HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 16 प्रकाश

Haryana State Board HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 16 प्रकाश Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Science Solutions Chapter 16 प्रकाश

HBSE 8th Class Science प्रकाश InText Questions and Answers

पहेली बूझो

(पृष्ठ संख्या – 200)

प्रश्न 1.
यदि मैं वर्पण पर प्रकाश अभिलम्ब के अनुविश डालूँ तो क्या होगा?
उत्तर:
इस स्थिति में, आपतन कोण शून्य अंश होगा, इसलिए परावर्तन के पश्चात् किरण समान पथ के अनुदिश अर्थात् अभिलम्ब की दिशा में लौट जायेगी ।

(पृष्ठ संख्या – 203)

प्रश्न 2.
मेरे मन में एक प्रश्न है । यदि परावर्तित किरणें किसी अन्य वर्पण पर आपतित हों, तो क्या वे फिर परावर्तित हो सकती हैं ?
उत्तर:
हाँ।

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HBSE 8th Class Science प्रकाश Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मान लीजिए आप एक अंधेरे कमरे में हैं । क्या आप कमरे में वस्तुओं को देख सकते हैं? क्या आप कमरे के बाहर वस्तुओं को देख सकते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नहीं, हम अंधेरे कमरे में रखी वस्तुओं को नहीं देख सकते क्योंकि कमरे में पड़ी वस्तुओं पर कोई प्रकाश नहीं पड़ रहा है और न ही वे स्वयं प्रकाश उत्सर्जित कर रही हैं । कमरे के बाहर की वस्तुएँ दिखाई दे सकती हैं, यदि उन पर प्रकाश की किरणें आपतित हों या वे अपना प्रकाश उत्सर्जित करें।

प्रश्न 2.
नियमित तथा विसरित परावर्तन में अंतर बताइए। क्या विसरित परावर्तन का अर्थ है कि परावर्तन के नियम विफल हो गए हैं ?
उत्तर:
नियमित तथा विसरित परावर्तन में अन्तरनियमित परावर्तन –
(1) परावर्तित किरणें समान्तर होती हैं।
(2) यह परावर्तन समतल और चिकने पृष्ठ पर होता हैं।

विसरित परावर्तन –
(1) परावर्तित किरणें असमान्तर होती हैं ।
(2) यह परावर्तन विषम एवं अनियमित पृष्ठ पर होता है।

प्रश्न 3.
निम्न में से प्रत्येक के स्थान के सामने लिखिए, यदि प्रकाश की एक समान्तर किरण पुंज इनसे टकराए तो नियमित परावर्तन होगा या विसरित परावर्तन होगा? प्रत्येक स्थिति में अपने उत्तर का औचित्य बताइए।
(क) पॉलिश युक्त लकड़ी की मेज ।
(ख) चाँक पाउडर ।
(ग) गत्ते का पृष्ठ ।
(घ) संगमरमर के फर्श पर फैला जल ।
(ङ) दर्पण ।
(च) कागज का टुकड़ा।
उत्तर:
(क) पॉलिशयुक्त लकड़ी की मेज : नियमित परावर्तन । कारण – लकड़ी की मेज पर पृष्ठ पॉलिश होने की वजह से समतल व चिकनी सतह है।
(ख) चॉक पाउडर : विसरित परावर्तन । कारण – चॉक पाउडर रूक्ष पृष्ठ प्रदान करता है ।
(ग) गत्ते का पृष्ठ : विसरित परावर्तन । कारण – यह अनियमित सतह है।
(घ) संगमरमर के फर्श पर फैला जल : नियमित परावर्तन। कारण – जल से तल समतल बन जाता है।
(ङ) दर्पण : नियमित परावर्तन । कारण – दर्पण का पृष्ठ समतल होता है।
(च) कागज का टुकड़ा : नियमित परावर्तन/विसरित परावर्तन । कारण – क्रमशः यदि कागज समतल है । यदि कागज रूक्ष है।

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प्रश्न 4.
परावर्तन के नियम बताइए।
उत्तर:
परावर्तन के नियम –
(1) आपतन कोण = परावर्तन कोण ।
(2) आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण सभी एक तल में होते हैं ।।

