Author name: Bhagya

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran वाक्य-विचार

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vakya-Vichar वाक्य-विचार Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran वाक्य-विचार

मनुष्य अपने भावों या विचारों को वाक्य में ही प्रकट करता है। वाक्य में शब्दों का निश्चित क्रम होता है। कभी-कभी एक शब्द को भी वाक्य के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जैसे-

  • राकेश – शशंक, तुम कहां जा रहे हो ?
  • शशांक – स्कूल।

यहां शशांक ने केवल ‘स्कूल’ कहकर उत्तर दिया है।

वाक्य के अंग (Parts of Sentence) : वाक्य के दो अंग होते हैं :
1. उद्देश्य (Subject)
2. विधेय (Predicate)

1. उद्देश्य (Subject) : वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे-

  • मोहन खेलता है।
  • पक्षी डाल पर बैठा है।

इन वाक्यों में ‘मोहन’ और ‘पक्षी’ उद्देश्य हैं।

2. विधेय (Predicate) : उद्देश्य के विषय में जो कुछ – कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं। जैसे-

  • मोहन खेलता है।
  • पक्षी डाल पर बैठा है।

इन वाक्यों में ‘खेलता है’ और ‘डाल पर बैठा है’ विधेय हैं।

यह भी जानें : उद्देश्य में कर्ता मूल होता है तथा कभी-कभी उसका विस्तार भी किया जाता है। जैसे-
मेरा पुत्र मोहन खेलता है।
यहाँ भी कर्ता ‘मोहन’ ही है। पर ‘मेरा पुत्र’ कर्ता का विस्तार है।

विधेय में क्रिया मूल होता है। सकर्मक क्रिया में कर्म भी विधेय का विस्तार ही अंश होता है। कर्म और क्रिया दोनों का विस्तार ‘विधेय का विस्तार’ कहलाता है। जैसे-

  • मोहन पत्र लिखता है।
  • मोहन लंबा पत्र लिखता है।
  • मोहन लंबा पत्र नित्य लिखता है।

इन तीनो वाक्यों में रेखांकित अंश विधेय हैं। दूसरे और तीसरे वाक्यों में विधेय का विस्तार किया गया है।

निम्नलिखित वाक्यों में उद्देश्य और विधेय की ओर ध्यान दीजिए :

उद्देश्यविधेय
श्रीकृष्ण नेकंस का वध किया।
आपक्या कर रहें हैं ?
प्रतापी सम्राट अशोक नेयुद्ध न करने की शपथ लो।
मेरा बड़ा भाई रामकल कोलकाता जाएगा।
मैंमंत्री को पत्र लिख रहा हूँ।

HBSE 7th Class Hindi रचना वाक्य विचार

वाक्य-रचना (Construction of Sentence):
वाक्य शब्दों या पदों का मात्र समूह नहीं होता है। प्रत्येक वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक पद किसी-न-किसी संबंध से परस्पर जुड़ा रहता है। यह संबंध ही पदों के समूह को वाक्य का रूप प्रदान करता है। इस संबंध को दो प्रकार से समझा जा सकता है।
1. पदक्रम और
2. अन्विति। वाक्य-रचना की दृष्टि से ये दोनों तत्त्व अनिवार्य हैं। ॥

वाक्य के भेद (Kinds of Sentence) :
(क) अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं :
1. विधानवाचक (Assertive) : इसमें क्रिया करने का सामान्य कथन होता है।
जैसे- सौरभ पढ़ता है।
2. निषेधवाचक (Negative) : इसमें किसी कार्य के न होने का भाव प्रकट होता है।
जैसे- वह आज काम नहीं करेगा।

3. प्रश्नवाचक (Interrogative) : इस वाक्य में प्रश्न के पूछे जाने का बोध होता है।
जैसे- वह क्या कर रहा है?

4. आज्ञावाचक (Command or Order) : इसमें आज्ञा या अनुमति देने का भाव होता है।
जैसे- तुम अभी चले जाओ। (आज्ञा)
अब आप जा सकते हैं। (अनुमति)

5. संदेहवाचक (Doubr) : इस प्रकार के वाकय में किसी कार्य के होने के बारे में संदेह प्रकट किया जाता है।
जैसे- वह शायद ही यह काम करे।

6, इच्छावाचक (Will or Hope) : इस प्रकार के वाक्यों में वक्ता की इच्छा, आशीर्वाद, शुभकामना आदि का बोध होता है।
जैसे- ईश्वर तुम्हें दीर्घायु बनाए।

7. संकेतवाचक (Conditional) : इस वाक्य में एक क्रिया दूसरी पर निर्भर होती है।
जैसे- यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।

HBSE 7th Class Hindi रचना वाक्य विचार

8. विस्मयादिवाचक (Exclamatory) : इन वाक्यों में घृणा, शोक, हर्ष, विस्मय आदि के भाव प्रकट होते हैं।
जैसे :

  • वाह ! तुमने तो कमाल कर दिया।
  • छिः छि कितनी गंदी जगह है ?

रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं :
1. सरल वाक्य (Simple Sentence)
2. संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)
3. मिश्र वाक्य (Complex Sentence)

1. सरल वाक्य (Simple Sentence) : जिस वाक्य में एक – उद्देश्य और एक विधेय हो उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं। उदाहरण :

  • लड़के खेल रहे हैं।
  • तेज़ वर्षा हो रही है।

2. संयुक्त वाक्य (Compound Sentence) : समान स्तर के दो या अधिक सरल वाक्य जिस वाक्य में जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। उदाहरण :

  • वर्षा हो रही है और धूप निकली हुई है।
  • आप चाय लेंगे अथवा शर्बत मंगवाऊँ।

3. मिश्र वाक्य (Complex Sentence) : जिस वाक्य में एक सरल वाक्य (मुख्य उप वाक्य) हो तथा एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। उदाहरण :

  • उसने कहा कि मैं स्कूल जाऊंगा। (संज्ञा उपवाक्य)
  • वह छात्र प्रथम आएगा, जो पीछे बैठा है। (विशेषण उपवाक्य)
  • जब भी जाना चाहें, आप चले जाइए। (क्रिया विशेषण उपवाक्य)

आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं :

  1. संज्ञा उपवाक्य (Noun Clause)
  2. विशेषण उपवाक्य (Adjective Clause)
  3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य (Adverb Clause)

HBSE 7th Class Hindi रचना वाक्य विचार

1. संज्ञा उपवाक्य : जो उपवाक्य वाक्य में संज्ञा का काम करते हैं, वे संज्ञा उपवाक्य कहलाते हैं। इस उपवाक्य से पहले ‘कि’ का प्रयोग होता है और कभी-कभी ‘कि’ का लोप भी हो जाता है। जैसे-

  • मुझे विश्वास है कि आप दीवाली हर घर जरूर आएँगे।
  • तुम नहीं आओगे, मैं जानता था।

2. विशेषण उपवाक्य : विशेषण उपवाक्य मुख्य उपवाक्य में प्रयुक्त किसी संज्ञा की विशेषता बताता है। हिंदी में ‘जो’ (जिस, जिसे आदि) वाले उपवाक्य प्रायः विशेषण उपवाक्य होते हैं। जैसे

  • आपकी वह पुस्तक कहां है, जो आप कल लाए
  • जो आदमी पत्र बांटता है, वह डाकिया होता है।
  • जिसे आप ढूंढ रहे हैं, वह मैं नहीं हूँ।
    अधिकतर विशेषण उपवाक्य के प्रारम्भ या अंत में प्रयुक्त होते हैं ; जैसे
  • जो पैसे मुझे मिले थे, वे खर्च हो गए। (प्रारंभ में)
  • वे पैसे खर्च हो गए, जो मुझे मिले थे। (अंत में)

3. क्रिया विशेषण उपवाक्य : यह उपवाक्य सामान्यत: मुख्य उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है। ये क्रिया विशेषण उपवाक्य किसी काल, स्थान, रीति, परिमाण, कार्य-कारण आदि का द्योतन करते हैं। इसमें जब, जहां, जैसा, ज्यों-ज्यों आदि समुच्चयबोधक अव्यय प्रयुक्त होते हैं; जैसे-

  • जब बारिश हो रही थी, तब मैं घर में था। (कालवाची)
  • जहाँ तुम पढ़ते थे, वहीं मैं पढ़ता था। (स्थानवाची)
  • जैसा आप ने बताया था, वैसा मैंने किया। (रीतिवाची)

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Shabd-Gyan (Bhandar) शब्द-ज्ञान (भंडार) Exercise Questions and Answers.

