Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदायी तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदायी तत्त्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं, जिसमें से महत्त्वपूर्ण निम्नलिखित हैं
1. पश्चिमी विचारधारा (Western Thinking):
पर्यावरण के प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पश्चिमी चिन्तन काफ़ी सीमा तक उत्तरदायी है। पश्चिमी विश्व के भौतिक विकास के मूल में, वहां की भौतिक जीवन दृष्टि है। पश्चिम का ईसाई समाज ईसाई धर्म की इस मान्यता के अनुसार जीवन व्यतीत करता है कि ईश्वर ने मानव को पृथ्वी पर, जो कुछ भी है, उसका उपभोग करने के लिए भेजा है।
रीडर्स डायजेस्ट के लेख में अर्नातड टायन्बी ने स्पष्ट किया है कि आज जो पर्यावरण की समस्या हमारे सामने आ खड़ी हुई है उसका मूल कारण है ईसाइयत की यह अवधारणा, जो कहती है कि भगवान् ने मनुष्य को इस सृष्टि में अपने सुख के लिए उपभोग करने का अधिकार दिया है। ‘Eat drink and be Marry’ इस विचारधारा ने प्रकृति के शोषण को प्रोत्साहित किया है और ईसाइयत की इसी विचारधारा ने पर्यावरण के प्रदूषण को विकसित किया।
2. जनसंख्या में वृद्धि (Increase in Population) :
विश्व की जनसंख्या में पिछले 50 वर्षों में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई है। जनसंख्या अधिक होने के कारण मानव की आवश्यक वस्तुओं-रोटी, कपड़ा और मकान की भी पूर्ति नहीं हो रही है। विश्व की अधिकांश जनसंख्या की मल आवश्यकता रोटी, कपडा, मकान ही है और इन वस्तुओं की पूर्ति लकड़ी, लोहा, भूमि, कच्चा-माल, खाद्य पदार्थ, जल इत्यादि के भण्डारों से हो सकती है अर्थात् प्रकृति का शोषण आवश्यक हो जाता है। अत: विशाल जनसंख्या प्रकृति पर बोझ है और पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है।
3. वनों की कटाई व भू-क्षरण (Deforestation and Soil Erosion):
मानव जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने में और पर्यावरण के सन्तुलन बनाए रखने में वनों की भूमिका प्राचीन काल से ही बड़ी महत्त्वपूर्ण रही है। हिमालय और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भूमि की कठोरता कम होती जा रही है और भू-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है।
भूमि के भू-क्षरण के कारण बाढ़ों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और ईंधन की लकड़ी व अन्य पशुओं का निरन्तर ह्रास हो रहा है। अनेक वन्य प्रजातियां आज लुप्त हो चुकी हैं। वनवासियों का अधिकतर जीवन वनों पर निर्भर करता है, किन्तु वनों के कटने से, उनके जीवन-यापन में अनेक कठिनाइयां आ रही हैं और इन कठिनाइयों के फलस्वरूप आज वनस्पतियों में भी पर्याप्त असन्तोष फैल रहा है।
वन, वातावरण की स्वच्छता के लिए अनिवार्य तत्त्व है। केवल प्रकृति में वन ही दूषित वायु (Carbon dioxide) के भक्षक हैं और बदले में वे स्वच्छ ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जोकि जीवन के लिए अनिवार्य तत्त्व है। आज के युग में जब जनसंख्या व उद्योगों के विस्तार के कारण स्वच्छ हवा का अभाव होता जा रहा है, निरन्तर वनों की कमी से वायु के चक्र में भी बाधा पड़ती है और इस तरह वनों के अभाव से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बढ़ने से पर्यावरण का प्रदूषित होना स्वाभाविक होता जा रहा है।
4. जल प्रदूषण (Water Pollution):
जिस प्रकार वन सम्पदा सीमित है उसी तरह प्रकृति ने जल पूर्ति को भी सीमित बनाया है। पानी न केवल मानव के लिए ही, अपितु पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, पेड़-पौधों आदि के लिए भी आवश्यक है। हवा के पश्चात् जीवन के लिए दूसरा अनिवार्य तत्त्व-पानी है। जल की मात्रा सीमित है जबकि जल की पूर्ति, मांग अथवा मात्रा असीमित है। जल की सीमित मात्रा के साथ-साथ मानव ने नदियों व समुद्र के पानी को भिन्न भिन्न ढंगों से प्रदूषित करना शुरू कर दिया है। कारखानों से निकलने वाले विषैले रसायनों, कीटनाशक पदार्थों तथा पेट्रोलियम उत्पादन से नगरों के गन्दे नालों के पानी से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।
5. वायु प्रदूषण (Air Pollution):
जल प्रदूषण से भी अधिक खतरनाक वायु प्रदूषण है। वर्तमान सभ्यता ने जिस गति से शहरों का आयोजनाबद्ध विकास किया है और जितना अधिक जनसंख्या को घना बनाया है उसी अनुपात में इन नगरों में लोगों को श्वास लेने के लिए स्वच्छ वायु का मिलना कठिन हो गया है। भारत में दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, लुधियाना इत्यादि बड़े नगरों में वायु प्रदूषित व विषैली बन गई है।
बड़े-बड़े नगरों में वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं-कल कारखाने, खनन परियोजनाएं (Mining Projects), ताप-बिजली परियोजनाएं (Thermal Power Projects), परमाणु बिजली परियोजनाएं (Nuclear Power Projects), परिवहन के साधन (Mode of Transport) इत्यादि। बड़े-बड़े कारखानों की चिमनियों से निकलते काले धुएं, नगरों के वायुमण्डल को प्रदूषित कर रहे हैं।
6. औद्योगीकरण (Industrialisation):
पर्यावरण को प्रदूषित करने का एक महत्त्वपूर्ण कारण औद्योगीकरण है। औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् उद्योगों का बड़ी तेजी से विकास हुआ है। विश्व के विकसित देशों तथा विकासशील देशों में बड़े-बड़े उद्योग, कारखाने तथा मिलें स्थापित की गई हैं। कारखानों व मिलों को चलाने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है।
जिस स्थान पर बड़े-बड़े कारखाने केन्द्रित होंगे वहां पर उतनी ही अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ेगी। ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति के लिए कोयला तथा तेल को जलाना पड़ता है अथवा बिजली व परमाणु शक्ति का उपभोग करना पड़ता है जिनसे विषैली गैसें पैदा होती हैं, जो वायु व जल को प्रदूषित व विषाक्त कर देती हैं।
7. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) :
विभिन्न प्रकार की ध्वनियों व शोर ने नगरों के पर्यावरण को प्रदूषित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। बड़े-बड़े नगरों में चारों तरफ शोर ही शोर है। सुबह चार बजे से लेकर रात के बारह बजे तक बड़े-बड़े नगरों का पर्यावरण विभिन्न प्रकार के शोरों से प्रदूषित होता रहता है। बसों, ट्रकों, गाड़ियों, दुपहिया आदि वाहनों का शोर, लाऊडस्पीकरों का शोर, जनरेटर का शोर और जुलूस व शोभा यात्राओं तथा जलसों का शोर आदि कानों के पर्दो तथा स्नायुतन्त्र (Nervous System) को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
8. अन्य कारण (Other Reasons)-उपर्युक्त कारकों के अतिरिक्त पर्यावरण को प्रदूषित करने के अनेक और भी कारण हैं। कूड़ा-कर्कट जलाने से कूड़े-कर्कट के ढेरों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। कृषि अन्य कूड़ा-कर्कट का जलाया जाना (Burning of Agricultural wastes) पर्यावरण को प्रदूषित करता है। धूल अथवा मिट्टी का उड़ना (अन्धेरी) पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
प्रश्न 2.