प्रश्न 5.
यह वशनि के लिए कि आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं । एक क्रियाकलाप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एक मेज पर एक सफेद शीट फैलाइए । इस पर MM’ एक सीधी रेखा खींचिए । इस रेखा के अनुदिश समतल दर्पण की एक पट्टी ऊध्वाधर स्थिति में रखें। अब टॉर्च की सहायता से प्रकाश किरण इस तरह डालें कि इससे निकलने वाला पुंज मेज के समान्तर हो।
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आपतित और परावर्तित किरणों का एक सुन्दर पैटा प्राप्त होता है । एक पेंसिल से किसी भी पतित किरण पर तीन बिंदु A,B,C अंकित करें और इसकी संगत परावर्तित किरण पर बिन्दु D, E, F अंकित करें । टॉर्च बन्द कर दें । दर्पण हटा लें । अब बिन्दुओं को मिलाकर दर्पण तक बढ़ाएँ | ABC रेखा MM’ को O पर मिलाती है । इसी तरह DEF रेखा भी MM’ को O पर मिलाती है | OA आपतित किरण है जबकि OF परावर्तित किरण है । O पर अभिलम्ब ON खींचकर यह सिद्ध होता है कि आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एक ही तल में हैं।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) एक समतल दर्पण के सामने 1 मीटर दूर खड़ा व्यक्ति अपने प्रतिबिम्ब से …………………. मीटर दूरी पर दिखाई देता है।
(ख) यदि किसी समतल दर्पण के सामने खड़े होकर आप अपने दाए हाथ से अपने …………………. कान को छुएँ तो दर्पण में ऐसा लगेगा कि आपका दायाँ कान ……………. हाथ से छुआ गया है।
(ग) जब आप मंद प्रकाश में देखते हैं तो आपकी पुतली का साइज ………………. हो जाता है।
(घ) रात्रि पक्षियों के नेत्रों में शलाकाओं की संख्या की अपेक्षा शंकओं की संख्या ………………… होती है।
उत्तर:
(क) 2
(ख) बायें, बायें
(ग) बड़ा
(घ) अधिक।

सही विकल्प छाँटिए

प्रश्न 7.
आफ्तन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता
(क) सदैव
(ख) कभी-कभी
(ग) विशेष दशाओं में
(घ) कभी नहीं।
उत्तर:
(क) सदैव

प्रश्न 8.
समतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब होता है:
(क) आभासी, दर्पण के पीछे तथा आवर्धित ।
(ख) आभासी, दर्पण के पीछे तथा वस्तु के साइज के बराबर ।
(ग) वास्तविक, दर्पण के पृष्ठ पर तथा आवर्धित ।
(घ) वास्तविक, दर्पण के पीछे तथा वस्तु के साइज के बराबर ।
उत्तर:
(ख) आभासी, दर्पण के पीछे तथा वस्तु के साइज के बराबर ।

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प्रश्न 9.
कैलाइडोस्कोप की रचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कैलाइडोस्कोप- यह एक खिलौना है जिससे अनेक प्रतिबिम्ब बनाये जा सकते हैं। बहुमूर्तिदर्शी (कैलाइडोस्कोप) दर्पण में तीन आयताकार पट्टियों को प्रिज्म की आकृति में जोड़ा जाता है और एक मोटे चार्ट पेपर से बने बेलनाकार ट्यूब में लगा दिया जाता है । ट्यूब के एक सिरे के केन्द्र पर छिद्रयुक्त एक गत्ते की डिस्क लगाते हैं और दूसरे सिरे पर समतल काँच की वृत्ताकार प्लेट, दर्पण को छूते हुए दृढ़तापूर्वक चिपका देते हैं । इसके ऊपर कुछ रंगीन कांच के टुकड़े रखकर घिसे हुए काँच की प्लेट से बन्द कर देते हैं । अब बहुमूर्तिदर्शी तैयार हो जाता है।
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प्रश्न 10.
मानव नेत्र का एक नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मानव नेत्र का नामांकित चित्र –
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प्रश्न 11.
गुरमीत लेजर टॉर्च के द्वारा पाठ्य-पुस्तक क्रियाकलाप 16.8 को करना चाहता था। उसके अध्यापक ने ऐसा करने से मना किया । क्या आप अध्यापक की सलाह के आधार की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर:
लेजर टॉर्च की किरण आँख के रेटिना को क्षति पहुँचा सकती है । अतः अध्यापक ने लेजर टॉर्च का उपयोग करने से मना किया ।

