HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

Haryana State Board HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class History Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्राँति से आपका क्या अभिप्राय है? यह क्राँति सर्वप्रथम इग्लैंड में क्यों आई?
अथवा
औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम ब्रिटेन में ही क्यों आई ? कारण बताइए।
उत्तर:
इंग्लैंड विश्व का प्रथम ऐसा देश था जहाँ 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ। इस क्राँति के कारणों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

I. औद्योगिक क्रांति से अभिप्राय

औद्योगिक क्राँति वह क्राँति थी जिसका आरंभ 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड से हुआ। इस क्राँति से अभिप्राय उस क्राँति से था जिसमें वस्तुओं का उत्पादन हाथों की अपेक्षा बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा किया जाता था।

II. औद्योगिक क्रांति के कारण

इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. राजनीतिक स्थिरता एवं शाँति (Political Stability and Peace):
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में राजनीतिक स्थिरता एवं शाँति थी। इससे इंग्लैंड में उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ। इंग्लैंड के शासक जॉर्ज तृतीय (George III) ने अपने शासनकाल (1760 ई०-1820 ई०) के दौरान इंग्लैंड को एक औद्योगिक देश बनाने के अनेक प्रयास किए। उसके ये प्रयास काफी सीमा तक सफल सिद्ध हए।

2. शक्तिशाली नौसेना (Powerful Navy):
उस समय इंग्लैंड के पास अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले सबसे अधिक शक्तिशाली नौसेना थी। इसलिए उसे ‘समुद्रों की रानी’ (Mistress of the Seas) कहा जाता था। इस नौसेना के कारण वह एक ओर अपनी विदेशी आक्रमणों से सुरक्षा कर सका वहीं दूसरी ओर वह सुगमता से अपने निर्मित माल का विदेशों को निर्यात कर सका। इससे औद्योगिकीकरण को एक नया प्रोत्साहन मिला।

3. इंग्लैंड के उपनिवेश (England’s Colonies):
इंग्लैंड विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति था। अतः उसके यूरोप, एशिया एवं अफ्रीका में अनेक उपनिवेश थे। इन उपनिवेशों से उसे इंग्लैंड के उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चा माल सस्ती दरों पर सुगमता से प्राप्त हो जाता था। दूसरी ओर इंग्लैंड के उद्योगों द्वारा निर्मित माल को यहाँ ऊँची दरों पर बलपूर्वक बेचा जाता था। इस कारण इंग्लैंड के उद्योगों ने अभूतपूर्व उन्नति की।

4. पूँजी (Capital):
किसी भी देश में उद्योगों के विकास में पूँजी की प्रमुख भूमिका होती है। उस समय इंग्लैंड में पूंजी की कोई कमी नहीं थी। इसके तीन कारण थे। प्रथम, उस समय इंग्लैंड की कृषि ने उल्लेखनीय विकास किया था। दसरा, इंग्लैंड का विश्व व्यापार पर प्रभुत्व स्थापित था। तीसरा, ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत से व्यापक पैमाने पर धन का दोहन किया।

अतः पूँजी की प्रचुरता ने इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति लाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर एस० एन० सेन के शब्दों में, “ब्रिटेन में उद्योगों के विकास का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक 18वीं शताब्दी के दूसरे मध्य में पूँजी का एकत्र होना था। आर्थिक विकास की गति में तीव्रता तब आई जब पूँजी को कम ब्याज पर उपलब्ध कराया गया।

5. कषि क्राँति (Agricultural Revolution):
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति से पर्व कषि क्रांति आई। इसके दो महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े। प्रथम, इस क्राँति के कारण फ़सलों के उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई। इस कारण उद्योगों की स्थापना के लिए आवश्यक धन प्राप्त हुआ। दूसरा, कृषि क्राँति की सफलता के लिए खेतों की बाढ़बंदी (enclosure of fields) की गई।

इस कारण बडे ज़मींदारों ने अपने खेतों के आस-पास स्थित छोटे किसानों की जमीनें खरीद लीं। इस कारण ज़मींदारों के अधीन खेतों के क्षेत्र में वृद्धि हो गई। इन खेतों में कृषि के आधुनिक ढंगों को अपनाना सुगम हो गया। किंतु दूसरी ओर इससे भूमिहीन किसानों की संख्या में तीव्रता से वृद्धि होने लगी। बेकार हो जाने के कारण वे काम की तलाश में शहरों की ओर गये। यहाँ वे कारखानों में कम मज़दूरी पर काम करने के लिए बाध्य हुए। कम वेतन पर मजदूरों की उपलब्धता ने औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहित किया।

6. कुशल बैंक व्यवस्था (Efficient Banking System):
इंग्लैंड की कुशल बैंक व्यवस्था ने औद्योगिक क्रांति लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहाँ बैंक ऑफ़ इंग्लैंड (Bank of England) की स्थापना 1694 ई० में हुई थी। यह इंग्लैंड का केंद्रीय बैंक था। 1820 ई० तक इंग्लैंड में 600 से अधिक प्राँतीय बैंकों की स्थापना हुई। केवल लंदन में ही 100 से अधिक बैंक थे। इन बैंकों द्वारा बड़े-बड़े उद्योगों को स्थापित करने एवं उन्हें चलाने के लिए कम दरों पर धन उपलब्ध करवाया जाता था। इससे इंग्लैंड में औद्योगीकरण को बहुत प्रोत्साहन मिला।

7. विशाल बाज़ार (Vast Market):
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड आर्थिक रूप से बहुत खुशहाल था। इसका कारण यह था कि इंग्लैंड के पास घरेलू एवं विदेशों में बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध था। अतः इंग्लैंड के उद्योगों द्वारा तैयार माल की सुगमता से खपत हो जाती थी। कीमतों के कम होने के कारण उनके माल की बहुत माँग थी।

8. खनिज पदार्थ (Minerals):
इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति में वहाँ उपलब्ध खनिज पदार्थों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहाँ कोयला एवं लोहा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे। सौभाग्यवश ये दोनों खनिज एक-दूसरे के निकट ही मिल जाते थे। इन्होंने इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का आधार तैयार किया। इनके अतिरिक्त यहाँ सीसा, ताँबा एवं टिन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध था।

9. जनसंख्या में वृद्धि (Increase in Population):
इंग्लैंड में जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हो रही थी। यूरोप के जिन 19 शहरों की जनसंख्या 1750 ई० से 1800 ई० के मध्य दोगुनी हुई उनमें से 11 ब्रिटेन में थे। इनमें लंदन सबसे बड़ा शहर था। जनसंख्या में वृद्धि से वस्तुओं की माँग बहुत बढ़ गई। इससे उत्पादन में वृद्धि करना आवश्यक हो गया। इससे औद्योगीकरण को बहुत प्रोत्साहन मिला।

10. वैज्ञानिक उन्नति (Scientific Progress):
इंग्लैंड यूरोप का प्रथम ऐसा देश था जहाँ अनेक नवीन आविष्कार हुए। परिणामस्वरूप अनेक नए यंत्रों एवं मशीनों का आविष्कार हुआ। ये आविष्कार औद्योगिक क्रांति के लिए एक रीढ़ की हड्डी सिद्ध हुए। यातायात एवं संचार के साधनों में हुई क्राँति ने औद्योगिक क्राँति को एक नई दिशा देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रांति के दौरान होने वाले आविष्कार एवं तकनीकी परिवर्तनों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
18वीं शताब्दी को आविष्कारों का काल कहा जाता है। इस शताब्दी में कुल मिलाकर 26,000 आविष्कार हुए। इनमें से आधे से अधिक आविष्कार 1782 ई० से 1800 ई० के मध्य हुए थे। इन आविष्कारों ने कोयला एवं लोहा, कपास की कताई एवं बुनाई, भाप की शक्ति तथा नहरों और रेलों के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। अत: इस अध्याय में केवल इनसे संबंधित विषयों पर ही चर्चा की जाएगी।

1. कोयला एवं लोहा (Coal and Iron):
किसी भी देश में औद्योगिक क्रांति संभव नहीं है जब तक वहाँ पर्याप्त मात्रा में कोयला एवं लोहा उपलब्ध न हो। कोयले से शक्ति उत्पन्न की जाती है। इसके महत्त्व को देखते हुए इसे काला सोना (Black Gold) एवं उद्योगों की जननी (Mother of Industries) कहा जाता है। लोहे से उद्योगों में प्रयोग की जाने वाली सभी मशीनों का निर्माण किया जाता है।

इंग्लैंड इस मामले में सौभाग्यशाली था कि वहाँ कोयला एवं लौह अयस्क (iron ore) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध था। इसके बावजूद 18वीं शताब्दी तक वहाँ इस्तेमाल योग्य लोहे की कमी थी। लोहा प्रगलन (smelting) की प्रक्रिया द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल धातु (pure liquid metal) के रूप में निकाला जाता है। अनेक शताब्दियों तक प्रगलन प्रक्रिया के लिए काठ कोयले (charcoal) का प्रयोग किया जाता था। किंतु इससे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। प्रथम, काठ कोयला लंबी दूरी तक ले जाते समय टूट जाया करता था।

दूसरा, काठ कोयले की अशुद्धता के कारण घटिया किस्म के लोहे का उत्पादन होता था। तीसरा, काठ कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था क्योंकि जंगलों की बड़े पैमाने पर सफ़ाई कर दी गई थी। चौथा, काठ कोयला उच्च तापमान उत्पन्न करने में असमर्थ था।

(1) अब्राहम डर्बी प्रथम 1677-1717 ई० (Abraham Darby 1 1677-1717 CE) अब्राहम डर्बी प्रथम श्रीपशायर (Shropshire) का एक प्रसिद्ध लोह उस्ताद था। 1709 ई० में उसने लोहे के प्रगलन के लि सर्वप्रथम कोक (Coke) का प्रयोग किया। कोक कोयले का शुद्ध रूप था। इसके अनेक लाभ हुए। प्रथम, यह काठ कोयले से बहुत सस्ता पड़ता था।

दूसरा, इस कारण लोह उत्पादकों के लिए बड़ी धमन भट्ठियाँ (Blast furnance) लगाना संभव हुआ। इससे लोहे के उत्पादन में बहुत वृद्धि हो गई। तीसरा, इन भट्ठियों से जो पिघला हुआ लोहा निकलता था उसकी गुणवत्ता (quality) पहले की अपेक्षा बहुत बढ़िया थी। इस आविष्कार के परिणामस्वरूप इंग्लैंड में लोहे का उत्पादन बहुत बढ़ गया। 1737 ई० में इंग्लैंड में लोहे का उत्पादन कुल 12,000 से 15,000 टन था। 1800 ई० में यह उत्पादन बढ़कर 2,50,000 टन हो गया। निस्संदेह इस आविष्कार ने इंग्लैंड के उद्योगों के लिए एक नए युग का श्रीगणेश किया।

(2) अब्राहम डर्बी द्वितीय 1711-1763 ई० (Abraham Darby II 1711-63 CE):
वह अब्राहम डर्बी प्रथम का पुत्र था। उसने 1755 ई० में ढलवाँ लोहे (pig-iron) से पिटवाँ लोहे (wrought iron) का विकास किया। यह लोहा ढलवाँ लोहे से कम भंगुर (less brittle) होता था। यह आविष्कार इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के विकास में एक महत्त्वपूर्ण पग सिद्ध हुआ।

(3) जोन विल्किसन 1728-1808 ई० (John Wilkinson 1728-1808 CE):
जोन विल्किसन प्रथम व्यक्ति था जिसने अपनी धमन भट्ठी (blast furnance) के लिए 1776 ई० में जेम्स वाट के स्टीम इंजन (steam engine) का प्रयोग किया। यह प्रयोग बेहद सफल रहा। उसने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ (iron chairs), शराब की भट्ठियों (distilleries) के लिए टंकियाँ (vats) तथा लोहे की अनेक प्रकार की पाइपें (pipes) बनाईं। इससे इंग्लैंड के लोहा उद्योग को एक नई दिशा मिली।

(4) हेनरी कोर्ट 1740-1800 ई० (Henry Court 1740-1800 CE):
हेनरी कोर्ट ने 1784 ई० में आलोड़न भट्ठी (puddling furmance) का आविष्कार किया जिसके द्वारा अधिक शुद्ध और अच्छा लोहा बनाना संभव हो गया। इससे लोहा उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इस लोहे से अनेक प्रकार की नवीन मशीनें बनाना सुगम हो गया। इसका कारण यह था कि यह लोहा अधिक टिकाऊ था।

इसे रोज़मर्रा की वस्तुएँ एवं मशीनें बनाने के लिए लकड़ी का बेहतर विकल्प माना जाने लगा। लकड़ी के जल सकने एवं कटने-फटने (splinter) का ख़तरा रहता था। दूसरी ओर लोहे के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म (properties) को नियंत्रित किया जा सकता था।

(5) अब्राहम डर्बी तृतीय 1750-91 ई० (Abraham Darby III 1750-91 CE):
वह अब्राहम डर्बी द्वितीय का पुत्र था। उसने 1779 ई० में कोलबुकडेल (Coalbrookdale) में सेवन (Severn) नदी पर विश्व का प्रथम लोहे का पुल बनाया। बाद में यह गाँव ‘आइरनब्रिज’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

(6) हैं फरी डेवी 1778-1829 ई० (Hamphry Davy 1778-1829 CE):
हैं फरी डेवी ने 1815 ई० में सेफ़टी लैंप (safety lamp) का आविष्कार किया। यह आविष्कार खानों में काम करने वाले मजदूरों के जीवन को सुरक्षित बनाने में बहुमूल्य प्रमाणित हुआ।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 9 iMG 1
(7) हेनरी बेस्सेमर 1813-98 ई० (Henry Bessemer 1813-98 CE) :
हेनरी बेस्सेमर ने 1856 ई० में लोहे को शुद्ध करके इस्पात (steel) बनाने की विधि खोज निकाली। यह बेस्सेमर प्रक्रिया (Bessemer converter) के नाम से प्रसिद्ध हुई। शीघ्र ही इस्पात का उत्पादन बहुत बढ़ गया। इसने लोहे का स्थान ले लिया। लोहे से बनी मशीनें वज़नदार होती थीं। इनमें जंग भी लग जाता था। इस्पात अपेक्षाकृत हल्का एवं मजबूत होता था। इसमें जंग लगने की कोई संभावना नहीं होती थी।

उपरोक्त आविष्कारों के चलते ब्रिटेन के लोहा उद्योग ने हैरानीजनक प्रगति की। उसने 1800 ई० से 1830 ई० के मध्य अपने उत्पादन में चार गुना वृद्धि की। उसका लोहा यूरोप में अन्य देशों से सबसे सस्ता था। 1820 ई० में एक टन ढलवाँ लोहा (pig iron) बनाने के लिए 8 टन कोयले की आवश्यकता होती थी। 1850 ई० तक केवल 2 टन कोयले से ही एक टन ढलवाँ लोहा बनाया जाने लगा। इस समय तक ब्रिटेन में विश्व का सबसे अधिक लोहा पिघलाया (smelting) जाने लगा था।

2. कपास की कताई एवं बुनाई (Cotton Spinning and Weaving):
औद्योगिक क्रांति का आरंभ वस्त्र उद्योग से हुआ। यद्यपि यह उद्योग बहुत पुराना था किंतु इसमें शताब्दियों तक कोई विशेष उन्नति नहीं हुई थी। इसका कारण यह था कि सूत कातने (spinning) के लिए चरखे अथवा तकली का प्रयोग किया जाता था। एक व्यक्ति एक ही समय में केवल एक ही धागा बना सकता था। अत: एक बुनकर (weaver) को व्यस्त रखने के लिए आवश्यक धागा कातने वालों की ज़रूरत होती थी।

इसलिए कातने वाले दिन भर कताई के काम में लगे रहते थे जबकि बुनकर बुनाई के लिए धागे का इंतज़ार करते रहते थे। इस प्रक्रिया में बहुत समय बर्बाद होता था। धागा कातने का अधिकाँश काम स्त्रियों द्वारा किया जाता था। वे कड़ी मेहनत के बावजूद बहुत कम धागा बुन पाती थीं। अत: यह उद्योग वस्त्रों की बढ़ी हुई माँग की पूर्ति कर पाने में समर्थ नहीं था। 18वीं शताब्दी के मध्य में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण आविष्कार हुए। इनके चलते वस्त्र उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए।

