Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 20 विप्लव गायन
HBSE 7th Class Hindi विप्लव गायन Textbook Questions and Answers
कविता से
प्रश्न 1.
‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर कालकूट फणि की चिंतामणि’
(क) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान किसके लिए/किस भाव के लिए प्रयुक्त हुआ है ?
(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का ‘रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरी अंतरतर से’- पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है।
उत्तर :
(क) वही स्वर, वह ध्यानि एवं वही तान क्रांति के भाव के लिए प्रयुक्त है।
(ख) हाँ, इनका आपस में संबंध बनता है। उसकी यह तान उसके हृदय की गहराइयों से निकली है।
प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
‘सावधान! मेरी वीणा में दोनों मेरी ऐंठी हैं।’
उत्तर :
कवि सरस्वती के उपासकों का आह्वान करते हुए उनसे एक ऐसा गीत सुनाने का आग्रह करता है जिससे सब जगह उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति आ जाए। उन्होंने अब तक मधुर गीत तो बहुत गा लिए, अब ऐसे गीत की आवश्यकता है जिससे क्रांति की ज्वाला निकले। कवि देश के सभी भागों से विचारों और भावों की लहरें उठने की कामना करता है।
कवि शोषकों और दमन-चक्र चलाने वालों को सावधान करते हुए कहता है कि अब मेरी वीणा (कंठ रूपी वीणा) में स्वतंत्रता की चिनगारियाँ आ बैठी हैं अर्थात् क्रांति के स्वर उभर रहे हैं। अब उससे प्रेम और श्रृंगार के मधुर स्वर नहीं निकलेंगे। अब तो केवल क्रांति के स्वर गूंजेंगे। यदि वीणावादक की उँगलियाँ अकड़ जाएँ अर्थात् ऐंठ जाएँ तो मिजराबें टूट जाती है और तब अपेक्षित स्वर नहीं निकल पाते। कवि की भी यही स्थिति हो गई है। कवि के मन में भी क्रांति के स्वर उभर रहे हैं।
कविता से आगे
1. स्वाधीनता संग्राम के दिनों में अनेक कवियों ने स्वाधीनता को मुखर करनेवाली ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ की ऐसी कविताओं की चार-धार पंक्तियाँ इकट्ठा कीजिए जिनमें स्वाधीनता के भाव ओज से मुखर हुए हैं।
उत्तर :
माखनलाल चतुर्वेदी
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ में देना तम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक।
जिनके मस्तक पर मातृभूमि का रस बरसे
जिनकी रग-रग में दूध भरा हो माता का।
सागर की बाँह मिलनोत्सुका प्रचंड बढ़ी
सूरज पूरब काटी का बना विधाता का।
उनकी सत्याग्रह-भरी विजय का बल जानो।
उनकी अजेय अनुराग-शक्ति को पहचानो।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
बाधाएँ आएँ तन पर,
देखू तुझे नयन मन भर,
मुझे देख तू सजल दुगों से
अपलक, उर के शतदल पर;
क्लेद-युक्त, अपना तन दूंगा,
मुक्त करूंगा तुझे अटल,
तेरे चरणों पर देकर बलि,
सकल श्रेय-श्रम सचित फल।
HBSE 7th Class Hindi विप्लव गायन Important Questions and Answers
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि क्या चाहता है?
उत्तर :
कवि क्रांति लाना चाहता है।
प्रश्न 2.
कवि कैसी तान सुनना चाहता है?
उत्तर :
जिस तान को सुनकर उथल-पुथल मच जाए।
प्रश्न 3.
कवि के हृदय से कैसी तान निकली है?
उत्तर :
कवि के हृदय से कुद्ध तान निकली है।
प्रश्न 4.
कैसा गीत समाज में क्रांति ला सकता है?
उत्तर :
महानाश का मारक गीत समाज में क्रांति ला सकता है
प्रश्न 5.
विप्लव-गायन कैसी कविता है?
उत्तर :
‘विप्लव-गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है।
प्रश्न 6.
कवि संघर्ष करके क्या करना चाहता है?
उत्तर :
कवि संघर्ष करके नया सृजन (निर्माण) करना चाहता है।
लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि ने यह विप्लव गीत क्यों लिखा होगा?
उत्तर :
कवि अपने गीत के माध्यम से समाज में क्रांति के लिए चेतना जगाना चाहता था। अत: उसने विप्लव गीत लिखा।
प्रश्न 2.
