HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए

1. वास्तविक प्रवाह से तात्पर्य है –
(A) परिवारों से फर्मों को संसाधनों का प्रवाह
(B) फर्मों से परिवारों को वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह
(C) (A) और (B) दोनों।
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

2. मौद्रिक प्रवाह का अर्थ है-
(A) फर्मों से परिवारों को कारक सेवाओं के बदले मौद्रिक भुगतान
(B) परिवारों से फर्मों को वस्तुओं और सेवाओं के बदले मौद्रिक भुगतान
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) फर्मों से परिवारों को कारक सेवाओं के बदले मौद्रिक भुगतान

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3. आय के चक्रीय (वर्तुल) प्रवाह से अभिप्राय है-
(A) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं का प्रवाहित होना
(B) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाहित होना
(C) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं का प्रवाहित होना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाहित होना

4. आय के चक्रीय प्रवाह को निम्नलिखित में से किन रूपों में देखा जा सकता है?
(A) आय का वास्तविक प्रवाह
(B) आय का मौद्रिक प्रवाह
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

5. आय का वर्तुल प्रवाह निम्नलिखित में से किन में होता है?
(A) अर्थव्यवस्था के दो क्षेत्रों में
(B) अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रों में
(C) अर्थव्यवस्था के चार क्षेत्रों में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

6. निम्नलिखित में से कौन-सा आय के चक्रीय प्रवाह का क्षरण (Leakage) है?
(A) फर्मों द्वारा लिए गए ऋण
(B) सार्वजनिक व्यय
(C) निवेश
(D) परिवारों द्वारा की गई बचतें
उत्तर:
(D) परिवारों द्वारा की गई बचतें

7. राष्ट्रीय आय के प्रवाह का संतुलन वहाँ होता है जहाँ
(A) भरण = क्षरण होते हैं
(B) भरण > क्षरण होते हैं
(C) भरण < क्षरण होते हैं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) भरण = क्षरण होते हैं

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8. राष्ट्रीय आय को मापने की आय विधि के संघटक हैं
(A) मज़दूरी आय
(B) गैर-मज़दूरी आय
(C) अन्य आय
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

9. निम्नलिखित में से सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल है।
(A) मूल्यह्रास
(B) लॉटरी से प्राप्त आय
(C) पुराने मकान की बिक्री
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) मूल्यह्रास

10. यदि आर्थिक कल्याण की जानकारी प्राप्त करनी हो तो राष्ट्रीय आय गणना की कौन-सी विधि श्रेष्ठ रहेगी?
(A) उत्पाद विधि
(B) आय विधि
(C) व्यय विधि
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) व्यय विधि

11. सकल घरेलू उत्पाद में से कौन-सी रकम घटाकर शुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जा सकता है?
(A) हस्तांतरण भुगतान
(B) अप्रत्यक्ष कर
(C) मूल्यह्रास
(D) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
उत्तर:
(C) मूल्यह्रास

12. निम्नलिखित में से दोहरी गणना की समस्या कौन-सी विधि में होती है?
(A) आय विधि में
(B) व्यय विधि में
(C) उत्पाद विधि में
(D) उपरोक्त सभी में
उत्तर:
(C) उत्पाद विधि में

13. देशीय/घरेलू उत्पाद (Domestic Product) बराबर है-
(A) राष्ट्रीय उत्पाद + विदेशों से निवल कारक आय
(B) राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से निवल कारक आय
(C) राष्ट्रीय उत्पाद विदेशों से निवल कारक आय
(D) राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से निवल कारक आय
उत्तर:
(B) राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से निवल कारक आय

14. राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित में से कौन-सी मद शामिल नहीं होती?
(A) गृहिणी की सेवाएँ
(B) विदेशों से दान
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

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15. निम्नलिखित में से कौन-सी मद शामिल करके सकल घरेलू उत्पाद से कुल राष्ट्रीय उत्पाद का अनुमान लगाया जा सकता है?
(A) अप्रत्यक्ष कर से
(B) शुद्ध विदेशी आय से
(C) घिसावट व्यय से
(D) हस्तांतरण भुगतान से
उत्तर:
(B) शुद्ध विदेशी आय से

16. निम्नलिखित में से कौन-सा सही नहीं है?
(A) NNPMP = GNPMP – मूल्यह्रास
(B) NDPMP = NNPMP + विदेशों से निवल कारक आय
(C) NDPFC = NDPMP + अप्रत्यक्ष कर
(D) GDPFC = NDPFC – मूल्यह्रास
उत्तर:
(A) NNPMP = GNPMP – मूल्यह्रास

17. बाज़ार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDP)
(A) GDPMP – घिसावट
(B) GDPMP + घिसावट
(C) GDPMP – अप्रत्यक्ष कर
(D) GDPMP + आर्थिक सहायता
उत्तर:
(A) GDPMP – घिसावट

18. कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) =
(A) GDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर
(B) GDPMP + निवल प्रत्यक्ष कर
(C) GDPMP + आर्थिक सहायता
(D) GDPMP – अप्रत्यक्ष कर
उत्तर:
(A) GDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर

19. निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए
(A) NDPFC = GNPFC – मूल्यह्रास
(B) GNPMP = NNPFC + विदेशों से शुद्ध कारक आय
(C) GDP = GNP – विदेशों से शुद्ध कारक आय
(D) NNPFC = NDPMP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
उत्तर:
(C) GDP = GNP – विदेशों से शुद्ध कारक आय

20. निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए
(A) NDPFC = GDPMP – मूल्यह्रास
(B) GNPMP = GNPFC + निवल अप्रत्यक्ष कर
(C) GDP = GNP + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय
(D) NNPFC = NDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर
उत्तर:
(D) NNPFC = NDPMP – निवल अप्रत्यक्ष कर

21. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) =
(A) GDPMP – घिसावट
(B) GDPMP + विदेशों से निवल कारक आय
(C) GDPMP + घिसावट
(D) GDPMP – अप्रत्यक्ष कर
उत्तर:
(B) GDPMP + विदेशों से निवल कारक आय

22. बिस्कुट निर्माता कंपनी के लिए कौन-सी मध्यवर्ती वस्तु होगी?
(A) आटा
(B) घी
(C) चीनी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

23. कारक लागत में निम्नलिखित में से किसे शामिल किया जाता है?
(A) बाज़ार कीमत – अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता
(B) बाज़ार कीमत – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
(C) बाज़ार कीमत + अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
(D) बाज़ार कीमत + अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता
उत्तर:
(B) बाज़ार कीमत – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता

24. बाज़ार कीमत पर GNP = ?
(A) बाज़ार कीमत पर GDP – घिसावट
(B) बाज़ार कीमत पर GDP + विदेशों से निवल कारक आय
(C) बाज़ार कीमत पर GNP + आर्थिक सहायता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) बाज़ार कीमत पर GDP + विदेशों से निवल कारक आय

25. बाज़ार कीमत पर NNP = ?
(A) बाज़ार कीमत पर GNP – घिसावट
(B) बाज़ार कीमत पर GNP + घिसावट
(C) बाज़ार कीमत पर GNP + अप्रत्यक्ष कर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बाज़ार कीमत पर GNP – घिसावट

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26. प्रयोज्य आय ज्ञात करने के लिए व्यक्तिगत आय में से कौन-सी मद घटाई जाती है?
(A) बिक्री कर
(B) अप्रत्यक्ष कर
(C) प्रत्यक्ष कर
(D) हस्तांतरण भुगतान
उत्तर:
(C) प्रत्यक्ष कर

27. निम्नलिखित में से निवल अप्रत्यक्ष कर है-
(A) अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
(B) अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता
(C) प्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता

28. विदेशों में काम करने वाले भारतीयों की आय ……………… का भाग होती है।
(A) भारत की घरेलू आय
(B) विदेशों से प्राप्त आय
(C) भारत के निवल घरेलू उत्पाद
(D) भारत के सकल घरेलू उत्पाद
उत्तर:
(B) विदेशों से प्राप्त आय

B. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं, सेवाओं और मुद्रा का प्रभावित होना, आय का …………….. प्रवाह कहलाता है। (चक्रीय/वास्तविक)
उत्तर:
चक्रीय

2. सकल घरेलू उत्पाद में ……………… पदार्थों का मूल्य शामिल किया जाता है। (मध्यवर्ती/अंतिम)
उत्तर:
अंतिम

3. सकल घरेलू उत्पाद में से ……………. घटाकर शुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जा सकता है। (मूल्यहास/हस्तांतरण भुगतान)
उत्तर:
मूल्यह्रास

4. छात्रवृत्ति ……………. आय है। (हस्तांतरण/वास्तविक)
उत्तर:
हस्तांतरण

5. राष्ट्रीय आय लेखांकन में राष्ट्रीय आय और उससे संबंधित ……………… आर्थिक चरों का अध्ययन किया जाता है। (समष्टि/व्यष्टि)
उत्तर:
समष्टि

6. दोहरी गणना से बचने के लिए ……………. विधि अपनाई जाती है। (आय/मूल्यवर्धित)
उत्तर:
मूल्यवर्धित

7. GDP = ……………. (Gross Domestic Product/Gross Demand Product)
उत्तर:
Gross Domestic Product

8. USA में काम कर रहे भारतीयों की आय …………………. का भाग है। (विदेशी शुद्ध कारक आय/भारत की घरेलू आय)
उत्तर:
विदेशी शुद्ध कारक आय

C. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत

  1. यदि अवैध क्रियाओं को वैध घोषित कर दिया जाए तो GDP में वृद्धि होती है।
  2. एक देश की खनिज सम्पदा को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  3. यदि शुद्ध निर्यात धनात्मक है तो सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP), सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से अधिक होता है।
  4. व्यय विधि को औद्योगिक उद्गम विधि भी कहा जाता है।
  5. अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों की आय भारत की घरेलू आय का भाग है।
  6. राष्ट्रीय आय की संरचना से अभिप्राय उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की प्रकृति से है।
  7. व्यय विधि के अनुसार सकल घरेलू आय साधन लागत पर प्राप्त होती है।
  8. राष्ट्रीय आय लेखांकन राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित लेखों को संकलित करने व प्रस्तुत करने की एक प्रणाली है।
  9. सरकार द्वारा दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन भारत की घरेलू साधन आय का हिस्सा होती है।
  10. हस्तांतरण आय का सम्बन्ध उत्पादन से नहीं होता।
  11. सकल निवेश = शुद्ध निवेश + मूल्य हास
  12. ‘पूँजी पर ब्याज’ एक प्रवाह चर है।
  13. वृद्धावस्था पेंशन राष्ट्रीय आय में शामिल होती है।

उत्तर:

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. गलत
  5. गलत
  6. सही
  7. गलत
  8. सही
  9. सही
  10. सही
  11. सही
  12. सही
  13. गलत

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय लेखांकन क्या है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय लेखांकन राष्ट्रीय आय से संबंधित लेखों को संकलित करने व प्रस्तुत करने की एक विधि है।

प्रश्न 2.
आय का चक्रीय (वर्तुल) प्रवाह क्या है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय में चक्रीय प्रवाह पाया जाता है। आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय के प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं के चक्रीय प्रवाह से है। आय का पहले फर्मों (उत्पादकों) से कारक स्वामियों (परिवारों) की ओर कारक भुगतानों के रूप में और फिर परिवारों से फर्मों के पास उपभोग व्यय के रूप में हस्तांतरण होना आय का चक्रीय प्रवाह कहलाता है।

प्रश्न 3.
प्रवाह चर की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
वे चर जो समय की एक निश्चित समयावधि (Period of Time) के संदर्भ में मापे जाते हैं, प्रवाह कहलाते हैं। उदाहरण के लिए-आय, व्यय, बचत, निवेश, मूल्यह्रास, ब्याज, आयात-निर्यात, माल-सूची में परिवर्तन आदि प्रवाह चर हैं।

प्रश्न 4.
स्टॉक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जो मात्रा समय के किसी निश्चित बिंदु (Point of Time) के संदर्भ में मापे जाते हैं, स्टॉक कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय पूँजी, संपत्ति, विदेशी ऋण, माल-सूची (Inventory), खाद्यान्न भंडार आदि स्टॉक हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता वस्तुओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तुओं से हमारा अभिप्राय उन वस्तुओं से है जिनका प्रयोग लोगों द्वारा अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए किया जाता है; जैसे पहनने के लिए कपड़े, खाने के लिए खाद्य पदार्थ आदि ।

प्रश्न 6.
मध्यवर्ती वस्तुओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मध्यवर्ती वस्तुओं से हमारा अभिप्राय उन गैर-टिकाऊ वस्तुओं से है जिनकी माँग उत्पादकों द्वारा उत्पादन करने अथवा पुनर्बिक्री के लिए की जाती है।

प्रश्न 7.
उत्पादक वस्तुओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उत्पादक वस्तुओं से हमारा अभिप्राय उन मध्यवर्ती वस्तुओं तथा अंतिम वस्तुओं से है जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8.
टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ क्या हैं?
उत्तर:
टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिनका उपयोग उत्पादन क्रिया में एक से अधिक बार किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
आय के वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आय के वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय है कि परिवार क्षेत्र द्वारा कारक सेवाओं का प्रवाह उत्पादक क्षेत्र की ओर होता है और उत्पादक क्षेत्र अथवा फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह परिवार क्षेत्र की ओर होता है।

प्रश्न 10.
आय के मौद्रिक प्रवाह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आय के मौद्रिक प्रवाह से हमारा अभिप्राय उस प्रवाह से है जिसमें अर्थव्यवस्था का उत्पादक क्षेत्र (फम), परिवार क्षेत्र को कारक सेवाएँ जुटाने के बदले, कारक भुगतान नकदी के रूप में करता है। फिर परिवार क्षेत्र ‘उत्पादक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मुद्रा के माध्यम से क्रय करता है।

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प्रश्न 11.
उत्पादन प्रवाह कब उत्पन्न होता है?
उत्तर:
उत्पादन प्रवाह उस समय उत्पन्न होता है जब एक देश के लोग देश में उपलब्ध तकनीकी और सामाजिक संगठन के अंतर्गत उपलब्ध संसाधनों, वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने के लिए उपयोग करते हैं। उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादन प्रवाह द्वारा आय का सृजन होता है।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह के तीन छिद्र (क्षरण) (Leakages) बताइए।
उत्तर:

  1. बचत
  2. आयात और
  3. सरकार द्वारा लगाए गए कर।

प्रश्न 13.
राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह के तीन समावेश (भरण) (Injections) बताइए।
उत्तर:

  1. निवेश
  2. निर्यात और
  3. सरकार एवं परिवार क्षेत्र द्वारा किए गए उपभोग व्यय।

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय उत्पाद के रूप में राष्ट्रीय आय क्या है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय को राष्ट्रीय उत्पाद अर्थात् एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाज़ार मूल्य के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। राष्ट्रीय उत्पाद (आय) एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाज़ार मूल्य का जोड़ है।

प्रश्न 15.
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद से अभिप्राय एक वर्ष में एक अर्थव्यवस्था की घरेलू सीमा में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य से है, जिसमें अचल (स्थाई) पूँजी का उपभोग भी सम्मिलित है।

प्रश्न 16.
निवल घरेलू उत्पाद (NDP) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बाज़ार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद वह राशि है जो सकल घरेलू उत्पाद में से मूल्यह्रास घटाकर शेष रहती है।

प्रश्न 17.
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय से हमारा अभिप्राय एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के आधार वर्ष की कीमतों पर आकलित मूल्य से है।
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय = वर्ष में उत्पादित वस्तुएँ और सेवाएँ x आधार वर्ष की कीमतें।

प्रश्न 18.
हस्तांतरण आय क्या है? उदाहरण दें। अथवा. हस्तांतरण आय के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हस्तांतरण आय वह आय होती है जो उनके प्राप्तकर्ताओं को बिना किसी उत्पादक सेवा के बदले प्राप्त होती है; जैसे बेरोज़गारी भत्ता, वजीफा, वृद्धावस्था पेंशन।।

प्रश्न 19.
दोहरी गणना का क्या अर्थ है?
उत्तर:
दोहरी गणना का अर्थ यह है कि किसी वस्तु का मूल्य राष्ट्रीय आय में एक से अधिक बार गिना जाता है।

प्रश्न 20.
पूँजी हस्तांतरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पूँजी हस्तांतरण से अभिप्राय उस हस्तांतरण से है जिन्हें हस्तांतरणकर्ता द्वारा अपनी बचतों या संपत्ति में से किया जाता है और जिन्हें प्राप्तकर्ता पूँजी निर्माण या दीर्घकालीन व्यय के लिए प्रयोग करता है।

प्रश्न 21.
चालू हस्तांतरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
चालू हस्तांतरण से अभिप्राय उस हस्तांतरण से है जिन्हें हस्तांतरणकर्ता द्वारा अपनी आय में से किया जाता है और जिन्हें प्राप्तकर्ता की वर्तमान आय में जोड़ा जाता है।

प्रश्न 22.
अवितरित लाभ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कंपनी अपने लाभ में से लाभांश और लाभ कर देने के बाद, शेष राशि को सुरक्षित कोष के रूप में अपने पास रख लेती है, उसे अवितरित लाभ कहते हैं।

प्रश्न 23.
हस्तांतरण भुगतान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हस्तांतरण भुगतान से अभिप्राय ऐसे भुगतान से है जो बिना किसी आर्थिक क्रिया के दिए जाते हैं। हस्तांतरण भुगतान एकतरफा भुगतान है।

प्रश्न 24.
प्रचालन अधिशेष (Operating Surplus) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रचालन अधिशेष से अभिप्राय लगान, ब्याज तथा लाभ के योग से है। इस प्रकार,
प्रचालन अधिशेष = लगान + ब्याज + लाभ

प्रश्न 25.
प्राथमिक क्षेत्रक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रक से अभिप्राय उन उद्यमों से है जो प्राकृतिक संसाधनों; जैसे भूमि, जल, कोयला, कच्चा लोहा तथा अन्य खनिज के दोहन से वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। प्राथमिक क्षेत्रक के अंतर्गत खेती तथा उससे संबद्ध क्रियाएँ, मछली उद्योग, खनिज व उत्खनन आदि शामिल हैं।

प्रश्न 26.
द्वितीयक क्षेत्रक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
द्वितीयक क्षेत्रक से अभिप्राय उन उद्यमों से है जो एक प्रकार की वस्तु को दूसरे प्रकार की वस्तु में परिवर्तित करते हैं; जैसे चीनी उद्योग गन्ने को चीनी में परिवर्तित करते हैं। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के उद्योग आते हैं।

प्रश्न 27.
तृतीयक क्षेत्रक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक से अभिप्राय उन उद्यमों से है जो केवल सेवाओं का उत्पादन करते हैं; जैसे बीमा, बैंकिंग, परिवहन और संचार।

प्रश्न 28.
आय विधि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आय विधि वह विधि है जो एक देश में, एक लेखा वर्ष में उत्पादन के प्राथमिक कारकों को उनकी उत्पादक सेवाओं के बदले में किए गए भुगतानों का जोड़ करके राष्ट्रीय आय की गणना करती है।

प्रश्न 29.
उत्पाद विधि अथवा मूल्यवृद्धि विधि (Value Added Method) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उत्पाद विधि या मूल्यवृद्धि विधि वह विधि है जो एक देश में, एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत प्रत्येक उत्पादक उद्यम के योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय का माप करती है। इसमें विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय को भी जोड़ा जाता है।

प्रश्न 30.
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (National Disposable Income) क्या है?
उत्तर:
इसे बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद और शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस प्रकार,
NDI = NNPMP + शेष विश्व के शुद्ध चालू हस्तांतरण |

प्रश्न 31.
देश की राष्ट्रीय आय उसकी घरेलू कारक आय से कब कम होगी?
उत्तर:
देश की राष्ट्रीय आय उसकी घरेलू कारक आय से उस समय कम होगी, जब विदेशों से निवल कारक आय ऋणात्मक होगी।

प्रश्न 32.
अंतिम व्यय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अंतिम व्यय वह व्यय है जो अंतिम उपभोग या पूँजी निर्माण के लिए बेची गई वस्तुओं और सेवाओं पर किया जाता है।

प्रश्न 33.
मध्यवर्ती व्यय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मध्यवर्ती व्यय वह व्यय है जो उन वस्तुओं तथा सेवाओं पर किया जाता है जिन्हें दोबारा बेचा जाता है या जिनका आगे उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 34.
गैर-बाज़ार (Non-Market) गतिविधियों का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
संगठित बाज़ार में क्रय-विक्रय; जैसे सौदों के बिना, वस्तुएँ व सेवाएँ प्राप्त करने की क्रियाओं को गैर-बाज़ार क्रियाएँ कहते हैं; जैसे गृहिणियों की सेवाएँ, वस्तु-विनिमय, घरेलू बगीचे में सब्जियाँ उगाना आदि।।

प्रश्न 35.
कर्मचारियों के पारिश्रमिक से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कर्मचारियों के पारिश्रमिक से हमारा अभिप्राय मालिकों द्वारा अपने कर्मचारियों को नकद और किस्म के रूपों में मजदूरी के भुगतान तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान से है। इस प्रकार,
कर्मचारियों का पारिश्रमिक = नकद मज़दूरी + किस्म में मज़दूरी + मालिक द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान

प्रश्न 36.
घरेलू सीमा (आर्थिक सीमा) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
घरेलू सीमा में राजनीतिक सीमाओं के अतिरिक्त, समुद्री सीमा, जलयान, वायुयान, मछली पकड़ने के जहाज, तेल व प्राकृतिक गैस निकालने वाले रिंग तथा तैरते प्लेटफार्म, विदेशों में स्थित दूतावास, वाणिज्य दूतावास (Consulates), सैनिक प्रतिष्ठान शामिल होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ जो देश की सीमा में कार्य करती हैं, घरेलू सीमा में शामिल नहीं की जाती क्योंकि उनके कार्यालय अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के भाग माने जाते हैं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 37.
मूल्यहास क्या होता है?
उत्तर:
एक वर्ष के दौरान उत्पादन प्रक्रिया में अचल (स्थाई) पूँजी के प्रयोग से उनके मूल्य में जो कमी आती है उसे अचल पूँजी का उपभोग या मूल्यह्रास कहते हैं।

प्रश्न 38.
GNP अवस्फीतिक (Deflator) क्या होता है?
उत्तर:
यह सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में शामिल वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमत का मान है। सांकेतिक रूप में-
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 1

प्रश्न 39.
हरित GNP किसे कहते हैं?
उत्तर:
हरित GNP से अभिप्राय उस GNP से है जो प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर विदोहन (Sustainable Use) और विकास के लोगों के समान वितरण की प्राप्ति में सहायक होती है।

प्रश्न 40.
विश्रामावकाश (Leisure) को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करने के कारण बताइए।।
उत्तर:

  1. विश्रामावकाश अदृश्य और वैयक्तिक होने के कारण इसका ठीक-ठीक मूल्यांकन करना कठिन होता है।
  2. इसका मूल्य आरोपित (Imputed) करना भी असंभव है।

प्रश्न 41.
एक ‘सामान्य निवासी’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
एक ‘सामान्य निवासी’ अथवा सामान्य व्यक्ति से हमारा अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो सामान्यतया एक देश में निवास करता है तथा उसकी रुचि और हित उस देश में केंद्रित होते हैं। इस प्रकार, भारत के सामान्य निवासी = भारत में रह रहे नागरिक + भारत में हित रखने वाले गैर-नागरिक

प्रश्न 42.
मूल्यहास प्रावधान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
एक वर्ष में उत्पादन के दौरान स्थाई पूँजी में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए एक उद्यमकर्ता वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री में से अलग कोष का आबंटन करता है जिसे मूल्यह्रास प्रावधान कहा जाता है।

प्रश्न 43.
सकल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सकल मूल्यवर्धित से अभिप्राय उत्पाद के मूल्य का मध्यवर्ती उपभोग पर आधिक्य से है और जिसमें मूल्यह्रास सम्मिलित होता है अर्थात्
सकल मूल्यवर्धित = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग

प्रश्न 44.
निवल मूल्यवर्धित (शुद्ध मूल्यवृद्धि) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निवल मूल्यवर्धित से अभिप्राय उस राशि से है जिसे सकल मूल्यवर्धित से मूल्यह्रास घटाने पर प्राप्त किया जाता है अर्थात्
निवल मूल्यवर्धित = सकल मूल्यवर्धित – मूल्यह्रास

प्रश्न 45.
बाज़ार कीमत पर निवल मूल्यवृद्धि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बाज़ार कीमत पर निवल मूल्यवृद्धि से अभिप्राय उस राशि से है जिसे वर्ष के चालू कीमतों पर निकाले गए सकल मूल्यवृद्धि से मूल्यह्रास घटाने पर प्राप्त किया जाता है अर्थात्
बाज़ार कीमत पर निवल मूल्यवृद्धि = बाज़ार कीमत पर सकल मूल्यवृद्धि – मूल्यह्रास

प्रश्न 46.
थोक कीमत सूचकांक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
थोक कीमत सूचकांक से अभिप्राय उन वस्तुओं की भारित औसत कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से है जिनकी खरीद-बिक्री थोक में की जाती है।

प्रश्न 47.
मिश्रित आय की धारणा की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्वरोज़गार (Self-Employed) व्यक्ति; जैसे किसान, छोटे दुकानदार, डॉक्टर आदि अपने साधनों; जैसे श्रम, पूँजी, भूमि आदि की सहायता से वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करते हैं। अतएव उन्हें ब्याज, लाभ, लगान, मज़दूरी आदि के रूप में मिली-जुली आय प्राप्त होती है। इसलिए इसको मिश्रित आय कहा जाता है। इस आय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सकल निवेश व शुद्ध निवेश की अवधारणाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निवेश-निवेश से अभिप्राय पूँजीगत वस्तुओं; जैसे मशीनें, इमारतें, उपकरणों के स्टॉक में वृद्धि से है जो भविष्य में अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ाते हैं। दूसरे शब्दों में, अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ाने वाली भौतिकी पूँजी के स्टॉक में वृद्धि को निवेश या पूँजी निर्माण कहते हैं। इसमें भौतिक परिसंपत्तियों का निर्माण व वृद्धि शामिल की जाती है। ध्यान रहे, आम भाषा में मुद्रा द्वारा शेयर्ज व वित्तीय परिसंपत्तियों की खरीद को भी निवेश कहा जाता है जिसका उपरोक्त परिभाषा से कोई संबंध नहीं। अर्थशास्त्र में निवेश का अर्थ हमेशा पूँजी-निर्माण से है अर्थात् पूँजीगत स्टॉक में सकल या शुद्ध वृद्धि से है।

सकल निवेश-अंतिम उत्पाद का वह भाग जो पूँजीगत वस्तुओं के रूप में निर्मित होता है, अर्थव्यवस्था का सकल निवेश कहलाता है। इसमें विद्यमान पूँजीगत वस्तुओं की टूट-फूट व रख-रखाव की प्रतिस्थापन लागत (Replacement cost) शामिल होती है। दूसरे शब्दों में, सकल निवेश में मूल्यह्रास सम्मिलित होता है।

मूल्यहास-सामान्य टूट-फूट व प्रत्याशित अप्रचलन के कारण अचल परिसंपत्तियों के मूल्य में गिरावट (हास) को मूल्यह्रास (Depreciation) या ‘अचल पूँजी का उपभोग’ कहते हैं। हम जानते हैं कि अचल पुँजी; जैसे मशीनरी, ट्रैक्टर, रेल-इंजन, इमारत, रेलवे लाइन में समय के साथ-साथ टूट-फूट होती रहती है और इनके जीवनकाल के अंत में इन्हें बदलने (प्रतिस्थापन करने) की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार स्थाई पूँजीगत वस्तुओं के मूल्य में होने वाली गिरावट (मूल्यह्रास) को ‘अचल पूँजी का उपभोग’ कहते हैं। संक्षेप में, सकल निवेश में मूल्यह्रास शामिल रहता है।