अब उत्पादन का काम कताईगरों (spinners) एवं बुनकरों (weavers) के घरों से हट कर कारखानों में होने लगा। प्रसिद्ध इतिहासकार रैम्जे म्योर के अनुसार, “लंकाशायर के वस्त्र उद्योग में सबसे विलक्षण परिवर्तन देखने को मिला, यह अब तक अंग्रेजों की एक महत्त्वहीन कऊँटी थी जो कि अब इंग्लैंड के सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हुई।

(1) जॉन के 1704-64 ई० (John Kay 1704-64 CE):
जॉन के ने 1733 ई० में फ़लाइंग शटल (flying shuttle) का आविष्कार किया। इस आविष्कार ने वस्त्र उद्योग में एक क्रांति लाने का कार्य किया। इसकी सहायता से बहुत कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा तैयार करना संभव हो गया। इससे बुनकरों का कार्य बहुत सुगम हो गया। इस कारण उनके द्वारा किए जाने वाले चरखे का प्रयोग शीघ्र ही अलोप हो गया।

(2) जेम्स हरग्रीन 1720-78 ई० (James Hargreaves 1720-78 CE):
फ़लाइंग शटल के आविष्कार के कारण कपड़े का उत्पादन बहुत तीव्रता से होने लगा। इस कारण धागे की माँग बहुत बढ़ गई। इस समस्या से निपटने के लिए जेम्स हरग्रीब्ज़ ने 1764 ई० में स्पिनिंग जैनी (spinning jenny) का आविष्कार किया।

जैनी, जेम्स हरग्रीब्ज की पत्नी का नाम था। स्पिनिंग जैनी एक साथ आठ से दस धागे कात सकती थी। इससे बुनकरों को आवश्यक धागा समय पर मिलने लगा। निस्संदेह इस आविष्कार ने इंग्लैंड के वस्त्र उद्योग को एक नई दिशा प्रदान की।

(3) रिचर्ड आर्कराइट 1732-92 ई० (Richard Arkwright 1732-92 CE):
स्पिनिंग जैनी में एक कमी थी। उसके द्वारा काता गया सूत कच्चा होता था। इस कारण यह बुनाई करते समय बार-बार टूटता रहता था। इस कमी को दूर करने के उद्देश्य से रिचर्ड आर्कराइट ने 1769 ई० में वॉटर फ्रेम (water frame) का आविष्कार
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 9 iMG 2
किया। यह सर्वप्रथम सूत कातने वाली ऐसी मशीन थी जो कि हाथ की अपेक्षा जल शक्ति से चलती थी। इसके अनेक लाभ हुए। प्रथम, इससे धागे की कताई एवं बुनाई बहुत तेजी से की जाने लगी। दूसरा, इस मशीन द्वारा बनाया जाने वाला धागा पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत था। तीसरा, इस मशीन को चलाने के लिए किसी विशेष कारीगर की आवश्यकता नहीं थी।

उसके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए ब्रिटेन के सम्राट् जॉर्ज तृतीय (George III) ने उसे सर (Sir) की उपाधि से सम्मानित किया। प्रसिद्ध इतिहासकार एच० ए० एल० फिशर का कहना ठीक है कि, “बहुत कम अंग्रेजों ने सभ्यता पर इतना गहन प्रभाव छोड़ा जितना कि इस उत्साही लंकाशायर ने।”

(4) सैम्यूअल काम्पटन 1753-1827 ई० (Samuel Crompton 1753-1827 C.E.):
सैम्यूअल क्राम्पटन ने 1779 ई० में स्पिनिंग जैनी एवं वॉटर फ्रेम को मिला कर म्यूल (mule) नामक एक महत्त्वपूर्ण मशीन का आविष्कार किया। यह बहुत बारीक एवं मज़बूत धागा कातती थी। अतः अब बढ़िया किस्म का एवं महीन कपड़ा तैयार किया जाने लगा। इसके द्वारा तैयार किया कपड़ा शीघ्र ही लोकप्रिय हो गया।

प्रसिद्ध इतिहासकार मार्क किशलेस्की के अनुसार, “यह सूत उत्पादन के क्षेत्र में एक निर्णायक आविष्कार था।”4 जे० एच० बेंटली एवं एच० एफ० जाईगलर के शब्दों में, “म्यूल द्वारा मज़बूत एवं उत्तम प्रकार का बढ़िया धागा तैयार किया गया जो किसी भी मानव द्वारा चरखे से तैयार नहीं किया जा सकता था तथा यह बहुत तीव्रता से तैयार होता था।

एक मजदूर जो शक्ति चालित म्यूल का प्रयोग करता था औद्योगीकरण से पूर्व किसी मज़दूर द्वारा चरखे पर काते गए सूत से सौ गुना अधिक होता था।”

( एडमंड कार्टराइट 1743-1823ई0 (Edmund Cartwright 1743-1823 CE) एडमंड कार्टराइट एक पादरी था। उसने 1785 ई० में पॉवरलूम (powerloom) का आविष्कार किया था। इसे चलाना बहुत सुगम था। यह मशीन जब भी धागा टूटता अपने आप काम करना बंद कर देती थी। इस मशीन द्वारा किसी भी प्रकार के धागे की बुनाई की जा सकती थी। इसके द्वारा बहुत तेजी से कताई एवं बुनाई की जाती थी। अतः इंग्लैंड में बढ़िया किस्म का कपड़ा बहुत सस्ता मिलने लगा।

उपरोक्त आविष्कारों ने इंग्लैंड के वस्त्र उद्योग में एक क्रांति ला दी। 1815 ई० में इंग्लैंड में 2,50,000 बुनक हथकरघे (handloom) पर कार्य करते थे। नई मशीनों के आविष्कार के कारण 1860 ई० में इनकी संख्या कम होकर केवल 3,000 रह गई। वस्त्र उद्योग इंग्लैंड का एक शक्तिशाली उद्योग सिद्ध हुआ। 1830 ई० में इस उद्योग में 5 लाख लोग कार्यरत थे। यह उद्योग प्रमुखतः स्त्रियों एवं बच्चों पर निर्भर था। इस उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में आवश्यक कपास संपूर्ण रूप से आयात की जाती थी।

जब इसका कपड़ा तैयार हो जाता था तो इसका अधिकांश भाग उपनिवेशों के बाजारों में बेचने के लिए भेज दिया जाता था। मार्क किशलेस्की के अनुसार, “कपास उद्योग के कारखानों में संगठित होने से वहाँ के आर्थिक जीवन में भारी परिवर्तन हआ।” एक अन्य विख्यात इतिहासकार रैम्जे म्योर के अनुसार, “इन आविष्कारों का परिणाम यह हुआ कि लंकाशायर ने शुद्ध कपास से उत्तम वस्त्रों का उत्पादन आरंभ कर दिया एवं जिसने भारतीय उत्पादों को पछाड़ दिया। अब बुनकरों को धागा पर्याप्त मात्रा एवं इतना सस्त उपलब्ध हो गया कि वे अब पूरा समय काम में व्यस्त रहने लगे तथा उनका वेतन भी बहुत बढ़ गया।”

3. भाप की शक्ति (Steam Power):
भाप की शक्ति का आविष्कार निस्संदेह औद्योगिक क्रांति के लिए एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हुआ। जल भी शताब्दियों तक द्रवचालित शक्ति (hydraulic power) के रूप में ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत रहा था। किंतु इस शक्ति का प्रयोग कुछ विशेष प्रदेशों, मौसमों एवं जल प्रवाह की गति (speed of flow of the water) के अनुसार सीमित रूप में ही किया जाता था। किंतु अब इसका प्रयोग भाप की शक्ति के रूप में किया जाने लगा। इससे अनेक प्रकार की मशीनों को चलाया जा सकता था। इसके अतिरिक्त इस पर खर्चा भी कम आता था।

(1) थॉमस सेवरी 1650-1715 ई० (Thomas Savery 1650-1715 CE):
भाप की शक्ति का सर्वप्रथम प्रयोग खनन उद्योगों (mining industries) के लिए किया गया। इस समय तक कोयले एवं धातुओं की माँग में बहुत वृद्धि हो रही थी। अतः उन्हें और भी अधिक गहरी खानों से निकालने के लिए प्रयास तीव्र हो गए। किंतु ऐसा करते समय एक विकट समस्या सामने आई।

यह समस्या थी कि जब खानों की गहराई की जाती थी तब वे अचानक पानी से भर जाती थीं। खानों के पानी को बाहर निकालने के लिए 1698 ई० में थॉमस सेवरी ने माइनर्स फ्रेंड (Miner’s Friend) नामक एक स्टीम इंजन बनाया। यह प्रयोग अधिक सफल नहीं रहा। इसके दो कारण थे-प्रथम, यह छिछली गहराइयों (shallow depths) में बहुत धीरे-धीरे काम करता था। दूसरा, दबाव के अधिक हो जाने के कारण उसका बॉयलर फट जाता था।

(2) थॉमस न्यूकॉमेन 1663-1729 ई० (Thomas Newcomen 1663-1729 CE):
थॉमस न्यूकॉमेन ने 1712 ई० में भाप का एक अन्य इंजन तैयार किया। इसका उद्देश्य भी खानों में से पानी बाहर निकालना था। यह भी अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल नहीं हुआ। यह बहुत भारी था एवं इसकी बनावट बहुत भद्दी थी। इसमें काफी मात्रा में ईंधन नष्ट होता था। अतः यह लोकप्रिय न हो सका।

(3) जेम्स वॉट 1736-1819 ई० (James Watt 1736-1819 CE):
जेम्स वॉट एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक था। उसने थॉमस न्यूकॉमेन के इंजन के दोषों का गहन अध्ययन किया। उसने 1769 ई० में एक नए भाप इंजन का निर्माण किया। इसमें न्यूकॉमेन के इंजन के सभी दोषों को दूर करने में सफलता प्राप्त की गई। इंजन कम खर्चीला था। यह बहुत उपयोगी एवं व्यावहारिक था।

इसका प्रयोग न केवल कोयला खानों अपितु दूसरे उद्योगों द्वारा भी किया गया। निस्संदेह यह एक महान् उपलब्धि थी। इसने औद्योगिक क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात किया। प्रसिद्ध इतिहासकार रैम्जे म्योर के शब्दों में, “एक नई एवं असीम शक्ति जो कि नई सभ्यता के लिए एक शक्तिशाली साधन सिद्ध हुई मानवता की सेवा के लिए प्रस्तुत की गई।”एक अन्य लेखक आर० एम० रेनर के अनुसार, “जेम्स वॉट एक महान् मार्गदर्शक था जिसने एक ऐसे इंजन का निर्माण किया जो अभी तक के इंजनों में सबसे शक्तिशाली था तथा जिसमें ईंधन बहुत कम लगता था।”

(4) मैथ्यू बॉल्टन 1728-1809 ई० (Matthew Boulton 1728-1809 CE):
मैथ्यू बॉल्टन एक धनी कुशल व्यापारी था। उसने 1775 ई० में जेम्स वॉट के साथ मिल कर बर्मिघम में ‘सोहो फाउँडरी’ (Soho Foundary) की स्थापना की। इसमें जेम्स वॉट द्वारा तैयार किए स्टीम इंजन बड़ी संख्या में तैयार किए जाने लगे। 1800 ई० तक ऐसे 289 इंजनों को तैयार कर बेचा गया था।

मैथ्यू बॉल्टन ने इन इंजनों के निर्माण के लिए आवश्यक पूँजी जेम्स वॉट को उपलब्ध करवायी थी। इन इंजनों ने इंग्लैंड में औद्योगिक क्राँति को एक नई दिशा प्रदान की। इसके महत्त्व का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 1840 ई० में ब्रिटेन में बने भाप के इंजन ही संपूर्ण यूरोप में आवश्यक ऊर्जा की 70 प्रतिशत से अधिक अश्व शक्ति (horse power) का उत्पादन कर रहे थे। प्रसिद्ध इतिहासकार जे० जी० कोफिन के अनुसार, “स्टीम इंजन प्रारंभिक 19वीं शताब्दी में औद्योगिक विस्तार में निस्संदेह निर्णायक थे।”10

4. नहरें एवं रेलें (Canals and Railways) :
इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के विकास में नहरों एवं रेलों ने उल्लेखनीय योगदान दिया। वास्तव में इनके बिना इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति संभव ही न थी। इनके द्वारा ही उद्योगों द्वारा तैयार माल को तीव्र गति से एक स्थान से दूसरे स्थान पर तथा कम खर्चे में पहुँचाया जा सका। प्रसिद्ध इतिहासकार रैम्जे म्योर के अनुसार, “ब्रिटिश लोग यातायात के साधनों के विकास के बिना धन उत्पादन की नई शक्तियों का पूर्ण लाभ नहीं उठा सकते थे।”

प्रश्न 3.
इंग्लैंड में वस्त्र उद्योग में क्रांति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
नोट-इस प्रश्न के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया करके प्रश्न नं 2 का भाग 2 देखें।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 4.
नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षित लाभ क्या-क्या हैं ?
अथवा
इंग्लैंड में नहरों एवं रेलों के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के विकास में नहरों एवं रेलों ने उल्लेखनीय योगदान दिया। वास्तव में इनके बिना इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति संभव ही न थी। इनके द्वारा ही उद्योगों द्वारा तैयार माल को तीव्र गति से एक स्थान से दूसरे स्थान पर तथा कम खर्चे में पहुँचाया जा सका। प्रसिद्ध इतिहासकार रैम्जे म्योर के अनुसार, “ब्रिटिश लोग यातायात के साधनों के विकास के बिना धन उत्पादन की नई शक्तियों का पूर्ण लाभ नहीं उठा सकते थे।”

1. नहरों का विकास

18वीं शताब्दी के दूसरे मध्य में इंग्लैंड में नहरों का निर्माण आरंभ हुआ। इनका प्रमुख उद्देश्य कोयले को शहरों में स्थित उद्योगों तक पहुँचाना था। इसमें सड़क मार्ग की अपेक्षा कम समय लगता था एवं खर्चा भी कम आता था। इंग्लैंड में नहरों के निर्माण में ड्यूक ऑफ़ ब्रिजवाट (Duke of Bridgewater) एवं जेम्स ब्रिडले (James Brindley) ने प्रशंसनीय भूमिका निभाई। ड्यूक ऑफ़ ब्रिजवा की वर्सले (Worsley) में अनेक कोयला खाने थीं। वह यहाँ से अपने कोयले को निकट स्थित मैनचेस्टर (Manchester) में स्थापित उद्योगों तक कम खर्च में पहँचाना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने 1758 ई० में जेम्स ब्रिडले जो कि एक प्रसिद्ध इंजीनियर था के साथ परामर्श किया।

जेम्स ब्रिडले ने उसे वर्सले से मैनचेस्टर तक एक नहर का निर्माण करने का परामर्श दिया। ब्रिजवार ने इस परामर्श को स्वीकार किया तथा इस कार्य के लिए आवश्यक पूँजी जेम्स ब्रिडले को उपलब्ध करवायी। जेम्स ब्रिडले ने 1759 ई० में वर्सले कैनाल (Worsley Canal) का निर्माण कार्य आरंभ किया। इस नहर द्वारा वर्सले को मैनचेस्टर के साथ जोड़ा गया। यह नहर 10 मील लंबी थी। 1761 ई० में इस नहर का निर्माण कार्य पूरा हुआ तथा इसे यातायात के लिए खोला गया। यह इंग्लैंड की प्रथम नहर थी।

निस्संदेह यह जेम्स ब्रिडले की एक महान सफलता थी। इस नहर के कारण कोयले की कीमतें आधी हो गईं। वर्सले कैनाल की महान् सफलता को देखते हुए जेम्स ब्रिडले ने मैनचेस्टर (Manchester) से लेकर लिवरपूल (Liverpool) तक एक अन्य नहर का निर्माण कार्य आरंभ किया। इसका निर्माण कार्य 1772 ई० पूर्ण हुआ। यह नहर 28 मील लंबी थी। इससे दोनों नगरों के मध्य की दूरी काफी कम हो गयी तथा सफ़र का खर्चा केवल छठा भाग ही रह गया। इससे जेम्स ब्रिडले की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। दुर्भाग्यवश उसकी 1772 ई० में मृत्यु हो गई।

जेम्स ब्रिडले की मृत्यु के पश्चात् इंग्लैंड में नहरों का निर्माण कार्य जारी रहा। नहरों के निर्माण के अनेक लाभ थे। प्रथम, ये नहरें जिन स्थानों पर बनीं वहाँ भूमि के मूल्य बहुत बढ़ गए। दूसरा, नहरों के कारण अनेक नए शहर अस्तित्व में आए। तोसरा, इससे उद्योगों को बहुत लाभ पहुंचा। चौथा, इनसे कृषि को बहुत प्रोत्साहन मिला। पाँचवां, यह नहरों एवं नावों का निर्माण करने वालों के लिए भी बहुत लाभकारी प्रमाणित हुईं।

