HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

HBSE 10th Class History मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Textbook Questions and Answers

प्रश्न-1.
निम्नालिखित के कारण दें
(क) वुड ब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1395 के बाद आई।
(ख) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने उसकी खुलेआम प्रशंसा की।
(ग) रोमन कैथोलिक चर्च न सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबधित किताबों की सूची रखनी शरू कर दी।
(घ) महात्मा गांधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस, और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।
उत्तर-
(क) मार्को पोलो ने जब चीन की यात्रा 1295 में की तो उसे वुड ब्लॉक प्रिंट का पता चला। इटली वापस लौटते समय वुड ब्लॉक प्रिंट का ज्ञान चीन से लेकर गया। तत्पश्चात् ही यह तकनीक यूरोप में फैल पाई।

(ख) मार्टिन लूथर ने प्रोटेस्टेन्टवाद का प्रचार किया। वे मुद्रण को ईश्वर की सर्वोत्तम कृति मानता, क्योंकि उसके अनुसार इसके द्वारा धर्म-सुधार आंदोलन संभव था। छपाई के कारण नया बौद्धिक वातावरण उत्पन्न हुआ। छपाई से लूथर प्रोटेस्टेन्ट धर्म को फैला पाए।

(ग) पुस्तकों से लोगों को धर्म के विषय में ज्ञान हुआ। इटली के मेनोकियों ने कैथोलिक चर्च के विरुद्ध विचार बनाए। उसे धर्म-विदोही कहा गया और मौत की सजा दी गई। इस कारण परेशान तथा धर्म पर उठाए जा रहे प्रश्नों के कारण रोमन चर्च के प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं ने कई पाबन्दियाँ लगा दी।

(घ) महात्मा गांधी ने यह इसलिए कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लडाई है, क्योंकि ये तीनों ही जनमत व्यक्त करने के तरीके है जिन्हें ब्रिटिश सरकार दबाने का प्रयत्न कर रही थी।

प्रश्न-2.
छोटी टिप्पणी में इनके बारे में बताएँ
(क) गुटेन्बर्ग प्रेस
(ख) छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार
(ग) वर्नाक्युलर या देसी प्रेस एक्ट
उत्तर-
(क) गुटेन्बर्ग ने अपने अनुभव के द्वारा जैतून प्रेस को अपनी प्रिटिंग मशीन का आधार बनाया। उसमें साँचे का प्रयोग अक्षरों की धातुई आकृतियों को बनाने के लिए किया गया। सबसे पहले अपनी मशीन से गुटेन्बर्ग ने बाइबल छापी।
(ख) इरैस्मस कैथोलिक धर्म-सुधारक थे। वे प्रिंट को लेकर आशंकित थे उनके अनुसार कुछ ही चीजें पुस्तकों में ठीक होती थी; जबकि बाकी विद्वता के लिए हानिकारक होती थीं। वे लोगों को छपी किताब से बचने की प्रेरणा देते तथा इन्हें धर्म विरोधी, अज्ञानी और षड्यन्त्रकारी कहा।
(ग) ब्रिटिश सरकार ने 1878 में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया इससे सरकार भाषीयी अखबारों पर नजर रख सकती थी। वे अब रिपोर्ट आदि को सेंसर कर सकती थी। यदि किसी खबर को बागी कहा जाता तो उसे छापने से मना किया जाता। चेतावनी नहीं मानने पर मशीनें और अखबार जब्त की जा सकती थीं।

प्रश्न-3. उन्नीसवीं सदी में भारत में मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था
(क) महिलाएँ (ख) गरीब जनता (ग) सुधारक
उत्तर-
(क) 19वीं सदी मुद्रण संस्कृति के कारण औरतों को पढ़ाया जाने लगा। पत्रिकाओं में लेखिकाओं को स्थान मिलने लगा जिसमें नारी-शिक्षा को जोर दिया गया। परन्तु समाज ने यह माना कि पढ़ना-लिखना महिलाओं के लिए नहीं है। कई महिलाओं के लिए पुस्तकें मनोरंजन थीं तो अन्यों के लिए अभिव्यक्ति का एक स्परूप।
(ख) 19वीं सदी में जब किताबें आम गरीब जनता तक पुहँचने लगीं तो वे उनके लिए अहम् मनोरंजन का साधन बन गई। पुस्तकालयों के खुलने से उन्हें पुस्तके आसानी से मिलने लगीं।
(ग) सुधारकों ने पुस्तकों को अभिव्यक्ति का साधन माना। इनका प्रयोग जाति-प्रथा के विरोध में लोगों को जागृत करना था, जैसे-ज्योतिबा फुले ने किया। विधवा प्रथा का विरोध , नारी-शिक्षा आदि को सुधारों का एक अभिन्न अग माना गया जिसके प्रचार के लिए पत्रिकाओं, उपन्यासों आदि मुद्रित सामग्री छापी गई

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