Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 जहाँ पहिया हैं Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 जहाँ पहिया हैं
HBSE 8th Class Hindi जहाँ पहिया हैं Textbook Questions and Answers
जंजीरें
“….उन जंजीरों को तोड़ने का, जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं…”
1. आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
2. क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर:
1. हमारे विचार से लेखक जंजीरों द्वारा उन सामाजिक समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती हैं। ये एक प्रकार की रूढ़ियाँ हैं।
2 हाँ, हम लेखक की बात से सहमत हैं। जब लोगों में इच्छाशक्ति जागृत हो जाती है तब वे बंधनों से मुक्ति का कोई-न-कोई तरीका अवश्य खोज लेते हैं।
पहिया
प्रश्न 1.
‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन-से बदलाव आए हैं?
उत्तर:
‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए हैं
- उनमें आत्मविश्वास का संचार हुआ है।
- उनकी पुरुषों पर निर्भरता घटी है।
- अब वे अपने दैनिक कार्य अधिक सुगमता से संपन्न करने लगी हैं।
- इससे उनकी आय में भी वृद्धि हुई है।
- वे अपने उत्पाद ज्यादा स्थानों तक बेच आती हैं।
- आराम करने के लिए ज्यादा समय मिल जाता है। इस प्रकार उनका जीवन ही बदल गया है।
प्रश्न 2.
शुरुआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया, परंतु आर. साइकल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?
उत्तर:
शुरुआत में स्त्रियों द्वारा साइकिल चलाने के आंदोलन का पुरुषों ने डटकर विरोध किया। उन्होंने महिलाओं पर फब्तियाँ भी की।
इससे हटकर आर, साइकिल्स के मालिक ने स्त्रियों द्वारा साइकिल चलाने के आंदोलन का भरपूर समर्थन किया। इसका कारण यह था कि उस अकेले डीलर के यहाँ लेडीज साइकिल की बिक्री में साल भर के अंदर 350 प्रतिशत की वृद्धि जो हुई थी। उसकी भरपूर आय हो रही थी। अत: उसे तो समर्थन करना ही था।
प्रश्न 3.
प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन-सी बाधा आई?
उत्तर:
प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में ये बाधाएँ आई
- पुडुकोट्टई के मुख्य इलाकों में रूढ़िवादी मुस्लिम महिलाएँ थीं। उन्होंने इसे हतोत्साहित किया।
- प्रारंभ में पुरुष वर्ग को महिलाओं का साइकिल चलाना अच्छा न लगा। पुरुष उन पर फब्तियाँ कसते थे।
- साइकिल चलाने का प्रशिक्षण देने वालों का अभाव था। बाद में प्रशिक्षण शिविर लगाए गए।
शीर्षक की बात
प्रश्न 1.
आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?.
उत्तर:
साइकिल में दो पहिए होते हैं। साइकिल इन पहियों से चलकर कहीं भी पहुँच जाती है। जहाँ पहिया है’ वहाँ तक चालक की पहुंच है। इसी भावना को इस पाठ में व्यक्त किया गया है। अतः शीर्षक उचित है।
प्रश्न 2.
अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
हमारे मन से इस पाठ का अन्य शीर्षक यह हो सकता है-
‘महिला साइकिल आंदोलन’
पाठ में साइकिल चलाने को एक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अतः यह शीर्षक भी उचित है। यह आंदोलन महिलाओं को आजादी से संबंधित है। अत: उनको शीर्षक में स्थान देना उचित है।
समझने की बात
“लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज़ है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।”
1. साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
“पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्न सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था।”
2. साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
1. विद्यार्थी समूह बनाकर चर्चा करें।
2. साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है कि यह किसी से लड़ती-झगड़ती नहीं। पैडल मारते ही चुपचाप विनम्रता से चलने लगती है।
साइकिल
1. फातिमा ने कहा, “…मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।”
साइकिल चलाने से फातिमा और पुड्डुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
उत्तर:
साइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को आजादी का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि इससे उनकी पुरुषों पर निर्भरता लगभग समाप्त हो गई है। अब वे अपना स्वतंत्र जीवन जीती हैं। ”
कल्पना से
1. पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों?
2. अगर दुनिया के सभी पहिये हड़ताल कर दें तो फिर क्या होगा?