‘विप्लव-गायन’ का प्रतिपाद्य लिखो।
उत्तर :
‘विप्लव-गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है। विकास और गतिशीलता को अवरुद्ध करनेवाली प्रवृत्ति से संघर्ष करके कवि नया सृजन करना चाहता है। इसलिए कवि विप्लव के माध्यम से परिवर्तन की हिलोर लाना चाहता है।
विप्लव गायन काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
1. कवि, कुछ ……………… ऐंठी हैं।
शब्दार्थ: तान = लय, स्वर (Rhythem)। उथल-पुथल = ऊपर-नीचे होना, परिवर्तन (Change)। हिलोर = लहर (Wave)। मिजराबें = वीणा के तारों को छोड़ने के लिए उँगली में पहने जाने वाला छल्ला (Ring in finger)।
सप्रसंग व्याख्या :
प्रसंग :
यह काव्यांश प्रसिद्ध देशभक्त कवि बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ द्वारा रचित कविता ‘विप्लव-गायन’ से लिया गया है। इसे हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित किया गया है। यह एक क्रांतिगीत है। इसे नवीन जी ने स्वयं बीसियों बार गाया था। कवि एक नए समाज के निर्माण का आह्वान करता है।
व्याख्या :
कवि सरस्वती के उपासकों का आह्वान करते हुए उनसे एक ऐसा गीत सुनाने का आग्रह करता है जिससे सब जगह उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति आ जाए। उन्होंने अब तक मधुर गीत तो बहुत गा लिए, अब ऐसे गीत की आवश्यकता है जिससे क्रांति की ज्वाला निकले। कवि देश के सभी भागों से विचारों और भावों की लहर उठने की कामना करता है।
कवि शोषकों और दमन-चक्र चलाने वालों को सावधान करते हुए कहता है कि अब मेरी वीणा (कंठ रूपी वीणा) में स्वतंत्रता की चिनगारियाँ आ बैठी हैं अर्थात् क्रांति के स्वर उभर रहे हैं। अब उससे प्रेम और श्रृंगार के मधुर स्वर नहीं निकलेंगे। अब तो केवल क्रांति के स्वर गूंजेंगे। यदि वीणावादक की उँगलियाँ अकड़ जाएँ अर्थात् ऐंठ जाएँ तो मिजरा टूट जाती हैं और तब अपेक्षित स्वर नहीं निकल पाते। कवि की भी यही स्थिति हो गई है। कवि के मन में भी क्रांति के स्वर उभर रहे हैं।
विशेष :
1. कवि ने क्रांति का आह्वान किया है।
2. भाषा ओजपूर्ण है।
3. ‘कवि कुछ’ में अनुप्रास अलंकार है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि और कविता का नाम लिखो।
2. कवि से कैसी तान सुनाने के लिए कहा जा रहा है?
3. कवि की वीणा में से कैसे स्वर निकल रहे हैं?
4. कवि किनका पक्षधर हे?
उत्तर:
1. कवि का नाम – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
कविता का नाम – विप्लव-गायन
2. कवि से ऐसी तान सुनाने के लिए कहा जा रहा है जिससे चारों ओर उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति का आगमन हो जाए।
3. कवि की वीणा से चिनगारी जैसे क्रांतिकारी स्वर निकल रहे हैं।
4. कवि शोषितों (किसान-मजदूरों) का पक्षधर है।
बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए
1. यह कविता किस वाद से प्रभावित है?
(क) छायावाद
(ख) प्रगतिवाद
(ग) साम्यवाद
(घ) प्रयोगवाद
उत्तर :
(ख) प्रगतिवाद
2. ‘उथल-पुथल मचने’ से कवि का क्या आशय है?