शुद्ध निवेश-सकल निवेश में मूल्यह्रास घटाने पर शुद्ध निवेश प्राप्त होता है। सांकेतिक रूप में-
निवल निवेश = सकल निवेश – मूल्यह्रास
ध्यान रहे, अर्थव्यवस्था के पूँजीगत स्टॉक में नई वृद्धि निवल निवेश के आधार पर मापी जाती है न कि सकल निवेश के आधार पर।

प्रश्न 2.
चालू और स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय के बीच अंतर बताइए। आर्थिक संवृद्धि मापने में इनमें से कौन अधिक उपयोगी है?
उत्तर:
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय की गणना वर्तमान वर्ष में प्रचलित मूल्यों के आधार पर की जाती है। एक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत एक वर्ष में बेची या खरीदी गई समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाज़ार मूल्य के जोड़ को ही प्रचलित कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते हैं। एक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य जब किसी आधार वर्ष की कीमत के अनुसार आँका जाता है, तो इसे हम स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते हैं। सांकेतिक रूप में
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय = घरेलू उत्पाद x चालू कीमत
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय = घरेलू उत्पाद x आधार वर्ष की कीमत
आर्थिक संवृद्धि के मापक के रूप में स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय अधिक उपयुक्त है क्योंकि चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था के वास्तविक विकास को प्रदर्शित नहीं करती। चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय से जो आँकड़े उपलब्ध होते हैं उन्हें हम तुलनात्मक अध्ययन के लिए प्रयोग नहीं कर सकते, क्योंकि चालू कीमतों में राष्ट्रीय आय की वृद्धि वास्तविक नहीं होती।

प्रश्न 3.
‘निवासी’ (सामान्य निवासी) की अवधारणा राष्ट्रीय आय के आकलन के संदर्भ में समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय के आकलन में सामान्य निवासी अवधारणा का विशेष अर्थ और महत्त्व है। निवासी से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो साधारणतया उस देश में रहता है और जिसका आर्थिक हित उसी देश में केंद्रित है क्र में रहता है। साधारण (सामान्य) निवासी के अंतर्गत व्यक्ति व संस्थाएँ दोनों आते हैं। साधारण निवासी में एक देश के निवासी व उस देश में रहने वाले गैर-निवासी दोनों ही प्रकार के व्यक्ति शामिल होते हैं। जैसे
(i) भारतीय काफी संख्या से इंग्लैंड के गैर-निवासी हैं क्योंकि वे वहाँ अब भी भारतीय पासपोर्ट पर हैं। वे भारत की नागरिकता रखते हैं फिर भी इंग्लैंड के सामान्य निवासी हैं क्योंकि वे वहाँ बस गए हैं और उनका आर्थिक हित उसी देश (इंग्लैंड) में है।

(ii)अंतर्राष्ट्रीय संगठनों; जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि के कर्मचारी अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के निवासी हैं न कि उस देश के जहाँ वे स्थापित हैं। इन संगठनों के कार्यालय भारत में भी स्थित हैं फिर भी इनके कर्मचारी भारत के सामान्य निवासी नहीं हैं, परंतु इन कार्यालयों में कार्य करने वाले भारतीय नागरिक भारत के सामान्य निवासी हैं।

(iii) ऐसे व्यक्ति जो थोड़े समय (प्रायः एक वर्ष से कम) के लिए विदेश जाते हैं, अपने देश के ही सामान्य निवासी माने जाते हैं; जैसे भारतीयों का अमरीका में सैर-सपाटे के लिए जाना, खेलों के मैच या कांफ्रेंस में भाग लेने जाना, बीमारी का इलाज करवाने जाना आदि। ऐसे व्यक्ति भारत के ही सामान्य निवासी माने जाएँगे।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय के आकलन के संदर्भ में आर्थिक सीमा (घरेल सीमा) की अवधारणा समझाइए।
उत्तर:
आर्थिक सीमा अथवा घरेलू सीमा की अवधारणा का प्रयोग राष्ट्रीय आय की गणना के संदर्भ में किया जाता है। आर्थिक सीमा की अवधारणा के अनुसार इसके अंतर्गत निम्नलिखित तथ्यों को सम्मिलित किया जाता है
(i) देश की राजनीतिक सीमाएँ (समुद्री सीमाओं सहित)।

(ii) देश के निवासियों द्वारा दो या दो से अधिक देशों के मध्य चलाए जाने वाली जलयान तथा वायुयान सेवाएँ।

(iii) देश के निवासियों द्वारा चलाई जाने वाली मछली पकड़ने की नौकाएँ, तेल व प्राकृतिक गैस के रिंग तथा तैरते हुए प्लेटफार्म (Floating Platforms)जिनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जल सीमाओं में अथवा देश की सर्वाधिकारी जल सीमाओं में गैस या तेल का दोहन कार्य (Exploitation) किया जाता है।

(iv) एक देश के विदेशों में राजनयिक संस्थान दूतावास (Embassies), वाणिज्य दूतावास (Consulates)तथा सैनिक प्रतिष्ठान।

(v) अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ जो देश की सीमा में कार्य करती हैं, घरेलू सीमा में सम्मिलित नहीं की जाती। उनके कार्यालय अंतर्राष्ट्रीय ‘क्षेत्र के भाग माने जाते हैं। स्पष्ट है कि घरेलू सीमा की अवधारणा राजनीतिक सीमा की अवधारणा से अधिक विस्तृत है।

प्रश्न 5.
“क्रय की गई मशीन सदैव अंतिम वस्तु होती है।” क्या आप सहमत हैं?
उत्तर:
क्रय की गई मशीन सदैव अंतिम वस्तु नहीं होती। क्रय की गई मशीन मध्यवर्ती वस्तु भी हो सकती है। यदि एक मशीन का क्रय एक फर्म द्वारा अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए अथवा दूसरी फर्म को पुनर्बिक्री के लिए किया जाता है, तो वह मशीन मध्यवर्ती वस्तु होगी। यदि एक मशीन का क्रय एक फर्म द्वारा पूँजी निर्माण के लिए अथवा उपभोक्ता द्वारा उपभोग के लिए किया जाता है, तो वह मशीन अंतिम वस्तु होगी।

प्रश्न 6.
टिकाऊ तथा गैर-टिकाऊ वस्तुओं में अंतर कीजिए। उन दो टिकाऊ वस्तुओं को बताइए जिन्हें मध्यवर्ती उपभोग में शामिल किया जाता है।
उत्तर:
टिकाऊ वस्तुओं से हमारा अभिप्राय उन वस्तुओं से है जिन्हें निरंतर कई वर्षों तक प्रयोग में लाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मकान, फर्नीचर, मशीन, मोटरकार, वायुयान, टेलीविजन, कंप्यूटर आदि। गैर-टिकाऊ वस्तुओं से हमारा अभिप्राय उन वस्तुओं से है जिनका प्रयोग केवल एक बार किया जा सकता है। गैर-टिकाऊ वस्तुओं का जैसे ही प्रयोग किया जाता है, उनका अस्तित्व और मूल्य समाप्त हो जाता है। उदाहरण के लिए, गेहूँ, आटा, दूध आदि।

निम्नलिखित दो टिकाऊ वस्तुएँ मध्यवर्ती उपभोग में शामिल होती हैं-

  • सरकार द्वारा सैनिक उद्देश्य से खरीदी गई कार
  • सरकार द्वारा सैनिक उद्देश्य से खरीदे गए वायुयान।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 7.
‘स्वनियोजित की मिश्रित आय की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
‘स्वनियोजित की मिश्रित आय’ की अवधारणा से हमारा अभिप्राय स्व-लेखा श्रमिकों की आय और अनिगमित उद्यमों के लाभ और लाभांश से है। उदाहरण के लिए, एक छोटे दुकानदार की आय स्वनियोजित की मिश्रित आय है। वह अपने व्यवसाय का समुचित लेखा-जोखा नहीं रखता। उसकी कुल आय लगान/किराया, मज़दूरी, ब्याज और लाभ का जोड़ है, क्योंकि वह आय को मज़दूरी, ब्याज आदि में विभाजित नहीं करता।

प्रश्न 8.
हस्तांतरण भगतान क्या हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
वे भुगतान जो व्यक्तियों या समुदायों को बिना कोई उत्पादन कार्य या सेवा के उपलब्ध होते हैं, हस्तांतरण भुगतान कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, बुढ़ापा पेंशन, छात्रवृत्ति, बेरोज़गारी भत्ता आदि। कारक भुगतान विभिन्न कारकों को उत्पादन में योगदान देने के बदले में दिए जाते हैं, लेकिन हस्तांतरण भुगतान में प्राप्तकर्ता उत्पादन में कोई योगदान देने के लिए बाध्य नहीं होता है।

हस्तांतरण भुगतान के प्रकार-हस्तांतरण दो प्रकार के होते हैं-

  • चालू हस्तांतरण
  • पूँजीगत हस्तांतरण

1. चालू हस्तांतरण चालू हस्तांतरण से हमारा अभिप्राय उन हस्तांतरणों से है जो उपभोग के लिए होते हैं तथा जिनसे राष्ट्रीय आय प्रभावित होती है। वर्तमान या चालू हस्तांतरण के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

  • देश के अंतर्गत हस्तांतरण; जैसे छात्रवृत्ति, उपहार, पुरस्कार, बेकारी भत्ता, कर आदि।
  • देशों के बीच हस्तांतरण; जैसे एक देश द्वारा दूसरे देश के निवासियों को दिए गए उपहार; जैसे-वस्त्र, दवाइयाँ, भोजन आदि।

2. पूँजीगत हस्तांतरण-पूँजीगत हस्तांतरण वे हस्तांतरण होते हैं जो पूँजीगत खाते के अंतर्गत आते हैं। इन हस्तांतरणों से पूँजी का निर्माण होता है। एक देश के अंतर्गत पूँजी हस्तांतरण सरकार से परिवारों और उद्यमों के बीच और इसके विपरीत दिशा में होते हैं। परिवारों पर लगाए गए मृत्यु कर तथा उत्तराधिकारी कर परिवारों और उद्यमों से सरकार को दिए गए पूँजीगत हस्तांतरण के उदाहरण हैं। दो देशों के बीच पूँजीगत हस्तांतरण के उदाहरण इस प्रकार हैं-युद्ध में विनाश की पूर्ति, आर्थिक सहायता, पूँजीगत वस्तुओं का एकतरफा हस्तांतरण।

प्रश्न 9.
साधन आय और हस्तांतरण आय के बीच अंतर बताइए।
उत्तर:
साधनं (कारक) आय से हमारा अभिप्राय कारक आगतों; जैसे भूमि, श्रम, पूँजी और उद्यमियों की आय से है। साधन आय का भुगतान उत्पादकों द्वारा विभिन्न साधनों के स्वामियों को उनके द्वारा दी गई उत्पादक सेवाओं के बदले किया जाता है। लगान/किराया, मज़दूरी, ब्याज, लाभ आदि कारक आय के उदाहरण हैं। हस्तांतरण आय से हमारा अभिप्राय उन आयों से है जो व्यक्तियों या समुदायों को बिना कोई उत्पादन कार्य या सेवा के उपलब्ध होती हैं। हस्तांतरण आय में प्राप्तकर्ता उत्पादन में कोई योगदान देने के लिए बाध्य नहीं होता। पेंशन, छात्रवृत्ति, बेरोज़गारी भत्ता आदि हस्तांतरण आय के उदाहरण हैं।

प्रश्न 10.
विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय की अवधारणा समझाइए।
उत्तर:
विदेशों से प्राप्त निवल कारक (शुद्ध साधन) आय का अर्थ-मोटे तौर पर यह देश में बाहर से आने वाली कारक आय और देश से बाहर जाने वाली कारक आय का अंतर होता है। दूसरे शब्दों में, अन्य देशों को कारक सेवाएँ प्रदान करने से अर्जित आय और दूसरे देशों द्वारा प्रदत्त सेवाओं के बदले उन्हें किए गए कारक भुगतान के अंतर को विदेशों से प्राप्त निवल कारक (शुद्ध साधन) आय कहते हैं।
निवल विदेशी कारक आय = देश के सामान्य निवासियों द्वारा शेष विश्व से प्राप्त कारक आय – देश में गैर-निवासियों द्वारा प्राप्त कारक आय
हम जानते हैं कि भारत के सामान्य निवासी न केवल अपने देश की घरेलू सीमा (Domestic territory) में कारक आय (काम से आय + संपत्ति से आय) अर्जित करते हैं, बल्कि देश से बाहर विदेशों में भी ऐसी आय अर्जित करते हैं। (i) काम से आय; जैसे भारत के वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, नर्तक, बढ़ई आदि विदेशों में काम करके वेतन व मजदूरी (कर्मचारियों का पारिश्रमिक) कमाते हैं, (ii) संपत्ति से आय; जैसे-भारत के निवासी विदेशों में अचल परिसंपत्तियों (दुकानें, मकान, फैक्टरियों) के मालिक बन जाते हैं तथा वित्तीय संपत्तियाँ (शेयर, ब्रांड) खरीद लेते हैं और इन पर ब्याज, लगान/किराया, लाभ कमाते हैं। उद्यमी के रूप में पदार्थ व सेवाओं की उत्पादन प्रक्रियाओं से लाभ भी कमाते हैं। इसी प्रकार विदेशी भी भारत में काम से आय व संपत्ति से आय अर्जित करते हैं। इन दोनों की आय के अंतर को भारत की विदेशों से प्राप्त निवल कारक (शुद्ध साधन) आय कहेंगे।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय आय और घरेलू आय में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
घरेलू आय एक देश की घरेलू सीमा के अंतर्गत उत्पादित की गई वस्तुओं व सेवाओं के मूल्य को कहते हैं। इस प्रकार घरेलू आय एक भौगोलिक तथ्य है। घरेलू आय में विदेशों में देश के नागरिकों द्वारा किए गए उत्पादन अथवा विदेशियों द्वारा देश में किए गए उत्पादन को शामिल नहीं किया जाता। राष्ट्रीय आय देश के सामान्य नागरिकों द्वारा किए गए उत्पादन के मूल्य के बराबर होती है चाहे वह उत्पादन देश की सीमा में किया गया हो अथवा विदेशों में। इस प्रकार, राष्ट्रीय आय एक विस्तृत अवधारणा है जिसमें घरेलू आय भी शामिल होती है। सूत्र के रूप में
राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय

प्रश्न 12.
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर क्या है? राष्ट्रीय आय लेखांकन में शुद्ध अप्रत्यक्ष कर का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर और आर्थिक सहायता का अंतर है।
1. अप्रत्यक्ष कर-सरकार वस्तुओं के उत्पादन व बिक्री पर अनेक प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लगाती है; जैसे उत्पादन शुल्क, बिक्री कर, सीमा शुल्क, मनोरंजन कर आदि। कर लगाने से वस्तु की कीमत बढ़ जाती है।

2. आर्थिक सहायता-यह सरकार द्वारा उद्यमों को दिया जाने वाला आर्थिक सहायता या अनुदान होता है ताकि (i) उद्यमी बाज़ार कीमत से कम कीमत पर वस्तु बेचें, (ii) वस्तु का निर्यात बढ़ाएँ, (iii) रोज़गार बढ़ाने के लिए उत्पादन में श्रम-प्रधान तकनीक का प्रयोग करें। आर्थिक सहायता से वस्तु की कीमत कम हो जाती है; जैसे आर्थिक सहायता के फलस्वरूप ही खादी ग्राम उद्योग, खादी का कपड़ा सस्ता बेचता है, राशन की दुकानों से गेहूँ, चीनी व मिट्टी का तेल बाज़ार कीमत के मुकाबले सस्ता मिलता है।

महत्त्व – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) का प्रयोग बाज़ार कीमत और कारक लागत में अंतर जानने के लिए किया जाता है। समीकरण के रूप में
बाज़ार कीमत = कारक लागत + अप्रत्यक्ष कर — आर्थिक सहायता
= कारक लागत + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
साधन लागत = बाज़ार कीमत + अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= बाज़ार कीमत – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
स्पष्ट है कि बाज़ार कीमत, अप्रत्यक्ष कर लगने से, कारक लागत से अधिक हो जाती है और आर्थिक सहायता मिलने से साधन लागत से कम हो जाती है। अप्रत्यक्ष कर और आर्थिक सहायता न होने पर कारक लागत और बाज़ार कीमत बराबर होते हैं। राष्ट्रीय आय निकालने के लिए हमें कारक लागत पर मूल्यांकन की जरूरत होती है। अतः कारक लागत निकालने के लिए बाज़ार कीमत में से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटा देते हैं। राष्ट्रीय आय लेखांकन की दृष्टि से यही ‘शुद्ध अप्रत्यक्ष कर’ का महत्त्व है।

प्रश्न 13.
मूल्यवर्धित से क्या अभिप्राय है? सामान्य सरकार क्षेत्र में शुद्ध मूल्यवृद्धि का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
मूल्यवर्धित से अभिप्राय उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य तथा मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत के अंतर से है। अर्थात्
मूल्यवर्धित = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य
निवल मूल्यवर्धित = मूल्यवृद्धि – अचल पूँजी का उपभोग
सामान्य सरकार क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कोई विक्रय नहीं होता। इसलिए सामान्य सरकार क्षेत्र में शुद्ध मूल्यवृद्धि उत्पाद का मूल्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन लागत के बराबर होता है। वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन लागत में निम्नलिखित दो बातें शामिल होती हैं

  • मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य
  • कर्मचारियों का पारिश्रमिक।

प्रश्न 14.
उत्पाद के सकल मूल्य और बाज़ार कीमतों पर शुद्ध मूल्यवृद्धि में अंतर बताइए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को उत्पाद का सकल मूल्य कहते हैं। इसमें चालू कार्य (Work-in-progress) में शुद्ध वृद्धि और स्व-लेखा पर उत्पादित वस्तुएँ भी शामिल हैं। बाज़ार कीमतों पर शुद्ध मूल्यवृद्धि अर्थात् सृजित आय का अर्थ, अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं पर होने वाले व्ययों से है। शुद्ध मूल्यवृद्धि का संबंध केवल अंतिम वस्तुओं से है। इसलिए हमें कुल उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को घटाना होगा। सूत्र के रूप में,
बाज़ार मूल्य पर शुद्ध (निवल) मूल्यवर्धित = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत – अचल पूँजी का उपभोग

प्रश्न 15.
कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवृद्धि क्या होती है? क्या यह सदैव कुल कारक आय के समान होती है?
उत्तर:
कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवृद्धि से अभिप्राय उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कारक लागत पर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है। सकल मूल्यवृद्धि उत्पादन की विभिन्न अवस्थाओं में वस्तु के कुल मूल्य में होने वाली वृद्धि से है। अर्थात्
सकल मूल्यवृद्धि = उत्पादन का कुल मूल्य – मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य
सकल मूल्यवृद्धि में मशीनों की टूट-फूट व घिसावट अर्थात् मूल्यह्रास शामिल होते हैं। यदि सकल मूल्यवृद्धि में से स्थाई पूँजी का उपयोग निकाल दिया जाए तो वह शुद्ध मूल्यवृद्धि कहलाता है। अर्थात्
शुद्ध मूल्यवृद्धि = उत्पादन का सकल मूल्य – मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य – स्थाई पूँजी का उपभोग
बाज़ार मूल्य पर शुद्ध मूल्यवृद्धि में से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटाने पर कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवृद्धि प्राप्त होती है। कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवृद्धि सदैव कुल कारक आय के बराबर होती है क्योंकि ये दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवृद्धि उत्पाद विधि द्वारा अनुमानित राष्ट्रीय आय है जबकि कुल कारक आय, आय विधि द्वारा अ राष्ट्रीय आय है। विभिन्न कारक आयों, जैसे लगान/किराया, मज़दूरी, ब्याज और लाभ का योग मूल्यवृद्धि के बराबर होता है। शुद्ध मूल्यवृद्धि से विभिन्न कारकों को उनकी आयों के रूप में बाँट दिया जाता है।

प्रश्न 16.
‘ऐसे बहुत से उत्पाद हैं जिन्हें राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं किया जाता परंतु वे एक देश के कल्याण में योगदान देते हैं।’ एक उदाहरण की सहायता से इस कथन को समझाइए।
उत्तर:
ऐसे बहुत से उत्पाद होते हैं जिन्हें समुचित आँकड़ों के अभाव तथा मूल्यांकन की समस्या के कारण राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं किया जाता, परंतु ये उत्पाद एक देश के कल्याण को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आय में उन निःशुल्क सेवाओं को सम्मिलित नहीं किया जाता जो अनेक व्यक्ति अपने परिवारों तथा मित्रों के लिए करते हैं। इसी प्रकार, राष्ट्रीय आय में उन वस्तुओं और सेवाओं, जिन्हें विशुद्ध रूप से आत्मसंतुष्टि; जैसे-व्यायाम, बागवानी, खेल आदि के लिए उत्पादित किया जाता है, को सम्मिलित नहीं किया जाता परंतु ये सभी क्रियाएँ कल्याण में वृद्धि करती हैं। यही कारण है कि राष्ट्रीय आय को कल्याण का अच्छा सूचक नहीं माना जाता।

प्रश्न 17.
‘ऐसे बहुत से उत्पाद हैं जिन्हें राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाता है परंतु वे कल्याण को कम करते हैं।’ एक उदाहरण की सहायता से इस कथन को समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय में हर प्रकार की वस्तओं तथा सेवाओं के उत्पादन को सम्मिलित किया जाता है लेकिन राष्ट्रीय आय में सम्मिलित सभी वस्तुओं तथा सेवाओं से आर्थिक कल्याण होना आवश्यक नहीं है। उदाहरण के लिए, अफीम, शराब आदि का उत्पादन कल्याण को कम करता है। इसी प्रकार, यदि एक देश के उत्पादन में युद्ध सामग्री और औद्योगिक मशीनरी का एक बड़ा भाग है तो उस देश के निवासियों का रहन-सहन का स्तर ऊँचा नहीं होगा जिससे आर्थिक कल्याण में वृद्धि नहीं होगी।

प्रश्न 18.
घरेलू साधन आय से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख संघटकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
घरेलू साधन आय से अभिप्राय एक वर्ष में एक देश की घरेलू सीमा के अंदर उत्पादन के साधनों द्वारा अर्जित आय से है। घरेलू साधन आय के प्रमुख संघटक निम्नलिखित हैं-
1. कर्मचारियों का पारिश्रमिक-इसमें मालिकों द्वारा अपने कर्मचारियों को नकद और किस्म के रूप में दिए गए सभी भुगतान, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए किए गए भुगतान और निःशुल्क सुविधाओं का आरोपित मूल्य शामिल हैं।

2. प्रचालन अधिशेष-यह संपत्ति और उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय का जोड़ है। इसमें लगान, ब्याज और लाभ शामिल हैं। यदि शुद्ध घरेलू कारक (साधन) आय में से श्रमिकों का पारिश्रमिक और मिश्रित आय को घटा दिया जाए तो प्रचालन अधिशेष रह जाता है।

3. स्वनियोजन से आय-जब कोई व्यक्ति दूसरे के यहाँ नौकरी करने की बजाय अपना धंधा स्वयं करता है तो उसे स्वनियोजित व्यक्ति कहते हैं और उसकी आय को मिश्रित आय कहते हैं। ऐसे लोग उत्पादन में प्रायः अपने कारक स्वयं जुटाते हैं जिससे इनकी आय, लगान/किराया, मज़दूरी, ब्याज व लाभ का मिश्रण होती है; जैसे छोटे दुकानदार, किसान, बढ़ई, वकील, डॉक्टर आदि स्वनियोजित व्यक्ति हैं क्योंकि वे अपना धंधा स्वयं करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की आय स्वनियोजितों की मिश्रित आय कहलाती है। भारत में मिश्रित आय के महत्त्व को देखते हुए इसे एक अलग स्रोत के रूप में दिखाया जाता है। समीकरण के रूप में-
घरेलू आय = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + प्रचालन अधिशेष + मिश्रित आय

प्रश्न 19.
वैयक्तिक आय (Personal Income) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वैयक्तिक आय-व्यक्तियों या गृहस्थों (Households) द्वारा समस्त स्रोतों से प्राप्त कारक आय व हस्तांतरण आय का ग, वैयक्तिक आय कहलाती है। इसमें कारक आय (उत्पादक सेवाएँ प्रदान करने के बदले अर्जित आय) और हस्तांतरण आय (उत्पादक सेवा दिए बिना प्राप्त आय) दोनों शामिल होती हैं चाहे ये देश की घरेलू सीमाओं में हों या विदेश से प्राप्त हुई हों। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आय, वैयक्तिक आय (Personal income) का योग नहीं होती हैं, क्योंकि राष्ट्रीय आय एक कमाई की संकल्पना (Earning concept) है जिसमें केवल अर्जित कारक आय शामिल होती है जबकि वैयक्तिक आय एक प्राप्ति की अवधारणा (Receipt concept) है जिसमें कारक आय के अतिरिक्त हस्तांतरण आय (Transfer income) भी शामिल होती है। वैयक्तिक आय निकालने के लिए राष्ट्रीय आय में से आय की कुछ मदें (जो व्यक्ति को प्राप्त नहीं होती हैं; जैसे लाभ कर, अवितरित लाभ, सरकारी क्षेत्र का अधिशेष) घटाई जाती हैं और हस्तांतरण आय जोड़ी जाती है। निजी आय से ‘लाभ कर’ और ‘अवितरित लाभ’ घटाने पर वैयक्तिक आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 20.
वैयक्तिक प्रयोज्य आय क्या है?
उत्तर:
वैयक्तिक प्रयोज्य आय-यह वैयक्तिक आय का वह भाग है जो परिवारों को अपनी इच्छानुसार व्यय करने के लिए उपलब्ध होती है। निस्संदेह व्यक्ति ऐसी आय को अपनी इच्छानुसार उपभोग पर व्यय करने या बचत करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। हम जानते हैं कि सरकार वैयक्तिक आय का एक भाग करों (जैसे आय कर, संपत्ति कर आदि) के रूप में ले जाती है। इसी प्रकार व्यक्ति को कुछ अनिवार्य भुगतान (जैसे फीस, जुर्माना आदि) करने पड़ते हैं जिन्हें सरकार की विविध प्राप्तियाँ कहते हैं। वैयक्तिक आय में से वैयक्तिक (प्रत्यक्ष) कर और सरकार की विविध प्राप्तियाँ घटाने से वैयक्तिक प्रयोज्य आय निकल आती है। समीकरण के रूप में
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक (प्रत्यक्ष) कर
चूँकि वैयक्तिक प्रयोज्य आय या तो उपभोग पर व्यय होती है या बचत के लिए प्रयोग होती है, इसलिए-
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक व्यय + वैयक्तिक बचत

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय आय की संरचना और वितरण का आर्थिक कल्याण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की संरचना और वितरण का आर्थिक कल्याण पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है।
1. राष्ट्रीय आय की संरचना राष्ट्रीय आय की संरचना से अभिप्राय उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की प्रकृति से है। राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किए गए कुछ उत्पादों; जैसे औद्योगिक मशीनरी, युद्ध सामग्री आदि का आर्थिक कल्याण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि ये लोगों के जीवन स्तर अर्थात् उपभोग के लिए उपलब्ध नहीं होते।

2. राष्ट्रीय आय का वितरण-यदि राष्ट्रीय आय का वितरण समान है तो आर्थिक कल्याण में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय आय के असमान वितरण की स्थिति में कुछ धनी व्यक्तियों का जीवन स्तर तो ऊँचा हो जाएगा परंतु देश की अधिकतर निर्धन जनता का जीवन स्तर ऊँचा नहीं होगा। इस प्रकार पूरे समाज की दृष्टि से आर्थिक कल्याण में कोई वृद्धि नहीं होगी।

