Class 6

HBSE 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Ex 1.2

Haryana State Board HBSE 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Ex 1.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Exercise 1.2

Question 1.
A book exhibition was held for four days in a school. The number of tickets sold at the counter on the first, second, third and final days was respectively 1094, 1812, 2050 and 2751. Find the total number of tickets sold on all the four days.
Solution:
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Question 2.
Shekhar is a famous cricket player. He has so far scored 6980 runs in test matches. He wishes to complete 10,000 runs. How many more runs does he need ?
Solution:
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HBSE 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Ex 1.2

Question 3.
In an election, the successful candidate registered 5,77,500 votes and his nearest rival secured 3,48,700 votes. By what margin did the successful candidate win the election?
Solution:
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Question 4.
Kirti bookstore sold books worth Rs. 2,85,891 in the first week of June. The bookstore sold books worth Rs. 4,00,768 in the second week of the month. How much was the sale for the two weeks together ? In which week was the sale greater and by how much ?
Solution:
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Question 5.
Find the difference between the greatest and the least numbers that can be written using the digits 6, 2, 7, 4, 3 each only once.
Solution:
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Question 6.
A machine, on an average, manufactures 2,825 screws a day. How many screws did it produce in the month of January 2006 ?
Solution:
Number of screws produced in one day = 2,825
Number of screws produced in 31 days = 2,825 x 31 = 87,575 Ans.
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Question 7.
A merchant had Rs. 78,592 with him. He placed an order for purchasing 40 radio sets at Rs. 1,200 each. How much money will remain with him after the purchase ?
Answer:
Cost of one radio set = 1,200
Cost of 39 radio sets = Rs. 1,200 x 40
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Question 8.
A student multiplied 7236 by 65 instead of multiplying by 56. How much was his answer greater than the correct answer ?
Solution:
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Question 9.
To stitch a shirt 2 m 15 cm cloth is needed. Out of 40 m cloth, how many shirts can be stitched and how much cloth will remain ?
Solution:
Cloth needed to stitch one shirt = 2 m 15 cm = 215 cm
Total length of cloth = 40 m = 4,000 cm.
Now,
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Hence, 18 shirts can be stitched and 130 cm = 1 m 30 cm cloth will remain.

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Question 10.
Medicine is packed in boxes, each such box weighing 4 kg 500 g. How many such boxes can be loaded in a van which cannot carry beyond 800 kg ?
Solution:
800 kg = 800 x 1000 = 8,00,000 g
4 kg 500 g = 4 x 1000 + 500 = 4,500 g
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Hence, 177 boxes can be loaded in the van.

Question 11.
The distance between the school and the house of a student is 1 km 875 m. Everyday she walks both ways between her school and home. Find the total distance covered by her in five days.
Solution:
Distance between the school and the house
= 1km 875 m
= 1 x 1000 + 875
= 1,875 m
Both ways distance
= 2x 1,875 m = 3,750 m

∴ Total distance covered by her in five days = 5 x 3,750 m
= 18,750 m
= 18 km 750 m
Now.
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Question 12.
A vessel has 4 litres and 500 ml 6f curd. In how many glasses, each of 25 ml capacity, can it be filled ?
Solution:
Total volume of curd = 4l and 500 ml
= 4 x 1000 + 500
= 4,500 ml
Capacity of one glass = 25 ml
Now,
HBSE 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Ex 1.2 12
Hence, total number of glasses = 180.

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HBSE 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे-लोकोक्तियाँ

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Muhavare-Lokoktiyan मुहावरे-लोकोक्तियाँ Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Vyakaran मुहावरे-लोकोक्तियाँ

‘मुहावरा’ शब्द अरबी भाषा का है। जिसका अर्थ है-अभ्यास। वस्तुतः शब्दों का ऐसा समुच्चय मुहावरा है जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशिष्ट अर्थ को प्रकट करें। प्रयोग के धरातल पर एक ही मुहावरा कई बार अलग-अलग अर्थ दे सकता है। जैसे-
‘आँख लगना’ – मुहावरा
(क) सारी रात जगने के बाद उसकी आँख अभी लगी है।-(अभी नीद आई है।)
(ख) मेरी किताब पर उसकी आँख लगी हुई है। = (पाने की इच्छा)
‘लोकोक्तियां’ या ‘कहावतें’ लोक अनुभव का परिणाम होती हैं। इसे लोक की उक्ति कहा गया है। इसकी उत्पत्ति के लिए विशेष व्यक्ति, स्थान अथवा काल का निर्देश नहीं किया जा सकता। लोकोक्तियाँ स्वयं सिद्ध होती हैं।

लोकोक्ति एवं मुहावरे में अंतर:
(क) लोकोक्ति पूर्ण वाक्य है, जबकि मुहावरा खंड वाक्य है।
(ख) पूर्ण वाक्य होने के कारण लोकोक्ति का प्रयोग स्वतंत्र एवं अपने आप में पूर्ण इकाई के रूप में होता है जबकि मुहावरा किसी वाक्य का अंश बनकर रह जाता है।
(ग) लोकोक्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता जबकि मुहावरों में वाक्य के अनुसार परिवर्तन होता है।
(घ) लोकोक्ति किसी बात के समर्थन अथवा खंडन के लिए प्रयुक्त की जाती है, जबकि मुहावरा वाक्य में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

मुहावरे (Idioms):
प्रमुख मुहावरों के अर्थ एवं प्रयोग नीचे दिए जा रहे हैं-

1. अंग-अंग ढीला होना = थक जाना।
दिन-भर की भाग-दौड़ होने के कारण अब मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

2. अंधे की लाठी = एकमात्र सहारा।
पिता के देहांत के बाद अब तो पुत्र गोपाल ही अपनी माँ के लिए अंधे की लाठी है।

3. अक्ल का दुश्मन = मूर्ख व्यक्ति।
तुम तो पूरे अक्ल के दुश्मन हो, तुम्हें सलाह देने का कोई फायदा नहीं।

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4. अंग-अंग मुस्कराना = बहुत प्रसन्न होना।
अपना नंबर मेधावी छात्रों की सूची में पाकर रवि का अंग-अंग मुस्कराने लगा।

5. अपने पैरों पर खड़ा होना = स्वावलंबी होना।
पिता की अचानक मौत के पश्चात् रमेश शीघ्र ही अपने पैरों पर खड़ा हो गया।

6. अंगूठा दिखाना = साफ इंकार करना।
मैंने सुधा से दो दिन के लिए पुस्तक माँगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।

7. अगर-मगर करना = टाल-मटोल करना।
जब हम संस्था की सहायतार्थ सेठ जी के पास चंदा मांगने गए तो वे अगर-मगर करने लगे।

8. आग में घी डालना = क्रोध को भड़काना।
तुम्हारी बातों ने तो रमा और सुधा की लड़ाई में आग में घी डाल दिया।

9. आसमान से बातें करना = बहुत ऊँचा होना।
कनॉट प्लेस की भव्य इमारतें आसमान से बातें करती प्रतीत होती हैं।

10. आकाश-पाताल एक करना = बहुत परिश्रम करना।
परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए राजेश ने आकाश पाताल एक कर दिया।

11. आँखें बिछाना = प्रेम से स्वागत करना।
अभिनेता के स्वागत-समारोह में प्रशंसकों ने आँखें बिछा दीं।

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12. आँखें चुराना = सामने न आना।
अब बेरोजगार पंकज अपने परिचितों से आँखें चुराने लगा

13. आँखें खुलना = होश में आना।
जब सुरेशचन्द्र को उसके साझीदार ने व्यापार में धोखा दिया तब ही उसकी आँखें खुली।

14. आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना।
वह ठग मेरी आँखों में धूल झोंककर मेरा रुपयों से भरा बैग ले भागा।

15. आँखें दिखाना = क्रांध प्रकट करना।
अध्यापक द्वारा छात्र को जरा-सा डाँटने पर छात्र आँखें दिखाने लगा।

16. आस्तीन का साँप = विश्वासघाती मित्र।।
राजबीर को क्या मालूम था कि उसका मित्र सुरेश आस्तीन का साँप निकलेगा।

17. आँसू पोंछना = सांत्वना देना।
सड़क दुर्घटना में रमा के माता-पिता की मृत्यु होने पर उसके आँसू पोछने वालों की कतार लग गई।

18. आटे-दाल का भाव मालूम होना = वास्तविक स्थिति का पता चलना।
विवाह के पश्चात् ही तुम्हें आटे-दाल का भाव मालूम पड़ेगा।

19. इधर-उधर की हाँकना = व्यर्थ बोलना।
पिता द्वारा परीक्षा में फेल होने के कारण पूछने पर रमेश इधर-उधर की हाँकने लगा।

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20. ईद का चाँद होना = बहुत दिनों बाद दिखना।
अरे मित्र ! कहाँ रहे इतने दिन ? तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।

21, ईंट से ईंट बजाना = नष्ट-भ्रष्ट कर देना।
युद्ध में सैनिक अपने शत्रु की ईंट से ईंट बजा देने को तत्पर रहते हैं।

22. उल्टी गंगा बहाना = नियम के विपरीत कार्य करना।
पंजाब को दिल्ली से गेहूँ भेजना तो उल्टी गंगा बहाना हुआ।

23. उँगली उठाना = दोषारोपण करना।
पर्याप्त सबूत के बिना किसी पर उँगली उठाना तुम्हें शोभा नहीं देता।

24. कफन सिर पर बाँधना = मरने को तैयार रहना।
राजपूतों के लिए कहा जाता था कि वे कफन सिर पर बांधकर युद्ध-क्षेत्र में जाते थे।

25. कंठहार होना = बहुत प्रिय होना।
कांता तो अपने पति के लिए कंठ-हार बनी हुई है।

26. कलई खुलना = भेद खुल जाना।।
आखिरकार सेठ रामलाल के कालाबाजारी होने की कलई खुल ही गई।

27. कलेजे का टुकड़ा = बहुत प्रिय।
सभी बच्चे अपने माता-पिता के कलेजे का टुकड़ा होते

28. कटे पर नमक छिड़कना = दु:खी व्यक्ति को और दु:खी करना।
तुम्हें उस विधवा के कटे पर नमक छिड़कते शर्म आनी चाहिए।

29. कमर टूटना = हिम्मत टुट जाना।
जवान पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु होने से रमाकांत जी की तो मानो कमर ही टूट गई है।

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30. कान का कच्चा होना = चुगली पर ध्यान देने वाला।
हमारे अफसर ईमानदार होने के बावजूद कान के कच्चे

31. कान पर जूं न रेंगना = कुछ असर न होना।
राम को उसके पिता ने काफी समझाया, पर उसके कान पर तक न रेंगी।

32. कंगाली में आटा गीला होना = अभाव में अधिक हानि होना।
एक तो प्रदेश में पहले ही बाढ़ से स्थिति खराब थी, अब महामारी फैल गई। इसी को कंगाली में आटा गीला होना कहते हैं।

33. काम आना = वीरगति प्राप्त करना।
देश की सीमाओं पर रक्षा करते हुए कितने ही वीर काम आ गए।

34. खाला जी का घर होना = आसान काम।
आज के युग में सरकारी नौकरी पाना खाला जी का घर नहीं है।

35. खरी-खोटी कहना = बुरा भला कहना।
लड़ाई में सास-बहू ने एक-दूसरे को खूब खरी-खोटी सुनाई।

36. खून-पसीना एक करना = कठोर परिश्रम करना।
परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए मैंने खून-पसीना एक कर दिया।

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37. गाल बजाना = बहुत अधिक बोलना।
मधु की बातों पर ध्यान मत दो, उसे तो गाल बजाने का शौक है।

38. गागर में सागर भरना = थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना।
बिहारीलाल ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

39. गड़े मुर्दे उखाड़ना = बीती बातों को छेड़ना।
गड़े मुर्दे उखाड़ने से अच्छा है कि भविष्य की सुध ली जाए।

40. गुदड़ी का लाल = देखने में सामान्य, भीतर से गुणी व्यक्ति।
लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।

41. गुड़-गोबर होना = बात बिगड़ जाना।
सारा कार्यक्रम पूरी शानो-शौकत से चल रहा था कि अचानक बारिश आ जाने से सारा गुड़-गोबर हो गया।

42. घी के दीए जलाना = बहुत खुश होना।
विकलांग रमेश जब परीक्षा में प्रथम आया तो उसकी माँ ने घी के दीए जलाए।

43. घर सिर पर उठाना = बहुत शोर करना।
अरे बच्चो, शांत हो जाओ। घर सिर पर क्यों उठा रखा

44. घाट-घाट का पानी पीना = जगह-जगह का अनुभव
प्राप्त करना। तुम रतनलाल को इतनी आसानी से नहीं फंसा सकते, उसने घाट-घाट का पानी पी रखा है।

45. घोड़े बेचकर सोना = निश्चित होकर गहरी नींद सोना।
जब से कमल की परीक्षाएँ समाप्त हुई हैं, वह घोड़े बेचकर सो रहा है।

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46. घाव पर नमक छिड़कना = दु:खी को और सताना।
एक तो रमाकांत को पहले ही पुत्र के देहांत का शोक है, तुम ऊपर से ज्यादा पूछताछ करके क्यों उनके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।

47. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना = डर जाना।
पुलिस द्वारा चारों तरफ से घेर लेने के कारण चोरों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

48. चिकना घड़ा होना = जिस पर कुछ असर न हो।
रीना तो चिकना घड़ा हो गई है, माँ-बाप की बातों का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

49. चादर से बाहर पैर फैलाना = सामर्थ्य से अधिक खर्च
करना। सोच-समझकर ही खर्च करने में अक्लमंदी है क्योंकि चादर से बाहर पैर फैलाना ठीक नहीं।

50. चोली-दामन का साथ होना = घना संबंधा
परिश्रम और सफलता का तो चोली-दामन का साथ है।

51. छाती पर साँप लोटना = दूसरे की तरक्की देखकर जलना।
पड़ोसिन के पास सोने के जेवरात देखकर पूनम की छाती पर साँप लोटने लगे।

52. छठी का दूध याद आना = कठिनाई का अनुभव होना।
बिना परिश्रम के परीक्षा में बैठने से अनिल को छठी का दूध याद आ गया।

53. छाती पर मूंग दलना = बहुत तंग करना।
रामलाल के मेहमान साल भर उसकी छाती पर मूंग दलते रहते हैं।

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54. छोटा मुँह बड़ी बात = अपनी सीमा से बढ़कर बोलना।
कमल तो छोटा मुँह बड़ी बात ही करता है, उसकी बातों का बुरा मत मानना।

55. जूती चाटना = खुशामद करना।
आज के युवा नौकरी पाने के लिए दूसरों की जूती चाटते फिरते हैं।

56. जान पर खेलना = जोखिम उठाना।
बच्चे को शेर से बचाने के लिए वह बहादुर नौजवान जान पर खेल गया।

57. टका सा जवाब देना = साफ इंकार करना।
मैंने कुछ दिनों के लिए विमल से साइकिल माँगी तो उसने टका सा जवाब दे दिया।

58. तूती बोलना = बहुत प्रभाव होना।
कृष्णकांत के समाज-सेवी होने की तृती सारे शहर में बोल रही है।

59. तिल धरने की जगह न होना = बहुत भीड़ होना।
आज की सभा में इतनी भीड़ थी कि तिल धरने की जगह भी नहीं थी।

60. दाँत काटी रोटी होना = पक्की दोस्ती होना।
रमेश और सुरेश के बीच दाँत काटी रोटी वाली बात है, कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

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61. दाँत खट्टे करना = बुरी तरह हराना।
हमारी सेना ने दुश्मन सेना के दाँत खट्टे कर दिए।

62. दाहिना हाथ होना = बहुत बड़ा सहायक होना।
पुलिस ने एक मुठभेड़ में उस कुख्यात अपराधी के दाहिने हाथ सुक्खा को मार गिराया।

63. दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करना = अधिकाधिक उन्नति।
भगवान करे, तुम दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करो।

64. धरती पर पाँव न पड़ना = अभिमान से भरा होना।
जब से रोता का पति प्रबंधक के पद पर नियुक्त हुआ है, तभी से उसके पाँव धरती पर नहीं पड रहे।

65. नमक हलाल होना = कृतज्ञ होना।
मुझे अपने मालिक के लिए यह कार्य करके उनका नमक हलाल बनना है।

66. निन्यानवे के फेर में पड़ना = रुपये की चिंता करते रहना।
तुम जब से निन्यानवे के फेर में पड़े हो, घर की तरफ से लापरवाह होते जा रहे हो।

67. नौ-दो ग्यारह होना = भाग जाना।
पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गया।

68. पर निकलना = स्वच्छदं हो जाना।
कॉलेज में दाखिला लेते ही सारिका के पर निकलने लगे हैं।

69. पहाड़ टूटना = बहुत भारी कष्ट आ जाना।
पिता की आकस्मिक मृत्यु से विमल पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा है।

HBSE 6th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

70. पगड़ी उछालना = अपमानित करना।
बड़े-बूढ़ों की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं है।

71, पाँव उखड़ जाना = स्थिर न रह पाना।
पुलिस की गोलियों की बौछार के आगे आतंकवादियों के पाँव जल्दी ही उखड़ गए।

72. पारा उतरना = क्रोध शांत होना।
जब तुम्हारा पारा उतरेगा, तभी तुम्हें अपनी गलती का अहसास होगा।

73. पानी-पानी हो जाना = अत्यंत लन्जित होना।
कक्षा में जब सरिता की कलई खुल गई तो वह पानी-पानी हो गई।

74. फूंक-फूंक कर कदम रखना = बड़ी सावधानी से काम करना।
जब से वीरेन्द्र ने अपने साझीदार से व्यापार में धोखा खाया है, वह हर कदम फूंक-फूंक कर रखता है।

75, फूला न समाना = बहुत प्रसन्न होना।
जब से भूपेश का नाम मैडिकल कालेज की प्रवेश-सूची में आया है, वह फूला नहीं समा रहा।

76. बाग-बाग होना = बहुत प्रसन्न होना।
रीता और कांता जब भी मिलती हैं, तो उनके दिल बाग-बाग हो जाते हैं।

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77. बहती गंगा में हाथ धोना = अवसर का फायदा उठाना।
तुम भी क्यों नहीं बहती गंगा में हाथ धो लेते, आखिर तुम्हारा मित्र मंत्री जो बन गया है।

78. बाल बांका न होना = कुछ हानि न होना।
मेरे रहते कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

79. मुंह की खाना = सबके सामने पराजित होना।
औरंगजेब ने कई बार शिवाजी पर चढ़ाई की, पर सदा मुँह की खाई।

80. मुंह में पानी भर आना = जी ललचाना।
विवाह में अनेकों प्रकार के व्यंजन देखकर बारातियों के मुँह में पानी भर आया।

81. मुट्ठी गरम करना = रिश्वत देना।
कचहरी में काम करवाने के लिए मुझे क्लों की मुट्ठी गरम करनी पड़ी।

82. लहू का चूंट पीकर रह जाना = अपमान सहन कर लेना।
द्रौपदी का अपमान होते देखकर भीम लहू का यूंट पीकर रह गया।

83. लकीर का फकीर होना = रूढ़िवादी होना।
श्यामलाल तो लकीर का फकीर है, बेटी के विवाह में सारी पुरानी रस्में निभाएगा।

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84. लाल-पीला होना = क्रोध करना।
परीक्षा में बेटे की असफलता से पिताजी लाल-पीले होने लगे।

85. सोने पर सुहागा होना = अच्छी चीज का और अच्छा होना।
साधना सुंदर होने के साथ-साथ गुणवती भी है, सोने पर सुहागा है।

86. हाथ मलना = पछताना।
अवसर का फायदा उठाने में ही समझदारी है वरना बाद में हाथ मलते रह जाओगे।

87. हथेली पर सरसों उगाना = असंभव काम को संभव करना।
हिम्मती लोगों के लिए हथेली पर सरसों उगाना बाएं हाथ का काम है।

88. हवाई किले बनाना = काल्पनिक इरादे प्रकट करना।
हवाई किले बनाने से जीवन में सफलता नहीं मिलती, कुछ ठोस काम करके दिखाओ।

89. हवा लगना = शोक लगना।
सीधे-सादे सुनील को भी कॉलेज पहुँचते ही वहाँ की हवा लग गई।

90. हुक्का-पानी बंद करना = मेल-जोल या व्यवहार बंद करना।
गलत आचरण के कारण समाज ने विनोद का हुक्का-पानी बंद कर दिया।

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लोकोक्तियाँ

1. अंत भला सो भला = अच्छे काम का अंत अच्छा ही
होता है। मनोज तुम्हें कितना भी परेशान करे मगर तुम उसका काम कर दो। अंत भला सो भला।

2. अधजल गगरी छलकत जाए = ओछा मनुष्य दिखावा अधिक करता है।
अनिल ने थोड़ा बहुत कंप्यूटर चलाना क्या सीख लिया, स्वयं को इंजीनियर मानने लगा है – अधजल गगरी छलकत जाए।

3. अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग = सब की अलग-अलग राय होना।
यहाँ अनेक विरोधी दल हैं कोई किसी की बात का समर्थन नहीं करता – सब की अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग जो ठहरा।

4. अंधा क्या चाहे दो आंखें = मुंहमांगी वस्तु मिलना।
रामपाल को पढ़ाई में परेशानी हो रही थी, एक दिन एक अध्यापक उसके किराएदार के रूप में आ गया। बस अंधा क्या चाहे दो आंखें।

5. अब पछताए क्या होत जब चिड़ियां चुग गई खेत = नुकसान होने के बाद पछताने से क्या लाभा।
पूरे साल तो पढ़ाई की बजाय आवारागर्दी की और अब फेल होने पर रोते हो, अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।

6. अंधा क्या जाने बसंत की बहार = अनभिज्ञ आदमी को आनंद नहीं मिल सकता।
अजय को कामायनी में क्या दिलचस्पी होगी क्योंकि वह तो पांचवी पास है, अंधा क्या जाने बसंत की बहार।

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7. आम के आम गुठलियों के दाम = दुगुना लाभ।
मैंने जितने में पुस्तक खरीदी थी, उतने ही मूल्य में साल भर पढ़ने के बाद बेच दी। इसी को कहते हैं – आम के आम गुठलियों के दाम।

8. आँख के अंधे नाम नैनसुख = काम के प्रतिकूल नाम होना।
नाम तो तुम्हारा सर्वप्रिय है मगर सबसे लड़ते रहे हो। तुम्हारे लिए ठीक ही कहा गया है – आँख के अंधे नाम नैनसुख।

9. आगे कुआँ पीछे खाई = दोनों ओर मुसीबत।
अगर दोस्त की मदद करता हूं तो पत्नी नाराज होती है और अगर नहीं करता तो दोस्त नाराज होता है। मेरे लिए तो आगे कुऔं पीछे खाई है।

10. आधा तीतर, आधा बटेर = बेमेल वस्तुओं का एक साथ होना।
अरे ! ये क्या फैशन है, धोती कुर्ते के साथ हैट-बूट। लगता है, आधा तीतर, आधा बटेर।

11. आ बैल मुझे मार = जान-बूझकर मुसीबत मोल लेना।
पहले तो सभी को बुला लिया, अब खर्चे का रोना रोते हो। सच है – आ बैल मुझे मार।।

12. आग लगने पर कुआँ खोदना = मुसीबत पूरी तरह से
आ जाने पर बचाव के उपाय करना। पूरे साल तो बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया और जब परीक्षा सिर पर है तो अध्यापक से ट्यूशन के लिए कहते हो। आग लगने पर कुआँ खोदते हो।

13. आँख के अंधे, गाँठ के पूरे = मूर्ख परन्तु धनी।
राजकुमार जी तो पूरी तरह से इस कहावत को चरितार्थ करते हैं कि आँख के अंधे, गाँठ के पूरे।

HBSE 6th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

14. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे = दोषी व्यक्ति ही निदोष को डाटने लगे।
एक तो मेरे रुपये लौटाते नहीं हो और ऊपर से पुलिस को बुलाने की धमकी देते हो। यह भी खूब रही उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।

15. ऊँची दुकान फीका पकवान = दिखावा अधिक, पर भीतर से खोखला।
सेठ रामदयाल की दानवीरता के चर्चे सुनकर हम अपनी संस्था के लिए चंदा माँगने गए तो उन्होंने मात्र पांच रुपये में टरका दिया। सच है – ऊँची दुकान फीका पकवान।

16. एक अनार सौ बीमार = चीज कम, पर चाहने वाले अधिक।
गाँव भर में डॉक्टर एक है और मरीज हर घर में। एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है।

17. एक पंथ दो काज = एक ही उपाय से दो लाभा
ऑफिस के काम से कानपुर जा रहा हूँ, वहाँ बड़े भाई साहब से भी मिल लूँगा – एक पंथ दो काज हो जाएंगे।

18, ओस चाटे प्यास नहीं बुझती = बड़े काम के लिए विशेष
प्रयत्न की आवश्यकता होती है। कारखाना लगाना चाहते हो और वह भी चार-पाँच हजार रुपयों में, ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।

19. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर = कठिन काम को करने में कष्ट सहने पड़ते हैं।
जब तुमने समाज-सेवा करने की ठान ही ली है तो छोटे-मोटे कष्टों से क्या घबराना, जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर।

20. कंगाली में आटा गीला = एक कष्ट पर दूसरा कष्ट।
एक तो बेरोजगारी से मैं वैसे ही परेशान था, उस पर चोरी ने मेरे लिए तो कंगाली में आटा गीला करने वाली बात कर

21. का वर्षा जब कृषि सुखाने = अवसर बीत जाने पर सहायता व्यर्थ है।
जब मुझे रुपयों की आवश्यकता थी तब आपने दिए नहीं, अब मैं इन रुपयों का क्या करूँ ? का वर्षा जब कृषि सुखाने।

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22. काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती = बेईमानी बार-बार नहीं फलती।
मसालों में मिलावट करके रतनलाल कई बार ग्राहकों को ठग चुका था, अब की बार रंगे हाथों पकड़ा गया। आखिर काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।

23. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली = दो व्यक्तियों की प्रतिष्ठा में जमीन-आसमान का अंतर।
मात्र दो कहानियाँ लिखकर अपनी तुलना प्रेमचंद से करते हो = अरे, कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली।

24. खग ही जाने खग की भाषा = साथी ही साधी का स्वभाव जानता है।
मेरी अपेक्षा तुम ही भूपेश से बात करो, वह तुम्हारा दोस्त भी है। ठीक है न, खग ही जाने खग की भाषा।

25. खोदा पहाड़ी निकली चुहिया = अधिक मेहनत करने पर कम फल मिलना।
सारा दिन मेहनत करने पर मजदुरी मात्र दस रुपये मिली. सोचा था कि बीस मिलेंगे। यह तो वही हुआ खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

26. गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास = अवसरवादी होना।
तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास किया जाए, तुम एक बात पर तो टिकते नहीं। तुम्हारे लिए ही किसी ने कहा है – गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास।

27. घर की मुर्गी दाल बराबर = घर की चीज की कद्र नहीं होती।
तुम्हारे बड़े भाई साहब खुद एक वकील हैं और तुम सलाह लेने दूसरों के पास जाते हो। यह तो वही बात हुई घर की मुर्गी दाल बराबर।

28. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए = बहुत कंजूस होना।
मोहनलाल एक सप्ताह से बीमार है, पर खर्चे के कारण डॉक्टर को नहीं बुलाना चाहता। उसके लिए तो चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए वाली बात होती है।

29. दाल-भात में मूसरचंद = हर बात में टांग अड़ाने वाला।
हम अपना झगड़ा खुद सुलझा रहे थे कि कमल ने बीच में आकर दाल-भात में मूसरचन्द वाली बात कर दी।

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30. दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम = संशय के कारण दोनों तरफ से हानि।
बेटे को या तो दुकान पर बिठा लो या पढ़ाई पूरी करने दो, वरना उसकी हालत भी ‘दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम’ वाली हो जाएगी।

31. नौ नकद न तेरह उधार = काफी उधार देने के स्थान पर थोड़ा नकद अच्छा है।
अगले महीने तीन हजार देने के वायदे से अच्छा है कि अभी दो हजार दे दो, नौ नकद न तेरह उधार।

32. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी = झगड़े की जड़ ही नष्ट कर देना।
अगर दोनों परिवारों के बीच झगड़ा इस पेड़ को ही लेकर है तो इसे काट डालो या बेच दो, न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।

33. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद = अयोग्य को किसी गुणवान की पहचान नहीं होती।
तुमने कभी कश्मीर के सेब खाए हैं जो उन्हें खट्टा बता रहे हो – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

34. भागते चोर की लंगोटी भली = सब कुछ नष्ट होता देख, कुछ बचा लेना अच्छा है।
किरायेदार एक साल का किराया दिए बिना ही भाग गया, मगर गिरवी पड़े जेवर छोड़ गया। मैंने सोचा-भागते चोर की लंगोटी भली।

35. साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे = ऐसी युक्ति, जिससे काम भी बन जाए और हानि भी न हो।
उस पहलवान से सीधे क्यों लड़ते हो, कोई ऐसी युक्ति निकालो कि पॉप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

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Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Hindi Rachana Nibandh-Lekhan निबंध-लेखन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Rachana निबंध-लेखन

1. स्वच्छ दिल्ली-स्वस्थ दिल्ली

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर शुरू की गई एक मुहीम है जिसमें देश के लगभग 4000 नगरों के सार्वजनिक स्थानों जैसे गलियों, सड़कों आदि पर सफाई पर जोर दिया जा रहा है। इस अभियान का प्रारंभ 2 अक्टूबर, 2014 को महात्मा गाँधी जयती के दिन वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं राजघाट पर सफाई करी।

इस अभियान में लाखों शासकीय कर्मचारियों, स्कूल व कॉलेज के विद्यार्थियों ने स्वच्छ भारत अभियान में भाग लिया। इस अभियान का मूल उद्देश्य यह है कि साफ-सफाई एवं स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता हो ताकि ग्रामीण एवं शहरी जीवन स्तर में सुधार हो। इस अभियान के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • अस्वच्छ कच्चे शौचालयों का जल सुविधायुक्त तथा पक्के शौचालयों में परिवर्तित करना।
  • नगरपालिका या नगर निगमों द्वारा कचरे के संग्रह व निपटान की ठोस व्यवस्था करना।
  • साफ-सफाई एवं स्वच्छता के प्रति जन-जागरूकता का प्रचार प्रसार करना।
  • गैर-सरकारी संस्थानों को भी स्वच्छता कार्यक्रम के लिए पूँजी लगाने में प्रोत्साहित करना।

इस अभियान के तहत प्रधानमंत्री ने विशेष ख्याति व्यक्तियों जैसे सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, सलमान खान, अनिल अंबानी, कमल हसन आदि को स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए चुना है। इस अभियान की सफलता के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं जैसे गरीब वर्ग के लिए शौचालयों के निर्माण में सहायता, गाँव में रहने वाली महिलाओं के लिए जलसुविधायुक्त शौचालयों का निर्माण, अस्वच्छ कच्चे शौचालयों को पक्के शौचालयों में परिवर्तित करना।

भारत के इतिहास में प्रथम बार विशाल पैमाने पर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के प्रति दिल्ली के सभी कार्यालयों, विद्यालय तथा कॉलेजों ने जागरूकता दिखाई है। इस अभियान के तहत सफाई अभियान, रैलियाँ तथा विभिन्न कार्यकम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि संपूर्ण भारत के नागरिक स्वच्छता को अपना परम कर्तव्य समझें तथा दृढ़ विश्वास के साथ इस अभियान से जुड़ें।

इस अभियान के लिए बहुत बड़ी पूँजी की आवश्यकता होगी जो इस अभियान की सफलता की कुंजी होगी। दिल्ली सरकार ने स्वच्छ दिल्ली को बढ़ावा देने के लिए रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्रों, बैनरों तथा पोस्टरों आदि संचार के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलानी चाही है।

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2. दीपावली को प्रदूषण-रहित बनाने के उपाय

विश्व स्तर पर प्रदूषण एक ज्वलंत समस्या है। प्रदूषण के काराण पर्यावरण को क्षति हो रही है। प्रदूषण मुख्य रूप से प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ करने से होता है। यदि इसी गति से हमारे पर्यावरण की हालत बिगड़ती रही तो आने वाले बहुत कम समय में ही मानव जीवन के सामने संकट खड़ा हो जायेगा। इस बात के संकेत हमें अभी से मिलने शुरू हो गए हैं। विश्व भर में मौसम की मार में तेजी आयी है।

हर देश का मौसम बदलाव से गुजर रहा है। ध्रुवों की बर्फ पिघलने का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण ही है। इसी तरह ओजोन की परत में छेद होने से भी गंभीर समस्या सामने आ रही है। भारत जैसे देश में तो हर नदी जल प्रदूषण का उदाहरण बनती जा रही है।

प्रदूषण की रोकथाम सरकार के साथ-साथ आम लोगों का भी महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। इसके लिए सभी लोग मिलकर “दीपावली” वाले दिन अपने-अपने घरों की सफाई के साथ आस-पास की सफाई पर विशेष ध्यान दें, आपस में मेल-मिलाप के साथ जगह-जगह नए वृक्ष लगाएँ, जिससे शुद्ध हवा का प्रवाह आगे बढ़े, एक-दूसरे को उपहार में प्यार के साथ-साथ गमले व गुलाब के फूल भेंट करें।

हर अशिक्षित व्यक्ति को भी प्रदूषण के फायदे बताकर उसे अपने साथ कार्य में भागीदार बनाएँ। इस प्रकार की दीपावली को यादगार बनाकर एक बड़े से बड़ा वृक्ष लगाने की योजना का संकल्प कर अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण रहित करें।

3. प्रातःकाल की सैर

प्रात:काल की सैर का विशेष आनन्द है। सैर करना एक ‘अच्छा व्यायाम है। प्रात:काल से अच्छा समय सैर करने के लिए और कोई नहीं। स्वस्थ रहने का यह एक सरल उपाय है। बच्चे, बूढ़े, अमीर-गरीब सब यह व्यायाम कर सकते हैं। इसीलिए गाँधी जी ने इसे ‘व्यायामों का राजा’ कहा था।

प्रात:काल का शांत और सुंदर वातावरण मन को प्रसन्नता से भर देता है। सैर यदि किसी बाग-बगीचे, नदी के किनारे या पहाड़ी स्थल पर की जाए तो प्रकृति के मनोहारी दृश्य यरबस ही हमारे मन को अपनी ओर खींच लेते हैं। यदि मन प्रसन्न हो तो सारा दिन व्यक्ति काम करने से थकता नहीं। प्रात:काल की सैर हमारे अंदर नई ताज़गी और स्फूर्ति पैदा कर देती है। सुबह-सुबह की मंद शीतल स्वच्छ वायु हमारे दिलोदिमाग को तरोताजा कर देती है।

प्रात:काल की सैर हमें पूरे दिन के कार्य के लिए नई ऊर्जा प्रदान करती है। जो व्यक्ति प्रातः देर तक सोते हैं, वे इस सुख से वंचित रह जाते हैं। प्रातः पक्षियों का कलरव, खिलती कलियाँ, मुस्कुराते फूल हमारे हृदय को भी खिला देते हैं। हम स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं। लंबी-लंबी साँस लेते हुए थोड़ी तेज चाल से सैर करनी चाहिए। इससे शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम हो जाता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। प्रात:काल की सैर स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है।

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4. दीपों का पर्व-दीपावली

हमारा देश अनेक धर्म, संप्रदायों, जातियों का अद्भुत संगम है। यहाँ के निवासी अपने विश्वास एवं रुचियों के अनुसार अपने-अपने त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। दीपावली भी भारतीयों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप+अवली अर्थात् दीपों की पंक्ति। इस दिन दीप जलाने का विशेष महत्त्व है, इसलिए इस दिन रात को दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है, अत: दीपावली प्रकाश पर्व है।

दीपावली का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अगर देखा जाए तो दीपावली कई पर्यों का समूह है। दीपावली से पूर्व छोटी दीपावली और उससे पूर्व धनतेरस का पर्व होता है। दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पूजा तथा उसके अगले दिन भाईदूज का त्योहार होता है।

इस प्रकार दीपावली के समय सप्ताह पर्यंत हर्षोल्लास का वातावरण बना रहता है। दीपावली को रात्रि में लक्ष्मी पूजन किया जाता है. दीपक या विद्युत दीप जलाकर रोशनी की जाती है। बच्चे आतिशबाजी चलाकर प्रसन्न होते हैं। लक्ष्मी पूजन के उपरांत व्यापारीगण अपने नए बही-खाते प्रारंभ करते हैं।

दीपावली के कई दिन पहले ही लक्ष्मी के आगमन के लिए तैयारी प्रारम्भ हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। उन्हें यथा संभव सजाते हैं। सफाई एवं शुद्धता के वातावरण में जब दीपकों का प्रकाश किया जाता है तो अमावस्या की काली रात्रि भी पूर्णिमा में परिवर्तित हो जाती है। बाजारों में दुकानों की सजावट देखते ही बनती है। इस अवसर पर लोग अपने इष्टमित्रों के यहाँ मिष्ठान्न एवं उपहार प्रदान करके प्रेम एवं सौहार्द बढ़ाते हैं।

दीपावली का पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से भी विशेष महत्त्व है। एक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान् श्रीराम लंका के राजा रावण को मारकर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। उनके अयोध्या वापस आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपकों की पंक्तियाँ जलाकर प्रकाश किया।

तभी से इस दिन दीपकों की पंक्तियाँ जलाने का महत्त्व है। इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु गोविंद सिंह की बंधन-मुक्ति हुई थी। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद, जैन तीर्थकर महावीर स्वामी ने भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त किया था।

प्रकाश पर्व दीपावली हमें जीवन भर हर्षोल्लास से रहने की प्रेरणा देती है। हमारे जीवन में सदैव ज्ञान का प्रकाश जगमगाता रहे, परन्तु इस प्रकाश पर्व के दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं, यह कानूनी अपराध है। कभी-कभी आतिशबाजी से आग लगने की दुर्घटनाएं हो जाती हैं। आतिशबाजी से वायु-प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण फैलता है। अतः आतिशबाजी का विरोध करके प्रदूषण रहित दीपावली मनाना ही दीपावली की पवित्रता का परिचायक है।

5. रंगों का त्योहार-होली

भारत विभिन्न ऋतुओं का देश है। रंगों का त्योहार होली ऋतुराज वसंत के आने का सूचक है। इस रंग-बिरंगे वसंत में ही होली का शुभागमन होता है।

होली का त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार दो दिन तक प्रमुख रूप से मनाया जाता है। पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन होता है। लोग रात को अपने घरों में भी होली जलाते हैं तथा रबी की फसल की जौ और गेहूँ आदि की बालियाँ भूनते हैं।

परस्पर भूने अन्न के दानों का आदान-प्रदान करते हुए अभिवादन करते हैं। अगले दिन प्रातः से ही सभी आबाल वृद्ध एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं। एक दूसरे के गले मिलते हैं। सभी भेद-भाव भुलाकर रंग डालते हैं।

लोगों के चेहरे और कपड़े रंग-बिरंगे हो जाते हैं। लोग मस्ती में गाते, बजाते, नाचते हैं। इस प्रकार होली पारस्परिक प्रेम और सौहार्द का परिचायक है। रंगों का त्योहार होली हमें पारस्परिक प्रेम एवं सौहार्द का संदेश देता है। इस दिन शत्रु भी अपनी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाते हैं, परन्तु कुछ लोग अपनी विकृत मानसिकता का प्रयोग होली में करते हैं। वे शराब पीकर ऊधम मचाते हैं, कई बार प्रदुषित रंगों से आँखों एवं चमडी के रोग हो जाते हैं।

उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें शालीनता के साथ गुलाल लगाकर प्रेमपूर्वक होली खेलनी चाहिए ताकि समाज में स्नेह एवं प्रेम का सौहार्द बढ़े।

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6. रक्षाबंधन

भारत पवों का देश है। यहाँ वर्ष भर अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं। सभी भारतीय अपने पर्वो को असीम हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इन पर्वो में रक्षाबंधन एक पवित्र और प्रसिद्ध पर्व है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे श्रावणी भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र अर्थात् राखियाँ बाँधती हैं, इसलिए यह पर्व रक्षा बंधन के नाम से विशेष प्रसिद्ध है।

रक्षाबंधन से काफी समय पूर्व ही बाजार में रंग-बिरंगी राखियों की दुकानें सज जाती हैं। भाइयों के दूर होने पर बहनें डाक द्वारा अपनी राखियाँ भेजती हैं। पास रहने वाली बहनें अपने भाई के यहाँ स्वयं जाकर राखी बाँधती हैं तथा भाई के लिए मंगल कामनाएँ करती हैं। रक्षाबंधन के उपरान्त भाई अपनी बहनों को यथाशक्ति उपहार प्रदान करते हैं तथा बहन की रक्षा का उत्तरदायित्व लेते हैं। कई भाइयों की बहनें नहीं होती तो वे किसी को धर्म-बहन बनाकर रक्षाबंधन करवाते हैं और उसे बहन का प्रेम एवं सम्मान प्रदान करते हैं।

7. आदर्श विद्यार्थी

‘विद्यार्थी’ शब्द का अर्थ है-विद्या प्राप्त करने का इच्छुक। जीवन के प्रारंभिक काल अर्थात् प्रथम पच्चीस वर्ष का काल विद्यार्थी काल कहलाता है। इस समय में विद्यार्थी अपनी शिक्षा प्राप्त करता है। विद्यालय में पढ़ाई करते हुए वह ज्ञान पाता है।

विद्यार्थी काल में बालक के व्यक्तित्व का विकास होता है। उसमें अनेक गुणों का समावेश वांछित होता है। आदर्श विद्यार्थी में विनम्रता, सहनशीलता, संयम, परिश्रम तथा एकाग्रता के गुण होते हैं। कहा गया है कि कौए जैसी चेष्टा, बगुले जैसा ध्यान, कुत्ते की-सी नींद तथा संयमी, परिश्रमी, कम खाने वाला और घर से मोह न रखने वाला विद्यार्थी ही सही ढंग से शिक्षा पाने में सफल रहता है। यह जीवन उसके भावी जीवन की आधारशिला होता है।

विद्यार्थी का अनुशासन के साथ गहरा संबंध है। एक अच्छा विद्यार्थी स्कूल और समाज के नियमों का पालन करके ही अनुशासित रह सकता है। अनुशासन में रहने से ही विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सही दिशा में विकास होता है। विद्यालय अनुशासन सिखाने की प्रथम पाठशाला है।

यहाँ उसकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जाती है। आज विद्यार्थी-वर्ग में जो अनुशासनहीनता दिखाई देती है वह उसके असंतोष का कारण हो सकती है। इसका उचित समाधान खोजा जा सकता है। आदर्श विद्यार्थी का विनयशील होना आवश्यक है। उसे गुरुजनों के प्रति श्रद्धा का भाव रखना चाहिए। गुरु को तो भगवान से भी बड़ा बताया गया है।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियौ मिलाय॥ – गुरु ही विद्यार्थी को ज्ञान का मार्ग दिखाता है। अत: गुरु के प्रति आदर-भाव रखना विद्यार्थी का पवित्र कर्तव्य है। आदर्श विद्यार्थी समाज के प्रति भी अपने उत्तरदायित्व का पालन करता है।

वह समाज-सेवा के कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेता है परोपकार की भावना उसमें कूट-कूट कर भरी होती है। वह शांत एवं शिष्ट स्वभाव का होता है। इन सभी गुणों को अपनाकर एक विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी बन पाता है। आदर्श विद्यार्थी ही आगे चलकर आदर्श नागरिक बनता है।

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8. मेरे प्रिय अध्यापक

हमारे विद्यालय में लगभग साठ अध्यापक/अध्यापिकाएँ हैं। इनमें अधिकांश उच्च शिक्षित हैं। वे हमें अत्यंत परिश्रमपूर्वक पढ़ाते हैं। इन सबमें हमारे कक्षा अध्यापक श्री रामलाल वर्मा मेरे प्रिय अध्यापक हैं। वे हमें हिंदी पढ़ाते हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में एम.ए. (हिंदी) की उपाधि प्राप्त की है। इसके पश्चात् उन्होंने बी.एड. की ट्रेनिंग लेकर आज से लगभग दस वर्ष पूर्व शिक्षण व्यवसाय को अपनाया है। तभी से वे निरंतर प्रगति करते चले आ रहे हैं।

मेरे प्रिय अध्यापक श्री वर्मा जी ‘सादा जीवन उच्च विचार’ में विश्वास रखते हैं। वे सदैव खादी के वस्त्र पहनते हैं और पूर्णत: शाकाहारी हैं। उनके विचार बहुत उच्च हैं। वे मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाने के पक्षपाती हैं। जाति-पाति से उन्हें सख्त घृणा है। वे सभी को एक समान मानते हैं और उनसे प्रेममय व्यवहार करते हैं। उन्होंने दर्शनशास्त्र का भी गहन अध्ययन कर रखा है। वे हमें महान् दार्शनिक के विचारों से अवगत कराते रहते हैं। उनकी बातें हम बहुत ध्यानपूर्वक सुनते हैं।

मेरे प्रिय अध्यापक श्री वर्मा जी बहुत ही अनुशासन प्रिय हैं। उन्हें अनुशासनहीनता से सख्त नफरत है। वे किसी भी कीमत पर विद्यालय में उच्छ्ख लता सहन नहीं कर सकते हैं। उन्हें समय की पाबंदी बहुत प्रिय है। विलंब से आने वाले छात्रों को वे दंडित करने से भी नहीं चूकते। उनके इन प्रयासों के सुखद परिणाम सभी के सामने आ रहे हैं। वे भी सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में नहीं पड़ते।

श्री वर्मा जी अपने विषय के प्रकांड विद्वान हैं। हिंदी साहित्य पर उनका असाधारण अधिकार है। वे कविताओं को पूरे संदर्भ सहित समझाते हैं। उन्हें अनेक प्रासंगिक कथाएँ स्मरण हैं। प्रसंगानुकूल वे उन्हें सुनाकर पाठ को रोचक बना देते हैं। कविता को पूरी लय के साथ गाकर पढ़ते हैं। उनके काव्य पाठ के दौरान विद्यार्थी झूम उठते हैं। उनके पढ़ने के ढंग से ही कविता का मूल भाव स्पष्ट हो जाता है। गद्य-पाठ को भी वे बहुत प्रभावशाली ढंग से समझाते हैं।

मेरे प्रिय अध्यापक हमारी दैनिक समस्याओं को सुलझाने में अत्यंत रुचि लेते हैं। हम उन्हें सच्चा मार्गदर्शक मानते हैं। वे हमारे साथ स्नेहमय एवं सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करते हैं। सभी विद्यार्थी उन्हें अपना समझते हैं। वे विद्यार्थियों में अत्यंत लोकप्रिय हैं। मेरे इन अध्यापक के प्रयासों का ही यह सुखद परिणाम है कि प्रति वर्ष हिंदी विषय का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहता है। चार-पाँच विद्यार्थी विशेष योग्यता भी प्राप्त करते हैं। उन्हीं के प्रयासों से हमारा विद्यालय सांस्कृतिक गतिविधियों में भी अग्रणी रहता है।

श्री वर्मा जी को अपने सहयोगियों एवं प्रधानाचार्य का विश्वास प्राप्त है। उन्हें विद्यालय की सांस्कृतिक गतिविधियों की जिम्मेदारी सौंपी गई है जिसे वे अत्यंत कुशलतापूर्वक निभाते हैं। वे बहुत अनुशासनप्रिय हैं। उनके ऊपर विद्यालय को गर्व है। इन सब गुणों के कारण ही वे मेरे प्रिय अध्यापक बन गए हैं।

9. हिंदी : हमारी राष्ट्रभाषा

राष्ट्रभाषा किसी देश की अस्मिता होती है, उसका गौरव होती है राष्ट्रभाषा का दर्जा किसी भाषा को तभी मिलता है जब उस भाषा को वहाँ रहने वाले अधिकांश नागरिक बोलते, समझते और व्यवहार में लाते हों। भारत जैसे देश में जहाँ संविधान स्वीकृत बहुत-सी भाषाएँ हैं, वहाँ हिंदी को ही राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना कोई संयोग मात्र नहीं है।

हिंदी हमारी संस्कृति का प्राण तत्व है। यह हमारी सभी भाषाओं के बीच एक अदृश्य सेतु का काम करती है। भारत के एक बड़े भू-भाग में हिंदी को मातृ भाषा के रूप में बोला, पढ़ा और लिखा जाता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलाने में स्वतंत्रता सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई है।

इसके माध्यम से ही सभी नेता और क्रांतिकारी विचारों का आदान-प्रदान करते थे। हिंदी के लिए गौरव का विषय यह रहा कि इसे राष्ट्रभाषा का सम्मान अहिंदी भाषियों ने दिलाया। लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी, सुभाषचंद्र बोस आदि अहिंदी भाषी थे।

संविधान के अनुच्छेद 351 में हिंदी की राष्ट्रभाषा के रूप में कल्पना की गई है। जब संविधान सभा में भाषा के संबंध में विचार-विमर्श किया जा रहा था, तब अधिकांश सदस्यों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया।

संविधान में हिंदी को राजभाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को प्रादेशिक कहा गया है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। इससे इसके राष्ट्रभाषा के स्वरूप को मान्यता मिली। 14 सितंबर को पूरा देश ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बने हुए कई दशक हो गए हैं, किंतु व्यावहारिक रूप में इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है।

हिंदी के साथ अंग्रेज़ी को कुछ वर्षों के लिए सह राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया। अंग्रेजी को इस विशेष स्थान से हटा देना चाहिए था परंत राजनैतिक कारणवश अंग्रेज़ी अभी तक उस स्थान पर बनी हुई है। राष्ट्रभाषा होने के बावजूद भी हिंदी का प्रचार-प्रसार जनमानस तक उस प्रकार नहीं हुआ; जैसे राष्ट्रभाषा का होना चाहिए।

हिंदी और अंग्रेजी के इतने विद्वानों के होते हुए भी वैज्ञानिक शब्दावली को हिंदी में लोकप्रिय एवं स्वीकार्य नहीं बनाया जा सका है। तकनीकी शब्दावली कठिन और अव्यावहारिक है तथा उसके अंग्रेज़ी पर्याय ही सरल लगते हैं। इस क्षेत्र में व्यापक शोध एवं प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। प्रत्येक भारतीय को हिंदी भाषा पर गर्व होना चाहिए। इसके प्रति भी वही भाव होना चाहिए, जैसा भाव अपने राष्ट्र के लिए होता है।

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10. क्रिसमस

क्रिसमस का त्योहार सारे विश्व में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। यह प्रति वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का त्योहार नव वर्ष तक चलता है।

यह दिन महात्मा ईसा मसीह के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आज से लगभग 2000 ई.पू. महात्मा ईसा का जन्म बेथलेहम नामक स्थान पर हुआ था। यह स्थान भूमध्य सागर के पश्चिमी तट के निकट फिलिस्तीन में है। तब यहाँ यहूदी लोग रहते थे लेकिन देश रोम साम्राज्य के अधीन था।

ईसा के माता-पिता (मेरी-जोसफ) को जनगणना कराने के लिए बेथलेहम जाना पड़ा। वे रात बिताने के लिए एक अस्तबल में ठहरे। उसी रात मेरी ने एक बालक को जन्म दिया। इस बालक का नाम जीसस रखा गया। यही बालक आगे चलकर ईसा मसीह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ईसा मसीह ने लोगों को प्रेम एवं भाई-चारे का संदेश दिया। उन्होंने अपने धर्म की नींव प्रेम और क्षमा पर रखी।

ईसा मसीह के अनुयायी उनका जन्म दिन प्रति वर्ष क्रिसमस के रूप में अत्यंत उल्लासपूर्वक मनाते हैं। कई दिन पहले से गिरजाघरों को सजाना प्रारंभ कर दिया जाता है। बाजारों में खूब चहल-पहल रहती है। लोग अपने प्रियजनों के लिए सुन्दर उपहार खरीदते हैं। इस अवसर पर ‘ग्रीटिंग कार्ड’ भेजने की भी प्रथा है। बच्चों और स्त्री-पुरुषों को नए-नए वस्त्र पहनने का शौक होता है। घरों को भी खूब सजाया जाता है। घर के एक कोने में ‘क्रिसमस ट्री’ बनाया जाता है। एक बूढ़ा व्यक्ति सांताक्लाज बच्चों के लिए मिठाइयाँ एवं उपहार लेकर आता है।

अर्धरात्रि के समय चर्च की घंटियाँ बज उठती है। सभी लोग हर्ष एवं उल्लास से झूम उठते हैं। केक काटकर ईसा मसीह का जन्म दिन मनाया जाता है। चर्च में प्रार्थना की जाती है। बच्चों को खाने के लिए केक और मिठाइयाँ मिलती हैं। उनकी खुशी देखते ही बनती है। यद्यपि यह त्योहार ईसाइयों का है, पर इसे सभी धर्मों के अनुयायी मिल-जुलकर मनाते हैं। इससे एकता की भावना बढ़ती है। इस दिन हमें ईसामसीह के उपदेशों का स्मरण कर उन पर चलने का प्रण करना चाहिए।

वस्तुतः क्रिमस मनाने का मूल उद्देश्य महान संत ईसामसीह का पावन स्मरण है, जो दया, प्रेम, क्षमा और धैर्य के अवतार थे। संसार में ईसामसीह के दिव्य संदेश से हर व्यक्ति को विश्व शांति की प्रेरणा प्राप्त होती है।

11. राष्ट्रपिता : महात्मा गाँधी

महात्मा गांधी उन महान् आत्माओं में से एक हैं जिन्होंने अपने नि:स्वार्थ कार्यों से विश्व में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। गांधी जी का जीवन भारतीय इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ है। वे भारतीय स्वतन्त्रता के अग्रदूत थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाकर ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया था। उन्हें सारा संसार महात्मा गांधी के नाम से जानता है। भारतवासी श्रद्धा वश उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ और प्यार से ‘बापू’ कहते हैं।

गांधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई. को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ। इनके बचपन का नाम मोहन दास था और इनके पिता का नाम कर्मचन्द था। अत: इनका पूरा नाम मोहन दास कर्मचन्द गाँधी था। उनके पिता राजकोट के दीवान थे। भारत में प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के उपरांत इन्हें बैरिस्टरी पढ़ने के लिए इंग्लैण्ड भेजा गया। गाँधी जी ने इंग्लैंड में सादा जीवन बिताया। वे विलायत से वकालत की डिग्री लेकर भारत लौटे। इन्होंने मुंबई में प्रैक्टिस शुरू कर दी।

वे झूठे मुकदमें नहीं लेते थे, अत: उनके पास कम मुकदमे आते थे। एक बार एक मुकदमे के सिलसिले में इन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ उन्होंने गोरों द्वारा भारतीयों के अमानवीय व्यवहार को स्वयं देखा। इससे उनके हृदय को गहरा आघात पहुँचा। यहीं उन्होंने सबसे पहले सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया। सन् 1915 ई. में गांधी जी भारत लौट आए। उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित किया। सन् 1919 ई के ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

सन् 1920 ई. में उन्होंने ‘असहयोग आन्दोलन’ छेड़ दिया। इसी कड़ी में उन्होंने 1930 का प्रसिद्ध ‘नमक सत्याग्रह’ किया। सन् 1942 ई. में गांधी जी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा देकर संघर्ष का बिगुल बजा दिया। गांधी जी को अनेकों बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। अन्ततः 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत स्वतंत्र हो गया।

भारत विभाजन के परिणामस्वरूप सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, अत: शांति स्थापित करने के लिए उन्हें अनशन करना पड़ा। 30 जनवरी, 1948 ई. को प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारकर इस संसार से विदा कर दिया। गांधी जी के मुख से अंतिम शब्द ‘हे राम’ निकले। इस प्रकार वे ऋषियों की परंपरा में जा मिले।

गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। वे सत्य को ईश्वर मानते थे। उनकी अहिंसा दुर्बल व्यक्ति की अहिंसा न थी। उनके पीछे आत्मिक बल था। वे अन्याय और अत्याचार के सामने कभी नहीं झक। वे साध्य और साधन दोनों की पवित्रता पर बल देते थे। गांधी जी सब मनुष्यों को एक समान मानते थे। धर्म, संप्रदाय, रंग आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव को वे कलंक मानते थे। उन्होंने समाज-सुधार के अनेक कार्य किए। हरिजनोद्धार उनका प्रमुख आंदोलन था।

उन्होंने हरिजनों को समाज में प्रतिष्ठा दिलवाई। स्त्री-शिक्षा के वे सबसे बड़े हिमायती थे। उन्होंने बाल-विवाह, सती प्रथा, पर्दा प्रथा आदि का डटकर विरोध किया। उन्होंने समाज में महिलाओं को बराबरी का दरजा प्रदान किया।

भारतवासियों के हृदयों में गांधी जी के प्रति असीम श्रद्धा भावना है। उनका नाम अत्यंत आदर के साथ लिया जाता है। उनकी मृत्यु पर पं. नेहरू ने कहा था –
“हमारी जिंदगी में जो ज्योति थी, वह बुझ गई और अब चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा है।”

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12. वसंत ऋतु

भारत ऋतुओं का देश है। यहाँ वर्षा, शरद, हेमंत, शीत, वसंत और ग्रीष्म छ: ऋतुएं होती हैं। इन सभी ऋतुओं में वसंत ऋतु का सर्वाधिक महत्त्व है, इसीलिए वसंत को ‘ऋतुराज’ कहा जाता है। वसंत ऋतु का आगमन शीत ऋतु के उपरांत होता है। पौराणिक मतानुसार वसंत को कामदेव का पुत्र बताया जाता है। वसंत के आगमन पर प्रकृति अपनी सज-धज के साथ उसका स्वागत करती है। वसंत ऋतु में प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता अपने उत्कर्ष पर होती है।

वसंत का प्रारंभ मधुमास से होता है। वसंत का स्वागत करने के लिए पेड़-पौधे अपने पुराने पत्तों रूपी वस्त्रों को त्यागकर नए पत्ते धारण कर लेते हैं। सभी ओर वन और उपवन नए रूप में दिखाई देने लगते हैं। प्रकृति में सर्वत्र हरीतिमा का साम्राज्य होता है। रंग-बिरंगे फूलों पर भ्रमरों की गुंजार मन मोहक लगती है। रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर लहराने लगती हैं। खेतों में सरसों के फूल लहराने लगते हैं।

वसंत ऋतु में आम के वृक्षों पर मंजरी आ जाती है, उसकी सुगंध से सभी वन-उपवन महकने लगते हैं। वसत ऋतु की छटा को देखकर जड़-चेतन सभी के मन में उल्लास छा जाता है। कवि अपनी नई-नई कल्पनाएँ करते हैं। कवियों ने अपनी कल्पना एवं अनुभूतियों से वसंत की अनेक प्रकार से महिमा गाई है। श्री सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने तो वसंत को महन्त का रूपक दे दिया :
“आए महंत बसंत।
मखमल के झूल पड़े, हाथी-सा टोला,
बैठे किंशुक छत्र लगा बाँध पाग पीला,
चंवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत।”

कवि भावुक हृदय होते हैं और वसंत ऋतु उनकी प्रसुप्त भावनाओं को जगा देती है।

वसंत ऋतु में वसंत पंचमी को वसंतोत्सव मनाया जाता है। वसंत पंचमी को ही ज्ञान की देवी सरस्वती का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। रंगों का पर्व होली भी वसंत ऋतु का मस्ती से भरा पर्व है। इस दिन सभी लोग अपनी भेद-भावना भुलाकर परस्पर होली खेलते हैं और मानवीय एकता का परिचय देते हैं।

वसंत ऋतु केवल भारत में ही नहीं संसार में सभी को आनंद देती है। इसलिए वसंत संसार की सबसे प्रिय ऋतु है। इस ऋतु में न अधिक सरदी होती है और न अधिक गरमी होती है। ऐसे समशीतोष्ण समय में प्रकृति सज-धज के साथ अपना सौंदर्य दिखाती है और सभी को अपने सौंदर्य से मोह लेती है।

वसंत ऋतु हमारे जीवन में नई प्रेरणा देती है। मनुष्यों को भी वसंत ऋतु से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में आनंद भरना चाहिए और अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रयत्नशील हो जाना चाहिए। इसी में वसंत ऋतु की सच्ची सार्थकता है।

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13. ऋतुओं की रानी वर्षा

भारत विविध ऋतुओं वाला देश है। ऋतु-परिवर्तन लोगों में स्फूर्ति का संचार करता है। भारत में क्रमश: बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमन्त ऋतुएँ आती हैं। यह ऋतु-चक्र अत्यंत सुहावना प्रतीत होता है।

वर्षा को ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है और बसंत को ‘ऋतुओं का राजा’। वर्षा ऋतु हमारे तन-मन की तपन को हरती है, धरती की प्यास को बुझाती है। रानी के समान सभी को इस ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा रहती है। सावन-भादों को वर्षाकाल माना जाता है, वैसे आषाढ़ मास से ही आकाश में काले-काले बादल घिरने लगते हैं।

वर्षा ऋतु के आगमन से पूर्व ग्रीष्म ऋतु होती है। इस ऋतु में धरती तवे के समान जलती है। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा मनुष्य सभी को ग्रीष्म की तपन झेलनी पड़ती है। ज्येष्ठ मास में तो भयंकर लू चलती है। इस ऋतु में पानी का अभाव हो जाता है। सभी के चेहरे मुरझा जाते हैं। सभी की निगाहें आकाश की ओर उठ जाती हैं।

जुलाई के आगमन के साथ वर्षा का आगमन प्रारंभ हो जाता है। इसे ‘पावस ऋतु’ भी कहा जाता है। इसी ऋतु के लिए तुलसीदास जी ने कहा है-
वर्षा काल मेघ नभ छाए।
गरजत लागत परम सुहाए।।
वर्षा की फुहारों से हमारा तन-मन भीग उठता है। मन में आनंद की हिलोरें उठने लगती हैं। जब वर्षा की झड़ी लगती है, तभी धरती की प्यास बुझती है। नदियाँ और तालाब जल से भर जाते हैं। कई बार तो नदियाँ उफनने लगती हैं। वैसे चारों ओर हर्ष-उल्लास का वातावरण छा जाता है।

वर्षा ऋतु में ‘तीज’ का त्योहार स्त्रियों के लिए विशेष उल्लासदायक होता है। वे मिलकर गीत गाती हैं तथा झूला झूलती हैं। इस ऋतु में श्रावणी (राखी) तथा जन्माष्टमी के पर्व भी आते हैं। इन पर्वो से वर्षा ऋतु का आनंद और भी बढ़ जाता है। अत्यधिक वर्षा बाढ़ का कारण बनती है। बाड़ में गाँव डूब जाते हैं तथा अनेक वस्तुओं की हानि होती है। इसके बावजूद वर्षा ऋतु की सभी को प्रतीक्षा रहती है। यह ऋतु है ही ऐसी अनोखी।

14. मेरा देश

मेरे देश का नाम भारतवर्ष है। इसे हिन्दुस्तान भी कहते हैं। भारत एक विशाल देश है। उत्तर में हिमालय पर्वत से लेकर दिक्षण में हिंद महासागर तक और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में अरब सागर तक इसका विस्तार है। प्राकृतिक दृष्टि से भारत एक सुंदर देश है। यहाँ बर्फ से ढकी श्वेत पर्वत श्रृंखलाएँ, हरे-भरे मैदान और घाटियाँ, कलकल करती बहती गंगा-यमुना और हरे-भरे तटीय प्रदेश हैं।

मेरे देश में घने और विस्तृत वन हैं तो रेतीला रेगिस्तान भी है। अनेक प्रकार के पशु-पक्षी और लहलहाते खेत हैं। संसार में भारत ही ऐसा देश है जहाँ छ: ऋतुएँ बारी-बारी से आती हैं। भारत की संस्कृति अति प्राचीन है। भारत ने विश्व को कला, साहित्य और विज्ञान की ढेरों सौगात दी हैं।

वेदों की रचना इसी भूमि पर हुई। भारत ने ही विश्व को प्रेम और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। भारत भूमि ऋषियों और मुनियों और शूरवीरों की भूमि रही है। यहाँ अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया। इसी भूमि पर राम, कृष्ण, गौतम, महावीर, स्वामी, नानक, विवेकानन्द जैसे महापुरुष हुए हैं।

वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे वीरों ने इस धरती पर जन्म लेकर देश का गौरव बढ़ाया है।

भारत विविधताओं का देश है। यहाँ अनेक धर्मो, भाषाओं और देशों के लोग रहते हैं। मेरे देश की सबसे बड़ी विशेषता विभिन्नता में एकता है। सभी मिल-जुलकर प्रेम और सौहार्द के साथ रहते हैं और देश का मान बढ़ाते हैं। मुझे अपने देश पर गर्व है।

“सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।”

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15. प्रदूषण : एक समस्या

आज प्रदूषण की समस्या केवल भारत की ही नहीं, विश्वव्यापी समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण का अर्थ है-दूषित करना। सामान्य रूप से वातावरण का दूषित होना प्रदूषण कहलाता है। इसके कारण सामान्य जन-जीवन प्रभावित हो रहा है। इसने समस्त पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है।

इस पर्यावरण का जीवध रियों के साथ सीधा संबंध है। प्रकृति मानव की सहचरी रही है। यदि यही प्रकृति प्रदूषण का शिकार हो जाए तो मानव-जीवन भला कैसे स्वस्थ और सुखी रह सकता है।

प्रदूषण के विविधि रूप हैं। जब वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है तब वायु प्रदूषण का खतरा उत्पन्न हो जाता है। जल-प्रदूषण की समस्या भी विकराल होती चली जा रही है क्योंकि गंगा जैसी पवित्र नदी का जल भी अब शुद्ध नहीं रह गया है। अन्य नदियों में भी कूड़ा-कचरा तथा कारखानों का गंदा-अवशिष्ट डाला जाता है जिससे उनका जल प्रदूषित हो रहा है। तेज आवाज ने ध्वनि-प्रदूषण को बढ़ाया है। भूमि-प्रदुषण का खतरा भी बढ़ रहा है।

इन सभी प्रदूषणों का एक मुख्य कारण है-प्रकृति के साथ अनियमित छेड़छाड़। हमने अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संतुलन को गड़बड़ा दिया है। वृक्षों को अंधाधुंध ढंग से काटा जा रहा है। पर्वतों पर अब वृक्ष शेष नहीं रह गए हैं। इससे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घट गई है। जनसंख्या में अंधाधुंध वृद्धि ने भी प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। हमने नदियों में कूड़ा-कचरा डालकर जल-प्रदूषण को बढ़ावा दिया है।

अब यह प्रदूषण भयावह स्थिति तक जा पहुंचा है। इस पर नियंत्रण करना अति आवश्यक हो गया है। हमें अधिक से अधि क वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षों को लगाने के साथ-साथ उनकी रक्षा करनी भी जरूरी है। कारखानों को ‘वाटर ट्रीटमेंट प्लांट’ लगाने होंगे तथा शोर मचाने वाले कारखानों को आबादी से दूर भेजना होगा। ‘वृक्ष लगाओ-प्रदूषण भगाओ’ का नारा सार्थक करके ! दिखाना होगा। हमें यह समझना होगा-प्रदूषण मुक्त हो वातावरण, दूर हटाओ कृत्रिम आवरण।

16. पुस्तकालय

‘पुस्तकालय’ शब्द ‘पुस्तक + आलय’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है-पुस्तकों का घर। हमारे विद्यालय में भी एक पुस्तकालय है। पुस्तकालयों का महत्त्व प्राचीन काल से चला आ रहा है। हमारे यहाँ नालंदा एवं तक्षशिला में विशाल पुस्तकालय थे।

हमारा पुस्तकालय एक बहुत बड़े कमरे में है। इस कमरे में लगभग 20 अलमारियाँ हैं। इन अलमारियों में विभिन्न विषयों की पुस्तकों को बहुत ही सहेजकर रखा गया है। हमारे पुस्तकालय के अध्यक्ष ने इन पुस्तकों को विभिन्न शीर्षकों में बांटकर सूचीबद्ध कर रखा है, ताकि हमें अपनी इच्छानुसार पुस्तकें ढूंढने में सुविधा रहे।

हमारे पास पुस्तकालय की सदस्यता के दो कार्ड हैं, जिन पर हमें दो सप्ताह के लिए पुस्तकें मिल जाती हैं। हमारे पुस्तकालय में लगभग 5000 पुस्तकं हैं। इनमें अनेक पुस्तकें बहुत कीमती हैं जिन्हें हमारे लिए खरीदना संभव नहीं है। इन्हें हम पुस्तकालय से लेकर ही पढ़ते हैं।

पुस्तकालय के अपने नियम होते हैं, जिनका पालन करना हमारे हित में है। हम पुस्तकालय में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखते हैं, ताकि अध्ययन करने वाले को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

हमारे पुस्तकालयों में पुस्तकों के अतिरिक्त अनेक समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ भी आती हैं। इनको पढ़कर जहाँ हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है, वहीं हमारा पर्याप्त मनोरंजन भी होता है। अनेक पत्रिकाएँ ज्ञानवर्धक लेखों के साथ-साथ रोचक सामग्री भी प्रस्तुत करती हैं। इस प्रकार हमारा पुस्तकालय बहुपयोगी बन गया है।

पुस्तकालय का सदुपयोग करना चाहिए। पुस्तकालय के नियमों का पालन करना हमारा कर्तव्य है। हमारे प्रत्येक व्यवहार में अनुशासन होना चाहिए। हमें अन्य पाठकों की सुविधा का भी ध्यान रखना चाहिए। पुस्तकालय में शांति बनाए रखना नितांत आवश्यक है। पुस्तकालय निर्धन वर्ग के छात्रों के लिए तो वरदान स्वरूप हैं, इसके साथ-साथ शोध कार्य में लगे विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय का बहुत महत्त्व है।

पुस्तकालय स्थापना का कार्य केवल सरकार का ही नहीं मानना चाहिए। समाज के विभिन्न वर्गों को भी इस कार्य में पर्याप्त रुचि लेनी चाहिए। उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में पुस्तकालय स्थापित करने चाहिए। इससे जहाँ पाठकों को लाभ पहुँचता है, वहीं लेखकों का भी उत्साहवर्धन होता है। यह एक पावन कार्य है। इससे समाज प्रबुद्ध बनता है।

पुस्तकालयाध्यक्ष पुस्तकालय का प्राण होता है। उसमें पाठकों की रुचि जानने की क्षमता होनी चाहिए। पुस्तकालय में पुस्तकों के शीर्षक लेखक का नाम, क्रम संख्या आदि में वर्गीकृत करके रखना चाहिए। नई पुस्तकों का परिचय पाठकों को उपलब्ध कराना चाहिए। अधिक-से-अधिक पुस्तकें पाठकों को जारी की जानी चाहिए। काम से बचने की प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए।

विद्यालय में पुस्तकालय का विशेष महत्त्व है। पुस्तकालय के बिना विद्यालय की वह स्थिति होती है जो औषधियों के बिना चिकित्सालय की। पुस्तकालय ज्ञान-पिपासा शांत करने का केंद्र है। हमें इसका पूरा उपयोग करना चाहिए।

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17. कंप्यूटर : आज की जरूरत
अथवा
कंप्यूटर : विज्ञान का अद्भुत वरदान

इक्कीसवीं सदी कंप्यूटर की है। इसका विकास बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में हो गया था. लेकिन इसके प्रयोग की नई-नई दिशाएँ इक्कीसवीं सदी में खुलती जा रही हैं। वर्तमान युग को कंप्यूटर युग’ कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। कंप्यूटर विज्ञान का अत्यधिक विकसित बुद्धिमान यंत्र है। इसके पास ऐसा मशीनी मस्तिष्क है जो लाखों, करोड़ों गणनाएँ पलक झपकते ही कर देता है।

पहले इन गणनाओं को करने के लिए सैकड़ों-हजारों मुनीम, लेखपाल दिन-रात परिश्रम करत रहते थे, फिर भी गलतियाँ हो जाती थीं। अब यह यंत्र सेकेंड में बटन दबाते ही निर्दोष गणना प्रस्तुत कर देता है। बैंक का पूरा खाता बटन दबाते ही परदे पर आ जाता है। दूसरा बटन दबाते ही खाते या बिल की प्रति टाइप होकर आपके हाथों में पहुँच जाती है।

कार्यालय का सारा रिकार्ड क्षण भर में सामने आ जाता है। अब न रजिस्टर ढूँढने की आवश्यकता रह गई है और न पन्ना खोलकर एंट्री करने की। सारा काम साफ-सुथरे अक्षरों में मिनटों में हो जाता है। आप रेलवे बुकिंग केन्द्र पर जाएँ। पहले वहाँ लंबी-लंबी लाइनें लगती थीं। सुबह से शाम हो जाती थी सीट आरक्षित कराने में।

अब कंप्यूटर की कृपा से यह काम मिनटों में हो जाता है। आप कंप्यूटर की सहायता से देश को किसी भी कंप्यूटर खिड़की से कहीं का भी टिकट खरीद सकते हैं तथा अग्निम सीट आरक्षित करा सकते हैं। इंटरनेट की सहायता से पूरे रेलवे केंद्र आपस में जुड़ गए हैं। इसी प्रकार हवाई जहाज की सीटें बुक कराई जा सकती मुद्रण के क्षेत्र में कंप्यूटर की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो गई है।

पहले एक-एक अक्षर को जोड़कर सारी सामग्री कंपोज़ की जाती थी। गलती होने पर साँचा खोलना पड़ता था। अब इस सारे झंझट से मुक्ति कंप्यूटर ने दिला दी है। अब तो एक बटन दबाते ही अक्षरों को मनचाहे आकार एवं रूप में ढाला जा सकता है। कभी भी मोटाई घटाई-बढ़ाई जा सकती है। अब चित्र भी कंप्यूटर की सहायता से बनाए जा सकते हैं।

अब पुस्तक प्रकाशन इतना कलात्मक एवं विविधतापूर्ण हो गया है कि पुरानी मशीनें तो अब बाबा आदम के जमाने की लगती हैं। कंप्यूटर द्वारा प्रकाशित पुस्तके आकर्षक होती हैं।

संचार के क्षेत्र में कंप्यूटर ने क्रांति ही उपस्थित कर दी है। फैक्स, पेजिंग, मोबाइल के बाद इंटरनेट, चैट, सर्किंग आदि ने मानो सारे संसार को आपके कमरे में कैद कर दिया हो। सूचना तकनीक का विकास दिन-प्रतिदिन नए रूप में हो रहा है। ‘ई-मेल’ सेवा भी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। आप अपने कंप्यूटर पर विश्व भर की किसी संस्था अथवा उत्पाद की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप विश्व के किसी भी कोने के समाचार-पत्र और पुस्तक पढ़ सकते हैं। अपनी लिखित सामग्री कहीं भी भेजी जा सकती है।

रक्षा के उन्नत उपकरणों में कंप्यूटर प्रणाली अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। भारत ने कंप्यूटर की सहायता से ही अपनी परमाणु क्षमता का विकास किया है। कंप्यूटर की सहायता से हजारों कि.मी. दूर शत्रु पर वार किया जा सकता है। संवेदनशील राडार हो अथवा कृत्रिम उपग्रह सभी में कंप्यूटर प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। कंप्यूटर ने घरेलू उपकरणों में स्वचालित प्रणाली विकसित कर दी है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कंप्यूटर की सेवाएं बहुत उपयोगी हैं। इसकी सहायता से बीमारी की जाँच और रोगी का रिकॉर्ड रखने में सहायता मिलती है। आप अपने रोग के बारे में विदेशी डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं। यह सब काम कंप्यूटर कर देता है। कंप्यूटर मनोरंजन के क्षेत्र में भी बच्चों को लुभा रहा है। इस पर तरह-तरह के खेल खेले जा सकते हैं।

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि कंप्यूटर वर्तमान युग की आवश्यकता बन गया है। सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत ने बहुत प्रगति की है। कंप्यूटर धन एवं समय की बचत कराने में बेजोड़ है।

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HBSE 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Ex 1.1

Haryana State Board HBSE 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Ex 1.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Maths Solutions Chapter 1 Knowing Our Numbers Exercise 1.1

Question 1.
Fill in the blanks :
(a) 1 lakh = …………….. thousands.
(b) 1 million = …………. hundred thousands.
(c) 1 crore = …………. lakhs.
(d.) 1 crore = …………. millions.
(e) 1 million = …………. lakh.
Answer:
(a) 10
(b) 10
(c) 10
(d) 10
(e) 10.

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Question 2.
Place commas correctly and write the numerals :
(a) Seventy-three lakh seventy-five thousand three hundred seven.
(b) Nine crore five lakh forty-one.
(c) Seven crore fifty-two lakh twenty-one thousand three hundred two.
(d) Fifty-eight million four hundred twenty-three thousand two hundred, two.
(e) Twenty-three lakh thirty thousand ten.
Answer:
(a) 73,75,307;
(b) 9,05,00,041;
(c) 7,52,21,302;
(d) 58,423,202
(e) 23,30,010.

Question 3.
Insert commas suitably and write the names according to Indian System of Numeration :
(a) 87595762
(b) 8546283
(c) 99900046
(d) 98432701.
Answer:
Number — Number Name
(a) 8,75,95,762– Eight crore seventy-five lakh ninety-five thousand seven hundred sixty-two.
(6) 85,46,283 — Eighty-five lakh forty-six thousand two hundred eighty-three.
(c) 9,99,00,046 — Nine crore ninety-nine lakh forty-six.
(d) 9,84,32,701 — Nine crore eighty-four lakh thirty-two thousand seven hundred one.

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Question 4.
Insert commas suitably and write the names according to Inter-national system of numeration :
(a) 78921092
(b) 7452283
(c) 99985102
(d) 48049831.
Answer:
Number — Number Name
(a) 78,921,092 — Seventy eight million, nine hundred twenty-one thousand and ninety-two.
(b) 7,452,283 — Seven million, four hundred fifty-two thousand, two hundred and eighty-three.
(c) 99,985,102 — Ninety-nine million, nine hundred eighty-five thousand, one hundred and two.
(d) 48,049,831 — Forty-eight million, forty nine thousand, eight hundred and thirty-one.

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HBSE 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Hindi Rachana Patra-Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन

1. अवकाश माँगते हुए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
सेंट कोलंबस स्कूल,
चंडीगढ़।
महोदय,

सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात्रि से ज्वर आ रहा है। डॉक्टर ने ‘वायरल फीवर’ बताया है और चार दिन तक पूर्ण विश्राम का परामर्श दिया है। अत: मैं दिनांक…………….. से ………….. तक चार दिन विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।
कृपया मुझे इन चार दिनों का अवकाश प्रदान कर कृतार्थ करें।

धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
मेहुल मैदीरत्ता
कक्षा..
दिनांक…………

HBSE 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

2. विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र (S.L.C.) प्राप्त करने के लिए प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र लिखो।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
समरफील्ड पब्लिक स्कूल,
नई दिल्ली।
महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं इस स्कूल का सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी का स्थानांतरण मुंबई हो गया है। अगले सप्ताह हमारा परिवार मुंबई चला जाएगा। मुझे वहीं के किसी स्कूल में प्रवेश लेना होगा। इस कार्य हेतु मुझे विद्यालय त्यागने का प्रमाण पत्र (S.L.C.) प्रदान करने की कृपा करें।

धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
मंयक
दिनांक…………

3. आर्थिक सहायता हेतु प्रधानाचार्य को आवेदन पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
होली चाइल्ड पब्लिक स्कूल,
टैगोर गार्डन,
नई दिल्ली।
महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं इस विद्यालय की आठवीं कक्षा की अत्रा हूँ। मैं सातवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में सभी वर्गों में प्रथम स्थान पर रही थी। मैंने चार सौ मीटर की दौड़ में मंडल स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था।

पिछले तीन मास से हमारा परिवार आर्थिक समस्या से ग्रस्त है। पिताजी दुर्घटनाग्रस्त होकर बिस्तर पर हैं। उनको पूरी तरह ठीक होने में अभी छह मास का समय लगेगा। परिवार में पिताजी ही एकमात्र कमाऊ सदस्य हैं। उनके इलाज पर भी काफी पैसा लग रहा है।

ऐसी विषम स्थिति में मुझे कक्षा की मासिक फीस जमा कराने में अत्यन्त कठिनाई आ रही है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि छ: मास के लिए मेरी फीस माफ की जाए तथा ‘छात्रनिधि’ से मुझे कुछ आर्थिक सहायता दिलाई जाए।

आपकी इस सामयिक सहायता के लिए मैं आपकी सदैव आभारी रहूंगी।

धन्यवाद सहित,
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
कनिका छाबड़ा
कक्षा –
दिनांक…………

HBSE 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

4. अपने मोहल्ले की गंदगी हटवाने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम (पश्चिमी क्षेत्र),
राजौरी गार्डन,
नई दिल्ली।
महोदय,

सविनय निवेदन है कि राजौरी गार्डन क्षेत्र में गंदगी का साम्राज्य है। यहां पिछले एक मास से सफाई ही नहीं हुई है। सफाई-कर्मचारियों से कई बार प्रार्थना की, किन्तु उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। सड़कों पर भी गंदगी जमा हो रही है।

कूड़े के ढेरों पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। मलेरिया फैलने की पूरी आशंका है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि यहां सफाई का उचित प्रबंध करवाएं, ताकि हम स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें।

धन्यवाद सहित,
भवदीय
कुन्दन लाल,
सचिव, बी ब्लॉक, राजौरी गार्डन
निवासी संघ
दिनांक…………

5. डाकपाल को शिकायती पत्र

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
मुख्य डाकघर,
रमेश नगर,
नई दिल्ली ।
महोदय,

मैं आपका ध्यान रमेश नगर (ई. ब्लाक) के डाकिए की लापरवाही की ओर दिलाना चाहती हूँ।

इस क्षेत्र का डाकिया नियमित रूप से डाक वितरण नहीं करता। दिन में दो बार डाक बाँटने के स्थान पर वह केवल एक ही बार आता है। उसके आने का समय निश्चित नहीं है। वह हमारे पत्र इधर-उधर फेंक जाता है। यद्यपि हमने लैटरबॉक्स लगा रखा है, पर वह पत्र उसमें नहीं डालता। उसकी इस लापरवाही के कारण हमारे अनेक आवश्यक पत्र गुम हो जाते हैं। अनियमित डाक-वितरण के कारण अनेक पत्र विलंब से मिलते हैं।

आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इस क्षेत्र के डाकिए को तत्परता से काम करने के निर्देश दें, ताकि हमें सुचारू रूप से डाक-वितरण का कार्य हो सके।

धन्यवाद सहित,
भवदीय
रचना मैदीरत्ता
ई-249-250, रमेश नगर, नई दिल्ली।
दिनांक…………

HBSE 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

6. पुस्तक-विक्रेता को पत्र

सेवा में,
प्रबंधक महोदय,
जीवन बुक्स इंटरनेशनल (प्रा.) लि.,
मानसरोवर गार्डन,
नई दिल्ली।
मान्यवर,

आपका भेजा सूचीपत्र प्राप्त हुआ। मुझे निम्नलिखित पुस्तकों की शीघ्र आवश्यकता है। कृपया नवीनतम संस्करण की ही पुस्तकें भिजवाएँ। मैं सौ रुपए का बैंक-ड्राफ्ट अग्रिम भेज रहा हूँ। कृपया पुस्तकें वी.पी.पी. द्वारा मेरे पते पर शीघ्र भिजवाने की व्यवस्था करें।

1. जीवन भारती (भाग-8) 3 प्रति
2. जीवन हिन्दी व्याकरण एवं रचना (भाग-7) 2 प्रति
3. जीवन इंटरएक्टिव गणित (भाग-3) 2 प्रति

सधन्यवाद,
भवदीय
धनालक्ष्मी
44/6, टी नगर, चेन्नई (तमिलनाडु)
दिनांक………..
संलग्न – इंडियन बैंक का ड्राफ्ट – ई-74027

7. जन्मदिन पर आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र

5/62. बैंक स्ट्रीट,
बंगलूर
दिनांक…
प्रिय मित्र राहुल,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हें यह जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि दिनांक…………. को मेरा जन्मदिन है। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम निम्नलिखित है :
दिनांक..
सायं 7 बजे – केक काटने की रस्म
सायं 7.30 से 8.30 तक – सांस्कृतिक कार्यक्रम
रात्रि 8.30 बजे – प्रीतिभोज

इस समारोह में भाग लेने के लिए मैं तुम्हें आमंत्रित करता हूँ। मुझे पूर्ण आशा है कि तुम समय से पूर्व ही आ जाओगे। अपनी बहन चीकू को भी साथ लेते आना।

तुम्हारा प्रिय मित्र
मनोज

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8. मित्र द्वारा निमंत्रण-पत्र का उत्तर

7/452, गनहिल रोड,
मसूरी।
दिनांक …………
प्रिय मित्र निशान्त,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा निमंत्रण पत्र मिला। जन्म दिन के पावन अवसर पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो।

जन्मदिन के अवसर पर मैं एक छोटा-सा उपहार कोरियर द्वारा भेज रहा हूँ। इसे स्वीकार कर कृतार्थ करना। जन्मदिन समारोह में मैं स्वयं तो उपस्थित नहीं हो पाऊँगा। इन दिनों माता जी अस्वस्थ चल रही हैं। उन्हें छोड़कर आना उचित नहीं होगा। आशा है तुम मेरी विवशता को समझोगे।
एक बार पुनः जन्मदिन की शुभकामनाएँ अपने माता-पिता को मेरा चरण-स्पर्श कहना।

तुम्हारा प्रिय मित्र
राहुल

9. आपका मित्र परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हुआ, उसे बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

सैक्टर-7, कोठी नं. 1218,
पंचकुला।
दिनांक………….
प्रिय नरेंद्र
सप्रेम नमस्ते।

अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर कि तुमने अपने विद्यालय में सर्वाधिक 96 प्रतिशत अंक पाए हैं, मुझे कितनी खुशी हुई, कैसे लिखू। मेरी बधाई स्वीकार करें।

प्रिय मित्र 96% अंक प्राप्त करना खुशी की बात तो है, परन्तु आश्चर्य की नहीं, क्योंकि तुम्हारी प्रतिभा किसी से छिपी नहीं है। हाँ, इस परिणाम से तुम्हारे ऊपर एक नई जिम्मेदारी आ गई है। वह यह कि अब भविष्य की परीक्षाओं में तुम इस प्रतिशत को बिल्कुल नीचे नहीं आने दोगे, वरन् ऊंचा ही उठाओगे। इसके लिए तुम्हें चाहे जितना परिश्रम करना पड़े। मेरी शुभकामनाएँ सदा तुम्हारे साथ हैं।

अपने मम्मी-पापा को मेरी ओर से बधाई देना। बच्चों को प्यार।

शेष कुशल है।
तुम्हारा मित्र
भारत मैदीरत्ता

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10. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए, जिसमें परिश्रम का महत्त्व समझाया गया हो।

5/2, कमला नगर,
दिल्ली।
दिनांक………….
प्रिय अनुज,
शुभाशीर्वाद।

आशा है तुम स्वस्थ एवं प्रसन्न होगे। कल माताजी का पत्र प्राप्त हुआ, जिससे पता चला कि इस वर्ष तुम्हें केवल 52% अंक प्राप्त हुए हैं। इतने कम अंक तुम्हें पहले कभी नहीं मिले। संभवत: तुम्हारे परिश्रम में कोई कमी रह गई है।

प्रिय भाई, परिश्रम के बिना जीवन में कोई सफलता नहीं मिलती। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। किसी कवि ने सच ही कहा-
“विद्या, धन उद्यम बिना, कहो सो पावै कौन?
बिना डुलाए ना मिले, ज्यों पंखा की पौन।”

जो व्यक्ति परिश्रम करने से जी चुराता है, वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता। परिश्रम के बलबूते पर तो मूर्ख भी चतुर बन जाता है। कालिदास जैसा वज मूर्ख परिश्रम के बलबूते पर ही संस्कृत का इतना प्रकांड विद्वान बन सका।

आशा है तुम परिश्रम के महत्त्व को समझ गए होगे। अगली कक्षा में तुम्हें 75% अंक प्राप्त करने हैं। इसके लिए अभी से परिश्रम करना आरंभ कर दो।

माता जी को सादर-प्रणाम।
तुम्हारा शुभचिंतक
लवाशीष

11. सखी को ग्रीष्मावकाश साथ-साथ बिताने के लिए पत्र

561, सिविल लाइन,
देहरादून।
दिनांक…
प्रिय सखी गरिमा,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा पत्र मिला। हमारी वार्षिक परीक्षाएँ समाप्त हो गई हैं। परीक्षा-परिणाम घोषित होने के पश्चात् हमारा विद्यालय दो मास के ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो जाएगा। तुम्हारे विद्यालय में भी अगले मास ग्रीष्मावकाश हो जाएगा।

तुम्हें स्मरण होगा कि पिछले वर्ष तुमने मेरे यहाँ आकर ग्रीष्मावकाश का एक मास बिताने का वायदा किया था। मेरी भी हार्दिक इच्छा है हम दोनों एक मास साथ-साथ रहें। अगले मास देहरादून का मौसम भी सुहावना हो जाएगा। हम यहाँ से एक सप्ताह के लिए मसूरी भी चलेंगे। हम दोनों नृत्य एवं संगीत की कक्षा में दो सप्ताह के कोर्स में भी प्रवेश लेंगे।

अपने कार्यक्रम से मुझे शीघ्र सूचित करना।

शेष कुशल !
तुम्हारी प्रिय सखी
पूजा भारती

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12. पिताजी से रुपये मंगवाने के लिए पत्र

न्यू कांवेंट स्कूल, कोचीन।
दिनांक…………..
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम।

मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि घर पर भी सब कुशल होंगे। मेरी पढ़ाई बिल्कुल ठीक चल रही है। मुझे आशा है कि मैं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो जाऊँगा। अगले सप्ताह हमारे विद्यालय के विद्यार्थियों को भ्रमण के लिए कुछ ऐतिहासिक स्थानों पर ले जाया जाएगा। मैंने भी वहाँ जाने के लिए नाम लिखवा दिया है। इस कार्यक्रम के लिए विद्यालय ने पचास-पचास रुपये प्रति विद्यार्थी जमा करवाए हैं। इसके अतिरिक्त कुछ पैसे और भी खर्च हो जाएँगे। अतः आप सौ रुपये शीघ्र धनादेश द्वारा भेजने की कृपा करें।

आपका स्नेहभाजन,
कपिल

13. मित्र के पिता की मृत्यु पर शोक पत्र

शाम नाथ मुखर्जी मार्ग, दिल्ली-110006
दिनांक…
प्रिय राजेश,

आपका पत्र 23 तारीख का लिखा हुआ मिला। जब मैंने आपके पिताजी की मृत्यु का समाचार उसमें पढ़ा तो मुझे उस पर एकाएक विश्वास न हुआ। पिछले मास की 30 तारीख को तो मैं उनसे मिला था।

मुझे ऐसी स्वप्न में भी कल्पना नहीं थी कि उनकी मृत्यु इतनी निकट है। प्रिय मित्र, यहाँ मनुष्य असमर्थ हो जाता है। धनी या निर्धन, बलवान या निर्बल, राजा या रंक, मूर्ख या विद्वान सभी एक दिन ईश्वर के नियमानुसार काल का ग्रास बन जाते हैं। भगवान की इच्छा बलवती है। अत: धैर्य और सब्र के सिवा चारा ही क्या है ? मुझे आशा है कि तुम धीरज से काम लोगे तथा सब्र के साथ पूज्य माता जी तथा गीता को धीरज तथा सांत्वना दोगे।

ईश्वर से प्रार्थना है कि स्वर्गवासी आत्मा को सद्गति प्रदान करे तथा आप सबको दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे।

तुम्हारे दुःख में दुःखी
राजनाथ विज

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14. बड़ी बहन की ओर से छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताते हुए पत्र

पी.एम.जी., टी नगर,
चेन्नई।
दिनांक ……………
प्रिय रंजन,
शुभाशीर्वाद।

कल माताजी का पत्र मिला। इसे पढ़कर ज्ञात हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में न लगकर बुरे लड़कों की संगति में लगता है। यही कारण है कि प्रथम सत्र की परीक्षा में अनुत्तीर्ण भी हो गए हो।

प्रिय भाई ! बुरे लोगों की संगति जीवन को बर्बाद करके रख देती है। इससे तुम्हारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सभी विद्वानों ने सत्संगति का बड़ा महत्त्व बताया है। इससे हमारा जीवन निरंतर प्रगति की ओर जाता है। हमें सज्जनों के वचनों को सुनकर उनका पालन करना चाहिए। कुसंगति तो कालिमा के समान है जिससे हमारा भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
कहा गया है
‘जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल होत’।
आशा है, तुम सत्संगति में अपना मन लगाओगे और पुनः शिकायत का अवसर नहीं दोगे।

माता जी को प्रणाम कहना।
तुम्हारी शुभचिंतिका
वंदना वर्मा

15. छोटी बहन को परीक्षा में सफलता प्राप्त होने पर बधाई-पत्र

एम 28/104, यमुना विहार,
दिल्ली-110062
दिनांक : …………..
प्रिय बहन विमला,
शुभाशीर्वाद।

पूज्य पिताजी के टेलीफोन से अभी-अभी ज्ञात हुआ कि तुम इस वर्ष की परीक्षा में बहुत अच्छे अंकों से सफल हुई हो। इस सुखद समाचार से मेरी प्रसन्नता का पारावार न रहा। मेरी ओर से तुम्हें हार्दिक बधाई। इस परीक्षा के लिए तुमने जो नियमित रूप से जी-तोड़ परिश्रम किया था, उससे मुझे तुम्हारी इस सफलता की पूरी आशा थी। तुमने सिद्ध कर दिया कि परिश्रम तथा दृढ़-संकल्प के बल पर कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

मुझे पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार शानदार सफलता प्राप्त करके अपने परिवार तथा विद्यालय का नाम ऊँचा करोगी। शेष मिलने पर।

तुम्हारा शुभचिंतक
संजय

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16. उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए चाचा जी को पत्र

ए-42, डेम्पियर नगर,
मथुरा (उ.प्र.)।
दिनांक………..
आदरणीय चाचा जी,
सादर प्रणाम।

आपके द्वारा मेरे जन्मदिन पर भेजा हुआ उपहार प्राप्त हुआ। यह उपहार मेरे प्रति आपके स्नेह का परिचायक है। शुभकामना एवं उपहार के लिए मैं आपके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। आशा है आप भविष्य में भी मुझ पर ऐसी कृपा बनाए रखेंगे। उपहार के रूप में एक शानदार घड़ी पाकर मैं बहुत हर्षित हूँ। यह मेरे सभी मित्रों को बहुत पसंद आई। इससे मुझे नियमित पढ़ाई करने में बहुत सहायता मिलेगी।

एक बार पुनः धन्यवाद।
आपका कृपाकांक्षी
मेहुल

17. यात्रा का विवरण देते हुए मित्र को पत्र

परीक्षा भवन,
ग्वालियर
दिनांक…………..
प्रिय मित्र अनिल,
सप्रेम नमस्ते।

कल तुम्हारा पत्र मिला। तुमने अपनी छुट्टियाँ गोवा में सानंद बिताई। यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। तुम जानना चाहते हो कि मेरी छुट्टियाँ कहाँ और कैसे बीती। मैं छुट्टियाँ आरम्भ होते ही अपने चाचा जी के घर शिमला चला गया। वहाँ जाकर तो मजा ही आ गया।

चाचा जी का पुत्र संदीप आयु में मेरे ही समान है। संदीप और मैं प्रतिदिन घूमने जाते। शिमला में हम मालरोड, रिजरोड, छोटा शिमला, संजोली, समरहिल, जतोग, जाखू तथा कुफरी स्थानों पर घूमने गए। एक दिन आलू अनुसंधान केन्द्र तथा पोलो ग्राउंड गए। रात को मालरोड़ का दृश्य तो वास्तव में बड़ा मनभावन होता था। शिमला में एक स्थान है ‘कुसुमपटी’ वहाँ पर चारों ओर रंग-बिरंगे फूल दूर से दिखाई पड़ते हैं, हिमाच्छादित पर्वत शिखर, दाएँ-बाएँ गहरे खड्डे। दोपहर में हम लोग घर के अंदर खेले जाने वाले खेल खेलते तथा अन्त्याक्षरी एवं गपशप करते।

एक दिन सब लोग ‘तत्ता पानी’ नामक स्थान पर पिकनिक मनाने गए। रास्ते में चीड़, देवदार, अखरोट तथा सेब के बाग देखकर मेरा मन आह्लाद से भर गया। उस दिन पिकनिक बहुत आनंददायक रही। मैंने पूरा ग्रीष्मावकाश शिमले में ही बिताया। वहाँ सेब खूब खाए। वहाँ मेरा स्वास्थ्य निखर आया तथा भूख भी बढ़ गई। पता ही नहीं चला, ग्रीष्मावकाश कब व्यतीत हो गया। एक जुलाई को पिताजी के पत्र से याद आया कि अभी गृहकार्य भी करना है। मैंने चाचा जी से मुझे दिल्ली भेजने की प्रार्थना की। उन्होंने आरक्षण कराया। मैंने संदीप को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया। चाचा जी मुझे कालका तक छोड़ने गए। वहाँ मुझे दिल्ली के लिए कालका मेल में बिठाया और मैं पाँच जुलाई को दिल्ली आ गया। इस बार ग्रीष्मावकाश में जो आनन्द आया, वह सदैव याद रहेगा। हाँ, सारी छुट्टियों में तुम्हारी कमी अखरी। तुम भी साथ होते तो आनंद दुगुना हो जाता। अगली बार साथ चलेंगे। लिखना कब आ रहे हो।

अंकल और आंटी को नमस्ते।
तुम्हारा मित्र,
विजय

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18. विद्यालय में पीने के पानी की उचित व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
डी.ए.वी. सीनियर सेकंडरी स्कूल,
पहाड़गंज, नई दिल्ली।
महोदय,

निवेदन है कि हमारे विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। इस विद्यालय में लगभग 100 छात्र हैं, पर उनके लिए केवल एक नल लगा हुआ है, जिसके कारण यहाँ काफी भीड़ जमा हो जाती है। यह नल भी दोपहर 2 से 3 बजे तक बंद रहता है। गरमी के दिनों में तो हमारा बुरा हाल रहता है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि विद्यालय में गरमियों के लिए एक वाटर कूलर का प्रबंध किया जाए। एक नल के स्थान पर चार-पाँच नलों की व्यवस्था की जाए। पेय जल को एकत्रित करने के लिए एक टंकी बनवाई जानी चाहिए।

आशा है, आप हमारी समस्या पर उचित ध्यान देंगे एवं हमें इससे छुटकारा दिलाएंगे।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
लक्ष्य छाबड़ा, अध्यक्ष
विद्यार्थी संघ
दिनांक…………

19. खेलों का उचित प्रबंध कराने के लिए प्रध नाचार्य को प्रार्थना पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
केन्द्रीय विद्यालय,
रायपुर।
महोदय,

निवेदन है कि मैं आपका ध्यान इस विद्यालय की अपर्याप्त खेल-व्यवस्था की ओर दिलाना चाहता हूं।

हमारे विद्यालय में खेल का सामान छात्रों के अनुपात में बहुत कम है। प्रायः हमें खेल अध्यापक से यही उत्तर मिलता है कि स्कूल में खेल का सामान नहीं है। खेल का मैदान भी बहुत असमतल है। ऐसी दशा में स्कूल में खेलों का स्तर गिरना स्वाभाविक ही है। आपको ज्ञात होगा इस वर्ष अन्तर विद्यालय खेल प्रतियोगिता में हमारा विद्यालय दसवें स्थान पर रहा है। यह स्थिति निश्चय ही चिंताजनक है।

आपसे विनम्र प्रार्थना है कि विद्यालय में खेलों का पर्याप्त सामान मंगवाया जाए और छात्रों को खेलने के पर्याप्त अवसर दिए जाएं।

धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
मरुधल,
सचिव, विद्यार्थी संघ
दिनांक………………

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20. पेयजल संकट पर जल बोर्ड को पत्र

सेवा में,
प्रबंधक,
दिल्ली जल बोर्ड,
नई दिल्ली।

विषय : रघुबीर नगर में पेयजल संकट

महोदय,
मैं आपका ध्यान रघुबीर नगर क्षेत्र में गत् एक सप्ताह से चल रहे जल संकट की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।

इस क्षेत्र में पेयजल की भारी कमी है। पूरे सप्ताह में केवल दो दिन पीने का पानी आया है और वह भी केवल आधे घंटे के लिए। यहाँ के निवासी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस गए हैं। न यहाँ कोई जल बोर्ड के पानी का टैंकर आता है। क्षेत्रीय पार्षद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

मैं यहाँ के निवासियों की संस्था के सचिव के नाते आपसे प्रार्थना करता हूँ कि इस क्षेत्र में पानी की पर्याप्त सप्लाई की तुरंत व्यवस्था की जाए, ताकि यहाँ के गरीब निवासी पीने का पानी प्राप्त कर सकें।

सधन्यवाद,
भवदीय
राम अवतार शर्मा
सचिव
रघुबीर नगर निवासी संघ, नई दिल्ली।
दिनांक…………….

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HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 मातुलचन्द्र

Haryana State Board HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 मातुलचन्द्र Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Sanskrit Solutions रुचिरा Chapter 15 मातुलचन्द्र

अभ्यासः

प्रश्न 1.‌ ‌
बालगीतं‌ ‌साभिनयं‌ ‌सस्वरं‌ ‌गायत।।‌ ‌

प्रश्न 2.‌ ‌
पद्यांशान्‌ ‌योजयत‌‌‌-

(i)‌ ‌मातुल!‌ ‌किरसि‌‌‌सितपरिधानम्‌
‌(ii)‌ ‌तारकखचितं‌‌‌श्रावय‌ ‌गीतिम्‌
(iii)‌ ‌त्वरितमेहि‌ ‌मां‌चन्द्रिकावितानम्‌
(iv)‌ ‌अतिशयविस्तृत‌‌‌कथं‌ ‌न‌ ‌स्नेहम्‌
‌(v)‌ ‌धवलं‌ ‌तव‌‌‌नीलाकाशः‌

उत्तरम्:
‌(क)‌ ‌कथं‌ ‌न‌ ‌स्नेहम्।‌‌‌
(ख)‌ ‌‌सितपरिधानम्।‌
‌(ग)‌ ‌‌श्रावय‌ ‌गीतिम्।‌
‌(घ)‌ ‌‌नीलाकाशः।‌ ‌
(ङ)‌ ‌चन्द्रिकावितानम्‌ ‌।‌‌‌

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 मातुलचन्द्र

प्रश्न 3.‌
‌पद्यांशेषु‌ ‌रिक्तस्थानानि‌ ‌पूरयत‌‌‌-
(पद्यांशों‌ ‌में‌ ‌रिक्तस्थान‌ ‌भरो)‌ ‌
(क)‌ ‌प्रिय‌ ‌मातुल!‌ ‌…………….‌ ‌प्रीतिम्।‌ ‌
(ख)‌ ‌कथं‌ ‌प्रयास्यसि‌ ‌…………‌‌‌……!‌
‌‌(ग)‌ ‌………………….‌ ‌क्वचिदवकाशः।‌ ‌‌
(घ)‌ ‌……………..‌ ‌दास्यसि‌ ‌मातुलचन्द्र!‌ ‌‌
(‌ङ)‌ ‌कथमायासि‌ ‌न‌ ‌…………….‌ ‌गेहम्।‌‌‌
उत्तरम्:
‌(क)‌ ‌वर्धय‌ ‌मे‌ ‌
(ख)‌ ‌मातुलचन्द्र‌
‌(ग)‌ ‌नैव‌ ‌दृश्यते।‌
‌(घ)‌ ‌मह्यं‌ ‌
(ङ)‌ ‌भो!‌ ‌मम।‌

प्रश्न ‌‌4.‌
‌प्रश्नानाम्‌ ‌उत्तराणि‌ ‌लिखत‌‌‌-
‌‌(क)‌ ‌अस्मिन्‌ ‌पाठे‌ ‌‌कः‌ ‌मा‌तु‌लः‌?‌ ‌
(ख)‌ ‌नीलाका‌शः‌ ‌कीदृशः‌ ‌अस्ति‌?‌
‌(ग)‌ ‌मातुलचन्द्रः‌ ‌किं‌ ‌न‌ ‌किरति?‌
‌‌(घ)‌ ‌किं‌ ‌श्रावयि‌तुं‌ ‌शिशुः‌ ‌‌चन्द्रं‌ ‌कथयति?‌ ‌‌
(ङ)‌ ‌चन्द्रस्य‌ ‌सितपरिधानं‌ ‌कथम्‌ ‌अस्ति?‌ ‌‌
उत्तरम्:
(क)‌ ‌अस्मिन्‌ ‌पाठे‌ ‌चन्द्रः‌ ‌मातुलः‌।‌‌‌
(ख)‌ ‌नीलाकाशः‌ ‌अतिशयविस्तृतः‌ ‌अस्ति।‌
‌‌(ग)‌ ‌मातुलचन्द्रः‌ ‌स्नेहं‌ ‌न‌ ‌किरति‌‌।‌ ‌‌
(घ)‌ ‌गीतिं‌ ‌श्रावयितुं‌ ‌शि‌शुः‌ ‌‌चन्द्रं‌ ‌कथयति।‌‌‌
(ङ)‌ ‌चन्द्रस्य‌ ‌सितपरिधानं‌ ‌तारकखचितम्‌ ‌अस्ति।‌

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 मातुलचन्द्र

प्रश्न ‌‌5.‌
‌उदाहरणानुसारं‌ ‌निम्नलिखितपदानि‌ ‌सम्बोधने‌ ‌परिवर्तयत‌‌‌-

यथा‌- चन्द्रः‌‌‌ – चन्द्र!‌
‌‌(क)‌ ‌शिष्यः‌ – …………
‌‌(ख)‌ ‌गोपा‌लः‌ ‌‌- …………
उत्तरम्:
(क)‌ ‌शिष्य!‌‌‌
(ख)‌ ‌गोपाल!‌‌‌

यथा‌- बालिका‌‌‌ – बालिके!‌ ‌‌
(क)‌ ‌प्रियंवदा‌ ‌‌‌‌- …………
(ख)‌ ‌लता‌ ‌‌- …………
उत्तरम्:
(क)‌ ‌प्रियंवदे!‌‌‌
(ख)‌ ‌लते!‌ ‌‌

यथा- ‌फलम्‌‌‌ – फल!‌
‌‌(क)‌ ‌मित्रम्‌ ‌‌- …………
‌‌(ख)‌ ‌पु‌स्त‌कम्‌‌‌ ‌‌- …………
उत्तरम्:
‌(‌क‌)‌ ‌‌मित्र!‌‌‌
(‌ख‌)‌ ‌‌पुस्तक!‌

‌‌यथा‌- ‌र‌विः‌‌‌ – रवे!‌
‌‌(क)‌ ‌मुनिः‌ – …………….
‌‌(‌ख‌)‌ ‌‌कविः‌‌‌ – …………….
उत्तरम्:
(क)‌ ‌मुने!‌‌‌
(ख‌)‌ ‌‌कवे!‌

‌‌यथा‌- सा‌धुः‌‌‌ – साधो‌!‌
‌‌(क‌)‌ ‌‌भा‌नुः‌ – …………..
‌‌(‌ख‌)‌ ‌प‌शुः‌ ‌‌- …………..
उत्तरम्:
(‌क‌)‌ ‌‌भानो!‌‌‌
(ख)‌ ‌पशो‌!‌ ‌‌

यथा- नदी‌‌‌ – नदि!‌
‌‌(‌क‌)‌ ‌‌देवी‌ ‌- ……………..
(ख)‌ ‌मानिनी‌ ‌- ……………..
उत्तरम्:
(‌क‌)‌ ‌‌देवि‌!‌‌‌
(ख‌)‌ ‌‌मानिनि!‌ ‌‌

प्रश्न 6.‌ ‌
मञ्जूषातः‌ ‌उपयुक्तानाम्‌ ‌अव्ययपदानां‌ ‌प्रयोगेण‌ ‌रिक्तस्थानानि‌ ‌पूरयत‌‌‌-

‌‌कुतः‌ ,‌‌कदा‌ ‌,कुत्र‌ ,‌‌कथं‌ ,‌‌किम्‌ ‌‌

‌‌(क)‌ ‌जगन्नाथपुरी‌ ‌…………………‌ ‌अस्ति?‌
‌‌(‌ख‌)‌ ‌‌त्वं‌ ‌…..‌.‌…………….‌ ‌पुरीं‌ ‌गमिष्यसि‌?‌
‌‌(‌ग‌)‌ ‌गङ्गानदी‌ ‌‌.‌..‌.‌.‌.‌.‌.‌.‌.‌.‌.‌.‌.‌ ‌‌प्रवहति?
(‌घ‌)‌ ‌तव‌ ‌स्वास्थ्यं‌ ‌………………….‌ ‌अस्ति?‌
‌(ङ)‌ ‌वर्षाकाले‌ ‌मयूराः‌ ‌……………….‌ ‌कुर्वन्ति?‌
उत्तरम्:
‌‌(‌क‌)‌ ‌‌कुत्र
(‌ख‌)‌ कदा
‌‌(‌ग‌)‌ कुतः
(‌घ‌)‌ ‌‌कथं
(ङ)‌ किम्

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 मातुलचन्द्र

प्रश्न ‌‌7‌.‌
‌‌तत्समशब्दान्‌ ‌लिखत‌‌‌-
(i) मामा‌ – ………….
(ii) ‌‌मोर‌ – ………….
(iii) ‌तारा‌ – ………….
(iv) ‌कोयल‌ – ………….
(v) ‌‌कबूतर‌ – ………….
उत्तरम्:
‌(i) मामा‌‌‌ – मातुलः‌‌‌
(ii) मोर‌‌‌ – मयूरः‌
(iii) ‌तारा‌‌‌ – ‌‌तारकम्‌
(iv) कोयल‌ – ‌‌कोकिलः‌ ‌‌
(v) कबूतर‌‌‌ – कपोतः।‌‌‌

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HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अहह आः च

Haryana State Board HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अहह आः च Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Sanskrit Solutions रुचिरा Chapter 14 अहह आः च

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानां समुचितान् अर्थान् मेलयत

हस्तेअकस्मात्
सघा:पृथ्वीम्
सहसागगनम्
धनम्शीघ्रम्
आकाशम्करे
धराम्द्रविणम्

उत्तरम्:

हस्तेकरे
सघा:शीघ्रम
सहसाअकस्मात्
धनम्द्रविणम्
आकाशम्गगनम्
धराम्पृथ्वीम्

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अहह आः च

प्रश्न 2.
मञ्जूषातः उचितं विलोमपदं चित्वा लिखत
प्रविशति, सेवकः, मूर्खः, नेतुम् नीचैः दुःखितः।
(क) चतुरः – …………
(ख) आनेतुम् – …………
(ग) निर्गच्छति – …………
(घ) स्वामी – …………
(ङ) प्रसन्नः – …………
(च) उच्चैः – …………
उत्तरम्:
(क) चतुरः – मूर्खः
(ख) आनेतुम् – नेतुम्
(ग) निर्गच्छति – प्रविशति
(घ) स्वामी – सेवकः
(ङ) प्रसन्नः – दुःखितः
(च) उच्चैः – नीचैः

प्रश्न 3.
मञ्जूषातः उचितम् अव्ययपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
इव, अपि, एव, च, उच्चैः।
(क) बालकाः बालिकाः …………………. क्रीडाक्षेत्रे क्रीडन्ति।
(ख) मेघाः …………………. गर्जन्ति ।
(ग) बकः हंसः ……………….. श्वेतः भवति।
(घ) सत्यम् ………………… जयते।
(ङ) अहं पठामि, त्वम् …………….. पठ।
उत्तरम्:
(क) च
(ख) उच्चैः
(ग) इव
(घ) एव
(ङ) अपि

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अहह आः च

प्रश्न 4.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत
(क) अजीजः गृहं गन्तुं किं वाञ्छति?
(ख) स्वामी मूर्खः आसीत् चतुरः वा?
(ग) अजीजः कां व्यथां श्रावयति?
(घ) अन्या मक्षिका कुत्र दशति?
(ङ) स्वामी अजीजाय किं दातुं न इच्छति?
उत्तरम्:
(क) अजीजः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति।
(ख) स्वामी चतुरः आसीत्।
(ग) अजीजः वृद्धां व्यथां श्रावयति।
(घ) अन्या मक्षिका मस्तके दशति।
(ङ) स्वामी अजीजाय धनं दातुं न इच्छति।

