HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

HBSE 12th Class Hindi काले मेघा पानी दे Textbook Questions and Answers

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?
उत्तर:
गाँव के लोग लड़कों को नंग-धडंग और कीचड़ में लथपथ देखकर बुरा मानते थे। उनका कहना था कि यह पिछड़ापन ढोंग और अंधविश्वास है। ऐसा करने से वर्षा नहीं होती। इसलिए वे उन्हें गालियाँ देते थे और उनसे घृणा करते थे। लोग इस इंदर सेना को मेढक-मंडली कहते थे।

परंतु गाँव के किशोरों की टोली इंद्र देवता से वर्षा की गुहार लगाती थी। बच्चों का कहना था कि भगवान इंद्र वर्षा करने के लिए लोगों से पानी का अर्घ्य माँग रहे हैं। वे तो उनका दूत बनकर लोगों को जल का दान करने की प्रेरणा दे रहे हैं। ऐसा करने से इंद्र देवता वर्षा का दान करेंगे और खूब वर्षा होगी।

प्रश्न 2.
जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?
उत्तर:
जीजी का कहना था कि देवता से कुछ पाने के लिए हमें कुछ दान और त्याग करना पड़ता है। किसान भी तीस-चालीस मन अनाज पाने के लिए पहले पाँच-छः सेर गेहूँ की बुवाई करता है। तब कहीं उसका खेत हरा-भरा होकर लहराता है। इंदर सेना लोगों को यह प्रेरणा देती है कि वे इंद्र देवता को अर्घ्य चढ़ाएँ। यदि लोग भगवान इंद्र को पानी का दान करेंगे तो वे भी झमाझम वर्षा करेंगे। अतः इंदर सेना एक प्रकार से वर्षा की बुवाई कर रही है। हमें इस परंपरा का पालन करना चाहिए।

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प्रश्न 3.
पानी दे, गुड़धानी दे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?
उत्तर:
गुड़धानी का अर्थ है-गुड़ और धान अर्थात् गुड़ और अनाज मिलाकर बनाए गए लड्डु। इंदर सेना के किशोर इंद्र देवता से पानी के साथ गुड़धानी भी माँग रहे हैं। बच्चों को पीने के लिए पानी और खाने के लिए गुड़धानी चाहिए। यह सब बादलों पर निर्भर करता है। यदि बादल बरसेंगे तो खेतों में गन्ना और अनाज खूब पैदा होंगे। इस प्रकार इंद्र देवता ही हमें गुड़धानी देने वाला देवता है। इसलिए बच्चे पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करते हैं।

प्रश्न 4.
गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?
उत्तर:
बैल भारतीय कृषि व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाते हैं। वे हमारे खेतों को जोतते हैं और अन्न पैदा करते हैं। किसान उन्हीं पर निर्भर हैं। यदि वे प्यासे रहेंगे तो हमारी फसलें नष्ट हो सकती हैं। सांकेतिक रूप में लेखक यही कहना चाहता है कि वर्षा न होने से हमारे खेत सूख रहे हैं और खेती के आधार कहे जाने वाले बैल प्यास से मर रहे हैं। वर्षा होने से हमारे खेत भी बच जाएँगे और बैल भी भूखे-प्यासे नहीं रहेंगे।

प्रश्न 5.
इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय इसलिए बोलती है क्योंकि गंगा भारत की पवित्र नदी है। यह भारत के अधिकांश भाग को जल और अन्न प्रदान करती है। लोग इसकी मां के समान पूजा करते हैं। भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक परिवेश में इसका विशेष महत्त्व है। यमुना, गोदावरी, कृष्णा, ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ भी हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश से जुड़ी हुई हैं। प्राचीनकाल से भारत के बड़े-बड़े नगर इन्हीं नदियों के किनारे बसे हुए थे। इन्हीं नदियों के कारण हमारे समाज और सामाजिकता का विकास हुआ। अब भी लोग नदियों को प्रणाम करते हैं और अनेक पर्यों पर नदियों में स्नान करते हैं। हमारे अनेक पावन नगर; जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी आदि गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं। जब भी हम अपनी संस्कृति का गान करते हैं तब गंगा, यमुना, कावेरी, कृष्णा, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों के नाम अवश्य लेते हैं।

प्रश्न 6.
रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
भावना की शक्ति मानव के लिए अत्यधिक उपयोगी है। इससे मनुष्य को स्नेह की जो खुराक मिलती है, वह जीवन के लिए अत्यधिक उपयोगी है जो बच्चा भावनात्मक रूप से सुरक्षित रहता है, वह हमेशा प्रसन्न रहता है और विकास की ओर अग्रसर होता है। यही नहीं, इससे मानव का बौद्धिक और शारीरिक विकास भी होता है। बौद्धिक विकास के कारण ही लेखक कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री बना। लेकिन इस स्थिति में पहुँचकर अनुचित तथा उचित के विवेक का सहारा लेता है, लेकिन जीजी ने तर्कनिष्ठ लेखक को यह अहसास कराने का प्रयास किया कि तर्क और परिणाम ही सब कुछ नहीं होता। भावनात्मक सत्य का अपना महत्त्व होता है। भावनाएँ सूक्ष्म होती हैं और उनके परिणाम भी सूक्ष्म होते हैं। जीजी की आस्था और भावुकता ने लेखक को एक नए तथ्य की जानकारी दी। लेखक के सारे तर्क हार गए और उसे यह अनुभव हुआ कि भावनाओं और तर्कों में समन्वय आवश्यक है। यह तभी होगा जब मनुष्य तर्क शक्ति के साथ-साथ भावनाओं का भी ध्यान रखेगा।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1.
क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।
उत्तर:
इंदर सेना आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणा-स्रोत का काम कर सकती है। इंदर सेना के प्रयास को हमें अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, बल्कि यह रचनात्मक कार्य के लिए किया गया सामूहिक प्रयास है। सामूहिक प्रयास ही जन-शक्ति का प्रतीक है। इसी के कारण हमारे देश में बड़े-बड़े आंदोलन चले। जो युवक बादलों को वर्षा करने के लिए मजबूर कर सकते हैं, वे समाज की असंख्य समस्याओं का भी समाधान कर सकते हैं। यदि युवा शक्ति को किसी रचनात्मक आंदोलन से जोड़ दिया जाए तो देश की तस्वीर बदल सकती है। सन् 1975 में कांग्रेस ने देश में आपातकालीन की घोषणा की थी तब जयप्रकाश ने युवकों को संगठित करके जन आंदोलन चलाया था। इसी प्रकार महात्मा गाँधी ने भी युवकों का सहयोग लेकर सत्य का आंदोलन चलाया तत्पश्चात् हमारा देश आज़ाद हुआ।

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प्रश्न 2.
तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?
उत्तर:
इस तथ्य से सभी परिचित हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है। आषाढ़ से पहले जेठ मास में भयंकर गर्मी पड़ती है। पशु-पक्षी मानव आदि सभी प्राणी गर्मी के कारण व्याकुल हो उठते हैं। आषाढ़ मास लगते ही पहली बरसात होती है। लोग इस बरसात की बेचैनी से प्रतीक्षा करते हैं। आषाढ़ की वर्षा लोगों को राहत दिलाती है, लेकिन किसानों के लिए यह वर्षा एक वरदान समझी जाती है। वे अपने हल और बैल लेकर खेतों की ओर चल देते हैं। वे फसल उत्पन्न करने की तैयारी करते हैं। सावनी फसल हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है और कृषक समाज में उत्साह भर देती है।

प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
“बादल राग” निराला जी की एक उल्लेखनीय कविता है। इसमें कवि ने बादल को क्रांति का रूप माना है। कवि बादल का आह्वान करते हुए कहता है कि वह वर्षा करे और गरीब किसानों को शोषण से मुक्त करे। यही नहीं, इस कविता के द्वारा कवि पुरानी जड़ परंपराओं को त्यागकर नव-निर्माण की ओर बढ़ने का संदेश देता है।

मेरे जीवन में बादलों की विशेष भूमिका रही है, क्योंकि मैं ग्रामीण जन-जीवन से जुड़ा हुआ हूँ। वर्षा हमारे जीवन को आनन्द प्रदान करती है और नीरस जीवन में रस भर देती है। मन करता है कि मैं नगर को छोड़कर फिर से खेतों में चला जाऊँ और हरे-भरे खेत देखकर आनन्द प्राप्त करूँ।

प्रश्न 4.
त्याग तो वह होता…. उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।
उत्तर:
यह सूक्ति हमारे जीवन से संबंधित है। हम विद्या प्राप्त करने के लिए खूब मेहनत करते हैं। अपनी नींद, भूख, इच्छा को त्याग कर खूब पढ़ते हैं। अन्ततः हम अपने इस त्याग का फल प्राप्त करते हैं। मेरे अपने जीवन का एक महत्त्वपूर्ण प्रसंग है। मैंने थोड़े-थोड़े पैसे जोड़कर एक कंबल खरीदा था। प्रातः की सैर करते समय मैं उस कम्बल को ओढ़ लेता था। एक दिन मैं पार्क में सैर कर रहा था। वहाँ एक गरीब आदमी ठंड से सिकुड़ कर लेटा हुआ था। उसके तन पर पूरे कपड़े भी नहीं थे। अचानक मैंने अपना कम्बल उतारकर उस गरीब व्यक्ति पर डाल दिया। उसने मेरी ओर हैरानी से देखा। मुझे लगा कि वह मुझे आशीर्वाद दे रहा है। घर लौटने पर पिता जी द्वारा पूछने पर मैंने सारी बात उन्हें बता दी। मेरे पिता जी बड़े प्रसन्न हुए और उसी दिन मेरे लिए एक नया गर्म शाल ले आए।

प्रश्न 5.
पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
पानी के संकट के साथ-साथ बिजली का संकट भी बढ़ता जा रहा है। खनिज तेलों और पेट्रोलियम पदार्थों की कमी हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से जंगल घटते जा रहे हैं और जनसंख्या वृद्धि से गाँव और नगरों का विस्तार होता जा रहा है। इससे ऑक्सीजन की मात्रा घट गई है। उद्योगों की जहरीली गैसों के कारण वायुमंडल की ओजोन परत में जगह-जगह छेद हो गए हैं। यही नहीं कारखाने और फैक्टरियाँ भी गंदे पानी से नदियों को प्रदूषित कर रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा सारे विश्व में मँडरा रहा है।

प्रश्न 6.
आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।
उत्तर:
मेरी दादी-नानी दोनों का विश्वास है कि गंगा में स्नान करने से मोक्ष मिल जाता है। इसी प्रकार वे पूजा की राख और जली हुई बत्तियों को नदी में बहाने की आज्ञा देती रहती हैं। यही नहीं, वे पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर वहाँ खाद्य पदार्थ भी रख आती हैं। मैंने उन्हें समझाने का बहुत प्रयास किया कि ऐसा करने से नदी का जल प्रदूषित हो जाता है और पीपल के आस-पास गंदगी फैलती है, परंतु वे मेरी सलाह को नकार देती हैं। लेकिन ईश्वर में उनके विश्वास का मैं भी समर्थन करता हूँ। विद्यालय जाने से पहले भगवान का थोड़ा भजन कर लेता हूँ।

