Class 10

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

HBSE 10th Class Geography जल संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को “जल की कमी से प्रभावित’ या ‘जल की कमी से अप्रभावित’ में वर्गीकृत कीजिए।
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
(ग) अधिक वर्षा वाले परंतु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
(घ)कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तरः
(क) जल की कमी से प्रभावित
(ख) जल की कमी से प्रभावित
(ग) जल की कमी से प्रभावित
(घ) जल की कमी से प्रभावित

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्क नहीं है?
(क)बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती है जहाँ जल की कमी होती है।
(ख) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जल बहाव की नियंत्रित करके बाढ़ पर काबू पाती है।
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
(घ)बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत पैदा करती हैं।
उत्तर-
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है। .

(iii) यहाँ कुछ गलत वक्तव्य दिए गए हैं। इसमें गलती पहचाने और दोबारा लिखें।
(क) शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
उत्तर-
शहरों की बढ़ती संख्या उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन-शैली के कारण न केवल जल और ऊर्जा की आवश्यकता में बढ़ोत्तरी हुई है, अपितु इन से संबंधित समस्याएँ बढ़ी हैं।

(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता।
उत्तर-
नदियों पर बाँध बनाने तथा उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरूद्ध होता है, जिसके कारण तलछट बहाव कमी आती है।

(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर भी किसान नहीं भड़के।
उत्तर-
गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर परेशान किसान उपद्रव करने को तैयार हो गए।

(घ)आज राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के बावजूद छत वर्षा जल संग्रहण लोकप्रिय हो रहा है।
उत्तर-
आज पश्चिमी राजस्थान में छत वर्षाजल संग्रहण की रीति इंदिरा गाँधी नहर से उपलब्ध बारहमासी पेयजल के कारण कम होती जा रही है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) व्याख्या करें कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है?
उत्तर-
पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से आच्छादित है। परन्तु इसमें प्रयोग लाने योग्य अलवणीय जल का अनुपात बहुत कम है जिसका निरन्तर नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है। सम्पूर्ण जल जलीय चक्रय में गतिशील रहता है जिससे जल नवीकरण सुनिश्चित होता है।

(ii) जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर-
जल दुर्भलता से तात्पर्य, मनुष्य द्वारा प्रयोग करने के लिये जल की कमी का होना है। . अधिकतर जल की कमी इसके अतिशोषण, अत्यधिक प्रयोग और समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण होती है।

(iii) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर-
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लाभ
(अ)जल विद्युत उत्पादन
(ब) सिचाईं
(स) बाढ़ नियन्त्रण
(द) मत्स्य पालन
(क) गृह एवं औद्योगिक उपयोग
(ख) आंतरिक नौका चालना

बहुउद्देशीय परियोजनाओं की हानियां :

(अ) नदियों का प्राकृतिक बहाव अरूद्ध होना
(ब) नदियों के तलछट में पानी का कम बहाव
(स) बाढ़ के मैदानों में बने जलाशयों के कारण उस क्षेत्र की वनस्पति एवं अपघटन।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
राजस्थान के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्र में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी संग्रहित करने हेतु भूमिगत टैंक या ‘टाँका’ हुआ करते थे। इसका आकार एक बड़े कक्ष जितना हो सकता है। टाँका यहाँ सुविकसित छत वर्षाजल संग्रहण तन्त्र का अभिन्न अंग है जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता था। वे घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े हुए थे। छत से वर्षा का पानी इन नलों द्वारा भूमिगत टाँका तक पहुँचता था। वर्षा का प्रथम तल छत और नलो की सफाई हेतु प्रयुक्त किया जाता है। इसके बाद होने वाली वर्षा जल संग्रहणीय होता टाँका में वर्षाजल अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहित किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनाता है। वर्षा जल को प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप समझा जाता है।

(ii) परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना कर जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा है।
उत्तर-
प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जलीय निर्माणों के साथ-साथ जल संग्रहण ढाँचे भी पाए जाते थे। लोगों ने स्थानीय पारिस्थितिकीय परिस्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल, भौमजल, नदी जल, तथा बाढ़ जल संग्रहण के अनेक उपाय विकसित कर लिए थे। इन्हीं परंपरागत वर्षा जल संग्रहण के तरीकों को आधुनिककाल में अपना कर संरक्षण निम्नलिखित प्रकार से किया जा रहा है-

  • पी.वी.सी. पाइप का उपयोग करके छत का वर्षा जल संग्रहित किया जाता है।
  • रेत और ईंट प्रयोग करके जल का छनन किया जाता
  • भूमिगत पाइप द्वारा जल हौज तक ले जाता है जहाँ से इसे तुरन्त प्रयोग किया जा सकता है।
  • हौज से अतिरिक्त जल कुएँ तक ले जाया जाता है। (v) कुएँ का जल भूमिगत जल का पुनर्भरण करता है। (vi) बाद में इस जल का उपयोग किया जा सकता है।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

HBSE 10th Class Geography वन और वन्य जीव संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) इनमें से कौन-सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है?
(क) कृषि प्रसार
(ख) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना
(ग) वृहत स्तरीय विकास परियोजनाएँ
(घ) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
उत्तरः
(ग) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना

(ii) इनमें से कौन-सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?
(क) संयुक्त वन प्रबंधन
(ख) बीज बचाओ आंदोलन
(ग) चिपको आंदोलन
(घ) वन्य जीव पशुविहार (santuary) का परिसीमन
उत्तरः
(घ) वन्य जीव पशुविहार (santuary) का परिसीमन

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

2. निम्नलिखित प्राणियों / पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें।

जानवर/पौधे — अस्तित्त्व वर्ग
1. काला हिरण — (अ) लुप्त
2. एशियाई हाथी — (ब) दुर्लभ
3. अंडमान जंगली सुअर — (स) संकटग्रस्त
4. हिमालयन भूरा भालू — (द ) सुभेद्य
5. गुलाबी सिरवाली बत्तख — (ध) स्थानिक उत्तरः
1. स
2. द
3. ध
4. ब
5. अ

3. निम्नलिखित का मेल करें।

आरक्षित वन — (अ) सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि।
रक्षित वन — (ब) वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन।
अवर्गीकृत वन — (स)वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।
उत्तरः
1. ब
2. स
3. अ

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) जैव विविधता क्या है? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तरः
(i) पृथ्वी पर विभिन्न तरह के जीवों (प्राणिजात एवं वनस्पतिजात) का पाया जाना जैव विविधिता कहलाता है। इन जीवों के आकार तथा कार्य भिन्न होते हैं
(ii) जैवविविधता मानव जीवन हेतु महत्त्वपूर्ण-मानव और दूसरे जीवधारी एक जटिल परिस्थितिकी तन्त्र का निर्माण करते हैं, जिसका हम मात्र एक अग है और स्वयं के अस्तित्व हेतु इसके विभिन्न तत्वों पर आश्रित रहते हैं। जैसे-वायु, जल, मृदा। पेंड़-पौधे, पशु और सूक्ष्मजीवी इनका पुनः सृजन करते हैं। अत: जैव विविधता मानव जीवन हेतु महत्त्वपूर्ण है।

(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं?
उत्तरः
मानव ने अपनी बढ़ती हुई लालच की प्रवृत्ति के कारण प्रकृति को संसाधनों में परिवर्तित कर दिया है। वह इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के लाभ उठा रहा है। सर्वाधिक बुरा प्रभाव वनस्पति और जीवों पर पड़ा है क्योंक वनों के कटाव से इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। उपयुग्क्त कारणों के अतिरिक्त निम्नलिखित मानव क्रियाओं ने वनस्पति और जीवों का आवस छीनकर उनके क्षरण को बढ़ावा दिया है-

(1) तीव्र औद्योगिकरण
(2) अत्यधिक कृषि का दबाव
(3) बढ़ती जनसंख्या हेतु आवास की आवश्यकता
(4) रेलवे का विकास
(5) जंगली पशुओं का शिकार
(6) तकनीकी विकास

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर:
भारतीय समाज में अनेको संस्कृतियाँ है और प्रत्येक संस्कृति और इसकी कृतियों को संरक्षित करने के अपने पारम्परिक तरीके हैं। सामान्यतः झरनों, पहाड़ी चोटियों, वृक्षों और पशुओं को पवित्र मानकर उनका संरक्षण किया जाता है। – भारत देश वन कुछ मानव प्रजातियों का आवास भी है। कुछ स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने आवासस्थलों के संरक्षण में जुटे हैं क्योंकि इसीसे ही दीर्घकाल में उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हैं सरिस्का बाघ रिजर्व में राजस्थान के ग्राम के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के तहत् वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने हेतु संघर्षरत हैं। अलवर जिले के 5 गाँव के लोगों शिकार पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु स्वयं नियम कानून बनाये हैं तथा बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन जीवन को बचाते हैं।

हिमालय में प्रसिद्ध ‘चिपको आन्दोलन’ कई क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही सफल नहीं रहा वरन् स्थानीय पौधों की जातियों का प्रयोग करके सामुदायिक नवीकरण अभियान को सफल बनाया।

टिहरी के कृषकों ने ‘बीज बचाओ आंदोलन’ और ‘नवदानय’ के द्वारा यह संदेश दिया कि रासायनिक उर्वरकों के अभाव में भी विविध फसल उत्पादन संभव है।