प्रश्न 12.
वर्णन कीजिए कि आप अपने नेत्रों की देखभाल कैसे करेंगे?
उत्तर:
नेत्र प्रकृति की बहुमूल्य देन हैं । नेत्रों की उचित देखभाल अत्यन्त आवश्यक है, हम अपने नेत्रों की देखभाल निम्न तरीकों से कर सकते हैं
(1) स्वस्थ और साफ आँखों के लिए विटामिनयुक्त भोजन लेना चाहिए ।
(2) सूर्य या किसी शक्तिशाली प्रकाश स्रोत को सीधा नहीं देखना चाहिए । सूर्य ग्रहण को नग्न आँखों से नहीं देखना चाहिए।
(3) बहुत तेज अथवा मंद प्रकाश में नहीं पढ़ना चाहिए।
(4) चलते हुए वाहन में किताब या अखबार नहीं पढ़ना चाहिए ।
(5) साफ जल से प्रतिदिन नेत्रों की सफाई करनी चाहिए ।
(6) बहुत गर्मी वाले दिनों में धूप के चश्मे का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
यदि परावर्तित किरण, आपतित किरण से 90 डिग्री का कोण बनाए तो आपतन कोण का मान कितना होगा?
उत्तर:
यदि ∠i = आपतन कोण
∠r = परावर्तन कोण
तो ∠i + ∠r = 90° (प्रश्नानुसार)
पर ∠i = ∠r = (परावर्तन के नियमानुसार)
या 2∠i = 90°
∠i = \(\frac{90°}{2}\) = 45°

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प्रश्न 14.
यदि दो समान्तर समतल दर्पण एक-दूसरे से 40 सेमी. के अंतराल पर रखे हों तो इनके बीच रखी एक मोमबत्ती के कितने प्रतिबिम्ब बनेंगे?
उत्तर:
यदि दो समतल दर्पण 40 सेमी. की दूरी पर समान्तर रखे हों तो –
n = \(\frac{360°}{θ}\) = -1 समान्तर दर्पणों के लिए, θ = 0°
इस कारण n = \(\frac{360°}{θ}\) = -1 = ∞ – 1 = ∞ (अनन्त)
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प्रश्न 15.
दो दर्पण एक-दूसरे के लम्बवत् रखे हैं । प्रकाश की एक किरण एक दर्पण पर 30 डिग्री के कोण पर आपतित होती है जैसाकि चित्र में दर्शाया गया है । दूसरे दर्पण से परावर्तित होने वाली परावर्तित किरण बनाइए ।
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उत्तर:
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प्रश्न 16.
चित्र में वर्शाए अनुसार बूझो एक समतल वर्पण के ठीक सामने पार्श्व से कुछ हटकर एक किनारे आकर खड़ा होता है । क्या यह स्वयं को वर्पण में देख सकता है? क्या वह PQ तथा R पर स्थित वस्तुओं के प्रतिबिम्ब भी देख सकता है?
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उत्तर:
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बूझो स्वयं को नहीं देख सकता क्योंकि वह दर्पण की सीमा के बाहर है । उसे P और Q के प्रतिबिम्ब सरलता से दिखाई देंगे।

