Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए
1. माइक्रो (Micro) और मैक्रो (Macro) शब्दों की उत्पत्ति निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा से हुई है?
(A) अंग्रेज़ी
(B) लैटिन
(C) यूनानी (ग्रीक)
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) यूनानी (ग्रीक)
2. व्यष्टि (Micro) और समष्टि (Macro) शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
(A) मार्शल
(B) रोबिन्स
(C) रैगनर नर्कसे
(D) रैगनर फ्रिश
उत्तर:
(D) रैगनर फ्रिश
3. समष्टि (मैक्रो) अर्थशास्त्र का संबंध है-
(A) व्यक्तिगत इकाइयों से
(B) सामूहिक कार्यों से
(C) एक फर्म से
(D) एक उद्योग से
उत्तर:
(B) सामूहिक कार्यों से
4. विश्वव्यापी महामंदी का काल बताइए
(A) 1929-30
(B) 1929-32
(C) 1929-33
(D) 1929-36
उत्तर:
(C) 1929-33
5. आय और रोजगार सिद्धांत निम्नलिखित में से कौन-से सिद्धांत की एक प्रमुख विशेषता है?
(A) व्यष्टि
(B) समष्टि
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) समष्टि
6. समष्टि अर्थशास्त्र तथा व्यष्टि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित में से कौन-सा अंतर सही है?
(A) अध्ययन क्षेत्र में अंतर
(B) सामूहिकता में अंतर
(C) विभिन्न मान्यताओं में अंतर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
7. विश्वमंदी का अध्ययन होता है-
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में
8. समष्टि अर्थशास्त्र का विकास एक अलग शाखा के रूप में कब हुआ?
(A) 1930 से 1940 के बीच में
(B) 1910 से 1920 के बीच में
(C) 1920 से 1930 के बीच में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) 1930 से 1940 के बीच में
9. साधनों के आबंटन का अध्ययन होता है-
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
10. समष्टि अर्थशास्त्र अध्ययन करता है-
(A) संपूर्ण अर्थव्यवस्था का
(B) एक उद्योग का
(C) एक फर्म का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) संपूर्ण अर्थव्यवस्था का
11. यदि समूचे चीनी उद्योग की जाँच की जाए, तो यह कौन-सा विश्लेषण कहलाएगा?
(A) व्यष्टिपरक
(B) समष्टिपरक
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यष्टिपरक
12. आधुनिक समष्टि आर्थिक विश्लेषण का जनक किसे माना जाता है?
(A) डेविड रिकार्डो को
(B) डॉ० मार्शल को
(C) जॉन मेनार्ड केज़ को
(D) एडम स्मिथ को
उत्तर:
(C) जॉन मेनार्ड केज़ को
13. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि तत्त्व नहीं है?
(A) रोज़गार का सिद्धांत
(B) माँग का सिद्धांत
(C) आय का सिद्धांत
(D) मौद्रिक नीति
उत्तर:
(B) माँग का सिद्धांत
14. राष्ट्रीय आय का अध्ययन होता है-
(A) समष्टि अर्थशास्त्र में
(B) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) समष्टि अर्थशास्त्र में
15. उस अर्थशास्त्री का नाम बताइए जिसने सबसे पहले समष्टि अर्थशास्त्र की बुनियाद डाली।
(A) डेविड रिकार्डो
(B) डॉ० मार्शल
(C) जॉन मेनार्ड केज़
(D) एडम स्मिथ
उत्तर:
(D) एडम स्मिथ
16. समष्टि अर्थशास्त्र का मौलिक उद्देश्य यह जानना है कि-
(A) अर्थव्यवस्था में मंदी के क्या कारण हैं?
(B) अर्थव्यवस्था में धीमी संवृद्धि के क्या कारण हैं?
(C) कीमत स्तर में वृद्धि या बेरोज़गारी में वृद्धि के क्या कारण हैं?
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
17. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि तत्त्व नहीं है?
