Author name: Prasanna

HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

HBSE 10th Class Economics मुद्रा और साख Textbook Questions and Answers

पाठ्यगत प्रश्नोत्तर (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1.
मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उत्तर-
वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक शत्र होती है। विनिमय के एक माध्यम के रूप में मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की आवश्यकता और वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर करता है। इस तरह मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत आती है।

प्रश्न .2.
क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं, जहाँ वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय या मज़दूरी की अदायगी वस्तु विनिमय के ज़रिए हो रही है?
उत्तर-

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः अनाजों का विनिमय सीधे किया जाता है।
  2. खेतिहर मजदूरों को प्रायः नकद में नहीं बल्कि वस्तुओं के रूप में भुगतान किया जाता है।

आओ-इन पर विचार करें

प्रश्न 1.
एम. सलीम भुगतान के लिए 20, 000 रु. नकद निकालना चाहते हैं। इसके लिए वह चैक कैसे लिखेंगे?
उत्तर-
एम. सलीम दिए गए स्थान पर संबंधित तारीख लिखेंगे। वह बैंक को ‘स्वयं’ भुगतान करने का आदेश देंगे। वह रुपये से आगे ‘हजार मात्र’ भी लिखेंगे और दिए हुए बॉक्सों में रकम और खाता संख्या जैसे 29,000/- और 2101347298600035 भरेंगे। उन्हें चेक पर नीचे दाहिनी ओर अपने हस्ताक्षर करने पड़ेंगे। फिर वह इसे बैंक के निकासी काउन्टर पर जमा करेंगे और उन्हें रुपये मिल जाएँगे।

प्रश्न 2.
सही उत्तर पर निशान लगाए.
(क) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ग) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष घट जाता है।
उत्तर-
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
माँग जमा को मुद्रा क्यों समझा जाता है?
उत्तर-
चूँकि माँग जमा व्यापक स्तर पर भुगतान का जरिया स्वीकार किए जाते हैं, इसलिए आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ इसे भी मुद्रा समझा जाता है।

(अ) सलीम और प्रेम के बीच लेन-देन के बाद आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तालिका की पूर्ति कीजिए।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 1
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 2

प्रश्न 2.
मान लीजिए, सलीम को व्यापारियों से ऑर्डर मिलते रहते हैं। 6 साल बाद उसकी स्थिति क्या होगी?
उत्तर-
यदि सलीम को व्यापारियों से आर्डर मिलते रहते हैं तो वह अच्छा लाभ कमाएगा और 6 साल बाद बहुत बड़ा जूता निर्माता हो जाएगा।

प्रश्न 3.
कौन से कारण हैं, जो स्वप्ना की स्थिति को जोखिम भरा बनाते हैं? निम्नलिखित कारकों की चर्चा कीजिए- कीटनाशक दवाइयाँ, साहूकारों की भूमिका, मौसम।
उत्तर-
फसलों पर कीटों का प्रभाव, साहूकारों द्वारा शोषण और मानूसन का अभाव आदि वे कारण हैं जो स्वप्ना की स्थिति को जोखिम भरा बनाते हैं।

कीटनाशक दवाइयाँ-फसल पर कीटों के प्रभाव को कीटनाशक दवाइयों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
साहूकारों की भूमिका-सामान्यतः साहूकार किसानों का शोषण करते हैं। वे उन्हें ऋण जाल में फँसा लेते हैं।
मौसम- हमारी कृषि भूमि का लगभग 60% भाग अभी भी असिंचित है। हमारे किसान वर्षा पर अत्यधिक निर्भर करते हैं। अत: मौसम कृषि में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख 45)

प्रश्न 1.
उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाध पर’ की माँग क्यों करता है?
उत्तर-
उधारदाता ऋण के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में समर्थक ‘ऋणाधार की माँग करता है। यदि कर्जदार यह उधार लौटा नहीं पाता तो उधारदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए समर्थक ऋणाधार बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी निर्धन है। क्या यह उनके कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है?
उत्तर-
निर्धनता कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। इसका कारण है कि कर्ज लेने के लिए लोगों को गारंटी रूप में समर्थक ऋणाधार देनी पड़ती है। निर्धन लोगों के पास उन संपत्तियों का अभाव होता है जो कर्ज लेने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है।

प्रश्न 3.
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्पों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
ऋण लेते समय कर्जदार आसान प्ण शतोछद्ध को देखता है। इसका अर्थ है …………. (निम्न/ उच्च) ब्याज दर, ……….. (आसान / कठिन) अदायगी की शतेछद्व, …………. (कम/अधिक) समर्थक ऋणामार एवं आवश्यक कागजात।
उत्तर-
ऋण लेते समय कर्जदार आसान ऋण शर्तों को देखता है। इसका अर्थ है निम्न ब्याज दर. आसान अदायगी की शर्ते, कम समर्थक ऋणाधार एवं आवश्यक कागजात।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1.
सोनपुर में ऋण के विभिन्न पेतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
1. ग्रामीण साहूकार,
2. खेतिहर व्यापारी,
3. बैंक और,
4. भूपति-मालिक।

प्रश्न 2.
ऊपर दिए हुए अनुच्छेदों में ऋण के विभिन्न प्रयोगों वाली पंक्तियों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर-
संबंधित अनुच्छेदों में ऋण के निम्न प्रयोगों वाली पंक्तियाँ निम्न हैं

1. श्यामल का कहना है कि उसे अपनी 1.5 एकड़ जमीन को जोतने के लिए हर मौसम में उधार लेने की जरूरत पड़ती है।
2. अरूण सोनपुर के उन कुछ लोगों में से है. जिसे खेती के लिए बैंक से ऋण मिला है। ____ 3. साल में कई महीने रमा के पास कोई काम नहीं होता और उसे अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। अचानक बीमार पड़ने पर या परिवार में किसी समारोह पर खर्च करने के लिए भी उसे कर्ज लेना पड़ता है।
4. इस पूँजी का इस्तेमाल सदस्यों को कर्ज देने के लिए किया जाता है।
5. कृषक सहकारी समिति कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा कृषि व्यापार करने, मछली मकड़ने, घर बनाने और अन्य विभिन्न प्रकार के खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती है।

प्रश्न 3.
सोनपुर के छोटे किसान, ममयम किसान और भूमिहीन कृषि मज़दूर के लिए ऋण की शतोचद्व की तुलना कीजिए।
उत्तर-
im 3

प्रश्न 4.
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय क्यों होगी?
उत्तर-
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज़्यादा आय होगी क्योंकि-

1. अरुण के पास 7 एकड़ भूमि है, जबकि श्यामल के पास 1.5 एकड़ भूमि है।
2. अरुण ने 8.5% प्रतिवर्ष की ब्याज दर पर बैंक ऋण प्राप्त किया। दूसरी ओर, श्यामल को 36% प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण प्राप्त हुआ है।
3. अरुण को अगले तीन वर्षों में किसी भी समय ऋण चुकाना है, जबकि श्यामल को 3-4 महीनों के भीतर ही ऋण चुकाना है।
4. श्यामल को खेतिहर व्यापारी को फसल बेचने का वायदा करना पड़ता है, जबकि अरुण के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है।

प्रश्न 5.
क्या सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज मिल सकता है? किन लोगों को मिल सकता है?
उत्तर-
नहीं, सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज नहीं मिल सकता है। इसका कारण है कि सस्ती ब्याज दरों पर बैंक ऋण लेने के लिए समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता पड़ती है।
जो लोग समर्थक ऋणाधार और कागजात संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, उन्हें ही सस्ती ब्याज दरों पर बैंक से ऋण मिल सकता है।
6. सही उंनर पर निशान लगाइए-

(क) समय के साथ. रमा का पण

  1. बढ़ जाएगा
  2. समान रहेगा
  3. घट जाएगा

(ख) अरूण सोनपुर के उन लोगों में से है जो बैंक से उधार लेते हैं क्योंकि-

  1. गाँव के अन्य लोग साहूकारों से कर्ज़ लेना चाहते हैं।
  2. बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो कि हर किसी के पास नहीं होती।
  3. बैंक ऋण पर ब्याज दरें उतनी ही हैं जितना कि व्यापारी लेते हैं।

आओ-इन पर विचार करें ( पृष्ठ संख्या 50)

प्रश्न 1.
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अंतर है?
उत्तर-
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के बीच अंतर को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है-

HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 3

पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ऋण लेने से मदद मिलेगी कि नहीं, परिस्थिति के खतरों और हानि होने पर सहयोग की संभावना पर निर्भर करता हे। अन्यथा, अधिक जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए ओर समस्याएँ खड़ी कर सकता है।

उदहारण के तौर पर एक किसान खेती के लिए साहूकार से ऋण लेता है, इस उम्मीद पर कि फसल तैयार होने पर वह इस कर्ज को वापस कर देगा। परंतु, नाशक कीओं के हमले से फसल नष्ठ हो जाती हैं वह साहूकार का कर्ज अदा नहीं कर पाता और साल के अंदर यह कर्ज बड़ी रकम बन जाता हैं अगले साल वह पुनः कर्ज लेता है, इस साल फसल सामान्य रहती है, लेकिन इतनी कमाई नहीं होता कि वह अपना कर्ज उतार सके। इस तरह, वह कर्ज में फंस जाता है और कर्ज चुकाने के लिए उसे अपनी जीमन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ता हैं ऐसी परिस्थिति में ऋण ने उसकी कमाई बढ़ाने के बजाय उसकी स्थिति खराब कर दी।

प्रश्न-2.
मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए
उत्तर-
मुद्रा की सहायता से वस्तुओं व सेवाओं की खरीद में आसानी होती है। इसलिए हर कोइ मुद्रा के रूप में भुगतान लेना पंसद करता है। फिर उस धन का उपयोग अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि एक जूता निर्माता गेहूं खरीदना चाहता है। तो वह जूता बेचकर मुद्रा कमाएगा फिर इस मुद्रा से वह गेहूँ खरीद सकता है।
यदि किसी अर्थव्यवस्था में वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलन में हो तथा मुद्रा का प्रयोग न होता हो तो जूता निर्माता को गेहूं उगाने वाले किसान को खोजना पड़ता, जो न केवल गेहूँ बेचना चाहता हो बल्कि जूता खरीदने में भी रुचि रखता हो। अर्थात् दोनों पक्ष एक दूसरे से चीजें खरीदने व बेचने पर सहमति रखतें हों। इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं। वस्तु विनिमय प्रणाली में माँगों का दोहरा संयोग होना लाजिमी विशिष्टता है।

ऐसा अर्थव्यवस्था में जहाँ मुद्रा को प्रयोग होता है; मुद्रा विनिमय प्रक्रिया मध्यस्थता का काम करती है और माँगों के दोहरे संयोग को खत्म कर देती है।

प्रश्न-3.
अतिरिक्त धन वाले और धन के जरूरतमंद लोगों के बीच बैकि किस तरह मध्यस्थता प्रदान करते हैं?
उत्तर-
(क) अतिरिक्त धनवाले लोग अपने धन बैंकों में जमा करते हैं जिस पर उन्हें ब्याज मिलता है।
(ख) विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए कर्ज की बहुत मांग रहती है। बैंक उनके पास जमाराशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
(ग) इस प्रकार, बैंक दो गुटों के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं, एक गुट जिनके पास अतिरिक्त राशि है और दूसरा गुट जिसे इस राशि की जरूरत है।

प्रश्न-4.
रुपये के नोट को देखिये। उपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर-
इस रुपये के नोट पर लिखा होता है, ‘भारतीय रिजर्व बैंक’, केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत’ और ‘मै धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।’ इस कथन के नीचे भारतीर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है। भारतीय कानून के अनुसार किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की इजाजत नहीं है। साथ ही कानून रुपयों को विनिमय का माध्यम जैसे उपयोग करने की वैधता _ प्रदान करता है। इसलिए, रुपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया जाता हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 4

प्रश्न-5.
हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक स्तर पर ऋण देने वालों की तुलना में अनौपचारिक खण्ड के ज्यादातर ऋणदाता कहीं ज्यादा ब्याज वसूल करते हैं। इसलिए अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक हमँगा पड़ता है।
(ख) ऋण पर ऊँची ब्याज दारों के कारण कर्जदार की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण उतारने में खर्च हो जाता है – और निजी खर्च के लिए उसके पस बहुत कम आय बच जाती
(ग) कुछ मामलों के कर्ज अदायगी की रकम कर्जदार की आय से भी अधिक हो जाती है और व्यक्ति ऋण के फंदे में जकड़ सकता है। (घ) इन कारणों से आवश्यक है कि लोगों को औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण मिले।

प्रश्न-6.
गरीबों के लिये आत्मनिर्भर गटों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं? अपने शब्दों में बयान कीजिये।
उत्तर-
भारत में गरीब लोग ऋण के लिये अनौपचारिक स्रोतों पर ज्यादा निर्भर हैं। क्योंकि भारत के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक मौजूद नहीं हैं और जहाँ हैं भी वहां बैंक से कर्ज लेना साहूकारों से कर्ज लेने की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल हैं। बैंक से ऋण लेने के लिए संपत्ति और तमाम अन्य कागजातों की जरूरत होती हैं। ऋणाधार नहीं होने के कारण गरीब परिवार के लोगों को बैंको से कर्ज नहीं मिल पाता है।दूसरी ओर माहजन और साहूकार इन लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर जानते हैं और कई बार बिना ऋणाधार के ऋण दे देते हैं। लकिन ये साहूकार ब्याज’ की दरें काफी ऊँची रखतें हैं, कई बार कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं करते और लोगों की अशिक्षा का लाभ उठाते हुए उनका शोषण करते हैं गरीबों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर गुटों का संगठन किया जाता है।

प्रश्न-7.
क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर-
ऋण देते समय बैंक ऋण के लिखाफ कर्जदार से कोई समर्थक ऋणाधार की मांग कर सकता है। समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है। जैसे-भूमि, मकान, गाडी, पशु आदि। इसका इस्तेमाल उध परदाता को गारंटी देने के रूप में करता हैं ऋणाधार की गैर-मौजूदगी के कारण कुछ गरीब परिवार बैंकों से ऋण नहीं ले पाते हैं।

प्रश्न-8.
भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधि यों पर किस तरह नजर रखता है।? यह जरूरी क्यों हैं?
उत्तर-
(क) भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखता हैं बैंक हमेशा अपने पास जमा पूंजी की एक न्यूनतम नकद अपने पास रखते हैं। आर.बी.आई. नजर रखता है कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं।
(ख) आर.बी.आई. इस बात पर भीनजर रखता है कि बैंक केवल लाभ बनाने वाली इकाइयों व व्यापारियों को ही ऋण न दें बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्जदारों आदि की भी ऋण मुहैया करवाए।
(ग) समय-समय पर बैंकों को आर.बी.आई. को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना और किनकों ऋण दे रहे हैं और उसकी ब्याज दरें क्या हैं?
(घ) बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है जिससे वह ऋण के अनौपचारिक स्रोतों की तरह काम करना न शुरू कर दें।

प्रश्न-9.
विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण किजिये।
उत्तर-
ऋण एक ऐसी सहमति है जहाँ उधारदाता कर्जदार को धन वस्ताएं या सेवाएँ प्रदान करता है बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान का वादा लेता है। हमारी रोजमर्रा की जिदंगी में बहुत सी गतिविधियों ऐसी होती हैं, जहाँ किसी न किसी रूप में ऋण लेते है।। उद्योगपति और व्यापारी उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के जरिये पूरा करते हैं। ऋण उन्हें उतपादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर खत्म करने में सहायता करता हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ती हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की मुख्य माँग फसल उगाने के लिए होती हैं फसल उगाने में बीच, खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, उपकारणों की मरम्मत आदि पर कापी खर्च आता है किसान
इन जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण लेतें हैं। फसल तैयार होने पर किसान ऋण उतार देते हैं।

