Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
1. आकार के आधार पर उद्योग कितने प्रकार के होते हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(B) 3
2. निम्नलिखित में कौन-सा लौह धातु उद्योग है?
(A) तांबे पर आधारित उद्योग
(B) पेट्रोकेमिकल्स इद्योग
(C) ऐलुमिनियम पर आधारित उद्योग
(D) कृषि औजार उद्योग
उत्तर:
(D) कृषि औजार उद्योग
3. निम्नलिखित में आधारभूत उद्योग कौन-सा है?
(A) वस्त्र निर्माण उद्योग
(B) लौह-इस्पात उद्योग
(C) औषधि निर्माण उद्योग
(D) सीमेंट उद्योग
उत्तर:
(B) लौह-इस्पात उद्योग
4. निम्नलिखित में कृषि आधारित उद्योग कौन-सा है?
(A) कागज उद्योग
(B) फर्नीचर उद्योग
(C) चीनी उद्योग
(D) औषधि निर्माण उद्योग
उत्तर:
(C) चीनी उद्योग
5. पेट्रो-रसायन उद्योग में कौन-सा देश अग्रणी है?
(A) रूस
(B) सऊदी अरब
(C) भारत
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर:
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका
6. निम्नलिखित में कौन-सा उद्योगों की अवस्थिति में अभौगोलिक कारक है?
(A) उच्चावच
(B) जलवायु
(C) कच्चा माल
(D) सरकारी नीतियाँ
उत्तर:
(D) सरकारी नीतियाँ
7. ऊर्जा स्रोत के निकट स्थापित होने वाला उद्योग कौन-सा है?
(A) चीनी उद्योग
(B) कागज उद्योग
(C) ऐलुमिनियम उद्योग
(D) चाय उद्योग
उत्तर:
(C) ऐलुमिनियम उद्योग
8. निम्नलिखित में से कौन-सा उपभोक्ता उद्योग के अंतर्गत आता है?
(A) लौह-इस्पात उद्योग
(B) टेलीविजन उद्योग
(C) चीनी उद्योग ।
(D) कागज उद्योग
उत्तर:
(B) टेलीविजन उद्योग
9. हल्के उद्योग का सर्वोत्तम उदाहरण है
(A) कागज उद्योग
(B) चाय उद्योग
(C) इलैक्ट्रॉनिक उद्योग
(D) प्लास्टिक उद्योग
उत्तर:
(C) इलैक्ट्रॉनिक उद्योग
10. सिलिकन घाटी कहाँ स्थित है?
(A) केरल
(B) कैलिफोर्निया
(C) टोकियो
(D) मास्को
उत्तर:
(B) कैलिफोर्निया
11. बड़े पैमाने के उत्पादन तथा श्रम के अत्यधिक विभाजन के मॉडल को कहा जाता है
(A) पोस्ट फोर्डिज्म
(B) फोर्डिज्म
(C) लोचयुक्त उत्पादन
(D) लोचयुक्त विशिष्टिकरण
उत्तर:
(B) फोर्डिज्म
12. निम्नलिखित में से कौन-सा लौह अयस्क क्षेत्र नहीं है?
(A) अमेरिका में महान् झीलों का क्षेत्र
(B) रूहर
(C) छोटा नागपुर
(D) सिलिकन घाटी
उत्तर:
(D) सिलिकन घाटी
13. सार्वजनिक उद्योग वह होता है, जिसका
(A) प्रबंधन राजकीय सरकार के हाथ में होता है
(B) मालिक एक व्यक्ति होता है
(C) स्वामित्व सहकारी संस्थाओं के हाथ में होता है
(D) प्रबंध कार्पोरेशन करती है
उत्तर:
(A) प्रबंधन राजकीय सरकार के हाथ में होता है
14. सर्वाधिक लौह-अयस्क के भंडार किस देश में हैं?
(A) ब्राजील
(B) भारत
(C) चीन
(D) फ्रांस
उत्तर:
(C) चीन
15. विश्व में तांबे का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन-सा है?
(A) इंडोनेशिया
(B) भारत
(C) मैक्सिको
(D) चिली
उत्तर:
(D) चिली
16. ऐलुमिनियम किस अयस्क से प्राप्त किया जाता है?
(A) हैमेटाइट
(B) बॉक्साइट
(C) मैग्नेटाइट
(D) लिमोनाइट
उत्तर:
(B) बॉक्साइट
17. निम्नलिखित में कौन-सा अधात्विक खनिज है?
(A) चांदी
(B) सोना
(C) तांबा
(D) गंधक
उत्तर:
(D) गंधक
18. निम्नलिखित में कौन-सा धात्विक खनिज है?
(A) चांदी
(B) कोयला
(C) नमक
(D) गंधक
उत्तर:
(A) चांदी
19. निम्नलिखित में से कौन द्वितीयक क्रियाकलाप से संबंधित नहीं है?
(A) विनिर्माण
(B) संग्रहण
(C) प्रसंस्करण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) संग्रहण
20. …………….. का अभिप्राय किसी भी वस्तु के उत्पादन से है-
(A) बाजार
(B) आखेट
(C) विनिर्माण
(D) संग्रहण
उत्तर:
(C) विनिर्माण
21. कौन-से उद्योग सरकार के नियंत्रण में होते हैं?
(A) कुटीर उद्योग
(B) सार्वजनिक उद्योग
(C) निजी उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) सार्वजनिक उद्योग
22. किन क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है?
(A) प्राथमिक क्रियाओं द्वारा
(B) द्वितीयक क्रियाओं द्वारा
(C) तृतीयक क्रियाओं द्वारा
(D) चतुर्थक क्रियाओं द्वारा
उत्तर:
(B) द्वितीयक क्रियाओं द्वारा
23. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाला कारक है-
(A) बाजार
(B) श्रम आपूर्ति
(C) कच्चा माल
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
24. वन आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) फर्नीचर उद्योग
(B) कागज उद्योग
(C) लाख उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
25. किन उद्योगों पर व्यक्तिगत निवेशकों का स्वामित्व होता है?
(A) सार्वजनिक उद्योग
(B) सरकारी उद्योग
(C) निजी उद्योग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) निजी उद्योग
26. कृषि आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) चीनी उद्योग
(B) वस्त्र उद्योग
(C) इस्पात उद्योग
(D) (A) व (B) दोनों
उत्तर:
(D) (A) व (B) दोनों
27. हथकरघा क्षेत्र की विशेषता है-
(A) अधिक श्रमिकों की आवश्यकता
(B) कम पूँजी निवेश की आवश्यकता
(C) अर्द्धकुशल श्रमिकों को रोजगार
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
28. सहर औद्योगिक क्षेत्र का संबंध किस देश से है?
(A) जर्मनी से
(B) इंग्लैण्ड से
(C) फ्रांस से
(D) चीन से
उत्तर:
(A) जर्मनी से
29. विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई कौन-सा उद्योग है?
(A) कुटीर उद्योग
(B) लघु उद्योग
(C) सार्वजनिक उद्योग
(D) निजी उद्योग
उत्तर:
(A) कुटीर उद्योग
30. सिलिकॉन घाटी किस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है?
(A) इस्पात उद्योग
(B) लोहा उद्योग
(C) सॉफ्टवेयर
(D) रसायन उद्योग
उत्तर:
(C) सॉफ्टवेयर
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
प्रश्न 1.
रूहर औद्योगिक प्रदेश किस देश में है?
उत्तर:
रूहर औद्योगिक प्रदेश जर्मनी में है।
प्रश्न 2.
पेट्रो-रसायन उद्योग में कौन-सा देश अग्रणी है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका।
प्रश्न 3.
बड़े पैमाने के उत्पादन तथा श्रम के अत्यधिक विभाजन के मॉडल को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
फोर्डिज्म।
प्रश्न 4.
सिलिकन घाटी कहाँ स्थित है?
उत्तर:
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में।
प्रश्न 5.
महान् झीलों का लोहा-इस्पात क्षेत्र कहाँ स्थित है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में।
प्रश्न 6.
सूती वस्त्र उद्योग किसका उदाहरण है?
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग का।
प्रश्न 7.
कुशल श्रमिक प्रधान उद्योगों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- अलीगढ़ का ताला उद्योग
- मेरठ का कैंची उद्योग।
प्रश्न 8.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते है?
उत्तर:
लौह-इस्पात को।
प्रश्न 9.
कौन-सी अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में।
प्रश्न 10.
जापान का कौन-सा औद्योगिक प्रदेश घना बसा है?
उत्तर:
जापान का टोक्यो प्रदेश औद्योगिक दृष्टिकोण से घना बसा है। यह जापान के होन्शू द्वीप पर बसा हुआ है।
प्रश्न 11.
किन गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों या प्राथमिक उत्पादों का मूल्य बढ़ जाता है?
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों द्वारा।
प्रश्न 12.
सभी आर्थिक गतिविधियों का क्या कार्य-क्षेत्र है?
उत्तर:
संसाधनों की प्राप्ति और उनके उपभोग का अध्ययन करना।
प्रश्न 13.
जहाँ कम जनसंख्या निवास करती है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
दूरस्थ क्षेत्र।
प्रश्न 14.
कुटीर या घरेलू उद्योग का कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कलाकृति।
प्रश्न 15.
कृषि आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण या उत्पाद दें।
उत्तर:
- चीनी
- वनस्पति तेल।
प्रश्न 16.
खनिज आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- ताँबा
- आभूषण।
प्रश्न 17.
रसायन आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- प्लास्टिक
- पेट्रो रसायन।
प्रश्न 18.
पशु आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- ऊन
- चमड़ा।
प्रश्न 19.
उपभोक्ता सामान के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- बिस्कुट
- कपड़ा।
प्रश्न 20.
सीमेंट और मिट्टी के बर्तन आदि उद्योगों में किन खनिजों का प्रयोग होता है?
उत्तर:
अधात्विक खनिजों का।।
प्रश्न 21.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताइए जहाँ घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
नाइजीरिया।
प्रश्न 22.
जर्मनी के कोई दो औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:
- रूहर औद्योगिक प्रदेश
- बेवरिया औद्योगिक प्रदेश।
प्रश्न 23.
रूस के कोई दो औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:
- मॉस्को औद्योगिक प्रदेश
- यूराल औद्योगिक प्रदेश।
प्रश्न 24.
ब्रिटेन के कोई दो औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:
- दक्षिणी वेल्स औद्योगिक प्रदेश
- मिडलैंड औद्योगिक प्रदेश।
प्रश्न 25.
प्राथमिक गतिविधियों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- आखेट
- पशुचारण।।
प्रश्न 26.
द्वितीयक गतिविधियों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- कपास द्वारा सूती वस्त्र बनाना
- लौह अयस्क से मशीनों का निर्माण।
प्रश्न 27.
भोजन प्रसंस्करण के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- डिब्बा बंद भोजन
- क्रीम उत्पादन।
प्रश्न 28.
धातु उद्योग कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो प्रकार के-
- लौह धातु उद्योग
- अलौह धातु उद्योग।
प्रश्न 29.
अधातु उद्योग के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- कोयला
- गंधक।
प्रश्न 30.
धातु उद्योग के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
- लोहा
- इस्पात।
प्रश्न 31.
‘विनिर्माण’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
हस्त एवं मशीनों से बनाना।
प्रश्न 32.
किन उद्योगों को ‘शिल्प उद्योग’ भी कहा जाता है?
उत्तर:
कुटीर उद्योगों को।
प्रश्न 33.
औद्योगिक क्रांति के समय विश्व की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
50 करोड़।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निर्माण उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
कच्चे और अर्ध-निर्मित माल को हाथ अथवा मशीनों की सहायता से उपयोगी निर्मित माल में बदलने वाले उद्योग निर्माण उद्योग कहलाते हैं।
प्रश्न 2.
उद्योगों के वर्गीकरण के आधार क्या हैं?
उत्तर:
उद्योगों को अनेक आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है; जैसे-
- आकार के आधार पर
- कार्य के आकार एवं उत्पादों के स्वरूप के आधार पर
- कच्चे माल की प्रवृत्ति के आधार पर
- निर्मित माल की प्रकृति के आधार पर
- स्वामित्व एवं प्रबंधन के आधार पर।
प्रश्न 3.
आधारभूत एवं उपभोक्ता उद्योगों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
लौह-इस्पात निर्माण तथा विद्युत उत्पादन आधारभूत उद्योगों के उदाहरण हैं जबकि कागज़ निर्माण तथा टेलीविज़न निर्माण उपभोक्ता उद्योगों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 4.
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि अन्य सभी उद्योगों की मशीनें व परिवहन के साधन इसी से बनाए गए इस्पात से बनते हैं।
प्रश्न 5.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन संकल अधिकतर तटों पर क्यों स्थित होते हैं?
उत्तर:
आयातित खनिज तेल पर आधारित होने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका के पेट्रो-रसायन उद्योग तटों पर स्थित हैं। अगर ये आंतरिक भागों में होते तो परिवहन की लागत तो बढ़ती ही साथ ही सामान और समय दोनों का अपव्यय भी होता।
प्रश्न 6.
प्रौद्योगिक-ध्रुव किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रौद्योगिक-ध्रुव एक सीमांकित क्षेत्र के भीतर नई प्रौद्योगिकी व उद्योगों से संबंधित उत्पादन के लिए नियोजित विकास है। इसके अंतर्गत विज्ञान व प्रौद्योगिकी पार्क, विज्ञान नगर तथा अन्य उच्च तकनीकी औद्योगिक संकुल शामिल किए जाते हैं।
प्रश्न 7.
उपभोक्ता उद्योग क्या है?
उत्तर:
जिन उद्योगों में वस्तुओं का निर्माण सीधे उपभोग या उपभोक्ता के लिए किया जाता है; जैसे बेकरी उद्योग जिसमें निर्मित ब्रैड तथा बिस्कुट सीधे उपयोग के काम आ
प्रश्न 8.
कुटीर उद्योग किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
कुटीर उद्योग वस्तुओं के निर्माण का प्रारंभिक रूप है जो बहुत प्राचीन है। इसमें दक्षता के आधार पर वस्तुओं का निर्माण होता है। ये उद्योग मानवीय श्रम पर आधारित होते हैं। मिट्टी के बर्तन बनाना, टोकरियाँ बनाना, चमड़े के जूते बनाना आदि इस उद्योग के उदाहरण हैं।
प्रश्न 9.
लघु उद्योग किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
लघु उद्योगों में उत्पादकों का निर्माण करने के लिए छोटी-छोटी मशीनों का प्रयोग किया जाता है अर्थात् इसमें मानवीय श्रम के साथ-साथ छोटी मशीनों का भी प्रयोग किया जाता है। कागज बनाना, कपड़े बनाना, फर्नीचर बनाना आदि इस उद्योग के उदाहरण हैं।
प्रश्न 10.
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन उद्योगों का प्रबंध एवं स्वामित्व केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन होता है, उन्हें सार्वजनिक उद्योग कहते हैं; जैसे भारत में रेल उद्योग।
प्रश्न 11.
निजी उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन उद्योगों का स्वामित्व एवं प्रबंधन व्यक्ति या व्यक्तियों के हाथ में होता है, उन्हें निजी उद्योग कहते हैं; जैसे जमशेदपुर का लौह-इस्पात उद्योग।
प्रश्न 12.
भार हासमान पदार्थ क्या है?
उत्तर:
जिस कच्चे पदार्थ का भार निर्माण की प्रक्रिया में कम हो, उसे भार ह्रासमान पदार्थ कहते हैं।
प्रश्न 13.
यूरोप के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- ब्रिटेन के औद्योगिक प्रदेश
- फ्रांस के औद्योगिक प्रदेश
- जर्मनी के औद्योगिक प्रदेश
- नार्वे के औद्योगिक प्रदेश।
प्रश्न 14.
संयुक्त राज्य अमेरिका के कोई चार लोहा-इस्पात केन्द्रों/क्षेत्रों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- शिकागो गैरी क्षेत्र
- पिट्सबर्ग-यंग्सटाउन क्षेत्र
- ईरी झील तटीय क्षेत्र
- मध्य अटलांटिक तटीय क्षेत्र।
प्रश्न 15.
विनिर्माण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, “विनिर्माण जैविक अथवा अजैविक पदार्थों का एक नए उत्पाद के रूप में यांत्रिक एवं रासायनिक परिवर्तन है। चाहे यह कार्य स्वचालित मशीन द्वारा सम्पन्न होता है अथवा हाथ द्वारा, चाहे यह कार्य कारखाने में किया जाता है अथवा कामगारों के घर में तथा उत्पाद चाहे थोक में बेचे जाएँ अथवा फुटकर में।”
प्रश्न 16.
द्वितीयक क्रियाओं का क्या महत्त्व है? अथवा द्वितीयक गतिविधियाँ क्यों महत्त्वपूर्ण होती हैं?
उत्तर:
द्वितीयक क्रियाओं या गतिविधियों का महत्त्व इसलिए है क्योंकि इन क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है और ये अधिक मूल्यवान एवं उपयोगी हो जाती हैं।
प्रश्न 17.
धातु उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिन उद्योगों में विभिन्न प्रकार की धातुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है, तो उन्हें धातु उद्योग कहते हैं।
प्रश्न 18.
भोजन प्रसंस्करण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
भोजन प्रसंस्करण उद्योग वर्तमान में तेजी से बढ़ रहा है। इसमें डिब्बाबन्द भोजन, क्रीम उत्पादन, फल प्रसंस्करण एवं मिठाइयाँ सम्मिलित की जाती हैं। भोजन को सुरक्षित रखने की अनेक विधियाँ प्राचीन समय से अपनाई जा रही हैं; जैसे अनाज को सुखाकर रखना, आचार बनाना आदि। औद्योगिक क्रांति के बाद ये विधियाँ कम ही अपनाई जा रही हैं, क्योंकि इनमें अधिक समय लगता है। पारम्परिक खाद्य संरक्षण की विधियों का स्थान अब मशीनों ने ले लिया है। इस प्रक्रिया में भोजन प्रसंस्करण का बहुत अधिक योगदान है।
प्रश्न 19.
औद्योगिक प्रदेश या औद्योगिक संकुल किसे कहते हैं?
उत्तर:
विश्व में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिल जाती हैं और वहाँ कई उद्योग स्थापित हो जाते हैं। धीरे-धीरे वहाँ उद्योगों का जमघट या पुंज बन जाता है, इसे ही औद्योगिक प्रदेश या संकुल कहते हैं।
प्रश्न 20.
कुटीर उद्योगों की कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
- इन उद्योगों का व्यापारिक महत्त्व अधिक नहीं होता।
- ये विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई होते हैं।
प्रश्न 21.
लघु उद्योगों की कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
- इन उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है।
- इन उद्योगों से स्थानीय लोगों की क्रयशक्ति में वृद्धि होती है।
प्रश्न 22.
कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-
कुटीर उद्योग | लघु उद्योग |
1. कुटीर उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है। | 1. लघु उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल के साथ-साथ बाहर से भी कच्चा माल मँंगवाया जाता है। |
2. अधिकांश तैयार उत्पाद घर में ही खप जाते हैं। | 2. समस्त तैयार उत्पाद बाजारों में बेचे जाते हैं। |
3. इन उद्योगों में दस्तकार परिवार के सदस्य ही होते हैं। | 3. इन उद्योगों में श्रमिकों एवं मशीनों द्वारा कार्य किया जाता है। |
प्रश्न 23.
आधुनिक समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की कोई चार विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
- कौशल या उत्पादन की विधियों का विशिष्टीकरण।
- मशीनीकरण या यंत्रीकरण।
- प्रौद्योगिक नवाचार।
- संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-
भारी उद्योग | हल्के उद्योग |
1. ये उद्योग प्राय: खनिज संसाधनों पर आधारित होते हैं। | 1. ये उद्योग खनिज संसाधनों तथा कृषि पर आधारित होते हैं। |
2. इनमें बड़े पैमाने पर मशीनें तथा यंत्र बनाए जाते हैं। | 2. इनमें प्राय: दैनिक प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण होता है। |
3. इनमें अधिक पूँजी की जरूरत होती है। | 3. इनमें कम पूँजी की जरूरत होती है। |
4. ये उद्योग प्रायः विकसित देशों में स्थापित किए जाते हैं। | 4. ये उद्योग विकासशील देशों में स्थापित होते हैं। |
प्रश्न 2.
मूलभूत उद्योग एवं उपभोग वस्तु विनिर्माण उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
मूलभूत उद्योग एवं उपभोग वस्तु विनिर्माण उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-
मूलभूत उद्योग | उपभोग वस्तु विनिर्माण उद्योग |
1. इन उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग अन्य प्रकार के उत्पादन प्राप्त करने के लिए किया जाता है। | 1. इन उद्योगों के उत्पादों को प्रत्यक्ष रूप से उपभोग के लिए प्रयोग किया जाता है। |
2. ये उद्योग उत्पादन प्रक्रम के अगले चरण में सहायक हैं। ये औद्योगिक क्रांति में सहायक हैं। | 2. इनके उत्पाद प्रयोग के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं। |
3. लौह-इस्पात उद्योग इसका प्रमुख उदाहरण है। | 3. खाने के तेल, चाय, कॉफी, ब्रेड, बिस्कुट, रेडियो, टेलीविज़न आदि उद्योग इनके प्रमुख उदाहरण हैं। |
प्रश्न 3.
उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
विभिन्न आधारों पर उद्योगों को कितने वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
प्रश्न 4.
कृषि उद्योग और भारी उद्योगों में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
कृषि उद्योग और भारी उद्योगों में निम्नलिखित अंतर हैं-
कृषि उद्योग | भारी उद्योग |
1. ये उद्योग कृषि फसलों से कच्चा माल प्राप्त करते हैं। | 1. ये उद्योग विभिन्न खनिज पदार्थों पर आधारित होते हैं। |
2. ये प्राथमिक उद्योग होते हैं। | 2. ये गौण उद्योग होते हैं। |
3. इनमें मानवीय श्रम के साथ-साथ मशीनों का भी प्रयोग किया जाता है। | 3. ये पूर्ण रूप से ऊर्जा चलित भारी मशीनों पर आधारित होते हैं। |
4. इन उद्योगों में श्रम की प्रधानता होती है। | 4. इन उद्योगों में पूँजी की प्रधानता होती है। |
5. इनमें लघु तथा मध्यम वर्ग के उद्योग स्थापित किए जाते हैं। | 5. इन उद्योगों में भारी उद्योग स्थापित किए जाते हैं। |
6. चीनी उद्योग, पटसन उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, चाय उद्योग, बनस्पति घी उद्योग आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं। | 6. लौह-इस्पात उद्योग, जलयान उद्योग, वायुयान उद्योग आदि भारी उद्योगों के प्रमुख उदाहरण हैं। |
प्रश्न 5.
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
अथवा
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- इन उद्योगों के उत्पाद अत्यंत परिष्कृत होते हैं जिनका विकास गहन वैज्ञानिक शोध पर आधारित होता है।
- इन उद्योगों में उच्च कुशलता प्राप्त श्रमिकों को नौकरी पर रखा जाता है।
- ये उद्योग बाज़ार की बदलती माँग के अनुसार अपने उत्पादों में तेजी से सुधार करते हैं।
- इन उद्योगों में श्रम की गतिशीलता बहुत अधिक होती है क्योंकि ये उद्योग योग्यता, अनुभव, अधिक आय, बेहतर सुविधा – व सामाजिक स्तर के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- इन उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहते हैं क्योंकि अवस्थिति का चुनाव करने में ये उद्योग अपेक्षाकृत स्वतंत्र होते हैं।
प्रश्न 6.
लघु उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लघु उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-
लघु उद्योग | बड़े पैमाने के उद्योग |
1. इन उद्योगों में उत्पादन छोटे पैमाने पर होता है। | 1. इन उद्योगों में उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। |
2. इनमें ऊर्जा से चलने वाली छोटी व साधारण मशीनों का प्रयोग किया जाता है। | 2. इनमें ऊर्जा से चलने वाली बड़ी-बड़ी जटिल मशीनों का प्रयोग किया जाता है। |
3. इनमें कम पूँजी व कम श्रम की आवश्यकता होती है। | 3. इनमें भारी पूँजी व हज़ारों श्रमिकों की आवश्यकता होती है। |
4. इनमें उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता का कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जाता। | 4. इनमें उत्पादन की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है। |
5. लघु उद्योगों की प्रबंध प्रणाली साधारण होती है। | 5. बड़े उद्योगों का प्रबंध जटिल होता है। |
प्रश्न 7.
स्वच्छंद उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
स्वच्छंद उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- स्वच्छंद उद्योग हल्के उद्योग होते हैं।
- इन उद्योगों में कम लोग ही कार्यरत होते हैं।
- ये उद्योग स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त होते हैं।
- ये उद्योग संसाधन एवं बाजार उन्मुख नहीं होते।
- इन उद्योगों के उत्पाद छोटे और आसानी से परिवहन के योग्य होते हैं।
प्रश्न 8.
उत्पाद के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण करें। अथवा आधारभूत उद्योग तथा उपभोक्ता उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
उत्पाद के आधार पर उद्योगों को दो वर्गों में बाँटा गया है-
- आधारभूत या मूलभूत उद्योग
- उपभोक्ता उद्योग।
(i) आधारभूत या मूलभूत उद्योग-जिन उद्योगों में उत्पादित वस्तुएँ दूसरे उद्योग के लिए निर्मित होती हैं, उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं; जैसे लौह-इस्पात उद्योग। लौह-इस्पात उद्योग में जो मशीनें बनती हैं उनका प्रयोग अन्य उद्योगों में वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है। अतः लौह-इस्पात उद्योग मूलभूत या आधारभूत उद्योग है जो अन्य उद्योगों के लिए मशीनें बनाता है।
(ii) उपभोक्ता उद्योग-जिन उद्योगों में वस्तुओं का निर्माण सीधे उपभोग या उपभोक्ता के लिए किया जाता है; जैसे बेकरी उद्योग-जिसमें निर्मित ब्रैड तथा बिस्कुट सीधे उपयोग के काम आते हैं। तेल उद्योग, वस्त्र उद्योग, चाय एवं काफी उद्योग, रेडियो या टेलीविज़न उद्योग आदि ऐसे ही उद्योग हैं।
प्रश्न 9.
निरौधोगीकरण तथा पुनरोद्योगीकरण में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
निरौद्योगीकरण और पुनरौद्योगीकरण में निम्नलिखित अंतर हैं-
निरौद्योगीकरण | पुनरौद्योगीकरण |
1. विनिर्माण उद्योगों के ह्मास को निरौद्योगीकरण कहा जाता है। | 1. नए उद्योगों के कुछ खंडों का विकास करना जहाँ परंपरागत उद्योगों का ह्रास हुआ पुनरौद्योगीकरण कहलाता है। |
2. मनुष्य के स्थान पर मशीन तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में औद्योगिक उत्पादों में प्रतिस्पर्धा से निरौद्योगीकरण हुआ। | 2. उच्च प्रौद्योगिकी तथा उच्च वैज्ञानिक शोध एवं विकास पर आधारित उन्नत उत्पादों के कारण पुनरौद्योगीकरण हुआ। |
प्रश्न 10.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन संकुल अधिकतर तटों पर क्यों स्थित हैं?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन संकुलों के तटीय क्षेत्रों में स्थित होने के निम्नलिखित कारण हैं-
- यहाँ जल विद्युत का पूर्ण रूप से विकास हुआ है।
- खनिज तेलों का परिवहन बड़े-बड़े टैंकरों तथा पाइपलाइनों द्वारा देश के आंतरिक भागों तक किया जाता है।
- यहाँ आयात और निर्यात की सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं।
प्रश्न 11.
द्वितीयक क्रियाकलापों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों या क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर ये उसे मूल्यवान बना देती हैं। जैसे कपास से वस्त्र बनाना, लौह अयस्क से लौह-इस्पात बनाना। इस प्रकार निर्मित वस्तुएँ अधिक मूल्यवान हो जाती हैं। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त वस्तुओं के बारे में भी यही बात लागू होती है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएँ विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण उद्योग से संबंधित हैं। सभी निर्माण उद्योग-धंधे गौण व्यवसाय हैं। गौण व्यवसायों पर भौतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। संसार के विकसित देशों; जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, ग्रेट ब्रिटेन, पश्चिमी जर्मनी तथा जापान में अभूतपूर्व मूल्यवृद्धि हुई है।
प्रश्न 12.
ब्रिटेन के औद्योगिक प्रदेशों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
ब्रिटेन में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
1. मिडलैंड औद्योगिक प्रदेश यह इंग्लैंड का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है, जिसका केंद्र बर्किंघम है। यहाँ छोटी-सी सूई से लेकर वायुयान तथा जलयान तक निर्मित होते हैं। यहाँ मोटरगाड़ी, लौह-इस्पात, इंजीनियरिंग, बिजली का सामान तथा हौजरी के औद्योगिक प्रतिष्ठान विकसित अवस्था में हैं। यहाँ लीड्स, बैडफोर्ड, नाटिंघम आदि सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। लौह-इस्पात का बर्किंघम एक बड़ा एवं विकसित केंद्र है। कावेंट्री मोटरगाड़ियों के उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है।
2. स्कॉटलैंड ग्लासगो क्षेत्र इस क्षेत्र में ग्लासगो नगर जलयान निर्माण के लिए विश्वविख्यात है। अन्य उद्योगों में लौह-इस्पात, इंजीनियरिंग तथा वस्त्र उद्योग प्रमुख हैं। ग्लासगो के अतिरिक्त एडिनबरा तथा एबरडीन यहाँ के प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं।
3. लंदन औद्योगिक प्रदेश-लंदन ब्रिटेन की राजधानी होने के साथ-साथ एक प्रमुख औद्योगिक नगर भी है। इसके आसपास अनेक उद्योग स्थापित हैं, जिनमें छपाई, सीमेंट, तेल शोधन, इंजीनियरिंग, वस्त्र निर्माण, फर्नीचर, विद्युत उपकरण, खाद्य परिष्करण तथा शृंगार प्रसाधन प्रमुख हैं।
4. दक्षिणी वेल्स औद्योगिक प्रदेश इस क्षेत्र के मुख्य औद्योगिक नगर कारडिफ, न्यूपोर्ट तथा स्वानसी हैं। यहाँ लौह-इस्पात, रसायन, तेल शोधन तथा कृत्रिम रेशे आदि उद्योग विकसित हैं।
उपर्युक्त क्षेत्रों के अतिरिक्त ब्रिटेन में नाटिंघमशायर, यार्कशायर, डर्बीशायर, लंकाशायर आदि अन्य औद्योगिक केंद्र हैं।
प्रश्न 13.
फ्रांस के औद्योगिक प्रदेशों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
फ्राँस में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
1. पेरिस औद्योगिक प्रदेश-पेरिस यूरोप के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में गिना जाता है। यहाँ कोयले की कमी है इसलिए भारी उद्योगों की स्थापना कम हो पाई है। यहाँ रसायन उद्योग, कागज उद्योग, मुद्रण उद्योग, काँच की वस्तुएँ, आभूषण आदि के उद्योग विकसित हैं। पेरिस शहर फैशन के लिए विश्वविख्यात है। इसे विश्व का फैशन केंद्र कहा जाता है। यहाँ आमोद-प्रमोद एवं फैशन की अनेक वस्तुएँ निर्मित होती हैं।
2. लॉरेन सार प्रदेश-यह प्रदेश लौह-इस्पात का प्रमुख केंद्र है। यहाँ सार बेसिन में कोयले की उपलब्धता के कारण लौह-इस्पात उद्योग विकसित हुआ है। लौह-इस्पात के अतिरिक्त रासायनिक उर्वरक, वस्त्र उद्योग तथा काँच उद्योग यहाँ के प्रमुख उद्योग-धंधे हैं।
प्रश्न 14.
जर्मनी के औद्योगिक प्रदेशों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
जर्मनी में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
1. रूहर औद्योगिक प्रदेश यह औद्योगिक प्रदेश विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों में गिना जाता है। रूहर क्षेत्र में कोयला पर्याप्त मात्रा में मिलता है, जिसके कारण भारी उद्योगों की स्थापना में सहायता मिली है। यहाँ लौह-इस्पात तथा भारी इंजीनियरिंग उद्योग विकसित अवस्था में हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ वस्त्र उद्योग तथा रसायन उद्योग भी स्थापित हैं। इस क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक केंद्र राइन, बोचम, डलसडर्फ, डारमण्ड तथा आखेन हैं।
2. बेवरिया औद्योगिक प्रदेश-इस क्षेत्र में हल्के उद्योग; जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान, घड़ी, हौजरी, रसायन पदार्थ, शराब, खाद्य-सामग्री तथा औषधियों से संबंधित उद्योग हैं।
3. सार प्रदेश-यह प्रदेश सार नदी के बेसिन में फैला है। यहाँ भारी इंजीनियरिंग, लौह-इस्पात, काँच का सामान, चीनी-मिट्टी के बर्तन तथा चमड़े के सामान बनाने के केंद्र हैं। यह क्षेत्र फ्रांस तथा जर्मनी की सीमा पर लगा औद्योगिक केंद्र है।
प्रश्न 15.
स्वामित्व एवं प्रबंध के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण करें।
उत्तर:
उद्योगों को स्वामित्व एवं प्रबंधन की व्यवस्था के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, सहकारी क्षेत्र तथा बहु-राष्ट्रीय । उद्योग आदि वर्गों में बांटा जा सकता है-
1. सार्वजनिक उद्योग-वे उद्योग जिनका प्रबंध एवं स्वामित्व केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन होता है, उन्हें सार्वजनिक उद्योग कहते हैं; जैसे भारत के भिलाई, दुर्गापुर तथा राऊरकेला में लौह-इस्पात उद्योग के केंद्र तथा भारतीय रेल सार्वजनिक उद्योग के उदाहरण हैं।
2. निजी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग जिनका स्वामित्व या प्रबंध व्यक्ति या व्यक्तियों अथवा फर्म या कंपनी के पास होता है, उन्हें निजी उद्योग कहते हैं; जैसे जमशेदपुर का लौह-इस्पात उद्योग (TISCO)।
3. सहकारी उद्योग-किसी निगम अथवा कुछ लोगों के संघ द्वारा जो उद्योग संचालित किए जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहते हैं; जैसे उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल, हरियाणा राज्य सहकारी चीनी मिल, आनंद डेयरी सहकारी समिति आदि।
4. सम्मिलित उद्योग-ऐसे उद्योग जिनका संचालन राज्य सरकारों, कुछ लोगों तथा निजी फर्मों द्वारा किया जाता है, उन्हें सम्मिलित उद्योग कहते हैं। इनका स्वामित्व तथा प्रबंध सम्मिलित रूप से होता है।
5. बहु-राष्ट्रीय उद्योग-जब कोई उद्योग या कंपनी अथवा उद्यम किसी दूसरे राष्ट्र के सहयोग से चलाए जाते हैं तो उन्हें बहु-राष्ट्रीय उद्योग कहते हैं। इनमें पूँजी तथा तकनीक विदेशों की होती है तथा कच्चा माल, श्रम तथा बाजार की सुविधा उस देश द्वारा दी जाती है, जहाँ ये स्थापित किए जाते हैं।
प्रश्न 16.
लौह-अयस्क के चार प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लौह-अयस्क के चार प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. मैग्नेटाइट-यह उत्तम कोटि का लौह-अयस्क माना जाता है। इसमें 70% से 75% लोहे की मात्रा मिलती है। इसका रंग काला होता है। यह आग्नेय तथा रूपांतरित चट्टानों में पाया जाता है। इसमें कुछ चुंबकीय लक्षण होते हैं। इस प्रकार का लोहा स्वीडन तथा रूस के यूरोप क्षेत्र में अधिक पाया जाता है।
2. हैमेटाइट-इस लोहे में लोहांश की मात्रा 50% से 65% के मध्य पाई जाती है। इसका रंग प्रायः लाल होता है तथा यह लोहा अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। संसार में यह लौह-अयस्क विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है। यह लौह-अयस्क संयुक्त राज्य अमेरिका के सुपीरियल झील क्षेत्र स्पेन तथा ब्राजील में अधिक पाया जाता है।
3. लिमोनाइट-इस लोहे में 40% के लगभग लोहांश पाया जाता है। इस अयस्क का रंग भूरा होता है। यह भी तलछटी चट्टानों में पाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के अल्बामा क्षेत्र, फ्रांस के लारेन प्रदेश तथा इंग्लैंड में पाया जाता है।
4. सिडेराइट-इस लौह-अयस्क में 20%-30% तक लोहा पाया जाता है। इसमें अशुद्धियों की मात्रा अधिक होती है। इसका रंग राख की तरह अथवा भूरा होता है। इसके प्रधान क्षेत्र नार्वे, स्वीडन तथा इंग्लैंड हैं।
प्रश्न 17.
खनिजों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अभी तक वैज्ञानिकों ने लगभग 2000 खनिजों का पता लगाया है लेकिन उपयोग में केवल 200 खनिज ही आते हैं। सभी खनिजों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। सामान्यतया सभी खनिजों में कुछ विशेषताएँ एक जैसी होती हैं जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं
- खनिजों का जमाव सीमित क्षेत्रों में मिलता है तथा इनका वितरण भी असमान है।
- सभी खनिज पदार्थ समाप्य या अनवीकरण योग्य संसाधन हैं।
- खनिजों का दोहन जनसंख्या की वृद्धि एवं औद्योगीकरण के कारण बढ़ता जा रहा है।
- आर्थिक विकास में खनिजों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
- सभी खनिजों का दोहन प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।
- खनिजों का उत्पादन बाजार की माँग पर निर्भर करता है।
- कोई भी देश खनिजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है।
प्रश्न 18.
कोयला कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक प्रकार के कोयले के मुख्य लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
कोयले में कार्बन की मात्रा के अनुसार उसकी ऊर्जा की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। गुणों के आधार पर कोयला निम्नलिखित चार प्रकार का होता है-
1. एन्ट्रासाइट कोयला यह उत्तम कोटि का कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 90% होती है। इसमें ताप अधिक तथा धुआँ कम होता है। इसका रंग काला तथा चमकदार है।
2. बिटुमिनस कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 90% होती है। यह कोयला जल्दी आग पकड़ता है तथा इसकी लौ पीली होती है। यह जलते समय धुआँ अधिक देता है तथा अधिक मात्रा में राख छोड़ता है। बिटुमिनस कोयले के भंडार विश्व में सबसे अधिक हैं।
3. लिग्नाइट कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 45% से 70% तक होती है। यह भूरे रंग का होता है तथा जलते समय धुएँदार लंबी लपटें छोड़ता है। इसमें वनस्पति का अंश होता है। इसमें नमी की मात्रा अधिक होती है।
4. पीट कोयला यह नवीनतम कोयला है। इसमें नमी की मात्रा अधिक होने के कारण यह सुखाने पर ही जलता है। इसमें कार्बन की मात्रा 30% से 60% तक होती है। यह घरों में जलाने के काम लाया जाता है। इसका रंग भूरा होता है। यह सबसे घटिया होता है।
प्रश्न 19.
ऊर्जा के संसाधन के रूप में खनिज तेल कोयले से बेहतर क्यों है?
उत्तर:
खनिज तेल कोयले से बेहतर ऊर्जा का संसाधन माना जाता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
- खनिज तेल का निष्कर्षण कोयले की अपेक्षा सरल और सस्ता है।
- खनिज तेल का परिवहन पाइप लाइनों द्वारा आसानी से दूर-दूर तक किया जा सकता है।
- खनिज तेल कोयले की अपेक्षा कम स्थान घेरता है।
- खनिज तेल द्वारा विभिन्न उद्योगों का विकेंद्रीकरण संभव है, जबकि कोयले पर आधारित उद्योग कोयला क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
प्रश्न 20.
कोयले का निर्माण किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
कोयला मुख्य रूप से अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। यह एक जीवाश्म ईंधन है जो वनस्पति के गलने-सड़ने तथा अपघटित होने से बना है। आज से 30 करोड़ वर्ष पूर्व कार्बोनिफेरस युग में पृथ्वी के अधिकांश निम्न स्थलीय वन प्रदेश पृथ्वी की आंतरिक हलचलों के कारण नीचे दब गए। वायु की अनुपस्थिति में तथा उच्च ताप और दाब के कारण यह वनस्पति गल-सड़ कर अपघटित (Decomposed) हो गई और बाद में कोयले में परिवर्तित हो गई। प्राकृतिक वनस्पति से कोयला बनने में लाखों वर्ष लगे तथा यह परिवर्तन बहुत ही धीमी गति से हुआ।
प्रश्न 21.
खनन क्या है? इसको प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
उत्तर:
खनन (Mining) – खानों से खनिजों को निकालने की क्रिया को खनन कहते हैं। मनुष्य भूपर्पटी से प्राचीनकाल से ही खनिजों का दोहन करता आया है और आज यह एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है।
खनन को प्रभावित करने वाले कारक मानव ज्ञान, प्रयास, प्रौद्योगिकी और अत्यधिक पूँजी से ही खनन क्रिया को आर्थिक क्रिया में बदला जा सकता है। खनन को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं
- धरातल के नीचे खनिज निक्षेपों की गहराई, आकार और मात्रा
- खनिज अयस्कों में मिलने वाली धातु की मात्रा
- उपयोग के स्थान से खनिजों की दूरी
- खनन कार्य के लिए आवश्यक पूँजी
- उन्नत प्रौद्योगिकी व तकनीकी ज्ञान
- परिवहन के साधन
- खनिजों की माँग।
प्रश्न 22.
खनिजों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वैज्ञानिक अनुसंधान एवं तकनीकी विकास के साथ वर्तमान युग में खनिज पदार्थों का महत्त्व बढ़ गया है। खनिज प्रकृति का अमूल्य उपहार है। आज के युग में इस व्यवसाय की अत्यधिक महत्ता है। खनिजों पर समस्त निर्माण उद्योग आधारित हैं। खनिजों में ऊर्जा के संसाधन के रूप में कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, यूरेनियम तथा प्लेटिनियम का मुख्य स्थान है। इसी प्रकार लौह इस्पात उद्योग किसी भी देश की औद्योगिक प्रगति के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करता है। इसके लिए लौह अयस्क, चूना पत्थर, मैग्नीशियम, मैंगनीज, निकल, कार्बन आदि धात्विक व अधात्विक खनिजों की आवश्यकता पड़ती है। रासायनिक खाद के निर्माण में जिप्सम तथा चूना पत्थर आदि खनिजों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ऐलुमिनियम, तांबा, जस्ता, सीसा तथा टिन आदि अन्य धातुएँ हैं जिनका खनन आज के युग में आवश्यक है।
दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
उद्योगों की स्थापना को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं? वर्णन करें।
अथवा
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र में उद्योगों की अवस्थिति या स्थापना में निम्नलिखित कारक प्रभावी होते हैं-
1. कच्चा माल-कच्चा माल विनिर्माण उद्योगों के लिए एक मूलभूत आवश्यकता है। अतः उद्योगों की स्थापना प्रायः कच्चे माल के क्षेत्रों के निकट होती है। भारी उद्योग जैसे लौह-इस्पात को प्रायः कोयला तथा लोहे की खानों के निकट स्थापित किया जाता है अन्यथा परिवहन लागत में वृद्धि हो जाती है तथा वस्तुएँ प्रतिस्पर्धा में नहीं रहतीं। यही कारण है कि विश्व के अधिकांश भारी उद्योग कच्चे माल की आपूर्ति के निकट स्थापित हैं। भारत का लौह-इस्पात उद्योग छोटा नागपुर के पठार के आसपास ही स्थापित है, क्योंकि लौह-अयस्क तथा कोयला वहाँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग महान झीलों के आसपास, जर्मनी में रूहर क्षेत्र में स्थापित है। कागज, दियासलाई तथा फर्नीचर उद्योग वनों के आसपास, चीनी उद्योग गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में स्थापित किया जाता है। कुछ उद्योग ऐसे हैं जिनका कच्चा माल हल्का होता है, परिवहन व्यय कम आता है इसलिए उनको कहीं भी स्थापित किया जा सकता है; जैसे घड़ी बनाने का उद्योग, इलैक्ट्रॉनिक्स उद्योग तथा सूती वस्त्र उद्योग जैसे ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग मिस्र से आयातित कपास से चलाया जाता है लेकिन भारत में अधिकांश सूती वस्त्र मिलें कपास उत्पादक क्षेत्रों के आसपास ही स्थित हैं।
2. ऊर्जा-उद्योगों में मशीनों को संचालित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा के साधनों में कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत्, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा प्रमुख हैं। लौह-इस्पात उद्योग में कोयला शक्ति का प्रमुख साधन है, इसलिए विश्व के अधिकांश लौह-इस्पात उद्योग कोयला क्षेत्रों के निकट ही स्थापित हैं; जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अप्लेशियन कोयला क्षेत्र के निकट महान झील औद्योगिक प्रदेश, भारत में जमशेदपुर स्टील प्लांट, झरिया और रानीगंज के कोयला क्षेत्रों पर तथा ब्रिटेन में दक्षिणी वेल्स, मिडलैंड और लंकाशायर के उद्योग आदि। एल्यूमिनियम उद्योग में जल विद्युत् की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए इसे जल विद्युत् ऊर्जा के क्षेत्रों में स्थापित किया जाता है। वर्तमान समय में पारंपरिक ऊर्जा के अनेक विकल्प निकाले जा रहे हैं, जिनसे उद्योगों को संचालित करने तथा उन्हें समाप्य ऊर्जा प्रदान करने के लिए ऊर्जा के संसाधनों पर अधिक निर्भर न रहना पड़े।
3. श्रम-कुछ उद्योगों में बहुत कुशल तथा अधिक संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है; जैसे पटसन उद्योग, कांच उद्योग, चाय उद्योग आदि। यद्यपि आजकल मशीनी युग में संचालित मशीनों तथा कंप्यूटरों का प्रयोग आरंभ हो गया है जिसने श्रम शक्ति के प्रभाव को कम कर दिया है लेकिन फिर भी कई उद्योगों में मानवीय श्रम का आज भी महत्त्व है। श्रमिकों की दक्षता एवं कुशलता भी उद्योगों में आवश्यक है; जैसे इलैक्ट्रॉनिक घड़ी निर्माण उद्योग आदि भारत में बिहार तथा बंगाल में अधिक जनसंख्या के कारण हुगली तथा छोटा नागपुर के पठार के औद्योगिक प्रदेशों के लिए सस्ता एवं कुशल श्रम उपलब्ध होने के कारण उद्योगों के संचालन में कोई समस्या नहीं आती हैं।
4. परिवहन तथा संचार के साधन-विश्व के जिन देशों में यातायात तथा संचार वाहनों के साधनों का विकास नहीं हुआ है, वे औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए हैं। दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका के देशों में परिवहन के साधनों के अभाव से उद्योग स्थापित नहीं हो पाए हैं। यातायात के साधन उद्योगों के लिए धमनियों की तरह कार्य करते हैं। उद्योगों के लिए जल यातायात, सड़क परिवहन तथा रेल यातायात का विकास होना आवश्यक है। ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में यातायात के साधनों के विकास के कारण औद्योगिक विकास को गति मिली है।
जापान में कच्चे माल की कमी होते हुए भी परिवहन के साधनों के विकास ने औद्योगीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में कोलकाता, मुंबई (बंबई), अहमदाबाद तथा दिल्ली के आसपास औद्योगिक विकास का कारण परिवहन की सुविधाएँ हैं। वर्तमान समय में उद्योगपति टेलीफोन, फैक्स, पेजर आदि के प्रयोग से कच्चे माल तथा निर्मित माल को घर बैठे ही मंगवा लेते हैं। कच्चे माल को उद्योगों तक पहुंचाने तथा निर्मित माल को बाजार तक पहुंचाने के लिए परिवहन के सभी साधनों (सड़क, जल यातायात, रेल परिवहन, वायु परिवहन आदि) की सुविधाएँ आवश्यक हैं।
5. बाजार-उद्योग-धंधों में निर्मित माल की आपूर्ति के लिए बाजार का होना आवश्यक है जहाँ उसकी मांग तथा खपत हो सके। उद्योगों का बड़े नगरों या उसके आसपास केंद्रित होने का कारण बाजार की निकटता है। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुएँ; जैसे सब्जी, दूध, फल, मांस आदि का विकास महानगरों तथा औद्योगिक नगरों के निकट विकसित होने के कारण उन वस्तुओं की अधिक मांग है।
6. पूँजी उद्योग चाहे छोटा हो या बड़ा, उसके संचालन के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है। उद्योगों के लिए कच्चा माल, मशीनें, श्रम आदि के लिए पूँजी आवश्यक है। आज जो बड़े पैमाने के उद्योग-धंधे स्थापित किए जाते हैं, उनमें करोड़ों रुपए की पूँजी की आवश्यकता होती है। यूरोप तथा अमेरिका के धनी देशों में पूँजी का अभाव नहीं है इसलिए वहाँ औद्योगिक विकास उन्नत अवस्था में है।
एशिया तथा अफ्रीका के निर्धन देश पूँजी के अभाव में औद्योगिक विकास नहीं कर पाए। प्राकृतिक संसाधनों के रूप में कच्चा माल, श्रम के रूप में अधिक जनसंख्या तथा बाजार की उपलब्धता होने के बावजूद भी यह देश औद्योगिक विकास में पिछड़े हुए हैं। भारत में पूँजीपति बड़े-बड़े नगरों में रहते हैं इसलिए वे अपनी पूँजी बड़े-बड़े नगरों में उद्योगों के केंद्रीयकरण पर लगाते हैं।
7. बैंकिंग सुविधा उद्योगों की स्थापना के लिए बैंकिंग सुविधा का होना आवश्यक है। उद्योगपतियों को प्रतिदिन लाखों रुपयों का लेन-देन करना पड़ता है जिससे पैसे जमा करवाने तथा निकालने एवं पूँजी की सुरक्षा के लिए बैंकों का होना आवश्यक है। कई उद्योगों को स्थापित करने के लिए सरकार सस्ते ब्याज की दर पर बैंकों के द्वारा ऋण की सुविधा देती है।
8. जलवायु-कुछ उद्योगों के लिए जलवायु एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है; जैसे सूती वस्त्र उद्योग के लिए नम एवं आर्द्र जलवायु आवश्यक है जिससे उसका धागा टूटता नहीं है। शुष्क जलवायु में कृत्रिम नमी पैदा की जाती है जिससे उत्पादन व्यय बढ़ता है। दूसरा श्रमिकों एवं इंजीनियरों के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल जलवायु आवश्यक है। कठोर शीत तथा झुलसने वाली गर्मी में श्रमिकों की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
9. राजनीतिक स्थिरता-राजनीतिक स्थिरता का उद्योगों की स्थापना पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। जहाँ सरकारें अस्थिर होती हैं तथा जहाँ आतंकवाद का प्रभाव होता है, वहाँ कोई भी उद्योगपति उद्योग लगाना नहीं चाहता। जहाँ राजनीतिक रूप से बार-बार सरकारें बदलती हैं वहाँ भी उद्योगपति उद्योग नहीं लगाते। 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के कारण कोई भी उद्योगपति वहाँ उद्योग लगाने को सहमत नहीं था, बल्कि वहाँ से उद्योगों का पलायन दिल्ली, जयपुर तथा मुंबई (बंबई) में हुआ लेकिन शांति-व्यवस्था कायम हो जाने पर अब दोबारा से उद्योगपति वहाँ आकर्षित हो रहे हैं। यही स्थिति आज जम्मू-कश्मीर की है।
वहाँ आतंकवाद के प्रभाव के कारण कोई भी उद्योगपति उद्योग लगाना पसंद नहीं करता। इसी प्रकार सरकार की नीति का भी उद्योगों की स्थापना पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जो सरकारें उद्योगों पर अधिक कर लगाती हैं तथा सुविधाएँ नहीं देतीं, वहाँ उद्योगपति आकर्षित नहीं होते। वहाँ विदेशी कंपनियाँ भी अपना उद्योग स्थापित नहीं करती। जिन देशों में सरकारें उद्योगों को विभिन्न रियायतें एवं सुविधाएँ प्रदान करती हैं, वहाँ अधिकतर उद्योग आकर्षित होते हैं और औद्योगिक विकास की दर बढ़ती है।
प्रश्न 2.
विश्व के विभिन्न लौह-इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
अथवा
एशिया के विभिन्न लौह-इस्पात उद्योगों का विवरण दें।
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग औद्योगिक विकास की धुरी है। किसी भी देश के औद्योगिक विकास के लिए सर्वप्रथम लौह-इस्पात उद्योग को विकसित किया जाना आवश्यक है। एक सुई से लेकर विशाल आकार के जलयानों का निर्माण लौह-इस्पात द्वारा ही होता है। भारत तथा चीन में औद्योगिक विकास लौह-इस्पात उद्योग के विकास के बाद ही संभव हुआ।
ईसा से 400 वर्ष पूर्व लोहा गलाने की कला विकसित हुई थी। उस समय लकड़ी की आंच या कोयले में लोहा गलाकर कृषि के यंत्र बनाए जाते थे। धीरे-धीरे कोयले का प्रयोग किया जाने लगा। 19वीं शताब्दी में लोहा गलाने की परिवर्तन आए। कुकिंग कोयले का प्रयोग लोहे को गलाने के लिए किया जाने लगा। लौह-इस्पात बनाने के लिए लौह-अयस्क, कोक कोयला, मैगनीज़ तथा चूना पत्थर आदि मिलाकर भट्टी में गलाने के लिए ऑक्सीजन, गर्म हवा तथा तेल के तीव्र झोंकों द्वारा भट्टी में डाला जाता है इसलिए इन आधुनिक भट्टियों को झोंका भट्टी (Blast Furnace) कहते हैं।
विश्व में लौह-इस्पात उत्पन्न करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, भारत, जर्मनी, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस आदि प्रमुख देश हैं।
(क) संयुक्त राज्य अमेरिका – संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग का संकेंद्रण देश के पूर्वी भार्ग में हुआ है। यह देश विश्व का 15% लौह-इस्पात उत्पन्न कर विश्व में प्रथम स्थान पर है। देश के पूर्वी भाग में इस उद्योग की स्थापना में यहाँ की अनुकूल सुविधाओं का होना है जो निम्नलिखित हैं
- अप्लेशियन का कोयला क्षेत्र
- सुपीरियर झील के दक्षिण-पश्चिम में लोहे की खानें हैं
- महान् झीलों का सस्ता एवं सुलभ यातायात उपलब्ध है
- सड़कों तथा रेल-मार्गों का इस क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ है
- विकसित बाजार जिससे खपत बनी रहती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रमुख लौह-इस्पात के निम्नलिखित केंद्र हैं-
1. शिकागो गैरी क्षेत्र-यह संयुक्त राज्य अमेरिका का महत्त्वपूर्ण एवं बड़ा इस्पात क्षेत्र है जो फ्रांस के कुल इस्पात उत्पादन से भी अधिक उत्पन्न करता है। इस क्षेत्र में कोयले तथा लोहे के पर्याप्त भंडार हैं। झील का सस्ता परिवहन, मिशिगन राज्य से चूना पत्थर तथा शिकागो देश के विभिन्न भागों से रेलों तथा सड़कों द्वारा जुड़ा है जिससे निर्मित माल को भेजने की व्यवस्था है। यह क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका का 35% इस्पात तैयार करता है।
2. पिट्सबर्ग-यंग्सटाउन क्षेत्र-यहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका का एक-तिहाई इस्पात तैयार होता है। पिट्सबर्ग क्षेत्र में इस्पात के केंद्र पश्चिम तथा दक्षिण में विकसित हुए हैं जिनमें जोहंसटाउन, कारनेगी, हिंगस्टन तथा ब्रडोक आदि प्रमुख हैं।
3. ईरी झील तटीय क्षेत्र-इस क्षेत्र में लौह-अयस्क के पर्याप्त भंडार हैं लेकिन कोयला खाने दूर स्थित हैं। लौह-अयस्क से लदे जलपोत भट्टियों में लोहा उतारते हैं और कोयला रेलमार्गों द्वारा पहुँचाया जाता है। इस क्षेत्र में बफैलो, क्लीवलैंड, डेट्राइट, ईरी तथा लारेन प्रमुख केंद्र हैं।
4. मध्य अटलांटिक तटीय क्षेत्र-न्यू इंग्लैंड राज्य बर्जीनिया तक फैला है। इस क्षेत्र में कोयला तथा चूना पत्थर के अलावा यातायात की सर्वोत्तम व्यवस्था तथा यातायात के साधन सभी सुलभ हैं। इस क्षेत्र में लौह-अयस्क की कमी है जो चिली, लैब्रेडोर तथा वेनेजुएला से आयात किया जाता है। मुख्य केंद्र फिलाडेलफिया तथा दूरस्टर हैं।
5. दक्षिणी इस्पात क्षेत्र यहाँ लौह-इस्पात की सभी सुविधाएँ लौह-अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, मैगनीज़ तथा यातायात के साधन आदि उपलब्ध हैं। बकिंघम संयुक्त राज्य अमेरिका के महत्त्वपूर्ण इस्पात केंद्रों में गिना जाता है।
(ख) यूरोपीय देशों में लौह-इस्पात उद्योग-यूरोपीय देशों के अंतर्गत निम्नलिखित देशों में लौह-इस्पात उद्योग स्थापित हैं
1. ग्रेट ब्रिटेन-ब्रिटेन में रोमन साम्राज्य काल से ही लकड़ी से लोहा पिघलाने की कला विकसित थी लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद मांग बढ़ने के कारण आधुनिक मशीनों तथा भट्टियों द्वारा लौह-इस्पात का निर्माण आरंभ हुआ। 19वीं शताब्दी में 50 वर्षों तक ब्रिटेन विश्व का प्रमुख लौह-इस्पात उत्पादक देश रहा है। यहाँ लौह-इस्पात के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं
- दक्षिणी वेल्स-कार्डिफ, स्वानसी, लानेले, पोर्ट टालबट, न्यूपोर्ट।
- उत्तरी-पूर्वी तटीय क्षेत्र-रेडकार, मिडिल्सबरो, डालिंगटन तथा कॉनसैट।
- दक्षिणी यार्कशायर-चेस्टरफील्ड और फ्रोडिंन्धम।
- मध्य स्कॉटलैंड-ग्लासगो, कैरन, कोटब्रिज, मदरवैल विशौ।
- मिडलैंड-बर्किंघम, विल्सटन, राउंड ओक आदि।
2. जर्मनी-जर्मनी का रूहर क्षेत्र कोयले के लिए विश्वविख्यात है लेकिन लौह-अयस्क की देश में कमी है जिसकी पूर्ति फ्रांस, स्वीडन तथा स्पेन से आयात करके की जाती है। रूहर क्षेत्र देश का आधे से अधिक लौह-इस्पात का निर्माण करता है। इस क्षेत्र के प्रमुख केंद्र बोखम तथा आखेन हैं। फ्रेंकफर्ट, स्टटगार्ड तथा बूशन अन्य केंद्र हैं। जर्मनी में लौह-अयस्क की कमी के बावजूद भी यातायात की सुविधाओं के कारण लौह-इस्पात उद्योग विकसित अवस्था में है।
3. फ्रांस-फ्रांस का लारेन क्षेत्र संपूर्ण यूरोप का एक बृहत् तथा महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ उच्चकोटि का लौह-अयस्क प्राप्त है। 90% लौह-अयस्क इसी क्षेत्र से प्राप्त होता है। कोयला जर्मनी के रूहर क्षेत्र से मंगवाया जाता है। जो जहाज लोहा लेकर जर्मनी जाते हैं, वे वापसी में कोयला लाते हैं इसलिए परिवहन लागत अधिक नहीं आती। कुछ कोयला सार क्षेत्र से प्राप्त हो जाता है। फ्रांस के लारेन क्षेत्र के प्रमुख केंद्र मेट्ज़, ब्रिये, नांसी, थयोनविले तथा लोंगवे हैं। लारेन क्षेत्र के अतिरिक्त साम्ब्रेयूज तथा सार बेसिन अन्य उत्पादक क्षेत्र हैं।
4. यूक्रेन यूक्रेन का डोनबास क्षेत्र सोवियत रूस के सबसे बड़े लौह-इस्पात क्षेत्रों में गिना जाता है लेकिन यूक्रेन के पृथक्कीकरण से यह क्षेत्र यूक्रेन में स्थित है। इस देश में लौह-अयस्क क्रिवोई राग तथा कर्च प्रायद्वीप से मिलता है। कोयला डोनेत्ज बेसिन से तथा चूना पत्थर समीप ही स्थित है। कच्चे तथा तैयार माल को लाने व ले जाने के लिए यातायात की सुविधाएँ हैं। बाजार की सुविधाओं के रूप में चारों ओर बड़े-बड़े नगर हैं जिसके कारण यूक्रेन का लौह-इस्पात उद्योग विकसित अवस्था में है।
(ग) एशिया में लौह-इस्पात उद्योग – जापान का लौह-इस्पात के उत्पादन में विश्व में तीसरा स्थान है। पिछले चार दशकों में इसने फ्रांस, जर्मनी तथा ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। यहाँ पर लौह अयस्कों तथा कोयले की कमी के बावजूद भी लौह-इस्पात का तीव्र गति से विकास हुआ है। यहाँ सस्ती जल विद्युत् तथा यातायात के साधनों के विकास ने औद्योगिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जापान लौह-अयस्क कोरिया, भारत, वेनेजुएला, पेरू तथा ब्राज़ील से आयात करता है। यहाँ लौह-इस्पात के केंद्र समुद्र तटवर्ती भागों में स्थापित हुए हैं क्योंकि कच्चे माल को सुगमता से जलयानों द्वारा केंद्रों तक पहुँचाया जा सकता है। यहाँ यावाता-तोबाता, मौजी, शिमोनोसेकी तथा नागासाकी प्रमुख लौह-इस्पात के केंद्र हैं। ओसाका तथा कोबे आंतरिक सागर के पूर्वी सिरे पर हैं। एशिया में लौह-इस्पात उद्योग के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित हैं
1. चीन-पिछले 20 वर्षों में चीन में लौह-इस्पात के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई है। सन् 1935 में चीन का उत्पादन बहुत कम था जो सन् 1973 में बढ़कर जर्मनी तथा फ्रांस से अधिक हो गया है। चीन में उच्चकोटि का एंथ्रासाइट कोयला शेंसी शासी क्षेत्र से तथा लौह-अयस्क मंचूरिया से प्राप्त होता है। मंचूरिया क्षेत्र देश का प्रमुख लौह-इस्पात क्षेत्र है जो लगभग एक-तिहाई उत्पादन करता है। मंचूरिया क्षेत्र में अन्शान, फुथुन और मुकडेन प्रमुख लौह-इस्पात केंद्र हैं। यांगटीसिक्यांग की घाटी में शंघाई मनशान, हैंकाऊ तथा तामेह हैं। शांसी में पाओटाऔ, टिटसिन, टानशान तथा शिट्टचिंगसांग लौह-इस्पात केंद्र हैं।
2. भारत में यह उद्योग अत्यंत प्राचीन है। इतिहास इस बात का प्रमाण है कि दमिश्क की तलवारों के लिए लोहा भारत से जाता था। दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार के निकट लौह स्तंभ इस बात का प्रमाण है कि भारत में इस्पात बनाने की कला कितनी उन्नत थी, क्योंकि अभी तक भी इस पर जंग नहीं लगा। भारत के प्रभुत्व उद्योगों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं
(i) टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी यह केंद्र बिहार राज्य में जमशेदपुर में 1907 ई० में स्थापित किया गया। यह आधुनिक लौह-इस्पात का पहला कारखाना है। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं
- उच्चकोटि का हैमेटाइट लोहा बिहार की सिंहभूम तथा उड़ीसा के मयूरभंज से प्राप्त होता है।
- कोयला झरिया तथा रानीगंज की खानों से मिलता है।
- मैगनीज़, नोआमंडी से तथा चूना पत्थर सुंदरगढ़ से प्राप्त होता है।
- कोलकाता-नागपुर रेलमार्ग यहाँ से गुजरता है जो यातायात की सुविधा प्रदान करता है।
(ii) इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी इस कंपनी के कारखाने पश्चिमी बंगाल में कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर में हैं। कुल्टी के कारखाने में इस्पात पिंड तथा हीरापुर में लौह-पिंड और बर्नपुर में तैयार इस्पात बनाया जाता है। इन केंद्रों में निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं
- इस कंपनी को लोहा बिहार की सिंहभूम तथा उड़ीसा की मयूरभंज बादाम पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
- इस कंपनी के लिए कोयला निकटवर्ती झरिया एवं रानीगंज की खानों से मंगवाया जाता है।
- इस कंपनी को चूने का पत्थर पाराघाट तथा गंगापुर से उपलब्ध हो जाता है।
- इस कंपनी को दामोदर नदी से जल की सुविधा प्राप्त है।
- इस कंपनी को बिहार एवं पश्चिमी बंगाल से सस्ता श्रम उपलब्ध है।
- इस कंपनी को यातायात की सुविधा आसनसोल जंक्शन से प्राप्त है।
(iii) विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स कर्नाटक राज्य में भद्रावती के किनारे 1923 ई० में मैसूर आयरन एंड स्टील कंपनी के नाम से एक कारखाने की स्थापना हुई, लेकिन अब यह संयुक्त उपक्रम है, जिसका संचालन केंद्र सरकार तथा कर्नाटक सरकार करती है। इस क्षेत्र में उद्योग के लिए अग्रलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं
- इस क्षेत्र को लोहा (अयस्क) कादूर जिले के बाबाबूदान की पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
- इस क्षेत्र को कोयले की सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन समीपवर्ती क्षेत्रों से लकड़ी (ईंधन) का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अब शिमला विद्युत्-केंद्र से शक्ति के रूप में विद्युत् भी प्राप्त है।
- इस क्षेत्र में माल लाने तथा ले जाने के लिए यातायात के साधन, विशेषकर रेल यातायात उपलब्ध है।
प्रश्न 3.
पेट्रो-रसायन उद्योगों के विश्व वितरण का विवरण दीजिए।
उत्तर:
जो उद्योग पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर आधारित होते हैं, उन्हें पेट्रो-रसायन उद्योग कहते हैं। इन उद्योगों की स्थापना तेल शोधन शालाओं (Oil Refineries) के निकट की जाती है। इनमें प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे, खाद, कृत्रिम रबड़ तथा विस्फोटक (Explosive) सम्मिलित हैं। पेट्रो-रसायन उद्योगों के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित हैं
1. संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले तीन दशकों में इस उद्योग ने काफी प्रगति की है। यहाँ यह उद्योग विदेशों से आयातित खनिज तेल पर आधारित है। इस उद्योग के अधिकांश केंद्र तटवर्ती भागों में स्थापित किए गए हैं। मैक्सिको की खाड़ी के आसपास तेल परिष्करण के अनेक प्लांट लगे हैं जहाँ मध्यपूर्व के देशों से खनिज तेल लाकर परिष्कृत किया जाता है इसलिए यहाँ पेट्रो-कैमिकल्स उद्योगों की स्थापना की गई है। पूर्वी तटीय भाग तथा महान् झील के आसपास के क्षेत्रों में भी अनेक परिष्करणशालाएँ कार्यरत हैं इसलिए यहाँ भी संयुक्त राज्य अमेरिका के 15% पेट्रो-रसायन उद्योग केंद्रित हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन उद्योग के प्रमुख केंद्र फिलाडेलफिया, डेलवियर, शिकागो, टोलेडो, लॉस एंजिल्स, डेट्राइट, सैंट लुहस पोर्टलैंड आदि हैं।
2. यूरोप के पेट्रो-रसायन उद्योग-यूरोप में पेट्रो-रसायन उद्योग मुख्य रूप से ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस तथा नीदरलैंड में स्थापित हैं। इन देशों में खनिज तेल की कमी के बावजूद भी यह उद्योग स्थापित हैं। जर्मनी में पेट्रो-रसायन उद्योग रूहर क्षेत्र में स्थापित है। ब्रिटेन में इंग्लिश चैनल के तटीय भागों में पेट्रो-कैमिकल्स उद्योगों का केंद्रीयकरण हुआ है। ब्रिटेन में साउथहैंपटन, नीदरलैंड में रॉटरड्रम, बेल्जियम में एंटवर्प में तथा फ्रांस में सोन नदी की घाटी में ये उद्योग स्थापित हुए हैं। यूरोपीय देशों में पेट्रो-रसायन से निर्मित पदार्थों की माँग अधिक है।
रूस में पेट्रो-रसायन उद्योग वोल्गा, यूराल तथा ग्रोजनी क्षेत्रों में अधिक विकसित है। यहाँ खनिज तेल तथा कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यहाँ के प्रमुख पेट्रो-रसायन उद्योग के केंद्र मास्को, गोर्की, लेनिनग्राड तथा बाक हैं।
3. दक्षिण-पश्चिमी एशिया दक्षिण-पश्चिमी एशिया में खनिज तेल के अपार भंडारों के बावजूद भी यहाँ पेट्रो-रसायन उद्योग का विकास नहीं हो पाया है। इसका कारण यहाँ इस उद्योग के उत्पादनों की मांग नहीं है। तटीय क्षेत्रों में जो पेट्रो-रसायन उद्योग स्थापित किए गए हैं, उनके उत्पाद विदेशों को निर्यात किए जाते हैं। लेबनान तथा अन्य देशों में तेल शोधनशालाएँ स्थापित होने के कारण भी इस उद्योग के विकास को प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है। यहाँ अदनान (ईरान) सऊदी अरब में रास तनूरा तथा कुवैत में मिना-अल-अहमदी प्रमुख पेट्रो-रसायन उद्योग के केंद्र हैं।
4. भारत-भारत में पेट्रो-रसायन उद्योगों का आरंभ कुछ दशक पूर्व ही हुआ। सर्वप्रथम यूनियन कार्बाईड द्वारा इस क्षेत्र में उद्योग स्थापित किया गया। सार्वजनिक क्षेत्र में इंडियन कैमिकल्स लिमिटेड की स्थापना से पेट्रो-रसायन उद्योगों की स्थापना में सहयोग मिला। गुजरात में कोयली ब्रटेल परिष्करणशाला के विकास के कारण बड़ौदरा के निकट जवाहरनगर में पेट्रो-कैमिकल्स की स्थापना की गई। पेट्रो-कैमिकल्स का दूसरा सार्वजनिक क्षेत्र का कारखाना असम में बोगाईगांव में है। हल्दिया और बरौनी कारखानों की स्थापना का उद्देश्य भी पेट्रो-कैमिकल्स तैयार करना है। जगदीशपुर, बिजयपुर, सवाई माधोपुर में गैस पर आधारित उर्वरक के कारखाने लगाए जा रहे हैं। तीन परिष्करणशालाएँ हरियाणा में पानीपत, कर्नाटक में मंगलौर तथा असम में नूमालीगढ़ में बनाई गईं हैं, जिससे उनके आसपास के क्षेत्रों में पेट्रो-रसायन उद्योग भी स्थापित हो सकेंगे।
दक्षिणी महाद्वीपों में इन उद्योगों का कोई विशेष विस्तार नहीं हुआ। ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में ब्रिसवेन, सिडनी, मेलबोर्न, पर्थ तथा एडीलेड में पेट्रो-रसायन उद्योग स्थापित हैं। दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका महाद्वीप में पेट्रो-रसायनों के क्षेत्र में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। कुछ गिने-चुने उद्योग दक्षिणी अफ्रीका तथा ब्राज़ील में हैं।
प्रश्न 4.
आकार के आधार पर उद्योगों के वर्गीकरण की व्याख्या।
अथवा
आकार पर आधारित उद्योग कौन-कौन से हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
उद्योगों को उनके आकार के आधार पर निम्नलिखित तीन वर्गों में रखा जाता है-
- कुटीर उद्योग (Cottage Industry)
- लघु उद्योग या छोटे पैमाने के उद्योग (Small Scale Industry)
- बड़े पैमाने के उद्योग (Large Scale Industry)
1. कुटीर उद्योग-यह वस्तुओं के निर्माण का प्रारंभिक रूप है, जो प्राचीनतम भी है। इसमें न्यूनतम पूँजी का निवेश तथा कभी-कभी यह केवल मानवीय श्रम द्वारा भी लगाया जाता है। इसमें वस्तुओं का निर्माण स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल के आधार पर घरों में ही किया जाता है। इसलिए इन्हें घरेलू या ग्राम उद्योग भी कहा जाता है। इनमें अधिकांश कार्य हाथ से किए जाते हैं, इसलिए इन्हें हस्तशिल्प उद्योग भी कहा जाता है। यह उद्योग ग्रामीण किसानों द्वारा खाली समय में किया जाता है।
किसानों को जब खेत के काम से फुरसत मिलती है तो उस समय ये उद्योग संचालित किए जाते हैं। इन उद्योगों में मिट्टी के बर्तन बनाना, मूर्तियां बनाना, चटाइयां बनाना, टोकरियां बनाना, सूत कातना, चमड़े से जूते बनाना, रस्सी बनाना, ईंट बनाना, धातुओं से सजावट का सामान तथा हथियार बनाना, लकड़ी से फर्नीचर तथा इमारती सामान बनाना आदि कार्य सम्मिलित हैं। आज के विकसित तथा विकासशील देशों में कुटीर उद्योग जीवित हैं, लेकिन विकसित देशों में उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा प्रोत्साहन देने के लिए सरकारें अनेक रियायतें दे रही हैं, जिससे प्राचीन संस्कृति को संजोए रखा जा सके।
2. लघु उद्योग या छोटे पैमाने के उद्योग-ये उद्योग-धंधे कुटीर उद्योगों का ही विस्तृत रूप है। मानवीय आवश्यकताओं में वृद्धि के फलस्वरूप कुटीर उद्योग जब सभी आवश्यकताओं को पूरी करने में असक्षम रहे, तब कुशल कारीगरों एवं छोटी मशीनों के द्वारा उत्पादन में वृद्धि करनी पड़ी। इन उद्योगों में कम पूँजी, कुशल श्रमिकों तथा मशीनों से कार्य होता है। इन उद्योगों में दूर-दूर के क्षेत्रों से कच्चा माल मंगवाया जाता है तथा निर्मित वस्तुएँ भी दूर-दूर तक बेची जाती हैं।
ये उद्योग अधिक लोगों को रोजगार की सुविधा प्रदान करते हैं, क्योंकि इन उद्योगों में श्रमिकों की अधिक आवश्यकता होती है। विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में इन उद्योगों का विशेष योगदान है। लघु उद्योगों में कागज बनाना, कपड़े बनाना, बर्तन, फर्नीचर, बिजली तथा इलैक्ट्रॉनिक्स का सामान बनाना, धातु के द्वारा बर्तन बनाना, तेल की पिराई, साबुन बनाना, पुस्तकें, छापना आदि सम्मिलित हैं।
3. बड़े पैमाने के उद्योग-बड़े पैमाने के उद्योग-धंधे औद्योगिक क्रांति की देन हैं। इसमें बड़ी-बड़ी मशीनें तथा बड़ी मात्रा में पूँजी का निवेश किया जाता है। मशीनों के आविष्कार ने मानव का कार्य आसान कर दिया। इन उद्योगों में मशीनी शक्ति को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया। कम समय में अधिक वस्तुओं का उत्पादन बड़े उद्योगों के कारण ही संभव हुआ है। बड़े पैमाने के उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- इन उद्योगों में बड़ी मात्रा में पूँजी लगती है।
- इन उद्योगों के संचालन के लिए ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है।
- इन उद्योगों में श्रमिकों की संख्या अधिक तथा श्रमिक कुशल होते हैं।
- इन उद्योगों के लिए दूर-दूर से कच्चा माल मंगवाया जाता है।
- इन उद्योगों में उत्पादित माल का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार होता है।
- उन उद्योगों में वस्तुओं की गुणवत्ता तथा किस्म पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
बड़े पैमाने के उद्योग आज अधिकांशतः विकसित देशों में स्थापित हैं, जिसके कारण उनका औद्योगिक एवं आर्थिक विकास का स्तर ऊँचा है। अमेरिका, जापान, रूस तथा यूरोपीय देशों में बड़े पैमाने के उद्योग, विद्युत् उपकरण, चीनी, वस्त्र तथा विभिन्न रासायनिक उद्योग आते हैं। भारत में स्वतंत्रता के बाद बड़े उद्योगों का विकास तथा विस्तार किया गया।
प्रश्न 5.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण पाँच शीर्षकों के अंतर्गत किया जाता है-
- कृषि आधारित उद्योग
- खनिज आधारित उद्योग
- रसायन आधारित उद्योग
- वन आधारित उद्योग
- पशु आधारित उद्योग
1. कृषि आधारित उद्योग जो उद्योग-धंधे कृषि की फसलों पर आधारित होते हैं या कृषि की फसलों से कच्चा माल प्राप्त करते हैं, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। कृषि या खेतों से प्राप्त कच्चे माल को विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा तैयार करके बाजारों में भेजा जाता है; जैसे चीनी, शक्कर, आचार, फलों के रस, मसाले, तेल, रबड़, वस्त्र आदि।
2. खनिज आधारित उद्योग-ऐसे उद्योग जिनमें खनिजों को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। कुछ उद्योग लौह अंश वाले धात्विक खनिजों; जैसे लौह इस्पात का इस्तेमाल करते हैं, तो कुछ उद्योग अलौह धात्विक खनिजों; जैसे ताँबा, एल्युमीनियम का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रकार खनिज आधारित उद्योग दो प्रकार के होते हैं
- लौह धात उद्योग-लौह धात उद्योग ऐसी धातुओं पर आधारित होते हैं जिनमें लौहांश की मात्रा विद्यमान होती है। लौह-इस्पात उद्योग, मशीन व औजार उद्योग, तेल इंजन, मोटरकार, कृषि उपकरण उद्योग आदि इसके उदाहरण हैं।
- अलौह धातु उद्योग-अलौह धातु उद्योग ऐसी धातुओं पर आधारित होते हैं जिनमें लौहांश विद्यमान नहीं होता। ताँबा, ऐल्युमीनियम, जवाहरात उद्योग आदि इसके उदाहरण हैं।
3. रसायन आधारित उद्योग-रसायन उद्योगों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक खनिजों का उपयोग होता है; जैसे पेट्रो रसायन उद्योग में खनिज तेल या पैट्रोलियम का उपयोग होता है। रसायन उद्योगों में नमक, पोटाश, गंधक, कोयला व पेट्रोलियम आदि का उपयोग किया जाता है।
4. वन आधारित उद्योग-वनों पर आधारित उद्योगों को कच्चा माल वनों से प्राप्त होता है। फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी, कागज उद्योग के लिए लकड़ी तथा लाख उद्योग के लिए लाख वनों से ही प्राप्त होती है।
5. पशु आधारित उद्योग-पशु आधारित उद्योगों को कच्चा माल पशुओं से ही प्राप्त होता है; जैसे चमड़ा उद्योग के लिए चमड़ा एवं ऊन उद्योग के लिए ऊन पशुओं से ही प्राप्त होती है।
6. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य नहीं है?
(A) बाह्यस्रोतन दक्षता को बढ़ाता है और लागतों को घटाता है।
(B) कभी-कभार अभियांत्रिकी और विनिर्माण कार्यों की भी बाह्यस्रोतन की जा सकती है।
(C) बी०पी०ओज़ के पास के०पी०ओज़ की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं।
(D) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है।
उत्तर:
(D) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
फुटकर व्यापार सेवा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ये वे व्यापारिक क्रियाकलाप हैं जो उपभोक्ताओं की वस्तुओं के प्रत्यक्ष विक्रय से संबंधित हैं। अधिकांश फुटकर व्यापार केवल विक्रय के लिए तय दुकानों और भंडारों में संपन्न होते हैं। उदाहरणतया फेरी, रेहड़ी, ट्रक, द्वार से द्वार डाक आदेश, दूरभाष, इंटरनेट, फुटकर बिक्री आदि।
प्रश्न 2.
चतुर्थ सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थ सेवाएँ अनुसंधान एवं विकास पर केंद्रित होती हैं और विशिष्टीकृत ज्ञान प्रौद्योगिक कुशलता और प्रशासकीय सामर्थ्य से संबद्ध सेवाओं के उन्नत नमूने के रूप में देखी जाती हैं। उच्च कोटि के बौद्धिक व्यवसायों को चतुर्थ सेवाओं के अंतर्गत रखा जाता है। अध्यापन, चिकित्सा, वकालत, अनुसंधान, सूचना आधारित ज्ञान आदि चतुर्थ सेवाओं के उदाहरण हैं।
प्रश्न 3.
विश्व में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्रों में तेजी से उभरते हुए देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्रों में तेजी से उभरते हुए देशों में भारत तेजी से उभर रहा है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में उभरते हुए देश हैं-थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस आदि।
प्रश्न 4.
अंकीय विभाजन क्या है?
उत्तर:
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास से मिलने वाले अवसरों का वितरण पूरे ग्लोब पर असमान रूप से वितरित है। देशों में विस्तृत आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। विकसित देश, सामान्य रूप से इस दिशा में आगे बढ़ गए हैं जबकि विकासशील देश पिछड़ गए हैं। यही अंकीय विभाजन कहलाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की सार्थकता और वृद्धि की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में आर्थिक विकास के लिए सेवाओं का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व सेवाओं की अपेक्षा वस्तुओं के उत्पादन पर अधिक बल दिया जाता था लेकिन विकसित अर्थव्यवस्था में सेवाओं पर आधारित विकास में तेजी आई है। आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की सार्थकता के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं
- सेवा सेक्टर में फुटकर बिक्री और परिवहन के साधन सम्मिलित हैं जो विक्रेताओं एवं उपभोक्ताओं को जोड़ते हैं।
- सेवा सेक्टर कच्चे माल को कारखाने तक और निर्मित माल को कारखाने से बाजार तक ले जाने में सहायता करते हैं।
- सेवा सेक्टर वाणिज्यिक सेवा कम्पनियों की उत्पादकता एवं क्षमता में वृद्धि लाते हैं।
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की वृद्धि – विकसित देशों के सेवा क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। विकासशील देशों में भी विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इन देशों में बहुत-से लोग असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिनका लेखा-जोखा अच्छी तरह से नहीं रखा जाता।
अधिकतर देशों में विकास की प्रक्रिया का एक निश्चित क्रम होता है। पहले प्राथमिक क्षेत्र का वर्चस्व होता है, उसके बाद द्वितीयक क्षेत्र का महत्त्व बढ़ने लगता है। अंतिम अवस्थाओं में तृतीयक और चतुर्थक क्रियाकलाप महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं। बहुत-से देशों में विनिर्माण उद्योगों में रोज़गार के अवसर घटते जा रहे हैं तथा सकल घरेलू उत्पाद में उनका अनुपात कम होता जा रहा है। आधुनिक आर्थिक विकास में सेवाओं का महत्त्व इतना बढ़ गया है कि उन्हें उत्पादक कार्यों की श्रेणी में रखा जाने लगा है। सेवाएँ अब निर्यातक बन गई हैं। कुछ देश; जैसे स्विट्ज़रलैंड तथा यूनाइटिड किंगडम सेवा क्षेत्र में उद्योगों से आगे निकल गए हैं।