Class 11

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

HBSE 11th Class Geography सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं?
(A) विषुवत् वृत्त पर
(B) 23.5° उ०
(C) 66.5° द०
(D) 66.5° उ०
उत्तर:
(B) 23.5° उ०

2. निम्न में से किन शहरों में दिन ज्यादा लंबा होता है?
(A) तिरुवनंतपुरम
(B) हैदराबाद
(C) चंडीगढ़
(D) नागपुर
उत्तर:
(A) तिरुवनंतपुरम

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

3. निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल मुख्यतः गर्म होता है?
(A) लघु तरंगदैर्ध्य वाले सौर विकिरण से
(B) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से
(C) परावर्तित सौर विकिरण से
(D) प्रकीर्णित सौर विकिरण से
उत्तर:
(B) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से

4. निम्न पदों को उसके उचित विवरण के साथ मिलाएँ।

1. सूर्यातप(अ) सबसे कोष्ण और सबसे शीत महीनों के मध्य तापमान का अंतर
2. एल्बिडो(ब) समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा
3. समताप रेखा(स) आनेवाला सौर विकिरण
4. वार्षिक तापांतर(द) किसी वस्तु के द्वारा परावर्तित दृश्य प्रकाश का प्रतिशत

उत्तर:
1. (स)
2. (द)
3. (ब)
4. (अ)

5. पृथ्वी के विषुवत् वृत्तीय क्षेत्रों की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिकतम होता है, इसका मुख्य कारण है-
(A) विषवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होते हैं।
(B) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय क्षेत्रों से ज्यादा होती है।
(C) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ‘ग्रीन हाऊस प्रभाव’ विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा होता है।
(D) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा महासागरीय क्षेत्र के ज्यादा करीब है।
उत्तर:
(B) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय क्षेत्रों से ज्यादा होती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण किस प्रकार जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?
उत्तर:
तापमान जलवायु और मौसम का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। तापमान का वायुमण्डल के दाब से सीधा सम्बन्ध है। यदि तापमान कम होगा तो वायुदाब अधिक होगा और यदि तापमान अधिक होगा तो वायुदाब कम होगा। वायुदाब किसी स्थान के मौसम और जलवायु को प्रभावित करता है। अतः पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है।

प्रश्न 2.
वे कौन से कारक हैं, जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-

  1. स्थल व जल-जलीय भागों की अपेक्षा स्थलीय भागों में सूर्य का ताप अधिक देखने को मिलता है।
  2. ऊँचाई-165 मी० की ऊँचाई पर 1° सेंटीग्रेड तापमान घटता है। इसलिए पर्वतीय भागों में मैदानी भागों से कम तापमान मिलता है।
  3. अक्षांश-अप्रैल से जून तक उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्यातप अधिक रहता है तथा सितंबर से मार्च में विषुवत् रेखा पर सूर्यातप क्रम होता है।

प्रश्न 3.
भारत में मई में तापमान सर्वाधिक होता है, लेकिन उत्तर अयनांत के बाद तापमान अधिकतम नहीं होता। क्यों?
उत्तर:
भारत में मई में दिन की लम्बाई अधिक होने से सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है लेकिन उत्तर अयनान्त के बाद सूर्य की किरणें तिरछी होना आरम्भ करती है जिससे तापमान अधिकतम नहीं हो पाता।

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प्रश्न 4.
साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापांतर सर्वाधिक होता है। क्यों?
उत्तर:
साइबेरिया उत्तरी गोलार्द्ध के स्थलीय भाग का अत्यधिक ठण्डा प्रदेश है। सर्दियों में वहाँ सबसे ठण्डे महीने का तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है जबकि गर्मियों में कोष्ण महासागरीय धाराएँ बहती हैं, इससे सबसे गर्म महीने का औसत तापमान काफी बढ़ जाता है। इसलिए साइबेरिया में वार्षिक तापान्तर सर्वाधिक होता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव किस प्रकार पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
सूर्य की किरणें 0° अक्षांश या विषुवत् रेखा पर सालों भर लंबवत् पड़ती हैं। 0° अक्षांश से 2372° उत्तरी और 23% दक्षिणी अक्षांशों के बीच सूर्य ऊपर-नीचे होता रहता है। 21 मार्च से 21 जून तक सूर्य उत्तरायन होता है, कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लंबवत् होती हैं तथा उस वक्त ग्रीष्म ऋतु होती है तथा मकर रेखा पर शीत ऋतु होती है। 23 सितंबर से 22 दिसंबर तक सूर्य दक्षिणायन होता है तथा मकर पर सूर्य की किरणें लंबवत् पड़ती हैं तथा उस वक्त कर्क रेखा पर शीत ऋतु होती है।

कर्क रेखा के उत्तर में तथा मकर रेखा के दक्षिण में जैसे-जैसे हम बढ़ते हैं, वहाँ का तापमान घटता जाता है। इसी कारण 66° उत्तरी अक्षांश तथा 66° दक्षिण अक्षांश के ऊपरी भाग में शीत कटिबंध पाया जाता है जहाँ वर्ष-भर निम्न ता है तथा बर्फ जमी रहती है। इसका मख्य कारण है कि यहाँ सर्य की किरणें तिरछी पडती हैं जो विकिरण की मात्रा को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 2.
उन प्रक्रियाओं की व्याख्या करें जिनके द्वारा पृथ्वी तथा इसका वायुमंडल ऊष्मा संतुलन बनाए रखते हैं।
उत्तर:
पृथ्वी पर सूर्यातप का असमान वितरण है। सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है और पृथ्वी वायुमंडल को गर्म करती है। परिणामस्वरूप पृथ्वी न तो अधिक समय के लिए गर्म होती है और न ही अधिक ठंडी। अतः हम यह पाते हैं कि पृथ्वी के अलग-अलग भागों में प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती।

इसी भिन्नता के कारण वायुमंडल के दाब में भिन्नता होती है एवं इसी कारण पवनों के द्वारा ताप का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अधिक गर्मी पड़ने के कारण वहाँ की वायु गर्म होकर ऊपर उठ जाती है और उस स्थान को भरने के लिए उपोष्ण कटिबंध से हवाएँ उष्ण कटिबंध की ओर चलती हैं, जिससे उष्ण कटिबंध के तापमान में ज्यादा वृद्धि नहीं हो पाती।

इसी तरह से उपोष्ण कटिबंध क्षेत्र में शीतोष्ण कटिबंध से हवाएँ चलकर इन क्षेत्रों के तापमान में संतुलन बनाती हैं। इसी तरह वायुमंडल एक क्षेत्र के तापमान को ज्यादा बढ़ने नहीं देता तथा शीत कटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्म महासागरीय धाराएँ चलती हैं। ये धाराएँ इन क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती हैं। उष्ण कटिबंध क्षेत्रों में ठंडी धाराएँ चलती हैं और उन क्षेत्रों के तापमान को कम कर देती हैं। इसी तरह पृथ्वी की महासागरीय धाराएँ और वायुमंडल संतुलन में बने रहते हैं।

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प्रश्न 3.
जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के बीच तापमान के विश्वव्यापी वितरण की तुलना करें।
उत्तर:
उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता है और तापमान स्थलीय भागों में कम रहता है। इसलिए समताप रेखाएँ जैसे ही स्थलों से महासागरों में पहुँचती हैं तो भूमध्य रेखा की ओर मुड़ जाती हैं क्योंकि सागरीय भागों में तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है। अतः उत्तरी गोलार्द्ध में ताप प्रवणता अधिक रहती है (समताप रेखाओं के बीच की दूरी कम रहती है) दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महासागरीय प्रभाव के कारण दूर-दूर रहती हैं और महाद्वीपों से गुजरते समय दक्षिणी ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं। समताप रेखाएँ उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में अधिक नियमित होती हैं।

जनवरी में उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी और दक्षिणी गोलार्द्ध ग्रीष्म ऋतु होती है जिसका मुख्य कारण सूर्य का दक्षिणायन में होता है। जिस कारण सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्द्ध में लंबवत् पड़ती है। जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं।

विषुवत रेखा के समीपवर्ती क्षेत्रों में तापमान 27° सेंटीग्रेड तथा कर्क रेखा पर 15° सेंटीग्रेड और शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान 10° सेंटीग्रेड होता है। उदाहरण के लिए साइबेरिया के वोयान्सक में -32 सेंटीग्रेड, दक्षिणी गोलार्द्ध में आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ्रीकी देशों और दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के अर्जेन्टाइना में जनवरी में तापमान औसतन 30° सेंटीग्रेड होता है।

दक्षिणी भाग जैसे चिली और अर्जेन्टाइना में तापमान 15 से 20° सेंटीग्रेड होता है। इस तरह से जनवरी में उत्तरी गोलार्द्ध में कम तापमान और दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिक तापमान देखने को मिलता है।

सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान HBSE 11th Class Geography Notes

→ सौर विकिरण (Solar Radiation)-सूर्य ऊष्मा को अंतरिक्ष में चारों तरफ निरन्तर प्रसारित करता रहता है। सूर्य द्वारा ऊष्मा की प्रसारण क्रिया को सौर विकिरण कहा जाता है।

→ कैलोरी (Calorie)-समुद्रतल पर उपस्थित वायुदाब की दशा में एक ग्राम जल का तापमान 1° सेल्सियस बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को कैलोरी कहा जाता है।

→ एल्बिडो (Albedo)-किसी पदार्थ की परिवर्तनशीलता या परावर्तन गुणांक। इसे दशमलव या प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।

→ संचालन (Conduction) आण्विक सक्रियता के द्वारा पदार्थ के माध्यम से ऊष्मा का संचार संचालन कहलाता है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

HBSE 11th Class Geography वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(A) ऑक्सीजन
(B) आर्गन
(C) नाइट्रोजन
(D) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(C) नाइट्रोजन

2. वह वायुमंडलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है-
(A) समतापमंडल
(B) क्षोभमंडल
(C) मध्यमंडल
(D) आयनमंडल
उत्तर:
(B) क्षोभमंडल

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

3. समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी किससे संबंधित हैं?
(A) गैस
(B) जलवाष्प
(C) धूलकण
(D) उल्कापात
उत्तर:
(C) धूलकण

4. निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है?
(A) 90 कि०मी०
(B) 100 कि०मी०
(C) 120 कि०मी०
(D) 150 कि०मी०
उत्तर:
(C) 120 कि०मी०

5. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी?
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हीलियम
(D) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(D) कार्बन डाइऑक्साइड

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त वायु के आवरण को वायुमंडल कहा जाता है। वायुमंडल पृथ्वी की गुरुत्व शक्ति के कारण ही इसके साथ टिका हुआ है। मोंकहाउस के शब्दों में, “वायुमंडल गैस की एक पतली परत है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के साथ सटी हुई है।” क्रिचफील्ड के अनुसार, “वायुमंडल गैसों का गहरा आवरण है जो पृथ्वी को पूर्णतः घेरे हुए है।”

प्रश्न 2.
मौसम एवं जलवायु के तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वे तत्त्व जिनसे किसी विशिष्ट प्रकार के मौसम या जलवायु की रचना होती है, उन्हें मौसम अथवा जलवायु के तत्त्व कहा जाता है। तापमान, वायुदाब, आर्द्रता, वर्षा, वायु की दिशा एवं गति तथा जलवायु परिवर्तन आदि जलवायु के मुख्य तत्त्व हैं।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 3.
वायुमंडल की संरचना के बारे में लिखें।
उत्तर:
वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों का बना होता है। पृथ्वी की सतह के पास घनत्व अधिक होता है, जबकि ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ यह घटता जाता है। वायुमंडल को पाँच संस्तरों में बाँटा गया है-

  • क्षोभमंडल
  • समतापमंडल
  • मध्यमंडल
  • आयनमंडल
  • बाह्य वायुमंडल या बहिर्मंडल।

प्रश्न 4.
वायुमंडल के सभी संस्तरों में क्षोभमंडल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर:
क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचे का संस्तर है इसकी ऊँचाई लगभग 13 कि०मी० है। इस संस्तर में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मी० की ऊँचाई पर तापमान 1°C घटता जाता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें।
उत्तर:
वायुमंडल का संघटन वायुमंडल के संघटन का अर्थ है कि वायुमंडल किन-किन पदार्थों से मिलकर बना हुआ है। वायुमंडल अनेक गैसों का यांत्रिक मिश्रण है। गैसों के अतिरिक्त वायुमंडल में जलवाष्प और कुछ सूक्ष्म ठोस कण भी पाए जाते हैं जिनमें धूलकण सबसे महत्त्वपूर्ण होते हैं।
1. गैसें (Gases)-आयतन के अनुसार शुद्ध शुष्क वायु में लगभग 78 प्रतिशत नाइट्रोजन तथा लगभग 21 प्रतिशत ऑक्सीजन पाई जाती है। इस प्रकार नाइट्रोजन व ऑक्सीजन वायुमंडल की दो प्रमुख गैसें हैं जो समूचे वायुमंडल के आयतन का 99 प्रतिशत भाग घेरे हुए हैं। शेष 1 प्रतिशत में अन्य अनेक गैसें आती हैं।

वायु में विभिन्न गैसों की प्रतिशत मात्रा (आयतन)
नाइट्रोजन78 %
ऑक्सीजन21 %
आर्गन0.93 %
कार्बन-डाइऑक्साइड0.03 %
अन्य0.04 %

कुछ महत्त्वपूर्ण गैसों की उपयोगिता
(1) ऑक्सीजन मनुष्य और जानवर साँस के रूप में ऑक्सीजन को ही ग्रहण करते हैं। ऑक्सीजन दहन (Combustion) के लिए आवश्यक है। इसके बिना आग नहीं जलाई जा सकती। ऑक्सीजन की उत्पत्ति प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से होती है व इसका ह्रास वनों के विनाश से होता है। शैलों के रासायनिक अपक्षय में सहयोग देकर ऑक्सीजन अनेक भू-आकारों की उत्पत्ति का कारण बनती है।

(2) नाइट्रोजन नाइट्रोजन वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के प्रभाव को कम करती है। यदि वायुमंडल में नाइट्रोजन न होती तो वस्तुएँ इतनी तेजी से जलतीं कि उस पर नियन्त्रण करना कठिन होता। इतना ही नहीं, नाइट्रोजन के अभाव में मनुष्य व जीव-जन्तुओं के शरीर के ऊतक भी जलकर नष्ट हो जाते। मिट्टी में नाइट्रोजन की उपस्थिति प्रोटीनों का निर्माण करती है जो पौधों और वनस्पति का भोजन बनते हैं।

(3) कार्बन-डाइऑक्साइड-पौधे जीवित रहने के लिए कार्बन-डाइऑक्साइड पर निर्भर करते हैं। हरे पौधे वायुमंडल की कार्बन-डाइऑक्साइड से मिलकर स्टार्च व शर्कराओं का निर्माण करते हैं। यह गैस प्रवेशी सौर विकिरण को तो पृथ्वी तल तक आने देती है किन्तु पृथ्वी से विकिरित होने वाली लम्बी तरंगों को बाहर जाने से रोकती है। इससे पृथ्वी के निकट वायुमंडल का निचला भाग गर्म रहता है। इस प्रकार कार्बन-डाइऑक्साइड ‘काँच घर’ का प्रभाव उत्पन्न करती है।

(4) ओषोण या ओज़ोन यह गैस ऑक्सीजन का ही एक विशिष्ट रूप है जो वायुमंडल में अधिक ऊँचाइयों पर ही न्यून मात्रा में मिलती है। ओजोन गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (Ultra-Violet Rays) के कुछ अंश को अवशोषित कर लेती है जिससे स्थलमण्डल एक उपयुक्त सीमा से अधिक गर्म नहीं हो पाता। ओज़ोन मुख्यतः धरातल से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक स्थित है।

2. जलवाष्प (Water Vapour)-वाष्प वायुमंडल की सबसे अधिक परिवर्तनशील और असमान वितरण वाली गैस है। वायुमंडल में वाष्प के मुख्य स्रोत जलमण्डल से वाष्पीकरण तथा पेड़-पौधों व मिट्टी से वाष्पोत्सर्जन है। अति ठण्डे तथा अति शुष्क क्षेत्रों में यह हवा के आयतन के एक प्रतिशत से भी कम होती है जबकि भूमध्य रेखा के पास उष्ण और आर्द्र क्षेत्रों में आयतन के हिसाब से यह 4 प्रतिशत तक हो सकती है। वायु में उपस्थित कुल जलवाष्प का लगभग आधा भाग 2,000 मीटर की ऊँचाई से नीचे व्याप्त है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर वायु में जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। इसी प्रकार ऊँचाई के साथ भी जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है।

3. ठोस कण व आकस्मिक रचक (Solid Particles and Accidental Component)-गैस तथा वाष्प के अतिरिक्त वायु में कुछ सूक्ष्म ठोस कण भी पाए जाते हैं जिनमें धूलकण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। ये कण सौर विकिरण का कुछ अंश अवशोषित कर लेते हैं साथ ही सूर्य की किरणों का परावर्तन और प्रकीर्णन भी करते हैं। इसी के परिणामस्वरूप हमें आकाश नीला दिखाई पड़ता है। किरणों के प्रकीर्णन के कारण ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश में लाल और नारंगी रंग की छटाएँ बनती हैं। इन्हीं धूल कणों के कारण ही धुंध व धूम कोहरा बनता है।

वायुमंडल में कुछ आकस्मिक रचक और अपद्रव्य भी शामिल होते हैं। इनमें धुएँ की कालिख, ज्वालामुखी राख, उल्कापात के कण, समुद्री झाग के बुलबुलों के टूटने से मुक्त हुए ठोस लवण, जीवाणु, बीजाणु तथा पशुशालाओं के पास की वायु में अमोनिया . के अंश इत्यादि पदार्थ आते हैं।

प्रश्न 2.
वायुमंडल की संरचना का चित्र खींचे और व्याख्या करें।
उत्तर:
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना 1
पृथ्वी के चारों तरफ पाया जाने वाला वायु का सारा आवरण केवल एक परत नहीं है बल्कि इसमें हवा की अनेक संकेन्द्रीय परतें हैं जो घनत्व और तापमान की दृष्टि से एक-दूसरे से भिन्न हैं। भूमण्डल से परे हटने के क्रम में वायुमंडल की निम्नलिखित परते हैं-
1. क्षोभमण्डल (Troposphere)-भू-तल के सम्पर्क में यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसका घनत्व सर्वाधिक है। ध्रुवों पर इस परत की ऊँचाई 8 किलोमीटर और भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर है। भूमध्य रेखा पर क्षोभमण्डल की अधिक ऊँचाई का कारण यह है कि वहाँ पर चलने वाली तेज़ संवहन धाराएँ ऊष्मा को धरातल से अधिक ऊँचाई पर ले जाती हैं।

यही कारण है कि जाड़े की अपेक्षा गर्मी में क्षोभमण्डल की ऊँचाई बढ़ जाती है। संवहन धाराओं की अधिक सक्रियता के कारण इस परत को प्रायः संवहन क्षेत्र भी कहते हैं। इस मण्डल में प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेल्सियस तापमान गिर जाता है। ऊँचाई बढ़ने पर तापमान गिरने की इस दर को सामान्य ह्रास दर कहा जाता है। मानव व अन्य धरातलीय जीवों के लिए यह परत सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। ऋतु व मौसम सम्बन्धी लगभग सभी घटनाएँ; जैसे बादल, वर्षा, भूकम्प आदि जो मानव-जीवन को प्रभावित करती हैं, इसी परत में घटित होती हैं। क्षोभमण्डल में ही भारी गैसों, जलवाष्प, धूलकणों, अशुद्धियों व आकस्मिक रचकों की अधिकतम मात्रा पाई जाती है।

क्षोभमण्डल की ऊपरी सीमा को क्षोभ सीमा (Tropopause) कहते हैं। यह क्षोभमण्डल व समतापमण्डल को अलग करती है। लगभग 11/2 से 2 किलोमीटर मोटी इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान गिरना बन्द हो जाता है। इस भाग में हवाएँ व संवहनी धाराएँ भी चलना बन्द हो जाती हैं।

2. समतापमण्डल (Stratosphere)-क्षोभ सीमा से परे यह एक संवहन-रहित परत है जिसमें आँधी, बादलों की गरज, तड़ित-झंझा, धूलकण और जलवाष्प इत्यादि नहीं पाए जाते। इसमें केवल क्षीण क्षैतिज हवाएँ चलती हैं। यह परत 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इसकी मोटाई भूमध्य रेखा की अपेक्षा ध्रुवों पर अधिक होती है। कभी-कभी यह परत भूमध्य रेखा पर लुप्तप्राय हो जाती है। इस परत के निचले भागों में अर्थात् 20 किलोमीटर की ऊँचाई तक तापमान एक-जैसा रहता है।

इससे ऊपर 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है। इसका कारण यह है कि 20 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई में वायुमंडल में ओज़ोन गैस पाई जाती है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्त्वों से बचाती है। समतापमण्डल की ऊपरी सीमा समताप सीमा (Stratopause) कहलाती है जिसमें ओज़ोन की मात्रा अधिक होती है।

3. मध्यमण्डल (Mesosphere)-समतापमण्डल के ऊपर स्थित वायुमंडल की यह तीसरी परत मध्यमण्डल कहलाती है। इसका विस्तार 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक होता है। इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान घटने लगता है और 80 किलोमीटर की ऊँचाई पर तापमान -100° सेल्सियस तक नीचे गिर जाता है। मध्यमण्डल की ऊपरी सीमा मध्य सीमा (Mesopause) कहलाती है।

4. आयनमण्डल (Ionosphere)-मध्यमण्डल सीमा से परे स्थित यह परत 80 से 400 किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इस परत में विद्यमान गैस के कण विद्युत् आवेशित होते हैं। इन विद्युत् आवेशित कणों को आयन कहा जाता है। ये आयन विस्मयकारी विद्युतीय और चुम्बकीय घटनाओं का कारण बनते हैं। इसी परत में ब्रह्माण्ड किरणों का परिलक्षण होता है। आयनमण्डल पृथ्वी की ओर से भेजी गई रेडियो-तरंगों को परावर्तित करके पुनः पृथ्वी पर भेज देता है। इसी मण्डल से उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश तथा दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश के दर्शन होते हैं।

5. बाह्यमण्डल (Exosphere) वायुमंडल की यह सबसे ऊपरी परत है। इसे बहिर्मंडल भी कहा जाता है। इसकी वायु अत्यन्त विरल है जो धीरे-धीरे अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है। यह सबसे ऊँचा संस्तरन है तथा इसके बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना HBSE 11th Class Geography Notes

→ ब्रह्मांड किरणें (Cosmic Rays)-बाह्य अंतरिक्ष से पृथ्वी पर पहुंचने वाला रहस्यमयी विकिरण।

→ इंद्रधनुष (Rainbow)-बहुरंजित प्रकाश की एक चाप, जो वर्षा की बूंदों द्वारा सूर्य की किरणों के आंतरिक अपवर्तन तथा परावर्तन द्वारा निर्मित होती है।

→ प्रभामंडल (Halo)-सूर्य अथवा चंद्रमा के चारों ओर एक प्रकाश-वलय जो उस समय बनता है जब आकाश में पक्षाभ-स्तरी मेघ की एक महीन परत छायी रहती है। जब सौर प्रभामंडल बन जाता है, तब वह सूर्य की चमक के कारण दिखाई नहीं देता, परंतु गहरे रंग के शीशे से आसानी से देखा जा सकता है।

→ धूम कोहरा (Smog)-अत्यधिक धुएं से भरा कोहरा, जो सामान्य रूप से औद्यौगिक तथा घने बसे नगरीय क्षेत्रों में पाया जाता है। अंग्रेज़ी भाषा के इस शब्द की रचना दो शब्दों स्मोक व फॉग को मिलाकर की गई है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

→ प्रकीर्णन (Scattering)-लघु तरंगी सौर विकिरण का वायुमंडल के धूलकण व जलवाष्पों से टकराकर टूटना।

→ इंटरनेट (Internet) एक ऐसी विद्युतीय व्यवस्था जिसमें सूचना के महामार्ग (Information Superhighway) पर बैठे लाखों, करोड़ों लोगों द्वारा आपस में जुड़े हुए कंप्यूटरों द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।

→ वायुमंडल (Atmosphere)-पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ कि०मी० की मोटाई में व्याप्त वायु के आवरण को वायुमंडल कहा जाता है।

→ क्षोभमंडल (Troposphere)-भूतल के सम्पर्क में यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसका घनत्व सर्वाधिक है।

→ वायु दीप्ति (Air Glow)-आयनमंडल में वायु में एक अजीब चमक होती है जिसे वायु दीप्ति कहा जाता है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 11th Class Geography भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. स्थलरूप विकास की किस अवस्था में अधोमुख कटाव प्रमुख होता है?
(A) तरुणावस्था
(B) प्रथम प्रौढ़ावस्था
(C) अंतिम प्रौढ़ावस्था
(D) वृद्धावस्था
उत्तर:
(A) तरुणावस्था

2. एक गहरी घाटी जिसकी विशेषता सीढ़ीनुमा खड़े ढाल होते हैं; किस नाम से जानी जाती है-
(A) U आकार की घाटी
(B) अंधी घाटी
(C) गॉर्ज
(D) कैनियन
उत्तर:
(D) कैनियन

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

3. निम्न में से किन प्रदेशों में रासायनिक अपक्षय प्रक्रिया यांत्रिक अपक्षय प्रक्रिया की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होती है-
(A) आर्द्र प्रदेश
(B) शुष्क प्रदेश
(C) चूना-पत्थर प्रदेश
(D) हिमनद प्रदेश
उत्तर:
(A) आर्द्र प्रदेश

4. निम्न में से कौन-सा वक्तव्य लेपीज (Lapies) शब्द को परिभाषित करता है-
(A) छोटे से मध्यम आकार के उथले गर्त
(B) ऐसे स्थलरूप जिनके ऊपरी मुख वृत्ताकार व नीचे से कीप के आकार के होते हैं
(C) ऐसे स्थलरूप जो धरातल से जल के टपकने से बनते हैं
(D) अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खाँच हों
उत्तर:
(D) अनियमित धरातल जिनके तीखे कटक व खाँच हों

5. गहरे, लंबे व विस्तृत गर्त या बेसिन जिनके शीर्ष दीवार खड़े ढाल वाले व किनारे खड़े व अवतल होते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?
(A) सर्क
(B) पाश्विक हिमोढ़
(C) घाटी हिमनद
(D) एस्कर
उत्तर:
(A) सर्क

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
चट्टानों में अधःकर्तित विसर्प और मैदानी भागों में जलोढ़ के सामान्य विसर्प क्या बताते हैं?
उत्तर:
नदी विकास की प्रारंभिक अवस्था में प्रारंभिक मंद ढाल पर विसर्प लूप विकसित होते हैं और ये लूप चट्टानों में गहराई तक होते हैं जो प्रायः नदी अपरदन या भूतल के लगातार उत्थान के कारण बनते हैं। बाढ़ व डेल्टाई मैदानों पर लूप जैसे प्रारूप विकसित होते हैं, जिन्हें विसर्प कहते हैं। नदी विसर्प के निर्मित होने का एक कारण तटों पर जलोढ़ का अनियमित व असंगठित जमाव है। बड़ी नदियों के विसर्प में उत्तल किनारों पर सक्रिय निक्षेपण होते हैं।

प्रश्न 2.
घाटी रंध्र अथवा युवाला का विकास कैसे होता है?
उत्तर:
धरातलीय प्रवाहित जल घोल रंध्रों व विलयन रंध्रों से गुजरता हुआ अन्तभौमि नदी के रूप में विलीन हो जाता है और फिर कुछ दूरी के पश्चात् किसी कंदरा से भूमिगत नदी के रूप में फिर निकल आता है। जब घोलरंध्र व डोलाइन इन कंदराओं की छत से गिरने से या पदार्थों के स्खलन द्वारा आपस में मिल जाते हैं, तो लंबी, तंग तथा विस्तृत खाइयाँ बनती हैं जिन्हें घाटी रंध्र या युवाला कहते हैं।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

प्रश्न 3.
चूनायुक्त चट्टानी प्रदेशों में धरातलीय जल प्रवाह की अपेक्षा भौम जल प्रवाह अधिक पाया जाता है, क्यों?
उत्तर:
भौम जल का कार्य सभी चट्टानों में नहीं देखा जा सकता। ऐसी चट्टानें जैसे चूना-पत्थर या डोलोमाइट, जिनमें कैल्शियम कार्बोनेट की प्रधानता होती है, वहाँ पर इसकी अधिक मात्रा देखने को मिलती है। इसलिए चूना युक्त चट्टानी प्रदेशों में धरातलीय जल प्रवाह की अपेक्षा भौम जल प्रवाह अधिक पाया जाता है।

प्रश्न 4.
हिमनद घाटियों में कई रैखिक निक्षेपण स्थलरूप मिलते हैं। इनकी अवस्थिति व नाम बताएँ।
उत्तर:
हिमनद घाटियों के रैखिक निक्षेपण स्थलरूप निम्नलिखित हैं-
1. हिमोढ़-हिमोढ़, हिमनद टिल या गोलाश्मी मृत्तिका के जमाव की लंबी कटके हैं। अंतस्थ, हिमोढ़ हिमनद के अंतिम भाग में मलबे के निक्षेप से बनी लंबी कटकें हैं।

2. एस्कर-हिमनद के पिघलने से जल हिमतल के ऊपर से प्रवाहित होता है अथवा इसके किनारों से रिसता है या बर्फ के छिद्रों के नीचे से प्रवाहित होता है। यह जलधारा अपने साथ बड़े गोलाश्म, चट्टानों के टुकड़े और छोटा चट्टानी मलबा बहाकर लाती है जो हिमनद के नीचे इस बर्फ की घाटी में जमा हो जाते हैं फिर ये पिघलकर वक्राकार कटक के रूप में मिलते है, जिन्हें एस्कर कहते हैं।

3. हिमानी धौत मैदान-हिमानी जलोढ़ निक्षेपों से हिमानी धौत मैदान निर्मित होते हैं।

4. ड्रमलिन-ड्रमलिन का निर्माण हिमनद दरारों में भारी चट्टानी मलबे के भरने व उसके बर्फ के नीचे रहने से होता है।

प्रश्न 5.
मरुस्थली क्षेत्रों में पवन कैसे अपना कार्य करती है? क्या मरुस्थलों में यही एक कारक अपरदित स्थलरूपों का निर्माण करता है?
उत्तर:
मरुस्थली धरातल शीघ्र गर्म और ठंडे हो जाते है। ठंड और गर्मी से चट्टानों में दरारें पड़ जाती हैं जो खंडित होकर पवनों द्वारा अपरदित होती रहती हैं। पवनें रेत के कण उड़ाकर अपने आस-पास की चट्टानों का कटाव करती हैं, जिससे कई स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। मरुस्थलों में अपक्षय केवल पवन द्वारा ही नहीं, अपितु वर्षा व वृष्टि से भी प्रभावित होता है। मरुस्थलों में नदियाँ चौड़ी, अनियमित तथा वर्षा के बाद अल्प समय तक ही प्रवाहित होती हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
आई व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है। विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
आर्द्र प्रदेशों में अत्यधिक वर्षा होती है। प्रवाहित जल सबसे महत्त्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है, जो धरातल के निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी है। प्रवाहित जल के दो तत्त्व हैं-

  • धरातल पर परत के रूप में फैला हुआ प्रवाह।
  • रैखिक प्रवाह, जो घाटियों में नदियों, सरिताओं के रूप में बहता है।

प्रवाहित जल द्वारा निर्मित अधिकतर अपरदित स्थलरूप ढ़ाल प्रवणता के अनुरूप बहती हुई नदियों की आक्रामक युवावस्था से संबंधित हैं। तेज ढाल लगातार अपरदन के कारण मंद ढाल में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे निक्षेपण आरंभ होता है। तेज ढाल से बहती हुई सरिताएँ भी कुछ निक्षेपित भू-आकृतियाँ बनाती हैं, लेकिन ये नदियों के मध्यम तथा धीमे ढाल पर बने आकारों की अपेक्षा बहुत कम होते हैं। प्रवाहित जल का ढाल जितना मंद होगा उतना ही अधिक निक्षेपण होगा।

जब लगातार अपरदन के कारण नदी तल समतल हो जाए, तो अधोमुखी कटाव कम हो जाता है और तटों का पार्श्व अपरदन बढ़ जाता है और इसके फलस्वरूप पहाड़ियाँ और घाटियाँ समतल मैदानों में परिवर्तित हो जाती हैं। शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर स्थलाकृतियों का निर्माण बृहत् क्षरण और प्रवाहित जल की चादर बाढ़ से होता है। मरुस्थलीय चट्टानें अत्यधिक वनस्पति-विहीन होने के कारण तथा दैनिक तापांतर के कारण यांत्रिक एवं रासायनिक अपक्षय से अधिक प्रवाहित होती हैं। मरुस्थलीय भागों में • भू-आकृतियों का निर्माण सिर्फ पवनों से नहीं बल्कि प्रवाहित जल से भी होता है।

प्रश्न 2.
चूना चट्टाने आई व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती हैं क्यों? चूना प्रदेशों में प्रमुख व मुख्य भू-आकृतिक प्रक्रिया कौन सी हैं और इसके क्या परिणाम हैं?
उत्तर:
चूना-पत्थर एक घुलनशील पदार्थ है, इसलिए चूना-पत्थर आर्द्र जलवायु में कई स्थलाकृतियों का निर्माण करता है जबकि शुष्क प्रदेशों में इसका कार्य आर्द्र प्रदेशों की अपेक्षा कम होता है। चूना पत्थर एक घुलनशील पदार्थ होने के कारण चट्टान पर इसके रासायनिक अपक्षय का प्रभाव सर्वाधिक होता है, लेकिन शुष्क जलवायु वाले प्रदेशों में यह अपक्षय के लिए अवरोधक होता है। लाइमस्टोन की रचना में समानता होती है तथा परिवर्तन के कारण चट्टान में फैलाव तथा संकुचन नहीं होता जिस कारण चट्टान का बड़े-बड़े टुकड़ों में विघटन अधिक मात्रा में नहीं हो पाता। डोलोमाइट चट्टानों के क्षेत्र में भौमजल द्वारा घुलन क्रिया और उसकी निक्षेपण प्रक्रिया से बने ऐसे स्थलरूपों को कार्ट स्थलाकृति का नाम दिया गया है।

अपरदनात्मक तथा निक्षेपणात्मक दोनों प्रकार के स्थलरूप कार्ट स्थलाकृतियों की विशेषताएँ हैं। अपरदित स्थलरूप घोलरंध्र, कुंड, लेपीज और चूना पत्थर चबूतरे हैं। चूनायुक्त चट्टानों के अधिकतर भाग गर्तों व खाइयों के हवाले हो जाते हैं और पूरे क्षेत्र में अत्यधिक अनियमित, पतले व नुकीले कटक आदि रह जाते हैं, जिन्हें लेपीज कहते है। कभी-कभी लेपिज के विस्तृत क्षेत्र समतल चुनायुक्त चूबतरों में परिवर्तित हो जाते हैं।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

प्रश्न 3.
हिमनद ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों को निम्न पहाड़ियों व मैदानों में कैसे परिवर्तित करते हैं या किस प्रक्रिया से यह कार्य सम्पन्न होता है बताएँ?
उत्तर:
महाद्वीपीय हिमनद या गिरिपद हिमनद वे हिमनद हैं, जो वृहत् समतल क्षेत्र पर हिम परत के रूप में फैले हों तथा पर्वतीय या घाटी हिमनद वे हिमनद हैं, जो पर्वतीय ढालों में बहते हैं। प्रवाहित जल के विपरीत हिमनद प्रवाह बहुत धीमा होता है। हिमनद प्रतिदिन कुछ सेंटीमीटर या इससे कम से लेकर कुछ मीटर तक प्रवाहित हो सकते हैं। हिमनद मुख्यतः गुरुत्व बल के कारण गतिमान होते हैं। हिमनदों से प्रबल अपरदन होता है जिसका कारण इसके अपने भार से उत्पन्न घर्षण है। हिमनद द्वारा कर्षित चट्टानी पदार्थ, इसके तल में ही इसके साथ घसीटे जाते हैं या घाटी के किनारों पर अपघर्षण व घर्षण द्वारा अत्यधिक अपरदन करते हैं। हिमनद अपक्षय-रहित चट्टानों का भी प्रभावशाली अपरदन करते हैं जिससे ऊँचे पर्वत छोटी पहाड़ियों व मैदानों में परिवर्तित हो जाते हैं।

हिमनद के लगातार संचलित होने से हिमनद मलबा हटता है, विभाजक नीचे हो जाता है और ढाल इतने निम्न हो जाते हैं कि हिमनद की संचलन शक्ति समाप्त हो जाती है तथा निम्न पहाड़ियों व अन्य निक्षेपित स्थलरूपों वाला एक हिमानी धौत रह जाता है।

भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास HBSE 11th Class Geography Notes

→ लोएस (Loess)-पवन द्वारा उड़ाकर जमा किए गए धूल के पीले या स्लेटी रंग के निक्षेप।

→ भू-आकृति (Land Forms)-छोटे-से मध्यम आकार के भूखण्ड को भू-आकृति कहा जाता है।

→ हिमनदी/हिमानी (Glacier) कर्णहिम (Neve) के पुनर्पटन (Recrystallisation) से बनी हिम की विशाल संहतराशि जो धरातल पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभावाधीन बहती है, हिमनदी या हिमानी कहलाती है।

→ जल-प्रपात (Water Falls)-चट्टानी कगार के ऊपरी भाग से नदी का सीधे नीचे गिरना जल-प्रपात कहलाता है।

→ नदी तंत्र (River System) मुख्य नदी और उसकी सहायक नदियों को मिलाकर बना एक तंत्र।

→ भूगु (Cliff)-एकदम खड़े समुद्री तट को भृगु कहा जाता है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

HBSE 11th Class Geography भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?
(A) निक्षेप
(B) ज्वालामुखीयता
(C) पटल-विरूपण
(D) अपरदन
उत्तर:
(D) अपरदन

2. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है?
(A) ग्रेनाइट
(B) क्वार्ट्ज़
(C) चीका (क्ले) मिट्टी
(D) लवण
उत्तर:
(D) लवण

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

3. मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?
(A) भू-स्ख लन
(B) तीव्र प्रवाही बृहत् संचलन
(C) मंद प्रवाही बृहत् संचलन
(D) अवतलन/धसकन
उत्तर:
(B) तीव्र प्रवाही बृहत् संचलन

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे?
उत्तर:
अपक्षय प्रक्रियाएँ चट्टानों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने एवं मृदा-निर्माण में सहायक हैं। जैव मात्रा एवं जैव विविधता दोनों ही मुख्यतः वनों पर निर्भर करते हैं तथा वन अपक्षयी प्रवाल की गहराई अर्थात् न केवल आवरण प्रस्तर एवं मिट्टी अपरदन बृहत् अपरदन पर निर्भर करता है। यह कुछ खनिजों; जैसे लोहा, मैंगनीज, एल्यूमिनियम आदि के संकेंद्रण में भी सहायक होता है।

प्रश्न 2.
बृहत् संचलन जो वास्तविक, तीव्र एवं गोचर/अवगम्य (Perceptible) हैं, वे क्या हैं? सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
बृहत् संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें शैलों का बृहत् मलबा गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल के अनुरूप स्थानांतरित होता है। भू-स्खलन अपेक्षाकृत तीव्र एवं अवगम्य संचलन है। तीव्र ढाल के कारण शिखरों से पत्थर, मलबा, मिट्टी आदि घाटी की ओर गिरने लगते हैं। असंबद्ध कमजोर पदार्थ, छिछले संस्तर वाली शैलें, भ्रंश, तीव्रता से झुके हुए संस्तर, खड़े भृगु या तीव्र ढाल, पर्याप्त वर्षा, मूसलाधार वर्षा तथा वनस्पति का अभाव बृहत् संचलन में सहायक होते हैं।

प्रश्न 3.
विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भ-आकतिक कारक क्या हैं तथा वे क्या प्रधान कार्य संपन्न करते हैं?
उत्तर:
बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ अपनी ऊर्जा सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा एवं अंतर्जनित शक्तियों से नियंत्रित विवर्तनिक कारकों से उत्पन्न प्रवणता से प्राप्त करती हैं। सभी बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को एक सामान्य शब्दावली अनाच्छादन (निरावृत्त करना या आवरण हटाना) के अंतर्गत रखा जा सकता है। अपक्षय, बृहत क्षरण, संचलन, अपरदन, परिवहन आदि अनाच्छादन प्रक्रिया में सम्मिलित होते हैं। बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न-भिन्न होती हैं जैसे कि पृथ्वी के धरातल पर तापीय प्रवणता के कारण भिन्न-भिन्न जलवायु प्रदेश स्थित हैं जो कि अक्षांशीय, मौसमी एवं जल-थल विस्तार में भिन्नता के द्वारा उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 4.
क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है?
उत्तर:
मृदा निर्माण सर्वप्रथम अपक्षय पर निर्भर करती है। सर्वप्रथम अपक्षयित प्रावार पदार्थों के निक्षेप, बैक्टीरिया या अन्य निकृष्ट पौधों द्वारा उपनिवेशित किए जाते हैं। मृदा निर्माण में मूल शैल एक निष्क्रिय नियंत्रक कारक है। अपक्षय मूल शैल को छोटे-छोटे कणों में परिवर्तित करता है, जो धीरे-धीरे मृदा का रूप ले लेता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए कीजिए।

प्रश्न 1.
“हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक (Opposing) वर्गों के खेल का मैदान है,” विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भू-पर्पटी का निर्माण करने वाले पृथ्वी के भीतर सक्रिय आंतरिक बलों में पाया जाने वाला अंतर ही पृथ्वी के बाह्य सतह में अंतर के लिए उत्तरदायी है। धरातल पृथ्वी मंडल के अंतर्गत उत्पन्न हुए बाह्य बलों एवं पृथ्वी के अंदर उद्भूत आंतरिक बलों से अनवरत प्रभावित होता है। बाह्य बलों को बहिर्जनिक तथा आंतरिक बलों को अंतर्जनित बल कहते हैं।

अंतर्जनित शक्तियाँ निरंतर धरातल के भागों को ऊपर उठाती हैं या उनका निर्माण करती हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ उच्चावच में भिन्नता को सम (बराबर) करने में असफल रहती हैं। यह भिन्नता तब तक बनी रहती है जब तक बहिर्जनिक एवं अंतर्जनित बलों के विरोधात्मक कार्य चलते रहते हैं। अंतर्जनित बल मूल रूप से भू-आकृतिक निर्माण करने वाले बल हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से भूमि विघर्षण बल होती हैं। इस प्रकार बाह्य बलों के संतुलन के कारकों के लगातार क्रियाशील रहने के कारण विविध प्रकार के स्थलरूप बनते रहते है। धरातल पर पाए जाने वाले प्रमुख स्थल रूप पर्वत, पठार और मैदान हैं। अंतर्जनित शक्तियाँ मूल रूप से आकृति निर्मात्री शक्तियाँ होती हैं। धरातल का निर्माण एवं विघटन क्रमशः अंतर्जनित एवं बहिर्जनिक शक्तियों का परिणाम हैं।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

प्रश्न 2.
“बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बहिर्जनिक प्रक्रियाएँ अपनी ऊर्जा ‘सूर्य द्वारा निर्धारित वायुमंडलीय ऊर्जा एवं अंतर्जनित शक्तियों से नियंत्रित विवर्तनिक – कारकों से उत्पन्न प्रवणता से प्राप्त करती हैं। गर्मी के कारण शैलें फैलती हैं और सर्दी के कारण सिकुड़ जाती हैं। दैनिक ताप के अधिक होने के कारण शैलें फैलती और सिकुड़ती रहती हैं। इस कारणवश शैलों में दरारें आ जाती हैं तथा दरारों के कारण शैलें छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं।

अधिक गर्मी के कारण शैलों की बाहरी परतें जल्दी फैल जाती हैं, लेकिन भीतरी परतें गर्मी से लगभग अप्रभावित रहती हैं। क्रमिक रूप से फैलने और सिकुड़ने से शैलों की बाहरी परतें शैल के मुख्य भाग से अलग हो जाती हैं। विभिन्न प्रकार की शैलें अपनी संरचना में भिन्नता के कारण भू-आकृतिक प्रतिक्रियाओं के प्रति विभिन्न प्रतिरोध क्षमता प्रस्तुत करती हैं। एक विशेष शैल एक प्रक्रिया के प्रति प्रतिरोधपूर्ण तथा वही दूसरी प्रक्रिया के प्रति प्रतिरोध रहित हो सकती है। विभिन्न जलवायवी दशाओं में एक विशेष प्रकार की शैलें भू-आकृतिक प्रतिक्रियाओं के प्रति भिन्न-भिन्न दरों पर कार्यरत रहती हैं तथा स्थलाकृति में भिन्नता का कारण बन जाती है।

प्रश्न 3.
क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भौतिक अपक्षय प्रक्रियाएँ-भौतिक प्रक्रियाएँ कुछ अनुप्रयुक्त बलों पर निर्भर करती हैं। ये बल निम्नलिखित हैं-

  • गुरुत्वाकर्षक बल
  • तापक्रम में परिवर्तन
  • शुष्कन एवं आर्द्रन चक्रों से नियंत्रित जल का दबाव।

भौतिक अपक्षय प्रक्रियाओं में अधिकांश तापीय विस्तारण एवं दबाव के निर्मुक्त होने के कारण होता है। ये प्रक्रियाएँ लघु एवं मंद होती हैं परन्तु कई बार संकुचन एवं विस्तारण के कारण शैलों के सतत् श्रांति (फैटीग्यू) के फलस्वरूप ये शैलों को बड़ी हानि पहुँचा सकती हैं।

रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ-अपक्षय प्रक्रियाओं का एक समूह जैसे कि विलयन, कार्बोनेटीकरण, जलयोजन, आक्सीकरण तथा न्यूनीकरण शैलों के अपघटन, विलयन अथवा न्यूनीकरण का कार्य करते हैं, जोकि रासायनिक क्रिया द्वारा सूक्ष्म अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं। ऑक्सीजन, धरातलीय जल, मृदा-जल एवं अन्य अम्लों की प्रक्रिया द्वारा चट्टानों का न्यूनीकरण होता है।

लेकिन कई क्षेत्रों में भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय की प्रक्रियाएँ अंतर्संबंधित हैं। ये साथ-साथ चलती हैं तथा अपक्षय प्रक्रिया को त्वरित बना देती हैं। ये दोनों प्रक्रियाएँ ही चट्टानों का विखंडन करती हैं। दोनों मूल पदार्थों में अपघर्षण करती हैं।

प्रश्न 4.
आप किस प्रकार मृदा निर्माण प्रक्रियाओं तथा मृदा निर्माण कारकों के बीच अंतर ज्ञात करते हैं? जलवायु एवं जैविक क्रियाओं की मृदा निर्माण में दो महत्त्वपूर्ण कारकों के रूप में क्या भूमिका है?
उत्तर:
मृदा-निर्माण या मृदा जनन सर्वप्रथम अपक्षय पर निर्भर करती है। यह अपक्षयी प्रावार ही मृदा निर्माण का मूल निवेश होता है। सर्वप्रथम अपक्षयित प्रावार या लाए गए पदार्थों के निक्षेप बैक्टीरिया या अन्य निकृष्ट पौधे जैसे काई एवं लाइकेन द्वारा अवशोषित किए जाते हैं।

मृदा निर्माण के कारक-मृदा निर्माण पाँच मूल कारकों द्वारा नियंत्रित होता है जो निम्नलिखित अनुसार हैं-

  • मूल पदार्थ (शैलें)
  • स्थलाकृति
  • जलवायु
  • जैविक क्रियाएँ
  • मय।

उपर्युक्त कारक संयुक्त रूप से कार्य करते हैं एवं एक-दूसरे के कार्य को प्रभावित करते हैं। जलवायु कारक की मृदा-निर्माण में निम्नलिखित भूमिका है-

  • प्रवणता, वर्षा एवं वाष्पीकरण की बारंबारता व आर्द्रता।
  • तापक्रम में मौसमी एवं दैनिक भिन्नता।

जैविक क्रियाओं की मदा निर्माण में निम्नलिखित भूमिका है

  • मृदा में जैव पदार्थ, नमी धारण की क्षमता तथा नाइट्रोजन इत्यादि जोड़ने में सहायक होते हैं। मृत पौधे मृदा को सूक्ष्म विभाजित जैव पदार्थ-ह्यूमस प्रदान करते हैं।
  • ठंडी जलवायु में ह्यूमस एकत्रित हो जाता है, क्योंकि यहाँ बैक्टीरियल वृद्धि धीमी होती है।
  • आई, उष्ण एवं भूमध्य रेखीय जलवायु में बैक्टीरियल वृद्धि एवं क्रियाएँ सघन होती हैं तथा मृत वनस्पति शीघ्रता से ऑक्सीकृत हो जाती है जिससे मृदा में ह्यूमस की मात्रा बहत कम रह जाती है।
  • बैक्टीरिया एवं मृदा के जीव हवा से गैसीय नाइट्रोजन प्राप्त कर उसे रासायनिक रूप से परिवर्तित कर देते हैं जिसका पौधों द्वारा उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को नाइट्रोजन निर्धारण कहते हैं।

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ HBSE 11th Class Geography Notes

→ समंककता (Cohesion)-पदार्थों का आपस में जुड़े रहने का गुण और शक्ति समंककता कहलाती है।

→ निक्षालन या प्रक्षालन (Leaching)-आर्द्र जलवायु के प्रदेशों का वह प्रक्रम जिसके द्वारा जैव तथा खनिज लवण जैसे घुलनशील पदार्थ मिट्टी की ऊपरी परत से वर्षा जल के रिसाव के साथ निचली परत में पहुंच जाते हैं।

→ केशिका क्रिया (Capillary Action)-वर्षण से ज्यादा वाष्पीकरण वाले क्षेत्रों में मिट्टी में उपलब्ध जल का कोशिका के समान पतली नलिकाओं द्वारा नीचे से ऊपर की ओर उठना, केशिका क्रिया कहलाता है। जल के ऊपर की ओर स्थित संचरण का क्षेत्र Capillary.Fringe कहलाता है। बालू मिट्टी की बजाय चीका मिट्टी में नमी केशिका क्रिया अधिक प्रभावी होती है। मोमबत्ती के धागे में पिघले मोम का पहुंचना, जल-स्तर स्याही चूस (Blotting Paper) द्वारा स्याही का चूसना व दीए में रखी कपास की बाट में तेल या घी का पहुंचना, केशिका क्रिया द्वारा ही होता है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 6 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

→ मृदा वातन (Aeration of Soil)-वह प्रक्रिया जिसमें वायुमंडलीय हवा मिट्टी की हवा को प्रतिस्थापित (Replace) करती है। एक भली-भांति वातित मिट्टी में बाहर और अंदर की हवा एक-जैसी होती है, किंतु अल्पवातित मिट्टियों में वायुमंडल की अपेक्षा ऑक्सीजन का प्रतिशत कम और कार्बन डाईऑक्साइड का प्रतिशत अधिक होता है।

→ pH मूल्य (pH Value)-मिट्टी में अम्ल या क्षार का सांद्रण व्यक्त करने वाला एक अंक। इस विधि का आविष्कार S.P. Sorensen ने सन् 1909 में किया था। इस मापक में 0 से 14 अंक होते हैं तथा तटस्थ घोल की pH Value 7 होती है। क्षारीय घोल 7 से 14 तक के अंकों द्वारा व्यक्त होता है, जबकि अम्लीय घोल 0 से 7 तक के अंकों द्वारा व्यक्त किया जाता है।

→ पॉडजोलाइज़ेशन (Podzolization)-अत्यंत ठंडी जलवायु में जीवाणुओं की कमी के कारण जैव तत्त्वों के धीरे-धीरे सड़ने-गलने से मिट्टी का धीमा विकास।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल

HBSE 11th Class Geography खनिज एवं शैल Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में से कौन ग्रेनाइट के दो प्रमुख घटक हैं?
(A) लौह एवं निकेल
(B) सिलिका एवं एलूमिनियम
(C) लौह एवं चाँदी
(D) लौह ऑक्साइड एवं पोटैशियम
उत्तर:
(B) सिलिका एवं एलूमिनियम

2. निम्न में से कौन-सा कायांतरित शैलों का प्रमुख लक्षण है?
(A) परिवर्तनीय
(B) क्रिस्टलीय
(C) शांत
(D) पत्रण
उत्तर:
(A) परिवर्तनीय

3. निम्न में से कौन-सा एकमात्र तत्त्व वाला खनिज नहीं है?
(A) स्वर्ण
(B) माइका
(C) चाँदी
(D) ग्रेफाइट
उत्तर:
(B) माइका

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल

4. निम्न में से कौन-सा कठोरतम खनिज है?
(A) टोपाज
(B) क्वार्ट्ज़
(C) हीरा
(D) फेल्डस्पर
उत्तर:
(C) हीरा

5. निम्न में से कौन सा शैल अवसादी नहीं है?
(A) टायलाइट
(B) ब्रेशिया
(C) बोरैक्स
(D) संगमरमर
उत्तर:
(D) संगमरमर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
शैल से आप क्या समझते हैं? शैल के तीन प्रमुख वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर:
शैल-पृथ्वी की पर्पटी शैलों से बनी है। शैल का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजों से मिलकर होता है। शैल कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों की हो सकती है। शैलों में खनिज घंटकों का कोई निश्चित संघटक नहीं है। शैल को चट्टान भी कहा जाता है। शैलों को निर्माण पद्धति के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है

  • आग्नेय शैल
  • अवसादी शैल
  • कायांतरित शैल

प्रश्न 2.
आग्नेय शैल क्या है? आग्नेय शैल के निर्माण की पद्धति एवं उनके लक्षण बताएँ।
उत्तर:
आग्नेय शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के इग्निस (Ienis)शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य है कि अग्नि के समान गरम तप्त लावा के ठण्डे होने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी अपनी उत्पत्ति के समय गरम, तरल एवं गैसीय पुंज थी, जो धीरे-धीरे ठण्डी हुई। ठण्डी एवं ठोस अवस्था में आने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी पर सर्वप्रथम इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टानें भी कहते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के पिघले हुए पदार्थ (मैग्मा) के ठण्डा एवं ठोस हो जाने के कारण बनी हैं।

आग्नेय शैलों का वर्गीकरण इनकी बनावट के आधार पर किया गया है। इनकी बनावट इनके कणों के आकार एवं व्यवस्था अथवा पदार्थ की भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। यदि पिघले हुए पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठंडे होते हैं, तो खनिज के कण पर्याप्त बड़े-बड़े हो सकते हैं। सतह पर हुई आकस्मिक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं। शीतलता की मध्यम परिस्थितियाँ होने पर आग्नेय शैल को बनाने वाले कण मध्यम आकार के होते हैं।

प्रश्न 3.
अवसादी शैल का क्या अर्थ है? अवसादी शैल के निर्माण की पद्धति बताएँ।
उत्तर:
अपक्षय तथा अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा प्राप्त बड़ी मात्रा में अवसाद के जमने से बनी हुई चट्टानों को परतदार अथवा अवसादी शैल/चट्टानें कहते हैं। इनका निर्माण अवसाद के परतों में जमने के कारण होता है। भूतल पर लगभग.75% चट्टानें अवसादी शैल/चट्टानें हैं।

निर्माण की पद्धति के आधार पर अवसादी शैलों का वर्गीकरण-

  • यांत्रिकी रूप से निर्मित-बालुकाशम, पिंडशिला, चूना प्रस्तर, विमृदा आदि।
  • कार्बनिक रूप से निर्मित-गीज़राइट, चूना-पत्थर, कोयला आदि।
  • रासायनिक रूप से निर्मित-शृंग, प्रस्तर, चूना-पत्थर, हेलाइट आदि।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल

प्रश्न 4.
शैली चक्र के अनुसार प्रमुख प्रकार की शैलों के मध्य क्या संबंध होता है?
उत्तर:
शैली चक्र एक सतत् प्रक्रिया होती है, जिसमें पुरानी शैलें परिवर्तित होकर नवीन रूप लेती हैं। आग्नेय व अन्य शैलें प्राथमिक शैलों से निर्मित होती हैं। आग्नेय एवं कायांतरित शैलों से प्राप्त अंशों से अवसादी शैलों का निर्माण होता है। निर्मित, भूपृष्ठीय शैलें (आग्नेय, कायांतरित एवं अवसादी) प्रत्यावर्तन के द्वारा पृथ्वी के आंतरिक भाग में नीचे की ओर जा सकती हैं। पृथ्वी के आंतरिक भाग में तापमान बढ़ने के कारण ये पिघलकर मैग्मा में परिवर्तित हो जाते हैं, जो आग्नेय शैलों के मूल स्रोत हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
खनिज शब्द को परिभाषित कीजिए और प्रमुख खनिज बताइए।
उत्तर:
खनिज की परिभाषा-‘खनिज’ वे प्राकृतिक पदार्थ होते हैं जिनकी अपनी भौतिक विशेषताएँ तथा एक निश्चित रासायनिक बनावट होती है। अधिकांश खनिज ठोस, जड़ व अकार्बनिक अथवा अजैव पदार्थ होते हैं। चट्टानों की रचना विभिन्न खनिजों के संयोग से होती है। वॉरसेस्टर के अनुसार, “लगभग सभी चट्टानों में दो या दो से अधिक खनिज होते हैं।” कई बार चट्टान केवल एक खनिज से भी बनती है। जैसे चूना, पहाड़ी नमक, बालू-पत्थर इत्यादि।

इसी आधार पर फिन्च व ट्रिवार्था ने कहा है, “एक या एक से अधिक खनिजों के मिश्रण से चट्टानों का निर्माण होता है।” प्रमुख खनिज-प्रमुख खनिज निम्नलिखित हैं-
1. फेल्सपार-सिलिका और ऑक्सीजन सभी फेल्सपारों में उपस्थित होते हैं जबकि सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम व एल्यूमीनियम इत्यादि फेल्सपार के विशिष्ट प्रकार में पाए जाते हैं। इसका उपयोग चीनी मिट्टी व काँच के बर्तन बनाने में होता है।

2. क्वार्टज़-इसका रचनाकारी तत्त्व सिलिका है। यह रेत व ग्रेनाइट का प्रमुख घटक है। यह कठोर होने के कारण पानी में नहीं घुलता। यह सफेद व रंगहीन होता है। इसका उपयोग रेडियो एवं राडार निर्माण में होता है।

3. पाइरॉक्सीन इसमें कैल्शियम, एल्यूमीनियम शामिल हैं। भू-पृष्ठ का लगभग 10% हिस्सा इससे बना है। इसका रंग हरा अथवा काला होता है। सामान्यतः यह उल्का पिंड में पाया जाता है।

4. एम्फीबोल-इसके प्रमुख तत्त्व एल्यूमीनियम, कैल्शियम, सिलिका, लोहा और मैग्नीशियम हैं। भू-पृष्ठ का लगभग 7% भाग इससे बना है। यह हरे और चमकीले काले रंग का होता है। इसका उपयोग एस्बेस्ट्स की तरह होता है। यह विद्युत यंत्र के निर्माण में काम आता है।

5. अभ्रक-इसके प्रमुख तत्त्व पोटैशियम, लौह, सिलिका आदि हैं। भू-पृष्ठ का लगभग 4% भाग इससे बना है। ये मुख्यतः आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में पाए जाते हैं। विद्युत उपकरणों में इसका उपयोग होता है।

6. ऑलिवीन इसमें मैग्नीशियम, लौह आदि शामिल होते हैं। इसका उपयोग आभूषण बनाने में होता है। ये हरे रंग के क्रिस्टल होते हैं।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल

प्रश्न 2.
भूपृष्ठीय शैलों में प्रमुख प्रकार की शैलों की प्रकृति एवं उनकी उत्पत्ति की पद्धति का वर्णन करें। आप उनमें अंतर स्थापित कैसे करेंगे?
उत्तर:
भूपृष्ठीय शैलों के प्रमुख तीन प्रकार होते हैं-
1. आग्नेय चट्टानें/शैल-आग्नेय शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के इग्निस (Ignis) शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य है कि अग्नि के समान गरम तप्त लावा के ठण्डे होने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी अपनी उत्पत्ति के समय गरम, तरल एवं गैसीय पुंज . थी, जो धीरे-धीरे ठण्डी हुई। ठण्डी एवं ठोस अवस्था में आने से इन चट्टानों का निर्माण हुआ। पृथ्वी पर सर्वप्रथम इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टानें भी कहते हैं। आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के पिघले हुए पदार्थ (मैग्मा) के ठण्डा एवं ठोस हो जाने के कारण बनी हैं।

2. अवसादी चट्टानें/शैल-अपक्षय तथा अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा प्राप्त बड़ी मात्रा में अवसाद के जमने से बनी हुई चट्टानों को परतदार अथवा अवसादी शैल/चट्टानें कहते हैं। इनका निर्माण अवसाद के परतों में जमने के कारण होता है। भूतल पर लगभग 75% चट्टानें अवसादी शैल/चट्टानें हैं।

3. कायांतरित चट्टानें/शैल-कायांतरित या रूपान्तरित का अर्थ है-स्वरूप में परिवर्तन। दाब, आयतन व तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। इसलिए ये कायान्तरित, रूपान्तरित या परिवर्तित शैलें या चट्टानें कहलाती हैं। रंग-रूप एवं संरचना में परिवर्तन आ जाता है तथा वे अपने मौलिक रूप में नहीं रह पाती हैं, जिससे रूपान्तरित चट्टानों का निर्माण हो जाता है।
अंतर:

आग्नेय शैलअवसादी शैलकायांतरित शैल
यह मैरमा व लावा के जमने से बनती है। उदाहरण-ग्रेनाइट, बेसाल्ट, ग्रेबो, पेग्मैटाइट आदि।यह परतदार होती है। इसमें वनस्पति व जीव-जंतुओं का जीवाश्म पाया जाता है। इसका निर्माण अवसाद की परतों में जमने के कारण होता है।यह दाब, आयतन व तापमान में परिवर्तन के द्वारा निर्मित होती हैं।
उदाहरण-चूना पत्थर, चूना प्रस्तर कोयला, विमृदा आदि।उदाहरण-संगमरमर, स्लेट, ग्रेनाइट आदि।

प्रश्न 3.
कायांतरित शैल क्या है? इनके प्रकार एवं निर्माण की पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर:
कायांतरित शैल-कायांतरित या रूपान्तरित शब्द अंग्रेज़ी के शब्द ‘Metamorphic’ से बना है। इसकी उत्पत्ति ग्रीक भाषा के Meta = Change तथा Morphe = Form अर्थात् जो मूल रूप में परिवर्तित हो चुकी है, अतः कायांतरित या रूपान्तरित का अर्थ है-स्वरूप में परिवर्तन। दाब, आयतन व तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। इसलिए ये कायान्तरित, रूपान्तरित या परिवर्तित शैलें या चट्टानें कहलाती हैं। रंग-रूप एवं संरचना में परिवर्तन आ जाता है तथा वे अपने मौलिक रूप में नहीं रह पाती हैं, जिससे रूपान्तरित चट्टानों का निर्माण हो जाता है।

पी०जी० वॉरसेस्टर के अनुसार, “रूपान्तरित चट्टानें वे चट्टानें हैं जो बिना विघटित हुए रूप तथा संरचना में परिवर्तित हो जाती हैं।”

रूपान्तरित या कायान्तरित शैलों/चट्टानों के प्रकार एवं निर्माण प्रक्रिया रूपान्तरित चट्टानों का कायान्तरण दो प्रकारों के अंतर्गत होता है
1. भौतिक कायान्तरण (Physical Metamorphism)-इसे यांत्रिक कायान्तरण भी कहते हैं। धरातल के नीचे अत्यधिक गहराई में दबाव के कारण चट्टानों की संरचना में परिवर्तन आ जाता है; जैसे शैल (Shale) का स्लेट में परिवर्तन। दूसरा रूपान्तरण तापमान के कारण होता है। अत्यधिक ताप के कारण भू-गर्भ की चट्टानें परिवर्तित हो जाती हैं; जैसे चूने के पत्थर का संगमरमर में बदलना।

2. रासायनिक कायान्तरण (Chemical Metamorphism)-जब एक से अधिक खनिजों के मिश्रण से बनी चट्टान मूल खनिजों के पुनर्मिश्रण के कारण दूसरी चट्टान में बदल जाती है या किसी विशेष चट्टान में दूसरी चट्टान का कोई तत्त्व मिश्रित हो जाता है और उसका रूप बदल जाता है उसे रासायनिक कायान्तरण कहते हैं। कार्बन-डाइऑक्साइड तथा ऑक्सीजन जैसी गैसें जल में मिल जाने पर घुलनशीलता में वृद्धि कर देती हैं और विभिन्न घुलनशील खनिज आपस में क्रिया करके एक नई चट्टानी संरचना को जन्म देते हैं।

प्रभाव क्षेत्र के आधार पर रूपान्तरण (Metamorphism on the basis of Effective Areas)-चट्टानों का रूपान्तरण उनके प्रभाव क्षेत्र के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से होता है-
1. प्रादेशिक रूपान्तरण (Regional Metamorphism)-जब भू-गर्भ में अधिक तापमान तथा दबाव के कारण एक बहुत बड़े क्षेत्र में चट्टानों का रूपान्तरण होता है तो उसे प्रादेशिक रूपान्तरण कहते हैं। जैसे-जैसे रूपान्तरण की तीव्रता बढ़ती है तो शैल (Shale) स्लेट में, स्लेट शिस्ट में और शिस्ट नाइस में परिवर्तित हो जाती है। यह गतिक रूपान्तरण भी कहलाता है।

2. स्पर्श रूपान्तरण (Contact Metamorphism)-ज्वालामुखी विस्फोट के समय जब मैग्मा का प्रवाह धरातल की ओर होता है तो मैग्मा के सम्पर्क में आने वाली चट्टानों में तापक्रम के कारण परिवर्तन आ जाता है, उसे स्पर्श रूपान्तरण कहते हैं।

खनिज एवं शैल HBSE 11th Class Geography Notes

→ जीवाश्म (Fossil)-परतदार शैलों के बीच जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों के अवशेष या उनके छापों का मिलना।

→ प्रवाल (Coral)-एक सूक्ष्म समुद्री जीव जो अपने शरीर से चूना (कैल्शियम कार्बोनेट) निकालकर उससे अपना कवच या खोल तैयार कर लेता है। ये उष्ण कटिबंध के स्वच्छ या सुऑक्सीजनित जल में उत्पन्न होते हैं जहाँ इन्हें सूक्ष्म जीव खाद्य पदार्थ के रूप में मिलते हैं।

→ लोएस (Loess)-पवन द्वारा उड़कर आई हुई सूक्ष्म कणों वाली धूलि का निक्षेप।

→ घड़िया (Crucible)-एक बर्तन जिसमें धातुओं को गलाया जाता है। ऐसा बर्तन ग्रेफाइट से बनता है, क्योंकि ग्रेफाइट का गलनांक 3500° सेल्सियस होता है।

→ गलनांक (Melting Point)-वह तापमान जिस पर कोई ठोस वस्तु तरल बनने लगती है।

→ गठन (Texture)-शैलों की रचना करने वाले कणों का आकार, आकृति और एक-दूसरे से जुड़ने की व्यवस्था अर्थात् कणों का ज्यामितीय स्वरूप।

→ क्वाटर्ज़ (Quartz)-यह प्राकृतिक रवेदार सिलिका (बालू) है। यह कभी-कभी शुद्ध, स्वच्छ और रंगहीन कणों में मिलता है। इसके ऊँचे गलनांक के कारण उद्योगों में इसका बहुत उपयोग होता है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 5 खनिज एवं शैल

→ घात्विक खनिज (Metallic Minerals)-धात्विक खनिज वे होते हैं, जिन्हें परिष्कृत किया जा सकता है। ये धातुवर्य (Malleable) होते हैं अर्थात् इनसे धातुओं को पीटकर चादर, तार इत्यादि विभिन्न आकारों में ढाला जा सकता है।

→ आग्नेय शैलें (Igneous Rocks)-ऐसी शैलें जिनका निर्माण पृथ्वी के भीतर उपस्थित तरल एवं तप्त द्रव्य के ठण्डा होकर ठोस हो जाने से हुआ हो, आग्नेय शैलें कहलाती हैं।

→ प्राथमिक शैलें (Primary Rocks)-पृथ्वी पर सबसे पहले जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति से भी पहले आग्नेय शैलों का निर्माण हुआ। इसी आधार पर इन्हें प्राथमिक शैलें भी कहा जाता है।

→ रूपान्तरित शैलें (Metamorphic Rocks)-ऐसी शैलें जो अन्य शैलों के रूप परिवर्तन के द्वारा बनती हैं, रूपान्तरित शैलें कहलाती हैं।

→ तापीय रूपान्तरण (Thermal Metamorphism)-ऊँचे ताप के प्रभाव से शैलों के खनिजों का रासायनिक परिवर्तन और पुनः क्रिस्टलीकरण हो जाता है। इसे तापीय रूपान्तरण कहते हैं।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

HBSE 11th Class Geography महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की?
(A) अल्फ्रेड वेगनर
(B) अब्राहम ऑरटेलियस
(C) एनटोनियो पेलेग्रिनी
(D) एडमंड हैस
उत्तर:
(B) अब्राहम ऑरटेलियस

2. पोलर फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
(A) पृथ्वी का परिक्रमण
(B) पृथ्वी का घूर्णन
(C) गुरुत्वाकर्षण
(D) ज्वारीय बल
उत्तर:
(B) पृथ्वी का घूर्णन

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

3. इनमें से कौन-सी लघु (Minor) प्लेट नहीं है?
(A) नजका
(B) फिलीपीन
(C) अरब
(D) अंटार्कटिक
उत्तर:
(D) अंटार्कटिक

4. सागरीय अधस्तल विस्तार सिद्धांत की व्याख्या करते हुए हेस ने निम्न में से किस अवधारणा पर विचार नहीं किया?
(A) मध्य-महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ
(B) महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुंबकत्व क्षेत्र की पट्टियों का होना
(C) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण
(D) महासागरीय तल की चट्टानों की आयु
उत्तर:
(C) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण

5. हिमालय पर्वतों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा किस तरह की प्लेट सीमा है?
(A) महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण
(B) अपसारी सीमा
(C) रूपांतर सीमा
(D) महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण
उत्तर:
(D) महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वेगनर ने किन बलों का उल्लेख किया?
उत्तर:
अल्फ्रेड वेगनर जर्मन के प्रसिद्ध मौसमविद थे, जिन्होंने सन् 1912 में “महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत” प्रस्तावित किया। महाद्वीपीय प्रवाह के लिए वेगनर ने दो बलों का उपयोग किया। पहला ध्रुवीय बल, दूसरा ज्वारीय बल।

ध्रुवीय बल-यह बल पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है।

  • ज्वारीय बल-यह बल सूर्य एवं चंद्रमा के आकर्षण से संबंधित है, जिससे महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं।
  • वेगनर के अनुसार करोड़ों वर्षों से ये दो बल प्रभावशाली होकर विस्थापन के लिए सक्षम हैं।

प्रश्न 2.
मैंटल में संवहन धाराओं के आरंभ होने और बने रहने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
आर्थर होम्स ने मैंटल भाग में संवहन-धाराओं के प्रभाव की संभावना व्यक्त की। ये धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्त्वों से उत्पन्न ताप भिन्नता से मैंटल भाग में उत्पन्न होती हैं। आर्थर होम्स ने तर्क दिया कि पूरे मैंटल भाग में इस प्रकार की धाराओं का तंत्र विद्यमान है।

प्रश्न 3.
प्लेट की रूपांतर सीमा, अभिसरण सीमा और अपसारी सीमा में मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर:

  1. रूपांतर सीमा-जहाँ न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही पर्पटी का विनाश होता है, उन्हें रूपांतर सीमा कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक-दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं।
  2. अभिसरण सीमा-जब एक प्लेट, दूसरी प्लेट के नीचे धंसती है और भूपर्पटी नष्ट होती है तो वह अभिसरण सीमा कहलाती है। यह सीमा तीन प्रकार की होती है।
  3. अपसारी सीमा-जब दो प्लेटें एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं और नई पर्पटी का निर्माण होता है तो वह अभिसरण सीमा कहलाती है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

प्रश्न 4.
दक्कन ट्रेप के निर्माण के दौरान भारतीय स्थलखंड की स्थिति क्या थी?
उत्तर:
भारतीय प्लेट का एशियाई प्लेट की तरफ प्रवाह होने के दौरान लावा उत्पन्न हुआ और इसी लावा प्रवाह से दक्कन ट्रेप का निर्माण हुआ। इसका निर्माण लगभग 6 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ। उस समय भारतीय स्थलखंड सुदूर दक्षिण में 50° दक्षिणी अक्षांश पर स्थित था।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिए गए प्रमाणों का वर्णन करें।
उत्तर:
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिए गए प्रमाण निम्नलिखित हैं-
1. महाद्वीपों में साम्य-दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका के आमने-सामने की तटरेखाएँ अद्भुत व त्रुटि-रहित साम्य दिखाती हैं। 1964 ई० में बुलर्ड ने अपने प्रोग्राम में अटलांटिक तटों को जोड़ते हुए एक मानचित्र तैयार किया। तटों का यह साम्य बिल्कुल सही सिद्ध हुआ।

2. महासागरीय चट्टानों की आयु में समानता-रेडियोमिट्रिक विधि से महासागरों के पार महाद्वीपों की चट्टानों के निर्माण के समय का पता लगाया जा सकता है। उदाहरणतः 200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूहों की एक पट्टी ब्राजील तट और पश्चिमी अफ्रीका के तट पर मिलती है जो आपस में मेल खाती है।

3. टिलाइट-टिलाइट वे अवसादी चट्टानें हैं, जो हिमानी निक्षेपण से निर्मित होती हैं। भारत में पाए जाने वाले गोंडवाना श्रेणी के तलछटों के प्रतिरूप दक्षिण गोलार्ध के छः विभिन्न स्थलखंडों से मिलते हैं। हिमानी निर्मित टिलाइड चट्टानें पुरातन जलवायु और महाद्वीपों के विस्थापन के स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करती हैं।

4. प्लेसर निक्षेप सोना-युक्त शिराएँ ब्राजील में पाई जाती हैं। अतः घाना में मिलने वाले सोने के निक्षेप ब्राजील पठार से उस समय निकले होंगे, जब ये दोनों महाद्वीप एक-दूसरे से जुड़े थे।

5. जीवाश्मों का वितरण यदि समुद्री अवरोधक के दोनों विपरीत किनारों पर जल एवं स्थल में पाए जाने वाले पौधों व जंतुओं की समान प्रजातियाँ पाई जाएँ तो उनके वितरण के विवरण में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।

इस प्रेक्षण से “लैमूर” भारत, मैडागास्कर व अफ्रीका में मिलते हैं। वैज्ञानिकों ने इन तीनों स्थलखंडों को जोड़कर एक स्थलखंड “लेमूरिया” की उपस्थिति को माना।

प्रश्न 2.
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत व प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत में मूलभूत अंतर बताइए।
उत्तर:
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत व प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत में मूलभूत अंतर निम्नलिखित हैं-

महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांतप्लेट विवर्तनिक सिद्धांत
(1) यह सिद्धान्त महाद्वीपों के विस्थापन के अध्ययन पर बल देता है। यह सिद्धांत महासागरों और महाद्वीपों के वितरण का अध्ययन करता है।(1) यह सिद्धान्त महाद्वीपों व महासागरों की उत्पत्ति पर आधारित है।
(2) इस सिद्धान्त की आधारभूत संकल्पना यह थी कि एक बड़ा भू-भाग था, जिसकी “पैंजिया” कहा गया, जो कुछ समय के बाद अन्य भू-खंडों में विभाजित हुआ।(2) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का स्थलमंडल सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त है।
(3) यह सिद्धांत महाद्वीपों में साम्य, प्लेसर निक्षेप तथा जीवाश्मों के वितरण पर बल देता है।(3) यह सिद्धांत धरातल के अंदर की प्रक्रियाओं का विश्लेषण करता है।
(4) यह सिद्धांत भविष्य की घटनाओं पर व्याख्या नहीं करता।(4) इस सिद्धांत के अनुसार सभी प्लेटें भविष्य में गतिमान रहेंगी।
(5) यह सिद्धांत अल्फ्रेड वेगनर ने सन् 1912 में प्रस्तुत किया।(5) यह सिद्धांत मोरगन ने सन् 1967 में प्रस्तुत किया।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

प्रश्न 3.
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत की प्रमुख खोज क्या है, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर व महाद्वीपीय वितरण के अध्ययन में पुनः रुचि ली?
उत्तर:

  1. विशेष रूप से, समुद्र तल मानचित्रण से एकत्रित जानकारी महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन के लिए नए आयाम प्रदान करती है।
  2. महासागरीय पर्पटी की चट्टानें महाद्वीपीय पर्पटी की चट्टानों की अपेक्षा अधिक नई हैं। महासागरीय पर्पटी की चट्टानें 20 करोड़ वर्ष से अधिक पुरानी नहीं हैं।
  3. महासागरीय कटक के मध्य भाग के दोनों तरफ समान दूरी पर पाई जाने वाली चट्टानों के निर्माण का समय, संरचना, संघटन और चुम्बकीय गुणों में समानता पाई जाती हैं।
  4. महासागरीय कटकों के समीप की चट्टानें नवीनतम तथा कटकों के शीर्ष से दूर चट्टानों की आयु भी अधिक है।
  5. गहरी खाइयों में भूकंप उद्गम केंद्र अधिक गहराई पर स्थित हैं, जबकि मध्य-सागरीय कटकों के क्षेत्र में भूकंप उद्गम केंद्र कम गहराई पर स्थित हैं।

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण HBSE 11th Class Geography Notes

→ महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory)-सन् 1912 में प्रसिद्ध जर्मन मौसमविद अलफ्रेड वेगनर ने यह सिद्धांत प्रस्तावित किया। यह सिद्धांत महाद्वीपों और महासागरों के वितरण से संबंधित था।

→ महाद्वीप (Continent) समुद्र तल से ऊपर उठे. पृथ्वी के विशाल भू-खंड महाद्वीप कहलाते हैं। विश्व में सात महाद्वीप हैं।

→ महासागर (Ocean)-सीमांत सागरों; जैसे भूमध्य सागर व कैरेबियन सागर, बाल्टिक सागर इत्यादि को छोड़कर महासागरीय द्रोणियों में एकत्रित जल के विस्तार को महासागर कहते हैं। वर्तमान में विश्व को पाँच महासागरों में बाँटा गया है-प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अध या अटलांटिक महासागर, आकटिक महासागर एवं अण्टाकटिक महासागर।

→ प्रतिस्थापना परिकल्पना (Displacement Hypothesis)-वह सिद्धांत जिसके अनुसार भू-मण्डल के सभी महाद्वीप किसी समय उपस्थित एक बड़ी भू-संहति के रूप में थे। इस भू-संहति के खंडित हो जाने पर इसके अलग-अलग भाग महाद्वीपों के रूप में विस्थापित हो गए।

→ जीवाश्म (Fossil)-कुछ अवशेष अथवा पादप या जंतुओं के प्रतिरूप, जो भू-पर्पटी (Earth Crust) में पाए जाने वाली विभिन्न शैलों में एक लंबी अवधि तक दबे अथवा आरक्षित रहे हों।

→ हिमयुग (IceAge)-नवीनतम हिमयुग चतुर्थ महाकल्प के आदि से आरंभ होता है, उस समय यूरोप और उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग पर बर्फ जम गई थी। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की वर्तमान बर्फ चादरें इस हिमयुग की अवशेष हैं।

→ प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate Tectonics)-यूनानी भाषा में टेक्टोनिक्स का अर्थ है-Builder अर्थात् निर्माता। प्लेट टेक्टोनिक्स 60 के दशक में विकसित एक ऐसी वैज्ञानिक संकल्पना है जिसके अनुसार पृथ्वी का बाहरी, ठोस स्थलमण्डल 7 बडी और कछ छोटी प्लेटों से बना हआ है। कछ वैज्ञानिक इन प्लेटों की संख्या अब लगभग 20 मानते हैं।

→ अपसारी प्लेटें (Divergent Plates)-जब दो प्लेटें एक-दूसरे से विपरीत दिशा में अलग हटती हैं, तो उन्हें अपसारी प्लेटें कहा जाता है।

→ अभिसरण (Covergence)-जब कुछ प्लेटें एक-दूसरे की तरफ बढ़कर निकट आती हैं और आपस में टकराती हैं तो इसे अभिसरण कहा जाता है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

HBSE 11th Class Geography पृथ्वी की आंतरिक संरचना Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन भूगर्भ की जानकारी का प्रत्यक्ष साधन है?
(A) भूकंपीय तरंगें
(B) गुरुत्वाकर्षण बल
(C) ज्वालामुखी
(D) पृथ्वी का चुंबकत्व
उत्तर:
(C) ज्वालामुखी

2. दक्कन ट्रैप की शैल समूह किस प्रकार के ज्वालामुखी उद्गार का परिणाम है?
(A) शील्ड
(B) मिश्र
(C) प्रवाह
(D) कुंड
उत्तर:
(C) प्रवाह

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

3. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थलमंडल को वर्णित करता है?
(A) ऊपरी व निचला मैंटल
(B) भूपटल व क्रोड
(C) भूपटल व ऊपरी मैंटल
(D) मैंटल व क्रोड
उत्तर:
(C) भूपटल व ऊपरी मैंटल

4. निम्न में भूकंप तरंगें चट्टानों में संकुचन व फैलाव लाती हैं?
(A) ‘P’ तरंगें
(B) ‘S’ तरंगें
(C) धरातलीय तरंगें
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(A) ‘P’ तरंगें

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भूगर्भीय तरंगें क्या हैं?
उत्तर:
भूगर्भीय तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा मुक्त होने के दौरान पैदा होती हैं और पृथ्वी के अंदरूनी भाग से होकर सभी दिशाओं की तरफ आगे बढ़ती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं। इन्हें ‘P’ तरंगें और ‘S’ तरंगें भी कहा जाता है।

  • ‘P’ तरंगें इन्हें प्राथमिक तरंगें भी कहा जाता है। ये तरंगें तीव्र गति से चलने वाली तरंगें होती हैं जो धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं।
  • ‘S’ तरंगें इन्हें द्वितीयक तरंगें भी कहा जाता है। ये तरंगें धरातल पर कुछ समय के अंतराल के बाद पहुँचती हैं।

प्रश्न 2.
भूगर्भ की जानकारी के लिए प्रत्यक्ष साधनों के नाम बताइए।
उत्तर:
(1) भूगर्भ की जानकारी का सबसे आसानी से उपलब्ध ठोस पदार्थ धरातलीय चट्टानें हैं। ये चट्टानें हमें खनन प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होती हैं। खनन प्रक्रिया द्वारा हम भूगर्भ में स्थित जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं।

(2) खनन के अलावा भू-वैज्ञानिक दो मुख्य परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं जोकि इस प्रकार हैं-

  • गहरे समुद्र में प्रवेधन परियोजना
  • समन्वित महासागरीय प्रवेधन परियोजना

(3) ज्वालामुखी उद्गार भी प्रत्यक्ष जानकारी का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

प्रश्न 3.
भूकंपीय तरंगें छाया क्षेत्र कैसे बनाती हैं?
उत्तर:
ऐसे क्षेत्र को भूकंपीय छाया क्षेत्र कहा जाता है जहाँ कोई भी भूकंपीय तरंगें अभिलेखित नहीं होती। वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप अधिकेन्द्र से 105° और 145° के बीच का क्षेत्र दोनों (S या P) तरंगों का छाया क्षेत्र होगा।

105° के परे क्षेत्र में ‘S’ तरंगें नहीं पहुँचतीं। ‘P’ तरंगों का छाया क्षेत्र एक पट्टी के रूप में पृथ्वी के चारों तरफ फैला है, ‘S’ तरंगों का छाया क्षेत्र विस्तार में बड़ा अर्थात् पृथ्वी के 40 प्रतिशत भाग से भी अधिक है।
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना 1

प्रश्न 4.
भूकंपीय गतिविधियों के अतिरिक्त भूगर्भ की जानकारी संबंधी अप्रत्यक्ष साधनों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
पदार्थ के गुणधर्म के विश्लेषण से पृथ्वी के आंतरिक भाग की अप्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होती है। पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के अप्रत्यक्ष साधन उल्काएँ हैं, जो कभी-कभी धरती पर पहुँच जाती हैं। इन्हीं ठोस उल्काओं से हमारी पृथ्वी का गठन हुआ है। गुरुत्वाकर्षण तथा चुबकीय स्रोतों का अध्ययन करना भी अप्रत्यक्ष साधनों के अंतर्गत आता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भूकंपीय तरंगों के संचरण का उन चट्टानों पर प्रभाव बताएँ जिनसे होकर ये तरंगें गुजरती हैं।
उत्तर:
भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं-भूगर्भिक तरंगें व धरातलीय तरंगें। भूगर्भिक तरंगों और धरातलीय शैलों के मध्य अन्योय क्रिया के कारण कई तरंगें उत्पन्न होती हैं। अलग-अलग घनत्व वाले पदार्थों से गुजरने के कारण इन तरंगों के वेग में परिवर्तन आता रहता है। इन परिवर्तनों के कारण परावर्तन (Reflection) एवं आवर्तन (Refraction) होता है, जिस कारण तरंगों की दिशा में बदलाव आता रहता है।

भिन्न-भिन्न प्रकार की भूकंपीय तरंगों के संचरित होने की प्रणाली भी भिन्न-भिन्न होती है, जैसे ही ये संचरित होती हैं, तो शैलों में कंपन पैदा होती है। ‘P’ तरंगें-‘P’ तरंगों से कंपन की दिशा तरंगों की दिशा के समानांतर ही होती है। ये तरंगें संचरण गति की दिशा में ही पदार्थ पर दबाव डालती हैं। इसके फलस्वरूप पदार्थ के घनत्व में भिन्नता आती है और शैलों में संकुचन व फैलाव की प्रक्रिया पैदा होती है।

‘S’ तरंगें-ये तरंगें ऊर्ध्वाधर तल में तरंगों की दिशा के समकोण पर कंपन पैदा करती हैं। ये तरंगें जिस पदार्थ से गुजरती हैं, उसमें उभार व गर्त बनाती हैं। ये तरंगें सबसे अधिक विनाशकारी समझी जाती हैं।

प्रश्न 2.
अंतर्वेधी आकृतियों से आप क्या समझते हैं? विभिन्न अंतर्वेधी आकृतियों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
अंतर्वेधी आकृति (Intrusive Landform)-ज्वालामुखी उद्गार से जो लावा निकलता है, उसके ठंडा होने से आग्नेय शैल बनती है और जब लावा भूपटल के भीतर ही ठंडा हो जाता है तो कई आकृतियाँ बनती हैं इन्हें ही अंतर्वेधी आकृतियाँ कहते हैं।

विभिन्न अंतर्वेधी आकृति (Various Intrusive Landform)-विभिन्न अंतर्वेधी आकृतियाँ इस प्रकार हैं-
1. बैथोलिथ (Batholiths) यदि मैग्मा का बड़ा पिंड भूपर्पटी में अधिक गहराई पर ठंडा हो जाए तो एक गुंबद के आकार में विकसित हो जाता है, इसे ही बैथोलिथ कहते हैं। ये अनाच्छादन प्रक्रियाओं के द्वारा ऊपरी पदार्थ के हटने पर धरातल पर उभर आते हैं। ये ग्रेनाइट के बने पिंड होते हैं।

2. लैकोलिथ (Lacoliths)-ये गंबदनुमा विशाल चट्टानें हैं, जिनका तल समतल व एक पाइपरूपी वाहक-नली से नीचे से जडा होता है और गहराई में पाया जाता है। इनक कृति धरातल पर पाए जाने वाले मिश्रित ज्वालामुखी के गुंबद से मिलती है।

3. लैपोलिथ, फैकोलिथ व सिल (Lapoliths, Phacoliths and sills) ऊपर उठते लावा का कुछ भाग क्षैतिज दिशा में पाए जाने वाले कमजोर धरातल में चला जाता है और यहाँ यह अलग-अलग आकृतियों में जम जाता है। यदि यह तश्तरी के आकार में जम जाए तो लैपोलिथ कहलाता है। यदि यह लहरदार आकृति में जम जाए तो फैकोलिथ कहलाता है।

अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों का क्षैतिज तल में एक चादर के रूप में ठंडा होना सिल या शीट कहलाता है। जमाव की मोटाई के आधार पर इन्हें विभाजित किया जाता है। कम मोटाई वाली जमाव को “शीट” व घने मोटाई वाले जमाव को “सिल” कहा जाता है।

4. डाइक (Dyke)-जब लावा का प्रवाह दरारों में धरातल के लगभग समकोण होता है और यदि इसी अवस्था में ठण्डा हो जाए तो दीवार की भाँति संरचना बनती है। यही संरचना डाइक कहलाती है। ज्वालामुखी उद्गार से बने दक्कन ट्रेप इसी प्रकार की स्थलाकृति के उदाहरण हैं।

पृथ्वी की आंतरिक संरचना HBSE 11th Class Geography Notes

→ भू-पर्पटी (Crust of the Earth) यह अवसादी शैलों से बने धरातलीय आवरण के नीचे पृथ्वी की सबसे बाहरी परत है, जो लगभग 5 से 50 किलोमीटर चौड़ी है। इस पतली परत की तुलना अण्डे के छिलके से की जा सकती है।

→ श्यानता (Viscosity)-किसी तरल पदार्थ का वह गुण जो इसके तत्त्वों के आन्तरिक घर्षण के कारण इसे धीरे बहने देता है। एस्फाल्ट, लाख, शहद, लावा इत्यादि ऐसे ही विस्कासी पदार्थ हैं।

→ उल्कापिण्ड (Meteorites)-उल्का का वह हिस्सा जो अपने बड़े आकार के कारण या कम वेग के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में आते हुए घर्षण से पूरी तरह जल नहीं पाता और पृथ्वी तल पर आ गिरता है। अन्तरिक्ष से पृथ्वी पर गिरने वाले ऐसे पिण्डों को उल्कापिण्ड कहते हैं। वायुमंडल में पहुंचने से पहले उल्का को उल्काभ कहते हैं।

→ स्थलमंडल (Lithosphere)-वायुमण्डल और जलमंडल से भिन्न भू-पर्पटी का वह भाग, जो सियाल, साइमा तथा ऊपरी मैंटल के कुछ भाग से मिलकर बना है, उसे स्थलमंडल कहते हैं।

→ तरंगदैर्ध्य (Wave Length)-किसी एकांतर तरंग (Alternating wave) के क्रमिक समान बिंदुओं के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। उदाहरणतः दो समुद्री तरंगों के शीर्षों के बीच की दूरी।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

→ गुरुमंडल (Barysphere)-पृथ्वी के अभ्यंतर का वह सारा भाग, जो स्थलमंडल के नीचे है। इसमें क्रोड, मैंटल तथा दुर्बलतामंडल (Asthenosphere) तीनों शामिल होते हैं। केवल क्रोड या मैंटल को गुरुमंडल नहीं कहना चाहिए।

→ पटलविरूपणी बल (Diastrophic Forces)-पृथ्वी के भीतर होने वाली वे धीमी, किंतु दीर्घकालीन हलचलें जो भू-पटल में विक्षोभ, मुड़ाव, झुकाव व टूटन (Fracture) लाकर धरातल पर विषमताएं लाती हैं, उन्हें पटलविरूपणी बल कहा जाता है। इन बलों से महाद्वीप बनते हैं।

→ सुनामी (Tsunamis) भूकंप-जनित समुद्री लहरों के लिए सारे संसार में प्रयुक्त किया जाने वाला सुनामी एक जापानी शब्द है, जिसका अर्थ है-Great Harbour Wave भूकंप, विशेष रूप से समुद्री तली पर पैदा होने वाले भूकंप, 15 मीटर या इससे ऊंची लहरों को जन्म देते हैं, जिसकी गति 640 से 960 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। सुनामी बहुत दूर तक जा सकती हैं और तटों पर विनाशलीला करती हैं। सुनामी भूकंपों के साथ-साथ विस्फोटक ज्वालामुखी से भी पैदा होती हैं; जैसे क्राकाटोआ (1883) ज्वालामुखी से सुनामी उत्पन्न हुई थी। ऐसी तरंगों को ज्वारीय तरंगें कहना सर्वथा गलत है।

→ प्रशांत अग्नि वलन (Pacific Ring of Fire)-प्रशांत महासागर के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर दुर्बल भू-पटल के कारण वहां अधिकतर होने वाली ज्वालामुखी क्रिया और भूकंपों के आगमन के कारण इस क्षेत्र को प्रशांत अग्नि वलय कहा जाता है।

→ भूकंप मूल (Seismic Focus) पृथ्वी के अन्दर वह स्थान जहाँ भूकंप उत्पन्न होता है अर्थात् जहाँ से ऊर्जा निकलती है, भूकंप का उद्गम केन्द्र या भूकंप मूल कहलाता है।

→ अधिकेन्द्र (Epicentre)-धरातल का वह बिन्दु जो उद्गम केन्द्र के सबसे निकट होता है अर्थात् जहाँ भूकंपीय तरंगें सबसे पहले पहुँचती हैं, अधिकेन्द्र कहलाता है।

→ भूकंपलेखी (Seismograph or Seismometre)-भूकंपीय तरंगों को दर्ज (Record) करने वाला स्वचालित यंत्र भूकंपलेखी कहलाता है।

→ समभूकंप रेखाएँ (Iso-seismal lines) समान तीव्रता अथवा आघात वाली भूकंप-रेखाओं को समभूकंप रेखाएँ कहते हैं।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

HBSE 11th Class Geography पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?
(A) 46 लाख वर्ष
(B) 460 करोड़ वर्ष
(C) 13.7 अरब वर्ष
(D) 13.7 खरब वर्ष
उत्तर:
(B) 460 करोड़ वर्ष

2. निम्न में से कौन-सी अवधि सबसे लम्बी है?
(A) इओन (Eons)
(B) महाकल्प (Era)
(C) कल्प (Period)
(D) युग (Epoch)
उत्तर:
(A) इओन (Eons)

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

3. निम्न में से कौन-सा तत्त्व वर्तमान वायुमण्डल के निर्माण व संशोधन में सहायक नहीं है?
(A) सौर पवन
(B) गैस उत्सर्जन
(C) विभेदन
(D) प्रकाश संश्लेषण
उत्तर:
(C) विभेदन

4. निम्नलिखित में से भीतरी ग्रह कौन से हैं?
(A) पृथ्वी व सूर्य के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(B) सूर्य व छुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(C) वे ग्रह जो गैसीय हैं
(D) बिना उपग्रह वाले ग्रह
उत्तर:
(B) सूर्य व छुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह

5. पृथ्वी पर जीवन निम्नलिखित में से लगभग कितने वर्षों पहले आरम्भ हुआ?
(A) 1 अरब, 37 करोड़ वर्ष पहले
(B) 460 करोड़ वर्ष पहले
(C) 38 लाख वर्ष पहले।
(D) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले
उत्तर:
(D) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
पार्थिव ग्रह चट्टानी क्यों हैं?
उत्तर:
पार्थिव ग्रह जनक तारे के बहुत समीप बने जहाँ अत्यधिक तापमान होने के कारण गैसें संघनित व घनीभूत न हो सकीं। गुरुत्वाकर्षण शक्ति की कमी के कारण ये चट्टानी रूप में हैं। पार्थिव ग्रह पृथ्वी की भाँति ही चट्टानों/शैलों और धातुओं से बने हैं, इसलिए ये चट्टानी हैं।

प्रश्न 2.
पृथ्वी की उत्पत्ति संबंधित दिए गए तर्कों में निम्न वैज्ञानिकों के मूलभूत अंतर बताएँ (क) कान्ट व लाप्लेस (ख) चैम्बरलेन व मोल्टन
उत्तर:
(क) कान्ट व लाप्लेस इन वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ जोकि सूर्य की युवा अवस्था से संबद्ध थे। कान्ट व लाप्लेस ने इसको नीहारिका परिकल्पना का नाम दिया।

(ख) चैम्बरलेन व मोल्टन-इन वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में एक अन्य भ्रमणशील तारे के सूर्य के नजदीक से गुजरने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण शक्ति के फलस्वरूप सूर्य की सतह से कुछ पदार्थ निकलकर अलग हुए और सूर्य के चारों ओर घूमने लगे। यही पदार्थ बाद में धीरे-धीरे संघनित होकर ग्रहों का रूप धारण करने लगा।

प्रश्न 3.
विभेदन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की उत्पत्ति के दौरान व उत्पत्ति के तुरंत बाद अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी के कुछ भाग पिघल गए और तापमान की अधिकता के कारण हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थ अलग होने शुरू हो गए। हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के अलग होने की इस प्रक्रिया को विभेदन प्रक्रिया कहा जाता है।

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प्रश्न 4.
प्रारम्भिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरूप क्या था?
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवन का विकास होने से पहले गर्म चट्टानें तथा असमतल धरातल पाया जाता था। पृथ्वी के वायुमण्डल में हाइड्रोजन तथा हीलियम गैसें अधिक मात्रा में विद्यमान थीं। परन्तु पृथ्वी की विभेदन प्रक्रिया के कारण बहुत-सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले जिस कारण पृथ्वी का तापमान ठण्डा हुआ और आज से 380 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी पर जीवन का विकास हुआ।

प्रश्न 5.
पृथ्वी के वायुमंडल को निर्मित करने वाली प्रारंभिक गैसें कौन-सी थीं?
उत्तर:
पृथ्वी के वायुमंडल को निर्मित करने वाली प्रारंभिक गैसें हाइड्रोजन और हीलियम थीं, जो काफी गर्म थीं। इन गैसों की उपलब्धता के कारण ही पृथ्वी तरल अवस्था में थी। प्रारंभिक दौर में पृथ्वी भी सूर्य की तरह काफी गर्म थी। पृथ्वी का यह वातावरण सौर पवनों के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। इन्हीं पवनों के प्रभाव के कारण सभी पार्थिव ग्रहों से आदिकालिक वायुमण्डल या तो दूर हो गया या समाप्त हो गया। यह वायुमंडल के विकास की प्रथम अवस्था थी।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
बिग बैंग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
कई प्रसिद्ध भूगोलवेत्ताओं ने पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न परिकल्पनाएँ दीं। उन्होंने केवल पृथ्वी की ही नहीं अपितु पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति की गुथी को सुलझाने का प्रयास किया। 1920 ई० में प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता एडविन हब्बल ने ब्रह्मांड के विस्तार के बारे में बताया। आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सर्वमान्य सिद्धान्त “बिग बैंग सिद्धान्त” है, जिसे विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है। ब्रह्मांड के विस्तृत होने का कारण भी इसी परिकल्पना से पता चला। आकाशगंगाओं (Galaxies) के बीच बढ़ती दूरी के कारण ही ब्रह्मांड का विस्तार होने लगा।
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास 2
बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्नलिखित अवस्थाओं में हुआ-
(i) जिन पदार्थों से ब्रह्मांड बना है वे अति सूक्ष्म गोलक के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे। इन पदार्थों का तापमान तथा घनत्व अनंत था।

(ii) वैज्ञानिकों के अनुसार बिग बैंग की घटना आज से लगभग 13.7 अरब वर्षों पहले हुई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार बिग बैंग की प्रक्रिया में अति छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ, इस विस्फोट प्रक्रिया से वृहत् विस्तार हुआ। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई, जिस कारण विस्तार की गति धीमी पड़ गई।

(iii) बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान, तापमान 4500 केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थों का निर्माण होने लगा तथा ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया।

निष्कर्ष-ब्रह्मांड के विकास का अर्थ है-आकाशगंगाओं के बीच दूरी में विस्तार होना। ब्रह्मांड के विस्तार का चरण आज भी जारी है परन्तु कई वैज्ञानिक इस पक्ष में नहीं हैं। जैसे कि वैज्ञानिक हॉयल ने इसका विकल्प ‘स्थित अवस्था संकल्पना’ के नाम से प्रस्तुत किया। परन्तु ब्रह्मांड के विकास और विस्तार संबंधी अनेक प्रमाणों के मिलने पर वैज्ञानिक वर्ग अब ब्रह्मांड विस्तार सिद्धान्त के पक्षधर हैं।

प्रश्न 2.
पृथ्वी के विकास संबंधी अवस्थाओं को बताते हुए हर अवस्था/चरण को संक्षेप में वर्णित करें।
उत्तर:
पृथ्वी का विकास विभिन्न अवस्थाओं में हुआ है। पृथ्वी का निर्माण लगभग 460 करोड़ वर्ष पहले हुआ। पृथ्वी के विकास की विभिन्न अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं
1. ब्रह्मांड की उत्पत्ति-आकाशगंगाओं के एक-दूसरे से दूर हो जाने के कारण ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर अनेक वैज्ञानिकों ने अपने-अपने मत प्रस्तुत किए हैं, जिनमें से बिग बैंग सिद्धान्त को सर्वसहमति से विश्वसनीय सिद्धान्त माना गया है।

2. पृथ्वी का तापमान आरंभ में पृथ्वी तरल अवस्था में थी क्योंकि पृथ्वी पर हाइड्रोजन और हीलियम गैस की अधिकता थी, जोकि काफी गर्म होती हैं। इसी गर्म अवस्था के कारण अधिक घनत्व वाले पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र पर आ गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की ऊपरी सतह पर आ गए।

3. तारों का निर्माण-

  • तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।
  • एक आकाशगंगा अंसख्य तारों का समूह है। इनका विस्तार इतना अधिक होता है कि इनकी दूरी हजारों प्रकाश वर्षों (Light Years) में मापी जाती है।
  • एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है, जिसे निहारिका कहते हैं। निहारिका के झुंड बढ़ते-बढ़ते गैसीय पिंड में बदल गए जिनसे तारों का निर्माण हुआ।

4. वायुमंडल का विकास-आरंभ में वायुमंडल में नाइट्रोजन, कार्बन-डाइऑक्साइड, मीथेन, जलवाष्प व अमोनिया अधिक मात्रा में और ऑक्सीजन बहुम कम थी। परन्तु वर्तमान वायुमंडल की तीन अवस्थाएँ हैं-

पहली अवस्था-प्रारंभिक वायुमंडल, जिसमें हाइड्रोजन व हीलियम की अधिकता थी, जो सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया।
दूसरी अवस्था-पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान, पृथ्वी के अंदरूनी भाग से बहुत-सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले, जिन्होंने वायुमंडल के विकास में सहयोग किया।

तीसरी अवस्था-अंत में वायुमंडल की संरचना को जैव मंडल की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया ने संशोधित किया।

5. जीवन की उत्पत्ति-पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से संबंधित है।
निष्कर्ष-ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पहले आरंभ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भूवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।

पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास HBSE 11th Class Geography Notes

→ अन्तरिक्ष (Universe)-अन्तरिक्ष का न कोई आदि है और न ही अन्त। अन्तरिक्ष में छोटे व बड़े आकार की अरबों मन्दाकिनियाँ अथवा तारकीय समूह (Galaxies) हैं। प्रत्येक तारकीय समूह में लाखों सौरमण्डल हैं। अनुमान है कि अन्तरिक्ष में 2 अरब सौरमण्डल हैं। औसतन एक मन्दाकिनी का व्यास 30,000 प्रकाश वर्षों (Light years) की दूरी जितना होता है। दो मंदाकिनियों के बीच 10 लाख प्रकाश वर्ष जितनी औसत दूरी होती है। हमारा सौरमण्डल आकाश गंगा नामक मन्दाकिनी में है, जो अन्तरिक्ष में नगण्य-सा स्थान रखती है, जबकि इसमें सूर्य जैसे तीन खरब तारे होने का अनुमान है।

→ ग्रह (Planet)-ग्रह प्रकाशहीन व अपारदर्शी वे आठ आकाशीय पिण्ड हैं जो अपनी कीली पर घूमते हुए सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) पथ पर चक्कर लगाते हैं। ग्रह सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिम्बित करते हैं।