प्रश्न-10.
मानव को एक छोटा व्यवसाय खोलने के लिये ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चिय करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिये।
उत्तर-
भारत में बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों की श्रेणी में आते हैं जबकि साहूकार ऋण की अनौपचारिक श्रेणी में आता हैं भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता हैं।

अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। वें मनमर्जी दरों पर ऋण दें सकते है। उन्हें ना.. तरीकों से पैसे वापस लेने से कोई रोक नहीं सकता हैं। महाजन ब्याज की दरें बहुत ऊँची रखते हैं, कइ बार लिखा-पढ़ी भी पूरी नहीं करते और ऐसी परिस्थिति का फायदा उठाते हुए गरीबों कों सताते है। अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक महँग पड़ता है।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मानव को फैसला करना चाहिए। वर्तमान स्थिति में औपचारिक स्रोतों से ऋण लेना मानव के लिए श्रेयकर हैं।

प्रश्न-11.
भारत में 80 प्रतिशत मिकसान छोटे किसान हैं जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
उत्तर-
बैंक से कर्ज लेने के लिए संपत्ति और तमान किस्म के कागजातों की जरूरत पड़ती हैं । छोटे किसानों के पाय प्रायः ऋणाधार का अभाव होता है। अतः बैंक उन्हें ऋण देने से हिचकिचा सकते हैं।

(ख) वे दूसरे स्रोत से कोन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।
उत्तर-
छोटे किसान आमतौर पर महाजन, साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार या मित्रों से कर्ज लेते हैं।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो कसती हैं?
उत्तर-
ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबकों मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता हैं हरेक ऋण समझौते में ब्याज दर पहले ही स्पष्ट कर दी जाती है। इसके अलावा, उधाराता ऋण के खिलाफ कोई समर्थक ऋणाधार की मांग भी कर सकता है। समर्थक ऋणाध पर वह संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है, जैसे, भूमि, मकान, गाड़ी, पशु, बैंकों में पूंजी आदि। वह इसका इस्तेमाल उधारदाता को गांरटी देने के रूप मे करता ह।, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता। यदि कर्जदार उधार वापस नहीं कर पाता तो उधारदाता को अपनी रकम वापस पाने के लिए समर्थक ऋणाधार को बेचने का अधिकार होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की मांग मुख्यतः फसल उगाने के लिए होती है। यदि किसी कारणवश फसल बर्बाद हो जाय तो किसान कर्ज की आदायगी नहीं कर पाता है। अगले वर्ष फसल के लिए उसे पुनः ऋण लेना पड़ता है। इस तरह वह ऋण फंदे में फंस सकता है।

(घ) सुझाव दीजिये कि सि तरह छोटे किसानों को सस्टा ऋण उपलब्ध कराया जा सकता हैं?
उत्तर-
छोटे किसानों को ऋण के औपचारिक स्रोतों यथा बैंक और सहकारी समित्तियाँ से सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। इस कार के लिए वे स्वयं को आत्मनिर्भर गुटों में संगठित कर सकते हैं इससे उन्हें ऋण मिलना आसान हो सकता है।

प्रश्न-12.
रिक्त स्थान भरियेः
(क) ……………परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) ऋण की लागत का ………ऋण का बोझ बढ़ाता
(ग) ………..केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी ोट जारी करता है।
(घ) बैंक ………… पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) …………..संपत्ति है जिसकी मलकियत कर्जदार के पास है जिसे वह ऋण लेने के लिए गांरटी के रूप में इस्तेमाल करता है जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर-
(क) गरीब,
(ख) बढ़ना,
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक,
(घ) जमा,
(ङ) समर्थक ऋणाधार वह।

प्रश्न-13.
सही उत्तर का चयन करें
1. स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्माण लिए जाते हैं
a. बैंक, b. सदस्य, c. गैर सरकारी संस्था द्वारा।
2. ऋण के औपचारिक स्रोतों में शमिल नहीं है।
a. बैंक, b. सहकारी समिति, c. नियोक्ता
उत्तर-
1-b;
2-c.

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

HBSE 10th Class Economics भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Textbook Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 1.
विभिन्न क्षेत्रकों की परस्पर-निर्भरता दिखाते हुए उपर्युक्त सारणी को भरें।
उत्तर-
उदाहरण-

  1. कल्पना करें कि यदि किसान किसी चीनी मिल को गन्ना बेचने से इंकार कर दें, तो क्या होगा। मिल बंद हो जाएगी।
    कल्पना करें कि यदि कम्पनियाँ भारतीय बाज़ार से कपास नहीं खरीदती और अन्य देशों से कपास आयात करने का निर्णय करती हैं, तो कपास की खेती का क्या होगा? भारत में कपास की खेती कम लाभकारी रह जाएगी और यदि किसान शीघ्रता से अन्य फसलों की ओर उन्मुख नहीं होते हैं, तो वे दिवालिया भी हो सकते हैं तथा कपास की कीमत गिर जाएगी।
  2. किसान, ट्रैक्टर, पम्पसेट, बिजली, कीटनाशक और उर्वरक जैसी अनेक वस्तुएँ खरीदते हैं। कल्पना करें कि यदि उर्वरकों और पम्पसेटों की कीमत बढ़ जाती है, तो क्या होगा? खेती | पर लागत बढ़ जाएगी और किसानों का लाभ कम हो जाएगा।
  3. औद्योगिक और सेवा क्षेत्रकों में काम करने वाले लोगों को भोजन की आवश्यकता होती है। कल्पना करें कि यदि ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल कर दी है और ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जियाँ, दूध इत्यादि ले जाने से इंकार कर दिया, तो क्या होगा? शहरी क्षेत्रों में भोजन की कमी हो जाएगी और किसान अपने उत्पाद बेचने में असमर्थ हो जायेंगे।

यह क्या प्रदर्शित करता है?

  1. यह द्वितीय या औद्योगिक क्षेत्रक का उदाहरण है, जो प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर है।
    यह प्राथमिक या कृषि एवं संबंधित क्षेत्रक का द्वितीयक क्षेत्रक पर निर्भरता को प्रदेर्शित करता है।
  2. यह प्राथमिक क्षेत्रक का द्वितीयक क्षेत्रक पर निर्भरता को दर्शाता है।
  3. द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर होते हैं। जबकि प्राथमिक क्षेत्रक तृतीयक क्षेत्रक पर निर्भर करता है। अर्थात् सभी क्षेत्रक अत्यधिक परस्पर निर्भर होते हैं।

प्रश्न 2.
पुस्तक में वर्णित उदाहरणों से भिन्न उदाहरणों के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के अंतर की व्याख्या करें।
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्रक-जब हम प्राकृतिक संसाधनों का सीधे उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, चावल और गेहूँ की खेती।
द्वितीयक क्षेत्रक-इस क्षेत्रक के अन्तर्गत वे क्रियाएँ शामिल होते हैं जो प्राकृतिक या प्राथमिक उत्पादों को विनिर्माण प्रक्रिया के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित करती हैं।
उदाहरण के लिए, बाँस एवं सबाई घास से कागज का निर्माण गन्ने से गुड़ बनाना आदि।
तृतीयक क्षेत्रक-इसके अन्तर्गत वे क्रियाएँ आती हैं जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में मदद करती है। . उदाहरण के लिए, रेलवे, दूरसंचार, दुकानदार, वकील आदि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित व्यवसायों को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में विभाजित करें:

  • दर्जी
  • टोकरी बुनकर
  • फूल की खेती करने वाला
  • दूध-विक्रेता
  • मछुआरा
  • पुजारी
  • कूरियर पहुँचाने वाला
  • दियासलाई कारखाना में श्रमिक
  • महाजन
  • माली
  • कॉल सेंटर कार्मचारी
  • मधुमक्खी पालन

उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 1

प्रश्न 4.
विद्यालय में छात्रों को प्रायः प्राथमिक और द्वितीयक अथवा वरिष्ठ और कनिष्ठ वर्गों में विभाजित किया जाता है। इस विभाजन की कसौटी क्या है? क्या आप मानते हैं कि यह विभाजन उपयुक्त है? चर्चा करें।
उत्तर-
(क) विद्यालय में छात्रों को प्राथमिक और द्वितीयक अथवा वरिष्ठ और कनिष्ठ वर्गों में विभाजन की कसौटी शिक्षा का स्तर है।
(ख) यह एक उपयुक्त वर्गीकरण है।
प्राथमिक शिक्षा-हमारे संविधान मे देश को 1960 ई. तक 14 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था यह प्राथमिक शिक्षा के अन्तर्गत आता है।
द्वितीयक (माध्यमिक) शिक्षा-द्वितीयक या माध्यमिक स्तर की शिक्षा (14-18 आयु वर्ग) छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए तैयार करता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 23)

प्रश्न-1.
विकसित देशों का इतिहास क्षेत्रकों में हुए परिवर्तन के संबंध क्या संकेत करते हैं।
उत्तर-
(क) विकसित देशों का इतिहास यह संकेत करता है कि विकास के प्रारंभिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक आर्थिक क्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक था। जैसे-जैसे खेती की विधियों में परिवर्तन हुआ, कृषि क्षेत्रक पहले की अपेक्षा अधि क अनाज उत्पादित करने लगा और यह समृद्ध होने लगा। अधि कांश लोग इसी क्षेत्रक में कार्यरत थे।
(ख) सौ से अधिक वर्षों के बदा जब विनिर्माण की नई विधियाँ आई तो फैक्ट्रियों की स्थापना और विस्तार होने लगा। इस प्रकार, द्वितीयक क्षेत्रक धीरे-धीरे कुल उत्पादन और रोजगार में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गया।
(ग) विगत् 100 वर्षों के दौरान द्वितीयक से तृतीयक क्षेत्रक में परिवर्तन हो गया है। सेवा खेत्रक कुल उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है।
विकसित देशों में क्षेत्रकों के बीच परिवर्तन का यही सामान्य पैटर्न देखा गया है।

प्रश्न 2.
अव्यवस्थित वाक्यांश से जी.डी.पी. गणना हेतु महत्त्वपूर्ण पहलुओं को व्यवस्थित एवं सही करें।।
उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की गणना करने के लिए हम उनकी संख्याओं को जोड़ देते हैं। हम विगत पाँच वर्षों में उत्पादित सभी वस्तुओं की गणना करते हैं।
चूँकि हमें किसी चीज़ को छोड़ना नहीं चाहिए इसलिए हम इन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का योगफल प्राप्त करते हैं।
उत्तर-
जी.डी.पी. की गणना के लिए हम किसी विशेष वर्श के दौरान प्रत्येक क्षेत्रक में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों की गणना करते हैं। चूँकि हमें किसी चीज को छोड़ना नहीं चाहिए, इसलिए हम प्रत्येक क्षेत्रक में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य का योगफल प्राप्त करते

आओ-इन पर विचार करे (पृष्ठ संख्या 24)

आरेख का अवलोकन करते हुए निम्नलिखित का उत्तर दें- .
आरेख 1-प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक द्वारा जी.डी.पी.
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प्रश्न 1.
1973 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक कौन था?
उत्तर-
1973 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक था।

प्रश्न 2.
2003 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक कौन था?
उत्तर-
तृतीयक क्षेत्रक 2003 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक था।

प्रश्न 3.
क्या आप बता सकते हैं कि तीस वर्षों में किस क्षेत्रक में सबसे अधिक संवृद्धि हुई?
उत्तर-
इन तीस वर्षों में सबसे अधिक संवृद्धि तृतीयक क्षेत्रक में हुई।

प्रश्न 4.
2003 में भारत का जी.डी.पी. क्या था?
उत्तर-
2003 में भारत का जी.डी.पी. 2,10,000 करोड़ रुपये था।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 27)

प्रश्न 1.
आलेख 2 और 3 में दिए गए आँकड़े का प्रयोग कर सारणी की पूर्ति करें और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें।
तालिका 2.2 जी.डी.पी. और रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 4
उत्तर
तालिका 2.2 जी.डी.पी. और रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 5
इन तीस वर्षों में प्राथमिक क्षेत्रक में निम्नलिखित परिवर्तन देखा गया है
(क) जी.डी.पी. में प्राथमिक क्षेत्रक का हिस्सा 45% से घटकर 25% हो गया।
(ख) परन्तु रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक में 73% से 61% तक की कमी हुई है।
(ग) देश के आधे से अधिक श्रमिक प्राथमिक क्षेत्रक में कार्य कर रहे हैं। परन्तु वे देश की जी.डी.पी. का लगभग एक चौथाई भाग ही उत्पादित करते हैं।
(घ) कृषि क्षेत्रक में आवश्यकता से अधिक लोग कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
सही उनर का चयन करें-
अल्प बेरोजगारी तब होती है जब लोग-
(अ) काम करना नहीं चाहते हैं।
(ब) सुस्त ढंग से काम कर रहे हैं।
(स) अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं।
(द) उनके काम के लिए भुगतान नहीं किया जाता है।
उत्तर-
(स) अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं।

प्रश्न 3.
विकसित देशों में देखे गए लक्षण की भारत में हुए परिवर्तनों से तुलना करें और वैषम्य बतायें। भारत में क्षेत्रकों के बीच किस प्रकार के परिवर्तन वांछित थे, जो नहीं हुए?
उत्तर-
विकसित देश-

(क) विकास की प्रारंभिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक उत्पादन और रोजगार दोनों दृष्टि से आर्थिक क्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक था।
(ख) अर्थव्यवस्था के विकास के साथ द्वितीयक क्षेत्रक कुल उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गया।
(ग) जब देश विकास के उच्चतर स्तरों पर पहुँचता है तो जी.डी.पी. और रोजगार में सेवा क्षेत्रक की हिस्सेदारी सर्वाधिक होती है।

भारत-

(क) भारत में भी प्रारंभिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक कुल उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण था।
(ख) परंतु भारत में द्वितीयक क्षेत्रक अभी तक न तो उत्पदन ओर न ही रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक हुआ है।
(ग) 1990 तक भारत के जी.डी.पी. में सेवा क्षेत्रक की हिस्सेदारी 40.59% हो गया जो अन्य दोनों क्षेत्रकों से अधिक था। परन्तु रोजगार की दृष्टि से अभी भी सर्वाधिक लोग प्राथमिक क्षेत्रक में नियोजित हैं।

(क) वह वांछित था कि अर्थव्यवस्था के विकास के साथ द्वितीयक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित कर जी.डी.पी. की दृष्टि से सर्वाधि महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक बन जाता लेकिन ऐसा भारत में नहीं हुआ। तृतीयक क्षेत्रक द्वितीयक क्षेत्रक से आगे बढ़ गया।

(ख) यह भी वांछित था कि विकास के साथ रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कम होती और द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रकों की हिस्सेदारी बढ़कर अधिक हो जाती लेकिन भारत में ऐसा भी नहीं हुआ।

प्रश्न 4.
हमें अल्प बेरोजगारी के संबंध में क्यों विचार करना चाहिए?
उत्तर-
अल्प बेरोजगारी वह स्थिति है जब लोग नियोजित तो दिखाई देते हैं। परन्तु वास्तव में अल्पबेरोजगार होते हैं। इस स्थिति में आवश्यकता से अधिक लोग एक ही काम मे लगे रहते है। अर्थात् वे अपनी क्षमता से कम काम करते हैं। इस स्थिति को छुपी हुई या प्रछन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।
भारत में लाखों लोग अप्ल बेरोजगार हैं। यह स्थिति प्रायः कृषि क्षेत्र में पायी जाती है। इसके अतिरिक्त यह अन्य क्षेत्रों मे भी पायी जाती है। जैसे शहरी क्षेत्रों में सेवा क्षेत्रक में कार्यरत अनियत श्रमिक। यदि ये लोग और कहीं काम कर रहे होते तो उनके द्वारा अर्जित आय से उनकी कुल पारिवारिक आय में वृद्धि होती। अतः अल्प बरोजगारी भारत के लिए एक चिंता का विषय है। इस संबंध में विचार करना अति आवश्यक है।

