Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 अकबरी लोटा Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 अकबरी लोटा
HBSE 8th Class Hindi अकबरी लोटा Textbook Questions and Answers
कहानी की बात
प्रश्न 1.
“लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।”
लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे ? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
लाला झाऊलाल की पत्नी ने उन्हें उस लोटे में पानी दिया जिसे वे बिलकुल पसंद नहीं करते थे। इसके बावजूद वे कुछ बोले नहीं, चुपचाप वह लोटा ले लिया।
हमारे विचार से इसका कारण यह था
- वे पत्नी का अदब मानते थे।
- कानून निकालने पर पत्नी और कुछ बुरा कर सकती थी।
- उस समय वे चिंताग्रस्त अवस्था में थे अतः उन्होंने कुछ न कहकर चुप रहना ही बेहतर समझा।
प्रश्न 2.
“लाला झाऊलाल ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।”
आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन-सी बातें समझ ली होंगी?
उत्तर:
लोटा गिरने पर गली में मचे शोर को सनकर लाला झाऊलाल दौड़कर नीचे उतरे। उनके आँगन में भीड़ घुस आई थी। लाला झाऊलाल एक चतुर व्यक्ति थे। उन्होंने लोटे के पानी से भीगे अंग्रेज को देखा, उसे अपना पैर सहलाते देखा तो सारी स्थिति को भाँप गए। उन्होंने समस्या का आगा-पीछा सब सोच-विचार लिया। उन्होंने समझ लिया कि अब चुप रहना ही बेहतर है वर्ना समस्या और उग्र हो जाएगी।
प्रश्न 3.
अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इंकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब अंग्रेज ने झाऊलाल की ओर इशारा करते हुए बिलवासी मिश्र से पूछा कि क्या आप इस शख्स को जानते हैं तब बिलवासी ने उन्हें पहनानने से साफ इंकार कर दिया था। हमारे विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार करके अंग्रेज की सहानुभूति पाने का प्रयास कर रहे थे। झाऊलाल को पहचानकर वे उनकी मुसीबत को और नहीं बढ़ाना चाहते थे। वे एक तीर से दो निशाने कर रहे थे। इसमें वे सफल भी रहे।
प्रश्न 4.
बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था ? लिखिए।
उत्तर:
बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके निकाल कर किया था। यद्यपि चाबी उसकी पत्नी की सोने की चेन में बँधी रहती थी, पर उन्होंने चुपचाप उसे उतार कर ताली से संदूक खोल लिया था और रुपए निकाल लिए थे। बाद में वे रुपए चुपचाप वहीं रख भी दिए।
प्रश्न 5.
आपके विचार से अंग्रेज ने वह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।
उत्तर:
अंग्रेज पुरानी ऐतिहासिक महत्त्व की चीजें खरीदने के शौकीन होते हैं। उस अंग्रेज का एक पड़ोसी मेजर डगलस पुरानी चीजों में उससे बाजी मारने का दावा करता रहता था। उसने एक दिन एक जहाँगीरी अंडा दिखाकर कहा था कि वह इसे दिल्ली से 300 रुपए में लाया है। वह अंग्रेज इसका बदला देना चाहता था। अत: उसने 500 रुपए देकर अकबरी लोटा खरीद लिया। वास्तव में वह लोटा अकबरी था ही नहीं, बिलवासी ने उसे मूर्ख बनाया था। इस लोटे को दिखाकर वह मेजर डगलस को नीचा दिखाना चाहता था।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
“इस भेव को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।”
बिलवासी जी ने यह बात किसे और क्यों कही ? लिखिए।
उत्तर:
बिलवासी ने यह बात लाला झाकलाल को इसलिए कही क्योंकि उन्होंने बिलवासी जी से यह पूछा था कि जब आपके पास रुपए थे ही नहीं तब आप 250 रुपए घर से कैसे ले आए।
बिलवासी इस रहस्य को उनके सामने खोलना नहीं चाहते थे।
प्रश्न 2.
“उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई।”
समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों ? लिखिए
उत्तर:
बिलवासी जी अपनी पत्नी के सो जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे ताकि वे सोई पत्नी के गले से सोने की वह सिगड़ी निकाल सकें, जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। वे ताला खोलकर पत्नी के रूपयों को उसके संदूक में वैसे ही चुपचाप रख देना चाहते थे जैसे वे निकाले थे। यहाँ समस्या झाऊलाल की नहीं बिलवासी की थी।
प्रश्न 3.
“लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।”
“अजी इसी सप्ताह में ले लेना।”
“सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से ?
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से पता चलता है। लिखिए।
उत्तर :
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच इस बातचीत से ये बातें मालूम होती हैं
- पत्नी को अपने पति के वायदे पर विश्वास न था।
- पत्नी अपने पति की टालू प्रवृत्ति से भलीभांति परिचित थी।
- पत्नी पति पर हावी थी।
- वह तर्कशील थी।
क्या होता यदि
1. अंग्रेज लोटा न खरीदता ?
2. यदि अंग्रेज पुलिस को बुला लेता?
3. जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती?
उत्तर:
1. यदि लोटा अंग्रेज न खरीदता तो झाऊलाल को अचानक 500 रुपए की प्राप्ति नहीं होती।
2. झाऊलाल के लिए एक मुसीबत खड़ी हो जाती।
3. तब बिलवासी मिश्र की पोल खुल जाती और उन्हें पत्नी के सम्मुख शर्मिंदा होना पड़ता।
पता कीजिए
1. “अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।”
उल्का क्या होती है ? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन-सी समानताएँ और अंतर होते हैं ?
उत्तर:
उल्का आकाश में आग का गोला होती है। उल्का चमकती और आग के समान प्रतीत होती है। उल्का और ग्रह दोनों ही आकाशीय पिंड हैं। ये दोनों ही एक समान पदार्थों से बने हैं। उल्का तेज चमक के साथ पृथ्वी की ओर नीचे जाकर जल जाती है। ग्रह अपनी जगह स्थिर रहकर सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
2. “इस कहानी में आपने दो चीजों के बारे में मजेदार कहानियाँ पढ़ी-अकबरी लोटे की कहानी और जहाँगीरी अंडे की कहानी।”
आपके विचार से ये कहानियाँ सच्ची हैं या काल्पनिक?
उत्तर:
हमारे विचार से ये कहानियाँ काल्पनिक हैं।
3. अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार कहानी बनाइए।
उत्तर:
यह काम विद्यार्थी स्वयं करें।
4. बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या गलत ?
उत्तर:
नैतिक दृष्टि से तो वह तरीका गलत था क्योंकि किसी अनजान व्यक्ति को मूर्ख बनाया गया था। पर उन्होंने अपनी समझ बुद्धि से समस्या का समाधान खोज निकाला था।
भाषा की बात
1. इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बजाय रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी में से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।
उत्तर:
रोचक वाक्य
- ढाई सौ रुपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते थे।
- अब जो एक काम पड़ा तो चारों खाने चित्त हो रहे।
- उनकी स्त्री उन्हें डामनफांसी न कर देगी-केवल जरा-सा हँस देगी।
- कुछ ऐसी गढ़न थी उस लोटे की कि उसका बाप डमरू, माँ चिलम रही हो।
2. इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पांच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।
उत्तर:
- आँख सेंकना-इतने रुपयों में भला क्या आँख सिकेगी?
- चारों खानों चित होना-मैं ऐसा मजा चखाऊँगा कि चारों खानों चित हो जाओगे।
- डींगें सुनना-तुम्हारी डींगें सुनते-सुनते मेरे कान पक गए
- कान पक जाना-तुम्हारी शेखी भरी बातें सुनकर मेरे कान पक गए हैं।
- चैन की नींद सोना-मैं इस समस्या का हल करके ही चैन की नींद सो पाऊँगा।
HBSE 8th Class Hindi अकबरी लोटा Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
पं. बिलवासी मिश्र कहाँ आते दिखाई पड़े? उन्होंने आते ही क्या किया? उन्होंने अंग्रेज के साथ किस प्रकार सहानुभूति प्रकट की?
उत्तर:
पं. बिलवासी मित्र भीड़ को चीरते हुए आँगन में आते दिखाई पड़े। उन्होंने आते ही पहला काम यह किया कि उस अंग्रेज को छोड़कर और जितने आदमी आँगन में घुस आए थे, सबको बाहर निकाल दिया। फिर आँगन में कुर्सी रखकर उन्होंने साहब से कहा-“आपके पैर में शायद कुछ चोट आ गई है। अब आप ।आराम से कुर्सी पर बैठ जाइए।”
साहब बिलवासी जी को धन्यवाद देते हुए बैठ गए और लाला झाऊलाल की ओर इशारा करके बोले-“आप इस शख्स को जानते हैं ?”