प्रश्न 22.
निजी आय तथा राष्ट्रीय आय में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी आय तथा राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित अंतर हैं-

निजी आय राष्ट्रीय आय
1. निजी आय में केवल निजी क्षेत्र की आय शामिल होती है। 1. राष्ट्रीय आय में निजी क्षेत्र एवं सरकारी क्षेत्र दोनों की आय शामिल होती है।
2. निजी आय में अर्जित आय तथा अनार्जित आय जैसे सभी प्रकार के चालू हस्तांतरण शामिल होते हैं। 2. राष्ट्रीय आय में केवल अर्जित आय शामिल होती है। इसमें किसी प्रकार के हस्तांतरण शामिल नहीं होते।
3. निजी आय = निवल घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र की आय + सभी प्रकार के चालू हस्तांतरण + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय। 3. राष्ट्रीय आय = निवल घरेलू कारक आय + विदेशों से अर्जित निवल कारक आय।
4. इसमें राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है। 4. इसमें राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज को शामिल नहीं किया जाता।
5. यह अपेक्षाकृत संकुचित धारणा है। 5. यह अपेक्षाकृत विस्तृत धारणा है।

प्रश्न 23.
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय की धारणा को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय को बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) और शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण के योग के रूप में परिभाषित किया जाता है अर्थात् NDI = NNP.MP+ शुद्ध विदेशी चालू हस्तांतरण। इस अवधारणा के पीछे उद्देश्य यह जानना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था के पास वस्तुओं और सेवाओं की अधिक-से-अधिक कितनी मात्रा है जिसे राष्ट्र जैसे चाहे वैसे ही व्यय कर सकता है। शेषं विश्व से चालू हस्तांतरण (Current Transfers), नकदी, किस्म और उपहार के रूप में होते हैं। राष्ट्रीय प्रयोज्य आय में देश के भीतर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र को चालू हस्तांतरण शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसका देश की प्रयोज्य आय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसमें केवल विदेशों से प्राप्त या उनको दिए गए चालू हस्तांतरण शामिल किए जाते हैं। NDI में शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इसलिए शामिल है क्योंकि यह सरकार की हस्तांतरण आय है जिसे वह जैसा चाहे वैसा प्रयोग कर सकती है। राष्ट्रीय प्रयोज्य आय, राष्ट्रीय आय से कम भी हो सकती है और अधिक भी। जब कोई देश अपनी राष्ट्रीय आय का एक भाग दूसरे देशों को दान या उपहार के रूप में देता है तो इसकी उपभोग पर व्यय करने और बचत करने की क्षमता कम हो जाएगी। इसके विपरीत यदि अन्य देश इस देश को उपहार के रूप में कुछ देते हैं तो देश की व्यय करने व बचत करने की क्षमता बढ़ जाएगी। समीकरण के रूप में-
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण
= साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शुद्ध विदेशी साधन आय + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 24.
राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह के तीन चरण समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह के तीन चरण हैं-उत्पादन, आय और व्यय। प्रत्येक चरण पर इसे मापने के लिए हमें भिन्न-भिन्न आँकड़ों और विधियों की आवश्यकता पड़ती है। यदि हम इसे उत्पादन के चरण पर मापते हैं तो हमें देश में सभी उत्पादक उद्यमों द्वारा शुद्ध मूल्यवृद्धि के कुल जोड़ को जानना होगा। यदि हम इसे आय के वितरण चरण पर मापना चाहते हैं तो हमें वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में उत्पादित कुल आय के जोड़ को मालूम करना होगा।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 2
यदि हम इसे व्यय चरण पर मापना चाहते हैं तो हमें अर्थव्यवस्था की तीन व्यय करने वाली इकाइयों अर्थात् सामान्य सरकार, उपभोक्ता परिवार तथा उत्पादक उद्यमों के कुल व्यय के जोड़ को ज्ञात करना होगा। राष्ट्रीय आय ‘के चक्रीय प्रवाह के विभिन्न चरणों को संलग्न चित्र की सहायता से समझा जा सकता है।

प्रश्न 25.
तीन-क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का चक्रीय प्रवाह समझाइए।
उत्तर:
सरकार द्वारा फर्मों से वस्तुएँ और परिवारों से कारक सेवा खरीदने के कारण सरकारी क्षेत्रक में फर्म क्षेत्रक और परिवार क्षेत्रक को मौद्रिक प्रवाह होता है। इसी प्रकार जब सरकार फर्मों को अनुदान सब्सिडी तथा परिवारों को हस्तांतरण भुगतान करती है तब भी मौद्रिक प्रवाह फर्मों और परिवारों की ओर होते हैं। सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए तरह-तरह के करों के माध्यम से भी पैसों की उगाही करती है, जिसके कारण मौद्रिक प्रवाह फर्म क्षेत्रक तथा परिवार क्षेत्रक से सरकारी क्षेत्रक की ओर होते हैं। संलग्न चित्र के माध्यम से इन मौद्रिक प्रवाहों को स्पष्ट रूप से समझाया जा सकता है। सभी कर चक्रीय प्रवाह से क्षरण होते हैं और सरकारी व्यय इस प्रवाह में भरण का कार्य करते हैं।
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प्रश्न 26.
मध्यवर्ती तथा अंतिम वस्तुओं में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मध्यवर्ती तथा अंतिम वस्तुओं में निम्नलिखित अंतर हैं-

मध्यवर्ती वस्तुएँ अंतिम वस्तुएँ
1. ये वस्तुएँ जिनका एक लेखा वर्ष में आगे उत्पादन करने या पुनर्बिक्री के लिए प्रयोग होता है, मध्यवर्ती वस्तुएँ कहलाती हैं। 1. वे वस्तुएँ जिनका प्रयोग उपभोग के लिए या स्टॉक के लिए होता है, अंतिम वस्तुएँ कहलाती हैं।
2. इन वस्तुओं का प्रयोग और अधिक उत्पादन के लिए किया जाता है। 2. इन वस्तुओं का प्रयोग अंतिम उपभोग के लिए होता है।
3. इन वस्तुओं को राष्ट्रीय आय क्री गणना में शामिल नहीं किया जाता है। 3. इन वस्तुओं को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल किया जाता है।
4. ये वस्तुएँ उत्पादन प्रक्रिया में से गुजरती हैं। 4. ये वस्तुएँ उत्पादन प्रक्रिया में से नहीं गुजरती हैं।

प्रश्न 27.
निजी आय तथा वैयक्तिक आय में क्या अन्तर है?
उत्तर:
निजी आय तथा वैयक्तिक आय में निम्नलिखित अन्तर हैं-

निजी आय वैयक्तिक आय
1. निजी आय की धारणा वैयक्तिक आय से अधिक व्यापक है। 1. वैयक्तिक आय की धारणा निजी आय से कम व्यापक है।
2. निजी आय में निगम कर, निजी उद्यमों की बचतें शामिल होती हैं। 2. वैयक्तिक आय में निगम कर, निजी उद्यमों की बचतें शामिल नहीं होती हैं।
3. निजी आय में अर्जित आय तथा अनार्जित आय जैसे सभी प्रकार के चालू हस्तांतरप्प शामिल होते हैं। 3. वैयक्तिक आय में कारक आय और हस्तांतरण आय दोनों शामिल होते हैं।
4. निजी आय = निवल घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र की आय + सभी प्रकार के चालू हस्तांतरण + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 4. वैयक्तिक आय = निजी आय – लाभ कर – अवितरित लाभ

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय लेखांकन से क्या अभिप्राय है? इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय लेखांकन का अर्थ-राष्ट्रीय आय लेखांकन राष्ट्रीय आय से संबंधित लेखों को संकलित करने व प्रस्तुत करने की एक प्रणाली है। फ्रैंक जॉन (Franc John) के शब्दों में, “राष्ट्रीय आय लेखांकन वह विधि है जिसके द्वारा सामूहिक आर्थिक क्रियाओं को पहचाना तथा मापा जाता है।” यह व्यापार लेखा विधि (Business Accounting) की भाँति ‘दोहरी खाता प्रणाली’ (Double Entry System) पर आधारित है। इसके अंतर्गत प्रत्येक सौदा (या संव्यवहार) दो बार प्रविष्ट होता है एक बार भुगतान के रूप में और दूसरी बार प्राप्ति के रूप में। भुगतान तथा प्राप्ति सदा बराबर रहते हैं। राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली (लेखांकन) द्वारा उपलब्ध आर्थिक पहलुओं की जानकारी के आधार पर सरकार लोगों के भौतिक कल्याण के लिए नीतियाँ व कार्यक्रम बनाती है। यही राष्ट्रीय आय लेखांकन का मूल उद्देश्य है।

राष्ट्रीय आय लेखांकन का महत्त्व समष्टि अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री के रूप में राष्ट्रीय आय लेखांकन का महत्त्व निम्नलिखित है
1. आर्थिक विकास का सूचक-किसी देश की आर्थिक उन्नति का सूचक मोटे रूप में राष्ट्रीय आय मानी जाती है जो राष्ट्रीय आय लेखांकन द्वारा ही जानी जाती है। संक्षेप में, राष्ट्रीय आय लेखों द्वारा देश की आर्थिक उन्नति व संवृद्धि का सही अनुमान लगाया जा सकता है।

2. नीति निर्धारण में सहायक सरकार किसी प्रकार की आर्थिक नीति बनाते समय देश की राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़ों को सामने रखती है। राष्ट्रीय आय लेखा किसी भी अर्थव्यवस्था की मुद्रा, वित्त, व्यापार आदि संबंधी सूचनाएँ ऐसे सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करता है कि आर्थिक नीति निर्धारण में इन सूचनाओं का अच्छे ढंग से प्रयोग किया जा सकता है।

3. अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों का ज्ञान राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़े अर्थव्यवस्था में हुए संरचनात्मक परिवर्तनों (जैसे कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्रों की स्थिति) की जानकारी देते हैं। राष्ट्रीय आय के आंकड़ों से उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों के पारस्परिक संबंधों और राष्ट्रीय आय में इनके योगदान का ज्ञान होता है। इनसे किसी देश के आय रहन-सहन के स्तर के बारे में भी पूरी सूचना प्राप्त होती है।

4. अर्थव्यवस्था की उपलब्धियों की समीक्षा का आधार यह एक देश की आर्थिक उपलब्धियों की समीक्षा करने का आधार है। यह हमें एक देश के प्राकृतिक, मानवीय एवं पूँजीगत कारकों (साधनों) के उपयोग से प्राप्त उपलब्धियों को बताता है।

5. विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं से तुलना-राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति की अन्य देशों के साथ तुलना में उपयोगी सिद्ध होते हैं।

6. आर्थिक दोषों को दूर करने में सहायक-राष्ट्रीय आय लेखांकन के आंकड़े आर्थिक दोषों की जानकारी देते हैं जिन्हें दूर करने के लिए उचित उपाय अपनाए जा सकते हैं।

7. राष्ट्रीय आय के उचित वितरण में सहायक राष्ट्रीय आय के आंकड़े उत्पादन के विभिन्न कारकों के बीच कारक-आय के वितरण के बारे में भी आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करते हैं। इसकी सहायता से हम देश की कुल राष्ट्रीय आय में लगान, मजदूरी, ब्याज और लाभ के तुलनात्मक भाग के बारे में भी जान सकते हैं। अतः राष्ट्रीय आय के आंकड़े अर्थव्यवस्था में मानवीय गतिविधियों के भौतिक परिणामों का मौद्रिक प्रतिरूप होते हैं। आधुनिक युग में ये आंकड़े मानकों अथवा कसौटियों की रचना करते हैं जिनके आधार पर आर्थिक नीतियों की उपलब्धियों का मूल्यांकन होता है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आय को मापने की आय विधि की व्याख्या कीजिए। अथवा
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने के विभिन्न चरण संक्षेप में समझाइए। इस विधि की सावधानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
आय विधि-आय विधि वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में उत्पादन के प्राथमिक कारकों (श्रम, भूमि, पूँजी तथा उद्यम) को उनकी उत्पादक सेवाओं के बदले में क्रमशः मज़दूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में किए गएं भुगतान की गणना करके राष्ट्रीय आय का माप करती है।

आय विधि के प्रमुख चरण या कदम-इस विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना उठाए गए निम्नलिखित कदमों से होती है-
(क) उत्पादक उद्यमों की पहचान-उत्पादक उद्यमों को तीन क्षेत्रों में बाँटा गया है
1. प्राथमिक क्षेत्र यह वह क्षेत्र है जिसमें प्राकृतिक कारकों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है; जैसे कृषि क्षेत्र में।
2. द्वितीयक क्षेत्र-यह वह क्षेत्र है जिसमें उद्यम कच्चे माल को निर्मित वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।
3. तृतीयक क्षेत्र-वह क्षेत्र जो सेवाओं का उत्पादन करता है; जैसे बैंकिंग, बीमा, परिवहन आदि।

(ख) कारक आय का वर्गीकरण-
1. कर्मचारियों का पारिश्रमिक इसके अंतर्गत नकद मज़दूरी और वेतन, किस्म के रूप में आय, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान तथा सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को शामिल किया जाता है।

2. प्रचालन अधिशेष-इसमें लगान या किराया, रॉयल्टी, ब्याज, लाभ (लाभांश + निगम कर + अवितरित लाभ) आदि शामिल हैं।

3. मिश्रित आय-स्वरोजगार व्यक्ति; जैसे किसान, डॉक्टर, दुकानदार आदि को अपने कारकों से जो आय प्राप्त होती है, उसे मिश्रित आय कहते हैं।
निवल घरेलू आय = CE + OS + MI

4. विदेशों से निवल कारक आय-किसी देश के निवासियों द्वारा विदेशों में प्रदान की गई कारक सेवाओं के बदले में प्राप्त आय तथा एक देश की घरेलू सीमा में गैर-निवासियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के बदले में भुगतान की गई आय के अंतर को विदेशों से निवल कारक आय (NFIA) कहा जाता है।
राष्ट्रीय आय = NFIA + निवल घरेलू आय
अतः निवल घरेलू आय या कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद = CE + OS + स्वनियोजितों की MI
निवल राष्ट्रीय आय या कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = निवल घरेलू आय + NFIA
सकल राष्ट्रीय आय या कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निवल राष्ट्रीय आय + मूल्यह्रास
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय आय + NIT

सावधानियाँ – आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरती जाती हैं
(i) सभी हस्तांतरण भुगतानों को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए, केवल कारक आय ही शामिल की जाती है।

(ii) स्व-उपभोग के लिए रखी गई वस्तुओं का मूल्य तथा आरोपित किराया इसमें शामिल किया जाना चाहिए।

(iii) गैर-कानूनी आय; जैसे तस्करी, जमाखोरी, रिश्वत, काला-बाजारी आदि से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

(iv) आकस्मिक लाभ; जैसे लॉटरी से आय, घुड़-दौड़ आदि से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

(v) लाभों को निगम करों का भुगतान करने से पहले शामिल किया जाना चाहिए। इसी प्रकार कर्मचारियों के पारिश्रमिक को आय कर तथा सामाजिक सुरक्षा योजना में अंशदान घटाने से पहले जोड़ा जाना चाहिए।

(vi) मृत्यु कर, उपहार कर, संपत्ति कर और आकस्मिक लाभों पर कर को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये करदाता की वर्तमान आय से नहीं दिए जाते, बल्कि भूतकालीन बचतों में से भुगतान किए जाते हैं। इसलिए ये राष्ट्रीय आय का भाग नहीं हैं। इन्हें पूँजीगत हस्तांतरण भुगतान माना जाता है।

(vii) पुरानी संपत्तियों का विक्रय मूल्य, राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करना चाहिए, क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन नहीं हुआ। केवल बेची गई या खरीदी गई पुरानी वस्तुओं के स्वामित्व में परिवर्तन हुआ है।

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प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय को मापने की व्यय विधि की व्याख्या कीजिए।
अथवा
व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का मापन कैसे किया जाता है? व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय को मापते समय कौन-सी सावधानियाँ बरतनी चाहिएँ?
उत्तर:
व्यय विधि-व्यय विधि जिसे ‘उपभोग निवेश विधि’ भी कहते हैं के अंतर्गत एक लेखा वर्ष में अर्थव्यवस्था के समस्त अंतिम व्ययों का योग करके राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। एक अर्थव्यवस्था में सृजित आय दो प्रकार से प्रयोग में लाई जाती है। एक, परिवारों एवं सामान्य सरकार द्वारा उपभोग हेतु (जिसे अंतिम उपभोग कहते हैं) तथा दूसरे, अर्थव्यवस्था के उद्यमों (पारिवारिक उद्यम, निगमित एवं अर्द्ध-निगमित उद्यम तथा सामान्य सरकार) द्वारा पूँजी-निर्माण हेतु। इसलिए व्यय विधि को ‘आय वितरण विधि’ (Income Disposal Method) भी कहते हैं। अतः इस विधि के अनुसार एक लेखा वर्ष में बाज़ार कीमत पर सकल अंतिम व्यय को मापा जाता है। यह अतिम व्यय बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहलाता है।

व्यय विधि के प्रमुख कदम-व्यय विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय के आकलन में निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं-

कदम 1 : अंतिम व्यय करने वाली आर्थिक इकाइयों की पहचान-सर्वप्रथम देश की घरेलू सीमा में उन समस्त आर्थिक इकाइयों की पहचान कर ली जाती है जो अंतिम व्यय (अंतिम उपभोग व्यय तथा अंतिम निवेश व्यय) करती हैं। अंतिम व्यय करने वाली प्रमुख इकाइयाँ हैं-

  • परिवार क्षेत्र की इकाइयाँ
  • उत्पादक क्षेत्र की इकाइयाँ
  • सरकारी क्षेत्र की इकाइयाँ तथा
  • विश्व क्षेत्र की इकाइयाँ।

कदम 2 : अंतिम व्यय का वर्गीकरण-दूसरे कदम के अंतर्गत अंतिम व्यय को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है

  • निजी अंतिम उपभोग व्यय
  • सरकारी अंतिम उपभोग व्यय
  • सकल अचल पूँजी निर्माण
  • स्टॉक परिवर्तन
  • मूल्यवान वस्तुओं का निवल अर्जन
  • निवल निर्यात।

कदम 3 : अंतिम व्यय की गणना-अंतिम व्यय के वर्गीकरण के पश्चात् इसके विभिन्न अंगों की गणना की जाती है। इसके लिए दो प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है-

  • सकल बिक्री मूल्य तथा
  • परचून कीमतें।

विक्रय की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा को उनकी संबंधित परचून कीमतों से गुणा करके तथा फिर उनका योग करके बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMI) प्राप्त हो जाता है।

कदम 4 : विदेशों से निवल कारक आय का आकलन-अंत में विदेशों से निवल कारक आय के मूल्य का आकलन किया जाता है। इससे GDPMP में जोड़ने से GNPMP का मूल्य प्राप्त हो जाता है।

कदम 5 : राष्ट्रीय आय का अनुमान-कारक लागत पर राष्ट्रीय आय ज्ञात करने के लिए घिसावट व्यय तथा निवल अप्रत्यक्ष कर घटा दिए जाते हैं।

संक्षेप में, राष्ट्रीय आय का अनुमान:

  • GDPMP = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + सकल अचल (स्थाई) पूँजी-निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + मूल्यवान वस्तुओं का निवल अर्जन + निवल निर्यात
  • GNPMP = GDPMP + NFIA
  • NNPFC = GDPMP – घिसावट – निवल अप्रत्यक्ष कर

सावधानियाँ-व्यय विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय की गणना करते समय हमें निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिएँ-
(i) पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर व्यय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाएगा।

(ii) अंशपत्र, ऋण-पत्र आदि पर किए जाने वाले व्यय भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किए जाने चाहिएँ, क्योंकि ये मात्र कागज़ी दावे हैं जिनके क्रय-विक्रय से किसी भौतिक परिसंपत्ति का निर्माण नहीं होता।

(iii) हस्तांतरण भुगतानों के रूप में समस्त सरकारी व्यय; जैसे बेकारी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, वजीफे आदि पर व्यय इसके क्षेत्र से बाहर रखे जाते हैं।

(iv) मध्यवर्ती और अर्द्ध-निर्मित वस्तुओं और सेवाओं पर होने वाले व्यय को इसके क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिए।

(v) यहाँ पर यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना बाज़ार कीमत पर की जाती है। अतः कारक लागत पर राष्ट्रीय आय ज्ञात करने के लिए NNPMP में से निवल अप्रत्यक्ष कर घटाने होंगे।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय को मापने की उत्पाद विधि की व्याख्या कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय आय को मापने की मूल्यवर्धित विधि की व्याख्या कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय आय के आकलन की उत्पाद विधि अथवा मूल्यवृद्धि विधि का वर्णन करते हुए इसकी सावधानियों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि-राष्ट्रीय आय को मापने की उत्पाद विधि को औद्योगिक उद्गम विधि या मूल्यवृद्धि (मूल्यवर्धित) या सूची गणना विधि आदि भी कहा जाता है। इस विधि से अभिप्राय एक लेखा वर्ष में एक देश की घरेलू सीमा में प्रत्येक उत्पादक उद्यम के योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय को ज्ञात करने से है। इस विधि के द्वारा उत्पादन के स्तर पर राष्ट्रीय आय को मापा जाता है। उत्पादन के स्तर पर राष्ट्रीय आय एक देश की घरेलू सीमाओं में एक वर्ष में अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के निवल प्रवाह के मौद्रिक मूल्य तथा विदेशों से अर्जित आय कारक आय के योग के समान है। उत्पादन के स्तर पर राष्ट्रीय आय के माप को राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं।

उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि के प्रमुख कदम-मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) विधि के द्वारा राष्ट्रीय माप की गणना करते समय निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिएँ-
(i) इस विधि में सबसे पहले उन उद्यमों की पहचान की जाती है जो उत्पादन करते हैं। सर्वप्रथम अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र तथा तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र में वर्गीकृत किया जाता है। प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि एवं संबंधित क्रियाएँ; जैसे मछली पालन, पशु-पालन, वनारोपण आदि आते हैं। द्वितीयक क्षेत्र को विनिर्माण क्षेत्र भी कहते हैं। इसमें सभी प्रकार के उद्योग आते हैं। तृतीयक क्षेत्र, जिसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है, के अंतर्गत उत्पादक सेवाएँ प्रदान करने वाले सभी प्रकार के उद्यम आते हैं; जैसे बैंकिंग, बीमा, परिवहन, संचार, व्यापार, वाणिज्य आदि।

(ii) सकल उत्पाद मूल्य की गणना के लिए तीनों क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य ज्ञात किया जाता है।

(iii) निवल मूल्यवर्धित को ज्ञात करने के लिए सकल मूल्यवर्धित में से घिसावट व्यय को घटा दिया जाता है। इस प्रकार बाज़ार कीमत पर निवल मूल्यवर्धित ज्ञात हो जाती है। इसमें से निवल अप्रत्यक्ष कर घटाने पर कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित ज्ञात हो जाती है। कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित को NDPFC कहा जाता है जो कि कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद के बराबर है।
NDPFC = प्राथमिक क्षेत्र द्वारा की गई मूल्यवर्धित + द्वितीयक क्षेत्र द्वारा की गई मूल्यवर्धित + तृतीयक क्षेत्र द्वारा की गई मूल्यवर्धित

(iv) राष्ट्रीय आय अर्थात् NNPFC को ज्ञात करने के लिए NDPFC में विदेशों से अर्जित निवल कारक आय को जोड़ लिया जाता है।

संक्षेप में, राष्ट्रीय आय का अनुमान-

  • बाज़ार कीमत पर सकल मूल्यवर्धित (GVAMP) या सकल घरेलू उत्पाद = तीनों क्षेत्रों में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्यवर्धित
  • बाज़ार कीमत पर निवल मूल्यवर्धित या निवल घरेलू उत्पाद = GVAMP – मूल्यहास
  • कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित (NVAFC) या निवल घरेलू आय = NVAMP – NIT
  • राष्ट्रीय आय = NVAFC + विदेशों से निवल कारक आय

उत्पाद विधि अथवा मूल्यवृद्धि विधि से संबंधित सावधानियाँ-

  • पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय को मूल्यवर्धित में शामिल नहीं किया जाता।
  • पुरानी वस्तुओं पर दलाली या कमीशन को मूल्यवर्धित में शामिल किया जाता है।
  • सभी उत्पादक उद्यमों द्वारा किए गए स्वलेखा उत्पादन को मूल्यवर्धित में शामिल किया जाता है।
  • मध्यवती वस्तुओं के मूल्य को मूल्यवर्धित में शामिल नहीं किया जाता।
  • स्व-उपभोग के लिए उत्पादन का आरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
  • स्व-उपभोग सेवाओं के मूल्य को मूल्यवर्धित में शामिल नहीं किया जाता।

प्रश्न 5.
चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आज सभी अर्थव्यवस्थाएँ खुली अर्थव्यवस्थाएँ (Open Economies) हैं। खुली अर्थव्यवस्था का अर्थ है वे सभी अर्थव्यवस्थाएँ जो कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग लेती हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दो पहलू हैं-(i) आयात (Import) तथा (ii) निर्यात (Export)। शेष विश्व के साथ ये आयात-निर्यात परिवारों, फर्मों तथा सरकारों तीनों क्षेत्रों द्वारा किए जाते हैं। इसी प्रकार विदेशी बाजारों से भी ऋण लिया जाता है और उनमें पूँजी जमा की जाती है। इसलिए अपने मॉडल को और भी वास्तविक बनाने के लिए हमें इस मॉडल में शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector) को भी शामिल कर लेना चाहिए। जैसाकि चित्र में दर्शाया गया है
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 4
अर्थव्यवस्था का उत्पादन क्षेत्र शेष संसार से वस्तुएँ और सेवाएँ आयात करता है और इनके लिए भुगतान करता है। उत्पादन क्षेत्र वस्तुओं और सेवाओं का शेष संसार को निर्यात भी करता है। इन निर्यातों के बदले में उत्पादन क्षेत्र को शेष संसार से मुद्रा द्वारा भुगतान होता है। परिवार क्षेत्र शेष संसार को सेवाएँ प्रदान करने के लिए मुद्रा, उपहार, दान आदि के रूप में मुद्रा प्राप्त करता है। परिवार क्षेत्र शेष संसार से प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं के बदले मुद्रा भुगतान करता है। सरकारी क्षेत्र शेष संसार को वस्तुएँ और सेवाएँ निर्यात करके शेष संसार से मुद्रा प्राप्त करता है तथा सरकारी क्षेत्र विदेशों से वस्तुएँ और सेवाएँ आयात करके मुद्रा भुगतान करता है।

जब एक अर्थव्यवस्था शेष विश्व से आयात करती है तो आयात की वस्तुओं का भुगतान होता है। इससे मुद्रा का प्रवाह देश से बाहर होता है। दूसरी ओर, जब एक देश शेष विश्व को वस्तुओं का निर्यात करता है तो दूसरे देश उसे भुगतान करते हैं। इस प्रकार शेष विश्व से उस देश की ओर मुद्रा का प्रवाह होता है। अर्थव्यवस्था की शेष विश्व से सभी लेनदारियों तथा देनदारियों को देश के भुगतान शेष (Balance of Payments) के खाते में दर्ज किया जाता है।

यदि निर्यात को X और आयात को M माना जाए तो विदेशी व्यापार के शुद्ध (निवल) प्रवाह को X-M के द्वारा प्रकट किया जा सकता है। यदि देश के X = M हो तो भुगतान शेष संतुलित होगा और मुद्रा-प्रवाह निरंतर एक गति से चलता रहेगा। इसके विपरीत, यदि X > M हो या M > X हो तो मुद्रा के प्रवाह का स्तर बदल जाता है। पहली अवस्था में भुगतान शेष देश के पक्ष में होगा और मुद्रा प्रवाह का स्तर बढ़ेगा। इसके विपरीत, दूसरी स्थिति में, भुगतान शेष विपक्ष (Adverse Balance of Payments) में होगा, इसमें मुद्रा प्रवाह का स्तर गिर जाता है।

प्रश्न 6.
दोहरी गणना की समस्या क्या है? इससे बचने के उपाय बताएँ।
अथवा
‘दोहरी गणना की समस्या’ क्या होती है? इससे किस प्रकार बचा जा सकता है?
उत्तर:
दोहरी गणना की समस्या-जब किसी देश की राष्ट्रीय आय की गणना में किसी वस्तु के मूल्य को एक से अधिक बार जोड़े जाने की आशंका बनी रहती है, तो इसे दोहरी गणना की समस्या कहते हैं, क्योंकि उत्पाद विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय केवल अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को जोड़ा जाता है लेकिन कौन-सी वस्तु अंतिम है और कौन-सी मध्यवर्ती, यह जानना कभी-कभी कठिन हो जाता है। प्रत्येक उत्पादक के द्वारा की गई बिक्री उसके लिए वस्तु की अंतिम बिक्री है। उदाहरण के लिए, एक फर्म कपास का उत्पादन करती है और उसे फर्म B को 100 रुपए में बेच देती है। फर्म A के लिए यहाँ पर कपास की बिक्री अंतिम वस्तु है।

मान लीजिए फर्म B कपास से धागा बनाकर (जो यहाँ मध्यवर्ती उपभोग है) फर्म C को 160 रुपए में बेच देती है। यहाँ पर फर्म Bधागे को अंतिम बिक्री के रूप में लेती है, क्योंकि वह इसे बेचने के बाद उस वस्तु से संबंधित नहीं है। फर्म c धागे से कपड़ा बनाकर उपभोक्ताओं को 200 रुपए में बेच देती है लेकिन यहाँ पर फर्म C के लिए धागा मध्यवर्ती वस्तु है। इस प्रकार फर्म A, फर्म B तथा फर्म C के अनुसार उत्पाद का मूल्य 460 रुपए (100+ 160+ 200) होगा।

यदि घरेलू उत्पाद या राष्ट्रीय उत्पाद की गणना करते समय दोहरी गणना की समस्या से बचाव नहीं किया जाएगा तो राष्ट्रीय या घरेलू आय का अधि-मूल्यन (Over estimation) हो जाता है, इससे किसी देश की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलना कठिन हो जाता है। इस प्रकार यदि हम कपास धागा और कपड़ा तीनों के बिक्री मूल्य को लेते हैं तो यहाँ पर कपास का मूल्य तीन बार, धागे का मूल्य दो बार राष्ट्रीय आय में शामिल हो जाएगा। अतः एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक से अधिक बार होती है, तो इसे ही दोहरी गणना कहते हैं।

दोहरी गणना से बचने के उपाय-यदि हम राष्ट्रीय आय की सही गणना करना चाहते हैं या दोहरी गणना की समस्या से बचना चाहते हैं तो इसके लिए निम्नलिखित दो उपाय या विधियाँ हैं-
1. अंतिम उत्पाद विधि-दोहरी गणना से बचने के लिए केवल अंतिम वस्तु का मूल्य शामिल किया जाना चाहिए। इस विधि के अनुसार, उत्पादन के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को घटा देना चाहिए। उपर्युक्त उदाहरण के अनुसार राष्ट्रीय आय में केवल कपड़े के मूल्य (यानि 200 रुपए) को जोड़ा जाना चाहिए अर्थात्
अंतिम वस्तु का मूल्य = अंतिम वस्तु की मात्रा x कीमत
लेकिन इस विधि के अंतर्गत एक और समस्या सामने आती है। प्रत्येक उत्पादक अपने उत्पाद को अंतिम उत्पाद के रूप में लेता है। वह यह नहीं जानता कि उसके द्वारा उत्पादन को बेचने के बाद उस उत्पादन का कौन प्रयोग करेगा। अतः इस समस्या से बचने का दूसरा वैकल्पिक एवं प्रभावी उपाय मूल्यवर्धित विधि है।

2. मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) विधि-दोहरी गणना से बचने के लिए दूसरा उपाय है, मूल्यवर्धित विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करना। इसके अंतर्गत प्रत्येक फर्म की मूल्यवर्धित को जोड़कर घरेलू उत्पाद ज्ञात कर लिया जाता है। उसमें से घिसावट घटाने के पश्चात् निवल मूल्यवर्धित की गणना की जा सकती है अर्थात्
कारक लागत पर मूल्यवर्धित = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य – घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

प्रश्न 7.
व्यय के संदर्भ में GDP के संघटक (Components) लिखिए।
उत्तर:
अंतिम व्यय-एक वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं की खरीद पर विभिन्न वर्गों (गृहस्थ, फळं, सरकार) द्वारा किया गया व्यय, अंतिम व्यय कहलाता है। ध्यान रहे व्यय विधि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर किए गए अंतिम व्यय को मापती है। अंतिम व्यय को दो वर्गों उपभोग व्यय व निवेश व्यय में बाँटा जाता है परंतु अंतिम व्यय करने वाले विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखते हुए इसके निम्नलिखित पाँच संघटक हो सकते हैं जिनका योग करने से GDPMP निकल आता है। समीकरण के रूप में-
GDPMP = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सकल अचल पूँजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 5
1. निजी अंतिम उपभोग व्यय-इसमें गृहिणीयों तथा गृहस्थों की सेवा में लगी गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा वर्तमान उपभोग हेतु वस्तुओं व सेवाओं को खरीदकर किया गया व्यय मापा जाता है। व्यय विभिन्न प्रकार के उपभोग वस्तुओं व सेवाओं पर किया जाता है। जैसे (क) टिकाऊ वस्तुएँ (कार, फ्रिज, टीवी सेट), (ख) अर्ध-टिकाऊ वस्तुएँ (कपड़े, जूते, पेन), (ग) गैर-टिकाऊ या एकल उपयोगी वस्तुएँ (भोजन, साबुन, पेट्रोल) और (घ) सेवाएँ (शिक्षा, चिकित्सा, यातायात आदि)। इन्हें निजी अंतिम उपभोग व्यय के संघटक कहते हैं। ऐसे व्यय को मापने के लिए दो प्रकार के आँकड़ों की जरूरत होती हैं (i) बाज़ार में बिक्री की कुल मात्रा (ii) फुटकर (retail) कीमतें। अंतिम बिक्री की कुल मात्रा को फुटकर कीमतों से गुणा करने पर घरेलू बाज़ार में ‘निजी अंतिम उपभोग व्यय’ निकल आता है।

2. सरकारी अंतिम उपभोग व्यय इससे अभिप्राय “सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा सुविधाएँ उपलब्ध करने में वस्तुओं व सेवाओं पर चालू व्यय घटा (-) विक्रय” से है। सरकार न केवल उत्पादक होती है बल्कि उपभोक्ता भी होती है। समाज की सामूहिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जब सामान्य सरकार सड़कें, पुल, पार्क, शिक्षा, चिकित्सा, पुलिस आदि की सेवाएँ लोगों को उपलब्ध कराती है तो नागरिकों द्वारा इनका उपभोग, सार्वजनिक उपभोग (या सरकारी उपभोग) माना जाता है। सरकार इस दृष्टि से उपभोक्ता मानी जाती है। फलस्वरूप सामान्य सरकार का उत्पादन, स्व-उपभोग हेतु उत्पादन माना जाता है, क्योंकि सरकार इसका विक्रय नहीं करती, बल्कि इसे मुफ्त या नाममात्र कीमत पर जनता को उपलब्ध करती है।

बिक्री न होने के कारण सरकारी अंतिम उपभोग व्यय को सरकार की उत्पादन लागत के बराबर मान लिया जाता है। इसमें शामिल की जाने वाली दो मुख्य मदें हैं (i) कर्मचारियों का पारिश्रमिक और (ii) मध्यवर्ती उपभोग अर्थात् सरकार द्वारा वर्तमान उत्पादित वस्तुओं की खरीद पर व्यय। इसके अतिरिक्त (iii) विदेशों से प्रत्यक्ष रूप से की गई खरीद पर व्यय जोड़ा जाता है जो विदेशों में स्थित दूतावासों के लिए पेट्रोल, स्टेशनरी, साबुन, तेल व संचार सेवाओं की खरीद पर व्यय है और (iv) जनता को नाममात्र कीमत पर उपलब्ध की गई सेवाओं से प्राप्त राशि घटाई जाती है। इन मदों के जोड़ से सरकारी अंतिम उपभोग व्यय प्राप्त होता है।

3. सकल अचल पूँजी निर्माण इसमें निम्नलिखित तीन मुख्य मदों पर किया गया व्यय शामिल होता है

  • व्यावसायिक स्थिर निवेश-इसमें फर्मों द्वारा मशीनों, संयंत्रों व फैक्टरी इमारत के निर्माण व खरीद पर व्यय शामिल है सकल व्यावसायिक स्थिर निवेश में मूल्यह्रास शामिल होता है, जबकि शुद्ध निवेश, मूल्यह्रास के बिना होता है।
  • गृह-निर्माण निवेश-यह नए मकानों के निर्माण पर व्यय की गई राशि होती है।
  • सार्वजनिक (सरकारी) निवेश-इसमें सरकार द्वारा सड़कों, पुलों, स्कूलों, अस्पतालों आदि के निर्माण पर किया गया व्यय शामिल होता है।

4. स्टॉक (माल-सूची) में परिवर्तन लेखा वर्ष के आरंभिक और अंतिम स्टॉक में अंतर को स्टॉक में परिवर्तन कहते हैं। इसमें कच्चा माल, अर्धनिर्मित माल व निर्मित माल के स्टॉक में भौतिक (Physical) परिवर्तन को लिया जाता है। स्टॉक में भौतिक परिवर्तन को बाज़ार कीमतों से गुणा करके, स्टॉक में परिवर्तन पर व्यय ज्ञात किया जाता है। ध्यान रहे इसमें उपभोक्ताओं के पास पड़े हुए माल के स्टॉक में परिवर्तन को शामिल नहीं किया जाता है, क्योंकि समस्त उपभोक्ता वस्तुओं का अंतिम उपभोग उसी समय मान लिया जाता है जिस समय उपभोक्ता उन्हें खरीद या प्राप्त कर लेते हैं।

(नोट-SNA, 1993 के अनुसार मूल्यवान पत्थरों व धातुओं (जैसे सोना, चाँदी, प्लेटिनम) का शुद्ध अर्जन (Net acquisition), सकल घरेलू पूँजी निर्माण का एक भाग है। इसलिए इसे भी GDP का एक संघटक मानना चाहिए।)

5. शुद्ध निर्यात-ध्यान रहे, यहाँ शुद्ध निर्यात (निर्यात-आयात) पर विचार, व्यय की दृष्टि से किया जाता है। निर्यात हमारे घरेलू उत्पादन का एक हिस्सा है। अतः इस पर विदेशियों द्वारा किया गया व्यय हमारे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में जोड़ा जाना चाहिए। इस प्रकार निर्यात का मूल्य जोड़ा जाता है और आयात का मूल्य (भारतीयों द्वारा विदेशी माल पर प्रत्यक्ष व्यय) घटाया जाता है। इसे एक उदाहरण से स्पष्ट किया सकता है। मान लो, भारत ने एक वर्ष में 60 करोड़ रुपए मूल्य की साइकिलें बनाईं और फलस्वरूप उतने ही मूल्य (60 करोड़ रुपए) की आय सृजित हुई।

मान लो, 50 करोड़ रुपए की साइकिलें भारत ने स्वयं प्रयोग व उपभोग कर लीं और शेष 10 करोड़ रुपए की साइकिलें अमेरिका को निर्यात की। ऐसी स्थिति में भारत का अंतिम व्यय 50 करोड़ रुपए है जबकि सृजित आय 60 करोड़ रुपए है। परंतु यदि भारतीय साइकिलों (निर्यात) पर अमेरिका का व्यय जोड़ा जाए तो भारत का अंतिम व्यय 60 करोड़ रुपए (50 + 10) होगा जो भारत की सृजित आय के बराबर होगा। संक्षेप में, निर्यात घरेलू उत्पाद का भाग होने के कारण इस पर विदेशियों द्वारा किया गया व्यय जोड़ना चाहिए और आयात का मूल्य घटाना चाहिए। ध्यान रहे जब आयात का मूल्य, निर्यात के मूल्य से अधिक होता है तो इसे ‘शुद्ध आयात’ कहते हैं।

क्या निर्यात GDP का भाग है? हाँ, निर्यात GDP का भाग है। कैसे? जब विदेशी भारत में उत्पादित चाय, कॉफ़ी, जूट की बनी वस्तुएँ आदि खरीदते हैं तो यह भारत का निर्यात कहलाता है। इसी प्रकार भारत गैर-कारक सेवाओं (जैसे बीमा, बैंकिंग, वायु व समुद्री यातायात, पर्यटक सेवाओं) का भी निर्यात करता है। जब विदेशी, एयर इंडिया से यात्रा करते हैं या विदेशी पर्यटक भारत में आकर होटल, परिवहन, चिकित्सा, संचार आदि भारतीय सेवाओं का प्रयोग करते हैं। चूँकि निर्यात की गई ये सभी वस्तुएँ व सेवाएँ भारत की घरेलू सीमा में उत्पादकों द्वारा घरेलू कारकों से उत्पादित की गई हैं इसलिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का भाग है। ध्यान रहे सेवाओं के निर्यात-आयात से तात्पर्य गैर-कारक सेवाओं (जैसे बीमा, बैंकिंग, पर्यटक सेवाओं) से होता है न कि कारक सेवाओं (भूमि, श्रम, पूँजी आदि की सेवाओं) से।

(नोट-उपरोक्त पाँच संघटकों के जोड़ने से GDPM निकल आता है। मूल्यह्रास और शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटाने से NDPRO प्राप्त होता है। इसमें शुद्ध विदेशी कारक आय जोड़ने से राष्ट्रीय आय अर्थात् NNPR निकल आती है।

प्रश्न 8.
(क) वास्तविक व मौद्रिक GDP में अंतर कीजिए। इनमें भेद का महत्त्व बताइए। (ख) मौद्रिक GDP का वास्तविक GDP में रूपांतरण समझाइए।
उत्तर:
(क) वास्तविक व मौद्रिक GDP-GDP का मूल्यांकन दो प्रकार से किया जाता है-(i) चालू कीमतों पर और (ii) स्थिर कीमतों पर। जब GDP का मूल्यांकन प्रचलित बाज़ार कीमतों के आधार पर किया जाता है तो उसे चालू कीमतों पर GDP या मौद्रिक GDP कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि वर्ष 2010-11 के उत्पादन का मूल्य, वर्ष 2010-11 की प्रचलित बाज़ार कीमतों पर आँका जाए तो इसे चालू कीमतों पर (at current prices) GDP कहेंगे। इसे ही मौद्रिक (Nominal) GDP कहते हैं। इसके विपरीत, जब GDP का मूल्यांकन आधार वर्ष (Base year) की कीमतों पर किया जाता है इसे स्थिर कीमतों पर (at constant prices)GDP या वास्तविक (Real) GDP कहते हैं। उल्लेखनीय है भारत में आजकल स्थिर कीमतों पर GDP (या अन्य समुच्चय) मापने के लिए 1999-2000 को आधार वर्ष माना जाता है।

भेद का महत्त्व (या वास्तविक GDP के लाभ)
(i) मौद्रिक GDP (चालू कीमतों पर GDP) दो कारकों से प्रभावित होती है-उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन से और कीमतों में परिवर्तन से जबकि वास्तविक GDP (स्थिर कीमतों पर GDP) केवल एक कारक उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन से प्रभावित होती है। चूंकि प्रत्येक देश अपने भौतिक उत्पादन में रुचि रखता है, इसलिए वास्तविक GDP देश के भौतिक उत्पादन व आर्थिक संवृद्धि
का ठीक-ठाक चित्रण करता है।

(ii) देश के विभिन्न वर्षों के भौतिक उत्पादन की तुलना करने के लिए वास्तविक GDP अधिक विश्वसनीय कसौटी है।

(iii) एक देश के आर्थिक निष्पादन (Performance) का दूसरे देशों के आर्थिक विकास से तुलना करने के लिए वास्तविक GDP अर्थात स्थिर कीमतों पर GDP का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि ऐसे अनुमान कीमतों में परिवर्तन से अप्रभावित रहते हैं।

(ख) मौद्रिक GDP का वास्तविक GDP में रूपांतरण-वास्तव में स्थिर कीमतों पर GDP के प्रयोग का उद्देश्य कीमतों में । उतार-चढ़ाव के प्रभाव को समाप्त करना है। इसलिए मौद्रिक GDP को वास्तविक GDP में अर्थात चालू कीमतों पर GDP को स्थिर कीमतों पर GDP में परिवर्तित किया जाता है। इस कार्य के लिए GDP अवस्फीतिक (GDP Deflator) का प्रयोग किया जाता है। GDP अवस्फीतिक, GDP की संघटक वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमत का मान है। इसे मौद्रिक और वास्तविक GDP के अनुपात को 100 से गुणा करके ज्ञात किया जाता है। अर्थात्
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 5
मौद्रिक GDP को वास्तविक GDP में निम्नलिखित सूत्र द्वारा परिवर्तित किया जाता है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 6

प्रश्न 9.
क्या GDP आर्थिक कल्याण का मापक है? GDP की आर्थिक कल्याण के रूप में सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
कल्याण का अर्थ है-सखी व बेहतर अनभव करना। आर्थिक कल्याण सकल कल्याण का वह भाग है जिसे मुद्रा में मापा जा सकता है। क्या GDP आर्थिक संवृद्धि और विकास (Economic Growth and Development) का मापक है? बहुत समय . से GDP को आर्थिक संवृद्धि और विकास का प्रधान मापक माना जाता था, क्योंकि वास्तविक GDP में वृद्धि का अर्थ है भौतिक उत्पादन में वृद्धि जिसके फलस्वरूप उपभोग के लिए अधिक वस्तु व सेवाएँ उपलब्ध होती हैं और जीवन स्तर उन्नत होता है। इसलिए GDP में वृद्धि को अच्छा और कमी को खराब माना जाता था परंतु ऐसा निष्कर्ष (अर्थात् GDP और आर्थिक कल्याण में प्रत्यक्ष संबंध है) निम्नलिखित कारणों से अधूरा है। यद्यपि वास्तविक GDP आर्थिक कल्याण का एक अच्छा सूचक है परंतु निम्नलिखित सीमाओं के कारण पर्याप्त सूचक नहीं है।

GDP की आर्थिक कल्याण के सूचक के रूप में सीमाएँ-
1. सकल घरेलू उत्पाद का वितरण-आर्थिक कल्याण के लिए आवश्यक है कि सकल घरेलू उत्पाद का वितरण समान हो। सकल घरेलू उत्पाद के असमान वितरण की स्थिति में केवल कुछ ही लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा होगा, परंतु देश की अधिकतर निर्धन जनता का जीवन-स्तर ऊँचा नहीं होगा। इस प्रकार असमान वितरण से आर्थिक कल्याण में वृद्धि नहीं होगी।

2. गैर-मौद्रिक द्रिक विनिमय-सकल घरेलू उत्पाद केवल मौद्रिक लेन-देनों के आधार पर निकाला जाता है। इसलिए इसमें गैर-मौद्रिक लेन-देनों को शामिल नहीं किया जाता। अनेक विकासशील व अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में वस्तु विनिमय के माध्यम से अनेक लेन-देन होते हैं जिससे सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन कम होता है। इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद आर्थिक कल्याण का अच्छा सूचक नहीं।

3. बाह्य कारण-बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी फर्म या व्यक्ति के लाभ (हानि) से है जिससे दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि सकल घरेलू उत्पाद प्रदूषण की अवहेलना करता है तो आर्थिक कल्याण कम होगा।

निष्कर्ष – यद्यपि उपरोक्त कारणों से GDP आर्थिक कल्याण का पर्याप्त सूचक न हो फिर भी यह आर्थिक कल्याण की दशा बहुत हद तक दर्शाता है। इसीलिए कुछ अर्थशास्त्रियों ने ‘हरित GDP’ को आर्थिक कल्याण का वैकल्पिक माप सुझाया है।

हरित GDP – किसी भी कीमत पर मात्र GDP में वृद्धि होने से गरीबी तथा प्रदूषण जैसे आर्थिक दोष उत्पन्न हो जाते हैं। कारण यह है कि GDP, उत्पादन से पैदा होने वाले (i) प्रदूषित वातावरण और (ii) प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास की परवाह नहीं करता। इसलिए आर्थिक विकास की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए जिससे प्रदूषण रहित प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट होने से सुरक्षित रखा जा सके। इसीलिए हरित GDP को आर्थिक कल्याण का माप सुझाया गया है। हरित GDP का अर्थ है प्राकृतिक कारकों का उचित विदोहन और विकास के लाभों का समतापूर्ण बँटवारा होना।

प्रश्न 10.
राष्ट्रीय आय लेखांकन किसे कहते हैं? एक देश के सामान्य निवासी की धारणा की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय लेखांकन का अर्थ-राष्ट्रीय आय लेखांकन राष्ट्रीय आय से संबंधित लेखों को संकलित करने तथा प्रस्तुत करने की एक विधि है।

एक देश के सामान्य निवासी की धारणा राष्ट्रीय लेखा विधि में ‘सामान्य निवासी’ संकल्पना का बार-बार प्रयोग किया जाता – है; जैसे राष्ट्रीय आय से अभिप्राय “एक वर्ष में, एक देश के सामान्य निवासियों (Normal Residents) द्वारा अर्जित कारक आय के योग” से लिया जाता है। अतः राष्ट्रीय लेखा में घरेलू सीमा की भाँति, सामान्य निवासियों (Normal Residents) की अवधारणा का भी विशेष महत्त्व है।

एक देश का सामान्य निवासी “वह व्यक्ति है जो सामान्यतया उस देश में रहता है जिस देश में उसके आर्थिक हित केंद्रित रहते हैं।” क्योंकि वह सामान्यतया अपनी रुचि या आर्थिक हित वाले देश में रहता है, इसलिए उसे उस देश का सामान्य निवासी कहा जाता है। उसके निवास का काल कम-से-कम एक वर्ष या उससे अधिक होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए जब कोई व्यक्ति एक देश में रहता है तो उसके आर्थिक हित उसी देश में माने जाते हैं। ‘सामान्य निवासी’ अवधारणा में व्यक्ति और संस्था दोनों सम्मिलित हैं। संक्षेप में, देश के सामान्य निवासियों से अंभिप्राय उन व्यक्तियों एवं संस्थाओं से है जिनकी आर्थिक रुचि उस देश में है जहाँ वे रहते हैं या स्थित हैं। सामान्य निवासियों में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है-
(1) इसमें व्यक्ति और संस्थाएँ दोनों शामिल होते हैं बशर्त कि उनके आर्थिक हित उसी देश में हों।

(2) अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ (जैसे विश्व बैंक (World Bank), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) आदि) उस देश के निवासी नहीं समझी जाती जिस देश में वे कार्यरत होती हैं बल्कि वे अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र की निवासी मानी जाती हैं। परंतु इन संस्थाओं के कर्मचारी अपने गृह-देश के निवासी माने जाते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में कार्यरत ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ यद्यपि भारत के सामान्य निवासी नहीं मानी जाएगी परंतु उस संस्था में काम करने वाले भारत के सामान्य निवासी समझे जाएँगे।

(3) ऐसे व्यक्ति जो थोड़े समय (प्रायः एक वर्ष से कम) के लिए विदेश जाते हैं, अपने देश के ही सामान्य निवासी माने जाते हैं। जैसे भारतीयों का अमरीका में सैर-सपाटे के लिए जाना, खेलों के मैच या कांफ्रेंस में भाग लेने जाना, बीमारी का इलाज करवाने जाना आदि। ऐसे व्यक्ति भारत के ही सामान्य निवासी माने जाएँगे।

(4) नागरिक (National) के अतिरिक्त गैर-नागरिक (Non-national) भी देश के सामान्य निवासी हो सकते हैं। जैसे इंग्लैंड में रहने वाले बहुत-से भारतीय वहाँ के सामान्य निवासी तो हैं परंतु नागरिक नहीं हैं। सामान्य निवासी इसलिए हैं क्योंकि वे एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए इंग्लैंड में रह रहे हैं जहाँ उनके आर्थिक हित केंद्रित हैं। साथ ही वे भारत के नागरिक (इंग्लैंड के गैर-नागरिक) हैं क्योंकि उनके पास भारतीय पासपोर्ट (Passport) तथा भारतीय नागरिकता (Citizenship) है।

(5) अन्य देशों में स्थित विदेशी दूतावासों (Embassies) में काम करने वाले कर्मचारी अपने ही देश के सामान्य निवासी समझे जाते हैं; जैसे भारत में स्थित अमरीकी दूतावास में काम करने वाले भारतीय कर्मचारी भारत के निवासी माने जाएंगे।

राष्ट्रीय आय की गणना करने में विभिन्न मदों के साथ व्यवहार

प्रश्न 1.
(क) निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में शामिल क्यों नहीं किया जाता है?
(i) एक घरेलू फर्म से पुरानी मशीन का क्रय
(ii) एक घरेलू फर्म के नए शेयर्ज का क्रय
(iii) सरकार द्वारा विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति
(iv) संपत्ति कर
(v) अप्रत्यक्ष कर
(vi) वृद्धावस्था पेंशन।

(ख) क्या निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है?
(i) शेयर्ज की बिक्री से प्राप्त धनराशि
(ii) पुरानी वस्तुएँ खरीदने पर उनके व्यापारी को दिया गया कमीशन।
उत्तर:
(क)

  • क्योंकि इससे चालू उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई है। यह संपत्ति का केवल हस्तांतरण है।
  • क्योंकि इससे वस्तुओं व सेवाओं के प्रवाह में वृद्धि नहीं हुई है। यह मात्र वित्त पूँजी का लेन-देन है।
  • क्योंकि उत्पादन में योगदान दिए बिना प्राप्त यह हस्तांतरण आय है।
  • क्योंकि यह कर का अनिवार्य भुगतान है।
  • क्योंकि यह मात्र कर का अनिवार्य भुगतान है। पुनः राष्ट्रीय आय, कारक लागत पर निकाली जाती है।
  • क्योंकि उत्पादन में योगदान के बगैर किया गया यह हस्तांतरण भुगतान है।

(ख)

  • नहीं, क्योंकि इससे उत्पादन प्रक्रिया में कोई प्रत्यक्ष योगदान नहीं हुआ है।
  • हाँ, क्योंकि कमीशन एजेंट (व्यापारी) ने सौदा कराने में उत्पादक सेवा प्रदान की है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में शामिल क्यों नहीं किया जाता?
(i) संपत्ति कर
(ii) उपभोक्ता गृहस्थ द्वारा अदा किया गया ब्याज।
उत्तर:
(i) क्योंकि संपत्ति कर गत वर्षों की बचतों और धन से अदा किया गया माना जाता है। यह करदाता द्वारा सरकार को अनिवार्य पूँजी हस्तांतरण है।

(ii) क्योंकि उपभोक्ता द्वारा लिया गया ऋण उपभोग (जैसे विवाह, उत्सव) हेतु इस्तेमाल किया गया ऋण माना जाता है। इससे उत्पादन में कोई योगदान नहीं हुआ है।