पृष्ठ संख्या-28

प्रश्न-
आपके विचार से आपके क्षेत्र में किस समूह के लोग बेरोजगार अथवा अप्ल बेरोजगार हैं? क्या आप कुछ उपाय सुझा सकते हैं, जिन पर अमल किया जा सके?
उत्तर-हमारे क्षेत्र में निम्नलिखित समूह के लोग बेराजगार अथवा अप्ल बेरोजगार हैं-
(क) अनुसूचित जाति
(ख) अनुसूचित जनजाति
(ग) खेतिहर मजदूर
(घ) छोटे किसान आदि।
इनके लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए जा सकते हैं
(क) रोजगार सृजन कार्यक्रमों को सम्पूर्ण लगन एवं ईमानदारी से लागू करना।
(ख) सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि।
(ग) स्वरोजगार हेतु बेरोजगार या अल्प बेरोजगार व्यक्तियों को आसान ब्याज दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करना।

आओं-इन पर विचार करें। (पृष्ठ संख्या 29)

प्रश्न-1.
आपके विचार से एन.आर.ई.जी.ए.को ‘काम का अधिकार’ क्यों कहा गया हैं?
उत्तर-एन.आर.ई.जी.ए. 2005 को ‘कम अधिकार’ इसलिए कहा गया है। क्योंकि, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 प्रतिवर्ष प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करता है। यदि किसी आवेदक को 15 दिनों के भीतर रोजगार प्रदान नहीं किया जाता है। तो वह दैनिक रोजगार भत्ता का अधिकारी होगा। इस कानून के अन्तर्गत प्रस्तावित रोजगार का एक-तिहाई भाग महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।

प्रश्न-2.
कल्पना कीजिए, कि आप ग्राम के प्रधान हैं और उस हैसियत से कुछ ऐसे क्रियाकलापों का सुझाव दीजिए जिसे आप मानते हैं कि उससे लोगों की आय में वृद्धि होगी और उसे इस अधिनियम के अन्तर्गत शामिल किया जाना चाहिए। चर्चा करें।
उत्तर-
(क) सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होना चाहिए। इसे कृषि क्षेत्रक मे आय एवं रोगार में वृद्धि होगी।
(ख) सार्वजनिक परिवहन पर निवेश में वृद्धि की जानी चाहिए।
(ग) लोगों को खेती की आधुनिक विधियाँ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(घ) ग्रामीणों का आसान ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
(ङ) गाँवों में लघु उद्योगों के विकास के लिए लोगों को उचित प्रशिक्षण की सुविध प्रदान की जानी चाहिए।

प्रश्न-3.
यदि किसानों को सिचाई और विपणन सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है। जो रोजगार और आय में वृद्धि कैसे होगी?
उत्तर-
सिंचाई भारत के कई क्षेत्रों में वर्षा न केवल अपर्याप्त बल्कि अनिश्चित होती है इसलिए, इन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाएँ वर्ष में एक से अधिक फसल उपजान सहायक होगा। हम जितना अधिक फसल उपजाएँगे, एक ही भूखंड पर रोजगार और आय में उतनी वृद्धि होगी। इस तरह सिंचाई कृषि उत्पादन, रोजगार एवं आय में वृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण साधन
विपणन-विपणन सुविधाओं के अन्तर्गत कृषि उत्पादों की भंडारण सुविधाएँ, अधिक समय तक उपज करने की क्षमता, व्यापक और सस्ती यातायात सुविधाएँ बाजार दशाओं के विषय में सूचना आदि शमिल होती है। इन सुविधाओं के मिलने से किसान क्षेती जारीरख सकता. है और अपनी ऊपज को आसानी से उचित मूल्य पर बेच सकता है।

प्रश्न-4.
शहरी क्षेत्री में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है?
उत्तर-
(क) लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित की जानी चाहिए।
(ख) विद्युत आपूर्ति, कच्चे माल और यातायात से संबंधि त समस्याओं को दूर किया जाना चाहिए। उद्योग अपनी पूर्ण · उत्पादन क्षमता का उपयोग कर सकें।
(ग) व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
(घ) सरकार को चाहिए कि वह स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करे।
(ङ) पर्यटन, सूचना एवं प्रौद्योगिकी जेसे सेवाक्षे?ा में रोजगार की व्यापार संभानाएँ है। इन क्षेत्रों में समुचित आयोजन और सरकारी सहायता कर आवश्यकता है।
(च) रोजगार सृजन कार्यक्रमों को ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए।

सारणी-संगठित और असंगठित क्षेत्रक मे श्रमिको की अनुमानित संख्या (दस लाख में)
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 6

(क) असंगठित क्षेत्रक में कृषि में लगे लोगों का प्रतिशत 64.86% है।
(ख) यह सत्य हे कि कृषि असंगठित क्षेत्रकी गतिविधि है। क्योंकि कृषि इकाइयों सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होती है।
यद्यपि यहाँ भी नियम और विनियम है परंतु इनका पालन नहीं होता है।
(ग) भारत में 92.96% श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में हैं। भारत में लगभग7.04% श्रमिकों को ही संगठित क्षेत्रक में रोजगार उपलब्ध है।

पृष्ठ संख्या 33

प्रश्न-
हमारे चारों ओर अनेक आर्थिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं। उन पर तर्कसंगत ढंग से विचार करने के लिए वर्गीकरण की प्रक्रिया अपरिहार्य है। हम क्या निष्कर्ष चाहते हैं, इस आधार पर वर्गीकरण की अनेक कसौटियाँ हो सकती है। वर्गीकरण की प्रक्रिया वस्तुस्थिति का मूल्यांकन करने में सहायता करती है।
आर्थिक गतिविधियों को तीन क्षेत्रकों-प्राथमिक, द्वितीयक ओर तृतीयक में विभाजित करने के लिए कार्य के स्वभाव को कसौठी के रूप में उपयोग किया गया। इस वर्गीकरण के अधार पर हम भारत मे कुल उतपादन _और रोजगार के पद्धति का विश्लेषण करने में समर्थ हुए।
इसी प्रकार, हमने आर्थिक गतिविधियों को संगठित और असंगठित क्षेत्रक में विभाजित किया और इस विभाजन का प्रयोग इन दो क्षेत्रकों में रोजगार की स्थिति देखने के लिए किया।

वर्गीकरण अभ्यास से व्युत्पन्न सबसे महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष संकेत किया गया? क्या आप जानकारियों को निम्ननिखित क्या थे। वे समस्याएँ और समाधान क्या थे, जिनकी ओर सारणी में संक्षिप्त रूप में व्यक्त कर सकते हैं?
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 7
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 8

आओं-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 31)

प्रश्न-1.
निम्नलिखित उदाहरणे को देखें। कया इनमें से कौन असंगठित क्षेत्रक की गतिविधियाँ हैं?
(क) विद्यालय में पढ़ाता एक शक्षक।
(ख) बाजार में अपनी पीठ पर सीमेंन्ट की बोरी ढोता हुआ एक श्रमिक
(ग) अपने खेत की सिंचाई करता एक किसान
(घ) अस्पताल में मरीज का इलाज करता एक डॉक्टर
(ङ) एक ठेकेदार के अधीन काम करता एक दैनिक मजदूरी वाला श्रमिक
(च) एक बड़े कारखाने में काम करने जाता एक कारखाना श्रमिक
(छ) अपने घर में काम करता एक करघा बनुकर।
उत्तर-
(क), (ख), (ग), और (छ)।

प्रश्न-2.
संगठित क्षेत्रक में नियमित काम करने वाले एक व्यक्ति और असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले किसी दूसरे व्यक्ति से बात करें। सर्भ पहलुओं पर उनकी कार्य-स्थितियों की तुलना करें।
उत्तर-
विनय कुमार एक सूचना एवं प्रौद्योगिकी कंपनी अर्थात् संगठित क्षेत्र स्थायी रूप से कार्य करता है। दीनाथ असंगठित क्षेत्र के अन्तर्गत दैनिक मजदूरी पर श्रमिक के रूप में कार्यरत है।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 9

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए—
(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ………हुई हैं/नहीं हुई हैं)
(ख) ………..क्षेत्रक के सभी श्रमिकों को वर्ष भर के लिए रोजगार नहीं मिलता है। (ततीयक/कषि)
(ग) ………..क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार-सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में ………. संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं (बड़ी/छोटी)
(ङ) क्षेत्रक के धीमें प्रसार के कारण ………क्षेत्रक में आवश्यकता से अधिक लोग लगे हुए हैं (सेवा/कृषि, संगठित, असंगठित)
(च) कपास एक ……….उत्पादन है और कपड़ा एक ……….उत्पाद है। (कृतिक/विनिर्मित)
(छ) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक क्षेत्रक की गतिविधियाँ……….हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर-
(क) नहीं हुई है;
(ख) कृषि;
(ग) संगठित;
(घ) बड़ी;
(ङ)सेवा, कृषि;
(छ) प्राकृतिक, विनिर्मित;
(ज) परस्पर निर्भर।
उत्तर-

प्रश्न-2.
सही उत्तर का चयन करें।
(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक के आधार पर विभाजित है। (एक का चयन करें।)
(क) रोजगार की शर्तो
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर-
(क) रोजगार की शर्तो

(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन …………..क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना औद्योगिकी
उत्तर-
(ख) द्वितीयक

(स) किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ……..के मूल्य के कुल योगफल को जी.डी.पी. कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर-
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं

द) जी.डी.पी. के पदों में वर्ष 20003 में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी …………है।
(क) 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के बीच
(ख) 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच
(ग) 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच
(घ) 70प्रतिशत
उत्तर-
(घ) 70प्रतिशत

प्रश्न-3.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिएकृषि क्षेत्रक की समस्याएँ
1. असिंचित भूमि
2. आय में उतार-चढ़ाव
3. कर्ज भार
4. मंदी काल में रोजगार नहीं
5. कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना आनाज बेचने को विवश

कुछ संभावित उपाय

(अ) कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
(ब) सरकारी विपणन समिति
(स) सरकार द्वारा आनाजों की वसूली
(द) सरकार द्वारा नहारों का निर्माण
(य) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलबध कराना।
उत्तर-
1. (द);
2. (ब);
3. (द);
4. (अ);
5. (स)।

प्रश्न-4.
असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) मार्गदर्शक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, सौंदर्य प्रसाधक
(ग) डाकिया, कूरियर प्रदाता, सैनिक, पुलिस कॉस्टेबल
(घ) एम.टी.एन.एल. भारतीय रेल, एयर इण्डिया, सहारा एयरलाइन्स, ऑल इण्डिया रेडियो।
उत्तर-
(क) मार्गदर्शकः क्योंकि अन्य सभी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
(ख) सब्जी विक्रेताः क्योंकि वह सामान बेचता है।
(ग) कूरियर प्रदाताः क्योंकि वह निजी क्षेत्रक के अंतर्गत कार्य करता है।
(घ) सहारा एयरलाइन्स : क्योंकि यह निजी क्षेत्रक __ अंतर्गत आती है।

प्रश्न-5.
एक शोध छात्र सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिला और निम्न आँकड़े जुटाए-
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तालिका-को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों प्रतिशत क्या हैं?
उत्तर-
रोजगार की प्रकृति : संगठित, असंगठित, असंगठित, 50 प्रतिशत श्रमिकों का प्रतिशतः 70

प्रश्न-6.
क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर-
आर्थिक गतिविधियों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में बाँटने की उपयोगिता है। इसका मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(क) प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर निर्भर हैं। जैसे, कृषि, मछली पालन, खनन आदि।
(ख) द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों में प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रक्रिया द्वारा अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। जैसे, कपास से कपड़ा बनाना, गन्ने से चीनी बनाना आदि।
(ग) तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में मद्द करती है। जैसे, बैंकिग, बीमा, परिवहन, आदि।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? क्या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।
उत्तर-
इसका मुख्य कारण निम्नलिखित है-
(क) देश में संतुलित क्षेत्रीय विकास के खातिर
(ख) देश के लोगों के बीच आय एवं सम्पत्ति की समान वितरण के लिए
(ग) गरीबी उन्मूलन के लिए
(घ) प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण हेतु
(ङ) देश की आत्म-निर्भरता।

प्रश्न 8.
जीविका के लिए काम करने वाले अपने आस-पास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 11
इस प्रकार जीविकोपार्जन हेतु किए गए उपरोक्त कार्यों को निम्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता
(क) कार्यो की प्रकृति
(ख) रोजगार की स्थितियाँ
(ग) स्वामित्व।

आर्थिक क्रियाओं की प्रकृति के आधार पर इन्हें निम्न क्षेत्रकों के रूप में जा सकता है
(क) प्राथमिक क्षेत्रक-इसमें वे आर्थिक क्रियाएँ शामिल होती हैं जो सीधे प्राकृतिक संसाधनों के उप द्वारा की जाती है। जैसे, कृषि कार्य, मछली पालन, खनन आदि।
(ख) द्वितीयक क्षेत्रक-इकके अंतर्गत वे क्रियाएँ शामिल होती हैं जो प्रकृतिक या प्राथमिक उत्पादों विनिर्माण प्रक्रिया द्वार अन्य रूपों में परिवर्तित करती है। जैसे, गन्ने से चीनी निर्माण।
(ग) तृतीयक क्षेत्रक-इसके अंतर्गत वे क्रियाएं आती हैं जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास सहायक होती हैं। उदाहरण के लिए बैंकिग, बीमा, आदि।

प्रश्न 9.
तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
तृतीय क्षेत्रक अन्य दो क्षेत्रकों से भिन्न है। क्योंकि अन्य दो क्षेत्रक वस्तुएँ उत्पादित करती हैं, जबकि यह क्षेत्रक कोई वस्तु उत्पादित नहीं करता है। इस क्षेत्रक में शामिल क्रिया प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में सहायक होती है। जैसे परिवहन, संचार, बैंकिग, बीमा आदि।

प्रश्न 10.
प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रछन्न बेरोजगारी या छपी हुई बेरोजगारी के अंतर्गत लोग नियोजित लगते है लेकिन वास्तव में बेरोजगार होते हैं। इसके अंतर्गत किसी काम में लोग आवश्यकता से अधिक संख्या में लगे होते हैं।

ग्रातीण क्षेत्रों से उदाहरण-इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः कृषि क्षेत्र में पाई जाती है। उदाहरण के लिए 10 लोगों के एक परिवार के पास एक खेती योग्य भूखडं जहाँ वे सभी काम करमे हैं। यदि इनमें से 5 लोग हआ लिए जाते हैं तो भी उत्पादन में कोई कमी नहीं होती है। इसलिए ये 5 अतिरिक्त लोग प्रछनन रूप से नियोजित होते है।

शहरी क्षेत्रों से उदहारण-शहरी क्षेत्रों में छोटे-मोटे दुकानों एवं व्यवसायों में लगे परिवारों की स्थिति छूपी बेरोजगारी पाई जाती है।

प्रश्न 11.
खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर-
खुली बेरोजगारी-जब देश की श्रमशक्ति फायदे मंद रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं कर पाती है तो इस स्थिति __ को खुली बेरोजगारी कहते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः देश के औद्योगिक क्षेत्र में पाई जाती है।
प्रछन्न बेरोजगारी-जब लोग नियोजित लगते होते हैं, परंतु वास्तव में बेरोजगार होते हैं, तो इस स्थिति को प्रछन्न या छुपी बेरोजगार कहते है। इसके अंतर्गत किसी काम में लोग आवश्यकता से अधिक संख्या में लगे होते हैं इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः कृषि क्षेत्र में पाई जाती है।

प्रश्न 12.
“भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महन्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत है? अपने उनर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर-
यह कहना अनुचित है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वूपर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।
जी.डी.पी. यह क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक के स्थान पर देश का सर्वाधिक उतपादक क्षेत्रक बन गया है। 1973 में जी.डी. पी. में तृतीयक क्षेत्रक का हिस्सा लगभग 35% था जो 2003 में बढ़कर 50% से अधिक हो गया। यद्धपि 1973 से 2003 के बीच के 30 वर्षों में तीनों क्षेत्रकों के उत्पादन में वृद्धि हुई है, परंतु तृतीयक क्षेत्र में यह वृद्धि सर्वाधिक रही है।
रोजगार इसी अवधि में तृतीयक क्षेत्रक के रोजगार में

वृद्धि दर लगभग 300% रही है जबकि द्वितीयक क्षेत्र में यह वृद्धि दर 250% रही। प्राथमिक क्षेत्रक में यही वृद्धि नहीं के बराबर रही।

प्रश्न 13.
“भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है।” ये लोग कौन हैं?
उत्तर-
भारत में सेवा क्षेत्रक निम्नलिखित दो भिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता हैं
(क) उन सेवाओं में लगे लोग जो वस्तुओं के उत्पादन मे सीधे तौर पर सहायता कर सकते है। परविहन, संचार, बैंकिग, आदि क्षेत्रों में लगे लोग।
(ख) ऐसी सेवाओं में लगे लोग जो वस्तुओं के उत्पादन में सीधे तौर पर सहायता नहीं करते हैं। जैसे शिक्षक, डाक्टर, धोबी मोची, वकील आदि।.