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण की सुरक्षा के विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पर्यावरण की सुरक्षा के विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-वर्तमान समय में विश्व की एक बहुत बड़ी चिन्ता पर्यावरण की है। मानवता को बचाने के लिए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना अति आवश्यक है। 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने रियो-द-जनेरो (Rio-Do-Janeiro) में पर्यावरण पर विचार-विनिमय के लिए एक सम्मेलन बुलाया, जिसमें एजेंडा-21 (Agenda-21) के नाम से एक कार्यक्रम तैयार किया गया, जिस पर सभी देशों ने सहमति प्रकट की। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं
1. समग्र चिन्तन की आवश्यकता (Need for Holistic Thinking):
पश्चिमी जगत् के भौतिक चिन्तन में इस बात पर बल दिया गया है कि इस पृथ्वी पर व प्रकृति पर जो कुछ भी है, वह मानव के उपभोग के लिए है। अतः आवश्यकता मानव की सोच को बदलने की है। इसके लिए भारत का समग्र चिन्तन (Holistic or Integrated thinking of India) एक महत्त्वपूर्ण उपाय है। भारतीय चिन्तन मानव को पेड़ों, वनों, नदियों, पशु-पक्षियों आदि की रक्षा पर भी बल देता है।
2. जनसंख्या नियन्त्रण (Population Control):
विश्व की जनसंख्या बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है और वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉसपेक्ट्स रिपोर्ट के अनुसार विश्व की जनसंख्या 7.2 अरब से बढ़कर वर्ष 2050 तक 9.6 अरब हो जायेगी। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना अत्यावश्यक है। बिना जनसंख्या की वृद्धि को रोके मानव को स्वच्छ पर्यावरण नहीं मिल पाएगा। इसीलिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना, जहां एक ओर देश की अपनी समस्या है वहां दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र भी विश्व जनसंख्या को रोकने के लिए प्रयत्नशील है।
3. वन संरक्षण (Forest Conservation):
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा देश के सन्तुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि वनों की रक्षा की जाए। वनों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकना अत्यावश्यक है। वनों की रक्षा के लिए यह भी आवश्यक है कि जो व्यक्ति अनाधिकृत ढंग से पेड़ों को काटे तो उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। भारत में वानिकी अनुसन्धान का मुख्य दायित्व भारतीय वानिकी अनुसन्धान शिक्षा परिषद् (Indian Council of Forestry Research and Education) का है।
4. वन्य-जीवन का संरक्षण (Conserving the Wild Life):
वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन का संरक्षण करना आवश्यक है। भारत में शेर, चीते, हाथियों, घड़ियालों, गैंडे, भालू इत्यादि जीवों की प्रजातियों के नष्ट होने का गम्भीर खतरा पैदा हो गया है। प्रकृति के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए वन्य जीवन (Wild life) को सुरक्षित रखना अत्यावश्यक हो गया है। इसीलिए भारत सरकार ने शिकार और पशु पक्षियों को मारने तथा उनके अवैध व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।
5. उचित तकनीक का प्रयोग (Adoption of Proper Technology):
आधुनिक भौतिकवादी युग में मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े कारखाने उतने ही आवश्यक हैं जितना कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना। इसलिए कारखानों को चलाने के लिए ऐसे ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए जिससे जहरीली गैसें व धुआं निकलकर वायुमण्डल को प्रदूषित करें।
उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन के लिए लघु तथा कुटीर उद्योगों का प्रयोग किया जाना चाहिए। गांव के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति ग्राम कुटीर उद्योगों के द्वारा की जानी चाहिए। कारखानों में प्रदूषण निरोधक उपकरणों को लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
6. जनता को पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षा देना (To educate the People about environment):
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह अत्यावश्यक है कि आम जनता को पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षा दी जाए। यह शिक्षा दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्रों द्वारा तथा जुलूसों, जलसों व प्रदर्शनियों द्वारा दी जानी चाहिए। विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षा को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
1978 में ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ की देख-रेख में भारत के अनेक स्थानों पर प्रदर्शनियां आयोजित की गईं ताकि आम जनता को पर्यावरण के संरक्षण का महत्त्व बतलाया जा सके। 1982 में भारत में पर्यावरण सूचना प्रणाली स्थापित की गई। पर्यावरण सूचना प्रणाली सांसदों और अन्य पर्यावरण प्रेमियों को पर्यावरण के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान कर रही है।
7. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग (International Co-operation):
पर्यावरण प्रदूषण एक देश की समस्या न होकर सारे विश्व की समस्या है। अतः इस समस्या का समाधान भी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा ही किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र तथा इसकी एजेंसियां पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
8. आवश्यकताएं कम करना (To minimise the wants):
पर्यावरण के संरक्षण के लिए सर्वोत्तम उपाय अपनी आवश्यकताओं को कम करना है।
9. विविध उपाय (Miscellaneous Measures) :
उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त निम्नलिखित उपायों द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है
- ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लाऊड-स्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। प्रशासन की स्वीकृति के बिना लाऊड-स्पीकरों के प्रयोग पर मनाही होनी चाहिए।
- कूड़ा-कर्कट के ढेर शहर के समीप इकट्ठे नहीं किए जाने चाहिए और न ही जलाए जाने चाहिए।
- जल प्रदूषण को रोकने के लिए गन्दे नालों व कारखानों का पानी नदियों में नहीं डाला जाना चाहिए।
- बसों, ट्रकों, गाड़ियों व दुपहिया से निकलने वाले धुएं को रोकने के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए। दिल्ली सरकार ने ‘नियन्त्रित प्रदूषण प्रमाण-पत्र’ न रखने वाले वाहनों पर जुर्माने की रकम पहली बार ₹1000 तक और उसके .. बाद हर बार ₹ 2000 तक जुर्माना 21 जुलाई, 1997 से लागू कर दिया है।
प्रश्न 3.
पर्यावरण संरक्षण के लिये अन्तर्राष्टीय स्तर पर किए गये विभिन्न प्रयासों का वर्णन कीजिये।
अथवा
पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए प्रयास-पर्यावरण संरक्षण के लिए समय समय पर विश्व स्तर पर सम्मेलन होते रहे हैं तथा नियमों एवं उपनियमों का निर्माण किया गया है, जिनका वर्णन इस प्रकार है
1. स्टॉकहोम सम्मेलन (Stockholm Conference) पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून, 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें थीं
- मानवीय पर्यावरण पर घोषणा,
- मानवीय पर्यावरण पर कार्य योजना,
- संस्थागत एवं वित्तीय व्यवस्था पर प्रस्ताव,
- विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्ताव,
- परमाणु शस्त्र परीक्षणों पर प्रस्ताव,
- दूसरे पर्यावरण सम्मेलन किये जाने के प्रस्ताव तथा
- राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किये जाने के सम्बन्ध में सरकारों को सिफारिशें किये जाने का निर्णय।
2. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित विश्व समझौतों की पुष्टि (Ratification of Global Convention Regarding Environment Protection)-1975 में अधिकांश राज्यों ने पर्यावरण से सम्बन्धित विश्व स्तरीय समझौतों को अपनी स्वीकृति प्रदान करके पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन को और अधिक प्रभावी बना दिया। इनमें समझौतों में शामिल थे- .
- तेल-प्रदूषण की हानि के लिए असैनिक दायित्व पर अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय-1969।
- तेल प्रदूषण के उपघातों के विषयों में खुले समुद्र में हस्तक्षेप से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय–1969।
- अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की नम भूमि तथा विशेषकर पानी में रहने वाले पक्षियों के रहने के स्थान पर अभिसमय 1971।
- कूड़ा-कर्कट तथा अन्य सामान के ढेर लगाने से सामुद्रिक प्रदूषण को बचाने के लिए अभिसमय-1972।
- विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से सम्बन्धित अभिसमय-1972।
- संकटापन्न या जोखिम में पड़े एवं जंगली पेड़-पौधों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अभिसमय-1973।
- जलपोतों तथा हवाई जहाज़ों द्वारा ढेर लगाने से सामुद्रिक प्रदूषण को बचाने के लिए अभिसमय-1973।
3. नैरोबी घोषणा (Nairobi Declaration):
स्टॉकहोम सम्मेलन की 10वीं वर्षगाँठ का सम्मेलन 1982 में नैरोबी में किया गया। इस सम्मेलन में विलुप्त वन्य जीवों के व्यापार से सम्बन्धित प्रावधान अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक सम्पदा तथा खुले समुद्र में प्रदूषण इत्यादि से सम्बन्धित प्रावधानों को स्वीकार किया गया।
4. पृथ्वी सम्मेलन (Earth Summit):
स्टॉकहोम सम्मेलन के पश्चात् पर्यावरण से सम्बन्धित सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन सन् 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरियो में हुआ। इस सम्मेलन में 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का आयोजन भी संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में हुआ।
इस सम्मेलन का मुख्य विषय पर्यावरण एवं सन्तुलित विकास था। पृथ्वी सम्मेलन में की गई घोषणा को एंजेण्डा-21 के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में स्टॉकहोम के उपबन्धों को स्वीकार करते हुए उन्हें लागू करने पर जोर दिया गया। पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कुल 27 सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया।
5. विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक (Global Climate Change Meet):
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबन्ध के समाधान के सम्बन्ध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया। इस बैठक में ग्रीन गृह गैसों (Green House Gases) को वातावरण में न छोड़ने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई।
6. क्योटो प्रोटोकोल (Kyoto Protocol):
1997 में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक दूसरी बैठक क्योटो (जापान) में हुई। इसमें लगभग 150 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के अन्त में क्योटो घोषणा की गई जिसके अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई कि सूचीबद्ध औद्योगिक देश वर्ष 2008 से 2012 तक 1990 के स्तर से नीचे 5.2% तक अपने सामूहिक उत्सर्जन में कमी कर देंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छ विकास संयंत्रों (Clean Development Machanism) लागू करने की बात की गई।
7. ब्यूनिस-ऐरिस बैठक (Buenus-Aires Convention):
1998 में अर्जेन्टाइना के शहर ब्यूनिस-ऐरिस में क्योटो प्रोटोकोल की समीक्षा के लिए एक बैठक की गई। भारत जैसे देशों की यह दलील थी कि विलासिता और आवश्यकता में अन्तर किया जाना चाहिए।
अर्थात् विलासिता के कारण गैसों का रिसाव न हो और आवश्यकता के कारण इसे छोड़ने से रोका न जाए। बाली सम्मेलन-2007-दिसम्बर, 2007 में इण्डोनेशिया के शहर बाली में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में पर्यावरण को बचाने के लिए क्योटो प्रोटोकोल को लागू करने तथा अन्य साधनों पर विचार किया गया। .
