HBSE 8th Class Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Hindi Rachana Anuchchhed-Lekhan अनुच्छेद लेखन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Hindi Rachana अनुच्छेद लेखन

किसी एक वाक्य, सूक्ति या काव्य-पक्ति के विषय में सात-आठ पंक्तियाँ लिखना ‘अनुच्छेद-लेखन’ कहलाता है। एक अनुच्छेद में एक विचार या भाव का ही विस्तार किया जाता है। सामान्यत: यह 70-80 शब्दों का होता है। अनुच्छेद का रोचक होना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए कुछ अनुच्छेद दिए जा रहे हैं :

1. प्रातःकाल का दृश्य

प्रात:काल का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। इस समय आकाश के रूप में क्षण-क्षण परिवर्तन होता है। ऐसा लगता है जैसे कोई जादू-सा हो रहा हो। पक्षी अपने घोसलों से बाहर निकलकर चहचहाने लगते हैं। ठंडी हवा बहने लगती है। इससे हमारा मन और तन आनंदित हो उठते हैं। हरी घास पर पड़ी ओस की बूंदै मोती-सी चमकती प्रतीत होती हैं। बाग-बगीचों में रंग-बिरंगे फूल मुस्करा रहे होते हैं। पार्को में लोग सैर और व्यायाम करते दिखाई देते हैं। वास्तव में प्रात:काल का दृश्य मन में आशा और उमंग का संचार कर देता है।

2. पुस्तकालय

पुस्तकालय में पुस्तकों का संग्रह होता है। सभी विद्यालयों में पुस्तकालय तो होते ही हैं, इसके साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर लोग पुस्तकालय खोलते हैं। पुस्तकालय ज्ञान के केन्द्र हैं। इनमें मिलने वाली पुस्तकों को पढ़कर जहां हमारा ज्ञान बढ़ता है, वहीं हमारा मनोरंजन भी होता है। पुस्तकालय से निर्धन विद्यार्थी पुस्तकें लेकर पढ़ाई करते हैं। पुस्तकालय के अपने कुछ नियम होते हैं। हमें उनका पालन करना चाहिए। पुस्तकालय में शांति बनाए रखनी चाहिए।

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3. जैसा करोगे, वैसा भरोगे

इस संसार का नियम है – जैसा करोगे, वैसा भरोगे। यहां व्यक्ति जैसा काम करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। अच्छा कार्य करके व्यक्ति अच्छा फल भोगता है और बुरा काम करके उसे दंड भुगतना ही पड़ता है। कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि बुरा कर्म करने वाला फल-फूल रहा है। यह स्थिति अधिक समय तक नहीं रहती। बुरे काम का अंत बुरा अवश्य होता है। आम खाने के लिए आम की गुठली ही बोनी पड़ती है। अत: मनुष्य को चाहिए कि ऐसे अच्छे कर्म करे जिससे दूसरों को भी शीतलता मिले और स्वयं भी सुख-शांति पा सके।

4. परिश्रम की महिमा

परिश्रम सफलता की कुंजी है। व्यक्ति को परिश्रम से नहीं घबराना चाहिए। परिश्रम से कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। परिश्रम से जी चुराने वाला व्यक्ति आलसी बन जाता है। आलसी व्यक्ति के जीवन का कोई लाभ नहीं होता। उसमे कार्य के प्रति उमंग, उत्साह और जोश नहीं होता। जो व्यक्ति परिश्रम करता है, वह कठिनाइयों से कभी नहीं घबराता। परिश्रमी व्यक्ति सदा सफलता प्राप्त करता है। हमें अपना काम सदैव परिश्रमपूर्वक करना चाहिए।

5. अनेकता में एकता

अनेकता में एकता भारत की विशेषता है। इस विशाल देश में ऊपरी तौर पर अनेक प्रकार की विभिन्नताएं दिखाई देती है। कहीं पर्वत हैं तो कहीं हरे-भरे मैदान और कहां गहरे समुद्र। इस देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। यहां वेशभूषा और खान-पान की दृष्टि से भी अनेक विभिन्नताएँ हैं। विभिन्न प्रांतों में मौसम भी एक समान नहीं होता। धर्म भी अनेक हैं। इन सभी विभिन्नताओं के होते हुए भी भारत एक है। इन विभिन्नताओं की तह में एकता की भावना छिपी हुई है। भारत की संस्कृति एक है। सभी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।

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6. परीक्षा के दिन

परीक्षा के दिन भी बड़े विचित्र होते हैं। ज्यों-ज्यों परीक्षा निकट आती है, त्यों-त्यों दिल की धड़कन तेज हो जाती है। हर काम में जल्दबाजी दिखाई देती है। परीक्षा एक भूत की तरह दिखाई देती है। न पूरी तरह नींद आती है और न दिल को चैन आता है। भूख भी ठीक प्रकार से नहीं लगती। हर समय पुस्तकें और कापियाँ दिखाई देती हैं। कभी एक विषय में कमी रह गई प्रतीत होती है, तो कभी दूसरे विषय में। मस्तिष्क सदा तनाव में रहता है। हाँ, जिनकी तैयारी पूरी होती है, वे अवश्य निश्चित दिखाई देते हैं। परीक्षा के अंतिम दिन ही तनाव से मुक्ति मिलती है।

7. सच्चा मित्र

सच्चा मित्र एक खजाने की तरह होता है। यदि हमने अपने जीवन में एक भी सच्चा मित्र पा लिया तो मानो सब कुछ पा लिया। सच्चा मित्र खोज पाना सरल काम नहीं है। सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति के समय आपके काम आता है। ऐसा मित्र स्वार्थी नहीं होता। उसे आपकी धन-सम्पत्ति से कोई मोह नहीं होता। वह अपने मित्र की कमजोरी को किसी के सामने उल्लेख नहीं करता, बल्कि उसके गुणों का बखान करता है। मित्र का चुनाव बहुत सोच-समझ एवं परख कर करना चाहिए।

8. जब मैं बिना टिकट यात्रा करता पकड़ा गया

एक बार की बात है। मैं दिल्ली से आगरा जा रहा था। जब मैं स्टेशन पर पहुंचा तो गाड़ी चलने वाली थी। मुझे उस गाड़ी में जाना अवश्य था. अत: बिना टिकट लिए एक डिब्बे में चढ़ गया। अभी एक स्टेशन ही निकला था कि डिब्बे में टी.टी. आ गया। मेरे तो होश उड़ गए। उसने मेरी स्थिति भांप ली। वह मेरे पास आया। उसने टिकट मांगी। मैंने अपनी समस्या बता दी। पर वह कहां मानने वाला था। टी.टी. ने मुझे लताड़ते हुए सौ रुपये जुर्माने की रसीद थमा दी। मैंने रुपए तो दे दिए, पर इस बात का बड़ा दुख रहा कि मैं सबके सामने बेईमान ठहराया गया। मैंने तभी निश्चय कर लिया कि अब भविष्य में कभी बिना टिकट यात्रा नहीं करूंगा।

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