Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vachya वाच्या Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 8th Class Hindi Vyakaran वाच्या
हम जब कभी भाषा का प्रयोग करते हैं तब हमारे पास कुछ कथ्य अर्थात् कही जाने वाली बात अवश्य होती है। हर वाक्य में कथ्य का कोई-न-कोई बिंदु अवश्य होता है, जिसे वक्ता कुछ प्रधानता से स्पष्ट करना चाहता है। वाच्य (शाब्दिक अर्थ-बोलने का विषय) की भूमिका यहीं आती है। “वाच्य इस बात का संकेत देता है कि वक्ता इस वाक्य में किस कथ्यबिंदु को प्रध निता दे रहा है।”
उदाहरणार्थ :
‘स्वाति पढ़ रही है।’ – इस वाक्य से स्पष्ट होता है कि कथ्यबिंदु ‘स्वाति’ के विषय में कुछ बोला जा रहा है।
इसी प्रकार : ‘गिलास टूट गया’ – वाक्य में कथ्यबिंदु ‘गिलास’ है।
इस प्रकार वाक्य में वाच्य यह बताता है कि वाक्य में स्थित कर्ता, कर्म या क्रिया – इनमें से किसे वक्ता ने कथ्यबिंदु बनाया है तथा प्रधानता दी है।
क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाए कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है अथवा भाव है, उसे वाच्य’ कहते हैं।
वाच्य के भेद (Kinds of Voice) :
चूँकि वाच्य कर्ता या कर्म या क्रिया के भाव के संबंध में ही बताता है इसलिए वाच्य के तीन भेद होते हैं :
1. कर्तृवाच्य (Active Voice)
2. कर्मवाच्य (Passive Voice)
3. भाववाच्य (Impersonal Voice)
आइए, अब हम इनके बारे में सोदाहरण जानकारी प्राप्त करें।
1. कर्तृवाच्य (Active Voice) : जहाँ वाच्य-केन्द्र अर्थात् वक्ता का कथ्यबिंदु कर्ता हो, वहाँ कर्तृवाच्य होता है।
जैसे- बच्चे खेल रहे हैं।
राकेश ने पढ़ ली है।
कविता गाना गाएगी।
[इन तीनों वाक्यों में बच्चे, राकेश और कविता-कर्ता है और वाक्य का केंद्र बिंदु हैं। अतः ये कर्तृवाच्य वाक्य हैं।]
2. कर्मवाच्य (Passive Voice) : जहाँ वाच्य केंद्र अर्थात् वक्ता का कथ्य-बिंदु कर्म हो, वहाँ कर्मवाच्य होता है।
जैसे- राम से रोटी खाई गई।
दवाई दे दी गई है।
सोनिया से गीत गाया गया।
[इन तीनों वाक्यों में क्रमशः रोटी, दवाई और गीत कम है। ये ही अपने-अपने वाक्यों में केंद्र बिंदु भी हैं। अतः ये कर्मवाच्य वाक्य है।]
3. भाववाच्य (Impersonal Voice) : जहाँ वाच्य-केंद्र अर्थात् वक्ता का कथ्यबिंदु क्रिया हो, वहाँ भाववाच्य होता है। इसमें कर्ता या कर्म की प्रधानता न होकर क्रिया का भाव ही प्रध न होता है।
जैसे-
मुझसे अब चला नहीं जाता।
गरमियों में खूब नहाया जाता है।
[इन वाक्यों में ‘चला’ और ‘नहाया’ क्रियाएँ ही प्रमुख हैं। अतः ये भाववाच्य के उदाहरण हैं।]
वाच्य परिवर्तन (Change of Voice)
1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने की विधि :
1. कर्मवाच्य में कर्ता को प्रधानता नहीं दी जाती है, अतएव उसे गौण स्थान मिलता है। यह गौणता दो प्रकार से हो सकती है:
(क) कर्ता को करण या माध्यम के रूप में से, के द्वारा, द्वारा आदि लगाकर व्यक्त किया जाए।
जैसे- राम के द्वारा पत्र पढ़ा गया।
(ख) कर्ता का लोप ही कर दिया जाए।
जैसे- ‘पतंग उड़ रही है। इसमें पतंग के उड़ाने वाले (कता) का उल्लेख ही नहीं है।
2 कर्मवाच्य बनाते समय संयोजी क्रिया जाना का (पुरुष, लिंग, वचन के अनुसार) प्रयोग किया जाता है।
जैसे- दूध पिया जा रहा है।
3. कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल में परिवर्तित कर दिया जाता है।
4. यदि कर्म के साथ कोई विभक्ति चिह्न लगा हो तो उसे हटा दिया जाता है।
उदाहरण:
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
1. मोहन शिकार करता है। | मोहन के द्वारा शिकार किया जाता है। |
2. मैंने पत्र लिखा। | मेरे द्वारा पत्र लिखा गया। |
3. प्रधानमंत्री ने इस भवन का उद्घाटन किया। | तरुण द्वारा दूध पिया जाएगा। |
4. तरुण दूध पीएगा। | रमेश से चाय पी जा रही है। |
5. रमेश चाय पी रहा है। | कर्मवाच्य |
2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने की विधि :
भाववाच्य में कर्म होता ही नहीं है। मूल कर्ता की दो स्थितियाँ होती हैं :
1. उसके आगे ‘से’ लगता है।
2. उसका उल्लेख ही नहीं होता।
जैसे – मैं अब चल नहीं सकता → मुझसे अब चला नहीं जाता।
ध्यान दें : भाववाच्य में क्रिया सम एकवचन, पुल्लिग, अकर्मक तथा अन्य पुरुष में रहती है।
उदाहरण:
कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
1. हम इतना कष्ट नहीं सह सकते। | हमसे इतना कष्ट नहीं सहा जाता। |
2. मैं खड़ा नहीं हो सकता। | मुझसे खड़ा नहीं हुआ जाता। |
3. आओ, अब चलें। | आओ, अब चला जाए। |
हिंदी में वाच्यों का प्रयोग :
हिंदी में प्रायः कर्तृवाच्य का प्रयोग होता है। जिन परिस्थितियों में कर्मवाच्य और भाववाच्य का प्रयोग होता है, वे इस प्रकार हैं:
कर्मवाच्य के प्रयोग-स्थल :
1. जब आपको स्वयं पता न हो कि निश्चित रूप से कर्ता कौन है या आपको पता तो हो, पर भयवश, संकोचवश या अन्यथा बताना नहीं चाहते।
जैसे- लैटरबक्स में चिट्ठी डाल दी गई है।
उसकी घड़ी मेज़ पर से चुरा ली गई है।
2. जब आपने स्वयं किया है, किंतु वह अचानक बिना आपके चाहे हुआ हो, जैसे-
शीशा गिर गया और टूट गया।
शीशे का गिलास छूट गया।
3. जब कर्ता कोई स्वतंत्र रूप से व्यक्ति न हो बल्कि कोई व्यवस्था या तंत्र हो, जैसे-
सरकार द्वारा गरीबों के लिए बहुत काम किया जा रहा है। आपको सूचित किया जाता है कि ……………
4. सूचना, विज्ञप्ति आदि में जहाँ कर्ता निश्चित न हो, जैसे-
लाल बत्ती पार करने वालों को सज़ा दी जाएगी।
5. अधिकार, दर्प या गर्व जताने के लिए, जैसे-
अपराधी को पेश किया जाए।
6. कानूनी या कार्यालयी भाषा में, जैसे-
एक माह का अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जाता है।
7. असमर्थता जताने के लिए, जैसे –
अब अधिक दूध नहीं पिया जाता।
भाववाच्य के प्रयोग-स्थल :
1. प्राय: असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए नहीं के साथ भाववाच्य का प्रयोग होता है।
जैसे-
अब खड़ा नहीं हुआ जाता।
अब मुझसे बैठा नहीं जाता।
2. जब ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता, तो मूल कर्ता जन-सामान्य होता है।
जैसे-
गरमियों में छत पर सोया जाता है।