प्रश्न 14.
“असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उनर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर-
(क) यह सत्य है कि असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। असंगठित क्षेत्र छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों से निर्मित होता है, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं।
(ख) इस क्षेत्रक में नियमों व विनियमों का अनुपालन नहीं होता है।
(ग) यहाँ वेतन कम मिलता है और प्रायः नियमित रोजगार नहीं मिलता है।
(घ) यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने,सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी दे दी जाती है।
(ङ) बहुत से लोग नियोक्ता की पसंद पर निर्भर होते हैं।

प्रश्न 15.
अर्थव्यवस्था में गतिविधिया! रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर-
रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं
(क) संगठित क्षेत्रक (ख) असंगठित क्षेत्रक।

प्रश्न 16.
संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार-परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर
संगठित क्षेत्रक-

  1. ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।
  2. ये सरकारी नियमों व विनियमों का पालन करते हैं।
  3. रोजगार की अवधि नियमित होती है तथा लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है।
  4. कर्मचारियों को रोजगार-सुरक्षा का लाभ मिलता है।
  5. कर्मचारियों सवेतन छुट्टी अवकाश-भुगतान, भविष्य निधि, सेवानुदान आदि सुविधा का उपयोग करते हैं।
  6. कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर पेंशन भी मिलता है।

असंगठित क्षेत्रक-

  1. ये क्षेत्रक अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होते
  2. ये सरकारी नियमों व विनियमों का पालन नहीं करते हैं।
  3. रोजगार की अविध अनियमित होती है तथा रोजगार में भारी अनिश्चितता है।
  4. इस क्षेत्रक में लोगों को रोजगार सुरक्षा का कोई आश्वासन नहीं होता है।
  5. यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी आदि का प्रावधान नहीं होता है।
  6. सेवानिवृत्ति होने पर पेंशन आदि सुविधाओं का प्रावधान नहीं होता है।

प्रश्न 17.
रा. ग्रा. रो. गा. अ. 2005 (MGNREGA 2005) के उपेश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005 का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है-
(क) सभी सक्षम लोगों को जिन्हें काम की जरूरत है, उन्हें सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन रोजगार की गारंटी देना।
(ख) यदि सरकार रोजगार उपलब्ध न करा पाए तो लोगों को बेरोगारी भत्ता देना।
(ग) उन कामों को वरीयता देना, जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिले।

प्रश्न 18.
अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कायोच्चद्व की तुलना तथा वैषम्य कीजिए।
उत्तर-
निजी क्षेत्र के उद्यम

  1. निजी क्षेत्र के उद्यमों को चाले का दायित्व किसी एक व्यक्तियों के समूह पर होता है।
  2. इस प्रकार के उद्यमों का स्वामित्व एक व्यक्ति या अलग-अलग व्यक्तियों के समूह के पास होता है।
  3. इस प्रकार के उद्यमों का उद्देश्य निजी लाभ प्राप्त करना है।
  4. इस प्रकार के उद्यम पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधि त्व करते हैं।
  5. हिन्दुस्तान लीवर, बजाज, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड आदि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम

  1. इस प्रकार के उद्यमों को चलाने का दायित्व सरकार पर होता है।
  2. इस प्रकार के उद्यमों का स्वामित्व सरकार या राज्य के पास होता है।
  3. इस प्रकार के उद्यमों का उद्देश्य जनता के हितों की पूर्ति करना है।
  4. इस प्रकार के उद्यम सार्वजनिक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  5. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, आई. सी., डी.. टी. सी. आदि इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 19.
अपने क्षेत्र से एक-एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 12
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 13

प्रश्न 20.
सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन क्यों किया जाता
उत्तर-
(क) रेलवे, डाकघर और इन्डियन ऑयल कारपोरेशन आदि सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियाँ है।
(ख) आधुनिक युग में सरकारें सभी तरह की गतिविधि यों पर व्यय करती है। कई वस्तुएँ और सेवाएँ ऐसी होती हैं जिनकी आवश्यकता समाज के सभी सदस्यों को होती है। लेकिन निजी क्षेत्रक उचित मूल्य पर उपलब्ध नहीं करा पाते हैं।
(ख) इनमें से कुछ चीजों पर बहुत अधिक व्यय करना होता है, जो निजी क्षेत्रक की क्षमता से बाहर होती है।
(ग) इन वस्तुओं को खरीदने की क्षमता भी कई लोगों के पास नहीं होती है।
(घ) फिर यदि वे इन चीजों को उपलब्ध कराते हैं तो इसकी ऊंची कीमत वसूलते हैं। जैसे, सड़कों, पुलों, पत्तनों, बिजली आदि का निर्माण और बाँध आदि से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना।
(ङ) इसीलिए सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है। और सभी लोगों के लिए इन सुविधाओं को सुरक्षित करती है।

प्रश्न 21.
व्याख्या कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर-
सार्वजनिक क्षेत्रक में अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी संवाएँ उपलब्ध कराती है। किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। आधुनिक सरकारें सभी तरह की गतिविधियों पर खर्च करती है। कुछ कार्य ऐसे हाते हैं जिन पर बहुत अधिक खर्च आता है। जैसे सड़कों, पुलों,
रेलवे, पत्तनों, बिजली आदि का निर्माण। इतना व्यय करना निजी क्षेत्रक की क्षमता से बाहर होता है। इसलिए सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है। कुछ ऐसी गतिविधियाँ होती हैं, जिन्हें सरकारी समर्थन की जरूरत होती है। जैसे-उत्पादन मूल्य पर बिजली की बिक्री से औधोगिक उत्पादन लागत बढ़ सकती हे हो सकता है। कि कई लघु इाकइयाँ बंद हो जाएँ। ऐसी
स्थिति में सरकार उस दर पर बिजली उत्पादन ओर वितरण के लिए कदम उठाती है जिस पर ये उद्योग बिजली खरीद सकते हैं। सरकार लागत का कुछ अंश वहन करती है। इसी तरह, सरकार किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए उनसे गेहूँ और चावल खरीदती है। और अपने गोदामों में भण्डारित करती है। इसके बाद राशन-दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर बेचती है। इस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्रक देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान करता हैं

प्रश्न 22.
असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुपों पर संरक्षण की आवश्यकता है-मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को जमदूरी, सूरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संरक्षण की आवाश्यकता है। इसके निम्नलिखित करण हैं
मजदूरी-
(क) अतिरिक्त घंटे के लिए भुगतान के बिना ही दिन में 12 घंटों से भी अधिक काम करता पड़ता है।
(ख) उन्हें दैनिक मजदूरी के अतिरिक्त कोई अन्य भत्ता नहीं मिलता है।
(ग) उनहें रोजगार सुरक्षा प्राप्त नहीं होता है।
(घ) रोजगार में मजदूरी बहुत कम मिलती है।

सुरक्षा-चूंकि वे सामान्यतः ईट भट्ठी, खदान, पटाखे फैक्टरी जैसे कई जोखिम भेर उद्योगों में काम करते हैं, इसलिए उन्हें सरंक्षण की अति आवश्यकता है।

स्वारथ्य-उन्हें पौष्टिक भोजन नहीं मिलपाता है। परिणामस्वरूप, उनकी स्वारथ्य स्थिति बहुत कमजोर होती है अत: उनहें संरक्षण की सख्त आवश्यकता हैं

प्रश्न 23.
अहमदाबाद में किए गए एक अमययन में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे।
वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी इसमें से 320 करोड़ रुपए संगठित क्षेत्रक से बाप्त होती थी। इस आ!कड़े को तालिका में बदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार-सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर-
सारणी 1997-98 में अहमदाबाद में संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में आय एवं रोजगार
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 14
नगर में और अधिक रोजगार-सृजन के लिए निम्न तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए
(क) शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुख बनाया जाना चाहिए।
(ख) सरकार को लघु एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करनी चाहिए।
(ग) सरकार को कम बयाज दरों एवं आसान शर्तो पर ऋण उपलब्ध करानी चाहिए जिससे लोग अपना व्यवसाय प्रारंभ कर सकें।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) रुपए (करोड़) में दिया गया है-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 15
(क) वर्ष 1950 एवं 2000 के लिए जी.डी.पी. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
(ख) इन आँकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष बाप्त करते है?
उत्तर-
(क) निम्न तालिका वर्ष 1950 एवं 2000 के लिए जी.डी.पी. में तीन क्षेत्रकों की हिस्सेदारी को दर्शाता है-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 16

(ग) जी.डी.पी. में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कम हुई है जबकि इसमें द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रकों की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

HBSE 10th Class Economics विकास Textbook Questions and Answers

पाठगत-प्रश्नोत्तर

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 6)

प्रश्न 1.
अलग-अलग लोगों की विकास की ध परणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
उत्तर-
(क) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
क्योंकि लोग उन्हीं वस्तुओं को चाहते हैं जो उनके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं।

प्रश्न 2.
क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
उत्तर-
उपरोक्त दोनों कथनों के अर्थ भिन्न हैं। इसे निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
शहरी अमीर परिवार का लड़का अच्छी शिक्षा और निवेश के लिए पूँजी चाहता है। दूसरी ओर, नर्मदा घाटी का आदिवासी
पुनर्वास और नियमित कार्य चाहता है। ये विकास के लक्ष्य भिन्न अवश्य हैं, परन्तु परस्पर विरोधी नहीं हैं।

प्रश्न 3.
कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू
उत्तर-
निम्नलिखित स्थितियों में आय के अतिरिक्त कुछ और कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू होते हैं
(क) ग्रामीण महिला के लिए लिंग समानता, आय की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। __(ख) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सामाजिक समानता, सम्मान, आय से अधिक महत्त्वपूर्ण
(ग) अनियत श्रमिकों के लिए रोजगार सुरक्षा, आय से अधिक महत्त्वपूर्ण कारक है।

प्रश्न 4.
ऊपर दिये गए खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर-
आय और अन्य लक्ष्य खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचार निम्नलिखित है
(क) लोग नियमित कार्य, बेहतर मजदूरी और अपने उत्पादों के लिए अच्छी कीमतों द्वारा अधिक आय चहाते हैं।
(ख) आय के अतिरिक्त भी लोगों के अन्य विकास लक्ष्य होते हैं जैसे, समाज में बराबरी, स्वतंत्रता, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आत्म-सम्मान आदि।
(ग) यदि महिलाएँ वेतनभोगी कार्य करती हैं तो घर और समाज में उनका आदर बढ़ता है।
(घ) एक सुरक्षित वातावरण के कारण ज्यादा महिलाएँ विभिन्न प्रकार की नौकरियाँ या व्यापार कर सकती हैं।

आओ-इन विचार करें (पृष्ठ संख्या 7)

निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए

प्रश्न 1.
दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर-
इस प्रकार के क्षेत्र के लिए विकासात्मक लक्ष्य निम्नलिखित होने चाहिए
(क) झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए पकके घर बनाए जाने चाहिए।
(ख) उनके लिए जल आपूर्ति और सफाई सुविधाओं का उचित प्रबन्ध।
(ग) नियमित कार्य और बेहतर मजदूरी के माध्यम से उनकी आय में वृद्धि।
(घ) उनके बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
इस अखबार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उनर दीजिए।
एक जहाज ने 500 टन तरल जहरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़े घर और आसपास के समुद्र में डाल दिए। यह अफ्रीका देश के आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ। इन ख़तरनाक जहरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें की। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 अस्पताल में भरती हुए और विषाक्तता के कारण 26, 000 लोगों का इलाज किया गया।
पेट्रोल और धातुओं से संबंधित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कंपनी को अपने _जहाज़ से जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किन को नहीं?
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर-
(क) स्थानीय कंपनी मालिक और बहुराष्ट्रीय कंपनी को इससे लाभ हुआ जबकि आइवरी कोस्ट, अफ्रीका के आबिदजान शहर के बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को इस कार्य से हानि हुई।
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य औद्योगिक कचरों की उचित निकासी और जन-सामान्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविध होनी चाहिए।

प्रश्न 3.
आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर-
हमारे गाँव के विकास के लक्ष्य निम्न होने चाहिए
(क) रोजगार के अवसर।
(ख) स्थानीय विद्यालयों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था।
(ग) गरीब परिवारों के लिए पक्के घर।
(घ) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और अस्पताल।

कार्यकलाप 1

यदि विकास की धारणा में ही भिन्नता और परस्पर विरोध हो सकता है, तो निश्चित रूप से विकास के तरीकों में भी भिन्नता हो सकती है। अगर आप ऐसे किसी विवाद से परिचित हैं, तो आप विभिन्न व्यक्तियों के तर्क जानने का प्रयास कीजिए। यह आप लोगों से बातचीत करके या अख़बारों और टेलीविजन के मामयम से जान सकते हैं।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न
तालिका 1.2 में दिए आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निकालिए। (पृष्ठ संख्या 9)
(क) क्या आप इन दोनों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे?
(ख) क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं?
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 1

(क) नहीं, हमें दोनों देशों में रहने में बराबर खुशी नहीं होगी। इसका कारण कि देश ख में आय का वितरण समान
नहीं है।
(ख) नहीं, दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। देश क में
नागरिकों में आया क वितरण समान है। दूसरी ओर, देश ख में 5 में से 4 नागरिक गरीब है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 9)

प्रश्न 1.
तीन उदाहरण दीजिए, जहाँ स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
निम्न स्थितियों की तुलना के लिए औसत का इस्तेमाल किया जाता है
(क) क्रिकेट खिलाड़ियों के उपलब्धिों की तुलना के लिए।
(ख) अनियत श्रमिकों की आय की तुलना के लिए।
(ग) किसी परीक्षा में छात्रों की उपलब्धियों की तुलना के लिए।

प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
विभिन्न देशों की जनसंख्या भिन्न-भिन्न होती है, इसलिए. कुल आय की तुलना करने में हमें यह पता नहीं चलता कि औसत व्यक्ति कितना कमा रहा है। यह औसत आय से ही जाना जा सकता है।

