HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. सूर्य द्वारा ऊष्मा की प्रसारण क्रिया को कहा जाता है
(A) ऊष्मा प्रसार
(B) सौर विकिरण
(C) सूर्यातप
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) सौर विकिरण

2. पृथ्वी तक पहुँचने वाली सूर्य की ऊष्मा को क्या कहा जाता है?
(A) सौर विकिरण
(B) पार्थिव विकिरण
(C) सूर्यातप
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सूर्यातप

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

3. सूर्य से पृथ्वी की दूरी है
(A) 5 करोड़ कि०मी०
(B) 8 करोड़ कि०मी०
(C) 12 करोड़ कि०मी०
(D) 15 करोड़ कि०मी०
उत्तर:
(D) 15 करोड़ कि०मी०

4. पृथ्वी पर सौर विकिरण का कितना भाग पहुँचता है?
(A) 1 अरबवाँ भाग
(B) 2 अरबवाँ भाग
(C) 3 अरबवाँ भाग
(D) 4 अरबवाँ भाग
उत्तर:
(B) 2 अरबवाँ भाग

5. वायुमंडल की सबसे ऊपरी सतह पर प्राप्त ऊष्मा में से वायुमंडल और पृथ्वी द्वारा अवशोषित इकाइयों को क्या कहते हैं?
(A) भौमिक विकिरण
(B) पृथ्वी का एल्बिडो
(C) प्रभावी सौर विकिरण
(D) प्रवेशी सौर विकिरण
उत्तर:
(C) प्रभावी सौर विकिरण

6. सूर्य की किरणों की गति क्या है?
(A) 1 लाख कि०मी० प्रति सैकिंड
(B) 2 लाख कि०मी० प्रति सैकिंड
(C) 3 लाख कि०मी० प्रति सैकिंड
(D) 4 लाख कि०मी० प्रति सैकिंड
उत्तर:
(C) 3 लाख कि०मी० प्रति सैकिंड

7. निम्नलिखित में से सर्वाधिक तापमान कब अंकित किया जाता है?
(A) दोपहर 12 बजे
(B) दोपहर बाद 1 बजे
(C) दोपहर बाद 2 बजे
(D) दोपहर बाद 3 बजे
उत्तर:
(C) दोपहर बाद 2 बजे

8. वायुमंडल की ऊपरी सतह पर पहुँचने वाले सूर्यातप का कितना भाग भूतल पर पहुँचता है?
(A) 21%
(B) 31%
(C) 41%
(D) 51%
उत्तर:
(D) 51%

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9. किसी स्थान विशेष के औसत तापमान और उसके अक्षांशीय तापमान के औसत के बीच के अंतर को कहा जाता है-
(A) तापीय व्युत्क्रमण
(B) तापक्रमीय विसंगति
(C) अक्षांशीय विसंगति
(D) तापीय अनुकूलता
उत्तर:
(B) तापक्रमीय विसंगति

10. वह काल्पनिक रेखा जो समुद्रतल के समानीत समान तापमान वाले स्थानों को मिलाती है, उसे कहते हैं
(A) समताप रेखा
(B) समदाब रेखा
(C) समानीत रेखा
(D) सम समुद्रतल रेखा
उत्तर:
(A) समताप रेखा

11. किसी स्थान के मध्यमान या सामान्य तापमान का अर्थ है-
(A) दिन का औसत तापमान
(B) महीने का औसत तापमान
(C) वर्ष का औसत तापमान
(D) 35 वर्षों के वार्षिक औसत तापमानों का औसत
उत्तर:
(D) 35 वर्षों के वार्षिक औसत तापमानों का औसत

12. एल्बिडो है-
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा की सीमा पर स्थित झील
(B) उच्च कपासी बादलों का उपनाम
(C) किसी सतह को प्राप्त होने वाली एवं उससे परावर्तित विकिरण ऊर्जा की मात्रा का अनुपात
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) किसी सतह को प्राप्त होने वाली एवं उससे परावर्तित विकिरण ऊर्जा की मात्रा का अनुपात

13. सुबह और शाम की तुलना में दोपहर में गर्मी अधिक क्यों होती है?
(A) क्योंकि सर्य की किरणें दोपहर में सीधी पडती हैं।
(B) क्योंकि पृथ्वी गर्मी को सोखकर उसे दोपहर को छोड़ती है
(C) दोपहर के वक्त समुद्र से गर्म पवनें चलती हैं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) क्योंकि सर्य की किरणें दोपहर में सीधी पडती हैं।

14. विश्व में सर्वाधिक ठंडा स्थान कौन-सा है जिसका तापमान सर्दियों में -50°C तक गिर जाता है?
(A) कारगिल
(B) वोयान्सक
(C) द्रास
(D) बर्जन
उत्तर:
(B) वोयान्सक

15. हिमालय तथा आल्प्स की किन ढलानों पर अधिक तापमान के कारण मानव बस्तियाँ और कृषि कार्य केंद्रित हैं?
(A) उत्तरी ढाल
(B) दक्षिणी ढाल
(C) पूर्वी ढाल
(D) पश्चिमी ढाल
उत्तर:
(B) दक्षिणी ढाल

16. समुद्रतल से 900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक शहर का जुलाई का औसत मासिक तापमान 22°C है। समुद्रतल पर इस शहर का समानीत तापमान कितना होगा?
(A) 27.5°C
(B) 16.5°C
(C) 22°C
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) 27.5°C

17. कौन-सी मिट्टी जल्दी गरम और जल्दी ठण्डी हो जाती है?
(A) जलोढ़ मिट्टी
(B) काली मिट्टी
(C) रेतीली मिट्टी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) रेतीली मिट्टी

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर सौर विकिरण का कितना भाग पहुँचता है?
उत्तर:
दो अरबवाँ भाग।

प्रश्न 2.
सूर्यातप को किस इकाई में मापते हैं?
उत्तर:
कैलोरी में।

प्रश्न 3.
मानचित्र पर तापमान का क्षैतिज वितरण किन रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है?
उत्तर:
समताप रेखाओं द्वारा।

प्रश्न 4.
पृथ्वी पर ऊष्मा का सबसे बड़ा स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
सूर्य।

प्रश्न 5.
उत्तरी गोलार्द्ध में पर्वतों के कौन-से ढाल सूर्य के सामने पड़ते हैं?
उत्तर:
दक्षिणी ढाल।

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प्रश्न 6.
दक्षिणी गोलार्द्ध में पर्वतों के कौन-से ढाल सूर्य के सामने पड़ते हैं?
उत्तर:
उत्तरी ढाल।

प्रश्न 7.
ऊँचाई के साथ तापमान घटने की जगह यदि बढ़ने लग जाए तो उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
तापमान की विलोमता।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर पहुँचने वाले सूर्यातप का कितना भाग भूतल तक पहुँचता हैं?
उत्तर:
51 प्रतिशत भाग अथवा 100 में से 51 इकाइयाँ।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल के गरम होने की प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
विकिरण, संचालन तथा संवहन।

प्रश्न 3.
सूर्य क्या है?
उत्तर:
धधकती हुई गैसों का गोला जो ऊष्मा को अन्तरिक्ष में चारों ओर प्रसारित करता रहता है।

प्रश्न 4.
सूर्य से पृथ्वी की दूरी कितनी है?
उत्तर:
लगभग 15 करोड़ कि०मी०।

प्रश्न 5.
सूर्य की किरणों की गति क्या है?
उत्तर:
3 लाख कि०मी० प्रति सैकिण्ड।

प्रश्न 6.
तापमान मापने की दो प्रमुख इकाइयाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
डिग्री सेल्सियस व डिग्री फारेनहाइट।

प्रश्न 7.
दैनिक अधिकतम तापमान कब रिकॉर्ड किया जाता है?
उत्तर:
दोपहर में 2.00 बजे के लगभग।

प्रश्न 8.
जब सूर्य की क्षैतिज से ऊँचाई केवल 4° होती है तो सूर्य की किरणों को कितने मोटे वायुमण्डल से गुजरना पड़ता है?
उत्तर:
12 गुणा मोटे वायुमण्डल से।