(A) समग्र माँग
(B) राष्ट्रीय आय
(C) व्यापार चक्र
(D) उपभोक्ता संतुलन
उत्तर:
(D) उपभोक्ता संतुलन
18. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि चर है?
(A) रोजगार का सिद्धान्त
(B) कीमत लोच
(C) लगान का सिद्धान्त
(D) वस्तु की कीमत
उत्तर:
(A) रोजगार का सिद्धान्त
B. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. कीमत सिद्धांत ……………. अर्थशास्त्र की एक प्रमुख विशेषता है। (व्यष्टि/समष्टि)
उत्तर:
व्यष्टि
2. संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन ……………. अर्थशास्त्र करता है। (समष्टि/व्यष्टि)
उत्तर:
समष्टि
3. ……………… समष्टिगत तत्त्व है। (माँग की लोच/मुद्रास्फीति)
उत्तर:
मुद्रास्फीति
4. विश्व महामंदी का वर्ष …………….. था। (1929/1942)
उत्तर:
1929
5. आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक ……………. है। (एडम स्मिथ जे०एम० केज)
उत्तर:
एडम स्मिथ
6. राष्ट्रीय आय का अध्ययन करना ……………. अर्थशास्त्र की विशेषता है। (समष्टि/व्यष्टि)
उत्तर:
समष्टि
7. आधुनिक समष्टि आर्थिक विश्लेषण का जनक ………….. को माना जाता है। (जे०एम० केज/एडम स्मिथ)
उत्तर:
जे०एम० केज
C. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत
- समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध व्यक्तिगत इकाइयों से होता है।
- जो बात व्यष्टि अर्थशास्त्र के लिए सही है, वही बात समष्टि अर्थशास्त्र के लिए भी सही होती है।
- सभी प्रकार के आर्थिक समूहों और औसतों का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के अर्न्तगत किया जाता है।
- प्रो० केज़ के अनुसार समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।
- व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में कोई संबंध नहीं पाया जाता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य जन-कल्याण होता है।
- समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र परस्पर एक-दूसरे के विरोधी हैं।
- समष्टि अर्थशास्त्र का वैकल्पिक नाम आय एवं रोजगार का सिद्धांत है।
- कुल माँग एवं कुल पूर्ति व्यष्टि अर्थशास्त्र के उदाहरण हैं।
- समष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यक्तिगत इकाइयों से होता है।
- समग्र माँग और समग्र पूर्ति समष्टि अर्थशास्त्र के मुख्य उपकरण हैं।
- सामान्य कीमत स्तर पर समष्टि अर्थशास्त्र एक आर्थिक अध्ययन है।
- प्रो० केज के अनुसार समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।
उत्तर:
- गलत
- गलत
- सही
- गलत
- गलत
- सही
- सही
- गलत
- सही
- गलत
- गलत
- सही
- सही
- गलत।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा है जिसके अंतर्गत संपूर्ण अर्थव्यवस्था का एक इकाई के रूप में अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समाहारों (Aggregates); जैसे सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सामान्य कीमत स्तर, रोज़गार का स्तर, कुल बचत, कुल निवेश, कुल माँग, कुल पूर्ति आदि का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 2.
दो मुख्य विषय बताएँ जिनका अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।
उत्तर:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics)
- समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics)।
प्रश्न 3.
व्यष्टि अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र में कोई दो अंतर बताइए।
उत्तर:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समूहों का अध्ययन किया जाता है।
- व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की मान्यता पर आधारित है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था में संसाधनों के अपूर्ण व अल्प रोज़गार पर आधारित है।
प्रश्न 4.
आधनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं? उनके द्वारा लिखी गई सप्रसिद्ध पस्तक का नाम लिखें।
उत्तर:
एडम स्मिथ (Adam Smith) आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक हैं। एडम स्मिथ द्वारा रचित सुप्रसिद्ध पुस्तक “An Enquiry into the Nature and Causes of the Wealth of Nations” है।
प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र पर जॉन मेनार्ड केञ्ज (Keynes) द्वारा लिखी गई पुस्तक का नाम बताइए। यह कौन-से वर्ष प्रकाशित हुई? .
उत्तर:
जॉन मेनार्ड केञ्ज की लिखी पुस्तक ‘रोज़गार, ब्याज और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत’ (The General Theory of Employment, Interest and Money) है जो सन् 1936 ई० में प्रकाशित हुई।
प्रश्न 6.
भारत में बेरोज़गारी की समस्या का अध्ययन समष्टि आर्थिक अध्ययन क्यों कहलाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के अध्ययन से संबंधित है। चूँकि बेरोज़गारी की समस्या का अध्ययन संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित है, इसलिए बेरोजगारी की समस्या का अध्ययन समष्टि आर्थिक अध्ययन कहलाता है।
प्रश्न 7.
क्या एक फर्म के उत्पादन का स्तर समष्टि आर्थिक अध्ययन है? कारण दें।
उत्तर:
समष्टि आर्थिक सिद्धांत अर्थशास्त्र का वह भाग है जो अर्थव्यवस्था के कुल समूहों का अध्ययन करता है। इस दृष्टि . से एक फर्म के उत्पादन का स्तर समष्टि आर्थिक अध्ययन नहीं है।
प्रश्न 8.
सूती वस्त्र उद्योग का अध्ययन समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन नहीं बल्कि व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय है। चूंकि यह अध्ययन किसी विशेष उद्योग से संबंधित है।
प्रश्न 9.
समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण के किन तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण के कुल माँग, कुल पूर्ति, कुल उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश आदि तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 10.
समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आय तथा रोज़गार का निर्धारण, सामान्य कीमत स्तर, आर्थिक विकास की समस्या, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समष्टि आर्थिक अध्ययन के महत्त्वपूर्ण विषय हैं।
प्रश्न 11.
सन् 1929-33 की महामंदी काल में क्या बातें देखने में आईं?
उत्तर:
महामंदी के संकट के समय विश्व में उत्पादन तो था परंतु वस्तुओं की माँग नहीं थी। इस महामंदी के दौरान विश्व को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। श्रमिकों में बेरोज़गारी बढ़ गई थी।
प्रश्न 12.
समष्टि अर्थशास्त्र की दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
- समष्टि अर्थशास्त्र अपूर्ण रोज़गार व अल्प रोज़गार की स्थिति पर आधारित है।
- समष्टि अर्थशास्त्र सरकारी हस्तक्षेप द्वारा सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के महत्त्व को प्रकट करता है, चूँकि निवेश में वृद्धि पर ही आय तथा रोज़गार निर्भर करता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र का प्रादुर्भाव कैसे हुआ?
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव कैसे हुआ?
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की विचारधारा का विकास किस प्रकार हुआ? समझाइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र में काफी लंबे समय तक व्यष्टिगत आर्थिक सिद्धांतों का प्रचलन रहा और अर्थशास्त्रियों ने उन्हें मान्यता दी, परंतु 1929-33 की विश्वव्यापी मंदी के दौरान इन सिद्धांतों को सत्य नहीं पाया गया। इस अवधि के दौरान संसार के अनेक देशों में मंदी और बेरोज़गारी की समस्या का समाधान करने के लिए जे०एम०केञ्ज ने अपने सिद्धांत अपनी पुस्तक ‘The General Theory of Employment, Interest and Money’ में 1936 में प्रकाशित किए। इस पुस्तक ने आर्थिक जगत में नए विचारों का सूत्रपात किया। केज के विचारों से आर्थिक क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आया, जिसे ‘केजीयन क्रांति’ की संज्ञा दी गई। केजीयन क्रांति के बाद ही समष्टि स्तरीय आर्थिक चिंतन में अर्थशास्त्रियों की रुचि जागत हुई। उससे पहले के आर्थिक चिंतन में किसी प्रकार के आर्थिक संकट की संभावना को स्वीकार नहीं किया जाता था।
उस समय ऐसा माना जाता था कि बाज़ार व्यवस्था में ‘स्वचालित सामंजस्य’ की क्षमता होती है जो अर्थव्यवस्था को सदैव संतुलन में रखती है। उन लोगों की मान्यता थी कि किसी भी आर्थिक व्यवधान के समय सामंजस्य प्रक्रिया उस व्यवधान का अपने-आप समाधान कर देगी। परंतु 1929-33 की विश्वव्यापी महामंदी के दौरान इन सिद्धांतों के उदय का मार्ग प्रशस्त हुआ। समष्टि स्तरीय आर्थिक विश्लेषण का आरंभ इसी सिद्धांत से होता है। केज ने अपने सिद्धांत में संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित समस्याओं का अध्ययन करने के लिए समष्टि अर्थशास्त्र की प्रणाली का उपयोग किया। मंदी, बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय व रोज़गार, सामान्य कीमत स्तर, सामान्य मज़दूरी स्तर आदि के अध्ययन के लिए समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन को अपनाने पर जोर दिया। यह सिद्धांत मुख्य रूप से यह स्पष्ट करता है कि किसी देश में आय व रोजगार का निर्धारण किस प्रकार होता है।
प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) व्यक्ति की समस्याएँ समूह की समस्याओं से भिन्न होती हैं जबकि समष्टि अर्थशास्त्र में समूहों का अध्ययन होता है। समूह में परिवर्तन का प्रभाव व्यक्तिगत इकाइयों पर अलग-अलग पड़ सकता है। जिस प्रकार बढ़ती हुई कीमतों का प्रभाव समाज के धनी वर्ग पर कम और निर्धन वर्ग पर अधिक पड़ता है।
(ii) इसका एक प्रमुख दोष यह है कि सामान्य निष्कर्ष वैयक्तिक इकाइयों के लिए उपयुक्त नहीं होते। व्यक्ति के लिए अपनी आय से एक भाग बचाना अच्छी बात है, किंतु यदि सारा समाज ही धन बचाने में जुट जाए तो निश्चय ही अर्थव्यवस्था में मंदी आ जाएगी।
(iii) यदि जिन इकाइयों से मिलकर समूह बनता है, वे बदल जाती हैं, किंतु समूह अपरिवर्तित रहता है तो इसके परिणामस्वरूप अनेक भ्रमात्मक निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
(iv) समष्टि अर्थशास्त्र समूहों की समरूपता की मान्यता पर आधारित है, लेकिन व्यवहार में हमें अधिकांश रूप से विभिन्न रूपों वाले समूह ही देखने को मिलते हैं।
प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व निम्नलिखित हैं
1. संपूर्ण अर्थव्यवस्था के अध्ययन के लिए उपयुक्त-समष्टि अर्थशास्त्र बताता है कि संपूर्ण अर्थव्यवस्था एक इकाई के रूप में कैसे कार्य करती है और राष्ट्रीय आय व रोज़गार का स्तर कैसे निर्धारित होता है।
2. आर्थिक समस्याओं को हल करने व नीति-निर्धारण में सहायक-समष्टि अर्थशास्त्र अनेक आर्थिक समस्याओं; जैसे बेरोज़गारी, व्याप्त गरीबी, मंदी व तेजी, निम्न उत्पादन स्तर, व्यापार चक्र जैसी समस्याओं के मूल कारकों की पहचान कराने और उपयुक्त निदानकारी नीति बनाने में यह सहायता करता है।
