HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

HBSE 10th Class Economics मुद्रा और साख Textbook Questions and Answers

पाठ्यगत प्रश्नोत्तर (पृष्ठ संख्या 40)

प्रश्न 1.
मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उत्तर-
वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक शत्र होती है। विनिमय के एक माध्यम के रूप में मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की आवश्यकता और वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर करता है। इस तरह मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत आती है।

प्रश्न .2.
क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं, जहाँ वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय या मज़दूरी की अदायगी वस्तु विनिमय के ज़रिए हो रही है?
उत्तर-

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः अनाजों का विनिमय सीधे किया जाता है।
  2. खेतिहर मजदूरों को प्रायः नकद में नहीं बल्कि वस्तुओं के रूप में भुगतान किया जाता है।

आओ-इन पर विचार करें

प्रश्न 1.
एम. सलीम भुगतान के लिए 20, 000 रु. नकद निकालना चाहते हैं। इसके लिए वह चैक कैसे लिखेंगे?
उत्तर-
एम. सलीम दिए गए स्थान पर संबंधित तारीख लिखेंगे। वह बैंक को ‘स्वयं’ भुगतान करने का आदेश देंगे। वह रुपये से आगे ‘हजार मात्र’ भी लिखेंगे और दिए हुए बॉक्सों में रकम और खाता संख्या जैसे 29,000/- और 2101347298600035 भरेंगे। उन्हें चेक पर नीचे दाहिनी ओर अपने हस्ताक्षर करने पड़ेंगे। फिर वह इसे बैंक के निकासी काउन्टर पर जमा करेंगे और उन्हें रुपये मिल जाएँगे।

प्रश्न 2.
सही उत्तर पर निशान लगाए.
(क) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ग) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष घट जाता है।
उत्तर-
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
माँग जमा को मुद्रा क्यों समझा जाता है?
उत्तर-
चूँकि माँग जमा व्यापक स्तर पर भुगतान का जरिया स्वीकार किए जाते हैं, इसलिए आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ इसे भी मुद्रा समझा जाता है।

(अ) सलीम और प्रेम के बीच लेन-देन के बाद आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तालिका की पूर्ति कीजिए।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 1
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 2

प्रश्न 2.
मान लीजिए, सलीम को व्यापारियों से ऑर्डर मिलते रहते हैं। 6 साल बाद उसकी स्थिति क्या होगी?
उत्तर-
यदि सलीम को व्यापारियों से आर्डर मिलते रहते हैं तो वह अच्छा लाभ कमाएगा और 6 साल बाद बहुत बड़ा जूता निर्माता हो जाएगा।

प्रश्न 3.
कौन से कारण हैं, जो स्वप्ना की स्थिति को जोखिम भरा बनाते हैं? निम्नलिखित कारकों की चर्चा कीजिए- कीटनाशक दवाइयाँ, साहूकारों की भूमिका, मौसम।
उत्तर-
फसलों पर कीटों का प्रभाव, साहूकारों द्वारा शोषण और मानूसन का अभाव आदि वे कारण हैं जो स्वप्ना की स्थिति को जोखिम भरा बनाते हैं।

कीटनाशक दवाइयाँ-फसल पर कीटों के प्रभाव को कीटनाशक दवाइयों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
साहूकारों की भूमिका-सामान्यतः साहूकार किसानों का शोषण करते हैं। वे उन्हें ऋण जाल में फँसा लेते हैं।
मौसम- हमारी कृषि भूमि का लगभग 60% भाग अभी भी असिंचित है। हमारे किसान वर्षा पर अत्यधिक निर्भर करते हैं। अत: मौसम कृषि में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख 45)

प्रश्न 1.
उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाध पर’ की माँग क्यों करता है?
उत्तर-
उधारदाता ऋण के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में समर्थक ‘ऋणाधार की माँग करता है। यदि कर्जदार यह उधार लौटा नहीं पाता तो उधारदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए समर्थक ऋणाधार बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी निर्धन है। क्या यह उनके कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है?
उत्तर-
निर्धनता कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। इसका कारण है कि कर्ज लेने के लिए लोगों को गारंटी रूप में समर्थक ऋणाधार देनी पड़ती है। निर्धन लोगों के पास उन संपत्तियों का अभाव होता है जो कर्ज लेने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है।