चर्चा करें

प्रश्न 1.
बादलों से संबंधित अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर:
अपने विद्यालय के पुस्तकालय से लोक-गीतों की पुस्तक को पढ़ें अथवा अपनी माँ, दादी, नानी या बुआ से पूछकर लोक गीतों का संग्रह कीजिए और कक्षा में अपने सहपाठियों के साथ इन गीतों पर चर्चा कीजिए।

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प्रश्न 2.
पिछले 15-20 सालों में पर्यावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया है, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्थान) में आई बाढ़, मुंबई की बाढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओं से जुड़ी सूचनाओं, चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए, जिसमें बाज़ार दर्शन पाठ में बनाए गए विज्ञापनों को भी शामिल कर सकते हैं। और हाँ ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पर्यावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदर्शनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।
उत्तर:
शिक्षक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

विज्ञापन की दुनिया

प्रश्न 1.
‘पानी बचाओ’ से जुड़े विज्ञापनों को एकत्र कीजिए। इस संकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन बनाना चाहेंगे?
उत्तर:
शिक्षक की सहायता से विद्यार्थी चित्र की रचना करें।
HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे 1

HBSE 12th Class Hindi काले मेघा पानी दे Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
“काले मेघा पानी दे” नामक निबंध का उद्देश्य अथवा प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
“काले मेघा पानी दे” पाठ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
मानव-जीवन में तर्क और आस्था का अपना-अपना महत्त्व है। तर्क हमेशा वैज्ञानिक तथ्य को स्वीकार करता है, परंतु आस्था हमारी भावनाओं से जुड़ी होती है। तर्क विनाशकारी होता है। जिसे वह सत्य नहीं समझता, उसे वह नष्ट करना चाहता है। दूसरी ओर आस्था और विश्वास हमारे जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है और हम आशावादी होकर कर्म करते हैं। इस निबंध में एक संदेश यह भी दिया गया है कि हमें जीवन में पाने से पहले कुछ खोना भी पड़ता है। जो लोग दान और त्याग में विश्वास नहीं करते, वे भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं। ऐसे लोग ही सामाजिक और आर्थिक विषमता को अंजाम देते हैं व समाज में अव्यवस्था फैलाते हैं।

प्रश्न 2.
वर्षा न होने पर हमारी कृषि किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
वर्षा न होने पर खेतों की मिट्टी सूख जाती है और उसमें पपड़ियाँ जम जाती हैं। बाद में धरती में दरारें पड़ जाती हैं। पशु-पक्षी व मानव सभी व्याकुल हो जाते हैं। किसान के बैल भी प्यास के मारे मरने लगते हैं। वर्षा न होने पर कृषि पर संकट के बादल छा जाते हैं और देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाती है।

प्रश्न 3.
वर्षा न होने पर गाँव के लोग क्या-क्या उपाय करते हैं?
उत्तर:
वर्षा न होने पर गाँव के लोग ईश्वर की भक्ति करते हैं। स्थान-स्थान पर पूजा-पाठ व कथा-कीर्तन होता है। कुछ लोग मीठे चावल बनाकर लोगों को खिलाते हैं। जब इन उपायों से भी वर्षा नहीं होती तो गाँव की युवा मंडली गाँव वालों से जल दान कराती है। उनका विश्वास है कि ऐसा करने से इंद्र देवता प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे।

प्रश्न 4.
गाँव की इंद्र सभा के कार्यकलाप का वर्णन करें।
उत्तर:
जब सभी उपाय अपनाने पर भी वर्षा नहीं होती तब गाँव की युवा मंडली घर-घर जाकर पानी का दान मांगती है। इस मंडली में 12 से 18 वर्ष तक के नंग-धडंग युवा होते हैं जिन्होंने केवल एक लंगोटी धारण की होती है। ये युवा गंगा मैया की जय-जयकार करते हुए गाँव की गलियों में जाते हैं और दुमंजिले गाँव के मकानों पर खड़ी स्त्रियाँ पानी के घड़े व बाल्टियाँ उड़ेल देती हैं। युवा उस पानी से स्नान करते हैं, और मिट्टी व कीचड़ में लोट-पोट हो जाते हैं। इस अवसर पर वे इस लोकगीत का गान करते हैं-
काले मेघा पानी दे
गगरी फूटी बैल पियासा
पानी दे, गुड़धानी दे
काले मेघा पानी दे।

प्रश्न 5.
मेंढक-मंडली का शब्दचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
मेंढक मंडली’ का एक और नाम भी है-इंदर सेना। इस मंडली में दस-बारह वर्ष से सोलह वर्ष तक की आयु के बच्चे होते हैं। जो लोग उनके नग्नरूप शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण होने वाली कीचड़ काँदों से चिढ़ते थे, वे उन्हें मेंढक-मंडली कहते थे। उनकी अगवानी गलियों में होती थी। उनमें से अधिकतर एक जांगिए या लंगोटी में होते थे। वे एक स्थान पर एकत्रित होकर पहला जयकारा लगाते थे-“बोल गंगा मैया की जय” । जयकारा सुनते ही लोग सावधान हो जाते थे। स्त्रियाँ घरों की छतों व खिड़कियों से झाँकने लगती थीं। वह विचित्र नंग-धडंग टोली उछलती-कूदती समवेत पुकार लगाती थी। यह टोली इन्द्र देवता को खुश करने के लिए ऐसा करती थी।

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प्रश्न 6.
ऋषि मुनियों के बारे में लेखक के क्या विचार हैं? दोनों के दृष्टिकोण को स्पष्ट करें।
उत्तर:
जीजी का विचार है, कि सब ऋषि मुनि यह कह गए हैं कि पहले तुम खुद त्याग करो तब देवता तुम्हें चार गुणा और आठ गुणा लौटाएँगे, परंतु लेखक ऋषि मुनियों के वचनों को आर्य समाज के संदर्भ में देखता है। वह स्वयं आर्यसमाजी है। उसे इस बात का दुख है कि अंधविश्वासों के साथ ऋषि मुनियों का नाम जोड़ा गया है। वह अपनी जीजी से कहता है “ऋषि मुनियों को काहे बदनाम करती हो जीजी, क्या उन्होंने कहा था कि जब मानव पानी की बूंद ६ को तरसे तब पानी कीचड़ में बहाओ।”

प्रश्न 7.
आपकी दृष्टि में जीजी की आस्था उचित है या लेखक का तर्क?
उत्तर:
इस निबंध को पढ़ने से जीजी की आस्था हमें अधिक प्रभावित करती है। कारण यह है कि जीजी की व्याख्या पूर्णतः तर्क संगत है और वह हमारी परंपराओं पर आधारित है। भले ही वह अनपढ़ है, लेकिन वह दान और त्याग के महत्त्व को भली प्रकार जानती है। यह एक कटु सत्य है कि जब तक हम त्याग और दान नहीं करेंगे तब तक समाज के लोग किस प्रकार जीवन-यापन कर सकेंगे। त्याग और दान भी समाजवाद की स्थापना करने का एक छोटा-सा प्रयास है।

प्रश्न 8.
पानी की बुआई से क्या तात्पर्य है? ‘काले मेघा पानी दे’ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर:
किसान भरपूर फसल पाने के लिए अपने खेतों में बीज की बुआई करता है। अधिक फसल पाने के लिए उसे कुछ बीजों का त्याग भी करना पड़ता है। इसी प्रकार बादलों से बरसात पाने के लिए गाँव के लोग अपने द्वारा संचित जल में से कुछ जल दान को जल की बआई कहते हैं। भले ही वैज्ञानिक दृष्टि से यह सत्य नहीं है, पर बनी हुई है। अनेक बार ऐसा करने से वर्षा हुई भी है।

प्रश्न 9.
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर त्याग और दान की महिमा का वर्णन करें।
उत्तर:
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक ने त्याग और दान की महिमा पर प्रकाश डाला है। लेखक के अनुसार त्यागपूर्वक किया गया दान ही सच्चा दान है। यदि किसी व्यक्ति के पास लाखों-करोड़ों रुपये हैं और उसमें से वह सौ-पचास रुपये दान कर देता है तो इसे हम त्यागपूर्वक दान नहीं कह सकते। यदि आपको किसी वस्तु की अत्यधिक आवश्यकता है और आप उसी वस्तु का दान करते हैं तो वही त्यागपूर्वक दान कहा जाएगा। वस्तुतः स्वयं दुख उठाकर किया गया दान ही सच्चा दान कहा जाता है।

प्रश्न 10.
‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में भ्रष्टाचार पर किस प्रकार से व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
यद्यपि ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में पानी माँगने व कीचड़ में नहाने की प्रथा व सूखे में पीने के पानी को बरबाद करना आदि पर भी व्यंग्य किया गया है। किन्तु लेखक ने समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी अत्यन्त तीक्ष्ण व्यंग्य किया है। लेखक कहता है कि आज हम हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी मांगें तो रखते हैं, किंतु देश के लिए त्याग का कहीं नामो-निशान नहीं है। हम सबका अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर एक-दूसरे के भ्रष्टाचार की बातें करते हैं। क्या कभी हमने अपने भीतर भी झांककर देखा है कि कहीं हम भी उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं? आज समाज में विकास तो है किन्तु गरीब, गरीब ही रह गए हैं। यह सब भ्रष्टाचार के कारण ही है। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से भ्रष्टाचार पर करारा व्यंग्य किया है।

प्रश्न 11.
धर्मवीर भारती की जीजी के संस्कारों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
लेखक की जीजी एक वृद्धा थी। वह आस्थाशील नारी थी। इसलिए वह समाज की परम्पराओं के मर्म को समझती थी। उसका परम्पराओं में पूर्ण विश्वास था। लेखक के प्रति भी उसकी ममता थी। वह पूजा अनुष्ठानों का फल भी लेखक को देना चाहती थी। उसने लेखक के जीवन में भी शुभ संस्कारों को उत्पन्न करने का प्रयास किया है।

प्रश्न 12.
जीजी लेखक से पूजा अनुष्ठान के कार्य क्यों करवाती थी?
उत्तर:
जीजी को लेखक से अपने पुत्रों से भी अधिक स्नेह था। इसलिए वह लेखक से ही पूजा अनुष्ठान के कार्य करवाती थी। इन कार्यों का पुण्य लेखक को प्राप्त हो। वह लेखक का कल्याण चाहती थी।

प्रश्न 13.
‘काले मेघा पानी दे पाठ के आधार पर जीजी के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीजी वृद्धा की नारी थी। वह लेखक से अत्यधिक प्रेम करती थी। एक आस्थाशील नारी होने के कारण वह समाज की परंपराओं के मर्म को भली प्रकार से जानती थी। इन परंपराओं में उसका पूर्ण विश्वास था। लेखक के प्रति उसकी ममता थी। वह पूजा-अनुष्ठान के कार्यों का फल भी लेखक को देना चाहती थी। उसने भरसक प्रयास किया कि वह लेखक में शुभ संस्कारों को उत्पन्न कर सके।