3. आर्थिक विकास प्राप्त करने में सहायक प्रत्येक देश का उद्देश्य शीघ्र आर्थिक विकास करना है। समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों का विवेचन करता है जो आर्थिक विकास संभव बनाते हैं। यह आर्थिक विकास की उच्चतम अवस्था प्राप्त करने और उसे बनाए रखने की विधि बताता है।
दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए। इसके क्षेत्र का वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषाएँ-समष्टि शब्द का अंग्रेज़ी रूपांतर मैक्रो (Macro) है जो ग्रीक (Greek) भाषा के ‘MAKROS’ से बना है, जिसका अर्थ होता है-बड़ा (Large)। समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा है जो समग्र अर्थव्यवस्था का एक इकाई के रूप में अध्ययन करता है।
1. प्रो० बोल्डिंग के शब्दों में, “समष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत मात्राओं का अध्ययन नहीं करता बल्कि इन मात्राओं के समूहों का अध्ययन करता है; व्यक्तिगत आय का नहीं बल्कि राष्ट्रीय आय का; व्यक्तिगत कीमतों का नहीं बल्कि सामान्य कीमत स्तर का; व्यक्तिगत उत्पादन का नहीं अपितु राष्ट्रीय उत्पादन का अध्ययन करता है।”
2. शेपीरो के अनुसार, “समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।”
दूसरे शब्दों में, समष्टि अर्थशास्त्र में उन आर्थिक मुद्दों का अध्ययन होता है जिनका संबंध संपूर्ण अर्थव्यवस्था से होता है; जैसे समग्र माँग, समग्र पूर्ति, कुल रोज़गार, राष्ट्रीय आय, कीमत स्तर, कुल निवेश, कुल बचत आदि। उपमा के रूप में हम कह सकते हैं कि समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक वन का विश्लेषण करता है न कि वन के वृक्षों का।
समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र-समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में निम्नलिखित विषयों का अध्ययन किया जाता है
1. राष्ट्रीय आय का सिद्धांत-समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत राष्ट्रीय आय का अर्थ, राष्ट्रीय आय संबंधी विभिन्न अवधारणाएँ, उसके विभिन्न तत्त्व, राष्ट्रीय आय के मापन की विधियाँ तथा सामाजिक लेखे (Social Accounting) आदि का अध्ययन किया जाता है।
2. रोज़गार का सिद्धांत-समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण तथा बेरोज़गारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें रोज़गार निर्धारण के विभिन्न कारकों; जैसे समस्त माँग, समस्त पूर्ति, कुल उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश तथा कुल पूँजी-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।
3. मुद्रा का सिद्धांत मुद्रा की मात्रा का देश के उत्पादन, रोज़गार, आय, कीमत-स्तर आदि पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अतः समष्टि अर्थशास्त्र में मुद्रा के कार्यों तथा मुद्रा पूर्ति से संबंधित सिद्धांतों, बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं का अध्ययन किया जाता है।
4. सामान्य कीमत स्तर का सिद्धांत-समष्टि अर्थशास्त्र में सामान्य कीमत स्तर के निर्धारण तथा उसमें होने वाले परिवर्तन जैसे मुद्रास्फीति (Inflation) अर्थात कीमतों में होने वाली माँग जन्य तथा लागत जन्य वृद्धि एवं अवस्फीतिक (Deflation) अर्थात् कीमतों में होने वाली सामान्य कमी आदि समस्याओं का अध्ययन भी किया जाता है।
5. आर्थिक विकास का सिद्धांत-आर्थिक विकास के सिद्धांतों का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। इसमें किसी राष्ट्र के अल्पविकसित होने के कारणों, विकास करने की नीतियों एवं विधियों का अध्ययन किया जाता है।