प्रश्न 17.
(a) A बिन्दु पर स्थित किसी वस्तु के समतल दर्पण में बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
(b) क्या स्थिति B से पहेली प्रतिबिम्ब को देख सकती है?
(c) क्या स्थिति C से बूझो इस प्रतिबिम्ब को देख सकता है ?
(d) जब पहेली B से C पर चली जाती है तो A का प्रतिबिम्ब किस ओर खिसक जाता है ?
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उत्तर:
(a)A का प्रतिबिम्ब । पर दर्पण के पीछे समान दूरी पर बनता है, यह आभासी व A के बराबर आकार का है।
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(b) स्थिति B से पहेली C का प्रतिबिम्ब देख सकती है।
(c) स्थिति C से बूझो A का प्रतिबिम्ब देख सकता है।
(d) जब स्थिति B से पहेली स्थिति C पर जाती है तो प्रतिबिम्ब आगे की ओर खिसकता है ।

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HBSE 8th Class Science कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. आपतन कोण एवं परावर्तन कोण में परावर्तन के समय सम्बन्ध होता है
(अ) आपतन कोण > परावर्तन कोण
(ब) आपतन कोण < परावर्तन कोण
(स) आपतन कोण = परावर्तन कोण
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(स) आपतन कोण = परावर्तन कोण

2. अभिलम्ब पर आपतित किरण के लिए परावर्तन कोण का मान होगा –
(अ) 90°
(ब) 0°
(स) 45°
(द) 180°
उत्तर:
(ब) 0°

3. वृक तंत्रिकाओं तथा रेटिना की संधि पर कोई तंत्रिका कोशिका नहीं होती, इस बिन्दु को कहते हैं
(अ) अंध बिन्दु
(ब) स्वच्छ मण्डल
(स) दृष्टि पटल
(द) परितारिका ।
उत्तर:
(अ) अंध बिन्दु

4. विटामिन A की कमी से होने वाला रोग है
(अ) रतौंधी
(ब) बेरी-बेरी
(स) स्क र्वी
(द) रिकेट्स।
उत्तर:
(अ) रतौंधी

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रिक्त स्थान पूर्ति

(क) किसी पृष्ठ पर पड़ने वाली प्रकाश-किरण को ……………… कहते हैं।
(ख) पृष्ठ से परावर्तन के पश्चात् वापस आने वाली प्रकाश-किरण को …………….. कहते हैं।
(ग) आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को …………… कहते हैं।
(घ) चिकने पृष्ठ से होने वाले परावर्तन को …………………. कहते हैं।
उत्तर-(क) आपतित किरण (ख) मरावर्तित किरण (ग) आपतन कोण (घ) नियमित परावर्तन।

सुमेलन

कॉलम – I कॉलम – II
1. शंकु (क) प्रतिबिम्ब बनता है
2. शलाका (ख) आइरिस
3. रेटिना (ग) तीव्र प्रकाश के लिए सुग्राही
4. अंध बिन्दु (घ) प्रतिबिम्ब नहीं बनता
5. परितारिका (ङ) मंद प्रकाश के लिए सुग्राही

उत्तर:

कॉलम – I कॉलम – II
1. शंकु (ग) तीव्र प्रकाश के लिए सुग्राही
2. शलाका (ङ) मंद प्रकाश के लिए सुग्राही
3. रेटिना (क) प्रतिबिम्ब बनता है
4. अंध बिन्दु (घ) प्रतिबिम्ब नहीं बनता
5. परितारिका (ख) आइरिस

सत्य / असत्य कथन

(क) आँख के पारदर्शी अग्रभाग को कार्निया या स्वच्छ मण्डल कहते हैं।
(ख) पुतली के साइज को परितारिका से नियंत्रित किया जाता है।
(ग) अंध बिन्दु पर सबसे अच्छा प्रतिबिम्ब बनता है।
(घ) रेटिना में शंकु एवं शलाकाएँ पायी जाती हैं।
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) सत्य
(ग) असत्य
(घ) सत्य।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस उपकरण का प्रयोग परावर्तन के नियम को सिद्ध करने के लिए किया जाता है ?
उत्तर:
किरण स्ट्रीक उपकरण का ।

प्रश्न 2.
किस यंत्र का उपयोग करके एक बौना व्यक्ति भीड़ में से ऊपर देख सकता है ?
उत्तर:
पेरिस्कोप द्वारा।

