HBSE 8th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Hindi Rachana Patra-Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन

1. अवकाश माँगते हुए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
सेंट कोलंबस स्कूल,
चंडीगढ़।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात्रि से ज्वर आ रहा है। डॉक्टर ने ‘वायरल फीवर’ बताया है और चार दिन तक पूर्ण विश्राम का परामर्श दिया है। अत: मैं दिनांक…………….. से ………….. तक चार दिन विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।
कृपया मुझे इन चार दिनों का अवकाश प्रदान कर कृतार्थ करें।

धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
मेहुल मैदीरत्ता
कक्षा..
दिनांक…………

HBSE 8th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

2. विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र (S.L.C.) प्राप्त करने के लिए प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र लिखो।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
समरफील्ड पब्लिक स्कूल,
नई दिल्ली।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं इस स्कूल का सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी का स्थानांतरण मुंबई हो गया है। अगले सप्ताह हमारा परिवार मुंबई चला जाएगा। मुझे वहीं के किसी स्कूल में प्रवेश लेना होगा। इस कार्य हेतु मुझे विद्यालय त्यागने का प्रमाण पत्र (S.L.C.) प्रदान करने की कृपा करें।

धन्यवाद सहित,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
मंयक
दिनांक…………

3. आर्थिक सहायता हेतु प्रधानाचार्य को आवेदन पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
होली चाइल्ड पब्लिक स्कूल,
टैगोर गार्डन, नई दिल्ली।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं इस विद्यालय की आठवीं कक्षा की अत्रा हूँ। मैं सातवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में सभी वर्गों में प्रथम स्थान पर रही थी। मैंने चार सौ मीटर की दौड़ में मंडल स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था।

पिछले तीन मास से हमारा परिवार आर्थिक समस्या से ग्रस्त है। पिताजी दुर्घटनाग्रस्त होकर बिस्तर पर हैं। उनको पूरी तरह ठीक होने में अभी छह मास का समय लगेगा। परिवार में पिताजी ही एकमात्र कमाऊ सदस्य हैं। उनके इलाज पर भी काफी पैसा लग रहा है।

ऐसी विषम स्थिति में मुझे कक्षा की मासिक फीस जमा कराने में अत्यन्त कठिनाई आ रही है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि छ: मास के लिए मेरी फीस माफ की जाए तथा ‘छात्रनिधि’ से मुझे कुछ आर्थिक सहायता दिलाई जाए।

आपकी इस सामयिक सहायता के लिए मैं आपकी सदैव आभारी रहूंगी।

धन्यवाद सहित,
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
कनिका छाबड़ा
कक्षा –
दिनांक…………

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4. अपने मोहल्ले की गंदगी हटवाने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम (पश्चिमी क्षेत्र),
राजौरी गार्डन, नई दिल्ली।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि राजौरी गार्डन क्षेत्र में गंदगी का साम्राज्य है। यहां पिछले एक मास से सफाई ही नहीं हुई है। सफाई-कर्मचारियों से कई बार प्रार्थना की, किन्तु उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। सड़कों पर भी गंदगी जमा हो रही है।

कूड़े के ढेरों पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। मलेरिया फैलने की पूरी आशंका है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि यहां सफाई का उचित प्रबंध करवाएं, ताकि हम स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें।

धन्यवाद सहित,
भवदीय
कुन्दन लाल,
सचिव, बी ब्लॉक, राजौरी गार्डन
निवासी संघ
दिनांक…………

5. डाकपाल को शिकायती पत्र

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
मुख्य डाकघर,
रमेश नगर,
नई दिल्ली।

महोदय,
मैं आपका ध्यान रमेश नगर (ई. ब्लाक) के डाकिए की लापरवाही की ओर दिलाना चाहती हूँ।