प्रश्न 3.
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्पों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
ऋण लेते समय कर्जदार आसान प्ण शतोछद्ध को देखता है। इसका अर्थ है …………. (निम्न/ उच्च) ब्याज दर, ……….. (आसान / कठिन) अदायगी की शतेछद्व, …………. (कम/अधिक) समर्थक ऋणामार एवं आवश्यक कागजात।
उत्तर-
ऋण लेते समय कर्जदार आसान ऋण शर्तों को देखता है। इसका अर्थ है निम्न ब्याज दर. आसान अदायगी की शर्ते, कम समर्थक ऋणाधार एवं आवश्यक कागजात।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1.
सोनपुर में ऋण के विभिन्न पेतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
1. ग्रामीण साहूकार,
2. खेतिहर व्यापारी,
3. बैंक और,
4. भूपति-मालिक।

प्रश्न 2.
ऊपर दिए हुए अनुच्छेदों में ऋण के विभिन्न प्रयोगों वाली पंक्तियों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर-
संबंधित अनुच्छेदों में ऋण के निम्न प्रयोगों वाली पंक्तियाँ निम्न हैं

1. श्यामल का कहना है कि उसे अपनी 1.5 एकड़ जमीन को जोतने के लिए हर मौसम में उधार लेने की जरूरत पड़ती है।
2. अरूण सोनपुर के उन कुछ लोगों में से है. जिसे खेती के लिए बैंक से ऋण मिला है। ____ 3. साल में कई महीने रमा के पास कोई काम नहीं होता और उसे अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। अचानक बीमार पड़ने पर या परिवार में किसी समारोह पर खर्च करने के लिए भी उसे कर्ज लेना पड़ता है।
4. इस पूँजी का इस्तेमाल सदस्यों को कर्ज देने के लिए किया जाता है।
5. कृषक सहकारी समिति कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा कृषि व्यापार करने, मछली मकड़ने, घर बनाने और अन्य विभिन्न प्रकार के खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती है।

प्रश्न 3.
सोनपुर के छोटे किसान, ममयम किसान और भूमिहीन कृषि मज़दूर के लिए ऋण की शतोचद्व की तुलना कीजिए।
उत्तर-
im 3

प्रश्न 4.
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय क्यों होगी?
उत्तर-
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज़्यादा आय होगी क्योंकि-

1. अरुण के पास 7 एकड़ भूमि है, जबकि श्यामल के पास 1.5 एकड़ भूमि है।
2. अरुण ने 8.5% प्रतिवर्ष की ब्याज दर पर बैंक ऋण प्राप्त किया। दूसरी ओर, श्यामल को 36% प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण प्राप्त हुआ है।
3. अरुण को अगले तीन वर्षों में किसी भी समय ऋण चुकाना है, जबकि श्यामल को 3-4 महीनों के भीतर ही ऋण चुकाना है।
4. श्यामल को खेतिहर व्यापारी को फसल बेचने का वायदा करना पड़ता है, जबकि अरुण के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है।

प्रश्न 5.
क्या सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज मिल सकता है? किन लोगों को मिल सकता है?
उत्तर-
नहीं, सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज नहीं मिल सकता है। इसका कारण है कि सस्ती ब्याज दरों पर बैंक ऋण लेने के लिए समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता पड़ती है।
जो लोग समर्थक ऋणाधार और कागजात संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, उन्हें ही सस्ती ब्याज दरों पर बैंक से ऋण मिल सकता है।
6. सही उंनर पर निशान लगाइए-

(क) समय के साथ. रमा का पण

  1. बढ़ जाएगा
  2. समान रहेगा
  3. घट जाएगा

(ख) अरूण सोनपुर के उन लोगों में से है जो बैंक से उधार लेते हैं क्योंकि-

  1. गाँव के अन्य लोग साहूकारों से कर्ज़ लेना चाहते हैं।
  2. बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो कि हर किसी के पास नहीं होती।
  3. बैंक ऋण पर ब्याज दरें उतनी ही हैं जितना कि व्यापारी लेते हैं।

