HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण के राजनैतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
वैश्वीकरण के राजनीतिक एवं आर्थिक आयामों का वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के राजनीतिक तथा सांस्कतिक आयामों का वर्णन करें।
अथवा
वैश्वीकरण के आर्थिक पहलू का वर्णन करें।
उत्तर:
वर्तमान समय में संचार क्रान्ति (Communication Revolution) ने समस्त संसार की दूरियां कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी कारण सम्पूर्ण विश्व एक ‘विश्व गांव’ (Global Village) में बदल गया है। विश्व में संचार क्रान्ति की प्रभावशाली भूमिका के कारण एक नई विचारधारा का जन्म हुआ, जिसे वैश्वीकरण (Globalisation) कहा जाता है। वैश्वीकरण के आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक पक्षों का वर्णन इस प्रकार है

1. आर्थिक पक्ष (Economic Manifestations):
वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक ज़ोर पकड़ा है। आर्थिक वैश्वीकरण के अन्तर्गत ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन तथा विश्व बैंक प्रायः इस प्रकार की नीतियां बनाते हैं, जो विश्व के अधिकांश देशों को प्रभावित करती हैं। वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश देशों में आर्थिक प्रवाह बढ़ा है। इसके अन्तर्गत वस्तुओं, पूंजी तथा जनता का एक देश से दूसरे देश में जाना सरल हुआ है।

विश्व के अधिकांश देशों ने आयात से प्रतिबन्ध हटाकर अपने बाजारों को विश्व के लिए खोल दिया है। वैश्वीकरण के चलते बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना अधिकांश निवेश विकासशील देशों में कर रही हैं। यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अधिकांश लोगों को लाभ होगा तथा उनका जीवन स्तर सुधरेगा। परन्तु वैश्वीकरण के आलोचक इससे सहमत नहीं हैं, उनके अनुसार विकसित देशों ने अपने वीज़ा नियमों को सरल बनाने की अपेक्षा अधिक कठोर बनाना शुरू कर दिया है। इसके अतिरिक्त वैश्वीकरण का लाभ एक छोटे से भाग में रहने वाले लोगों को मिला है, सभी लोगों को नहीं।

2. सांस्कृतिक पक्ष (Cultural Manifestations):
वैश्वीकरण का सांस्कृतिक पक्ष भी लोगों के सामने आया है। हम विश्व के किसी भी भाग में रहें, वैश्वीकरण के प्रभावों से मुक्त नहीं हो सकते। वर्तमान समय में लोग क्या खाते हैं, क्या देखते हैं, क्या पहनते, क्या सोचते हैं, इन सभी पर वैश्वीकरण का प्रभाव साफ़ देखा जा सकता है। वैश्वीकरण से विश्व में सांस्कृतिक समरूपता का उदय होना शुरू हुआ है, परंतु यह कोई विश्व संस्कृति नहीं है बल्कि यूरोपीय देशों एवं अमेरिका द्वारा अपनी संस्कृति को विश्व में फैलाने का परिणाम है।

लोगों द्वारा पिज्जा एवं बर्गर खाना तथा नीली जीन्स पहनना अमेरिकी संस्कृति का प्रभाव ही है। विश्व के विकसित देश अपनी आर्थिक ताकत के बल पर विकासशील एवं पिछड़े देशों पर अपनी संस्कृति लादने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कि एक देश विशेष की संस्कृति के पतन होने का डर पैदा हो गया है। परन्तु वैश्वीकरण के समर्थकों का कहना है कि संस्कृति के पतन की आशंका नहीं है, बल्कि इससे एक मिश्रित संस्कृति का उदय होता है, जैसे कि आज भारत तथा कुछ हद तक अमेरिका के युवा नीली जीन्स पर खादी का कुर्ता पहनना पसन्द करते हैं।

3. राजनीतिक पक्ष (Political Manifestations):
वैश्वीकरण का प्रभाव आर्थिक एवं सांस्कृतिक पक्षों से ही नहीं बल्कि राजनीतिक पक्ष से भी देखा जाना चाहिए। राजनीतिक पक्ष पर वैश्वीकरण के प्रभावों का वर्णन तीन आधारों पर किया जा सकता है। प्रथम यह कि वैश्वीकरण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों के हस्तक्षेप से राज्य कमजोर हुए हैं। राज्यों के कार्य करने की क्षमता एवं क्षेत्र में कमी आई है।

वर्तमान समय में कल्याणकारी राज्य की धारणा धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रही है क्योंकि राज्य कई कल्याणकारी कार्यों से अपना हाथ खींच रहा है। वर्तमान समय में पुन: न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा का विकास हो रहा है अर्थात् राज्य केवल कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यों तक ही अपने आपको सीमित रख रहा है।

दूसरा यह है कि कुछ विद्वानों के अनुसार वैश्वीकरण के प्रभाव के बावजूद भी राज्यों की शक्तियां कम नहीं हुई हैं। राज्य आज की विश्व राजनीति में प्रमुख स्थान रखता है। राज्य जिन कार्यों से अपने आपको अलग कर रहा है वह अपनी इच्छा से कर रहा है किसी के दबाव में नहीं। तीसरे यह कहा जा रहा है कि वैश्वीकरण के कारण राज्य पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हुए हैं। आधुनिक तकनीक एवं प्रौद्योगिकी की मदद से राज्य अपने नागरिकों को लाभदायक एवं सही सूचनाएं प्रदान करने में सफल हुए हैं। तकनीक एवं सूचना के प्रभाव से राज्यों को अपने कर्मचारियों की मुश्किलों को जानकर उन्हें दूर करने का अवसर मिला है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 2.
भारत में तथा विश्वस्तर पर वैश्वीकरण के प्रतिरोध पर एक निबंध लिखें।
अथवा
भारत तथा विश्व स्तर पर वैश्वीकरण के प्रतिरोध पर एक विस्तृत नोट लिखें।
अथवा
‘विश्व स्तर पर वैश्वीकरण के प्रतिरोध’ पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत वैश्वीकरण के अखाड़े के रूप में (India as an arena of Globalisation):
1991 में नई आर्थिक नीति अपनाकर भारत वैश्वीकरण एवं उदारीकरण की प्रक्रिया से जुड़ गया। 30 दिसम्बर, 1994 को भारत ने एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौतावादी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। 1 जनवरी,1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई और भारत इस पर हस्ताक्षर करके इसका सदस्य बन गया। समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत ने अनेक नियमों और औपचारिकताओं को समाप्त करना शुरू कर दिया जो वर्षों से आर्थिक विकास में बाधा बनी हुई है।

इन सुधारों के परिणामस्वरूप विश्व के अनेक विकसित देशों एवं बहु राष्ट्रीय कम्पनियों को भारत एक बहुत बड़ी मण्डी के रूप में नज़र आने लगा क्योंकि भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है, तथा यहां पर सस्ता श्रम उपलब्ध है। परिणामस्वरूप विश्व के अनेक विकसित देशों तथा बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों में भारत में निवेश करने की होड़-सी लग गई। एनरॉन, कोका कोला, पेप्सी, पास्को, सोनी, पैनासोनिक, इत्यादि इसके कुछ उदाहरण हैं। चीन जैसे देश ने भी भारत में अपने उत्पाद पिछले कुछ वर्षों से बड़ी तेज़ी से उतारे हैं। सभी देश एवं कम्पनियां भारतीय लोगों को आकर्षित करने में लगी हुई हैं।

भारत में वैश्वीकरण के विरुद्ध संघर्ष (Struggle against Globalisation in India):
वैश्वीकरण के दौर में भारत द्वारा उदारीकरण एवं निजीकरण की प्रक्रिया को अपनाने से जहां कुछ लाभ हुआ है, वहीं कुछ हानि भी हुई है। उदाहरण के लिए वैश्वीकरण का लाभ कुछ थोड़े से लोगों को हुआ है। देश के सभी लोगों विशेषकर ग़रीबों तथा किसानों को इसका लाभ नहीं पहुंचा, इसी कारण समय-समय पर कुछ किसानों द्वारा आत्म-हत्या की खबरें आती रहती हैं।