प्रश्न 3.
प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, । आय के कौन से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखते हैं?
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय के आकार के अतिरिक्त, आय का समान वितरण दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखते हैं।

प्रश्न 4.
मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर-
समय के साथ किसी देश की औसत आय में वृद्धि का यह अर्थ नहीं होता है कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं। जेसे भारत की औसत आय कुछ विशेष वर्षों को छोड़कर स्वतंत्रता के बाद से निरन्तर बढ़ रही है। परन्तु देश की कुल आय में कृषि का योगदान निरन्तर घट रहा है।

प्रश्न 5.
विश्व विकास रिपोर्ट 2012 के अनुसार निम्न-आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार मध्य आय देशों की प्रति व्यक्ति आय आधार वर्ष के रूप में 2004 में 37,000 रुपये से 453,000 रुपये के बीच है।

प्रश्न 6.
एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए क्या करना या प्राप्त करना चाहिए?
उत्तर-
एक विकसित देश बनने के लिए भारत को अपनी जी.डी.पी. में वृद्धि दर बढ़ानी चाहिए। कृशि एवं लघु उद्योगों के विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत हैं।
भारत की कुल श्रम-शक्ति का 60% से भी अधिक भाग कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है, जो भारतीय सकल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल 27% का योगदान देता हैं वैश्वीकरण की प्रक्रिया में इस क्षेत्र की उपेक्षा के कारण इस क्षेत्र की वृद्धि दर में गिरावट आई है। अतः यह जरूरी है कि किसानों को कृषि आगतों,
प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन आदि सुविधाएँ प्रदान कर इस क्षेत्र की वृद्धि दर को बढ़ाया जाय।।
हमारी कुल श्रम-शक्ति का लगभग 16% भाग उद्योग क्षेत्र में है, जो भारत के जी.डी.पी. में लगभग 25% का ही योगदान देता हैं अतः हमें बुनियादी सरंचना, उत्पादन की श्रम-गहन तकनीक, प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन सुविधाओं में विस्तार करना चाहिए।

आओ-इन पर विचार करे (पृष्ठ संख्या 12)

प्रश्र 1.
तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए। क्या हरियाणा केरल से साक्षरता दर आदि में उतना ही आगे है जितना कि प्रतिव्यक्ति आय के विषय में?
तालिका 1.3 चयनित राज्यों की प्रति-व्यक्ति आय
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 2

तालिका 1.4 हरियाणा, केरल और बिहार के कुछ तुलनात्मक आँकड़

HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 3
उत्तर-
नहीं, हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय बिहार की प्रति व्यक्ति आय से लगभग पाँच गुणा अधिक हैं परन्तु हरियाण की साक्षरता दर (82%) बिहार की साक्षरता दर (62%) से लगभग डेढ़ गुण ही अधिक है।

प्रश्न 2.
ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है।
उत्तर-
(क) अस्पताल-सामूहिक या सार्वजनिक असपताल निश्चय ही अधिक सस्ता और बेहतर है, क्योंकि प्रत्येक परिवार के लिए घर पर ये सुविधाएँ रखना संभव नहीं है।
(ख) बिजली-राज्य विद्युत बोर्ड से बिजली प्राप्त करना धार में जेनरेअर रखने से अधिक सस्ता है।
(ग) पानी-घरों में जल बोर्ड द्वारा पानी सप्लाई सस्ता है।

प्रश्न 3.
अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के लिए किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है? अन्य कौन से कारक प्रासांगिक हो सकते हैं?
उत्तर-यद्यपि अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धाता इन सुविधाओं पर सरकार द्वारा व्यय की गई मुद्रा की रकम पर अत्यधिक निर्भर करती है, परन्तु यह केवल इसी कारक पर निर्भर नहीं करती है। अन्य महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलितखत है-
(क) इन सुविधाओं के प्रति सरकार का समर्पण
(ख) इन क्षेत्रों में निजी सहभागिता
(ग) स्वास्थ्य और शिक्षा प्रति जनजागरण।

प्रश्न 4.
तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 90 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल 35 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं। कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों?
उत्तर-
तमिलनाडु के लोग बेहतर स्थिति में होंगे। इसका कारण है कि यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों के 75% लोग राशन की दुकानों का इस्तेमाल करते हैं। ये लोग राशन की दुकानों से खाद्यान्न, चीनी, मिट्टी का तेल आदि बाजार की कीमत से कम कीमत पर प्राप्त कर सकते हैं, राशन कार्ड के साथ कोई भी परिवार प्रत्येक महीना राशन की दुकान से इइ वस्तुओं की एक निध रित मात्रा खरीद सकता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली दुकान या राशन की दुकान कम कीमतों पर गरीब उपभोक्ताओं को खाद्यान्न उपलब्ध कराने और कीमत स्थिर रखने में सरकारी नीति का सार्वधिक प्रभावी उपकरण साबित हुआ है।

कार्यकलाप 2

तालिका 1.5 को मयान से अमययन कीजिए और निम्न अनुच्छेदों में रिक्त स्थानों को भरिए। हो सकता है इसके लिए आपको तालिका के आधार पर कुछ गणना करनी पड़े।
तालिका 1.5 उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनसंख की शैक्षिक उपलब्धि श्रेणी
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 4
उत्तर-
(क) सभी आयु वर्गों की साक्षरता दर, जिसमें युवक और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं, ग्रामीण. पुरुषों के लिए 52% थी और ग्रामीण महिलाओं के लिए 19% थी। यही नहीं कि बहुत से वयस्क स्कूल ही नहीं जा पाए। 52.5% इस समय स्कूल में नहीं हैं।
(ख) 69% प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और 36% प्रतिशत ग्रामीण लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसलिए, 10 से 14 की आयु के बच्चों में से 61% प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और 32% प्रतिशत ग्रामीण लड़के निरक्षर हैं। . (ग) हमारी स्वतंत्रता के 68 वर्षों के बाद भी, 10-14
आयु के वर्ग में इस उच्च स्तर की निरक्षरता बहुत चिंताजनक है। बहुत से अन्य राज्यों में भी 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैध निक लक्ष्य के निकट भी नहीं पहुँच पाए हैं, जबकि इस लक्ष्य को 1960 तक पूरा करना था।

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है-
उत्तर-
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
उत्तर-
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(ग) नेपाल
(घ) पाकिस्तान

प्रश्न 3.
मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5, 000 रुपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय व्मशः 4, 000, 7, 000 और 3, 000 रुपये हैं, तो चौथे परिवार की आय क्या
उत्तर-
(क) 7, 500 रुपये
(ख) 3, 000 रुपये
(ग) 2, 000 रुपये
(घ) 6, 000 रुपये

प्रश्न 4.
विश्व बैंक विभिन्न वगोछद्व का वर्गीकरण करने के लिये किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाए! क्या हैं?
उत्तर-
(क) विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति अप जिसे औसत आय भी कहते हैं, को प्रमुख मापदण्ड के रूप इस्तेमाल करता है।
(ख) इस मापदण्ड की एक सीमा यह है कि हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है परंतु इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।

प्रश्न 5.
विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर-
(क) यू. एन. डी. पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक, स्वास्थ्य स्तर एवं प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है।
(ख) जबकि विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 में, देशों का वर्गीकरण करने में प्रति व्यक्ति आय आ औसत आय का इस्तेमाल किया गया है।

प्रश्न 6.
हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाए! हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) विभिन्न देशों के बीच तुलना के लिए कुल आय को अच्छा मापदण्ड नहीं माना जाता है। क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है। अतः कुल आय की तुलना करने से यह पता नहीं चल पाता है कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है। इससे यह भी पता नहीं चल पाता है कि क्या एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से बेहतर परिस्थिति में हैं?
(ख) इसलिए औसत का प्रयोग किया जाता है, जिससे तुलना करने में आसानी होती है।
औसत आय = राष्ट्रीय आय
कुल जनसंख्या
(ग) औसतें तुलना के दृष्टिकोण से उपयोगी है, इससे असमानताएँ छुप जाती हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिये देश A और B में पाँच-पाँच निवासी रहते हैं जिनकी मासिक औसत आय निम्नलिखित तालिका के अनुसार है।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 5

इस तालिका से स्पष्ट है कि दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। यदि हमें इन दो देशों में से किसी एक देश में रहने को कहा जाय तो हममें से कुछ लोग B देश में रहना पसंद करेंगे यदि हमें यह आश्वासन मिले कि हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। मगर यदि हमारी नागरिकता लॉटरी द्वारा निश्चित हो तो ज्यादातर लोग A देश में रहना चाहेंगे क्योंकि हालाँकि दोनों देशों की औसत आय लगभग एक समान है परंतु A देश के लोग न तो बहुत हमीर हैं न ही बहुत गरीब, पर B देश के हर पाँच नागरिक में सिर्फ एक अमीर है जबकि अन्य चार गरीब हैं।
(घ) हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।

प्रश्न 7.
प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
प्रतिव्यक्ति आय विकास के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मापदंडों में से एक है। क्योंकि अर्थिक आय से अधिक से मात्रा में भौतिक वस्तुएँ उपलब्ध हो सकती हैं। विकास के मापदंड के रूप में प्रतिव्यक्ति आय का प्रयोग विश्व बैंक द्वारा भी किया जाता है। अतः यह कहना उचित नहीं है कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापंदड नहीं है। परंतु इस मापंदड की निम्नलिखित सीमाएँ हैं
(क) प्रति व्यक्ति आय और मानव-विकास क्रमांक का अंर्तसंबंध किसी समरूपता का परिचायक नहीं है।
(ख) मुद्रा की सहायता से अच्छे जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ एवं सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकती। जैसे-मृद्रा हमारे लिए प्रदूषण मुक्त पर्यावरण नहीं खरीद सकता है।
(ग) आय स्वयं में उन सेवाओं और वस्तुओं का पर्याप्त सूचक नहीं है जो लोग प्रयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन पेतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर-
(क) परंपरागत स्त्रोत : (i) प्राकृतिक गैस, (ii) पेट्रोलियम, (iii) बिजली, (iv) कोयला
(ख) गैर-परंपरागत स्त्रोत : (i) पवन उर्जा, (ii) ज्वारीय उर्जा, (iii) सौर उर्जा, (iv) बायो गैस
ऐसी संभावना है कि अब से 50 पश्चात् भारत में उर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोतों को अधिकाधिक उपयोग हो रहा होगा। क्योंकि उर्जा के परंपरागत स्त्रोतों स्टॉक सीमित है।

प्रश्न 9.
धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महन्वपूर्ण है?
उत्तर-
धारणीयता वह विकास है जो वर्तमान में पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना होना चाहिए। इस क्रम में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
निम्नलिखित कारणों से धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है
(क) प्राकृतिक संसाधनों जैसे, कोयला, कच्चा तेल आदि का भंडार सीमित है।
इनके खत्म हो जाने पर भविष्य में विश्व में सभी देशों व विकास खतरे में पड़ सकती है।
(ख) कोयला, कच्चा तेल, खनिज पदार्थ आदि विकास के लिए आवश्यक है परंतु ये हमारे वातावरण को प्रदूषित करते है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

प्रश्न 10.
धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
यह सत्य है कि पृथ्वी के पास सब लोगों की जरूरतें पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन एक भी
व्यक्ति के लोभ को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। धरती के भीतर लौह खनिज जैसे-लौह आयस्क, मैंगनीज आयस्क, क्रोमाइट, पाइराइट, टंगस्टन, निकिल, कोबाल्ट; अलौह खनिज जैसे-सोना, चाँदी, सीसा, टिन, बॉक्साइट, मैग्नीशियम आदि तथा अधात्विक खनिज जैसे-पोटाश, अभ्रक, कोयला, जिप्सम, पेट्रोलियम आदि का भंडार है। इसके साथ प्रकृति ने हवा, पानी जंगल, विभिन्न प्रकार के जीव जंतु आदि उपलब्ध कराए हैं। इन सभी संसाधनों का उपयोगकर्ता मानव मात्र हैं। इन संसाधनों के सदुपयोग से मानव जीवन सुखी बन सकता है।

परंतु अपने लोभ के कारण मनुष्य प्रकृति के विनाश पर आमादा है। कई प्राकृतिक संसाधन नाशवान होते हैं। चूँकि ऐसे संसाधन एक बार उपयोग के बाद पुन: उपयोग में नहीं आ सकते अतः इनके समुचित प्रबंधन तथा संरक्षण की अतीव आवश्यकता है, जिससे उनका उपयोग लंबे समय तक किया जा सके। लेकिन वास्तविकता यह है कि अत्यधिक लाभ के लिए इन संसाधनों का दोहन इस तरह किया जा रहा है कि इनका भंडार तो खत्म हो ही रहा है साथ ही पर्यावरण संतुलन को भी खतरा उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 11.
पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आस-पास देखे हों।
उत्तर-

(i) पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और जंगलों का विनाश।
(ii) शहर की गंदगी नदी में फेंकने के कारण नदी का जल प्रदूषण।
(iii) घर का कूड़ा इधर-उधर फेंकने के कारण गंदगी __ और बीमारियों के फैलने का खतरा।
(iv) फैक्टरियों के चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वायु प्रदूषण।

प्रश्न 12.
तालिका 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे। पर है और कौन-सा सबसे नीचे।
उत्तर-
(i) प्रतिव्यक्ति आय (अमरीकी डॉलर में)
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (4, 390)
b. सबसे नीचा-मयनमार (1, 027)
(ii) जन्म के समय संभावित आयु
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (74 वर्ष)
b. सबसे नीचा-मयनमार (61 वर्ष)
(iii) साक्षारता दर 15+ वर्ष की जनसंख्या के लिए
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (91)
b. सबसे नीचा-बांग्लादेश (41)
(iv) तीन स्तरों के लिए सकल नामांकत अनुपात
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (69%)
b. सबसे नीचा-पाकिस्तान (35%)
(v) विश्व में मानव विकास सूचकांक का क्रंमाक
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (93)
b. सबसे नीचा-मयनमार (138)।

प्रश्न 13.
नीचे दी गई तालिका में भारत में अल्प-पोषित व्यस्कों के अनुपात को दिखाया गया है। यह वर्ष 2001 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिये।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 6

(क) उपरोक्त आँकड़ों के आधार पर केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
अपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि केरल में पुरुष वर्ग में 22 लोग कुपोषित थे जबकि मध्यप्रदेश में यही संख्या 43 थी अर्थात् केरल की अपेक्षा लगभग दो गुना। इसी प्रकार महिला वर्ग में केरल में 19 महिलाएँ कुपोषित थीं जबकि मध्य प्रदेश में 42 महिलाएँ कुपोषित थीं। अर्थात् दो गुना से भी ज्यादा।

(ख) क्या आप अन्दाजा लगा सकते हैं कि देश के 40 प्रतिशत लोग अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर-
1970 के दशक में खाद्य सुरक्षा का अर्थ था-‘आध रिक खाद्य पदार्थों की सदैव पर्याप्त उपलब्धता’। अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा में एक नया आयाम जोड़ा और हकदारियों के आध र पर खाद्य तक पहुँच पर जोर दिया। हकदारियों का अभिप्राय राज्य का सामाजिक रूप से उपलब्ध कराई गई अन्य पूर्तियों के साथ-साथ उन वस्तुओं से है, जिनका उत्पादन और विनिमय बाजार में किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। तदनुसार, खाद्य सुरक्षा के अथ्र में काफी परिवर्तन हुआ है। विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन, 1995 में यह घोषणा की गई कि ‘वैयक्तिक, पारिवारिक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथ वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा का अस्तित्व तभी है, तब सक्रिय और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आहार संबंधी जरूरतों और खाद्य पदार्थो को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्य तक सभी लोगों की भौतिक एवं आर्थिक पहुँच सदैव हो।’ इसके अतिरिक्त घोषणा में यह भी स्वीकार किया गया कि “खाद्य तक पहुँच बढ़ाने में निर्धनता का उन्मूलन किया जाना परमावश्यक है।”

