Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास
HBSE 10th Class Economics विकास Textbook Questions and Answers
पाठगत-प्रश्नोत्तर
आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 6)
प्रश्न 1.
अलग-अलग लोगों की विकास की ध परणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
उत्तर-
(क) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
क्योंकि लोग उन्हीं वस्तुओं को चाहते हैं जो उनके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं।
प्रश्न 2.
क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
उत्तर-
उपरोक्त दोनों कथनों के अर्थ भिन्न हैं। इसे निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
शहरी अमीर परिवार का लड़का अच्छी शिक्षा और निवेश के लिए पूँजी चाहता है। दूसरी ओर, नर्मदा घाटी का आदिवासी
पुनर्वास और नियमित कार्य चाहता है। ये विकास के लक्ष्य भिन्न अवश्य हैं, परन्तु परस्पर विरोधी नहीं हैं।
प्रश्न 3.
कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू
उत्तर-
निम्नलिखित स्थितियों में आय के अतिरिक्त कुछ और कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू होते हैं
(क) ग्रामीण महिला के लिए लिंग समानता, आय की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। __(ख) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सामाजिक समानता, सम्मान, आय से अधिक महत्त्वपूर्ण
(ग) अनियत श्रमिकों के लिए रोजगार सुरक्षा, आय से अधिक महत्त्वपूर्ण कारक है।
प्रश्न 4.
ऊपर दिये गए खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर-
आय और अन्य लक्ष्य खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचार निम्नलिखित है
(क) लोग नियमित कार्य, बेहतर मजदूरी और अपने उत्पादों के लिए अच्छी कीमतों द्वारा अधिक आय चहाते हैं।
(ख) आय के अतिरिक्त भी लोगों के अन्य विकास लक्ष्य होते हैं जैसे, समाज में बराबरी, स्वतंत्रता, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आत्म-सम्मान आदि।
(ग) यदि महिलाएँ वेतनभोगी कार्य करती हैं तो घर और समाज में उनका आदर बढ़ता है।
(घ) एक सुरक्षित वातावरण के कारण ज्यादा महिलाएँ विभिन्न प्रकार की नौकरियाँ या व्यापार कर सकती हैं।
आओ-इन विचार करें (पृष्ठ संख्या 7)
निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए
प्रश्न 1.
दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर-
इस प्रकार के क्षेत्र के लिए विकासात्मक लक्ष्य निम्नलिखित होने चाहिए
(क) झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए पकके घर बनाए जाने चाहिए।
(ख) उनके लिए जल आपूर्ति और सफाई सुविधाओं का उचित प्रबन्ध।
(ग) नियमित कार्य और बेहतर मजदूरी के माध्यम से उनकी आय में वृद्धि।
(घ) उनके बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रश्न 2.
इस अखबार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उनर दीजिए।
एक जहाज ने 500 टन तरल जहरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़े घर और आसपास के समुद्र में डाल दिए। यह अफ्रीका देश के आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ। इन ख़तरनाक जहरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें की। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 अस्पताल में भरती हुए और विषाक्तता के कारण 26, 000 लोगों का इलाज किया गया।
पेट्रोल और धातुओं से संबंधित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कंपनी को अपने _जहाज़ से जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किन को नहीं?
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर-
(क) स्थानीय कंपनी मालिक और बहुराष्ट्रीय कंपनी को इससे लाभ हुआ जबकि आइवरी कोस्ट, अफ्रीका के आबिदजान शहर के बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को इस कार्य से हानि हुई।
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य औद्योगिक कचरों की उचित निकासी और जन-सामान्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविध होनी चाहिए।
प्रश्न 3.
आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर-
हमारे गाँव के विकास के लक्ष्य निम्न होने चाहिए
(क) रोजगार के अवसर।
(ख) स्थानीय विद्यालयों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था।
(ग) गरीब परिवारों के लिए पक्के घर।
(घ) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और अस्पताल।
कार्यकलाप 1
यदि विकास की धारणा में ही भिन्नता और परस्पर विरोध हो सकता है, तो निश्चित रूप से विकास के तरीकों में भी भिन्नता हो सकती है। अगर आप ऐसे किसी विवाद से परिचित हैं, तो आप विभिन्न व्यक्तियों के तर्क जानने का प्रयास कीजिए। यह आप लोगों से बातचीत करके या अख़बारों और टेलीविजन के मामयम से जान सकते हैं।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न
तालिका 1.2 में दिए आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निकालिए। (पृष्ठ संख्या 9)
(क) क्या आप इन दोनों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे?