3. “1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जिला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।” इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
4. मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना से एक समाचार तैयार करो।
5. इस पाठ के अंत में दी गई कविता पिता के बाद पढ़िए। क्या उस कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
1. पुडुकोट्टई की महिला चुनाव लड़तीं तो वे अपना पार्टी-चिह्न ‘साइकिल’ को ही बनाती, क्योंकि यही उनकी आजादी का प्रतीक चिह्न है।
2. दुनिया का सारा आवागमन रुक जाएगा।
3. अब उस जिले में महिलाओं की स्थिति पहली जैसी नहीं रहेगी। अब वे तरक्की के रास्ते पर बढ़ निकली हैं।
4. महिला जगत में क्रांति 8 मार्च, 1992, पुडुकोट्टई (तमिलनाडु)। इस क्षेत्र में 1500 महिलाओं ने साइकिल चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। इससे उनमें असीम आत्मविश्वास की लहर देखी गई है। अब वे आजादी का अहसास कर रही हैं।
5. अगले पृष्ठ पर दी गई कविता और फातिमा की बात में काफी संबंध है। दोनों में स्त्रियों की आजादी का अहसास प्रकट होता है। अब स्त्रियाँ भी आजादी और खुशहाली का अनुभव कर रही हैं। कविता में बताया गया है कि वे पिता के उत्तराधिकार को संभालने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
भाषा की बात
उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छौटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ उपसर्ग और प्रत्यय इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि, वि (उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।
पाठ में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्द :
अभि | अभिव्यक्ति |
प्र | प्रदान |
अनु | अनुभव |
परि | परिवहन |
वि | विशेष |
अन्य शब्द – विरोध प्रशिक्षण आत्मसम्मान पाठ में आए प्रत्यययुक्त शब्द:
इक | आर्थिक (अर्थ + इक) |
वाला | साइकिलवाला |
ता | मूर्खता (मूर्ख + ता) |
ना | पढ़ना |
अन्य शब्द :
- गतिशीलता (ता)
- खुशहाली (ई)
- केंद्रित (इत)
- सामाजिक (इक)
HBSE 8th Class Hindi जहाँ पहिया हैं Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
साइकिल चलाने से स्त्रियों को क्या लाभ पहुँचा है?
उत्तर:
साइकिल चलाने के बहुत निश्चित आर्थिक निहितार्थ हैं। इससे आय में वृद्धि हुई है। यहाँ की कुछ महिलाएँ अगल-बगल के गाँवों में कृषि संबंधी अथवा अन्य उत्पाद बेच आती हैं। साइकिल की वजह से बसों के इंतजार में व्यय होने वाला उनका समय बच जाता है। खराब परिवहन व्यवस्था वाले स्थानों के लिए तो यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। दूसरे, इससे इन्हें इतना समय मिल जाता है कि ये लोग अपने सामान बेचने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर पाती हैं। तीसरे, इससे ये और अधिक इलाकों में जा पाती हैं। अंतिम बात यह है कि अगर वे चाहें तो इससे उन्हें आराम करने | का काफी समय मिल सकता है।
जिन छोटे महिला उत्पादकों को बसों का इंतजार करना पड़ता था, बस स्टॉप तक पहुंचने के लिए भी पिता, माई, पति या बेटों पर निर्भर रहना पड़ता था वे अपना सामान बेचने के लिए कुछ गिने-चुने गाँवों तक ही जा पाती थीं। कुछ को पैदल ही चलना पड़ता था। जिनके पास साइकिल नहीं है वे अब भी पैदल ही जाती हैं। फिर उन्हें बच्चों की देखभाल के लिए या पीने का पानी लाने जैसे घरेलू कामों के लिए भी जल्दी ही भागकर घर पहुँचना पड़ता था। अब जिनके पास साइकिलें हैं वे सारा काम बिना किसी दिक्कत के कर लेती हैं।
केवल पढ़ने के लिए
पिता के बाद:
लड़कियाँ खिलखिलाती हैं तेज धूप में,
लड़कियाँ खिलखिलाती हैं तेज बारिश में,
लड़कियाँ हँसती हैं हर मौसम में।
लड़कियाँ पिता के बाद सँभालती हैं
पिता के पिता से मिली दुकान,
लड़कियाँ वारिस हैं पिता की।
लड़कियों ने समेट लिया
माँ को पिता के बाद,
लड़कियाँ होती हैं माँ।
दुकान पर बैठ लड़कियाँ
सुनती हैं पूर्वजों की प्रतिध्वनियाँ,
उदास गीतों में वे ढूँढ लेती हैं जीवन राग,
धूप में, बारिश में,
हर मौसम में खिलखिलाती हैं लड़कियाँ।
जहाँ पहिया हैं गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. भारत के सर्वाधिक गरीब जिलों में से एक है पुडुकोइई। पिछले दिनों यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता, आजादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना है। उनमें से अधिकांश नवसाक्षर थीं। अगर हम दस वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को अलग कर दें तो इसका अर्थ यह होगा कि यहाँ ग्रामीण महिलाओं के एक-चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख लिया है और इन महिलाओं में से 70 हजार से भी अधिक महिलाओं ने ‘प्रवर्शन एवं प्रतियोगिता’ जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में बड़े गर्व के साथ अपने नए कौशल का प्रदर्शन किया और अभी भी उनमें साइकिल चलाने की इच्छा जारी है। वहाँ इसके लिए कई ‘प्रशिक्षण शिविर’ चल रहे हैं।
प्रश्न:
1. इस गद्यांश में किस इलाके का उल्लेख हुआ है?
2. ग्रामीण महिलाओं ने साइकिल को क्यों चुना?
3. कितनी महिलाओं ने साइकिल चलाना सीख लिया है?
4. इन महिलाओं ने क्या कर दिखाया है?
उत्तर:
1. इस गद्यांश में तमिलनाडु के एक गरीब जिले पुडुकोट्टई का उल्लेख हुआ है।
2. यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने साइकिल को अपनी स्वाधीनता, आजादी और गतिशीलता की अभिव्यक्ति के प्रतीक के रूप में चुना।
3. इस क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं के एक-चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख लिया है।
4. यहाँ की 70 हजार से अधिक महिलाओं ने प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता’ में अपने कौशल का प्रदर्शन किया।
2. इस जिले में साइकिल की धूम मची हुई है। इसकी प्रशंसकों में हैं-महिला खेतिहर मजदूर, पत्थर खदानों में मज़दूरी करने वाली औरतें और गांवों में काम करने वाली नसै। बालवाड़ी और आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, बेशकीमती पत्थरों को तराशने में लगी औरतें और स्कूल की अध्यापिकाएँ भी साइकिल का जमकर इस्तेमाल कर रही हैं। ग्राम सेविकाएँ और दोपहर का भोजन पहुंचाने वाली औरतें भी पीछे नहीं हैं। सबसे बड़ी संख्या उन लोगों की है जो अभी नवसाक्षर हुई हैं। जिस किसी नवसाक्षर अथवा नई-नई साइकिल चलाने वाली महिला से मैंने बातचीत की, उसने साइकिल चलाने और अपनी व्यक्तिगत आजादी के बीच एक सीधा संबंध बताया।
प्रश्न:
1. इस जिले में किसकी धूम मची है?
2. साइकिल का प्रयोग कौन-कौन कर रही हैं?
3. नवसाक्षर महिला ने लेखक को क्या बताया?
उत्तरः
1. इस सिले में साइकिल चलाने की धूम मची है।
2. साइकिल का प्रयोग ये कर रही हैं
- खेतिहर महिला मजदूर
- पत्थर की खदानों में काम करने वाली औरतें
- गाँव की नसें
- बालवाड़ी और आँगनवाड़ी की कार्यकर्ता
- पत्थर तराशने वाली स्त्रियाँ
- अध्यापिकाएँ
3. एक नवसाक्षर महिला ने लेखक को बताया कि साइकिल चलाने का उसकी व्यक्तिगत आजादी के साथ सीधा संबंध है।
3. साइकिल प्रशिक्षण शिविर देखना एक असाधारण अनुभव है। किलाकुरुचि गाँव में सभी साइकिल सीखने वाली महिलाएं रविवार को इकट्ठी हुई थीं। साइकिल चलाने के आंदोलन के समर्थन में ऐसे आवेग देखकर कोई भी हैरान हुए बिना नहीं रह सकता। उन्हें इसे सीखना ही है। साइकिल ने उन्हें पुरुषों द्वारा थोपे गए दायरे के अंदर रोजमर्रा की घिसी-पिटी चर्चा से बाहर निकलने का रास्ता दिखाया। ये नव-साइकिल चालक गाने भी गाती हैं। उन गानों में साइकिल चलाने को प्रोत्साहन दिया गया है। इनमें से एक गाने की पंक्ति का भाव है-‘ओ बहिना, आ सीखें साइकिल, घूमें समय के पहिए संग।
प्रश्न:
1. क्या एक असाधारण अनुभव है?
2. साइकिल ने महिलाओं को कौन-सा रास्ता दिखाया है?
3. गानों में क्या दिया गया है?
उत्तर:
1. ग्रामीण इलाके में साइकिल प्रशिक्षण शिविर देखना एक असाधारण अनुभव है।
2. साइकिल चलाने ने महिलाओं को पुरुषों द्वारा थोपे गए दायरे से बाहर निकलने का रास्ता दिखाया है। अब वे घिसी-पिटी दिनचर्या से बाहर निकल रही हैं।
3. नव साइकिल चालक गाने भी गाती हैं। उन गानों में साइकिल चलाने को प्रोत्साहन दिया गया है।
जहाँ पहिया हैं Summary in Hindi
जहाँ पहिया हैं पाठ का सार
तमिलनाडु में एक ग्रामीण इलाका है-पुडुकोट्टई। यहाँ की महिलाओं ने साइकिल चलाने को एक सामाजिक आंदोलन का रूप दे दिया है। पुडकोट्टई जिले की हजारों नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओं के लिए साइकिल चलाना आम बात है। इन महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता और गतिशीलता की अभिव्यक्ति के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना है। यहाँ की ग्रामीण महिलाओं के एक-चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख लिया है।
इसे सिखाने के लिए कई प्रशिक्षण शिविर भी चल रहे हैं। इस इलाके की अत्यंत रूढ़िवादी पृष्ठभूमि से आई युवा मुस्लिम लड़कियाँ भी सड़कों पर साइकिलों पर जाती दिखाई दे जाती हैं। जमिला बीवी का कहना है कि यह मेरा अधिकार है। अब हम कहीं भी जा सकते हैं। अब हमें बस का इंतजार नहीं करना पडता। पहले लोग हम पर फब्तियां कसते थे। अब इस जिले में साइकिल की धूम मची हुई है। इसके प्रशंसकों में खेतिहर महिला मजदूर, पत्थर खदानों में काम करने वाली औरतें, गाँवों में काम करने वाली नसें हैं। बालवाड़ी और आँगनवाड़ी के कार्यकर्ता, ग्रामसेविकाएँ, दोपहर का भोजन पहुँचाने वाली औरतें भी साइकिल का भरपूर प्रयोग कर रही हैं।
साइकिल आंदोलन ने महिलाओं को बहुत आत्मविश्वास प्रदान किया है। अब उनकी पुरुषों पर निर्भरता घटी है। कई औरतें तो चार किलोमीटर की दूरी तय कर साइकिल पर पानी भर लाती हैं. साथ में उनके बच्चे भी होते हैं। अब धीरे-धीरे साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति मिल गई है। अब तो महिलाएं साइकिल चलाते हुए गाना भी गाती हैं। 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद साइकिल पर सवार होकर 1500 महिलाओं ने तूफान ला दिया।
यहाँ के एक डीलर आर. साइकिल्स की बिक्री साल भर के अंदर 350 प्रतिशत बढ़ गई। यह आंकड़ा भी उसने बड़ी सतर्कता के साथ बताया क्योंकि उसे लगा कि पूछने वाला विक्री कर विभाग का कोई आदमी है।
साइकिल चलाने के अनेक आर्थिक लाभ थे। इससे उनकी आय में वृद्धि हुई, कृषि संबंधी उत्पाद बेचना सरल हो गया, समय की बचत हुई, बसों पर निर्भरता घट गई। इससे ज्यादा इलाके में जाया जा सकता है, आराम करने के लिए काफी समय मिल जाता है। साइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के अंदर आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई है। साइकिल उन्हें आजादी और खुशहाली का अहसास कराती है। साइकिल आजादी की प्रतीक बन गई। ग्रामीण महिलाओं के लिए तो हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।
जहाँ पहिया हैं शब्दार्थ
सामाजिक – समाज संबंधी (Social), व्यक्त – प्रकट (Express), सर्वाधिक – सबसे अधिक (Mast), प्रतीक – चिह्न (Symbol), नवसाक्षर = नई-नई पढ़ी-लिखी (Newly literate), प्रशिक्षण शिविर – ट्रेनिंग कैंप (Training camp), बेशकीमती – बहुमूल्य (Valuable), आत्मविश्वास – अपने ऊपर भरोसा (Self confidence), निर्भरता – दूसरे पर आधारित होना (Dependency), प्रहार – हमला (Blow), आवेग – जोश (Zeal), सतर्कता – सावधानी (Alertness), आर्थिक – धन संबंधी (Financial), उपलब्धि – प्राप्ति (Achievement)