प्रश्न 3.
पार्श्व परिवर्तन क्या है?
उत्तर:
समतल दर्पण में बने प्रतिबिम्ब के दाई ओर का भाग बाई ओर तथा बाईं ओर का भाग दाईं ओर बनता है।

प्रश्न 4.
अंब बिन्दु क्या है ?
उत्तर:
दृक् तंत्रिकाओं तथा रेटिना की संधि पर कोई तंत्रिका कोशिका नहीं होती । यह बिन्दु अंध बिन्दु कहलाता

प्रश्न 5.
मंद प्रकाश के लिए कौन-सी संवेदन कोशिकाएँ है।
उत्तर:
शलाकाएँ।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रतिबिम्ब क्या है?
उत्तर:
वास्तविक प्रतिबिम्ब वह बिन्दु है जहाँ पर परावर्तन या अपवर्तन के बाद प्रकाश किरण वास्तव में मिलती है। यह सदैव उल्टा होता है ।

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प्रश्न 7.
आभासी प्रतिबिम्ब क्या है?
उत्तर:
आभासी प्रतिबिम्ब वह बिन्दु है जहाँ पर परावर्तन या अपवर्तन के पश्चात् प्रकाश किरण मिलती प्रतीत होती है, यह बिन्दु आभासी प्रतिबिम्ब है । यह हमेशा सीधा होता है।

प्रश्न 8.
हमें किस प्रकार का दर्पण चाहिए, यदि प्रतिबिम्ब समान आकार का प्राप्त करना है ?
उत्तर:
समतल दर्पण ।

प्रश्न 9.
हमें वस्तुओं के दिखाई देने का क्या कारण है?
उत्तर:
वस्तु से आने वाला प्रकाश जब हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है, तब वस्तुएँ दिखाई देती हैं।

प्रश्न 10.
प्रकाश का सात रंगों में विभाजन होने की क्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाश का विक्षेपण ।

प्रश्न 11,
जब प्रकाश किरण किसी दर्पण से टकराती है तो वह किस प्रकार का व्यवहार करती है?
उत्तर:
प्रकाश किरण दर्पण से टकराने के पश्चात् दूसरी दिशा में परावर्तित हो जाती है।

प्रश्न 12.
किसी पृष्ठ पर पड़ने वाली प्रकाश किरण क्या कहलाती है?
उत्तर:
आपतित किरण।

प्रश्न 13.
जब किसी अनियमित पृष्ठ पर प्रकाश किरणें आपतित होती हैं तो परावर्तन किस प्रकार का होता है? (क्रियाकलाप)
उत्तर:
अनियमित परावर्तन।

प्रश्न 14.
जब किसी चिकने पृष्ठ पर प्रकाश किरणें आपतित होती हैं तो परावर्तन किस प्रकार का होता है? (क्रियाकलाप)
उत्तर:
नियमित परावर्तन।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आभासी प्रतिबिम्ब तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर है?
उत्तर:
आभासी प्रतिबिम्ब –
(1) ये सदा सीधे बनते हैं।
(2) इन्हें पर्दे पर नहीं लिया जा सकता ।
(3) प्रकाश की किरणें परावर्तन या अपवर्तन के बाद एक बिन्दु पर मिलती प्रतीत होती हैं।

वास्तविक प्रतिबिम्ब –
(1) ये सदैव उल्टे बनते हैं ।
(2) इन्हें पर्दे पर लिया जा सकता है ।
(3) प्रकाश की किरणें परावर्तन या अपवर्तन के बाद वास्तव में एक बिन्दु पर मिलती हैं।

प्रश्न 2.
परावर्तन क्या है ? परावर्तन के नियम लिखिए।
उत्तर:
परावर्तन : दो माध्यमों को अलग-अलग करने वाली सतह से प्रकाश किरण टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट जाती है । यह परिघटना ही परावर्तन है । इसमें प्रकाश माध्यम को न बदलकर मार्ग को बदल देता है।

प्रश्न 3.
एक काँच पट्टिका में प्रकाश विक्षेपण क्यों नहीं होता।
उत्तर:
एक काँच पट्टिका से निकलने वाली निर्गत किरणें एक-दूसरे के समान्तर हो जाती हैं । इस कारण प्रकाश विक्षेपण नहीं होता ।