“बिलकुल नहीं। और मैं ऐसे आदमी को जानना भी नहीं चाहता, जो निरीह राह चलतों पर लोटे के वार करे।”
प्रश्न 2.
समय बीतते देखकर लाला झाऊलाल ने अपनी विपदा किसे सुनाई? उसने क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
चार दिन बीतने के बाद पाँचवें दिन घबराकर लाला झाऊलाल ने पं. बिलवासी मिश्र को अपनी विपदा सुनाई। संयोग कुछ ऐसा बिगडा था कि बिलवासी जी भी उस समय बिलकुल खुक्ख थे। उन्होंने कहा-” मेरे पास हैं तो नहीं, पर मैं कहीं से मांग-जाँचकर लाने की कोशिश करूँगा और अगर मिल गए तो कल शाम को तुमसे मकान पर मिलूँगा।”
प्रश्न 3.
लाला जी ने नापसंद लोटे को पत्नी से क्यों ले लिया? उन्होंने क्या बात सोची?
उत्तर:
लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे। मानना ही चाहिए। इसी को सभ्यता कहते हैं। जो पति अपनी पत्नी का न हुआ, वह पति कैसा? फिर उन्होंने यह भी सोचा कि लोटे में पानी दे, तब भी गनीमत है, अभी अगर यूँ कर देता हूँ तो बाल्टी में भोजन मिलेगा। तब क्या करना बाकी रह जाएगा?
अकबरी लोटा गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. लाला झाऊलाल को खाने-पीने की कमी नहीं थी। काशी के ठठेरी बाज़ार में मकान था। नीचे की दुकानों से एक सौ रुपए मासिक के करीब किराया उतर आता था। अच्छा खाते थे, अच्छा पहनते. थे, पर ढाई सौ रुपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते थे।
इसलिए जब उनकी पत्नी ने एक दिन एकाएक ढाई सौ रुपए की मांग पेश की, तब उनका जी एक बार ज़ोर से सनसनाया और फिर बैठ गया। उनकी यह दशा देखकर पत्नी ने कहा-“डरिए मत, आप देने में असमर्थ हों, तो मैं अपने भाई से माँग लूँ?”
प्रश्न :
1. लाला झाऊलाल की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
2. उन्हें 250 रुपए की आवश्यकता क्यों पड़ गई?
3. रुपए की माँग सुनकर उनकी क्या दशा हुई?
4. उनकी दशा देखकर पत्नी ने क्या ताना मारा?
उत्तर:
1. लाला झाऊलाल एक अच्छे खाते-पीते व्यक्ति थे। काशी के ठठेरी बाजार में उनका मकान था और मकान के नीचे दुकानें थी जिनसे 100 रुपए मासिक किराया आ जाता था। वे अच्छा खाते थे, अच्छा पहनते थे।
2. एक दिन उनकी पत्नी ने अचानक उनके सामने 250 रुपए की माँग पेश कर दी। इसी की पूर्ति के लिए उन्हें 250 रुपए की आवश्यकता थी।
3. अचानक इतने रुपयों की माँग सुनकर उनका जी सनसना गया और फिर बैठ गया।
4. उनकी घबराहट की दशा देखकर पत्नी ने ताना मारा-डरिए ।मत, आप देने में असमर्थ हों, तो मैं अपने भाई से माँग लूँ।
2. लाला झाऊलाल ने देखा कि इस भीड़ में प्रधान पात्र एक अंग्रेज है, जो नखशिख से भीगा हुआ है और जो अपने एक पैर को हाथ से सहलाता हुआ दूसरे पैर पर नाच रहा है। उसी के पास अपराधी लोटे को भी देखकर लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।
गिरने के पूर्व लोटा एक दुकान के सायबान से टकराया। वहाँ टकराकर उस दुकान पर खड़े उस अंग्रेज को उसने सांगोपांग स्नान कराया और फिर उसी के बूट पर आ गिरा। उस अंग्रेज को जब मालूम हुआ कि लाला झाऊलाल ही उस लोटे के मालिक हैं, तब उसने केवल एक काम किया। अपने मुँह को खोलकर खुला छोड़ दिया। लाला झाऊलाल को आज ही यह मालूम हुआ कि अंग्रेजी भाषा में गालियों का ऐसा प्रकांड कोष है।
प्रश्न :
1. लाला झाऊलाल ने क्या देखा ?
2. लाला झाऊलाल ने क्या समझ लिया ?
3. लोटे के गिरने के बाद क्या हुआ?
4. लाला झाऊलाल को क्या मालूम हुआ ?
उत्तर:
1. लाला झाऊलाल ने देखा कि भीड़ में एक अंग्रेज सिर से नाखून तक भीगा हुआ है तथा अपने हाथ से अपने पैर को सहला रहा है। वह दूसरे पैर पर नाच रहा था।
2. लाला झाऊलाल ने सारे दृश्य को देखकर पूरी स्थिति को भली प्रकार समझ लिया।
3. लोटा ऊपर से गिरकर पहले दुकान के सायबान से टकराया, फिर उसने अंग्रेज को पूर्ण स्नान कराया, बाद में उसके बूट पर जा गिरा।
4. अंग्रेज लोटे के मालिक लाला झाऊलाल को मुँह खोलकर गालियाँ दे रहा था। उन्हें सुनकर उन्हें मालूम हुआ कि अंग्रेजी भाषा में भी गालियों का इतना प्रचंड खजाना है।
3. “जी, जनाब। सोलहवीं शताब्दी की बात है। बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हारकर भागा था और सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था। एक अवसर पर प्यास से उसकी जान निकल रही थी। उस समय एक ब्राह्मण ने इसी लोटे से पानी पिलाकर उसकी जान बचाई थी। हुमायूँ के बाद अकबर ने उस ब्राह्मण का पता लगाकर उससे इस लोटे को ले लिया और इसके बदले में उसे इसी प्रकार के दस सोने के लोटे प्रदान किए। यह लोटा सम्राट अकबर को बहुत प्यारा था। इसी से इसका नाम अकबरी लोटा पड़ा। वह बराबर इसी से वजू करता था। सन् 57 तक इसके शाही घराने में रहने का पता है। पर इसके बाद लापता हो गया। कलकत्ता के म्यूजियम में इसका प्लास्टर का मॉडल रखा हुआ है। पता नहीं यह लोटा इस आदमी के पास कैसे आया? म्यूजियम वालों को पता चले, तो फैंसी दाम देकर खरीद ले जाएँ।
प्रश्न :
1. 16वीं शताब्दी में क्या हुआ था?
2. हुमायूँ की जान कैसे बची थी?
3. बाद में लोटा किसके पास पहुंचा और वहाँ कब तक रहा?
4. बाद में इस लोटे का क्या हुआ?
उत्तर :
1. 16वीं शताब्दी में बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हारकर सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था।
2. हुमायूँ की प्यास से जान निकल रही थी कि एक ब्राह्मण ने इस लोटे से पानी पिलाकर उसकी जान बचाई थी।
3. बाद में हुमायूँ के बेटे अकबर ने उस ब्राह्मण का पता लगाया। उसे सोने के दस लोटे देकर इस लोटे को ले लिया। वह इसी लोटे से वजू (मुसलमानों में हाथ-पैर धोने की क्रिया) करता था। सन् 57 तक यह लोटा उसके पास रहा।
4. बाद में यह लोटा शाही घराने से गायब हो गया। कलकत्ता (कोलकाता) के म्यूजियम में इसका प्लास्टर का मॉडल रखा हुआ है। म्यूजियम वाले इसे तलाश रहे हैं।
अकबरी लोटा Summary in Hindi
अकबरी लोटा पाठ का सार
लाला झाऊलाल अच्छे खाते-पीते व्यक्ति थे। काशी के ठठेरी बाजार में उनका मकान था। नीचे की दुकानों से 100 रुपए मासिक किराया आ जाता था। एक दिन उनकी पत्नी ने अचानक 250 रुपए माँग लिए। साथ ही धमकी भी दे दी कि यदि आप न दे सकें तो मैं अपने भाई से ले लूँगी। लाला झाऊलाल को पत्नी का अपने भाई से रुपए लेना अपमानजनक लगा। उन्होंने एक सप्ताह में रुपए दे देने का वादा कर दिया। जब चार दिन ऐसे ही बीत गए तो उन्हें रुपयों के प्रबंध की चिंता सताने लगी।
पाँचवें दिन उन्होंने पं. बिलवासी मिश्र को अपनी बिपदा सुनाई। वे बोले-“मेरे पास हैं तो नहीं, पर मैं कहीं से मांग-जाँचकर लाने की कोशिश करूँगा और कल शाम को तुमसे मकान पर मिलूंगा।” आज हफ्ते का अंतिम दिन था। लाला झाऊलाल इसी उधेड़-बुन में छत पर टहल रहे थे। नौकर को पानी के लिए आवाज देने पर पत्नी पानी लेकर आई, पर वह गिलास लाना भूल गई। वह एक बेढंगी सूरत वाले लोटे में पानी लाई थी। लाला झाऊलाल को यह लोटा सदा से नापसंद था। लाला अपना गुस्सा पीकर पानी पीने लगे, अभी वे एक-दो बूट ही पी पाए होंगे कि उनके हाथ से लोटा छूट गया। तिमजिले मकान से पानी से भरा लोटा नीचे एक अंग्रेज के पैर पर जा गिरा।
वह पैर को हाथ से सहला ही रहा था कि वहाँ पं. बिलवासी मिश्र आ प्रकट हुए। उन्होंने अपने ढंग से स्थिति को संभालने की कोशिश की। उन्होंने अंग्रेज को आराम से एक कुर्सी पर बिठाया। अंग्रेज गाली बक रहा था। बिलवासी मिश्र ने अंग्रेज को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी। जब वह चलने को तैयार हो गया तो बिलवासी मिश्र ने एक चालाकी चली। उन्होंने उस लोटे को 50 रुपए में खरीदने की इच्छा जताई। साहब ने इस रद्दी लोटे के 50 रुपए अधिक बताए। पूछने पर बिलवासी मिश्र ने कहा-“यह एक ऐतिहासिक लोटा है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह प्रसिद्ध अकबरी लोटा है। इसकी तलाश में संसार भर के म्यूजियम परेशान हैं।”
यह बात सुनकर अंग्रेज हैरान रह गया। बिलवासी मिश्र ने उसकी जिज्ञासा को बढ़ाते हुए कहा-16वीं शताब्दी की बात है। हुमायूँ की प्यास एक ब्राह्मण ने इसी लोटे से बुझाई थी। बाद में अकबर ने दस सोने के लोटे देकर इसे ब्राह्मण से प्राप्त कर लिया। वह इसी लोटे से वजू करता था। सन् 57 तक यह लोटा शाही घराने में रहा, फिर लापता हो गया। इस विवरण ने अंग्रेज के मन में लोटे को पाने की इच्छा जागृत कर दी। अंग्रेज को पुरानी ऐतिहासिक चीजों के संग्रह का शौक था।
वह उस समय भी कुछ पुरानी मूर्तियाँ खरीद रहा था। उसने लोटे को खरीदने पर अपना हक जताया। बिलवासी और अंग्रेज में लोटे की कीमत पर शर्त लग गई। बिलवासी ने 250 रुपए के नोट लाला झाऊलाल के आगे फेंक दिए तो अंग्रेज ने 500 रुपए का प्रस्ताव रखा। आखिर में लोटा अंग्रेज को मिल गया। अब अंग्रेज को संतोष हुआ कि वह मेजर डगलस के जहाँगीरी अंडे का अच्छा जवाब दे सकेगा।
मेजर डगलस इस जहाँगीरी अंडे को पारसाल दिल्ली में एक मुसलमान सज्जन से 300 रुपए में खरीदकर ले गए थे। अंग्रेज रुपए देकर झाऊलाल से 500 रुपए में लोटा लेकर चला गया। लाला झाऊलाल की समस्या का हल हो चुका था। उनका चेहरा प्रसन्न था। बिलवासी तुरंत घर लौट आए क्योंकि वे चुपके से पत्नी की संदूक का ताला खोलकर 250 रुपए निकाल कर लाए थे। घर लौटकर उन्होंने अपने रुपए वहीं ठिकाने पर रखकर चैन की साँस ली।
अकबरी लोटा शब्दार्थ
असमर्थ – समर्थ (योग्य) न होना (Incapable), प्रतिष्ठा = इज्जत (Respect), साख = इज्जत (Prestige), विपदा – मुसीबत (Trouble), बेढंगी = टेढ़ा-मेढ़ा (Shapeless), ओझल = गायब (Disappear), आकर्षण = खिंचाव (Attraction), काशीवास का संदेश = मौत की खबर (Death News), सांगोपांग = पूरे शरीर सहित (With Full body), कोष • खजाना (Treasure), डेंजरस – खतरनाक (Dangerous), ल्यूनाटिक = पागल (Mad), क्रिमिनल – मुजरिम (Criminal), इजाज़त = अनुमति (Permission), लापता – गायब (Lost), संग्रह = एकत्रित करना (Collection), बिल्लौर – काँच (Glass), अंतर्धान – गायब (Disappear)।