→ अपकेन्द्री बल (Centrifugal Force)-किसी तीव्र गति से घूमती वस्तु के केन्द्र से बाहर की ओर उड़ने या छिटक जाने की प्रवृत्ति को पैदा करने वाला बल। इसके विपरीत अभिकेन्द्री बल (Centripetal Force) होता है, जिसमें वस्तु केन्द्र की ओर जाने की प्रवृत्ति रखती है।
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास 1

→ धूमकेतु या पुच्छल तारे (Comets) शैलकणों, धूल, गैसों से विरचित सौर परिवार के इस विलक्षण सदस्य का सिर प्रायः ठोस होता है जिसके पीछे पारदर्शी, चमकीली लम्बी पूँछ होती है। ये दीर्घ कक्षाओं में सूर्य का परिक्रमण करते हैं और उसके काफी निकट आने पर दृष्टिगोचर होते हैं। उदाहरणतः 76 वर्षों बाद दिखने वाला हेली धूमकेतु पिछली बार सन् 1986 में दिखाई दिया था।

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→ गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)-ब्रह्माण्ड में हर पिण्ड अन्य पिण्डों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं। इसका परिमाण पिण्ड के द्रव्यमान (mass) का समानुपाती है अर्थात् जो पिण्ड जितना अधिक भारी होता है, उसका गुरुत्वाकर्षण उतना ही अधिक होता है तथा पिंडों के बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् पिण्डों के बीच की दूरी बढ़ने के साथ गुरुत्वाकर्षण घटता है; यदि दूरी दुगुनी हो जाए तो गुरुत्वाकर्षण \(\frac { 1 }{ 4 }\) रह जाएगा, यदि दूरी तिगुनी हो जाए तो गुरुत्वाकर्षण \(\frac { 1 }{ 9 }\) रह जाएगा आदि।

→ कैल्विन पैमाना (Kelvin Scale)-उष्मागतिक (Thermodynamic) तापमान की इकाई जिसका नाम ब्रिटिश भौतिकशास्त्री लॉर्ड कैल्विन (1824-1907) के नाम पर रखा गया है। इस पैमाने में हिमांक को 273k तथा भाप बिन्दु को 373k अंकित किया जाता है और बीच की दूरी को 100 बराबर भागों में बाँट दिया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक भाग 1k कहलाता है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

HBSE 11th Class Geography भूगोल एक विषय के रूप में Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने भूगोल (Geography) शब्द (Term) का प्रयोग किया?
(A) हेरोडोट्स
(B) गैलीलियो
(C) इरेटॉस्थेनीज़
(D) अरस्तु
उत्तर:
(C) इरेटॉस्थेनीज़

2. निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?
(A) पत्तन
(B) मैदान
(C) सड़क
(D) जल उद्यान
उत्तर:
(B) मैदान

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

3. स्तंभ I एवं II के अंतर्गत लिखे गए विषयों को पढ़िए।

स्तंभ-कस्तंभ-ख
प्राकृतिक/सामाजिक विज्ञानभूगोल की शाखाएँ
1. मौसम विज्ञानअ. जनसंख्या भूगोल
2. जनांकिकीब. मृदा भूगोल
3. समाजशास्त्रस. जलवायु विज्ञान
4. मृदा विज्ञानद. सामाजिक भूगोल

सही मेल को चिहांकित कीजिए।
(A) 1.ब. 2.स. 3.अ. 4.द.
(B) 1.द. 2.ब. 3.स. 4.अ.
(C) 1.अ. 2.द. 3.ब. 4.स.
(D) 1.स. 2.अ. 3.द. 4.ब.
उत्तर:
(D) 1.स. 2.अ. 3.द. 4.ब.

4. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रश्न कार्य-कारण संबंध से जड़ा हआ है?
(A) क्यों
(B) क्या
(C) कहाँ
(D) कब
उत्तर:
(A) क्यों

5. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय कालिक संश्लेषण करता है?
(A) समाजशास्त्र
(B) मानवशास्त्र
(C) इतिहास
(D) भूगोल
उत्तर:
(C) इतिहास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
आप विद्यालय जाते समय किन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं अथवा असमान? उन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर:
जब हम विद्यालय जाते हैं तो रास्ते में दुकान, सड़क, घर, मंदिर, चर्च आदि सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं। ये सभी असमान हैं। इन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए, क्योंकि ये सभी सांस्कृतिक लक्षण सांस्कृतिक भूगोल तथा मानव भूगोल के अभिन्न अंग हैं।

प्रश्न 2.
आपने एक टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, संतरा एवं लौकी देखा होगा। इनमें से कौन-सी वस्तु की आकृति पृथ्वी की आकृति से मिलती-जुलती है? आपने इस विशेष वस्तु को पृथ्वी की आकृति को वर्णित करने के लिए क्यों चुना है?
उत्तर:
संतरे की आकृति पृथ्वी से मिलती-जुलती है इसलिए हमने संतरे को पृथ्वी की आकृति से जोड़ा है, क्योंकि पृथ्वी भी ध्रुवों से चपटी है। जबकि अन्य कोई भी वस्तु पृथ्वी की आकृति से मेल नहीं खाती।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 3.
क्या आप अपने विद्यालय में वन-महोत्सव समारोह का आयोजन करते हैं? हम इतने पौधारोपण क्यों करते हैं? वृक्ष किस प्रकार पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं?
उत्तर:
हमने अपने विद्यालय में अनेक बार वन-महोत्सव का आयोजन किया है। इनमें हम अपने विद्यालय में पेड़-पौधे लगाते हैं। पेड़-पौधे हमें ऑक्सीजन देते हैं तथा हमारे द्वारा छोड़ी गई कार्बन-डाइऑक्साइड को ग्रहण कर लेते हैं, जोकि पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन के लिए बहुत सहायक है। इस प्रकार पेड़-पौधे अथवा वृक्ष पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं।

प्रश्न 4.
आपने हाथी, हिरण, केंचुए, वृक्ष एवं घास देखा है। वे कहाँ रहते एवं बढ़ते हैं? उस मंडल को क्या नाम दिया गया है? क्या आप इस मंडल के कुछ लक्षणों का वर्णन कर सकते हैं?
उत्तर:
जिस स्थान पर हाथी, हिरण, केंचुए, वृक्ष एवं घास बढ़ते हैं, उस स्थान को जैवमंडल कहा जाता है। पृथ्वी का वह घेरा जहाँ स्थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं, उसे जीवमंडल कहते हैं। जीवमंडल में गतिशील और स्थिर भूगोल एक विषय के रूप में दोनों तरह के जीव पाए जाते हैं। गतिशील जीवों में वन्य-प्राणी, जल जीव, मानव आदि आते हैं और स्थिर जीवों में वनस्पति, पेड़-पौधे इत्यादि शामिल हैं।

प्रश्न 5.
आपको अपने निवास से विद्यालय जाने में कितना समय लगता है? यदि विद्यालय आपके घर की सड़क के उस पार होता तो आप विद्यालय पहुंचने में कितना समय लेते? आने-जाने के समय पर आपके घर एवं विद्यालय के बीच की दूरी का क्या प्रभाव पड़ता है? क्या आप समय को स्थान या इसके विपरीत स्थान को समय में परिवर्तित कर सकते हैं?
उत्तर:
हमें अपने घर से विद्यालय जाते हुए आधा घण्टा लगता है। यदि विद्यालय घर की सड़क के उस पार होता तो हमें सिर्फ पाँच मिनट विद्यालय जाने में लगते। आने-जाने के समय में पढ़ाई का नुकसान होता है। हाँ, स्थान को आने-जाने के आधार पर परिवर्तित किया जा सकता है; जैसे हम कहते हैं कि इस स्थान पर हम 30 मिनट में पहुँच जाएँगे। परन्तु समय को स्थान में परिवर्तित नहीं कर सकते।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
आप अपने परिस्थान (Surrounding) का अवलोकन करने पर पाते हैं कि प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक दोनों तथ्यों में भिन्नता पाई जाती है। सभी वृक्ष एक ही प्रकार के नहीं होते। सभी पशु एवं पक्षी जिसे आप देखते हैं भिन्न-भिन्न होते हैं। ये सभी भिन्न तत्त्व धरातल पर पाए जाते हैं। क्या अब आप यह तर्क दे सकते हैं कि भूगोल प्रादेशिक/क्षेत्रीय भिन्नता का अध्ययन है?
उत्तर:
पृथ्वी तल पर प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक दोनों तथ्यों में भिन्नता पाई जाती है। ये भिन्नताएँ भौतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण में पाई जाने वाली भिन्नताओं से उपजती हैं। इसी क्षेत्रीय भिन्नता (Areal Differentiation) का अध्ययन करना भूगोल के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। भूगोल पृथ्वी पर केवल क्षेत्रीय भिन्नताओं का अध्ययन ही नहीं करता बल्कि उन कारकों का भी अध्ययन करता है जो इन भिन्नताओं को जन्म देते हैं या प्रभावित करते हैं।

उदाहरणतः फसल प्रारूप (Cropping Pattern) में भिन्नता पाई जाती है जो मिट्टी के प्रकार, जलवायु, उत्पाद की माँग, किसानों की कम क्षमता, तकनीकी निवेश की उपलब्धता आदि की भिन्नता पर निर्भर करती है। इसी प्रकार किसी क्षेत्र में औद्योगिक विकास का स्तर अनेक तत्त्वों से प्रभावित होता है। भूगोल कारण संबंध (Cause-effect relationship) भी ज्ञात करता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हेट्टनर ने कहा था, “भूगोल पृथ्वी के विभिन्न भागों में कार्य-कारण संबंध का अध्ययन करता है।

प्रश्न 2.
आप पहले ही भूगोल, इतिहास, नागरिकशास्त्र एवं अर्थशास्त्र का सामाजिक विज्ञान के घटक के रूप में अध्ययन कर चुके हैं। इन विषयों के समाकलन का प्रयास उनके अंतरापृष्ठ (Interface) पर प्रकाश डालते हुए कीजिए।
यन सामाजिक विज्ञान के एक घटक के रूप में किया है। सामाजिक विज्ञान का भूगोल की एक शाखा से अंतरापृष्ठ संबंध है।

  1. भूगोल और इतिहास में अंतर्संबंध है। प्रत्येक विषय का एक दर्शन होता है, जो उस विषय के लिए मूल-आधार होता है।
  2. सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, जनांकिकी सामाजिक यथार्थता का अध्ययन करते हैं।
  3. भूगोल की सभी शाखाएँ-सामाजिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, अधिवास भूगोल विषयों को घनिष्ठता से जोड़ती हैं।
  4. राजनीतिक भूगोल एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में राज्य तथा उसकी जनसंख्या के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करता है।
  5. अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था की मूल विशेषताओं; जैसे उत्पादन, विवरण, विनिमय एवं उपभोग का विवेचन करता है।
  6. उत्पादन, विनिमय, वितरण तथा उपभोग के स्थानिक पक्ष का अध्ययन आर्थिक भूगोल के अंतर्गत आता है।

समाकलन विषय होने के कारण भूगोल अनेक सामाजिक विज्ञानों से जुड़ा है। इन विज्ञानों का भूगोल से संबंध होने का मुख्य कारण यह है कि इन विषयों के कई कारकों में भी क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं।

अतः विवेचन से स्पष्ट है कि भूगोल प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानों से घनिष्ठता से जुड़ा हुआ है।

भूगोल एक विषय के रूप में HBSE 11th Class Geography Notes

→ भूगोल (Geography)-पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले इन्हीं भौतिक एवं मानवीय सांस्कृतिक तत्त्वों की भिन्नता का वर्णन ही भूगोल कहलाता है।

→ पारिस्थितिकी (Ecology)-वह विज्ञान जिसके अंतर्गत विभिन्न जीवों तथा उनके पर्यावरण के अंतर्संबंधों का अध्ययन किया जाता है। मानव पारिस्थितिकी (Human Ecology) के संदर्भ में इसका अर्थ मनुष्य और स्थान के बीच पाए जाने वाले अंतर्संबंध के अध्ययन से है।

→ भौतिक पर्यावरण/वातावरण (Physical Environment) मानव अथवा अन्य पारिस्थितिक समुदायों को प्रभावित करने वाले भौतिक कारकों; जैसे वर्षा, तापमान, भू-आकार, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, जल इत्यादि का सम्मिश्रण।

→ सांस्कृतिक पर्यावरण/वातावरण (Cultural Environment) मानव अथवा अन्य पारिस्थितिक समुदायों को प्रभावित करने वाले सांस्कृतिक कारकों; जैसे ग्राम, नगर, यातायात के साधन, कारखाने, व्यापार, शिक्षा संस्थाओं इत्यादि का सम्मिश्रण।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

→ कार्य-कारण संबंध (Cause and Effect Relationship) मानव द्वारा किया गया कोई उद्यम और उसके द्वारा उत्पन्न प्रभाव व परिणाम के बीच संबंधों का होना। उदाहरणतः, अर्जित शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार, सामाजिक व आर्थिक स्तर में होने वाले परिवर्तन में शिक्षा कारण है और बदलाव कार्य है। इसी प्रकार सिंचाई व्यवस्था होने से कृषि क्षेत्र में होने वाले सकारात्मक आर्थिक बदलाव कार्य-कारण संबंध का उदाहरण है।

→ क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography) भूगोल की वह शाखा, जिसके अंतर्गत भौगोलिक तत्त्वों की क्षेत्रीय-विषमताओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।

→ प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography)-भू-पृष्ठ पर विभिन्न प्राकृतिक प्रदेशों; जैसे मानसून प्रदेश, टुण्ड्रा प्रदेश आदि का भौगोलिक अध्ययन।

→ परिघटना (Phenomena)-ऐसी वस्तु जिसे इंद्रियों; जैसे आंख, कान , नाक आदि से देखा, सुना, सूंघा व स्पर्श किया जा सकता है। उदाहरणतः पर्वत या पठार प्राकृतिक परिघटनाएँ हैं, जबकि सड़क, मंदिर, खेत सांस्कृतिक परिघटनाएँ हैं।

→ अंतरापृष्ठ (Interface)-वह जगह या धरातल जहां दो विषय आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।

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HBSE 11th Class History Important Questions and Answers

Haryana Board HBSE 11th Class History Important Questions and Answers

HBSE 11th Class History Important Questions in Hindi Medium

HBSE 11th Class History Important Questions in English Medium

  • Chapter 1 From the Beginning of Time Important Questions
  • Chapter 2 Writing and City Life Important Questions
  • Chapter 3 An Empire Across Three Continents Important Questions
  • Chapter 4 Rise and Spread of Islam: About 570-1200 C.E. Important Questions
  • Chapter 5 Nomadic Empires Important Questions
  • Chapter 6 Three Orders Important Questions
  • Chapter 7 Changing Cultural Traditions Important Questions
  • Chapter 8 Confrontation of Cultures Important Questions
  • Chapter 9 The Industrial Revolution Important Questions
  • Chapter 10 Displacing Indigenous Peoples Important Questions
  • Chapter 11 Paths to Modernization Important Questions

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