इस क्षेत्र का डाकिया नियमित रूप से डाक वितरण नहीं करता। दिन में दो बार डाक बाँटने के स्थान पर वह केवल एक ही बार आता है। उसके आने का समय निश्चित नहीं है। वह हमारे पत्र इधर-उधर फेंक जाता है। यद्यपि हमने लैटरबॉक्स लगा रखा है, पर वह पत्र उसमें नहीं डालता। उसकी इस लापरवाही के कारण हमारे अनेक आवश्यक पत्र गुम हो जाते हैं। अनियमित डाक-वितरण के कारण अनेक पत्र विलंब से मिलते हैं।

आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इस क्षेत्र के डाकिए को तत्परता से काम करने के निर्देश दें, ताकि हमें सुचारू रूप से डाक-वितरण का कार्य हो सके।

धन्यवाद सहित,
भवदीय
रचना मैदीरत्ता
ई-249-250, रमेश नगर, नई दिल्ली।
दिनांक…………

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6. टेलीफोन की खराबी की शिकायत करते हुए ‘नवभारत टाइम्स’ के संपादक को पत्र।

सेवा में,
संपादक,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।

महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से महानगर टेलीफोन निगम के उच्च अधिकारियों का ध्यान अपनी शिकायत की ओर दिलाना चाहता हूँ।

मेरा टेलीफोन नं. 593219 गत दो सप्ताह से खराब है। इसकी शिकायत कई बार की गई है। क्षेत्रीय कार्यालय में कई बार चक्कर लगाने के बावजूद यह टेलीफोन अभी तक ठीक नहीं हो पाया है। महानगर टेलीफोन निगम दावे तो बहुत लंबे-चौड़े करता है, पर वास्तविकता इससे बिल्कुल भिन्न है। नियमित रूप से सेवा-प्रभार लेने के बावजूद उपभोक्ता को सेवा न देना सरासर अन्याय है। आशा है, यह पत्र पढ़कर निगम की कार्य प्रणाली में कुछ सुधार आ जाए।

धन्यवाद सहित,
भवदीय
रामेश्वर शुक्ल
7/22, जीवन पार्क,
नई दिल्ली।
दिनांक……….

7. पुस्तक-विक्रेता को पत्र

सेवा में,
प्रबंधक महोदय,
जीवन बुक्स इंटरनेशनल (प्रा.) लि.,
मानसरोवर गार्डन,
नई दिल्ली।
मान्यवर,

आपका भेजा सूचीपत्र प्राप्त हुआ। मुझे निम्नलिखित पुस्तकों की शीघ्र आवश्यकता है। कृपया नवीनतम संस्करण की ही पुस्तकें भिजवाएँ। मैं सौ रुपए का बैंक-ड्राफ्ट अग्रिम भेज रहा हूँ। कृपया पुस्तकें वी.पी.पी. द्वारा मेरे पते पर शीघ्र भिजवाने की व्यवस्था करें।

1. जीवन भारती (भाग-8)                               3 प्रति
2. जीवन हिन्दी व्याकरण एवं रचना (भाग-7)     2 प्रति
3. जीवन इंटरएक्टिव गणित (भाग-3)               2 प्रति

सधन्यवाद,
भवदीय
धनालक्ष्मी
44/6, टी नगर, चेन्नई (तमिलनाडु)
दिनांक………..
संलग्न – इंडियन बैंक का ड्राफ्ट – ई-74027

8. जन्मदिन पर आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र

5/62. बैंक स्ट्रीट,
बंगलूर
दिनांक…
प्रिय मित्र राहुल,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हें यह जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि दिनांक…………. को मेरा जन्मदिन है। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम निम्नलिखित है :
दिनांक……..
सायं 7 बजे – केक काटने की रस्म
सायं 7.30 से 8.30 तक – सांस्कृतिक कार्यक्रम
रात्रि 8.30 बजे – प्रीतिभोज

इस समारोह में भाग लेने के लिए मैं तुम्हें आमंत्रित करता हूँ। मुझे पूर्ण आशा है कि तुम समय से पूर्व ही आ जाओगे। अपनी बहन चीकू को भी साथ लेते आना।