प्रश्न 3.
क्या निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा?
(i) विदेशों से प्राप्त उपहार
(ii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज की अदायगी
(iii) एक उत्पादन इकाई द्वारा नई मशीन की खरीद
(iv) एक नई कंपनी के शेयरों की खरीद
(v) संपत्ति कर।
उत्तर:
(i) नहीं, क्योंकि हस्तांतरण आय है।
(ii) नहीं, क्योंकि सरकार द्वारा लिया गया ऋण उपभोग हेतु लिया गया ऋण माना जाता है।
(iii) हाँ, क्योंकि नई मशीन, चालू (current) वर्ष के उत्पादन का भाग है।।
(iv) नहीं, क्योंकि शेयर्ज केवल कागज़ी दावे या स्वामित्व दर्शाते हैं और उत्पादन में प्रत्यक्ष कोई योगदान नहीं देते हैं।
(v) नहीं, क्योंकि संपत्ति कर, सरकार को किया गया अनिवार्य पूँजी हस्तांतरण माना जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को भारत की घरेलू कारक आय में शामिल किया जाएगा या नहीं? अपने उत्तर के कारण बताइए।
(i) सिंगापुर में भारतीय कंपनी में काम करने वाले गैर-निवासी भारतीय को मज़दूरी का भुगतान
(ii) भारतीय दूतावास में काम करने वाले गैर-निवासियों का वेतन
(iii) गैर-निवासियों के स्वामित्व वाली भारत में स्थित एक कंपनी द्वारा अर्जित आय
(iv) इंग्लैंड में भारतीय स्टेट बैंक की एक शाखा द्वारा अर्जित आय।
उत्तर:
(नोट-भारत की घरेलू कारक आय में वहीं आय शामिल की जाएगी जो भारत की घरेलू (आर्थिक) सीमा में सृजित या अर्जित हुई हो।
(i) नहीं, क्योंकि यह भारत की घरेलू सीमा (Domestic territory) में सृजित नहीं हुई है।
(ii) हाँ, क्योंकि भारतीय दूतावास जो भारत की घरेलू सीमा का भाग माना जाता है, में आय सृजित हुई है।
(iii) हाँ, क्योंकि यह आय भारत की घरेलू सीमा में स्थित कंपनी द्वारा सृजित हुई है चाहे कंपनी के मालिक गैर-निवासी या विदेशी क्यों न हों।
(iv) नहीं, क्योंकि लाभ भारत की घरेलू सीमा से बाहर इंग्लैंड में अर्जित किया गया है।

प्रश्न 5.
क्या निम्नलिखित को भारत की घरेलू कारक आय में शामिल किया जाएगा? अपने उत्तर के लिए कारण बताइए।
(i) भारत में स्थित एक विदेशी कंपनी द्वारा दिया गया कर्मचारियों का पारिश्रमिक
(ii) विदेश में स्थित एक भारतीय कंपनी द्वारा अर्जित लाभ
(iii) भारत में अमरीका के दूतावास द्वारा निवासी भारतीयों को दिया गया कर्मचारियों का पारिश्रमिक
(iv) भारत में स्थित एक ऐसी कंपनी द्वारा अर्जित लाभ जिसका स्वामित्व अंशतः निवासियों के पास और अंशतः गैर-निवासियों के पास है।
उत्तर:
(i) हाँ, क्योंकि इसका सृजन भारत की घरेलू सीमा में हुआ है चाहे कंपनी विदेशी हो।
(ii) नहीं, क्योंकि लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित नहीं हुआ है।
(iii) नहीं, क्योंकि भारत में अमरीकी दूतावास, अमरीका की घरेलू सीमा का भाग है, चाहे दूतावास भारत में स्थित हो।
(iv) हाँ, क्योंकि यह लाभ भारत में स्थित कंपनी द्वारा अर्जित किया गया है. चाहे कंपनी के मालिक कोई भी हों।

प्रश्न 6.
क्या निम्नलिखित भारत की घरेलू (देशीय) कारक आय का हिस्सा है? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) सरकार द्वारा दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन
(ii) विदेशों से प्राप्त कारक आंय
(iii) भारत में रूसी दूतावास में काम करने वाले भारत के निवासियों को मिलने वाला वेतन
(iv) एक गैर-आवासी (Non-resident) की भारत में कंपनी द्वारा अर्जित लाभ।
उत्तर:
(i) नहीं, क्योंकि वृद्धावस्था पेंशन उत्पादन में योगदान के बिना देने से हस्तांतरण भुगतान है।

(ii) नहीं, क्योंकि यह कारक आय देश की घरेलू सीमा से बाहर अर्जित की गई है।

(iii) नहीं, क्योंकि यह वेतन भारत के निवासियों द्वारा रूसी दूतावास में काम करने से अर्जित किया गया है। ध्यान रहे भारत में रूसी दूतावास, रूस की घरेलू सीमा का भाग है न कि भारत की घरेलू सीमा का।

(iv) हाँ, क्योंकि यह लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित हुआ है चाहे लाभ पाने वाली कंपनी विदेशी हो।

प्रश्न 7.
क्या निम्नलिखित को भारत की घरेलू कारक आय में शामिल किया जाएगा? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) एक विदेशी बैंक की भारत में शाखाओं द्वारा अर्जित लाभ
(ii) भारत सरकार द्वारा दी गई छात्रवृत्तियाँ
(iii) भारत के निवासी की सिंगापुर में स्थित कंपनी द्वारा अर्जित लाभ
(iv) भारत में अमरीकी दूतावास में काम करने वाले भारतीयों को मिलने वाला वेतन।
उत्तर:
(i) हाँ, क्योंकि लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित हुआ है चाहे बैंक विदेशी हो।

(ii) नहीं, क्योंकि छात्रवृत्तियाँ मात्र हस्तांतरण भुगतान हैं जो उत्पादन में योगदान किए बिना दी जाती हैं।

(iii) नहीं, क्योंकि यह लाभ भारत की घरेलू सीमा के बाहर (अर्थात् विदेश में) अर्जित किया गया है।

(iv) नहीं, क्योंकि यह वेतन भारतीयों द्वारा अमरीकी दूतावास, जो अमरीका की घरेलू सीमा का भाग है, में अर्जित किया गया है।

प्रश्न 8.
क्या निम्नलिखित कारक आय, भारत की घरेलू कारक आय में शामिल की जाएगी? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) जापान में भारतीय दूतावास में कार्यरत जापान के निवासियों को दिया गया कर्मचारियों का पारिश्रमिक
(ii) भारत में एक विदेशी बैंक की शाखा द्वारा अर्जित लाभ
(iii) एक भारतीय निवासी को भारत में रूसी दूतावास से प्राप्त किराया
(iv) भारतीय स्टेट बैंक की इंग्लैंड में एक शाखा द्वारा अर्जित लाभ।
उत्तर:
ध्यान रहे, भारत की घरेलू आय में केवल वही कारक आय शामिल की जाएगी जो भारत की घरेलू (आर्थिक) सीमा में अर्जित सृजित हुई हो। पुनः किसी देश जैसे भारत का विदेशों में दूतावास अपने देश (जैसे भारत) की घरेलू सीमा का भाग होता है।
(i) यह शामिल होगा, क्योंकि जापान में भारतीय दूतावास, भारत की घरेलू सीमा का भाग है।
(ii) यह शामिल होगा, क्योंकि लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित हुआ है।
(iii) यह शामिल नहीं होगा, क्योंकि किराया रूसी दूतावास जो रूस की घरेलू सीमा का भाग है, से प्राप्त हुआ है।
(iv) यह शामिल नहीं होगा, क्योंकि लाभ भारत की घरेलू सीमा से बाहर अर्थात् इंग्लैंड में अर्जित हुआ है।

प्रश्न 9.
क्या निम्नलिखित कारक आय भारत की कारक आय का एक भाग होंगी? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) विदेशी बैंकों की भारत में उनकी शाखाओं द्वारा अर्जित लाभ
(ii) भारत में अमरीकी दूतावास में कार्यरत भारतीय निवासियों को प्राप्त वेतन
(iii) एक भारतीय कंपनी की सिंगापुर में उसकी शाखा द्वारा अर्जित लाभ
(iv) चीन में भारतीय दूतावास में कार्यरत चीन के निवासियों को दिया जाने वाला कर्मचारियों का पारिश्रमिक।
उत्तर:
(i) यह शामिल होगा, क्योंकि यह लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित किया गया है।
(ii) यह शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत में अमरीकी दूतावास, अमरीका की घरेलू सीमा का भाग है न कि भारत की घरेलू सीमा का भाग है।
(iii) यह शामिल नहीं होगा, क्योंकि यह लाभ विदेश में अर्जित किया गया है।
(iv) यह शामिल होगा, क्योंकि चीन में भारतीय दूतावास, भारत की घरेलू सीमा का अंग माना जाता है।

प्रश्न 10.
कारण बताते हुए समझाइए कि राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय निम्नलिखित के साथ क्या व्यवहार किया जाता है?
(i) एक फर्म द्वारा वकील की सेवाएँ लेना
(ii) नियोजक द्वारा कर्मचारी को दिया गया किराया-मुफ्त मकान
(iii) विदेशी पर्यटकों द्वारा खरीदारी।
उत्तर:
(i) फर्म द्वारा वकील को किया गया भुगतान राष्ट्रीय आय में शामिल होगा, क्योंकि यह वकील की उत्पादक (कानूनी) सेवाओं का पारिश्रमिक है।

(ii) किराया-मुफ्त मकान का आरोपित किराया (Imputed rent) राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा, क्योंकि यह श्रमिक द्वारा प्रदत्त उत्पादक सेवाओं का किस्म (kind) में दिया गया मुआवजा है।

(iii) देश में विदेशी पर्यटकों द्वारा खरीदारी एक प्रकार से घरेलू उत्पाद का निर्यात है। चूंकि निर्यात घरेलू उत्पाद का एक भाग होता है इसलिए विदेशी पर्यटकों द्वारा खरीदारी पर किया गया व्यय राष्ट्रीय आय की व्यय विधि से गणना में शामिल किया जाएगा।

प्रश्न 11.
भारत के घरेलू (देशीय) कारक आय (Domestic factor income) का आकलन लगाते समय आप निम्नलिखित के साथ क्या व्यवहार करेंगे? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में अपने परिवारों को भेजी गई राशि
(ii) भारत में जापान के दूतावास द्वारा निवासी भारतीयों को दिया गया किराया
(iii) भारत में विदेशी बैंक की शाखाओं द्वारा अर्जित लाभ।
उत्तर:
(i) अनिवासी भारतीयों द्वारा भेजी गई राशि भारत की घरेलू आय में शामिल नहीं होगी, क्योंकि यह राशि भारत की घरेलू सीमा में सृजित नहीं हुई है बल्कि बाहर से आई है।

(ii) यह किराया शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि किराया जापानी दूतावास से प्राप्त हुआ है जो जापान की घरेलू सीमा का भाग है।

(iii) यह लाभ भारत की घरेलू आय में शामिल किया जाएगा, क्योंकि विदेशी बैंक की शाखाओं का लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित किया गया है।

प्रश्न 12.
भारत की राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय आप निम्नलिखित के साथ क्या व्यवहार करेंगे? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) रूस में भारतीय दूतावास में कार्यरत रूसी नागरिकों को दिया गया वेतन
(ii) एक भारतीय कंपनी द्वारा सिंगापुर में स्थित अपनी शाखा से अर्जित लाभ
(iii) भारतीय निवासियों को विदेशी कंपनी के शेयर बेचने से पूँजीगत लाभ।
उत्तर:
(i) रूस में भारतीय दूतावास में कार्यरत रूसी नागरिकों को दिया गया वेतन विदेशों को दी गई कारक आय है जो विदेशों से शुद्ध कारक आय का एक भाग है। चूंकि विदेशों से शुद्ध कारक आय राष्ट्रीय आय का एक भाग होती है। अतः उपर्युक्त मद भारत की राष्ट्रीय आय में सम्मिलित होगी।

(ii) एक भारतीय कंपनी द्वारा सिंगापुर में स्थित अपनी शाखा से अर्जित लाभ भारत की राष्ट्रीय आय में शामिल होगा क्योंकि यह विदेशों से शुद्ध कारक आय है, जो राष्ट्रीय आय का एक भाग है।

(iii) भारतीय निवासियों को विदेशी कंपनी के शेयर बेचने से पूँजीगत लाभ विदेशों से कारक आय है, इसलिए इसे भारत की राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाएगा।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 13.
भारत की राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय आप निम्नलिखित के साथ क्या व्यवहार करेंगे? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) भारत में रूसी दूतावास में कार्यरत भारतीय निवासियों द्वारा प्राप्त वेतन
(ii) एक भारतीय बैंक द्वारा विदेशों में अपनी शाखाओं से अर्जित लाभ
(iii) सरकार द्वारा प्राप्त किया गया मनोरंजन कर।।
उत्तर:
(i) भारत में रूसी दूतावास में कार्यरत भारतीय निवासियों द्वारा प्राप्त वेतन राष्ट्रीय आय में सम्मिलित होगा, क्योंकि यह विदेशों से प्राप्त कारक आय है जो भारतीय नागरिकों ने अर्जित की है।

(ii) एक भारतीय बैंक द्वारा विदेशों में अपनी शाखाओं से अर्जित लाभ राष्ट्रीय आय में सम्मिलित होगा, क्योंकि यह एक भारतीय नागरिक (संस्था) की विदेशों से प्राप्त कारक आय है।

(iii) सरकार द्वारा प्राप्त मनोरंजन कर राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं होगा, क्योंकि मनोरंजन कर हस्तांतरण भुगतान है, कारक आय नहीं।

प्रश्न 14.
कारण बताइए, निम्नलिखित को घरेलू आय में शामिल क्यों नहीं किया जाता जबकि राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
(i) भारतीय स्टेट बैंक की एक शाखा द्वारा फ्रांस में अर्जित लाभ
(ii) एक भारतीय निवासी (Resident) द्वारा हांगकांग में स्थित कंपनी से लाभ
(iii) एक भारतीय को रूसी दूतावास से प्राप्त किराया
(iv) जर्मन दूतावास से भारतीयों को प्राप्त वेतन।
उत्तर:
(i) क्योंकि बैंक द्वारा अर्जित यह लाभ भारत की घरेलू सीमा में अर्जित नहीं किया गया है।

(ii) क्योंकि यह लाभ भारतीय घरेलू सीमा से बाहर अर्जित किया गया है।

(ii) क्योंकि रूसी दूतावास रूस की घरेलू सीमा का भाग है (न कि भारत की घरेलू सीमा का जिसका संचालन रूस सरकार द्वारा किया जाता है।)

(iv) क्योंकि जर्मन दूतावास अपने देश (जर्मन) की घरेलू सीमा का भाग है जिसमें जर्मन सरकार का कानून लागू होता है चाहे दूतावास भारत में स्थित हो।

प्रश्न 15.
बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्य। अपने उत्तर के लिए कारण बताइए।
(i) पूँजी निर्माण प्रवाह है
(ii) ब्रेड सदैव एक उपभोक्ता वस्तु है।
(ii) मौद्रिक GDP वास्तविक GDP से कभी कम नहीं हो सकती
(iv) सकल घरेलू पूँजी निर्माण सदैव सकल स्थिर पूँजी निर्माण से अधिक होता है।
उत्तर:
(i) सत्य। पूँजी निर्माण एक प्रवाह है क्योंकि इसे एक समयावधि में मापा जाता है।

(ii) असत्य। ब्रेड सदैव एक उपभोक्ता वस्त नहीं होती। ब्रेड को जब एक उपभोक्ता खरीदता है तो यह उपभोक्ता वस्तु होगी। ब्रेड को जब एक उत्पादक (होटल, रेस्टोरेंट) खरीदता है तो ब्रेड मध्यवर्ती वस्तु अर्थात् उत्पादक वस्तु बन जाएगी।

(iii)असत्य। मौद्रिक GDP वास्तविक GDP से कम भी हो सकती है यदि चालू वर्ष की कीमतें आधार वर्ष की कीमतों की तुलना में कम हैं।

(iv) असत्य। सकल घरेलू पूँजी निर्माण सकल स्थाई पूँजी निर्माण से कम भी हो सकता है यदि स्टॉक में परिवर्तन ऋणात्मक है अर्थात् प्रारंभिक स्टॉक अंतिम स्टॉक से अधिक है।

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय, निम्नलिखित के साथ क्या व्यवहार करेंगे? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
(i) स्वयं के मकान में रहने वालों के मकानों का आरोपित (अनुमानित) किराया
(ii) ऋणपत्रों पर प्राप्त ब्याज
(iii) बाढ़-पीड़ितों को प्राप्त आर्थिक सहायता।
उत्तर:
(i) स्वयं के मकान में रहने वालों के मकानों का आरोपित (अनुमानित) किराया देश की राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्वयं के मकान में रहने वालों ने आरोपित किराये की राशि आय के रूप में स्वयं ही प्राप्त की है अर्थात् उन्होंने स्वयं को मकान किराये पर देकर कारक आय अर्जित की है।

(ii) ऋणपत्रों पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाता है। ऋणपत्र से एक कंपनी लोगों से ऋण प्राप्त करती है और उस ऋण की राशि का उपयोग संपत्तियाँ खरीदने तथा अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए करती है। इसलिए कंपनी द्वारा ऋणपत्रधारी को दिया गया ब्याज कारक आय है।

(iii) बाढ़ पीड़ितों को आर्थिक सहायता राष्ट्रीय आय में सम्मिलित नहीं किया जाता, क्योंकि यह कारक आय नहीं है बल्कि हस्तांतरण आय है। इस प्राप्ति का देश की उत्पादक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय आय का आकलन में निम्नलिखित को किस प्रकार व्यवहार में लाया जाता है?
(i) कारखाने में श्रमिकों को सस्ते दाम पर भोजन की व्यवस्था
(ii) वृद्धावस्था पेंशन
(iii) गृहिणी की सेवाएँ
(iv) परिवार द्वारा टिकाऊ उपभोग वाली वस्तुओं की खरीद
(v) विदेशों में अपनी शाखाओं से भारतीय कंपनियों द्वारा अर्जित आय
(vi) सड़क की रोशनी पर सरकारी व्यय।
उत्तर:
(i) कारखाने में श्रमिकों को सस्ते दाम पर भोजन की व्यवस्था को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा, क्योंकि यह उत्पादन है और साथ-ही-साथ बिक्री भी है यद्यपि बिक्री सस्ते दामों पर हो रही है।

(ii) वृद्धावस्था पेंशन हस्तांतरण भुगतान है। इसलिए इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। ये अनुपार्जित प्राप्तियाँ हैं अर्थात् इनकी प्राप्ति बिना किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन के हुई है।

(iii) गृहिणी की सेवाओं का मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि गृहिणी की सेवाएँ बिक्री योग्य नहीं होतीं। गृहिणी की सेवाओं का आधार प्रेम व त्याग है न कि आर्थिक लाभ।

(iv) परिवार द्वारा टिकाऊ उपभोग वाली वस्तुओं की खरीद को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि इन्हें उपभोग माना जाता है।

(v) विदेशों में अपनी शाखाओं से भारतीय कंपनियों द्वारा अर्जित आय भारत की राष्ट्रीय आय है।

(vi) सड़क की रोशनी पर सरकारी व्यय को उस देश की राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह सकल पूँजी निर्माण है और यह सरकारी व्यय एक वर्ष की अवधि से अधिक समय के लिए किया गया है।

प्रश्न 18.
क्या निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है? कारण बताइए।
(i) उपभोक्ता परिवारों द्वारा नए मकानों का क्रय
(ii) पुराने भवन पर एक नई मंजिल का निर्माण
(ii) सरकार द्वारा एक गैर-कानूनी निर्माण को गिराने में किया गया व्यय
(iv) सार्वजनिक ऋण पर ब्याज
(v) निगम-लाभों पर कर
(vi) पुराने शेयरों की बिक्री से आय।
उत्तर:
(i) उपभोक्ता परिवारों द्वारा नए मकानों का क्रय राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह निजी अंतिम उपभोग व्यय का एक भाग है। यह चालू वर्ष के उत्पादन का ही एक भाग है।

(ii) पुराने भवन पर एक नई मंजिल का निर्माण राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह सकल घरेलू पूँजी निर्माण का एक भाग है। यह भी चालू वर्ष के उत्पादन का ही एक भाग है।

(iii) सरकार द्वारा एक गैर-कानूनी निर्माण को गिराने में किया गया व्यय राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसमें अंतिम वस्तु का कोई उत्पादन नहीं होता।

(iv) सार्वजनिक ऋण पर ब्याज एक हस्तांतरण आय है अर्थात् सरकार द्वारा लोगों को बिना किसी उत्पादक कार्य के बदले में किया जाने वाला भुगतान है। इसलिए इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

(v) निगम-लाभों पर कर लाभ का एक भाग है और लाभ उद्यमी की कारक आय है। इसलिए निगम-लाभों पर कर राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता।

(vi) पुराने शेयर्ज की बिक्री से होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह एक वित्तीय लेन-देन है और इससे किसी आय का सृजन नहीं होता।

प्रश्न 19.
किसी देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में क्या निम्नलिखित मदों को शामिल किया जाता है? अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए।
(i) विदेशों से प्राप्त उपहार
(ii) शेयर्ज पर प्राप्त लाभांश
(iii) गृहिणी की सेवाएँ
(iv) भिखारियों को भोजन कराने पर व्यय
(v) मालिकों द्वारा खुद-काबिज मकान की सेवाएँ
(vi) भारत में विदेशी बैंकों द्वारा अर्जित लाभ।
उत्तर:
(i) विदेशों से प्राप्त उपहार कारक आय नहीं है बल्कि हस्तांतरण आय है और हस्तांतरण आय को राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता।

(ii) शेयर्ज पर प्राप्त लाभांश वित्तीय पूँजी की आय है, उत्पादक क्रियाओं की आय नहीं। इसलिए शेयर्ज पर प्राप्त लाभांश को राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता।

(iii) गृहिणी की सेवाएँ आर्थिक क्रियाएँ नहीं हैं, क्योंकि ये स्नेह (प्रेम) व कर्त्तव्य (त्याग) के लिए की जाती हैं, उत्पादन के लिए नहीं। इसलिए गृहिणी की सेवाओं को राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता।

(iv) भिखारियों को भोजन कराने का व्यय अनुत्पादक है, क्योंकि यह हस्तांतरण भुगतान है इसलिए इसे राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता।

(v) मालिकों द्वारा खुद-काबिज मकान की सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह उत्पादन के समान है। यद्यपि मालिक वास्तव में कोई किराया अदा नहीं कर रहा है फिर भी हम मकान की सेवाओं को आरोपित मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल करेंगे।

(vi) भारत में विदेशी बैंकों द्वारा अर्जित लाभ भारत की घरेलू आय है परंतु भारत की राष्ट्रीय आय नहीं।

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय आय के आकलन में निम्नलिखित को किस प्रकार व्यवहार में लाया जाता है?
(i) विदेश में कार्य कर रहे संबंधी से प्राप्त धनराशि
(ii) व्यापारी के पास रखे स्टॉक की कीमतों में हुई वृद्धि
(iii) पुरानी मोटरगाड़ियों के व्यापारी को प्राप्त कमीशन
(iv) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
(v) स्व-उपभोग के लिए उत्पादन
(vi) पुरानी मोटरकार की बिक्री।
उत्तर:
(i) विदेश में कार्य कर रहे संबंधी से प्राप्त धनराशि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह एक हस्तांतरण भुगतान है और हस्तांतरण भुगतान को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

(i) व्यापारी के पास रखे स्टॉक की कीमतों में हुई वृद्धि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे राष्ट्रीय आय में कोई योगदान नहीं होता।

(iii) पुरानी मोटरगाड़ियों के व्यापारी को प्राप्त कमीशन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि व्यापारी ने अपनी सेवाओं द्वारा आय का अर्जन किया है।

(iv) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह ऋण का पुरस्कार है परंतु राष्ट्रीय ऋण के ब्याज को वैयक्तिक आय और निजी आय के अनुमान लगाने में शामिल किया जाता है।

(v) स्व-उपभोग के लिए उत्पादन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह उत्पादन राष्ट्रीय आय का एक भाग है।

(vi) पुरानी मोटरकार की बिक्री को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसका वर्तमान वर्ष की उत्पादन प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है।

प्रश्न 21.
क्या निम्नलिखित को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल किया जाता है? कारण सहित उत्तर दीजिए।
(i) जमीन की बिक्री से प्राप्त राशि
(ii) विदेश में काम कर रहे श्रमिक द्वारा उसके परिवार को मिली रकम
(iii) शेयर्ज पर लाभांश की प्राप्ति
(iv) सुरक्षा पर सरकारी व्यय
(v) भिखारियों को भोजन कराने पर व्यय
(vi) आकस्मिक लाभ।
उत्तर:
(i) जमीन की बिक्री से प्राप्त राशि को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह प्राप्ति पहले से ही मौजूद वस्तु के हस्तांतरण से हुई है न कि इस चालू वर्ष में उत्पादित वस्तु के हस्तांतरण से।

(ii) विदेश में काम कर रहे श्रमिक द्वारा उसके परिवार को मिली रकम को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि यह एक हस्तांतरण प्राप्ति है और हस्तांतरण प्राप्ति को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

(iii) शेयर्ज पर लाभांश की प्राप्ति को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि लाभांश वित्तीय पूँजी का पारिश्रमिक है, वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रतिफल नहीं।

(iv) सुरक्षा पर सरकारी व्यय को देश की राष्ट्रीय आय के आकलन में शामिल किया जाता, क्योंकि इससे देश में वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन होता है।

(v) भिखारियों को भोजन कराने पर व्यय को देश की राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह एक हस्तांतरण भुगतान है और इसका देश में होने वाले उत्पादन से कोई संबंध नहीं है।

(vi) आकस्मिक लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इसका देश में होने वाले उत्पादन से कोई संबंध नहीं है।

प्रश्न 22.
क्या निम्नलिखित को सकल राष्ट्रीय आय उत्पाद में सम्मिलित किया जाएगा? अपने उत्तर में कारण बताइए।
(i) भारत में एक विदेशी कंपनी द्वारा अर्जित लाभ
(ii) अंशों की बिक्री से प्राप्त राशि
(iii) अमरीका में स्थित भारतीय दूतावास में कार्य कर रहे अमरीकन निवासियों को दिया गया वेतन
(iv) पुराने मकान की बिक्री से प्राप्त राशि
(v) एक विद्यार्थी द्वारा प्राप्त छात्रवृत्ति
(vi) विदेशों से प्राप्तियाँ (Remittances)।
उत्तर:
(i) भारत में एक विदेशी कंपनी द्वारा अर्जित लाभ को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह भारतवर्ष में अनिवासी द्वारा अर्जित आय है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित आय को ही शामिल किया जाता है। इसलिए एक विदेशी कंपनी द्वारा अर्जित लाभ को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा।

(ii) अंशों की बिक्री से प्राप्त राशि को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि अंश एक वित्तीय संपत्ति है और अंशों के क्रय-विक्रय से वस्तुओं और सेवाओं से उत्पादन पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता। अंश एक कागजी मुद्रा है, उत्पादनीय संपत्ति नहीं।

(iii) अमरीका में स्थित भारतीय दूतावास में कार्य कर रहे अमरीकन निवासियों को दिया गया वेतन सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा क्योंकि यह भारतवर्ष में अनिवासी व्यक्तियों की आय है।

(iv) पुराने मकान की बिक्री से प्राप्त राशि को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि पुराना मकान वर्ष में उत्पादित वस्तु नहीं है। पुराने मकान को उस वर्ष के राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित कर लिया गया होगा जिस वर्ष उसका निर्माण हुआ होगा।

(v) एक विद्यार्थी द्वारा प्राप्त छात्रवृत्ति को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि प्राप्त छात्रवृत्ति एक हस्तांतरण आय है, कारक आय नहीं। एक हस्तांतरण आय को राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता, क्योंकि हस्तांतरण आय अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को प्रभावित नहीं करता।

(vi) विदेशों से प्राप्तियों को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाएगा, क्योंकि विदेशों में प्राप्तियाँ हस्तांतरण प्राप्ति हैं, कारक आय नहीं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 23.
राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय निम्नलिखित को किस प्रकार व्यवहार में लाया जाता है?
(i) भारत में विदेशी बैंकों द्वारा अर्जित लाभ,
(ii) भारत में विदेशी दूतावासों को किराए पर दी गई इमारतों से भारतीय निवासियों को प्राप्त किराया,
(iii) अप्रत्याशित लाभ,
(iv) विदेश में काम कर रहे संबंधी से प्राप्त धनराशि,
(v) व्यापारी के पास रखे स्टॉक की कीमतों में वृद्धि,
(vi) सड़क की रोशनी पर सरकारी व्यय,
(vii) भिखारियों को भोजन कराने पर व्यय,
(vii) व्यावसायिक बैंक से गृहस्थों को ब्याज की प्राप्ति,
(ix) जमीन की बिक्री से प्राप्त राशि,
(x) विदेश में काम कर रहे श्रमिक द्वारा उसके परिवार को मिली रकम,
(xi) शेयर्ज से लाभांश की गृहस्थों को प्राप्ति,
(xii) सुरक्षा सरकारी व्यय,
(xiii) लंदन में भारतीय बैंक द्वारा अर्जित लाभ,
(xiv) पाकिस्तान में काम कर रहे भारतीयों को मज़दूरी,
(xv) कंपनी के शेयरों की कीमतों में वृद्धि,
(xvi) भूकंप पीड़ितों को आर्थिक सहायता,
(xvii) सरकारी दवाखाने की निःशुल्क सेवाएँ,
(xviii) पिता द्वारा पुत्र को दिया गया जेब खर्च।
उत्तर:
1. निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाएगा-
(ii), (vi), (vii), (viii), (x), (xi), (xii), (xiii), (xiv), (xvii)

2. निम्नलिखित को राष्ट्रीय आय में नहीं जोड़ा जाएगा-
(i), (iii), (iv), (v), (ix), (xv), (xvi), (xviii)

प्रश्न 24.
क्या निम्नलिखित मदों को GNP में सम्मिलित किया जाएगा? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
(i) पुरानी कार की बिक्री,
(ii) तस्कर की आय,
(iii) अप्रत्यक्ष कर,
(iv) सरकारी अनुदान,
(v) कमीशन,
(vi) अवितरित लाभ,
(vi) पूँजीगत लाभ,
(vil) लाभ कर,
(ix) राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज,
(x) विदेशों से अर्जित शुद्ध आय,
(xi) मकान मालिकों द्वारा अपने मकान का स्व-उपभोग,
(xii) मध्यवर्ती वस्तुएँ,
(xii) गृहिणी की सेवाएँ,
(xiv) हस्तांतरण भुगतान,
(xv) घिसावट,
(xvi) नए मकान का निर्माण,
(xvii) संसद सदस्य को मिलने वाला भत्ता।
उत्तर:
(i) नहीं, क्योंकि इसका उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(ii) नहीं, क्योंकि गैर-कानूनी आय, GNP में सम्मिलित नहीं की जाती।

(iii) यदि GNP की गणना बाज़ार-कीमतों पर की जाती है, तो अप्रत्यक्ष करों को शामिल किया जाता है, परंतु यदि GNP की गणना कारक लागत पर की जाए तो ये GNP में शामिल नहीं होंगे।

(iv) सरकारी अनुदान, GNPFC में शामिल होते हैं, जबकि GNPMP में नहीं होते।

(v) हाँ, कमीशन से प्राप्त आय को GNP में सम्मिलित किया जाएगा, क्योंकि इससे आय का सृजन होता है।

(vi) हाँ, क्योंकि अवितरित लाभ सृजित आय का ही एक भाग होता है।

(vii) नहीं, क्योंकि पूँजीगत लाभों के रूप में प्राप्त आय से उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं होती।

(viii) हाँ, क्योंकि लाभ कर कंपनी की सृजित आय पर लगाया जाता है।

(ix) नहीं, क्योंकि यह एक हस्तांतरण भुगतान है।

(x) हाँ, क्योंकि यह देश के नागरिकों द्वारा कमाई हुई आय है।

(xi) हाँ, ऐसे मकानों के आरोपित किराए (Imputed Rent) को राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाता है।

(xii) नहीं, क्योंकि इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।

(xiii) नहीं, क्योंकि गृहिणी की सेवाओं का कोई मौद्रिक मूल्य नहीं होता।

(xiv) नहीं, हस्तांतरण भुगतान सदैव GNP से बाहर रखे जाते हैं। ये भुगतान एक-पक्षीय होते हैं और उत्पादन को प्रभावित नहीं करते।

(xv) हाँ, घिसावट GNP में सम्मिलित होती है।

(xvi) यह सकल घरेलू पूँजी निर्माण का अंग है। अतः इसे राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाएगा।

(xvii) क्योंकि सरकारी अंतिम उपभोग का अंग है। अतः इसे राष्ट्रीय आय में सम्मिलित किया जाएगा।

संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों से कर्मचारियों के पारिश्रमिक का आकलन कीजिए-

(हज़ार रुपए में)
(i) कर्मचारियों द्वारा नकद रूप में प्राप्त मज़दूरी व वेतन 720
(ii) मालिक द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजना में अंशदान 80
(iii) बीमा कंपनी से एक दुर्घटनाग्रस्त कर्मचारी का प्राप्त मुआवजा 25
(iv) मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का मूल्य 120
(v) बिक्री विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्राप्त कमीशन 80

हल:
कर्मचारियों का पारिश्रमिक = कर्मचारियों द्वारा प्राप्त मज़दूरी व वेतन + मालिक द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजना में अंशदान + मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का मूल्य + बिक्री विभाग के कर्मचारियों द्वारा
प्राप्त कमीशन
= 720 + 80 + 120 + 80
= 1,000 रुपए

I. GDP, GNP, NNPMP, NNPFC पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू कीमतों पर निम्नलिखित वास्तविक आँकड़ों के आधार पर NNPFC, GNPMP, GNPFC और NDPMP ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) NNPFC 1,33,151
(ii) मूल्यहास 11,242
(iii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 19,183
(iv) शद्ध विदेशी कारक आय – 681

हल:
NNPFC = NDPFC + शुद्ध विदेशी कारक (साधन) आय = 1,33,151 + (-)681 = 1,32,470 करोड़ रुपए
NNPMP = NNPFC + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1,32,470 + 19,183 = 1,51,653 करोड़ रुपए
GNPFC = NNPMP + मूल्यहास = 1,51,653 + 11,242 = 1,62,895 करोड़ रुपए
GNPFC = GNPMP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1,62,895 – 19,183 = 1,43,712 करोड़ रुपए
NDPMP = NNPMP – शुद्ध विदेशी कारक (साधन) आय = 1,51,653 – (-681)= 1,52,334 करोड़ रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से गणना कीजिए-(i) NDP, (ii) NNPMP, (iii) NNPFC, (iv) GNP।

(करोड़ रुपए में)
(i) मूल्यहास 100
(ii) शुद्ध विदेशी कारक आय 300
(iii) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 15,000
(iv) सरकार द्वारा आर्थिक सहायता 50
(v) अप्रत्यक्ष कर 75

हल:
(i) NDP = GDP – मूल्यह्रास = 15,000 – 100 = 14,900 करोड़ रुपए
(ii) NNPMP = NDPMP + शुद्ध विदेशी कारक (साधन) आय = 14,900 + 300 = 15,200 करोड़ रुपए
(iii) NNFC = NNPMP – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता = 15,200 – 75 + 50 = 15,175 करोड़ रुपए
(iv) GNP = GDP + शुद्ध विदेशी कारक (साधन) आय = 15,000+ 300 = 15,300 करोड़ रुपए

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर गणना कीजिए-(i) कारक लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय (NNPFC), (ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)।

(करोड़ रुपए में)
(i) बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP<sub>MP</sub>) 74,905
(ii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 8,344
(iii) घरेलू उत्पाद से सरकार को अर्जित आय 1,972
(iv) विदेशों से शुद्ध कारक आय -232
(v) मूल्यहास 4,486

हल:
(i) NNPFC = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध कारक आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 74,905 + (-232) – 8,344
= 66,329 करोड़ रुपए

(ii) GDPMP = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + मूल्यह्रास = 74,905 + 4,486 = 79,391 करोड़ रुपए

प्रश्न 4.
दिए हुए आँकड़ों से निवल घरेलू उत्पाद (NDP) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद 97,503
(ii) विदेशों से निवल कारक आय – 201
(iii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 10,576
(iv) अचल पूँजी का उपभोग (मूल्यहास) 5,699

हल:
NDPMP = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद- अचल (स्थाई) पूँजी का उपभोग-विदेशों से निवल कारक आय
= 97,503 – 5,699 – (-201) = 92,005 करोड़ रुपए

प्रश्न 5.
एक काल्पनिक अर्थव्यवस्था का बाज़ार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) 1,12,000 करोड़ रुपए है। उसकी पूँजी स्कंध (stock) 3,00,000 करोड़ रुपए है। यदि उसकी पूँजी स्कंध में 20% प्रति वर्ष का ह्रास होता है, अप्रत्यक्ष कर 30,000 करोड़ रुपए के होते हैं और उपदान की राशि (आर्थिक सहायता) 15,000 करोड़ रुपए होती है, तो उसकी राष्ट्रीय आय क्या होगी?
हल:
राष्ट्रीय आय (NNPFC) = 1,12,000 – 60,000 (मूल्यह्रास 3,00,000 का 20%) — 30,000 + 15,000
= 37,000 करोड़ रुपए

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों से GDPFC – ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) उत्पादन का मूल्य 500
(ii) अचल पूँजी का उपभोग 20
(iii) मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य 200
(iv) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 20

हल:
GDPFC = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 500 – 200 – 20
= 280 करोड़ रुपए

II. मूल्यवर्धित विधि (अथवा उत्पाद विधि) पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित से कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) ज्ञात कीजिए-

(लाख रुपए में)
(i) कच्चे माल का क्रय 30
(ii) मूल्यहास 12
(iii) बिक्री 200
(iv) उत्पाद कर 20
(v) आरंभिक स्टॉक 15
(vi) मध्यवर्ती उपभोग 48
(vii) अंतिम स्टॉक 10

हल:
NVA at FC = बिक्री + अंतिम स्टॉक – कच्चे माल का क्रय- मूल्यह्रास – उत्पाद कर – आरंभिक स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग
= 200 + 10 – 30 – 12 – 20 – 15 – 48
= 85 लाख रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से फर्म x द्वारा की गई मूल्यवर्धित की गणना कीजिए

(लाख रुपए में)
(i) विक्रय 600
(ii) कच्चे माल का क्रय 200
(iii) कच्चे माल का आयात 100
(iv) मशीर्नों का आयात 200
(v) अंतिम स्टॉक 40
(vi) प्रारंभिक स्टॉक 10

हल:
फर्म X द्वारा की गई मूल्यवर्धित = विक्रय + अंतिम स्टॉक – प्रारंभिक स्टॉक – कच्चे माल का क्रय – कच्चे माल का आयात
= 600 + 40 – 10 – 200 – 100
= 640 – 310 = 330 लाख रुपए
(नोट मशीनों के आयात को मूल्यवर्धित की गणना में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि मशीनें स्थाई संपत्ति है।)

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प्रश्न 3.
‘X’ फर्म के बारे में दिए गए निम्नलिखित आँकड़ों से उनके द्वारा किया गया कारक (साधन) लागत पर सकल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) का परिकलन कीजिए

(हज़ार रुपए में)
(i) बिक्री 500
(ii) प्रारंभिक स्टॉक 30
(iii) अंतिम स्टॉक 20
(iv) मध्यवर्ती उत्पारों का क्रय 300
(v) मशीनों का क्रय 150
(vi) आर्थिक सहायता 40

हल:
फर्म X द्वारा कारक लागत पर सकल मूल्यवृद्धि = बिक्री + अंतिम स्टॉक – प्रारंभिक स्टॉक. – मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय + आर्थिक सहायता
= 500 + 20 – 30 – 300 + 40
= 560 – 330 = 230 हज़ार रुपए
(नोट-मशीनों का क्रय कारक लागत पर सकल मूल्यवृद्धि की गणना के लिए प्रासंगिक नहीं है।)

प्रश्न 4.
फर्म ‘x’ के बारे में दी गई निम्नलिखित सूचना में उसके द्वारा बाज़ार मूल्य पर की गई सकल मूल्यवृद्धि निकालिए

(लाख रुपए में)
(i) घरेलू बिक्री 300
(ii) निर्यात 100
(iii) स्व-उपभोग के लिए उत्पादन 50
(iv) फर्म A से क्रय 110
(v) फर्म B से क्रय 70
(vi) कच्चे माल का आयात 30
(vii) स्टॉक में परिवर्तन 60

हल:
बाज़ार मूल्य पर की गई सकल मूल्यवृद्धि = घरेलू बिक्री + निर्यात + स्व-उपभोग के लिए उत्पादन + स्टॉक में परिवर्तन – फर्म A से क्रय – फर्म B से क्रय – कच्चे माल का आयात
= 300 + 100 + 50 + 60 – 110 – 70 – 30
= 510 – 210
= 300 लाख रुपए।

प्रश्न 5.
एक फर्म ‘A’ के बारे में दिए गए निम्नलिखित आँकड़ों से उसके द्वारा किए गए बाज़ार मूल्य पर निवल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) का परिकलन कीजिए-

(रुपए हज़ारों में)
(i) बिक्री 700
(ii) स्टॉक में परिवर्तन 40
(iii) मूल्यह्रस 80
(iv) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 100
(v) मशीनों का क्रय 250
(vi) मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय 400

हल:
बाज़ार मूल्य पर निवल मूल्यवर्धित = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय – मूल्यह्रास
= 700 + 40 – 400 – 80
= 740 – 480
= 260 हज़ार रुपए
(नोट-बाज़ार मूल्य पर निवल मूल्यवर्धित के परिकलन में मशीनों का क्रय तथा शुद्ध अप्रत्यक्ष कर प्रासंगिक नहीं है।)

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों से कारक लागत पर सकल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) का परिकलन कीजिए-

(लाख रुपए में)
(i) अचल पूँजी का उपभोग 5
(ii) बिक्री 100
(iii) आर्थिक सहायता 2
(iv) अंतिम स्टॉक 10
(v) कच्चे माल का स्टॉक 50
(vi) आरंभिक स्टॉक 15

हल:
MP पर सकल मूल्यवृद्धि = बिक्री + अंतिम स्टॉक – आरंभिक स्टॉक – कच्चे माल का स्टॉक
= 100 + 10 – 15-50 = 45 लाख रुपए
FC पर सकल मूल्यवृद्धि = MP पर सकल मूल्यवृद्धि + आर्थिक सहायता – अप्रत्यक्ष कर
= 45 + 2 – 10 = 37 लाख रुपए

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों से कारक (साधन) लागत पर सकल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) ज्ञात कीजि-

(लाख रुपए में)
(i) बिक्री 180
(ii) किराया 5
(iii) आर्थिक सहायता 10
(iv) स्टॉक में परिवर्तन 15
(v) कच्चे माल का क्रय 100
(vi) लाभ 25

हल:
कारक (साधन) लागत पर सकल मूल्यवर्धित (मल्यवृद्धि)
= बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन + आर्थिक सहायता – कच्चे माल का क्रय
= 180 + 15 + 10 – 100
= 205 – 100
= 105 लाख रुपए
(नोट-किराया और लाभ यहाँ पर प्रासंगिक नहीं हैं।)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आँकड़ों से कारक (साधन) लागत पर सकल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) का परिकलन कीजिए-

(लाख रुपए में)
(i) निवल अप्रत्यक्ष कर 20
(ii) मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय 120
(iii) मशीनों का क्रय 300
(iv) बिक्री 250
(v) अचल (स्थाइ) पूँजी का उपभोग (अवक्षय) 20
(vi) स्टॉक में परिवर्तन 30

हल:
कारक लागत पर सकल मूल्यवर्धित = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन-निवल अप्रत्यक्ष कर – मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय
= 250 + 30 – 20 – 120
= 280 – 140
= 140 लाख रुपए
(नोट-कारक लागत पर सकल मूल्यवर्धित की गणना हेतु मशीनों का क्रय और अचल पूँजी का उपभोग प्रासंगिक नहीं है।)

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आँकड़ों से MP पर निवल मूल्यवर्धित (शुद्ध मूल्यवृद्धि) की गणना कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) मूल्यहास 5
(ii) बिक्री 100
(iii) आरंभिक स्टॉक 20
(iv) मध्यवर्ती उपभोग 70
(v) उत्पादन शुल्क 10
(vi) स्टॉक में परिवर्तन -10

हल:
MP पर निवल मूल्यवर्धित (शुद्ध मूल्यवृद्धि) = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – मध्यवर्ती उपभोग – मूल्यह्रास
= 100 + (- 10) – 70 – 5
= 15 करोड़ रुपए

प्रश्न 10.
एक फर्म के निम्नलिखित आँकड़ों से कारक (साधन) लागत पर निवल मूल्यवर्धित ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) आर्थिक सहायता 40
(ii) बिक्री 1000
(iii) मूल्यहास 30
(iv) निर्यात 100
(v) अंतिम स्टॉक 20
(vi) आरंभिक स्टॉक 50
(vii) मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय 500

हल:
FC पर शुद्ध मूल्यवृद्धि = बिक्री + अंतिम स्टॉक – आरंभिक स्टॉक – मध्यवर्ती उत्पादों का क्रय + आर्थिक सहायता – मूल्यह्रास
= 1000 + 20 – 50 – 500 + 40 – 30
= 480 करोड़ रुपए
(नोट-निर्यात को बिक्री में शामिल माना गया है।)

प्रश्न 11.
एक फर्म से संबंधित निम्नलिखित आँकड़ों से उसकी कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित (शुद्ध मूल्यवृद्धि) की गणना कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) आर्थिक सहायता 40
(ii) बिक्री 800
(iii) मूल्यहास 30
(iv) निर्यात 100
(v) अंतिम स्टॉक 20
(vi) प्रारंभिक स्टॉक 50
(vii) मध्यवर्ती क्रय 500
(viii) स्व-उपभोग के लिए मशीनरी का क्रय 200
(ix) कच्चे माल का आयात 60

हल:
कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित = बिक्री + अंतिम स्टॉक – प्रारंभिक स्टॉक – मध्यवर्ती क्रय – मूल्यह्रास + आर्थिक सहायता
= 800 + 20-50 – 500 – 30 + 40
= 860 – 580
= 280 करोड़ रुपए

नोट-

  • निर्यात को बिक्री में शामिल मान लिया गया है।
  • कच्चे माल का आयात मध्यवर्ती क्रय में शामिल मान लिया गया है।
  • स्व-उपभोग के लिए मशीनरी का क्रय शुद्ध मूल्यवर्धित की गणना के लिए प्रासंगिक नहीं है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आँकड़ों से उत्पादन के मूल्य (Value of output) का परिकलन कीजिए-

(लाख रुपए में)
(i) कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित 100
(ii) मध्यवर्ती लागत 75
(iii) उत्पादक शुल्क 20
(iv) आर्थिक सहायता 5
(v) मूल्यहास 10

हल:
उत्पादन का मूल्य = कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) + मध्यवर्ती लागत + उत्पादक शुल्क- आर्थिक सहायता + मूल्यह्रास
= 100 + 75 + 20 – 5 + 10
= 200 लाख रुपए

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आँकड़ों से उत्पादन के मूल्य (Value of output) का परिकलन कीजिए-

(लाख रुपए में)
(i) कारक (साधन) लागत पर शुद्ध मूल्यवर्धित 200
(ii) मध्यवर्ती उपभोग 150
(iii) उत्पादन शुल्क 40
(iv) आर्थिक सहायता 10
(v) मूल्यहास 20

हल:
उत्पादन का मूल्य = कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवर्धित + मध्यवर्ती उपभोग + उत्पादन शुल्क- आर्थिक सहायता + मूल्यह्रास
= 200 + 150+ 40- 10 + 20 = 400 लाख रुपए
(उत्पादन के मूल्य का अर्थ होता है ‘बाज़ार कीमत पर सकल उत्पादन का मूल्य’।)

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प्रश्न 14.
निम्नलिखित आँकड़ों से मध्यवर्ती उपभोग का परिकलन कीजिए

(लाख रुपए में)
(i) उत्पादन का मूल्य 200
(ii) कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित 80
(iii) बिक्री कर 15
(iv) आर्थिक सहायता 5
(v) मूल्यहास 20

हल:
सकल मूल्यवृद्धि = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
मध्यवर्ती उपभोग = 200 – (80 + 20 + 15-5) = 90 लाख रुपए

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आँकड़ों से बिक्री का परिकलन कीजिए

(लाख रुपए में)
(i) कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित 300
(ii) मध्यक्ती उपभोग 200
(iii) अप्रत्यक्ष कर 20
(iv) मूल्यहास 30
(v) स्टॉक में परिवर्तन -50

हल:
MP पर सकल मूल्यवर्धित = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – मध्यवर्ती उपभोग
बिक्री = (300 + 30+ 20)- (-50) + 200
= 600 लाख रुपए

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आँकड़ों से बिक्री (Sales) का परिकलन कीजिए

(लाख रुपए में)
(i) कारक लागत पर निवल मूल्यवर्धित 600
(ii) मध्यवर्ती उपभोग 400
(iii) अप्रत्यक्ष कर 40
(iv) मूल्यहास 60
(v) स्टॉक में परिवर्तन -100

हल:
बाज़ार कीमत पर सकल मूल्यवर्धित = कारक लागत पर शुद्ध मूल्यवर्धित + अप्रत्यक्ष कर + मूल्यह्रास
= 600 + 40 + 60 = 700
बिक्री = 700 + 400 – (-100) = 700 + 400 + 100 = 1200 लाख रुपए

प्रश्न 17.
निम्नलिखित आँकड़ों से कारक (साधन) लागत पर निवल मूल्यवर्धित का परिकलन कीजिए

(लाख रुपए में)
(i) मूल्यहास 20
(ii) मध्यवर्ती लागत 90
(iii) आर्थिक सहायता 5
(iv) बिक्री 140
(v) निर्यात 7
(vi) स्टॉक में परिवर्तन – 10
(vii) कच्चे माल का आयात 3

हल:
FC पर निवल मूल्यवर्धित = बिक्री– मध्यवर्ती लागत + स्टॉक में परिवर्तन – मूल्यह्रास + आर्थिक सहायता
= 140 – 90 + (- 10) – 20 + 5
= 25 लाख रुपए
(नोट-निर्यात को बिक्री में और कच्चे माल के आयात को मध्यवर्ती लागत में शामिल माना गया है।)

प्रश्न 18.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर फर्म A तथा फर्म B द्वारा की गई मूल्यवर्धित का आकलन कीजिए-

(लाख रुपए में)
(i) फर्म A द्वारा शेष विश्व से खरीद 30
(ii) फर्म B की बिक्री 90
(iii) फर्म A द्वारा B से खरीद 50
(iv) फर्म A की बिक्री 110
(v) फर्म A द्वारा निर्यात 30
(vi) फर्म A का आरंभिक स्टॉक 35
(vii) फर्म A का अंतिम स्टॉक 20
(vii) फर्म B का आरंभिक स्टॉक 30
(ix) फर्म B का वास्तविक स्टॉक 20
(x) फर्म B द्वारा फर्म A से खरीद 50

हल:
फर्म A का उत्पादन मूल्य = बिक्री + निर्यात + स्टॉक में परिवर्तन (अंतिम स्टॉक – आरंभिक स्टॉक)
= 110 + 30 + 20 – 35
= 160 – 35
= 125 लाख रुपए।

फर्म B का उत्पादन मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अंतिम स्टॉक – आरंभिक स्टॉक)
= 90 + 20 – 30
= 110 – 30
= 80 लाख रुपए।

फर्म A द्वारा मूल्यवृद्धि = उत्पादन का मूल्य – क्रय – आयात
= 125 – 50 – 30
= 125 – 80
= 45 लाख रुपए।

फर्म B द्वारा मूल्यवृद्धि = उत्पादन का मूल्य – क्रय
= 80 – 50
= 30 लाख रुपए

प्रश्न 19.
निम्नलिखित आँकड़ों से फर्म X फर्म तथा Y द्वारा की गई मूल्यवर्धित ज्ञात कीजिए

(लाख रुपए में)
(i) फर्म x का अंतिम स्टॉक 20
(ii) फर्म Y का अंतिम स्टॉक 15
(iii) फर्म Y का आरंभिक स्टॉक 10
(iv) फर्म x का आरंभिक स्टॉक 5
(v) फर्म X द्वारा बिक्री 300
(vi) फर्म X द्वारा फर्म Y से क्रय 100
(vii) फर्म Y द्वारा फर्म x से क्रय 80
(viii) फर्म Y द्वारा बिक्री 250
(ix) फर्म x द्वारा कच्चे माल का आयात 50
(x) फर्म Y द्वारा निर्यात 30

हल:
फर्म X का उत्पादन मूल्य = फर्म X द्वारा बिक्री + फर्म X का अंतिम स्टॉक – फर्म X का आरंभिक स्टॉक
= 300 + 20 – 5
= 320 – 5
= 315 लाख रुपए

फर्म X की मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) = फर्म X के उत्पादन का मूल्य – फर्म X द्वारा फर्म Y से क्रय – फर्म X द्वारा कच्चे माल का आयात
= 315 – 100 – 50
= 315 – 150
= 165 लाख रुपए

फर्म Y के उत्पादन का मूल्य = फर्म Y द्वारा बिक्री + फर्म Y का अंतिम स्टॉक – फर्म Y का आरंभिक स्टॉक + फर्म Y द्वारा निर्यात
= 250 + 15 – 10+ 30
= 295 – 10
= 285 लाख रुपए

फर्म Y की मूल्यवर्धित (मूल्यवृद्धि) = फर्म Y के उत्पादन का मूल्य – फर्म Y द्वारा फर्म X से क्रय
= 285 – 80
= 205 लाख रुपए

प्रश्न 20.
निम्नलिखित आँकड़ों से सकल अचल पूँजी निर्माण की गणना कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी अंतिम उपभोग व्यय 1,000
(ii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 500
(iii) निवल निर्यात -50
(iv) विदेशों से निवल कारक (साधन) आय 20
(v) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद 2,500
(vi) प्रारंभिक स्टॉक 300
(vii) अंतिम स्टॉक 200

हल:
सकल अचल पूँजी निर्माण = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – निजी अंतिम उपभोग व्यय – सरकारी अंतिम उपभोग व्यय – निवल निर्यात – अंतिम स्टॉक + प्रारंभिक स्टॉक
= 2,500 – 1,000-500 – (-)50 – 200 + 300
= 2,850 – 1,700
= 1,150 करोड़ रुपए
(नोट-विदेशों से निवल कारक आय यहाँ प्रासंगिक नहीं है।)

III. आय विधि पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर ज्ञात कीजिए-
(i) घरेलू आय, (ii) राष्ट्रीय आय, (ii) वैयक्तिक आय, (iv) वैयक्तिक प्रयोज्य आय।

(रुपए में)
(i) लगान 5,000
(ii) मज़दूरी 30,000
(iii) ब्याज 8,000
(iv) अधिशेष 15,000
(v) अवितरित लाभ 3,000
(vi) हस्तांतरण भुगतान (सरकार द्वारा) 1,000
(vii) लाभ कर 2,000
(viii) लाभांश 12,000
(ix) मिश्रित आय 4,000
(x) वैयक्तिक कर 1,500
(xi) विदेशों से शुद्ध परिसंपत्ति आय 7,000
(xii) उपहार व प्रेषणाएँ (विदेशों से) 2,500

हल:
(i) घरेलू आय = लगान + मज़दूरी + ब्याज + अधिशेष + लाभ कर + लाभांश + मिश्रित आय + अवितरित लाभ
= 5,000 + 30,000 + 8,000 + 15,000 + 2,000 + 12,000 + 4,000 + 3,000
= 79,000 रुपए

(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + शुद्ध विदेशी परिसंपत्ति आय
= 79,000 + 7,000 = 86,000 रुपए

(iii) वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय – अधिशेष – लाभ कर – अवितरित लाभ + अंतरण भुगतान + उपहार व प्रेषणाएँ
= 86,000 – 15,000 – 2,000 – 3,000 + 1,000 + 2,500
= 69,500 रुपए

(iv) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर
= 69,500 – 1,500
= 68,000 रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से ज्ञात कीजिए-(क) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP at MP), (ख) निजी आय, (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय।

(करोड़ रुपाए में)
(i) कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद 2,570
(ii) अप्रत्यक्ष कर 850
(iii) आर्थिक सहायता 125
(iv) विदेशों से निवल कारक आय -5
(v) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत 15
(vi) सरकारी विभागों को उद्यमवृत्ति व संपत्ति से आय 100
(vii) अचल पूँजी का उपभोग 290
(viii) सार्वजनिक ऋण पर ब्याज 60
(ix) सरकार से वर्तमान (चालू) हस्तांतरण 245
(x) शेष विश्व से अन्य वर्तमान हस्तांतरण 310
(xi) निगम कर 190
(xii) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 85
(xiii) परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर 500

हल:
(क) NNP at MP (Set I) = (i) + (ii) – (iii) + (iv) – (vii)
= 2570 + 850 – 125 + (- 5) – 290
= 3,000 करोड़ रुपए

(ख) निजी आय (Set I) = NNP at MP – (ii) + (iii) – (v) – (vi) + (viii) + (ix) + (x)
= 3000 – 850 + 125 – 15 – 100 + 60 + 245 + 310 = 2,775 करोड़ रुपए

(ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय (Set I) = निजी आय – (xi) – (xii) – (xiii)
= 2775- 190 – 85-500 = 2,000 करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 3.
निम्न आँकड़ों से राष्ट्रीय आय ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) मजदूरी व वेतन 150
(ii) सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का योगदान 25
(iii) लाभ 40
(iv) ब्याज 25
(v) अप्रत्यक्ष कर 30
(vi) अनुदान 10
(vii) किराया 12
(viii) मिश्रित आय 40
(ix) घिसावट व्यय 35

हल:
राष्ट्रीय आय = मजदूरी व वेतन + सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का योगदान + लाभ + ब्याज + अप्रत्यक्ष कर + अनुदान + किराया + मिश्रित आय – घिसावट व्यय
= 150 + 25 + 40 + 25 + 30 + 10 + 12 + 40 – 35
= 297 करोड़ रुपए उत्तर

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से राष्ट्रीय आय का परिकलन कीजिए-

(i) लगान (₹ करोड़ रुपए में)
(ii) ब्याज 80
(iii) लाभ 100
(iv) लाभ कर 210
(v) कर्मचारियों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान 30
(vi) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 25
(vii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 250
(viii) नियोजकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान 60
(ix) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 50
(x) विदेशों से शद्ध कारक आय 500
(i) लगान -20

हल:
राष्ट्रीय आय = लगान + ब्याज + लाभ + स्वनियोजितों की मिश्रित आय+ कर्मचारियों का पारिश्रमिक + विदेशों से शुद्ध कारक आय
= 80 + 100 + 210 + 250 + 500 + (- 20)
= 1120 करोड़ रुपए

IV. व्यय विधि पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सूचना की सहायता से बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) की गणना कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी उपभोग व्यय 50,000
(ii) सरकारी उपभोग व्यय 15,000
(iii) सकल स्थाई पूँजी निर्माण 10,000
(iv) स्कंध (स्टॉक) में वृद्धि 2,000
(v) वस्तुओं व सेवाओं का निर्यात 5,000
(vi) वस्तुओं व सेवाओं का आयात 7,000
(vii) पूँजी उपभोग भत्ता 6,500
(viii) शुद्ध (निवल) अप्रत्यक्ष कर 5,000

हल:
GDPMP = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + सकल स्थाई पूँजी निर्माण + स्कंध (स्टॉक) में वृद्धि + वस्तुओं व सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं व सेवाओं का आयात
= 50,000 + 15,000 + 10,000 + 2,000 + 5,000 – 7,000
GDPMP = 75,000 करोड़ रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) निकालिए

परिकल्पित आँकड़े (रुपए में)
(i) वैयक्तिक उपभोग व्यय 45,000
(ii) सरकारी उपभोग व्यय 5,000
(iii) सकल घरेलू स्थाई निवेश 5,000
(iv) स्टॉक में वृद्धि 1,000
(v) वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 6,000
(vi) वस्तुओं और सेवाओं का आयात 7,000
(vii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 3,500
(viii) मूल्यहास 4,500

हल:
GNP = वैयक्तिक उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + सकल घरेलू स्थाई निवेश + स्टॉक में वृद्धि + वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं और सेवाओं का आयात
= 45,000 + 5,000 + 5,000 + 1,000 + 6,000 – 7,000
= 55,000 रुपए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित व्यवहारों से शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) मालूम कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) उपभोग पर पारिवारिक व्यय 1,00,000
(ii) सरकारी उपभोग व्यय 12,500
(iii) कुल पूँजी निर्माण 25,000
(iv) मूल्यहास 6,000
(v) निर्यात 6,000
(vi) आयात 9,000
(vii) विदेशों से अर्जित शुद्ध आय 750

हल:
NNP = उपभोग पर पारिवारिक व्यय + सरकारी उपभोग व्यय कुल पूँजी निर्माण- मूल्यह्रास + निर्यात – आयात + विदेशों से अर्जित शुद्ध आय
= 1,00,000 + 12,500 + 25,000 – 6,000 + 6,000 – 9,000 + 750
= 1,29,250 करोड़ रुपए

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) और (ख) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) निकालिए

(करोड़ रुपए में)
(i) सकल घरेलू पूँजी निर्माण 94
(ii) शुद्ध निर्यात -6
(iii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 260
(iv) विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय -3
(v) अचल पूँजी का उपभोग 39
(vi) स्टॉक में शुद्ध परिवर्तन 11
(vii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 43
(viii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 47

हल:
(क) GNPMP = सकल घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + निजी अंतिम उपभोग व्यय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय
= 94+ (- 6) + 260 + (- 3) + 47 = 392 करोड़ रुपए

(ख) NNPFC = GNPMP – (v) – (vii)
= 392 – 39 – 43 = 310 करोड़ रुपए

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at MP) ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
Set I Set II Set III
(i) अचल पूँजी का उपभोग 60 50 30
(ii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 200 180 100
(iii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक साधन आय -10 -5 -10
(iv) निजी अंतिम उपभोग व्यय 800 700 400
(v) निर्यात 50 50 25
(vi) प्रारंभिक स्टॉक 30 20 15
(vii) आयात 60 60 35
(viii) अंतिम स्टॉक 20 15 10
(ix) सकल पूँजी निर्माण 230 200 120

हल:
GNP at MP-
Set I = (ii) + (iv) + (v) – (vi)- (vii) + (viii) + (ix) + (ii)
= 200 + 800 + 50 – 30 – 60 + 20 + 230 + (-10)
= 1200 करोड़ रुपए

Set II = (ii) + (iv) + (v)- (vi) – (vii) + (viii) + (ix) + (iii)
= 180 + 700 + 50 – 20-60 + 15 + 200 + (-5)
= 1060 करोड़ रुपए

Set III = (ii) + (iv) + (v)- (vi)- (vii) + (viii) + (ix) + (iii)
= 100 + 400 + 25 – 15 – 35 + 10 + 120 + (- 10)
= 595 करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद GDP at MP ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
Set I Set II Set III
(i) शुद्ध आयात -30 -10 -15
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 400 500 300
(iii) अनुदान 5 10 5
(iv) शुद्ध घरेलू अचल पूँजी निर्माण 50 100 30
(v) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100 150 70
(vi) विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय -10 -15 -20
(vii) अंतिम स्टॉक 10 20 10
(viii) अचल (स्थाई) पूँजी का उपभोग 40 50 40
(ix) अप्रत्यक्ष कर 55 60 50
(x) आरंभिक स्टॉक 20 30 25

हल:
GDP at MP = (ii) + (v) + (iv) + (viii) + (vii) – (x) + (i)
Set I = 400 + 100 + 50 + 40 + 10 – 20 + (-30) = 550 करोड़ रुपए
Set II = 500 + 150 + 100 + 50 + 20-30 + (-10) = 780 करोड़ रुपए
Set III = 300 + 70 + 30+ 40 + 10–25 + (- 15) = 410 करोड़ रुपए

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों से राष्ट्रीय आय (NNPFC) ज्ञात कीजिए
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 7
हल:
(Set I) GDPMP = 500 + (- 5) + सरकारी उपभोग व्यय (100 + 10 + 100) + 60 + 10
= 775 करोड़ रुपए
NNPFC = 775 – 10 – 50 + (-10) = 705 करोड़ रुपए

(Set II) GDPMP= 50 + 750 + (- 25) + 50 + 100 + 300 – 100
= 1125 करोड़ रुपए
NNPFC = 1125 – 25 – 100 + (- 20) = 980 करोड़ रुपए

(Set III) GDPMP = 400 + 30-40+ 30+ 200 + 100 + 20 (मूल्यह्रास)
= 740 करोड़ रुपए

NNPFC = 740 – 20 + 20 – 40 + (- 20) = 680 करोड़ रुपए

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आँकड़ों से राष्ट्रीय आय (NNPFC) निकालिए

(करोड़ रुपए में)
Set I Set II
(i) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100 150
(ii) प्रारंभिक स्टॉक 50 80
(iii) सकल अचल पूँजी निर्माण 120 130
(iv) विदेर्शों से शुद्ध कारक आय -10 -10
(v) अप्रत्यक्ष कर 60 70
(vi) अंतिम स्टॉक 80 100
(vii) अनुदान 10 10
(viii) लगान, ब्याज और लाभ 350 500
(ix) अचल पूँजी का उपभोग 20 20
(x) निजी अंतिम उपभोग व्यय 400 600
(xi) निर्यात 50 60
(xii) आयात 40 70

हल:
(Set I) GDPMP = (i) + (vi) – (ii) + (iii) + (x) + (xi) – (xii)
= 100 + 80 – 50 + 120 + 400 + 50 – 40 = 660 करोड़ रुपए
राष्ट्रीय आय (NNPFC) = GDPMP – (ix) + (iv) – (v) + (vii)
= 660 – 20 + (- 10) – 60 + 10
= 580 करोड़ रुपए

(Set II) GDPMP = (i) + (vi) – (ii) + (iii) + (x) + (xi) – (xii)
= 150 + 100 – 80 + 130 + 600 + 60 – 70 = 890 करोड़ रुपए

राष्ट्रीय आय (NNPFC) = GDPMP – (ix) + (iv) – (v) + (vii)
= 890 – 20 + (-10)- 70 + 10 = 800 करोड़ रुपए

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आँकड़ों से कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) निकालिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 350
(ii) अंतिम स्टॉक 100
(iii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 200
(iv) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 50
(v) आरंभिक स्टॉक 60
(vi) अचल पूँजी का उपभोग 50
(vii) शुद्ध निर्यात -10
(viii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 1500
(ix) आयात 20
(x) विदेशों से शुद्ध कारक आय -10

हल:
GDP at MP = निवल घरेलू पूँजी निर्माण + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + अचल पूंजी का उपभोग + शुद्ध निर्यात + निजी अंतिम उपभोग व्यय
= 350 + 200 + 50 + (-10) + 1500 = 2090 करोड़ रुपए
GNP at FC = GDP at MP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से शुद्ध कारक आय
= 2090 – 50 + (-10) = 2030 करोड़ रुपए

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आँकड़ों से NDP at FC का परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) घरेलू बाज़ार में निजी अंतिम उपभोग व्यय 400
(ii) सकल घरेलू पूँजी निर्माण 100
(iii) स्टॉक में परिवर्तन 20
(iv) निवासी परिवारों द्वारा विदेशों से प्रत्यक्ष क्रय 50
(v) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 60
(vi) विदेशों से निवल (शुद्ध) कारक आय 10
(vii) घरेलू बाज़ार में गैर-निवासियों द्वारा प्रत्यक्ष क्रय 150
(viii) शुद्ध निर्यात -20
(ix) अचल पूँजी का उपभोग 20
(x) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100

हल:
GDP at MP = घरेलू बाजार में निजी अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + निवासी परिवारों द्वारा विदेशों से प्रत्यक्ष क्रय – घरेलू बाज़ार में गैर निवासियों द्वारा प्रत्यक्ष क्रय + शुद्ध निर्यात + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय
= 400 + 100 + 50 – 150 + (-20) + 100
= 480 करोड़ रुपए
NDP at FC = GDP at MP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – अचल पूंजी का उपभोग
= 480 – 60 – 20 = 400 करोड़ रुपए।

V. मूल्यवर्धित विधि, आय विधि, व्यय विधि पर आधारित मिश्रित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) व्यय विधि तथा (ख) आय विधि द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at MP) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) शुद्ध पूँजी निर्माण 200
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 1,000
(iii) प्रचालन अधिशेष 360
(iv) मज़दूरी तथा वेतन 900
(v) किराया 100
(vi) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 300
(vii) अचल पूँजी का उपभोग 50
(viii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 200
(ix) विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय -10
(x) नियोजकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान 50
(xi) शुद्ध निर्यात 10

हल:
(क) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = शुद्ध पूँजी निर्माण + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + अचल पूँजी का उपभोग + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय + शुद्ध निर्यात
= 200 + 1000 + 300 + 50 + (-10) + 10
= 1550 करोड़ रुपए

(ख) GNP at MP (आय विधि द्वारा) = प्रचालन अधिशेष + मजदूरी तथा वेतन + अचल पूँजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय + नियोजकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान
= 360 + 900 + 50 + 200 + (-10)+ 50
= 1550 करोड़ रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा GNP at MP की गणना कीजिए–

(करोड़ रुपए में)
(i) शुद्ध निर्यात 10
(ii) किराया 20
(iii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 400
(iv) ब्याज 30
(v) लाभांश 45
(vi) अवितरित लाभ 5
(vii) निगम कर 10
(viii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100
(ix) शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण 50
(x) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 400
(xi) अचल पूँजी का उपभोग 10
(xii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 50
(xiii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय -10

हल:
(क) GNP at MP (आय विधि द्वारा) = किराया + ब्याज + लाभांश + अवतरित लाभ + निगम कर + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + अचल पूँजी का उपभोग+ शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से प्राप्त साधन आय
= 20 + 30 + 45 + 5 + 10 + 400 + 10 + 50+ (-10)
= 560 करोड़ रुपए

(ख) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = शुद्ध निर्यात + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 10 + 400 + 100 + 50 + 10 + (-10)
= 560 करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय और (ख) व्यय विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय (NI) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) मज़दूरी और वेतन 500
(ii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 120
(iii) रॉयल्टी 20
(iv) ब्याज 40
(v) पारिवारिक अंतिम उपभोग व्यय 600
(vi) स्टॉक में परिवर्तन 10
(vii) अप्रत्यक्ष कर 100
(viii) किराया 50
(ix) परिवारों की सेवारत निजी अलाभकारी संस्थाओं का अंतिम उपभोग व्यय 30
(x) शुद्ध घरेलू अचल पूँजी निर्माण 60
(xi) कर पश्चात लाभ 100
(xii) निगम कर 20
(xiii) शुद्ध निर्यात -20
(xiv) आर्थिक सहायता 30
(xv) विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय -5

हल:
(क) राष्ट्रीय आय (आय विधि द्वारा) = मज़दूरी और वेतन + रॉयल्टी + ब्याज + किराया + अप्रत्यक्ष कर + निगम कर + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय
= 500 + 20 + 40 + 50 + 100 + 20 + (- 5)
= 725 करोड़ रुपए

(ख) राष्ट्रीय आय (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + पारिवारिक अंतिम उपभोग व्यय + स्टॉक में परिवर्तन-अप्रत्यक्ष कर + परिवारों की सेवारत निजी अलाभकारी संस्थाओं का अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू अचल पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + आर्थिक सहायता + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय
= 120 + 600 + 10 — 100 + 30 + 60 + (-20) + 30 + (-5)
= 725 करोड़ रुपए

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर GNP (GNPFC) का परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) मज़दूरी और वेतन 800
(ii) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 160
(iii) प्रचालन अधिशेष 600
(iv) अवितरित लाभ 150
(v) सकल पूँजी निर्माण 330
(vi) स्टॉक में परिवर्तन 25
(vii) निवल पूँजी निर्माण 300
(viii) सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोजर्कों का अंशदान 100
(ix) विदेशों से शुद्ध कारक आय -20
(x) निर्यात 30
(xi) आयात 60
(xii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 1000
(xiii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 450
(xiv) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 60
(xv) सरकार द्वारा दिया गया कर्मचारियों का पारिश्रमिक 75

हल:
(क) GNP at FC (आय विधि द्वारा) मज़दूरी और वेतन + स्वनियोजितों की मिश्रित आय + प्रचालन अधिशेष + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोजकों का अंशदान + विदेशों से शुद्ध कारक आय + मूल्यह्रास (सकल पूँजी निर्माण-निवल पूँजी निर्माण)
= 800 + 160 + 600 + 100 + (- 20) + 30
= 1670 करोड़ रुपए

(ख) GNP at FC (व्यय विधि द्वारा) = सकल पूँजी निर्माण + विदेशों से शुद्ध कारक आय + निर्यात – आयात + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 330 + (-20)+ 30 – 60 + 1000 + 450-60 = 1670 करोड़ रुपए

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा बाज़ार मूल्य पर NNP (NNPMP) का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) सरकार द्वारा दिया गया कर्मचारियों का पारिश्रमिक 40
(ii) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 50
(iii) मज़दूरी और वेतन 400
(iv) नियोजकों का सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान 80
(v) प्रचालन अधिशेष 300
(vi) अप्रत्यक्ष कर 30
(vii) आर्थिक सहायता 10
(viii) शुद्ध पूँजी निर्माण 150
(ix) विदेशों से शुद्ध साधन आय 10
(x) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 230
(xi) निजी अंतिम उपभोग व्यय 500
(xii) निर्यात 15
(xiii) आयात 45
(xiv) अचल (स्थाइ) पूँजी का उपभोग 20
(xv) लाभ 130

हल:
(क) NNP at MP (आय विधि द्वारा) = स्वनियोजितों की मिश्रित आय + मजदूरी और वेतन + नियोजितों का सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान + प्रचालन अधिशेष + अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता + विदेशों से निवल साधन आय
= 50 + 400 + 80 + 300 + 30 – 10 + (- 10)
= 840 करोड़ रुपए

(ख) NNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = शुद्ध पूँजी निर्माण + विदेशों से शुद्ध साधन आय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निजी अंतिम उपभोग व्यय + निर्यात – आयात
= 150 + (-10) + 230 + 500 + 15 – 45 = 840 करोड़ रुपए

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा बाज़ार मूल्य पर GNP (GNPMP) का परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 250
(ii) स्टॉक में परिवर्तन 65
(iii) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 150
(iv) ब्याज 90
(v) लाभ 210
(vi) निगम कर 50
(vii) लगान 100
(viii) विदेशों से कारक आय 20
(ix) अप्रत्यक्ष कर 55
(x) विदेशों को कारक आय 40
(xi) निर्यात 60
(xii) आर्थिक सहायता 25
(xiii) आयात 80
(xiv) अचल पूँजी का उपभोग 20
(xv) निजी अंतिम उपभोग व्यय 500
(xvi) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 450
(xvii) कर्मचारियों को मुफ़्त आवास का किराया मूल्य 40

हल:
(क) GNP at MP (आय विधि द्वारा) = ब्याज + लाभ + लगान + विदेशों से साधन आय+ अप्रत्यक्ष कर-विदेशों को साधन आय – आर्थिक सहायता + अर मी का उपभोग + कर्मचारियों का पारिश्रमिक
= 90 + 210 + 100 + 20 + 55 – 40 – 25 + 20 + 450
= 880 करोड़ रुपए

(ख) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + विदेशों से कारक आय–विदेशों को कारक आय + निर्यात – आयात + अचल पूँजी का उपभोग+ निजी अंतिम उपभोग व्यय
= 250 + 150 + 20 – 40 + 60 – 80 + 20 + 500 = 880 करोड़ रुपए

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों से GNP का आय विधि और व्यय विधि द्वारा परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) लगान 40
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 800
(iii) शुद्ध निर्यात 20
(iv) ब्याज 60
(v) लाभ 120
(vi) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 200
(vii) शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण 100
(viii) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 800
(ix) अचल पूँजी का उपभोग 20
(x) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 100
(xi) विदेशों से शुद्ध साधन आय -20

हल:
(क) GNP at MP (आय विधि द्वारा) = लगान + ब्याज + लाभ + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + अचल पूँजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से शुद्ध कारक आय
= 40 + 60 + 120 + 800 + 20 + 100 + (- 20) = 1120 करोड़ रुपए

(ख) GNP at MP (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपभोग व्यय + कुल निर्यात + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग + विदेशों से शुद्ध कारक आय
= 800 + 20 + 200 + 100 + 20 + (-20)
= 1120 करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आँकड़ों से सकल राष्ट्रीय आय (NI) का (क) आय विधि, (ख) व्यय विधि द्वारा परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) विदेशों से साधन आय 10
(ii) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 150
(iii) शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण 50
(iv) निजी अंतिम उपभोग व्यय 220
(v) विदेशों को साधन आय 15
(vi) स्टॉक में परिवर्तन 15
(vii) सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोजकों का अंशदान 10
(viii) स्थाई पूँजी का उपभोग 15
(ix) ब्याज 40
(x) निर्यात 20
(xi) आयात 25
(xii) अप्रत्यक्ष कर 30
(xiii) आर्थिक सहायता 10
(xiv) लगान 40
(xv) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 85
(xvi) लाभ 100

हल:
(क) सकल राष्ट्रीय आय (आय विधि द्वारा) = NNP at FC + मूल्यह्रास
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40+ 40+ 100
= 340 करोड़ रुपए

(ख) सकल राष्ट्रीय आय (व्यय विधि द्वारा) = GDP at MP – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + NFIA
= 10+ 50 + 220 – 15 + 15+ 20 – 25 – 30 + 10 + 85
= 340 करोड़ रुपए

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा बाज़ार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
Set I Set II Set III
(i) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 400 300 500
(ii) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 500 400 600
(iii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 900 700 1100
(iv) विदेशों से शुद्ध कारक आय -20 -10 -15
(v) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 100 60 150
(vi) अचल (स्थाइ) पूँजी का उपभोग (मूल्यह्मस) 120 100 115
(vii) शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण 280 120 375
(viii) निवल शुद्ध निर्यात -30 -10 -25
(ix) लाभ 350 250 450
(x) किराया 100 80 200
(xi) ब्याज 150 70 250
(xii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 450 350 700

हल:
(क) आय विधि द्वारा GNPMP =
Set I = स्वनियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + अचल (स्थाई) पूँजी का उपभोग (मूल्यह्रास) + लाभ + किराया + ब्याज
= 400 + 500 + (-20) + 100 + 120 + 350 + 100 + 150 = 1700 करोड़ रुपए
Set II = 300 + 400 + (- 10) + 60 + 100 + 250 + 80 + 70 = 1250 करोड़ रुपए
Set III = 500 + 600 + (- 15) + 150 + 115 + 450 + 200 + 250 = 2250 करोड़ रुपए

(ख) व्यय विधि द्वारा GNPMP =
Set I = निजी अंतिम उपभोग व्यय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + अचल (स्थाई) पूँजी का उपयोग (मूल्यह्रास) + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + सरकारी अंतिम उपयोग व्यय
900 + (-20) + 120 + 280 + (-30) + 450 = 1700 करोड़ रुपए

Set II = 700 + (-10) + 100 + 120 + (-10) + 350 = 1250 करोड़ रुपए

Set III = 1100 + (- 15) + 115 + 375 + (-25) + 700 = 2250 करोड़ रुपए

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से आय विधि द्वारा कारक (साधन) लागत पर राष्ट्रीय आय (NNPFC) ज्ञात कीजिए-
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 8
हल:
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + शुद्ध विदेशी कारक आय
Set I = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + विदेशों से शुद्ध साधन आय + लाभ + किराया + ब्याज + स्वनियोजित की मिश्रित आय
= 1200 + (-20) + 800 + 400 + 620 + 700 = 3700 करोड़ रुपए
Set II = 600 + (-10) + 400 + 200 + 310 + 350 = 1850 करोड़ रुपए
Set III = 500 + (-10) + 220 + 90 + 100 + 400 = 1300 करोड़ रुपए

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय (NI) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी अंतिम उपभोग व्यय 2000
(ii) सकल पूँजी निर्माण 400
(iii) स्टॉक में परिवर्तन 50
(iv) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 1900
(v) किराया 200
(vi) ब्याज 150
(vii) प्रचालन अधिशेष 720
(viii) शुद्ध प्रत्यक्ष कर 400
(ix) सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोजन का योगदान 100
(x) शुद्ध निर्यात 20
(xi) विदेशों से निवल कारक आय -20
(xii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 600
(xiii) अचल पूँजी का उपभोग 100

हल:
(क) राष्ट्रीय आय (NNPFC ) (आय विधि द्वारा) = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + प्रचालन अधिशेष + विदेशों से निवल कारक आय
= 1900 + 720 + (-20) = 2600 करोड़ रुपए

(ख) राष्ट्रीय आय (NNPEO) (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सकल पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + विदेशों से निवल साधन आय शुद्ध प्रत्यक्ष कर
= 2000 + 400 + 20 + 600 + (-20)- 400 = 2600 करोड़ रुपए

नोट –

  • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोजकों का योगदान कर्मचारियों के पारिश्रमिक में पहले से ही सम्मिलित है। अतः यह प्रासंगिक नहीं है।
  • चूँकि किराया और ब्याज प्रचालन अधिशेष के अंग है। अतः ये यहाँ प्रासंगिक नहीं हैं।
  • स्टॉक में परिवर्तन यहाँ प्रासंगिक नहीं है क्योंकि यह सकल पूँजी निर्माण का ही एक भाग है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा NNP at FC ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) शेष संसार से चालू हस्तांतरण 100
(ii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 1000
(iii) मज़दूरी और वेतन 3800
(iv) लाभांश 500
(v) लगान 200
(vi) ब्याज 150
(vii) शुद्ध घरेलूं पूँची निर्माण 500
(viii) लाभ 800
(ix) नियोजकों द्वारा सामाजिक सुरक्षा अंशदान 200
(x) शुद्ध निर्यात 50
(xi) विदेशों से शुद्ध साधन आय 30
(xii) अचल पूँजी का उपभोग 40
(xiii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 4000
(xiv) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 300

हल:
(क) NNP at FC (आय विधि द्वारा) = मज़दूरी और वेतन + लगान + ब्याज + लाभ + नियोजकों द्वारा सामाजिक सुरक्षा अंशदान + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 3800 + 200 + 150 + 800 + 200 + (-30)
= 5120 करोड़ रुपए

(ख) NNP at FC (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग क्रय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण + निजी अंतिम उपभोग क्रय + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 1000 + 500 + 4000 + (- 50) + (-30)-300
= 5120 करोड़ रुपए
(नोट-यहाँ अचल पूँजी का उपभोग प्रासंगिक नहीं है।)

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय (NI) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) ब्याज 250
(ii) विदेश्ं से निवल कारक आय -50
(iii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 1400
(iv) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 1500
(v) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 3000
(vi) निजी अंतिम उपभोग व्यय 4500
(vii) लाभ 1000
(viii) अचल पूँजी का उपभोग 60
(ix) किराया 300
(x) सकल घरेलू पूँजी निर्माण 600
(xi) निवल निर्यात -30
(xii) शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण 40
(xiii) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 420

हल:
(क) राष्ट्रीय आय (आय विधि द्वारा) = ब्याज + विदेशों से निवल कारक आय + स्वनियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + लाभ + किराया
= 250 + (- 50) + 1500 + 3000 1000 + 300
= 6000 करोड़ रुपए

(ख) राष्ट्रीय आय (व्यय विधि द्वारा) = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निजी अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 1400 + 4500 + 600 + (-30) + (-50)- 420
= 6000 करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) का परिकलन कीजिए।

(करोड़ रुपए में)
(i) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 500
(ii) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 1850
(iii) अचल पूँजी का उपभोग 100
(iv) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 1100
(v) निजी अंतिम उपभोग व्यय 2600
(vi) किराया 400
(vii) लाभांश 200
(viii) ब्याज 500
(ix) निवल निर्यात -100
(x) लाभ 1100
(xi) विदेशों से निवल कारक आय -50
(xii) निवल अप्रत्यक्ष कर 250

हल:
(क) आय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = किराया + ब्याज + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + लाभ + विदेशों से निवल कारक आय + अचल पूँजी का उपभोग।
= 400 + 500 + 1850 + 1100 + (-)50+ 100
= 3950 – 50
= 3900 करोड़ रुपए

(ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग + निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय – निवल अप्रत्यक्ष कर।
= 2600 + 1100 + 500 + 100 + (-100) + (-50) – 250
= 4300 – 400
= 3900 करोड़ रुपए

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय (NI) का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) ब्याज 150
(ii) किराया 250
(iii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 600
(iv) निजी अंतिम उपभोग व्यय 1200
(v) लाभ 640
(vi) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 1000
(vii) विदेर्शों को निवल कारक आय 30
(viii) निवल अप्रत्यक्ष कर 60
(ix) निवल निर्यात -40
(x) अचल पूँजी का उपभोग 50
(xi) निवल (घरेलू) देशीय पूँजी निर्माण 340

हल:
(क) आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = ब्याज + किराया + लाभ + कर्मचारियों का पारिश्रमिक – विदेशों को शुद्ध कारक आय
= 150 + 250 + 640 + 1000 – 30
= 2040 – 30
= 2010 करोड़ रुपए

(ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निजी अंतिम उपभोग व्यय निर्यात +निवल निर्यात + निवल घरेलू पूँजी निर्माण – विदेशों को शुद्ध कारक आय – निवल अप्रत्यक्ष कर
= 600 + 1200 + (- 40) + 340 – 30 – 60
= 2140 – 130
= 2010 करोड़ रुपए

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी अंतिम उपभोग व्यय 1000
(ii) निवल घरेलू (देशीय) पूँजी निर्मा 200
(iii) लाभ 400
(iv) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 800
(v) किराया 250
(vi) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 500
(vii) अचल पूँजी का उपभोग 60
(viii) ब्याज 150
(ix) शेष दिश्व से चालू हस्तांतरण -80
(x) विदेशों से निवल कारक आय -10
(xi) निवल निर्यात -20
(xii) निवल अप्रत्यक्ष कर 80

हल:
(क) आय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = लाभ + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + ब्याज + विदेशों से निवल कारक आय + अचल पूँजी का उपभोग
= 400 + 800 + 250 + 150 + (- 10) + 60
= 1660 – 10
= 1650 करोड़ रुपए

(ख) व्यय विधि द्वारा कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + अचल पूँजी का उपभोग+निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय

प्रश्न 17.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) आय विधि और (ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय (NI) की गणना कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100
(ii) आर्थिक सहायता 10
(iii) किराया 200
(iv) मज़दूरी व वेतन 600
(v) अप्रत्यक्ष कर 60
(vi) निजी अंतिम उपभोग व्यय 800
(vii) सकल घरेलू पूँजी निर्माण 110
(viii) नियोक्ता द्वारा सामाजिक सुरक्षा में अंशदान 55
(ix) रॉयल्टी 25
(x) विदेशों को चुकाई गई निवल कारक आय 30
(xi) ब्याज 20
(xii) अचल पूँजी का उपभोग 10
(xiii) लाभ 130
(xiv) शुद्ध निर्यात 70
(xv) स्टॉक में परिवर्तन 50

हल:
(क) आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = किराया + मज़दूरी व वेतन + नियोक्ता द्वारा सामाजिक सुरक्षा में अंशदान + रॉयल्टी + ब्याज + लाभ – विदेशों को चुकाई गई निवल कारक आय
= 200 + 600 + 55 + 25 + 20 + 130 – 30
= 1030 – 30 = 1000 करोड़ रुपए

(ख) व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + आर्थिक सहायता + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – अप्रत्यक्ष कर – विदेशों को चुकाई गई निवल कारक आय
= 800 + 100 + 10+ 110 + 70 – 60 – 30
= 1090 – 90
= 1000 करोड़ रुपए

(नोट-(i) रॉयल्टी किराए का ही एक भाग है। यहाँ यह मान लिया गया है कि चूँकि रॉयल्टी एक पृथक मद के रूप में दी गई है, यह किराए में सम्मिलित नहीं है। अतः इसे आय विधि में आय माना गया है।

(ii) मज़दूरी व वेतन और नियोक्ता द्वारा सामाजिक सुरक्षा में अंशदान कर्मचारियों के दो भाग हैं। इसलिए इन दोनों मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया गया है।

VI. निजी आय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों से निजी आय ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से आय 4000
(ii) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत 200
(iii) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 150
(iv) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 400
(v) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 50
(vi) विदेशों से निवल कारक आय -40
(vii) निगम कर 60
(viii) वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर 140

हल:
निजी आय = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से आय + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण + विदेशों से निवल कारक आय
= 4000 + 150 + 50 + (- 40)
= 4160 करोड़ रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से निजी आय का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 30
(ii) बाज़ार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at MP) 400
(iii) सरकार से चालू हस्तांतरण 20
(iv) निवल अप्रत्यक्ष कर 40
(v) शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण -10
(vi) सरकार को प्राप्त कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद 50
(vii) अचल पूँजी का उपभोग 70

हल:
निजी आय = बाज़ार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – निवल अप्रत्यक्ष कर – अचल पूँजी का उपभोग – सरकार को प्राप्त कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकार .. से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण
= 400 – 40 – 70 – 50 + 30 + 20 + (-)10
= 450 – 170 = 280 करोड़ रुपए

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आँकड़ों से राष्ट्रीय आय और निजी आय का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) शेष विश्व को निवल चालू हस्तांतरण 10
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 600
(iii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 15
(iv) निवल निर्यात -20
(v) सरकार से चालू हस्तांतरण 5
(vi) सरकार को प्राप्त कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद 25
(vii) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100
(viii) निवल अप्रत्यक्ष कर 30
(ix) शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण 70
(x) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 10

हल:
NDP at MP (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपभोग व्यय + निवल निर्यात + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + शुद्ध घरेलू पूँजी निर्माण
= 600 + (- 20) + 100 + 70 = 750
NDP at FC = 750 – 30 = 720 करोड़ रुपए
NNP at FC (आय विधि द्वारा) = 720 + 10 = 730 करोड़ रुपए
Private sector income = 720-25 = 695 करोड़ रुपए
Private income = 695 + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय + चालू हस्तांतरण
= 695 + 10 – 10 + 5 = 700 करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) निजी आय और (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 500
(ii) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत 200
(iii) शेष विश्व से पूँजीगत हस्तांतरण 50
(iv) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 100
(v) निगम कर 150
(vi) घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र को होने वाली आय 3500
(vii) निवल अप्रत्यक्ष कर 300
(viii) विदेशों से निवल कारक आय -30
(ix) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 40
(x) वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर 110

हल:
(क) निजी आय = घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र को होने वाली आय + विदेशों से निवल कारक आय + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण
= 3500 + (-30) + 100 + 40 = 3610 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय-निजी निगमित क्षेत्र की बचत -निगम कर – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर
= 3610 – 500 – 150 – 110 = 2850 करोड़ रुपए

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) निजी आय और (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) सरकारी प्रशासनिक विभागों को संपत्ति व उद्यमवृत्ति से आय 500
(ii) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत 100
(iii) निगम कर 80
(iv) घरेलू (देशीय) उत्पाद से निजी क्षेत्र को आय 4500
(v) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 200
(vi) विदेशों से निवल साधन आय -50
(vii) वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर 150
(viii) अप्रत्यक्ष कर 220
(ix) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 80
(x) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 500

हल:
(क) निजी आय = घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र को आय + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + विदेशों से निवल कारक आय + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण
= 4500 + 200 + (-50) + 80 = 4730 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय-निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर
= 4730 – 80 – 500 – 150 = 4000 करोड़ रुपए

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) निजी आय और (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी क्षेत्र की घरेलू उत्पाद से आय 4000
(ii) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत 200
(iii) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 150
(iv) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 400
(v) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 50
(vi) विदेशों से निवल साधन आय -40
(vii) निगम कर 60
(viii) वैयक्तिक अप्रत्यक्ष कर 140

हल:
(क) निजी आय = निजी क्षेत्र की घरेलू उत्पाद से आय + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण + विदेशों से निवल कारक आय
= 4000 + 150 + 50 + (-40)
= 4160 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय – निजी निगमित क्षेत्र की बचत – निगम कर – वैयक्तिक अप्रत्यक्ष कर
= 4160 – 400 -60 – 140 = 3560 करोड़ रुपए

VII. वैयक्तिक प्रयोज्य आय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) निजी आय, (ख) वैयक्तिक आय और (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय का अनुमान लगाइए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी क्षेत्रक को घरेलू उत्पाद से होने वाली आय 79,096
(ii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 964
(iii) निजी कंपनी क्षेत्रक की बचत (अवितरित लाभ) 464
(iv) विदेशों से शुद्ध उत्पादन (कारक) आय -201
(v) सरकारी प्रशासकीय विभागों से चालू हस्तांतरण 1981
(vi) निगम (लाभ) कर 1251
(vii) परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर 2100
(viii) संसार के अन्य भागों से शुद्ध चालू हस्तांतरण 1271

हल:
(क) निजी आय = निजी क्षेत्रक को घरेलू उत्पाद से होने वाली आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + विदेशों से शुद्ध उत्पादन आय + सरकारी प्रशासकीय विभागों से चालू हस्तांतरण + संसार के अन्य भागों से शुद्ध चालू हस्तांतरण
= 79,096 + 964 + (-)201 + 1981 + 1271 = 83,111 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक आय = निजी आय – निजी कंपनी क्षेत्रक की बचत – निगम कर
= 83,111 – 464 – 1251 = 81,396 करोड़ रुपए

(ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए अप्रत्यक्ष कर
= 81,396 – 2100 = 79,296 करोड़ रुपए

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से परिकलन कीजिए-(क) निजी आय, (ख) वैयक्तिक आय और (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय।

(करोड़ रुपए में)
(i) निवल घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र को प्राप्त कारक आय 300
(ii) उद्यमवृत्ति और संपत्ति से सरकारी प्रशासनिक विभागों को आय 70
(iii) गैर-विभागीय उद्यमों की बचत 60
(iv) विदेशों से कारक आय 20
(v) अचल पूँजी का उुपभोग 35
(vi) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 15
(vii) निगम कर 25
(viii) विदेशों को कारक आय 30
(ix) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 40
(x) परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर 20
(xi) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 5
(xii) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 80

हल:
(क) निजी आय = निवल घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र को प्राप्त कारक आय + विदेशों से कारक आय – विदेशों को कारक आय + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
= 300 + (20 – 30) + 15 + 40 + 5 = 350 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक आय = निजी आय – निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत
= 350 – 25 – 80 = 245 करोड़ रुपए

(ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर
= 245-20 = 225 करोड़ रुपए

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आँकड़ों से परिकलन कीजिए-(क) निजी आय, (ख) वैयक्तिक आय और (ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय।

(करोड़ रुपए में)
(i) संपत्ति और उद्यमवृत्ति से सरकारी प्रशासनिक विभागों को प्राप्त आय 100
(ii) गैर-विभागीय उद्यमों की बचत 80
(iii) निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय 500
(iv) निगम कर 30
(v) निजी निगमित क्षेत्र की बचत, विदेशी कंपनियों की प्रतिधारित आय सहित 65
(vi) परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर 20
(vii) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 10
(viii) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 20
(ix) विदेशों, से कारक आय 5
(x) प्रचालन अधिशेष 150
(xi) विदेशों को कारक आय 15

हल:
(क) निजी आय = निजी क्षेत्र को निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय + विदेशों से कारक आय – विदेशों को कारक आय+सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण
= 500 + (5 – 15) + 10 + 20 = 520 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक आय = निजी आय – निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत, विदेशी कंपनियों की प्रतिधारित आय सहित
= 520 – 30 – 65 = 425 करोड़ रुपए

(ग) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर
= 425 – 20 = 405. करोड़ रुपए

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) वैयक्तिक प्रयोज्य आय (PDI) और (ख) राष्ट्रीय आय का परिकलन कीजिए
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 9
हल:
(क) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय – निजी उद्यमों की शुद्ध प्रतिधारित आय – निगम कर – परिवारों द्वारा दिया गया प्रत्यक्ष कर
Set I = 3000-600-350 – 300 = 1750 करोड़ रुपए
Set II = 4000 – 800 – 450 – 400 = 2350 करोड़ रुपए
Set III = 4000 – 200-400 – 150 = 3250 करोड़ रुपए

(ख) राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + स्वनियोजितों की मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय किराया + लाभ + ब्याज
Set I = 800 + 900 + (-50)+ 350 + 600 + 450 = 3050 करोड़ रुपए
Set II = 1500 + 1400 + (-60)+ 300 + 1000 + 400 = 4540 करोड़ रुपए
Set III = 1300 + 1200 + (-50)+ 600+ 800 + 700 = 4550 करोड़ रुपए
(नोट-यहाँ निवल निर्यात, निवल अप्रत्यक्ष कर और अचल पँजी उपभोग प्रासंगिक नहीं है।)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) राष्ट्रीय आय और (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय का परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) कर्मचार्यिं का पारिश्रमिक 1200
(ii) किराया 400
(iii) लाभ 800
(iv) अचल पूँजी का उपभोग 300
(v) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 1000
(vi) निजी आय 3600
(vii) विदेशों से शुद्ध साधन आय -50
(viii) निजी उद्यमियों की शुद्ध अवितरित आय 200
(ix) ब्याज 250
(x) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 350
(xi) शुद्ध निर्यात -60
(xii) परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर 150
(xiii) निगम कर 100

हल:
(क) राष्ट्रीय आय (NNP at FC) = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + किराया + लाभ + स्वनियोजितों की मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध कारक आय + ब्याज
= 1200 + 400 + 800 + 1000 + (-50) + 250 = 3600 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय – निजी उद्यमियों की शुद्ध अवितरित आय-निगम कर
= 3600 – 200 – 100 = 3300 करोड़ रुपए
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – परिवारों द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष कर
= 3300 – 150 = 3150 करोड़ रुपए
(नोट-राष्ट्रीय आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय के परिकलन के लिए अचल पूँजी का उपभोग तथा शुद्ध निर्यात प्रासंगिक नहीं है।)

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों से वैयक्तिक प्रयोज्य आय का परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) वैयक्तिक कर 60
(ii) निजी क्षेत्र को होने वाला कारक लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद 600
(iii) अवितरित लाभ 10
(iv) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 50
(v) निगम (लाभ) कर 100
(vi) शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण -20
(vii) सरकार से चाल हस्तांतरण 30

हल:
निजी क्षेत्र की कारक आय = 600
वैयक्तिक आय = निजी क्षेत्र को होने वाला कारक लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – अवितरित लाभ-निगम (लाभ) कर + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण + सरकार से चालू हस्तांतरण
= 600 – 10 – 100 + 50+ (-20) + 30 = 550 करोड़ रुपए
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 550-60 = 490 करोड़ रुपए

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) कारक लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP at FC) तथा (ख) वैयक्तिक आय का परिकलन कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी अंतिम उपभोग व्यय 700
(ii) गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें 20
(iii) शुद्ध घरेलू अचल पूँजी निर्माण 100
(iv) अवितरित लाभ 5
(v) स्टॉक में परिवर्तन 10
(vi) निगम कर 35
(vii) शुद्ध निर्यात 40
(viii) संपत्ति और उद्यमशीलता से प्रशासनिक विभागों को प्राप्त आय 30
(ix) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 40
(x) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 150
(xi) सरकार द्वारा चालू हस्तांतरण 25
(xii) विदेर्शों से शुद्ध कारक आय -10
(xiii) शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तांतरण 10
(xiv) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 60
(vv) वैयक्तिक कर 35

हल:
(क) NDP at MP (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपयोग व्यय + शुद्ध घरेलू अचल पूँजी निर्माण + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तांतरण + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकारी अंतिम उपयोग व्यय
= 700 + 100 + 10 + 40 + 150 = 1000 करोड़ रुपए
NDP at FC = 1000 -60 = 940 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक आय = NDO at FC-(ii) – (viii) – (iv) + (xv) + (ix + xi + xiii) + (xii)
= 940 – 20 – 30 – 5 – 35 + (40 + 25 + 10) + (-10)
= 915 करोड़ रुपए

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आँकड़ों से बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) आर्थिक सहायता 20
(ii) विदेशों से शुद्ध कारक आय -60
(iii) सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय 1050
(iv) वैयक्तिक कर 110
(v) निजी उद्यमों की बचतें 40
(vi) राष्ट्रीय आय 900
(vii) अप्रत्यक्ष कर 100
(viii) निगम कर 90
(ix) शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय 1000
(x) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज 30
(xi) विदेशों से चालू हस्तांतरण 20
(xii) सरकार से चालू हस्तांतरण 50
(xiii) सरकारी प्रशासनिक विभागों की विविध प्राप्तियाँ 30
(xiv) निजी आय 700
(xv) निजी अंतिम उपभोग व्यय 380

हल:
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय – विदेशों से चालू हस्तांतरण
= 1050 – 20 = 1030 करोड़ रुपए
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय – निगम कर – निजी उद्यमियों की बचतें – वैयक्तिक कर – सरकार प्रशासनिक विभागों की विविध प्राप्तियाँ
= 700 – 90 – 40 – 110 – 30
= 700 – 270
= 430 करोड़ रुपए

नोट-(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय + अप्रत्यक्ष कर + अचल पूँजी का उपभोग – आर्थिक सहायता
= 900 + 100 + 50 – 20
= 1050 – 20 = 1030 करोड़ रुपए

(ii) अचल पूँजी का उपभोग = सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय – शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय
= 1050 – 1000
= 50 करोड़ रुपए

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) निजी आय और (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी क्षेत्र को देशीय उत्पाद से होने वाली आय 4000
(ii) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्धमों की बचत 200
(iii) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 150
(iv) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 400
(v) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 50
(vi) विदेशौं से निवल साधन आय -40
(vii) निगम कर 60
(viii) वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर 140

हल:
(क) निजी आय = निजी क्षेत्र को देशीय (घरेलू) उत्पाद से होने वाली आय + विदेशों से निवल कारक (साधन) आय + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण
= 4000 + (-40) + 150 + 50 = 4200 – 40 = 4160 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय –निगम कर – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर– निजी निगमित क्षेत्र की बचत
= 4160-60 – 140 – 400 = 4160 — 600 = 3560 करोड़ रुपए
नोट-गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत यहाँ प्रासंगिक नहीं है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) निजी आय और (ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) सरकारी प्रशासनिक विभागों को संपत्ति व उद्यमवृत्ति से अर्जित आय 500
(ii) गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचतें 100
(iii) निगम कर 80
(iv) घरेलू उत्पाद से निजी क्षेत्र को होने वाली आय 4,500
(v) सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण 200
(vi) विदेशों से निवल साधन आय -50
(vii) वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर 150
(viii) अप्रत्यक्ष कर 220
(ix) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 80
(x) निजी निगमित क्षेत्र की बचत 500

हल:
(क) निजी आय = घरेलू (देशीय) उत्पाद से निजी क्षेत्र को होने वाली आय + विदेशों से निवल कारक (साधन) आय + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण + सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण
= 4,500 + (-50) + 80 + 200 = 4,780 -50
= 4,730 करोड़ रुपए

(ख) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय + निगम कर – निजी निगमित क्षेत्र की बचत – वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर
= 4,730 – 80 – 500 – 150
= 4,730 – 730
= 4,000 करोड़ रुपए
(नोट-निम्नलिखित मदें निजी आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना के लिए प्रासंगिक नहीं हैं-

  • सरकारी प्रशासनिक विभागों की संपत्ति व उद्यमवृत्ति से अर्जित आय
  • अप्रत्यक्ष कर
  • गैर-विभागीय सार्वजनिक उद्यमों की बचत)

VIII. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों से सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (GNDI) ज्ञात कीजिए
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 10
हल:
GNDI = NNP at FC + मूल्यह्रास + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण
Set I = 2000 + 250 + 100 + 200 = 2550 करोड़ रुपए
Set II = 3000 + 250 + 150 + 300 = 3700 करोड़ रुपए
Set III = 1000 + 80 + 100 + 150 = 1330 करोड़ रुपए
नोट-विदेशों से निवल कारक आय यहाँ पर अप्रासंगिक है क्योंकि यह राष्ट्रीय आय में पहले से ही शामिल है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (NNDI) ज्ञात कीजिए
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 11
हल:
NNDI = GNP at FC – मूल्यह्रास + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शुद्ध चालू हस्तांतरण
Set I = 800 -60 + 70+ 50 = 860 करोड़ रुपए
Set II = 1000 – 100 + 120 + 50 = 1070 करोड़ रुपए
Set III = 1500 – 100 + 120 + (-30) = 1490 करोड़ रुपए
नोट-विदेशों से निवल कारक आय यहाँ पर अप्रासंगिक है, क्योंकि यह कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद में पहले से ही शामिल है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आँकड़ों से राष्ट्रीय आय और सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (GNDI) का परिकलन कीजिए-

(करोड़ों रुपए)
(i) सरकार द्वारा पूँजी हस्तांतरण 15
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 400
(iii) शेष विश्व से चालू हस्तांतरण 20
(iv) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100
(v) विदेशों से निवल कारक आय -10
(vi) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 80
(vii) अचल पूँजी का उपभोग 50
(viii) निवल निर्यात 40
(ix) निबल प्रत्यक्ष कर 60

हल:
(i) राष्ट्रीय आय = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + निवल निर्यात + विदेशों से निवल कारक आय – निवल प्रत्यक्ष कर
= 400 + 100 + 80+ 40 + (-) 10 – 60
= 620 – 70
= 550 करोड़ रुपए

(ii) सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + निवल प्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण
= 550 + 60 + 20
= 630 करोड़ रुपए

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से राष्ट्रीय आय तथा निवल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (NNDI) का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) सरकार से चालू हस्तांतरण 35
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 500
(iii) शेष विश्व से निवल चालू हस्तांतरण -10
(iv) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 150
(v) विदेशों से निवल कारक आय -20
(vi) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 100
(vii) निवल अप्रत्यक्ष कर 120
(viii) निवल निर्यात 50

हल:
NDP at MP (व्यय विधि द्वारा) = निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + निवल निर्यात।
= 500 + 150 + 100 + 50 = 800
NDP at FC = 800 – 120 = 680 करोड़ रुपए

  • राष्ट्रीय आय NNP at FC = 680 + (-20) = 660 करोड़ रुपए
  • NNDI = 660+ 120+ (-10) = 770 करोड़ रुपए

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों से कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद (NDP.) और सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (GNDI) का परिकलन कीजिए

(करोड़ रुपए में)
(i) विदेशों से शुद्ध चालू हस्तांतरण -5
(ii) निजी अंतिम उपभोग व्यय 250
(iii) विदेशों से निवल कारक आय 15
(iv) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 50
(v) अचल (स्थाई) पूँजी का उपभोग (अवक्षय) 25
(vi) शुद्ध निर्यात -10
(vii) आर्थिक सहायता 10
(viii) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 30
(ix) अप्रत्यक्ष कर 20

हल:
GDPMP (व्यय विधि द्वारा)= निजी अंतिम उपभोग व्यय+ सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + अचल (स्थाई) पूँजी का उपभोग (अवक्षय)
= 250 + 50+30+ (-10)+ 25 = 345 करोड़ रुपए
(i) NDPFC = GDPMP – मूल्यह्रास + आर्थिक सहायता – अप्रत्यक्ष कर
= 345 – 25 + 10 – 20 = 310 करोड़ रुपए

(ii) GNDI = GDPMP + विदेशों से निवल कारक आय + विदेशों से शुद्ध चालू हस्तांतरण
= 345 + 15 + (- 5) = 355 करोड़ रुपए

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) राष्ट्रीय आय, और (ख) सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (GNDI) ज्ञात कीजिए-

(करोड़ रुपए में)
(i) निजी अंतिम उपभोग व्यय 400
(ii) शेष विश्व से शुद्ध हस्तांतरण -5
(iii) अप्रत्यक्ष कर 65
(iv) निवल घरेलू पूँजी निर्माण 120
(v) सरकारी अंतिम उपभोग व्यय 100
(vi) अचल (स्थाइ) पूँजी का उपभोग (मूल्यह्नास) 20
(vii) आर्थिक सहायता 5
(viii) निर्यात 30
(ix) विदेशों से शुद्र कारक आय -10
(x) आयात 40

हल:
GDP at MP = निजी अंतिम उपभोग व्यय + निवल घरेलू पूँजी निर्माण + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + अचल पूँजी का उपभोग + निर्यात – आयात
= 400 + 120 + 100 + 20+ 30 – 40 = 630

(क) राष्ट्रीय आय (NNPFC) = GDPMP – मूल्यह्रास + NFIA – आर्थिक सहायता
= 630 – 20 + (- 10) – 65 + 5
= 540 करोड़ रुपए

(ख) GNDI = GDPMP + NFIA + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण
= 630 + (-10) + (-5)
= 615 करोड़ रुपए

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों से (क) शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (NNDI), और (ख) निजी आय ज्ञात कीजिए

(करोंड़ रुपए में)
(i) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर 90
(ii) कर्मचारियों का पारिश्रमिक 400
(iii) वैयक्तिक कर 100
(iv) प्रचालन अधिशेष 200
(v) निगम लाभ कर 80
(vi) स्वनियोजितों की मिश्रित आय 500
(vii) राष्ट्रीय ऋण ब्याज 70
(viii) गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें 40
(ix) सरकार से चालू हस्तांतरण 60
(x) सरकारी विभागों को संपत्ति व उद्यमवृत्ति से आय 30
(xi) शेष संसार को शुद्ध चालू अंतरण 20
(xii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय -50

हल:
घरेलू आय= कर्मचारियों का पारिश्रमिक + प्रचालन अधिशेष + स्वनियोजितों की मिश्रित आय = 400+ 200+ 500 = 1,100 करोड़ रुपए
राष्ट्रीय आय (NNP at FC) = घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = 1100 + (- 50) = 1,050 करोड़ रुपए

(क) NNDI = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष संसार को शुद्ध चालू अंतरण = 1,050 + 90 + (-20) = 1,120 करोड़ रुपए

(ख) निजी आय = राष्ट्रीय आय – गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें- सरकार विभागों को संपत्ति व उद्यमवृत्ति से आय + राष्ट्रीय ऋण ब्याज + सरकार से चालू हस्तांतरण + शेष विश्व को चालू हस्तांतरण
= 1,050 – 40 – 30 + (70 + 60 – 20)
= 1,090 करोड़ रुपए

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