कोपनहेगन सम्मेलन-2009-दिसम्बर, 2009 में डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक विश्व सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में लगभग 190 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में पर्यावरण को बचाने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई। कानकून सम्मेलन 2010-दिसम्बर, 2010 में कानकून (मैक्सिको) में पर्यावरण सरंक्षण पर हुए विश्व सम्मेलन में 193 देश एक मसौदे पर सहमत हुए, जिसके अन्तर्गत 100 अरब डालर के ग्रीन क्लाइमेट फंड बनाने पर सहमित बनी, तथा 2011 तक विवादित मसलों को हल करने का संकल्प लिया गया।
डरबन सम्मेलन-दिसम्बर, 2011 में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में पर्यावरण संरक्षण पर हुए विश्व सम्मेलन में 194 देशों ने भाग लिया। वार्ता में वर्ष 2015 के एक समझौते की रूप रेखा स्वीकार कर ली गई, जिसके अन्तर्गत भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए पहली बार कानूनी तौर पर देश बाध्य होंगे। रियो + 20 सम्मेलन-20-22 जून, 2012 को ब्राजील के शहर रियो डी जनेरियो में जीवन्त विकास (Sustainable Development) पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को रियो +20 के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस सम्मेलन के ठीक बीस साल पहले 1992 में इसी शहर में पृथ्वी सम्मेलन हुआ था।
इस सम्मेलन में लगभग 40000 पर्यावरणविद, 10000 सरकारी अधिकारी तथा 190 देशों से राजनीतिज्ञ शामिल हुए। इस सम्मेलन की दो केन्द्रीय विषय वस्तु है, प्रथम जीवन्त विकास और ग़रीबी निवारण के सम्बन्ध में हरित व्यवस्था तथा द्वितीय जीवन्त विकास के लिए संस्थाओं के ढांचे का निर्माण करना। सम्मेलन में जीवन्त विकास के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता, ग़रीबी निवारण, जीवन्त विकास के लिए महत्त्वपूर्ण संस्थाओं तथा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्यवाही के फ्रेमवर्क की चर्चा की गई।
लीमा सम्मेलन-दिसम्बर, 2014 में संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन लीमा (पेरन) में हुआ। सम्मेलन में उपस्थित लगभग 190 देश उस वैश्विक समझौते के मसौदे पर राजी हो गए, जिस पर 2015 में होने वाले पेरिस सम्मेलन में मुहर लगनी है। लीमा में बनी सहमति के अन्तर्गत 31 मार्च, 2015 तक सभी देश ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की अपनी-अपनी योजनाएं पेश करेंगे। इस घरेलू नीतियों के आधार पर पेरिस सम्मेलन में पेश कि वैश्विक समझौते की रूपरेखा तय की जायेगी। पेरिस में होने वाला समझौता सन् 2020 से प्रभावी होगा।
पेरिस सम्मेलन-नवम्बर-दिसम्बर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ, जिसमें लगभग 196 देशों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में यह सहमति बनी कि ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जायेगा। इसके लिए विकसित देश प्रतिवर्ष विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर की मदद देंगे। यह व्यवस्था सन् 2020 से आरम्भ होगी।
काटोविस सम्मेलन-दिसम्बर, 2018 में पोलैण्ड के शहर काटोविस में संयुक्त राष्ट्र के 24वें जलवायु सम्मेलन में 197 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियम कायदों को अंतिम रूप दिया गया।
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि समय-समय पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सम्मेलन होते रहे हैं परन्तु आवश्यकता इस बात की है कि इन सम्मेलनों में लिए गये निर्णयों को उचित ढंग से लागू किया जाए।
प्रश्न 4.
भारत में पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी किन्हीं छः उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी कोई छ: उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत सदैव ही पर्यावरण संरक्षण का पक्षधर रहा है। परन्तु भारत ने पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित विकसित देशों के दृष्टिकोण का समर्थन नहीं किया है। इसी कारण यद्यपि भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर किए परन्तु फिर भी इसे (भारत) औद्योगीकरण के दौर में ग्रीन गृह गैसों के उत्सर्जन के विषय में छूट दी गई है।
2005 में हुई G-8 के देशों की शिखर बैठक में भारत ने सभी का ध्यान इस ओर खींचा कि विकासशील देशों की प्रति व्यक्ति ग्रीन गृह गैस की उत्सर्जन दर विकसित देशों के मुकाबले में नाममात्र है। अतः भारत का मानना है कि ग्रीन गृह गैस की उत्सर्जन दर में कमी करने की अधिक जिम्मेदारी विकसित देशों की ही है। भारत विश्व मंचों पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित अधिकांश ऐतिहा उत्तरदायित्व का तर्क रखता है। भारत ने सदैव पर्यावरण से सम्बन्धित वैश्विक प्रयासों का समर्थन किया है।
- भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पास किया। इसमें ऊर्जा के ज्यादा अच्छे ढंग से उपयोग की पहल की गई है।
- 2003 के बिजली अधिनियम में पुनर्नवा (Renewable) ऊर्जा के प्रयोग पर जोर दिया गया है।
- भारत में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के प्रयोग का रुझान बढ़ा है।
- भारत इस प्रयास में है कि 2012 तक अपने बायोडीज़ल के राष्ट्रीय मिशन को पूरा कर ले।
- भारत ने 1992 में ब्राज़ील में हुए पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित पृथ्वी सम्मेलन की समीक्षा के लिए 1997 में एक बैठक आयोजित की।
- भारत का यह दृष्टिकोण है कि विकासशील देशों को वित्तीय मदद तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी तकनीक विकसित देश दें ताकि विकासशील देश पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकें।
- भारत दक्षिण एशिया में सार्क की मदद से सभी देशों से पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कदम उठाने का आग्रह करता रहा है।
- भारत ने सदैव यह प्रयास किया है कि पर्यावरण संरक्षण पर सार्क देश एक राय रखें। इससे स्पष्ट है कि भारत ने सदैव पर्यावरण संरक्षण के लिए उचित एवं कठोर कदम उठाए जिनका पालन अन्य देशों द्वारा भी किया
- भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रश्न 5.
