HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Exercise Questions, and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

HBSE 10th Class Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं ?
उत्तर-
अपने आवास को पर्यानुकूलित या पर्यावरण मित्र बनाने के लिए हम निम्न परिवर्तन कर सकते हैं-

  • हम अपने घर के आस-पास कूड़ा करकट, गंदगी, जल एकत्रण आदि न होने दें।
  • बिजली से चलने वाले उपकणों का प्रयोग न करने की स्थिति में उनके स्विच ऑफ कर दें जिससे विद्युत अपव्यय रोका जा सके।
  • हम अपने घर में नलों से टपकते पानी को बन्द करना चाहिए। व्यर्थ ही पानी को खर्च न करें।
  • प्रयोग किये गए प्लास्टिक के डिब्बे, बोतलों एवं अन्य सामान को पुनः प्रयोग करें या उन्हें पुनः चक्रण के लिए भेज दें।
  • आवासीय कूड़े एवं व्यर्थ पदार्थों को कूड़ादान में ही डालें।
  • लकड़ी, कोयला के स्थान पर LPG का प्रयोग भोजन बनाने के लिए करें।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर-
हम अपने विद्यालय में निम्नलिखित परिवर्तन करके इसे पर्यानुकूलित बना सकते हैं-

  • अपने विद्यालय भवन को साफ-सुथरा रखें तथा इसके आस-पास कूड़ा-करकट व गन्दगी एकत्र न होने दें।
  • इससे निकलने वाले कूड़े को कहीं दूर खाली भूमि में गड्ढा खोदकर उसमें दबा दें, जिससे इसका विघटन हो जाए।
  • विद्यालय में बगीचे की स्थापना करें और इसमें उत्पन्न पत्तियाँ एवं कूड़े-करकट की खाद बनाकर पौधों के पोषण के लिए प्रयोग करें।
  • हम अपने साथियों को पेड़-पौधों की रक्षा के लिए जाग्रत करें।
  • शौचालय तथा मूत्रालय की नियमित सफाई कराएँ।
  • अनावश्यक विद्युत खर्च न होने दें।
  • पानी का अपव्यय न होने दें।
  • विद्यालय भवन हवादार एवं प्रकाश आने योग्य हो जिससे पंखे एवं बल्बों की कम से कम आवश्यकता हो।
  • विद्यालय प्रांगण में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएँ।
  • पॉलीथीन का प्रयोग न करें।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं ?
उत्तर-
वन एक प्राकृतिक संसाधन हैं जो हमारे जीवन के लिए प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अनिवार्य हैं। वन के प्रमुख चार दावेदार हैं-
1. वन के अन्दर तथा इनके आस-पास रहने वाले लोग जो वन तथा वन्य उत्पादों पर निर्भर रहते हैं। कुछ उत्पादों को वे प्रत्यक्ष रूप से जीवन यापन हेतु प्रयोग कर लेते हैं तथा कुछ उत्पादों को बेचकर अपनी जीवन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं |

2. उद्योगपति जो वन में उत्पन्न एक प्रकार के उत्पाद पर अपना प्रभुत्व एवं नियंत्रण रखते हैं वे इन उत्पादों को अपने नियंत्रण में चल रहे उद्योगों में कच्चे पदार्थों के रूप में प्रयोग करते हैं।

3. सरकारी वन विभाग वन की भूमि पर अपना अधिकार रखते हैं तथा वन तथा उसके उत्पादों पर अपना नियंत्रण रखते हैं। वनों में सभी उत्पाद उन्हीं के माध्यम से विक्रय किए जाते हैं जिनसे प्राप्त धनराशि सरकार के पास चली जाती है।

4. ऐसे व्यक्ति जो प्रकृति एवं वन्य प्राणियों से स्नेह रखते हैं, उसे उसी प्राकृतिक रूप में बनाए रखना चाहते हैं। उपर्युक्त सभी चारों प्रकार के दावेदारों (Stake holder) में से चौथे प्रकार के दावेदार जो प्रकृति के प्रेमी हैं और वे वन्य प्राणियों एवं प्राकृतिक वनस्पति को अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही बनाए रखना चाहते हैं को ही प्रबन्धन एवं वन एवं उसके उत्पादों के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार देना चाहिए। दूसरे शब्दों में वे ही वास्तव में पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखने के अधिकारी हैं।

