HBSE 8th Class Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Hindi Apathith Bodh Apathit Gadyansh अपठित गद्यांश Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Hindi Apathith Bodh अपठित गद्यांश

‘अपठित’ से अभिप्राय है – जिसे पहले पढ़ा न गया हो। ऐसा अवतरण गदय अथवा पदय दोनों में हो सकता है। परीक्षा में केवल अपठित गद्यांश देकर उस पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इनका उत्तर लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
1. सर्वप्रथम दिए गए गद्यांश को कम-से-कम दो बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए, जिससे उसका मूल भाव आपकी समझ में आ जाए।
2. इसके पश्चात् पूछे गए प्रश्नों को पढ़ना चाहिए।
3. पूछे गए प्रश्नों के संभावित उत्तरों को रेखांकित कीजिए।
4. ध्यान रखें कि प्रश्नों के उत्तर अनुच्छेद में दी हुई सामग्री पर आधारित हों।
5. प्रश्नों के उत्तर अत्यंत सरल भाषा और अपने शब्दों में दीजिए।
6. प्रश्नों के उत्तर सीधे, संक्षिप्त एवं सटीक होने चाहिए, उनमें अनावश्यक विस्तार, उदाहरण, अलंकार, सूक्तियों, मुहावरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
7. कभी कठिन शब्दों के अर्थ, विलोम शब्द तथा मुहावरे भी पूछे जाते हैं। शब्दों के अर्थ प्रसंग के अनुकूल होने आवश्यक हैं।
8. उचित स्थानों पर विराम-चिह्नों का प्रयोग करना न भूलें।
9. अपठित बोध में सार और शीर्षक लिखने को भी कहा जा सकता है। यहाँ अपठित बोध के पर्याप्त उदाहरण दिए जा रहे हैं :

HBSE 8th Class Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

गद्यांश

1. तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी तक भारत में मुस्लिम सत्ता पूरी तरह स्थिर हो चुकी थी। अब वह सड़कों, इमारतों आदि के निर्माण में रुचि लेने लगी थी। इन निर्माण कार्यों में समाज के दुर्बल वर्ग ने काम किया जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। इस्लाम के धुआँधार प्रचार के कारण हिंदुओं में अपने धर्म की सुरक्षा की चिंता हुई। इस स्थिति में दुर्बल वर्ग को समाज में प्रतिष्ठा दिलाने की तथा हिंदू और इस्लाम के संघर्ष को मिटाने की आवश्यकता थी। पंद्रहवीं-सोलही शताब्दी का उत्तर भारत का भक्ति आंदोलन इसी माँग की उपज था।

भक्ति की यह लहर दक्षिण से उत्तर भारत की ओर आई। भक्ति में आदि आचार्य रामानुज दक्षिण के ही थे। इनकी तीसरी पीढ़ी में रामानंद आते हैं। रामानंद ने उत्तर भारत में भक्ति को जन-जन तक पहुँचाकर इसे लोकप्रिय बनाया। इनके शिष्यों में निर्गुण और सगुण दोनों ही प्रकार के भक्त थे। भक्ति-आंदोलन अखिल भारतीय था। उत्तर भारत के आंदोलन की विशेषता यह थी कि इसमें मुसलमान भी शामिल हुए।
प्रश्न :
1. भारत में मुस्लिम सत्ता कब तक स्थिर हो चुकी थी?
2. निर्माण कायाँ से किस वर्ग को, किस रूप में लाभ पहुंचा?
3. उत्तर भारत का भक्ति आदोलन किसकी उपज था?
4. भक्ति की लहर को उत्तर में किसने लोकप्रिय बनाया?
5. इस भक्ति आदोलन की क्या विशेषता थी?
6. इस गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।
7. ‘दुर्बल ‘ शब्द का विलोम लिखिए।
8. ‘आर्थिक ‘ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय अलग करके लिखिए।
उत्तर :
1. भारत में मुस्लिम सत्ता तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी तक स्थिर हो चुकी थी।
2 शासन द्वारा किए गए निर्माण कार्यों से समाज के दुर्बल वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार पहुंचा।
3. उत्तर भारत का भक्ति आंदोलन हिन्दू और इस्लाम के संघर्ष को मिटाने की आवश्यकता की मांग की उपज था।
4. भक्ति की लहर दक्षिण से उत्तर भारत में आई और इसे रामानंद ने जन-जन में लोकप्रिय बनाया।
5. इस भक्ति आंदोलन की यह विशेषता थी कि इसमें मुसलमान भी शामिल हुए।
6. सार : तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी तक भारत में मुस्लिम सत्ता स्थिर हो चुकी थी और निर्माण कार्यों के माध्यम से निर्धन वर्ग को लाभ पहुँचा रही थी। भक्ति आंदोलन ने हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को टाला। दक्षिण के रामानुज द्वारा चलाए भक्ति-आंदोलन को रामानंद ने उत्तर भारत में लोकप्रिय बनाया। इसमें निर्गुण-सगुण भक्त एवं मुसलमान भी शामिल थे।
7. ‘दुर्बल’ शब्द का विलोम है-सबल।
8. ‘आर्थिक’ शब्द में ‘इक’ प्रत्यय का प्रयोग है।

HBSE 8th Class Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

2. भारतीय संस्कृति का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसे जानने से पहले ‘संस्कृति’ शब्द को समझना आवश्यक है। संस्कृति का सामान्य अर्थ है-मानव जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रिया-कलाप आदि। वास्तव में संस्कृति का निर्माण एक लंबी परंपरा के बाद होता है। संस्कृति विचार और आचरण के वे नियम और मूल्य हैं जिन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है। इसलिए कहा जा सकता है कि इसे हम अपने अतीत से विरासत के रूप में प्राप्त करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो संस्कृति एक विशिष्ट जीवन शैली का नाम है। यह एक सामाजिक विरासत है जो परंपरा से चली आ रही होती है।

प्रायः सभ्यता और संस्कृति को एक ही मान लिया जाता है, परन्तु इनमें भेद है। सभ्यता में मनुष्य के जीवन का भौतिक पक्ष प्रधान है अर्थात् सभ्यता का अनुमान भौतिक सुख-सुविधाओं से लगाया जा सकता है। इसके विपरीत संस्कृति में आचार और विचा – पक्ष की प्रधानता होती है। इस प्रकार सभ्यता को शरीर माना जा सकता है तथा संस्कृति को आतगा। इसलिए इन दोनों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। वास्तव में दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
प्रश्न :
1. ‘संस्कृति’ शब्द का सामान्य अर्थ क्या है?
2. संस्कृति के नियम और मूल्य समाज कहाँ से प्राप्त करता है?
3. सभ्यता और संस्कृति में क्या अंतर है?
4. सभ्यता और संस्कृति एक-दूसरे की पूरक कैसे है।
5. इस गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।
6. इस गद्याश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
7. ‘प्राचीन’ शब्द का विलोम लिखिए।
8. ‘विशिष्ट ‘ शब्द का अर्थ लिखिए।
9. इस गद्याश से ऐसे दो शब्द चुनिए जिनमें ‘ईय’ और ‘इक’ प्रत्यय का प्रयोग किया गया हो।
उत्तर:
1. ‘संस्कृति’ शब्द का सामान्य अर्थ है – मानव-जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रिया कलाप आदि।
2 संस्कृति के नियम और मूल्य समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है। यह विरासत के रूप में समाज को मिलते हैं।
3. सभ्यता का संबंध मनुष्य जीवन के भौतिक पक्ष से है जबकि संस्कृति का संबंध आचार-विचार से है। सभ्यता शरीर है तो संस्कृति आत्मा है।
4. सभ्यता और संस्कृति को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। अतः इन्हें एक-दूसरे की पूरक कहा जा सकता है।
5. सार : भारतीय संस्कृति अत्यंत प्राचीन है। संस्कृति मानव-जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार का नाम है। संस्कृति के मूल्य समाज परंपरागत विरासत में प्राप्त करता है। सभ्यता और संस्कृति में अंतर है। सभ्यता में मनुष्य का भौतिक पक्ष प्रधान रहता है तो संस्कृति में आचार-विचार पक्ष की प्रमुखता रहती है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
6 शीर्षक-भारतीय संस्कृति
7. ‘प्राचीन’ शब्द का विलोम है-नवीन।
8 ‘विशिष्ट’ शब्द का अर्थ है-खास।
9. ईय – भारतीय।
इक – भौतिका

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3. भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता रही विभिन्न प्रदेशों में पर्याप्त भिन्नता दिखाई देती है तथापि अपने आचार-विचारों की एकता के कारण यहाँ सदा सामासिक संस्कृति का ही रूप देखने को मिलता है। यही कारण है कि इन विभिन्नताओं के होते हुए भी भारत सदियों से एक भौगोलिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इकाई के रूप में विश्व में अपना स्थान बनाए हुए है। इसीलिए भारत में अनेकता में एकता के सदा ही दर्शन होते हैं। इस भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता और भौतिकता दोनों ही का मिश्रण रहा है। अतः इसकी प्राचीनता, इसकी गतिशीलता, इसका लचीलापन, इसकी ग्रहणशीलता, इसका सामाजिक स्वरूप और अनेकता के भीतर से दिखाई देने वाली एकता इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। इन विशेषताओं के कारण ही भारतीय संस्कृति विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है।
प्रश्न:
1. भारतीय संस्कृति की क्या विशेषता रही है?
2. भारत में भिन्नता और एकता के दर्शन कहाँ-कहाँ होते हैं?
3. भारतीय संस्कृति में किस-किसका मिश्रण रहा है।
4. भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ क्या है?
5. इस गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।
6. ‘इक’ प्रत्यय के प्रयोग वाले दो शब्द इस गद्याश से छाँटकर लिखिए।
7. “पयाप्त’ शब्द का विलोम लिखिए।
8. ‘दर्शन’ में ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए।
उत्तर :
1. ‘अनेकता में एकता’ भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता रही है।
2 भारत के विभिन्न प्रदेशों में ऊपरी तौर पर भिन्नता दिखाई देती है जबकि आचार-विचारों में एकता के दर्शन होते हैं।
3. भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का मिश्रण रहा है।
4. भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ हैं – गतिशीलता, लचीलापन, ग्रहणशीलता, सामाजिक स्वरूप एवं अनेकता में एकता की भावना का समावेश होना।
5. सार : अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। प्रदेशों में ऊपरी भिन्नताओं के बावजूद यहाँ आचार-विचार में एकता की भावना विद्यमान है। इस संस्कृति में भौतिकता एवं आध्यात्मिकता का मिश्रण है। भारतीय संस्कृति प्राचीन, गतिशील, ग्रहणशील एवं लचीली एवं विशिष्ट है।
6 ‘इक’ प्रत्यय वाले दो शब्द-भौगोलिक, सांस्कृतिक।
7. ‘पर्याप्त’ शब्द का विलोम है-अपर्याप्त।
8. दर्शन + इक = दार्शनिक।

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4. हिमपात के समय सर्द मुल्कों के लोग बाहर घूमने में आनंद अनुभव करते हैं। पैरों के तलवे में स्की की लंबी लकड़ी बाँधकर दोनों हाथों में डंडे से वह फिसलने का आनंद लेते हैं। तरुण-तरुणियाँ होड़ लगाकर एक दूसरे से आगे बढ़ना चाहते हैं। मसूरी जैसे स्थानों में ऐसे समतल स्थान पहले तो हैं ही नहीं, और हैपीवैली के आँगन की तरह के यदि कोई है भी, तो आनंद लेने वाले आदमियों का अभाव है। दूसरे, बफानी खेल भी यहाँ नहीं खेले जाते। यह नहीं है कि हिमालय के बर्षांनी स्थानों के बच्चे और तरुण हिम का खेल खेलना नहीं जानते।

हिमपिण्ड को उठाकर दोनों हाथों से दबा गेंद का रूप दे वह एक दूसरे के ऊपर फेंकते हैं। कहीं-कहीं चमड़े या लकड़ी के पटरे को रख उस पर बैठकर नीचे की ओर फिसलते हैं। मसूरी के निवासी वस्तुतः बर्षांनी स्थान के होते, तो हिम-क्रीड़ा के आनंद से अपने को वंचित न करते। यहाँ के दुकानदार प्रायः सभी नीचे से आए हुए हैं। चौकीदार जैसे छोटे-मोटे नौकर ही पहाड़ी हैं, वे भी चार हजार फुट से नीचे वाले स्थानों से ही आए हैं। इसलिए उन्हें हिमक्रीड़ा के आनंद का अनुभव नहीं है।
प्रश्न :
1. हिमपात के समय सद’ मुल्कों के लोग किस प्रकार आनंद लेते है?
2. मसूरी में हिमपात के खेलों का आनद क्यों नहीं लिया जा पाता?
3. हिमालय के बानी स्थानों के बच्चे और तरुण कसे खेलते हैं?
4. मसूरी के निवासी मूलतः कहाँ से आए
5. इस गद्याश का सार एक तिहाई शब्दों में लिए।
6. ‘हिमक्रीड़ा’ का अर्थ लिखिए।
7. इस गद्यांश से दो विशेषण शब्द चुनकर लिखिए।
उत्तर:
1. हिमपात के समय ठंडे देशों के लोग बाहर घूमने तथा पैरों के तलवे में स्की की लंबी लकड़ी बाँधकर बर्फ पर फिसलने का आनंद लेते हैं।
2. मसूरी में समतल स्थानों का अभाव है तथा वहाँ के लोग बर्फानी खेलों का आनंद लेना नहीं जानते।
3. हिमालय के बर्फानी स्थानों के बच्चे और तरुण बर्फ को दबाकर गेंद का रूप देकर एक-दूसरे पर फेंकते हैं। चमड़े या लकड़ी के पटरे पर बैठकर बर्फ पर फिसलते
4. मसूरी के निवासी मूलतः नीचे के स्थानों से आए हुए हैं। छोटे-मोटे नौकर व चौकीदार ही पहाड़ी हैं।
5. सार : हिमपात का आनंद ठंडे देशों के लोग बाहर घूमकर अथवा बर्फ पर फिसलकर लेते हैं। मसूरी में समतल स्थानों का अभाव है तथा बर्फानी खेल भी वहाँ नहीं खेले जाते। हिमालय के बानी स्थानों के बच्चे और तरुण एक-दूसरे पर बर्फ की गेंद फेंकते हैं। मसूरी । में बसे लोग प्राय: निचले स्थानों से आए हैं अतः उन्हें हिमक्रीड़ा में कोई रुचि नहीं है।
6 ‘हिमक्रीड़ा’ शब्द का अर्थ है-बर्फ का खेल।
7. दो विशेषण –
(1) लंबी (लकड़ी)।
(2) बर्फानी (स्थान)।

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5. प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने की दिशा में मनुष्य पिछले दो-तीन सौ वर्षों के दौरान इतना अधिक बढ़ चुका है कि अब पीछे हटना असंभव-सा लगता है। जिस गति से हम विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ते रहे हैं, उसमें कोई भी कमी व्यावहारिक नहीं प्रतीत होती, क्योंकि हमारी अर्थ व्यवस्थाएं और दैनिक आवश्यकताएं उस गति के साथ जुड़-सी गई हैं। क्या हमें ज्ञात नहीं कि जिसे हम अपना आहार समझ रहे हैं, वह वस्तुतः हमारा दैनिक विष है, जो सामूहिक आत्महत्या की दिशा में हमें लिए जा रहा है?

जंगलों को ही लो ! यह एक प्रकट तथ्य है कि विभिन्न देशों की बन-संपत्ति अत्यंत तीव्र गति से क्षीण होती जा रही है। भारत के विभिन्न प्रदेशों, विशेषकर पूर्वांचल के राज्यों, तराई, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर आदि के जंगल ‘भारी संख्या में काटे जा रहे हैं,खूब अच्छी तरह यह जानते हुए भी कि जंगलों को काटने का मतलब होगा- भूमि को अरक्षित करना, बाढ़ों को बढ़ावा देना और मौसम के बदलने में सहायक बनना।
प्रश्न :
1. प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने का कार्य कौन कर रहा है?
2. हमारा दैनिक विष क्या है?
3. किन-किन प्रदेशों में जगल भारी संख्या में काटे जा रहे
4. जंगलों को काटने का क्या मतलब होगा?
5. इस गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।
6. इस गद्याश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
7. ‘असंभव’ शब्द का विलोम लिखिए।
8. ‘क्षीण’ शब्द का अर्थ लिखिए।
9. उपसर्ग-प्रत्यय अलग कीजिए-असंभव. दैनिक।
उत्तर:
1. प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने का काम मनुष्य कर रहा
2 प्रकृति के बिगड़े संतुलन के कारण हमारे भोज्य पदार्थ विषैले हो गए हैं। इन्हीं पदार्थों को हम प्रतिदिन खा रहे
3 पूर्वांचल के राज्यों, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर आदि राज्यों में जंगल भारी संख्या में काटे जा रहे हैं।
4. जंगलों को काटने का मतलब होगा – भूमि को अरक्षित करना, बाढ़ों को बढ़ावा देना और मौसम का चक्र बिगाड़ना।
5. सार : पिछले दो-तीन सौ वर्षों के दौरान मनुष्य ने प्रकृति का संतुलन बुरी तरह बिगाड़ दिया है। अब हमारा भोजन विष का रूप ले चुका है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई से वन-संपत्ति की कमी, भूमि अरक्षित होना, बाढ़ों का आना तथा मौसम चक्र बदलना आदि नुकसान
6. जंगलों की अंधाधुंध कटाई।
7. ‘असंभव’ शब्द का विलोम है-संभव।
8. ‘क्षीण’ शब्द का अर्थ है – कमजोर।
9. असंभव-अ (उपसर्ग)
दैनिक-इक (प्रत्यय)

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