(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तरः
प्रकृति की पूजा सदियों पुराना जनजातीय विश्वास है इसका आधार प्रकृति के हर रूप की रक्षा करना है। इन्हीं विश्वासों ने विभिन्न वनों को मूल और मौमार्य रूप में बचाकर रखा है, जिन्हें पवित्र पेड़ों के झुरमुट (देवी-देवताओं के वन) कहते हैं। वनों के इन भागों में या तो वनों के ऐसे बड़े भागों में स्थानीय लोग ही घुसते और न ही किसी और को छेड़छाड़ करने देते।

कुछ समाज कुछ विशेष वृक्षों की पूजा करते हैं। वे प्राचीनकाल से उन पेड़ों का संरक्षण भी करते आ रहे हैं। छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियाँ महुआ तथा कदंब के वृक्षों की पूजा करते हैं। उड़ीसा और बिहार प्रदेशों की जनजातियाँ शादी के दौरान इमली तथा आम के पेड़ की पूजा करती हैं। हमें से बहुत से व्यक्ति पीपल और कटवृक्ष को पवित्र मानते हैं।

भारतीय समाज में विविध संस्कृतियाँ हैं। प्रत्येक संस्कृति में प्रकृति तथा इसकी कृतियों का संरक्षित करने के अपने पारंपरिक तरीके हैं। आमतौर पर झरनों, पहाड़ी चोटियों, पेड़ों तथा पशुओं को पवित्र मानकर उनका संरक्षण किया जाता है। आप अनेक मंदिरों के आस-पास- बंदल तथा लंगूर पाएँगे। उपासक उन्हें जिमाते हैं और भक्तों में गिनते हैं। राजस्थान में बिश्नोई गाँवों के आस-पास आप काले हिरण, चिंकारा, नीलगाय और मोरों के झुंड को आसानी से देखा जा सकता है। ये जीव वहाँ के समुदाय का अभिन्न अंग हैं और कोई उनको नुकसान नहीं पहुँचाता।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 10th Class Geography संसाधन एवं विकास Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तरः
(घ) अनवीकरण योग्य

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तरः
(क) पुनः पूर्ति योग्य

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तरः
(ख) अधिक सिंचाई

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) कृषि की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तरांचल
उत्तरः
(घ) उत्तराखण्ड

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा (मिट्टी) पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखंड
उत्तरः
(ग) गुजरात

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती
है?
उत्तरः
जहाँ काली मृदा पाई जाती है वे तीन राज्य निम्नलिखित हैं
(i) महाराष्ट्र (ii) मालवा (iii) मध्यप्रदेश
काली मृदा (मिट्टी) कपास की खेती के लिए मुख्य रूप से उपयुक्त मानी जाती है। काली मृदा को ‘रेगर’ मृदा भी कहते हैं।

(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तरः
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाइ जाती है।
जलोढ़ मृदा की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है
(ii) जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं।
(iii) अधिकांशतः जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती है।

(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तरः
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम हेतु निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए
(क) ढाल वाली भूमि पर कृषि हेतु सोपान बनाने चाहिए।
(ख) वृक्षों को पंक्तिबद्ध कर रक्षक (Shelter belt) मेखला बनाना।
(घ) पशुचारण रोककर

(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तरः
जैव संसाधन-इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल होती है और इनमें जीवन व्याप्त रहता है। उदाहरणार्थ-मानव, प्राणिजात, वनस्पति जात, मत्स्य-जीवन, पशुधन आदि।
अजैव संसाधान-ऐसे संसाधन निर्जीव वस्तुओं से निर्मित है। उदाहरणार्थ-चट्टानें और धातुएँ।

3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में भूमि उपयोग प्रारम्भ 2002-2003 भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि.मी. है परन्तु इसके 93% भाग के ही भू-उपयोग आँकड़े प्राप्त हैं। स्थायी चरागाहों के अन्तर्गत भूमि कम हुई है। वर्तमान परती भूमि के अलावा अन्य परती भूमि अनुपजाऊ है। शुद्ध (निवल) बोये गए क्षेत्र का प्रतिशत भी विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है। पंजाब और हरियाणा में 80% भूमि पर तो अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और अंडमान निकोबार दीपसमूह में 10% से भी कम क्षेत्र बोया जाता है।

भारत में वनों के अन्तर्गत 33% भौगोलिक क्षेत्र वांछित है। जिसकी तुलना में वन के अन्तर्गत क्षेत्र काफी कम है। वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका इस पर आश्रित है। गैर कृषि प्रयोजनों में लगाई भूमि में बस्तिया. सड़कें, रेल लाइन, उद्योग इत्यादि आते हैं। लम्बे समय तक निरन्तर भूमि संरक्षण और प्रबन्धन की अवहेलना करने एवं निरन्तर भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है। इसके कारण पर्यावरण पर गंभीर आपदा आ सकती है।
वर्ष 1960-61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हो पाई क्योंकि बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जा रही है।

(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
(क) उद्योगों की स्थापना के परिणामस्वरूप अधिक उत्पादन होता है जिसके अधिक कच्चे माल की आवश्यकता होती है।
(ख) आर्थिक विकास के फलस्वरूप लोगों की आय में वृद्धि होने से भी अधिक मात्र में उत्पादों की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त कारणों से संसाधनों का अधिक उपयोग होता है। परन्तु संसाधनों का विवेकहीन उपभोग और अति उपभोग के कारण कई सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती है। गांधी जी ने संसाधनों के संरक्षण पर अपनी इन शब्दों में व्यक्त की है-“हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति हेतु बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात् हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।

यहाँ यह कहना अति आवश्यक है कि संसाधनों के अधि क उपयोग से अनवीकरण संसाधनों की जैसे-पेट्रोल, डीजल, गैस आदि शीघ्र समाप्त होने की संभावना बन गई है। यह चिन्ताजनक विषय है।

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

परियोजना/क्रियाकलाप

1. अपने आस पास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
2. आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
3. वर्ग पहेली को सुलझाएँ ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूंढे।
नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 1

(i) भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा
(ii) अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार
(iii) उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा
(iv) मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ
(v) मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना
(vi) भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।
उत्तर-
(i) RESOURCE,
(ii) MINERALS,
(iii) BLACK,
(iv) LATERITE,
(v) AFFORESTATION,
(vi) ALLUVIAL.

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 8 उपन्यास, समाज और इतिहास

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 8 उपन्यास, समाज और इतिहास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 8 उपन्यास, समाज और इतिहास

HBSE 10th Class History उपन्यास, समाज और इतिहास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
इनकी व्याख्या करें
(क) ब्रिटेन मे आए सामजिक बदलावों से पाठिकाओं की संख्या में इजाफा हुआ।
उत्तर-
ब्रिटने में सामजिक बदलावों को उपन्यासों में दर्शाया जाने लगा। स्त्री अधिकारों की बातें आरंभ होने लगीं। उनसे जुड़ी भावनाओं, अनुभवों आदि को चित्रित किया जा रहा था। इरा कारण पाठिकाओं की संख्या में वृद्धि हुई।

(ख) रॉबिन्स क्रसो के वे कौन-से कृत्य है, जिनके कारण वह हमें ठेठ उपनिवेशकार दिखाई देने लगता है?
उत्तर-
रॉबिन्स क्रूसो का नायक एक दास दिखाया गया है। इस उपन्यास में औपनिवेशिक गुलामी को दिखाया गया है उपनिवेशवाद को एक कुदरती परिघटना माना गया है।

(ग) 1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।
उत्तर-
1740 तक तकनीकी सुधार छपाई के खर्चे कम आने लगा। मार्केटिंग के नए तरीकों से किताबों की बिक्री बढ़ गई। चलने वाले पुस्तकालयों का चलन बढ़ गया, परंतु इसके बाद गरीब लोगों में उपन्यास पढ़ने का चलन हो गया।

(घ) औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनैतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे।
उत्तर-
औपनिवेशिक भारत में उपन्यासकारों का मुख्य उद्देश्य बन गया था-लोगों को उपनिवेवाद के विरुद्ध खड़ा करना। वे चाहते थे कि लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत हो। इसी राजनैतिक उद्देश्य को लेकर उपन्यासकारों ने उपन्यास लिखने आरंभ किए।

प्रश्न 2.
तकनीक और समाज के लिए उन बदलावों के बारे में बतलाइए जिनके चलते अठाहरवीं सदी के यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई।
उत्तर-
उपन्यास के छपने के कारण उनके पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि होने लगी। उपन्यास अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचने लगा। छपाई और संचार के कारण छोटे शहरों से सम्पर्क होने लगा। इनके कारण समाज में परिवर्तन होने लगे। बृहद् उत्पादन का आरंभ हो गया। धारावाहिक मुद्रण का चलन हो गया। उपन्यास को कहीं भी पढ़ा जा सकता था। नायक-नायिका का उल्लेख उपन्यासों में होता था। जो लोगों को दूसरी दुनिया में ले जाता। लोगों के जन-जीवन में परिवर्तन हुआ। अब उपन्यास बहुत लोगों तक पहुँचने लगा।

प्रश्न-3.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें-
(क) उड़िया उपन्यास।
उत्तर-
उड़िया उपन्यास का प्रकाशन रामशंकर राय ने ‘सौदामिनी’ नामक उपन्यास के साथ आरंभ किया। फकीर मोहन सेनापति लगभग 30 वर्षों के मध्य उत्पन्न हुए। उनका मुख्य उपन्यास था-छः माणो आठौ गुठौ। उपन्यासों के द्वारा ग्रामीण मुद्दों को उठाया जाने लगा।