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प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबन्धन में क्या योगदान दे सकते हैं (a) वन एवं वन्य जन्तु, (b) जल संसाधन, (c) कोयला एवं पेट्रोलियम। राज. 2015]
उत्तर-
(a) वन एवं वन्य जन्तु-मैं व्यक्तिगत रूप से वन एवं वन्य जन्तु प्रबंधन में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहूँगा। उन्हें वन एवं वन्य जीवन के महत्व के बारे में अवगत कराना चाहूँगा। इसके साथ यह प्रबन्ध भी करूँगा कि वन सम्पदा को अनावश्यक क्षति न हो एवं इन संसाधनों का दरुपयोग न हो। स्थानीय नागरिकों की सहमति एवं सक्रिय भागीदारी से वन सम्पदा को समृद्ध करने का मेरा उद्देश्य है।

(b) जल संसाधन-हम अपनी दैनिक आवश्यकता से कहीं अधिक जल व्यय करते हैं। नलों से पानी का रिसाव होता रहता है, नलों को खुला छोड़ देते हैं। पाइप लाइनों के फट जाने से जल की बहुत बर्बादी होती है इस अपव्यय को बचाने के लिए मैं प्रयास करूंगा। मैं अपने घर में इस अपव्यय को रोकने का प्रयास करूँगा तथा लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करूँगा।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम-ऊर्जा की बचत के लिए मैं निम्न प्रयास करूंगा-

  • मैं अपनी मोटर बाइक के स्थान पर बस से यात्रा करूँगा।
  • मैं यह चाहूँगा कि हम कई साथी पैदल विद्यालय तक जाएँ।
  • घर में ऊर्जा की बचत के लिए बल्ब के स्थान पर ट्यूबलाइटें एवं CFL का प्रयोग करूँगा।
  • मैं दिन के समय अधिकतर कार्य करूँगा जिससे रात में अधिक समय तक प्रकाश की आवश्यकता न हो।
  • मैं लोगों को यह समझाऊँगा कि वे अपने वाहनों के इंजनों को लाल बत्ती होने पर चालू न रखें।
  • मै अपने घर के जनरेटर को अनावश्यक रूप से नहीं चलाने दूँगा।
  • ठंड के दिनों में सिगड़ी का प्रयोग न करके गर्म कपड़े पहनूँगा जिससे कोयले की खपत कम होगी।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर-
विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत को कम करने के लिए हम निम्नलिखित युक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं-

  • हम अनावश्यक ऊर्जा खपत को रोकने के लिए बल्ब के स्थान पर CFL का प्रयोग कर सकते हैं, ठंड से बचने के लिए हीटर या कोयले की सिगड़ी के स्थान पर ऊनी कपड़ों का प्रयोग कर सकते हैं।
  • जल की खपत कम करने के लिए इसके अपव्यय को रोक सकते हैं, हम पाइपों का रिसना बन्द कर सकते हैं।
  • छोटी-छोटी दूरियाँ तय करने के लिए पैदल या साइकिल से जा सकते हैं।
  • स्वचालित वाहनों का इंजन लाल बत्ती होने पर बन्द कर सकते हैं।
  • लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों द्वारा जा सकते हैं।
  • सोलर उपकरणों का प्रयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने आदि कार्यों के लिये सकते हैं।
  • खाद्य पदार्थों के अपव्यय को रोक सकते हैं। .
  • घरों में लकड़ी जलाने के स्थान पर LPG का प्रयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
निम्न से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण,
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है
उत्तर-
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

  • पानी के संरक्षण के लिए टपकने वाली नल की टोटियों को बदलवाया है तथा पाइपों की मरम्मत कराई है।
  • अनावश्यक बल्ब एवं लाइटें बन्द करा दी हैं।
  • अनेक कार्यों के लिए सोलर ऊर्जा का प्रयोग किया है।
  • कई स्थानों तक पैदल गए हैं।
  • हर लाल बत्ती पर बाइक का इंजन बन्द किया है।

(b) प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय

  • कई रातों में बिजली जलाकर सो गया।
  • सुबह-सुबह मार्निंग वाक पर न जाकर टी.वी. देखता रहा।
  • टी.वी. चलाकर बाहर काफी देर तक बातें करता रहा।
  • बस से जाने के बजाय दूसरे शहर अपनी बाइक से गया।
  • मैंने कई जगह लाल बत्ती होने पर अपनी बाइक का इंजन बंद नही किया।

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प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर-
संसाधनों के संपोषण के लिए हम तीन आर (3’R’) की संकल्पना का पालन करेंगे। 3 ‘R’ संकल्पना के पालन का अर्थ है

  • कम उपयोग (Reduce)-किसी संसाधन का कम-से कम प्रयोग करेंगे।
  • पुनः चक्रण (Recycle)-प्लास्टिक, कागज, धातु, काँच आदि को पुनः चक्रण के लिए भेजेंगे।
  • पुनः उपयोग (Reuse)-कुछ वस्तुओं को कई बार कई कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है। जैसे-प्रयोग की गई बोतलें, डिब्बे आदि।

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(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 303)

प्रश्न 1.
पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन से परिवर्तन ला सकते हैं ?
उत्तर-
पर्यावरण मित्र बनने के लिए हमें तीन प्रकार के ‘R’ को अपनाना होगा। ये हैं-
(i) कम उपयोग (Reduce)
(ii) पुनः चक्रण (Recycle)
(iii) पुनः प्रयोग (Reuse)।

(i) कम उपयोग (Reduce)-इसका अर्थ है हमें कम से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। हम बिजली के पंखे बंद करके बिजली बचा सकते हैं। व्यर्थ बहते हुए पानी की बचत कर सकते हैं। हमें भोजन भी नष्ट नहीं होने देना चाहिए।

(ii) पुनः चक्रण (Recycle)- इसका अर्थ है कि हमें प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थो का पुनः चक्रण करके उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिए।

(iii) पुनः प्रयोग (Reuse)-पुनः उपयोग के तरीके में हम किसी वस्तु का बार-बार प्रयोग कर सकते हैं। लिफाफों को फेंकने की अपेक्षा हम इनको फिर से उपयोग में ला सकते हैं। प्लास्टिक की बोतलों तथा डिब्बों का उपयोग रसोईघर में वस्तुओं को रखने के लिए कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेट्रोलियम, जल, वन आदि के अत्यधिक उपयोग से केवल कुछ ही लोग लाभान्वित होंगे और संपूर्ण पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा जिसके परिणाम लंबे समय तक रहेंगे। संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से ये योजनाएँ सफल नहीं होती हैं।

प्रश्न 3.
कम अवधि की परियोजनाओं के लाभ, लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
1. कम अवधि के उद्देश्य से लाभ केवल व्यक्तिगत होता है परन्तु लम्बी अवधि के उद्देश्य का लाभ संपूर्ण समुदाय को होता है। उदाहरण के लिए अल्पावधि के लाभ में वृक्षों को काट दिया जाता है परन्तु दीर्घ अवधि में लाभ हेतु वहाँ वृक्षों की पुनः स्थापना की जाती है।

2. अल्पावधि के लाभ में वृक्षों को काटकर समतल भूमि प्राप्त की जा सकती है परन्तु दीर्घावधि में वन अपने अस्तित्व में बने रहकर और पर्यावरण में गैसीय संतुलन एवं वर्षा के स्रोत का कारण बनते हैं।

3. अल्पावधि के लाभ में वन की भूमि को आवासीय एवं औद्योगिक अथवा कृषि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है परंतु दीर्घावधि में वन भूमि की उर्वरा शक्ति नियमित रहती है तथा मृदा अपरदन नहीं होता।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर-
हमारा देश एक विकासशील देश है, इसमें संसाधनों का समान वितरण बहुत आवश्यक है। समान वितरण से हमारा अभिप्राय है कि प्राकृतिक संसाधनों का सभी के लिए समान लाभ हेतु वितरण, चाहे व्यक्ति गरीब हों या अमीर। सरकारी एजेंट तथा कुछ स्वार्थी तत्व संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कार्य करते हैं वे अपने अधिकतम लाभ के लिए ही प्रयास करते हैं। स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं को नजरंदाज किया जाता है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 308)

प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर-
हमें वनों का संरक्षण निम्न कारणों से करना चाहिए-

  • हमें वनों से इमारती लकड़ी एवं जलाने की लकड़ी प्राप्त होती है।
  • वनों से हमें फल, मेवे, सब्जियाँ, औषधियाँ आदि प्राप्त होती हैं।
  • अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति होती है, जैसे-कागज उद्योग।
  • वन पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने में सहायता करते हैं।
  • वृक्षों के वायवीय भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो बादलों का निर्माण एवं आकर्षण करते हैं।
  • ये मृदा अपरदन एवं बाढ़ नियंत्रण में सहायता करते

हमें वन्य जीवन का संरक्षण निम्न कारणों से करना चाहिए-

  • वन्य प्राणी स्थलीय खाद्य श्रृंखला की निरंतरता के लिए उत्तरदायी हैं।
  • वन्य प्राणियों से हमें अनेक बहुमूल्य पदार्थ जैसे-कस्तूरी, खाल, ऊन, सींग, फर, मधु, दाँत, वसा आदि प्राप्त होते हैं।
  • वन्य प्राणी पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर-
वनों एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं

  1. वनों में अन्दर तथा वनों के समीप रहने वाले लोगों को वनों एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा के कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए और उन्हें, इनसे होने वाले लाभों एवं इनकी कमी से होने वाली हानियों के बारे में जाग्रत करना चाहिए।
  2. जहाँ से वनों को काटा जा चुका है वहाँ नये वनों का विकास करना चाहिए तथा उसमें विभिन्न वन्य जीवों को छोड़ना चाहिए।
  3. हमें वनों एवं वन्य उत्पादों के विकल्पों की खोज करनी चाहिए जिससे वनों पर कम से कम निर्भर रहना पड़े।
  4. वनों के काटे जाने तथा वन्य प्राणियों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 311)

प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर-
वर्षा के जल को एकत्रित करना “जल संग्रहण” कहलाता है, इसे जल प्रबन्धन के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश में विभिन्न राज्यों में जल संग्रहण के लिए अलग-अलग प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं। इसमें से कुछ तो बहुत प्राचीन हैं। भूमि के अन्दर गड्ढे खोदकर वर्षा का जल एकत्र करना. कुएँ बनाकर. छत पर गिरे वर्षा जल को बड़े टैकों में एकत्र करके, तालाब बनाकर, चैकडैम बनाकर जल का संग्रहण किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्रों में जल व्यवस्था मैदानी क्षेत्रों से भिन्न होती है। जैसे-हिमाचल प्रदेश की जल वितरण प्रणाली को कुल्ह कहते हैं। पहाड़ी नदियों में बहने वाले जल को मानव निर्मित छोटी-छोटी नालियों से पहाड़ी पर निचले इलाकों तक ले जाया जाता है। कुल्हों में बहने वाले पानी का प्रबन्धन गाँवों के निवासियों की आपसी सहमति से किया जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कृषि के मौसम में जल सबसे दूरस्थ गाँवों को दिया जाता है फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित इलाके उस जल का प्रयोग करते हैं। मैदानी इलाकों में बड़ी-बड़ी नदियों से नहरें निकाल कर या तालाबों में संचित जल द्वारा या फिर नलकूपों द्वारा जल की व्यवस्था की जाती है।

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प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्त्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्त्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है ?
उत्तर-
हमारा क्षेत्र एक बड़ा नगर है, अतः यहाँ की जल प्रणाली के अनुसार जल का स्थानीय स्रोत बड़ी टंकी है जिसमें नदी से पंपिंग स्टेशन द्वारा पानी पाइप लाइन द्वारा संग्रहित किया जाता है। इस जल का वितरण पाइप लाइनों द्वारा सम्पूर्ण क्षेत्र को किया जाता है। इसी से सभी लोगों की आवश्यकताएँ पूरी होती हैं।

HBSE 10th Class Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Activity Questions and Answers

क्रियाकलाप 16.1. (पा. पु.पृ. सं. 298)

प्रश्न 1.
कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन के नियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर-
क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol दिसम्बर 1997) जिस पर भारत ने अगस्त 2002 में हस्ताक्षर किए। भारतवर्ष को 1990 के स्तर पर पहुँचने के लिए 2008-12 की अवधि में CO2, तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 5.2% की कमी लाकर इन मानकों को प्राप्त करना है।

प्रश्न 2.
इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए कि हम इन मानकों को प्राप्त करने हेतु क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
CO2, उत्पन्न करने वाले उद्योगों को सीमित करके, उद्योगों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करके जिससे CO2, तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसें उत्पन्न न हों। कार्बनिक अपशिष्टों को जलाना बन्द करके तथा अधिक से अधिक वन रोपण द्वारा इन मानकों को प्राप्त किया जा सकता है।

क्रियाकलाप 16.2. (पा. पु. पृ. सं. 299)

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र शहर/गाँव में कार्य करने वाले संगठनों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
अनेक गैर सरकारी संगठनों में (NGOs), ऐसी एक अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरणविदों की संस्था ग्रीन पीस मूवमेण्ट (Green Peace Movement) है। भारत का ‘चिपको आन्दोलन’ पर्यावरण संघ आदि भी ऐसी ही गैर सरकारी संस्थायें हैं। प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, नगर महापालिका, क्षेत्रीय पालिका आदि पर्यावरण के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार हेतु सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
पता लगाइए कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान कर सकते हैं ?
उत्तर-
हम इसमें अपनी सहभागिता बनाकर, पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। वृक्षारोपण अभियान चलाकर अनेक स्थानों पर पौधे लगा सकते हैं। हम 3R तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं। विद्यालयों, कॉलेजों में ईको क्लब (Eco Clubs) बन हैं जो इस प्रकार के कार्यों में सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

क्रियाकलाप 16.3. (पा. पु. पृ. सं. 300)

प्रश्न 1.
सार्वसूचक (universal indicator) लिटमस कागज की सहायता से अपने घर में आपूर्ति किये जा रहे पानी का pH ज्ञात करना।
उत्तर-
यूनिवर्सल इण्डीकेटर अथवा लिटमस कागज की सहायता से ज्ञात होता है कि हमारे घर के पानी का pH लगभग 7 है।

प्रश्न 2.
अपने अड़ोस-पड़ोस के जलाशय (तालाब, झील, नदी, झरने) का pH भी ज्ञात करना। ताकि यह बताया जा सके कि जल प्रदषित है अथवा नहीं।
उत्तर-
नगरों में वितरित किये जाने वाले जल में विरंजक चूर्ण या क्लोरीन मिलाई जाती है जिससे जल का pH 7 के लगभग हो जाता है। तालाबों के पानी का pH 7 से कम 5-6 है।

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प्रश्न 3.
क्या अपने प्रेक्षणों के आधार पर आप बता सकते हैं कि जल प्रदूषित है अगवा नहीं।
उत्तर-
pH 7 से कम से कम जल अम्लीय होता है तथा इसे प्रदूषित माना जाता है।

क्रियाकलाप 16.4. (पा. पु. पृ. सं. 301)

प्रश्न 1.
क्या कई वर्षों के अंतराल पर आप किसी गाँव अथवा शहर में गए हैं ? यदि हाँ, क्या पिछले बार की अपेक्षा नए घर एवं सड़कें बन गई हैं ? आपके विचार में इनके निर्माण के लिए आवश्यक वस्तुएँ कहाँ से प्राप्त हुई होंगी?
उत्तर-
हाँ। पिछली बार की अपेक्षा कुछ नए घर एवं सड़कों का निर्माण हुआ है। इनके निर्माण में ईंट, पत्थर, लोहा, सीमेण्ट, लकड़ी, कोलतार, काँच आदि का प्रयोग किया गया है, जो विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किए गए हैं।

प्रश्न 2.
उन पदार्थों की सूची बनाइए तथा उनके स्रोत का भी पता लगाइए।
उत्तर-
ईंट – मृदा से
पत्थर – खानों से
लोहा – खानों से संशोधित करके
सीमेण्ट – चट्टानों, रेत, कंकड़ों से उद्योगों द्वारा निर्मित
काँच – खानों में
जल – मृदा से
लकड़ी – वनों से
प्लास्टिक – उद्योगों से

प्रश्न 3.
अपने द्वारा बनाई गई सूची की चर्चा अपने सहपाठियों के साथ कीजिए। क्या आप ऐसे उपाय सुझा सकते हैं जिनसे इन वस्तुओं के उपयोग में कमी लाई जा सके।
उत्तर-
इन वस्तुओं के उपयोग में कमी लाई जा सकती है। ईंटों की दीवारों पर प्लास्टर न किया जाए। संगमरमर के स्थान पर सीमेंट फर्श डाला जाए, बड़ी खिड़कियों के स्थान पर ईंटों की जाली बनवायी जाए इत्यादि।

क्रियाकलाप 16.5. (पा. पु. पृ. सं. 302)

प्रश्न 1.
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी व प्रकृति संरक्षण के लिए परंपरागत तरीकों का अवलोकन करें।
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।

क्रियाकलाप 16.6. (पा. पु. पृ. सं. 304)

प्रश्न 1.
जिन वन उत्पादों का आप प्रयोग करते हैं उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर-
फल, पुष्प, शुष्क फल, लकड़ी, मधु, पशुओं का चारा तथा औषधियाँ।

प्रश्न 2.
आपके विचार में वन के निकट रहने वाला कोई व्यक्ति किन वस्तुओं का उपयोग करता होगा?
उत्तर-
वन के निकट रहने वाला व्यक्ति पशुओं के लिए चारा, फल, पुष्प, शुष्क फल, लकड़ी, औषधियाँ आदि का प्रयोग करता होगा।

प्रश्न 3.
वन के अन्दर रहने वाला व्यक्ति किन वस्तुओं का उपयोग करता होगा?
उत्तर-
वन के अन्दर रहने वाला व्यक्ति वनों से आवास, पत्तों के वस्त्र, ईंधन, झोंपड़ी बनाने के लिए घास-पात, भोजन के लिए फल, शिकार आदि वस्तुओं को प्राप्त करता होगा।

क्रियाकलाप 16.7. (पा. पु. पृ. सं. 305)

प्रश्न 1.
किन्हीं दो वन उत्पादों का पता लगाना जो किसी उद्योग के आधार हैं।
उत्तर-
वृक्ष, इमारती लकड़ी एवं प्लाईवुड उद्योग तथा कागज उद्योग के आधार हैं।

प्रश्न 2.
चर्चा करना कि यह उद्योग लंबे समय तक संपोषित हो सकता है। अथवा क्या हमें इन उत्पादों की खपत को नियंत्रित करने की आवश्यकता है?
उत्तर-
ये उद्योग लंबे समय तक संपोषित हो सकते हैं यदि कच्चे माल को उचित रूप से प्रयोग किया जाए। प्लाइवुड के लिए कच्चा माल एवं इमारती लकड़ी को हम जिन वनों से प्राप्त करते है यदि उन्हें काटा गया है तो इनके स्थान पर नये पौधों को लगाया जाए। इसके साथ ही हमें इन उत्पादों की खपत को भी कम करना चाहिए जिससे इन उद्योगों से हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव उत्पन्न न हो।