6. व्यापार चक्र का सिद्धांत प्रत्येक अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की गति में परिवर्तन आता रहता है। कभी तेजी (Boom) और कभी मंदी (Depression) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन्हें व्यापार चक्र कहा जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र व्यापार चक्र की समस्याओं का भी अध्ययन करता है।
7. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धांत समष्टि अर्थशास्त्र में विभिन्न देशों के बीच में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भी अध्ययन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत; जैसे कोटा (Quota), टैरिफ (Tariff) तथा संरक्षण (Protection) आदि के अध्ययन का समष्टि अर्थशास्त्र में विशेष महत्त्व है।
प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र के अलग अध्ययन की आवश्यकता क्यों है? समझाइए।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से समष्टि अर्थशास्त्र के अलग अध्ययन की आवश्यकता है
1. व्यक्तिगत इकाइयाँ समूची अर्थव्यवस्था की दशा नहीं दर्शाती यद्यपि व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों; जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक (एक फर्म) आदि के व्यवहार का विवेचन करता है परंतु व्यक्तिगत इकाइयाँ समूची अर्थव्यवस्था की दशा को प्रतिबिंबित नहीं करतीं।
2. आर्थिक विकास-वर्तमान युग में, संसार के प्रत्येक देश का उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास करना है। इसके लिए आर्थिक मुद्दों; जैसे राष्ट्रीय आय, सामान्य कीमत स्तर, गरीबी, कुल रोज़गार, मुद्रास्फीति, कुल व्यय, कुल बचत, कुल निवेश, अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण व सर्वोत्तम प्रयोग, आर्थिक नीतियों का निर्माण आदि के लिए समष्टि स्तर पर अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
3. समष्टि आर्थिक विरोधाभास समष्टि आर्थिक विरोधाभास (Macro Economic Paradox) से अभिप्राय उन निष्कर्षों से है जोकि व्यक्तिगत इकाई के लिए सही होते हैं, परंतु संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर सही होना आवश्यक नहीं है। विरोधाभास के कारण भी समष्टि आर्थिक सिद्धांत की अलग से अध्ययन की आवश्यकता है; जैसे
(i) बचत का विरोधाभास-बचत निःसंदेह व्यक्तियों के लिए लाभकारी है परंतु बचत समाज या अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक भी सिद्ध होती है। विशेष रूप से उस समय जब समग्र माँग में कमी होने के फलस्वरूप बेरोज़गारी और मंदी फैली हुई हो। अतः बचत एक व्यक्ति के लिए तो ठीक है, परन्तु संपूर्ण समाज के लिए ठीक नहीं है। इस कारण आर्थिक समूहों का समुच्चय स्तर पर अलग से विश्लेषण करना बहुत जरूरी हो जाता है।
(ii) मज़दूरी-रोज़गार विरोधाभास-परंपरावादी (Classical) अर्थशास्त्री मंदी व बेरोज़गारी दूर करने के लिए मज़दूरी-दर को घटाने की वकालत करते हैं जिसके फलस्वरूप व्यक्तिगत उद्योग काम पर अधिक श्रमिक लगाते हैं क्योंकि लागत कम होने से लाभ बढ़ जाता है। दूसरी ओर, अर्थव्यवस्था में सब जगह मज़दूरी घटने से वस्तुओं व सेवाओं की कुल माँग गिर जाती है जिससे श्रमिकों के लिए माँग भी गिर जाती है क्योंकि श्रमिकों की माँग उन वस्तुओं की माँग पर निर्भर करती है जिन्हें श्रमिक उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि एक श्रमिक कम मजदूरी लेकर अपनी बेरोज़गारी की समस्या तो हल कर लेता है पर समष्टि (या अर्थव्यवस्था) स्तर पर यदि सब श्रमिक कम मजदूरी प्राप्त करते हैं, तो कुल रोज़गार में अंततः गिरावट आ जाती है। अतः आर्थिक समूहों का समष्टि स्तर पर अलग से अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
ये विरोधाभास ऐसे लगते हैं जैसे एक वृक्ष अपने पड़ोस की जलवायु नहीं बदल सकता, पर एक वन जलवायु बदल सकता है। इस दृष्टि से केज ने व्यष्टि सिद्धांत से हटकर समष्टि स्तर पर अलग से विवेचन करने की वकालत की है।