किन में होता है?
(क) बिहार के लोकगीतों में
(ख) दिल्ली की सभाओं में
(ग) पाठशालाओं में
(घ) जन-जन में
उत्तर :
(क) बिहार के लोकगीतों में

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वीर कुवर सिंह Summary in Hindi

वीर कुवर सिंह पाठ का सार

1857 के स्वतंत्रता सेनानियों में ठाकुर कुँवर सिंह का नाम उल्लेखनीय है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ में भी उनके नाम का उल्लेख है। 1857 के सशस्त्र विद्रोह ने भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिलाकर रख दिया था।

मार्च, 1857 में बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत करने पर 8 अप्रैल, 1857 को मंगल पांडे को फाँसी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में भारतीय सैनिकों ने दिल्ली ‘के सैनिकों के साथ मिलकर 11 मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया था और अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर को भारत का शासक घोषित कर दिया था।

इस विद्रोह की आग दूर-दूर तक फैल गई। दिल्ली के अलावा कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड और आरा में भी भीषण युद्ध हुआ। इस विद्रोह में भाग लेने वाले प्रमुख नेता थे-नाना साहेब, तात्या टोपे, बख्त खान, अजीमुल्ला खाँ, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, कुँवर सिंह, मौलवी अहमदुल्लाह, बहादुर खान और राव तुलाराम। भारत में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने में इस आंदोलन की बड़ी भूमिका थी।

वीर कुंवर सिंह के बचपन के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनका जन्म बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में सन् 1782 में हुआ था। उनके पिता का नाम साहबजादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। उनके पिता वीर एवं स्वाभिमानी तथा उदार स्वभाव के थे।

उनके व्यक्तित्व का असर कुंवर सिंह पर भी पड़ा। कुँवर सिंह की शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई। उन्होंने हिंदी, संस्कृति एवं फारसी भाषाएँ सीखीं, पर उनका मन पढ़ाई की जगह घुड़सवारी, तलवारबाजी एवं कुश्ती में लगता था। पिता की मृत्यु के बाद 1827 में कुंवर अली ने रियासत की जिम्मेदारी संभाली। उन दिनों ब्रिटिश सरकार के अत्याचार चरम सीमा पर थे। कुंवर सिंह ने ब्रिटिश हकूमत से टक्कर लेने का निश्चय किया।

जगदीशपुर के जंगलों में ‘बसुरिया बाबा’ नाम के एक सिद्ध संत रहते थे। उन्होंने कुंवर सिंह के मन में देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी। उन्होंने अनेक स्थानों पर जाकर विद्रोह की योजनाएँ बनाईं। उन्होंने बिहार के सोनपुर मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना के लिए चुना। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। 25 जुलाई, 1857 को दानापुर की सैनिक टुकड़ी ने विद्रोह कर दिया। सैनिक कुंवर सिंह का जयघोष करते हुए आरा पहुँच गए और वहाँ की जेल की सलाखें तोड़ दीं। कैदी आजाद हो गए। 27 जुलाई, 1857 को कुंवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त की।

आरा क्रांति का महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। जमींदारों ने अंग्रेजों का साथ दिया। अत: जगदीशपुर के पतन को रोका न जा सका। 13 अगस्त को जगदीशपुर में कुंवर सिंह की सेना हार गई, पर कुंवर सिंह का आत्मबल न टूटा। वे आगे की योजनाएँ बनाने में जुट गए। उन्होंने आजमगढ़ की ओर प्रस्थान किया। इससे अंग्रेजों के होश उड़ गए।

अंग्रेजों और कुँवर सिंह के बीच घमासान युद्ध हुआ। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा कर लिया। वे 23 अप्रैल, 1858 को विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर पहुँच गए। लोगों ने विजय-उत्सव मनाते हुए यूनियन जैक को उतार कर अपना झंडा फहरा दिया। इसके तीन दिन बाद ही 26 अप्रैल, 1858 को यह वीर इस संसार से विदा हो गया।

कुँवर सिंह युद्धकला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी। 1857 में उन्होंने तलवार की जिस धार से अंग्रेजी सेना को मौत के घाट उतारा था, उसकी चमक आज तक भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है। कहा जाता है एक बार कुंवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेजी सेना उनका पीछा कर रही थी। कँवर सिंह भी कम चतुर नहीं थे। उन्होंने अफवाह फैला दी कि वे अपनी सेना को बलिया के पास हाथियों पर चढ़ाकर पार कराएंगे।

अंग्रेज सेनापति डगलस बलिया के गंगा-तट पर जा पहुँचा। कुँवर सिंह ने बलिया से सात मील दूर शिवराजपुर नामक स्थान पर सेना नावों से पार करा दी। डगलस मन मसोसकर रह गया। अंतिम नाव पर कुँवर सिंह थे। डगलस ने गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी। एक गोली उनके बाएँ हाथ की कलाई को भेदती निकल गई। कुंवर सिंह ने बाएँ हाथ को काटकर गंगा मैया को अर्पित कर दिया।

वीर कुंवर सिंह ने अनेक सामाजिक काम भी किए। आरा स्कूल के लिए जमीन दान दी, स्कूल भवन का निर्माण कराया। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने पर भी वे गरीबों की सहायता करते थे। उन्होंने आरा-जगदीशपुर सड़क तथा आरा-बलिया सड़क का निर्माण भी कराया। उन्होंने अनेक कुएँ खुदवाए तथा तालाब बनवाए। वे एक संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार मिलकर मनाए जाते थे। लोकगीतों में उनका गुणगान आज भी किया जाता है।

वीर कुवर सिंह शब्दार्थ

विद्रोह = बगावत (Revolt)। घोषित = घोषणा करना (Declared)। भीषण = भयंकर (Terrible)। निर्मित = बना हुआ (Constructed)। पारिवारिक = परिवार की (Family)। स्वाभिमानी = आत्मसम्मानी (Self respectful)। व्यवस्था = इंतजाम (Arrangement)। गुप्त = छिपा हुआ (Secret)। तत्पर = तैयार (Ready)। विजय = जीत (Victory)। पताका = झंडा (Flag)। रणकौशल = युद्ध कुशलता (Efficiency in war)। चतुर – होशियार (Clever)। जलाशय = तालाब (Pond)। संवेदनशील = संवेदना वाला (Sensitive)। शौर्य = वीरता (Bravery)

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखा

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखाके Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखा

HBSE 7th Class Hindi भोर और बरखा Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यारे’, ‘लाल जी’ कहते हुए यशोदा किसे जागने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी बातें कहती हैं ?
उत्तर :
इन शब्दों का प्रयोग करते हुए यशोदा बाल कृष्ण को जगाने का प्रयास करती है। वे यह भी कहती हैं :

  • रात बीत गई है, सवेरा हो गया है।
  • घर-घर के किवाड़ खुल गए हैं।
  • गोपियाँ दही बिलो रही है, उनके कंगन झनक रहे हैं।
  • दरवाजे पर लोग खड़े हैं।
  • बालक शोर मचा रहे हैं। जय-जय का उच्चारण कर रहे हैं।
  • उन्होंने हाथ में माखन-रोटी ले रखी है।

प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए
‘माखन-रोटी हाथ मैंह लीनी, गउवन के रखवारे।’
उत्तर :
ग्वाल-बालों अपने हाथों में ‘माखन-रोटी ले रखी है। वे गायों को चराने ले जा रहे है। वे उनके रखवाले हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखा

प्रश्न 3.
पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सुबह होते ही ब्रज के घरों के दरवाजों के किवाड़ खुल जाते हैं और लोगों का आना-जाना शुरू हो जाता है। सुबह होते ही ब्रज के घरों में गोपियाँ दही मथना प्रारंभ कर देती हैं। वे मक्खन निकालती हैं। उनके हाथों के कंगनों की झनकार झनकने लगती है। नंद बाबा के घर के दरवाजे पर लोग खडे होने लगते हैं। ग्वाल-बाल कोलाहल करना प्रारंभ कर देते हैं और कृष्ण की जय-जयकार शुरू हो जाती है। बाल-कृष्ण हाथ में माखन-रोटी ले लेते हैं।

प्रश्न 4.
मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?
उत्तर :
मीरा का सावन मनभावन इसलिए लंगने लगा क्योंकि सावन की फुहारों में मन उमंग लेने लगता है। इस मास में बिजली चमकती है तथा झर-झर कर वर्षा होती है। नन्ही-नन्ही बूंदे बड़ी अच्छी प्रतीत होती है।

प्रश्न 5.
पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
सावन मास अत्यंत मनमोहक होता है। सांबन की बदरिया बरस कर तन-मन को हर्षित कर देती है। इस मास में मन उमंग भरने लगता है। वर्षा ऋतु में चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़ कर आते हैं, बिजली चमकती है और बूंदों की झड़ी लग जाती है। नन्हीं-नन्हीं बूंदें पड़ती हैं और शीतल वायु चलने लगती है। ऋतु अत्यंत सुहावनी हो जाती है। यह ऋतु तन-मन को हर्षित कर देती है।

कविता से आगे

प्रश्न 1.
मीरा भक्तिकाल की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। इस काल के दूसरे कवियों के नामों की सूची बनाइए तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर :

  1. कबीरदास – रचना बीजक
  2. सूरदास – रचना सूरसागर
  3. तुलसीदास – रचना रामचरितमानस
  4. जायसी – रचना पद्मावत

प्रश्न 2.
सावन वर्षा ऋतु का महीना है, वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीनों के नाम लिखिए।
उत्तर :
आषाढ़, भादो।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखा

HBSE 7th Class Hindi भोर और बरखा Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मीरा की भक्ति किसके प्रति थी?
उत्तर :
मीरा की भक्ति कृष्ण के प्रति थी।

प्रश्न 2.
गोपियाँ दही क्यों मथ रही हैं?
उत्तर :
गोपियाँ दही मथकर मक्खन निकलना चाह रही हैं।

प्रश्न 3.
ग्वालों ने हाथ में क्या वस्तु ले रखी है?
उत्तर :
ग्वालों ने हाथ में माखन-रोटी ले रखी है।

प्रश्न 4.
कवयित्री का मन क्यों उमग रहा है?
उत्तर :
क्योंकि कवयित्री को हरि (कृष्ण) के आने की भनक लग गई है।

प्रश्न 5.
कैसी बूंदें पड़ रही हैं?
उत्तर :
नन्ही-नन्ही बूंद पड़ रही हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखा

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मीरा ने सावन का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर :
मीरा बताती है कि सावन की बदली बरस रही है। चारों ओर से बादल उमड़-घुमड़ कर आ रहे हैं, बिजली चमक रही है, नन्ही-नन्ही बूंदें पड़ रही हैं तथा शीतल वायु चल रही है।

प्रश्न 2.
माता यशोदा अपने ललना को किस प्रकार ‘जगाती है?
उत्तर :
माता यशोदा अपने ललना कृष्ण को तरह-तरह के संकेत देकर जगाती हैं। वह कहती हैं-रात बीत गई है, घरों के किवाड़ खुल गए हैं, ग्वाल-बाल कोलाहल कर रहे हैं, ग्वालों ने हाथों में माखन-रोटी ले रखी है अर्थात् वं गायों को लेकर वन जान की तैयारी में हैं।

प्रश्न 3.
मीराबाई का एक अन्य पद लिखिए।
उत्तर :
मीराबाई द्वारा रचित एक अन्य पद पायो जी म्हँ तो राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो। जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो। खरचैं नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायौ।। सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भव-सागर तर आयो।। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख-हरख जस गायो।।

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भोर और बरखा काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. जागो बंसीवारे ………….. को तारै॥

शब्दार्थ : ललना = प्रिय बालक (Dear son)। रजनी = रात (Night)। भोर = सवेरा (Morning)। किंवारे = किवाड़ (Door)। सुर = देवता (God) द्वारे = दरवाजे (Door)। कुलाहल = शोर (Noise)। उचारै = उच्चारण करना (Speak)। सरण = शरण (Shelter)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत पद कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इसे हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित किया गया है। इस पद में भोर अर्थात् प्रात:काल का वर्णन है।