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

HBSE 10th Class Civics लोकतंत्र की चुनौतियाँ Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
इनमें से प्रत्येक कार्टून लोकतंत्र की एक चुनौती को देखता है। बताएं कि वह चुनौती क्या है? यह भी बताएं कि इस अध्याय में चुनौतियाँ की जो तीन श्रेणियाँ बताइ गई हैं, यह उनमें से किस श्रेणी की चुनौती है।
उत्तर-
(i) मुबारक फिर चुने गए
यह कार्टून चुनावों में सशक्त लोगों के प्रस्ताव को व्यक्त करता है। अनेक देशों में लोकतंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। यह तीसरी प्रकार की चुनौती है:
लोकतात्रिक संस्थाओं को मजबूत करना।

(ii) लोकतंत्र पर नजर
यह कार्टून इस तथ्य पर जोर देता है कि ऐसे क्षेत्रों में जहाँ लोकतंत्र है ही नहीं, वहाँ लोकतंत्र को बुनियादी रूप से शुरू करने की जरूरत है। यह पहली प्रकार की चुनौती हैः
बुनियादी लोकतंत्रिक व्यवस्थाओं को आरंभ करना, जहाँ लोकतंत्र नहीं है।

(iii) उदारवादी लैंगिक समानता
यह कार्टून इस तथ्य पर जोर देता है कि लोकतंत्र के दायरे में महिलाओं की भागीदारी को सम्मिलित करने की जरूरत है। यह दूसरी प्रकार की चुनौती है।
लोकतंत्र का प्रसार लोकतांत्रिक संस्थाओं में अनेकों समूहों व महिलाओं के योगदान पर बल देना।

(iv) चुनाव अभियान का पैसा की भूमिका
यह कार्टून स्पष्ट करता है कि लोकतंत्र में चुनावों के दौरान धन का कितना अधिक महत्त्व होता है। अमीर व सशक्त व्यक्ति चुनावों में पैसा लगाकर अपने समर्थन के लोगों को निर्णय-निर्माण की स्थिति में ले आते हैं। यह तीसरी प्रकार की चुनौती है :
लोकतंत्र में किसी वर्ग विशेष का प्रभाव नहीं होना चाहिए। इससे लोकतंत्र कमजोर पड़ता है।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र की अपनी यात्रा के सभी महत्त्वपूर्ण पड़ावों पर लौटने से हम हमारी यादें ताज़ा कर सकते हैं तथा उन पड़ावों पर लोकतंत्र के समाने वाली कौन-सी चुनौतियाँ देखते हैं?
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 1
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 2
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 3
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 4

प्रश्न 3.
अब जबकि आपने इन सभी चुनौतियों को लिख डाला है तो आइए इन्हें कछ बड़ी श्रेणियों में डालें नीचे लोकतांत्रिक राजनीति में कुछ दायरों को खानों में रखा गया है। पिछले खंड में एक या एक से अधिक देशों में आपने कुछ चुनौतियाँ लक्ष्य की थी। कुछ कार्टूनों में भी आपने इन्हें देखा। आप चाहे तो नीचे दिए गए खानों के समाने मेल का ध्यान रखते हुए इन चुनौतियों को लिख सकते हैं। इनके अलावा भारत में भी इन खानों में भी दिए जाने वाले एक-एक उदाहरण दर्ज करें। अगर आपको कोई चुनौती इन खानों में फिट बैठती नहीं लगती तो आप नयी श्रेणियाँ बनाकर उनमें इन मुद्दों को रख सकते हैं।
उत्तर:
संवैधानिक बनावट
घाना : नए संविधान की आवश्यकता हैं
म्यांमार : लोकतांत्रिक की बहाली के लिए नया संविधान बनाया जाए।? सऊदी अरब : लोकतंत्र की स्थापना व समान अधिकार
भारत : संविधान का समय-समय पर मूल्यांकन।

लोकतांत्रिक अधिकार
दक्षिणी अफ्रीका : संविधान को लागू करके लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रयोजन
चीली : कभी देशों से बाहर निकाले गए दलों की वापसी हो।
म्यांमार : सू को छोड़ा जाए।
भारत : महिलाओं के लिए केन्द्र व राज्यों में 33% आरक्षण की व्यवस्था।

संस्थाओं का काम काज
चीली : नागरिक नियंत्रण में वृद्धि
घानाः कार्यपालिका अध्यक्ष का नियमित व सामाजिक चुनाव व प्रभावकारी संस्थाओं की व्यवस्था।
भारत : राजकीय संस्थाओं में भ्रष्टाचार उन्मूलन के प्रयास किए जाएं।

चुनाव
पोलैंड : राजनीतिक दलों के दायरे में सामान्य चुनाव हो।
म्यांमार : बहुदलीय व्यवस्थाओं के दायरे में चुनाव कराए जाएं।
भारत : निपष्क्ष, नियमित, स्वतंत्र, सामायिक चुनाव।
पाकिस्तान : लोकतंत्र को बहाली के आम चुनाव हों।
इराक : बहुदलीय व्यवस्था का प्रयोजन व चुनाव

संघवाद विकेंद्रीकरण
घाना : संघीय सिद्धांतों का प्रयोजन व उनका सूचार कार्य संचालन
भारत : केन्द्र-राज्य संबंधों का सामाजिक मूल्यांकन तथा सूभावित सुझावों का कार्यरूप हो।

विविधता को समेटना
इराक, श्रीलंका, सऊदी अरब, यूगोस्लाविया, नेपाल आदि देशों में सामाजिक विविधताओं में परस्पर तालमेल हो। भारतः विभिन्न सामाजिक वर्गों के उत्थान के प्रयास किए जाएँ।

राजनीतिक संगठन
म्यांमार : में सामाजिक संगठनों को दल बनाने की अनुमति हो; नेपाल में संविधान सभा का निर्माण हो;
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के महत्त्व का सम्मान हो।

कोई अन्य श्रेणी सामाजिक व आर्थिक विकास
भारत : सामाजिक संगठनों का भ्रष्टाचार नेताओं पर नियंत्रण हो। विभिन्न देशों में आर्थिक-सामाजिक विकास हेतु योजनाएं बनायी जाएं लोकतंत्रा की सफलता के लिए सामाजिक-आर्थिक नींव मजबूत होनी चाहिए। भारत के आधुनिकीकरण हेतु आर्थिक विकास पर जोर तथा सामाजिक तालमेल के महत्त्व पर बल दिया जाए। राष्ट्रीय एकता व अखण्डता किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सशक्त बनाती है। किसी देश में इनकी चुनौतियां गंभीर हो सकती है। अतः सभी देशों में सद्भावना, सहनशीलता
परस्पर संबंध आदि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

कोई अन्य श्रेणी राष्ट्रीय एकता
भारत : एकता व अखंडता विकास की पूंजी है।

प्रश्न 4.
इन श्रेणियों का नया वर्गीकरण करें। इन बार इसके लिए हम उन मानकों को आधार बनाएंगे जिनकी चर्चा अध्याय के पहले हिस्से में हुई है। इन सभी श्रेणियों के लिए कम-से-कम एक उदाहरण भारत से भी खोजे।
उत्तर-
आधार तैयार करने की चुनौतियाँ – म्यांमार, सऊदी अरब तथा अन्य उन सभी देशों में जहाँ लोकतंत्र नहीं है, वहां लोकतंत्र की स्थापना के लिए बुनियादी वातावरण बनया जाए। पाकिस्तान में लोकतंत्र की
बहाली हो।
विस्तार की चुनौती – आयरलैण्ड, इराक, श्रीलंका, मैक्सिकों, इन जैसे अन्य देशों में लोकतंत्र के विस्तार हेतु बाधाएं दूर करायी जाएं तथा उसके विस्तार के लिए अधिकाधिक लोगों व समूहों को लोकतंत्र में सम्मिलित किया जाए।
लोकतंत्र को गहराई तक मजबूत बनाने की चुनौती –
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में लोकतंत्र के संचालन में पैसे, जोर-जबदस्ती, अपराधीकरणर आदि को रोका जाए। भारत में लोकतंत्र के संचालन के लिए संस्थात्मक बाधाएं व स्वच्छ शासन दिए जाने के प्रभाव हैं।

आइए, अब सिर्फ भारत के बारे में विचार करें। समकालीन भारत के लोकतंत्र के सामने मौजूद चुनौतियों पर गौर करें। इनमें से उन पाँच की सूची बनाइए जिन पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए। यह सूची प्राथमिकता को भी बताने वाली होनी चाहिए यानी आप जिस चुनौती को सबसे महत्त्वपूर्ण और भारी मानते हैं उसे सबसे ऊपर रखें। शेष को इसी फ्रम से बाद में। ऐसी चुनौती का एक उदाहरण दें और बताएं कि आपकी प्राथमिकता में उसे कोई खास जगह क्यों दी गई है।
उत्तर-
im

प्रश्न 5.
अच्छे लोकतंत्र को परिभाषित करने के लिए अपना मत दीजिए। (अपना नाम लिखें) क, ख, ग, की अच्छे लोकतंत्र की परिभाषा (अधिकतम 50 शब्दों में)
उत्तर-
लोकतंत्र शासन का वह रूप है जहाँ समस्त शासन की नींव लोगों की सहमति पर आधारित होती है, लोग सरकार बनाते हैं, लोग सरकार चलाते हैं। तथा सरकार भी लोगों के हित में काम करती है। लोकतंत्र शासन के रूप में अतिरिक्त एक स्वच्छ सामाजिक व्यवस्था है जहाँ सब वर्ग सद्भावना व सहयोग से एक-दूसरे के साथ रहते हुए सामुदायिक एकता को मजबूत बनाते हैं। विशेषाताएँ [सिर्फ बिंदुवार लिखें। जितने बिंदु आप बताना चाहें उतने बता सकते हैं। इसे कम-से-कम बिंदुओं में निपटने का प्रयास करें।]

  1. समानता लोकतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है: लोगों का एक समान समझा जाना।
  2. स्वतंत्रता समानता के साथ मिल एक लोकतांत्रिक समाज बनती है। इस से अभिप्राय है : सरकार तक अपनी बात कहने की छूट।
  3. कल्याणकारिता लोकतंत्र की एक अन्य विशेषता है: लोकतांत्रिक सरकार सर्वहित व सर्वकल्याण हेतु शासन करती है।
  4. बन्धुत्व वह भाव है जो लोकतंत्र को सीमेंट प्रदान करता है। लोगों में एकता अखण्डता, सामंजस्य, सहनशीलता सहयोग।
  5. जनसहमति, जनमत, जागृति-लोकतांत्रिक की अन्य विशेषताएं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

HBSE 10th Class Civics लोकतंत्र के परिणाम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर-
लोकतंत्र सरकार का उत्तरदायी, जिम्मेवार तथा वैध सरकार का गठन करता है। ऐसी व्यवस्था में शासन शासित लोगों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा बनायी जाती है। यह निर्वाचित प्रतिनिधि अपने कार्यों के लिए लोगों के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस प्रकार लोकतंत्र में उत्तरदायी सरकार का गठन होता है। लोकतंत्र में शासन करने वाले शासन कार्यों को करते हुए अपनी जिम्मेवारी को समझते हैं। शासन करने वाले अन्य विचार रखने वाले लोगों के दृष्टिकोण को भी वजन देते हैं; अल्पसंख्यकों के हितों की अनदेखी नहीं करते; किए गए निर्णयों में सम्मति बाने का प्रयास करते हैं। लोकतंत्र में बनी सरकार इस दृष्टि से वैध होती है क्योंकि इसका गठन लोगों की सहमति पर होता है तथा लोगों के कल्याण में शासन चलाया जाता है।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र किन परिस्थितियों में सामाजिक विविधता को सफलता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है?
उत्तर-
लोकतंत्र केवल बहुमत का शासन मात्र नहीं होता।
प्रत्येक प्रकार के लोकतंत्र में बहुसंख्यक के साथ-साथ अल्पसंख्यक भी होते हैं। लोकतंत्र में अल्पसंख्यक की अनदेखी नहीं की जाती। साथ ही लोकतंत्र में अनेक प्रकार की अन्य सामाजिक, सांस्कृतिक, नस्लीय धार्मिक, भाषायी प्रकार की विविधताएँ भी होती हैं। लोकतांत्रिक सरकार इनमें विविधताओं में सामंजस्य बैठाने का प्रयास करता है तथा लिए जाने वाले निर्णयों में उनके हितों की अनदेखी नहीं करता।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें:
(क) औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
(ख) लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
(ग) गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
(घ) नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
(ङ) लोकतंत्र में सभी को एक वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर-
(क) लोकतांत्रिक सरकार खर्चीली सरकार आवश्यक होती है। परन्तु आवश्यक नहीं कि औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक बन सकता है। गरीब देश भी लोकतंत्र को अपनाकर विकास कर सकता है।
(ख) लोकतंत्र ही अपने नागरिकों के बीच अपमानता को कम कर सकता है। समानता लोकतंत्र की नींव होती है। _ (ग) गरीब देशों को सन्तुलित विकास करने के लिए उद्योगों व सामाजिक सेवाओं दोनों पर खर्च करने की आवश्यकता है। यह और बात है कि कुछेक मद्दों पर पहले चार्च किया जाता है तथा कुछेक पर बाद में।
(घ) आर्थिक समानता तो हर प्रकार के लोकतांत्रिक देश में होती है।
(ङ) ‘एक व्यक्ति, एक मत’ व्यवस्था में सामाजिक, आर्थिक व अन्य टकराव हो सकते हैं।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतंत्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ
(i) उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओड़िसा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाजा रखने वाले एक मंदिर को एक ही दरवाजे से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी।
(ii) भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
(iii) जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
उत्तर-
(i) उच्च न्यायालय का निर्देश लोकतांत्रिक भी है तथा संवैधानिक भी। भारत का संविधान छुआछूत को असंवैध निक व गैर-कानूनी कहता है। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समानता को लागू किया जाना तथा भेदभाव का भेदभाव का उन्मूलन आवश्यक है।
(i) लोकतंत्र लोक-कल्याण पर जोर देता है। यदि किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जैसे कि भारत में ऐसी व्यवस्था विद्यमान है किसान बड़ी संख्या में आत्म-हत्या कर रहे हैं तो यह देश व सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार को ऐसी स्थिति से उबारने के लिए गम्भीर कदम उठाने चाहिए।
(iii) लोकतंत्र में शान्ति-व्यवस्था कायम करना पुलिस का कार्य है। परन्तु इस प्रक्रिया में यदि पुलिस कोई गैर-कानूनी (भले उसका नजर में ऐसी प्रक्रिया कानूनी क्यों न हो) उठाती है तो लोगों की माँग पर जाँच-पड़ताल कराए जाने के आदेश दिए जाने चाहिए।

प्रश्न 5.
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संदर्भ में इनमें से कौन-सा विचार सही है-लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वकः
(क) लोगों के बीच टकराव को समाप्त कर दिया है। .
(ख) लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
(ग) हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
(घ) राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर-
लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ लोगों में टकराव समाप्त करके सामाजिक सद्भावना का वातावरण बनाती है। आर्थिक असमानताओं के उन्मूलन की सम्भावना लोकतंत्रीय व्यवस्था में अधिक होती है। समस्त समूहों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। लोकतंत्र विचारों को समाप्त नहीं करता, मतभेदों में मेल-मिलाप बैठाता है। (क), (ख), अपेक्षाकृत अधिक सही है।

प्रश्न 6.
लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें:
(क) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव (ख) व्यक्ति की गरिमा (ग) बहुसंख्यकों का शासन (घ) कानून से समक्ष समानता
उत्तर-
(ग) बहुसंख्यकों का शासन।

प्रश्न 7.
लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि
(क) लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
(ग) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती।
उत्तर-
(क) लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें:
नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मजदूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ्तर कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसके अर्जी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अंदर खाद्य विभाग का इस इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।

नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माता-पिता से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है।
उत्तर-
नन्नू के उदाहरण से स्पष्ट होता है कि यदि लोग अपने अधिकारों का प्रयोग करें तो वह सरकार व कर्मचारियों से अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं। सूचना के अधिकार के प्रयोग से लोग अपनी शिकायतों का निवारण कर सकते हैं। नन्नू के आवेदन पर अधिकारियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। फलस्वरूप वह सभी अपने-अपने कार्यों को करने में व्यस्त हो गए। ऐसी अनेक समस्याएँ लोगों को झेलनी पड़ती है। यदि लोग सचेत हों तो वह सरकार से अपनी समस्याओं को हल कर सकते हैं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

HBSE 10th Class Civics राजनीतिक दल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की अनेक प्रकार की भूमिकाएँ होती हैं। इन भूमिकाओं को निम्नलिखित बताया जा सकता है:

  • राजनीतिक दल लोकतंत्र की सफलता हेतु चुनावों की व्यवस्था को सम्भव बनाते हैं।
  • वे चुनावों के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को लोगों के समक्ष लाते तथा चुनावी कार्यक्रम को पूरा करने में सहायता करते हैं।
  • वे चुनावों के पश्चात्, सरकार के गठन व उसके विपक्ष बनाने में भूमिका निभाते हैं।
  • वे लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरा रूप देने के लिए में सहयोग देते हैं अर्थात सरकार के संचालन में मदद करते हैं।
  • लोकतंत्र के सफल संचालन हेतु राजनीतिक दल लोगों में राजनीतिक चेतना जाग्रत करते हैं।
  • शासक दल शासन करतो है तथा विपक्ष शासक दल की नीतियों व सरकार की आलोचना करते हैं।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं? .
उत्तर-
राजनीतिक दलों के सामने की चुनौतियों को निम्नलिखित बताया जा सकता है: पहली चुनौती है पार्टी के अन्दर आन्तरिक लोकतंत्र को बनाना। अब यह प्रवृत्ति बन गई है कि सारी ताकत एक या कुछेक नेताओं के हाथ में सिमट जाती है। पार्टियों के पास न सदस्यों की खुली सूची होती है, न नियमित रूप से सांगठनिक बैठकें होती हैं। इनके आंतरिक चुनाव भी नहीं होते। कार्यकर्ताओं से वे सूचनाओं का आदान-प्रदान भी नहीं करते। सामान्य कार्यकर्ता अनजान ही रहता है कि पार्टी के अंदर क्या चल रहा है। उसके पास न तो नेताओं से जुड़कर फैसलों को प्रभावित करने की ताकत होती है न ही कोई और माध्यम। परिणामस्वरूप पार्टी के नाम पर सारे फैसले लेने का अधिकार उस पार्टी के नेता हथिया लेते हैं। चूँकि कुछेक नेताओं के पास ही असली ताकत होती है इसलिए जो उनसे असहमत होते हैं उनका पार्टी में टिके रह पाना मुश्किल हो जाता है। पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों से निष्ठा की जगह नेता से निष्ठा ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण बन जाती है।

दूसरी चुनौती पहली चुनौती से ही जुड़ी है-यह है वंशवाद की चुनौती। चूँकि अधिकांश दल अपना कामकाज पारदर्शी तरीके से नहीं करते, इसलिए सामान्य कार्यकर्ता के नेता बनने और ऊपर आने की गुंजाइश काफी कम होती है। जो लोग नेता होते हैं वे अनुचित लाभ लेते हुए अपने नजदीकी लोगों और यहाँ तक कि अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं। अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं। यह दल के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय है। यह बात लोकतंत्र के लिए भी अच्छी नहीं है क्योंकि इससे अनुभवहीन और बिना जनाधार वाले लोग ताकत वाले पदों पर पहुँच जाते हैं। यह प्रवृत्ति कुछ पहले के लोकतांत्रिक देशों सहित कमोबेश पूरी . दुनिया में दिखाई देती है।

तीसरी चुनौती दलों में, (खासकर चुनाव के समय) पैसा और अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ की है। चूँकि पार्टियों की सारी चिंता चुनाव जीतने की होती है, अतः इसके लिए कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से वे परहेज नहीं करतीं। वे ऐसे ही उम्मीदवार उतारती हैं जिनके पास काफी पैसा हो या जो पैसे जुटा सकें। किसी पार्टी को ज्यादा धन देने वाली कंपनियाँ और अमीर लोग उस पार्टी की नीतियों और फैसलों को भी प्रभावित करते है। कई बार पार्टियाँ चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का समर्थन करती हैं या उनकी मदद लेती हैं। दुनिया भर में लोकतंत्र के समर्थक लोकतांत्रिक राजनीति में अमीर लोग और बढी कंपनियों की बढ़ती भूमिका को लेकर चिंतित हैं।

चौथी चुनौती पार्टियों के बीच विकल्पहीनता की स्थिति की है। सार्थक विकल्प का मतलब होता है कि विभिन्न पार्टियों की नीतियों और कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण अंतर हो। हाल के वर्षों में दलों के बीच वैचारिक अंतर कम होता गया है और यह प्रवृत्ति दुनिया भर में दिखती है। जैसे, ब्रिटेन की लेबर पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी के बीच अब बड़ा कम अंतर रह गया है। दोनों दल बुनियादी मसलों पर सहमत हैं और उनके बीच अंतर बस ब्यौरों का रह गया है कि नीतियाँ कैसे बनाई जाएँ और उन्हें कैसे लागू किया जाए। अपने देश में भी सभी बड़ी पार्टियों के बीच आर्थिक मसलों पर बड़ा कम अंतर रह गया है। जो लोग इससे अलग नीतियाँ चाहते हैं उनके लिए कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। कई बार लोगों के पास एकदम नया नेता चुनने का विकल्प भी नहीं होता क्योंकि वही थोड़े से नेता हर दल में आते-जाते रहते हैं।

प्रश्न 3.
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करे, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर-
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करे, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव निम्नलिखित दिए जा सकते हैं:

  • दल की लोकतांत्रिक प्रकार की रचना की जाए।
  • दल में सदस्यों की संख्या का ठीक-ठीक ब्यौरा रखा जाए।
  • दल में सामाजिक चुनाव कराएँ जाने चाहिए।
  • दल व लोगों के बीच संपर्क बनाए रखा जाना चाहिए।
  • दल की नीतियाँ व सिद्धांतों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।

प्रश्न 4.
दल का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-
राजनीतिक व सार्वजनिक मामलों पर एक से विचार रखने वाले लोगों का ऐसा संगठन जो अपने संयुक्त व सांझे प्रयत्नों द्वारा सरकार की सत्ता को संवैधानिक व शांतिपूर्ण ढंग से प्राप्त कर अपनी घोषित नीतियों को लागू करताहै। राजनीतिक दल के तीन मुख्य तत्व होते हैं : दल का नेता, सक्रिय सदस्य व अनुयायी अर्थात समर्थक।

प्रश्न 5.
किसी भी राजनीतिक दल में क्या गुण होते
उत्तर-
राजनीतिकदलों के गुणों को, संक्षेप में, निम्नलिखित बताया जा सकता है:

  • लोकतंत्र के संचालन व उसकी सफलता में सहायक;
  • सरकार के निर्माण व उसके संचालन में सहयोग;
  • लोगों में राजनीतिक चेतना में वृद्धि में मदद;
  • सरकार व लोगों के बीच कड़ी का कार्य करना;
  • सरकार में सत्ता के हस्तांतरण का शांतिपूर्ण तरीका प्रदान करना।

प्रश्न 6.
चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता सँभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को ………. कहते हैं।
उत्तर-
राजनीतिक दल।

प्रश्न 7.
पहली सूची [ संगठन/दल ] और दूसरी सूची [गठबंधन/मोर्चा] के नामें का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढ़ें:

सूची-I — सूची-II

1. काँग्रेस पार्टी — (क) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
2. भारतीय जनता पार्टी — (ख) प्रांतीय दल
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) — (ग) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
4. तेलुगुदेशम पार्टी — (घ) वाम मोर्चा

HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल 1
उत्तर-‘ग’ सही है।

प्रश्न 8.
इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक
(क) कांशीराम
(ख) साहू महाराज
(ग) बी.आर.अम्बेडकर
(घ) ज्योतिबा फूले
उत्तर-
(क) कांशीराम

प्रश्न 9.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
(अ) बहुजन समाज
(ब) क्रांतिकारी-लोकतंत्र
(स) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(द) आधुनिकता
उत्तर-
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद।

प्रश्न 10.
पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें:
(अ) राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है।
(ब) दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटलों की गूंज सुनाई देती है।
(स) सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं।
इन कथनों में से कौन सही है?
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) अ और स
उत्तर-
(ग) ‘ब’ तथा ‘स’ सही है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित उदाहरण को पढें और नीचे दिए गए प्रश्नों का जवाब दें:
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। फरवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने और संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांगलादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारंपरिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृतिक पैदा हो सकती है। उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतांत्रिक होगा। नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफी लोगों ने पंसद किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना संभव हो गया है। अब एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर रहेगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनाएगी।”
पर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है: “नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज है। एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।” कुछ अन्य लोगों का स्वर
और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, “देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।” ।

क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया?

क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और अंदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए?
अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
उत्तर-
यूनुस द्वारा नयी राजनीतिक पार्टी बनाना कोई गलत नहीं है यूनुस द्वारा बनायी गयी पार्टी के विरुद्ध बांग्लादेश के कई नेताओं ने जो बयान दिए हैं मिले-जुले हैं। लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को दल बनाने का अधिकार होता है। यदि हम ऐसे दल के संस्थापकों में होते तो हम दल का गठन लोकतांत्रिक रूप से करते तथा लोक-कल्याण व विकास के लिए दल की नीतियाँ बनाते।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जन-संघर्ष और आंदोलन

HBSE 10th Class Civics जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर-
दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति को अनेक तरह से प्रभावित करते हैं। दबाव समूह व जन-आन्दोलन दोनां चुनावी मुकाबले में सीधे भागीदारी नहीं करते, अपितु राजनीति को प्रभावित अवश्य करते हैं। राजनीति पर इन के प्रभाव को निम्नलिखित बताया जा सकता है:
(i) दबाव-समूह और आन्दोलन अपने लक्ष्य तथा गतिविधि यों के लिए जनता का समर्थन और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठक आयोजित करना अथवा अर्जी दायर करने जैसे तरीकों का सहाया लिया जाता है। ऐसे अधिकतर समूह मीडिया को प्रभावित करते की कोशिश करते हैं तोकि उनके मसलों पर मीडिया ज्यादा ध्यान दे।

(ii) ऐसे समूह अक्सर हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं। मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ तथा अधिकतर आन्दोलनकारी समूह अक्सर ऐसी युक्तियों का इस्तेमाल करते हैं कि सरकार उनकी माँगों की तरफ ध्यान देने के लिए बाध्य हो।

(iii) व्यवसाय-समूह अक्सर पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रायोजित करते है। दबाव-समूह अथवा आन्दोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देने वाली समितियों और आधिकारिक निकायों में शिरकत कर सकते हैं। यह दबाव-समूह और आन्दोलन दलय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते लेकिन वे राजनीतिक दलों पर असर डालना चाहते हैं। अधिकतर आन्दोलन किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं होते लेकिन उनका एक राजनीतिक पक्ष होता है। आन्दोलनों की राजनीतिक विचारधारा होती है और बड़े मुद्दों पर उनका राजनीतिक पक्ष होता है।

(iv) कुछ मामलों में दबाव-समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करते हैं। उदाहरण के लिए भारत के अधिकतर मजदूर-संगठन और छात्र-संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए हैं अथवा उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से है। ऐसे दबाव-समूहों के अधिकतर नेता अमूमन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और नेता होते हैं।

(v) कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप अख्तियार कर लेते हैं। उदाहरण के लिए ‘विदेशी’ लोगों के विरुद्ध छात्रों ने ‘असम आन्दोलन’ चलाया और जब इस आन्दोलन की समाप्ति हुई तो इस आन्दोलन ने ‘असम गण परिषद्’ का रूप ले लिया। सन् 1930 और 1940 के दशक में तमिलनाडु में समाज सुधार आन्दोलन चले थे। डी.एम.के. और ए.आई.ए.डी. एम.के. जैसी पार्टियों की जड़ें इन समाज सुधार आन्दोलनों में ढूँढी जा सकती हैं।

(vi) अधिकांशतया दबाव-समूह और आन्दोलन का राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोध पक्ष लेते हैं। फिर भी इनके बीच संवाद कायम रहता है और सुलह की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाए हैं और राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नए नेता दबाव-समूह अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।

प्रश्न 2.
दबाव-समूहों व राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है? वर्णन करें।
उत्तर-
दबाव-समूहों व राजनीतिक दलों के लक्ष्यों में भेद होता है। दबाव-समूह अपने स्वरूप में राजनीतिक नहीं होते, वह राजनीतिक चुनावों में भाग भी नहीं लेते। परन्तु उनके राजनीतिक दलों के साथ सम्बन्ध होता है। दबाव-समूह राजनीतिक दलों की चुनावों में, चुनावी अभियानों में तथा चुनावी कार्यों में सहायता करते हैं। राजनीतिक दलों के अधिकांश कार्यकर्ता दबाव-समूहों से आते हैं। दूसरी ओर राजनीतिक दल दबाव-समूहों को उनकी माँगों में सहमति देते हैं। कुछेक दबाव-समूहों का सम्बन्ध सीध राजनीतिक दलों से होता है। विद्यार्थियों का एन.एस.यू.आई. संगठन काँग्रेस से तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का सम्बन्ध भारतीय जनता पार्टी से है।

प्रश्न 3.
दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
उत्तर-
दबाव-समूह की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में खासी उपयोगी होती है। यह दबाव-समूह अपनी माँगों को सरकार तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उनकी माँगें सरकार तक सुनिश्चित ढंग से पहुँच पाती है। इस प्रकार सरकार को लोगों की माँगों का लोकतांत्रिक ढंग से ब्यौरा मिलता रहता है। दबाव-समूह समाज में किसी वर्णन व्यवसाय व आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकतंत्र में सभी प्रकार के समूहों व संगठनों की माँगें सरकार तक पहुँचे व सरकार उनके सम्बन्धि त कारगर कार्यवाही करे, अपने आप में लोकतांत्रिक बात होती

प्रश्न 4.
दबाव-समूह क्या है? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर-
किन्हीं माँगों की पूर्ति के लिए सरकार पर डाले जाने वाले संगठित समूह का दबाव को दबाव-समूह कहा जाता है। दबाव-समूह एक प्रकार से हित समूह होते हैं। इन दोनों में अंतर यह होता है कि हित-समूह सरकार पर दबाव नहीं बना पाते, दबाव-समूह सरकार पर दबाव बना पाते हैं। मजदूर संघ, विद्यार्थी संगठन, व्यापारियों का संगठित समूह, किसानों के संगठन दबाव-समूहों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-