इसलिए भारत में कुछ संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने वैश्वीकरण की धारणा का विरोध किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ने वैश्वीकरण का विरोध करते हुए कहा कि, “भारत पर वैश्वीकरण का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कृषि, उद्योग एवं दस्तकारी की कीमत पर घरेलू बाजारों को विदेशी कम्पनियों के दोहन के लिए खोल दिया गया है।” भारत में कुछ स्वयंसेवी संगठनों तथा पर्यावरणवादियों द्वारा वैश्वीकरण का विरोध किया जा रहा है। क्योंकि वैश्वीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण देश का पर्यावरण खराब हो रहा है, जो कि लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

विश्व स्तर पर वैश्वीकरण का प्रतिरोध (Resistance of Globalisation on world level):
भारत की तरह विश्व स्तर पर भी वैश्वीकरण का विरोध हुआ है। उदाहरण के लिए 1999 में सियाटल, 2001 में कत्तर तथा सन् 2001 में ब्राजील में वैश्वीकरण के विरुद्ध व्यापक रूप में विरोध प्रदर्शन हुए। वामपथियों का कहना है कि वैश्वीकरण पूंजीवाद की ही एक विशेष व्यवस्था है। दक्षिण पंथियों ने भी वैश्वीकरण के कारण राज्यों के कमजोर होने पर इसकी आलोचना की है।

प्रश्न 3.
वैश्वीकरण की परिभाषा दीजिये। इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
अथवा
“वैश्वीकरण” को परिभाषित करें। इसकी मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।
अथवा
वैश्वीकरण क्या है ? इसकी मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान समय में संचार क्रान्ति (Communication Revolution):
ने समस्त संसार की दूरियां कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी कारण सम्पूर्ण विश्व एक ‘विश्व गांव’ (Global Village) में बदल गया है। विश्व में संचार क्रान्ति की प्रभावशाली भूमिका के कारण एक नई विचारधारा का जन्म हुआ, जिसे वैश्वीकरण (Globalization) कहा जाता है। वैश्वीकरण और लोक प्रशासन का परस्पर गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।

वैश्वीकरण का अर्थ एवं परिभाषा-वैश्वीकरण, विश्वव्यापीकरण या भूमण्डलीकरण (Globalization) एक रोमांचक शब्द है जो अर्थव्यवस्था के बाजारीकरण से सम्बन्धित है। यह शब्द व्यापार के अवसरों की जीवन्तता एवं उसके विस्तार का द्योतक है। वैश्वीकरण की अवधारणा को विचारकों ने निम्न प्रकार से परिभाषित किया है

1. एन्थनी गिडेन्स (Anthony Giddens):
के अनुसार वैश्वीकरण की अवधारणा को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है

  • वैश्वीकरण से अभिप्राय विश्वव्यापी सम्बन्धों के प्रबलीकरण से है।
  • वैश्वीकरण एक ऐसी अवधारणा है जो दूरस्थ प्रदेशों को इस प्रकार जोड़ देती है कि स्थानीय घटनाक्रम का प्रभाव मीलों दूर स्थित प्रदेशों की व्यवस्थाओं एवं घटनाओं पर पड़ता है।

2. राबर्टसन (Robertson):
के मतानुसार, “वैश्वीकरण विश्व एकीकरण की चेतना के प्रबलीकरण से सम्बन्धित अवधारणा है।”

3. गाय ब्रायंबंटी के शब्दों में, “वैश्वीकरण की प्रक्रिया केवल विश्व व्यापार की खुली व्यवस्था, संचार के आधुनिकतम तरीकों के विकास, वित्तीय बाज़ार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते महत्त्व, जनसंख्या देशान्तरगमन तथा विशेषतः लोगों, वस्तुओं, पूंजी आंकड़ों तथा विचारों के गतिशील से ही सम्बन्धित नहीं है बल्कि संक्रामक रोगों तथा प्रदूषण का प्रसार भी इसमें शामिल है।” साधारण शब्दों में वैश्वीकरण से अभिप्राय है कि किसी वस्तु, सेवा, पूंजी एवं बौद्धिक संपदा का एक देश से दूसरे देशों के साथ अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान। वैश्वीकरण तभी सम्भव हो सकता है जब इस प्रकार के आदान-प्रदान में किसी देश द्वारा कोई अवरोध उत्पन्न न किया जाए। वैश्वीकरण के अंग-विद्वानों के मतानुसार वैश्वीकरण के चार प्रमुख अंग हैं

  • व्यापार अवरोधकों (Trade Barriers) को कम करना ताकि विभिन्न देशों में वस्तुओं का निर्बाध रूप से आदान-प्रदान हो सके।
  • ऐसी परिस्थितियां पैदा करना जिससे विभिन्न देशों में तकनीक (Technology) का बेरोक-टोक प्रवाह हो सके।
  • ऐसा वातावरण तैयार करना जिससे विभिन्न देशों में पूंजी (Capital) का प्रवाह स्वतन्त्र रूप से हो सके।
  • ऐसा वातावरण तैयार करना जिससे श्रम (Labour) का निर्बाध रूप से प्रवाह हो सके।

विशेष रूप से विकसित देशों के समर्थक विचारक वैश्वीकरण का अर्थ निर्बाध व्यापार-प्रवाह, निर्बाध पूंजी-प्रवाह और निर्बाध तकनीक प्रवाह तक सीमित कर देते हैं। परन्तु विकासशील देशों के समर्थक विचारकों का मानना है कि यदि समूचे विश्व को सार्वभौम ग्राम (Global Village) में परिभाषित करना है तो श्रम के निर्बाध-प्रवाह की उपेक्षा नहीं की जा सकती। पिछड़े और विकासशील देशों में श्रम की अधिकता है। अत: इनमें श्रम गतिशीलता को मान्यता देना आवश्यक है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं-वैश्वीकरण की निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  • वैश्वीकरण के कारण यातायात एवं संचार के साधनों का विकास हुआ है, जिससे भूगौलिक दूरियां समाप्त हो गई हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण श्रम बाज़ार भी विश्वव्यापी हो गया है, क्योंकि अब बहुत अधिक मात्रा में लोग रोज़गार के लिए दूसरे देश में जाते हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण इलैक्ट्रोनिक मीडिया का न्यायक प्रचार एवं प्रसार हुआ है, जिससे एक वैश्विक संस्कृति की स्थापना हुई है।
  • वैश्वीकरण के कारण शिक्षा का भी वैश्विक स्वरूप उभर कर सामने आया है। वैश्वीकरण के अनेक विकासशील देशों के शिक्षा कार्यक्रम भी विश्व स्तरीय हो गए हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण वर्तमान समय में बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर रोज़गार प्रदान कर रही हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण पेशेवरों (Professionals) की आवाजाही बहुत अधिक हो गई है।
  • श्रम बाजार के कारण लोगों को रोजगार के लिए दूसरे देशों में भेजने के लिए जगह-जगह पर ब्रोकर एवं एजेन्ट सक्रिय हो गए हैं।
  • वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धन का आदान-प्रदान या हस्तान्तर आसान हो गया है।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के पक्ष और विपक्ष में चार-चार तर्क दीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के सकारात्मक पक्ष का वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के नकारात्मक पक्ष का वर्णन करें।
अथवा
वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के पक्ष व विपक्ष में कोई चार-चार तर्क दीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ-इसके लिए लिए प्रश्न नं0 3 देखें। पक्ष में तर्क-(सकारात्मक पक्ष)

(1) वैश्वीकरण तेजी से बदलते हुए अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में नितान्त अनिवार्य प्रक्रिया है। यह विद्यमान तथा लगातार बढ़ रही अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्निर्भरता का स्वाभाविक विकास है।

(2) वैश्वीकरण के कारण पूंजी की गतिशीलता बढ़ी है और इसका चलन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। इससे विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर निर्भरता कम हुई है।

(3) यद्यपि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में कुछ दोष हैं, लेकिन इससे यह प्रक्रिया व्यर्थ नहीं हो जाती। वास्तव में वैश्वीकरण की प्रक्रिया अभी प्रारम्भिक दौर में है। जब एक बार यह प्रक्रिया पूर्ण होकर सच्चे अर्थों में विश्वव्यापी (Global) बन जाएगी तो यह समूचे विश्व के निरन्तर विकास का साधन बनेगी।

(4) विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) को वैश्वीकरण के एक उपकरण के रूप में समझना चाहिए। यदि इस संगठन द्वारा विश्व व्यापार को निष्पक्ष रूप से नियमित किया जाए तो वैश्वीकरण की प्रक्रिया अत्यन्त लाभदायक हो सकती है।

(5) पिछड़े देशों में तकनीक एवं प्रौद्योगिकी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन वैश्वीकरण की प्रक्रिया द्वारा इन देशों को उन्नत तकनीक का लाभ मिल सकता है।

(6) वैश्वीकरण ने विश्वव्यापी सूचना क्रान्ति को जन्म दिया है। इससे समाज का प्रत्येक वर्ग जुड़ने लगा है। इससे सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा मिला है।

(7) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के फैलाव से रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं। साथ ही रोज़गार की गतिशीलता में भारी वृद्धि हुई है।

(8) वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने उदारवादी विचारों के प्रसार द्वारा शासन व्यवस्थाओं पर गहन प्रभाव डाला है। चीन जैसा कट्टर साम्यवादी देश भी उदारवाद की प्रक्रिया से प्रभावित हुआ है।

विपक्ष में तर्क (नकारात्मक पक्ष)-वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं

(1) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का समर्थन विकसित देश विशेषतया अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, जापान, जर्मनी आदि कर रहे हैं। आलोचकों के अनुसार विकसित देशों को अपना तैयार माल बेचने के लिए बड़े-बड़े बाजारों की आवश्यकता है। ये बाज़ार वैश्वीकरण की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त हो सकते हैं।

(2) आलोचकों के अनुसार बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।

(3) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनता तक नहीं पहुंच पाया है। इससे आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है। विशेषतया तीसरी दुनिया में गरीब देशों में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है।

(4) आलोचकों का मत है कि वैश्वीकरण स्वाभाविक रूप से स्वीकृत नहीं बल्कि एक थोपी हुई प्रक्रिया है।

(5) यह अलोकतान्त्रिक प्रक्रिया है जो लोकतान्त्रिक पर्दे में चलाई जाती है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ समाज का उच्च सुविधा सम्पन्न वर्ग उठा रहा है।

(6) सरकार द्वारा निरन्तर सब्सिडी एवं अन्य सहायता राशि में कटौती की जा रही है। इसकी प्रत्यक्ष मार निर्धन वर्ग पर पड़ रही है।

(7) वैश्वीकरण ने एक सांस्कृतिक संकट खड़ा कर दिया है। वैश्वीकरण में बड़ी तेज़ी से उपभोक्तावाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।

(8) आलोचकों का विचार है कि वैश्वीकरण का शिक्षा व्यवस्था पर भी गम्भीर प्रभाव पड़ा है।

वैश्वीकरण के कारण अंग्रेजी भाषा का प्रभुत्व स्थापित हो गया है जिससे अन्य भाषाओं पर प्रभाव पड़ा है। शिक्षा का तीव्र गति से वाणिज्यीकरण (Commercialization) हो रहा है और बाज़ारोन्मुखी शिक्षा पर बल दिया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था में मूल्यों एवं नैतिकता के स्तर में गिरावट आई है। निष्कर्ष-वैश्वीकरण के पक्ष और विपक्ष में दिए गए तर्कों के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वैश्वीकरण को समाप्त करने की आवश्यकता नहीं है। यह तो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

समस्या यह है कि वैश्वीकरण के नाम पर कुछ सम्पन्न देशों ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है। विकसित देश अपनी अत्याधुनिक तकनीक, पूंजी व व्यापारिक स्थिति के कारण वैश्वीकरण की प्रक्रिया को दोषपूर्ण बना रहे हैं। अभी तीसरी दुनिया के देशों में वैश्वीकरण की प्रक्रिया ठीक से लागू नहीं हुई है। अतः अभी से इसका मूल्यांकन करना उचित भी नहीं है। आज आवश्यकता इस बात की है कि वैश्वीकरण के नाम पर की जाने वाली संकीर्ण राजनीति को रोका जाए और किसी प्रमुख संस्था द्वारा इस प्रक्रिया को निष्पक्ष एवं बिना किसी दबाव के निर्बाध रूप से संचालित किया जाए।

प्रश्न 5.
वैश्वीकरण या भू-मण्डलीयकरण का अर्थ बताएं। भारत द्वारा भू-मण्डलीयकरण या वैश्वीकरण की नीति को अपनाने के मुख्य लाभ बताएं।
उत्तर:
वैश्वीकरण या भू-मण्डलीयकरण का अर्थ-इसके लिए प्रश्न नं0 3 देखें। भारत द्वारा भू-मण्डलीयकरण या वैश्वीकरण की नीति को अपनाने के लाभ भारत द्वारा भूमण्डलीयकरण या वैश्वीकरण की नीति को अपनाने के निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए हैं

  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण भारत की आर्थिक विकास दर में वृद्धि हुई है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत में बुनियादी एवं ढांचागत सुविधाओं का विकास हुआ है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत को आधुनिकतम तकनीक एवं प्रौद्योगिकी प्राप्त हुई है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण भारत में विदेशी आर्थिक निवेश बढ़ा है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 6.
वैश्वीकरण की अवधारणा के उदय के विभिन्न कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
“वैश्वीकरण”के उदय के मुख्य कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के उद्भव के निम्नलिखित कारण हैं

  • विश्व में बदलते हुए परिवेश में राष्ट्रों में परस्पर अन्तर्निभरता बढ़ी है, जिसके कारण वैश्वीकरण का विकास हुआ।
  • विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक पर बढ़ती हुई निर्भरता को कम करने के लिए वैश्वीकरण का उद्भव हुआ।
  • विश्व में वर्तमान समय में हो रहे निरन्तर विकास के एक साधन की आवश्यकता थी, जिसे वैश्वीकरण ने पूरा किया है।
  • विकासशील एवं पिछड़े देशों को उन्नत किस्म के बीज और औजार देने के लिए भी वैश्वीकरण का उद्भव हुआ है।
  • विश्व व्यापी सूचना क्रान्ति ने भी वैश्वीकरण के उदय में सहयोग दिया है।
  • वैश्वीकरण के उदय का एक अन्य कारण बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का फैलाव है।
  • विश्व में लगातार उदारवादी एवं प्रजातान्त्रिक विचारों के फैलाव ने भी वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है।

प्रश्न 7.
भू-मण्डलीयकरण या वैश्वीकरण के प्रति भारतीय दृष्टिकोण क्या है ?
अथवा
वैश्वीकरण के प्रति भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है। अन्य विकासशील देशों की तरह भारत में भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अपनाए हुए अधिक समय नहीं हुआ। 30 दिसम्बर, 1994 को विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बनकर भारत ने आर्थिक उदारीकरण में प्रवेश किया और इसके बाद इस प्रक्रिया को जारी रखा। लेकिन वैश्वीकरण के प्रभावों को इतनी अल्पावधि में स्पष्ट करना अत्यन्त कठिन है।

इसका कारण यह है कि भारत सहित सभी देशों में आर्थिक सुधारों के कार्यक्रम एक समान लागू नहीं किए गए हैं। सभी देशों की परिस्थितियां एक जैसी नहीं हैं और आर्थिक सुधारों की उपलब्धियों पर सर्वत्र सहमति नहीं है। भारतीय सन्दर्भ में वैश्वीकरण के प्रभाव के सम्बन्ध में तीन विचारधाराएं देखी जा सकती हैं।

प्रथम कुछ कट्टरपंथियों का मत है कि वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में न केवल आर्थिक क्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित कर रही हैं, बल्कि यहां के सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने में भी दखल दे रही हैं। अतः इन कम्पनियों के चंगुल में फंस कर भारत पुनः गुलाम न बन जाए, इसलिए वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत को दूर रहना चाहिए।

दूसरा, सुधारवादी विद्वानों के अनुसार भारत में फैली व्यापक गरीबी, निरक्षरता और सामाजिक पिछड़ेपन को तब तक दूर नहीं किया जा सकता जब तक भारत भी स्वयं को विश्व अर्थव्यवस्था से नहीं जोड़ता। यदि भारत स्वयं को वैश्वीकरण की प्रक्रिया से नहीं जोड़ता तो उसकी आर्थिक-समाज की कल्पना कभी पूरी नहीं होगी।