व्याख्या :
बालक कृष्ण अभी तक सो रहे हैं। उनकी माँ यशोदा उन्हें जगाते हुए कहती हैं-हे प्यारे, बंसीवाले बालक! जाग जाओ। तुम मुझे बहुत प्रिय हो। अब रात बीत चुकी है और सवेरा हो गया है। प्रत्येक घर के किवाड़ खुल गए हैं अर्थात् लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है। गोपियाँ दही मथने (चलाने) लगी हैं। उनके हाथों के कंगनों की झनकार सुनाई पड़ रही है। हे मेरे लाल, अब सवेरा हो चुका है। दरवाजे पर देवता और मनुष्य खड़े हुए हैं। वे तुम्हारे दर्शन करना चाहते हैं।

ग्वाल-बाल भी कोलाहल कर रहे हैं। वे सभी तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। यह सुनकर बाल-कृष्ण ने अपने हाथ में माखन-रोटी ले ली। वे तो गायों के रखवाले हैं। मीराबाई कहती हैं कि कृष्ण तो गिरधर नागर हैं और उसके प्रभु (भगवान) हैं। जो भी व्यक्ति या प्राणी उनकी शरण में आता है, वे उसी का बेड़ा पार लगा देते हैं अर्थात् उसका उद्धार कर देते हैं।

विशेष :
1. कृष्ण की बाल्यावस्था का वर्णन है।
2. वात्सल्य रस का प्रयोग है।
3. ‘भोर भयो’, ‘करत कुलाइल’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. ‘घर-घर’, ‘जय-जय’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
5. ब्रज भाषा का प्रयोग है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कौन, किसको जगाने का उपक्रम कर रही है?
2. जगाने वाली रात बीतने का क्या-क्या संकेत बता रही है?
3. ग्वाल-बाल क्या कर रहे हैं?
4. श्रीकृष्ण की शरण में आने पर क्या होता है?
उत्तर:
1. माता यशोदा बालक कृष्ण को नींद से जगाने का उपक्रम कर रही हैं।
2. जगाने वाली कवयित्री बालक कृष्ण को रात बीतने का संकेत ये बता रही है

  • घर-घर के दरवाजों के किवाड़ खुल गए हैं।
  • गोपियाँ दही मथने लगी हैं, उनके कंगनों की झनकार सुनाई पड़ रही है।
  • दरवाजे पर सुर-नर खड़े हैं।

3. ग्वाल-बाल कोलाहल कर रहे हैं और जय-जय का उद्घोष कर रहे हैं, उनके हाथ में माखन-रोटी है।
4. जो भी श्रीकृष्ण की शरण में आता है, श्रीकृष्ण उसका उद्धार कर देते हैं अर्थात् बेड़ा पार कर देते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुन कर लिखिए

1. इस पद में किसको जगाया जा रहा है?
(क) बालक कृष्ण को
(ख) कवयित्री को
(ग) ग्वाल-बालों को
(घ) ग्वालों को
उत्तर :
(क) बालक कृष्ण को

2. दही कौन मथ रहा है?
(क) गोपियाँ
(ख) राधा
(ग) लालजी
(घ) माता यशोदा
उत्तर :
(क) गोपियाँ

3. माखन-रोटी कहाँ है?
(क) ग्वालों के हाथ में
(ख) ग्वालों के मुँह में
(ग) कवयित्री के पास
(घ) बाल कृष्ण के पास
उत्तर :
(घ) बाल कृष्ण के पास

4. ‘भोर भयो’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्ले ष
(घ) पुनरुक्ति
उत्तर :
(क) अनुप्रास

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2. बरस वदरिया ……………….. गावण की।

शब्दार्थ :
वदरिया = बादलों की घटा (Clouds)। मन-भावण = मन को भाने वाला (Pleasing)। मनवा = मन (Heart)। सुणी = सुनी (Heard)। आवण = आना (Coming)। चहुँ दिसि = चारों दिशा (From all sides)। दामण = बिजली (Light of sky)। मेहा = वर्षा (Rain)। सीतल = शीतल (ठंडा) (Cool)। पवन = हवा (Wind)। सुहावण = सुहावनी (Beautiful).

प्रसंग : प्रस्तुत पद कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इसे हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित किया गया है। इसमें वर्षा ऋतु का वर्णन है।।

व्याख्या :
कवयित्री बताती है कि सावन का महीना है। सावन की बदली को बरसना चाहिए। इससे मन को प्रसन्नता मिलती है। कवयित्री कहती है कि सावन के महीने में मेरे मन में उमंग आती है। इसका कारण यह भी है कि मैंने कृष्ण के आने की भनक सुनी है। सावन मास में कृष्ण आते हैं। उमड़-घुमड़ कर चारों दिशाओं से बादल आते हैं, बिजली चमकती है और इससे झड़ी लगती है। वर्षा की नन्ही-नन्ही बूंदें बरसती हैं और इससे हवा ठंडी हो जाती है जो अत्यंत सुहावनी लगती है।

मीराबाई कहती है कि उसके प्रभु गिरधर नागर (कृष्ण) हैं। उनके आने की खुशी में मंगल गीत गाने का अवसर है। इससे सर्वत्र आनंद हो जाएगा।

विशेष :
1. प्रकृति का मनोहारी चित्रण है।
2. सावन मास की वर्षा मनभावन प्रतीत होती है।
3. ‘घुमड़-घुमड़’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
4. ‘दामण दमक’ में अनुप्रास अलंकार है।
5. राजस्थानी भाषा का प्रयोग है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. ‘बरस बदरिया’ में किस ऋतु और किस मास के बारे में बताया गया है?
2. किसका मन उमंग गया है और क्यों?
3. पद के आधार पर प्राकृतिक वातावरण का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
1. इसमें वर्षा ऋतु और उसके प्रमुख मास-सावन के बारे में बताया गया है।
2. कवयित्री के मन में उमंग है क्योंकि उसे हरि (कृष्ण) के आने की भनक पड़ गई है।
3. वर्षा ऋतु में चारों ओर बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं, बिजली चमक रही है, नन्ही-नन्ही बूंदें पड़ रही हैं शीतल वायु चल रही है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘बरस बदरिया’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्ले ष
(घ) पुनरुक्ति
उत्तर :
(क) अनुप्रास

2. इस पद में किस मास का उल्लेख है?
(क) आषाढ़
(ख) सावन
(ग) कार्तिक
(घ) फागुन
उत्तर :
(ख) सावन

3. इस पद की रचना किसने की है?
(क) मीराबाई ने
(ख) सूरदास ने
(ग) कबीर ने
(घ) रहीम ने
उत्तर :
(क) मीराबाई ने

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 16 भोर और बरखा

भोर और बरखा Summary in Hindi

भोर और बरखा कवयित्री-परिचय

प्रश्न : मीराबाई का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
जीवन-परिचय :
मीराबाई का जन्म सन् 1504 ई. के लगभग राजस्थान में मेड़ता के पास कुडकी ग्राम में हुआ था। मीरा के पिता का नाम रत्नसिंह था। बाल्यकाल में ही माता की मृत्यु हो जाने के कारण उनका लालन-पालन दादा ने किया था, जो वैष्णव भक्त थे। मीरा का विवाह उदयपुर के राणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ। विवाह के कुछ समय बाद उनके पति की मृत्यु हो गई। बचपन में माता की मृत्यु और यौवन में पति की मृत्यु ने मीरा को संसार से विमुख कर दिया और उन्होंने अपने आपको कृष्णमय बना लिया। मीरा मंदिरों में कृष्ण की मूर्ति के आगे नाचतीं और साधु-संतों का निःसंकोच स्वागत-सत्कार करती थीं। उनके ऐसे कार्यों से रुष्ट होकर उनके देवर ने उन्हें मारने के यत्न भी किए, परंतु उसे सफलता न मिली। प्रौढ़ावस्था में घर-बार छोड़कर मीरा वृंदावन चली गईं और वहाँ से द्वारिका जहाँ अंत तक वे रणछोड़ जी के मंदिर में रहीं। 1546 ई. में मीरा का निधन हो गया।

रचनाएँ :
मीरा के नाम से अनेक रचनाओं का उल्लेख मिलता है- ‘नीरस जी का मायरा’, ‘राग गोबिन्द’, ‘राग सोरठ के पद’, ‘गीत-गोविन्द की टीका’, ‘मीराबाई का मलार’, ‘राग-बिराग’ आदि लेकिन विद्वानों के अनुसार ‘पदावली’ ही उनका प्रामाणिक ग्रंथ है।

विशेषताएँ :
मीरा ने गीतिकाव्य की रचना की और कृष्णभक्त कवियों की परंपरागत पदशैली को अपनाया। मीरा के सभी पद संगीत के स्वरों में बँधे हुए हैं। जीवन के कटु अनुभवों के कारण उनके पदों में वेदना-भाव की प्रधानता है। वे विशेष पढ़ी-लिखी नहीं थी, इसलिए उनके पदों में पांडित्य के स्थान पर सरलता है। इनके गीतों में इनकी आवेशपूर्ण आत्माभिव्यक्ति मिलती है। प्रियतम के समक्ष आत्म-समर्पण की भावना तथा तन्मयता ने इनके काव्य को मार्मिक तथा प्रभावोत्पादक बना दिया है। कृष्ण के प्रति प्रेमभाव की व्यंजना ही इनकी कविता का मुख्य उद्देश्य रहा। जीवनभर मीरा कृष्ण की वियोगिनी बनी रहीं। इनके काव्य में हृदय की आवेशपूर्ण विह्वलता देखने को मिलती है।

मीराबाई के पदों में कृष्ण की रूप-माधुरी के वर्णन के साथ ही उनके प्रति अनन्य भक्ति-भावना की अभिव्यक्ति भी मिलती है। भक्तिकाल के अनेक अन्य कवियों की भाँति मीराबाई के पदों में भी कुछ पौराणिक कथाओं के उद्धरण देखे जा सकते हैं। यद्यपि मीरा स्थान-स्थान पर गिरधर-गोपाल, नंदलाल, हरि आदि नामों का उल्लेख करती हैं, परंतु उनकी दृष्टि में राम और कृष्ण में कोई अंतर नहीं है।

भाषा-शैली :
मीरां की काव्य-भाषा शुद्ध साहित्यिक ब्रज-भाषा के निकट है तथा उस पर राजस्थानी, गुजराती, पश्चिमी हिंदी और पंजाबी का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इनकी काव्य-भाषा अत्यंत मधुर, सरस और प्रभावपूर्ण है।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

HBSE 7th Class Hindi नीलकंठ Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर :
मोर की गरदन नीली होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी मोर की छाया के समान रहती थी अत: उसका नाम राधा रखा गया।

प्रश्न 2.
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ ?
उत्तर :
जाली के बड़े घर में पहुंचने पर मोर के बच्चों का सभी पक्षियों ने स्वागत किया। उनके मन में ऐसा कुतूहल जागा जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़ा और उनके चारों ओर घूमकर गुटरगूं करने लगा। बड़े खरगोश ने गंभीर भाव से उनका निरीक्षण किया। छोटा खरगोश उछल-कूद मचाने लगा। तोते एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

प्रश्न 3.
लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं ?
उत्तर :
लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं-

  • जब वह मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचता था, तब उसके नृत्य की चेष्टाएँ बहुत अच्छी लगती थीं।
  • जब वह लेखिका की हथेली पर रखे भुने चने हौले-हौले उठाकर खाता था तब उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न करती थी।

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प्रश्न 4.
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है ?
उत्तर :
यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं भाया। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे फोड़कर छितरा दिए। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया।

प्रश्न 5.
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था ?
उत्तर :
वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढंक जाता था जब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में कैद होकर नहीं रह सकता था। उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब वह बाहर निकलने को व्याकुल हो जाता था।

प्रश्न 6.
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया ?
उत्तर :
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा अपने नाम और स्वभाव के अनुरूप ईर्ष्यालु थी। उससे दूसरों का सुख देखा नहीं जाता था। उसने राधा को चोंच मार-मारकर ढकेल दिया तथा उसके अंडे फोड़कर अपने दूंठ जैसे पैरों से सब ओर छित्तरा दिए थे। वह ईर्ष्या के कारण किसी जीव की मित्र नहीं बन पाई।

प्रश्न 7.
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को किस तरह बचाया ? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव क विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
एक दिन एक साँप ने खरगोश के बच्चे को पकड़ लिया। साँप ने उसका आधा शरीर मुँह में दबा लिया और आधा बाहर था। नीलकंठ ने उसका ची-चीं का स्वर सुन लिया। उसने नीचे आकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और उस पर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा साँप के मुख से निकल गया।
इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं :

  • नीलंकठ परोपकारी था। वह दूसरों का दु:ख नहीं देख सकता था।
  • नीलकंठ साहसी था। उसने खरगोश के बच्चे को बचाने में साहस का परिचय दिया था।
  • वह दयालु स्वभाव का था क्योंकि उसने रातभर खरगोश के बच्चे को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी प्रदान की।

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निबंध से आगे

1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर :
रेखाचित्र में किसी व्यक्ति या जीव-जंतु का सजीव चित्रण शब्दों के माध्यम से किया जाता है। लेखिका ने अन्य अनेक व्यक्तियों एवं जीव-जंतुओं के रेखाचित्र लिखे हैं, जैसे-पथ के साथी, अतीत की स्मृतियाँ आदि। उन्हें लेकर पढ़ें।

2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।

3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर :
ये सभी कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।

‘वर्षा ऋतु’ से संबंधित कविता
मेघ आए, मेघ आए,
मेघ बड़े बन ठनकर आए।
आकाश में काले-काले बादल उमड़े.
आँधी चली,
धूल आकाश उठाकर भागी।
तभी बिजली चमकी,
झमाझम वर्षा होने लगी।
ताल-तलैयाँ पानी से भर गई
चारों ओर हरियाली छा गई।
वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा समाप्त हुई।

HBSE 7th Class Hindi नीलकंठ Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बड़े मियाँ कहाँ से मोर के बच्चे खरीद कर लाया था?
उत्तर :
बड़े मियाँ शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार से मोर के दो बच्चे खरीद कर लाया था।

प्रश्न 2.
घर पहुँचने पर उन बच्चों को घर वालों ने क्या बताया?
उत्तर :
घर पहुंचने पर सब कहने लगे-” तीतर हैं, मोर कहकर ठग लिया है।”

प्रश्न 3.
लेखिका के कमरे का कायाकल्प किसके रूप में होने लगा?
उत्तर :
लेखिका के कमरे का कायाकल्प चिडियाखाने के रूप में होने लगा।

प्रश्न 4.
राधा कौन थी? उसकी क्या विशेषता थी?
उत्तर :
राधा मोरनी थी। वह मोर की सहचारिणी थी।

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प्रश्न 5.
नीलकंठ खरगोश के बच्चों के साथ क्या करता था?
उत्तर :
वह खरगोश के बच्चों को चोंच से उनके कान पकड़कर उठा लेता था और अधर में लटकाए रहता था।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महादेवी जी ने ड्राइवर को किस ओर चलने का आदेश दिया और क्यों?
उत्तर :
महादेवी जी ने स्टेशन से लौटते हुए ड्राइवर को बड़े मियाँ की दुकान की ओर चलने का आदेश दिया। उन्हें चिड़ियों और खरगोशों की दुकान का ध्यान आ गया था। अत: उसी ओर चलने को कहा।

प्रश्न 2.
नीलकंठ कैसे मर गया?
उत्तर :
नीलकंठ के मरने का कुछ पता नहीं चला। उसे न तो कोई बीमारी हुई, न उसे कोई चोट लगी। संभवत: वह राधा का वियोग सहन नही कर पाया। वह सुस्त रहने लगा था। वह भूखा-प्यासा रहता था।

प्रश्न 3.
लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते क्यों रोक दिया?
उत्तर :
लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते इसलिए रोक दिया क्योंकि जब वे बोलना शुरू करते थे तो रुकने का नाम नहीं लेते थे। सुनने वाला ही थककर उन्हें रोकता था। यही कारण था कि लेखिका ने भी उन्हें रोक दिया।

प्रश्न 4.
लेखिका को अपने कमरे का दरवाजा क्यों बंद रखना पड़ता था?
उत्तर :
मोर के बच्चे लेखिका की मेज पर, कभी कुर्सी पर और कभी सिर पर अचानक आविर्भूत होने लगे। खिड़कियों में तो जाली लगी थी, पर दरवाजा निरंतर बंद रखना पड़ता था।

खुला रहने पर चित्रा (बिल्ली) इन नवागंतुकों का पता लगा सकती थी और तब उसके शोध का क्या परिणाम होता, यह अनुमान करना कठिन नहीं है। वैसे वह चूहों पर भी आक्रमण नहीं करती परंतु यहाँ तो दो सर्वथा अपरिचित पक्षियों की अनाधिकार चेष्टा का प्रश्न था। उसके लिए दरवाजा बंद रहे और ये दोनों (उसकी दृष्टि में) ऐरे-गैरे लेखिका की मेज को अपना सिंहासन बना लें, यह स्थिति चित्रा जैसी अभिमानी माजोरी ‘बिल्ली’ के लिए असा ही कही जाएगी।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

प्रश्न 5.
विदेशी महिलाएं नीलकंठ को ‘परफैक्ट अँटिलमैन’ क्यों कहती थीं?
उत्तर :
विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को नृत्य करते देख कर ‘परफैक्ट जेंटिलमैन’ कहती थीं। वे नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो उठती थीं।

प्रश्न 6.
लेखिका के चिड़ियाघर में भूचाल जैसी स्थिति कब पैदा हो गई थी और क्यों?
उत्तर :
जब लेखिका के चिड़ियाघर में दो छोटे मोरों को आया देखकर लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछल-कूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभांति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। उस दिन लेखिका के चिड़ियाघर में मानो भूचाल आ गया।

प्रश्न 7.
नीलकंठ के रूप-रंग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। इस दृष्टि से राधा कहाँ तक भिन्न थी?
उत्तर :
मोर के सिर की कलगी और सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। उसकी चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनील की नीलाभ चमक झलकने लगी। उसकी लंबी नील हरित गरदन की हर भंगिमा में धूप छाँही तरंगें उठने-गिरने लगीं। उसके दोनों पंखों में सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे।

उसकी पूंछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग चमक हो उठे। रंग-रहित पैरों को गर्वीली गति ने उसे एक नई गरिमा से रंजित कर दिया। उसका गरदन ऊँची कर देखना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति का चित्र नहीं आंका जा सकता।

मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ, परंतु अपनी लंबी धूप छाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखों की श्याम-श्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी।

प्रश्न 8.
नीलकंठ चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का मित्र भी था और संरक्षक भी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नीलकंठ ने स्वयं ही अपने आप को चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का संरक्षक मान लिया था। वह उनका मित्र तो था ही। एक बार साँप ने शिशु खरगोश का आधा हिस्सा अपने मुँह में दबा लिया।

वह चीख भी नहीं सकता था। नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सुन लिया और उसने नीचे उतरकर सांप को फन के पास पंजों से दबाया और चोंच मार-मार कर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश उसके मुंह से निकल आया। मोर रात भर उसे अपने पंखों के नीचे रखकर गरमी देता रहा।

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प्रश्न 9.
कुब्जा राधा से क्यों द्वेष रखती थी? वह उसके प्रति अपना द्वेष किस प्रकार व्यक्त करती थी?
उत्तर :
कुब्जा नीलकंठ का साथ चाहती थी, पर नीलकंठ उससे दूर भागता था। वह राधा के पास रहता था। अतः कुब्जा राधा से द्वेष रखती थी। वह किसी को नीलकंठ के पास नहीं आने देना चाहती थी। इसी बीच राधा ने दो अंडे दिए, जिनको वह पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार-मार कर राधा को ढकेल दिया और फिर अंडे फोड़ कर दूंठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए।

प्रश्न 10.
नीलकंठ का सुखमय जीवन करुण कथा में कैसे बदल गया?
उत्तर :
कुब्जा के कलह और उसके राधा के प्रति ईर्ष्या-द्वेष से नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया। कई बार वह जाली के घर से निकल भागा। एक बार कई दिन भूखा-प्यासा आम की शाखाओं में छिपा बैठा रहा, जहाँ से बहुत पुचकार कर मैंने उतारा। एक बार मेरी खिड़की के शेड पर छिपा रहा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन नीलकंठ ने अपने प्राण त्याग दिए। उसका सुखमय जीवन करुण कथा में बदल गया।

प्रश्न 11.
नीलकंठ अन्य पक्षियों को सजा भी देता था और प्रेम भी करता था। उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
खरगोश के छोटे बच्चों को नीलकंठ चोंच से उनके कान पकड़कर ऊपर उठा लेता था और जब तक वे आर्तक्रदन न करने लगते उन्हें अधर में लटकाए रखता। कभी-कभी उसकी पैनी चोंच से खरगोश के बच्चों का कर्णवेध संस्कार हो जाता था, पर वे फिर कभी उसे क्रोधित होने का अवसर न देते थे। दंडविधान के समान ही उन जीव-जंतुओं के प्रति उसका प्रेम भी असाधारण था। प्रायः वह मिट्टी में पंख फैलाकर बैठ जाता और वे सब उसकी लंबी पूँछ और सघन पंखों में छुआ-छुऔअल-सा खेलते रहते थे।

प्रश्न 12.
नीलकंठ के मरने के बाद राधा कैसी है?
उत्तर :
राधा अब नीलकंठ की प्रतीक्षा में ही दुकेली है। आषाढ़ में जब आकाश मेघाच्छन्न हो जाता है तब वह कभी ऊँचे झूले पर और कभी अशोक की डाल पर अपनी केका को तीव्रतर कर नीलकंठ को बुलाती रहती है।

प्रश्न 13.
राधा कैसे नाचती थी?
उत्तर :
राधा नीलकंठ के समान नहीं नाच सकती थी, परंतु उसकी गति में भी एक छंद रहता था। वह नृत्यमग्न नीलकंठ की दाहिनी ओर के पंख को छूती हुई बाईं ओर निकल आती थी और बाएँ पंख को स्पर्श कर दाहिनी ओर। इस प्रकार उसकी परिक्रमा में भी एक पूरक ताल-परिचय मिलता था।

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प्रश्न 14.
नीलकंठ और राधा को कौन-सी ऋतु प्रिय थी?
उत्तर :
नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूंज-अनुगूंज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूंदों के उतरने के लिए सोपान पक्ति बनने लगती थी।

प्रश्न 15.
बड़े मियाँ ने क्या कहकर घायल मोरनी को लेखिका को बेच दिया?
उत्तर :
बड़े मियाँ ने कहा, “देखिए गुरु जी, कमबख्त चिड़ीमार ने बेचारी का क्या हाल कर दिया है! ऐसे कभी चिड़िया पकड़ी जाती है? आप न आई होती तो मैं उसी के सिर इसे पटक देता। पर आपसे भी यह अधमरी मोरनी ले जाने को कैसे कहूँ?” अत: लेखिका ने सात रुपये देकर उस मोरनी को ले लिया।

नीलकंठ गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बड़े मियाँ …………………… लग रहे थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. ये बड़े मियाँ कौन हैं? उनकी क्या आदत है?
2. लेखिका ने बड़े मियाँ से क्या पूछा?
3. पिंजरा कैसा था?
4. पक्षी शावक कैसे लग रहे थे?
उत्तर:
1. बड़े मियाँ चिड़िया वाले के नाम से जाने जाते हैं। वे बोलते बहुत हैं। उनकी आदत है कि वे बीच में रुकते नहीं।
2. लेखिका ने बड़े मियाँ से पूछा-‘मोर के बच्चे कहाँ है?’
3. पिंजरा बहुत संकीर्ण तथा छोटा था।
4. पिंजरे में बैठे पक्षी शावक ऐसे लग रहे थे कि मानो किसी गोल फ्रेम में चित्र जड़ दिए हों।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह पाठ किस शैली में रचा गया है?
(क) रेखाचित्र
(ख) संस्मरण
(ग) निबंध
(घ) कहानी
उत्तर :
(क) रेखाचित्र

2. इस पाठ को किसने लिखा है?
(क) महादेव ने
(ख) महादेवी वर्मा ने
(ग) बड़े मियाँ ने
(घ) प्रेमचंद ने
उत्तर :
(ख) महादेवी वर्मा ने

3. बड़े मियाँ के भाषण की तुलना किससे की गई है?
(क) तूफान मेल से
(ख) सामान्य ट्रेन से
(ग) चिड़ीमार से
(घ) ड्राइवर से
उत्तर :
(क) तूफान मेल से