1770 ई० के दशक से लेकर 1830 ई० के दशक को इंग्लैंड की नहरों के इतिहास का सुनहरा काल (Golden Age) अथवा नहरोन्माद (Canal mania) के नाम से जाना जाता है। इस काल के दौरान इंग्लैंड में अनेकानेक नहरें बनाई गईं तथा इस कार्य पर बहुत धन व्यय किया गया। इस काल के दौरान 4000 मील लंबी नहरों का निर्माण किया गया। इन नहरों में से मरसी (Mersey), ट्रेंट (Trent), सेवन (Severn) एवं थेम्स (Thames) नामक नहरें बहुत प्रसिद्ध हुईं। प्रसिद्ध इतिहासकार क्रिस हरमन “अंग्रेजों की नहरी व्यवस्था जिसने जल यातायात का कार्य किया ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति के लिए उस समय प्रमुख भूमिका निभाई जब सड़कों का निर्माण कार्य आरंभ ही हुआ था।”

1830 ई० के पश्चात् जब रेलों का निर्माण आरंभ हो गया तो नहरों का महत्त्व कम हो गया। इसके अतिरिक्त नहरों के कुछ हिस्सों में जलपोतों की भीड़भाड़ के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई। पाले, बाढ़ या सूखे के कारण नहरों का प्रयोग का समय भी सीमित हो गया।

II. रेलों का विकास

19वीं शताब्दी में इंग्लैंड में रेलों के विकास ने एक नए युग का सूत्रपात किया। इसके ब्रिटेन के समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़े।

1. रिचर्ड ट्रेविथिक 1771-1833 ई० (Richard Travithick 1771-1833 CE):
रिचर्ड ट्रेविथिक इंग्लैंड का एक प्रसिद्ध इंजीनियर था। उसने 1801 ई० में एक इंजन का निर्माण किया जिसे ‘पफिंग डेविल’ (puffing devil) कहा जाता था। यह इंजन ट्रकों (trucks) को कॉर्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था जहाँ रिचर्ड काम करता था। यह इंजन बहुत भारी था।

अत: यह लंबी दूरी तय करने में विफल रहा। 1804 ई० में ट्रेविथिक विश्व का प्रथम स्टीम इंजन तैयार करने में सफल रहा। इस इंजन को पेनीडारेन (penydarren) नाम दिया गया। यह इंजन 7 टन भारी था। प्रथम दिन इसने 9 मील का सफर तय किया। इसमें 5 रेल डिब्बे थे तथा इसमें 70 यात्री सवार थे। इसे भी विशेष सफलता प्राप्त न हुई।

इसके दो प्रमुख कारण थे। प्रथम, यह रेल इंजन भी बहुत भारी था। अत: यह कमज़ोर रेल लाइनों को तोड़ देता था। दूसरा, यह अधिक समय तक अपने में भाप नहीं रख सकता था। इसके बावजूद रिचर्ड ट्रेविथिक ने इंग्लैंड में रेलों की नींव रख कर एक महान् कार्य किया।

2. जॉर्ज स्टीफेनसन 1781-1848 ई० (George Stephenson 1781-1848 CE):
जॉर्ज स्टीफेनसन इंग्लैंड का एक महान् इंजीनियर था। रेलों के विकास में उसके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उसे ‘रेलों का पितामा’ (Father of Railways) कहा जाता है। उसने 1814 ई० में भाप से चलने वाला ब्लचर (blutcher) नामक इंजन तैयार किया। इसे केवल कोयला ढोने के लिए तैयार किया गया था।

यह इंजन 30 टन भार का कोयला 4 मील प्रति घंटा की रफ्तार से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था। यात्रियों के लिए सर्वप्रथम रेल 1825 ई० में स्टॉकटन (Stockton) एवं डालिंगटन (Darlington) शहरों के मध्य चलाई गई। इसके इंजन को रॉकेट (rocket) का नाम दिया गया। यह भाप से चलता था। यात्रियों के लिए इसमें 30 डिब्बे लगाए गए थे।

इस इंजन को जॉर्ज स्टीफेनसन ने स्वयं प्रथम 9 मील तक चलाया था। इस यात्रा को तय करने में उसे 2 घंटे लगे थे। बाद में इस इंजन को 15 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया गया। निस्संदेह यह एक महान् घटना थी। प्रसिद्ध इतिहासकार सी० जे० एच० हेज़ के अनुसार, “इस साहसिक कार्य की सफलता ने रेलों का एक बड़े पैमाने पर निर्माण का युग आरंभ किया।”

1830 ई० में लिवरपल एवं मैनचेस्टर को रेलमार्ग द्वारा जोड़ा गया। 15 सितंबर, 1830 ई० को इस रेलमार्ग को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ड्यूक ऑफ़ विलिंगटन (Duke of Wellington) द्वारा खोला गया। यहाँ चलने वाली रेलगाड़ी ने 30 मील प्रति घंटा की रफ्तार प्राप्त की। दुर्भाग्यवश पहले ही दिन जब इस रेलमार्ग को चलाया गया था तो इंग्लैंड के एक प्रसिद्ध सांसद हसकिरस्न (Huskirson) की इस रेल इंजन से टकरा कर मृत्यु हो गई थी।

जॉर्ज स्टीफेनसन ने जो सफलता प्राप्त की उस कारण वह शीघ्र ही बहुत लोकप्रिय हो गया तथा उसे रेलवे के चीफ़ इंजीनियर के पद से सम्मानित किया गया। 1848 ई० में जेम्स स्टीफेनसन की मृत्यु हो गई।

3. स्टीफेनसन के बाद रेलों का विकास (The Developments of Railways after Stephenson):
जॉर्ज स्टीफेनसन की मृत्यु के पश्चात् भी रेलों के निर्माण का कार्य जारी रहा। 1830 ई० से 1850 ई० के मध्य ब्रिटेन में दो चरणों में 6,000 मील लंबे रेलमार्ग का निर्माण किया गया। आई० के० बरुनल (I.K. Brunel) ने रेल मागों के रास्ते में आने वाले पुलों एवं सुरंगों (tunnels) का निर्माण किया। 1841 ई० में ब्राडशाह ने यात्रियों की सुविधा के लिए प्रथम रेलवे टाइम टेबल को बनाया। 1846 ई० में ब्रिटेन की सरकार द्वारा रेलवे के संबंध में कुछ नियम पारित किए गए।

4. प्रभाव (Effects):
रेलों के आगमन से ब्रिटेन के समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़े। इनके कारण ब्रिटेन में शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई। अतः अनेक बड़े-बड़े शहर अस्तित्व में आए। इनमें लंदन, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, लीड्स, लिवरपूल, वेल्स, बर्मिंघम एवं यार्कशायर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इस कारण ब्रिटेन में गाँवों एवं छोटे शहरों का महत्त्व कम हो गया। रेलों के कारण लोगों के लिए कम खर्च एवं कम समय में सफर करना सुगम हो गया। इस कारण बड़ी संख्या में गाँवों के लोग नौकरी की तलाश में शहरों में आ गए।

अनेक लोग शहरों में ही बस गए। नए स्थान पर आने से उनके सामाजिक बंधन ढीले हो गए। रेलों के कारण लोग छुट्टियों में दूर सैर-सपाटे के लिए जाने लगे। यह उनके मनोरंजन के लिए एक बढ़िया साधन सिद्ध हुआ। रेलों द्वारा उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चा माल कोयला, लोहा, कपास आदि कम खर्च पर पहुँचाना सुगम हो गया। इससे इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति को एक नया बल मिला। रेलों के कारण ही इंग्लैंड के उद्योगों द्वारा तैयार माल को दूर स्थानों तक पहुँचाया जा सका। रेलों के निर्माण कार्य में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। निस्संदेह रेलों ने ब्रिटेन के समाज को एक नई दिशा देने में उल्लेखनीय योगदान दिया।

प्रश्न 5.
औद्योगिक क्रांति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति विश्व की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस क्रांति के दूरगामी परिणाम निकले। प्रसिद्ध इतिहासकार चार्ल्स ब्रयूनिंग के अनुसार, “औद्योगिक क्रांति ने निस्संदेह यूरोपियों के जीवन को इतना प्रभावित किया जितना कि फ्रांसीसी क्रांति ने भी नहीं किया था।”

1. सामाजिक प्रभाव (Social Effects)-औद्योगिक क्रांति के उल्लेखनीय सामाजिक प्रभाव पड़े।

(1) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन की जनसंख्या में असाधारण वृद्धि हुई। इसका कारण यह था कि अनेक वैज्ञानिक खोजों के कारण मृत्यु दर में काफ़ी कमी आ गई थी।

(2) औद्योगिक क्रांति के कारण पारिवारिक जीवन छिन्न-भिन्न हो गया। लोगों को रोजगार की तलाश में गाँवों को छोड़ कर शहरों में आना पड़ा। यहाँ परिवार के जिस सदस्य को जिस कारखाने में नौकरी मिलती वहीं काम करने लगता। इससे परिवार का विभिन्न सदस्यों पर नियंत्रण समाप्त हो गया।

(3) औद्योगिक क्रांति के कारण शहरों में जनसंख्या में तीव्रता से बढ़ौतरी से कारखानों फ आस-पास मजदूरों के बस जाने से वहाँ गंदी बस्तियों की स्थापना हुई।

(4) औद्योगिक क्रांति के कारण मशीनों का प्रचलन बढ़ गया। अतः मजदूरों को कम वेतन पर कार्य करने के लिए विवश होना पड़ा।

(5) उद्योगों में छोटे छोटे बच्चे एवं स्त्रियाँ भी काम करती थीं। उनसे भी बहुत भयावह परिस्थितियों में काम कराया जाता था। काम करते समय यदि उनकी मृत्यु हो जाती तो कारखाना मालिक उन्हें किसी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं देता था।

(6) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन का समाज दो वर्गों पूँजीपतियों एवं मजदूरों में बँट गया था। दोनों वर्गों के जीवन स्तर में बहुत अंतर था।

2. आर्थिक प्रभाव (Economic Effects):
औद्योगिक क्रांति के महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पड़े।

(1) औद्योगिक क्रांति के कारण बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन मशीनों द्वारा किया जाने लगा। अत: लोगों को उत्तम वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध होने लगी। इससे लोगों के जीवन स्तर में पहले की अपेक्षा काफ़ी सुधार हुआ।

(2) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप लघु उद्योगों का अंत हो गया।

(3) औद्योगिक क्राँति ने कृषि क्रांति को प्रोत्साहन दिया। अतः फ़सलों के उत्पादन में बहुत वृद्धि हो गई।

(4) उत्पादन में वृद्धि के कारण घरेलू एवं विदेशी व्यापार को एक नई दिशा मिली। इससे लोग बहुत समृद्धशाली हुए।

(5) औद्योगिक क्रांति के कारण यातायात के साधनों में अद्वितीय विकास हुआ। इससे जहाँ लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की एवं माल की आवाजाही भी सुविधाजनक हो गयी।

(6) औद्योगिक क्रांति के कारण ब्रिटेन को अपने कारखानों के लिए कच्चे माल की तथा तैयार माल को बेचने के लिए मंडियों की आवश्यकता हुई। अतः ब्रिटेन ने साम्राज्यवादी नीति को अपनाया

(7) औद्योगिक क्रांति के कारण अनेक ऐसी वस्तुओं का उत्पादन हुआ जिन्होंने मानव जीवन को सुखी एवं सुविधाजनक बना दिया।

(8) औद्योगिक क्रांति ने पूँजीवाद एवं बैंक प्रणाली को जन्म दिया।

3. राजनीतिक प्रभाव (Political Effects) औद्योगिक क्राँति ने ब्रिटेन के राजनीतिक जीवन को एक नई दिशा प्रदान की।

(1) औद्योगिक क्रांति के कारण ब्रिटेन एक धनी एवं शक्तिशाली देश बना। इस कारण वह फ्रांस एवं नेपोलियन के साथ दीर्घकालीन युद्ध करने में सक्षम हुआ। नेपोलियन के पतन में ब्रिटेन की प्रमुख भूमिका थी।

(2) औद्योगिक क्रांति के कारण अनेक नए नगर अस्तित्व में आए। इन नगरों को संसद् में प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं था। अतः संसदीय सुधारों की माँग बल पकड़ने लगी।

(3) औद्योगिक क्रांति के कारण यातायात के साधनों का विकास हुआ। इससे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन मिला।

(4) औद्योगिक क्राँति ने स्वतंत्रता, समानता, सामाजिक न्याय एवं समाजवाद आदि नए राजनीतिक विचारों को जन्म दिया।

(5) औद्योगिक क्राँति ने साम्राज्यवाद की भावना को जन्म दिया। इस कारण विभिन्न साम्राज्यवादी देशों में अपने-अपने उपनिवेश स्थापित करने के लिए एक होड़ सी लग गयी। इस होड़ के विनाशकारी परिणाम निकले।

(6) पूँजीपतियों द्वारा मजदूरों का घोर शोषण किया गया। इससे उनमें एक नई जागृति उत्पन्न हुई। अतः उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में श्रमिक संघों (Trade Unions) के निर्माण के लिए एक लंबा संघर्ष चलाया। अंततः उन्हें सफलता प्राप्त हुई।

प्रश्न 6.
ब्रिटेन में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
ब्रिटेन में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप स्त्रियों की दशा भी अत्यंत दयनीय हो गई। इस क्राँति से पूर्व स्त्रियाँ कृषि कार्यों में सक्रिय हिस्सा लेती थीं। वे पशुओं की देखभाल करती थीं। वे वनों से लकड़ियाँ इकट्ठी करती थीं। वे अपने घरों में चरखे चला कर सूत कातने का कार्य भी करती थीं। औद्योगिक क्रांति के कारण उनके जीवन में भारी परिवर्तन आया। पुरुषों को शहरों में स्थापित कारखानों में मजदूरी करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

क्योंकि उनका वेतन इतना कम था कि परिवार का पालन-पोषण करना उनके बस की बात नहीं थी अतः स्त्रियों को भी कारखानों में काम करने के लिए विवश होना पड़ा। कारखानों में स्त्रियों को बहुत भयानक परिस्थितियों में काम करना पड़ता था। उन्हें यहाँ एक ही प्रकार का कार्य 16 से 18 घंटों तक करना पड़ता था। यद्यपि वे कठोर परिश्रम करती थीं अपितु उन्हें पुरुषों की अपेक्षा बहुत कम वेतन मिलता था। कारखानों के मालिक अपना दिल बहलाने के लिए अक्सर उनका यौन शोषण करते थे।

गर्भवती होने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता था क्योंकि वे कुशलतापूर्वक काम करने के योग्य नहीं रहती थीं। कुछ स्त्रियों कोयला खानों में भी काम करती थीं। यहाँ काम करने की परिस्थितियाँ कारखानों से भी भयानक थीं। यहाँ उन्हें घोर अंधेरे में कार्य करना पड़ता था। उन्हें अपनी पीठ पर रख कर कोयले का भारी वज़न भी ढोना पड़ता था।

खानों में विस्फोट हो जाने से अक्सर उनकी मृत्यु हो जाती थी अथवा वे घायल हो जाती थीं। ऐसी स्थिति में खानों के मालिक उन्हें किसी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं देते थे। इनके अतिरिक्त अनेक स्त्रियाँ घरों में नौकरानियों के तौर पर अथवा दुकानों में सहायक के तौर पर कार्य करती थीं। घरों के मालिक अथवा उनके पुत्र एवं दुकानदार उनके साथ नाजायज संबंध स्थापित कर लेते थे। इंकार करने वाली स्त्रियों को नौकरी से निकाल दिया जाता था।

अनेक स्त्रियाँ मज़बूरीवश वेश्यावृत्ति के दलदल में फंस गई थीं। स्त्रियों को अपने कार्य के अतिरिक्त अपने घरों का कार्य भी देखना पड़ता था। अतः उन्हें आराम करने का अवसर बहुत कम प्राप्त होता था। आय के कम होने के कारण प्रायः पति-पत्नी एवं बच्चों में झगड़े होते रहते थे। संक्षेप में, औद्योगिक क्रांति के दौरान स्त्रियों की स्थिति नरक समान थी।