प्रश्न 9.
तापमान की सामान्य हास दर क्या है?
उत्तर:
1°C प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर।

प्रश्न 10.
सूर्यातप आधिक्य वाले क्षेत्र कौन-से होते हैं?
उत्तर:
जहाँ धूप की लम्बी अवधि और रातें छोटी होती हैं, सूर्यातप आधिक्य वाले क्षेत्र कहलाते हैं।

प्रश्न 11.
ऊष्मा-हानि वाले क्षेत्र कौन-से होते हैं?
उत्तर:
जहां दिन छोटे और रातें लम्बी हों अर्थात् सूर्यातप की मात्रा कम और विकिरित हुई ऊष्मा अधिक हो उन्हें ऊष्मा-हानि वाले क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 12.
ऊँचा दैनिक तापान्तर किन क्षेत्रों में पाया जाता है?
उत्तर:
मरुस्थलों तथा महाद्वीपों के आन्तरिक भागों में।

प्रश्न 13.
कम दैनिक तापान्तर किन क्षेत्रों में पाया जाता है?
उत्तर:

  1. तटों के पास
  2. मेघाच्छादित क्षेत्रों में।

प्रश्न 14.
कैलोरी क्या होती है?
उत्तर:
समुद्रतल पर उपस्थित वायुदाब की दशा में एक ग्राम जल का तापमान 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को कैलोरी कहा जाता है।

प्रश्न 15.
दिन छोटे-बड़े क्यों होते रहते हैं? कारण बताओ।
उत्तर:

  1. पृथ्वी का 66/2° पर झुका अक्ष।
  2. पृथ्वी की दैनिक व वार्षिक गति।

प्रश्न 16.
सौर कलंक क्या होते हैं?
उत्तर:
सूर्य के तल पर काले रंग के गहरे व उथले बनते-बिगड़ते धब्बों को सौर कलंक कहा जाता है।

प्रश्न 17.
सौर कलंकों की संख्या व सौर विकिरण में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
इन कलंकों की संख्या बढ़ने और घटने पर सूर्यातप की मात्रा बढ़ती और घटती है।

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प्रश्न 18.
उपसौरिका (Perihelion) की स्थिति क्या होती है?
उत्तर:
3 जनवरी को जब पृथ्वी सूर्य से 14.70 करोड़ किलोमीटर की निकटतम दूरी पर होती है।

प्रश्न 19.
अपसौरिका (Aphelion) की स्थिति क्या होती है?
उत्तर:
4 जुलाई को जब पृथ्वी सूर्य से 15.20 करोड़ कि०मी० की अधिकतम दूरी पर होती है।

प्रश्न 20.
उष्ण कटिबन्ध का विस्तार बताइए।
उत्तर:
231/2° उत्तर से 231/2° दक्षिण अक्षांश।

प्रश्न 21.
शीतोष्ण कटिबन्ध का क्या विस्तार है?
उत्तर:
23/2° से 66/2° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश।

प्रश्न 22.
शीत कटिबन्ध कहाँ से कहाँ तक विस्तृत है?
उत्तर:
661/2° से ध्रुवों तक दोनों गोलार्डों में।

प्रश्न 23.
पृथ्वी पर सूर्यातप के वितरण को कौन-से दो प्रमुख कारक नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:

  1. सूर्य की किरणों का सापेक्षिक झुकाव
  2. दिन की अवधि।

प्रश्न 24.
विश्व में औसत तापमान क्यों बढ़ रहे हैं?
उत्तर:
जैव-ईंधन के बढ़ते उपयोग तथा वनों की कटाई के कारण।

प्रश्न 25.
सूर्य के सामने पड़ी ढालों पर सूर्यातप व तापमान अधिक क्यों प्राप्त होता है?
उत्तर:
सूर्य की सीधी किरणों के कारण।

प्रश्न 26.
सूर्य से विपरीत दिशा में स्थित ढालों पर सूर्यातप व तापमान कम क्यों रहते हैं?
उत्तर:
सूर्य की तिरछी किरणों के कारण।

प्रश्न 27.
कौन-सी मिट्टियाँ सूर्यातप का अवशोषण करके अपने क्षेत्र के तापमान को बढ़ा देती हैं?
उत्तर:
काली अथवा गहरी मिट्टियाँ तथा रेत से ढके भू-पृष्ठ।

प्रश्न 28.
समताप रेखाएँ क्या होती हैं?
उत्तर:
जिन स्थानों पर सूर्यातप की मात्रा समान होती है, उन स्थानों का तापमान भी समान होता है। समुद्र तल से समान तापमान वाले स्थानों को आपस में मिलाने वाली रेखा को समताप रेखा कहते हैं।

प्रश्न 29.
भौमिक विकिरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सौर ऊर्जा भूतल से टकराकर दीर्घ तरंगों के रूप में वापस लौट जाती है जिसे भौमिक विकिरण कहते हैं। यही कारण है कि वायुमण्डल नीचे से ऊपर की ओर गरम होता है। वायुमण्डल के गरम होने का प्रमुख स्रोत भौमिक विकिरण है।

प्रश्न 30.
सौर स्थिरांक किसे कहते हैं?
उत्तर:
भू-वैज्ञानिकों के मतानुसार पृथ्वी प्रति मिनट 2 कैलोरी ऊर्जा प्रति वर्ग सें०मी० प्राप्त करती है जिसे सौर स्थिरांक कहते हैं। ऊर्जा की यह मात्रा बदलती नहीं है बल्कि स्थिर रहती है।

प्रश्न 31.
ऊष्मा तथा तापमान में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
ऊष्मा ऊर्जा का वह रूप है जो वस्तुओं को गरम करती है। तापमान ऊष्मा की मात्रा का माप है। ऊष्मा की मात्रा घटने या बढ़ने से तापमान घटता और बढ़ता है।

प्रश्न 32.
किसी स्थान के तापमान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान पर मानक अवस्था में मापी गई भूतल से लगभग चार फुट ऊँची वायु की गर्मी को उस स्थान का तापमान कहते हैं। प्रायः तापमान और सूर्यातप को पर्यायवाची के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वास्तव में ये दो शब्द दो भिन्न अवधारणाएँ हैं।

प्रश्न 33.
तापीय भूमध्य रेखा क्या होती है?
उत्तर:
ग्लोब के निम्न आक्षांशों के चारों ओर प्रत्येक देशान्तर के मध्यमान उच्चतम तापमान वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली कल्पित रेखा को तापीय भूमध्य रेखा कहते हैं। यह रेखा वास्तविक भूमध्य रेखा के उत्तर में रहती है क्योंकि उत्तरी गोलार्द्ध में स्थलखण्ड अधिक हैं जो समुद्रों की अपेक्षा अधिक ऊष्मा का अवशोषण करते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सौर विकिरण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी पर ऊष्मा का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य है। यह धधकती हुई गैसों का एक विशाल गोला है जो ऊष्मा को अन्तरिक्ष में चारों ओर निरन्तर प्रसारित करता रहता है। सूर्य द्वारा ऊष्मा की प्रसारण क्रिया को सौर विकिरण कहा जाता है।

प्रश्न 2.
सूर्यातप क्या है?
उत्तर:
प्रवेशी सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं अर्थात् पृथ्वी पर पहुंचने वाली सूर्य की ऊष्मा को सूर्यातप कहा जाता है। सूर्य से लगभग 15 करोड़ कि०मी० दूर स्थित पृथ्वी सूर्य से विकिरित होने वाली समस्त ऊष्मा का केवल 2 अरबवाँ भाग ही प्राप्त कर पाती है। सौर ऊर्जा सूर्य से लघु तरंगों के रूप में 3 लाख कि०मी० प्रति सैकिण्ड की गति से पृथ्वी पर पहुँचती है।

प्रश्न 3.
तापमान के ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical Distribution) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समुद्र तल से ऊँचाई की ओर वितरण को तापमान का ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। वायुमण्डल में ऊँचाई की ओर जाने पर तापमान कम होता है। यह तापमान 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेल्सियस की दर से कम होता है। इसे तापमान की सामान्य पतन दर कहते हैं। यह ह्रास (पतन) दर क्षोभमण्डल तक ही रहती है।

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प्रश्न 4.
तापमान के क्षैतिज वितरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
तापमान के क्षैतिज वितरण से अभिप्राय तापमान के अक्षांशीय वितरण से है। भूमध्य रेखा से दोनों गोलार्डों में ध्रुवों की ओर जाने पर तापमान में क्रमशः कमी होती जाती है जिसे तापमान का क्षैतिज वितरण कहते हैं। इसे समताप रेखाओं द्वारा ही प्रकट किया जाता है। तापमान के क्षैतिज वितरण के आधार पर ही पृथ्वी को उष्ण कटिबन्ध, शीतोष्ण कटिबन्ध तथा शीत कटिबन्ध नामक तीन ताप कटिबन्धों में बाँटा जाता है।

प्रश्न 5.
दैनिक तापान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान के 24 घण्टे या एक दिन के अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम तापमान के अन्तर को दैनिक तापान्तर या दैनिक ताप परिसर कहते हैं। उदाहरणार्थ, किसी स्थान A पर किसी दिन विशेष का अधिकतम तापमान 35° सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 22° सेल्सियस रहा हो तो स्थान A का दैनिक तापान्तर 35°-22° = 13° सेल्सियस होगा। दैनिक तापान्तर तटीय क्षेत्रों में कम होता है तथा आन्तरिक स्थलीय भागों और मरुस्थलीय क्षेत्रों में अधिक होता है।

प्रश्न 6.
वार्षिक तापान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान के सबसे ठण्डे मास के औसत तापमान और सबसे गरम मास के औसत तापमान के अन्तर को वार्षिक तापान्तर कहते हैं। दैनिक तापान्तर की भाँति वार्षिक तापान्तर भी स्थलीय भागों में अधिक तथा सागरीय भागों में कम रहता है। उत्तरी भारत के जिन भागों में शीतकाल में सबसे ठण्डे मास का तापमान 10° सेल्सियस रहता है, वहीं ग्रीष्मकाल में तापमान 40° सेल्सियस रहता है, परन्तु सागरीय तटीय भागों में तापमान कम रहता है। सबसे अधिक वार्षिक तापान्तर साइबेरिया में वोयान्सक में 38° सेल्सियस रहता है।

प्रश्न 7.
पृथ्वी के ऊष्मा बजट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य से जितनी ऊष्मा प्राप्त करती है, उतनी ऊष्मा का वह त्याग भी कर देती है। इसलिए पृथ्वी पर औसत तापमान सदा एक-जैसा बना रहता है। पृथ्वी द्वारा प्राप्त सूर्यातप और उस द्वारा छोड़े जाने वाले भौमिक विकिरण के खाते को पृथ्वी का ऊष्मा बजट कहा जाता है। पृथ्वी के इसी बजट को पृथ्वी का ऊष्मा सन्तुलन भी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
अक्षांशीय ऊष्मा सन्तुलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हमारी पृथ्वी का आकार गोलाकार है जिसके कारण पृथ्वी पर सूर्य की किरणों का झुकाव अलग-अलग है इसलिए प्रत्येक अक्षांश पर सूर्यातप तथा भौमिक विकिरण में विभिन्नता दिखाई देती है। भूमध्य रेखीय क्षेत्रों के आस-पास ऊष्मा अधिक तथा ध्रुवीय प्रदेशों में ऊष्मा कम होती है । वायुमण्डल तथा महासागरों में ऊष्मा का आदान-प्रदान होता रहता है। इसी प्रकार ऊष्मा निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर स्थानान्तरित होती रहती है, जिसे अक्षांशीय ऊष्मा संतुलन कहते हैं।

प्रश्न 9.
सूर्यातप की मात्रा सूर्य की किरणों के आपतन कोण से किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
भूतल पर पहुँचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। इसकी मात्रा सूर्य की किरणों के आपतन कोण पर निर्भर करती है। आपतन किरणें दो प्रकार की होती हैं

  • लम्बवत् किरणें।
  • तिरछी अथवा आड़ी किरणें।

लम्बवत् किरणें तिरछी किरणों की तुलन में भूतल का कम क्षेत्र घेरती हैं जिससे प्रति इकाई क्षेत्र को अधिक ताप प्राप्त होता है तथा तापमान अधिक हो जाता है। इसी प्रकार लम्बवत् किरणों को तिरछी किरणों की अपेक्षा कम वायुमण्डल पार करना पड़ता है जिससे वायुमण्डल की गैसें तथा जलवाष्प द्वारा अवशोषण, परावर्तन और बिखराव द्वारा सूर्यातप की बहुत कम मात्रा नष्ट होती है जिससे उस स्थान का तापमान तिरछी किरणों की तुलना में अधिक होता है।

प्रश्न 10.
सूर्यातप को जलवायु का प्रमुख नियन्त्रक कारक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
सूर्यातप जलवायु का प्रमुख नियन्त्रक है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. सूर्यातप पर बहुत-सी भौतिक क्रियाएँ आधारित हैं।
  2. इसी के कारण पवनें तथा समुद्री धाराएँ चलती हैं।
  3. सूर्यातप की मात्रा के कारण ही ऋतु-परिवर्तन होता है।
  4. सूर्यातप पर वायुमण्डलीय गतियाँ और वायुराशियाँ आधारित हैं। इस प्रकार सूर्य जलवायु के सभी तत्त्वों एवं पक्षों पर नियन्त्रण करता है।

प्रश्न 11.
विभिन्न अक्षांशों पर प्राप्त सूर्यातप की मात्रा भिन्न क्यों होती है?
उत्तर:
सूर्यातप की मात्रा मुख्य रूप से सूर्य की किरणों के आपतन कोण तथा दिन की अवधि पर निर्भर करती है। विभिन्न अक्षांशों पर पृथ्वी की वार्षिक गति तथा पृथ्वी के अक्ष के 22/5° पर झुकाव के कारण सूर्य की किरणों का आपतन कोण तथा दिन की अवधि भिन्न-भिन्न होती है। भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें लगभग लम्बवत् रूप से चमकती हैं, परन्तु भूमध्य रेखा से ध्रुवों करणें तिरछी होती जाती हैं तथा दिन की अवधि भी अधिक हो जाती है इसलिए विभिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है, परन्तु एक ही अक्षांश के सभी स्थानों पर सूर्यातप की मात्रा समान होती है।

प्रश्न 12.
वायुमण्डल सूर्यातप की अपेक्षा भौमिक विकिरण से अधिक गरम क्यों होता है?
उत्तर:
सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप से वायुमण्डल को गरम नहीं करतीं। ये किरणे लघु तरंगों के रूप में वायुमण्डल में से गुज़रती हैं। वायुमण्डल इन तरंगों को अपने अंदर समाने में अर्थात् अवशोषित करने में असमर्थ होता है। पहले सौर ऊर्जा से पृथ्वी गरम होती है, इसे पार्थिव या भौमिक विकिरण कहते हैं। भूतल को उष्णता लम्बी तरंगों के रूप में प्राप्त होती है जिसका 90% भाग १ रातल अवशोषित कर लेता है। इससे वायुमण्डल गरम होता रहता है। पार्थिव विकिरण द्वारा वायुमण्डल की निचली परतें ही गरम होती हैं। अधिक ऊँचाई पर इसका प्रभाव बहुत कम होता है इसलिए वायुमण्डल नीचे से ऊपर गरम होता है।

प्रश्न 13.
समताप रेखाओं की दिशा अधिकतर पूर्व-पश्चिम क्यों रहती है?
उत्तर:
प्रत्येक अक्षांश रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर सूर्य की किरणों का आपतन कोण तथा दिन की अवधि समान होती है इसलिए ये सभी स्थान समान मात्रा में सूर्यातप की मात्रा प्राप्त करते हैं जिससे इन सभी स्थानों का तापमान समान होता है। समान तापमान वाले स्थानों को एक रेखा से मिलाते हैं जिसे समताप रेखा कहते हैं। अक्षांश पूर्व-पश्चिम दिशा में फैले हुए हैं, इसलिए समताप रेखाओं तथा अक्षांश रेखाओं में अनुरूपता दिखाई पड़ती है। इसलिए ये रेखाएँ अक्षांश रेखाओं का अनुकरण करते हुए पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुई हैं।

प्रश्न 14.
समताप रेखाएँ मौसम के अनुसार उत्तर और दक्षिण की ओर क्यों खिसकती हैं?
उत्तर:
समताप रेखाओं की स्थिति मख्य रूप से सर्यातप की अधिकतम मात्रा पर आधारित होती है। मौसम के अनुसार इन किरणों में परिवर्तन होता रहता है। उदाहरण के लिए, जून मास में सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् रूप से चमकता है जिससे ग्रीष्मकाल में सूर्यातप की अधिकतम मात्रा उत्तरी गोलार्द्ध में होती है, परन्तु दिसम्बर मास में सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत् रूप से चमकता है। जिससे शीतकाल में सूर्यातप की अधिकतम मात्रा दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है, इसलिए ग्रीष्मकाल में समताप रेखाएँ उत्तर दिशा की ओर तथा शीतकाल में दक्षिण दिशा की ओर खिसक जाती हैं।

प्रश्न 15.
समताप रेखाएँ सबसे अधिक कहाँ खिसकती हैं? स्थल पर या जल पर? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समताप रेखाएँ जल की अपेक्षा स्थल पर अधिक खिसकती हैं, क्योंकि स्थल तथा जल में गरम होने की क्षमता में विभिन्नता पाई जाती है। स्थल शीघ्र गरम हो जाते हैं तथा शीघ्र ही ठण्डे हो जाते हैं, परन्तु जल देर से गरम होता है और देर से ही ठण्डा होता है। इसलिए मौसम के अनुसार जलीय क्षेत्रों की तुलना में स्थलीय क्षेत्रों के तापमान में अधिक अन्तर पाया जाता है, परन्तु तापमान का यह अन्तर सागरों तथा महासागरों पर कम होता है। इसलिए स्थलीय क्षेत्रों पर मौसम के अनुसार समताप रेखाएँ अधिक खिसकती हैं।

प्रश्न 16.
दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ अधिक अनियमित क्यों होती हैं?
उत्तर:
स्थलीय क्षेत्रों तथा जलीय क्षेत्रों में गरम होने की क्षमता में विभिन्नता पाई जाती है इसलिए समताप रेखाएँ महासागरों से महाद्वीपों अथवा महाद्वीपों से महासागरों की ओर आते समय मुड़ जाती हैं। ये समताप रेखाएँ जुलाई मास में उत्तरी गोलार्द्ध में महाद्वीपों से गुजरते समय भूमध्य रेखा की ओर मुड़ जाती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थिति इसके विपरीत होती है। मुख्य रूप से इसके दो निम्नलिखित कारण हैं

  • जल तथा स्थल क्षेत्रों का असमान वितरण।
  • स्थल तथा जल के गरम होने की क्षमता में विभिन्नता।

उत्तरी गोलार्द्ध में स्थलीय क्षेत्रों का विस्तार अधिक है, परन्तु दक्षिणी गोलार्द्ध में जलीय क्षेत्रों का विस्तार अधिक है। इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ अनियमित हैं, परन्तु दक्षिणी गोलार्द्ध में नियमित तथा सीधी हैं।

प्रश्न 17.
यद्यपि न्यूयार्क 40°N तथा बर्लिन 52°N पर स्थित है, परन्तु जनवरी मास का औसत तापमान लगभग समान क्यों रहता है?
उत्तर:
यद्यपि बर्लिन तथा न्यूयार्क में 52°- 40° = 12° अक्षांश का अन्तर है। बलिन न्यूयार्क से 12° उत्तर में स्थित है। उत्तर की ओर जाते समय तापमान में कमी आती है, परन्तु बर्लिन के निकट उत्तरी अन्ध-महासागर की गरम धारा बहती है जो इस स्थान के तापमान को बढ़ा देती है। इसलिए बर्लिन उच्च अक्षांशों में स्थित होते हा भी इसका तापमान जनवरी में न्यूयार्क के समान होता है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 18.
मनुष्य एवं प्रकृति के लिए सौर्मिक ऊर्जा के महत्त्व का उल्लेख करें।
उत्तर:
इस पथ्वी पर सभी प्रकार के जीवन और हर प्रकार की गति और संचरण के पीछे एक ही शक्ति है- सौर्यिक ऊर्जा।

  1. पाला रहित दिनों की संख्या ही फसलों के पकने की अवधि तय करती है। फसलों के पकने की अवधि भूमध्य रेखा से दूर जाने पर घटती जाती है।
  2. सूर्यातप की मात्रा निर्धारित करती है कि उस क्षेत्र में किस प्रकार की फसलें, वनस्पति और जीव-जगत होगा।
  3. वायुमण्डल के सामान्य संचरण के लिए सूर्यातप ही जिम्मेदार है। आँधी, तूफान, चक्रवात, पवनें सभी सौर्यिक ऊर्जा के कारण होते हैं।
  4. समुद्री जल की गति भी सूर्यातप से जुड़ी हुई है। नदियों का होना भी सूर्य के कारण है।
  5. सूर्यातप चट्टानों के भौतिक अपक्षय में सहयोग देता है।
  6. पृथ्वी पर नित्य बदलता भू-दृश्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सौर्यिक ऊर्जा की ही उपज है।

प्रश्न 19.
विभिन्न अक्षांश सूर्यातप की भिन्न-भिन्न मात्रा क्यों प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान पर सूर्यातप की मात्रा सूर्य की किरणों के आपतन कोण तथा दिन की अवधि पर निर्भर करती है। पृथ्वी के अक्ष के झुकाव तथा पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण भिन्न-भिन्न अक्षांशों पर सूर्य की किरणों का आपतन कोण भिन्न-भिन्न होता है तथा दिन की अवधि भी एक-समान नहीं होती। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्य की किरणों का सापेक्ष्य तिरछापन बढ़ता सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान जाता है और साथ ही दिन की अवधि भी बढ़ती जाती है। लेकिन किरणों के तिरछेपन के कारण सूर्यातप की मात्रा घटती जाती है। इसलिए भिन्न-भिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप की मात्रा अलग-अलग पाई जाती है। हाँ, एक ही अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा सभी स्थानों पर एक-समान होती है।

प्रश्न 20.
दैनिक उच्चतम तापमान क्या होता है और यह कब होता है?
उत्तर:
किसी विशेष दिन के अधिकतम तापमान को उस दिन का उच्चतम तापमान कहा जाता है। दिन में दोपहर के समय सूर्य आकाश में सबसे ऊँचा होता है तथा सूर्य की किरणें लगभग सीधी पड़ती हैं। इससे धरातल गरम होने लगता है। भूतल के सम्पर्क में आने वाला वायुमण्डल पार्थिव विकिरण अर्थात् पृथ्वी द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा से गरम हो जाता है। इसलिए वायुमण्डल का उच्चतम तापमान दोपहर बाद दिन के 2.00 बजे होता है। यह सत्य भी है कि दोपहर की अपेक्षा ‘दोपहर बाद’ तापमान अधिक होता है।

प्रश्न 21.
दैनिक न्यूनतम तापमान क्या होता है? यह कब होता है?
उत्तर:
दिन भर में सबसे कम तापमान को दैनिक न्यूनतम तापमान कहते हैं। न्यूनतम तापमान रात के 12 बजे नहीं होता अपितु प्रातः 4 बजे होता है। धरातल द्वारा गर्मी छोड़ने की क्रिया ‘विकिरण’ (Radiation) सुबह तक होती रहती है। जब पृथ्वी पूर्ण रूप से ठण्डी हो जाती है तो वायुमण्डल में न्यूनतम ताप होता है।

प्रश्न 22.
मध्यमान दैनिक तापमान क्या होता है और यह कैसे निकलता है?
उत्तर:
किसी भी दिन के उच्चतम तथा न्यूनतम तापमान की औसत को मध्यमान दैनिक तापमान कहते हैं।
Mean, Daily Tempt. = \(\frac { Max. Temp. + Min. Temp. }{ 2 }\)
यदि किसी स्थान का किसी विशेष दिन का अधिकतम तापमान 38°C तथा न्यूनतम तापमान 28°C है तो उस स्थान का मध्यमान दैनिक तापमान = \(\frac{38^{\circ} \mathrm{C}+28^{\circ} \mathrm{C}}{2}\) = 33°C

प्रश्न 23.
किसी स्थान के मध्यमान तापमान से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक लम्बे समय (पिछले 35 वर्षों) के मध्यमान वार्षिक तापमान को जोड़कर 35 से भाग देने पर किसी स्थान का औसत तापमान निकल आता है। इसे किसी स्थान का सामान्य तापमान भी कहते हैं। इससे अनुमान लगाया जाता है कि किसी स्थान की जलवायु गरम है या ठण्डी।

प्रश्न 24.
सूर्यातप और तापमान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सूर्यातप और तापमान में निम्नलिखित अन्तर हैं-

सूर्यातप तापमान
1. सूर्यातप ऊर्जा का एक रूप है जो वस्तुओं को गरम करती है। 1. तापमान किसी पदार्थ की गरमी या ठंडक की माप है।
2. सूर्यातप को जूल और कैलोरी में प्रकट किया जाता है। 2. तापमान आवश्यकतानुसार कई पैमानों पर मापा जाता है लेकिन इसमें सेल्सियस और फारेनहाइट प्रमुख हैं।
3. सूर्यातप का संचार/स्थानांतरण चालन, संवहन और विकिरण द्वारा होता है। 3. तापमान का संचरण नहीं होता।
4. सूर्यातप या ऊष्मा पदार्थों को गरम करती है। इससे ठोस पदार्थ तरल और गैस अवस्था में बदल जाते हैं। 4. पदार्थों को ऊष्मा मिलने से उनका तापमान बढ़ता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्यातप क्या है? भूतल पर सूर्यातप के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सूर्यातप का अर्थ पृथ्वी पर पहुँचने वाली सूर्य की ऊष्मा को सूर्यातप कहा जाता है। यह ऊर्जा सूर्य से लघु तरंगों के रूप में 3 लाख कि०मी० प्रति सैकिण्ड की गति से पृथ्वी पर पहुँचती है।

सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक:
भू-तल पर सभी जगह सूर्यातप की मात्रा एक समान नहीं होती। सूर्यातप के वितरण को अनेक कारक नियन्त्रित करते हैं जिनका वर्णन अग्रलिखित प्रकार से है-
1. सूर्य की किरणों का सापेक्ष्य झुकाव-सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर इन किरणों का तिरछापन बढ़ता जाता है। सूर्य की किरणों का तिरछापन धरातल पर पहुँचने वाली सूर्यातप की मात्रा को दो प्रकार से प्रभावित करता है
(क) क्षेत्रफल-जब सूर्य लगभग मध्याह्न में होता है तो उसकी किरणें धरातल पर लम्बवत् पड़ती हैं। लम्बवत् किरणें भू-पृष्ठ की अपेक्षाकृत कम क्षेत्रफल पर फैलती हैं जिसके कारण उस स्थान का प्रति इकाई ताप भी अधिक हो जाता है। तिरछी किरणों का उतना ही समूह भू-पृष्ठ के अधिक क्षेत्रफल को घेरता है। अधिक क्षेत्रफल को गर्म करने के कारण वहाँ प्रति इकाई सूर्यातप की तीव्रता भी कम हो जाती है।

(ख) वायुमण्डल की मोटाई-सीधी किरणों की अपेक्षा तिरछी किरणों को वायुमण्डल की मोटी परत पार करनी पड़ती है। उदाहरणतः जब सूर्य की क्षैतिज से ऊँचाई केवल 4° होती है तो सूर्य की किरणों को 12 गुना मोटे वायुमण्डल से गुजरना पड़ता है। वायुमण्डल में सूर्य की किरणें जितनी अधिक दूरी तय करेंगी उनका बिखराव, परावर्तन और अवशोषण भी उतना ही अधिक होगा। परिणामस्वरूप पृथ्वी पर कम सूर्यातप पहुँचेगा।

2. दिन की अवधि-जिन स्थानों पर दिन लम्बे और रातें छोटी होती हैं वहाँ प्राप्त होने वाला सूर्यातप अधिक और रात को भू-पृष्ठ से विकरित होकर अन्तरिक्ष में जाने वाली ऊष्मा अपेक्षाकृत कम होती है। ऐसे क्षेत्र सूर्यातप-आधिक्य वाले क्षेत्र कहलाते हैं। इसके विपरीत जिन स्थानों पर दिन छोटे और रातें लम्बी होती हैं वहाँ सूर्यातप की मात्रा कम और विकरित होकर नष्ट हुई ऊष्मा। की मात्रा अधिक होती है। ऐसे क्षेत्रों को ऊष्मा-हानि वाले क्षेत्र कहा जाता है। दिन की अवधि ऋतु और अक्षांश द्वारा निर्धारित होती है। वास्तव में सूर्य की किरणों का सापेक्ष्य झुकाव और दिन की अवधि दोनों मिलकर पृथ्वी पर सूर्यातप के वितरण को नियन्त्रित करते हैं। अकेले दिन की अवधि से बात नहीं बनती। उदाहरणतः उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों में दिन की अवधि 6 मास की होने के बावजूद सूर्यातप की मात्रा न्यूनतम होती है और वहाँ बर्फ जमी रहती है। इसके लिए सूर्य की किरणों का तिरछापन उत्तरदायी है।

3. वायमण्डल की पारगम्यता-जिन क्षेत्रों में वायमण्डल में आर्द्रता. बादल और धलकण जैसी परिवर्तनशील दशाएँ अधिक पाई जाती हैं वहाँ परावर्तन, अवशोषण व प्रकीर्णन द्वारा सूर्यातप का हास होता रहता है। इसके विपरीत जहाँ वायुमण्डल निर्मल होता है वहाँ अपेक्षाकृत अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है। यही कारण है कि अफ्रीका के सहारा मरुस्थल में मेघ-रहित आकाश होने के कारण अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है जबकि भूमध्य रेखा पर स्थित ज़ायरे बेसिन (अफ्रीका) में मेघाच्छन्न आकाश के कारण बहुत मात्रा में सूर्यातप परावर्तित हो जाता है।

सूर्यातप को प्रभावित करने वाले गौण कारक-
4. भूमि का ढाल-पर्वतों के जो ढाल सूर्य के सामने पड़ते हैं उन पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं और वहाँ अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है। जो ढाल सूर्य से विमुख होते हैं, वहाँ पड़ने वाली सूर्य की तिरछी किरणें कम सूर्यातप दे पाती हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में, पर्वतों के दक्षिणी ढाल सूर्य के सामने और उत्तरी ढाल से विमुख पड़ते हैं।

5. सौर कलंकों की संख्या-सूर्य के तल पर काले रंग के गहरे व उथले अनेक धब्बे बनते और बिगड़ते रहते हैं, उन्हें सौर कलंक हते हैं। सौर विकिरण और सौर कलंकों की संख्या में गहरा सम्बन्ध होता है। इन कलंकों की संख्या के बढ़ने और घटने पर पृथ्वी पर सूर्यातप की मात्रा बढ़ती और घटती है।

6. पृथ्वी की सूर्य से दूरी-सूर्य के चारों ओर अण्डाकार पथ पर परिक्रमण करती हुई पृथ्वी कभी सूर्य से दूर व कभी सूर्य के पास आ जाती है। 4 जुलाई को अपसौरिका की स्थिति में पृथ्वी सूर्य से 15.20 करोड़ किलोमीटर की अधिकतम दूरी पर होती है। 3 जनवरी को उपसौरिका की स्थिति में पृथ्वी सूर्य से 14.70 करोड़ किलोमीटर की निकटतम दूरी पर होती है। इस प्रकार 3 जनवरी को 4 जुलाई की अपेक्षा पृथ्वी को लगभग 7% अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।

7. जल-स्थल का वितरण-धरातल का तीन-चौथाई भाग जल से तथा एक-चौथाई भाग स्थल से ढका हुआ है। जल और स्थल भिन्न-भिन्न तापमान पर गरम और ठण्डे होते हैं। जल की विशिष्ट ऊष्मा अधिक होने के कारण वह देर से गरम और देर से ठण्डा होता है। इस प्रकार जल और स्थल का वितरण भी सूर्यातप की मात्रा को प्रभावित करता है।

8. धरातल की प्रकृति धरातल पर कुछ वस्तुएँ सूर्यातप का अधिक अवशोषण करती हैं व अन्य कुछ कम। जहाँ सूर्यातप का अवशोषण अधिक होता है वहाँ सूर्यातप की मात्रा अधिक पाई जाती है; जैसे काली व गहरे रंग की मिट्टियों के क्षेत्र । बर्फीले व पथरीले प्रदेश सूर्यातप की अधिकांश मात्रा का प्रतिबिम्बन कर देते हैं। अतः ऐसे क्षेत्रों में कम सूर्यातप प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी के ऊष्मा बजट का विस्तृत सचित्र विवरण दीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य से जितनी ऊष्मा प्राप्त करती है, उतनी ऊष्मा का वह त्याग भी कर देती है। इसलिए पृथ्वी पर औसत तापमान सदा एक जैसा बना रहता है। पृथ्वी द्वारा प्राप्त सूर्यातप और उसके द्वारा छोड़े जाने वाले भौमिक विकिरण (Terrestrial Radiation) के खाते को पृथ्वी का ऊष्मा बजट कहा जाता है।
HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान 1
मान लीजिए वायुमण्डल की सबसे ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाली ऊष्मा 100 इकाई है। इनमें से 35 इकाइयाँ धरातल पर पहुँचने से पहले ही अन्तरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। इन 35 इकाइयों में से 6 इकाइयाँ धूलकणों से प्रकीर्णन (Scatterring) द्वारा, 27 इकाइयाँ मेघों द्वारा और शेष 2 इकाइयाँ बर्फ से ढके क्षेत्रों द्वारा परावर्तित होकर अन्तरिक्ष में लौट जाती हैं (6+27 + 2 = 35)। सौर विकिरण की यह परावर्तित मात्रा पृथ्वी की एल्बिडो (Albedo of the earth) कहलाती है।

बची हुई ऊष्मा की 65 इकाइयों में से 14 इकाइयाँ वायुमण्डल द्वारा और 51 इकाइयाँ पृथ्वी द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं (14+ 51 = 65)। ऊष्मा की इस मात्रा को प्रभावी सौर विकिरण कहा जाता है। इस प्रकार सूर्य से प्राप्त ऊष्मा के छोटे-से अंश का भी लगभग आधा भाग ही पृथ्वी पहुँच पाता है।

पृथ्वी द्वारा अवशोषित 51 इकाइयाँ पुनः भौमिक विकिरण के रूप में वापस शून्य में लौट जाती हैं। इन 51 इकाइयों में से 17 इकाइयाँ सीधे अन्तरिक्ष में चली जाती हैं और 34 इकाइयाँ वायुमण्डल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं- (17+ 34 = 51)। इन 34 इकाइयों में से 6 इकाइयाँ स्वयं वायुमण्डल द्वारा, 9 इकाइयाँ संवहन द्वारा व 19 इकाइयाँ गुप्त ऊष्मा द्वारा अवशोषित हो जाती हैं।

इस प्रकार वायुमण्डल 48 इकाइयों का अवशोषण करके (34 भौमिक विकिरण की व 14 सौर विकिरण की) उन्हें अन्तरिक्ष में लौटा देता है। पृथ्वी और वायुमण्डल दोनों मिलकर 17 + 48 = 65 इकाइयों को अन्तरिक्ष में भेजते हैं। इससे पृथ्वी और वायुमण्डल द्वारा अवशोषित 51 + 14 = 65 इकाइयों का हिसाब बराबर हो जाता है। इसी को पृथ्वी का ऊष्मा बजट अथवा ऊष्मा सन्तुलन कहा जाता है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 3.
तापमान को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसी स्थान के तापमान को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
1. अक्षांश अथवा भूमध्य रेखा से दूरी पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण सूर्य की किरणें सारा वर्ष भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं। भूमध्य रेखा से दूर ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्य की किरणें अधिकाधिक तिरछी होती जाती हैं। लाम्बिक या सीधी किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा अधिक ऊष्मा प्रदान करती हैं, क्योंकि वे तिरछी किरणों की अपेक्षा कम क्षेत्रफल को गरम करती हैं और अपेक्षाकृत परतें वायुमण्डल से गुजरती हैं। अतः भूमध्य रेखा के निकट स्थित स्थानों का तापमान ऊँचा होता है जबकि भूमध्य रेखा से दूर स्थित स्थानों का तापमान कम होता है, यहाँ तक कि ध्रुवों पर तापमान हिमांक से नीचे गिर जाता है।

2. समुद्र तल से ऊँचाई-वायुमण्डल धूलकणों, गैस व अशुद्धियों द्वारा अवशोषित ऊष्मा से गरम होता है। ऊँचाई के साथ वायु विरल होती जाती है और उसका घनत्व भी घटता जाता है। परिणामस्वरूप ऊँचाई के साथ वायु में अवशोषित होने वाली ऊष्मा की मात्रा भी घटती जाती है। सामान्यतः वायु की निचली परतों में 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेल्सियस अथवा 1 किलोमीटर की ऊँचाई पर 6.4° सेल्सियस तापमान गिर जाता है। ऊँचाई के साथ तापमान का यह ह्रास विभिन्न स्थानों और विभिन्न ऋतुओं में अलग-अलग होता है। इसी कारण पर्वतीय प्रदेश मैदानों की अपेक्षा अधिक ठण्डे होते हैं।

3. समुद्र तट से दूरी-उच्चतर विशिष्ट ऊष्मा के कारण जल देर से गरम और देर से ठण्डा होता है जबकि स्थलीय भाग शीघ्र गरम और शीघ्र ठण्डे हो जाते हैं। इसी कारण समुद्र तटीय प्रदेशों का तापमान भीतरी प्रदेशों की अपेक्षा अधिक समान रहता है। तटीय स्थानों पर सर्दियों में कम सर्दी, गर्मियों में कम गर्मी और वार्षिक तापान्तर कम होता है जबकि समुद्र से दूर स्थित भीतरी प्रदेशों में सर्दियों में अधिक सर्दी, गर्मियों में अधिक गर्मी और वार्षिक तापान्तर भी अधिक रहता है।

4. समुद्री धाराएँ-समुद्री धाराएँ भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर ऊष्मा का और ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर ठण्ड का स्थानान्तरण करती रहती हैं। गरम या ठण्डी धाराएँ जिन तटीय क्षेत्रों के पास से गुजरती हैं वे वहाँ का तापमान उसी के अनुरूप अधिक या कम कर देती हैं। इसका कारण यह है कि इन धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनें अपने साथ गर्म या ठण्डी धाराएँ तटीय क्षेत्रों में ले आती हैं। उदाहरणतः उत्तर:पश्चिमी यूरोप के तट के साथ बहने वाली गरम गल्फ स्ट्रीम या उत्तर अटलाण्टिक ड्रिफ्ट वहाँ के तटीय भागों का तापमान ऊँचा रखती है जिससे वहाँ के बन्दरगाह साल भर खुले रहते हैं। इसके विपरीत उन्हीं अक्षांशों पर स्थित उत्तर:पूर्वी कनाडा के लैब्रेडोर तट पर लैब्रेडोर की ठण्डी धारा बहती है जिससे वहाँ का तापमान हिमांक से भी नीचे हो जाता है और वर्ष के 8-9 महीने बन्दरगाहें बर्फ से जमी रहने के कारण बन्द रहती हैं।

5. प्रचलित पवनें हवाओं की दिशा भी किसी स्थान के तापमान को प्रभावित करती है। उष्ण कटिबन्धों से आने वाली तप्त पवनें तापमान को बढ़ा देती हैं जबकि ध्रुवीय प्रदेशों से आने वाली ठण्डी पवनें तापमान को कम कर देती हैं। समुद्र से आने वाली पवनें आर्द्र होती हैं और वर्षा लाती हैं और तापमान की विषमता को कम करती हैं जबकि महाद्वीपों के आंतरिक भागों से आने वाली
शुष्क पवनें तापमान की विषमता को बढ़ा देती हैं।

6. भूमि का ढाल-उत्तरी गोलार्द्ध में पर्वतों के दक्षिणी ढाल और दक्षिणी गोलार्द्ध में पर्वतों के उत्तरी ढाल सूर्य के सामने पड़ते हैं। सूर्य के सामने पड़ी ढालों पर किरणें सीधी पड़ती हैं जो अधिक सूर्यातप प्रदान करती हैं जिससे तापमान बढ़ता है। सूर्य से विपरीत दिशा में स्थित ढालों पर किरणें तिरछी पड़ती हैं जिससे वहाँ कम सूर्यातप व कम तापमान रहता है। यही कारण है कि हिमालय और आल्पस की दक्षिणी ढलानों पर अधिक तापमान के कारण मानव बस्तियाँ व कृषि कार्य केन्द्रित हैं जबकि उत्तरी ठण्डे ढालों पर केवल सघन वन पाए जाते हैं।

7. भू-तल का स्वभाव-किसी स्थान का तापमान वहाँ प्राप्त सूर्यातप के अवशोषण और प्रतिबिम्बन की मात्रा पर निर्भर करता है। हिम तथा वनस्पति से ढके प्रदेश सूर्यातप की अधिकांश मात्रा को प्रतिबिम्बित करके वापस वायुमण्डल में लौटा देते हैं जिस कारण इन प्रदेशों का तापमान कम रहता है। इसके विपरीत काली अथवा गहरी मिट्टियों और रेत से ढके भू-पृष्ठ के भाग सूर्यातप की अधिकांश मात्रा को अवशोषित करके वहाँ के तापमान को ऊँचा कर देते हैं।

8. मेघ तथा वर्षा-जिन प्रदेशों में आकाश अधिकतर बादलों से ढका रहता है और वहाँ वर्षा भी अधिक होती है। वहाँ तापमान बहुत अधिक नहीं हो पाता क्योंकि बादल सूर्य की किरणों को पृथ्वी तल तक नहीं पहुँचने देते और उन्हें वापिस प्रतिबिम्बित कर देते हैं। यही कारण है कि भूमध्यरेखीय प्रदेश में सूर्य की किरणें सारा वर्ष सीधी पड़ने के बावजूद वहाँ तापमान इतना अधिक नहीं हो पाता जितना कि मेघ-रहित उष्ण मरुस्थलों में।

9. पर्वतों का अवरोध-पर्वत ठण्डी हवाओं को रोककर दूसरी ओर स्थित क्षेत्र को ठण्ड से बचाते हैं जिससे तापमान नीचे नहीं गिर पाता। उदाहरणतः कोलकाता और चीन का कैण्टन दोनों तटीय नगर हैं और एक ही अक्षांश पर स्थित हैं। कैण्टन कोलकाता की अपेक्षा ठण्डा है। इसका कारण यह है कि हिमालय कोलकाता को मध्य एशिया से आने वाली ठण्डी पवनों से बचा लेता है जबकि कैण्टन के पास पर्वतीय अवरोध न होने के कारण वहाँ भयंकर ठण्ड होती है। इसी प्रकार यूरोप में आल्पस पर्वत इटली को ध्रुवीय ठण्डी पवनों से बचाते हैं।

प्रश्न 4.
समताप रेखाएँ क्या हैं? इनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
समताप रेखाएँ-समताप रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं जो मानचित्र पर समान तापक्रम वाले स्थानों को मिलाती हैं। समताप रेखाओं की विशेषताएँ-समताप रेखाओं में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं-
(1) धरातल पर एक अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा लगभग समान पाई जाती है, इसलिए तापक्रम भी एक अक्षांश पर बराबर रहता है। यही वजह है कि समताप रेखाएँ पूर्व-पश्चिम दिशा में एक-दूसरे के लगभग समानान्तर तथा अक्षांशों के समानान्तर खींची जाती हैं।

(2) समताप रेखाओं के बीच की दूरी से ताप प्रवणता ज्ञात की जाती है। यदि समताप रेखाओं के बीच की दूरी कम है तो इसका तात्पर्य है कि दो स्थानों के तापक्रम में तीव्र वृद्धि हो रही है अर्थात् ताप प्रवणता अधिक है और यदि उनके बीच की दूरी अधिक है तो ताप प्रवणता कम होगी।

(3) जल तथा स्थल का तापक्रम भिन्न-भिन्न होता है, इसलिए जब समताप रेखाएँ तटीय भागों पर आती हैं तो एकदम मुड़ जाती हैं। इसका तात्पर्य है कि तापक्रम में अचानक परिवर्तन आ जाता है।

(4) दक्षिणी गोलार्द्ध जलीय गोलार्द्ध है जिसमें जल की प्रधानता है इसलिए समताप रेखाएँ कम मुड़ती हैं, जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता के कारण ये अधिक टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं।

(5) भूमध्य रेखीय एवं उष्ण कटिबन्धीय भागों में समताप रेखाओं का मान अधिक होता है, जबकि ध्रुवों की ओर जाने पर इनका मान क्रमशः घटता जाता है।

(6) स्थलीय भाग से समुद्र की ओर जाते समय समताप रेखाएँ शीतकाल में भूमध्य रेखा की ओर तथा ग्रीष्मकाल में ध्रुवों की ओर मुड़ जाती हैं, क्योंकि शीतकाल में स्थलीय भाग समुद्रों से अधिक ठण्डे (कम तापक्रम) होते हैं।

प्रश्न 5.
जनवरी तथा जुलाई के तापमान के वितरण के मुख्य लक्षण क्या हैं?
उत्तर:
संसार में जनवरी तथा जुलाई के महीने प्रायः न्यूनतम तथा अधिकतम तापक्रम वाले महीने होते हैं इसलिए इन दो महीनों के तापक्रम का विश्लेषण आवश्यक है।
1. जनवरी के तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature of January) जनवरी के महीने में सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होती है अर्थात् मकर रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं इसलिए दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय ग्रीष्म ऋतु होती है। इस समय ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी मध्य अफ्रीका तथा उत्तरी-पश्चिमी अर्जेन्टीना में तापमान लगभग 30° सेल्सियस के आस-पास रहता है, जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान की स्थिति इसके विपरीत होती है। उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है, रातें बड़ी होती हैं और तापक्रम कम होता है। साइबेरिया में वोयान्सक विश्व का सबसे ठण्डा क्षेत्र है जहाँ पर जनवरी महीने का तापमान -50° सेल्सियस तक गिर जाता है।

उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता है और तापमान स्थलीय भागों में कम रहता है, इसलिए समताप रेखाएँ जैसे ही स्थलों से महासागरों में पहुँचती हैं तो भूमध्य रेखा की ओर मुड़ जाती हैं क्योंकि सागरीय भागों में तापक्रम अपेक्षाकृत अधिक रहता है। अतः उत्तरी गोलार्द्ध में ताप प्रवणता अधिक रहती है। (क्योंकि समताप रेखाओं के बीच की दूरी कम रहती है।) दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महासागरीय प्रभाव के कारण दूर-दूर रहती हैं और महाद्वीपों से गुजरते समय दक्षिणी ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं। समताप रेखाएँ उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में अधिक नियमित होती हैं।

2. जुलाई के तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature of July)-जुलाई के माह में उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत होती हैं, इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध में दिन की अवधि लम्बी तथा ग्रीष्म ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है। उत्तरी गोलार्द्ध में 10° से 40° अक्षांशों के मध्य अधिकतम तापक्रम रहता है। तापक्रम का औसत 30° सेल्सियस से अधिक रहता है। समताप रेखाएँ एक-दूसरे से दूर-दूर स्थित होती हैं।

जब ये रेखाएँ स्थलीय भागों से महासागरों की ओर जाती हैं तो महासागर की सीमा से दक्षिण की ओर भूमध्य रेखा की ओर स्थल की ओर गुजरते समय ध्रुवों की ओर मुड़ जाती हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी स्थिति अत्यधिक अनियमित होती है। उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, उत्तरी-पश्चिमी भारत, अमेरिका का दक्षिणी-पूर्वी भाग तथा अफ्रीका में सहारा मरुस्थल का तापमान अत्यधिक अर्थात् 35° सेल्सियस से अधिक रहता है। न्यूनतम तापमान ध्रुवीय क्षेत्रों में पाया जाता है। पाकिस्तान तथा उत्तरी-पश्चिमी भारत ग्रीष्म ऋतु में ‘लू’ की चपेट में आ जाते हैं, लेकिन जुलाई के प्रथम सप्ताह में वर्षा के कारण तापक्रम में कुछ कमी आ जाती है।

प्रश्न 6.
तापमान के क्षैतिज वितरण का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
तापमान के क्षैतिज वितरण का आशय अंक्षाशीय वितरण से है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर (दोनों गोलार्डों में) जाने पर तापमान में क्रमशः कमी होती जाती है। इस क्षैतिज वितरण के आधार पर पृथ्वी को तीन कटिबन्धों या मण्डलों में विभक्त किया जाता है
1. उष्ण-कटिबन्ध (Torrid Zone) यह कटिबन्ध दोनों गोलार्डों में 237° उत्तरी तथा 237° दक्षिणी अक्षांशों के बीच का क्षेत्र है अर्थात् कर्क और मकर रेखा के बीच के क्षेत्र को उष्ण कटिबन्ध कहा जाता है। यहाँ साल भर सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं जिससे तापक्रम ऊँचा रहता है। भूमध्य रेखा के आस-पास तो शीत ऋतु होती ही नहीं, वहाँ औसत तापक्रम ऊँचा रहता है।

2. शीतोष्ण कटिबन्ध (Temperature Zone)-यह कटिबन्ध दोनों गोलार्डों में 23/2° से 66/2° अक्षांशों के मध्य स्थित है। इस प्रदेश में दिन-रात की अवधि मौसम के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है। जब सूर्य की स्थिति उत्तरायण होती है तो उस समय उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े तथा रातें छोटी हैं और ग्रीष्म ऋतु होती है, लेकिन जब सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होती है तो दक्षिणी . गोलार्द्ध में दिन बड़े तथा रातें छोटी होती हैं और उत्तरी गोलार्द्ध में इसके विपरीत स्थिति होती है।

3. शीत कटिबन्ध (Frigid Zone)-इस कटिबन्ध का विस्तार दोनों गोलार्डों में 66%° से ध्रुवों (90°) तक है। यहाँ सूर्य की किरणे अत्यधिक तिरछी पड़ती हैं जिसके कारण दिन की अवधि छोटी होती है। जब सूर्य की किरणें दक्षिणायन होती हैं तो उत्तरी गोलार्द्ध के ध्रुवों पर 6 महीने की रात तथा जब सूर्य की स्थिति उत्तरायण होती है तो ऐसी दशा में दक्षिणी ध्रुव पर 6 महीने की रात होती है। 6 महीने की रात के कारण सूर्यातप बहुत कम प्राप्त होता है जिससे तापक्रम साल भर नीचा तथा हिमांक से कम रहता है अर्थात् तापक्रम दोनों ध्रुवों पर कम पाया जाता है।

प्रश्न 7.
वायुमंडल के तापन और शीतलन की विधियों का वर्णन कीजिए। अथवा वायुमंडल उष्मा संचरण की कौन-सी विधियों से गरम और ठण्डा होता है? इनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायुमंडल के गर्म तथा ठण्डा होने में पार्थिव या भौमिक शक्ति (Terrestrial Force) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस पार्थिव शक्ति के कारण कुछ भौतिक क्रियाएं होती हैं जिनके कारण वायुमण्डल गर्म तथा ठण्डा होता रहता है। ये भौतिक विधियाँ निम्नलिखित हैं
1. विकिरण (Radiation) सूर्य से आने वाली तरंगों के द्वारा वायुमण्डल का गर्म होना विकिरण (Radiation) कहलाता है। सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा द्वारा वायुमण्डल तथा पृथ्वी दोनों ही गर्म होते हैं। पृथ्वी पर प्राप्त सौर ऊर्जा से पृथ्वी गर्म होती है। इसे पार्थिव या भौमिक विकिरण (Terrestrial Radiation) कहते हैं। भू-तल को उष्णता लम्बी तरंगों के रूप में प्राप्त होती है जिसका 90% धरातल अवशोषित कर लेता है और वायुमण्डल गर्म होता रहता है। पार्थिव विकिरण द्वारा वायुमण्डल की निचली परतें ही गर्म होती हैं। अधिक ऊँचाई पर इसका प्रभाव बहुत कम होता है।

2. परिचालन (Conduction) जब दो असमान प्रकृति वाली वस्तुएँ एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं तो जो अधिक तापमान वाली वस्तु है, वह कम तापमान वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है अर्थात् अधिक तापमान वाली वस्तु से तापमान का संचालन कम तापमान वाली वस्तु की ओर होता है और यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक दोनों वस्तुओं का तापमान एक-जैसा या समान न हो जाए। इसे संचालन भी कहते हैं। वायु ऊष्मा की कुचालक है, अतः वायुमण्डल में ऊष्मा का संचालन आसानी से नहीं होता। केवल वायुमण्डल की निचली परत पर ही ऊष्मा का संचालन होता है अथवा वायुमण्डल की निम्न परत ही गर्म होती है। ऊपरी परतों पर इसका प्रभाव नगण्य होता है। प्रकृति का यह नियम है कि वह प्रत्येक वस्तु में समानता चाहती है, इसलिए गर्म एवं तप्त सूर्य पृथ्वी को लगातार अपनी किरणों द्वारा ताप प्रदान करता रहता है। यह ताप वायुमण्डल की विभिन्न परतों से धरातल पर आने का प्रयास करता है जिससे सूर्यातप में धरातल पर समानता बनी रहे।

3. संवहन (Convection) सूर्यातप के विकिरण द्वारा धरातल की वायु गर्म होती है। गर्म वायु हल्की होकर ऊपर उठती है तथा फैलती है लेकिन वायुमण्डल में ऊँचाई पर जाने पर तापमान की कमी के कारण यही वायु ठण्डी हो जाती है। ठण्डी होने के कारण यह भारी होकर पुनः धरातल पर नीचे उतर जाती है और पुनः धरातल से गर्म होकर ऊपर उठती है। इसी प्रक्रिया के कारण वायुमण्डल में संवहन (Convection) शुरू हो जाता है तथा लम्बवत् रूप में संवहनिक तरंगें चलने लगती हैं। इस प्रकार की क्रियाएँ उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों में अधिक होती हैं। इस प्रकार वायुमण्डल में या तरल पदार्थ में जो ऊष्मा का एक भाग से दूसरे भाग में स्थानान्तरण होता है, उसे संवहन कहा जाता है।

4. अभिवहन (Advection)अभिवहन वह क्रिया है जिसमें ऊष्मा का स्थानान्तरण क्षैतिज रूप में होता है। जब भूमध्य रेखीय या उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों की गर्म वायुराशियाँ मध्य महाद्वीपों या उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में पहुँचती हैं तो वहाँ की ठण्डी वायुराशियों को कम कर देती हैं। इसी प्रकार गर्म समुद्री धाराएँ, जो उष्ण प्रदेशों से उत्पन्न होती हैं और ठण्डे प्रदेशों में प्रवेश करती हैं तो वहाँ के तापमान में वृद्धि कर देती हैं। इस क्रिया को ही अभिवहन कहते हैं।

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