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

2. वे दोनों ………………… होने लगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. चूहदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर बच्चे कहाँ छिप गए?
2 उन्होंने लुका-छिपी में क्या किया?
3. वे दिन में कहाँ रहते और रात को कहाँ प्रकट होते?
4. कभी-कभी वे कहाँ आविर्भूत होने लगे?
उत्तर:
1. चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर उसमें बंद बच्चे कमरे में खो गए। कभी वे मेज़ के नीचे घस जाते तो कमी अलमारी के पीछे।
2. उन्होंने लुका-छिपी से थककर लेखिका की रद्दी कागजों की टोकरी को अपना नया बसेरा बना लिया।
3, वे बच्चे दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते।
4. कभी वे मेज पर, कभी कुर्सी पर तो कभी लेखिका के सिर पर आविर्भूत होने लगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(क) नीलकंठ
(ख) मोर
(ग) तीतर
(घ) रेखाचित्र
उत्तर :
(क) नीलकंठ

2. ‘आविर्भाव’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) भरना
(ख) आना
(ग) प्रकट होना
(घ) भाव-विभोर
उत्तर :
(ग) प्रकट होना

3. लेखिका की टोकरी किस काम आती थी?
(क) सब्जी रखने के
(ख) फल रखने के
(ग) रद्दी कागजों के लिए
(घ) बच्चों के
उत्तर :
(ग) रद्दी कागजों के लिए

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

3. दोनों नवागुंतकों ………………………… आ गया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. दोनों नवागुंतकों ने कैसा कुतूहल जागाया?
2. लक्का कबूतर क्या करने लगे?
3. खरगोश ने क्या किया?
4. तोतों की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर:
1. दोनों नवागुंतकों ने लेखिका के घर आकर पहले से रह रहे अन्य पक्षियों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है।
2. लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़कर आए और नवागुंतकों के चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ करके गाने लगे।
3. बड़े खरगोश सभ्य सभासद के समान गंभीर भाव से निरीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश उछल-कूद करने लगे।
4. तोते आँखें बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘नवागंतुक’ का सही संधि-विच्छेद है
(क) नव + आगंतुक
(ख) नव + गुंतक
(ग) न + वागुंतक
(घ) नवागु + तक
उत्तर :
(क) नव + आगंतुक

2. ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ कौन करने लगे?
(क) कबूतर
(ख) खरगोश
(ग) तोते
(घ) चिड़िया
उत्तर :
(क) कबूतर

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

4. मुझे स्वयं …………….. देने दौड़ा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?
2 वह सवेरे ही क्या करने लगता था?
3. वह किसे, कैसे दंड देता था?
उत्तर:
1. नीलकंठ ने स्वयं को अपने आप चिड़ियाघर के जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया था।
2. नीलकंठ सवेरे ही खरगोश-कबूतर आदि की सेना एकत्रित करके दाने दिए जाने वाले स्थान पर ले जाता
3. जब कोई पशु-पक्षी गड़बड़ी करता हो नीलकंठ अपनी चोंच के प्रहार से उसे दंड देता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?
(क) जीव-जंतुओं का सेनापति
(ख) संरक्षक
(ग) दोनों
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) जीव-जंतुओं का सेनापति

2. नीलकंठ अपने पक्षियों की सेना को कहाँ ले जाता था?
(क) दाना देने के स्थान पर
(ख) पानी पीने के स्थान पर
(ग) घूमने-फिरने के स्थान पर
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(क) दाना देने के स्थान पर

3. ‘चंचु-प्रहार’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

5. मोर के …………… हो उठे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मोर की कलगी में क्या परिवर्तन आ गया?
2 चोंच और आँखों में क्या बदलाव आया?
3. ग्रीवा के बारे में क्या बताया गया है?
4. पूँछ कैसी हो गई?
उत्तर:
1. मोर के सिर की कलगी पहले से अधिक सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई।
2. मोर की चोंच अधिक बाँकी (टेढ़ी) और पैनी हो गई। आँखों में नीली चमक झलकने लगी।
3. नीली-हरी ग्रीवा (गर्दन) में धूप-छाँही तरंगें उठने लगीं।
4. मोर की पूँछ अधिक लंबी हो गई तथा उसके पंखों पर रंग-बिरंगी चंद्रिकाएँ उभरने लगीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘ग्रीवा’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

2. ‘इंद्रधनुषी रंग’-रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

3. ‘आलेखन’ शब्द कैसे बना है?
(क) आ + लेखन
(ख) आलेख + न
(ग) आ + लेख + न
(घ) आले + खन
उत्तर :
(ग) आ + लेख + न

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

6. मयूर कलाप्रिय …………………… जाता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मोर कैसा पक्षी है?
2 बाज, चील कैसे पक्षी हैं?
3. नीलकंठ क्या हो गया था?
4. नीलकंठ जब नाचता था तब कैसा दृश्य उपस्थित हो जाता था?
उत्तर:
1. मोर कला प्रेमी तथा वीर पक्षी है।
2. बाज और चील क्रूर स्वभाव के पक्षी हैं। उनके जीवन में क्रूर कर्म करना रहता है।
3. नीलकंठ में उसकी जातिगत विशेषताएँ तो थी ही, इसके साथ-साथ उसका मानवीकरण भी हो गया था।
4. नीलकंठ जब अपने इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर नाचता था तब उसका नृत्य देखते बनता था। वह आगे-पीछे, दाएं-बाएँ घूम-घूमकर नाचता तथा कभी-कभी ठहर जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कलप्रिय और वीर किसे कहा गया है?
(क) मोर को
(ख) खरगोश को
(ग) तोता को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(क) मोर को

2. ‘मयूर’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. ‘अलक्ष्य’ में ‘अ’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूलशब्द
(घ) अन्य
उत्तर :
(क) उपसर्ग

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7. नालकठ आर ……………………… होता जाता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. वर्षा ऋतु किसे प्रिय थी?
2 मेघों के उमड़ आने से पहले उन्हें क्या मिल जाता था?
3. नीलकंठ के नृत्य का वेग कब बढ़ता जाता था?
उत्तर:
1. वर्षा ऋतु नीलकंठ और राधा को प्रिय थी।
2 मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे उसकी सजल आहट पा लेते थे।
3. बादलों की गरजन, बिजली की चमक तथा बूंदों की रिमझिम की तीव्रता के साथ नीलकंठ के नृत्य का वेग बढ़ता जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कौन सा शब्द ‘हवा’ का पर्यायवाची नहीं है
(क) समीर
(ख) वायु
(ग) अनिल
(घ) अनल
उत्तर :
(घ) अनल

2. “नृत्य” शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. वर्षा किसकी प्रिय ऋतु थी?
(क) नीलकंठ की
(ख) राधा की
(ग) दोनों की
(घ) किसी की नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों की

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नीलकंठ Summary in Hindi

नीलकंठ पाठ का सार

इस रेखाचित्र में महादेवी वर्मा ने अपने पालतू मोर ‘नीलकंठ’ के मीठे-कड़वे अनुभवों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है। इस – पाठ के माध्यम से लेखिका के जीव-जंतुओं के प्रति अथाह प्रेम और सहानुभूति का परिचय मिलता है। नीलकंठ सहित उसके सभी साथियों के रूप, स्वभाव, व्यवहार और चेष्टाओं का लेखिका ने जितनी गहनता और सूक्ष्मता से निरीक्षण तथा वर्णन किया है, उससे यह रेखाचित्र अत्यंत जीवंत बन गया है।

यह पाठ रेखाचित्र-शैली में रचा गया है। एक दिन लेखिका महादेवी वर्मा अपने अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौट रही थी कि वह बड़े मियाँ चिड़ियावाले की दुकान पर जा पहुँची। महादेवी को देखते ही वह बोला सलाम गुरु जी! पिछली बार आने पर आपने मोर के बच्चों के लिए पूछा था।

शंकरगढ़ से एक चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया है, एक मोर है, एक मोरनी। आप पाल लें। मोर के पंजों से दवा बनती है, सो ऐसे ही लोग खरीदने आए थे। आखिर मेरे सीने में भी तो इंसान का दिल है। मारने के लिए ऐसी मासूम चिड़ियों को कैसे दूं। टालने के लिए मैंने कह दिया- “गुरुजी ने मँगवाए हैं। वैसे, यह कमबख्त रोजगार ही खराब है। बस, पकड़ो-पकड़ो, मारो-मारो।”

लेखिका बड़े मियाँ के भाषण के दौरान मोर के बच्चों का निरीक्षण भी करती रही। उसने तीस चिड़ीमार के नाम के तथा पाँच बड़े मियाँ के ईमान के अर्थात् 35 रुपये देकर वे दोनों पक्षी शावक खरीद लिए। घर पर सब उन पक्षियों को तीतर बताने लगे और कहने लगे कि तुम ठग गई हो।

लेखिका ने अपने पढ़ने-लिखने के कमरे में उनका पिंजड़ा रखकर उसका दरवाजा खोला, फिर दो कटोरों में सत्तू की छोटी-छोटी गोलियाँ और पानी रखा। वे दोनों चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर कमरे में मानो खो गए, कभी मेज के नीचे घुस गए तो कभी अलमारी के पीछे। अंत में इस लुका-छिपी से थककर उन्होंने मेरे रद्दी कागजों की टोकरी को अपने नए बसेरे का गौरव प्रदान किया। दो-चार दिन वे इसी प्रकार दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते रहे।

लेखिका ने उन्हें अन्य जीव-जंतुओं से बचाने के लिए पिंजरे में बंद रखना ही ठीक समझा। लक्का कबूतर, खरगोश, तोते सभी उसके इर्द-गिर्द जमा होने लगे। धीरे-धीरे मोर के दोनों बच्चे बढ़ने लगे। मोर की कलगी सघन, ऊँची और नुकीली हो गई। चोंच पैनी हो गई। उनके रूप-आकार में निरंतर परिवर्तन होते चले गए। मोरनी का विकास उतना चमत्कारी नहीं था पर वह मोर की सहचरिणी होने का सबूत देने लगी थी। नीली गरदन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी का नाम राधा रखा गया।

नीलकंठ स्वयं जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक बन बैठा। वह सबका ख्याल रखता तथा दोषी को चोंच मारकर दडित करता था। खरगोश के छोटे बच्चों को वह चोंच से कान पकड़कर उठा लेता था। वह जीव-जंतुओं से प्रेम भी बहुत करता था। एक बार एक साँप जाली के भीतर पहुँच गया। एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया।

नीलकंठ ने खरगोश के मंद स्वर को सुना। वह एक झपट्टे में नीचे आ गया। उसने साँप को फन के पास पंजों से दवाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा मुंह से निकल आया और रात भर उसे अपने पंखों से गरमी देता रहा।

मोर कलाप्रिय वीर पक्षी है। वह हिंसक नहीं है। वह नीलकंठ लय-ताल के साथ नाचता था। राधा भी नाचती थी, पर नीलकंठ के समान नहीं। लेखिका को नीलकंठ का नृत्य बहुत अच्छा लगता था। नीलकंठ यह बात जान गया था। अतः अब वह नित्य नृत्य दिखाने लगा। लेखिका के साथ देशी-विदेशी भी होते थे।

कुछ विदेशी महिलाओं ने उसे परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि दे डाली। वह लेखिका की हथेली से बड़ी कोमलता के साथ चने उठाकर खाता था। वसंत में वह जालीघर में रहना पसंद नहीं करता था। नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु वर्षा ही थी। मेघ गर्जना के साथ उनका नृत्य प्रारंभ होता और वर्षा की रिमझिम के साथ नृत्य का वेग भी बढ़ता जाता।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

इस सुखद आनंद का अंत करुण कथा में हआ। एक दिन लेखिका बड़े मियाँ से एक घायल मोरनी सात रुपए देकर ले आई। मरहम-पट्टी से वह एक महीने में अच्छी हो गईं। पर वह डगमगाती चलती थी। अत: उसका नाम रखा गया कब्जा। वह कुब्जा नीलकंठ और राधा को एक साथ नहीं देख पाती थी। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी, जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के दो अंडों को चोंच मार-मारकर गिरा दिया और राधा को धकेल दिया। नीलकठ उदास रहने लगा।

वह छिपकर रहने लगा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन लेखिका ने देखा कि वह मरा पड़ा है। वह क्यों मरा, पता नहीं चला। लेखिका उसे अपने शॉल में लपेटकर संगम तक ले गई और गंगा की धारा में प्रवाहित कर आई। नीलकंठ के न रहने पर राधा भी निश्चेष्ट-सी बैठी रहती। कुब्जा उसे दूवती रहती. एक दिन कजली के दाँत उसकी गरदन पर लग गए। उसका जीवन न बचाया जा सका। राधा प्रतीक्षा में ही दुकेली है। वर्षा ऋतु में वह अपने नीलकंठ को बुलाती है।