(ख) क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं?
उत्तर-
(क) नहीं, हमें दोनों देशों में रहने में बराबर खुशी नहीं होगी। इसका कारण कि देश ख में आय का वितरण समान
नहीं है।
(ख) नहीं, दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। देश क में
नागरिकों में आया क वितरण समान है। दूसरी ओर, देश ख में 5 में से 4 नागरिक गरीब है।
आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 9)
प्रश्न 1.
तीन उदाहरण दीजिए, जहाँ स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
निम्न स्थितियों की तुलना के लिए औसत का इस्तेमाल किया जाता है
(क) क्रिकेट खिलाड़ियों के उपलब्धिों की तुलना के लिए।
(ख) अनियत श्रमिकों की आय की तुलना के लिए।
(ग) किसी परीक्षा में छात्रों की उपलब्धियों की तुलना के लिए।
प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
विभिन्न देशों की जनसंख्या भिन्न-भिन्न होती है, इसलिए. कुल आय की तुलना करने में हमें यह पता नहीं चलता कि औसत व्यक्ति कितना कमा रहा है। यह औसत आय से ही जाना जा सकता है।
प्रश्न 3.
प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, । आय के कौन से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखते हैं?
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय के आकार के अतिरिक्त, आय का समान वितरण दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखते हैं।
प्रश्न 4.
मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर-
समय के साथ किसी देश की औसत आय में वृद्धि का यह अर्थ नहीं होता है कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं। जेसे भारत की औसत आय कुछ विशेष वर्षों को छोड़कर स्वतंत्रता के बाद से निरन्तर बढ़ रही है। परन्तु देश की कुल आय में कृषि का योगदान निरन्तर घट रहा है।
प्रश्न 5.
विश्व विकास रिपोर्ट 2012 के अनुसार निम्न-आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार मध्य आय देशों की प्रति व्यक्ति आय आधार वर्ष के रूप में 2004 में 37,000 रुपये से 453,000 रुपये के बीच है।
प्रश्न 6.
एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए क्या करना या प्राप्त करना चाहिए?
उत्तर-
एक विकसित देश बनने के लिए भारत को अपनी जी.डी.पी. में वृद्धि दर बढ़ानी चाहिए। कृशि एवं लघु उद्योगों के विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत हैं।
भारत की कुल श्रम-शक्ति का 60% से भी अधिक भाग कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है, जो भारतीय सकल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल 27% का योगदान देता हैं वैश्वीकरण की प्रक्रिया में इस क्षेत्र की उपेक्षा के कारण इस क्षेत्र की वृद्धि दर में गिरावट आई है। अतः यह जरूरी है कि किसानों को कृषि आगतों,
प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन आदि सुविधाएँ प्रदान कर इस क्षेत्र की वृद्धि दर को बढ़ाया जाय।।
हमारी कुल श्रम-शक्ति का लगभग 16% भाग उद्योग क्षेत्र में है, जो भारत के जी.डी.पी. में लगभग 25% का ही योगदान देता हैं अतः हमें बुनियादी सरंचना, उत्पादन की श्रम-गहन तकनीक, प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन सुविधाओं में विस्तार करना चाहिए।
आओ-इन पर विचार करे (पृष्ठ संख्या 12)
प्रश्र 1.
तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए। क्या हरियाणा केरल से साक्षरता दर आदि में उतना ही आगे है जितना कि प्रतिव्यक्ति आय के विषय में?
तालिका 1.3 चयनित राज्यों की प्रति-व्यक्ति आय
तालिका 1.4 हरियाणा, केरल और बिहार के कुछ तुलनात्मक आँकड़
उत्तर-
नहीं, हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय बिहार की प्रति व्यक्ति आय से लगभग पाँच गुणा अधिक हैं परन्तु हरियाण की साक्षरता दर (82%) बिहार की साक्षरता दर (62%) से लगभग डेढ़ गुण ही अधिक है।
प्रश्न 2.
ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है।
उत्तर-
(क) अस्पताल-सामूहिक या सार्वजनिक असपताल निश्चय ही अधिक सस्ता और बेहतर है, क्योंकि प्रत्येक परिवार के लिए घर पर ये सुविधाएँ रखना संभव नहीं है।
(ख) बिजली-राज्य विद्युत बोर्ड से बिजली प्राप्त करना धार में जेनरेअर रखने से अधिक सस्ता है।
(ग) पानी-घरों में जल बोर्ड द्वारा पानी सप्लाई सस्ता है।
प्रश्न 3.
अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के लिए किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है? अन्य कौन से कारक प्रासांगिक हो सकते हैं?
उत्तर-यद्यपि अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धाता इन सुविधाओं पर सरकार द्वारा व्यय की गई मुद्रा की रकम पर अत्यधिक निर्भर करती है, परन्तु यह केवल इसी कारक पर निर्भर नहीं करती है। अन्य महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलितखत है-
(क) इन सुविधाओं के प्रति सरकार का समर्पण
(ख) इन क्षेत्रों में निजी सहभागिता
(ग) स्वास्थ्य और शिक्षा प्रति जनजागरण।
प्रश्न 4.
तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 90 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल 35 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं। कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों?
उत्तर-
तमिलनाडु के लोग बेहतर स्थिति में होंगे। इसका कारण है कि यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों के 75% लोग राशन की दुकानों का इस्तेमाल करते हैं। ये लोग राशन की दुकानों से खाद्यान्न, चीनी, मिट्टी का तेल आदि बाजार की कीमत से कम कीमत पर प्राप्त कर सकते हैं, राशन कार्ड के साथ कोई भी परिवार प्रत्येक महीना राशन की दुकान से इइ वस्तुओं की एक निध रित मात्रा खरीद सकता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली दुकान या राशन की दुकान कम कीमतों पर गरीब उपभोक्ताओं को खाद्यान्न उपलब्ध कराने और कीमत स्थिर रखने में सरकारी नीति का सार्वधिक प्रभावी उपकरण साबित हुआ है।
कार्यकलाप 2
तालिका 1.5 को मयान से अमययन कीजिए और निम्न अनुच्छेदों में रिक्त स्थानों को भरिए। हो सकता है इसके लिए आपको तालिका के आधार पर कुछ गणना करनी पड़े।
तालिका 1.5 उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनसंख की शैक्षिक उपलब्धि श्रेणी
उत्तर-
(क) सभी आयु वर्गों की साक्षरता दर, जिसमें युवक और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं, ग्रामीण. पुरुषों के लिए 52% थी और ग्रामीण महिलाओं के लिए 19% थी। यही नहीं कि बहुत से वयस्क स्कूल ही नहीं जा पाए। 52.5% इस समय स्कूल में नहीं हैं।
(ख) 69% प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और 36% प्रतिशत ग्रामीण लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसलिए, 10 से 14 की आयु के बच्चों में से 61% प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और 32% प्रतिशत ग्रामीण लड़के निरक्षर हैं। . (ग) हमारी स्वतंत्रता के 68 वर्षों के बाद भी, 10-14
आयु के वर्ग में इस उच्च स्तर की निरक्षरता बहुत चिंताजनक है। बहुत से अन्य राज्यों में भी 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैध निक लक्ष्य के निकट भी नहीं पहुँच पाए हैं, जबकि इस लक्ष्य को 1960 तक पूरा करना था।
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है-
उत्तर-
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
उत्तर-
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(ग) नेपाल
(घ) पाकिस्तान
प्रश्न 3.
मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5, 000 रुपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय व्मशः 4, 000, 7, 000 और 3, 000 रुपये हैं, तो चौथे परिवार की आय क्या
उत्तर-
(क) 7, 500 रुपये
(ख) 3, 000 रुपये
(ग) 2, 000 रुपये
(घ) 6, 000 रुपये
प्रश्न 4.
विश्व बैंक विभिन्न वगोछद्व का वर्गीकरण करने के लिये किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाए! क्या हैं?
उत्तर-
(क) विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति अप जिसे औसत आय भी कहते हैं, को प्रमुख मापदण्ड के रूप इस्तेमाल करता है।
(ख) इस मापदण्ड की एक सीमा यह है कि हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है परंतु इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।
प्रश्न 5.
विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर-
(क) यू. एन. डी. पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक, स्वास्थ्य स्तर एवं प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है।
(ख) जबकि विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 में, देशों का वर्गीकरण करने में प्रति व्यक्ति आय आ औसत आय का इस्तेमाल किया गया है।
प्रश्न 6.
हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाए! हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) विभिन्न देशों के बीच तुलना के लिए कुल आय को अच्छा मापदण्ड नहीं माना जाता है। क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है। अतः कुल आय की तुलना करने से यह पता नहीं चल पाता है कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है। इससे यह भी पता नहीं चल पाता है कि क्या एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से बेहतर परिस्थिति में हैं?
(ख) इसलिए औसत का प्रयोग किया जाता है, जिससे तुलना करने में आसानी होती है।
औसत आय = राष्ट्रीय आय
कुल जनसंख्या
(ग) औसतें तुलना के दृष्टिकोण से उपयोगी है, इससे असमानताएँ छुप जाती हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिये देश A और B में पाँच-पाँच निवासी रहते हैं जिनकी मासिक औसत आय निम्नलिखित तालिका के अनुसार है।
इस तालिका से स्पष्ट है कि दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। यदि हमें इन दो देशों में से किसी एक देश में रहने को कहा जाय तो हममें से कुछ लोग B देश में रहना पसंद करेंगे यदि हमें यह आश्वासन मिले कि हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। मगर यदि हमारी नागरिकता लॉटरी द्वारा निश्चित हो तो ज्यादातर लोग A देश में रहना चाहेंगे क्योंकि हालाँकि दोनों देशों की औसत आय लगभग एक समान है परंतु A देश के लोग न तो बहुत हमीर हैं न ही बहुत गरीब, पर B देश के हर पाँच नागरिक में सिर्फ एक अमीर है जबकि अन्य चार गरीब हैं।
(घ) हालाँकि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।
प्रश्न 7.
प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
प्रतिव्यक्ति आय विकास के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मापदंडों में से एक है। क्योंकि अर्थिक आय से अधिक से मात्रा में भौतिक वस्तुएँ उपलब्ध हो सकती हैं। विकास के मापदंड के रूप में प्रतिव्यक्ति आय का प्रयोग विश्व बैंक द्वारा भी किया जाता है। अतः यह कहना उचित नहीं है कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापंदड नहीं है। परंतु इस मापंदड की निम्नलिखित सीमाएँ हैं
(क) प्रति व्यक्ति आय और मानव-विकास क्रमांक का अंर्तसंबंध किसी समरूपता का परिचायक नहीं है।
(ख) मुद्रा की सहायता से अच्छे जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ एवं सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकती। जैसे-मृद्रा हमारे लिए प्रदूषण मुक्त पर्यावरण नहीं खरीद सकता है।
(ग) आय स्वयं में उन सेवाओं और वस्तुओं का पर्याप्त सूचक नहीं है जो लोग प्रयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 8.
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन पेतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर-
(क) परंपरागत स्त्रोत : (i) प्राकृतिक गैस, (ii) पेट्रोलियम, (iii) बिजली, (iv) कोयला
(ख) गैर-परंपरागत स्त्रोत : (i) पवन उर्जा, (ii) ज्वारीय उर्जा, (iii) सौर उर्जा, (iv) बायो गैस
ऐसी संभावना है कि अब से 50 पश्चात् भारत में उर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोतों को अधिकाधिक उपयोग हो रहा होगा। क्योंकि उर्जा के परंपरागत स्त्रोतों स्टॉक सीमित है।
प्रश्न 9.
धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महन्वपूर्ण है?
उत्तर-
धारणीयता वह विकास है जो वर्तमान में पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना होना चाहिए। इस क्रम में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
निम्नलिखित कारणों से धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है
(क) प्राकृतिक संसाधनों जैसे, कोयला, कच्चा तेल आदि का भंडार सीमित है।
इनके खत्म हो जाने पर भविष्य में विश्व में सभी देशों व विकास खतरे में पड़ सकती है।
(ख) कोयला, कच्चा तेल, खनिज पदार्थ आदि विकास के लिए आवश्यक है परंतु ये हमारे वातावरण को प्रदूषित करते है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
प्रश्न 10.
धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
यह सत्य है कि पृथ्वी के पास सब लोगों की जरूरतें पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन एक भी
व्यक्ति के लोभ को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। धरती के भीतर लौह खनिज जैसे-लौह आयस्क, मैंगनीज आयस्क, क्रोमाइट, पाइराइट, टंगस्टन, निकिल, कोबाल्ट; अलौह खनिज जैसे-सोना, चाँदी, सीसा, टिन, बॉक्साइट, मैग्नीशियम आदि तथा अधात्विक खनिज जैसे-पोटाश, अभ्रक, कोयला, जिप्सम, पेट्रोलियम आदि का भंडार है। इसके साथ प्रकृति ने हवा, पानी जंगल, विभिन्न प्रकार के जीव जंतु आदि उपलब्ध कराए हैं। इन सभी संसाधनों का उपयोगकर्ता मानव मात्र हैं। इन संसाधनों के सदुपयोग से मानव जीवन सुखी बन सकता है।
परंतु अपने लोभ के कारण मनुष्य प्रकृति के विनाश पर आमादा है। कई प्राकृतिक संसाधन नाशवान होते हैं। चूँकि ऐसे संसाधन एक बार उपयोग के बाद पुन: उपयोग में नहीं आ सकते अतः इनके समुचित प्रबंधन तथा संरक्षण की अतीव आवश्यकता है, जिससे उनका उपयोग लंबे समय तक किया जा सके। लेकिन वास्तविकता यह है कि अत्यधिक लाभ के लिए इन संसाधनों का दोहन इस तरह किया जा रहा है कि इनका भंडार तो खत्म हो ही रहा है साथ ही पर्यावरण संतुलन को भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
प्रश्न 11.
पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आस-पास देखे हों।
उत्तर-
(i) पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और जंगलों का विनाश।
(ii) शहर की गंदगी नदी में फेंकने के कारण नदी का जल प्रदूषण।
(iii) घर का कूड़ा इधर-उधर फेंकने के कारण गंदगी __ और बीमारियों के फैलने का खतरा।
(iv) फैक्टरियों के चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वायु प्रदूषण।
प्रश्न 12.
तालिका 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे। पर है और कौन-सा सबसे नीचे।
उत्तर-
(i) प्रतिव्यक्ति आय (अमरीकी डॉलर में)
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (4, 390)
b. सबसे नीचा-मयनमार (1, 027)
(ii) जन्म के समय संभावित आयु
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (74 वर्ष)
b. सबसे नीचा-मयनमार (61 वर्ष)
(iii) साक्षारता दर 15+ वर्ष की जनसंख्या के लिए
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (91)
b. सबसे नीचा-बांग्लादेश (41)
(iv) तीन स्तरों के लिए सकल नामांकत अनुपात
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (69%)
b. सबसे नीचा-पाकिस्तान (35%)
(v) विश्व में मानव विकास सूचकांक का क्रंमाक
a. सबसे ऊँचा-श्री लंका (93)
b. सबसे नीचा-मयनमार (138)।
प्रश्न 13.
नीचे दी गई तालिका में भारत में अल्प-पोषित व्यस्कों के अनुपात को दिखाया गया है। यह वर्ष 2001 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिये।
(क) उपरोक्त आँकड़ों के आधार पर केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
अपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि केरल में पुरुष वर्ग में 22 लोग कुपोषित थे जबकि मध्यप्रदेश में यही संख्या 43 थी अर्थात् केरल की अपेक्षा लगभग दो गुना। इसी प्रकार महिला वर्ग में केरल में 19 महिलाएँ कुपोषित थीं जबकि मध्य प्रदेश में 42 महिलाएँ कुपोषित थीं। अर्थात् दो गुना से भी ज्यादा।
(ख) क्या आप अन्दाजा लगा सकते हैं कि देश के 40 प्रतिशत लोग अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर-
1970 के दशक में खाद्य सुरक्षा का अर्थ था-‘आध रिक खाद्य पदार्थों की सदैव पर्याप्त उपलब्धता’। अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा में एक नया आयाम जोड़ा और हकदारियों के आध र पर खाद्य तक पहुँच पर जोर दिया। हकदारियों का अभिप्राय राज्य का सामाजिक रूप से उपलब्ध कराई गई अन्य पूर्तियों के साथ-साथ उन वस्तुओं से है, जिनका उत्पादन और विनिमय बाजार में किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। तदनुसार, खाद्य सुरक्षा के अथ्र में काफी परिवर्तन हुआ है। विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन, 1995 में यह घोषणा की गई कि ‘वैयक्तिक, पारिवारिक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथ वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा का अस्तित्व तभी है, तब सक्रिय और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आहार संबंधी जरूरतों और खाद्य पदार्थो को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्य तक सभी लोगों की भौतिक एवं आर्थिक पहुँच सदैव हो।’ इसके अतिरिक्त घोषणा में यह भी स्वीकार किया गया कि “खाद्य तक पहुँच बढ़ाने में निर्धनता का उन्मूलन किया जाना परमावश्यक है।”