(1) दबाव-समूह अपने स्वरूप में राजनीतिक नहीं होते, राजनीतिक दल अपने स्वरूप में राजनीतिक होते हैं।
(2) दबाव-समूह चुनावों आदि में चुनाव नहीं लड़ते, परन्तु वह दलों की चुनावों में सहायता करते हैं; राजनीतिक दल चुनावी राजनीति करते हैं।
(3) दबाव-समूह राजनीतिक दलों की सहायता से सरकार पर दबाव डालते हैं; राजनीतिक दल दबाव-समूहों की सहायता से सरकार की सत्ता प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 6.
जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें ………. कहा जाता है।
उत्तर-
दबाव-समूह।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं, जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं। __ (घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल ऐसा करते हैं।
उत्तर-
(ग) सही है।

प्रश्न 8.
सूची -I (संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 1 HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 2
उत्तर-
(ख) सही है।

प्रश्न 9.
सूची-I का सूची-II से मिलान करें जो सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर हो चुनें:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 3
उत्तर-
(अ) सही है।

प्रश्न 10.
दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव-समूह राजनीतिक दल होते हैं। अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें
(अ) क, ख और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग
उत्तर-
(ब) ‘क’ तथा ‘ख’ सही है।

प्रश्न 11.
मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फरीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाए तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की मांग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी काँग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फरवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 की जुलाई में बना। – इस उदाहरण में आपको आन्दोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नजर आता है। क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिशता हो?
उत्तर-
उपर्युक्त घटना आरम्भ में एक आन्दोलन तथा बाद में यह राजनीतिक दल द्वारा एक माँग का रूप धारण कर लेता है। मेवात हरियाणा का एक जिला बनाया जाना राजनीतिक दलों द्वारा सरकार पर दबाव डालना होता है। लोकतंत्र में किसी पिछड़े क्षेत्र को विवाद की ओर ले जाने के लिए प्रायः ऐसे आन्दोलन चलाए जाते हैं।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

HBSE 10th Class Civics जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Questions and Answers

प्रश्न-1.
जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भदेभाव होता है। या वे कमजोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर-
भारत जैसे पुरुष-प्रधान समाजों में स्त्रियों के साथ अनेकों प्रकार का भेदभाव होता है। इनमें मुख्यतया निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है :

  • परिवार में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को कम सुविध पएँ दी जाती हैं;
  • पारिवारिक कानून अधिकांशतः पुरुषों के पक्ष में होते
  • प्रायः परिवारों में लड़कियों की शिक्षा पर कम ध्यान दिया जाता हैं;
  • अनेकों परिवारों में उन्हें बोझ समझा जाता हैं; उनके विरुद्ध उत्पीड़न के उदाहहरण हम देख सकते हैं।
  • समाज में स्त्रियों की स्थिति चार-दिवारी में सिमट कर रह गयी हैं;
  • सार्वजनिक क्षेत्र में उनकी भूमिका निम्नतर समझी जाती

प्रश्न-2.
विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और एक-एक उदाहरण भी दें।
उत्तर-
साम्प्रदायिकता धर्म का नकारात्मक रूप है। इसे राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति का साधन कहा जा सकता है। साम्प्रदायिक राजनीति के अनेक उदाहरण सामने आए हैं। राजनीतिक दल चुनावों में उम्मीदवारों को धर्म के आधार पर टिकट देते हैं। चुनाव-अभियान में धर्म अक्सर सहारा लिया जाता है। राज्यतंत्र में पंथ-निरपेक्षता के जोश में धार्मिक प्रतिनिधित्व छिपे जाने के उदाहरण मिलते हैं। लोक-सेवाओं में भी साम्प्रदायिकता की भूमिका देखी जा सकती हैं।

प्रश्न-3.
बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ हैं?
उत्तर-
भारत में जाति के अस्तित्व व उसकी भूमिका को भूलाया नहीं जा सकता। संविधान में छुआछूत के उन्मूलन के बावजूद भी तथा अनेकों कानूनों के चलते जो जाति के आध र पर भेदभाव की समाप्ति से जुड़े हैं, आज भी हमारे देश में जातिगत असमानताएँ हैं। अनुसूचित जातियों के साथ आज भी दुव्यवहार के अनेकों उदाहरण देखे जा सकते हैं। गरीब व उतपीड़न निम्न स्तर की जातियों के लोग आज भी राजनीतिक संरक्षण की मांग करते दिखायी पड़ते हैं। उच्चतर जाति के लोग निम्नतर जाति के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं।

प्रश्न-4.
दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।
उत्तर-
(क) जाति हमारे समाज के आधारभूत तत्वों के नींव में बस चुकी हैं।
(ख) भारत जैसे देश में आज भी समाज, अर्थव्यवस्था, राज्यतंत्र में जाति के आधार पर निर्णय किए जाते हैं।

प्रश्न-5.
भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की क्या स्थिति हैं?
उत्तर-
एक अनुमान के अनुसार, भारत में विधायिकओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व केवल 8.3% हैं। स्थानीय स्वशासी इकाईयों में महिलाओं के लिए कुल सीटों का एक तिहाई आरक्षण अवश्य हे। राज्यों की विधानसभओं में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व 5% से भी कम है। लोकसभा में महिलओं के प्रतिनिधित्व को लेकर सहमति नहीं हो पायी है।

प्रश्न-6.
किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत की धर्म-निरेपक्षता बनाते हैं;
उत्तर-
(क) भारत में किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया गया है।
(ख) भारत का संविधान सभी नागरिकों और समुदायों को किसी भी धर्म का पालन करने व प्रचार करने की स्वंतत्रता देता

प्रश्न-7.
जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है :
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएं
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना।
उत्तर-
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गयी असमान भमिकाएँ।

प्रश्न-8.
भारत में यहां औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था हैं :
(क) लोकसभा (ख) विधानसभा (ग) मंत्रिमंडल (घ) पंचायती राज की संस्थनाएँ
उत्तर
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ

प्रश्न-9.
सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित हैं कि : .
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ हैं।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-सा-कौन कथन सही हैं?
उत्तर-
(ग) ‘अ’ और ‘स’ सही हैं।

प्रश्न-10.
भारतीय संविधान के बारे में इनमें कौर-सा कथन गलत हैं?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता हैं।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
उत्तर-
(ख) सही है।

प्रश्न-11.
……….. पर आधारित सामाजिक विभाजन भारत में ही है।
उत्तर-
जाति।

प्रश्न-12.
सूची
उत्तर सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले 1
उत्तर-
‘रे’ ख, क, घ, ग सही है।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

HBSE 10th Class Civics लोकतंत्र और विविधता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
उत्तर-
सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा निम्नलिखित की जा सकती
1. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना। अगर लोग खुद को सबसे विशिष्ट और अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब तक उत्तरी आयरलैंड के लोग खुद को सिर्फ प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक के तौर पर देखते रहेंगे तब तक उनका शांत हो पाना संभव नहीं है। अगर लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती। जैसे, बेल्जियम के अधिकतर लोग खुद को बेल्जिमाई ही मानते हैं, भले ही वे डच या जर्मन बोलते हों। इस नजरिए से उन्हें साथ-साथ रहने में मदद मिलती है।

2. किसी समुदाय की माँगों को राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं? संविधान के दायरे में आने वाली और दूसरे समुदाय को नुकसान न पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना आसान है। श्रीलंका में श्रीलंका केवल सिंहालियों के लिए’ की माँग तमिल समुदाय की पहचान और हितों के खिलाफ थी। यूगोस्लाविया में, विभिन्न समुदायों के नेताओं ने अपने जातीय समूहों की तरफ से ऐसी माँगें रख दी जिन्हें एक देश की सीमा के भीतर पूरा करना असंभव था।

3. सरकार का रुख। सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है, यह भी महत्त्वपूर्ण है। बेल्जियम और श्रीलंका के उदाहरणों से स्पष्ट है कि अगर शासन सत्ता में साझेदारी करने को तैयार हो और अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा करने का प्रयास ईमानदारी से किया जाए तो सामाजिक विभाजन मुल्क के लिए खतरा नहीं बनते। अगर सरकार राष्ट्रीय एकता के नाम पर किसी ऐसी माँग को दबाना शुरू कर देती है तो अक्सर उलटे और नुकसानदेह परिणाम ही निकलते हैं। ताकत के दम पर एकता बनाए रखने की कोशिश अक्सर विभाजन की ओर ले जाती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर-
जब सामाजिक अंतरो को मेल-मिलाप व सहयोग की भावनाओं से नहीं सुलझाया जाता, तब ऐसे अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप धारण कर लेते हैं। एक जाति व एक भाषा व एक क्षेत्र के लोगों को परस्पर अंतरों को हवा देने की बजाए एक-दूसरे के साथ सामंजस्य पैदा करने का प्रयास करना चाहिए। तब यह अंतर सामाजिक विभाजन का रूप नहीं होते।

प्रश्न 3.
सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर-
सामाजिक अंतर राजनीति को नकारात्मक व सकारात्मक तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं! यदि एक सामाजिक समूह अपने से विपरीत के सामाजिक समूह के साथ अपने अंतर के बूते पर अड़ा रहता है तो दोनों समूहों में तनाव हो सकते हैं। श्रीलंका में सिंहालियों व तमिलों में ऐसा ही तनाव देखा जा सकता है। बेल्जियम में दोनों समूह अलग-अलग भाषी होने के बावजूद भी एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं।

प्रश्न 4.
………… सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन औरप तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। .. ……… सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर-
विरोधी, परस्पर।

प्रश्न 5.
सामाजिक विभाजनों को सँभालने के संदर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना संभव है।
(ग) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
उत्तर-
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें:
(अ) जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह संभव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हो।
(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं। इन बयानों में से कौन-कौन-से बयान सही हैं।
(क) अ, ब और स (ख) अ और ब (ग) ब और स (घ) सिर्फ स
उत्तर-
(ख) ‘अ’ और ‘ब’ सही हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक
(ब) हर देश में किसी-न-किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आध र पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क)द, ब, स, अ
(ख) द, ब, अ, स
(ग) द, अ, स, ब
(घ) अ, ब, स, द
उत्तर-
(ख) द, ब, अ, स का तार्किक क्रम सही है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखंडन का सामना करना पड़ा?
(क) बेल्जियम
(ख) भारत
(ग) यूगोस्लाविया
(घ) नीदरलैड
उत्तर-
यूगोस्लाविया को।

प्रश्न 9.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?
“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे ‘मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनक चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद के बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगेजब ईश्वर की सारी संतानें-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी-‘मिली आजादी, मिल आजादी! प्रभु बलिहारी, मिली आजादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।” .
उत्तर-
वह संयुक्त राज्य अमेरिका में अश्वेत-श्वेतों के सामाजिक विभाजन बात कर रहे हैं। वह चाहते थे कि अमेरिका में त्वचा के रंग पर लोगों की योग्यता नहीं आंकी जानी चाहिए; योग्यता का आधार ज्ञान, बुद्धि व चरित्र होना चाहिए। उनके ब्यान व मैक्सिको ओलंपिक में हुई घटनाओं में सम्बन्ध है। ओलंपिक खेलों में दो एफ्रो-अमरीकी खिलाड़ियों ने रंग-भेद का विरोध किया था।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

HBSE 10th Class Civics वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers

प्रश्नावली

प्रश्न 1.
भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँ: मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गोवा।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 1
उनर-
भारत का मानचित्र देखें: संकेत :
(1) मणिपुर,
(2) सिक्किम,
(3) छत्तीसगढ़,
(4) गोवा।

प्रश्न 2.
विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ और उनमे नक्शे को रंग से भरें।
उत्तर-
संकेत : ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 2

प्रश्न 3.
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर-
भारत तथा बेल्जियम में मिलती संघीय व्यवस्था की एक विशेषता यह है कि दोनों देशों में जातीय विविधता है। दोनों देशों की संघीय व्यवस्था में एक अलग विशेषता यह है कि बेल्जियम एक सामुदायिक संघ है जबकि भारत एक केन्द्रकृत संघ है।

प्रश्न 4.
शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अंतर है? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
उत्तर-
संघात्मक स्वरूप में सरकार दो अथवा दो से अधि …क स्तर की होती है जबकि एकात्मक स्वरूप में सरकार का एक स्तर होता है। भारतीय संघात्मक स्वरूप में एक संघीय सरकार है, उसके अधीन स्तर पर प्रान्तीय सरकारें हैं तथा उससे भो अध तीन आगे स्थानीय (पंचायतें व नगर इकाईयाँ) सरकारें हैं। ब्रिटेन जैसे एकात्मक स्वरूप में सरकार का स्तर एक है अर्थात् वहाँ एक केन्द्रीय सरकार है जो पूरे देश पर शासन करती है। स्थानीय सरकारों को केन्द्रीय सरकार द्वारा कुछेक अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 5.
1992 के संविधान संशोधन के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्त्वपूर्ण अंतरों को बताएँ।
उत्तर-
1992 के संविधान संशोधन से पहले ग्रामीण व शहरी स्थानीय इकाईयों को कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं था; इन इकाईयों पर राज्य सरकार का खासा नियन्त्रण रहता था। 1992 के संशोधन के पश्चात इन स्थानीय इकाईयों (पंचायतों व नगर स्वशासकीय सरकारों) को संवैधानिक स्तर प्राप्त है, प्रत्येक राज्य में राज्य वित्त आयोग व राज्य निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गयी है।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरें:
चूँकि अमरीका ……………. तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है। संघीय सरकार – के मुकाबले प्रांत ……………. हैं। लेकिन भारत की संघीय
प्रणाली …………. की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर-
केन्द्रोन्मुखी, ताकतवर, केन्द्रविमुखी।

प्रश्न 7.
भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता : प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मज़बूत किया है।
अरमान : भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश: इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने भर का काम किया है।
उत्तर-
इन तीन प्रतिक्रियाओं में संगीता द्वारा भारत की भाषा नीति की प्रतिक्रिया सही है। भारत विविधताओं में एकता का प्रतीक है। हमारी संस्कृति सामुदायिक रूप की है। अतः हम एक-दूसरे के प्रति सम्मान व आदर की नीति का अनुसरण करते हैं। हम अपनी मातृभाषा के अध्ययन के साथ भारत में प्रचलित अन्य भाषाओं का अध्ययन भी करते हैं तथा उनका आदर भी।

प्रश्न 8.
संघीय सरकार की एक विशिष्टता है:
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रांतीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
उत्तर-
(घ) सरकार की शक्ति के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें।
(क) रक्षा; (ख) पुलिस; (ग) कृषि; (घ) शिक्षा, (ङ) बैंकिंग; (च) वन; (छ) संचार; (ज) व्यापार; (झ) विवाह।
संघीय सूची
राज्य सूची
समवर्ती सूची
उत्तर-
संघीय सूची : रक्षा, बैंकिंग, संचार राज्य सूची : पुलिस, कृषि, व्यापार समवर्ती सूची : शिक्षा, वन विवाह

प्रश्न 10.
नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार-क्षेत्र के जोड़े दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है?
(क) राज्य सरकार – राज्य सूची
(ख) केंद्र सरकार – संघीय सूची
(ग) केंद्र और राज्य सरकार – समवर्ती सूची
(घ) स्थानीय सरकार- अवशिष्ट अधिकार
उत्तर-
(क) राज्य सरकार : राज्य सूची
(ख) केंद्र सरकार : संघीय सूची
(ग) केंद्र और राज्य सरकार : समवर्ती सूची
(घ) केंद्र सरकार – अवशिष्ट अधिकार

प्रश्न 11.
सूची I और सूची II में मेल ढूँढें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 3
उत्तर-
‘गा’ उत्तर सही है।

प्रश्न 12.
इन बयानों पर गौर करें:
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रांतीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रांतों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार स्थानीय शासन इकाईयों में बाँट दिए गए हैं।
ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं।
(सा) अ, ब और स
(रे) अ, स और द
(गा) अ और ब
(मा) ब और स .
उत्तर-
‘गा’ (अ और ब) सही हैं।

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