(ख) जेन ऑस्टिन द्वारा औरतों का चित्रण।
उत्तर-
जेन ऑस्टिन 19वीं सदी में महिला उपन्यासकार के रूप में उभरी। उन्होंने ब्रिटने के ग्रामीण समाज को तथा वहां औरतों की स्थिति का चित्रण किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के विषय में भी लिखा। ‘प्राइड एंड प्रिजुडिस’ में उन्होंने लिखा कि औरतों को सम्पति का अधिकार नहीं था।

(ग) उपन्यास ‘परीक्षा-गुरू’ में दर्शायी गई नए मध्यवर्ग की तस्वीर।
उत्तर-
परीक्षा गुरु में मध्यवर्ग के बाह्य एवं आंतरिक स्थितियों का उल्लेख किया गया। उपन्यास के चरित्रों को ब्रिटिश शासन के साथ चलने में कठिनाई आती है पाठक को सही प्रकार से जीवन जीने का तरीका सिखाता है। इस उपन्यास में अपने काम से दो विभिन्न समूहों के बीच अंतर समाप्त करने की शिक्षा दी गई है युवाओं को अखबार पढ़ने का संदेश, नई कृषि तकनीकी अपनाना, व्यापार को आधुनिक बनाना आदि का उल्लेख किया गया है।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

HBSE 10th Class History मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Textbook Questions and Answers

प्रश्न-1.
निम्नालिखित के कारण दें
(क) वुड ब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1395 के बाद आई।
(ख) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने उसकी खुलेआम प्रशंसा की।
(ग) रोमन कैथोलिक चर्च न सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबधित किताबों की सूची रखनी शरू कर दी।
(घ) महात्मा गांधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस, और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।
उत्तर-
(क) मार्को पोलो ने जब चीन की यात्रा 1295 में की तो उसे वुड ब्लॉक प्रिंट का पता चला। इटली वापस लौटते समय वुड ब्लॉक प्रिंट का ज्ञान चीन से लेकर गया। तत्पश्चात् ही यह तकनीक यूरोप में फैल पाई।

(ख) मार्टिन लूथर ने प्रोटेस्टेन्टवाद का प्रचार किया। वे मुद्रण को ईश्वर की सर्वोत्तम कृति मानता, क्योंकि उसके अनुसार इसके द्वारा धर्म-सुधार आंदोलन संभव था। छपाई के कारण नया बौद्धिक वातावरण उत्पन्न हुआ। छपाई से लूथर प्रोटेस्टेन्ट धर्म को फैला पाए।

(ग) पुस्तकों से लोगों को धर्म के विषय में ज्ञान हुआ। इटली के मेनोकियों ने कैथोलिक चर्च के विरुद्ध विचार बनाए। उसे धर्म-विदोही कहा गया और मौत की सजा दी गई। इस कारण परेशान तथा धर्म पर उठाए जा रहे प्रश्नों के कारण रोमन चर्च के प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं ने कई पाबन्दियाँ लगा दी।

(घ) महात्मा गांधी ने यह इसलिए कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लडाई है, क्योंकि ये तीनों ही जनमत व्यक्त करने के तरीके है जिन्हें ब्रिटिश सरकार दबाने का प्रयत्न कर रही थी।

प्रश्न-2.
छोटी टिप्पणी में इनके बारे में बताएँ
(क) गुटेन्बर्ग प्रेस
(ख) छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार
(ग) वर्नाक्युलर या देसी प्रेस एक्ट
उत्तर-
(क) गुटेन्बर्ग ने अपने अनुभव के द्वारा जैतून प्रेस को अपनी प्रिटिंग मशीन का आधार बनाया। उसमें साँचे का प्रयोग अक्षरों की धातुई आकृतियों को बनाने के लिए किया गया। सबसे पहले अपनी मशीन से गुटेन्बर्ग ने बाइबल छापी।
(ख) इरैस्मस कैथोलिक धर्म-सुधारक थे। वे प्रिंट को लेकर आशंकित थे उनके अनुसार कुछ ही चीजें पुस्तकों में ठीक होती थी; जबकि बाकी विद्वता के लिए हानिकारक होती थीं। वे लोगों को छपी किताब से बचने की प्रेरणा देते तथा इन्हें धर्म विरोधी, अज्ञानी और षड्यन्त्रकारी कहा।
(ग) ब्रिटिश सरकार ने 1878 में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया इससे सरकार भाषीयी अखबारों पर नजर रख सकती थी। वे अब रिपोर्ट आदि को सेंसर कर सकती थी। यदि किसी खबर को बागी कहा जाता तो उसे छापने से मना किया जाता। चेतावनी नहीं मानने पर मशीनें और अखबार जब्त की जा सकती थीं।

प्रश्न-3. उन्नीसवीं सदी में भारत में मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था
(क) महिलाएँ (ख) गरीब जनता (ग) सुधारक
उत्तर-
(क) 19वीं सदी मुद्रण संस्कृति के कारण औरतों को पढ़ाया जाने लगा। पत्रिकाओं में लेखिकाओं को स्थान मिलने लगा जिसमें नारी-शिक्षा को जोर दिया गया। परन्तु समाज ने यह माना कि पढ़ना-लिखना महिलाओं के लिए नहीं है। कई महिलाओं के लिए पुस्तकें मनोरंजन थीं तो अन्यों के लिए अभिव्यक्ति का एक स्परूप।
(ख) 19वीं सदी में जब किताबें आम गरीब जनता तक पुहँचने लगीं तो वे उनके लिए अहम् मनोरंजन का साधन बन गई। पुस्तकालयों के खुलने से उन्हें पुस्तके आसानी से मिलने लगीं।
(ग) सुधारकों ने पुस्तकों को अभिव्यक्ति का साधन माना। इनका प्रयोग जाति-प्रथा के विरोध में लोगों को जागृत करना था, जैसे-ज्योतिबा फुले ने किया। विधवा प्रथा का विरोध , नारी-शिक्षा आदि को सुधारों का एक अभिन्न अग माना गया जिसके प्रचार के लिए पत्रिकाओं, उपन्यासों आदि मुद्रित सामग्री छापी गई

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 6 काम, आराम और जीवन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 6 काम, आराम और जीवन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 6 काम, आराम और जीवन

HBSE 10th Class History काम, आराम और जीवन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अठारहवीं सदी के मध्य से लंदन की आबादी क्यों फैलने लगी? कारण बताइए।
उत्तर-
लंदन हमेशा से ही अधिक जनसंख्या वाला शहर बनता चला गया। आठाहरवीं सदी के मध्य तक तो नौ में से एक आदमी लंदन का निवासी था। लंदन विशाल फैक्ट्रियों का शहर नहीं था। इसका कारण था-लंदन में प्रत्येक व्यवसाय के व्यक्ति के लिए स्थान था। मजदूर से लेकर किसान, क्लर्क, दुकानदार, वकील, सिपाही सभी लंदन के निवासी थे। इसके अतिरिक्त लंदन में पाँच उद्योग भी थे। जिनमें लोग काम करने आते थे। 1880 तक लंदन की आबादी 40 लाख हो गई।

प्रश्न 2.
उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के बीच लंदन में औरतों के लिए उपलब्ध कामों में किस तरह के बदलाव आए? ये बदलाव किन कारणों से आए?
उत्तर-
19वीं सदी के आरंभ में फैक्ट्रियों में महिलाएँ काम करती थीं। तकनीकी सुधारों के कारण उनकी नौकरियाँ छिनने लगीं। अब वे घरेलू नौकरों के रूप में काम करने लगीं। कई घर में ही सिलाई-बुनाई, माचिस बनाना आदि व्यवसाय करने लगीं या अपने घरों को किराए पर देतीं। परंतु 20वीं सदी से फिर परिवर्तन होने लगा। युद्ध के समय उस समय के उद्योगों तथा दफ्तरों में औरतें काम करने लगीं। यह परिवर्तन युद्ध के समय और तकनीकी परिवर्तनों के कारण आए।