इसके अलावा तेजी से बदलती विश्व व्यवस्था में शामिल होने के अलावा भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय तकनीक, सहयोग व प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाने के लिए भारत को वैश्वीकरण की धारा में प्रवाहित होना होगा। तीसरा विचार जो सार्थक एवं प्रासंगिक है, यह है कि भारत को वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अंगीकार करते हुए घरेलू बाज़ार, सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था व राजनीतिक वातावरण के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण आदि को ध्यान में रखना चाहिए। भारत को वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि उसकी एक-तिहाई आबादी अभी निर्धनता रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है।

आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय भी भारत का लक्ष्य होना चाहिए। इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि कहीं विकसित देश भारत को एक विशाल मंडी के रूप में इस्तेमाल न करें। यहां के लघु और कुटीर उद्योग को बढ़ाना भी सरकार का लक्ष्य होना चाहिए। भारत ने 1980 के प्रारम्भिक दौर में ही तकनीकी विकास के लिए वैश्वीकरण की प्रक्रिया के प्रति अपना सकारात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया था।

दिवंगत प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी देश के वैधानिक एवं तकनीकी विकास को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी तकनीक के पक्षधर थे। जैसे-जैसे विश्व व्यवस्था में बदलाव आता गया भारत ने भी स्वयं को उदारीकरण और वैश्वीकरण के साथ जोड़ लिया। 1991 में भारत ने नई आर्थिक नीति अपनाई जो इस बात का प्रमाण है कि भारत वैश्वीकरण की प्रक्रिया से अलग नहीं हो सकता। नई आर्थिक नीति भारत के उदारीकरण और वैश्वीकरण के प्रति दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है। नई आर्थिक नीति मुख्यतया निम्न विषयों पर बल देती है

1. उद्योग नीति में सुधार (Trade Policy Reforms):
1991 से नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक दक्ष एवं गतिशील तथा प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए कुछ उद्योगों को छोड़कर लगभग सभी उद्योगों को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है।

2. विदेशी निवेश (Foreign Investment):
भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के अवसरों का पता लगाने के प्रयास तेज़ करने पर बल दिया गया है। उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में 51 प्रतिशत तक विदेशी पूंजी निवेश की बिना रोक-टोक और अफसरशाही के नियन्त्रणों के बिना अनुमति दी जाएगी। अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में निवेश करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

3. द्योगिकी समझौते (Foreign Technology Agreements):
भारत सरकार ने औद्योगिक विकास और प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से विदेशों से प्रौद्योगिकी समझौते करने पर विशेष बल दिया है। सरकार ने विदेशी तकनीशियनों की सेवाओं को भाड़े पर लेने की प्रक्रिया को प्रारम्भ कर दिया है।

4. सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector):
सार्वजनिक क्षेत्र ने भारत के आर्थिक विकास विशेषतया आधारभूत एवं ढांचागत उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नई औद्योगिक नीति में यह कहा गया है कि अब समय आ गया है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बारे में नया दृष्टिकोण अपनाए। इन उद्योगों को अधिक विकासोन्मुखी बनाने तथा तकनीकी रूप से गतिशील बनाने के उपाय किए जाने चाहिएं। नई नीति में इन क्षेत्रों की इजारेदारी को मात्र 8 क्षेत्रों तक सीमित कर दिया गया है। नई नीति के अन्तर्गत अब वे क्षेत्र भी जो सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित थे, निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए गए हैं।

5. एकाधिकार तथा प्रतिबन्धात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम (Monopolistic and Restrictions Trade Practices Act-MRTP):
नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत एकाधिकार तथा प्रतिबन्धात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम लागू कर दिया गया है। इसके अन्तर्गत बड़ी कम्पनियों और औद्योगिक घरानों पर से अधिकतम पूंजी की सीमा समाप्त कर दी गई है। अब औद्योगिक घरानों व कम्पनियों को नए उपक्रम लगाने, किसी उद्योग की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, कम्पनियों के विलय आदि के बारे में सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

6. विनिमय दर (Exchange Rate):
1992-93 से भारतीय रुपए को विदेशी मुद्रा में पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है।

7. वित्तीय सुधार (Financial Reforms):
निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी संयुक्त उपक्रमों को भी वित्तीय मामलों में अपना कार्य बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसके मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिये।
अथवा
वैश्वीकरण की परिभाषा दीजिए तथा इसके मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण का क्या अर्थ है ? इसके मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ-इसके लिए प्रश्न नं0 3 देखें। वैश्वीकरण का उद्देश्य

  • वैश्विक स्तर पर पूंजी का स्वतंत्र प्रवाह करना।
  • वैश्विक स्तर पर श्रम का स्वतंत्र प्रवाह करना।
  • वैश्विक स्तर पर तकनीक एवं प्रौद्योगिकी का स्वतंत्र प्रवाह करना।
  • वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देना।
  • विश्व को एक गांव के रूप में परिवर्तित करना।
  • संचार साधनों का विकास करके वैश्विक दूरी को कम करना।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
20वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में संचार क्रान्ति ने समूचे विश्व की दूरियाँ कम कर दी और समस्त संसार को ‘सार्वभौमिक ग्राम’ (Global Village) में परिवर्तित कर दिया। इस युग में एक नई विचारधारा का सूत्रपात हुआ जिसे वैश्वीकरण (Globalisation) कहा जाता है। यद्यपि भारत इस विचारधारा से अनभिज्ञ नहीं है क्योंकि हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को मान्यता प्रदान करती है, लेकिन आधुनिक युग में वैश्वीकरण का विशेष महत्त्व है।

वैश्वीकरण से अभिप्राय है कि किसी वस्तु, सेवा, पूंजी एवं बौद्धिक संपदा का एक देश से दूसरे के साथ अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान । वैश्वीकरण तभी सम्भव हो सकता है, जब इस प्रकार के आदान-प्रदान में किसी देश द्वारा कोई अवरोध उत्पन्न न किया जाए।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण को परिभाषित करें।
उत्तर:
1. एन्थनी गिडेन्स (Anthony Giddens) के अनुसार, “वैश्वीकरण की अवधारणा को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है

  • वैश्वीकरण से अभिप्राय विश्वव्यापी सम्बन्धों के प्रबलीकरण से है।
  •  वैश्वीकरण एक ऐसी अवधारणा है जो दूरस्थ प्रदेशों को इस प्रकार जोड़ देती है कि स्थानीय घटनाक्रम का प्रभाव मीलों दूर स्थित प्रदेशों की व्यवस्थाओं एवं घटनाओं पर पड़ता है।

2. राबर्टसन (Robertson) के मतानुसार, “वैश्वीकरण विश्व एकीकरण की चेतना के प्रबलीकरण से सम्बन्धित अवधारणा है।”

3. गाय ब्रायंबंटी के शब्दों में, “वैश्वीकरण की प्रक्रिया केवल विश्व व्यापार की खुली व्यवस्था, संचार के आधुनिकतम तरीकों के विकास, वित्तीय बाज़ार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते महत्त्व, जनसंख्या देशान्तरगमन तथा विशेषत: लोगों, वस्तुओं, पूंजी आंकड़ों तथा विचारों के गतिशीलन से ही सम्बन्धित नहीं है बल्कि संक्रामक रोगों तथा प्रदूषण का प्रसार भी इसमें शामिल है।”

प्रश्न 3.
वैश्वीकरण की कोई चार प्रमुख विशेषताएं लिखें।
उत्तर:
वैश्वीकरण की निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  • वैश्वीकरण के कारण यातायात एवं संचार के साधनों का विकास हुआ है, जिससे भूगौलिक दूरियां समाप्त हो गई हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण श्रम बाज़ार भी विश्वव्यापी हो गया है, क्योंकि अब बहुत अधिक मात्रा में लोग रोज़गार के लिए दूसरे देश में जाते हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण इलेक्ट्रोनिक मीडिया का न्यायिक प्रचार एवं प्रसार हुआ है, जिससे एक वैश्विक संस्कृति की स्थापना हुई है।
  • वैश्वीकरण के कारण शिक्षा का भी वैश्विक स्वरूप उभर कर सामने आया है। वैश्वीकरण के अनेक विकासशील देशों के शिक्षा कार्यक्रम भी विश्व स्तरीय हो गए हैं।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं

(1) वैश्वीकरण तेजी से बदलते हुए अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में नितान्त अनिवार्य प्रक्रिया है। यह विद्यमान तथा लगातार बढ़ रही अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्निर्भरता का स्वाभाविक विकास है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया से जुड़ने के अलावा आज विकासशील राष्ट्रों के पास विकास का कोई अन्य विकल्प नहीं है।

(2) वैश्वीकरण के कारण पूंजी की गतिशीलता बढ़ी है और इसका चलन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। इससे विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर निर्भरता कम हुई है।

(3) वैश्वीकरण की प्रक्रिया के द्वारा लगातार स्थायी रूप से चलने वाला विकास (Sustainable Development) प्राप्त किया जा सकता है।

(4) पिछड़े देशों में तकनीक एवं प्रौद्योगिकी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है लेकिन वैश्वीकरण की प्रक्रिया द्वारा इन देशों को उन्नत तकनीक का लाभ मिल सकता है।

प्रश्न 5.
वैश्वीकरण के विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं

(1) आलोचकों के अनुसार बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां व्यापार एवं व्यवसाय के नाम पर छोटे एवं पिछड़े देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप करने लगी हैं।

(2) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनता तक नहीं पहुंच पाया है। इससे आर्थिक समानता को बढ़ावा मिला है। विशेषतया तीसरी दुनिया में गरीब देशों में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।

(3) आलोचकों का मत है कि वैश्वीकरण स्वाभाविक रूप से स्वीकृत नहीं बल्कि एक थोपी हुई प्रक्रिया है। वस्तुतः वैश्वीकरण व्यापारोन्मुखी प्रक्रिया है, जो व्यापारिक उद्देश्यों के लिए कार्य करती है। इनमें जन-कल्याण जैसे उद्देश्य गौण होकर रह गए हैं।

(4) यह अलोकतान्त्रिक प्रक्रिया है जो लोकतान्त्रिक पर्दे में चलाई जाती है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ समाज का उच्च सुविधा सम्पन्न वर्ग नहीं उठा रहा है। इसने गैर-योजनाबद्ध प्रभावों द्वारा, श्रम-वेतनों को सीमित रख कर और कल्याणकारी राज्य की भूमिका सीमित करके लोकतन्त्र को कमजोर बना दिया है।

प्रश्न 6.
वैश्वीकरण के प्रति भारत की प्रतिक्रिया स्वरूप उठाए गए किन्हीं चार कदमों का वर्णन करें।
उत्तर:

1. उद्योग नीति में सुधार-1991 से नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक दक्ष एवं गतिशील तथा प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए कुछ उद्योगों को छोड़कर सभी उद्योगों को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है।

2. विदेशी निवेश-भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के अवसरों का पता लगाने के प्रयास तेज़ करने पर बल दिया गया है। उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में 51 प्रतिशत तक विदेशी पूंजी निवेश की बिना रोक-टोक और अफसरशाही के नियन्त्रणों के बिना अनुमति दी जाएगी। अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में निवेश करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

3. विदेशी प्रौद्योगिकी समझौते-भारत सरकार ने औद्योगिक विकास और प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से विदेशों से प्रौद्योगिकी समझौते करने पर विशेष बल दिया है। सरकार ने विदेशी तकनीशियनों को सेवाओं को भाड़े पर लेने की प्रक्रिया को प्रारम्भ कर दिया है।

4. विनिमय दर-1992-93 से भारतीय रुपये को विदेशी मुद्रा में पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है।

प्रश्न 7.
वैश्वीकरण के परिणामों की प्रकृति की बहस पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण में परिणामों की प्रकृति पर बहस का आधार यह है कि वैश्वीकरण की धारणा को अपनाने से एक देश की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है या हानि। दूसरे विश्व के अधिकांश लोगों को इससे लाभ पहुंचा है, या नहीं। वैश्वीकरण के आलोचकों का यह मानना है कि व्यापक संदर्भ में वैश्वीकरण के लाभ कम हैं, जबकि दोष अधिक हैं।

वैश्वीकरण के कारण कल्याणकारी राज्य की धारणा कमजोर पड़ रही है जिससे अधिकांश लोगों को हानि हो रही है। वृद्धों तथा ग़रीबों को इससे सर्वाधिक हानि हुई है। वैश्वीकरण के कारण प्रवासन की प्रक्रिया में भी तेजी आई है, जिससे प्रवासियों के मानवाधिकारों एवं सम्बन्धित देश की सुरक्षा पर भी बहस होनी शुरू हो गई है।

वैश्वीकरण की धारणा के अन्तर्गत अपनाई गई मुक्त व्यापार व्यवस्था से केवल अमीरों को ही लाभ पहुंचा है, ग़रीबों को नहीं। आलोचक वैश्वीकरण को अमेरिकीकरण भी कहते हैं, क्योंकि वैश्वीकरण को सबसे अधिक बढ़ावा अमेरिका से ही मिला है तथा इसके चलते सर्वाधिक लाभ भी अमेरिका को ही हुआ। आलोचकों के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन अमेरिकी दिशा-निर्देशों के अनुसार चलकर उसे लाभ पहुंचाते हैं, जबकि इसके नकारात्मक प्रभाव अधिकांश विकासशील देशों को भुगतने पड़ते हैं। अत: वैश्वीकरण के परिणामों की प्रकृति अधिकांशतः नकारात्मक ही रही है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलन पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
वैश्वीकरण आशानुरूप सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहा है। कई उदाहरणों से यह बात बार-बार स्पष्ट हो रही है, कि वैश्वीकरण से केवल अमीर लोगों या देशों को लाभ पहुंच रहा है, विशेषकर अमेरिका को। अधिकांश विकासशील देशों को वैश्वीकरण से हानि ही हुई है। इसी कारण वैश्वीकरण के विरोध में आन्दोलन होने भी शुरू हो गए हैं।

जो लोग वैश्वीकरण का विरोध कर रहे हैं, उन्हें प्रायः एन्टी ग्लोबलाइजेशन कहा जाता है। परन्तु अधिकांश वैश्वीकरण विरोधी स्वयं ही यह शब्द स्वीकार नहीं करते बल्कि इसके स्थान पर ग्लोबल जस्टिस ‘द मूवमैंट ऑफ़ मूवमेन्टस’ तथा ‘द अल्टर ग्लोबलाइज़ेशन शब्द प्रयोग करना उचित समझते हैं।

वैश्वीकरण के विरोध में वस्तुत: 20वीं शताब्दी के अन्त में आन्दोलनों की शुरुआत हुई तथा धीरे-धीरे यह आन्दोलन अधिक तेज़ हो गए। 1999 में ‘सियाटल’ में हुए विश्व व्यापार संगठन के मन्त्री स्तरीय सम्मेलन में वैश्वीकरण के विरोध में तीव्र आन्दोलन हुए। आन्दोलनकारी वैश्वीकरण के प्रभावों को लोगों के लिए तथा पर्यावरण के लिए हानिकारक मानकर इसके विरुद्ध आन्दोलन चलाते हैं।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण के राजनीतिक पक्ष की व्याख्या करें।
उत्तर:
राजनीतिक पक्ष पर वैश्वीकरण के प्रभावों का वर्णन तीन आधारों पर किया जा सकता है प्रथम यह है कि वैश्वीकरण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हस्तक्षेप से राज्य कमजोर हुए हैं। वर्तमान समय में कल्याणकारी राज्य की धारणा धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रही है। वर्तमान समय में पुन: न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा का विकास हो रहा है। दूसरा यह है कि कुछ विद्वानों के अनुसार वैश्वीकरण के प्रभाव के बावजूद भी राज्यों की शक्तियां कम नहीं हुई हैं। राज्य जिन कार्यों से अपने आपको अलग कर रहा है, वह अपनी इच्छा से कर रहा है, किसी के दबाव में नहीं।

तीसरे यह कहा जा रहा है कि वैश्वीकरण के कारण राज्य पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हुए हैं। आधुनिक तकनीक एवं प्रौद्योगिकी की मदद से राज्य अपने नागरिकों को लाभदायक एवं सही सूचनाएं प्रदान करने में सफल हुए हैं। तकनीक एवं सूचना के प्रभाव से राज्यों को अपनी कमजोरियों को जानकर उन्हें दूर करने का अवसर मिला है।

प्रश्न 10.
वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक जोर पकड़ा है। आर्थिक वैश्वीकरण के अन्तर्गत ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन तथा विश्व बैंक प्रायः इस प्रकार की नीतियां बनाते हैं जो विश्व के अधिकांश देशों को प्रभावित करती हैं। वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश देशों में आर्थिक प्रवाह बढ़ा है।

इसके अन्तर्गत वस्तुओं, पूंजी तथा जनता का एक देश से दूसरे देश में जाना सरल हुआ है। विश्व के अधिकांश देशों ने आयात से प्रतिबन्ध हटाकर अपने बाजारों को विश्व के लिए खोल दिया है। वैश्वीकरण के चलते बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना अधिकांश निवेश विकासशील देशों में कर रही हैं।

यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अधिकांश लोगों को लाभ होगा तथा उनका जीवन स्तर सुधरेगा, परन्तु वैश्वीकरण के आलोचक इससे सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार वैश्वीकरण का लाभ एक छोटे से भाग में रहने वाले लोगों को मिला है सभी लोगों को नहीं।

प्रश्न 11.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक पक्ष की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण का सांस्कृतिक पक्ष भी लोगों के सामने आया है। हम विश्व के किसी भी भाग में रहें, वैश्वीकरण के प्रभावों से मुक्त नहीं हो सकते । वर्तमान समय में लोग क्या खाते हैं, क्या देखते हैं, क्या पहनते हैं, क्या सोचते हैं, इन सभी पर वैश्वीकरण का प्रभाव साफ़ देखा जा सकता है। वैश्वीकरण से विश्व में सांस्कृतिक समरूपता का उदय होना शुरू हुआ है, परन्तु यह कोई विश्व संस्कृति नहीं है बल्कि यूरोपीय देशों एव अमेरिका द्वारा अपनी संस्कृति को विश्व में फैलाने का परिणाम है।

लोगों द्वारा पिज्जा एवं बर्गर खाना तथा नीली जीन्स पहनना अमेरिका की. संस्कृति का ही प्रभाव है। विश्व के विकसित देश अपनी आर्थिक ताकत के बल पर विकासशील एवं पिछड़े देशों पर अपनी संस्कृति लादने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कि एक देश विशेष की संस्कृति के पतन होने का डर पैदा हो गया है। परन्तु वैश्वीकरण के समर्थकों का कहना है कि संस्कृति के पतन की आशंका नहीं है बल्कि इससे एक मिश्रित संस्कृति का उदय होता है जैसे कि आज भारत तथा कुछ हद तक अमेरिका के युवा नीली जीन्स पर खादी का कुर्ता पहनना पसन्द करते हैं। ..

प्रश्न 12.
वैश्वीकरण की कोई दो आलोचनाएं लिखें।
उत्तर:
वैश्वीकरण की दो आलोचनाएं निम्नलिखित हैं

(1) आलोचकों के अनुसार बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां व्यापार एवं व्यवसाय के नाम पर छोटे एवं पिछड़े देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप करने लगी हैं।

(2) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनता तक नहीं पहुंच पाया है। इससे आर्थिक समानता को बढ़ावा मिला है। विशेषतया तीसरी दुनिया में गरीब देशों में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 13.
वैश्वीकरण के कोई चार नकारात्मक वास्तविक उदाहरण बताएं।
उत्तर:

  • फसल के खराब होने पर कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली।
  • छात्राओं द्वारा पश्चिमी वेशभषा वाले वस्त्र पहनने के कारण कछ संगठनों ने उन्हें धमकी दी।
  • बालीवुड (भारत) के कई निर्माताओं ने हालीवुड (अमेरिका) की फ़िल्मों की नकल की है।
  • भारत में दुकानदारों को यह भय है कि यदि बड़ी कम्पनियों ने अपने उत्पाद यहां बेचने शुरू कर दिये तो उनकी दुकानदारी समाप्त हो जायेगी.!

प्रश्न 14.
एक कल्याणकारी राज्य में कौन-कौन सी विशेषताएं होनी चाहिए, किन्हीं चार का वर्णन करें।
उत्तर:

  • एक कल्याणकारी राज्य को लोगों के कल्याण के लिए सभी प्रकार के कार्य करने चाहिए।
  • एक कल्याणकारी राज्य को अपने नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।
  • एक कल्याणकारी राज्य को अपने नागरिकों के कार्यों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
  • एक कल्याणकारी राज्य को अपने नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं मानसिक विकास में सहयोग देना चाहिए।

प्रश्न 15.
वैश्वीकरण के कोई चार महत्त्वपूर्ण अंग लिखें।
उत्तर:
विद्वानों के मतानुसार वैश्वीकरण के चार प्रमुख अंग हैं

  • व्यापार अवरोधकों (Trade Barriers) को कम करना ताकि विभिन्न देशों में वस्तुओं का निर्बाध रूप से आदान-प्रदान हो सके।
  • ऐसी परिस्थितियां पैदा करना जिससे विभिन्न देशों में तकनीक (Technology) का बेरोक-टोक प्रवाह हो सके।
  • ऐसा वातावरण तैयार करना जिससे विभिन्न देशों में पूंजी (Capital) का प्रवाह स्वतन्त्र रूप से हो सके।
  • ऐसा वातावरण तैयार करना जिससे श्रम (Labour) का निर्बाध रूप से प्रवाह हो सके।

प्रश्न 16.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत को प्राप्त होने वाले कोई चार लाभ लिखें।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण भारत की आर्थिक विकास दर में वृद्धि हुई है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत में बुनियादी एवं ढांचागत सुविधाओं का विकास हुआ है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत को आधुनिकतम तकनीक एवं प्रौद्योगिकी प्राप्त हुई है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण भारत में विदेशी आर्थिक निवेश बढ़ा है।

प्रश्न 17.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत को होने वाली कोई चार हानियां बताएं।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया से भारत के अपने उद्योगों एवं छोटे व्यापारियों को हानि हुई है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण भारत में निर्धनता एवं बेरोज़गारी बढ़ी है।
  • छात्र-वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण भारत ने कई क्षेत्रों में दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त कर दी है।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने सरकार के राजनीतिक एवं आर्थिक निर्णयों को प्रभावित किया है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण क्या है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण (Globalisation) से अभिप्राय है किसी वस्तु, सेवा, पूंजी एवं बौद्धिक सम्पदा का एक देश से दूसरे देशों के साथ निर्बाध रूप से आदान-प्रदान । वैश्वीकरण के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का संचालन निर्बाध रूप से होता है जो एक सर्वसहमत अन्तर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करता है।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण की दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर:
1. रोबर्टसन के अनुसार, “वैश्वीकरण विश्व एकीकरण की चेतना के प्रबलीकरण से सम्बन्धित अवधारणा है।”

2. गाय ब्रायंबंटी के अनुसार, “वैश्वीकरण की प्रक्रिया केवल विश्व व्यापार की खुली व्यवस्था, संचार के आधुनिकतम तरीकों के विकास, वित्तीय बाज़ार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते महत्त्व, जनसंख्या देशान्तरगमन तथा विशेषतः लोगों, वस्तुओं, पूंजी, आंकड़ों तथा विचारों के गतिशीलन से ही सम्बन्धित नहीं है, बल्कि संक्रामक रोगों तथा प्रदूषण का प्रसार भी इसमें शामिल है।”

प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के किन्हीं दो अंगों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • व्यापार अवरोध को कम करना ताकि विभिन्न देशों में वस्तुओं का निर्बाध रूप से आदान-प्रदान हो सके।
  • ऐसी परिस्थितियां पैदा करना, जिससे विभिन्न देशों में तकनीक का बेरोक-टोक प्रवाह हो सके।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के पक्ष में कोई दो तर्क दें।
उत्तर:
(1) वैश्वीकरण तेजी से बदलते हुए अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में नितान्त अनिवार्य प्रक्रिया है। यह विद्यमान तथा लगातार बढ़ रही अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्निर्भरता का स्वाभाविक विकास है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया से जुड़ने के अलावा आज विकासशील राष्ट्रों के पास विकास का कोई अन्य विकल्प नहीं है।

(2) वैश्वीकरण के कारण पूंजी की गतिशीलता बढ़ी है और इसका चलन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। इससे विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर निर्भरता कम हुई है।

प्रश्न 5.
वैश्वीकरण के विपक्ष में कोई दो तर्क दो।
उत्तर:
(1) आलोचकों के अनुसार बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां व्यापार एवं व्यवसाय के नाम पर छोटे एवं पिछड़े देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप करने लगी हैं।

(2) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनता तक नहीं पहँच पाया है। इससे आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है। विशेषतया तीसरी दुनिया में ग़रीब देशों में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 6.
वैश्वीकरण के राजनीतिक पक्ष की व्याख्या करें।
उत्तर:
राजनीतिक पक्ष पर वैश्वीकरण के प्रभावों का वर्णन तीन आधारों पर किया जा सकता है। प्रथम यह है कि वैश्वीकरण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों के हस्तक्षेप से राज्य कमज़ोर हुए हैं। दूसरा यह है कि कुछ विद्वानों के अनुसार वैश्वीकरण के प्रभाव के बावजूद भी राज्यों की शक्तियां कम नहीं हुई हैं। राज्य अपनी इच्छानुसार कार्य को करने या न करने का निर्णय लेते हैं। तीसरे यह कि आधुनिक तकनीक एवं प्रौद्योगिकी की मदद से राज्य अपने नागरिकों को लाभदायक एवं सही सूचनाएं प्रदान करने में सफल हुए हैं।

प्रश्न 7.
वैश्वीकरण के आर्थिक पक्ष की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक जोर पकड़ा है। वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश देशों में आर्थिक प्रयह बढ़ा है। इसके अन्तर्गत वस्तुओं, पूंजी तथा जनता का एक देश से दूसरे देश में जाना सरल हुआ। यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अधिकांश लोगों को लाभ होगा तथा उनका जीवन स्तर सुधरेगा, परन्तु आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण का लाभ एक छोटे से भाग में रहने वाले लोगों को मिला है, सभी को नहीं।

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक पक्ष की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण का सांस्कृतिक पक्ष भी लोगों के सामने आया है। वर्तमान समय में लोग क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, क्या देखते हैं, क्या पहनते हैं तथा क्या सोचते हैं ? इन सभी पर वैश्वीकरण का साफ़ प्रभाव देखा जा सकता है। वैश्वीकरण के आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण के कारण एक देश विशेष की संस्कृति के पतन का खतरा हो गया है, परन्तु समर्थकों के अनुसार इससे मिश्रित संस्कृति का उदय होता है, उदाहरण के लिए भारत एवं कुछ हद तक अमेरिका के युवा नीली जीन्स पर खादी का कुर्ता पहनना पसन्द करते हैं।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 9.
भारत की वैश्वीकरण के अखाड़े के रूप में व्याख्या करें।
उत्तर:
1991 में नई आर्थिक नीति अपनाकर भारत, वैश्वीकरण एवं उदारीकरण की प्रक्रिया से जुड़ गया। आर्थिक प्रभावों के परिणामस्वरूप विश्व के अनेक विकसित देशों एवं बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों को भारत एक बड़ी.मण्डी के रूप में नजर आने लगा। अत: अनेक विकसित देशों तथा बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों में भारत में निवेश करने की होड़-सी लग गई। एनरॉन, कोका कोला, पेप्सी, सोनी तथा पैनासोनिक इत्यादि इसके उदाहरण हैं। चीन जैसे देश ने भी भारत में अपने उत्पाद पिछले कुछ वर्षों से बड़ी तेज़ी से उतारे हैं। अतः सभी देश एवं कम्पनियां भारतीय लोगों को आकर्षित करने में लगी हुई हैं।

प्रश्न 10.
भारत में वैश्वीकरण के विरुद्ध संघर्ष पर नोट लिखें।
उत्तर:
वैश्वीकरण के आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण का लाभ कुछ थोड़े-से लोगों को हुआ, देश के सभी लोगों विशेषकर ग़रीबों तथा किसानों को इसका लाभ नहीं पहुंचा, इसी कारण समय-समय पर कुछ किसानों द्वारा आत्महत्या की ख़बरें आती रहती हैं। इसलिए भारत में कुछ संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने वैश्वीकरण की धारणा का विरोध किया है। भारत में विरोध करने वालों में वामपन्थी दल, पर्यावरणवादी एवं कुछ स्वयंसेवी संगठन शामिल हैं।

प्रश्न 11.
सांस्कृतिक विभिन्नीकरण का अर्थ लिखें।
उत्तर:
सांस्कृतिक विभिन्नीकरण का अर्थ यह है कि वैश्वीकरण के कारण प्रत्येक संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है।

प्रश्न 12.
वैश्वीकरण के कोई दो आर्थिक प्रभाव लिखिए।
उत्तर:

  • विकास शील देशों की आर्थिक व्यवस्था विकसित देशों पर निर्भर हो गई है।
  • वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश देशों में आर्थिक प्रवाह बढ़ा है।

प्रश्न 13.
वैश्वीकरण एक बहु आयामी धारणा है। व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण को एक बहु आयामी धारणा कहा जा सकता हैं क्योंकि यह कई पक्षों से सम्बन्धित है, जैसे पक्ष, आर्थिक पक्ष एवं सांस्कृतिक पक्ष । वैश्वीकरण केवल एक आर्थिक कारण नहीं है। यह कुछ समाजों को शेष की अपेक्षा और समाज के एक भाग को शेष हिस्सों की अपेक्षा अधिक प्रभावित करता है।

प्रश्न 14.
वैश्वीकरण की लहर के कारण राज्यों पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण की लहर के कारण राज्य कमज़ोर हुए हैं, या शक्तिशाली इसके पक्ष में दो तर्क दिये जाते हैं। वैश्वीकरण प्रथम यह है कि वैश्वीकरण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों के हस्तक्षेप से राज्य कमज़ोर हए हैं। दूसरा मत यह है कि वैश्वीकरण के कारण राज्य पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हए हैं। क्योंकि इसके कारण राज्यों को आधुनिक तकनीक एवं प्रौद्योगिकी प्राप्त हुई है।

प्रश्न 15.
भारत में नई आर्थिक नीति कब और क्यों लागू की गई ?
उत्तर:
भारत में नई आर्थिक नीति जुलाई, 1991 में लागू की गई, ताकि भारत को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में एक प्रतिस्पर्धात्मक राष्ट्र के रूप में विकसित किया जा सके।

प्रश्न 16.
राज्यों पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कोई दो प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • बहराष्ट्रीय कम्पनियों ने राज्यों में अधिक-से-अधिक निवेश करके राज्यों की आर्थिक शक्ति को कम किया है।
  • बहराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपनी आर्थिक शक्ति के कारण राज्यों के राजनीतिक निर्णयों को भी प्रभावित किया है।

प्रश्न 17.
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ में कौन-कौन वैश्वीकरण का विरोध करते हैं ?
उत्तर:
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ के अन्तर्गत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।

प्रश्न 18.
वैश्वीकरण के कारण व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ने वाले कोई दो प्रभाव लिखो।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण के कारण विभिन्न देशों ने मुक्त बाज़ार व्यवस्था को अपनाया है।
  • वैश्वीकरण के कारण राज्यों की संरक्षणवादी नीति समाप्त हो गई है तथा विश्व व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रश्न 19.
विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण से आप क्या समझते हैं ? व्याख्या करें।
उत्तर:
विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण का अर्थ यह है कि विश्व पर कुछ शक्तिशाली विशेषकर अमेरिका का सांस्कृतिक प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व में बर्गर तथा नीली जीन्स की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। मैक्डोनॉल्डीकरण के अन्तर्गत विश्व वैसा ही बनता जा रहा है, जैसा अमेरिकी सांस्कृतिक जीवन शैली बनाना चाहती है।

प्रश्न 20.
वैश्वीकरण को पुन:पनिवेशीकरण क्यों कहा जाता है ? व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण विकासशील एवं कमज़ोर राज्यों पर विकसित एवं धनी राज्यों का राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां विकासशील देशों में विकसित देशों के लाभ कार्य कर रही हैं तथा विकासशील देशों को आर्थिक तौर पर अपने अधीन करती जा रही हैं। इसीलिए वैश्वीकरण को पुनर्डपनिवेशीकरण भी कहा जाता है।

प्रश्न 21.
आर्थिक वैश्वीकरण के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर:

  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों की आर्थिक व्यवस्था विकसित देशों पर निर्भर हो गई है।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण विश्व में निर्धनता एवं बेरोज़गारी बढ़ी है।

प्रश्न 22.
भारत में संरक्षणवाद के कोई दो नकारात्मक परिणाम लिखें।।
उत्तर:

  • भारत में संरक्षणवाद की नीति के कारण आर्थिक विकास की दर बहुत कम रही है।
  • संरक्षणवादी नीति के कारण भारत में सामाजिक एवं आर्थिक बुनियादी विकास नहीं हो पाया।

प्रश्न 23.
भारत में वैश्वीकरण के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण के कारण भारत में बेरोज़गारी बढ़ी है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारतीय वस्तुओं की मांग कम हुई है।

प्रश्न 24.
वैश्वीकरण के कितने पक्ष हैं ?
उत्तर:
वैश्वीकरण के मुख्यतः तीन पक्ष हैं-

  • आर्थिक पक्ष
  • राजनीतिक पक्ष
  • सांस्कृतिक पक्ष।

प्रश्न 25.
“वर्ल्ड सोशल-फोरम” विश्व व्यापी सामाजिक मंच क्या है?
अथवा
वर्ल्ड सोशल फोरम क्या है ?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करने वाला मंच है। इसकी पहली बैठक 2001 में ब्राजील में हुई थी। वर्ल्ड सोशल फोरम के अंतर्गत एकत्र होकर मानवाधिकार कार्यकर्ता, मज़दूर, युवक, महिलाएं तथा पर्यावरणवादी नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।

प्रश्न 26.
“सांस्कृतिक समरूपता” का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
लोगों के खाने-पीने एवं पहरावे में समानता को सांस्कृतिक समरूपता कहते हैं। वैश्वीकरण के युग में किसी सांस्कृतिक समरूपता का उदय नहीं हुआ है, बल्कि पश्चिमी संस्कृति को शेष विश्व पर थोपा जा रहा है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. वर्तमान समय में निम्नलिखित विचारधारा विश्व में पाई जाती है
(A) नाजीवादी
(B) फ़ासीवादी
(C) वैश्वीकरण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(C) वैश्वीकरण।

2. वर्तमान में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का स्थान किस अवधारणा ने ले लिया है ?
(A) अहस्तक्षेपी राज्य
(B) पूंजीवादी राज्य
(C) समाजवादी राज्य
(D) सर्वाधिकारवादी राज्य।
उत्तर:
(B) पूंजीवादी राज्य।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

3. भारत में वैश्वीकरण का आरम्भ कब से माना जाता है
(A) 1995
(B) 1991
(C) 1989
(D) 1987.
उत्तर:
(B)1991.

4. वैश्वीकरण के प्रभाव हैं
(A) राजनीतिक
(B) आर्थिक
(C) सांस्कृतिक
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

5. 1999 में विश्व व्यापार संगठन की मन्त्री स्तरीय बैठक कहां हुई ?
(A) नई दिल्ली
(B) टोकियो
(C) सियाटल
(D) लन्दन।
उत्तर:
(C) सियाटल।

6. भारत में वैश्वीकरण का समय-समय पर किसने विरोध किया है ?
(A) वामपन्थियों ने
(B) स्वयंसेवी संगठनों ने
(C) पर्यावरणवादियों ने
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

7. यह किसका कथन है-“वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सामाजिक सम्बन्ध अपेक्षाकृत दूरी रहित एवं सीमा रहित बन जाते हैं।”
(A) मारगेन्थो
(B) डेविड मूर
(C) वैपलिस एवं स्मिथ
(D) पं० नेहरू।
उत्तर:
(C) वैपलिस एवं स्मिथ।

8. वैश्वीकरण का कारण है
(A) शीत युद्ध का अन्त
(B) सोवियत संघ का पतन
(C) सूचना क्रांति
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

9. वैश्वीकरण के पक्ष में कौन-सा तर्क दिया जा सकता है ?
(A) वैश्वीकरण के द्वारा राष्ट्र एक-दूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं
(B) वैश्वीकरण राष्ट्रों को अधिक-से-अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है
(C) वैश्वीकरण संघर्ष एवं युद्ध की सम्भावनाओं को कम करता है
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

10. वैश्वीकरण के विपक्ष में कौन-सा तर्क दिया जा सकता है ?
(A) वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एकाधिकार की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है
(B) वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ साधारण जनता तक नहीं पहुँच सकता है
(C) वैश्वीकरण एक स्वीकृत नहीं, बल्कि थोपी गई प्रक्रिया है
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

11. भारत द्वारा वैश्वीकरण को अपनाया गया
(A) वर्ष 1992 में
(B) वर्ष 1993 में
(C) वर्ष 1991 में
(D) वर्ष 1994 में।
उत्तर:
(C) वर्ष 1991 में।

12. वैश्वीकरण का उद्देश्य है
(A) पूंजी का स्वतंत्र प्रवाह
(B) श्रम का स्वतंत्र प्रवाह
(C) तकनीक का स्वतंत्र प्रवाह
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

13. वैश्वीकरण (भू-मण्डलीकरण) के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा अपनाई गई रणनीति को नाम दिया गया है
(A) समाजवाद
(B) उदारवाद
(C) नया समाजवाद
(D) नई आर्थिक नीति।
उत्तर:
(D) नई आर्थिक नीति।

14. वैश्वीकरण के युग में कौन-सा संगठन विश्व के देशों के लिए व्यापक नियमावली बनाता है ?
(A) विश्व व्यापार संगठन
(B) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(C) सामाजिक एवं आर्थिक परिषद्
(D) विश्व बैंक
उत्तर:
(A) विश्व व्यापार संगठन।

15. W.S.F. का क्या अर्थ लिया जाता है
(A) World Social Forum
(B) World Sports Forum
(C) World State Fund
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(A) World Social Forum.

16. W.S.F. की पहली बैठक कहां हुई थी ?
(A) भारत
(B) जापान
(C) ब्राज़ील
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(C) ब्राज़ील।

17. ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ की पहली बैठक कब हुई थी ?
(A) 2001 में
(B) 2005 में
(C) 2007 में
(D) 2009 में।
उत्तर:
(A) 2001 में।

18. वैश्वीकरण कैसी धारणा है ?
(A) बहुआयामी
(B) एक आयामी
(C) द्वि-आयामी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(A) बहुआयामी।

19. भारत में नई आर्थिक नीति शुरू हुई ?
(A) सन् 1985 में
(B) सन् 1991 में
(C) सन् 1980 में
(D) सन् 1992 में।
उत्तर:
(B) सन् 1991 में।

रिक्त स्थान भरें

(1) वैश्वीकरण एक ………. अवधारणा है, जिसके राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक आयाम हैं।
उत्तर:
बहुआयामी

(2) कल्याणकारी राज्य की अवधारणा का स्थान अब …………… राज्य ने ले लिया है।
उत्तर:
न्यूनतम हस्तक्षेपकारी

(3) वर्ल्ड सोशल फोरम की पहली बैठक 2001 में ………………… में हुई। (देश का नाम लिखिए)
उत्तर:
ब्राजील

(4) वैश्वीकरण का सम्बन्ध ……………… पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर:
विश्वव्यापी

(5) वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व एक …………….. में बदल गया है।
उत्तर:
विश्व गांव

(6) विश्व व्यापार संगठन की स्थापना सन् ……………. में हुई।
उत्तर:
1995

(7) सन् 2007 में ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ की सातवीं बैठक ………………. में हुई।
उत्तर:
नैरोबी (कीनिया)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
वर्ल्ड सोशल फोरम की 2001 में पहली बैठक किस देश में हुई ?
उत्तर:
ब्राजील में।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण की शुरुआत किस वर्ष से मानी जाती है ?
उत्तर:
सन् 1991 से।

प्रश्न 3.
भारत ने किस वर्ष “नई आर्थिक नीति” को अपनाया ?
उत्तर:
सन् 1991 में।

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प्रश्न 4.
आधुनिक समय में कौन-सी विचारधारा विश्व में पाई जाती है ?
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व में उदारवादी और वैश्वीकरण विचारधारा का बोल-बाला है।

प्रश्न 5.
WSF का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
विश्व सामाजिक फोरम (World Social Forum)।

प्रश्न 6.
कल्याणकारी राज्य की धारणा का स्थान किस अवधारणा ने ले लिया है ?
उत्तर:
कल्याणकारी राज्य की धारणा का स्थान न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है।

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