नीलकंठ शब्दार्थ

अनुसरण = पीछे-पीछे चलना (to follow), संकीर्ण = सँकरा, छोटा (narrow), आविर्भूत = प्रकट (to come out), नवागंतुक = नया-नया आया हुआ, नया अतिथि (new guest), मार्जारी = मादा बिल्ली (female car), इल्ली = तितली के बच्चों को अंडे से निकलने के बाद का रूप (a form of butterfly). बंकिम = टेढ़ा (not stright), इंद्रनील = नीलकांत-नीलम (a precious diamond), द्युति – चमक (shining), दीप्त होना = चमकना (lo glitter), चंचु प्रहार = चोंच द्वारा आक्रमण (attack by beak), आर्तक्रंदन = दर्द-भरी आवाज में रोना (cry), अधर = बीच में (in between), कर्णवेध = कान छेदना (a hole in ear), निश्चेष्ट = बिना प्रयास के (without effort), कार्तिकेय = कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न शिव के पुत्र, देवताओं के सेनापति (son of shiva), मंजरियाँ = नई कोंपलें, बौर (new buds), मंद्र = गंभीर, धीमा (slow), क्रूर कर्म = कठोर कार्य (hard work), स्तबक = गुलदस्ता, पुष्पगुच्छ (bunch of flowers), कुब्जा = कुब्बड़ वाली, कंस की एक दासी, जो कुबड़ी थी, श्रीकृष्ण ने उसका कुब्बड़ ठीक किया (name of lady), दुकेली = जो अकेली न हो (not lonely), पक्षी-शावक = पक्षी के बच्चे (children of birds), बारहा = बार-बार (again & again), छंद रहता-सा = गति में लय का होना (other), सुरम्य = मनोहर (beautiful), मूंजी = कंजूस (miser), केका = मोर की बोली (voice of peacock)

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

HBSE 7th Class Hindi खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
खान पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है ? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें ।
उत्तर :
खान पान की संस्कृति से लेखक का मतलब यह है कि विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को मिश्रित स्वरूप में अपनाया जाता है। इसमें जल्दी तैयार होने वाले व्यंजन हैं। प्रीतिभोजों और पार्टियों में प्लेट में ढेर सारे व्यंजन रख लिए जाते हैं। इससे हम कई बार चीजों का असली स्वाद नहीं ले पाते। सभी चीजों का स्वाद गड्डमड्ड हो जाता है। हमारे घर में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों प्रकार के व्यंजन तैयार होते हैं। अब खान पान की हमारी कोई एक विशेष संस्कृति नहीं रह गई है। हम सभी प्रकार की चीजें खाते हैं।

प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं ? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों हैं ?
उत्तर :
खान पान में बदलाव के फायदे

  • अब हमें एक प्रकार का खाना नहीं पड़ता, बल्कि उसमें विविधता का समावेश हो गया है। हम बदल-बदल कर खाना खा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने में मदद मिली है।
  • ‘फास्ट फूड’ तुरंत तैयार हो जाता है अत: समय की बचत होती है।

लेखक इस बदलाव को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि अब स्थानीय खानों को लोग भूलते जा रहे हैं, वे बाजार से गायब हो रहे हैं। आधुनिकता के नाम पर हमने चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं।

प्रश्न 3.
खान पान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर :
खान पान के मामले में स्थानीयता का यह अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। कहीं पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबी बनती धीं, मथुरा के पेड़े प्रसिद्ध थे तो आगरा का पेठा-नमकीन। इन चीजों का अपना विशेष महत्त्व एवं स्वाद था। अब इनका प्रचलन घटता चला जा रहा है। हाँ, पाँच सितारा होटल इन्हें ‘एथनिक’ कहकर परोसने लगे हैं।

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निबंध से आगे

प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाजार से आती हैं ? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थी ?
उत्तर :
हमारे घर में निम्नलिखित चीजें पकती हैं – बाजार से आने वाली चीजें
दाल – समोसे
सब्जी – जलेबी
रोटी – पकौड़े
पूड़ी-कचौड़ी – बर्फी
खीर – खस्ता कचौड़ी
इनमें से जो चीजें माँ-पिताजी के बचपन में घर में बनती थींसमोसे, पकौड़े, बर्फी

प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिएउबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़ आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला

भोजनकैसे पकायास्वाद

उत्तर:

भोजनकैसे पकायास्वाद
दालउबालनास्वाद
भातउबालनानमकीन
रोटीसेंकनामीठा
पापड़सेंकनामीठा
आलूउबालनानमकीन
बैंगनभूननामीठा

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प्रश्न 3.
छोक, चावल, कड़ी
इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर :
विद्यार्थी इनके बनाने के तरीक पता करे।

प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तस्वीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा
सन साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) खाना
सन नब्बे का दशक – पीजा, पाव भाजी

इसी प्रकार आप कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।
सन साठ का दशक – सलवार-कुरता-साड़ी
सन सत्तर का दशक – चूड़ीदार पाजामा, टाइट कपड़े
सन अस्सी का दशक – पैंट, शर्ट, सूट
सन नब्बे का दशक – पैंट, जींस, टॉप।

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची ( मेन्यू) बनाइए।
उत्तर :
हम उत्तर भारत के हैं और मेहमान दक्षिण भारत से आ रहे हैं। हम उन्हें अपने प्रांत का यह पारंपरिक भोजन कराना चाहेंगे

  • पूड़ी-आलू-मटर की सब्जी
  • बूंदी का रायता
  • आलू-गोभी की सब्जी
  • छोले
  • आम का अचार
  • सलाद
  • गाजर का हलवा।

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HBSE 7th Class Hindi खानपान की बदलती तस्वीर Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तर भारत की कौन-सी संस्कृति पूरे भारत में फैल चुकी है?
उत्तर :
उत्तर भारत की ‘डान्बा संस्कृति’ लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।

प्रश्न 2.
आजकल बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ गया है?
उत्तर :
आजकल बड़े शहरों में फास्ट फूड, चाइनीज नूडल्स, आलू-चिप्स का प्रचलन बढ़ गया है।

प्रश्न 3.
पहले ब्रेड कहाँ तक सीमित थी और अब कहाँ तक पहुंच चुकी है?
उत्तर :
पहले ब्रेड अंग्रेजी साहबों के ठिकानों तक सीमित थी और अब यह कस्बों के घरों तक जा पहुंची है।

प्रश्न 4.
मथुरा-आगरा की कौन-सी चीजें प्रसिद्ध रही
उत्तर :
मथुरा के पड़े और आगरा का दालमोठ-पेठा प्रसिद्ध रहा है।

प्रश्न 5.
आजकल खान-पान की जो संस्कृति बनी है, इसका सकारात्मक पक्ष क्या है?
उत्तर :
इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि इसे गृहिणियाँ और काम-काजी महिलाएं जल्दी तैयार कर लेती हैं।

प्रश्न 6.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण क्या गड़बड़ हो रही है?
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित संस्कृति में खाने की चीजों का अलग-अलग स्वाद नहीं मिल पा रहा है।

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लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण भारत के कुछ व्यंजनों के नाम लिखिए।
उत्तर :
दक्षिण भारत के व्यंजन :
डोसा, इडली, बड़ा, रसमा

प्रश्न 2.
‘ढाबा’ संस्कृति से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर :
ढाबा संस्कृति से लेखक का यह आशय है कि सड़कों के किनारे बने ढाबों पर मिलने वाला खाना। ढाबों पर पंजाबी संस्कृति का खाना मिलता है। इसमें तंदूर की रोटियाँ, दाल, राजमा, कड़ी, चावल, अचार आदि होते हैं। तंदूर की रोटियों का अपना अलग ही स्वाद होता है।

प्रश्न 3.
‘टिफिन’ संस्कृति क्या है ?
उत्तर :
टिफिन में खाना रखकर ले जाना टिफिन संस्कृति है। स्कूलों के बच्चे टिफिन ले जाते हैं। दफ्तरों, कारखानों में काम करने वाले भी टिफिन ले जाते हैं या बने-बनाए खाने का टिफिन मंगाते हैं।

प्रश्न 4.
स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?
उत्तर :
अब धीरे-धीरे स्थानीय व्यंजन बाजारों और घरों से गायब होते चले जा रहे हैं। इससे हमारे खाने की पुरानी पहचान मिटती चली जा रही है। पांच सितारा होटल उन्हीं को ‘एथनिक’ कहकर पुकारने लगे हैं। अब इनके पुनः प्रचलित करने की -आवश्यकता है।

प्रश्न 5.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति लेखक को अच्छी क्यों नहीं लगती?
उत्तर :
लेखक का कहना है कि इसमें चीजों का अलग और असली स्वाद नहीं आ पाता। सब गड्डमड्ड हो जाता है। कई बार प्लट म विपरीत प्रकृति के भोजन परास लिए जात है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहता है।

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खानपान की बदलती तस्वीर गिद्यांशों पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. पिछले दस-पंद्रह ……………….. नहीं रहे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. इस गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम बताइए।
2 खान-पान के बारे में क्या बताया गया है?
3. दक्षिण भारत के व्यंजन कौन-कौन से हैं?
4. उत्तर भारतीय भोजन में क्या-क्या होता है?
5. फास्ट फूड में क्या-क्या चीजें शामिल हैं?
उत्तर :
1.इस गद्यांश के पाठ का नाम है– खान-पान की बदलती हुई तस्वीर। लेखक का नाम- प्रयाग शुक्ला
2. खान-पान के बारे में यह बताया गया है कि पिछले 10-15 वर्षों में हमारी खान-पान की संस्कृति में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
3. दक्षिण भारत के व्यंजन हैं-इडली, डोसा, बड़ा-साँभर, रसमा
4. उत्तर भारतीय व्यंजन हैं–रोटी-दाल-सब्जी-चावला
5. फास्ट फूड में ये चीजें शामिल हैं-नूडल्स, बर्गर।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. किस बात में बदलाव आया है?
(क) खान-पान की संस्कृति में
(ख) वेशभूषा में
(ग) सोचने-विचारने में
(घ) इन सभी में
उत्तर :
(क) खान-पान की संस्कृति में

2. ‘ढाबा संस्कृति’ कहाँ तक फैल चुकी है?
(क) दक्षिण भारत तक
(ख) उत्तर भारत तक
(ग) पूरे देश में
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(ग) पूरे देश में

3. बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ा है?
(क) फास्ट फूड का
(ख) साँभर-डोसा का
(ग) दाल-रोटी का
(घ) खान-पान का
उत्तर :
(क) फास्ट फूड का

4. क्या चीज अब अजनबी नहीं रही?
(क) नूडल्स
(ख) दही-भल्ले
(ग) डोसा
(घ) छोले-भटूरे
उत्तर :
(क) नूडल्स

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

2. खानपान की ……………………. दुःसाध्य है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. खान-पान की बदली संस्कृति का अधिक प्रभाव किस पर पड़ा है?
2. स्थानीय व्यंजनों की क्या दशा है?
3. इस गद्यांश में किन-किन स्थानीय व्यंजनों का उल्लेख हुआ है?
4. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन क्यों नहीं बन पाते?
उत्तर :
1. खान-पान की बदली हुई संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव नई पीढ़ी पर पड़ा है। यह स्थानीय व्यंजनों के बारे में बहुत कम जानती है।
2. स्थानीय व्यंजन घटकर कुछ चीजों तक ही सीमित रह गए हैं। लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं।
3. इस गद्यांश में निम्नलिखित स्थानीय व्यंजनों के नाम आए हैं-

  • मुंबई की पाव-भाजी
  • दिल्ली के छोले-कुल्चे
  • मथुरा के पेड़े
  • आगरा का पेठा-नमकीन।

4. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि अब उन्हें इनको बनाने की फुरसत नहीं है। काम-काजी महिलाओं के लिए सामान तैयार करना और व्यंजन बनाना कठिन है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. खान-पान की बदली संस्कृति ने किसे अधिक प्रभावित किया है?
(क) नई पीढ़ी को
(ख) पुरानी पीढ़ी को
(ग) सभी को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(क) नई पीढ़ी को

