HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय

Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय

HBSE 11th Class Political Science राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राजनीतिक सिद्धांत के बारे में नीचे लिखे कौन-से कथन सही हैं और कौन-से गलत?
(क) राजनीतिक सिद्धांत उन विचारों पर चर्चा करते हैं जिनके आधार पर राजनीतिक संस्थाएँ बनती हैं।
(ख) राजनीतिक सिद्धांत विभिन्न धर्मों के अंतर्संबंधों की व्याख्या करते हैं।
(ग) ये समानता और स्वतंत्रता जैसी अवधारणाओं के अर्थ की व्याख्या करते हैं।
(घ) ये राजनीतिक दलों के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करते हैं।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) गलत,
(ग) सही,
(घ) गलत।

प्रश्न 2.
‘राजनीति उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं।’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
वर्तमान राजनीतिक संदर्भ में उक्त कथन पूर्णतः सही है क्योंकि राजनीति वास्तव में उन सबसे बढ़कर है जो राजनेता करते हैं। आज वे राजनेता निजी, स्वार्थपूर्ण आवश्यकताओं एवं महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने के दुष्चक्र में लगे रहते हैं। इसलिए वे दल-बदल, झूठे वायदे एवं बढ़-चढ़कर काल्पनिक दावे करने से बिल्कुल भी नहीं हिचकते हैं। फलतः राजनेताओं पर घोटालों, हिंसा, भ्रष्टाचार इत्यादि में संलिप्तता के आरोप प्रायः लगते रहते हैं। ऐसी स्थिति के विपरीत राजनीति इन सबसे बढ़कर है। वास्तव में राजनीति किसी भी समाज का महत्त्वपूर्ण और अविभाज्य अंग है।

यह सरकार के क्रियाकलापों के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की संस्थाओं से भी संबंधित है। समाज में परिवार, जनजाति और आर्थिक एवं सामाजिक संस्थाएँ लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूर्ण करने में सहायता करने के लिए अस्तित्व में हैं। ऐसी संस्थाएँ हमें साथ रहने के उपाय खोजने और एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को स्वीकार करने में सहायता करती हैं।

इन संस्थाओं के साथ सरकारें भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकारें कैसे बनती हैं एवं कैसे कार्य करती हैं? राजनीति में दर्शाने वाली अहम् बातें हैं। इस प्रकार मूलतः राजनीति सरकार के क्रियाकलापों तक ही सीमित नहीं है बल्कि सरकारें जो भी काम करती हैं, वे लोगों के जीवन को भिन्न-भिन्न तरीकों से प्रभावित करते हुए उनके जीवन को खुशहाल बनाने के कार्य करती हैं। इस दृष्टि से राजनीति एक तरह की जनसेवा है। ऐसी जनसेवा का अभाव स्वार्थपूर्ण संकीर्ण दृष्टिकोण वाले राजनेताओं में देखने को नहीं मिलता।

HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय

प्रश्न 3.
लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों का जागरूक होना ज़रूरी है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
नागरिकों की जागरूकता लोकतंत्र की सफलता हेतु प्रथम अनिवार्य शर्त है। जैसा कि हम जानते हैं कि समाज का एक जागरूक और सजग नागरिक ही लोकतंत्र के मूल तत्त्वों या सिद्धांतों; जैसे स्वतंत्रता, समानता, न्याय, धर्मनिरपेक्षता आदि के महत्त्व को समझता है और उन्हें अपने जीवन में उतारता है। अगर वह राज्य में अपने अधिकारों के लिए लड़ता है तो राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों की पालना के प्रति भी सजग रहता है।

ऐसे सजग नागरिक सरकार के कार्यों में रुचि लेते हैं। सरकार की गलत नीतियों का विरोध करते हैं, तो सही नीतियों का समर्थन करते हैं। वे भ्रष्टाचार जैसी समस्या का समाधान भी ढूँढते हैं और जरूरत पड़ने पर अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार तक अपनी बात भी पहुँचाते हैं।

सजग नागरिकों की ऐसी स्थिति लोकतंत्र को मजबूत बनाती है। इसके विपरीत सजग नागरिकों के अभाव में सरकार निरंकुश बन जाएगी। जिसके फलस्वरूप उन्हें न्याय, शोषण एवं अत्याचार झेलने को विवश होना पड़ता है। नागरिकों की ऐसी स्थिति लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

प्रश्न 4.
राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन हमारे लिए किन रूपों में उपयोगी है? ऐसे चार तरीकों की पहचान करें जिनमें राजनीतिक सिद्धांत हमारे लिए उपयोगी हों।
उत्तर:
राजनीतिक सिद्धांत का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के समक्ष आने वाली सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समस्याओं का समाधान ढूंढना है। यह मनुष्य के सामने आई कठिनाइयों की व्याख्या करता है तथा सुझाव देता है ताकि मनुष्य अपना जीवन अच्छी प्रकार से व्यतीत कर सके। राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन की उपयोगिता को निम्नलिखित चार तरीकों से प्रकट किया जा सकता है

1. वास्तविकता को समझने का साधन राजनीतिक सिद्धांत हमें राजनीतिक वास्तविकताओं को समझने में सहायता प्रदान करता है। सिद्धांतशास्त्री सिद्धांत का निर्माण करने से पहले समाज में विद्यमान सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिस्थितियों का तथा समाज की इच्छाओं, आकांक्षाओं व प्रवृत्तियों का अध्ययन करता है तथा उन्हें उजागर करता है।

वह अध्ययन तथ्यों तथा घटनाओं का विश्लेषण करके समाज में प्रचलित कुरीतियों तथा अन्धविश्वासों को उजागर करता है। वास्तविकता को जानने के पश्चात ही हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं। अतः यह हमें शक की स्थिति से बाहर निकाल देता है।

2. समस्याओं के समाधान में सहायक राजनीतिक सिद्धांत का प्रयोग शांति, विकास, अभाव तथा अन्य सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समस्याओं के लिए भी किया जाता है। राष्ट्रवाद, प्रभुसत्ता, जातिवाद तथा युद्ध जैसी गंभीर समस्याओं को सिद्धांत के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकता है। सिद्धांत समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करते हैं और निदानों (Solutions) को बल प्रदान करते हैं। बिना सिद्धांत के जटिल समस्याओं को सुलझाना संभव नहीं होता।

3. भविष्य की योजना संभव बनाता है-राजनीतिक सिद्धांत सामान्यीकरण (Generalization) पर आधारित है, अतः यह वैज्ञानिक होता है। इसी सामान्यीकरण के आधार पर वह राजनीति विज्ञान को तथा राजनीतिक व्यवहार को भी एक विज्ञान बनाने का प्रयास करता है। वह उसके लिए नए-नए क्षेत्र ढूंढता है और नई परिस्थितियों में समस्याओं के निदान के लिए नए-नए सिद्धांतों का निर्माण करता है।

ये सिद्धांत न केवल तत्कालीन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं बल्कि भविष्य की परिस्थितियों का भी आंकलन करते हैं। वे कुछ सीमा तक भविष्यवाणी भी कर सकते हैं। इस प्रकार देश व समाज के हितों को ध्यान में रखकर भविष्य की योजना बनाना संभव होता है।

4. राजनीतिक सिद्धांत की राजनीतिज्ञों, नागरिकों तथा प्रशासकों के लिए उपयोगिता-राजनीतिक सिद्धांत के द्वारा वास्तविक राजनीति के अनेक स्वरूपों का शीघ्र ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है जिस कारण वे अपने सही निर्णय ले सकते हैं। डॉ० श्यामलाल वर्मा ने लिखा है, “उनका यह कहना केवल ढोंग या अहंकार है कि उन्हें राज सिद्धांत की कोई आवश्यकता नहीं है या उसके बिना ही अपना कार्य कुशलतापूर्वक कर रहे हैं अथवा कर सकते हैं।

वास्तविक बात यह है कि ऐसा करते हुए भी वे किसी-न-किसी प्रकार के राज-सिद्धांत को काम में लेते हैं।” इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राजनीतिक विज्ञान के सम्पूर्ण ढांचे का भविष्य राजमीतिक सिद्धांत के निर्माण पर ही निर्भर करता है।

प्रश्न 5.
क्या एक अच्छा/प्रभावपूर्ण तर्क औरों को आपकी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है?
उत्तर:
यह सत्य है कि एक अच्छा/प्रभावपूर्ण तर्क अन्यों को आपकी बात सुनने के लिए न केवल आकर्षित करने की क्षमता रखता है बल्कि उन्हें बाध्य भी कर सकता है। अच्छा बोलना एक बहुत बड़ी कला है। यदि कोई अच्छा वक्ता होने के साथ-साथ किसी बात को प्रभावपूर्ण तर्क से सिद्ध करने की क्षमता रखता है तो लोग उसकी तरफ स्वतः ही सहज भाव से खिंचे चले आते हैं। इस तरह उनकी यह कला बहुत जल्दी बहुतों को अपना प्रशंसक बना लेती है।

प्रश्न 6.
क्या राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना, गणित पढ़ने के समान है? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए।
उत्तर:
हम राजनीतिक सिद्धांत में सामान्यीकरण के लिए कार्य एवं कारण के सम्बन्ध का सहारा लेते हैं। इसलिए प्राय: यह माना जाता है कि राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना गणित पढ़ने जैसा ही है। यद्यपि हम सभी गणित पढ़ते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हममें से सभी गणितज्ञ या इंजीनियर बन जाते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि बुनियादी अंकगणित का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उपयोगी सिद्ध होता है।

हम सभी प्रायः दैनिक जीवन में किसी-न-किसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि करते हैं। ठीक इसी प्रकार हमें राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन की भी आवश्यकता है। लेकिन हमें यह भी समझना है कि इसका अध्ययन करने वाला हर एक व्यक्ति राजनीतिक विचारक या दार्शनिक नहीं बन सकता, न ही राजनेता बनता है।

फिर भी इसके अध्ययन की आवश्यकता है, क्योंकि तभी हमें दैनिक जीवन में शोषण से अपने आप को बचा सकेंगे, वास्तविक स्वतंत्रता का उपभोग कर सकेंगे, दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान कर सकेंगे। अधिकार एवं कर्त्तव्यपालन में सम्बन्ध समझ सकेंगे। अत: अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन समाज में सभी लोगों के दैनिक जीवन के लिए उसी तरह से उपयोगी है; जैसे गणित का प्रत्येक व्यक्ति के लिए दैनिक जीवन में महत्त्व है।

राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय HBSE 11th Class Political Science Notes

→ राजनीति शब्द का जन्म हजारों वर्ष पहले यूनान में हुआ। अरस्तू को आधुनिक राजनीति का जन्मदाता माना जाता है। यहाँ तक कि अरस्तू ने राजनीति को ही अपनी पुस्तक का अध्ययन-विषय बनाया।

→ अरस्तू के बाद भी उसका अनुकरण करते हुए कुछ अन्य लेखकों ने भी राजनीति शब्द का प्रयोग किया, किंतु उस समय इस शब्द का प्रयोग जिस विषय को दर्शाने के लिए होने लगा, वह अरस्तू के काल के विषय के क्षेत्र की दृष्टि से पर्याप्त रूप से भिन्न हो चुका था, अर्थात् राजनीतिक शब्द का प्रयोग राजनीति शास्त्र के लिए किया जाने लगा।

→ जिस अर्थ में राजनीति शब्द का प्रयोग अरस्तू के द्वारा किया गया है, उसमें इस शब्द का प्रयोग ठीक है, किंतु आजकल राजनीति शास्त्र शब्द का प्रयोग जिस अर्थ में किया जाने लगा है, इसके कारण राजनीति शास्त्र को राजनीति का नाम नहीं दे सकते।

→ इसी संदर्भ में गिलक्राइस्ट महोदय ने कहा है कि आधुनिक प्रयोग के कारण राजनीति का एक नया अभिप्राय हो गया है। अतः विज्ञान के नाम के रूप में यह बेकार हो गया है।

→ जब हम किसी देश की राजनीति की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय वहाँ की सामयिक और राजनीतिक समस्याओं से होता है। जब हम यह कहते हैं कि अमुक व्यक्ति राजनीति में रुचि रखता है तो हमारा अभिप्राय यही होता है कि वह आयात-निर्यात कर, मजदूरों एवं मिल-मालिकों के संबंधों, व्यापार, शिक्षा, खाद्य आदि विषयों से संबंधित वर्तमान प्रश्नों में अभिरुचि रखता है।

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