प्रश्न 3.
विशाल शहरी आबादी होने से निम्नलिखित पर क्या असर पड़ता है? ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ समझाइए।
उत्तर-
(क) जमींदार-जब भी शहरों में आबादी बढ़ती हैं तब गाँवों में लोग शहरो की ओर चल पड़ते हैं। इस कारण जमींदारी पर भी प्रभाव पड़ता है। अक्सर किसान, मजदूर आदि जमींदारों से कर्जे पर धन लेते थे। इसके अतिरिक्त ये लोग इनकी जमीनों पर काम भी करते। शहरीकरण के कारण लोग शहरों में काम ढूँढ़ने लगे जिससे जमींदारों की आमदनी तथा काम करने वाले मजदूरों में कमी आई।
(ख) कानून व्यवस्था सँभालने वाला पुलिस अधीक्षक-जब शहरीकरण होता है जो जनसंख्या में भी वृद्धि होती है। इसके कारण अपराध तथा अपराधियों में वृद्धि होती है। पुलिस अधीक्षक का ऐसे समय में काम बढ़ जाता है। जैसे 1870 के दशक में लंदन में लगभग 20,000 अपराधी रहते थे। इनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस अधीक्षकों के काम में वृद्धि हुई।
(ग) राजनीतिक दल का नेता-शहरों में राजनीति का जोर अधिक होता है। भारत में शहरीकरण के साथ औपनिवेशक काल में कई राजनीतिक दल 19वीं सदी में उत्पन्न हुए, जैसेकांग्रेस आदि। इन दलों के नेताओं ने राष्ट्रीयता का प्रचार किया। उनके राजनीतिक दलों के नेताओं, जैसे-महात्मा गाँधी आदि का शहरों की जनता पर बहुत प्रभाव रहा।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(क) उन्नीसवीं सदी में धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की जरूरत का समर्थन क्यों किया?
(ख) बंबई की बहुत सारी फिल्में शहर में बाहर से आने वालों की जिंदगी पर आधारित क्यों होती थीं?
(ग) उन्नीसवीं सदी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों हुई?
उत्तर-
(क) 19वीं सदी तक लंदन में गरीबों की जनसंख्या बहुत अधिक हो गई थी। 1887 में लगभग 10 लाख लोग गरीब रह रहे थे। उनके लिए लगभग चार लाख कमरों की आवश्यकता थी। कुछ समय तक अमीर लोग झोंपड़पट्टियाँ खत्म करने की माँग करते रहे। परंतु धीरे-धीरे यह समझा जाने लगा कि उनके लिए घरों की जरूरत हैं। एक कमरे वाले घर स्वास्थ्य के लिए सही नहीं थे। हल्के घरों में आग लगाने का खतरा बना रहता था। वह भी डर था गरीब लोग विद्रोह भी कर सकते थे।
(ख) बंबई में आरंभ से ही जीवन अत्यन्त कठिन रहा है इन्हीं कठिनाइयों को दिखाने के लिए फिल्मकारों ने फिल्मों का प्रयोग किया। कई गीतों में बंबई के अन्त:विरोधी आयामों को उजागर किया।
(ग) अंग्रेज-मराठा युद्ध के बाद बंबई शहर तेजी से बढ़ने लगा। बंबई में हर क्षेत्र में लोग आकर रहने लगे, जैसे-व्यापारी, महाजन तथा दुकानदार आदि कपड़ा मिल खुलने के बाद उसमें काम करने वाले आकर बंबई में बसने लगे। यहाँ आबादी बढ़ने का मुख्य कारण था-सभी प्रकार के व्यवसायों तथा कामों की उपलब्धि होना।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 5 औद्योगीकरण का युग

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 5 औद्योगीकरण का युग Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 5 औद्योगीकरण का युग

HBSE 10th Class History औद्योगीकरण का युग Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित की व्याख्या करें

(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए।
उत्तर-
स्पिनिंग जेनी (Spinning Jenny) का अविष्कार जेम्स हरग्रीज ने 1764 ईन ने किया। इस मशीन ने कताई की प्रव्यिा तेज कर दी जिसके कारण अब मजदूरों की मांग घट गई। एक ही पहिये को घुमाकर एक मजदूर एक सारी स्पिडलस को घुमा देता था और एक साथ कई धागे बनने लगते थे। बेरोजगारी के डर से महिला-कारीगर, जो हाथ से धागा कातकर गुजारा करती थीं, घबरा गई। इसलिये उन्होनें इन नई मशीनों को लगाने का विरोध किया और जहाँ-जहाँ ये मशीनें लगाई गई उनपर आक्रमण करके उनको तोड़-फोड़ दिया। महिलाओं का विरोध और तोड़-फोड़ काफी समय तक चलती रही।

(ख) सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।
उत्तर-
औद्योगिक वन्ति इंग्लैंड को मिलाकर, यूरोप के बहुत से देशों में 18वीं शताब्दी में फैली। इससे पहले यूरोप में नए व्यापारी वर्ग को नगरों में अपनी औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित करने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस प्रकार उन्होनें अपने व्यापार और औद्योगिक इकाइयों को गा!व में स्थापित करने का प्रयत्न किया। निम्नलिखित कारणों और परिस्थितियों ने उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जाने के लिए मजबूर किया।
(क) उस समय विश्व-व्यापार के विस्तार और उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीज़ों की मांग बढ़ने लगी थी, इसलिये उद्योगपति और व्यापारी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते थे। परन्तु शहरों में रहकर वे ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि वहाँ मजदूर संघो व्यापारिक गिल्ड्स काफी शक्तिशाली थे जो उनके लिये अनेक समस्याएँ पैदा कर सकते थे।
(ख) शासकों ने भी विभिन्न गिल्ड्स को खास चीजों के उत्पादन और व्यापार का एकाधिकार दे रखा था। इसलिये व्यापारी लोग नगरों में अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं कर सकते थे।
(ग) ग्रामीण क्षेत्रों में किसान लोग और कारीगर वर्ग ऐसे सौदागरों के लिये काम करने को तैयार थे क्योंकि खुले खेत खत्म होने और कामन्स भूमियों की बाड़ाबंदी होने के कारण उनके पास जीने के अब बहुत कम साधन बचे थे।

(ग) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिये पर पहुँच गया था।
उत्तर-
भारत में पश्चिमी तट पर स्थित सरत की बन्दरगाह मशीन युग से पहले, भारत को पश्चिमी देशों से मिलाने और व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम देने वाली सबसे प्रसिद्ध बन्दरगाह थी। परन्तु 19वीं सदी के आते-आते विभिन्न यूरोपीय कम्पनियों विशेषकर अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इसके बहुत से व्यापार पर अधिकार कर लिया और इसके पहले ही शान और महत्व जाता रहा। उन्होंने पश्चिमी तट पर अपनी-अपनी बन्दरगाहें स्थापित कर ली, जैसे अंग्रेजों ने बम्बई की बन्दरगाह का निर्माण कर अपना सारा व्यापार इस बन्दरगाह से करना शुरु कर दिया। ऐसे में भारत की पुरानी बन्दरगाहें, जैसे सूरत की बन्दरगाह द्वारा होने वाले विदेशी व्यापार की मात्रा बहुत कम हो गई। एक अनुमान के अनुसार 17वीं शताब्दी के अंत में सूरत से जहाँ 16 मिलियन मूल्य का माल आता जाता था। वह 1740 के दशक में घटकर केवल 3मिलियन ही रह गया।

(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।
उत्तर-
ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय व्यापारियों और दलालों की भूमिका समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक नियन्त्रण स्थापित करने के विचार से वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिये जिन्हें गुमाशता कहा जाता था। इन गुमाशतों को अनेक प्रकार के काम सौंपे गए।

(क) वे बुनकरों को कर्ज देते थे ताकि वे किसी और को अपना माल तैयार करके न दे सकें।
(ख) वे ही बुनकरों से तैयार किये हुए माल को इकट्ठा करते थे।
(ग) वे बने हुए सामान विशेषकर बने हुए कपड़ों की गुणवना की जांच करते थे।

क्योंकि ये गुमाशता लोग बुनकरों के बीच में नहीं रहते थे इसलिये किसी न किसी बात पर उनका बुनकर से टकराव हो जाता था। कई बुनकर तो इन गुमाशतों के कठोर व्यवहार से तंग आकर अपना गा!व तक छोड़ जाते थे और दूसरे स्थानों पर जाकर वहाँ अपना करघा लगा लेते थे और वहाँ अपना काम शुरु कर देते थे।

प्रश्न 2. प्रत्येक वक्तव्य के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ लिखें-

(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।
उत्तर-
गलत।

(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अंतराष्ट्रीय बाजार पर भारत का दबदबा था।
उत्तर-
सही।

(ग) अमेरिकी गृह युद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आई।
उत्तर-
गलत।

(घ) ल्लाई शटल के आगे से हथकरथा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 3.
आदि-औद्योगिक का मतलब बताएँ।
उत्तर-
आदि-औद्योगिक से हमारा अभिप्राय उन उद्योगों से है जो फैक्ट्रियां लगने से पहले पनप रहे थे। अभी जब इंग्लैड़ और यूरोप में फैक्ट्रिया शुरु नहीं हुई थीं तब भी वहाँ अन्तराष्ट्रीय माँग को पूरा करने के लिये बहुत-सा माल बनता था। यह उत्पादन फैक्ट्रियों में नहीं होता था। परन्तु घर-घर में हाथों से माल तैयार होता था और वह भी काफी मात्रा में।

बहुत से इतिहासकार फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले की औद्योगिक गतिविधियों को आदि औद्योगिकरण (ProtoIndudtrialisation) के नाम से पुकारते हैं। शहरों में अनेक व्यापारिक गिल्ड्स थीं जो विभिन्न प्रकार की चीजों का,
फैक्ट्रियों की स्थापना से पहले, उत्पादन करती थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से सौदागार यही काम किसानों और मजदूरों से हाथ द्वारा करवाते थे। यह आदि-औद्योगिक की व्यवस्था इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियाँ लगने से पहले के काल में व्यापारिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण अंग बनी हुई थी।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 4 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 4 भूमंडलीकृत विश्व का बनना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 4 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

HBSE 10th Class History भूमंडलीकृत विश्व का बनना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर-
17वीं शताब्दी से पहले के वैश्विक आदान-प्रदान का एक लाभकारी उदाहरण-17वीं शताब्दी से पहले के काल में जो यात्री, व्यापारी, पुजारी और तीर्थयात्री आपसी मेल-मिलाप के अग्रदूत बनकर एक देश से दूसरे देश गए, विशेषकर एशिया से दूसरे देशों की ओर गये वे अपने साथ अनेक चीजों, पैसे-मान्यताओं, विचारों, अनेक प्रकार की कलाओं को भी ले गए और उन्होंने दूसरे लोगों के जीवन को सुखमय बना दिया। ऐसे प्रायः एशिया के भारत और चीन जैसे देशों द्वारा ही हुआ।