प्रश्न 7.
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए विरोध आंदोलन की चर्चा कीजिए।
अथवा
औद्योगिक क्रांति के दौरान ब्रिटेन में हुए श्रमिक आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैंड में औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप वहाँ कारखानों एवं खानों में काम करने वाले मजदूरों की दशा पशुओं से भी बदतर हो गई। अतः वे अन्य मांगों के अतिरिक्त मताधिकार प्राप्त करने के लिए आंदोलन कर रहे थे। ब्रिटेन की सरकार मजदूरों के किसी प्रकार के आंदोलन को सहन करने को तैयार नहीं थी। अतः उसने मजदूरों के प्रति दमनकारी नीति अपनाई।

1. जुड़वाँ अधिनियम 1799-1800 ई० (Combination Acts 1799-1800 CE):
ब्रिटेन की सरकार ने 1799 ई० एवं 1800 ई० में दो नियम पारित किए। इन्हें जुड़वाँ अधिनियम कहा जाता है। इन अधिनियमों के अधीन ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब मजदूर अपनी मजदूरी बढ़ाने के लिए अथवा काम के घंटों को कम करने के लिए एक-दूसरे को सहयोग नहीं कर सकते थे।

वे भाषण या लेखन द्वारा सम्राट्, संविधान अथवा सरकार के विरुद्ध नफ़रत नहीं फैला सकते थे। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंड देने की व्यवस्था की गई। 1824 ई० में सरकार ने जुड़वाँ अधिनियम को रद्द कर दिया। अब मजदूरों को ब्रिटेन में ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार प्राप्त हो गया।

2. अनाज कानून 1815 ई० (Corn Laws 1815 CE):
1815 ई० में ब्रिटेन की सरकार ने अनाज कानून पारित किए। इन कानूनों के अधीन जब तक ब्रिटेन में अनाज की कीमत में एक स्वीकृत स्तर तक वृद्धि न हो जाए तब तक विदेश से अनाज के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन में अनेक वस्तुओं का अभाव हो गया एवं उनकी कीमतों में बहु जीवन को और भी अधिक भर बना दिया। अतः वे अनाज कानून पर लगे प्रतिबंध को हटाने की माँग करने लगे।

उस समय अधिकाँश सांसद भू-स्वामी थे इसलिए उन्होंने अनाज कानून का समर्थन किया। अत: विवश हो कर मजदूरों ने मैनचेस्टर में 1839 ई० में अनाज कानून विरोधी लीग (Anti-Corn Laws League) का निर्माण किया। इस लीग के दो प्रमुख सदस्य रिचर्ड काब्डन एवं जॉन ब्राइट (John Bright) थे। इस लीग ने अनाज कानून को रद्द किए जाने की अपनी माँग को जारी रखा। अंत में उनका आंदोलन सफल रहा तथा प्रधानमंत्री राबर्ट पील (Robert Peel) ने 1845 ई० में अनाज कानून को रद्द करने की घोषणा की।

3. ब्रैड के लिए दंगे (Riots for Bread):
औद्योगिक क्रांति के कारण शहरों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या में भारी वृद्धि हो गई थी। उन्हें कारखानों में जिन भयावह परिस्थितियों में काम करना पड़ता था उस कारण उनमें घोर रोष था। 1793 ई० में इंग्लैंड का फ्रांस के साथ एक दीर्घकालीन युद्ध आरंभ हो गया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप ब्रिटेन में ब्रैड जो कि गरीबों का मुख्य आहार था की कीमतें आसमान छूने लगीं। इससे मजदूरों के धैर्य का बाँध टूट गया। उन्होंने ब्रैड के लिए सारे देश में दंगे आरंभ कर दिए। ऐसे दंगों का सिलसिला 1840 ई० के दशक तक चलता रहा।

4. बाड़ा पद्धति (Enclosure):
1770 ई० के दशक में ब्रिटेन में पारित किए गए बाड़ा पद्धति अथवा चकबंदी अधिनियमों ने वहाँ के गरीब लोगों में घोर रोष उत्पन्न किया। इनके अधीन शक्तिशाली ज़मींदारों ने छोटे छोटे किसानों के फार्मों को अपने बडे फार्मों में मिला लिया। इस बाडा पद्धति के कारण बडे जमींदारों को बहत लाभ पहुँचा। दूसरी ओर यह छोटे किसानों के लिए बहुत विनाशकारी सिद्ध हुई।

इस कारण वे बेरोजगार हो गए। वे न्यूनतम वेतन पर कारखानों में काम करने के लिए बाध्य हुए। इससे उनका जीवन दूभर हो गया। 1790 के दशक से वे अपने वेतन में वृद्धि की माँग करने लगे। संसद् ने उनकी माँग को स्वीकार न किया। अत: वे हड़ताल पर चले गए। सरकार ने उन्हें जबरन खदेड़ दिया।

5. लुडिज्म 1811-17 ई० (Luddism 1811-17 CE):
लुडिज्म 1811 ई० से 1817 ई० के मध्य इंग्लैंड में चलने वाला एक प्रसिद्ध आंदोलन था। इस आंदोलन को इंग्लैंड के कपड़ा मजदूरों द्वारा चलाया गया था। इस आंदोलन का नेतृत्व जनरल नेड लुड (General Ned Ludd) ने किया। इस आंदोलन की अनेक माँगें थीं

  • मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दी जाए।
  • स्त्रियों एवं बच्चों के काम करने के समय को कम किया जाए एवं उन्हें ख़तरनाक मशीनों पर न लगाया जाए।
  • मजदूरों को ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार हो ।

सरकार के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट करने के उद्देश्य से उन्होंने वस्त्र मशीनों को नष्ट किया। वे इन मशीनों को उनके सभी कष्टों के लिए उत्तरदायी मानते थे। लुडिवादी (Luddites) अपने चेहरे को ढक कर रखते थे तथा वे अपनी कार्यवाही प्रायः रात के समय करते थे। उन्हें साधारण लोगों का काफी समर्थन प्राप्त था।

इस आंदोलन का आरंभ 1811 ई० में नोटिंघम (Notingham) से हुआ था। इसके पश्चात् यह ब्रिटेन के अनेक अन्य प्रसिद्ध शहरों में फैल गया। आंदोलनकारियों ने अनेक सूती एवं ऊनी वस्त्र की मिलों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर दिया। सरकार इसे कभी सहन करने को तैयार नहीं थी। अत: उसने दमन की नीति अपनाते हुए 1813 ई० में 14 लुडिवादियों को फाँसी पर चढ़ा दिया तथा अनेकों को बंदी बना कर ऑस्ट्रेलिया में भेज दिया।

6. पीटरलू नरसंहार 1819 ई० (Peterloo Massacre 1819 CE):औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप मजदूरों का जीवन नरक समान हो गया था। 16 से 18 घंटे प्रतिदिन कड़ी मेहनत करने के बावजूद उन्हें दो वक्त भर पेट खाना नसीब नहीं होता था। वे गंदी बस्तियों में निवास करते थे। वे अर्द्धनग्न घूमते रहते थे। उन्हें वोट के अधिकार से वंचित रखा गया था।

16 अगस्त, 1819 ई० को 80,000 लोग मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स (St. Peters) के मैदान में शांतिपूर्वक एकत्र हुए। उनका उद्देश्य अनाज कानूनों के विरुद्ध अपना विरोध जारी करना था तथा वोट के अधिकार, ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार, सार्वजनिक सभाएँ करने तथा प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की माँग करना था। इस आंदोलन के प्रसिद्ध नेता रिचर्ड कारलाइल (Richard Carlile), जॉन कार्टराइट (John Cartwright) तथा हेनरी हंट (Henry Hunt) थे। सरकार इस शाँतिमय जनसभा को भी सहन करने को तैयार नहीं थी।

अतः सरकार ने वहाँ घुड़सवार सेना भेज दी। इस सेना ने वहाँ लोगों को तितर-बितर (disperse) करने के उद्देश्य से गोलियाँ चला दीं। इसे पीटरलू नरसंहार के नाम से जाना जाता है। इसमें 11 लोगों की मृत्यु हुई एवं 400 से अधिक घायल हुए। इस नरसंहार के कारण संपूर्ण ब्रिटेन में रोष की लहर फैल गई।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 8.
इंग्लैंड में कानूनों के जरिये मजदूरों की दशा सुधारने के लिए क्या प्रयास किए गए ? क्या ये सफल सिद्ध हुए ?
उत्तर:
ब्रिटेन में काम करने वाले सभी मज़दूर जिनमें स्त्रियाँ एवं बच्चे भी सम्मिलित थे बहुत शोचनीय जीवन व्यतीत कर रहे थे। दिनभर कठोर परिश्रम करने के बावजूद उन्हें दो समय भर पेट खाना नसीब नहीं होता था। वे गंदी बस्तियों में रहते थे। उनकी दशा सुधारने हेतु इंग्लैंड की सरकार द्वारा अनेक कानून पारित किए गए। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. कारखाना अधिनियम 1802 ई० (Factory Act of 1802 CE):
इंग्लैंड में कारखानों में काम करने वाले मजदूरों विशेष तौर पर स्त्रियों एवं बच्चों की दशा सुधारने के उद्देश्य से 1802 ई० में प्रथम कारखाना अधिनियम पारित किया गया था। इसकी प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं

  • कारखाना मालिकों को नियमों की पालना अवश्य करनी चाहिए।
  • कारखानों के सभी कमरे हवादार हों।
  • किसी भी बच्चे से 12 घंटों से अधिक काम न लिया जाए।
  • किसी भी बच्चे को रात्रि में कारखानों में काम पर न लगाया जाए।
  • रविवार के दिन सभी बच्चों को दो घंटे ईसाई धर्म के बारे में जानकारी देनी चाहिए।

मिल मालिक इस बात का ध्यान रखें कि उनके कारखाने में किसी प्रकार की कोई महामारी न फैले। यदि कोई कारखाना मालिक उपरोक्त नियमों की पालना नहीं करता है तो उस पर 2 से 5 पौंड तक जुर्माना लगाया जाए। निस्संदेह 1802 ई० का कारखाना अधिनियम मजदूरों की दशा सुधारने के लिए किया गया एक अच्छा प्रयास था। किंतु यह अधिनियम अपने उद्देश्य में अधिक सफल न रहा। इसका कारण यह था कि कारखानों की निष्पक्ष जाँच करने के लिए इंस्पेक्टरों का उचित प्रबंध न था।

2. कारखाना अधिनियम 1819 ई० (Factory Act of 1819 CE):
1819 ई० में दूसरा कारखाना अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं

  • 9 वर्ष से कम बच्चों को कारखानों में काम पर लगाने की पाबंदी लगा दी गई।
  • 9 से 16 वर्ष के बच्चों से 12 घंटों से अधिक काम न लिया जाए।
  • बच्चों को रात्रि में काम पर न लगाया जाए।
  • बच्चों को भोजन के लिए 1.30 घंटे का विश्राम दिया जाए।

3. कारखाना अधिनियम 1833 ई० (Factory Act of 1833 CE):
1832 ई० में इंग्लैंड में प्रथम सधार अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम द्वारा मजदूरों की माँगों की उपेक्षा की गई थी। इस कारण उनमें घोर असंतोष था। उन्हें संतुष्ट करने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार ने 1833 ई० में एक अन्य कारखाना अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं

  • 13 से 17 वर्ष के बच्चों से 10 घंटों से अधिक काम न लिया जाए।
  • 9 से 13 वर्ष के बच्चों से 9 घंटों से अधिक काम न लिया जाए।
  • 9 वर्ष से कम बच्चों को कारखानों में काम पर न लगाया जाए।
  • बच्चों को कम-से-कम 2 घंटे स्कूल भेजना अनिवार्य कर दिया गया।
  • कारखानों के निरीक्षण के लिए नियमित इंस्पेक्टर नियुक्त किए गए। उन्हें कारखाना मालिकों को नियमों की उल्लंघना करने पर दंड देने का अधिकार दिया गया।

4. खान अधिनियम 1842 ई० (Mines Act of 1842 CE):
उपरोक्त सभी कारखाना अधिनियम वस्त उद्योगों पर लागू होते थे। खानों में काम करने वालों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। वे बहुत भयाव स्थितियों में काम करते थे। लॉर्ड एशले (Lord Ashley) की प्रार्थना पर सरकार ने 1842 ई० में एक शाही कमीश का गठन किया। इस कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने 1842 ई० में खान अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं

  • इसने खानों में स्त्रियों के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • इसने 10 वर्ष से कम बच्चों के खानों में काम करने की मनाही कर दी।
  • खानों का निरीक्षण करने के लिए नियमित इंस्पेक्टरों को नियुक्त किया गया।

इस अधिनियम का विशेष महत्त्व है। इसके अनुसार खानों में काम करने वालों की दशा में सुधार करने हेतु सरकार ने प्रथम प्रयास किया था।

5. कारखाना अधिनियम 1844 ई० (Factory Act of 1844 CE):
1844 ई० में ब्रिटेन की सरकार ने एक अन्य कारखाना अधिनियम पारित किया था। यह अधिनियम भी वस्त्र उद्योग से संबंधित था। इस अधिनियम की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं

  • 8 वर्ष से कम बच्चों को कारखानों में काम पर नहीं लगाया जा सकता।
  • 8 वर्ष से 13 वर्ष के बच्चों से एक दिन में 6.30 घंटों से अधिक काम नहीं लिया जा सकता।
  • स्त्रियों एवं युवकों से एक दिन में 12 घंटों से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। इस समय के दौरान उन्हें भोजन के लिए 1.30 घंटे का अवकाश होगा।
  • ख़तरनाक मशीनों के चारों ओर जंगले (fence) लगाए जाएँ।
  • बच्चों को ख़तरनाक मशीनों की सफाई के काम पर न लगाया जाए।
  • कारखानों में काम करने वालों की आयु संबंधी जाँच की जाए।
  • कारखानों में होने वाली सभी दुर्घटनाओं की जाँच होनी चाहिए।

6. कारखाना अधिनियम 1847 ई० (Factory Act of 1847 CE):
इंग्लैंड में मजदूर काफी समय से 10 घंटे काम की माँग कर रहे थे। अंत में सरकार ने उनकी यह माँग स्वीकार कर ली। अत: 1847 ई० का कारखाना अधिनियम पारित किया गया। इसके अनुसार कारखानों में काम करने वाले पुरुषों एवं स्त्रियों के लिए 10 घंटे प्रतिदिन निश्चित कर दिए गए।

7. कारखाना अधिनियम 1867 ई० (Factory Act of 1867 CE):
1867 ई० में ब्रिटेन की सरकार ने एक अन्य कारखाना अधिनियम पारित किया। इसका विशेष महत्त्व इस बात में है कि इस अधिनियम को सभी प्रकार के कारखानों में लागू किया गया था। इसके अनुसार वस्त्र उद्योग में लागू सभी नियम अब अन्य उद्योगों पर भी लागू होते थे।

8. कारखाना अधिनियम 1878 ई० (Factory Act of 1878 CE):
1878 ई० के कारखाना अधिनियम की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं

  • 10 वर्ष से कम बच्चों को कारखानों में काम पर न लगाया जाए।
  • 10 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य हो।
  • 10 से 14 वर्ष तक के बच्चों से 5 घंटे तक काम लिया जा सकता था।
  • स्त्रियों के लिए सप्ताह में काम करने के लिए 56 घंटे निश्चित कर दिए गए।

उपरोक्त अधिनियमों के द्वारा कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की दशा सुधारने का सरकार द्वारा प्रयास किया गया। किंतु इन प्रयासों को कोई विशेष सफलता प्राप्त न हुई। इसके दो प्रमुख कारण थे। प्रथम, कारखानों में नियमों के प्रावधानों को लागू करवाने के लिए इंस्पेक्टरों को नियुक्त किया गया था। इन इंस्पेक्टरों के वेतन बहुत कम थे।

अत: वे कारखाना मालिकों से रिश्वत ले लेते थे एवं उनके विरुद्ध कोई रिपोर्ट नहीं देते थे। दूसरा, बच्चों के माता-पिता भी उनकी आयु के बारे में झूठ बोल कर उन्हें काम पर लगवा देते थे। ऐसा वे घर का खर्च चलाने में सहायता के लिए करते थे। प्रसिद्ध इतिहासकारों डब्ल्यू० के० फर्गुसन एवं जी० बरुन के शब्दों में, “ऐसे सुधार एक गहरी बुराई के लिए कमज़ोर उपाय थे।”

प्रश्न 9.
क्या इंग्लैंड में औद्योगिक क्राँति हुई थी? इस विषय पर बहस कीजिए।
उत्तर:
क्या 18वीं एवं 19वीं शताब्दी ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्राँति वास्तविक रूप में एक क्रांति थी। इस संबंध में इतिहासकारों के दो पक्ष हैं। प्रथम पक्ष वाले इसे क्राँति नहीं मानते हैं। दूसरे पक्ष वाले इसे निस्संदेह एक क्रांति मानते हैं।

1. प्रथम पक्ष (First View):
कुछ इतिहासकार ब्रिटेन में आई औद्योगिक क्राँति को एक क्रांति स्वीकार नहीं करते। उनका कथन है कि औद्योगीकरण की यह प्रक्रिया बहुत धीमी थी। अतः औद्योगिक क्रांति से संबंधित परिवर्तन अचानक नहीं हुए। इसलिए इसे क्रांति की संज्ञा देना उचित प्रतीत नहीं होता। प्रसिद्ध इतिहासकार सी० जे० एच० हेज़ का कथन है कि,

“यह (औद्योगिक विकास का क्रम) 15वीं शताब्दी में आरंभ हो गया था और यह अब भी जारी है जिसके विकास में पाँच शताब्दियों का समय लगा, उसे क्राँति नहीं कहा जा सकता।”19वीं शताब्दी शुरू होने के काफी समय बाद तक भी इंग्लैंड के एक बड़े भाग में उद्योगों की स्थापना नहीं हुई थी। वहाँ जो उद्योग स्थापित हुए थे, वे प्रमुखतः लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम एवं न्यूकासल आदि शहरों में थे। इस सीमित विकास के कारण इसे क्राँति कहना ठीक नहीं है।

1760 ई० के दशक से 1820 ई० के दशक तक इंग्लैंड के सूती कपड़ा उद्योग का विकास हुआ। यह एक ऐसे कच्चे माल अर्थात् कपास पर निर्भर करता था जो कि बाहर एवं विशेष तौर पर भारत से मंगवाया जाता था। जो माल वहाँ तैयार होता था उसकी खपत इंग्लैंड में कम एवं विदेशों में अधिक होती थी। इसके अतिरिक्त इंग्लैंड में 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक धातु से बनी मशीनें एवं भाप की शक्ति दुर्लभ रहीं। अत: इंग्लैंड में हुई औद्योगिक क्राँति को क्राँति नहीं कहा जा सकता।

क्राँति उसे कहा जाता है जो अचानक हो एवं जिसके समाज पर दूरगामी प्रभाव हों। उदाहरण के तौर पर 1776 ई० की अमरीकी क्रांति, 1789 ई० की फ्रांसीसी क्राँति, 1911 ई० की चीनी क्राँति एवं 1917 ई० की रूसी क्राँति ने बहुत कम समय में समाज में उल्लेखनीय परिवर्तन किए। दूसरी ओर औद्योगिक क्राँति ने समाज को परिवर्तित करने में काफी समय लिया। इसलिए इसे क्राँति नहीं कहा जा सकता।

2. दूसरा पक्ष (Second View) :
अनेक इतिहासकार औद्योगिक क्रांति को एक क्रांति मानते हैं। उनका कथन है कि इस क्राँति ने समाज को व्यापक रूप से प्रभावित किया। इंग्लैंड के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी (Arnold Toynbee) ने ब्रिटेन में हुए औद्योगिक विकास के लिए अपनी पुस्तक लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड (Lectures on the Industrial Revolution in England) में जो 1884 ई० में प्रकाशित हुई प्रथम बार औद्योगिक परिवर्तनों के लिए क्राँति शब्द का प्रयोग किया। इसके पश्चात् इस शब्द का प्रचलन व्यापक हो गया।

इस पक्ष के इतिहासकारों का कहना है कि यद्यपि औद्योगिक परिवर्तन आने में काफी समय लग गया तथापि इन परिवर्तनों ने समाज को इतना प्रभावित किया कि इन्हें क्रांति कहना गलत न होगा। अपने पक्ष में तर्क देते हुए उनका कहना है कि

(1) उत्पादन के जो कार्य पहले हाथों से किए जाते थे वे अब मशीनों द्वारा किए जाने लगे।

(2) मशीनों को चलाने के लिए जल शक्ति की अपेक्षा भाप शक्ति का प्रयोग आरंभ हो गया।

(3) कृषि के लिए मशीनों का प्रयोग आरंभ हो गया। इस कारण कृषि के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई।

(4) यातायात के साधनों में सुधार हुआ। पक्की सड़कों एवं नहरों का निर्माण हुआ। रेलों का प्रचलन बढ़ गया। इससे माल के आयात एवं निर्यात का कार्य सुगम एवं सस्ता हो गया। यात्रियों को भी एक स्थान से दूसरे स्थान में जाने की सुविधा हो गई।

(5) रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लोग शहरों में आ गए।

(6) बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण अनेक नए शहर, बीमा एवं बैंकिंग सेवाएँ अस्तित्व में आई।

(7) उत्पादन में वृद्धि के कारण देश में खुशहाली आई।

(8) इसने लघु उद्योगों का अंत कर दिया एवं विशाल कारखानों की स्थापना की।

(9) इस कारण पूँजी के उपयोग में बहुत वृद्धि हुई।

(10) इसने कारखानों में काम करने वाले मजदूरों, स्त्रियों एवं बच्चों का जीवन दूभर बना दिया।

(11) इस कारण ब्रिटेन की जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि होने लगी।

(12) इसने विज्ञान एवं तकनीकी ज्ञान में नवीन खोजों को प्रोत्साहित किया।

(13) श्रमिक वर्ग ने ट्रेड यूनियन एवं राजनीतिक अधिकारों की माँग की। निस्संदेह औद्योगिक परिवर्तनों ने समाज पर इतने दूरगामी प्रभाव डाले कि इन्हें क्रांति कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

क्रम संख्या

क्रम संख्या वर्ष घटना
1. 1694 ई० बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना।
2. 1698 ई० थॉमस सेवरी द्वारा माइनर्स फ्रेंड का आविष्क़ार।
3. 1709 ई० अब्राहम डर्बी द्वारा लोहे के प्रगलन में कोक का सर्वप्रथम प्रयोग।
4. 1712 ई० थॉमस न्यूकॉमेन द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार।
5. 1733 ई० जॉन के द्वारा फ़लाइंग शटल का आविष्कार।
6. 1755 ई० अब्राहम डर्बी द्वितीय द्वारा ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास।
7. 1759 ई० जेम्स ब्रिंडले द्वारा वर्सले नहर का निर्माण।
8. 1760-1820 ई० प्रथम औद्योगिक क्राँति।
9. 1761 ई० वर्सले नहर को खोला जाना।
10. 1764 ई० जेम्स हरग्रीज़ द्वारा स्पिनिंग जेनी का आविष्कार।
11. 1769 ई० रिचर्ड आर्कराइट द्वारा वॉटर फ्रेम का आविष्कार।
12. 1769 ई० जेम्स वॉट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार।
13. 1775 ई० मैथ्यू बॉल्टन द्वारा सोहो की बर्मिघम में स्थापना।
14. 1776 ई० जोन विल्किसन द्वारा अपनी धमन भट्ठी के लिए भाप इंजन का प्रयोग।
15. 1779 ई अब्राहम डर्बी तृतीय द्वारा कोलब्नुकडेल में सेवर्न नदी पर विश्व का प्रथम लोहे का पुल बनाना।
16. 1779 ई० सैम्यूअल क्राम्पटन द्वारा म्यूल का आविष्कार।
17. 1784 ई० हेनरी कोर्ट द्वारा आलोड़न भट्ठी का आविष्कार।
18. 1785 ई० एडमंड कार्टराइट द्वारा पॉवरलूम का आविष्कार।
19. 1793-1815 ई० इंग्लैंड का फ्रॉंस के साथ युद्ध।
20. 1799-1800 ई० ब्रिटेन द्वारा जुड़वाँ अधिनियम पारित करना।
21. 1795-1840 ई० इंग्लैंड में ब्रेड के लिए दंगे।
22. 1801 ई० रिचर्ड ट्रेविथिक द्वारा पफिंग डेविल न्ञामक रेल इंजन का निर्माण।
23. 1802 ई० प्रथम कारखाना अधिनियम।
24. 1814 ई० जॉर्ज स्टीफेनसन द्वारा ब्लचर नामक रेल इंजन का निर्माण।
25. 1815 ई० हैंफरी डेवी द्वारा सेफ़टी लैंप का आविष्कार।
26. 1815 ई० ब्रिटेन द्वारा अनाज कानून पारित करना।
27. 1819 ई० पीटरलू नरसंहार, कारखाना अधिनियम।
28. 1825 ई० सर्वप्रथम रेलवे का स्टॉकटन से डार्लिगटन तक आरंभ।
29. 1830 ई० लिवरपूल एवं मैनचेस्टर को रेल द्वारा जोड़ा गया।
30. 1833 ई० कारखाना अधिनियम।
31. 1839 ई० मैनचेस्टर में अनाज विरोधी लीग की स्थापना।
32. 1841 ई० ब्राडशाह द्वारा प्रथम रेलवे टाइम टेबल का प्रकाशन।
33. 1842 ई० प्रथम खान अधिनियम।
34. 1847 ई० 10 घंटा अधिनियम।
35. 1850 ई० के बाद द्वितीय औद्योगिक क्राँति।
36. 1856 ई० हेनरी बेस्सेमर द्वारा इस्पात की खोज।
37. 1884 ई० ऑरनॉल्ड टॉयनबी की पुस्तक लेकचर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड का प्रकाशन।

संक्षिप्त उत्तरा वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्राँति से आप क्या समझते हो? किन कारणों के चलते इंग्लैंड में सबसे पहले औद्योगिक क्रांति शुरू हुई ?
अथवा
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के लिए कौन-से प्रमुख कारण उत्तरदायी थे?
उत्तर:
(1) अभिप्राय-औद्योगिक क्रांति से अभिप्राय उस क्राँति से है जो इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों में 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्षेत्र में हुई। इस कारण वस्तुओं का उत्पादन अब बहुत तीव्रता से एवं बड़ी बड़ी मशीनों द्वारा कारखानों में किया जाने लगा।

(2) राजनीतिक स्थिरता एवं शांति-18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में राजनीतिक स्थिरता एवं शांति थी। इससे इंग्लैंड में उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ। इंग्लैंड के शासक जॉर्ज तृतीय ने अपने शासनकाल (1760 ई०-1820 ई०) के दौरान इंग्लैंड को एक औद्योगिक देश बनाने के अथक प्रयास किए। उसके ये प्रयास काफी सीमा तक सफल सिद्ध हुए।

(3) शक्तिशाली नौसेना-उस समय इंग्लैंड के पास अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले सबसे अधिक शक्तिशाली नौसेना थी। इसलिए उसे ‘समुद्रों की रानी’ कहा जाता था। इस नौसेना के कारण वह एक ओर अपनी विदेशी आक्रमणों से सुरक्षा कर सका वहीं दूसरी ओर वह सुगमता से अपने निर्मित माल का विदेशों को निर्यात कर सका। इससे औद्योगिकीकरण को एक नया प्रोत्साहन मिला।

(4) इंग्लैंड के उपनिवेश-इंग्लैंड विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति था। अत: उसके यूरोप, एशिया एवं अफ्रीका में अनेक उपनिवेश थे। इन उपनिवेशों से उसे इंग्लैंड के उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चा माल सस्ती दरों पर सुगमता से प्राप्त हो जाता था। दूसरी ओर इंग्लैंड के उद्योगों द्वारा निर्मित माल को यहाँ ऊँची दरों पर बलपूर्वक बेचा जाता था। इस कारण इंग्लैंड के उद्योगों ने अभूतपूर्व उन्नति की।

(5) पूँजी-किसी भी देश में उद्योगों के विकास में पूँजी की प्रमुख भूमिका होती है। उस समय इंग्लैंड में पूँजी की कोई कमी नहीं थी। इसके तीन कारण थे। प्रथम, उस समय इंग्लैंड की कृषि ने उल्लेखनीय विकास किया था। दूसरा, इंग्लैंड का विश्व व्यापार पर प्रभुत्व स्थापित था। तीसरा, ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत से व्यापक पैमाने पर धन का दोहन किया। अतः पूँजी की प्रचुरता ने इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति लाने में उल्लेखनीय योगदान दिया।

प्रश्न 2.
बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
औद्योगीकरण के कारण ब्रिटेन में बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना हुई। इन उद्योगों को चलाने हेतु कच्चे माल की अत्यधिक मात्रा में आवश्यकता थी। यह कच्चा माल बाहरी लोगों से मंगवाने की आवश्यकता पड़ी। क्योंकि हर प्रकार का कच्चा माल देश के अंदर मिलना संभव न था। इसलिए ब्रिटेन ने उन देशों के साथ मेल-जोल बढ़ाना शुरू कर दिया था, जहाँ से उन्हें कच्चा माल अधिक मात्रा में मिल सकता था।

अधिक लाभ कमाने के लिए वे इन देशों से कच्चा माल काफी सस्ते मूल्य पर खरीदते थे। शुरू-शुरू में ब्रिटेन के लोग व्यापारियों के रूप में एशिया तथा अफ्रीका के अनेक भागों में गए, परंतु बाद में उनकी कमज़ोर राजनीतिक स्थिति और पिछड़ेपन का लाभ उठाकर उन देशों पर अपना अधिकार कर लिया।

प्रश्न 3.
इस अवधि में किए गए आविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:

  • अब्राहम डर्बी द्वारा कोक का प्रयोग बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ। इससे लोहे के उत्पादन में वृद्धि हुई एवं उसकी गुणवत्ता बढ़ गई।
  • हैंफरी डेवी के सेफ़टी लैंप के कारण खानों में काम करने वाले मजदूरों का जीवन सुरक्षित हो गया।
  • जॉन के द्वारा किए गए फ़लाइंग शटल के आविष्कार के कारण बहुत कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा तैयार करना संभव हुआ।
  • जेम्स हरग्रीब्ज के स्पिनिंग जैनी के आविष्कार के कारण एक साथ आठ से दस धागे कातना संभव हुआ।
  • जेम्स वॉट का भाप इंजन कोयला एवं अन्य उद्योगों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ।

प्रश्न 4.
इंग्लैंड में नहरों के निर्माण में ड्यूक ऑफ़ ब्रिजवाट्र एवं जेम्स ब्रिडले ने क्या योगदान दिया ?
उत्तर:
इंग्लैंड में नहरों के निर्माण में ड्यूक ऑफ़ ब्रिजवाट एवं जेम्स ब्रिडले ने प्रशंसनीय भूमिका निभाई। ड्यूक ऑफ़ ब्रिजवाट्र की वसले में अनेक कोयला खानें थीं। वह यहाँ से अपने कोयले को निकट स्थित मैनचेस्टर में स्थापित उद्योगों तक कम खर्च में पहुँचाना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने 1758 ई० में जेम्स ब्रिडले जो कि एक प्रसिद्ध इंजीनियर था के साथ परामर्श किया।

जेम्स ब्रिडले ने उसे वर्सले से मैनचेस्टर तक एक नहर का निर्माण करने का परामर्श दिया। ब्रिजवाट ने इस परामर्श को स्वीकार किया तथा इस कार्य के लिए आवश्यक पूँजी जेम्स ब्रिडले को उपलब्ध करवायी। जेम्स ब्रिडले ने 1759 ई० में वर्सले कैनाल का निर्माण कार्य आरंभ किया।

इस नहर द्वारा वर्सले को मैनचेस्टर के साथ जोड़ा गया। यह नहर 10 मील लंबी थी। 1761 ई० में इस नहर का निर्माण कार्य पूरा हुआ तथा इसे यातायात के लिए खोला गया। यह इंग्लैंड की प्रथम नहर थी। निस्संदेह यह जेम्स बिंडले की एक महान् सफलता थी। इस नहर के कारण कोयले की कीमतें आधी हो गईं।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 5.
जॉर्ज स्टीफेनसन कौन था ? रेलवे के विकास में उसने क्या योगदान दिया ?
उत्तर:
जॉर्ज स्टीफेनसन इंग्लैंड का एक महान इंजीनियर था। रेलों के विकास में उसके उल्लेखनीय योगदा को देखते हए उसे ‘रेलों का पितामा’ कहा जाता है। उसने 1814 ई० में भाप से चलने वाला ब्लचर नामक इंजन तैयार किया। इसे केवल कोयला ढोने के लिए तैयार किया गया था। यह इंजन 30 टन भार का कोयला 4 मील प्रति घंटा की रफ्तार से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था।