आओ-इन पर विचार करें ( पृष्ठ संख्या 50)

प्रश्न 1.
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अंतर है?
उत्तर-
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के बीच अंतर को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है-

HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 3

पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ऋण लेने से मदद मिलेगी कि नहीं, परिस्थिति के खतरों और हानि होने पर सहयोग की संभावना पर निर्भर करता हे। अन्यथा, अधिक जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए ओर समस्याएँ खड़ी कर सकता है।

उदहारण के तौर पर एक किसान खेती के लिए साहूकार से ऋण लेता है, इस उम्मीद पर कि फसल तैयार होने पर वह इस कर्ज को वापस कर देगा। परंतु, नाशक कीओं के हमले से फसल नष्ठ हो जाती हैं वह साहूकार का कर्ज अदा नहीं कर पाता और साल के अंदर यह कर्ज बड़ी रकम बन जाता हैं अगले साल वह पुनः कर्ज लेता है, इस साल फसल सामान्य रहती है, लेकिन इतनी कमाई नहीं होता कि वह अपना कर्ज उतार सके। इस तरह, वह कर्ज में फंस जाता है और कर्ज चुकाने के लिए उसे अपनी जीमन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ता हैं ऐसी परिस्थिति में ऋण ने उसकी कमाई बढ़ाने के बजाय उसकी स्थिति खराब कर दी।

प्रश्न-2.
मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए
उत्तर-
मुद्रा की सहायता से वस्तुओं व सेवाओं की खरीद में आसानी होती है। इसलिए हर कोइ मुद्रा के रूप में भुगतान लेना पंसद करता है। फिर उस धन का उपयोग अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि एक जूता निर्माता गेहूं खरीदना चाहता है। तो वह जूता बेचकर मुद्रा कमाएगा फिर इस मुद्रा से वह गेहूँ खरीद सकता है।
यदि किसी अर्थव्यवस्था में वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलन में हो तथा मुद्रा का प्रयोग न होता हो तो जूता निर्माता को गेहूं उगाने वाले किसान को खोजना पड़ता, जो न केवल गेहूँ बेचना चाहता हो बल्कि जूता खरीदने में भी रुचि रखता हो। अर्थात् दोनों पक्ष एक दूसरे से चीजें खरीदने व बेचने पर सहमति रखतें हों। इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं। वस्तु विनिमय प्रणाली में माँगों का दोहरा संयोग होना लाजिमी विशिष्टता है।

ऐसा अर्थव्यवस्था में जहाँ मुद्रा को प्रयोग होता है; मुद्रा विनिमय प्रक्रिया मध्यस्थता का काम करती है और माँगों के दोहरे संयोग को खत्म कर देती है।

प्रश्न-3.
अतिरिक्त धन वाले और धन के जरूरतमंद लोगों के बीच बैकि किस तरह मध्यस्थता प्रदान करते हैं?
उत्तर-
(क) अतिरिक्त धनवाले लोग अपने धन बैंकों में जमा करते हैं जिस पर उन्हें ब्याज मिलता है।
(ख) विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए कर्ज की बहुत मांग रहती है। बैंक उनके पास जमाराशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
(ग) इस प्रकार, बैंक दो गुटों के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं, एक गुट जिनके पास अतिरिक्त राशि है और दूसरा गुट जिसे इस राशि की जरूरत है।

प्रश्न-4.
रुपये के नोट को देखिये। उपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर-
इस रुपये के नोट पर लिखा होता है, ‘भारतीय रिजर्व बैंक’, केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत’ और ‘मै धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।’ इस कथन के नीचे भारतीर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है। भारतीय कानून के अनुसार किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की इजाजत नहीं है। साथ ही कानून रुपयों को विनिमय का माध्यम जैसे उपयोग करने की वैधता _ प्रदान करता है। इसलिए, रुपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया जाता हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 4

प्रश्न-5.
हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक स्तर पर ऋण देने वालों की तुलना में अनौपचारिक खण्ड के ज्यादातर ऋणदाता कहीं ज्यादा ब्याज वसूल करते हैं। इसलिए अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक हमँगा पड़ता है।
(ख) ऋण पर ऊँची ब्याज दारों के कारण कर्जदार की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण उतारने में खर्च हो जाता है – और निजी खर्च के लिए उसके पस बहुत कम आय बच जाती
(ग) कुछ मामलों के कर्ज अदायगी की रकम कर्जदार की आय से भी अधिक हो जाती है और व्यक्ति ऋण के फंदे में जकड़ सकता है। (घ) इन कारणों से आवश्यक है कि लोगों को औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण मिले।

प्रश्न-6.
गरीबों के लिये आत्मनिर्भर गटों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं? अपने शब्दों में बयान कीजिये।
उत्तर-
भारत में गरीब लोग ऋण के लिये अनौपचारिक स्रोतों पर ज्यादा निर्भर हैं। क्योंकि भारत के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक मौजूद नहीं हैं और जहाँ हैं भी वहां बैंक से कर्ज लेना साहूकारों से कर्ज लेने की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल हैं। बैंक से ऋण लेने के लिए संपत्ति और तमाम अन्य कागजातों की जरूरत होती हैं। ऋणाधार नहीं होने के कारण गरीब परिवार के लोगों को बैंको से कर्ज नहीं मिल पाता है।दूसरी ओर माहजन और साहूकार इन लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर जानते हैं और कई बार बिना ऋणाधार के ऋण दे देते हैं। लकिन ये साहूकार ब्याज’ की दरें काफी ऊँची रखतें हैं, कई बार कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं करते और लोगों की अशिक्षा का लाभ उठाते हुए उनका शोषण करते हैं गरीबों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर गुटों का संगठन किया जाता है।

प्रश्न-7.
क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर-
ऋण देते समय बैंक ऋण के लिखाफ कर्जदार से कोई समर्थक ऋणाधार की मांग कर सकता है। समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है। जैसे-भूमि, मकान, गाडी, पशु आदि। इसका इस्तेमाल उध परदाता को गारंटी देने के रूप में करता हैं ऋणाधार की गैर-मौजूदगी के कारण कुछ गरीब परिवार बैंकों से ऋण नहीं ले पाते हैं।

प्रश्न-8.
भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधि यों पर किस तरह नजर रखता है।? यह जरूरी क्यों हैं?
उत्तर-
(क) भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखता हैं बैंक हमेशा अपने पास जमा पूंजी की एक न्यूनतम नकद अपने पास रखते हैं। आर.बी.आई. नजर रखता है कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं।
(ख) आर.बी.आई. इस बात पर भीनजर रखता है कि बैंक केवल लाभ बनाने वाली इकाइयों व व्यापारियों को ही ऋण न दें बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्जदारों आदि की भी ऋण मुहैया करवाए।
(ग) समय-समय पर बैंकों को आर.बी.आई. को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना और किनकों ऋण दे रहे हैं और उसकी ब्याज दरें क्या हैं?
(घ) बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है जिससे वह ऋण के अनौपचारिक स्रोतों की तरह काम करना न शुरू कर दें।

प्रश्न-9.
विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण किजिये।
उत्तर-
ऋण एक ऐसी सहमति है जहाँ उधारदाता कर्जदार को धन वस्ताएं या सेवाएँ प्रदान करता है बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान का वादा लेता है। हमारी रोजमर्रा की जिदंगी में बहुत सी गतिविधियों ऐसी होती हैं, जहाँ किसी न किसी रूप में ऋण लेते है।। उद्योगपति और व्यापारी उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के जरिये पूरा करते हैं। ऋण उन्हें उतपादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर खत्म करने में सहायता करता हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ती हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की मुख्य माँग फसल उगाने के लिए होती हैं फसल उगाने में बीच, खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, उपकारणों की मरम्मत आदि पर कापी खर्च आता है किसान
इन जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण लेतें हैं। फसल तैयार होने पर किसान ऋण उतार देते हैं।

प्रश्न-10.
मानव को एक छोटा व्यवसाय खोलने के लिये ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चिय करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिये।
उत्तर-
भारत में बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों की श्रेणी में आते हैं जबकि साहूकार ऋण की अनौपचारिक श्रेणी में आता हैं भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता हैं।

अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। वें मनमर्जी दरों पर ऋण दें सकते है। उन्हें ना.. तरीकों से पैसे वापस लेने से कोई रोक नहीं सकता हैं। महाजन ब्याज की दरें बहुत ऊँची रखते हैं, कइ बार लिखा-पढ़ी भी पूरी नहीं करते और ऐसी परिस्थिति का फायदा उठाते हुए गरीबों कों सताते है। अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को कहीं अधिक महँग पड़ता है।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मानव को फैसला करना चाहिए। वर्तमान स्थिति में औपचारिक स्रोतों से ऋण लेना मानव के लिए श्रेयकर हैं।

प्रश्न-11.
भारत में 80 प्रतिशत मिकसान छोटे किसान हैं जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
उत्तर-
बैंक से कर्ज लेने के लिए संपत्ति और तमान किस्म के कागजातों की जरूरत पड़ती हैं । छोटे किसानों के पाय प्रायः ऋणाधार का अभाव होता है। अतः बैंक उन्हें ऋण देने से हिचकिचा सकते हैं।

(ख) वे दूसरे स्रोत से कोन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।
उत्तर-
छोटे किसान आमतौर पर महाजन, साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार या मित्रों से कर्ज लेते हैं।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो कसती हैं?
उत्तर-
ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबकों मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता हैं हरेक ऋण समझौते में ब्याज दर पहले ही स्पष्ट कर दी जाती है। इसके अलावा, उधाराता ऋण के खिलाफ कोई समर्थक ऋणाधार की मांग भी कर सकता है। समर्थक ऋणाध पर वह संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है, जैसे, भूमि, मकान, गाड़ी, पशु, बैंकों में पूंजी आदि। वह इसका इस्तेमाल उधारदाता को गांरटी देने के रूप मे करता ह।, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता। यदि कर्जदार उधार वापस नहीं कर पाता तो उधारदाता को अपनी रकम वापस पाने के लिए समर्थक ऋणाधार को बेचने का अधिकार होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की मांग मुख्यतः फसल उगाने के लिए होती है। यदि किसी कारणवश फसल बर्बाद हो जाय तो किसान कर्ज की आदायगी नहीं कर पाता है। अगले वर्ष फसल के लिए उसे पुनः ऋण लेना पड़ता है। इस तरह वह ऋण फंदे में फंस सकता है।

(घ) सुझाव दीजिये कि सि तरह छोटे किसानों को सस्टा ऋण उपलब्ध कराया जा सकता हैं?
उत्तर-
छोटे किसानों को ऋण के औपचारिक स्रोतों यथा बैंक और सहकारी समित्तियाँ से सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। इस कार के लिए वे स्वयं को आत्मनिर्भर गुटों में संगठित कर सकते हैं इससे उन्हें ऋण मिलना आसान हो सकता है।

प्रश्न-12.
रिक्त स्थान भरियेः
(क) ……………परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) ऋण की लागत का ………ऋण का बोझ बढ़ाता
(ग) ………..केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी ोट जारी करता है।
(घ) बैंक ………… पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) …………..संपत्ति है जिसकी मलकियत कर्जदार के पास है जिसे वह ऋण लेने के लिए गांरटी के रूप में इस्तेमाल करता है जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर-
(क) गरीब,
(ख) बढ़ना,
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक,
(घ) जमा,
(ङ) समर्थक ऋणाधार वह।

प्रश्न-13.
सही उत्तर का चयन करें
1. स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्माण लिए जाते हैं
a. बैंक, b. सदस्य, c. गैर सरकारी संस्था द्वारा।
2. ऋण के औपचारिक स्रोतों में शमिल नहीं है।
a. बैंक, b. सहकारी समिति, c. नियोक्ता
उत्तर-
1-b;
2-c.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *