Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
भाग-I : सही विकल्प का चयन करें
1. समुद्रतल पर वायुदाब कितना होता है?
(A) 1011 मिलीबार
(B) 34 मिलीबार/300 मीटर
(C) 1013 मिलीबार
(D) 36 मिलीबार/300 मीटर
उत्तर:
(B) 34 मिलीबार/300 मीटर
2. ऊँचाई के साथ वायुदाब किस दर से घटता है?
(A) 33 मिलीबार/300 मीटर
(B) 1012 मिलीबार मीटर
(C) 35 मिलीबार/300 मीटर
(D) 1014 मिलीबार मीटर
उत्तर:
(C) 35 मिलीबार/300 मीटर
3. भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब कटिबंध भूमध्य रेखा के उत्तर में कब खिसकता है?
(A) 21 जून
(B) 22 सितंबर
(C) 25 दिसम्बर
(D) 23 मार्च
उत्तर:
(A) 21 जून
4. समुद्रतल पर एक वर्ग इंच क्षेत्रफल पर वायु का कितना भार होता है?
(A) 5.68 कि०ग्रा०
(B) 6.68 किग्रा०
(C) 6.75 कि०ग्रा०
(D) 6.80 कि०ग्रा०
उत्तर:
(D) 6.80 कि०ग्रा०
5. वायुदाब मापने के स्वचालित यंत्र को कहते हैं-
(A) बैरोमीटर
(B) थर्मामीटर
(C) थर्मोग्राफ
(D) बैरोग्राफ
उत्तर:
(D) बैरोग्राफ
6. समुद्रतल के अनुसार समानीत समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा कहलाती है-
(A) समदाब रेखा
(B) समताप रेखा
(C) समोच्च रेखा
(D) समवर्षा रेखा
उत्तर:
(A) समदाब रेखा
7. कौन-सा बल वायुमंडल को भू-पृष्ठ से परे धकेलता है?
(A) अपकेंद्री बल
(B) अभिकेंद्री बल
(C) उत्पलावकता बल
(D) गुरुत्वाकर्षण बल
उत्तर:
(A) अपकेंद्री बल
8. किस वायुदाब पेटी को डोलड्रम या शांतपेटी कहते हैं?
(A) उपध्रुवीय निम्न-दाब कटिबंध
(B) उपोष्ण उच्च-दाब कटिबंध
(C) भूमध्य-रेखीय निम्न-दाब कटिबंध
(D) ध्रुवीय उच्च-दाब कटिबंध
उत्तर:
(C) भूमध्य-रेखीय निम्न-दाब कटिबंध
9. भूमध्य रेखीय निम्न दाब कटिबंध तथा ध्रुवीय उच्च-दाब कटिबंध हैं-
(A) दाब प्रेरित
(B) ताप प्रेरित
(C) गति प्रेरित
(D) दिशा प्रेरित
उत्तर:
(B) ताप प्रेरित
10. तापमान के बढ़ने पर वायुदाब-
(A) घटता है
(B) बढ़ता है
(C) वही रहता है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) घटता है
11. लगभग ऊर्ध्वाधर दिशा में गतिमान वायु को कहा जाता है-
(A) जेट प्रवाह
(B) लंबवत् पवन
(C) चक्रवात
(D) वायु धारा
उत्तर:
(B) लंबवत् पवन
12. निम्नलिखित में से कौन-सी पवनें भूमंडलीय पवनें नहीं हैं?
(A) मानसून पवनें
(B) स्थायी पवनें
(C) पछुवा पवनें
(D) ध्रुवीय पवनें
उत्तर:
(A) मानसून पवनें
13. पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनों का अपनी मूल दिशा से विक्षेपित हो जाना कहलाता है-
(A) आभासी प्रभाव
(B) फैरल का नियम
(C) कॉरिआलिस प्रभाव
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
14. पछुवा (बहादुर) पवनें बहती हैं-
(A) उत्तरी अंध महासागर में
(B) उत्तरी प्रशांत महासागर में
(C) उत्तरी गोलार्द्ध में
(D) दक्षिणी गोलार्द्ध में
उत्तर:
(D) दक्षिणी गोलार्द्ध में
15. पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी कनाडा व दक्षिणी-पश्चिमी चिली में कौन-सी पवनें वर्ष-भर वर्षा नहीं करती?
(A) पछुवा पवनें
(B) ध्रुवीय पवनें
(C) सन्मार्गी पवनें
(D) जल-समीरें
उत्तर:
(A) पछुवा पवनें
16. अपेक्षाकृत ठडे अक्षांशों से भूमध्य रेखा की ओर जाने वाली सन्मार्गी पवनें कहाँ वर्षा नहीं करती?
(A) पर्वतों पर
(B) महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर
(C) महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर
(D) महासागरों पर
उत्तर:
(C) महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर
17. गर्म व शुष्क शिनूक पवनें किस पर्वत के पूर्वी ढलानों से उतरती हैं?
(A) हिमालय
(B) रॉकीज
(C) एंडीज
(D) आल्प्स
उत्तर:
(B) रॉकीज
18. आल्प्स पर्वत को पार करके स्विट्ज़रलैंड की घाटियों में बहने वाली शुष्क, गर्म और तूफानी पवनों को कहते हैं-
(A) मिस्ट्रल
(B) फोएन
(C) बोरा
(D) खमसिन
उत्तर:
(B) फोएन
19. फ्राँस व स्पेन के तटों पर बहने वाली प्रचंड, शुष्क व ठंडी पवन कहलाती है
(A) हरमाट्टन
(B) बोरा
(C) मिस्ट्रल
(D) सिरोको
उत्तर:
(C) मिस्ट्रल
20. निम्नलिखित में से कौन-सी ठंडी स्थानीय पवन नहीं है?
(A) मिस्ट्रल
(B) बोरा
(C) खमसिन
(D) ब्लिजार्ड
उत्तर:
(C) खमसिन
21. भूमध्यरेखीय उष्ण एवं आर्द्र जलवायु की उमस से त्रस्त गिनी प्रदेश के निवासियों को कौन-सी सुखद और स्वास्थ्यप्रद पवन राहत पहुँचाती है?
(A) हरमाट्टन
(B) हिमहरिणी
(C) ब्रिकफील्डर
(D) लेवीची
उत्तर:
(A) हरमाट्टन
22. ब्यूफोर्ट स्केल पर ब्यूफोर्ट कोड-12 अधिसूचित करता है-
(A) शांत पवन को
(B) झंझावात को
(C) हरीकेन को
(D) तूफान को
उत्तर:
(C) हरीकेन को
23. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा सुमेलित नहीं है?
(A) हरीकेन : यू०एस०ए०
(B) टाइफून : चीन
(C) सिरोक्को : ऑस्ट्रेलिया
(D) मिस्ट्रल : स्पेन
उत्तर:
(C) सिरोक्को : ऑस्ट्रेलिया
24. सन्मार्गी पवनें किन अक्षांशों के बीच चलती हैं?
(A) 23° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांश के बीच
(B) 25° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांश के बीच
(C) 30° से 5° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांश के बीच
(D) 40° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांश के बीच
उत्तर:
(C) 30° से 5° उत्तरी-दक्षिणी अक्षांश के बीच
भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
वर्तमान में वायुमंडलीय दाब मापने के लिए किस इकाई का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
हैक्टोपास्कल इकाई का।
प्रश्न 2.
समुद्र-तल पर वायुदाब कितना होता है?
उत्तर:
1013 मिलीबार।
प्रश्न 3.
ऊँचाई के साथ वायदाब किस दर से घटता है?
अथवा
क्षोभमंडल में ऊँचाई के साथ वायुमंडलीय दबाव कम होने की क्या दर है?
उत्तर:
34 मिलीबार प्रति 300 मीटर।
प्रश्न 4.
किस बल के प्रभाव से पवन अपनी दिशा बदल देती है?
उत्तर:
कॉरिआलिस प्रभाव।
प्रश्न 5.
पवनों के विक्षेपण सम्बंधी नियम का सूत्रधार कौन था?
उत्तर:
अमेरिकी विद्वान फैरल।
प्रश्न 6.
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबंध भूमध्य रेखा के उत्तर में कब खिसकता है?
उत्तर:
21 जून को।
प्रश्न 7.
शिनूक (Chinook) का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
हिमभक्षी।
प्रश्न 8.
मिस्ट्रल पवन कौन-सी घाटी में बहती है?
उत्तर:
रोन घाटी में।
प्रश्न 9.
समुद्र-तल पर एक वर्ग सें०मी० क्षेत्रफल पर वायु का कितना भार होता है?
उत्तर:
1.03 किलोग्राम।
प्रश्न 10.
समुद्र-तल पर एक वर्ग इंच क्षेत्रफल पर वायु का कितना भार होता है?
उत्तर:
6.68 किलोग्राम।
प्रश्न 11.
हमारे शरीर पर कितना वायुमंडलीय दबाव पड़ता है?
उत्तर:
लगभग एक टन।
प्रश्न 12.
वायुदाब कटिबंध कितने हैं?
उत्तर:
सात।
प्रश्न 13.
लगभग ऊर्ध्वाधर दिशा में गतिमान वायु को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वायुधारा।
प्रश्न 14.
आल्पस से उतरकर स्विट्ज़रलैण्ड में चलने वाली हवाएँ क्या कहलाती हैं?
उत्तर:
फोएन हवाएँ।
प्रश्न 15.
दिन के समय समुद्र से तट की ओर चलने वाली आर्द्र व ठण्डी पवनों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
जल-समीर।
प्रश्न 16.
रात के समय समुद्र से तट की ओर चलने वाली शुष्क पवन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
स्थल समीर।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
शान्त कटिबंध या डोलड्रम्स किसे कहा जाता है?
उत्तर:
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबंध को।
प्रश्न 2.
कॉरिआलिस प्रभाव कौन-से नियम द्वारा जाना जाता है?
उत्तर:
बाइज़ बैलेट अथवा फैरल का नियम।
प्रश्न 3.
कॉरिआलिस प्रभाव के अधीन विक्षेप बल कहाँ अधिकतम व कहाँ न्यूनतम होता है?
उत्तर:
ध्रुवों पर अधिकतम व भूमध्य रेखा पर न्यूनतम।
प्रश्न 4.
तीन प्रकार की स्थायी पंवनों के नाम बताइए।
उत्तर:
- सन्मार्गी
- पछुवा
- ध्रुवीय।
प्रश्न 5.
सन्मार्गी पवनें किन अक्षांशों के बीच चलती हैं?
उत्तर:
30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच।
प्रश्न 6.
पछुवा पवनें किन अक्षांशों के बीच चलती हैं?
उत्तर:
30°-40° से 50°-60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच।
प्रश्न 7.
पवनें क्यों चलती हैं?
उत्तर:
वायुदाब में अन्तर आ जाने से।
प्रश्न 8.
‘डॉक्टर’ नामक पवन कहाँ चलती है? उसका असली नाम क्या है?
उत्तर:
‘डॉक्टर’ नामक पवन अफ्रीका के गिनी तट पर चलती है। इसका असली नाम हरमट्टन है।
प्रश्न 9.
गरजता चालीसा व प्रचण्ड पचासा कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
40° और 50° दक्षिणी अक्षांशों पर।
प्रश्न 10.
वायु में भार कैसे पैदा होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण।
प्रश्न 11.
वायुदाब और तापमान में क्या सम्बंध है?
उत्तर:
तापमान बढ़ने पर वायुदाब घटता है।
प्रश्न 12.
किसी स्थान का वायुदाब किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
- तापमान
- समुद्र-तल से ऊँचाई
- जलवाष्प
- दैनिक गति।
प्रश्न 13.
वायुमंडल के दबाव को मापने वाले यन्त्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
बैरोमीटर तथा बैरोग्राफ़।
प्रश्न 14.
वायुमंडलीय दाब को मापने की कौन-सी तीन इकाइयाँ हैं?
उत्तर:
- इंच
- सेंटीमीटर
- मिलीबार।
प्रश्न 15.
समुद्र-तल पर सामान्य वायुदाब को तीन इकाइयों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
- 29.92 इंच
- 76 सेंटीमीटर या 760 मिलीमीटर
- 1013.2 मिलीबार।
प्रश्न 16.
मिलीबार क्या होता है?
उत्तर:
1000 डाइन प्रति वर्ग से०मी० के बराबर शक्ति।
प्रश्न 17.
उच्च वायुदाब की दशा में आकाश स्वच्छ कैसे रहता है?
उत्तर:
उच्च वायुदाब में वायु नीचे बैठती है जिससे वाष्पों का संघनन नहीं हो पाता।
प्रश्न 18.
तेजी से गिरता हुआ वायुदाब किस मौसम की सूचना देता है?
उत्तर:
चक्रवात, वर्षा तथा आँधी का पूर्वानुमान बताता है।
प्रश्न 19.
ताप-प्रेरित वायुदाब कटिबंध कौन-से हैं?
उत्तर:
भूमध्य रेखा पर निम्न दाब कटिबंध और ध्रवों पर उच्च दाब कटिबंध।
प्रश्न 20.
गति-प्रेरित वायुदाब कटिबंध कौन-से हैं?
उत्तर:
दोनों गोलार्डों में उपोष्ण उच्च-दाब कटिबंध तथा उप-ध्रुवीय निम्न-वायुदाब कटिबंध।
प्रश्न 21.
वायुदाब के सात कटिबंधों का निर्माण क्यों हुआ है?
उत्तर:
विभिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप के अन्तर और पृथ्वी की दैनिक गति के प्रभाव के कारण।
प्रश्न 22.
भूमध्य रेखीय कटिबंध को शान्तमंडल या डोलड्रम क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि इस पेटी में वायु का क्षैतिज संचलन न होने के कारण पवनें नहीं चलतीं।
प्रश्न 23.
भूमध्य रेखीय निम्न-दाब कटिबंध का विस्तार लिखिए।
उत्तर:
भूमध्य रेखा से 10° उत्तरी व 10° दक्षिणी अक्षांशों के बीच।
प्रश्न 24.
उपोष्ण उच्च-दाब कटिबंध का विस्तार बताएँ।
उत्तर:
उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्डों में कर्क और मकर रेखाओं से 35° अक्षांश के बीच।
प्रश्न 25.
उप-ध्रुवीय निम्न-दाब कटिबंध का विस्तार बताइए।
उत्तर:
45° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के आर्कटिक व अंटार्कटिक (66/2° उ० व द० वृत्तों) के बीच।
प्रश्न 26.
दो अलग-अलग ‘शान्त’ वायुदाब पेटियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
- भूमध्य रेखीय निम्न-दाब कटिबंध शान्तमंडल अथवा डोलड्रम कहलाता है।
- उपोष्ण उच्च-दाब कटिबंध शान्त कटिबंध (Belt of Calm) या अश्व अक्षांश कहलाता है।
प्रश्न 27.
स्थायी पवनें किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
वे पवनें जो सारा वर्ष एक ही दिशा में चलती हैं, स्थायी पवनें कहलाती हैं।
प्रश्न 28.
पूर्वी पवनें कौन-सी होती हैं?
उत्तर:
सन्मार्गी या व्यापारिक पवनें।
प्रश्न 29.
सन्मार्गी पवनों को उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में क्या कहते हैं?
उत्तर:
क्रमशः उत्तर-पूर्वी सन्मार्गी पवनें तथा दक्षिण-पूर्वी सन्मार्गी पवनें।
प्रश्न 30.
व्यापारिक (सन्मार्गी) पवनों के क्षेत्र में शुष्क प्रदेश अथवा मरुस्थल कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
महाद्वीपों के पश्चिमी भागों पर।
प्रश्न 31.
उत्तरी गोलार्द्ध में पछुवा पवनों की क्या दिशा होती है?
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व।
प्रश्न 32.
पछुवा पवनें कहाँ वर्षा करती हैं?
उत्तर:
शीतोष्ण कटिबंधों में स्थित महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में।
प्रश्न 33.
शीतोष्ण चक्रवात किन पवनों के साथ चलते हैं?
उत्तर:
पछुवा पवनों के साथ।
प्रश्न 34.
ध्रुवीय पवनें शुष्क क्यों होती हैं?
उत्तर:
क्योंकि इन ठण्डी पवनों में जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता नहीं होती।
प्रश्न 35.
आवर्ती पवनों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
समय के एक निश्चित अन्तराल के बाद इन पवनों की प्रवाह-दिशा उलट जाती है।
प्रश्न 36.
मानसून पवनें क्या होती हैं?
उत्तर:
वे पवनें जिनकी मौसम के अनुसार प्रवाह दिशा बदल जाती है।
प्रश्न 37.
चक्रवाती परिसंचरण क्या है?
उत्तर:
निम्न दाब क्षेत्र के चारों ओर पवनों का परिक्रमण चक्रवाती परिसंचरण कहलाता है।
प्रश्न 38.
‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई है?
उत्तर:
‘मानसन’ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से हुई है।
प्रश्न 39.
चार ठण्डी स्थानीय पवनों के नाम बताएँ।
उत्तर:
यूरोप में मिस्ट्रल व बोरा, साइबोरिया में बुरान तथा अर्जेन्टाइना में पम्पेरो।
प्रश्न 40.
घाटी समीर क्या होती है?
उत्तर:
दिन के समय घाटी की गर्म वायु का पर्वतीय ढाल के साथ ऊपर उठना।
प्रश्न 41.
पर्वत समीर किसे कहते हैं?
उत्तर:
रात के समय पर्वतीय ढाल से घाटी की ओर बैठती वायु।
प्रश्न 42.
वातान किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब दो भिन्न प्रकार की वायुराशियाँ मिलती हैं तो उनके मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं।
प्रश्न 43.
वाताग्र-जनन क्या है?
उत्तर:
वाताग्र-जनन (Frontogenesis) वातारों के बनने की प्रक्रिया को कहते हैं।
प्रश्न 44.
वाताग्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
वाताग्र चार प्रकार के होते हैं-
- उष्ण वाताग्र
- अचर वाताग्र
- शीत वाताग्र
- अधिविष्ट वाताग्र।
प्रश्न 45.
समदाब रेखाएँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
समदाब रेखाएँ संमदाब रेखाओं को अंग्रेजी में ‘Isobar’ कहते हैं। “Iso’ का अभिप्राय समान तथा ‘bars’ का अभिप्राय दाब होता है अर्थात् समान दाब वाली रेखाएँ।
प्रश्न 46.
समुद्र-तल पर सामान्य औसत वायुदाब कितने मिलीबार होता है?
उत्तर:
समुद्र-तल पर वायु का दबाव 1.03 किग्रा० प्रति वर्ग सें०मी० होता है। वायुमंडल का सामान्य दाब 45° अक्षांश पर तथा समुद्र-तल पर 29.92 इंच अथवा 76 सें०मी० होता है। यह 1,013.25 मिलीबार के बराबर होता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वायुमंडलीय दाब किसे कहते हैं?
उत्तर:
भू-पृष्ठ के ऊपर कई किलोमीटर की ऊँचाई में वायुमंडल पृथ्वी तल पर दबाव उत्पन्न करता है। वायुमंडल गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण पृथ्वी पर टिका हुआ है। वायुदाब साधारण रूप से कई गैसों का मिश्रण है जो भार-युक्त है। अन्य वस्तुओं की भाँति वायु का भी भार अथवा दबाव होता है। वायु का जब पृथ्वी के ऊपर भार पड़ता है तो उसे वायुमंडलीय दाब कहते हैं। भूमि के ऊपर लगभग एक किलोग्राम वायुदाब होता है। समुद्र-तल पर सामान्य दशाओं में 76 सें०मी० वायुमंडलीय भार 1,013.25 मिलीबार के बराबर होता है।
प्रश्न 2.
दाब प्रवणता किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानचित्र पर वायुदाब समदाब रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। समदाब रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं जो समुद्र-तल से समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती हैं। समदाब रेखाओं के बीच की दूरी वायुदाब के परिवर्तन की स्थिति दिखाती है। वायुदाब में परिवर्तन की दर को दाब प्रवणता कहते हैं। यदि समदाब रेखाएँ पास-पास हैं तो इसका तात्पर्य है कि धरातल पर थोड़ी दूर जाने पर दबाव अधिक बढ़ रहा है। इसलिए पास-पास वाली रेखाएँ तीव्र दाब को प्रदर्शित करती हैं, जबकि दूर वाली दाब रेखाएँ मन्द-दाब प्रवणता को दर्शाती हैं। तीव्र-दाब प्रवणता में पवनें तेज गति से चलती हैं तथा मन्द-दाब प्रवणता में पवनें धीमी गति से चलती हैं।
प्रश्न 3.
एक मिलीबार किसे कहते हैं? वायुदाब की माप इकाइयों में क्या संबंध है?
उत्तर:
एक मिलीबार-एक वर्ग सें०मी० पर एक ग्राम के बल अथवा एक हजार डाइन प्रति वर्ग सें०मी० के वायुभार को एक मिलीबार कहते हैं।
विभिन्न माप इकाइयों में संबंध-
30 इंच वायुदाब = 76 सें०मी० = 1,013.25 मिलीबार
1 इंच वायुदाब = 34 मिलीबार।
1 सें०मी० वायुदाब = 13.3 मिलीबार।
प्रश्न 4.
वायुराशियाँ (Air Masses) क्या है?
उत्तर:
वायुमंडल में एक विस्तृत भाग पर तापक्रम, आर्द्रता आदि भौतिक गुणों की समानता रखने वाली पवनों को वायुराशियाँ कहते हैं। वायुराशियों की मुख्य रूप से दो विशेषताएँ होती हैं, जिनमें तापमान का लम्बवत् वितरण और आर्द्रता की उपस्थिति शामिल हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण तापमान के लम्बवत् वितरण पर ही उनकी ऊष्मा तथा शीतलता निर्भर करती है। जो वायुराशियाँ स्थिर होती हैं, वे प्रायः ठण्डी तथा शुष्क होती हैं। ये वर्षा नहीं करतीं, परन्तु गतिशील तथा गर्म वायुराशियाँ वर्षा करती हैं। वायुराशि वायु से भिन्न है। वायुराशि में वायु-धाराएँ ऊपर उठती हैं तथा एक विस्तृत क्षेत्र में तापमान तथा आर्द्रता में समानता होती है, परन्तु वायु भूतल के समानान्तर चलती है तथा इसकी विभिन्न परतों में तापमान तथा आर्द्रता में भिन्नता पाई जाती है।
प्रश्न 5.
कॉरिआलिस बल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि पृथ्वी स्थिर होती और उसका धरातल एक-समान होता तो पवनें सीधी उच्च वायुदाब की ओर चलतीं। किन्तु न ही उसका धरातल एक-समान है, इसलिए वायु सीधी न चलकर वक्राकार मार्ग पर चलती है। वायु की दिशा में परिवर्तन लाने में पृथ्वी की दैनिक गति का सबसे बड़ा हाथ है। पृथ्वी की दैनिक गति के कारण एक प्रभाव उत्पन्न होता है जिसे ‘कॉरिआलिस बल’ अथवा कॉरिआलिस प्रभाव (Coriolis Force or Coriolis Effect) कहते हैं। इसके कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बाईं ओर मुड़ जाती हैं। इस तथ्य को सबसे पहले 1844 ई० में फैरल महोदय ने बताया था इसलिए इसे फैरल का नियम कहते हैं। फैरल के नियम (Ferrel’s Law) के अनुसार, भूमध्य रेखा पर कोई विक्षेप नहीं होता। 30° अक्षांशों पर 50%, 60° अक्षांशों पर 86.7% तथा ध्रुवों पर 100% विक्षेप हो जाता है।
प्रश्न 6.
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
- भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है जो पवनों की गति को प्रभावित करता है।
- पृथ्वी के घूर्णन से भी पवनों का वेग प्रभावित होता है।
- कॉरिआलिस बल के कारण भी पवनों की दिशा प्रभावित होती है।
प्रश्न 7.
अश्व अक्षांश क्या हैं?
उत्तर:
231/2° से 35° के मध्य अक्षांशों को ‘अश्व अक्षांश’ कहते हैं, क्योंकि मध्य युग में पश्चिमी द्वीप समूहों से यूरोप को पालदार जलयानों के द्वारा घोड़े भेजे जाते थे। इन अक्षांशों पर आने पर अधिक वायुदाब के कारण ये जहाज आगे नहीं बढ़ पाते थे। इन जहाजों का भार कम करने के लिए कुछ घोड़े समुद्र में फेंक दिए जाते थे। कर्क रेखा तथा मकर रेखा के निकट का यह क्षेत्र शान्तमंडल कहलाता है। यहाँ पवनें भू-तल के समानान्तर नहीं चलतीं। यहाँ पवनें ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर की ओर चलती हैं। यहाँ वायुमंडल शान्त रहता है तथा मौसम साफ होता है। निरन्तर नीचे उतरती हुई वायु के कारण यहाँ अधिक वायुदाब होता है तथा इन अक्षांशों से पवनें ध्रुवों की ओर पछुवा पवनों के रूप में तथा विषुवत् रेखा की ओर व्यापारिक पवनों के रूप में चलती हैं।
प्रश्न 8.
बहिरूपण कटिबंधीय चक्रवात और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बहिरूपण कटिबंधीय चक्रवात और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात में निम्नलिखित अन्तर हैं-
बहिरूपण कंटिबंधीय चक्रवात | उष्ण कटिबंधीय चक्रवात |
1. बहिरूपण चक्रवात स्थल व सागर दोनों प्रदेशों पर ही उत्पन्न व विकसित होते हैं। | 1. उष्ण चक्रवात प्रायः महासागरों पर ही उत्पन्न व विकसित होते हैं और स्थल-खण्ड में प्रवेश करते ही इनका लोप होने लगता है। |
2. ये प्रायः शीत ऋतु में उत्पन्न होते हैं। | 2. ये ग्रीष्म ऋतु में अधिक उत्पन्न होते हैं। |
3. इनकी समदाब रेखाएँ प्रायः दीर्धवृत्ताकार होती हैं। | 3. इनकी समदाब रेखाएँ प्रायः वृत्ताकार होती हैं। |
4. ये चक्रवात हजारों वर्ग किलोमीटर में फैले हुए होते हैं। इनका व्यास प्राय: 800 से 1600 किलोमीटर तक होता है। | 4. इन चक्रवातों का विस्तार बहुत कम होता है। इनका व्यास प्रायः 300 से 1000 किलोमीटर तक होता है। |
5. अधिक विस्तार होने के कारण इन चक्रवातों में वायुदाब प्रवणता मन्द होती है। | 5. कम विस्तार होने के कारण इनमें वायुदाब प्रवणता तीव्र होती है। |
प्रश्न 9.
डोलड्रम किसे कहते हैं?
उत्तर:
डोलड्रम एक शान्त क्षेत्र है जो भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5°N तथा 5°S के मध्य स्थित है। यह भूमध्य रेखा शान्त-खण्ड भी कहलाता है। यहाँ भू-तल पर चलने वाली पवनें नहीं होतीं। यहाँ धीमी तथा शान्त वायु बहती है। इसका प्रमुख कारण सूर्य का यहाँ लगभग लम्बवत् रूप से चमकना है। यहाँ तापमान अधिक होता है। वायु गर्म तथा हल्की होकर संवाहिक धाराओं के रूप में ऊपर उठती है जिससे इस क्षेत्र में वायुदाब कम हो जाता है।
प्रश्न 10.
पर्वत-समीर तथा घाटी-समीर क्या होती हैं?
उत्तर:
ये समीरें मुख्य रूप से दैनिक पवनें हैं जो दैनिक तापान्तर के प्रभाव से वायुदाब की भिन्नता के कारण चलती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में रात्रि के समय पर्वत शिखर से घाटी की ओर ठण्डी तथा भारी चलने वाली वायु को पर्वत-समीर कहते हैं। इन पवनों के कारण घाटियाँ ठण्डी वायु से भर जाती हैं जिससे घाटी के निचले क्षेत्र में पाला पड़ता है। दिन के समय घाटी की गर्म वायु पर्वतीय ढाल के साथ-साथ पर्वतीय शिखर की ओर चलती है जिसे घाटी-समीर कहते हैं। ज्यों-ज्यों ये पवनें ऊपर की ओर जाती हैं, त्यों-त्यों ये ठण्डी होकर भारी वर्षा करती हैं।
प्रश्न 11.
व्यापारिक या सन्मार्गी पवनें क्या हैं?
उत्तर:
व्यापारिक पवनें स्थायी पवनें हैं। ये पवनें उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधों से (लगभग 30° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश) विषुवतीय निम्न-वायुदाब कटिबंध की ओर दोनों गोलार्डों में चलती हैं। ये पवनें महाद्वीपों के पूर्वी भागों में वर्षा करती हैं। पश्चिमी क्षेत्रों में पहुँचते-पहुँचते ये पवनें शुष्क हो जाती हैं, इसलिए महाद्वीपों के पश्चिम में मरुस्थल पाए जाते हैं। जब व्यापारिक पवनें दोनों गोलार्डों से विषुवत रेखा के निकट आपस में टकराती हैं तो ऊपर उठकर घनघोर वर्षा करती हैं। हिन्द महासागर में ये पवनें मानसून पवनों का रूप धारण करके दक्षिण-पूर्वी एशिया में मानसूनी वर्षा करती हैं।
प्रश्न 12.
फैरल का नियम क्या है?
उत्तर:
भू-तल पर पवनें कभी सीधे रूप से उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर की ओर नहीं चलतीं। सभी पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाईं ओर तथा दक्षिण गोलार्द्ध में अपनी बाईं ओर मुड़ जाती हैं। इसे फैरल का नियम कहते हैं। वायु की दिशा में यह परिवर्तन पृथ्वी की दैनिक गति के कारण होता है। जब पवनें कम गति वाले क्षेत्रों से अधिक गति वाले क्षेत्रों की तरफ आती हैं तो पीछे रह जाती हैं। इस विक्षेप शक्ति को कॉरिआलिस बल कहते हैं।
प्रश्न 13.
“मानसूनी पवन सामान्य भूमंडलीय पवन तन्त्र का ही रूपान्तरण है।” इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
मानूसन पवनें मौसम में परिवर्तन के अनुसार अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती हैं। वैज्ञानिक इन्हें बड़े पैमाने की मानते हैं, क्योंकि मानसन पवनों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण जल तथा स्थल में तापक्रम की भिन्नता है। मानसून की उत्पत्ति के विषय में उपलब्ध वर्तमान सिद्धान्तों में फ्लोन का सिद्धान्त सर्वमान्य है। इस सिद्धान्त के अनुसार, मानसूनी तन्त्र भू-मंडलीय पवन तन्त्र का ही रूपान्तरित रूप है। ग्रीष्मकाल में जब सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में चमकता है तो उपोष्ण उच्च वायुदाब तथा तापीय भूमध्य रेखा उत्तर की ओर खिसक जाते हैं।
एशिया में भू-खण्ड के प्रभाव के कारण यह प्रक्रिया बड़े पैमाने पर होती है जिससे उष्ण कटिबंधीय व्यापारिक पवन और विषुवतीय पछुवा पवन भी उत्तर की ओर खिसक जाती है। पवनें महासागर से महाद्वीपों की ओर चलने लगती हैं जिन्हें दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पवनें कहते हैं। शीत ऋतु में उपोष्ण उच्च-वायुदाब कटिबंध तथा तापीय भूमध्य रेखा दक्षिण की ओर वापस अपनी पुरानी स्थिति पर लौट आते हैं जिससे सामान्य व्यापारिक चक्र स्थापित हो जाता है जिसे उत्तरी-पूर्वी मानसून पवन कहते हैं। इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि भू-मंडलीय पवन तन्त्र में चलने वाली व्यापारिक पवनों के स्थान पर मानूसन पवनें चलने लगती हैं।
प्रश्न 14.
पृथ्वी के धरातल पर कुछ वायुदाब कटिबंध तापीय कारणों से नहीं, बल्कि गतिक कारणों से उत्पन्न हुए हैं। ये कटिबंध कौन से हैं? इनकी उत्पत्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल पर विषुवत् रेखा तथा ध्रुवों के मध्य उपोष्ण उच्च-वायुदाब तथा उप-ध्रुवीय निम्न-वायुदाब की उत्पत्ति गतिक-कारणों से होती है। विषुवत् रेखा से सूर्य की गर्मी के कारण वायु गर्म होकर ऊपर उठती है तथा ठण्डी तथा भारी होकर 30° अक्षांशों के निकट नीचे उतरती है तथा पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ध्रुवों से आने वाली वायु भी इन्हीं अक्षांशों में नीचे उतरती है जिसके कारण इन अक्षांशों पर उच्च-वायुदाब की पेटी बन जाती है। उपध्रुवीय निम्न-वायुदाब की उत्पत्ति का मुख्य कारण भी यही है। पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ही 60° अक्षांशों के निकट की वायु के विषुवत् रेखा तथा ध्रुवों की ओर खिसकने के कारण ही यहाँ निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है।
प्रश्न 15.
“मानसून पवनें एक बड़े पैमाने पर जल-समीर तथा स्थल-समीर हैं।” व्याख्या करें।
उत्तर:
‘मानूसन’ शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से बना है, जिसका अर्थ है-मौसम। अतः मानसूनी पवनें वे पवनें हैं जो मौसमानुसार दिशा में चलती हैं। ये पवनें 6 मास तक ग्रीष्मकाल में दक्षिण दिशा से तथा 6 मास तक शीतकाल में उत्तर दिशा से चलती हैं। ग्रीष्मकाल में ये पवनें सागरों से स्थल की ओर तथा शीतकाल में स्थल से सागरों की ओर चलती हैं। इनकी उत्पत्ति जल तथा स्थल के गर्म तथा ठण्डा होने में पाई जाने वाली भिन्नता है। स्थलीय भाग जल की अपेक्षा शीघ्र गर्म होता है तथा शीघ्र ही ठण्डा होता है।
इसलिए दिन के समय सागर के निकट स्थल भाग पर कम वायुदाब होता है तथा सागर में कम तापमान के कारण वायुदाब अधिक होता है जिसके कारण सागर से स्थल की ओर जल-समीर चलने लगती है, परन्तु रात्रि के समय वह स्थिति विपरीत हो जाती है, जिससे स्थल से सागर की ओर स्थल-समीर चलने लगती है। इस प्रकार प्रतिदिन वायु की दिशा में परिवर्तन आता रहता है, परन्तु मानूसन पवनों की दिशा में परिवर्तन, मौसम में परिवर्तन के कारण होता है तथा पवनें सागरीय तट के निकट चलने के स्थान पर पूरे महाद्वीप पर चलती हैं। इसलिए मानूसन पवनों को विस्तृत स्तर पर जल-समीर तथा स्थल-समीर का रूप मानते हैं।
प्रश्न 16.
पवन की परिभाषा देते हुए स्पष्ट कीजिए कि पवनों की उत्पत्ति किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
पवन (Wind) भू-पृष्ठ के सहारे क्षैतिज बहती हुई हवा (Air) को पवन (Wind) कहते हैं। पवनें पृथ्वी पर वायुदाब में क्षैतिज अन्तर के कारण चलती हैं। जिस प्रकार जल अपना तल बराबर रखने के लिए ऊँचे स्थानों से निचले स्थानों की ओर बहता है उसी प्रकार वायु भी अपने दबाव में सन्तुलन बनाए रखने के लिए उच्च-वायुदाब वाले क्षेत्रों से निम्न-वायुदाब वाले क्षेत्रों की ओर चलती है। यह प्रकृति का नियम है। पवनों के नाम उस दिशा के अनुसार रखे जाते हैं जिनसे वे बहकर आती हैं।
लगभग ऊर्ध्वाधर (Vertical) दिशा में गतिमान वायु को वायुधारा (Air Current) कहा जाता है। पवनें और वायुधाराएँ दोनों मिलकर वायुमंडल में एक संचार तन्त्र (Circulation System) स्थापित करती हैं। पवनों की उत्पत्ति (Origin of Winds)-पवन की उत्पत्ति अत्यन्त जटिल होती है। पवन की उत्पत्ति का प्रत्यक्ष कारण वायुदाब का अन्तर होता है लेकिन पवन का मूल प्रेरक बल सौर विकिरण होता है।
यदि पृथ्वी की दैनिक गति न होती अर्थात् पृथ्वी स्थिर होती और उसका धरातल भी एकदम समतल होता तब पवन उच्च-वायुदाब क्षेत्र से निम्न-वायुदाब क्षेत्र की ओर समदाब रेखाओं पर समकोण बनाते हुए बहती। इसका तात्पर्य यह है कि पवन या तो उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है या दक्षिण से उत्तर की ओर। वायुदाब समान होते ही पवनें भी चलना बन्द कर देतीं। परन्तु वास्तविकता यह है कि पृथ्वी न तो स्थिर है और न ही समतल। इस कारण पवन की गति और दिशा को अनेक कारक सम्मिलित रूप से प्रभावित करते हैं।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात क्या है? उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)-उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर उत्पन्न व विकसित होने वाले चक्रवातों को उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहते हैं। इनका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित प्रकार से हैं-
1. उत्पत्ति (Origin)-ये चक्रवात उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्डों में लगभग 5° से 25° अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं। भूमध्य रेखा के निकट दोनों गोलार्डों की व्यापारिक पवनें आकर मिलती हैं। जिस तल पर ये पवनें आकर मिलती हैं उसे अन्तरा-उष्ण कटिबंधीय वाताग्र अथवा अन्तरा-उष्ण कटिबंधीय मिलन तल (Inter-tropical Front or Inter-tropical Convergence Zone) कहते हैं। ग्रीष्म ऋतु के उत्तरार्द्ध में अन्तरा-उष्ण कटिबंधीय वाताग्र भूमध्य रेखा से काफी दूर चला जाता है।
इस वाताग्र के किसी भाग में जलवायु काफी गरम होकर बड़े पैमाने पर ऊपर को उठती है तो कॉरिआलिस बल के कारण इस निम्न-वायुदाब क्षेत्र की ओर सभी दिशाओं में पवनें चलने लगती हैं और एक चक्रवात का जन्म होता है। इसके चारों ओर वायु-भार अधिक तथा बीच में वायु-भार कम होता है। कम वायु-भार वाले इस केन्द्र को चक्रवात की आँख (Eye of the Cyclone) कहते हैं। चक्रवात में पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के अनुकूल चलती हैं।
2. आकार तथा विस्तार (Shape and Size)-उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की समभार रेखाएँ लगभग वृत्ताकार अथवा दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) होती हैं। भीतरी न्यून तथा बाहरी अधिक वायु-भार में लगभग 55-60 मिलीबार का अन्तर होता है। इनका विस्तार शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के विस्तार में बहुत ही कम होता है, इनका व्यास साधारणतया 150 से 750 किलोमीटर तक होता है, परन्तु कुछ छोटे चक्रवातों का व्यास 40 से 50 किलोमीटर तक ही होता है।
3. मौसम (Weather)-शीतोष्ण चक्रवातों की भाँति उष्ण चक्रवातों के आने पर सबसे पहले आकाश में पक्षाभ-स्तरीय मेघ दृष्टिगोचर होते हैं और सूर्य तथा चन्द्रमा के चारों ओर प्रभा-मंडल का विकास होता है। वायु उमस वाली हो जाती है और शान्त वातावरण उत्पन्न हो जाता है। वायुदाब एकदम से बढ़ जाता है। इसके पश्चात् मन्द समीर चलने लगती है, मेघ नीचे होने लगते हैं और वायुदाब धीरे-धीरे कम होने लगता है।
तत्पश्चात् वर्षादायनी मेघों (Nimbus Clouds) का विकास होता है जो सबसे पहले क्षैतिज पर दिखाई देते हैं और फिर धीरे-धीरे समस्त आकाश पर छा जाते हैं। वायुदाब तापमान की तीव्रता से कम होने लगता है और पवन का वेग बहुत बढ़ जाता है। दाहिने अग्र चतुर्थांश (Right Front Quadrant) में प्रायः तेज बौछारों के साथ वर्षा होती है। यदि गतियुक्त चक्रवात कुछ समय के लिए स्थिर हो जाएँ तो दाएँ पृष्ठ चतुर्थांश में भी काफी वर्षा होती है। चक्रवात के अन्तिम भाग में फिर से पक्षाभ तथा पक्षाभ-स्तरीय मेघ दृष्टिगोचर होते हैं, पवन का वेग मन्द पड़ जाता है और वायुदाब सामान्य हो जाता है।
4. मार्ग तथा प्रभाव क्षेत्र (Path and Affected Areas)-उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की दिशा विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न होती है। भूमध्य रेखा से 15° तक ये सन्मार्गी (व्यापारिक) पवनों से प्रभावित होकर पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हैं। 15° से 30° अक्षांशों के बीच इनकी दिशा अनिश्चित रहती है, परन्त 30° को पार करने के बाद ये पछ्वा पवनों के प्रभावाधीन पश्चिम से पूर्व दिशा में मुड़ जाते हैं। स्थल पर पहुँचकर ये समाप्त हो जाते हैं क्योंकि वहाँ पर जलवाष्प की कमी तथा भू-घर्षण में वृद्धि हो जाती है। इनके प्रभाव-क्षेत्र निम्नलिखित हैं-
(i) कैरीबियन सागर (Caribbean Sea) यहाँ इन्हें हरीकेन (Hurricane) कहते हैं। ये मुख्यतः जून से अक्तूबर तक कैरीबियन सागर से उठते हैं और पश्चिमी द्वीप समूह, फ्लोरिडा तथा दक्षिणी-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका के अन्य भागों को प्रभावित करते हैं।
(ii) चीन सागर (China Sea)-यहाँ इन्हें टाइफून (Typhoon) कहते हैं। यहाँ ये जुलाई से अक्तूबर तक चलते हैं और फिलीपींस, चीन तथा जापान को प्रभावित करते हैं।
(iii) हिन्द महासागर (Indian Ocean)-यहाँ इन्हें चक्रवात के नाम से पुकारा जाता है। ये भारत, बांग्लादेश, बर्मा, मेडागास्कर तथा ऑस्ट्रेलिया से उत्तरी तट के अतिरिक्त बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर को भी प्रभावित करते हैं। उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के तट पर इन्हें विली-विलीज (Willy Wilies) कहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका तथा मैक्सिको में इन्हें टोरनेडो (Tormado) कहते हैं।
प्रश्न 2.
‘वायुराशियाँ’ क्या हैं? ‘वातान’ कैसे बनते हैं?
उत्तर:
वायुराशियाँ-वायुमंडल में एक विस्तृत भाग पर तापक्रम, आर्द्रता आदि भौतिक गुणों की समानता रखने वाली पवनों को वायुराशियाँ कहते हैं। वायुराशियों की मुख्य रूप से दो विशेषताएँ होती हैं, जिनमें तापमान का लम्बवत वितरण और आर्द्रता की उपस्थिति शामिल हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण तापमान के लम्बवत् वितरण पर ही उनकी ऊष्मा तथा शीतलता निर्भर करती है। जो वायुराशियाँ स्थिर होती हैं, वे प्रायः ठण्डी तथा शुष्क होती हैं। ये वर्षा नहीं करतीं, परन्तु गतिशील तथा गर्म वायराशियाँ वर्षा करती हैं। वायराशि वाय से भिन्न है।वायराशि में वाय-धाराएँ ऊपर उठती हैं तथा मान तथा आर्द्रता में समानता होती है, परन्तु वायु भूतल के समानान्तर चलती है तथा इसकी विभिन्न परतों में तापमान तथा आर्द्रता में भिन्नता पाई जाती है।
‘वातान’ कैसे बनते हैं-दो विपरीत स्वभाव वाली वायुराशियों के मिलन-स्थल को वाताग्र (Front) कहते हैं। यह न तो धरातलीय सतह के समानान्तर होता है और न ही उस पर लम्बवत् होता है बल्कि कुछ कोण पर झुका हुआ होता है।
टी० पीटरसन के अनुसार, “वाताग्री सतह एवं धरातलीय सतह को अलग करने वाली रेखा को वाताग्र कहते हैं तथा जिस प्रक्रिया द्वारा वाताग्र बनता है, उसे वाताग्र उत्पत्ति (Frontogenesis) कहते हैं”।
वातानों की उत्पत्ति निम्नलिखित दो बातों पर आधारित है-
1. भौगोलिक कारक-जब दो विभिन्न प्रकार की वायुराशियाँ एक-दूसरे के समीप आती हैं तो वाताग्र की उत्पत्ति होती है अर्थात् वाताग्र की उत्पत्ति के लिए दो विभिन्न वायुराशियों का तापमान तथा उनकी आर्द्रता का भिन्न होना अनिवार्य है।
2. गतिज कारक-वाताग्र की उत्पत्ति के लिए वायुराशियों में प्रवाह अर्थात् गति होना अत्यन्त आवश्यक है। पीटरसन तथा बर्गरॉन ने यह सिद्ध किया है कि वायुराशियों की गति वातारों को तीव्रता प्रदान करती है।
प्रश्न 3.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात तथा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात में अंतर बताइए।
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात तथा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात में अंतर निम्नलिखित हैं-
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) | शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclones) |
1. ये चक्रवात उष्ण कटिबंध में 5° से 30° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्द्धों में चलते हैं। | 1. ये चक्रवात शीतोष्ण कटिबंध में 35° से 65° अंक्षाशों के मध्य दोनों गोलार्द्धों में चलते हैं। |
2. इन चक्रवातों का आकार छोटा होने के कारण दाब प्रवणता अधिक होती है। | 2. इन चक्रवातों का आकार बड़ा होने के क्रारण दाब प्रवणता कम होती है। |
3. इन चक्रवातों का व्यास सामान्यतः 100 से 700 कि०मी० तक होता है। कुछ चक्रवात छोटे भी होते हैं। | 3. इन चक्रवातों का व्यास सामान्यतः 500 से 700 कि०मी० तक होता है। कुछ चक्रवात कई हजार कि०मी० व्यास के भी होते हैं। |
4. इनमें अधिक दाब-प्रवणता के कारण पवनें तेजी से चलती हैं। | 4. इनमें कम दाब-प्रवणता के कारण पवनें मन्द गति से चलती हैं। |
5. इनका जन्म संवहनीय धाराओं के कारण अंतर-उष्ण कटिबंधीय अभिसरण (ITCZ) तल पर होता है। | 5. इनका जन्म शीतल तथा उण्ण वायु-राशियों के मिलने पर होता है। |
6. ये चक्रवात प्रायः उष्ण समुद्री भागों में उत्पन्न व विकसित होते हैं। | 6. ये चक्रवात समुद्री तथा स्थलीय दोनों ही भागों में समान रूप सं विकसित उ उत्पन्न होते हैं। |
7. ये चक्रवात ग्रीष्मकाल में उत्पन्न होते हैं। | 7. ये चक्रवात शीतकाल में उत्पन्न होते हैं। |
8. इन चक्रवातों में वाताग्र नहीं होते । | 8. इन चक्रवातों में वाताग्र होते हैं। |
9. इन चक्रवातों में समदाब रेखाएँ पास-पास होती हैं। | 9. इन चक्रवातों में समदाब रेखाएँ दूर-दूर होती हैं। |
10. पवनें चक्राकार मार्ग में चलती हैं। | 10. पवनों की गति व दिशा वाताग्रों पर निर्भर करती है। |
11. इनमें वर्षा तेजी से होती है। | 11. इनमें वर्षा धीरे-धीरे होती है। |
12. इनमें वर्षा के साथ ओले नहीं गिरते। | 12. इनमें वर्षा के साथ ओले गिरते हैं। |