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शब्द: प्रयोग में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए उसके विभिन्न रूपों का ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थ की दृष्टि से विभिन्न शब्द-रूप निम्नांकित हैं :
(क) पर्यायवाची शब्द
(ख) विलोम शब्द
(ग) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
(घ) समरूपी भिन्नार्थक शब्द
(ङ) अनेकार्थी शब्द

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)

(क) पर्यायवाची शब्द (Synonyms) :
जो शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हैं, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। परंतु स्मरणीय बात यह है कि अर्थ में समानता होते हुए भी पर्यायवाची शब्द प्रयोग में सर्वथा एक-दूसरे का स्थान नहीं ले सकते। जैसे
मृतात्माओं के तर्पण के लिए ‘जल’ शब्द का प्रयोग उपयुक्त है, ‘पानी’ का नहीं, जबकि दोनों समानार्थक (पर्यायवाची) हैं। प्रत्येक पर्यायवाची अपनी अर्थगत विशिष्टता लिए हुए होता है। यहाँ कुछ शब्दों के पयार्यवाची शब्द दिए जा रहे हैं :

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-1
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-2

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-3

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(ख) विलोम शब्द (Antonyms) :
किसी शब्द से विपरीत अर्थ देने वाला शब्द उसका विलोम या विपरीतार्थक कहा जाता है। इन्हें उल्टे अर्थ वाले शब्द भी कहा जाता है। तत्सम शब्द का विलोम तत्सम और तद्भव शब्द का विलोम तद्भव में ही देना चाहिए।
यहाँ कुछ विलोम शब्दों की सूची दी जा रही है :
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(ग) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (One word substitution) :
हिंदी भाषा में अनेक शब्दों, पदबंधों या वाक्यांशों के लिए प्रायः एक शब्द का प्रयोग किया जाता है। इससे लेखन में संक्षिप्तता आती है तथा लेख सुगठित हो जाता है।
यहाँ कुछ ऐसे ही उदाहरण दिए जा रहे हैं :
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-6

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-7

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(घ) समरूपी भिन्नार्थक शब्द (शब्द-युग्म) (Pair of Similar words – Distinguished) :
कुछ शब्द उच्चारण की दृष्टि से समान प्रतीत होते हैं, परंतु अर्थ की दृष्टि से उनमें पर्याप्त भिन्नता होती है। ऐसे ही कुछ शब्दों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है :
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-8

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HBSE 6th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)

(ङ) एकार्थी शब्द (Words having One meaning) :
जिन शब्दों का अर्थ सभी परिस्थितियों में एक-सा रहता है, उन्हें एकार्थी या एकार्थक शब्द कहते हैं। ऐसे कुछ शब्दों के उदाहरण प्रस्तुत हैं:
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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)

(च) अनेकार्थी शब्द (Words with various meanings) :
हिंदी में ऐसे अनेक शब्द हैं, जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं। इनका प्रयोग संदर्भ के अनुसार किया जाता है। प्रयोग के अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न अर्थ देने वाले शब्द अनेकार्थी कहलाते हैं।
ऐसे कुछ शब्दों के उदाहरण प्रस्तुत हैं :
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-14
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-ज्ञान (भंडार)-15

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran काल

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran kaal काल Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran काल

क्रिया किस समय हुई, इसका बोध कराने का काम काल करता है। हम कह सकते हैं :

क्रिया के जिस रूप से काम के होने के समय का बोध होता है, उसे काल कहते हैं।

काल के भेद (Kinds of Tense) :
काल के मुख्य रूप से तीन भेद हैं-
1. वर्तमान काल (Present Tense)
2. भूतकाल (Past Tense)
3. भविष्यत काल (Future Tense)

1. वर्तमान काल (Present Tense) : क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि काम अभी चल रहा है, वर्तमान काल कहलाता है।
जैसे-
वह पढ़ रहा है।
रवि खाना खाता है।

वर्तमान काल के तीन उपभेद हैं :
(क) सामान्य वर्तमान (Present Indefinite) : इसमें क्रिया का वर्तमान काल में सामान्य रूप से होने का पता चलता है।
जैसे- बच्चा दूध पीता है।
(ख) अपूर्ण वर्तमान (Present Continuous) : क्रिया के जिस रूप से जाना जाए कि काम अभी चल रहा है, अपूर्ण वर्तमान काल कहलाता है,
जैसे- नीलिमा पढ़ रही है।
(ग) संदिग्ध वर्तमान (Present Doubtful) : क्रिया के जिस रूप से उसके वर्तमान काल के होने में संदेह का बोध हो, संदिग्ध वर्तमान काल कहलाता है।
जैसे- राधा आती होगी।

HBSE 7th Class Hindi रचना काल

2. भूतकाल (Past Tense) : क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध हो, वह भूतकाल कहलाता है। जैसे
तुमने पुस्तक पढ़ी।

भूतकाल के छ: उपभेद हैं :
(क) सामान्य भूत (Past Indefinite) : इसमें बीते हुए समय की क्रिया का सामान्य रूप होता है।
जैसे- मैं गया। रवि ने पत्र पढ़ा।

(ख) आसन्न भूत (Recent Past) : इसमें यह जाना जाता है कि काम भूतकाल में आरंभ होकर अभी-अभी समाप्त हुआ है।
जैसे-
मैंने अपना पाठ याद कर लिया है।
लड़कों ने फल खाए हैं।

(ग) पूर्ण भूत (Past Perfect) : इसमें यह पता चलता है कि काम भूतकाल में पूरा हो चुका था।
जैसे- मैंने पत्र लिखा था।

(घ) अपूर्ण भूत (Past Continuous) : जहां बीते हुए समय में चल रहा काम अभी पूरा नहीं हुआ हो, वहां अपूर्ण भूतकाल होता है।
जैसे- मोहन पुस्तक पढ़ रहा था।

(ङ) संदिग्ध भूत (Past Doubtful) : जहां बीते हुए समय में काम के बारे में संदेह हो, वहां संदिग्ध भूतकाल होगा।
जैसे- वह घर गया होगा।

(च) हेतुहेतुमद्भूत (Past Conditional) : जहां भूतकाल की एक क्रिया दूसरे पर आश्रित हो, वहां हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है।
जैसे- यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।

HBSE 7th Class Hindi रचना काल

3. भविष्यत् काल (Future Tense) : क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय का बोध हो, उसे भविष्यत्काल कहते हैं।
मैं कल मुम्बई जाऊँगा।

भविष्यत् काल के दो उपभेद हैं :
(क) सामान्य भविष्यत् (Future Indefinite) : आने वाले काल की क्रिया के सामान्य रूप को सामान्य भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे- हम खेलने जाएंगे।

(ख) संभाव्य भविष्यत् (Future Doubtful) : जहां आने वाले समय में कार्य के होने की संभावना हो, वहाँ संभाव्य ‘भविष्यत् काल होता है।
जैसे- शायद आज वर्षा हो।

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran अव्यय (अविकारी शब्द)

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Avyay (Avikaari Shabd) अव्यय (अविकारी शब्द) Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran अव्यय (अविकारी शब्द)

अव्यय (अविकारी शब्द):
हमने संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया पदों का अध्ययन किया और देखा कि इन पदों के रूपों में परिवर्तन होता है, अत: इन्हें विकारी पद कहते हैं। अब उन पदों का अध्ययन किया जाएगा जिनका रूप सदैव एक ही बना रहता है और उनमें परिवर्तन नहीं होता। एक ही रूप बने रहने के कारण इन्हें अव्यय कहते हैं। अव्यय शब्द का अर्थ है जिसका व्यय न हो अर्थात् जिनमें विकार न आए। इन्हें अविकारी पद भी कहते हैं।

अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि से मिलकर विकार या रूप-परिवर्तन नहीं होता।।

अव्यय के भेद (Indeclinable Words) :
अव्यय के पांच मुख्य भेद माने जाते हैं-
1. क्रिया विशेषण (Adverb)
2. संबंधबोधक (Post Position)
3. समुच्चयबोधक (Conjunction)
4. विस्मयादिबोधक (Interjection)
5. निपात (Stress)

HBSE 7th Class Hindi रचना अव्यय (अविकारी शब्द)

1. क्रिया विशेषण (Adverb) :
जो पद क्रिया की विशेषता बताता है उसे क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं ; जैसेधीरे-धीरे, आजकल, के पास, बिल्कुल।
क्रिया विशेषण के चार भेद माने गए हैं :
(क) कालवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Time) : जो पद क्रिया के काल या समय की विशेषता बताता है उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे

  • तुम चेन्नै कब जाओगे।
  • संजय परसों जयपुर से आया था।
  • शीला प्रतिदिन स्कूल जाती है।
  • महँगाई आजकल बढ़ती जा रही है।

(ख) स्थानवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Place): जो पद क्रिया के स्थान का बोध कराता है, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-

  • वह यहां रहता है।
  • माता जी बाहर गई हैं।
  • तुम इधर-उधर मत जाओ।
  • वर्षा में कहां जाओगे ?

(ग) रीतिवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Manner): जो पद क्रिया के होने की रीति या विधि संबंधी विशेषता बताता है, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं ; जैसे-

  • कार तेज़ दौड़ती है।
  • साइकिल धीरे-धीरे चलती है।
  • मुदिता ध्यानपूर्वक पढ़ती है।

(घ) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Quantity) : जो पद क्रिया की मात्रा या परिमाण बताए, वह परिमाणवाचक क्रियाविशेषण है; जैसे

  • मैं बिल्कुल थक गया हूँ।
  • बंगाल में चावल अधिक खाया जाता है।
  • थोड़ा खाओ, खूब चबाओ।

HBSE 7th Class Hindi रचना अव्यय (अविकारी शब्द)

2. संबंधबोधक अव्यय (Post Position) :
संबंधबोधक अव्यय अपने पूर्वपद के साथ संबध जोड़ता है। इस पद के पहले किसी-न-किसी परसर्ग की अपेक्षा रहती है; जैसे- से दूर, के साथ, के कारण, के वास्ते, की अपेक्षा, की जगह, के अनुसार, की तरफ। उदाहरण के लिए :

  • मैं घर से दूर पहुंच गया था।
  • इस मकान के पीछे शिव मंदिर है।
  • मोहन बाज़ार की ओर गया है।
  • उसके सामने तुम कहीं नहीं ठहर सकते।

3. समुच्चयबोधक अव्यय (Conjunction) :
जो अव्यय पदों, पदबंधों और उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे- और, कि, अथवा, क्योंकि, इसलिए।
समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं :
(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधक : जो दो या उससे अधिक समान पदों, पदबंधों, उपवाक्यों को जोड़ता है, वह समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाता है। जैसे-

  • नरेन्द्र शाम को रोटी और दाल खाता है।
  • जोगेन्द्र रसमलाई या गुलाबजामुन खाता है।

(ख) व्यधिकरण समुच्चबोधक : जो पद किसी वाक्य के एक या अधिक आश्रित उपवाक्यों को जोड़ता है, वह व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाता है; जैसे-

  • शेख घर चला गया है क्योंकि उसके सिर में दर्द था।
  • उसने परिश्रम किया फिर भी सफल नहीं हो पाया।

4. विस्मयादिबोधक अव्यय (Interjection) :
विस्मयादिबोधक अव्यय वे रूप हैं जो आश्चर्य, हर्ष, शोक, व्यथा, घृणा आदि मनोभावों के उद्गार को व्यक्त करते हैं। उद्गार प्रायः अपने-आप मुँह से निकल जाते हैं और इनका उद्देश्य प्रायः सुनने वाले को कोई सूचना देना नहीं होता; जैसे-

  • वाह ! क्या सुंदर दृश्य है। (आश्चर्य)
  • अरे ! गाड़ी से बचो। (चेतावनी)
  • क्या बोलूँ ! (व्यथा)
  • शाबाश ! बहुत बड़ा काम किया तुमने। (प्रशंसा)
  • छिः ! ऐसी गंदी बात करता है। (घृणा)

HBSE 7th Class Hindi रचना अव्यय (अविकारी शब्द)

5. निपात (Stress) :
वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव पैदा करने में सहायता करते हैं, उन्हें निपात या अवधारणामूलक शब्द कहते हैं; जैसे
1. राम ही कल जाएगा।
2. राम कल ही जाएगा।
3. कल राम भी जाएगा।
4. मैंने तो कुछ नहीं किया।
5. तुम्हारे बारे में बच्चे तक जानते हैं।

अभ्यास

1. अव्यय किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
2. अव्यय के भेद बताते हुए प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
3. क्रिया विशेषण का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके प्रकारों का विवेचन उदाहरण सहित कीजिए।
4. निम्नलिखित अनुच्छेद में प्रयुक्त अव्ययों के नीचे रेखा खींचो तथा उसका भेद भी बताओ।
राम और श्याम तेज दौड़ रहे थे। वे पेड़ के पास रुक गए। अरे ! इतना लंबा सांप कहां से आ गया ? राम बोला कि मैं अब नहीं दौडूंगा। श्याम भी चला गया।
5. क्रिया-विशेषण छांटो :

  • गीता मधुर गाती है।
  • वह ऊपर बैठा है।
  • रवि आज आएगा।

6. संबंधबोधक छांटो:

  • पेड़ के नीचे विश्राम कर लो।
  • गाँव के परे एक मठ है।
  • भवन के ऊपर झंडा फहरा रहा है।
  • सेना के आगे घुड़सवार थे।

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran kriya क्रिया Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया का अर्थ है- ‘काम’। काम या तो होता है या किया जाता है।

परिभाषा- क्रिया वह विकारी शब्द है जिससे काम के करने या होने का बोध होता है।
क्रिया के मूल रूप को धातु (Root) कहते हैं। क्रिया के रूप धातु से बनते हैं। जैसे –
‘खा’ धातु से – खाऊँगा, खाता, खाऊँ, खाई आदि।
इसी प्रकार ले, दे, जा, पढ़ आदि धातुओं से विभिन्न क्रिया-रूप बनते हैं।

क्रिया के भेद (Kinds of Verb) :
मुख्य रूप से क्रिया के दो भेद हैं-
1. अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb)
2. सकर्मक क्रिया (Transitive Verb)

1. अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb) :
जिन क्रियाओं में कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहा जाता है। ऐसे वाक्यों में क्रिया के व्यापार का फल कर्ता में ही रहता है। जैसे-
स्वाति दौड़ती है। बच्चा रोता है।
इन वाक्यों में ‘स्वाति’ और ‘बच्चा’ कर्ता हैं तथा ‘दौडना’ और ‘रोना’ क्रियाएँ हैं। इनके साथ कर्म है ही नहीं और न उसकी आवश्यकता है।

HBSE 7th Class Hindi रचना क्रिया

2. सकर्मक क्रिया (Transitive Verb):
जिन क्रियाओं के व्यापार का फल सीधे कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं। कर्म के बिना ये वाक्य अधूरे प्रतीत होते हैं। जैसे-
मैंने खाया। (क्या खाया ?)
मैंने आम खाया। (आम-कर्म)
दूसरा वाक्य पूरा है तथा इसकी क्रिया ‘खाया’ सकर्मक है।

सकर्मक क्रिया की पहचान कर्ता और क्रिया के बीच ‘क्या’ और ‘किसे’ आदि प्रश्न करने से हो जाती है। यदि प्रश्न का उत्तर मिले तो क्रिया सकर्मक और न मिले तो क्रिया अकर्मक होती है।
जैसे- वह दूध पीता है।
प्रश्न – वह क्या पीता है ?
उत्तर – दूध। अतः ‘पीता है’ क्रिया सकर्मक है।

द्विकर्मक क्रिया : द्विकर्मक क्रिया वाले वाक्यों में दो-दो कर्म होते हैं। इनमें पहला कर्म प्रायः प्राणीवाचक होता है। इसे ‘गौण कर्म’ कहते हैं। दूसरा कर्म प्रायः अप्राणीवाचक होता है और यह मुख्य कर्म कहलाता है।
मुख्य कर्म विभक्ति-चिह्न (परसर्ग) रहित होता है और गौण कर्म के साथ प्रायः ‘को’ परसर्ग लगता है।
उदाहरण :
मैं राम को पत्र लिखता हूँ। इस वाक्य में दो कर्म हैं-
(i) राम को – प्राणीवाचक – गौण कर्म।
(ii) पत्र – अप्राणीवाचक – मुख्य कर्म।

संरचना की दृष्टि से क्रिया के पांच भेद हैं :
1. सामान्य क्रिया (Ordinary Verb)
2. संयुक्त क्रिया (Compound Verb)
3. नामधातु क्रिया (Nominal Verb)
4. प्रेरणार्थक क्रिया (Causal Verb)
5. पूर्वकालिक क्रिया (Absolutive Verb)

1. सामान्य क्रिया : इसमें केवल क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- राम गया, मैंने पढ़ा।

2. संयुक्त क्रिया : इसमें दो या दो से अधिक क्रियाओं को मिलाकर प्रयोग किया जाता है। जैसे
मैं खाना खा चुका हूँ। – वह अब सो गया है।

3. नामधातु क्रिया : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि से बनी क्रियाएं नामधातु क्रिया कहलाती हैं। जैसे-
संज्ञा से- बात-से ‘बतियाना’, हाथ-से ‘हथियाना’। सर्वनाम से- मैं-से ‘मिमियाना’ ; अपना-से ‘अपनाना’। विशेषण से- गर्म-से ‘गर्माना’ ; नरम-से ‘नरमाना’।

HBSE 7th Class Hindi रचना क्रिया

4. प्रेरणार्थक क्रिया : जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को प्रेरणा देकर काम करवाता है, तब क्रिया का वह रूप प्रेरणाथक क्रिया कहलाता है। जैसे-

क्रिया का सामान्य रूपप्रथम प्रेरणार्थकद्वितीय प्रेरणार्थक
पीनापिलानापिलवाना
पढ़नापढ़ानापढ़वाना
धोनाधुलनाधुलवाना
लिखनालिखानालिखवाना
सुननासुनानासुनवाना
सोनासुलानासुलवाना

[वास्तव में द्वितीय कोटि की प्रेरणार्थक क्रियाएँ ही सही अर्थों में प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं।]

5. पूर्वकालिक क्रिया : मुख्य क्रिया से पूर्व होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। जैसेवह दूध पीकर चला गया। मैं नहाकर पुस्तक पढूंगा।

अभ्यास

1. अन्तर स्पष्ट करो:

(क) धातु और क्रिया में।
(ख) अकर्मक और सकर्मक क्रिया में।
(ग) सामान्य और संयुक्त क्रिया में।

2. नीचे लिखे वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के नीचे रेखा खींचो :

(क) सोहन ने खाना खाया।
(ख) वह अपनी जगह से उठ गया।
(ग) दिव्या पुस्तक पढ़ रही है।
(घ) बालक खेलकर सो गया।

HBSE 7th Class Hindi रचना क्रिया

3. इन वाक्यों में से अकर्मक और सकर्मक क्रियाएं छांटकर तालिका लिखें :

(क) वह हंस रहा है।
(ख) वह पत्र लिख रहा है।
(ग) दूध उबल रहा है।
(घ) भारती दूध उबाल रही है।
(ङ) मैंने पुस्तक पढ़ी।
(च) बालक चिल्लाया

4. तीन मूल धातुएं लिखकर उनसे दो-दो क्रिया-रूप बनाकर लिखो।

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sangya संज्ञा Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

नीचे लिखे वाक्यों को पढ़िए और रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए :
1. दिव्या खड़ी है।
2. वह गन्ना चूस रही है।
3. गन्ने में मिठास है।
पहले वाक्य में ‘दिव्या‘ एक लड़की (व्यक्ति) का नाम है।
दूसरे वाक्य में ‘गन्ना‘ एक वस्तु का नाम है।
तीसरे वाक्य में ‘मिठास‘ एक गुण का नाम है।
इन वाक्यों में दिव्या, गन्ना, मिठास शब्द संज्ञाएं हैं।

किसी व्यक्ति (प्राणी), वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।

संज्ञा के कुछ उदाहरण देखिए :

  • व्यक्तियों (प्राणियों) के नाम – स्वाति, गौरव, सौरभ, बालक, हाथी, शेर, गाय आदि।
  • वस्तुओं के नाम – मेज़, कुर्सी, कमीज़, ताजमहल आदि।
  • स्थानों के नाम – आगरा, दिल्ली, मुम्बई, नगर आदि।
  • गुणों या भावों के नाम – मिठास, ईमानदारी, बुढ़ापा, सच्चाई आदि।

संज्ञा के कार्य : वाक्य में संज्ञा शब्द कई कार्य करते हैं :

  • कर्ता के रूप में – रमेश पुस्तक पढ़ता है।
  • कर्म के रूप में – रमेश ने पुस्तक को पढ़ा।
  • पूरक के रूप में – रमेश डाक्टर है।
  • क्रिया विशेषण के रूप में – रमेश घर पर है।

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संज्ञा के भेद (Kinds of Noun) :
मुख्य रूप से संज्ञा के तीन भेद हैं : व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक संज्ञा।
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun): जिस संज्ञा से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- महात्मा गांधी, ताजमहल, लाल किला।

2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) : जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति या स्थान को न बताकर सम्पूर्ण जाति का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- गाय, बालक, पुस्तक, घर।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
जयचंदों के कारण ही देश को गुलाम होना पड़ा।
[यहाँ ‘जयचंद’ व्यक्ति विशेष न रहकर देशद्रोहियों का प्रतीक बन गया है, अतः यह प्रयोग जातिवाचक संज्ञा का है।]

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग गांधीजी ने भारत को स्वतंत्र कराया।
[‘गांधी’ जातिसूचक शब्द होते हुए भी यहां महात्मा गांधी के लिए प्रयुक्त हुआ है, अत: यह व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग माना जाएगा।]

3. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) :
जो संज्ञा शब्द किसी गण, दशा या भाव का बोध कराएँ, भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं। जैसे- बुढ़ापा, सुंदरता, मित्रता, गरीबी आदि।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

भाववाचक संज्ञाएँ बनाना (Formation of Abstract Noun) :
भाववाचक संज्ञाएँ पांच प्रकार के शब्दों से बनाई जाती हैं :
1. जातिवाचक संज्ञा से
सज्जन – सज्जनता
विद्वान – विद्वत्ता
मनुष्य – मनुष्यता
पशु – पशुता
शत्रु – शत्रुता
मित्र -मित्रता
साधु – साधुता
कवि – कवित्व
चोर – चोरी

2. विशेषण से-
सुंदर – सुंदरता
आलसी – आलस्य
मीठा -मिठास
सफेद – सफेदी
काला – कालिमा
हरा – हरियाली
चतुर – चतुरता/चतुराई
भोला – भोलापन
मधुर – मधुरता

3. सर्वनाम से-
अपना – अपनापन
मम – ममता
आप – आपा
सर्व – सर्वस्व
अहं – अहंकार
निज – निजत्व

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

4. क्रिया से
उठना – उठान
पढ़ना – पढ़ाई
भूलना – भूल
धकना – थकावट
उतरना – उतराई
हारना – हार

5. अव्यय से
समीप – समीपता
निकट – निकटता

विशेष :
अंग्रेजी व्याकरण के प्रभावस्वरूप संज्ञा के दो अन्य भेद भी माने जाते हैं :
1. समुदायवाचक संज्ञा (Collective Noun) : समूह, गिरोह, झुंड या दल का बोध कराने वाले शब्द समूहवाचक संज्ञा कहलाते हैं। जैसे- सभा, सेना, कक्षा।
2. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) : जिन संज्ञा शब्दों से किसी द्रव्य, पदार्थ, धातु आदि का बोध होता है, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- सोना, चाँदी, घी, तेल, कोयला, लोहा।

अभ्यास

1. सही कथनों के लिए ✓ चिह्न तथा गलत कथनों के लिए ✗ चिह्न लगाइए :
(क) ‘मौता’ जातिवाचक संज्ञा है। ।
(ख) ‘मिठास’ भाववाचक संज्ञा है।
(ग) ‘नगर’ व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
(घ) ‘सोना’ द्रव्यवाचक संज्ञा है।
(ङ) ‘सेना’ समुदायवाचक संज्ञा है।

2. सही उत्तर के चारों ओर गोल दायरा लगाओ
(क) जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध कराए, उसे- जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
  • द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

(ख) जो शब्द किसी जाति का बोध कराए उसे- व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

  • जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं।

(ग) जिसमें किसी वस्तु/व्यक्ति के भाव अथवा गुण की बात होती है, उसे-

  • जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
  • द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

3. निम्नलिखित शब्दों में से व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक, व्यवाचक, समुदायवाचक छांटकर लिखें:
बुढ़ापा, गीता, विद्यार्थी, नारी, अध्यापक, उत्तम, ताजमहल, गंगा, कोमलता, बहन, नदी, पर्वत, हिमालय, सेना, सोना, घी, दल।

4. भाववाचक संज्ञा बनाओ : चोर, साधु, युवक, नारी, काला

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Visheshan विशेषण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण

संज्ञा की विशेषता बताने वाले शब्दों को ‘विशेषण’ कहते हैं। जिस शब्द की विशेषता बताई जाती है उसे ‘विशेष्य’ कहा जाता है।
जैसे- काला घोड़ा।
इसमें काला – विशेषण है।
घोड़ा – विशेष्य है।

कभी-कभी विशेष्य के अनुसार विशेषण के लिंग-वचन बदल जाते हैं। जैसे-
अच्छा लड़का – अच्छे लडके
अच्छी लड़की – अच्छी लड़कियाँ

विशेषण के भेद (Kinds of Adjective):
1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)
2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
3. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)
4. सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण

1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective) :
जो विशेषण शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति आदि की विशेषता का बोध कराए, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-
लंबी सड़क, ताजा आम, सच्ची बात, हरे पत्ते आदि।
यह विशेषण कई प्रकार की विशेषताओं का बोधक हो सकता हैं-
गुण बोधक : अच्छा, बुरा, सुन्दर, लाल, शिष्ट आदि।
काल बोधक : पुराना, नया, दैनिक, वार्षिक आदि।
स्थान बोधक : बनारसी, लखनवी, राष्ट्रीय, देसी आदि।
दिशा बोधक : पूर्वी, पश्चिमी, भीतरी, बाहरी आदि।
आकार बोधक : लंबा, विशाल, चौकोर, चौड़ा आदि।
स्वाद बोधक : खट्टा, मीठा, कड़वा, नमकीन आदि।

2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective) :
जो विशेषण किसी संज्ञा की संख्या या क्रम का बोध कराए, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- चार केले, पांचवां व्यक्ति।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं :
(क) निश्चित संख्यावाचक : इनसे निश्चित संख्या का बोध होता है।
जैसे- दस पुस्तकें, तीसरा बालक।

(ख) अनिश्चित संख्यावाचक : इनसे निश्चित संख्या का बोध नहीं होता।
जैसे- कुछ लोग, थोड़े आदमी।।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण

3. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective) : नाप-तोल बताने वाले विशेषण परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे- दार मीटर कपड़ा, दो किलो चीनी। . परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद हो सकते हैं –
(क) निश्चित परिमाणवाचक : इसमें निश्चित मात्रा का ज्ञान होता है।
जैसे- तीन लीटर दूध।

(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक : इसमें निश्चित मात्रा का ज्ञान नहीं होता।
जैसे- थोड़ा दूध, कुछ फल।

4. सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective) : जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-
यह पुस्तक मेरी है। कोई आदमी रो रहा है। ऐसे विशेषण तीन प्रकार के होते हैं –

(क) सर्वनाम से बने जैसे- ‘कौन’ सर्वनाम से सार्वनामिक विशेषण है- कैसे, कितना, कितने।

(ख) मूल सर्वनाम का विशेषण के रूप में प्रयोग : इन्हें संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं। ये सदा संज्ञा से पहले आते हैं। जैसे
यह पुस्तक, वे लोग।

(ग) सर्वनाम के संबंधकारकीय रूप
जैसे- ‘मैं’ से ‘मेरा’ ‘तुम’ से ‘तुम्हारा’ ‘वह’ से ‘उसका’ ‘हम’ से ‘हमारा’

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विशेषणों की रचना (Formations of Adjective):
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण-1

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण-2

2. सर्वनाम शब्दों से विशेषण बनाना
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण-3

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण

3. क्रिया शब्दों से विशेषण बनाना
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण-4

4. अव्यय शब्दों से विशेषण बनाना
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran विशेषण-5

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sarvanam सर्वनाम Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

‘सर्वनाम’ का शाब्दिक अर्थ है – सर्व (सब) का नाम। व्याकरण में सर्वनाम ऐसे शब्दों को कहते हैं, जिनका प्रयोग सब प्रकार के नामों (संज्ञाओं) के लिए अथवा उनके स्थान पर हो सके। सर्वनामों का सबसे अधिक प्रयोग वाक्यों में एक ही संज्ञा को बार-बार उसी रूप में आने से बचाने के लिए होता है।

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए :
स्वाति एक परिश्रमी लड़की है। स्वाति प्रतिदिन स्कूल जाती है। स्वाति की छोटी बहन दिव्या है। स्वाति के पिताजी इंजीनियर हैं। स्वाति सबकी मदद करती है। स्वाति को सभी प्रेम करते हैं।

उपर्युक्त गद्यांश में स्वाति का नाम छह बार आया है। बार-बार वही नाम लिखना या बोलना अटपटा-सा लगता है। इसे ठीक नहीं माना जाता है। इसे इस प्रकार लिखा जाना चाहिए :
स्वाति एक परिश्रमी लड़की है। वह प्रतिदिन स्कूल जाती है। उसकी छोटी बहन दिव्या है। उसके पिताजी इंजीनियर हैं। वह सबकी मदद करती है। उसको सभी प्रेम करते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

इस गद्यांश में ‘स्वाति’ नाम केवल पहले वाक्य में ही आया है। उसके बाद के वाक्यों में उसके लिए – वह, उसकी, उसके, उसको – का प्रयोग हुआ है। स्वाति’ संज्ञा है और उसके स्थान पर प्रयुक्त होने वाले ये शब्द सर्वनाम हैं।
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द ‘सर्वनाम’ कहलाते हैं।

मुख्य सर्वनाम शब्द हैं – मैं, हम, तुम, तू, वह, वे, कौन, कोई, क्या आदि।

सर्वनाम के भेद (Kinds of Pronoun):

1. पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronoun)
2. निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative Pronoun)
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite Pronoun)
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun)
5. संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun)
6. निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)

1. पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronoun):
जो सर्वनाम शब्द किसी पुरुष के नाम के बदले प्रयुक्त किया जाए उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसमें वक्ता अपने लिए, सुनने वाले के लिए और अन्य किसी के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, वे पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं। इस प्रकार पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं :
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम-1
(क) उत्तम पुरुष (First Person) : वक्ता/लेखक अपने नाम के स्थान पर जिस सर्वनाम का प्रयोग करता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे- मैं, हम और इनके रूप।

(ख) मध्यम पुरुष (Second Person) : जो सर्वनाम सुनने वाले के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, उन्हें मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे- तू, तुम, आप और इनके रूप ।

(ग) अन्य पुरुष (Third Person) : जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले और सुनने वाले व्यक्ति के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाए, उन्हें अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे- वह, वे, उसे, उसका, उनका, उनके आदि।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

समझो:
आदर के अर्थ में प्रयुक्त ‘आप’ प्रायः मध्यम पुरुष के लिए आता है जैसे आप, इधर बैठिए। किंतु कभी-कभी यह अन्य पुरुष के लिए भी प्रयुक्त होता है; जैसे-महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं। आपका (उनका) जन्म पोरबंदर मैं हुआ था।
आपका प्रयोग सदा बहुवचन में होता है।

‘तू’ (मध्यम पुरुष एकवचन) का विशेष प्रयोग :
1. प्यार-दुलार और अति आत्मीयता दिखाने में होता है।
2. निरादर या हीनता दिखाने में होता है।
सामान्य व्यवहार में श्रोता/पाठक के लिए ‘तुम’ का ही प्रयोग होता है।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative Pronoun):
जिस सर्वनाम से दूरवर्ती या समीपवर्ती व्यक्तियों, प्राणियों, वस्तुओं और घटना-व्यापारों का बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
दूरवर्ती के लिए – वह – वह रहा मेरा मकान।
समीपवर्ती के लिए – यह – इन पुस्तकों में मेरी यह है।

समझो:

  • रूप-रचना की दृष्टि से अन्य पुरुष और निश्चयवाचक में कोई भेद नहीं है। दोनों में एक समान ‘यह, वह’ का प्रयोग होता है।
  • निश्चयवाचक सर्वनाम में पास अथवा दूर की वस्तुओं के लिए संकेत किया जाता है, अत: इसे संकेतवाचक सर्वनाम भी कहते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite Pronoun):
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति, प्राणी या वस्तु का बोध नहीं होता है, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
ऐसी स्थिति तब आती है जब किसी व्यक्ति आदि का आभास तो आपको है किंतु उसके संज्ञा-नाम के संबंध में निश्चित नहीं है। ऐसी दशा में व्यक्ति के लिए कोई और अप्राणी के लिए कुछ का प्रयोग करते हैं।
जैसे –

  • कोई दरवाजा खटखटा रहा है।
  • दूध में कुछ पड़ा है।
  • मोहन का कुछ खो गया है।

4. प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun):
जिस सर्वनाम से किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु आदि के विषय में प्रश्न का बोध होता है, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। ये हैं – कौन और क्या।
किसी व्यक्ति/प्राणी के विषय में प्रश्न करने के लिए ‘कौन’ का प्रयोग करते हैं। ‘क्या’ का प्रयोग किसी वस्तु के लिए करते हैं। जैसे –

  • देखो, कौन आया है ?
  • घर पर कौन रुकेगा?
  • खाने में आप क्या लेंगे?
  • दूध में क्या पड़ा है?

⇒ ‘कौन-सा’ का प्रयोग अप्राणियों के साथ भी होता है,
जैसे – यहाँ कई कमरे हैं, आप कौन-सा पसंद करोगे ?

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

5. संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun):
मिश्र वाक्य की रचना में जिस सर्वनाम से अन्य उपवाक्य में आई संज्ञा/सर्वनाम से संबंध स्थापित होता है, उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे – जो, जिसको आदि।

1. मेरी वह कलम खो गई जो मुझे जन्मदिन पर मिली थी।
2. यह मेरा वह मित्र है जो अमेरिका गया हुआ था।
3. यह वही फिल्म है जिसे तुम देखना चाहते थे।
4. जो करेगा, सो भरेगा।
5. जैसी करनी, वैसी भरनी।

6. निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun):
जो सर्वनाम निज के लिए अर्थात् स्वयं अपने लिए प्रयुक्त होता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
इसके संबंधवाची रूप अपना, अपनी, अपने हैं। जैसे-
1. मैं आप (स्वय) आ जाऊँगा।
2. मैं अपना काम आप करता हूँ।
3. मैं आप ही बोले जा रहा था।

‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक (आदरसूचक) तथा निजसूचक, दोनों प्रकार के सर्वनामों के रूप में किया जाता है।
जैसे-
1. आप कृपया बैठिए। (पुरुषवाचक सर्वनाम)
2. यह समस्या मैं आप ही हल करूँगा। (निजवाचक सर्वनाम)

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sangya ke Vikar संज्ञा के विकार Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

हमने पढ़ा कि संज्ञा एक विकारी शब्द है। संज्ञा में विकार (परिवर्तन) तीन कारणों से होता है:

  1. लिंग (Gender)
  2. वचन (Number)
  3. कारक (Case)

यद्यपि आप पिछली कक्षा में इनके बारे में जान चुके हैं पर अब हम इनके बारे में अधिक विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

1. लिंग (Gender) :
शब्द के जिस रूप में यह जाना जाए कि यह पुरुष जाति के लिए प्रयुक्त हुआ है अथवा स्त्री जाति के लिए उसे लिंग कहते हैं। भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए संज्ञा के लिंग का ज्ञान होना आवश्यक है। हिन्दी में लिंग दो माने जाते हैं :

  • पुल्लिग (Masculine Gender)
  • स्त्रीलिंग (Feminine Gender)।

पुल्लिग पुरुष जाति का बोध कराते हैं और स्त्रीलिंग स्त्री जाति को बोध कराते हैं। जैसे- घोड़ा-घोड़ी, शेर-शेरनी।

हिन्दी भाषा के ठीक प्रयोग के लिए संज्ञा शब्दों के लिंग का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि संज्ञा शब्दों के लिंग का प्रभाव सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा क्रिया विशेषण पर पड़ता है। जैसे-

  1. सर्वनाम पर – (पुल्लिग) अपना कमरा खोलो। – (स्त्रीलिंग) अपनी कोठरी खोलो।
  2. विशेषण पर – (पुल्लिंग) मुझे नीला कोट चाहिए। – (स्त्रीलिंग) मुझे नीली साड़ी चाहिए।
  3. क्रिया पर – (पुल्लिग) लड़का दौड़ा। – (स्त्रीलिंग) लड़की दौड़ी।
  4. क्रिया-विशेषण पर- (पुल्लिंग) राम दौड़ता हुआ आया। – (स्त्रीलिंग) सीता दौड़ती हुई आई।

लिंग पहचान के कुछ सामान्य नियम
(क) पुल्लिग : निम्नलिखित शब्द प्रायः पुल्लिग होते हैं :
1. देशों के नाम : चीन, भारत, अमेरिका, फ्रांस आदि।
2. पेड़ों के नाम : आम, केला, संतरा, अमरूद आदि। [अपवाद : इमली, नारंगी, इलायची आदि]
3. पर्वतों के नाम : हिमालय, विंध्याचल, सतपुड़ा आदि।
4. सागरों के नाम : हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर आदि।
5. दिनों के नाम : सोमवार, रविवार, मंगलवार आदि।
6. महीनों के नाम : चैत, वैशाख, मार्च, जून आदि। [अपवाद : जनवरी, फरवरी, मई, जुलाई]
7. तारों तथा ग्रहों के नाम : सूर्य, चन्द्र, शुक्र, मंगल आदि। [अपवाद : पृथ्वी]
8. धातुओं के नाम : ताँबा, लोहा, सोना, राँगा आदि। [अपवाद : चाँदी, पीतल]
9. शरीर के कुछ अंगों के नाम : सिर, गाल, कान, होंठ आदि।
10. भाववाचक संज्ञाएं : प्रेम, क्रोध, आनंद, दुख आदि।
11. अकारांत शब्द : शेर, लेखक, पर्वत, पत्र आदि।

(ख) स्वीलिंग : निम्नलिखित शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं :
1. भाषाओं के नाम : हिंदी, अंग्रेजी, रूसी, जापानी आदि।
2. नदियों के नाम : गंगा, यमुना, सरस्वती, सरयू आदि।
3. ईकारांत : नदी, पोथी, रोटी, मिठाई, लाठी आदि।
4. आकारांत शब्द : प्रार्थना, आशा, कला, परीक्षा आदि।
5. बोलियों के नाम : ब्रजभाषा, खड़ी बोली, अवधी, मैथिली आदि।
6. तिथियों के नाम : पूर्णिमा, अष्टमी, चतुर्थी, तीज आदि।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

लिंग परिवर्तन-तालिका (Change of Gender):
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार-1

कुछ सर्वथा भिन्न रूप:
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार-2

2. वचन (Number) :
वचन का संबंध गिनती से ही होता है।
एक या अनेक के भाव का बोध जिस रूप से कराया जाता है, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में दो वचन होते हैं :

  1. एकवचन (Singular Number)
  2. बहुवचन (Plural Number)

1. एकवचन (Singular Number): किसी एक ही व्यक्ति का बोध कराने वाले शब्द के रूप को ‘एकवचन’ कहते हैं। जैसेलड़का, नदी, पुस्तक आदि।
2. बहुवचन (Plural Number) : एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध कराने वाले शब्दों के रूप को बहुवचन कहते हैं। जैसे- लड़के, नदियाँ, पुस्तकें आदि।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम (Change of Gender):
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार-3

कुछ अन्य नियम :
1. सम्मान या आदर प्रकट करने के अर्थ में एक व्यक्ति के लिए भी बहुवचन का प्रयोग किया जाता है, जैसे-
(क) गांधीजी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
(ख) आज गुरुजी नहीं आए।

2. हस्ताक्षर, प्राण, दर्शन, होश, लोग आदि शब्द प्रायः बहुवचन रूप में ही प्रयुक्त होते हैं। जैसे-
(क) आपने हस्ताक्षर कर दिए ?
(ख) उसके प्राण निकल गए।
(ग) आपके दर्शन दुर्लभ हैं।

3. जनता, वर्षा, पानी शब्द एकवचन में ही प्रयुक्त होते हैं। जैसे-
(क) जनता बड़ी चली जा रही है।
(ख) बहुत तेज वर्षा हो रही है।
(ग) चारों ओर पानी भर गया।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

कभी-कभी संज्ञा शब्दों के वचन का प्रभाव सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा क्रिया-विशेषण पर भी पड़ता है। जैसे-
सर्वनाम पर – (एकवचन) मेरा बेटा पास हो गया। – (बहुवचन) मेरे बेटे पास हो गए।
विशेषण पर – (एकवचन) अच्छा लड़का आदर करता है। – (बहुवचन) अच्छे लड़के आदर करते हैं।
क्रिया पर – (एकवचन) घोड़ा तेज दौड़ा। – (बहुवचन) घोड़े तेज दौड़े।
क्रिया-विशेषण पर – (एकवचन) लड़का दौड़ता हुआ आया। – (बहुवचन) लड़के दौड़ते हुए आए।

3. कारक (Case) :
कारक का शाब्दिक अर्थ है-‘क्रिया को करने वाला’ अर्थात् क्रिया को पूरी करने में किसी-न-किसी भूमिका को निभाने वाला। क्रिया को संपन्न अर्थात् पूरा करने में जो संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग प्रकार की भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं।
नीचे लिखे वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ो :
1. राहुल ने केला खाया।
2. रवि ने सचिन को पीटा।
3. गरिमा चाकू से फल काटती है।
4. मोहन बच्चों के लिए खिलौने लाया।
5. पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं।
6. पुस्तक मेज पर रखी है।

उपर्युक्त वाक्यों में
वाक्य (1) में ‘खाना’ क्रिया है। किसने खाया ? राहुल ने।
वाक्य (2) में रवि ने किसको पीटा ? सचिन को।
वाक्य (3) में गरिमा ने फल किससे काटा ? चाकू से।
वाक्य (4) में मोहन किसके लिए खिलौने लाया ? बच्चों के लिए।
वाक्य (5) में पत्ते कहाँ से गिरे ? पेड़ से।
वाक्य (6) में पुस्तक कहाँ रखी है ? मेज़ पर।
इन सभी वाक्यों में संज्ञा-पदों का क्रिया-पद के साथ एक निश्चित संबंध होता है। अत: किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम पदों का उस वाक्य की क्रिया से जो संबंध होता है, उसे कारक कहते हैं।

इन संज्ञाओं का क्रियाओं से संबंध को बताने के लिए ने, को, से, में, पर, के लिए आदि चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन चिह्नों को ‘कारक चिह्न’ कहते हैं। हिंदी में ये कारक-चिह्न ‘परसर्ग’ कहलाते हैं। कभी-कभी वाक्यों में कुछ शब्दों के साथ परसों का प्रयोग नहीं होता है। जैसे- राम गया।

कारक वह व्याकरणिक कोटि है जो यह स्पष्ट करती है कि संज्ञा आदि शब्द वाक्य में स्थित क्रिया के साथ किस प्रकार की भूमिका से संबद्ध है।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

कारक के भेद (Kinds of Case):
कारक के मुख्य भेद छह हैं:
1. कर्ता कारक (Nominative Case)
2. कर्म कारक (Objective Case)
3. करण कारक (Instrumental Case)
4. संप्रदान कारक (Dative Case)
5. अपादान कारक (Ablative Case)
6. अधिकरण कारक (Locative Case)
कुछ लोग निम्नलिखित दो भेदों को भी कारक के अंतर्गत रखते हैं :
7. संबंध कारक (Possessive Case)
8. संबोधन कारक (Vocative Case)
इनका विवरण इस प्रकार है :

1, कर्ता कारक [ने] : किसी क्रिया को करने वाला ही कर्ता है। प्रत्येक क्रिया के साथ कर्ता अवश्य होता है, बिना कर्ता के क्रिया हो ही नहीं सकती। जैसे-

  • गीता खाना पका रही है।
  • नीहारिका ने कहानी लिखी।
  • राम चला गया।

इन वाक्यों में गीता, नीहारिका और राम कर्ता कारक हैं। जब सकर्मक क्रिया भूतकाल में हो तो कर्ता कारक के साथ ‘ने’ परसर्ग का प्रयोग होता है। कभी-कभी कर्ता के साथ ‘को’ कारक-चिह्न का भी प्रयोग होता है ; जैसे- मोहन को मुंबई जाना है।

निम्नलिखित स्थितियों में ‘ने’ परसर्ग (कारक-चिह्न) का प्रयोग नहीं होता-

  • वर्तमान काल की सकर्मक क्रिया के साथ-मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
  • भूतकाल को अकर्मक क्रिया के साथ-वह चला गया।

HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार

2. कर्म कारक [को] : वाक्य में जिस संज्ञा/सर्वनाम पर क्रिया का फल या प्रभाव पड़ता है और जिसकी अपेक्षा क्रिया करती है, उसे कर्म कहते हैं।
प्रायः कर्म की पहचान क्रिया पर ‘क्या’, ‘किसे’ प्रश्न करके की जाती है। इसके उत्तर में जो संज्ञा प्राप्त होती है, वही कर्म होती हैं।
कर्म कारक के साथ ‘को’ परसर्ग का प्रयोग होता है; परंतु कई अवस्थाओं में इसका प्रयोग नहीं भी होता है। ‘को’ परसर्ग का प्रयोग प्रायः प्राणिवाचक संज्ञा के साथ होता है। जैसे –
1. राजश न माहन का पढ़ाया। किसको पढ़ाया ?
(परसर्ग को) – मोहन (कम), परसर्ग – को।

2 माँ ने बच्चे को सुलाया। किसको सुलाया ?
(परसर्ग को) – बच्चे (कम), परसर्ग – को।

3. वह पुस्तक पढ़ रहा है ? क्या पड़ रहा है?
पुस्तक – (कम), परसर्ग-को, परसर्ग – कोई नहीं।

जब वाक्य में दो कर्म हों (मुख्य और गौण), तब ‘को’ का प्रयोग गौण कर्म के साथ होता है; जैसे-मैंने राम को पत्र लिखा। (राम गौण कर्म, पत्र मुख्य कम)।

3. करण कारक [से, के द्वारा ] : जिसकी सहायता से कोई कार्य संपन्न हो, वह संज्ञा/सर्वनाम पद करण कारक होता है। करण कारक का विभक्ति-चिह्न (परसर्ग) है -से, के द्वारा। जैसे-

  • मैं पैन से चिट्ठी लिख रहा हूँ।
  • राधा ने चाकू से छेद किया।
  • उसे पत्र के द्वारा समाचार मिला।

4. संप्रदान कारक [को, के लिए] : संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को संप्रदान कहते हैं जिसके लिए कर्ता द्वारा कुछ किया जाए या उसे कुछ दिया जाए। संप्रदान कारक का चिह्न को, के लिए है। जैसे-

  • मोहन ने गरीबों को धन दिया।
  • मैं आपके लिए दवा लाया हूँ।
  • वह यह मिठाई बहन के लिए लाया था।

‘को’ परसर्ग का प्रयोग कर्म कारक और संप्रदान कारक दोनों में होता है। कर्म कारक में ‘को’ To के अर्थ में होता है, जबकि संप्रदान कारक में ‘को’ For के अर्थ में। जैसे-

  • वह मोहन को पत्र लिखेगा। (कर्म कारक)
  • वह दीन-दुखियों को कपड़े देता है। (संप्रदान कारक)

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5. अपादान कारक [से] : जिस पद से अलग होने या निकलने का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका परसर्ग ‘से’ है। जैसे-

  • गंगा हिमालय से निकलती है।
  • पेड़ से पत्ते गिरते हैं।
  • मोहन घोड़े से गिर पड़ा।

ध्यान दें : ‘से’ परसर्ग का प्रयोग करण कारक और अपादान कारक दोनों में होता है, पर दोनों स्थितियों में अंतर है। करण कारक में ‘से’ सहायक साधन के रूप में (with) तथा अपादान कारक में यह अलग (depart) होने का सूचक है।

6. अधिकरण कारक [ में, पर ] : जिस संज्ञा/सर्वनाम पद से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इससे क्रिया के स्थान, काल, अवसर आदि का ज्ञान होता है। अधिकरण कारक के परसर्ग हैं- में, पर। जैसे-

  • थैले में फल हैं।
  • पुस्तक मेज पर रखी है।
  • माताजी घर में हैं।

कभी-कभी अधिकरण कारक का परसर्ग लुप्त भी हो जाता है। जैसे-

  • बगीचे के किनारे छायादार वृक्ष लगे हैं। (किनारे पर)
  • बच्चे घर हैं ? (घर पर या घर में)

कभी-कभी अधिकरण कारक के परसर्ग के बाद दूसरे कारक का परसर्ग भी आ जाता है, जैसे-

  • पुस्तक में से पढ़ लो।
  • वह पेड़ पर से उतर रहा था।

7. संबंध कारक [का, के, की/रा, रे, री] : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु व्यक्ति का संबंध दूसरी वस्तु व्यक्ति के साथ जाना जाए, उसे संबंध कारक कहते हैं। इसमें का, के, की, रा, रे, री परसर्गों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-

  • यह राम का भाई हैं।
  • वह शशि की बहन है।
  • मेरा भाई, तेरी बहन आदि।

8. संबोधन कारक [हे, अरे, ओ] : यह ध्यान आकर्षित करते समय अथवा चेतावनी देते समय प्रयुक्त होता है। शब्द के पूर्व प्रायः विस्मयादिबोधक अव्यय [हे ! अरे !] आदि लगते हैं। जैसे-

  • अरे मोहन ! यहाँ आना।
  • सज्जनो और देवियो ! चुप हो जाओ।

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कारक तालिका:
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार-4

समझो:
1. कर्म कारक और संप्रदान कारक में अंतर : इन दोनों में ‘को’ परसर्ग का प्रयोग होता है; जैसे-

  • मैं राम को समझाऊँगा। (कर्म कारक)
  • मैंने गीता को पुस्तक दी। (संप्रदान कारक)

पहले वाक्य में ‘समझाने’ क्रिया का फल ‘राम’ पर पड़ रहा है, अत: वह कर्म है। दूसरे वाक्य में देने का भाव है, अत: संप्रदान कारक है।

2. करण कारक और अपादान कारक में अंतर : इन दोनों कारकों में ‘से’ परसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे-

  • वह कलम से लिखती है।
  • गंगा हिमालय से निकलती है।

पहले वाक्य में ‘लिखने’ की क्रिया ‘कलम से’ हो रही है अर्थात् ‘कलम’ लिखने की क्रिया का साधन है, अतः ‘करण कारक’ है।
दूसरे वाक्य में गंगा का हिमालय से पृथक होने का पता चल रहा है। अतः अपादान कारक लें।

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HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-विचार

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Shabdh-Vichar शब्द-विचार Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-विचार

एक से अधिक वर्षों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं।
भाषा में शब्द का विशिष्ट स्थान होता है। शब्द भाषा की स्वतंत्र और अर्थवान इकाई है।
जैसे- कल, कमल, पाठशाला।

हिंदी शब्दों का वर्गीकरण (Classification of words) तीन आधारों पर किया जाता है।
1. स्रोत के आधार पर।
2. रचना के आधार पर।
3. अर्थ के आधार पर।

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1. स्रोत के आधार पर (Based on Origin) :
(क) तत्सम : ‘तत् + सम’ का अर्थ है- उस (संस्कृत) के समान। संस्कृत के वे शब्द जो बिना किसी परिवर्तन के हिंदी में प्रयुक्त हो रहे हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।
जैसे- अग्नि, सूर्य, मस्तिष्क, नृत्य आदि।

(ख) तद्भव : ‘तत् + भव’ अर्थात् उमसे (संस्कृत से) पैदा हुए। ये सभी शब्द संस्कृत शब्दों से विकसित हुए हैं।
जैसे- दुग्ध से दूध अग्नि से आग सर्प से साँप पत्र से पत्ता

(ग) देशज : देशज का अर्थ है-देश में उत्पन्न। ये शब्द प्रांतीय बोलियों के हैं।
जैसे- पेटी, खड़ाऊँ, ज्योनार, खलिहान, कलेवा आदि।

(घ) विदेशी : विदेशी भाषाओं से लिए गए शब्द विदेशी . कहलाते हैं। हिंदी में अंग्रेजी, तुर्की, फारसी, अरबी, पुर्तगाली, आदि भाषाओं के शब्द प्रयुक्त हो रहे हैं।
उदाहरणार्थ-
अंग्रेजी : स्टेशन, स्कूल, पैंट, कोट, डॉक्टर आदि।
तुर्की : कैंची, चाकू, तोप, कुरता, लाश आदि।
फारसी : फौज़, कागज़, हज़ार, दुकान आदि।।
अरबी : आदमी, औरत, किताब, मकान आदि।
पुर्तगाली : गमला, कमरा, तौलिया, काजू आदि।

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तत्सम – तद्भव शब्द-तालिका
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-विचार-1
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-विचार-2
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-विचार-3
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(क) रूढ़ : रूढ़ का अर्थ है-प्रसिद्ध। जो शब्द किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो गए हों और जिनके सार्थक खंड (टुकड़े) न हो सकें। उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं।
जैसे- घोड़ा, घर, गाड़ी, मेज, देश आदि।

(ख) यौगिक : यौगिक का अर्थ है-जुड़ा हुआ। ऐसे शब्द दो या दो से अधिक सार्थक खंडों (शब्दों) से मिलकर बनते हैं।
जैसे-
विद्यार्थी (विद्या + अर्थी)
विज्ञान (वि + ज्ञान)
पाठशाला (पाठ + शाला)
सहपाठी (सह + पाठी)

(ग) योगरूढ : ऐसे शब्द जो यौगिक होने के साथ ही किसी विशेष अर्थ में ‘रूढ़ हों’, ‘योगरूढ़’ शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
चारपाई [चार पैरों वाली, पर यह ‘खाट’ के अर्थ में रूढ़ हो गई है।]
नीलकंठ [नीले कंठ वाला, पर ‘शिवजी’ के अर्थ में रूढ़ हो गया है।
पंकज [पंक (कीचड़) में उत्पन्न, पर यह ‘कमल’ के अर्थ में रूढ़ हो गया है]

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3. अर्थ की दृष्टि से शब्दों का वर्गीकरण (Classification of words based on Meaning) :
‘शब्द’ भाषा को अर्थ के स्तर पर लघुतम स्वतंत्र इकाई है किंतु शब्द और अर्थ का प्रायः ऐसा अपरिवर्तनीय संबंध नहीं होता कि एक शब्द का एक ही अर्थ रहे। इस कारण अर्थ के आधार पर शब्दों के चार भेद हो जाते हैं :
1. एकार्थी (Words having one meaning)
2. अनेकार्थी (Words having various meanings)
3. पर्यायवाची या समानार्थी (Synonyms)
4. विलोम या विपरीतार्थी (Antonyms)

1. एकार्थी शब्द : ये वे शब्द हैं, जिनका सामान्यतः एक ही वाच्यार्थ हुआ करता है। व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ, स्थानों के नाम तथा कुछ अन्य संज्ञा शब्द इसी कोटि के शब्द हैं।
जैसे- महात्मा गांधी, गंगा, श्रद्धा, ऋषि, अहंकार आदि।

2. अनेकार्थी शब्द : अनेकार्थी शब्द एक से अधिक अर्थ दे सकता है। जैसे-‘कल’ शब्द के तीन अर्थ हैं : आने वाला और पिछला दिन, चैन, मशीन। इसी प्रकार-
HBSE 7th Class Hindi Vyakaran शब्द-विचार-4
कुछ अन्य उदाहरण देखें:
कर : हाथ, किरण, हाथी की सैंड, टैक्स
मुद्रा : मुख का भाव, अंगूठी, सिक्का, मोहर (Stamp)।
अलि : भौंरा, सखी, कोयल।।

  • अनेकार्थी शब्दों का एक भेद है- समरूपी शब्द।

ये शब्द वे हैं, जो स्रोत के अनुसार भिन्न होते हैं, किंतु सम (एक) रूप होने के कारण एक समान लगते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं।
जैसे-
काम = काम (कामदेव), काम (कम)।
पर = पंख, लेकिन, ऊपर।
आम= आम फल (तद्भव), कच्चा (तत्सम), सामान्य आदमी (विदेशी)।

3. पर्यायवाची या समानार्थी शब्द : यह अनेकार्थी शब्द से उल्टा है। अनेकार्थी में एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं और पर्यायवाची में एक ही अर्थ को बताने वाले अनेक शब्द हैं,
जैसे-
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अश्व, हय, तुरंग – सभी एक-दूसरे के पर्याय हैं। सभी का अर्थ- ‘घोड़ा’ है।

कुछ अन्य उदाहरण देखो :
फूल पुष्प प्रसून सुमन कुसुम
सूर्य दिनकर दिवाकर मार्तड सूरज
कमल सरोज पंकज पद्म सरसिज
रात रात्रि निशा रजनी विभावरी
पृथ्वी धरती भू धरा भूमि

4. विलोम या विपरीतार्थी शब्द : कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनका अर्थ एक-दूसरे से उल्टा (विपरीत) होता है। ये शब्द आपस में विपरीतार्थी शब्द या विलोम शब्द कहलाते हैं।
जैसे –
सुख x दुख
पाप x पुण्य
सत्य x असत्य
जड़ – चेतन
ऊँच x नीच
धर्म x अधर्म

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अभ्यास

1. सही कथनों के लिए ✓ चिह्न तथा गलत कथनों के लिए ✗ चिह्न लगाइए:
(क) वर्गों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं।
(ख) ‘अग्नि’ तद्भव शब्द है।
(ग) ‘ज्यौनार’ देशज शब्द है।

2. प्रत्येक सही उत्तर के सामने ∆ चिहन बनाओ :
(क) ‘पुस्तकालय’ शब्द

  • रूढ़ है।
  • यौगिक है

(ख) ‘नृत्य’ शब्द

  • तत्सम है
  • तद्भव है

(ग) ‘गमला’ शब्द

  • देशज है
  • विदेशी है

(घ) ‘पेटी’ शब्द

  • विदेशी है
  • तद्भव है।

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3. निम्नलिखित में उदाहरण देकर अंतर स्पष्ट करो :
(क) तत्सम और तद्भव शब्द
(ख) विकारी और अविकारी शब्द

4. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :
(क) जिन शब्दों के सार्थक …………. न हों उन्हें ………. शब्द कहा जाता है।
(ख) ऐसे शब्द जो …… तो होते हैं पर किसी विशेष अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं, उन्हें ….. शब्द कहते हैं।

5. नीचे लिखे शब्दों को उचित शीर्षक के नीचे लिखो : घर, स्कूल, परीक्षा, परिश्रम, रोटी, कलेवा, पैंसिल, हाथ, डाक्टर, सूर्य, अमृत, आग, पेटी, नृत्य।

तत्समतद्भवदेशजविदेशी

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