प्राकृतिक पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट करें। प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर:
प्राकृतिक पर्यावरण का अर्थ है-कोई वस्तु जो हमें घेरे हुए है। इस अर्थ में पर्यावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो यद्यपि हमसे पृथक् हैं, तथापि हमारे जीवन या हमारी गतिविधि को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित करती हैं। पर्यावरण एक जटिल घटना वस्तु है, जिसके कई रूप होते हैं जैसे- भौतिक पर्यावरण प्राणीशास्त्रीय पर्यावरण, सामाजिक पर्यावरण एवं अपार सामाजिक पर्यावरण। पर्यावरण में सब परिस्थितियां शामिल हैं जो प्रकृति ने मानव को ही प्रदान की हैं।
मैकाइवर (Maciver) के शब्दों में, “पृथ्वी का धरातल, उसकी सम्पूर्ण प्राकृतिक दशाएं और प्राकृतिक साधन भूमि, जल, पहाड़, मैदान, खनिज पदार्थ, पेड़-पौधे, पशु, पक्षी, जलवायु, पृथ्वी पर लीला करने वाली तथा मानव जीवन को प्रभावित करने वाली विद्युत् तथा विकीर्णन शक्तियां सम्मिलित हैं।”
पर्यावरण में सम्मिलित सम्पूर्ण ग्रहों, जैसे सूर्य, तारे, वर्षा, समुद्र, ऋतुएं ज्वारभाटे एवं सामुद्रिक धाराएं आदि हैं जो मनुष्य की परिवर्तन शक्ति से बाहर हैं और दूसरी ओर नियन्त्रित भौगोलिक पर्यावरण है, .जैसे—धरती, नदियां, अन्य जल स्रोत, नहरें, वन आदि। इस नियन्त्रित पर्यावरण में कुछ सीमा तक परिवर्तन हो सकता है। प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय- इसके लिए प्रश्न नं० 2 देखें।
प्रश्न 6. पर्यावरण से आपका क्या अभिप्राय है ? इसके प्रदूषण के मुख्य आम प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण से आपका क्या अभिप्राय है ? पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरण का अर्थ-इसके लिए प्रश्न नं0 5 देखें। प्रदूषण के प्रभाव-प्रदूषण के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- प्रदूषण के प्रभाव से प्राकृतिक सन्तुलन खराब हुआ है।
- प्रदूषण के प्रभाव से जीव-जन्तुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- प्रदूषण के प्रभाव से ऋतु चक्र प्रभावित हुआ है।
- पर्यावरण प्रदूषण से उत्पादन की गुणात्मक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- पर्यावरण प्रदूषण से मानवीय जीवन और कठिन हो गया है।
- प्रदूषण से पेड़-पौधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- संसार में नई-नई एवं गम्भीर बीमारियों की उत्पत्ति हुई है, जो मानव जीवन को हानि पहुंचा रही हैं।
- प्रदूषण से खेतों की उपजाऊ शक्ति कम हुई है।
प्रश्न 7.
विकास और पर्यावरण में क्या सम्बन्ध है ? विकास कार्यों के पर्यावरण पर बुरे प्रभावों की चर्चा करें।
अथवा
विकास कार्यों के पर्यावरण पर बुरे प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर:
विकास और पर्यावरण में गहरा सम्बन्ध है। विकास एवं पर्यावरण दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। विकास की निरन्तर चलने वाली धारणा ने पर्यावरण को बहुत अधिक प्रभावित किया है। इसीलिए पर्यावरण विद्वानों ने अक्षय विकास की धारणा का समर्थन किया है। अक्षय विकास वह क्षय न होने वाला विकास है, जिसका एक पीढ़ी के द्वारा उपभोग हो लेने पर दूसरी पीढ़ी के लिए विकास और सम्भोग की पूर्ण परिस्थितियां बनी रहें। विकास कार्यों के कारण पर्यावरण पर निम्नलिखित बुरे प्रभाव पड़े हैं
- विकास कार्यों के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है, जिससे वातावरण में शुद्ध वायु की कमी हो रही है।
- विकास कार्यों के लिए अधिक-से-अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों के रहने योग्य तथा कृषि योग्य उपजाऊ जमीन कम हो रही है।
- विकास कार्यों के लिए पानी का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है।
- विकास कार्यों के पश्चात् छोड़े गए जहरीले कूड़ा-कबाड़ पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं।
- विकास कार्यों के लिए जंगलों में लगातार कमी आ रही है।
- विकास कार्यों से विश्व तापन (Global warming) लगातार बढ़ रहा है।
- विकास कार्यों के कारण आदिवासियों को लगातार उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
प्रश्न 8.
‘मूलवासी’ से क्या अभिप्राय है ? मूलवासियों के अधिकार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
‘मूलवासी’ का अर्थ-मूलवासी से हमारा अभिप्राय किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाली वहाँ की मूल जाति या वंश के लोगों से है जो कि अनादिकाल से सम्बन्धित क्षेत्र में रहते आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे परिभाषित करते हुए बताया गया है कि, “मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी विद्यमान देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे थे फिर किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के अन्य हिस्सों से आए और इन लोगों को अपने अधीन कर लिया।” यह मूलवासी सैंकड़ों वर्ष बीत जाने के बावजूद भी, उस देश जिसमें वह अब रह रहे हैं, कि संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से अधिक अपनी परंपरा, सांस्कृतिक रीति-रिवाज तथा अपने विशेष सामाजिक, आर्थिक ढर्रे पर जीवनयापन करना पसन्द करते हैं, मूलवासी कहलाते हैं।
मूलवासियों को जनजातीय, आदिवासी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। विश्व में इनकी जनसंख्या लगभग 30 करोड़ है। यह विश्व के लगभग प्रत्येक देश में किसी-न-किसी नाम से विद्यमान हैं। फिलीपिन्स में कोरडिलेरा क्षेत्र में, चिल्ली में मापुशे नामक समुदाय, अमेरिका में रैड इण्डियन नामक समुदाय, पनामा नहर के पूर्व में कुना नामक समुदाय, भारत में भील-सन्थाल सहित अनेकों जनजातियाँ, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में पालिनेशिया, मैलनेशिया और माइक्रोनेशिया वंश के मूलवासी रहते हैं। मूलवासियों के अधिकार
- विश्व में मूलवासियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो।
- मूलवासियों को अपनी स्वतन्त्र पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाए।
- मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न किया जाए।
- देश के विकास से होने वाला लाभ मूलवासियों को भी मिलना चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पर्यावरण का अर्थ है-कोई वस्तु जो हमें घेरे हुए है। इस अर्थ में पर्यावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो यद्यपि हमसे पृथक् हैं, तथापि हमारे जीवन या हमारी गतिविधि को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित करती हैं। पर्यावरण एक जटिल घटना वस्तु है, जिसके कई रूप होते हैं जैसे- भौतिक पर्यावरण, प्राणीशास्त्रीय पर्यावरण, सामाजिक पर्यावरण एवं अपार सामाजिक पर्यावरण।
पर्यावरण में सब परिस्थितियां शामिल हैं जो प्रकृति ने मानव को ही प्रदान की हैं। मैकाइवर (Maclver) के शब्दों में, “पृथ्वी का धरातल, उसकी सम्पूर्ण प्राकृतिक दशाएं और प्राकृतिक साधन भूमि, जल, पहाड़, मैदान, खनिज पदार्थ, पेड़ पौधे, पशु, पक्षी, जलवायु, पृथ्वी पर लीला करने वाली तथा मानव जीवन को प्रभावित करने वाली विद्युत् तथा विकीर्णन शक्तियाँ सम्मिलित हैं।”
पर्यावरण में सम्मिलित सम्पूर्ण ग्रहों, जैसे सूर्य, तारे, वर्षा, समुद्र, ऋतुएं, ज्वारभाटे एवं सामुद्रिक धाराएं आदि हैं जो मनुष्य की परिवर्तन शक्ति से बाहर हैं और दूसरी ओर नियन्त्रित भौगोलिक पर्यावरण है, जैसे-धरती, नदियां, अन्य जल स्रोत, नहरें, वन आदि हैं। इस नियन्त्रित पर्यावरण में कुछ सीमा तक परिवर्तन हो सकता है।
प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषण के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
1. पश्चिमी विचारधारा–पर्यावरण के प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पश्चिमी चिन्तन काफ़ी सीमा तक उत्तरदायी है। पश्चिमी विश्व के भौतिक विकास के मूल में, वहां की भौतिक जीवन दृष्टि है। पश्चिम का ईसाई समाज धर्म की इस मान्यता के अनुसार जीवन व्यतीत करता है कि, ईश्वर ने मानव को पृथ्वी पर, जो कुछ भी है, उसका उपभोग करने के लिए भेजा है।
2. जनसंख्या में वृद्धि-जनसंख्या अधिक होने के कारण मानव की आवश्यक वस्तुओं-रोटी, कपड़ा और मकान की पूर्ति नहीं हो रही है, और इन वस्तुओं की पूर्ति लकड़ी, लोहा, भूमि, कच्चा माल, खाद्य पदार्थ, जल इत्यादि के भण्डारों से हो सकती है अर्थात् प्रकृति का शोषण आवश्यक हो जाता है।
3. वनों की कटाई एवं भू-क्षरण-वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भूमि की कठोरता कम होती जा रही है और भू-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। निरन्तर वनों की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ने से पर्यावरण का प्रदूषित होना स्वाभाविक है।
4. जल-प्रदूषण—जिस प्रकार वन सम्पदा सीमित है, उसी तरह प्रकृति ने जल पूर्ति को भी सीमित बनाया है। इस कारण मानव ने नदियों व समुद्र के पानी को भिन्न-भिन्न ढंगों से प्रदूषित करना शुरू कर दिया। कारखानों से निकलने वाले विषैले रसायनों तथा नगरों के गन्दे पानी से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।
प्रश्न 3.