प्रश्न 14.
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर लेखक के चरित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लेखक एक सुशिक्षित और जागरूक युवक था। उसमें आर्य समाज के संस्कार थे। वह अंधविश्वासों का कट्टर विरोधी मार सभा का मंत्री था और उसमें नेतत्व शक्ति भी थी। वह प्रत्येक बात के बारे में वैज्ञानिक दृष्टि से सोचता था। इसलिए उसने इंदर सेना द्वारा बड़ी कठिनाई से संचित किए हुए पानी के दान में माँगने को अनुचित ठहराया और इस परंपरा का विरोध किया, परंतु अन्ततः वह जीजी के स्नेह और आस्था के आगे झुक गया। इस प्रकार उसने तर्क और आस्था में समन्वय स्थापित कर लिया।

प्रश्न 15.
इंदर सेना जेठ के अंतिम तथा आषाढ़ के प्रथम सप्ताह में ही पानी माँगने क्यों आती थी?
उत्तर:
जेठ के अंतिम तथा आषाढ़ के प्रथम सप्ताह में गर्मी अपनी चरम सीमा पर होती है। गर्म लू से पृथ्वी तप जाती है। आषाढ़ मास में ही वर्षा का आगमन होता है, लेकिन कभी-कभी इस मास में वर्षा नहीं होती। इसके फलस्वरूप जीव-जंतु पानी के बिना मरने लगते हैं। ज़मीन सूखकर पत्थर बन जाती है, और जगह-जगह से फट जाती है। इंदर सेना इंद्र देवता से ही वर्षा की याचना के लिए लोगों से पानी का दान माँगती है।

प्रश्न 16.
‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण की क्या विशेषता है?
उत्तर:
प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने लोक प्रचलित आस्था तथा विज्ञान के तर्क के संघर्ष का वर्णन किया है। विज्ञान हमेशा सत्य को महत्त्व देता है और यह तर्क आश्रित है। परंतु लोक प्रचलित विश्वास आस्था से जुड़ा हुआ है। इसमें कौन सही और गलत है, यह निर्णय कर पाना कठिन है। विज्ञान तो ग्लोबल वार्मिंग को अनावृष्टि का कारण मानता है, लेकिन लोक परंपरा इस तर्क को स्वीकार नहीं करती। वे लोक परंपराओं का अंधानुकरण करके जीवन-यापन कर रहे हैं।

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प्रश्न 17.
दिनों-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ की इंद्र सेना की तर्ज़ पर कोई सामूहिक कार्य प्रारंभ कर सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
पानी का गहराता संकट हमारे देश के लिए एक भयंकर समस्या बन चुका है। इस संकट को टालने के लिए ग्रामीण व शहरी युवक-युवतियाँ अत्यधिक सहयोग दे सकते हैं। युवा वर्ग देश के गाँवों में तालाब खुदवा सकता है, जहाँ पानी का भंडारण किया जा सकता है। इस पानी से जहाँ एक ओर खेतों की सिंचाई की जा सकती है, वहाँ दूसरी ओर भूमिगत जल के स्तर में भी सुधार लाया जा सकता है। युवक प्रत्येक घर में जाकर पानी को व्यर्थ बरबाद न करने का संदेश भी लोगों को दे सकते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के लेखक का नाम है
(A) जैनेंद्र कुमार
(B) महादेवी वर्मा
(C) रघुवीर सहाय
(D) धर्मवीर भारती
उत्तर:
(D) धर्मवीर भारती

2. धर्मवीर भारती का जन्म कब हुआ?
(A) 2 दिसंबर, 1926
(B) 11 दिसंबर, 1936
(C) 2 जनवरी, 1927
(D) 3 मार्च, 1928
उत्तर:
(A) 2 दिसंबर, 1926

3. धर्मवीर भारती के पिता का क्या नाम था?
(A) राम जी लाल
(B) चरंजीवी लाल
(C) मोहन लाल
(D) कृष्ण लाल
उत्तर:
(B) चरंजीवी लाल

4. धर्मवीर भारती की माता का क्या नाम था?
(A) सीता देवी
(B) राधा देवी
(C) चंदी देवी
(D) चंडी देवी
उत्तर:
(C) चंदी देवी

5. धर्मवीर भारती ने इंटर की परीक्षा कब उत्तीर्ण की?
(A) सन् 1940 में
(B) सन् 1939 में
(C) सन् 1941 में
(D) सन् 1942 में
उत्तर:
(D) सन् 1942 में

6. धर्मवीर भारती ने किस पाठशाला से इंटर की परीक्षा पास की?
(A) ब्राह्मण पाठशाला
(B) कायस्थ पाठशाला
(C) सनातन धर्म पाठशाला
(D) डी०ए०वी० पाठशाला
उत्तर:
(B) कायस्थ पाठशाला

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7. धर्मवीर भारती ने किस विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा पास की?
(A) प्रयाग विश्वविद्यालय
(B) लखनऊ विश्वविद्यालय
(C) आगरा विश्वविद्यालय
(D) मेरठ विश्वविद्यालय
उत्तर:
(A) प्रयाग विश्वविद्यालय

8. सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर धर्मवीर भारती को कौन-सा पदक मिला?
(A) चिंतामणि पदक
(B) चिंतामणि घोष मंडल पदक
(C) प्रेमचंद पदक
(D) जयशंकर प्रसाद पदक
उत्तर:
(B) चिंतामणि घोष मंडल पदक

9. धर्मवीर भारती ने हिंदी में किस वर्ष एम०ए० की परीक्षा पास की?
(A) सन् 1946 में
(B) सन् 1948 में
(C) सन् 1947 में
(D) सन् 1949 में
उत्तर:
(C) सन् 1947 में

10. धर्मवीर भारती ने किस वर्ष पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की?
(A) सन् 1950 में
(B) सन् 1951 में
(C) सन् 1952 में
(D) सन् 1954 में
उत्तर:
(D) सन् 1954 में

11. धर्मवीर भारती ने किस विषय में पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की?
(A) सिद्ध साहित्य
(B) जैन साहित्य
(C) नाथ साहित्य
(D) संत साहित्य
उत्तर:
(A) सिद्ध साहित्य

12. धर्मवीर भारती किस पत्रिका के संपादक बने?
(A) नवजीवन
(B) धर्मयुग
(C) साप्ताहिक हिंदुस्तान
(D) दिनमान
उत्तर:
(B) धर्मयुग

13. धर्मवीर भारती ने इंग्लैंड की यात्रा कब की?
(A) सन् 1958 में
(B) सन् 1960 में
(C) सन् 1961 में
(D) सन् 1962 में
उत्तर:
(C) सन् 1961 में

14. धर्मवीर भारती ने इंडोनेशिया तथा थाईलैंड की यात्रा कब की?
(A) सन् 1962 में
(B) सन् 1963 में
(C) सन् 1964 में
(D) सन् 1966 में
उत्तर:
(D) सन् 1966 में

15. धर्मवीर भारती की ‘दूसरा सप्तक’ की कविताएँ कब प्रकाशित हुईं?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1952 में
(C) सन् 1943 में
(D) सन् 1950 में
उत्तर:
(A) सन् 1951 में

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16. ‘ठंडा लोहा’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1952 में
(C) सन् 1953 में
(D) सन् 1949 में
उत्तर:
(B) सन् 1952 में

17. ‘कनुप्रिया’ के रचयिता हैं
(A) रघुवीर सहाय
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) धर्मवीर भारती
(D) जैनेंद्र कुमार
उत्तर:
(C) धर्मवीर भारती

18. ‘गुनाहों का देवता’ किस विधा की रचना है?
(A) कहानी
(B) काव्य
(C) एकांकी
(D) उपन्यास
उत्तर:
(D) उपन्यास

19. ‘गुनाहों का देवता’ का रचयिता कौन हैं?
(A) अज्ञेय
(B) धर्मवीर भारती
(C) रघुवीर सहाय
(D) नरेश मेहता
उत्तर:
(B) धर्मवीर भारती

20. ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ किस विधा की रचना है?
(A) उपन्यास
(B) कहानी
(C) निबंध
(D) रेखाचित्र
उत्तर:
(A) उपन्यास

21. ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ किसकी रचना है?
(A) ,महादेवी वर्मा
(B) फणीश्वर नाथ रेणु
(C) हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
(D) धर्मवीर भारती
उत्तर:
(D) धर्मवीर भारती

22. ‘ठेले पर हिमालय’ किस विधा की रचना है?
(A) निबंध
(B) कहानी
(C) रेखाचित्र
(D) संस्मरण
उत्तर:
(A) निबंध

23. ‘कहनी-अनकहनी’ के रचयिता का क्या नाम है?
(A) मुक्तिबोध
(B) जैनेंद्र कुमार
(C) धर्मवीर भारती
(D) फणीश्वर नाथ रेणु
उत्तर:
(C) धर्मवीर भारती

24. ‘मानव मूल्य और साहित्य, किस विधा की रचना है?
(A) एकांकी
(B) उपन्यास
(C) निबंध
(D) नाटक
उत्तर:
(C) निबंध

25. धर्मवीर भारती का निधन कब हुआ?
(A) सन् 1995 को
(B) सन् 1994 को
(C) सन् 1997 को
(D) सन् 1998 को
उत्तर:
(C) सन् 1997 को

26. ‘नदी प्यासी थी’ किस विधा की रचना है?
(A) काव्य
(B) एकांकी
(C) निबंध
(D) कहानी
उत्तर:
(B) एकांकी

27. धर्मवीर भारती को किस राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया?
(A) पदम् विभूषण
(B) पद्मश्री
(C) पदम् रत्न
(D) खेल रत्न
उत्तर:
(B) पद्मश्री

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28. ‘पदम्श्री’ के अतिरिक्त धर्मवीर भारती को कौन-सा पुरस्कार मिला?
(A) व्यास सम्मान
(B) प्रेमचंद सम्मान
(C) ज्ञानपीठ पुरस्कार
(D) कबीर सम्मान
उत्तर:
(A) व्यास सम्मान

29. ‘अंधा युग’ के रचयिता का क्या नाम है?
(A) महादेवी वर्मा
(B) धर्मवीर भारती
(C) फणीश्वर नाथ रेणु
(D) कुँवर नारायण
उत्तर:
(B) धर्मवीर भारती

30. ‘अंधा युग’ किस विधा की रचना है?
(A) उपन्यास
(B) कहानी
(C) एकांकी
(D) गीति नाट्य
उत्तर:
(D) गीति नाट्य

31. धर्मवीर भारती की किस रचना पर हिंदी में फिल्म बनी?
(A) सूरज का सातवाँ घोड़ा
(B) गुनाहों का देवता
(C) अंधायुग
(D) पश्यंती
उत्तर:
(A) सूरज का सातवाँ घोड़ा

32. ‘आषाढ़’ से सम्बद्ध ऋतु है:
(A) बसंत
(B) वर्षा
(C) शीत
(D) ग्रीष्म
उत्तर:
(B) वर्षा

33. ‘काले मेघा पानी दे’ किस विधा की रचना है?
(A) कहानी
(B) संस्मरण
(C) रेखाचित्र
(D) निबंध
उत्तर:
(B) संस्मरण

34. ‘इंदर सेना’ को लेखक ने क्या नाम दिया है?
(A) वानर सेना
(B) राम सेना
(C) मेढक-मंडली
(D) कछुआ मंडली
उत्तर:
(C) मेढक-मंडली

35. इंदर सेना द्वारा जल का दान माँगने को लेखक क्या कहता है?
(A) अंधविश्वास
(B) लोक विश्वास
(C) धार्मिक विश्वास
(D) लोक परंपरा
उत्तर:
(A) अंधविश्वास

36. वर्षा का देवता कौन माना गया है?
(A) इन्द्र
(B) वरुण
(C) सूर्य
(D) पवन
उत्तर:
(A) इन्द्र

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37. लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक-मंडली नाम क्यों दिया?
(A) नंग-धडंग शरीर के साथ कीचड़-कांदों में लोटने के कारण
(B) अनावृष्टि में जल माँगने के कारण
(C) शोर-शराबे द्वारा गाँव की शांति भंग करने के कारण
(D) तालाब में मेंढकों के समान उछलने के कारण
उत्तर:
(A) नंग-धडंग शरीर के साथ कीचड़-कांदों में लोटने के कारण

38. किशोर अपने-आप को इंदर सेना क्यों कहते हैं?
(A) वर्षा के लिए इंद्र को प्रसन्न करने के लिए
(B) लोगों से जल माँगने के लिए
(C) इंद्र देवता से प्यार करने के लिए
(D) इंद्र के समान आचरण करने के लिए
उत्तर:
(A) वर्षा के लिए इंद्र को प्रसन्न करने के लिए

39. ‘गुड़धानी’ से क्या अभिप्राय है?
(A) अनाज
(B) पानी
(C) गुड़ और चने से बना लड्ड
(D) धन-संपत्ति
उत्तर:
(C) गुड़ और चने से बना लड्डू

40. लंगोटधारी युवक किसकी जय बोलते हैं?
(A) इंद्र देवता की
(B) गंगा मैया की
(C) भगवान की
(D) बादलों की
उत्तर:
(B) गंगा मैया की

41. जीजी की दृष्टि में किसके बिना दान नहीं होता?
(A) समृद्धि
(B) इच्छा
(C) आस्था
(D) त्याग
उत्तर:
(D) त्याग

42. बच्चों की टोली ‘पानी दे मैया’ कहकर किस सेना के आने की बात कहती है?
(A) वानर सेना
(B) बान सेना
(C) इंद्र सेना
(D) राम सेना
उत्तर:
(C) इंद्र सेना

43. जीजी लेखक के हाथों पूजा-अनुष्ठान क्यों कराती थी?
(A) अपने कल्याण के लिए
(B) लेखक के कल्याण के लिए
(C) समाज-कल्याण के लिए
(D) परिवार के कल्याण के लिए
उत्तर:
(B) लेखक के कल्याण के लिए

44. जन्माष्टमी पर बचपन में लेखक आठ दिनों तक झाँकी सजाकर क्या बाँटता था?
(A) पंजीरी
(B) लड्डू
(C) बतासे
(D) फल
उत्तर:
(A) पंजीरी

45. किन लोगों ने त्याग और दान की महिमा का गुणगान किया है?
(A) ऋषि-मुनियों ने
(B) देवताओं ने
(C) राजनीतिज्ञों ने
(D) शिक्षकों ने
उत्तर:
(A) ऋषि-मुनियों ने

46. हर छठ पर लेखक छोटी रंगीन कुल्हियों में क्या भरता था?
(A) भूजा
(B) मिठाई
(C) बूंदी
(D) पंजीरी
उत्तर:
(A) भूजा

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47. ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में किस लोक प्रचलित द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया गया है?
(A) आस्था और अनास्था
(B) विश्वास और विज्ञान
(C) पाप और पुण्य
(D) आधुनिकता और पौराणिकता
उत्तर:
(B) विश्वास और विज्ञान

48. अंधविश्वास से क्या होता है?
(A) नुकसान
(B) लाभ
(C) प्रकाश
(D) ईश दर्शन
उत्तर:
(A) नुकसान

49. प्रस्तुत पाठ में ‘बोल गंगा मैया की जय’ का पहला नारा कौन लगाता था?
(A) मेढक मंडली
(B) ऋषि समूह
(C) गंगा स्नान करने वाले
(D) हरिद्वार जाने वाले
उत्तर:
(C) मेढक मंडली

50. प्रस्तुत पाठ में लेखक को कुमार-सुधार सभा का कौन-सा पद दिया गया?
(A) मंत्री
(B) महामंत्री
(C) उपमंत्री
(D) सहमंत्री
उत्तर:
(C) उपमंत्री

51. जीजी के लड़के ने पुलिस की लाठी किस आंदोलन में खाई थी?
(A) राष्ट्रीय आंदोलन
(B) भूदान आंदोलन
(C) विदेशी वस्त्र आंदोलन
(D) नमक आंदोलन
उत्तर:
(A) राष्ट्रीय आंदोलन

काले मेघा पानी दे प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

[1] उछलते-कूदते, एक-दूसरे को धकियाते ये लोग गली में किसी दुमहले मकान के सामने रुक जाते, “पानी दे मैया, इंदर सेना आई है।” और जिन घरों में आखीर जेठ या शुरू आषाढ़ के उन सूखे दिनों में पानी की कमी भी होती थी, जिन घरों के कुएँ भी सूखे होते थे, उन घरों से भी सहेज कर रखे हुए पानी में से बाल्टी या घड़े भर-भर कर इन बच्चों को सर से पैर तक तर कर दिया जाता था। ये भीगे बदन मिट्टी में लोट लगाते थे, पानी फेंकने से पैदा हुए कीचड़ में लथपथ हो जाते थे। हाथ, पाँव, बदन, मुँह, पेट सब पर गंदा कीचड़ मल कर फिर हाँक लगाते “बोल गंगा मैया की जय” और फिर मंडली बाँध कर उछलते-कूदते अगले घर की ओर चल पड़ते बादलों को टेरते, “काले मेघा पानी दे।” [पृष्ठ-100]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। लेखक अपने गाँव के एक प्रसंग का वर्णन करता है। गाँव में अनावृष्टि के कारण किशोर युवकों की इंदर सेना उछलती-कूदती हुई गलियों में सिर्फ एक लंगोटी पहने लोगों से दान में पानी माँगती थी। इसी प्रसंग की चर्चा करते हुए लेखक कहता है

व्याख्या-गाँव के कुछ नंग-धडंग किशोर एक लंगोटी बाँधे हुए गाँव की गलियों में लोगों से पानी की याचना करते थे। ये युवक उछलते-कूदते हुए एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ते थे। ये किसी दुमंजिले मकान के सामने रुककर गुहार लगाते थे- हे माँ! तुम्हारे द्वार पर इंदर सेना आई है, इसे पानी दो मैया। प्रायः सभी घरों में जेठ माह के अंत में अथवा आषाढ़ के आरंभ में अनावृष्टि के कारण सूखा पड़ा रहता था और घरों में पानी की बड़ी कमी होती थी। जिन लोगों के घरों में प्रायः कुएँ थे, वे भी सूख जाते थे। सभी घर-परिवार पानी सँभाल कर रखते थे, क्योंकि पानी की बहुत कमी होती थी। तो भी लोग बचाकर रखे पानी से एक बाल्टी या घड़ा भरकर इंदर सेना पर उड़ेल देते थे जिससे वे सिर से पैर तक भीग जाते थे। भीगे शरीर से ये लोग मिट्टी में लोट जाते थे। पानी फैंकने से जो कीचड़ बन जाता था। उससे यह सेना लथपथ हो जाती थी। सभी के हाथों-पैरों, शरीर, मुख, पेट आदि पर गंदा कीचड़ लग जाता था, परंतु किसी को इसकी परवाह नहीं होती थी। सभी युवक जोर से नारा लगाते ‘बोल गंगा मैया की जय’ । तत्पश्चात् वे पुनः मंडली बनाकर उछलते-कूदते हुए अगले घर की तरफ चल देते थे। इसके साथ-साथ वे बादलों से पुनः पुकार लगाकर पानी माँगते और कहते-काले मेघा पानी दे। इस प्रकार यह इंदर सेना पूरे गाँव की गलियों में चक्कर लगाती हुई घूमती थी।

विशेष-

  1. यहाँ लेखक ने अनावृष्टि के अवसर पर लड़कों द्वारा गठित इंदर सेना का यथार्थ वर्णन किया है, जो लोगों से दान में पानी माँगती थी।
  2. सहज, सरल तथा जन-भाषा का सफल प्रयोग किया गया है।
  3. वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  4. वर्णनात्मक शैली के साथ-साथ संबोधनात्मक शैली का भी सफल प्रयोग किया गया है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) किन दिनों पानी की कमी हो जाती थी?
(ग) उछलते-कूदते किशोर दुमहले मकान के सामने रुककर क्या कहते थे?
(घ) पानी की कमी के बावजूद इन बच्चों पर पानी क्यों डाला जाता था?
(ङ) इंदर सेना के किशोर बादलों को क्या टेर लगाते थे?
उत्तर:
(क) पाठ का नाम काले मेघा पानी दे
लेखक का नाम-धर्मवीर भारती

(ख) जेठ महीने के अंतिम काल अथवा आषाढ़ महीने के आरंभ के दिनों में पानी की कमी हो जाती थी और घरों के कुएँ भी सूख जाते थे।

(ग) उछलते-कूदते हुए किशोर दुमहले मकान के सामने रुककर कहते थे-“पानी दे मैया, इंदर सेना आई है”।

(घ) लोगों का विश्वास था यदि इंदर सेना के किशोरों पर पानी उड़ेला जाएगा तो इंद्र देवता प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे।

(ङ) इंदर सेना के किशोर बादलों को टेर लगाते थे-काले मेघा पानी दे।

[2] वे सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी में भुन-भुन कर त्राहिमाम कर रहे, होते, जेठ के दसतपा बीत कर आषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता पर क्षितिज पर कहीं बादल की रेख भी नहीं दीखती होती, कुएँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को भी मानो खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए वहाँ खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़ कर ज़मीन फटने लगती, लू ऐसी कि चलते-चलते आदमी आधे रास्ते में लू खा कर गिर पड़े। ढोर-ढंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना। वर्षा के बादलों के स्वामी, हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँध कर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए। [पृष्ठ-100-101]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। लेखक अपने गाँव के उस प्रसंग का वर्णन करता है, जब गाँव में अनावृष्टि के कारण किशोर युवकों की इंदर सेना उछलती-कूदती हुई गलियों में सिर्फ एक लंगोटी पहने लोगों से दान में पानी माँगती थी। यहाँ लेखक भीषण गर्मी से उत्पन्न स्थिति का वर्णन करते हुए कहता है

व्याख्या-सच्चाई तो यह है कि ग्रीष्म ऋतु के वे दिन इस प्रकार के होते थे जब नगर-मोहल्ले, गाँव-नगर सभी स्थानों पर भयंकर गर्मी पड़ती थी तथा गर्मी में भुनते हुए लोग भगवान से यही प्रार्थना करते थे कि हमारी रक्षा करो। जेठ के महीने के दस दिनों का ताप व्यतीत हो चुका था और आषाढ़ का पहला पक्ष गुजर गया था, परंतु आकाश में कहीं पर भी बादलों का नामो-निशान नहीं था। प्रायः इस मौसम में कुएँ भी सूख जाते थे और नलकों में भी बहुत थोड़ा पानी आता था। आता भी था तो आधी रात को तथा उबलता हुआ। नगरों के मुकाबले गाँव में हालत और भी खराब हो जाती थी। भाव यह है कि पानी का अभाव नगरों में कम होता था, परंतु गाँव में बहुत अधिक होता था। जिन दिनों खेतों में जुताई की जाती थी, वहाँ मिट्टी सूखकर पत्थर बन जाती थी।

स्थान-स्थान पर पपड़ियाँ पड़ने से मिट्टी फट जाती थी। झुलसा देने वाली लू चलती थी जिसके फलस्वरूप रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति आधे रास्ते चलने के बाद लू लगने से गिर पड़ता था। पानी की इतनी भारी कमी हो जाती थी कि प्यास के कारण पशु तक मरने लग जाते थे, परंतु दूर-दूर तक कहीं भी बरसात का नामो-निशान तक नहीं मिलता था। लोग ईश्वर की पूजा तथा कथाओं का वर्णन करके भी थक जाते थे और वर्षा बिल्कुल नहीं होती थी। आखिरी उपाय के रूप में यह इंदर सेना गाँव में निकल पड़ती थी। इंद्र को बादलों का स्वामी माना गया है। युवकों की यह टोली उसी की सेना मान ली जाती थी। इंदर सेना के किशोर कीचड़ से लथपथ होकर मेघों को पुकार लगाते थे और प्यासे लोगों तथा सूखे खेतों के लिए इंद्र देवता से पानी की याचना करते थे। कहने का भाव यह है कि अनावृष्टि के समय इंदर सेना के गठन का आयोजन अंतिम उपाय के रूप में अपनाया जाता था।

विशेष-

  1. यहाँ लेखक ने ग्रीष्म ऋतु की भयंकर गर्मी का यथार्थ वर्णन किया है।
  2. लेखक यह भी बताता है कि लोग बारिश के लिए पूजा-पाठ तथा कथा-विधान करते थे, परंतु अंतिम उपाय के रूप में इंदर सेना निकलती थी।
  3. सहज, सरल, तथा जनभाषा का सफल प्रयोग है।
  4. वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  5. वर्णनात्मक शैली का सफल प्रयोग हुआ है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न-
(क) इस गद्यांश में किस ऋतु का वर्णन किया गया है?
(ख) लोग किस कारण से परेशान हो जाते थे?
(ग) गाँव में गर्मियों का क्या प्रभाव होता था?
(घ) गाँव के लोग वर्षा के लिए कौन-कौन से उपाय करते थे?
(ङ) ‘इंदर सेना’ किसे कहा गया है और वह क्या करती थी?
उत्तर:
(क) इस गद्यांश में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन किया गया है।

(ख) आषाढ़ के महीने में लोग गर्मी तथा अनावृष्टि के कारण अत्यधिक परेशान हो जाते थे। कुएँ सूख जाते थे और नलों में पानी भी नहीं आता था। यदि आता भी था तो रात को उबलता हुआ पानी आता था। गर्मी के कारण पशु-पक्षी तथा लोग बेहाल हो जाते थे।

(ग) गाँव की हालत शहरों से भी बदतर होती थी। जुताई के खेतों की मिट्टी सूखकर पत्थर बन जाती थी। धीरे-धीरे उसमें पपड़ी पड़ने लगती थी और ज़मीन फट जाती थी। गर्म लू के कारण आदमी बेहोश होकर गिर पड़ता था और प्यास से पशु मरने लगते थे।

(घ) गाँव के लोग वर्षा के लिए इंदर भगवान से प्रार्थना करते थे। कहीं पूजा-पाठ होता था, तो कहीं कथा-विधान, जब ये सभी उपाय असफल हो जाते थे, तब कीचड़ तथा पानी से लथपथ होकर किशोरों की इंदर सेना गलियों में निकल पड़ती थी और इंद्र देवता से बरसात की गुहार लगाती थी।

(ङ) ‘इंदर सेना’ गाँव के उन युवकों को कहा गया है जो एक लंगोटी पहने नंग-धडंग भगवान इंद्र से वर्षा माँगने के लिए घूमते थे। गाँव के लोग मकानों के छज्जों से उन पर एक-आध घड़ा पानी डाल देते थे और वे उछलते-कूदते हुए बादलों को पुकार कर कहते थे काले मेघा पानी दे।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

[3] पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी भर-भर कर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। देश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं, नहीं यह सब पाखंड है। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेज़ों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए। [पृष्ठ-101-102]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उधृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। लेखक अपने गाँव के उस प्रसंग का वर्णन करता है जब गाँव में अनावृष्टि के कारण किशोर युवकों की इंदर सेना उछलती-कूदती हुई गलियों में सिर्फ एक लंगोटी पहने लोगों से दान में पानी माँगती थी। यहाँ लेखक इंदर सेना के गठन तथा गाँववालों द्वारा उन पर पानी फैंकने की परंपरा को अंधविश्वास घोषित करता है।

व्याख्या-लेखक का कथन है कि ऐसा लगता था कि मानों पानी की आशा पर ही सबका जीवन आकर टिक गया हो, परंतु लेखक अपनी जिज्ञासा को प्रकट करते हुए कहता है कि यह बात उसकी समझ में नहीं आ रही थी कि सब तरफ पानी की इतनी भारी कमी है, फिर भी लोग बड़ी कठिनाई से इकट्ठे किए गए पानी को इंदर सेना के किशोरों पर बाल्टी भर-भर कर डाल देते थे। यह तो निश्चय से पानी की बरबादी है। ऐसा करना सर्वथा अनुचित है। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है जिसमें पूरे देश की हानि होती है। पता नहीं लोग इसे इंदर सेना क्यों कहते हैं। यदि लोग इंद्र देवता से पानी दिलवा सकते हैं तो उन्हें स्वयं उससे पानी माँग लेना चाहिए। लोगों के कठिनाई से इकट्ठे किए गए पानी को बरबाद नहीं करना चाहिए। ये लोग मुहल्ले भर का पानी बरबाद करते हुए गलियों में घूमते हैं और शोर-शराबा करते हैं, यह न केवल पाखंड है, अंधविश्वास भी है। इसी अंधविश्वास के कारण हमारा देश पिछड़ गया है। हम भारतवासी इन्हीं अंधविश्वासों के कारण अन्य देशों से पिछड़ गए और अंग्रेज़ शासकों के गुलाम बन गए। अतः इस प्रकार के अंधविश्वासों को छोड़कर हमें पानी के लिए और कोई उपाय अपनाने चाहिएँ।

विशेष-

  1. इसमें लेखक ने इंदर सेना के उपाय को अंधविश्वास का नाम दिया है।
  2. सहज, सरल तथा जनभाषा का सफल प्रयोग है।
  3. वाक्य-विन्यास सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  4. विवेचनात्मक शैली का सफल प्रयोग है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न-
(क) कौन-सी बात लेखक को समझ नहीं आती थी?
(ख) लेखक के अनुसार पानी की निर्मम बरबादी क्या है?
(ग) इंदर-सेना के विरोध में लेखक ने क्या तर्क दिया था?
(घ) लेखक की दृष्टि में पाखंड तथा अंधविश्वास क्या है?
(ङ) लेखक ने भारत की.गुलामी तथा अवनति का मूल कारण किसे माना है?
उत्तर:
(क) लेखक को यह बात समझ नहीं आती थी कि जब लोगों के घरों में पानी की इतनी कमी है तथा वे प्यास और अनावृष्टि के कारण व्याकुल हो रहे हैं, तब वे इंद्र सेना पर पानी का घड़ा उड़ेलकर उसे बरबाद क्यों कर रहे हैं।

(ख) लेखक के अनुसार नंग-धडंग किशोरों पर पानी डालना पानी की बरबादी है। जब पानी की इतनी कमी है तब लोगों को बूंद-बूंद पानी भी बचाना चाहिए।

(ग) इंदर-सेना के विरोध में लेखक यह तर्क देता है कि जब इंदर-सेना के युवक इंद्र भगवान से पानी दिलवा सकते हैं तो ये अपने लिए उनसे पानी क्यों नहीं माँग लेते। सेना लोगों का पानी क्यों बरबाद करती है?

(घ) लेखक की दृष्टि में इंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इंद्र सेना के किशोरों पर घड़ा भर-भर पानी डालना गाँव वालों की नासमझी है। निश्चय से यह लोगों का अंधविश्वास है, ऐसा करने से वर्षा नहीं होती।

(ङ) लेखक ने पाखंडों तथा अंधविश्वासों को भारत की गुलामी तथा अवनति का मूल कारण माना है।

[4] मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। उम्र में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़ कर उनके प्राण मुझी में बसते थे। और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हें कुमार-सुधार सभा का यह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था, और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था। पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था। [पृष्ठ-102]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। यहाँ लेखक जीजी के साथ अपने प्रगाढ़ संबंधों पर प्रकाश डालता है। लेखक अपनी जीजी का बड़ा आदर मान करता है। वह कहता है कि-

व्याख्या कठिनाई यह थी कि लेखक को बाल्यावस्था से ही सर्वाधिक प्यार अपनी जीजी से ही मिला था। उसके साथ लेखक का कोई गहरा रिश्ता नहीं था। वह लेखक की माँ से भी बड़ी थी, परंतु वह अपने लड़के तथा पुत्रवधू की अपेक्षा लेखक से अत्यधिक प्यार करती थी। वे समाज के सभी रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-पाठ तथा कर्मकाण्डों में पूरा विश्वास रखती थीं, परंतु लेखक आर्य समाज द्वारा स्थापित कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री था और वह इंद्र सेना के इस कार्य को अंधविश्वास मानता था और वह चाहता था कि वह उसे जड़ से उखाड़ दे, लेकिन सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि लेखक के बिना जीजी का कोई भी पूजा-विधान, त्योहार-कार्य पूरा नहीं होता था। कहने का भाव यह है कि जीजी अपने प्रत्येक पूजा-विधान में लेखक का सहयोग लेती थी।

विशेष-

  1. यहाँ लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि जीजी के प्रति उसके मन में बड़ी आदर-भावना थी।
  2. सहज, सरल तथा जनभाषा का सफल प्रयोग है।
  3. वाक्य-विन्यास सार्थक व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  4. विश्लेषणात्मक शैली का सफल प्रयोग हुआ है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न-
(क) लेखक के लिए मुश्किल की बात क्या थी?
(ख) लेखक किन्हें अंधविश्वास कहता था?
(ग) जीजी किन कार्यों में लेखक का सहयोग लेती थी?
उत्तर:
(क) लेखक के लिए मुश्किल बात यह थी कि बाल्यावस्था से ही उसे सर्वाधिक प्यार उसकी जीजी से प्राप्त हुआ था। वह रीति-रिवाज़ों तथा पूजा-अनुष्ठानों में पूरा विश्वास रखती थीं।

(ख) लेखक सभी रीति-रिवाज़ों, तीज-त्योहारों तथा पूजा-अनुष्ठानों को अंधविश्वास कहता था।

(ग) जीजी सभी प्रकार के पूजा-विधान, त्योहारों-अनुष्ठानों आदि में लेखक का पूरा सहयोग लेती थीं।

[5] लेकिन इस बार मैंने साफ इनकार कर दिया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भर कर पानी इस गंदी मेढक-मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भर कर पानी ले गईं उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को उन्होंने लड्डू-मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया। मुँह फेरकर ‘बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले वे भी तमतमाई, लेकिन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रहा गया। पास आ कर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोली, “देख भइया रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे?” मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं। “तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अर्घ्य चढ़ाते हैं, जो चीज़ मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।” [पृष्ठ-102]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। इस बार लेखक ने जीजी को साफ मना कर दिया कि वह इस गंदी मेढक-मंडली पर पानी नहीं डालेगा।

व्याख्या-लेखक कहता है कि जीजी ने उसे बहुत समझाया कि वह इंदर सेना पर पानी डाले. परंत लेखक ने स्पष्ट कह दिया कि वह इन गंदे युवकों की मंडली पर बाल्टी भर-भर कर पानी नहीं डालेगा। परंतु जीजी बाल्टी भरकर पानी ले आई। उस समय उसके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे और हाथ काँप रहे थे, परंतु लेखक ने उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया। वह जीजी से नाराज़ होकर एक तरफ खड़ा रहा। शाम को जीजी ने लेखक को खाने के लिए लड्ड और मठरी दी, परंतु लेखक ने अपने हाथ से खाने के सामान को दूर कर दिया और वह जीजी की ओर से मुँह फेर कर बैठ गया। यहाँ तक कि वह जीजी से बोला भी नहीं। लेखक की यह हरकत देखकर जीजी को पहले गुस्सा आया, परंतु यह गुस्सा क्षण भर का था।

जल्दी ही जीजी का गुस्सा दूर हो गया। उसने लेखक के सिर को अपनी गोद में लेते हुए कहा- देखो मैया, मुझसे इस तरह नाराज़ मत हो और मेरी बात को जरा ध्यान से सुनो। इंदर सेना पर पानी की बाल्टी भर कर डालना कोई अंधविश्वास नहीं है। यदि हम इंद्र भगवान को पानी दान नहीं करेंगे तो बदले में वे हमें पानी नहीं देंगे। यह सुनकर भी लेखक ने कोई उत्तर नहीं दिया। जीजी फिर कहने लगी कि जिसे तू पानी की बरबादी समझ रहा है, वह कोई बरबादी नहीं है। वह तो इंद्र देवता को जल चढ़ाना और पूजा करना है। मनुष्य अपने जीवन में जो वस्तु पाना चाहता है उसके बदले उसे पहले कुछ देना पड़ता है। यदि वह कुछ देगा नहीं तो पाएगा कैसे। यही कारण है कि हमारे देश में ऋषियों ने दान को जीवन में सर्वोत्तम स्थान दिया है। भाव यह है कि यदि हम कुछ दान करेंगे तो बदले में कुछ प्राप्त कर पाएँगे। अतः इंद्र देवता को जल चढ़ाना किसी भी दृष्टि से जल की बरबादी नहीं है। इंद्र देवता ही तो बाद में हमें वर्षा के रूप में बहुत-सा पानी देते हैं।

विशेष-

  1. यहाँ लेखक ने दान के महत्त्व का प्रतिपादन करते हुए कहा है कि जीवन में त्याग से ही सख की प्राप्ति होती है।
  2. सहज एवं सरल भाषा का प्रयोग है।
  3. वाक्य-विन्यास सर्वथा सटीक व भावानुकूल है।
  4. संवादात्मक शैली का सफल प्रयोग हुआ है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न-
(क) लेखक ने किस बात से साफ इंकार कर दिया?
(ख) जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले आई तो उनके शरीर की हालत कैसी थी?
(ग) लेखक ने लड्ड-मठरी को अलग से क्यों खिसका दिया?
(घ) जीजी ने क्या तर्क देकर सिद्ध किया कि इंद्र देवता को पानी देना पानी की बरबादी नहीं है?
उत्तर:
(क) लेखक ने इस बात से साफ इंकार कर दिया कि वह मेढक-मंडली पर बाल्टी भर-भर कर पानी नहीं डालेगा। क्योंकि वह इसे पानी की बरबादी मानता है।

(ख) जब जीजी बाल्टी भर कर पानी लाई तब उनके बूढ़े पैर डगमगा रहे थे और उनके हाथ काँप रहे थे।

(ग) लेखक जीजी से नाराज़ था। उसने स्पष्ट कह दिया था कि वह गंदी मेंढक-मंडली पर पानी नहीं फैंकेगा। इसलिए जब जीजी ने उसे खाने के लिए लड्ड, मठरी दिए तो लेखक ने उन्हें दूर खिसका दिया।

(घ) जीजी ने यह तर्क दिया कि यह पानी हम इंद्र देवता को अर्घ्य के रूप में चढ़ाते हैं। मनुष्य अपने जीवन में जो कुछ पाना चाहता है तो बदले में उसे पहले कुछ देना पड़ता है अन्यथा उसे कुछ नहीं मिलता, इसी को दान कहते हैं। ऋषि-मुनियों ने भी दान को जीवन में सर्वोत्तम स्थान दिया है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

[6] “देख बिना त्याग के दान नहीं होता। अगर तेरे पास लाखों-करोड़ों रुपये हैं और उसमें से तू दो-चार रुपये किसी को दे दे तो यह क्या त्याग हुआ। त्याग तो वह होता है कि जो चीज़ तेरे पास भी कम है, जिसकी तुझको भी ज़रूरत है तो अपनी ज़रूरत पीछे रख कर दूसरे के कल्याण के लिए उसे दे तो त्याग तो वह होता – है, दान तो वह होता है, उसी का फल मिलता है।” [पृष्ठ-103]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। यह कथन जीजी का है। वे लेखक को त्याग के महत्त्व के बारे में बताती हुई कहती है कि-

व्याख्या-त्याग के बिना दान नहीं हो सकता। यदि तुम्हारे पास लाखों-करोड़ों रुपयों की धन-राशि है और तुमने उसमें से दो-चार रुपये दान में दे भी दिए तो यह त्याग नहीं कहलाता। त्याग उस वस्तु का होता है जो पहले ही तुम्हारे पास कम मात्रा में है और तुम्हें उसकी नितांत आवश्यकता भी है। परंतु यदि तुम अपनी आवश्यकता की परवाह न करते हुए दूसरे व्यक्ति के भले के लिए उसे त्याग देते हो तो वही सच्चा दान कहलाता है। इस प्रकार के दान का ही हमें फल मिलता है। कहने का भाव यह है कि सच्चा दान उसी वस्तु का होता है, जो तुम्हारे पास बहुत कम है और तुम्हें भी उसकी ज़रूरत होती है लेकिन तुम अपनी ज़रूरत की चिंता न करते हुए दूसरे व्यक्ति के कल्याणार्थ उसे दे देते हो तो वही सच्चा दान कहा जाएगा।

विशेष-

  1. यहाँ लेखक ने जीजी के माध्यम से त्याग व दान के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।
  2. सहज एवं सरल भाषा का प्रयोग हुआ है।
  3. वाक्य-विन्यास सर्वथा सटीक व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  4. संवादात्मक शैली का प्रयोग है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न-
(क) यह कथन किसने किसको कहा है? और क्यों कहा है?
(ख) लाखों-करोड़ों रुपये में से दो-चार रुपये का दान करने का क्या महत्त्व है?
(ग) सच्चा त्याग किसे कहा गया है?
(घ) किस प्रकार के दान का फल मिलता है?
उत्तर:
(क) यह कथन जीजी ने लेखक से कहा है। इस कथन द्वारा वह उसे सच्चे त्याग और दान से अवगत कराना चाहती है।

(ख) लाखों-करोड़ों रुपयों में से दो-चार रुपयों का किया गया दान कोई महत्त्व नहीं रखता। यह तो मात्र दान देने का ढकोसला है।

(ग) सच्चा त्याग वह होता है कि यदि किसी वस्तु की हमारे पास कमी हो और उसकी हमें ज़रूरत भी हो और परंतु फिर भी हम अपनी ज़रूरत को पीछे रखकर दूसरों के कल्याणार्थ उसे दान में दे देते हैं, वही सच्चा त्याग कहलाता है।

(घ) त्याग और कल्याण की भावना से किए गए दान का फल अवश्य मिलता है।

[7] फिर जीजी बोली, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा। पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर ज़मीन में क्यारियाँ बना कर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानीवाले बादलों की फसल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघा से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएँगे भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गाँधी जी महाराज कहते हैं।” [पृष्ठ-103]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। यहाँ जीजी दान का महत्त्व समझाने के लिए एक और उदाहरण देती है। वह लेखक से कहती है कि

व्याख्या-तुम तो पढ़-लिखकर विद्वान बन गए हो, परंतु जहाँ तक मेरा प्रश्न है, मैं गाँव के स्कूल में आज तक नहीं गई। मुझे तो यह भी पता नहीं कि स्कूल कैसा होता है। लेकिन मैं एक बात जानती हूँ कि यदि किसान को अपने खेत में तीस-चालीस मन अनाज उगाना हो तो पहले वह अपने खेत में क्यारियाँ बनाकर पाँच-सेर गेहूँ उसमें बीज के रूप में डालता है। इसी को हम बुआई कहते हैं। इस समय यहाँ सूखा पड़ा हुआ है। हम जो अपने घर का पानी इंद्र सेना पर डालते हैं, वह एक प्रकार से बुआई है। हम अपनी गली में पानी बोएँगे जिससे सारे नगर-कस्बे, शहर में बादल वर्षा करेंगे। यह वर्षा ही हमारी फसल है।

हम बीज के रूप में पानी का दान करते हैं, बाद में काले बादल से पानी माँगते हैं। हमारे देश के ऋषि-मुनि भी यही कह गए हैं कि पहले तुम स्वयं दान करो, देवता तुम्हें चार गुणा और आठ गुणा करके वह दान वापिस करेंगे। यह आचरण प्रत्येक व्यक्ति का है। अन्य शब्दों में यह सबका आचरण बन जाता है। केवल यह सत्य नहीं है यथा राजा तथा प्रजा, बल्कि यह भी सत्य है कि यथा प्रजा तथा राजा। गाँधी जी ने भी इस बात का समर्थन किया था। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि लोग जैसा आचरण करते हैं, राजा को वैसा आचरण करना पड़ता है। हमारे देवता भी तो राजा हैं। जब लोग उनकी पूजा-अर्चना करेंगे, कुछ दान देंगे तो बदले में हमें भी बहुत

विशेष-

  1. यहाँ जीजी ने किसान के उदाहरण द्वारा दान की महिमा का प्रतिपादन किया है।
  2. जीजी ने तर्कसंगत भाषा में अपने विचारों को व्यक्त किया है।
  3. सहज, सरल भाषा का प्रयोग हुआ है।
  4. वाक्य-विन्यास सर्वथा सटीक व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  5. संवादात्मक शैली का प्रयोग है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) जीजी ने लोगों द्वारा पानी दान करने की परंपरा को उचित क्यों ठहराया है?
(ख) जीजी द्वारा पानी दान करने की समानता किससे की गई है?
(ग) ‘यथा राजा तथा प्रजा’ और ‘यथा प्रजा तथा राजा’ में क्या अंतर है?
(घ) गाँधी जी ने प्रजा और राजा के आचरण में किसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना है?
(ङ) ऋषि-मुनि क्या कह गए हैं?
उत्तर:
(क) जीजी ने यह तर्क दिया है कि बादलों को पानी दान करने से बादलों से वर्षा का जल प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए वे इंदर सेना के लिए पानी दान करने की परंपरा को उचित ठहराती हैं।

(ख) जीजी द्वारा पानी दान करने की समानता किसानों से की गई है। जिस प्रकार किसान खेत में तीस-चालीस मन गेहूँ उगाने के लिए पाँच-छः सेर अच्छा गेहूँ बुआई के रूप में डालते हैं। किसान की यह बुआई ही एक प्रकार का दान है। इसी प्रकार काले मेघा से वर्षा पाने के लिए पानी की कुछ बाल्टियाँ दान करना मानों पानी की बुआई है।

(ग) ‘यथा राजा तथा प्रजा’ का अर्थ है-राजा जैसा आचरण करता है, प्रजा भी उसे देखकर वैसा ही आचरण करती है। ‘यथा प्रजा तथा राजा’ का अर्थ है जिस देश की प्रजा जैसा आचरण करती है। वहाँ का राजा भी वैसा ही आचरण करता है। अन्य शब्दों में जनता का आचरण राजा को अवश्य प्रभावित करता है।

(घ) गाँधी जी ने प्रजा के आचरण को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। उनका कहना था कि प्रजा के आचरण को देखकर राजा को अपना आचरण बदलना पड़ता है। गाँधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन द्वारा इस उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया था।

(ङ) ऋषि-मुनियों का कहना है कि मनुष्य को पहले स्वयं त्यागपूर्वक दान करना चाहिए तभी देवता उसे अनेक गुणा देते हैं।

[8] इन बातों को आज पचास से ज़्यादा बरस होने को आए पर ज्यों की त्यों मन पर दर्ज हैं। कभी-कभी कैसे-कैसे संदर्भो में ये बातें मन को कचोट जाती हैं, हम आज देश के लिए करते क्या हैं? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है। अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे है? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी की फूटी रह जाती है, बैल पियासे के पियासे रह जाते हैं? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति? [पृष्ठ-103]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती हैं। यह लेखक का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने जीजी के द्वारा दिए गए संदेश को स्वीकार करते हुए देश की वर्तमान दशा पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या लेखक कहता है कि इन बातों को गुजरे हुए पचास वर्ष हो चुके हैं। लेकिन जीजी की बातें आज भी मन पर अंकित हैं। ऐसे अनेक संदर्भ आते हैं जब ये बातें मन पर चोट पहुँचाती हैं। हम देश की वर्तमान हालत देखकर व्याकुल हो उठते हैं। लेखक कहता है कि हमने अपने देश के लिए कुछ भी नहीं किया। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हम देश के सामने अनेक माँगें प्रस्तुत करते हैं, परंतु हमारे अंदर त्याग तनिक भी नहीं है। हम सब स्वार्थी बन गए हैं और स्वार्थ पूरा करना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हम लोगों में व्याप्त भ्रष्टाचार की खूब चर्चा करते हैं। उनकी निंदा करके हमें बहुत आनंद आता है।

लेकिन हमने यह नहीं सोचा कि निजी स्तर पर हम अपने क्षेत्र में उसी भ्रष्टाचार का हिस्सा तो नहीं बन गए हैं। भाव यह है कि हम स्वयं तो भ्रष्टाचार से लिप्त हैं। भ्रष्ट उपाय अपनाकर हम अपना काम निकालते हैं। काले मेघा के समूह आज भी उमड़-घुमड़कर आते हैं। खूब पानी बरसता है। पर गगरी फूटी-की-फूटी रह जाती है और हमारे बैल प्यासे मरने लगते हैं। भाव यह है कि हमारे देश में धन और संसाधनों की कोई कमी नहीं है, फिर भी लोग अभावग्रस्त और गरीब हैं। भ्रष्टाचार के कारण ये संसाधन आम लोगों तक नहीं पहुंच पाते। लेखक अंत में सोचता है कि इस स्थिति में कब परिवर्तन होगा और हमारे देश में कब समाजवाद का उदय होगा?

विशेष-

  1. यहाँ लेखक ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और उससे उत्पन्न स्थिति पर समुचित प्रकाश डाला है।
  2. सहज एवं सरल भाषा का प्रयोग है।
  3. वाक्य-विन्यास सर्वथा सटीक व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  4. विवेचनात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) कौन-सी बात लेखक के मन में ज्यों-की-त्यों दर्ज है?
(ख) कौन-सी बात लेखक के मन को कचोट रही है?
(ग) भ्रष्टाचार के बारे में लोगों का आचरण कैसा है?
(घ) पानी बरसने पर भी गगरी क्यों फूटी रहती है? बैल क्यों प्यासे रह जाते हैं?-इन पंक्तियों में निहित अर्थ क्या है?
उत्तर:
(क) बचपन में जीजी ने लेखक को बताया था कि देवता से आशीर्वाद पाने के लिए हमें पहले स्वयं कुछ दान करना पड़ता है। इसीलिए तो बादलों से वर्षा पाने के लिए पानी का दान किया जाता है। इस बात ने लेखक के मन को अत्यधिक प्रभावित किया था। इसलिए यह बात आज भी लेखक के मन में अंकित है।

(ख) लेखक के मन को यह बात कचोटती है कि आज लोग सरकार के सामने बड़ी-बड़ी माँगें रखते हैं और अपने स्वार्थों को पूरा करने में संलग्न हैं किंतु न तो कोई देश के लिए त्याग करना चाहता है और न ही अपने कर्तव्य का पालन करना चाहता है।

(ग) भ्रष्टाचार को लेकर लोग चटखारे लेकर बातें करते हैं और भ्रष्ट लोगों की निंदा भी करते हैं किंतु वे स्वयं इस भ्रष्टाचार के अंग बन चुके हैं। आज हर आदमी किसी-न-किसी प्रकार से भ्रष्टाचार की दलदल में फंसा हुआ है।

(घ) इस कथन का आशय है कि हमारे देश में धन और संसाधनों की कोई कमी नहीं है, परंतु भ्रष्टाचार के कारण ये संसाधन लोगों तक नहीं पहुंच पाते जिसके फलस्वरूप लोग गरीब व अभावग्रस्त हैं।

काले मेघा पानी दे Summary in Hindi

काले मेघा पानी दे लेखिका-परिचय

प्रश्न-
धर्मवीर भारती का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
1. जीवन-परिचय धर्मवीर भारती का जन्म 2 दिसंबर, 1926 को इलाहाबाद के अतरसुईया मोहल्ले में हुआ। उनके पिता का नाम चरंजीवी लाल तथा माता का नाम चंदी देवी था। बचपन में ही उनके पिता का असामयिक निधन हो गया। फलस्वरूप बालक धर्मवीर को अनेक कष्ट झेलने पड़े। सन् 1942 में उन्होंने कायस्थ पाठशाला के इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, जिसके कारण उनकी पढ़ाई एक वर्ष के लिए रुक गई। सन् 1945 में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के कारण इन्हें ‘चिंतामणिघोष मंडल’ पदक मिला। सन 1947 में उन्होंने हिंदी में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। 1954 में उन्होंने ‘सिद्ध साहित्य’ पर पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त की और प्रयाग विश्वविद्यालय में ही प्राध्यापक नियुक्त हुए, परंतु शीघ्र ही वे “धर्मयुग” के संपादक उन्होंने “कॉमन वेल्थ रिलेशंस कमेटी” के निमंत्रण पर इंग्लैंड की यात्रा की। उन्हें पश्चिमी जर्मनी जाने का भी मौका मिला। सन् 1966 में भारतीय दूतावास के अतिथि बनकर इंडोनेशिया व थाईलैंड की यात्रा की। आगे चलकर उन्होंने भारत-पाक युद्ध के काल में बंगला देश की गुप्त यात्रा की और ‘धर्मयुग’ में युद्ध के रोमांच का वर्णन किया। साहित्यिक सेवाओं के कारण सन् 1972 में भारत सरकार ने उन्हें “पद्मश्री” से सम्मानित किया। 5 सितबर, 1997 को उनका निधन हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-धर्मवीर भारती की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
काव्य रचनाएँ-‘दूसरा सप्तक की कविताएँ (1951), ‘ठंडा लोहा’ (1952) ‘सात-गीत वर्ष’, ‘कनुप्रिया’ (1959)।
उपन्यास-‘गुनाहों का देवता’, ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’।
गीति नाट्य-अंधा युग’।
कहानी-संग्रह-‘मुर्दो का गाँव’, ‘चाँद और टूटे हुए लोग’, ‘बंद गली का आखिरी मकान’।
निबंध-संग्रह-‘ठेले पर हिमालय’, ‘कहनी-अनकहनी’, ‘पश्यंती’, ‘मानव मूल्य और साहित्य’।
आलोचना-‘प्रगतिवाद’, ‘एक समीक्षा’।
एकांकी-संग्रह ‘नदी प्यासी थी’।

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3. साहित्यिक विशेषताएँ-धर्मवीर भारती स्वतंत्रता के बाद के साहित्यकारों में विशेष स्थान रखते हैं। उन्होंने हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के लिए अलग-अलग रचनाएँ लिखी हैं। उनके साहित्य में व्यक्ति स्वातंत्र्य, मानवीय संकट तथा रोमानी चेतना आदि प्रवृत्तियाँ देखी जा सकती हैं, परंतु वे सामाजिकता और उत्तरदायित्व को अधिक महत्त्व देते हैं। इनके आरंभिक काव्य में हमें रोमानी भाव-बोध देखने को मिलता है। “गुनाहों का देवता” इनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास है। इसमें एक सरस और भावप्रवण प्रेम कथा है। ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ भी भारती जी का एक लोकप्रिय उपन्यास है, जिस पर एक हिंदी फिल्म भी बन चुकी है। ‘अंधा युग’ में कवि ने आज़ादी के बाद गिरते हुए जीवन मूल्यों, अनास्था, मोहभंग, विश्वयुद्धों से उत्पन्न भय आदि का वर्णन किया है।

‘काले मेघा पानी दे’ भारती जी का एक प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें उन्होंने लोक प्रचलित विश्वास तथा विज्ञान के द्वंद्व का चित्रण किया है। प्रस्तुत संस्मरण किशोर जीवन से संबंधित है। इसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार गाँवों के बच्चों की इंदर सेना अनावृष्टि को दूर करने के लिए द्वार-द्वार पर पानी माँगती चलती है।

4. भाषा-शैली-भारती जी आरंभ से ही सरल भाषा के पक्षपाती रहे हैं। उन्होंने प्रायः जन-सामान्य की बोल-चाल की भाषा का ही प्रयोग किया है जिसमें तत्सम, देशज तथा विदेशी शब्दावली का उपयुक्त प्रयोग किया है। अपनी रचनाओं में वे उर्दू, फारसी तथा अंग्रेज़ी शब्दों के साथ-साथ तद्भव शब्दों का भी खुलकर मिश्रण करते हैं। विशेषकर, निबंधों में उनकी भाषा पूर्णतया साहित्यिक हिंदी भाषा कही जा सकती है। ‘काले मेघा पानी दे’ वस्तुतः भारती जी का एक उल्लेखनीय संस्मरण है जिसमें सहजता के साथ-साथ आत्मीयता भी है। बड़ी-से-बड़ी बात को वे वार्तालाप शैली में कहते हैं और पाठकों के हृदय को छू लेते हैं। अपने निबन्ध तथा रिपोर्ताज में उन्होंने सामान्य हिंदी भाषा का प्रयोग किया है। एक उदाहरण देखिए-

“मैं असल में था तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमार-सुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था-सो समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस में तीर रखकर घूमता रहता था।”

काले मेघा पानी दे पाठ का सार

प्रश्न-
धर्मवीर भारती द्वारा रचित संस्मरण ‘काले मेघा पानी दे’ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘काले मेघा पानी दे’ धर्मवीर भारती का एक प्रसिद्ध संस्मरण है, जिसे निबंध भी कहा जा सकता है। इसमें लोक-प्रचलित विश्वास तथा विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण किया गया है। विज्ञान तर्क के सहारे चलता है और लोक-जीवन विश्वास के सहारे। दोनों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। लेखक ने इन दोनों पक्षों को प्रस्तुत किया है और यह निर्णय पाठकों पर छोड़ दिया है कि वे किसे ग्रहण करना चाहते हैं और किसे छोड़ना चाहते हैं।
1. अनावृष्टि और इंदर सेना का गठन-जब वर्षा की प्रतीक्षा करते-करते न केवल धरती, बल्कि लोगों के मन भी सूख जाते थे। तब इस अवसर पर गाँव के नंग-धडंग लड़के लंगोटीधारी युवकों की टोली का गठन करते हैं। ये किशोर ‘गंगा मैया की जय’ बोलते हुए गलियों में निकल पड़ते थे। वे प्रत्येक घर के बाहर जाकर आवाज़ लगाते थे “पानी दे मैया, इंदर सेना आई है”। घर की औरतें दुमंजिले के बारजे पर चढ़ जाती थी और वहाँ से उन पर घड़े का पानी उड़ेल देती थीं। वे बच्चे उस पानी से भीग कर नहाते थे और गीली मिट्टी में लोटते हुए कहते थे
“काले मेघा पानी दे
गगरी फूटी बैल पियासा
पानी दे, गुड़धानी दे
काले मेघा पानी दे।”
इस काल में सभी लोग गर्मी के मारे जल रहे होते थे। कुएँ तक सूख जाते थे और खेतों की मिट्टी सूखकर पत्थर बन जाती थी। पशु-पक्षी भी प्यास के मारे तड़पने लगते थे। परंतु आकाश में कहीं कोई बादल नज़र नहीं आता था। हार कर लोग पूजा-पाठ और कथा विधान भी बंद कर देते थे। इस अवसर पर इंदर सेना कीचड़ से लथपथ होकर काले बादलों को पुकारते हुए गलियों में हुड़दंग मचाती हुई निकलती थी।

2. लेखक द्वारा विरोध-लेखक भी इन किशोरों की आयु का ही था। वह बचपन से ही आर्यसमाज से प्रभावित था। वह कुमार-सुधार सभा का उपमंत्री भी था। इसलिए वह इसे अंधविश्वास मानता था और किशोरों की इस इंदर सेना को मेढक-मंडली का नाम देता था। उसका यह तर्क था कि जब पहले ही पानी की इतनी भारी कमी है तो फिर लोग कठिनाई से लाए हुए पानी को व्यर्थ में क्यों बरबाद कर रहे हैं। अगर यह किशोर सेना इंदर की है तो ये लोग सीधे-सीधे इंद्र देवता से गुहार क्यों नहीं लगाते। लेखक का विचार है कि इस प्रकार के अंधविश्वासों के कारण ही हमारा देश पिछड़ गया और गुलाम हो गया।

3. जीजी के प्रति लेखक का विश्वास-लेखक के मन में अपनी जीजी के प्रति बहुत विश्वास था। वह इंद्र सेना और अन्य विश्वासों को बहुत मानती थी। वह प्रत्येक प्रकार की पूजा और अनुष्ठान लेखक के हाथों करवाती थी, ताकि उसका फल लेखक को प्राप्त हो। जीजी चाहती थी कि लेखक भी इंदर सेना पर पानी फैंके, परंतु लेखक ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। जीजी काफी वृद्ध हो चुकी थी, फिर भी उसने कांपते हाथों से बच्चों पर पानी की बाल्टी फेंकी। लेखक न तो जीजी से बोला और न ही उसके हाथों से लड्डू-मठरी खाई।

4. जीजी और लेखक के बीच विवाद-जीजी का कहना था कि यदि हम इंद्र भगवान को पानी नहीं देंगे, तो वह हमें कैसे पानी देंगे। परंतु लेखक का कहना था कि यह एक कोरा अंधविश्वास है। इसके विपरीत जीजी ने तर्क देते हुए कहा कि यह पानी की बरबादी नहीं है, बल्कि इंद्र देवता को चढ़ाया गया अर्घ्य है। यदि मानव अपने हाथों से कुछ दान करेगा तो ही वह कुछ पाएगा। हमारे यहाँ ऋषि-मुनियों ने भी त्याग और दान की महिमा का गान किया है। त्याग वह नहीं है जो करोड़ों रुपयों में से कुछ रुपये दान किए जाएँ, परंतु जो चीज़ तुम्हारे पास कम है उसमें से दान या त्याग करना महत्त्वपूर्ण है।

यदि वह दान लोक-कल्याण के लिए किया जाएगा, उसका फल अवश्य मिलेगा। लेखक इस तर्क से हार गया। फिर भी वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। तब जीजी ने एक और तर्क दिया कि किसान तीस-चालीस मन गेहूँ पैदा करने के लिए पाँच-छः सेर गेहूँ अपनी ओर से बोता है। इसी प्रकार सूखे में पानी फैंकना, पानी बोने के समान है। जब हम इस पानी को बोएँगे तो आकाश में बादलों की फसलें लहराने लगेंगी। पहले हम चार गना वापिस लौटाएँगे। यह कहना सच नहीं है कि ‘यथा राजा तथा प्रजा’ किंत हमें यह कहना चाहिए कि “यथा प्रजा तथा राजा” गांधी जी ने भी इसी दृष्टिकोण का समर्थन किया था।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे

5. लेखक का निष्कर्ष यह घटना लगभग पचास वर्ष पहले की है, लेकिन इसका प्रभाव लेखक के मन पर अब भी है। वह मन-ही-मन सोचता है कि हम देश के लिए क्या कर रहे हैं। हम सरकार के सामने बड़ी-बड़ी मांगें रखते हैं, लेकिन हमारे अंदर त्याग की कोई भावना नहीं है। भले ही हम लोग भ्रष्टाचार की बातें करते हैं, परंतु हम सभी भ्रष्टाचार से लिप्त हैं। यदि हम स्वयं को सुधार लें तो देश और समाज स्वयं सुधर जाएगा, परंतु इस दृष्टिकोण से कोई नहीं सोचता। काले मेघ अब भी पानी बरसाते हैं, लेकिन गगरी फूटी-की-फूटी रह जाती है। बैल प्यासे रह जाते हैं। पता नहीं यह हालत कब सुधरेगी?

कठिन शब्दों के अर्थ

मेघा = बादल। इंदर सेना = इंद्र के सिपाही। मेढक-मंडली = कीचड़ से लिपटे हुए मेढकों जैसे किशोर। नग्नस्वरूप = बिल्कुल नंगे। काँदो = कीचड़। अगवानी = स्वागत। सावधान = सचेत, जागरूक। छज्जा = मुंडेर। बारजा = मुंडेर के साथ वाला स्थान। समवेत = इकट्ठा, सामूहिक। गगरी = घड़ा। गुड़धानी = गुड़ और चने से बना एक प्रकार का लड्डू। धकियाना = धक्का देना। दुमहले = दो मंजिलों वाला। सहेज = सँभालना। तर करना = भिगोना। बदन = शरीर। हाँक = जोर की आवाज़। टेरते = पुकारते। त्राहिमाम = मुझे बचाओ। दसतपा = तपते हुए दस दिन। पखवारा = पंद्रह दिन का समय, पाक्षिक। क्षितिज = वह स्थान जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं। खौलता हुआ = बहुत गर्म । जुताई = खेतों में हल चलाना। ढोर-ढंगर = पशु। कथा-विधान = धार्मिक कथाएँ कहना। निर्मम = कठोर। क्षति = हानि। पाखंड = ढोंग। संस्कार = आदतें। तरकस में तीर रखना = विनाश करने के लिए तैयार रहना। प्राण बसना = प्रिय होना। तमाम = सभी। पूजा-अनुष्ठान = पूजा का काम। खान = भंडार। जड़ से उखाड़ना = पूरी तरह नष्ट करना। सतिया = स्वास्तिक का चिह्न। पंजीरी = गेहूँ के आटे और गुड़ से बनी हुई मिठाई। छठ = एक पर्व का नाम। कुलही = मिट्टी का छोटा बर्तन। अरवा चावल = ऐसा चावल जो धान को बिना उबाले निकाला गया हो। मुँह फुलाना = नाराज़ होना। तमतमाना = क्रोधित होना। अर्घ्य = जल चढ़ाना। ढकोसला = दिखावा। किला पस्त होना = हारना। मदरसा = स्कूल । बुवाई = बीज होना। दर्ज होना = लिखना। कचोटना = बुरा लगना। चटखारे लेना = रस लेना, मजा लेना। दायरा = सीमा। अंग बनना = हिस्सा बनना। झमाझम = भरपूर।

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