(क) क्रांति का आगमन हो जाए
(ख) समाज में परिवर्तन हो जाए
(ग) विद्रोह हो जाए
(घ) पानी बह जाए
उत्तर :
(क) क्रांति का आगमन हो जाए
3. “मिज़राबें” का अर्थ है
(क) वीणा बजान का छल्ला
(ख) वीणा के तार
(ग) वीणा के स्वर
(घ) अँगुली
उत्तर :
(क) वीणा बजान का छल्ला
4. इस कविता के रचयिता हैं
(क) मैथिलीशरण गुप्त
(ख) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) मनोहर लाल
उत्तर :
(ख) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’
2. कंठ रुका ………………… अंतरतर से।
शब्दार्थ : कंठ = गला (Threatty) महानाश = पूरी बर्बादी (Toteil deestruction)। मारक = मारने वाला (Killery)। रुद्ध = रुका हुआ (Stopped)। हृत्तल = हृदय (Hearior) क्षुब्ध = कुपित (Angry)। दग्ध = जना हुआ (Burmy। कुद्ध = क्रोध में (Angry)। अंतर = हृदय (Heartyl
सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ द्वारा रचित क्राति गीत ‘विप्लव-गायन’ से अवतरित हैं। क्रांति आने पर पहले नाश होता है और फिर नव-निर्माण होता है।
व्याख्या :
कवि कहता है कि पहले मेरा कंठ रुका हुआ था। मैं चाहकर भी मारक गीत नहीं लिख पाता था। अब यह स्थिति समाप्त हो गई है। अब मेरे हृदय के अंदर वर्तमान शासन के प्रति क्रोध, आक्रोश और घृणा के भाव जाग गए हैं और मैंने क्रांति – गीत लिखने का निश्चय कर लिया है। इन गीतों से लोगों के हृदयों में आग लग कर रहेगी। अब एक प्रकार का युद्ध छिड़ गया है।
मेरे क्रांति गीत से जो आग निकलेगी उससे झाड़-झंखाड़ अर्थात् गलत रूढ़ियाँ परंपराएँ जलकर नष्ट हो जाएंगी। मेरे मन में अब तक जो गीत रुका हुआ था. अब उसकी क्षुब्ध (दुखी) तान विद्रोह की ज्वाला भड़काकर रहेगी क्योंकि यह तान मेरे हृदय की गहराई से निकली है। मेरा यह गीत मधुर एवं कोमल न होकर विद्रोह की ज्याला भड़काने वाला होगा। इसका प्रभाव व्यापक होगा।
विशेष :
1. तत्सम शब्दों का प्रयोग है।
2. ओज गुण का समावेश है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि की स्थिति क्या हो गई है?
2. अब वह कैसे गीत लिखना चाह रहा है?
3. क्रांति गीत से क्या होगा?
उत्तर:
1. कवि का कंठ रुक गया है और वह चाहकर भी मारक गीत नहीं लिख पा रहा है। अब उसके हृदय में शासन के प्रति क्रोध, आक्रोश और घृणा के भाव जाग गए हैं।
2. अब कवि क्रांति गीत लिखना चाह रहा है।
3. इस क्रांति गीत से विद्रोह की ज्वाला भड़केगी। इसका प्रभाव व्यापक होगा।
बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए
1. आग कहाँ लगेगी?
(क) लोगों में
(ख) हृदय में
(ग) शासन में
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(ख) हृदय में
2. ‘दग्य’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम
3. कवि कैसा गीत नहीं लिख पा रहा है?
(क) मारक गीत
(ख) रुद्ध गीत
(ग) क्रांति गीत
(घ) सामान्य गीत
उत्तर :
(क) मारक गीत
4. यह काव्यांश किस कविता से लिया गया है?
(क) विप्लव से
(ख) विप्लव-गायन से
(ग) क्रांति गीत से
(घ) मारक गीत से
उत्तर :
(ख) विप्लव-गायन से
3. कण – कण …………… आया हूँ।
शब्दार्थ : व्याप्त = समाया हुआ (Spread over)। ध्वनि = आवाज़ (Sound)। कालकूट = जहर (Poison)। फणि = साँप (Snake)। भू-विलास = भौहें टेढ़ी होना, क्रोध (Anger)। पोषक = पालने वाले (Nourishing)। परख = जाँच (Test)
सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘विप्लव-गायन’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ हैं।
व्याख्या :
कवि अपने कंठ से निकले गीत की व्यापकता को बताते हुए कहता है कि यह गीत सारे संसार के कण-कण में समाया हुआ है। आज प्रत्येक व्यक्ति का रोम-रोम इसी गीत को गा रहा है। केवल इस जगत के प्राणी ही नहीं, भयंकर विष को धारण करने वाले शेषनाग के सिर पर विद्यमान चिंतामणि भी इसी प्रलय-गीत का गायन कर रही है। वह भी क्रांति का आह्वान कर रहा है। शेषनाग भी मेरा क्रांति-गीत सुनकर मस्ती में अपना फन हिलाकर झूम रहा है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कण-कण में कौन-सा स्वर व्याप्त है?
2. कवि को जीवन का क्या राज समझ आ गया है?
3. कवि को महानाश के पोषक सूत्र कहाँ दिखाई दिए?
उत्तर:
1. कण-कण में क्रांति के स्वर व्याप्त हैं।
2. कवि को जीवन का यह रारा समझ में आ गया है कि क्रांति के बिना नव-निर्माण या परिवर्तन संभव नहीं है।
3. कवि को महानाश के पोषक सूत्र भौंहों के एक इशारे में दिखाई दिए अर्थात् जब लोग अपनी भृकुटि टेढ़ी करते हैं तब महानाश होता है।
बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए
1. ‘सेम-रोम’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) पुनरुक्ति
(ग) यमक
(घ) उपमा
उत्तर :
(ख) पुनरुक्ति
2. ‘भ्रू’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम
3. ‘कालकूट’ शब्द का अर्थ है
(क) ज़हर
(ख) अमृत
(ग) दूध
(घ) पानी
उत्तर :
(क) ज़हर
4. इस कविता का मूल स्वर कैसा है?