तुम्हारा प्रिय मित्र
मनोज

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9. मित्र द्वारा निमंत्रण-पत्र का उत्तर

7/452, गनहिल रोड,
मसूरी।
दिनांक …………
प्रिय मित्र निशान्त,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा निमंत्रण पत्र मिला। जन्म दिन के पावन अवसर पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो।

जन्मदिन के अवसर पर मैं एक छोटा-सा उपहार कोरियर द्वारा भेज रहा हूँ। इसे स्वीकार कर कृतार्थ करना। जन्मदिन समारोह में मैं स्वयं तो उपस्थित नहीं हो पाऊँगा। इन दिनों माता जी अस्वस्थ चल रही हैं। उन्हें छोड़कर आना उचित नहीं होगा। आशा है तुम मेरी विवशता को समझोगे।
एक बार पुनः जन्मदिन की शुभकामनाएँ अपने माता-पिता को मेरा चरण-स्पर्श कहना।

तुम्हारा प्रिय मित्र
राहुल

10. आपका मित्र परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हुआ, उसे बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

सैक्टर-7, कोठी नं. 1218,
पंचकुला।
दिनांक…………
प्रिय नरेंद्र
सप्रेम नमस्ते।

अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर कि तुमने अप विद्यालय में सर्वाधिक 96 प्रतिशत अंक पाए हैं, मुझे कितनी खुश हुई, कैसे लिखू। मेरी बधाई स्वीकार करें।

प्रिय मित्र 96% अंक प्राप्त करना खुशी की बात तो है, परन्तु आश्चर्य की नहीं, क्योंकि तुम्हारी प्रतिभा किसी से छिपी नहीं है। हाँ, इस परिणाम से तुम्हारे ऊपर एक नई जिम्मेदारी आ गई है। । वह यह कि अब भविष्य की परीक्षाओं में तुम इस प्रतिशत को बिल्कुल नीचे नहीं आने दोगे, वरन् ऊँचा ही उठाओगे। इसके लिए तुम्हें चाहे जितना परिश्रम करना पड़े। मेरी शुभकामनाएँ सदा तुम्हारे साथ हैं।

अपने मम्मी-पापा को मेरी ओर से बधाई देना। बच्चों को प्यार।
शेष कुशल है।
तुम्हारा मित्र
भारत मैदीरत्ता

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11. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए, जिसमें परिश्रम का महत्त्व समझाया गया हो।

5/2, कमला नगर,
दिल्ली।
दिनांक………….
प्रिय अनुज,
शुभाशीर्वाद।

आशा है तुम स्वस्थ एवं प्रसन्न होगे। कल माताजी का पत्र प्राप्त हुआ, जिससे पता चला कि इस वर्ष तुम्हें केवल 52% अंक प्राप्त हुए हैं। इतने कम अंक तुम्हें पहले कभी नहीं मिले। संभवत: तुम्हारे परिश्रम में कोई कमी रह गई है।

प्रिय भाई, परिश्रम के बिना जीवन में कोई सफलता नहीं मिलती। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। किसी कवि ने सच ही कहा-
“विद्या, धन उद्यम बिना, कहो सो पावै कौन?
बिना डुलाए ना मिले, ज्यों पंखा की पौन।”

जो व्यक्ति परिश्रम करने से जी चुराता है, वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता। परिश्रम के बलबूते पर तो मूर्ख भी चतुर बन जाता है। कालिदास जैसा वज मूर्ख परिश्रम के बलबूते पर ही संस्कृत का इतना प्रकांड विद्वान बन सका।

आशा है तुम परिश्रम के महत्त्व को समझ गए होगे। अगली कक्षा में तुम्हें 75% अंक प्राप्त करने हैं। इसके लिए अभी से परिश्रम करना आरंभ कर दो।

माता जी को सादर-प्रणाम।
तुम्हारा शुभचिंतक
लवाशीष

12. सखी को ग्रीष्मावकाश साथ-साथ बिताने के लिए पत्र

561, सिविल लाइन,
देहरादून।
दिनांक…
प्रिय सखी गरिमा,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा पत्र मिला। हमारी वार्षिक परीक्षाएँ समाप्त हो गई हैं। परीक्षा-परिणाम घोषित होने के पश्चात् हमारा विद्यालय दो मास के ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो जाएगा। तुम्हारे विद्यालय में भी अगले मास ग्रीष्मावकाश हो जाएगा।

तुम्हें स्मरण होगा कि पिछले वर्ष तुमने मेरे यहाँ आकर ग्रीष्मावकाश का एक मास बिताने का वायदा किया था। मेरी भी हार्दिक इच्छा है हम दोनों एक मास साथ-साथ रहें। अगले मास देहरादून का मौसम भी सुहावना हो जाएगा। हम यहाँ से एक सप्ताह के लिए मसूरी भी चलेंगे। हम दोनों नृत्य एवं संगीत की कक्षा में दो सप्ताह के कोर्स में भी प्रवेश लेंगे।

अपने कार्यक्रम से मुझे शीघ्र सूचित करना।

शेष कुशल !
तुम्हारी प्रिय सखी
पूजा भारती

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13. पिताजी से रुपये मंगवाने के लिए पत्र

न्यू कांवेंट स्कूल, कोचीन।
दिनांक…………..
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम।

मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि घर पर भी सब कुशल होंगे। मेरी पढ़ाई बिल्कुल ठीक चल रही है। मुझे आशा है कि मैं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो जाऊँगा। अगले सप्ताह हमारे विद्यालय के विद्यार्थियों को भ्रमण के लिए कुछ ऐतिहासिक स्थानों पर ले जाया जाएगा। मैंने भी वहाँ जाने के लिए नाम लिखवा दिया है। इस कार्यक्रम के लिए विद्यालय ने पचास-पचास रुपये प्रति विद्यार्थी जमा करवाए हैं। इसके अतिरिक्त कुछ पैसे और भी खर्च हो जाएँगे। अतः आप सौ रुपये शीघ्र धनादेश द्वारा भेजने की कृपा करें।

आपका स्नेहभाजन,
कपिल

14. मित्र के पिता की मृत्यु पर शोक पत्र

शाम नाथ मुखर्जी मार्ग, दिल्ली-110006
दिनांक…
प्रिय राजेश,

आपका पत्र 23 तारीख का लिखा हुआ मिला। जब मैंने आपके पिताजी की मृत्यु का समाचार उसमें पढ़ा तो मुझे उस पर एकाएक विश्वास न हुआ। पिछले मास की 30 तारीख को तो मैं उनसे मिला था।

मुझे ऐसी स्वप्न में भी कल्पना नहीं थी कि उनकी मृत्यु इतनी निकट है। प्रिय मित्र, यहाँ मनुष्य असमर्थ हो जाता है। धनी या निर्धन, बलवान या निर्बल, राजा या रंक, मूर्ख या विद्वान सभी एक दिन ईश्वर के नियमानुसार काल का ग्रास बन जाते हैं। भगवान की इच्छा बलवती है। अत: धैर्य और सब्र के सिवा चारा ही क्या है ? मुझे आशा है कि तुम धीरज से काम लोगे तथा सब्र के साथ पूज्य माता जी तथा गीता को धीरज तथा सांत्वना दोगे।

ईश्वर से प्रार्थना है कि स्वर्गवासी आत्मा को सद्गति प्रदान करे तथा आप सबको दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे।

तुम्हारे दुःख में दुःखी
राजनाथ विज

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15. दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किसी प्रदर्शनी का विवरण देते हुए अपने मित्र को इसे देखने के लिए निमंत्रित कीजिए।

173, गांधी नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक …………..
प्रिय मित्र रहीम, नमस्ते। तुमने कई बार यहाँ आने को लिखा है, पर आते नहीं हो। इस पत्र को देखते ही तुम यहाँ के लिए चल पड़ो, क्योंकि यहाँ के प्रगति मैदान में ‘अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक प्रदर्शनी’ लगी हुई है, जो 10 नवम्बर से 9 दिसंबर तक रहेगी।

यह प्रदर्शनी देखने योग्य है। इसमें भारत की भिन्न-भिन्न भाषाओं की एक लाख से अधिक पुस्तकें प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। यहाँ सौ से अधिक प्रकाशकों ने अपने स्टाल लगाए हैं। यहाँ छोटी-बड़ी, लंबी-चौड़ी, मोटी-पतली, भिन्न-भिन्न रंगों की जिल्दों वाली पुस्तकें देखते ही बनती हैं। शायद ही कोई विषय होगा, जिसकी पुस्तक यहां नहीं हो। लोग बड़े चाव से पुस्तकें खरीदते हैं। यहाँ अमेरिका, इंग्लैंड, रूस और जापान के स्टाल देखने योग्य हैं। तुम देखकर हैरान रह जाओगे।

अपनी वालिदा साहिबा को मेरा सलाम कहना।
तुम्हारा स्नेही
राकेश

16. अपने विद्यालय की विशेषताएं बताते हुए अपने मित्र/अपनी सखी को पत्र

ए-5/12, नेहरू छात्रावास,
देहरादून।
दिनांक ……….
प्रिय सखी डायना,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। तुमने मेरे विद्यालय के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की है। मैं इस पत्र में अपने विद्यालय की विशेषताएँ लिख रही हैं।

मेरा विद्यालय ‘दून पब्लिक स्कूल’ के नाम से सारे देश में विख्यात है। यह विद्यालय बहुत पुराना है। इसने देश को अनेक प्रतिभाशाली हस्तियाँ प्रदान की हैं। हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी भी यहाँ पढ़े थे।

हमारा विद्यालय अपने उच्च शैक्षणिक स्तर एवं अनुशासन के लिए प्रसिद्ध है। यह दून घाटी की सुरम्य वादियों में स्थित है। इसका भवन अत्यंत भव्य है। यहाँ लगभग तीन हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। हमारे विद्यालय में छात्रावास की सुविधा उपलब्ध है। हमारे विद्यालय में छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है। खेल-कूद की यहाँ पर्याप्त व्यवस्था है। यहाँ सभी प्रमुख खेलों के कोच हैं। तैराकी और घुड़सवारी के उत्तम प्रशिक्षण की सभी सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं।

मेरे विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं सभी शिक्षक अत्यंत परिश्रमी हैं। वे हमारे साथ बहुत ही स्नेहपूर्ण व्यवहार करते हैं। वे सभी अपने-अपने विषय के विद्वान हैं। हमारी कक्षा अध्यापिका मिस जोजफ एक सहृदय और अनुशासनप्रिय महिला हैं। हमारे विद्यालय का परीक्षा परिणाम सदैव शत-प्रतिशत आता है।

यहाँ का प्राकृतिक वातावरण सभी का मन मोह लेता है। अगले वर्ष जब तुम भारत-यात्रा पर आओगी तो मेरा विद्यालय देखने अवश्य आना। तुम्हें यहाँ आकर प्रसन्नता होगी।

शेष कुशल।
तुम्हारी प्रिय सखी
चारू

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17. बड़ी बहन की ओर से छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताते हुए पत्र

पी.एम.जी., टी नगर,
चेन्नई।
दिनांक ……………
प्रिय रंजन,
शुभाशीर्वाद।

कल माताजी का पत्र मिला। इसे पढ़कर ज्ञात हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में न लगकर बुरे लड़कों की संगति में लगतः है। यही कारण है कि प्रथम सत्र की परीक्षा में अनुत्तीर्ण भी हैं गए हो।

प्रिय भाई ! बुरे लोगों की संगति जीवन को बर्बाद करके रख देत . है। इससे तुम्हारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सभी विद्वानों सत्संगति का बड़ा महत्त्व बताया है। इससे हमारा जीवन निरंतप्रगति की ओर जाता है। हमें सज्जनों के वचनों को सुनकर उनका पालन करना चाहिए। कुसंगति तो कालिमा के समान है जिससे हमारा भविष्य अंधकारमय हो जाता है। कहा गया है-
‘जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल होत। ‘
आशा है, तुम सत्संगति में अपना मन लगाओगे और पुन शिकायत का अवसर नहीं दोगे।
माता जी को प्रणाम कहना।
तुम्हारी शुभचिंतिका
वंदना वर्मा

18. छोटी बहन को परीक्षा में सफलता प्राप्त होने पर बधाई-पत्र

एम 28/104, यमुना विहार,
दिल्ली-110062
दिनांक : ………..
प्रिय बहन विमला,
शुभाशीर्वाद।

पूज्य पिताजी के टेलीफोन से अभी-अभी ज्ञात हुआ कि तुम इस वर्ष की परीक्षा में बहुत अच्छे अंकों से सफल हुई हो। इस सुखर समाचार से मेरी प्रसन्नता का पारावार न रहा। मेरी ओर से तुम हार्दिक बधाई। इस परीक्षा के लिए तुमने जो नियमित रूप से जी-तोड़ परिश्रम किया था, उससे मुझे तुम्हारी इस सफलता के पूरी आशा थी। तुमने सिद्ध कर दिया कि परिश्रम तथा दृढ़-संकल्ल के बल पर कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

मुझे पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि आगामी परीक्षा में भी तुम इसी प्रकार शानदार सफलता प्राप्त करके अपने परिवार तथ विद्यालय का नाम ऊंचा करोगी। शेष मिलने पर।

तुम्हारा शुभचिंतक
संजय

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19. निमंत्रण-पत्र

[निमंत्रण-पत्र में किसी उत्सव, विवाह अथवा विशिष्ट समारोह में उपस्थित होने के लिए अनुरोध किया जाता है। ऐसे पत्र किसी एक व्यक्ति के लिए न होकर अनेक लोगों के लिए होते हैं। अत: उनमें सामान्य कुशल समाचार नहीं दिया जाता। एक उदाहरण नीचे दिया जा रहा है।]

मेरे सुपुत्र
चि. राजीव
का शुभ विवाह
सौ. रंजना
(आत्मजा श्री शैलेन्द्र श्रीवास्तव, लखनऊ)
के साथ 15 नवंबर, 2004 को संपन्न होगा। इस शुभ अवसर पर आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।

॥ कार्यक्रम ॥
बारात प्रस्थान………….14 नवंबर, 2004 को रात्रि 11 बजे
पाणिग्रहण संस्कार………..15 नवंबर, 2004 को सायं 6 बजे
विदाई………………………..16 नवंबर, 2004 को प्रात: 5 बजे

दर्शनाभिलाषी
हरि प्रसाद सक्सेना
5/25, नवीन शाहदरा, दिल्ली।

20. उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए चाचा जी को

पत्र ए-42, डेम्पियर नगर,
मथुरा (उ.प्र.)।
दिनांक ……..

आदरणीय चाचा जी, सादर प्रणाम। आपके द्वारा मेरे जन्मदिन पर भेजा हुआ उपहार प्राप्त हुआ। यह उपहार मेरे प्रति आपके स्नेह का परिचायक है। शुभकामना एवं उपहार के लिए मैं आपके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। आशा है आप भविष्य में भी मुझ पर ऐसी कृपा बनाए रखेंगे।

उपहार के रूप में एक शानदार घड़ी पाकर मैं बहुत हर्षित हूँ। यह मेरे सभी मित्रों को बहुत पसंद आई। इससे मुझे नियमित पढ़ाई करने में बहुत सहायता मिलेगी।

एक बार पुनः धन्यवाद।
आपका कृपाकांक्षी
संजय

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