क्रियाकलाप 16.8. (पा. प. प.सं. 307)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों के लिए ‘आराम गृह’ (Rest house) का निर्माण करना।
उत्तर-
राष्ट्रीय उद्यानों में आराम गृह बनवाने से पर्यावरण की क्षति होगी। पर्यटकों के आने-जाने से जंगली जीवों के प्राकृतिक जीवन में हस्तक्षेप होगा। पर्यटकों द्वारा फैलाया गया प्रदूषण जीवों के लिए घातक होगा।

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प्रश्न 2.
राष्ट्रीय उद्यानों में पालतू पशुओं को चराना।
उत्तर-
राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं के चराने से एक ओर उद्यान की वनस्पति नष्ट होगी और वन्य शाकाहारी प्राणियों के लिए भोजन में कमी होगी वहीं दूसरी ओर पालतू पशु वन्य माँसाहारी जन्तुओं के शिकार हो जाएँगे।

प्रश्न 3.
पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक बोतल, थैलियाँ तथा अन्य कचरा राष्ट्रीय उद्यान में फेंकना।
उत्तर-
पर्यटक प्लास्टिक बोतल, थैलियाँ, कूड़ा-कचरा फेंकेंगे जिससे उद्यान गंदा हो जाएगा और प्रदूषण फैलेगा।

क्रियाकलाप 16.9. (पा. पु. पृ. सं. 308)

प्रश्न 1.
महाराष्ट्र के एक गाँव में जल की कमी की दीर्घकालीन समस्या से जूझ रहे ग्रामीण एक जल मनोरंजन पार्क का घेराव कर लेते हैं। इस पर चर्चा करना कि क्या यह उपलब्ध जल का समुचित उपयोग है।
उत्तर-
यह जल का समुचित उपयोग नहीं हैं। ग्रामीणों की जल समस्या का निराकरण पहले होना चाहिए इसके बाद मनोरंजन की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।

क्रियाकलाप 16.10. (पा. पु. पृ. सं. 308)

प्रश्न 1.
एटलस की सहायता से भारत में वर्षा के पैटर्न का अध्ययन करना।
उत्तर-
वर्षा का पैटर्न-
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन 1

प्रश्न 2.
ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जहाँ पर जल की प्रचुरता है तथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ जल की बहुत कमी है।
उत्तर-
लद्दाख, राजस्थान और गुजरात के पश्चिमी क्षेत्र में वर्षा की कमी है। उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में तथा पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में वर्षा की अधिकता है। पशु

क्रियाकलाप 16.11. (पा. पु. प्र. सं. 312)

प्रश्न 1.
कोयले का उपयोग ताप-बिजलीघरों में एवं पेट्रोलियम उत्पाद जैसे कि डीजल एवं पेट्रोल का यातायात के विभिन्न साधन जैसे मोटर वाहन, जलयान एवं वायुयान में प्रयोग किया जाता है। आज के युग में विद्युत् साधित्रों एवं यातायात में विद्युत के प्रयोग के कारण वास्तव में हम इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। अतः क्या हम कुछ ऐसी युक्ति सोच सकते हैं जिससे कोयला एवं पेट्रोलियम के उपयोग को कम किया जा सके ?
उत्तर-

  • विद्युत चलित वाहनों के अधिक प्रयोग से।
  • सौर ऊर्जा चलित वाहनों से।
  • मेट्रो गाड़ियाँ चला कर ।
  • प्राइवेट वाहनों की संख्या कम करके।
  • सरकारी यातायात को बढ़ावा देकर।

क्रियाकलाप 16.12. (पा. पु. पृ. सं. 313)

प्रश्न 1.
आपने वाहनों से निकलने वाली गैसों के यूरोI(Euro-I), एवं यूरो-II एवं यूरो-III मानक के विषय में तो अवश्य ही सुना होगा। यह पता लगाना कि यह मानक वायु प्रदूषण कम करने में किस प्रकार सहायक हैं ?
उत्तर-
ये मानक सभी वाहन उद्योगों को वायु प्रदूषण कम करने हेतु ऐसे वाहन निर्मित करने हेतु विवश करते हैं जो कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, NOX.आदि पर नियंत्रण रखने हेतु प्रबंध करते हैं। इससे वाहन प्रदूषण कम फैलाते हैं।

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