‘पर्यावरण संरक्षण’ के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिये।
अथवा
पर्यावरण की सुरक्षा के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. समग्र चिन्तन की आवश्यकता-पश्चिमी जगत् के भौतिक चिन्तन में इस बात पर बल दिया जाता है कि इस पृथ्वी पर व प्रकृति पर जो कुछ भी है, वह मानव के उपभोग के लिए है। अतः आवश्यकता मानव की सोच को बदलने की है। इसके लिए भारत का समग्र चिन्तन (Holistic or Integrated thinking of India) एक महत्त्वपूर्ण उपाय है।
2. जनसंख्या नियन्त्रण विश्व की जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है और आज की 7.2 अरब की जनसंख्या 2050 में 9.6 अरब हो जाएगी। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना आवश्यक है।
3. वन संरक्षण-पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा देश के सन्तुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि वनों की रक्षा की जाए। वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना अत्यावश्यक है।
4. वन्य-जीवन का संरक्षण-वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन का संरक्षण करना अत्यावश्यक है। भारत में शेर, चीते, हाथियों, घड़ियालों, गैंडों, भालू इत्यादि जीवों की प्रजातियों के नष्ट होने का गम्भीर खतरा पैदा हो गया है। प्रकृति के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए वन्य जीवन (Wild life) को सुरक्षित रखना अत्यावश्यक हो गया है।
प्रश्न 4.
पोषणकारी अथवा अक्षय विकास की धारणा का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
पोषणकारी विकास अथवा अखण्ड विकास की अवधारणा का अर्थ है-निरन्तर चलने वाला विकास अर्थात् ऐसा विकास जिसमें न कोई. खण्ड हो और न ही विकास का क्षय है। पर्यावरणवाद के समर्थकों ने दो मुख्य विचारधाराओं पर बल दिया है
- मनुष्य और प्रकृति के टूटे हुए सम्बन्धों को दोबारा जोड़ना।
- मनुष्य के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को नये परिवर्तित रूप में ढालना।
इन दोनों विचारधाराओं के अनुसार आधुनिक औद्योगिक समाज में मनुष्य ने अपने विकास व ज़रूरतों के लिए प्रकृति का लगातार दोहन किया है। इस लगातार दोहन के फलस्वरूप मनुष्य का धीरे-धीरे प्रकृति से सम्बन्ध टूटना शुरू हो गया है और पर्यावरण सम्बन्धी अनेक समस्याएँ जटिल रूप धारण कर रही हैं। इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य और प्रकृति के इस टूटे हुए सम्बन्ध को पर्यावरण के प्रति शालीनता का रुख अपनाकर फिर से जोड़ना होगा और प्रकृति की इस धरोहर को अपने तक सीमित न रखकर आने वाली पीढ़ियों के उपभोग के लिए सुरक्षित रखना होगा।
पर्यावरण वेत्ताओं ने अक्षय विकास की अवधारणा को इस प्रकार परिभाषित किया है-“एक ऐसा विकास जो अब तक हुए विकास को तथा उस विरासत को भी सुरक्षित रखें जिस पर उसकी नींव रखी गयी है।” साधारण शब्दों में, “अक्षय विकास वह क्षय न होने वाला विकास है जिसका एक पीढ़ी के द्वारा उपभोग हो लेने पर दूसरी पीढ़ी के लिए विकास और सम्भोग की पूर्ण परिस्थितियाँ बनी रहें।”
प्रश्न 5.
मूलवासियों के कौन-कौन से अधिकार हैं ?
उत्तर:
मूलवासियों (भारत में इन्हें अनुसूचित जनजाति या आदिवासी कहा जाता है।) के अधिकार निम्नलिखित हैं
- विश्व में मूलवासियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो।
- मूलवासियों को अपनी स्वतन्त्र पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाए।
- मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न किया जाए।
- देश के विकास से होने वाला लाभ मूलवासियों को भी मिलना चाहिए।
प्रश्न 6.
विश्व की ‘साझी विरासत’ का क्या अर्थ है ? इसकी सुरक्षा के दो उपाय बताएं।
अथवा
“विश्व की साझी सम्पदा” पर एक नोट लिखिए।
उत्तर:
1. विश्व की साझी विरासत से अभिप्राय उस सम्पदा से है, जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है। जैसे साझी नदी, साझा कुआं, साझा मैदान तथा साझा चरागाह इत्यादि। इसी तरह कुछ क्षेत्र एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं, जैसे पृथ्वी का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाहरी अन्तरिक्ष इत्यादि। इसका प्रबन्धन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है। इनकी रक्षा के दो उपाय अग्रलिखित हैं सीमित प्रयोग-विश्व की साझी विरासतों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।
2. जागरुकता पैदा करना-विश्व की साझी विरासतों के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करनी चाहिए।
प्रश्न 7.
विश्व राजनीति में पर्यावरण की चिंता के कोई चार कारण लिखिये।
उत्तर:
पर्यावरण निम्नीकरण (क्षरण) के सम्बन्ध में चार चिन्ताओं का वर्णन इस प्रकार है
- बढ़ता वायु प्रदूषण-पर्यावरण के क्षरण से विश्व में निरन्तर वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।
- कृषि योग्य भूमि में कमी-पर्यावरण क्षरण से कृषि योग्य भूमि लगातार कम हो रही है।
- चरागाहों की समाप्ति-पर्यावरण क्षरण से विश्व में चारागाह समाप्त हो रहे हैं।
- जलाशयों में कमी-पर्यावरण क्षरण से जलाशयों की जलराशि बड़ी तेजी से कम हुई है।
प्रश्न 8.
पर्यावरण से सम्बन्धित स्टॉकहोम सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून, 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें थीं
- मानवीय पर्यावरण पर घोषणा,
- मानवीय पर्यावरण पर कार्ययोजना,
- संस्थागत एवं वित्तीय व्यवस्था पर प्रस्ताव,
- विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्ताव,
- परमाणु शस्त्र परीक्षणों पर प्रस्ताव,
- दूसरे पर्यावरण सम्मेलन ।
- किये जाने के प्रस्ताव तथा
- राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किये जाने के सम्बन्ध में सरकारों को सिफ़ारिशें किये जाने का निर्णय।
प्रश्न 9.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित किन्हीं चार विश्व समझौतों की व्याख्या करें।
उत्तर:
- तेल-प्रदूषण की हानि के लिए असैनिक दायित्व पर अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय-1969।
- तेल प्रदूषण के उपघातों के विषयों में खुले समुद्र में हस्तक्षेप से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय-19691
- अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की नम भूमि तथा विशेषकर पानी में रहने वाले पक्षियों के रहने के स्थान पर अभिसमय 19711
- कूड़ा-कर्कट तथा अन्य सामान के ढेर लगाने से सामुद्रिक प्रदूषण को बचाने के लिए अभिसमय-1972 ।
प्रश्न 10.
पृथ्वी सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
स्टॉकहोम सम्मेलन के पश्चात् पर्यावरण से सम्बन्धित सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन सन् 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरियो में हुआ। इस सम्मेलन में 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का आयोजन भी संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वाधान में हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य विषय पर्यावरण एवं सन्तुलित विकास था।
पृथ्वी सम्मेलन में की गई घोषणा को एजेण्डा-21 के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में स्टॉकहोम के उपबन्धों को स्वीकार करते हुए उन्हें लागू करने पर जोर दिया गया। पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कुल 27 सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया।
प्रश्न 11.
क्योटो प्रोटोकोल के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक दूसरी बैठक क्योटो (जापान) में हुई। इसमें लगभग 150 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के अन्त में क्योटो घोषणा की गई जिसके अन्तर्गत यह सूचीबद्ध औद्योगिक देश वर्ष 2008 से 2012 तक 1990 के स्तर के नीचे 5.2% तक अपने सामूहिक उत्सर्जन में कमी कर देंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छ विकास संयन्त्रों (Clean Development Machanism) लागू करने की बात की गई।
प्रश्न 12.
वनों से हमें प्राप्त होने वाले कोई चार लाभ लिखें।
उत्तर:
वनों में हमें निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं
- वनों से हमें कीमती लकड़ियां मिलती हैं, जो कई प्रकार के प्रयोग में आती हैं।
- वनों में पाए जाने वाले जैव विविधता के भण्डार सुरक्षित रहते हैं।
- वन जलवायु एवं पर्यावरण को सन्तुलित करते हैं।
- वन जल-चक्र को सन्तलित करते समय वर्षा करवाते हैं।
प्रश्न 13.
वनों से सम्बन्धित हमारी चिन्ताएं क्या हैं ?
उत्तर:
वनों से सम्बन्धित निम्नलिखित चिन्ताएं हैं
- वनों को लोग बड़ी तेज़ी से काट रहे हैं।
- वनों की कटाई के कारण जैव विविधता के भण्डार समाप्त हो रहे हैं।
- वनों की कटाई के कारण जलवायु सन्तुलन चक्र अस्थिर हो गया है।
- वनों के अन्धाधुन्ध कटने से बाढ़ की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं।
प्रश्न 14.
सन् 1987 में प्रकाशित ‘ऑवर कॉमन फ्यूचर रिपोर्ट’ में शामिल की गई कोई चार बातें लिखें।
उत्तर:
सन् 1987 में प्रकाशित रिपोर्ट में निम्नलिखित बातें शामिल थीं
- आर्थिक विकास तथा पर्यावरण प्रबन्धन के परस्पर सम्बन्धों को हल करने के लिए दक्षिणी देश अधिक गम्भीर थे।
- आर्थिक विकास की वर्तमान विधियां स्थायी नहीं रहेंगी।
- औद्योगिक विकास की मांग दक्षिणी देशों में अधिक है।
- विकसित एवं विकासशील देशों में पर्यावरण के सम्बन्ध में अलग-अलग विचार थे।
प्रश्न 15.
अंटार्कटिका महाद्वीप के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अंटार्कटिका महाद्वीप एक करोड़ चालीस लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह मुख्यत: एक बर्फीला क्षेत्र है। इस पर किसी एक देश या संगठन का अधिकार नहीं है। यद्यपि कोई भी देश या संगठन शान्तिपर्ण कार्यों के लिए यहां पर अनसन्धान कर सकता है। अंटार्कटिका महाद्वीप विश्व की जलवाय एवं पर्यावरण को सन्तलित करता है।
अंटार्कटिक महाद्वीप की आन्तरिक बर्फीली परत ग्रीन हाऊस गैसों के जमाव का महत्त्वपूर्ण सूचना-स्रोत है। इसके साथ-साथ इससे लाखों-हज़ारों वर्षों के पहले के वायुमण्डलीय तापमान का पता लगाया जा सकता है। इस महाद्वीप को किसी भी देश के राजनीतिक एवं सैनिक हस्तक्षेप से अलग रखने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना सभी देशों के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 16.
प्राकृतिक संसाधनों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों से हमारा अभिप्राय ऐसे संसाधनों से है जो कि हमें प्रकृति से ठोस, द्रव्य और गैस के रूप में प्राप्त होते हैं। प्राकृतिक संसाधनों को पृथ्वी पर मानवीय जीवन का आधार माना जाता है। मानवीय सभ्यता के विकास में इन प्राकृतिक संसाधनों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रारम्भिक काल में यह संसाधन प्रचुर मात्रा में है, परन्तु जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती चली गई वैसे-वैसे ही प्राकृतिक संसाधनों का तेज़ी से दोहन आरम्भ हो गया था। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मानवीय विकास प्राकृतिक संसाधनों के विनाश से हुआ है क्योंकि मानव ने स्वयं ही आत्मनिर्भर जैव मंडल के तन्त्र को प्राकृतिक संसाधन के तन्त्र में परिवर्तित कर दिया है।
प्रश्न 17.
‘भारत के पावन वन-प्रान्तर’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
भारत में प्रचलित कछ धार्मिक कारणों के कारण वनों के कुछ भागों को काटा नहीं जाता। ऐसे स्थानों पर किसी देवता या पुण्यात्मा का निवास माना जाता है। भारत में इस प्रकार के स्थानों को ‘पावन वन-प्रान्तर’ कहा जाता है। भारत में ‘पावन वन-प्रान्तर’ को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है, जैसे राजस्थान में इसे वानी, झारखण्ड में जहेरा स्थान एवं सरना, मेघालय में लिंगदोह, उत्तराखण्ड में थान या देवभूमि, महाराष्ट्र में देव रहतिस तथा केरल में काव कहा जाता है।
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित साहित्य में भी अब पावन वन-प्रान्तर अर्थात् देव स्थान को स्वीकार किया जाता है। कुछ अनुसन्धानकर्ताओं के अनुसार देव स्थानों की मान्यता के कारण जैव विविधता और पारिस्थितिक तन्त्र को न केवल सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि सांस्कृतिक विभिन्नता को बनाए रखने में मदद मिलती है।
प्रश्न 18.
विकास कार्यों के पर्यावरण पर पड़ने वाले किन्हीं चार बुरे प्रभावों को लिखें।
अथवा
पर्यावरण पर विकास कार्यों के चार बुरे प्रभाव लिखें।
उत्तर:
- विकास कार्यों के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है, जिसने वातावरण में शुद्ध वायु की कमी हो रही है।
- विकास कार्यों के लिए अधिक-से-अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों के रहने योग्य तथा कृषि योग्य उपजाऊ जमीन कम हो रही है।
- विकास कार्यों के लिए पानी का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है।
- विकास कार्यों के पश्चात् छोड़े गए जहरीले कूडा-कबाड़ पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण प्रदूषण के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
- पर्यावरण के प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पश्चिमी देश जिम्मेवार हैं। क्योंकि इन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध दोहन किया है।
- वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भमि की कठोरता कम हो रही है और भ-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। निरन्तर वनों की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बढ़ने से पर्यावरण का प्रदूषित होना स्वाभाविक है।
प्रश्न 2.
पर्यावरण संरक्षण के कोई दो उपाय बताएं।
उत्तर:
- पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना आवश्यक है।
- पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा देश के सन्तुलित विकास के लिए आवश्यक है, कि वनों की रक्षा की जाए।
प्रश्न 3.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित स्टॉकहोम सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन में सात महत्त्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया गया, जिसके आधार पर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
प्रश्न 4.
पृथ्वी सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
स्टॉकहोम सम्मेलन के पश्चात् पर्यावरण से सम्बन्धित सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो-डी-जनेरियो में हुआ। इस सम्मेलन को पृथ्वी सम्मेलन भी कहा जाता है। इस सम्मेलन का आयोजन भी संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन में 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में स्टॉकहोम के उपबन्धों को स्वीकार करते हुए, उन्हें लागू करने पर जोर दिया गया।
प्रश्न 5.
क्योटो प्रोटोकोल के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक बैठक क्योटो (जापान) में हुई। इसमें लगभग 150 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। क्योटो घोषणा में कहा गया, कि सूचीबद्ध औद्योगिक देश वर्ष 2008 से 2012 तक 1990 के स्तर से नीचे 5.2% तक अपने सामूहिक उत्सर्जन में कमी करेंगे।
प्रश्न 6.
विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबन्ध के समाधान के सम्बन्ध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया। इस बैठक में ग्रीन गृह गैसों को वातावरण में न छोड़ने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई।
प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण में भारत की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत सदैव ही पर्यावरण संरक्षण का पक्षधर रहा है। भारत ने प्रायः सभी पर्यावरण सम्मेलनों में शों के पर्यावरण से सम्बन्धित अधिकारों की आवाज़ उठाई है। भारत ने पर्यावरण प्रदूषित होने का जिम्मेदार विकसित देशों को माना है। भारत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास किए हैं। भारत ने जहां क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर किये हैं, वहीं घरेलू मोर्चे पर कई कानून बनाए हैं।
प्रश्न 8.
विश्व में खाद्यान्न उत्पादन की कमी के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:
- विश्व में खाद्यान्न उत्पादन की कमी का एक कारण कृषि योग्य भूमि का न बढ़ना है। इसके कृषि योग्य भूमि की उपजाऊ निरन्तर कम हो रही है।
- विश्व में खाद्यान्न उत्पादन की कमी का एक कारण चारागाहों का समाप्त होना तथा जल प्रदूषण का बढ़ना है।
प्रश्न 9.
विश्व में साफ पानी का भण्डार कितना है ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार विश्व में साफ पानी का भण्डार बहुत कम है। पीने योग्य साफ पानी के अभाव में प्रत्येक वर्ष लगभग 30 लाख से अधिक बच्चे मारे जाते हैं। विश्व की लगभग एक अरब बीस करोड़ जनता को साफ पानी उपलब्ध नहीं है।
प्रश्न 10.