प्रश्न 5.
निर्देशानुसारं लकारपरिवर्तनं कुरुत
यथा- अजीजः परिश्रमी आसीत्- (लट्लकारे) – अजीजः परिश्रमी अस्ति।
(क) अहं शिक्षकाय धनं ददामि। (लुट्लकारे) ………………….
(ख) परिश्रमी जनः धनं प्राप्स्यति। (लट्लकारे) ………………….
(ग) स्वामी उच्चैः वदति। (लङ्लकारे) ………………….
(घ) अजीजः पेटिकां गृह्णाति। (लुट्लकारे) ………………….
(ङ) त्वम् उच्चैः पठसि। (लोट्लकारे) ………………….
उत्तरम्:
(क) अहं शिक्षकाय धनं दास्यामि।
(ख) परिश्रमी जनः धनं प्राप्नोति।
(ग) स्वामी उच्चैः अवदत्।
(घ) अजीजः पेटिकां ग्रहीष्यति।
(ङ) त्वम् उच्चैः पठ।

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अहह आः च

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि घटनाक्रमानुसारं लिखत
(क) स्वामी अजीजाय अवकाशस्य पूर्णं धनं ददाति।
(ख) अजीजः सरलः परिश्रमी च आसीत्।
(ग) अजीजः पेटिकाम् आनयति।
(घ) एकदा सः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति।
(ङ) पीडितः स्वामी अत्युच्चैः चीत्करोति।
(च) मक्षिके स्वामिनं दशतः।
उत्तरम्:
(i) (ख) अजीजः सरलः परिश्रमी च आसीत्।
(ii) (घ) एकदा सः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति।
(iii) (ग) अजीजः पेटिकाम् आनयति।
(iv) (च) मक्षिके स्वामिनं दशतः।
(v) (ङ) पीडितः स्वामी अत्युच्चैः चीत्करोति।
(vi) (क) स्वामी अजीजाय अवकाशस्य पूर्णं धनं ददाति।

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HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 विमानयानं रचयाम

Haryana State Board HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 विमानयानं रचयाम Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Sanskrit Solutions रुचिरा Chapter 13 विमानयानं रचयाम

अभ्यासः

प्रश्न 1.
पाठे दत्तं गीतं सस्वरं गायत
उत्तरम्:
छात्र स्वयं सस्वर गाएँ।

प्रश्न 2.
कोष्ठकान्तर्गतेषु शब्देषु तृतीया-विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
यथा- नभः चन्द्रेण शोभते। (चन्द्र)
(क) सा ……………….. जलेन मुखं प्रक्षालयति। (विमल)
(ख) राघवः ………………. विहरति। (विमानयान)
(ग) कण्ठः ………………. शोभते। (मौक्तिकहार)
(घ) नभः ………………. प्रकाशते। (सूर्य)
(ङ) पर्वतशिखरम् ……………… आकर्षकं दृश्यते। (अम्बुदमाला)
उत्तरम्:
(क) विमलेन
(ख) विमानयानेन
(ग) मौक्तिकहारेण
(घ) सूर्येण
(ङ) अम्बुदमालया/अम्बुदमालाभिः

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प्रश्न 3.
भिन्नवर्गस्य पदं चिनुत – भिन्नवर्गः
यथा-सूर्यः, चन्द्रः, अम्बुदः, शुक्रः। – अम्बुदः
(क) पत्राणि, पुष्पाणि, फलानि, मित्राणि। …………….
(ख) जलचरः, खेचरः, भूचरः, निशाचरः। …………….
(ग) गावः, सिंहाः, कच्छपाः, गजाः। …………….
(घ) मयूराः, चटकाः, शुकाः, मण्डूकाः। …………….
(ङ) पुस्तकालयः, श्यामपट्टः, प्राचार्यः, सौचिकः। …………….
(च) लेखनी, पुस्तिका, अध्यापिका, अजा। …………….
उत्तरम्:
(क) पत्राणि, पुष्पाणि, फलानि, मित्राणि। – मित्राणि
(ख) जलचरः, खेचरः, भूचरः, निशाचरः। – निशाचरः
(ग) गावः, सिंहाः, कच्छपाः, गजाः। – कच्छपाः
(घ) मयूराः, चटकाः, शुकाः, मण्डूकाः। – मण्डूकाः
(ङ) पुस्तकालयः, श्यामपट्टः, प्राचार्यः,सौचिकः। – सौचिकः
(च) लेखनी, पुस्तिका, अध्यापिका, अजा। – अजा

प्रश्न 4.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
(क) के वायुयानं रचयन्ति?
(ख) वायुयानं कं-कं क्रान्त्वा उपरि गच्छति?
(ग) वयं कीदृशं सोपानं रचयाम?
(घ) वयं कस्मिन् लोके प्रविशाम?
(ङ) आकाशे काः चित्वा मौक्तिकहारं रचयाम?
(च) केषां गृहेषु हर्ष जनयाम?
उत्तरम्:
(क) (विमान अभियन्तारः) बालकाः वायुयानं रचयन्ति।
(ख) वायुयानं उन्नतवृक्षं तुङ्गं भवनं क्रान्त्वा उपरि गच्छति।
(ग) वयं हिमवन्तं सोपानं रचयाम।
(घ) वयं चन्दिरलोके प्रविशाम।
(ङ) आकाशे विविधाः ताराः चित्वा मौक्तिकहार रचयाम।
(च) दुःखित-पीड़ित-कृषिक जनानां गृहेषु हर्ष जनयाम।

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प्रश्न 5.
विलोमपदानि योजयत-
भानू
पञ्चमी
गुरोः
उत्रतः – पृथिव्याम्
गगने – असुन्दरः
सुन्दरः – अवनतः
चित्वा – शोकः
दु:खी – विकीर्य
हर्ष: – सुखी
उत्तरम्:
उन्नत: – अवनतः
गगने – पृथिव्याम्
सुंदर: – असुन्दरः
चित्वा – विकीर्य
दु:खी – सुखी
हर्ष: – शोकः।

प्रश्न 6.
समुचितैः पदैः रिक्तस्थनानि पूरयत-

विभक्तिःएकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
प्रथमाभानुःभानु………………
द्वितीया………………………………गुरून्
तृतीया………………पशुभ्याम्………………
चतुर्थीसाधवे………………………………
पञ्चमीवटोः………………………………
षष्ठीगुरोः………………………………
सप्तमीशिशौ………………………………
संबोधनहे विष्णो!………………………………

उत्तरम्:

विभक्तिःएकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
प्रथमाभानुःभानुभानवः
द्वितीयागुरुम्गुरुगुरून्
तृतीयापशुनापशुभ्याम्पशुभि
चतुर्थीसाधवेसाधुभ्याम्साधुभ्यः
पञ्चमीवटोःवटुभ्याम्वटुभ्यः
षष्ठीगुरोःगुर्वोःगुरुणाम्
सप्तमीशिशौशिश्वोःशिशुषु
संबोधनहे विष्णो!हे विष्ण!हे विष्णवः।

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प्रश्न 7.
पर्याय-पदानि योजयत
गगने – जलदः
विमले – आकाशे
चन्द्रः – आकाशे
सूर्यः – निर्मले
अम्बुदः – दिवाकरः
उत्तरम्:
गगने – आकाशे
विमले – निर्मले
चन्द्रः – निशाकरः
सूर्यः – दिवाकरः
अम्बुदः – जलदः

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HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 दशमः त्वम असि

Haryana State Board HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 दशमः त्वम असि Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Sanskrit Solutions रुचिरा Chapter 12 दशमः त्वम असि

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-

पुल्लिङ्गेस्त्रीलिङ्गेनपुंसकलिङ्गे
एक:एकाएकम्
द्वौद्वेद्वे
त्रयःतिनःत्रीणि
चत्वारःचितस्नःचत्वारि
पञ्चपञ्चपञ्च
षट्षट्षट्
सप्तसप्तसप्त
अष्टअष्टअष्ट
नवनवनव
दशदशदश

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 दशमः त्वम असि

प्रश्न 2.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) कति बालकाः स्नानाय अगच्छन्?
(ख) ते स्नानाय कुत्र अगच्छन्?
(ग) ते कं निश्चयम् अकुर्वन्?
(घ) मार्गे कः आगच्छत्?
(ङ) पथिकः किम् अवदत्?
उत्तरम्:
(क) दश बालकाः स्नानाय अगच्छन्।
(ख) ते स्नानाय नदीम् अगच्छन्।
(ग) दशमः नद्यां मग्नः इति ते निश्चयम् अकुर्वन्।
(घ) मार्गे पथिकः आगच्छत्।
(ङ) पथिकः अवदत्-दशमः त्वम् असि।

प्रश्न 3.
शुद्धकथनानां समक्षम् (✓) इति अशुद्धकथनानां समक्षं (✗) कुरुत-
(क) दशबालकाः स्नानाय अगच्छन्।
(ख) सर्वे वाटिकायाम् अभ्रमन्।
(ग) ते वस्तुत: नव बालकाः एव आसन्।
(घ) बालकः स्वं न अगणयत्।
(ङ) एक: बालक: नद्यां मग्नः।
(च) ते सुखिताः तूष्णीम् अतिष्ठन्।
(छ) कोऽपि पथिकः न आगच्छत्।
(ज) नायकः अवदत्-दशमः त्वम् असि इति।
(झ) ते सर्वे प्रहृष्टाः भूत्वा च गृहम् अगच्छन्।
उत्तरम्:
(क) दशबालकाः स्नानाय अगच्छन्। (✓)
(ख) सर्वे वाटिकायाम् अभ्रमन्। (✗)
(ग) ते वस्तुतः नव बालकाः एव आसन्। (✗)
(घ) बालकः स्वं न अगणयत्। (✓)
(ङ) एकः बालकः नद्यां मग्नः। (✗)
(च) ते सुखिताः तूष्णीम् अतिष्ठन्। (✗)
(छ) कोऽपि पथिकः न आगच्छत्। (✗)
(ज) नायकः अवदत्-दशमः त्वम् असि इति। (✗)
(झ) ते सर्वे प्रहृष्टाः भूत्वा च गृहम् अगच्छन्। (✓)

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 दशमः त्वम असि

प्रश्न 4.
मञ्जूषातः शब्दान् चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
गणयित्वा, श्रुत्वा, दृष्ट्वा, कृत्वा, गृहीत्वा, तीर्वा
(क) ते बालकाः ………………… नद्याः उत्तीर्णाः।
(ख) पथिकः बालकान् दुःखितान् ………………… अपृच्छत्।
(ग) पुस्तकानि ………………… विद्यालयं गच्छ।
(घ) पथिकस्य वचनं ………………… सर्वे प्रमुदिताः गृहम् अगच्छन्।
(ङ) पथिकः बालकान् ……………….. अकथयत् दशमः त्वम् असि।
(च) मोहनः कार्यं ……………….. गृहं गच्छति।
उत्तरम्:
(क) तीर्वा।
(ख) दृष्ट्वा।
(ग) गृहीत्वा।
(घ) श्रुत्वा।
(ङ) गणयित्वा।
(च) कृत्वा।

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HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 पुष्पोत्सवः

Haryana State Board HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 पुष्पोत्सवः Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Sanskrit Solutions रुचिरा Chapter 11 पुष्पोत्सवः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
वचनानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-

एकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
यथा- मन्दिरेमन्दिरयोःमन्दिरेषु
अवसरे………….………….
………….स्थलयोः………….
………….………….दिवसेषु
क्षेत्रे………….………….
………….व्यजनयोः………….
………….………….पुष्पेषु

उत्तरम्:

एकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
अवसरेअवसरयोःअवसरेषु
स्थलेस्थलयोःस्थलेषु
दिवसेदिवसयोःदिवसेषु
क्षेत्रेक्षेत्रयोःक्षेत्रेषु
व्यजनेव्यजनयोःव्यजनेषु
पुष्पेपुष्पयोःपुष्पेषु

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 पुष्पोत्सवः

प्रश्न 2.
कोष्ठकेषु प्रदत्तशब्देषु समुचितपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(कोष्ठकों में दिए गए शब्दों में उचित पद को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें)
(क) …………….. बहवः उत्सवाः भवन्ति। (भारतम्/भारते)
(ख) ……………….. मीनाः वसन्ति। (सरोवरे/सरोवरात्)
(ग) जनाः ……………….. पुष्पाणि अर्पयन्ति। (मन्दिरेण/मन्दिरे)
(घ) खगाः ………………. निवसन्ति। (नीडानि/नीडेषु)
(ङ) छात्राः …………………. प्रयोगं कुर्वन्ति। (प्रयोगशालायाम्/प्रयोगशालायाः)
(च) ……………….. पुष्पाणि विकसन्ति। (उद्यानस्य/उद्याने)
उत्तरम्:
(क) भारते बहवः उत्सवाः भवन्ति। ।
(ख) सरोवरे मीनाः वसन्ति।
(ग) जनाः मन्दिरे पुष्पाणि अर्पयन्ति।
(घ) खगाः नीडेषु निवसन्ति।
(ङ) छात्राः प्रयोगशालायाम् प्रयोगं कुर्वन्ति।
(च) उद्याने पुष्पाणि विकसन्ति।

प्रश्न 3.
अधोलिखितानि पदानि आधृत्य सार्थकानि वाक्यानि रचयत-

(i) वानराःवनेषुतरन्ति
(ii) सिंहाःवृक्षेषुनृत्यन्ति
(iii) मयूराःजलेउत्पतन्ति
(iv) मत्स्याःआकाशेगर्जन्ति
(v) खगाःउद्यानेकूर्दन्ति

उत्तरम्:
(i) वानराः वृक्षेषु कूर्दन्ति।
(ii) सिंहाः वनेषु गर्जन्ति।
(iii) मयूराः उद्याने नृत्यन्ति।
(iv) मत्स्याः जले तरन्ति ।
(v) खगाः आकाशे उत्पतन्ति।

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 पुष्पोत्सवः

प्रश्न 4.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) जनाः पुष्पव्यजनानि कुत्र अर्पयन्ति?
(ख) पुष्पोत्सवस्य आयोजनं कदा भवति?
(ग) अस्माकं भारतदेशः कीदृशः अस्ति?
(घ) पुष्पोत्सवः केन नाम्ना प्रसिद्धः अस्ति?
(ङ) मेहरौलीक्षेत्रे कस्याः मन्दिरं कस्य समाधिस्थलञ्च अस्ति?
उत्तरम्:
(क) जनाः पुष्पव्यजनानि बख्तियारकाकी इत्यस्य समाधिस्थले अर्पयन्ति। ।
(ख) पुष्पोत्सवस्य आयोजनं अक्तूबरमासे भवति।
(ग) अस्माकं भारतदेशः उत्सवप्रियः अस्ति।
(घ) पुष्पोत्सवः ‘फूलवालों की सैर’ इति नाम्ना प्रसिद्धः अस्ति।
(ङ) मेहरौलीक्षेत्रे योगमायामन्दिरं बख्तियारकाकी इत्यस्य समाधिस्थलञ्च अस्ति।

प्रश्न 5.
कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु उचितां विभक्तिं प्रयुज्य वाक्यानि पूरयत-
यथा- सरोवरे मीनाः सन्ति। (सरोवर)
(क) ………………….. कच्छपाः भ्रमन्ति। (तडाग)
(ख) …………………. सैनिकाः सन्ति। (शिविर)
(ग) यानानि …………………. चलन्ति। (राजमार्ग)
(घ) …………………. रत्नानि सन्ति। (धरा)
(ङ) बालाः …………………. क्रीडन्ति। (क्रीडाक्षेत्र)
उत्तरम्:
(क) तडागे कच्छपाः भ्रमन्ति।
(ख) शिविरे सैनिकाः सन्ति।
(ग) यानानि राजमार्गे चलन्ति।
(घ) धरायां रत्नानि सन्ति।
(ङ) बालाः क्रीडाक्षेत्रे क्रीडन्ति।

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 पुष्पोत्सवः

प्रश्न 6.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
पुष्पेषु गङ्गायाम् विद्यालये वृक्षयोः उद्यानेषु
(क) वयं …………………. पठामः।
(ख) जनाः …………………. भ्रमन्ति ।
(ग) ………….. नौकाः सन्ति।
(घ) …………………. भ्रमराः गुञ्जन्ति।
(ङ) …………. फलानि पक्वानि सन्ति।
उत्तरम्:
(क) वयं विद्यालये पठामः।
(ख) जनाः उद्यानेषु भ्रमन्ति।
(ग) गङ्गायाम् नौकाः सन्ति।
(घ) पुष्पेषु भ्रमराः गुञ्जन्ति।
(ङ) वृक्षयोः फलानि पक्वानि सन्ति।

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