17वीं शताब्दी से पहले वैश्विक आदान-प्रदान का एक विनाशकारी उदाहरण-17वीं शताब्दी से पूर्व के वैश्विक आदान-प्रदान कई बार नए लोगों के लिये विनाश कर कारण भी बन गए। जैसे पुर्तगाल और स्पेन से जब लोग अमेरिका पहु!चे तो वे अपने साथ अनेक बीमारियों विशेषकर चेचक के कीटाणु भी ले गये जिन्होंने अमेरिका के मूल निवासियों के अनेक कबीलों का सफाया ही कर दिया।

प्रश्न 2.
बताएँ कि पाक-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार के अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस मदद दी।
उत्तर-
17वीं शताब्दी के पहले के वैश्विक आदान-प्रदान के जहाँ कुछ प्रभाव पड़े जैसे लोगो की नई चीजों और नए विचारों कर ज्ञान हुआ। वहाँ उसके कुछ बुरे प्रभाव भी पड़े। कुछ लोग दूसरे देशों में बीमारियों के ऐसे कीटाणु भी ले गये जिन्होंने उनका नाश कर दिया। एक ऐसा उदाहरण यूरोपवासियों द्वारा अमेरिका में बीमारी के कीटाणु ले जाकर उनको बर्बाद करना है।

कहा जाता है कि यूरोपिय लोगों ने अमेरिका को केवल अपने सैनिक बल पर ही नहीं जीता वरन् उन चेचक के कीटाणुओं के कारण जीता जो स्पेन के सैनिक और अफसर अपने साथ वहाँ ले गए। इस बीमारी का इलाज यूरोप-निवासी तो जानते थे परन्तु अमेरिका के निवासी इससे अनभिज्ञ थे। अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से अपने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी इसलिये बहुत से अमेरिकी आदिवासी मौत का शिकार हुए। कहीं-कहीं तो चेचक से समुदाए के समुदाय खत्म हो गए।

इस प्रकार यह ठीक ही कहा गया है कि चेचक की बीमारी ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में बहुत सहायता की अन्यथा अमेरिका विजय का कार्य काफी कठिन हो जाता।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के प्रभावों को व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें:
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।
उत्तर-
ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 19वीं शताब्दी में जो कानून अपने भूस्वामियों के हितों की रक्षा के लिये पास किये उन्हें कार्न लॉ (Corn Laws) कहा जाता है। इन कानूनों द्वारा विदेशो से खाद्य-पदार्थो के आयात पर पाबन्दी लगा दी गई। इस पाबन्दी के परिणास्वरुप जब ब्रिटेन में खाद्य पदार्थो के मूल्य बढ़ने लगे तो लोगों में हा हा कार मच गई और विवश होकर सरकार को ये कानून हटाने के बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेः
(क) खाद्य-सामग्री सस्ती हो गई जिससे साधारण और गरीब जनता को खूब लाभ रहा।
(ख) जब बाहर से खाद्य पदार्थ सस्ते दामों में इंग्लैंड आने तो वहाँ के भू-स्वामी बर्बाद हो गए।
(ग) बहुत-सी भूमि। पर हो गई और खेती करने वाले बहुत से किसान बेरोजगार हो गए।
(घ) ऐसे बहुत से ग्रामीण लोग नौकरी की तलाश में शहरों की ओर भागने लगे। जिससे शहरों की हालात भी खराब हो गई

(ख) अफ्रीका में रिंडररपेस्ट का आना।
उत्तर-
अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना (The Coming of Rinderpest to Africa)-रिंडपेस्ट पशुओं में फैलने वाली उन खतरनाक बीमारी है जो 1890 के दशक में अफ्रीका में प्लेग की तरह फैली। अफ्रीका में यह बीमारी उन पशुओं के कारण फैली जो अफ्रीक में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ रहे भारतीय सिपाहियों के भोजन के लिये अनेक पूर्वी देशों से मंगवाए गए। जैसे ही ये पशु पूर्वी अफ्रीका पहुँचे इन्होंने वहाँ के पशुओं को भी रिंडरपेस्ट की बीमारी में लपेट लिया। 1892से शुरु होकर अगले पाँच वर्षों में पशुओं को यह घातक बीमारी दक्षिणी और पश्चिमी अफ्रीका की सीमाओं तक फैल गई। इस बीमारी के बड़ी दूरगामी प्रभाव पड़ेः
(क) इस बीमारी के कारण अफ्रीका के पशु मौत के शिकार हुए।
(ख) इस बीमारी से अफ्रीका के लोगों की आजीविका और अर्थव्यवस्था पर बड़ा गहरा असर पड़ा।
(ग) और बिलकुल बर्बाद और बेसहारा होने के कारण अफ्रीका के लोगों को विदेशी साम्राज्यवादियों के पास न मजदूरी करने के लिये मजबूर होना पड़ा। यदि उनके पास अपने पशु होते वे कभी भी यह काम करने को तैयार न होते।
(घ) अफ्रीका के लोगों के इस विनाश और उनके साध नों के बर्बाद हो जाने के कारण यूरोपीय उपनिवेशवादियों को अफ्रीका को जीतना और अपने अमीन करना काफी आसान हो गया।

(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौतें।
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के मुख्य परिणाम निम्नलिखित थे:

  1. प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) एक बहुत विनाशकारी युद्ध था। प्रथम महायुद्ध में लाखों व्यक्ति माने गए, घायल हुए और जीवन भर के लिए निकम्मे हो गए। इन मरने वालों और घायल होने वालों में अधिकतर कामकाजी उम्र के पुरुष थे इसलिये विभिन्न उद्योगों को कामकाजी लोगों के बिना चलाना काफी कठिन हो गया।
  2. आर्थिक दृष्टि से यह बहुत हानिकारक सिद्ध हुआ। ऐसा अनुमान लगाया जाता हैकि इस युद्ध में कुल खर्च लगभग 186,00.000,000 डालर हुआ। इस युद्ध के कारण हज़ारों नगर,खेत और कारखाने तबाह हो गए और व्यापार भी नष्ट हो गया।
  3. इस युद्ध ने जर्मनी में नाजीवाद के उत्थान को प्रोत्साहित किया। वर्साय का सन्धिपत्र जर्मनी के लिये बड़ा हानिकारक और अपमानजनक था। उसकी सारी बस्तियां उससे छीन ली गई। इस सारे अन्याय के विरुद जर्मनी में बड़ा रोष पैदा हुआ देखते ही देखते हिटलर ने वहा! एक तानाशाही राज्य की स्थापना कर ली।
  4. प्रथम युद्ध के ही परिणामस्वरुप इटली में फासीवाद का जन्म हुआ। इटली ने मित्र राष्ट्रों का साथ इसलिये दिया था कि युद्ध के पश्चात् उसे बड़े लाभ मिलेंगे। परन्तु उसे प्रथम महायुद्ध की लूट में से कुछ भी न मिला। इस से जो इटली में निराशा फैली। उसने वहाँ फासीवाद या तानाशाही को जन्म दिया।
  5. प्रथम विश्वयुद्ध का एक अन्य परिणाम था। राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना जिसने अगले कोई 20 वर्ष तक विश्व में शान्ति स्थापित करने का प्रयत्न किया।

(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।
उत्तर-
(क) इस महामन्दी (1929-1934) के काल में भारत के आयात और निर्यात व्यापार में कोई 50% की कमी आ गई।
(ख) इस महामंदी का बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोगों पर विशेष रुप से बड़ा विनाशकारी प्रभाव पड़ा। पटसन के मूल्यों में कोई 60% की गिरावट आ गई जिससे बंगाल के पटसन उत्पादक बर्बाद हो गए और वे कर्ज के बोझ तले दबे गए।
(ग) छोटे- छोटे किसान भी बर्बादी से न बच सके। चाहे उनकी आर्थिक दशा खराब होती जा रही थी। सरकार ने उनके भूमिकर तथा अन्य करो में कोई कमी न की।
(घ) 1930 में शुरु होने वाले सिविल अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement) इस आर्थिक मन्दी का सीधा परिणाम था। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अशान्ति का क्षेत्र बन चुके थे।

(5) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।
उत्तर-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने 1970 के दशक में अपना रुख एशिया के देशों की ओर किया, जिसके अनेक महत्वपूर्ण परिणाम निकले–
(क) एशिया देशों में नौकरी के अवसरों में काफी वृद्धि हुई और इस प्रकार बेरोजगारी के मसलों को हल करने में काफी आसानी, रही।
(ख) इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशी देशों के चंगुल से निकलने में काफी सहयोग दिया।
(ग) इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार ओर पूंजी प्रवाही को भी काफी प्रभावित किया।

प्रश्न 4.
खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर-
‘कॉर्न लॉ’ 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश में ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पास किये ताकि भूमि-स्वामियों के हितों की रक्षा की जा सके परन्तु इन कानूनों के परिणामस्वरुप जब इंग्लैंड में बाहर से अनाज आना बन्द हो गया तो वहाँ खाद्य-पदार्थो के मूल्य आकाश को छूने लगे । ऐसे में शीघ्र ही इन कानूनों को निरस्त या हटा दिया गया। धीरे-धीरे विदेशों में अनाज आने लगा जिसके परिणामस्वरूप वहाँ की खाद्य समस्या ठीक होने लगी। नि:सन्देह तकनीकी विकास ने खाद्य समस्या को हल करने में बहुत योगदान दिया। तकनीकी या विभिन्न प्रकार के आविष्कारों. जैसे रेलवे, भाप के जहाजों, टेलिग्राफ और रेफ्रिजरेटर-युक्त जहाजों का खाद्य पदार्थो की उपलब्धता पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा।

(क) यातायात के विभिन्न साधनों-जैसे तेज़ चलने वाली रेलगाड़ियो, हलकी बग्धियों, बड़े आकार के जलपोतों द्वारा अब खाद्य पदार्थो को दूर-दूर के बाजारों में कम लागात पर और आसानी से पहुँचाना आसान हो गया।
(ख) रेफ्रिजरेटर कर तकनीक युक्त जहाज़ों के कारण अब जल्दी खराब होने वाली चीज़ों-मांस, फल आदि को भी लम्बी यात्राओं में लाया-ले जाया जा सकता था।

प्रश्न 5.
ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है।
उत्तर-
ब्रेटन वुड्स समझौता-ब्रेटन वुड्स का समझौता विश्व के विभिन्न देशों में जुलाई 1944 ई. को संयुक्त राष्ट्र संघ के मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में हुआ। जो अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर हुआ। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ की दो संस्थाओं-अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना हुई।

उन दोनों संस्थाओं ने 1947 ई. में अपना काम करना शुरु कर दिया जो आज तक बड़ी बखूबी से कर रही है। अन्तराष्ट्रीय ‘मौद्रिक व्यवस्था ने राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इस सारी प्रक्रिया से पश्चिमी औद्योगिक देशों और जापान को विशेष रुप से लाभ रहा है और उनके व्यापार और आय में काफी वृद्धि हुई है। तकनीक और उद्यम का विश्व-व्यापी विस्तार हुआ।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भारत में राष्ट्रवाद

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भारत में राष्ट्रवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 3 भारत में राष्ट्रवाद

HBSE 10th Class History भारत में राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

1. व्याख्या करें
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी।
उत्तर-
‘राष्टीयता’ या ‘राष्ट्रवाद’ एकता की वह शक्तिशाली भावना है जो लोग तब अनुभव करते है जब वे एक जैसी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अवस्थाओं में रहते है, जब वे एक जैसी आंकाक्षायें रखते हैं और जब वे विशेष भू- भाग में एक विशेष राजनितिक व्यवस्था के अधीन रहते हैं और एक नियमों का पालन करते हैं। राष्टीयता एक ऐसी भावना है जो विश्व के इतिहास में मध्य-युग के पश्चात् दृष्टिगोचर हुई। यह उन्हीं सामाजिक एवं आर्थिक कारणों का परिणाम है जिन्होंने सामंतवाद का अन्त किया था।

साधारणतया यह देखा गया है कि उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद-विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई होती है। उपनिवेशवाद शोषण पर आधारित होता है। उपनिवेशवाद शोषण पर आधारित होता है इसलिये समाज के सभी प्रकार के लोग इस लूट-खसूट से इतने तंग आ जाते है कि वे विदेशी उपनिवेशवाद को समाप्त करने और अपने देश को स्वतन्त्र कराने का दृढ़ संकल्प कर लेते हैं। बहुत बार शोषण और अन्याय ही बड़े-बड़े और आंदोलनों का कारण बनता है।

अंग्रेज़ी उपनिवेशवादियों ने भारत को ऐसे लूटा कि हर वर्ष पड़ने वाले अकाल की लपेट में आने लगे और उनके मन में अत्याचारी सरकार के विरुद्ध आक्रोश के भाव जागृत होने लगे। ‘मरता क्या न करता’ वाली कहावत के अनुसार लोगों को यह एहसास हो गया कि वे जब तक अपने देश को स्वतन्त्र नहीं करा लेंगे उनके दुखों को तब तक अंत नहीं हो सकता।

जीवन के हर क्षेत्र में उपनिवेशवादियों द्वारा झूठ-फरेब, नीच और अन्यायपूर्ण हथकंडे अपनाने के कारण वे जनता में शीघ्र ही बदनाम हो गए। अब वे जान चुके थे कि जब तक वे अपने देश को स्वतन्त्र नहीं करा लेते वे चैन की नींद सो नहीं सकते। इस नरक से निकलने का एक ही तरीका है कि उपनिवेशवाद को खत्म किया जाए और देश को स्वतन्त्र कराया जाए।

(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्टीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया।
उत्तर-
(1) प्रथम विश्व युद्ध लाए गए आर्थिक संकट के कारण भारतीयों में रोष और विरोध की भावना-ज्योंही 1914 ई. में यह युद्ध में शुरु हुआ भारत में उथल-पुथल पैदा हो गई। पहले तो अंग्रेजों ने भारतीयों से पूछे बिना युद्ध में भारत को भी एक पार्टी बना दिया और दूसरे, भारत के संसाधनों का धड़ाधड़ प्रयोग ब्रिटिश सरकार अपनी विदेशी हितों की पूर्ति के लिए कर रही थी। इससे चीजों के मूल्य बढ़ गए और लोगों के लिये जीना कठिन हो गया। इसीलिए भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति बड़ा रोष पैदा हुआ।

(2) राजनीतिक गतिविधियों का तेज़ हो जाना और होमरुल आन्दोलनों का ज़ोर पकड़ना–प्रथम विश्व युद्ध में फंसे देखकर भारतीयों ने अंग्रेजों से कुछ अधिकार प्राप्त करने के प्रयत्न किए। श्रीमती एनी बेसेंट 1914 ईद में कांग्रेस में शामिल हुई थीं। दो वर्ष बाद गंगाधर तिलक के साथ मिलकर उन्होंने होमरुल आंदोलन की नींव रखी और होमरुल लीग की स्थापना की जिसका लक्ष्य भारतीयों के लिए होमरुल या स्वराजय प्राप्त करना था। किन्तु ब्रिटिश सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी इसलिये उसने एनी बेसेंट को गिरफ्तार कर लिया और इस आंदोलन को कुचलने के लिए दमनचक्र चलाया।

(3) मुस्लिम लींग और कांग्रेस का एक-दूसरे के निकट आना और इस प्रकार राष्ट्रीयता को बल मिलना-यद्यपि मुस्लिम लींग अंग्रेजी सरकार की बांदी थी तथापि प्रथम महायुद्ध की घटनाओं के कारण इसे कांग्रेस के समीप आना पड़ा। तुर्की ने प्रथम महायुद्ध में मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जर्मनी का साथ दिया था। युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों ने उसके साथ कठोर व्यवहार किया जिससे भारत के मुसलमान, विशेष रुप से मुस्लिम लींग, – ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध हो गए कांग्रेस के साथ 1916 ईद में उन्होने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

(4) नरमदल और गरमदल में पुनः मैत्री स्थापित होना और स्वतन्त्रता संग्राम को मजबूती से मिलना-सरकार की दमन नीति के कारण नर्मदल और गर्मदल के नेताओं में 1916 ई. में पुनः मेल-मिलाप हो गया।

(5) प्रथम विश्व युद्ध द्वारा फैलाए गए रोष के कारण वातावरण में गांधी जी द्वारा राष्ट्रीयता की बागडोर संभालना आसान हो जाना-प्रथम महायुद्ध के दौरान ही गांधी जी का भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता के रूप में उदय हुआ।

(ग) भारत के लोग रोलट एक्ट के विरोध में क्यों थे।
उत्तर-
रौलट ऐक्ट, 1919 ई.-1919 ई. के गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया ऐक्ट में दी गई रियासतों से काँग्रेस असन्तुष्ट थी और समस्त भारत में निराशा का वातावरण छाया हुआ था। सरकार को डर था कि अवश्य कोई नया आन्दोलन प्रारम्भ होगा। इस ऐक्ट के अनुसार सरकार की किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाए अनिश्चित समय के लिए बन्द कर सकती थी और उसे अपील, दलील या वकील करने का कोई अधिकार नहीं था।

इस ऐक्ट के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया और सरकारी दमन-इस ऐक्ट के विरुद्ध सभी भारतीय एक-साथ खड़े हो गए। उन्होंने इसे ‘काले बिल का’ नाम का नाम दिया। यह राष्ट्रीय सम्मान पर ऐसा धब्बा था जिसे भारतीयों के लिए सहना बड़ा कठिन था। ऐसे कठिन समय में महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आन्दोलन की बागडोर सम्भाली और इसे नवीन कार्यक्रम और कार्यविधि प्रदान की। उन्होंने इस ऐक्ट के विरुद्ध सत्य और अहिंसा के आधार पर सत्याग्रह आन्दोलन शुरु किया। दिल्ली में एक भीड़ पर पुलिस ने गोली दी जिसमें पाँच व्यक्ति मारे गए और 20 घायल हुए। इसके विरोध में बड़े-बड़े शहरों में हड़ताले हुई और दुकानें बन्द कर दल गयीं। अनेक लोगों को सरकार ने पकड़ कर जेल में डाल दिया। महात्मा गाँधी ने भी जब वास्तविक स्थिति का अमययन करने के लिए दिल्ली और पंजाब की ओर जाने का प्रयत्न किया तो उन्हें भी पकड़ लिया गया।

इस प्रकार ऐक्ट ने भारत की राजनीति में उनर भर दी अंग्रजी सरकार और भारतीयों में टकराव का वातावरण पैदा कर दिया।

(घ) गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया।
उत्तर-
महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन को क्यों वापस ले लिया-असहयोग आन्दोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गांधी ने 1922 ई. को उसे वापस ले लिया। इस आंदोलन के वापिस लिये जाने के कारण थे जिनमें से मुख्य निम्नलिखित है:

(1) महात्मा गांधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे – इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगो को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आन्दोलन को वापिस ले लेना ही उचित समझा।
(2) दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिसंक को जायेंगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आंतक का राज्य स्थापित हो जायेगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जायेंगे। महात्मा गांधी जलियाँवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई. में उन्होंने असहयोग आंदोलन वापिस ले लिया।

प्रश्न 2.
सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर-
गाँधी जी ने सत्याग्रह के विचार के संदर्भ में चार बिन्दु निम्नलिखित है:
(1) सत्याग्रह सच्चाई और अहिंसा का एक ढंग है जिसे अपनाकर महात्मा गान्धी ने दक्षिण अफ्रीका की नस्लभेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था बाद में यही पद्धति उन्होंने भारत की ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कार्यो का विरोध करने में अपनाई।
(2) यदि आपका उद्देश्य सच्चा और न्यायपूर्ण है तो आपको अन्त में सफलता अवश्य मिलेगी, ऐसा महात्मा गाँधी का विचार था।
(3) प्रतिरोध की भावना या आक्रमक्ता का सहारा लिये बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।
(4) बाद में सत्याग्रह के इसी सिद्धान्त का प्रयोग उन्होंने अनेक स्थानों पर किया जैसे 1916 में बिहार में चंपारन इलाके में दमनकारी बागान मालिकों के विरुद्ध किसानों को बचाने में,1917 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानो को फसल खराब हो जाने के कारण सरकारी करों से बचाने में और 1918 में गुजरात के अहमदाबाद के सूती कपड़ा के कारखानों के मजदूरों को उचित वेतन दिलाने आदि में किया, परन्तु उन्हें हर बार सफलता प्राप्त हुई।
न्याय और सच्चाई पर आधारित सत्याग्रह का सिद्धान्त बाद में कांग्रेस के संघर्ष का मूल मंत्र बन गया।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिर्पोट लिखें
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
उत्तर-
जलियाँवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 ई. -1918 ई. में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हो गया और उसके साथ ही भारत में होने वाली वस्तुओं की मांग भी बहुत कम हो गई जिससे किसान वर्ग (Peasants) को बहुत हानि हुई। बेकारी भी बहुत बढ़ गई, क्योंकि युद्ध समाप्त होने पर कइयों को नौकरी से छुट्टी मिल गई। जब चीजों की माँग कम हो गयी तो भारतीय व्यापारियों को भी बहुत कठिनाइयाँ उठानी पड़ी। जमीदारों का भी बहुत बुरा हाल था, क्योंकि किसानों से उन्हें लगान तो. मिल रहा था लेकिन सरकार उनसें पूरा लगान मा!गती थी। संक्षेप में प्रत्येक व्यक्ति बड़ा परेशान था। उधर जनवरी 1919 ई. को अंग्रेजी सरकार ने रौलट ऐक्ट पास करके लोगो में और भी रोष पैदा कर दिया। उधर महात्मा गाँधी ने इसके विरुद्ध सत्याग्रह प्रारम्भ कर दिया। सारे देश में हड़तालें होने लगीं, जलसे और जलूस निकलने लगे। अमृतसर में अंग्रेजी सरकार ने डॉन सतपाल और डॉन किचलू को पकड़ लिया। कोई 20,000 लोगों ने इसके विरोध में 13 अप्रैल, 1919 ई. को जलियाँवाला बाग (Jallianwala Bagh) में एक जलसा किया। शीघ्र ही एक अंग्रेज़ अधिकारी जनरल डायर (General Dyer) ने बाग को चारों ओर से घेर लिया और गोली चलाना प्रारम्भ कर दिया जिससे सहस्त्रों स्त्री-पुरुष मारे गये और अनेकों घायल हुए। इस हत्याकाण्ड का भारतीय राजनीति पर प्रभाव-जलियाँवाला बाग के हत्याकांड ने भारतीयों पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। अब लोगो का अंग्रेजी शासन से विश्वास जाता रहा और वे ऐसे शासन से छुटकारा पाने के लिए उग्र और क्रान्तिकारी मार्ग पर चल पड़े। सरकार ने भी अपना दमन-चक्र और तेज कर दिया।

सारे पंजाब में मार्शल-ला (Martial Law) लगा दिया और बड़े अत्याचार किए। महात्मा गाँधी को भी कैद कर लिया गया। जेल से आते ही उन्होंने पंजाब के हत्याकाण्ड और मार्शल-ला के विरुद्ध खिलाफत आन्दोलन चलाया हुआ था, को अपने साथ मिलाकर 1920 ई. में पहला असहयोग आन्दोलन चलाया। उनके कहने पर हजारों व्यक्तियों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दी और सरकार से मिले हुए पदक और उपाधियाँ त्याग दी। वकीलों ने वकालत छोड़ दी और विद्यार्थियों ने अपने स्कूल तथा कॉलिज छोड़ दिए। इस प्रकार हम कह सकते है कि जलियाँवाला बाग के हत्याकाण्ड की घटना भारत के इतिहास में अपना विशेष महत्व रखती है। इसके परिणामस्वरूप जहाँ एक ओर अंग्रेजी सरकार के नैतिक सम्मान और गौरव को धक्का लगा, वहाँ जनता और सरकार के अच्छे सम्बन्ध सदा के लिए खराब हो गए। इस घटना से राष्ट्रीय एकता और सुदृढं हुई जब सभी जातियों के लोग सरकार के अत्याचारों के सम्मान रूप से शिकार हुए। परन्तु जब सरकार की दमनकारी नीति भारतीयों को भयभीत करने में असफल रही तो निश्चित रूप से भारतीयों का धैर्य और मनोबल कई गुना बढ़ गया और वे अधिक शक्ति से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में जुट गए।

(ख) साइमन कमीशन
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन के वापस लेने के पश्चात् जब प्रसिद्ध नेता सी.आर.दास (C.R.Dass) की मृत्यु हो गई तो देश में एक प्रकार का सन्नाटा छा गया। केवल क्रान्तिकारी ही इधर-उधर अपना क्रान्तिकारी कार्य करते रहे। इस रातनीतिक सन्नाटे को तोड़ने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1927 ईन में जॉन साइमन (John Simon) की अध्यक्षकता में एक कमीशन नियुक्त किया जिसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे:

(क) इसका मुख्य उद्देश्य तो यह था कि 1919 के गर्वनमेंट आफ इण्डिया ऐक्ट की समीक्षा की जा सके ताकि यह सुझाव दिए जा सके कि भारतीय प्रशासन में क्या नए सुधार लाए जा सकते हैं।
(ख) इसका एक अन्य उद्देश्य यह भी था कि भारत में पैदा तत्कालीन राजनीतिक सन्नाटे और गतिरोध को दूर किया जा सके। क्योंकि इस कमीशन का अध्यक्ष जॉन साइमन को बनाया गया इसलिए साधारणतया इसे साइमन कमीशन के नाम से पुकारा जाता है।
साइमन कमीशन में सात सदस्य थे और वे सबके सब अंग्रेज थे। इसलिए जब यह कमीशन 1928 ई. में भारत आया तो सभी स्थानों पर लोगों ने इसका बहिष्कार किया। जहाँ भी यह कमीशन जाता था वहाँ हड़ताले होती थीं, काली झण्डियाँ दिखाई जाती थीं और ‘साइमन लौट जाओ’ (Simon Go Back) के नारे लगाए जाते थे।

साइमन का बहिष्कार क्यों किया गया? अब प्रशन यह है कि इस साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया गया। इसके कारणों को ढूँढना कोई कठिन नही:

(1) इस कमीशन के बहिष्कार का पहला कारण यह था कि इसका कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था। लोगों का विश्वास था कि भारत के विषय में कोई भी कमीशन ठीक नहीं सोच सकता जब तक उसमें कोई भी भारतीय सदस्य न हो।
(2) दूसरे, इस कमीशन की धाराओं में भारतीयों को स्वराज दिए जाने की कोई भी सम्भावना नहीं थी।
(3) तीसरे, जब भारतीयों ने इस बात की मांग की कि इस कमीशन में कोई भारतीय सदस्य भी होना चाहिए क्योंकि एक भारतीय ही उनकी समस्याओं को भली-भाँति समझ सकता है। भारतीयों का कहना था कि ब्रिटेन के ‘हाउस आफ कॉमस’ (House of Commons) के किसी भारतीय सदस्य, विशेषकर श्री एस.पी.सिन्हा (S.P.Sinha) का कमीशन में सम्मिलित कर लिया जाए ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को भी अस्वीकृत कर दिया। इससे भारतीय उत्तेजित हो उठे।
(4) चौथा, अन्त में यह कहा जाता है कि यह मामला इतना तूल न पकड़ता यदि भारत सचिव लार्ड बैकन हैड (Lord Birken Head) भारतीयों का यह कह कर अपमान किया होता कि भारतीय लोग न तो संवैधानिक मामलों पर विचार विमर्श करने की क्षमता रखते है और न ही वे कोई एक ऐसे ढाँचे की रूप-रेखा प्रस्तुत कर सकते हैं जो सभी लोगों को मान्य हो।

प्रश्न. 4
इस अमयाय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर-
विश्व भर में कलाकारों की यह प्रवृति रही है कि वे स्वतन्त्रता न्याय, गणतन्त्र आदि विचारों की व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग करते हैं। उन्होने राष्ट्र को भी नारी रूप में प्रस्तुत किया। 1848 ई. में जर्मन चित्रकार फिलिप वेट (Philip Veit) ने अपने राष्ट्र को पन्नों को जर्मेनिया के रुप में प्रस्तुत किया। वे बलूत वृक्ष के पनों का मुकुट पहने दिखाई गई हैं क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। भारत में भी अबनिंद्रनाथ टैगोर अनेक कलाकारों ने भारत राष्ट्र को भारत माता के रूप में दिखाया। एक चित्र में उन्होंने भारत माता के शिक्षा, भोजन और कपड़े देती हुई दिखाया हैं। शिक्षा’, भोजन और कपड़े दे रही है।

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HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

HBSE 10th Class History इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
(क) उपनिवेशकारों के ‘सभ्यता मिशन’ का क्या मतलब था।
(ख) हुइन फू सो।
उत्तर-फ्रांसीसी नीति निर्माता वियतनाम के लोगों को दो उपेश्यों से शिक्षित करना चाहते थे।
(1) वे रास्ते क्लर्क चाहते थे जो उन्हें समझ सकें और प्रशासन व्यवस्था में उनकी सहायता करें।
(2) उनका दूसरा उपेश्य शिक्षा द्वारा वहा! के लोगों को सभ्य बनाना था जो उनके विचार में सभ्य नहीं थे। वे यह सोचने लगे थे कि उन्होंने अन्य देशों को अपने लाभ के लिए विजय नहीं किया। वरन् अपने अधीन लोगों का सुधार करने के लिये किया है। इसी उपेश्य को उन्होंने ‘सभ्यता मिशन’ (Civilizing Mission) का नाम दिया। वास्तव में यह साम्राज्यवादी देशों की अपने स्वार्थों और आर्थिक शोषण को ढांपने की एक सोची-समझी योजना थी। ऐसा कहकर वे आसानी से शोषण की चक्की को भी चला सकते थे और ईसाई पादरियों को भी खुश कर सकते थे। जिनमें अन्य धर्म वालों को ईसाई बनाने की बड़ी लालसा थी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(क) वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी की स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे।
उत्तर-
वियतनाम के लोगों को शिक्षा देने के बारे में फ्रांसीसी अधिकारी असमंजस में थे। उनमें से कुछ फ्रांसीसी भाषा को लागू करना चाहते थे ताकि वियतनाम के लोग उनकी सभ्यता और संस्कृति के प्रशंसक बन जायें और उन्हें सस्ते क्लर्क भी मिल सकें। कुछ अन्य फ्रांसीसी लोग इस शिक्षा के विरुद्ध थे। उनका कहना था कि यदि वियतनाम के लोग पढ़-लिख जायेंगे तो वे राजनीतिक चेतना के उत्पन्न हो जाने के कारण स्वतन्त्रता की माँग करने लगेंगे। बहुत से फ्रांसीसी लोग जो वियतनाम में बस गए थे, वे भी वियतनाम के लोगों को फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दिये जाने के विरुद्ध थे क्योंकि उन्हें डर था कि ऐसे में अमयापकों, क्लर्को और सिपाहियों के रुप उनकी नौकरियाँ जाती रहेंगी।

ऐसे में यही सोचा गया कि वियतनामी विद्यार्थियों को शिक्षा तो दी जाए परन्तु उनमें से दो-तिहाई विद्यार्थियों को फेल कर दिया जाए ताकि न वे पास हो सकें और न ही वे नौकरियाँ माँग सकें।

(ख) फ्रांसीसियों ने मेकाँग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना – और जमीन को सुखना आरम्भ किया।
उत्तर-
फ्रांसिसियों ने मेकाँग डेल्टा में नहरें बनवाई और दलदली जमीनों का सुखाना शुरु किया। इसके पीछे उनका मुख्य उदेश्य यह था कि नहरी पानी के इलाके में चावल उगाया जा सके और उसे विश्व के बाजारों में बेचकर जल्दी धनाढ्य बना जा सके। वास्तव में फ्रांसिसी कम्पनी एक व्यापारिक कम्पनी थी इसलिये उसका मुख्य उदेश्य वियतनाम के साधनों का प्रयोग करके अपने आर्थिक साधनों का अधिक से अधिक विस्तार करना था।

(ग) सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था।
उत्तर-
एक घटना जो साइगॉण नेटिव गर्ल्स स्कूल (Saigon Native Girls School) में हुई उसने वियतनाम में काफी तैनाव का-सा वातावरण बना दिया। विवाद तब शुरु हुआ जब अगली सीट पर बैठी वियतनामी लड़की को उठाकर पिछली सीट पर बैठने के लिये कहा गया और उस सीट पर एक फ्रांसिसी छात्रा को बैठा दिया जाए। जब उस पर वियतनामी लड़की ने सीट छोड़ने से इंकार कर दिया तो स्कूल की प्रिंसिपल ने उस छात्रा को स्कूल से निकाल दिया।

जब वियतनामी विद्यार्थियों ने इसका विरोध किया तो उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया । इस बात ने तूल पकड़ लिया
और लोगों ने खुले रूप में जुलूस निकालने शुरु कर दिये। जब हालात बेकाबू होने लगे तो सरकार ने आदेश दिया कि लड़की को आदेश दोबारा स्कूल में वापस-लिया जाए।

(घ) हनोई के आधुनिक, नवनिर्मित इलाकों में चूहे अधिक थे।
उत्तर-
आधुनिकता लाने के नशे में फ्रांसिसियों ने हेनोई के एक भाग को आधुनिकता नगर में बदल डाला। वहाँ बढ़-चढ़ कर वास्तुकला के नवीनतम विचारों और इंजीनियरिंग के ढंगो को प्रयोग में लाया गया। ज़मीन के अन्दर ल्लश की नई-नई नालियों का निर्माण किया गया ताकि गन्दा पानी बाहर निकल जाए। परन्तु हेनोई का नया नगर भी बच न सका। चुहे पुराने नगर को छोड़ कर नए नगर की ओर बड़ी तेजी से बढ़ते चले गए और ल्लश की नई नालियों में घुलकर उन्होंने नगर के फ्रांसिसी भाग में प्लेग को एक बड़े पैमाने में फैला दिया।

इस मुसीबत को दूर करने के लिए फ्रांसिसियों ने 1902 ई. में चूहे पकड़ने की एक मुहिम चलाई। चूहे पकड़ने या मारने वालों को ईनाम दिए जाने की घोषणा की गई। परिणामस्वरुप एक ही दिन (20मई 1902 को) कोई 20,000 चूहे पकड़े गए। परन्तु जब चूहे पकड़ने का काम खत्म ही नही हुआ और उसमें धोखा होने लगा तो फ्रांसिसी सरकार ने इस मुहिम को बन्द कर दिया परन्तु ऐसा करने से फ्रांसिसी लोगों और वियतनामी लोगों में एक टकराव की सी स्थिति पैदा कर दी। उधर जब हेनोई के पुराने नगर की प्लेग को दूर करने के लिये कोई मयान न दिया गया तो बात और अधिक बिगड़ गई। इस प्रकार एक घटना के बाद दूसरी घटना ने वियतनाम के लोगों को साम्राज्यवाद का विरोध करने के लिए तैयार कर दिया।

प्रश्न 3.
टोकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे कौन से विचार थे। वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज़ से यह उदाहरण कितना सटीक है?
उत्तर-
वियतनाम में पश्चिमी ढंग की शिक्षा देने के लिए 1907 ई. में टोफिन फ्री स्कूल खोला गया। इसकी तीन मुख्य विशेषतायें निम्नलिखित थीं।

(1) अन्य सम्राज्यवादियों की भाँति फ्रांसीसी यह चाहते _थे कि उनके अधीन स्थानीय लोग उनकी संस्छति और सभ्यता
में रंग जायें। यही उपेश्य उन्होंने टोंकिन फ्री स्कूल जैसे अनेक शिक्षा संस्थानों को खोलकर पूरा करने की सोची।
(2) इस स्कूल में विज्ञान, फ्रांसीसी भाषा और पश्चिमी विचारों की शिक्षा पर जोर दिया गया।
(3) इसके अतिरिक्त आधुनिक बनने के लिए वियतनामी छात्रों को पश्चिमी शैलियो को अपनाने के लिए भी उकसाया जाता था।

प्रश्न 4.
वियतनाम के बारे में फान यू त्रिन्ह का उपेश्य क्या था? फान बोई चा। और उनके विचारों में क्या भिन्नता थी?
उत्तर-
फान चू त्रिन्ह (phan Chu Trinh) और फान बोई चा। (phan Boi Chau) दोनों ही वियतनाम के महान् राष्टीय नेता थे परन्तु दोनों के वियतनाम राष्ट्रवाद के बारें में विभिन्न विचार थे।
फान चू त्रिन्ह (1871-1926) राजशाही/राजतन्त्र के कमकर विरोधी थे। वे इस बात के समर्थक नहीं थे कि फ्रासिसियों को देश से प्रजातन्त्रीय नियमों पर आधारित एक गणतन्त्र स्थापित होना चाहिए।

इसके विपरीत फान बोई चा (1867-1940) ने राजकुमार कुआंग ने (Cuong De) के नेतृत्व में एक क्रान्तिकारी संस्था की नींव रखी। इस प्रकार वह राजतन्त्र के पक्ष में था जबकि फान चू त्रिन्ह एक गणतन्त्र के पक्ष में था। पर दोनों ही अपने देश को स्वतन्त्र देखना चाहते थे। फान बोई चा की पुस्तक ‘द हिस्ट आफ द लॉस आफ वियतनाम’ (The History of the Loss of Vietnam) ने वियतनाम में राष्ट्रवाद के उत्थान में काफी सहयोग दिया।

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