2. मुंबई की क्या चीज़ प्रसिद्ध खान-पान में है?
(क) छोले-भटूरे
(ख) पाव-भाजी
(ग) दाल-रोटी
(घ) डोसा-वड़ा
उत्तर :
(ख) पाव-भाजी

3. खान-पान की चीजों की किस बात में फर्क आया
(क) स्वाद में
(ख) गुणवत्ता में
(ग) दोनों में
(घ) किसी में नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों में

4. ‘दुःसाध्य’ शब्द का सही अर्थ है
(क) जिसे साधना कठिन हो
(ख) जो करने में कठिन हो
(ग) जिसे किया ही न जा सके
(घ) जिसे साधा जा सके
उत्तर :
(क) जिसे साधना कठिन हो

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

3. हम खान-पान ……… रही है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. खान-पान की नई संस्कृति का क्या लाभ है?
2 स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों जरूरी है?
3. क्या-क्या चोरों घरों-बाजारों से गायब हो रही है?
4. किन चीजों को होटलों पर नहीं छोड़ देना चाहिए?
उत्तर :
1. खान-पान की नई संस्कृति का यह लाभ है कि इससे राष्ट्रीय एकता की भावना पनपती है। खान-पान की चीजों के अलावा अन्य बातों की ओर भी हमारा ध्यान जाएगा।
2. स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार इसलिए जरूरी है क्योंकि इनका प्रचलन निरंतर घटता चला जा रहा है। इनको जानना और अपनाना आवश्यक हो गया है।
3. ये चीरों घरों और बाजारों से गायब हो रही है-पूड़ियाँ, . कचौड़ियाँ-जलेबियाँ, मौसमी सख्ती से भरे समोसे।
4. स्थानीय व्यंजनों को ‘एथनिक’ के नाम पर पाँच सितारा होटलों के ऊपर नहीं छोड़ देना चाहिए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. खान-पान की नई संस्कृति का लाभ है
(क) एक-दूसरे को जानते हैं।
(ख) राष्ट्रीय एकता स्थापित होती है
(ग) दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान जाएगा।
(घ) उपर्युक्त सभी लाभ
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी लाभ

2. किसका पुनरुद्धार जरूरी है?
(क) स्थानीय व्यंजनों का
(ख) नए व्यंजनों का
(ग) एथनिक का
(घ) किसी का नहीं
उत्तर :
(क) स्थानीय व्यंजनों का

3. ‘मौसमी सब्जियाँ’- रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

4. अचरज नहीं ………………… अनुकूलित हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. क्या बात अचरज नहीं है?
2. कड़वा सच क्या है?
3. नई खाद्य चीजें कैसी हैं?
उत्तर :
1. यह बात अचरज की नहीं है कि जो चीरों उत्तर भारत में गली-मुहल्लों की दुकानों पर आसानी से मिल जाया करती थीं, अब उन्हें खास दुकानों में तलाशना पड़ता
2. कड़वा सच यह है कि हमने आधुनिकता की होड़ में स्थानीय व्यंजनों के प्रयोग को छोड़ दिया है।
3. पश्चिम की नकल करते हुए हमने खाने-पीने की ऐसी बहुत-सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अब पहले की आम चीजों को कहाँ तलाशा जाता
(क) खास दुकानों में
(ख) गली-मुहल्लों में
(ग) सामान्य दुकानों में
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(क) खास दुकानों में

2. ‘आधुनिकता’ में ‘ता’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूल शब्द
(घ) सामान्य शब्द
उत्तर :
(ख) प्रत्यय

3. ‘अनुकूलित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) अ
(ख) कूल
(ग) इतर
(घ) लित
उत्तर :
(ग) इतर

4. इस पाठ के लेखक हैं
(क) प्रयाग शुक्ल
(ख) रमापति शुक्ल
(ग) आचार्य शुक्ल
(घ) प्रयाग शर्मा
उत्तर :
(क) प्रयाग शुक्ल

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

खानपान की बदलती तस्वीर Summary in Hindi

खानपान की बदलती तस्वीर पाठ का सार

इस पाठ में लेखक ने खानपान के क्षेत्र में आए बदलाव का चित्रण किया है। पिछले 10-15 वर्षों में खानपान की संस्कृति में काफी बदलाव दिखाई दिया है। अब दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम पूरे उत्तर भारत में मिलते हैं और खाए भी जाते हैं। ‘ढाबा’ संस्कृति भी सभी जगह दिखाई देती है। उत्तर भारतीय खाना रोटी-दाल-साग भी सभी जगह उपलब्ध है। अब तो ‘फास्ट फूड’ का चलन भी खूब बढ़ चला है। इसमें बर्गर, नूडल्स चीजें शामिल हैं। अब गुजराती व्यंजन ढोकला-गाठिया भी देश के सभी भागों में स्वाद लेकर खाए जाते हैं। बंगाली मिठाइयाँ भी सभी शहरों में मिल जाती हैं।

अंग्रेजी राज में प्रचलित ब्रेड नाश्ते के रूप में लाखों-करोड़ों घरों में सेंकी-तली जा रही है। खानपान की इस बदलती संस्कृति ने नई पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है। मुंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुल्चे की अपनी दुनिया है। अब मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे-नमकीन में वह बात नहीं रह गई है। अब इनकी गुणवत्ता में अंतर आ गया है। अब कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना और छीलना फिर उनसे व्यंजन तैयार करना कठिन हो गया है। अब तो देसी-विदेशी वे व्यंजन अपनाए जा रहे हैं जिन्हें बनाने पकाने में सुविधा होती हो।

कई बार व्यंजन पुस्तिकाओं के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इसके कुछ सकारात्मक पक्ष भी हैं। आजादी के बाद अब ‘टिफिन’ संस्कृति का प्रचार बढ़ा है। स्कूली बच्चे टिफिन ले जाते हैं। खानपान की नई संस्कृति में राष्ट्रीय एकता के बीज भी मिल जाते हैं। अब स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की भी जरूरत है। इन्हें पाँच सितारा होटलों के लिए ही नहीं छोड़ देना चाहिए। अब पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबियाँ स्थानीय बाजारों से गायब हो रही हैं। मौसमी सब्जियों से भरे समोसे भी नहीं मिल पाते।

हमने पश्चिम की नकल में खाने की ऐसी बहुत सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का सही स्वाद नहीं ले पाते हैं। प्रीतिभोजों में चीजों का स्वाद गड्डमड हो जाता है। खाने की चीजों के चुनाव में हम सही लाभ न उठाकर विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन खा लेते हैं। खानपान की मिश्रित-विविध संस्कृति को जाँचते रहना आवश्यक है।

खानपान की बदलती तस्वीर शब्दार्थ

ढाबा = रोटी की दुकान (Dhaba)। चाइनीस = चीन देश का (Chines)। अजनबी = अपरिचित (Unknown)। स्थानीय = स्थान विशेष का (Local)। विज्ञापित = विज्ञापन में दिखाया गया (Advertised)। विविधता = अनेक रूप या विभिन्न, अनेकता (Diversity)। मसलन = जैसे, यथा (AS)। साहबी ठिकानों तक = समृद्ध (अमीर) लोगों के घरों तक (Prosperous people)। कस्बा = नगर या गाँव (Town, village)। गृहिणी = वे महिलाएँ जो कहीं नौकरी नहीं करती (House wife)। कामकाजी ” काम-काज करने वाली महिलाएँ (Working Ladies)। भागमभाग = भागदौड़, जीवन की, व्यस्तता (Busy life) मिश्रित = मिली-जुली (Mixed)। बोली-बानी = बोलचाल की भाषा (Speaking Language)। पुनरुद्धार = फिर से ऊपर उठाना या फिर से छुटकारा (Renovation)। प्रचारार्थ = प्रचार के लिए (For publicity)। दुर्भाग्य = बदकिस्मती (Bad luck)। दुर्गति = बुरी हालत (Bad condition)। अचरज = आश्चर्य (Surprise)। तलाश = खोजा, ढूँढा (Invention)। कड़वा = असली, वास्तविकता (Bitter)। विनिहित . रखा हुआ (Captured).

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका

HBSE 7th Class Hindi एक तिनका Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
[ देने लोग कपड़े की लगे-लोग कपड़े की मँठ देने लगे।]
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – ………….
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – ……………
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी – ……………
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – ……………
उत्तर :
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – एक दिन मैं मुंडेर पर खड़ा था
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – आँख लाल होकर दुखने लगी
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी – बेचारी ऐंठ दबे पाँव भाग गई
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – जब किसी ढब (उपाय) से तिनका निकल गया

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कविता से आगे

प्रश्न 2.
‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है ?
उत्तर :
इस कविता में उस घटना की चर्चा की गई है जब कवि की आँख में एक तिनका गिर गया। उस तिनके के कारण कवि को बहुत बेचैनी का अनुभव हुआ। उसकी आँख लाल हो गई। जब किसी उपाय से तिनका निकला तभी उसे चैन पड़ा। इससे यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति को स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक तुच्छ व्यक्ति या वस्तु भी हमारी परेशानी का कारण बन सकती है।

प्रश्न 3.
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई ?
उत्तर :
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी बेचैन हो गया। उसकी आँख लाल हो गई। उसे तब तक चैन नहीं पड़ा जब तक उसकी आँखों से तिनका निकल नहीं गया।

प्रश्न 4.
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया ?
उत्तर :
घमंडी की आँखों से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास के लोगों ने कपड़े की मूंठ बनाकर उसकी आँख को सेंक पहुँचाने का उपाय किया जिससे उसके आँख की लाली कम हो सकी और आँख की पीड़ा घटी। इसी उपाय से उसकी आँख में पड़ा तिनका निकल सका।

प्रश्न 5.
‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी-
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है-
तिनका कबहूँ न निदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर ? लिखिए।
उत्तर :
कबीर ने भी कहा कि हमें कभी भी तिनके (छोटे व्यक्ति) की भी बुराई नहीं करनी चाहिए क्योंकि यदि तिनका हमारी आँख में गिर जाए तो हमें बहुत तकलीफ देता है। छोटे-से-छोटे व्यक्ति या वस्तु का अपना महत्त्व होता है।

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HBSE 7th Class Hindi एक तिनका Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर :
इस कविता के रचयिता हैं-अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔधा

प्रश्न 2.
कवि छत की मुंडेर पर किस भाव में खड़ा था?
उत्तर :
कवि छत की मुंडेर पर घमंड से भरे हुए भाव में खड़ा था।

प्रश्न 3.
कवि की आँख में क्या आ पड़ा?
उत्तर :
कवि की आँख में एक तिनका आ पड़ा।

प्रश्न 4.
तिनके से कवि की क्या हालत हो गई?
उत्तर :
तिनके से कवि बेचैन हो गया।

प्रश्न 5.
आस-पास के लोगों ने क्या उपाय किया?
उत्तर :
आस-पास के लोग कपड़े की मूंठ बनाकर आँख को सेंकने लगे।

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प्रश्न 6.
क्या तिनका आँख से निकल गया?
उत्तर :
हाँ, किसी तरह तिनका आँख से निकल गया।

प्रश्न 7.
तिनका कवि को क्या सिखा गया?
उत्तर :
तिनका कवि को यह सिखा गया कि घमंड करना बेकार है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“एक तिनका’ कविता का प्रतिपाद्य क्या है?
उत्तर :
‘एक तिनका’ कविता का प्रतिपाद्य यह है कि व्यक्ति को कभी भी स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक तुच्छ व्यक्ति या वस्तु भी व्यक्ति के घमंड को चूर कर देने में सक्षम है। एक तिनका तक व्यक्ति को परेशानी में डाल सकता है।

एक तिनका काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मैं घमंडों …………………….. तेरे लिए।

शब्दार्थ : घमंड – अहंकार (Proud)। अचानक = एकदम (Suddenly)। बेचैन = व्याकुल (Restless)। ढब = उपाय (Way)

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत कविता प्रसिद्ध कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’द्वारा रचित है। इसे हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित किया गया है। इस कविता में नीति संबंधी बात बताई गई है।

व्याख्या : कवि बताता है कि एक दिन मैं घमंड की भावना से भरकर अपने आप में ऐंठा हुआ (अकड़ा हुआ) एक मुंडेर पर खड़ा था। तभी अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका मेरी आँख में आ गिरा।

इस तिनके ने मुझे बेचैन कर दिया। पहले तो मैं झिझका, फिर परेशान हो गया। तिनके के कारण आँख लाल हो गई और दुखने लगी। मेरे दुख को देखकर लोग कपड़े की मुंठ (गोलाकार रूप) बनाकर मेरी आँख को सेंकने लगे। तब मेरी अकड़ स्वतः ही भाग गई अर्थात् मेरा घमंड चकनाचूर हो गया।

उस समय किसी उपाय से मेरी आँख का तिनका तो निकल गया, पर मुझे अपनी भूल का अहसास हो गया। तब मेरी बुद्धि ने मुझे ताना मारते हुए कहा कि भला तू किसलिए ऐंठता था अर्थात् तेरा घमंड करना बेकार था। तेरे (अर्थात् कवि के) घमंड को चूर करने के लिए तो एक तिनका ही काफी है अर्थात् एक तुच्छ व्यवित या वस्तु भी हमें कष्टकर स्थिति में डाल सकती है। अत: व्यक्ति को स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि कहाँ, किस मनः स्थिति में खड़ा था?
2 अचानक क्या हुआ?
3. तिनके ने कवि की हालत क्या कर दी?
4. तिनका कैसे निकला?
5. कवि को क्या बात समझ आ गई?
उत्तर:
1. कवि घमंड में भरा हुआ एक दिन छत की मुँडेर पर खड़ा था।
2. अचानक एक तिनका उड़कर कवि की आँख में गिर गया।
3. तिनके ने कवि को बेचैन कर दिया। उसकी आँख दुखने लगी।
4. कुछ लोगों ने कपड़े की मुंठ बनाकर कवि की आँख पर लगाई तब जाकर तिनका निकल पाया।
5. कवि को यह बात समझ आ गई कि आदमी को परेशान करने के लिए एक तिनका ही काफी है। अत: उसे किसी बात का घमंड नहीं करना चाहिए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. इस कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(ख) कबीर
(ग) मैथिलीशरण गुप्त
(घ) रहीम
उत्तर :
(क) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

2. ‘ढब’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(ग) देशज

3. इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है?
(क) तिनका निकाल दो
(ख) घमंड मत करो
(ग) लोगों की मदद लो
(घ) तिनका बहुत है
उत्तर :
(ख) घमंड मत करो

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एक तिनका Summary in Hindi

एक तिनका कवि-परिचय

प्रश्न : अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के जीवन एवं साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
अयोध्यासिंह उपाध्याय का जन्म 1865 ई. में निजामाबाद जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री भोलासिंह था। आप वहीं तहसीली स्कूल में अध्यापक रहे तथा बाद में बीस वर्षों तक कानूनगो का काम बड़ी सच्चाई और ईमानदारी के साथ किया। 1923 से 1941 ई. तक आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अवैतनिक प्राध्यापक रहे। 1945 ई. में हरिऔध जी स्वर्ग सिधार गए।

रचनाएँ :
हरिऔध जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। प्रिय प्रवास, वैदेही वनवास, रस कलश, चुभते चौपदे, चोखे चौपदे, परिजात आदि आपके प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं। हरिऔध जी के काव्य के विषय हैं-लोकमंगल, समाज चेतना, प्रकृति चित्रण, करुणा एवं मानवीयता। उन्होंने ‘प्रियप्रवास’ तथा ‘वैदेही वनवास’ में श्रीकृष्ण तथा श्रज्ञी राम को एक नए रूप में हमारे सामने प्रस्तुत किया है।

हरिऔध जी शब्द शिल्पी व भाषा के जादूगर हैं। उनका खड़ी बोली तथा ब्रजभाषा दोनों पर पूरा अधिकार था। उन्होंने जहाँ संस्कृत के तत्सम शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है वहाँ प्रचलित उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग करके भाषा को एक नई शक्ति दी है।

एक तिनका कविता का सार

यह एक लघु कविता है। इसमें व्यक्ति को अहंकारी न बनने की प्रेरणा दी गई है। व्यक्ति को स्वयं को बहुत बड़ा नहीं समझना चाहिए। हर छोटी वस्तु का अपना महत्त्व होता है। एक तुच्छ प्रतीत होने वाला तिनका भी हमें परेशान कर सकता है। वह यदि आँख में पड़ जाए तो हमें बेचैन कर देता है। एक तिनका व्यक्ति को उसकी हैसियत बता देता है। एक बार एक तिनका कवि की आँख में जा पड़ा। वह बेचैन हो उठा, आँख भी लाल होकर दुखने लगी। लोग कपड़े की मूंठ बनाकर आँख को सेंकने लगे। सारी ऐंठ जाती रही। जब तिनका घमंड करना व्यर्थ है।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 7th Class Hindi कंचा Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है ?
उत्तर :
कंचा जब जार से निकलकर अप्पू के दिमाग में घुस आता है तो वह ये खेल दिखाता है उसके देखते-देखते जार बड़ा होने लगा। वह आसमान सा बड़ा हो गया तो वह भी उसके भीतर आ गया। वह कंचे चारों तरफ बिखेरता मजे में खेलता रहा। जब अप्पू के दिमाग में कंचा घुस जाता है तब मास्टर जी के द्वारा बना रेलगाड़ी का बॉयलर भी उसे कांच का जार नजर आता है। उसमें हरी लकीरवाले सफेद गोल कंचे भरे लगने लगे। वह इनसे जार्ज के साथ खेलने की कल्पना से खुश था।

प्रश्न 2.
दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है ? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।
उत्तर :
दुकानदार ड्राइवर तथा माँ अप्पू की अजीब हरकतों एवं मन:स्थिति को देखकर खीझते हैं और परेशान होते हैं। दुकानदार को लगता है कि अप्पू कचों के जार को गिरा कर तोड़ देगा। ड्राइवर उसे बीच सड़क पर कंचे चुगता देखता है। वह हार्न की आवाज भी नहीं सुन रहा था। माँ भी अप्प के बस्ते में कंचे-हो-कचे देखती है। ये तीनों व्यक्ति पहली बार में उसकी दशा देखकर परेशान होते हैं, फिर वस्तुस्थिति समझकर हँसते हैं। बाद में वे उसकी दशा को समझ जाते हैं। तीनों जान जाते हैं कि अप्पू का कंचों के साथ बहुत लगाव है।

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प्रश्न 3.
“मास्टर जी की आवाज़ अब कम ऊंची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।” मास्टर जी की आवाज़ धीमी क्यों हो गई होगी ? लिखिए।
उत्तर :
जब मास्टर जी ने कक्षा के बच्चों को रेलगाड़ी का पाठ पढ़ाना शुरू किया था तब उनकी आवाज ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में काफी बातें कह चुके तब उनकी आवाज कुछ धीमी हो गई। अब वे समझाने की मुद्रा में थे अत: उनकी आवाज धीमी हो गई होगी।

कहानी से आगे

1. कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिट्ठ) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं ? उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर :

  • कंचे खेलना, गुल्ली-डंडा, गेंद खेलना। किसी एक खेल को खेले जाने की विधि का वर्णन भी कीजिए।
  • गुल्ली-डंडा : एक जगह गड्ढा सा बना लिया जाता है। उस पर गुल्ली रख दी जाती है। एक नुकीले डंडे से उसे ऊपर की ओर उछाला जाता है। कोई बच्चा उसे लपकता है और खिलाड़ी को आउट कर देता है।

HBSE 7th Class Hindi कंचा Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अप्पू को दुकान के जारों में रखे कंचे ही क्यों आकर्षित करते हैं, अन्य चीजें क्यों नहीं?
उत्तर :
अन्य चीजें तो उसके पिताजी ला देते थे, कंचे उसने पहली बार देखे थे।

प्रश्न 2.
कंचों को देखकर सबसे पहले अप्पू क्या सोचता है?
उत्तर :
पहले ये कंचे दुकान में नहीं थे। शायद दुकानदार ने इन्हें तुरंत ही यहाँ रखा है।

प्रश्न 3.
कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी कौन है?
उत्तर :
लड़कों के बीच जॉर्ज ही कंचों का अच्छा खिलाड़ी है।

प्रश्न 4.
मास्टर जी किसके बारे में समझा रहे थे?
उत्तर :
मास्टर जी रेलगाड़ी के हर एक हिस्से के बारे में समझा रहे थे।

प्रश्न 5.
पानी रखने की खास जगह को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
उत्तर :
बॉयलर।

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लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस कहानी का शीर्षक ‘कंचा’ क्यों रखा गया है?
उत्तर :
इस कहानी में चर्चा का मुख्य विषय ‘कंचा’ ही है। कहानी का मुख्य पात्र अप्पू का मन कंचों में उलझ जाता है। वह हर समय कंचों के बारे में ही सोचता रहता है। सारी कहानी कंचे के इर्द-गिर्द ही घूमती है। अत: इस कहानी का शीर्षक ‘कंचा’ रखा गया है।

प्रश्न 2.
कंचा खरीदने में अप्यू किसकी मदद लेना चाहता है और क्यों?
उत्तर :
कंचा खरीदने में अप्पू जार्ज की मदद लेना चाहता है। जॉर्ज कंचों के खेल का सबसे अच्छा खिलाड़ी माना जाता है। उसे कोई हरा नहीं पाता। जार्ज हारे हुए खिलाड़ी की बंद मुट्ठी’ के जोड़ों की हड्डी को तोड़ देता है।

प्रश्न 3.
माँ ने अप्पू के बस्ते में क्या पाया?
उत्तर :
माँ को अप्पू के बस्ते में कंचे-ही-कंचे मिले। उसे यह देखकर हैरानी हुई। वह सोचने लगी कि यह इतने कंचे कहाँ से लाया?

प्रश्न 4.
इस कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
इस कहानी के माध्यम से लेखक बालमन की कामना को दर्शाना चाहता है। बालक के मन में जो बात एक बार बैठ जाए, उसे वह पूरी करके रहता है। बालक का मन भोला होता है।

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प्रश्न 5.
जॉर्ज के कंचा खिलाड़ी के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर :
जॉर्ज कंचे का अच्छा खिलाड़ी है। चाहे कितना भी बड़ा लड़का उसके साथ कंचा खेले, उससे मात खाएगा। हारे हुए खिलाड़ी को अपनी बंद मुट्ठी जमीन पर रखनी पड़ती थी। तब जॉर्ज कंचा चलाकर बंद मुट्ठी के जोड़ों की हड्डी तोड़ता है।

प्रश्न 6.
मास्टर जी पाठ पढ़ाते हुए क्या समझा रहे थे?
उत्तर :
मास्टर जी पाठ में रेलगाड़ी के बारे में समझा रहे थे। वे बता रहे थे कि इसे भाप की गाड़ी भी कहते हैं क्योंकि यह यंत्र भाप की गाडी से चलता है। भाप का मतलब पानी से निकलती भाप से है। यह गाड़ी छुक-छुक करती है।

कंचा गद्यांशों पर अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न

1. वह चलते-चलते ……………….. रखा होगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कौन, कहाँ पहुँचा?
2 उसने वहाँ क्या देखा?
3. उसका ध्यान किसने आकृष्ट किया?
4. कंचे कैसे थे?
उत्तर :
1. अप्पू नामक लड़का स्कूल की ओर जाते-जाते रास्ते में एक दुकान के सामने जा पहुंचा।
2. वहाँ उसने देखा कि एक अलमारी में काँच के बड़े-बड़े जार कतार में रखे हैं। उन जारों में चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट थे। उसकी नज़र उन पर नहीं थी।
3. अप्पू का ध्यान एक नए जार ने आकृष्ट किया। उस जार में कंचे भरे थे। वह जार नया-नया ला कर रखा गया था।
4. जार के कंचे हरी लकीरवाले बढ़िया सफेद गोल थे। वे बड़े आँवले जैसे दिखाई देते थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. दुकान के सामने कौन पहुँचा?
(क) अप्पू
(ख) रामन
(ग) जॉर्ज
(घ) कोई लड़का
उत्तर :
(क) अप्पू

2. लड़के की नजर किस जार पर थी?
(क) चॉकलेट
(ख) बिस्कुट
(ग) पिपरमेंट
(घ) कंचे
उत्तर :
(घ) कंचे

3. जार में कैसे कंचे हैं?
(क) हरी लकीर वाले
(ख) गोल
(ग) आँवले जैसे
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