यात्रियों के लिए सर्वप्रथम रेल 1825 ई० में स्टॉकटन एवं डार्लिंगटन शहरों के मध्य चलाई गई। इसके इंजन को रॉकेट का नाम दिया गया। यह भाप से चलता था। यात्रियों के लिए इसमें 30 डिब्बे लगाए गए थे। इस इंजन को जॉर्ज स्टीफेनसन ने स्वयं प्रथम 9 मील तक चलाया था। इस यात्रा को तय करने में उसे 2 घंटे लगे थे। बाद में इस इंजन को 15 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया गया। निस्संदेह यह एक महान् घटना थी।

प्रश्न 6.
नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या हैं ?
उत्तर:
नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ निम्नलिखित हैं

  • नहरों के कारण उद्योगों को बहुत लाभ पहुंचा। इसका कारण यह था कि माल की आवाजाई पर ख़र्च बहुत कम हो गया।
  • नहरों के निर्माण के कारण कृषि को बहुत प्रोत्साहन मिला। नहरों द्वारा सिंचाई के कारण फ़सलों के उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई।
  • इससे नहरों एवं नावों के निर्माण में लगे लोगों को बहुत लाभ पहुंचा।
  • रेलों के कारण लोगों को कम ख़र्च एवं कम समय में सफर करना सुगम हो गया।
  • रेलों के कारण औद्योगिक क्राँति को एक नया बल मिला।

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
(1) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन की जनसंख्या में असाधारण वृद्धि हुई। यह 1871 ई० में 2.5 करोड़ थी जो 1901 ई० में बढ़ कर 4 करोड़ हो गई। इसका कारण यह था कि अनेक वैज्ञानिक खोजों के कारण मृत्यु दर में काफी कमी आ गई थी।

(2) औद्योगिक क्रांति के कारण पारिवारिक जीवन छिन्न-भिन्न हो गया। लोगों को रोजगार की तलाश में गाँवों को छोड़ कर शहरों में आना पड़ा। यहाँ परिवार के जिस सदस्य को जिस कारखाने में नौकरी मिलती वहीं काम करने लगता। इससे परिवार का विभिन्न सदस्यों पर नियंत्रण समाप्त हो गया। इससे समाज में अनेक कुरीतियों एवं अपराधों को प्रोत्साहन मिला।

(3) औद्योगिक क्रांति के कारण लंकाशायर, मैनचेस्टर, बर्मिंघम, लिवरपूल एवं लीड्स आदि शहर अस्तित्व में आए। शहरों में जनसंख्या में तीव्रता से बढ़ौतरी से सफ़ाई, स्वच्छ पेय-जल, यातायात एवं शिक्षा आदि की विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न हुईं। कारखानों के आस-पास मज़दूरों के बस जाने से वहाँ गंदी बस्तियों की स्थापना हुई।

(4) उद्योगों में छोटे-छोटे बच्चे एवं स्त्रियाँ भी काम करती थीं। उनसे भी बहुत भयावह परिस्थितियों में काम कराया जाता था। वास्तव में उनका जीवन जानवरों से भी बदतर था।

प्रश्न 8.
औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आर्थिक प्रभाव लिखें।
उत्तर:
(1) औद्योगिक क्राँति के कारण बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन मशीनों द्वारा किया जाने लगा। अतः लोगों को उत्तम वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध होने लगीं। इससे लोगों के जीवन स्तर में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ।

(2) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप लघु उद्योगों का अंत हो गया।

(3) औद्योगिक क्रांति ने कृषि क्राँति को प्रोत्साहन दिया। अतः फ़सलों के उत्पादन में बहुत वृद्धि हो गई।

(4) उत्पादन में वृद्धि के कारण घरेलू एवं विदेशी व्यापार को एक नई दिशा मिली। इससे लोग बहुत समृद्धशाली हुए।

(5) औद्योगिक क्रांति के कारण यातायात के साधनों में अद्वितीय विकास हुआ। संपूर्ण ब्रिटेन में सड़कों, पुलों, नहरों एवं रेलों का निर्माण किया गया। इससे जहाँ लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की सुगमता हो गई वहीं पर यह पहले की अपेक्षा काफी सस्ता हो गया। इससे माल की आवाजाही भी सुविधाजनक हो गयी।

(6) औद्योगिक क्रांति के कारण ब्रिटेन को अपने कारखानों के लिए कच्चे माल की तथा तैयार माल को बेचने के लिए मंडियों की आवश्यकता हुई। अतः ब्रिटेन ने साम्राज्यवादी नीति को अपनाया।

प्रश्न 9.
औद्योगिक क्रांति के इंग्लैंड के श्रमिकों पर कैसा प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
औद्योगिक क्राँति से मजदूर वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ। मजदूरों को प्रतिदिन काफी लंबे समय तक काम करने के लिए बाध्य किया जाता था। उन्हें कोई अवकाश नहीं दिया जाता था। काम के दौरान यदि कोई मजदूर सुस्त हो जाता अथवा नींद आ जाती तो उसे निर्दयता से पीटा जाता था। मालिक जब चाहता वह किसी भी मज़दूर को नौकरी से निकाल सकता था।

अत: मज़दूर के सामने अपने मालिक की शर्तों का पालन करने के अलावा कोई अन्य रास्ता न था। बीमार होने पर अथवा किसी अन्य कारण से काम पर न आने के कारण उस पर भारी जुर्माना लगाया जाता था। मज़दरों को अत्यंत भयावह स्थिति में काम करना पड़ता था। इस कारण वे भयानक बीमारियों के शिकार हो जाते थे।

यदि काम करते समय उसके साथ कोई दुर्घटना हो जाती तो कारखाना मालिक उसे किसी प्रकार का कोई मुआवज़ा नहीं देता था। संक्षेप में औद्योगिक क्रांति के कारण मजदूर वर्ग की स्थिति नरक समान हो गयी थी।

प्रश्न 10.
इंग्लैंड 1793 से 1815 ई० तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इससे इंग्लैंड के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
इंग्लैंड 1793 ई० से लेकर 1815 ई० तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका इंग्लैंड के उद्योगों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा। इस कारण इंग्लैंड एवं यूरोप के मध्य चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया। अत: अनेक उद्योगों को बाध्य होकर बंद करना पड़ा। इससे बेरोज़गारी में बढ़ौतरी हुई। खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छूने लगीं। परिणामस्वरूप ग़रीबों एवं मजदूरों के लिए जीवन दूभर हो गया। स्त्रियों एवं बच्चों की दशा पहले की अपेक्षा अधिक शोचनीय हो गई।

प्रश्न 11.
जुड़वाँ अधिनियम क्या थे ?
उत्तर:
ब्रिटेन की सरकार ने 1799 ई० एवं 1800 ई० में दो नियम पारित किए। इन्हें जुड़वाँ अधिनियम कहा जाता है। इन अधिनियमों के अधीन ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब मज़दूर अपनी मज़दूरी बढ़ाने के लिए अथवा काम के घंटों को कम करने के लिए एक-दूसरे को सहयोग नहीं कर सकते थे। वे भाषण या लेखन द्वारा सम्राट.

संविधान अथवा सरकार के विरुद्ध नफ़रत नहीं फैला सकते थे अथवा लोगों को उकसा नहीं सकते थे। 50 से अधिक लोगों की अनाधिकत सार्वजनिक बैठकों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंड देने की व्यवस्था की गई। 1824 ई० में सरकार ने जुड़वाँ अधिनियम को रद्द कर दिया। अब मज़दूरों को ब्रिटेन में ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार प्राप्त हो गया।

प्रश्न 12.
लुडिज्म आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
लुडिज्म आंदोलन इंग्लैंड में 1811 ई० से 1817 ई० के मध्य चला। इस आंदोलन को इंग्लैंड के कपड़ा मजदूरों द्वारा चलाया गया था। इस आंदोलन का नेतृत्व जनरल नेड लुड ने किया। इस आंदोलन की अनेक माँगें थीं-

  • मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दी जाए।
  • स्त्रियों एवं बच्चों के काम करने के समय को कम किया जाए एवं उन्हें ख़तरनाक मशीनों पर न लगाया जाए।
  • मजदूरों को ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार हो।

सरकार के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट करने के उद्देश्य से उन्होंने वस्त्र मशीनों को नष्ट किया। वे इन मशीनों को उनके सभी कष्टों के लिए उत्तरदायी मानते थे। लुडिवादी अपने चेहरे को ढक कर रखते थे तथा वे अपनी कार्यवाही प्रायः रात के समय करते थे। उन्हें साधारण लोगों का काफी समर्थन प्राप्त था। इस आंदोलन का आरंभ 1811 ई० में नोटिंघम से हुआ था।

इसके पश्चात् यह ब्रिटेन के अनेक अन्य प्रसिद्ध शहरों में फैल गया। आंदोलनकारियों ने अनेक सूती एवं ऊनी वस्त्र की मिलों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर दिया। सरकार ने दमन की नीति अपनाते हुए इस आंदोलन को कुचल दिया।

प्रश्न 13.
पीटरलू नरसंहार पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप मज़दूरों का जीवन नरक समान हो गया था। 16 से 18 घंटे प्रतिदिन जी तोड़ मेहनत करने के बावजूद उन्हें दो वक्त भर पेट खाना नसीब नहीं होता था। वे गंदी बस्तियों में निवास करते थे। वे अर्द्धनग्न घूमते रहते थे। उन्हें वोट के अधिकार से वंचित रखा गया था। 16 अगस्त, 1819 ई० को 80,000 लोग मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स के मैदान में शांतिपूर्वक एकत्र हुए। उनका उद्देश्य अनाज कानूनों के विरुद्ध अपना विरोध जारी करना था तथा वोट के अधिकार, ट्रेड युनियन बनाने के अधिकार, सार्वजनिक सभाएँ करने तथा प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की माँग करना था।

इस आंदोलन के प्रसिद्ध नेता रिचर्ड कारलाइल, जॉन कार्टराइट तथा हेनरी हंट थे। सरकार इस शांतिमय जनसभा को भी सहन करने को तैयार नहीं थी। अत: सरकार ने वहाँ घुड़सवार सेना भेज दी। इस सेना ने वहाँ लोगों को तितर-बितर करने के उद्देश्य से गोलियाँ चला दी। इस नरसंहार को पीटरलू के नाम से जाना जाता है। इसमें 11 लोगों की मृत्यु हुई एवं 400 से अधिक घायल हुए। इस नरसंहार के कारण संपूर्ण ब्रिटेन में रोष की लहर फैल गई।

अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.

औद्योगिक क्राँति से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से अभिप्राय उस क्राँति से है जो इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों में 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्षेत्र में हुई। अतः वस्तुओं का उत्पादन अब घरों की अपेक्षा विशाल कारखानों में मशीनों द्वारा किया जाने लगा।

प्रश्न 2.
ऑरनॉल्ड टॉयनबी कौन था ? उसने किस प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की ? इसका प्रकाशन कब हुआ ?
उत्तर:

  • ऑरनॉल्ड टॉयनबी ब्रिटेन का प्रसिद्ध दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री था।
  • उसने लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड की रचना की।
  • इसका प्रकाशन 1884 ई० में हुआ था।

प्रश्न 3.
सर्वप्रथम किस देश में औद्योगिक क्रांति आई तथा कब ?
उत्तर:

  • सर्वप्रथम औद्योगिक क्राँति ब्रिटेन में आई।
  • यह क्राँति 1760 ई० से 1820 ई० के मध्य आई।

प्रश्न 4.
ब्रिटेन में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति क्यों आई ? कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  • ब्रिटेन के विश्व में स्थापित अनेक उपनिवेश।
  • ब्रिटेन के लोगों के पास पर्याप्त पूँजी का उपलब्ध होना।

प्रश्न 5.
बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना कब हुई थी ? 1820 ई० तक वहाँ कितने प्रांतीय बैंकों की स्थापना हो चुकी थी ?
उत्तर:

  • बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना 1694 ई० में हुई थी।
  • 1820 ई० तक इंग्लैंड में 600 प्राँतीय बैंकों की स्थापना हो चुकी थी।

प्रश्न 6.
किन्हीं चार खनिज पदार्थों के नाम बताएँ जिन्होंने इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति में प्रमुख भूमिका निभाई ?
उत्तर:
इंग्लैंड की औद्योगिक क्राँति में कोयला, लोहा, सीसा एवं ताँबा ने प्रमुख भूमिका निभाई।

प्रश्न 7.
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड के किन चार प्रसिद्ध उद्योगों ने औद्योगिक क्रांति लाने में प्रशंसनीय योगदान दिया ?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड के कोयला और लोहा उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, भाप की शक्ति एवं रेलों के उद्योग ने प्रशंसनीय भूमिका निभाई।

प्रश्न 8.
किस खनिज को ‘काला सोना’ एवं ‘उद्योगों की जननी’ के नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
कोयले को काला सोना एवं उद्योगों की जननी के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 9.
लोहा प्रगलन के लिए काठ कोयले के प्रयोग की कोई दो समस्याएँ लिखें।
उत्तर:

  • काठ कोयला लंबी दूरी तक ले जाते समय टूट जाता था।
  • कोयले की अशुद्धता के कारण घटिया किस्म के लोहे का उत्पादन होता था।

प्रश्न 10.
लोहा प्रगलन में कोक का प्रयोग किस प्रकार लाभकारी सिद्ध हुआ ?
उत्तर:

  • कोक में उच्च तापमान उत्पन्न करने की शक्ति थी।
  • यह काठ कोयले से बहुत सस्ता पड़ता था।
  • इसका प्रयोग बड़ी धमन भट्ठियों में किया जाना संभव हुआ।

प्रश्न 11.
जोन विल्किनसन ने लोहे का प्रयोग किन वस्तुओं के निर्माण के लिए किया ?
उत्तर:

  • उसने लोहे की कुर्सियाँ बनाईं।
  • उसने शराब की भट्ठियों के लिए टंकियाँ बनाईं।
  • उसने विभिन्न आकारों की लोहे की पाइपें बनाईं।

प्रश्न 12.
सेफ़टी लैंप का आविष्कार किसने तथा कब किया था ?
उत्तर:
सेफ़टी लैंप का आविष्कार हैंफरी डेवी ने 1815 ई० में किया था।

प्रश्न 13.
फ़लाइंग शटल का आविष्कार किसने तथा कब किया ?
उत्तर:
फ़लाइंग शटल का आविष्कार जॉन के ने 1733 ई० में किया।

प्रश्न 14.
स्पिनिंग जेनी का आविष्कार किसने तथा कब किया था ?
उत्तर:
स्पिनिंग जेनी का आविष्कार जेम्स हरग्रीव्ज़ ने 1764 ई० में किया था।

प्रश्न 15.
वॉटर फ्रेम का आविष्कार किसने तथा कब किया था ? इसका क्या लाभ हुआ ?
उत्तर:

  • वॉटर फ्रेम का आविष्कार रिचर्ड आर्कराइट ने 1769 ई० में किया था।
  • इससे धागे की कताई एवं बुनाई बहुत तेजी से की जाने लगी।

प्रश्न 16.
सैम्यअल काम्पटन किस आविष्कार के लिए प्रसिद्ध थे ? इसका क्या लाभ हआ ?
उत्तर:

  • सैम्यूअल क्राम्पटन म्यूल आविष्कार के लिए प्रसिद्ध थे।
  • इससे कता हुआ धागा बहुत मज़बूत और बढ़िया होता था।

प्रश्न 17.
पॉवरलूम का आविष्कार किसने तथा कब किया था ?
उत्तर:
पॉवरलूम का आविष्कार एडमंड कार्टराइट ने 1785 ई० में किया था।

प्रश्न 18.
किन्हीं दो आविष्कारों के नाम बताएँ जिन्होंने वस्त्र उद्योग में क्रांति ला दी। इनके आविष्कारकों के नाम भी बताएँ।
उत्तर:

  • जॉन के की फ़लाइंग शटल।
  • जेम्स हरग्रीब्ज की स्पिनिंग जेनी।

प्रश्न 19.
भाप की शक्ति के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  • इससे अनेक प्रकार की मशीनों को चलाया जा सकता था।
  • इस पर खर्चा भी कम आता था।

प्रश्न 20.
अश्व शक्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
अश्व शक्ति माप की इकाई थी। यह एक घोड़े की एक मिनट में एक फुट तक 33,000 पौंड वज़न उठाने की क्षमता के समकक्ष थी। इसका आविष्कार जेम्स वॉट ने किया था।

प्रश्न 21.
माइनर्स फ्रेंड का आविष्कार किसने तथा कब किया ? इसका क्या उपयोग था ?
उत्तर:

  • माइनर्स फ्रेंड का आविष्कार थॉमस सेवरी ने 1698 ई० में किया।
  • इसका प्रयोग खानों से पानी बाहर निकालने के लिए किया जाता था।

प्रश्न 22.
माइनर्स फ्रेंड क्यों असफल रहा ? कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  • यह छिछली गहराइयों में बहुत धीरे-धीरे काम करता था।
  • दबाव के अधिक हो जाने के कारण उसका बॉयलर फट जाता था।

प्रश्न 23.
थॉमस न्यूकॉमेन के भाप के इंजन के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर:

  • यह बहुत भारी था।
  • इसमें काफी मात्रा में ईंधन नष्ट होता था।

प्रश्न 24.
जेम्स वॉट ने भाप के इंजन का आविष्कार कब किया ? इसका कोई एक लाभ (utility) बताएँ।
उत्तर:

  • जेम्स वॉट ने भाप के इंजन का आविष्कार 1769 ई० में किया।
  • यह बहुत व्यावहारिक एवं कम खर्चीला था।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 25.
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में नहरें किस उद्देश्य के साथ बनायी गई थीं ?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में नहरें कोयले को शहरों में स्थित उद्योगों तक पहुँचाने के लिए बनाई गई थीं। इसका कारण यह था कि इसमें सड़क मार्ग की अपेक्षा कम समय लगता था एवं खर्चा भी कम आता था।

प्रश्न 26.
वर्सले कैनाल का निर्माण किसने तथा कब किया था ? इसका उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:

  • वर्सले कैनाल का निर्माण जेम्स ब्रिडले ने 1759 ई० में किया था।
  • इसका उद्देश्य वर्सले से मैनचेस्टर तक कम खर्चे पर कोयले को पहुँचाना था।

प्रश्न 27.
वर्सले कैनाल को कब खोला गया था ? इसका क्या महत्त्व था ?
उत्तर:

  • वर्सले कैनाल को 1761 ई० में खोला गया था।
  • इस कारण इंग्लैंड में कोयले की कीमतें आधी हो गईं।

प्रश्न 28.
इंग्लैंड में नहरों के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:

  • नहरों के निर्माण से अनेक नए शहर अस्तित्व में आए।
  • नहरों का निर्माण जिन क्षेत्रों में हुआ वहाँ भूमि के मूल्य बहुत बढ़ गए।

प्रश्न 29.
जॉर्ज स्टीफेनसन ने 1814 ई० में किस रेल इंजन का निर्माण किया ? इसकी रफ्तार कितनी थी ?
उत्तर:

  • जॉर्ज स्टीफेनसन ने 1814 ई० में ब्लचर नामक रेल इंजन का निर्माण किया था।
  • इसकी रफ्तार 4 मील प्रति घंटा थी।

प्रश्न 30.
इंग्लैंड में सर्वप्रथम रेलगाडी कब तथा किन दो शहरों के मध्य चलाई गई थी ?
उत्तर:
इंग्लैंड में सर्वप्रथम रेलगाड़ी 1825 ई० में स्टॉकटन एवं डार्लिंगटन शहरों के मध्य चलाई गई थी।

प्रश्न 31.
ब्रिटेन में रेलों के विकास के कोई दो प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • इससे माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना सुगम हो गया।
  • लोगों के लिए सफर करना अब आसान एवं कम खर्चीला हो गया।

प्रश्न 32.
नहर और रेलवे के परिवहन के साधन के रूप में क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर:

  • इससे शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई।
  • इससे माल को एक स्थान से दसरे स्थान पर ले जाना कम खर्चीला हो गया।
  • इससे लोगों के लिए सफर करना सुगम हो गया।

प्रश्न 33.
औद्योगिक क्रांति के कोई दो प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • इस कारण ब्रिटेन की जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई।
  • अब बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन मशीनों द्वारा किया जाने लगा।

प्रश्न 34.
औद्योगिक क्रांति के कोई दो सामाजिक प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्रांति के कारण शहरी जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई।
  • इस क्राँति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन का समाज दो वर्गों पूँजीपतियों एवं मजदूरों में बँट गया।

प्रश्न 35.
औद्योगिक क्रांति के कोई दो आर्थिक प्रभाव बताएँ।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्राँति ने कृषि क्राँति को प्रोत्साहित किया।
  • इससे ब्रिटेन के घरेलू एवं विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन मिला।

प्रश्न 36.
औद्योगिक क्रांति के कोई दो राजनीतिक प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्राँति के कारण ब्रिटेन फ्राँस एवं नेपोलियन के साथ युद्धों का डट कर सामना कर सका।
  • मज़दूरों ने श्रमिक संघों के निर्माण के लिए एक लंबा संघर्ष चलाया।

प्रश्न 37.
कारखाना पद्धति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कारखाना पद्धति से अभिप्राय उस पद्धति से है जिसके अंतर्गत उत्पादन घरों की अपेक्षा कारखानों में होने लगा। इनमें हाथों की अपेक्षा मशीनों द्वारा उत्पादन किया जाता था।

प्रश्न 38.
ब्रिटेन के कारखानों में प्रायः स्त्रियों एवं बच्चों को काम पर क्यों लगाया जाता था ? कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  • स्त्रियों एवं बच्चों को पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी देनी पड़ती थी।
  • वे काम की घटिया परिस्थितियाँ होने के बावजूद कम आंदोलित होते थे।

प्रश्न 39.
कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर:

  • उन्हें कठोर अनुशासन में बहुत भयावह परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
  • उनका वेतन इतना कम था कि उन्हें दो वक्त भर पेट खाना नसीब नहीं होता था।

प्रश्न 40.
ब्रिटेन में विरोध आंदोलन आरंभ होने के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  • कारखानों में काम करने की कठोर परिस्थितियाँ।
  • श्रमजीवी लोगों को मताधिकार प्राप्त न होना।

प्रश्न 41.
इंग्लैंड का फ्राँस के साथ युद्ध कब से कब तक चला ? इस युद्ध का कोई एक प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • इंग्लैंड का फ्रांस के साथ युद्ध 1793 ई० से 1815 ई० तक चला।
  • इस कारण इंग्लैंड एवं यूरोप के मध्य चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया।

प्रश्न 42.
ब्रिटेन 1793 ई० से 1815 ई० तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:

  • अनेक उद्योगों को बंद करना पड़ा।
  • बेरोज़गारी में वृद्धि हुई।
  • खाद्य पदार्थों की कीमतें बहुत बढ़ गईं।

प्रश्न 43.
ब्रिटेन की सरकार द्वारा जुड़वाँ अधिनियम कब पारित किए गए ? इनका उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:

  • ब्रिटेन की सरकार द्वारा जुड़वाँ अधिनियम 1799-1800 ई० में पारित किए गए।
  • इनका उद्देश्य श्रमिक संघों पर प्रतिबंध लगाना था।

प्रश्न 44.
ब्रिटेन में अनाज कानून कब पारित किए गए ? इनका उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:

  • ब्रिटेन में अनाज कानून 1815 ई० में पारित किए गए।
  • इनका उद्देश्य जब तक ब्रिटेन में अनाज की कीमत में एक स्वीकृत स्तर तक वृद्धि न हो जाए तब तक विदेश से अनाज के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाए।

प्रश्न 45.
अनाज विरोधी कानून लीग की स्थापना कब और कहाँ की गई ? इसके दो महत्त्वपूर्ण सदस्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • अनाज विरोधी कानून लीग की स्थापना 1839 ई० में मैनचेस्टर में की गई।
  • इसके दो महत्त्वपूर्ण सदस्यों के नाम रिचर्ड काब्डन एवं जॉन ब्राइट थे।

प्रश्न 46.
ब्रिटेन में ब्रेड के लिए दंगे क्यों हुए. ? ये कब से लेकर कब तक चले ?
उत्तर:

  • ब्रिटेन में ब्रेड के लिए दंगे इसलिए हुए क्योंकि उनके मूल्यों में बहुत वृद्धि हो गई थी।
  • ऐसे दंगे 1795 ई० से लेकर 1840 ई० तक चले।

प्रश्न 47.
बाड़ा पद्धति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
बाड़ा पद्धति से अभिप्राय शक्तिशाली ज़मींदारों द्वारा छोटे-छोटे खेतों को अपने बड़े फार्मों में सम्मिलित करना था। ब्रिटेन में ऐसा 1770 ई० के दशक में किया गया।

प्रश्न 48.
ब्रिटेन में लुडिज्म आंदोलन कब चला ? इस आंदोलन का प्रसिद्ध नेता कौन था ?
उत्तर:

  • ब्रिटेन में लुडिज्म आंदोलन 1811 ई० से 1817 ई० तक चला।
  • इस आंदोलन का प्रसिद्ध नेता जनरल नेड लुड था।

प्रश्न 49.
लुडिज्म आंदोलन की कोई दो माँगें लिखें।
उत्तर:

  • मज़दूरों को न्यूनतम मजदूरी दी जाए।
  • मजदूरों को श्रमिक संघ बनाने की अनुमति दी जाए।

प्रश्न 50.
लडिज्म आंदोलन क्या था ?
उत्तर:
नोट-इस प्रश्न के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं0 48 तथा 49 का उत्तर देंखे।

प्रश्न 51.
पीटरलू नरसंहार कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर:
पीटरलू नरसंहार 1819 ई० में मैनचेस्टर में हुआ।

प्रश्न 52.
ब्रिटेन में प्रथम कारखाना अधिनियम कब पारित किया गया था ? इसकी कोई एक धारा लिखें।
उत्तर:

  • ब्रिटेन में प्रथम कारखाना अधिनियम 1802 ई० में पारित किया गया।
  • किसी भी बच्चे से 12 घंटों से अधिक काम न लिया जाए।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 53.
कारखाना कानून ( 1819 ई०) क्या था ?
उत्तर:

  • 9 वर्ष से कम बच्चों को कारखानों में काम पर न लगाया जाए।
  • बच्चों को भोजन के लिए 1.30 घंटे का विश्राम दिया जाए।

प्रश्न 54.
1833 ई० के कारखाना अधिनियम की कोई दो धाराएँ लिखें।
उत्तर:

  • 13 से 17 वर्ष तक के बच्चों से 10 घंटों से अधिक काम न लिया जाए।
  • कारखानों के निरीक्षण के लिए इंस्पैक्टर नियुक्त किए गए।

प्रश्न 55.
1842 ई० के खान अधिनियम की कोई दो धाराएँ लिखें।
उत्तर:

  • इसने खानों में स्त्रियों के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • इसने खानों के निरीक्षण के लिए नियमित इंस्पैक्टर नियुक्त किए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम किस देश में आई ?
उत्तर:
इंग्लैंड।

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्राँति कब आई ?
उत्तर:
1760 ई०-1820 ई० के मध्य।

प्रश्न 3.
औद्योगिक क्रांति का अंग्रेज़ी में प्रथम बार उपयोग किसने किया ?
उत्तर:
ऑरनॉल्ड टॉयनबी ने।।

प्रश्न 4.
ऑरनॉल्ड टॉयनबी द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक का नाम लिखें।
उत्तर:
लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड।

प्रश्न 5.
औद्योगिक क्रांति के समय इंग्लैंड में किसका शासन था ?
उत्तर:
जॉर्ज तृतीय।

प्रश्न 6.
विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति कौन था ?
उत्तर:
इंग्लैंड।

प्रश्न 7.
बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1694 ई० में।

प्रश्न 8.
काला सोना किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
कोयले को।

प्रश्न 9.
लोहे के प्रगलन के लिए सर्वप्रथम लोहे का प्रयोग किसने किया ?
उत्तर:
अब्राहम डर्बी प्रथम ने।

प्रश्न 10.
ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास कब हुआ ?
उत्तर:
1755 ई० में।

प्रश्न 11.
आलोड़न भट्ठी का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर:
हेनरी कोर्ट ने।

प्रश्न 12.
विश्व में लोहे का पहला पुल कब बनाया गया ?
उत्तर:
1779 ई० में।

प्रश्न 13.
विश्व में पहला लोहे का पुल कहाँ बनाया गया था ?
उत्तर:
कोलबुकडेल में।

प्रश्न 14.
हैंफरी डेवी किस आविष्कार के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
सेफ़टी लैंप।

प्रश्न 15.
सेफ़टी लैंप का आविष्कार कब हुआ था ?
उत्तर:
1815 ई० में।

प्रश्न 16.
किस विज्ञानी ने लोहे को शुद्ध करके इस्पात बनाने की विधि खोज निकाली थी ?
उत्तर:
हेनरी बेस्सेमर ने।

प्रश्न 17.
जॉन के ने किसका आविष्कार किया था ?
उत्तर:
फ़लाइंग शटल का।

प्रश्न 18.
जेम्स हरग्रीब्ज़ ने स्पिनिंग जेनी का आविष्कार कब किया था ?
उत्तर:
1764 ई० में।

प्रश्न 19.
वॉटर फ्रेम का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर:
रिचर्ड आर्कराइट ने।

प्रश्न 20.
सैम्यूअल क्राम्पटन ने म्यूल का आविष्कार कब किया था ?
उत्तर:
1779 ई० में।

प्रश्न 21.
पॉवरलूम का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर:
एडमंड कार्टराइट ने।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 22.
माइनर्स फ्रेंड का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर:
थॉमस सेवरी ने।

प्रश्न 23.
भाप इंजन का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर:
जेम्स वॉट ने।

प्रश्न 24.
जेम्स वॉट ने भाप इंजन का आविष्कार कब किया था ?
उत्तर:
1769 ई० में।

प्रश्न 25.
सोहो फाउँडरी का निर्माण कहाँ किया गया था ?
उत्तर:
बर्मिंघम में।

प्रश्न 26.
वर्सले कैनाल का निर्माण किसने किया था ?
उत्तर:
जेम्स ब्रिडले ने।

प्रश्न 27.
वर्सले कैनाल को किस वर्ष चालू किया गया ?
उत्तर:
1761 ई० में।

प्रश्न 28.
रिचर्ड ट्रेविथिक ने 1801 ई० में किस इंजन का निर्माण किया था ?
उत्तर:
पफिंग डेविल का।

प्रश्न 29.
‘रेलों का पितामा’ किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
जॉर्ज स्टीफेनसन को।

प्रश्न 30.
भाप इंजन का आविष्कार कब हुआ ?
उत्तर:
1769 ई० में।

प्रश्न 31.
इंग्लैंड में प्रथम रेल को कब चलाया गया ?
उत्तर:
1825 ई० में।

प्रश्न 32.
इंग्लैंड एवं फ्रांस के मध्य एक दीर्घकालीन युद्ध कब से कब तक चला ?
उत्तर:
1793 ई० से 1815 ई० तक।

प्रश्न 33.
ब्रिटेन की सरकार ने जुड़वाँ अधिनियम कब पारित किए ?
उत्तर:
1799-1800 ई०।

प्रश्न 34.
ब्रिटेन की सरकार ने अनाज कानून कब पारित किए ?
उत्तर:
1815 ई०।

प्रश्न 35.
अनाज कानून विरोधी लीग के किसी एक नेता का नाम लिखिए।
उत्तर:
रिचर्ड काब्डन।

प्रश्न 36.
इंग्लैंड में ब्रैड के लिए दंगे कब शुरू हुए ?
उत्तर:
1795 ई० में।

प्रश्न 37.
इंग्लैंड में चलने वाले लुडिज्म आंदोलन का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर:
जनरल नेड लुड ने।

प्रश्न 38.
पीटरलू नरसंहार कब हुआ ?
उत्तर:
1819 ई० में।

प्रश्न 39.
इंग्लैंड की सरकार ने प्रथम कारखाना अधिनियम कब पारित किया था ?
उत्तर:
1802 ई० में।

प्रश्न 40.
इंग्लैंड में प्रथम खान अधिनियम कब पारित हुआ था?
उत्तर:
1842 ई० में।

प्रश्न 41.
किस अधिनियम के अधीन मज़दूरों द्वारा 10 घंटे प्रतिदिन काम की माँग को स्वीकार कर लिया गया ?
उत्तर:
कारखाना अधिनियम 1847 ई०।

रिक्त स्थान भरिए

1. ………………. पहला देश था जिसने सर्वप्रथम औद्योगिकीकरण का अनुभव किया था।
उत्तर:
इंग्लैंड

2. औद्योगिक क्राँति शब्द का अंग्रेजी में प्रयोग सर्वप्रथम ………………. ने किया था।
उत्तर:
ऑरनॉल्ड टॉयनबी

3. उजड़ा गाँव अंग्रेज़ी के सुप्रसिद्ध लेखक ……………… की कविता है।
उत्तर:
ओलिवर गोल्डस्मिथ

4. काला सोना ……………….. को कहा जाता था।
उत्तर:
कोयला

5. धमनभट्टी का आविष्कार ……………….. ई० में किया गया था।
उत्तर:
1709

6. धमनभट्टी का आविष्कार ……………… द्वारा किया गया था।
उत्तर:
अब्राहम डर्बी

7. आलोडन भट्टी का आविष्कार ……………….. ने किया था।
उत्तर:
हेनरी कोर्ट

8. फलाइंग शटल का निर्माण ……………….. द्वारा किया गया था।
उत्तर:
जॉन के

9. जेम्स हरग्रीब्ज द्वारा ……………….. का आविष्कार किया गया था।
उत्तर:
स्पीनिंग मशीन

10. वॉटर फ्रेम का आविष्कार ……………….. द्वारा किया गया था।
उत्तर:
रिचर्ड आर्कराइट

11. सैम्यूअल क्राम्पटन द्वारा म्यूल का आविष्कार ……………….. ई० में किया गया।
उत्तर:
1779

12. भाप इंजन का आविष्कार ………….. द्वारा किया गया था।
उत्तर:
जेम्स वॉट

13. इंग्लैंड की पहली नहर का नाम ……………….. था।
उत्तर:
वर्सले कैनाल

14. इंग्लैंड में पहली नहर का निर्माण ……………… द्वारा किया गया था।
उत्तर:
जेम्स ब्रिडले

15. इंग्लैंड में सर्वप्रथम रेल …………….. में चलाई गई थी।
उत्तर:
1825 ई०

16. प्रथम कारखाना अधिनियम ……………….. ई० में पारित किया गया।
उत्तर:
1802

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. औद्योगिक क्रांति का आरंभ कब हुआ ?
(क) 15वीं शताब्दी में
(ख) 16वीं शताब्दी में
(ग) 17वीं शताब्दी में
(घ) 18वीं शताब्दी में।
उत्तर:
(घ) 18वीं शताब्दी में।

2. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम किस देश में आरंभ हुई ?
(क) फ्राँस
(ख) इंग्लैंड
(ग) रूस
(घ) जर्मनी।
उत्तर:
(ख) इंग्लैंड

3. इंग्लैंड के शासक जॉर्ज तृतीय का शासनकाल कब आरंभ हुआ ?
(क) 1720 ई० में
(ख) 1750 ई० में
(ग) 1760 ई० में
(घ) 1820 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1760 ई० में

4. किस देश को ‘समुद्रों की रानी’ कहा जाता था ?
(क) भारत
(ख) चीन
(ग) इराक
(घ) इंग्लैंड।
उत्तर:
(घ) इंग्लैंड।

5. बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना कब हुई थी ?
(क) 1605 ई० में
(ख) 1694 ई० में
(ग) 1705 ई० में
(घ) 1734 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1694 ई० में

6. 19वीं शताब्दी के आरंभ में इंग्लैंड का कौन-सा शहर जनसंख्या के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा था ?
(क) लंदन
(ख) लीड्स
(ग) लिवरपूल
(घ) मैनचेस्टर।
उत्तर:
(क) लंदन

7. निम्नलिखित में से किसे उद्योगों की जननी कहा जाता है ?
(क) लोहा
(ख) इस्पात
(ग) कोयला
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ग) कोयला

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

8. निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने सर्वप्रथम कोक का प्रयोग किया ?
(क) अब्राहम डर्बी प्रथम
(ख) अब्राहम डर्बी द्वितीय
(ग) जॉन के
(घ) थॉमस सेवरी।
उत्तर:
(क) अब्राहम डर्बी प्रथम

9. आलोड़न भट्ठी का आविष्कार किसने किया ?
(क) अब्राहम डर्बी तृतीय ने
(ख) हेनरी कोर्ट ने ।
(ग) हैम्फरी डेवी ने
(घ) एडमंड कार्टराइट ने।
उत्तर:
(ख) हेनरी कोर्ट ने ।

10. विश्व का प्रथम लोहे का पुल किस नदी पर बनाया गया था ?
(क) थेम्स
(ख) सेवन
(ग) गँगा
(घ) अमेजन।
उत्तर:
(ख) सेवन

11. हैंफरी डेवी ने सेफ़टी लैंप का आविष्कार कब किया था ?
(क) 1805 ई० में
(ख) 1810 ई० में
(ग) 1815 ई० में
(घ) 1835 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1815 ई० में

12. हेनरी बेस्सेमर ने लोहे को शुद्ध करके इस्पात बनाने की विधि कब खोज निकाली ?
(क) 1815 ई० में
(ख) 1825 ई० में
(ग) 1836 ई० में
(घ) 1856 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1856 ई० में।

13. फ़लाइंग शटल का आविष्कारक किसने किया ?
(क) हरग्रीब्ज ने
(ख) जेम्स वॉट ने
(ग) रिचर्ड आर्कराइट ने
(घ) जॉन के ने।
उत्तर:
(घ) जॉन के ने।

14. म्यूल का आविष्कार किसने किया था ?
(क) सैम्यूअल क्राम्पटन
(ख) जॉन के
(ग) जेम्स हरग्रीव्ज
(घ) रिचर्ड आर्कराइट।
उत्तर:
(ग) जेम्स हरग्रीव्ज

15. रिचर्ड आर्कराइट ने वॉटर फ्रेम का आविष्कार कब किया ?
(क) 1733 ई० में
(ख) 1764 ई० में
(ग) 1765 ई० में
(घ) 1769 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1769 ई० में।

16. पावरलूम का आविष्कार किसने किया था ?
(क) सैम्यूअल क्राम्पटन ने
(ख) एडमंड कार्टराइट ने
(ग) जॉन के ने
(घ) रिचर्ड आर्कराइट ने।
उत्तर:
(ख) एडमंड कार्टराइट ने

17. जेम्स वॉट ने निम्नलिखित में से किसका आविष्कार किया ?
(क) पावरलूम
(ख) म्यूल
(ग) वॉटर फ्रेम
(घ) भाप इंजन।
उत्तर:
(घ) भाप इंजन।

18. वर्सले कैनाल के निर्माण में निम्नलिखित में से किसने योगदान दिया ?
(क) मैथ्यू बॉल्टन
(ख) थॉमस न्यूकॉमेन
(ग) जेम्स ब्रिडले
(घ) रिचर्ड ट्रेविथिक।
उत्तर:
(ग) जेम्स ब्रिडले

19. वर्सले कैनाल को यातायात के लिए किस वर्ष खोला गया था ?
(क) 1759 ई० में
(ख) 1761 ई० में
(ग) 1767 ई० में
(घ) 1771 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1761 ई० में

20. पफिंग डेविल नामक इंजन का आविष्कार किसने किया था ?
(क) रिचर्ड ट्रेविथिक ने
(ख) जेम्स वॉट ने
(ग) जॉर्ज स्टीफेनसन ने
(घ) थॉमस सेवरी ने।
उत्तर:
(क) रिचर्ड ट्रेविथिक ने

21. ‘रेलों का पितामा’ किसे कहा जाता है ?
(क) रिचर्ड ट्रेविथिक को
(ख) जॉर्ज स्टीफेनसन को
(ग) ड्यूक ऑफ़ विलिंगटन को
(घ) आई० के० बरुनल को।
उत्तर:
(ख) जॉर्ज स्टीफेनसन को

22. इंग्लैंड में प्रथम रेल को कब चलाया गया ?
(क) 1805 ई० में
(ख) 1814 ई में
(ग) 1825 ई० में
(घ) 1841 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1825 ई० में

23. इंग्लैंड की प्रथम रेल किन दो शहरों के मध्य चलाई गई ?
(क) स्टॉकटन एवं डार्लिंगटन
(ख) लंदन एवं लीड्स
(ग) लंदन एवं मैनचेस्टर
(घ) स्टॉकटन एवं लिवरपूल।
उत्तर:
(क) स्टॉकटन एवं डार्लिंगटन

24. ‘सड़क-निर्माता’ किसे कहा जाता है ?
(क) जेम्स ब्रिडले को
(ख) जॉन के को
(ग) जॉन मेटकॉफ को
(घ) एडमंड कार्टराइट को।
उत्तर:
(ग) जॉन मेटकॉफ को

25. औद्योगिक क्रांति के समय मैनचेस्टर में मजदूरों का जीवनकाल क्या था ?
(क) 12 वर्ष
(ख) 15 वर्ष
(ग) 17 वर्ष
(घ) 21 वर्ष।
उत्तर:
(ग) 17 वर्ष

26. इंग्लैंड का फ्रांस के साथ एक दीर्घकालीन युद्ध कब आरंभ हुआ ?
(क) 1792 ई० में
(ख) 1793 ई० में
(ग) 1795 ई० में
(घ) 1799 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1793 ई० में

27. इंग्लैंड की सरकार ने जुड़वाँ अधिनियम को कब रद्द किया ?
(क) 1799 ई० में
(ख) 1800 ई० में
(ग) 1815 ई० में
(घ) 1824 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1824 ई० में।

28. अनाज कानून विरोधी लीग की स्थापना कहाँ की गई थी ?
(क) लीड्स में
(ख) लंदन में
(ग) मैनचेस्टर में
(घ) बर्मिंघम में।
उत्तर:
(ग) मैनचेस्टर में

29. इंग्लैंड में ब्रैड के लिए दंगों का सिलसिला कब तक चला ?
(क) 1793 ई० तक
(ख) 1795 ई० तक
(ग) 1830 ई० तक
(घ) 1840 ई० तक।
उत्तर:
(घ)

30. लुडिज्म आंदोलन का नेतृत्व किसने किया ?
(क) जनरल नेड लुड ने
(ख) रिचर्ड काब्डन
(ग) जॉन ब्राइट
(घ) आई० के० बरुनल।
उत्तर:
(क) जनरल नेड लुड ने

31. पीटरलू नरसंहार कब हुआ था ?
(क) मार्च 1793 में
(ख) जून 1807 में
(ग) अमरर, 1819 में
(घ) दिसंबर 1830 में।
उत्तर:
(ग) अमरर, 1819 में

32. पीटरलू नरसंहार कहाँ हुआ ?
(क) लंदन में
(ख) मैनचेस्टर में
(ग) लिवरपूल में
(घ) वेल्स में।
उत्तर:
(ख) मैनचेस्टर में

33. निम्नलिखित में से कौन-सा नेता पीटरलू नरसंहार से संबंधित नहीं था ?
(क) जॉन ब्राइट
(ख) रिचर्ड कारलाइल
(ग) जॉन कार्टराइट
(घ) हेनरी हंट।
उत्तर:
(क) जॉन ब्राइट

34. इंग्लैंड में प्रथम कारखाना अधिनियम कब पारित हुआ था ?
(क) 1801 ई० में
(ख) 1802 ई० में
(ग) 1819 ई० में
(घ) 1833 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1802 ई० में

35. किस अधिनियम के अधीन इंग्लैंड के कारखानों में 9 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को काम करने की मनाही कर दी गई थी ?
(क) 1802 ई० के
(ख) 1819 ई० के
(ग) 1833 ई० के
(घ) 1842 ई० के।
उत्तर:
(ख) 1819 ई० के

36. किस अधिनियम के अधीन इंग्लैंड में श्रमिकों के लिए 10 घंटे का दिन निश्चित कर दिया गया ?
(क) 1833 ई०
(ख) 1842 ई०
(ग) 1844 ई०
(घ) 1847 ई०।
उत्तर:
(घ) 1847 ई०।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

37. इंग्लैंड में प्रथम खान अधिनियम कब पारित हआ था ?
(क) 1833 ई० में
(ख) 1842 ई० में
(ग) 1847 ई० में
(घ) 1867 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1842 ई० में

38. ऑरनॉल्ड टॉयनबी की पुस्तक लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड का प्रकाशन … कब हुआ था ?
(क) 1842 ई० में
(ख) 1847 ई० में
(ग) 1867 ई० में
(घ) 1884 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1884 ई० में।

39. कार्ल मार्क्स एक:
(क) चिकित्सक थे
(ख) वैज्ञानिक थे
(ग) अर्थशास्त्री थे
(घ) दार्शनिक थे।
उत्तर:
(घ) दार्शनिक थे।

औद्योगिक क्रांति HBSE 11th Class History Notes

→ औद्योगिक क्रांति की गणना विश्व की प्रभावशाली क्राँतियों में की जाती है। इस क्राँति ने विश्व इतिहास में एक नए युग का सूत्रपात किया। यह क्राँति सर्वप्रथम 1760 ई० से 1820 ई० के मध्य इंग्लैंड में आई। इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के उदय एवं विकास के लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे।

→ इनमें इंग्लैंड की राजनीतिक स्थिरता एवं शांति, उसकी शक्तिशाली नौसेना, उसके उपनिवेशों, उपलब्ध पूँजी, कृषि क्राँति, बैंकिंग व्यवस्था, विशाल बाजार, खनिज पदार्थों, वैज्ञानिक उन्नति एवं संसद् द्वारा किए गए प्रयासों ने उल्लेखनीय योगदान दिया।

→ औद्योगिक क्रांति के दौरान इंग्लैंड के जिन उद्योगों ने प्रमख भमिका निभाई उनमें कोयला एवं लोहा उद्योग एवं बुनाई उद्योग, भाप की शक्ति तथा नहरों एवं रेलों के उद्योग प्रसिद्ध थे।

→ कोयला एवं लोहा उद्योग के विकास में अब्राहम डर्बी प्रथम, अब्राहम डर्बी द्वितीय, अब्राहम डर्बी तृतीय, जोन विल्किसन, हेनरी कोर्ट, हैम्फरी डेवी एवं हेनरी बेस्सेमर ने, कपास की कताई एवं बुनाई उद्योग के विकास में जॉन के, जेम्स हरग्रीव्ज, रिचर्ड आर्कराइट, सैम्यूअल क्राम्पटन एवं एडमंड कार्टराइट ने, भाप की शक्ति के विकास में थॉमस सेवरी, थॉमस न्यूकॉमेन, जेम्स वॉट एवं मैथ्यू बॉल्टन ने, नहरों के विकास में ड्यूक ऑफ़ ब्रिजवाट एवं जेम्स ब्रिडले ने, रेलों के विकास में रिचर्ड ट्रेविथिक एवं जॉर्ज स्टीफेनसन ने उल्लेखनीय योगदान दिया।

→ औद्योगिक क्रांति के दूरगामी एवं महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले। इसने न केवल ब्रिटेन अपितु यूरोप के समाज के स्वरूप को बदल कर रख दिया। जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई। इसने पारिवारिक जीवन को छिन्न-भिन्न कर दिया।

→ समाज दो वर्गों पूँजीपतियों एवं मज़दूरों में बँट गया। पूँजीपतियों जो कि जनसंख्या का बहुत कम भाग था, के हाथ समस्त उद्योग थे। वे ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। दूसरी ओर समाज का अधिकाँश भाग मज़दर वर्ग से संबंधित था। कारखानों में जो उनकी दुर्दशा थी वह जानवरों से भी बदतर थी।

→ यहाँ तक कि स्त्रियाँ एवं बच्चे भी नरक समान जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य थे। औद्योगिक क्रांति के कारण वस्तुओं के उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई। इससे ब्रिटेन के घरेलू एवं विदेशी व्यापार को बहुत प्रोत्साहन मिला। औद्योगिक क्रांति के कारण साम्राज्यवादी भावना को बल मिला।

→ इस क्राँति के चलते ब्रिटेन फ्राँस एवं नेपोलियन के युद्धों का सामना करने में सफल हुआ। ब्रिटेन में मजदूरों ने अपनी मांगों के समर्थन में अनेक विरोध आंदोलन किए। अंततः ब्रिटेन आंदोलन किए। अंततः ब्रिटेन की सरकार ने अनेक कारखाना अधिनियमों द्वारा उनकी दशा सुधारने की चेष्टा की।

→ निस्संदेह यह ब्रिटेन के मजदूरों की एक महान् सफलता थी। औद्योगिक क्रांति पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश फ्रांस के जॉर्जिस मिशले (Georges Michelet), जर्मनी के फ्रॉइड्रिक एंजेल्स (Friedrich Engles), ब्रिटेन के ऑरनॉल्ड टॉयनबी (Arnold Toynbee), टी० एस० एश्टन (T.S. Ashton), पॉल मंतृ (Paul Mantoux) एवं एरिक हॉब्सबाम (Eric Hobsbawm) ने डाला।

→ ऑरनॉल्ड टॉयनबी ने अंग्रेजी में प्रथम बार क्राँति शब्द का प्रयोग अपनी प्रसिद्ध पस्तक लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड (Lectures on the Industrial Revolution in England) में किया था। इस पुस्तक का प्रकाशन उस की मृत्यु के पश्चात् 1884 ई० में हुआ था।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *