Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Economics Solutions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन
पाठयपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?
उत्तर:
उत्पादन के चार कारक (साधन) और उनके पारिश्रमिक निम्नलिखित हैं।
उत्पादन के कारक | पारिश्रमिक |
(i) भूमि (भूपति) | किराया |
(ii) श्रम (श्रमिक) | मज़दूरी |
(iii) पूँजी (पूँजीपति) | ब्याज |
(iv) (उद्यमी/साहसी) | लाभ |
प्रश्न 2.
किसी अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर होता है क्योंकि आय का वर्तुल (चक्रीय) प्रवाह होता है। अंतिम व्यय और कारक अदायगी दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। प्रत्येक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से दो बाज़ार होते हैं
- उत्पादन बाज़ार
- संसाधन बाजार।
परिवार फर्मों को संसाधनों (जैसे म, पूँजी, उद्यमी आदि) की आपूर्ति करते हैं और फर्मे परिवारों से ये संसाधन क्रय करती हैं और बदले में लगान/किराया, मज़दूरी, ब्याज, लाभ के रूप में कारक अदायगी करती हैं। परिवारों को जो आय प्राप्त होती है उससे वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए फर्मों से अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ क्रय करते हैं। इस प्रकार, अर्थव्यवस्था में उत्पादकों का व्यय लोगों की आय और लोगों का व्यय उत्पादकों की आय बनता है।
एक अर्थव्यवस्था के दो बाज़ारों में चक्रीय प्रवाह को हम निम्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं
प्रश्न 3.
स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए। निवल निवेश और पूँजी में कौन स्टॉक है और कौन प्रवाह? हौज में पानी के प्रवाह से निवल निवेश और पूँजी की तुलना कीजिए।
उत्तर:
स्टॉक और प्रवाह चर में भेद का आधार समयावधि (Period of Time) या समय बिंदु पर किया जाने वाला माप है। प्रवाह-वे चर जो समय की एक निश्चित अवधि के संदर्भ में पाए जाते हैं, प्रवाह चर कहलाते हैं। समयावधि घंटे, दिन, सप्ताह, मास या वर्ष हो सकती है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आय एक प्रवाह चर है क्योंकि यह एक वर्ष में देश में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के शुद्ध प्रभाव को दर्शाता है। प्रवाह चर के अन्य उदाहरण हैं-आय, व्यय, बचत, ब्याज, आयात-निर्यात, मूल्यह्रास, माल-सूची में परिवर्तन आदि क्योंकि इन सभी चरों का संबंध एक निश्चित समयावधि से होता है।
स्टॉक-वे चर जो समय के किसी निश्चित बिंदु (Point of Time) के संदर्भ में पाए जाते हैं, स्टॉक चर कहलाते हैं; जैसे-दिन मार्च, 2016, वीरवार आदि। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय पूँजी स्टॉक चर है जो बताती है कि किसी समय बिंदु री, 2016) पर देश में पूँजी (मशीनें, औजार, इमारतें, सड़कें, पुल, कच्चे माल) का कितना स्टॉक है। स्टॉक चर के अन्य उदाहरण हैं संपत्ति, विदेशी ऋण, माल सूची (Inventory) खाद्यान्न भंडार आदि।
स्टॉक और प्रवाह के अंतर को निम्नलिखित सारणी द्वारा व्यक्त किया गया है-
अंतर का आधार | स्टॉक | प्रवाह |
1. माप | स्टॉक एक समय बिंदु या निश्चित समय पर मापा जाने वाला चर है। | प्रवाह वह चर है जो एक निश्चित समयावधि पर मापा जाता है। |
2. समय-काल | स्टॉक का समय-काल नहीं होता है। | प्रवाह का समय-काल होता है। |
3. प्रकृति | स्टॉक की प्रकृति स्थाई (अचल) है। | प्रवाह की प्रकृति गत्यात्मक (चल) है। |
4. उदाहरण | (i) संपत्ति, (ii) दूरी, (iii) टैंक में जल, (iv) मुद्रा की मात्रा | (i) आय, (ii) गति, (iii) नदी में जल, (iv) मुद्रा का व्यय |
निवल निवेश प्रवाह है और पूँजी स्टॉक है क्योंकि निवल निवेश का संबंध एक समय-काल से है जबकि पूँजी एक निश्चित समय पर एक व्यक्ति की संपत्ति का भंडार बताती है। पूँजी एक हौज़ के समान है जबकि निवल निवेश उस हौज में बहता हुआ पानी है। बहते हुए पानी का संबंध एक समय-काल से है जबकि हौज में पानी का स्तर एक निश्चित समय पर मापा जाता है।
प्रश्न 4.
नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अंतर है? किसी फर्म की माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।
उत्तर:
नियोजित माल-सूची पूर्व निश्चित और नियोजित (प्रत्याशित) तरीके से होता है जबकि अनियोजित माल-सूची संचय अप्रत्याशित और अनियोजित (यथार्थ) होता है। उदाहरण के लिए, आदिनाथ टैक्सटाइल्स लि०, जो कपड़ा बनाती है, अपनी माल-सूची को 1 लाख से 2 लाख मीटर तक करना चाहती है। यह माल-सूची का नियोजित संचय है। कारण 50 हज़ार मीटर कपड़ा नहीं बिक पाता है, तो आदिनाथ टैक्सटाइल्स के पास इच्छित माल-सूची के संचय के अलावा 50 हज़ार मीटर कपड़ा और बढ़ जाएगा। यह माल-सूची में अनियोजित संचय होगा।
मूल्यवर्धित से हमारा अभिप्राय वस्तुओं और सेवाओं के वर्तमान प्रवाह में फर्म के निवल योगदान से है। इस प्रकार,
सकल मूल्यवर्धित = कुल उत्पादन – मध्यवर्ती उपभोग
वैकल्पिक रूप से,
सकल मूल्यवर्धित = बिक्री + माल-सूची में परिवर्तन – मध्यवर्ती उपभोग
माल-सूची में परिवर्तन मूल्यवर्धित की मात्रा को दर्शाता है। यदि एक वर्ष में माल-सूची में परिवर्तन धनात्मक हैं तो मूल्यवर्धित अधिक होगा, क्योंकि माल-सूची में धनात्मक परिवर्तन वर्ष में हुए उत्पादन अथवा मूल्यवर्धित का ही परिणाम है।
प्रश्न 5.
तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की कोई तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद के आकलन की तीन विधियाँ और उसकी निष्पत्तियाँ (Identities) अग्रलिखित हैं-
विधियाँ | निष्पत्तियाँ |
(i) उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि | GDP = \(\sum_{i-1}^{\mathrm{N}} \mathrm{GV} \mathrm{A}{ }_{i}\) |
(ii) आय विधि | GDP = \(\sum_{i-1}^{\mathrm{N}} \mathrm{RV}_{i}\) = W + P + I + R |
(iii) व्यय विधि | GDP = \(\sum_{i-1}^{N} \mathrm{GV} \mathrm{A}_{i}\) = C + I + G + X – M |
प्रत्येक अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय के चक्रीय (वर्तुल) प्रवाह के तीन चरण-उत्पाद, आय और व्यय एक-दूसरे के बराबर होते हैं। इसलिए तीनों विधियाँ घरेलू उत्पाद का एक जैसा मूल्य ही प्रदान करेंगी।
प्रश्न 6.
बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रुपए था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रुपए थी। उस देश के बजटीय घाटे का परिमाण क्या था?
उत्तर:
बजटीय घाटे से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें सरकार का कुल व्यय उसकी कुल प्राप्तियों से अधिक होता है। व्यापार घाटे से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें एक देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है। अर्थात्
बजटीय घाटा = सरकारी व्यय – सरकारी प्राप्तियाँ
व्यापार घाटा = आयात – निर्यात
एक अर्थव्यवस्था में बजटीय घाटा और व्यापार घाटा एक-दूसरे से संबंधित हैं। इस प्रकार बजटीय घाटे से हम व्यापार घाटा निकाल सकते हैं।
व्यापार घाटा = आयात (M) – निर्यात (X)
व्यापार घाटा = निवेश (I) – बचत (S)
इस प्रकार,
M – X = (I – S) + G – T
= 2,000 + 1,500 = 3,500 करोड़ रुपए
व्यापार घाटा = 3,500 करोड़ रुपए
प्रश्न 7.
मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर 1100 करोड़ रुपए था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ रुपए था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ रुपए और राष्ट्रीय आय 850 करोड़ रुपए है, तो मूल्यहास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।
हल:
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = 1,100 करोड़ रुपए
विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय = 100 करोड़ रुपए
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 150 करोड़ रुपए
राष्ट्रीय आय = 850 करोड़ रुपए
राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – मूल्यह्रास 850
= 1,100 + 100 – 150 – मूल्यह्रास
मूल्यह्रास = 1,100 + 100 – 150 – 850
= 1,200 – 1,000
= 200 करोड़ रुपए उत्तर
प्रश्न 8.
किसी देश विशेष में एक वर्ष में कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद 1900 करोड़ रुपए है। फर्मों/सरकार के द्वारा परिवार को अथवा परिवार के द्वारा सरकार/फर्मों को किसी भी प्रकार की ब्याज अदायगी नहीं की जाती है, परिवारों की वैयक्तिक प्रयोज्य आय 1200 करोड़ रुपए है। उनके द्वारा अदा किया गया वैयक्तिक आय कर 600 करोड़ रुपए है और फर्मों तथा सरकार द्वारा अर्जित आय का मूल्य 200 करोड़ रुपए है। सरकार और फर्मों द्वारा परिवार को की गई अंतरण अदायगी का मूल्य क्या है?
हल:
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अवितरित लाभ – वैयक्तिक आय कर + सरकार और फर्मों द्वारा परिवार को की गई अंतरण अदायगी
1,200 = 1,900-600-200 + अंतरण अदायगी
1,200 = 1,100 + अंतरण अदायगी
अंतरण अदायगी = 1,200-1,100
= 100 करोड़ रुपए उत्तर
प्रश्न 9.
निम्नलिखित आँकड़ों से वैयक्तिक आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना कीजिए
(करोड़ रुपए में) | |
(a) कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद | 8000 |
(b) विदेर्शों से प्राप्त निवल कारक आय | 200 |
(c) अवितरित लाभ | 1000 |
(d) निगम कर | 500 |
(e) परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज | 1500 |
(f) परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज | 1200 |
(g) अंतरण आय | 300 |
(h) वैयक्तिक कर | 500 |
हल:
वैयक्तिक आय = कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय – अवितरित लाभ + परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज + अंतरण आय – परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज – निगम कर
= 8,000 + 200 – 1,000 + 1,500 + 300 – 1,200 – 500
= 10,000 – 2,700
वैयक्तिक आय = 7,300 करोड़ रुपए उत्तर
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर
= 7,300 – 500
= 6,800 करोड़ रुपए उत्तर
प्रश्न 10.
हजाम राजू एक दिन में बाल काटने पर 500 रुपए का संग्रह करता है। इस दिन उसके उपकरण में 50 रुपए का मूल्यहास होता है। इस 450 रुपए में से राजू 30 रुपए बिक्री कर अदा करता है। 200 रुपए घर ले जाता है और 220 रुपए उन्नति और नए उपकरणों का क्रय करने के लिए रखता है। वह अपनी आय में से 20 रुपए आय कर के रूप में अदा करता है। इन पूरी सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित में राजू का योगदान ज्ञात कीजिए-(a) सकल घरेलू उत्पाद (b) बाज़ार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (c) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (a) वैयक्तिक आय (e) वैयक्तिक प्रयोज्य आय।
उत्तर:
(a) सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर
= कुल प्राप्ति
= 500 रुपए उत्तर
सकल घरेलू उत्पाद कारक लागत पर = सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर – अप्रत्यक्ष कर
= 500 – 30
= 470 रुपए उत्तर
(b) बाज़ार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद
= सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर – मूल्यह्रास
= 500 – 50
= 450 रुपए उत्तर
(c) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद
= बाज़ार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर
= 450 – 30
= 420 रुपए उत्तर
(d) वैयक्तिक आय
= कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अवितरित लाभ
= 420 – 220
= 200 रुपए उत्तर
(e) वैयक्तिक’प्रयोज्य आय
= वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर
= 200 – 20
= 180 रुपए उत्तर
प्रश्न 11.
किसी वर्ष एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य 2500 करोड़ रुपए था। उसी वर्ष, उस देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य किसी आधार वर्ष की कीमत पर 3000 करोड़ रुपए था। प्रतिशत के रूप में वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक के मूल्य की गणना कीजिए। क्या आधार वर्ष और उल्लेखनीय वर्ष के बीच कीमत स्तर में वृद्धि हुई?
हल:
सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक (GDP Deflator) का मूल्य-
चूंकि सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक का मान 100% से कम है तो इसका अभिप्राय यह है कि कीमत स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि कीमत स्तर में गिरावट आई है।
प्रश्न 12.
किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखो।
उत्तर:
किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की सीमाएँ निम्नलिखित हैं
1. GDP की संरचना-यदि GDP में वृद्धि युद्ध सामग्री (टैंक, बम, अस्त्र-शस्त्र आदि) के उत्पादन में वृद्धि के कारण है या जैसे मशीनरी, उपस्कर आदि के उत्पादन में वृद्धि के फलस्वरूप है तो इससे आर्थिक कल्याण में वृद्धि नहीं होगी।
2. कीमतों में वृद्धि-यदि GDP में वृद्धि केवल कीमतों में वृद्धि के फलस्वरूप हुई है तो यह आर्थिक कल्याण का सूचक (या मापक) नहीं होगा।
3. जनसंख्या वृद्धि की दर-यदि जनसंख्या में वृद्धि की दर GDP वृद्धि की दर से अधिक है तो प्रति व्यक्ति वस्तुओं व सेवाओं की उपलब्धि और आर्थिक कल्याण कम हो जाएगा।
4. बाह्य कारण इससे तात्पर्य व्यक्ति या फर्म द्वारा की गई क्रियाओं से है जिनका बुरा (या अच्छा) प्रभाव दूसरों पर पड़ता है लेकिन इसके दोषी दंडित नहीं होते। उदाहरण के लिए कारखानों द्वारा छोड़े गए धुएँ से पर्यावरण का दूषित होना, तेलशोधक कारखानों के गंदे तरल पदार्थों का तटवर्ती नदी में बहना और जल प्रदूषित करना। इन हानिकारक प्रभावों का GDP में मूल्यांकन नहीं किया जाता।
5. GDP (या राष्ट्रीय आय) का वितरण-मात्र GDP में वृद्धि आर्थिक कल्याण में वृद्धि प्रकट नहीं कर सकती क्योंकि इसके वितरण से अमीर अधिक अमीर और गरीब अधिक गरीब हो गए हैं। GDP में वृद्धि आर्थिक कल्याण का सूचक तभी बन पाएगी जब गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या में निरंतर कमी हो।
6. GDP में कई वस्तुओं व सेवाओं का शामिल न होना-GDP में आर्थिक कल्याण बढ़ाने वाली विशेष रूप से गैर-बाज़ारी सौदों (Non-market Transactions) को शामिल नहीं किया जाता; जैसे गृहिणी की सेवाएँ, घरेलू बगीचे में सब्जियाँ उगाना, अध्यापक द्वारा अपने बेटे को पढ़ाना आदि।
राष्ट्रीय आय का लेखांकन HBSE 12th Class Economics Notes
→ प्रवाह-प्रवाह (Flow) से अभिप्राय ऐसे आर्थिक चरों (आय, उपभोग, बचत आदि) से है जिनका संबंध एक समयावधि (Time Period); जैसे प्रति सप्ताह, प्रतिमास, प्रतिवर्ष से होता है। आय एक प्रवाह धारणा है चूँकि यह प्रतिमास या प्रतिवर्ष समयावधि के रूप में मापी जाती है।
→ स्टॉक-स्टॉक (Stock) से अभिप्राय ऐसे आर्थिक चरों (राष्ट्रीय पूँजी, संपत्ति, देश की जनसंख्या, विदेशी ऋण, माल-सूची, खाद्यान्न भंडार आदि) से है जिनका संबंध समय के एक निश्चित बिंदु से है।
→ आय का चक्रीय प्रवाह-आय/उत्पाद के चक्रीय (Circular Flow of Income) प्रवाह से अभिप्राय यह है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं तथा मुद्रा का प्रवाहित होना। प्रत्येक प्रवाह से ज्ञात होता है कि एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र पर कैसे निर्भर करता है।
→ आय के चक्रीय प्रवाह के दो मूल सिद्धांत-
- विनिमय की किसी प्रक्रिया में उत्पादक-विक्रेता को मिली राशियाँ उतनी ही होती हैं जितनी उपभोक्ता-क्रेता खर्च करता है
- वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह एक दिशा में और मुद्रा का प्रवाह दूसरी दिशा में होता है।
→ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रक-चक्रीय प्रवाह की दृष्टि से एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रक हैं-
- गृहस्थ परिवार क्षेत्रक
- उत्पादक क्षेत्रक
- मुद्रा बाज़ार
- सरकारी क्षेत्रक
- शेष विश्व क्षेत्रक अथवा बाह्य क्षेत्रक।
→ दो क्षेत्रीय मॉडल-दो क्षेत्रीय मॉडल में अर्थव्यवस्था के दो क्षेत्रों-(i) परिवार क्षेत्र और (ii) उत्पादक क्षेत्र के बीच में होने वाली आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
→ तीन क्षेत्रीय मॉडल-तीन क्षेत्रीय मॉडल में अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रों (i) परिवार क्षेत्र, (ii) उत्पादक क्षेत्र और (iii) सरकारी क्षेत्र के बीच होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
→ चार क्षेत्रीय मॉडल-चार क्षेत्रीय मॉडल में अर्थव्यवस्था के चार क्षेत्रों-(i) परिवार क्षेत्र. (ii) उत्पादक क्षेत्र. (iii) सरकारी क्षेत्र और (iv) शेष विश्व क्षेत्र के बीच होने वाले आय के चक्रीय प्रवाह का अध्ययन किया जाता है।
→ चक्रीय प्रवाह के भरण-उपभोग, निवेश, निर्यात तथा सरकारी व्यय चक्रीय प्रवाह के महत्त्वपूर्ण भरण हैं। इन चरों में होने वाली वृद्धि अर्थव्यवस्था की आर्थिक क्रियाओं के स्तर में वृद्धि करती है।
→ चक्रीय प्रवाह के क्षरण-बचत, कर और आयात चक्रीय प्रवाह के मुख्य क्षरण हैं। इन चरों में होने वाली वृद्धि अर्थव्यवस्था की आर्थिक क्रियाओं के स्तर को कम कर देती है।
→ बंद अर्थव्यवस्था-ऐसी अर्थव्यवस्था जिसका शेष विश्व से कोई संबंध न हो, बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy) कहलाती है। यह एक अवास्तविक अवधारणा है।
→ खुली अर्थव्यवस्था-ऐसी अर्थव्यवस्था जिसका शेष विश्व से संबंध होता है, खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy) कहलाती है। यह एक वास्तविक अवधारणा है। आयात आय के चक्रीय प्रवाह में छिद्र अथवा क्षरण का काम करते हैं तथा निर्यात भरण अथवा समावेश का कार्य करते हैं।
→ राष्ट्रीय आय लेखांकन-राष्ट्रीय आय लेखांकन राष्ट्रीय आय, उत्पाद तथा व्यय के संबंध का संख्यात्मक विवरण प्रस्तुत करने की विधि है।
→ पूँजीगत हस्तांतरण-ऐसे भुगतान देने वाले की संपत्ति और बचत से दिए जाते हैं तथा प्राप्तकर्ता की संपत्ति या बचत में जोड़ दिए जाते हैं। ये हस्तांतरण भुगतान पूँजी निर्माण के लिए दिए जाते हैं; जैसे सरकार द्वारा गृहस्थों को मकानों की क्षति के लिए मुआवजा और उद्यमों को निवेश अनुदान, दो देशों के बीच आर्थिक सहायता आदि।
→ पँजी उपभोग या मल्यहास-उत्पादन प्रक्रिया में जब पुँजीगत वस्तओं को बार-बार प्रयोग में लिया जाता है तो उसे सामान्य-फट और घिसावट के रूप में जाना जाता है। उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया को लगातार चलाए रखने के लिए एक घिसावट कोष (Depreciation Fund) की स्थापना करता है।
→ विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय किसी देश के सामान्य निवासी विदेशों से जो कारक आय कमाते हैं तथा गैर-निवासी उस देश से जो कारक आय प्राप्त करते हैं, उसके अंतर को विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय (Net Factor Income Earned From Abroad-NFIA) कहते हैं।
→ निवल अप्रत्यक्ष कर-निवल अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes) अप्रत्यक्ष करों और आर्थिक सहायता (अनुदानों) का अंतर होता है अर्थात्
निवल अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता
→ बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद-सकल घरेलू उत्पाद एक लेखा वर्ष में एक देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाज़ार मूल्य का जोड़ है।
→ बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद-यह किसी अर्थव्यवस्था की घरेलू सीमा में किसी देश के सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार मूल्य तथा विदेशों से निवल कारक आय का जोड़ है।
→ बाज़ार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद बाज़ार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद किसी अर्थव्यवस्था की घरेलू सीमा में एक लेखा वर्ष में सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के बाज़ार मूल्य और मूल्यह्रास के अंतर तथा विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय का जोड़ है।
→ बाज़ार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद यह एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार मूल्य तथा मूल्यह्रास का अंतर है।
→ कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में भी सभी उत्पादकों द्वारा एक लेखा वर्ष में कारक लागत पर की गई निवल मूल्यवृद्धि है।
→ कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद-यह एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा कारक लागत पर निवल मूल्यवृद्धि और अचल पूँजी के उपभोग के मूल्य का जोड़ है।
→ कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा तथा शेष विश्व से एक वर्ष में मजदूरी लगान, ब्याज और लाभ के रूप में अर्जित कारक आय के जोड़ से है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय सम्मिलित है।
→ आधार वर्ष-एक ऐसा वर्ष जिसमें कीमतें प्रायः स्थिर रही हों और कोई असाधारण घटनाएँ न हुई हों।
→ वैयक्तिक आय–वैयक्तिक आय व्यक्तियों द्वारा सभी स्रोतों से वास्तव में प्राप्त कारक आय तथा वर्तमान हस्तांतरण भुगतान का जोड़ है। वैयक्तिक प्रयोज्य आय-वैयक्तिक प्रयोज्य आय वह आय है जो परिवारों को सभी स्रोतों से वास्तव में प्राप्त होती है तथा उनके पास सरकार द्वारा उनकी आय तथा संपत्तियों पर लगाए गए सभी प्रकार के करों का भुगतान करने के बाद बचती है।
→ राष्ट्रीय आय को मापने की प्रमुख विधियाँ-
- आय विधि (Income Method)
- उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि (Product or Value Added Method)
- व्यय विधि (Expenditure Method)।