2. अरे हाँ! ………… में भी

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. जॉर्ज कौन है? वह स्कूल क्यों नहीं आया?
2. मास्टर जी कौन सा पाठ पढ़ा रहे थे?
3. मास्टर जी किस मुद्रा में बच्चों को समझा रहे थे?
4. मास्टरजी ने रेलगाड़ी के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
1. जाज अप्पू की कक्षा में ही पढ़ता है। वह कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी है। उसे आज बुखार है इसलिए वह स्कूल नहीं आया।
2. मास्टर जी ‘रेलगाड़ी’ का पाठ पढ़ा रहे थे।
3. मास्टर जी के हाथ में बेंत थी। उस बेंत से वे मेज़ को ठोककर ऊंची आवाज़ में बच्चों को पाठ समझा रहे थे।
4. मास्टर जी ने बच्चों को रेलगाड़ी के बारे में यह बताया कि इसे भाप की गाड़ी भी कहते हैं क्योंकि इसका यंत्र (इंजन) भाप की शक्ति से चलता है। भाप पानी से निकलती है। यह घरों के चूल्हों पर भी निकलती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. जॉर्ज को क्या है?
(क) बुखार
(ख) पेटदर्द
(ग) सिरदर्द
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) बुखार

2. पुस्तक में कौन-सा पाठ खुला था?
(क) रेलगाड़ी का
(ख) भाप का
(ग) यंत्रों का
(घ) चूल्हे का
उत्तर :
(क) रेलगाड़ी का

3. मास्टर जी बीच-बीच में क्या कर रहे थे?
(क) बेंत से मेज़ ठोक रहे थे
(ख) ऊँची आवाज़ में बोल रहे थे
(ग) रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे
(घ) ये सभी काम कर रहे थे।
उत्तर :
(घ) ये सभी काम कर रहे थे।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

3. रोते-रोते …………….. समाप्त किया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कौन रो रहा था और क्यों?
2. बेंच पर खड़े-खड़े किसने, क्या सोचा?
3. कंचे किस प्रकार के थे?
4. मास्टर जी ने बच्चों से क्या पूछा?
उत्तर :
1. अप्पू रो रहा था। उसे मास्टर जी ने सभी के सामने बेंच पर खड़ा कर दिया था। सभी बच्चे उस पर हँस रहे थे।
2. बेंच पर खड़े-खड़े अप्पू ने सोचा कि सब को कंचे – दिखा दूंगा। जॉर्ज के आने पर ही वह कंचे खरीदेगा। इन हँसने वालों में से किसी को कंचे खेलने के लिए नहीं बुलाएगा।
3. कंचे खूबसूरत थे। वे हरी लकीरवाले सफेद गोल कंचे थे। ये आँवले जैसे बड़े थे।
4. मास्टर जी ने बच्चों से कहा कि यदि पाठ के बारे में किसी बच्चे को कोई भी शक हो तो वह पूछ ले। इसके बाद पाठ समाप्त हो गया।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. रामन, मल्लिका किसकी हँसी उड़ा रहे थे?
(क) जॉर्ज की
(ख) अप्पू की
(ग) कंचों को
(घ) सभी की
उत्तर :
(ख) अप्पू की

2. अप्पू जॉर्ज के आने पर क्या खरीदेगा?
(क) कंचे
(ख) किताबें
(ग) पेंसिले
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) कंचे

3. अप्पू किसके बारे में सोच रहा था?
(क) बच्चों के बारे में
(ख) कंचों के बारे में
(ग) मास्टर जी के बारे में
(घ) अपने बारे में
उत्तर :
(ख) कंचों के बारे में

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4. दफ्तर में ………………. पैसे-दस पैसे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. दफ्तर के बाहर भीड़ क्यों थी?
2 क्लर्क बाबू ने क्या कहा?
3. किस-किसने फीस जमा की?
4. अप्पू क्या सोच रहा था?
उत्तर :
1. दफ्तर के बाहर फीस जमा करने वालों की भीड़ जमा थी।
2. क्लर्क बाबू ने यह कहा सभी बच्चे एक-एक करके आएँ।
3. रामन, मल्लिका तथा अन्य बच्चों ने फीस जमा कराई।
4. अप्पु यह सोच रहा था कि मैं जॉर्ज को साथ ले जाकर दुकानदार से कंचे खरीद कर लाऊँगा। पता नहीं यह देगा भी या नहीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. दफ्तर में भीड़ किनकी थी?
(क) फीस जमा करने वालों की
(ख) किताबें खरीदने वालों की
(ग) नौकरी पाने वालों की
(घ) बच्चों की
उत्तर :
(क) फीस जमा करने वालों की

2. दूर कौन खड़ा था?
(क) अप्पू
(ख) रामन
(ग) जार्ज
(घ) अन्य
उत्तर :
(क) अप्पू

3. अप्पू अभी भी किसके बारे में सोच रहा था?
(क) फीस के बारे में
(ख) कंचों के बारे में
(ग) लड़कों के बारे में
(घ) किसी के बारे में
नहीं
उत्तर :
(ख) कंचों के बारे में

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5. कागज की ……………. रहे हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कागज़ की पोटली में क्या था?
2. पोटली को लिए कौन, कहाँ चला जा रहा था?
3. उसका जी क्या चाहता था?
4. पोटली खुलने पर क्या हुआ?
उत्तर :
1. कागज की पोटली (पुड़िया) में कंचे थे। ये व कंचे थे जो अप्पू ने दुकानदार से खरीदे थे।
2. कंचों की पोटली लिए हुए अप्पू नीम के पेड़ों की छाँव के नीचे चला जा रहा था।
3. अप्पू का जी हो रहा था कि उसे कंचों का पूरा जार मिल जाता तो कितना अच्छा होता। वह जार को छूना चाहता था।
4. कागज़ की पोटली खुलने पर सारे कंचे बिखर गए और सड़क के बीचोंबीच फैल गए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अब कंचे कहाँ थे?
(क) कागज़ की पोटली में
(ख) जेब में
(ग) जार में
(घ) मुँह में
उत्तर :
(क) कागज़ की पोटली में

2. अप्पू का जी क्या चाहता था?
(क) पूरा जार उसे मिल जाता
(ख) उसे सारे कंचे मिल जाते
(ग) कंचों को छूना चाहता था
(घ) ये सभी काम
उत्तर :
(क) पूरा जार उसे मिल जाता

3. अप्पू को क्या शक हुआ?
(क) क्या मेरे पास पूरे कंचे हैं?
(ख) क्या सभी कंचों में लकीर होगी?
(ग) क्या जॉर्ज मुझे कंचे देगा?
(घ) क्या कोई मेरे कंचे छीन लेगा?
उत्तर :
(ख) क्या सभी कंचों में लकीर होगी?

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कंचा Summary in Hindi

कंचा कहानी का सार

अप्पू नीम के पेड़ों की छाया के नीचे से होते हुए सियार की कहानी का मजा लेता आ रहा था। उसका बस्ता झूल रहा था। कहानी में सियार कौए से बोलता है-‘कौए. तुम्हारा गाना सुनने के लिए तरस रहा हूँ, गाओ।’ कौआ मुँह खोलता है और उसके मुँह में दबा रोटी का टुकड़ा नीचे गिर जाता है। सियार उसे उठाकर ‘भाग जाता है। कौआ बड़ा बुद्ध निकला।

अप्पू चलते-चलते एक दुकान के सामने जा पहुँचा। वहाँ एक जार में हरी लकीर वाले सफेद कंचे भरे हुए थे। लड़के को वे कंचे बड़े खूबसूरत लगे। उसके दिल-दिमाग पर वे कंचे छाने लगे। दुकानदार ने उससे पूछा कि क्या कंचा चाहिए ? तो लड़का ‘न’ में सिर हिला देता है। वह चाहता तो कंचा ले सकता था। स्कूल की घंटी सुनकर वह बस्ता थामे हुए दौड़ पड़ा। वह चुपचाप पीछे की बेंच पर बैठ गया। रामन अगली बेंच पर, तीसरी बेंच पर मल्लिका और अम्मु हैं। लड़कों में जार्ज कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी है। जार्ज को बुखार है अत: वह आज नहीं आया। मास्टर जी के आने पर उसने पुस्तक खोलकर सामने रख ली। पृष्ठ 37 पर रेलगाड़ी का पाठ था।

मास्टर जी बेंत से मेज को ठोकते हुए रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे कि यह भाप की शक्ति से चलती है। अप्पू ने सोचा कि रेलगाड़ी तो उसने भी देखी है। अप्पू की अभी भी काँच के कंचे याद आ रहे थे। वह उन्हीं के बारे में सोच रहा था। मास्टर जी ने उसे टोका भी और पूछा कि मैं अभी किसके बारे में बता रहा था। अप्पू ने कहा-‘कंचा’। मास्टर जी ने उसे बेंच पर खड़ा कर दिया। सब उसकी हँसी उड़ा रहे थे। अप्पू के दिल-दिमाग में अभी भी कंचे थे। हरी लकीर वाले गोल, आँवले जैसे कंचे। मास्टर जी ने पाठ समाप्त किया। कई छात्रों ने अपनी शंका का समाधान कर लिया। अप्पू सोच रहा था कि कंचों में कितने पैसे लगेंगे।

फिर मास्टर जी ने कहा कि जो फीस लाए हैं वे ऑफिस में जाकर जमा करा दें। बहुत से छात्र फीस जमा कराने गए। अप्पू के पिता ने उसे डेढ़ रुपया फीस जमा कराने के लिए दिया था। वह बेंच से उतरा, पर मास्टर जी ने उसको रोक दिया। वह बेंच पर चढ़कर रोने लगा। फिर वह दफ्तर गया। वहाँ भीड़ थी। अप्पू दूर खड़ा रहा। वह अभी भी जार्ज के साथ जाकर कंचे लेने की बात सोच रहा था। वह पैसों का हिसाब लगा रहा था। उसने फीस जमा नहीं की। वह बस्ता कंधे पर लटकाए चलने लगा।

कंचों की दुकान नजदीक आ रही थी। दुकानदार भी उसके इंतजार में था। दुकानदार जार का ढक्कन खोलने लगा तो अप्पू ने पूछा-कंचे अच्छे तो हैं ? दुकानदार ने कहा-बढ़िया, फर्स्टक्लास कंचे हैं। तुम्हें कितने कंचे चाहिए ? अप्पू ने एक रुपया पचास पैसे दिखाए। दुकानदार इतने पैसे देखकर चौंका। पहले कभी किसी लड़के ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे थे। अप्पू कागज की पोटली छाती से चिपकाए नीम के पेड़ों की छाँव में चलने लगा। कंचे उसकी हथेली में थे। उसने पोटली को हिलाकर देखा। उसने पोटली खोलकर देखना चाहा तो सारे कंचे बिखर गए। वह उन्हें चुनने लगा। वह कंचे बस्ते में डालने लगा। एक कार सड़क पर ब्रेक लगा रही थी, पर अप्पू कंचे चुनने में व्यस्त था। अप्पू ने ड्राइवर को कंचा दिखाया, वह बहुत खुश हुआ।

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अप्पू घर लौट आया। माँ शाम की चाय तैयार करके उसकी राह देख रही थी। अप्पू माँ के गले लग गया। माँ ने देखा कि बस्ते में कंचे ही कंचे थे। माँ समझ गई कि फीस के पैसों से अप्पू ने कंचे खरीद लिए हैं। माँ की पलकें भीग गईं। अप्पू ने पूछा-क्या कंचे अच्छे नहीं हैं ? माँ ने उसका मन रखने के लिए कहा-बहुत अच्छे लगते हैं। दोनों हँस पड़े। अब अप्पू के दिल से खुशी छलक रही थी।

कंचा शब्दार्थ

केंद्रित = एक स्थान पर ध्यान (Centred)। नौ-दो ग्यारह होना = भाग जाना (Run away)। आकृष्ट आकर्षित (Attract)! निषेध = नकारना, मना करना (Forebidden)। स्पर्श = छूना (To touchy। यंत्र = मशीन (Machine)। भूचाल भूकंप (Earthquake)। सुबकता = रोता (Weeping)। शंका = शक (Doubt) चिकोटी = चुटकी (Pinching)।धीरज-धैर्य(Patience)। सटाए = चिपकाए (To stick)। अहसास = अनुभव (Feeling)। समाप्त – खत्म (Finished)। इंतजार = बाट देखना (Wait)।

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