प्रश्न 4.
समतल दर्पण पर से लम्बवत् प्रकाश किरण उसी मार्ग से क्यों वापस जाती है?
उत्तर:
परावर्तन के नियम के अनुसार आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है । जब किरण लम्बवत् आपतित है, आपतन कोण शून्य है इसलिए परावर्तन कोण भी शून्य होगा । इस कारण किरण जो लम्बवत आपतित है, उसी मार्ग से वापस लौटती है ।

प्रश्न 5.
प्रकाश का परावर्तन कितने प्रकार का होता है? समझाइए ।
उत्तर:
प्रकाश का परावर्तन निम्नलिखित दो प्रकार का होता है
(1) नियमित परावर्तन – जब प्रकाश किसी समतल चिकने पृष्ठ जैसे समतल दर्पण पर आपतित होता है तो प्रकाश की प्रत्येक किरण एक निश्चित दिशा में परावर्तित होती है, इसे नियमित परावर्तन कहते हैं।
(2) विसरित परावर्तन – जब प्रकाश किरण किसी खुरदरे सतह पर आपतित होती है तो ये किरणें भिन्न-भिन्न दिशाओं में परावर्तित होती है, इसे विसरित या अनियमित परावर्तन कहते हैं।

प्रश्न 6.
कम प्रकाश के होने पर हम किसी वस्तु के सही रंगों का पता क्यों नहीं लगा पाते?
उत्तर:
कम प्रकाश होने पर शलाकाएँ तो सुग्राही होती हैं परन्तु शंकु कोशिकाएँ उतनी नहीं । शंकु कोशिकाओं के द्वारा ही रंगों की उचित अनुक्रिया होती है।

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प्रश्न 7.
क्या प्राथमिक प्रकाश के सभी वर्गों हेतु दृष्टिपटल की शंकु कोशिकाओं की सुग्राहिता बराबर होती है ?
उत्तर:
नहीं, शंकु कोशिकाएँ प्राथमिक रंग लाल, हरा तथा नीले प्रकाश के लिए अलग-अलग संवेदी होती हैं। जब लाल प्रकाश दृष्टि पटल पर आपतित होता है तो केवल वही कोशिकाएँ संवेदी हो जाती हैं जो लाल रंग के लिए उत्तरदायी है, शेष कोशिकाएं सर्वदा नहीं होता है।

प्रश्न 8.
प्रदीप्त पिण्ड से क्या तात्पर्य है ? समझाइए।
उत्तर:
जो पिण्ड दूसरी वस्तुओं के प्रकाश में चमकते हैं उन्हें प्रदीप्त पिण्ड कहते हैं । जैसे- चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश में परावर्तन के कारण चमकता है अत: यह एक प्रदीप्त पिण्ड है। स्वयं चमकने वाले पिण्ड दीप्त पिण्ड कहलाते हैं।

प्रश्न 9.
समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब बनना केवल आरेख द्वारा दर्शाइए। (क्रियाकलाप)
उत्तर:
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए आपतन कोण तथा परावर्तन कोण बराबर होते हैं
उत्तर:
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(i) आपतन कोण – आपतन कोण i आपतित किरण व अभिलम्ब के बीच बनता है ।
∠AON = ∠i
(ii) परावर्तन कोण – परावर्तन कोण r परावर्तित किरण व अभिलम्ब के बीच बनता है ।
∠BON = ∠r
सम्बन्ध ∠AON = ∠BON
∠i = ∠r

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प्रश्न 2.
मानव नेत्र का वर्णन कीजिए । नेत्र का कार्य क्या
उत्तर:
मानव नेत्र (Human Eye):
नेत्र मनुष्य के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है । इसके द्वारा मानव सभी वस्तुओं को देख सकता है। मानव की आँख एक कैमरे की भांति कार्य करती है। नेत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं
(1) तृढ़ पटल (Sclerotic) : मानव नेत्र एक खोखले गोले के समान होता है, यह बाहर से एक दृढ़ व अपारदर्शी श्वेत परत से ढका रहता है। इस परत को दृढ़ पटल कहते हैं। इसके द्वारा नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा होती है ।
(2) रक्त पटल (Choroid) : दृढ़ पटल के भीतरी पृष्ठ पर एक काले रंग की झिल्ली लगी रहती है इसे रक्तक पटल कहते हैं । यह आपतित प्रकाश का अवशोषण करता है, इसे कोराइड भी कहते हैं।
(3) कॉर्निया – नेत्र गोलक के पृष्ठ का पारदर्शी उभार एक पतली पारदर्शी झिल्ली से ढका रहता है जिसे स्वच्छ पटल अथवा कॉर्निया कहते हैं । आँख में प्रविष्ट होने वाला प्रकाश सर्वप्रथम कॉर्निया से ही गुजरता है।
(4) आइरिस – कॉर्निया के पीछे एक रंगीन एवं अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है जिसे आइरिस कहते हैं।
(5) पुतली अथवा तारा (Pupil) – आइरिस के बीच में एक छोटा-सा छिद्र होता है जिसे पुतली अथवा नेत्र तारा कहते हैं । कॉर्निया से आया प्रकाश पुतली से होकर लेन्स पर आपतित होता है । पुतली की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि अन्धकार में यह अपने आप बड़ी व अधिक प्रकाश में अपने आप छोटी हो जाती है, इस प्रकार यह नेत्र में जाने वाले प्रकाश को नियन्त्रित करती है ।
(6) नेत्र-लेन्स (Eye-lens)- पुतली के ठीक पीछे पारदर्शी ऊतक का बना उत्तल लेन्स होता है, जिसे नेत्र लेन्स कहते हैं । इसके माय क पिछले भाग की त्रिज्या अगले भाग को अपेक्षा अधिक होती है। नेत्र लेन्स मांसपेशियों के तोर बीच टिका रहता है जिन्हें एमाल्यूमा सिलियरी माँसपेशियाँ कहा जाता है।
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(7) जलीय द्रव (Aqueous humour)- कॉर्निया व नेत्र-लेन्स के बीच जल के समान एक नमकीन पारदर्शी द्रव भरा रहता है, जिसे जलीय द्रव कहते हैं।
(8) काचाभ वब (Vitreous humour)-लेन्स के पीछे दृश्य पटल तक का स्थान एक गाढ़े पारदर्शी द्रव से भरा रहता है जिसे काचाभ द्रव कहते हैं। इसका अपवर्तनांक उच्च होता है।
(9) दृष्टि पटल (Retina)- रक्तक पटल के नीचे की ओर स्थित पारदर्शी झिल्ली को रेटिना कहते हैं, इसे दृष्टि पटल भी कहा जाता है । यह बहुत सारी प्रकाश शिराओं की एक फिल्म होती है । रेटिना पर बने प्रतिबिम्ब के रूप, रंग एवं आकार आदि का मस्तिष्क को ज्ञान इन्हीं शिराओं द्वारा होता है।
(10) पीत बिन्दु तथा अन्ध बिन्तु (Yellow spot and Dark spot)- रेटिना के मध्य में एक पीला भाग होता है. इसकी सुग्राहिता सबसे अधिक होती है । इस भाग को पीत बिन्दु कहते हैं। जिस स्थान पर प्रकाश की सुनाहिता शून्य होती है, उसे अन्ध बिन्दु कहते हैं।

नेत्र का कार्य (Working of eye):
जब हमारी पलकें खुली होती हैं तब हमारे सामने रखी वस्तु से चली किरणें कॉर्निया पर आपतित होती हैं । यहाँ से किरणें अपवर्तित होकर रेटिना पर आपतित होती हैं तथा रेटिना पर वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है । प्रतिबिम्ब की सूचना प्रकाश शिराओं द्वारा रेटिना की संवेदी कोशिकाओं से होकर मस्तिष्क में पहुँचती है । मस्तिष्क उसका ज्ञान अनुभव द्वारा प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 3.
नेत्र में किस प्रकार के दोष उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
1. निकट दृष्टि दोष :- कुछ मनुष्य पास रखी वस्तु को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं परन्तु दूर की वस्तुओं को नहीं देख पाते हैं।
2. दूर दृष्टि दोष :- कुछ मनुष्य निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट से नहीं देख पाते हैं जबकि दूर स्थित वस्तु को आसानी से देख पाते हैं।

मोतियाबिन्द – कभी-कभी (विशेष रूप से वृद्धावस्था में) नेत्रदृष्टि धुंधली हो जाती है, इसका कारण नेत्र लैंस के धुंधला होने के कारण होता है तथा दृष्टि कमजोर हो जाती है । इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं । इस दोष के निवारण के लिए अपारदर्शी लेंस को हटाकर नया कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है ।

प्रश्न 4.
प्रकाश के परावर्तन को किसी क्रियाकलाप द्वारा समझाइए।
उत्तर:
क्रियाकलाप:- किसी मेज या ड्राइंग बोर्ड पर सफेद कागज की शीट लगाइए। एक कंघा लीजिए और इसके बीच के एक दांत को छोड़कर सभी खुले स्थानों को बन्द कर दीजिए। इस कार्य के लिए आप काले कागज की एक पट्टी प्रयोग कर सकते है। कंधे को कागज की शीट के लम्बवत् पकड़िए। एक टॉर्च की सहायता से कंधे के खुले स्थान पर एक ओर प्रकाश डालिए। टॉर्च तथा कंधे के थोड़े से समायोजन के पश्चात् आप कंधे के दूसरी ओर कागज की शीट के अनुदिश प्रकाश की एक किरण देखेंगे।

कंघे तथा टॉर्च को इस स्थिति में स्थिर रखिए। प्रकाश किरण गमन पथ के सामने समतल दर्पण की एक पट्टी रखिए। जब कागज की पूरी शीट को मेज के ऊपर फैलाते हैं, तो यह एक तल को निरूपित करती है। आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण ये सभी इस तल में होते है। जब कागज को मोड़ा जाता है तो इसमें एक नया तल बनता है जो उस तल से भिन्न होता है। जिसमें आपतित किरण तथा अभिलम्ब स्थित है। तब हम परावर्तित किरण नहीं देख पाते। यह दर्शाती है कि आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण ये सभी एक तल में होते हैं। यह परावर्तन का एक अन्य नियम है।

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प्रकाश Class 8 HBSE Notes in Hindi

→ अभिलम्ब (Normal)- आपतन बिन्दु पर लम्बवत् रूप से खींची गई रेखा ।

→ प्रकाश का स्रोत (Source of light)- एक ऐसा पिंड, जो प्रकाश उत्सर्जित करता है।

→ आपतन कोण (Angle of incidence) – आपतित किरण और अभिलम्ब के बीच का कोण जो आपतन बिन्दु पर बनता है, आपतन कोण कहलाता है।

→ परावर्तन कोण (Angle of reflection)- परावर्तित किरण और अभिलम्ब के बीच का वह कोण जो परावर्तन बिन्दु पर मिलता है. परावर्तन कोण कहलाता है।

→ वर्पण (Mirror)- समतल और पॉलिश की गई पृष्ठ जो प्रकाश का परावर्तन करती है।

→ पर्दा (Screen)- श्वेत शीट अथवा पृष्ठ जिस पर प्रतिबिंब बनता है ।

→ आपतित किरण (Incident ray) – प्रकाश के स्रोत से पृष्ठ पर पड़ती किरण ।

→ कैलाइडोस्कोप (Keleiodeoscope) – यंत्र जो बहुमुखी परावर्तन पर आधारित होता है तथा जिससे विभिन्न डिजाइन बनाए जाते हैं।

→ प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of light)- प्रकाश किरण का सात रंगों में विभाजित होना ।

→ रंगों की पहचान (Perception of colour)- मानव नेत्र में शंकु और शल्काएँ हैं, जो प्रकाश संवेदी हैं । रंगों के प्रति शंकु संवेदक होते हैं।

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