(क) क्रांति का
(ख) विद्रोह का
(ग) परिवर्तन का
(घ) इन सभी का
उत्तर :
(घ) इन सभी का
विप्लव गायन Summary in Hindi
विप्लव गायन कवि-परिचय
प्रश्न : बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जीवन परिचय देते हुए उनका साहित्यिक परिचय भी दीजिए।
उत्तर :
जीवन-परिचय :
बालकृष्ण शर्मा नवीन स्वतंत्रता संग्राम के एक निर्भीक पत्रकार, कवि, गद्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 8 दिसंबर, 1897 ई. को ‘ग्वालियर’ राज्य के शाजापुर नामक परगने के भयाना नामक गाँव में हुआ था। पिता बहुत निर्धन थे। वैष्णव माता-पिता के साथ उदयपुर राज्य में स्थित ‘नाथद्वारा’ मंदिर में बचपन की धमाचौकड़ी मचाने के बाद पढ़ाई के लिए पुनः शाजापुर आ गए। शाजापुर से मिडिल पास करने के बाद वे उज्जैन चले गए जहाँ उन्हरने माधव कॉलेज में प्रवेश लिया। युवा नवीन को राजनीति ने तीव्रता से आकृष्ट किया।
1916 ई. में लोकमान्य तिलक के आह्वान पर अखिल भारतीय कांग्रेस का अधिवेशन देखने लखनऊ जा पहुँचे। इसी अधिवेशन में उनकी भेंट माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और गणेशशंकर विद्यार्थी से हुई। 1917 ई. में हाई स्कूल पास करने के बाद वे गणेश शंकर विद्यार्थी के बुलावे पर कानपुर पहुँच गए, जहाँ विद्यार्थी ‘प्रताप’ नामक अखबार का प्रकाशन कर रहे थे। उन्होंने नवीन को ‘प्रताप’ में रख लिया और पढ़ाई के लिए ‘क्राइस्ट चर्च कॉलेज’ में भर्ती करा दिया।
1920 ई. में गाँधी जी के आह्वान पर सत्याग्रही बन गए और कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। 1931 ई. में गणेशशंकर विद्यार्थी की मृत्यु के बाद नवीन ही ‘प्रताप’ के मुख्य संपादक बने। 1960 ई. तक वे देश की राजनीति में बराबर सक्रिय रहे। 1952 ई. में प्रथम लोक सभा के सदस्य बने और मृत्युपर्यंत (1960 तक) भारतीय संसद के वरिष्ठ सदस्य भी रहे। वे फक्कड़ मनमौजी और अलमस्त किस्म के व्यक्ति थे। वे पक्के वैष्णव थे।
साहित्यिक परिचय :
1917 से वे गणेशशंकर विद्यार्थी के पत्र ‘प्रताप’ से जुड़े और इससे उनका संपर्क अंत तक बना रहा। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी की ‘खंडवा’ (म.प्र.) से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘प्रभा’ का संपादन कार्य भी 1921-23 तक किया था। इन पत्रों में उनकी लिखी संपादकीय टिप्पणियाँ अपने ओज, खरेपन और अभिव्यंजना शैली की विशिष्टता के कारण आज भी पठनीय हैं। वे एक निर्भीक पत्रकार थे। रचनाएँ : कुमकुम, रश्मिरेखा, अपलक, हम विषायी जनम के।
विप्लव गायन कविता का सार
‘विप्लव-गायन’ शीर्षक कविता एक क्रांति-गीत है। इसमें जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की बात कही गई है। विकास के मार्ग को रोकने वाली प्रवृत्ति से संघर्ष करने की भावना का आह्वान किया गया है। इस गीत में कवि ने कवियों से ऐसे गीत के सृजन की कामना की है जो क्रांति का मार्ग प्रशस्त करे।
कवि चाहता है कि अन्याय और शोषण से भरी व्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट हो जाए। कवि नए समाज का निर्माण करना चाहता है। कवि अपने गीत के माध्यम से समाज में उथल-पुथल लाना चाहता है। वह अपने मन के भावों को कंठ से निकले गीत में प्रकट करना चाहता है। इससे क्रांति की ज्वाला निकलेगी और सब बुरा-बुरा जल कर नष्ट हो जाएगा। कवि को यह बात समझ आ गई है कि नव-निर्माण से पहले नाश अवश्य होता है।