ओजोन परत में छेद होने की घटना की व्याख्या करें।
उत्तर:
पृथ्वी के ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा निरन्तर कम हो रही है। इस प्रकार की घटना को ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं। इससे न केवल पारिस्थितिक तन्त्र पर ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 11.
लोगों को अकाल के समय मुख्यतः किन दो समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर:
- अकाल के समय लोगों को खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ता है।
- अकाल के समय लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलता, क्योंकि सभी कुएं एवं तालाब सूख जाते हैं।
प्रश्न 12.
वैश्विक सम्पदा की रक्षा के लिए किए गए कोई दो समझौते लिखें।
उत्तर:
- 1959 में की गई अंटार्कटिक सन्धि।
- 1987 में किया गया मांट्रियाल न्यायाचार या प्रोटोकोल।
प्रश्न 13.
अंटार्कटिक महाद्वीप के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अटार्कटिक महाद्वीप एक करोड़ चालीस वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह मुख्यत: बर्फीला क्षेत्र है। इस पर किसी देश या संगठन का अधिकार नहीं है। यद्यपि कोई भी देश शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए यहां पर अनुसन्धान कर सकता है। अंटार्कटिक महाद्वीप विश्व की जलवायु एवं पर्यावरण को सन्तुलित करता है।
प्रश्न 14.
पर्यावरण की समस्याओं के अध्ययन के लिए किये गए कोई दो उपाय लिखें।
उत्तर:
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम जैसे कई अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में पर्यावरण से सम्बन्धित सेमिनार एवं सम्मेलन करवाए हैं।
- राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के अध्ययन को बढ़ावा दिया गया है।
प्रश्न 15.
पर्यावरण शरणार्थी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पर्यावरण के खराब होने से एवं खाद्यान्न की उत्पादकता कम होने से लोगों द्वारा उस स्थान से हटकर कहीं और शरण लेना पर्यावरण शरणार्थी कहलाता है। 1970 के दशक में भयंकर अनावृष्टि से अफ्रीकी देशों के नागरिकों को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 16.
“विश्व तापन” किसे कहते हैं ?
अथवा
वैश्विक ताप वृद्धि किसे कहते हैं ?
अथवा
भूमण्डलीय ऊष्मीकरण (Global Warming) क्या है ?
पर्यावरण पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन क संसाधन
उत्तर:
विश्व तापन से अभिप्राय विश्व के तापमान का लगातार बढ़ना है। पिछले कई वर्षों से विकास की अच्छी दौड़ ने पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई है, जिसके कारण जंगलों में कमी आई है, तथा ग्लेशियरों से लगातार बर्फ पिघल रही है। इसी कारण विश्व का तापमान लगातार बढ़ रहा है।
प्रश्न 17.
वैश्विक तापन के कोई दो परिणाम बताएं।
उत्तर:
(1) वैश्विक तापन से ग्लेशियरों का तापमान बढ़ने से बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है, जिससे समुद्र तटीय कुछ देशों के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया है।
(2) वैश्विक तापन से वातावरण का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो गई हैं।
प्रश्न 18.
जून-2005 में हुई जी-8 की बैठक में भारत ने किन दो बातों की ओर विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित किया ?
उत्तर:
- भारत का यह कहना था, कि विकसित देश विकासशील देशों की अपेक्षा ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन अधिक कर रहे हैं।
- भारत के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कमी करने की ज़िम्मेदारी भी विकसित देशों की अधिक है।
प्रश्न 19.
भारत में ग्रीन हाउस गैसों की उत्सर्जन मात्रा की स्थिति लिखें।
उत्तर:
भारत में ग्रीन हाऊस गैसों की उत्सर्जन मात्रा किसी भी विकसित देश के मुकाबले बहुत कम है। भारत में सन् 2000 तक ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन प्रति व्यक्ति 0.9 टन था। एक अनुमान के अनुसार सन् 2030 तक यह मात्रा बढ़कर 1.6 टन प्रतिव्यक्ति हो जायेगी।
प्रश्न 20.
निर्जन वन का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
निर्जन वन से अभिप्राय ऐसे वनों से है, जिसमें मनुष्य एवं जानवर नहीं पाए जाते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध के कई देशों में निर्जन वन पाए जाते हैं। इन देशों में वन को निर्जन प्रान्त के रूप में देखा जाता है जहां पर लोग नहीं रहते। इस प्रकार का दृष्टिकोण मनुष्य को प्रकृति का अंग नहीं मानता।
प्रश्न 21.
विकसित देशों ने संसाधनों के दोहन के लिए कौन-कौन से कदम उठाए ?
उत्तर:
- विकसित देशों ने संसाधनों वाले क्षेत्रों में अपनी सेना को रक्षा के लिए तैनात किया।
- विकसित देशों ने संसाधनों वाले देशों में ऐसी संस्थाएं स्थापित करवाईं जो उनके अनुसार कार्य करें।
प्रश्न 22.
नैरोबी घोषणा (1982) के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
स्टॉकहोम सम्मेलन की 10वीं वर्षगांठ का सम्मेलन 1982 में नैरोबी में किया गया। इस सम्मेलन में विलुप्त वन्य जीवों के व्यापार से सम्बन्धित प्रावधान अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक सम्पदा तथा खुले समुद्र में प्रदूषण इत्यादि से सम्बन्धित प्रावधानों को स्वीकार किया गया।
प्रश्न 23.
विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबन्ध के समाधान के सम्बन्ध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया। इस बैठक में ग्रीन गृह गैसों (Green House Gases) को वातावरण में न छोड़ने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई।
प्रश्न 24.
सन् 1998 में हुई ब्यूनिस-ऐरिस बैठक की व्याख्या करें।
उत्तर:
ब्यूनिस-ऐरिस बैठक (Buenus-Aires Convention)-1998 में अर्जेन्टाइना के शहर ब्यूनिस-ऐरिस में क्योटो प्रोटोकोल की समीक्षा के लिए एक बैठक की गई। भारत जैसे देशों की यह दलील थी कि विलासिता और आवश्यकता में अन्तर किया जाना चाहिए अर्थात् विलासिता के कारण गैसों का रिसाव न हो और आवश्यकता के कारण इसे छोड़ने से रोका न जाए।
प्रश्न 25.
वैश्विक तापवृद्धि और जलवायु परिवर्तन के लिए किन्हें उत्तरदायी माना जाता है ?
उत्तर:
वैश्विक तापवद्धि और जलवायु परिवर्तन के लिए विकसित देशों को उत्तरदायी माना जाता है।
प्रश्न 26.
भारत द्वारा ‘फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज’ की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उठाई गई दो मांगें लिखें।
उत्तर:
- भारत ने यह मांग की, कि विकसित देशों को आसान दरों पर विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देनी चाहिए।
- भारत ने यह भी मांग की विकसित देश पर्यावरण के सन्दर्भ में अच्छी एवं उन्नत तकनीक विकासशील देशों को प्रदान करें।
प्रश्न 27.
वैश्विक साझा सम्पदा किसे कहते हैं ? किन्हीं दो उदाहरणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
विश्व का साझी विरासत से अभिप्राय उस सम्पदा से है, जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है। जैसे साझी नदी, साझा कुआं, साझा मैदान तथा साझा चरागाह इत्यादि। इसी तरह कुछ क्षेत्र एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं, जैसे पृथ्वी का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाहरी अन्तरिक्ष इत्यादि । इसका प्रबन्धन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है।
प्रश्न 28.
मूलवासी किन्हें कहा जाता है ? वे किन संस्थाओं के अनुरूप आचरण करते हैं ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार उन्हें मूलवासी कहा जाता है, जो किसी मौजूदा देश में बहुत समय से रहते चले आ रहे हैं, तत्पश्चात् किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के अन्य भागों से उस देश विशेष में आए तथा इन लोगों को अपने अधीन कर लिया। मूलवासी अधिकांशतः अपनी परम्परा, सांस्कृतिक रीति-रिवाज तथा विशेष सामाजिक आर्थिक नियमों के अनुसार ही आचरण करते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. पर्यावरण संरक्षण को अधिक प्रोत्साहन मिलने का आधार है
(A) निरन्तर बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण
(B) निरन्तर कृषि भूमि में होती कमी के कारण
(C) वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी होने के कारण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
2. किस वर्ष स्टॉकहोम सम्मेलन हुआ ?
(A) 1992 में
(B) 1972 में
(C) 1998 में
(D) 1982 में।
उत्तर:
(B) 1972.
3. सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था ?
(A) नई दिल्ली
(B) जोहानसवर्ग
(C) बीजिंग
(D) रियो-डी-जनेरियो।
उत्तर:
(D) रियो-डी-जनेरियो।
4. क्योटो-प्रोटोकाल पर किस वर्ष सहमति बनी ?
(A) 1997 में
(B) 1995 में
(C) 1993 में
(D) 1990 में।
उत्तर:
(A) 1997 में।
5. सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पृथ्वी सम्मेलन कहां हुआ ?
(A) नई दिल्ली में
(B) जोहान्सबर्ग में
(C) बीजिंग में
(D) रियो डी जनेरियो में।
उत्तर:
(D) रियो डी जनेरियो में।
6. रियो डी जनेरियो (1992) सम्मेलन को किस नाम से पुकारा जाता है ?
(A) पृथ्वी सम्मेलन
(B) जल सम्मेलन
(C) मजदूर सम्मेलन
(D) आर्थिक सम्मेलन।
उत्तर:
(A) पृथ्वी सम्मेलन।
7. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में
(A) मतभेद नहीं पाए जाते
(B) मतभेद पाए जाते हैं ।
(C) उपरोक्त दोनों
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(B) मतभेद पाए जाते हैं।
8. विकास कार्यों के बुरे प्रभाव हैं
(A) कृषि भूमि में कमी
(B) भूमि की उत्पादकता में कमी
(C) वायु प्रदूषण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
9. विश्व का कितना प्रतिशत निर्जन क्षेत्र अंटार्कटिका महाद्वीप के अन्तर्गत आता है ?
(A) 40 प्रतिशत
(B) 10 प्रतिशत
(C) 26 प्रतिशत
(D) 35 प्रतिशत।
उत्तर:
(C) 26 प्रतिशत।
10. पर्यावरण किन कारणों से प्रदूषित होता है ?
(A) जनसंख्या में वृद्धि के कारण
(B) वनों की कटाई व भू-क्षरण
(C) औद्योगीकरण के कारण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
11. पर्यावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाया जा सकता है ?
(A) जनसंख्या को नियन्त्रित करके
(B) वनों का संरक्षण करके
(C) आवश्यकताएं कम करके
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
12. निम्न में से कौन-सा सम्मेलन पर्यावरण से सम्बन्धित है ?
(A) स्टॉकहोम सम्मेलन
(B) पृथ्वी सम्मेलन
(C) विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
13. भारत ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पास किया ?
(A) 2005 में
(B) 2002 में
(C) 2003 में
(D) 2001 में।
उत्तर:
(D) 2001 में।
14. भारत ने ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ पर कब हस्ताक्षर किए ?
(A) अगस्त, 1991 में
(B) अगस्त, 2000 में
(C) अगस्त, 2001 में
(D) अगस्त, 2002 में।
उत्तर:
(D) अगस्त, 2002 में।
15. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार के बारे में सही है
(A) जल प्रदूषण
(B) वायु प्रदूषण
(C) ध्वनि प्रदूषण
(D) उपर्युक्त कभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।
16. रियो सम्मेलन ( पृथ्वी सम्मेलन) में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था ?
(A) 150
(B) 160
(C) 170
(D) 180.
उत्तर:
(C) 170.
17. भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल पर कब हस्ताक्षर किए ?
(A) वर्ष 2003 में
(B) वर्ष 2001 में
(C) वर्ष 1999 में
(D) वर्ष 2002 में।
उत्तर:
(C) वर्ष 2002 में।
18. विश्व में मूलवासियों की लगभग जनसंख्या है
(A) 35 करोड़
(B) 30 करोड़
(C) 40 करोड़
(D) 25 करोड़।
उत्तर:
(B) 30 करोड़।
19. क्लब ऑफ रोम ने ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ (Limits to Growth) नामक पुस्तक कब प्रकाशित की ?
(A) 1962 में
(B) 1971 में
(C) 1972 में।
(D) 1982 में।
उत्तर:
(C) 1972 में।
20. वैश्विक सम्पदा की सुरक्षा के लिए किया गया समझौता
(A) अटार्कटिका समझौता-1959
(B) मांट्रियाल न्यायाचार-1981
(C) अटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार 1991
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
21. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित बॉली सम्मेलन कब हुआ था ?
(A) दिसम्बर, 2007
(B) दिसम्बर, 2008
(C) दिसम्बर, 2005
(D) दिसम्बर, 2002.
उत्तर:
(A) दिसम्बर, 2007.
22. सन् 2009 में ‘पृथ्वी सम्मेलन’ किस देश में हुआ था?
(A) भारत में
(B) चीन में
(C) नेपाल में
(D) कोपनहेगन में।
उत्तर:
(D) कोपनहेगन में।
23. कोपेन हेगन सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था ?
(A) 180
(B) 185
(C) 190
(D) 192.
उत्तर:
(D) 192.
24. अक्तूबर 2009 में किस देश ने अपनी देश की कैबिनेट बैठक समुद्र के नीचे की थी ?
(A) मालद्वीप
(B) नेपाल
(C) भूटान
(D) बंग्लादेश।
उत्तर:
(A) मालद्वीप।
25. किस देश ने दिसम्बर, 2009 में अपने देश की कैबिनेट बैठक एवरेस्ट पर की थी ?
(A) मालद्वीप
(B) नेपाल
(C) भूटान
(D) बंग्लादेश।
उत्तर:
(B) नेपाल।
26. विकसित देशों की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या की कितनी % है ?
(A) 15%
(B) 20%
(C) 22%
(D) 28%.
उत्तर:
(C) 22%.
27. विकसित देश विश्व के कितने % संसाधनों का प्रयोग करते हैं ?
(A) 50%
(B) 22%
(C) 88%
(D) 70%.
उत्तर:
(C) 88%.
28. विकसित देश विश्व की कितनी % ऊर्जा का प्रयोग करते हैं ?
(A) 73%
(B) 65%
(C) 60%
(D) 50%.
उत्तर:
(A) 73%.
29. भारत में ‘मूलवासी’ के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता है ?
(A) अगड़ा वर्ग
(B) पिछड़ा वर्ग
(C) आदिवासी
(D) स्वर्ण वर्ग।
उत्तर:
(C) आदिवासी।
30. पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत में किस प्रकार के वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है?
(A) इलेक्ट्रिक वाहनों को
(B) पेट्रोल के वाहनों को
(C) डीज़ल के वाहनों को
(D) मिट्टी के तेल के वाहनों को।
उत्तर:
(A) इलेक्ट्रिक वाहनों को।
रिक्त स्थान भरें
(1) 1972 में …………… में पर्यावरण से सम्बन्धित पहला सम्मेलन हुआ।
उत्तर:
स्टॉकहोम
(2) पर्यावरण से सम्बन्धित रियो सम्मेलन, जोकि 1992 में हुआ, को ………….. सम्मेलन भी कहा जाता है।
उत्तर:
पृथ्वी
(3) …………….. प्रोटोकोल सम्मेलन 1997 में जापान में हुआ।
उत्तर:
क्योटो
(4) भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर ……………… में हस्ताक्षर किये।
उत्तर:
अगस्त, 2002
(5) पर्यावरण संरक्षण के लिए दिसम्बर, 2007 में …………… में सम्मेलन हुआ।
उत्तर:
बाली
(6) पर्यावरण संरक्षण का भारत ने सदैव …………….. किया है।
उत्तर:
समर्थन।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
स्टॉकहोम (स्वीडन) सम्मेलन कब हुआ ?
उत्तर:
स्टॉकहोम (स्वीडन) सम्मेलन सन् 1972 में हुआ।
प्रश्न 2.
पृथ्वी सम्मेलन कब और कहां पर हुआ ?
उत्तर:
पृथ्वी सम्मेलन 1992 में रियो डी जनेरियो (ब्राज़ील) में हुआ।
प्रश्न 3.
पर्यावरण प्रदूषण का कोई एक कारण बताएं।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण का महत्त्वपूर्ण कारण जनसंख्या वृद्धि है।
प्रश्न 4.
पर्यावरण संरक्षण का कोई एक उपाय लिखें।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना आवश्यक है।
प्रश्न 5.
क्योटो प्रोटोकोल (Kyoto Protocol) सम्मेलन कब और किस देश में हुआ ?
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकोल सम्मेलन 1997 में जापान में हुआ।
प्रश्न 6.
भारत ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पास किया ?
उत्तर:
भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पास किया।